बहू नगीना और ससुर कमीना
06-10-2017, 10:13 AM,
#61
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
अब सब लोग सोफ़े पर बैठे और मालिनी चाय बनाने चली गयी। राजीव पहले ही समोसे और जलेबियाँ ले आया था। वह उसे सजाने लगी, तभी सरला किचन में आयी और मालिनी से बोली: बेटी ख़ुश हो ना यहाँ? शिवा के साथ अच्छा लगता है ना? तुमको ख़ुश तो रखता है? 

मालिनी: उफ़्फ़ मम्मी आप भी कितने सवाल पूछ रही हो। मैं बहुत ख़ुश हूँ और शिवा मेरा पूरा ख़याल रखते हैं। 

सरला: चलो ये बड़ी अच्छी बात है। भगवान तुम दोनों को हमेशा ख़ुश रखे। 

मालिनी: चलो आप बैठो मैं नाश्ता लेकर आती हूँ। 

सरला भी उसकी मदद करते हुए नाश्ता और चाय लगाई। सब नाश्ता करते हुए चाय पीने लगे। 

सरला: शिवा कब तक आएँगे? 

राजीव: उसको आज जल्दी आने को कहा है आता ही होगा। 

मालिनी: मम्मी आपका सामान महक दीदी वाले कमरे में रख देती हूँ। ताऊ जी आपका सामान पापा जी के कमरे में रख दूँ क्या? 

राजीव: अरे बहु तुम क्यों परेशान होती हो, मैं भाभी का समान रख देता हूँ , चलो भाभी आप कमरा देख लो। और हाँ बहु तुम शिवा को फ़ोन करो और पूछो कब तक आ रहा है।आओ श्याम जी आप भी देख लो कमरा। 

तीनों महक वाले कमरे में सामान के साथ चले गए। मालिनी शिवा को फ़ोन करने का सोची। तभी उसे महसूस हुआ कि ये तीनों कमरा देखने के बहाने उस कमरे में क्यों चले गए। शायद मस्ती की शुरुआत करने वाले हैं। मुझे बहाने से अलग किया जा रहा है। ओह तो ये बात है , वह चुपचाप उस कमरे की खिड़की के पास आइ और हल्का सा परदा हटाई और उसकी आँखें फटी की फटी रह गयीं। 

सामने मम्मी पापा जी की बाहों में जकड़ी हुई थी और दोनों के होंठ चिपके हुए थे ।पापा जी के हाथ उसकी बड़ी बड़ी गाँड़ पर घूम रहे थे। ताऊ जी भी उनको देखकर मुस्कुरा रहा था और पास ही खड़ा होकर मम्मी की नंगी कमर सहला रहा था। फिर राजीव सरला से अलग हुआ और उसकी साड़ी का पल्ला गिराकर उसकी ब्लाउस से फुली हुई चूचियों को दबाने लगा और उनके आधे नंगे हिस्से को ऊपर से चूमने लगा। उधर श्याम उसके पीछे आकर उसकी गाँड़ सहलाए जा रहा था 

मालिनी की बुर गरम होने लगी और उसके मुँह से आह निकल गयी। तभी पापा जी ने कहा: अरे क्या मस्त माल हो जान। सच में देखो लौड़ा एकदम से तन गया है। 

मम्मी: आज छोड़िए अब मुझे, रात को जी भर के सब कर लीजिएगा। फिर हाथ बढ़ाके वह एक एक हाथ से पापा और ताऊ के लौड़े को पैंट के ऊपर से दबाते हुए बोली: देखो आपकी भी हालत ख़राब हो रही है, और मेरी भी बुर गीली हो रही है। 

पापा नीचे बैठ गए घुटनो के बल और बोले: उफफफफ जान, एक बार साड़ी उठाके अपनी बुर के दर्शन तो करा दो। उफफफ मरा जा रहा हूँ उसे देखने के लिए। 

मालिनी एकदम से हक्की बक्की रह गयी और सोची कि क्या उसकी बेशर्म मॉ उनकी ये इच्छा भी पूरी करेगी। और ये लो मम्मी ने अपनी साड़ी और पेटिकोट उठा दिया। पापा की आँखों के सामने मम्मी की मस्त गदराई जाँघें थी जिसे वो सहलाने लगे थे। और उनके बीच में उभरी हुई बिना बालों की बुर मस्त फूली हुई कचौरी की तरह गीली सी दिख रही थी। पापा ने बिना समय गँवाये अपना मुँह बुर के ऊपर डाल दिया और उसकी पप्पियां लेने लगे। मम्मी की आँखें मज़े से बंद होने लगी। फिर उन्होंने पापा का सिर पकड़ा और ही वहाँ से हटाते हुए बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ बस करिए। मालिनी आती होगी। 

पापा पीछे हटे और मालिनी की आँखों के सामने मम्मी की गीली बुर थी। तभी पापा ने उनको घुमाया और अब मम्मी के बड़े बड़े चूतर उसके सामने थे। मालिनी भी उनकी सुंदरता की मन ही मन तारीफ़ कर उठी। सच में कितने बड़े और गोल गोल है। पापा ने अब उसके चूतरों को चूमना और काटना शुरू कर दिया। मम्मी की आऽऽहहह निकल गई। फिर पापा ने जो किया उसकी मालिनी ने कभी कल्पना नहीं की थी। पापा ने उसकी चूतरों की दरार में अपना मुँह डाला और उसकी गाँड़ को चाटने लगे।उफफगग ये पापा क्या कर रहे हैं ।मम्मी भी हाऽऽऽय्यय कर रही थी। फिर वह आगे बढ़के उससे अपने आप को अलग की और अपनी साड़ी नीचे की और बोली: बस करिए आप नहीं तो मैं अभी के अभी झड़ जाऊँगी। उफफफफ आप भी पागल कर देते हो। 

पापा उठे और अपने लौड़े को दबाते हुए बोले: ओह सच में बड़ी स्वाद है तुम्हारी बुर और गाँड़ । वाह मज़ा आ गया। 
मम्मी: आप दोनों ऐसे तंबू तानकर कैसे बाहर जाओगे। मालिनी क्या सोचेगी। आप दोनों यहाँ रुको और थोड़ा शांत होकर बाहर आना । यह कहते हुए मम्मी ने बड़ी बेशर्मी से अपनी बुर को साड़ी के ऊपर से रगड़ी और बाहर आने लगी। मालिनी भी जल्दी से किचन में घुस गयी। उसकी सांसें फूल रही थी और छातियाँ ऊपर नीचे हो रहीं थीं। उसकी बुर गीली हो गयी थी। तभी सरला अंदर आइ और मालिनी उसे देखकर सोची कि इनको ऐसे देखकर कोई सोच भी नहीं सकता कि ये औरत अभी दो दो मर्दों के सामने अपनी साड़ी उठाए नंगी खड़ी थी और अपनी बुर और गाँड़ चटवा रही थी। 

सरला: बेटी शिवा से बात हुई क्या? कब आ रहा है वो? कितने दिन हो गए इसे देखे हुए? 

मालिनी: हाँ मम्मी अभी आते होंगे। दुकान से निकल पड़े हैं। 

तभी शिवा आ गया और उसने सरला के पाँव छुए। तभी राजीव और श्याम कमरे से बाहर आए और ना चाहते हुए भी मालिनी की आँख उनके पैंट के ऊपर चली गयी और वहाँ अब तंबू नहीं तना हुआ था। उसे अपने आप पर शर्म आयी कि वह अपने ताऊजी और ससुर के लौड़े को चेक कर रही है कि वो खड़े हैं कि नहीं! छी उसे क्या हो गया है, वह सोची। 

फिर सब बातें करने लगे और शिवा के लिए सरला चाय बना कर लाई। शिवा: मम्मी आप बहुत अच्छी चाय बनाती हो, मालिनी को भी सिखा दो ना। 

मालिनी ग़ुस्सा दिखाकर बोली: अच्छा जी , अब आप ख़ुद ही चाय बनाइएगा अपने लिए। 

सब हँसने लगे। राजीव: शिवा मुझे तो बहु के हाथ की चाय बहुत पसंद है। वैसे सिर्फ़ चाय ही नहीं मुझे उसका सब कुछ पसंद है। पता नहीं तुमको क्यों पसंद नहीं है। 

सरला चौक कर राजीव को देखी और सोचने लगी कि राजीव ने मालिनी के बारे में ऐसा क्यों कहा? 

शिवा: अरे पापा जी, मालिनी को मैं ऐसे ही चिढ़ा रहा था। 

फिर सब बातें करने लगे और फिर राजीव ने कहा: चलो डिनर पर चलें? 

शिवा: जी पापा जी चलिए चलते हैं, मैं थोड़ा सा फ़्रेश हो लेता हूँ। 

सरला: हाँ मैं भी थोड़ा सा फ़्रेश हो आती हूँ। 

राजीव: चलो श्याम, हम भी तय्यार हो जाते हैं।

इस तरह सब तय्यार होने के लिए चले गए।
राजीव और श्याम सबसे पहले तय्यार होकर सोफ़े पर बैठ कर इंतज़ार करने लगे। तभी सरला आयी ।उसके हाथ में एक पैकेट था। और एक बार फिर से दोनों मर्दों का बुरा हाल हो गया। वह अब टॉप और पजामा पहनी थी। उफफफ उसकी बड़ी चूचियाँ आधी टॉप से बाहर थीं। उसने एक चुनरी सी ओढ़ी हुई थी ताकि चूचियाँ जब चाहे छुपा भी सके। वह मुस्कुराकर अपनी चूचियाँ हिलायी और एक रँडी की तरह मटककर पीछे घूमकर अपनी गाँड़ का भी जलवा सबको दिखाया। सच में टाइट पजामे में कसे उसके चूतर मस्त दिख रहे थे अब वह हँसकर अपनी चुन्नी को अपनी छाती पर रख कर अपनी क्लिवेज को छुपा लिया। 

राजीव: क्या माल हो जान।वैसे इस पैकेट में क्या है?

सरला: मेरी बेटी के लिए एक ड्रेस है। उसे देना है। 

फिर वह मालिनी को आवाज़ दी: अरे बेटी आओ ना बाहर । अभी तक तुम और शिवा बाहर नहीं आए। 

शिवा बाहर आया और बोला: मम्मी जी मैं आ गया। आपकी बेटी अभी भी तय्यार हो रही है। 

सरला: मैं जाकर उसकी मदद करती हूँ । यह कहकर वह मालिनी के कमरे में चली गयी। वहाँ मालिनी अभी बाथरूम से बाहर आयी और मम्मी को देखकर बोली: आप तय्यार हो गयी ? इस पैकेट में क्या है? 

सरला: तेरे लिए एक ड्रेस है। चाहे तो अभी पहन ले। सरला ने अब अपनी चुनरी निकाल दी थी। 

मालिनी उसके दूध देख कर बोली: मम्मी आपकी ये ड्रेस कितनी बोल्ड है। आपको अजीब नहीं लगता ऐसा ड्रेस पहनने में ? 

सरला: अरे क्या बुड्ढी जैसे बात करती हो ? थोड़ा मॉडर्न बनो बेटी। देखो ये ड्रेस देखो जो मैं लाई हूँ। 

मालिनी ने ड्रेस देखी और बोली: उफफफ मम्मी ये ड्रेस मैं कैसे पहनूँगी? पापा और ताऊ जी के सामने? पूरी पीठ नंगी दिखेगी और छातियाँ भी आपकी जैसी आधी दिखेंगी। ओह ये स्कर्ट कितनी छोटी है। पूरी मेरी जाँघें दिखेंगी। मैं इसे नहीं पहनूँगी। 

सरला: चल जैसी तेरी मर्ज़ी। तुझे जो पहनना है पहन ले, पर जल्दी कर सब इंतज़ार कर रहे हैं। 

मालिनी ने अपने कपड़े निकाले। उसने अपना ब्लाउस निकाला और दूसरा ब्लाउस पहनना शुरू किया। सरला उसकी चूचियाँ ब्रा में देखकर बोली: बड़े हो गए हैं तेरे दूध। ३८ की ब्रा होगी ना? लगता दामाद जी ज़्यादा ही चूसते हैं। यह कहकर वह हँसने लगी ।

मालिनी : छी मम्मी क्या बोले जा रही हो। वैसे हाँ ३८ के हो गए हैं। फिर उसने अपनी साड़ी उतारी और एक पैंटी निकाली और पहनने लगी पेटिकोट के अंदर से। 

सरला: अरे तूने पुरानी पैंटी तो निकाली नहीं? क्या घर में पैंटी नहीं पहनती? 

मालिनी शर्म से लाल होकर: मम्मी आप भी पैंटी तक पहुँच गयी हो। कुछ तो बातें मेरी पर्सनल रहने दो। 

सरला: अरे मैंने तो अब जाकर पैंटी पहनना बंद किया है, तूने अभी से बंद कर दिया? वाह बड़ा हॉट है हमारा दामाद जो तुमको पैंटी भी पहनने नहीं देता। 

मालिनी: मामी आप बाहर जाओ वरना मुझे और देर जो जाएगी। सरला बाहर चली गयी। साड़ी पहनते हुए वो सोची कि उसने पैंटी पहनना पापाजी के कहने पर छोड़ा या शिवा के कहने पर? वह मुस्कुरा उठी शायद दोनो के कहने पर। 

तय्यार होकर वो बाहर आयी। साड़ी ब्लाउस में बहुत शालीन सी लग रही थी। सरला ने भी अभी चुनरी लपेट रखी थी। 

राजीव: तो चलें अब डिनर के लिए। सब उठ खड़े हुए और बाहर आए। 

शिवा: पापा जी मैं कार चलाऊँ? 

राजीव: ठीक है । श्याम आप आगे बैठोगे या मैं बैठूँ? 

श्याम: मैं बैठ जाता हूँ आगे। आप पीछे बैठो । 

अब राजीव ने सरला को अंदर जाने को बोला। सरला अंदर जाकर बीच में बैठ गयी। मालिनी दूसरी तरफ़ से आकर बैठी और राजीव सरला के साथ बैठ गया। तीनों पीछे थोड़ा सा फँसकर ही बैठे थे। सरला का बदन पूरा राजीव के बदन से सटा हुआ था। राजीव गरमाने लगा। जगह की कमी के कारण उसने अपना हाथ सरला के कंधे के पीछे सीट की पीठ पर रखा और फिर हाथ को उसके कंधे पर ही रख दिया और उसकी बाँह सहलाने लगा। उसका हाथ साथ बैठी मालिनी की बाँह से भी छू रहा था। मालिनी ने देखा तो वह समझ गयी कि अभी ही खेल शुरू हो जाएगा। रात के ८ बजे थे ,कार में तो अँधेरा ही था। तभी राजीव ने सरला की बाँह सहलाते हुए उसकी चुन्नी में हाथ डाला और उसकी एक चूचि पकड़ ली और हल्के से दबाने लगा। मालिनी हैरान होकर उसकी ये हरकत देखी और उसने सरला को राजीव की जाँघ में चुटकी काटकर आँख से मना करने का इशारा करते भी देखी। पर वो कहाँ मानने वाला था। अब उसने मालिनी की बाँह में हल्की सी चुटकी काटी और फिर से उसे दिखाकर उसकी मम्मी की चूचि दबाने लगा और उसने मालिनी को आँख भी मार दी। 
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06-10-2017, 10:13 AM,
#62
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
मालिनी परेशान होकर खिड़की से बाहर देखने लगी। अब राजीव ने थोड़ी देर बाद सरला का हाथ लेकर अपने लौड़े पर रखा और सरला उसे दबाने लगी। फिर वह अपना हाथ सरला की चूचि से हटा कर मालिनी की बाँह सहलाने लगा। मालिनी चौंक कर पलटी और उसकी आँख सरला के हाथ पर पड़ी जो कि राजीव के पैंट के ज़िपर पर थी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ मम्मी भी ना,कितनी गरमी है इनमे अभी भी। तभी राजीव का हाथ उसकी चूचि पर आ गया। वह धीरे से उसको घूरी और उसका हाथ हटाते हुए बोली: पापा जी जगह कम पड़ रही है तो मैं टैक्सी में आ जाती हूँ। 

सरला ने झट से अपना हाथ हटा लिया।

शिवा: क्या हुआ? आप लोग आराम से नहीं हो क्या?

राजीव: अरे नहीं बेटा, सब ठीक है। मैं ज़रा हाथ फैलाकर बैठा तो बहु को लगा कि मैं आराम से नहीं बैठा हूँ। सब ठीक है तुम गाड़ी चलाओ। वो मालिनी को आँख मारते हुए बोला। 

फिर थोड़ी देर बाद उसने सरला का हाथ अपने लौड़े पर रख दिया जिसे वो दबाने लगी। और वह सरला की दोनों चूचि बारी बारी से दबाने लगा। मालिनी ने देखा और फिर खिड़की से बाहर देखने लगी। उसने सोचा कि जब वो दोनों इसमें मज़ा ले रहे हैं तो वो भला इसमें क्या कर सकती है। 

थोड़ी देर में वो एक शानदार रेस्तराँ में पहुँचे। शिवा और श्याम बाहर आए और मालिनी और सरला भी बाहर आ गए। राजीव अपनी पैंट को अजस्ट किया कि क्योंकि उसकी पैंट का तंबू ज़रा ज़्यादा ही उभरा हुआ दिख रहा था। वो भी वहाँ हाथ रखकर बाहर आया। ख़ैर डिनर टेबल तक पहुँचते हुए उसका लौड़ा थोड़ा शांत हो गया था। 

टेबल गोल थी। राजीव के बग़ल में सरला बैठी और उसकी बग़ल में श्याम बैठा। उसकी बग़ल में शिवा और फिर मालिनी बैठी। मालिनी के बग़ल में एक कुर्सी ख़ाली थी। 

राजीव: श्याम थोड़ा सा ड्रिंक चलेगा? 

श्याम: यार परिवार के साथ अटपटा लगता है। 

राजीव: अरे इसने अटपटा की क्या बात है? सब अपने ही तो हैं। बोलो सरला, अगर हम पिएँ तो तुमको कोई आपत्ती है क्या?

सरला: मुझे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता। शिवा से पूछ लीजिए। 

शिवा: पापा जी लीजिए ना जो लेना है। और उसने वेटर को आवाज़ दी। 

राजीव ने उसे दो पेग व्हिस्की लाने को कहा। फिर उसके जाने के बाद श्याम बोला: शिवा अभी तक लेनी शुरू नहीं की क्या?

शिवा: ताऊ जी कॉलेज में एक दो बार लिया था। पर आप लोगों के सामने हिचक होती है। 

राजीव: अरे बेटा अब तुम जवान हो गए हो। इसमें हिचकना कैसा? चलो तुम्हारे लिए भी मँगाते हैं। पर बेटा, इसको कभी भी आदत नहीं बनाना। कभी कभी ऐसे अवसरों पर चलता है। 

फिर वह सरला से बोला: भाभी आप भी वाइन ट्राई करो ना। आजकल बहुत आम बात है लेडीज़ का वाइन पीना। 

श्याम: हाँ सरला ले लो ना वाइन। यह तो सभी औरतें आजकल लेती हैं। बोलो मँगाए क्या? 

सरला हँसकर : मैंने तो आज तक कभी ली नहीं है। मेरे दामाद जी बोलेंगे तो लूँगी नहीं तो नहीं लूँगी। 

शिवा हँसकर: मम्मी जी आप भी ट्राई करिए ना।फिर मालिनी से बोला: मालिनी तुम भी लो ना थोड़ी सी वाइन। 

मालिनी: ना बाबा , मुझे नहीं लेना है। मम्मी को लेना है तो ले लें। 

राजीव ने वाइन भी मँगा ली। मालिनी के लिए कोक मँगाया। 

अब सबने चियर्स किया और पीने लगे। सरला: ये तो बहुत स्वाद है। मालिनी तू भी एक सिप ले के देख। 

मालिनी ने थोड़ी देर विरोध किया पर जब शिवा भी बोला: अरे क्या हर्ज है एक सिप तो ले लो। तो वो मना नहीं कर पाई और मम्मी की वाइन के ग्लास से एक सिप ली। 

सरला: कैसी लगी? 

मालिनी: अच्छी है मम्मी। स्वाद तो ठीक है। 

फिर क्या था उसी समय राजीव ने मालिनी के लिए भी एक वाइन का ग्लास मँगा लिया। अब सब पीने लगे। क्योंकि सरला और मालिनी पहली बार पी रहे थे जल्दी ही उनको नशा सा चढ़ने लगा। सभी जोक्स सुनाने लगे और ख़ूब मस्ती करने लगे। जल्दी ही पीने का दूसरा दौर भी चालू हुआ। मालिनी ने मना कर दिया कि और नहीं पियूँगी। पर राजीव ने उसके लिए भी मँगा लिया। 

दूसरे दौर में तो शिवा को भी चढ़ गयी। अब वो भी बहकने लगा। मालिनी ने अपना दूसरा ग्लास नहीं छुआ। बाक़ी सब पीने लगे। अब अडल्ट्स जोक्स भी चालू हो गए और सब मज़े से थोड़ी अश्लील बातें भी करने लगे। मालिनी हैरान रह गयी जब शिवा ने भी एक अश्लील जोक सुनाया। 

सरला भी अब बहकने लगी थी। राजीव उसे बार बार छू रहा था और वह भी उसको छू रही थी। शिवा भी मालिनी को छू रहा था। मालिनी को बड़ा अजीब लग रहा था। वह बार बार उसकी जाँघ दबा देता था। 

तभी खाना लग गया। सब खाना खाने लगे। राजीव ने सरला को एक और वाइन पिला दी जो कि मालिनी ने भी पी थी। खाना खाते हुए अचानक राजीव अपने फ़ोन पर कुछ करने लगा और फिर मालिनी के फ़ोन में कोई sms आया । वह चेक की तो पापाजी का ही मेसिज था: बहु, चम्मच गिरा दो और उसे उठाने के बहाने टेबल के नीचे देखो । 

मालिनी ने राजीव को देखा तो उसने आँख मार कर नीचे झुकने का इशारा किया। मालिनी ने उत्सुकतावश नीचे चम्मच गिराया और उसको उठाने के बहाने से टेबल के नीचे देखी और एकदम से सन्न रह गयी। उसने देखा कि पापा जी की पैंट से उनका लौड़ा बाहर था और मम्मी की मुट्ठी में फ़ंसा हुआ था। श्याम ताऊजी का हाथ मम्मी की जाँघ पर था और वह काफ़ी ऊपर तक क़रीब बुर के पास तक अपने हाथ को ले जाकर मम्मी को मस्त कर रहे थे। 

मम्मी अपने अंगूठे से मोटे सुपाडे के छेद में अँगूठा फेर रही थी और लौड़े को बड़े प्यार से मूठिया रही थी। छेद के ऊपर एक दो प्रीकम भी चमक रहा था। अचानक मम्मी ने प्रीकम को अंगूठे में लिया और वहाँ से हाथ हटाइ। 
उफफफफ क्या हो गया है इन तीनों को? मालिनी सीधी हुई और राजीव ने फिर से आँख मारी। तभी मालिनी ने देखा कि सरला राजीव को दिखाकर अपना अँगूठा चूसी और प्रीकम चाट ली। मालिनी बहुत हैरान थी मम्मी के व्यवहार पर। फिर उसने सरला की चूचियों की ओर इशारा किया जो कि उसके टॉप से आधी नंगी दिख रही थी क्योंकि नशे के सुरूर में उसकी चुन्नी गले में थी। फिर उसने एक sms किया और मालिनी ने पढ़ा। लिखा था: शिवा को देखो , उसकी आँखें अपनी सासु मा की चूचियों पर बार बार जा रही हैं। 

मालिनी चौंकी और कनख़ियों से शिवा को देखी और सच में वह बार बार मम्मी की आधी नंगी चूचियों को देखे जा रहा था। उसे बड़ा बुरा लगा। पर वह कुछ बोल नहीं पायी एकदम से। फिर धीरे से वह उसे बोली: क्या कर रहे हो? मम्मी को क्यों घूर रहे हो? छी शर्म नहीं आती। 

शिवा झेंपकर: कुछ भी बोल रही हो? मैं कहाँ घूर रहा हूँ। 

मालिनी ने टेबल के नीचे से हाथ बढ़ाकर उसके लौड़े को चेक किया तो वो पूरा खड़ा था। वो फुसफुसाई : ये क्या है? आप मेरी मम्मी को गंदी नज़र से देख रहे हो और ये आपका खड़ा हथियार इस बात का सबूत है। 

शिवा: अरे नहीं जान ये तो बस ऐसे ही खड़ा हो गया है। आज रात को मज़ा करने का सोच कर। 

मालिनी: झूठ मत बोलो चलो घर आज तो आपसे मैं बात ही नहीं करूँगी ।

शिवा उसकी जाँघ दबाकर मुस्कुराया। फिर सबने खाना खाया। और राजीव ने बिल पे किया और सब उठ गए। सब हल्के नशे में थे। नशा शिवा और सरला को ही ज़्यादा हुआ था। शिवा ने बहुत दिन बाद पी थी और सरला ने पहली बार और वो भी तीन पेग वाइन पी ली थी। मालिनी की निगाह पापा जी के पैंट के सामने वाले भाग पर गई और वहाँ अभी भी तंबू बना था। फिर श्याम ताऊजी का भी थोड़ा फूला सा ही था वह हिस्सा और शिवा का भी खड़ा ही था। उफफफ आज इन मर्दों को क्या हो गया है। शिवा मुश्किल से चल पा रहा था। बाहर आकर श्याम बोला: गाड़ी मैं चलाउंगा। शिवा को तो चढ़ गयी है। शिवा उसके बग़ल में बैठकर सो गया। पीछे मालिनी के बैठने के बाद राजीव जल्दी से बीच में बैठ गया और सरला आख़िर में बैठी। 

मालिनी समझ गयी की पापा जी अब अपने कमीनेपन पर आ जाएँगे। रात के दस बज चुके थे और अंधेरे का फ़ायदा तो उसने उठाना ही था । वह सरला की चूचि के नंगे हिस्से को चूमने लगा। और खुलकर उसे दबाने लगा। उसका दूसरा हाथ मालिनी की जाँघ को सहला रहा था । मालिनी ने उसे हटाने की कोशिश की तो वो उसकी भी चूचि दबा दिया। मालिनी आऽऽऽह कर उठी। सरला जो नशे में आँख बंद करके मज़ा ले रही थी , आँख खोलकर पूछी: क्या हुआ बेटी? 

मालिनी: कुछ नहीं मम्मी। सिर टकरा गया था खिड़की से। 

राजीव मुस्कुराकर फिर से उसकी चूचि दबाया। मालिनी फुसफुसाई: आप हाथ हटा लो नहीं तो मैं चिल्ला दूँगी। 

राजीव अपने हाथ को हटाकर उसके गाल को चूमा और फुसफुसाया: बहु कब तक तड़पाओगी ? चलो छोड़ दिया। पर रात को अपनी मम्मी की चुदाई देखने आना। मैं एक खिड़की खुला छोड़ूँगा। देखना कितनी मस्त रँडी की तरह चुदवाएगी हम दोनों से । आओगी ना बहु रानी? 

मालिनी मुँह घुमाकर बाहर की ओर देखने लगी। उसने कोई जवाब नहीं दिया। फिर अचानक उसने महसूस किया कि उसकी बुर अब काफ़ी गीली हो चुकी थी। उसके निपल्ज़ भी कड़े हो चुके थे। हमेशा की तरह उसे अपने आप पर ग़ुस्सा आया कि वह क्यों इतनी उत्तेजित हो जाती है? 
तभी घर आ गया। और सब घर में पहुँचे। मालिनी ने देखा कि अब सिर्फ़ पापा जी का ही तंबू तना था बाक़ी शांत हो चुके थे। शिवा अपने कमरे में आया और अपने कपड़े उतारकर सो गया। जल्दी ही वह नशे के कारण सो गया। मालिनी ने भी अपने कपड़े बदले और नायटी पहनी और नीचे आदतन पैंटी और पेटिकोट भी नहीं पहनी। वह बाहर आके किचन में पानी लेने गयी। तभी सरला भी नायटी में आयी और मालिनी अपनी मम्मी को देखती ही रह गयी । उसके निपल्ज़ सिल्क नायटी से खड़े हुए साफ़ दिख रहे थे। वह नीचे भी कुछ नहीं पहनी थी। 

मालिनी: मम्मी आपने ब्रा उतार दी है क्या? 

सरला: हाँ बेटी मैं आजकल नायटी के नीचे कुछ नहीं पहनती। अब सोना ही तो है, पानी लेने आयी थी। 

मालिनी सोची कि कितना सफ़ेद झूठ बोल रही है। अभी पापा जी और श्याम से चुदेंगी ये रात भर। और क्या सती सावित्री बन रहीं हैं। 

फिर दोनों अपने अपने कमरों में चली गयीं।
मालिनी अपने कमरे में आकर शिवा को देखी तो वो नशे के मारे सो रहा था। वह सोचने लगी कि आज तो मम्मी की ज़ोर की बैंड बजने वाली है। पापा जी और ताऊ जी तो आज उनकी ज़बरदस्त चुदाई करेंगे। नशा तो उसने भी पहली बार किया था इसलिए वो भी थोड़ी सी भ्रम की स्तिथि में थी।उसे याद आया कि कैसे पापा जी का लंड मम्मी मूठिया रही थी और बाद में प्रीकम भी चाट लीं। उसकी बुर उन दृश्यों को याद करके पनियाने लगी। 
वह फिर से शिवा को देखी और अचानक उसकी बुर की खुजली उसके दिमाग़ पर हावी हो गयी और वह उठ खड़ी हुई और उसने मम्मी की चुदाई को देखने का निश्चय किया। पापा जी ने उसे कहा ही था कि वो एक खिड़की खुली रखेंगे ताकि वह अपनी मम्मी की चुदाई देख सके। वह बाहर की ओर जाने को निकली फिर रुक गयी और अपनी खिड़की से चुपचाप सरला के कमरे के दरवाज़े को देखने लगी। 
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06-10-2017, 10:13 AM,
#63
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
उधर सरला पानी पीकर एक बोतल और लेकर अपने कमरे में गयी। वह बाथरूम से फ़्रेश होकर बाहर आइ। उसने बाथरूम में अपनी बुर और गाँड़ का हिस्सा ज़रा ज़्यादा ही अच्छी तरह से साफ़ किया क्योंकि उसे पता था ये मर्द आज पागल होकर उसकी चुसाई और चुदाई करेंगे। नशे की हालत में वह और ज़्यादा उत्तेजित हो रही थी। उसने अपनी गीली हुई जा रही बुर को तौलिए से फिर से साफ़ किया।
तभी फ़ोन पर राजीव का sms आया: जान आ जाओ, हम दोनों नंगे पड़े हुए तुम्हारा इंतज़ार कर रहे हैं। वह मुस्कुराई और फिर वह चुपके से बाहर आयी और शिवा के कमरे की ओर झाँकी। कोई हलचल ना देख कर वह चुपचाप राजीव के कमरे में जाकर घुस गयी और अंदर से दरवाज़ा बंद कर ली। 

मालिनी ने उसे चोरों की तरह पापा जी के कमरे में जाते देखा और ख़ुद भी उसके पीछे वह पापा के कमरे की खिड़की की तरफ़ गयी। पापा ने अपना वादा निभाया था, खिड़की का एक पट खुला था और उसपर पर्दा लगा था। उसने हल्के से पर्दा हटाया और अंदर झाँकी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ऐसे दृश्य की उसने कल्पना भी नहीं की थी। अंदर पापा और ताऊ पूरे नंगे लेटे हुए थे और अपने अपने लौड़े सहला रहे थे जो पूरे खड़े थे। मम्मी उनके सामने सिर्फ़ एक नायटी में अपना बदन मटक कर कमरे में चल कर दिखा रही थी। उसके दूध और गाँड़ बुरी तरह हिल रहे थे। तभी पापा ने मोबाइल में एक अश्लील भोजपुरी गाना लगा दिया और मम्मी को नाचने को कहा। 

मम्मी अश्लील तरीक़े से अपनी छातियाँ और कुल्हे मटका कर नाचने लगी। तभी पापा बोले: अरे यार नायटी उतार कर नाचो ना। हम भी तो नंगे पड़े हैं। मम्मी मुस्करायी और अपनी नायटी उतार दी और पूरी नंगी होकर किसी रँडी की तरह अपनी छातियाँ उछालकर नाचने लगी। उफफफ क्या घटिया दृश्य था। मालिनी का मन वित्रिश्ना से भर गया। पापा बोले: जान गाँड़ मटका कर दिखाओ ना। वह उनके सामने आकर चूतर मटका कर नाचने लगी। फिर पापा बोले: ज़रा झुक कर अपनी बुर और गाँड़ दिखाओ ना जानू। 

मम्मी आगे को झुकी और अपने चूतरों को ख़ुद ही फैला कर अपनी बुर और गाँड़ दोनों मर्दों को दिखाने लगी। मालिनी ने ध्यान से देखा कि मम्मी लड़खड़ा भी रही थीं। ओह इसका मतलब है कि ये शायद वाइन का ही असर है कि वो इस तरह की हरकत कर रही हैं। तभी पापा ने अपना लौड़ा हिलाते हुए कहा: आओ जान चूसो हम दोनों का लौड़ा। आओ।

मालिनी ने देखा कि मम्मी थोड़ा सा झूमते हुए बिस्तर पर बैठी और राजीव का लौड़ा पहले पकड़कर प्यार से सहलाई और फिर जीभ से सुपाडे को चाटी और फिर मुँह खोलकर चूसने लगी। फिर श्याम का लौड़ा भी चाटने लगी। अब बारी बारी से दोनों के लौड़े और बॉल्ज़ चाट और चूस कर दोनों मर्दों को मस्त करने लगी। 
राजीव उठ कर बैठा और उसके हाथ उसकी बड़ी बड़ी छातियों को दबा रहे थे। फिर राजीव ने कहा: जानू, आओ ६९ की पोजिसन में आ जाओ।यह कहते हुए वह फिर से लेट गया। अब सरला अपनी जाँघों को फैलाकर अपनी बुर राजीव के मुँह पर रखी और राजीव
उसे चाटने लगा और जीभ से चोदने लगा। सरला भी उसके लौड़े को चूसने लगी। मालिनी ने देखा कि वह अब डीप थ्रोट दे रही थी।मालिनी सोची कि शिवा भी कई बार उसे डीप थ्रोट के लिए बोलता है पर वह तो कर ही नहीं पाती क्योंकि उसकी साँस ही रुक जाती है । और यहाँ मम्मी कितने आराम से और मज़े से पापा जी को डीप थ्रोट दे रही हैं। तभी मम्मी की उइइइइइइ माऽऽऽऽऽ निकलने लगी, लगता है पापा उनके clit को छेड़ रहे हैं जीभ से। शिवा भी ऐसे ही उसकी चीख़ निकाल देता है। उसका अपना हाथ अपनी बुर के ऊपर चला गया और वह वहीं कपड़े के ऊपर से अपनी बुर को सहलाने लगी ऊँगली डालके।

उधर ताऊजी भी अब मम्मी की छातियाँ मसल रहे थे ।मम्मी उनका लौड़ा भी सहलाने लगी। अब राजीव बोला: जानू चलो अब चढ़ो मेरे ऊपर और मेरा लौड़ा अंदर करो । फिर श्याम से बोला: क्या भाई तुम गाँड़ मारोगे या मुँह में दोगे इसको। 

श्याम: गाँड़ ही मार लेता हूँ। यह कह कर वह तेल की शीशी लेकर अपने लौड़े पर लगाने लगा। तब तक सरला अपनी बुर राजीव के लौड़े पर रख कर उसको अंदर करने लगी थी। जल्दी ही वो अपने चूतर उछालकर चुदवाने लगी। तभी श्याम आया और उसके हिलते चूतरों को दबाने लगा। राजीव ने सरला को रुकने को कहा: रुको जानू, श्याम आप गाँड़ में तेल लगाओ और डालो अपना लौड़ा अंदर। श्याम ने दो ऊँगली में तेल लिया और उसकी गाँड़ में डाला और अंदर बाहर करने लगे। मालिनी ने देखा कि मम्मी आराम से गाँड़ में दो उँगलियाँ डलवा रहीं थीं। फिर अपने तेल लगे लौड़ेको श्याम ने उसके गाँड़ के छेड़ पर लगाया और दो धक्कों में पूरा अंदर कर दिया मम्मी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ कहकर मस्त हो कर अपने चूतर उछालने लगी। अब कमरा फ़च फ़च और ठप्प ठप्प और पलंग की चूँ चूँ की आवाज़ों से गूँजने लगा। मम्मी आऽऽऽह और हाय्य्य्य्य्य कहकर चुदवा रही थी और डबल चुदाई का मज़ा ले रही थी।मालिनी ने अब अपनी नायटी उठाकर अपनी बुर में दो ऊँगली डाल ली थी और उनको बुरी तरह से हिला रही थी। उधर मम्मी की चीख़ें बढ़ने लगीं और वह जल्दी ही आऽऽऽंह्ह्ह्ह्ह मैं गयीइइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी और श्याम भी अब अपनी गाँड़ ज़ोर ज़ोर से हिलाकर धक्का मारने लगा और हम्म कहकर झड़ने लगा। राजीव भी नीचे से धक्के मारने लगा और वह भी आऽऽआह कहकर झड़ गया। यह देखकर अब शायद मालिनी की बुर पानी छोड़ने को तय्यार थी। वह अब अपनी बुर के clit को सहलाने लगी और अपनी चीख़ दबाकर झड़ने लगी। तभी शायद उसके बदन के हिलने के कारण पर्दा हिला और राजीव की आँख खिड़की की तरफ़ गयी और उसकी आँख मालिनी की आँख से मिली और वह मुस्कुराया और झड़ कर पास में करवट में पड़ी सरला की मोटी गाँड़ दबा दिया।मालिनी शर्मा कर वहाँ से भाग कर वापस अपने कमरे में आयी। 

शिवा अभी भी सो रहा था। उसने लम्बी साँस ली और चुपचाप लेट गयी और उसकी आँखों के सामने उसी चुदाई के दृश्य घूम रहे थे। उसने मम्मी की आँखों में एक अजीब सी संतुष्टि देखी थी। क्या इस तरह से चुदवाने में सच में इतना मज़ा आता है। वो तो हमेशा से यही मानती है कि हम जिसे प्यार करते हैं उसके साथ ही चुदाई में सुख मिलेगा। पर यहाँ तो उलटा लग रहा है, ऐसा लग रहा है कि परपुरुष के साथ ज़्यादा मज़ा है। वह लेटी हुई सोची कि अब तक तो मम्मी की दूसरे राउंड की चुदाई भी चालू हो चुकी होगी। पापा जी ने उसे चुदाई देखते हुए देख लिया है और इस बात का वो ज़रूर फ़ायदा उठाएँगे। तभी उसकी इच्छा हुई कि एक बार और देखे कि वो अब क्या कर रहे हैं? पर पापा जी तो खिड़की की तरफ़ देखेंगे ही ये जानने के लिए कि वो वहाँ खड़ी है या नहीं? उफफफ वो क्या करे? मन कह रहा है कि एक बार और देखना चाहिए। फिर वह उठी और धीरे से खिड़की के पास पहुँची और धीरे से पर्दा हटाकर झाँकी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या दृश्य था। पापा नीचे लेटे थे और मम्मी उनके ऊपर पीठ के बल अपने हाथों के सहारे आधी लेटी थीं और उनकी जाँघें फैली हुई थीं। उनके चूतर पापा के मुँह पर थे। पापा उनके चूतर फैलाकर गाँड़ चाट रहे थे। मम्मी की बुर पूरी खुली हुई साफ़ दिखाई दे रही थी जो कि नमी के कारण चमक रही थी।ताऊ जी अपना लौड़ा सहला कर उनकी चूचियाँ चूस रही थे। फिर वो भी आकर अपना मुँह उनकी बुर में घुसेड़कर उसे चूसने लगे। मम्मी इस दुगने हमले से उइइइइइइइ कर उठीं। अब वह ताऊ जी का सर अपनी बुर में दबाने लगीं। 

मालिनी ने मम्मी का मुँह ध्यान से देखा । उनकी आँखें अत्याधिक मज़े से बंद थीं और वो आऽऽऽऽऽह बहुत अच्छाआऽऽऽऽ लग रहाआऽऽऽऽऽ है आऽऽहहहह हाय्य्य्य्य्य्य । और चूसोओओओओओओओ चिल्लाए जा रही थी। 
फिर राजीव अपना मुँह गाँड़ से हटा कर बोला: चलो अब चुदाई करते हैं। मालिनी ने देखा कि पापा ने मम्मी को करवट लिटाया और ख़ुद उनके पीछे चला गया और अपने हाथों से उनके मोटे चूतरों को दबाने लगा और फिर अपने लौड़े पर तेल चुपड़कर उसकी गाँड़ में पेल दिया। ताऊ भी उसके सामने लेट गया और उसकी चूचियाँ चूसते हुए उसकी बुर में अपना लौड़ा डालकर चुदाई में लग गया। अब फिर से मम्मी की सिसकारियाँ गूँजने लगी। मम्मी ने एक टाँग हवा में उठायी हुई थी और आराम से कमर हिला कर दोनों छेदों में लौड़े घुसवा कर मज़े से भरी जा रहीं थीं।और फिर हाऽऽऽऽऽऽय्य्य्य्य मरीइइइइइइइ आऽऽऽऽऽऽऽहहह । वगेरह चिल्लायीं जा रहीं थीं। मम्मी के हाथ ताऊ के पीठ पर थे और वह उसे सहलाते हुए अब उसकी चूतरों तक ले आइ थीं और उसके चूतरों को ज़ोर से दबा रहीं थीं मानो कह रही हो और अंदर तक डालो। ताऊ और पापा के चूतर किसी पिस्टन के माफ़िक़ चल रहे थे और वो भी ह्म्म्म्म्म आऽऽह कर रहे थे। पूरा कमरा चुदाई की आवाज़ों से गूँजने लगा था । और मालिनी ने एक बार फिर से अपनी नायटी उठाई और अपना हाथ एक बार फिर से अपनी बुर में डाल दिया था। उसे याद आया कि चुदाई के दौरान कभी कभी शिवा भी उसकी गाँड़ में ऊँगली करता है। वो हमेशा उसकी ऊँगली वहाँ से हटाकर अपनी चूचियों पर रख देती थी।आज ना जाने उसे क्या हुआ कि वो अपनी गाँड़ में एक ऊँगली ख़ुद ही डाली और आगे पीछे करने लगी। उसने अँगूठा बुर में और एक ऊँगली गाँड़ में डाल दी और उनको हिलाने लगी। 

चुदाई करते हुए राजीव ने अपना सिर उठाया और खिड़की की तरफ़ देखा और उसकी आँखें फिर से मालिनी की आँखों से टकरा गयीं। वह मुस्कुराया और हाथ भी हिलाया। मालिनी के तो शर्म के मारे पसीना निकल गया और वह फिर से भाग कर वापस अपने कमरे में आ गयी। अब मालिनी के शरीर में आग लगी हुई थी। उसने देखा कि शिवा अभी भी आराम से सो रहा है। उसने शिवा को हिलाया और उठाया। शिवा उठकर बोला: क्या हुआ रानी क्या बात है? 

मालिनी ने कहा: मुझे नींद नहीं आ रही है। आप तो सोए ही जा रहे हो। यह कहते हुए उसने नायटी के ऊपर से अपनी बुर को खुजा दी। शिवा मुस्कुराया और बोला: ओह बुर खुजा रही है? आओ रानी अभी शांत कर देता हूँ ।

मालिनी: आपने ऐसी आदत डाल दी है कि बिना करवाए नींद नहीं आती है। चलो कपड़े उतारो। मैं भी उतारती हूँ। ये कहते हुए इसने नायटी उतार दी और फिर ब्रा खोलकर बाथरूम से फ़्रेश होकर आयी। जब वह बाहर आयी तो शिवा भी पूरा नंगा खड़ा था और वह भी बाथरूम में घुसकर फ़्रेश होकर वापस आया। 

मालिनी ने उसे बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर उसके होंठ चूसने लगी । वह भी मज़े से उसकी चूचियाँ दबाकर मस्त होने लगा। फिर मालिनी उसकी छाती को चूमते हुए उसके पेट को चुमी और फिर वह उसके नाभि में जीभ डालकर उसके लौड़े को सहलाने लगी। फिर नीचे जाकर वह उसके लौंडे को चूसने लगी। उसका लौड़ा अब पूरी तरह से तन गया था। मालिनी अब उसके लौड़े पर वैसे ही अपनी बुर रख कर बैठी जैसे मम्मी पापाजी के लौड़े पर बैठी थी। अब वह अपनी कमर उछाल कर चुदवाने लगी। शिवा भी उसकी हिलती हुई चूचियाँ दबाने लगा। 

अचानक मालिनी ने अपना हाथ शिवा के हाथ पर रखा जो कि उसकी छाती पर था। फिर वह बोली : शिवा, आज मेरे पीछे ऊँगली करो ना। जैसे पहले कभी कभी करते थे। 

शिवा: पर तुम तो हमेशा मेरा हाथ वहाँ से हटा देती थी तो आज क्या हो गया? 

मालिनी: हाँ पर आज मेरी इच्छा हो रही है। करो ना। लाओ मैं आपकी ऊँगली गीली कर देती हूँ। यह कहकर मालिनी ने शिवा की एक ऊँगली मुँह में लेकर चूसी और उसमें थूक लगा दी ।
शिवा अब उसकी गाँड़ ने उस उँगली को अंदर डाल दिया। मालिनी की चीख़ निकल गयी। वह बोली: उइइइइइ माँ जलन हो रही है। 

शिवा ऊँगली निकाल कर बोला: वो तेल उठाना ज़रा। मालिनी ने उसे चुदाई करते हुए तेल पकड़ा दिया। अब शिवा अपने ऊँगली में तेल लगाया और फिर से उसकी गाँड़ में ऊँगली डाला। अबके मालिनी हाऽऽऽय्य कर उठी। इसमें सच में बहुत मज़ा आ रहा था। वह बोली: उफ़्फ़ बहुत मज़ा आ रहा है। आप ऐसे ही ऊँगली करते रहिए। अब वह और ज़ोर ज़ोर से अपनी गाँड़ हिलाकर चुदवाने लगी। जल्दी ही वह लम्बे धक्के मारने लगी। नीचे से शिवा भी अपनी कमर उछालकर उसकी बुर में लौड़ा जड़ तक पेल रहा था। फिर दोनों आऽऽऽहहह करके झड़ने लगे और एक दूसरे से चिपक गए। 

शिवा ने उसकी गाँड़ से ऊँगली निकाली और उसे सूँघने लगा और बोला: उफ़्फ़ क्या मस्त गंध है तेरी गाँड़ की। 

मालिनी ने उसको एक चपत मारी और कहा: छी कुछ भी करते है आप। जाओ हाथ धो के आओ। 

शिवा हँसते हुए बाथरूम चला गया। मालिनी वहीं नंगी लेटी हुई पिछले कुछ घण्टों में आए ख़ुद के बदलाव के बारे में सोचने लगी। उसने अपनी टाँग उठाई और अपनी बुर और गाँड़ पर हाथ फेरकर सोची कि सच में मुझे कुछ होने लगा है। शिवा बाथरूम से बाहर आया तो वो भी फ़्रेश होकर वापस आइ और शिवा के साथ नंगी ही लिपट कर सोने लगी। 

तभी पता नहीं उसे क्या हुआ कि वो शिवा को बोली: वो आपका ख़ास दोस्त असलम आजकल आपसे बात करता है क्या?

शिवा चौंक कर बोला: अरे आज उसकी कैसे याद आ गयी? हाँ करता है बल्कि वह तो तुमको मिलने की भी बात करता है। वह तो हम दोनों को खाने पर भी बुला रहा है। 

मालिनी: खाने पर जाएँगे तो वह बीवियों की अदला बदली की बात तो नहीं करेगा? 

शिवा: करना तो नहीं चाहिए। पर अगर वह तुमको पसंद आ गया तो मुझे कोई ऐतराज़ नहीं होगा। वो हँसने लगा। 

मालिनी: आपको भला क्यों ऐतराज़ होगा। आपको भी तो आयशा मिल जाएगी मज़े करने के लिए। 
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Reply
06-10-2017, 10:13 AM,
#64
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
फिर दोनों हँसने लगे और एक दूसरे को चूम कर सोने की कोशिश करने लगे। शिवा सोच रहा था कि मालिनी में अचानक आए इस परिवर्तन की वजह क्या है? आज वो गाँड़ में ऊँगली डलवायी और अब असलम की बात , वो भी इस समय? कुछ तो बात है। वो सोचते हुए सो गया। मालिनी भी सोच रही थी कि उसे अचानक से आज असलम क्यों याद आ गया? वो तो कभी भी दूसरे मर्द से चुदवाने का कभी सोची ही नहीं। यह सब सोचते हुए वह भी सो गयी।
आज छुट्टी थी तो एक बड़ा सा अपडेट तो बनता है दोस्तों---- 

अगली सुबह मालिनी सुबह उठी और फ़्रेश होकर ब्रा और पेटिकोट और नायटी पहनी। आज उसने पेटिकोट इसलिए पहनी कि ताऊ जी भी थे। जब वह किचन में गयी तो मम्मी को वहाँ देखकर हैरान रह गयी। उन्होंने भी अभी ब्रा और पेटिकोट पहना था नायटी के नीचे। मम्मी की मुस्कान ने मालिनी के मन की सारी कड़वाहट को धो धिया और वह उनसे लिपट कर प्यार करने लगी। सरला ने उसके गाल को चूमा और बोली: चल आज मुझे चाय बना लेने दे ।

मालिनी: ठीक है आप बनाओ , मैं मदद करती हूँ । फिर माँ बेटी मिलकर नाश्ते की तय्यारी में लग गयीं। 
मालिनी सरला दो देखते हुए सोच रही थी कि अभी इनको देखकर कौन कहेगा कि ये रात को दो मर्दों के साथ एक रँडी की तरह व्यवहार कर रहीं थी। अभी वो चाय बनाते हुए एक गृहिणी लग रहीं थीं। मालिनी सोची कि हम सबके कितने रूप हैं इस जीवन में। ख़ैर वो रोज़ की तरह राजीव के कमरे के सामने जाकर आवाज़ दी: पापा जी , ताऊ जी आइए। चाय बन गयी है। 

ताऊ जी की आवाज़ आयी: आते हैं बेटी अभी ।

थोड़ी देर में दोनों बाहर आए लूँगी और बनियान में। सरला और मालिनी टेबल पर बैठकर चाय पी रही थीं। वो दोनों भी आकर उनके आमने बैठ गए।चाय पीते हुए ताऊ जी बोले: बेटी बड़ा अच्छा लगा तुम सबसे मिलकर। बस नाश्ता करके हम लोग निकलेंगे। 

मालिनी: ठीक है ताऊजी, ये दुकान जाते हुए आपको बस अड्डे छोड़ देंगे। 

राजीव: अरे यार कुछ दिन और रहते तो ज़्यादा मज़ा आता। ये कहते हुए उसने सामने बैठी मालिनी को सबकी नज़र बचा कर आँख मार दी। मालिनी ने अपना मुँह घुमा लिया । 

सरला मुस्कुरा कर बोली: भाई सांब आप जब बुलाएँगे फिर आ जाएँगे ।

ताऊजी: अगली बार आप सब भी आयिए हमारे घर। 

राजीव: हाँ जी ज़रूर आएँगे। आप सबसे मिलना तो बड़ा अच्छा लगता है। इस बार भी वह मालिनी को देखते हुए मुस्कुरा कर कहा था। 

फिर सब नहाने चले गए और शिवा भी सोकर उठा और सबने साथ नाश्ता किया और फिर सरला और श्याम शिवा के साथ चले गए। अब घर में सिर्फ़ राजीव और मालिनी ही रह गए। कमला सफ़ाई कर के चली गयी थी। राजीव सोफ़े पर बैठा और बोला: बहु एक और चाय पिलाओ ना प्लीज़। 

मालिनी: जी पापा जी अभी लायी। कहकर किचन में चली गयी। जब वह चाय लाई तो पापा सोफ़े पर बैठा हुआ मोबाइल में फ़ोटो देख रहे थे। चाय का प्याला सामने रख कर वह जाने लगी तो राजीव बोला: बहु बैठो और ये फ़ोटो देखो। मैं अपना चश्मा लेकर आता हूँ। मालिनी वहीं बैठ गयी और मोबाइल में फ़ोटो देखनी लगी। राजीव अपने कमरे में चला गया था चश्मा लाने। 

मालिनी ने फ़ोटो देखना शुरू किया। मम्मी की फ़ोटो थी साड़ी में ,अगली फ़ोटो में वो टॉप में थी जिसमें रेस्तराँ गयीं थीं। अगली फ़ोटो में मम्मी नायटी में थी। यहाँ तक सब ठीक था। उसके बाद की फ़ोटो सब गड़बड़ थीं। अब नायटी में मम्मी के दूध दिख रहे थे। फिर अगली फ़ोटो में मम्मी पूरी नंगी खड़ी थी। सामने से और पीछे से भी फ़ोटो खींची हुई थी। अगली फ़ोटो ने मम्मी बिस्तर पर लेटकर अपनी दोनों टाँगे उठाकर और फैलाकर अपनी बुर और गाँड़ दिखा रही थी। उफफफफ मम्मी को ये क्या हो गया है। ऐसे भी कोई फ़ोटो खिंचवाता है क्या। 

राजीव अचानक आकर उसके बग़ल में बैठ कर बोला: ये नंगी फ़ोटो मैंने तुम्हारे खिड़की से हटने के बाद खींची थी। क्या मस्त पोज दिया है ना तुम्हारी मम्मी ने। असल में ज़्यादा चढ़ गयी थी उसको दारू। 

मालिनी को समझ नहीं आया कि वो कैसे इस बात का आवाज़ दे वह बोली: पापा जी ये फ़ोटो आप प्लीज़ डिलीट कर दीजिए। 

राजीव: ज़रूर कर दूँगा जब तुम मुझे मिल जाओगी। अभी तो वो मेरे मूठ्ठ मारने के काम आएगी । वैसे तुम निश्चिन्त रहो ये मेरे पास सुरक्षित है। वैसे एक बात बताओ कल जो तुमने खिड़की से देखा , उसके बाद भी तुमको लगता है कि ज़िंदगी मज़े लेने के लिए नहीं तो और किसके लिए बनी है। देखा नहीं कि सरला ने कितना मज़ा लिया। वो एक एक पल का आनंद ले रही थी। हम दोनों भी बहुत मज़ा लिए तुमने देखा ही था। 

मालिनी उठकर जाने लगी तो वह उसे पकड़कर बिठा लिया और बोला:बहु बात करोगी तभी तो बात बनेगी । ऐसे उठकर चली जाओगी तो फिर हम आगे कैसे बढ़ेंगे। अच्छा एक बात बताओ कि तुम और शिवा चुदाई करते हो तो उसमें ज़्यादा वेरायटी तो नहीं होती होगी ना? वही रोज़ रोज़ एक या दो आसनों में चुदाई करती होगी। जब तुम किसी और से चुदवाओगी तो तुमको एक अजीब सा मज़ा मिलेगा और वेरयटी भी मिलेगी। हर आदमी का चोदने का एक अपना तरीक़ा होता है और फिर लौड़े और बुर भी अलग अलग नाप और बनावट की होतीं हैं। इसलिए लोग पार्ट्नर बदल कर मज़े लेते है। कुछ समझ में आया मेरी प्यारी बहु रानी। 

मालिनी पापा की बातें वो भी इतने खुले और अश्लील शब्दों में सुनकर हक्की बक्की रह गयी। वो बोली: पापा जी आप मुझसे इतनी गंदी भाषा में बात कैसे कर रहे हैं। मुझे बहुत अजीब लग रहा है। 

राजीव: बहु , जब तुम खिड़की से अपनी मम्मी को चुदवाते देख सकती हो वो भी मुझसे और अपने ताऊ जी से तो ऐसी बातें तो मैं कर ही सकता हूँ। सच बताओ तुमने हमारी चुदाई देखकर अपनी बुर नहीं मसली क्या? या शिवा से उसी समय नहीं चुदवाई? दोनों में से एक काम तो किया ही होगा। 

मालिंनि क्या बोलती, सच तो ये है कि उसने दोनों ही काम किया था, बुर भी मसली थी और चुदायी भी की थी । पर वह सामने से बोली: पापा जी आप ये कैसी बातें कर रहे हैं? मुझे जाने दीजिए। वह अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की। 

राजीव: बहु क्यों तड़पा रही हो? मान जाओ और मज़े लो मुझसे और मुझे भी मज़ा दो। ये कहकर वो उसकी चूचि दबाने लगा। अब मालिनी की बुर गीली होने लगी पर वह विरोध करके उठी और राजीव के हाथ को अपनी चूचि से हटायी और बोली: पापा जी प्लीज़ अभी नहीं । मैं अभी तय्यार नहीं हूँ। यहकहकर वो अपने कमरे में चली गयी। वह महसूस की उसकी छातियाँ पापा के बातों से वह बहुत उत्तेजित हो चली थीऔर निप्पल्स कड़े हो गए थे। उसने अपनी बुर दबाई और बिस्तर पर लेट गयी। 

उसने शिवा को फ़ोन लगाया: हेलो, आपने उनको बस चढ़ा दिया ना?

शिवा: हाँ जानू चढ़ा दिया। और क्या हाल है? उनकी याद आ रही है क्या? 

मालिनी: हाँ एक दो दिन तो याद आएगी ना। 

शिवा: तुम्हारे दोस्त का फ़ोन आया था। 

मालिनी: मेरा दोस्त? मेरा कौन सा दोस्त पैदा हो गया?

शिवा हँसकर :वही असलम का यार। कह रहा था कब आएँगे खाना खाने। मैंने कह दिया कि तुमसे पूछ कर बताऊँगा।

मालिनी: हाँ हाँ आप तो मरे जा रहे हो ना आयशा को खाने के लिए। मेरा नाम क्यों लेते हो? 

शिवा: अरे यार मैंने तो ऐसे ही कह दिया टालने के लिए। तुम ना जाना चाहो तो कोई ज़बरदस्ती थोड़े ना ले जाऊँगा 

मालिनी: चलिए अब रखती हूँ। 

राजीव अपने कमरे में बैठा सोच रहा था कि ये लड़की तो बहुत मुश्किल से पटेगी लगता है । 

उसके बाद कुछ दिन और कुछ नया नहीं हुआ। राजीव ने एक नया व्यवहार शुरू कर दिया था। वह अक्सर किचन में जाकर मालिनी को पकड़कर चूम लेता था और अक्सर उसकी चूचि आराम से दबा देता था। कभी कभी वह उसकी बुर और गाँड़ भी दबा देता था। मगर मालिनी हर बार उसका विरोध भी करती थी। इसी तरह चल रहा था। मालिनी अभी भी दुविधा में थी कि क्या करे और क्या ना करे। 

उस दिन मालिनी और राजीव दोपहर का खाना खा रहे थे तभी राजीव का मोबाइल बजा। क्योंकि वह खाना खा रहा था उसने फ़ोन को स्पीकर मोड में डालकर कहा: हेलो। कौन बोल रहा है? मालिनी ने भी देखा कि कोई नाम नहीं आ रहा था सिर्फ़ नम्बर था। 

उधर से एक लड़की जी आवाज़ आयी: अंकल मैं नूरी बोल रही हूँ। 

एक मिनट के लिए राजीव उसे नहीं पहचान पाया और बोल पड़ा: कौन नूरी? 

नूरी: ओह आप मुझे भूल भी गए। वाह कैसे पापा हैं आप मेरे बेटे के? 

राजीव को अचानक याद आया कि ये तो वही नूरी है जिसे उसने प्रेगनेंट किया था और उसे एक बेटा भी हुआ था। वह बोला: अरे सॉरी नूरी भूल गया था। कैसी हो तुम? और हमारा मुन्ना कैसा है? 

अब मालिनी ने चौंकने की बारी थी ।पापा का “हमारा मुन्ना” कहना उसे चौंका गया था। वो ध्यान से सुनने लगी। 

नूरी: अंकल मैं भी बढ़िया हूँ और हमारा बेटा भी। बिलकुल आपके ऊपर गया है। आपके जैसा ही दिखता है। और स्वभाव भी आपके जैसा है। 

राजीव: अरे दो साल का लड़का कैसे मेरे ऊपर गया है ?

नूरी: वो भी आपके जैसे मेरे दूध चूसता था। अब तो मैंने छुड़ा दिया है। हा हा । 

राजीव: हा हा बदमाश हो तुम। अच्छा बताओ कैसे याद आयी हमारी? 

नूरी: मतलबी हूँ ना इसलिए मतलब से याद किया। 

राजीव: तुम्हारी ये बात मुझे बहुत पसंद है कि साफ़ साफ़ बात करती हो। बोलो क्या काम है? तुम्हारा पति कैसा है? 

नूरी: वो बहुत अच्छें हैं और उनका काम भी अच्छा चल रहा है । मैंने आपको इस लिए फ़ोन किया हाँ कि मेरे पति और ससुराल वालों को एक और बच्चा चाहिए। मैंने समझाने की बहुत कोशिश की पर सब अड़े हुए हैं। मैंने मजबूर होकर आपको फ़ोन किया। 

राजीव: अरे तो क्या हुआ, बेबी। आख़िर तुम हमारी जान हो और अपनी हो। पर आजकल तुम हो कहाँ? 

नूरी: मैं दिल्ली में रहती हूँ। पर आपसे मिलने मैं आपके शहर आ सकती हूँ , वहाँ एक मेरी आंटी रहती है। आपके दोस्त का फ़्लैट अब भी है क्या जहाँ हम मस्ती करते थे? वहीं अब भी मस्ती हो सकती है। 

मालिनी स्तब्ध रह गयी की क्या कोई शादीशुदा लड़की अपने बाप की उम्र के आदमी से ऐसे बात कर सकती है। 

राजीव: नहीं उसने वह फ़्लैट बेच दिया। अब तुमको मेरे घर पर ही आना पड़ेगा। 

नूरी: आप अकेले रहते है क्या? आंटी कहाँ गयीं? 

राजीव: तुम्हारी आंटी भगवान के घर चली गयीं। लेकिन अब मेरे साथ मेरा बेटा और बहु रहते हैं। बेटा तो दिन भर दुकान में रहता है और बहु घर पर ही रहती है। 

नूरी: ओह तब तो गड़बड़ हो गया ना? मैं तो रोज़ आंटी के यहाँ से आपसे मिलने के लिए २ घंटे निकाल लूँगी पर आपके घर में तो बहु होगी ना। फिर कैसे होगा? आपको कोई जगह का इंतज़ाम करना पड़ेगा। 

राजीव ने मालिनी को देखते हुए कहा: बेबी , मेरी बहु बहुत अच्छी है । जब मैं उसे ये बताऊँगा कि मैं तुमको माँ बनाने के लिए चोद रहा हूँ, तो वो बात को समझ जाएगी और हमारी मदद करेगी। 

नूरी: आप बिलकुल नहीं बदले। आपको अभी भी चुदाई शब्द का बहुत शौक़ है। हा हा । पर आपकी बहू इसमेंआपकी मदद करेगी वो बात मेरे गले नहीं उतर रही। सच सच बताइये कि आप कहीं उसकी भी चुदाई तो नहीं कर रहें हैं? 

राजीव मालिनी को आँख मारते हुए: नहीं नहीं सच में ऐसी कोई बात नहीं है। वो बहुत ही अच्छी लड़की है। वह सबकी मदद करती है, जब मैं उसे पूरी बात बताऊँगा कि तुम्हारा पति तुमको माँ नहीं बना सकता है और तुमको मेरी इसमें मेरी मदद चाहिए, तो वो तुम्हारी भी मदद करेगी। 

मालिनी पापा की बात सुनकर हैरानी से भर गयी। उस लड़की को मेरे ही घर में चोदने के लिए वो मेरी मदद माँग रहे हैं। हे भगवान। इस आदमी का मैं क्या करूँ? 

नूरी: तो आप अपनी बहु से बात करके मुझे बता दीजिए। असल में मेरे अन्सेफ़ पिरीयड कल से ही शुरू हो रहा है। अगर आप हाँ करोगे तो मैं कल ही फ़्लाइट से आकर दोपहर में आपसे मिलने हा हा नहीं चुदवाने आ सकती हूँ। हाँ मेरे साथ मेरा बेटा भी होगा। मैं दस बारह दिन का प्रोग्राम बनाऊँगी। इतने दिनों में तो आप मुझे प्रेगनेंट कर देंगे ना? 

राजीव मालिनी को देखकर मुस्कुराकर बोला: अरे अभी कुछ महीने पहिले ही एक लड़की को एक महीने की चुदाई में माँ बना दिया है। फिर स्पीकर पर हाथ रख कर मालिनी से बोला: मैं रानी की बात कर रहा हूँ। मालिनी का चेहरा लाल हो रहा था। वह चुपचाप सुन रही थी। उसने अपना मुँह घुमा लिया। 

नूरी: ओह तब तो मेरा काम भी हो जाएगा, अंकल , तो फिर कब फ़ोन करूँ आपको? आप अपनी बहु से बात करके बता दीजिए। 

राजीव: अरे बेबी, मैं उससे बात करके थोड़ी देर में फ़ोन करता हूँ। अब सच बोलूँ , तुम्हारी टाइट बुर को याद करके मेरा लौड़ा खड़ा हो गया है। उफफफ क्या मज़े से चुदवाती थी तुम। 

नूरी: अंकल, मेरा भी बुरा हाल है आपसे बात करके। मेरी भी बुर गीली हो रही है। क्या मज़ा करते थे हम? दो दो घंटे चुदाई करते थे। चलो ठीक है , मैं आपके फ़ोन का इंतज़ार करती हूँ। बाई। 

राजीव: बाई मेरी जान। 
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06-10-2017, 10:13 AM,
#65
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
राजीव उठा और उसकी लूँगी का उभार मालिनी को जता दिया कि वो पूरी तरह से उत्तेजित हो चुका है नूरी से बात करके। वह वाशबेसिन में हाथ धोया खाना ख़त्म करके। मालिनी भी उठकर किचन में जाकर बर्तन रखी और हाथ धोते हुए सोचने लगी। क्या ये सब जो वो सुन रही है ये सम्भव है? एक लड़की माँ बनने के लिए अपने पति को धोका दे सकती है। वह फिर अपने पति से कैसे आँख मिला पाती होगी। पर ये सब सुनकर उसे उत्तेजना क्यों हो रही है। उसने अपनी बुर खुजायी और बाहर आयी। वो जानती थी की पापा अब उससे उसकी हामी के लिए पूछेंगे। पता नहीं क्या हो रहा है इस घर में। 

वो किचन से बाहर आयी तो राजीव सोफ़े पर बैठा उसका इंतज़ार कर रहा था। वह बोला: बहु आओ बैठो तुमसे नूरी के बारे में बात करनी है । मालिनी चुपचाप उसके सामने वाले सोफ़े पर बैठ गयी। आज उसने सलवार कुर्ता पहना था। उसकी चुन्नी सलीक़े से उसकी बड़ी छातियों को ढकीं हुई थी। 

राजीव बोला: बहु , आज मैं तुमको एक बात बताऊँगा जो कि सिर्फ़ कुछ लोगों को मालूम है, जैसे तुम्हारी मम्मी को। दरअसल में मैंने अब तक रानी को मिलाकर कुल चार लड़कियों को माँ बनाया है। नूरी को तो उसकी माँ लेकर आयी थी मेरे पास चुदवाने के लिए। इसके पहले भी एक और लड़की को उसकी सास लेकर आयी थी जिसे मैंने मॉ बनाया था। 

मालिनी का मुँह खुला का खुला रह गया। वो बोली: मा और सास अपनी बेटी और बहु लेकर आयीं थीं आपके पास इस काम के लिए? क्या हो गया है दुनिया को? 

राजीव: बहु, हमारे समाज में माँ नहीं बन पाने का दोष सिर्फ़ लड़की को दिया जाता है। यहाँ तक कि लड़के की दूसरी शादी की बात भी होने लगती है। फिर लड़की और उसकी माँ क्या करें? वो मेरे जैसे आदमी की मदद लेती हैं और कुछ लड़कियाँ अगर घर में ही कोई ज़ेठ या देवर या ससुर हो तो उनसे ही चुदवा कर माँ बन जाती हैं और कुछ पड़ोसी या मेरे जैसे किसी जान पहचान वाले से चुदवा लेती हैं माँ बनने के लिए। समझी तुम? 

मालिनी: ओह, मैं तो ऐसा कुछ होता है सोच भी नहीं सकती थी। 

राजीव: अब तुमने सुना ही है कि नूरी के ससुराल वालों को दूसरा बच्चा चाहिए। अब उसका पति हालाँकि उसे चोदकर संतुष्ट कर लेता है पर स्पर्म की कमज़ोरी के कारण उसे माँ नहीं बना सकता। अब बताओ वो क्या करे? 

मालिनी: ओह , तो ये बात है। 

राजीव: हाँ बहू यही बात है। अब तुम उसकी मदद कर दो और अगर उसे यहाँ दो घंटे के लिए आने दो और मुझसे चुदवाने दो तो उस बेचारी को माँ बनने का सौभाग्य प्राप्त होगा और मुझे भी फिर से एक जवान बदन को चोदने का सुख मिलेगा। 

ये कहकर वो खड़ा हुआ और उसकी लूँगी में से खड़ा लौड़ा मालिनी की आँखों के सामने था। वह आकर मालिनी के पास बैठा और उसकी जाँघ सहला कर बोला: बहु, प्लीज़ हाँ कर दो। देखो मैं भी कैसे मरा जा रहा हूँ उसको चोदने के लिए। यह कहकर उसने अपनी लूँगी खोली और अपना लौड़ा हवा में झुलाकर उसको दिखाने लगा। मालिनी इतने पास बैठी थी कि उसे पापा के लौड़े की गंध भी आ रही थी। उसकी बुर भी बुरी तरह से गीली होने लगी। 

वो बोली: ठीक है पापा जी आप आने दीजिए उसको। और उसकी और अपनी इच्छा पूरी कर लीजिए। 

राजीव ख़ुशी से भर कर बोला: आह बहु , तुमने मुझे ख़ुश कर दिया । थैंक यू बहु । तुम बहुत अच्छी हो सच में। यह कहकर वो उसको अपनी बाँह में दबाकर चूम लिया। मालिनी इस अचानक हमले के किए तय्यार नहीं थी। फिर वह उसकी चुन्नी हटाकर उसकी एक चूची दबाने लगा। मालिनी कसमसाते हुए बोली: पापा जी छोड़िए ना प्लीज़। 

मगर राजीव ने उसका हाथ अपने लौंडे पर रखा और उसके हाथ को दबाकर मूठ्ठ मारने लगा। उसके गरम लौड़े का स्पर्श उसे भी पागल करने लगा। वह अब दूसरी चूची दबाने लगा। मालिनी का हाथ अभी भी उसके लौड़े पर ही था और वह अभी भी अपने हाथ से उसे दबाकर मूठ्ठी मार रहा था। 

मालिनी: आऽऽऽंहहह पापा जी छोड़िए ना। 

राजीव ने करीब गिड़गिड़ाते हुए कहा: बहु, प्लीज़ एक बार मेरा पानी गिरा दो। आऽऽऽह बहुत अच्छा लग रहा है। 

मालिनी समझ गयी कि बिना झड़े वो शांत नहीं होगा, तो उसने हार मान ली और अब उसके लौड़े को ख़ुद ही मुट्ठी में जकड़ कर हिलाने लगी। अब राजीव ने अपना हाथ वहाँ से हटाया और बहु की दोनों चूचियाँ दबाने लगा। मालिनी ने शर्म और उत्तेजना से अपनी आँखें बंद कर लीं और ज़ोर ज़ोर से अपने हाथ हिलाने लगी। तभी राजीव ने उसकी क़ुर्ती उठाई और सलवार के ऊपर से उसकी बुर को सहलाने लगा और उसने पाया कि वो इतनी गीली थी जैसे उसने पेशाब कर दिया हो। उसने दो उँगलियाँ सलवार के पतले कपड़े से ही उसकी बुर में डाल दीं। 

मालिनी अब उइइइइइइ करके उसका लौड़ा हिलाती रही और अनजाने में अपनी कमर भी हिलाने लगी। फिर अचानक उसे लगा कि पापा आऽऽऽहहहह कर रहे हैं तो उसने आँख खोली और देखा कि उसी समय उनका लौड़ा झटका मारकर पानी छोड़ने लगा। वीर्य गाढ़ा सा काफ़ी दूर तक ज़मीन में फैल गया और उसका हाथ भी उससे गीला हो गया। तभी वो भी पापा की उँगलियों में झड़ने लगी। ऐसा पहली बार हुआ था कि वो अपने पति के अलावा किसी और से ये सब की थी। 

वो चुपचाप से उठी और अपराध बोध से भरकर वह अपने कमरे में आ गयी और बाथरूम में जाकर अपने हाथ को धोने का सोची। तभी फिर उस दिन जैसे उसने पापा के वीर्य को सूँघा और फिर पता नहीं उसे क्या हुआ कि वह अपने हाथ को चाटने लगी। उफफ़ग़फ उसे क्या हो रहा है? वो इतनी कामुक कैसे होती जा रही है? ये सब सही है क्या? शिवा को ये सब पता चलेगा तो उसपर क्या बीतेगी? आऽऽऽह वह क्या करे। वह टोयलेट की सीट पर बैठकर मूतने लगी। फिर सफ़ाई करके बाहर आयी और बिस्तर पर लेट गयी। उसकी आँख लग गयी। 

थोड़ी देर में राजीव अंदर आया और उसके पास आकर वह उसके माथे पर हाथ फेरा। वह हड़बड़ा कर उठने की कोशिश की। पर राजीव ने उसे कंधे दबाकर ज़बरदस्ती लेटे ही रहने को कहा। वो बोला: तो बहु, मैं नूरी को बोल दूँ ना कि वो कल से आ सकती है। देखो बाद में अपना इरादा बदल नहीं लेना। 

मालिनी धीरे से बोली: ठीक है ।

राजीव: तो मैं उसे बोल देता हूँ। पर उसका बेटा भी तो आएगा, उसे तुम थोड़ी देर सम्भाल लोगी ना जब हम चुदाई करेंगे। 

मालिनी: ठीक है पापा जी मैं उसे भी संभाल लूँगी। 

राजीव ख़ुश होकर उसके गाल को चूम लिया। फिर वह नूरी को फ़ोन लगाया। फ़ोन को इसने स्पीकर मोड में रखा। राजीव: हेलो बेबी।

नूरी: जी अंकल क्या बोली आपकी बहू। वैसे उसका नाम क्या है। 

राजीव मालिनी के माथे को सहलाते हुए बोला: उसका नाम मालिनी है और वह बहुत ही प्यारी बच्ची है। और हाँ वो मान गयी है और जिस समय हम चुदाई करेंगे वो हमारा बच्चा भी सम्भालेगी। 

नूरी: सच में मालिनी बहुत अच्छी लड़की है, क्या आप मेरी उससे बात करवा देंगे? 

राजीव : हाँ अभी करवाता हूँ। उसने मालिनी को फ़ोन दिया। 

मालिनी ने हिचकते हुए कहा: हेलो। 

नूरी: हेलो मालिनी, मैं तुमको थैंक्स कहना चाहती हूँ। तुम मेरी मदद करोगी और मुझे सम्मान से जीने का अवसर दोगी। सच में तुम बहुत अच्छी लड़की हो। भगवान तुम्हें सब ख़ुशियाँ दे। 

मालिनी : अरे नहीं नहीं आप ज़्यादा सोचो मत । आप आओ और बाक़ी बच्चे को मैं संभाल लूँगी। 

नूरी ख़ुश होकर: ठीक है तो फिर कल मिलते हैं। बाई । 

राजीव ने फ़ोन लेकर नूरी को कहा: अब तो कल मिलोगी ना बेबी। 

नूरी: जी तीन बजे दोपहर में आती हूँ आपके पास । ठीक है?

राजीव मुस्कुरा कर अपना लौड़ा दबाया और बोला: बिलकुल बेबी मैं तो बस अब बेकरार हूँ तुमसे और हमारे बेटे से मिलने के लिए। अच्छा अब रखता हूँ। बाई । 

राजीव अब मालिनी को देखा और बोला: बहु आज मैं तुम्हारा ऋणी याने क़र्ज़दार हो गया। थैंक यू। वह झुका और उसके गाल चूम लिया और बाई कहकर उसे आराम करने को कहा और अपने कमरे में चला गया। 

मालिनी आज दिन भर की घटनाओं के बारे में सोचते हुए सो गयी।
उस दिन और कुछ ख़ास नहीं हुआ। रात को शिवा ने मालिनी को दो राउंड चोदा। मालिनी चुदाई करवाते हुए सोच रही थी कि शिवा कितने प्यार से उसे चोद रहा है, आख़िर मैं उसे कैसे धोका दे सकती हूँ। आज शिवा भी तेल लगाकर उसकी गाँड़ में दो उँगलियाँ डालकर मालिनी को मज़े से भर रहा था। मालिनी भी अपनी कमर उछालकर मज़े ले रही थी। चुदाई के बाद दोनों संतुष्ट होकर लिपट कर सो गए। मालिनी शिवा को दिन भर की घटनाओं के बारे में कुछ भी बता नहीं पाई। 

अगले दिन मालिनी सुबह फ़्रेश हुई और ब्रा पहनकर नायटी पहनी और किचन जाकर चाय बनाई। राजीव के कमरे में आवाज़ दी कि वो चाय पी ले। 

राजीव बाहर आया और उसके हाथ में एक प्लास्टिक का थैला था। वो बोला: देखो बहु तुम्हारे लिए क्या लाया हूँ? 

मालिनी: क्या लायें हैं पापा जी?

राजीव: बहु आज मोर्निंग वॉक से आ रहा था तो हलवाई जलेबियाँ और कचौरी निकाल रहा था। वही ले आया। मुझे सरला ने बताया कि तुमको ये पसंद है। तुमने तो कभी बताया ही नहीं। 

मालिनी हँसकर: पापा जी आपने कभी पूछा ही नहीं। 

वह राजीव के हाथ से थैला लेकर किचन में जाकर प्लेट में डालकर लाई। राजीव ने लाड़ दिखाते हुए उसके मुँह के पास एक जलेबी रखी और बोला: लो बहु एक मेरे हाथ से खाओ। 

मालिनी हँसती हुई मुँह खोली और बोली: नूरी के आने की ख़ुशी में। वह जलेबी खाते हुए बोली: आपने उसे मेरा नम्बर दिया है शायद। उसका sms आया है कि वो दिल्ली से जहाज़ में बैठकर निकल चुकी है। उसका जहाज़ अभी एक घंटे में आ जाएगा। वह हमारे घर ३ बजे तक आएगी। 

राजीव: हाँ मुझे भी यही sms आया है। उसकी आंटी उसे लेने एयरपोर्ट पहुँचेगी। चलो शाम को मज़ा आएगा। उसने आँख मारते हुए कहा। 

मालिनी चाय के कप रखने किचन में गयी तो वह भी उसके पीछे पीछे गया और वहाँ जाकर मालिनी को पीछे से पकड़कर अपने से चिपका लिया। उसके पेट के हिस्से को सहला कर बोला: सच में तुम बहुत ही प्यारी लड़की हो, पर पता नहीं मुझसे दूर दूर क्यों रहती हो। 

मालिनी अपने आप को छुड़ाने की कोशिश की और उसके चूतर उसके लौड़े से रगड़ गए। वह बोला: अच्छा बताओ कल रात शिवा ने चुदाई की थी? 

मालिनी: आऽऽऽह छोड़िए ना प्लीज़। 

राजीव: बताओ ना चोदा कि नहीं उसने? 

मालिनी ने महसूस किया कि उसका लौड़ा अब उसे चुभने लगा है। वो बोली: उफफफफ आप भी ना। हाँ दो बार किया था। बस अब छोड़िए। 

राजीव: दो बार क्या किया था? 

मालिनी: आऽऽहहह चुदाई की थी और क्या करते हैं। 

राजीव: और भी बहुत कुछ करते हैं। जैसे बुर चूसते हैं । वो चूस था तुम्हारी इस प्यारी सी मुनिया को? उसने नायटी के ऊपर से उसकी बुर को दबाकर पूछा? 

मालिनी: उइइइइइ हाँ चूसे थे। हमेशा चूसते है। छोड़िए ना प्लीज़। 

उसने मालिनी का हाथ पकड़कर अपने खड़े लौड़े पर रखा और बोला: और तुमने उसका ये यानी लौड़ा चूसा था?

मालिनी: आह्ह्ह्ह्ह्ह पापा जी छोड़िए ना। हाँ चूसा था और हमेशा चूसतीं हूँ। 

राजीव: आऽऽऽऽऽऽह बहु मेरा कब चूसोगी? 

वो बोली: कभी नहीं। मैं अपने पति को धोका नहीं दे सकती। 

राजीव अभी भी उसका हाथ पकड़कर उससे अपना लौड़ा दबवा रहा था। वह उसकी बुर दबा कर बोला: अच्छा कोई बात नहीं मेरा मत चूसो पर मुझसे यह अपनी मुनिया तो चूसवा सकती हो बहु रानी। 

मालिनी: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ छोड़िए। मैं कयों चूसवाऊँ? आप नूरी का चूसो ना। मम्मी का भी तो चूसते हो आप। 

राजीव हँसकर: अरे भाई आज जलन की बू आ रही है। अरे तुम मेरी बन जाओ तो ये नूरी और मम्मी को मैं घर में घुसने ही नहीं दूँगा। अभी हाँ करो और अभी नूरी को मना करता हूँ। 

मालिनी हँसकर: वाह बेचारी दिल्ली से सिर्फ़ आपसे चु- मतलब करवाने आ रही है और आप ऐसा बोल रहे हो? मालिनी की बुर आज सबेरे से ही खुजाने लगी थी, पापा जी की हरकतों के कारण। 

राजीव उसके गाल चूमकर; क्या करवाने आ रही है? 

मालिनी हँसकर उसके लौड़े को दबाकर बोली: इससे करवाने मतलब चुदवाने आ रही है। चलिए अब छोड़िए इनको भी उठाना है। बस बहुत हो गई आपकी ज़बरदस्ती और फ़ालतू की मस्ती।

राजीव उसको एक बार और अपनी बाहों में भींचकर उसके होंठ चूमा और फिर उसे छोड़ते हुए बोला: भगवान सब देख रहा है कि तुम इस ग़रीब पर कितना ज़ुल्म ढा रही हो, पाप लगेगा इस बिचारे को सताने का। वह अपने लौड़े को मसल कर बोला। 

मालिनी भी हँसकर: वाह , एक आप ग़रीब और दूसरा ये बेचारा? वाह । वह उसके लौड़े को इशारा करके बोली।

फिर दोनों हँसने लगे। राजीव ने नोटिस किया कि अब मालिनी इस तरह की बातों से विचलित नहीं हो रही है जैसे कि पहले हो जाती थी। उसका कमीना मन यह सोच कर ख़ुश था कि लौंडिया फँस रही है। 
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06-10-2017, 10:14 AM,
#66
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
उधर मालिनी सोची कि वह पापा जी से ज़रा ज़्यादा ही खुलकर बात करने लगी है। ओह उसे क्या हुआ जा रहा है वह अब पापा जी से चुदाई जैसे शब्द बोलने में भी संकोच नहीं कर रही है। और उसकी बुर को क्या हुआ जा रहा है जो बात बात पर गरम हो जाती है। उफफफफ मैं किस चक्रव्यूह में फँसी जा रही हूँ। वह सोचते हुए शिवा की चाय बनाई और उसे उठाने के किए कमरे में गयी। वो पूरा नंगा सो रहा था। उसने उसे प्यार से देखा और उठाकर चाय पीने को कहा। वह उसे बाहों में अपने ऊपर खींचकर उसे चूमा और गुड मॉर्निंग बोला। वह भी उसे प्यार की और फिर वह फ़्रेश होने के लिए चला गया। 

नाश्ता आराम से निपट गया और शिवा अपने काम पर चला गया। तभी नूरी का फ़ोन आया। 

मालिनी: हेलो। 

नूरी: हाय कैसी हो? मैं तो आंटी के घर में हूँ। आंटी यहाँ अकेली रहती हैं। वो स्कूल में टीचर हैं। वो स्कूल चली गयी हैं। यहाँ बस एक नौकरानी है। मैं बोर हो रही हूँ। 

मालिनी: तो आ जाओ अभी । क्या दिक़्क़त है। खाना हमारे साथ खा लेना। 

नूरी: सच में अभी आ जाऊँ? आंटी शाम को पाँच बजे आएँगी। इसलिए मैं चार बजे भी निकलूँगी तुम्हारे घर से तो भी हो जाएगा। 

मालिनी: अभी आ जाओ। ठीक है? 

नूरी: तुम बहुत अच्छी हो। तुमसे मिलने की बड़ी इच्छा है। 

मालिनी हँसकर: मुझसे या पापा जी से ? हा हा ।

नूरी भी हँसकर: दोनों से ही। अच्छा आती हूँ एक घंटे में । 

मालिनी ने फ़ोन रखा और राजीव के कमरे में बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी। 

मालिनी ने देखा कि पापा जी ने कोई जवाब नहीं दिया तो उसने दरवाज़े को धक्का दिया और देखा कि कमरा ख़ाली है। बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुन कर वह बाथरूम के दरवाज़े को खटखटाई और ज़ोर से बोली: पापा जी, नूरी अभी एक घंटे में ही आ जाएगी। ठीक है ना?

उसी समय दरवाज़ा खुला और सामने राजीव पूरा नंगा खड़ा था। उसका मर्दाना बदन पानी से भीगा हुआ था। उसका लौड़ा लटकते हुए भी बहुत सेक्सी लग रहा था। उसके नीचे दो बड़े से बॉल्ज़ भी बहुत प्यारे लगे मालिनी को। वह शर्माकर पलट गयी और बाहर जाते हुए बोली: बस आपको बताना था कि नूरी अभी एक घंटे में आ जाएगी। 

राजीव: इतनी जल्दी? वो तो दोपहर को आने वाली थी ना। 

मालिनी उसकी बात का जवाब देने को पलटी और फिर से उसे नंगा देखकर झेंपकर बोली: हाँ वो अकेली है और ख़ाली है इस लिए अभी ही आना चाहती है और मैंने हाँ कर दी है। उसने एक नज़र उसके मस्त कसरती बदन को देखा और फिर बाहर जाते हुए बोली: मैं भी नहा लेती हूँ। 

राजीव: अरे बहु सुनो तो एक मिनट। 

मालिनी जाते हुए फिर रुकी और पलट कर बोली: जी बोलिए। 

वह मुस्कुरा कर बोला: आओ ना साथ में ही नहाते हैं। मज़ा आ जाएगा। सच में बिलकुल तंग नहीं करूँगा। वह अपने लौड़े को हिलाकर बोला। 

मालिनी: धत्त पापा जी आप भी कुछ भी बोलते रहते हैं। मैं जा रही हूँ। अब वह अपने कमरे में आइ और बाथरूम में जाकर कपड़े उतारते हुए उसे पापा जी का मस्त बदन और उनके मोटे मोटे बॉल्ज़ नज़र आ रहे थे। वह सोची की पापा जी के बॉल्ज़ में कितना रस भरा हुआ है जो कि वो सब लड़कियों को माँ बना देते हैं। उसने अपनी गीली हो रही बुर को सहलाया और सोची कि आज वो तो नूरी की प्यास बुझाएँगे। उसके मन में ये सोचकर थोड़ी सी जलन हुई जिसका कारण वह ख़ुद ही नहीं समझ पाई। वो नहाने लगी। 

आज मालिनी ने पहली बार घर में मम्मी का लाया हुआ टॉप और स्कर्ट पहना। वह शीशे में अपने आप को देखी। वह बला की ख़ूबसूरत दिख रही थी। टॉप उसकी छातियों को ढके हुए था और वो दोनों उभारों को और भी उभार रहे थे। स्कर्ट भी शालीन ही था। उसके घुटनो से थोड़ा नीचे तक आ रहा था। आज उसने पैंटी पहन ली थी। वो नहीं चाहती थी कि नूरी उसे बिना पैंटी के देखे। फिर उसने अपनी छातियों को छुपाने के लिए एक जैकेट सा पहना। अब सब ठीक था। जैकेट में चेन लगी थी । वो बाहर आयी और कमला को खाना बनाने में मदद करने लगी।
थोड़ी देर बाद कमला चली गयी। वह किचन से बाहर आइ तभी राजीव बाहर आए। उन्होंने लूँगी बनियान ही पहनी थी। वो मालिनी को देखकर बोले: वाह आज तो बहुत सज रही हो बहु। ऐसे ही रहा करो। बहुत प्यारी लग रही हो। फिर वो मालिनी के पास आकर बोले: ये जैकेट क्यों पहनी हो? क्यूँ मस्त छातियों को छुपा रही हो। चलो निकालो इसे। यह कहते हुए उसने उसकी जैकेट की चेन नीचे को खिंची और जैकेट के दोनों पल्ले अलग हो गए। और मस्त उभरी हुई छातियाँ उसके सामने आ गयीं जो कि टॉप के ऊपर से बहुत ही मादक लग रहीं थीं। 

मालिनी ने विरोध किया पर उसकी एक ना चली। फिर राजीव ने उसके दोनों चूचियों को दबाया और बोला: इनकी सुंदरता इनको दिखाने में है बहु । इस तरह जैकेट में छिपाने में नहीं है।
मालिनी उसके हाथ हटाते हुए बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पापा जी छोड़िए ना। नूरी आने वाली है । उसकी मसल दीजिएगा। मुझे बक्श दीजिए। 

राजीव हँसने लगा और अपना हाथ उसकी चूचियों से हटा लिया पर उसने उसका जैकेट तो उतार ही दिया था । मालिनी जैकेट को अपने कमरे में रखने के लिए जाने के लिए जैसे ही पलटी राजीव की आँख उसकी गाँड़ के ऊपर चुस्त स्कर्ट से झलक रही पैंटी के किनारों पर पड़ी। वह फिर उसको कमर से पकड़ लिया और उसकी गाँड़ को दबाते हुए बोला: बहु आज पैंटी क्यों पहन ली? तुमने तो घर में पहनना छोड़ दिया था ना?

मालिनी झल्लाती हुई: पापा जी क्या स्कर्ट के नीचे भी पैंटी ना पहनूँ? साड़ी या सलवार के नीचे ना पहनूँ तो चल जाता है पर स्कर्ट के नीचे तो पहनना ही पड़ता है। 

राजीव: अरे बहु क्यों पहनना पड़ता है? आख़िर मैं अकेला ही तो हूँ तो घर में और वैसे भी तुम्हारी बुर देखने के लिए मरा जा रहा हूँ। तुम ऐसे तो दिखाती नहीं हो, शायद ग़लती से ही दिख जाए तो मज़ा आ जाए। 

मालिनी: आपको अपना सब कुछ दिखाने वाली आ रही है अभी। उसका सब देख लेना। चलिए अब छोड़िए मुझे। 

राजीव उसकी गाँड़ दबाकर बोला: बहु तुमसे एक रिक्वेस्ट है, मानोगी?

मालिनी: बोलिए। वो अब राजीव की हरकतों से गरम हो रही थी उसका हाथ अभी भी उसकी गाँड़ की गोलाइयों को दबा रहा था। 

वह बोला: बहु आज भी मैंने एक पल्ला खिड़की का खोल दिया है। मैं चाहता हूँ कि तुम आज हमारी चुदाई देखो। 

मालिनी सन्न रह गयी। उफफफफ कितना खुलकर ऐसी गंदी बातें करते हैं। वो कुछ नहीं बोली। 

वो फिर से बोला: देखोगी ना हमारी चुदाई? मैं ऐसा करता हूँ कि जब तुमको बुलाना होगा तो मैं तुमको एक मिस्ड कॉल दूँगा। तुम समझ जाना कि तुम्हारे लिए मेरा शो चालु हो गया है। बोलो आओगी ना? अब वह उसकी गाँड़ मसलता हुआ उसके गाल भी चूमने लगा। 

मालिनी ने अब छूटने का प्रयत्न किया और बोली: पता नहीं। 

तभी कॉल बेल बजी। मालिनी बोली: नूरी आ गयी लगता है। 

राजीव: आने दो उसे, जब तक तुम नहीं बोलोगी कि तुम आकर देखोगी खिड़की से मेरी मिस्ड कॉल के बाद, मैं नहीं छोड़ूँगा। 

मालिनी: अच्छा ठीक है छोड़िए ना , आ जाऊँगी देखने । बस अब छोड़िए ना। 

राजीव ने उसे चूमा और छोड़ दिया। उसने अपने बदन के कपड़े ठीक किए और दरवाज़ा खोली।सामने एक भरे बदन की बहुत गोरी अच्छे नाक नक़्श की एक लड़की अपनी गोद में एक बच्चा लेकर खड़ी थी। बच्चा सो रहा था ।

मालिनी: नूरी दीदी? 

नूरी: हाँ और तुम मालिनी?

मालिनी: जी दीदी । आइए प्लीज़। 

वह अपना एक बैग और पर्स लेकर आयी और बोली: इसे कहाँ सुला दूँ? 

मालिनी: मेरे कमरे में सुला दीजिए। 

नूरी ने बच्चे को बिस्तर पर लिटाया और फिर सीधी खड़ी हुई और मालिनी को गले लगा ली। मालिनी की गोल पुष्ट छातियाँ उसकी पहाड़ जैसी छातियों से टकरा रहीं थीं। नूरी ने एक टॉप पहना था जिसमें से उसकी ब्रा भी दिख रही थी और नीचे उसने जींस पहनी थी जो उसके विशाल चूतरों से चिपकी हुई थी। फिर नूरी बोली: यार तीन साल पहले मेरा फ़िगर भी तुम्हारे जैसा ही था जब मैं अंकल से मिली थी। बच्चा होने के बाद शरीर काफ़ी बदल जाता है। 

मालिनी: दीदी, आप तो अभी भी बहुत सेक्सी दिख रही हो। पापा जी तो फ़िदा हो जाएँगे। 

वो हँसकर: अरे उनका क्या है? उनको तो बस तो मस्त चूचियाँ और एक छेद मिल जाए तो उनका काम हो जाता है। 

मालिनी: छी दीदी आप भी कैसी बातें कर रही हैं। चलिए आपको पापा जी से मिलवाती हूँ। 

बाहर आकर मालिनी ने देखा कि पापा वहाँ भी नहीं हैं। वह उनके कमरे के बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी नूरी से नहीं मिलना क्या? 

राजीव बाहर आकर बोला: वो तो तुमसे मिलने आई है , देखो ना सीधे तुम्हारे कमरे में चली गई। मेरे पास तो आइ नहीं। फिर जैसे ही उसकी नज़र नूरी पर पड़ी वह सब ग़ुस्सा भूल गया। उसकी आँखों में एक चमक दौड़ गयी और उसने बाँहें फैलाकर कहा: wow क्या दिख रही हो जान। पहले से भी ज़्यादा मस्त भर गयी हो। आओ मेरी बाहों में आओ ।

नूरी भी बाँहें फैलाकर उसकी तरफ़ जाकर उससे लिपट गयी। राजीव को मज़बूत बाहों ने उसे जकड़ लिया और वह उसके गाल चूमता हुआ अब उसके होंठ चूसने लगा। उसके हाथ उसकी पीठ , नंगी कमर से होता हुआ उसके बड़े। बड़े चूतरों तक जा पहुँचा था। अब वह उसकी गाँड़ की गोलाइयों को नाप रहा था। ये सब देखकर मालिनी की हालत ख़राब होने लगी। 
उसे मन ही मन जलन की भावना से भर गई। उसे ख़ुद पर हैरानी हुई कि वह इस तरह से क्यों सोच रही है।

मालिनी: अच्छा तो मैं चलती हूँ। दीदी आप चाय पीयोगि क्या?

रेणु अपने आप को छुड़ाकर बोली: हाँ ज़रूर पियूँगी। चलो बनाते हैं। फिर राजीव को बोली: आप बैठो हम चाय लाते हैं। 

वो दोनों किचन में चली गयी। मालिनी: आपको तो पापा जी बहुत प्यार करते हैं । 

नूरी: तुम अपना बताओ कि तुम दोनों के बीच क्या चक्कर है? अंकल को जहाँ तक मैं जानती हूँ वो तुम्हारे जैसे हॉट और मस्त माल को छोड़ने वाले हैं नहीं। चुदवा चुकी हो क्या उनसे? 


मालिनी उसकी बात सुनकर सन्न होकर बोली: ऐसा कुछ नहीं है। मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ। 

नूरी: तो क्या मैं नहीं करती अपने पति से प्यार। वो मुझे भी प्यारे हैं। पर उनको बच्चा भी चाहिए इसलिए मैं इनके पास आयीं हूँ। अब वो मुझे अभी तुम्हारे घर में चोदेंगे और तुम्हारी जानकारी में ही। इसका मतलब तो ये हुआ ना कि तुम दोनों का रिश्ता ससुर और बहु से कुछ आगे का भी है। क्या कहती हो? 

मालिनी: ऐसा कुछ नहीं है। वो मेरे को बोले कि तुमको उनकी मदद चाहिए तो मैंने आप दोनों की मदद कर दी। बस इतना ही है। और कुछ नहीं। 


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06-10-2017, 10:14 AM,
#67
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
उधर मालिनी सोची कि वह पापा जी से ज़रा ज़्यादा ही खुलकर बात करने लगी है। ओह उसे क्या हुआ जा रहा है वह अब पापा जी से चुदाई जैसे शब्द बोलने में भी संकोच नहीं कर रही है। और उसकी बुर को क्या हुआ जा रहा है जो बात बात पर गरम हो जाती है। उफफफफ मैं किस चक्रव्यूह में फँसी जा रही हूँ। वह सोचते हुए शिवा की चाय बनाई और उसे उठाने के किए कमरे में गयी। वो पूरा नंगा सो रहा था। उसने उसे प्यार से देखा और उठाकर चाय पीने को कहा। वह उसे बाहों में अपने ऊपर खींचकर उसे चूमा और गुड मॉर्निंग बोला। वह भी उसे प्यार की और फिर वह फ़्रेश होने के लिए चला गया। 

नाश्ता आराम से निपट गया और शिवा अपने काम पर चला गया। तभी नूरी का फ़ोन आया। 

मालिनी: हेलो। 

नूरी: हाय कैसी हो? मैं तो आंटी के घर में हूँ। आंटी यहाँ अकेली रहती हैं। वो स्कूल में टीचर हैं। वो स्कूल चली गयी हैं। यहाँ बस एक नौकरानी है। मैं बोर हो रही हूँ। 

मालिनी: तो आ जाओ अभी । क्या दिक़्क़त है। खाना हमारे साथ खा लेना। 

नूरी: सच में अभी आ जाऊँ? आंटी शाम को पाँच बजे आएँगी। इसलिए मैं चार बजे भी निकलूँगी तुम्हारे घर से तो भी हो जाएगा। 

मालिनी: अभी आ जाओ। ठीक है? 

नूरी: तुम बहुत अच्छी हो। तुमसे मिलने की बड़ी इच्छा है। 

मालिनी हँसकर: मुझसे या पापा जी से ? हा हा ।

नूरी भी हँसकर: दोनों से ही। अच्छा आती हूँ एक घंटे में । 

मालिनी ने फ़ोन रखा और राजीव के कमरे में बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी। 

मालिनी ने देखा कि पापा जी ने कोई जवाब नहीं दिया तो उसने दरवाज़े को धक्का दिया और देखा कि कमरा ख़ाली है। बाथरूम से पानी गिरने की आवाज़ सुन कर वह बाथरूम के दरवाज़े को खटखटाई और ज़ोर से बोली: पापा जी, नूरी अभी एक घंटे में ही आ जाएगी। ठीक है ना?

उसी समय दरवाज़ा खुला और सामने राजीव पूरा नंगा खड़ा था। उसका मर्दाना बदन पानी से भीगा हुआ था। उसका लौड़ा लटकते हुए भी बहुत सेक्सी लग रहा था। उसके नीचे दो बड़े से बॉल्ज़ भी बहुत प्यारे लगे मालिनी को। वह शर्माकर पलट गयी और बाहर जाते हुए बोली: बस आपको बताना था कि नूरी अभी एक घंटे में आ जाएगी। 

राजीव: इतनी जल्दी? वो तो दोपहर को आने वाली थी ना। 

मालिनी उसकी बात का जवाब देने को पलटी और फिर से उसे नंगा देखकर झेंपकर बोली: हाँ वो अकेली है और ख़ाली है इस लिए अभी ही आना चाहती है और मैंने हाँ कर दी है। उसने एक नज़र उसके मस्त कसरती बदन को देखा और फिर बाहर जाते हुए बोली: मैं भी नहा लेती हूँ। 

राजीव: अरे बहु सुनो तो एक मिनट। 

मालिनी जाते हुए फिर रुकी और पलट कर बोली: जी बोलिए। 

वह मुस्कुरा कर बोला: आओ ना साथ में ही नहाते हैं। मज़ा आ जाएगा। सच में बिलकुल तंग नहीं करूँगा। वह अपने लौड़े को हिलाकर बोला। 

मालिनी: धत्त पापा जी आप भी कुछ भी बोलते रहते हैं। मैं जा रही हूँ। अब वह अपने कमरे में आइ और बाथरूम में जाकर कपड़े उतारते हुए उसे पापा जी का मस्त बदन और उनके मोटे मोटे बॉल्ज़ नज़र आ रहे थे। वह सोची की पापा जी के बॉल्ज़ में कितना रस भरा हुआ है जो कि वो सब लड़कियों को माँ बना देते हैं। उसने अपनी गीली हो रही बुर को सहलाया और सोची कि आज वो तो नूरी की प्यास बुझाएँगे। उसके मन में ये सोचकर थोड़ी सी जलन हुई जिसका कारण वह ख़ुद ही नहीं समझ पाई। वो नहाने लगी। 

आज मालिनी ने पहली बार घर में मम्मी का लाया हुआ टॉप और स्कर्ट पहना। वह शीशे में अपने आप को देखी। वह बला की ख़ूबसूरत दिख रही थी। टॉप उसकी छातियों को ढके हुए था और वो दोनों उभारों को और भी उभार रहे थे। स्कर्ट भी शालीन ही था। उसके घुटनो से थोड़ा नीचे तक आ रहा था। आज उसने पैंटी पहन ली थी। वो नहीं चाहती थी कि नूरी उसे बिना पैंटी के देखे। फिर उसने अपनी छातियों को छुपाने के लिए एक जैकेट सा पहना। अब सब ठीक था। जैकेट में चेन लगी थी । वो बाहर आयी और कमला को खाना बनाने में मदद करने लगी।
थोड़ी देर बाद कमला चली गयी। वह किचन से बाहर आइ तभी राजीव बाहर आए। उन्होंने लूँगी बनियान ही पहनी थी। वो मालिनी को देखकर बोले: वाह आज तो बहुत सज रही हो बहु। ऐसे ही रहा करो। बहुत प्यारी लग रही हो। फिर वो मालिनी के पास आकर बोले: ये जैकेट क्यों पहनी हो? क्यूँ मस्त छातियों को छुपा रही हो। चलो निकालो इसे। यह कहते हुए उसने उसकी जैकेट की चेन नीचे को खिंची और जैकेट के दोनों पल्ले अलग हो गए। और मस्त उभरी हुई छातियाँ उसके सामने आ गयीं जो कि टॉप के ऊपर से बहुत ही मादक लग रहीं थीं। 

मालिनी ने विरोध किया पर उसकी एक ना चली। फिर राजीव ने उसके दोनों चूचियों को दबाया और बोला: इनकी सुंदरता इनको दिखाने में है बहु । इस तरह जैकेट में छिपाने में नहीं है।
मालिनी उसके हाथ हटाते हुए बोली: उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पापा जी छोड़िए ना। नूरी आने वाली है । उसकी मसल दीजिएगा। मुझे बक्श दीजिए। 

राजीव हँसने लगा और अपना हाथ उसकी चूचियों से हटा लिया पर उसने उसका जैकेट तो उतार ही दिया था । मालिनी जैकेट को अपने कमरे में रखने के लिए जाने के लिए जैसे ही पलटी राजीव की आँख उसकी गाँड़ के ऊपर चुस्त स्कर्ट से झलक रही पैंटी के किनारों पर पड़ी। वह फिर उसको कमर से पकड़ लिया और उसकी गाँड़ को दबाते हुए बोला: बहु आज पैंटी क्यों पहन ली? तुमने तो घर में पहनना छोड़ दिया था ना?

मालिनी झल्लाती हुई: पापा जी क्या स्कर्ट के नीचे भी पैंटी ना पहनूँ? साड़ी या सलवार के नीचे ना पहनूँ तो चल जाता है पर स्कर्ट के नीचे तो पहनना ही पड़ता है। 

राजीव: अरे बहु क्यों पहनना पड़ता है? आख़िर मैं अकेला ही तो हूँ तो घर में और वैसे भी तुम्हारी बुर देखने के लिए मरा जा रहा हूँ। तुम ऐसे तो दिखाती नहीं हो, शायद ग़लती से ही दिख जाए तो मज़ा आ जाए। 

मालिनी: आपको अपना सब कुछ दिखाने वाली आ रही है अभी। उसका सब देख लेना। चलिए अब छोड़िए मुझे। 

राजीव उसकी गाँड़ दबाकर बोला: बहु तुमसे एक रिक्वेस्ट है, मानोगी?

मालिनी: बोलिए। वो अब राजीव की हरकतों से गरम हो रही थी उसका हाथ अभी भी उसकी गाँड़ की गोलाइयों को दबा रहा था। 

वह बोला: बहु आज भी मैंने एक पल्ला खिड़की का खोल दिया है। मैं चाहता हूँ कि तुम आज हमारी चुदाई देखो। 

मालिनी सन्न रह गयी। उफफफफ कितना खुलकर ऐसी गंदी बातें करते हैं। वो कुछ नहीं बोली। 

वो फिर से बोला: देखोगी ना हमारी चुदाई? मैं ऐसा करता हूँ कि जब तुमको बुलाना होगा तो मैं तुमको एक मिस्ड कॉल दूँगा। तुम समझ जाना कि तुम्हारे लिए मेरा शो चालु हो गया है। बोलो आओगी ना? अब वह उसकी गाँड़ मसलता हुआ उसके गाल भी चूमने लगा। 

मालिनी ने अब छूटने का प्रयत्न किया और बोली: पता नहीं। 

तभी कॉल बेल बजी। मालिनी बोली: नूरी आ गयी लगता है। 

राजीव: आने दो उसे, जब तक तुम नहीं बोलोगी कि तुम आकर देखोगी खिड़की से मेरी मिस्ड कॉल के बाद, मैं नहीं छोड़ूँगा। 

मालिनी: अच्छा ठीक है छोड़िए ना , आ जाऊँगी देखने । बस अब छोड़िए ना। 

राजीव ने उसे चूमा और छोड़ दिया। उसने अपने बदन के कपड़े ठीक किए और दरवाज़ा खोली।सामने एक भरे बदन की बहुत गोरी अच्छे नाक नक़्श की एक लड़की अपनी गोद में एक बच्चा लेकर खड़ी थी। बच्चा सो रहा था ।

मालिनी: नूरी दीदी? 

नूरी: हाँ और तुम मालिनी?

मालिनी: जी दीदी । आइए प्लीज़। 

वह अपना एक बैग और पर्स लेकर आयी और बोली: इसे कहाँ सुला दूँ? 

मालिनी: मेरे कमरे में सुला दीजिए। 

नूरी ने बच्चे को बिस्तर पर लिटाया और फिर सीधी खड़ी हुई और मालिनी को गले लगा ली। मालिनी की गोल पुष्ट छातियाँ उसकी पहाड़ जैसी छातियों से टकरा रहीं थीं। नूरी ने एक टॉप पहना था जिसमें से उसकी ब्रा भी दिख रही थी और नीचे उसने जींस पहनी थी जो उसके विशाल चूतरों से चिपकी हुई थी। फिर नूरी बोली: यार तीन साल पहले मेरा फ़िगर भी तुम्हारे जैसा ही था जब मैं अंकल से मिली थी। बच्चा होने के बाद शरीर काफ़ी बदल जाता है। 

मालिनी: दीदी, आप तो अभी भी बहुत सेक्सी दिख रही हो। पापा जी तो फ़िदा हो जाएँगे। 

वो हँसकर: अरे उनका क्या है? उनको तो बस तो मस्त चूचियाँ और एक छेद मिल जाए तो उनका काम हो जाता है। 

मालिनी: छी दीदी आप भी कैसी बातें कर रही हैं। चलिए आपको पापा जी से मिलवाती हूँ। 

बाहर आकर मालिनी ने देखा कि पापा वहाँ भी नहीं हैं। वह उनके कमरे के बाहर से आवाज़ लगाई: पापा जी नूरी से नहीं मिलना क्या? 

राजीव बाहर आकर बोला: वो तो तुमसे मिलने आई है , देखो ना सीधे तुम्हारे कमरे में चली गई। मेरे पास तो आइ नहीं। फिर जैसे ही उसकी नज़र नूरी पर पड़ी वह सब ग़ुस्सा भूल गया। उसकी आँखों में एक चमक दौड़ गयी और उसने बाँहें फैलाकर कहा: wow क्या दिख रही हो जान। पहले से भी ज़्यादा मस्त भर गयी हो। आओ मेरी बाहों में आओ ।

नूरी भी बाँहें फैलाकर उसकी तरफ़ जाकर उससे लिपट गयी। राजीव को मज़बूत बाहों ने उसे जकड़ लिया और वह उसके गाल चूमता हुआ अब उसके होंठ चूसने लगा। उसके हाथ उसकी पीठ , नंगी कमर से होता हुआ उसके बड़े। बड़े चूतरों तक जा पहुँचा था। अब वह उसकी गाँड़ की गोलाइयों को नाप रहा था। ये सब देखकर मालिनी की हालत ख़राब होने लगी। 
उसे मन ही मन जलन की भावना से भर गई। उसे ख़ुद पर हैरानी हुई कि वह इस तरह से क्यों सोच रही है।

मालिनी: अच्छा तो मैं चलती हूँ। दीदी आप चाय पीयोगि क्या?

रेणु अपने आप को छुड़ाकर बोली: हाँ ज़रूर पियूँगी। चलो बनाते हैं। फिर राजीव को बोली: आप बैठो हम चाय लाते हैं। 

वो दोनों किचन में चली गयी। मालिनी: आपको तो पापा जी बहुत प्यार करते हैं । 

नूरी: तुम अपना बताओ कि तुम दोनों के बीच क्या चक्कर है? अंकल को जहाँ तक मैं जानती हूँ वो तुम्हारे जैसे हॉट और मस्त माल को छोड़ने वाले हैं नहीं। चुदवा चुकी हो क्या उनसे? 


मालिनी उसकी बात सुनकर सन्न होकर बोली: ऐसा कुछ नहीं है। मैं अपने पति से बहुत प्यार करती हूँ। 

नूरी: तो क्या मैं नहीं करती अपने पति से प्यार। वो मुझे भी प्यारे हैं। पर उनको बच्चा भी चाहिए इसलिए मैं इनके पास आयीं हूँ। अब वो मुझे अभी तुम्हारे घर में चोदेंगे और तुम्हारी जानकारी में ही। इसका मतलब तो ये हुआ ना कि तुम दोनों का रिश्ता ससुर और बहु से कुछ आगे का भी है। क्या कहती हो? 

मालिनी: ऐसा कुछ नहीं है। वो मेरे को बोले कि तुमको उनकी मदद चाहिए तो मैंने आप दोनों की मदद कर दी। बस इतना ही है। और कुछ नहीं। 


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06-10-2017, 10:14 AM,
#68
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
मालिनी भी उत्तेजित हो रही थी ।दो दो राउंड की चुदाई देखकर उसका उत्तेजित होना स्वाभाविक था। सो उसने अपनी कमर उठा दी और राजीव ने स्कर्ट और ऊपर तक उठा दिया और अब उसकी पैंटी भी उसे दिखाई देने लगी थी। अब वह उसकी भरी हुई नरम जाँघें दबाकर मस्ती से भरने लगा था। मालिनी की बुर भी गरमाने लगी थी। अब राजीव के हाथ उसकी पैंटी के किनारे को छूने लगी थीं। उसने उसकी जाँघों को अलग किया और अब उसके हाथ उसकी गोल गोल जाँघों को पैंटी के ठीक पहले तक दबा रहे थे। मालिनी की बुर गीली हो चुकी थी। 

राजीव ने अब उसकी पैंटी का गीलापन देखा और बोला: बेटी, सूसू निकल गई है क्या? देखो ना पैंटी एकदम गीली हो गई है। बाथरूम ले चलूँ? 

मालिनी शर्माकर अपना मुँह छुपा कर बोली: धत्त आप कुछ भी बोल रहे हैं। पर वह उठी नहीं। राजीव ने हिम्मत की और उसकी बुर को पैंटी के ऊपर से दबा कर बोला: बेटी, देखो ना पैंटी बिलकुल गीली हो गई है। चलो मैं तुमको थोड़ा यहाँ भी आराम दे देता हूँ। यह कह कर वह उसकी पैंटी के साइड से अपनी उँगलियाँ अंदर डाला और उसकी बुर में दो उँगलियाँ डाल दिया। मालिनी ने आँखें बंद कर ली और अपनी जाँघों को और फैला लिया। राजीव की उँगलियाँ अब उसकी बुर में अंदर बाहर होने लगी और वह उसके दाने से भी छेड़छाड करने लगा। अब मालिनी की सिसकियाँ निकलने लगीं। वह अब अपनी कमर भी हिलाने लगी और अब राजीव ने अपना दूसरा हाथ उसकी चूचि पर रखा और उसे दबाने लगा। मालिनी अब उइइइइइइ करके अपनी कमर उछालने लगी और म्म्म्म्म्म्म कह कर झड़ गयी। राजीव की उँगलियाँ पूरी गीली हो चुकी थी। वह उनको बाहर निकाला और मालिनी को दिखाकर चूसने लगा और बोल: बेटी, बहुत स्वादिष्ट है तुम्हारा पुसी जूस म्म्म्म्म्म ।

अब चौंकने की बारी मालिनी की थी। अब जाकर झड़ने के बाद मालिनी को होश आया था और फिर वह अपने कपड़े ठीक करके अपने कमरे में भाग गई। वह अपनी हरकत से बहुत शर्मिंदा थी। उफफफफ ये क्या हुआ ? आज पहली बार पापा उसकी नंगी बुर में ऊँगली कर लिए। ये कैसे हो गया? उसने उनको रोका क्यो नहीं? अब उसे अपने आप पर शर्म आयी। उसने निश्चय किया कि वह पापा जी से दूर रहेगी। यह सब बंद होना चाहिए। यह सोचते हुए वह सो गयी। सपने में वह देखी कि पापा जी उसे उसके कमरे में ही चोद रहे हैं। वैसे ही जैसे नूरी को चोद रहे थे। फ़र्क़ सिर्फ़ इतना था कि नूरी की जगह वह ख़ुद थी । फिर वह हड़बड़ा कर उठ बैठी और सपने का सोच के शर्मिंदा होने लगी। उसकी बुर फिर से सपने में गीली हो रखी थी। अब वह शिवा को फ़ोन लगाई: हेलो।

शिवा: हेलो जानू कैसी हो? खाना खा लिया?

मालिनी: हाँ खा लिया और आपने? 

शिवा: मैंने भी खा लिया। अब तुमको खाने की इच्छा हो रही है। आ जाऊँ अभी खाने? 

मालिनी हँसकर: अभी ही क्यों? रात को खा कीजिएग। 

शिवा: अरे हाँ वो तुम्हारे आशिक़ का फ़ोन आया था। 

मालिनी हैरान होकर : मेरा आशिक़ कहाँ से पैदा हो गया?

शिवा: अरे वही असलम , तुम्हें खाने पर बुला रहा है। 

मालिनी: वह मेरा नहीं आपका ख़याल रख रहा है । आपको आयशा से मिलाने को शायद मरा जा रहा है। और आपको भी तो स्वाद में बदलाव चाहिए ना? जाओ अकेले डिनर करे आओ। मुझे नहीं जाना। 

शिवा: हा हा ग़ुस्सा बड़ी जल्दी होती हो। यार वह सिर्फ़ खाने को बुला रहा है , अदला बदली के लिए नहीं। तुम भी ना बस मुझे आयशा से जोड़ने लगती हो। अच्छा एक बात बतानी है तुमको वो हमारे दुकान में एक लड़की काम करती है ना रीमा।

मालिनी: हाँ हाँ याद है। क्या हुआ उसे? 

शिवा: अरे वो आज आकर बहुत रोयी। मेरे पूछने पर उसने बताया कि उसका पति गार्ड है इसलिए कई बार वो रात की ड्यूटी में जाता है। और वो अपने दो छोटे छोटे बच्चों के साथ अपने ससुर के साथ रहती है, सास का देहांत हो चुका है। 

मालिनी: ओह, फिर? 

शिवा: वो बताई कि उसका ससुर कई दिनों से उसे तंग करता था। कभी उसकी चूचि दबा देता था और कभी उसकी गाँड़ सहला देता था। वो हमेशा इसका विरोध की मगर वह सुधरा नहीं। 

मालिनी: उसने आपसे ये कहा कि वह उसकी चूचि और गाँड़ छूता है?

शिवा: अरे जानू , उसने ये शब्द नहीं कहे पर उसने जो बताया उसका मतलब यही था। 

मालिनी: ओह फिर क्या हुआ? उसने अपने पति को नहीं बताया?

शिवा: मैंने भी यही पूछा तो वो बोली कि ससुर धमकी देता है कि अगर उसे बताई तो चारों मतलब बेटा, बहु और बच्चों को घर से निकल देगा और वो सड़क पर आ जाएँगे । क्योंकि उसके पति की कमाई कम है और ससुर को पेन्शन भी मिलती है , इसलिए वो उसकी शिकायत नहीं कर सकी। 

मालिनी: ओह बेचारी। फिर? 

शिवा: पर कल रात उसने हद कर दी और रीमा को ज़बरदस्ती चोद दिया। वो उसके खाने में कुछ मिला दिया था और उसे आधे होश में चोद दिया। बेचारी रो रही थी। मैंने उसे कहा कि चलो पुलिस में शिकायत करते हैं तो बोली कि तब तो वो हमको घर से ही निकाल देगा और उसकी पेन्शन की कमाई भी नहीं देगा। हमारे बच्चों की पढ़ाई का क्या होगा। 

मालिनी: ओह बेचारी। फिर क्या किया?

शिवा: कुछ नहीं , वो बोली कि मुझसे बात करके उसका दर्द कम हो गया है और फिर अपना काम करने लगी। वो बोली कि वो अपने पति से इसकी शिकायत नहीं करेगी। 

मालिनी: बड़ी अजीब बात है। आप उसका नम्बर मुझे दो, मैं उसे समझाऊँगी कि उसे ये सब सहना नहीं चाहिए। 

तभी राजीव आवाज़ आइ: बेटी आज चाय नहीं मिलेगी क्या। 

ये आवाज़ शिवा को भी सुनाई दी तो वो बोला: क्या बात है कि पापा आज तुमको बेटी बोल रहे हैं वैसे अक्सर तो बहु बोलते हैं ना? देखो पापा की बेटी बन कर मेरा पत्ता नहीं साफ़ कर देना। हा हा ।

मालिनी: आप भी ना कुछ भी कहते रहते हो। आप तो उनके बेटे हो और हमेशा आप ही पहले रहोगे। हाँ उस रीमा का नम्बर sms कर देना। अच्छा अब चलती हूँ पापा जी को चाय चाहिए। बाई। 

वह बाहर आयी और किचन में जाकर चाय बनाई। बाहर आकर वह आवाज़ लगाई : पापा जी चाय आ गयी है। 

राजीव आया और चाय पीते हुए बोला: लगता है आज बहुत मस्त नींद आयी अपना पानी निकाल कर। उसने आँख मारकर कहा। 

मालिनी समझ गई कि वह उसे बुर में करी गई ऊँगली की याद दिला रहे हैं। उसके गाल लाल हो गए। तभी राजीव उठा और आकर उसके पास बैठ गया। उसके हाथ को अपने हाथ में लेकर बोला: बेटी, ये बताओ जब तुम मुझे अपनी मम्मी या नूरी के साथ चुदाई करते हुए देखती हो तो तुम्हारे मन में कैसी भावना आती है? 

मालिनी: कुछ नहीं होता मुझे। मैं भी शादीशुदा हूँ। मेरे लिए यह कोई नयी बात नहीं है। 

राजीव उसके हाथ सहला कर बोला: बेटी, ये तो है कि तुम्हारे लिए चुदाई कोई विशेष बात नहीं है, पर ये भी सच है कि तुम्हें मेरी चुदाई में भी मज़ा आता है। हैं ना? तभी तो तुम यूँ आकर ये सब देखती हो। 

मालिनी: पापा अब मैं यह सब कल से नहीं देखूँगी। वैसे भी मुझे ये सब नहीं देखना चाहिए। ये सब ग़लत है। 

राजीव उसे अपनी गोद में खींचकर उसके गाल चूमते हुए बोला: बेटी, कुछ गलत नहीं है। प्यार करना ग़लत नहीं हो सकता। 

मालिनी उसकी गोद में बैठी थी। पहली बार उसने अपने आप को छुड़ाने की कोशिश नहीं की और बोली: आप आजकल मुझे बेटी बोलते हैं और ऐसी गंदी बातें भी करते हैं, मैं थोड़ा कन्फ़्यूज़्ड हो गयी हूँ। कोई भला अपनी बेटी से ऐसी बातें करता है? 

राजीव: देखो बेटी भी तो एक लड़की ही होती है। उसको हम बड़ा करते हैं और फिर दूसरे लड़के को सौंप देते हैं और वो उससे मज़े लेता है। कई बार बाप के मन में भी तो आता होगा कि साला पाला और पोसा मैंने और चुदाई करेगा कोई और। मुझे भी तो इसमें हिस्सा मिलना चाहिए। 

मालिनी: छी कैसी गंदी बात कर रहे हैं। कभी बाप भी बेटी से ऐसे सम्बंध रख सकता है भला? दुनिया में कोई भी बाप ऐसा नहीं सोच सकता । अच्छा आप बोलो आप महक दीदी के साथ ऐसा कर सकते हैं? 

राजीव मन ही मन सोचा कि इसे क्या बताऊँ कि महक तो मेरे ही बच्चे की माँ बनने जा रही है। वह बोला: देखो अगर महक चाहेगी तो मैं उसकी ख़ुशी के लिए उसे भी चोद सकता हूँ। वो भी एक लड़की है और उसे भी चुदाई चाहिए। है कि नहीं?

मालिनी सन्न रह गयी कि ये आदमी अपनी बेटी को भी चोद सकता है? हे भगवान। 
वो बोली: पापा जी मुझे बहुत ख़राब लग रहा है कि आप महक दीदी के बारे में ऐसा बोल रहे हैं। 

राजीव ने फिर से उसके गरदन को चूमा और बोला: बेटी जब आदमी या औरत जोश में आते हैं ना, तो सारे रिश्ते पीछे छूट जाते हैं और बस एक चुदाई का रिश्ता ही बाक़ी रहता है। अब अपनी मम्मी को ही देखो कैसे वह अपने ज़ेठ से ही अपनी बुर की खुजली मिटाने लगी। 

मालिनी : हाँ ये तो है कि मम्मी ने भी ग़लत किया है। 

राजीव अब उसकी एक चूचि को आराम से सहलाते हुए बोला: बेटी, अब मैं तुमको क्या बोलूँ, मैंने अपने पापा को अपनी सगी बहन याने मेरी बुआ को चोदते देखा है। वो भी जब दोनों की उम्र ४०/४२ की थी। और उनकी चुदाई देख कर साफ़ लग रहा था कि वो कई सालों से ये सब कर रहे हैं। 

मालिनी: हे भगवान सगे भाई बहन भी ये करते हैं ? उसने महसूस किया कि पापा उसकी एक चूचि दबा रहे है पर उसे अभी और बातें सुननी थी इसलिए उसने विरोध नहीं किया। 

राजीव: हाँ बेटी, ये सब दुनिया में चलता रहता है। एक बात और बोलूँ? मुझे बाद में पता चला कि मेरी माँ को पापा और बुआ के चुदाई के रिश्ते का सब पता था। 

मालिनी: ओह वह कैसे कह सकते हैं आप? मालिनी के गाँड़ में अब राजीव का लौड़ा चुभने लगा था। 

राजीव उसको ठीक से अपनी गोद में बैठाया जिससे उसका लौड़ा अब उसकी गाँड़ और बुर की दरार में ठीक से सेट हो गया। फिर बोला: मैंने एक बार माँ और बुआ की बातें सुनी थीं । माँ बोल रही थी कि आज तुम्हारे भय्या ने कितनी बार ली तुम्हारी? बुआ हँसकर बोली कि अरे एक बार में ही ढेर हो जाते हैं तेरे पति। फिर माँ बोली कि मेरा भय्या तो दो राउंड से कम में मुझे छोड़ता नहीं है। और मेरे कान खड़े हो गए क्योंकि मैंने मामा जी को भी कई बार माँ के कमरे में छिप कर जाते देखा था। मैं समझ गया कि वो मामा से चुदवाती थीं। 
अब राजीव अपनी कमर हल्के से हिलाकर अपना लौड़ा उसकी गाँड़ की दरार में रगड़ रहा था ।मालिनी की भी अब बुर पनिया रही थी और अब राजीव उसकी दोनों चूचियाँ हल्के से दबा रहा था। 

मालिनी: आऽऽहहह पापा जी ये हाथ हटाइए ना प्लीज़। और बोली: ओह ये तो बड़ी अजीब बात है । भाई बहन के रिश्ते में भी ये सब सुनकर बड़ा अजीब लग रहा है पापा जी। आपने भी अपनी बहन को कभी बुरी नज़र से देखा है क्या? 

राजीव अपना हाथ से उसकी चूचियों से हटाया और उसकी स्कर्ट जो अब घुटनो से ऊपर थी को दबाकर उसकी जाँघों को सहलाने लगा और बोला: बेटी अब जो बताने जा रहा हूँ वो किसी को नहीं मालूम है और आशा करता हूँ कि तुम भी किसी को नहीं बताओगी। 

मालिनी अब बहुत उत्तेजित हो चुकी थी सो अपनी कमर को ऐडजस्ट करके लौड़े के ऊपर अपनी बुर रगड़ी और बोली: आऽऽह पापा जी मैं किसी को क्यों बताऊँगी। 

राजीव भी उसके लाल चेहरे से उसकी उत्तेजना को भांपकर मन ही मन मुस्कुराया। फिर वह बोला: जब मैं कॉलेज में था तो हॉस्टल में रहता था, एक बार मैं छुट्टियों में अपने गाँव आया और सबको सरप्राइज़ करने के लिये मैं चुपचाप घर में आया। उस समय शाम के आठ बजे थे। मैं पीछे के दरवाज़े से आया और आँगन में आकर सोचा कि एकदम से घर में घुसकर बाबूजी और मॉ को हैरान कर दूँगा। मैंने खिड़की से अंदर झाँका और देखा कि माँ एक कुर्सी पर बैठी स्वेटर बुन रही है और बार बार सामने देख कर मुस्कुरा रही है। मैंने अब दूसरी तरफ़ जाकर देखा कि वो आख़िर क्या देख कर मुस्कुरा रही है। जैसे ही मैंने देखा तो मेरे पैरों के नीचे से मानो ज़मीन खिसक गयी। 

मालिनी की छाती अब उत्तेजना से ऊपर नीचे होने लगी थी। उधर उसने महसूस किया कि पापा की उँगलियाँ अब उसकी जाँघों पर काफ़ी आगे पहुँच चुकी थीं और फिर उन्होंने उसके दोनों पैरों को अलग करने के लिए एक हल्का सा दबाव डाला और मालिनी उत्तेजनावश उनको अलग करके पापा की उँगलियों के लिए रास्ता बना दी। अब पापा की उँगलियाँ उसके बुर को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगी। 

मालिनी: हाऽऽऽऽय ऐसा क्या देखा आपने? 

राजीव अपने लौड़े को उसकी गाँड़ में रगड़ते हुए और अब बुर को पैंटी के ऊपर से सहलाते हुए बोला: वहाँ एक दीवान पर बाबूजी लूँगी पहनकर बैठे थे और उनकी गोद में मेरी छोटी बहन डॉली बैठी थी। उसने टॉप और स्कर्ट पहनी थी और वो उस समय ११वीं में पढ़ती थी। बाबूजी के हाथ अपनी प्यारी बेटी की दोनों चूचियों को टॉप के ऊपर से दबा रहे थे। और वह उसकी गरदन को ऐसे ही चूम रहे थे जैसे मैं अभी तुम्हारी गरदन चूम रहा हूँ ।माँ ये देख कर मुस्कुरा रही थी। बाबूजी बोले: बेटी, तुम्हारी चूचियाँ अब काफ़ी बड़ी हो गयी हैं। ये कहते हुए बाबूजी ने उसकी स्कर्ट ऊपर कर दी और उसकी पैंटी उतार दिए। अब वो उसकी नंगी बुर सहलाने लगे।

तभी राजीव ने मालिनी की भी स्कर्ट उठाई और उसकी पैंटी नीचे करने लगा। मालिनी भी उत्तेजना से भरी हुई थी और अपने कमर को उठाकर वो पैंटी उतारने में मदद की। अब राजीव की उँगलियाँ पूरी बुर का नाप ले रही थीं।

मालिनी: आऽऽऽन्ह्ह्ह्ह्ह पापा जी फिर क्या हुआ?
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06-10-2017, 10:14 AM,
#69
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
राजीव ने बुर में ३ ऊँगली डालकर उसे उँगलियों से चोदता हुआ बोला: तब डॉली बड़े गर्व से बोली कि बाबूजी पूरे स्कूल में सभी लड़कियाँ बोलती हैं कि मेरे दूध सबसे बड़े हैं। तब माँ बोली कि वो तो होंगे ही आख़िर रोज़ अपने बाबूजी से दबवाती जो है। अब बाबूजी ने उसको अपनी गोद से उतारा और उसके टॉप और ब्रा को उतार दिए और उसकी चूचि पीने लगे। उफ़्फ़ क्या नज़ारा था। मैं तो जैसे पागल ही हो गया था। फिर बाबूजी ने उसकी स्कर्ट ऊपर की और उसको दीवान में लिटा दिया और अपनी लूँगी खोल दी और अपना मोटा लम्बा लौड़ा उसकी बुर में उतार दिया और उसकी ज़बरदस्त चुदाई करने लगे। 

मालिनी: आऽऽऽऽह्ह्ह्ह्ह माँ के सामने? और वो बच्ची उनका मोटा वाला ले ली? 

राजीव ने अब अपने लौड़े को उसकी गाँड़ पर हिलाते हुए अपनी उँगलियाँ तेज़ी से चलानी शुरू कीं और मालिनी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ करके ज़ोर ज़ोर से हिलने लगी। 

राजीव: हाँ माँ के सामने बाबूजी उसकी बेटी को चोद रहे थे और तभी माँ उठी और आकर बाबूजी के बड़े बड़े बॉल्ज़ को सहलाने लगी। अब बाप बेटी दोनों ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ भरने लगे और झड़ने लगे।
और तभी मालिनी भी उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पापाआऽऽऽऽऽऽ जीइइइइइइइइ कहकर झड़ने लगी ।राजीव भी उत्तेजित हो चुका था और वह भी उसकी गाँड़ में उसके स्कर्ट के ऊपर अपना रस गिराने लगा। 

थोड़ी देर कमरे में दोनों की तेज़ साँसों की आवाज़ के अलावा सन्नाटा था। अब राजीव ने अपनी उँगलियाँ उसकी बुर से निकाली और उनको चूसने लगा। मालिनी थकी सी उसकी गोद में बैठी थी। राजीव: सॉरी बेटी, तुम्हारी स्कर्ट गंदी कर दी मैंने। मैं भी काफ़ी उत्तेजित हो गया था उन पलों को याद करके। इसलिए मैं भी झड़ गया। 

मालिनी: आऽऽह पापा जी, मेरा इतना ज़बरदस्त ऑर्गैज़म इसके पहले कभी नहीं हुआ, पता नहीं मुझे क्या हो गया था। ये कहते हुए वह खड़ी हुई और ज़मीन पर पड़ी अपनी पैंटी उठाई। जब वो खड़ी हुई तो राजीव उसके सामने घुटने के बल बैठ गया और बोल: बेटी, आज एक इच्छा पूरी कर दो ना। प्लीज़ अपनी बुर के एक बार दर्शन करा दो। 

मालिनी शर्मीली हँसी हंस कर बोली: पापा जी जेसी सबकी होती है वैसे ही मेरी भी है। उसमें ख़ास क्या है? 

राजीव ने स्कर्ट उठाया और उसकी बुर उसके सामने थी । वह मस्त हो गया उस फूली हुई कचौरी को देखकर। वह अपना सिर वहाँ घुसाया और उसे चूम लिया।

मालिनी हँसकर: सिर्फ़ देखने की बात हुई थी चूमने की नहीं। 

फिर वह उसका सिर हटाई और अपने कमरे में चली गयी। वह सीधे बाथरूम में जाकर अपनी स्कर्ट उतारी और वहाँ सफ़ेद वीर्य का दाग़ देखी तो उसको नाक के पास लाकर सूंघी और फिर जीभ से चाटी। अब वह अपने आप को शीशे में देखी और सोची कि उसे ये क्या हो रहा है। वह कैसे इतनी बदल रही है। उसने आज पापा जी से दो बार अपनी बुर में ऊँगली करवा ली और उनको अपनी बुर भी दिखा दी और उसे चूमने भी दी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ ये सब क्या हो रहा है। वो ऐसे कैसे शिवा को धोका दे सकती है। नहीं नहीं उसे संभलना होगा। ये सब बन्द होना चाहिए। फिर वह सोचने लगी कि शिवा के दादाजी अपनी ही बेटी और बहन को चोदते थे। और उसकी दादी भी अपने भाई से चुदवाती थी। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या ऐसे परिवार भी होते हैं। ये तो सरासर पागलपन है। फिर वह सोची कि अगर ये ग़लत है तो उसे ख़ुद को ये कहानी सुनने में इतना मज़ा क्यों आया? क्यों वह आख़री तक उसे सुनती रही और पापा जी से भी मज़ा लेती रही। उसका सिर घूमने लगा। वह अब कपड़े बदल कर लेट गई और शिवा का इंतज़ार करने लगी। 

उधर राजीव अपने कमरे में अपनी आज की सफलता पर बहुत ख़ुश था। उसका कमीना दिमाग़ कह रहा था कि आज उसने बहु के बुर की चुम्मी ली है जल्द ही वह बुर भी लेगा। वह कमिनी मुस्कान के साथ लेटा और फिर सो गया। 

मालिनी की आँख खुली तो शाम के ८ बज गए थे, उसने शिवा को फ़ोन किया तो वो बोला कि थोड़ी देर होगी। तभी उसे रीमा की याद आइ ,उसने रीमा को फ़ोन लगाया: हाय रीमा, मैं मिसेस शिवा बोल रही हूँ। 

रीमा: ओह, हाँ जी बोलिए। नमस्ते। 

मालिनी: नमस्ते। अभी फ़्री हो या बिज़ी हो?

रीमा: नहीं बिज़ी नहीं हूँ, कहिए। 

मालिनी: देखो रीमा, आज मुझे शिवा ने सब कुछ बताया जो मुझे काफ़ी परेशान कर गया। क्या सच में तुम्हारे ससुर ने तुमसे ज़बरदस्ती की है?

रीमा: हाँ जी रात भर मेरे साथ बुरा काम किया। 

मालिनी: तो तुम पुलिस में इस लिए नहीं जा रही हो कि वो तुमको घर से निकाल देगा और उसकी पेन्शन की रक़म भी नहीं मिलेगी। पर तुम आगे क्या करोगी? 

रीमा: मैं क्या कर सकती हूँ। उनको भी नहीं बता सकती हूँ। अब तो ससुर जी अपनी मर्ज़ी करेंगे। और मुझे सहना पड़ेगा। 

मालिनी: पर कोई तो रास्ता होगा। 

रीमा: मैंने बहुत सोचा पर मुझे कोई रास्ता नहीं दिखा ।

मालिनी: ओह चलो मैं सोचती हूँ फिर बताऊँगी।
फिर मालिनी ने फ़ोन काट दिया। अचानक वो अपनी स्तिथि से उसकी तुलना की और सोची कि उसके ससुर भी तो यही कर रहे हैं। उसकी मजबूरी का फ़ायदा ही तो उठा रहे हैं। पर एक बात है कि वो ज़बरदस्ती बिलकुल नहीं करते। बल्कि उसका ख़याल भी रखते हैं। वो फिर से भ्रम की स्तिथि में आ गयी । 

तभी शिवा आया और वो दोनों बातें करने लगे।
शिवा: जानती हो आज रीमा के बारे में एक नई बात पता चली। 

मालिनी: वो क्या? मैं तो अभी उससे बात की है। वो अपने ससुर की शिकायत के लिए तय्यार नहीं हो रही है। 

शिवा: अब सुनो एक अजीब बात। थोड़ी देर पहने शीला जो कि रीमा की पक्की सहेली है मेरे पास आइ और बोली: सर आपसे एक प्रार्थना है कि रीमा की बात को यहीं ख़त्म कर दीजिए। मैंने पूछा वो क्यों। वो बोली कि असल में आज वो आवेश में आकर आपको सब बता दी। सच ये है कि उसका ससुर उसे कई दिनों से सिडयूस कर रहा था और वह ख़ुद ही मन ही मन उसे प्यार करने लगी । फिर रात को जब उसने उसे चोद लिया तो वह ग़िल्ट में आकर आपको बोल बैठी कि उसके साथ ज़बरदस्ती हुई है। सच तो ये है कि उसने समर्पण किया है। वो अपने ससुर से भी प्यार करने लगी है और अब वह उसके बिना भी नहीं रह सकती। सिर्फ़ अपराध भावना के वश में उसने आपसे ससुर की शिकायत कर दी थी। तब मैंने भी कह दिया कि वो एक वयस्क महिला है मुझे क्या करना है इन सबसे। चलो अब इस चैप्टर को बंद कर दिया जाए। 

शिवा की बात सुनकर मालिनी को लगा कि जैसे ये तो क़रीब उसकी ख़ुद की कहानी हो।उसका सिर चकराने लगा। तो क्या ये सब भी घर घर की दास्ताँ है। क्या जहाँ मौक़ा मिले ससुर बहु के साथ ये सब करता है। और वो पापा जो आज बताए कि बाप बेटी और भाई बहन का रिश्ता भी अब पवित्र नहीं रहा। और आख़िर में रीमा की यह कहानी कि उसे अब ससुर से भी लगाव हो गया है। वो अब दो नावों में सवार है। उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ क्या सही है और क्या ग़लत, कोई कैसे फ़ैसला करे। 

शिवा: अरे मेरी जान, किस ख़याल में डूब गयी। क्या आज शाम की खुराक नहीं मिलेगी? 

मालिनी: आज रात में ही कर लेना। अभी मूड नहीं है। प्लीज़। बुरा तो नहीं मानोगे?

मालिनी आज दो बार पापा की उँगलियों से झड़ चुकी थी। 

शिवा उसको प्यार करते हुए: अरे कोई नहीं रात को सही ऐसा भी क्या है। रात में दो राउंड चुदवा लेना , ठीक है ना? 

मालिनी हँसती हुई: चाहो तो तीन राउंड कर लीजिएगा। 

दोनों हँसने लगे।
रात को खाना खाते हुए सब बातें कर रहे थे । मालिनी ने नोटिस किया कि पापा जी के किसी भी हाव भाव से कोई नहीं कह सकता कि वो आज दिन भर सेक्स में लिप्त थे। पहले नूरी की चुदाई और फिर मेरे साथ दो बार गंदी हरकतें और उससे भी ज़्यादा गंदी बातें की थी उन्होंने। शिवा भी अपनी दुकान की बातें कर रहा था। 

कमरे में आकर शिवा ने आज भी उसकी दो राउंड चुदाई की। जिसमें एक बार उसने मालिनी को चौपाया बना कर पीछे से चोदा। फिर दोनों लिपट कर सो गए। 

अगले दिन वो ब्रा और नायटी में किचन में चाय बनाई और राजीव को आवाज़ दी । राजीव अपने कमरे में नहीं था। तभी वह बाहर से वॉक करके आया। और आज फिर वो उसके लिए जलेबी लाया था। उसने मालिनी को पकड़ कर चूमा और गुड मॉर्निंग बोलकर उसके मुँह में एक गरम जलेबी डाल दिया। मालिनी हँसती हुई बोली: क्या बात है पापा जी, आज कल मेरे लिए रोज़ जलेबी लायी जा रही है। 

राजीव भी हँसकर: अरे मेरी प्यारी बेटी, तुम मेरा इतना ख़याल रखती हो तो मैं क्या इतना सा भी नहीं कर सकता। 

चाय पीकर वह अपने कमरे में चला गया। थोड़ी देर बाद कमला और वो किचन में लगी रहीं। फिर उसने शिवा को उठाया। शिवा बाद में जब दुकान चला गया तब वो पेपर पढ़ रही थी, तभी राजीव नहा कर बाहर आया और उसके पास आकर बैठा और बोला: बेटी, एक ख़ुशख़बरी है। 

मालिनी: क्या पापा जी? 

राजीव: कल मुझे एक sms आया है कि मुझे बैंक जाना है, और मेरी एक सेविंग का समय समाप्त हो गया है और आज मेर अकाउंट में २० लाख ट्रान्स्फ़र होंगे । मैं तुमको और शिवा को कोई उपहार देना चाहता हूँ।बोलो क्या चाहिए?

मालिनी का मुँह इतनी बड़ी धन राशि का सुनकर खुला ही रह गया। वो बोली: पापा जी मैं क्या बोलूँ? आपको जैसा ठीक लगे वैसा करिए। 

राजीव: अरे मैं तो ,तुमको कुछ चाहिए क्या सिर्फ़ ये पूछ रहा हूँ। और जहाँ तक ये पैसों का सवाल है वो मैं अपने पोते और पोती के लिए रखूँगा जो कि तुम यहाँ से पैदा करके हमें दोगी। ये कहते हुए उसने उसके पेट को नायटी के ऊपर से सहला दिया। 

मालिनी शर्मा कर हँसी: तो आप सब कुछ अपने पोतों के लिए रख देंगे और हमको कुछ नहीं देंगे। 

राजीव: बेटी, इतनी देर से और क्या बोल रहा हूँ, कि बताओ क्या चाहिए? तुम तो कुछ बोल ही नहीं रही हो ।

मालिनी: पापा जी मुझे कुछ नहीं चाहिए। बस इनको दुकान के लिए जब भी कुछ चाहिए होगा उतना कर दीजिएगा, मेरे लिए इतना ही बहुत है। 

राजीव उसको चूमते हुए बोला: अच्छा बेटी ये तो बताओ की तुम लोगों ने मेरे पोते की क्या प्लानिंग की है?

मालिनी शर्माकर: कैसी प्लानिंग पापा जी? हमने तो कोई प्लानिंग नहीं की है। 

राजीव हैरानी से: मतलब तुम लोग कोई फ़ैमिली प्लानिंग नहीं कर रहे हो? 

मालिनी: नहीं पापा जी हम कुछ नहीं कर रहे हैं। 

राजीव: अरे बेटी, तो तुम्हारी शादी को क़रीब ६/७ महीने हो गए हैं। अगर तुम लोग प्लानिंग नहीं कर रहे हो तो अब तक तो तुमको प्रेगनेंट हो जाना चाहिए था। जानती ही महक हमारी शादी के दो महीने बाद ही सविता याने तुम्हारी सास के गर्भ में आ गयी थी। मैं तो आज तक सोच रहा था कि तुम लोग प्लानिंग कर रहे होगे इसलिए अब तक तुम प्रेगनेंट नहीं हुई हो। अगर ऐसा नहीं है तो यह चिंता का विषय है, मेरी प्यारी बेटी। ५/६ महीने में तो तुमको ख़ुशख़बरी देनी ही चाहिए थी। 

मालिनी: पर पापा जी लोगों के तो ४/५ साल भी बच्चे होते है?

राजीव: अरे बेटी, फ़ैमिली प्लानिंग करोगे तो ज़ाहिर सी बात है बाद में ही होंगे। पर अगर प्लानिंग नहीं कर रहे हो तो फिर तो समय पर हो जाना चाहिए। चलो मैं शिवा से भी बात करता हूँ।

मालिनी: पापा जी क्या ये सचमुच चिंता का विषय है? 

राजीव उसे प्यार से देखते हुए कहा: अरे बेटी, हर समस्या का हल होता है। हम भी इसका हल निकाल लेंगे। अभी तुम दोनों जवान हो चिंता की कोई बात नहीं है। वह उसका गाल सहला कर बोला : चलो तुम नहा लो और मैं बैंक होकर आता हूँ।तुमने बताया नहीं कि क्या लाना है तुम्हारे लिए? 

मालिनी हँसकर: आपको जो लाना हो ले आयिएगा। 

राजीव : ठीक है पर बाद में नाराज़ नहीं होना, ठीक है। हा हा। वह हँसते हुए बाहर चला गया।

मालिनी अपने कमरे में जाकर नहाने का इंतज़ाम करने लगी और फिर सोची कि पापा ने ये क्यों कहा कि अब तक बच्चा हो जाना चाहिए था। क्या उन दोनों में कोई गड़बड़ है । वो सोची कि शिवा से इसके बारे में बात करेगी ।फिर वह नहाकर बाहर आयी और सलवार कुर्ता डालकर शिवा को फ़ोन किया: सुनो पापा जी आज बहुत ख़ुश हैं । उनको आज उनकी कोई पुरानी सेविंग से २० लाख रुपए मिले हैं । 

शिवा: हाँ पापा का फ़ोन आया था बहुत ख़ुश थे, मुझसे पूछे तुमको क्या चाहिए, मैं बोला कि मेरी कार बदल दीजिए। वह मान गए। 

मालिनी: वाह आपने तो ले लिया और मैं बोल बैठी कि मुझे कुछ नहीं चाहिए। बेवक़ूफ़ हूँ मैं। 

शिवा हँसने लगा और बोला: जानू ग्राहक ज़्यादा हैं, बाद में फ़ोन करूँगा। फिर उसने फ़ोन काट दिया।
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06-10-2017, 10:15 AM,
#70
RE: बहू नगीना और ससुर कमीना
मालिनी कमला के साथ किचन में काम करने लगी। बाद में जब वो बैठी हुई टीवी देख रही थी , तभी राजीव वापस आ गया और आकर मालिनी के बग़ल में बैठ गया। वो बहुत ख़ुश दिख रहा था। उसने मालिनी को कहा: देखो मैं तुम्हारे लिए क्या लाया हूँ। ये कहते हुए उसने एक थैला उसे दिया। वह उसको खोली तो उसमें एक बहुत सुंदर आभूषण का छोटा सा डिब्बा था। वो उसे खोली और उसके जैसे दिल की धड़कन ही रुक गयी । उसमें एक जोड़ी बहुत सुंदर हीरे के कान के झूमके थे। वह जानती थी कि ये बहुत महँगी होगी। फिर उसने देखा कि उसमें एक बिल भी था। बिल मालिनी के नाम का था और उसका दाम लिखा था २ लाख रुपए। वह हैरानी से बोली: पापा जी इतनी महगी क्यों ले आए? 

राजीव: बेटी, पसंद आया कि नहीं? 

मालिनी: पापा जी ये बहुत सुंदर है। पर महँगा भी बहुत है। 

राजीव: अरे बेटी तुम्हारी सुंदरता के आगे इसकी सुंदरता क्या चीज़ है। अच्छा पहन कर दिखाओ ना। 

मालिनी: आप ही पहना दीजिए। वह ईयरिंग उसे देती हुए बोली। 

राजीव ख़ुश हो कर उसके ऊपर झुका और उसकी ज़ुल्फ़ें हटाकर उसके कान से पुराना सोने का ईयरिंग निकाला और फिर वह नए वाले पहनाने लगा। उसकी कोहनी उसकी छातियों को रगड़ रही थी। फिर वह उसको देखा और उसके दोनों गाल चूमकर बोला: जाओ शीशे में देखो, तुम पर कितना फ़ब रहा है। वाह । 

मालिनी उठी और अपने कमरे में जाकर शीशे में ख़ुद को देखी और बहुत ख़ुश हो गयी। तभी उसने देखा कि पापा उसके पीछे ही खड़े थे। 

मालिनी: सच पापा जी बहुत सुंदर है। थैंक यू । 

राजीव उसको पीछे से आकर अपने आप से चिपका लिया और उसकी पैंट का आगे का हिस्सा अब उसकी गाँड़ के ऊपरी हिस्से से टकरा रहा था। लौड़ा नरम गाँड़ के स्पर्श से खड़ा होने लगा था। अब उसने इसकी चूचियाँ दबायी और बोला: उफफफफ क्या मस्त दिख रही हो। फिर वह अपने हाथ हटाया और कहा: शिवा के लिए भी मैंने एक गिफ़्ट ली है। 

वह उसके बिस्तर पर बैठ गया और जेब में हाथ डालकर एक बहुत ही सुंदर और महँगी घड़ी निकाली। मालिनी आकर उसके पास बिस्तर पर बैठ गयी और घड़ी देखकर बहुत ख़ुश हुई और बोली: सच में पापा जी बहुत सुंदर है। उनको ज़रूर पसंद आएगी। 

राजीव हँसकर बोला: जिसने तुम्हारी जैसे प्यारी लड़की पसंद की हुई है उसे और क्या चाहिए। यह कहते हुए वह उसकी हथेली अपने हाथ में लेकर सहलाने लगा। 

मालिनी: हा हा आप मुझे चने के झाड़ पर क्यों चढ़ा रहे हो।

राजीव: अरे चने के झाड़ पर तो उस दिन मुझे चढ़ा दिया था डॉली ने जब मैंने उसे पापा से चुदवाते देखा था। 

मालिनी को कल की बात याद आइ और उसे लग ही रहा था कि कल आधी ही कहानी हुई थी, सो वह बोली: हाँ पापा जी आपने दादा जी और बुआ जी को वो सब करते देखा था। फिर उसके बाद क्या हुआ? 

राजीव: बेटी, उस दिन जब चुदाई ख़त्म हो गयी तो माँ डॉली की बुर साफ़ की और बाबूजी का लौड़ा भी साफ़ की एक तौलिए से । तब डॉली बोली: माँ भय्या को कब इसमें शामिल करेंगे? जानते हैं आप पिछली बार जब भय्या आए थे छुट्टियों में, तो मैंने उनको मूठ्ठ मारते हुए देखा था और बाप रे उनका तो बाबूजी के जितना ही बड़ा है। मॉ बोली कि सच में इतना बड़ा है। वो बोली कि हाँ माँ इतना ही बड़ा है , वो बाबूजी का लौड़ा सहला कर बोली कि मुझे भय्या से चुदवाना है प्लीज़। 

मैं सच में उस समय चने के झाड़ पर चढ़ गया था। लेकिन माँ ने कहा कि उसकी पढ़ाई पूरी होने तक उसे इस खेल में शामिल नहीं करेंगे। मैं मायूस हो गया। तभी बाबूजी बोले कि डॉली तेरी माँ भी अपने बेटे से चुदवाने को मरी जा रही है। क्यों सही है ना? इस पर माँ ने साड़ी के ऊपर से अपनी बुर को खुजा कर कहा कि सच में मुझे उससे चुदवाना है। मैं ख़ुशी से झूम उठा। 

मालिनी हैरानी से : सच में माँ ऐसा बोली? उसकी साँस अब फुलने लगी थीं। राजीव ने मौक़े को समझा और उसे प्यार करने लगा।उसकी गरदन चूमते हुए बोला: हाँ बेटी, वो ऐसा ही बोली थी और मैं उत्तेजित हो गया था। फिर मैं सामने से दरवाज़ा खटखटाया और अंदर आकर सबको सरप्राइज़ कर दिया। सब बड़े ख़ुश हुए। फिर अगले दो दिन बाद माँ और बाऊजी एक शादी में गए और कह गए कि रात को देर से आएँगे। मैंने डॉली को पटाने का अच्छा मौक़ा देखा और उसके कमरे में जाकर उससे कुछ बातें किया। फिर उसको बोला: डॉली तुम्हारी छातियाँ इतनी बड़ी कैसी हो गयीं? 

मालिनी हैरानी से : आपने सीधे सीधे अपनी बहन से ऐसा पूछ लिया। 

राजीव: और क्या मुझे तो पता था कि वो बाबूजी से चुदवा रही थी तो उससे क्या घबराना। वो बोली कि भय्या पता नहीं सब सहेलियाँ भी यही कहतीं है। फिर मैंने उसे अपने गोद में बिठाया और बोला कि सच में बहुत सेक्सी हो गयी हो। वह शर्माकर मेरी छाती में मुँह छुपा ली और मैंने उसकी गरदन चुमी और फिर उसको प्यार करने लगा। ऐसा कहते हुए राजीव ने पिछली बार की तरह मालिनी को गोद में खींच लिया और उसको चूमने लगा। मालिनी की साँसे अब तेज़ हो चली थी। राजीव बोलता गया: फिर मैंने उसकी छाती दबाई और वह मज़े से भर गयी। यह कहते हुए राजीव ने अब मालिनी की भी छाती दबाई। 

मालिनी: उफफफफ फिर क्या हुआ? 

राजीव उसकी छातियाँ दबाते हुए बोला: बस उसके बाद मैंने उसे कान में कहा की मैं तुमको चोदना चाहता हूँ ।वह एकदम से चौक गयी और बोली: भय्या ये कैसे हो सकता है। फिर मैंने उसकी स्कर्ट उठाकर उसकी बुर को पैंटी के ऊपर से सहलाते हुए कहा क्यों नहीं हो सकता? जब तुम बाबूजी से चुदवा सकती हो तो मुझसे क्यों नहीं। ये कहते हुए मैंने उसकी पैंटी में उँगलियाँ डाली और उसकी बुर को सहलाने लगा।अब राजीव ने मालिनी की बुर सलवार के ऊपर से दबा दिया। 
मालिनी: वह तो डर गई होगी? 

राजीव मालिनिं की सलवार के नाड़े को खोला और बोला: हाँ वो हैरान हो गई थी कि मुझे कैसे पता चला। फिर वह बोली कि आप क्या बोल रहे हो? ये ग़लत है भय्या। मैंने उसकी बुर में ऊँगली करते हुए कहा कि मैंने तुमको परसों बाबूजी से चुदते देखा है। अब वो आह करके मेरी उँगलियाँ का मज़ा ले रही थी। इधर राजीव ने मालिनी की सलवार खोल दी थी और उसको नीचे खिसकाया। मालिनी ने अपनी गाँड़ उठाकर उसे उतारने में मदद ही की। 
मालिनी की सलवार उसके पैरों पर थी। राजीव की उँगलियाँ अब उसकी बुर के छेद में हलचल मचा रही थी। मालिनी : आऽऽऽह पापा जी क्या कर रहे हैं? उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ फिर क्या हुआ बताइए ना? 

राजीव अपनी उँगलियाँ चलते हुए बोला: बेटी, फिर वो बोली कि आप मेरे कमरे में आना रात को फिर जो चाहे कर लेना। 

मालिनी : हाऽऽऽऽय्य तो वो मान गयी? फिर आप उसे छोड़ दिए उस समय। 

राजीव ने उसकी clit सहलाते हुए कहा: बेटी, उस समय मैं तो बहुत गरम था सो मैंने कहा कि डॉली तेरी बुर चूसने दे ना। मैं कोई अनाड़ी तो था नहीं , कोलेज में मैंने सब सीख लिया था। डॉली बोली कि आप सिर्फ़ चूस लेना पर चोदना नहीं। मैं मान गया और वो ऐसे ही बिस्तर पर बैठी थी और मैं नीचे ज़मीन पर बैठा और उसकी बुर चूसने लगा। राजीव अब मालिनी की clit सहला रहा था वो जैसे पागल सी हो गयी थी। फिर राजीव नीचे ज़मीन पर बैठा और मालिनी की बुर को चूमने लगा। वह उसकी बुर को चाटना शुरू किया।मालिनी की आँख मज़े से बंद होने लगी थी। वह उइइइइइइइ माँआऽऽऽऽ करके अपनी जाँघें राजीव के कंधे पर रखकर अपनी बुर उछालकर चूसवा रही थी। राजीव की जीभ अपनी कारगुज़ारी दिखा रही थी और मालिनी दीवानी हुई जा रही थी। अचानक वो चिल्लाई: आऽऽऽऽऽह पपाऽऽऽऽऽऽऽऽऽ जीइइइइइइइइइइ बहुत अच्छाआऽऽऽऽऽऽऽऽ लग रहाआऽऽऽऽऽ है। उइइइइइइ माँ मर गईइइइइइइइइइइ। वो बड़बड़ा कर अपना रस राजीव के मुँह में छोड़ने लगी।

झड़ने के बाद वो शांत होकर बैठी रही । राजीव भी वापस आकर बिस्तर पर बैठ चुका था और अपनी जीभ होंठों पर फेरकर बोला: आऽऽहहह बेटी क्या स्वादिष्ट है तेरी बुर और उसका रस। मालिनी शर्मा कर अपनी सलवार उठाकर पहनी और बाथरूम में चली गयी। वह वापस आयी तो राजीव अब भी बैठा हुआ था और मोबाइल में कुछ कर रहा था। वह आकर उसके पास बैठने लगी तो राजीव ने उसे फिर से अपनी गोद में बिठा लिया। उसका खड़ा लौड़ा उसकी गाँड़ में गड़ रहा था। फिर वह बोला: बेटी। मज़ा आया?

वह: जी पापा जी बहुत मज़ा आया। सच में जैसा आपने चूसा वैसे तो शिवा को चूसना आता ही नहीं। आप सच में एक्स्पर्ट हो। 

राजीव अब उसकी चूचियाँ दबाकर बोला: बेटी , अभी तो तुमको और बहुत से मज़े देने है। 

वह बोली: पापा जी फिर क्या आप डॉली को रात में किए? 

राजीव: ये किए क्या होता है साफ़ साफ़ बोलो क्या आप चोदे? 

मालिनी हँसकर: अच्छा चलिए वही बता दीजिए कि क्या आप उसे रात को चोदे? 

राजीव झुककर उसके गाल चूमा और बोला: हाँ बेटी, उस रात वो मेरे कमरे में आयी और हम नंगे हो कर चूमा चाटी के मज़े ले रहे थे। तभी दरवाज़ा खुला और मॉ और बाबूजी वहाँ आ गए। मैं चौका पर समझ गया कि ये सब डॉली का किया धरा है। मैंने डरने की ऐक्टिंग की और बाऊजी और माँ हँसने लगे। फिर उस रात मैंने डॉली और मा दोनों को चोदा। 

मालिनी: माँ को भी ? 

राजीव उसकी चूचि दबाकर बोला: अरे बेटी, मॉ तो चुदवाने के लिए मरी ही जा रही थी। उस दिन के बाद हम सब बाबूजी के बड़े से बिस्तर पर सोते थे और रात भर मैं और बाबूजी बदल बदल कर डॉली और माँ को चोदते थे।

मालिनी: ओह बड़ा अजीब लगता है सुनने में भी और आप लोग तो करते थे। अच्छा पापा जी खाना लगाऊँ? 

राजीव: मेरे इसका क्या होगा? वो अपना लौड़ा उसकी गाँड़ में चुभा कर बोला। 

मालिनी: अभी लंच के बाद आपकी नूरी आएगी ना। वो इसे शांत कर देगी। 

राजीव अब उसे अपनी गोद से उतारकर खड़ा हुआ और पैंट नीचे करके अपना लौड़ा उसके मुँह के पास लाकर बोला: बेटी, थोड़ा सा चूस दो ना, अच्छा लगेगा। मालिनी उसके ऊपर नीचे हो रहे लौड़े को देखी फिर उसने उसे मूठ्ठी में भरा और सहलाया और फिर उसे चूसने लगी। थोड़ी देर बाद बोली: बस अब नूरी से चूसवा लीजिएगा। 

राजीव भी हँसकर: अच्छा चलो ठीक है, खाना लगाओ। मैं कपड़े बदल कर आता हूँ। 

खाना खाने के थोड़ी देर बाद नूरी अपने बच्चे को लेकर आयी। और फिर से राजीव के कमरे में जाकर चुदवायी । एक राउंड के बाद वह बाहर आई ,पानी के लिए,तब वह मालिनी से पूछी: आज अंकल को क्या हो गया है? बहुत धमाकेदार चुदाई की है उन्होंने? 

मालिनी अनजान बनकर बोली: ऐसा तो कुछ नहीं हुआ है। पर वह मन में सोची कि पापा जी आज मेरे साथ काफ़ी गरम हो गए थे सो इस पर अपनी गरमी निकाले होंगे। वह ये सोचकर थोड़ी निराश हुई कि काश ये मज़ा वो ख़ुद ले पाती। नूरी पानी लेकर वापस चली गयी और उसका बच्चा अभी भी सो रहा था। 

ख़ैर दूसरे राउंड की चुदाई के दौरान एक बार मालिनी खिड़की में थोड़ी देर तक खड़ी होकर उनकी चुदाई देख आइ थी। उसकी बुर फिर से गीली होने लगी थी। 

बाद में नूरी के जाने के बाद वो दोनों अपने अपने कमरे में आराम करने लगे थे। 

शाम की चाय पर फिर से मुलाक़ात हुई और इस बार राजीव ने उसे पकड़कर चूमते हुए कहा: कान के उतार क्यों दिए? 

मालिनी: पापा जी इतने महँगे गहने कोई घर में थोड़ी पहनता है ।

फिर वह चाय लाई और उसके बग़ल में बैठ कर बोली: पापा जी , जब आप ऐसे वातावरण में पले हैं तो आपने ये सब अपने घर में भी क्यों नहीं किया? मतलब सासु माँ और महक दीदी भी शिवा से करवा सकती थी ना? फिर आपने यह क्यों नहीं होने दिया। मैं शिवा के बारे में जानती हूँ कि वो मुझसे मिलने तक कुँवारा ही था। वो ये बोल कर मुस्कुराई।

राजीव: असल में सविता यानी तुम्हारी सास इसके सख़्त ख़िलाफ़ थी और घर की शांति के लिए मुझे यह मानना ही पड़ा। वरना जब महक पर जवानी आ रही थी तो मैं ही जानता हूँ कि मैंने अपने आप को कैसे सम्भाला था । उधर डॉली का भी यही हाल था। उसका पति भी इसके सख़्त ख़िलाफ़ था। इसी चक्कर में डॉली हमारे घर नहीं आयी और ना मैं उसके घर गया। हम किसी शादी या ग़मी में ही एक दूसरे से मिलते थे।

मालिनी: तो पापा जी, फिर उन डॉली बुआ जी के साथ आपका सम्पर्क अभी भी है? 

राजीव: हाँ हाँ हम एक दूसरे को फ़ोन करते है। और जब भी मिलते है बहुत बातें करते है। अभी फ़ोन लगाऊँ उसको? 

मालिनी: मुझे क्या पता आप जानो। 

राजीव डॉली को फ़ोन लगाया और फ़ोन को स्पीकर मोड में रख दिया। डॉली: हेलो भय्या कैसे हो? आज बहुत दिन बाद अपनी बहना की याद आइ। 

राजीव: अरे हम तो अक्सर तुमको याद करते हैं। और सुनाओ बहनोई की तबियत में सुधार आया? 

डॉली: हाँ अब पहले से ठीक हैं पर इस हार्ट अटेक ने उनको हिला दिया है। 

राजीव: तो अब चुदाई कर पाते हैं या बन्द हो गयी है? 

डॉली: अरे वो पहले भी तो एक महीने में एक बार ही करते थे अब समझो वह भी बंद ही है। 

राजीव ने मालिनी की चूचियाँ सहलाते हुए कहा: और तुम्हारा दामाद तो तुम्हारा ख़याल रख रहा है ना।

डॉली: अरे उसी के भरोसे तो काम चल रहा है। बहुत प्यारा है वो हर रोज़ एक बार तो अपनी अधेड़ सास को चोद ही देता है। 

राजीव: उसका घर तो पास ही है ना? अब तक तो तुम्हारी बेटी को भी पता चल गया होगा। 

डॉली: हाँ वो इसको ऐक्सेप्ट कर ली है। सब नोर्मल है। दामाद दोनों को संतुष्ट रखता है। 

राजीव: तो अब इधर उधर मुँह मारना बंद है या अभी भी चलता है। 

डॉली हँसकर: अरे वो कैसे बंद होगा। इनके दो तीन दोस्तों से तो पुरानी यारी है। वो पहले भी सेवा करते थे अब भी करते हैं। कल ही पार्टी थी। ये तो दो पेग पीकर सो गए। उनके दोनों दोस्त रात भर मुझे रगड़ते रहे। अपनी सुनाओ भय्या, सुना है बहु बहुत सुंदर है ? कहाँ तक पहुँचे उसके साथ? आप छोड़ने वाले तो है नहीं उसे ।
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