Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-08-2017, 10:51 AM,
RE: चूतो का समुंदर
Kamini ke ghar........


काजल ने कार पार्क की और अंदर की तरफ चल पड़ी. ..इस टाइम काजल थोड़े गुस्से मे लग रही थी ....

अंदर आते ही उसने नोकरानी को कॉफी बनाने को बोला...

काजल ने काफ़ी गुस्से मे बोला और तेज आवाज़ मे भी....जिसे रूम मे लेटी कामिनी ने सुन लिया...और वो समझ गई कि काजल गुस्से मे है....

कामिनी- काजल...काजल बेटा....यहाँ आओ...

काजल गुस्से से पैर पटकती हुई कामिनी के पास पहुच गई...

काजल के चेहरे पर गुस्सा सॉफ झलक रहा था...

कामिनी- आ गई बेटा....

काजल(गुस्से से)- हाँ आ गई...बोलो क्या काम है....

कामिनी- तू पहले यहाँ बैठ...मेरे पास मे आ...

काजल- मोम...

कामिनी(बीच मे)- चुप...पहले बैठ जा...फिर बोलना...

काजल ना चाहते हुए भी कामिनी के पास बैठ गई...

कामिनी- हाँ..अब बोल...इतना गुस्सा किस बात का...??

काजल- गुस्सा नही करूँ तो क्या करूँ...कुछ भी नही हुआ...

कामिनी- क्या नही हुआ...क्या अंकित ने कुछ...

काजल(बीच मे)- नही मोम...वो साला तो मिला ही नही...इसीलिए तो गुस्सा आ रही है...

कामिनी- नही मिला....तो इसमे इतना गुस्सा क्यो....गया होगा किसी काम से कही...

काजल- तभी तो...मैं इतनी मेहनत से रेडी हुई...कुछ प्लान किया...सोचा था कि आज...पर कुछ नही हुआ...

कामिनी(काजल का हाथ पकड़ कर)- देखो बेटा....ऐसी छोटी बातों पर गुस्सा नही करते....उसे क्या पता कि तुम आ रही हो...अभी नही मिला तो फिर मिल जायगा...

काजल- जानती हूँ...पर...

कामिनी(बीच मे)- कुछ नही...तू बस ये याद रख कि तुझे करना क्या है...और हाँ..ये सब तू गुस्से के साथ तो नही कर पायगी ना...प्यार से करना होगा....

काजल- ह्म्म...जानती हूँ...पर मोम...क्या मैं ये कर पाउन्गी...??

कामिनी- बिल्कुल...मेरी बेटी को देख कर कोई भी पागल हो जाए...ये अंकित क्या चीज़ है...

काजल- सच मे...

कामिनी- हाँ बेटा...तुझे ये करना ही है...नही तो दामिनी को सच पता चल गया तो...

तभी एक जोरदार आवाज़ ने कामिनी और काजल को हिला दिया...

""कौन सा सच कम्मो...""

ये आवाज़ दामिनी की थी ...जो इस वक़्त गेट पर खड़ी हुई थी....दामिनी को देख कर कामिनी सकपका गई...पर काजल ने कुछ रिएक्ट नही किया...

कामिनी- अरे दी तुम...अचानक से...

दामिनी- हाँ...तू ये बता कि कौन से सच की बात कर रही थी...

कामिनी- वो ..दीदी...आप आइए ना...

दामिनी- वो सब छोड़...मुझे पूरी बात बता...और ये तेरा पैर...क्या हुआ...

कामिनी- सब बताती हूँ दीदी..आप आइए तो...

दामिनी भी कामिनी के बेड पर आ कर बैठ गई ...

कामिनी- आप जिस काम से गई थी, वो हुआ क्या...??

दामिनी- वो बाद मे...पहले ये पता कि क्या सच छिपा रही है...बोल जल्दी...

दामिनी को थोड़ा गुस्सा आने लगा था...जिससे कामिनी को थोड़ी घबराहट होने लगी थी....

कामिनी- दीदी...वो..मैं सब शुरू से बताती हूँ..पर गुस्सा मत करना...

दामिनी- तू जल्दी बता...फिर देखुगी...

फिर कामिनी ने आक्सिडेंट से ले कर काजल के साथ हुई बात-चीत तक , सब कुछ दामिनी को बता दिया...
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06-08-2017, 10:51 AM,
RE: चूतो का समुंदर
जिसे सुनकर दामिनी की आखो मे गुस्सा बढ़ने लगा था....कामिनी ने जैसे ही बोलना बंद किया तो दामिनी चिल्लाते हुए बोली...


दामिनी- तेरा दिमाग़ खराब है क्या...भूत-बूत कुछ नही होता..समझी...और तूने भूत समझ कर कमल का सच बक दिया...हाँ...

और दामिनी ने कामिनी को एक थप्पड़ मार दिया....

कामिनी- क्या करती मैं...भूत से कौन जीत सकता है...उसने मेरी बेटी को मारने की धमकी....मैं क्या करती...

दामिनी- पर ये कैसे मान गई तू कि वो भूत है इंसान नही...

कामिनी- मैने बताया ना...इतनी गोलिया मारने पर भी उसे कुछ नही हुआ ...और मेरी बेटी के साथ...

कामिनी धीरे-2 आँसू बहाने लगी थी...जिसे देख कर दामिनी का गुस्सा भी कम हो गया...

दामिनी भी एक माँ थी..वो कामिनी की हालत समझ सकती थी...इसलिए उसने कामिनी को गले से लगा कर मानना शुरू कर दिया.....

दामिनी- अब रो मत...जो हुआ सो हुआ...अब आगे क्या सोचा...ये काजल को क्या करने का बोला...

काजल , जो इतनी देर से चुप बैठी थी...उसने दामिनी को आन्सर दिया...

काजल- अब एक ही काम करना है...अंकित को फसाओ...सब कुछ छीन लो...और फिर बाप-बेटे का काम तमाम.....

दामिनी- प्लान तो अच्छा है...पर ये इतना आसान नही....पहले हमे सब कुछ लेना होगा....मारना तो आसान है...लेकिन अपना हक़ लेना मुस्किल पड़ेगा....

काजल- जानती हूँ...लेकिन भरोशा रखो....मैं सब सेट कर लूगी...

दामिनी- ह्म्म...मुझे भरोशा है तुझ पर...पर याद से...अंकित बिस्तर पर हैवान बन जाता है...फाड़ के रख देगा...

काजल- अरे मौसी...आपकी और मोम की खूबी है मुझ मे...सब संभाल लूगी...हहहे...

और काजल की बात सुनकर दामिनी और कामिनी भी हँसने लगी....

ये तीनो यहाँ अंकित को फसाने का प्लान बना कर खुश हो रही थी...और इनसे दूर बैठा अंकित का आदमी ( स ) इनकी सारी बातें सुन रहा था....

स- ह्म्म..प्लान तो मस्त है...पर सॉरी...काम नही होगा....और दामिनी...तेरी घर वापिसी का गिफ्ट भी तैयार है...जल्दी मिल जायगा.....फिर आएगा मज़ा......

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06-08-2017, 10:51 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अंकित के घर.....

सीक्रेट हाउस से निकल कर मैं सीधा घर आ गया था....

मेरा मूड अभी भी खराब था...मुझे समझ नही आ रहा था कि फाइल मे जो लिखा है वो कैसे सही हो सकता है....

इस सवाल का जवाब भी मुझे सिर्फ़ डॅड से ही पता चल सकता था...पर मेरी मजबूरी ये थी कि मैं दाद से डाइरेक्ट पूछ नही सकता था....

ऐसे ही दिमाग़ मे कस्मकस लिए मैं सीधा अपने रूम मे चला आया...और आते ही पेग बना कर गटाकने लगा....

मैं(मन मे)- अब क्या किया जाए....जितना भी अच्छा करने का सोचता हूँ उतना ही बुरा हो जाता है....

अभी रजनी और कामिनी को निपटने का सोच ही रहा था कि अब ये फाइल....आख़िर डॅड और कामिनी का रीलेशन होगा क्या...

क्या डॅड और कामिनी....नही-नही...डॅड ऐसे नही है...अगर ऐसी कोई बात होती तो कभी तो कुछ सामने आता ही...

ये बात कुछ और है...शायद ये भी उनकी दुश्मनी की एक वजह होगी...शायद दादाजी के टाइम की कोई बात....

पर डॅड ने ये बिज़्नेस खुद की दम पर खड़ा किया...इसमे दादाजी का कोई रोल ही नही था....तो क्या बात होगी....

यही सब सोचते-सोचते मैं 4 पेग गटक गया...फिर मुझे ख्याल आया कि क्यो ना वो डाइयरी फिर से चेक करूँ...शायद इस बात का कोई क्लू मिल जाए....

मैने एक पेग और मारा और गेट लगा कर डाइयरी पढ़ने लगा...

पूरी डाइयरी टटोल डाली पर कुछ भी पता नही चला.....

मैने मायूस हो कर डाइयरी साइड की और रेस्ट करने लगा....

डाइयरी पढ़ कर मेरे सवाल का जवाब तो नही मिला...पर एक बार फिर मेरी आँखो मे मेरे परिवार की बुरी हालत की तस्वीर छा गई..और मेरी आँखो से आँसू बहने लगे....

और आँसू बहाते हुए मैं कब सो गया...ये पता ही नही चला....


काफ़ी देर सोने के बाद मेरी नीद फ़ोन के बजने से टूटी....ये कॉल मेरे आदमी का था....

(कॉल पर)

मैं- ह्म..हेलो...

स- सो रहे थे क्या...

मैं- हाँ...क्या हुआ...

स- तुम टेन्षन मत लो...सब ठीक होगा....ओके...

मैं- ह्म...

स- वैसे मैने एक गुड न्यूज़ देने के लिए कॉल किया था....

मैं- गुड न्यूज़....क्या....??

स- दामिनी ईज़ बॅक...और उसकी बेटी भी मिल गई...

मैं- ग्रेट....आप उसकी बेटी पर नज़र रखो....अब इस दामिनी और कामिंज का खेल ख़तम ही होगा...इससे पहले कि ये भाग जाए...

स- ईज़ी यार....थोड़ा रूको...पहले पता तो चले की दामिनी का नेक्स्ट स्टेप क्या है...शायद हमारे लिए अच्छा हो...

मैं- ह्म्म..सही कहा...तो थोड़ा रुक जाते है...पर इस बात का ख्याल रखना कि अब साली निकल ना पाए...

स- बिल्कुल...और निकली भी तो दुम(पूछ) हिलाते हुए वापिस आ जाएगी...इसका इंतज़ाम कर लिया है...

मैं- बहुत खूब...अच्छा...डॅड की क्या खबर है...

स- वो सेफ है....मेरे लोग नज़र जमाय हुए है...कुछ भी ऐसा-वैसा नही होगा...डोंट वरी..

मैं- थॅंक्स...

स- अरे..थॅंक्स मत बोलो...ये सब मैं अपने दिल से कर रहा हूँ..ओके...

मैं- जानता हूँ...पर आपने कभी बताया नही कि आप मेरा साथ दे क्यो रहे है...

स- टाइम आने पर सब बता दूँगा बेटा...अभी वेट करो...ओके...चलो बाइ...

मैं- ह्म्म ..बाइ...

कॉल कट होने के बाद मैं कुछ देर कॉल पर हुई बातों को सोचता रहा....

और फिर फ्रेश होने चला गया.....
जब मैं फ्रेश हो कर वापिस आया तो मैने मोबाइल चेक किया....जिसमे कई मिस कॉल पड़े थे....शायद जब सो रहे था...तभी से आ रहे थे....

मैं जल्दी से रेडी हुआ और सीधा संजू के घर पहुच गया....

वहाँ पर सब मौजूद थे....और मुझे अचानक देख कर सब चौंक गये....

रजनी- बेटा...तुम इस टाइम...अचानक...क्या हुआ....

मैं- वो...आक्च्युयली आंटी...मुझे ना अनु से एक बुक लेनी थी...वो पारूल के लिए....तो अचानक आ गया...सॉरी

रजनी- अरे...तो इसमे सॉरी क्या...ये तुम्हारा ही घर है....जब दिल करे आओ...जाओ...अनु अपने रूम मे ही है...ले लो...

मैं तुरंत ही अनु के पास निकल गया और जैसे ही उसके रूम मे गया तो अनु को देख कर मेरा दिल बुझ गया...

अनु अपने बेड पर पड़ी हुई सिसक रही थी...और शायद इसकी वजह मैं ही था...
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06-08-2017, 10:51 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैने गेट लॉक किया और अनु के पास पहुच गया...अनु ने मुझे देख कर मुँह दूसरी तरफ घुमा लिया और ज़ोर से सिसकने लगी....

मैं- अनु...आइ एम सॉरी जान...प्लीज़...चुप हो जाओ...

अनु ने जैसे मेरी बात सुनी ही नही और कोई रिक्ट नही किया...

मैने अपना हाथ उसके सिर पर फिराते हुए बोला...

मैं- प्लीज़ यार...ऐसा मत करो...कम से कम मुझे देखो तो...गुस्सा हो तो गुस्सा करो...पर प्लीज़...नज़रे मत चुराओ...प्लीज़ जान...

आख़िर मेरी बात अनु पर असर कर गई और उसने चेहरा घुमा लिया..

अनु के आँसू उसके गालो पर सूख चुके थे...और नये आँसू फिर से बहने लगे थे...

मैने अनु के आँसू सॉफ किए और झुक कर उसके माथे को चूम लिया...

मैं- आइ म सॉरी जान...

अनु(सुबक्ते हुए)- सॉरी...बस हो गया...

मैं- नही...पर मैं क्या करता...मुझे टाइम ही नही मिला..

अनु- मैं कॅब्स आपके आने का वेट कर रही थी...और आप...आते ही सबसे मिलने लगे..मेरा तो ख्याल ही नही था...

मैं- ऐसा नही है...मैं मिलने आया था...पर वो रक्षा...

अनु- हाँ...अब रक्षा ही सबकुछ है...मैं कुछ नही...

मैं- नही यार...तू तो मेरी जान है...तेरी जगह कोई नही आ सकता...

अनु- अच्छा...तो फिर मेरे कॉल क्यो नही लिए...

मैं- यार..मैं सो रहा था...

अनु- झूठ...आपका मोबाइल बीच मे बिज़ी था...

मैं- हाँ...मेरे जागते ही एक फ्रेंड का कॉल आ गया...फिर मैं फ़ोन रख कर फ्रेश होने निकल गया...और जब वापिस आ कर देखा तो सीधा यहाँ भाग आया...

अनु- अच्छा...

मैं- हाँ...पूरी स्पीड मे कार दौड़ाई...

अनु- क्या...आप पागल हो क्या...तेज कार चलाने से आक्सिडेंट हो सकता है..

मैं- ह्म्म...पर अपनी जान से मिलने के लिए आक्सिडेंट तो क्या....मरने की भी परवाह नही...

अनु ने अपना हाथ मेरे मुँह पर रख दिया...

अनु- बस...ऐसा कभी मत बोलना...आपसे पहले मैं मर जाउन्गी...

मैने अनु का हाथ पकड़ा और प्यार से चूम लिया...

मैं- तेरी यही बात तो मुझे मरने नही देती....

अनु- फिर से मरने की बात...जाओ मैं बात नही करती...

मैं- ह्म्म..तो हम आपके होंठो से बात कर लेते है...

और मैं अनु के उपेर झुकने लगा...अनु शरमाते हुए अपना सिर ना मे हिलाती रही...पर उसके होंठ कुछ और ही कह रहे थे...

मैं धीरे -2 अपने होंठ अनु के होंठो के पास ले गया...तो अनु के होंठ भी खुलने लगे...


अनु की साँसे बढ़ रही थी और मेरी साँसे अनु के होंठो को गर्माहट दे रही थी.....

पलक झपकते ही हमारे होंठो ने आपस मे मिलन कर लिया और प्यार से एक-दूसरे को चूसने लगे...

मैं- सस्स्रररुउुउउप्प्प...उूुउउंम..उउउंम्म...

अनु- उउउम्मह...उउंम...उउंम्म...

थोड़ी देर तक रस्पान करते हुए मेरे हाथ आगे बढ़ते हुए अनु के सीने पर पहुच गये और उसके उपेर नीचे होते बूब्स को सहलाने लगे....

अनु भी तेज़ी से साँसे लेती हुई मेरे होंठो को ज़ोर से चूसने लगी....

थोड़ी देर बाद हमारे होंठ अलग हो गये..क्योकि दोनो ही साँस लेना चाहते थे....

अनु- आअहह...आप भी ना....गुस्सा भी दिलाते है और...आअहह...मना भी लेते है...

मैं- एयेए...तो सही है ना...मेरी जान गुस्से मे अच्छी नही लगती...

अनु- ह्म्म..तो दिलाते ही क्यो है...

मैं- अब नही दिलाउन्गा...ओके..

अनु- अच्छा...अब उपेर से उठिए और गेट खोल दीजिए....कोई आ गया तो....

मैं- डरती हो...

अनु(सिर हिला कर)- नही...आप है ना मेरे साथ...

मैं- ह्म्म...तो फिर...

अनु- फिर भी...अभी तो खोल दीजिए...या कुछ और इरादा है...

मैं- इरादा तो बहुत है...पर आज नही...किसी ख़ास दिन..

और मैने उठ कर गेट खोला....गेट खोलते ही रक्षा मेरे सामने खड़ी थी...
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06-08-2017, 10:52 AM,
RE: चूतो का समुंदर
रक्षा को देख कर अनु घबरा गई...और अपने बेड से उठ गई...
मैं- रक्षा..तुम...क्या हुआ...
रक्षा- कुछ नही...वो आपको और अनु को डिन्नर के लिए बुलाने आई थी....नॉक करने से पहले ही गेट खुल गया....चलिए नीचे...
मैं- ओह्ह...हम आ ही रहे थे....चल...हम आते है...
रक्षा के जाते ही अनु ने मुझसे ट्रिप के बारे मे पूछना शुरू कर दिया...
मैं- सब बताउन्गा...पर अभी नीचे चलो...ओके...
और फिर हम नीचे निकल आए...
नीचे सब डिन्नर कर रहे थे ..तभी प्रमोद अंकल ने बताया कि वो और विनोद आज रात शॉप पर जाने वाले है...
उन्हे कोई बड़ा ऑर्डर मिला था...इसलिए रात को स्वीट्स बनवाना था....
डिन्नर के बाद अंकल लोग निकल गये और मैं भी जाने को रेडी था...
बट रजनी आंटी ने मुझे रुकने को बोला...मेघा आंटी ने भी कहा कि कल मेरे साथ ही मेरे जिम चलेगे....
मैं जानता था कि रजनी आंटी ने मुझे क्यो टोका...और मेरे लिए भी ये अच्छा था कि अकेले मे रजनी आंटी से बात करू....इसलिए मैं रुक गया....
डिन्नर के बाद हम सब टीवी देखने लगे और मैं सबके सोने का वेट करने लगा.....
टीवी देखते समय मुझे जूही का कॉल आया...पर अनु मेरे पास ही बैठी थी इसलिए बात नही कर पाया....
धीरे-2 सब सोने जाने लगे और मैं भी संजू के साथ रूम मे निकल गया....
फिर हमने 2-3 पेग लगाए और लेट गये...साला संजू तो लेट ते ही सो गया और मैं इंतज़ार करने लगा....
करीब 1 घंटे के बाद आंटी ने मुझे मेसेज किया और मैं उनके रूम मे आ गया...
रूम मे आते ही आंटी ने गेट लॉक किया और मुझे गले लगा लिया....
आंटी- ओह बेटा...कितने दिन बाद मिले...मेरी याद भी नही आई...हाँ...
मैं- आंटी...आपकी याद तो हमेशा ही आती है...बस टाइम नही मिला...
आंटी- तो आज टाइम है अपनी आंटी के लिए...
मैं- हाँ आंटी..आज टाइम ही टाइम है...और यही सही टाइम है...
आंटी(गले से अलग हो कर)- मतलब...???
मैं- मतलब भी बताउन्गा आंटी...पहले मुँह मीठा कर लूँ...
और मैने आंटी के होंठो को चूसना शुरू कर दिया....आंटी भी पूरी तेज़ी से मेरे होंठ चवाने लगी...
मैने किस करते हुए आंटी की नाइटी निकाल दी ...अब आंटी पूरी नंगी खड़ी हुई थी....
आंटी- उउउंम्म..उउंम्म..कितना तड़पाया...आहह..उउउंम्म...
मैं- उउउंम्म...मैं भी तड़पा हूँ...सस्स्रररुउउउप्प्प...उउंम्म..
आंटी- उउउंम्म..आज तड़प मिटा दे बेटा...उूउउंम्म...
फिर मैने आंटी को दीवाल से सटा दिया और उनके बूब्स दबाने लगा...
आंटी- आअहह...मसल दे बेटा...उउउंम्म...
मैं- बहुत कड़क हो गये आंटी....आज निचोड़ दूँगा...
आंटी- हाँ बेटा...चूस कर निचोड़ दे...
और मैने झुक कर आंटी के बूब्स को बारी-2 चूसना शुरू कर दिया और आंटी सिसकने लगी...
आंटी- बस कर बेटा....अब नीचे भी ध्यान दे...कितनी आग लगी है....उउफ़फ्फ़...काट मत....
मैं- उउउंम्म....आहह...आज तो आग लग कर रहेगी आंटी....उउउम्म्म्म...उउउंम्म...
थोड़ी देर बाद मैने आंटी के बूब्स छोड़े और नीचे बैठ कर उनकी चूत को सहलाने लगा....
आंटी- आअहह...बेटा ..देख ना...कैसे गरम हो रही है...
मैं- होने दो आंटी....मैं हूँ ना....
और मैने आंटी की कमर पकड़ कर उनकी चूत को चूसना शुरू कर दिया ...
मैं- सस्स्रररुउउउप्प्प्प्प....सस्स्स्रररुउउप्प्प्प....उउउम्मह...सस्स्रररुउउप्प्प्प....
आंटी- आअहह...बेटा....ज़ोर से ...उूउउम्म्म्ममम.....
मैं- उूउउम्म्म्मममम....उउउंम्म...उउउंम्म...
आंटी- आअहह.....ऐसे ही....हमम्म....ज़ोर से....आआहह....
थोड़ी देर की चुसाइ से आंटी पूरी तरह गरम हो गई...
Re: चूतो का समुंदर
मैने चूत चूस्टे हुए एक उंगली आंटी की गान्ड मे घुसा दी...
आंटी- आआओउुउउंम्म....बीएतता....
मैने धीरे-धीरे आंटी की गान्ड मे उंगली आगे-पीछे करते हुए उनकी चूत चुसाइ चालू रखी...
आंटी थोड़ी देर बाद ही इस दोहरे हमले से झड़ने लगी....
आंटी- आअहह...बेटा.....उूउउम्म्म्म....आअहह..आअहह...
और आंटी खड़ी-खड़ी गान्ड हिलाते हुए झड़ने लगी....
मैने आंटी का चूत रस चखा और फिर खड़ा हो कर उनको किस करने लगा...
आंटी- उउउंम्म...मज़ा आ गया बेटा...अब अंदर भी डाल दे...
मैं- एक शर्त पर आंटी...
आंटी- उउउंम्म..सब मंजूर...बस डाल दे ना...
मैं- संजू की कसम....
आंटी- उउंम...ऐसा क्या है की कसम दे रहा...
मैं- हाँ बोलती हो कि ना...
आंटी- पर...
मैं(बीच मे)- कुछ नही...हाँ या ना..
आंटी- हाँ...तू कसम ना भी देता तो भी मना नही करती...बोल क्या करना है...
मैं- बताउन्गा...पहले मज़ा तो कर ले...
और फिर से मैं आंटी को किस करने लगा...
थोड़ी देर बाद आंटी ने मेरे कपड़े निकाल का बेड पर बैठा दिया और बड़े प्यार से मेरा लंड चूसने लगी....
आंटी- सस्स्रररुउउउप्प्प्प....सस्स्र्र्ररुउउप्प्प्प....सस्स्रर्र्ररुउउप्प्प्प....उूुउउम्म्म्मममम....
मैं- आअहह...आंटी...आप का जवाब नही....
आंटी- उउउंम्म...उूउउंम्म....सस्स्र्र्ररुउउप्प्प...आहह...उउउंम्म...
मैं- बहुत खूब आंटी....ज़ोर से....आअहह...थोड़ा और....
कुछ देर तक आंटी ने लंड को चूस-चूस कर चिकना और हार्ड कर दिया...अब लंड चुदाई के लिए रेडी था...
मैने आंटी को रोका और उन्हे फिर से दीवाल से लगा कर पीछे से लंड को चूत मे डाल दिया....
आंटी- आहह....जान निकाल दी बेटा....उउंम्म...
मैं- अभी कहाँ आंटी....अभी तो पिक्चर बाकी है...
और मैने लंड को टोपे तक वापिस खीच कर फिर से डाल दिया...
आंटी की चुदाई कुछ दिनो से हुई नही थी...इसलिए चूत थोड़ी टाइट लग रही थी...
आंटी- ब्ब्बेट्ट्ट्टायाआया.....आआहह...
मैने आंटी को पकड़ के धक्के मारना शुरू कर दिया...और फिर से आंटी की सिसकियाँ निकलने लगी....
आंटी- हाँ बेटा...ऐसे ही..उउंम्म...
मैं- बिल्कुल आंटी...मज़ा आ रहा है ना....हाँ...
आंटी- हाँ बेटा...आअहह...काफ़ी दिनो बाद कर रही हूँ...ज़ोर से बेटा...एसस्स....
मैं- ये लो आंटी...एस्स...येस्स..एस्स..यरसस..
और फिर तेज़ी से चुदाई शुरू हो गई...आंटी भी गान्ड हिला कर लंड के मज़े लेने लगी...
Re: चूतो का समुंदर
मैने आंटी को दीवाल से अलग किया और उनके बूब्स को पकड़ के चोदने लगा...
आंटी ने भी मुँह घुमा कर मुझे किस करना शुरू कर दिया...
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06-08-2017, 10:52 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अब चुदाई का महॉल पूरा गरम हो गया था...
मैं- यह..यह..यह. .यीह...
आंटी- उउउंम..एस बेटा...ज़ोर से...एस्स....एस्स...उउंम..उउउंम्म..
कुछ देर बाद मस्त चुदाई से आंटी फिर से झड़ने लगी...और चूत रस जाँघो से होते हुए नीचे बहने लगा...
आंटी- उउम्म्मह.....फिर पानी निकाल दिया बेटा...उउउंम्म...उउउंम्म...
आंटी के झड़ने के बाद मैने आंटी को बेड पर ला कर झुका दिया और लंड को गान्ड के छेद पर टिका दिया...
आंटी- बेटा...आराम से करना....
मैं- बिल्कुल आंटी...
आंटी- तो कार्र्रूऊऊ....म्म्मा आ...
आंटी के बोलने के पहले मैने जोरदार धक्का मार कर करीब आधा लंड गान्ड मे डाल दिया....
आंटी- बेटा...मार दिया...आआहह...
मैं- अभी तो आधा भी नही गया...
आंटी- तो डाल दे....दर्द एक साथ सह लूगी...
और मैने दूसरे शॉट मे पूरा लंड गान्ड मे डाल दिया...
आंटी- आआईयईईईई....थोड़ा रुक जा...
मैने रुक कर आंटी की चूत को मसलना शुरू कर दिया...और साथ मे लंड को धीरे-2 घुमाने लगा....
थोड़ी देर बाद आंटी नॉर्मल हुई और अपनी गान्ड हिलाने लगी...
आंटी- उउंम...फाड़ दे बेटा...अब करो...
मैने आंटी की हाँ होते ही गान्ड मारना शुरू कर दिया....
आंटी-आअहह…आहह…हहा…बेटा…ऐसे ही करो..आहह…
..आहहह…अहहह..यईएसस..सहहाः…ज्जॉर्र्र..ससी..आहहह…
मैं- हाँ आंटी…ये लो….यीहह…यीहह…
आंटी- अहः..उउंम…बेटा…हहूऊ…आअहह….बेटा……आऐईइईसीए हहीी…ययईसस…ज्जूओर्रर…ससीए…..एसस्सस्स…आअहह…आहहहह…ऊओ…म्मा….ऊहह…ऊहह..ऊहह
थोड़ी देर बाद मैने आंटी का गला पकड़ कर घुमा लिया और किस करते हुए तेज़ी से चोदने लगा ……
आंटी- ऊहहमम्म्म…अहहह….मार..बेटा….…आहह
मैं- हाँ आंटी…ये लो....एस्स..एस्स..एस्स...
आंटी-आहह...ज्जोर्र..सी…अहहह…म्म्माेर्र..उउउंम्म...
मैं- उउउंम्म....आअहज..एस आंटी..टेक इट......
आंटी-उउउंम्म...आहह..अहह..आह..अम्मार….आईसीए..हिी..फ्फ़ादद..सी..आअहह..
रूम मे चुदाई की तेज आवाज़े गूँज रही थी और उन्ही आवाज़ो के साथ हम दोनो साथ मे झड़ने लगे....
आंटी- उउउंम्म...आअहह...हो गया बेटा...उउउंम...
मैं- मैं भी आया आंटी...यीहह...यईहह...
फफफफात्तत्त…..प्प्पाट्त्ट…आहः..उउंम…हहूऊ…आअहह.ययईएसस…आऐईइईसीए हहीी…ययईसस…ज्जूओर्रर…ससीए…..तीज़्ज़ज्ज…हहाअ…उउउफफफ्फ़
एसस्सस्स…आअहह…आअहह…ययईईसस्स….ऊऊहह…आअहह
हम दोनो झाड़ कर अलग हुए और बेड पर लेट गये....
आंटी ने जल्दी से मेरे लंड को मुँह मे भर के चूस लिया और फिर रिलॅक्स होने लगी...
आंटी- मज़ा आ गया बेटा...
मैं- ह्म्म्मग..अब मेरी शर्त...याद है ना...
आंटी - हाँ बेटा...बोल ना...
मैं- पहले फ्रेश हो जाते है..फिर बताता हूँ...
आंटी- ठीक है...
मैं(मन मे)- आज तो सच जान कर ही रहूँगा...प्यार से या मार से...ऐज यू विश आंटी.....
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06-08-2017, 10:52 AM,
RE: चूतो का समुंदर
हमसे कही दूर कही पर.........
आकाश एक होटेल के रूम मे एंटर हुआ तो सामने वाले को देख कर चौंक गया...
आकाश- आप....आप तो बिल्कुल मेरी....
इससे पहले कि आकाश बात पूरी कर पाता...उसके सिर पर पीछे से हमला हुआ और वो बेहोश हो गया....
आकाश के बेहोश होते ही सामने खड़े आदमी ने एक कॉल लगाया...जो एक औरत ने उठाया....
औरत- हाँ...क्या हुआ जी...
आदमी- काम हो गया...हमारे दोस्त ने जैसा प्लान किया था...वैसा ही हो रहा है...
औरत- वाहह...अब आगे सभाल कर काम करना...ठीक है...
आदमी- हाँ मेरी जान...ये मेरी लाइफ का एकलौता मक़सद है...चिंता ना करो...अब रखता हूँ...जल्दी फ़ोन करूगा...
और आदमी ने कॉल कट कर दी...
औरत(फ़ोन रख कर)- तेरा मक़सद...हहहे...मक़सद तो मेरा है...तू तो मेरे हाथ की कठपुतली है...और तेरे दोस्त भी...लास्ट मे तो वही होगा...जो मैं चाहती हूँ...
आज़ाद मल्होत्रा....अब देखना....तेरे पितरो(पूर्वजों) को पानी देने वाला भी नही बचेगा....हहहे.....
Re: चूतो का समुंदर
संजू के घर.......
आंटी की चुदाई कर के मैं फ्रेश हुआ और सोचने लगा कि आंटी से बात कहाँ से शुरू करू.....
मैं चाहता था कि सब कुछ प्यार से हो जाए...क्योकि कही ना कही मुझे भी आंटी से प्यार था और इसलिए उनको हर्ट करना सही नही समझता था....
थोड़ी देर बाद आंटी भी फ्रेश हो कर आ गई और आते ही मेरे बाजू मे लेट गई...
आंटी- हाँ..तो अब बता...क्या काम था...क्या करना है मुझे....
मैं- आंटी....आपको कुछ करना नही....बल्कि...सिर्फ़ कुछ बताना है....
आंटी- मतलब....क्या बताना है....खैर जो भी हो....तू बोल तो सही....
मैं- हाँ...आंटी आपको मेरे सवाल का सच-सच जवाब देना होगा....ठीक है...
ये बात मैने आंटी को घूरते हुए बोली...जिससे आंटी के चेहरे की मुस्कान गायब हो गई और वो भी सीरीयस हो गई...
आंटी- जवाब...कैसा जवाब बेटा....
मैं(बेड पर बैठ कर)- आंटी...अंकल की विस्की कहाँ है...
आंटी(रिलॅक्स हो कर)- ओह...तो ये बात थी...तुझे पीना है...अभी देती हूँ...
और फिर आंटी ने विस्की उठाई और एक पेग बना दिया...
आंटी- बेटा...ज़्यादा मत पिया कर....और ये बता कि इतनी सी बात के लिए संजू की कसम...क्यो बेटा....
मैं- आप ग़लत समझी आंटी...ये वो सवाल नही था...ये तो बस यू ही...मन हो गया....
आंटी- आख़िर ऐसी क्या बात है जो तू ड्रिंक का सहारा ले रहा है....बता तो सही...क्या सवाल है तेरा...पूछ बेटा ...
आंटी ने ये बात मेरे सिर को सहलाते हुए बड़े प्यार से बोली....
मैने एक पेग ख़त्म किया और दूसरा पेग बना कर खड़ा हो गया....
मैं- आंटी...आपसे कुछ पूछने के पहले मैं आपको कुछ बताना चाहता हूँ...ताकि बाद मे कोई प्राब्लम हो...सब क्लियर रहे....
आंटी(सीरीयस हो कर)- क्या...ऐसी क्या बात है बेटा...तू मुझे टेन्षन देना छोड़ और जल्दी से बता....बोल भी दे बेटा...
मैं- रिचा, कामिनी, दामिनी, दीपा, विनोद और....और रजनी....
और मैं ये नाम बोलकर पेग के घूट मारने लगा....
आंटी- हाँ....तो....मतलब..मैं कुछ समझी नही...
मैने एक सीप और मारी और पलट कर आंटी की आँखो मे देख कर बोला....
मैं- इन सब मे एक बात कॉमन है...बता सकती हो कि वो क्या है...ह्म्म्म्....
आंटी- हाँ...कामन...यही की सब आपस मे...मतलब तू सबको जानता है....
मैं- ह्म्म...पर एक बात और भी है...इनका टारगेट....जिसे ये सब मिटाना चाहते है...
ये बात सुनकर तो आंटी के चेहरे का रंग बदलने लगा...शायद उन्हे मेरी बात का मतलब समझ आ रहा था...
आंटी- टीटी..टारगेट...कैसा टारगेट....मैं कुछ नही समझी...
मैं(आगे झुक कर आंटी को आँखे दिखा कर)- बकवास बंद करो....आप सब जानती हो....वो टारगेट मैं हूँ...मैं और मेरे डॅड...अब याद आया...कि अब भी नही समझी...
अब तो आंटी को सब समझ आ चुका था और मारे डर के उनके होंठ थथराने लगे थे....
आंटी- बब्ब..बेटा ...वो...ये तू...क्या कह रहा....
मुझे भी अब विस्की की वजह से जल्दी गुस्सा आ गया था....
मैं(बीच मे)- अब बस भी कर....कितना नाटक करेगी....
आंटी- न...नही बेटा...म्म्म...मैं तो...
मैं- बस आंटी...चुप रहो....मैं सब कुछ जान चुका हूँ....तुम सब मेरे और मेरे डॅड को मारना चाहते हो...है ना...और झूठ मत बोलना...क्योकि ये बात तुम्हारे ही साथी ने बोली है मुझसे....
अब आंटी के पास बोलने के लिए कुछ नही था...वो समझ चुकी थी कि वो पकड़ी गई है...
अब उनके चेहरे पर डर के भाव थे और आँखे भी नम हो चुकी थी....उन्होने अपना चेहरा झुका लिया था....और आँसू बहाने वाली थी....
मैने आंटी का मुँह पकड़ कर उपेर उठाया और बोला...
मैं- अब बोल...सही कहा ना मैने...हाँ...
और मैने आंटी का चेहरा झटक दिया...
आंटी- बब्ब..बेटा...वो...मैं...
और इससे ज़्यादा आंटी कुछ नही बोल पाई बस आँसू बहाने लगी....
मैं पूरे गुस्से मे आ चुका था....मैने अपना पेग ख़त्म किया और आंटी के कंधे पकड़ के उन्हे झकझोर दिया
मैं- बोल ना....सही कहा ना मैने...तू मुझे मारने वाली थी ना....हाअ....
आंटी ने कोई जवाब नही दिया बस आँसू बहाते हुए सिसकने लगी...
मैं(खड़ा हो कर ताली बजाते हुए)- वाह...क्या ड्रामेबाज औरत है ...मान गये....वाह....
अरे ऐसी आक्टिंग तो बॉलीवुड वाले भी नही कर सकते....हाहाहा....क्या आक्टिंग है...मज़ा आ गया....
आंटी मेरे ताने सुन कर भी कुछ नही बोली...बस रोती रही...
मैं- कैसी औरत है...एक तरफ मुझे अपना बेटा बोलती है...और मेरी जान के पीछे...थ्हूओ...
अरे कमाल तो ये है की अपने मंसूबे पूरे करने के लिए मेरे लंड के नीचे तक आ गई....वाह...कमाल की रंडी भी है....
मैं आंटी को भड़का रहा था कि आंटी कुछ बोले...बट अभी भी उनका रोना जारी था....
आँसू तो मेरे भी निकलने लगे थे...मुझे भी दुख हो रहा था....
मैं- कहती थी मेरी माँ है...माँ...इस शब्द का मतलब भी पता है तुझे...
वैसे माँ बनने का नाटक भी मस्त किया हाँ....मेरे मन का खाना खिलाना...मेरी चिंता करना....मुझे चोट लगी तो आसू बहाना....वाह...
अरे तू तो ममता की मूरत बनी थी मेरे लिए....
पर अब किसी को मत बोलना कि तू मुझे बेटा मानती है...
वरना लोग क्या कहेगे....माँ बनकर बेटे को ही ठिकाने लगाने चली थी...
अरे तेरी कहानी सुन कर लोगो का माँ की ममता पर से भरोसा उठा जायगा.....
लोग माँ को पूजना छोड़ देगे....समझी...
अरे तेरे जैसी माँ मिलने से अच्छा तो मैं बिन माँ के ही मर जाता तो....
त्त्ताअद्दददाअक्ककक........
एक थप्पड़ की आवाज़ के साथ पूरे रूम मे सन्नाटा छा गया....
मेरी बात पूरी होती उससे पहले ही आंटी ने उठ कर मुझे एक जोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया....
मैं थप्पड़ खा कर हक्का-. रह गया और गाल पकड़ के चुप-चाप खड़ा रह गया...
और आंटी रोती हुई मुझे गुस्से से देखने लगी....
आंटी- क्या कहा तूने....नाटक....हाँ..किया मैने नाटक...पर तेरे साथ नही...बल्कि उनके साथ जो तेरी जान के पीछे पड़े है....
मैं मानती हूँ कि मैने तेरे दुश्मनो का साथ दिया...पर संजू की कसम ...मैने कभी तेरा बुरा नही चाहा....
मैं ये भी मानती हूँ कि मैं आकाश को मारना चाहती हूँ...पर तुझे मारना....ये तो मैं सपने मे भी नही सोच सकती ...
आंटी बोलते-2 फिर सिसकने लगी...और मैं अभी भी चुप चाप गाल पर हाथ रखे उन्हे देखता रहा....
आंटी(सम्भल कर)- तूने क्या बोला था...मेरी ममता के बारे मे....तो सुन...तुझे मैने संजू से अलग नही समझा ...कभी भी...
तुझे खरॉच भी आती है ना ..तो जख्म मेरे सीने पर होता है...और तू...
और क्या बोला था....हाँ...मेरी कहानी सुन कर लोग माँ पर भरोशा करना बंद कर देगे....हाँ..
अरे बेटा...तुझे क्या पता...कि कितना दर्द सहा है मैने....एक तरफ तू मुझे जान से प्यारा है...और दूसरी तरफ तेरे डॅड...जिसे मैं जान से मारना चाहती हूँ....
तुझे क्या लगता है...कि मैं तेरे डॅड को मार नही पाई...
अरे उसे तो मैं तभी मार देती जब तू छोटा था....पर उसकी मौत से तुझे दुख होता....यही सोच कर उसे नही मारा....समझा....
और तू मेरी ममता पर शक करता है....
माना कि जिंदगी मे मैने कई ग़लतियाँ की...और इसमे से एक ये भी कि मैं सेक्स की आदि हो गई....
पर यकीन मान बेटा...मैं तेरे पास सिर्फ़ हवस मिटाने नही आई थी...वो तो मैने मजबूरी मे किया था...
और उसके बाद जो खुशी मुझे तुमसे मिली....उसी वजह से मैं तेरी हो गई...और बार-2 तेरे साथ आई...
मैं मानती हूँ कि मैं ग़लत हूँ...पर ये मत बोल कि मेरी ममता झूठी है...बेटा...जा और पूछ अपनी आया सविता से....तुझे इसी सीने से दूध पिलाया है मैने.....
आंटी की बातों मे एक अलग ही आग दिख रही थी....उनकी आँखो मे आँसू भरे हुए थे और आँखे उनके दिल के दर्द को आँसुओ के साथ बाहर निकाल रही थी....
मैं अभी भी चुपचाप आंटी की बातों को सुने जा रहा था....
आंटी- बेटा...मैं तेरी माँ ना सही...पर मैने तुझे अपना सगा बेटा ही माना है...भले ही तू मुझसे नफ़रत करे...पर मेरे दिल मे तू मेरा बेटा बनकर ही रहेगा....
और आंटी ज़ोर से रोते हुए बेड पर बैठ गई....
आंटी- अलका....काश तुम जिंदा होती....
और इतना बोल कर आंटी पूरी तरह टूट कर रोने लगी....
आंटी का ऐसा रूप देख कर मैं शॉक्ड हो गया था...मेरे मुँह से कोई सब्द भी नही निकल रहे थे.....
आज आंटी की कही हर एक बात ने मेरे दिल को चीर कर रख दिया था....
आंटी ने थप्पड़ तो मेरे गाल पर मारा था...पर उसकी चोट मेरी आत्मा पर लगी थी....
पता नही क्यो...पर अब मुझे अपने आप पर गुस्सा आ रहा था. ...मैं यही सोच रहा था कि मैने ऐसा क्यो किया....
माना कि आंटी ग़लत थी...पर मुझे उनसे डाइरेक्ट बात करनी चाहिए थी...उनसे वो वजह पूछनी चाहिए थी, जिस वजह से वो मेरे खिलाफ खड़ी थी...
पर ये मैने क्या किया...मैने आंटी की ममता को गाली दी...उनके प्यार को नाटक बोल दिया....
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06-08-2017, 10:52 AM,
RE: चूतो का समुंदर
यही ग़लती कर दी...मैने एक माँ की पवित्र ममता को गाली दी है....मैं थप्पड़ डिजर्व करता था...थप्पड़ ही क्या ...मुझे इससे ज़्यादा सज़ा मिलनी चाहिए ....
यही सब बातें अपने दिमाग़ मे लिए मैं आंटी को देख रहा था....जो अभी भी फू-फुट कर आँसू बहा रही थी...
मैने आंटी से बात करना ठीक समझा और जा कर उनके पैरो के पास बैठ गया.....
मैने अपने हाथ आंटी के घुटनो पर रखे और कहा....
मैं- आंटी...मुझे माफ़ कर दीजिए...मेरा ये मतलब नही था....
आंटी ने कोई भी रियेक्शन नही दिया...पहले की तरह ही रोती रही....
मैं- आंटी प्लीज़...मेरी बात तो सुनिए....शायद मैं ग़लत तरीके से बोल गया...पर मेरा मतलब कुछ और ही था....
आंटी जैसे मेरी बात को सुन ही नही रही थी...वो तो अपने चेहरे को झुकाए बस रोए जा रही थी....
मैं- आंटी...मैं जानता हूँ की मैने आपका दिल दुखाया....पर मैं क्या करूँ...जब मुझे पता चला कि आप भी मेरे खिलाफ है..तो..तो मेरा खून खौल गया था...
आंटी आप प्लीज़ मेरी हालत तो समझो...जब पराए आपके दुश्मन हो तो गुस्सा आता है...पर जब अपने ही आपको धोखा दे...तो...तो दिल टूट कर बिखर जाता है...बस यही हुआ मेरे साथ...
इस बार आंटी ने कुछ हरकत की...उन्होने मुझे देखा तो नही...पर उनका रोना थमने सा लगा था...
मैं- आंटी...मैं एक माँ को तो देख भी नही पाया...होश आने से पहले ही उसे खो दिया...अब...अब मैं दूसरी माँ को नही खोना चाहता....टूट जाउन्गा मैं...
और मैने रोते हुए आंटी के घुटनो पर सिर रख दिया...

थोड़ी देर बाद ही आंटी ने मेरा सिर पकड़ कर मुझे उठाया और गले लगा कर ज़ोर से रोने लगी....
आंटी- बेटा....
आंटी सिर्फ़ इतना ही बोल पा रही थी...
मैं- आंटी...सॉरी...सॉरी....
और मेरी आँखो के साथ मेरा दिल भी रोने लगा.....
थोड़ी देर तक हम दोनो आपस मे चिपक कर रोते रहे...
और जब हमारी आँखो से हमारे दिल का दर्द निकल गया तो हम नॉर्मल हो गये...
आंटी ने मुझे अपने बाजू मे बैठाया और बोली...
आंटी- बेटा...तू यही सोच रहा है ना कि तेरी आंटी इतनी बुरी क्यो निकली...क्यो तेरी आंटी तेरे डॅड की जान लेना चाहती है...
आज मैं तुझे सब सच-सच बताती हूँ....सब सुनने के बाद तू ही डिसाइड करना कि मैं सही हूँ या ग़लत...
और बेटा...मैं तेरी कसम खाती हूँ...जो तेरा डिसिशन होगा...वही तेरी आंटी का आख़िरी डिसिशन होगा...
मैं- आंटी...
आंटी(बीच मे)- ह्म्म....पहले फ्रेश हो जा...मुझे मेरे बेटे का रोता हुआ चेहरा बिल्कुल अच्छा नही लगता.....
तू फ्रेश हो जा...मैं तेरे लिए कॉफी बनाती हूँ...फिर तुझे तेरे सारे सवालो का जवाब देती हूँ...ठीक...अब जा.....
फिर आंटी ने अपना मुँह सॉफ किया और नाइटी पहन कर किचन मे निकल गई और मैं भी फ्रेश होने बाथरूम मे चला गया.....
कॉफी पीते हुए मैं और आंटी बिल्कुल खामोश रहे...इतने की हमारी चुस्कियों की आवाज़ सॉफ सुनाई दे रही थी....
थोड़ी देर बाद हमने कॉफी ख़त्म की और रूम मे फैली शांति तोड़ी...
मैं- हाँ...आंटी...अब बोलिए...आख़िर बात क्या है...ऐसा क्या हुआ था कि आपको मेरे डॅड से नफ़रत हो गई...इनफॅक्ट...इतनी दुश्मनी कि आप उन्हे मारना चाहती है...
आंटी(आह भर कर)- हम्म...बेटा...क्या तुम जानते हो कि तुम्हारी फॅमिली मे कौन -कौन है...और कहाँ है....
मैं- मतलब...मैं और डॅड..बस...और कोई नही...(झूठ बोला)
आंटी- अच्छा...पर तुमने कभी जानने की नही सोची कि, तुम्हारे दादा-दादी तो होंगे ही, ...वो कहाँ है...???
मैं- शायद... अब दुनिया मे रहे ही ना हो...
आंटी- ये सिर्फ़ तुम्हारा ख्याल है...सच नही...
मैं- आप ये सब छोड़ो...मुझे वो वजह बताओ....वो वजह जिसने आपको ग़लत काम करने पर भी मजबूर कर दिया....
आंटी- वही बता रही हूँ बेटा...पर उसके लिए तुम्हे अपने परिवार के बारे मे जानना ज़रूरी है...क्योकि ये सब वही से शुरू हुआ था...
मैं- मेरा परिवार...क्या बोल रही है आप...(मैं जान कर अंजान बना रहा..क्योकि मैं जानना चाहता था कि आंटी किस तरह से हिस्टरी बताती है...सच या झूठ)
आंटी- हाँ बेटा...तेरा बहुत भरा-पूरा परिवार था...और कुछ तो है भी...
मैं- आप क्या बोल रही है, मैं कुछ नही समझ पा रहा...खुल कर बताइए प्ल्ज़्ज़...
आंटी- ह्म्म..तो सुनो...अपने और मेरे परिवार की कहानी...
फिर आंटी ने मेरे परिवार के बारे मे बताना शुरू किया...जो मैं पहले से ही जानता था.....
मेरे दादाजी उनका बिज़्नेस...दादी, चाचा, बुआ लोग और डॅड....
आंटी ने एक-एक करके मुझे सबके बारे मे बताया...जिसे सुनकर मैने चौंकने का झूठा नाटक बखूबी किया....
पर उसके बाद आंटी ने जो बताया...उसने मुझे सच मे झटका दे दिया...
आंटी- अब मैं तुम्हे अपने परिवार के बारे मे बताती हूँ...
जिस गाओं मे तुम्हारा परिवार रहता था..वही हम भी रहते थे...
मेरे घर मे मेरे अलावा मेरे माँ-पापा, एक भाई और एक बड़ी बहेन थी.....
हाँ..मैं ज़्यादा टाइम उनके साथ नही रह पाई...मेरे एक रिलेटिव को कोई बच्चा नही था..इसलिए उन्होने मुझे अपने साथ सहर मे रख लिया...
उसके बाद मेरा गाओं मे आना कम हो गया...असल मे मेरे घर वाले भी अक्सर सहर आते रहते थे...इस वजह से मुझे कभी दूरी का अहसास नही हुआ...
Re: चूतो का समुंदर
मैं गाओं आती भी थी तो 1-2 दिन के लिए...जिससे मुझे गाओं मे ज़्यादा लोग नही जानते थे...या यू कहे कि मेरा चेहरा भी सब लोग भूल चुके थे...
मेरी जिंदगी बहुत अच्छी चल रही थी...मेरे घर वालो का प्यार..और सहर मे रिश्तेदार का प्यार बराबर मिल रहा था...
उन सब मे सबसे ज़्यादा मेरे भैया मुझे प्यार करते थे...वो हर हफ्ते मुझे मिलने सहर आते और गिफ्ट लाते थे...
सहर मे मुझे एक प्यारी सहेली भी मिल गई...जो मुझे जान से ज़्यादा प्यारी थी...कुल मिला कर सब ठीक चल रहा था...
वक़्त के साथ मेरी बेहन की शादी हो गई...और मेरे भाई ने भी मुझे प्यारी सी भाभी दे दी...
मेरी जान से प्यारी सहेली को भी उसके मन का जीवनसाथी मिल गया...
चारो तरफ खुशिया ही ख़ुसीया थी...
फिर एक इंसान ने मेरी सारी दुनिया हिला डाली...एक ही झटके मे सब तवाह हो गया....
और वो इंसान और कोई नही...बल्कि तुम्हारे डॅड थे....
तुम्हारे डॅड की वजह से मेरा भाई मारा गया..फिर भाभी...फिर मेरे पापा और फिर मेरी माँ...और लास्ट मे मेरी सहेली को भी मुझसे दूर कर दिया....
सब ख़त्म हो गया...जिसे मैने प्यार किया वो सब मुझसे दूर हो गये...और मैं अकेली रह गई....
और जानते हो सबसे दुख वाली बात क्या थी...
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06-08-2017, 10:53 AM,
RE: चूतो का समुंदर
तुम्हारे डॅड मेरे भाई के सबसे ख़ास दोस्त थे...और मेरी भाभी , तुम्हारे डॅड की सबसे लाडली बहेन थी...तुम्हारी छोटी बुआ....
आंटी की ये बात सुनकर तो मैं अवाक रह गया....मुझे समझ आ गया कि आंटी धर्मेश की बात कर रही है....
पर आंटी और धर्मेश की बेहन...इसका तो डाइयरी मे कोई ज़िक्र ही नही था...
मेरा दिल तो कर रहा था कि आंटी से सब सॉफ बात कर लूँ...पर मैं ये देखना चाहता था कि उस रात के बारे मे आंटी क्या बोलती है, जिस रात मेरी छोटी बुआ और धर्मेश की मौत हुई थी....
आंटी- चौंक मत बेटा...मैं सच बोल रही हूँ...मेरे भाई ने आकाश की बेहन से लव मेरिज की थी...जो आकाश को मंजूर नही थी...इसलिए गुस्से मे आकर आकाश ने मेरे भाई धर्मेश को मार डाला...
और फिर तेरी बुआ यानी मेरी भाभी ने अपने आप को ख़त्म कर लिया....
मेरे पापा धर्मेश भाई की मौत के बाद टूट गये और अटॅक आने से मर गये...इसी गम मे मेरी माँ भी ज़्यादा दिन तक जी नही पाई....
आंटी अपनी बात कहते -कहते रोने लगी...और वजह मैं समझ सकता था....
आंटी(आसू पॉच कर)- बेटा, तुझे पता है...तेरे डॅड और मेरे धर्मेश भाई बहुत ख़ास दोस्त थे...
दोनो हमेशा साथ रहते थे...उन दोनो ने कई अच्छे और बुरे काम साथ-साथ ही किए...
यहाँ तक कि सेक्स के मामले भी दोनो साथ मे होते थे...दोनो ने कई लड़कियो और औरतों को साथ मे चोदा था...
यही एक वजह थी कि तुम्हारे डॅड को धर्मेश का रिश्ता अपनी बेहन के साथ पसंद नही था...
अगर वो गाओं मे होता तो शायद ये शादी कभी नही हो पाती...पर वो उस टाइम गाओं मे नही था...
मैं- क्यो...कहाँ गये थे...
आंटी- असल मे तुम्हारी बड़ी बुआ की शादी के टाइम कुछ प्राब्लम हो गई थी...
वहाँ तुम्हारे दादाजी के दोस्त की बीवी ने इल्ज़ाम लगाया था कि आकाश ने उसका रेप किया..और उसके पास रेप की एक रेकॉर्डिंग भी थी....सही या ग़लत...पता नही....
तो गाओं वालो मे तुम्हारे दादाजी के नाम की वजह से आकाश को पोलीस मे नही दिया...बस गाओं से निकाल दिया था...
इसी सदमे मे तुम्हारी दादी भी गुजर गई थी....
और बेटा...जब आकाश को पता चला कि उसकी बेहन की शादी धर्मेश से हुई तो वो आग-बाबूला हो गया ...
और धर्मेश के साथ-साथ, सरिता और सुभास को भी मार डाला...सुभास और कोई नही..बल्कि तुम्हारे बड़े फूफा जी थे...
बस तभी से मैं नफ़रत करती हूँ तेरे डॅड से...और उनकी जान लेना चाहती थी....
मैं- तो आपने अब तक इंतज़ार क्यो किया ..आप पहले ही मार देती ...
आंटी- बेटा...मैं बस तुझे देख कर ही अपने बदले के बारे मे भूल जाती थी...और भूल भी गई थी...पर..
मैं- पर क्या आंटी..??
आंटी- पर ये कि जबसे कामिनी लोगो के टच मे आई तो बदले की आग फिर से भड़क उठी...
मैं- ह्म्म...पर आंटी...मैं तो बाद मे आया था...तो आपने डॅड को क्यो नही मार डाला...
आंटी- वो इसलिए की तेरे डॅड की जान और मेरी जान एक ही थी...
मैं- क्या मतलब...??
आंटी- अलका...तेरी माँ...वो तेरे डॅड की जान थी...और वो मेरी भी जान थी...मेरी सबसे ख़ास सहेली...हमारा रिश्ता बहनो से बढ़कर था बेटा...तो तू ही बता कि मैं उसके पति को कैसे कुछ कर पाती...
मैं- आंटी..मैं कुछ समझा नही...अगर मेरी माँ आपकी ख़ास सहेली थी...तो आपको कैसे पता नही चला कि वो आपके भाई के दोस्त के साथ...
आंटी(बीच मे)- मैं नही जानती थी कि आकाश कौन है...मैने भाई के दोस्त को सालो से नही देखा था और ना ही उसने मुझे...और फिर हमारी अलका के साथ ऐसी कोई बात भी नही हुई कि हम जान पाते की हम एक ही गाओं के है...
मैं- ह्म्म्मा...ये बात है...अच्छा आंटी..एक बात बताइए...क्या किसी ने देखा था कि मेरे डॅड ने आपके भाई को मारा...
आंटी(सोचते हुए)- नही..पर..
मैं(बीच मे)- क्या कोई वहाँ मौजूद था..जो बता सके कि सच क्या है..कोई भी..
आंटी- नही बेटा...पर गाओं वालो ने...
मैं(बीच मे)- तो इसका मतलब...ये सिर्फ़ सुनी सुनाई बाते है..कोई सबूत नही..कोई गवाह नही...
आंटी(मुझे आँख फेड देखते हुए)- हाँ...पर तू कहना क्या चाहता है...
मैं- आंटी...जो आपने सुना वो सही हो ये मुमकिन है...पर ग़लत भी हो सकता है ना...शायद असलियत कुछ और ही हो...शायद ...
आंटी- हो सकता है...पर तुम्हारी बुआ ने खुद सबके सामने बोला था कि आकाश ने धर्मेश को मार डाला...वहाँ सब लोग थे ...कुछ गाओं के और तुम्हारे परिवार वाले भी...
मैं- हूँ...बट ये झूठ भी हो सकता है ना...
आंटी- अच्छा...बेटा तुम ये इसलिए बोल रहे हो क्योकि वो तुम्हारे डॅड है...है ना...
मैं- नही आंटी...मैं बस सब कुछ सुनने के बाद इस नतीजे पर पहुचा हूँ...हो सकता है कि मैं ग़लत निकलु...पर ये भी हो सकता है की मैं सही निकलु...
आंटी- मैं..मैं कुछ समझी नही...
मैं- समझाता हूँ आंटी...देखो..आपने ही बोला कि मेरे डॅड आपके भाई के बहुत ख़ास दोस्त थे...और मेरी बुआ मेरे डॅड की सबसे लाडली बहेन थी..है ना....
आंटी- हाँ...ये दोनो आकाश के लिए बहुत ख़ास थे...और प्यारे भी..
मैं- फिर भी आपको लगता है कि मेरे डॅड ने अपने खास दोस्त को जान से मार दिया...हाँ...क्या इतनी कमजोर दोस्ती थी...और फिर धर्मेश उनकी लाडली बहेन के पति भी तो थे...क्या मेरे डॅड इतने बुरे थे जो गुस्से मे ये भी भूल गये कि धर्मेश ना सिर्फ़ उनका दोस्त है बल्कि उनकी प्यारी बेहन का सुहाग भी है...बोलो आंटी...
आंटी मेरी बात सुन कर सन्न रह गई...उनके पास कोई जवाब नही था...
Reply
06-08-2017, 10:53 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैं- आंटी...आप तो मेरी माँ की खास सहेली थी...क्या उन्होने आपको मेरे डॅड के नेचर के बारे मे कुछ नही बताया...
आंटी- हूँ..बताया था...
मैं- तो क्या बताया ...क्या मेरे डॅड इतने गुस्से वाले है...पत्थर दिल है..हाँ...
आंटी- नही..अलका ने तो यही बताया कि वो बहुत प्यार करने वाला...शांत..सुर इमोशनल है...
मैं- हाँ..मैने भी आज तक अपने डॅड को गुस्सा करते नही देखा...कभी नही...अब बोलिए आपको सुनी हुई बात पर पूरा यकीन है...??
आंटी- नही पता...ये सब सुनकर तो नही...पर जो लोगो ने देखा वो...??
मैं- वो...उसका पता लगाना होगा...
आंटी- पर..पर कैसे..और कौन लगाएगा...??
मैं- पता मैं लगाउन्गा...क्योकि मुझे यकीन है कि जो भी हुआ...वो कोई नही जानता...सब अंधेरे मे है...
आंटी- बेटा मैं..क्या कहूँ...मुझे कुछ समझ नही आ रहा...
मैं- आप मेरा साथ देगी...??
आंटी- मतलब...??
मैं- आंटी...मैं सब सच्चाई बाहर लाना चाहता हूँ...और साथ मे अपने दुश्मनो को भी ख़त्म करना चाहता हूँ...इसके लिए मुझे सब कुछ जानना होगा..सब कुछ...
आंटी- सब कुछ क्या..??
मैं- वो सब...जिसकी वजह से ये दुश्मनी हुई...मैं जानना चाहता हूँ कि दामिनी, कामिनी, रिचा, विनोद और दीपा...क्यो मेरे डॅड के दुश्मन है...क्या बिगाड़ा है हमने इनका...सब कुछ..
आंटी- ह्म्म..मैं सब बताउन्गी...जो भी मैं जानती हूँ...पर मेरा क्या...मेरे लिए क्या करेगा तू..
मैं- आपके लिए...मैं सच पता करूगा....अगर आपकी बात सही है तो मेरे डॅड को सज़ा मिलेगी...क़ानूनन....और सच कुछ और है...तो असली कातिल को मैं खुद सज़ा दूँगा...
आंटी- पर तू ये सब करेगा कैसे बेटा...
मैं- मेरे साथ मेरी एक माँ का आशीर्वाद है...और दूसरी माँ का साथ...अब मुझे क्या फ़िक्र...कर लूँगा आंटी...
मेरी बात सुनकर आंटी के चेहरे पर खुशी दौड़ गई...और आंटी ने मेरा सिर चूम लिया...
आंटी- ठीक है बेटा...तुम्हारी माँ तुम्हारे साथ है...बोलो..क्या करना होगा...
मैं- सबसे पहले मुझे आपके सभी साथियों का नाम बताइए और फिर उनकी दुश्मनी की वजह...
और हाँ..मैं उस घटना को डीटेल मे जानना चाहूगा जब आपके भाई यानी मेरे फूफा जी और मेरी बुआ की मौत हुई थी...
आंटी- हाँ बेटा..वो मनहूस घटना मुझे अच्छी तरह से याद है...मैं वहाँ थी तो नही...पर जो सुना वो बताती हूँ....सब बताती हू...
गाओं मे एक घर मे धर्मेश और आरती खुशी-खुशी रह रहे थे...
आरती की बड़ी बेहन भी उसी गाओं मे अपने पति और बच्चे के साथ रहती थी...
आज़ाद की दोनो बेटियाँ खुश थी...ये देख कर आज़ाद को अपने बेटे की जुदाई का गम भी कम होता था...
सब ठीक चल रहा था...
एक शाम को धर्मेश अपनी बीवी और बेटी के साथ सुनहरे पल बिता रहा था कि तभी वहाँ सुभाष भी सरिता के साथ आ गया....
सरिता सबको अपने घर पर बेटी के जन्मदिन की पार्टी को बुलाने आई थी...वो अभी सुभास के घर से ही आ रही थी....और सुभाष को साथ ले आई...
सभी हँसते - बोलते चाइ नाश्ता करने मे बिज़ी थे...
तभी बाहर एक आदमी चिल्लाते हुए आ गया...
आदमी- धर्मेश बाबू...धर्मेश बाबू...
आदमी की आवाज़ मे बहुत डर भरा हुआ था...
धर्मेश जल्दी से बाहर आ गया...
धर्मेश- क्या हुआ ...
आदमी- बाबू जी...छोटे मालिक (आकाश) आ रहे है...बड़े गुस्से मे है....
धर्मेश(डरते हुए)- कहाँ देखा तूने...
आदमी- वहाँ....चोपाल के पास...हरिया की बैलगाड़ी रास्ता रोके हुए खड़ी थी...तो वही फसे है कार मे....आते ही होगे...बड़े गुस्से मे है बाबू...
धर्मेश- ह्म्म...तू जा और आज़ाद अंकल को बुला ला...जल्दी...
आदमी आज़ाद को बुलाने चला गया और धर्मेश डरा हुआ अंदर चला आया...
जब धर्मेश ने ये बात अंदर बताई तो सबके होश उड़ गये....आरती की तो जान ही हलक मे आ गई...
आरती- भैया...यहाँ...उन्हे पता चल गया क्या...??
धर्मेश- लगता तो यही है...मैने पहले ही कहा था कि उसे बता देते है कि हम शादी करना चाहते है..पर तुम और तुम्हारे पापा...
आरती(बीच मे)- वो मार डालेगे मुझे...क्या करूँ...
घर के अंदर सब घबरा रहे थे...
और जब वो आदमी आज़ाद को बुला कर भागता हुआ वापिस आ रहा था तो उसने 3 गोलिया चलने की आवाज़ सुनी...
गोलियों की आवाज़ सुन कर वो वही बैठ गया...उसके पैर जाम हो गये...उसे कुछ दिखाई ही नही दे रहा था...
थोड़ी देर बाद उसे होश आया तो वो फिर से भागा और धर्मेश के घर पहुच गया...
वहाँ उसने देखा कि आकाश की कार बाहर ही खड़ी है...
वो कुछ बोलता या करता..उसके पहले आरती रोती हुई बाहर आ गई...उसके हाथ मे एक पिस्टल थी...
आरती- कोई है..कोई है...देखो आकाश ने मेरे पति को मार डाला....कोई है...
और आरती ज़ोर से रोने लगी...
तभी आकाश भी बाहर आ गया और उसके हाथ मे भी पिस्टल थी...
दूसरी तरफ आज़ाद भी कुछ गाँव वालो के साथ आ गया...और सामने का नज़ारा देख कर सन्न रह गया...
थोड़ी ही देर बाद आरती ने आकाश के पास जा कर अपने आप को गोली मार ली और ढेर हो गई...
किसी को कुछ समझ नही आया...
जब सबने अंदर जा कर देखा तो सिर्फ़ 3 लाशे पड़ी हुई थी...और कोई नही था वहाँ...
सबने आकाश को ज़िम्मेदार माना...पर आकाश सिर्फ़ रोता रहा...कुछ नही बोला...
गाओं वालो ने आज़ाद की वजह से आकाश को पोलीस के हवाले नही किया ..बस गाओं से निकाला दे दिया...जो पहले ही निकल चुके थे....
आकाश ने जाते-जाते आज़ाद से बात करना चाही..पर आज़ाद ने एक ना सुनी..और आकाश को थप्पड़ मारते हुए गाओं से बाहर कर दिया.....
ये बात आज़ाद की वजह से गाओं मे ही दब गई....और सच हमेशा के लिए दफ़न हो गया...
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