Chuto ka Samundar - चूतो का समुंदर
06-08-2017, 11:14 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अकरम ने जब अपनी मोम की आँखो से आसू बहते देखे तो उसे अपने आप मे थोड़ा बुरा लगा....

उसे लगने लगा कि शायद वो कुछ ज़्यादा ही गुस्से मे आ गया...कुछ भी हो..आख़िर वो मेरी मोम है..और एक माँ से बेटा इस तरीके से बात करे तो सही नही होता....

अकरम अपने आप से शर्मिंदा हो ही रहा था कि गेट पर नॉक हो गई...गेट पर जूही थी...जो शायद अकरम की तेज आवाज़ सुन कर आ गई थी...

एक तरफ अकरम की मोम आसू बहा रही थी और दूसरी तरफ उसकी बेहन गेट नॉक कर रही थी...

अकरम(मन मे)- ओह गॉड...ये जूही कहाँ से आ गई...अगर इसने मोम को इस हाकत मे देख लिया तो लफडा हो जायगा...और उसके सवालो के जवाब कौन देगा...

अकरम ने कुछ सोचा और वो फोटो सबनम की गोद मे डाल कर रूम से निकल गया और जूही को बहाने से अपने साथ ले गया....

जूही ने आवाज़ आने की बात कही तो अकरम ने उसे जूही का भरम कह कर टाल दिया और कॉफी बनवाने के बहाने उसे रूम से दूर ले गया.....

यहाँ रूम मे अकरम के जाते ही सबनम ने फोटो उठाई और उस फोटो को सीने से लगा कर रो पड़ी...

सबनम- अनवर...

सबनम सिर्फ़ इतना ही बोल पाई और फुट-फुट कर रोते हुए अतीत की यादो मे खो गई.....
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06-08-2017, 11:15 AM,
RE: चूतो का समुंदर
फ्लॅशबॅक...............

घर मे चारो तरफ चहल-पहल थी....घर के बड़े हॉल मे बैठे आज के दिन को खास बनाने की प्लॅनिंग कर रहे थे...

घर के बच्चे अपनी ही धुन मे घर मे चारो तरफ भाग दौड़ कर के धूम मचा रहे थे....

और एक कमरे मे सबनम आईने के सामने खड़ी हुई अपनी खूबसूरती को मेक-अप के ज़रिए और भी ज़्यादा खूबसूरत बना रही थी.....

अचानक एक मर्द रूम मे दवे पैर दाखिल हुआ और सबनम को पीछे से अपनी बाहों मे भर लिया........

सबनम- आहह...क्या करते हो अन्वर...कुछ तो शर्म करो....

अनवर(सबनम को पीछे से बाहों मे ले कर)- शर्म...वो क्यो....भाई अपनी बीवी को गले लगाने मे कैसी शर्म ...ह्म...

सबनम- ओह हो...पर ये तो सोचो कि घर मे हमारे अलावा भी और लोग है...और हमारे बच्चे भी तो है...वो देख लेगे तो क्या सोचोगे...

अनवर(सबनम के गले को किस कर के)- उउम्मह...यही सोचेगे कि उनके डॅड उनकी मोम को बहुत प्यार करते है...

सबनब- धत्त...तुम भी ना...कभी नही सुधरोगे....

अनवर- अच्छा....पहले तो हमारा प्यार करना बहुत भाता था..और अब...उूउउम्म्म्मम......

सबनम(अनवर को छेड़ते हुए)- उउंम...इसी प्यार की वजह से तो मैं ठीक से बड़ी नही हो पाई...जवान होते ही शादी हो गई...और मैं जवानी के मज़े नही ले पाई...

अनवर- ओह हो...तो मेरे साथ आपको जवानी के मज़े नही मिले...कोई दूसरा चाहिए क्या...

सबनम(गुस्से से)- हुह...क्या कहा...जाओ...मैं अब दूसरा ही ढूँढ लूगी...ऐसा ही समझते हो ना मुझे...

अनवर- अरे जान...गुस्सा नही होते...मैं तो बस...

सबमम(बीच मे)- जाओ ...अब मैं दूसरा ही ढूढ़ूँगी...तब देखना...

अनवर- ओह हो....इतना गुस्सा...कम से कम आज तो सिर्फ़ प्यार करो...आज हमारी शादी हुई थी...याद है ना...

सबनम- याद...मैं इतना सज -सवर कर खड़ी हूँ....तब भी पूछ रहे हो...और प्यार...तुम ही ये दूसरे की बात करने बैठ गये...हुह...

सबनम थोड़ा इतराने लगी तो अनवर ने अपने हाथो को उपर ला कर सबनम के बूब्स दबा दिए...सबनम सिहर उठी...

सबनम- ओह..अनवर...कोई आ जायगा...प्लीज़...मत करो..

अनवर- क्यो..अब जवानी के मज़े नही लेने....

सबनम- लेने है...पर बच्चे....आहह...

अनवर(बूब्स दबा कर)- वो नही आएँगे...तुम मज़े करो....

अनवर ने सबनम के कंधे और गालो को किस करते हुए उसके बूब्स दबाने चालू कर दिए...और सबनम भी मज़े मे सिसकने लगी....

तभी बाहर से आवाज़ आई...ये आवाज़ अनवर के डॅड और सबनम के ससुर की थी...मिस्टर.जावेद ख़ान....


( यहाँ आपको अनवर और सबनम के घरवालो की डीटेल बताता हूँ)

मिस्टर. जावेद ख़ान - अनवर के डॅड
मसेज. परवीन जावेद ख़ान - अनवर की मोम

मिस्टर. परवेज़ ख़ान - सबनम के डॅड
मिसेज़. गुलनार परवेज़ ख़ान - सबनम की मोम

मिसेज़. सादिया ख़ान - सबनम की सिस्टर
मिस्टर. सकील ख़ान - सादिया का पति

और 
सरफ़राज़ ख़ान - जावेद ख़ान का दूसरा बेटा और अनवर ख़ान का छोटा भाई....

जावेद- अरे सबनम बेटी...कहाँ हो...देखो तुम्हारे अम्मी-अब्बू आए है...और हां...तुम्हारी बेहन और बहनोई भी आए है...बाहर आओ बेटी...

अनवर और सबनम ने जावेद की आवाज़ सुनी तो तुरंत अलग हो गये और अपने आप को ठीक कर के बाहर आ गये...

परवीन- लो...आ गई मेरी बच्ची...आओ बेटी...

सबनम बाहर आई और सबको सलाम करने लगी...और अनवर भी सबसे मिलने लगा....

सब लोगो ने अनवर और सबनम को शादी की मुबारकबाद दी और फिर सब बैठ कर चाइ-नाश्ता करने लगे....बच्चे भी वही आ गये थे...

लेकिन सरफ़राज़ का किसी को कुछ पता नही था....उसका फ़ोन भी नही लग रहा था.....

अनवर- अब्बू...सरफ़राज़ कहाँ है...

जावेद- पता नही बेटा...आज-कल उसका कोई पता ही नही रहता...कुछ दिनो से उसका बर्ताब बदला हुआ सा है...

अनवर- ह्म....मैं बात करूगा...

फिर सबने नाश्ता ख़त्म किया और घूमने के लिए निकल गये....

माल मे घूमते हुए अनवर सीडीयों पर फिसला तो सबकी जान निकल गई...पर थॅंक गॉड...उसे कुछ नही हुआ....उसने अपने आपको संभाल लिया....

रात को डिन्नर कर के सब सोने आ गये...और अनवर भी सबनम के साथ रात एंजाय करने लगा...

अनवर ने सबनम को एक बार चोदा और फिर दोनो बातें करने लगे...

अनवर- सब्बो...आज कुछ पल के लिए मुझे लगा था कि मैं सीडीयों से गिरा तो बच नही पाउन्गा...

सबनम- चुप..ऐसा नही सोचते...आपको कुछ हो गया तो मैं जीते जी मर जाउन्गी...

अनवर ने सबनम की आँखो मे झाँका और उसको अपने उपेर कर के किस करने लगा...

अनवर- उउंम्म...कितनी गरम हो तुम...फिर से तैयार हो गई...

सबनम- ह्म्म्म...और मैं हमेशा ऐसे ही रहूगी..हॉट...और रगड़ के चुदवाउन्गी...उउउंम..

अनवर- उउंम...पर कभी मैं ना रहूं तो...

सबनम- बस भी करो...उउउंम्म...

अनवर- उउंम..अच्छा..मेरा गिफ्ट कहाँ है...

सबनम- आपकी बाहों मे...

अनवर- ये तो मेरा ही है..पर आज के खास दिन पर मुझे गिफ्ट नही दोगि...

सबनम- ह्म्म..पहले तुम दो...फिर मैं दूगी...

अनवर- ह्म्म...तुम्हारा गिफ्ट कल मिल जायगा...एक डायमंड नक्लेशस..ऑर्डर दिया था...टाइम पर मिला नही....

सबनम- रियली...उउउम्म्म्मम...थॅंक यू जानू...

अनवर- अब मेरा गिफ्ट...

सबनम- आप बोलो..क्या चाहिए...

अनवर- एक वादा...

सबनम- दिया...

अनवर(अपना हाथ दिखा कर)- पक्का...

सबनम(हाथ मे हाथ रख कर)- आपकी कसम...जो भी कहो...मेरी हाँ होगी...वैसे क्या वादा चाहिए...

अनवर- अगर मुझे कुछ हुआ तो तुम दूसरी शादी करोगी...पक्का...

सबनम(गुस्से से)- ये सब क्या है...कैसी बातें कर रहे हो...

अनवर- यू लव मी ना....तो वादा रहा..

अनवर ने सीरीयस हो कर बोला..सबनम उसकी आँखे देख कर इमोशनल हो गई और सुबकने लगी...

सबनम- क्यो...

अनवर- क्योकि मैं चाहता हूँ कि मेरी जान सारी जिंदगी मज़े से गुज़ारे....मैं नही रहा तो वो जीना ना छोड़े...ब्कोज़..मैं तुम्हे हमेशा खुश देखना चाहता हूँ...बोलो वादा ना...

सबनम(रोते हुए)- वादा....आइ लूव यू...लव यू...मैं सारी जिंदगी तुम्हारे साथ ही मज़े से गुज़ारुँगी...अल्लाह हमारे प्यार को बरकत दे...उउंम..उउंम..उउंम..

और सबनम ने अनवर को कस कर गले लगा लिया और रोने लगी...थोड़ी देर बाद...

अनवर- अब रोती ही रहोगी जान...मेरा ख्याल नही करोगी...देखो मेरा हथ्यार तुम्हारी फूली हुई गान्ड को देख रहा है...

सबनम(आँख सॉफ कर के )- ह्म्म..मेरी गान्ड भी इसको आगोश मे लेने तड़प रही है...उउउंम्म...

और फिर अनवर और सबनम गान्ड चुदाई करने लगे......

रात भर अनवर ने सबनम की जोरदार चुदाई की और फिर दोनो एक-दूसरे की बाहों मे चिपक कर सो गये......

नेक्स्ट मॉर्निंग.....अनवर रेडी हुआ और सबको बाइ बोल कर किसी मीटिंग के लिए सहर के बाहर चला गया.......और वापिस......

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06-08-2017, 11:15 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अकरम-मूओंम्म्मममममम

यहाँ अकरम ने जूही को उसके रूम मे छोड़ा और भाग कर सबनम के रूम मे आ गया और गेट लॉक कर के बोला...

अकरम- मोम...मोममम्मम..

अकरम की आवाज़ सुन कर सबनम यादो से निकल कर प्रेज़ेंट मे आ गई...

सबनम(फोटो को सीने से लगाए हुए)- हह..हां...

अकरम- अब तो सब क्लियर है कि आप अनवर को जानती है...जो मैने देखा...वो भी सच है...पर अब मुझे सच आपके मुँह से सुनना है....

सबनम- क्क़...कैसा सच...

अकरम- यही कि ये साला अनवर ख़ान है कौन...साला माद...

सबनम(गुस्से से)- अकरम..एक भी ग़लत लब्ज अपने मुँह से मत निकालना उनके बारे मे....

अकरम(हँसते हुए)- ओह...तो इतना प्यार है उस कमीने...

सबमम(ज़ोर से)- अकरम...बोला ना...एक भी ग़लत लब्ज नही...

अकरम(गुस्से से)- क्यो..क्यो नही...आपका खास होगा...पर मेरा नही..मैं तो बोलूँगा..बेह्न्चोद हरामी, मदर......

छ्चाताअक्ककककककक.......

सबमम ने खड़े होकर एक जोरदार थप्पड़ अकरम को जड़ दिया...और रोने लगी...

अकरम अपना गाल पकड़ के घूमा और अपनी माँ को घूर्ने लगा...

अकरम- मुझे थप्पड़...आख़िर कौन है ये कमीना...

चात्ताअक्कककककक.....

सबनम(गुस्से मे चिल्ला कर)-चुप कर....तेरा बाप है वो.....हाँ...अनवर ख़ान तेरा बाप है....

और सबनम फुट-फुट कर रोने लगी.......

एक तरफ सबनम रोए जा रही थी तो दूसरी तरफ सच सुनके अकरम का बुरा हाल हो गया था......

अकरम सच सुन कर जड़ हो गया....उसका सिर घूम गया और वह किसी कटे पेड़ की तरह गिर कर उसी बेड पर बैठ गया जिस पर सबनम बैठ कर रो रही थी...

अकरम को ये लग रहा था कि उसकी माँ ने सिर्फ़ अपनी शादी का सच छिपा कर रखा था...पर यहाँ तो कहानी ही अलग निकली....

जिस अनवर ख़ान को वो सिर्फ़ अपनी माँ का पति समझ रहा था...वो तो उसका बाप निकला....मतलब ये सॉफ हो गया की वसीम ख़ान, अकरम का बाप नही....

अब सवाल ये था कि वसीम असल मे है कौन...क्या वसीम वही सरफ़राज़ है जो अनवर का भाई था...या फिर कोई बाहरूपिया ...जो सरफ़राज़ की जगह ले कर बैठा है....

अकरम को अब बहुत कुछ जानने की इक्षा जाग गई...उसे अब सारे सवालो के जवाब चाहिए थे...उसके डॅड के बारे मे...दादा-दादी, नाना-नानी एट्सेटरा...सबके बारे मे जानना था उसे...

अकरम ने सोच लिया कि वो आज सब जान कर रहेगा...उसके बाप को क्या हुआ..बाकी फॅमिली कहा है..और सबसे बड़ी बात...वसीम और सरफ़राज़ नाम का सच......क्योकि अब अकरम थोड़ा सा कन्फ्यूज़ था कि क्या वाकई मे वसीम और सरफ़राज़ एक ही सक्श है या फिर वसीम ने सरफ़राज़ की जगह ले ली....

पर इस समय सबनम की हालत देख कर उसने चुप रहना ही बेहतर समझा....उसने सोचा कि सबनम को रो कर अपने दर्द को निकाल लेने दो...फिर बात करूगा ...

कुछ देर तक अकरम ने वेट किया पर कोई फ़ायदा नही हुआ...सबनम अभी भी सूबक रही थी...

अकरम- मोम...मोम...

सबनम(अकरम को देखा भी नही...बस सुबक्ती रही)

अकरम- मोम..प्ल्ज़ मेरी बात सुनिए....ये बहुत ज़रूरी है....

सबनम(अकरम को देख कर)- हुह...

अकरम- मोम...आप ठीक हो ना....मोम..

अकरम ने प्यार से सबनम के कंधे पर हाथ रखा....

सबनम- अकरम...मुझे अकेला छोड़ दे ...

अकरम- मोम...मुझे आपसे कुछ बात करनी है...

सबनम- अभी मुझे अकेला छोड़ दो अकरम....

अकरम- मोम..पर मेरे लिए ये ज़रूरी है...मेरा दिमाग़ बहुत से सवालो से फट रहा है....

सबनम(आसू पोछ कर)- अकरम....प्लीज़ अभी मुझे अकेला छोड़ दे...फिर मैं खुद तेरे हर सवाल का जवाब दुगी...प्ल्ज़ बेटा....

अकरम ने अपनी मोम की आँखो मे एक दर्द छलक्ता देखा और वो मान गया....

और फिर अकरम ने सबनम को रोने दिया और अपने रूम मे आ कर दिमाग़ मे चल रहे सवालो के बारे मे सोचते हुए लेट गया......

अकरम(मन मे)- सच कहते है...जिंदगी के कई रंग है...और हर एक पल जिंदगी मे एक नया रंग दिखता है....

किसी ने ये भी सच कहा है कि जीवन का हर एक पल खास होता है...और हर एक पल अपने साथ कुछ नया ले कर आता है...

आज ये अहसास हुआ कि जिंदगी कितनी टेडी चाल चलती है ..ये हमे पल भर मे कहाँ से कहाँ ले जा सकती है....

कुछ टाइम पहले तक जो मेरे लिए सबसे खास था...वो अब अंजाना हो गया...और एक ऐसा सक्श...जिसका मैने नाम भी नही सुना था...उससे मेरा वो रिश्ता निकला जो इंसान की जिंदगी का पहला रिस्ता होता है ..

हा ..माँ-बाप से ही इंसान की जिंदगी का पहला रिश्ता बनता है.....वही रिश्ता मेरा अनवर ख़ान से निकला.....

ऐसे ही ख्यालो मे खोया अकरम कब सो गया उसे पता ही नही चला....

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06-08-2017, 11:15 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अंकित के घर.............


ऑफीस मे स्मिता की दमदार चुदाई करने के बाद मैं कुछ देर तक ऑफीस मे रहा और फिर घर आ कर पारूल के साथ हसी-मज़ाक करते हुए सो गया....

मेरी नीद तब खुली जब शाम को शीला का कॉल आया....

( कॉल पर )

मैं- हुह ...

शीला- हुह क्या....सो रहे हो....

मैं- हुह...पर तुम सोने कहाँ देती हो...

शीला- अच्छा...मैने कब डिस्टर्ब किया...हाँ,...

मैं- तुमने तो नही....पर तुम्हारी यादो ने सोने ही नही दिया....

शीला- अच्छा....ह्म्म...वैसे क्या याद किया...आइ मीन मुझे याद कर के क्या सोच रहे थे...

मैं- कुछ खास....

शीला- खास...पर क्या...मैं भी तो सुनू...

मैं- ह्म्म...जैसे की तुम्हारे साथ बिताया हर पल...और खास कर तुम्हारे साथ किया गया डॅन्स...उउउंम्म...बहुत याद आता है...

शीला(मन मे)- जानती थी...पूरे डॅन्स मे मेरी गान्ड ही सहला रहे थे...याद तो आनी ही थी...

मैं- सच मे..तुम्हारे साथ बिताया हर पल याद आता है....

शीला- ओह्ह..तो याद क्या करना....मिलने आ जाओ...आज फिर डॅन्स करेंगे...हूँ...

मैं(मन मे)- जानता था कि तू डॅन्स ज़रूर करेगी....कल जो मेरे हाथो ने तुझे गरम किया था...वो कैसे भूल सकती है तू....

शीला- अब जल्दी से रेडी हो और आ जाओ...मैं इंतज़ार कर रही हूँ....और हाँ..मेरे घर आना...आज मेरी कार खराब है...

मैं- ओके...मैं बस 30 मिनट मे आया....

और फिर कॉल कट कर के मैं रेडी हुआ और शीला के घर निकल गया....

मैं जैसे ही उसके घर के सामने कार से निकला तो फिर से मेरी नज़र नाम प्लेट पर पड़ी.....""अम्त 12""

फिर मैं अंदर आया तो शीला मुझे नाइटी पहने हुए दिखी...

मैं- अरे यार...तुम तो रेडी भी नही हुई...

शीला- रेडी ....वो किसलिए....

मैं- कमाल है...तुमने खुद बोला कि क्लब साथ ने चलते है...और अब...क्या हुआ....

शीला- ह्म्म..पर मैने बोला था की आज फिर डॅन्स करेंगे...याद करो..

मैं- हाँ...पर डॅन्स क्लब मे ही होगा ना...

शीला- क्या यहाँ डॅन्स नही हो सकता....

मैं- यहाँ....पर यहाँ कैसे...और डॅन्स जैसा महॉल भी नही...क्या बोल रही हो....

शीला- ह्म्म...ओके...अगर महॉल वैसा हो तो...??

मैं- महॉल...वैसे तुम साथ मे हो तो महॉल कहीं भी बन जायगा....

शीला(मुस्कुरा कर)- आओ मेरे साथ...

और फिर शीला मेरा हाथ पकड़ कर मुझे एक हॉल मे ले गई...

मैं उस जगह को देख कर खुश हो गया...वो जगह तो बिल्कुल क्लब की कॉपी लग रही थी....

एक तरफ बार काउंटर...एक तरफ बड़े-2 साउंड....पूरे हॉल मे ब्लिंक करती हुई झूमर और हल्की नीली रोशनी से भरा हुआ पूरा हॉल...

सच मे ...ये जगह तो क्लब ही लग रही थी....

शीला- तो...अब क्या कहते हो...

मैं- सुपर्ब यार...क्या जगह है...बिल्कुल क्लब जैसी...

शीला- ह्म्म..तो अब बोलो...यहा डॅन्स हो सकता है ना...

मैं- बिल्कुल...जब तुम साथ हो तो फिर क्या टेन्षन....आज यही डॅन्स होगा....

शीला(मेरे पास आ कर अपने हाथ मेरे कंधे पर रख कर)- तो सुरू करे...

मैं- ह्म्म..पर थोड़ी सी कमी है अभी...

शीला- क्या...??

मैं- म्यूज़िक न्ड ड्रिंक...तुम म्यूज़िक स्टार्ट करो...मैं ड्रिंक बनाता हूँ...फिर मज़े से डॅन्स करेंगे...

फिर शीला मुस्कुरा दी और म्यूज़िक लगाने चली गई...यहाँ मैं ड्रिंक बनाने लगा...जब तक एक रोमॅंटिक सॉंग बजने लगा.....

हम दोनो ने ड्रिंक किया और म्यूज़िक सुनते हुए हसीन महॉल मे खोने लगे....

4-5 पेग के बाद मैं उठा और शीला को लेकर डॅन्स करने के लिए रेडी हो गया...शीला ने भी झट से अपनी बाहें मेरे गले मे डाल दी और मैं उसकी कमर पकड़ कर डॅन्स करने लगा....

शीला- उम्म..अब क्या कहते हो.....

मैं- यू आर सो स्मार्ट....

शीला- ह्म्म..पर तुमसे कम...

मैं- अच्छा....क्या मतलब....

शीला- तुम जानते हो मेरा मतलब....

मैं- नही जानता...और इस टाइम जानना भी नही चाहता...मुझे इस हसीन शाम का मज़ा लेने दो....

शीला- और मैं...मुझे मज़ा नही दोगे....

मैं- क्यो नही...इसी लिए तो आया हूँ...

और इतना कह कर मैने शीला को आगे खीच लिया और डॅन्स जारी रखा....

अब शीला के बूब्स मेरे सीने पर चुभने लगे थे...और उसका चेहरा भी मेरे चेहरे के करीब था...

शीला इस टाइम सिर्फ़ नाइटी मे थी...उसकी नाइटी कमर पकड़ने की वजह से थोड़ा उपेर आ गई थी और उसकी जाघे दिखने लगी थी....उसके बूब्स भी बिना ब्रा के थे...और नाइटी मे से उनकी गहराई सॉफ नज़र आ रही थी...

इतना सीन ही मुझे गरम करने के लिए काफ़ी था...

और मैने अपने हाथ आगे कर के शीला की गान्ड पर रखे और उसे अपने पास खीच लिया अब उसके बूब्स पूरी तरह से मेरे सीने से दव गये थे..और उसकी मुलायम गान्ड मेरे हाथो मे थी..जिसे मैं सहला रहा था और शीला मन ही मन सिसकते हुए एंजाय कर रही थी......

मैं- उउंम्म...क्या खुसबु है....(मैने शीला के कान के पास सास ले कर बोला)

शीला(मुस्कुरा कर )- यू लाइक इट....

मैं- येस...वेरी नाइस...उूउउम्म्म्म....

शीला- ह्म्म...बहुत तेज हो...सच मे...

मैं- पता नही ....

और मैने अपने हाथो की पकड़ शीला की गान्ड पर बढ़ा दी...अब मेरी उंगलियाँ उसकी गान्ड की दरार पर चुभ रही थी....और शीला भी इस अहसास से सिसक उठी...

शीला- आआहह...

मैं- क्या हुआ....कुछ हुआ क्या...

शीला ने मुस्कुरा कर ना मे गर्दन हिला दी...

अब मैं समझ गया कि शीला ज़्यादा देर तक दूर नही रह पायगी...पिघल जाएगी....

और मैने अपनी उंगलियों को शीला की गान्ड की दरार मे घुसाना सुरू कर दिया....

शीला- उउंम्म...

और शीला ने अपने हाथो की पकड़ मेरी गर्दन पर बढ़ा दी और मुझसे और ज़्यादा चिपक गई....अब उसके होंठ मेरे होंठो के बिल्कुल करीब थे...और उसके कड़क हो चुके निप्पल तो मेरे सीने को छेड़ने के लिए तैयार खड़े थे....

हम इसी पोज़िशन मे कुछ देर तक डॅन्स करते रहे...तभी नेक्स्ट सॉंग स्टार्ट हो गया...और उसे सुनते ही शीला की आँखो मे शरम आ गई....

""भीगे होठ तेरे.....प्यासा है दिल मेरा.......""

ये सॉंग बजते ही मैं मुस्कुरा दिया और शीला की आँखो मे देखने लगा...शीला शर्मा गई और आँखे बंद कर ली...

थोड़ी देर बाद ही शीला ने अपने रसीले होंठो को खोल दिया...उसकी आँखे अभी भी बंद थी....

मैं- शीला...आल्ल...आल्लोव..अल्लोव मी...

शीला(आँखे खोल कर)- ओह हो...तुम बहुत बात करते हो...और काम कम...उूउउम्म्म्मममम.....

और शीला ने अपने रसीले होंठ मेरे होंठो पर रख दिए.....और मैने भी पूरा साथ दिया और दोनो एक-दूसरे के होंठो का रास्पान करने लगे....

शीला- उउउंम्म..अओउउंम्म...उउउम्म्म्म...उउउंम्म.....

मैं- आआओउउउंम्म..उउउंम्म...उूउउम्म्म्म...उउउंम्म...

शीला- उउउंम्म...आहह...यू लाइक इट ना...उूउउंम्म...उउउम्म्म्म...

मैं- उउउम्म्म्म..आहह...एस डियर...सो मच....उूुउउम्म्म्मम...

मैने शीला की गान्ड को पकड़ कर उसे उपेर उठा लिया और शीला ने भी अपनी तागे मेरी कमर मे लपेट ली और जोश के साथ मेरे होंठ चूसने लगी...

मेरा हाथ अब शीला की गान्ड को खुल कर दबा रहा था...मेरी उंगलियाँ उसकी गान्ड के छेद तक पहुँच चुकी थी...मैने नाइटी के उपेर से ही उसके छेदों को उंगली से कुरेदना चालू कर दिया और शीला मस्त हो कर मेरे होंठो को चवाने लगी.....

सॉंग अपनी मस्ती मे बज रहा था और हम दोनो अपनी मस्ती मे एक-दूसरे के होंठो को चूस कर अपनी प्यास भुजा रहे थे .......
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06-08-2017, 11:15 AM,
RE: चूतो का समुंदर
थोड़ी देर बाद.......

शीला- उउउंम्म....आअहह...अब क्या चूस्ते ही रहोगे....

मैं- आहह...मैं तो तुम्हारा वेट कर रहा था कि कब तुम्हारी प्यास भुजे और कब मैं अपनी प्यास बुझाऊ...

शीला- मेरी प्यास इतनी आसानी से नही बुझेगी....बहुत टाइम से प्यासी हूँ...

मैं- ह्म..मैं हूँ ना....देखती जाओ...

फिर मैं शीला को गोद मे लिए ही उसके रूम मे ले गया और जाते ही मैने उसे खड़ा कर दिया...और दूर खड़ा हो गया....

शीला(हैरानी से)- क्या हुआ....

मैं- कुछ नही...बस देखना चाहता हू कि जिस ग्राउंड पर मुझे ड्रिलिंग करनी है...वो आख़िर दिखता कैसे है...ह्म..

शीला मेरा मतलब समझ गई...और शरमाते हुए नाइटी का बेल्ट खोलने लगी...और बेल्ट खोलते ही रुक गई....

शीला- उः हूँ....तुम आओ ना..मैं नही कर सकती....

मैं- अब शर्म आ रही है....ह्म्म..तुम सेक्सी नही बन सकती...

शीला से ये बात बोलना तो एक तीर के जैसा था...इसे सुनते ही शीला ने अपने हाथो से अपनी नाइटी निकाल फेकि और अपने हाथ खोल कर मेरे सामने खड़ी हो गई....

शीला- अब बोलो...मैं सेक्सी हूँ ना....

मैं(मुस्कुरा कर)- यू आर सो हॉट...बट सेक्सी....अभी कह नही सकते....

शीला(थोड़ा गुस्सा दिखा कर)- व्हाट...क्या मतलब कि कह नही सकते....

मैने शीला की बात का जवाब दिए बिना उसे घूर्णा सुरू कर दिया....वो साली नाइटी के अंदर बिल्कुल नंगी थी...ना ब्रा...ना पैंटी....

मुझे ऐसे घूरते हुए देख कर शीला फिर शर्मा गई और अपने बूब्स और चूत को अपने हाथो से छिपाने का नाकाम प्रयास करने लगी....

शीला(शरमाते हुए)- प्ल्ज़्ज़...ऐसे मत देखो...

मैं- शीला...यू आर सो हॉट...आइ वाना टेस्ट यू...नाउ....

और मैं उठ कर शीला के पास गया और उसके सामने घुटनो पर बैठ कर उसका हाथ चूत के उपेर से हटा दिया...

शीला- ओह..नो अंकित...नूऊओ.....उउउम्म्म्मम...

मैं- सस्स्स्र्र्ररुउुुुउउप्प्प्प्प्प्प्प्प्प्प.....(मैने शीला का हाथ हटा कर उसकी चूत पर अपनी जीभ फिरा दी...और शीला सिसक उठी.....)

मैं- यू आर सो टेस्टी...आज तो तुझे चवा डालूँगा......

शीला मुस्कुरा दी और मैने झुक कर अपनी जीभ निकाली...पर इससे पहले कि मैं शीला की चूत पर जीभ फिराता....किसी ने डोरबेल बजा दी और मैं रुक गया...और शीला घबरा गई......
Reply
06-08-2017, 11:15 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अकरम के घर............

सोते -सोते रात हो गई...पर अकरम नही जगा...तब जूही उसे जगाने गई...और कुछ देर आवाज़ देने के बाद अकरम जाग गया ...

थोड़ी देर बाद अकरम फ्रेश हो कर बाहर आ गया और अपनी माँ-बेहन के साथ बैठ कर डिन्नर करने लगा....

खाना खाने का मन ना तो अकरम का था और ना ही सबनम का...पर फिर भी दोनो खाना खाते रहे..ताकि जूही और ज़िया को कोई शक ना हो....

अकरम और सबनम ने पूरे डिन्नर के दौरान एक बार भी एक-दूसरे को नही देखा...दोनो ही संकोच मे थे....

अकरम को ये लग रहा था कि क्या उसने अपनी माँ के साथ ऐसे बात कर के सही किया.....आज मोम को वो सच बोलने पर मजबूर किया जो उन्होने इतने सालो से छिपाया हुआ था....क्या ये सही किया मैने....वो भी ये जाने बिना की उन्होने आख़िर ऐसा क्यो किया ...क्यो..????

और दूसरी तरफ सबनम ये सोच रही थी कि असलियत जानने के बाद अकरम क्या सोचेगा, क्या करेगा....कितने ही सवाल उसके माइंड मे जाग गये होंगे....कैसे समझाउन्गी उसे.....

अकरम ने सबसे पहले डिन्नर ख़त्म किया और बिना किसी से बोले अपने रूम मे घुस गया......

सबनम उसका रबैईया देख कर थोड़ी सी घबरा गई....

सबनम(मन मे)- अकरम से बात करनी ही होगी...नही तो मेरा बच्चे का टेन्षन मे पता नही क्या हाल हो जायगा.....

फिर सबके रूम मे जाने के बाद सबनम चुपके से अकरम के रूम मे गई और रूम अंदर से लॉक कर दिया....

अकरम ने अपनी मोम को रूम मे खड़ा देखा तो चौंक गया...असल मे वो भी सबनम के रूम मे जाने की सोच रहा था ....पर सबनम खुद ही आ गई....

सबनम(अकरम के पास बेड पर बैठ कर)- बेटा...तुम ठीक हो ना....

अकरम- मोम....हाँ मोम...आइ एम फाइन.....

सबनम- मैं जानती हूँ बेटा...जो सच तुझे आज पता चला...वो तुम्हारे लिए कितना दर्दनाक है....और सही भी है...ऐसा सच वाकई मे किसी को भी परेशान कर सकता है....

अकरम- मोम...मैं ...मैं नही जानता कि आपने आज तक ये सच हमसे क्यो छिपाया....पर हाँ...अगर ये आप से पता चलता तो दर्द थोड़ा कम होता...पर....

इतना बोल कर अकरम चुप हो गया और दूसरी तरफ देख कर अपनी आँखो मे उभर आए आँसू छिपाने लगा.....

सबनम- बेटा...अपने आप को दर्द मत दो...मेरी बात सुनो...शायद पूरी बात सुन कर तुम्हारा दर्द कम हो जाए....

अकरम- मोम...मुझे भी पूरी बात जाननी है...पर सिर्फ़ आपके सच छिपाने की बात नही..बल्कि मुझे बहुत कुछ जानना है आपसे....

सबनम(चौंक कर)- क्या...और क्या बेटा....

अकरम ने उठ कर अपनी सेल्फ़ से कुछ फोटोस निकाली और बेड पर रख दी...जिसे देख कर सबनम एक बार फिर से हिल गई...

सबनम- बेटाअ...ये सब...कहाँ से...कैसे ...

अकरम- मोम...मैं आपको सब बताउन्गा...सब कुछ...पर पहले आप बताइए...ये सब कौन है...और इनका क्या रिश्ता है आपसे...मुझसे....डॅड से, आइ मीन वसीम ख़ान से...

सबनम अभी भी अपने सामने पड़ी हुई फोटोस को देख कर शॉक्ड मे थी...अकरम अपनी मोम के करीब आया और उसे कंधे पकड़ कर हिला दिया...

सबनम- ह..हा...

अकरम- प्ल्ज़ मोम..बताइए मुझे...ये सब कौन है...प्ल्ज़ मोम...

सबनम(अपने चेहरे को पोछ कर)- हुह...बेटा...ये सब...ये सब तेरे अपने है...तेरे परिवार वाले और ननिहाल वाले ....

अकरम- क्या...मोम...प्ल्ज़ सब सॉफ-सॉफ बताइए...मुझे पूरी बात जाननी है....ये सब कौन है...कहाँ है...और मेरे डॅड..उनके साथ क्या हुआ...और आपने वसीम ख़ान से शादी क्यो की...प्ल्ज़ मोम...मुझे सब कुछ बताइए...प्लज़्ज़्ज़्ज़...

सबनम ने अकरम के परेशान चेहरे को हाथ मे लिया और फिर सिर सहला कर उसे बोला...

सबनम- बैठो बेटा...मैं सब बताती हूँ...सुरू से.....

-----------------------------------------------------------------------

फ्लेश बेक.....................


जावेद ख़ान एक बहुत ही इज़्ज़तदार इंसान थे....दौलत, सोहरत सब था उनके पास.....सहर मे उनका बहुत रुतवा था.....

उनकी बीवी परवीन भी एक बहुत ही अच्छी औरत थी....सुलझी हुई...और अपने सोहर को भगवान मानने वाली औरत...

दोनो ही मिया-बीवी बहुत ही ख़ुसनसीब थे पर कहते है ना कि...हर किसी को मुकम्मल जहाँ नही मिलता, किसी को ज़मीन तो किसी को आसमान नही मिलता....ऐसा ही कुछ जावेद और परवीन के साथ था....

असल मे जावेद ख़ान को कोई औलाद नही थी...दिनो मियाँ-बीवी ने काफ़ी कोसिस की पर उन्हे औलाद नसीब नही हुई....

पर एक दिन उनके रिलेटिव अली ख़ान ने अपने बड़े बेटे को सहर मे जावेद के पास रख दिया...पढ़ने के लिए...जिसका नाम था सरफ़राज़....

सरफ़राज़ ने जल्दी ही जावेद और परवीन का दिल जीत लिया...और कुछ सालो बाद जावेद ने अली से कह कर सरफ़राज़ को गोद ले लिया....

अनवर ख़ान , जावेद के बड़े भाई का बेटा था....लेकिन एक आक्सिडेंट मे जावेद के भाई और भाभी की मौत हो गई और अनवर अनाथ हो गया ...तो जावेद ने उसे भी गोद ले लिया....

अनवर , सरफ़राज़ से बड़ा था...इसलिए जावेद ने अनवर को अपना बड़ा बेटा और सरफ़राज़ को अपना छोटा बेटा बना लिया...

अनवर भी बढ़ा ही सीधा लड़का था...वो जावेद और परवीन को अपने सगे माँ-बाप से ज़्यादा इज़्ज़त देता था और सरफ़राज़ को भी छोटे भाई की तरह प्यार करता था....और सरफ़राज़ भी अनवर को बड़ा भाई मानता था.....

पूरा परिवार खुशी-खुशी जीवन जी रहा था....

अनवर के साथ स्कूल मे एक लड़की पढ़ती थी....सबनम ख़ान...जो अनवर की दोस्त थी और उसको बहुत पसंद थी...

बड़े होते -होते दोनो की दोस्ती प्यार मे तब्दील हो गई और दोनो ने शादी करने का फ़ैसला किया....

सबनम के डॅड परवेज़ ख़ान भी एक खानदानी रहीस थे...उनकी बीवी गुलनार थी...और उनकी सिर्फ़ 2 बेटियाँ थी...सबनम और सादिया....

जब परवेज़ ख़ान के सामने सबमम और अनवर के रिश्ते की बात आई तो उन्होने खुशी-ख़ुसी इस शादी के लिया रज़ामंदी दे दी ...

सबनम की शादी अनवर से हो गई...और कुछ सालों मे सबनम की 3 औलादे भी हो गई...

सबनम की बेहन की शादी भी सकील ख़ान से हो गई....वो भी एक पैसेवाला बंदा था...दुबई मे बिज़्नेस करता था....और साल मे 2-3 बार ही घर आता था.....पर सादिया फिर भी खुश थी....

कुल मिला कर दोनो परिवारों के सब लोग खुशी से अपनी जिंदगी जी रहे थे...

पर एक दिन अचानक एक ऐसा झटका लगा...जिसने सबको हिला दिया...

उस दिन अन्वर ख़ान किसी बिज़्नेस मीटिंग के लिए घर से निकला तो लौट कर नही आया...सिर्फ़ उसके हॉस्पिटल मे होने की खबर आई...उसका आक्सिडेंट हो गया था....

जब सब लोग हॉस्पिटल पहुँचे तो अनवर ने सबनम का हाथ थाम कर उसे एक वादा याद दिलाया और दम तोड़ दिया....

अनवर की मौत के बाद सबनम से सबको उस वादे के बारे मे पता चला.....जो ये था कि अनवर की मौत के बाद सबनम दूसरी शादी कर ले...

पर सबनम तैयार नही थी...फिर भी अनवर की आख़िरी ख्वाहिस पूरी करने के लिए सबनम ने हाँ कर दी...

अब सवाल ये थे कि सबनम की शादी किससे की जाए..जिस से सबनम और अनवर के बच्चो के साथ बुरा सलूक ना हो....

तभी सरफ़राज़ आगे आया और अपने भाई के बच्चो के फ्यूचर के लिए सबनम का हाथ थाम लिया....
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06-08-2017, 11:16 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सबनम की शादी तो हो गई पर 2 महीने तक सरफ़राज़ और सबनम ने एक-दूसरे को टच भी नही किया.....

पर उसके बाद हालात नॉर्मल होने लगे और सबनम सरफ़राज़ के साथ नई जिंदगी सुरू करने लगी...

पर एक तरफ हालात ठीक हुए ही थे कि तभी एक दिन दोनो परिवारों को एक और बड़ा झटका लगा....

एक दिन जावेद, परवीन, परवेज़, गुलनार और सकील कार से किसी के घर शादी मे गये हुए थे....

वहाँ से वापिस आते वक़्त कुछ लुटेरों ने उन्हे लूटने की कोसिस की....उन्होने जब विरोध किया तो लुटेरे सबको मार कर भाग गये....

एक साथ 5 मौतें...और वो भी सहर के नामी परिवारों से....इस खबर से पूरा सहर दहल उठा...बहुत खोज-बीन हुई...पर कुछ हाथ नही लगा....

इन मौतों ने एक बार फिर से सबनम, सफ़राज़ और सादिया को हिला कर रख दिया....उनकी जिंदगी जैसे रुक सी गई थी...


फिर सरफ़राज़ ने सबनम और सादिया को संभाला और उस सहर मे दोनो परिवारों की सारी प्रॉपर्टी बेच कर इस सहर मे आ गये....ताकि जिंदगी नये सिरे से सुरू कर सके.....


प्रेज़ेंट मे...............

पूरी बात बोलते-बोलते सबनम की आँखो से आँसू बहने लगे थे...और अकरम की आँखे भी नम हो गई थी....

सबनम(आसू पोछ कर)-आहह...तो ये था पूरा सच....इसके आगे का तो तुम जानते ही हो....

अकरम(नम आँखो से)- मोम...

अकरम सिर्फ़ इतना ही बोल पाता है और सबनम को कस के गले लगा कर रो पड़ता है....

सबनम भी अपने बेटे से लिपट कर अपने आप को रोक नही पाती और दोनो रोने लगते है...

थोड़ी देर बाद जब दोनो के दिल का दर्द कुछ कम हुआ तो अकरम अपनी मोम से अलग होता है और उसके आँसू पोछ देता है....

अकरम- मोम...नही...आप रोओ मत....मैं जान चुका हूँ कि आपने कुछ ग़लत नही किया...आपने जो भी फैशला लिया वो आपका नही बल्कि मेरे डॅड का था...प्ल्ज़ मों...चुप हो जाइए....

सबनम- नही बेटा...आज मुझे रो लेने दे...कब्से अंदर ही अंदर घुट रही थी...यही सोच कर कि मेरे बच्चो को सच कैसे बताऊ....

अकरम- बस कीजिए मों..चुप हो जाइए प्ल्ज़...

थोड़ी देर तक अकरम ने अपनी मोम को चुप करवाया और फिर दोनो फ्रेश हो कर बातें कर ने लगे....

सबनम- बेटा...अब मुझे ये तो बता कि तुझे ये सारी फोटोस कहाँ से मिली....

अकरम- वो...वो मोम...ये तो वसीम ख़ान के कवर्ड से मिली...

सबनम- बेटा...उनका नाम मत लो....अब वो तुम्हारे डॅड है...समझे...

अकरम- ओके मोम...डॅड बोलूँगा...पर एक बात और बताइए....

सबनम- हाँ बोलो...

अकरम- अगर डॅड का नाम ..आइ मीन दूसरे डॅड का नाम सरफ़राज़ था..तो ये वसीम ख़ान....

सबनम- ह्म्म...मुझे पता था तू ये ज़रूर पूछेगा....असल मे बेटा...इस सहर मे आने के बाद हमने न्यू लाइफ सुरू की...इसी के चलते सरफ़राज़ ने अपना नाम वसीम रख लिया...क्योकि उनका कहना था कि सरफ़राज़ नाम सुनते ही उनके जख्म हरे हो जाते है....इसलिए यहाँ उन्हे सब वसीम ख़ान के नाम से जानने लगे....

अकरम- ओह...तो ये बात है....अच्छा मोम...एक बात और बताओगी...

सबनम- जो भी पूछना है बेझिझक पूछ बेटा....

अकरम- क्या आप वसीम ख़ान की रियल फॅमिली के बारे मे कुछ जानती है...कुछ भी..आइ मीन...वो कहाँ है...कैसे है...

सबनम- हाँ...उनकी रियल फॅमिली के बारे मे बताया तो था....वो किसी गाँव मे रहते थे...और शायद किसी हादसे मे उनकी मौत हो गई यही...

अकरम- ओह्ह...ओके मोम....अब आप सो जाइए...

सबनम- बेटा....और भी कुछ पूछना हो तो ज़रूर पूछना...मैं सारे सवालो के जवाब दुगी....

अकरम- ह्म्म...कोई सवाल होगा तो ज़रूर पूछुगा मोम...अभी आप सो जाइए....

सबनम- ह्म्म..तो चल..तू भी सो जा..मैं आज अपने बेटे को खुद सुलाउन्गी...

फिर सबनम ने अकरम अपने साथ लिटा लिया और उसका सिर सहलाते हुए नीद की आगोश मे चली गई....अकरम अभी भी जाग रहा था.....

अकरम(मन मे)- मोम...अभी तो मुझे कई सवालो के जवाब चाहिए आपसे....पर अभी आप रेस्ट करो....बाकी सवाल सुबह पूछुगा.....

और अकरम अपनी मों की बताई गई बातों के बारे मे सोचता हुआ सो गया........
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06-08-2017, 11:16 AM,
RE: चूतो का समुंदर
शीला के घर पर.........


डोर बेल बजते ही मैं और शीला चौंक गये....शीला तो घबरा ही गई थी....उसने जल्दी से अपनी नाइटी पहनी और मेरे साथ बाहर हॉल मे आ गई....

शीला- क्क़..कौन है....

वर्मा- मैं और कौन...खोल जल्दी..

शीला(मुझसे , धीरे से)- ओह माइ गॉड...मेरा पति आ गया...अब क्या होगा...

मैं- अरे...रिलॅक्स..कुछ नही होगा.... एक काम करो..गेट तब खोलना जब मैं छिप जाउ...और तेरे पति को अंदर आते ही बेडरूम मे ले जाना...तब तक मैं निकल जाउन्गा...ओके....

शीला- ऊ..ओके...

वर्मा- क्या हुआ...खोल ना...किसके साथ बिज़ी है...हाँ...

मैं- तुम गेट खोलो...मैं छिपता हूँ...

फिर मैं छिप गया और शीला ने गेट खोल दिया....

गेट खोलते ही वर्मा नशे मे लड़खड़ाता अंदर आया...उसे ड्राइवर पकड़े हुए था....

वर्मा- किसके साथ सो रही थी ...हाँ...

शीला- किसी के साथ नही...चलिए अंदर...कितनी पी रखी है...चलिए...

फिर शीला ने ड्राइवर को जाने को कहा और अपने पति को सहारा दे कर बेडरूम मे ले गई...

मैं भी मौका मिलते ही वहाँ से निकला और कार ले कर घर आ गया ....

मैं(मन मे)- बहन्चोद वर्मा...साले अभी ही आना था....भोसड़ी के कुछ देर बाद आता तो क्या बिगड़ जाता...

साला चूत मुँह ताल आ कर भी मुँह ना लगी....हॅट भैन्चोद....

मैं वर्मा को गालियाँ देते हुए घर पहुँच गया...

मैने सोचा कि किसी को डिस्टर्ब ना करू...इसलिए ड्यूप्लिकेट की (जो मेरे पास रहती थी) से गेट खोला और आराम से अंदर आ गया....

पर हॉल मे आते ही मुझे सुजाता के रूम की लाइट ऑन दिखी...

मैं(मन मे)- देखु तो...साली रंडी रूम मे कर क्या रही है...

मैं चुपके से गेट के पास गया और झुक कर कीहोल से देखने लगा...

सामने सुजाता लेटी हुई किसी से बातें कर रही थी...मैने कान लगा कर सुनना सुरू ही किया कि पहली लाइन सुन कर मेरा माथा ठनक गया......

सुजाता- बस भैया....कुछ दिन और...फिर आकाश भी ख़त्म और आज़ाद भी....दोनो मेरी मुट्ठी मे है....

सामने- $$$$$$$$$$$$$

सुजाता- हाँ भैया...ऐसा ही होगा....नही तो मैं भी सम्राट सिंग की बेटी नही.....

मैं- सुजाता...सम्राट सिंग की बेटी.....अब ये क्या चक्कर है.....??????
सुजाता की बात सुन कर तो मेरा दिमाग़ ही सुन्न पड़ गया.....

अब तक तो मैं ये सोच रहा था कि सुजाता सिर्फ़ दौलत के लिए हमारे पीछे पड़ी हुई है....पर यहा तो बात ही कुछ और है....

सुजाता तो सम्राट सिंग की बेटी है....मतलब सॉफ है...यहाँ कोई बड़ी गड़बड़ है....

क्योकि हो ना हो...सम्राट सिंग की दुश्मनी तो पैसो के लिए हो नही सकती....उसका तो खुद का महल है और साथ मे उसका शानदार घर....और फिर उसके गाँव मे उसका दव्दबा भी बहुत है...मतलब वो है तो रहीस इंसान....

तो अगर सम्राट हमारे पैसे के पीछे नही तो वजह क्या होगी....क्यो उसकी बेटी हमारे घर मे शादी कर के आई....क्या वजह हो सकती है....

मैं अपने माइंड मे सोचते-सोचते सुजाता के रूम से दूर आ कर सोफे पर बैठ गया था.....

एक मिनिट...क्या मेरे घरवालो को ये पता है कि उनके घर की बहू सम्राट की बेटी है....पहले ये बात पता करनी होगी....

मैने तुरंत फ़ोन निकाला और अपने आदमी से बात की....

( कॉल पर )

मैं- हेलो...आप कहाँ हो...

स- अभी तो घर पर हूँ...बोलो क्या हुआ...कुछ काम था....

मैं- घर पर हो...ओह...नही -नही..कोई काम नही था...बस मैने सोचा कि आप सीक्रेट हाउस पर होंगे....

स- सीक्रेट हाउस पर कुछ काम था क्या...

मैं- ह्म....नही ...कोई खास काम नही...कल सुबह मिलते है...फिर बात करेंगे...ओके...गुड'नाइट....

स- ओके...गुड'नाइट 

जैसे ही मैने कॉल कट किया वैसे ही सुजाता के रूम का गेट खुल गया...और मैं उसके देखने के पहले उठ कर आगे जाने लगा....

सुजाता- अरे..अंकित बेटा...क्या कर रहे हो....सोए नही अभी तक....

मैं- नही आंटी...आक्च्युयली मैं संजू के घर गया था...बस अभी आया हूँ...

सुजाता- अभी आए...पर मुझे तो कोई आवाज़ नही आई...मतलब गेट किसने खोला....

मैं- किसी ने नही..मतलब मेरे पास एक की रहती है...तो बिना किसी को डिस्टर्ब किए आ गया....

सुजाता(मन मे)- थॅंक गॉड....आगे से ध्यान रखना होगा....कभी कुछ गड़बड़ भी हो सकती है...

मैं- वैसे आंटी आप क्यो जाग रही है अब तक...

सुजाता- म्म्मग..मैं...मैं तो बस...पता नही...मुझे नीद नही आ रही....

मैं- ओह..क्यो...कोई प्राब्लम...

सुजाता(मन मे)- यही सही मौका है...रात का वक़्त किसी को हुश्न के जाल मे फसाना आसान होता है...

मैं- क्या हुआ आंटी...कोई प्राब्लम है तो बोलो...

सुजाता- हाँ बेटा...प्राब्लम तो है...

मैं- बोलिए क्या प्राब्लम है...मैं सॉल्व करता हूँ...

सुजाता- ह्म्म..असल मे आज दिन मे मैने एक फिल्म देखी....मतलब उसका 1 सीन...

मैं- हाँ तो...सीन से क्या....

सुजाता- अरे बेटा...उस सीन को देखने के बाद ही से तो हालत खराब है मेरी...

मैं- ओह्ह...ऐसा क्या देख लिया ...मुझे बताइए...शायद मैं कुछ कर सकूँ....

सुजाता- हाँ बेटा....कर तो तू ही सकता है....और कोई नही...

मैं(मन मे)- ओह...शायद यही है जो कॅबिन मे स्मिता की चुदाई देख रही थी...देखता हूँ कि क्या बकती है....

सुजाता- क्यो बेटा करोगे ना...

मैं- मतलब...ऐसा क्या देख लिया आपने...बताओ तो सही...फिर मुझसे जो बन पड़ेगा वो करूगा....

सुजाता-ह्म्म...आओ रूम मे चल कर बात करते है....

मैं- रूम मे...हाँ क्यो नही...चलिए...पर मेरे रूम मे चलते है...

सुजाता - ह्म्म..चलो...

और फिर मैं सुजाता को साथ ले कर अपने रूम मे आ गया....

रूम मे आते ही हम बेड पर बैठ गये ....सुजाता आज फिर मुझसे चिपक कर बैठी थी....उसकी गान्ड मेरे जिश्म को छु कर हलचल मचा रही थी...

मैं- हाँ तो आंटी...अब बोलिए...क्या देखा आपने जिसने आपकी नीद उड़ा दी...

सुजाता(मुस्कुरा कर)- आज मैने वो जाना...जिससे अंजान थी...असल मे ऐसा सोचा नही था कि ये इतना जानदार होगा...

मैं- क्या...मैं कुछ समझा नही...आप किस बारे मे बोल रही है...ज़रा खुल कर बताइए....

सुजाता- ह्म्म...बेटा ...वो आज ऑफीस मे...वो ऑफीस मे....

मैं- आप हिचकिचाईए मत...खुल कर बोलिए ....तभी तो मैं कुछ कर पाउन्गा....

सुजाता- ह्म्म..असल मे आज मैने तुम्हारे कॅबिन मे कुछ.....मैं वो..तुझसे मिलने आ रही थी कि...

सुजाता फिर खामोश हो गई ...मुझे बात समझ आ चुकी थी...पर मैं उसके मुँह से सब निकलवाना चाहता था....

मैं- मेरे कॅबिन मे क्या...और आप मुझसे मिलने कब आई...मुझे तो याद नही...

सुजाता- आई थी...पर अंदर आती उसके पहले ही कुछ देख कर वापिस चली गई...

मैं- वापिस क्यो....और क्या देख कर वापिस चली गई ...खुल कर बताइए ना....

सुजाता- कैसे कहूँ...वो तुम उस औरत से बात कर रहे थे ना...तो मैं ...

मैं(बीच मे)- ओह्ह...तो आप तब आई थी...असल मे वो औरत मेरी फ्रेंड है...एक काम से आई थी....

सुजाता(आँखे मटका कर)- हाँ...मैने देखा था...अच्छा काम किया उसका...

मैं(डरने का नाटक कर के)- क्क़..क्या मतलब...आपने क्या देखा....

सुजाता(मन मे)- ये तो घबरा रहा है...चलो...अब इसे डरा कर ही काम निकलवाती हूँ...

मैं- बोलिए आंटी..आपने क्या देखा....

सुजाता(कमीनी मुस्कान दे कर)- अब जो भी देखा ....वो तुम्हारे डॅड को बता दूगी...ओके...

मैं- ड्ड..डॅड को...पर देखा क्या...बोलिए तो...

सुजाता- अब भी नही समझे...अरे बच्चू...मैने सब देख लिया कि तू कौन सा काम कर रहा था उस औरत के साथ...मैं सब तेरे डॅड को बताउन्गी...

मैं(सिर झुका कर)- ओह नो...मतलब आपने सब देख लिया...

सुजाता- ह्म्म..और अब एक-एक बात तेरे डॅड को बोलुगी...

मैं(सुजाता के हाथ पकड़ कर)- नही आंटी...प्ल्ज़...डॅड से कुछ मत कहना...वो..वो मुझे मार डालेगे ..प्ल्ज़ आंटी...

सुजाता(हाथ झटक कर)- छोड़ मुझे ...और सुन..मैं तेरे डॅड को सब बता दूगी...कि तू कैसे काम करता है...हुह...

मैं- आंटी प्ल्ज़...ऐसा मत करना...मैं बर्बाद हो जाउन्गा...प्ल्ज़ आंटी...

सुजाता- अच्छा...चल नही बताती...पर तुझे मेरी बात माननी पड़ेगी...

मैं- आप जो बोलो आंटी...पर प्ल्ज़ ...डॅड को नही बताना...प्ल्ज़ ..

सुजाता(मन मे)- अब आया ना काबू मे...अब देख मैं क्या करती हूँ...अपने जिश्म की भूख भी मिटाउंगी और तुझे अपनी उंगलियों पर भी नचाउन्गी...

मैं- बोलो ना आंटी...क्या सोचने लगी..आप डॅड को नही बोलेगी ना...

सुजाता- ह्म्म..नही बोलुगी...पर तुझे मेरा कहा मानना पड़ेगा...

मैं- हाँ आंटी...मैने बोला ना कि मैं हर बात मानूँगा....आप बस हुकुम करो....

सुजाता- अच्छा...तो चल..रूम का गेट लॉक करके आ...फिर बताती हूँ...

मैं किसी नौकर की तरह उसकी आग्या का पालन करने लगा.....
Reply
06-08-2017, 11:16 AM,
RE: चूतो का समुंदर
सुजाता(मन मे)- अच्छा फसा बच्चू....सोचा नही था कि इतना आसान होगा...ये तो फत्तु निकला....आकाश की औलाद और फत्तु...लगता नही था...

मैं(मन मे)- आज तू जो करना चाहे कर ले....और आज तू सिर्फ़ मेरी आक्टिंग देख...बाद मे तुझे बताउन्गा कि मैं क्या चीज़ हू...

मैं गेट लॉक कर के आया तो देखा कि सुजाता बेड के सिरहाने से टिक कर आधी लेटी हुई थी...


सुजाता- हाँ...चल मेरे लिए एक पेग तो बना...गला सूख रहा है...

मैने तुरंत एक पेग बना कर दे दिया...

सुजाता(पेग लगाते हुए)- अब आजा...मेरे पैर दबा...बहुत थकान हो रही है...

मैं- जी आंटी ..अभी दबाता हूँ...

फिर सुजाता पेग लगाती रही और मैं उसके पैर दबाता रहा....

मेरे हाथ सुजाता के घुटनो से होते हुए उसकी नरम जाघो तक पहुँच गये थे....

मैने उसकी नरम जाघे दबाता और सुजाता सिसक पड़ती....थोड़ी देर बाद ही मैं और सुजाता दोनो गरम होने लगे...

मेरा लंड तो जल्दी ही तन गया था क्योकि मैं शीला के घर से बिना शांत हुए आया था...

सुजाता(मन मे)- अब इससे अपनी प्यास भुजवाती हूँ...और इसे तड़पाना भी तो है...

सुजाता ना मुझे रोक कर अपनी नाइटी निकाल दी और लेट कर मुझे अपने नंगे जिश्म के दीदार करवाने लगी...

सुजाता- उउंम...अब तू मेरी प्यास बुझा दे...

मैं- ओके..मैं कपड़े निकाल देता हूँ...

सुजाता- नही...ऐसे ही बैठा रह....तू बस मेरी चूत चाट...और कुछ नही...समझा...

मैं- जी आंटी...

सुजाता मेरा घबराया हुआ चेहरा देख कर खुश हो रही थी...और मैं अपने गुस्से को काबू किए हुए आक्टिंग किए जा रहा था....

मैं जैसे ही सुजाता के पैरों के पास आया तो उसके अपनी टांगे खोल कर अपनी चूत दिखा दी और मुझे आगे बढ़ने का इशारा कर दिया...मैने भी देर नही की और अपना मुँह चूत पर लगा दिया....
मैं- सस्स्स्रर्र्ररुउुुउउप्प्प्प्प्प्प....सस्स्र्र्ररुउुुउउप्प्प्प्प्प्प......

सुजाता- आआहह....बस ऐसे ही चाट...आअहह....

मैं- सस्स्स्र्र्ररुउुउउप्प्प्प.....सस्स्स्र्र्ररुउउउप्प्प्प्प.....

सुजाता- उउउम्म्म्म....अच्छा चाट ता है तू....करते रहो....आअहह....

मैं(मन मे)- साली की चूत तो मस्त है....अभी टाइट लगती है...भोसड़ा नही बना इसका....खैर...मैं इसका भोसड़ा बना कर छोड़ूँगा....

सुजाता- आअहह....अब चाट ता ही रहेगा क्या....जीभ को चूत मे डाल और अंदर तक चाट...

मैने तुरंत जीभ को नुकीला कर के सुजाता की चूत मे डाल दिया और जीभ से चोदने लगा....

मैं- उउउंम्म...य्यी...य्यी...यययी....

सुजाता- आआहह...और अंदर...हाँ...ऐसे ही....पूरी जीभ घुसेड दे साले....आअहह....

मैं- यययी...य्यी...यययी...उूउउंम्म...

सुजाता- ओह माँ....क्या मस्त करता है कमीने....करता रह...ज़ोर से....

थोड़ी देर बाद सुजाता ने मेरा सिर चूत पर दबा दिया और उसकी पूरी चूत मेरे मुँह मे भर गई और मैं चूसने लगा....

मैं- उउउंम्म...उउउम्म्म्म....उउउम्म्म्म...उूउउम्म्म्म....

सुजाता- आआहह....चूस कमीने चूस....चूस कर निकाल ले पूरा रस...आअहह...ज़ोर से....उूउउम्म्म्म.....

मैं- उूउउम्म्म्म....उूउउंम्म....उूउउम्म्म्मम....उउउम्म्म्म....

सुजाता- आआहह....थोड़ा और....बस...ऐसे ही....आआहह....क्या चूस्ता है...उूउउम्म्म्ममम....

थोड़ी देर की चूत चुसाइ के बाद सुजाता ने अपना चूत रस मेरे मुँह मे छोड़ दिया...और मेरे सिर को और ज़ोर से चूत पर दबा दिया......


सुजाता- आआहह....निकल गया रे....आआओउउउम्म्म्म...पी ले साले.....पी ले....

सुजाता ने अपना चूत रस निकाल पिला कर मुझे अलग किया और लंबी-लंबी साँसे लेने लगी.....

सुजाता- ओह्ह्ह...क्या चूस्ता है तू...आअहह...मज़ा आ गया....बरसो बाद इतना झड़ी हूँ....आअहह...

मेरा लंड भी अब फुल फॉर्म मे आ चुका था...पर मैं चुप चाप बैठा रहा....

सुजाता- अब ऐसे ही मेरी बात मानते रहना...वरना....तू समझ गया ना...

मैं- जी आंटी...पर आंटी...मेरा भी मूड हो गया....तो...

सुजाता- तो जा बाथरूम मे और हिला ले...ये तो सोचना ही मत कि मैं तेरे नीचे आउगि...हुह...मैं चली सोने...तू हिलाता रह...और हाँ..मेरी बात याद रखना...समझा...

फिर सुजाता उठी और नाइटी पहन कर रूम से निकल गई....

मैने भी उसके जाते ही एक कॉल किया और फिर अपने आप से बातें करने लगा......

मैं(अपने आप से)- सॉरी अंकित...इतना जॅलील होने के लिए....पर क्या करू...दुश्मन को सामने लाने के लिए एक पुरानी तरकीब अपना रहा हूँ...सॉरी...

वो कहते है ना कि आप कमजोर पड़ जाओ तो दुश्मन अपने को होसियार समझ लेता है और होशियारी मे वो बेफ़िक्र हो कर बाहर आ जाता है फिर उसे मिटाना आसान हो जाता है....बस ..मैने भी वही किया...

सुजाता अपनी मस्ती मे कोई ग़लती ज़रूर करेगी...उसके पीछे छिपा मास्टरमाइंड बाहर ज़रूर आएगा....क्योकि सुजाता अकेले तो कुछ कर ही नही सकती....और एक बार मुझे वो मास्टरमाइंड हाथ लगेगा ना..फिर हिसाब चुकता करूगा....सूद समेत....

तभी मेरे रूम मे सविता एंटर हुई....

सविता- क्या हुआ बेटा...इतनी रात को क्यो बुलाया...सब ठीक है ना...

मैं- मुझे भूख लगी है....और तुम उसे मिटाओगी....

सविता(मुस्कुरा कर)- ओह...तो देर किस बात की...तुम्हारी भूख मिटाने तो मैं हमेशा तैयार रहती हूँ....

फिर क्या था..थोड़ी ही देर मे हम दोनो नंगे थे और सविता मेरे लंड को चूस रही थी....

सविता- उउउम्म्म्म...उउउंम्म...

मैं- चूस...और तेज...आज तेरी फाड़ कर रख दूँगा....

सविता अपना काम करती रही और मैं सुजाता का गुस्सा सविता पर निकालने को तैयार था....

मैने सविता को कुतिया बनाया और ताबड़तोड़ गान्ड मारने लगा....

मैने 2 घंटे तक सविता को चोदता रहा और जब मेरा गुस्सा उतर गया तो उसे भेज कर सो गया.....
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06-08-2017, 11:16 AM,
RE: चूतो का समुंदर
अकरम के घर..............

रात भर अकरम अपनी मोम की आगोश मे सोता रहा....और जब जगा तो उसका दिमाग़ हल्का हो चुका था ...

शायद ये मोम के प्यार का असर था....पर जागते ही अकरम ने अपने आपको ऐसी कंडीशन मे पाया कि वो सकपका गया....

सबनम उसे अपने सीने से चिपकाए हुए सो गई थी...और अकरम के जागने पर सबनम का भरा हुआ सीना उसके मुँह के सामने था...या यू कहे कि अकरम का मुँह अपनी मोम के सीने मे दबा हुआ था....

अकरम की आँखो के सामने उसकी मोम के बड़े बूब्स का कुछ हिस्सा सॉफ दिख रहा था....

क्योकि सबनम ने एक ढीली सी नाइटी पहनी हुई थी...जिसमे उसके बूब्स का कुछ हिस्सा और उनके बीच की गहराई अकरम की आँखो के सामने आ गई थी...

अकरम इस कंडीशन मे अपने आपको असहज महसूस कर रहा था....पर फिर भी बार-बार उसकी आँखे बूब्स की गहराई मे अटक जा रही थी....

अकरम बड़े पसोपेश मे था...ना तो वो झटका देकर अपनी मोम की नीद खराब करना चाहता था..और ना ही वो अपनी मोम को इस हालत मे देखना चाहता था....पर करे तो करे क्या...वो जानता था कि उसके सिर हटते ही उसकी मोम की नीद टूट जाएगी...

कुछ देर तक अकरम यू ही पड़ा रहा...और सामने का नज़ारा देख कर तेज साँसे लेने लगा....

उसकी साँसे अब गरम हो चुकी थी और तेज़ी की वजह से सबनम के बूब्स पर टकरा रही थी....

कुछ देर बाद सासो ने अपना असर दिखा ही दिया और सबनम कसमसा कर उठ गई....

सबनम के जागते ही अकरम ने आँखे मूंद ली और सोने का नाटक करने लगा....वो अभी अपनी मोम का सामना नही करना चाहता था....

सबनम इस सब से बेख़बर उठ गई और अपने बेटे को सोता छोड़ कर रूम से निकल गई....

अकरम- उउउफफफफ्फ़.....अच्छा हुआ मोम जाग गई....

थोड़ी देर बाद सबने फ्रेश हो कर नाश्ता किया और फिर अकरम अपने रूम मे आ कर उस खुपिया रूम मे मिली चीज़ो को देखने लगा.....

सबसे पहले उसने वो पर्चे पड़े जो फोटोस के साथ अटेच थे....उनमे कुछ खास नही था...बस उस फोटो की फुल डीटेल थी....

लेकिन उनमे से एक पर्चे की डीटेल पढ़ कर अकरम को झटका लगा और उसने कुछ सोच कर उस पर्चे को अलग रख लिया...

फिर अकरम ने मॅप्स टाइप के पेपर्स देखना सुरू किया....


पहला पेपर अली की फॅमिली से रिलेटेड था...जिसे देखने पर पता चलता था कि अली की फॅमिली को आज़ाद ने ख़त्म किया है....

अकरम- ह्म्म...तो यहा से शुरुआत हुई है...अंकित ने सच बोला था...पर क्या सच यही है जो दिख रहा है...या फिर सच कही छिपा हुआ है...

फिर अकरम ने जावेद और परवेज़ की फॅमिली का माप देखा....दोनो मे वो सब मेंबर थे जो सबनम ने बताए....

पर मॅप्स के हिसाब से दोनो के अंत मे सरफ़राज़ का नाम लिखा था...पर और कोई डीटेल नही थी...

अकरम- इसका क्या मतलब...क्या ये कि इन फॅमिलीस मे इकलौता मर्द सफ़राज़ बचा है....या कुछ और....ह्म्म...पता करना होगा...

अकरम ने सब सामान धीरे-धीरे चेक कर लिया....पर उसे कोई ऐसा सबूत नही मिला जो साबित करे कि सरफ़राज़ उर्फ वसीम ने ही अंकित की फॅमिली के खिलाफ सब साज़िश रची है....

अकरम- अंकित ने बताया था कि रिचा , वसीम ख़ान से मिली हुई है...पर यहा रिचा का नाम तक नही...क्या अंकित सही है...क्या रिचा ने उसे सच बोला....उउउहह...कैसे पता लगेगा....

अकरम ने सब समान चेक कर के रख दिया और कुछ याद कर के वापिस ख़ुफ़िया रूम मे निकल गया....

अकरम सबकी नज़रों से बच कर ख़ुफ़िया रूम मे दुबारा आ गया...और एक बार फिर से तलासी लेने लगा ...

इस बार अकरम ने एक-एक-दीवाल को ठोक-ठोक कर चेक करना सुरू कर दिया...

ठोकते हुए उसे एक दीवाल के एक हिस्से पर कुछ महसूस हुआ...

अकरम- यस...अंदाज़ा सही निकला...यहाँ दीवार पोली है...यहा ज़रूर कुछ मिलेगा....

अकरम ने फिर उस हिस्से को ध्यान से चेक करना सुरू किया...जैसे कुछ ढूढ़ रहा हो...

आख़िरकार उसकी तलाश पूरी हुई...उसे एक उंगली फसाने की जगह मिल गई...और जैसे ही उसने उंगली फसा कर खीचा तो दीवाल के बीच मे एक अलमारी सी खुल गई...

अकरम- ह्म्म..अब देखु तो..कि ये ख़ुफ़िया अलमारी क्यो बना रखी है...

उस अलमारी को चेक करने पर अकरम को कई पेपर्स और 1 मोबाइल मिला...

अकरम ने जल्दी से सब समेटा और अलमारी बंद कर के रूम से निकल गया....

इससे पहले की अकरम कुछ चेक करता...उसकी बेहन ज़िया उसे बुलाने आ गई...

अकरम- ओह्ह्ह...अब इसे क्या काम है...

अकरम ने पूरा सामान सावधानी से छिपाया और ज़िया के पास आ गया...

ज़िया अकरम को अपने साथ मार्केट ले गई...अकरम जाना नही चाहता था पर मजबूर था....असल मे उनकी सभी कार रुटीन चेकप के लिए गॅरेज गई थी...सिर्फ़ अकरम की बाइक थी...तो उसे ज़िया को साथ ले कर जाना पड़ा.....
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