Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
10-16-2019, 02:41 PM,
#91
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
सोते हुए शंकर को जब अपने होंठों पर कुछ गीला-गीला सा एहसास हुआ तो उसकी नींद खुल गयी,

माँ को अपने पास सोते देख कर उसने उसे कस कर अपने बदन से सटा लिया………..!

बेटे से चिपकते ही रंगीली दीवानावर उसके चेहरे को चूमने लगी, शंकर की एक टाँग अपने उपर रखकर उसने अपनी मुनिया को उसके लंड से सटा दिया…!

शंकर का लंड अपनी माँ की चूत की खुश्बू सूंघते ही नींद से जाग उठा…!

उसका एहसास होते ही रंगीली ने उसे मुट्ठी में भरते हुए कहा – इतने दिन क्या-क्या किया वहाँ शहर में…? इसको कुछ खुराक मिली कि नही..?

शंकर अपनी माँ की चुचियों को सहलाते हुए बोला – मत पूछ माँ, तेरे बेटे के लिए वहाँ स्वर्ग था, दो दो अप्सरायें हर समय सेवा में हाज़िर रहती थी…!

रंगीली उसके लंड को सहलाते हुए बोली – क्या..? दोनो ही..,

सुप्रिया का तो पता है मुझे… लेकिन प्रिया हिटलरनी कैसे चक्कर में आ गई.. वो तो साली कितनी कड़क मिज़ाज है…, आदमी को आदमी नही समझती!

शंकर ने अपनी माँ के होंठों को चूमा फिर उसके चोली के बटन खोलते हुए बोला – उसी ने तो मेरा क्या जबरदस्त स्वागत किया माँ, किसी राजकुमार की तरह रखा, तेरे बेटे का हुलिया ही बदल दिया उन्होने..,

फिर शंकर ने प्रिया के साथ जो-जो हुआ वो सब ज्यों का त्यों बता दिया.., रंगीली ने उसके पाजामे को नीचे खिसका दिया,

उसके अंडरवेर में हाथ डालकर उसके मूसल हो चुके लंड को आगे-पीछे करते हुए बोली – इसलिए उन परियों की चुदाई में अपनी माँ को भी भूल गया…

तेरे बिना ये एक महीना मेने कैसे निकाला है, मे तुझे बता नही सकती..,

शंकर ने उसकी नंगी चुचियों को मसलते हुए कहा – सच कहूँ माँ, जितना मज़ा मुझे तेरे साथ आता है उतना मज़ा मुझे किसी और के साथ नही आया..,

तू सचमुच आनंद का सागर है, जितना गहरे उतरने की कोशिश करूँ, और उतरने का मन करता है..,

ये कहते कहते उसने उसके लहंगे का नाडा भी खोल दिया, और उसे नीचे खिसका कर अपनी उंगली अपनी माँ की गान्ड की दरार में घूमने लगा…!

रंगीली ने उसका लंड बाहर निकल लिया, उसे पकड़कर अपनी गीली चूत की फांकों के उपर घूमाते हुए सिसक कर बोली -…

सस्स्सिईइ…आअहह…. शंकरा.. तेरा ये लंड ही इतना प्यारा है, हर कोई चूत खोलकर लेट जाए.., पर ये बता उन दोनो में से मज़ा कोन्सि ज़्यादा देती है…!

शंकर अपने लंड को माँ की चूत में दबाते हुए बोला – आअहह…माँ, कितनी गर्मी है तेरे अंदर..,

प्रिया दीदी बहुत रसीली औरत है, हर समय उसकी चूत गीली ही मिली मुझे…! बहुत मज़ा आया उसे चोदने में…!

रंगीली से अब और सबर नही हो पा रहा था, सो उसने शंकर की कमर में हाथ डालकर उसे अपने उपर ले लिया, और खुद सीधी लेट कर अपनी टाँगें खोल दी…!

रंगीली से अब और सबर नही हो पा रहा था, सो उसने शंकर की कमर में हाथ डालकर उसे अपने उपर ले लिया, और खुद सीधी लेट कर अपनी टाँगें खोल दी…!

सस्सिईइ…आआहह…अब पूरा डाल दे मेरे लाल.., वैसे वो साली हिटलरनी दिखती भी मस्त है रे, सुप्रिया तो अभी भी बच्ची जैसी ही लगती है…!

शंकर ने पूरा का पूरा लंड अपनी माँ की चूत में उतार दिया, और धीरे-धीरे धक्के लगाते हुए बोला…!

लेकिन माँ मेरी एक बात समझ में नही आई, प्रिया एक बच्ची की माँ भी है, उसका पति भी देखने से तो लगता है, उसे भरपूर प्यार देता होगा, फिर उसने मुझे क्यों पटाया..?

आअहह…सस्सिईइ…छोड़ ना उसे, तू अपनी माँ को चोद, निकाल मेरी गर्मी, एक महीने से भरी पड़ी है…,

आहह…तेरे बाप का लंड वहाँ तक नही पहुँचता…, और तेज.. हां, हाए.. अब आया मज़ा.. फाद्दद्ड….उऊयईीई….म्माआ….गाइिईई….र्रिि…

उपर से शंकर के धक्के, नीचे से रंगीली अपनी कमर उचका देती, दोनो की मस्त ट्यूनिंग सेट हो चुकी थी..,

ताबड-तोड़ चुदाई से रंगीली की चूत पानी छोड़ बैठी, उसकी एडीया शंकर की गान्ड पर कस गयी, और वो अपनी कमर उठाकर उसके लंड से जोंक की तरह चिपक गयी…

लेकिन शंकर अभी इंटर्वल तक भी नही पहुँचा था, सो वो उसे मसोसता ही जा रहा था उसने अपने धक्कों में कोई रियायत नही आने दी…!

रंगीली कुछ ठंडी पड़ गयी, उसके चूतड़ पर चपत लगाकर बोली – मेरे घोड़े.., थोड़ा रुक…, मेरी चूत चाट कर फिर से गरम कर…, फिर मे तुझे चोदुन्गि…!

कुछ देर दोनो माँ-बेटे एक दूसरे के उपर लिपटे एक दूसरे के अंगों को चूस्ते चाट’ते रहे, जब रंगीली फिर से गरम हो गयी तो वो अपनी गदराई हुई गान्ड लेकर अपने बेटे के लंड पर बैठ गयी…!

रंगीली उपर से उठक-बैठक करने लगी और शंकर नीचे से अपनी कमर उचका कर मस्ती में चूर अपनी माँ की ओखली की कुटाई करने लगा…

इसी तरह दोनो माँ-बेटे एक दूसरे के साथ देर रात तक मस्ती करते रहे, एक दूसरे की प्यास बुझाते रहे.., इस बात से बेख़बर कि उन दोनो की इस रासलीला का कोई तीसरा भी मज़ा ले रहा है…!

जब रंगीली पूरी तरह संतुष्ट हो गयी, तो अपने बेटे के लंड को चूमकर बोली – कल सुषमा से भी मिल लेना, बेचारी बहुत याद करती है तुझे..,

अब वो एक दो महीने और मज़े ले सकती है तेरे इस मूसल के, फिर तो बंद करना पड़ेगा…, इतना कहकर वो अपनी बेटी के पास चली गयी, और शंकर अपनी माँ को चोदने की खुमारी में चूर नींद में डूब गया…!

दूसरे दिन नहा-धोकर रंगीली और उसकी बेटी ने शंकर के लाए हुए नये-नये कपड़े पहने, सारी में रंगीली का अप्सरा जैसा रूप और ज़्यादा निखर गया था…

उसे देखते ही सेठानी की झान्टे सुलग गयी, लेकिन लाला जी की कल की डाँट ने उसने चुप रहने पर मजबूर करके रखा था…!

लाला जी तो रंगीली को देखकर कंट्रोल ही नही कर पाए, और अपनी बैठक में ले जाकर उन्होने रंगीली का रस्पान भी कर लिया…!

ज़्यादा वो कुछ इसलिए नही कर पाए, क्योंकि लाजो किसी मधुमक्खी की तरह हर समय उनके आस-पास ही मंडराती रहती थी…!

लाजो ने भी रंगीली के इस रूप की तारीफ की, फिर असल मुद्दे पर आते हुए बोली – काकी, आपके उस नुस्खे से तो अब मेरी उसमें पानी भी नही आता है..,

ससुरजी भी बोल रहे थे कि तुम्हारी चूत गीली क्यों नही होती, लंड सूखा सा ही लगता रहता है…, चुदाई में भी मज़ा नही आरहा…!

रंगीली – वो नुस्ख़ा तो मेरे मायके की एक बहुत ही होशियार औरत ने बताया था, जिसे औरतों के बारे में बहुत जानकारी है..,
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10-16-2019, 02:42 PM,
#92
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
ये हो सकता है वो नुस्ख़ा हर किसी को फ़ायदा नही पहुँचाता हो…!

लाजो – तो अब मे क्या करूँ..? कुछ और उपाय बताइए ना, बस एक बार शंकर भैया से करवाने दो.., शायद कुछ बात बन जाए, अब तो वो अच्छे-ख़ासे जवान हो गये हैं…!

रंगीली – कैसी बातें करती हो बहू.., भला कोई माँ अपने बेटे से ये कहे कि तू इसको चोद दे…!

लाजो – आप बस उनको थोड़ा सा इशारा करदो, मेरी बात सुनने के लिए, वाकी सब मे देख लूँगी…!

रंगीली – बात तो वो सबसे ही करता है, इसमें मेरे कहने की क्या बात है..? क्या वो तुमसे बात नही करता..?

लाजो – नही वो, मेरी बात मानने के लिए कहो ना.., वो तो दूर-दूर ही भागते हैं…!

रंगीली – तुमने एक-दो बार उसके साथ ज़ोर जबदस्ती की है ना, इसलिए उसे डर लगता है तुमसे, कहीं किसी को पता चल गया, तो वो तो बेचारा जाएगा ना काम से..,

कल्लू भैया उसके हाथ-पैर तुडवा देंगे…, ना बाबा ना, तुम खुद ही कोशिश करो कुछ और…!

लाजो – और क्या कोशिश करूँ.., मेरी तो कुछ समझ में नही आ रहा..?

रंगीली – मे क्या बताऊ.., थोड़ा हवेली से बाहर निकलना शुरू करो, दुनिया बहुत बड़ी है…, कोई ना कोई हल निकल ही जाएगा…!

ऐसी ही कुछ पट्टी पढ़ाकर वो अपने काम में लग गयी.., इधर लाजो उलझन में खड़ी सोचने लगी, कि करे तो क्या करे…!

ससुर के लौडे से तो अब कुछ होने से रहा, लगता है अब कुछ और ही सोचना पड़ेगा.., इस रंगीली के तो भाव बढ़े हुए हैं, लगता है अब हवेली से बाहर निकालना ही पड़ेगा..,

ये सोचकर उसने अपने मायके जाने का प्लान बनाया, जहाँ उसके कुछ पुराने यार थे, जो शायद उसकी चूत को फिर से हरा कर सकें…!

लेकिन वो वहाँ पहले ही बदनाम हो चुकी है, अब अगर किसी ने देख लिया, तो बात हवेली तक आ सकती है.., नही.. नही..वहाँ ठीक नही है.. तो फिर…,

यहीं इसी गाओं में किसी को देखती हूँ..ऐसा पक्का इरादा करके वो अपने कमरे की तरफ बढ़ गयी…!

उसने वहीं हवेली में काम करने वाली एक नयी नौकरानी मुन्नी को पकड़ा जो उसी गाओं की लड़की थी, और उसे लेकर वो गाओं घूमने निकल पड़ी…!

रामू का बड़ा भाई भोला, कम अकल ज़रूर था, लेकिन देखने में रामू से अच्छा लगता था, शरीर से भी उस’से 21 ही था, मस्त मालांद मजबूत कद काठी…अपने जानवरों के साथ पड़ा रहता था…!

ऐसे लोग शारीरिक कद से अक्सर मजबूत ही मिलेंगे, बिना कुछ सोच विचार के बस मेहनत करने में जुटे रहते हैं…

अब घर में चार पैसे बढ़ने से उनके ख़ान-पान में भी सुधार आ गया था, गे भैंसॉं के दूध दही का खाना मिलने लगा था, जो अब तक दूधिया के यहाँ जा रहा था…

इस समय वो अपने शरीर पर मात्र एक लूँगी पहने अपने बाडे में काम कर रहा था, जब लाजो मुन्नी के साथ घूमते हुए वहाँ पहुँची…!

मुन्नी ने बताया कि ये रंगीली काकी के जानवरों का बाडा है, तो उत्सुकता बस लाजो वहाँ खड़ी होकर देखने लगी, तभी उसकी नज़र मात्र एक लूँगी में काम कर रहे भोला पर पड़ी…!

लाजो ने उससे उसके बारे में पुछा, तो मुन्नी ने कहा – ये शंकर के ताऊ हैं, रामू काका से बड़े,

बेचारे कम अकल हैं इसलिए गे भैंसॉं के काम में ही लगे रहते हैं, शादी भी नही हुई इनकी…!

तभी भोला की नज़र भी उन दोनो पर पड़ी, उसने नादानी से हँसते हुए कहा – अरे..मुनिया .. ये कॉन है..? तेरी कोई रिश्तेवाली हैं..?

मुन्नी – अरे नही काका, ये तो अपने सेठ जी की छोटी बहू हैं..,

लाजो भोला के मेहनती शरीर को ही देखे जा रही थी, उसने उसके लूँगी के पीछे सोए हुए हिलते लंड का भी जायज़ा ले लिया,

उसने देखते ही भाँप लिया, कि लूँगी के पीछे छुपा ये हथियार कम दमदार नही है…!

38-40 साल के इस मुस्टंडे के लंड में बहुत दम होगी, ज़्यादा चला भी नही होगा.., उपर से कम अकल है, थोड़ी सी कोशिश करने पर ये उसके काम आ सकता है..

अपने इन्ही ख़यालों में खोई लाजो बाडे के अंदर चली गयी, और भोला से बोली – भोला जी, तुम अपने भाई के साथ क्यों नही रहते…,

वो वहाँ हवेली में मौज करते हैं, और तुम यहाँ तबेले में गे भैंसॉं के गोबर में सिर खपाते रहते हो…!

भोला ने सहज स्वाभाव से कहा – मुझे नही करनी किसी की गुलामी, मेरा अपना खेत खलियान है, फिर क्यों क्यों जाउ तुम्हारा काम करने…!

रामू और रंगीली ही बहुत हैं सेठ जी की ताबेदारी करने…!

लाजो को उसकी नादानी भरी अकड़ पसंद आई, लेकिन मुन्नी के कारण उसने भोला से ज़्यादा बातें नही की और वो वहाँ से चली आई…!

उसी रात जब सारी हवेली नींद में थी, सुषमा के कमरे में शंकर से लिपटी वो अपने बीते महीने की प्यास बुझने में लगी थी..,

दोनो मादरजात एक दूसरे की बाहों में पड़े थे…!

सुषमा का 4 महीने का गर्भ अब दिखने लगा था, वो शंकर के चौड़े सीने पर सहलाते हुए बोली – तो खूब मज़े किए होंगे तुमने सुप्रिया के साथ…!

शंकर ने उसकी गान्ड की दरार में उंगली घूमाते हुए कहा – हन, उसका परिवार बहुत अच्छा है, दोनो के ही परिवारों ने मुझे बहुत सम्मान दिया…

सुषमा ने अपनी एक टाँग उसके उपर चढ़ा ली, जिससे उसकी गान्ड जो अब पहले से थोड़ी भारी हो गयी थी की दरार थोड़ी ज़्यादा खुल गयी,

शंकर की उंगली अब उसकी गान्ड के छेद के आस-पास मंडरा रही थी…, इस वजह से सुषमा की चूत में सुरसुरी सी बढ़ गयी,

उसने उसके मूसल जैसे कड़क लंड के सुपाडे को अपनी गरम फांकों के बीच फँसाकर उपर नीचे घूमाते हुए कहा

तुम हो ही सम्मान के हक़दार, ये कहकर उसने उसके लंड को अपनी चूत के छेद पर सेट किया और शंकर की गान्ड के पीछे हाथ लगाकर उसे अपनी ओर खींचा..!

गरम सुपाडा उसकी दहक्ति चूत में घुस गया… सुषमा सिसक उठी…
सस्सिईइ…आअहह… थोड़ा और अंदर करो..ना, जब शंकर ने उसे और अंदर कर दिया, तो वो वहीं उसे रुकने का इशारा करके बोली –

अब तुम यहीं अपने पास वाले कॉलेज में अड्मिशन ले लो, आगे की पढ़ाई ज़रूरी है इस कारोबार को संभालने के लिए…!
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10-16-2019, 02:42 PM,
#93
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर उसकी एक चुचि को चूसने में व्यस्त था, जब उसने सुषमा के ये शब्द सुने, तो उसे मुँह से निकालकर उसकी घुंडी को उंगली से सहलाते हुए बोला –

क्यों भाभी मे क्यों..? मालिक हैं, आप हैं, फिर मे तो उपरी देखभाल कर ही रहा हूँ ना…!

तुम बुद्धू के बुद्धू ही रहोगे, चलो अब मुझे एक बाद जमकर चोद दो, फिर बताती हूँ क्या करना है, ये कहकर सुषमा सीधी लेट गयी,

और शंकर ने उसकी टाँगें चौड़ी करके अपना मूसल उसकी रस से सराबोर चूत में डाल दिया…!

पूरा लंड अंदर जाते ही, उसकी चूत की पंखुड़ियों ने उसके उपर पकड़ बना ली, शंकर को लगा जैसे वो उसके लंड को किस कर रही हों…, मज़े से उसकी आहह निकल गयी…

आअहह….सस्सिईईई…भाभी, ये क्या है..? आज आपकी चूत ऐसे क्यों कर रही है, जैसे मेरे लंड को चूम रही हो…!

सुषमा ने अपने पैरों की केँची से उसे जकड़ते हुए कहा – हां मुझे भी ऐसा लग रहा है.., सच में कुछ अलग ही मज़ा है, हैं ना…, कुछ देर यौंही रहो.. बड़ा मज़ा आरहा है…

फिर वो दोनो एक दूसरे से किस करने में जुट गये, शंकर उसकी चुचियों को भी मसल रहा था, जिनमें अब पहले से ज़्यादा गुदाजपन आ गया था…!

कुछ देर रुककर उसने अपनी कमर चलाना शुरू किया, ज़्यादा तगड़े धक्के लगाने को सुषमा ने उसे मना किया था,

कुछ देर बाद उसने करवट से लिटा दिया, और खुद ने पीछे से उसकी चूत में लंड डालकर चोदने लगा…
जब उसकी मोटी मोटी, कसरती जांघें सुषमा की गद्देदार गान्ड से टकराती, तो अजीब किस्म की आवाज़ आने लगती..,

आधे घंटे की दमदार लेकिन प्यार भरी चुदाई के बाद दोनो की अपना-अपना पानी छोड़कर कर शांत पड़ गये.., सुषमा एक बार फिर पलटकर उसके दामन में समा गयी…!

उसे देखकर लगता था, जैसे वो उसीके लिए बनी हो, शंकर को वो बेइंतहाँ मुँबबत करने लगी थी, वो उसे शरीर की पूर्ति से उपर देखने लगी थी…!

उसने मन ही मन कुछ फ़ैसला ले लिया था, उसी के चलते उसने शंकर को आगे पढ़ने के लिए कहा, जिससे वो आगे चलकर अपने कारोबार की चाबी उसके हाथ में दे सके…!

उसने उसके होंठों पर एक प्यारा सा चुंबन किया, और उसके बदन को सहलाते हुए बोली – तुम्हारा आगे पढ़ना ज़रूरी हो गया है, वैसे भी तुम तो पढ़ना ही चाहते थे ना…!

शंकर – लेकिन भाभी, मालिक नही चाहते की मे आगे पढ़ुँ…!

सुषमा – वो तुम्हें यहाँ से बाहर भेजने के खिलाफ थे, यहीं रहकर अपने लोकल कॉलेज से जो भी डिग्री मिलती है ले लो.., वाकी मे पिताजी से बात कर लूँगी..

शंकर – लेकिन अब तो समय निकल गया अड्मिशन का…!

सुषमा – कोई समय नही निकला है, तुम कल ही जाओ, मे एक लेटर दे दूँगी प्रिन्सिपल के नाम, तुम्हारा अड्मिशन हो जाएगा…!

शंकर उसकी बात सुनकर बहुत खुश हुआ, उसने उसे ज़ोर्से अपने शरीर के साथ चिपका लिया…!

सुषमा को लगा, वो उसे पिचका ही देगा सो फ़ौरन बोली – ज़ोर्से नही मेरे राजा.., मेरी दम निकालोगे क्या…!

शंकर ने झट से उसे अपनी पकड़ से आज़ाद किया और बोला – ऊहह…सॉरी भाभी, मे कुछ ज़्यादा ही खुश हो गया, फिर उसके होंठों को चूमते हुए बोला – थॅंक यू, आपने मेरी पढ़ने की इच्छा पूरी करदी…!

सुषमा – कोरी थॅंक्स से काम नही चलेगा राजाजी, अपनी जान को खुश करो, ये कहकर उसने उसके लंड को अपने मुँह में भर लिया और उसे लॉलीपोप की तरह चूसने लगी…!

शंकर ने भी उसे अपने उपर खींचकर उसकी चूत को अपने मुँह पर रखवाया, और वो दोनो एक दूसरे के अंगों को चूसने लगे…!

दोनो ने एक दूसरे का रसस्वादन करने के बाद, सुषमा उसके लंड पर बैठकर कूदने लगी…,

उसने जी भरकर एक महीने की कसर निकाली, और फिर हान्फ्ते हुए वो दोनो एक दूसरे की बाहों में सिमट गये..

वो किसी मासूम बच्ची की तरह उसके बलिष्ठ शरीर पर पड़ी सकुन के पलों में डूब गयी,

कुछ देर रुक कर शंकर ने उसके बदन को अपने उपर से हटाया, वो नींद में जा चुकी थी, सो वो चुपचाप उसके पास से उठा और अपने घर आकर सो गया…!

अगले दिन दोपहर के समय, जब ज़्यादातर लोग अपने घरों में थे, लाजो अपनी चूत की परेशानी दूर करने निकल पड़ी,

हल्का सा घूँघट निकाले वो सीधी भोला के घेर में जा पहुँची…

भोला इस समय खा-पीकर भूसे वाले कोठे में चैन की नींद ले रहा था..,

लाजो ने चुपके से कोठे का पुराना सा दरवाजा अंदर से बंद किया, सांकॅल चढ़ाकर वो उसके नज़दीक पहुँची और झाटोले जैसी चारपाई पर जाकर उसके बगल में बैठ गयी,

इस समय भी उसके बदन पर मात्र एक लूँगी ही थी, जो आगे से बँधी थी, बस उसके दोनो पल्लों को हटाना था और कोई भी उसके सोए हुए नाग देवता के दर्शन प्राप्त कर सकता था…!

कुछ देर वो दम साधे उसे देखती रही, भोला मस्त नींद में डूबा हुआ था, ना कोई चिंता, ना कोई फिकर बस पेट भर खाना मिल गया तो नींद तो आनी ही थी…!

कच्चा मिट्टी का बना हुआ कोठा, बाहर की इतनी गर्मी के बबजूद भी अंदर ठंडा था….

कुछ देर अपना साहस बटोरकर एक लंबी साँस खींची और उसने चुपके से उसकी लूँगी के पाट अलग-अलग कर दिए…!

भोला का सोया हुआ नाग इस समय भी किसी दामुंहे साँप जैसा टाँगों के बीच पड़ा हुआ था, जिसका आगे का मुँह थोड़ा सा खुला था, जिसमें से उसके मूतने वाली धारी दिख रही थी…!

खेली खाई लाजो ने सोए हुए नाग को देख कर ही ये अंदाज़ा लगा लिया कि ये पूरा खड़ा होने के बाद किस रूप में होगा, ये कल्पना करते हुए उसका हाथ उसके नाग के फन पर चला गया…!

वो उसे हौले-हौले से सहलाने लगी, हाथ की गर्मी पाकर ठंडा पड़ा भोला का नाग धीरे-धीरे अपना आकार बढ़ाने लगा…!

लाजो ने उसे अपने हाथ में लेकर उसके पेलरों से उसे उपर उठा लिया, और दूसरे हाथ से उसे सहलाते हुए वो उसके बढ़ते आकर को बड़ी तन्मयता से निहारने लगी…!

अभी वो आधा ही खड़ा हो पाया था उसी से उसका आकर इतना बड़ा हो गया कि उसके आगे अपने ससुर का लंड उसे छोटा लगने लगा…!

ये देखकर उसकी आँखों की चमक बढ़ गयी, वो सोचने लगी कि पूरा खड़ा होने के बाद तो ये उसकी चूत की गहरियों में जाकर भी पानी निकल सकता है…!

इसी कल्पना में खोई लाजो को पता भी नही चला कब उसने उसे अपने मुँह में ले लिया और उसे मुँह में लेकर अंदर बाहर करने लगी…!

अपने लंड पर गीलापन महसूस करके भोला की नींद खुल गयी, उसने अपना सिर उठाकर देखा, लेकिन लाजो का सिर नीचे होने के कारण वो उसे पहचान नही पाया..!

अभी वो हाथ बढ़ाकर उसे अपने लंड से अलग करने ही वाला था, कि तभी लाजो ने उसे अपने मुँह से बाहर निकाला, कारण था भोला के नाग का पुर जोश में आजाना,

अब वो अपना फन फैलाए पूरी मस्ती में आ चुका था….
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10-16-2019, 02:42 PM,
#94
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वो इतना मोटा हो गया था कि लाजो को उसे मुँह में लेना भारी पड़ने लगा था,

उसने जैसे ही उसे बाहर निकाला, वो किसी अजगर की तरह सीधा तन्कर खड़ा हो गया…, काला भुजंग सोट जैसा 9” लंबे और 3” मोटे भोला के लंड को देखकर लाजो की घिग्घी बँध गयी….!

अभी वो उसे हाथ में लेकर देख ही रही थी कि तभी भोला की आवाज़ सुनकर चोंक पड़ी… कॉन है री तू…? मेरे लंड को क्यों चूस रही है साली छिनाल…?

लाजो ने पलटकर भोला की तरफ़ देखा.., उसे पहचानते ही वो बोल पड़ा…, अरे लाला की बहू तू भी लंड की भूखी है….?

लाजो उसके डंडे को हाथ में पकड़े हुए ही बोली – अरे भोलाजी जाग गये तुम..? मे देखने आई थी कि देखूं तो सही अकेले-अकेले क्या करते रहते हो..,

तुम्हें सोते देखा, लेकिन तुम्हारा ये नाग लूँगी से मुँह चमका रहा था, सो देखने लगी कि ये सोट जैसा क्या छुपा रखा है तुमने इसमें…!

और अभी तुमने क्या कहा, मे भी मतलब और भी हैं क्या इसका मज़ा लेने वाली…?

भोला ने उसकी गान्ड को मसल्ते हुए कहा – बहुत हैं इस गाओं में, तू उन्हें छोड़ तुझे पसंद आया ये…?

लाजो – हां, पसंद तो आया, पर किसी को बताओगे तो नही.., जैसे अभी औरों के बारे में कहा वैसे…!

भोला - चल नही बताउन्गा, अब खड़ा किया है, तो इसे ठंडा भी कर, बैठ इसके उपर..,

अंधे को क्या चाहिए, दो आँखें… सो लाजो ने झटपट अपनी सारी कमर तक चढ़ाई, और उसके अजगर का मुँह पकड़ कर अपनी सुरंग के मुँह पर रखकर बैठती चली गयी…!

आनन-फानन में वो बैठ तो गयी, लेकिन जैसे-जैसे वो अंदर सरकता जा रहा था, लाजो का मुँह खुला का खुला रह गया, उसकी आँखें चौड़ी होने लगी…

वो बीच रास्ते में ही रुक गयी, क्यों की उसे लगा, जैसे किसी ने उसकी चूत में अपना हाथ ही डाल दिया हो…!

भोला ने उसके ब्लाउस में क़ैद मोटी-मोटी चुचियों को पकड़ लिया, और उन्हें ज़ोर्से मसल्ते हुए बोला – रुक क्यों गयी री…, अंदर कर ना भोसड़ी की….!

लाजो हान्फ्ते हुए बोली – आअहह…उउउफ़फ्फ़…नही ले सकती पूरा…हाईए.. रामम्म…कितना मोटा है ये तो….मेरी चूत पूरी चिर गयी…..

तो इतने को ही अंदर बाहर कर ना कुतिया, यूँ बैठी क्यों है साली.., जल्दी चला अपनी गान्ड..ये कहकर भोला ने एक जोरदार चाँटा उसकी नंगी गान्ड पर चटका दिया…

लाजो ने धीरे से अपनी गान्ड उपर की, लंड बाहर आते ही उसने राहत की साँस ली, लेकिन चूत खाली-खाली सी उसे अच्छी नही लगी, सो फिर से बैठने लगी…!

आधे लंड को ही लेकर वो धीरे-धीरे उसे अंदर बाहर करने लगी, उतने से ही उसकी चूत की सारी नसें ढीली पड़ गयी, और उसकी चूत गीली होने लगी…!

उसकी आँखें बंद होने लगी, और उसने अपने ब्लाउस के सारे बटन खोल दिए, फिर ब्रा के हुक्स खोलकर अपनी चुचियों को नंगा कर दिया…!

उसकी नंगी थिरकति हुई मोटी-मोटी, गोरी-गोरी चुचियों को देखकर भोला उनपर टूट पड़ा, और अपने दोनो हाथों में लेकेर ज़ोर-ज़ोर्से मीँजने लगा…!

मोटे लंड की रगड़ और चुचियों की मीन्जायि से लाजो की चूत पानी छोड़ने लगी.., आज बहुत दिनो के बाद उसकी चूत गीली हुई थी, जिसकी वजह से उसे बहुत मज़ा आ रहा था…

लेकिन भोला का इतने से काम नही चल पा रहा था, उसे तो तूफ़ानी चुदाई करने की लत थी, सो उसने झटके से उसके बगल में हाथ डाला, और उसे नीचे ज़मीन पर पटक दिया…

वो तो अच्छा था नीचे भूसा पड़ा था सो लाजो को कोई चोट नही आई, नीचे पटकते ही वो भी उसके उपर सवार हो गया, और अपना 9” लंबा 3” मोटा खूँटा एक ही झटके से उसकी चूत में पेल दिया…!

आआईयईई….माइय्य्ाआआ…..माररर…गायईीई…रीइ… पूरा खूँटा जाते ही लाजो बुरी तरह से गाय की तरह रंभाने लगी…, भोला ने उसके मुँह पर हाथ रखकर दबा दिया और धक्के मारते हुए बोला…

साली पूरे गाओं को इकट्ठा करेगी क्या..? गान्ड में दम नही था तो आई क्यों मेरा लंड लेने…!

आअहह…तो अपने खूँटे को आराम से नही डाल सकते थे जंगली कहीं के…, मेरी चूत को फाड़ डाला.., लाजो कराहते हुए बोली..

भोला ने धक्कों की बरसात जारी रखते हुए कहा – यहाँ चूत फडवाने ही आती हैं सभी…, अब तेरी चूत में आग लगी थी तभी तो तू आई यहाँ.., अब क्यों डकरा रही है…!

10-15 बार की कुटाई ने ही लाजो की चूत का पानी निकलवा दिया, अब उसमें से फुच्च-फुच्च जैसी आवाज़ें आने लगी थी…,
उसने कतार नज़रों से भोला की तरफ देखा, शायद वो अपने धक्कों को विराम दे दे, लेकिन वो तो अपनी धुन में खोया हुआ, हुउन्ण…हुउन्न्ं..की आवाज़ें निकालता हुआ मानो किसी कुल्हाड़ी से लकड़ी काट रहा हो दे दनादन धक्के मारे जा रहा था…!

लाजो को उसके धक्कों ने पूरी तरह हिला डाला था…

एक बार झड़ने के बाद थोड़ी ही देर में वो फिर से गरम हो गयी, अब वो भी नीचे से अपनी गान्ड उचका-उचका कर उसके मूसल की मार झेल रही थी…!

सस्सिईइ…आआहह….फाड़ भोला मेरी चूत फाड़ दे मदर्चोद… मेरे चोदु राजा…, बना दे इसका भोसड़ा…, आज तुमने मेरी चूत की सारी गर्मी निकाल दी…हहाअययईए… क्या मस्त मूसल जैसा लंड है तुम्हारा….!

उसकी कामुक बातों से भोला और जोश से भर गया, और वो तूफ़ानी गति से उसकी चूत की कुटाई करने लगा…!

लाजो की चूत अब झरना बन चुकी थी, उसमें से लगातार पानी निकल रहा था…, इतने दिनो की सुखी पड़ी नदी फिर से बहने लगी थी…

आख़िरकार 20-25 मिनिट की दमदार चुदाई के बाद भोला ने एक लंबी सी हुंकार भरते हुए उसकी चूत में अपना ट्यूब वेल खोल दिया…

लाजो की चूत भोला के पानी से लबालब भर गयी, भोला उसकी चुचियों में मुँह देकर हाँफने लगा…!

फिर जब उसने अपना मूसल उसकी ओखली से बाहर खींचा, फलल..फलल करके ढेर सारा दोनो का पानी बाहर निकल पड़ा…,

भोला ने उसकी गान्ड मसलकर कहा – क्यों रानी कैसा लगा मेरा लंड तुझे….

लाजो ने उसके सूखे खुर-दुरे होंठों को चूम लिया, जो शायद पहली बार किसी ने चूमा होगा उन्हें, और बोली – बहुत मज़ा आया, सच में कमाल की चुदाई करते हो भोला राजा…!

अब में चलती हूँ, कल फिर आउन्गि… ठीक है, मिलोगे ना…!

भोला मासूमियत के साथ बोला – मिल तो जाउन्गा, पर खाली हाथ मत आना, जलेबी लेकर आना, चुदाई के बाद बहुत भूख लगती है मुझे…!

लाजो उसके ढीले पड़ चुके लंड को चूमकर बोली – जलेबी की क्या बात करते हो भोला जी, भरपेट राबड़ी खिलाउंगी तुम्हें…, कहो तो आज रात को ही आ जाऊ…?

भोला ने उसकी चुचि को मसल दिया, वो आऔच करके रह गयी, भोला हँसते हुए बोला – तेरी मर्ज़ी.., लेकिन राबड़ी लाना मत भूलना…,

लाजो ने खुशी-खुशी हामी भर दी, और अपनी गान्ड मटकाती हुई वहाँ से चली गयी…!

भोला से जमकर चुदने के बाद लाजो की चाल ही बदल चुकी थी, उसका मूसल जैसा लंड अपनी चूत में लेकर उसकी टाँगें चौड़ी हो गयी,

भरी दोपहरी में जहाँ पूरा गाओं छान्व की तलाश में ज़्यादातर या तो अपने अपने घरों में आराम कर रहा था या अपने अपने काम की जगह पर ही किसी घने पेड़ की छाँव तलाश करके दोपहरी बिता रहा था…!
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10-16-2019, 02:42 PM,
#95
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
वहीं लाजो उसी दोपहरी में घूँघट में अपना चेहरा छुपाए टांगे फैलाकर हवेली की तरह चली जा रही थी..,

भले ही उसकी चूत में इस समय दर्द था, लेकिन चेहरे पर पीड़ा के स्थान पर एक अपार सुकून दिखाई दे रहा था, जो एक मुस्टंडे के 9” के हथियार ने उसकी टोटकों और नुस्खों के कारण सुख चुकी चूत को फिर से हरा-भरा कर दिया था…!

इस समय चलते हुए भी उसकी चूत रिस-रिस कर उसकी कच्ची को गीला कर रही थी, जिसमें से उसकी खुद के चूतरस के साथ साथ भोला की मलाई भी मथ-मथ कर निकल रही थी…!

जब ज़्यादा गीलापन महसूस होने लगता तो वो इधर-उधर नज़र मारकर अपने पेटीकोत समेत पैंटी को मसलकर कम करने लग जाती…!

उपर से गर्मी इतनी ज़्यादा थी, जिससे उसके अंदर का पसीना भी उसके बदन को चिप-चिपाये हुए था, जैसे तैसे करके वो अपने घर पहुँच ही गयी…!

अपने कमरे में घुसते ही किसी सौतन की तरह उसने सारे कपड़े उतार फेंके, और नंगी ही अपनी गान्ड मटकाती हुई गुसलखाने में घुस गयी…!

उसने बड़े से बर्तन में ठंडा-ठंडा पानी निकाला और धीरे-धीरे अपने बदन पर डालते हुए नहाने लगी…!

अपने बदन को मलते मलते जब उसका हाथ अपनी चूत पर गया, तब उसे एहसास हुआ कि उसकी मुनिया ने क्या-क्या ज़ुल्म सहे हैं आज, उसके होंठ कुछ ज़्यादा ही सूजे सूजे से लगे,

जहाँ कुछ घंटों पहले तक उसकी फाँकें कसी-कसी सी थी, वहीं वो अब एकदम धुनि हुई रूई जैसी मुलायम हो गयी थी…!

फांकों को सहलाते हुए उसकी आखें बंद हो गयी, और भोला का कोबरा उसकी आँखों के सामने झूमता महसूस होने लगा,

उसे वो पल याद आने लगे जब भोला का घोड़ा पछाड़ कड़ियल विषधर पहली बार उसकी मुनिया के मुँह को फैलाता हुआ अंदर तक उसकी बच्चे दानी के मुँह तक जा पहुँचा था…!

उन पलों को याद करते ही उसके मुँह से एक मादक सिसकारी निकल पड़ी.. सस्स्सिईईई… आअहह रे मेरे भोले बालम….उउफ़फ्फ़ क्या मस्त लंड है रे तेरा…

उउऊयईी..माआ…बोलते हुए उसने अपनी तीन उंगलियाँ एक साथ अपनी चूत में पेल दी…!

लेकिन जैसे ही उसे हाल ही फटी चूत का दर्द महसूस हुआ उसने उन्हें फ़ौरन बाहर निकाल लिया और उपर से ही उसकी फांकों को मसल्ने लगी…!

उसे अब आने वाली रात का बेसब्री से इंतेजर था, जब वो भोला के फनियल नाग को अपनी चूत में डाल कर रबड़ी का स्वाद ले रही होगी…!

नहा धोकर वो बिस्तर पर लेट गयी, और भोला के लंड को अपनी प्यासी आँखों में बसाए सो गयी…!

शाम को उसने मुन्नी को भेजकर चुप-चाप से आधा किलो ताज़ा-ताज़ा रबड़ी बाज़ार से मंगवा ली, मुन्नी के पुच्छने पर उसने बहाना बना दिया कि आज वो उनके (कल्लू) के साथ बैठकर इसका स्वाद लेना चाहती है…!

अब उसे रात का इंतेज़ार था, जब सभी अपने-अपने बिस्तरों में जाकर सो चुके होंगे और वो अपने नये प्रेमी भोला के झूले में झूलने जाए…!

और वो समय भी आ पहुँचा जब चारों तरफ सन्नाटा पसर गया, वो दबे पाँव हवेली के बड़े से दरवाजे के एक पल्ले में बनी एक छोटी सी खिड़की से बाहर निकल गयी पर जाते जाते उसे बाहर से बंद करना नही भूली…!

उधर भोला भर पेट खाना खाने के बाद अपने घेर में जानवरों के बीच खुले आसमान के नीचे खर्राटे ले रहा था…!

लाजो ने अंधेरे में इधर-उधर नज़र दौड़ाई, जब पूरी तरह आस्वस्त हो गयी की कोई उसे देखने वाला नही है, तो चुपके से घेर का मुख्या द्वार धकेल कर वो अंदर गयी और जल्दी से उसे अंदर से बंद कर दिया…!

भोला अपनी खाट पर बिना बिछबन के ही खर्राटे मार रहा था, जिसे देखकर लाजो का चेहरा खिल उठा,

राबड़ी का डिब्बा उसने खाट के सिरहाने ज़मीन पर रख दिया और वो खुद उसकी खाट की पाटी पर बैठकर उसे बिना जगाए उसने उसके सोए हुए नाग को लूँगी से बाहर निकाला और अपनी हथेली में दबाकर सहलाने लगी…!

इस समय वो किसी मरे हुए चूहे जैसा लग रहा था, लेकिन जैसे ही उसकी हथेली की गर्मी मिली, उसमें जान पड़ने लगी, देखते ही देखते वो उसकी मुट्ठी में अपना आकार लेने लगा और किसी रब्बर के पाइप जैसा हो गया…!

उसके बढ़ते आकार को देखकर लाजो की वासना भी उसी अनुपात में बढ़ने लगी, वो अब उसे तेज-तेज हिलाने लगी.., जैसे ही वो थोड़ा कड़क सा हुआ, उसने उसे फ़ौरन अपनी जीभ से चाट लिया…!

उसके पेलरों को सहलाते हुए वो उसे अपनी जीभ से पूरी लंबाई तक चाटने लगी, अब वो अपनी फुल फॉर्म में आ चुका था, फिर जैसे ही उसने उसे अपने मुँह में लिया…!

भोला ने अपनी कमर उचका कर अपने मूसल को उसके गले तक पहुँचा दिया…!

लाजो ने झट से उसे अपने मुँह से बाहर निकाला और उसकी तरफ देख कर बोली – बड़े चालू हो भोला राजा…, जागे पड़े थे तो बताया क्यों नही..?

भोला ने उसे अपने उपर खीच लिया और उसके गाल काट’ते हुए बोला – बताकर मे तेरा मज़ा खराब नही करना चाहता था.., चल अब चूस इसे…!

लाजो – ऐसे नही, आज की रात में तुम्हारे साथ यादगार रात बनाना चाहती हूँ, चलो कोठे में चलकर बिस्तर ज़मीन पर लगा लो, वहीं मज़े करेंगे…!

भोला उसकी चुचियों दबाते हुए खाट से उठकर बोला – चल जैसी तेरी मर्ज़ी, देखता हूँ, कैसे मज़े करवाती है, लेकिन उससे पहले ये बता, तू मेरे लिए क्या लाई है..?

लाजो – वहीं जाकर बताउन्गी, पहले चलो तो सही…!

कोठे में जाकर भोला ने ज़मीन पर एक फटा पुराना सा बिछबन डाल दिया, दोनो आमने सामने उसपर बैठ गये…,

लाजो ने अपने पल्लू से रबड़ी का डिब्बा निकाला, जिसे देखते ही भोला ने उसके हाथ से झपट लिया, एक डिब्बी की रोशनी में जब उसने उसे खोलकर देखा तो उसकी बान्छे खिल उठी…!

जैसे ही उसने उसे ख़ान एके लिए हाथ बढ़ाया, लाजो ने उसकी कलाई पकड़ ली, भोला ने उसकी तरफ ताज्जुब भरी नज़रों से देखा तो वो मुस्कुराते हुए बोली …

ऐसे तो हर कोई ख़ाता है, आज मे तुम्हें कुछ अलग तरारीक़े से खिलाउन्गी मेरे भोले राजा.., ये कहकर उसने अपनी सारी और ब्लाउस निकाल दिए, ब्रा के हुक खोलते हुए बोली…

आज ये पूरी रबड़ी तुम्हारे लिए है, लेकिन इसे मेरे बदन पर डालकर उसे चाट-चाट कर खाओ, फिर देखो कितना स्वाद बढ़ जाता है इसका…!

भोला – क्या सच कह रही है तू, ये और ज़्यादा स्वादिष्ट हो जाएगी.., उसकी बात पर लाजो ने मुस्करा कर अपनी गर्दन हां में हिला दी…!
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10-16-2019, 02:42 PM,
#96
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
लाजो मात्र एक छोटी सी कच्छि में बिछबन पर लेट गयी, और भोला से कहा, लो भोला राजा शुरू करो, पहले डिब्बे से थोड़ी सी रबड़ी मेरी चुचियों पर लगाकर उन्हें चाटो…!

लाजो की गोल-गोल भरी हुई गोरी-गोरी मांसल चुचियों को देख कर भोला अपने होंठों पर जीभ फिराते हुए उनके उपर रबड़ी टपकाने लगा..,

खूब सारी रबड़ी दोनो चुचियों पर लेपने के बाद वो उनपर टूट पड़ा.., कुछ ही देर में वो उनपर से सारी रबड़ी चाट गया,

लेकिन मिठास अभी तक वाकी थी सो वो बुरी तरह से उसके कंचे जैसे कड़क हो चुके निप्प्लो को चूसने लगा…,

चूस-चुस्कर उसने उन्हें लाल सुर्ख कर दिया.., नीचे बिस्तर पर पड़ी लाजो किसी जल बिन मछलि की तरह लहराते हुए सिसक रही थी…

सस्सिईइ…आअहह….मेरे भोले..राजा…चूसो, और ज़ोर्से…हान्णन्न्…म्म्माआ…. मार्रीि…, अब बस करो, और रबड़ी नीचे की तरफ डालकर चाटो..राजा…!

लाजो की फरियाद सुनकर भोला रुक गया, चुचियों को चूसना बंद करके उसने डिब्बे से रबड़ी निकली, उसके पेट और नाभि में भर दी, जब वो उसे चाट रहा था तब…,

लाजो का पेट किसी भूकंप के आने पर जैसे इमारत हिलती है इस तरह हिल रहा था, फिर जैसे ही भोला ने उसकी गहरी नाभि में भरी रबड़ी को अपनी जीभ से चाटा,

वो मारे उत्तेजना और गुदगुदी के दोहरी हो गयी, उसने भोला के कंधों को पकड़ कर अपनी तरफ खींचा और उसके रबड़ी से सने होंठों पर टूट पड़ी…!

लाजो उसके होंठों को बुरी तरह से कुचल रही थी, उसके होंठों की मिठास उसे रबड़ी से भी ज़्यादा स्वादिष्ट प्रतीत हो रही थी,

फिर जैसे ही भोला का मुँह थोड़ा सा खुला, लाजो ने फ़ौरन अपनी लिज-लीजी जीभ उसके मुँह में ठेल दी..,

ऐसा खेल भोला ने अपने जीवन में कभी नही खेला था, वासना की आँधी अपनी पूर्ण गति से दोनो को उड़ाए ले जा रही थी…,

दीन दुनिया से बेख़बर दोनो युवा दिल मानो एक दूसरे में समाहित हो चुके थे, काफ़ी देर तक जब लाजो अपनी जीभ का कमाल दिखा चुकी, तो भोला ने उसके कंधे थाम कर उसे अपने से अलग किया और उसकी चुचियों को मसल्ते हुए बोला…

लाजो रानी बहुत हुआ तेरा ये नाटक, अब मुझे अपनी रबड़ी खाने दे री…,


चूँकि उसे रबड़ी का स्वाद लाजो के बदन से चाटकर खाने में ज़्यादा मज़ा दे रहा था, सो उसने उसे वापिस लिटा दिया…

और फिर उसके शरीर पर वाकी बची हुई कच्छी को भी निकाल कर ढेर सारी रबड़ी उसकी गुदाज जांघों के बीच उडेल दी..,

अब भोला उसकी चूत प्रदेश को चाटने वाला है, ये ख्याल मन में आते ही लाजो की वासना अपने चरम पर पहुँच गयी, इसी एहसास ने उसकी मुनिया को रस छोड़ने पर मजबूर कर दिया…!

भोला किसी भूखे भेड़िए की तरह उसके यौनी प्रदेश पर पड़ी रबड़ी पर टूट पड़ा…,

एक तो मीठी रबड़ी, उपर से लाजो की सफाचट गोरी-गोरी जांघों के बीच उसकी चिकनी चूत, भोला को जन्नत का मज़ा दे रही थी..,

जैसे ही राबड़ी की उपरी सतह उसने चाट ली, तब उसे लाजो की चूतरस का मिश्रित स्वाद मिला, खट्टे-मीठे स्वाद को वो पूरी तन्मयता से चटकारे ले-लेकर चाटने लगा…

जब उसकी जीभ नीचे से लेकर उपर को उसकी चूत के होंठों को रगड़ते हुए जाती, लाजो बुरी तरह से सिसक पड़ती… सस्स्सिईईई….

आअहह….उउउंम्म…मेरे राजा…

खा जाओ मेरी चूत को…उउउफ़फ्फ़…म्म्माआ….कितना मज़ा है इसमें…चाटो, और ज़ोर्से…हहुउऊंम्म…

अच्छी तरह से चूत चाटने के बाद भोला ने लाजो को पलटा दिया, उसके मुलायम उभरे हुए चुतड़ों की मनमोहिनी सुंदरता देख कर भोला ने उनमें अपने दाँत गढ़ा दिए…,

आआयईी…म्म्माआ… काटो मत भोला.., दर्द होता है.., सिसक कर लाजो बोल पड़ी..

भोला उसकी चिकनी गान्ड, कमर और फिर चौड़ी पीठ पर हाथ फेरते हुए बोला – आअहह… तू बहुत सुंदर है लाजो.., मेने आज तक तेरी जैसी औरत नही चोदि…!

लाजो उन्माद में डूबे स्वर में बोली – तो अब चोदो मेरे राजा.., इंतजार किस बात का कर रहे हो.., मेरी चूत में आग जल रही है, उसे अपने मीठे जल से बुझा दो भोला…!

भोला – अब इतनी देर इंतजार किया है तो थोड़ा और सही, इस बची-खुचि रबड़ी को तेरे पूरे बदन का स्वाद लेकर ही ख़तम करूँगा…, उसके बाद चोदने का मज़ा ही अलग होगा…!

लाजो अपनी गर्दन घूमाकर बोली – बड़े स्वार्थी हो, मेरे लिए थोड़ा सा भी नही बचाओगे…?

भोला – क्या तू भी खाएगी ? चल कोई ना छोड़ दूँगा तेरे लिए भी, इतना कहकर उसने रबड़ी की धार उसकी पीठ से लेकर उसकी गान्ड तक फैला दी, और उसे उपर से लेकर नीचे तक चाट’ता चला गया…!

लाजो किसी मछली की तरह उसके नीचे तड़पति रही, सिसकती रही, फिर जैसे ही वो उसकी गान्ड तक आया, लाजो के कूल्हे स्वतः ही उपर को उठ गये…!

रबड़ी के साथ-साथ भोला उसके दोनो पर्वत शिखारों को भी दाँत गढ़ा देता, जिस’से लाजो सिसक पड़ती…!

'उसे आज से पहले इतना मज़ा कभी नही आया था…, इसी मज़े के चलते उसने अपनी जांघें खोल दी, नतीजा गान्ड की दरार में काफ़ी जगह बन गयी, जिसमें ढेर सारी रबड़ी समा गयी…!

लेकिन चटोरा भोला भला कहाँ छोड़ने वाला था, उसकी चटोरी जीभ ढूंड-ढूंड कर रबड़ी चाटने लगी…!

भोला की जीभ लाजो की गान्ड की दरार से रबड़ी निकाल निकाल कर चाट रही थी, वहीं लाजो का उत्तेजना के मारे बुरा हाल हो रहा था..,

उसने अपने होंठों को कस कर दाँतों के बीच दबा रखा था वरना वो बुरी तरह से चीखने चिल्लाने पर मजबूर हो जाती..,

फिर भी जब जब भोला की जीभ उसके गान्ड के छेद के उपर से गुजरती, उसकी सिसकी निकल ही जाती.., जब उसकी सहन शक्ति जबाब दे गयी तो उसकी मुनिया बहने लगी,

लाजो सिसक कर बोली – आहह…सस्सिईइ…उउउफ़फ्फ़..भोला अब चोदो मुझे प्लीज़, अब सबर नही हो रहा मुझसे !
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10-16-2019, 02:42 PM,
#97
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
इधर भोला का कड़ियल नाग भी बुरी तरह बिफर्ने लगा था, सो उसने उसे फिर से चित्त कर दिया और उसकी जाँघो के नीचे हाथ डालकर उसकी चूत को उपर उठा लिया…

चूत के मोटे-मोटे होंठ स्वतः ही खुल गये, भोला ने अपने नाग के फन को पकड़ कर लाजो की सुरंग के मुंहाने पर रखा और एक करारा सा झटका अपनी कमर में दे मारा……..!

सर्र्र्र्र्र्र्र्ररर…से उसका कोबरा आधे से ज़्यादा उसके बिल में सरक गया..,

लाख गीली होने के बबजूद उसकी छूट चिर्ति चली गयी, लाजो के मुँह से एक लंबी.. सी मादक कराह निकल पड़ी…,

वो बुरी तरह से हाँफ रही थी.., आअहह… भोला.. बड़े निर्दयी हो.., थोड़ा आराम से डाला करो ना.., मेरी चूत फाड़ दी तुमने,

ये कहकर वो अपना सिर उपर उठा कर अपनी चूत के दर्शन करने की कोशिश करने लगी,


लेकिन उसे सिवाय उसके काले कड़ियल के अलावा और कुछ नही दिखा, जो अभी भी लगभग 1/3 बाहर था, किसी मोटे डंडे जैसा

सख़्त…!

थोड़ी देर रुक कर भोला ने अपने डंडे को थोड़ा बाहर खींचा, और फिर से एक तगड़ा सा धक्का दे मारा..,

इस बार पूरा का पूरा लंड लाजो की चूत में समा गया, लाजो बुरी तरह कराह उठी, लेकिन इस बार उसे उसके लंड का अगला सिरा अपने पेट में जाता महसूस हुआ…!

उसने अपने पेडू पर हाथ रख कर उसे महसूस किया और सिसकते हुए बोली – हआयईए..रामम, कितना लंबा है ये, देखो तो मेरे पेट तक पहुँच गया…!

भोला ने उसकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा – तभी तो पूरा मज़ा देता है मेरी रानी, अब ले मज़े इसके…, ये कह कर उसने धीरे-धीरे अपने धक्के लगाने शुरू कर दिया…!

लाजो को मज़ा आने लगा, और वो भी अपनी कमर को नीचे से उचकाने लगी, ये देख कर भोला के धक्कों की रफ़्तार बढ़ने लगी..

लाजो की चूत किसी बहती नदी में परिवर्तित हो गयी, वो लगातार रस छोड़ने लगी..,
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10-16-2019, 02:49 PM,
#98
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
भोला ने उसकी चुचियों को मसल्ते हुए कहा – तभी तो पूरा मज़ा देता है मेरी रानी, अब ले मज़े इसके…, ये कह कर उसने धीरे-धीरे अपने धक्के लगाने शुरू कर दिया…!

लाजो को मज़ा आने लगा, और वो भी अपनी कमर को नीचे से उचकाने लगी, ये देख कर भोला के धक्कों की रफ़्तार बढ़ने लगी..

लाजो की चूत किसी बहती नदी में परिवर्तित हो गयी, वो लगातार रस छोड़ने लगी..,


फुच्च..फुच्च..धाप..धाप्प की आवाज़ के साथ दोनो चुदाई का मज़ा लूटने लगे, लगभग 20 मिनिट के बाद दोनो के बदन अकड़ने लगे और फिर झड कर एक दूसरे से चिपक गये…!

बड़ी देर तक वो दोनो एक दूसरे से चिपके पड़े रहे, कुछ थकान कम होने के बाद भोला उसके उपर से बगल में लुढ़क गया और उसके बदन पर हाथ फेरते हुए बोला –

बड़ी मस्त औरत है तू लाजो, तेरे साथ चुदाई करने में मज़ा आ गया.., लाजो भी उसके मुरझाए हुए लौडे को अपने हाथ में लेकर बोली – तुम भी कुछ कम नही हो…

तुम्हारा ये पप्पू तो मेरे मन को भा गया है, ये कहकर वो उठ बैठी और उसे चूम लिया…!

भोला ने बगल में रखे राबड़ी के डिब्बे को उसे थमाते हुए कहा – ले अब अपने हिस्से की राबड़ी खा ले..!

लाजो ने उसे पकड़ते हुए कहा – अभी थोड़ा रूको, मे भी इसे स्पेशल तरीक़े से ही खाउन्गी..

भोला उसके मुँह को ताकते हुए बोला – मतलब तू मेरे बदन को चाटेगी..?

लाजो मुस्करा कर बोली – पूरे बदन को नही, बस इसके उपर रख कर, ये कहकर उसने उसके आधे खड़े हो चुके लंड को अपनी मुट्ठी में कस लिया..!

लाजो की बात समझते ही भोला रोमांच से भर उठा, उसका ढीला पड़ा हुआ नाग फिर से फन फैलाने लगा…!

उसके बाद लाजो ने उसके लंड को डिब्बे में ही डुबो दिया और बाहर निकाल कर उसके उपर से राबड़ी खाने लगी, चूस-चूस कर उसने लंड को चमका दिया, इतने से वो फिर से डंडे जैसा कड़क हो गया,

इस बार वो घोड़ी की तरह औंधी हो गयी, भोला ने पीछे से उसकी मखमली गान्ड सहलाते हुए अपना मूसल पीछे से उसकी सुरंग में पेल दिया…!

पूरा लंड जाते ही लाजो का मुँह उपर को उठ गया, वो गे की तरह रंभाते हुए चुदाई का आनंद लूटने लगी…!

सुबह के चार बजे तक उनका ये खेल जमकर चलता रहा, जब दोनो थक कर चूर हो गये,


दोनो की आँखों में नींद और थकान की खुमारी ज़ोर मारने लगी , तब जाकर लाजो ने उससे विदा ली और अपनी हवेली लौट आई…!

इधर सुषमा ने लाला जी से पर्मिशन लेकर एक लेटर कॉलेज प्रिन्सिपल के नाम लिख कर शंकर को थमा दिया…

वो खुशी-खुशी कॉलेज गया, और लेटर देखते ही उसे ब्कॉम में तुरंत अड्मिशन मिल गया…

वजह थी लाला जी कॉलेज के दानियों की लिस्ट में बहुत उपर का स्थान रखते थे…

इस बात से सबसे ज़्यादा खुशी सलौनी को हुई, क्योंकि अब उसे अकेले स्कूल नही जाना पड़ेगा, उसका भाई उसे लेकर जानेवाला था, अब वो ज़्यादा से ज़्यादा वक़्त अपने भाई के नज़दीक रह सकती थी…!

शंकर यहीं रहकर अपनी आगे की पढ़ाई करने वाला है, इससे लाला जी को भी कोई आपत्ति नही थी, वक़्त-बे-वक़्त वो उनके काम तो करता ही रहेगा, और पढ़-लिखकर वो उनके कारोबार को संभालने लायक भी हो जाएगा…!

कहीं ना कहीं उनके दिल में अपने खून वाली भावना तो थी ही, उपर से वो अभी से इतना समझदार और साहसी था, जिस कारण से लाला जी दिल से चाहते थे कि वो उनके कारोबार में सहभागी रहे…

बस दिक्कत थी तो उसे वो खुलेआम अपना नाम नही दे सकते थे…, जिसकी फिलहाल उन्हें कोई ज़रूरत भी महसूस नही हो रही थी…!

यौं तो शंकर इतना संस्कारी था, तो वैसे ही उसके कुछ खर्चे नही थे, फिर भी सुषमा उसकी जेब हमेशा भरे रखती थी, ये बात रंगीली भी अच्छे से जानती थी..!

कुछ दिनो बाद ही सुप्रिया के यहाँ से भी सुखद समाचार मिल ही गया, कि वो माँ बनाने वाली है, और गोद भराई में सबको बुलाया है…!

बस फिर क्या था.., माँ-बाप तो जा नही सकते थे, बेटी के यहाँ का पानी तक पीना हराम है, कल्लू भैया वैसे ही नकारा थे, तो सभी औरतों को लेजाने की ज़िम्मेदारी शंकर को ही उठानी पड़ी,
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10-16-2019, 02:50 PM,
#99
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
लाजो ने बहाना बनाकर साथ जाने से मना कर दिया, उसे तो अब दिन-रात भोला का लंड ही दिखाई देने लगा था…!

बची अकेली सुषमा जाने को सो उसने अपने साथ के लिए सलौनी को ले लिया, जिससे वो उसकी बेटी को संभालने में भी मददगार रहे..,

तीनों जने शंकर की जीप से चल पड़े सुप्रिया की गोद भराई में शामिल होने…!

सबसे ज़्यादा खुश सलौनी थी, उसे पहली बार अपने गाओं और स्कूल के अलावा बाहर घूमने का मौका मिला था, सोने पे सुहागा अपनी माँ की गैर मौजूदगी में वो पहली बार अपने सबसे प्यारे भाई के साथ जो जा रही थी…!

गाड़ी में फिलहाल वो गौरी को लेकर पीछे की सीट पर उसके साथ खेल रही थी…

आगे शंकर के बाजू में सुषमा एक डार्क क्रीम कलर के साड़ी और बहुत ही डीप गले का ब्लाउस जो पीठ पर सिर्फ़ दो डोरियों से बँधा था…,

गाओं से बाहर निकलते ही सुषमा ने अपना आँचल ढालका लिया जिससे उसके ब्लाउस में कसे हुए दूधिया उभारों के बीच की गहरी खाई पूरी तरह से नुमाया हो रही थी…!

प्रेग्नेन्सी की बजह से उसकी उसकी चुचियाँ और ज़्यादा ही सुडौल और आकर्षक हो गयी थी, जिनपर बीच बीच में शंकर की नज़र पड़ ही जाती जिससे उसके पॅंट में उभार बन’ने लगा…!

हालाँकि 5 महीनों के बाद सुषमा का पेट थोड़ा सा बाहर निकल आया था, फिर भी वो इस समय निहायत ही कामुक लग रही थी,

दोनो बस आँखों आँखों में ही अपने अपने भाव प्रदर्शित कर रहे थे क्योंकि पीछे सलौनी बैठी उनकी सारी गति विधियों पर नज़र रखे हुए थी…

वो अब कोई बच्ची नही रही थी, कुछ दिनो में ही 10थ पास करने वाली थी, स्त्री पुरुष के संबंधों से अच्छी तरह वाकिफ़ थी..,

सुषमा शंकर को तिर्छि नज़रों से देख लेती, फिर जैसे ही दोनो की नज़रें चार होती, वो होंठों ही होंठों में मुस्करा जाते..,

कुछ देर बाद सुषमा ने बात शुरू करने की गर्ज से पुछा – और शंकर भैया तुम्हारा कॉलेज कैसा चल रहा है, कोई लड़की वॉड्की पटाई या नही…!

इससे पहले की मे कोई जबाब देता, पीछे से सलौनी बोल पड़ी – आपको लगता है भाभी, भैया किसी लड़की को घास डालता होगा..?

लड़कियाँ खुद इसके पीछे मक्खियों की तरह भिन-भिनाति रहती हैं, पर ये जनाब किसी को लिफ्ट तो क्या किसी की तरफ देखते तक नही हैं.., पता नही अपने आपको क्या समझता है..!

ये सुनकर सुषमा मन ही मन खुश होते हुए बोली – क्या शंकर भैया, ये सलौनी क्या कह रही है, ऐसा मत किया करो वरना बेचारी लड़कियाँ तुम्हारे बारे में क्या सोचेंगी…!

एक-दो तो ऐसी होंगी ही जिन्हें तुम्हारी घास मिल ही सकती हो.., ये कहकर उसने चुपके से शंकर की जाँघ पर चिकोटी काट ली..,

वो चिहुनक कर सुषमा की तरफ देख कर बोला – क्या भाभी आप भी मेरी खिंचाई करने लगी, ये सलौनी की बच्ची कुछ ज़्यादा ही सिर चढ़ गयी है..,

फालतू में कुछ भी बोलती रहती है, ऐसा कुछ नही है, और फिर मेरे पास समय ही कहाँ है जो किसी की तरफ ध्यान दूँ..!
शंकर ये शब्द सुनकर सुषमा उसे बलिहारी नज़रों से देखने लगी, वो मन ही मन सोचने लगी, देखो कितना संस्कारी और सिन्सियर लड़का है ये, भला हो रंगीली काकी का जिन्होने मेरे सम्बंध इसके साथ बनवा दिए…!

उसने मन ही मन शंकर को अपने कारोबार की कमान सौंपने का निर्णय ले लिया..,
फिर प्रत्यक्ष में बोली – धन्य है रंगीली काकी, जिन्हें तुम्हारे जैसा बेटा मिला है..!

अब तुम मन लगाकर जल्दी से अपना ग्रॅजुयेशन कंप्लीट करो जिस’से में तुम्हें कुछ ज़िम्मेदारियाँ सौंप सकूँ…!

बातें करते करते वो लगभग आधे रास्ते तक आ चुके थे, तभी गौरी का प्रेशर बन गया, और उसने गाड़ी रुकवा दी..!
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10-16-2019, 02:50 PM,
RE: Desi Sex Kahani रंगीला लाला और ठरकी सेवक
शंकर ने अपनी जीप रोड से नीचे उतारकर साइड में खड़ी करदी, सलौनी उसे थोड़ा रोड से हटके झुर्मुट के पीछे फारिग कराने ले गयी..,

मौका देख कर सुषमा ने शंकर के गले में अपनी बाहें डाल दी और वो उसके होंठ चूमकर बोली – तुम सच में बहुत अच्छे हो शंकर, मुझे ऐसे ही सहारे की ज़रूरत थी..,

शंकर ने उसके हाथ अपने गले से हटाने चाहे, लेकिन सुषमा ने उसे और ज़ोर्से उसे कस लिया, शंकर उसकी अधनंगी चुचियों को अपने हाथों से दबाते हुए बोला-

हम रोड पर हैं भाभी, कोई आ गया तो क्या सोचेगा.., सुषमा उस’से अलग होकर उसकी गोद में ही जा बैठी और उसके होंठों पर हमला बोलते हुए बोली-

मुझे किसी की परवाह नही है शंकर मेरे राजा, तुम मुझे प्यार करो.., ये सुनकर शंकर ने भी अपनी बाहें उसकी कमर के इर्द-गिर्द कस दी..,

सुषमा की मांसल गान्ड की गर्मी पाकर उसका कोब्रा पॅंट के अंदर फुफ्कारने लगा.., दोनो के शरीर किस करते हुए गरम होने लगे..,

तभी आगे से उन्हें एक खुली जीप आती दिखाई दी, जिसमें 5-6 लोग बैठे हुए थे, उसे देखते ही शंकर ने सुषमा को अपनी गोद से उठने के लिए कहा…!

इससे पहले की वो उसकी गोद से उठकर अपनी सीट पर बैठ पाती, तब तक सामने वाली जीप उनके पास तक आ गई, और शंकर की जीप के बराबर में आकर एक झटके के साथ रुक गयी…!

जीप के रुकते ही उसमें से दो आदमी जो तकरीबन 25-28 साल के रहे होंगे, शक्लो-सूरत से ही मक्कार किस्म के नज़र आरहे थे…!

जीप से कूदते ही वो दोनो तालियाँ बजाते हुए उनकी तरह आने लगे, उनमें से एक आदमी बोला – क्या रे लैला-मजनू, खुली सड़क पे ही रोमॅन्स चल रहा है..,

थोड़ा हमें भी शामिल करले यार…, कसम उड़ान छल्ले की मज़ा दुगना ना हो जाए तो कहना…!

उनलोगों की बात सुनकर जहाँ सुषमा बुरी तरह सहम गयी वहीं शंकर फ़ौरन जीप से नीचे कूदने के बाद बोला – अरे नही भाई ऐसा कुछ नही है, हम तो बस ऐसे ही बैठे थे…!

तब तक वो दोनो उनके बहुत करीब पहुँच चुके थे, सुषमा अभी जीप में ही थी.., वो शंकर के पास जाकर बोला – ओये लौन्डे हमें चूतिया समझता है,

डूर से ही हमने ताड़ लिया था, ये छमिया तेरी गोद में बैठी थी.., वैसे ये तेरी कॉन लगती है…!

उसकी बात सुनकर शंकर को भी तैश आ गया और गुर्राते हुए बोला – तुमसे मतलब, हम कुछ भी करें तुम कों होते हो किसी के काम में दखल देने वाले..!

शंकर की बात सुनकर दूसरा आदमी तैश में आकर बोला – रोहन पकड़ साले को, भेन्चोद कल का लौंडा हमें आँख दिखता है…, इसकी तो माँ…कििई…..

इससे पहले कि वो अपनी गाली पूरी कर पाता, शंकर ने आगे बढ़कर उसका गला अपनी हथेली में दबा लिया.., और भभक्ते स्वर में बोला – माँ की गाली देता है हराम जादे…!

वो आदमी अपने को शंकर की पकड़ से छूटने के लिए फड़फड़ाने लगा, लेकिन ये शंकर के हाथ की पकड़ थी, वो अपनी जगह से हिल भी ना सका, गला दबने से उसकी साँसें अटकने लगी…!

अपने साथी को यौं असहाय देख कर दूसरा जिसका नाम रोहन था, वो शंकर की तरफ झपटा, इस’से पहले कि वो उस तक पहुँचता, शंकर की लंबी टाँग हवा में घूमी, और फड़डाक़्कक से उसके थोबदे पर पड़ी…!

वो वही पीछे ज़मीन पर उच्छल कर गान्ड के बल जा गिरा, उसके होंठों से और नाक से खून रिसने लगा…!

अपने दो साथियों का ये हश्र देख कर वाकी के 4 लोग जो अभी भी जीप में ही थे, एक साथ कूदकर उनकी तरफ दौड़ पड़े…!
उन लोगों को ये कतई उम्मीद नही थी कि एक छोटी सी उम्र का लौंडा जिसकी अभी ठीक से दादी मूँछे भी नही निकली हैं, उनके दो आदमियों को चुटकी बजाकर धूल चटा देगा…!

उन सभी लोगों को एक साथ अपनी तरफ आते हुए देख कर सुषमा जो अभी तक शांति से जीप में बैठी तमाशा देख रही थी, डर से थर-थर काँपते हुए बोली-

शंकर वो सब लोग इधर आ रहे हैं…, अब क्या होगा..?

शंकर – कुछ नही होगा भाभी, आप चुप-चाप बैठो, चाहे कुछ भी हो गाड़ी से बाहर मत आना, मे इनसे निपटता हूँ…!

इससे पहले की सुषमा आगे कुछ बोलती, वो लोग शंकर के बेहद नज़दीक तक आ पहुँचे थे, शंकर उस आदमी को जिसका गला उसने दबा रखा था, वो अब लगभग बेहोसी की हालत में पहुँच चुका था…!

उसने उसे अपने दोनो हाथों से अपने सिर के उपर उठाया और उन लोगों के उपर उछाल दिया..

नतीजा वो उन चारों के उपर किसी अनाज के बोर की तरह जा गिरा.., उन चारों को इतने बड़े दुस-साहस की उस कम उम्र लड़के से कतई उम्मीद नही थी,

लाख संभलने के बावजूद वो लड़खड़ा गये, उनमें से एक-दो तो ज़मीन पर भी गिर पड़ा..!

उन्हें बिना मौका दिए शंकर उन लोगों पर पिल पड़ा, अपने फौलादी घूँसों से उनकी धुनाई शुरू कर दी.., वो लोग भी उस’से टक्कर लेते रहे, लेकिन शंकर उनपर 21 पड़ता दिखाई दे रहा था..!

जो भी उसके हाथ पड़ जाता वो उसे किसी खिलौने की तरह उठाकर दूर उछाल देता..!

सुषमा किसी मूक दर्शक की तरह भय और आश्चर्य के भाव अपने चेहरे पर लिए शंकर की वीरता को अपनी आँखें फाड़ कर देख रही थी…!

अब तक उसे शंकर किसी भी सूरत में उन 6 लोगों के मुक़ाबले में कम पड़ता नज़र नही आया था..,

शंकर उसे एक साधारण मानव ना होकर किसी देवदूत जैसा लग रहा था…!

उधर अब तक गौरी पॉटी करके फारिग हो चुकी थी, उसको लेकर सलौनी जैसे ही झुर्मुट के पीछे से रोड की तरफ आई, सामने का घमासान देखकर वहीं ठिठक गयी…!

गौरी को उसने अपनी टाँगों से सटा लिया जिससे वो ये देख कर मुँह से कोई आवाज़ ना निकल सके..,

उसे अपने भाई पर पूरा भरोसा था, और उसे सामने दिख भी रहा था कि वो उन लोगों पर भारी पड़ रहा है, खम्खा वो उनके बीच जाकर उसके लिए कमज़ोरी का कारण नही बन’ना चाहती थी…!

सो ये सोचकर वो गौरी को लेकर एक मोटे से पेड़ की आड़ में जा खड़ी हुई.., और वहीं से दम साधे अपने भाई का कमाल देखने लगी.., जो अभी तक उन सभी गुण्डों पर भारी पड़ रहा था…!
उन सभी लोगों के कहीं ना कहीं से खून बह रहा था, और अब वो पस्त पड़ते नज़र आ रहे थे,

उन बेचारों को क्या पता था, कि उन्होने जिस लड़के को अल्हड़ समझ कर पंगा ले लिए था वो एक आल्मास्ट सांड को भी परास्त कर चुका है…!

अब वो अपनी जान बचाकर भागने की फिराक में थे, एक-दो ने भागने की कोशिश भी की, लेकिन शंकर अब उन्हें भागने भी नही दे रहा था, जो भी उठने की कोशिश करता वो उसे ही फ़ौरन दबोच लेता…!

फिर कुछ ऐसा हुआ जिसका शंकर को गुमान भी नही था, उनमें से एक गुंडा किसी तरह नज़र बचाकर उसकी जीप के दूसरी तरफ आ गया,

अपनी जेब से रामपुरी चाकू निकाल कर उसने जीप में बैठी सुषमा की गर्दन पर रख दिया.., वो डर के मारे एकदम से चीख पड़ी – शंकरर्र….. बचाऊओ…!

सुषमा की चीख सुनते ही शंकर के हाथ पैर वहीं रुक गये, जिसका फ़ायदा उठाकर उनमें से दो लोगों ने उसे आजू-बाजू से पकड़ लिया..,

अब पासा पलट चुका था, उस गुंडे ने सुषमा को जीप से बाहर खींच लिया और उसकी गर्दन पर चाकू रख कर गुर्राया…,

बहुत हाथ-पैर चला लिए लौन्डे, अब अगर तूने अपने हाथ पैर हिलाए भी तो इस छमिया की मंडी धड़ से अलग पड़ी मिलेगी.., फिर अपने साथियों से बोला –

मारो साले को, हाथ पैर तोड़ दो मदर्चोद के.., बहुत दम-खम दिखा रहा था भेन्चोद…!

शंकर उनकी क़ैद में जकड़ा, सुषमा की जान की खातिर अपने हाथ पैर भी नही हिला पा रहा था, लेकिन ज़मीन पर थूकते हुए भभके स्वर में बोला –

थू है साले नामर्दो, एक असहाय औरत की आड़ लेकर अपनी मर्दानगी दिखना चाहते हो..,

उसकी बात सुनकर उनमें से एक गुंडे ने अपने घुटने का वार उसके पेट पर करते हुए कहा.., भेन्चोद साले.. तू हमारी सोच से कुछ ज़्यादा ही दमदार निकला…,
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