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Porn Kahani भोली-भाली शीला
भोली-भाली शीला पार्ट--1
एक लड़की है शीला, बिल्कुल सीधी सादी, भोली-भाली, भगवान में बहुत
विश्वास रकने वाली. अनफॉर्चुनेट्ली, शादी के 1 साल बाद ही उसके पति का
स्कूटर आक्सिडेंट हो गया और वो ऊपर चला गया. तब से शीला अपने पापा-मम्मी
के साथ रहने लगी. अभी उसका कोई बच्चा नहीं था.उसकी एज 24 थी. उसके पापा
मम्मी ने उसे दूसरी शादी के लिए कहा, लेकिन शीला ने फिलहाल मना कर
दिया था. वो अभी अपने पति को नहीं भुला पाई थी, जिसेह ऊपर गये हुए आज
6 महीने हो गये थे.
शीला फिज़िकल अपीयरेन्स में कोई बहुत ज़्यादा अट्रॅक्टिव नहीं थी, लेकिन
उसकी सूरत बहुत भोली थी, वह खुद भी बहुत भोली थी, ज़्यादा टाइम चुप ही
रहती थी. उसकी हाइट लगभग 5 फुट 4 इंच थी, कंपेक्स्षन फेर था, बाल
काफ़ी लंबे थे, फेस राउंड था. उसके बूब्स इंडियन औरतों जैसे बड़े थे,
कमर लगभग 31-32 इंच थी, हिप्स राउंड और बड़े थे, यह ही कोई 37 इंच.
वो हमेशा वाइट या फिर बहुत लाइट कलर की सारी पेहेन्ति थी.
उसके पापा सरकारी दूफ़्तर में काम करते थे. उनका हाल ही में दूसरे शहर
में ट्रान्स्फर हुआ था. नये शहर में आकर शीला की मम्मी ने भी एक स्कूल
में टीचर की जॉब ले ली. शीला का कोई भाई नहीं था और उसकी बड़ी बेहन की
शादी 6 साल पहले हो गयी थी.
नये शहर में आकर उनका घर छोटी सी कॉलोनी में था जो के शहर से थोड़ी
दूर थी. रोज़ सुबेह शीला के पापा अपने दूफ़्तर और उसकी मम्मी स्कूल चले
जाते तह. पापा शाम 6 बजे और मम्मी 4 बजे वापस आती थी...(यह कहानी
आप कामुक-कहानिया-ब्लॉग स्पॉट डॉट कॉम मे पढ़ रहे हैं )
उनके घर के पास ही एक छोटा सा मंदिर था. मंदिर में एक पंडित था, यह ही
कोई 36 साल का. देखने में गोरा और बॉडी भी मस्क्युलर, हाइट 5 फुट 9 इंच.
सूरत भी ठीक ठाक थी. बाल बहुत छोटे छोटे थे. मंदिर में उसके
अलावा और कोई ना था. मंदिर में ही बिल्कुल पीछे उसका कमरा था. मंदिर के
मुख्य द्वार के अलावा पंडित के कमरे से भी एक दरवाज़ा कॉलोनी की पिछली गली
में जाता था. वो गली हमेशा सुन सान ही रहती थी क्यूंकी उस गली में अभी
कोई घर नहीं था.
नये शहर में आकर, शीला की मम्मी ने उसे बताया कि पास में एक मंदिर
है, उसे पूजा करनी हो तो वहाँ चले जाया करे. शीला बहुत धार्मिक थी.
पूजा पाठ में बहुत विश्वास था उसका. रोज़ सुबेह 5 बजे उठ कर वो मंदिर
जाने लगी.
पंडित को किसी ने बताया था एक पास में ही कोई नयी फॅमिली आई है और
जिनकी 24 साल की बेटी विधवा है.
शीला पहले दिन मंदिर गयी. सुबेह 5 बजे मंदिर में और कोई ना था...सिर्फ़
पंडित था. शीला ने वाइट सारी ब्लाउस पहेन रखा था.
शीला पूजा करने के बाद पंडित के पास आई...उसने पंडित के पेर छुए
पंडित: जीती रहो पुत्री.....तुम यहाँ नयी आई हो ना..?
शीला: जी पंडितजी
पंडित: पुत्री..तुम्हारा नाम क्या है?
शीला: जी, शीला
पंडित: तुम्हारे माथे (फोर्हेड) की लकीरों ने मुझे बता दिया है कि तुम
पर क्या दुख आया है.....लेकिन पुत्री...भगवान के आगे किसकी चलती है
शीला: पंडितजी..मेरा ईश्वर में अटूट विश्वास है.....लेकिन फिर भी उसने
मुझसे मेरा सुहाग छीन लिया...
शीला की आँखों में आसू आ गये
पंडित: पुत्री....ईश्वर ने जिसकी जितनी लिखी है..वह उतना ही जीता है..इसमें
हम तुम कुछ नहीं कर सकते...उसकी मर्ज़ी के आगे हुमारी नहीं चल
सकती..क्यूंकी वो सर्वोच्च है..इसलिए उसके निर्णेय (डिसिशन) को स्वीकार करने
में ही समझ दारी है.
शीला आसू पोंछ कर बोली
शीला: मुझे हर पल उनकी याद आती है...ऐसा लगता है जैसे वो यहीं कहीं
हैं..
पंडित: पुत्री...तुम जैसी धार्मिक और ईश्वर में विश्वास रखने वाली का
ख़याल ईश्वर खुद रखता है...कभी कभी वो इम्तहान भी लेता है....
शीला: पंडितजी...जब मैं अकेली होती हूँ..तो मुझे डर सा लगता है..पता
नहीं क्यूँ
पंडित: तुम्हारे घर में और कोई नहीं है?
शीला: हैं..पापा मम्मी....लेकिन सुबेह सुबेह ही पापा अपने दूफ़्तर और मम्मी
स्कूल चली जाती हैं...फिर मम्मी 4 बजे आती हैं.......इस दौरान मैं
अकेली रहती हूँ और मुझे बहुत डर सा लगता है...ऐसा क्यूँ है पंडितजी?
पंडित: पुत्री...तुम्हारे पति के स्वरगवास के बाद तुमने हवन तो करवाया था
ना..?
शीला: नहीं....कैसा हवन पंडितजी?
पंडित: तुम्हारे पति की आत्मा की शांति के लिए...यह बहुत आवश्यक होता
है..
शीला: हूमें किसी ने बताया नहीं पंडितजी....
पंडित: यदि तुम्हारे पति की आत्मा को शांति नहीं मिलेगी तो वो तुम्हारे आस
पास भटकती रहेगी...और इसीलिए तुम्हें अकेले में डर लगता है..
शीला: पंडितजी...आप ईश्वर के बहुत पास हैं...कृपया आप कुछ कीजिए जिससे
मेरे पति की आत्मा को शांति मिले
शीला ने पंडित के पेर पकड़ लिए और अपना सिर उसके पेरॉं में झुका
दिया....इस पोज़िशन में शीला के ब्लाउस के नीचे उसकी नंगी पीठ दिख रही
थी...पंडित की नज़र उसकी नंगी पीठ पर पड़ी तो...उसने सोचा यह तो
विधवा है...और भोली भी...इसके साथ कुछ करने का स्कोप है........उसने
शीला के सिर पे हाथ रखा..
पंडित: पुत्री....यदि जैसा मैं कहूँ तुम वैसा करो तो तुम्हारे पति की आत्मा
को शांति आवश्य मिलेगी..
शीला ने सिर उठाया और हाथ जोड़ते हुए कहा
शीला: पंडितजी, आप जैसा भी कहेंगे मैं वैसा करूँगी...आप बताइए क्या
करना होगा..
शीला की नज़रों में पंडित भी भगवान का रूप थे
पंडित: पुत्री...हवन करना होगा...हवन कुछ दिन तक रोज़ करना होगा.....लेकिन
वेदों के अनुसार इस हवन में केवल स्वरगवासी की पत्नी और पंडित ही भाग ले
सकते हैं...और किसी तीसरे को खबर भी नहीं होनी चाहिए...अगर हवन
शुरू होने के पश्चात किसी को खबर हो गयी तो स्वरगवासी की आत्मा को
शांति कभी नहीं मिलेगी..
शीला: पंडितजी..आप ही हमारे गुरु हैं....आप जैसा कहेंगे हम वैसा ही
करेंगे.....आग-या दीजिए कब से शुरू करना है...और क्या क्या सामग्री चाहिए
पंडित: वेदों के अनुसार इस हवन के लिए सारी सामग्री शुद्ध हाथों में ही
रहनी चाहिए...अतेह..सारी सामग्री का प्रबंध मैं खुद ही करूँगा...तुम
सिर्फ़ एक नारियल और तुलसी लेती आना
शीला: तो पंडितजी, शुरू काब्से करना है..
पंडित: क्यूंकी इस हवन में केवल स्वरगवासी की पत्नी और पंडित ही होते
हैं...इसलिए यह हवन उस समय होगा जब कोई विघ्न (डिस्टर्ब) ना करे...और
हवन पवित्र स्थान पर होता है...जैसे की मंदिर...परंतु...यहाँ तो कोई
भी विघ्न डाल सकता है...इसलिए हम हवन इसी मंदिर के पीछे मेरे कक्ष
(रूम) में करेंगे...इस तरह स्थान भी पवित्र रहेगा और और कोई विघ्न भी
नहीं डालेगा..
शीला: पंडितजी...जैसा आप कहें....किस समय करना है?
पंडित: दुपहर 12:30 बजे से लेकर 4 बजे तक मंदिर बंद रहता है......सो इस
समय में ही हवन शांति पूर्वक हो सकता है..तुम आज 12:45 बजे आ
जाना..नारियल और तुलसी लेके.....लेकिन सामने का द्वार बंद होगा.....आओ मैं
तुम्हें एक दूसरा द्वार दिखाता हूँ जो की मैं अपने प्रिय भक्तों को ही
दिखाता हूँ..
पंडित उठा और शीला भी उसके पीछे पीछे चल दी..उसने शीला को अपने कमरे
में से एक दरवाज़ा दिखाया जो की एक सुनसान गली में निकलता था....उसने गली
में ले जाकर शीला को आने का पूरा रास्ता समझा दिया..
पंडित: पुत्री तुम रास्ता तो समझ गयी ना..
शीला: जी पंडितजी..
पंडित: यह याद रखना की यह हवन गुप्त रहना चाहिए...सबसे...वरना
तुम्हारे पति की आत्मा को शांति कभी ना मिल पाएगी..
शीला: पंडितजी...आप मेरे गुरु हैं..आप जैसा कहेंगे..मैं वैसा ही
करूँगी...मैं ठीक 12:45 बजे आ जाओंगी
ठीक 12:45 पर शीला पंडित के बताए हुए रास्ते से उसके कमरे के दरवाज़े पे
गयी और खाट खटाया..
पंडित: आओ पुत्री...
शीला ने पहले पंडित के पेर छुए
पंडित: किसी को खबर तो नहीं हुई..
शीला: नहीं पंडितजी...मेरे पापा मम्मी जा चुके हैं...और जो रास्ता अपने
बताया था मैं उससी रास्ते से आई हूँ...किसी ने नहीं देखा..
पंडित ने दरवाज़ा बंद किया
पंडित: चलो फिर हवन आरंभ करें
पंडित का कमरा ज़्यादा बड़ा ना था...उसमें एक खाट था...बड़ा शीशा
था...कमरे में सिर्फ़ एक 40 वॉट का बल्ब ही जल रहा था...पंडित ने टिपिकल
स्टाइल में हवन के लिए आग जलाई...और सामग्री लेके दोनो आग के पास बैठ
गये...
पंडित मन्त्र बोलने लगा...शीला ने वही सुबेह वाला सारी ब्लाउस पहेना था
पंडित: यह पान का पत्ता दोनो हाथों में लो...
शीला और पंडित साथ साथ बैठे तह..दोनो चौकड़ी मार के बैठे
तह...दोनो की टाँगें एक दूसरे को टच कर रही थी..
शीला ने दोनो हाथ आगे कर के पान का पत्ता ले लिया........पंडित ने फिर उस
पत्ते में थोड़े चावल डाले...फिर थोड़ी चीनी....फिर थोडा
दूध...................फिर उसने शीला से कहा..
पंडित: पुत्री....अब तुम अपने हाथ मेरे हाथ में रखों....मैं मन्त्र
पाड़ूँगा और तुम अपने पति का ध्यान करना..
शीला ने अपने हाथ पंडित के हाथों मे रख दिए....यह उनका पहला स्किन टू
स्किन कॉंटॅक्ट था..
क्रमशः........................
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RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--4
गतांक से आगे...................
वह जानती थी कि पंडित का मतलब कcछि से है...
पंडित: तुम चाहो तो वो शिवलिंग फिलहाल निकाल सकती हो...
शीला खड़ी होकर शिवलिंग की मौलि खोलने लगी...लेकिन गाँठ काफ़ी टाइट लगी
थी....पंडित ने यह देखा..
पंडित: लाओ मैं खोल दूँ..
पंडित भी खड़ा हुआ...शीला के पीछे आ कर वो मौलि खोलने लगा...
पंडित: शिवलिंग ने तुम्हें परेशान तो नहीं किया....ख़ास कर रात में
सोनेः में कोई दिक्कत तो नहीं हुई..?
शीला कैसे कहती की रात को शिवलिंग ने उसके साथ क्या किया है...
शीला: नहीं पंडितजी...कोई परेशानी नहीं हुई..
पंडित ने मौलि खोली......शीला ने शिवलिंग पेटिकोट से निकाला तो पाया की
मौलि उसके पेटिकोट के नाडे में इलझ गयी थी...शीला कुछ देर कोशिश
करती रही लेकिन मौलि नाडे से नहीं निकली...
पंडित: शीला.....पूजा में विलंभ हो रहा है...लाओ मैं निकालूं
पंडित शीला के सामने आया और उसके पेटिकोट के नाडे से मौलि निकालने
लगा........
पंडित: यह ऐसे नहीं निकलेगा...तुम ज़रा लेट जाओ
शीला लेट गयी...पंडित उसके नाडे पे लगा हुआ था...
पंडित: शीला....नाडे की गाँठ खोलनी पड़ेगी...पूजा में विलंभ हो रहा
है...
शीला: जी...
पंडित ने पेटिकोट के नाडे की गाँठ खोल दी....गाँठ खोलने से पॅटिकोट
लूज हो गया और शीला की कछि से थोडा नीचे आ गया....
शीला शर्म से लाल हो रही थी....पंडित ने शीला का पेटिकोट थोड़ा
नीचे सरका दिया....शीला पंडित के सामने लेटी हुई थी....उसका पेटिकोट
उसकी कछि से नीचे था...मौलि निकालते वक़्त पंडित की कोनी (एल्बो) शीला
की चूत के पास लग रही थी....कुछ देर बाद मौलि नाडे से अलग हो गयी..
पंडित: यह लो...निकल गयी...
पंडित ने मौलि निकाल कर शीला के पेटिकोट का नाडा बाँधने लगा....उसने
नाडे की गाँठ बहुत टाइट बाँधी....शीला बोली..
शीला: आह...पंडितजी....बहुत टाइट है....
पंडित ने फिर नाडा खोला.....और इस बार गाँठ लूज बाँधी....
फिर दोनो चौकड़ी मार के बैठ गये..
पंडित: .....अब तुम ये मन्त्र 200 बार पढ़ो...और उसके बाद शिव की आरती
करना...
जब शीला की मन्त्र और आरती ख़तम हो गयी तो पंडित ने कहा...
पंडित: मैनेह कल वेद फिरसे पड़े तो उसमें लिखा था कि स्त्री (वुमन) जितनी
आकर्षक दिखे शिव उतनी ही जल्दी प्रसन्न होते हैं.....इस के लिए स्त्री जितना
चाहेः शृंगार कर सकती है.......लेकिन सच कहूँ.....
शीला: कहिए पंडितजी...
पंडित: तुम पहले से ही इतनी आकर्षक दिखती हो की शायद तुम्हे शृंगार की
आवश्यकता ही ना पड़े........
शीला अपनी तारीफ़ सुन कर शरमाने लगी...
पंडित: मैं सोचता हूँ कि तुम बिना शृंगार के इतनी सुंदर लगती हो...तो
शृंगार के पश्चात तो तुम बिल्कुल अप्सरा लगोगी...
शीला: कैसी बातें करतें हैं पंडितजी....मैं इतनी सुंदर कहाँ
हूँ......
पंडित: तुम नहीं जानती तुम कितनी सुंदर हो......तुम्हारा व्यवहार भी बहुत
चंचल है.....तुम्हारी चाल भी आकर्षित करती है...
शीला यह सब सुन कर शर्मा रही थी...मुस्कुरा रही थी....उसे ये सब अच्छा
लग रहा था...
पंडित: वेदों के अनुसार तुम्हारा शृंगार पवित्र हाथों से होना
चाहिए....अथवा तुम्हारा शृंगार मैं करूँगा......इसमें तुम्हें कोई
आपत्ति तो नहीं....
शीला: नहीं पंडितजी.....
पंडित: शीला.....मुझे याद नहीं रहा था....लेकिन वेदों के अनुसार जो
शिवलिंग मैने तुम्हें दिया था उस पर पंडित का चित्रा होना
चाहिए.....इसलिए इस शिवलिंग पे मैं अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका रहा
हूँ.....
शीला: ठीक है पंडितजी...
पंडित: और हाँ...रात को दो बार उठ कर इस शिवलिंग को जै करना...एक बार
सोने से पहले...और दूसरी बार बीच रात मैं
शीला: जी पंडितजी...
पंडित ने शिवलिंग पर अपनी एक छोटी सी फोटो चिपका दी....और शीला को
बाँधने के लिए दे दिया...
शीला ने पहले जैसे शिवलिंग को अपनी टाँगों के बीच बाँध लिया...
शीला अपने कपड़े पहेन के घर चली आई......पंडित से अपनी तारीफ़ सुन कर
वो खुश थी....
सारे दिन शिवलिंग शीला के टाँगों के बीच चुभता रहा....लेकिन अब यह
चुभन शीला को अच्छी लग रही थी...
शीला रात को सोनेः लेटी तो उसे याद आया की शिवलिंग को जै करना है...
उसने सलवार का नाडा खोल के शिवलिंग निकाला और अपने माथे से लगाया...वो
शिवलिंग पे पंडित की फोटो को देखने लगी...
उसे पंडित द्वारा की गयी अपनी तारीफ़ याद आ गयी.....उसेह पंडित अच्छा
लगने लगा था...
कुछ देर तक पंडित की फोटो को देखने के बाद उसने शिवलिंग को वहीं अपनी
टाँगों के बीच में रख दिया और नाडा लगा लिया...
शिवलिंग शीला की चूत को टच कर रहा था....शीला ना चाहते हुए भी एक
हाथ सलवार के ऊपर से ही शिवलिंग पे ले गयी...और शिवलिंग को अपनी चूत
पे दबाने लगी....साथ साथ उसे पंडित की तारीफ़ याद आ रही थी...
उसका दिल कर रहा था कि वो पूरा का पूरा शिवलिंग अपनी चूत में डाल
दे....लेकिन इसे ग़लत मानते हुए और अपना मन मारते हुए उसने शिवलिंग से हाथ
हटा लिया...
आधी रात को उसकी आँख खुली तो उसेह याद आया की शिवलिंग को जै करनी
है...
शिवलिंग का सोचते ही शीला को अपनी हिप्स के बीच में कुछ लगा......शिवलिंग
कल की तरह शीला की हिप्स में फ़सा हुआ था....
शीला ने सलवार का नाडा खोला और शिवलिंग बाहर निकाला.....उसने शिवलिंग
को जै किया....उस पर पंडित की फोटो को देख कर दिल में कहने लगी.."यह क्या
पंडित जी...पीछे क्या कर रहे थे...".....शीला शिवलिंग को अपनी हिप्स के
बीच में ले गयी और अपने गांद पे दबाने लगी.....उसे मज़ा आ रहा था
लेकिन डर की वजह से वो शिवलिंग को गांद से हटा कर टाँगों के बीच ले
आई....उसने शिवलिंग को हल्का सा चूत पे रगड़ा...फिर शिवलिंग को अपने
माथे पे रखा और पंडित की फोटो को देख कर दिल मैं कहने लगी
"पंडितजी....क्या चाहते हो..?...एक विधवा के साथ यह सब करना अच्छी बात
नहीं"..........
फिर उसने वापस शिवलिंग को अपनी जगह बाँध दिया....और गरम चूत ही ले के
सो गयी....
अगले दिन......
पंडित: शीला...शिव को सुंदर स्त्रियाँ आकर्षित करती
हैं......अतः..तुम्हें शृंगार करना होगा....परंतु वेदों के अनुसार यह
शृंगार शूध हाथों से होना चाहिए.......मैने ऐसा पहले इसलिए नहीं
कहा की शायद तुम्हें लज्जा आए...
शीला: पंडितजी...मैने तो आपसे पहले ही कहा था कि मैं भगवान के काम
में कोई लज्जा नहीं करूँगी.....
पंडित: तो मैं तुम्हारा शृंगार खुद अपने हाथों से करूँगा....
शीला: जी पंडितजी...
पंडित: तो जाओ...पहले दूध से स्नान कर आओ..
शीला दूध से नहा आई....
पंडित ने शृंगार का सारा समान तैयार कर रखा था...लिपस्टिक, रूज़,
एए-लाइनर, ग्लिम्मर, बॉडी आयिल.....
शीला ने ब्लाउस और पेटिकोट पहना था....
पंडित: आओ शीला...
पंडित और शीला आमने सामने ज़मीन पर बैठ गये....पंडित शीला के बिल्कुल
पास आ गया
पंडित: तो पहले आँखों से शुरू करते हैं....
पंडित शीला के एए-लाइनर लगाने लगा..
पंडित: शीला...एक बात कहूँ..?
शीला: कहिए पंडितजी..
पंडित: तुम्हारी आँखें बहुत सुंदर हैं....तुम्हारी आँखों में बहुत
गहराई है...
शीला शर्मा गयी....
पंडित: इतनी चमकीली....जीवन से भारी...प्यार बिखेरती........कोई भी इन
आँखों से मन्त्र-मुग्ध हो जाए....
शीला शरमाती रही...कुछ बोली नहीं...थोडा मुस्कुरा रही थी....उसे अच्छा
लग रहा था....
एए-लाइनर लगाने के बाद अब गालों पे रूज़ लगाने की बारी आई..
पंडित ने शीला के गालों पे रूज़ लगातेः हुए कहा...
पंडित: शीला....एक बात कहूँ...?
शीला: जी...कहिए पंडितजी..
पंडित: तुम्हारे गाल कितने कोमल हैं.....जैसे की मखमल के बने हो....इन पे
कुछ लगाती हो क्या.....
शीला: नहीं पंडितजी.....अब शृंगार नहीं करती....केवल नहाते वक़्त साबुन
लगाती हूँ..
पंडित शीला के गालों पे हाथ फेरने लगा...
शीला शर्मा रही थी..
पंडित: शीला...तुम्हारे गाल छूनेः में इतने अच्छे हैं की..शिव का भी
इन्हें...इन्हें....
शीला: इन्हें क्या पंडितजी..?
पंडित: शिव का भी इन गालों का चुंबन लेने को दिल करे..
शीला शर्मा गयी....थोड़ा सा मुस्कुराई भी...अंदर से उससे बहुत अच्छा
लग रहा था...
पंडित: और एक बार चुंबन ले तो छोड़ने का दिल ना करे.....
गालों पे रूज़ लगाने के बाद अब लिप्स की बारी आई....
पंडित: शीला....होंठ (लिप्स) सामने करो...
शीला ने लिप्स सामने करे...
पंडित: मेरे ख़याल से तुम्हारे होंठो पर गाढ़ा लाल (डार्क रेड) रंग बहुत
अच्छा लगेगा....
पंडित ने शीला के होंठो पे लिपस्टिक लगानी शुरू की....शीला ने शरम से
आँखें बंद कर रखी थी...
पंडित: शीला...तुम लिपस्टिक होंठ बंद करके लगाती हो क्या....थोड़े होंठ
खोलो...
शीला ने होंठ खोले......पंडित ने एक हाथ से शीला की तोड़ी पकड़ी और
दूसरे हाथ से लिपस्टिक लगाने लगा....
पंडित: वाह...अति सुंदर.....
शीला: क्या पंडितजी...
पंडित: तुम्हारे होंठ....कितने आकर्षक हैं तुम्हारेहोंठ....क्या बनावट
है......कितने भर्रे भर्रे....कितने गुलाबी...
शीला: ....आप मज़ाक कर रहे हैं पंडितजी....
पंडित: नहीं...शिव की सौगंध.....तुम्हारे होंठ किसी को भी आकर्षित कर
सकते हैं.......तुम्हारे होंठो देख कर तो शिव पार्वती के होंठ भूल
जाए....वह भी ललचा जाए......तुम्हारे होंठो का सेवन करे.....तुम्हारे
होंठो की मदिरा पिएं................
शीला अंदर से मरी जा रही थी....उससे बहुत ही अच्छा फील हो रहा था....
पंडित: एक बात पूछूँ?
शीला: पूछिए पंडितजी..
पंडित: क्या तुम्हारे होंठो का सेवन किसी ने किया है आज तक...
शीला यह सुनते ही बहुत शर्मा गयी....
शीला: एक दो बार....मेरे पति ने..
पंडित: केवल एक दो बार.....
शीला: वो ज़्यादातर बाहर रहते थे....
पंडित: तुम्हारे पति के अलावा और किसी ने नहीं...
शीला: कैसी बातें कर रहें हैं पंडितजी....पति के अलावा और कौन कर
सकता है...क्या वो पाप नहीं है....
पंडित: यदि विवश हो के किया जाए तो पाप है.....वरना
नहीं............लेकिन तुम्हारे होंठो का सेवन बहुत आनंदमयी होगा......ऐसे
होंठो का रूस जिसने नहीं पिया..उसका जीवन अधूरा है...
शीला अंदर ही अंदर खुशी से पागल हुई जा रही थी...........अपनी इतनी
तारीफ़ उसने पहले बार सुनने को मिल रही थी...
फिर पंडित ने हेर-ड्राइयर निकाला..
अब पंडित ड्राइयर से शीला के बॉल सुखाने लगा....शीला के बॉल बहुत लंबे
थे...
पंडित: शीला झूट नहीं बोल रहा...लेकिन तुम्हारे बॉल इतने लंबे और घन्ने
हैं की शिव इनमें खो जाएँगे...
उसने शीला का हेर-स्टाइल चेंज कर दिया...उसके बॉल बहुत फ्लफी हो गये...
एए-लाइनर, रूज़, लिपस्टिक और ड्राइयर लगाने के बाद पंडित ने शीला को शीशा
दिखाया...
शीला को यकीन ही नहीं हुआ कि वह भी इतनी सुंदर दिख सकती है...
पंडित ने वाकई ही शीला का बहुत अच्छा मेक-अप किया था...
ऐसा मेकप देख कर शीला खुद को सेन्ल्युवस फील करने लगी...
उससे पता ना था कि वो भी इतनी एरॉटिक लग सकती है....
पंडित: मैने तुम्हारे लिए ख़ास जड़ीबूटियों का तेल बनाया है....इससे
तुम्हारी त्वचा में निखार आएगा...तुम्हारी त्वचा बहुत मुलायम हो
जाएगी.....तुम अपने बदन पे कौनसा तेल लगाती हो.?
शीला 'बदन' का नाम सुन के थोडा शर्मा गयी.....सेन्ल्युवस तो वो पहले ही
फील कर रही थी...'बदन' का नाम सुनके वो और सेन्युवस फील करने लगी...
शीला: जी...मैं बदन पे कोई तेल नहीं लगाती...
पंडित: चलो कोई नहीं.....अब ज़रा घुटनो के बल खड़ी हो जाओ....
शील नी-डाउन (टू स्टॅंड ओं नीस) हो गयी....
पंडित: मैं तुम पर तेल लगाओंगा....लज्जा ना करना..
शीला: जी पंडितजी...
शीला ब्लाउस-पेटिकोट में घुटनो पे थी......
पंडित भी घुटनो पे हो गया...
शीला के पेट पे तेल लगाने लगा....
अब वो शीला के पीछे आ गया....और शीला की पीठ और कमर पे तेल लगाने
लगा.....
पंडित: शीला तुम्हारी कमर कितनी लचीली है....तेल के बिना भी कितनी
चिकनी लगती है...
पंडित शीला के बिल्कुल पीछे आ गया....दोनो घुटनो पे थे...
शीला के हिप्स और पंडित के लंड मैं मुश्किल से 1 इंच का फासला था...
पंडित पीछे से ही शीला के पेट पे तेल लगाने लगा....
वो उसके पेट पे लंबे लंबे हाथ फेर रहा था...
पंडित: शीला....तुम्हारा बदन तो रेशमी है...तुम्हारे पेट को हाथ
लगाने में कितना आनद आता है....ऐसा लग रहा है कि शनील की रज़ाई पे
हाथ चला रहा हूँ..........
पंडित पीछे से शीला के और पास आ गया...उसका लंड शीला की हिप्स को जस्ट
टच कर रहा था...
पंडित शीला की नेवेल में उंगली घुमाने लगा....
पंडित: तुम्हारी धुन्नी कितनी चिकनी और गहरी है....जानती हो यदि शिव ने
ऐसी धुन्नी देख ली तो वह क्या करेगा..?
शीला: क्या पंडितजी.?
पंडित: साधा तुम्हारी धुन्नी में अपनी जीभ डाले रखेगा.....इसे चूस्ता
और चाट-ता रहेगा
यह सुन कर शीला मुस्कुराने लगी.....शायद हर लड़की/नारी को अपनी तारीफ़
सुनना अच्छा लगता है....चाहे तारीफ़ झूठी ही क्यूँ ना हो....
पंडित एक हाथ शीला के पेट पे फेर रहा था...और दूसरे हाथ की उंगली
शीला की नेवेल में घूममा रहा था...
शीला के पेट पे लंबे लंबे हाथ मारते वक़्त पंडित दो तीन उंगलिया शीला के
ब्लाउस के अंदर भी ले जाता...
टीन चार बार उसकी उंगलियाँ शीला के बूब्स के बॉटम को टच करी....
शीला गरम होती जा रही थी....
पंडित: शीला...अब हमारी पूजा आखरी चरनो(स्टेजस) मैं है.....वेदों के
अनुसार शिव ने कुछ आससन बतायें हैं...
शीला: आससन...कैसे आससन पंडितजी..?
पंडित: अपने शरीर को शूध करने के पश्चात जो स्त्री वो आस्सन लेती
है...शिव उस-से सदा के लिए प्रसन्न हो जाता है..........लेकिन यह आस्सन
तुम्हें एक पंडित के साथ लेने होंगे....परंतु हो सकता है मेरे साथ आससन
लेने में तुम्हें लज्जा आए...
शीला: आपके साथ आस्सन........मुझे कोई आपत्ति नहीं है.......
पंडित: तो तुम मेरे साथ आस्सन लॉगी..?
शीला: जी पंडितजी...
पंडित: लेकिन आस्सन लेने से पहले मुझे भी बदन पे तेल लगाना होगा....और
यह तुम्हें लगाना है...
शीला: जी पंडितजी...
यह कह कर पंडित ने तेल की बॉटल शीला को दे दी....और वो दोनो आमने सामने
आ गये....दोनो घुटनो पे खड़े थे...
शीला ने पंडित की चेस्ट पे तेल लगाना शुरू किया....
पंडित ने चेस्ट, पेट और अंडरआर्म्स शेव किए थे......इसलिए उसकी स्किन बिल्कुल
स्मूद थी...
शीला पहले भी पंडित के बदन से अट्रॅक्ट हो चुकी थी....आज पंडित के बदन
पे तेल लगाने से उसका बदन और चिकना हो गया...............वो पंडित की
चेस्ट, पेट, बाहें और पीठ पर तेल लगाने लगी.....वह अंदर से पंडित के
बदन से लिपटना चाह रही थी....शीला भी पंडित के पीछे आ गयी...और
उसकी पीठ पे तेल मलने लगी...फिर पीछे से ही उसके पेट और छाती पे तेल
मलने लगी....शीला के बूब्स हल्के हल्के पंडित की पीठ से टच हो रहे
थे....शीला ने भी पंडित की नेवेल में दो तीन बार उंगली घुमाई......
पंडित: शीला...तुम्हारे हाथों का स्पर्श कितना सुखदायी है....
शीला कहना चाह रही थी कि 'पंडितजी..आपके बदन का स्पर्श भी बहुत
सुखदायी है... '........लेकिन शर्म की वजह से ना कह पाई.......
पंडित: चलो...अब आस्सन ले...........पहले आस्सन में हम दोनो को एक दूसरे
से पीठ मिला कर बैठना है...
पंडित और शीला चौकड़ी मार के और एक दूसरे की तरफ पीठ कर के बैठ
गये....फिर दोनो पास पास आए जिससे की दोनो की पीठ मिल जाए.....
पंडित की पीठ तो पहले ही नंगी थी क्यूंकी उसने सिर्फ़ लूँगी पहनी
थी....शीला ब्लाउस और पेटिकोट में थी......उसकी लोवर पीठ तो नंगी
थी ही....उसके ब्लाउस के हुक्स भी नहीं थे इसलिए ऊपर के पीठ भी थोड़ी
सी एक्सपोज़्ड थी...
दोनो नंगी पीठ से पीठ मिला कर बैठ गये...
पंडित: शीला...अब हाथ जोड़ लो....
पंडित हल्के हल्के शीला की पीठ को अपनी पीठ से रगड़नेः लगा...दोनो की
पीठ पे तेल लगा था...इसलिए दोनो की पीठ चिकनी हो रही थी....
पंडित: शीला......तुम्हारी पीठ का स्पर्श कितना अच्छा है.......क्या तुमनें
इससे पहले कभी अपनी नंगी पीठ किसी की पीठ से मिलाई है..?
शीला: नहीं पंडितजी....पहली बार मिला रही हूँ....
शीला भी हल्के हल्के पंडित की पीठ पे अपनी पीठ रगड़नेः लगी....
पंडित: चलो...अब घुटनो पे खड़े होकर पीठ से पीठ मिलानी है....
दोनो घुटनो के बल हो गये....
एक दूसरे की पीठ से चिपक गये.....इस पोज़िशन में सिर्फ़ पीठ ही नहीं..दोनो
की हिप्स भी चिपक रहीं थी...
पंडित: अब अपनी बाहें मेरी बाहों में डाल के अपनी तरफ हल्के हल्के
खीँचो...
दोनो एक दूसरे की बाहों में बाहें डाल के खींच ने लगे....दोनो की नंगी
पीठ और हिप्स एक दूसरे की पीठ और हिप्स से चिपक गयी....
पंडित अपनी हिप्स शीला की हिप्स पे रगड़ने लगा....शीला भी अपनी हिप्स पंडित
की हिप्स पे रगड़ने लगी...
शीला की चूत गरम होती जारही थी..
पंडित: शीला.....क्या तुम्हें मेरी पीठ का स्पर्श सुखदायी लगा रहा है..?
शीला शरमाई....लेकिन कुछ बोल ही पड़ी...
शीला: हाँ पंडितजी......आपकी पीठ का स्पर्श बहुत सुखदायी है...
पंडित: ...और नीचे का..?..
शीला समझ गयी पंडित का इशारा हिप्स की तरफ है..
शीला: ..ह..हाँ पंडितजी...
दोनो एक दूसरे की हिप्स को रगड़ रहे थे...
पंडित: शीला.....तुम्हारे चूतड़ भी कितने कोमल लगते हैं....कितने
सुडोल...मेरे चूतड़ तो थोड़े कठोर हैं...
शीला: पंडितजी....आदमियों के थोड़े कठोर ही अच्छे लगते हैं....
पंडित: अब मैं पेट के बल लेटूँगा...और तुम मेरे ऊपर पेट के बल लेट जाना...
शीला: जी पंडितजी...
पंडित ज़मीन पर पेट के बल लेट गया और शीला पंडित के ऊपर पेट के बल लेट
गयी...
शीला के बूब्स पंडित की पीठ पे चिपके हुए थे...
शीला का नंगा पेट पंडित की नंगी पीठ से चिपका हुआ था....
शीला खुद ही अपना पेट पंडित की पीठ पे रगड़ने लगी....
पंडित: शीला.....तुम्हारे पेट का स्पर्श ऐसे लगता है जैसे की मैने शनील
की रज़ाई औड ली हो.....और एक बात कहूँ...
शीला: स...कहिए पंडितजी..
पंडित: तुम्हारे स्तनो का स्पर्श तो......
शीला अपने बूब्स भी पंडित की पीठ पे रगड़ने लगी...
शीला: तो क्या....
पंडित: मदहोश कर देने वाला है.....तुम्हारे स्तनो को हाथों में लेने के
लिए कोई भी ललचा जाए...
शीला: स्सह.........
पंडित: अब मैं सीधा लेटूँगा और तुम मुझ पर पेट के बल लेट जाओ....लेकिन
तुम्हारा मुँह मेरे चरनो की और मेरा मुँह तुम्हारे चरनो की तरफ होना
चाहिए...
पंडित पीठ के बल लेट गया और शीला पंडित के ऊपर पेट के बल लेट गयी....
शीला की टाँगें पंडित के फेस की तरफ थी........शीला की नेवेल पंडित के
लंड पे थी....वह उसके सख़्त लंड को महसूस कर रही थी.....
पंडित शीला की टाँगों पे हाथ फेरने लगा...
पंडित: शीला........तुम्हारी टाँगें कितनी अच्छी हैं....
पंडित ने शीला का पेटिकोट ऊपर चड़ा दिया और उसकी थाइस मलने लगा....
उसने शीला की टाँगें और वाइड कर दी.....शीला की पॅंटी सॉफ दिख रही
थी...
पंडित शीला की चूत के पास हल्के हल्के हाथ फेरने लगा....
पंडित: शीला....तुम्हारी जाघे कितनी गोरी और मुलायम हैं.....
चूत के पास हाथ लगाने से शीला और भी गरम हो रही थी....
पंडित: तुम्हें अब तक सबसे अच्छा आस्सन कौनसा लगा.?
शीला: स....वो...घुटनो के बल....पीठ से पीठ...नीचे से नीचे वाला.....
पंडित: चलो....अब मैं बैठ-ता हूँ...और तुम्हें सामने से मेरे कंधों पे
बैठना है.....मेरा सिर तुम्हारी टाँगों के बीच में होना चाहिए...
शीला: जी....
शीला ने पंडित का सिर अपनी टाँगों के बीच लिया और उसके कंधों पे बैठ
गयी...
इस पोज़िशन में शीला की नेवेल पंडित के लिप्स पे आ रही थी....
पंडित अपनी जीभ बाहर निकाल के शीला की धुन्नी में घुमाने लगा...
शीला को बहुत मज़ा आ रहा था...
क्रमशः..............................
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01-07-2018, 01:48 PM,
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RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--6
गतांक से आगे......................
सारा माल शीला की फुद्दी में गिराने के बाद पंडित ने अपना लिंग बाहर खींचा ..और शीला को प्यासी नजरों से देखा ..शीला उनके देखने के अंदाज से शरमा उठी ..
शीला : क्या देख रहे है पंडितजी ..
पंडित : देख रहा हु की तुम्हारे अन्दर कितनी कामवासना दबी पड़ी थी ..अगर मैंने तुम्हे भोगा नहीं होता तो ये सारा योवन व्यर्थ चला जाता .. कितने सुन्दर केश है तुम्हारे ..और ये स्तन तो मुझे संसार में सबसे सुन्दर प्रतीत होते है ..और तुम्हारी ये मांसल कमर और नितंभ ..सच में शीला तुम काम की मूरत हो ..
शीला अपने शरीर की तारीफ सुनकर मंद ही मंद मुस्कुरा रही थी ..उसके गाल लाल सुर्ख हो उठे ..
शीला : आपने मुझे ऐसी अवस्था में पहचानकर मेरा निवारन किया है ..आप ही आज से मेरे गुरु और देवता है ..आप जब भी चाहे मेरे शरीर का अपनी इच्छा के अनुसार इस्तेमाल कर सकते है ..
जब शीला ने ये कहा तो पंडित का दिमाग घोड़े की तरह से चलने लगा ..
पंडितजी को गहरी सोच में डूबे देखकर शीला उनके पास खिसक कर आई और उनके लिंग को अपने हाथ में पकड़कर उन्हें चेतना में लायी ..
शीला : क्या सोचने लगे पंडित जी ..
पंडित : उम .. नं .कुछ नहीं ...
शीला के हाथो में आकर उनका लंड फिर से अपने प्रचंड रूप में आने लगा ..
पर तभी बाहर *** में किसी ने घंटी बजाई ..पंडित जी ने जल्दी से अपनी धोती पहनी और शीला से बोले : तुम अन्दर जाकर अपने अंगो को पानी से साफ़ कर लो ..मैं अभी वापिस आकर तुम्हे दोबारा स्वर्ग का मजा देता हु ..
पंडित जी की बात सुनकर शीला के स्तनों में फिर से तनाव आ गया,दोबारा चुदने का ख़याल आते ही वो फुर्ती से उठी और नंगी ही अन्दर स्नानघर की तरफ चल दी ..
बाहर पहुंचकर पंडित जी ने देखा की दूसरी गली में रहने वाली माधवी जिसकी उम्र 38 के आस पास थी, वो अपनी बेटी रितु जो 11वीं कक्षा में पड़ती थी, के साथ खड़ी थी .
पंडितजी माधवी को देखते खुश हो गए ..हो भी क्यों न , वो रोज आया करती थी और उसका भरा हुआ जिस्म पंडित जी को हमेशा आकर्षित करता था .. और उसका पति गिरधर जो गली-2 जाकर ठेले पर सब्जियां बेचा करता था, वो पंडितजी का करीबी दोस्त बन चूका था और वो दोनों अक्सर पंडितजी के कमरे में बैठकर शराब पिया करते थे ..और दोनों जब नशे में चूर हो जाते तो अपने-2 मन की बातें एक दुसरे के सामने निकालकर अपना मन हल्का किया करते थे ..और उनका टॉपिक हमेशा सेक्स के आस पास ही घूमता रहता था .. पर उन दोनों की इतनी घनिष्टता के बारे में कोई भी नहीं जानता था, गिरधर की पत्नी माधवी भी नहीं ..
पंडित ने कभी भी गिरधर को ये नहीं बताया था की उनका मन उसकी पत्नी के प्रति आकर्षित है ..गिरधर जब भी पंडित जी के पास आकर बैठता तो वो अपनी जिन्दगी का रोना उनके सामने सुना कर अपना मन हल्का कर लेता था, वो अपनी पत्नी यानी माधवी के सेक्स के प्रति रूचि ना दिखाने को लेकर अक्सर परेशान रहता था ..रंडियों के पास जाने के लिए उसके पास पैसे नहीं थे ..पूरा दिन गलियों में सब्जियां बेचकर वो इतना ही कमा सकता था की अपने परिवार का पालन पोषण कर पाए ..इसलिए रोज रात को शराब लेकर वो पंडित जी के पास जाकर अपने दुःख दर्द सुनाता और पंडितजी भी अपने 'ख़ास' दोस्त के साथ कुछ पल बिताकर अपना रूतबा और पहचान भूल जाते और खुलकर मजा करते .
माधवी : नमस्कार पंडित जी ..
पंडित : आओ आओ माधवी नमस्कार ..आज इस समय कैसे आना हुआ ..
वो अक्सर सुबह ही आया करती थी ..और दोपहर के समय उसको देखकर और वो भी उस वक़्त जब अन्दर कमरे में शीला नंगी होकर उनका वेट कर रही थी ..कोई और मौका होता तो वो भी माधवी से गप्पे मारकर अपनी आँखों की सिकाई कर लेते पर अभी तो उसको टरकाने में मूड में थे ., ताकि अन्दर जाकर फिर से शीला के योवन का सेवन कर पाए .
माधवी : पंडित जी ..आप तो जानते ही है इनके (गिरधर) बारे में ..पूरा दिन मेहनत करते है और रात पता नहीं कहाँ जाकर शराब पीते है और अपनी आधी से ज्यादा कमाई फूंक देते है ..ये मेरी बेटी रितु है और ये पड़ने में काफी होशियार है पर स्कूल में भरने लायक फीस नहीं है इस महीने ..मैं बस आपसे ये कहने आई थी की अगर हो सके तो आप उनको समझाओ ताकि हमारी बेटी आगे पढाई पूरी कर सके ..वो आपकी बात कभी नहीं टालेंगे ..
माधवी जानती तो थी की गिरधर अक्सर पंडितजी के साथ बैठता है पर वो ये नहीं जानती थी की उनके साथ बैठकर ही वो शराब भी पीता है और उसके बारे में बातें भी करता है .
पंडित : अरे माधवी ..तुम परेशान मत हो ..वो बेचारा भी परेशान रहता है अपने और तुम्हारे संबंधों को लेकर ..
ये बात सुनकर माधवी चोंक गयी पर अपनी बेटी के पास खड़ा होने की वजह से वो पंडितजी से कुछ ना पूछ पायी की क्या -2 बात होती है उन दोनों के बीच ..
पंडित जी : और रही बात रितु की पढाई की तो तुम इसकी चिंता मत करो ..ये कोष में आने वाले पैसो से आगे की पढाई करेगी ..और तुम इसे मना मत करना, क्योंकि ऊपर वाले को यही मंजूर है की तुम्हारी बेटी आगे पड़े और तुम इसे एहसान मत समझना , जब भी तुम्हारे पास पैसे हो तो तुम कोष में डाल कर अपना ऋण उतार देना ..
पंडितजी की बात सुनकर माधवी की आँखों में आंसू आ गए और उसने आगे बढकर उनके पैर छु लिए ..पंडितजी ने उसकी कमर पर हाथ रखकर उसकी ब्रा को फील लिया और अपने हाथ को वहां रगड़कर उसके मांसल जिस्म का मजा लेने लगे ..
माधवी : रितु ...चल जल्दी से यहाँ आ ..पंडितजी के पैर छु ..इनके आशीर्वाद से अब तुझे चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है, तू आगे पड़ पाएगी ...
अपनी माँ की बात सुनकर रितु भी आगे आई और उसने झुककर पंडितजी के पैर छुए ..
आज पंडितजी ने पहली बार रितु को गौर से देखा था ..उसके उभार अभी आने शुरू ही हुए थे ..काफी दुबली थी वो ..अपनी माँ से एकदम विपरीत ..पंडितजी ने उसके सर पर हाथ फेरा और उसके गले से नजरे हटा कर वापिस माधवी के छलकते हुए उरोजों का चक्षु चोदन करने लगे ..
पंडितजी का आशीर्वाद पाकर दोनों उठ खड़े हुए प्रसाद लेकर वापिस चल दिए ..
जाते-2 माधवी रितु को थोडा दूर छोड़कर वापिस आई और पंडितजी से धीरे से बोली : पंडितजी ..इन्होने जो भी आपसे हमारे बारे में बात की है उसके बारे में मैं आपसे विस्तार में बात करने कल दोपहर को आउंगी ..इसी समय ..
इतना कहकर वो चली गयी ..
पंडितजी मन ही मन खुश हो उठे ..पहले शीला और अब ये माधवी ..अगर ये भी मिल जाए तो उनके वारे न्यारे हो जायेंगे ..पर अभी तो उन्हें शीला का सेवन करना था जो अन्दर उनके कमरे में नंगी होकर उनका इन्तजार कर रही थी ..
चुदने के लिए .
पंडितजी वापिस अपने कमरे में आये तो देखा की शीला अभी तक बाथरूम में ही है .
उन्होंने अपने लिंग को धोती में ही मसला और अन्दर जाने के लिए जैसे ही उन्होंने दरवाजा खोला तो उन्होंने देखा की शीला नहाने के पश्चात अपना बदन पोंछ रही है और उसकी पीठ है उनकी तरफ और वो झुक कर अपनी जांघो और पैरों का पानी साफ़ कर रही है ..
उसकी इस मुद्रा में उभर कर बाहर निकल रही उसकी मोटी गांड बड़ी ही लुभावनी लग रही थी ..और ठीक उसके गुदा द्वार के नीचे उसकी चूत का द्वार भी ऊपर से नीचे की तरफ कटाव में दिख रहे होंठों की तरह दिखाई दे रही थी जिसमे से कुछ तो पानी की बूंदे और कुछ उसके अपने रस की बूंदे निकल कर बाहर आ रही थी ..
इतना उत्तेजित कर देने वाला दृश्य पंडितजी की सहनशक्ति से बाहर था, उन्होंने झट से उसके पीछे झुक कर अपना मुंह दोनों जाँघों के बीच घुसेड दिया ..
शीला अपनी चूत पर हुए इस अचानकिये हमले से घबरा गयी पर पंडितजी की जिव्हा ने जब उसके रस से भरे सागर में डुबकी लगाई तो शीला के तन बदन में आग सी लग गयी ..वो मचल उठी ..और थोडा पीछे की तरफ होकर अपना भार पंडितजी के मुंह के ऊपर डाल दिया ..
''उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पंडितजी ....क्या करते हो ...बता तो दिया करो ..मेरी फुद्दी को ऐसे हमलों की आदत नहीं है ..''
पंडित : ''अरे शीला रानी ..अब तो ऐसे हमलों की आदत डाल लो ..मुझे हमला करके शिकार करने की ही आदत है ..ऐसे में शिकार को खाने का मजा दुगना हो जाता है ..जैसे अब हो गया है ..देखा तुम्हारी चूत में से कैसे रसीली चाशनी निकल कर मुझे तृप्त कर रही है ..''
पंडित ने अपने पैर आगे की तरफ कर लिए और खुद अपने चुतड गीले फर्श पर टिका कर बैठ गया ..उसने अपने हाथ ऊपर करके शीला के दो विशाल कलश पकड़ लिए और उनके बीच से रिस रहा अमृत अपने मुंह पर गिराकर उसका सेवन करने लगा ..
शीला ने भी अपना पूरा भार पंडित के चेहरे पर गिरा कर अपने आप को पंडितजी के मुंह पर विराजमान करवा लिया ..जैसे पंडित का मुंह नहीं कोई कुर्सी हो ..
पंडित जी की जीभ किसी सर्प की तरह शीला की शहद की डिबिया के अन्दर जाकर उसका पान कर रही थी ..और जब पंडितजी ने उसकी क्लिट को अपने होंठों के मोहपाश में बाँधा तो वो भाव विभोर होकर पंडित जी के मुख का चोदन करने लगी ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह पंडित जी ....उम्म्म्म्म ....हाँ .....आप कितने निपुण है काम क्रिया में ...अह्ह्ह्ह्ह ऐसा एहसास तो मैंने आज तक नहीं पाया ...अह्ह्ह्ह ....और जोर से चुसो मुझे ...मुझे निगल जाओ ...पंडित ...जॆऎए .....अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ''
और कुछ बोलने की हालत में नहीं बची बेचारी शीला ..पंडित ने उसकी क्लिट को अपने होंठों में नीम्बू की तरह से निचोड़ कर उसका रस पी लिया ...
शीला का शरीर कम्पन के साथ झड़ता हुआ उनके चेहरे पर अपना गीलापन उड़ेल कर शिथिल हो गया ..
पंडित जी ने अपने शरीर को नीचे के गीले फर्श पर पूरा बिछा दिया और शीला को घुमा कर अपनी तरफ किया ..और उसकी ताजा चुसी चूत को अपने लंड महाराज के सपुर्द करके उन्होंने एक सरल और तेज झटके के साथ उसके अन्दर प्रवेश कर लिया ..
शीला अभी तक अपने ओर्गास्म से उभर भी नहीं पायी थी की इस नए हमले से उसकी आँखे उबल कर फिर से बाहर आ गयी ..और सामने पाया पंडित जी को ..जो आनंद उसे आज पंडितजी ने दिया था अब उसका बदला उतारने का समय था ..उसने पंडितजी के रस से भीगे होंठो को अपने मुंह में भरा और उन्हें चूसकर अपने ही रस का स्वाद लेने लगी ..
नीचे से पंडित जी ने अपने लंड के धक्को से उसकी मोटी गांड की थिरकन और बड़ा दी ..अब तो उनके हर धक्के से उसका पूरा बदन हिल उठता और उसके स्तन पंडितजी के चेहरे पर पानी के गुब्बारों की तरह टकरा कर उन्हें और तेजी से चोदने का निमंत्रद देते ..
''अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह् शीला ....कितना चिकना है तुम्हारा शरीर ...मन तो करता है अपनी पूरी साधना तुम्हारे शरीर को समर्पित करते हुए करूँ .अह्ह्ह्ह्ह ......तुम्हारी फुद्दी को चूसकर मैंने तो आज अमृत को पी लिया हो जैसे ...अह्ह्ह्ह्ह बड़ा ही नशीला है तुम्हारा हर एक अंग ...और खासकर तुम्हारी ये चूचियां ...''
इतना कहकर पंडित ने उसकी चूचियां अपने मुख में डाली और उन्हें जोर-2 से चूसने लगा ..
पंडित जी को अपने शरीर की प्रशंसा करते पाकर वो मन ही मन खुश हो गयी और उसने भी पंडित को अपनी छातियों से नवजात शिशु की तरह से चिपका कर उन्हें अपना स्तनपान करवाने लगी ..और पंडित जी और तेजी से उसकी चूत का मर्दन अपने लिंग से करने लगे ..
गाडी पूरी चरम सीमा पर चल रही थी ..पंडित जी ने अपने रस को आखिरकार उसकी रसीली डिबिया में उड़ेल कर अपने लंड के नीचे लटकी गोटियों का भार थोडा कम किया ..
''अह्ह्ह्ह्ह शीला ......मजा आ गया ...सच में तुम काम की मूरत हो ..तुम जितने दिन तक इन सब से वंचित रही हो मैं उसकी भरपायी करूँगा और तुम्हे हर रोज दुगना मजा दिया करूँगा ...''
शीला पंडितजी की बात सुनकर आनंदित हो उठी और नीचे झुककर उसने पंडित जी के लिंग को अपने मुंह में भरकर पूरी तरह से साफ़ कर दिया ..और फिर दोनों मिलकर नहाए ..
और उसके बाद शीला ने अपने कपडे पहने और पीछे के दरवाजे से निकल कर जल्दी-2 अपने घर की तरफ चल दी .
और हमेशा की तरह उसे आज भी किसी ने जाते हुए नहीं देखा ..
रात को 9 बजे सभी कार्य से निवृत होकर पंडित जी जैसे ही अपने कक्ष में पहुंचे , पीछे के दरवाजे पर दस्तक हुई ..
वो समझ गए की गिरधर ही होगा ..ये समय उसके ही आने का होता था ..उन्होंने दरवाजा खोल दिया और गिरधर अन्दर आ गया ..उसकी सब्जी की रेहड़ी बाहर ही खड़ी थी . और हमेशा की तरह उसके हाथ में शराब की बोतल थी और कागज़ के लिफ़ाफ़े में कुछ नमकीन वगेरह ..
आज तो पंडित जी उसकी ही प्रतीक्षा कर रहे थे ..दोनों अन्दर जाकर बैठ गए और गिरधर ने दो गिलास बनाए ..और दोनों ने पी डाले ..और उसके बाद दूसरा ..और फिर तीसरा ..
हमेशा की तरह गिरधर 2 गिलास पीने के बाद अपनी पत्नी माधवी के बारे में बोलने लगा ..
गिरधर : ''पंडित जी ..आप कितने सुखी हो ..अकेले रहते हो ..कोई टोकने वाला नहीं , घर ग्रहस्ती के बंधन से आजाद हो आप ..और मुझे देखो ..बीबी तो है पर उसका सुख नहीं ..साली ...अपने पास फटकने भी नहीं देती ..बोलती है ..बेटी बड़ी हो गयी है ...शराब पीकर मत आया करो ..अब ये सब शोभा नहीं देता ..अरे पंडित जी ..एक आदमी पूरा दिन कमाई करके जब घर आता है तो उसे दो ही चीज की तमन्ना होती है ..एक दारु और दूसरी, बीबी की चूत ...पर यहाँ तो साली दोनों के लिए मना करती है ..अब आप ही बताओ पंडित जी ..मैं क्या करूँ .''
वो शराब के नशे में बोले जा रहा था और पंडित जी उसकी बातों का मजा लेते हुए सिप भर रहे थे ..
और वो हमेशा ऐसा ही करते थे ..वो सिर्फ उसकी बातें सुनते थे ..अपनी तरफ से कोई राय या सुझाव नहीं देते थे ..पर आज माधवी के साथ हुई मुलाकात को लेकर उन्होंने जो सोचा था उसके लिए गिरधर से बात करना जरुरी था ..
पंडित जी : ''मैं समझ सकता हु गिरधर ..की तुम्हे कितनी तकलीफ होती है ..जब माधवी भाभी तुम्हे अपनी .
चू ... ''
चूत कह्ते पंडित जी रुक गए ..
गिरधर :''हाँ पंडित जी ..साली चूत देने में नखरे करती है ..आपने तो देखा ही है उसको ..कितना भरा हुआ जिस्म है माधवी का ..इतनी बड़ी-2 छातियाँ है ..उन्हें पीने को तरस गया हु पंडित जी ..''
वो शराब के नशे में अपनी पत्नी के बारे में बके जा रहा था ..और पंडित जी का लंड उसकी बाते सुनकर माधवी को सोचकर खड़ा हुए जा रहा था ..
पंडित जी : ''अच्छा सुनो ..मेरे पास एक आईडिया है ..अगर तुम उसपर अमल करो तो तुम्हारी पत्नी तुमसे पहले जैसा प्यार करने लग जायेगी ..''
पंडितजी की बात सुनकर गिरधर की आँखे चमक उठी ..उसका सार नशा रफूचक्कर हो गया ..वो उनके सामने हाथ जोड़कर बैठ गया ..जैसे कोई भक्त निवारण करवाने के लिए आया हो ..
गिरधर :''पंडित जी ...आप अगर ऐसा चमत्कार कर सके तो मैं जिन्दगी भर आपका गुलाम बनकर रहूँगा ..मुझे बताइये क्या करना होगा ..''
पंडितजी मन ही मन मुस्कुराए ..वो जानते थे की उनका शिकार अब बोतल में उतर चूका है और अब वो वही करेगा जो वो चाहते हैं ..
उन्होंने अपनी योजना गिरधर को बतानी शुरू की .
गिरधर के जाने के बाद पंडितजी अपनी किस्मत को सराहते हुए गहरी नींद में सो गए ..
अगले दिन सुबह कार्य से निवृत होकर वो माधवी का इन्तजार करने लगे ..उन्होंने आज सुबह ही कोष में से कुछ रूपए निकाल कर अलग कर लिए थे उसको देने के लिए ..
माधवी ठीक 11 बजे आई ..पंडित जी ने उसको अपने साथ पीछे की तरफ अपने कमरे में आने को कहा ..वो बिना किसी अवरोध के उनके पीछे चल दी, वो भी जानती थी की जो बातें उसे और पंडितजी को करनी है उनके बारे में मोहल्ले के किसी भी व्यक्ति को पता न चले ..इसलिए ऐसी बातें छुप कर करना ही लाभदायक है .
अपने कमरे में जाते ही पंडितजी अपने दीवान पर चोकड़ी मारकर बैठ गए ..माधवी हाथ जोड़े उनके छोटे से कमरे के अन्दर आई और उनके सामने जमीन पर पड़े हुए कालीन के ऊपर पालती मारकर, हाथ जोड़कर बैठ गयी ..
पंडितजी : ''ये लो माधवी ..रितु की पढाई के लिए पैसे ..''
पंडितजी ने सबसे पहले उसे पैसे इसलिए दिए ताकि वो उनकी किसी भी बात का विरोध करने की परिस्थिति में ना रहे ..
माधवी ने हाथ जोड़ कर वो पैसे अपने हाथ में ले लिए और अपने ब्लाउस में ठूस लिए ..
पंडितजी की चोदस निगाहें ऊपर आसन पर उसकी गहराईयों का अवलोकन कर रहे थे ..
माधवी : ''धन्यवाद पंडितजी ..आपका ये एहसान मैं कभी नहीं भुला पाऊँगी ..और मैं वादा करती हु की जल्दी ही ये सारे पैसे मैं वापिस कोष में डालकर अपना बोझ कम कर दूँगी ..''
पंडितजी :'' ठीक है माधवी ..मैं तो बस यही चाहता हु की रितु की पढाई में कोई बाधा ना आये ..''
वो अपने हाथ जोड़कर उनके सामने बैठी रही ..और थोड़ी देर चुप रहने के बाद वो धीरे से बोली : ''और ..और पंडितजी ..आप जो बात कल बोल रहे थे ..वो ..वो ..क्या कह रहे थे हमारे बारे में ..''
पंडित तो काफी देर से इसी बात की प्रतीक्षा में बैठा था की कब माधवी उस बात का जिक्र करेगी .... उसकी बात सुनकर वो धीरे से मुस्कुराए ..
पंडितजी : ''देखो माधवी ..वैसे तो मुझे किसी के ग्रहस्त जीवन में बोलने का कोई हक नहीं है ..पर मैं गिरधर को अपने मित्र की तरह मानता हु ..और वो भी मुझे अपने मित्र की तरह मानकर अपनी परेशानियां मुझे बेझिझक सुना देता है ..अब कल की ही बात ले लो ..रात को आकर मुझे बोल रहा था की तुम उसे अपने जिस्म को हाथ नहीं लगाने देती हो ..और पिछले 1 महीने से तो उसने तुम्हारा चुम्बन भी नहीं लिया ..''
माधवी शर्म से गड़ी जा रही थी पंडितजी के मुंह से अपने बारे में ये सब बातें सुनकर ..
पंडित ने आगे कहा : ''देखो माधवी ..तुम चाहे जो भी कहो, है तो आखिर वो तुम्हारा पति ही न ..और पति-पत्नी के बीच शारीरिक सम्बन्ध उनके साथ रहने में एक अहम् भूमिका निभाते हैं ..हर इंसान चाहता है की उसकी पत्नी मानसिक और शारीरिक रूप से उसे पूरा प्यार दे ..और अगर तुम ये सब नहीं करोगी तो उसका मन भटक जाएगा ..वो बाहर जाकर शारीरिक सुख को पाने का प्रयत्न करेगा ..और ये तुम्हारे संबंधो के लिए हानिकारक हो सकता है ..''
माधवी काफी देर तक पंडितजी की बातें प्रवचन सुनती रही ..और आखिर में वो बोल ही पड़ी : ''पंडितजी ..आपने सिर्फ उनकी बातें ही सुनी है ..और मुझे दोषी बना डाला .. ''
पंडितजी : ''तो बताओ न मुझे ...क्या परेशानी है तुम्हे ..क्यों तुम ऐसा बर्ताव करती हो गिरधर के साथ ..देखो माधवी ..तुम मुझे भी अपना मित्र समझो और मुझे सब कुछ बता दो ..ये बात हम दोनों के बीच ही रहेगी ..इतना तो विशवास कर ही सकती हो तुम मुझपर ..''
कहते-2 पंडित जी ने आगे झुककर माधवी के कंधे पर हाथ रख दिया जैसे वो उसके शरोर को छुकर अपना भरोसा प्रकट करना चाहते हो ..और मौके का फायेदा उठाकर उन्होंने उसके नंगे कंधे के मांसल हिस्से को धीरे-2 सहलाना शुरू कर दिया ..
माधवी ने अपना चेहरा ऊपर उठाया ,उसकी आँखों में आंसू थे ..: ''पंडित जी ..जिस दिन से इन्हें शराब पीने की लत लगी है, वो अपने आपे में नहीं रहते ..उन्होंने आपको ये तो बता दिया की मैंने एक महीने से उन्हें अपने पास नहीं आने दिया, पर ये नहीं बताया होगा की उन्होंने क्या हरकत की थी जिसकी वजह से मैंने वो सब किया ..
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RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--7
गतांक से आगे......................
पंडित जी : नहीं ..मुझे नहीं मालुम ..तुम बताओ मुझे पूरी बात ..
माधवी : पंडित जी ..कहते हुए मुझे काफी शर्म आती है ..पर जब बात यहाँ तक पहुँच ही गयी है तो आपसे मैं कुछ भी नही छुपाऊगी .. ऐसा नहीं है की मेरा मन इन सब चीजों के लिए नहीं करता ..बल्कि मैं तो उनसे ज्यादा तड़पती हु उन सब के लिए ..पहले वो जब भी मेरे साथ प्यार करते थे तो मैं उन्हें हर प्रकार से खुश करने का प्रयत्न करती थी ..जैसा वो कहते थे, वैसा ही करती थी ..वो कहते की अंग्रेजी पिक्चर में जैसे होता है , वैसे करो ..''
पंडितजी ने बीच में टोका : ''अंग्रेजी पिक्चर में ..मतलब ..''
माधवी (शर्माते हुए ) :''वो ...वो अक्सर ...रात को टीवी में अंग्रेजी पिक्चर आती है न ..जिसमे ..जिसमे ..आदमी का ल ..चूसते हुए दिखाया जाता है ...''
वो धीरे से बोली ..
पंडित तो मजे लेने के लिए उससे ये सब पूछ रहा था, वर्ना उस कमीने को सब पता था की रात को केबल वाला ब्लू फिल्म लगाता है , जिसे देखकर वो अपने लंड का पानी कई बार निकाल चुके हैं और गिरधर ने ही उन्हें ये सब बताया था की ब्लू फिल्म देखकर उसने भी कई बार माधवी से अपना लंड चुसवाया है और फिल्म देखने के बाद ही उसे ये पता चला था की गांड भी मारी जाती है ..वर्ना उसे तो बस यही मालुम था की चूत में ही लंड डाला जाता है ..और जब गिरधर ने ब्लू फिल्म में गांड मारने का सीन देखा था , तब से वो माधवी के पीछे पड़ा हुआ था की वो भी उससे गांड मरवाए ..पर वो हमेशा मना कर देती थी ..
माधवी ने आगे बोलना शुरू किया : ''पिछले महीने एक रात जब वो पीकर घर आये तो उन्होंने ..उन्होंने ...रितु को अपने कमरे में बुलाया ..मैं किचन में थी ..काफी देर तक जब रितु वापिस नहीं आई तो मैं उसे देखने के लिए जैसे ही कमरे में गयी तो मेरे होश ही उड़ गए ...इन्होने रितु को अपने सीने से लगाया हुआ था ..और ..और ..उसे ..चूम रहे थे ..''
पंडित जी ने जब ये सब सुना तो उनके रोंगटे खड़े हो गए ..इस बारे में तो गिरधर ने आज तक नहीं बताया था ..साला हरामी ..
माधवी : ''मैंने बड़ी मुश्किल से रितु को इनके चुंगल से छुडाया ...वो बेचारी घबराई हुई सी ..भागकर अपने कमरे में चली गयी ..और मैंने उन्हें जी भरकर गालियाँ निकाली ..पर वो तो नशे में चूर थे ..मेरी बातों का कोई असर नहीं हुआ उनपर ..इसलिए मैंने निश्चय कर लिया की उन्हें सबक सिखा कर रहूंगी ..जब तक वो अपने किये की माफ़ी नहीं मांग लेते और शराब नहीं छोड़ देते,वो मेरे जिस्म को हाथ नहीं लगा सकते ..पंडितजी ..एक बार तो मेरा मन किया की इनसे तलाक ले लू ..पर हम गरीब लोग हैं ..तलाक लेकर हम लोगो का गुजारा नहीं है ..और ना ही अब वो उम्र रह गयी है की आगे के लिए हमें कोई और जीवनसाथी मिल पाए ..इसलिए मन मारकर मुझे रोज उनकी बातें सुननी पड़ती हैं ..''
माधवी की बातें सुनकर पंडितजी का लंड खड़ा हो चूका था ..वो तो बस यही सोचे जा रहे थे की कैसे गिरधर ने अपनी कमसिन बेटी रितु के गुलाब की पंखुड़ी जैसे होंठों को चूसा होगा ..
रितु के बारे में सोचते ही उनके मन में एक और विचार आया ..
पंडित : ''देखो माधवी ..जो कुछ भी गिरधर ने किया है वो बेहद शर्मनाक है ..पर हो सकता है की तुम्हारे द्वारा दुत्कारे जाने के बाद ही उसके मन में ऐसे विचार आये हो अपनी ही बेटी के लिए ..तुम उसे प्यार से समझा कर शराब छुडवाने की बात करो ..और रही बात रितु की तो तुम उसकी चिंता मत करो, मैं भी गिरधर को समझा दूंगा की अपनी ही बेटी के बारे में ऐसा सोचना पाप है ..तुम बस उसकी पढाई की चिंता करो ..और उसे जितना ज्यादा हो सके पढाई करवाओ ..अगर चाहो तो उसकी टयूशन भी लगवा दो ..''
माधवी : ''पर पंडितजी ..इतने पैसे नहीं है अभी की अलग से टयूशन लगवा सकू उसकी ..''
पंडितजी : ''तुम एक काम करो ..तुम रितु को रोज 2 बजे यहाँ मेरे पास भेज देना ..''
माधवी (आश्चर्य से) : ''आपके पास ..मतलब ..''
पंडितजी : ''अरे मेरी पूरी बात तो सुन लो ..हमारे ही मोहल्ले में वो शर्मा जी की विधवा बेटी है न शीला ..वो अपना खाली समय काटने के लिए आती करती रहती है ..मैंने कई बार उसे सुझाव दिया की अपने मोहल्ले के बच्चो को टयूशन पड़ा दिया करे पर बेचारी का घर इतना छोटा है की वहां कोई जाने से भी कतरायेगा ..वो रोज दोपहर को यहाँ आती है, रितु भी आकर यहीं पढ़ लिया करेगी ..मुझे विशवास है की वो रितु से पैसे नहीं लेगी ..उसका भी मन बहल जाएगा और थोडा आत्मविश्वास आने के बाद वो दुसरे बच्चो को भी पढ़ा सकेगी ..''
______________________________ पंडितजी ने अपनी तरफ से भरस्कर प्रयत्न किया था उसे समझाने के लिए ..इसलिए माधवी ने उनकी बात ख़ुशी-2 मान ली ..
माधवी : पंडित जी ..आप तो मेरे लिए साक्षात् अवतार है ..मेरी सारी चिंताएं दूर हो गयी अब ..''
पंडित : ''सारी चिंताए तो तब दूर होंगी जब तुम्हारे और गिरधर के बीच में पहले जैसा प्यार फिर से होगा ..और अगर तुम चाहो तो सब पहले जैसा हो सकता है ..''
माधवी उनकी बाते सुनती रही ..वो उन्हें मना नहीं कर सकती थी ..पंडितजी ने पहले रितु की स्कूल की फीस देकर और बाद में उसकी टयूशन का प्रबंध करके उसके ऊपर काफी बोझ डाल दिया था ..
माधवी : ''आप बताइए पंडितजी ..मैं क्या करू ..ताकि हमारे बीच सब पहले जैसा हो जाए ..''
पंडित जी :'' तुम मुझे पहले तो ये बताओ की तुम्हे शारीरिक क्रियाओं में क्या सबसे अच्छा लगता है ..''
पंडितजी के मुंह से ऐसी बात सुनकर माधवी का मुंह खुला का खुला रह गया ..
पंडितजी :'' देखो माधवी ..मुझे गलत मत समझो ..मैं तो सिर्फ तुम्हारी सहायता करने का प्रयत्न कर रहा हु ..मैंने पोराणिक कामसूत्र का भी अध्ययन किया है ..और मुझे इन सब बातों का पूरा ज्ञान है की किस क्रिया को स्त्री और पुरुष अपने जीवन में प्रयोग करके उसका आनंद उठा सकते हैं ..''
पंडितजी की ज्ञान से भरी बातें सुनकर माधवी अवाक रह गयी ..उसे तो आज ज्ञात हुआ की पंडितजी कितने "ज्ञानी" हैं ..
उसने भी मन ही मन निश्चय कर लिया की अब वो पंडितजी की सहायता से अपने बिखरे हुए दांपत्य जीवन को बटोरने का प्रयास करेगी ..
माधवी का चेहरा देखकर धूर्त पंडित को ये तो पता चल ही गया था की वो मन ही मन पंडितजी को सब कुछ बताने के लिए निश्चय कर रही है पर खुलकर बोल नहीं पा रही है ..पंडितजी की पेनी नजरें उसकी छातियों पर जमी हुई थी जिसके बीच की गहरी घाटी में देखकर वो अपना मन बहला रहे थे ..
पंडितजी ने उसे ज्यादा सोचते हुए कहा : "देखो ..माधवी ..तुम अपनी इस समस्या को बीमारी की तरह समझो और मुझे डॉक्टर की तरह , मुझे सब बताओगी तभी तो मैं उसका निवारण कर सकूँगा ..तुम निश्चिंत होकर मुझपर भरोसा कर सकती हो ..जो भी बात हमारे बीच होगी उसका किसी और को पता नहीं चलेगा ..यहाँ तक की गिरधर को भी नहीं .."
माधवी अभी भी गहरी सोच में थी ..इसलिए पंडित ने दुसरे तरीके से माधवी के मन की बात निकलवाने की सोची
पंडित : "अच्छा मुझे ये बताओ ..जब गिरधर तुम्हारा चुबन लेता है ..तो तुम्हे कैसा लगता है ..??"
माधवी ने अपना चेहरा नीचे कर लिया ..वो शर्म के मारे लाल सुर्ख हो चूका था ..
माधवी (धीरे से) : "जी ..जी ..अच्छा ही लगता है .."
पंडित ने अपने पैर नीचे लटका लिए और अपने घुटनों के ऊपर अपनी बाजुए रखकर थोडा आगे होकर बोल : "कहाँ चूमने पर सबसे ज्यादा आनंद आता है .."
माधवी कुछ न बोली ...
पंडित : "तुम्हारे होंठों पर ..या गर्दन पर ..या फिर ..!!!!!"
पंडित ने बात बीच में ही छोड़ दी ..माधवी ने तेज सांस लेते हुए अपना चेहरा ऊपर किया, उसकी आँखों में लाल डोरे तेर रहे थे ..
पंडित : "या फिर ...तुम्हारे स्तनों पर .."
पंडित ने स्तन शब्द पर जोर दिया ..और उसकी छाती की तरफ इशारा भी किया ..
माधवी की साँसे रेलगाड़ी के इंजन जैसी चलने लगी ..पंडित जी को पता चल गया की उन्होंने सही जगह पर चोट मारी है ..
माधवी ने सर हाँ में हिलाया और अपना चेहरा फिर से नीचे कर लिया ..
पंडित : "और क्या गिरधर ने कभी कल्पउर्जा क्रिया का प्रयोग किया है तुम्हारे स्तनों पर .."
माधवी : "ये ..ये क्या होता है .."
पंडित : "ये एक ऐसी क्रिया है जिसमे स्त्री को खुश करने के लिए पुरुष उसके उन अंगो पर विशेष ध्यान लगाता है जिसमे उसे सबसे ज्यादा आनंद प्राप्त होता है ..और ये क्रिया स्त्री और पुरुष एक दुसरे पर कर सकते हैं .."
माधवी :"अच्छा ..ऐसा भी होता है ..पर ना ही कभी इन्होने और ना ही कभी मैंने ऐसा कुछ किया है .."
पंडित : "तुमने जब भी गिरधर के लिंग को अपने मुंह में लेकर चूसा है ..वो इसी क्रिया का रूप है .."
लंड चूसने वाली बात सुनकर माधवी फिर से शर्मा गयी ..
पंडित : "तभी मैंने पुछा था की तुम्हारे तुम्हे किस अंग पर चुबन लेने से तुम्हे सबसे ज्यादा आनद प्राप्त होता है .."
माधवी उसकी बाते सुनती रही ..आखिर पंडित अपनी बात पर आया ..
पंडित : "अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हे ये कल्पउर्जा क्रिया सिखा सकता हु ..जिसका प्रयोग करके तुम फिर से अपने जीवन में खो चुके प्यार को पा सकती हो .."
माधवी : "पर पंडित जी ...वो गिरधर को जो सबक सिखाना था वो .."
पंडित : "देखो माधवी ..मैंने पहले ही तुम्हे कह दिया है की तुम उसकी चिंता मत करो, अगर तुम चाहोगी तो मेरे कहने पर वो तुमसे माफ़ी भी मांग लेगा, शराब भी छोड़ देगा और सिर्फ तुम्हारे बारे में ही सोचेगा ..हमारे पुराणिक कोक शास्त्र और कामसूत्र की पुस्तकों में ऐसी सभी समस्याओं का निवारण है ..."
माधवी : "ठीक है पंडित जी ..आप बताइए मुझे क्या करना होगा .."
पंडित : "मैं तुम्हे वो क्रिया सिखाऊंगा ..जिसका प्रयोग करके तुम अपने दांपत्य जीवन में फिर से खुशहाली पा सकोगी .."
माधवी : "ठीक है पंडित जी ..मैं तैयार हु .."
माधवी के आत्मविश्वास से भरे चेहरे को देखकर पंडित जी का लंड खड़ा हो गया ..
पंडित : "तो जैसा मैंने कहा था की कल्पउर्जा क्रिया एक ऐसी क्रिया है जिसमे स्त्री या पुरुष अपने साथी को उत्तेजना के उस शिखर पर ले जा सकता है जहाँ पर वो आज तक कभी नहीं गया होगा .. अगर तुमने निश्चय कर ही लिया है तो तुम्हे मुझे अपने शरीर के उस अंग यानी तुम्हारे स्तनों पर वो क्रिया करने की अनुमति देनी होगी ..बोलो तैयार हो .."
माधवी पंडित की बात सुनकर फिर से शरम से गड़ती चली गयी ..
पंडित : "तुम ऐसा करो ...अपनी साड़ी उतार कर खड़ी हो जाओ और अपना ये ब्लाउस भी उतार दो .."
माधवी कुछ देर तक सोचती रही ..पर पंडितजी की बातें और उनके उपकार याद करके उसने अपनी आँखे बंद की और दूसरी तरफ चेहरा करके खड़ी हो गयी और अपनी साडी उतारने लगी ..
पंडित : "ये क्या कर रही हो ..तुम ऐसे शरमाओगी तो कुछ भी नहीं सीख पाओगी ..मेरी तरफ मुंह करो और ऊपर से निर्वस्त्र हो जाओ .."
माधवी गहरी सांस लेती हुई पंडितजी की तरफ घूमी और अपनी साडी का पल्लू नीचे गिरा दिया ..
पंडितजी भी ठरकी सेठ की तरह पालती मारकर उसका शो देखने लगे ..जैसे किसी कोठे पर आये हो ..
साडी का पल्लू गिरते ही माधवी की छातियाँ ब्लाउस में फंसी हुई उसके सामने उजागर हो गयी ..
ब्लाउस के अन्दर ब्रा और उसके नीचे नंगी चुचियों पर लगे मोटे निप्पल पंडित जी को साफ़ दिखाई दे रहे थे ..
माधवी ने धीरे-2 अपने हुक खोलने शुरू किये ..जैसे-2 हुक खुलते जा रहे थे उसकी छातियाँ अपने अकार में आकर बाहर की तरफ उछलने की तेयारी कर रही थी ..और अंत में जैसे ही उसने आखिरी हुक खोला , उसके ब्लाउस के दोनों पाट बिदक कर दांये और बाएं कंधे से जा टकराए
माधवी की नजरे अभी तक नीचे ही थी ..
पंडित : "माधवी ...मेरी तरफ देखो ..और फिर खोलो अपने अंग वस्त्र को ..वर्ना तुम्हारे अन्दर की शरम तुम्हे आगे नहीं बड़ने देगी .."
माधवी ने अपना चेहरा ऊपर किया ..और पंडितजी की वासना से भरी आँखों में अपनी नशीली आँखों को डालकर अपने ब्लाउस के दोनों किनारों को पकड़ा और एक मादक अंगडाई लेते हुए अपने ब्लाउस को उतार फेंका ..
अब माधवी सिर्फ अपनी ब्लेक ब्रा और पेटीकोट में खड़ी थी ..
पंडित जी ने अपनी धोती में खड़े हुए सांप को सहला कर नीचे की तरफ दबा दिया ..
माधवी ने पंडित की आँखों में देखते हुए अपने हाथ पीछे किये और अपनी ब्रा के हुक खोल दिए ..और ब्लाउस की तरह ही ब्रा भी छिटक कर उसके जिस्म से अलग हो गयी ..माधवी ने अपनी ब्रा के कप के ऊपर अगर हाथ न लगाए होते तो शायद वो ब्रा पंडित के मुंह पर आकर गिरती ..
पंडित : "कितना जुल्म करती हो तुम अपनी छातियों को इतनी छोटी सी ब्रा में कैद करके .."
पंडित की बात सुनकर माधवी के चेहरे पर थोड़ी हंसी आई ..
पंडित : "नीचे गिराओ इस बाधा को ..और देखने दो मुझे अपने सुन्दर उरोजों को ..."
माधवी ने धड़कते हुए दिल से अपने हाथ हटा लिए और उसकी ब्रा सूखे हुए पत्ते की तरह नीचे की तरफ लहरा गयी ..
उफ्फ्फ्फ़ ...क्या नजारा था ..इतनी बड़ी और कसी हुई छातियाँ पंडित ने आज तक नहीं देखि थी ..
शीला से भी बड़ी थी वो ..अपने दोनों हाथ लगाने पड़ेंगे पंडित को ..लगभग 44 का साईस होगा ..पंडित ने मन ही मन सोचा ..
और उसपर लगे हुए बेर जैसे निप्पल ..काले रंग के ..और उनके चारों तरफ दो इंच का घेरा ..कितना उत्तेजित कर देने वाला दृश्य था ...
पंडित जी अब उठ खड़े हुए ..और माधवी के बिलकुल पास आकर खड़े हो गए ..
माधवी पंडित जी के कंधे तक आ रही थी ..पंडित जी ने आँखे नीचे करके उसके मोटे-2 चुचे देखे तो उनसे सब्र नहीं हुआ और उन्होंने हाथ उठा कर अपने दोनों हाथ उसके कलशों पर रख दिए ..
माधवी सिसक उठी ....
स्स्स्स्स्स्स ......उम्म्म्म्म ..
पंडित : "माधवी ..मैं सुन्दरता की प्रशंसा करने वाला व्यक्ति हु ..और मैं तुमसे बस यही कहना चाहता हु की मैंने अपने जीवन में ऐसे सुन्दर स्तन आज तक नहीं देखे .."
बेचारी माधवी की हिम्मत नहीं हुई की पंडित से पूछ ले की और कितने स्तन देखे हैं उन्होंने ...
पंडितजी के हाथ की उँगलियाँ सिमटी और उन्होंने माधवी के मोटे निप्पलस को अपनी चपेट में लेकर धीरे से मसल दिया ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह ....
माधवी की आँखे बंद हो गयी, सर पीछे की तरफ गिर गया ..और मुंह से मादक आवाज निकल पड़ी ..
पंडित के सामने माधवी आधी नंगी होकर अपना सब कुछ दिखाने को तैयार खड़ी थी ..पर उन्हें पता था की सब कुछ धीरे-2 और मर्यादा में रहकर करना होगा, जैसा शीला के साथ किया था उन्होंने .
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RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--8
गतांक से आगे......................
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अब आगे
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पंडित की उँगलियाँ माधवी के मुम्मो पर संगीत बजा रही थी ..माधवी भी अपनी आँखे बंद करके उस संगीत का मजा ले रही थी ..उसे क्या मालुम था की जिस मजे के लिए वो इतने दिनों से तड़प रही है उसका इलाज पंडित जी के पास है ..
पंडित : माधवी ..अब मैं वो क्रिया शुरू करने जा रहा हु ..
माधवी : जी पंडित जी ..
पंडित ने कोने में पड़ी हुई दूध से भरी कटोरी उठायी और उसमे अपनी उंगलियां डुबोकर माधवी के स्तनों के ऊपर छींटे मारकर धोने लगा ..ऐसा लग रहा था की किसी हिम शिखर पर दूध की बारिश हो रही है ..दूध की बूंदे थिरक-2 कर मोटे चुचों से नीचे गिर रही थी ..पंडित का तो मन कर रहा था की नीचे मुंह लगाकर वो सारा अमृत पी ले ..पर वो शुरुवात में ही अपना "वासना" से भरा चेहरा दिखाकर अपने "भक्त" को डराना नहीं चाहता था .
दूध की बूंदे नीचे माधवी के पेटीकोट और पैरों पर गिर रही थी ..पंडित ने फिर शहद की शीशी उठायी और उसमे अपनी एक ऊँगली डुबोकर ढेर सार शहद बाहर निकाला और उसे माधवी के दांये निप्पल के ऊपर रगड़ दिया ..और फिर से और शहद निकाल कर दुसरे पर भी रगड़ दिया ..
अब पंडित अपने दोनों हाथों की ऊँगली और अंगूठे से उसके दोनों दानो की मालिश करने लगा ..दूध की महक के ऊपर शहद का मीठापन लगकर माधवी के नशीले उरोजों को और भी मदहोश बना रहा था ..उसके छोटे-2 भरवां निप्पल पंडित की कठोर उँगलियों के बीच पीसकर चकनाचूर हुए जा रहे थे ..और पंडित उन्हें ऐसे निचोड़ रहा था मानो निम्बू के अन्दर का रस निकाल रहा हो ..
माधवी के शरीर का वो वीक पॉइंट थे ..इसलिए वो तो अपनी सुध बुध खोकर पंडित को बिना कोई रोक टोक के सब कुछ करने दे रही थी ..
पंडित : "माधवी ..अब तुम यहाँ आकर लेट जाओ .."
पंडित ने उसे अपने बेड के ऊपर लेटने को कहा ..वो बिना कुछ कहे वहां जाकर लेट गयी ..
उसकी बड़ी-2 चूचियां दोनों तरफ ढलक गयी पर उसकी चोंचे ऊपर की तरफ ही तनी रही ..
पंडित ने अब सरसों के तेल की शीशी उठायी और अपनी हथेली पर ढेर सारा तेल निकाल कर अपने दोनों हाथों पर मला और उसने तेल से भीगे हाथ उसके कलशों पर रख दिए ...
पंडित के गर्म हाथ का सेंक पाकर माधवी फिर से सिसक उठी ...
"अह्ह्ह्ह्ह ..........."
उसने अपनी गांड वाला हिस्सा हवा में उठा दिया ...और उसकी छातियाँ थोड़ी और ऊपर निकल कर गुब्बारे की तरह ऊपर की तरफ उछली .
पंडित : "माधवी ...एक बात पुछु ...?"
माधवी ने बिना आँखे खोले कहा : "जी पंडित जी ..पूछिए ....."
पंडित : "तुमने गिरधर को सजा देने के लिए अपने साथ भी कितनी नाइंसाफी की है ..वो तो बेचारा शराब पीकर अपना गम छुपा लेता है ..पर तुम क्यों अपने शरीर के साथ ऐसा सलूक कर रही हो ....."
माधवी कुछ ना बोली ..
पंडित : "तुम एक काम करो ..गिरधर को एक मौका दो ..उसे अब तुम्हारे प्यार और शरीर की एहमियत का ज्ञान हो चूका है ..तुम क्यों नहीं सब कुछ पहले जैसा कर लेती ..."
माधवी : "पर वो जिस तरह की हरकतें करते हैं ..यानी, शराब पीना , सिर्फ अपनी संतुष्टि का ध्यान रखना ..और अपनी बातें मनवाना ..उनका क्या ....."
पंडित : "उसके लिए मैं गिरधर को समझा दूंगा .."
पंडित अपने दोनों हाथों में माधवी के तरबूजों को बुरी तरह मसल कर उनका रस निकाल रहा था ..
पंडित ने जब पूरा तेल घिसाई कर करके सुखा दिया, तब तक माधवी की हालत बुरी हो चुकी थी ..पर उसने अपने दोनों हाथों से बिस्तर की चादर को पकड़ कर अपनी उत्तेजना पर रोक लगायी हुई थी ..
पंडित : "देखा ..इस क्रिया से मैंने तुम्हारे स्तनों की कितनी सेवा की है ..इस क्रिया के बाद अगर गिरधर तुम्हे भोगना चाहे तो तुम बिना किसी विलम्ब के उसके लिंग को अपने अन्दर समां लोगी ...है ना .."
पंडित जानता था की अगर वो चाहे तो इसी वक़्त माधवी की चूत के ऊपर हाथ लगाकर उसे मोम की तरह पिघाल सकता है ..पर वो उसे थोडा और तडपाना चाहता था ..चोदने के लिए उसके पास शीला तो थी ही अभी ..वो चाहता था की माधवी खुद अपने मुंह से उसके लंड को लेने के लिए कहे और इसके लिए उसे थोड़े दिन इन्तजार करना होगा और उसे अच्छी तरह से तडपाना होगा ..
माधवी ने आँखे खोलकर अपने सोने की तरह चमकते हुए मुम्मों को देखा तो वो भी उनकी सुन्दरता की चमक देखकर हेरान रह गयी ...वो गोल्डन कलर के किसी बड़े गुब्बारे जैसे लग रहे थे जिनपर हीरे के सामान छोटे-2 निप्पल चमककर उनकी शोभा बड़ा रहे थे ..
पंडित : "और कभी गिरधर ने इन सुन्दर स्तनों का पान भी किया है .."
माधवी ये बात सुनकर फिर से तेज साँसे लेने लगी ...
पंडित : "इन्हें पीने की भी एक कला होती है ..रुको ..मैं दिखाता हु .."
माधवी के कुछ बोलने से पहले ही पंडित ने नीचे झुककर अपना मुंह उसकी दांयी छाती पर लगाया और किसी बालक की तरह से उसके बड़े से चुचुक को अपने होंठों के बीच फंसा कर एक जोरदार चुप्पा मारा ...
पुच्च्च्च्छ्ह्ह्ह ......की आवाज के साथ उसने निप्पल को बाहर निकाल दिया ..
दूध, शहद और तेल का मिला जुला स्वाद उसके मुंह में आया ..
माधवी कीचूत में से अविरल जल की धार निकल कर पेटीकोट के साथ-2 पंडित के बिस्तर पर भी अपने निशाँ छोड़ने लगी ..
पंडित ने दोनों तरबूजों को अपने हाथों में भरा और एक-2 करके कभी दांये और कभी बाएं को अपने मुंह में डालकर उनका सेवन करने लगा ..निप्पल को तो वो ऐसे चूस रहा था मानो उनमे से दूध निकल कर उसके मुंह में जा रहा हो ..
माधवी से अब रहा नहीं गया ..उसने पंडित के सर के पीछे हाथ रखकर अपनी छातियों पर जोर से दबा दिया ...
अह्ह्ह्ह्ह्ह .....पंडित जी .....म्मम्मम्म ....
माधवी के हाथ में पंडित जी की लम्बी चुटिया आ गयी जिसे उसने अपनी उँगलियों में फंसाया और उसे स्टेरिंग की तरह घुमा-घुमाकर पंडित के सर को अपनी इच्छा के अनुसार ऊपर-नीचे, दांये बाएं करने लगी ..
पंडित भी अपनी कुत्ते जैसी जीभ बाहर निकाले उसके गुब्बारों पर अपनी लार का गीलापान छोड़ रहे थे ..
पंडित का खड़ा हुआ लंड माधवी की जांघ से टकरा रहा था ..उसके अकार और कठोरता को महसूस करते ही माधवी ने एक दबी हुई सी चीत्कार मारी और उसकी योनि से ढेर सारा गाड़ा रस निकल कर बाहर आ गया ...
ऐसी सन्तुष्टि उसे बरसों के बाद हुई थी ..
पंडित समझ गया की माधवी झड चुकी है ...
पंडित : "अब तुम घर जाओ ..और रात का इन्तजार करो ...कल फिर से आना , इसी समय ..जाओ .."
माधवी ने सोचा था की पंडित अभी उसके शरीर के साथ कुछ और प्रयोग करेगा ..पर उसके कहने पर वो बिना कोई सवाल करे उठी और अपने कपडे पहन कर बाहर की तरफ निकल गयी ..
पंडित का लंड स्टील जैसा हुआ पड़ा था ..थोड़ी देर के इन्तजार के बाद जब शीला पीछे के रास्ते से अन्दर आई तो पंडित ने उसे किसी भेडिये की तरह से दबोचा और अपने बिस्तर पर गिराकर उसे बेतहाशा चूमने लगा ..
और चुमते उसे पूरा नंगा कर दिया ..पंडित ने सिर्फ लुंगी पहनी हुई थी ..वो एक ही झटके में उसने गिरा दी ..
शीला : "अह्ह्ह्ह ...पंडित जी ...इतनी अधीरता क्यों ..."
पंडित : "आज सुबह से ही तेरे बारे में सोच-सोचकर मैं पागल हुआ जा रहा हु शीला .."
और उसने शीला की दोनों टांगों को हवा में उठाया और अपना मुंह बीच में डालकर वहां से बह रही मीठे जल की झील में से पानी पीने लगा ..
वो मदहोश सी हो उठी ..पंडित ने उसकी चूत के होंठों को मुंह में लेकर उन्हें जोरों से चूसना शुरू कर दिया ...तभी वो कुछ महसूस करके पंडित जी से बोली : "ये मेरी पीठ के नीचे गीला-2 क्या है .."
उसकी पीठ के नीचे वो हिस्सा था जहाँ माधवी की चूत से निकला रस गिरा था ..और काफी रसीला गीलापन छोड़ गयी थी वो वहां ..
पंडित समझ गया और मुस्कुराते हुए बोला : "मैंने कहा ना की आज सुबह से ही तुम्हारे बारे में सोच रहा था, बस मेरे लंड का ही पानी है जो मैंने तुम्हारे बारे में सोचते हुए निकाल था अभी ..."
शीला : "ये क्या ..आपने मेरी प्रतीक्षा तो की होती ..मैं ही आकर अपने मुंह में लेकर आपको संतुष्टि दे देती ..ये सब खराब तो ना होता .."
और फिर वो पलटी और ओन्धि होकर वहां गिरे हुए माधवी के रस वाले हिस्से को चूसने लगी ...रस इतना अधिक था की चादर को मुंह में लेने से सारा मीठापन निकल कर शीला के मुंह में जाने लगा ..
पंडित ने जब उसे माधवी का रस पीते हुए देखा तो उसके मन में एक विचार आया की क्यों ना शीला और माधवी को एक साथ अपने कमरे में लाकर चोदा जाए ..पर इसके लिए थोडा वेट करना होगा ..
पंडित की आँखों के सामने शीला की उठी हुई गांड थी, उसने अपने लंड के ऊपर थूक लगाई और शीला की गांड के छेद पर अपने लंड को टिका कर एक जोरदार झटका मारा ...
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....
शीला का मुंह और भी अन्दर घुस गया ...पंडित का लंड एक ही वार में अपने मुकाम तक जा चुका था ..
और फिर पंडित ने अपने झटकों से शीला की चीखें निकलवा दी ..
"अह्ह्ह्ह्ह .....उफ़्फ़्फ़्फ़्फ़ पंडित जी ....कितना लम्बा लंड है आपका ...कितना सकूँ मिलता है।।।। अह्ह्ह्ह ....और तेज मारिये ....आअह्ह्ह्ह ....अह्ह्ह्ह्ह ...हाँ ऐसे ही ...पंडित जी .....उम्म्म्म्म ...अह्ह्ह्ह .... "
पंडित का लंड तो काफी देर से तैयार था ..उसने अगले 5 मिनट के झटकों से अपने लंड के पानी को बाहर निकलने पर मजबूर कर दिया ...
और शीला भी माधवी के रस को चाटते हुए ,पंडित के लंड को लेकर दो बार झड गयी ..
अंत में उसने लंड को निकाल और शीला के मुंह के सामने कर दिया ...शीला ने उसे सम्मान के साथ अपने मुंह में डाला और उसे पूरा साफ़ करके पंडित जी के साथ ही उनके बिस्तर पर लेट गयी ..
शीला : "पंडित जी ..आज तो आपने मुझे थका ही डाला ..कितने उत्तेजित हो गए थे आज तो आप, जैसे मुझे चोदने की ही प्रतिक्षा कर रहे थे सुबह से .."
पंडित : "ऐसा ही समझ लो .."
पंडित ने आँखे बंद कर ली और शीला के साथ नंगे होकर आराम से सो गया ...
एक घंटे बाद उनकी आँख खुली ...शाम के 5 बज रहे थे ...शीला ने जल्दी-2 अपने कपडे पहने और पीछे के रास्ते से बाहर निकल गयी ..
पंडित ने भी अपने शाम के कार्य निपटाए और रात को गिरधर के आने की प्रतीक्षा करने लगा ...
आज गिरधर से उसे काफी बातें जो करनी थी ..
रात के करीब 9 बजे गिरधर पीछे के दरवाजे पर आया, और रोज की तरह उसके हाथ में अधा था, और दुसरे हाथ में प्याज के पकोड़े ..
पंडित ने उसे अन्दर बुलाया और दोनों आराम से नीचे चटाई पर बैठ कर पीने लगे ..
आज पंडित जी का ध्यान पीने से ज्यादा बातों पर था।
पंडित : "और सुनाओ गिरधर ..जैसा मैंने कहा था उसके अनुसार तुमने किया के नहीं .."
गिरधर : "पंडित जी ..आपके कहे अनुसार मैंने बड़े ही प्यार से जाकर माधवी को कल दुबारा समझाया पर उसका गुस्सा अभी तक उतरा नहीं है ..वो मेरी शराब पीने वाली बात को लेकर रोज हल्ला करती है .."
पंडित को गिरधर अभी तक रितु वाली बात नहीं बता रहा था ..
पंडित : "मुझे लगता है बात कुछ और है .."
पंडित की बात सुनकर गिरधर चोंक गया, जैसे उसकी कोई चोरी पकड़ी गयी हो ..
गिरधर : "कोई ..और बात ...मतलब ..??"
पंडित : "देखो गिरधर ..मुझे तुम कोई आम इंसान मत समझो ..मैं इंसान का चेहरा देखकर उसके अन्दर का हाल जान लेता हु ..मेरी विद्या का तुम्हे ज्ञान नहीं है अभी .."
गिरधर का मुंह खुला का खुला रह गया पंडित जी की बात सुनकर ..वो शायद ये सोच रहा था की पंडित जी को सच्ची बात बताये या नहीं ..
पंडित : "तुम्हारे चेहरे पर लिखा है की तुम अपनी पत्नी के अलावा किसी और को भी अपनी वासना से भरी नजरों से देखते हो .."
गिरधर (हकलाते हुए ) : "किस ....किसे ......?"
पंडित : "रितु को .."
गिरधर के हाथ का गिलास नीचे गीरते -2 बचा ...अब वो पकड़ा जा चुका था ..
पंडित : "देखो गिरधर ..मुझसे कोई भी बात छुपाने का कोई फायेदा नहीं है ..तुम मुझे सारी बात बता दो तभी मैं तुम्हारी मदद कर पाऊंगा ..और तुम अपनी प्यास फिर चाहे किसी के साथ भी बुझा सकते हो .."
पंडित जी का इशारा शायद रितु की तरफ था ..गिरधर को पता चल गया था की अब वो फंस चूका है , ये पंडित जी तो "अन्तर्यामी" है ..इनसे कोई भी बात छुपाना हानिकारक होगा ..इसलिए उसने कबुल कर ही लिया ..
गिरधर : "पंडित जी ..मुझे माफ़ कर दो ..मैंने आपको पूरी बात नहीं बतायी ..दरअसल ..माधवी ने जब से मुझे दुत्कारना शुरू किया है मेरी नजरें हमेशा अपनी बेटी रितु के ऊपर चली जाती है ..वो हमेशा मेरा ध्यान रखती है ..जब भी माधवी और मेरे बीच में झगडा होता है तो वही मेरे लिए खाना बनाती है, मैं जब शराब पीता हु तो मुझे गिलास और पानी लाकर देती है ..और साथ ही खाने के लिए कुछ भी बनाकर लाती है ..और जब वो ये सब काम कर रही होती है तो मेरी नजरें हमेशा उसकी ..उसकी ..उभर रही छातियों के ऊपर रहती है ..जब वो झुकती है तो उसके दानों को देखने की ललक रहती है ..और जब वो चल कर जाती है तो उसकी मांसल गांड को देखकर मैं कितनी बार अपने लंड को मसल देता हु ..और एक दिन जब माधवी किचन में थी तो रितु मेरे लिए कुछ खाने के लिए लायी, मैंने उसे अपने पास बिठा लिया और उससे बातें करने लगा .."
पंडित जी : "कहाँ बिठाया था तुमने .."
गिरधर : "दरअसल ..मैं कुर्सी पर बैठा हुआ था ..मैंने उसे अपनी गोद में बिठा लिया ..और उसकी कमर को पकड़कर मसलने लगा ..उसका चेहरा बिलकुल मेरे चेहरे के पास था ..वो अपने स्कूल की बातें मुझे बताने लगी ..उसके गुलाबी रंग के होंठ जब हिलते हुए मुझे वो सब बातें सुना रहे थे तो मुझसे रहा नहीं गया ..और मैंने उसके चेहरे को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों पर जोर से किस्स कर दी ..
पंडित : "तुमने जब उसे चूमा तो उसने कोई विरोध नहीं किया ..वो चिल्लाई नहीं क्या ..? "
गिरधर : "नहीं ..शायद वो डर गयी थी ..या शायद उसका मुंह मेरे मुंह में होने की वजह से वो चीख नहीं पा रही थी ..पर उसकी साँसे काफी तेज हो गयी थी ..मैंने अपना दांया हाथ उसकी छातियों के ऊपर लगा कर उसके निम्बू जैसे छोटे -2 स्तन जी भर कर दबाये ..उसके होंठों का रस पीने में इतना मजा आ रहा था जितना मुझे आज तक शराब पीने में भी नहीं आया ..उसकी चूत वाले हिस्से से गर्म हवा के झोंके निकल रहे थे ..मैंने अपना हाथ वहां भी लगाना चाहां पर तभी माधवी वहां आ गयी और उसने सारा काम बिगाड़ दिया ..चिल्ला-2 कर पूरा घर सर पर उठा लिया ..रितु को वहां से ले गयी , मैंने भी उसके मुंह लगना उचित नहीं समझा और पूरी बोतल पीकर सो गया ..बस तभी से माधवी ने मुझे अपने पास नहीं आने दिया .."
पंडित जी का लंड रितु वाले किस्से को सुनकर हिनहिनाने लगा ..
पंडित : "देखो गिरधर ..तुमने जो भी माधवी की नजरों के सामने किया वो गलत था ..पर मेरे हिसाब से तुम भी अपनी जगह सही हो ..वो अगर तुम्हे अपनी चूत नहीं देगी तो तुमने कहीं न कहीं मुंह तो मारना ही है ना ..और जब घर पर ही जवान लड़की हो तो बाहर क्यों जाना ..ठीक है ना .."
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01-07-2018, 01:48 PM,
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RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--9
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गतांक से आगे ......................
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गिरधर पंडित की बात सुनकर हक्का-बक्का रह गया और उनकी बातें सुनता रहा ..
पंडित आगे बोला : "देखो गिरधर , मेरी बातों को ध्यान से सुनो ..मैं सिर्फ यही चाहता हु की तुम्हारे घर पर कोई लडाई झगडा ना हो ..मैंने आज माधवी को भी यही बात समझाई थी ...अगर मेरे हिसाब से चलोगे तो तुम अपनी इच्छा को पूरा कर सकते हो .."
गिरधर : "इच्छा ..मेरी कौनसी इच्छा पंडित जी .."
पंडित : "अब भी नहीं समझे तुम ..ठीक है सुनो ..अगर तुम चाहो तो तुम अपनी पत्नी को भोगने के साथ-2 रितु के साथ भी वो सब कर सकते हो जिसके बारे में तुम दिन रात सोचते रहते हो ..और जिसके बारे में सोचकर अभी भी तुम्हारा लंड खड़ा हुआ है .."
गिरधर ने हडबडा कर अपने लंड की तरफ देखा ..उसकी धोती साईड हुई पड़ी थी और उसका 5 इंच का लंड बुरी तरह से तन कर खड़ा हुआ था ..उसने जल्दी से उसे छुपाया ..
पंडित : "अब मेरी बात ध्यान से सुनो ..पहले तुम्हे माधवी को ये विशवास दिलाना होगा की तुम अब से वही करोगे जो उसे पसंद है ..और कुछ दिनों के लिए तुम्हे ये शराब भी छोडनी होगी ..बोलो मंजूर है .."
गिरधर की आँखों के सामने अपनी जवान बेटी का जिस्म घूम रहा था और भरी हुई माधवी की जवानी ..उन दोनों के सामने उसे शराब को छोड़ना काफी छोटा सा काम लगा ..
उसने हाँ कर दी .
पंडित : "अब तुम ठीक वैसा ही करना जैसा मैं कह रहा हु ..आज जब तुम घर जाओ तो पहले की सभी बातों के लिए माधवी से माफ़ी मांग लेना ..और उसे ये भी बोल देना की तुमने शराब पीना छोड़ दिया है ..और रात को जब तुम उसके पास जाओ तो ... "
पंडित ने बात बीच में ही छोड़ दी ..
गिरधर : "तो क्या पंडित जी ..बोलिए .."
पंडित : "देखो गिरधर ..मैं तुम्हे कुछ विशेष बातें बताना चाहता हु ..जिनका प्रयोग करके तुम अपनी पत्नी को और भी ज्यादा ख़ुशी दे सकते हो ..इसलिए मैं जो भी बात माधवी के बारे में या उसके अंगो के बारे में बोलूँगा तो तुम उसका बुरा मत मानना ... "
गिरधर : "ये कैसी बातें कर रहे हैं पंडित जी ..मैं भला क्यों बुरा मानूंगा ..आप मेरे लिए इतना कर रहे हैं ..अगर आप कहें तो मैं माधवी को आपके सामने हाजिर कर दू और आप उसके साथ अपनी इच्छा के अनुसार कुछ भी कर लो ...मुझे कोई आपत्ति नहीं होगी .."
पंडित उसकी दरियादिली देखकर मुस्कुरा कर रह गया ..
पंडित ने आगे कहा : "अब सुनो ..आज रात तुम जब माधवी के पास जाओ तो तुम उसे जी भर कर चूमना ..और उसे ऊपर से नंगा करके उसके स्तनों का पान करना ..और खासकर उसकी घुंडियों को मसल मसलकर उसे उत्तेजित करना ..अपने होंठों में दबा दबाकर चूसना ..स्तनों पर अपने दांतों के निशान बना देना ..उनका जी भरकर मर्दन करना ..."
पंडित जी ने नोट किया की ये सब बातें सुनकर गिरधर के लंड के साथ-2 उनका भी लंड खड़ा होकर माधवी के मोटे मुम्मों के बारे में सोच रहा है ..
गिरधर : "जी पंडित जी ..फिर आगे .."
पंडित : "बस ..आज की रात यही करना ..उसके ऊपर के हिस्से को तुमने पूजना है ..अपने हाथों और मुंह से ..नीचे चूत वाले हिस्से को हाथ भी नहीं लगाना ..."
गिरधर पंडित जी की बात सुनकर सोच में डूब गया ..
पंडित : "देखो ..अभी जो मैं कह रहा हु, वैसा ही करो ..फिर देखना ..जैसा तुम चाहोगे , वो वैसा ही करेगी ..बस तुम्हे अपने ऊपर कंट्रोल रखना होगा ..बस आगे के बड़े फल यानी रितु के बारे में सोच लेना ..अगर तुम ये सब मेरे अनुसार करते रहोगे तो तुम्हे वो फल जल्दी ही मिलेगा .."
गिरधर ने ज्यादा पूछना उचित नहीं समझा और सर हिला कर उनकी बात मान ली ..
थोड़ी देर तक बैठने के बाद वो घर चला गया और पंडित जी भी आराम से सो गए ..
अब उन्हें इन्तजार था अगले दिन का ..और माधवी के आने का ..
अगली सुबह पंडित हमेशा की तरह 4 बजे उठ गया और पूजा अर्चना करने के पश्चात मंदिर में आने वाले भक्तों को प्रसाद वितरण करने लगा ..
तभी स्कूल ड्रेस में उन्हें रितु आती हुई दिखाई दी ..रितु का गुलाब सा चेहरा देखकर ही पंडित का मन खुश हो गया, उनकी खुशकिस्मती थी की उसके बाद कोई और नहीं बचा था मंदिर में ..
रितु ने आते ही पंडित जी को प्रणाम किया और झुककर उनके पैर छुए ..
पंडित जी ने उसे कंधे से पकड़ कर ऊपर उठाया और उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में पकड़कर आशीर्वाद दिया ..: "सुखी रहो रितु .."
रितु : "पंडित जी ..आज से मेरे एग्जाम शुरू हो रहे हैं ..इसलिए आपका और भगवान् का आशीर्वाद लेने आई थी .."
पंडित : "बेटी ..हमारा आशीर्वाद हमेशा तुम्हारे साथ है ..ये लो ..प्रसाद .."
पंडित ने एक केला उठा कर उसके हाथ में रख दिया ..और ना जाने क्यों केला देखकर रितु के होंठों पर एक मुस्कराहट तैर गयी ..
पंडित : "क्या हुआ ..क्यों मुस्कुरा रही हो .."
रितु : "जी ..कुछ नहीं ...बस ऐसे ही ..अच्छा ..मैं चलती हु ..और मैं 3 बजे आउंगी ..वो टयूशन के लिए कहा था न आपने .."
पंडित : "हाँ याद है ..जाओ तुम अब ..और अच्छे से एग्साम देना ..और रुको ..."
इतना कहकर पंडित जी पलटे और मंदिर में ही पड़ा हुआ एक पेन उठाकर ले आये
पंडित : "तुम इस पेन से एग्साम देना , मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ रहेगा हमेशा .."
इतना कहकर उन्होंने पेन को रितु की सफ़ेद शर्ट की जेब में डाल दिया ..और पेन डालते वक़्त उन्होंने दुसरे हाथ से उसकी जेब के किनारे को पकड़ा और पेन को धीरे से अन्दर डाला ..
पंडित को अपने हाथ की उँगलियों पर रितु के उभर रहे स्तनों का गुदाजपन महसूस हो रहा था ..और पेन अन्दर डालते हुए उन्होंने जान बूझकर उसको रगड़कर अन्दर की तरफ फंसाया और पेन की नोक से उन्होंने रितु के खड़े हुए निप्पल को साफ़ महसूस किया ..
एक तो पंडित जी का हाथ अपनी छाती के ऊपर और पेन की रगड़ अपने निप्पल के ऊपर पाकर रितु की साँसे तेजी से चलने लगी ..ऐसा लग रहा था की जैसे उसकी आँखों में गुलाबी रंग का तड़का लग गया है ..
उसके मुंह से कुछ ना निकला और वो जल्दी से पलटी और लगभग भागती हुई सी मंदिर से बाहर निकल गयी ..
पंडित उसकी भरी हुई गांड की थिरकन देखता रह गया और मुस्कुराते हुए अन्दर चला गया ..
पंडित ने नाश्ता किया और फिर थोडा आराम किया ..ये सब करते - करते 11 बज गए ..यानी माधवी के आने का समय हो गया था ..माधवी का ध्यान आते ही उनके लंड का पारा फिर से चढ़ गया और वो अपनी धोती को साईड में करके अपने लंड को बाहर निकाल कर मुठ मारने लगे ..
उनके सामने कल की बातें घूमने लगी, कैसे उसने माधवी के मोटे तरबूजों को अपने हाथों में पकड़ कर मसला था और कैसे उनका पान किया था ..माधवी के मुम्मों का मीठापन अभी तक उसके मुंह में था ..उसके चोकलेट जैसे निप्पल में से कितना रस निकल रहा था ..पंडित बस यही सोचे जा रहा था की तभी बाहर से माधवी की आवाज आई : "पंडित जी ..पंडित जी ..कहाँ है आप .."
पंडित के मन में एक प्लान आया , उसने अपनी धोती को साईड कर दिया और उसमे से अपने लंड को आधा बाहर निकाल कर सोने का बहाना करते हुए आँखे बंद कर ली और माधवी के अन्दर आने का इन्तजार करने लगा ..
माधवी ने थोडा रुक कर पंडित जी के कमरे का दरवाजा खटकाया और कोई जवाब ना पाकर वो अन्दर आ गयी ..कमरे में घुप्प अँधेरा था ..माधवी ने देखा की पंडित जी अपने बेड पर सोये हुए हैं पर अँधेरे की वजह से वो उनके लंड वाले हिस्से को ना देख सकी ..पहले तो वो खड़ी रही पर फिर कुछ सोचकर वो आगे आई और पंडित जी को फिर से पुकारा : "पंडित जी ..उठिए .."
और फिर उनके बेड पर बैठकर उसने पंडित जी के हाथ को पकड़कर जैसे ही हिलाकर उठाना चाहा उसका हाथ वहीँ जम कर रह गया ..उसकी नजर पंडित जी के लंड पर जा चुकी थी ..
माधवी के गर्म हाथ जो पंडित जी के कंधे से अभी-2 टकराए थे , उनके लंड को देखते ही बर्फ जैसे ठन्डे हो गए ..उनमे कम्पन सा शुरू हो गया ..उसकी उँगलियों की पकड़ पंडित जी के कंधे पर कसने लगी ..उसकी साँसे तेज होने लगी ..ठीक वैसे ही जैसे सुबह रितु की साँसे तेज हो गयी थी ..माधवी के लम्बे नाखूनों की चुभन का एहसास पाकर पंडित जी ने अपनी आँखे खोल दी ..माधवी अभी भी उनके कंधे को पकडे हुए उनके लंड को तक रही थी ..
पंडित : "अरे माधवी ...तुम ..कब आई .."
माधवी ने जल्दी से पंडित जी के कंधे को छोड़ा और उठ खड़ी हुई ..पंडित जी ने आराम से अपने नंगे लंड को ढका और वो भी उठ कर तकिये की ओट लेकर बेड पर आधे लेट गए ....
आज माधवी पीले रंग का सूट पहन कर आई थी वो भी स्लीवलेस और नीचे तंग पायजामी थी ..
माधवी जैसे ही उठी उसकी चुन्नी नीचे गिर गयी पर उसने उसे उठाने की कोई जेहमत नहीं की ..क्योंकि पंडित जी से अब क्या छुपाना था उसे, अपनी चुन्नी से जिन उभारों को ढककर वो आई थी , पंडित तो कल उन्हें चूस भी चूका था ..
पंडित : "आओ ..बैठो ना .."
पंडित ने माधवी के ठन्डे हाथों को पकड़कर उसे दुबारा बेड पर बिठा लिया ..
पंडित : "अब बताओ ..क्या हुआ कल रात .."
पंडित ने एकदम से माधवी से कल रात की बात पूछ डाली जिसकी माधवी को कतई उम्मीद नहीं थी ..वो शरमा कर रह गयी ..
पंडित : "कल रात को मैंने गिरधर को सही तरीके से समझा दिया था ..और मुझे पूरा विशवास है की उसने कोई गलती नहीं की होगी .."
माधवी का चेहरा लाल हुए हुए जा रहा था ..
पंडित : "अब मुझे जल्दी से बताओ की उसने क्या किया ..मेरे समझाने का कोई असर हुआ के नहीं उसपर .."
माधवी धीरे से फुसफुसाई : "जी पंडित जी ..आपके समझाने का असर हुआ था ..उसपर भी और मुझपर भी ..आपके कहे अनुसार मैंने कल गिरधर को बिना किसी आपत्ति के अपने पास आने दिया .."
पंडित : "आराम से बताओ ना ..कैसे क्या हुआ था ..शरमाओ मत , हम दोनों के बीच में कोई भी बात छुपी नहीं है अब तो .."
माधवी ने एक गहरी सांस ली और बताना शुरू किया : "कल रात मैंने रितु को खाना खिला कर जल्दी सुला दिया था क्योंकि उसका आज एग्साम था , वो जब आये तो मैंने उन्हें खाना खिलाया और फिर ..फिर वो कपडे बदल कर मेरे पास आये .."
इतना कहकर वो रुक गयी ..
पंडित : "हाँ ..बोलो ..आगे क्या हुआ .."
उनका लंड फिर से खड़ा होकर हुंकारने लगा था ..
माधवी : "फिर ..फिर उन्होंने बड़े ही प्यार से मुझे लिटाया और मेरा ब्लाउस खोल दिया ..और फिर ब्रा के ऊपर से ही मुझे चूमने लगे .."
पंडित ने नोट किया की ये सब बोल्ते-2 माधवी फिर से तेज साँसे लेने लगी है ..
माधवी : "फिर उन्होंने मेरी ब्रा भी उतार दी ..और जिन्दगी में पहली बार उन्होंने पुरे 5 मिनट तक सिर्फ मेरी ब्रेस्ट को चूमा और चूसा ..उन्होंने आज तक ऐसा नहीं किया था ..पर शायद ये आपका दिया हुआ ही ज्ञान था जिसकी वजह से वो ये सब कर रहा था ..है ना .."
माधवी की आँखों में आभार था .
पंडित जी ने हाँ में सर हिलाकर उसका आभार ग्रहण किया ..
माधवी : "उन्होंने मेरे स्तनों पर शहद भी लगाया और उसे चाटा भी .."
पंडित को शरारत सूझी, उन्होंने पूछा : "अच्छा ..फिर तो तुम मुझे ये बताओ की गिरधर ने तुम्हे अच्छी तरह से चूसा या मैंने चूसा था कल .."
पंडित की बात सुनकर माधवी का चेहरा लाल सुर्ख हो गया ..उसने कांपते हुए होंठों से सिर्फ यही कहा : "गुरु के आगे चेले की क्या बिसात .."
पंडित अपनी तारीफ सुनकर खुश हो गया ..
पंडित : "और फिर ..फिर क्या हुआ .."
माधवी : "और जब वो मेरे स्तनों को चूस रहे थे तो मेरा एक हाथ ...अपनी ..अपनी ..उस जगह पर था ..और मैं जोरों से उसे रगड़ रही थी .."
पंडित : "उस जगह ...यानी ..तुम्हारी चूत पर .."
माधवी ने शरमाते हुए हाँ में सर हिलाया ..
माधवी : "और फिर जोरों से करते-2 मैं वहीँ ..झड गयी ..पर मेरी प्यास अभी तक बुझी नहीं थी ..मैंने जैसे ही उन्हें अपने ऊपर खींच कर बचा हुआ काम पूरा करना चाहा वो एकदम से उठे और बाहर चले गए ..मैं सोचती रह गयी की मुझे ऐसी अवस्था में छोड़कर वो कहाँ चले गए ..थोड़ी देर बाद मैं आधी नंगी अवस्था में उठकर बाहर गयी तो पाया की वो सोफे पर जाकर सो चुके हैं ..मुझे उनका ये बर्ताव समझ नहीं आया ..ना तो उन्होंने मुझे पूरी तरह से संतुष्ट किया और ना ही खुद संतुष्ट हुए ..जो इन्होने कभी नहीं किया था .."
पंडित जी ने मन ही मन गिरधर की सहनशक्ति की तारीफ की ..अब वो माधवी को क्या बताते की गिरधर किस वजह से उसे प्यासा छोड़कर चला गया ..उसे तो अपने बड़े इनाम यानी रितु को पाने का लालच था ..
पंडित ने उसे समझाया : "देखो माधवी ..तुम चिंता मत करो ..उसने अपनी तरफ से इतना कुछ किया जो पहले कभी नहीं किया था ..शायद थक गया होगा ..अगर तुम अपनी तरफ से कुछ करती तो शायद वो बाहर नहीं जाता .."
माधवी : "मैं ...मैं क्या कर सकती थी .."
पंडित : "अब ये भी मैं बताऊँ क्या ..चलो ठीक है ..सुनो ..तुम उसके लिंग को मुंह में लेकर उसे रोक सकती थी .."
माधवी पंडित की बेशर्मी भरी बात सुनकर हेरान रह गयी ..
पंडित : "देखो माधवी ..काम क्रिया में हमेशा दोनों तरफ से सामान सुख मिलना चाहिए ..तुम्हे तो अपना सुख मिल गया पर उसे तुमने कुछ ना दिया ..शायद तभी वो नाराज होकर चला गया .."
माधवी : "पर ..पर पंडित जी ..मैंने आज तक ऐसा नहीं किया ...मुझे ये सब नहीं आता ..."
पंडित : "देखो ..माधवी ..आज तक गिरधर ने भी कभी तुम्हारे स्तनों की ऐसी सेवा नहीं की थी ..पर जब की तो तुम्हे अच्छा लगा ना ..इसी प्रकार हर पुरुष को अपने लिंग को चुस्वाना अच्छा लगता है ..और जहाँ तक बात सिखाने की है तो तुम उसकी फ़िक्र मत करो ..मैं हु ना .."
पंडित ने शाहरुख़ खान के अंदाज में कहा ..जिसे देखकर माधवी को हंसी आ गयी ..पर अगले ही पल उनकी बात का मतलब समझकर उसका कलेजा धक् से रह गया ..यानी पंडित जी कह रहे हैं की वो उनके लंड को चूसकर प्रेक्टिस करे ..
उसकी तेज साँसों में और भी तेजी आ गयी ..
पंडित जी ने आराम से उसका हाथ पकड़ा और अपने लंड के ऊपर ले गए ...और उसे छोड़ दिया ..
माधवी के बेजान हाथ पंडित के जानदार लंड के ऊपर पड़ते ही कांप सा गया ..धोती के ऊपर से ही उसकी गर्माहट उसके हाथों को झुलसा रही थी ..
अब उससे रुक नहीं गया और उसने एक ही झटके में पंडित जी की लुंगी को साईड में किया और उनके लंड को उजागर कर दिया ..
दोनों के मुंह से सिसकारी निकल गयी ..
पंडित जी का पूरा ध्यान माधवी के फड़कते और गुलाबी होंठों पर था जिनके बीच में उनका लंड थोड़ी ही देर में जाने वाला था ..
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01-07-2018, 01:49 PM,
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RE: Porn Kahani भोली-भाली शीला
पंडित & शीला पार्ट--10
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गतांक से आगे ......................
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और माधवी के होंठ सच में फडक रहे थे ..उनमे एक अजीब सा कम्पन भी था ..
पंडित का तो मन कर रहा था की माधवी के फड़कते हुए होंठों को अपने तपते हुए होंठों से जला डाले, पर हमेशा की तरह वो अपनी तरफ से पहल नहीं करना चाहता था ..
पंडित : "माधवी ..पता है न इसे क्या कहते हैं ..??"
पंडित ने उसकी मस्तानी आँखों में देखते हुए , अपने लंड को जड़ से पकड़ कर उसके सामने लहराया ..
माधवी : " जी ... जी ..पता है ..ल ..लंड ...कहते हैं ..इसको .."
पंडित मुस्कुराया और बोल : "वो तो दुनिया वाले कहते हैं ..तुम इसको देखो और अपने हिसाब से इसका कोई नाम रखो ..और हमेशा फिर इसे उसी नाम से पुकारना .."
माधवी पंडित की शैतानी भरी बात सुनकर बोली : "आप देखने में इतने बदमाश नहीं है जितने असल में हो .."
कहते -2 उसने पण्डित के लंड के ऊपर वाले हिस्से को पकड़ा और धीरे से सहला दिया ..
पंडित : "देखने से तो तुम्हे भी कोई नहीं बता सकता की तुम्हारे अन्दर इतनी आग भरी हुई है ..पर ये तो सिर्फ मुझे पता है ना .."
पंडित ने अपने हाथ की उँगलियाँ उसके भरे हुए कलश के ऊपर फेरा दी ..पीले सूट के अन्दर से लाल रंग के निप्पल उभर कर अपना रंग दिखाने लगे . उसने नीचे आज ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी .
पंडित : "बोलो न ..कोई अच्छा सा नाम दे दो ..अपनी मर्जी से .."
माधवी कुछ देर तक सोचती रही और फिर धीरे से बोली : "घोडा ..."
पंडित जी को अपने लंड का नाम सुनकर हंसी आ गयी ..और बोले : "घोडा ..अच्छा है ...पर घोडा ही क्यों .."
माधवी : "देखो न ..घोड़े जैसा ही तो है ये ..लम्बा ..मोटा ..और मुझे देखकर घोड़े जैसे ही हिनहिना रहा है .."
माधवी अब खुल कर बातें कर रही थी ..और पंडित जी भी यही चाहते थे .
पंडित : "अब तुमने मेरे घोड़े को अस्तबल से बाहर निकाल ही दिया है तो इसको चारा भी खिला दो .." पंडित जी के हाथ थोडा ऊपर हुए और उसके गीले होंठों के ऊपर उनकी मोटी उँगलियाँ थिरकने लगी ..माधवी जानती थी की पंडित जी का इशारा किस तरफ है ..
माधवी ने अपने होंठ खोले , मोती जैसे दांतों के बीच से लाल जीभ बाहर निकली और पंडित जी के "घोड़े" को अपने अस्तबल में ले जाकर चारा खिलाने लगी ..
माधवी ने घोड़े के मुंह यानी आगे वाले हिस्से को अपने मुंह में लिया और अपनी जीभ की नोक से उसके छेद को कुरेदने लगी ..माधवी के हाथों की पकड़ अब पूरी तरह से पंडित के घोड़े के ऊपर जम चुकी थी ..
पंडित ने अपनी आँखे बंद कर ली और आराम से लंड चुस्वायी के मजे लेने लगा ...
पंडित : "तुमने मेरे लंड का नाम तो घोडा रख दिया ..अब मैं भी तुम्हारी चूत का नाम रखना चाहता हु .."
माधवी ने उनके घोड़े को चूसते -2 अपनी आँखे उनके चेहरे की तरफ की और आँखों ही आँखों में पुछा : "क्या नाम ...बोलो "
पंडित : "उसका नाम मैंने रखा है ...बिल्ली .."
जैसे पंडित अपने लंड का नाम सुनकर हंसा था, ठीक वैसे ही माधवी भी अपनी चूत का ऐसा अजीब सा नाम सुनकर हंस दी ..
माधवी : " बिल्ली ...बिल्ली ही क्यों ..."
पंडित : "क्योंकि मुझे पता है ..जिस तरह से तुम मेरे घोड़े को चूस रही हो ..वैसे ही तुम्हारी चूत भी बिल्ली की तरह इसे चाटेगी और इसका सार दूध पी जायेगी .."
पंडित जी की बात सूनते -2 माधवी के चेहरे का रंग बदलने लगा ...वो और भी उत्तेजना से भरकर उनके घोड़े को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी ..
पंडित जी का हाथ माधवी के सर के पीछे आकर उसे सहला रहा था ..और फिर अचानक पंडित ने उसके सर को अपने लंड के ऊपर दबा कर अपना पूरा घोडा उसके मुंह के अन्दर तक दौड़ा दिया ..माधवी इसके लिए बिलकुल तैयार नहीं थी ..और घोडा सीधा जाकर उसके गले की दिवार से जा टकराया ..उसे खांसी भी आई पर उसने पंडित जी के घोड़े को अपने मुंह से नहीं निकाला ..पंडित जी आखिर उसे गुरु की तरह एक शिक्षा जो दे रहे थे ..लंड चूसने की ..और जैसा वो चाहते हैं , उसे तो वैसा करना ही होगा ..वर्ना वो बुरा मान जायेंगे ..
माधवी ने उनके घोड़े नुमा लंड को अपनी जीभ, दांत और होंठों से सहलाकर, चुभलाकर और चूसकर पुरे मजे देने शुरू कर दिए ..कोई कह नहीं सकता था की माधवी आज पहली बार किसी का लंड चूस रही है ..
माधवी के मुंह से ढेर सारी लार निकल कर घोड़े को नहला रही थी ..और चूसने पर सड़प -2 की आवाजें भी निकल रही थी ..
पंडित जी ने कुछ और ज्ञान देने की सोची : "माधवी ..सिर्फ घोड़े को चूसने से कुछ नहीं होता ..उसके नीचे उसके दो भाई भी हैं ..उनकी भी सेवा करो कुछ .."
पंडित जी ने अपनी बॉल्स की तरफ इशारा किया ..
माधवी को वैसे भी पंडित जी की बांसुरी बजाने में मजा आ रहा था ..उनके गुलाब जामुन खाकर शायद और भी मजा आये ..ये सोचते हुए उसने अपने मुंह से उनका घोडा बाहर निकाला और उसे अपने हाथ से पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगी ..और अपने मोटे होंठों को धीरे-2 उसपर फिस्लाते हुए नीचे की तरफ गयी ..लंड के मुकाबले वहां की त्वचा थोड़ी कठोर थी ..और वहां से अजीब सी और नशीली सी महक भी आ रही थी ..माधवी ने अपनी आँखे बंद कर ली और अपना मुंह खोलकर पंडित जी के गुलाब जामुन का का प्रसाद अपने मुंह में ग्रहण कर लिया ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह .....उफ्फ्फ्फ़ माधवी .....उम्म्म्म्म्म .....
माधवी को पंडित की सिस्कारियां सुनकर पता चल गया की उन्हें यहाँ पर चुस्वाने में ज्यादा मजा आ रहा है ..
उसके होंठों ने पक्क की आवाजें करते हुए पंडित जी की गोलियों को चुरन की गोलियों की तरह चूसना शुरू कर दिया ..
माधवी ने आँखे खोली, उसके मुंह में पंडित जी की दोनों बॉल्स थी ..और उनका लंड ठीक उसकी दोनों आँखों के बीच में था ..और पंडित जी की आँखों में देखते हुए माधवी ने दांतों से हल्के -2 काटना भी शुरू कर दिया ..
पंडित जी के पुरे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी ..माधवी जिस तरह से उनके लिंग और उसके नीचे लटके हुए उसके भाइयों को चूस रही थी ..ऐसा लग रहा था की आज वो सब कुछ करने के मूड में हैं ..
पंडित जी का हाथ उसके बिखरे हुए बालों के ऊपर फिसल रहा था ..और आवेश में आकर माधवी ने पंडित के गीले लंड और बॉल्स वाले हिस्से को अपने पुरे चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दिया ..
उसके होंठों की लाल लिपिस्टिक ...उसकी आँखों का काला काजल ..और उसकी साँसों की गर्माहट अपने निशान वहां पर छोड़ रही थी .
माधवी के चेहरे पर भी काजल और लिपिस्टिक पूरी तरह से फ़ैल चुकी थी ..
उसके मुंह से उन्नन अह्ह्ह्ह की आवाजें निकल रही थी ...
पंडित जी को अपने ऊपर नियंत्रण रख पाना अब मुश्किल हो गया ..और अगले ही पल, बिना किसी चेतावनी के , उनके घोड़े के मुंह से ढेर सारी सफ़ेद झाग बाहर निकलने लगी ...
माधवी के मुंह के ऊपर गर्म पानी की बोछारें पड़ी तो उसकी आत्मा तक तृप्त हो गयी ...
वो अपना मुंह खोलकर , अपनी आँखे बंद करके उनके लंड को तब तक मसलती रही, जब तक उसमे एक भी बूँद ना बची ..
माधवी का पूरा चेहरा पंडित जी के लंड की सफेदी में नहा कर गीला और चिपचिपा हो गया ..
पंडित : "ये सब साफ़ अपने चेहरे से साफ़ करके पी जाओ ..तुम्हारे चेहरे पर रौनक आ जायेगी .."
पंडित जी की बात का कोई विरोध न करते हुए उसने अपनी उँगलियों से पंडित जी के रस को समेटा और सड़प -2 करते हुए सब साफ़ कर गयी ..वो स्वादिष्ट भी था इसलिए उसे कोई तकलीफ भी नहीं हुई ..
पंडित जी : "अब बोलो ..कैसा लगा .."
माधवी : "अच्छा था ...मतलब ..बहुत अच्छा था ..मैंने तो आज तक इस बारे में सोचा भी नहीं था ..पर मुझे ये करना और इसका स्वाद दोनों ही पसंद आये .."
माधवी ने दिल खोलकर पंडित के लंड और उसके माल की तारीफ की .
पंडित : "ये तो अच्छी बात है ..अब ठीक ऐसे ही तुम्हे गिरधर के घोड़े को भी अपने मुंह का हुनर दिखाना है ..और फिर शायद वो तुम्हारी बिल्ली का दूध भी पी जाये ।।।"
माधवी : "मेरी बिल्ली का दूध वो कभी नहीं पियेंगे ..एक दो बार शुरू में उन्होंने वहां पर चुम्बन दिया था ..पर उससे आगे वो नहीं बड़े ..और सच कहूँ पंडित जी ..मुझे ...मुझे हमेशा से ही ये चाह रही है की कोई ...मेरा मतलब गिरधर ..मेरी चू ...चूत वाले हिस्से को जी भरकर प्यार करें ..."
ये बोलते -2 उसकी आवाज भारी होती चली गयी ..शायद उत्तेजना उसके ऊपर हावी होती जा रही थी ..
पंडित ने फिर से उसी अंदाज में कहा : "वो नहीं करता तो कोई बात नहीं ...मैं हु ना ..."
माधवी को जैसे इसी बात का इन्तजार था ...वो कुछ ना बोली ..बस मूक बनकर बैठी रही ..जैसे उसे सब मंजूर हो ..
पंडित ने उसे खड़े होने को कहा ..और बोले : "तुम अपने सारे कपडे उतार डालो ..सारे के सारे ..."
वो पंडित जी की बात सुनकर किसी रोबट की तरह से उठी और अपने सूट की कमीज पकड़कर ऊपर खींच डाली ..नीचे उसने ब्रा नहीं पहनी हुई थी ..उसके दोनों मुम्मे उछल कर पंडित जी की आँखों के सामने नाचने लगे ..
और फिर उसने लास्टिक वाली पायजामी को पकड़ा और उसे भी नीचे की तरफ खिसका दिया ..सामने थी माधवी की चूत के रस से भीगी हुई फूलों वाली कच्छी ..जिसमे से काम रस छन-छनकर बाहर की तरफ बह रहा था ..
पंडित ने इशारा करके उसे कच्छी उतारने को भी कहा ..माधवी ने पंडित की आँखों में देखते-2 उसे भी नीचे खिसका दिया ..
उसकी चूत वाले हिस्से को देखकर पंडित हेरान रह गया ..
वहां जंगल था ...घना जंगल ..सतपुड़ा के घने जंगल जैसा ..
पंडित : "ये क्या माधवी ..तुमने अपने शरीर के सबसे सुन्दर हिस्से को घने बालों के बीच छुपा कर रखा हुआ है ..इन्हें देखकर तो कोई भी यहाँ मुंह नहीं मार पायेगा .."
पंडित के मुंह से अपनी चूत के बारे में ऐसी बातें सुनकर माधवी का दिल टूट सा गया ..जिसे पंडित ने तुरंत जान लिया ..
पंडित : "मेरा कहने का मतलब ये है माधवी की तुम्हे इसे पूरा साफ़ सुथरा रखना चाहिए ..जैसे तुम्हारे मुंह के होंठ है ना नर्म और मुलायम ..ठीक वैसे ही ये भी हैं ..पर इन बालों की वजह से वो नरमी पूरी तरह से महसूस नहीं हो पाएगी ..समझी .."
माधवी ने हाँ में सर हिलाया ..
पंडित : "तुम एक काम करो, यहाँ बैठो, मैं इसे साफ़ कर देता हु .."
माधवी कुछ बोल पाती इससे पहले ही पंडित नंगा ही भागता हुआ अपने बाथरूम में गया और शेविंग किट उठा लाया ..और पलक झपकते ही उसने शेविंग क्रीम लगायी और रेजर से आराम से उसकी बिल्ली के बाल काटने लगा ..
जैसे -2 उसकी चूत साफ़ होती जा रही थी ..घने और काले बालों के पीछे छुपी हुई उसकी रसीली और सफ़ेद रंग की चूत उजागर होती जा रही थी ..पांच मिनट में ही पंडित के जादुई हाथों ने उसे चमका डाला ...माधवी भी अपनी बिल्ली की खूबसूरती देखकर हेरान रह गयी ..उसे शायद अपनी जवानी के दिनों की बिना बाल वाली चूत याद आ गयी ..आज भी वो वैसे ही थी ..
पंडित ने पानी के छींटे मारकर उसकी चूत को साफ़ किया और अपने कठोर हाथों को पहली बार उसकी चिकनी चूत के ऊपर जोरों से फेराया ..
अह्ह्ह्ह्ह .....म्म्म्म्म्म्म ...
पंडित के हाथ की बीच वाली ऊँगली माधवी की चूत में फंसी रह गयी .....जिसकी वजह से वो तड़प गयी ..उसका शरीर कमान की तरह से ऊपर उठ गया ..पंडित ने अपना मुंह नीचे किया ..और अपनी ऊँगली को एक झटके से बाहर की तरफ खींचा ..
अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ........पंडित .....जी ...
पंडित की ऊँगली एक झटके में माधवी की चूत के दाने को रगडती हुई बाहर आई और उसके साथ ही ढेर सारा रस भी छिंटो के साथ उनके मुंह पर बरसा ..एक बूँद उनके खुले हुए मुंह में भी चली गयी ..जिसे उन्होंने चखा और फिर बोले : "तुम्हारी बिल्ली का दूध तो बड़ा ही मीठा है .. "
ये सुनकर माधवी मुस्कुरायी और पंडित के सर को पकड़कर बुरी तरह से अपनी चूत पर दबा दिया और फुसफुसाई : "तो पी लो न पंडित जी ..सब आपके लिए ही है ..."
पंडित ने उसकी चूत के ऊपर अपनी जीभ राखी और सारा रस समेटकर पीने लगा ..अब आँखे बंद करके मजा लेने की बारी माधवी की थी ...
पंडित ने उसकी टांगो को अपने कंधे पर रखा और अपना पूरा मुंह उसकी टांगो के बीच डालकर रसीली पार्टी के मजे लेने लगा ..और जैसे ही पंडित ने अपने होंठों में माधवी की चूत के दाने को पकड़कर मसला ..वो अपना मुंह खोलकर ..उठ खड़ी हुई ..और उनके चेहरे पर जोर लगाकर पीछे धकेलने लगी ...पर पंडित भी खाया हुआ इंसान था ..उसने उसके दाने को अपने होंठों में दबाये रखा और उसे जोर से चूसता रहा ..और तब तक चूसता रहा जब तक माधवी की चूत के अन्दर से उसे बाड़ के आने की आवाजें नहीं आ गयी ..और जैसे ही उसकी चूत से कल कल करता हुआ मीठा जल बाहर की तरफ आया ..पंडित के चोड़े मुंह ने उसे बीच में ही लपक लिया ...और चटोरे बच्चे की तरह सब पी गया ...
माधवी बेचारी अपने ओर्गास्म के धक्को को पंडित के मुंह के ऊपर जोरों से मार मारकर निढाल होकर वहीँ गिर पड़ी ..
आज जैसा सुख उसे अपनी पूरी जिदगी में नहीं आया था ..
पंडित के बिस्तर पर वो पूरी नंगी पड़ी हुई थी ..और सोच रही थी की अब पंडित क्या करेगा ..सिर्फ एक ही तो चीज बची है अब ..चुदाई ..
और चुदाई की बात सोचते ही उसके शरीर के रोंगटे खड़े हो गए ..
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