07-17-2018, 12:09 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
11-
आरती का दिल आज बहुत खुस भी था और थोड़ा उदास भी..ख़ुसी इस बात की थी कि वो साहिल के साथ थी दुख इस बात का कि साहिल साथ होकर भी उसके साथ नही था ..वो खुस नही लग रहा था जब भी आरती उसके सामने होती जाने क्यू उसका चेहरा उदास सा हो जाता .
आरती इन्ही सोचो मे डूबी होती है और उसका ध्यान तब टूट ता है जब फ्लाइट मे अटेंडेंट सबको सीट बेल्ट बाँधने को बोलती है और फ्लाइट टेक ऑफ करने लगता है..
साहिल के हॉस्पिटल से वापस आने से लेकर अभी तक उसने आरती से ज़्यादा बाते नही की थी और ना ही आरती ने कोसिस की.एक अनचाही दीवार सी बन गयी थी दोनो के दरमियाँ..आरती को पता था ये दीवार उसी की वजह से बनी और उसे ही इसे गिराना होगा.
"सर, आप कुच्छ लेंगे , कुच्छ ठंडा _गरम ?" काफ़ी खूबसूरत एर होस्टेस्स की खूबसूरत सी आवाज़ पर साहिल उसकी ओर देखने लगता है, और कुच्छ देर उसपे नज़रे टिकाए रखता है,,जाने क्यू??
"जी नही, थॅंक यू "
"युवर वेलकम "
" मॅम आप कुच्छ लेंगी"
" नही " आम तौर पर सब से प्यार से पेश आने वाली आरती का लहज़ा काफ़ी चुभता सा और गुस्से वाला था . बेचारी एर होस्टेस्स चुप चाप आगे बढ़ जाती है.
अनायास ही साहिल की नज़रे आरती के चेहरे पर चली जाती हैं..गुस्से मे नाराज़ नाराज़ सी आरती उसे बेहद प्यारी लगती है .जलन के भाव साफ उसके चेहरे पर दिख रहे थे .
साहिल दूसरी ओर मूह करके बिना मुस्कुराए नही रह पाता इस बार.
सच्चा प्रेम ऐसा ही होता , दिल जिसे चाहता है फिर उसका किसी और की ओर देखना भी गवारा नही करता . हर आशिक़ का यही सपना होता है कि उसकी महबूबा उसे इसी तरह चाहे .
दोस्तो अगर आपको लेकर आपका प्यार बहुत पोज़ेसिव होता है तो इसका सिर्फ़ एक रीज़न होता है __ उसे आपको खोने का डर होता है कि आप उसकी ज़िंदगी की सबसे कीमती चीज़ होते हैं. प्रेमियो की जलन प्यार का ही दूसरा रूप होता है.
कुच्छ घंटो के सफ़र के बाद दोनो शिमला पहुच चुके थे . आरती चाहती तो किसी को भी फोन करके बुला सकती थी किंतु वो अब उन दोनो के साथ किसी को भी नही रखना चाहती थी ..वो चाहती थी यहाँ बस वो हो और उसका साहिल .
आरती 10 मिनट तक किसी से कुच्छ बात करती है जैसे उसे कुच्छ समझा रही हो..और फिर उसे थॅंक्स बोल कर फोन रख देती है.
साहिल इस बीच मूक दर्शक बना रहता है..और आरती उस से थोड़ी दूरी पर खड़ी बात कर रही थी .बात पूरी करके वो साहिल के पास आती है " चलिए "
एक टॅक्सी वाले को आवाज़ देकर बुलाती है वो ..ड्राइवर सारा समान गाड़ी मे रखता है .
" कहाँ चलना है मेडम जी.. मेरा नाम चंदर है .मैं यहा 10 साल से टॅक्सी चला रहा हूँ ,,एक से एक होटेल पता है , पर आप लोग न्यूली मॅरीड लगते हो..होटेल ठीक नही रहेगा ,आप कहें तो किसी अच्छे रिज़ॉर्ट पर ले चलूं ...यहाँ तो एक से एक हनिमून रिज़ॉर्ट हैं. आप दोनो अपने हनिमून को जिंदगी भर नही भूलेगे और ना ही ये चंदर ..बोलो ले चलो साहब..बस आप ऑर्डर करो जी"' टॅक्सी वाला काफ़ी बातूनी था .
"आए, अपने काम से काम रख और ज़ुबान बंद रख अपनी " साहिल डाँट देता है.
और आरती उसे अड्रेस्स बता देती है_" जीवन-वाटिका"
ड्राइवर बेचारा चुप चाप गाड़ी आगे बढ़ा देता है..आरती साहिल के साथ बैठी अंजानी सी ख़ुसी मे डूब जाती है..साहिल की आँखे भारी होने लगती हैं..थोड़ी देर बाद साहिल को अपने कंधे पर आरती का सर महसूस होता है .आरती साहिल के कंधे से सर टिकाए ,उसके एक बाजू मे अपना हाथ फसाए सारी दुनिया की परेशानियों से दूर सुकून से सो रही थी. साहिल अपना हाथ उसके सर पर रखना चाहता है फिर कुच्छ सोचकर वापस हटा लेता है .फिर वही चिर परिचित उदासी उसके होठों पर आ जाती है.
कोई 40 मिनट के सफ़र के बाद दोनो 'जीवन -वाटिका" पहुच चुके थे ..इस बीच आरती और साहिल मे कोई बात नही हो रही थी
" लो सहाब आ गये " ड्राइवर की आवाज़ पर आरती हॅड बड़ा कर साहिल से अलग हो जाती है..शरम की लाली उसके गालो के डिंपल को और खूबसूरत बना देती है.
जीवन वाटिका वास्तव मे ही जीवन से परिपूर्ण था ..हरे भरे फूल, लह लहाते पौधे और बेले...क्यारियो मे लगे रंग बिरंगे फूल और बीच बीच मे आम , अमरूद .लीची ,अनार के पोधे..साहिल को वास्तव मे बेहद अच्छा लगता है वहाँ आकर.
तब तक एक 18-19 साल का लड़का दौड़ता हुआ आता है..
'
"कैसे हो किशोर"
"अच्छा हूँ दीदी , आप कैसी है."
" हम भी ठीक है ,अच्छा जैसा कहा था सारी व्यवस्था हो गई ?"
"जी दीदी आप के लिए किनारे वाली वाटिका का पूरा गार्डेन और रूम साफ करवा दिया है ..लाइए मैं समान ले चलता हूँ"
ड्राइवर और किशोर समान लेकर अंदर जाने लगते है..आरती की नज़र साहिल पर जाती है जो वही थोड़ी दूर पर गुलाब के फूलो को बड़े प्यार से छु रहा था ...आरती उसे देखकर मुस्कुरा देती है ..
ड्राइवर समान रखकर वापस आ चुका था ..काफ़ी शर्मिंदा लग रहा था.उसे पता था जीवन वाटिका में कौन लोग आते हैं..आरती उसे किराया देती है ..
"थॅंक यू भैया "
"यू आर वलकम मेडम जी" ड्राइवर बड़े अदब से कहता है..
"मेडम जी हमें माफ़ कर दीजिएगा हमे नही मालूम था कि साहब की तबीयत ठीक नही है "
"
कोई बात नही " इतने मे साहिल भी उनके करीब आ चुका था .
" साहब, आइ म सॉरी "
साहिल भी उसकी बाते सुन चुका था और उस से थोड़ा प्रभावित भी लग रहा था .
"इट'स ओके"
"साहब, ये हमारा नंबर है ..आपको कही भी जाना हो तो हमको फोन कर दीजिएगा मैं इस एरिया मे गाड़ी चलाता हूँ"
"चलो ठीक है," साहिल उसके हाथ से पर्ची लेते हुआ बोलता है.
"थॅंक यू साहब भगवान करे आप बहुत जल्दी ठीक हो जाओ और आप दोनो की जोड़ी सलामत रहे "
साहिल कुच्छ नही बोलता पर ..आरती मुस्कुराहट होठों पर लाते हुए " थॅंक यू भैया .
11-
|
|
07-17-2018, 12:10 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
12-
जीवन वाटिका काफ़ी बड़ा बना हुआ था . थोड़ी थोड़ी दूर पर बंग्लॉ जैसे किंतु उनसे छोटे घर बने थे और हर 4_5 घरो के मध्य एक बगीचा. अगर कोई एक घर मे रहे तो दूसरे घर वाले से कोई मतल्लब बिल्कुल नही है.
यह इस बात का ध्यान रखकर बनाया गया था कि जो भी यहाँ रहे उसका किसी दूसरे से किसी तरह से डिस्टर्ब ना हो. जनरली लोग अपनी फॅमिली के किसी मेंबर के साथ ही आते थे और अगर आवश्यकता होती तो ऑर भी मिल सकते थे .
आरती अपने कॉलेज की सबसे अच्छि स्टूडेंट रही थी , और उसके कोलेज के द्वारा ही यह चलाया जाता था .. तो यहाँ पर आरती की बहुत अच्छि जान पहचान थी.
रूम तक पहुचते पहुचते शाम के 5 बज गये थे .सर्दियो का मौसम होने के कारण अंधेरा घिर आया था .
आरती ने जो "घर" लिया था वो काफ़ी किनारे बना हुआ था ..सेकेंड फ्लोर पर उनका सारा सेट अप था . जीवन वाटिका की लोकेशन इस तरह की थी कि आने वाला हर इंसान खुद को नेचर के बहुत करीब महसूस करता ...
साहिल ठीक तो हो गया था लेकिन अभी भी काफ़ी कमज़ोरी थी .आरती और साहिल के बीच अभी एक दीवार थी .दोनो एक दूसरे से वैसे बिल्कुल बात नही कर पा रहे थे जैसे बरसो पहले करते थे - जब वो दो जिस्म एक जान हुआ करते थे .
आरती जानती थी इस दीवार को उसे ही गिराना है ..आख़िर ये दीवार बनाई भी तो उसके ही बेरूख़ी ने थी.
साहिल वॉशरूम से फ्रेश होकर निकला था जब उसकी नज़र सोफे पर आधी लेटी सी आरती पर पड़ती है . आरती बहुत थक गयी थी और उसकी आँख लग गयी थी. आरती ने वूलेन सूट पहेना हुआ था जिसके उपर से स्वेटर और फिर ओवरकोट ..एक शॉल उसके कंधे से झूल रही थी . गुलाबी पतले होठ , घनी पलके ,काली ,लंबी घनी जुल्फे जिसका कुच्छ अंश उसकी चोटी से निकल कर गालो को चूम रहा था... सुरहिदार गर्दन और उनके नीचे वो एवरेस्ट की दो चोटियाँ ...उफ्फ किसी का भी ईमान डोल जाए इस परी को देखकर.
"हुह ..आज भी उतनी ही मासूमियत है इस चेहरे पर ..उफ्फ ये मासूम चेहरा" साहिल के दिल मे एक टीस सी उभरती है.
"दीदी चाइ लाया हूँ"
किशोर की आवाज़ पर आरती हड़बड़ा कर उठ जाती है और साहिल को खुद को देखते पाकर हल्का सा मुस्कुरा देती है...साहिल जैसे चोरी करते पकड़ा गया हो इस तरह से नज़रे झुका लेता है .
आरती दरवाज़ा खोलती है...
" किशोर कुच्छ खाने को नही लाए हो ,,बहुत भूख लगी है पर मैं बोलना भूल गयी "
"लाया हूँ दीदी, मुझे लगा ही था आप लोग भूखे होंगे "
और ये कहकर वो पूरी ट्रॉल्ली अंदर कर देता है जिस पर ढेर सारी चीज़े खाने की रखी थी .
"थॅंक यू किशोर "
किशोर बस मुस्कुरा कर रह जाता है और बाहर निकल जाता है .
आरती चाइ बना कर साहिल की ओर बढ़ा देती है और कुच्छ स्नेक्स भी .साहिल चुप चाप कप पकड़ लेता है .
थॅंक यू"" साहिल के मूह से निकल जाता है .
"अब इतनी पराई हो गई हूँ मैं"
" मैं झूठे सपने नही देखता ..सच्चाई का सामना करना सीख लिया है मैने "
साहिल इतना बोलकर वहाँ से उठकर जाने लगता है ..आरती उसका हाथ पकड़ लेती है .
"प्लीज़ जाओ मत मैं कुच्छ नही बोलूँगी अगर तुम नही चाहते तो "
साहिल तुमने सच का सामना अभी किया ही कहा है ..वो तो मैने किया है जान - आरती अपने मन मे सोचती है और आँसू की दो बूंदे उसके गालो को भिगो देती है जिन्हे वो बड़ी सफाई से छुपा लेती है .
12-
|
|
07-17-2018, 12:11 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
16-
आरती साहिल को जगाने के लिए जाती है
"साहिल,साहिल " दो बार बुलाने के बाद भी साहिल की नीद नही खुलती. आरती हल्के से उसके कंधे को छुकर उठाने की कोसिस करती है....पर साहिल नही उठ ता
लगता है साहिल बहुत गहरी नीड मे है" -आरती मन मे सोचती है ...फिर वो उसके उपर कंबल डाल देती है और खुद पास मे पड़ी हुई चारपाई पर लेट जाती है.
आरती की आँखो से नीद कोसो दूर थी जबकि आज यात्रा और उसके बाद सब समान सेट करने मे वो काफ़ी थक गयी थी...
""साहिल कितना बदल गये है ...पहले कितने शोख और हस्मुख हुआ करते थे ...मुझे आपने पुराने साहिल को वापस लाना है चाहे इसके लिए मुझे कुच्छ भी करना "'पड़े..
क्या ये सब मेरी वजह से हुआ ...क्या मैं सच मे इन सबके लिए ज़िम्मेदार हूँ ????
"काश साहिल मैं तुम्हे बता पाती उस समय , तो आज हम एक दूसरे से इतने दूर न होते..इतने साल एक दूसरे के बिना ना गुजरते.....या फिर ....शायद हम कभी नही मिल पाते...शायद आज मैं जिंदा ही ना होती..... मुझे शायद तुम्हे बता देना चाहिए था....लेकिन मैं नही बता सकी जान ...क्योकि...... नही साहिल मैं अब वो सब सोचना भी नही चाहती ..बहुत भयानक दिन थे वो ...अब मैं कभी वो दिन याद नही करना चाहती."
और आरती की आँखो मे आँसू आ जाते हैं..
"लेकिन मैने अपनी ज़िंदगी के सबसे खूबसूरत दिन भी तुम्हारे साथ गुज़ारे है ..तुम्हारी वजह से गुज़ारे हैं.....तुमने मुझे जिंदगी की हर ख़ुसी दी और मैने ????..."
"काश एक बार तुम मुझे फिर उस रूप में मिल जाओ...काश वो दिन फिर वापस आ जाए...काश मेरा वो प्यारा दोस्त वापस आ जाए......साहिल वो नदी का किनारा , वो गाओं का बगीचा , वो झरने की कल कल , वो बचपन की लड़ाई ...वो रूठना वो मनाना...... तुम्हारे साथ बिताया एक एक पल ...सब बहुत याद आता है जान....."
आरती की आँखो से झर झर आँसू बहने लगते है और वो अपने ननिहाल मे बिताए खूबसूरत दिनो की यादो मे खो जाती है
16-
|
|
07-17-2018, 12:12 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Antarvasna तूने मेरे जाना,कभी नही जाना
19-
इधर साहिल और आरती खेतो की ओर चल देते है ..ना जाने क्यू साहिल को आरती के साथ चलना बहुत अच्छा लग रहा था ...लाडली तो वो उसकी बहुत पहले से थी लेकिन अब वो बड़ी हो गयी थी तो शायद साहिल के मन मे छुपे प्यार ने शर्म का रूप ले लिया था
" मामा, आप इतने चुप क्यू हो"
"नही तो "...दोनो खेतो के बीच बनी पग डन्डियो पर चलते जा रहे थे .
" अच्छा तो मैं पागल हूँ जो ऐसा बोल रही हूँ? "
पागल हूँ मतलब..कोई आज की पागल है ..तू तो बचपन से ही पागल है " साहिल भी अब थोड़ा मूड मे आने लगा था ..उसे लगने लगा था कि ये तो वही मेरी पुरानी आरती है.साहिल उसे छेड़ रहा था.
अच्छा .......ठीक है फिर आप मुझसे बात मत करना ...कोई पागलो से बात करता है क्या"
आरती भी तुनक कर बोली...साहिल से नाज़ उठवाना उसकी पुरानी आदत थी और साहिल बड़े प्यार से उसके सारे नखरे उठा ता था.
'हाँ ये भी बात भी सही है..तो कितने दिनो तक बात नही करेंगे ?" साहिल ने उसे और छेड़ा .
आरती इस बार ताप गयी पूरी -" हमेशा के लिए" और तुनक के तेज़ी से आगे बढ़ी..
साहिल ने उसका नाज़ुक कलाई को थाम लिया " पागल तू मुझसे बात नही करेगी तो मैं जी कैसे पाउन्गा"
आरती ने मुड़कर साहिल की आँखो मे देखा...शर्म, हया और ढेर सारा प्यार था उन आँखो मे ...लेकिन ये प्यार लाड़ प्यार वाला प्यार था ..एक लड़की और एक लड़के के बीच के प्यार का रंग कुच्छ और ही होता है .
साहिल खुद नही जानता था उसके मूह से ये शब्द कैसे निकल गये..वो शर्मिंदा सा खड़ा था जैसे कोई गुनाह कर दिया..पर आरती का हाथ नही छोड़ा था अभी ...आरती को उस पर बहुत प्यार आया
"तो फिर मुझे इतना तंग क्यो करते हो ..हुउऊ बोलो"
"अब नही करूँगा ...लेकिन मुझसे ऐसे कभी मत रूठना कि कभी बात ना करो"
"और अगर अब आप को मैं तंग करने लगूँ तो ???" साहिल को सीरीयस होते देख आरती ने थोड़ा सा छेड़ दिया उसे ..
"'चुड़ैल.... मुझे पता था तू इसीलिए मुझे खेत लाई है ,,,,हमेशा खुद मुझे तंग करती है और फिर सारा दोष मुझपर ही डाल देती है "
आरती खिलखिला कर हंस देती है उसकी बात पर ..और फिर दोनो हाथो मे हाथ डाले आगे की ओर चल देते हैं.
19-
|
|
|