06-06-2019, 01:05 PM,
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RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
मैं- दीदी, बैंक यू किस बात का?
दीदी- “मुझे बस में और यहाँ पे सबको चुदाई का सुख देने का..."
हाँ हाँ भैया इसी तरह चोदते रहो.. हाँ हाँ... भैया आपके साथ का मजा तो मैं जिंदगी भर नहीं भूल सकती... आज तक मैंने जितने से भी चुदाया हो... पर आपका लौड़ा उनका सरदार रहेगा इतना मैं जरूर कहूँगी...
मैं- “अरे दीदी, मैंने आप लोगों को मजा दिया है तो बदले में मैंने भी तो मजा लिया है... ए तो इस हाथ ले और उस हाथ दे वाली बात है...”
दीदी- “बस बस भैया, मेरा निकलने वाला है... प्लीज अपना भी निकालो.. इससे पहले की सब फिर से आ जायें और मैं शर्म की मारी उनकी ओर देख ना पाऊँ.. आप अपना पानी मेरी फुद्दी में उड़ेल दो...”
सासूमाँ- अरे बहू इसीलिए तो हमने बत्ती बंद कर दी... मैं देख रही थी कि तू अपनी फुद्दी खुजला रही थी और गरम हो गई थी... इसीलिए सबको जाने का हुकुम सुना दी...”
दीदी- है सासूमाँ.. आप गई नहीं?
झरना- “मैं भी नहीं गई हैं भाभी..."
दीदी- और तुम्हारे भैया?
झरना- “वो सचमुच अपने कमरे में गये... और चिंता मत करो मैंने उनकी गाण्ड में क्रीम लगा दी है...”
दीदी- “बैंक यू झरना दीदी...”
झरना- बैंक यू की क्या बात है भाभी... वो मेरी चुदाई करके मुझे मजे देते हैं, आप भी मेरी फुद्दी चूसती हैं। मेरा कितना खयाल रखती हैं, और मैं इतना भी नहीं कर सकती?
दीदी- “तो प्लीज एक मेहरबानी और कर दे...”
झरना- क्या? बोलो भाभी?
दीदी- यहाँ मेरे बगल में लेट तो सही।
झरना- लो लेट गई।
दीदी- “अपनी टाँगें फैलाते हुए मोड़ ले... भैया, शुरू हो जाओ...”
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06-06-2019, 01:06 PM,
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RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
मैंने दीदी की फुद्दी से लण्ड निकाला और झरना की फुद्दी में पेल दिया।
झरना- बैंक यू भाभी।
दीदी- “अरी पगली, बैंक यू की क्या बात है? मेरी फुद्दी का रस निकल चुका है, भैया पेले जा रहे हैं। तकलीफ हो रही थी... तुझे मजा मिलेगा...”
झरना चूतड़ उछालते हुए- हाँ... वो बात तो है। भाभी मजा तो आता ही है चुदवाकर.. और रामू भैया के लण्ड से... वाह वाह क्या बात है”
सासूमाँ- अरे... पर रामू के लण्ड से पानी क्यों नहीं निकल रहा है? बेचारा पशीने-पशीने हो गया पर लण्ड नहीं थक रहा है?
दीदी- भूल गई अम्मा... आपने इनके खाने में वियाग्रा की टैबलेट जो मिला दी थी।
सासूमाँ- “अरे हाँ बहू.. तो क्या मैं भी रुकू? झरना के थकने तक..”
मैं- “नहीं सासूमाँ, मेरा भी निकलने ही वाला है...”
दीदी- ठीक है भैया... गुड नाइट स्वीट ड्रीम... चलो सासूमाँ, झरना आ जाएगी... झरना, चुदाई के बाद कमरे में आ जाना। कहीं और एक बार के चक्कर में नहीं रुक जाना, भैया को आराम करने देना। फिर कल फिर से इनके लण्ड से मेहनत करवानी है ना?
झरना- “हाँ हाँ भाभी... कल मेरा एग्ज़म दोपहर तक हो जाएगा... उसके बाद मेरा नंबर रहेगा... ठीक है...” सासूमाँ- “ठीक है बेटी, तेरे कालेज से आते ही तेरा नंबर... ठीक है? झरना- बस बस भैया... मेरा निकल रहा है... निकल रहा है... मैं तो गई।
मैं- “मेरा भी निकल रहा है झरना दीदी... निकला, निकला...”
हम दोनों पशीने-पशीने हो गये थे और एक दूसरे से लिपट गये थे।
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06-06-2019, 01:07 PM,
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RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
कन्फ्यू जन ही कन्फ्यू
सासूमॉ- नमस्कार बहन जी।।
बबीता की माँ (सुमनलता)- नमस्कार बहन जी... और कैसे हैं?
सासूमाँ- बहुत ही अच्छे और आप?
सुमनलता- बस बहन जी। चल रहा है, जाये जैसे तैसे। कल बबीता, कविता, सविता मेरी तीनों बेटियां ही बोल रही थी की रामप्रसाद की बहन की सास बहू अच्छी हैं।
सासूमाँ- अरे बहनजी, पर उनसे तो मैं मिली ही नहीं हूँ। और आज सुबह-सुबह पंगा अलग से हो गया। मैंने गलफहमी में आकर उनको बहुत ही गंदी-गंदी गलियां दे दी। आइ एम सारी बहनजी। मुझे प्लीज माफ कर दें।
सुमनलता- कोई बात नहीं दीदी... ओहह... बहनजी, क्या मैं आपको दीदी बोल सकती हैं?
सासूमाँ- क्यों नहीं बहनजी। फिर मैं भी आपको दीदी ही कहूँगी, ओके? हाँ तो दीदी, आप लोगों का क्या बिजनेस
सुमनलता- हमारा क्या है दीदी? बस चू-दाने का बिजनेस है। मस्त चल रहा है हमारा ये बिजनेस।
सासूमॉ- अरे बहनजी क्या बात कर रही हैं? चुदाने का बिजनेस?
सुमनलता- हाँ हाँ... बहनजी। चू-दाने का बिजनेस। क्या आपको चू- दाना अच्छा नहीं लगता?
सासूमाँ- चुदाना किसको अच्छा नहीं लगता है दीदी। मुझे तो चुदाना बहुत ही अच्छा लगता है। मेरी बहू और बेटी को भी चुदाना बहुत ही अच्छा लगता है।
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06-06-2019, 01:07 PM,
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RE: non veg kahani दोस्त की शादीशुदा बहन
सुमनलता- मुझे भी दीदी चू- दाना बहुत ही अच्छा लगता है। मेरी तीनों बेटियों को भी चू- दाना बहुत ही अच्छा लगता है। बचपन से ही।
सासूमाँ- क्या बात कर रही हैं दीदी। उनको भी चुदाना अच्छा लगता है?
सुमनलता- हाँ हाँ... दीदी। वो तीनों तो बचपन से ही चू-दाने की शौकीन हैं।
सासूमाँ- छी... छी... छी... बहनजी। पर उनकी तो अभी तक शादी भी नहीं हुई है।
सुमनलता- पर दीदी... चू-दाने के शौकीन होने में और शादी में क्या लिंक है?
सासूमाँ- वो तो है दीदी। मैं भी शादी से पहले चुदाने की शौकीन थी। और मेरी बेटी भी चुदाने की बहुत बड़ी शौकीन है।
सुमनलता- “याने दीदी आपने माना की चू-दाने के सभी शौकीन होते हैं। इसमें उमर का कोई बंधन नहीं है। मेरी अस्सी साल की सास भी चू-दाने की बहुत शौकीन हैं। बिना चू-दाने के उन्हें रात को नींद ही नहीं आती...”
ये सब बातें मैं और दीदी भी सुन रहे थे। मैं और दीदी मजे ले लेकर बातें सुन रहे थे। सासूमाँ और सुमनलता जी जो कविता, बबीता, और सविता की माँ भी हैं। पहले मुझे कुछ कन्फ्यू जन हो रहा था अभी मालूम पड़ा की कल जिन तीन खूबसूरत हसीनाओं ने मेरा इंटरव्यू लिया था। ये वही तीनों हैं। दीदी अपने हाथ को मेरी जांघों । पर फिरा रही थीं तो मैं भी अपने हाथ को उनकी जांघों के ऊपर सहला रहा था। इधर सासूमाँ और सुमनलता के बीच बातचीत जारी थी।
सासूमाँ- दीदी, आपकी अस्सी साल की सास चुदाने की बड़ी शौकीन हैं। पर दीदी, आपके ससुर?
सुमनलता- उनको गुजरे दस साल हो गये हैं दीदी।
सासूमाँ- तो अब... आपकी सास?
सुमनलता- वो पहले तो थोड़ा सा उदास रही। पर थोड़े दिन के बाद वो और उनका चू- दाना। सुबह चू- दाना, दोपहर चू- दाना, शाम को चू- दाना और फिर रात को भी चू- दाना। यही उनकी रुटीन रह गई है अब तो।
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