Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-08-2017, 11:00 AM,
RE: चूतो का समुंदर
फिर रूबी कपड़े पहन कर लाइब्ररी से निकल गई और मैने लाइब्ररी मे ही थोड़ा रेस्ट किया और फिर फ्रेश हो कर कॅंटीन मे आ गया...जहा संजू और अकरम मेरी ही राह देख रहे थे...

अकरम- कहाँ था भाई...

संजू(मुस्कुरा कर)- किसी को चोद रहा था क्या...??

मैं- चुप साले....ये स्कूल है...यहाँ तो देख कर बोला कर...

संजू- अबे यहाँ क्या प्राब्लम है...आधे से ज़्यादा यही करते है...

मैं- ह्म्म..चल छोड़...ये बता...अब क्या प्लान है...

अकरम- यार...मेरा तो मन है कि मस्त बियर पीते हुए ड्राइव पर चलते है...बहुत दिन हो गये ऐसे घूमे हुए...

मैं- ओह...आइडिया अच्छा है...

संजू- हाँ...और खाने को चिकन ले लेते है...

मैं- ह्म्म..तो चलो...सब ले कर मेरे फार्महाउस तक चलते है...घूमना भी हो जायगा और मैं फार्म के काम को भी देख लूँगा...क्या कहते हो...

अकरम- कहना क्या है...चल फिर...

और हमने सब सामान लिया और बियर पीते हुए फार्महाउस निकल गये.....

अकरम- ऊहह बेबी....व्हट आ डे ...

मैं- क्या हुआ साले...कुछ ज़्यादा ही खुश हो गया....

अकरम- यस ब्रो...आज पुरानी यादे ताज़ा ही गई....

संजू- हाँ यार...कितने दिनो बाद....बियर,कार न्ड फ्रेंड....

मैं- सही कहा....एंजोइई....

हम तीनो कार मे बैठे बियर उड़ाते हुए फुल स्पीड से जा रहे थे...ड्राइवर अकरम बना था...



अकरम- हे दोस्तो...एक और खास बात है ....

मैं- अब क्या...

अकरम- कल रात मैने...

मैं- रुक क्यो गया...बोल ना...

अकरम- कल रात मैने रूही की ले ली....फिनाल्लयययी...

संजू- वाह रे शेर...चीररसस्स...

मैं- डाट्स लाइक माइ फ्रेंड....च्षरर्र्स...

अकरम- हहूउर्रीई...

और तभी अचानक एक कार हमे कट मारते हुए निकल गई...

उस कार का पिछला हिस्सा थोड़ा सा हमारी कार के आगे टकराया और हमारी कार कंट्रोल से बाहर हो कर रोड के नीचे चली गई...

अकरम- हीय्य...ब्बीन्चोद....

संजू- मादर्चोद...रुक...

मैं- ओये...संभाल साले...सामने पेड़ है...

अकरम , मैं और संजू- मर गये....

और धडाम की आवाज़ के साथ कार रुक गई...पर किस्मत अच्छी थी...पेड़ से टकराने के जस्ट पहले मैने हॅंड ब्रेक पुल कर दिया...जिससे कार स्किट हो गई...

तब भी कार पेड़ से टकराई...पर सामने से नही...साइड से...क्योकि कार घूम गई थी....

फिर भी टक्कर इतनी तेज थी कि हम तीनो हिल गये ...और संजू तो बेहोश ही हो गया .....

आज पहली बार पता चला कि शीटबेल्ट बाँधने का कितना फ़ायदा है....

मैं और अकरम तो आगे बैठे शीटबेल्ट बाँधे थे...तो हमे कोई दिक्कत नही हुई...

बट संजू पीछे बैठा था...और टक्कर लगने से उसका सिर टकरा गया और वो बेहोश हो गया....

थोड़ी देर तक हम मे से किसी की आवाज़ नही निकली...फिर अकरम बोला...

अकरम- भाइयो...सब ठीक है ना...

मैं- एयेए...शायद...बच गये...उऊहह...

अकरम- हाँ...बच ही गये...

फिर हम दोनो ने बेल्ट खोले और बाहर निकलने के लिए कदम उठाए तो हमारी आह निकल गई....

असल मे हम दोनो के पैरो मे चोट आ गई थी...

मैं- आअहह...मर गया...

अकरम- साला पैरो का तो बुरा हाल है...छोड़ूँगा नही साले को...

मैं- चल निकल तो पहले...और संजू तू भी ...

और मैने संजू को देखा तो वो बेहोश पड़ा था...

मैं- ओह माइ गॉड...इसे क्या हो गया...पानी दे अकरम.....

अकरम- पानी...पानी नही है..ये ले...

और अकरम ने बियर संजू के मुँह पर डाल दी...और संजू झटपटा कर उठ गया....

संजू- मर गया...मर गया....बचाओ...

मैं- अबे साले..जिंदा है तू...चल बाहर निकल...

फिर हम बाहर निकले और सभी उस कार वाले को गालियाँ बकने लगे....

अकरम- आख़िर था कौन मदर्चोद...और हमसे क्या दुश्मनी थी ...

संजू- साला मारना ही चाहता था क्या...बेन्चोद...

मैं- रिलॅक्स यार...शायद कोई दारू पी कर ड्राइव कर रहा था...ज़्यादा मत सोचो...ऐसा हो जाता है...

अकरम- हां...हो तो सकता है ..

मैं- फिलहाल हमे यहाँ से निकल कर हॉस्पिटल जाना चाहिए...हमारे पैर तो चेक करा ले...और इस संजू का सिर भी...साला बेहोश हो गया था...

अकरम- हाहाहा...सही कहा...चल फिर...ऊहह...दर्द हो रहा है...

संजू- पर हम जाएँगे कैसे...यहाँ तो कोई दिख भी नही रहा...वेट करो और क्या...

मैं- ह्म..वेट ही करते है...मैं आता हूँ ...धार मार लूँ...

फिर मैने उन दोनो से दूर आया और अपने आदमी को कॉल किया...



( कॉल पर )

स- हाँ अंकित...

मैं- मेरी बात सुनो....

स- तुम्हारी बोलने की टोन....सब ठीक है ना..

मैं- सुनो..बताता हूँ...

और फिर मैने सब कुछ बता दिया...

स- क्या...ये तुम्हारे लिए था...पर किसने किया...और हो कहाँ तुम...ठीक तो हो...

मैं- हाँ..मैं ठीक हू..और मेरे दोस्त भी...बस थोड़ा पैर मे चोट है बस...

स- मैं आता हूँ...कहा हो तुम...

मैं- आपको नही आना...बस किसी और को भेज दो...और मैं...ह्म्म..अपने फार्महाउस के पास ही हूँ...रोड पर ही दिख जाउन्गा...बस कार भेज दो...पर आप नही आना...ओके..

स- ओके...अभी भेजता हूँ...और तुम ये बताओ कि तुमने कार देखी थी...कौन चला रहा था...या नंबरप्लेट...कुछ देखा था....

मैं- बस इतना याद है कि ब्लू कलर की होंडासिटी थी...और कुछ नही देखा...वो आपको पता करना है.

स- ओके...मैं 2 दिन मे ढूँढ निकालूँगा...तुम अभी घर जाओ...बाकी मैं देख लूँगा...

मैं- ओके..बाइ...

फिर कॉल कट करने के बाद लगभग 20-25 मिनट मे कार आ गई और हम हॉस्पिटल पहुच गये...और चेक-अप करा कर हम अपने घर निकल गये....
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06-08-2017, 11:00 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैने संजू और अकरम को बोल दिया था कि इस बात का किसी को पता ना चले...पर मैं गहरी सोच पड़ गया था ..कि आख़िर ये किया किसने है...साला मारना ही है तो मार दे...इस सब से क्या फ़ायदा...

एक बार पता चल जाए...तो इस बंदे को छोड़ूँगा नही...मेरे दोस्तो को भी नही छोड़ा...इसकी कीमत तो चुकानी ही होगी...

वेल...मैं नॉर्माली घर आया और किसी को शक भी नही होने दिया कि मुझे चोट लगी है...

पर मैने गौर किया कि रश्मि मुझे बार-बार देख रही थी...

मैं(मन मे)- अगर इस सब मे इसका हाथ भी निकला...तो ये गई...अब इसे टाइम नही दूँगा...सीधा ठोक दूँगा...

फिर मैने थोड़ा रेस्ट किया और फिर कामिनी के घर चला गया...दामिनी का हाल जानने....

वहाँ जा कर देखा कि दामिनी के पास रिचा बैठी हुई है....और दामिन पेन और पेपर थामे बैठी थी...

मैं- अरे..दामिनी जी...क्या हो रहा है...

रिचा- अरे अंकित...आओ..वो मैने ये पेन-पेपर दिया है इसे....

मैं- अच्छा...किस लिए...

रिचा- वो ..मैने कहा कि जो मान मे आए...वो लिखो...या फिगर ही बना दो...इससे पता तो चलेगा कि इसके मन मे चल क्या रहा है..

मैं- गुड...वैसे आप अब तक यहाँ...आइ मीन रात हो गई..और आपकी बेटी अकेली होगी...

रिचा- नही...वो तो फ्रेंड के घर पर है...और मैं जा ही रही थी...वैसे तुम ठीक हो....

मैं- हाँ...क्यो..मुझे क्या होना है...

रिचा- नही..वो बस ऐसे ही पूछ लिया...

मैं- कोई नही...मैं ठीक हूँ...और ठीक ही रहुगा...मरेगे तो मेरे दुश्मन..

मैने रिचा की आँखो मे आँखे डाल कर ये बात बोली...जिससे वो सकपका गई....

रिचा- हूँ...क्यो नही...वो तो है...

और रिचा ने फिर से अपनी नज़रे दामिनी पर घुमा ली...

मैं(मन मे)- मैं जानता हूँ कि मुझ पर हुए हमले मे तेरा भी हाथ हो सकता है....बस एक बार मेरा आदमी मुझे कन्फर्म बता दे...और तू निकली ना तो ढंग से तेरी बजाउन्गा.....


तभी एक नौकरानी रिचा से कुछ बात करने लगी और अचानक से दामिनी उठी और मेरा गला पकड़ के मुझे नीचे गिरा दिया....

दामिनी- मैं तुझे छोड़ुगी नही...मार दूगी....आआहह...

मैं नीचे गिरा तो मेरा सिर घूम गया...पर दामिनी मेरे सीने पर आ गई और मेरी कलर पकड़ कर चिल्लाती रही...

रिचा ने ये देखा तो सबको आवाज़ दी...नर्स भी आ गई और नौरानी भी...सुषमा और काजल भी आ गई...

सबने दामिनी को उठाया तो दामिनी अचानक बेहोश हो गई...तो उसे लिटा दिया..

मैं भी उठ गया था...पर मेरे सिर मे दर्द था...

नर्स ने दामिनी को नीद का इंजेक्षन दिया और डॉक्टर को बुला लिया...

थोड़ी देर बाद डॉक्टर आया और उसने बताया कि ये सब साइडिफक्ट है...होता है कभी-कभी...डरने की बात नही...इसे रेस्ट करने दो बस...

फिर हम सब उसे छोड़ कर निकल गये...और मैं घर आ गया...

घर आ कर मुझे गुस्सा आ रहा था...पहले मेरी कार ठोक दी किसी ने और अब ये दामिनी...साला क्या दिन था आज...

मैने डिन्नर रूम मे लाने का बोल दिया था...और रूम मे आते ही एक पेग लगा लिया...फिर दूसरा पेग बनाया और अपनी शर्ट निकाल के फेक दी...

और जब दूसरा पेग ख़त्म किया तो मेरी नज़र मेरी शर्ट पर पड़ी...

मैने देखा कि शर्ट के पास एक पेपर का छोटा टुकड़ा पड़ा है...पर ये है क्या...

मैने पेपर का टुकड़ा उठाया तो उस पर एक नाम लिखा था...

""सरफ़राज़ ""

मैं- सरफ़राज़...कौन है ये...और आया कहाँ से....???????????

हाथ मे लिए कागज के टुकड़े को देखते हुए मेरे मन मे कई ख्याल आ तहे थे....

ये टुकड़ा आया कहाँ से...??

इस पर लिखा नाम है किसका ...???

और सबसे ज़रूरी बात...ये लिखा किसने और यहाँ कैसे आया.....

कुछ देर तक मैं आज हुई घटनाओ को सोचता रहा और एंड मे इसी नतीजे पर पहुचा कि हो ना हो ...ये टुकड़ा दामिनी के रूम से ही आया है...

क्या ये टुकड़ा दामिनी ने ही शर्ट मे डाला....अगर हाँ तो इसका मतलब वो ठीक है....उसकी याददस्त नही गई...

पर अगर वो ठीक है तो ये ड्रामा किस लिए....क्या वो किसी से डर रही है...???

हां...यही बात होगी...शायद वो अपने साथियो से डरी हुई है...शायद वो ये सोच रही है कि अगर उसके साथियों को ये पता चला कि उसने मुझे कुछ बोला...तो वो मारी जाएगी...या फिर कोई और बात...

पर पता कैसे चलेगा....एक ही रास्ता है...दामिनी से बात करनी होगी...

पर अगर दामिनी अपने घर मे ही डरी हुई है...तो बात क्या खाक करेगी...

पर उसे घर मे डर किसका...रिचा का...??

पर वो तो पूरे टाइम नही रहती...तो किसका ...क्या उस पर कोई नज़र रखे हुए है...या फिर....कही ऐसा तो नही कि उसके रूम मे कोई कॅमरा छिपा हो...पर कौन कर सकता है ये...???
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06-08-2017, 11:00 AM,
RE: चूतो का समुंदर
थोड़ी सी देर मे मेरे माइंड मे कई सवालो ने जन्म ले लिया...और उन सब के जवाब मुझे दामिनी के घर से ही मिलेगे....

मन तो किया की अभी जा कर सब क्लियर कर लूँ...पर फिर सोचा कि कही मेरी एक भूल से दामिनी की फॅमिली ख़तरे मे ना आ जाए ...

अगर दामिनी जैसी औरत डर के मारे इतना नाटक कर रही है तो बात ज़रूर बड़ी ही होगी...

कुछ तो है..जो मेरी नज़रों से दूर है...कोई चीज़...कोई सक्श...क्या हो सकता है...

मैं ड्रिंक करते हुए काफ़ी देर जवाब ढूंढता रहा पर हाथ कुछ नही लगा...

और ड्रिंक के सुरूर मे ...मैने सोच को साइड रखा और सो गया....

अगली सुबह फिर से मेघा नही आई थी...शायद तवियत ठीक नही हुई...

मैं रेडी हुआ और स्कूल निकल गया...बट आज अकरम नही आया था ...संजू ने बताया कि वो चल नही पा रहा...

मैने संजू को स्कूल मे छोड़ा और अकरम को देखने उसके घर निकल गया ....

अकरम के घर हाल मे एंटर होते ही सबनम और सादिया दिखाई दी...दोनो कहीं जाने की तैयारी मे थी शायद ..

सबनम- अरे अंकित...आओ बेटा...आओ...

मैं- हेलो आंटी....कहाँ की तैयारी है...

सबनम- बस...थोड़ा मार्केट जा रहे थे...तुम बैठो...मैं कॉफी बनाती हूँ...

सबनम तो कॉफी बनाने निकल गई...पर सादिया मुझे देख कर स्माइल देने लगी...

मैं- क्या बात है..बड़ा मुस्कुरा रही हो...

सादिया- ह्म्म...वैसे हमारी याद भी नही आई तुम्हे...मिलने भी नही आए..हाँ..

मैं- आपने याद किया होता तो कब के आ जाते...

सादिया- अच्छा...तब तो देखना पड़ेगा...कि आते हो या नही...

मैं- ज़रूर...

ऐसे ही बातों के बीच मेरी कॉफी आ गई और ख़त्म भी हो गई...फिर मैं अकरम के रूम मे जाने लगा...

सबनम- बेटा जा ही रहे हो तो वहाँ जूही और ज़िया को आवाज़ दे देना...बोलना कि हम वेट कर रहे है...

मैं खुश हो गया और सबसे पहले ज़िया के रूम मे चला गया....

जहाँ ज़िया सज-सवर के निकल ही रही थी...मस्त पटाखा दिख रही थी साली...

ज़िया(मुस्कुरा कर)- ओह...तो आप है...बोलो क्या चाहिए...

मैं- माग लूँ तो मिल जायगा...

ज़िया- अब भी शक है क्या...सब तो दे चुकी हू...

मैं(मन मे)- साली...देने के लिए तो तू अपने बाप को भी दे चुकी...साली रंडी...

ज़िया(मेरे करीब आ कर)- तो बोलो...क्या पेश करूँ...

मैं- कुछ नही...आंटी वेट कर रही है...जाओ...मैं बाद मे ले लूँगा...
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06-08-2017, 11:00 AM,
RE: चूतो का समुंदर
फिर मैं पहुँचा जूही के रूम मे...जो आईने के सामने बैठी अपने चेहरे को फाइनल टच दे रही थी...

मैं- सुभान-अल्लाह...ये होंठो की लाली तो दिल मे उतर गई...

क्या खूब बनाया तुझे उस खुदा ने की , जर्रा-जर्रा तुझे पाने की ख्वाहिश रखता है....

मेरी लाइन्स सुन कर जूही बुरी तरह से शर्मा गई और नज़रे झुका ली....

मैं- यू नज़रे चुरा कर हम पर ज़ुल्म ना कर ज़ालिम...

तेरी नज़रे-इनायत को तो सूली भी चढ़ जाएँगे...

इस बार जूही शरमाई तो ...पर उठ कर मेरी तरफ घूम गई...

जूही- आप तो आज शायर हो रहे है...क्या बात है...

मैं- तेरा हुश्न ही है कम्बख़्त जो शायर बना गया...

वरना हम तो एक शब्द भी लिखने के काबिल ना थे...

इस बार तो जूही की खुशी का ठिकाना ना रहा...वा मुस्कुराइ और मेरे पास आकर मेरे होंठो पर उंगली रख दी...

जूही- अब बस भी कीजिए...कही आपकी ही नज़र ना लग जाए...

मैने जूही का हाथ पकड़ा और उंगली को चूम लिया...

मैं- सच्चे आशिकों की नज़र लगने लगी तो मोहब्बत दुनिया से फन्ना हो जाएगी...

जूही- बस कीजिए ना...मुझे शर्म आ रही है और आप शायरी पे शायरी...

मैं- ये शायरी नही मेरा हाल-ए-दिल है मेरी जान...

शायरी तो महफ़िलो मे हुआ करती है...महबूब की बाहों मे नही...

जूही- आप तो आज अलग ही मूड मे हो...इरादा क्या है...

मैं- बस तेरे इश्क़ के मोहताज है मेरी जान...

इरादा करते तो पत्थर से पानी निकाल देते...

जूही- आपको ऐसे चुप नही कर सकती...तो अब ऐसे ही सही...

और जूही ने अपने रसीले होंठ मेरे होंठो पर रख दिए...

और एक जोरदार चुंबन कर के हम अलग हो गये...

मैं- ह्म्म..अब सुकून मिला...

जूही- आप भी ना...लिपस्टिक खा गये...

मैं- लिपस्टिक छोड़ो...हम तो तुम्हे ही खा जाएँगे...

जूही- अच्छा...हमे खाएँगे आप...पर हम आसानी से नही पच पायगे...

मैं- ह्म्म..जानता हूँ...तभी तो इंतज़ार कर रहा हूँ...जल्दी ही खाउन्गा...

जूही- और हमने मना किया तो...क्या जबर्जस्ति करेंगे...

मैं- ऐसा ही करना होता तो अब तक तुम्हारे पेट मे अम्मी कहने वाला डाल देते...

इस बात पर जूही बुरी तरह शर्मा गई और मेरे सीने लग कर घूसे मारने लगी..

जूही- बस कीजिए ना...मुझे शर्म आ रही है...

तभी सबनम की आवाज़ आई...जुहििइ

मैं- अरे..ये तो भूल ही गया...आंटी वेट कर रही है जाओ...और मैं चला अकरम के पास...

जूही- आप भी..लेट करा दिया..अब लिपस्टिक लगा लूँ...फिर जाती हूँ...और हाँ...याद है ना..एक दिन मुझसे मिलने आना है...सिर्फ़ मुझसे...

मैं- हाँ ...जल्दी आउगा..पूरा दिन तेरे साथ..अभी बाइ...

और मैं अकरम के गेट पर आ गया...गेट खुला था और सामने अकरम लेटा हुआ था और बाजू मे रूही बैठी हुई थी...

मैं- उऊहहुउऊ...क्या मैं आ सकता हूँ...

अकरम- साले...तू कब्से पूछने लगा...

मैं- क्या करू..प्रेमियों के बीच पूछ कर आना होता है...

रूही- अच्छा...तो अब प्रेमिका जा रही है...दोस्त जो आ गया...

और हम सब हँसने लगे...

अकरम- रूही..तू कुछ खाने बना ले...भूख लग आई ...

रूही- ओके..तुम लोग बात करो ..मैं आई..


फिर रूही बाहर आई..और मेरे बाजू से निकली तो मैने बोला..

मैं- तो ..फाइनली...हो गया ना...

रूही ने मुझे कोहनी मारी और मुस्कुरा कर निकल गई...

अकरम- क्या हुआ...क्यो मार गई तुझे...

मैं- कुछ नही...बस पूछ लिया कि भाभी को मज़ा आया पहली बार कि नही..

अकरम- साले...मरवाएगा तू...आजा बैठ...

मैं- चल ये बता कि पैर कैसा है...

अकरम- क्या बोलू...रात तक ठीक था...फिर दर्द बढ़ गया..और सूजन भी आ गई थी...अब ठीक है..और कल तक पर्फेक्ट हो जायगा...

मैं- ह्म..तू देख...मैं उस कार वाले को छोड़ूँगा नही..बस मिल जाए साला...

अकरम- ह्म..पर मुझे एक बात बता...सच-सच..

मैं- हाँ बोल ना..

अकरम- सच बताना...ये सब चक्कर क्या है...और ये मत बोलना कि कुछ नही...मैं जानता हूँ कि ये आक्सिडेंट नही..अटॅक था...तो अब तू बता कि सच क्या है...

मैं- अरे..वो..ऐसा कुछ नही यार..

अकरम(मेरा हाथ पकड़ कर)- भरोशा रख ...ये बात मेरी रूह मे क़ैद रहेगी...दोस्ती निभाना हम भी जानते है...

पता नही अकरम की बातों और उसकी आँखो मे क्या जादू था उस वक़्त की मैं उसे सच बताने के लिए मान गया...
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06-08-2017, 11:01 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैं- ओके...तो सुन..तुझे कुछ ज़रूरी बाते बताता हूँ..जो और कोई नही जानता....

अकरम- और कोई जान भी नही पायगा...बोल...

मैं- तुझे याद ही होगा..वो सम्राट सिंग...और वो हमला...

अकरम- हाँ...

मैं- उसी तरह मेरे कुछ दुश्मन और है...और हुआ ये कि..........

और मैने शॉर्ट मे अकरम को बॉस के बारे मे बता दिया..और रिचा के बारे मे भी...इसके अलावा कुछ नही...

अकरम- तो तू चुप क्यो है...रिचा को धर ले और फिर सब सॉफ...

मैं- ये इतना आसान नही है...ये काफ़ी उलझा हुआ मॅटर है..बस इसलिए सही टाइम का वेट कर रहा हूँ...क्या पता कि और कितने लोग इनके साथ है...मुझे पता करने दे...फिर सबकी लगेगी...

अकरम- पर अगर कल कुछ हो जाता तो...वो हमला था...तुझे मारने को...

मैं- उस हमलाबर को मैं नही छोड़ूँगा...ट्रस्ट मी...और हाँ..ये हमला उसने नही करवाया...क्योकि मुझे मार कर उनका फ़ायदा नही होने वाला...हो सकता है कि ये एक आक्सिडेंट ही हो..और हम ज़्यादा ही सोच रहे है...

अकरम- ह्म..हो भी सकता है...पर...लो नाश्ता आ गया...

रूही नाश्ता ले कर आस गई थी... हमने नाश्ता किया और मैं अकरम को कल मिलने का बोल कर ..वहाँ से निकल आया....

जब मैं घर पहुँचा तो देखा कि हॉल मे सब परेशान दिख रहे थे....

मैं- हे.. क्या हुआ सबको...ऐसे मुँह लटकाए क्यो बैठे हो. ..???

सविता, रेखा और पारूल मुझे देख कर कुछ नही बोले...बट सबकी आँखे बता रही थी कि कुछ तो प्राब्लम हुई है....

मैं- क्या हुआ ...कोई तो बोलो...

सविता- बेटा ..वो आकाश सर...वो...

सविता कुछ बोलते-बोलते रुक गई...

मैं- डॅड...क्या हुआ दाद को...वो ठीक तो है ना...??

सविता- हाँ बेटा...वो बिल्कुल ठीक है...पर वो आज फिर ड्रिंक कर के आए है...

मैं- ओह्ह...तो इसलिए आप सब परेशान है...

सविता- नही बेटा...ड्रिंक किया वो तो ठीक है ..पर फिर झगड़ा भी किया...

मैं- झगड़ा...किससे...क्या आप लोगो से कुछ कहा...

सविता- नही बेटा...वो उनके एक पार्ट्नर आए थे..उन्ही से...

मैं- पर क्यो...और ये पार्ट्नर कौन था...??

सविता- कोई मिस्टर.वर्मा है...

मैं- ओह...हाँ..याद आया...वर्मा ...पर बात क्या थी...

सविता- ये तो नही पता....बस उन दोनो की वहस सुनाई दी तो हम आ गये...और वर्मा बोलते हुए निकल गया कि वो देख लेगा...

मैं- ह्म...चलो आप सब टेन्षन मत लो..मैं देख लूँगा...बिज़्नेस मे ऐसा हो जाता है...

सविता- पर बेटा...आज तक तो मैने सर को ऐसे नही देखा...कभी नही...सर बदहाल गये है बहुत...

मैं- अरे ताई माँ...हो जाता है कभी-2 टेंशन मे...आप रिलॅक्स हो जाओ...मैं बात करता हूँ डॅड से...ओके...अब सब अपना काम करो...


मैने सबको तो रिलॅक्स करने का बोल दिया बट मैं परेशान था...क्योकि वर्मा हमारे पुराने पार्ट्नर थे ..और अचानक ये बहस...क्यो...मुझे डॅड से बात करनी होगी...

यही सोच कर मैं डॅड के रूम मे गया....वहाँ डॅड टेन्षन मे बैठे हुए थे...

मैं- डॅड...डॅड...आर यू ओक...

आकाश- ह्म..हाँ बेटा...मैं ठीक हू...आओ...

मैं- वर्मा से क्या बात हुई...

आकाश- ह्म...वर्मा पार्ट्नरशिप तोड़ना चाहता है...

मैं- तो तोड़ दो ना...प्राब्लम क्या है...

आकाश- प्राब्लम है बेटा...अग्रीमेंट के हिसाब से कंपनी का असेस्ट लूज़ होता है...तो वो वर्मा नही देगा...और अभी तो वो कंपनी जल चुकी है...तो नुकसान मुझे भरना होगा...और वर्मा पार्ट्नरशिप तोड़ता है तो उसका हिस्सा भी देना होगा...और तुम तो जानते हो कि इनसोरेंस के पैसो से हमे एंप्लायीस को पे करना है...ऐसे मे वर्मा को पैसे कहाँ से दूं...

मैं- ह्म्म..पर हमारा प्रॉफिट...और मार्केट मे पैसा तो है ना हमारा...

आकाश- है..पर पेमेंट की डेट दी जाती है...तो 2 मंथ के बाद ही आएगा पैसा ...

मैं- तो तब दे देना...प्राब्लम क्या है ...

आकाश- प्राब्लम यही है कि वर्मा नही मान रहा...वो तो साला कोर्ट मे जाने का बोल रहा है...पता नही क्यो..वर्मा बदहाल गया...कमीना ...

मैं- ह्म्म..मैं बात करता हूँ...आप मुझ पर छोड़ दो वर्मा को...

आकाश- पर तुम क्या करोगे...वो नही मानेगा...बहुत बेकार बंदा है.

मैं- होगा...पर 1 चान्स तो दो...मैं बात करता हूँ...शायद मान जाए...

आकाश- तुम चाहते हो तो ठीक...कर लो ट्राइ...पर मुझे नही लगता कि इसका कोई फ़ायदा होगा...

मैं- आप रेस्ट करो...मैं देख लूँगा...
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06-08-2017, 11:01 AM,
RE: चूतो का समुंदर
और मैं अपने रूम मे आ गया ..आते ही मैने अपने आदमी को कॉल किया...

( कॉल पर )

स- वर्मा की टेन्षन है ना...

मैं- क्या..आपको कैसे...असल मे अभी तो मैं उस कार के बारे मे पूछने वाला था....

स- वो भी मिल जायगा...पर वर्मा को भी देखना है ना...

मैं- आपको पता कैसे लगा...

स- मैं तुम्हारे घर पर भी नज़रें जमाए हुए हूँ...सब देखना पड़ता है...समझे...

मैं- ह्म..तो वर्मा का ही कुछ बताओ..

स- मैने सब पता कर लिया...वो साला एमएलए के कहने पर उछल रहा है...एमएलए तेरे डॅड के पीछे हाथ धो कर पड़ा है ..

मैं- ये साला एमएलए...इसका कुछ करना पड़ेगा ...

स- मैं उसी काम मे लगा हूँ...कुछ पता चले तो बताउन्गा....1 मिनट होल्ड करना...

थोड़ी देर तक स ने किसी से बात की और फिर बोला...

स- गुड न्यूज़ है..

मैं - क्या...एमएलए के बारे मे है क्या....??

स- एमएलए को बाद मे देखना...अभी उसका नाम सुन लो..जिसने आक्सिडेंट प्लान किया था..

मैं- जल्दी बोलो..कौन है वो...

स- तुम्हारा पुराना दोस्त...रफ़्तार सिंग...

मैं- क्या...रफ़्तार...मुझे शक ही था इस पर...

स- अभी फ़ोन रखो..मैं बाद मे कॉल करता हूँ...थोड़ा काम है..बाइ...

कॉल कट हो गई...और मैं गुस्से से भर गया...

मैं- रफ़्तार सिंग...अब तू गया....रफ़्तार का रफ धारा रह जायगा और तू तार-तार होगा....पर आसानी से नही....कूद-कूद के ....
अब मेरे लिए कुछ काम बहुत ज़रूरी हो गये थे...जिन्हे जल्द से जल्द पूरा करना ज़रूरी था....

पहला काम...दामिनी से सरफ़राज़ का सच जानना....और वो भी इस तरीके से की दामिनी को कोई ख़तरा ना हो...

दूसरा काम....रफ़्तार को काबू मे करना...और उसे तिल-तिल कर तड़पाना....ताकि आगे से वो कोई ग़लत काम करने से पहले 100 बार सोचे....

तीसरा काम...मिस्टर.वर्मा से बात करना...और उसके साथ-साथ एमएलए की वॉट लगाना...साला हाथ धो कर पीछे पड़ा है...

कल सुबह सबसे पहले दामिनी से मिलता हूँ...कल उसे मुँह खोलना ही पड़ेगा...

मैने अपने आप से तय कर लिया और फिर अपने आदमी को कॉल कर के कुछ प्लान कर लिया.....

अगली सुबह मैं एक आदमी को ले कर दामिनी के घर पहुँचा....

मैने देखा की कामिनी , काजल और सुषमा के साथ कही जा रही थी...

मैं- हेलो कामिनी जी...कहाँ चल दी आप...

कामिनी- अरे अंकित..हेलो...मैं तो हॉस्पिटल जा रही हूँ...आज ये प्लास्टर निकालना है ना...

मैं- ओह...तो आप चलिए...मैं दामिनी जी को देख कर आता हूँ...

कामिनी- ओके..और ये...तुम्हारे साथ कौन है...

मैं- ये...ये एक डॉक्टर है...मानसिक रोग एक्सपर्ट...मैने सोचा कि क्यो ना दामिनी जी को चेक करवा दूं...शायद उनकी हालत मे सुधार हो...

कामिनी- ह्म्म...तुम सबके बारे मे अच्छा ही सोचते हो...जाओ मिल लो दीदी से...आइ होप वो ये डॉक्टर उन्हे ठीक कर दे....

मैं- सब ठीक होगा...डोंट वरी...अच्छा..आप निकालो...मैं दामिनी को देखता हूँ...

फिर मैं दामिनी के रूम मे आ गया....रूम मे आते हुए मैने देखा कि मुझे देखते ही एक नौकरानी ने किसी को कॉल किया.. पर अभी मैने उस पर ज़्यादा ध्यान नही दिया...मैं किसी खास काम को निपटने आया था. ..
Reply
06-08-2017, 11:01 AM,
RE: चूतो का समुंदर
जब हम दामिनी के रूम मे पहुँचे तो वो नौकरानी और नर्स भी आ गई...

मैं- आप लोग थोड़ा बाहर ही रहिए....यहाँ मेरे डॉक्टर दोस्त को दामिनी को चेक करना है...

नर्स- तो कीजिए ना...हम डिस्टर्ब नही करेंगे...

तभी मेरा डॉक्टर दोस्त बोला...जिसका नाम रॉनी था...

रॉनी- देखिए...हमे अकेले मे ट्रीटमेंट करने दीजिए...जितने कम लीग होगे ..उतना ही ठीक है..

नौकरानी - तो अंकित सर..आप भी चलिए ना ...

मैं(गुस्से मे)- तू है कौन...हाँ...चुपचाप बाहर निकल...और मुझे ऑर्डर देने की कोसिस भी मत करना ...इस घर की मालकिन भी मेरी बात नही काट सकती ...समझी...

नर्स- ओके..मैं यहाँ रुकती हूँ...हेल्प के लिए...

रॉनी- नो...आप भी चलिए...अंकित है मेरी हेल्प के लिए...चलिए अब...टाइम नही मुझे...प्ल्ज़ गो...

रॉनी की बात सुनकर नर्स ने नौकरानी को देखा और आँखो मे कुछ बात कर के रूम से निकल गई...

मैं- अब शुरू करो डॉक्टर...

फिर रॉनी ने दामिनी को चुपचाप लेटने को बोला...फर अपने बॅग से एक डिवाइस निकाल और दामिनी के सिर पर रख दिया और फिर लॅपटॉप निकाल कर उसमे कुछ देखने लगा...

करीब 10 मिनट तक वो ऐसे ही बैठा रहा. .रूम मे कोई हरकत नही हुई...और फिर बोला ..

रॉनी- अंकित...काम हो गया...मैने सिग्नल ज़ेंमर स्टार्ट कर दिया है..अब इस रूम मे कॅमरा हो या माइक्रो फ़ोन...सब मेरे हिसाब से ही काम करेंगे ...

मैं- वो कैसे ...

रॉनी- अरे .मैने पिछले 10 मिनान की रेकॉर्डिंग कर के लूप पर डाल दी...और यहाँ कोई कमरा होगा तो वो वही लूप दिखाएगा...बस ..तो अब जब तक ज़ंमेर ऑन है ..रूम मे कुछ भी हो ..दिखेगा वही ...

मैं- और आवाज़ का क्या...

रॉनी- 10 मिनट से हम सब शांत है...तो आवाज़ आई ही नही...रेकॉर्डिंग मे हम सब शांत ही दिखेगे...तो आवाज़ की टेन्षन ही नही...

मैं- बहुत अच्छे...पर कॅमरा का पता कैसे चला...

रॉनी- सॉफ़्टवेयर सर...इससे सब पता कर सकता है रॉनी....

मैं- ओके...

और मैं दामिनी के पास गया और उसके सिर पर रखी डिवाइस अलग कर दी...

मैं- अब ये ड्रामा छोड़ो..और उठ जाओ...मुझे ज़रूरी बात करनी है...

दामिनी बिना कुछ रिएक्ट किए लेटी रही...

मैं- अरे यार...अब कोई ख़तरा नही ...ट्रस्ट मी...उठ जाओ...

दामिनी- सच मे...??

मैं(मुस्कुरा कर)- ह्म्‍म्म...सच मे...अब यहाँ क्या हो रहा है...ये कोई नही जान पायगा....


दामिनी(बैठ कर)- ऊहह...ये नाटक कर -कर के तो बोर हो गई...

मैं- वैसे नाटक कमाल का करती हो...पर सवाल ये है ..कि इसकी ज़रूरत क्या थी...

दामिनी- बहुत ज़रूरत थी...अगर नाटक ना करती तो अब तक उपर पहुँच गई होती...और अगर बच भी जाती तो मेरे परिवार पर बड़ी प्राब्लम आ जाती...

मैं- अच्छा...पर ऐसा क्यो लगता है तुम्हे...

दामिनी- तुम नही जानते अंकित...ये सबका बॉस...बहुत ख़तरनाक है...अपने मक़सद के बीच आने वाले को कुछ भी कर सकता है....

मैं- अच्छा...पर ये है कौन..

दामिनी- तुम्हे पेपर नही मिला ...या समझे नही ...

मैं- सरफ़राज़...है ना...

दामिनी- हाँ...यही है बॉस...

मैं- पर ये है कौन...मैं तो इस नाम के किसी सख्स को नही जानता...मैने तो नाम भी नही सुना....

दामिनी- पर वो सब कुछ जानता है...सिर्फ़ तुम्हारे परिवार के बारे मे नही...हम सबके बारे मे....वो हम सबका मक़सद और दुश्मनी की वजह भी जानता है ...

मैं- पर कैसे...??

दामिनी- नही पता...पर इतना यकीन है कि इसकी जड़े तुम्हारे पास्ट से जुड़ी हुई है...शायद तुम्हारे डॅड से या दादाजी से...

मैं- ह्म्म..पर वो चाहता क्या है....???

दामिनी- आज़ाद और उसके वंश का ख़ात्मा ..तुम सबकी मौत ही उसका मक़सद है...वो किसी को जिंदा नही छोड़ेगा ...

मैं- क्या...और इसकी वजह क्या है...

दामिनी- बोला ना...उसके बारे मे कुछ नही पता...वजह भी नही पता...

मैं- तुम उससे मिली हो. .

दामिनी- हाँ...एक बार...

मैं- तो बोलो...कैसा दिखता है वो...कोई अपना है क्या...??

दामिनी- मैने उसे देखा नही...सिर्फ़ सुना है...

मैं- क्या मतलब...तुम उससे मिली हो ना...??

दामिनी - हाँ..मिली हूँ..पर देखा नही...सिर्फ़ सुना है...

मैं- क्या बकवास है...

दामिनी- सुनो...बताती हूँ...


कुछ टाइम पहले मुझे एक कॉल आया. ..वो सरफ़राज़ का कॉल था...

( कॉल पर )

दामिनी- हेलो...कौन...

सरफ़राज़- कौन नही...क्यो बोलो..

दामिनी - क्या मतलब...

सरफ़राज़- मतलब ये कि मैने फ़ोन क्यो किया...

दामिनी- तो चलो...यही बताओ कि कॉल क्यो किया...

सरफ़राज़- तुम आज़ाद की फॅमिली को ख़त्म करना चाहती हो...

दामिनी(शॉक्ड)- कौन बोल रहे हो...और ये आज़ाद कौन है...

सरफ़राज़- आज़ाद को भूल गई...अरे वही आज़ाद जिसकी रखेल थी तू ..और तेरी माँ भी...

दामिनी- तुम..तुम बोल कौन रहे हो...

सरफ़राज़-वो छोड़ो...ये बताओ कि मेरा साथ दोगि...मैं भी आज़ाद की नस्ल को मिटाना चाहता हूँ...

दामिनी समझ गई कि अब छिपाने से कुछ नही होगा...तो क्यो ना सीधी बात ही करे.....

दामिनी- मैं तुम्हारा साथ क्यो दूं...

सरफ़राज़- क्योकि हमारा मक़सद एक ही है...और दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है...समझी...

दामिनी- मैं बिना देखे दोस्त नही बनती..

सरफ़राज़- तो मिल भी लेना...पर जवाब तो दो...

दामिनी- देखो...मैं नही जानती कि तुम कौन हो...और आज़ाद से तुम्हारी क्या दुश्मनी है...पर मेरा मक़सद आज़ाद की प्रॉपर्टी है...फिर आज़ाद को ख़त्म करूगि...

सरफ़राज़- जानता हूँ...इसलिए बोला कि मुझसे हाथ मिला लो..हम साथ मिल कर अपने-अपने मक़सद को पूरा करेंगे....

दामिनी- मैं ग़लत काम भी अंधेरे मे करना पसंद नही करती...तो अगर मेरे साथ काम करना है तो सामने आओ...

सरफ़राज़- ओके..ठीक 30 मिनट मे...तुम्हारे घर के पास वाले पार्क मे मिलो...अकेले...

और दामिनी कुछ कहती..उससे पहले कॉल कट हो गया....

ठीक 30 मिनट बाद एक पार्क मे सरफ़राज़ दामिनी से मिलने आया...पर उसने मास्क पहना हुआ था...

दामिनी- ये मास्क क्यो...मुझसे डरते हो क्या...

सरफ़राज़- हाहाहा...डरता तो बिल्कुल नही...पर अभी चेहरा दिखाने का सही वक़्त नही है...

दामिनी- अच्छा...खैर छोड़ो...ये बताओ कि चाहते क्या हो मुझसे ...

सरफ़राज़- मैं ये चाहता हूँ कि तुम आकाश के बेटे की सेक्स की भूख बढ़ा दो...इस हद तक कि वो सेक्स के बिना रह ही ना पाए...

दामिनी- और उससे क्या होगा...

सरफ़राज़- उससे ये होगा कि उसे सेक्स की आदत पड़ जाएगी...और जब सेक्स करने नही मिलेगा तो वो तडपेगा और सेक्स के चक्कर मे किसी और बात पर ध्यान ही नही देगा...

दामिनी- उससे क्या होगा...

सरफ़राज़- उसके बाद हम उसके बाप के साथ ऐसा गेम खेलेगे कि आकाश अपना सब कुछ हमारे नाम कर देगा...

दामिनी- ह्म्म..पर मेरा क्या फ़ायदा...

सरफ़राज़- वो सब तुम ले लेना...मुझे उसकी प्रॉपर्टी मे कोई इंटरेस्ट नही...

दामिनी- ह्म्‍म्म..तो तुम्हे क्या मिलेगा...

सरफ़राज़- तड़प्ता हुआ अंकित....उसका बाप..और उसके बाप का बाप...और फिर...

दामिनी- फिर...

सरफ़राज़- फिर मैं उनको मौत दूगा...एक साथ...दर्दनाक मौत...

दामिनी- पर किस लिए...उन्होने तुम्हारा क्या बिगाड़ा...क्या तुम्हारी माँ के साथ....आअहह..

सरफ़राज़ ने दामिनी का गला पकड़ लिया...

सरफ़राज़- चुप ...उतना ही बोल जितना सही हो...ज़्यादा माइंड मत लगा...

दामिनी(गला छुड़ा कर)- ये हाथ किसी और को लगाना....मैं तुझ जैसो से नही डरती..समझा...

सरफ़राज़- ओके..ओके..आइ एम सॉरी...मुझे गुस्सा आ गया था...सॉरी...

दामिनी- ह्म्म...तो बोल..क्या किया आज़ाद ने तेरे साथ...

सरफ़राज़- उसकी वजह से मैने अपना परिवार खो दिया...अभी बस इतना जान लो...

दामिनी- ह्म्म..पर तू मेरा साथ क्यो चाहता है...

सरफ़राज़- क्योकि अंकित तेरे घर जाने वाला है...तेरी फ्रेंड रजनी के साथ...

दामिनी- क्या...तू रजनी को भी जानता है...

सरफ़राज़- ह्म्म..रजनी को और दीपा को भी...अब वो दोनो मेरे लिए काम करेगी...

दामिनी- ह्म्म...और तू चाहता है कि मैं भी तेरा साथ दूं...

सरफ़राज़- हां..तू और तेरी बहेन भी...वैसे भी...तुम सब तो चुदाई मे एक्सपर्ट ही हो...एक जवान होते लड़के को फसाने मे कितना टाइम लगेगा...

दामिनी- ओके...पर मुझे प्रॉपर्टी पूरी चाहिए...ओके...

सरफ़राज़- प्रॉपर्टी तो मिलेगी ही...उसके अलावा मैं भी इनाम दूँगा...ओके...

दामिनी- ह्म्म...पर मेरे साथ होशियारी करने की कोसिस मत करना...वरना...

सरफ़राज़- नही..हम दोस्तो को धोखा नही देते....और हाँ....आज़ाद का पता लगते ही बताना...

दामिनी- देखो...मैं अपना काम अपने हिसाब से करूगी...हाँ...मेरी बेहन तुम्हारे लिए काम करेगी...ये गारंटी मैं देती हूँ...


सरफ़राज़- ठीक है...तुम अपने हिसाब से काम करो...पर मेरी नज़र तुम पर रहेगी ...बाइ

दामिनी- अरे ...नाम तो बताते जाओ....

सरफ़राज़- ह्म्म...ये नाम अपने तक रखना....बंदे को सरफ़राज़ कहते है....

और फिर सरफ़राज़ वहाँ से निकल गया....
Reply
06-08-2017, 11:01 AM,
RE: चूतो का समुंदर
दामिनी का किस्सा सुनने के बाद मैं बोला...

मैं- मतलब...तुम बिना देखे ही उसका साथ देने को मान गई...

दामिनी- ह्म्म..क्योकि मुझे उससे फ़र्क नही पड़ा...मैं तो अपने हिसाब से अपना काम कर ही रही थी...

मैं- फिर भी...ऐसे ही किसी पर भरोसा कर लिया...

दामिनी- नही..मैं किसी पर भरोसा नही करती...अपने हिसाब से चलती हूँ...

मैं- तो उसे हाँ क्यो बोला...

दामिनी- दुश्मन का दुश्मन...मतलब दोस्त...इससे ज़्यादा कुछ नही...

मैं- ओके...तो अब क्या इरादा है...दुश्मन या दोस्त...

दामिनी- तुम जानते हो...अब मैं तुम्हारे खिलाफ नही हूँ......मैने बहुत ग़लत किया तेरे साथ...फिर भी तूने मुझे बचाया....थॅंक यू...न्ड सॉरी...

मैं- ठीक है...ये बताओ कि ये नाटक क्यो...आइ मीन...घर मे किसका डर था तुम्हे....??

दामिनी- बात घरवालो की नही ....मुझे शक था कि मुझ पर नज़र ज़रूर रखी जाएगी...और सबूत तुम्हारे सामने है ..देखा ना...केमरा मिला और....

ठक...ठक..ठक....

दामिनी बोल ही रही थी कि किसी ने गेट नॉक किया...

दामिनी- मर गये...

मैं- डरो मत...तुम वैसे ही लेट जाओ...मैं संभालता हूँ...

फिर दामिनी लेट गई और रॉनी ने वो डिवाइस फिर से दामिनी के सिर पर रखा और खुद लॅपटॉप देखने लगा...


दामिनी- हे...एक मिनट...हम फिर बात कैसे कर पाएँगे....

मैं- डॉक्टर चेक करने आएगा ना...अब लेटी रहो ..

मैने जा कर गेट खोला तो सामने रिचा खड़ी थी....

मैं(मन मे)- तो इसे कॉल किया था साली नौकरानी ने...

रिचा- अंकित...तुम...ये गेट क्यो बंद था...

मैं- अरे...मैं वो...डॉक्टर को ले कर आया था...तो दामिनी को चेक कर रहे थे...

रिचा तुरंत दामिनी के पास पहुँची और उसके पीछे ही नौकरानी और नर्स भी अकड़ कर अंदर आ गई...

रिचा- ये क्या है...ये दामिनी के सिर पर...ये हो क्या रहा है..

मैं- ऐक्चुलि ये डिवाइस माइंड की तरंगो को दिखाता है...पॉज़िटिव और नेगेटिव...

रिचा - मतलब...

मैं- देखो...ये मानो चिकित्शक है...ये चेक कर रहे है कि दामिनी को कौन सा नाम या बात ज़्यादा एफेक्ट करती है...ताकि आगे उस नाम या बात की हेल्प से इसका इलाज किया जा सके...

रिचा- मैं अभी भी समझी नही...

मैं- देखो...ये डिवाइस ये बताती है कि किसी नाम को सुनकर दामिनी के माइंड मे क्या हरक़त होती है...तो मैं नाम बोल रहा था और डॉक्टर कंप्यूटर मे रिज़ल्ट देख रहे थे...तुम भी देख लो...

रिचा ने स्क्रीन देखी बट उसमे कुछ लाइन्स ही दिखी जो उसको तो समझ आनी ही नही थी...

रिचा- ओके ओक...समझ गई...तो कुछ फ़ायदा हुआ...

मैं- डॉक्टर ने डेटा ले लिया अब अनलयसिस करेंगे...फिर बताएँगे कि प्राब्लम कितनी है...

रिचा- ओह्ह...

मैं - वैसे तुम इस वक़्त यहाँ...कैसे ??

रिचा- मैं ..वो..वो मैं कामिनी को देखने आई थी...आज छुट्टी ली थी ना...


मैं- ह्म्म..तो अब तुम बैठो...मैं चलता हूँ ...चलिए डॉक्टर..काम हो गया ना...

रॉनी- हाँ...इनके आने से पहले ही हो गया था लगभग...चलिए...बाकी बाद मे देखेगे...

रॉनी ने रिचा के एंटर होते ही ज़ेंमर हटा दिया था तो कॅमरा फिर से आक्टिव हो गया था...मतलब हम फस नही सकते थे...

फिर मैं रॉनी के साथ निकल गया...और उसे ड्रॉप कर के वापिस आ रहा था कि रजनी का कॉल आ गया...उसने अर्जेंट मे घर बुलाया था...

मैं रजनी के घर पहुँचा तो वो मेरा ही वेट कर रही थी...उसके अलावा कोई दिख ही नही रहा था घर मे...

मैं- हेलो आंटी...बाकी सब कहाँ है..

रजनी- सब अपने काम से बिज़ी है...तू सबको छोड़ ..मेरी बात सुन..

मैं- वही सुनने तो आया हूँ...इतना जल्दी मे क्यो बुलाया...क्या काम आ गया...

रजनी- काम नही...तेरे लिए एक सर्प्राइज़ है...

मैं- ओह्ह...तब तो फिर जल्दी बताइए...

रजनी- चलो मेरे साथ...

और रजनी मुझे रूम मे आने का बोल कर रूम मे चली गई....

और जैसे ही मैं रूम मे एंटर हुआ तो सामने देख कर वही खड़ा हो गया...

रजनी- क्या हुआ...कैसा लगा सर्प्राइज़...

मैं सामने देखता रहा...आंटी की बात का कोई अन्सर नही दिया....

रजनी- बोल ना...कैसा लगा....

मैं- आइ लाइक इट...................
Reply
06-08-2017, 11:01 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैं बुत बना सामने खड़े मेरे सर्प्राइज़ को देख रहा था ..और रजनी आंटी मेरी ऐसी हालत देख कर मुस्कुरा रही थी.....

रजनी- अब देखता ही रहेगा कि अंदर भी आएगा ..

मैं(चौंक कर)- हूँ...हां...क्या कहा....

रजनी(मुस्कुरा कर)- अब ये तेरे हवाले है...चल पास से देखना....

रजनी की बात सुन कर मेरे चेहरे पर खुशी चमक गई...और सामने खड़ी औरत शरमा गई...

रजनी- देख...मैने अपना काम कर दिया...तुझे तेरा इनाम दे रही हूँ...कैसा लगा...

मैं- इसकी मुझे बहुत ज़रूरत थी...अब तो खेल खेलने मे सही मज़ा आएगा....

रजनी- तो खेल ले इसके साथ...मगर प्यार से...बहुत शर्मीली है...

मैं- डोंट वरी आंटी..बेशरम हम बना देगे ...

रजनी- हहहे...जानती हूँ...तू इससे बात कर..मैं सबके लिए कॉफी लाती हूँ...

मैं- वैसे...गर्मी तो इसे देख कर ही बढ़ गई...फिर भी कॉफी ले आइए...जितनी गर्मी बढ़ेगी...मज़ा उतना ज़्यादा आएगा.....

रजनी- ओके..तू बात कर...और कुसुम..अब शरमाना छोड़ और लाइफ के मज़े ले...हां..

और रजनी हम दोनो को अकेला छोड़ कर कॉफी बनाने चली गई....और साथ मे गेट को बाहर से लॉक कर दिया...

जी हाँ...रजनी आंटी ने सर्प्राइज़ मे एक खूबसूरत औरत को पेश किया था....वो थी कुसुम...रफ़्तार की बीवी....

रजनी के जाने के बाद मैने सामने खड़ी कुसुम पर नज़रे घुमाई...जो इस वक़्त शर्म और डर से भरी हुई थी...

मैने देखा कि कुसुम एक खूबसूरत चेहरे के अलावा एक मदमस्त जिस्म की मालकिन है...

उसके बड़े-बड़े बूब्स साड़ी और ब्लाउस से धक्के होने के बावजूद अपने बड़े होने का अहसास दिला रहे थे...

स्लेवलेस्स ब्लाउस से उसके मासल बाजू...पतली साड़ी के अंदर चिकना पेट और उसमे से झाँकती हुई बड़ी नाभि...किसी का भी मन मोह सकती थी...

कुल मिलकर कुसुम को देख कर कोई भी उसे पाने के लिए ललचा सकता था...और आज वो मुझे अपना सब कुछ देने के लिए खड़ी थी...

मैं धीरे-2 कुसुम की तरफ गया और उसका हाथ पकड़ा...

मेरे हाथ लगते ही कुसुम सिहर उठी...उसकी आँखे बंद हो गई...

मैं समझ गया कि वो थोड़ा घबराई हुई है...


मैने कुसुम को अपने साथ बेड पर बैठा लिया...और बात करनी शुरू की...

मैं- एक बात बताओ ..तुम ये सब मर्ज़ी से करने आई हो या फिर किसी दबाब मे...

कुसुम ने मुझे आँख उठा कर देखा और शरमा गई...

मैं- मैने कुछ पूछा है...जवाब दो...

कुसुम- मर्ज़ी से...

मैं- तो फिर डरना छोड़ो...हाँ...शरमा सकती हो...वो मैं दूर कर दूँगा...

मेरी बात सुनकर कुसुम फिर से शरमा गई...

मैं कुछ देर तक कुसुम से उसके बारे मे और उसके परिवार के बारे मे बातें करता रहा...जिससे कुसुम थोड़ा नॉर्मल हो गई...असल मे मुझे इंतज़ार था कॉफी का...

हमारी बातें चल ही रही थी कि रजनी कॉफी ले आई ..फिर हम सबने कॉफी पी और मैने रजनी को बाहर देखने का बोल कर भेज दिया...अब फिर से रूम मे कुसुम और मैं अकेले थे...

मैं(मन मे)- इसको नॉर्मल करने के लिए मुझे ही आगे बढ़ाना होगा...क्योकि ये तो आगे आयगी नही...

तभी कुसुम खड़ी हुई और मैने उसका हाथ पकड़ लिया...कुसुम कुछ ना बोली बस चुपचाप खड़ी रही...

मैने उसके हाथ पर किस किया तो कुसुम शरमा गई और मैने खड़े होकर कुसुम की पीछे से अपनी बाहों मे भर लिया...

मेरे हाथो की गिरफ़्त मे आते ही कुसुम मचल उठी और मुँह से सिसकी निकल गई...

मैने आगे बढ़ कर कुसुम के मुलायम गालो पर एक किस किया...जिससे कुसुम और ज़्यादा मचल गई..

कुसुम- उउंम्म..

मैं- कुसुम...मेरी बात सुनो...

कुसुम- ह्म..

मौन- अगर तुम दिल से रेडी हो तो ठीक...वरना तुम जा सकती हो...

और इतना कह कर मैने अपनी बाहों से कुसुम को आज़ाद कर दिया...

थोड़ी देर तक हम बुत बने खड़े रहे और फिर कुसुम ने मेरे हाथो को पकड़ के अपने आप को मेरी बाहों मे पहले की तरह क़ैद कर लिया...

मैं- तो तुम तैयार हो...

कुसुम - ह्म्म्मर...

और कुसुम का इतना कहना मेरे लिए काफ़ी था...
Reply
06-08-2017, 11:01 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैने अपने हाथो को उसके पेट पर कसा और चेहरा आगे करके उसके होंठो पर होंठ रख दिए...

पहले तो कुसुम चुपचाप होंठ चुसवाती रही और थोड़ी ही देर मे उसने भी मेरे होंठो को चूसना शुरू कर दिया...

मैं समझ गया कि अब ये लाइन पर है...अब मज़ा किया जाए...

मैने अपने हाथो से कुसुम की सारी का पल्लू नीचे किया और दोनो हाथ उसके बूब्स पर रख दिए...जो अभी ब्लाउस मे क़ैद थे. .

कुसुम के बूब्स पर हाथ लगते ही वो और ज़्यादा गरम हो गई और होंठ चूसने की स्पीड बढ़ा दी...

किस करते हुए मैं काफ़ी देर तक उसके बूब्स को ब्लाउस के साथ ही दबाता रहा...

मैं- सस्स्ररुउउप्प्प..उउंम...नाइस बोईबस...उउंम्म...

कुसुम- उउंम..आहह..उउउंम..उउउंम्म...

मैं- अओउंम....आ...इन्हे खोल दूं...

कुसुम- उउउंम...उउउंम्म..आहह..हाअ ..आओउंम...

कुसुम के मुँह से हां निकलते ही...मैने ब्लाउस के हुक को खोलना शुरू किया.....


हर एक हुक के खुलने पर कुसुम का जोश बढ़ रहा था और धीरे-2 कर के उसका ब्लाउस खुल गया...अब कुसुम के बूब्स सिर्फ़ ब्रा से ढके हुए थे...जो मेरे हाथो से मसले जा रहे थे...

मैने देर ना करते हुए उसके ब्लाउस को हाथो से अलग किया और झटके मे उसकी ब्रा को अनलॉक कर दिया....

ब्रा झूलते ही कुसुम के हाथ अपने सीने पर पहुँच गये...जो खुली हुई ब्रा को संभाले हुए थे...

मैं- अब क्या हुआ...मन नही है...

कुसुम कुछ नही बोली ....बस नीचे देखने लगी...

मैं- ठीक है...मन नही तो कपड़े पहनो...और हो तो खुद को नंगा करो...

कुसुम मुझे आँखे फाड़ कर देखने लगी...जैसे पूछ रही हो कि मैं क्यो नंगा करूँ अपने आप को...

मैं- ऐसे क्या देख रही हो...अब तुम जो चाहे करो...पर अगर मेरे साथ कुछ करना है तो खुद को नंगा करना होगा...ओके...डिसाइड करो...पर जल्दी...

कुसुम कुछ देर वैसे ही खड़ी रही...

मैं- ओके..समझ गया...मैं चलता हूँ..

मैने उठ कर जाने जा नाटक किया ही था कि कुसुम ने अपने हाथो से ब्रा को नीचे गिरा दिया...और उसके बड़े-बड़े गोरे बूब्स मेरी आँखो के सामने फुदकने लगे...

मैने आगे बढ़ कर उसके बूब्स पर हाथ फेरा और बोला...

मैं- साड़ी निकालो...

मैं कुसुम के बूब्स को सहलाने लगा और कुसुम मुझे देखते हुए अपनी साड़ी निकालने लगी..

उसके बूब्स सहलाते हुए मैने उसे पूरा नंगा करवा दिया...पैंटी भी नही छोड़ी...

मेरे सामने कुसुम पूरी नंगी खड़ी थी और शर्म से लाल हो गई थी...

मैने एक हाथ ले जा कर कुसुम की चूत पर फिरा दिया...

कुसुम- उउउम्म..

मैं- एक भी बाल नही...पूरी तैयारी के साथ आई हो...

कुसुम(शरमाने लगी)- उउम्म..

मैं- मस्त...अब ये खजाना लूटने मे मज़ा आएगा...आज से ये मेरा...

और मैने चूत को हथेली मे भर के दबा दिया...

कुसुम- आअह्ह्ह्ह्ह....

मैं- बस जान...थोड़ा और...फिर सिसकियाँ ही सिसकिया सुनाई देगी...

और मैने फिर कुसुम को पलटा कर बाहों मे कस लिया और उसके बूब्स मसल्ते हुए अपने लंड को उसकी नंगी गान्ड पर दबाने लगा .....

कुसुम- आअहह. .धीरे...

मैं- ज़ोर मे ही मज़ा है मेरी जान....

कुसुम- आअह्ह्ह्ह......

मैं ज़ोर-ज़ोर से कुसुम के बूब्स मसलता रहा और अपने लंड को उसकी गान्ड पर दबाता रहा...

कुछ ही देर बाद कुसुम गर्म हो गई...वो सिसकते हुए अपनी गान्ड को मेरे लंड पर दबाने लगी थी...

मेरे लिए ये सही था..अब आगे बढ़ने मे और मज़ा आएगा...

मैने कुसुम को अपनी तरफ पलटाया और बारी-बारी उसके बूब्स को चूसने लगा...और कुसुम मस्ती मे आँख बंद किए सिसकने लगी....
कुसुम- आअहह...उउउंम्म....

मैं- सस्स्रररुउउप्प्प...सस्स्रररुउउप्प्प...उउम्म्म्मममममम...

कुसुम- आअहह....बस करो...आअहह...


मैं- सस्स्रररुउउप्प्प...सस्स्रररुउउप्प...उउउंम्म...उउउंम्म....

कुसुम- ऊह्ह्ह....उउउम्म्म्म...आह्ह्ह...

थोड़ी देर तक मैं कुसुम के बूब्स को पूरी मस्ती मे चूस्ता रहा. ...

कुसुम की चूत इस मस्ती मे पानी बहाने लगी थी...और लंड के लिए तड़प रही थी...
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