10-03-2018, 03:19 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
इस ज़ोरदार जंग के बीच ..कार रोड के लेफ्ट साइड पार्क हो चुकी थी ..निम्मी का नाम कम्मो की ज़ुबान पर आते ही दीप खुद के कंट्रोल को खोने लगा ..जैसा मा का लाड़ला निकुंज वैसे ही बाप की लाडली निम्मी
वहीं एक तरीके से कम्मो अपनी छोटी बेटी के बिगड़ने का इल्ज़ाम अपने पति पर लगा चुकी थी
" छुपाओ मत ..जो उस दिन निम्मी के कमरे मे हुआ वो आप ने भी देखा था ..मैं चाहती तो डाट - डपट के उसे सुधारती ..लेकिन बच्चे प्यार से मानते हैं ..आप तो दिन - दिन भर घर से बाहर रहते हो ..मुझसे पूच्छो मैने क्या नही झेला ..जैसे - जैसे बड़ी होती जा रही है उसके कपड़े उतने ही छोटे होते जा रहे हैं ..कमरे का दरवाज़ा खुला हो या बंद ..24 घंटे नंगी पड़ी रहती है ..कोई शरम नही कि ठीक बगल वाला कमरा उसके माता - पिता का है ..एक जवान भाई भी साथ रहता है घर मे ..मैं तो अपनी जवानी मे ऐसी नही थी ..ना अभी हूँ ..कल को उसकी शादी होगी ..ससुराल वाले तो सीधे उसकी मा को ही दोष देंगे ..ये नही सिखाया ..वो नही सिखाया ..2 दिन मे तलाक़ हो जाएगा ..चलो माना मॉर्डन ज़माना है ..लेकिन हर चीज़ की आती भी तो बुरी ही होती है ..राक्षसो जैसे रात - रात भर जागना और दिन भर सोना ..ना पढ़ाई का अता - पता ..कभी गौर किया आप ने ..बेटी कहाँ जा रही है, किसके साथ है, घर लौटी भी या नही ..उसके कॉलेज तक तो गये नही आज तक ..निक्की भी तो हमारी ही औलाद है ..उसके चाल - चलन पर किसी ने टोका है आज तक ..सिर्फ़ घर की चार दीवारी मे अपनी ज़िंदगी सिमटे हुए है ..सब कुछ सह लेती मैं ..लेकिन पता है एक दिन आप की लाडली ने मेरे रघु....... "
बस इसके आगे कम्मो का गला रुंध गया ..एक लफ्ज़ भी बाहर नही निकल सका ..आँसू बह कर उसके गालो को भिगोने लगे और तुरंत ही साड़ी के पल्लू से उसने अपना रोता चेहरा छुपा लिया
दीप हैरान रह गया ..इस तरह से उसकी बीवी ने उसे ..आज तक नही झकझोरा था ..उसकी आँखें फटी की फटी रह गयी
" यानी कम्मो जानती है उस दिन मैं कमरे के बाहर खड़ा था ..लेकिन मुझे इसकी भनक तक नही लगने दी "
दीप उसके एक - एक शब्द पर गौर करने लगा
" निम्मी !!!!! "
सहसा उसके जहेन मे बेटी की असली तस्वीर उतर गयी ..हलाकी कम्मो ने अभी जो कुछ भी उसे बताया ..उसमे से आधी बात तो पूरा घर जानता है ..लेकिन कुछ बातें दीप के दिल मे चोट कर गयी
' वो अभी भी नही जानता निम्मी घर पर होगी, या कहीं और ..सुबह से ले कर रात तक उसकी दिनचर्या कैसी है ..उसके कॉलेज मे क्या चल रहा है ..किस के साथ उसकी बेटी का उठना बैठना है '
' हां बेटी का सही साइज़ उसे पता है ..उसकी चूत पर बाल हैं या नही ..गांद के छेद मे सिकुड़न कितनी है ..वो कुँवारी है या नही ..उसके नंगे बदन की बू कैसी है ..ये बातें तो वो जानता है "
' अपनी रंगरेलियों के चक्कर मे उसने अपना दिमाग़ भ्रष्ट कर लिया था ..घर पर बिल्कुल ध्यान ना देना, रात - रात भर गायब रहना ..नयी - नयी लड़कियों को चोदने के खवाब ..कम्मो ठीक कह रही है ..वो पैसा कमाने की आड़ मे अपनी ज़िम्मेदारियों से हमेशा बचता आया है '
दीप ने उसके चेहरे को देखा ..पल्लू से मूँह ढके वो अभी भी सूबक रही थी ..लेकिन दीप मे इतना समर्थ नही, कि वो उसे थाम सके ..चुप करवा सके
" बोलती रहो कम्मो ..मुझे सुन ना है "
बस इतना कह कर वो शांत हो गया ..झुका चेहरा, जैसे किसी खोल मे छुपने की जगह चाह रहा था
" आप का दिल दुखाने की माफी ..लेकिन मैं बुरी तरह थक चुकी हूँ ..ऐसा लगता है, जैसे बरसों से मेरी आँखें गहरी झपकी लेने को तरस रही हों ..चाह कर भी मेरी थकान कम नही होती ..माना आप घर के बाहर की ज़िम्मेदारी संभालने मे व्यस्त रहे हों ..पर खुद के घर के अंदर क्या चल रहा है इससे, आप का कोई वास्ता नही रहा ..सुबह जल्दी उठना, सब का ध्यान रखना ..निकुंज और निक्की से मुझे कभी कोई शिकायत नही रही ..पर आप की लाडली निम्मी ने, मेरा खाना पीना तक हराम कर रखा है ..सोच - सोच कर मेरा जी इतना कमज़ोर हो चुका है, जैसे अलगे पल ही दम तोड़ दूँगी ..इसका ये मतलब नही, कि मेरा प्यार उस पर बाकी बच्चो से कम हो गया ..मेरे लिए तो चारों बराबर हैं ..अगर उससे ज़रा भी नफ़रत की होती, तो आज ये दिन आता ही नही ..मार - मार कर उसकी टाँगें तोड़ देती ..कम से कम वो सुधर तो जाती
एक जवान लड़की अपनी उत्तेजना बड़ी मूश्क़िलों से सम्भल पाती है ..आप के सामने कहना तो नही चाहिए, पर निम्मी आज - कल बहुत गरम रहने लगी है ..भगवान ना करे, उसने कोई ग़लत कदम उठा लिया ..मैं तो जीते जी मर जाउन्गि "
कम्मो ने उसके कंधे पर अपना हाथ रखते हुए, बात को थोड़ी देर के लिए रोक दिया
" चुप मत हो ..आज तुम मेरी जो भी ग़लती बताओगि, मैं उसमे सुधार करूँगा ..माफी की कोई बात नही ..मैने सच मे कभी घर के अन्द्रूनि मामलो मे, हस्तक - छेप नही किया और इसका नतीजा सामने है "
इस बार दीप के मूँह से निकले स्वर बेहद गंभीरता से भरे हुए थे
" मैं आप की पत्नी हूँ ..माना हम ने सहवास करना, आज से 15 साल पहले ही छोड़ दिया था ..पर क्या आप को याद है, आप ने आख़िरी बार मुझे अपने गले से कब लगाया होगा
मैं बताती हूँ ..जब रघु का आक्सिडेंट हुआ था ..मैं चीख - चीख कर रो रही थी और आप मुझे थामे मेरा साहस बढ़ा रहे थे ..लेकिन इसके बाद आप को, मेरी सुध कभी नही आई ..रहने को तो हम एक घर मे रहते हैं, पर हमारी ज़िंदगी शेअर नही हो रही ..यही सच है "
" पहले पहल तो मुझे लगा, शायद आप रघु के हादसे को भुला नही पा रहे होंगे ..फिर कुछ दिन बाद समझ आया, कि आप पैसे कमाने मे व्यस्त हो गये हैं ..ज़रूरत तो यही कहती है, कि पैसों के बगैर कोई काम नही होता
3 लाख मन्थलि पुणे हॉस्पिटल मे जमा कर देने से, बच्चों की पढ़ाई की फीस भर देने से, घर के खर्च का जुगाड़ कर लेने से, यदि आप को लगता है, आप फ्री हो गये तो ऐसा सोचना ग़लत है ..साथ मे यह भी तो सोचो, कि पैसा जहाँ जा रहा है, वहाँ के हालात कैसे हैं ..100 की सीधी एक बात ..मैं सिर्फ़ इतना चाहती हूँ ..निम्मी की ज़िम्मेदारी अब आप सम्भालो ..बाकी बच्चो का ध्यान मैं रख लूँगी "
इतना कह कर कम्मो ने बातों का सिलसिला पूरी तरह से ख़तम कर दिया
" तुम कल पुणे जा रही हो रघु को लेने ..मैं शाम की फ्लाइट मे 2 टिकेट बुक करवा दूँगा ..निकुंज भी तुम्हारे साथ जाएगा "
अचानक दीप के मूँह से निकली बात सुन कर कम्मो का दुखी चेहरा, खुशी से खिल उठा ..वो तो खुद यही चाहती थी, कि उसका बेटा घर लौट आए
" चिंता मत करो, मैं उसे भी संभाल लूँगी ..इस हालत मे उसकी शादी होना संभव नही ..तो हमारा ही फ़र्ज़ बनता है उसकी देख - भाल करना ..फिर तनवी के घर आ जाने के बाद, मेरी काफ़ी हेल्प हो जाएगी "
कम्मो ने अपना सर दीप के कंधे पर टिका लिया ..अब उसे किसी बात की कोई फिकर नही रही ..बहू के साथ - साथ उसका बेटा रघु भी घर आने वाला था और निम्मी को दीप के हवाले, वो कर ही चुकी थी
" कम्मो मैं एक और बात कहना चाहता हूँ "
इसी बीच दीप ने अपने दिमागी घोड़े दौड़ाए और उसे कुछ याद आ गया
" आगरा मे मेरा एक दोस्त रहता है ..उसकी बेटी अभी यहीं मुंबई से, कोई कोर्स कर रही है ..वैसे तो उनकी माली हालत ठीक नही पर परिवार बहुत अच्छा है "
दीप की बात, कम्मो के सर के ऊपर से निकल गयी
कम्मो :- " मैं कुछ समझी नही "
दीप :- " मैं ये कहना चाहता हूँ ..क्यों ना अपने रघु के लिए उसकी बेटी का हाथ माँग लिया जाए "
कम्मो :- " क्या !!!! आप ऐसा सोच भी कैसे सकते हो ..जान कर किसी की ज़िंदगी खराब करना सही नही होगा ..वो ना तो बोल पाता है ..ना चल सकता है ..यहाँ तक क़ी उसकी बॉडी मे, कोई मूव्मेंट नही होता ..फिर शादी !!!!! "
दीप :- " तुम ग़लत समझ रही हो ..डॉक्टर्स के मुताबिक़ वो ठीक हो सकता ..हां चान्सस थोड़े कम हैं, पर उम्मीद तो है "
कम्मो :- " लेकिन कोई पिता कैसे अपनी बेटी, ऐसे इंसान के हवाले कर सकता है ..जो सिर्फ़ एक ज़िंदा लाश हो "
दीप :- " उसकी टेन्षन छोड़ दो ..कल सुबह तैयार रहना, मैं दोस्त से बात करने के बाद तुम्हे उसकी बेटी से मिलवाने ले जाउन्गा ..अगर रिश्ता पक्का हो गया, तो एक साथ दो बहुएँ घर मे आ जाएँगी ..फिर देखना सब कुछ पहले जैसा ही हो जाएगा "
दीप ने कम्मो के बालों पर अपना हाथ फेरते हुए कहा ..जानता था आज काफ़ी अरसे बाद, उसकी पत्नी ने दोहरी खुशी महसूस की है ..दिन मे हुए सेक्स से उसने कामो का तंन जीता था और अब उसके मन पर भी विजय प्राप्त कर ली
.
.
.
.
|
|
10-03-2018, 03:19 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
.
" बस आज आख़िरी रात बाहर बिताने की पर्मिशन दे दो ..मुझे एक अधूरा काम पूरा करने जाना है "
कम्मो को घर के सामने ड्रॉप करने के बाद उसने कहा
" मैं क्यों रोकने लगी भला ..बस जब काम ना हुआ करे, तब घर वापस लौट आया करो ..वैसे भी अब आप की लड़ली की शैतानियों से मुक्त हो चुकी हूँ ..सुबह तैयार मिलूंगी "
इतना कह कर कम्मो, स्माइल करती हुई घर के अंदर चली गयी
" उसे तो मैं भी नही संभाल पाउन्गा कभी "
खुद से बात करते हुए दीप ने कार मे गियर डाला और काफ़ी रफ़्तार के साथ, शिवानी के हॉस्टिल की तरफ बढ़ गया
.
.
.
.
.
" हेलो शिवानी ..मैं दीप बोल रहा हूँ ..नामिता'स फादर "
अपनी कार हॉस्टिल से 100 मीटर. की दूरी पर रोकने के बाद, उसने शिवानी को कॉल किया
" अंकल !!!!! "
शिवानी इस वक़्त बेड पर लेटी अपने पुराने दिन याद कर रही थी ..उसने निम्मी को प्रॉमिस तो कर दिया था, कि घर लौट कर नही जाएगी ..लेकिन बिना किसी जॉब के मुंबई जैसे एक्सपेन्सिव शहर मे सर्वाइव करना बेहद कठिन है ..बस यही सोच रही थी .. ' आगे क्या होगा ? '
कॉल पर दीप की आवाज़ सुनते ही, वो झटके से बेड पर उठ कर बैठ गयी .. ' लगता है नामिता ने घर पहुच कर मेरे बारे मे बात कर ली '
दीप :- " मैं हॉस्टिल के बाहर वेट कर रहा हूँ ..ज़रूरी काम है "
शिवानी :- " मुझे अलोड नही होगा ..आप कॉल पर बता दीजिए "
दीप :- " तुमसे मिलना बहुत अर्जेंट है ..समझो "
शिवानी :- " लेकिन बात क्या है अंकल ? "
" तुम आ रही हो, या मैं हॉस्टिल के अंदर आउ "
दीप की बात सुनते ही शिवानी घबरा गयी
" अंकल प्लीज़ मुझे और बदनाम मत कीजिए ..मैं आप के साथ वो सब दोबारा नही कर सकती "
शिवानी ने समझा दीप उसे चोदने के लिए इतना बेसबर हो रहा है ..माना उस वक़्त वो मजबूर हो कर उसके पास गयी थी ..लेकिन अब तो मजबूरी ही नही रही ..फिर कैसे राज़ी हो जाती ?
" मैं अंदर आ रहा हूँ "
दीप ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा ..उसका असली मक़सद तो शिवानी को हॉस्टिल से बाहर लाना था
" नही अंकल !!!!! मैं आ रही हूँ ..आप मत आइए "
डराने - धमकाने का ये नतीजा हुआ, शिवानी को उसकी बात मान - नी पड़ी
" नाइट स्टे का बोल कर आना ..मैं उसी जगह खड़ा हूँ, जहाँ उस दिन सुबह ड्रॉप किया था "
इतना कह कर डीप ने कॉल कट कर दिया
" अभी तो 8:30 ही हुए हैं "
घड़ी मे टाइम देख कर वो शिवानी के आने की राह देखने लगा ..उसके चेहरे पर छाई दिन भर की उदासी मानो छाँट सी गयी थी
लगभग 10 मिनट बाद हॉस्टिल का गेट ओपन हुआ और शिवानी दौड़ती हुई कार के नज़दीक आने लगी ..दीप ने कार स्टार्ट कर ली और उसके आते ही गेट भी ओपन कर दिया
" बैठो "
दीप का इशारा पा कर शिवानी ड्राइविंग सीट के बगल मे बैठ गयी ..उसके चेहरे की हवाइयाँ उड़ी हुई थी ..एक नज़र दीप के फेस को देख कर, वो और भी ज़्यादा डर गयी ..दीप मुस्कुराते हुए उसी को घूर रहा था
" साड़ी पहेन - ना आती है तुम्हे ? "
गियर डाल कर दीप ने पूछा ..उसका सवाल इस सिचुयेशन से काफ़ी अलग था, जिसका जवाब देने से पहले शिवानी हैरत मे पड़ गयी
" जी !!!!! "
मासूम, सहमे चेहरे पर हर पल बदलते भाव दीप को खुशी के चरम पर पहुचाने के लिए काफ़ी थे ..वाकाई इस लड़की से उसे बेहद लगाव हो गया था
" लो इतना आसान सवाल तो पूछा है ..साड़ी पहेन - ना आती है तुम्हे ? "
दीप ने गियर पर रखा हाथ. बड़े प्यार से उसके कोमल गाल पर फेरते हुए कहा ..लेकिन छुने मात्र से शिवानी पीछे खिसकने लगी ..अंजाना सा डर उसे रोने पर मजबूर करने लगा था
" नही आती "
' ना ' मे अपनी गर्दन हिलाते हुए उसने इनक़ार किया ..हौले - हौले उसका स्वर धीमा होता गया
" ससुराल जाओगी तब कौन सिखाएगा साड़ी पहेन - ना ? "
दीप के मूँह से निकलती हर बात शिवानी को एक नयी पहेली लग रही थी और फाइनली इस सवाल का जवाब देने से पहले ही वो चुप हो गयी
" चलो कोई बात नही ..अब हमे उतरना चाहिए "
घबराहट मे शिवानी को अहसास तक नही हो पाया, कि कार को दीप ने एक बड़ी सी शॉप के बाहर रोक दिया था
दोनो नीचे उतर कर दुकान के अंदर चले गये ..ये वही शॉप थी जहाँ पैसे मिलने के बाद शिवानी ने शॉपिंग करने का सपना देखा था ..हलाकी इसे मात्र एक संयोग कहा जाता ..लेकिन आज वो सच - मुच इस दुकान के अंदर खड़ी थी
" एक्सक्यूस मी ..मुझे मेडम के लिए 1 एक्सपेन्सिव साड़ी लेनी है "
दीप ने काउंटर गर्ल से कहा
" जी ज़रूर सर ..एनी डिमॅंड ? "
काउंटर गर्ल ने रिप्लाइ किया
" हां ..साड़ी का कलर लाइट पिंक रहेगा और लिमिट कितनी भी चलेगी "
इतना कह कर दीप काउंटर से हट - ते हुए 1स्ट फ्लोर की सीढ़ियाँ चढ़ने लगा ..शिवानी वहीं खड़ी रह गयी
" मॅम हमारे स्टोर मे हर टाइप की वेराईटीज़ मौजूद हैं ..जोर्जेट, शिफ्फॉन, कॉटन, सॅटिन, वेल्वेट, आर्ट सिल्क, नेट, चंदेरी, क्रिप एट्सेटरा. एट्सेटरा ..आप अपनी चाय्स बता दीजिए "
सेल्स गर्ल के मूँह से निकली बात सुन कर शिवानी की आँखें आश्चर्य से बड़ी हो गयी ..साड़ी मे इतनी वेराइटी उनसे 1स्ट टाइम सुनी थी
" जी उन्हे आ जाने दीजिए ..मुझे ज़्यादा नालेज नही है "
शिवानी ने भोले पन से कहा
" आप के बाय्फ्रेंड हैं ? "
एक और सवाल सुन कर शिवानी हड़बड़ा गयी ..शरम के मारे उसके गालो पर लाली छाने लगी .. ' नामिता मुझे जान से मार डालेगी ' ..ऐसा सोचते ही उसके मोती जैसे दाँत चमकने लगे
" स्टेर्स के ऊपर क्या है ? "
उंगली से सीढ़ियों की तरफ इशारा करते हुए उसने पूछा ..दीप वहाँ क्यों गया, वो जान - ना चाहती थी
सेल्स गर्ल :-" 1स्ट फ्लोर पर ज्यूयलरी सेक्षन है "
" ओके "
शिवानी की जिग्यासा बढ़ने लगी ..इस तरह से दीप का उसे हॉस्टिल से बाहर बुलाना ..उसके लिए साड़ी खरीदने की डिमॅंड करना और अब ज्यूयलरी
" जाने मेरे साथ आज की रात क्या होने वाला है ..कहीं सुहाग - रात मनाने की तैयारी तो नही चल रही "
अपनी नेगेटिव सोच पर वो काँप उठी ..उसे चक्कर से आने लगे ..गले के अंदर जैसे सूखा पड़ने लगा था
शिवानी :- " एक ग्लास पानी मिलेगा "
" शुवर मॅम "
एक साँस मे पूरा ग्लास ख़तम करने के बाद जैसे ही उसने दूसरा ग्लास उठाया ..दीप सीढ़ियों से उतरता हुआ काउंटर पर वापस आ गया
" क्या हुआ पसंद नही आई ? "
एक नज़र शिवानी का फेस देखने के बाद वो सेल्स गर्ल की तरफ मूड गया
" मॅम आप के आने का वेट कर रही थीं "
इतना कह कर उसने पूरा काउंटर टेबल पिंक कलर से भर दिया ..शिवानी चुप - चाप दीप की हरक़तों पर गौर करने लगी ..उसे पक्का यकीन हो चला था, कि आज रात उसकी बुरी तरह से फटने वाली है
" हां ये पर्फेक्ट है ..इसके साथ का सारा मेटीरियल मुझे रेडी - मेड ही चाहिए ..मैं बिलिंग स्टॉल पर हूँ, पहुचा दीजिएगा "
इतना कह कर दीप ने शिवानी का हाथ थाम लिया और दोनो किसी रियल कपल की तरह, बिलिंग स्टॉल के आस - पास मंडराने लगे
" डिन्नर किया तुमने ? "
दीप के पूच्छने पर शिवानी ने ' ना ' मे अपनी गर्दन हिला दी
" क्या पॅक करवा लूँ ..आज सिर्फ़ तुम्हारी ही पसंद का खाउन्गा, वो भी इन प्यारे हाथो से "
दीप उसका लेफ्ट हॅंड ऊपर उठाते हुए बोला
" नही !!!!! सब देख रहे हैं "
शिवानी ने अपना हाथ छुड़ाने की कोशिश की
" मैं किस थोड़ी कर रहा था ..अब तुम्हारी सोच ही ऐसी है, भला इसमे मेरी क्या ग़लती "
डीप ने स्माइल दे कर कहा ..शिवानी झेप कर रह गयी
" शायद अपना पॅकेट रेडी हो गया "
दोनो बिलिंग काउंटर पर पहुच गये
" सर युवर टोटल इस ..18999/- "
जहाँ दीप ने क्रेडिट से पेमेंट किया वहीं शिवानी को ख़ासी आने लगी .. ' सिर्फ़ 1 साड़ी वो भी इतनी महेंगी '
" थॅंक यू सो मच "
लास्ट ग्रीट होने के बाद दोनो स्टोर से बाहर आ कर, कार मे बैठ गये
रास्ते मे दीप ने शिवानी की पसंद का खाना पॅक करवाया ..एक जोड़ी पिंक सॅंडल भी खरीदी
जल्द ही उनकी कार दीप के ऑफीस के अंदर पार्क हो गयी
" चलो उतरो ..ऑफीस आ गया है "
पूरे रास्ते ना तो दीप ने उसे छेड़ा था, ना ही शिवानी कुछ बोल पाई ..नतीजा इस बार भी उसे कार के रुकने का पता नही चल पाया
.
.
.
|
|
10-03-2018, 03:20 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Porn Sex Kahani पापी परिवार
गर्मी की मार्मिक पीड़ा को दूर करने के लिए उसके हाथो की उंगलियाँ, कमीज़ के निच्छले हिस्से को ऊपर उठाने की कोशिश करने लगी ..अब तो दीप भी सो चुका था
" बेशर्म है तू पक्की "
एक मुस्कुराहट के साथ अगले ही पल उसने कमीज़ को अपने बदन से अलग कर दिया ..पसीने से लत - पथ जिस्म को ठंडी हवा मिलने के बाद भी शिवानी को सुकून नही आया और ब्रा का हुक खोल कर उसने, उसे अपनी कंमीज़ के ऊपर गिरा दिया
शरम के मारे उसका चेहरा लाल था ..जानती थी, दीप गहरी नींद मे है, फिर भी उसे अपने अंदर लज्जा की अनुभूति हो रही थी
" शादी के बाद मेरी ज़िंदगी कैसी होगी, ये तो नही पता ..लेकिन इतना ज़रूर जान गयी हूँ, अंकल बदल गये हैं ..सिर्फ़ मेरे लिए "
वो सरक्ति हुई दीप के नज़दीक आ गयी ..उसके सोते चेहरे मे शिवानी को तनाव सॉफ दिखाई दे रहा था ..चौड़ा सीना बालों से भरा और चेस्ट से नीचे जाती हेर लाइन, जिसका एंड पॉइंट कहाँ होगा, ये सोच कर उसके मोती जैसे दाँत बाहर आ गये
" कुछ भी सोचती है ..ज़रूरी तो नही हर किसी को बाल काटना पसंद हो ..हां पॅंट के अंदर सब क्लीन है, मुझे पता है "
बोलने के तुरंत बाद उसने ..अपनी बात पर, अपने हाथ से, अपने सर पर हल्की सी चपत लगा दी ..दीप के प्रति उसका नज़रिया बदलने लगा था ..हालाकी ये सही नही, सामने लेटा मर्द उसका होने वाला सुसुर है ..साथ पढ़ने वाली दोस्त नामिता का पिता भी ..लेकिन ये बात अभी उसके दिमाग़ से कोसो दूर थी ..बस इतना पता था कि डीप ने उसके हरे ज़ख़्मो पर मलम लगाया है ..उसे अपने घर की बड़ी बहू बनाने से इज़्ज़त बक्शी है ..दो दिन पहले की गयी हवाणियत की माफी माँगी है
उसका खोया प्यार अब दीप है ..यहाँ उसे कोई धोखा भी नही मिलेगा ..पैसे वाले घर की मालकिन बनेगी ..नामिता की भाभी और सबसे ख़ास बात, बेचारे रघु को इस दोज़ख़् भरी ज़िंदगी से छुटकारा दिलाने मे मदद करेगी ..वो हॉस्पिटल से डिसचार्ज हो कर अपने घर आ जाएगा, पूरे परिवार की आँखों के सामने रहेगा ..फिर क्या दिक्कत है शादी करने मे ..रही बात नीड्स की, तो अब दीप के अलावा किसी गैर मर्द के बारे मे सोचना ..अपने नये प्यार को गाली देने जैसा होगा
" मैं तैयार हूँ जी "
इतना कह कर वो खुशी से झूमती हुई, अपने प्रेमी के चेहरे पर अपना चेहरा झुकाने लगी ..जैसे - जैसे उसका चेहरा नीचे होता जाता, उसके होंठ खुलते जाते
धड़कनें थामे शिवानी का ये पहला कदम था, खुद की मंज़ूरी ज़ाहिर करने का ..अगर आज भी होंठो से शराब की गंध आ रही होती तो भी वो नही रुकती, पीछे नही हट - ती
कुछ देर तक दीप के मूँह से निकलने वाली गरम सांसो को सूंघने के बाद शिवानी ने उन्हे और बाहर नही निकलने दिया ..खुली बॉटल पर ढक्कन लगाते हुए उसने अपने होंठ दीप के होंठो से चिपका दिए
अगले ही पल दोनो के बदन मे कयि झटके लगे ..जहाँ शिवानी ने मस्ती मे आ कर अपनी आँखें बंद कर ली वहीं दीप की पॅल्को मे ..आहट हुई, कंपन हुआ
बस इसके बाद शिवानी ने अपनी आँखें दोबारा नही खोली और बड़े प्यार से उंगलियाँ, दीप की चेस्ट पर उगे घने बालो मे घुमाती हुई नींद के आगोश मे चली गयी
.
.
|
|
|