Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
07-16-2019, 12:35 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
हम दोनो एक दूसरे को बाहों मे भरके किस करने लगे,,,हम दोनो का उपर का जिस्म नंगा
था,,उसके हाथ मेरी पीठ पर थिरक रहे थे और मेरे हाथ उसकी पीठ पर,उसके छोटे
छोटे बूब्स मेरी छाती पर चिपक गये थे,,,,उसकी रेशमी पीठ पर मेरे हाथ फिसलते
जा रहे थे,,,,,हम लोग मस्ती मे इतनी जबरदस्त किस कर रहे थे कि हम दोनो को साँस
लेना भी मुश्किल हो रहा था,,,फिर एक दम हम दोनो एक दूसरे से दूर हुए और अपनी हालत को
क़ाबू मे करते हुए खुलकर साँसे लेने लगे दिल की धड़कन को क़ाबू करने लगा,,,



लेकिन ज़्यादा देर तक नही वो फिर से आगे बढ़ी और मुझे बाहों मे भरके किस करने लगी,,
अब वो पूरी तरह से अपनी रज़ामंदी दिखा चुकी थी और पूरी तरह से बहक चुकी थी,अब
तक वो अपनी हालत पर क़ाबू करने की मेरे से दूर होने की कोशिश कर रही थी लेकिन अब
उसकी हालत भी मेरे जैसी हो गयी थी,,,अब हम दोनो का एक दूसरे से दूर होना मुमकिन नही
था,,,जैसे बाहर का मौसम बिगड़ गया था बिजली चमक रही थी बदल गरज रहे थे
वैसे हम दोनो के जिस्म मे भी तूफान उठने लगा था,,,तभी मैने अपने हाथ उसकी गान्ड
पर रखे और उसको अपनी गोद मे उठा लिया,,,,उसने भी जल्दी से अपनी टाँगों को मेरी कमर
के इर्द गिर्द लपेट लिया और मेरे से पूरी तरह चिपक गयी,,,,


मैं उसको गोद मे उठाकर किस करता हुआ उपर छत पर बने स्टोर रूम मे ले आया,,,अंदर
आते ही मैने उसको एक टेबल पर बिठा दिया,,,,ये वही टेबल था जिस पर मैने पहली बार
सरिता और विशाल को चुदाई करते देखा था,,,मैने उसको टेबल पर बिठा दिया और इधर
उधर देखने लगा,,,,,,तभी मेरी नज़र पड़ी एक पुराने मॅट्रेस पर,,,जब घर का काम
करवाया था तो कुछ पुराना समान यहाँ रख दिया था उसी समान मे एक पुराना मॅट्रेस
भी था,,,,,,मैने मॅट्रेस को ज़मीन पर बिछा दिया,,,,और पलट कर सोनिया की तरफ देखा
तो वो टेबल पर बैठी हुई अपने उपर के जिस्म को अपने हाथों से कवर करने की कोशिश कर
रही थी,,,,पूरे जिस्म को कवर कर पाना उसके लिए मुश्किल था लेकिन फिर भी वो कोशिश
कर रही थी,,,,


जब मैने मॅट्रेस को ज़मीन पर बिछा दिया तो वो समझ गयी अब क्या होने वाला है और
अब वो खुद भी इस सब के लिए तैयार थी,,,,मैने मॅट्रेस बिछा कर एक पुरानी चद्दर को
भी मॅट्रेस पर बिछा दिया,,,चद्दर बिछ गयी तो मैने आगे बढ़ कर रूम का दरवाजा अंदर
से बंद किया और टेबल पर उसकी तरफ चला गया,,,फिर से उसके करीब जाके उसके लिप्स पर
किस करने लगा,,,,अब तक उसके हाथ जो उसके जिस्म को च्छुपाने की कोशिश कर रहे थे
अब वो हाथ फिर से मेरे जिस्म पर थिरकने लगे थे,,,,,मैने उसको गोद मे उठा लिया और
आगे बढ़के उसको मॅट्रेस पर लेटा दिया,,,,

उसको नीचे लेटा कर मैं खुद उसके उपर झुक कर उसके लिप्स पर किस करने लगा,,,वो भी
आज पूरी तरह से मुझे किस का रेस्पॉन्स दे रही थी,,,उसके हाथ मेरी पीठ पर थे और
वो बड़े प्यार से मेरी पीठ के हर हिस्से को छू कर महसूस कर रही थी,,,मेरी पूरी
पीठ पर अपने हाथ घुमा रही थी,,,मेरा एक हाथ मॅट्रेस पर टिका हुआ था और उसी हाथ
के सहारे मैं सोनिया के उपर झुका हुआ था जबकि मेरा दूसरा हाथ सोनिया के पेट पर टिका
हुआ था जिस से अब मैने हल्के से उसके पेट को सहलाना शुरू कर दिया था,,,उसके पेट का
मखमली एहसास मुझे पागल कर रहा था,,आज पहली बार उसने मुझे खुद को अपनी रज़ामंदी
से छूने का मौका दिया था और इस मोके के मिलने से मुझे एक अजीब एहसास हो रहा था,,आज
तक बहुत चुदाई कर चुका था बहुत सेक्स कर चुका था बहुत जिस्मो से खेल चुका था लेकिन
सोनिया के साथ खेलने का नही,, सेक्स करने का नही,, प्यार करने का दिल कर रहा था,,,,


मैं कोई जल्दबाज़ी नही करना चाहता था उसको हर्ट नही करना चाहता था इसलिए मैं अपने
हाथ को उसके पेट और कमर पर ही घुमा रहा था ,,उसके बूब्स की तरफ नही जा रहा था
,,,,लेकिन उसके पेट का मखमली एहसास मुझे मस्त कर रहा था और उसी मस्ती मे मेरा हाथ
उसके बूब्स की तरफ बढ़ने लगा,,जैसे जैसे मैं उसके बूब्स की तरफ बढ़ता उसके दिल की
धड़कन तेज होने लगती,,,,उसका पेट तेज़ी से साँसे लेने के साथ उपर नीचे होने लगता,,वो
थोड़ा डर जाती और घबरा जाती,,,उसके डर से मैं थोड़ा परेशान हो जाता और हाथ को वापिस
नीचे की तरफ ले आता,,,जब मेरा हाथ उसके पेट पर पहुँच जाता तो उसकी हालत थोड़ी ठीक
हो जाती लेकिन जैसे ही मस्ती मे मेरा हाथ वापिस उसके बूब्स की तरफ बढ़ने लगता उसके साँसे
फिर से उखाड़ने लगती ,,दिल की धड़कन बढ़ने लगती,,,,पेट तेज़ी से उपर नीचे होने लगता


एक तो हम दोनो किस कर रहे थे इसलिए हम दोनो को सांस लेने मे मुश्किल हो रही थी
क्यूकी हम दोनो अपने क़ाबू से बाहर हो गये थे और मस्ती मे पागलो की तरह किस कर रहे
थे और इधर मेरे हाथ उसके बूब्स की तरफ बढ़ने लगता तो उसकी हालत और ज़्यादा खराब हो
जाती और वो बेचैन हो जाती,,,,,


काफ़ी टाइम उसको किस करते हुए मैं अपने हाथ उसके बूब्स की तरफ लेके जाने की कोशिश
करता रहा लेकिन वो हर बार डर जाती और मैं अपने हाथ को वापिस उसके पेट पर ले आता
,,,उसको भी इस बात का एहसास हो गया था कि उसके डर की वजह से मैं आगे नही बढ़ रहा
तभी उसने मेरा हाथ पकड़ा जो उसके पेट पर थिरक रहा था और उसको पकड़ कर उपर की
तरफ ले गयी और अपने एक बूब पर रख दिया,,,,,ऐसी हरकत करके उसने अपनी रज़ामंदी जता
दी थी और बता दिया था कि मैं आगे बढ़ सकता हूँ,,,,


मेरा हाथ उसके एक बूब पर टिक गया था ,,मुझे बड़ा मस्त एहसास मिल रहा था उसके कोमल
कोमल बूब का,,,उसका बूब ज़्यादा बड़ा नही था बस उमर के हिसाब से उसकी छाती से बाहर
निकला था,,,उसपे आज तक किसी का हाथ नही लगा था,,,,शायद सोनिया का भी नही,,उसके
लिए वो जिस्म उसका था लेकिन उसके जिस्म पर हक़ सिर्फ़ मेरा था,,,


मैने हल्के हल्के उसके बूब को प्यार से सहलाना और हल्के हल्के मसलना शुरू किया,,जैसे
ही मेरे हाथ का दबाव उसको अपने बूब पर हुआ उसने मेरे सर को अपने हाथों से पकड़ा और कुछ
ज़्यादा ही मस्ती मे तेज़ी से मुझे किस करने लगी,,,मैने उसके बूब को मसलना शुरू कर
दिया और उसके बूब्स की डुँड़ी को जो एक काली मिर्च के दाने जितनी बड़ी थी ,उसको अपनी उंगलियों
मे पकड़ कर हल्के से मसलना शुरू कर दिया,,,,मेरे ऐसा करते ही वो मचलने लगी थी


मेरा हाथ बारी बारी से उसके दोनो बूब्स को मसल रहा था उसके बूब्स की डुँड़ी को उंगलियों
मे पकड़ कर दबा रहा था,,,,,,


कुछ देर उसके बूब्स मसल्ने और किस करने के बाद मैने उसके लिप्स से दूर हुआ और सर को
उपर उठाकर उसके चहरे की तरफ देखने लगा,,,,उसके गुबाली लिप्स मेरे थूक से पूरी तरह
गीले हो गये थे और अब थोड़े गहरे लाल रंग के हो गये थे,,,,ऐसे लग रहा था उसके
जिस्म का सारा खून उसके लिप्स मे उतर आया था,,,,वो मुँह को थोड़ा सा खोल कर तेज़ी से साँसे
ले रही थी,,,,जब हम किस कर रहे थे तो हम दोनो को सांस लेना भी मुश्किल लग रहा
था,,,,,



मैं उसकी तरफ देख रहा था और वो मेरी तरफ,,,वो मेरे सर से लेके मेरी छाती तक अपनी
नज़रे घुमा रही थी और मैं भी अपनी नज़रो से उसके जिस्म को महसूस कर रहा था,,मेरा
ध्यान उसके छोटे छोटे बूब्स पर टिका हुआ था,,,,जो एक बड़े नींबू के आकर के थे और
रंग मे बिल्कुल गोरे थे,,,उसके उपर हल्के ब्राउन कलर की एक काली मिर्च के आकर की डुंड़ीयाँ
थी,,,,,मेरा ध्यान उसके बूब्स पर था और मैने अपने सर को उसके बूब्स की तरफ बढ़ाना
शुरू कर दिया था,,,कुछ ही पल मे मेरे लिप्स उसके एक बूब्स पर टिक गये और मैने उसके
बूब को हल्के से अपने लिप्स मे भर लिया और चूसने लगा ,,,मेरे लिप्स अभी उसके बूब पर
टच ही हुए थे कि उसने मचलना शुरू कर दिया था,,,,उसका जिस्म रुक रुक कर झटके
खाने लगा था,,,,मैने उसके दोनो बूब्स को हाथ मे पकड़ा और हल्के से दबाते हुए उसके
बूब्स को किस करने लगा ,,,,अपने लिप्स मे भरके चूसने लगा,,,साथ साथ उसके बूब्स की
डुंदीयों को अपने लिप्स मे भरके अपनी ज़ुबान के साथ खेलने लगा,,,उसकी डुंड़ीयाँ अब तक
काफ़ी हार्ड हो गयी थी,,


मैं काफ़ी टाइम उसके दोनो बूब्स से खेलता रहा,,,चूस्ता रहा,,,हल्के हल्के काट-ता रहा और
वो बस बिना पानी की मछली के जैसे मचलती रही,,,,,उसका जिस्म अकड़ता और कभी ढीला
पड़ जाता और कभी उसकी टाँगे झटके मारने लगती,,,उसके हाथ अकड़ जाते और वो अपने हाथों
की उंगलियों मे चद्दर को कस्के पकड़ लेती ,


उसके बूब्स को चूस्ते हुए मेरा एक हाथ उसकी कमर और पेट से होता हुआ नीचे की तरफ बढ़ने
लगा,,,,मेरा हाथ उसकी पयज़ामी तक पहुँच गया और मैने उसकी पयज़ामी के नाडे को पकड़
लिया ,,,जैसे ही मैने उसके नाडे को पकड़ा उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे रोक दिया


मैने भी अपना हाथ उसके नाडे से उठा लिया और उसके बूब्स से उपर उठके उसकी तरफ देखने
लगा,,,,वो कुछ परेशान थी ,,डरी हुई थी,,,,मैने हल्के से मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखा
और उसको बता दिया कि जब तक उसकी रज़ामंदी नही होगी मैं आगे नही बढ़ुंगा,,,हम दोनो
ऐसे ही एक दूसरे को देखते रहे,,,,,,,तभी उसके हल्के से मुस्कुरा कर मुझे देखा और अपने
हाथों से अपनी पयज़ामी के नाडे को खोल दिया और शरमा कर अपने चहरे को दूसरी तरफ टर्न
कर लिया,,,,,


मैं उसकी हरकत से खुश हो गया और वापिस उसके बूब्स को चूसने लगा,,,मेरा हाथ उसकी कमर
से होता हुआ वापिस उसकी पयज़ामी की तरफ बढ़ने लगा,,,,,मैने अपने हाथ को उसकी पयज़ामी
के उपर से उसकी चूत पर रखा तो उसकी धड़कन बढ़ने लगी जिसका एहसास मुझे उसके बूब्स
चूस्ते हुए होने लगा था,,,,,,


मैने उसकी पयज़ामी को पकड़ा और नीचे करने लगा लेकिन वो पयज़ामी को नीचे करने मे मेरा
साथ नही दे रही थी,,,,तभी मैने अपने एक हाथ को उसकी कमर के नीचे किया और उसको
मॅट्रेस से हल्का उपर उठा दिया,,,,वो मेरी इस हरकत से थोड़ी परेशान हो गयी और मेरी
तरफ देखने लगी,,,मैने हँसके उसकी तरफ देखा और अपने काम मे लगा रहा ,,उसकी कमर
उपर उठी और मैने अपने हाथ से उसकी पयज़ामी को उसकी गान्ड से थोड़ा नीचे कर दिया और
उसकी चूत मेरे सामने नंगी हो गयी,,,,


मेरा ध्यान उसकी चूत पर टिक गया,,,,,उसकी चूत एक दम गोरी थी,,,,उसके छोटे छोटे लिप्स
जो चूत के अंदर ही घुसे हुए थे आपस मे चिपके हुए थे,,,,हल्के हल्के रोयेदार बाल
थे उसकी चूत पर,,,,उसकी चूत एक दम सील पॅक थी,,उसकी चूत के लिप्स मे हल्की सी
भी जगह नही दिख रही थी जिस से मैं चूत के अंदर देख सकु,,,





मैं उसकी चूत को घूर रहा था तभी उसने शरमा कर अपने हाथ अपनी चूत पर रख लिए
और अपनी चूत को मेरे से छुपा लिया,,,मैं उसकी हालत समझ गया था और उसके चेहरे की
तरफ प्यार से देखने लगा और वापिस अपने काम मे लग गया और उसकी पयज़ामी को उसकी टाँगों से
नीचे की तरफ ले जाने लगा,,,,कुछ ही देर मे उसकी पयज़ामी निकल गयी थी और पेंटी ना होने
की वजह से वो एक दम नंगी हो गयी थी मेरे सामने,,,,,


उसने शरम से अपनी आँखें बंद की हुई थी और अपने हाथों से अपनी चूत को कवर किया हुआ
था ,,,वो एक दम नंगी थी मेरे सामने बस अपनी चूत को मेरे से छुपाया हुआ था,,मैने
भी कोई जल्दबाज़ी नही की उसकी चूत तक जाने की,,,,,,,लेकिन फिर भी मैं एक झलक उसकी
सील पॅक हल्के गुलाबी रंग की छोटे छोटे लिप्स वाली चूत को देखना चाहता था इसलिए
मैने अपने हाथ उसके हाथ पर रख दिए और उसकी चूत से उसके हाथ हटाने लगा लेकिन मैं
ज़रा सा भी ज़ोर नही लगा रहा था ,,,,बस उसको इशारा कर रहा था हाथ हटाने के लिए
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07-16-2019, 12:35 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
तभी उसने अपनी आँखें खोल कर मुझे देखा,,,,वो थोड़ा शर्मा रही थी,,,मैने आँखों ही
आँखों मे उसको चूत से हाथ हटाने को बोला तो उसने हल्के से मुस्कुरा कर अपने सर को ना मे
हिला दिया और ये बता दिया कि उसको शरम आ रही है वो ऐसा नही कर सकती,,,मैने फिर
बोला और उसने फिर से मना कर दिया,,,,मैने अपने सर को नीचे किया और चूत के उपर रखे
हुए उसके हाथ को अपने दाँतों से काटने लगा और उसकी तरफ देखने लगा,,,मैं बच्चों जैसी
हरकत कर रहा था इस बात पर वो हँसने लगी लेकिन अपने हाथ को नही हटाया उसने अपनी
चूत से,,मैने थोड़ी ज़ोर से काटा उसके हाथ पर तो वो जल्दी से पलट गयी और अपने पेट को
नीचे की तरफ करके अपनी पीठ को उपर कर लिया,,,,,



मैं उसकी इस हरकत से हँसने लगा,,,लेकिन मैं रुका नही और आगे बढ़के उसकी पीठ पर किस
करने लगा उसको उकसाने लगा ,,मस्ती मे बहकाने लगा ताकि वो बहक जाए और मुझे उसकी गुलाबी
चूत तक जाने दे,,,,,

वो पलट कर लेट गयी और अपनी पीठ को उपर कर लिया मैने भी कोई देर किए बिना उसके उपर
झुक कर उसकी पीठ पर किस करना शुरू कर दिया,,,,मैं अपने दोनो हाथों से उसकी पीठ
के हर हिस्से को सहला रहा था साथ साथ अपने लिप्स से हल्की हल्की किस कर रहा था और
कभी कभी अपनी ज़ुबान से उसकी पीठ को चाटने लग जाता था,,,बारिश की वजह से उसकी
पीठ गीली हो गयी थी और थोड़ी ठंडी भी लेकिन अब वो बहुत गर्म हो चुकी थी इसलिए उसकी
पीठ पर पसीना आ गया था जिसका स्वाद मुझे अपनी ज़ुबान और लिप्स पर महसूस हो रहा था,
उसके पसीने मे एक अलग स्वाद था एक अलग महक थी जो मुझे काफ़ी मदहोश कर रही थी और
उसकी मदहोशी मे मेरा हाथ उसकी पीठ से होता हुआ उसकी गान्ड पर चला गया ,,,मैने उसकी
गान्ड को अपने हाथ मे पकड़ा और थोड़ा ज़ोर से मसल दिया,,,,उसने अपनी गान्ड को थोड़ा उपर
उछाल दिया और मुझे अपना हाथ दूर करने को बोलना लगी लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था



मैं उसकी पीठ को किस करता हुआ उसकी गान्ड को मसल्ने लगा दबाने लगा,,,,कुछ देर बाद
मैं उसकी पीठ से नीचे की तरफ किस करता हुआ उसकी गान्ड पर पहुँच गया,,मैने उसकी
गान्ड के एक तरफ के हिस्से को अपने हाथों मे पकड़ा और कस्के दबा दिया और जो हिस्सा फूल
कर मेरे सामने आया मैने उसको मुँह मे भरके हल्के से चूसा और दाँतों से काट दिया,,,आज
तक मैने कभी ऐसा नही किया था लेकिन आज पता नही मुझे क्या हो गया था मैं सोनिया के
जिस्म के हर हिस्से का मज़ा लेना चाहता था ,,स्वाद लेना चाहता था,,,




मैने उसकी गान्ड को हल्के हल्के दबा कर चूस रहा था काट रहा था और वो छटपटा रही
थी,,,,वो अपने पैरो को इधर उधर पटक रही थी ,,,,मुझे रुकने का इशारा कर रही थी
लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था,,,,,मैं उसकी गान्ड को किस करता हुआ उसकी टाँगों की
तरफ बढ़ने लगा और टाँगों पर किस करता हुआ नीचे उसके पैरो की तरफ,,,,,टाँगों पर
से किस करता हुआ और हाथ फिराता हुआ मैं उसके पैरो तक पहुँच गया,,,,मैने उसके एक पैर
को पकड़ा और उसकी टाँग को घुटने से मोड़ कर उसके पैर को उपर उठा लिया और फिर दूसरे पैर
को भी,,,


वो पेट नीचे करके पीठ उपर करके लेटी हुई थी और मैं उसकी टाँगों को घुटनो से पीछे
की तरफ मोड़ कर उसके पैरो के पास जाके बैठ गया और उसके पैरो पर किस करने लगा,,मेरे
एसा करते ही उसको गुदगुदी होने लगी वो अपने पैर छुड़वाने की कोशिश करने लगी लेकिन
मैं उसको पैरो को कस कर पकड़ कर उसके पैरो को किस करने मे लगा रहा,,,मैं उसके
पैरो की उंगलियों को मुँह मे भरके चूसने लगा,,वो झटपटा रही थी,,,,मैं उसके पैरो
की उंगलियों को मुँह मे भरके चूस रहा था और उंगलियों के बीच की जगह मे अपनी ज़ुबान
घुमा कर चाट रहा था ,,कभी कभी मैं उसके पैर के नीचे के हिस्से को भी अपनी ज़ुबान
से चाट लेता तो वो सिसक उठती,,,,


फिर मैं उसके पैरो को किस करता हुआ वापिस उसकी गान्ड की तरफ बढ़ने लगा और जब मैं
उसकी गान्ड की तरफ बढ़ रहा था तो उसकी टाँगे थोड़ी खुली हुई थी जिस से मुझे उसकी
चूत का हल्का सा हिस्सा नज़र आ गया और मैने मस्ती मे उसको उसकी गान्ड से पकड़ा और उसकी
गान्ड को उपर उठा दिया,,,,,उसको मेरी हरकत के बारे मे पता नही चला क्यूकी मैने ये
सब बड़ी जल्दी मे किया,,,,,

जैसे ही उसकी गान्ड उपर उठ गयी मैने उसकी दोनो टाँगों को थोड़ा खोल दिया ,,,,अब वो
डॉगी स्टाइल मे सर को मॅट्रेस से लगा कर गान्ड को उपर उठा कर झुकी हुई थी,,उसकी
दोनो टाँगे खुल गयी तो उसकी चूत मेरे सामने थी,,,मैने हल्के से अपने हाथ से उसकी
चूत को टच किया तो वो एक दम से झटपटाने लगी,,,,मैने उसको उसके पेट और कमर के
पास से पकड़ा हुआ था ,,,मैने उसकी चूत को एक हाथ से टच किया तो उसकी चूत से हल्का
पानी बहने लगा ,,,,,उसकी चूत काफ़ी गीली हो गयी थी और मस्ती मे पानी बहाने लगी थी


मैने उसकी चूत की लाइन मे अपनी उंगली लगाई तो उसकी चूत के पानी से मेरी उंगली गीली
हो गयी,,,,चूत पर उंगली लगते ही वो सिसक उठी,,,उसने पीछे मूड के मुझे देखा और मुझे
रुकने को बोलने लगी,,,,लेकिन अब तक काफ़ी देर हो गयी थी ये बात वो खुद भी समझ गयी थी
मैने उसकी चूत के पानी से गीली हो चुकी उंगली को अपने नाक के पास करने सूँघा तो एक
नमकीन खुश्बू मिलने लगी मुझे उसकी चूत के पानी से,,,,मैने उसकी उंगली को नाक से लगा
कर सूँघा और फिर उस उंगली को मुँह मे भर लिया,,,और उसकी तरफ देखते हुए उसकी चूत के
पानी को अपनी उंगली से चूस कर और चाट कर उसका स्वाद लेने लगा,,,,,वो मेरी हरकत से
थोड़ी गर्म हो गयी थी,,,,,उसको पता चल गया था कि अब मैं उसकी चूत का स्वाद चख
चुका हूँ अब मुझे रोकना उसके लिए मुश्किल था,,उसने अब वापिस अपने सर को मॅट्रेस पर
झुका कर अपने आप को मेरे हवाले कर दिया,,,,,,,


मैने भी उसकी टाँगों को थोड़ा और खोला और अपने नाक को उसकी चूत के पास ले गया और अच्छी
तरह से सूंघने लगा और फिर दोनो हाथों की उंगलियों से उसकी चूत को हल्के से दोनो
तरफ खोला और चूत के अंदर के गुलाबी हिस्से को देखने लगा जो पानी से भीग कर हल्की
रोशनी मे भी काफ़ी चमक रहा था,,,,मैने उसकी चूत को खोला और उसकी लाइन मे अपनी ज़ुबान
घुसा दी और उसकी चूत का स्वाद लेने लगा,,,जैसे ही मेरी ज़ुबान उसकी चूत की लाइन को
चूस कर महसूस करने लगी उसके मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी,,,,अहह उहह


मैने उसकी चूत को दोनो तरफ से थोड़ा और खोला और मेरी नज़र पड़ी उसकी थूक की झिल्ली
पर जो उसकी चूत की सील थी,,,,,मैने आज पहली बार किसी चूत की सील देखी थी मैं
उंगली से उस सील को उस झिल्ली को छू कर देखना चाहता था लेकिन मुझे नही लग रहा
था कि मेरी उंगली अंदर जाएगी क्यूकी मुझे इतनी जगह ही नही दिख रही थी उसकी चूत
मे,,,,फिर मैं मैं एक बार उसको छू कर देखना चाहता था,,,उंगली से ना सही ज़ुबान
से ही सही,,,मैने अपनी ज़ुबान को उसकी चूत के अंदर घुसा दिया और जैसे ही मेरी ज़ुबान
उसकी चूत के अंदर घुसी वो एक दम से आगे बढ़ कर लेट गयी और अपनी गान्ड को भी नीचे कर
लिया,,,,
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07-16-2019, 12:35 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
मुझे अब उसकी चूत का स्वाद मिला चुका था अब रुकना मेरे बस की बात नही थी,,मैने
उसको उसकी कमर से पकड़ा और पलट दिया ,,,जैसे ही वो पलटी उसकी चूत मेरे सामने आ गयी
और मैं टूट पड़ा उसकी चूत पर,,,,,उसकी चूत को मुँह मे भर लिया और चूसने लगा साथ
ही अपनी ज़ुबान से उसकी चूत की चोदने लगा,,,,,,वो बस सर को इधर उधर पटक कर अपने
बदन को झटक रही थी,,,और हल्की हल्की आह्हीन्न्न्न भर रही थी,,,मैं उसकी चूत के
हल्के हल्के लिप्स को मुँह मे भरके काटने लगा और उंगली से उसकी चूत के उपर वाले हिस्से को
सहलाने लगा ,,तभी उसका बदन अकड़ने लगा और तेज़ी से सिसकियाँ लेने लगी,,,अहह
उउउहह ऐसा करते हुए उसने मेरे सर को अपने हाथ मे पकड़ा और अपनी चूत पर दबा
दिया,,,,,मैं समझ गया ये झड़ने वाली है इसलिए मैं थोड़ी तेज़ी से उसकी चूत को चूसने
लगा ,,,थोड़ी ही देर मे उसका पानी निकल गया,,,पानी ज़्यादा नही निकला था बस थोड़ा सा ही
था,,,जिसको मैं पी गया और अपनी ज़ुबान से भी उसकी चूस को चाट कर अच्छी तरह से
सॉफ और चिकना कर दिया,,,,




उसका पानी निकल गया और मैं उसकी चूत से दूर हट गया ,,,,वो तेज़ी से साँसे ले रही थी
और अपनी हालत को क़ाबू करने की कोशिश कर रही थी,,,मैं बस मुस्कुरा कर उसकी तरफ
देख रहा था,,,,


कुछ देर मैं उसकी तरफ देखता रहा ,,जब उसकी हालत ठीक हो गयी तो मैं उठा और उसके
सामने खड़ा होके अपने पयज़ामे को खोलने लगा,,,,जैसे ही मेरा पयज़ामा खुल गया मेरा लंड
पूरी ओकात मे सर उठाकर खड़ा हुआ था जिस पर सोनिया की नज़रे टिक गयी,,,,,वो मेरे लंड
को देख कर डर गयी थी,,परेशान हो गयी थी,,,


मैने अपने लंड को हाथ मे पकड़ा और उसके चहरे के करीब जाके घुटनो के बल बैठ गया
और अपने लंड को उसके चहरे के करीब कर दिया,,,,वो आँखें फाड़ फाड़ कर मेरे लंड को
देख रही थी,,,,मैने लंड को उसके लिप्स के करीब कर दिया और उसको लंड मुँह मे लेने का
इशारा करने लगा लेकिन उसने सर को ना मे हिला दिया ,,मैने भी कोई ज़िद्द नही की बस
ऐसे ही आगे बढ़ के अपने हाथ को उसकी चूत पर रखा और चूत के उपर के हिस्से पर उंगली
करने लगा,,,,कुछ ही देर मे उसको मस्ती चढ़ने लगी और उसका मुँह खुलने लगा और वो लंड
को अपने हाथ मे पकड़ कर सर को मेरे लंड के करीब करने लगी,,,,उसना अपना मुँह खोला
और लंड को मुँह मे भरने लगी लेकिन उसका मुँह इतना नही खुल रहा था जिस से लंड उसके
मुँह मे घुस सके,,लेकिन मस्ती की वजह से वो कोशिश करती जा रही थी,,,लंड तो उसके
मुँह मे नही घुस रहा था फिर भी वो लंड की टोपी को अपने होंठों मे भरके चूसने लगी
थी,,,और अपनी ज़ुबान से चाटने लगी थी,,,,


मेरी उंगली उसकी चूत पर अपना हुनर दिखा रही थी और वो अपने होंठों से और अपनी ज़ुबान
से मेरे लंड की टोपी पर अपने हुनर को दिखाने की कोशिश कर रही थी,,,,वो अंजान थी
इस सब से लेकिन कोशिश कर रही थी मेरा साथ देने की,,,मेरे लिए भी इतना ही काफ़ी था
कि वो मेरा साथ तो दे रही है,,,,,


कुछ देर बाद मैं उठके उसकी चूत के पास टाँगों के बीच मे जाके बैठ गया,,,वो समझ
गयी अब वो टाइम आ गया है जब हम दोनो एक दूसरे को पूरी तरह से हाँसिल कर लेंगे,,उसने
मुझे मना नही किया कुछ करने से लेकिन फिर भी वो मेरे लंड को डर की नज़रो से देख
रही थी,,,,वो नज़रो ही नज़रो मे मुझे बोल रही थी कि सन्नी ये लंड इतना बड़ा है कि
मेरे मुँह मे नही गया तो चूत मे कैसे जाएगा ,,,,मैने भी हंस कर उसकी तरफ देखा और
अपने मुँह से खूब सारा थूक लेके अपने लंड पर लगा लिया और फिर कुछ थूक उसकी चूत
पर लगा कर अच्छी तरह से मलने लगा,,,फिर मैं उसके उपर झुक कर उसके जिस्म पर लेट
गया,,,क्यूकी जब लंड उसकी सील पॅक चूत मे घुसना था तो उसने मछली के जैसे तड़प जाना
था और झटपटाना शुरू कर देना था,,मेरे जिस्म का उसके जिस्म पर होना ज़रूरी था ताकि जब
वो झटपटाना शुरू करे तो मैं उसको क़ाबू कर सकूँ,,,,


मैं उसके उपर लेट गया और अपने लंड को उसकी चूत पर रखा और हल्का ज़ोर लगा कर लंड
को अंदर करने की कोशिश करने लगा,,लेकिन उसकी चूत बहुत टाइट थी और मेरा मूसल बहुत
बड़ा था जो इतनी आसानी से नही जाने वाला था उसकी चूत मे,,मैने फिर से कोशिश की तो लंड
फिर से एक तरफ खिसक गया,,,मैने काफ़ी कोशिश की लेकिन कोई फ़ायदा नही हो रहा था तभी
सोनिया ने अपने हाथों से अपनी दोनो टाँगों को पकड़ा और अपनी टाँगों को पूरी तरह से खोल
दिया जितना भी वो खोल सकती थी,,,,,वो अपनी टाँगे खोल कर लंड के लिए जगह बना रही
थी लेकिन वो मासूम क्या जाने जितनी भी जगह बन जाए मेरा मूसल उसकी सील पॅक चूत मे
इतनी आसानी से घुसने वाला नही था,,,,,,ये बात उसको भी पता थी लेकिन फिर भी वो हल्की
कोशिश ज़रूर कर रही थी,,,,,

मेरा लंड हर बार फिसल कर दूसरी तरफ चला जाता था ,,,तभी उसने अपनी टाँगों को
खोला और ज़्यादा जगह बनाने की कोशिश करने लगी,,,


मैने लंड को उसकी चूत पर रखा और लंड को उसकी चूत मे घुसाने की कोशिश करने
लगा और हल्का ज़ोर लगाने लगा लेकिन कोई फ़ायदा नही हो रहा था ,,तभी उसने अपने हाथ
मेरी कमर पर रखके और अपना पूरा ज़ोर लगा दिया मेरी कमर को नीचे की तरफ दबाने के
लिए जिस से मेरा लंड उसकी चूत मे घुस सके,,,,,,और उसकी कोशिश कामयाब हो गयी इसका
पता मुझे तब नही लगा जब मेरा लंड उसकी चूत मे घुसा बल्कि मुझे तब पता चला
जब मुझे उसकी आँखों मे आँसू नज़र आए,,,,वो चीखी या चिल्लाई नही थी लेकिन फिर भी
मेरा लंड चूत मे घुसने से और चूत की सील टूट जाने से उसको दर्द हुआ था ,,मैं भी
उसको हर्ट नही करना चाहता था हालाकी लंड अंदर जाना था तो सील तो टूट जानी थी और
दर्द भी होना था लेकिन फिर भी मैं उसको हर्ट नही करना चाहता था इसलिए तो इतनी बार
कोशिश करने के बावजूद मैं लंड को उसकी चूत मे नही घुसा रहा था ये बात उसको भी
पता थी कि मैं ज़्यादा ज़ोर नही लगा रहा और उसको हर्ट नही कर रहा इसलिए उसने खुद अपने
हाथ मेरी पीठ पर रखे और खुद मेरे से ज़ोर लगवाया ,,,,,और जब उसकी चूत मे लंड घुस
गया तो वो चिल्लाई नही क्यूकी अगर वो चिल्लाती तो मैं रुक जाता और अब वो मुझे रोकना न्ही
चाहती थी,,,,,,लेकिन फिर भी उसकी आँखों से बहने वाले आँसू बता रहे थे कि उसको
कितना दर्द हुआ है,,,,,


लंड करीब 2-3 इंच तक उसकी चूत मे घुस चुका था,,उसकी चूत बहुत टाइट थी मेरा
मोटा मूसल एक दम टाइट फिट हो गया था उसकी चूत मे,,उसको दर्द हुआ था जब इतना मोटा
मूसल गया उसकी चूत मे इसलिए जब लंड अंदर घुस गया तो वो कुछ देर रुकी रही और ज़ोर
नही लगाया मेरी पीठ पर और ना ही मैं हिला जुला,,,मैं भी ऐसे ही रुका रहा,,


मैं ऐसे ही उसके उपर लेटा रहा और उसके चहरे की तरफ देखता रहा,,उसकी आँखों से पानी
निकल रहा था,,,,जब मैं उसकी आँखों से बहने वाली पानी को देखने लगा उसके आँसू देखने
लगा तो उसको थोड़ी परेशानी हुई,,,,वो जानती थी कि अगर मुझे उसका दर्द दिख गया तो मैं
रुक जाउन्गा कुछ नही करूँगा इसलिए उसने अपने चेहरे को एक तरफ कर लिया,,,,मैने उसके
चेहरे को अपने हाथ से पकड़ा और सीधा कर दिया और उसके लिप्स पर हल्की किस करदी और फिर
उसकी आँखों पर किस करने लगा,,,,,,मैं उसको बता दिया मुझे उसके दर्द की परवाह है
लेकिन इस हालत मे मैं रुक नही सकता लेकिन मैं आगे भी नही बढ़ सकता,,,


कुछ देर बाद उसने फिर से अपने हाथों से मेरी पीठ को नीचे की तरफ किया और मेरा लंड
थोड़ा और आगे हो गया,,,,अब उसको दर्द कम हो रहा था इसलिए वो मुझे हिलने का इशारा करने
लगी,,,,मैं भी हल्के हल्के अपनी कमर को उपर नीचे करके लंड को उसकी चूत मे पेलने
लगा,,,,,,मेरा करीब 3-4 इंच तक लंड उसकी चूत मे घुसा था और मैं उतने लंड को ही
आगे पीछे करने लगा वो भी स्लो स्पीड मे,,,,वो भी हल्के हल्के मेरी पीठ को उपर नीचे
करने मे मेरा साथ दे रही थी,,,


करीब 2-3 मिनिट तक मैं ऐसे ही स्लो स्पीड मे हिलाता रहा लेकिन जब उसकी सिसकियाँ शुरू
हो गयी और उसको मस्ती चढ़ने लगी तो उसने अपने हाथों से मेरी पीठ को थोड़ी तेज़ी से उपर
नीचे करना शुरू कर दिया ,,,इशारा मिलते ही मैने भी स्पीड थोड़ी तेज की लेकिन ज़्यादा तेज
नही क्यूकी मैं उसको दर्द नही देना चाहता था,,,मेरा मूसल इतना बड़ा था कि चूत को
फाड़ कर रख देता,,,,सोनिया की जगह कोई और सील पॅक लड़की होती तो जान निकाल देता मैं
उसकी लेकिन सोनिया को दर्द देने के बारे मे मैं सोच भी नही सकता था,,,,


मेरा 3-4 इंच तक लंड उसकी चूत मे था और मैं इतने लंड से ही स्लो स्पीड मे उसकी चूत
की चुदाई कर रहा था,,,उसको मज़ा आने लगा था इसलिए उसने मेरे सर को पकड़ा और नीचे
करके मेरे लिप्स पर किस करने लगी,,,,वो पागल हो गयी थी मस्ती मे और पूरे जोश मे मुझे
किस कर रही थी ,,,,मेरे सर पर मेरी पीठ पर अपने हाथ घुमा रही थी ,,मेरी पीठ
को सहला रही थी,,तभी उसने मस्ती मे मेरी पीठ को कस कर नीचे की तरफ दबया तो मेरा
लंड उसकी चूत मे और ज़्यादा अंदर तक घुस गया,,,,उसने ये हरकत मस्ती मे की थी लेकिन
उसको इस बात का अंदाज़ा नही था उसने कितनी बड़ी ग़लती करदी थी,,,जब लंड थोड़ा और ज़्यादा
अंदर गया तो दर्द के मारे उसकी हालत खराब हो गयी,,,,उसने अपने दर्द को बयान करने के लिए
अपने नाख़ून घुसा दिए मेरी पीठ पर और बुरी तरह से छील दिया मेरी पीठ को,,लेकिन
टाइट चूत की मस्ती मे मैं दर्द को भूल गया था,,,और वैसे भी सोनिया के दर्द के सामने
मेरा दर्द कुछ न्ही था,,,,उसकी आँखों से आँसू बहने लगे थे ,,,लेकिन फिर भी वो हल्की
हल्की सिसकियाँ लेती हुई मुझे किस कर रही थी,,,,

जैसे किस करने की वजह से उसकी सिसकियाँ उसके मुँह मे दब कर रह गयी थी वैसे ही उसकी
चीख भी मेरे मुँह मे दब कर रह गयी थी,,,,क्यूकी जब मस्ती मे उसने मेरी पीठ को नीचे
किया और मेरा लंड 2 इंच तक और उसकी चूत मे घुस गया तो दर्द से उसकी हालत बुरी हो गयी
थी और इस बार वो खुद को चीखने से रोक नही पाई थी,,,,अगर उसका मुँह मेरे मुँह से जुदा
नही होता तो चीख पूरे रूम मे गूज़ जानी थी,,,,,
Reply
07-16-2019, 12:35 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
तभी कुछ देर बाद उसकी सिसकियाँ शुरू हो गयी और वापिस मज़ा आने लगा उसको,,मुझे भी
बहुत मज़ा आ रहा था,,,मेरा लंड पूरी तरह से फिट होके उसकी चूत मे आगे पीछे हो रहा
था,,,,तभी मुझे उसकी चूत मे बहुत ज़्यादा फिसलन महसूस होने लगी,,,उसकी चूत अंदर
से बहुत गीली हो गयी थी,,,मैं समझ गया इसका पानी निकल गया है,,,लेकिन मैं रुका नही
और ना ही सोनिया ने मुझे रुकने को बोला,,,,मैं बस ऐसे ही लंड पेलता रहा उसकी चूत
मे और वो भी मस्ती मे हल्की हल्की सिसकियाँ लेती हुई मुझे किस करती रही,,,,उसकी चूत
ने फिर से पानी बहा दिया था जिस से चूत मे बहुत ज़्यादा फिसलन हो गयी थी और मेरा लंड
बड़े आराम से आगे पीछे होने लगा था जिस से मेरी स्पीड भी पहले से तेज हो गयी थी और
साथ साथ सोनिया की सिसकियाँ भी,,,,,



जब उस से खुद की सिसकियों पर क़ाबू नही रहा तो उसने अपने मेरे सर को अपने सर से दूर
कर दिया और मुझे किस करना बंद करके खुल कर सिसकियाँ लेने लगी,,,,,अहह ऊहह
हहययइईईईईईई अहह माआआआआआअ उूुुुुुउऊहह हहयइईईईई
ककककककककककककककककक ऊओह हमम्म्ममममममममममममममममममम आहह



उसकी सिसकियाँ सुनकर मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी और मेरी स्पीड थोड़ी और तेज हो गयी,,वो भी
मेरी कमर को पकड़ कर तेज़ी से आगे पीछे करने लगी,,,,लेकिन अब वो ज़्यादा अंदर तक मेरा
लंड नही लेना चाहती थी बस जितना अंदर था उसी से मज़ा लेना चाहती थी,,,उसको पता
था अगर और ज़्यादा लंड अंदर लेने की कोशिश की तो दर्द से बुरा हाल हो जाना है और जो
मज़ा आ रहा है वो मज़ा किरकिरा हो जाना है,,,इसलिए वो उतने ही लंड से अपनी चुदाई
करवा रही थी जितना अभी उसकी चूत मे था,,,,


करीब 10-15 मिनिट से मैं उसकी चूत की चुदाई कर रहा था इस दौरान वो 1 बार झड
चुकी थी और शायद अब दूसरी बार झड़ने वाली थी क्यूकी उसकी सिसकियाँ तेज हो गयी थी और
अब तो मैं भी झड़ने वाला था,,,और ऐसे ही हुआ,,,कुछ देर बाद उसकी चूत ने फिर से पानी
बहा दिया और जब मेरा भी पानी निकलने लगा तो मैने लंड को उसकी चूत से निकाला और लंड
को उसके पेट पर रखके तेज़ी से हिलाते हुए सारा पानी उसके पेट पर निकाल दिया,,,,



जब सारा पानी निकल गया तो मैं उसके साथ लेट गया,,,,उसने मस्ती मे अपने हाथ से मेरे
पानी को अपने पेट पर मलना शुरू कर दिया,,,,,


हम दोनो ऐसे ही नंगे एक दूसरे के साथ लेटे रहे,,,,,कुछ देर बाद मैने उठा और साइड से
एक कपड़ा उठाकर उसके पेट को सॉफ किया,,,फिर उसकी तरफ देखा तो वो थोड़ा शर्मा रही
थी,,,,,



मैं वापिस उसके करीब लेट गया तो वो मेरी तरफ पलट गयी और मुझे किस करने लगी,,किस
करते हुए वो मेरे बदन पर अपने हाथ घुमा रही थी,,,,कुछ देर बाद उसका हाथ मेरे लंड
के करीब चला गया और उसने मेरे लंड को सहलाना शुरू कर दिया,,अभी कोई 4-5 मिनिट पहले
ही हम दोनो का पानी निकला था लेकिन वो फिर से तैयार हो गयी थी,,वही हाल मेरा भी था
मैं भी तैयार हो गया था क्यूकी उसका हाथ बड़े प्यार से मेरे लंड को सहला रहा था,,उसके
नरम और मुलायम हाथ का स्पर्श मेरे लंड पर लगते ही मेरा लंड झटके मार कर खड़ा होने
लगा था,,,,जब लंड पूरी तरह ओकात मे आ गया तो सोनिया ने अपनी एक टाँग मेरे उपर रख
दी जिस से उसकी चूत खुलकर मेरे लंड के करीब आ गयी,,,,मैने भी कोई देर नही की और
अपने कमर को आगे किया तो लंड उसकी चूत पर टिक गया,,,मैने थोड़ा आगे होके लंड को हल्का
झटका दिया तो लंड अंदर घुस गया और मैने हल्के हल्के अपनी कमर को आगे पीछे करना शुरू
कर दिया,,,,


मस्ती मे वो भी अपनी कमर और गान्ड को आगे पीछे करने लगी थी,,,उसको भी मज़ा आने लगा
था,,शायद उसको कुछ ज़्यादा ही मस्ती चढ़ने लगी थी इसलिए उसने अपनी टाँग को मेरे जिस्म के
उपर से दूसरी तरफ किया और मेरे उपद चढ़ गयी,,,मैं उसकी हरकत से खुश हो गया और उसके
सर को अपने लिप्स से दूर करके उसके चेहरे की तरफ देखने लगा,,,,उसना शरमा कर वापिस
मुझे किस करना शुरू कर दिया और अपने शरमाते हुए चेहरे को मेरे से छुपा लिया,,



वो मस्ती मे आके खुद मेरे उपर चढ़ गयी थी और खुद अपनी कमर और गान्ड को उपर नीचे
करके मेरे लंड को अपनी चूत मे लेने की कोशिश कर रही थी लेकिन वो अभी इस खेल से
बिल्कुल अंजान थी फिर भी चूत चुदाई की मस्ती मे वो मेरा साथ देने की कोशिश कर
रही थी,,,,,,मुझे पता था वो अंजान है इसलिए मैने अपने हाथ उसकी गान्ड पर रखे
और उसकी गान्ड को पकड़ कर खुद उसको अपने लंड पर उपर नीचे करने लगा,,,वो पूरी मस्ती
मे आ चुकी थी और खूब मस्ती मे मुझे किस भी कर रही थी,,,,तभी उसके हाथ मेरी
छाती पर चले गये और उसने मेरे निपल्स के साथ छेड़खानी करनी शुरू करदी,उसने
मेरे निपल्स को अपने हाथों से हल्के हल्के मसलना शुरू कर दिया और मेरी छोटी छोटी
डुंदीयों को अपनी उंगलियों मे लेके दबाने लगी,,,,,वो थोड़ा ज़ोर से दबा रही थी और मुझे
दर्द हो रहा था,,,,,तभी दर्द से मेरी हल्की अहह निकल गयी और उसने चेहरे को मेरे लिप्स
से दूर किया और हँसके मेरी तरफ देखा,,,,उसको मुझे हर्ट करके अच्छा लग रहा था,,उसने
हँसके मुझे देखा और शरारती अंददाज मे मेरे निपल्स की तरफ बढ़ने लगी और जल्दी ही उसने
मेरे निपल्स पर अपने लिप्स रखे और मेरी तरफ देखते हुए मेरे निपल्स को अपने लिप्स से लगा
कर चूसने लगी,,,,लेकिन ज़्यादा देर तक नही ,,,वो तो मुझे तंग करना चाहती थी इसलिए
उसने मेरे निपल्स को अपने दाँतों से काटना शुरू कर दिया और हंसते हुए मेरी तरफ देखने
लगी ,,,,



उसका अंदाज़ मस्ती मे मुझे तंग करने वाला था जो मुझे अच्छा लग रहा था,,,,शरारत से
'ही सही वो खुश तो थी,,मेरा साथ तो दे रही थी,वो बहुत चुलबुली थी और चुदाई की मस्ती
मे भी मेरे साथ शरारत करने से बाज नही आ रही थी,,,,,,वो मेरे निपल्स को चुस्ती और
दाँतों से काट-ती हुई मेरे लंड पर उपर नीचे हो रही थी और मैं उसको उसकी गान्ड से
पकड़ कर उपर नीचे होने मे उसकी हेल्प कर रहा था,,,मैं स्लो स्पीड मे उसकी चुदाई कर
रहा था लेकिन जब उसने मेरे साथ शरारत करनी शुरू की मुझे तंग करना शुरू किया तो
मैने उसकी गान्ड को तेज़ी से उपर नीचे करना शुरू कर दिया,,,वो मेरी तरफ देखकर मुझे
स्पीड स्लो करने को बोलने लगी लेकिन मैं नही रुका और तेज़ी से उसकी चुदाई करने लगा,
मुझे भी उसका मेरे साथ शरारत करना अच्छा लग रहा था और मुझे कुछ ज़्यादा मस्ती चढ़ने
लगी तो मैने अपनी स्पीड तेज करदी और उसको तेज़ी से अपने लंड पर उपर नीचे करने लगा
जिस से उसको कुछ ज़्यादा मस्ती चढ़ने लगी लेकिन वो इतनी मस्ती बर्दाश्त नही कर पाई और
उसकी चूत ने पानी बहा दिया,,,,


लेकिन इस बार पानी बहुत ज़्यादा निकला था,,मैं समझ गया हो ना हो ये उसकी चूत का पानी
नही बल्कि उसका पेशाब है,,,मस्ती इतनी ज़्यादा चढ़ गयी और वो बर्दाश्त नही कर सकी तो
उसका पेशाब निकल गया,,,,उसने अपना सर उठाकर मेरी तरफ देखा तो मैने उसकी तरफ हँसके
देखा तो वो थोड़ा परेशान हो गयी,,,,फिर मेरे पेट पर गिरे हुए अपने पेशाब को देखकर
शरमा गयी,,,,उसके शरमाने से मैं हँसके उसकी तरफ देखने लगा और ऐसे ही तेज़ी से उसकी
चुदाई करते गया,,,,,

करीब 8-10 मिनिट बाद मेरी स्पीड कुछ ज़्यादा ही तेज हो गयी इसका मतलब था मैं झड़ने
वाला हूँ लेकिन इतनी तेज स्पीड की वजह से उसकी सिकियाँ कुछ ज़्यादा ही तेज हो गयी और फिर
से उसका पेशाब निकल गया लेकिन इस बार पेशाब के साथ साथ उसकी चूत ने पानी भी बहा
दिया था अब उस से ज़्यादा बर्दाश्त नही हुआ और वो एक दम से मेरे उपर से उतर गयी,,,जैसे
ही वो मेरे उपर से उतरी मैं भी उठा और अपने लंड को हाथ मे पकड़कर तेज़ी से हिलाने
लगा और अपने पानी को उसके पेट पर निकालने लगा,,,,,,


उसकी हालत बहुत खराब थी वो बस तेज़ी से साँसे ले रही थी और मेरे लंड की तरफ देख
रही थी ,,तभी मेरा ध्यान भी अपने लंड पर गया तो उसमे सोनिया की चूत का पानी और थोड़ा
खून लगा हुआ था,,,मैने तेज़ी से लंड हिलाते हुए पानी उसके पेट पर निकाला और फिर उसकी
बगल मे लेट गया,,,,,


हम लोग काफ़ी टाइम ऐसे ही चुप चाप लेटे रहे,,,,लेकिन ज़्यादा देर तक नही,,,हम लोगो मे से
कोई कुछ भी नही बोल रहा था,,,,,हम लोग शांत थे और बाहर का मौसम भी काफ़ी शांत हो
गया था,,,,ना तो बाहर से बिजली गर्रजने की आवाज़ आ रही थी और ना ही बदलो की आवाज़ आ
रही थी,,,,,,काफ़ी टाइम रूम मे भी सन्नाटा रहा बस हम दोनो के तेज़ी से साँसे लेने की
आवाज़ का शोर था रूम मे,,,,
Reply
07-16-2019, 12:35 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
उस रात मैने और सोनिया ने 3 बार और सेक्स किया था,,,,उसकी पहली चुदाई थी इसलिए वो कुछ
ज़्यादा ही मस्ती मे थी और मुझे सोनिया के साथ मस्ती करने का मौका मिला था उसको हाँसिल करने
का मौका मिला था इसलिए मैं भी कुछ ज़्यादा ही एग्ज़ाइट था,,,,पूरी रात हम लोगो ने कोई बात
नही की बस मस्ती करते रहे,,,,,


पता नही कितने बजे सोए थे हम लोग,,,,सुबह उठा तो हल्की हल्की रोशनी हो गयी थी,
मैं उठा तो देखा सोनिया अभी भी नंगी ही मेरे साथ चिपकी हुई थी,,,उसका कुर्ता बाहर
छत पर था टंकी के पास और मेरी टी-शर्ट भी,,,,मैने दरवाजा खोला तो सुबह हो चुकी
थी,,,दरवाजा खुले से आवाज़ हुई तो सोनिया की आँख भी खुल गयी,,,उसने खुद को नंगी हालत
मे देखा तो शरमा गयी और उसी चद्दर से खुद को कवर कर लिया जिस पर लेटा कर मैने
पूरी रात उसकी चुदाई की थी,,


अभी हम लोगो को नीचे जाना था क्यूकी घर वालो के उठने से पहले हम लोगो को अपने रूम
मे जाके लेट जाना था,,,,मैने तो अपना पयज़ामा पहन लिया लेकिन सोनिया के पास कोई कपड़ा नही
था ,,,,उसका कुर्ता बाहर गिरा हुआ था और गंदा हो गया था,,,छत पर पानी था कुर्ता गीला
भी था,,,उसकी पयज़ामी भी गंदी हो गयी थी ,,,,हालाकी मेरा पयज़ामा भी गंदा हो गया था
लेकिन मैने उसको ऐसे ही पहन लिया था,,,,हम दोनो ने अभी तक कोई बात नही की थी,,,



तभी मैने उसको उठने का इशारा किया और वो उठने लगी ,,उसके बदन पर जो चद्दर थी वो
मेरे लंड के पानी से,,,उसकी चूत के खून से,,,,उसकी चूत के पानी और पेशाब से पूरी
तरह गंदी हो गयी थी,,,उसने चद्दर की तरफ एशारा किया तो मैने पास ही मे पड़ी हुई
दूसरी चद्दर जो पुरानी थी लेकिन सॉफ थी,,,मैने वो चद्दर उसके पास फैंक दी और उसने
गंदी चद्दर को अपने जिस्म से अलग किया और सॉफ चद्दर को अपने जिस्म पर लपेट लिया और
उठ कर खड़ी होने लगी,,,,,तभी एक दम से दर्द से कराह उठी और उसके मुँह से अहह
निकल गयी और वो वापिस ज़मीन पर गिर गयी,,,,मैने आगे बढ़के उसको संभाला लेकिन देर हो गयी
थी वो ज़मीन पर गिर गयी थी,,,,मैने उसकी हालत समझ गया था इसलिए मैने उसको अपनी
बाहों मे भर लिया और गोद मे उठा लिया,,,,,


मेरा उपर का जिस्म नंगा था और मैं अपने रात वाले गंदे पयज़ामे मे था जबकि सोनिया नंगी
थी और चद्दर मे लिपटी हुई थी,,,,मैने उसको गोद मे उठाया और छत से नीचे की तरफ आने
लगा,,,,वो मेरी नज़रो मे देख कर शरमा रही थी,,,हम दोनो की रात खूब मस्ती मे कटी
थी लेकिन हम लोगो ने अभी तक कोई बात नही की थी,,,,,,


मैं उक्सो छत से नीचे लेके आ रहा था,,,बड़े हल्के कदमो से चल रहा था मैं,,सर्दी
का मौसम था मुझे ठंड लग रही थी मैं जल्दी से अपने कमरे मे जाके कपड़े बदल लेना
चाहता था,,,,जब तक तो सोनिया के साथ लेटा रहा ठंड नही लग रही थी लेकिन अब ठंड
लगने लगी थी मुझे,,,,सोनिया गोद मे थी इसलिए कुछ गर्मी का एहसास तो हो रहा था लेकिन
फिर भी मैं रूम मे जाना चाहता था जल्दी से,,,,और उस से भी ज़्यादा मुझे डर था कोई
हम दोनो को ऐसी हालत मे ना देख ले क्यूकी जो भी हम दोनो को देख लेता वो हम दोनो की
हालत से समझ जाता कि हम दोनो मे क्या हुवा है,,



मुझे डर था कहीं कोई हमको देख ना ले,,,,,,और तभी मेरा डर सच साबित हो गया,,,मैं
सोनिया को गोद मे लेके खड़ा हुआ था अपने रूम के पास ,,मेरा आधा जिस्म नंगा था और सोनिया
एक चद्दर मे मेरी गोद मे थी,,,,,और सामने उपर वाले किचन से भुआ कुछ समान हाथ मे
पकड़ कर किचन से बाहर आ रही थी,,,



जैसे ही भुआ की नज़र हम लोगो पर पड़ी मेरी तो गान्ड ही फॅट गयी और वही हाल था शायद
सोनिया का भी,,,,,मैने सोनिया की तरफ देखा तो वो डरी हुई नही थी बस शरमा रही थी



तभी भुआ हम दोनो के पास आई और एक नज़र हम दोनो को देखा और सीडियों से नीचे की
तरफ चली गयी,,,,,



मैं बहुत डर गया था लेकिन सोनिया क्यूँ नही डरी,,,,वो शरमा क्यूँ रही थी,,,क्या उसको डर
नही था कि भुआ ने हम दोनो को एसी हालत मे देख लिया है,,,,,



खैर मैं सोनिया को लेके रूम के अंदर चला गया,,,जैसे ही मैं सोनिया को रूम के अंदर
जाके उसके बेड पर लेटाने लगा तो उसने मुझे वॉशरूम की तरफ इशारा किया ,, मैं उसको
वॉशरूम मे ले गया और उसको गोद से उतारकर ज़मीन पर खड़ा कर दिया,,,,



उसने मुझे वहाँ से बाहर जाने का इशारा किया लेकिन मैने मना कर दिया,,,,मैं जानता था
रात भर की चुदाई से उसका नाज़ुक बदन बुरी तरह से टूट चुका है ,,उसकी हालत इतनी
खराब थी कि उसकी टाँगे उसका वजन भी नही संभाल पा रही थी,,,



उसने मुझे फिर से बाहर जाने का इशारा किया और मैने फिर से सर को ना मे हिला कर उसको
मना कर दिया,,,,,वो भी समझ गयी थी कि अब मैं बाहर नही जाने वाला इसलिए उसने मुझे
पलट कर खड़े होने को बोला और चेहरा दूसरी तरफ करने को बोला,,,,क्यूकी उसको मेरे सामने
पेशाब करने मे शरम आ रही थी,,,,,


मैं उसकी बात समझ गया और पलट कर खड़ा हो गया ,,,,तभी वो टाय्लेट सीट पर बैठकर
पेशाब करने लगी,,,,,मुझे उसके पेशाब करने की आवाज़ आने लगी तभी उसके मुँह से आहह
माआआ निकल गया,,,,,,मैं समझ गया कि उसकी नाज़ुक और कोमल चूत बुरी तरह से छिल
गयी होगी तभी तो पेशाब भी लगकर आ रहा था उसको,,,,पेशाब करने से भी उसकी चूत
मे जलन हो रही थी,,,,


जब उसने पेशाब कर लिया और चूत को सॉफ करके मेरे पास आके मेरे शोल्डर पर हाथ रखा
तो मैने पलट कर उसको पकड़ा और गोद मे उठा लिया और बाहर आके बेड पर लेटा दिया,,,


तभी मेरा दिल किया उसकी चूत देखने को ताकि देख सकूँ कितना बुरा हाल किया है मैने उस
बेचारी सोनिया का,,,कितना दर्द दिया है उसको,,,,मैने चद्दर उठाने की कोशिश की लेकिन
उसने मुझे रोक दिया और ना मे सर हिला कर बता दिया सन्नी मत देखो तुम देख नही सकते
,,,,


मैने फिर कोशिश की तो उसने फिर से मना कर दिया,,,,तभी मैने अपना पयज़ामा निकाला जो
काफ़ी गंदा हो गया था और सॉफ पयज़ामा और टी-शर्ट पहन-ने लगा,,,,मैं उसके सामने ही कपड़े
चेंज करने लगा तो वो शरमा गयी और चद्दर से अपने फेस को कवर कर लिया,,,


कपड़े चेंज करके मैं रूम से बाहर जाने लगा,,जैसे ही मैने दरवाजा खोला तो सोनिया
ने चद्दर को नीचे करके मेरी तरफ देखा और नज़रो ही नज़रो मे सवाल करने लगी कि सन्नी
तुम कहाँ जा रहे हो,,,,,,मैने उसकी बात का कोई जवाब नही दिया और नीचे की तरफ आ
गया,,,,



मैं खुद तो उसकी चूत नहीं देख सकता था ना ही उसका दर्द ठीक कर सकता था लेकिन मुझे
उसका दर्द ठीक करना था इसलिए मैं नीचे भुआ को लेने गया था क्यूकी भुआ ने सब कुछ देख
लिया था और सोनिया को भी भुआ से डर नही लगा था तब जब भुआ ने हम दोनो को उस हालत मे
देखा था,,,,


मैं नीचे की तरफ आया तो मुझे किचन से कुछ आवाज़ सुनाई दी और मैं किचन मे चला
गया ,,,,जहाँ माँ और भुआ दोनो अपना काम कर रही थी,,,



मुझे देखकर माँ बोली,,,,,,अरे आज क्या हुआ तुझे इतनी जल्दी उठ गया,,,,अभी तो कॉलेज
जाने मे भी बहुत टाइम है ,,,


कुछ नही माँ बस आज आँख जल्दी खुल गयी,,,,,,



तभी भुआ बोली,,,,आँख जल्दी खुल गयी थी या पूरी रात सोया ही नही,,,,भुआ ने इतना बोला
तो माँ और भुआ दोनो हँसने लगी,,,,,



इस से पहले मैं कुछ बोलता या समझ पाता भुआ एक गर्म पानी का बर्तन हाथ मे लेके मेरे
करीब से होके किचन से बाहर आ गयी और साथ मे माँ भी,,,,,
Reply
07-16-2019, 12:36 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
तभी माँ मुझे बोली,,,,,,1-2 दिन रुक नही सकता था क्या ,,,इतनी आग लगी हुई थी तेरे
जिस्म मे,,,,,





मैं समझ गया भुआ ने माँ को सब कुछ बता दिया है,,,,,लेकिन माँ गुस्सा क्यूँ नही हो रही
मेरे पर,,,,,और 1-2 दिन रुकने को क्यूँ बोला मा ने मुझे,,,,,1-2 दिन मे क्या होने वाला है



माँ और भुआ उपर की तरफ जाने लगे,,,,भुआ के हाथ मे गर्म पानी का बर्तन था जबकि माँ
के हाथ मे कुछ कपड़े और मेडिसिन थी,,,,,



मैं भी उन लोगो के साथ चलके उपर की तरफ जाने लगा,,,,मुझे कुछ ज़्यादा ही जल्दी थी
सोनिया के पास जाने की ,,,,जैसे ही मैं रूम के दरवाजे तक पहुँचा और दरवाजा खोलकर
अंदर गया तो सोनिया हल्की आवाज़ मे बोली,,,,,


कहाँ गया था भाई,,,,,मुझे अकेला छोड़कर,,,,,


इस से पहले मैं कुछ बोलता भुआ और माँ अंदर आ गयी,,,,सोनिया ने जब भुआ और माँ को देखा
तो डर गयी और शरमा कर चद्दर से अपने फेस को कवर कर लिया,,,,


तभी माँ और भुआ चलके सोनिया के बेड के पास चले गये,,,,,,तभी भुआ बोली,,,तो तुम दोनो
ने अपनी मनमानी कर ही ली,,,,थोड़ा टाइम इंतजार नही कर सकते थे क्या,,,इतनी भी क्या
जल्दी थी,,,,भुआ ने अपने हाथ मे पकड़ा हुआ गर्म पानी का बर्तन टेबल पर रख दिया और
अपने हाथ से चद्दर को सोनिया के फेस से हटा दिया,,,,


सोनिया ने डर और शरम से अपनी आँखें बंद ही रखी,,,,,वो माँ और भुआ का सामना करने को
तैयार नही थी,,,,



तभी भुआ ने सोनिया के गाल पर हल्के से थप्पड़ लगाया ,,,,बोल इतनी क्या जल्दी थी,,थोड़ा
इंतजार नही कर सकती थी तुम सोनिया,,,,,



तभी मैं एक दम से बोल पड़ा,,,,मत मारो इसको भुआ,,,इसकी कोई ग़लती नही,,,सारी ग़लती
मेरी थी,,,,,ये बेचारी तो,,,,,



मैं अभी बोल ही रहा था कि माँ और भुआ हँसने लगी,,,,,देखो तो कितनी फ़िक्र है सोनिया की
,,,,सारा इल्ज़ाम अपने सर लेने को तैयार हो गया है सन्नी,,,,



तभी माँ बोली,,,,,,चल दिखा मुझे कितना बुरा हाल किया है तेरा सन्नी ने,,,,माँ ने इतना
बोला और आगे बढ़के सोनिया के जिस्म से चद्दर उथ कर उसकी चूत को देखने लगी,,,,सोनिया इस
सब के लिए तैयार नही थी लेकिन माँ ने उसकी टाँगों को एक ही बार मे नंगा कर दिया था और
जैसे ही माँ और भुआ की नज़र पड़ी सोनिया की चूत पर तो दोनो हैरान रह गयी,,,



मैं भी एक दम हैरान हो गया सोनिया की चूत की ऐसी हालत देखकर,,,उसकी चूत के वो
छोटे छोटे लिप्स जो रात को एक दूसरे से चिपके हुए थे वो अब काफ़ी दूर दूर हो गये थे
और काफ़ी सूज भी गये थे,,,,उसकी चूत एक दम लाल रंग की हो गयी थी और सूजन दूर
से ही नज़र आ रही थी,,,,मैं उसकी हालत देखकर परेशान हो गया,,,,मुझे तरस आने लगा
था बेचारी सोनिया पर,,,,,,रात को चुदाई करते टाइम मैने कोई ज़्यादा ध्यान नही दिया था
उसकी चूत पर और ना ही उसने मुझे ज़्यादा ज़ाहिर होने दिया था उसकी चूत के दर्द के बारे
मे,,,,,,


हयी मैं मर गयी,,,,,क्या हाल कर दिया मेरी फूल जैसी बच्ची का,,,,थोड़ा तरस नही खा
सकता था इस फूल जैसी कोमल लड़की पर,,,देख ज़रा क्या हाल किया तूने इसका सन्नी,,कोई
ऐसा हाल करता है क्या अपनी बहन का,,,,थोड़ा तो तरस खाना था इस्पे,,,,या फिर मस्ती
मे भूल गया था ये तेरी छोटी और नाज़ुक बहन सोनिया है,,,,


माँ मैं वो मैं,,,,,,मुझे कोई बात नही सूझ रही थी,,,


तभी सोनिया बोली,,,,,,माँ सन्नी की ग़लती नही है,,,,मैने ही इसको ,,,,,


सोनिया अभी बोलने लगी तो माँ फिर से बीच मे बोल पड़ी,,,,,हां हां जानती हूँ ना तेरी
ग़लती है और ना तेरे भाई की,,,,चल तू बाहर निकल सन्नी और हम लोगो को अपना काम करने
दे,,,,,


मैं कुछ नही बोला और रूम से बाहर जाने लगा तभी सोनिया बोली,,,,,माँ इसको बाहर मत
भेजो,,,यहीं रहने दो ना,,,,


माँ ने मुझे दूसरे बेड पर बैठने को बोला और मैं बेड पर उन लोगो को तरफ पीठ करके
बैठ गया ,,,,फिर मुझे सोनिया की दर्द से भरी आह अह्ह्ह्ह की आवाज़ आती रही और साथ साथ
भुआ और माँ की आवाज़ जो इस सब क लिए मुझे कोस रही थी,,,,,



कुछ टाइम बाद माँ और भुआ का काम हो गया और वो दोनो वहाँ से जाने लगी,,,,,वैसे जो हो
गया सो हो गया लेकिन अगर तुम दोनो 1-2 दिन रुक जाते तो अच्छा होता,,,चल अब जल्दी तैयार होके
नीचे आजा नाश्ता लगा देती हूँ फिर कलाज चले जाना,,,,,,सोनिया तो अब 1-2 दिन आराम ही
करेगी,,,,,,और तू 1-2 दिन करीब भी मत जाना इसके,,वरना ,,,माँ और भुआ हँसती हुई वहाँ से
चली गयी,,,,


मुझे समझ नही आ रहा था ये 1-2 दिन का क्या मसला है,,,,,


तभी मैं जाके सोनिया के पास बैठ गया और उसके सर पर हाथ फिराते हुए बोला,,,,बहुत
दर्द हो रहा है क्या,,,,


वो कुछ नही बोली बस शर्माके सर को हाँ मे हिला दिया,,,,,,


अगर इतना ही दर्द हो रहा था तो रात मुझे रोका क्यूँ नही तूने,,,क्यूँ करने दिया वो सब और
क्यूँ मुझे तेरे को हर्ट करने दिया,,,,,,,,



नही नही सन्नी,,,,रात दर्द नही हुआ तेरी कसम,,,,रात तो मुझे कुछ पता ही नही चला
,,,,इतना मज़ा जो आ रहा था ,,,दर्द तो सुबह शुरू हुआ जब आँख खुली,,,,



सच मे रात मज़ा आया तुझे,,,,,इतना मज़ा आया कि दर्द का भी पता नही लगा,,,,


हां सन्नी,,,बहुत मज़ा आया,,,लेकिन कविता ठीक कहती थी,,,तू जान निकाल देता है,,पहले
पहले तो कुछ पता नही चला कि तू जान कैसे निकालता है लेकिन अब कविता की एक एक बात
सच साबित हो रही है,,,,




क्या अभी बहुत दर्द हो रहा है,,,,



फिर उसने कुछ नही बोला और सर को हां मे हिला दिया,,,,और बता दिया कि उसको बहुत दर्द हो
रहा है,,,,मैं उसके करीब लेट गये और उसके फोरहेड पर किस करते हुए सर पर हाथ
फिरने लगा और उसको कुछ दिलासा देने लगा,,,,,लेकिन मैं कुछ भी कर लूँ अब उसका दर्द
कम नही कर सकता था,,,,,



चल अब उठ और तैयार हो सन्नी,,,तूने कॉलेज भी जाना है,,,,


लेकिन तेरा ख्याल कॉन रखेगा अगर मैं कॉलेज चला गया तो,,,,,

तू मेरी फिकर मत कर मेरा ख्याल रखने के लिए माँ और भुआ है,,तू बस कॉलेज जा और
अपनी स्टडी पर ध्यान लगा,,,,


फिर उसने मुझे फ्रेश होके कॉलेज जाने को बोला तो मैं तैयार होके नाश्ता करके कॉलेज
चला गया,,,,

कॉलेज आने का दिल तो नही था फिर भी सोनिया के कहने पर मैं कॉलेज आ गया था,,,लेकिन अभी
भी मुझे सोनिया की वो फूली हुई चूत और दर्द से कराहती हुई उसकी आह आह की आवाज़ सुनाई दे
रही थी जब माँ और भुआ उसका दर्द ठीक करने की कोशिश कर रही थी,,,,सच मे बहुत बुरा हाल
कर दिया था मैने उस मासूम का,,,,,



लेकिन उसने मुझे रोका क्यूँ नही क्यूँ करीब आने दिया क्यूँ खुद को हर्ट करने दिए जबकि वो तो मेरे
करीब आने से डरती थी,,,मेरे करीब आके वो घर वालो को दुखी नही करना चाहती थी,,और भला
माँ और भुआ 1-2 दिन रुकने की बात क्यूँ बोल रही थी,,,,,यही सब सोच रहा था कि कविता मेरे पास
आ गयी,,,

Reply
07-16-2019, 12:36 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
कहाँ खोया हुआ है सन्नी,,,,,तबीयत तो ठीक है तेरी,,,,,उसने पास आके मेरे फोरहेड पर हाथ
लगाया और तबीयत चेक करने लगी,,,,



मैं बिल्कुल ठीक हूँ कविता,,,,बस थोड़ा परेशान हूँ,,,,



क्या परेशानी है,,,,मुझे बता मैं दूर करती हूँ तेरी परेशानी,,,,,,


तुझे नही बताउन्गा तो किसको बताउन्गा,,,,,,लेकिन तू परेशानी दूर नही कर सकती,,,,,


अच्छा ,,ऐसी क्या परेशानी है,,,पता तो चले,,,,


वो सोनिया ,,,,मैं अभी बोलने ही लगा था कि कविता परेशान हो गयी,,,


क्या हुआ सोनिया को,,ठीक तो है वो,,,,,,


हाँ वो ठीक है कविता,,,,,बस वो ,,मैं,,,,


क्या बता है,,, सीधी तरह बोलता क्यूँ नही,,,,



तभी मैं बोलने लगा,,,,,,तुझे पता है ना कल रात बारिश हो रही थी,,,,


हां पता है,,,तो बारिश और सोनिया का क्या लेना देना,,,,क्या बारिश मे भीग कर बीमार हो गयी है
वो,,,,


नही नही ऐसी बात नही,,,,,,वो बारिश मे भीगने छत पर गयी थी और मैं भी बारिश मे मस्ती
करने छत पर चला गया कल रात को,,,,लेकिन मुझे नही पता था सोनिया वहाँ पर है,,,और जब
मुझे पता चला और मैने उसको देखा तो ,,,,,,



ओह्ह्ह्ह मययययी गूओड़दड़ ,,,,,कैसी है वो,,,,,तूने ज़्यादा हर्ट तो नही किया उसको,,,तुझे पता था ना कि
उसकी पहली बार है,,,,बोल ,,,ज़्यादा दर्द तो नही दिया उसको,,,,



रात तो पता नही चला लेकिन अब उसकी हालत बहुत खराब है,,,माँ और भुआ ने कुछ मेडिसिन लगाई
है सुबह उसको,,,,,


तो माँ और भुआ को भी पता चल गया,,,,लेकिन इस बात की मुझे फ़िक्र नही है,,,मुझे तो सोनिया की
फ़िक्र है,,पता नही क्या हाल किया होगा तूने उसका,,,,,वो बहुत मासूम है सन्नी तू जानता है ना,,


मैं कुछ नही बोला बस हां मे सर हिला दिया,,,,,


तभी कविता उठी ,,,,ओके मैं घर जा रही हूँ सोनिया के पास,,,,,इतना बोलकर वो उठी और जाने लगी
तभी उसका फोन बजने लगा,,,,


वो चलते चलते बात कर रही थी ,,,मुझे कुछ पता तो नही चल रहा था लेकिन वो जी डॅड जी डॅड
बोल रही थी,,,,,,लेकिन ये तो अपने बाप से कभी बात नही करती तो फिर किसको डॅड बोल रही थी,



खैर मैं कॉलेज से छुट्टी होने के बाद घर की तरफ चल पड़ा,,,मुझे बड़ी जल्दी थी सोनिया के
पास जाने की,,,,,हालाकी मैं उसके दर्द का कुछ नही कर सकता था लेकिन फिर भी मुझे उसके पास
रहना था,,,,,


मैं घर पहुँचा और सीधा गया सोनिया के रूम मे ,,,,,वहाँ सोनिया लेटी हुई थी जबकि कविता और
माँ उसके पास बैठी हुई थी,,,,,माँ ने मुझे रूम मे अंदर नही आने दिया और मुझे दूसरे रूम
मे जाके बैठने को बोला,,,,,


मैं रूम से बाहर जाने लगा तो सोनिया की तरफ देखने लगा,,,,वो खुश थी मुझे देखकर और साथ
ही कविता भी,,,,,,


मैं आके साथ वाले रूम मे बैठ गया,,,,,,शाम को कविता चली गयी,,,,लेकिन माँ सोनिया के रूम मे
ही रही,,,,उन्होने मुझे रूम के अंदर नही जाने दिया,,,,,अगले 2 दिन तक मैं सोनिया के रूम मे नही
जा सका क्यूकी माँ और भुआ मे से कोई ना कोई हर टाइम होता था उसके रूम मे,,,


2 दिन बाद मैं जब कॉलेज से वापिस आया और सोनिया के रूम मे गया तो देखा सोनिया रूम मे नही थी
मैं साथ वाले रूम मे गया वहाँ भी कोई नही था,,,,माँ और भुआ भी नज़र नही आ रही थी,,,मैं
फिर से नीचे गया तो देखा मामा और डॅड माँ के रूम से निकल कर बाहर आ रहे थे,,उनके हाथ मे
कुछ समान पकड़ा हुआ था,,,,


तभी मैने डॅड से पूछा,,,,,डॅड भुआ और माँ कहाँ है,,,,



डॅड ने जवाब नही दिया और मुझे कुछ समान पकड़ा कर बाहर कार मे रखने को बोला,,,,मैं कार मे
समान रखके वापिस घर के अंदर जाने लगा तो डॅड बोले,,,,,,अंदर जाने की ज़रूरत नही है,,,जल्दी
से कार मे बैठो,,,,,


मैं कुछ समझा नही और ना ही कोई सवाल किया डॅड से और कार मे बैठ गया,,,,,डॅड के साथ आगे वाली
सीट पर मामा भी बैठ गया और डॅड ने ड्राइव करनी शुरू की ,,डॅड ने मुझे कुछ नही बताया था कि
हम लोग कहाँ जा रहे थे,,,,मैने भी कोई सवाल नही किया था डॅड से,,,,डॅड कोई 5-6 अवर ड्राइव
करते रहे ,,,,हम लोग अपने दूसरे शहर मे आ गये थे,,,,,तभी डॅड ने कार एक घर के सामने रोक
दी,,,,,मैने देखा कि भुआ की कार भी उसी घर के सामने खड़ी हुई थी,,,,


तभी डॅड ने कार घर के अंदर की और मुझे साथ चलने को बोला,,,मैं भी कार से उतर गया और डॅड
के साथ चलने लगा,,,,लेकिन मुझे समझ नही आ रहा था कि ये हम लोग कहाँ आ गये है और ये
घर किसका है,,,,,



तभी हम लोग घर के अंदर चले गये,,,,घर मे नया नया पैंट हुआ था,,,,घर का समान भी ज़्यादातर
नया ही लग रहा था,,,,मैं सारे घर को सवालिया नज़रो से देख रहा था तभी डॅड बोले,,,



ये हम लोगो का नया घर है सन्नी,,,,,अब से हम लोगो को यहीं रहना है,,,,,,और आज से मैं तेरा
बाप हूँ और गीता तेरी माँ है,,,,,,और ये सुरेंदर तेरा चाचा और सरिता तेरी चाची है,,लेकिन
ये सब रिश्ता हम लोगो का घर के बाहर है,,,,,घर के अंदर तू जिसको जो चाहे बुला सकता है
लेकिन दुनिया की नज़रो मे मैं तेरा बाप और गीता तेरी माँ है,,,,


मैं कुछ नही समझा लेकिन डॅड की बात सुनता गया,,,,,



मुझे पता है तू सोनिया को बहुत प्यार करता है सन्नी और वो भी तुझे बहुत प्यार करती है,,,मुझे
गीता सरिता और कविता ने सब कुछ बता दिया था,,,और सबसे बड़ी बात तेरे और सोनिया के रिश्ते से
कविता को कोई परेशानी नही थी,,,,बस परेशानी मुझे ही थी सन्नी,,,,,जांटा हूँ तू अपनी बहन
को प्यार करके दुनिया के सामने जाके इज़हार भी कर सकता है और दुनिया के सामने अपनी ही बहन को
अपनी दुल्हन बना कर रख सकता है ,,तू बड़ा हिम्मत वाला है सन्नी,,,,मुझे कविता ने सब बता
दिया ,,,वो माल वाली बात भी कि कैसे तूने अपने प्यार का इज़हार किया सोनिया के लिए वो भी इतने
लोगो के सामने,,,,,लेकिन मुझमे इतनी हिम्मत नही है सन्नी,,,,मैं इतना हिम्मतवाला नही हूँ कि
दुनिया का सामना कर सकूँ,,,,इसलिए मैने ये नया घर ले लिया है वो भी दूसरे शहर मे,,,ताकि हम
लोग नये शहर मे नया रिश्ता शुरू कर सके,,,,नयी ज़िंदगी की शुरुआत कर सके,,,


जो कुछ भी हम लोगो के बीच हो चुका है उसको मैं भूल जाना चाहता हूँ,,,,उन यादों को वहीं
पुराने शहर मे पुराने घर मे दफ़न करके आया हूँ मैं,,,,,और यहाँ नये रिश्ते से नयी शुरुआत
करना चाहता हूँ जैसे विशाल इस सबसे दूर चला गया है ताकि वो सब कुछ भूल कर नयी शुरुआत
कर सके,,,,,वैसे ही शोभा के कहने पर मैने जल्दी से उसकी शादी करदी ताकि वो भी अपने पति के
साथ नयी शुरुआत कर सके ,,,वैसे ही मैं चाहता हूँ कि मैं और गीता,,,,सुरेंदर और सरिता
वैसे ही तुम सोनिया और कविता भी नयी शुरुआत करो अपने रिश्ते की,,,,
Reply
07-16-2019, 12:36 PM,
RE: Desi Porn Kahani कहीं वो सब सपना तो नही
तभी भुआ और माँ मेरे पीछे आ गयी,,,,,हाँ सन्नी अब हम सबको नये रिश्ते की नयी ज़िंदगी की नयी
शुरुआत करनी है,,,भूल जाना है वो सब कुछ जो भी हुआ हम लोगो के बीच,,,तुम भी भूल जाओ
और नयी शुरुआत करो,,,,हम लोगो ने कविता के भैया भाभी से भी बात करली है अब जब तक तेरी
शादी नही हो जाती कविता हम लोगो के साथ इसी घर मे रहेगी,,,,,और तू सोनिया के साथ भी नये
रिश्ते की शुरुआत कर सकता है,,,,




वो बेचारी हम लोगो की मर्ज़ी के बिना तेरे करीब नही आना चाहती थी,,लेकिन हम लोगो को पता था
कि वो तेरे से दूर नही रह पाएगी जैसे तू उस से दूर नही रह सकता,,,इसलिए हम लोगो ने ये
नया घर ले लिया और सोनिया को भी इजाज़त दे दी कि वो तेरे करीब आ सकती है तुझे खुलकर प्यार
कर सकती है लेकिन जब तक हम लोग नये घर मे नही जाते नये शहर मे नही जाते तब तक हमने
उसको तेरे से दूर रहने को बोला था लेकिन वो बेचारी इतनी तड़प रही थी तेरे करीब आने को कि
1-2 दिन का इंतजार भी नही कर सकी और खुल कर करीब आ गयी तेरे,,,,,




अब मैं समझा कि सोनिया ने उस रात बारिश मे इतनी आसानी से मुझे उसके करीब कैसे आने दिया,,अब
समझा कि उसको घर वालो की मंज़ूरी मिल गयी थी और घर वालो की मंज़ूरी मिलते ही उसने भी मुझे
अपनी रज़ामंदी बता दी थी,,,और इसलिए भुआ और माँ 1-2 दिन रुकने को बोल रही थी ताकि हम लोग नये
घर मे आ जाए,,,लेकिन सोनिया की तड़प उसको 1-2 दिन भी मेरे से दूर नही रख सकी और बारिश मे
वो मेरे करीब आने से खुद को रोक नही पाई,,,,


मैने सबकी बात सुन ली थी और अब मेरी नज़रे सोनिया और कविता को तलाश रही थी,,तभी भुआ बोली
,,जिसको तू तलाश रहा है वो दोनो उपर है अपने रूम मे और तेरा इंतजार कर रही है,,,,,



मैं जल्दी से भाग कर उपर के रूम मे गया,,,,,जैसे ही मैं उपर गया तो देखा कि ये घर बिल्कुल
वैसा था जैसा हम लोगो का पुराना घर था लेकिन जहाँ पुराने घर मे उपर 2 बेडरूम थे वहीं
यहाँ पर सिर्फ़ एक रूम था,,,,,


मैं उस रूम मे गया तो सोनिया बेड पर लेटी हुई थी और कविता उसके पास बैठी हुई थी,,,,मुझे
रूम मे आते देख सोनिया धीरे से अपने बेड से उठी और खड़ी हो गयी ,,उसके साथ ही कविता भी खड़ी
हो गयी,,,,

मैं चलके उन दोनो के पास गया और उन दोनो ने मुझे गले लगा लिया,,,हम तीनो काफ़ी देर तक ऐसे
ही एक दूसरे के गले मिलके खड़े रहे ,,,,फिर वो दोनो पीछे हटी और मैने उनके चेहरे देखे तो
दोनो की आँखें नम थी,,,,,,वैसे मेरी आँखें भी नम थी,,,,,


अरे अरे अब रो क्यूँ रही हो तुम दोनो,,,,अब तो हम लोगो को खुश होना चाहिए,,,आख़िरकार हम सब
करीब आ गये है और अब तो घर वालो की मंज़ूरी भी मिल गयी है,,,,अब तो हम लोगो को मिलकर एक
नयी शुरुआत करनी है,,,,और ज़िंदगी की ये नयी शुरुआत रो कर नही हंस कर करनी है,,,,अब हम
लोगो को मिलकर खुशियाँ भरनी है अपनी ज़िंदगी मे,,,,,



भाई ये खुशी के आँसू है,,,,तड़प गयी थी तेरे पास आने के लिए,,,तड़प गयी थी तुझे हाँसिल करने
के लिए,,तड़प गयी थी तेरे साथ प्यार करने के लिए और अब जब तुझे हाँसिल कर लिया है तो खुशी
के मारे आँखें नम हो गयी मेरी,,,,

तभी कविता बोली,,,,बस बस अब रोना धोना बंद,,,अब तो खुशियों से नयी शुरुआत होगी ,,अब
कोई नही रोएगा,,अब तो सब कुछ ठीक हो गया है,,,,और अब तो मैं भी यही रहने वाली हूँ ,,अब
तो हम सब को मिलकर खुशी ने नयी ज़िंदगी का वेलकम करना है,,,



सही कहा कविता,,,,अब हम सब को मिलकर नयी ज़िंदगी का वेलकम करना है,,,अब कोई नही आएगा हम
लोगो के बीच मे,,,,,


तभी सोनिया बोली,,,,हाँ सन्नी कोई नही आएगा हम तीनो के बीच मे,,,और अगर कोई आया तो मैं उसकी
जान ले लूँगी,,,,,,सोनिया ने फिर से अपने हिट्लर वाले अंदाज़ मे बोला तो मैं और कविता हँसने लगे
और साथ मे सोनिया भी,,,,,रूम मे हम लोगो की हँसी गूँज उठी थी,,,,

नये शहर मे आके सब रिश्ते बदल गये थे,,,अब तक अशोक मेरा बाप था और सरिता मेरी माँ जबकि
नये शहर मे अशोक मेरा बाप और गीता मेरी माँ बन गयी थी,,,,,,,


सुरेंदर मेरा मामा था और सरिता मेरी माँ,,जबकि नये शहर मे आके सुरेंदर मेरा चाचा बन गया था
और सरिता मेरी चाची,,,,,,



लेकिन ये सब रिश्ते लोगो की नज़र मे थे,,,,,घर मे अशोक मेरा बाप था सरिता मेरी माँ ,,,

सुरेंदर को मैं अभी भी मामा बोलता था और गीता को भुआ,,,,,कहने को हम लोगो का जो भी रिश्ता
था अब उस रिश्ते के मायने बदल गये थे,,,,,रिश्ता जैसा भी था अब ये मेरा परिवार था जो
अपनी मर्ज़ी से अपनी ज़िंदगी जीने वाला था,,,,अब इस परिवार को अपनी मर्ज़ी से ज़िंदगी जीने के लिए
समाज और दुनिया का भी डर नही था,,



घर मे नीचे 2 बेडरूम थे,,,,,एक मे अशोक और गीता सोने लगे थे और दूसरे मे सुरेंदर और सरिता



नये शहर मे आके गीता ने यहाँ भी बुटीक खोल लिया था और सरिता भी उसके साथ बुटीक का
काम संभालने लगी थी,,,,,नया बुटीक पुराने बूटीक से बहुत बड़ा और खूबसूरत तैयार किया
था दोनो ने मिलकर क्यूकी सरिता के पास बहुत पैसा था,,,,,अब गीता को भी सरिता के पैसे से
कोई परेशानी नही थी,,,,,दोनो मिलकर बुटीक का काम करने लगी थी,,,



इधर अशोक और सुरेंदर ने गाँव जाना शुरू कर दिया था और गाँव मे सरिता की ज़मीन पर खेती बाड़ी
का सारा काम संभाल लिया था,,,,,गाँव यहाँ से कोई 2-3 अवर्स की ड्राइव पर था ,,अशोक और सुरेंदर
हफ्ते मे 2-3 दिन गाँव जाते थे और सारा काम काज देखते थे,,,



उपर वाले रूम मे मैं कविता और सोनिया के साथ सोता था,,,,फाइनल एअर के बाद मेरी कविता और सोनिया
की शादी हो गयी थी और शादी के बाद मुझे कविता से एक बेटी हुई जिसका नाम हमने शोभा रखा था
और सोनिया से मुझे एक बेटा हुआ था जिसका नाम हमने विशाल रखा था,,,,


इन सालो मे बहुत कुछ बदल गया था,,,,,


विशाल बाहर देश मे ही रहने लगा था,,,,वो कभी वापिस नही आया,,,,फोन पर बात ज़रूरी कर
लेता था लेकिन वापिस आने को उसका दिल नही करता था,,,,उसने वहाँ शादी भी करली थी लेकिन फिर
भी वो वापिस आने को तैयार नही था,,,,


शोभा अपने पति के साथ सिंगापुर मे सेट थी,,,शादी के बाद उसको भी एक बेटा हुआ था,,,,और उसने
उसका नाम सन्नी रखा था,,,,



इधर अमित और उसके दोस्तो को जैल हो गयी थी लेकिन उनके लिए जैल की सज़ा ही काफ़ी नही थी,,जैल
मे कुछ बड़े गुंडे थे जो ख़ान भाई के कहने पर अमित और उसके दोस्तो को तंग करने लगे थे,,

उन लोगो ने अमित और उसके दोस्तो की गान्ड मारनी शुरू करदी थी जैल मे,,,,अमित और उसका एक दोस्त ऐसी
ज़िल्लत की ज़िंदगी बर्दाश्त नही कर सके और जैल मे ख़ुदकुशी करली थी उन्होने,,लेकिन अमित के कुछ
दोस्त गान्डु बनके रह गये थे जैल मे,,,,जैसे उन लड़को ने ज़बरदस्ती की थी लड़कियों से वैसे ही
जैल मे ज़बरदस्ती उनकी गान्ड मारी जाती थी,,,और अब तो उनको जैसे तैसे यही जिंदगी बितानी थी
या ज़िल्लत की ज़िंदगी से तंग होके ख़ुदकुशी करनी थी,,,,


अमित के बाप मिस्टर सेठी को वैसे तो कुछ साल की ही सज़ा हुई थी लेकिन बदनामी की वजह से उसकी
कुर्सी और पॉवर दोनो ही चली गयी थी,,,,और पॉवर जाते ही सीबीआइ ने बाकी के केस पर भी काम करना
शुरू कर दिया था,,,,अब तो मिस्टर सेठी मरके ही जैल से आज़ाद होने वाला था,,,


सुरेश का बाप सरकारी गवाह बन गया था उसको कम सज़ा ही हुई थी इसलिए जल्दी ही रिहा हो गया था
वो जैल से,,,और बाहर आके उसने भी नयी शुरुआत की और नये सिरे से नयी ज़िंदगी जीने लगा,,,अब वो
वापिस पॉलिटिक्स मे नही गया और जितना भी पैसा था उसने ज़्यादातर पैसा अनाथ आश्रम और विधवा आश्रम
जैसी जगह पर दान करना शुरू कर दिया था,,,,




गाँव मे पुष्पा देवी की मौत हो गयी थी और घर के सभी लोग गये थे ,,,,अशोक को अग्नि जो देनी थी
अपनी माँ की चिता को,,,,,,लेकिन किसी ने भी किशन लाल से कोई बात नही की थी,,,फिर पुष्पा
देवी के मरने के बाद 2-3 महीने मे किशन लाल भी मर गया,,,वो तो पहले से बीमार रहता था
लेकिन उसकी मौत पर कोई नही गया गाँव,,,,



करण भी अपने बाप के पास जाके वहीं रहने लगा था,,,उसको बहुत खुशी हुई थी मेरे घर के बारे
मे सुनकर ,,,वो मेरी सोनिया और कविता की शादी से भी बहुत खुश था,,,,करण ने रितिका को सब कुछ
बता दिया था लेकिन रितिका को ये सब मंजूर नही था,,,,,इसलिए रितिका के प्यार की खातिर करण
अलका और शिखा से दूर हो गया था,,,,अलका और शिखा भी करण के बाप को शामिल करने से डर रही
थी उसको सच बताने से डर रही थी,,,इसलिए उनके परिवार मे भी वो सब नंगा नाच बंद हो गया था
जो अब तक होता था,,,,अलका जानती थी कि शिखा अकेली कैसे अपनी प्यास बुजा सकती है इसलिए अच्छा
लड़का देखकर उसकी भी शादी करदी थी अलका ने,,,,,



और यहाँ मेरा भी यही हाल था,,,,,,जहाँ कविता ने मेरे करीब आके मुझे कामिनी भाभी से दूर
कर दिया था वहीं सोनिया ने मेरे करीब आके मुझे मेरी बाकी की फॅमिली शोभा ,,,सरिता और गीता
से दूर कर दिया था,,,,,,



जहाँ सोनिया की वजह से मेरी इन्सेस्ट सेक्स लाइफ हमेशा के लिए सुनसान और वीरान हो गयी थी वहीं
सोनिया की वजह से मैं नयी इन्सेस्ट लाइफ का मज़ा लेने लगा था ,, सुनसान और वीरान हो चुकी इन्सेस्ट
सेक्स लाइफ मे फिर से बहार ले आया था,,,,कहने को सोनिया मेरी बीवी थी लेकिन सच तो ये था कि वो
मेरी बहन थी और मैं उसको बहुत प्यार करता था,,उसी के साथ मेरी इन्सेस्ट सेक्स लाइफ आगे बढ़ने वाली
थी,,,,

दोस्तो ये कहानी अब यहीं समाप्त होती है आप सब का साथ देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद

समाप्त....................
दा एंड
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