Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-08-2017, 11:12 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैं घर पहुँचा तो ना ही डॅड घर पर थे और ना ही सुजाता....फिर मैं पारूल के रूम मे चला गया...और साथ खाना खा कर पूरा दिन उसी के साथ रहा....


शाम होते ही मेरा मोबाइल बज उठा...ये शीला का फ़ोन था....

( कॉल पर )

मैं- हेलो जी...क्या हाल है...

शीला- हम तो बढ़िया है...लगता है आप ठीक नही...

मैं- मुझे क्या होना है..हम भी मस्त है...

शीला- तो क्लब क्यो नही आते...

मैं- ह्म्म..बस थोड़ा बिज़ी था...वैसे हमे ये जान कर खुशी हुई कि आपको हमारी कमी खलती है...

शीला- नही..ऐसा कुछ नही...वो तो मैं बस...नही आना है तो मत आओ...मुझे क्या...

मैं- अगर आपको कुछ नही पता तो आप डेली फ़ोन नही करती ...समझी शीला जी...

शीला(इतराते हुए)- ऐसा कुछ नही...वैसे भी आप हमारे है कौन...ह्म्म...

मैं- ये तो पता नही..पर कौन जानता है...क्या पता हम जल्दी ही आपके कुछ हो जाए....है कि नही...

शीला(मुस्कुरा कर)- बस...आप बातें ही करते रहो....कहाँ से सीखा इतनी अच्छी बाते करना...

मैं- अजी हम तो बस बोल देते है...अच्छी तो अपने आप लग जाती है...

शीला- वाह...क्या डायलॉग है...अच्छा सुनो...आज आओगे ना...

मैं- आप इतने प्यार से बुलयगी तो हम कैसे नही आएँगे....पर ..

शीला- पर...क्या पर ..

मैं- आने से हमे कुछ मिलेगा क्या....

शीला- मतलब...मिलना क्या है..मैं मिलूगी ना...

मैं- ओह..तो आप मुझे मिल जाएगी...वाउ...

शीला- अरे..अरे...मतलब मुलाक़ात होगी...कुछ और मत समझना...ओके...

मैं- हाँ..मैं वही कह रहा था....आपने क्या समझा...हां..

शीला(मुस्कुरा कर)- आप भी ना...कुछ नही...आइए...हम आपका वेट करेंगे...

मैं- ह्म्म..सी यू सून...बाइ...

शीला- ओके..बाइ...

जैसे ही मैने कॉल कट की तो पारूल मेरे कंधे पर चढ़ कर बोली...

पारूल- क्या भैया...किससे मिलने जा रहे हो....कोई खास है क्या...

मैं- नही रे पगली...कोई खास नही...पर है खास काम की...बस हाथ मे आ जाए...फिर मौजा ही मौजा...

पारूल- आपने सोच लिया तो जाएगी कहाँ..आ ही जाएगी...आप हो ही इतने ग्रेट...

मैं- बस...इतनी तारीफ मत कर...मैं शरमा जाउन्गा...

पारूल- हहहे...आप भी ना...

मैं- ओके..अब तू रेस्ट कर..मैं इसे निपटा कर आता हूँ...ओके...विश मे गुड लक..फास्ट...

फिर पारूल ने मुझे गाल पर किस कर के गुड लक बोला और मैं उसका माथा चूम कर वहाँ से निकल गया...


फिर मैं सही टाइम पर रेडी हो कर क्लब पहुँच गया...जहा शीला मेरा ही वेट कर रही थी...

आज भी शीला को देख कर बदन मे हलचल मच गई...आज उसने डीप नॅक और स्लीवलेशस गाउन पहना हुआ था...जिसमे उसकी बॉडी कयामत दिख रही थी....

शीला- हाई हॅंडसम.....

मैं- हॅंडसम...ह्म्म...पर तुम्हारे सामने सब फीके है ...

शीला- अपना -अपना नज़रिया है...मेरी नज़र मे तुम कमाल हो...

मैं- ओके...और...मेरी नज़र मे तुम सबसे ज़्यादा हसीन हो...सच मे..

और मैने शीला का हाथ पकड़ कर उसे किस कर दिया...

शीला ने अपनी बड़ी-बड़ी आँखो से मुझे देखा और मुस्कुरा दी...

फिर हम दोनो ने वाइन के कुछ पेग मारे और तभी क्लब मे डॅन्स सुरू हो गया....

मैं- हे ब्यूटिफुल...मेरे साथ डॅन्स करना चाहोगी...

शीला(मुस्कुरा कर)- क्यो नही...

और फिर हम डॅन्स करने लगे....

करीब 4 घंटे बाद मैं घर बापिस आया...घर पर सब आ चुके थे..और डिन्नर कर के अपने रूम्स मे रेस्ट कर रहे थे...

मैं भी अपने रूम मे आया और रूम मे लगी दोस्तो की फोटो मे अकरम.को देख कर सोच मे पड़ गया...

मैं(मन मे)- अकरम...क्या हाल होगा उसका....क्या सोच रहा होगा वो....उसे मैने सब बता दिया...क्या वो भी इसी बात को सच मान कर बैठ जायगा कि उसकी फॅमिली को मेरे दादाजी ने ख़त्म किया...या फिर वो सच जानने मे मेरा साथ देगा.....?????

लेकिन अगर ये सब ही सच हुआ तो..क्या अकरम की दोस्ती मेरे साथ रहेगी...या फिर दुस्मनि की आग मे ये दोस्ती की डोर भी जल कर रख हो जाएगी.....?????

कहते है कि दोस्ती दिल से होती है..और दोस्तो का दिल साथ जुड़ा होता है....

यहाँ मैं अकरम के बारे मे सोच रहा था और वहाँ अकरम मेरे बारे मे सोचता बैठा था....

अकरम(मन मे)- ये क्या किया अंकित....मुझे ये सब क्यो बताया....अब मैं क्या करूँ....अगर तेरी बात सच निकली तो...तो मेरी दोस्ती पर आँच आ सकती है....पर मैं जानता हूँ...तू सही का साथ देगा...ग़लत का नही....

इसलिए मैं भी सच जानने मे तेरा साथ दूँगा...और सच चाहे जो भी हो...मैं तुझे शर्मिंदा नही होने दूँगा...

मैं जानता हूँ अंकित..की तेरा दिल सॉफ है...इसलिए तूने मुझे सब बता दिया...बिना ये परवाह किए कि मुझे गुस्सा भी आ सकता है...

अंकित....सच जो भी निकले...पर एक बात दावे के साथ कह सकता हूँ...तू अकरम ख़ान की दोस्ती हमेशा याद रखेगा...हमेशा....

दोनो ही दोस्तो के दिल मे अजीब सी कस्मकस चल रही थी....

देखना ये है कि पुरानी दुश्मनी दोस्ती पर भारी पड़ती है...या हमारी दोस्ती एक नई मिसाल कायम करती है....कौन जीतेगा....

दुश्मनी या दोस्ती......??????????????
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06-08-2017, 11:12 AM,
RE: चूतो का समुंदर
मैं बेड पर पड़ा हुआ काफ़ी देर तक अकरम के बारे मे सोचता रहा...पर मुझे कोई भी साइल्यूशन नज़र नही आ रहा था ....उल्टा मेरा दिमाग़ खराब हुआ जा रहा था....

फिर मैने अपने दिमाग़ को शांत करने के लिए अपना ध्यान उन घटनाओ पर लगा लिया जो मेरे लिए अच्छी हुई थी....

आज सुबह काजल के घर पर पूल मे हुई मस्ती याद कर के मैं रिलॅक्स करने लगा....



काजल के घर....पूल मे.....

काजल- कम ऑन..कम ऑन..कॅच मी...हहहे....

ये बोलती हुई काजल किसी जल परी की तरह पानी मे सरसराती हुई निकल गई....और मैं भी उसके पीछे लग गया...

काजल- कम ऑन...पकडो मुझे....एस....ओह...नही....मैं नही फँसने वाली....हहहे....

मैने एक-दो बार काजल को पकड़ा पर उसकी चिकनी बॉडी मेरे हाथो से सरक गई.....

काजल- ह्म्म...वेल ट्राइ...पर ऐसे ट्राइ का क्या फ़ायदा जो सक्सेस ना हो...कम ऑन...ट्राइ हार्ड...कम ऑन...

मैं- ह्म्म...सक्सेस उन्हे ही मिलती है जो ट्राइ करते है...समझी...अब देखो...

लगभग 10 मिनट हम पूल मे ऐसे ही तैरते रहे....काजल मेरे आगे और मैं उसके पीछे....

काजल- आहह...लगता है की लड़कियों को पकड़ने का एक्सपीरियंस नही है...क्यो...

मैं- एक्सपीरियंस तो ऐसा है कि क्या कहूँ....बस एक बार हाथ मे आती है तो जाने का नाम नही लेती...अब देखो...

और मैने पूरा ज़ोर लगा कर काजल का पीछा किया और इस बार उसकी कमर को कस लिया...

काजल ने थोड़ी हरक़त की पर हाथ से निकल नही पाई और फिर हार मान ली...

काजल- आख़िर पकड़ ही लिया...

मैं- ह्म्म...क्या करूँ...इतनी अच्छी जलपरी को कैसे छोड़ देता ..ह्म...

मैं और काजल पूल मे खड़े हुए थे और मैं इस वक़्त काजल को पीछे से पकड़े हुए उसकी बॉडी से चिपका हुआ था...

मेरे हाथ काजल की कमर मे कसे थे...और काजल की गान्ड मेरे लंड पर दबाब बना रही थी....

मैं- अब निकल के दिखाओ...है दम...

काजल- नही...अब नही...तुम्हारी पकड़ बहुत मजबूत है...मैने हार मान ली...

मैं- अच्छा...तो फिर मेरा गिफ्ट...

काजल- गिफ्ट...क्या चाहिए...बोलो...

मैने अपने हाथो को काजल के बूब्स पर रखा तो काजल सिहर उठी...

काजल- आहह...बोलो ना...

मैं- मेरा गिफ्ट मेरे हाथो मे है...

और मैने काजल के बूब्स दबा दिए....

काजल- उउंम्म...तो ले लो ना...पूछ क्यो रहे हो...

मैं- ह्म...ले ही रहा हू...

और मैने काजल के बूब्स को मसलना सुरू कर दिया और काजल भी मस्ती मे सिसकने लगी....

काजल- ओह्ह...अंकित....उउंम्म....

मैं- क्या हुआ....दर्द हुआ क्या...

काजल- नही..आअहह....ज़ोर से करो...कब्से इंतज़ार था मुझे...उउउंम्म...

मैं- जानता हूँ...आज इंतज़ार पूरा हुआ...

और काजल ने पलट कर मेरे होंठो पर होंठ जमा दिए और चुसाइ सुरू कर दी...और मैं भी पूरा साथ देने लगा....
काजल- सस्स्रररुउउप्प्प....उूउउंम्म...उउंम्म..आअहह...उउउम्म्म्म...उउउंम्म...

मैं- उउउंम्म...उउउंम्म...उउउंम्म..उउंम्म....

मेरे हाथ काजल की गान्ड को मसल रहे थे और काजल दुनिया से बेफिकर हो कर मेरे होंठ चूस रही थी...

मैं- उउउंम्म....एस्स...उउंम्म...आअहह...सस्ररुउउउप्प्प...उउउंम्म...उउंम्म...

काजल- उउउम्म्म्म...आअहह...अंकित....उउउम्म्म्म...उउउम्म्म्म...उउउम्म्म्म...

अचानक मैने काजल की गान्ड को हाथो से थमा और उठा लिया...काजल भी अपनी टांगे मेरी कमर मे लपेट कर उपेर आ गई और जोश मे किस करने लगी....

थोड़ी देर किस करने के बाद काजल नीचे खड़ी हो गई और पलट कर अपनी गान्ड मेरे लंड पर घिसने लगी....

काजल- ओह अंकित....कितना मस्त है ये ...उउंम्म...

मैने भी हाथ आगे कर के काजल के बूब्स को आज़ाद कर दिया और ज़ोर से मसल्ने लगा....उसके निप्पल पूरे तन कर खड़े हो गये थे...

फिर मैने काजल को पलटाया और उसके निप्पल चूसने लगा...
काजल- आअहह...अंकित....उउउम्म्म्म....

मैं- सस्स्ररुउउप्प्प...उउउंम्म...आअहह...उउउम्म्म्म...उउउंम...

काजल- आहह...कम ऑन....सक इट...उउउंम्म....

मैं- उउउंम्म...उउउंम्म...उूउउंम्म...उउउंम्म....आअहह..

काजल ने मेरा सिर अपने सीने पर दबा दिया और अपने बूब्स को मेरे मुँह मे भर दिया....मैं बारी-बारी उसके बूब्स को चूसने लगा और काजल मस्ती मे तड़पने लगी....

काजल- आअहह...चूसो अंकित....ऐसे ही....आआहह.....

मैं- उउउंम्म....उउंम्म....आअहह...उउउम्म्म्म...उूउउम्म्म्म...

काजल- ओह माँ...कम ऑन...यस....सक इट...ऊओ...एसस्स.....

मैं- उउउम्म्म्म...उूउउम्म्म्म...उउउम्म्म्म..आहह...उउउम्म्म्म...उूउउम्म्म्म...उउउंम्म...

थोड़ी देर बाद मैने काजल के बूब्स को चूस-चूस कर लाल कर दिया और फिर उसे गोद मे उठा कर पूल के किनारे आ गया....

मैं जैसे ही पूल के किनारे पर बैठा तो काजल मेरा इशारा समझ गई और मेरा शॉर्ट्स निकाल कर मेरे लंड को सहलाने लगी......
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06-08-2017, 11:12 AM,
RE: चूतो का समुंदर
काजल- हमम्म..सो गुड...अब समझ आया ...

मैं- क्या समझ लिया...

काजल- कुछ नही...मुझे टेस्ट करने दो...

और काजल ने झुक कर किसी एक्सपर्ट रंडी की तरह लंड का सुपाडा मुँह मे भर के चूसना सुरू कर दिया....
मैं- ओह..काजल....उउउंम्म ...

काजल- सस्स्रररुउउप्प्प...सस्रररुउउप्प्प...उूुुउउम्म्म्म...सस्स्रररुउप्प्प....उउउंम्म...

काजल ने कुछ देर तक सुपाडे को चूमा चाटा और फिर आधा लंड मुँह मे भर लिया और मस्ती मे चूसने लगी....

काजल- उूुुउउम्म्म्म...सस्स्सल्ल्लूउउप्प्प्प...स्स्सल्ल्लूउउउप्प्प्प...स्स्सल्ल्लूउउप्प्प्प...उूउउम्म्म्म...

मैं- ओह यस...कम ऑन....एससस्स....

काजल- स्स्सल्लूउप्प्प्प...स्स्सल्लुउउप्प्प्प...उउउंम...उउउंम्म..उूउउम्म्म्म....

मैं- यस....और तेज....अंदर लो...आअहह...फास्ट....फास्ट....आअहह...

काजल- उउउंम्म...उूउउम्म्म्मम...उूउउंम्म...उूउउम्म्म्म...

मैं- यस...लाइक दट....यस...टेक इट...ईएहह....

काजल ने मेरे लंड को अच्छी तरह से चूस कर रेडी कर दिया था....अब मुझे उसकी चिकनी चूत की तलब होने लगी थी...

मैने काजल को रोक कर उसे किनारे पर लिटाया और उसकी पैंटी निकाल के फेक दी...अब उसकी चूत मेरे सामने थी..जो गरम हो कर पानी निकाल रही थी...

मैं- हम्म..रसीली चूत...

काजल चुप रही और शरमा गई..पर अपनी टांगे खोल कर चूत मेरे हवाले कर दी...

मैने देर ना करते हुए झुक कर काजल की चूत पर जीभ फिरा दी.....

मैं- सस्स्रर्र्र्र्रप्प्प्प.....ह्म..टेस्टी...

काजल- आअहह....

फिर मैने मुँह लगा कर चूत चुसाइ सुरू कर दी.....
मैं- सस्रररुउउप्प्प...सस्स्रररुउउप्प्प...सस्स्रररुउउप्प्प्प...

काजल- ओह मा...आहह....अंकित..उउउंम्म...

मैं- सस्स्रररुउउप्प...सस्स्रररुउउप्प्प्प...सस्स्रररुउउ..आआहह....सस्स्रररुउउप्प्प्प...सस्स्रररुउुउउप्प्प्प...सस्स्र्र्ररुउउउप्प्प...आअहह....

काजल- उउउफफफफ्फ़...माअस...आअहह...आअहब...उउउंम्म...ऊहह..माआ....उउउंम्म...उउंम्म...

धीरे-धीरे काजल चूत चुस्वा कर मस्त हो गई थी...उसकी आवाज़े भी बढ़ने लगी थी...

मैं- सस्स्रररुउउप्प्प्प.....सस्स्रररुउउप्प्प्प....सस्स्रररुउउप्प्प्प....सस्स्रररुउउप्प्प्प....

काजल- ऊहह...आअहह...आअहह...हहा....चूसो...आजहह...मज़ा आ गया...आहह...आअहह

अब काजल पूरे मज़े से चूत चुस्वा रही थी और अपनी गान्ड आगे कर के चूत को मेरे मुँह मे लगाने लगी....

काजल- अओउंम..तुम सच......आओउउउंम..ऊहह...ऊहह....

मैं- सस्स्रररुउउउप्प्प्प....सस्स्रररुउउप्प्प...सस्स्रररुउउप्प्प...उउउंम्म..

थोड़ी देर की चूत चुसाइ के बाद काजल मज़े मे झड़ने लगी....

काजल- ओह्ह..मैं..आअहह...आऐईयइ...उउंम...उउउंम...आआहह...

मैं प्यार से काजल का चूत रस चूस कर पी लिया और फिर खड़ा हो गया...

मैं- ह्म...मज़ेदार चूत है....अब ज़रा गान्ड भी दिखा दो....

असल मे, मैं काजल की गान्ड मारना चाहता था....

मैने काजल को घुमा कर कुतिया बनाया और उसने अपने चूतड़ फैला कर गान्ड पेश कर दी....

मैने भी देर नही की और काजल की गान्ड को सहलाने लगा....

मैं- आज तो ये गान्ड मेरा लंड खाएगी....क्यो काजल....

काजल- गिफ्ट है आपका....जैसे चाहो यूज़ करो...

मैने झुक कर काजल की गान्ड पर जीभ फिरा दी और फिर गान्ड के फाको को हाथ से फैला कर....जीच से गान्ड चुदाई करने लगा....

काजल- ओह माइ गॉड...अंकित...नही...आआहह....ओह गूदडद....

मैं- उउउंम...उउउंम...सस्स्रररुउउप्प्प ...उउउंम्म...

काजल- आअहह...अंकित....मेरी जान लोगे क्या....आआहह.......

मैं- उउंम्म...उउउम्म्म्म...उूउउंम्म...उूउउम्म्म्म.....

काजल- आअहह.....अंकित....मज़ा आ गया....करते रहो...ऊओह...माआ...

थोड़ी देर की गान्ड चुसाइ से काजल पूरी गरम हो गई और अपनी गान्ड को पीछे धकेलने लगी. .

मैने चुसाइ बंद की और लंड पर थूक लगा कर काजल की गान्ड पर सेट कर दिया....

मैं- रेडी हो ...

काजल- हमम्म..आआईयईईईईईई.....म्माआ.....

काजल के बोलने से पहले ही मैने एक शॉट मारा और आधा लंड काजल की गान्ड मे घुस गया.....
काजल- आअहह....फाड़ दी यार....आआईयईईईई....

मैं- अभी कहाँ....ये लो...

और दूसरा शॉट मारते ही लंड पूरा गान्ड मे समा गया...और काजल के आँसू निकल पड़े....

काजल- आआईयइ.....माआ...मार डाला...

मैं- चिल्ला मत...वरना तेरी माँ भी गान्ड मरवाने आ जाएगी....

फिर मैने काजल की कमर पकड़ के धीरे-धीरे गान्ड चुदाई सुरू कर दी....

काजल थोड़ी देर तड़पति रही और फिर उसे मज़ा आने लगा....

काजल- अंकित...आअहह...ज़ोर से करो...येस्स...

और मैने काजल की कमर पकड़ कर ज़ोर से गान्ड मारना सुरू कर दिया....
मैं- काजल...मज़ा आ रहा है ना...

काजल- आहह…हाअ.…आहह…दूओ..आहह….आहह...एस्स...एससस्स....

मैं- ये लो…यीहह....ईएहह

काजल- अहहह....आहह...आईसीई..हहीी...आहह......माअर्ररूव....माअर्ररूव...ज़ोर से...आहह...ज्ज्ज्ज्ूओर्रर्र..ससीए ....

मेरी जंघे काजल की गान्ड पर टकरा कर थपका मार रही थी....और कजर भी लंबी-लंबी सिसकिया छोड़ रही थी....जिससे चुदाई की आवाज़ गूज़्ने लगी थी...

थोड़ी देर बाद मैने काजल को खड़ा कर के एक पट्टी के सहारे झुका दिया और तेज़ी से गान्ड मारने लगा ....
काजल- आअहह..आहह..आहह..आहब...आहह...आहह...

मैं- यह..एस्स...एस्स...एस्स..ईएसस...

काजल-ज़ोर से...ऐसे ही...आहह...आहह.आहह..आहह..

काजल गान्ड मरवाते हुए पूरी गरम हो गई थी...और अपनी चूत को ज़ोर-ज़ोर से मसल्ने लगी....

काजल- आअहह...यस अंकित....ज़ोर से...उउउम्म्म्म...एस...एसस्स्स्सस्स....

मैं- हाँ मेरी जान..ये लो...और ज़ोर से लो...यीहह...

काजल- उउंम..उउंम्म..आअहह...आअहह. ..

थोड़ी देर की जोरदार चुदाई के बाद काजल फिर से झड गई...

काजल- आहह..आहह.....मैं..गई...आअहह...आआअम्म्म्मममिईीईईई......

काजल के झड़ने के बाद भी मैं तेज़ी से उसकी गान्ड मारता रहा और आवाज़े बदलने लगी...

आअहह…..स्शहहह..आहह…त्ततहुूप्प्प…कचहुप्प्प…..ईएहहाअ…आहह…त्ततहुूप्प्प…त्ततहुूप्प्प….फ़फफूूककचह…फ़फफूूककच
….ऊओ…ईीस्स…यईीसस…आअहह….ऊओ……फफफफकक्चाआप्प्प….त्त्त्तुउउप्प…आहह....

जब काजल झड कर पस्त पड़ गई तो मैने उसे नीचे बैठया और उसके मुँह मे लंड डाल दिया....

मैं- आअहह..अब मेरा रस पी चख ले...

काजल ने जल्दी से लंड को चूसना सुरू कर दिया...

तभी मैने देखा कि दामिनी की नर्स और नौकरानी हमारी तरफ चले आ रहे है...और मुझे काजल के साथ देख कर रुक गये...

मैने तुरंत काजल का सिर पकड़ा और उसका मुँह ज़ोर से चोदने लगा...और सामने खड़ी नर्स और नौकरानी को स्माइल दे दी.....

यहाँ मेरा लंड काजल के मुँह मे अंदर-बाहर हो रहा था और वहाँ वो दोनो ये सीन देख कर मुँह फाडे खड़ी हुई थी ..

थोड़ी देर बाद मैं काजल के मुँह मे झड गया और काजल से लंड सॉफ करवा कर वहाँ से निकल आया...काजल वही पड़ी रेस्ट करने लगी.....

जब मैं वहाँ से निकला तो नर्स और नौकरानी को स्माइल करके चोदने का इशारा कर दिया...इस पर दोनो एक दूसरे को आँखे फाडे देखती रही और मैं मुस्कुराता हुआ घर निकल आया......

काजल की चुदाई याद कर के मेरा मूड कुछ ठीक हो चुका था...

फिर मैने शीला से हुई मुलाक़ात और उसके साथ किए डॅन्स को याद करना सुरू किया और याद करते हुए नीद की आगोश मे चला गया.....
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06-08-2017, 11:12 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सुबह जब मेरी आँख खुली तो सविता मुझे जगा रही थी...

और जागते ही सविता ने बोला की मेघा जिम करने आई है...तो मैं चौंक गया...और थोड़ा गुस्सा भी हो गया....

मैं- ह्म्म ..तुम उससे बोलो कि वो सुरू करे...मैं रेडी हो कर आता हूँ...

फिर मैं रेडी हुआ और जान-भुज कर जिम मे लेट गया....

जिम मे जाते ही मेघा की नज़र मुझ पर पड़ी और वो लगभग भागते हुए मेरे पास आ गई....

मेघा- अंकित...मैं..

मैं(बीच मे)- पहले जिम कर लो...फिर बात करेंगे...

मेघा मेरी आँखो मे उमड़ रहे गुस्से को समझ गई और वापिस से अपने काम मे लग गई...

और दूसरी तरफ मैं सोचने लगा कि इस साली को कैसे सबक सिखाऊ...

थोड़ी देर तक मेघा वॉर्म अप करती रही...फिर मैं भी उसके पास पहुँच गया...

मैं- चलो तुम्हे कुछ सिखा दूं..

मेघा(चुप रही ..बस सिर हिला कर हाँ कह दिया)

मैं- तुम आज लेट कर साइकलिंग करो...वो ईज़ी भी रहेगा और अच्छा भी होता है ...

मेघा ने ठीक वैसा ही किया....वो लेट कर साइकलिंग करने लगी और मैं उसके पैरो की तरफ चेयर डाल कर बैठ गया...और उसको देखते हुए आँखे सेकने लगा....

जब मेघा के पैर उपेर नीचे होते तो उसकी मोटी जाघो के बीच फसि चूत भी रगड़ खाती और यही नज़ारा देख कर मैं खुश था...पर साथ मे मेघा को सबक सिखाने का भी सोच रहा था....

कुछ देर बाद मैने सोच लिया कि मेघा को कम से कम 3 घंटे तक कसकर साइकिलिंग करवाउन्गा...और सिड्यूस करूगा....मान गई तो साली की ऐसी गान्ड मरूगा कि 2-3 दिन तक बेड से भी नही उठ पायगी....और यही होगी मुझसे बदतमीज़ी करने की सज़ा....

पर थोड़ी ही देर मे मेरे सारे प्लान पर पानी फिर गया....जब डॅड जिम मे आ गये .....

डॅड के आते ही मेघा ने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया...शायद डॅड से शरमा रही थी....

और डॅड ने मुझे अपने साथ ऑफीस चलने का ऑर्डर दे दिया....

मैं भी क्या करता...डॅड की बात तो माननी ही थी...तो मैने मेघा को कुछ स्टेप बताए और निकल गया.....ये सोच कर कि मेघा को कल सज़ा दे दूँगा....

फिर मैं मेघा को जिम मे छोड़ कर रेडी हुआ और डॅड के साथ ऑफीस निकल गया ....सुजाता भी हमारे साथ ही थी...


जब हम पहुँचे तो मेरा सामना सोनी से हो गया...मुझे देख कर ही उसके माथे पर परेशानी उभर उठी...

सोनी ने डॅड को विश किया और जब मेरे पास आया तो लगभग गिडगिडाते हुए मुझे विश करने लगा....

मैं- और सोनी जी..कैसे है आप...

सोनी- टीटी..ठीक हूँ सर...

मैं- और आपकी वाइफ...वो कैसी है...

सोनी(सहमा हुआ)- वो भी ठीक है...

मैं- ह्म्म...आज मुझे ऑफीस मे रुकना होगा...एक काम करो..अपनी वाइफ को बुला तो...भूख मिटा लूँगा...

सोनी(हैरानी से)- जी..??

मैं(मुस्कुरा कर)- अरे..मतलब लंच पर बुला लीजिए...काफ़ी टाइम से मिला नही तो मिल लूँगा...ओके ...

और सोनी के कुछ कहने से पहले मैं उसका कंधा थपथपा कर मुस्कुराते हुए डॅड और सुजाता के साथ डॅड के कॅबिन की तरफ चल दिया...और सोनी अपनी किस्मत पर सिर पीट ते हुए सिर झुकाए खड़ा रहा.......
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06-08-2017, 11:12 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अकरम के घर..........

अकरम जाग चुका था...पर अभी भी बेड पर डाला हुआ किसी ख़यालो मे खोया हुआ था.....

अकरम को अंकित की बताई एक -एक बात परेशान कर के रखे हुई थी....

उसका दिल और दिमाग़ उन बातों को सुन कर एक-दूसरे के खिलाफ हो चुका था.....

एक तरफ उसका दिमाग़ कह रहा था कि अगर आज़ाद ने उसकी फॅमिली को जला दिया तो आज़ाद की फॅमिली को उसकी सज़ा मिलनी चाहिए....वो चाहे कोई भी हो...अंकित या अंकित के डॅड...सज़ा सबको मिलना चाहिए....

दूसरी तरफ उसका दिल ये सोचने की मनाही कर रहा था...

दिल कह रहा था कि अगर अंकित ने तुझ पर भरोशा कर के सब सच बताया है तो उसका साथ दे...उसके साथ मिलकर सच्चाई की जड़ तक पहुँच और फिर उसे सज़ा दे जो वाकई मे ग़लत है....

अकरम काफ़ी देर बेड पर पड़ा हुआ दिल और दिमाग़ की कस्मकस मे फसा रहा...जब तक की उसकी माँ नही आ गई....

सबनब- अकरम...जाग गया...चल तेरे डॅड जाने वाले है...तुझे बुला रहे है...

अकरम- क्या...डॅड जा रहे है..पर अचानक क्यो...वो अभी तो आए थे...

सबनम- पता नही..कोई काम होगा...तू खुद पूछ ले...

अकरम- ह्म्म..मुझे ही पूछना पड़ेगा...बहुत कुछ पूछना है उनसे..

सबनम- क्या...

अकरम- वो..कुछ नही...बस यही कि कब आओगे...और मुझे कॅंप पर जाना है ना...उसका भी पूछना था...

सबनम- ह्म्म..चल आ जा...

थोड़ी देर बाद...हॉल मे....नाश्ता करते हुए.....

अकरम- वैसे डॅड....आप कब तक आ जाएँगे....

वसीम- बस...1-2 दिन मे...फिर कुछ दिन रुक कर दुबई निकलूंगा....

अकरम- ह्म्म..अच्छा डॅड..एक बात बताइए....मेरे दादाजी का नाम क्या था...

अकरम के मुँह से ये सवाल सुन कर वसीम खाते हुए रुक गया और सबनम को देखने लगा...सबनम भी वसीम को उसी तरह देख रही थी...


अकरम ने दोनो के रियेक्शन नोटीस किए और फिर से स्वाल दागा...

अकरम- डॅड...दादाजी का नाम...

वसीम- हुह...हाँ..वो उनका नाम...सरफ़राज़ था...

अकरम(मन मे)- अगर अंकित की बात सही है तो सरफ़राज़ तो आप ही हो....गुड...पहले ही सवाल ने शक को बढ़ा दिया....

वसीम- क्यो..आज अचानक दादाजी की याद कैसे आ गई...

अकरम- कुछ नही..ऐसे ही...एक सपना देखा कि मैं दादाजी और आप साथ मे खाना खा रहे है...तो बस...पूछ लिया...

वसीम- ह्म्म..काश ऐसा होता बेटा...पर ये मुमकिन नही...

अकरम- हाँ डॅड..जानता हूँ...वैसे डॅड...मेरी दादी का नाम क्या था...

वसीम- उनका नाम...ह्म्म..हीना बानो...

अकरम- अच्छा...और आपके भाई-बेहन...

वसीम- मैं अकेला था...पर अब ये सवाल बंद करो...मैं निकलता हूँ...लेट हो रहा है...

वसीम ने पानी पिया और घबराया हुआ सा जल्दी ने बाइ बोल कर निकल गया...

अकरम(मन मे)- ये क्या डॅड...आपने झूट क्यो बोला...आपके झूठ से मेरे शक को और हवा मिल गई...अब मुझे सच पता करना ही होगा.....आंड आइ होप कि मेरा शक ग़लत साबित हो जाए....

फिर अकरम ने वही सवाल अपनी माँ से किए और सबनम भी जवाब देते हुए हड़बड़ा सी रही थी...इससे अकरम का शक और भी मजबूत हो गया...उसने अंदाज़ा लगा लिया कि उसकी माँ भी काफ़ी कुछ छिपाए बैठी है...

नाश्ता कर ने के बाद सबनम अपने रूम मे आ गई...और अकरम के सवालो के बारे मे सोच कर परेशान हो रही थी कि थोड़ी देर मे अकरम भी आ गया....

अकरम- मोम...

सबनम(चौंक कर)- ह्ह्ह..हाँ...अकरम...क्या हुआ बेटा...

अकरम- कुछ नही...आक्च्युयली मुझे डॅड का इनकम सर्टिफिकेट चाहिए था...

सबनम- ये क्या होता है बेटा...(सबनम ज़्यादा पढ़ी हुई नही थी...)

अकरम- कुछ क्या नही...इससे ये पता चलता है कि डॅड की इनकम कितनी है...

सबनम- पर तुझे वो क्यो चाहिए...हाँ...

अकरम- अरे मोम..मैं कॅंप मे जा रहा हूँ ना...तो वहाँ दिखाना पड़ता है...सबको...जिससे ये होता है कि जिन लोगो के घर की इनकम कम है...उन्हे सरकार की तरफ से पैसे मिलेगे...अब समझी...

सबनम- ओह्ह...पर मुझे क्या पता कि वो कहाँ है..तेरे डॅड से पूछ ले....रुक मैं फ़ोन लगाती हूँ...

अकरम- न..नही-नही...आप रहने दो...मैं लगाता हूँ...

फिर अकरम ने झूठा कॉल किया और डॅड से बात करने का नाटक करने लगा...

अकरम- हाँ..अककचा...आपके रूम मे देखु...ओके...मैं देख लूँगा...

फिर अकरम अपनी मोम को बोल कर वसीम के रूम मे पहुँच गया....

रूम मे आ कर अकरम ने पूरे रूम का जायज़ा लिया..उसे वहाँ कोई भी ऐसी चीज़ नही दिखी..जिससे उसे कोई शक हो..

फिर वो रूम मे रखी अलमारी को देखने लगा...पर उसमे उसे कुछ खास नही मिला...ऐसा कुछ नही था जो अकरम के शक को हवा दे...

अकरम- यहाँ तो कुछ भी नही..जो डॅड को सरफ़राज़ साबित करता हो...अब कहाँ देखु...साला वक़्त भी तो कम है...2 दिन मे डॅड आ जाएँगे..और फिर मोम को शक हो गया और उन्होने डॅड को कॉल कर दिया तो...

क्या करूँ...ये टाइम भी ना...कितने बज गये...??

और अकरम ने अलमारी के उपेर रखी घड़ी की तरफ देखा और टाइम देखते हुए उसके मन मे एक पुरानी घटना ताज़ा हो गई.....



कुछ साल पहले............

अकरम- हाई डॅड...मेरी अलार्म घड़ी खराब हो गई....आप मुझे अपनी घड़ी दे दो ना....

वसीम- मेरी घड़ी..पर मेरे पास तो नही है. .और ये बता कि तुझे अलार्म की क्या ज़रूरत पड़ गई....

अकरम- अरे डॅड...मुझे सुबह रन्निंग के लिए जागना है..भूल गये क्या...रन्निंग करूगा तभी तो मैं सीबीआइ ऑफीसर बनाउन्गा ...हैं ना...

वसीम- हाहाहा...ओके बाबा....समझ गया...पर मेरे पास घड़ी नही है...अपनी दीदी से ले ले...जा..

अकरम मुड़ता उसके पहले उसकी नज़र अलमारी पर रखी घड़ी पर पड़ गई...

अकरम- डॅड..आपने झूठ क्यो बोला...वो रही घड़ी..मैं वो ले जाता हूँ...

अकरम घड़ी की तरफ बढ़ा पर उसके पहुँचने के पहले ही वसीम तेज़ी से वहाँ पहुँच गया और गुस्से मे बोला...

वसीम- नही...इस घड़ी को हाथ मत लगाना..कभी भी...

अकरम- डॅड..दे दो ना...

वसीम(गुस्से मे आँख दिखा कर)- बोला ना नही...इसे कभी छुने की कोसिस भी मत करना...अब जा यहाँ से वरना मार खाएगा ...

अकरम अपने डॅड का गुस्सा देख कर दर गया और उदास हो कर वहाँ से निकल आया...
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06-08-2017, 11:13 AM,
RE: चूतो का समुंदर
प्रेज़ेंट मे.........

अकरम- डॅड ने उस टाइम इस घड़ी को छुने नही दिया था...और आज भी ये घड़ी उसी जगह पर , उसी तरह रखी हुई है...ऐसा क्या खास है इस घड़ी मे...लाइए इसे उठा कर देखु....देख ही लेता हूँ..शायद मेरे काम का कुछ मिल जाए...

अकरम ने जल्दी से जा कर अलमारी पर रखी घड़ी उठाई...

घड़ी उठाते ही अकरम को एक धक्का लगा...ये धक्का अलमारी से लगा था...

घड़ी उठाते ही अलमारी घूम गई और और देखते ही देखते घूमते हुए आधे रास्ते मे रुक गई...

अकरम ने देखा कि अलमारी हटने से उसके पीछे एक गेट नज़र आने लगा....

अकरम- ये क्या...अलमारी के पीछे गेट...इसमे क्या है...

अकरम ने उठ कर गेट खोलने की कोसिस की पर गेट मे हॅंडल के अलावा कुछ नही था..मतलब लॉक जैसा कुछ नही था...

अकरम- अब ये क्या है...गेट है पर लॉक नही...पर ये खुलता तो ज़रूर होगा..पर कैसे...

काफ़ी देर तक अकरम ने गेट का निरीक्षण किया पर उसे ऐसा कुछ नही मिला जिससे गेट खोला जा सके...

अकरम परेशान होकर गेट पर हाथ मारते हुए इधर-उधर देख रहा था...

तभी उसकी नज़र उस गेट के उपेर की तरफ दीवार पर लटकी फोटो पर पड़ी...ये वसीम ख़ान की ही फोटो थी...

पर इसका फ्रेम टेडा हो गया था...जबकि अलमारी हटने के पहले सीधा था...

अकरम- क्या ये इतना आसान है...कितना मैं सोच रहा हूँ...

अकरम ने पंजो पर खड़े होकर फोटो को सीधा किया तो एक गुऊर्र की आवाज़ के साथ गेट खुल गया...पर आवाज़ सुनते ही अकरम पीछे हुआ और हड़बड़ाहट मे बेड पर गिर गया....

बेड पर गिरते ही अकरम की नज़र अलमारी के पीछे वाले गेट पर पड़ी...अब वो खुल चुका था....

अकरम(मन मे)- ये तो बिल्कुल फ़िल्मो की तरह एक ख़ुफ़िया रास्ता है....पर डॅड को इसकी क्या ज़रूरत पड़ गई...

क्या मेरा शक सही है...क्या डॅड ही सरफ़राज़ है..क्या अंकित की सारी बाते सच है....

सवाल कई है...और शायद मेरे सवालो के जवाब इस दरवाज़े के उस पार छिपे हुए है....

ये दरवाज़ा अकरम के सवालो के जवाब देगा या कुछ नये सवाल खड़े कर देगा....???????????????


अकरम खड़ा हुआ सामने खुला दरवाजा देख रहा था...और सोच रहा था कि उसे उस दरवाज़े के पास जाना चाहिए कि नही....

अकरम का दिमाग़ इस वक़्त डर , उत्सुकता, बैचेनी, और जिग्यासा से भरा हुआ था....

कभी वो सोचता कि पहले इसके बारे मे अंकित से बात करे...तो कभी सोचता कि अपनी मोम को सब बता दे...कभी उसे लगता कि सबसे छिप कर इसके अंदर जाए...तो कभी सोचता कि क्यो ना अपने डॅड से इस बारे मे खुल कर बात कर ले....

अकरम काफ़ी देर तक खड़ा हुआ सोचता रहा और फिर उसने अकेले अंदर जाने का डिसाइड किया...बिना किसी को बताए....

अकरम जल्दी से उस रूम का गेट लॉक कर आया और दरवाजे के पास पहुँचा...

दरवाज़े के उस पार कुछ नही था...बस नीचे की तरफ जाती हुई सीडीयाँ थी....

अकरम- उफ्फ...ठीक है...जो होगा देखा जायगा...अब नीचे जा कर ही कुछ सोचुगा....

अकरम ने अपने आप से कहा और मोबाइल की टॉर्च जला कर नीचे जाने लगा....

जब वो लास्ट की सीधी उतरा और ज़मीन पर पैर रखा तो वहाँ उजाला हो गया....वहाँ लगी सारी लाइट्स जलने लगी...

सीढ़िए घुमावदार थी...और इस वक़्त अकरम उपेर वाले रूम के ठीक सामने खड़ा था...मतलब नीचे...रूम के नीचे रूम...

अकरम ने उस रूम के चारो तरफ नज़रे दौड़ाई तो उसका माथा ठनक गया....

रूम की दीवाल के तीन तरफ...हर दीवाल पर कुछ मॅप्स जैसे बने हुए थे...और साथ मे पिक्स लगी हुई थी....

अकरम- ये तो साला फ़िल्मो से भी बढ़ कर है....आख़िर है क्या है...

अकरम जैसे ही आगे बढ़ा तो वो लाइट ऑफ हो गई और अचानक से एक कंप्यूटर जैसी स्क्रीन अकरम के सामने झूलने लगी...जो उपेर छत से कनेक्टेड थी...

अकरम ने ध्यान से उस स्क्रीन को देखा तो उस पर पासवर्ड लिखा था...और टाइप करने के लिए अल्फ़ाबेट कीबोर्ड जैसा दिया हुआ था....

पासवर्ड सिर्फ़ 4 वर्ड का फिल करना था...

अकरम- पासवर्ड...पर मुझे तो पता ही नही...अब...ह्म्म...कुछ सोचना तो पड़ेगा....

पर साला ये पासवर्ड की ज़रूरत क्यो पड़ी...ऐसा भी क्या है यहा जो पासवर्ड सेट कर दिया....

क्या ये उससे भी बड़ा सच है जो अंकित और मैं सोच रहे है....ह्म्म..कुछ तो ऐसा है जो दाद दुनिया के हर साक्ष् से छिपाना चाहते है...फॅमिली से भी...

पर अभी ये क्या सोचना....मुझे पास्वोर्ड के बारे मे सोचना चाहिए....

अकरम कुछ देर तक सोचता रहा पर उसे कुछ समझ नही आ रहा था...उपर से उसमे नोट लिखा था की ""यू हॅव ओन्ली 3 ट्राइ लेफ्ट""

अकरम- क्या यार...मुझे सीबीआइ मे जाना है...और इतना भी नही सोच पा रहा...सोच भाई...कुछ तो सोच...

अकरम ने अपने आपसे कहा और कुछ सोच कर उसके चेहरे पर खुशी छलक उठी...

अकरम- ये हो सकता है...आमिर...यस...

अकरम ने पासवर्ड फीड किया और खुश हो गया....पर अगले ही पर उसके चेहरे की खुशी गायब हो गई...जब उसने सामने लिखा मसेज पढ़ा...

""यू हॅव ओन्ली 2 ट्राइ लेफ्ट....""

अकरम- शिट....ये तो ग़लत है...अब क्या....जल्दबाज़ी मे 2 ट्राइ और निकल जाएँगे...थोड़ा ठंडे दिमाग़ से सोचता हूँ....

डॅड की लाइफ मे उनकी फॅमिली ही सब कुछ है....और डॅड कोई इंटेलिजेन्स डिपार्टेमेंट मे तो है नही जो कोई अलग पासवर्ड डालेगे...हो ना हो ..कोई नाम ही होगा...किसी चहेते का...पर 4 वर्ड मे कौन...आमिर...वो तो ग़लत निकला...तो फिर..हाँ..जूही..वो डॅड की लड़ली है...4 वॉर्फ..देखता हूँ...जूही...अब क्या आता है....

""यू हॅव ओन्ली लास्ट ट्राइ लेफ्ट...""

अकरम- शिट...शिट...शिट...ये भी ग़लत...ओह गॉड...अब क्या करूँ...

और अकरम सिर पकड़ कर वही बैठ जाता है और अपनी कॅल्क्युलेशन करने लगता है कि आख़िर पास्वोर्ड क्या हो सकता है....
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06-08-2017, 11:13 AM,
RE: चूतो का समुंदर
कामिनी के घर.........


काजल जाग कर कामिनी के रूम मे पहुँची और अपनी कातिल मुस्कुराहट के साथ कामिनी को विश किया .....

काजल- गुड मॉर्निंग मोम....

कामिनी- मॉर्निंग....बेटा इट्स आफ्टरनून...समझी...

काजल- ऊप्स...याद नही रहा...गुड'आफ्टरनून मोम...

कामिनी- वो तो ठीक है..पर तू इतनी देर तक क्यो सोती रही...हाँ...

काजल(मन मे)- क्या बताऊ मोम...कल अंकित ने ऐसी गान्ड मारी कि उसकी टीस सारी रात उठती रही....

कामिनी- बोल ना...कल क्या दारू पी ली थी...ह्म्म..

काजल- वो..मोम..हाँ...कल 2-3 पेग मार लिए थे....

कामिनी- अच्छा...पर तू तो ऐसे पीती नही...तो फिर...

काजल- अरे मोम..कल पी ली थी थोड़ी...बस ड्रिंक का असर हो गया तो सोती रही....

कामिनी- अच्छा...कौन से ड्रिंक का...कहीं वो तो नही जो अंकित ने पिलाया था...

कामिनी की बात सुन कर काजल की गान्ड फट गई...वो कामिनी को आख फाड़ कर देख रही थी...पर मुँह से कोई शब्द नही निकला....

कामिनी- क्या हुआ ...अब क्यो चुप हो गई...

काजल ने अपनी गर्दन झुका ली...

काजल- सॉरी मोम...

कामिनी- सॉरी...अरे तूने ऐसा किया ही क्यो...क्या तू हवसी हो गई है...या फिर...

कामिनी बोलते-बोलते रुक गई और गुस्से मे काजल को घूर्ने लगी...

कामिनी- अब बोल...चुप क्यो है...क्या ज़रूरत थी...

काजल- आपने ही तो कहा था कि अंकित को जाल मे फसाओ...और आप जानती ही है कि अंकित को सेक्स की भूख होती है..तो ये सबसे ईज़ी तरीका था....

कामिनी(सिर पकड़ कर)- ओह्ह्ह..मैं तो तुझे बताना भूल ही गई ...अब इसकी ज़रूरत नही...हमे अंकित के खिलाफ कुछ नही करना...

काजल(शॉक्ड)- क्या...पर क्यो...आपने तो कहा था कि...

कामिनी(बीच मे)- यहाँ बैठो..सब बताती हूँ...

काजल- जी...बोलिए...

और फिर काजल ने उस दिन की सारी बात बता दी जिस दिन कमल और दामिनी की सच्चाई अंकित ने सबके सामने रखी थी...वहाँ काजल भी थी पर बेहोश थी...

सब कुछ सुनने के बाद काजल की आँखे नम हो गई...

काजल- मोम...ये आपने पहले क्यो नही बताया...

कामिनी- सॉरी बेटा...याद ही नही रहा...पर अब से अंकित के खिलाफ कुछ नही ..वो सेक्स के मामले मे थोड़ा कमीना है...पर दिल का अच्छा है...

काजल- ह्म्म...पर जो हो गया..उसका क्या..

कामिनी- मतलब....

काजल- मतलब ये कि अब मेरा मन अंकित के साथ...आप समझ गई ना...

कामिनी(मुस्कुरा कर)- क्यो नही...बेटी किसकी है...मेरा भी मन उसके साथ...

और कामिनी शरमा गई...

काजल- ओह हो...तब तो मैं अपनी मोम को अंकित के साथ देखना चाहुगी...वो भी अपने साथ...

कामिनी- तू तो...अरे हां...आगे से थोड़ा ध्यान रखना ...तुझे पता...वो नर्स और नौकरानी ने तुझे देखा था...वो बात कर रहे थे तो मुझे पता चला...

काजल - ओके मोम...अगली बार आपके सामने करेंगे...और आपकी प्यास भी भुजा दूगी...ठीक है...

फिर कामिनी कुछ नही बोली बस शरमा गई और काजल ने कामिनी को गले लगा कर किस किया और वहाँ से निकल गई.......
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06-08-2017, 11:13 AM,
RE: चूतो का समुंदर
आकाश के ऑफीस मे........


आकाश के कॅबिन मे आकाश , अंकित , सुजाता और उनका वकील बैठा हुआ था....

अंकित- तो डॅड...आप किस काम के लिए मुझे लाए है...

आकाश- बेटा वो...असल मे...

सुजाता(आकाश को घूर कर)- असल मे बेटा...तेरे डॅड ने ये डिसाइड किया है कि अपने सारे ऑफिसस बंद कर के एक नई कंपनी खोली जाए ...तो उसी के पेपर्स है...अब सब तुम्हारे नाम है तो तुम्हारे साइन तो लगेगे ही...

मैं- ह्म्म..पर इसकी ज़रूरत क्या है...हमारा काम तो मस्त चल रहा है...क्यो डॅड...

सुजाता(गुस्से को कंट्रोल कर के)- अरे बेटा...आज कल सब आगे ही बढ़ते है...हम क्यो नही...

मैं- हम..ह्म..

सुजाता- मतलब तुम और तुम्हारे डॅड...

मैं- ह्म्म..तो न्यू कंपनी क्या है...

सुजाता- असल मे बेटा...वो कोई कंपनी नही...तुम्हारे डॅड सब बेचकर मार्केट मे पैसा लगाना चाहते है...उसमे बड़ा फ़ायदा है...

मैं- ओह..मतलब कोई कंपनी नही...कोई ऑफीस नही ...कोई एंप्लायी नही...

सुजाता - हाँ..ठीक समझे...इससे खर्च भी नही होगा..और मार्केट से आने वाला सारा प्रॉफिट अपना...

मैं- अपना मतलब मेरा ना...क्यो...

सुजाता- ह्म..वही ...तो लो बेटा साइन करो...

मैं- नही....ये नही हो सकता...मुझे ये पसंद नही...

सुजाता- पर क्यो...

मैं- पहली बात ये..कि मेरे एंप्लायीस को मैं बेरोज़गार नही कर सकता ...और दूसरी बात...

और मैं चुप हो गया....

सुजाता- दूसरी बात क्या है...

मैं(खड़ा हो कर सुजाता को घूरते हुए)- दूसरी बात ये...कि आप मेरे फॅमिली मॅटर मे घुसने की कोसिस मत करना...आइन्दा याद रहे...चलिए आप बाहर वेट करो..मुझे डॅड से कुछ बात करनी है..अकेले मे...

सुजाता मेरा गुस्सा देख कर चुपचाप बाहर निकल गई और मैने वकील को भी निकाल दिया...और डॅड से बाते करने लगा.....

आकाश- बेटा...और कब तक....

मैं- बस डॅड...कुछ दिन और...थोड़ा और झेल लीजिए प्ल्ज़्ज़...ट्रस्ट मी...

आकाश- ह्म्म..तुझ पर तो अपने आप से ज़्यादा भरोशा है...पर इसका कुछ करो..जल्दी...

मैं- उसका काम हो जायगा...आप मेरी बात सुनिए....

और मैं डॅड से कुछ बातें करने लगा......


अकरम के घर...........


अकरम ने काफ़ी देर माथापच्ची कर के 4 अल्फाबेट सेलेक्ट किए और पास्वोर्ड की जगह फीड किए....

"" एएएएस""

अकरम- यस...काम हो गया..उउंम..सबाश अकरम....तू सीबीआइ ऑफीसर ज़रूर बनेगा...येस्स्स...

पासवर्ड मॅच होते ही फिर से रूम की लाइट ऑन हो गई और दीवार पर लगी पिक्स न्ड मॅप्स टाइप पेपर्स अकरम की आँखो मे चमकने लगे....

अकरम जल्दी से आगे बढ़ा और एक पिक पर उसकी नज़र अटक गई...वो एक पति-पत्नी की पिक थी और पिक के नीचे उनकी डीटेल लिखी थी...

डीटेल पढ़ते ही अकरम को लगभग चक्कर आ गया और वह धीरे से ज़मीन पर घुटनो पर बैठ गया...

अकरम- ये सब...क्या ये सच है...नही...ये सच नही हो सकता..नही हो सकताआआअ .......

अकरम अपनी आँखो से जो देख और पढ़ रहा था ...उसे उस पर यकीन नही आ रहा था...इसलिए उसने कई बार पिक की डीटेल पड़ी...

फिर भी उसका मन नही भरा और वो खड़ा हो कर पिक को करीब से देख कर पढ़ने लगा...

""मिस्टर & मिसेज़ ख़ान...""

अकरम- न्न्नाहहिईीई....ये सच नही हो सकता...कभी नही...इतना बढ़ा सच...हुउऊः...क्या..क्या करू मैं....क्या करुउुउउ....

अकरम जैसे पागल सा हो गया और अपने आप से ही बड़बड़ाता हुआ बार-बार उस डीटेल को पढ़ता हुआ गुस्से मे फूंकारने लगा....

अकरम- ओके..रिलॅक्स अकरम..रिलॅक्स ....ये तो शुरुआत है....अब समझ आया कि इस ख़ुफ़िया रूम की ज़रूरत क्यो पड़ी....ज़रूर इसमे बहुत कुछ छिपा हुआ है...जिससे मैं आज तक अंजान था....

अकरम ने अपने आप को शांत किया और दीवाल पर लगी दूसरी पिक को देखने लगा...हर पिक के नीचे उस पिक की डीटेल लिखी हुई थी....

""अली ख़ान""
""आमीन ख़ान""
""आमिर ख़ान""
""सरफ़राज़ ख़ान""

तो ये सच है...मेरे डॅड ही सरफ़राज़ है...ओह्ह...अंकित ने सही बोला था...बिल्कुल सही...सरफ़राज़ ख़ान ही अपना नाम छिपा कर दुनिया को वसीम ख़ान बनकर धोखा देते रहे ...

अली ख़ान और आमीन....ये भी सच है...ये वसीम के मोम-डॅड है...और आमिर...ये है वसीम का भाई...हुह...आप ये कौन...

""परवेज़ ख़ान""
""गुलनार ख़ान""
""जावेद ख़ान""
""परवीन ख़ान""
""सकील ख़ान""
""सादिया ख़ान""
""गुल ख़ान""

ये सब कौन है...मैं सिर्फ़ सादिया और गुल को जानता हूँ...पर बाकी सब कौन है...ये कौन बतायगा...

खैर...इनका जवाब कौन देगा ये मैं जानता हूँ...अभी मुझे और भी बहुत कुछ देखना है...

और अकरम ने पिक्स के नीचे बने मॅप जैसे पेपर को देखना सुरू कर दिया.....

उस पेपर मे डाइयग्रॅम की हेल्प से इन सारे नामो का लिंक दिखाया गया था...इससे सॉफ पता चल रहा था कि कौन किस से किस तरह लिंक है...

अकरम- ओह माइ गॉड...इतना बढ़ा सच...ये तो मैं सोच भी नही सकता था....पर इसमे ज़िया, जूही और मेरा नाम क्यो नही है...और मेरी मोम का भी नही...क्या माजरा है...उफ़फ्फ़...ये वसीम ख़ान सच मे बड़ा खिलाड़ी निकला..दिमाग़ की धज्जियाँ उड़ा दी...

अकरम वो मॅप्स टाइप पेपर देखते हुए काफ़ी देर तक कुछ सोचता रहा....

अकरम- इसे बाद मे समझुगा....पहले बाकी सब तो देख लूँ...

फिर अकरम ने दूसरी दीवाल पर देखा...वहाँ अंकित की फॅमिली मंबेर्स की पिक्स लगी हुई थी...और उनके नीचे भी वैसा ही मॅप था...

उसी दीवार पर रिचा, कामिनी, दामिनी, रजनी , दीपा और सरद की फॅमिली पिक्स भी थी...उनकी डीटेल का भी एक माप था...

पर इस दीवाल की हर एक पिक के साथ एक छोटी सी पर्ची भी अत्तेच थी....अकरम ने ध्यान से वो पर्चिया निकाल कर जेब मे डाल ली और साथ मे सारे मॅप्स भी...

अब अकरम तीसरी दीवाल की तरफ मुड़ा तो चौंक गया....यहा अभी तक देखे हुए सारे पिक्स थे...और कुछ पिक्स पर क्रॉस का साइन बना हुआ था...

अकरम- अली..क्रॉस...अम्मीं...क्रॉस...ओह्ह..तो ये क्रॉस साइन उनके लिए है..जो अब दुनिया मे नही रहे....ह्म्म्म...

क्या बात है...वसीम ख़ान सच मे मझा हुआ खिलाड़ी है...हर एक सक्श को टारगेट करने का सोच रहा है...ह्म्म्मम...

अकरम- इस रूम मे सिर्फ़ ये पिक्स नही हो सकती...ऐसा कुछ और भी होगा जो वसीम की लाइफ से या उसके जानने वालो की लाइफ से जुदा होगा...ह्म्म..मेन रूम की एक -एक जगह तलास कर ही जाउन्गा....

अकरम ने पिक्स देखने के बाद रूम को अच्छी तरह खगाल्ना सुरू कर दिया....

पहले उसे एक रुमाल मिला...जिसमे लिखा था कि...""यस...मैं तैयार हू..""

अकरम- ये किसका हो सकता है...और ये किसके लिए लिखा है...देखेगे...अभी तलासी तो ले लूँ...यहा गर्मी ज़्यादा है...


और फिर अकरम को तलाशी लेते हुए टॅप रेकॉर्डर, कुछ काससेट्स और एक हंडी कॅम मिला...इसके अलावा उसे कुछ खत भी मिले...

अकरम ने सब चीज़े साथ ली और वहाँ से निकल आया....

अकरम- आहह..कितना गरम रूम था...एक बार और तलाशी लूँगा..बट बाद मे...अभी जो मिला...उसे देख तो लूँ...

अकरम ने सारा सामान बेड पर रखा ही था कि उसकी मोम ने गेट पीटना सुरू कर दिया...

सबनम- अकरम...बेटा तू अंदर है क्या...

अकरम- मर गये...अब ते सब..ओह गॉड...

अकरम ने जल्दी से सारे सामान को अलमारी मे डाला और दीवाल पर लगी पिक तो टेडा कर दिया...जिससे ख़ुफ़िया दरवाजा बंद हो गया...

फिर उसने अलमारी के उपेर रखी घड़ी को एक बार उठाया तो अलमारी फिर से सीधी हो गई और ख़ुफ़िया गेट छिप गया.....

सबनम- अकरम..कर क्या रहा है....

अकरम- हुह..हाँ मोम...

अकरम ने गेट खोल कर सबनम को ऐसा चेहरा दिखाया जैसे वह सो गया था...

सबमम- ओह..सो रहा था..चलो कोई नही...वो ड्राइवर आया है...कुछ काम है उसे...

अकरम ने एक बार अलमारी को देखा और सबनम के साथ निकल गया....

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06-08-2017, 11:13 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अंकित के ऑफीस मे.........


अंकित ने अपने डॅड से बात की और उठकर दूसरे कॅबिन मे निकल गया....

अंकित के जाते ही बाहर खड़ी सुजाता गुस्से से भरी आकाश के कॅबिन मे आई और भड़क उठी...

सुजाता- तुम उसके बाप हो या वो तुम्हारा बाप...

आकाश- तुम ये क्या....क्या हुआ....

सुजाता- मैने पूछा...तुम उसके बाप हो या वो तुम्हारा बाप....

आकाश- अरे ..मैं ही उसका बाप हूँ...पर तुम गुस्से मे क्यो हो...

सुजाता- तो ये बताओ कि वो तुम्हारी सुनता क्यो नही...क्या उसे नही पता कि तुम उसके बाप हो...

आकाश- मैं क्या बोलू...वो ऐसा ही है...मन की करता है...

सुजाता- तो क्या बाप की भी नही सुनता..

आकाश- सुनता है...पर ..

सुजाता- पर क्या...तुम चुपचाप सुनते रहे और वो सब बोलता गया...उसने मुझे भी फटकार दिया...और तुम...

आकाश- सुजाता...भूलो मत कि आकाश अपने बेटे की हर बात मानता है...इसलिए मैं चुप रहा....

सुजाता- हुह...तुम सच मे उसके बाप बन गये...हाँ...पर याद रखो...ये भूल मत जाना कि तुम हो कौन..और किस काम के लिए आए हो यहाँ...

आकाश- नही..मुझे सब याद है...भरोशा रखो...

सुजाता- भरोशा...भाड़ मे जाओ तुम..तुम ना..किसी काम के नही....अब मुझे ही सब करना होगा...

आकाश- तुम..पर तुम क्या करोगी...वो तो तुम्हारी सुनेगा भी नही...

सुजाता- तुम चुपचाप तमाशा देखो...और मैं दिखाउन्गी की औरत चाहे तो कुछ भी करवा सकती है...बस देखते जाओ...

आकाश- पर मुझे तो बताओ कि तुम करने क्या वाली हो...

सुजाता- टाइम आने पर बता दूगी...अभी चुप बैठो..और ड्रिंक मग्वाओ..मेरा मूड सही करना है मुझे...तब जाकर कुछ सोच पाउन्गी....

और आकाश ने चुपचाप ड्रिंक का ऑर्डर दे दिया और सोच मे डूबी सुजाता को देख कर कुछ समझने की कोसिस करने लगा....

वहाँ दूसरे कॅबिन मे मैं अपनी ही सोच मे डूबा हुआ था...

मैं(मन मे)- इस सुजाता से जल्दी से सब कुछ पता चल जाए ..तो सही है..वरना ये कुछ ना कुछ हाथ-पैर मारती ही रहेगी....बस एक बार ये कुछ बक दे...फिर इसका ऐसा हाल करूगा कि साली रंडी से भी बदतर हो जाएगी....

बहुत होसियार समझती है भैन की लौडी...आज रात को इसका कुछ करना ही होगा...

पर ये आसानी से कुछ नही बकेगी...इसके लिए कुछ अलग ही करना होगा...कुछ ख़तरनाक...

तभी कॅबिन के गेट पर नॉक हुई और मैं अपनी सोच से बाहर आ गया....

मैं- यस...कमिंग....

गेट खोल कर सोनी और उसकी बीवी स्मिता अंदर आ गये और मुझे देखते ही स्मिता ने सोनी से छिप कर एक प्यारी मुस्कान दे दी...

मैं- अरे ...तो तुम स्मिता को ले ही आए...हाँ...

सोनी- जी..वो आपने कहा था ना कि...

मैं(बीच मे)- पर मैने उस रात ये भी कहा था कि अब तुम्हे ऐसी सिचुयेशन कभी नही देखनी होगी...भूल गये...

सोनी- नही सर..पर आज आपने...

मैं(बीच मे)- ओह हो..मेरे मुँह से ग़लती से निकल गया...क्या करे ...आपको देख कर स्मिता की मदमस्त जवानी याद आ गई तो मुँह से अपने आप ही निकल गया...

सोनी- तो अब..क्या मैं जाउ...

मैं- ह्म्म...जाइए...पर एक मिनट...

फिर मैने एक फाइल निकाली और सोनी को उसे एक क्लाइंट के पास पहुँचने को बोला ...

सोनी- जी सर...मैं स्मिता को छोड़ कर निकल जाउन्गा...

मैं- अरे यार...स्मिता चली जाएगी...आप बाहर से टॅक्सी मे बैठा दो..और आप क्लाइंट के पास निकलो...ये फाइल जल्दी पहुँचानी है...ओके...

सोनी- जी सर..

सोनी ने स्मिता को टॅक्सी मे बैठाया और क्लाइंट के पास निकल गया....

सोनी के जाने के कुछ देर बाद ही स्मिता मेरे कॅबिन मे आ गई...

स्मिता- मे आइ कम इन..

मैं- अरे आओ जान...तुम कम इन हो सको इसलिए तो तुम्हारे पति को भेजा है..आओ...

स्मिता जल्दी से मेरे पास आई और मैने उसे अपनी गोद मे खीच लिया...

स्मिता- आहह ..आराम से जानू...

मैं- अब आराम कहाँ...उउंम्म...टेस्टी लिपस्टिक...पूरी तैयारी से आई हो...

स्मिता- ह्म्म्मँ...जब आपका हुकुम मिला तो तैयार हो कर ही आओगी ना...उउंम्म..

और हम दोनो एक दूसरे के होंठो को चूसने लगे....

थोड़ी देर बाद स्मिता टेबल पर झुकी हुई गान्ड मे मेरा लंड ले रही थी...तभी उसका फ़ोन बज उठा...वो सोनी का फ़ोन था...
स्मिता- आहह..रूको...इनका फ़ोन आ गया...

मैं- तो डरती क्यो हो...लौडस्पीकर ऑन करो और बात करते हुए गान्ड मरवाओ...

स्मिता ने वैसा ही किया...

स्मिता- हह..हेलो...

सोनी- तुम घर पहुँच गई...

स्मिता- हह..हम्म..सही जगह पहुँच गई...आओउउंम...

सोनी- क्या हुआ..तुम्हारी आवाज़...

स्मिता- आऔउन्ण..कपड़े ...हाँ..कपड़े धो रही थी तो सान्नस्स....उउःम्म्म..

सोनी- ओह...देखा ...सर कितने अच्छे है...

स्मिता- ह्म्म्मच..बहुत...उपेर से नीचे तक....उउंम...

सोनी- ये आवाज़ का हो क्या रहा है...

स्मिता- क्क़..कुछ नही...आप बोलो..

सोनी- कुछ नही...तुम अपना काम करो..और सिर को थॅंक्स का मेसेज कर देना..वो खुस हो जाएँगे...

स्मिता- ह्म्म..मैं पूरा खुश कर दूगी...आप फ़ोन रखो..मैं उन्हे खुश करती हूँ..ओके..बाइ...

और स्मिता ने फ़ोन काट कर पीछे देखा और हँसने लगी...

स्मिता- उसने कहा कि आपको खुश कर दूं...

मैं- तो करो फिर...

स्मिता- आहह...पूरा काम कर के ही जाउन्गी...ज़ोर से...आअहह...

और फिर कुछ देर तक कॅबिन मे चुदाई की आवाज़े गूँजती रही...और लास्ट मे स्मिता मेरे सामने बैठ गई और मैने उसके मुँह मे लंडरस की पिचकारियाँ मारनी सुरू कर दी...

तभी मुझे लगा कि गेट किसी ने खिला है और हमे देख रहा है...पर मैं बिना उसकी परवाह किए तेज धार स्मिता के मुँह मे चोदता रहा......

---------------------------------------------------------------------------
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06-08-2017, 11:13 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सहर मे ही...एक घर मे........


एक औरत हवा मे टांगे उठाए लेटी सिसक रही थी और संजू उसकी चूत मे लंड पेल रहा था ....

औरत- आअहह...और तेज बेटा...और तेज...आहह....आअहह...

संजू- हाँ आंटी...यीहह...ईएहह....

औरत- उफ़फ्फ़...क्या चोदता है रे...तभी मेरी बेटी...आहह...तुझसे चुदवाने लगी....

संजू- हाँ आंटी...पर आप तो उससे भी अच्छी हो...क्या मस्ती मे चुदवाती हो..ईएहह....

औरत- ह्म्म्मी...ऐसे ही...ज़ोर से....तेज मार ना...आहह...

संजू ताबड़तोड़ धक्के मारता रहता है और कुछ देर मैं दोनो झड जाते है...

थोड़ी देर बाद दोनो कपड़े पहन कर रूम से बाहर हॉल मे आ जाते है जहाँ एक लड़की और एक लड़का गेम खेल रहे थे...

लड़की ने संजू को देख तो स्माइल कर दी...

लड़की- तो...मोम...कर ली बातें...

औरत(मुस्कुरा कर)- ह्म्म्म ..खुल कर...मज़ेदार बातें करता है संजू...

लड़की(मुस्कुरा कर)- मैं जानती हूँ...

संजू- ओके..मैं चलता हूँ...कल मिलेगे...

औरत- ओके बेटा...पर याद रहे...मैने जो कहा था....

संजू- जी आंटी...ओके अमर बाइ...कल मिलता हूँ...

तभी गेम खेलते हुए उस लड़के ने संजू को बाइ बोला और फिर से गेम खेलने मे बिज़ी हो गया....

औरत- एक ये है...पूरा दिन बस गेम ही गेम...

लड़की- खेलने दो मोम..ये अपना गेम खेलता है ...तभी तो हम अपना गेम खेल पाते है...हाँ..

और फिर दोनो माँ-बेटी मुस्कुराते हुए अंदर चली गई....

---------------------------------------------------------------------------

अकरम के घर...........


अकरम को जैसे ही मौका मिला उसने अपने रूम से बॅग लिया और वसीम के रूम मे अलमारी मे रखा हुआ सारा सामान अपने बॅग मे डाल दिया...जो समान वो ख़ुफ़िया रूम से लाया था...

फिर सबसे नज़रे बचाते हुए वो वापिस अपने रूम मे आया और बॅग को छिपा दिया....

अकरम- उफ़फ्फ़...थॅंक गॉड..किसी ने देखा नही...वरना हज़ारों सवाल पूछ लेता...

थोड़ी देर तक अकरम ये सोचता रहा कि अब उसे क्या करना चाहिए...क्या ये सब अंकित को बता दे या खुद ही सच की तलाश मे आगे बढ़े....

अकरम- बाकी सब तो सामान को देखने के बाद सोचुगा...पहले उस सवाल का जवाब तो ले लूँ...जिसका जवाब मेरी मोम ही दे सकती है...

और ये सोच कर अकरम परेशानी की हालत मे सबनम के रूम मे पहुँच गया....

सबनम- अरे अकरम..आओ बेटा...पर ये क्या...परेशान दिख रहे हो...

अकरम- कुछ नही मोम..बस ऐसे ही...मुझे आपसे कुछ पूछना था...

सबनम(मुस्कुरा कर)- तो पूछ ना...आ बैठ..और पूछ क्या पूछना है...

अकरम- जी...मैं..आपसे...एक सवाल...

अकरम एक सवाल पूछने के लिए बेस बनाने की कोसिस मे था..पर वो नाकाम हुआ..और उसके दिल मे चल रही कस्मकस सबनम को नज़र आ गई...

सबनम- बेटा...सब ठीक है ना...तू घबराया सा क्यो है..बात क्या है...ऐसा क्या स्वाल है तेरा...पूछ बेटा....

अकरम- ह्म..मोम...मेरे डॅड का नाम क्या है...

सबनम- क्या..ये क्या सवाल हुआ..हाँ..

अकरम- मोम...बताइए ना...मेरे डॅड का नाम क्या है....

सबनम(थोड़े गुस्से मे)- ये क्या मज़ाक है...डॅड का नाम नही पता..हाँ...

अकरम(घूरता हुआ...ज़ोर से)- मोम...मेरे डॅड का नाम क्या है...बताइए...

सबनम(गुस्से से)- पागल है क्या..तेरी हिम्मत...

अकरम(बीच मे, सबनम को गुस्से से घूरते हुए)- मोम...मेरे डॅड का नाम क्या है...बोलो....

सबनम , अकरम की आवाज़ सुनकर और उसकी दहक्ति आँखे देख कर सहम गई...

सबनम- व्व..वसीम ख़ान....

अकरम(सबनम की आँखो मे आँखे डाल कर)- क्या..??

सबनम - वसीम ख़ान..पर...

अकरम(बीच मे)- वसीम ख़ान...हाहाहा....

अकरम सीधा हो कर ठहाका मार उठा और फिर सबनम की आँखो मे देख कर बोला...

अकरम(चिल्ला कर)- मोम.... ये अनवर ख़ान कौन है...?????????????

अकरम की रौबदार आवाज़ सुनकर सबनम को ज़ोर का झटका लगा...पर अनवर का नाम सुन कर तो उसकी हिक्की बढ़ गई...

उसके चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगी...आँखे फटी की फटी रह गई और पूरे बदन मे सनसनी फैल गई....

अकरम गुस्से से अपनी मोम को घूर रहा था और सबनम तो जैसे कही और ही खो गई थी....

सबनम बिना पलके झपकाए अकरम का ये नया रूप देख रही थी...जो आज से पहले कभी सोचा भी नही था ...

दूसरी तरफ अकरम अपनी मोम का ये हाल देख कर समझ चुका था कि उसकी मोम ही वो सक्श है जो उसके सवालो के जवाब दे सकती है....

अकरम- मोम...मोम....

सबनम(जैसे नीद से जागी हो)- ह..हा...क्या हुआ...हाँ...

अकरम- मोम...अब बताओ...अनवर ख़ान कौन है...

सबनम- क्क़..कौन अनवर ख़ान...मैं नही जानती ....

अकरम- अच्छा...पर आपकी आँखे तो कुछ और ही बोल रही है....

सबनम- क्क़..क्या मतलब...मैं क्या झूट बोलूँगी...हाँ...

अकरम- हाँ...बिल्कुल झूठ...मैं जानता हूँ कि आप अनवर ख़ान को बहुत अच्छी तरह से जानती है...समझी आप...अब सच बोलो ...

सबनम- मैने कहा ना कि मैं किसी अनवर को नही जानती...कौन है ये...और तुझे क्या पड़ गई उसके बारे मे जानने की....

अकरम- तो आप ऐसे नही बोलेगी...ह्म्म ..लगता है आपको सब बताना ही होगा...फिर बोलोगि...

सबनम- क्क़..क्या बताना होगा..हा..तू क्या बताआयययययई.....

सन्नम ने बोलना सुरू ही किया था कि अकरम ने अपनी जेब से एक फोल्ड फोटो निकाल कर सबनम के सामने कर दी....फोटो के नीचे लिखा था...""मिस्टर & मिसेज़ ख़ान..""( मिस्टर.अनवर & मिसेज़.सबनम अनवर ख़ान)

अकरम- ये देखो...और अब बोलो....कौन है ये...अब बताओ...क्या अब भी यही कहोगी कि आप अनवर ख़ान को नही जानती...हाँ...

अकरम का गुस्सा उसकी आँखो मे आग बन कर उभर आया था...अब वो सिर्फ़ सच सुनना चाहता था ....और इसी लिए अपनी मोम को गुस्से से देखे जा रहा था.....

फोटो देखने के बाद तो सबनम की हालत और भी ज़्यादा खराब हो गई...उसकी आँखे पहले से ज़्यादा फट गई थी..और इस बार आँखो से आसू बह निकले थे......
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