07-20-2019, 09:26 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
कविता सिसकी और अपनी जांघे एक दूसरे से चिपका ली...पर राजेश उसकी चूत को ऐसे ही चूमता रहा फिर उसने कविता की पैंटी उतार डाली......
शर्म के मारे कविता का बुरा हाल हो गया ......दिल की धड़कने बढ़ गयी..........जिसमे घबराहट के मारे पसीने पसीने हो गया .........
राजेश ने उसकी जाँघो को फैलाया और उसकी चूत पे ज़ुबान फेरने लगा....
अहह उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ कविता मचलते हुए सिसकने लगी और बिस्तर को खींचने लगी.....
जिंदगी में पहली बार ऐसी ऐसी तरंगे उठ रही थी कवि के बदन में ......जिन्हें समेटना उसके बस में ना रहा और ........मचलते हुए वो अपने पहले चरमोत्कर्ष की और तेज़ी से अग्रसर होने लगी.....
अहह मुझे कुछ हो रहा है है....ओह माआआआआआआआ
कमान की तरहा उसका जिस्म उठ गया और वो राजेश के मुँह पे झड़ने लगी............राजेश उसके प्रेम रस को पीने लगा.....
कविता का जिस्म निढाल हो बिस्तर पे गिर पड़ा.......
राजेश उठ के उसके पास लेट गया और उसे अपनी बाँहों में भर लिया.....
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सुनील का होटेल कुछ ज़्यादा दूर था एक छोटे आइलॅंड पे बना एक बुटीक होटेल जिसके पास एक ही वॉटर बंग्लॉ था जो इनके लिए बुक था और ये बंग्लॉ भी फूलों से सज़ा हुआ था...बस बिस्तर सुहाग सेज की तरहा नही सज़ा था...लेकिन इस बंग्लॉ में एक लिविंग रूम और 2 बेडरूम थे .....विजय कहाँ तक सोचता है ये देख सुनील के चेहरे पे मुस्कान आ गयी .....सुनील के बंग्लॉ में प्राइवेट पूल था जो इस वक़्त लाइट्स से जगमगा रहा था
बंग्लॉ में पहुँचते ही सोनल ने सारी लाइट्स ऑफ कर दी....कुछ बड़ी कॅंडल्स वहाँ कोनो में रखी हुई थी उन्हें जला दिया ...वो पूरी मस्ती में आ चुकी थी.......और थिरकते हुए गाने लगी .....जिसका मज़ा दोनो सुनील और सुमन लेने लगे.....
रात अकेली है, बुझ गए दिए
आके मेरे पास, कानो.न मे.न मेरे
जो भी चाहे कहिए, जो भी चाहे कहिए,
रात अकेली है, बुझ गए दिए
आके मेरे पास, कानो.न मे.न मेरे
जो भी चाहे कहिए, जो भी चाहे कहिए
तुम आज मेरे लिए रुक जाओ, रुत भी है फुरसत भी है
तुम्हें ना हो ना सही, मुझे तुमसे मुहब्बत है
मोहब्बत की इजाज़त है, तो चुप क्यू रहिए
जो भी चाहे कहिए,
रात अकेली है, बुझ गए दिए
आके मेरे पास, कानो.न मे.न मेरे
जो भी चाहे कहिए, जो भी चाहे कहिए
सवाल बनी हुई दबी दबी उलझन सीनों में
जवाब देना था, तो डूबे हो पसीनो. में
ठानी है दो हँसीनों में, तो चुप क्यूँ रहिए
जो भी चाहे कहिए,
रात अकेली है, बुझ गए दिए
आके मेरे पास, कानो.न मे.न मेरे
जो भी चाहे कहिए, जो भी चाहे कहिए...
थिरकते हुए गाते हुए सोनल ने सूमी को भी साथ में खींच लिया और स्ट्रिपटीज़ शुरू कर दी....सूमी ना कर रही थी..पर सोनल मानी नही ...और दोनो थिरकते हुए धीरे धीरे स्ट्रिपटीज़ करती रही जब तक ब्रा और पैंटी में नही रह गयी .......उसके आगे सोनल ने जान भुज के ना अपने इननेर्स उतारे और ना ही सूमी को उतारने दिए ....ये काम उसने सुनील पे छोड़ दिया था.......सुनील ने वहाँ पड़ी शॅंपेन की बॉटल खोली और दोनो पे छिड़कने लगा.
सुनील कभी सोनल के जिस्म से शॅंपेन चाटता तो कभी सूमी के जिस्म से ....सोनल सुनील को धक्का दे बाहर पूल में कूद गयी...सुनील ने फट से अपने कपड़े उतारे और वो भी पानी में कूद गया और इससे पहले सोनल तैर कर आगे भागती ...सुनील ने उसे क़ब्ज़े में ले लिया और दोनो का स्मूच शुरू हो गया...
सुमन भी पीछे से आकर सुनील से चिपक गयी .....सोनल ने सुनील को छोड़ दिया और सुनील ने सूमी को अपने पास खींच लिया ...ये दोनो गहरे चुंबन में डूब गये और सोनल पूल से बाहर निकल गयी ......अपने ब्रा और पैंटी उतार दोनो के उपर फेंक दी और लहराती बल खाती अंदर लिविंग रूम में जा कर शेम्पेन के ग्लास तयार करने लगी..तीन पेग तयार कर वो बाहर आ गयी और दोनो को एक एक पेग पकड़ा खुद वहीं पूल के किनारे अढ़लेटी हल्की हल्की चुस्कियाँ लेने लगी.....
सुनील ने सूमी की ब्रा और पैंटी भी उतार फेंकी ....ये देख सोनल पूल में कूद गयी और सुनील का अंडर वेर खींच उतार डाला......अब तीनो बिना किसी वस्त्र के एक दूसरे से चिपक गये .......कभी सुनील सुमन को चूमता तो कभी सोनल को........पूल के नीचे लगी लाइट्स इनकी मस्ती को और बढ़ा रही थी ........सुनील सोनल को गहरा स्मूच देने लगा तो सूमी पीछे से सोनल के साथ सट गयी और अपनी निपल उसकी पीठ पे रगड़ते हुए उसके उरोज़ मसल्ने लगी ...
कुछ देर यूँ ही पूल में मस्ती करते रहे फिर पूल से बाहर निकल आए क्यूंकी चारों तरफ अंधेरा छा चुका था और ऐसे समय में ज़्यादा देर पूल में रहना भी ठीक नही था....वहीं पास पड़ी लोंग चेर्स पे रखे हुए टवल्ज़ उठाए और तीनो ने खुद को पोन्छा फिर अंदर चले गये....
सोनल ने फिर से पेग बनाए और दोनो को पकड़ा दिए ........
सोनल.....आज कितना खुशी का दिन है.......हर बार पता नही कुछ कुछ हो जाता था...पूरा साल ऐसे ही गुजरा.....चियर्स टू और गुड टाइम्स
सुनील...उसे अपनी गोद में खींचते हुए....वक़्त से डरना चाहिए जानेमन..पता नही कब क्या हो जाए.....
सोनल....देखो ना दीदी कैसी बातें करते हैं...क्या हमे खुश रहने का भी हक़ नही ....
सूमी ...कह तो ये ठीक ही रहा है ना ...जिंदगी दोनो रंग दिखाती है ...कभी खुशी कभी गम
सोनल...मैं आज बहुत खुश हूँ...अब मूड मत ऑफ करना आप दोनो.....कविता सेट्ल हो गयी ...और अंकल ने देखो किस तरहा रूबी और मिनी को घूमने की ज़िम्मेदारी ले कर हमे एक दम अलग कर दिया ताकि हम लोग अपनी एनिवर्सरी अपने ढंग से अकेले मना सके .......
सुनील ...तो इतनी दूर क्यूँ है इधर आ ...........और सोनल को खींच उसके होंठ चूसने लग गया
सूमी...मैं जा रही हूँ सोने.......
सोनल एक दम अलग हुई सुनील से .......आई है ...मैं जा रही हूँ सोने ....कहीं नही जा रही आप....आज हम तीनो की रात है...हमारी एनिवर्सरी की रात है.......
सूमी........मेरी एनिवर्सरी तो निकल चुकी गुड़िया
सुनील..........जान आप ही बताओ ...मैं क्या करता ...जो हालत....
सुमन दौड़ के उसके पास आई और अपनी बाँहों में समेट लिया .....मैं कोई गिला नही कर रही .......बस इतना कह रही हूँ ...ये रात तुम दोनो की है
सोनल.....नही दीदी ...माना देर हो गयी कुछ ...पर ये रात हम तीनो की है .......अब ये भी क्या करते ...एक तरफ कवि.....
सुमन....तू पागल है क्या ....क्या मैं नही जानती ये कितना प्यार करता है मुझ से ....छोड़ो इन बातों को ....चलो बेड रूम में चलते हैं .....यहीं रात गुजारनी है क्या ....
सुनील ....जब रात हमारी है...आस पास कोई भी नही तो फिर खुल के क्यूँ ना इस रात का मज़ा लें ........देखो यहाँ से दूर तक फैला समुद्र और उसपे उछल कूद करती चाँदनी कितना सुहावना मंज़र बना रही हैं
सुनील ने सुमन को भी अपनी गोद में खींच लिया अब उसकी एक जाँघ पे सुमन थी और दूसरी पे सोनल.......
तीनो के होंठ एक साथ एक दूसरे की तरफ बढ़े और और तीनो के होंठों का संगम देखने वाला था...तीनों की ज़ुबाने बाहर निकल एक दूसरे से मिलने लगी और सुनील के हाथ फिसलते हुए दोनो के मम्मो पे चले गये ....एक साथ वो दोनो के मम्मे मसल्ने लगा.
अहह उम्म्म्मम दोनो ही सिसक पड़ी और सुनील के लंड को सहलाने लगी .........काफ़ी देर तक तीनो एक दूसरे को चूमते रहे और दोनो के मम्मे मसलता रहा .......
फिर सोनल और सुमन ने एक साथ सुनील के लंड पे धावा बोल दिया और उसे चाटने और चूसने लगी.....
अब सुनील की बारी थी सिसकने की .....दोनो औरतों के गरम होंठों का अहसास अपने लंड पे पा कर वो मचल उठा ......
|
|
07-20-2019, 09:26 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
दोनो बड़ी शिद्दत से सुनील का लंड चूस रही थी ......और सुनील ...आँखें फाड़ते हुए उसके बालों को सहला रहा था....
दोनो के होंठों की गर्मी को सुनील ज़्यादा देर तक ना सह सका ....उूुुुुुुुउउफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ एक चीख के साथ वो झड़ने लगा और सोनल और सूमी में तो होड़ लग गयी कॉन कितना उसके वीर्य को अपने गले में उतार ता है............कुछ बूंदे सूमी के गालों पे टपक पड़ी और कुछ सोनल के ....दोनो ने एक दूसरे के गाल चाटे ...उसके वीर्य को गटक लिया ..........सुनील काफ़ी दिनो बाद इतने बड़े ऑर्गॅज़म से गुजरा था ...वो सोफे पे निढाल पड़ गया .........
दोनो ने फिर भी उसे नही छोड़ा और दोनो उसके एक एक निपल को चाटने लगी और अपने नर्म हाथों से उसके लंड को सहलाने लगी...जो धीरे धीरे अपने आकार में फिर लोटने लगा
सुनील को फिर मस्ती चढ़ने लगी और वो सोनल पे टूट पड़ा ....उसके एक उरोज़ को मुँह में भर लिया .....दूसरी तरफ से सूमी ने भी सोनल के दूसरे निपल को चूसना शुरू कर दिया ....सोनल के निपल्ल को चूस्ते हुए सुनील सूमी के उरोज़ को मसल्ने लगा .....
अहह उफफफफफफफ्फ़
दोनो के होंठों से मिलता हुआ दोहरा अहसास सोनल को तड़पाने लगा ....और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकने लगी.........
सूमी साथ साथ सोनल की चूत भी रगड़ने लगी ...ये तीसरा हमला सोनल सह ना सकी............और उसने सूमी को खींच अपने होंठ उसके होंठों से सटा दिए ....दोनो एक दूसरे के होंठ चूसने लगी और सुनील उसके निपल को चूस्ते हुए दूसरे उरोज़ को मसालने लगा ......
सूमी ने सोनल की चूत में सीधा दो उंगलियाँ घुसा डाली .........दर्द के मारे सोनल ने सूमी के होंठ काट लिए ...........
सुनील अब सूमी के कड़े निपल को चूसने लगा और सोनल के उरोज़ को मसल्ने लगा .............
सुनील का लंड इतना सख़्त हो चुका था कि उसे दर्द का आभास होने लगा ........अब उसे शिद्दत से चूत की ज़रूरत थी ..पर उसने खुद पे काबू रखा ....काफ़ी देर तक दोनो सोनल के बदन से खेलते रहे जब तक वो चीखते हुए झड ना गयी और निढाल पड़ गयी.........
सुनील फिर सूमी के होंठ चूसने लगा और उसके निपल अपनी उंगलियों में दबा के मसल्ने लगा .....
अहह सूमी की सिसकी सुनील के होंठों में ही दब के रह गयी.....
सूमी इतनी देर में काफ़ी गरम हो चुकी थी ........उसकी चूत रस टपका रही थी और उसका बदन मचलने लगा.........
सुनील ने सूमी को सोफे पे झुकाया और पीछे से उसकी चूत में लंड घुसा डाला.....
ओह म्म्म्मममाआआअ सूमी ज़ोर से चीखी .............जिसे सुन सोनल की आँख खुल गयी और वो फट से सूमी के नीचे आ गयी और उसकी चूत को चाटने लगी ......
सूमी भी चुदते हुए उसकी चूत चाटने लगी...
सुनील सतसट सूमी को चोदने लगा ........अहह अहह उम्म्म्ममम सूमी ने सोनल की चूत से अपना मुँह हटा लिया और ज़ोर ज़ोर से सिसकने लगी ....
ओह सुनिल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल फक मी हार्ड......अहह ईईसस्सस्स तेज और तेज........अहह फाड़ दो मेरी चूत.......
सुनील के धक्के इतने तेज हो गये कि सोनल को बीच से हटना ही पड़ा .....और वो अलग हो दोनो की चुदाई देखने लगी........फिर उससे रहा नही गया और वो सूमी के होंठ चूसने लगी .....
अहह म्म्म्मममाआआआआआआआआआअ
सूमी की चीख सोनल के मुँह में ही दबी रह गयी........और वो झड़ते हुए सोफे पे गिर सी गयी..........सुनील अभी तक नही झडा था ....वो सोनल को उठा अंदर कमरे में ले गया और ताबड तोड़ उसे चूमते हुए अपना लंड उसकी चूत में घुसा डाला........
झटका इतना तेज था कि सोनल की चीख निकल गयी.....आाआआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई
लेकिन सुनील नही रुका और तेज़ी से सोनल को चोदने लग गया....पागलपन सा सवार हो गया था सुनील पे
सोनल ने अपनी टाँगें घुटनो से मोड़ ली और सुनील के लंड को अंदर तक लेने लगी........
ओह डार्लिंग ...फक मी.....चोदो और ज़ोर से चोदो....
अहह कमरे में सोनल की सिसकियाँ फैलने लगी............
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
राजेश के सीने में सर छुपाए कवि ने अपनी लाज का घुँगट ओढ़ लिया ......राजेश.........उसकी छाती के बालों से खेलते हुए वो पुकार उठी....
'ह्म्म' राजेश उसकी पीठ को सहलाते हुए बोला....
'तुमने पूछा ही नही क्यूँ मैं......'
'जो बातें दर्द से जुड़ी हो उन्हें पीछे छोड़ देना ही अच्छा होता है .....मुझे और क्या चाहिए...तुम वापस आ गयी .....मेरे लिए ये ही बहुत है - चलो तुम्हें कुछ दिखाता हूँ...कविता ने अपनी लाइनाये पहन ली और हैरानी से राजेश को देखने लगी ....वो तो यही सोच रही थी कि राजेश अब आगे बढ़ेगा ....पर उसका सयम देख वो उसकी कायल हो गयी
राजेश ने अपना अंडरवेर पहन लिया और उसे बाहर हट में बने लॉन पे ले आया ............दूर दूर तक फैला समुद्र और उसपे खेलती हुई चाँदनी सॉफ सॉफ नज़र आ रही थी.......राजेश उसके पीछे उसके साथ चिपक गया और समुद्र पे खेल ती चाँदनी की तरफ इशारा करते हुए बोला........
'देखो ....हमे लगता है कि चाँदनी समुद्र के जल पे नृत्य कर रही है ......पर असल में ये दो प्रेमी हैं जो एक दूसरे से जुदा होते हुए भी जुदा नही होते .......तभी तो समुद्र की लहरों में उफ्फान तब आता है जब चाँद नज़र आता है........क्यूंकी समुद्र अपनी लहरें उछल चाँद को छूने की कोशिश करता है......बिल्कुल उसी तरहा जैसे एक साल हम दूर भी थे और करीब भी थे'
कवि...एक बात कहूँ ......
राज......हां बोलो....
कवि ...मैने सुना है ......."दा पर्फेक्ट गाइ ईज़ नोट दा वन हू हॅज़ दा मोस्ट मनी ऑर दा मोस्ट हॅंडसम वन यू’ल्ल मीट. ही ईज़ दा वन हू नोज हाउ टू मेक यू स्माइल आंड विल टेक केर ऑफ यू ईच आंड एवेरिडे अंटिल दा एंड ऑफ टाइम".... और मेरी जिंदगी में आप वही दर्जा रखते हो ......बहुत नाराज़ हूँ आप से .....
राज....अरे.....ऐसा क्या कर दिया मैने .....
कवि .....कुछ किया नही इसीलिए तो नाराज़ हूँ....एक बार भी मुझे रोकने की कोशिश नही करी ...एक बार भी मुझे वापस नही बुलाया...एक बार ये नही पूछा मैं क्यूँ चली आई ....क्या एक पल में सारे हक़ जो आपके मुझ पे थे वो ख़तम हो गये ?
राज....कवि ....अब क्या कहूँ....अब इसमे मेरी ग़लती हो भी सकती है और नही भी ...बस देखने के नज़रिए पे सब लागू होता है......ऐसे तो मैं भी तुम से पूछ लेता ...बिना मुझसे मिले ..बिना कोई बात किए तुम चली क्यूँ गयी थी....उस वक़्त शायद हम दोनो को ही एक दूसरे की बहुत ज़रूरत थी.......पर उस वक़्त ना मैं तुम्हें समझ सका और ना ही तुम मुझे ....देखा जाए तो हम दोनो की असल जिंदगी की शुरुआत तो आज से हुई है .......
कवि......हां पर अगर रूबी आपको देख ना लेती और मुझे खींचते हुए आप तक ना लाती ...तो आप तो नही आनेवाले थे ना मुझे लेने ....कितनी आसानी से कह गये थे ......"मैं अब कभी भी ना तुम्हें किसी तरहा तंग करूँगा और ना ही मिलने की कोशिश करूँगा....पर हां ...मैं इंतेज़ार करूँगा तुम्हारा जिंदगी की आखरी साँस तक"
राज....कवि सच में मेरे पास कोई रास्ता नही था उस वक़्त ...मैं तुम्हारे दिल को किसी तरहा ठेस नही पहुचाना चाहता था......जो उस वक़्त हुआ ...उसका झटका तुम्हें भी लगा था और मुझे भी ......अगर उस रात सुनील ने मुझे रोका नही होता ...तो शायद ....शायद मैं आज इस दुनिया में होता ही नही ......जब एक लड़के को ये पता चले ...कि वो एक नजाएज औलाद है ...और रेप का रिज़ल्ट है ....तो तुम सोच सकती हो क्या गुज़री होगी मुझ पर ...और जिसकी गोद में सर रख मैं उस वक़्त रोना चाहता था...उस से भी नियती ने मेरा रिश्ता बदल डाला.....हम दोनो को एक ही आदमी का खून बना डाला ......शायद उस वक़्त हम दोनो ही कुछ समझने के काबिल ना थे ....हम दोनो को ही वक़्त चाहिए था....इस तुफ्फान से गुजरने के बाद खुद को समझने के लिए .......
कवि....शायद आप ठीक कह रहे हो....जानते हो सारी जिंदगी मैं बाप के प्यार को तरसती रही ....माँ जिंदगी से लड़ते लड़ते थक गयी और एक दिन मुझे छोड़ के चली गयी...उस दिन बहुत रोई थी मैं..कोई अपना नही था मेरे पास ...पर माँ जाने से पहले मेरे बाप को चिट्ठी लिख गयी ....जो सुनील भाई के हाथ लगी और वो मुझे लेने आ गये ....वहाँ मुझे माँ, बहन,भाई और भाभी सबका प्यार मिला पर फिर भी बाप के प्यार को तरसती रही ...फिर आप मेरी जिंदगी में आए और मुझे प्यारे से पापा मिल गये ...और फिर ये तूफान आ गया ..जिसने मुझे तोड़ के रख दिया था....बड़ी भाभी जो मेरी माँ ही हैं वो, सोनल भाभी और सुनील भैया ना होते तो मैं बिखर गयी होती वजूद तक मिट गया होता मेरा......
राज....बस जान ....ये तुफ्फान आना था आ कर चला गया ....अब मैं हूँ और तुम हो ....मेरा वादा है तुमसे...जिंदगी भर पलकों पे बिठा के रखूँगा ......
कवि.....सच मैं बहुत खुशकिस्मत हूँ जिससे आप मिले ..विजय पापा मिले और ममता की मूर्ति आरती मम्मी मिली .....और मुझे कुछ नही चाहिए जिंदगी में......
राज.....ग़लत बात तुम बड़ी ना-इंसाफी कर रही हो ...सुनील और अपनी भाभियों से ...अगर वो तुम्हारी ज़िम्मेदारी नही उठाते...तो शायद हम कभी मिल ही नही पाते ....हर रिश्ते का अपना एक आधार होता है ..उसका एक वजूद होता है ..उसकी एक मर्यादा होती है ......उसमे एक अलग ही अपना पन होता है .....
कवि....यू नो ..यू आर वेरी स्वीट, दट'स व्हाई आइ लव यू फ्रॉम दा कोर ऑफ माइ हार्ट .....
हल्की हल्की बारिश की बूंदे शुरू हो गयी ....और चाँदी रात में कवि के चेहरे पे गिरती फिसलती बूंदे उसके रूप को और भी निखारने लगी....
बारिश की मचलती बूँदों ने कवि के अरमान जगा दिए और वो बारिश में घूमते हुए थिरकने लगी और राजेश उसकी चोंध में खोते हुए गुनगुनाने लगा
बहोश-ओ-हवास में दीवाना
यह आज वसीयत करता हूँ,
यह दिल यह जान मिले तुमको
में तुमसे मोहब्बत करता हूँ
मेरे जीतेज़ी यार तुम्हे
मेरी सारी जागीर मिले
वो ख्वाब जो मेने देखे हैं
उन ख्वाबों की तबीर मिले,
हर एक तमन्ना के बदले
में आज यह हंसरत करता हूँ
यह दिल यह जान मिले तुमको
में तुमसे मोहब्बत करता हूँ
मेरी आखों में नींद नहीं
मेरे होठों पे प्यास नहीं
हर चीज़ तुम्हारे नाम हुई
अब कुछ भी मेरे पास नहीं
तुमने तो लूट लिया मुझको
में तुमसे शिकायत करता हूँ यह दिल यह जान मिले तुमको
में तुमसे मोहब्बत करता हूँ
बहोश-ओ-हवास में दीवाना...
कवि बारिश में थिरकति रही और राजेश गुनगुनाता रहा .....जब राजेश का गुनगुनाना बंद हुआ तो कवि हाँफती सी उसके साथ लिपट गयी .....कवि का दिल यही कर रहा था कि वक़्त यहीं रुक जाए और वो राजेश की बाँहों में यूँ ही जिंदगी गुज़ार दे.....
कवि की साँस जब संभली तो राजेश ने उसके चेहरे को अपने हाथों में थाम उसकी झील सी गहरी आँखों में झाँकना शुरू कर दिया ...शरमा के कवि ने नज़रें झुका ली और राजेश के होंठ आगे बढ़ते गये जब तक वो कवि के होंठों से मिल नही गये...बिजली कोंध गयी कवि के जिस्म में और उसके कस के खुद को राजेश से चिपका लिया
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
सूमी की साँसे जब संभली तो वो भी पीछे पीछे कमरे में आ गयी और दोनो के पास लेट गयी ......दोनो की चुदाई देख सूमी फिर गरम होने लगी......
सुनील जितनी तेज़ी से सोनल को चोद रहा था....वो ज़्यादा देर ना टिक पाई और झड गयी ...फिर सुनील ने अपनी पोज़िशन बदली और लेट के सूमी को अपने उपर ले लिया.....सूमी अपनी टाँगें फैला धीरे धीरे उसके लंड पे बैठने लगी और अपनी चूत में लेने लगी ......सोनल अपने टाँगें फैला सुनील के चेहरे पे बैठ गयी और अपनी चूत चटवाने लगी ........
सोनल और सूमी आमने सामने थी और दोनो के होंठ आपस में जुड़ गये.......
सूमी ...सुनील के लंड पे उछलते हुए सोनल के होंठ चूस रही थी और अपने होंठ चुस्वा रही थी.......दोनो के बीच की शर्म कब की ख़तम हो चुकी थी ....अब उन्हें एक दूसरे के जिस्म से खेलना भी अच्छा लगने लगा था............
सोनल की चूत में सुनील अंदर तक अपनी जीब घुसा रहा था और सोनल भी अपनी चूत उसके मुँह पे दबा और रगड़ रही थी........तभी सूमी ने सोनल के होंठ छोड़े और उसके निपल को चूसने लग गयी ......
|
|
07-20-2019, 09:26 PM,
|
|
sexstories
Click Images to View in HD
|
Posts: 52,887
Threads: 4,447
Joined: May 2017
|
|
RE: Hindi Kamuk Kahani वो शाम कुछ अजीब थी
सुनील तेज़ी से सोनल की चूत चूस रहा था .......कभी उसकी चूत एक लब को सख्ती से चूस्ता तो कभी दूसरे को और अपनी ज़ुबान से उसे चोदने में लगा हुआ था .....
अहह उफफफफफफफफफ्फ़ उूउउइईईईईईईईई
सोनल ज़ोर ज़ोर से सिसक रही थी.........
सूमी भी अपने चर्म की तरफ तेज़ी से बढ़ रही थी..... उसने सोनल के निपल को छोड़ दिया और तेज तेज सिसकियाँ भरने लगी ....
पूरे कमरे में सूमी और सोनल की सिसकियाँ गूँज रही थी ....सोनल से और ज़्यादा देर तक ...अपनी चूत में उफ्फनती हुई तरंगों को और बर्दाश्त ना कर पाई और अपनी चूत को सुनील के मुँह पे दबा झड़ने लगी............सुनील लपलप उसका रस पी गया और सोनल उसके उपर से हट के बिस्तर पे गिर पड़ी ......
सुनील भी हाँफने लगा उसके हटने के बाद क्यूंकी सोनल ने सख्ती से उसके सर को अपनी चूत पे दबा रखा था.....
सूमी भी ...सुनील के लंड पे उछलती उछलती थक गयी थी और सोनल के हटते ही वो सुनील पे गिर पड़ी........और हाँफने लगी...
कुछ देर बाद सुनील ने पलटी मारी और सूमी को अपने नीचे ले लिया ...उसका लंड अभी भी सूमी की चूत में घुसा हुआ था....
सूमी ने अपनी बाँहों का हार सुनील के गले में डाल दिया और उसके कान में फुसफुसाई.......'अब तो मुझे बेटा दे दो......अब किस बात का डर ...सारी दुनिया में तो एलान कर चुकी हूँ...अपनी शादी का ...'
सुनील....स्वीट हार्ट ...रूबी की शादी हो जाने दो ...फिर हम तीन और हमारे 4 ......
सूमी .....उसका मेरे बेटे से क्या मतलब...होती रहेगी उसकी उसकी शादी ...मुझे अब छोटा सुनील चाहिए जल्दी अपनी गोद में........प्लीज़ मान जाओ ना .....
सोनल जो सब सुन रही थी ......हम तीन और हमारे दो......एक एक ही ढंग से पाल लें तो गनीमत है ....
सुनील...अरे ये सब बाद की बातें हैं....इतनी जल्दी भी क्या है....
सूमी ...मुझे है ना ...समझा करो .....प्लीज़ प्लीज़ ...मेरा सोनू ...मेरी जान ..मान जाओ ना ....
सोनल...मान जाइए ना .....देखो दीदी के पास इतना वक़्त नही है और जब शादी डिक्लेर हो चुकी है तो जाहिर है माँ तो बनेगी ही ना.....फिर देरी कर के कॉंप्लिकेशन्स को मौका क्यूँ देना......
सुनील........इस टॉपिक पे कल बात करें.......
सोनल.....हज़ूर मौका भी है दस्तूर भी और दो दिन में दीदी का फर्टाइल पीरियड भी शुरू हो जाएगा ...........कितना अच्छा लगेगा जब प्यारा सा गोलू सा छोटा सुनील हमारी गोद में खेलेगा ...........प्लीज़ डार्लिंग मान जाओ ना .....जो मुश्किल थी वो सॉल्व हो चुकी है ....अब क्या डरना किसी से ...
सुनील ...गौर से सूमी को देखने लगा .....
सूमी की आँखें नम हो चुकी थी ...वो आस भरी नज़रों से सुनील को देख रही थी........
सुनील ने अपने होंठ सूमी के होंठों से सटा दिए और अपने लंड को उसकी चूत के अंदर बाहर करने लगा .....
अहह सस्स्सुउुउउनन्निईल्ल्ल्ल हहाआंणन्न् कककाअरर द्दूव न्न्नाअ
'जैसी तुम्हारी मर्ज़ी ....खुश अब........'
'उम्म्म्मम लव यू...लव यू...लव यू....'
'एक बार सोच ज़रूर लेना अच्छी तरहा....'
'सब सोच लिया ...अब तो यहाँ से प्रेग्नेंट हो कर ही निकलूंगी......लव मी डार्लिंग...जस्ट लव मी...'
और सुनील ने तेज़ी से लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया ....
अहह ज़ोर से ....अपनी गान्ड उसी लय में उछालती हुई सूमी बोली......
सुनील के धक्के भी तेज होते चले गये और जितनी तेज से वो सूमी को चोदता ..उतनी ही तेज़ी से सूमी भी अपनी गान्ड उछाल उसका साथ देती ....
फॅक फॅक फॅक फॅक ...ठप ठप ठप का संगीत कमरे में गूंजने लगा ......
दोनो थक भी चुके थे और जिस्म पसीने से भर चुके थे .......दोनो की भयंकर चुदाई का पागलपन कुछ देर और चला और फिर दोनो एक दूसरे को कसते हुए चिपक गये और एक साथ झड़ने लगे.........
इसके बाद तीनो एक ही कमरे में सो गये ...नयी सुबह के इंतेज़ार में जो इनकी जिंदगी को नया रुख़ देने वाली थी.
,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
राजेश....कवि अंदर चलो ...बहुत भीग ली हो...बीमार ना पड़ जाओ ....
कवि ....तुम हो ना साथ ...फिर किस बात की चिंता ...आइ लव रेन्स यू नो ...बारिश जब भी आती है दिल करता है मोर की तरहा मेरे पंख निकल जाएँ और मैं थिरकति रहूं....
राजेश कवि को गोद में उठा के अंदर ले गया .....दोनो के कपड़े बुरी तरहा भीग चुके थे ......राजेश तो था ही अंडरवेर में....उसने अपना गीला अंडरवेर उतार फेंका.....कवि ने शर्म के मारे नज़रें फेर ली .......
राजेश यूँ ही बाथरूम में घुस गया और जल्दी शवर ले कर बाथगाउन पहन के बाहर आ गया .....
उसके बाहर आने के बाद कवि बाथरूम में घुस्स गयी ...उसने भी शवर लिया और वो भी बाथगाउन पहन कर ही बाहर आई .......
कवि फिर खिड़की खोल बाहर अपने हाथ घुमाने लगी और बारिश का मज़ा लेने लगी .....राजेश यूँ ही उसे बिस्तर पे बैठे देखता रहा ...कवि के चेहरे पे छाई खुशी ही राजेश के लिए सब कुछ था .......अपने मन में उमड़ती जिस्मो के मिलन की भावना को उसने कुचल डाला क्यूंकी वो जल्दबाज़ी नही करना चाहता था.........
करीब दस मिनट कवि ऐसे ही बारिश से खेलती रही ...यहाँ तक की बाथगाउन जो पहना था वो भी भीग गया .....
राजेश बिस्तर से उठ कमरे में बने बार काउंटर पे गया और अपने लिए वाइन एक ग्लास में डाल कर हल्की हल्की चुस्कियाँ लेने लगा और बारिश की बूँदों को कवि के चेहरे पे नृत्य करते हुए देख उसकी मनमोहकता में खोते हुए धीरे धीरे वाइन पीता रहा.....
रात धीरे धीरे सरक्ति जा रही थी ...चाँद तो कब का घने बादलों की ओट में छुप गया था ...चारों तरफ घना अंधेरा था ...बस इनकी हट की लाइट्स जल रही थी....
कवि ने मचलते हुए कुछ लाइट्स ऑफ कर दी ...जिस से महॉल बहुत ही कामुक हो गया ......
राजेश खुद को और रोक ना सका और कवि के पीछे जा कर उसके साथ चिपक गया .......
राजेश अपनी नाक उसकी गर्दन पे धीरे धीरे रगड़ने लगा और दोनो हाथ आगे ले जा कर उसके गाउन की डोरी को खोल दिया .......
कवि पीछे होती चली गयी और अपना सर राजेश के कंधे पे टिका दिया ......
राजेश का सामीप्य ही उसके बदन में खलबली मचा बैठा ....आँखों में नशीलापन उतरने लगा ....साँसे तेज होने लगी .........
राजेश ने गाउन पे पट अलग किए और अपने हाथों से उसके पेट को सहलाने लगा .....
अहह .........कवि सिसकी और पलट के राजेश से चिपक गयी ......
राजेश ने उसके गाउन को जिस्म से अलग कर दिया और अपना भी उतार डाला .....दोनो के नंगे बदन एक दूसरे के तापमान को बढ़ाने लगे .....साँसों की गर्माहट बढ़ती चली गयी .....और राजेश ने उसके चेहरे को उठा उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया ....कवि भी उसका साथ देने लगी.....
चुंबन तोड़े बिना ....राजेश कवि को उठा के बिस्तर पे ले गया और दोनो का चुंबन ऐसे ही चालू रहा
रात सरक्ति हुई कब अलविदा कर गयी दोनो को पता ही ना चला ......बाहर टपकती हुई बारिश के बावजूद भी पो का उजाला फैल गया और दोनो जब साँस लेने अलग हुए तो करे में दिन का हल्का सा उजाला फैलने लगा ....
'मेम्साब .....रात सटक ली ...दिन हो गया .....थोड़ी देर अब सो ही लेते हैं'
कवि हंस पड़ी और दोनो बिस्तर पे पड़े कंबल में घुस्स गये.
राजेश और कवि नींद की आगोश में चले गये ...एक सकुन था दोनो के चेहरे पे जो बता रहा था ..कि जिंदगी के ये पल जो उन्होंने साथ गुज़ारे थे ...वो ये कभी नही भूलने वाले थे. रात भर के जागे हुए भावनाओं की उथल पुथल से गुज़रे ..नींद तो गहरी आनी ही थी ....करीब 12 बजे ही राजेश की नींद खुली ....साथ में सो रही कवि के चेहरे पे छाए नूर को देखने लगा .....बहुत प्यार आया उसे कवि पे ....दिल करा उसके होंठ चूम ले ...पर खुद को रोक लिया ताकि उसकी नींद में खलल ना हो ...
राजेश फ्रेश हुआ और एक टी-शर्ट और शॉर्ट पहन ली ...फिर उसने कवि का बेड खोल उसके लिए एक ड्रेस निकाल ली और कॉफी बना ने बाद वो कवि के पास आ कर बैठ गया ....उठ जाओ जाने मन ...कवि के होंठों को चूमते हुए उसे उठाया ....कुन्मूनाती हुई कवि उठी और अपनी हालत देख उसका चेहरा शर्म से लाल हो गया...खुद को चद्दर से ढांप लिया और भाग के बाथरूम में घुस गयी ....राजेश ने बाथरूम का दरवाजा नॉक किया ..और उसे उसकी ड्रेस दी ...शरमाते हुए उसने ड्रेस ले ली .....जब बाहर निकली तो ...
तो उसे देख राजेश सिटी बजाने लग गया .........कविता ने शरमा के अपने चेहरे को ढांप लिया .....
राजेश...यार सुबह सुबह इतना बड़ा ज़ुल्म मत किया करो ......इस दिल की धड़कन ही तुम्हारे चेहरे के नूर की तपिश पा कर ही चलती है ...यूँ चेहरा छुपा लोगि तो हम तो .......
कविता दौड़ के राजेश के पास आई और उसके होंठों पे अपने हाथ रख दिए .......
राजेश ने उसके हाथ को चूम उसे बाँहों में भर लिया ....क्या हुकुम है मेम्साब का ......क्या किया जाए आज....
कवि ...जो आपका दिल करे ...
राजेश ...कम्बख़्त मेरे पास रहा ही कहाँ...उसे तो तुमने कब का अपने क़ब्ज़े में कर लिया है....
कवि ....भूख लगी है ..पहले कुछ खाने को तो मन्ग्वाओ ....
राजेश...ऑप्स ....मैं भी पागल हूँ....अच्छा बोलो क्या खओगि ..यहाँ के प्रॉन्स बहुत ही स्पेशल हैं.....
कवि ...सी फुड में कुछ भी मंगवा लो.....
राजेश .....अदब बजाते हुए ...जो हुकुम मालिका-ए-आलम और सी फुड ब्रेकफास्ट का ऑर्डर कर देता है ...जिसमे एक मिक्स रोस्टेड सिज़्लर भी होता है......
जब तक ब्रेकफास्ट आता दोनो हट के एक दम कोने में बैठ पैर लटका एक दूसरे से चिपक हँसीन फ़िज़ा का लुफ्त उठाने लगे
राजेश ...ब्रेकफास्ट के बाद का प्रोग्राम तो बताओ क्या करना चाहती हो....
कविता ...हम तो आपके हवाले हो चुके हज़ूर ...अब जो आपकी इच्छा
राजेश ....किसी आइलॅंड पे चलें......मोटर बोट की सैर भी हो जाएगी ....और नेचर के साथ मस्ती भी ....
कविता ...वाउ लव्ली .....कोई ऐसा आइलॅंड चुनना छोटा सा ...जहाँ सिर्फ़ हम दो हों और खुल के घूमे फिरे मस्ती करें ......
राजेश ....यार ऐसे आइसलॅंड पास नही होते ...काफ़ी दूर होते हैं और वहाँ पहुँचने में काफ़ी टाइम लगता है .......हमारा हफ़्ता तो फिर इसी में ख़तम हो जाएगा ....लेट'स डू आइलॅंड हॉपिंग टूर ....मालदीव के जो कुछ अच्छे आइलॅंड हैं उन्हें देखते हैं.......और जो तुम कह रही हो वो एक स्पेशल टूर बनाएँगे ...जब तुम डॉक्टर बन जाओगी ...
|
|
|