Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
06-01-2019, 02:30 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
भाभी को इस रूप में देखकर मेरे अंडरवेर में उथल पुथल शुरू हो गयी..
अब प्लीज़ बातों में वक़्त जाया मत करो जानू, आज मुझे भरपूर प्यार करो मेरे राजा… ये कहकर वो मेरे बदन से किसी बेल की तरह लिपट गयी..

मेने चूतिया बनाने की आक्टिंग करते हुए कहा - लेकिन भाभी मुझे तो कुछ भी नही आता है… आप ही बताइए कि कैसे करते हैं प्यार.. मेने उन्हें ये जताना चाहा, जैसे मेने ये पहले कभी किसी के साथ किया ही नही है..

क्या ? आपने अभी तक किसी के साथ सेक्स किया ही नही है.. ? कोई गर्ल फ्रेंड भी नही बनाई अभी तक… वो मेरी बात सुन कर आश्चर्य से बोली..

मेने कहा – नही सच में मेरी कोई गर्ल फ्रेंड नही है.. अब आपको ही बताना होगा ये सब..

उन्होने कहा – कोई बात नही देवेर जी मे आपको सब कुछ सिखा दूँगी.. हाए.. मेरा अनाड़ी देवेर.. ये कह कर उन्होने अपने हाथ मेरी पीठ पर कस दिए.. जिससे उनकी 34” साइज़ की कठोर चुचिया मेरे सीने में दब गयी…

उन्होने अपना वो नाम मात्र का गाउन भी निकल कर फेंक दिया… नीचे वो बिना ब्रा के ही थी, बस एक माइक्रो पेंटी.. जिसमें से उनकी चूत के मोटे-मोटे होंठ भी बाहर को दिख रहे थे.

पीछे एक डोरी सी थी, जो उनकी गान्ड की दरार में घुसी पड़ी थी…अब इसको क्या कहते हैं, आप लोग खुद नामकरण कर लेना…हहहे..

भाभी को ऐसे रूप में देख कर मेरा लॉडा मेरे अंडर वेअर को फाडे दे रहा था.. उन्होने मेरी टीशर्ट निकाल कर फर्श पर फेंक दी…

वो मेरे चौड़े सीने पर हाथ से सहलाने लगी और उसे चूम लिया.. अपनी जीभ निकाल कर मेरे चुचकों पर फेरने लगी… मेरे शरीर में झंझनाहट सी शुरू हो गयी….

मेरे हाथ स्वतः ही उनके फुटबॉल जैसे चुतड़ों के उभारों पर पहुँच गये.. और मेने उन्हें अपने हाथों में लेकर मसल दिया….

वो मेरे सीने को चूमते चाटते हुए नीचे बैठने लगी.., अपने पंजों पर बैठ कर उन्होने मेरा शॉर्ट खींच दिया… नीचे में बिना अंडरवेर के था…

मेरे फुल्ली एराक्टेड लंड को देख कर जो अब 120 डिग्री पर हिल-हिल कर उनके इस जानमारू हुश्न को सलामी दे रहा था..

उसे देख कर वो मन्त्र मुग्ध हो गयी…और अपने हाथ में लेकर अपने गालों से रगड़ते हुए बोली….

आअहह… देवेर्जी … तुम कितने बड़े झूठे हो… आपका ये हथियार बता रहा है… कि इसने ना जाने कितनों की सील तोड़ी है..

मे – क्या भाभी आप भी… ! इसने आपको कैसे बता दिया ये सब…?

वो मेरे लंड को सहलाते हुए मेरी आँखों में देख कर बोली – देवेर जी आप मुझे अनाड़ी समझते हो..?

जिस तरह से ये मस्ती में अपना मुँह खोले झूम रहा है.. लगता है इसे सब पता है कि अब इसे क्या करना है…

फिर उन्होने मेरे सुपाडे को खोल कर अपनी जीभ से चाट लिया…

अहह…….भाभी….सीईईईई……मेरी सिसकी निकल गयी.. चूसो ईसीए…उउउम्म्म्मन्न.. वो उसे अपने होंठों में ले चुकी थी और अब लॉलीपोप की तरह चूस रही थी…

मे मस्ती से उनके सर को सहलाने लगा…थोड़ी देर लंड चूसने के बाद उन्होने मुझे पलंग पर धक्का दे दिया.. और अपनी नाम मात्र की पेंटी भी निकाल फेंकी…
अब वो किसी भूखी शेरनी की तरह मेरे पूरे शरीर पर हाथ फेरती हुई मेरी छाती पर चढ़ बैठी…

उनके गोरे-2 मस्त भरे डुए आमों को देख कर मेरी उत्तेजना दुगनी हो गयी, और मेने उन्हें अपनी मुट्ठी में भरकर बहुत ज़ोर से मसल दिया….

आआहह……देवर्जी…आराम से मेरे राजा….उखाड़ोगे इन्हें…?

तो मेने उनके कंधों को पकड़ कर अपने ऊपर झुका लिया, और उनके आमों को चूसने लगा…वो अपनी रसीली चूत को मेरे पेट पर मसलने लगी…

फिर धीरे-2 नीचे को सरक्ति हुई अपनी सुरंग के मुंहने को मेरे शेर की तरफ ले गयी…एक-एक इंच का फासला तय करती उनकी रसीली मुनिया मेरे पप्पू की तरफ सरक रही थी….

मेरा पप्पू मन ही मन बड़बड़ा रहा था, बेन्चोद साली जल्दी से पास आ, इतना तरसा क्यों रही है…

शायद उसकी बात भाभी ने सुन ली ही, सो अपने पंजों को मॉड्कर मेरी जांघों पर रख लिया…इस तरह से उनकी रस से सराबोर हो चुकी चूत के होंठ अपने आप फैल गये,…

मेरे लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर पहले कसकर दबाया, शायद वो उसकी ताक़त आजमा रही थी…

फिर अपनी गर्म भाप जैसा पानी छोड़ती चूत को उसके ऊपर रख कर वो उसपर बैठती चली गयी…


आआहह……….सस्सिईईईईईईईईईईईईईई…..उउउफफफफफफफफफ्फ़….म्म्म्मा आ…..

मस्ती में उनकी आँखें बंद होती चली गयी…, मुँह अपने आप खुल गया.. मेरे तगड़े लंड को लेने में शुरुआत में उन्हें थोड़ी तकलीफ़ हुई…

लेकिन अपने होंठों को कस कर भींचते हुए धीरे-धीरे वो उसके ऊपर बैठ ही गयी…, और पूरा साडे आठ इंच का मेरा सोते जैसा लंड उनकी चूत में जड़ तक समा गया…

जब पूरा लंड जड़ तक उनकी रसीली चूत में समा गया… तो वो कुछ देर मेरे ऊपर बैठ कर लंबी लंबी साँसें लेने लगी…

उउउफ़फ्फ़… मेरे राजाजी…कितना तगड़ा और दमदार हथियार है तुम्हारा…, मेरी बुर को अंदर तक भर दिया है इसने…सस्सिईइ….आअहह….मज़ाअ…आ गायाअ….

कुछ देर ऐसे ही रहने के बाद उन्होने अपनी गान्ड को ऊपर नीचे करना शुरू किया.. वो धीरे-2 चूत के मुँह को सुपाडे तक निकाल लेती.. और फिर से धीरे-2 ही पूरा अंदर कर लेती..

मुझे इस तरह से बहुत मज़ा आ रहा था, जब मेरा सुपाडा उनकी मुनिया के होंठों से रगड़ता…आअहह…, मस्ती में मेने उनके दोनो आमों को अपनी मुत्ठियों में भरकर ज़ोर-ज़ोर से मसल्ने लगा….

आअहह…. मेरे रजाआाअ…… हान्न्न.. ऐसे ही करो… बड़ा मज़ा आरहााआ…….हाीइ…हइईए……सीईईईईईई…..उफफफफ्फ़…मुऊुआाहह……

अब उनकी स्पीड कुछ बढ़ने लगी.. और वो तेज़ी से मेरे लंड पर कूदने लगी…
मेने भी नीचे से अपनी कमर उच्छालना शुरू कर दिया…

कभी वो मेरे होंठ चूसने लगती.. तो कभी मेरे सीने को सहलाती… और अजीब-अजीब सी आवाज़ें निकालते हुए.. मुझे चोद रही थी…

10 मिनिट बाद वो बड़ी बुरी तरह से झड़ने लगी.. उन्होने मेरे लंड और टट्टों को अपने चूत रस से गीला कर दिया, और मेरे ऊपर पसर गयी…
Reply
06-01-2019, 02:30 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
इधर मेरा मज़े से बुरा हाल था.. सो मेने उन्हें पलट कर नीचे लिया और एक बार उनकी रस छोड़ती चूत को जीभ से चाटा और एक तगड़े से झटके में अपना लंड उनकी चूत में पेल दिया…

उनके मुँह से एक लंबी सी सिसकी निकल गयी… आआहह……धीरीईए….डार्लिंग, थोड़ा साँस तो लेने दो….

लेकिन मेने अनसुनी करते हुए अपने धक्के शुरू कर दिए..

कुछ देर बाद वो फिरसे गरम होने लगी और अपनी कमर उच्छाल – 2 कर सहयोग करने लगी…

मेरे धक्के इतने तेज और पॉवेरफ़ुल्ल होते जा रहे थे.. की पूरे कमरे में मेरी जांघों की धाप उनकी गान्ड पर पड़ने की आवाज़ गूँज रही थी..

आधे घंटे मेने उनको रगड़ रगड़ कर छोड़ा.., उसके बाद उनकी चूत को अपने वीर्य से लबा लब भर दिया.. और उनके ऊपर लेट कर हाँफने लगा…

भाभी मेरे साथ चुदाई कर के मस्त हो गयी थी…

कुछ देर बाद हम दोनो बाथरूम में जाकर फ्रेश होने लगे…

थोड़ी देर के बाद भाभी अपने हाथों से मेरे हथियार को फिरसे धार देने लगी और उसकी सेवा करते हुए बोली – क्या कह रहे थे जनाब की, तुम्हें कुछ नही आता है, फिर ये क्या था…? हां !..

उनके सेवा भाव से खुश होकर मेरा शेर फिर से दहड़ने लगा.. और फन फनाकर उन्हें मुँह चिढ़ाने लगा…

मेने भाभी को चूमते हुए कहा – हहहे… वो तो बस अपने आप ही होने लगा… वैसे कैसा लगा आपको मेरे साथ सेक्स करने में..?

वो अपनी मखमली जाँघ से मेरे लौडे को मसल्ते हुए बोली – बस कुछ पुछो मत…मेरे पास ये सब बताने के लिए शब्द नही हैं…

बस इतना ही कहूँगी – यू आर सिंप्ली बेस्ट ! थॅंक्स देवर जी… मेरी इच्छा पूरी करने का बहुत-बहुत धन्यवाद…बिन मोल खरीद लिया आपने मुझे…

उनकी जाँघ की रगड़ से मेरा पप्पू नाराज़ हो गया, और वो उनकी गुदाज जाँघ में ही अपने लिए रास्ता ढूँढने लगा…

मेरे लंड की शख़्ती देखकर भाभी को भी ताव आ गया… और उन्होने उसे अपने मुँह में गडप्प कर लिया… और फिर वो चुसाई की.. कि साले को नानी याद आने लगी…

मेने उन्हें अपनी गोद में उठाया और पलग पर लाकर औंधे मुँह पटक दिया.. और उनकी पीठ पर चढ़ गया…

भाभी ने अपनी गान्ड को पलंग से अधर उठा लिया… जिससे उनकी गगर का मुँह खुल कर अपने साथी को बुलाने लगा……

मेने उनके मस्त गोल मटोल कलश जैसे चुतड़ों को मसल-मसल कर लाल कर दिया, साइड से कमर में हाथ डालकर उनकी गान्ड को और थोड़ा उठा कर चूत का मुँह खोला और अपनी 3 उंगलियाँ उसमें पेल दी…

भाभी के चूतड़ हवा में और ज़्यादा उठ गये…

मेने पीछे से अपना मूसल उनकी सुरंग के मुँह पर रखकर पूरी ताक़त से अंदर पेल दिया…

उउउइईईईईईईई…………माआआ……….उउफफफफफफफफफफ्फ़…..आराम से मेरे रजाआाअ….



उनकी कराह की परवाह ना करते हुए, मेने उनके सुनहरे लंबे बालों को जाकड़ कर पीछे को खींचा, जिससे उनका सर भी हवा में उठ गया…

तकिये पर हाथ टिकाए वो मस्ती से मेरे लंड का मज़ा लूटने लगी…

मेने उनकी चिकनी पीठ को चूमते हुए अपने धक्के शुरू कर दिए.. उनकी गान्ड और थोड़ी ऊपर हो गयी…

क्या मस्त नज़ारा था.. मेरी जांघें जैसे ही उनकी गान्ड के निचले हिस्से पर पड़ती.. तो उनके गोल-गोल चूतड़ बॉल की तरह और ऊपर को उठ जाते….

गान्ड को मसलते हुए बीच-2 में मे उसपर चान्टे भी बरसाता जा रहा था, जिससे उनकी गान्ड लाल सुर्ख हो गयी….

जब ज़्यादा मज़ा आने लगा तो वो अपनी घुटने टेककर घोड़ी बन गयी…



फिर तो चुदाई का वो तूफ़ानी दौर शुरू हुआ की बस पूछो मत… धक्के-पे धक्के… थपा-थप.. फुचा-फूच… शरीर भट्टी की तरह दहकने लगे…

आअहह….मेरे चोदु रजाअ… मेरे लाड़ले देवर जी, चोदो मुझे … फाड़ डालो मेरी चूत को…..

हआइई रीई… मईए.. तो गायईयीईई…….और आइसिस के साथ वो भल्भलाकर झड़ने लगी…

कुछ धक्कों के बाद मेने भी अपना कुलाबा उनकी चूत में खोल दिया…और में उनके ऊपर पसार कर हाँफने लगा…

लंड अंदर डाले डाले ही मेरी आँखें बंद हो गयी… करीब 10 मिनिट मे यौंही उनकी पीठ पर पड़ा रहा फिर उन्होने मुझे अपने ऊपर से साइड को लुढ़का दिया.. और फ्रेश होकर मेरा भी लंड सॉफ किया…

उस रात मेने उन्हें दो बार और चोदा.. वो मेरे लंड की दीवानी हो चुकी थी…
लेकिन भाभी थी बहुत गरम औरत.. उसने मुझे एकदम से जैसे निचोड़ ही लिया था…

थकान और नींद की खुमारी में सुबह के 4 बजे मे जैसे तैसे कर के अपने कमरे में पहुँचा, और धडाम से बिस्तर पर गिर पड़ा…

बेड पर पड़ते ही, मुझे होश नही रहा कि कब नींद आ गयी…

सुबह 8 बजे रामा दीदी ने मुझे झकझोरकर बड़ी मुश्किल से उठाया…

घड़ी पर नज़र पड़ते ही मेने झटपट से बिस्तर छोड़ा, और आधे घंटे में फ्रेश होकर नाश्ता कर के कॉलेज को भाग लिया… !

दूसरे दिन कॉलेज में ग़रीब अनाथ बच्चों के वेलफेर के लिए हम सभी स्टूडेंट्स को टाउन में जाकर लोगों के घरों में कुछ काम – धाम कर के उनसे खरी कमाई कर के फंड इकट्ठा करने का टास्क मिला…

रागिनी उसके भाई की पिटाई की घटना के बाद बिल्कुल सिंपल तरीके से, दूसरे स्टूडेंट्स की तरह ही कॉलेज में सबके साथ बिहेव करने लगी थी…

उसने मुझे रिक्वेस्ट के, की अगर में उसके साथ, उसके घर जाकर फंड इकट्ठा करूँ…, इसी बहाने वो भी मेरे साथ मिलकर अपने घर का कुछ काम करना चाहती है…

वैसे तो घर में उसे कोई कुछ करने नही देता, मुझे भी इसमें कोई बुराई नही लगी… तो हम दोनो उसके घर की तरफ चल दिए…

ठाकुर साब मुझे देख कर बड़े खुश हुए… और अपनी पत्नी और नौकरों को बोल कर मेरे लिए खाने पीने का इंतेज़ाम करने को कहा… तो मेने उन्हें हाथ जोड़कर रोका और कहा…

ठाकुर साब आज मे आपका परिचित या अतिथि नही हूँ… मे और रागिनी मिलकर आपके घर में कुछ काम करने आए हैं..

उससे जो कमाई होगी वो हम ग़रीब और अनाथ बच्चों की भलाई के लिए कुछ करेंगे…

वो बोले – अरे ! भाई तुम लोग बोलो… कितना पैसा चाहिए.. मे देता हूँ ना ! तुम लोगों को काम करने की क्या ज़रूरत है…

रागिनी – नही पापा… हम बिना काम किए आपसे एक पाई भी नही लेंगे.. सो प्लीज़ बताइए… हम दोनो आपका क्या काम करें..?

वो सोचते हुए हॅस्कर बोले – ठीक है.. भाई ! अगर तुम लोग कुछ करना ही चाहते हो तो गॅरेज में हमारी गाड़ियों की सफाई करदो… ठीक है.. कर लोगे ना !

मे – जी बिल्कुल… और हम दोनो पानी की बल्टियाँ भर के गॅरेज की तरफ चल दिए..

हम दोनो ही इस समय टीशर्ट और जीन्स पहने हुए थे.. टाइट टीशर्ट में रागिनी की बड़ी-2 चुचिया एक दम कसी हुई.. कपड़ों को फाड़ कर निकल पड़ने को हो रही थी..

गॅरेज में दो गाड़ियाँ खड़ी थी… एक उनकी स्कॉर्पियो और दूसरी सूडान मॉडेल कार…

मेने दोनो को पहले कपड़ा मार कर धूल सॉफ की फिर रागिनी को पानी मारने को बोला..

उसने एक मॅग से भर-भर कर गाड़ियों पर पानी उच्छालना शुरू किया… उसके अनाड़ीपन की वजह से गाड़ियों पर पानी कम पड़ रहा था.. लेकिन खुद पूरी भीग गयी…

कपड़े गीले होने से उसके बदन से बुरी तरह चिपक गये… मेरा उसे देखते ही लंड खड़ा होने लगा.. जिसे मेने अपनी जीन्स में अड्जस्ट किया…

मुझे उसे देख देख कर हँसी आरहि थी… मुझे हँसता हुआ देख कर उसने एक मॅग भरके मेरी तरफ उछाला… मेने पीछे हट कर बचने की कोशिश की लेकिन फिर्भी उसने मुझे भिगो ही दिया…

मेने कहा… तुम्हें तो कुछ भी नही आता, लाओ मे ही करता हूँ.. तो उसने मना कर दिया और फिरसे गाड़ियों पर पानी डालने लगी…

जब वो पानी डाल चुकी तो मे एक कपड़े से उन्हें फिर से पोंच्छने लगा… स्कॉर्पियो उँची गाड़ी थी… तो मे उसके पयदान पर चढ़ कर उसकी छत को पोंच्छ रहा था…

रागिनी भी गाड़ी के दूसरी तरफ पायेदान पर खड़ी हो गयी, और मेरी तरह ही कपड़ा मारने का प्रयास करने लगी…

उसकी हाइट कुछ कम थी, सो गाड़ी की छत तक पहुँचने के लिए वो उसपर अपने बूब्स टिका कर पोन्छने लगी…
मोटे-मोटे दूधिया उसके बूब्स गाड़ी की शीट से दब कर बाहर को निकलने के लिए मचल उठे, मेरी नज़र अनायास उसकी चुचियों पर चली गयी….!
Reply
06-01-2019, 02:30 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
दो बड़ी-बड़ी बॉल मानो एक दूसरे से मिला कर रखड़ी गयी हों उसके टॉप के अंदर,
मेरी नज़रों को ताडकर उसने उन्हें और ज़्यादा उभारते हुए गाड़ी को पोन्छ्ना शुरू कर दिया…

कुछ देर बाद वो मेरे बाजू में ही आ गयी.. और मेरे हाथ से कपड़ा लेने लगी.. मेने मना किया तो वो छीना-झपटी करने लगी.. !

मेने उससे कहा – रहने दे रागिनी, मे सॉफ कर लूँगा, वैसे भी तुझे कुछ आता जाता नही है…

ये बात उसे और ज़्यादा पूछ कर गयी, और वो मेरे हाथ से जबरजस्ती से कपड़े को खींचने लगी…

मेने उस कपड़े को अपने पीछे छिपाने की कोशिश की, तो वो ऊपर ही चढ़ने लगी, और कपड़ा लेने के बहाने मेरे सीने से चिपक गयी..

गीले हो चुके टॉप से वैसे भी उसकी बड़ी-2 चुचियाँ उबली पड़ रही थी… मेरी छाती से दब कर और चौड़ी होकर आधी तक ऊपर को उभर आई..

आख़िर मर्द के लौडे को इस सिचुयेशन में जो फील होता है, वहीं मेरे वाले को भी हुआ, भले ही सामने वाली से कैसा भी रबिता रहा हो…

अब वो कड़क होकर रागिनी की चूत के ऊपर ठोकर मारने लगा, जिसकी वजह से उसकी चूत और ज़्यादा खुन्दस में आकर आँसू बहाने लगी होगी…

वैसे तो मे उसकी मनसा बहुत पहले ही समझ चुका था… लेकिन फिर भी मेने अपनी ओर से उसे और ज़्यादा कुछ नही कहा,

चुप-चाप से वो कपड़ा उसे थमाया, और दूसरा कपड़ा उठा कर दूसरी गाड़ी को पोन्छ्ने लगा…

वो बुरा सा मुँह बना कर गुस्से में भुन-भुनाई और कपड़ा ज़मीन पर फेंक कर अपने पैर पटकती हुई घर की तरफ चली गयी…

ये मेरे लिए अच्छा हो गया, चलो मुसीबत टली, अब मे शांति से गाड़ियों को सॉफ कर सकता था…

आधे घंटे में मेने दोनो गाड़ियों को एक दम साफ कर के चमका दिया… और आकर ठाकुर साब को बोला – लीजिए सर आपकी दोनो गाड़ियाँ सॉफ हो गयी.. चाहो तो आप चेक कर सकते हैं…

वो बोले – अरे बेटा ! कैसी बात करते हो… बोलो तुम्हारी कितनी खरी कमाई हुई..?

मेने कहा – जो आप अपने नौकर को देते हो इतने काम के लिए उतना ही दे दो…

तो उन्होने मुझे 500/- का एक नोट पकड़ा दिया.., मेने कहा – ये तो इतने छोटे से काम के लिए बहुत ज़्यादा है…

वो बोले – अरे रखलो, ग़रीब बच्चों के ही तो काम आना है…

मेने उनकी बात का मान रखते हुए वो नोट ले लिया, तब तक रागिनी भी अपने कपड़े चेंज कर के आ चुकी थी…

फिर हम दोनो वापस कॉलेज लौट आए… लेकिन रास्ते भर वो मुझे गुस्से से ही घुरति रही…, लेकिन बोली कुछ नही.

कॉलेज पहुँचते -2 दूसरे स्टूडेंट्स भी आ चुके थे… सबका कलेक्षन कर के जितना पैसा इकट्ठा हुआ, उसे अनाथ आश्रम को भिजवा दिया…

ये सब काम निबटाने में 3 बज गये थे… मे घर आया और सीधा बाथ रूम में जाकर कपड़े चेंज किए.. और एक टीशर्ट के साथ शॉर्ट पहन कर बाहर आया…

बाहर मुझे कोई नही दिखा… किचेन से बर्तन खटकने की आवाज़ आ रही थी.. जाकर देखा तो दीदी बर्तन साफ कर रही थी…

दीदी ने मुझे देखते ही पूछा – अरे भाई तू आज इतना लेट कैसे हो गया रे..?

मेने उन्हें पूरी बात बताई और खाना लेकर वहीं बैठ कर खाने लगा…

खाना खाते-2 ही मेने दीदी से पूछा.. दीदी ! भाभी कहाँ हैं, जो तुम बर्तन सॉफ कर रही हो…!

दीदी – महारानी साहिबा सो रही हैं..! उनका वैसे भी काम करने का कोई मतलव नही है… कुछ आता-जाता हो तो कुछ करें भी..!

इससे अच्छा था कि भैया अपने साथ ले ही जाते तो ठीक रहता…कम से कम मेरे लिए काम तो कम होता…!

मे – अरे ! ये क्या कह रही हो.., वो तो काम की वजह से ही रुकी थी… ऐसा है तो आप उन्हें सिख़ाओ ना…!

दीदी – सिखाया उसको जाता है मेरे भाई… जो सीखना चाहे… उन्हें ये काम करने ही नही हैं तो सीख कर क्या करेंगी… भैया की कमाई पर ऐश करनी है उनको तो…

मे – तो क्यों ना हम भैया को फोन करदें कि उन्हें अपने साथ ले ही जायें...?

दीदी – रहने दे भाई… उन दोनो को ही बुरा लगेगा.. अब जैसे-तैसे कर के ये दिन तो निकालने ही पड़ेंगे… पर मे क्या बोलती हूँ.. तू ना ! उनके साथ इतना मत चिपके रहा कर..

मे कहाँ चिपका रहता हूँ.. जब मेने ये कहा, तो वो एकदम से बोल पड़ी.. रात भर कहाँ था तो फिर…?

मेने झटके से दीदी की तरफ देखा… वो मेरे पास आकर बैठ गयी और मंद-2 मुस्कराते हुए बोली –

अब मे बच्ची नही हूँ.. छोटे लाल ! तेरे से बड़ी हूँ, और ग्रॅजुयेट भी हूँ.. मुझे सब पता है.. तू क्या-2 करता है…

फिर कुछ सीरीयस होकर बोली – तुझे अपनी बेहन के अलावा वाकी सब दिखाई देते हैं इस घर में.. !
Reply
06-01-2019, 02:31 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
मे उनकी बाद सुनकर खाना, खाना ही भूल गया और उसकी तरफ देखने लगा… वो फिरसे बोली – क्या मेने ग़लत कहा कुछ…?

अब तक तो मोहिनी भाभी ही थी, … अब ये भी आ गयी. मे तो जैसे तेरे लिए इस घर में हूँ ही नही..

फिर वो मेरे कंधे को हिलाते हुए बोली - अब खाना खाले… यौं मुँह फाडे मत देखता रह मुझे… भाभी ने भी कभी-कभार के लिए तो बोला ही था..!

मेने कहा ठीक है दीदी… आज हम दोनो एक साथ सोएंगे…, वो खुशी से मेरे गले से लिपटे हुए बोली – सच… !

फिर अलग होते हुए बोली – लेकिन इस भाभी का क्या करेगा.. ये तुझे अकेला छोड़ेगी..?

मे – उसका भी कोई ना कोई हल निकल आएगा…आज रात तुम मेरा अपने कमरे में इंतजार करना…

मेरी बात सुनकर वो खुश हो गयी.. और जाकर अपने काम में लग गयी… मेने भी अपना खाना ख़तम किया, अपनी बुलेट उठाई और टाउन की तरफ निकल गया…

मेने सोचा कि अगर भाभी को यहाँ से जल्दी से जल्दी विदा करना है, तो उनके साथ ऐसा कुछ करना होगा, जिससे वो भैया को सामने से बुलाकर यहाँ चली जाएँ.

यही सब सोचते सोचते, मेने अपनी बुलेट एक मेडिकल स्टोर के सामने रोकी, और उससे एक 500एमजी विग्रा लेकर घर लौट लिया…

रात के खाने के बाद, भाभी ने मुझे अपने कमरे में आने का इशारा किया… मेने उन्हें थोड़ी देर इंतेज़ार करने का इशारा कर दिया…

रामा दीदी तिर्छि नज़र से ये सब देख रही थी.. और मन ही मन उनको गालियाँ दे रही थी…..
खाने के बाद मेने वो कॅप्सुल पानी के साथ गटक लिया, इस दवा के बारे में ये जानकारी मेने नेट से निकाली थी, जिसका असर डेढ़-दो घंटे के अंदर पूरी तरह हो जाना था…

मेने दीदी को शांत रहने का इशारा कर के, अपने कमरे में चला गया… कुछ देर के बाद उसको गेट खुला रखने का बोल कर मे भाभी के कमरे की तरफ बढ़ गया…

कॅप्सुल लिए हुए अभी मुझे एक घंटा ही हुआ होगा, कि उसका असर मेरे शरीर में महसूस होने लगा…

मुझे उनके घर के कामों में सहयोग ना देने से गुस्सा आ रहा था…, भैया के सामने तो बड़े-बड़े भाषण दे रही थी, मानो वो इस घर के लिए कितनी फैथफुल है और अब अपनी औकात दिखाने लगी.

बड़े घर की बेटी होगी अपने लिए, यहाँ उसे रहना है तो एक आदर्श बहू बनके ही रहना होगा, ना कि किसी महारानी की तरह हुकुम चलाके.

रामा दीदी को मोहिनी भाभी ने अब तक अपनी छोटी बेहन की तरह माना है, और इसने उसे अपनी नौकरानी बना दिया…

ये सब सोच कर मेरे अंदर उनके प्रति एक गुस्से की भावना पनप चुकी थी, इसलिए मेने अब सोच लिया था कि इनको इनकी औकात दिखानी ही पड़ेगी…

भाभी चुदने की पूरी तैयारी कर के बैठी थी.. अपनी मिनी ब्रा और पेंटी के ऊपर एक छोटा सा पारदर्शी गाउन डाल रख था जिसका होना ना होना एक जैसा ही था…

मेने भी देर नही की और अपने कपड़े निकाल दिए, फिर उनके गाउन को उतार कर एक ओर फेंक दिया…

भाभी मेरी जल्दबाज़ी देख कर बोली – क्यों देवर जी आज बड़े उतावले हो रहे हो…

मे – अरे भाभी ! सामने इतना हॉट माल हो तो सबर कहाँ होता है.. ये कह कर मेने अपने भी कपड़े निकाल दिए और अपना कड़क लंड उनके मुँह के सामने लहरा दिया…

मेरे मस्ती में झूमते लौडे को देख कर उन्होने उसे अपनी मुट्ठी कस लिया, और उसके सुपाडे को चाटते हुए बोली –

आअहह… देवर जी, क्या बात है, आज तो ये और ज़्यादा मस्त कड़क लग रहा है..

मेने मुस्कराते हुए कहा – कल की मलाई खाकर ये और ज़्यादा चाक-चौबंद हो गया है…

मेरी बात सुनकर वो भी मुस्कारने लगी, और मेरी आँखों में देखते हुए उसे अपने मुँह में भर लिया…!

कुछ देर वो उसे मज़े ले लॉलीपोप की तरह चुस्ती रही, फिर जैसे जैसे मेरी उत्तेजना में बढ़ोत्तरी हुई, मेने अपनी कमर भी चलाना शुरू कर दिया, और एक तरह से उनके मुँह को चोदने लगा…

मेरा लंड गोली के असर से एकदम डंडे की तरह शख्त हो चुका था, अचानक मेने उनके सर को अपने हाथों में जकड़ा, और पूरा लंड मुँह में ठेल दिया…

वो जाकर उनके गले में फँस गया… कुछ देर में यौंही उसे दबाए रहा..
उनकी गले की नसें फूलने लगी, आँखें बाहर को उबल पड़ने को हो गयी…

मेने सोचा, अगर ज़्यादा देर ऐसे ही रखा तो कहीं कुछ गड़बड़ ना हो जाए, सो मेने झटके से उसे बाहर खींच लिया…

पूरा रोड जैसा शख्त लंड उनकी लार से लिथड़ा हुआ था, वो कुछ देर तक खाँसते हुए अपनी साँसें नियंत्रित करती रही… फिर कुछ राहत की साँस लेकर, शिकायत करते हुए बोली…

बड़े जालिम हो.., ऐसे भी कोई करता है, मेरी साँस ही रोक दी तुमने तो…

मेने मासूम सा चेहरा बनाकर कहा – सॉरी भाभी, मुझसे रहा नही गया, ग़लती हो गयी.. अब नही करूँगा…

फिर मेने उनकी ब्रा और पेंटी भी निकलवा दी.. और उनके चुचे मसल्ते हुए बोला…
भाभी मुझे आपकी गान्ड बहुत अच्छी लगती है.. एक बार दो ना प्लीज़…

वो ना नुकुर करने लगी.. तो मेने भी धमकी दे दी.. तो ठीक है रखो उसे अपने शोकेस में सज़ा कर, मुझे नही चाहिए… और अपने कपड़े उठाने लगा…

उन्होने झपट कर मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली – प्लीज़ ज़िद मत करो.. मेने कभी ट्राइ नही की है… फिर भी अगर आपको वो ही चाहिए तो प्लीज़ एक बार मुझे आगे से करदो…लेकिन थोड़ा प्यार से करना प्लीज़… मुझे दर्द होगा..

मेने कहा ठीक है.. अब आप बेफिकर रहो.. मे आपको दर्द नही होने दूँगा…

मेने थोड़ी देर उन्हें गरम किया.. और जब उसकी चूत पानी देने लगी तो मेने अपना मूसल उसकी चूत में डाल दिया… और जबरदस्त चुदाई शुरू कर दी…

वो हाए- हाए करती हुई 10 मिनिट में ही झड़ने लगी…

फिर मेने उसे घोड़ी बनाने को कहा… वो बोली – प्लीज़ देवर्जी मान जाओ ना.. मुझे दर्द होगा…

मेने कहा – इसकी आप चिंता ना करो.. और मेने उसकी गान्ड चाटना शुरू कर दिया.. घोड़ी बनाने के बाद भी मेने उसकी टाँगों को और चौड़ा कर दिया, अब उसकी गान्ड का सुराख थोड़ा खुल गया था..

मेने उसकी चूत में तीन उंगलियाँ डाल कर उन्हें मोड़ कर बाहर निकाला.. तो उनकी चूत की मलाई ढेर सारी मेरी उंगलियों के साथ आ गयी… जिसे मेने उसकी गान्ड के सुराख में डाल कर एक उंगली से अंदर बाहर कर के चिकना कर दिया…
Reply
06-01-2019, 02:31 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
कुछ देर उंगली से गान्ड चोदने के बाद मेने अपने सुपाडे थूक लगा कर गीला किया और उसके टाइट गान्ड के सुराख पर रख कर अंदर ठेल दिया..

वो कराह कर अपनी टाँगें सिकोड़ने लगी… मेरा पूरा सुपाडा उसकी गान्ड में घुस चुका था…

फिर मेने अपनी टाँगों को उसकी जांघों के आगे से अड़ा दिया और कंधों पर दोनो हाथों को जमा कर एक करारा सा धक्का दे मारा…

अरईईईईईईई…………..मैय्ाआआआआआआअ……….माआआआअरर्र्र्र्ररर……..डलल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लाआाआअ……….रीईईईई……



वो मुझे अपने ऊपर से धकेलने की भरसक कोशिश कर रही थी… लेकिन मेरी टाँगें उसे हिलने तक नही दे रही थी.. ऊपर से दोनो हाथों ने उसका अगला धड़ दबोच रखा था…

मेरा आधे से ज़्यादा लंड उसकी गान्ड में था… एक बार लंड की साइड में अपना थूक और डाल कर उसे थोड़ा सा बाहर खींचा…

और एक लंबी साँस खींचकर एक जबरजस्त झटका मारा… मोटे बबूल के डंडे जैसा मेरा सख़्त लंड, भाभी की कोमल गान्ड को चीरता हुआ जड़ तक फिट हो गया….

अपना एक हाथ में पहले ही उसके मुँह पर फिट कर चुका था… उसने चीखना चाहा… लेकिन चीख ना सकी… उसकी आँखों से आँसू झरने लगे…

मेने यहीं हद नही की और उसकी चुचियों को मसलते हुए.. धक्के देना शुरू कर दिया… बहुत देर तक वो कराहती रही… दर्द से तड़पति रही.. अपनी गान्ड को हिला डुला कर मेरे सोटे को गान्ड से निकालने का प्रयास करती रही…

लेकिन मेरी टाँगों की केँची ने उन्हें हिलने तक नही दिया…फिर मेने अपना एक हाथ उसकी चूत पर ले जाकर सहलाने लगा..

उसका दर्द कुछ कम हुआ तो मेने अपने धक्कों की गति बढ़ा दी…

मे पूरी लंबाई के स्ट्रोक के साथ उनकी गान्ड फाड़ने में लगा हुआ था…
वाइग्रा के असर से मेरा लंड गान्ड में जाकर और ज़्यादा फूल गया, उनकी टाइट गान्ड के होल की दीवारें छिल सी गयी, मेरे लंड में भी दर्द सा होने लगा था…

लेकिन उसकी परवाह ना करते हुए मे लगा रहा गान्ड चोदने में, टाइट गान्ड की रॅगडन और उसके अंदर की गर्मी से मेरा लंड भी जल्दी ही पिघलने लगा और में झड गया…

मेरे पैर हटते ही वो धप्प से बिस्तेर पर औंधे मुँह गिर पड़ी.. उसके गिरते ही मेरा लंड ऑटोमॅटिकली बाहर आ गया…

मेने देखा तो उसपर कुछ खून के धब्बे से लगे हुए थे.. जो उसकी गान्ड की अन्द्रुनि दीवार के फटने से लग गये थे…

कामिनी भाभी की गान्ड का छेद लाल सुर्ख हो गया था, लंड बाहर आने के बाद भी कुछ देर तक वो एक सर्कल के शेप में खुला ही रहा…

उन्हें यौंही पड़ा छोड़कर मेने चुप चाप अपने कपड़े उठाए… और उनके रूम से खिसक लिया…,

दरवाजे को भिड़ा कर बाहर निकल आया.. वो यौंही बेसूध पड़ी रह गयी…

बाहर आकर मेने बाथ रूम में जाकर अपने लंड को साफ किया.. और बिना कपड़े पहने ही दीदी के रूम में घुस गया…

टाइट गान्ड की ज़बरदस्ती की रगड़ और कॅप्सुल के असर से मेरे लंड में भी थोड़ा सा दर्द जैसा था… लेकिन उसकी अच्छी-ख़ासी कशरत होने से वो अभी भी ढीला नही हुया था..

दीदी एक चादर ओढ़े मेरा इंतेज़ार कर रही थी… गेट बंद कर के मेने उसकी चादर हटाई…………..वाउ ! उसके बदन पर कपड़े के नाम पर एक रेशा तक नही था..

मे उनके साथ लेट गया.., और उसके नंगे तपते बदन को अपनी कामुक हरकतों से और ज़्यादा पिघलने लगा…

जब वो लंड लेने के लिए उताबली दिखने लगी, तो मेने बड़े प्यार से अपना डंडे जैसा लंड जो अभी भी दवा के असर में था, उसकी रसीली चूत में धीरे-2 डालने लगा.

लंड फूल कर इतना कड़क हो चुका था, की दीदी की गीली चूत आधे में ही फडफडाने लगी…

उसके मुँह से कराह निकलने लगी.. मे आधे लंड से ही उसकी तमन्ना पूर्ति करता रहा और जितनी निर्दयता से मेने भाभी की गान्ड फाडी थी… उसके ठीक उलट मे दीदी के साथ बड़े इतमीनान के साथ चुदाई करने लगा…

अब मेरी कोशिश रहती थी… कि मे अपनी दीदी को आधे लंड से ही संतुष्ट करूँ.. जिससे उसके कुंवारेपन पर ज़्यादा फ़र्क ना पड़े… ये भाभी का ही सुझाव था हम दोनो के लिए…

कभी-कभी तो बिना अंदर डाले ही हम दोनो संतुष्ट हो जाते थे…

आज भी बड़े सॉफ्ट तरीके से चोद्कर मे दीदी को संतुष्ट करना चाहता था, लेकिन दवा का असर, ऐसा ना करने पर मजबूर कर रहा था…, और ना चाहते हुए भी जब वो मेरा सहयोग करने लगी तो मेने उन्हें थोड़ा ज़ोर से रगड़ दिया…,

वो तो इस तरह का वाइल्ड सेक्स पाकर मस्त हो गयी, देर रात तक हम दोनो एक दूसरे में गूँथे रहे, और फिर मे उसके बगल में ही सो गया……!

दूसरे दिन सुबह मेरे कॉलेज जाने तक भी कामिनी भाभी अपने कमरे से बाहर नही आई.. तो मे एक नज़र उनको देखने चला गया… वो अभी भी सो रही थी.. लेकिन अब उनके बदन पर व्यवस्थित कपड़े थे…

फिर मेने सोचा की कॉलेज से लौट कर ही बात करता हूँ… और मे वहाँ से अपने कॉलेज चला गया…

दोपहर को कॉलेज से वापस आने के बाद देखा, तो कामिनी भाभी अभी भी अपने कमरे में ही थी.. मे सीधा उनके पास चला गया…

वो मुझे देख कर सुबकने लगी… और शिकायत करते हुए बोली…

मेरे साथ आपने ऐसा क्यों किया देवर्जी…? आपने कोन्से जन्म की दुश्मनी निकाली मेरे साथ ?

मेने कहा – सॉरी भाभी ! मे आपकी सुन्दर सी मदमस्त गान्ड देख कर अपने आप पर कंट्रोल नही कर पाया.. और वो सब मुझसे हो गया जो में कभी नही करना चाहता था… प्लीज़ मुझे माफ़ कर दीजिए…

अब मे आज आपसे एक वादा करता हूँ… कि आज के बाद मे आपको कभी हाथ भी नही लगाउन्गा..

वो हड़बड़ाते हुए… कुछ बोलना चाहती थी, कि मेने हाथ का इशारा कर के उन्हें रोक दिया और बोला –

आपको कुछ कहने की ज़रूरत नही है.. अब मेरे लिए यही सज़ा है.. कि मे आज के बाद अपनी प्यारी और परी जैसी सुन्दर भाभी के पास भी ना फटकू.. हो सके तो मुझे माफ़ कर देना…

उसके बाद मेने उनके जबाब का भी इंतेज़ार नही किया और उनके पास से उठ कर चला आया…

रामा दीदी छिप्कर हमारी बातें सुन रही थी… मुझे बाहर आते देख वो किचेन में चली गयी…

और मुझे इशारे से अपने पास बुलाकर हँसते हुए बोली – वाह भाई… क्या सबक सिखाया है तूने उनको… मज़ा आ गया…,

साँप भी मर गया और लाठी भी नही टूटी, इस बात पर हम दोनो ही ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगे…
Reply
06-01-2019, 02:31 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
दो दिन बाद ही भाभी ने भैया को फोन कर के बुला लिया और एक रात रुक कर वो उनके साथ शहर चली गयी…

जाते हुए उनके चेहरे के भाव मेरे प्रति कुछ अच्छे नही थे, मुझे लगा जैसे एक गुस्से की आग उनके अंदर दबी हुई हो, जिसे मे समझ नही पा रहा था…

खैर अब जो होना था, सो हो गया, पर अब मे और दीदी… दोनो ही घर में अकेले रह गये थे, जो अब मस्ती से मनमाने तरीके से रह सकते थे…….!

अब दीदी ने घर में ब्रा और पेंटी पहनना बंद ही कर दिया था, वो बस एक वन पीस गाउन ही डाल लेती थी, जिससे उसके नाज़ुक अंग मेरी उत्तेजना बढ़ाते रहते थे..

जानबूझ कर वो उन्हें मेरे सामने और ज़्यादा उभार कर निकलती, तो मे उसे भी निकाल देता, और अपने खड़े लंड पर बिठाकर सारे घर में घूमता…

वो भी चलते फिरते अपनी गान्ड मेरे लौडे से रगड़ कर मुझे छेड़ देती, और हम दोनो ही गरम हो जाते.. लेकिन इन सबके बबजूद फिज़िकल सेक्स को अवाय्ड करने की कोशिश करते थे…

जब पानी सर से गुजरने लगता, तभी चुदाई करते…!

एक दिन दीदी रसोई में काम कर रही थी, वो थोड़ा आगे को झुक कर बर्तन धोने में लगी थी, टाइट फिट मिनी गाउन में उसके गोल-गोल चूतड़ बाहर को निकले हुए थे…

पेंटी ना होने की वजह से उसकी गान्ड की दरार भी साफ-साफ दिखाई दे रही थी…

मे उसी समय कॉलेज से लौटा था, कमरे में कपड़े चेंज कर के मे सीधा रसोई में ही चला गया,

गेट से ही मेरी नज़र जैसे ही उस नज़ारे पर पड़ी…मेरा लॉडा बिना अंडरवेर के शॉर्ट में फड़फड़ाने लगा…
मे दबे पाँव उसके पीछे जाकर खड़ा हो गया, वो अपनी धुन में मस्त काम करने में व्यस्त थी…

मे अपना लॉडा उसकी गान्ड में फिट कर के उससे सॅट कर जैसे ही खड़ा हुआ, वो एक साथ चोंक पड़ी, फिर अपनी गान्ड का दबाब मेरे लौडे पर डालते हुए बोली…

मान जा ना भाई, क्यों परेशान करता है, मुझे काम करने दे ना…

मेने उसकी बगलों से हाथ आगे लेजाकर उसके अनारों को सहला कर कहा – लाओ मे भी मदद कर देता हूँ…

वो – मुझे पता है, तू कैसी मदद करेगा… छोड़ मुझे…आअहह… नही भाई… ज़ोर से नहियिइ….

जब मेने फिर भी उसे नही छोड़ा… तो वो काम छोड़कर मेरी तरफ पलट गयी, और मेरा लंड पकड़ कर उमेठ दिया…

आआईयईईई…..डीडीिई…क्या करती हो… तोडोगी क्या…?

वो शरारत से मुस्कराते हुए बोली – अच्छा ! तब से तू मेरी चुचियों को मरोड़ रहा था तब कुछ नही था, अपनी बारी आई तो लगा चिल्लाने…

फिर उसने मेरे होंठों को चूम लिया, और बोली - अब जा बाहर मुझे काम निपटाने दे, वरना मे आराम नही कर पाउन्गि…!

मेने वहाँ से जाने का नाटक किया, जब वो मुड़कर फिरसे काम पर लग गयी, तो मेने झटके से उसका गाउन कमर तक ऊपर उठा दिया, और नीचे बैठ कर उसकी गान्ड की दरार में मुँह डालकर चाट लिया…

आआहह…..कुत्ते… नही मानेगा तू…सस्सिईइ…छोड़ .. आई…

वो एक तरफ मना करती जा रही थी, और दूसरी तरफ उसने अपनी टाँगें चौड़ी कर दी, जिससे में और आसानी से अपनी जीभ को उसकी चूत तक ले जेया सकूँ…

थोड़ी ही देर में वो गरम हो गयी, उसने अपना गाउन निकाल कर एक तरफ फेंक दिया… और मेरी तरफ पलट कर एक टाँग मेरे कंधे पर रख दी…

मे उसकी चूत को अच्छे से चाटने लगा.. वो अपनी आँखें बंद कर के मेरे बालों को सहलाने लगी…

कुछ देर बाद उसने मेरा सर पकड़कर, मुँह अपनी चूत के द्वार पर दबा दिया…

और आआईयईईई….मे..गाइिईई….करते हुए वो मेरे मुँह में झड़ने लगी…

कुछ देर तक वो मेरे मुँह को यौंही दबाए एक टाँग पर खड़ी रही…फिर जब उसका स्खलन बंद हो गया, और जैसे ही अपनी आँखें खोल कर सामने देखा…

झटके से उसने मुझे अपने से अलग किया, और अपने गाउन की तरफ लपकी… मेने बैठे-बैठे ही पीछे मुड़कर देखा….

सामने गेट पर अपने मुँह पर हाथ रखे हुए छोटी चाची खड़ी थी…

दीदी अपना गाउन पहनकर गर्दन झुकाए किसी अपराधी की तरह खड़ी हो गयी…

चाची अपने हा पर हाथ रखे हुए ही बोली – हाए लल्ला ! रामा बेटी ! तुम दोनो इतने बेशर्म भी हो सकते हो मुझे पता ही नही था…,

सगे भाई-बेहन होकर ऐसा काम करते तुम दोनो को लज्जा नही आती…?

दीदी की तो हवा ही खराब हो चुकी थी, वो सूखे पत्ते की तरह खड़ी-खड़ी काँप रही थी…

मे मंद-मंद मुस्कराते हुए चाची की तरफ बढ़ा, और जाकर उनकी एक चुचि को मसल्ते हुए कहा –

हम ऐसा क्या कर रहे थे चाची, जिसमें हमें लज्जा आनी चाहिए थी…?

मेरे चुचि मसल्ते हुए ऐसा कहने से दीदी की और ज़्यादा हालत खराब होने लगी.. वो फटी-फटी आँखों से मेरी तरफ देख रही थी…
चाची ने अपने चेहरे पर बिना कोई भाव लाए कहा – यही सब में जो अभी तुम दोनो कर रहे थे, वो तुम्हारे सामने नंगी खड़ी थी, और तुम उसकी वो ..वो..वो..चाट रहे थे.. और क्या..

मेने चाची की दोनो चुचियाँ एक साथ मसल दी, और कहा – वो क्या चाची…?

चाची मेरे लंड को दबाकर मुस्कराते हुए बोली – हाए लल्ला ! तुम वाकई में बहुत बेशर्म होते जा रहे हो…

मे – तो आप भी हो जाओ ना हमारे साथ बेशर्म, ये कहकर मेने उनकी साड़ी पेटिकोट समेत कमर तक उठा दी…

छ्होटे-2 बालों से घिरी, मोटे-मोटे होंठों वाली चूत को देखकर रामा दीदी बुरी तरह चोंक पड़ी…वो समझ ही नही पा रही थी, कि आख़िर ये हो क्या रहा है…

अब चाची ने भी मेरा शॉर्ट नीचे खींच कर मेरा लंड सहलाने लगी…! मे उनकी माल पुआ जैसी चूत को अपनी मुट्ठी में भरकर मसल्ने लगा…

रामा जो कुछ देर पहले खड़ी डर के मारे थर-थर काँप रही थी, ये नज़ारा देख कर उत्तेजित होने लगी…

मेने इशारे से उसको भी अपने पास बुला लिया, अब हम तीनों ही एक दूसरे में गुत्थम-गुत्था होते जा रहे थे…

कुछ ही पलों में हमारे बदन से कपड़े अलग हो गये… मेने रामा दीदी को स्लॅब के किनारे पर बिठा दिया, और चाची को झुका कर उसकी चूत के सामने खड़ा कर लिया…

फिर पीछे से मेने चाची की चूत में अपना लॉडा डाल दिया…. वो आआहह…सस्सिईईई….जैसी आवाज़ के साथ आँखें बंद कर के मेरे लॉड को अपनी चूत में निगल गयी…

दीदी ने चाची का मुँह अपनी चूत पर दबा दिया, और वो उसे चाटते हुए चुदाई का मज़ा लूटने लगी…
Reply
06-01-2019, 02:31 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
हम तीनों ही मज़े की खोज में निकल पड़े, और 15 मिनिट की मस्त चुदाई के बाद क़हचही ऊंट (कॅमल) की तरह गर्दन आकड़ा कर झड़ने लगी….

उनके कामरस के प्रेशर से मेरा मूसल अपने आप चूत के बाहर आ गया… मेने रामा दीदी को अपनी गोद में लेकर स्लॅब के नीचे फर्श पर लेट गया…

वो अपनी अधझड़ी बुर लेकर मेरे डंडे के ऊपर बैठती चली गयी… मेने उसके अनारों को मसल्ते हुए नीचे से कमर चलाना शुरू कर दिया…

चाची हमारी चुदाई देख कर मस्त हो गयी.. और अपनी चुचियों को खुद ही मसलने लगी…

कुछ देर के बाद वो भी झड गयी…, तो मेने उसे अपने ऊपर से हटाया, खुद खड़ा होकर अपने लंड में दो हाथ के सट्टी लगाए, और अपनी गढ़ी-गढ़ी मलाई उन दोनो के चेहरे पर उडेल दी.

वो दोनो किसी भूखी कुटियाओं की तरह एक दूसरे के चेहरे से मेरी मलाई चाटने लगी…

मेने चाची की मस्त मोटी गान्ड मसल्ते हुए कहा – क्यों चाची…भतीजे- भतीजी के साथ चुदने में मज़ा आया कि नही…

चाची – हाए लल्ला… तुम तो सच में बहुत बड़े वाले चोदु हो गये हो… मुझे भी अपनी तरह बेशर्म बना ही दिया…

पर सच कहूँ… आज एक अजीब ही तरह का मज़ा आया… क्यों रामा… तुम्हें आया या नही…?

दीदी ने बोलने की जगह चाची के होंठों पर किस कर लिया…

आज घर में एक नया अध्याय ओपन हो गया था, जो चाची और रामा दीदी के लिए सुखद अनुभव देने वाला साबित हुआ था……

ऐसी ही मौज मस्ती के बीच समय का पता ही नही चला और राजेश की शादी का दिन भी आ गया.. बड़े भैया दो दिन पहले ही घर आ गये थे…

अगले दिन बाबूजी समेत हम सभी लोग उसकी शादी अटेंड करने चल दिए….!

भैया को जीजा होने के नाते कुछ मंडप वग़ैरह की रस्में निभानी थी…, इस वजह से हमें सुबह जल्दी ही निकलना पड़ा… गाड़ी से आधे घंटे में 10 बजे तक उनके यहाँ पहुँच गये..

फाल्गुन का शुरुआती महीना था… हल्की-2 सुबह में ठंडी रहती है…, भैया तो जाते ही कुछ ख़ान-पान की मेहमान नवाज़ी के फ़ौरन बाद अपनी रस्मों में बिज़ी हो गये…

पिताजी अपने समधी और वाकी के बुजुर्गों के पास बैठ कर राज़ी खुशी में व्यस्त हो गये,

राजेश के कुछ साथ के कुलीग भी आए थे.. तो मे उनके साथ छत पर कुर्सी डालकर बैठ गया और उनके साथ गप्पें लगाने लगा…

तभी वहाँ कुछ शादी शुदा औरतें आई जो शायद निशा की भावियाँ लगती थी…

उनके हाथ हल्दी से पुते हुए थे, आते ही वो उन लोगों को हल्दी लगाने लगी…इतने में मे सतर्क हो गया…

और इससे पहले कि उनमें से कोई मेरे पास आकर मुझे हल्दी लगाती, मे वहाँ से उठ कर एक तरफ भाग गया…

अभी मे सीडीयों के पास वाली बौंड्री से सट कर खड़ा हुआ ही था की तभी मेरी जान का दीदार हुआ… आँखों -2 में हमने एक दूसरे को ग्रीट किया….

मे धीरे-2 उसकी तरफ सरक ही रहा था… कि वो मुस्कुराती हुई.. नीचे भाग गयी… मे अभी भी उसे भागते हुए देख रहा था की ना जाने कहाँ से एक लड़की..
मेरे पीछे से आ गयी और उसने मेरी पीठ पर जोरदार थप्पड़ जड़ दिए..

जो असल में हल्दी लगे हाथों के थे… मेने जैसे ही उसकी तरफ पलट कर देखा…वो वही हल्दी लगे हाथ मेरे चेहरे पर भी रगड़ने लगी..

चूँकि वो लंबाई में निशा से भी कम थी… और मे ठहरा सवा 6 फूटा… तो उसको अपने हाथ काफ़ी ऊपर करने पड़े जिसकी वजह से उसके बड़े-बड़े कलमी आम मेरे पेट से रगड़ने लगे…

वो हँसते हुए मेरे गालों पर हल्दी मल रही थी.. मेने उसके हाथ पकड़ लिए और मॉड्कर उसके ही हाथ उसके गालों से रगड़ दिए जिससे रही सही हल्दी उसके गालों पर भी मल गयी…

वो झूठ-मूठ की नाराज़गी भरे लहजे में बोली – क्या जीजा जी… ये तो चीटिंग है.. आपने हमारी ही हल्दी हमें ही लगा दी…

बाजू में खड़ी औरतें बोली – क्यों ननद रानी… अब आया ना मज़ा.. ये जीजा आसानी से तुम्हारे हाथ आने वाले नही हैं…

वो नकली गुस्सा दिखाते हुए.. पैर पटकती हुई वहाँ से नीचे चली गयी…

वो जैसे ही वहाँ से गयी, उन औरतों ने मुझे चारों ओर से घेर लिया, और मेरे साथ खुल्लम खुल्ला मज़ाक करते हुए मेरे कपड़ों पर हल्दी लगाने के बहाने अपने नाज़ुक अंगों को मेरे शरीर के साथ रगड़ने लगी…

मेने जैसे तैसे कर के अपने आप को उनके चंगुल से आज़ाद किया, इस कोशिश में एक दो की रगड़ाई भी करनी पड़ी, और वहाँ से भाग के नीचे आ गया.
नीचे आकर मे निशा को ढूँढ रहा था… जो मुझे एक झलक दिखा कर एक तरफ को भाग गयी…

मे भी उसके पीछे -2 उसके पास पहुँच गया… वो एक ऐसी जगह खड़ी थी जहाँ लोगों का आना-जाना कम था…

मेने उसे बाहों में भर कर चूम लिया और शिकायत करते हुए कहा – तुमने मेरा स्वागत इस तरह से कराया है..? मुझे तुमसे ये उम्मीद नही थी…

वो मुस्कराते हुए बोली – ससुराल में आए हो… सालियों से तो ऐसी ही आशा करनी चाहिए आपको… इसमें ग़लत क्या है…

में उसकी बात का जबाब उसके होंठों को चूमकर देना चाहता था कि उसने मुझे धक्का देकर अपने से दूर कर दिया, मे जैसे ही एक कदम पीछे हुआ….

एक भारी बाल्टी गाढ़ा-गाढ़ा रंग, मेरे गर्दन से नीचे तक मुझे रंगता चला गया… निशा मेरे सामने खड़ी खिल-खिला रही थी…

मे जैसे ही उस रंग डालने वाली की तरफ पलटा… वही लड़की जो कुछ देर पहले मुझे हल्दी लगा गयी थी, मेरे चेहरे पर टूट पड़ी… मेरा पूरा चेहरा उसने गाढ़े-2 रंग से पोत दिया…

मेने भी अब उसे मज़ा चखाने का सोच लिया, एक हाथ से उसकी मोटी- गुदगुदी गान्ड को कसा, और दूसरे हाथ को उसके सर के पीछे से पकड़कर कर अपने से सटा लिया.

वो मेरी पकड़ से आज़ाद होने का भरसक प्रयास कर रही थी, लेकिन उसे क्या पता था कि ये फेविकोल का मजबूत जोड़ है, आसानी से टूटने वाला नही है..

और फिर मेने अपने चेहरे का पूरा रंग उसके गालों से रगड़ -2 कर पोंच्छ दिया…

उसके दोनो आम मेरे सीने से दबे हुए थे… दूर खड़ी निशा खिल-खिलाए जा रही थी… उस लड़की की साँसें भारी होने लगी.. और उसकी आँखों में वासना के कीड़े तैरने लगे…

उसने उचक कर मेरे चेहरे को अपने हाथों में लेकर मेरे होंठों पर किस कर दिया और दूर छिटक कर लंबी- 2 साँसें लेने लगी…
Reply
06-01-2019, 02:32 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
निशा ने पास आकर हम दोनो का इंट्रोडक्षन कराया – ये है मेरी दोस्त मालती… आपसे मिलने के लिए बहुत उतावली हो रही थी… फिर वो मल्टी से बोली – अब खुश… मिल ली ना अपने जीजा जी से…

मालती अपना हाथ आगे कर के बोली – थॅंक यू जीजा जी… आपसे मिलकर बड़ी खुशी हुई..

मेने भी उसका नरम मुलायम हाथ अपने हाथ में लेकर चूमते हुए कहा – मुझे भी ऐसी हॉट & सेक्सी साली से मिलकर बड़ी खुशी हुई…

हाथ मिलाते हुए उसने एक गाढ़े से रंग का पेस्ट मेरे हाथ में थमा दिया, और अपनी एक आँख दबा कर इशारा कर दिया…

मेरे मुँह से उसके लिए हॉट & सेक्सी सुनकर निशा के चेहरे पर नाराज़गी वाले भाव दिखाई दिए…

जिन्हें देख कर मालती उसे चिढ़ाते हुए बोली – क्यों जल गयी ना… जीजा जी के मुँह से मेरे लिए हॉट सुन कर…

निशा – अच्छा ! साली मुझे चिढ़ाएगी… ठहर, इतना कहकर वो मालती की तरफ झपटी…

मौके का फ़ायदा उठाकर मेने वो रंग अपने हाथों में माला, और पीछे से निशा को लपक लिया…

अचानक हुए हमले से वो मेरी बाहों में कसमसाने लगी, लेकिन तबतक मेने उसके चेहरे को पूरी तरह से रंग दिया…

अब वहाँ खड़े हम तीनों की सूरत बंदरों जैसी लग रही थी…
निशा झूठा गुस्सा दिखाकर मेरे सीने पर घूँसे मारते हुए बोली – धोखेबाज़ कहीं के, मुझे क्यों खराब किया..?

फिर वो मालती से बोली - मे क्यों जलने लगी..तू जाने, तेरे जीजा जी जाने… मे कॉन हूँ.. जीजा साली के बीच आने वाली.. ये कह कर वो जाने लगी…

मेने उसका हाथ पकड़ कर एक झटका दिया.. और वो सीधी मेरे सीने से आ लगी… मेने उसे अपनी बाहों में कसते हुए कहा… मेरी जान बुरा मान गयी…,

वो मेरी बाहों में कसमसाते हुए बोली – छोड़िए प्लीज़…. कुछ तो शर्म करिए.. मालती खड़ी है यहाँ…

मालती हँसते हुए बोली – लगे रहो… मुझे कोई प्राब्लम नही है… मियाँ बीवी राज़ी, तो क्या करेगा काज़ी… और खिल-खिला कर वो वहाँ से भाग गयी…

हम दोनो कुछ देर यौंही खड़े एक दूसरे से चिपके एक दूसरे को किस करते रहे.. फिर किसी के आने की आहट सुन कर अलग हो गये..

तभी भाभी वहाँ आ गयी… और बोली – हूंम्म… तो तोता-मैना का मिलन हो ही गया… चलो भाई ठीक है…

फिर वो हम दोनो की हालत देख कर मुस्कराते हुए बोली – वैसे मैना रानी तुमने अपने तोता राजा का स्वागत अच्छे से किया है.. वेल डन..!

निशा उनकी बात सुनकर शरमा कर वहाँ से भाग गयी… फिर भाभी ने मेरे से घर के हालत के बारे में बात की, और पूछा कि कामिनी क्यों नही आई.. ?

मेने उन्हें बता दिया, कि वो ज़्यादा दिन अड्जस्ट नही कर पाई गाँव के माहौल में इसलिए भैया के साथ चली गयी…

भाभी का मन था मेरे गाल पर किस करने का लेकिन मेरे चेहरे की हालत देख कर मन मसोस कर रह गयी…!

थोड़ी देर बाद निशा, रूचि को लेकर वहाँ आ गयी… वो ताली बजाते हुए बोली – ओहो.. चाचू को बंदर बना दिया… ये किसने किया मौसी… आपने..?

निशा – नही ! ये मालती मौसी ने किया है… तो वो बोली – मालती मौसी बहुत गंदी है… मेरे चाचू को बंदर बना दिया.. अब में उनको क़िस्सी कैसे करूँगी…?

मेने कहा – कोई नही ! अपनी बिताया रानी के लिए चाचू फिरसे नहा लेंगे…

ऐसी ही हसी खुशी के माहुल में पूरा दिन व्यतीत हो गया…पूरे घर में मेहमानों की भीड़ भारी पड़ी थी… सो फिर चान्स नही लगा निशा से मिलने का..

रात को खाना पीना खाकर सारे मेहमानों के सोने का इंतज़ाम भी करना था.. हल्की-2 सर्दी थी मौसम में तो रज़ाई गद्दों का इंतेज़ाम तो टेंट हाउस से कर दिया गया… लेकिन घर में जगह की कमी थी…

तो आस-पड़ोस में लोगों को सुविधा अनुसार सेट किया गया… निशा ने मालती से कह कर उसके घर में मेरे लिए विशेष इंतज़ाम करा दिया था….

सब रीति रिवाजों के संपन्न होने के बाद वो मुझे लेकर अपने घर को चल दी…

मालती बाइ कास्ट ठाकुर थी, उसके माता - पिता नही थे, वो उसके जन्म के कुछ सालों बाद ही किसी दुर्घटना का शिकार हो गये थे… वो अपने दादा-दादी के साथ ही रहती थी.. !

घर काफ़ी बड़ा था, और भाभी के घर से थोड़ा ही दूरी पर था…

मालती निशा की बचपन की सहेली थी… उन दोनो के बीच कोई भी बात छिपि नही थी…

वो मेरे और निशा के संबंध के बारे में भी जानती थी…

मालती शरीर में निशा से कुछ भारी थी, जो शायद दादा-दादी के लाड़ प्यार का नतीजा था…

उसने घर पहुँच कर मेरे लिए एक सेपरेट कमरे में मेरा बिस्तर लगाया था..

मुझे उस कमरे में पहुँचा कर वो अपने दादा-दादी के पास चली गयी..

जब वो दोनो सो गये तो मेरे लिए एक बड़े से ग्लास में दूध लेकर वो मेरे पास आई…………!
दिनभर की भागदौड़ से मेरी आँख जल्दी ही लग गयी, इससे पहले की मे गहरी नींद में जा पाता, कि मालती की आवाज़ ने मुझे चोन्का दिया…..लीजिए जीजा जी दूध पी लीजिए..

मेने अनमने भाव से अपनी आँखें खोली, सरक कर बेड पर सिरे की तरफ बैठ कर जमहाई लेते हुए कहा - अरे मालती जी ! इसकी क्या ज़रूरत थी…?

वो बोली – मुझे पता है… आपको दूध पीने की आदत है.. लीजिए, अब ये फॉरमॅलिटी अपनी साली के साथ मत करिए… और ज़बरदस्ती ग्लास मेरे हाथ में थमा कर वहीं मेरे पास बैठ गयी…!

आपको पता है… मे और निशा बचपन से ही पक्की दोस्त हैं… आज तक हमारे बीच ऐसी कोई बात नही है जो एक दूसरे से छिपि हो…
Reply
06-01-2019, 02:32 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
आपके यहाँ से जाते ही उसने आपके और अपने बारे में सब कुछ बता दिया था…

वो रोज़ आपके बारे में ही बातें करती रहती है… उसकी बातें सुन सुन कर आपसे मिलने की मेरी जिग्यसा बढ़ती गयी…

और देखिए आज आप मेरे पास बैठे हैं… सच में निशा ने मुझे आपके बारे में कम ही बताया था… आप तो उससे कही बढ़कर ही निकले…

मेने मुस्कराते हुए कहा – किस बात में… ?

वो – मुझे ये उम्मीद नही थी कि आप इतने हॅंडसम होंगे… सच कहूँ तो मुझे निशा से जलन हो रही है… कि काश उसकी जगह में होती…?

मे – अरे साली जी ! क्यों आप मुझे चने के झाड़ पर चढ़ा रही हो… मे इतना भी हॅंडसम नही हूँ…!

वो – आप मेरी जगह होते तब पता चलता आपको की आप क्या हैं.. सच में निशा कितनी भाग्यशाली है.. की आप जैसा हॅंडसम उसका लवर है… और इसमें कोई गुंजाइश भी नही है.. की एक दिन आप दोनो एक भी हो जाओगे…!

मेने उसे ब्लश करते हुए कहा – वैसे आप भी कम नही हो… जब भी घर से निकलती होगी.. लड़कों की लाइन लग जाती होगी…!

वो कुछ बुझे-बुझे से स्वर में बोली – अपनी ऐसी किस्मत कहाँ… मे कितनी मोटी हूँ.. !

जब भी हम दोनो सहेलियाँ बाहर निकलती हैं… तो लड़के उसको ही देखते रहते हैं.. और में कुढती रहती हूँ…

मे – ये तो अपनी – 2 नज़र का ख़याल है… वैसे आपके जैसे कूर्वी फिगर वाली लड़कियाँ ही ज़्यादा हॉट लगती हैं..

वो – आप मज़ाक कर रहे हैं… मे और हॉट…?

मे – हां ! कम से कम मेरी नज़र में तो आप हॉट ही हो… दूसरों का मे कह नही सकता… मेने उसका मन रखने के लिहाज़ से कहा…

वो मेरी तरफ और खिसक आई, और मेरे शरीर से अपना बदन सटाती हुई बोली – क्या में सच में हॉट लगती हूँ आपको..?

मे अब सोच में पड़ गया… मेरा उसको ब्लश करना मुझे अब भारी पड़ता नज़र आने लगा…

अब अगर मे इसका दिल दुखाता हूँ… तो बेचारी का दिल टूट जाएगा.. सो अपनी बात पर कायम रहते हुए बोला…

देखो… हर आदमी की अपनी-अपनी चाय्स होती है… कोई तो इकहरे बदन की लड़की पसंद करता है… तो वहीं बहुत से लोग कूर्वी फिगर के दीवाने होते हैं…!

आपको कैसा फिगर अच्छा लगता है…वो मुझसे और चिपकते हुए बोली… उसके बदन की गर्मी मुझे पिघलाने लगी थी…
और मे उसके मादक कूर्वी फिगर की तारीफ़ कर बैठा…

सच कहूँ तो मुझे तुम्हारे जैसी फिगर वाली लड़कियाँ ज़्यादा अच्छी लगती है…

मेरा इतना ही कहना था कि उसने मेरे गले में अपनी मांसल बाहें डाल दी…, और अपने कलमी आमों को मेरे सीने से सटाते हुए बोली –

ओह ! जीजू आप सच में बहुत अच्छे हैं.. आइ लव यू… ये कह कर उसने मेरे गाल पर किस कर दिया…

मेने उसके कंधे पकड़ कर अपने से अलग करते हुए कहा – लेकिन मे तुम्हारी बेस्ट फ्रेंड से बहुत प्यार करता हूँ..

वो मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली – तो मेने कब कहा है कि आप उससे प्यार मत करो… बस उसमें से थोड़ा सा… बस इत्तु सा (अपनी उंगली के पोर पर अंगूठे से निशान बना कर बोली) मुझे भी दे दीजिए…

मे – ये तुम क्या कह रही हो मालती..? मे अपने प्यार से बेवफ़ाई नही कर सकता …

वो – ओह…जीजू.. आप भी क्या दकियानूसी बातें करने लगे.. मे अपनी सहेली के प्यार को बाँटने की बात थोड़ी ना कर रही हूँ… मे तो बस थोड़ा सा आपका प्यार माँग रही हूँ..

ये वादा है मेरा, कि इस बात का किसी को भी, कभी भी पता नही चलेगा…ये कहते हुए वो मेरे बदन से लिपट गई…

मे – प्लीज़ मालती… समझने की कोशिश करो… मे ये तुम्हारे साथ नही कर सकता….

वो – प्लीज़ अंकुसजी…! मे आपसे विनती कर रही हूँ.. प्लीज़ बस एक बार… फिर जीवन में कभी आपसे नही कहूँगी…

मे उसकी गुहार सुनकर पिघलने लगा और स्वतः ही मेरा हाथ उसकी पीठ पर सरक गया…
वो दीवानवार मेरे चेहरे को चूमने लगी… उसकी मादक चुचियाँ.. मुझे उत्तेजित कर रही थी… ना जाने कब हम दोनो के कपड़े एक दूसरे के बदन से जुदा हो गये…

वो जल्दी से जल्दी मुझ में समा जाना चाहती थी…उसकी हरकतों से ही मुझे लगाने लगा कि वो ये सब पहले भी कर चुकी है…

मुझे क्या फरक पड़ने वाला था… एक और नाम लिस्ट में जुड़ जाना चाहता है तो वो भी सही.. सो जोड़ लिया…,

वो मेरा लंड लेने के लिए उतावली हुई जा रही थी, देखते देखते उसने हम दोनो के बदन से कपड़े नोच डाले..

मेने उसके बड़े बड़े आमों को चूस्ते हुए…अपना लॉडा जैसे ही उसकी रसभरी मुनिया के मुँह पर रखा…

कामांध मालती ने झटके से अपनी गान्ड ऊपर को उचका दी, गीली चूत में मेरा आधा तक मूसल सरक गया……

उसके मुँह से मादक कराह फुट पड़ी…. आआहह…. जीजू… धीरे…हाए… बहुत मोटा है आपका…

मेने उसके कलमी आमों को मसल्ते हुए कहा – मेने तो कुछ भी नही किया साली साहिबा… तुम्हें ही उतावली हो रही थी इसे लेने की…

मेरी बात सुन कर शर्म से उसने अपना सर मेरे सीने में छुपा लिया, फिर अपना हाथ नीचे ले जाकर उसने मेरे लंड को टटोला…

वो समझ रही थी, कि पूरा लंड अंदर चला गया होगा.. सो बाहर बची हुई लंबाई नाप कर बोली –

हाए राम… ये तो अभी भी इतना सारा वाकी है..? मेरे अंदर तक तो पूरा भरा-भरा सा लग रहा है… अब ये कैसे जाएगा पूरा…?

मेने उसके माल पुआ जैसे गाल पर अपने दाँत गढ़ाते हुए कहा – ये अब मेरा काम है रानी, तुम बस देखती जाओ..
आआययययीीई…जीजू प्लीज़ दाँत मत गढ़ाओ, निशान बन जाएँगे…

मेने अपने दाँतों के निशान पर जीभ से उसके गालों को चाटते हुए एक करारा सा धक्का और जड़ दिया…

मालती ने दर्द के मारे मेरे कंधे पर अपने दाँत गढ़ा दिए… और मेरे नीचे दबी हुई मचलने लगी…

दर्द से मेरी कराह निकल गयी… मेने उसके चुचे मसलते हुए कहा – साली कटखनी बिल्ली…

कुछ देर ठहरकर मेने उसे चोदना शुरू किया… वो जैसे ही दोबारा मज़े में आई… बस फिर तो पुछो ही मत…



वो घमासान लड़ाई हुई पलंग के मैदान पर.. कि मैदान भी चूं-छाँ करने लगा…

सारी रात मेने उसकी चूत की वो धुनाई की, कि अब वो कुछ दिनो तक इसे याद रखने वाली थी…उलट-पलट कर खूब जम कर चोदा मेने मालती को उस रात…

जब उसकी टंकी रीति हो गयी.. तो अपने कपड़े समेट कर लड़खड़ाती हुई सोने चली गयी और मे अपने बिस्तर में तान रज़ाई गहरी नीद में डूबता चला गया…!

सुबह उसके जगाने से ही मेरी नींद खुली… वो मुस्कराती हुई चाय का प्याला हाथ में लिए मेरे पलग के पास खड़ी थी…

गुड मॉर्निंग स्वीटहार्ट… उसने मुझे मॉर्निंग विश किया तो मेने भी हॅस्कर उसे विश किया और चाय का कप उसके हाथ से लेते हुए बोला…!

अबसे हमारा वही रिश्ता रहे तो ज़्यादा उचित रहेगा…

वो – ओह्ह..जीजू… मेने तो अकेले में आपको बोला… ठीक है, प्रॉमिस .. अब कभी नही कहूँगी… सॉरी जीजू….

मेने चाइ पी और उसके घर में ही फ्रेश होकर भाभी के घर चला आया…

आज बारात लेकर लड़की वालों के यहाँ जाना था… तो सभी उसी तैयारियों में लगे पड़े थे… निशा से एक फौरी तौर पर ही-हेलो हो पाई…

धूम धाम से शादी संपन्न हो गयी…

निशा की भाभी एक पढ़ी लिखी मध्यम घराने की सुंदर और शुशील लड़की थी…

शादी के दूसरे दिन हम सभी उनसे विदा होकर अपने घर लौट आए… भाभी को और कुछ दिन वहाँ रहना पड़ा था..

कुछ दिनो बाद मेरे फर्स्ट एअर के एग्ज़ॅम थे… सो घर लौट कर मेने अपनी पढ़ाई पर ध्यान लगा दिया…

कुछ दिनो बाद भाभी भी आ गयी, उनका भाई उन्हें छोड़ गया था…

मेने मन लगा कर अपने एग्ज़ॅम दिए और एक साल की पढ़ाई ख़तम हुई… मेरे साथ ही रामा दीदी ने भी अपने फाइनल के पेपर दिए.. अब वो ग्रॅजुयेट कंप्लीट करने वाली थी…

तो बाबूजी ने उनके लिए लड़का तलाश करना शुरू कर दिया.. उधर आशा दीदी की भी शादी तय कर दी थी...

रिज़ल्ट के बाद दोनो बहनों की बारी-बारी से शादियाँ हो गयीं… और वो दोनो अपनी नयी दुनिया बसाने अपने-2 घर चली गयी..

रामा दीदी की शादी हमारे कॉलेज के प्रिन्सिपल के लड़के लोकेश के साथ कर दी थी.. वो देल्ही में इंजिनियर है…

खुद प्रिन्सिपल साब ही दीदी का हाथ माँगने आए थे हमारे यहाँ…
Reply
06-01-2019, 02:33 PM,
RE: Bhabhi ki Chudai देवर भाभी का रोमांस
इधर कॉलेज में एक और क्लास बढ़ गयी थी… और कॉलेज की फर्स्ट एअर की पर्फॉर्मेन्स देखते हुए फाइनल तक की स्पेशल पर्मिशन ग्रांट हो गयी..

कुछ कोशिशों के बाद बड़े भैया प्रमोशन के साथ हमारे कॉलेज में ही आ गये, और वो अब वहाँ वाइज़ प्रिन्सिपल थे.

उधर मनझले भैया ने भी अपने शहर में ही ट्रान्स्फर ले लिया था…. सब कुछ एक दम सही से सेट हो चुका था… हमारी फॅमिली एक हॅपी वाली फॅमिली कहीं जा सकती थी…

मौका देख कर मे पंडितानी की बहू से भी मुलाकात कर लेता था.. जो अब कुछ महीनों में ही एक बच्चे को जन्म देने वाली थी…

निशा से फोन पर ही बातें हो पाती थी… वैसे उसके ग्रॅजुयेशन तक कोई प्राब्लम नही थी फिर भी भाभी ने अपने माँ और पिताजी के कानों में ये बात डाल दी थी..
कि उनके बिना पुच्छे वो निशा की शादी ना करदें..

रूचि अब बड़ी हो रही थी.. और वो अब गाँव के स्कूल में पढ़ने जाने लगी थी…

छोटी चाची – चाचा अपने बच्चे के साथ खुशी – 2 जीवन जी रहे थे…मेरे पास अब ज़्यादा ऑप्षन नही बचे थे अपने लंड को शांत करने के…

बस चाची और कभी -2 भाभी के साथ मौका मिल जाता था…या फिर अपनी वर्षा रानी…अरे वहीी…पंडिताइन…

समय अपनी मन्थर गति से गुज़रता रहा, देखते – 2 दो साल और निकल गये, धीरे – 2 हमारे फाइनल के एग्ज़ॅम का समय नज़दीक आ रहा था, की तभी एक दिन हम सभी फाइनल एअर स्टूडेंट्स एक साथ कॉलेज ग्राउंड में बैठे बातें कर रहे थे, तभी मेरे एक दोस्त रवि ने कहा…

रवि – दोस्तो ! हम सब लोग पिच्छले 3 सालों से एक साथ रहे हैं, हम लोग एक तरह से इस कॉलेज की नींव कहे जा सकते हैं…

कुछ दिनो बाद हम सभी एक दूसरे से बिछड़ने वाले हैं, फिर पता नही कॉन कब, कहाँ क्या करेगा.. फिरसे हम एक दूसरे से मिल भी पाएँगे या नही…

मे – हां यार ! सही कह रहे हो तुम, भले ही हम लोगों के बीच पिच्छले लगभग 3 सालों में कुछ भी हुआ हो, कैसे भी हालत पैदा हुए हों, लेकिन हम रहे तो एक साथ ही हैं…!

तो क्यों ना कुछ ऐसा किया जाए, जिससे एक दूसरे से बिछड़ने के बाद भी आने वाले कुछ दिनों तक हम एक दूसरे को याद रख सकें…!

आशु – आइडिया अच्छा है यार, लेकिन ऐसा क्या करें जिसकी यादें ताज़ा बनी रहें ?

मे – क्यों ना कुछ सांगीतीक कार्यक्रम रखा जाए कॉलेज में, सभी मिलकर धमाल करेंगे एक रात…

करण – क्या यार नचनियों वाले आइडिया देता रहता है, कुछ ऐसा करो जिसमें 2-4 दिन तक हम सब एक साथ ही रहें… सब कुछ मिल-जुलकर जो जी में आए वो एक साथ ही करें…!

तभी रागिनी बोल पड़ी – अगर पसंद हो तो एक आइडिया है मेरे पास…?

रवि – बिल्कुल दो ! यहाँ सभी के आइडिया से ही डिसाइड होगा, की हमें क्या करना चाहिए…

रागिनी – क्यों ना हम सब किसी लंबे पिक्निक तौर पर चलें, जहाँ कुछ एतिहासिक चीज़ें भी देखने को मिलें और जहाँ थोड़े बहुत जंगल भी देखने को हों…

4-6 दिन तक सब कुछ अपना हो, अपने तरीक़े का हो, और अपनी तरह से रहें…

उसकी बात सुनकर लगभग आधे से भी ज़्यादा लोग एक साथ बोल पड़े… सही आइडिया है, मज़ा आएगा… यही करते हैं…

मे – आइडिया बुरा नही है, लेकिन इसके लिए सबसे पहले हमें कॉलेज प्रशासन की मंज़ूरी लेनी होगी, उसके अलावा खर्चा बहुत होने वाला है, जो शायद हम में से कुछ लोग उसे अफोर्ड भी ना कर पाएँ…

कॉलेज अगर कुछ हेल्प करे तो संभव हो सकता है…!

रागिनी – उसमें क्या बड़ी बात है, कॉलेज हमारी बात क्यों नही मानेगा, और रही बात फंड की, तो वो एस्टिमेट कर के देखते हैं…

मे – ठीक है, तो चलो पहले प्रिन्सिपल साब से बात करते हैं, उसके बाद ही कुछ फ़ैसला लेना होगा…

फिर हम 8-10 स्टूडेंट्स मिलकर प्रिन्सिपल से मिलने चल दिए, उनके ऑफीस में राम भैया भी मौजूद थे…

इतने सारे स्टूडेंट्स को एक साथ देख कर वो दोनो चोंक पड़े, और हमसे पूछा –
क्या बात है बच्चो, यूँ एक साथ..? कोई समस्या है क्या…?

भैया को देखकर मे थोड़ा पीछे की तरफ जाकर खड़ा हो गया, उनके सवाल करने पर सभी मेरी ओर देखने लगे…,

जब कुछ देर मेने कुछ नही कहा तो करण आगे आकर बोला…

सर ! हम सभी फाइनल एअर स्टूडेंट्स चाहते हैं, कि एग्ज़ॅम से पहले कुछ ऐसा करें जिससे, वो हम सब के लिए एक यादगार मोमेंट हो…

तो हम सबने ये तय किया है, कि कहीं ऐसी जगह का पिक्निक टूर बनाएँ जहाँ हिस्टॉरिकल मॉन्युमेंट भी हों, और जंगल सफ़ारी भी हो जाए…

उसकी बात सुनकर प्रिन्सिपल साब ने भैया की तरफ देखा और बोले – बात तो सही कह रहे हैं ये बच्चे, आप क्या कहते हो राम मोहन बाबू…!

भैया – मे भी आपसे सहमत हूँ सर, क्योंकि ये वो बच्चे हैं, जिन्होने इस कॉलेज की नींव रखने में अपना सहयोग दिया है, तो हमें भी इनकी इच्छा का सम्मान करना चाहिए…

लेकिन मेरा सुझाव ये है, कि इनको जंगलों में जाने की इज़ाज़त नही होनी चाहिए, इन सबका ये फाइनल साल है, किसी के साथ कुछ ऐसा वैसा हुआ, तो उसके भविष्य के लिए ठीक नही होगा…और कॉलेज का भी नाम खराब होगा…!

प्रिन्सिपल – आपकी बात सही है, फिर वो हम लोगों की तरफ मुखातिब होकर बोले – वैसे आप लोगों ने कुछ तो सोचा होगा, कहाँ जाना चाहते हो…?

रागिनी तपाक से बोल पड़ी – सर एंपी भ्रमण कैसा रहेगा, वहाँ हिस्टॉरिकल प्लेसस भी हैं, और नॅचुरल ब्यूटी भी देखने को मिलेगी…

प्रिन्सिपल – देखो बच्चो… अब आप लोगों के फाइनल्स में ज़्यादा समय भी नही है, और ज़्यादा लंबे टूर के लिए कॉलेज फंड भी मुहैया नही कर पाएगा,

तो उस हिसाब से आप लोग प्लान कर के हमें बता दो, फिर देखते हैं कि आगे का क्या कर सकते हैं..

हम सब उनकी बात सुनकर बाहर चले आए, और एक बार फिर ग्राउंड में बैठकर डिस्कशन करने लगे…

रागिनी की इच्छा थी खजुराहो घूमने की, साथ ही साथ उसके आस-पास के हिस्टॉरिकल प्लेसस और छोटे-2 जंगलों में सफ़ारी भी की जाए…

इसमें और भी स्टूडेंट्स सहमत थे, लेकिन क्या कॉलेज इतना लंबा टूर करने के लिए सहमत होगा…

फिर बात आई एस्टिमेशन की… सब कुछ मिलाकर 6 दिन के टूर के लिए सबसे पहले एक टूरिस्ट बस की ज़रूरत होगी…

कुल मिलकर हम 45-50 स्टूडेंट्स तो थे जो टूर पर जाना चाहते थे.., एक टूरिस्ट बस की बात चली तो रागिनी ने उसकी ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले ली, और कहा-

वो अपने पापा से कहकर अपनी खुद की बस ले जाएगी…

ये तो सबसे बड़ा काम हो गया, फिर तो बचना ही क्या था, खाना-पीना और रहना..

फिर डिसाइड हुआ कि रहने के लिए वो सब खुले मैदान में टेंट लगाएँगे, लेकिन इतना सारा समान जाएगा कैसे… तो उसके लिए भी उसने एक टेंपो अपने ट्रॅवेल्ज़ का ले जाने के लिए बोला..

वाकी का खर्चा कॉलेज ने अपने सर ले लिया.. और हमने दो दिन बाद का टूर डिसाइड कर लिया..

हमारे साथ दो जेंट्स टीचर और एक लेडी टीचर जाने वाले थे… इधर कॉलेज में एक और क्लास बढ़ गयी थी… और कॉलेज की फर्स्ट एअर की पर्फॉर्मेन्स देखते हुए फाइनल तक की स्पेशल पर्मिशन ग्रांट हो गयी..

कुछ कोशिशों के बाद बड़े भैया प्रमोशन के साथ हमारे कॉलेज में ही आ गये, और वो अब वहाँ वाइज़ प्रिन्सिपल थे.

उधर मनझले भैया ने भी अपने शहर में ही ट्रान्स्फर ले लिया था…. सब कुछ एक दम सही से सेट हो चुका था… हमारी फॅमिली एक हॅपी वाली फॅमिली कहीं जा सकती थी…

मौका देख कर मे पंडितानी की बहू से भी मुलाकात कर लेता था.. जो अब कुछ महीनों में ही एक बच्चे को जन्म देने वाली थी…

निशा से फोन पर ही बातें हो पाती थी… वैसे उसके ग्रॅजुयेशन तक कोई प्राब्लम नही थी फिर भी भाभी ने अपने माँ और पिताजी के कानों में ये बात डाल दी थी..
कि उनके बिना पुच्छे वो निशा की शादी ना करदें..

रूचि अब बड़ी हो रही थी.. और वो अब गाँव के स्कूल में पढ़ने जाने लगी थी…

छोटी चाची – चाचा अपने बच्चे के साथ खुशी – 2 जीवन जी रहे थे…मेरे पास अब ज़्यादा ऑप्षन नही बचे थे अपने लंड को शांत करने के…

बस चाची और कभी -2 भाभी के साथ मौका मिल जाता था…या फिर अपनी वर्षा रानी…अरे वहीी…पंडिताइन…

समय अपनी मन्थर गति से गुज़रता रहा, देखते – 2 दो साल और निकल गये, धीरे – 2 हमारे फाइनल के एग्ज़ॅम का समय नज़दीक आ रहा था, की तभी एक दिन हम सभी फाइनल एअर स्टूडेंट्स एक साथ कॉलेज ग्राउंड में बैठे बातें कर रहे थे, तभी मेरे एक दोस्त रवि ने कहा…

रवि – दोस्तो ! हम सब लोग पिच्छले 3 सालों से एक साथ रहे हैं, हम लोग एक तरह से इस कॉलेज की नींव कहे जा सकते हैं…

कुछ दिनो बाद हम सभी एक दूसरे से बिछड़ने वाले हैं, फिर पता नही कॉन कब, कहाँ क्या करेगा.. फिरसे हम एक दूसरे से मिल भी पाएँगे या नही…

मे – हां यार ! सही कह रहे हो तुम, भले ही हम लोगों के बीच पिच्छले लगभग 3 सालों में कुछ भी हुआ हो, कैसे भी हालत पैदा हुए हों, लेकिन हम रहे तो एक साथ ही हैं…!

तो क्यों ना कुछ ऐसा किया जाए, जिससे एक दूसरे से बिछड़ने के बाद भी आने वाले कुछ दिनों तक हम एक दूसरे को याद रख सकें…!

आशु – आइडिया अच्छा है यार, लेकिन ऐसा क्या करें जिसकी यादें ताज़ा बनी रहें ?

मे – क्यों ना कुछ सांगीतीक कार्यक्रम रखा जाए कॉलेज में, सभी मिलकर धमाल करेंगे एक रात…

करण – क्या यार नचनियों वाले आइडिया देता रहता है, कुछ ऐसा करो जिसमें 2-4 दिन तक हम सब एक साथ ही रहें… सब कुछ मिल-जुलकर जो जी में आए वो एक साथ ही करें…!

तभी रागिनी बोल पड़ी – अगर पसंद हो तो एक आइडिया है मेरे पास…?

रवि – बिल्कुल दो ! यहाँ सभी के आइडिया से ही डिसाइड होगा, की हमें क्या करना चाहिए…

रागिनी – क्यों ना हम सब किसी लंबे पिक्निक तौर पर चलें, जहाँ कुछ एतिहासिक चीज़ें भी देखने को मिलें और जहाँ थोड़े बहुत जंगल भी देखने को हों…

4-6 दिन तक सब कुछ अपना हो, अपने तरीक़े का हो, और अपनी तरह से रहें…

उसकी बात सुनकर लगभग आधे से भी ज़्यादा लोग एक साथ बोल पड़े… सही आइडिया है, मज़ा आएगा… यही करते हैं…

मे – आइडिया बुरा नही है, लेकिन इसके लिए सबसे पहले हमें कॉलेज प्रशासन की मंज़ूरी लेनी होगी, उसके अलावा खर्चा बहुत होने वाला है, जो शायद हम में से कुछ लोग उसे अफोर्ड भी ना कर पाएँ…

कॉलेज अगर कुछ हेल्प करे तो संभव हो सकता है…!

रागिनी – उसमें क्या बड़ी बात है, कॉलेज हमारी बात क्यों नही मानेगा, और रही बात फंड की, तो वो एस्टिमेट कर के देखते हैं…

मे – ठीक है, तो चलो पहले प्रिन्सिपल साब से बात करते हैं, उसके बाद ही कुछ फ़ैसला लेना होगा…

फिर हम 8-10 स्टूडेंट्स मिलकर प्रिन्सिपल से मिलने चल दिए, उनके ऑफीस में राम भैया भी मौजूद थे…

इतने सारे स्टूडेंट्स को एक साथ देख कर वो दोनो चोंक पड़े, और हमसे पूछा –
क्या बात है बच्चो, यूँ एक साथ..? कोई समस्या है क्या…?

भैया को देखकर मे थोड़ा पीछे की तरफ जाकर खड़ा हो गया, उनके सवाल करने पर सभी मेरी ओर देखने लगे…,

जब कुछ देर मेने कुछ नही कहा तो करण आगे आकर बोला…

सर ! हम सभी फाइनल एअर स्टूडेंट्स चाहते हैं, कि एग्ज़ॅम से पहले कुछ ऐसा करें जिससे, वो हम सब के लिए एक यादगार मोमेंट हो…

तो हम सबने ये तय किया है, कि कहीं ऐसी जगह का पिक्निक टूर बनाएँ जहाँ हिस्टॉरिकल मॉन्युमेंट भी हों, और जंगल सफ़ारी भी हो जाए…

उसकी बात सुनकर प्रिन्सिपल साब ने भैया की तरफ देखा और बोले – बात तो सही कह रहे हैं ये बच्चे, आप क्या कहते हो राम मोहन बाबू…!

भैया – मे भी आपसे सहमत हूँ सर, क्योंकि ये वो बच्चे हैं, जिन्होने इस कॉलेज की नींव रखने में अपना सहयोग दिया है, तो हमें भी इनकी इच्छा का सम्मान करना चाहिए…

लेकिन मेरा सुझाव ये है, कि इनको जंगलों में जाने की इज़ाज़त नही होनी चाहिए, इन सबका ये फाइनल साल है, किसी के साथ कुछ ऐसा वैसा हुआ, तो उसके भविष्य के लिए ठीक नही होगा…और कॉलेज का भी नाम खराब होगा…!

प्रिन्सिपल – आपकी बात सही है, फिर वो हम लोगों की तरफ मुखातिब होकर बोले – वैसे आप लोगों ने कुछ तो सोचा होगा, कहाँ जाना चाहते हो…?

रागिनी तपाक से बोल पड़ी – सर एंपी भ्रमण कैसा रहेगा, वहाँ हिस्टॉरिकल प्लेसस भी हैं, और नॅचुरल ब्यूटी भी देखने को मिलेगी…

प्रिन्सिपल – देखो बच्चो… अब आप लोगों के फाइनल्स में ज़्यादा समय भी नही है, और ज़्यादा लंबे टूर के लिए कॉलेज फंड भी मुहैया नही कर पाएगा,

तो उस हिसाब से आप लोग प्लान कर के हमें बता दो, फिर देखते हैं कि आगे का क्या कर सकते हैं..

हम सब उनकी बात सुनकर बाहर चले आए, और एक बार फिर ग्राउंड में बैठकर डिस्कशन करने लगे…

रागिनी की इच्छा थी खजुराहो घूमने की, साथ ही साथ उसके आस-पास के हिस्टॉरिकल प्लेसस और छोटे-2 जंगलों में सफ़ारी भी की जाए…

इसमें और भी स्टूडेंट्स सहमत थे, लेकिन क्या कॉलेज इतना लंबा टूर करने के लिए सहमत होगा…

फिर बात आई एस्टिमेशन की… सब कुछ मिलाकर 6 दिन के टूर के लिए सबसे पहले एक टूरिस्ट बस की ज़रूरत होगी…

कुल मिलकर हम 45-50 स्टूडेंट्स तो थे जो टूर पर जाना चाहते थे.., एक टूरिस्ट बस की बात चली तो रागिनी ने उसकी ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले ली, और कहा-

वो अपने पापा से कहकर अपनी खुद की बस ले जाएगी…

ये तो सबसे बड़ा काम हो गया, फिर तो बचना ही क्या था, खाना-पीना और रहना..

फिर डिसाइड हुआ कि रहने के लिए वो सब खुले मैदान में टेंट लगाएँगे, लेकिन इतना सारा समान जाएगा कैसे… तो उसके लिए भी उसने एक टेंपो अपने ट्रॅवेल्ज़ का ले जाने के लिए बोला..

वाकी का खर्चा कॉलेज ने अपने सर ले लिया.. और हमने दो दिन बाद का टूर डिसाइड कर लिया..

हमारे साथ दो जेंट्स टीचर और एक लेडी टीचर जाने वाले थे…
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,555,761 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 550,560 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,256,049 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 949,547 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,685,314 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,107,493 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,996,805 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,207,749 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,087,114 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 290,227 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 8 Guest(s)