Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
03-06-2019, 10:38 PM,
RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
और आज वह दिन आ गया था। आज वह पापा से खूब चूदना चाहती थी।

निशा ने अपने गांड को पापा के लंड से दबाये रखा। वही आशा यह सब देखकर मुस्कुरा रही थी।

आशा: सशा चल हम ऊपर चलती है…।शायद दीदी को पापा के साथ कुछ टाइम स्पेंड करना होगा।

सशा: अच्छा?

निशा: हाँ…बहुत दिनों बाद मिली हूँ न पापा से…

सशा: चलो ठीक है फिर…वैसे भी मेरे होमवर्क का टाइम हो गया है…

आशा: होम वर्क का तो इस घर में सबका टाइम हो गया है , हे हे।

निशा आशा की यह बात समझ नहीं पायी, और उसे दाल में काला नज़र आने लगी। 

आशा और सशा के जाते ही, निशा पापा के गोद में , टांगे इर्द-गिर्द फैला कर बैठ गयी। अब उसकी भट्टी जैसी गरम चूत सीधे लंड को छु रही थी।

जगदीश राय का लंड , कल रात की चुदाई के बावजूद , दर्द होते हुए खड़ा हो गया।

निशा: पापा…ओह…मुझसे अब रहा नहीं जा रहा…प्लीज चोद दो मुझे…।

जगदीश राय: यहाँ…अभी…

निशा: हाँ…देखो न चूत कितनी गरम है और पानी छोड रही है…बस अपना लंड बाहर निकालो …मैं बैठ जाती हु…।चलो धोती खोल दो…चलो।

जगदीश राय: अरे नहीं नहीं…।सशा देख लेगी तो क्या सोचेगी…

निशा ने नोट किया की जगदीश राय ने आशा का नाम नहीं लिया।

जगदीश राय: दोपहर को इत्मिनान से करते है…

निशा(रूठते हुए): आप बहोत गंदे हो…बेटी इतनी दिनों बाद आयी है…चूत के लिए लंड माँग रही…और आप भाव खा रहे हो…

जगदीश राय: अरे नहीं प्यारी…कहो तो आज दोपहर पूरा टाइम लंड इस चूत से बहार निकलेगा ही नहि। बस…वादा रहा।।

जगदीश राय ने जोश में कह तो दिया था, पर अभी भी उसके टट्टो में दर्द था। आशा ने उसे बुरी तरह जो निचोड दिया था, कल रात।

निशा: हम्म…ठीक है फिर तो…पर आप चाट तो सकते है न…।।

जगदीश राय: हम्म…हाँ…क्यो नहीं…चाटना सेफ होगा…मेरे ख्याल से…

यह सुनते हि, किसी चुदासी रांड की तरह, निशा ने तुरंत अपना स्कर्ट ऊपर उछाल लिया और बिना-पेंटी की चूत जगदीश राय को प्रस्तुत किया।

निशा: यह लीजिये…।थोड़ा चेयर पर निचे सरक जाइये पापा…।हाँ ऐसे…यह लो… गरम रसीली चूत आपके मुह में…ओह्ह्ह…।वाउ…।मा…।इतने दिनों बाद…ह…क्या मज़्ज़ा …।।हाँ पापा…ऐसे ही…।हाँ चूत खोलकर…डालिये जीभ अंदर…।।हाँ ऐसेही…।।और तेज़…और…और…और…और ।।और…और।।ओह्ह्ह म्मा…मैं झड रही हु पापा……ओह …।।यह आ ओह आ…ओह…।पापा…ओह……ओह…।।हाँ चाटिये…।सारा पानी…।यह माँ…।।यह…।।पापा

जब निशा को होश आया तो उसने देखा तो हँस पड़ी… उसके पापा नज़र नहीं आ रहे थे। जगदीश राय को पूरे उसके स्कर्ट ने ढक रखा था।

निशा (बेशर्मी से): ओह पापा…।बहुत अच्छा लगा…क्या चाटा आपने…आपको कैसे लगा …अब मैं दोपहर तक का इंतज़ार कर सकती हु…।
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03-06-2019, 10:38 PM,
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जगदीश राय: बेटी यह कोई पूछने की बात है…।तुम्हारी चूत का पानी तो दिन भर पीते ही जाऊं।

निशा: धत…।

खाना खाने के बाद, जगदीश राय ने आशा को बुलाया।

आशा: क्यों पापा…।दीदी की चूत का पानी कैसा था?

जगदीश राय: तो क्या तुमने सब सुन लिया…।?

आशा: सुना भी और देखा भी…इतना जो चिल्ला रही थी दीदी …।बहुत गरम है दीदी…।

जगदीश राय (घबराते हुए): सशा ने भी…?

आशा: नहीं…लकीली वह उस वक़्त बाथरूम में चलि गयी…हाँ यह पता नहीं की उससे बाथरूम में दीदी की चीख़ पुकार सुनि या नहीं…

जगदीश राय: नहीं सुनि होगी…वरना वह कहते वक़्त पूछती ज़रूर…अच्छा आशा बेटि, तुम एक काम करो अभी सशा को लेकर कहीं चलि जाओ।

आशा: कहाँ…मैं नहीं जाने वाली।

जगदीश राय: अरे समझा कर…।तेरी दीदी बहुत गरम है…।

आशा: अरे तो दीदी को लंड चाहिए तो हम क्यों घर से बाहर जाये…आप लोग क्यों नहीं जाते किसी होटल में…

जगदीश राय (थोडा गुस्से में): बकवास मत कर…तू अच्छि तरह जानती है की सशा को इन सब की खबर नहीं होना चाहिए…

आशा: अच्छा बाबा जाती हु…हम शॉपिंग और फिर मोवी, ठीक है…?

जगदीश राय: सिर्फ मूवी काफी नहीं है…

आशा: जी नहीं…।शोप्पिंग एंड मोवी।

जगदीश राय: ठीक है…

आशा: और एक शर्त…।आज रात को दीदी की चुदाई के बाद मेरा गांड चाटेंगे और मारेंगे भी।

जगदीश राय: अरे…क्या…।कैसे…मतलब…तेरी दीदी तो खुद मुझे देर रात तक …।और फिर तुम्हे कैसे…।

आशा: वह सब मैं नहीं जानती…।दीदी के जाते ही मैं आउंगी … मंज़ूर है…

जगदीश राय: ठीक है…देखते है…

आशा मुसकुराकर अपनी जीत का जलवा दीखाते हुए गांड हिलाकर चल दि। क़रीब १० मिनट बाद सशा और आशा दोनों शॉपिंग के लिए चल दिये।

यहाँ आशा-सशा घर से निकल ही गए थे, की जगदीश राय के बैडरूम पर दस्तक हुई।

दरवाज़ा खुला और निशा खड़ी थी। उसने कुछ भी नहीं पहन रखा था…पूरी नंगी थी।

नंगी निशा किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी। जगदीश राय का लंड अपने दर्द को भूल कर, खड़ा हो गया।

निशा भाग कर अपने पापा के ऊपर कूद पडी।

निशा : अच्छा हुआ आप ने आशा और सशा को बाहर भेज दिया। क्या कहा उनसे?

जगदीश राय: कुछ नहीं…यहीं की जाके मूवी देख आओ…और शॉपिंग कर लेना।

निशा को यह बात कुछ हज़म नहीं हुई।

निशा: चलो जो भी है…आज मैं आपके लंड को निचोड दूँगी…।और आपका कोई बहाना नहीं चलेगा …। समझे पापा।

जगदीश राय , मुस्कुरा दिया पर मन की मन थोड़ा डर भी रहा था।

निशा ने तुरंत पापा की धोती साइड कर दी और खड़े लंड को हाथ में पकड़ लिया।

और बिना कुछ कहे, एक भूखी शेरनी की तरह , सीधे मुह में लेके चूसने लागी। चूसाई इतनी ज़ोर की थी की पता चल रहा था की लंड की कितनी प्यासी है निशा।

जगदीश राय ने कंडोम का पैकेट लेने के लिए हाथ बढाया, पर निशा ने उन्हें रोक दिया।

निशा: पापा …आज से कंडोम नहीं…मैंने पिल्स ले ली है…मैं आपका लंड का स्पर्श फील करना चाहती हु आज से…।और आप आज से अंदर भी छोड सकते है अपने माल को।

जगदीश राय यह सुनकर खुश हो गया और तुरंत निशा को बॉहो में ले लिया।

पर निशा ने जगदीश राय को निचे ढकेल दिया और खुद ऊपर चढ़ गयी। बिना कोई देर किये एक ही झटके में उसने जगदीश राय का लम्बा मोटा लंड चूत में घुसेड दिया।

निशा ने पूरा गांड ऊपर करके ज़ोर ज़ोर से लंड पे अपनी चूत मारने लागी। चूत इतनी टाइट और गरम थी की जगदीश राय चंद मिनिटो में झड़ने के कगार पर पहुच गया था।
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03-06-2019, 10:38 PM,
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हर बार जब निशा गांड ऊपर करती, चूत बाहर की तरफ खीच जाती। आज पापा उसे नहीं चोद रहे थे बल्कि निशा आज पापा से चुदवा रही थी। 

जगदीश राय: बेटी…धीरे करो……नही तो मैं झड जाउँगा…

निशा: धीरे नहीं होगा पापा…झड़ना है तो झड जाओ…पर चूत अब नहीं रुकने वाली…

निशा जोर जोर से लंड पर चूत मारने लगी, समझ नहीं आ रहा था की कौन किसे चोद रहा है। पुरे कमरे में फच फच की आवाज़ गूँज रही थी साथ में निशा की सिसकियाँ…

जगदीश राय , एक ज़ोर का आवाज़ निकाला और निशा की चूत में झडने लगा। पर निशा की चूत की रफ़्तार थोड़ी भी धीमी नहीं हुई।

झडते लंड पर वीर्य के फवारे के साथ निशा की चूत उसे और निचोड रही थी।

जगदीश राय: रुक जा बेटी…मैं झड गया हु…थोड़ा धीरे…

निशा: नहीं पापा…मैं रुक नहीं सकती…प्लीज आप लेटे रहिये…लंड खुद कड़क हो जाएगा।।।

जगदीश राय का लंड , झडने के बाद सुकड़ना चाह रहा था, पर निशा की गरम गिली चूत की मार से खड़ा ही रह गया। जगदीश राय के टट्टो में दर्द होने लगा पर निशा आज कुछ परवाह नहीं कर रही थी।

जगदीश राय के झडने के २० मिनट तक निशा ऐसे ही ज़ोर ज़ोर से अपने पापा को चोदती रही, बिना रुके, बिना टोके। जगदीश राय की हर बिनती को उसने नज़रअंदाज़ कर दिया।

२० मिनट बाद जगदीश राय का लंड फिर से खड़ा हो गया था। पर वह झड़ना नहीं चाहता था क्युकी झडते वक़्त उसके टट्टो में दर्द हो रहा था।

और फिर निशा ज़ोर ज़ोर से हाँफते हुए तूफ़ानी अंदाज़ में चूत मारने लगी। और एक साथ जगदीश राय और निशा दोनों झड़ने लगे।

जगदीश राय: आर्गग्घहहह…निशा…बेटी…रऊउउउक…हाआआ…मैं झड़डडडडहह रआआह्ह्हआआ हूऊऊऊ

निशा: आआअह्हह्ह्ह्ह…पाआआआप्पप्पपप्पपाआआ……।

निशा कमसे कम 4 मिनट तक झडती रही। उसका सारा बदन थर थर कांप रहा था। 
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03-06-2019, 10:38 PM,
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निशा इतनी जोर की झडी की उसे उसके मूठ पर कण्ट्रोल न रहा और उसने झड़ने के साथ साथ अपने पापा के कमर पर मूत भी दिया।

निशा बेहोशी की हालत में अपने पापा के ऊपर सोयी पड़ी थी। लंड अभी भी चूत में फसा हुआ था और निशा के पानी में नहा रहा था।

जगदीश राय का लंड दर्द कर रहा था। लंड अभी भी वीर्य उगल रहा था।

जगदीश राय, समझ गया की निशा को जी-स्पॉट ओर्गास्म आ चूका है। उसने काँपती निशा को बाहो में भर लिया। निशा झड़ती जा रही थी।

कोई १० मिनट बाद निशा जाग गयी।

निशा: सॉरी पापा…।शायद मैं ने आपके ऊपर थोड़ी सु-सु (यूरिन) कर दी।

जगदीश राय (निशा के गालो में हाथ फेरते हुए): बस थोड़ी सी? क्या पूरी नहीं की…नहीं किया तो और कर दो…

निशा: क्या…? नहीं…मैं आपके ऊपर थोड़ी ही कर सकती हूँ।

जगदीश राय: क्यों नहीं…मैं कह रहा हु न मुझे भी सु सु लगी है आओ…साथ में कर दो…
यह कहकर जगदीश राय ने अपना लंड फिर से निशा की चूत में घुसा दिया और बोला।चलो साथ में सु सु करते है।बहुत मज़ा आएगा।
दोनों एक साथ सु सु करने लगते है।निशा की आखे आनंद से बंद हो जाती है।पेशाब धीरे धीरे निचे आने लगता है।दोनों को इतना मज़ा आ रहा है की दोनों एक दूसरे के होठों को चूसने लगते है।

जगदीश राय को अपने लंड पर गरम पानी का एहसास हुआ था निशा को भी अपने चूत में तेज खलबली महसूस हुई।निशा की मुह से सु-सु निकलते हुए सिसकी निकली थी। जगदीश राय निशा को कसके बाहो में भर लिया और उसके गालो को चुमा। 

निशा सु-सु करके वही पापा के ऊपर सो गयी। लंड अभी भी चूत के अंदर था।
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03-06-2019, 10:38 PM,
RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
निशा को चूत में कुछ महसूस हुआ। जब उसने आँख खोला तो अपने आप को पापा के ऊपर पाया। उसके दोनों मम्मे पापा की छाती से दबे हुए थे। और चूत में लंड खड़ा और कठोर हो चूका था।

निशा को अपने पापा का वादा याद आया की आज दोपहर तक लंड चूत से बाहर नहीं निकलने वाला है। सुसु की कामुक गंध सब जगह फ़ैल गयी थी, पर निशा को यह गंध और भी उत्तेजित कर रही थी।

जगदीश राय , अभी भी सो रहा था। निशा ने धीरे धीरे गांड हिलाकर लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया।

थोड़ी देर बाद जगदीश राय की आँख खुली। और पाया की निशा फिर से चुदवा रही है। और कमरे में सुसु की गंध उसे भी पसंद आने लगी।

एक गजब सा वातावरण हो गया था, पिशाब और वीर्य के बदबू से। पर आज बाप-बेटी ख़ुद को गंदे साबित करने में हिचकिचा नहीं रहे थे।

जगदीश राय ने निशा की आँखों में देखा और निशा मुस्करायी। और फिर आंखें बंद कर ऊपर-नीचे होने लगी।

जगदीश राय ने तुरंत निशा को निचे पटक दिया और जोर-जोर से निशा को पेलने लगा। निशा खुद भी यही चाहती थी। 

कोई 2 घन्टे तक , कभी निशा ऊपर तो कभी जगदीश राय, कभी डोगी स्टाइल तो कभी खड़े-खड़े निशा और जगदीश राय एक दूसरे को चोदते रहे।
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03-06-2019, 10:38 PM,
RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
शाम के 6:30 हो गया था। 

जगदीश राय: मैं तो थक गया बेटी…।अब तेरा यह बूढ़े बाप से इतना ही हो पायेगा।

निशा: अरे मेरे प्यारे पापा, आप नहीं जानते आप में कितनी ताकत है।

और पापा के टट्टो को दबाते हुए कहा।

निशा: देखो टट्टे अभी भी भरे हुए है।

निशा के टट्टो को दबाने से जगदीश राय की दर्द से सिसकी निकल गयी

निशा: चलो अभी ब्रेक ले लेते है। वैसे भी वह दोनों आते ही होंगे। रात को खाना खाने के बाद मिलते है, सो मत जाना पापा। ठीक है।।

जगदीश राय: अरे बेटी…मुझे नहीं लगता मुझसे कुछ हो पायेगा रात को…एक काम करते है…कल संडे हैं…मैं इन्हे फिर कहीं भेज देता हु…

निशा: जी नही, कोई बहाना नहीं…।मैं रात को 11 बजे आउंगी। लंड तैयार रखना, मेरी चूत तो तैयार है ही।

फिर निशा चल दी। 


जगदीश राय सोचने लगा की अब कैसे वह निशा और फिर आशा को खुश करे। वह अब २ पत्नियों के पति की दुविधा में फस चूका था।वह तैयार होकर जल्दी से मार्केट निकल गया।और एक मेडिकल स्टोर से बियाग्रा की गोली खरीद लाया और अपने रूम में छुपाकर रख दिया।वह समझ गया था की आज दोनों बेटियों की जवानी की गर्मी को शांत करने के लिए इसकी बेहद जरुरत है।

आज जगदीश राय को निशा की जबान से 'लंड' और 'चूत' जैसे शब्द सुनकर आस्चर्य हो रहा था। शायद ये उसने किसी सहेली के साथ बोलकर आदत डाल ली है।

रात का 10:45 बज चूका था। जगदीश राय अपने बैडरूम में बैठा हुआ था। बेडशीट बदली हुई थी पर कमरे में अभी भी सु-सु की गंध थी।

वह बार-बार किसी नई नवेली दुल्हन की तरह घडी को देखे जा रहा था। 

उसने धोती हटाकर अपने लंड को देखा। लंड , एक घायल शेर की तरह, सोया पड़ा हुआ था।उसने गोली खा लिया।

उसने सोचा अगर लंड जल्दी खड़ा नहीं हुआ तो तब तक निशा को चाटकर खुश करेगा।
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03-06-2019, 10:38 PM,
RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
वही आशा , सशा के सोने का राह देख रही थी। उसे पता था ही निशा फिर पापा से चुदने जाएगी। और पापा जो कल रात और आज दोपहर चुदाई करके थक गए है। 

पापा का यह बुरा हाल देखकर उसे बहुत मजा आ रहा था। उसने अपना कान दरवाज़े पर जमाये रखा।

ठीक 11 बजे जगदीश राय का दरवाज़ा खुला और निशा वहां खड़ी थी। पूरी नंगी थी। जगदीश राय, को उसके नंगापन पे आश्चर्य हुआ की कैसे उसे आशा-सशा का डर नहीं रहा।

जगदीश राय: बेटी…देखो…मुझे नहीं लगता आज ज्यादा देर होगा…मैं चाहु तो…

निशा (टोकते हुए): अरे पापा, आप उसकी चिंता क्यों करते है…।आप मुझे खुश देखना चाहते है न…।

जगदीश राय: हाँ बेटी…

निशा: तो , यह बताइये आपको मेरा कौन सा हिस्सा चुमना है…?

जगदीश राय: बेटी वैसे तो तुम पूरा चुमने लायक हो…पर तुम्हारी चूत बहुत प्यारी है।

निशा: तो आप सिर्फ मेरी चूत चूमो और चाटो। बाकि सब मुझपे छोड दो…ठीक है।

जगदीश राय: ठीक है।

निशा ने अपने चूत को जगदीश राय के चेहरे के ऊपर रख दिया। और जगदीश राय चाटने लगा। निशा ने फिर 69 पोजीशन में आकर पापा के लंड को मुह में ले लिया।

और निशा ने किसी वैक्यूम क्लीनर के फाॅर्स से पापा का लंड चूसने लगी।

हर चूसाई से एक "स्स्स…" की आवाज़ रूम में फ़ैल रही थी।

निशा की चूत की मादक खुसबू और लुंड के चूसने से, १० मिनट में ही जगदीश राय का लंड खड़ा होने लगा।
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03-06-2019, 10:39 PM,
RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
निशा फिर अपने पापा के ऊपर चढ़कर चोदने लगी।

1 बजे रात तक यही सिलसिला चलता रहा। जगदीश राय 2 बार झड चूका था। हर बार निशा उसकी लंड चूस कर खड़ा कर देती और लंड चूत में घूसा लेती। और फिर बिना रुके लंड को अलग अलग पोज में चूत में घुसवाकर चुदाने लगती।ज्यादा धक्के वही लगाती।कभी कुतिया की तरह बन जाती।कभी पापा के लंड पर चढ़कर कूदने लगती।

झडते वक़्त जगदीश राय दर्द से चीख पडता। निशा कितनी बार झड चुकी थी, उसकी गिनती वह भूल चुकी थी। पूरा बेड निशा के चूत रस से गिला पड़ गया था।
निशा पापा के इस दर्द से वाक़िब थी , पर वह अपने गरम चूत के सामने बेबस हो चुकी थी।

जगदीश राय: बेटी अब और नहीं…बस हो गया…।

निशा: ठीक है पापा…आज के लिए इतना। कल फिर करेंगे। ओके। तब तक आप अपने प्यारे लंड को आराम दे।

यह कहकर निशा पापा के माथे पर चुम्मी दी और अपनी गांड मटकाती हुई , नंगी ही अपने कमरे में भागती हुई चल दी।
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03-06-2019, 10:39 PM,
RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
रात के 2:30 बजे , जगदीश राय , नंगा होकर, थक कर सो गया था। कमरे में लाइट चालु थी । और कमरे के लाइट में जगदीश राय का लंड निशा के चूत-रस से चमक रहा था।

तभी उसे महसूस हुआ की कोई कमरे में आ चूका है। और देखा तो वहां आशा खड़ी थी।

आशा: क्यों पापा…सो गए क्या…

जगदीश राय: अरे बेटी …तुम यहाँ क्या कर रही हो…इस वक़्त।

आशा: आपकी प्रॉमिस भूल गए…

जगदीश राय: नहीं बेटी…आज तो नहीं होगा…प्लीज…जाओ सो जाओ…

आशा: यह अच्छी बात नहीं है…पापा…आप ने हमे सिखाया था की "प्रोमिस शुड बी केपट"। और आप ही मुकर रहे हो…

जगदीश राय: अरे बेटी…सॉरी…पर आज नहीं होगा कुछ…

आशा (ग़ुस्से में): मैं इतना रात तक उल्लु की तरह जागी…और आप…ह्म्मम।। मैं निशा दीदी को कल सब बता दूँगी…।

जगदीश राय: क्या? नहीं…?

आशा: हाँ… और सशा को भी…?

जगदीश राय: बिलकुल नहीं…चूप।।।…

आशा:नहीं…तो ठीक है…फिर यह लो…चाटो

यह कहकर आशा खड़े खड़े अपनी स्कर्ट ऊपर कर दी। और गांड जगदीश राय के तरफ कर दी।

गाँड , गोलदार सावली और उसमें से चिरती हुई सफ़ेद पूँछ। न चाहते हुए भी लंड पर ज़ोर आ गया। लंड दर्द करने लगा।

जगदीश राय, थका हुआ शरीर लेकर आशा की गांड की पूँछ को धीरे से उठाया। और पूँछ से छिपी सांवली मुलायम चूत नज़र आ गयी।

जगदीश राय यह उम्मीद में था की कहीं उसने आशा की चूत को चाटकर उसका पानी निकाल दिया, तो वह शायद उसे आज रात के लिए छोड दे।

वह आशा की चूत पर टूट पडा। आशा अपना गांड पीछे कर , पीछे से चूत चटवा रही थी।

आशा:मम…हाहह… पापा…जीभ अंदर तक डालो न…।।लो…मैं पैर ऊपर कर देती हूँ…।।अब लो…।।चाटो खुलकर चाटो…।।हाँ…।ऐसे ही…।और चाटो……।और ।।और…।आह…

करीब १५ मिनट तक आशा खुद को रोककर खड़ी रही और फिर खड़े खड़े ही ज़ोर से झड़ने लगी। उसका सारा शरीर ज़ोर से हिलने लगा।

जगदीश राय को लगा मानो वह ज़मीन पर गिर जाएगी। पर आशा बेड पर गिर पडी।

जगदीश राय ने राहत की सास ली…

जगदीश राय: बहुत ज़ोरो से झडी तुम बेटी…थक गयी हो सो जाओ अब…

आशा: क्या…नही…यह तो मैं दीदी की चुदाई देखकर हॉट हो गयी थी…इसलिए…अपना लंड खड़ा कीजिये…मेरे गांड में बहुत ज़ोरो की खुजली मची है…

आशा बेशरमी से अपने पापा को उनपर होने वाले ज़ुल्म का घोषणा दी।

जगदीश राय , चौकते हुए… अरे नहीं बेटी…मैं न कहा न…आज तो…

आशा ने तुरंत ज़ोरो से जगदीश राय का लंड मुठी में थाम लिया और उसे बेदरदी से पकड़कर कहने लगी

आशा: आज तो मैं इससे इत्तनी चुदवाऊंगी…सारी प्यास बुझा दूँगी…निचोड लूँगी इसे…
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03-06-2019, 10:39 PM,
RE: Hindi Sex Stories तीन बेटियाँ
जगदीश राय: ओके
…बेटी…। तुम क्या निचोड़ेगी…पहले से तेरे दीदी ने निचोड लिया है इसे…।

आशा: पापा…बहुत रस बचा है इसमे…अभी दिखाती हु…

और आशा तेज़ी से लंड चूसने लगी। पूरे गले तक लेने लगी। जगदीश राय आँखे बंद किये अपने लंड के दर्द को बर्दाष्त कर रहा था। और देखेते ही देखते जगदीश राय का लंड , १० मिनट के भयंकर चूसाई के बाद ,बिलकुल रॉड की तरह खड़ा हो गया।

टट्टो में बहोत दर्द हो रहा था, पर न जाने क्यू, इस दर्द से लंड पर और प्रभाव पड़ रहा था और लंड और कड़क हो चला था। इसके बीच आशा ने गांड में से पूँछ को "फोक" की आवाज से बाहर खीच लिया।

आशा बिना चेतावनी दिए, घूम गयी और सीधे अपनी गांड के छेद में लंड घुसेड दिया। बिना तेल लगाये हुआ गाँड का छेद,में जगदीश राय का दर्दनाक लंड चीरता हुआ घूस गया।

जगदीश राय के आखों से आसूँ निकल गया, पर उसने अपनी चीख़ को रोका।

आशा को भी दर्द हुआ, पर आशा को दर्द से मजा आ रहा था।

आशा : अब दिखाती हु आपके इस लंड को…बहुत चोद रहा था दीदी की चूत को…अब इसका सामना मेरे गांड से है…

जगदीश राय: आह…धीरे बेटी धीरे…

यह कहना मुश्किल हो गया था की कौन मरद और कौन औरत।

आशा एक हाथ से अपने चूत को सहला रही थी और अपनी सूखी गांड लंड पर पटक रही थी। क़रीब चुदाई डेढ़ घन्टे तक चली। आशा 3 बार झड चुकी थी,

जगदीश राय का लंड पूरा लाल हो चूका था। और जो जगदीश राय को डर था वह होने वाला था। उसका लंड झडने के कगार पर था। और झडते वक़्त टट्टो का दर्द वह सह नहीं सकता था। 

जगदीश राय: बेटी…रुक…जा…में झडने वाला हु…।मुझे…।दरद…होगा…रुक रुक…।आह…नहीं…आह…ओह।

झगीश राय , इतना ज़ोरो से चीख़ पड़ा के टट्टो-से दर्द का जैसा बम फटा हो। वह पागलो की तरह कापने लगा।। और लंड आशा की गांड के अंदर पिचकारी मारता गया। हर पिचकरी का दर्द एक चीख़ ले आता।

आशा, अपने पापा के ऊपर हंसती जा रही थी। उसे अपने पापा के इस दुर्दशा पर मजा आ रहा था।

जगदीश राय , अभी झड़ना , ख़तम कर ही रहा था की अचानक से दरवाज़ा खूल गया।



दोनो चौक पडे। झडते हुए पापा के ऑंखों के सामने रूम के उजाले में , पतली मैक्सी पहने निशा खड़ी थी। 


निशा गुस्से से जगदीश राय और आशा को घूरे जा रही थी।
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