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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
अचानक बिंदिया ने मुझे बेड पर लेटाते हुए अपनी सलवार और चड्ढी निकाल दी। अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी। बिंदिया की चूत पे हल्के बाल थे, और उत्तेजना के मारे वो टमाटर की तरह लाल हो गई थी।
बिंदिया मेरे पास आई और मेरी कच्छी भी उतार दी। वो मेरी चूत को बड़े गौर से देख रही थी। मेरी चूत बहुत गीली हो चुकी थी और उससे कुछ पानी की बूंदें निकलकर मेरी जांघों तक आ रही थी। बिंदिया मेरी टाँगों को। खोलकर मेरी चूत के नरम होंठों को सहलाने लगी। मेरी साँसें रुकने लगी। मुझे आज जैसा मजा अपने हाथों से भी नहीं आया था।
मैंने मजे से सिसकते हुए अपना एक हाथ उसके हाथ के ऊपर रख लिया और दूसरा हाथ उसकी भारी भरकम नितंबों पे रखकर सहलाने लगी। बिंदिया ने अपने गरम होंठ मेरी चूत पर रख दिए। वो मेरी चूत के ऊपर अपनी जीभ फिरा रही थी। मेरी आँखें बंद होने लगी और मैं जोर से सिसकने लगी ‘ऊहह... आह्ह्ह..' और मैंने अपनी टाँगें जितनी हो सकती थी खोल दी। बिंदिया की जीभ मेरी चूत को बहुत तेजी से चाट रही थी। मैं अपने हाथ बिंदिया के रेशमी बालों में डालकर उसका सिर सहला रही थी। अचानक बिंदिया ने मेरी चूत के होंठ खोलकर अपनी जीभ अंदर डाल दी।
मैं मजे से सातवें आसमान का सैर करने लगी। मैं अपने काबू में नहीं थी। मैंने बिंदिया को अपनी चूत पर बहुत जोर से दबा दिया। उसकी पूरी जीभ मेरी चूत के अंदर थी और वो मेरी चूत को अंदर से चाट रही थी। मेरी साँसे उखड़ने लगी और मैं एक बड़ी सिसकी के साथ ‘ओहईई... बिंदिया' कहते हुए झड़ गई। मैं एकदम से निढाल हो गई और ना जाने कितनी मनी मेरे अंदर से निकली थी जो बिंदिया ने एक-एक कतरा तक मेरी गुलाबी चूत से चूस लिया। मैं ऐसे शांत हो गई जैसे समुंदर तूफान के बाद शांत हो जाता है।
बिंदिया अब उठकर मेरे ऊपर आ गई और मेरी चूत के पानी से भीगे होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। मुझे बिंदिया के मुँह से भीनी-भीनी खुश्बू आ रही थी। मेरा जिश्म फिर से गर्म होने लगा। मैंने बिंदिया को नीचे लेटाते हुए उसकी बड़ी-बड़ी छातियों को अपने मुँह में ले लिया और उसके निपलों को चूसने लगी।
इस बार सिसकने की बारी बिंदिया की थी। मैं बिंदिया की नरम छातियों को हाथों से रगड़ते हुए नीचे जाने लगी। मैंने अपना मुँह बिंदिया की चूत पे रखा, उसकी चूत से चिपचिपा सा पानी निकल रहा था। मुझे उसके चूत से मदहोश करने वाली महक आ रही थी। उसकी चूत के होंठ गुलाबी और फूले हुए थे। मैंने अपनी जीभ बाहर । निकालकर उसकी चूत के होंठ पर रख दिए और जीभ अंदर डालकर उसकी बहती मनी को चाटने लगी। उसकी मनी का स्वाद बहुत अजीब था, मगर मुझे वो बहुत अच्छा लग रहा था।
बिंदिया के मुँह से अब सिसकियां निकलने लगी, और वो अपने हाथों से मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी। मैंने उसकी चूत को पूरा अपने मुँह में लेकर अपनी साँस पीछे खींची। बिंदिया अपने नितंब उछालते हुए जोर से सिसकी ‘ओऊऊ... और अपनी मनी से मेरे मुँह को भरने लगी। उसकी मनी का स्वाद अंजाना था मगर मुझे अच्छा लग रहा था। मैंने उसकी सारी मनी चाट ली, और उसके साइड में जाकर लेट गई। बिंदिया ने लज्जत से बंद की हुई अपनी आँखें खोली और मुझे देखकर मुश्कुराई और मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
बिंदिया- “धन्नो तुम बिल्कुल सच कह रही थी। माँ तो किसी अंजान आदमी से चुदवा रही थी...”
मैंने बिंदिया के नंगे नितंब पे अपना हाथ फेरते हुए कहा- “इसमें आँटी का कोई कसूर नहीं है...”
बिंदिया हैरत से बोली- “तुम क्या बोलना चाहती हो, क्या वो यह सब सही कर रही है?”
मैं- “हाँ। तुम खुद सोचो की तुम यह सब देखकर इतनी गर्म हो गई, आँटी तो शादीशुदा थी, अंकल के गुजर जाने के बाद उसकी भी कुछ जरूरतें होंगी, इसीलिए उसने जय को अपना सहारा बना लिया..." और हम दोनों एक दूसरे की बाँहों में कब नींद की आगोश में चले गये पता ही नहीं चला।
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
* * * * * * * * * *सोनाली का सपना ******************
जय के बास आकाश के साथ सोनाली जय के जाने के बाद आकाश के बारे में सोचने लगी, जय ने उसे आकाश के बारे में कुछ भी नहीं बताया था। यह आकाश पता नहीं किस उमर का होगा? और उसका लण्ड पता नहीं कैसा होगा? और उसकी शकल ना जाने कैसी होगी? यह सोचते हुए सोनाली नींद के आगोश में चली गई।
दूसरी रात को 12:00 दरवाजा खटकने की आवाज आई। सोनाली जल्दी से उठकर दरवाजा खोलने गई। उसने आज अपने आपको बहुत अच्छे तरीके से मेकअप किया था और बिल्कुल नये कपड़े पहने थे। वो आज बेहद खूबसूरत लग रही थी। दरवाजा खोलते ही उसका मुँह हैरत से फटा रह गया। जय के साथ एक 55 साल का बूढ़ा जिसकी लंबाई कोई 5'5" इंच और उसका चेहरा बिल्कुल काला था, खड़ा था।
जय ने कहा- “यह मेरा बास आकाश है इसकी अच्छे तरीके से खातिरदारी करना, मैं चलता हूँ...”
वो बूढ़ा सोनाली को ऊपर से नीचे तक बहुत गौर से घूर रहा था, जैसे सोनाली उसके सामने नंगी खड़ी है, और आगे बढ़कर सोनाली का हाथ पकड़कर अंदर कमरे में ले जाने लगा।
सोनाली किसी बुत की तरह उसके साथ अंदर जाने लगी। कमरे में पहुँचते ही उस बूढ़े ने सोनाली के कोमल होंठों पे अपने काले होंठ रख दिए। वो सोनाली के होंठों को पूरा अपने मुँह में लेकर चूस रहा था। सोनाली थोड़ा गरम होने लगी और अपना हाथ उस बूढे के सिर में डालकर सहलाने लगी। बूढ़े ने अपनी जुबान सोनाली के मुँह में। डाल दी और अपने हाथ सोनाली की बड़ी-बड़ी छातियों पे रखकर दबाने लगा।
सोनाली की मुँह से आह्ह्ह' निकल गई। सोनाली बूढ़े की जुबान को पकड़कर चाटने लगी।
अब वो बूढ़ा सोनाली की कमीज निकालने लगा। सोनाली ने अपनी बाहों को ऊपर उठा लिया। बूढ़ा कमीज उतारते ही सोनाली के गोरे बदन और बड़ी-बड़ी चूचियों को देखकर लार टपकाने लगा, और कहने लगा- “जय ने तो बहुत मस्त माल फँसाकर रखा है."
सोनाली की बड़ी-बड़ी चूचियों को ब्रा भी पूरा ढक नहीं पा रही थी। बूढ़े ने आगे बढ़कर ब्रा के ऊपर से ही चूचियों के बीच में अपना मुँह रख लिया और अपने हाथ पीछे लेजाकर ब्रा के हुक खोल दिए। ब्रा के हटते ही सोनाली की बड़ी-बड़ी चूचियां लटकने लगी। बूढ़े ने सोनाली की एक चूची को अपने मुँह में ले लिया और बड़े जोर से चूसने लगा, और उसे अपने दाँतों से काटने लगा।
आँटी के मुँह से हल्की चीख निकल गई- “ऊऊईई... इतने जोर से मत करो दर्द हो रहा है...”
वो बूढ़ा आँटी की बात को अनसुना करते हुए उसकी चूचियों को बारी-बारी बड़े जोर से चूसने लगा। आँटी के मुँह से सिसकियां निकलती रही। बूढ़ा अपना मुँह सोनाली की चूचियों से हटाते हुए नीचे जाने लगा और आँटी की सलवार खोलकर कच्छी के ऊपर से ही उसकी चूत पे अपना मुँह रखकर चाटने लगा, और अपने हाथ उसकी कच्छी में डालकर उसे उतार दिया।
सोनाली की गोरी चूत और उसकी चूत के गुलाबी होंठ देखकर बूढ़े के मुँह से लार टपकने लगी। उसने आज तक इतनी गोरी और सुंदर औरत को नहीं चोदा था। उसने आँटी को सीधा लेटाकर उसकी टाँगों को चौड़ा किया और अपना मुँह उसकी चूत के दाने पे रखकर उसे चूसने लगा। सोनाली की तेज सिसकियां निकलने लगी।
अचानक उस बूढ़े ने उसके दाने को चूसते हुए उसकी चूत में अपनी एक उंगली घुसा दी, और उसे आगे-पीछे करने लगा। आँटी की टाँगें अपने आप चौड़ी होने लगी। बूढ़े ने अपनी उंगली सोनाली की चूत से निकाली और अपने मुँह में लेकर उसका रस चाटने लगा और फिर से उंगली उसकी चूत में डालकर उसे सोनाली के मुँह के पास ले गया और कहा- “साली अपनी चूत का स्वाद चख, बहुत ही टेस्टी है...”
सोनाली ने अपना मुँह खोल दिया और अपनी चूत का रस चाटने लगी।
बूढ़ा फिर नीचे जाकर उसकी चूत को चाटने लगा, और अपनी जीभ निकालकर सोनाली की चूत के दाने को चाटते हुए अपनी जुबान उसकी चूत के गुलाबी होंठों पे रख ली और उसे पूरा अपने मुँह में लेकर चाटने लगा। बूढ़ा चूत के होंठ चाटते हुए अपनी जीभ सोनाली के गाण्ड के सुराख तक लेजाकर चाटने लगता। सोनाली अब जोर से सिसकते हुए कह रही थी- “ऊऊहह.. हाँ ऐसे ही करो बहुत मजा आ रहा है...”
बूढ़ा अब सोनाली की पूरी गाण्ड को अपने मुँह में लेकर चाट रहा था, और अपनी दो उंगलियां उसकी चूत में अंदर-बाहर कर रहा था। सोनाली अपनी मंजिल के बहुत करीब थी। वो अपने चूतड़ ऊपर उठा रही थी। बूढे ने अपनी उंगलियां निकालकर अपनी जीभ को कड़ा किया और उसे सोनाली की चूत में अंदर डाल दिया। बूढ़े की जीभ बहुत बड़ी थी। वो उसके बहुत अंदर तक जा रही थी। सोनाली का बदन अकड़ने लगा और उसने बूढ़े के सिर को पकड़ लिया और अपनी चूत पे दबाने लगी। बूढ़े ने जीभ को अंदर-बाहर करते हुए अपनी एक उंगली उसकी गाण्ड में डाल दी।
आँटी की बर्दाश्त की सीमा टूट गई और वो- “ऊऊऊईईई... मैं आई..” कहते हुए बूढ़े के मुँह में झड़ने लगी।
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
बूढ़ा उसकी सारी मनी चाटने लगा और उसकी सारी चूत ऊपर से नीचे तक चाटते हुए साफ कर दिया। आँटी ने बूढ़े को बेड पर पटक दिया और उसके सारे कपड़े निकालने लगी, चड्ढी उतारते ही आँटी का मुँह फटा रह गया, एक पतला और छोटा काला लण्ड उसकी आँखों के सामने था।
आँटी को बहुत गुस्सा आया। मगर जय के प्रमोशन का सोचते हुए कुछ ना बोली और मन ही मन में सोचने लगी- “साला हरामी बूढ़ा इतनी छोटी सी लुली लेकर भी लड़कियों के शौक रखता है...”
बूढ़े ने आगे बढ़कर सोनाली को अपने नीचे दबोच लिया और अपनी लुली उसके मुँह में घुसाने लगा। सोनाली को उसकी लुली से बहुत बदबू आ रही थी।
आँटी ने अपना मुँह जोर से बंद कर दिया और कहा- “मैं इसे नहीं चाहूँगी तुम इसे नीचे घुसाकर अपना काम करो...”
बूढ़े ने गुस्से से कहा- “रंडी अपनी चूत मुझसे चटवाती हो और मेरा लण्ड लेने में नखरे करती हो..” और अपने अपना हाथ से सोनाली की चूची को मसल दिया।
सोनाली के मुँह से चीख निकली और उसका मुँह खुल गया। बूढ़े ने अपना लण्ड उसके मुँह में घुसा दिया और मुँह में लण्ड घुसते ही बूढ़ा काँपने लगा और सोनाली के मुँह में फुस्स हो गया। सोनाली के मुँह से उसका पानी नीचे गिरने लगा। सोनाली ने उसका लण्ड अपने मुँह से निकाला और उसका सारा पानी थूकते हुए बाहर फेंक दिया, और जोर से हँसने लगी।
सोनाली ने कहा- “साले बूढ़े इतना छोटा लण्ड लेकर फिरते हो और लड़कियों का शौक रखते हो, लड़कियों को बड़ा और तगड़ा लण्ड चाहिये, तुम्हारे जैसी लुली नहीं..." बूढ़े ने एक जोर का चांटा सोनाली को मारा तो उसके मुँह से चीख निकल गई और वो चौंक कर नींद से उठ गई। उसका सारा जिश्म पशीने में भीगा हुआ था।
सोनाली ने उठते हुए एक पानी का गिलास पिया और सपने के बारे में सोचकर मुश्कुराने लगी। अभी तो सुबह के 7:00 बजे थे। सोनाली उठकर नहाने चली गई। उसने बाथरूम में आकर अपने कपड़े उतारे और अपने आपको निहारने लगी। वो सपना देखकर बहुत गर्म हो गई थी, उसने शावर ओन किया और ठंडा पानी अपने-अपने जिश्म पर गिरते ही उसे कुछ सुकून मिला।
* * * * * * * * * * सोनाली का सपना समाप्त
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
सोनाली ने साबुन उठाया और जिश्म पर लगाते हुए अपनी चूत पर मलने लगी। सोनाली की आँखें बंद होने लगी। उसने साबुन नीचे रखा और अपनी एक उंगली अपनी चूत में डाल दी और आगे-पीछे करने लगी, अपने दूसरे हाथ से अपनी छाती के निपल को मसलने लगी। अचानक उसने अपनी दूसरी उंगली भी अपनी चूत में। डाली और बड़े जोर से आगे-पीछे करने लगी। वो अपने दूसरे हाथ से चूत के दाने को रगड़ने लगी। वो झड़ने के बिल्कुल करीब थी थी, और वो तेज सांस लेते हुए झड़ गई। कुछ देर बाद वो बाथरूम से बाहर निकली और नाश्ता बनाने लगी। नाश्ता करने के बाद उसकी दोनों बेटियां और भांजी पढ़ने के लिए चली गई, और वो अपने घर का काम करने लगी।
ऐसे ही कब दिन निकल गया और रात को वो सबको दूध पिलाकर जय के आने का इंतजार करने लगी। वो । सारा दिन आकाश के बारे में सोचते हुए बहुत गर्म हो चुकी थी। अचानक दरवाजे के खटकने की आवाज आते ही उसने जल्दी से जाकर दरवाजा खोला, तरी सामने जय के साथ एक 40 साल का बहुत सुंदर दिखने वाला शख्स खड़ा था। उसका कद कोई 6 फूट था, और उसका रंग गोरा था।
उसने अपना हाथ आगे बढ़ाते हुए सोनाली को कहा- “हेलो मेरा नाम आकाश है...”
सोनाली जैसे नींद से जागी और अपना हाथ बढ़ाकर उससे कहा- “मेरा नाम सोनाली है...”
जय और आकाश सोनाली के साथ अंदर दाखिल हुए। जय ने सोनाली को कहा- “मैं जा रहा हूँ, तुम आकाश सर का खयाल रखना..." और वो वहाँ से चला गया।
सोनाली दरवाजा बंद करके आकाश को अंदर अपने कमरे में ले गई। आकाश ने बिस्तर पे बैठते ही सोनाली को अपने साइड में बैठाकर उस अपनी बाँहों में ले लिया, सोनाली शर्म से कुछ हिचकिचा रही थी। उसने सोनाली का चेहरा अपने हाथों में ले लिया और उसे अपनी बाँहों में भर लिया। सोनाली भी उसकी बाहों में लिपट गई। आकाश ने उसके गुलाबी होंठों पे अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूमने लगा।
सोनाली तो पहले से ही बहुत गर्म थी। वो भी चुंबन का जवाब देने लगी।
आकाश ने सोनाली के नीचे वाले होंठ को अपने दांतों के बीच दबाकर धीरे-धीरे काटना शुरू कर दिया। आकाश ने अपनी जीभ सोनाली के मुँह में डाल दी, तो वो उसे ऐसे चाटने लगी जैसे उसे कोई मीठा फल मिल गया हो। कुछ देर आकाश उसे ऐसे चूमता रहा, फिर उसने सोनाली की कमीज और ब्रा उतार दी और उसकी भारी-भारी चूचियां बड़े गौर से देखने लगा। आकाश ने आगे बढ़ते हुए अपने होंठ सोनाली की चूची की एक निपल को अपने मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगा। सोनाली के सारे बदन में सिहरन सी होने लगी।
आकाश एक चूची को अपने मुँह में लेकर चूसता और दूसरी को अपने हाथ से मसलता। सोनाली उत्तेजना में अपने सिर को पटकने लगी। एक निपल को कुछ देर चूसने के बाद वो दूसरी निपल को मुँह में लेकर चूसने लगा। सोनाली से अब रहा नहीं गया और उसने आकाश को थोड़ा दूर धकेलते हुए उसकी शर्ट और पैंट उतार दी और चड्ढी के ऊपर से उसके खड़े लण्ड को अपनी मुट्ठी में ले लिया। उसका लिंग बहुत बड़ा था। सोनाली अपनी मुठ्ठी से उसे टटोलने लगी। उसकी उत्तेजना यह जानकर और बढ़ गई की आकाश का लण्ड जय के लण्ड से बड़ा था। आकाश ने आगे बढ़कर सोनाली की सलवार और कच्छी भी उतार दी और भूखी नजरों से सोनाली की गुलाबी चूत को देखने लगा।
सोनाली भी आकाश के गठीले बदन को बड़ी गौर से देख रही थी। सोनाली ने आगे बढ़कर आकाश की पैंट और अंडरवेर निकाल दिया। आकाश का लण्ड देखकर सोनाली के मुँह से हल्की आह निकल गई- “आपका बहुत बड़ा है..” कहते हुए उसने आकाश के लण्ड को अपने दोनों हाथों से पकड़ लिया और आगे-पीछे करने लगी।
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08-05-2019, 11:54 AM,
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
आकाश के लण्ड के छेद पर एक बूंद प्री-कम की चमक रही थी। सोनाली ने अपनी जीभ निकाली और उसके प्रीकम की बूंद को चाट लिया। आकाश के मुँह से हल्की सिसकी निकली। सोनाली अपनी जीभ उसके लण्ड के सुपाड़े पर फिराने लगी और उसे अपने मुँह में लेकर चाटने लगी।
आकाश ने- “आहहह... ऊऊहह..” करते हुए सोनाली के सिर को पकड़ लिया और अपने लण्ड पर दबाने लगा। अचानक आकाश ने उसके सिर को पकड़कर एक जोर का धक्का मारा, तो सोनाली को लगा जैसे आकाश का लण्ड उसका गला फाड़कर पेट में घुस जाएगा, और वो दर्द से छटपटाने लगी। उसने फिर से लण्ड थोड़ा बाहर निकाला और फिर से अंदर धकेल दिया।
कुछ देर बाद सोनाली को भी अच्छा लगने लगा और उसका बदन अकड़ने लगा और निपलों तनने लगे। सोनाली की चूत से ढेर सारा रस निकलता हुआ उसकी जांघों से होता हुआ उसकी घुटनों को गीला कर रहा था।
आकाश ने अपना लण्ड सोनाली मुँह से निकालते हुए उसे उठाकर बेड पर लेटा दिया। सोनाली ने अपनी टाँगें फैला दी। आकाश सोनाली की चमकती चूत को देखते हुए अपना लण्ड चूत पर रख दिया। सोनाली उसके चहरे को निहार रही थी, मगर उसका सारा ध्यान आकाश के लण्ड पर था की वो कब उसकी चूत की भूख मिटाएगा। उत्तेजना के मारे सोनाली की चूत के होंठ खुल गए। आकाश ने एक जोर का धक्का मारा और पूरा लण्ड सरकता हुआ अंदर तक चला गया।
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सोनाली चीख उठी- “ऊऊऊ... ओफफ्फ़... आहहह..” उसे ऐसे लगा जैसे लण्ड उसके पूरे बदन को चीर कर रख देगा। सोनाली ने अपनी टाँगें आकाश की कमर में जकड़ रखी थी, उसके मुँह से हल्की चीखें निकल रही थी। मगर अपनी टाँगों से वो आकाश को अपनी योनि पे दबा रही थी।
आकाश ने अपना लण्ड बाहर खींचा, उसके लण्ड के साथ सोनाली का पानी भी निकल गया। सोनाली को ऐसा लगा जैसे आकाश का लण्ड पिस्टन की तरह बाहर जाते हुए अपने साथ उसकी चूत के रस को बाहर खींचता हुआ ले जा रहा हो। सोनाली झड़ते ही हाँफने लगी।
आकाश ने धक्के लगाने शुरू कर दिये। कुछ ही देर में सोनाली फिर से गर्म हो गई। आकाश अब सोनाली की चूत से लण्ड निकालकर सीधा लेट गया और सोनाली को ऊपर आने को कहा। सोनाली ने उठते हुए आकाश के लण्ड को देखा। अपने ही रस से भीगा हुआ मोटा लण्ड उसे पागल बना रहा था। सोनाली उसकी कमर के दोनों ओर अपने घुटनों को रखकर अपनी चूत को आसमान की ओर तने लण्ड पर रखा, और फिर अपने हाथों से आकाश के लण्ड को अपनी चूत पर सेट किया और अपनी कमर को नीचे दबाया, आकाश के लण्ड का कुछ हिस्सा अंदर चला गया। सोनाली के मुँह से हल्की आह निकल गई।
आकाश ने अपने दोनों हाथों से सोनाली की छातियों को थाम लिया और दबाने लगा। सोनाली ने अपना सारा बोझ आकाश पर डालते हुए उसके पूरे लण्ड को अपनी चूत में ले लिया और अपनी चूत को ऊपर-नीचे करने लगी। आकाश सोनाली की छातियों को जोर से दबाते हुए उसकी एक चूची को मसल देता कभी दूसरी को। सोनाली मजे से ‘आअहह्ह... ओईई... करते हुए अपने चूतड़ को आकाश के लण्ड के टोपे तक ले जाती और अपने पूरे बोझ के साथ नीचे बैठ जाती। वो उत्तेजना के मारे पागल हो रही थी, और आकाश के लण्ड पे तेजी से ऊपरनीचे हो रही थी। अचानक सोनाली आअह्ह... करते हुए आकाश के लण्ड से दूसरी बार झड़ गई और हाँफते हुए निढाल होकर उसके ऊपर लेट गई।
आकाश ने सोनाली के होंठ चूमते हुए उसे अपने ऊपर से उठाया और उसे खींचकर बेड के किनारे हाथ और पैरों के बल ऊंचा किया। आकाश ने बेड के पास जमीन पर खड़े होकर पीछे से सोनाली की चूत में लण्ड डाल दिया और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। आकाश के धक्के इतने जोर के थे की सोनाली उसके हर धक्के के साथ चीख उठती। पूरे कमरे में सोनाली की उत्तेजना की आवाजें गूंज रही थी। सोनाली की ऐसी शानदार चुदाई पहले कभी नहीं हुई थी।
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RE: Kamvasna धन्नो द हाट गर्ल
उसके लण्ड से ढेर सारा वीर्य निकल रहा था। उस लड़की का सारा मुँह वीर्य से भर गया और कुछ नीचे गिरने लगा। कृष्णा ने उस लड़की को सारा वीर्य पीने को कहा जो वो गटक गई। कृष्णा ने अपना लण्ड उसके मुँह से निकाला और अपने अंडरवेर में डालकर पैंट ऊपर करने लगा।
मैं ना जाने कितनी देर से उस पौधे की पीछे खड़ी थी की अचानक मेरा बैलेन्स बिगड़ गया और मैं गिरने लगी। मैंने उस पेड़ को पकड़ लिया। मैं नीचे तो नहीं गिरी मगर पौधा हट जाने की वजह से कृष्णा ने मुझे देख लिया।
कृष्णा ने कहा- “ए लड़की इधर आ...”
मैं डर गई और वहाँ से भागकर अपने क्लास में आ गई। कृष्णा मेरे पीछे क्लास में आ गया। क्लास शुरू चुकी थी। वो मेरी सीट के पीछे जाकर बैठ गया। उसे देखकर मेरे दिल की धड़कनें तेज होनी लगी। क्लास खतम होते ही हमारी छुट्टी हो गई।
मैं उठकर जाने लगी तो कृष्णा भी मेरे पीछे चलते हुए मुझसे पूछा- “आए लड़की तुम्हारा नाम क्या है?”
मैंने डरते हुए कहा- “धन्नो...”
कृष्णा ने पूछा- “तुम वहाँ क्या कर रही थी और तुमने क्या देखा?”
तभी सामने से बिंदिया और रोहन आ गये। मैंने कृष्णा का जवाब दिए बगैर रोहन को हाय कहा और उसके साथ खड़ी हो गई।
रोहन ने कृष्णा को देखकर कहा- “अरे यार क्या हाल है? आजकल लिफ्ट ही नहीं दे रहे हो..” और दोनों गले मिल गये।
कृष्णा ने रोहन से कहा- “यार तुम तो सारा दिन किताबों से चिपके हुए रहते हो। हम दोस्तों के लिए तो तुम्हारे पास टाइम ही नहीं...”
रोहन ने कहा- “ऐसी कोई बात नहीं, और तुमने खूब बाडी बना रखी है। अच्छा इनसे मिलो यह है बिंदिया तुम्हारी होने वाली भाभी..."
बिंदिया ने शर्माकर कृष्णा को हाय कहा।
रोहन- “और यह हैं धन्नो, हमारी साली साहिबा...”
मैंने डरते हुए हाय कहा।
कृष्णा ने कहा- “आप सबसे मिलकर बेहद खुशी हुई। अब मैं चलता हूँ मुझे कुछ काम है..." और अपने रास्ते चला गया, तो मेरी जान में जान आई।
रोहन ने कृष्णा के जाते ही हमसे कहा- “साला बहुत बदमाश है। सारा दिन लड़कियों के पीछे रहता है, अमीर माँ बाप की औलाद है इसीलिए इसे पढ़ाई की कोई परवाह नहीं...” और कहा- “आज तुम दोनों को मैं अपने बाइक पर घर छोड़ देता हूँ...”
बिंदिया ने जल्दी से कहा- “ठीक है तुम अपनी बाइक निकालो..”
मेरा हैरत से मुँह खुला रह गया क्योंकी इससे पहले कई दफा रोहन हमें आफर कर चुका था, मगर बिंदिया मना कर देती थी। रोहन बाइक लेकर आ गया। बिंदिया पहले बाइक पर बैठी, वो अपनी दोनों टाँगें फैलाकर बाइक पर बैठी थी। मैं भी उसके पीछे बैठ गई। रोहन ने बाइक स्टार्ट की। मैंने अपना हाथ बाइक के बैक की स्टैंड में डाल दिया। बिंदिया ने अपने दोनों हाथों से रोहन को पकड़ लिया, वो उससे बिल्कुल चिपक कर बैठी थी। अचानक बाइक एक खड्ढे से गुजरी और बिंदिया की चूचियां रोहन के बैक में दब गई।
बिंदिया के मुँह से- “आहहह.” निकल गई।
रोहन ने बिंदिया से कहा- “क्या हुआ, कोई प्राब्लम है?”
बिंदिया ने मुश्कुराते हुये कहा- “आई.."
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