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RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
सुधा बोली- बेटा, मेरे बालो मे ज़रा तेल मालिश करदेना बहुत दिन हुए मालिश नही करवाई है ,
प्रेम- जी माँ अभी कर देता हूँ उसमे क्या है
सुधा वही पर बैठ गयी और प्रेम उसके पीछे आकर खड़ा हो गया सुधा ने चाल खेलते हुए अपने आँचल को पूरा सरका दिया जिस से प्रेम को उसके बोबो का पूरा नज़ारा दिख सके सुधा की सुडोल भारी भरकम छातियाँ जो कि उस टाइट ब्लाउज मे से आधे से ज़्यादा बाहर को निकल ही रही थी, माँ की छातियो की गहराई को देख कर प्रेम का लंड फिर से हरकत करने लगा
प्रेम ललचाई नज़रो से माँ के बोबो को निहारते हुए बालो मे तेल मालिश करने लगा सुधा ने अपनी आँखे मूंद ली पर उसके दिल मे भी हलचल मची हुई थी अपने बेटे से चुदने ख्याल से उसका रोम रोम मचल रहा था , काफ़ी देर तक प्रेम बालों मे मालिश करता रहा तभी उस के हाथो से तेल की शीशी छूट गयी और सुधा के ब्लाउज पर गिर गयी पूरा ब्लाउज तेल से सन गया दोनो बोबे तेल से भीग गये सुधा बोली- नलायक ये तूने क्या कर दिया
प्रेम माफी माँगते हुए बोला- माँ वो शीशी हाथ से छूट गयी ,
सुधा- हाँ पर अभी इधर दूसरा ब्लाउज है भी नही तो मैं क्या पहनुँगी
प्रेम- माँ इसको जल्दी से मुझे दे दो अभी धोकर सूखा देता हूँ थोड़ी देर मे सूख जाएगा फिर पहन लेना
सुधा- पर, तबतक मैं कैसे रहूंगी , आधी नंगी तेरे सामने
प्रेम मन ही मन सुधा को गाली बकते हुए, साली रंडी थोड़ी देर पहले तो गान्ड मटका कर अपनी जवानी मुझे दिखा रही थी अब चूतिया बना रही है
प्रेम- माँ, देखो तेल के दाग पड़ जाएँगे फिर ना कहना और फिर कोई चारा भी तो नही है
सुधा ने सोचा मुझे पागल बना रहा है साले को चूचिया देखन की कुछ ज़्यादा ही जल्दी है लो, आज इसको दिखा ही देती हूँ कि इसकी माँ चीज़ क्या है और सुधा ने अपना ब्लाउज बेटे के सामने ही उतार दिया ब्रा उसने पहनी नही थी ऐसा गजब नज़ारा देख कर प्रेम हक्का बक्का रह गया , दो दो किलो की चूचिया बिल्कुल नंगी उसकी आँखो के सामने पड़ी थी , उसने काँपते हुए हाथो से माँ का ब्लाउज लिया और उसको धोकर जल्दी से सूखा दिया और वापिस कमरे मे आ गया सुधा ने अपनी नंगी छातियो को छुपाने की कोई ज़रूरत नही समझी
सुधा प्रेम की तरफ देखते हुए- क्या देख रहा है बेटे इतनी गोर से
प्रेम- वो माँ , वो माँ
सुधा-बताना बेटे कहा सुधा ने
प्रेम- कुछ नही माँ
सुधा- मुझे मालूम है तू मेरे बोबे देख रहा हैं, बचपन मे इनका ही दूध पीकर आज तू इतना मुस्टंडा हुआ हैं
प्रेम- पर अब मैं बड़ा हो गया हूँ माँ
सुधा- उसके पयज़ामे मे बने तंबू की ओर देखते हुए, हाँ बेटा वाकई तू अब बड़ा हो गया है
बचपन मे तो बहुत ज़िद करता था दूध पीने की , काट काट कर मेरे बोबो का बुरा हाल कर दिया था तूने
प्रेम- माँ वो बचपन की बाते थी
सुधा- हाँ पर दूध आज भी है बेटे
ये सुधा का प्रेम की तरफ खुला निमंत्रण था सुधा प्रेम के पास आई और अपने बोबो को सहलाते हुए बोली- बेटा मेरी पीठ मे आजकल बहुत खुजली खारिश सी रहती है अब जब थोड़ा टाइम हैं तो लगे हाथ थोड़ा तेल उधर भी लगा दे प्रेम की तो जैस निकल पड़ी उसने हाथो पर थोड़ा सा तेल लगाया और सुधा की पीठ को मसल्ने लगा अपने बदन पर बेटे के हाथो का स्पर्श पाकर सुधा बहकने लगी
प्रेम उसके कंधो की मालिश करते करते उसकी बगल तक हाथ ले जा रहा था उसका मन चूचियो पर था, धीरे धीरे बगलो को सहलाते सहलाते वो चूचियो तक पहुच ही गया और अपने मजबूत हाथो मे सुधा के बोबो को थाम लिया और कस कर दबा दिया
सुधा अयाया बेटे ये क्या कर रहा है
प्रेम- माँ मालिश कर रहा हूँ
सुदाह – पर बेटे ,
प्रेम- माँ इनको भी मालिश की ज़रूरत है देख कैसे मुरझा सी गयी है अब मालिश करने लगा हूँ तो पूरी ही करूँगा रोक ना मुझे और अपनी माँ के बोबो को मसल्ने लगा
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RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
इधर.........
दोनो भाई बहन स्कूटर पर सहर की तरफ चल पड़े थे सौरभ आज बहुत खुश था उषा दीदी जैसी हॉट लड़की उसके साथ सवारी कर रही थी , खटारा स्कूटर उबड़-खाबड़ रास्तों पर हौले हौले से सहर की तरफ बढ़ रहा था सौरभ बार बार स्कूटर के शीशे से उषा की तरफ चोर नज़रो से देखे जा रहा था टूटे-फूटे रास्ते पर जब भी स्कूटर डाँवाडोल होता उषा थोड़ा सा उसकी तरफ हो जाती उषा ने अपने हाथ को सौरभ के कंधे पर रखा हुआ था पर जब कभी वो ब्रेक लगाता तो उषा का पूरा बोझ सौरभ की पीठ पर आ जाता तो उसकी चूचियो को फील करके पूरे रास्ते वो मज़ा लेता रहा उषा और सौरभ दोनो सहर आ गये थे , सौरभ ने उषा को कॉलेज के गेट पे ड्रॉप किया तो उषा बोली, मेरी क्लास तीन बजे तक ख़तम हो जाएगी फिर मुझे पिक कर लेना बाजार मे थोड़ा समान खरीदना है फिर साथ घर चलेंगे
उसने हाँ मे सर हिलाया और अपनी पेमेंट लेने चल दिया आज कई देनदारों से वसूली करनी थी तो उन सब मे ही करीब करीब दो बज गये थे फिर उसने थोड़ा बहुत कुछ खाया पिया और उषा के कॉलेज की तरफ चल पड़ा पर रास्ते मे उसे एक किताबो की फेरी दिखी , अब सौरभ की ये आदत थी कि वो अक्सर सहर से सेक्सी कहानियो की बुक्स खरीदता रहता था तो उस दिन भी उसने दो चार किताबें खरीद ली और रख लिया , वो फिर सीधा कॉलेज कॅंटीन मे गया जहाँ उषा उसे मिल गयी
वो अपनी सहेलियो के साथ बैठी थी सौरभ को देख कर उसकी एक सहेली चुटकी लेते हुए बोली- उषा , कभी तूने बताया नही तेरा बाय्फ्रेंड भी है
ये बात सुनकर सौरभ और उषा दोनो ही बुरी तरह से झेंप गये
उषा बोली- नही, ये मेरा भाई है, सुबह मेरे साथ ही आया था और अब साथ ही घर जाएँगे उषा ने सौरभ का परिचय करवाया अपनी दोस्तो से और फिर करीब साढ़े तीन बजे वो कॉलेज से निकल लिए
उषा- मैन चौक वाली मार्केट चलना मुझे कुछ कपड़े खरीदने है तो उसने स्कूटर उधर मोड़ दिया
वो लॅडीस समान की एक बहुत बड़ी दुकान थी जिसमे औरतो की ज़रूरत का हर समान उपलब्ध था सौरभ काउंटर के पास रखे सोफे पर बैठ गया उषा खरीदारी करने लगी सौरभ ने देखा कि दुकान मे कई जगह डिसप्ले मे ब्रा-पैंटी के सेक्सी सेक्सी कलेक्षन रखे थे उसने देखा कई औरते उन्हे देख रही थी तो वो सेक्सी सा फील करने लगा तभी उसकी निगाह उषा पर पड़ी , वो भी अपने लिए कुछ सेट्स देख रही थी तो उसने मन ही मन सोचा उषा दीदी ऐसे सेक्सी ब्रा-पैंटी पहनती है तभी तो खुद भी एक नंबर माल है
करीब आधे घंटे बाद दोनो गाँव के लिए चल पड़े, सौरभ ने उषा का समान और अपनी बुक्स आगे जाली मे रख दी थी ताकि उषा आराम से सफ़र कर सके उसके मन मे प्रबल इच्छा हो रही थी कि उषा दीदी को अभी चोद दे पर उसका बस भी तो नही चलता था रोड के खद्डो के कारण उषा की चूचिया बार बार उसकी पीठ पर दवाब डाल रही थी तो उषा भी थोड़ी हॉर्नी सी होने लगी थी अब जवान जिस्म गरम भी कुछ जल्दी ही हो जाया करते है तो उसने भी सोचा थोड़ा टाइम पास कर लेती हूँ वो अपनी चूचियो का और दवाब सौरभ की पीठ पर डालते हुए बोली- तेरी कोई गर्लफ्रेंड हैं क्या
सौरभ- क्या दीदी, मेरी गर्लफ्रेंड कॉन बनेगी
उषा- ओह बॅड्लेक तेरा, हॅंडसम है ट्राइ कर
सौरभ-इतना टाइम नही है मेरे पास
उषा- हुम्म
ऐसे ही बाते कर रहे थे गाँव करीब 20किमी दूर रह गया था कि सौरभ ने कहा दीदी मेरे पास ना करीब 30 हज़ार रुपये है आगे का रास्ता थोड़ा ठीक नही है पिछले दिनो भी एक आदमी को लूट लिया था किसी ने तो इधर पास से एक शॉर्टकट जाता है आप कहो तो उधर से ले लूँ टाइम भी बच जाएगा और पैसो की सेफ्टी भी हो जाएगी उषा ने सोचा कि बात तो सही है और फिर क्या फरक पड़ता है कच्चे रास्ते से नहर किनारे किनारे चले जाएँगे तो घर भी थोड़ा जल्दी पहुच जाएँगे तो उसने कहा ठीक है भाई
जल्दी ही कच्चा रास्ता शुरू हो गया बार बार वो ब्रेक लगाता उषा बार बार अपनी ठोस छातियो को संभालती वो स्कूटर भी एक नंबर का खटारा था उषा भी समझ रही थी सौरभ को फुल अड्वॅंटेज मिल रहा है पर वो भी करे तो क्या उसका खुद का बॅलेन्स भी बिगड़ रहा था उस स्कूटर मे पीछे स्टॅंड सा भी नही था जिसे वो पकड़ सके तो फिर कुछ सोच कर उसने सौरभ की कमर मे हाथ डाल दिया और पकड़ लिया सौरभ थोड़ा सा और पीछे को सरक गया उषा का हाथ अंजाने मे सौरभ की जाँघो तक फिसल आया
तो सौरभ का हथियार जाग गया और पॅंट मे ही उछल कूद मचाने लगा उषा अपने ख़यालो मे थी तो उसका हाथ एक दम से सौरभ के लंड पर टच हो गया दोनो भाई बहन के बदन मे करेंट डॉड गया उसने तुरंत अपना हाथ हटा लिया और सही से बैठ गयी पर अभी मुसीबत आनी तो बाकी थी गाँव अभी भी करीब 10-12 किमी दूर था की तभी स्कूटर का टाइयर पंक्चर हो गया अब हुई परेशानी
उषा- क्या हुआ भाई
सौरभ- दीदी टाइयर पंक्चर हो गया
उषा- क्य्ाआआआअ अब कैसे जाएँगे घर
सौरभ- दीदी इस रास्ते पर तो कोई पंक्चर की दुकान भी नही है अब तो गाँव तक पैदल ही जाना होगा
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RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
उषा ने अपना माथा पीट लिया और गुस्से से बोली- तुम जाहिल हो , कुछ बस का नही है तुम्हारे, इस से अच्छा होता कि मैं बस मे ही धक्के खा लेती इस खटारे के चक्कर मे आ गयी किराया बचाने चली थी लग गयी मेरी तो अब कब पहुँचुँगी घर पर
सौरभ- दीदी शांत हो जाओ अब मुझे क्या पता था कि ऐसा कुछ हो जाएगा अब गुस्सा मत करो और फिर घर तो चलना ही है ना और आपको कॉन सा इसे घसीटना है
उषा बोली चुप रह और फिर दोनो जने पैदल पैदल चलने लगे
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खेत से आने के बाद सुधा घर के कामो मे व्यस्त हो गयी थी प्रेम मोका पाकर विनीता के पास पहुच गया वो बिस्तर पर लेटी थी वो भी उसके बगल मे लेट गया और उसकी चूची को दबाने लगा
विनता ने उसके लंड को बाहर निकाला और उसको अपनी मुट्ठी मे लेकर मसल्ने लगी
प्रेम बोबो को दबाते हुए- ओह चाची कितने दिन हुए कब ठीक होगा तुम्हारा पाँव देखो तुम्हारे बिना मेरा बुरा हाल हुए जा रहा हैं
विनीता आह भरते हुए- मेरे राजा मेरा हाल भी कुछ हैं जब से तेरे लंड को चूत मे लिया है बस ये निगोडी दिन रात तेरे लंड को ही पुकारती रहती है ज़रा देख तो सही इस बेचारी की हालत क्या हुई है
प्रेम ने चाची की साड़ी को उपर तक उठाया और अपना हाथ अंदर घुसा दिया विनीता की टाँगो को थोड़ा सा चौड़ा किया और उस प्यारी सी छोटी सी चूत को अपनी मुट्ठी मे भर के मसल्ने लगा विनीता एक सेकेंड मे ही काम वासना से भर गयी उसने अपनी बीच वाली उंगली चाची की चूत मे सरका दी और अपने होंटो को विनीता के होटो से जोड़ दिया उफ़फ्फ़ ये जिस्मो के मचलते अरमान दोनो चाची बेटा बड़े गरम हो रहे थे प्रेम ने चाची के ब्लाउज के हुको को खोला और बोबो को बाहर खीच लिया बारी बारी से उन पर किस करने लगा वो विनीता आहे भरने लगी आज उसको कुछ भी करके ये तगड़ा लंड अपनी चूत मे चाहिए ही था
वो बोली- मेरे राजा , आज चोद मुझे खूब कस कस के देखी जाएगी जो हो गा पर इस चूत की आग को आज बुझा मेरे बेटे
प्रेम- पर चाची कही पैर को कोई दिक्कत ना हो जाए
चाची- माँ चुदाये पैर, जो होगा देखा जाएगा मुझ से ये आग अब नही सही जाती और वैसे भी पैर काफ़ी हद तक ठीक हो गया हैं तू बस चोद मुझे
प्रेम को और क्या चाहिए था उसने अपना सिर विनीता की जाँघो मे घुसा दिया और उस रस से भरी कटोरी को चाटने लगा , विनीता की बदन मे जैसे सैकड़ो सुईया चुभने लगी उसे लगा कि जैसे चींटिया काट रही हो उसके बदन को प्रेम की लपलपाति जीभ चाची की वासना को भड़काने लगी थी अपनी चाची की लंबी स्प्नीली चूत का रस चाट कर प्रेम को बहुत ही मज़ा आ रहा था अब उसने अपनी दो उंगलिया चूत मे सरका दी और अपने मूह मे चूत के भग्नासे को जाकड़ दिया और उंगलियो को तेज़ी से अंदर बाहर करने लगा विनीता की आँखे मज़े से बोझिल होने लगी मस्ती के सागर मे डूबने लगी पूरे कमरे मे बस उसकी तेज सांसो की ही आवाज़ गूँज रही थी
विनीता- अया अया आहा बस मेरे राआाआआआअज़ाआाआआआआआ मारीईईईईईईई मैं तूऊऊऊऊऊऊ
प्रेम- डालु चाची ,
विनीता- मैं तो कब से इंतज़ार कर रही हूँ बेटे जल्दी कर ना
प्रेम ने चाची के पैरो सा सावधानी से फैलाया जिस पाँव मे तकलीफ़ थी उसके नीचे तकिया लगाया और फिर अपने मस्ताने लंड को विनीता की चूत पर सटा दिया कई दिनो बाद चूत पर गरम लंड के अहसास से विनीता के बदन मे चीसे चलनी शुरू होगयि प्रेम ने अपनी पकड़ बनाई और उसके धक्का लगाते हुए लंड चाची की चूत मे जाने लगा
अया, निकाला विनीता के मूह से और प्रेम उस पर झुकता चला गया एक और धक्का और उसके अंडकोष विनीता की चूत से जा टकराया विनीता ने अपने होतो को खोला और प्रेम ने उनको अपने मूह मे क़ैद कर लिया चाची की गरम चूत की चुदाई शुरू हो गयी प्रेम थोड़ी आहिस्ता से धक्के लगा रहा था विनीता पागलो की तरह प्रेम के पूरे चेहरे को चूमे जा रही थी
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RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
इधर दोनो भाई बहन नोक झोंक करते हुए स्कूटर को घसीट ते हुए गाँव की तरफ चल रहे थे गाँव बस थोड़ी सी दूर रहा था पर ऐसा लगता था कि जैसे कि कितनी दूर हो, उषा को मूतने का मन हो रहा था बहुत देर से पर चारो तरफ खुला ही इलाक़ा था तो वो कर नही पा रही थी पर अब उसको लगने लगा था कि अब वो ज़्यादा देर तक रोक नही पाएगी पर छोटा भाई साथ था तो वो थोड़ा सा शरमा भी रही थी उसके लिए एक एक कदम बढ़ाना मुश्किल हो रहा था
उसकी टांगे काँपने लगी थी , अब क्या करूँ मैं यही सोचते सोचते वो रुक गयी उसे लग रहा था कि बस मूत निकलने ही वाला है आज तो तगड़ी मुसीबत हुई
सौरभ- क्या हुआ दीदी क्यो रुक गयी
उषा- भाई मुझे ना वो वो
सौरभ- वो क्या दीदी
उषा= मुझे ना सुसू आई है बहुत तेज
ये सुनते ही सौरभ के कान गरम हो गये वो तो पहले ही उषा पे फिदा था उसने सोचा इसी बहाने से दीदी की गान्ड देखने का तगड़ा मोका मिला है आज तो
सौरभ- दीदी, इधर तो कोई जगह भी नही है सब तरफ खुला ही पड़ा है
उषा- मुझे भी दिख रहा है पर मैं अब और कंट्रोल नही कर सकती कुछ करो
सौरभ- दीदी, आप फिर इधर ही कर लो और क्या
उषा- पर खुले मे कैसे
सौरभ-दीदी इधर हम दोनो के सिवा और कोई है नही मैं इधर मूह करके खड़ा हो जाता हूँ आप जल्दी से कर लो
उषा ने सोचा बात तो ठीक है उसने हाँ कर दी
सौरभ न अपना मूह दूसरी तरफ कर लिया उषा ने जल्दी से अपने सलवार को नीचे सरकया और बैठ गयी , सुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर की तेज आवाज़ से पेशाब चूत की दीवारो को चीरता हुआ धरती पर गिरने लगा सौरभ ने ज़रा सी गर्दन घुमा कर देखा तो उषा के चुतड़ों पर नज़र गयी उफ़फ्फ़ क्या गजब माल थी वो उषा को काफ़ी देर तक प्रेशर आता रहा उसे आज से पहले मूतने मे इतना मज़ा कभी नही आया था
उषा उठने ही वाली थी कि उसे लगा कि सौरभ चोर नज़रो से उसकी गान्ड को देख रहा है पर उसको गुस्सा नही आया उसने सोचा जब प्रेम भाई को दे चुकी हूँ तो इस कम्बख़्त के लिए भी थोड़ा नज़ारा तो बनता ही है उसने सौरभ के मज़े लेने की सोची और बिना अपनी सलवार को सरकाए ही खड़ी हो गयी ताकि सौरभ उसकी मांसल जाँघो और चुतड़ों को अच्छे से निहार सके फिर धीरे से उसने अपनी सलवार उपर की सौरभ के मूह का थूक ही सूख गया उसके दिल मे दीदी को चोदने की ख्वाहिश और भी बलवान हो गयी
इधर प्रेम और विनीता दोनो एक दूसरे की बाहों मे काम सुख को चख रहे थे प्रेम का लंड सरपट सरपट करता हुआ चाची की चूत मे अंदर बाहर हो रहा था दोनो की साँसे एक दूसरे से उलझी पड़ी थी चूत पर थप थप धक्को की बरसात हो रही थी दो जिस्म एक दूसरे मे समाए हुए अपनी मंज़िल की तलाश कर रहे थे पर आज उनकी किस्मत मे मंज़िल को पकड़ना था ही नही दोनो बस कुछ ही कदम की दूरी पर थे कि तभी नीचे से किसी की आवाज़ आई तो दोनो घबरा गये प्रेम फुर्ती से उसके उपर से उतरा और दीवार कूद कर अपने चॉबारे मे पहुच गया विनीता ने भी साड़ी को सही किया और ब्लाउज के हुको को बंद किया और आँखे बंद करके लेट गयी जैसे गहरी नींद मे हो मन ही मन गलियाँ देते हुए कि कॉन निगोडा आ मरा इस वक़्त
जल्दी ही उसे पता चल गया कि उसका पति आज घर आ गया था , जो कि एक नंबर का शराबी इंसान था पर अब था तो उसका पति ही , उसने विनीता को जगाया तो वो आँखे मलते हुए बोली- आप कब आए
पति- बस अभी भी, तबीयत कैसी है तुम्हारी
विनीता- जी बस ठीक हो रही हूँ डॉक्टर ने बताया कि कुछ दिनो मे चलने फिरने लगूंगी पहले की तरह
पति- बस तुम जल्दी से ठीक हो जाओ तो घर फिर से महकने लगेगा
विनीता को लगा कि आज उसका पति कैसी बाते कर रहा हैं
विनीता- काफ़ी दिनो बाद छुट्टी मिली
पति- हां वो क्या हैं ना कि काम बहुत रहता है आजकल मैने पीनी भी छोड़ दी हैं और मन लगाकर काम करता हूँ तो मेरा सेठ बहुत खुश हैं मेरे से और मेरी तनख़्वाह भी बढ़ा दी है
विनीता को यकीन ही नही होता कि उसके पति ने दारू छोड़ दी है उसकी आँखो मे खुशी के आँसू आ जाते है , उसका पति उसे गले से लगा लेता है और कहता है
मेरे सेठ ने देहरादून मे नया धंधा खोला है ट्रांसपोर्ट का और मुझे मुनीम बना दिया है तनख़्वाह भी पूरे 20000 रुपये देगा
विनीता- सच कह रहे है आप
पति- हाँ , मैं कल ही वहाँ के लिए निकल जाउन्गा , फिर कम से कम महीने डेढ़ महीने मे ही आउन्गा , देखो आज तक तुमने ही घर संभाला है तो अब तुमसे क्या छिपाना पर अब मैं भी ज़िम्मेदारी लूँगा ये लो मेरी पिछले कई दिनो की कमाई उसने नोटो की गद्दी विनीता के हाथो मे रख दी विनीता की आँखो से खुशी के आँसू झरने लगे पति पत्नी एक दूसरे के गले लगे हुए अपने आप को समेट रहे थे जहाँ कुछ देर पहले विनीता हवस की आग मे डूबी हुई पराए लड़के से चुद रही थी अब वो अपने पति की बाहों मे कुछ बेहद खास पलों को जी रही थी
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सांझ ढले सौरभ और उषा पैरो को पटकते हुए घर पहुचे उषा ने कहा कान पकड़े अगर आगे से तेरे साथ जाउ तो मैं और घर मे दाखिल हुई
सुधा- आज आने मे बहुत देर हुई
उषा ने सारा किस्सा बताया तो सुधा बोली- हो जाता है कभी कभी उषा अपने रूम मे चली गयी कपड़े चेंज करने के लिए सुधा चाइ बनाने लगी
थोड़ी देर बाद पूरा परिवार चाइ की चुस्किया लेते हुए बाते कर रहा था
सुधा- तो फिर अब खरीदारी भी हो गयी अब शादी मे थोड़े ही दिन बचे है मुझे कई रस्मे करनी होंगी तो मैं थोड़े दिन पहले जाउन्गी उषा तू अपने कॉलेज मे बोल देना करीब 10 दिन की छुट्टिया ले लेना , तू मेरे साथ ही चलेगी
उषा- पर माँ
सुधा- पर वर कुछ नही
सुधा- बेटे तुम भी अपना प्रोग्राम सेट कर लो जो काम निपटाने है वो ख़तम करो तुम्हारे मामा को ये नही लगना चाहिए कि हम शादी मे रूचि नही ले रहे है
प्रेम- जी माँ ,आप फिकर ना करे
सुधा- सौरभ को भी कह देना अपने कपड़े वग़ैरा तैयार करे
प्रेम- माँ पर वो जाएगा तो चाची के पास कॉन रहेगा
सुधा- तब तक तो तुम्हारी चाची चलने लगेगी बस कुछ ही दिनो की तो बात है अगर सब ठीक रहा तो वो भी हमारे साथ ही चलेगी , अब काम की बात आज से रात की लाइट का नंबर हैं तो तुम आज खेतो मे पानी देना
प्रेम अब रात को उषा को चोदने के चक्कर मे था तो वो बोला- माँ, मेरी तबीयत कुछ ठीक नही है सुबह से बदन और सर मे दर्द हो रहा हैं औ फिर मैं पानी मे रहा तो कही बीमार ना हो जाउ
सुधा- पर बेटे पानी देना भी तो ज़रूरी है ना खेत कई दिन से सूखे पड़े है नयी सब्ज़िया लगानी है तुम्हे तो पता ही हैं कि अपना गुज़रा तो खेती से ही होता है
प्रेम- माँ मैं सच्ची मे थोड़ा सा परेशान हूँ वरना मैं कभी मना करता हूँ क्या
सुधा- ठीक है बेटे , मैं ही चली जाउन्गी खेत पर अब किसी ना किसी को तो काम करना ही पड़ेगा ना
प्रेम- माँ , सौरभ को ले जाओ वो मदद कर देगा वैसे भी आजकल वो कामचोर हो गया हैं
सुधा ये सुनते ही थोड़ी सी रोमांचित सी हो गयी उसने कहा – ठीक है , मैं उसको बोल देती हूँ हसरते जवान हो रही थी सब अपना अपना जुगाड़ करने मे लगे हुए थे अपनी अपनी ख्वाहिशे सबको चूत की ज़रूरत रात आज फिर से रंगीन होने वाली थी
बापू को घर आया देख कर सौरभ का दिमाग़ बुरी तरह से हिल गया उसने सोचा कि यार अब बापू घर है तो फिर ताईजी सोने आएँगी नही बात कुछ आगे बढ़ नही पाएगी पर उसको क्या पता था कि किस्मत कुछ ज़्यादा ही मेहरबान हो रही है उसपर आजकल, घर का काम समेटने के बाद सुधा ने टॉर्च ली और सौरभ के घर पहुच गयी
सुधा- सौरभ, बेटे क्या कर रहा है
सौरभ- ताईजी कुछ नही
सुधा- बेटे, आज तुझे मेरे साथ खेत पर पानी देने चलना पड़ेगा प्रेम की तबीयत थोड़ी खराब हैं तो तुझे ही मदद करनी पड़ेगी
सौरभ ये सुनकर मन ही मन खुश हो गया और जल्दी से तैयार हो गया दोनो ताई बेटे खेतो के रास्ते से होते हुए कुँए की तरफ चले जा रहे थे दोनो के मन मे अपने अपने विचार घूमड़ रहे थे सौरभ सोच रहा था आज तगड़ा मोका है चूत मारने का क्या फिर इधर किसी का डर भी नही रहेगा और कोई रोक टोक भी नही है उधर सुधा सोच रही थी कि क्या सच मे प्रेम की तबीयत खराब है लग तो बिल्कुल भला चंगा रहा था आजकल इस लड़के की हरकते बड़ी अजीब सी होती जा रही है करना पड़ेगा इसका कुछ
सुधा की बलखाती गान्ड मटक रही थी चारो तरफ अंधेरा था सौरभ बार बार टॉर्च की लाइट सुधा की गान्ड पर मारता सुधा अब कोई नोसिखिया तो थी नही वो सब समझ रही थी उसके होंठो पर मंद मंद मुस्कान आ गयी उसके पाँवो मे खनकती पायल की आवाज़ सॉफ सुनी जा सकती थी सौरभ तो जैसे आज आसमान मे उड़ने को हो रहा था
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बाहर से किवाड़ पीटने की आवाज़ आते ही दोनो की चुदाई की खुमारी पल भर मे ही गायब हो गयी दोनो की गान्ड बुरी तरह से फट गयी सुधा ने भाग कर अपनी साड़ी को जल्दी से अपने बदन पर लपेटा सौरभ साइड वाली खाट पर जाकर ऐसे पसर गया जैसे कि गहरी बेहोशी मे पड़ा हो बाहर से माँ माँ की आवाज़ आई तो सुधा समझ गयी कि प्रेम है पर उसके मन मे एक आशंका ने जनम ले लिया कि ये इतनी रात को यहाँ क्या करने आया है कही कोई बुरी खबर तो नही उसका दिल बुरी तरह से धड़कने लगा
सुधा ने दरवाजा खोला तो प्रेम बदहवासी मे बोला-“माँ, अभी के अभी आपको घर चलना होगा ”
सुधा हान्फते हुए- बêते क्या हुआ पहले पूरी बात बता मुझे सब ठीक तो हैं ना
प्रेम- माँ, वो मामा का फोन आया था नानाजी का आक्सिडेंट हो गया है किसी रिश्तेदार से मिल कर आ रहे थे गाड़ी को बस ने टक्कर मार दी तुम जल्दी से घर चलो हमें अभी चलना होगा
सुधा का मन बुरी तरह से बैठ गया अपने पिता के आक्सिडेंट की खबर से उसकी आँखो मे आँसू आ गये वो रोने लगी तब तक पूरा माजरा समझ कर सौरभ भी उठ गया था प्रेम ने माँ को चुप करवाया और फिर सब लोग जल्दी से घर पर आ गये उषा पहले से ही जागी हुई थी प्रेम ने घर आते ही सुधा को तसल्ली से पूरी बात बताई रात आधी से उपर हो गयी थी अब जाए कैसे तो सौरभ बोला मेरा एक दोस्त है मैं उसकी गाड़ी ले आउन्गा तब तक आप लोग तैयार हो जाओ
सुधा ने तिजोरी से कुछ रुपये निकले और कुछ कपड़े भी रख लिए सुधा ने उषा को कुछ ज़रूरी बाते बताई जवान बेटी को वो अकेले नही छोड़ना चाहती थी इतने मे सौरभ आ गया तो सुधा ने कहा कि मैं और प्रेम चले जाते है सौरभ घर संभाल लेगा एक आदमी तो चाहिए ना घर पर कोई बात होगी तो मैं तुम लोगो को बुलवा लूँगी प्रेम सुधा के साथ ही रहना चाहता था पर अब बात मजबूरी की थी तो वो मान गया प्रेम और सुधा उसी टाइम निकल लिए कहा तो सुधा थोड़ी देर पहले एक जवान लंड को चूत मे लेने वाली थी और कहाँ अब ये मनहूस खबर आ गयी थी
करीब तीन-चार घंटे का सफ़र करके सुधा और प्रेम मामा के सहर के हॉस्पिटल मे पहुँचे सुधा की रुलाई छूट पड़ी घरवालों ने जैसे तैसे करके उसको संभाला मामा ने प्रेम को बताया कि किस्मत ही थी कि जान बच गयी सर मे वैसे तो काफ़ी चोट लगी है पैर भी टूट गया है पर जान बच गयी है वो ही बहुत है
बाकी बचा टाइम बस बेचैनी मे कटा सबको नाना के होश मे आने का इंतज़ार था घर मे करीब 15 दिन बाद शादी थी, तो सबका मूड थोड़ा सा खराब सा हो गया था पर किस्मत से कॉन लड़ पाया है सुधा का अपने मायके मे बहुत मान-सम्मान था बाप के आक्सिडेंट से वो बहुत ज़्यादा विचलित हो गयी थी
इधर प्रेम और सुधा के जाने के बाद घर पर सौरभ और उषा बचे थे , सौरभ के हाथ से ताईजी को चोदने का मोका चला गया था तो उसका दिमाग़ भन्ना गया था थोड़ी देर बाद उषा ने कहा भाई मुझे नींद आ रही है मैं सोने जा रही हूँ तुम भी सो जाओ
सौरभ- दीदी मुझे अकेले मे डर लगेगा
उषा- इतने बड़े हो गये हो फिर भी डर लगता है
सौरभ- दीदी मेरे मज़ाक उड़ा रही हो
उषा- कोई बात नही मेरे भाई, आ जाओ मेरे कमरे मे ही सो जाओ
सौरभ ये सुनकर बहुत खुश हो गया उषा बाथरूम मे गयी और एक ढीली सी मॅक्सी पहन कर आ गयी उसने लाइट बंद की और दोनो भाई बहन बेड पर सो गये , मामा के फोन ने सबकी ऐसी तैसी कर दी थी दरअसल जब फोन आया तो उषा प्रेम के लंड पर कूद रही थी उसकी चूत से काम रस झर झर कर बह रहा था चुदाई के बीच मे रुक जाने से उसका मूड ऑफ हो गया था पर अब बिस्तर पर लेट ते ही उसकी चूत मे फिर से खुजली होने लगी थी कुछ ऐसा ही हाल सौरभ का भी था वो भी धीरे धीरे अपने लंड को सहला कर समझा रहा था
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01-12-2020, 12:16 PM,
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RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
बिस्तर के दोनो कोनो पर दोनो भाई बहन अपनी अपनी आग को शांत करने का उपाय कर रहे थे थके बदन तो नींद तो आनी ही थी नींद मे सौरभ सरक कर उषा के बिल्कुल पास पहुच गया और उसने अपना एक पाँव उषा की टाँगो पर रख दिया नींद मे उसका लंड वैसे ही खड़ा था , अपनी गान्ड पर लंड को चुभने से उषा भी जाग गयी अब वो खेली खाई लड़की उसे पल भर मे ही पता चल गया कि सौरभ का लंड उसकी गान्ड पे कलाकारी कर रहा है
लंड का ख्याल आते ही उसकी चूत बुरी तरह से गीली हो गयी अच्छा बुरा सब भूलने लगी वो वो सोचने लगी कि सौरभ जाग रहा है या नींद मे है कन्फर्म करने के लिए उसने धीरे से सौरभ के पैर को अपने उपर से हटाया सौरभ सीधा होकर सो गया उषा की चूत की गर्मी बहुत बढ़ गयी थी उसने सोचा नींद मे है इसको क्या पता चलेगा और पता चले तो चले , उसने छोटे भाई का हाथ धीरे से अपने चुचो पर रखा और दबाने लगी आहह उसके मूह से धीरे से आवाज़ निकली उषा एक हाथ से सौरभ से चुचे भींचवाने लगी और दूसरे हाथ से अपनी चूत के दाने को सहलाने लगी
कामवासना मे अंधी उषा अपने एक भाई से तो चुद ही चुकी थी अब दूसरे से और ज़ोर आज़माइश करने लगी थी चूत मे उंगली करने से उसको जोश चढ़ रहा था जिस से सौरभ की नींद खुल गयी और उसको जल्दी ही माजरा समझ मे आ गया पर वो दीदी को शर्मिंदा नही करना चाहता था तो वैसे ही लेटा रहा पर वो अपने पे काबू नही रख पाया उसने भी जोश मे दीदी के बोबे को कस कर दबा दिया उषा को झटका सा लगा वो समझ गयी कि भाई जागा हुआ है वो तुरंत साइड मे हुई और सोने की आक्टिंग करने लगी
सुबह जल्दी ही उषा कॉलेज के लिए निकल गयी थी सौरभ भी मछलियो की देखभाल के लिए तालाब पर चला गया था विनीता का पति थोड़ी देर पहले ही नये काम के लिए निकला था विनीता अकेले घर बोर हो रही थी घर पर कोई भी नही था , सुधा और प्रेम तो मामा के चले गये थे, विनीता लकड़ी के सहारे नीचे आई तो उसे सौरभ का कमरा खुला दिखाई दिया तो वहाँ चली गयी
“ये लड़का भी ना, कितना बुरा हाल कर रखा है इसने कमरे का” विनीता ने कहा , और इधर उधर पड़ी चीज़ो को सही तरीके से रखने लगी, जब वो पलंग की चादर को सही कर रही थी तो उसको तकिये के नीचे से दो किताबे मिली जिन्हे देखते ही विनीता की आँखे अविष्वाश और कामुकता से चमकने लगी, सौरभ तकिये के नीचे जो किताबें रख कर भूल आया था उनमे से एक किताब अश्लील चित्रो वाली थी जिसमे औरते अलग अलग मुद्राव मे चुद रही थी लंड चूस रही थी चूत चटवा रही थी, उस किताब के चित्रो को देखते हुए विनीता की चूत मे बड़ी तेज खुजली होने लगी उसके होंठ सूखने लगे थे
फिर उसने दूसरी किताब को देखा और जैसे जैसे वो अपंनो को पलटने लगी उसकी चूत की चिकनाहट बढ़ने लगी थी, दरअसल वो पूरी किताब माँ बेटे की चुदाई की कहानियो से भरी पड़ी थी विनीता की साँसे माँ बेटे की चुदाई पढ़ते हुए भारी होने लगी , फिर वो वही पलंग पर बैठ गयी और सोचने लगी , “हो ना हो ये किताबें लाया तो सौरभ ही होगा ”
विनीता ने पिछले कुछ दिनो मे महसूस तो कर लिया था कि बेटा अब जवान हो रहा है और उसका हथियार भी ठीक है पर क्या वो भी ये कहानियाँ पढ़कर अपनी माँ को चोदना चाहता है, नही मेरा बेटा कभी मेरे बारे मे ऐसे नही सोचेगा विनीता सौरभ के बारे मे सोचते हुए अपनी चूत को सहला रही थी उसके मन मे अजीब अजीब से विचार आ रहे थे, वो बहुत गरम हो रही थी पर अभी कोई जुगाड़ नही था उसके पास वो करे तो क्या करे, विनीता उधर ही लेट गयी और उसकी आँख लग गयी
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