Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-08-2017, 11:05 AM,
RE: चूतो का समुंदर
करीब 1 घंटे के बाद मैं नाइट क्लब से निकल कर खुश हो कर घर जा रहा था....रास्ते मे ही था कि मुझे पोलीस स्टेशन से फ़ोन आ गया....

( कॉल पर )

मैं- हेलो...

सामने- मैं ** पोलीस स्टेशन से हवलदार बोल रहा हूँ. ...क्या ये अंकित मल्होत्रा का नंबर. है..

मैं- हाँ...बोल रहा हूँ...कहिए...

सामने- आप तुरंत ** पोलीस स्टेशन आ जाइए....जल्दी...

मैं- ओके...पर बात क्या है..ये तो बताओ..

सामने- आप आ जाओ...पता चल जायगा...

मैं(ब्रेक मार कर)- ओह्ह...अच्छा आपके सीनियर आलोक कहाँ है..उनसे बात कराईए...

सामने- वो किसी काम से बाहर गये है...आते ही होगे...पर आप चले आइए...जल्दी से जल्दी...

मैं- ओके...आता हू...

कॉल कट हो गई....फिर मैने अपने आदमी को कॉल किया बट उसने कॉल उठाया नही...

मैं(मन मे)- ये भी कॉल नही ले रहे....क्या करूँ...ये साला पोलीस का लफडा ही मुझे बुरा लगता है...पता नही क्या हुआ....चलो...जा कर देखते है...जो होगा सो होगा...

और मैने कार पोलीस स्टेशन के लिए दौड़ा दी......

पोलीस स्टेशन पहुँच कर मैं उस हवलदार से मिला...जो मेरा ही वेट कर रहा था....

मैं- हाँ जी ...मैं अंकित मल्होत्रा हूँ...क्या हुआ...

हवलदार- ओह..आ गये आप..चलिए मेरे साथ...

मैं- कहाँ...??

हवलदार- असल मे हमे एक लड़की की लाश मिली है और हमारे साब ने बताया कि उस लड़की को आपके घर देखा गया है...इसलिए आपको सिनाख्त के लिए बुलाया है...

मैं- क्या...लाश ...किसने कहा कि वो मेरे घर की कोई है..मतलब कौन साब है आपके ...??

हवलदार- रफ़्तार सर...

मैं(धीरे से)-ये साला रफ़्तार....हर जगह तगड़ी लगाता है बेन्चोद...

हवलदार- कुछ कहा क्या...??

मैं- नही...कहा है लाश...??

हवलदार- वही पड़ी है...जब तक छानबीन नही होती, हम उठा नही सकते...आलोक सर आएँगे तब उठेगी...

मैं- ओह..आलोक सर...चलिए फिर...

हवलदार- चलिए...आपकी कार से चलते है. .

और फिर मैं हवलदार के साथ निकल गया....

मेरे दिल मे अजीब सी कस्मकश चल रही थी ....

लड़की की लाश...मतलब...नही...वो ना हो...मेरा अंदेशा ग़लत हो तो ठीक....बिना देखे क्यो कुछ सोचु...क्या पता कि उन्हे सिर्फ़ डाउट हो...ग़लत पहचान की हो...हाँ...हो सकता है....पहुँच कर ही पता चलेगा....

और मैं अपने धड़कते दिल को संभाले ड्राइव करता रहा.....

वहाँ पहुँच कर देखा कि इन्स आलोक भी आ चुके थे...

मैं- आलोक सर...ये सब...मुझे यहाँ..

आलोक(बीच मे)- मेरे साथ आओ...

और आलोक मुझे अपने साथ वहाँ पड़ी लाश के पास ले गये...

आलोक- इस आदमी को जानते हो...??

मैं- नही...मैं नही जानता...

आलोक(उसका चेहरा ढक कर)- ओके..अब यहाँ आओ...और इसे देखो....

और फिर आलोक ने ज़मीन पर कार के पास पड़ी लाश से चद्दर हटाई और उसे देख कर मेरे मुँह से ज़ोर से निकल गया...

मैं- रश्मि...........ये कैसे....इसे किसने....?????

इनस्पेक्टर आलोक ने जैसे ही लाश के उपेर से चद्दर हटाई तो चेहरा देख कर ही मेरे मुँह से एक चीख सी निकल गई....

मैं- रश्मि.....

रश्मि की लाश देख कर मेरा माइंड घूम सा गया था....

ये सच था कि मैं उसे सज़ा देना चाहता था...पर मौत ...कभी नही...

मैने सोचा भी नही था कि रश्मि मर जाएगी...वो भी इस तरह...

मैं अपनी आँखो मे सवाल लिए इन्स आलोक को देखने लगा...और आलोक ने कंधे उचका कर बता दिया कि उन्हे भी कोई अंदाज़ा नही कि ये कैसे हुआ...

लाश को ढक कर आलोक मेरे पास आए और तसल्ली देने को मेरे कंधे पर हाथ रख दिया...

मैं- हाँ...सर...ये सब कैसे हुआ...कब हुआ ..

आलोक- वैसे पूरी सच्चाई तो नही पता पर शायद ये आक्सिडेंट आज शाम के टाइम ही हुआ है...

आलोक मुझे समझा ही रहे थे कि वहाँ रफ़्तार सिंग आ गया ..

रफ़्तार- सॉरी सर...लेट हो गया...

और जैसे ही रफ़्तार ने मुझे देखा तो घूर कर बोला...

रफ़्तार- तुम यहाँ कैसे...हा ..

आलोक(बीच मे)- मैने बुलाया अंकित को...क्योकि ये लड़की इन्ही के घर काम करती थी...

रफ़्तार(मुझे देख कर)- ओह...कमाल है...आज-कल जो भी पंगा होता है...उसमे तेरी फॅमिली ज़रूर शामिल होती है...हाँ...

मैं गुस्से मे कुछ बोलने ही वाला था कि आलोक बीच मे बोल पड़ा....

आलोक- रफ़्तार सिंग ...बेहतर होगा कि अपने काम पर ध्यान दो....

रफ़्तार ने आलोक की बात सुन कर एक-एक कर के लाषो को चेक किया और बोला....

रफ़्तार- ह्म्म...मुझे तो लगता है कि ड्रिंक आंड ड्राइव का मामला है...पिए हुए होगी...

आलोक- रफ़्तार....

रफ़्तार- हाँ सर...बदबू सॉफ बता रही है कि दोनो पिए हुए है...

मैं- क्या बक रहे हो...रश्मि..

आलोक(बीच मे)- अंकित....तुम चुप रहो...और रफ़्तार...बदबू तो शराब उपेर से डालने पर भी आती है...और शायद मैं सही हूँ...ये शराब उसी ने डाली जिसने इन्हे मारा...

रफ़्तार- मारा...पर ये तो आक्सिडेंट है...

आलोक- लगता है तुम पोलीस का काम भूल चुके हो रफ़्तार....बिना देखे ही बोल दिया ...हाँ...

रफ़्तार- क्या मतलब सर...

आलोक- शायद तुमने इस कार को और लाश को गौर से नही देखा....वरना समझ जाते...

रफ़्तार- क्या सर...मैं समझा नही..मैने क्या नही देखा ..

आलोक- सबसे पहले कार को देखो...इसे देख कर सॉफ पता चलता है कि कार को पीछे से कई टक्कर मारी गई है...

रफ़्तार- ह्म्म...सही कहा...पर हो सकया है कि कार की ब्रेक लगी हो और पीछे वाली कोई कार टकरा गई होगी...और फिर नीचे गिर गई. .ये तो आक्सिडेंट ही हुआ ना....

आलोक- हो सकता था...पर तुम उस लड़की की लाश देखो..उसके गले मे घाव है...जो एक चाकू या खंजर से हुआ है...

रफ़्तार(सकपका कर)- घाव....मैने शायद...सॉरी ध्यान नही दिया...

आलोक- ह्म्म्मर..और उस आदमी की बॉडी देखो...उसके सीने मे भी गोली लगी है...

रफ़्तार- पर सर...कोई इनका मर्डर कर के इन्हे यहाँ क्यो लायगा...आइ मीन ये आक्सिडेंट की क्या ज़रूरत ...

आलोक- ज़रूरत ...मिस्टर.रफ़्तार, कातिल अपने आप को बचाने के लिए बहुत सी तिकड़म करते है...

रफ़्तार- हो सकता है सर...पर ये किया किसने होगा...

आलोक- आप बताओ...

रफ़्तार(सकपका कर)- म्म..मैं..क्यो..

आलोक- ये एरिया आप का ही है....

रफ़्तार- हाँ सर...मैं पता करवाता हूँ...

आलोक- गुड...तब तक मैं इन लाशो का पोस्टमार्टम करवाता हूँ...देखे क्या पता चलता है...

मैं- सिर...मैं भी आपके साथ चलूं...

आलोक- आप घर जाइए अंकित....पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद लाश आपको मिल जाएगी....अभी आपको इसके घरवालो को भी बताना होगा...ह्म..

मैं- ओके सर...और प्ल्ज़...पता कीजिए कि इसे मारा किसने ....(रफ़्तार को देख कर)- एक बार बस पता चल जाए कि इसमे कौन-कौन शामिल है...तो सालो को नंगा कर के मारूगा....कसम से...

आलोक- ओके..हम जल्दी ही पता करेंगे....आप घर जाइए....

फिर आलोक लाशो के साथ हॉस्पिटल निकल गये और मैं घर निकल आया...
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06-08-2017, 11:06 AM,
RE: चूतो का समुंदर
ड्राइव करते हुए मैं रफ़्तार के रियेक्शन को याद कर रहा था...जो मेरी लास्ट बात सुन कर उसने रिएक्ट किया था...

मैं- क्या रफ़्तार इसमे शामिल है...हो भी सकता है...वो रिचा के लिए काम करता है और रश्मि भी उन्ही लोगो के लिए काम करती थी...

पर रश्मि को मारा किसने...और क्यो...क्या उसे कुछ पता चला या उसने किसी काम को मना किया....

जो भी हो..मुझे जल्द से जल्द पता लगाना होगा....और जो इसका ज़िम्मेदार है...उसको तो मैं छोड़ूँगा नही...

पर अभी सबसे बड़ी समस्या ये है कि रश्मि के भाई-भाभी को कैसे बताऊ...मैने आज तक किसी को इस तरह की न्यूज़ नही दी...क्या करूँ...

हाँ ...रजनी आंटी...उन्हे साथ ले जाता हूँ ...हाँ..यही ठीक होगा...

और मैं रजनी आंटी के घर गया और उनको सब बता कर , साथ ले कर घर चला आया........

थोड़ी देर बाद मेरे घर पर मातम का महॉल हो गया ...

रश्मि की खबर सुन कर उसका भाई हरी सिर पकड़ कर बैठ गया और सिसकने लगा....

जहाँ हरी अपने आसुओ को थामे हुए था ..वही रश्मि की भाभी रेखा ज़ोर से रोते हुए आँसू बहा रही थी....

सविता और रजनी आंटी रेखा को तसल्ली दे रही थी तो मैं भी हरी को हौसला दे रहा था...

डॅड और पारूल इस सब से अंजान अपने रूम्स मे सोए हुए थे...और मैं चाहता भी नही था कि इस हालत मे पारूल को ऐसी कोई न्यूज़ मिले....

थोड़ी देर समझने के बाद हरी और रेखा की आवाज़े तो बंद हो गई पर आँसू अभी भी निकल तहे थे...और उनके साथ रजनी और सविता भी गमजदा हो गई थी...

अपने घर का महॉल देख कर मेरा माइंड भी खराब हो गया था....

ये सब क्या हो रहा था मेरे आस-पास...कुछ दिन पहले ही पारूल को गोली लग गई...वो मौत के मुँह से बाहर आई और आज रश्मि तो मौत की नीद सो ही गई....

किसकी नज़र लग गई ये....मेरे दुश्मन मेरा तो कुछ कर नही पाए पर फिर भी मेरे घर मे मातम छा गया....

मुझे सोच से बाहर मेरे आदमी का कॉल ले कर आया....मैं उठ कर अपने रूम मे आ गया....

( कॉल पर )

मैं- आपके आपकी क्या करते है...खाक छानते है या सो जाते है...

स- रिलॅक्स...मेरी बात तो सुनो ...

मैं- क्या सुनू...रश्मि मर गई...और किसी को कानो-कान खबर नही...तो फ़ायदा क्या ऐसी नज़र रखने का...

स- मेरी बात सुनोगे...या बस बोलते ही जाओगे...

मैं- हूँ...बोलो...

स- देखो अंकित...पहले शांत हो जाओ....और फिर सुन कर डिसाइड करो कि ग़लती किसकी...

मैं- सॉरी...मैं थोड़ा ज़्यादा ही...बताइए...मैं ठीक हूँ...

स- तुम्हारी बात का मुझे बुरा नही लगता....अब सुनो....हमारे लोग रश्मि पर नज़र रखे हुए थे ...

पर आज रश्मि एक माल मे जाने के बाद गायब हो गई...पता ही नही चला कि अचानक से वो कहाँ गई...बस यही ग़लती हो गई और आज ही ये हादशा....बट डोंट वरी..मैं आगे से ऐसी ग़लती नही होने दूँगा...

मैं- अब क्या...ग़लती तो हो गई..और इस ग़लती कि कीमत भी रश्मि की मौत...खैर...हो जाता है...इंसान से ग़लती हो जाती है...समझता हूँ...

स- पर अब कोई ग़लती ना हो..इसका मैं खास ख्याल रखुगा...और हाँ...मुझे लगता है कि इसमे रिचा का हाथ है...इसलिए मैने उस पर निगरानी तेज कर दी है...

मैं- ओके...कुछ पता चले तो बताना...अगर रिचा ही निकली तो वो टाइम से पहले ही मरेगी...

स- ह्म्म...अब तुम रेस्ट करो...बाइ

मैने कॉल कट की और नीचे आ गया....जहा महॉल अभी भी गूंगीं ही था.....



शीला के घर..........


एक तरफ मेरे घर पर गम का महॉल था....वही दूसरी तरफ शीला शॉक मे थी .....

क्लब से घर आने के बाद से ही वो क्लब मे हुई घटना को याद करके शॉक्ड थी...और उसी घटना को याद कर रही थी...

क्लब मे जब मैने शीला से कहा कि मैं उस औरत को अपने हिसाब से सेक्सी साबित करूगा...तो शीला को यकीन नही था कि कोई अंजान औरत ऐसे ही सेक्स के लिए राज़ी हो जाएगी...

शीला को चेलेंज कर के मैं उस औरत के पास चला आया...

मैं उससे बात कर रहा था और शीला बड़ी उत्सुकता से हमे देखे जा रही थी...

हमारी बाते थोड़ी देर मे हसी-मज़ाक मे बदल गई और फिर हम साथ मे जाम टकरा कर ड्रिंक करने लगे...

ड्रिंक के बाद मैने उस औरत को कान मे कुछ बोला और फिर हम सबकी नज़रों से दूर निकल गये...

शीला ने कुछ देर तक हमारा वेट किया पर जब हम वापिस नही आए तो शीला हमे ढुड़ने निकल पड़ी...

ढुड़ते हुए शीला वॉशरूम तक पहुँच गई...और वहाँ उसे सिसकियों की आवाज़ आई...

उसने गेट को चेक किया..वो खुला ही था...जो मैने ही खुला छोड़ा था...

गेट खोलते ही शीला की आँखे बड़ी हो गई...मैं उस औरत के बूब्स को बाहर निकाल कर चूस रहा था और वो मस्ती मे सिसक रही थी ...

मैं- उूउउंम...सस्रररुउउप्प...सस्स्रररुउउप्प्प...उउंम्म...

औरत- आअहह...कम ऑन...सक इट...उउउंम्म..एस्स...सक ...सक...सक...आआहह...

ये नज़ारा देख कर शीला का दिमाग़ घूम गया...पर वो आँखे फाडे हमे देखे जा रही थी...

औरत- आअहह...बस...बस ...

मैं- उउउंम्म....आआहह...क्या हुआ ...

औरत- जल्दी करो...अपना हथियार निकालो....टाइम कम है...

मैं- य नोट सेक्सी...ये लो...

और मैने अपना लंड आज़ाद कर दिया...जो लगभग खड़ा ही था....

लंड देख कर औरत की आँखे चमक गई और शीला की आँखे चौड़ी हो गई...

वो औरत तुरंत घुटनो पर आई और लंड को चाट लिया.....


औरत- सस्रररुउउप्प्प्प....वाउ...सॉलिड है....

मैं- जल्दी करो...चूसो इसे...

औरत- क्यो नही...

और उस औरत ने लंड को गुप से मुँह मे लिया और तेज़ी से चुसाइ शुरू कर दी....
लंड उसके थूक से सना हुआ उसके मुँह के अंदर-बाहर हो रहा था और ये देख कर शीला की चूत मे खुजली हो रही थी...

औरत- उूउउम्म्म्म..उूउउम्म्म्म..उउउंम्म..उउउंम्म..उूउउम्म्म्म..उउउंम्म..

मैं- यस बेबी..यू आर सो सेक्सी....कम ऑन....सक इट...फास्ट...फास्ट...आअहह...

यहाँ मैं लंड चुस्वाता रहा और वहाँ शीला गरम हो कर अपनी चूत को कपड़ो जे उपेर से ही मसल्ने लगी....

थोड़ी देर बाद मैने लंड को उसके मुँह से निकाला और उसे खड़ा कर के दीवार से उल्टा चिपका दिया......

औरत- एस्स...फक मी...जल्दी...उउउंम..

मैं- ये लो...

और मैने 2 धक्को मे लंड को उसकी चूत मे उतार दिया...

औरत- वाउ...क्या हथियार है...जिसको मिलेगा उसकी किस्मत ही है...उउंम..

मैं- अभी तुम किस्मत वाली हो...ये लो..

और फिर जोरदार चुदाई शुरू हो गई....

शीला की आँखो के सामने मैं उस औरत को तेज़ी से चोद रहा था...और उसकी सिसकारियाँ शीला के कानो मे जाकर शीला को गरम कर ने लगी...

और शीला उपेर से चूत मसल्ते हुए ही झड गई....
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06-08-2017, 11:06 AM,
RE: चूतो का समुंदर
थोड़ी देर बाद वो औरत भी झड गई...

औरत- आहह..मज़ा आ गया...

मैं- अब तेरी गान्ड मारूगा...

औरत- तो मारो ना...इस लंड से गान्ड ना मरवाऊ...पागल हूँ क्या...मारो...पर गीला कर लो..

मैं- यस...तू लंड चूस मैं गान्ड गीली करता हूँ..

और मैने उस औरत को 69 मे उल्टा टाँग लिया...

ये सीन देख कर तो शीला की आँखे और बड़ी हो गई...

मैं- सस्स्ररुउउप्प्प ...सस्स्ररुउपप...सस्ररुउउप्प्प...सस्ररुउपप...

औरत- उउउंम..उउउम्म्म्मम...उउउंम्म..

थोड़ी देर बाद...

मैं- उउउंम्म..अब रेडी है..

औरत- तुम तो चुदाई मे चॅंपियन हो..जिसे चोदोगे वो मस्त हो जाएगी...

मैं- अब झुक जाओ...

और फिर मैने उसे झुका कर उसकी गान्ड मारना चालू कर दिया...
मेरा लंड गान्ड फाड़ रहा था और वो औरत मस्ती मे बड़बड़ा रही थी...और शीला अपनी पैंटी मे उंगली डाल कर लाइव चुदाई का मज़ा ले रही थी...

थोड़ी देर बाद एक- एक करके हम तीनो झड गये और शीला वहाँ से निकल गई...फिर वो औरत क्लब से घर निकल गई...

जब मैं क्लब मे वापिस आया तो शीला को देख कर मुस्कुरा दिया और उसे बाद मे मिलने का इशारा कर के निकल आया...

ये सब सोचते हुए शीला फिर से झड चुकी थी....

शीला- क्या लड़का है...क्या मस्त चोदा उस औरत को...सच मे...मेरा तो सोच कर ही पानी निकल गया...उउउम्म्म्म...

क्या वो मुझे भी...नही...ये मैं क्या.. हो सकता है कि वो बादे के मुताबिक मुझे चोदने को बोले...हाँ..ऐसा हो तो... क्या करू मैं...वैसे...क्या लंड था...सो..गुड...

अब देखते है कि वो मुझसे माँगता क्या है...ह्म्म्मं..


नेक्स्ट डे ..हॉस्पिटल मे....


पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद मैने फॉरमॅलिटीस पूरी की और रश्मि की लाश को घर लाने लगा....

मैं(इंस्पेक्टर आलोक से)- तो पोस्टमार्टम रिपोर्ट मे क्या आया...

आलोक- यही कि ये आक्सिडेंट नही...मर्डर थे...लड़की को चाकू से और आदमी को गोली से मारा है..और हाँ...कोई भी ड्रिंक नही किए था....

मैं- तो अब..

आलोक- हम अपनी जान लगा देगे...कातिल जल्दी ही सामने होगा...

तभी रफ़्तार भी वहाँ आ गया...उसने पोस्टमार्टम रिपोर्ट देख ली थी...

रफ़्तार- सर...ये क्या...लड़की की मौत आदमी के बाद हुई...

आलोक- हा...क्यो..तुम्हे कोई डाउट...???

रफ़्तार(हड़बड़ा कर)- म्म..मुझे क्या...मैं तो बस बता रहा था....

आलोक- ओके...चलो अंकित...चलते है...

मैं आलोक के साथ निकल आया और पीछे रफ़्तार इस सोच मे पड़ गया कि रश्मि को मौत ड्राइवर के बाद कैसे हो सकती है...

दोपहर ताल रश्मि का अंतिम-संस्कार हो गया. ..मेरे घर मे लोगो का आना-जाना लगा हुआ था....

तभी इंस्पेक्टर आलोक आए..और इशारे से मुझे अकेले मे बुलाया...

मैं- जी कहिए...

आलोक- मुझे एक चीज़ मिली है जो डॉक्टर ने रश्मि की मुट्ठी से निकाली...और ये सिर्फ़ मुझे ही पता है..अब तुम देख लो..

आलोक ने जब मेरे हाथ मे कुछ दिया तो मैने देखा कि वो एक लॅडीस रुमाल था ...

मैं- रुमाल...इसका क्या...

आलोक- इस रुमाल पर खून से कुछ लिखा है..शायद कोई मेसेज हो...देखो..कुछ समझ आता है क्या...

जब मैने उस रुमाल को खोलकर देखा तो उस पर खून से टेडे मेडे कर के 3 वर्ड लिखे थे...

""एलएचडब्ल्यू""

मैं- एलएचडब्ल्यू.... अब ये क्या है......?????????
इस का मतलब ना तो इन्स आलोक की समझ आया था और ना मेरी...पर ये बात तो पक्की थी कि इन वर्ड्स का रश्मि से कोई ख़ास संबंध था....

शायद रश्मि कुछ बताना चाहती थी ....कोई नाम...कोई चीज़ या कोई जगह....नही पता....

इन्स आलोक ने मुझे रुमाल दिया और बाद मे मिलने का बोल कर निकल गये....मैं भी घर आए गेस्ट के साथ बिज़ी हो गया .....

शाम तक सब लोग जा चुके थे....पर मेरे घर का महॉल और ज़्यादा गमगीन लग रहा था....

घर मे सन्नाटा पसरा हुआ था.....कोई भी कुछ नही बोल रहा था...सब रश्मि की यादों मे खोए बैठे थे.....

आज मुझे भी रश्मि की हर बात , हर अदा याद आ रही थी...उसका चहकना हो या कॉफी पिलाना....प्यार करना या मज़ाक करना...हर एक बात मेरे माइंड मे घूम रही थी...

जिस रश्मि को कल तक मैं नफ़रत करने लगा था...आज उसी के जाने से मेरे दिल को तकलीफ़ हो रही थी....एक टीस सी उठ रही थी दिल मे....

"" दुनिया का दस्तूर आज तक ना समझ पाया....वो दूर जाने के बाद ही क्यो याद आया.....""

किसी ने सच ही कहा था कि हमे किसी की कमी तभी महसूस होती है..जब वो हमसे दूर हो जाए....

पर मुझे हिम्मत नही हारनी थी...मैं ही कमजोर पड़ गया तो बाकी लोगो का क्या होगा....

और खास कर पारूल....वो तो वैसे ही सदमे मे थी...उपेर से एक और झटका....उसे संभालना होगा....

पारूल का ख्याल आते ही मैं उसके रूम मे गया....

वहाँ देखा की पारूल सो रही थी...और नर्स भी लेट चुकी थी...

फिर मैने सविता , रेखा और हरी का हाल भी पूछा और सबको सोने का बोल कर रूम मे आने लगा....

तभी मुझे डॅड का ख़याल आया....और उनसे बात करने के बाद मैं भी रश्मि को याद करते हुए सो गया.....
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06-08-2017, 11:06 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अगले कुछ दिन मैं ज़्यादातर घर मे ही रहा ....सारे काम पॉज़ कर दिए....

क्योकि सबसे पहले मैं ये चाहता था कि मेरे घर का महॉल कुछ अच्छा हो जाए...

2 दिन बाद रेखा और हरी भी रश्मि की अस्थियाँ ले कर अपने गाँव निकल गये....बाकी के अंतिम काम वही पर करने....

2 दिन बाद मैने भी घर से निकलना शुरू कर दिया...दामिनी और कामिनी को चेक करना...रजनी आंटी, संजू आंड अकरम से मिलना..एट्सेटरा...

पर कुछ दिन तक मैने मेघा और शीला पर कोई ध्यान नही दिया...क्लब भी जाना बंद था...

इसी बीच मेरे आदमी रफ़्तार और रोका पर नज़रे जमाए हुए थे...पर उनकी तरफ से भी कोई न्यूज़ नही आई थी...

पारूल भी लगभग ठीक हो गई थी और घर का महॉल भो कुछ अच्छा हो चला था...

मैं रात को रूम मे बैठा कुछ सोच ही रहा था कि डॅड मेरे रूम मे आ गये...


आकाश- अंकित...क्या हो रहा है...

मैं- हाँ..कुछ नही डॅड...आइए ना...

आकाश- ह्म...

आकाश बैठ गये...पर आज उनके माथे पर चिंता की लकीरे सॉफ दिखाई दे रही थी....

मैं- क्या हुआ डॅड...कोई प्राब्लम है क्या...

आकाश- ह्म्म्मआ...बहुत बड़ी प्राब्लम बेटा...

मैं- ह्म्म...तो वो आ रही है....यही ना...

आकाश(एक साँस ले कर)- हाँ बेटा...वो आ रही है...

मैं- तो इतनी टेन्षन क्यो डॅड...हम यही तो चाहते थे....कि वो यहाँ आ जाए....सब वैसा ही हुआ जैसा हमने चाहा था...

आकाश- हाँ...पर अब क्या....अब मैं क्या करूँ...

मैं- मतलब...आपको क्या करना है...आपको बस उससे मिलना है..बस...

आकाश- पर मिल कर क्या करूगा....आइ मीन उसने कुछ ऐसी बात की ..जो मैं नही जानता तो फिर...

मैं- मुझे पता है डॅड...आप संभाल लोगे...और ज़्यादा कुछ हुआ तो उसी टाइम ये गेम ख़त्म कर देगे...और क्या...

आकाश- ह्म्म...पर वजह तो जाननी ही होगी...क्योकि मुझे नही लगता कि वो सिर्फ़ पैसो की वजह से पीछे पड़ी...कुछ तो है...

मैं- वो सब बताएगी डॅड...बस उसे आने तो दो....

आकाश- ओके...पर बाकी घरवालो को क्या कहुगा....उसे यही रहना है...घर मे...

मैं- वो मैं देख लूँगा...आप बस उसे ले आना..ओके...

आकाश- ओके..तो मैं चलता हूँ...गुड नाइट....

मैं- डॅड...क्या एक बात पुच्छू...

आकाश- हूँ...पूछो...

मैं उठा और कवरड से एक फोटो निकाल कर डॅड को दे दी....

मैं- ये कौन है....आइ मीन इसकी असलियत क्या है....

आकाश- तुम इसे जानते तो हो...फिर क्यो...

मैं(बीच मे)- मैं वो जानना चाहता हूँ जो आप जानते हो...प्ल्ज़ बताइए....कौन है ये...

आकाश- नही बेटा...मैं इसे नही जानता....

मैं- अच्छा...एक मिनट प्ल्ज़...

और मैने डॅड के हाथ मे दूसरी पिक्स पकड़ा दी...

मैं- अब बताइए....जिसे आप जानते नही ..उसके साथ आपकी पिक्स कैसे....

ये पिक्स देख कर आकाश के चेहरे पर फिर से परेशानी छा गई....उसे समझ मे नही आ रहा था कि क्या बोले....उसका झूठ जो पकड़ा गया था...

मैं- बोलिए डॅड....ऐसा क्या है कि आप मुझसे झूठ बोल रहे है...कौन है ये....???

आकाश- बेटा...मैं...क्या कहूँ...

मैं- प्ल्ज़ डॅड...सच बता दीजिए....प्ल्ज़...

आकाश- अब तुझे क्या बताऊ....

मैं- डॅड...इसे मोम भी जानती थी ना....

अक्ष- हूँ...हाँ बेटा...

मैं- कही इसका रिस्ता मोम के साथ....

आकाश(गुस्से मे)- अंकित....

मैं- सॉरी डॅड...पर मैं...

अक्ष(बीच मे)- तुम अपनी मोम के बारे मे...

मैं(बीच मे)- नही डॅड...मैं ऐसा सोचने से पहले मारना पसंद करूगा...मैं तो बस इतना बोल रहा था कि क्या इनका मोम से कोई रिश्ता था....या फिर आपका....

आकाश- ह्म्म...लगता है कि तुम्हे सच बताना ही होगा...वरना तुम पता नही क्या -क्या सोचते रहोगे...

मैं- तो बोलिए डॅड...

आकाश- अभी नही...पर मैं सब बताउन्गा....बस एक बार ये प्राब्लम सॉल्व हो जाए फिर...अब इतनी बात तो मान नी ही होगी तुम्हे...ओके..

मैं- पर...

आकाश(बीच मे)- अभी इतना जान लो कि ये अपनो से भी बढ़ कर था...तुम्हारी मोम के लिए.....बाकी सब...सही टाइम आने पर....गुड नाइट...

मैं- ओके डॅड...मैं इंतज़ार करूगा....गुड नाइट....

डॅड अपने रूम मे चले गये....और मैने भी फ़ैसला कर लिया कि अब डॅड के मुँह से सच सुनने के बाद ही इस सक्श से कोई बात करूगा...उसके पहले नही...
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06-08-2017, 11:07 AM,
RE: चूतो का समुंदर
एक होटल रूम मे......


रिचा- आख़िर तुम मुझसे मिलने क्यो मर रहे थे....हाँ...

रफ़्तार- मरता नही तो क्या....तेरी वजह से मैं मरने वाला हूँ...

रिचा(चेहरे से नकाब हटा कर)- पर मैने बोला था ना कि अभी हमारा साथ होना हमे मुस्किल मे डाल देगा...कहीं अंकित को भनक लग गई तो...

रफ़्तार- ओह..डेढ़ सनी...वो लौंडा तेरा बाप है...उसे शक हो गया हम पर...समझी...

रिचा- हम पर...नही...तुम बको मत...

रफ़्तार- अरे साली...बक नही रहा...मैने खुद सुना, उसे ये कहते की रफ़्तार पर नज़र रखो....

रिचा- तो ये बोल कि तुझ पर शक है..और हो भी क्यो ना...तू हमेशा उसे घूरता रहता है और फालतू मुँह चलाता है...

रफ़्तार- तो ये मेरे लिए नही ...तेरे और तेरे बॉस के लिए करता हूँ...समझी...

रिचा- वो सब छोड़...ये बता कि मेरा नाम तो नही आया ना ...

रफ़्तार- नही...तेरा नाम नही सुना...उसे सिर्फ़ मुझ पर शक है...

रिचा- उउफ़फ्फ़...बढ़िया है... सिगरेट तो जला...परेशान कर दिया...और ये बता कि मुझे पीछे के गेट से क्यो आने बोला..क्या कोई मेरे घर पर नज़रें जमाए है क्या...

रफ़्तार(सिगरेट जला कर)- नही...पर साबधानी मे क्या हर्ज....

रिचा(सिगरेट ले कर)- पर मुझे कैसा डर....अंकित सोच भी नही सकता कि रश्मि की मौत मे मेरा कोई रोल है...फ़फफ़ूूहह...

रफतात- सही है...पर मैं फसा तो तू भी गई...समझी...और ये बता कि उस लड़की को मारा किसने...और कब...

रिचा- इससे तुझे क्या...पैसा मिला ना तुझे...

रफ़्तार- हाँ मिला..पर ये तो बता देती कि लड़की जिंदा है...कही बच जाती तो मर ही गये थे...

रिचा(शॉक्ड)- व्हाट...ये कैसे हो सकता है....वो तो मेरे घर पर ही मर गई थी....

रफ़्तार- नही मेडम...वो लड़की ड्राइवर के बाद मरी...और ड्राइवर को मैने मारा...मतलब लड़की खाई मे गिरने के बाद मरी....समझी...

रिचा- ओह माइ गॉड...पर उसने तो खुद चेक किया था और बोला था कि मर गई...

रफ़्तार- किसने...तेरा बॉस तो था नही वहाँ...

रिचा- अरे...मेरा दोस्त...उसी ने तो चाकू..

रिचा जल्दबाज़ी मे सच बोल गई...पर याद आते ही चुप हो गई...कि रफ़्तार से सच नही बोलना...

रफ़्तार- ये उसने था कौन...हां...

रिचा- तुझे क्या लेना -देना...होगा कोई भी...दोस्त है मेरा....

तभी पीछे से आवाज़ आई...

बॉस- पर मुझे लेना -देना है...कौन था वो दोस्त...और क्या थी वो वजह कि उसे रश्मि को मारना पड़ा....हां..

रिचा पलटी और बॉस को देख कर उसके पसीने छूट गये....वो मन मे सोच ही रही थी कि बॉस को क्या बोले तभी उसके गाल पर एक झन्नाटेदार थप्पड़ पड़ा....और रिचा ज़मीन पर गिर गई....


बॉस- रफ़्तार...तू निकल...इसे मैं देख लूँगा ...और हाँ...संभाल कर..और ये ले पैसे...ऐश कर ...

रफ़्तार निकल गया और रिचा भी थोड़ा सम्भल गई. ..

बॉस ने रिचा के बाल पकड़ कर उठाया और फिर पूछा ....

बॉस- तो बोल ...कौन था वो...किसने मारा उस लड़की को....

रिचा(डरती हुई)- मुझ पर शक कर रहे हो....मैने ही मारा...कोई नही आअहह....

बॉस ने रिचा के बाल खीच दिए...

बॉस- चुप कर रंडी....क्या मैं इतना भी नही जानता कि तुझ जैसी रंडी किसी को कितनी चोट पहुँचा सकती है...हाँ...

रिचा- तुम मेरी बात सुनो...प्ल्ज़...

बॉस- मैं घाव देख कर ही समझ गया था कि वो किसी और ने किया...पर चुप रहा...क्योकि पहले बॉडी ठिकाने लगानी थी...पर अब तू सच बोलेगी....समझी...

रिचा- मैं झूठ नही बोल रही...यही सच है...उसे मैने मारा...

बॉस- तू ऐसे नही मानेगी ना....

बॉस ने रिचा को बेड पर पटका और एक कॉल किया...

बॉस- इसकी बेटी कहा है...दिखाओ...

कुछ देर बाद बॉस को मोबाइल पर एक पिक रिसीव हुई...

बॉस(रिचा को दिखा कर)- अब तय कर ले....सच बकेगी या तेरी बेटी को मेरे आदमी नोचना शुरू करे...बेचारी...कितने प्यार से सो रही है...

रिचा- नही..नही मेरी बेटी को कुछ मत करना...मैं सब बताउन्गी...सच..

बॉस- तो बोल...कौन था वो....

रिचा- सम्राट सिंग का बेटा....

बॉस- ये साला सम्राट सिंग...ये वही है ना...महल वाला....

रिचा- हाँ...वही...

बॉस- तो वो तेरे पास क्यो आया था...हां..

रिचा- वो ..वो भी आकाश का दुश्मन है...उसी को मारने की बात कर रहा था कि रश्मि आ गई...और फिर उसने रश्मि को मार दिया...

बॉस- क्यो...रश्मि तो तेरे लिए काम कर रही थी ना...

रिचा- हाँ...पर उस दिन वो बोलने लगी कि वो अंकित को सब बता देगी...और भागने वाली थी कि ...

बॉस(बीच मे)- तो सम्राट के लड़के ने उसे मारा...और तूने लाश का बोझ मुझ पर डाल दिया , हाँ...

रिचा- मैं घबरा गई थी...वो रश्मि को मार के भाग गया था...तो मैं किससे बोलती...एक आप ही तो हो मेरे...

रिचा ने अपनी बाहें बॉस के गले मे डाल कर उसे रिझाना शुरू किया..

बॉस- हाँ साली...पर एक बात सुन...उस सम्राट के लड़के को मुझसे मिलवा दे...जल्दी...समझी...नही तो मैं...

रिचा- बिल्कुल...अब मिलेगा तो ले आउगि...अभी मेरी बेटी को...

बॉस- ह्म्म...वो सेफ है...

रिचा- तो अब ये मास्क भी हटा दो...और कपड़े भी....ह्म्म..

बॉस- रंडी जाग गई तेरी...आजा...तेरी फाड़ कर ही जाउन्गा....

और फिर रूम मे चुदाई की आवाज़े गूजना शुरू हो गई......

नेक्स्ट डे.......

सुबह मेरी नीद सविता के जगाने से खुली....उसने बताया कि कोई गेस्ट आई हुई है....

मैं- कौन है...??

सविता- पता नही...बड़े सर खुद लेने गये थे...

मैं- ओह्ह...मैं फ्रेश हो कर आता हूँ...

थोड़ी देर बाद मैं नीचे पहुँचा तो एक गदराई हुई औरत सोफे पर पसरी हुई थी...और साथ मे डॅड भी बैठे थे....

मैं- गुड मॉर्निंग डॅड....

आकाश- ओह...आओ अंकित...इनसे मिलो...

मैं- हेलो...पर ये है कौन...

आकाश- बेटा...ये है सुजाता...मेरे दोस्त की बीवी...

मैं- ओके...हेलो आंटी....

सुजाता- ये अंकित है ना....हेलो बेटा...यहाँ आओ...

और मैं सुजाता के पास पहुँचा तो उसने मुझे गले से लगा लिया....

उसके बड़े-बड़े बूब्स मेरे सीने मे चुभे जा रहे थे...एक कामुक अनुभव हो रहा था...पर मैं कंट्रोल मे था....

सुजाता(मुझे अलग कर के)- कितना हॅटा-कट्टा हो गया है...इसे बहुत छोटा सा देखा था...

आकाश- ह्म्म..डाल्ली जिम जो जाता है...और बेटा किसका है...आकाश का...

सुजाता- ह्म्म...तब तो डॅड की सारी खूबियाँ होगी इसमे..है ना...

सुजाता ने एक सरारती मुस्कान बिखेर दी...

आकाश- अब तुम फ्रेश हो जाओ...तक गई होगी....(सविता से)- सविता....सुजाता को इनका रूम दिखा दो...

फिर सविता , सुजाता को ले कर एक रूम मे चली गई...और मैं डॅड के साथ बैठ गया....

आकाश- अब आगे क्या....

मैं- कुछ दिन देखते है...पता तो चले कि इसके दिल ने क्या है..

आकाश- ओके...

तभी सविता आई और सवाल दाग दिया....

सविता- सर...ये मेडम कितने दिन रुकेगी...और इनके पति...वो नही आए....

आकाश- इनके पति थोड़ा आउट ऑफ कंट्री गये है...तो 10-15 रुकेगी...कोई प्राब्लम है क्या...

सविता- नही..मैं तो बस यू ही पूछ रही थी..

आकाश(मुझसे)- ओके..अब मैं चलता हूँ ऑफीस...बाइ...

आकाश के जाते ही सविता ने धीरे से कहा...

सविता- अंकित...मुझे ये मेडम अच्छी नही लगी....

मैं- क्यो...क्या हो गया...

सविता- बेटा..ये जबसे आई..तबसे बड़े सर से चिपकी हुई है...मुझे तो इसकी नियत ठीक नही लगती....

मैं- ओह...कोई नही...मैं हू ना...टेडी होगी तो सीधा कर दूँगा...ओके...

सविता(मुस्कुरा कर)- इसे भी....ठीक है बेटा...इसे भी जन्नत दिखा ही दो...

तभी सुजाता की आवाज़ आई...जो इस समाए एक पतली सी नाइटी मे थी...

सुजाता- किसको क्या दिखना है अंकित...

मैं- अरे आंटी...कुछ नही...वो ताई माँ बोल रही थी कि आपको यहाँ की खूबसूरत चीज़े दिखा दूं...आप देखेगी ना....

सुजाता(मेरे बाजू मे बैठते हुए)- हाँ बेटा...मैं यहाँ सब देखने ही तो आई हूँ...

मैं(मन मे)- जानता हूँ साली...तू देख...तुझे क्या -क्या दीखता हूँ...

सुजाता- चुप क्यो हो गये...मुझे दोस्त ही समझो...और दोस्त की तरह बात करो...हाँ...

मैं- अरे..कुछ नही...चलिए..पहले कॉफी पीते है...फिर आगे की बात करेंगे...ह्म्म्म ..


और मैं, सुजाता के साथ कॉफी पीते हुए बाते करता रहा....

कॉफी के बाद सुजाता रेस्ट करने गई और मैं पारूल के पास....
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06-08-2017, 11:07 AM,
RE: चूतो का समुंदर
कुछ देर बाद मैं रेडी हुआ और पहुँच गया अपने सीक्रेट हाउस पर....

सीक्रेट हाउस पर........

हाउस मे आते ही मैं अपने आदमी के साथ एक रूम मे पहुँचा और रूम मे खड़े बंदे को घूर्ने लगा.....

मैं- उठ जा....और खुश भी हो जा...

सामने- क्क..क्यो...

मैं- तेरी बीवी मेरे घर आ गई है...

सामने- मेरी बीवी....पर..नही...वो यहाँ नही आ सकती....

मैं- कोई नही...बहुत जल्दी तेरे सामने लाउन्गा...तब मान जायगा....तब तक तुम सोच लो....किसका साथ देना है...मेरा या तेरी बीवी का...ओके...

और उस रूम से निकल कर मैं दूसरे रूम मे पहुँचा...वहाँ बहादुर था...

मैं- तो बहादुर जी...कोई न्यूज़...

बहादुर- न्यूज़ तो यही है कि मेरा परिवार मेरे पास आ गया...थॅंक यू बेटा...

बहादुर की बीवी और बेटी को मैने यही बुलवा लिया था...क्योकि उसे उस गाँव मे ख़तरा हो सकता था...

मैं उन लोगो से बात ही कर रहा था कि पीछे से एक आवाज़ आई...

"" अब मेरे लिए क्या ऑर्डर है अंकित...""

मैं(पीछे देख कर)- अपने रूम मे चलो...वही बताता हूँ...और हाँ...आज मुझे मसाज की ज़रूरत है...कई दिन हो गये...

"" ह्म्म...मैं तैयार हूँ....""

उसके बाद मैने मस्त बॉडी मसाज करवाया और घर आ गया....और शाम तक पारूल के साथ ही रहा.....

साम को मैं पहुँच गया धूम नाइट क्लब...क्योकि कुछ दिन से शीला से मिला नही था....

जब मैं क्लब मे पहुँचा तो मुझे शीला नही दिखाई दी...उसके बाद मैने 2-3 घंटे वेट भी किया...पर शीला नही आई...

मैं(मन मे)- बड़ी मुस्किल से थोड़ा लाइन पर आई थी और अब...ये रश्मि की मौत ने तो शीला को भी छीन लिया....चलो...कल देखेगे....

मैं निराश हो कर घर आ गया...

घर आते ही सविता ने एक बॉम्ब फोड़ दिया....

सविता- अंकित...ये सुजाता तो बड़ी कमीनी औरत है...

मैं- क्या...क्या हो गया...

सविता- अरे...अभी ये बड़े सर के रूम के बाहर उनसे चिपक रही थी.....

मैं- क्या...सच मे...और डॅड...वो क्या कर रहे थे...

सविता- वो तो मना कर रहे थे...पर है तो मर्द ही ना...तो...

मैं- तो क्या...क्या डॅड ने कुछ...

सविता- नही...ऐसा कुछ नही हुआ...मैं ये बोल रही थी कि ऐसी औरत को देख कर कोई भी मर्द बहक सकता है....कहीं बड़े सर बहक गये तो...

मैं- ओह्ह्ह...डोंट वरी...डॅड नही बहकने वाले ...आप रेस्ट करो...बाकी मुझ पर छोड़ दो...

उस रात कुछ खास नही हुआ...और नेक्स्ट डे भी पूरा का पूरा...सुजाता , सविया और पारूल के साथ निकल गया....

और शाम को मैं फिर से क्लब चला गया ...इस उम्मीद मे कि आज शीला मिल जाएगी....

आज फिर मैं ड्रिंक करते हुए शीला का वेट करता रहा...पर वो नही आई....

निराश हो कर मैं जा ही रहा था की एक औरत मेरे सामने आ गई...

अओरत- एक्सक्यूज मी ....आप अंकित हो ना..

मैं- यस...कहिए...

अओरत- ये लीजिए...ये शीला ने आपको देने को कहा था...

मैं- शीला ने...पर वो है कहाँ...

औरत- वो थोड़ा बीमार है...2-3 दिन से आई नही...और आप भी नही आए...

मैं- ओह..बट मैं कल आया था...

औरत- ह्म..बट कल मैं नही आ पाई...

मैं- ओहक..थॅंक्स...

औरत- इस अड्रेस पर रात 8 के बाद ही जाना...

वो औरत मुझे एक कार्ड दे गई थी...शीला का कार्ड...

"" मारिया हिल.....बंगलोव नंबर. 12 ""

मैं- ह्म्म..शीला...आइ म कमिंग बेबी....


रात को 9 बजे के करीब मैं मारिया हिल इलाक़े मे बंग्लो नंबर. 12 के सामने खड़ा था...

मैं(नेम प्लेट देख कर)- ह्म्म..वर्मा हाउस....नाइस...

थोड़ी देर बाद मैं शीला के साथ उसके बेडरूम मे था...

उसके उपेर नही....बल्कि दूर-दूर....

मैं- तो...मुझे यहाँ क्यो बुलाया.....

शीला- तुम गायब जो हो गये थे...मुझे लगा कि कभी मिलोगे भी या नही...

मैं- ह्म..मैं आउट ऑफ टाउन गया था...बट तुम मुझे कॉल कर सकती थी ना....

शीला- तुम्हारा कार्ड खो गया था...इसलिए अपना कार्ड छोड़ दिया था....

मैं- ओके...वैसे अब कैसी हो...

शीला(मुस्कुरा कर)- कल क्लब मे होंगे इस वक़्त...हहहे....

मैं- गुड....अच्छा तुम्हारे हज़्बेंड...कहाँ है वो....

शीला(निराश हो कर)- पता नही...कही होंगे....पैसो के पीछे...मेरी परवाह थोड़े ही है उन्हे....बस पैसा चाहिए...

मैं- ओह्ह...सॉरी...

शीला- कोई नही...उसे छोड़ो...बोलो...क्या खातिर करू...1स्टी टाइम आए हो मेरे घर....

मैं- उम्म्म..तुम ठीक हो जाओ...फिर खातिर भी करवा लेगे...अभी कुछ नही...रेस्ट करो...

शीला(मुस्कुरा कर)- ह्म..वेरी स्मार्ट...वेल...ड्रिंक तो लेना ही होगा...

फिर शीला की सेरवेंट ने मुझे ड्रिंक दी और कुछ देर रुक कर मैं वापिस अपने घर निकल आया....
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06-08-2017, 11:07 AM,
RE: चूतो का समुंदर
रिचा के घर........

रिया- बट मोम...आख़िर मुझे भेज क्यो रही हो आप...??

( रिया , रिचा की बेटी है....)

रिचा- कुछ नही बेटू....बस मैं चाहती हूँ कि तू कुछ दिन घूम कर आए....

रिया- ओके...बट इतने अर्जेंट मे क्यो...???

रिचा- अरे बेटा...अच्छे काम मे देरी की....तुम आराम से घूमो और दुनिया देखो...यही तो मैं चाहती हूँ...

रिया- ओके मोम...बट मैं अकेली..आप भी चलिए ना....

रिचा- नही बेटू...मैं नही चल सकती...यहाँ जॉब है ना मेरी...और तू अकेली कहाँ है....तेरी फ्रेंड को भी भेज रही हूँ ना साथ मे...

रिया- ओके...वैसे वो कहाँ है...यहाँ आयगी या उसके घर जाना होगा...

रिचा- वो आ रही है...अब तुम रेडी हो जाओ..ट्रेन का टाइम होने वाला है...

रिया- ओके मोम..

रिया रेडी होने लगी...

रिचा- अब तुझे क्या बताऊ बेटू...तुम यहाँ रहोगी तो मैं खुल कर कुछ नही कर पाउन्गी....तू मेरी कमज़ोरी जो है...इसलिए तुझे दूर भेज रही हूँ...

थोड़ी देर बाद रिया अपनी फ्रेंड के साथ टॅक्सी मे बैठी और स्टेशन निकल गई....और रिचा चैन की साँस ले कर अंदर चली आई.....

"" भाई....रिचा की बेटी स्टेशन जा रही है...""

""ओके भाई....हम पीछे ही है....अभी लाते है...""

एक गुंडे टाइप के आदमी ने किसी से बात की और टॅक्सी के पीछे हो लिया...

जब टॅक्सी सुनसान रास्ते पर पहुँची तो गुणडो ने उसे रोक लिया ...

गुंडे टॅक्सी के पास पहुँचे और स्प्रे डाल कर ड्राइवर को बेहोश कर दिया....

रिया और उसकी फ्रेंड की जान ही निकल गई...दोनो डर के मारे चिल्लाने लगी कि तभी गुण्डों ने टॅक्सी का गेट खोला और उन दोनो को भी बेहोश कर फोया...और फिर दूसरी कार मे ले कर निकल गये......

अंकित के घर.........


लगभग आधी रात को मैं घर आया तो मैने सुजाता को उपेर से आते हुए देखा....

सुजाता बड़े गुस्से मे दिख रही थी...पर उसका जिस्म...बड़ा ही खुशाल लग रहा था...

उसकी पतली सी नाइटी मे मचलता बदन उसके हर कदम के साथ थिरक रहा था....और उसके बड़े-बड़े बूब्स तो जैसे डॅन्स कर रहे थे...

पर सुजाता ने मुझे सामने देखा तो उसके होश उड़ गये....चेहरे पर एक डर सा छा गया.....

सुजाता- अरे अंकित...तुम यहाँ हो....

मैं- जी..क्या हुआ...

सुजाता- वो मैं....मैं तुम्हारे रूम मे गई थी...तुम्हे देखने...

मैं- ओह..कोई काम था क्या...

सुजाता- नही...वो बस नीद नही आ रही थी...सोचा कि अपने न्यू फ्रेंड के साथ कुछ टाइम गुज़ार लू...

मैं- ओह..चलिए फिर...आइए...

सुजाता भी ना नही बोल पाई....मेरे साथ मेरे रूम मे आ गई....

मैं- आंटी...आप ड्रिंक लेती हो...

सुजाता- हाँ...थोड़ी बहुत..

मैं- तो आज एक जाम अपनी दोस्ती के नाम...क्यो...

सुजाता(मुस्कुरा कर)- क्यो नही...अब तुम्हे मना तो कर नही सकती...दोस्त जो हो...

मैं- ओके...चियर्स...

हम दोनो एक-एक पेग गटक गये...और फिर मैने अपनी टी-शर्ट निकाल फेकि और दूसरा पेग बना लिया...

मेरा कसरती बदन सुजाता की आँखो मे चमक ले आया...वो आँखे फेड मेरे जिस्म को निहार रही थी...

मैं(पेग पकड़ा कर)- लीजिए आंटी..

सुजाता- हूँ..हाँ...वैसे तूने बॉडी मस्त बनाई है...ह्म्म..

मैं- जी ...वो थोड़ी बहुत...

सुजाता- तेरी गर्लफ्रेंड तो खुश होगी....वैसे कितनी गर्लफ्रेंड है तेरी...

मैं- आंटी...मैं गर्लफ्रेंड नही बनाता...

सुजाता- क्या...इतना तगड़ा बदन है और गर्लफ्रेंड नही...हो ही नही सकता....

मैं- तगड़ा बदन गर्लफ्रेंड बनाने मे कौन वेस्ट करे...मैं तो इससे अच्छा काम करता हूँ...

सुजाता(सीप मार कर )- कैसा काम...

मैं(आँख मार कर)- जो मिली...वो एक रात की बीवी...बस...

मेरी बात सुन कर सुजाता की आँखे बड़ी हो गई...शायद उसे ऐसी बात की उम्मीद नही थी...पर बोली कुछ नही...

2 पेग ख़त्म कर के सुजाता अपने रूम मे निकल गई और मैं सोने लगा....

अगले दिन मैं सुबह कॉफी पी रहा था की तभी एक कॉल आया....

मैं स्क्रीन देख कर मुस्कुरा दिया और कॉल लेते ही सामने से पहली लाइन सुन कर मेरा माइंड झटका मार गया....

सामने- ""हेलो अंकित.....मैं मनोज की बेहन बोल रही हूँ....""

ये लाइन सुन कर मेरे मुँह से एक ही वर्ड निकला...

मैं- क्या........???????????????

जब मैने सुना कि सामने वाली अपने आप को मनोज की बेहन बोल रही है तो मेरा माइंड घूम गया....

मुझे समझ नही आ रहा था कि इससे बोलू क्या....क्योकि मैने तो ये सपनो के सपनो मे भी नही सोचा था कि ये मनोज की बेहन निकलेगी....

लेकिन जब ये कह रही है तो सच ही होगा....इसे झूठ बोलने की क्या ज़रूरत...और सबसे बड़ी बात कि इसे कैसे पता चलता कि मैं किसी मनोज की बेहन के इंतज़ार मे हूँ....

हां...ये सही है...यही है मनोज की बेहन...मनु....

मनु- हेलो अंकित...सुन रहे हो ना...

मनु की आवाज़ मुझे वापिस ख़यालो से बाहर ले आई....

मैं- हूँ...हाँ मनु...बोलो...

मनु- ये सच है अंकित....मैं ही मनोज की बेहन हूँ...

मैं- ह्म्म...मैं समझ गया....तुम सही हो...पर तुम कैसे....आइ मीन...

मनु(बीच मे)- मैं जब मिलुगी तो सारे सवालो के जवाब दुगी...अभी मुझे सिर्फ़ एक बात बताओ...

मैं- हाँ बोलो...

मनु- मेरा भाई कहाँ है...क्या वो तुमसे मिला था...

मैं- हाँ ...मिला था...और उसके बाद...

मनु- उसके बाद...चुप क्यो हो गये...बोलो ना...

मैं- मनु...वो तुम्हारा भाई...अब...अब इस दुनिया मे नही रहा....

मेरी बात सुनकर मनु चुप रही...काफ़ी देर तक मुझे सिर्फ़ सिसकियों की आवाज़ आती रही...मैं समझ गया कि वो रो रही है...पर मैने उसे टोका नही...मैने सोचा कि उसे रोने देना ही सही रहेगा अभी....
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06-08-2017, 11:07 AM,
RE: चूतो का समुंदर
थोड़ी देर बाद मनु रोते हुए बोली...

मनु- कैसे....कब...क्या हुआ था ...बोलो अंकित....

मैं- मनु...वो मेरे ही सामने....और मेरी ही गोद मे उसने दम तोड़ा था....

मनु(ज़ोर से रोते हुए)- पर हुआ क्या था....कैसे भैया .....हुहुहू...

मैं- मनु...प्ल्ज़ चुप हो जाओ....मैं जानता हूँ कि तुम दुखी हो...पर प्ल्ज़...थोड़ी हिम्मत से काम लो मनु...प्ल्ज़ चुप हो जाओ...

मनु(कुछ देर बाद)- ये कैसे हुआ था...

मैं- एक...एक आक्सिडेंट....उसे ट्रक से उड़ा दिया था....और वो उसी वक़्त....

मेरी बात पूरी होती उससे पहले ही मनु और ज़ोर से रोने लगी.....

कुछ देर तक मनु रोती रही और मैं उसे समझाता रहा....

काफ़ी रोने के बाद मनु ने सम्भल कर बात की...

मनु- अंकित...मैं तुमसे जल्दी ही मिलूगी....ऐसा बहुत कुछ है जो तुम्हे जानना ज़रूरी है...

मैं- तो बोलो ना....अभी बोलो...

मनु- नही...मैं मिल कर ही बताउन्गी...थोड़ा इंतज़ार करो...

मैं- तो मैं तुम्हारे घर आ जाता हूँ....अभी...

मनु- नही अंकित...मैं सहर मे नही हूँ...बाहर हूँ...और जब मैं वापिस आउगि...तब तुमसे मिलूगी...और हाँ...मेरा फ़ोन ट्राइ मत करना...ये बंद रहेगा....बाइ....

और मेरे कुछ कहने से पहले ही मनु ने कॉल कट कर दी ...और फिर उसका नंबर बंद आने लगा....

मैं(मन मे)- मनु ने ऐसा क्यो किया....वो भी अचानक से....मनोज ने कहा था कि उसकी बेहन खुद आयगी मेरे पास...

पर ये तो माइंड हिला कर निकल गई...अब पता नही कहाँ गई...और कब आयगी....और ये ऐसा क्या बताने वाली है जो मेरे लिए ज़रूरी है...

मैं अपने ख़यालो मे सवालो के जवाब ढूँढने की नाकाम कोसिस कर ही रहा था कि एक सुरीली आवाज़ ने मेरा ध्यान तोड़ दिया....ये सुजाता की आवाज़ थी...

सुजाता- मैने कहा गुड मॉर्निंग अंकित बेटा...

मैं- ओह ...गुड मॉर्निंग आंटी...आइए...

सुजाता- क्या बात है...कहाँ खोया था...किस के ख्यालो मे...हाँ...

सुजाता ने मेरे पास बैठते हुए मुझे कंधा मारा और हँसने लगी...मैने भी थोड़ा ओपन होने का सोचा लिया....

मैं(मुस्कुरा कर)- बस आंटी ...आपके ख्यालो मे ही खोया था...

सुजाता- अच्छा...मेरे ख़यालो मे...हट झूठे...

मैने देखा कि सुजाता तो बिल्कुल ओपन है...तो मैं क्यो पीछे रहूं ...

मैं- हाँ आंटी...झूट नही...सच मे...मैं तो कल रात से आपको ही देख रहा हूँ...सोते-जागते...बस आप ही नज़र आ रही है...

सुजाता मेरी बात से कुछ शरमाई...और हंस कर बोली...



सुजाता- सच मे...तो बता...क्या देख रहा था सोते-जागते....कुछ खास...ह्म्म्म..

मैं- आंटी..क्या कहूँ...आप तो पूरी की पूरी खास हो...उपेर से नीचे तक...

सुजाता(शर्मा कर)- हट पागल...मुझ मे क्या खास दिखेगा तुझे...

मैं- बहुत कुछ आंटी...उपेर..नीचे...सब खास लगा मुझे तो....

सुजाता(आँखे बड़ी कर के)- बदमास...झूट बोल रहा है...तुझ जैसे जवान मर्द को भला मेरे जैसी औरत मे क्या खास लगेगा...झूठा....

सुजाता इतरा-इतरा का और मुँह बना कर बातें कर रही थी...जो उन्हे और भी कामुक बना रहा था...

मैं- नही आंटी...मुझे तो आप जैसी ही पसंद आती है...

सुजाता(मुस्कुरा कर)- अच्छा...तो बता..मेरी जैसी से मतलब क्या है तेरा...और क्या पसंद आता है तुझे...

मैं- आपके जैसी मतलब...थोड़ी भरी हुई औरतें...और पसंद तो ...वो...

सुजाता- वो क्या...बोल ना..रुक क्यो गया...

मैं- नही...आप गुस्सा करोगी...

सुजाता- नही बेटा...भूल गया...हम फ्रेंड है..तो गुस्सा कैसा...खुल के बता...जल्दी..

मैं- वो...बड़े-बड़े....

तभी सविता नाश्ता ले कर आ गई और पूरा मूड ही खराब कर दिया...मेरा भी और सुजाता का भी...क्योकि मुझसे ज़्यादा मज़ा तो उसे आ रहा था....

सुजाता(नाश्ता करते हुए)- अच्छा..अब बाकी रात मे बताना...ह्म्म..

मैं(सुजाता को देख कर)- ओके आंटी...

सुजाता- अच्छा ये बता कि ये लड़की कौन है...वो जो ज़ख्मी है...

मैं- मेरी छोटी बेहन है...

सुजाता- पर आकाश की तो ...

मैं(बीच मे)- मैं लाया...अपनी बेहन बना कर....ओके...

सुजाता मेरी टोन से समझ गई कि मैं पारूल के बारे मे कुछ बुरा नही सुन सकता ...इसलिए वो चुपचाप नाश्ता करने लगी...

नाश्ते के बाद सुजाता डॅड के साथ ऑफीस निकल गई...और मैं कामिनी के घर पहुँच गया....

आज मेरे साथ रॉनी भी था...क्योकि आज मैं दामिनी के चेकप के बहाने बात करना चाहता था....

हमे देखते ही पिछली बार की तरह नर्स और नौकरानी सकते मे आ गई...पर बोली कुछ नही...चुपचाप बाहर निकल गई....

रॉनी ने अपना कमाल दिखा कर माइस आंड कॅमरास हॅंग किए और दामिनी इशारा पाते ही बोल पड़ी...

दामिनी- अच्छा हुआ की तुम्हे याद आया कि मैं ठीक हूँ...कब्से तुमसे बात करने का सोच रही थी....

मैं- ह्म्म..कोई खास बात है क्या...

दामिनी- है तो...मैने कुछ ऐसा सुना है जो शायद तुम सुनना पसंद करोगे...

मैं- तो बोलो ना....टाइम वेस्ट मत करो....

दामिनी- हाँ...एक दिन मैने रिचा को फ़ोन पर बात करते सुना था ...वो शायद उस बॉस से ही बात कर रही थी...वही सरफ़राज़....

मैं- ह्म्म...तो उसमे नया क्या है...वो तो मैं भी जानता हूँ....कि वो बॉस से बात करती है...

दामिनी- हाँ..पर उसने जो बोला ..मुझे उस पर डाउट है...

मैं- ऐसा क्या बोल दिया उसने...

दामिनी- उसने बोला था कि..."" तुम कुछ भी करो...पर चिप कर..नही तो तुम्हारी फॅमिली भी तुम्हारे खिलाफ हो जाएगी....बहुत प्यारा है उन्हे अंकित...""

मैं- क्या...उसने ऐसा बोला...

दामिनी- हाँ...और ये भी बोला कि...""मैं ही हूँ जो तुम्हारे नकाब के पीछे छिपा चेहरा जानती हूँ...तो मुझसे होशियारी मत करना....और मेरी बात पर डाउट भी मत करना....

मैं- ओह...तो रिचा उसे पहचानती है...

दामिनी- हाँ...और वो कोई ऐसा है जो तुम्हारे करीब है...मुझे तो यही लगा...

मैं- ह्म्म...अब रुकना बेवकूफी होगी....

दामिनी- तुम कुछ भी करो...पर याद है ना कि मेरी फॅमिली...

मैं- डोंट वरी....किसी को कुछ नही होगा...रिलॅक्स...सिर्फ़ वो मारेंगे जो ग़लत है...ओके....
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06-08-2017, 11:08 AM,
RE: चूतो का समुंदर
तभी साला किसी ने गेट पर नॉक कर दिया...ये वही दोनो कमीनी होगी...

मैने गुस्से मे बोला और गेट खोल दिया...जब तक दामिनी और रोनी अपना काम निपटा चुके थे...सब नॉर्मल था...

नर्स- वो दबा का टाइम हो गया...

मैं- एक दिन तुम दोनो को इंजेक्षन लगाउन्गा...वो भी बढ़ा वाला...

और मैं गुस्से मे बाहर निकल आया ..इससे पहले कि वो दोनो मेरी बात समझ पाती...

मैने दामिनी के रूम से तो गुस्से मे निकला पर हॉल मे आते ही मेरा गुस्सा ठंडा पड़ गया....

सामने इतनी हॉट लड़की जो आ गई थी....मेरे सामने काजल थी...जो मुझे देख कर ही मुस्कुराने लगी...

मैं- रॉनी...तुम चलो...मैं आता हूँ...

रॉनी निकल गया और मैं काजल के पास पहुँचा...

काजल- हाई...आज भी हाल पूछना भूल गये थे ...

मैं- नही तो...मैं तो तुम्हारे ही पास आ रहा था कि...

काजल(बीच मे)- बस ..तुम्हे झूठ बोलना नही आता....

मैं- अच्छा...काफ़ी कुछ जानती हो मेरे बारे मे....

काजल- जी हाँ...बहुत कुछ...

मैं- तो फिर हमे भी जान ना होगा...तुम्हे...है ना...

काजल- हाँ...पूछो क्या जान ना है...

मैं- उउंम..यहाँ नही...रूम मे चलो...बिल्कुल अकेले मे...जहाँ सिर्फ़ हम दोनो हो...

काजल(नज़रे झुका कर)- रूम मे...ऐसा क्या जान ना है तुम्हे...

मैं- चलो फिर बताता हूँ...

और मैं काजल का हाथ पकड़ कर उसे रूम मे ले गया...रूम मे आते ही मैने रूम लॉक किया तो काजल सहम गई...

काजल- ये...गेट क्यो..

मैं- स्शहीए...

काजल- पर कोई देखेगा तो क्या कहेगा...

मैं- बोला ना...चुप रहो...बिल्कुल चुप....बहुत बोलती हो...

काजल- पर ये तो ब्ब्ब्बुउुउउम्म्म्मम....

काजल के बोलते ही मैने उसके होंठो पर होंठ रख दिए और चूसने लगा...

थोड़ी देर नखरे करने जे बाद काजल ने भी मस्त रेस्पोन्स दिया और हम होंठो का रास्पान करने लगे...

होंठ चूस्ते हुए मेरे हाथ काजल के बूब्स की तरफ बड़े ही थे कि कोई गेट पर आ गया....ये साली सुषमा थी...

मैं- उउउम्मह...बहुत चलते है ये होंठ...उउउंम..बट रास्ती है...

मेरी बात सुन कर काजल शरमा गई और सुषमा ने फिर से गेट नॉक किया...

मैं- अब बाकी की जान-पहचान बाद मे...

और मैने गेट खोला और सुषमा से मिलकर वहाँ से निकल आया...और काजल अपने रूम मे ही शरमाती रही.....


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06-08-2017, 11:08 AM,
RE: चूतो का समुंदर
रिचा के घर........


सुबह-सुबह रिचा कॉफी पीते हुए पेपर पढ़ रही थी...

आज वो कुछ थकि हुई सी थी...पर इस समय नाइटी मे उसका गदराया जिस्म मस्त दिख रहा था....

तभी उसकी डोरबेल बज उठी...

रिचा- उफ़फ्फ़...ये सुबह से कौन आ गया...

गेट खोलते ही सामने वाले को देख कर रिचा भड़क उठी...

रिचा- तुम...सुबह-सुबह....कोई काम नही है क्या...

सामने- है तो...और वही करने आया हूँ...

उस सक्श ने रिचा को बाहों मे भरना चाहा पर रिचा ने उसे अंदर खीच कर गेट लगा दिया...

रिचा- क्या है...गेट तो लगाने दो...मेरी व्हाट लगवा दोगे तुम तो...

सामने- ओके...सॉरी...अब आजा मेरी जान...आज तेरी गान्ड मारने का मन है...

रिचा- नही...आज नही...गान्ड तो बिल्कुल नही...

सामने- मुझे मना करेगी...ह्म्म..

रिचा- अरे यार...समझो तो...कल उस सरफ़राज़ ने रात भर गान्ड मारी...सूजा दी साले ने...और उपर से...

सामने- उपर से क्या...

रूचा- क्क्क...कुछ नही...वो उसने चूत भी फाडी ना...

सामने- तो अब हम भी फाड़ेंगे....हाहाहा...

रिचा- तुम मनोगे नही ना...

सामने- नही ना जानेमन...अब आ भी जाओ....

और उसके बाद रिचा की जोरदार चुदाई हुई और चुदाई करके वो सक्श घर निकल गया....

रिचा गेट लॉक कर के रेस्ट करने लेटी ही थी कि फिर से डोरबेल बज उठी....

रिचा(गुस्से मे)- अब क्या है...साले जा मन नही भरता क्या...इसकी तो...

रिचा गुस्से मे गेट खोलते हुए बोली....

रिचा- तुम्हारा मन नही भरा...फिर सीईई.......

रिचा सामने खड़े सक्श को देख कर सुन्न पड़ गई....उसके सब्द मुँह मे ही रह गये....

सामने- हेलो जानेमन...क्या हाल है...

रिचा(घबरा कर)- त्त्त्त...तुम...

सामने- हाँ..हम...स्वागत नही करोगी हमारा..........?????????

रिचा अपने घर मे मुझे देख कर बुत बन गई थी...और उसकी वजह ये थी कि उसे लगा कि मैने उसके दूसरे बॉस को देख लिया शायद...या फिर मुझे कुछ सच्चाई हाथ लग गई....

असलियत भी यही थी कि मैं आज रिचा से फेस तो फेस सब बाते करने आया था.....

मैं- क्या हुआ डार्लिंग....स्वागत नही किया...कोई नही...अब क्या अंदर भी नही बुलाओगी....ह्म्म...

रिचा- नही...मतलब..क्यो नही...आओ...अंदर आओ...पर ये लोग....

मैं- ये लोग...डरो मत...ये मेरे बॉडी गार्ड है....डोंट वरी.....

रिचा मुझे नॉर्मली बात करते देख कर कुछ सम्भल गई और मुस्कुराते हुए मुझे अंदर ले आई...

रिचा- तो...आज सुबह -सुबह मेरी याद कैसे आ गई...

मैं(बैठते हुए)- सब बताउन्गा...पहले एक कॉफी हो जाए....

रिचा- क्यो नही...अभी लाई...

रोका थोड़ी देर मे कॉफी ले कर आ गई और हम बातें करने लगे....

रिचा- तो अब बताओ...आज मेरी याद कैसे आ गई...

मैं(कॉफी की सीप मार कर)- उउंम..मैने सोचा कि आज रिचा के साथ कुछ गेम खेला जाए...तुम्हे पसंद है ना गेम खेलना....

रिचा(हड़बड़ा कर)- गेम...कैसा गेम...

मैं- कैसा गेम....ये पूछ कर तो तुमने मेरा दिल ही तोड़ दिया...तुम्हे तो समझ जाना चाहिए था...हाँ...

रिचा(शॉक्ड )- क्या मतलब....तुम कहना क्या चाहते हो...मैं भला कब गेम खेलती हूँ....कब देख लिया तुमने...हाँ...

मैं- यही तो...थोड़ा लेट हो गया...पर कोई नही...देर आए, दुरुस्त आए...हाँ...

रिचा(हैरानी से)- मतलब...क्या कह रहो ...मैं समझी नही...

मैं(पॉकेट से ताश की गद्दी निकल कर)- ये...प्लेयिंग कार्ड्स...ये गेम खेलते है...ह्म्म..

रिचा मेरे हाथ मे प्लेयिंग कार्ड देख कर हैरान थी...पर अपनी हैरानी छिपा कर उसने एक झूठी मुस्कान बिखेर दी...

रिचा- ओह्ह...प्लेयिंग कार्ड....चलो...खेलते है...पर खेलना क्या है...फ्लश या तीन पत्ति...

मैं- दोनो ही नही...कुछ और...

रिचा- पर 2 लोगो मे तो यही खेल सकते है ना...और कोई ऑप्षन भी नही...

मैं- नही....मेरे पास एक तीसरा ऑप्षन भी है....

रिचा(रिलॅक्स हो कर)- अच्छा....तो वो क्या है...ह्म्म..

मैं- मज़ेदार गेम है....पर ...उसके पहले एक और गेम खेल ले....

रिचा(चौंक कर)- और कौन सा....

मैं(मुस्कुरा कर)- तुम्हारी दिलकश जवानी का गेम...हाहाहा....

रिचा(मन मे)- क्या किस्मत है मेरी....कल रात से रंडी से ज़्यादा चुद रही हूँ...और अब ये भी...क्या करूँ...मानेगा तो ये भी नही...चलो...एक बार और सही....ये खुश रहे तो मेरे लिए अच्छा ही होगा....

मैं- इतना क्या सोच रही हो...नही करना तो मना कर दो...

रिचा(मुस्कुरा कर)- तुम्हे ना थोड़े कह सकती हू...ह्म्म..पर क्या अपने बॉडी गार्ड के सामने ही...

मैं- नही..अंदर चलो....

फिर मैं बॉडीगार्ड को वही रोक कर रिचा के साथ उसके बेड रूम मे चला गया.....

और सुरू हुआ चुदाई का खेल........

-----------------------------------------------

आकाश के ऑफीस मे.........


सुजाता , आकाश के साथ उसके ऑफीस आई थी...दोनो उसके ऑफीस मे थे....और कुछ फाइल्स देख रहे थे.....

सुजाता- तो..इन फाइल्स मे तो कुछ भी नही...प्रॉपर्टी की कोई जानकारी नही ..हाँ...

आकाश- हाँ...होगी ना...इन मे नही तो और कोई फाइल्स मे होगी...शायद छिपा के रखी हो ...देखते है...

सुजाता- क्या देखते है...और देखे कहा ...

आकाश- वो...मुझे...पता नही...देखते है यही ...

सुजाता- तुम तो डफर के डफर रहोगे....एक काम करो...वो जो ये फाइल्स संभालता है ना...उसे बुलाओ...

आकाश- कौन...अच्छा...आकाउंटटेंट के लिए बोल रही हो क्या.....

सुजाता- हाँ वही...बुलाओ उसे....

आकाश- ठीक है...

थोड़ी देर बाद अकाउंटटेंट आ गया....

ए/सी- जी सर...कहिए...

सुजाता- सुनो...इस ऑफीस के पेपर्स लाओ...और आकाश की प्रॉपर्टी के भी...जल्दी...

ए/सी- आप कौन है ये फाइल्स मागने वाली...

सुजाता- मैं कोई भी हूँ...तू लायगा कि नही...

ए/सी- जी नही...मैं आपकी कोई बात नही मान सकता...और प्ल्ज़...बीच मे मत बोलना.. ..सर ..आप कहिए...

सुजाता(गुस्से से)- इतनी हिम्मत...रुक जाओ...कुछ दिन बाद तुम्हे सबक सिखाउन्गी...

आकाश(सुजाता से)- चुप रहो...मैं बात कर रहा हूँ ना....तुम शांत बैठी रहो......

सुजाता को गुस्सा तो बहुत आया पर वो चुप रही और आकाश को घूर्ने लगी....

ए/सी- सर...मेरे लिए क्या ऑर्डर है...

आकाश- हां...तुम वो फाइल्स ले आओ..जो इन्होने कही....
ए/सी- पर सर....

सुजाता(बीच मे)- अब क्या अपने मालिक की भी नही सुनोगे...

ए/सी- क्यो नही....

और आक्कौंटेंट सुजाता को घूरते हुए निकल गया...उसके जाते ही आकाश , सुजाता पर भड़क उठा.....

आकाश- तुम्हारा दिमाग़ तो खराब नही....तुम ये मत भूलो कि मेरे वफ़ादार है ..तुम्हारे नही...

सुजाता(घूर कर)- तुम्हारे वफ़ादार ..ह्म्म..

आकाश- मतलब...आकाश के...अब चुपचाप फाइल्स देखना...मुँह मत चलाना...
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