RE: Free Sex Kahani जालिम है बेटा तेरा
कल्लू--- के.. क्या हुआ उसे?
पप्पू-- अरे कुछ भी हो... है तो तेरे लिए खुशी की बात ना....।
कल्लू को इतना सुनना था कि वो गुस्से में लाल एक जोर का तमाचा पप्पू के गाल पे जड़ देता है और अपनी साइकिल उठा कर अस्पताल की तरफ चल देता है.........
इधर सुनिता अनिता के साथ अस्पताल पहुचं चुकी थी, वो सिधा सोनू के वार्ड में जाती जहां सोनू के पास पहले से ही पारूल बैठी उससे बात कर रही थी।
पारुल-- अरे सुनीता जी इतनी सुबह सुबह आ गयी आप?
सुनीता-- जी डाक्टर साहीबा, वो खाना ले कर आना था ना इसलीये।
पारुल-- अच्छा कीया, क्यूकीं सोनू का दवा खाने का टाइम भी हो गया।
सुनीता खाने का डीब्बा खोल कर सोनू को दे देती है, सोनू अपनी मुडीं निचे कीये खाना खाने लगता है, अनीता राजू को खाना देने वार्ड से बाहर राजू के पास थी और पारुर पेशेंट को देखने दुसरे वार्ड में चली जाती है।
सोनू चुपचाप खाना खा रहा था और सुनीता उसके बगल में बैठी उसे निहारे जा रही थी......
सुनीता-- वो.....मुझे लगा तुम्हे आलू के पराठे बहुत पसदं है तो आज यही बना कर लायी......अब पता नही ठीक से बना भी है या नही।
सुनिता अनायास ही ऐसे बोली जबकी खाने में आलू का पराठा था ही नही...
सोनू-- पता नही लोग मुझे चुतीया क्यूं समझते है, शायद मैं हू इसलिये।
सुनीता-- क.....कौन समझता है तुम्हे चुतीया?
सोनू-- अभी तो तू ही समझ रही है।
सुनीता-- हाय रे दइया...भला मैं क्यूं तुम्हे चुतीया समझने लगी?
सोनू-- आलू का पराठा कहां है खाने में दीखा मुझे...अब तू चुतीया नही तो क्या समझ रही है मुझे?
सुनिता-- वो....तो मैं ऐसे ही बोल दीया क्यूंकी तुम मुझसे बात नही कर रहे थे।
सोनू-- क्यूं मैं तेरा मरद हूं क्या जो तुझसे बात करु।
सुनीता-- क्यू क्या एक औरत से उसका मरद ही रुठता है क्या बेटा भी तो रुठ जाता है, तो मनाना तो पड़ता ही है ना..।
सोनू कुछ नही बोलता और चुपचाप खाना खाता है.....
सुनीता-- मुझे पता है मैने गलती की है...और मैने जानबुझ कर नही कीया वो थोड़ा गुस्से में हो गया।
सोनू कुछ नही बोलता और चुपचाप खाना खाता है....खाना खतम कर सोनू वापस बेड पर लेट जाता है तभी पारुल आ जाती है...
पारुल--अरे सोनू पहले दवा खा लो फीर आराम से सोना।
सोनू दवा खाता है और फीर बेड पर लेट जाता है।
सुनीता-- डाक्टर साहीबा सोनू को घर कब ले जा सकते है...
पारुल-- सुनीता जी वैसे तो सोनू अब ठीक है, लेकीन आज यही रहने दो कल सुबह डीसचार्ज कर दुगीं॥
सुनीता-- ठीक है डाक्टर साहीबा...अरे लेकीन आज तो सरपंच के यहा उनकी तेरही है आप नही गयी भोज में॥
पारूल-- अरे सुनीता जी कार्यक्रम तो शाम को है तो शाम को जाउगीं॥
सुनीता-- जी डाक्टर साहीबा.......
अब तक सोनू आराम से सो चुका था। उसका भोला चेहरा देखते हुए सुनीता ने मन ही मन कहा हे भगवान तेरा लाख लाख शुक्र है जो मेरा बेटा मुझसे नाराज नही है.....और फीर वार्ड से बाहर चली जाती है क्यूकीं सोनू सो चूका था......।
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