Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 02:52 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम और निर्मला ने तो अपनी वैलेंटाइन की रात को सारी हदें पार करते हुए एक दूसरे को चुदाई का अद्भुत और अलौकिक सुख की प्राप्ति कराते हुए आनंद से पूरी रात गुजारी,,, इस तरह का वैलेंटाइन निर्मला ने,,, आज तक कभी नहीं मनाई थी और शुभम का तो यह उसकी जवानी का पहला वैलेंटाइन था जो कि उसने अपनी मां के साथ मनाया और ईतना अद्भुत और कामोत्तेजित तरीके से मनाया कि यह वैलेंटाइन उसे जिंदगी भर याद रहेगा,, अब तक तो वह वैलेंटाइन का मतलब ही नहीं समझ पाता था लेकिन उसकी मां ने वैलेंटाइन का,,,, पूरा मतलब उसे एक ही रात में समझा दी,, शुभम अपनी मां की फूली हुई कचोरी जैसी बुर पाकर बेहद प्रसन्न और आनंदित था,,,, और निर्मला भी अपने बेटे को मजबूत और दमदार लंड से चुद कर और भी ज्यादा निखर गई थी। बेटे के रूप में उसे चारदीवारी के अंदर का प्रेमी और पति दोनों मिल चुका था जिसके साथ वह जब चाहे तब अपने बुर की प्यास बुझा सकती थी,,,,,,, कुछ दिनों से तो वह अपने पति अशोक को बिल्कुल भी भूल चुकी थी अब वह उसे मनाने या आकर्षित करने में कोई दिलचस्पी नहीं रखती थी और वैसे भी अब इसकी उसे जरूरत भी नहीं थी क्योंकि अशोक से बेहतर और जवान प्रेमी कहो या पति उसे मिल चुका था अशोक जी छोटे से और पतले लंड की कामना में जिसे रात रात भर करवटें बदल कर बिताना पड़ रहा था,,,
ऐसे हालात में उसे घोड़े जैसा दमदार लंड मिल चुका था तो,,,, छोटे से नुन्नी के लिए ,, भला वह ऊसे क्यो याद करती,,,,, निर्मला की बुर में अब शुभम के लंबे तगड़े और दमदार मोटाई वाले लंड का सांचा बन चुका था जिसमें अब नुन्नी के लिए कोई स्थान नहीं था।,,,,
दूसरी तरफ वैलेंटाइन बनाने के लिए शहर से बाहर गए हैं अशोक और उसकी सेक्रेटरी रीता के बीच पैसे की मांगनी को लेकर झगड़ा हो गया,,,
शहर के बाहर महंगे होटल में, दिन भर इधर उधर घूम कर शॉपिंग करने के बाद जब वह दोनों रात को होटल के रूम में रंगरेलियां मनाने के लिए गए तब कमरे के अंदर पहुंचते ही अशोक ने रीता के बदन पर के एक-एक करके सारे कपड़ों को उतार फेंका,,, रीता भी अशोक के कपड़े उतार रही थी कुछ ही सेकंड में दोनों पूरी तरह से नंगे हो गए ट्यूबलाइट की दूधिया रोशनी में रीता के गोरे बदन को चमकता देखकर अशोक के लंड में सुरसुराहट होने लगी,,,, रीता अपनी जवानी के जलवे बिखेरते हुए अधखड़े लंड को अपने हाथ से पकड़ कर हिलाते हुए उसे मुंह में लेकर चूसना शुरू कर दी,,, रीता की यह अदा देख कर तो अशोक एक दम मस्त हो गया वह हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया,,, थोड़ी ही देर में दोनों के बदन में सुरूर चढ़ने लगा,,,, अशोक रिता की बांह पकड़ कर उसे खड़ी किया,,,, और झट से उसे अपनी गोद में उठा लिया,,,, सरिता का वजन 50 से 55 किलो के लगभग था लेकिन फिर भी जवानी की जोश में चुदवासा होकर अशोक ने उसे बड़े आराम से अपनी गोद में उठा लिया,,,,,, और सीधे ले जाकर पलंग पर पटक दिया नरम नरम स्पंज युक्त गद्दे पर रीता गिरते ही किसी गेंद की भांति उछल गई जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां टोकरी में रखे फल की तरह इधर-उधर होने लगी,,, जिसे अशोक अपने दोनों हाथ बढ़ाकर जल्दी से झपट लिया और उसकी टांगों के बीच अपने लिए जगह बनाकर अपने लंड को उसकी बुर के मुहाने पर रखकर,, धीरे-धीरे बुर के अंदर सरकाना शुरू कर दिया,,, और थोड़ी ही देर में उसका पूरा लंड रीता की बुर में समा गया,,, अशोक पूरी तरह से जोश से भर चुका था और इसी पल का इंतजार रहता कर रही थी जैसे ही वह अपने लंड को अंदर बाहर करते हुए उसे चोदना शुरू किया ही था कि रीता अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ कर एक तरह से उसे रोकते हुए बोली,,,,,

ऐसे नहीं करने दूंगी जान,,,

क्यों क्या हुआ,,, (रीता द्वारा इस तरह से रोके जाने पर अशोक झुंझलाहट भरे स्वर में बोला)

तुम अच्छी तरह से जानते हो कि आज वैलेंटाइन डे है और आज के दिन प्रेमी अपनी प्रेमिका को तोहफा देता है,,।

हां देता है तो इसमें कौन सी नई बात है ऐसा कहते हुए वह अपनी कमर को नीचे की तरफ उसे चोदने के लिए बढ़ाया ही था कि फिर से रीता ने उसकी कमर थाम ली,,,


क्या कर रही हो रीता,,,,


ऐसे नहीं करने दूंगी पहले तुम भी मुझे तोहफा दो,,,

अरे ले लेना तोहफा अब शहर से इतनी दूर तुम्हें चोदने के लिए लाया हूं चोदने तो दो,,,,

हमें जानती हूं तुम शहर से इतनी दूर मुझे इस होटल में चोदने के लिए लाए हो,,, इसलिए तो मैं तुमसे कह रही हूं कि मुझे भी बाहर जाने के रूप में आज वैलेंटाइन डे पर तोहफा तो मिलना चाहिए,,,,,


हां दे दूंगा मैं तुम्हें तोहफा लेकिन ऐसे मौके पर मुझे रोक कर मेरा मूड मत खराब करो,,,

मुझे 5 लाख का हीरों का हार बनवाना है,,,,

क्या तुम पागल हो गई हो अभी पिछले हफ्ते तो मैंने तुम्हें रुपया दिया हूं और आज फिर से तुम पैसे मांग रही हो,,,
( ₹500000 की बात सुनते ही आश्चर्य के साथ अशोक बोला,,,।)

हमें जानती हूं कि तुम मुझे पैसे दिए थे लेकिन वह मेरी जरूरत थी लेकिन आज तो मैं तुमसे तोहफे के रुप में मांग रही हुे ं मेरे राजा,,,,

तुम्हें मालूम भी है कि तुम तोहफे में क्या मांग रही हो,,,,

मैं जानती हूं और बड़े अच्छे तरीके से जानती हो कि मैं तुमसे क्या मांग रही हूं और यह मेरा तुम पर हक भी है मांगना क्योंकि मैं तुम्हारी प्रेमिका हूं प्रियंका क्या तुम्हारी आधी घरवाली है जिसे तुमने अपने लिए रखेल बनाकर रखा हुआ है,,,,( रीता अपनी अदाओं का जादू चलाने लगी वह जानती थी कि,,, किस तरह से अशोक को पैसे देने के लिए मनाना है इसलिए वह जितना लंड उसकी बुर में घुसा हुआ था वह नीचे हाथ लगा कर लंड को पकड़कर हल्के हल्के बुर में ही आगे पीछे करने लगी उसकी इस हरकत से अशोक एकदम बेकाबू हो गया वह रीता को चोदने के लिए मचलने लगा,,, और उसे चोदने के लिए कैसे ही अपनी कमर को नीचे की तरफ बढ़ाया,, रीता ने फिर से उसे रोक दी और उसे रोकते हुए बोली,,,।)
ऐसे नहीं डालने दूंगी,,, मे जानती हुं की तुम्हारा लंड तड़प रहा है मेरी दूर के अंदर जाने के लिए। और सच बताऊं तो मेरे राजा मेरी बुर भी तड़प रही है तुम्हारे लंड को लेने के लिए,,,,
(रीता अच्छी तरह से जानती थी कि इस तरह की बातें सुनकर अशोक पागल हो जाता है उसे ऐसी बातें बहुत ही अच्छी लगती है जब उसको चुदवाते समय गंदी बातें करो तो वह उस समय कुछ भी करने को तैयार हो जाता है और इसका असर अशोक पर भी अच्छी तरह से हो रहा था,,, वह रीता की मस्ती भरी बातें सुनकर एकदम से चुदवासा हुआ जा रहा था,,,,, वह रिता की बुर में अपने लंड को अंदर बाहर करके चोदने के लिए मरा जा रहा था,,,। रीता एक बार फिर से अपनी बात मनवाते हुए उसे बोली,,)
बोलो मेरे राजा मेरी ख्वाइश पूरी करोगे ना मुझे हीरे का हार बनाने के लिए ₹500000 दोगे ना,,,,
( इतना कहते हुए रीता ने अशोक के दोनों हथेलियों को अपने दोनों बड़े-बड़े खरबूजे पर रख दी जिस पर हाथ पड़ते ही अशोक से रहा नहीं गया और वह जोर जोर से दबाना शुरु कर दिया और उसे दबाते हुए बोला,,,।)
हां ले लेना मेरी जान मैं तुम्हें हीरे का हार बनाने के लिए पैसे दूंगा लेकिन अब मुझे चोदने दो,,,
( रीता का काम बन चुका था एक बार फिर से वहां उसे चुदवासा करके उससे पैसे ऐंठने में कामयाब हो गई,, इसलिए जिस हांथ से वह अशोक की कमर को पकड़ कर उसे रोके हुए थी,,, उसी हाथ को वह कमर से हटाकर उसके नितंबों पर रखकर ऊसका दबाव अपनीे बुर पर बढ़ाते हुए बोली,,,।

रोका किसने है मेरे राजा अपने तो अपने लंड को मेरी बुर की गहराई में मुझे मस्त कर दो,,,


इतना सुनते ही अशोक जोर-जोर से अपने लंड को रीता की बुर के अंदर बाहर करते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया,,, कमरे में रीता की सिचकारी की आवाज गूंजने लगी,,,, अशोक रीता को जोर जोर से जोर देना शुरु कर दिया पूरा कमाल दिखाते हुए रीता ने अशोक को एकदम पागल बना दी,,,, थोड़ी ही देर में वह जोर जोर से चिल्लाते हुए अपना पानी छोड़ने लगी फिर उसके बाद 2,,,4 धक्को मे हीं अशोक भी अपना पानी निकाल कर उसके ऊपर भी निढाल हो गया,,,,
अशोक का लंड अपनी बुर में लेकर जोर जोर से चिल्लाते हुए चुदवाना यह रीता का बहुत बड़ा नाटक था,,,, अशोक को यह जताने की पूरी कोशिश करा देती कि उसका लंड लेकर उसे बुर में बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है,,,, और वह जानबूझकर गरम गरम सिचकारी अपने मुंह से छोड़ते हुए,,,, अशोक का हौसला बढ़ाते हुए यह जताने की कोशिश करती कि उसका लंड लेकर उसे चुदवाने में बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही है और वह एक दम मस्त हो गई है,,, और जैसा वहां जताने की कोशिश करती थी अशोक उस पर पूरा भरोसा करते हुए और जोर-जोर से अपने लंड के धक्के उसकी बुर में लगाता था वह यही सोचता था कि रीता को उसके लंड से चोदने में बहुत मजा आता है लेकिन सच इसके विपरीत था,, रीता जेसी चुदक्कड़ औरत के लिए अशोक का छोटा और पतला लंड कोई मायने नहीं रखता था,,,, रीता को मोटे लंबे लंड से चुदने की आदत थी और मोटे लंड से चुदने में उसे बेहद आनंद मिलता था,,,, अशोक के साथ वह तो सिर्फ एक नाटक ही करती थी उसके पैसे ऐंठने के लिए,,, और अब तक वह अपनी अदाओं का जादू और जबरदस्त एक्टिंग की बदौलत अशोक से लाखों रुपए ऐंठ चुकी थी,,,। हालांकि यह बात धीरे-धीरे अशोक को समझ में आने लगी थी लेकिन वह इतना ज्यादा चुदास से भरा रहता था कि रीता की हर एक अदा पर लाखों रुपए लूटाने के लिए तैयार हो जाता था वह वैलेंटाइन की रात को भी उसे पैसे देने के लिए राजी हो गया,,,

दूसरी तरफ शीतल की हालत खराब थी अब तो रात दिन उसके दिमाग में बस सुभम हीें छाया रहता था।,,, जब से शुभम ने उसे पकड़ कर उसके होठों को चुमा था और चूमने के साथ ही ब्लाउज के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाया था तब से उसके तन-बदन में उसे पाने की लालसा और ज्यादा बढ़ गई थी। उसके लंड की ठोकर को साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर पर महसूस करके वह शुभम के लंड की ठोकर को भूल नहीं पा रही थी बार-बार उस,,,,
04-01-2020, 02:52 PM,
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बार-बार उसके लंड की ठोकर को अपनी बुर पर महसुस करके वह गीली हो जा रही थी,,, वह मन में इस बात से और भी ज्यादा उत्साहित और उत्तेजित हो जा रही थी कि जब साड़ी के ऊपर से ही उसका ताकतवर लंड बुर के द्वार पर दस्तक दे देता है,, तब वह जब ऊसके नंगे लंड को अपनी बुर के अंदर महसूस करेगी तब उसका क्या हाल होगा,,,, यह सोचकर ही शीतल ना जाने कितनी बार पानी छोड़ दी थी। अधिकतर हालातों में औरतों का चरित्र उसकी 2 इंच की बुर में छिपी होती है जब तक उसके अंदर कुलबुलाहट नहीं होती तब तक वह एकदम सीधी सादी और संस्कारी बनी रहती है।
लेकिन जैसे ही बुर के अंदर कुलबुलाहट और खुजली मचने लगती है तब,,, औरत बुर के अंदर की खुजली मिटाने के लिए वह किसी भी हद तक जाने के लिए तैयार हो जातीे हैं,,, ठीक उसी तरह के हालात दोनों औरतों के सामने पैदा हो चुके थे और उनमें से एक औरत ने तो सारी हदें पार करके अपने बेटे से ही शारीरिक संबंध बनाकर अपनी बुर की खुजली मिटाने का सारा जुगाड़ जमा ली थी। और दूसरी उसका लंड पाने के लिए तड़प रही थी,,,, पेसे से दोनों शिक्षिका थी इसलिए कोई सोच भी नहीं सकता था कि सामाजिक स्तर पर इतने ऊंचे होद्दे पर होते हुए भी,,, दोनों औरतें अपनी वासना के आगे विवश होकर इस तरह के भी कदम उठा सकतीे हैं,,,। स्कूल में अब शीतल को अधिकतर,,,शुभम का ही इंतजार रहता था उसकी आंखें उसी को ढुंढ़ती थी,,, और इस बात का ख्याल भी रखती थी कि कहीं उसकी ताका-झांकी का पता शुभम की मम्मी निर्मला को ना हो जाए,,, ऐसे ही 1 दिन शुभम अपनी क्लास की तरफ जा रहा था तो रास्ते में ही शीतल ने उसका रास्ता रोकते हुए अपने करीब बुलाई,,,,,, शुभम के तन बदन में शीतल को देखते ही वासना की ज्वाला फूटने लगी,,,वह तिरछी नजरों से शीतल की बड़ी-बड़ी चूचियों को देख रहा था जो की लो कट ब्लाउज पहनने की वजह से आती चूचियां बाहर को ही नजर आती थी,,, उसकी तिरछी नजरों का निशाना शीतल अच्छी तरह से जानती थी वह जानती थी कि वह उसकी चूचियों को ही घूरता रहता है इसलिए अपना सीना कुछ ज्यादा ही उभारकर उसके सामने उससे बातें करती थी,,,, शीतल के द्वारा इस तरह से उसका रास्ता रोककर अपने पास बुलाना शुभम को भी बहुत अच्छा लगा था वह जल्दी से उसके पास जाकर बोला,,,

क्या हुआ मैडम आप मुझे इस तरह से क्यों बुला रही हो,,

मुझे तुझसे प्यार हो गया है इसलिए मैं तुझे अपने पास बुला रही हूं,,,( शीतल अपने चारों तरफ नजरें घुमा कर इस बात की पुष्टि करते हुए कि कोई उन दोनों को नहीं देख रहा है इसलिए बड़े ही मादक अदा में अपने होठों पर अपनी जीभ फीराते हुए उससे बोली,,,,, शीतल की बात सुनकर शुभम कुछ बोल नहीं पाया बस उसे आंखें फाड़े देखता ही रह गया,, शीतल बात को आगे बढ़ाते हुए बड़े ही कामोत्तेजित ढंग से बोली,,,) और शुभम तुम मुझे मैडम मत बुलाया करो तुम मुझे शीतल बुला सकते हो हां सबके सामने नहीं बस अकेले में जब मुझे और तुम्हें एकांत में कहीं मौका मिले तब तुम मुझे शीतल ही बुलाया करो,,,,
( शीतल की बातें सुनकर शुभम की हालत खराब होने लगी इतना तो जानता था कि शीतल उसी से चुदवाना चाहती है लेकिन उसकी मादक अदाएं और उसकी बातें उसके तन-बदन में आग लगा रही थी,,, जिसकी वजह से पेंट में उसका लंड खड़ा होने लगा और देखते ही देखते बड़ा ही भीषण रूप लेकर पेंट के आगे का आकार पूरी तरह से बड़ा कर दिया जिस पर नजर पड़ते ही शीतल की बुर कुलबुलाने लगी,,,, चेतन के लिए यह बड़ा ही कामोतेजना से भरपूर नजारा था क्योंकि इस तरह का बड़ा भयानक रूप धारण किया हुआ लंड वह सिर्फ शुभम के ही पेंट में देखती आ रही थी और शुभम के इस ताकतवर मर्दाना लंड नें उसकी रातों की नींद उड़ा रखी थी,,,,। इसके लिए तो शिवम के उड़ते हुए उस मर्दाना अंग को देखते ही उत्तेजना के मारे शीतल का गला सूखने लगा,,,, उसकी बुर से मदन रस चुने लगा जिसकी वजह से उसकी पैंटी भीगने लगी थी,,, उस ऊठे हुए भाग को देखकर शीतल का मन कर रहा था कि उसे अपनी हथेली में दबोच ले,,, लेकिन वह अपने मन पर काबू रखी हुई थी,,, क्योंकि यहां ऐसा करने पर किसी के देखे जाने का डर बराबर बना हुआ था वह जानते थे कि यहां कुछ भी करना उसके लिए बहुत ही खराब स्थिति को जन्म देने के बराबर था,,,, वह बराबर ऊस उठे हुए भाग पर नजर गड़ाए हुए थी,,, वह शुभम की तरह मुस्कुराहट भरी और मादक मुस्कान बिखेरते हुए बोली,,,

शुभम तुम चाहती मुझ से मिलते हो तो तुम्हारे ईस पैंट में इतना बड़ा सा क्या बन जाता है,,,,,
04-01-2020, 02:52 PM,
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( शुभम तो शीतल की यह बात सुनकर एकदम से जीत गया और उसकी नजर अपने पैंट पर गई तो सच में वहां बहुत बड़ा तंबू बना हुआ था जिसे वह अपनी हथेली से छुपाने की नाकाम कोशिश करने लगा और उसकी यह हालत देखकर शीतल को वहां ज्यादा देर ठहर ना ठीक नहीं लगा और वह हंसते हुए चली गई,,,, शुभम भी किसी तरह से अपनी क्लास में आकर बेठ गया।,,,,,
क्लास से इसे रिपोर्ट कार्ड मिली थी जिस पर उसे उसके पापा के दस्तखत कराने पर रिपोर्ट कार्ड लेकर घर आ गया लेकिन घर पर आकर केवल उसे उसकी मां ही नजर आती थी उसकी खूबसूरती का रसपान करते हुए चार-पांच दिन बीत गए लेकिन उसने रिपोर्ट कार्ड पर अपने पापा के दस्तखत नहीं कराए,, रिपोर्ट कार्ड पर दस्तखत कराने की अंतिम तारीख थी क्योंकि उसे क्लास में देकर जमा करना था लेकिन वह भूल गया था और उसके पापा घर से ऑफिस चले गए थे,,,,, वह उस रिपोर्ट कार्ड पर अपने पापा के दस्तखत कराने के लिए अपने पापा के ऑफिस की तरफ निकल गया।
दूसरी तरफ चार-पांच दिन गुजर जाने की वजह से रीता भी परेशान हो चुकी थी क्योंकि उसे अभी तक रकम नहीं मिली थी। क्योंकि अशोक उसे पैसे नहीं देना चाहता था जब रीता करीब नहीं होती थी तो वह इस बारे में जरूर सोचना था और उसे लगने भी लगा था कि वह काफी पैसे उसके ऊपर लुटा चुका है और उसकी लालच और ज्यादा बढ़ती जा रही है।,,
लेकिन जब पीड़िता उसके करीब होती थी तो वह सब कुछ भूल जाता था,,, ऑफिस में अपना काम करते हुए अशोक मन में ठान लिया था कि इस बार वह रीता को पैसे नहीं देगा चाहे जो भी हो जाए अगर ऐसा हुआ तो वह साफ-साफ उसे कहकर ऑफिस से निकाल देगा और दूसरी तरफ रीता अपने केबिन में बैठ कर उस पैसे के बारे में ही सोच रही थी,,, वह उठकर अशोक की केबिन में जाने लगी,,, क्योंकि वह जानती थी कि अशोक से किस तरह से पैसे लेने हैं,,, रीता केवीन का दरवाजा खोलकर ऑफिस में प्रवेश कि,, अशोक अलमारी म से े कोई फाइल ढूंढ रहा था,,,, रीता बिना कुछ सोचे समझे पीछे से जाकर अशोक के बदन से लिपट गई,,, और उससे लिपटते हुए बोली,,, अशोक मेरी जान कुछ दिनों से तो मेरे ऊपर बिल्कुल भी ध्यान नहीं दे रहे हो क्या कोई और मिल गई है तुम्हें (इतना कहते हुए वह अपना हाथ नीचे ले जाकर पेंट के ऊपर से अशोक के लंड को सहलाने लगी,,, अशोक समझ रहा था कि वह क्या करने आई है लेकिन वह उसकी उंगलियों के जादू से बच नहीं सका क्योंकि कुछ ही सेकंड में उसके लंड में हरकत होना शुरू हो गई,,,,, और रीता धीरे से उसकी पेंट की बटन खोलकर एक झटके से ही अंडरवीयर सहित उसके पैंट को घुटनों तक सरका दी,,, और अशोक को अपनी तरफ घुमा दी,,,, एक हाथ से उसका लंड पकड़ कर ही लाते हुए उसके होठों को चूमने लगी अशोक की हालत उसकी इस हरकत से और ज्यादा खराब होने लगी,,, अशोक उत्तेजित होकर अपने दोनों हाथ आगे बढ़ा कर रीटा की चूचियों को ब्लाउज के ऊपर से दबाने लगा रीता समझ गई कि अब यह एकदम चुदवासा हुए जा रहा है,,, तभी उसकी तड़प को और ज्यादा बढ़ाते हुए रीता अशोक से दो कदम पीछे हटी और उसके सामने ही अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठाने लगी अशोक अपना लंड पकड़ कर यह नजारा देखकर और ज्यादा मस्त हुए जा रहा था। कभी रीता ने अपनी साड़ी को कमर तक उठा दि और अपनी पैंटी को नीचे की तरफ सरकाते हुए जांघों में फंसा दी,,, अशोक की नजर रीता की चिकनी बुर पर पड़ते ही वह एकदम से चुदवासा हो गया रीता ने जानबूझकर अपनी बुर को आज ही वीट क्रीम लगाकर साफ की थी,,,, अशोक रीता की तरफ आगे बढ़ता इससे पहले ही रीता उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गई,,, अशोक को समझ पाता इससे पहले ही वह अपनी नजरें पीछे घुमा कर अशोक की तरफ मादक मुस्कान बिखेरते हुए देखती हुई टेबल के ऊपर झुक गई और अपनी भारी-भरकम गांड को अशोक के सामने परोस दी,,, रीता की यही कामुक अदाएं अशोक की जान ले लेती थी अशोक से रहा नहीं गया और वह रीता की तरफ अपना लंड पकड़े आगे बढ़ा,,, रीता समझ गई थी कि वह अब एकदम से चुदवासा हो गया है। अशोक आगे बढ़कर रीता की गांड को दोनों हाथों से थाम लिया,,, रीता समझ गई कि अब वह लंड डालने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका है, वह अपना लंड ऊसकी बूर से सटाता इससे पहले ही,, रीता अपनी गांड को आगे की तरफ सिकोड़ ली,, और वह अपनीे गांड को सिकोड़ते हुए बोली,,,

तुम अब बदल गए हो अशोक तुम मुझ पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते,,,,

ऐसा क्यों कह रही हो जान मैं तुम पर बराबर ध्यान देता हूं,,,

नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है तो मुझ पर बिल्कुल भी ध्यान नहीं देते कुछ दिनों से तो तुम मुझसे बात तक नहीं कीए हो,,

ऐसा कुछ भी नहीं है रीता,,,, तुम्हें गलतफहमी हो रही है । (इतना कहते हुए वह अपना हाथ आगे बढ़ा कर रीता कि बड़ी-बड़ी गांड को पकड़ना चाह रहा था कि तभी वह उसका हाथ झटकते हुए बोली,,,)

गलतफहमी मुझे नहीं,,,, बल्कि तुम सच में बदल गए हो,,, वैलेंटाइन के दिन मैं अपना परिवार अपने पति को छोड़ कर तुम्हारे साथ शहर के बाहर गई सिर्फ तुम्हें खुश करने के,,, लिए,,, तुम्हारी खुशी की खातिर में अपने परिवार को बार-बार छोड़ कर तुम्हारे साथ कहीं भी चल देती हूं,,,,

यह तुम क्या कह रही हो रीता मुझे बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा है । (इतना कहते हुए एक बार फिर से रीता की भराव दार गांड को थामने के लिए हाथ बढ़ाया ही था कि फिर से वह उसका हाथ झटकते हुए बोली,,,,)
वैलेंटाइन के दिन हर प्रेमी अपनी प्रेमिका को कुछ ना कुछ गिफ्ट देता है लेकिन तुमने मुझे कुछ भी नहीं दिया सिवाय झूठे वादे के,,,,,


नहीं जान ऐसा कुछ भी नहीं है मैं तुम्हें झूठा वादा नहीं दिया हूं (इतना कहते हुए अशोक फिर से उसकी मतवाली गांड पर अपना हाथ रखने चला लेकीन इस बार रीता ने उसके हाथ को झटकी नहीं,,,, वह अपनी नंगी गांड पर उसके हाथ को रखने दी,,, रीता की मस्त नंगी गांड पर अपने दोनों हाथ रखते ही उसका जोश बढ़ने लगा और वह कसकर रिता की गांड को अपनी हथेली में भरकर दबाने लगा,,, ऐसा करते ही अशोक को लगने लगा कि रीता नरम पड़ रही है और एक कदम आगे बढ़कर धीरे से अपने लंड को रीता की बुर के मुहाने सटा दिया,,,, लेकिन इस बार भी रीता ने उसे कुछ नहीं बोली बस अपनी नजरें पीछे की तरफ घुमा कर अशोक की हरकत पर नजर रखते हुए बोली,,,,

शुभम तुम मुझे धोखा दिए हो,,

नहीं जान ऐसा बिल्कुल भी नहीं है मैं भला तुम्हें क्यों धोखा दूंगा,,,,

तो तुमने उस रात को मुझे ₹500000 देने का वादा किया था लेकिन अब तक पैसे के बारे में मुझसे कोई जिक्र तक नहीं किए हो,,,,

रीता तुम मुझे गलत समझ रही हो कुछ दिनों से मैं बहुत बिजी हूं इसलिए तुम्हें पैसे नहीं दे पाया तुम तो जानती हो ऑफिस में कितना काम रहता है,,,( इस बार अशोक ने अपने लंड के सुपाड़े को रीता की पनियाई बुर के अंदर उतार दिया,,, उसे लगने लगा कि रीता चोदने के लिए बिल्कुल तैयार हो चुकी है इसलिए उसका विरोध नहीं कर रही है लेकिन उसके सोचने के बिल्कुल विपरीत रीता एक हाथ पीछे ले जाकर अशोक के लंड को पकड़कर अपने हाथ से ही अपनी बुर से बाहर निकाल दि,,,, और लंड को अपनी बुर से बाहर निकालते हुए बोली,,,,

नहीं मैं वैसे झूठे इंसान के साथ कोई भी संबंध रखना नहीं चाहती (इतना कहते हुए रीता खड़ी हो गई और अपनी साड़ी को नीचे कर दी,,, अशोक रीता की हरकत से एकदम से तड़प उठा क्योंकि अभी भी उसके लंड पर से रीता के मदन रस की बूंदे टपक रही थी, वह एकदम से चुदवासा हो गया था ओर रीताा की बुर में लंड डालने के लिए तड़प रहा था,,,, वह एक हाथ में लंड थामे रीता को बोला,,,

04-01-2020, 02:52 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
ऐसा मत करो जान तुम मेरे लिए सब कुछ हो,,,, तुम अच्छी तरह से जानती हो कि अब तक मैंने तुम्हारी सारी जरूरतों को पूरी करते आया हुं,,,, तुम्हारी यह जरूरत भी मैं पूरी कर दूंगा तुम इतनी जल्दी नाराज हो जाती हो यह मुझे अच्छा नहीं लगता,,,,

अच्छा तो मुझे भी नहीं लगता अशोक लेकिन क्या करें तो मुझे एकदम मजबूर कर देते हो मैंने तुम्हें सब कुछ दे चुकी हूं अपनी इज्जत तक तुम्हें दे चुकी हूं लेकिन तुम्हें मेरी जरा भी फिक्र नहीं है,,,,,

मुझे तुम्हारी बहुत फिक्र है रीता (इतना कहते हुए वह अपने दोनों हाथ से रीता की साड़ी ऊपर सरका ने लगा तो रीता ने फिर से उसका हाथ दूर झटक दी,,, )

रहने दो अशोक तुम्हें अगर मेरी जरा भी इज्जत होती मेरी बात मानते तो मुझे कब से ₹500000 दे दिए होते हीरो का हार बनवाने के लिए,,,,


तुम्हें मना कब कर रहा हूं तुम्हें देने के लिए तो तैयार हूं,,, तुम मुझे बस अभी चोदने दो मैं तुम्हें 500000 का,, चेक लिख दूंगा,,,

नहीं तुम फिर झूठ बोल रहे हो चोदने के बाद फिर भूल जाओगे,,

नहीं भूलूंगा प्रॉमिस मुझे तड़पाओ मत देखो मेरा लंड कितना तड़प रहा है तुम्हारी बुर में जाने के लिए,,,,
( यही तो रहता चाहती थी वह जानबूझकर सब कुछ कर रही थी वह अशोक को अपना खूबसूरत बदन और अपनी बुर पर उसके लंड का स्पर्श करा कर जानबूझकर उसके लंड को बाहर खींच दी थी,,,, रीता अशोक को उसकी बुर पाने के लिए एकदम विवस देखना चाहती थी जो कि वह हो चुका था,,, इसी पल का वह इंतजार कर रही थी वह जानती थी कि ऐसे मोड़ पर पहुंच कर वहं जरूर उसे पैसे देने के लिए तैयार हो जाएगा,,,, उसका चलाया तीर निशाने पर लगा था। वह फिर से अपने बातों के जादू में उसे उलझाते हुए बोली,,,।

देखो अशोक तुम तुम झूठ तो नहीं बोल रहे हो क्योंकि इस बार तुम अगर मुझसे झूठ बोले तो मेरा और तुम्हारा रिश्ता नहीं खत्म हो जाएगा तुमको हमारे प्यार का वास्ता है अगर इस बार तुम झूठ बोले,,,


नहीं मेरी जान मैं कभी झूठ नहीं बोलता ना आप बोल रहा हूं मैं बिलकुल सच बोल रहा हूं बस मुझे चोदने दो,,,,

तुम कहते हो तो इस बार तुम पर भरोसा करके तुम्हारी बात मान जाती हूं,,,,

प्रोमि्स मेरी जान,,, बस अपनी सारी को ऊपर करो और झुक जाओ,,,,
( रीता एक बार फिर से अपने हुस्न के जादू से अशोक से अपनी बात मनवा ली थी और जल्दी से अपनी साड़ी को ऊपर कमर तक उठा कर फिर से टेबल पर झुक गई,,,, रीता की मस्त गांड देखकर अशोक से रहा नहीं गया और वह अपने लंड को रीता की बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया एक बार फिर से रीता झूठ-मूठ का अशोक की चुदाई से सिसकने लगी,,,, वह जोर-जोर से अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेलकर अशोक का मजा दुगना कर रही थी,,,

ओ मेरी जान रीता तुम बहुत मस्त हो मैं तुम्हारी तरह ही बीवी चाहता था तुम बहुत अच्छी औरत हो जब से तुम मेरी जिंदगी में आई हो तब से मेरी जिंदगी में बहार आ गई है,,,,,आााहहहहहह आहहहहहह,,,, रीता बहुत मजा आ रहा है।

हां जान मुझे भी बहुत मजा आ रहा है चुदाई का असली मजा मुझे तुम्हारे लंड से ही आता है,,,,आहहहहहहह,,, आहहहहहहहहह,,,, अशोक और जोर से और जोर से चोदो मुझे,,,,,
( अपनी ऑफिस में अशोक अपनी सेक्रेटरी रीता को चोदकर मस्त हुए जा रहा था रीता भी उसका पूरा सहयोग करते हुए उसके लंड का मजा ले रही थी,,, ऑफिस के बाकी कर्मचारी और पूरी दुनिया से बेखबर होकर दोनों एक दूसरे में समाने की पूरी कोशिश कर रहे थे,,,,, कि तभी अचानक ऑफिस का दरवाजा खुला,,, रीता और अशोक की नजरें एक साथ दरवाजे की तरफ घूमी और शुभम अंदर का नजारा देखकर एकदम हैरान रह गया किसी भी बेटे के लिए यह नजारा बेहद आश्चर्यजनक रूप से हैरान कर देने वाला ही था क्योंकि उसका बाप ऑफिस में अपनी ही सेक्रेटरी की चुदाई कर रहा था। शुभम आंखें फाड़े ऑफिस में अपने बाप की करतूत को देख रहा था,,, उसका बाप अपनी सेक्रेटरी को चोद रहा था जो कि वह खुद टेबल पर झुकी हुई थी और उसकी सारी पूरी कमर तक उठी हुई थी, और उसकी लाल रंग की पेंटी उसकी जांघों में फंसी हुई थी,,, शुभम साफ-साफ देख पा रहा था कि उसके बाप का लंड उस औरत की बुर में जल्दी-जल्दी अंदर बाहर हो रहा था,,, और वह भी समझ गया कि जिस तरह से दोनों हांप रहे थे दोनों का पानी निकलने ही वाला था,,,, अशोक के साथ-साथ विजेता भी इस तरह से ऑफिस का दरवाजा खुलने पर एकदम हड़बड़ा से गए थे,,,,, तीनों की नजरें एक दूसरे को देख रही थी यह नजारा देखकर शुभम पल भर के लिए एकदम शर्मिंदा हो गया क्योंकि उसे अपने बाप से ऐसी उम्मीद नहीं थी,,, वहां खड़ा रहना और ऐसे हालात में अपने बाप से रिपोर्ट कार्ड पर सिग्नेचर लेना उसे ठीक नहीं लगा और वह वहां एक पल भी रुकना गवारा नहीं समझा और वापस लौट गया,,, अशोक की हालत ऐसी हो गई थी कि बिना धक्के मारे ही उसका पानी निकल गया,,,,

रीता अपनी पैंटी को ऊपर चढ़ाते हुए आश्चर्य के साथ अशोक से बोली,,,,

यह लड़का कौन था अशोक,,,,,
( इस बार अशोक रीता पर गुस्सा होते हुए बोला)

वह मेरा बेटा था लेकिन रीता तुमने जो आज गलती की हो यह गलती मेरी जिंदगी में ना जाने कैसा तूफान लाएगी,,, तुलसी दरवाजा ठीक से बंद नहीं होता,,,,

मुझ पर चिल्लाओ मत अशोक जितनी गलती मेरी है उतनी गलती तुम्हारी भी है,,,,,, आप अपने वादे के मुताबिक मुझे 500000 का चेक लिख कर दो,,,

अभी तुम जाओ रीता मैं बाद में तुम्हें दे दूंगा अभी मेरा मूड खराब है,,,,
( रीता ऐसे हालात में पैसे मांगने पर जोर देना ठीक नहीं समझी क्योंकि वह जानते थे कि गलती उसकी है इसलिए शांति से उसकी ऑफिस से बाहर निकल गई,,,,)
04-01-2020, 02:53 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम अपने पापा की ऑफिस से वापस लौट आया था। ऑफिस के अंदर का नजारा देखकर उसके चेहरे के हाव भाव साफ बता रहे थे कि, वह उस नजारे की वजह से हैरान और परेशान था। उसे अपनी आंखों पर भरोसा नहीं हो रहा था और ना ही अपने पापा से इस तरह की उम्मीद थी।,,, वह रास्ते पर अपने पापा के बारे में और उस नजारे के बारे में सोचता हुआ चला जा रहा था,,,, अब उसे इस बात का बिल्कुल भी ख्याल नहीं था कि उसे रिपोर्ट कार्ड पर उसके पापा के दस्तखत लेने थे,,,,। वह तो बल्कि एकदम सदमे में था क्योंकि जो भी हो वह अपने पापा को बहुत ही अच्छा इंसान समझता था और उन्हें बेहद इज्जत देता था लेकिन आज उसकी आंखों के सामने उसके पापा का जो चेहरा सामने आया था इस चेहरे को देख कर शुभम काफी परेशान हो गया था। अभी तक वह अपने पापा के चरित्र को लेकर किसी भी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा था,,,। उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था और वह फुटपाथ के किनारे पेड़ के नीचे रखी बेंच पर बैठ गया,,, और अपने पापा के बारे में सोचने लगा उसे इस बात का ख्याल आने लगा कि उसकी मां ने उसे यह बात जरूर बताई थी कि उसके पापा उसकी मम्मी को प्यार नहीं करते ना ही उनकी जरूरतों का ख्याल रखते हैं। धीरे-धीरे उसे अपने पापा के चरित्र के बारे में समझ आने लगा था। क्योंकि शुभम अब पूरी तरह से जवान होने की कगार पर पहुंच चुका था और तो और मर्दों का संबंध औरतों से किस प्रकार का होता है,,, ऐसे रिश्तो के बारे में वह अपनी मां से सीख चुका था और यह समझते उसे बिल्कुल भी देर नहीं लगी कि उसके पापा का संबंध उस औरत के साथ बिल्कुल नाजायज था,,,। धीरे-धीरे ऊसको यह समझ मे आने लगा कि उसकी मां के साथ के पापा क्यों ऐसा कर रहे हैं। क्यों उसकी मां अंदर ही अंदर इतना घूमती रहती थी आखिर क्यों इतने वर्षों से वहं प्यासी ही रह गई,,,,, आखिर क्यों उसकी मां को अपने ही बेटे से चुदने के लिए मजबूर होना पड़ा।,,,,, शुभम की आंखों के सामने बार-बार ऑफिस का नजारा घूम जा रहा था जो कि इस बात को भी झुठला या नहीं जा सकता था कि ऑफिस के अंदर का नजारा उसके बदन में गर्मी पैदा कर दिया था,,,, क्योंकि जैसे ही वह ऑफिस का दरवाजा खोला था सामने ही डेस्क पर खूबसूरत औरत गोरे बदन के तीखे नैन नक्श वाली अपने गदराए बदन को लेकर टेबल पर झुकी हुई थी,,, उसकी साड़ी ऊपर कमर तक चढ़ी हुई थी जिसकी वजह से उसकी नंगी बड़ी-बड़ी गांड साफ नजर आ रही थी। और उसकी पैंटी उसकी जांघों में फंसी हुई थी,,,, शुभम ने एकदम साफ साफ उस नजारे को देख पाया था कि उसके पापा का लंड ऊसकी बुर मे बड़ी तेजी से अंदर बाहर हो रहा था और इन दोनों के चेहरे के हाव भाव को देख कर ऐसा ही लग रहा था कि दोनों ऑफिस के अंदर चुदाई में पूरी तरह से मग्न होकर उस पल का आनंद उठा रहे थे,,, और तो और चुदाई की वजह से उस औरत की सिसकारी भी छुट़ रही थी,,,। उस नजारे को याद करके शुभम के बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, शुभम एकदम कामोत्तेजित हो चुका था अगर ऑफिस में चुदाई कर रहे हैं उसके पापा की जगह कोई और होता तो शायद उस पल के बारे में सोच-सोच कर और ज्यादा आनंदित अपने आपको महसूस कर पाता लेकिन उस शख्सियत उसके खुद के पापा है इस बारे में जानकर उसके मन में चिंता की भावना उठने लगी थी।।,,, शुभम के मन में अब यह बात पक्के तौर पर घर कर गई कि उसके पापा ऊसकी मां को धोखा दे रहे थे,,,। शुभम अभी और कुछ सोच पाता इससे पहले ही एक स्कूटी आकर उसके सामने रुकी और उसकी स्कूटी की आवाज सुनकर वह स्कूटी की तरफ देखने लगा तो उसके आश्चर्य का ठिकाना ना था क्योंकि स्कूटी पर बैठीे एक खूबसूरत औरत उसकी तरफ देख कर मुस्कुरा रही थी और वह कोई और नहीं बल्कि शीतल थी,,,,।

यहां क्यों बैठे हो शुभम,,,?

कुछ नहीं बस यूं ही पापा के ऑफिस आया था तो पता चला कि पापा ऑफिस में नहीं थे किसी काम से बाहर है,,,

किस काम से आए थे वह तो तुम्हें घर पर भी रोज मिलते हैं तो ऑफिस आने की क्या जरूरत थी।

रिपोर्ट कार्ड पर सिग्नेचर लेना था लेकिन मैं भूल गया इसलिए मुझे पापा के ऑफिस अाना पड़ा,,,, आज रिपोर्ट कार्ड जमा कराना था ना इसलिए,,,,।

कोई बात नहीं तुम कल भी जमा करा सकते हो,,,, आओ बैठ जाओ मैं भी वहीं जा रहीं हुं जहां तुम जा रहे हो,,,,
( शीतल की बात सुनकर उसका मन प्रसन्न हो गया इस बहाने वह शीतल के खूबसूरत बदन को स्पर्श करना चाहता था,,,, बिना एक पल गवाए वह शीतल के पीछे बैठ गया,,, ऊसका बैग पीठ पर टंगा हुआ था इसलिए उसका बदन शीतल के खूबसूरत बदन से स्पर्श हो रहा था। शीतल भी बहुत खुश थी वह स्कूटी को स्कूल की तरफ ले जाने लगी,,,, शुभम के मन में तो हो रहा था कि वह शीतल को पीछे से अपनी बाहों में भर लो लेकिन उसे डर भी लग रहा था कि कहीं शीतल गुस्सा ना करें,,,, यह शुभम के मन का डर था बल्कि वह खुद भी जानता था कि शीतल उसके साथ सब कुछ करना चाहती है पर फिर भी उसे डर लग रहा था बार-बार वहां शीतल के बदन से अपने बदन को स्पर्श होने से बचा भी रहा था,,,, लेकिन सड़क पर ब्रेक मारने की वजह से बार-बार शुभम शीतल के बदन से सट जा रहा था,,,, जब जब वह शीतल के बदन से खुद का बदन स्पर्श होता महसूस करता तब तब उसके बदन में सुरसुराहट की लहर दौड़नेें लगती थी।
शीतल को भी उसके बदन का स्पर्श बेहद उत्तेजक लग रहा था। शीतल अच्छी तरह से समझ रही थी कि शुभम अपने आपको बेहद असहज महसूस कर रहा है,,,, बार-बार जब भी वह स्कूटी की रफ्तार को कम करती तो शुभम का दोनों हाथ उसकी पीठ पर आ जा रहा था लेकिन वह झट से अपने हाथ को हटा दे रहा था,,,, यह देख कर शीतल के मन में शरारत सूझी और वह स्कूटी की रफ्तार को थोड़ा तेज करके एकाएक ब्रेक मारी शुभम इस यकायक लगी ब्रेक से अपने आप को संभाल नहीं पाया और सीधे जाकर शीतल के बदन से एकदम से चिपक गया,,,, और उसके दोनों हाथ अपने आप को संभाल ले लें और इस बात का ख्याल रखने में की शीतल के बदन पर उसका हाथ ना चला जाए इस कसमसाहट भरी स्थिति में शुभम अपने आप को बिल्कुल भी नहीं संभाल पाया था और उसके दोनों हाथ सीधे जाकर उसकी चुचियों पर पड़ गए इतने से ही इस स्थिति को ना संभाल सकने की हालत में और अपने आप को बचाने की कोशिश में शुभम दोनों हथेलियों में आई शीतल की बड़ी बड़ी चूची को अनजाने में ही दबा दिया और कुछ सेकेंड तक वैसे ही दबाया रहा जब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ तो वह झट से अपने हाथ को पीछे की तरफ हटा लिया,,,, शीतल की शरारत काम कर गई थी वह जितना चाहती थी उससे ज्यादा शुभम के हाथों से हो चुका था,,,, एक बार फिर से सुभम ने उसके बदन में कामाग्नि भड़का दिया था,,,, शुभम झट से अपने हाथ को पीछे हटाते हुए अपनी गलती को मानते हुए शीतल से बोला,,,

सससससस, सॉरी मैडम गलती से हो गया,,,,

इसमें सॉरी किस बात की,,,( हंसते हुए) और हां मैं तुमसे पहले ही कही हूं कि तुम मुझे मैडम नहीं शीतल कहा करो,,,,
उसे तुमने इस तरह से मेरी चूची दबाए हो,,,,,

सॉरी मैडम मेरा मतलब है कि शीतल गलती से हुआ है।
( शुभम बीच में है उसकी बात काटता हुआ बोला)

अरे हां मैं वही कह रही हूं कि यह तुम ने जानबूझकर नहीं किया है मैं तो तुम्हारे हाथों से गलती से मेरी चूची दब गई,,,
इसमें तुम्हें सॉरी बोलना नहीं चाहिए,,,,
( शीतल की बात सुनकर शुभम पूरी तरह से समझ गया कि उसके लिए लाइन पूरी तरह से क्लियर थी और शीतल जानबूझकर उसके सामने चूची जैसे शब्द का खुला प्रयोग कर रही थी ताकि शुभम उत्तेजित हो जाए,,, और ऐसा हो भी रहा था शुभम इससे पहले से ही उसके बदन के स्पर्श से उत्तेजित हो चुका था और इस बार उसकी हथेली में अनजाने मे हीं उसकी चूचियां आ जाने की वजह से उसके बदन में पूरी तरह से कामोत्तेजना की लहर फैल गई थी। जिसकी वजह से उसके पैंट में उसका लंड पूरी तरह से टनटना कर खड़ा हो गया था,,,,, और उसकी चुभन सीधे जाकर शीतल के नितंबों पर हो रही थी जिस की चुभन को शीतल भी साफ-साफ महसूस कर पा रही थी,,,, शुभम के लंड की चुभन की वजह से शीतल भी पूरी तरह से गन गना गई थी। उसके अनुभवी एहसास है इसका अंदाजा लगा लिया कि शुभम का लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया है और वह उसके नितंबों पर ठोकर मार रहा है,,,,। स्कूटी चलाते समय उसके बदन में कामोत्तेजना की लहर दौड़ रही थी जिसकी वजह से उसका बदन कसमसा रहा था,,,, वह सब कुछ जानते हुए भी अनजान बनते हुए अपने बदन को इधर-उधर हल्के से कसमसाहट भरी,,,, हरकत देते हुए बोली,,,,

शुभम मेरे पीछे कुछ चुभ रहा है,,,, तू कुछ रखा है क्या?
( शीतल की यह बात सुनकर शुभम पूरी तरह से हड़बड़ा गया और हड़बड़ाहट में बोला,,,,)

कककक,,, कहां मैडम मैंने तो कुछ नहीं रखा हुं,,,
( इतना कहते हुए शुभम अपने आप को संभालता कि इस मौके का भरपूर फायदा उठाते हुए शीतल ने झट से अपने एक हाथ को पीछे की तरफ लाकर,, अपने नितंबों पर ठोकर मार रहे शुभम के लंड को पेंट के ऊपर से हैं अनजान बनती हुई उसे पकड़ ली,,,, हाथ मैं आया शुभम का लंड पेंट के ऊपर से ही उसका आकार बड़ा भयंकर लग रहा था। जिसका एहसास शीतल की बुर में सुरसुराहट भरी गुदगुदी मचा गया,,,, शीतल एक हाथ में शुभम के लंड को पूरी तरह से दबोचे हुए थी। और जानबूझकर उसे कसकर दबाते हुए बोली,,,।

यह क्या रखे हो शुभम बहुत चुभ रही है,,,,।

( शीतल की यह हरकत और उसकी बात सुनकर शुभम क्या बोलता वह तो एकदम शर्मिंदा हो गया था,,, शर्मिंदगी के एहसास के साथ-साथ पूरी तरह से उत्तेजित भी हो गया था,,, शीतल की यह बात सुनकर वहां हड़बडातेे हुए बोला,,,।)


ययय,,, ये ये ये,,, मैडम यह मेरा,,,,
( शुभम इससे आगे कुछ बोल पाता इससे पहले ही शीतल पीछे एक नजर मारते हुए बोली,,।)

क्या यह,,,, यह,,,, यह,, लगा रख,,,,,( इतना कहते ही उसकी जबान जैसी अटक सी गई,,, यह सिर्फ शुभम को जताने के लिए कर रही थी बल्कि वह तो जानती थी यह सब उसका नाटक ही था,,, ।)
सससससस,, सॉरी,,,, शुभम यह तो तुम्हारा,,,,, लंड है,,, ( लंड शब्द धीरे से बोली और आगे देखने लगी,,,

शीतल मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रही थी उसका रोम रोम पुलकित हो गया था,,,,। उसे आज बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वह शुभम के साथ इतना कुछ कर लेगी लंड की मोटाई का एहसास अभी तक उसके बदन को झनझनाना दे रहा था,,,, शुभम शीतल के बदन से कितना दूर होने की कोशिश कर रहा था वह सऱक कर उतना और ज्यादा उससे चिपक जा रहा था,,,, शीतल को अभी भी कुछ समझ में नहीं आ रहा था यह कैसे हो गया,,, उसका अंग अंग मस्ती से चूर हो चुका था। जिस लंड को वह अपनी हथेली में महसूस करके इतना मस्त हो चुकी थी वह उस लंड को बुर के अंदर रगड़ता हुआ महसूस करने के लिए तड़पने लगी,,, देखते ही देखते स्कूल आ गया और स्कूटी को खड़ी करते हुए वह मासूम बनने का नाटक करते हुए शुभम से बोली,,,,

सॉरी शुभम मुझे मालूम नहीं था की जो चीज मुझे चुभ रही है वह तुम्हारा,,,,लं,,,,( अपनी नजरें नीचे झुका कर शर्माने का नाटक करते हुए)लंड है,,,,

कोई बात नहीं शीतल इसमें तुम्हारी गलती नहीं है जो भी हुआ अनजाने में हुआ,,,( इतना कहकर वह मुस्कुराता हुआ स्कूल की तरफ चल दिया और शीतल उसे जाते हुए देखती रही,,)
04-01-2020, 02:53 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
स्कूल में बैठे-बैठे शुभम शीतल के बारे में ही सोच रहा था बार-बार उसकी आंखों के सामने वह नजारा सामने आ जा रहा था जब वह स्कूटी चलाते समय अपने हाथ को पीछे की तरफ लाकर अनजाने में ही या जानबूझकर पैंट के ऊपर से ही उसके खड़े लंड को पकड़कर दबा दी थी,,, बार-बार उसके मन में एक ख्याल आ रहा था कि जो भी शीतल के हाथों हुआ था वह अनजाने में तो बिल्कुल नहीं हुआ था,, क्योंकि वह इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि शीतल की उम्र नादानी करने वाली बिल्कुल भी नहीं थी और ना ही वह छोटी बच्ची थी वह उम्र के ऐसे पड़ाव पर थी जिसने दुनिया का कोना-कोना देख चुकी थी,,,, ऐसे में स्कूटी चलाते समय उसके पीछे कौन बैठा है और उसकी बड़ी-बड़ी नितंबों पर कौन सी नुकीली चीज चुभ रही है,,,,, यह उसे बखूबी पता था,, और वह जान बुझकर ही पैंट के ऊपर से उसका लंड पकड़कर अनजान बऩने की कोशिश कर रही थी,,। उसे इस बात की तसल्ली थी कि चाहे कुछ भी हो फायदा तो उसी का ही था अगर सच में शीतल जैसी खूबसूरत औरत को चोदने को मिल जाए तो उसके हाथ में तो दो दो लड्डु आ जाते,,, जिसका मजा वह बड़े इत्मीनान से उठाता,,, वैसे भी तो इस समय उसके हाथ में निर्मला नामक बेहद स्वादिष्ट लड्डू तो था ही जिसका स्वाद वह दिन रात चखता आ रहा था,,,, शीतल की कामुकता पल पल उसके दिल में खंजर कि तरह उतरती जा रही थी। उसे बस इंतजार था कि शीतल नामक खंजर कब उसके बदन को अपनी जवानी के वार से घायल करता है। एक तरफ क्लास में बैठे-बैठे वह शीतल के बारे में सोचकर उसकी जवानी का रसपान करके मस्त हुए जा रहा था, तो दूसरी तरफ बार-बार उसकी आंखों के सामने उसके मन मस्तिष्क को विचलित कर देने वाला लेकिन बड़ा ही कामुकता से भरा हुआ नजारा नाच जा रहा था,,, उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि आख़िर उसकी आंखों ने क्या देख लिया,, कभी-कभी तो उसे, अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हो रहा था,,, वह अपने आप से ही सवाल करता कि क्या जो उसने देखा वह वास्तव में सच था या एक सपना,,,, अगर चौथ की आंखों में देखा वह हकीकत था तो क्या वास्तव में उसके पापा का संबंध किसी गैर औरत के साथ है,, लेकिन भले ही वह औरत देखने में सेक्सी लगती हो उससे भी ज्यादा सेक्सी और खूबसूरत सही मायने में उस औरत के मुकाबले उसकी मां बेहद सेक्सी और बेहद खूबसूरत थी,,,, कोई अंधा व्यक्ति भी होगा तो वह गधे की खुशबू और गुलाब की खुशबू को सुंघकर ही पहचान लेगा,,, औरत अगर गेंदे का फूल थी तो उसकी मां एक खिलता हुआ गुलाब थी जिसकी खुशबू चारों तरफ खुद-ब-खुद हवाओं के जरिए पहुंच ही जाती है ऐसे में उसके पापा का उस औरत के साथ इस तरह के संबंध रखना इस बात को वह हजम नहीं कर पा रहा था। उसे अच्छी तरह से याद आ रहा था कि उसकी मां ने खुद उससे यह कही थी कि उसके पापा उससे प्यार नहीं करते,,, नहीं उसकी जरूरतों को कभी पूरा करते हैं,,, और तो और उसी ने ही यह भी साफ शब्दों में बताई थी कि उसके पापा उसे शारीरिक सुख नहीं देते तभी तो वह खुद ही उसके साथ शारीरिक संबंध बनाकर अपनी जरुरतों को पूरा कर रही थी और अपनी प्यास भी बुझा रही थी,,, । उसके पापा का इस तरह से उसकी मां के प्रति रूखापन उसके लिए ही फायदेमंद था अगर ऐसा ना होता तो आज वहां दुनिया की सबसे खूबसूरत औरत की खूबसूरत बदन की खुशबू अपने अंदर उतार नहीं पाता उसके बेहद लचीले और मादक अंगों को अपने हाथों से स्पर्श नहीं कर पाता और दुनिया की सर्वश्रेष्ठ नितंबों को अपने हथेली में भरकर दबाने का सुख नहीं भोग पाता और ना ही उसके दोनों खरबूजा का स्वाद चख पाता,,, और ना ही जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही, खूबसूरत औरत को चोदने का सुख हासिल नहीं कर पाता और ना ही दुनिया के सारे मर्द, औरत के जिस अंग जिसे बुर कहते हैं ना तो उसके दर्शन कर पाता और ना ही उसके शारीरिक रचना के बारे में कभी समझ पाता,,, शुभम अच्छी तरह से जानता था कि वह जवान होने के साथ ही किसी लड़की की खूबसूरती के पीछे इतना आकर्षित नहीं हुआ था जितना कि वह खुद की मां की खूबसूरत बदन और उसकी खूबसूरती के प्रति आकर्षित हुआ था क्योंकि यह बात वह भी अच्छी तरह से जानता था कि उसकी मां की खूबसूरती के आगे एक खूबसूरत लड़की भी पानी भरने के बराबर थी,,, यही बात उसे समझ में नहीं आ रही थी कि जिस की खूबसूरती का दीवाना पूरा मोहल्ला पूरी सोसाइटी और उसकी उम्र के सारे लड़के थे ऐसी खूबसूरत औरत को छोड़कर उसके पापा उस ऑफिस वाली औरत के दीवाने क्यों हो गए,,,, और उसे यह बात भी अच्छी तरह से समझ में आ रही थी कि जिस तरह से उसके पापा उस औरत को ऑफिस के अंदर ही,,, जबकि वह ऑफिस टाइम ही था और सारे कर्मचारी ऑफिस में हाजिर भी थे और ऐसे समय में उसके पापा जिस तरह से बेफिक्र हो कर के उस औरत की चुदाई कर रहे थे और वह औरत भी एक दम मस्त हो करके जिस तरह से उसके पापा से चुदवा रही थी,,,, उसने चेहरे को देख कर यह बात तो एकदम पक्की थी कि यह पहली बार का नहीं था उसके पापा और वह औरत ऑफिस में पहले भी बहुत बार इसी तरह की रंगरेलियां मना चुके थे।,,,, शुभम को अपने पापा की हरकत की वजह से थोड़ा दुख भी था लेकिन अंदर ही अंदर थोड़ी खुशी भी हो रही थी क्योंकि उसकी मां की तरफ उसके पापा की यही बेरुखी उसे और भी ज्यादा उसकी मां के करीब रखने में मददगार साबित हो रही थी।
04-01-2020, 02:53 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
अशोक ऑफिस वाली बात से एकदम परेशान हो चुका था उसे इस बात का डर था कि कहीं शुभम उसकी मां से सब कुछ बता ना दे,,,, वह घर जाने वाला नहीं था लेकिन फिर भी घर चला गया था,,,, अशोक की मौजूदगी से निर्मला को एतराज होने लगा उसे अब अशोक का घर रहना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता था,,, क्योंकि निर्मला की बुर में खुजली हो रही थी और वह आज की रात शुभम से फिर से चुदवाने का मूड बना ली थी,,, लेकिन अशोक इस तरह से घर आकर उसका सारा प्लान चौपट कर दिया था,,,, शुभम को भी अपने पापा का इस तरह से अब घर पर उपस्थित रहना अच्छा नहीं लगता था क्योंकि उसका तो वह हमेशा ही मुड बना रहता था और अगर मुड ना भी बना रहे तोभी अपनी मां की मटकती हुई गांड को देखकर उसका लंड खड़ा हो जाता था,,,।
वह मन मे सोचा कि उसके पापा घर पर ही है तो क्यों ना वह अपनी रिपोर्ट कार्ड पर उनके दस्तखत करा ले,, यही सोचकर वह अपने पापा के कमरे में पहुंच गए वैसे तो सुबह वाली वाक्या को याद करके उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी फिर भी रिपोर्ट कार्ड पर तो दस्तखत कर आने ही थे इसलिए अपने पापा के सामने रिपोर्ट कार्ड ऊन्हे थमाते हुए बोला,,,

पापा मेरे इस रिपोर्ट कार्ड पर आपके सिग्नेचर चाहिए अगर आप इसको सिग्नेचर कर देते तो मैं इसे स्कूल में जमा करा देता,,,,
( अशोक कुर्सी पर बैठकर सुबह वाले वाक्य के बारे में ही सोच कर परेशान हो रहा था और इस तरह से एकाएक शुभम की आवाज सुनकर वह हड़बड़ा गया,,,।)

हंहं हं हं,,, लाओ में सिग्नेचर कर देता हूं,,,( अशोक रिपोर्ट कार्ड लेकर उस पर सिग्नेचर करने लगते हैं लेकिन वह इतना शर्मीला था कि अपनी नजरें उठाकर शुभम की तरफ देख नहीं पा रहा था और सिग्नेचर करते-करते नजरें झुकाए हुए ही बोला,,,।)

शुभम मै शर्मिंदा हूं,,, मैं इतना शर्मिंदा हूं कि मैं तुमसे ठीक से नजरें भी नहीं मिला पा रहा हुं,,, ( नजरें झुकाए हुए ही) सुबह में जो कुछ भी हो ऑफिस में हो रहा था और जो कुछ भी तुमने देखा उसको लेकर मैं तुमसे माफी मांगना चाहता हूं मेरी इज्जत मेरी साख सब तुम्हारे हाथ में है,,,, जो कुछ भी हुआ मैं भावना में बहक गया था,,, ऐसे हालात में मर्दों की क्या स्थिति होती है जब तुम मेरे बराबर होगे तो शायद तुम भी समझ जाओगे,,,, ( अशोक बोलते-बोलते एकदम रोने जैसा हो गया और लगभग रोते हुए बोला) बेटा मुझे माफ कर दे (हाथ जोड़ते हुए) मैं तुझ से माफी मांगता हूं जो कुछ भी हुआ उसके लिए मैं बहुत शर्मिंदा हूं,,, बेटा जो कुछ भी तुमने देखा प्लीज अपनी मां से मत बताना,,,, मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूं तुम कहो तो मैं तुम्हारे पांव पड़ने के लिए तैयार हुं,,( इतना कहने के साथ ही नीचे छुपकर शुभम के पांव पकड़ते हुए)
बेटा मेरी इज्जत बचा लो,,,,

यह क्या कर रहे हो पापा ( अपने पापा का हाथ पकड़कर उठाते हुए) ऐसा मत करो मुझे अच्छा नहीं लग रहा है।

मुझे माफ कर दे बेटा प्लीज अपनी मम्मी से यह सब कुछ भी मत बताना,,,

मुझ पर भरोसा रखो मैं कुछ भी नहीं बताऊंगा,,,, आप की हरकत देखकर तो मुझे बहुत गुस्सा आया था और मैं यहां बात मम्मी को जरूर बताता लेकिन आपकी स्थिति देखकर मम्मी को बताना यह ठीक नहीं रहेगा,,,

बेटा मुझ पर यह बड़ी कृपा रहेगी तेरी,,,

मुझ पर भरोसा रखो मैं कुछ भी नहीं बताऊंगा मैं नहीं चाहता कि इस तरह से मम्मी को ऑफिस वाली बात बताने से अपने घर संसार में किसी भी प्रकार की कड़वाहट पैदा हो,,,

बेटा शुभम तू बहुत अच्छा है मुझे तेरे ऊपर गर्व है और हां तुझे किसी भी चीज की जरूरत पड़े या पैसे की जरूरत पड़े जेब खर्च की जरूरत पड़े किसी भी प्रकार की कोई भी स्थिति में तुझे जरूरत पड़े तो बेझिझक तुम मुझसे कह सकते हो,, आज से तुम मुझे अपना दोस्त ही समझो,,, बस यह राज,,, राज ही रखना इसके बदले में मैं तुम्हें कोई भी कीमत देने को तैयार हूं,,।

पापा आप चिंता मत करो यह राज मेरे सीने में ही दफन रहेगा,,( कितना कहते हुए कहा अपने पापा के हाथ से रिपोर्ट कार्ड लेकर जाने को होता है कि तभी उसके पापा उसे रोकते हुए बोले,,,)
रुको बेटा,,, उस ड्रोवर से निकालकर मुझे सर दर्द की दवा देते जाओ सुबह से मेरा सर दर्द कर रहा है तुमसे बात करके मुझे थोड़ा हल्का महसूस हो रहा है,,

ठीक है पापा ( इतना कहने के साथ ही वह ड्रोवर में से सर दर्द की गोली निकालकर और पानी का गिलास लेकर अपने पापा को थमा देता है,,, अशोक गोली खाकर अपने बेटे से बोला,,,।)
बेटा अब मैं थोड़ी देर आराम करूंगा तुम मां बेटे खाना खा लेना मुझे भूख नहीं है ।

ठीक है पापा,,,, (इतना कहकर शुभम अपने पापा का एक नया रूप देख रहा था उसने आज तक अपने पापा को इतना कमजोर और बेबस कभी नहीं देखा था और यह सिर्फ इसके लिए कि उसने अपने पापा को उस औरत के साथ शारीरिक संबंध बनाते देख लिया था और उस बात को राज रखने के लिए उसके पापा शुभम के सामने गिड़गिड़ा रहे थे और यही देखकर शुभम पिघल गया,,, लेकिन तभी उसके दिमाग में एक युक्ति सूझी,,, उसे मालूम था कि किस तरह के संबंध में अपनी मां के साथ बना रखे हैं आज नहीं तो कल उसके पापा को इस बात की खबर लग ही जाएगी,,, और मन ही मन उसने नक्की कर लिया की जिस समय उसके पापा को उसके और उसकी मम्मी के बीच शारीरिक संबंध के बारे में पता चलेगा उस समय वह अपने पापा को ऑफिस वाली बात बता कर उन्हें खामोश रहने के लिए जरूर कहेगा,,,, और उसके पापा आप नाराज छुपाने के लिए अपनी पत्नी और उसके बेटे के बीच के संबंध को लेकर चुप्पी साध लेंगे यह बात उसके दिमाग में आते ही उसका मन खुशी से झूम उठा,,,, अब उसे अपना राज घर में खुल जाने का किसी भी बात का डर नहीं था। जिस तरह से उसके पापा उसके सामने गिड़गिड़ा रहे थे वह देखते हुए इसके और उसकी मां के बीच के संबंध को लेकर उनसे कुछ भी नहीं कहा जाएगा और वह अपना संबंध अपनी मां के साथ उसी तरह से बरकरार रख सकता है। वह मन ही मन सोचने लगा कि अच्छा ही हुआ कि आज वह रिपोर्ट कार्ड पर सिग्नेचर कराने के बहाने अपने पापा के ऑफिस चला गया और वहां जाकर के उसे अपने पापा को काबू में रखने का बहुत ही बड़ा खजाना मिल चुका था,,,, उसके पापा की रंगरेलियां को छुपाने का राज ही शुभम के लिए बहुत बड़ा खजाना था क्योंकि इसी राज के बदौलत वह अपनी मां के साथ अपने शारीरिक संबंध को कायम रख सकता था वह भी बिना किसी झिझक के,,,,
खुशी खुशी वह रसोई घर की तरफ जाने लगा जहां पर उसकी मां खाना बना रही थी,,,, वह पीछे से जाकर अपनी मां को बाहों में भरते हुए उसके गर्दन को चूमने लगा,,,, एक तो पहले से ही निर्मला चुदवासी थी,,, और अपने बेटे की हरकत की वजह से उसकी कामाग्नि और ज्यादा भड़क उठी,,, वह सब्जी बना रही थी और कढ़ई में,, तेल के छींटे मार कर यह अंदाजा लगा रही थी कि कढ़ाई गरम हुई है या नहीं,,,, लेकिन कढ़ाई पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी और तेल के छींटे पड़ते ही एक दम से छनछनाहट की आवाज आने लगी,,,, ठीक यही हाल निर्मला का भी था भाभी पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी अपने बेटे के लंड को याद करके और उसके बेटे की यह हरकत जब वह उसे बाहों में पीछे से मार लिया तो वह अभी गर्म तेल की तरह छन छना गई,,,, उसे अपने भावनाओं पर काबू नहीं हो सका और वह तुरंत एक हाथ पीछे ले जाकर अपने बेटे के लंड को पेंट के ऊपर से ही दबोच ली,,,, जो कि नितंबों की गर्माहट और उसके स्पर्श की वजह से धीरे-धीरे तनाव में आ रहा था,,, उसकी मोटाई निर्मला के हाथों में आते ही एक बार फिर से उसकी बुर में कुलबुलाहट होने लगी,,, शुभम पागलों की तरह उसकी गर्दन को चुमे जा रहा था और निर्मला अपने बेटे के खड़े हो रहे लंड को हथेली में भरकर जोर-जोर से दबाते हुए बोली,,,

ओहहहहह,,, शुभम प्लीज ऐसा मत करो तू जानता हूं कि मेरे तन बदन में आग लग जाती है जब तू ऐसी हरकत करता है,,, ओर इस आग को तू ही बुझा सकता है।,,

तो इसमें क्या हुआ मम्मी बोलो तो अभी बुझा दूं तुम्हारे तन बदन की आग अपनी पिचकारी से पानी की बौछार करके,,
( इतना कहते हुए, शुभम अपनी दोनों हथेलियों को ब्लाउज के ऊपर से अपनी मां की बड़ी बड़ी चुचीयो पर रखकर दबाने लगा,,,,।)

सससससहहहहहह,,,,,, शुभम,,,,, मैं भी तो यही चाहती हूं लेकिन तेरे पापा घर पर हीं है,,,( तभी शुभम जोर से चूची को मसल देता है ओर निर्मला की हालत और ज्यादा खराब हो जाती है) आहहहहहहहहह,,,, शुभम,,,,,, मन तो कर रहा है कि तेरा लंड अपनी बुर में डलवा कर अपनी प्यास बुझा लु,,,,


तो देर किस बात की है मम्मी बस अपनी साड़ी उठा लो उसके बाद मैं खुद तुम्हारी प्यास बुझा दूंगा,,,,( ऐसा कहते हुए वह ब्लाउज के बटन खोलने लगा निर्मला अपने बेटे की इस हरकत पर एकदम से कामातुर तो हो ही चुकी थी लेकिन अपने पति के डर की वजह से उसे रोकते हुए बोली,,, ।)

नहीं सुभम ऐसा मत कर तेरे पापा घर पर ही है,,,,

घर पर ही है तो मैं क्या करूं मैं उन से नहीं डरता मैं किसी से भी नहीं डरता,,,,, मैं बस इतना जानता हूं कि मैं तुमसे प्यार करता हूं,,,,,
( शुभम की बात सुनकर निर्मला खुश हो गई जिस तरह से वह हिम्मत दिखा रहा था उसकी हिम्मत को देखकर निर्मला की छाती और ज्यादा चौड़ी हो गई वह इसी तरह का प्रेमी चाहती थी,,, लेकिन वह अच्छी तरह से जानती थी कि घर पर अशोक मौजूद है अगर ऐसे हालात में उसने उन दोनों को देख लिया तो गजब हो जाएगा इस बात का उसे बराबर डर बना हुआ था लेकिन शुभम को मालूम था कि उसके पापा कमरे में आराम कर रहे थे अब नीचे नहीं आने वाले इसीलिए वह अपनी मां के ऊपर अपनी हिम्मती होने का रोब झाड़ रहा था
वैसे भी कुछ हद तक उसके मन से उसके पापा का डर बिलकुल निकल चुका था क्योंकि जिस हालात में उसने अपने पापा को रंगे हाथ उनकी सफाई कर्मचारी के साथ रंगरेलियां मनाते हुए पकड़ा था उसे देखने के बाद और अपने पापा को उसके सामने गिड़गिड़ाते हुए देखकर उसकी हिम्मत खुल चुकी थी वह पूरी तरह से तैयार हो चुका था कि अगर इस समय वहां अपनी मां की चुदाई कर रहा हूं लेकिन उसके पापा उसे देख ले तब भी उस हालात से निपटने की ताकत उसमें आ चुकी थी। निर्मला अपने बेटे की हिम्मत देख कर खुश होते हुए बोली,,,)

तेरी इसी बात पर तो मैं तेरी दीवानी हो चुकी हूं तेरी हिम्मत देखकर मुझे भी हिम्मत आती है लेकिन सब्र कर तेरे पापा घर पर हीं है तू नहीं जानता कि जितना उतावला और जोश तुझने मुझे चोदने के लिए भऱा है,, उससे कई गुना ज्यादा मैं उतावली हूं तेरे लंड को अपनीे बुर में डलवाने के लिए,,,( अपने बेटे के लंड को पेंट के ऊपर से ही अपनी हथेली में बड़ा होता हुआ महसूस करके और भी ज्यादा चुदवासी हो चुकी थी,,,) मैं तो रोज यही चाहती हूं कि तू रात को मेरे पास ही सोए और सोने से पहले जी भर कर मुझे रगड़े लेकिन लगता है कि आज ऐसा नहीं हो पाएगा,,,,

हो पाएगा मम्मी जरूर हो पाएगा बस थोड़ा सा तुम मेरा साथ दो,,,

नहीं बेटा मान जा ऐसा मत कर,,,( जोश में आकर लंड को दबाते हुए) तेरे पापा ने देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,

कुछ गजब नहीं होगा मम्मी मैं सब कुछ संभाल लूंगा बस तुम एक बार अपनी साड़ी ऊपर उठा लो,,, फिर देखना मेरा कमाल तुम्हारी बुर से मदन रस की हर एक बूंद को अपने लंड से खींचकर बाहर ना निकाल दिया तो मेरा नाम शुभम नहीं,,, ( इतना कहने के साथ ही शुभम लगभग जबरदस्ती करते हुए ब्लाउज के सारे बटन खोल दिया,,, निर्मला अपनी बेटी की हरकत से रोमांच भी अनुभव कर रही थी और उसे डर भी लग रहा था,,,, निर्मला कुछ कह पाती इससे पहले ही शुभम ने अपनी मां की लाल ब्रा को नीचे से उसकी पट्टी को पकड़कर एकदम से ऊपर की तरफ कर दिया जिसकी वजह से उसके दोनों चुचिया एकदम नंगी होकर सीना ताने तन कर खड़ी हो गई,,, और शुभम अपनी दोनों हथेलियों में दोनों को भरकर दबाने लगा,,,,
04-01-2020, 02:53 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
सीईईीईईीई,,,,,, शुभम प्लीज ऐसा मत कर तेरे पापा आ गए तो हम दोनों का जीना दुश्वार हो जाएगा,,,,,

कुछ नहीं होगा मम्मी बस तुम ऐसे ही खड़ी रहो,,,,,( इतना कहकर शुभम जोर-जोर से अपनी मां की चुचियों को दबाने लगा उसका लंड पेंट मे पूरी तरह से खड़ा हो चुका था जो कि उसकी गांड के बीच की दरार में साड़ी सही धंसता चला जा रहा था,,,। अपने बेटे के लंड का कड़तपन निर्मला को अपनी भारी भरकम गांड पर साफ तौर पर महसूस हो रहा था जिसकी वजह से उसके तन बदन में कामाग्नि पूरी तरह से भड़कने लगी थी,,,,, शुभम अपनी मां की प्यास को और ज्यादा बढ़ाने के लिए हल्के हल्के अपनी कमर को आगे पीछे कर के एैसा हरकत करने लगा कि मानो वह उस की चुदाई कर रहा हो,, ऐसी हरकत की बदौलत निर्मला के भी सब्र का बांध टूटता नजर आ रहा था,,,, कढ़ाई में डाला हुआ तेल पूरी तरह से गर्म होकर छन छना रहा था,,, बिल्कुल निर्मला की जवानी की करा निर्मला की मदहोश कर देने वाली जवानी भी इसी तरह से तड़पते हुए छनछना रही थी,,,, शुभम जोर जोर से अपनी मां की चुचियों को दबा दबा कर एकदम टमाटर की तरह लाल कर दिया था,,,। निर्मला के मुंह से बार-बार गर्म सिसकारी छूट जा रही थी जिसे वह दबाने की पूरी कोशिश कर रही थी क्योंकि वह जानती थी कि घर में उसका पति अशोक है अगर उसके कानों में इस सिसकारी की आवाज चली गई तो घर में भूचाल आ जाएगा,,,। शुभम चाहता तो बता सकता था कि उसके पापा दवाई खाकर कमरे में आराम कर रहे हो खाना खाने भी नीचे नहीं आएंगे,,,,, लेकिन यह बात वह अपनी मां से छिपा रहा था वह देखना चाहता था कि उसकी मां चुदवाने के लिए किस हद तक जा सकती हैं,,,, निर्मला बार-बार उसे रोकने की कोशिश कर रही थी लेकिन शुभम कहां मानने वाला था उसे वैसे भी स्कुल जाते समय शीतल ने उसकी आग को और ज्यादा भड़का दी थी,,, उसका मन तो उसी समय बुऱ के लिए तड़प रहा था अगर शीतल जरा सा भी मौका देती तो उसी समय वह शीतल को चोदने का सुख भोग लेता,,,,,,, वह बार-बार अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए अपने लंड को साड़ी सहीत गांड की दरार में घुसेड़ दे रहा था,,,, और अपने बेटे की ईसी हरकत पर निर्मला की बुर पानी पानी हुए जा रही थी,,, तभी शुभम अपनी मां की बड़ी बड़ी चूची को दबाते दबाते एक हाथ नीचे की तरफ ले जा कर के साड़ी के ऊपर से ही बुर को मसलना शुरू कर दिया,,,

आहहहहहहहह,,,, बेटा यह क्या कर रहा है तू तुझे जरा सा भी डर नहीं लग रहा है तेरे पापा आ गए तो गजब हो जाएगा तू ऐसा मत कर, कल मैं जरूर तुझे अपनी बुर का स्वाद चखाऊंगी लेकिन इस समय जाने दे,,,,

नहीं मम्मी मैं किसी से भी नहीं डरता मुझे तुम्हारी बुर चाहिए और अभी चाहिए देख नहीं रही हो मेरा लंड कितना तड़प रहा है तुम्हारी बुर मे जाने के लिए,,,,

निर्मला अजीब से हालात में फंसी हुई थी एक तो उसे अपने पति का डर भी लग रहा था और उसे अपने बेटे की हरकत की वजह से मजा भी आ रहा था ।वह खुद अपने बेटे से चुद़ना चाहती थी लेकिन उसे समझ में नहीं आ रहा था कि अभी रहने दे या अभी इसी समय करवा ले,,,, इसी उधेड़बुन में वह लगी हुई थी और अपने बदन की प्यास बुझाने के लिए अपने बेटे की बात ना मानने के लिए तैयार भी नहीं थी और अपने बेटे की बात सुनकर उसका तन बदन चुदवाने के लिए तड़प उठा और एक बार फिर से वह अपने हाथ को पीछे की तरफ ले जाकर के,,, अपने बेटे के खड़े लंड का जायजा लेते हुए उसे पेंट के ऊपर से ही दबाने लगी,,,, इस बार जैसे ही वह पैंट के ऊपर से अपने बेटे के लंड को दबाईं इसकी मोटाई और गर्माहट अपने हथेली में महसूस करके उसकी बूर एकदम से फुदकने लगी,,,, उसकी बुर से जरा भी सब्र नहीं हुआ और उसकी बुर में मदन रस की बुंदे टपकाना शुरू कर दी,,,, निर्मला एकदम से तड़प उठी और उसने कस के अपने बेटे के लंड को दबा दी,,,, शुभम एकदम पागल हुआ जा रहा था उसके पापा की मौजूदगी में वह आज अपनी मां को चोदने का सुख भोगना चाहता था,,,, इसलिए वह धीरे धीरे अपनी मां की साड़ी को ऊपर की तरफ ऊठाने लगा,,, निर्मला उसका हाथ पकड़ कर उसे रोकने की कोशिश करने लगी लेकिन शुभम जबरदस्ती साड़ी को ऊपर कमर तक उठा दिया और जैसे ही कमर तक गाड़ी आई निर्मला की नंगी गांड शुभम की आंखों के सामने अपना गोरापन लिए चमकने लगी शुभम की आंखों में भी अपनी मां की नंगी गांड देखकर एकदम से चमक आ गई क्योंकि उसकी मां ने पेंटी नहीं पहनी थी और शुभम ऐसा नजारा देखकर एकदम से मदहोश हो गया और गांड के दोनों फंकों पर एक-एक चपत जड़ते हुए बोला,,,,

ओहहहहहह,,,,, मम्मी मेरी जान पहले से ही चुदवाने के लिए तैयार हो तभी तो पेंटी निकाल कर रखी हो,,,, सच-सच बताना (इतना कहते हुए वह फिर से जोर से अपनी मां की नंगी गांड पर चपत लगा दिया और निर्मला के मुंह से आह निकल गई,,,) मेरा मोटा लंड अपनी बुर में डलवाने के लिए तड़प रही हो ना,,,,( इतना कहने के साथ ही वह अपनी मां की बड़ी बड़ी गांड को दोनों हथेली में भर भर कर दबाने लगा,,,, अपने बेटे की इस तरह की हरकत से निर्मला एकदम मदहोश होने लगी,,,, उसे मजा आ रहा था और वह गर्म सरकारी लेते हुए बोली,,
ससससहहहहह,,,, शुभम मैं तुझसे झूठ नहीं बोलूंगी सच बताऊं तो जो तू कह रहा है वह एकदम सच है,,, मैं तेरे लंड के लिए तड़प रही हुं,,, जब से स्कूल से लौटी हूं तब से मैं तुझसे चुदवाने के फिराक में हूं इसीलिए आते ही अपनी पेंटी को निकाल फेंकी थी। लेकिन तेरे पापा आकर मेरा सारा मूड खराब कर दिए,,,,

( शुभम समझ गया कि उसकी मम्मी बहुत प्यासी है,,, वह उसका लंड लेने के लिए तड़प रही है,, अगर वह इस समय अपनी मां को चोदकर ऊसकी प्यास नहीं बुझाएगा तो रात भर भर प्यासी रहकर तड़पती रह जाएगी,,,, इसलिए वह एक हांथ अपनी मम्मी की बुर पर रखकर से मसलते हुए बोला,,,

मम्मी तुम सच-सच बताना इस समय तुम मुझसे चुदवाना चाहती हो कि नहीं,,,
( अपने बेटे के मुंह से यह सवाल सुनकर वह थोड़ा परेशान हो गई क्योंकि सच में वह अपने बेटे से चुदवाना चाहती थी लेकिन उसे अपने पति की हाजरी से डर लग रहा था,,,। फिर भी वह अपने बेटे से बोली)

हां,,, लेकिन कैसे तेरे पापा घर पर है,,,,,

बस तुम चिंता मत करो मैं सब संभाल लूंगा मैं अभी इसी समय किचन में तुम्हें चोदूंगा,,,, सच बताऊं तो मैं भी तुम्हें चोदने के लिए एकदम से तड़प रहा हूं अगर इस इस समय तुम्हें नहीं चोदा तोमुझे हाथ हिला कर ही काम,,,, चलाना पड़ेगा,,,

लेकिन तेरे पापा,,,,( निर्मला आशंका जताते हुए बोली लेकिन वह अपनी बात पूरी कर पाती इससे पहले ही शुभम अपने पेंट की बटन खोलकर अपनी पेंट को अंडरवियर सहित जांघो तक सरका दिया,,,, जैसे ही उसने अपनी पैंट उतारा, उसका लंबा बड़ा मोटा लंड देखकर निर्मला की बुर से पानी फेंकने लगा,, वह उसके लंड को लेने के लिए तड़प उठी,,, उसके सब्र का बांध बिल्कुल टूट चुका था वह भी कुछ समय के लिए एकदम से भूल गए कि उसका पति घर में मौजूद है और अपनी पत्नी की मौजूदगी के बावजूद भी वह अपने बेटे से चुदने के लिए पूरी तरह से तैयार हो गई,,,, शुभम भी बिल्कुल देर नहीं करना चाहता था उसके हकदार अपने पापा का बिल्कुल भी नहीं था बल्कि उसे अपने ऊपर सब्र नहीं हो रहा था,,, वह जल्दी से अपनी मां को पकड़कर नीचे की तरफ झुका दिया और उसे झुकाकर एकदम घोड़ी बना दिया,,, उसकी मां अपने बेटे के लंड को अपनी बुर के अंदर लेने के लिए ललच रही थी,,,, शुभम भी जल्दी से अपने खड़े लंड को पकड़कर अपनी मां की बुर के मुहाने पर सटा दिया,,, निर्मला अपनी बुर के ऊपर अपने बेटे के गरम लंड का सुपाड़ा महसूस करते ही एक दम से तड़प उठी,,,, तभी शुभम हल्के से अपनी कमर को आगे की तरफ झटका दिया,,, निर्मला की बुर पहले से ही पानी पानी हो चुकी थी इसलिए पहली बार में ही लंड सटाक से बुर के अंदर समा गया,,, आधा लंड निर्मला की बुर में था,,, और शुभम ने फिर से एक जोरदार झटका मारा और पूरा लंड उसकी मां की बुर में समा गया,,, निर्मला के मुंह से चीख निकलते निकलते रह गई,,, शुभम पूरी तरह से जोश में भरा हुआ था और वह तुरंत अपनी कमर को आगे पीछे करते हुए अपनी मां को चोदना शुरू कर दिया,,,, निर्मला भी मस्त होकर अपने बेटे के लंड से चुदने का मजा लेने लगी,,,, पूरा रसोईघर गर्म सिसकारीयो से गुजने लगा,,, किचन का दरवाजा खुला हुआ था लेकिन फिर भी दोनों में से किसी को भी इस बात की बिल्कुल भी फिक्र नहीं थी शुभम अपनी मां को जोर-जोर से चोदे जा रहा था,,, निर्मला भी उसका पूरा साथ देते हुए जोर-जोर से अपने गांव को पीछे की तरफ ठेल दे रही थी,,, करीब आधे घंटे के बाद शुभम के लंड से जोरदार पिचकारी निकली जोकि निर्मला की बुर को पूरी तरह से भिगो दी, साथ में निर्मला भी झढ़ गई,,,
04-01-2020, 02:58 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला को यकीन नहीं हो रहा था कि इस तरह के हालात में भी उसने संभोग सुख को बहुत ही बेहतरीन तरीके से भोगी है,,,, घर में पति की मौजूदगी के बावजूद भी अपने बेटे की जिद के आगे वह अपनी साड़ी को कमर तक उठा कर जिस तरह से अपने बेटे के लंड को अपनी बुर की गहराई में उतार कर उससे चुदवाने का मजा ली थी,,, वह बेहद काबिले तारीफ थी,,, बार-बार निर्मला की इच्छा हो रही थी कि अपने हाथों से अपनी पीठ थपथपाए,,, क्योंकि उसने आज अपने नजरिए से बेहद ही हिम्मत भरा कदम उठाई थी एक तो सुबह से ही उसकी बुर में खुजली मची हुई थी वह अपने बेटे से जी भर के चुदवाना चाहती थी। लेकिन वह अपने बुर की प्यास अपने बेटे के लंड से बुझाती इससे पहले ही अशोक घर पर हाजिर हो गया था,,, और ऐसे मौके पर जब बदन प्यास से एकदम तड़प रहा हो,,, तब उस शख्स के लिए किसी की भी हाजिरी कबाब में हड्डी की तरह खटकती है,,, और यही वजह थी कि अशोक उसका पति होने के बावजूद भी उसका घर पर आना निर्मला को अच्छा नहीं लग रहा था,,, उसे लगने लगा था कि आज की रात वह प्यासी ही रह जाएगी,,, लेकिन ऐन मौके पर शुभम के द्वारा दिखाई गई उसकी हिम्मत उसके लिए उसकी प्यास बुझाने का एक अद्भुत मौका कारगर सिद्ध हुआ,,,, निर्मला मन ही मन यह बात भी मानती थी कि भले ही उसके मन में किचन के अंदर अपने बेटे से चुदवाते समय उसके पति के आ जाने का डर बराबर बना हुआ था,, लेकिन इस डर में भी एक बेहद अद्भुत आनंद की प्राप्ति हो रही थी और जिस तरह का अनुभव उसे किचन के अंदर घर पर पति की हाजिरी में चुदवाते समय हुआ था उस तरह का अनुभव उसे पहले कभी नहीं हुआ था।
कुल मिलाकर उसे बेहद आनंद की प्राप्ति हुई थी,,, वह बार-बार यह सोच कर हैरान हो रही थी कि आखिरकार इतनी हिम्मत सुभम में आई कैसे,,, उसे उसकी हिम्मत पर यकीन नहीं हो पा रहा था लेकिन यह कानों सुनी नहीं बल्कि आंखों देखी और खुद पर अनुभव किया हुआ मामला था इसलिए उसे उसकी हिम्मत की दाद देनी ही पड़ी,,,,। शुभम काफी खुश था वह किस बात पर और भी ज्यादा खुश था कि अच्छा ही हुआ कि वह अपने पापा के ऑफिस चला गया और वहां ना चाहते हुए भी ऑफिस का नजारा अपनी आंखों से देख लिया तभी तो उसे अपने पापा को काबू में करने का पूरा तरीका मालूम पड़ गया एक तरह से घोड़े की लगाम के हाथों में आ चुकीे थी,, जिससे कि वह उस घोड़े को पूरी तरह से अपने काबू में रख सकता था आखिरकार घोडी़े की
सवारी करना हो तो घोड़े को तो काबू में रखना ही पड़ता है।,, कुल मिलाकर शुभम के लिए बहुत ही अच्छा हो रहा था वह अपनी किस्मत पर बहुत खुश था क्योंकि ना चाहते हुए भी उस की झोली में निर्मला नाम की खूबसूरत फूल आ गिरा था जिसकी खुशबू मैं वह अपना रात दिन गुजार रहा था।

मेरे दिल की प्यास बुझा चुकी थी वह जो चाहती थी वह उसे प्राप्त हो चुका था,,, इसलिए उसे रात भर बिस्तर पर करवटें नहीं बदलना पड़ेगा उसे चैन की नींद आने वाली थी इसलिए वह अपना सारा काम निपटा कर कमरे में पहुंची तो अशोक जाग रहा था,,, औपचारिकतावश वह अशोक से बोली,,

क्या हुआ आपको आपकी तबीयत तो ठीक है शुभम ने बताया कि आप खाना नहीं खाएंगे आप आराम कर रहे हैं इसलिए मैं आपको जगाने नहीं आई,,,,
( निर्मला अशोक के माथे पर हाथ रखकर उसकी तबीयत जानने की कोशिश करते हुए औपचारिकतावश बोल रही थी और निर्मला की बात सुनकर अशोक को इस बात की तसल्ली थी कि उसके बेटे ने अभी तक उसकी मां से कुछ भी नहीं कहा था वह मन ही मन खुश होने लगा,,, और वैसे ही अपने चेहरे पर थोड़ी सी नरमी लाते हुए बोला,,,,।)

हां थोड़ा सर दर्द कर रहा था वह क्या है कि ऑफिस में काम कुछ ज्यादा बढ़ गया है इसके लिए,,,,


लाइए मैं आपका सर दबा देती हुं।

नहीं अब इसकी जरूरत नहीं है मैं दवा खा चुका हूं इसलिए मुझे अभी आराम है,,,,।

ठीक है आप आराम करिए तब तक मैं कपड़े चेंज कर लेती हूं (इतना कहने के साथ ही निर्मला अलमारी के करीब जाकर अपनी साड़ी उतारने लगी,,, वह अपनी साड़ी उतारते हुए आजमगढ़ आईने में अपने रूप को देखकर मन ही मन प्रसन्न भी हो रही थी,,, उसकी प्रसन्नता का कारण शुभम था जो कि पूरी तरह से उसके रूप यौवन का दीवाना हो चुका था,,, निर्मला को अपनी खूबसूरती और अपने बदन की बनावट पर गर्व महसूस हो रहा था क्योंकि इस उम्र में पहुंचने के बाद भी एक जवान हो रहा लड़का उसका पूरी तरह से दीवाना था और इस उम्र में भी उसे एक जवान लंड से चुद़ने का सौभाग्य प्राप्त हो रहा था,,, वरना इस उम्र में अक्सर ऐसे ही लंड. बुर में,,, डलवाने के लिए मिलते हैं जिसे खड़ा करते करते ही आधी रात गुजर जाती है,, और मुश्किल से खड़ा होने के बाद भी जब बुर की गहराई में उतरता है तो,,,, गुलाबी दीवारों से पसीज रहे गर्म लावा की गर्माहट मै कुछ ही सेकंड में मर्दानगी पिघलकर फुर्र हो जाती है। और वह औरत प्यासी ही रह जाती है ऐसी उम्र में जब औरतों को चाहिए रहता है कि उसकी जवानी को कोई एकदम से रगड़ डालें,,, उसके बदन के हर एक अंग को अपनी हथेली में भर कर मसले,,, उसकी बुर में अपन मजबूत लंड डालकर ऐसा चोदे कि उसकी बुर नमकीन रस का फव्वारा फूट पड़े,,,,, लेकिन अक्सर औरतों को ऐसी ही उम्र में ही ढीले लंड मिलते हैं जिनसे उनकी प्यास बुझने की वजाय और ज्यादा भड़क उठती है,,, लेकिन कुछ औरतें निर्मला की तरह अपवाद होती हैं,,, जिन्हें इस उम्र मे भी,, अपनी प्यास बुझाने के लिए जवान लंड मिल जाता है,,, जिन से चूद कर वह अपनी प्यास बुझाती हैं,,, यही वजह थी कि कपड़े चेंज करते समय निर्मला के चेहरे पर मुस्कान फैल जा रही थी,,, एक-एक करके वह धीरे-धीरे अपने बदन पर से अपने वस्त्र को दूर कर रही थी उसके बदन पर इस समय मात्र पेंटिं और ब्रा ही रह गई थी,,, अशोक अपनी पत्नी को देखकर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था उसकी खूबसूरती आज उसकी आंखों को चौधिया दे रही थी,,,, अशोक की नजर अपनी बीवी के अर्ध नग्न बदन पर ऊपर से नीचे की तरफ दौड़ रही थी,,, उसका गोरा मखमली बदन आज उसे अपनी तरफ आकर्षित कर रहा था। खास करके उसकी भारी भरकम गांड जो कि शुभम के हाथों में आने से ऐसा लग रहा था कि पहले से ज्यादा भारी हो चला था,,,, ऐसा लग रहा था मानो कि फिर से किसी कारीगर ने अपने हाथों का जादू उसके नितंबों पर बिखेर दिया हो,,, उसने अपनी सारी कारीगरी निर्मला के नितंबों को तराशने में लगा दिया है। अशोक अपनी बीवी की बड़ी बड़ी गांड देखकर उत्तेजित होने लगा था उस के लंड में भी तनाव आना शुरू हो गया था। उसे लग रहा था कि वह उसे अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए अपने कपड़े उतार रही है और उसे इस बात की भी उम्मीद थी कि वह अपनी ब्रा और पैंटी उतार कर पूरी तरह से नंगी हो जाएगी,,, लेकिन ऐसा नहीं हुआ हां अलमारी में से अपना गांऊन निकाल कर पहन ली,,, लेकिन अशोक आज अपनी बीवी को भोगने का मन बना लिया था। आज निर्मला से संभोग की इच्छा बड़ी तीव्र होती जा रही थी। वैसे भी अपनी सेक्रेटरी से अब उसका मन भर चुका था,,,, निर्मला की बड़ी बड़ी गांड और ऊसकानभरावदार बदन देख कर एक बार फिर से उसके मन में उत्सुकता बढ़ने लगी,, निर्मला आते ही बिस्तर पर लेट गई और दूसरी तरफ करवट लेकर सोने लगी,, निर्मला की बड़ी बड़ी गांड जोकी गांऊन में से भी बिल्कुल साफ साफ ऊभरकर सामने नजर आ रही थी,,, अशोक अपने मन में आए लालच को रोक नहीं सका और अपना हाथ आगे बढ़ा कर निर्मला की गांड पर रख दिया,,,,, उसे लगा था कि उसके स्पर्श से निर्मला शर्म के मारे सिहर उठेगी,,, क्योंकि अब तक ऐसा ही होता आया था लेकिन आज उसके सोच के बिल्कुल विपरीत निर्मला ने उसका हाथ पीछे झटक दी,,,, यह अशोक के लिए बिल्कुल साफ इशारा था कि अब उसे उस की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है,,,,।
अशोक को बिल्कुल भी समझ में नहीं आया कि यह क्या हो रहा है इसलिए वह एक बार फिर से उसके नितंबों पर हाथ रखा लेकिन इस बार भी निर्मला उसका हाथ झटकते हुए बोली मैं थक गई हूं मुझे नींद आ रही है,,,

अशोक एकदम परेशान हो गया उसे निर्मला का यह बदला हुआ स्वभाव और व्यवहार बिल्कुल समझ में नहीं आ रहा था आखिरकार वह भी करवट लेकर सो गया,,,,
04-01-2020, 02:58 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
अशोक अपनी बीवी निर्मला के व्यवहार से थोड़ा सा परेशान था उसे उसके बदलते व्यवहार के बारे में कुछ समझ में नहीं आ रहा था लेकिन इस समय उसके लिए यह कोई बड़ी समस्या नहीं थी बल्कि उसका सारा ध्यान इस बात पर केंद्रित था कि शुभम ऑफिस वाली बात कही उसकी मां से ना बता दे,,, लेकिन कुछ दिन तक ऐसा कुछ भी नहीं हुआ कि जिससे लगे कि शुभम ने उसकी मां से सब कुछ बता दिया हो सब कुछ नॉर्मल ही चल रहा था इस बात से उसे बेहद खुशी हुई और वह शुभम के कमरे में जाकर उसे धन्यवाद देते हुए बोला,,

शुभम तूने जो मेरे लिए किया है वह शायद कोई भी बेटा अपने बाप के लिए नहीं कर सकता,,,, इसलिए मुझे तुझ पर बहुत गर्व होता है,,,,,

पापा इसमें थैंक्स बोलने वाली कोई बात नहीं है जो कुछ भी मैंने किया वह आपकी और पूरे घर की भलाई के लिए मैंने किया,,, क्योंकि यह बात मम्मी को पता चलती तो शायद ऊन्हे बहुत दुख होता है और घर का माहौल भी बिगड़ सकता था।,,,( शुभम अपने पापा की आंखों में देखते हुए बोला)

तू बहुत समझदार है बेटा इसलिए ऐसी बात को छुपा दे क्या वरना कोई भी होता अपनी बात को ऐसी अवस्था में देखकर वह अपनी मां से जरूर बता देता,,,, इसलिए तो मैं तुझे थैंक्स कहने आया हूं कि तूने मेरी इज्जत रख ली और इसी घर में शांति भी कायम रखने में पूरी मदद किया इसलिए मैं तुझसे वादा करता हूं कि चाहे कुछ भी हो मैं तेरा साथ जरूर दूंगा चाहे कोई भी हालात हो,, मैं पूरी तरह से तेरे साथ रहूंगा भले ही तू उस समय गलत क्यों ना हो,,,,
( शुभम अपने पापा की बात सुनकर बेहद खुश हो रहा था उसकी खुशी के पीछे बहुत बड़ा कारण था क्योंकि वह जानता था कि आज नहीं तो कल उसके और उसकी मम्मी के बीच में शारीरिक संबंध के बारे में उसके पापा को जरूर पता चलेगा और वह उस समय ऑफिस वाली बात का फायदा अपने बाप से उठाते हुए अपनी सारी गलतियों पर पर्दा डाल देगा और अशोक को भी अपना मुंह बंद रखना होगा,,,, शुभम अपने बाप की बात सुनकर खुश होता हुआ बोला।)

आप सच कह रहे हो पापा,,,,

हां बेटा मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं,,,, तुझे अभी कुछ चाहिए तो बोल मैं तुझे अभी वह चीज ला कर देता हूं तेरी जेब खर्च सब कुछ जिसकी कोई लिमिट नहीं है,,, हां लेकिन इस बारे में भी तेरी मम्मी को पता नहीं लगना चाहिए वरना वह खामखा तुझ पर नाराज होगी,,,, बोल तुझे कुछ चाहिए,,,,,

नहीं पापा मुझे कुछ नहीं चाहिए बस मैं एक बात आपसे पूछना चाहता हूं और मैं चाहता हूं कि उसका जवाब आप बिल्कुल सच सच देना,,,,
( शुभम की बात सुनते ही अशोक के चेहरे पर परेशानी के बाल साफ नजर आने लगे वह समझ नहीं पा रहा था कि उसका बेटा उससे क्या पूछना चाहता है लेकिन फिर भी वह जवाब देने के लिए तैयार था क्योंकि इनकार करने का कोई भी कारण उसके पास नहीं था इसलिए वह बोला,,,।)

पूछो क्या पूछना चाहते हो मैं तुम्हें इनकार भी नहीं कर सकता,,,

मैं जानता हूं कि आप इनकार नहीं कर सकते इसलिए तो मैं एक ही बात पूछ रहा हूं क्योंकि पूछना नहीं चाहिए और खास करके अपने ही बाप से,,,,
( शुभम मुस्कुराते हुए बोल रहा था और अपने बेटे की बात सुनकर अशोक को उसकी बात में एक छुपी हुई धमकी का एहसास हो रहा था लेकिन इस समय अशोक मजबूर था इसलिए उसके सारे नखरे सहने में ही उसकी भलाई थी,,,,।)

पूछो,,,,,


पापा वैसे तो मैं पूछना नहीं चाहता लेकिन मेरे मन में ढेर सारे सवाल उमड़ रहे हैं जिसका जवाब सिर्फ आप ही दे सकते हो और ना चाहते हुए भी मुझे आपसे सवाल करना पड़ रहा है,,।
( अशोक हां में सिर हिला दिया जैसे कि कोई विचारमग्न में तल्लीन हो चुका था।,, शुभम के मन में भी इतनी चाहत हो रही थी क्योंकि जो सवाल वह अपने बाप पर करने जा रहा था इस तरह का सवाल शायद ही कोई बेटा अपने बाप से किया हो इसलिए उसे शर्म से भी महसूस हो रही थी लेकिन वहां उस ऑफिस वाली औरत से संबंध बनाने का असली कारण अपने बाप के मुंह से सुनना चाहता था इसलिए वह शरमाते हुए बोला,,,,।)

पापा वैसे तो ऑफिस के अंदर जो मैंने देखा वह मुझे नहीं देखना चाहिए था लेकिन जो कुछ भी हुआ अनजाने में ही हुआ रातों में रिपोर्ट कार्ड पर आपके दस्तखत कराने ऑफिस जाता और ना ही मैं उस दृश्य को देखता,,,, और ना ही मेरे मन में इस तरह के सवाल उत्पन्न होते,,,,

कैसे सवाल तुम सीधे-सीधे पूछो इस तरह से बात को गोल-गोल क्यों घुमा रहे हो,,,( अशोक थोड़ा नाराजगी दर्शाते हुए बोला,,।)

मैं यही पूछना चाहता था कि मम्मी इतनी ज्यादा खूबसूरत है लेकिन फिर भी आप उस ऑफिस वाली औरत के साथ उस तरह के संबंध क्यों रख रहे थे,,,, जबकि वह मम्मी की खूबसूरती के आगे कुछ भी नहीं थी,,,,।
( शुभम के सवाल को सुनकर अशोक की भाौवे तन गई,,, उसे कुछ पल के लिए तो समझ में नहीं आया कि शुभम यह क्या पूछ रहा है इसका जवाब देना शायद अशोक के बस में नहीं था इसलिए वह बोला।)

यह कैसा सवाल है यह कोई सवाल तो नहीं हुआ,,,,

यही तो सवाल है पापा,,,,

नहीं बेटा यह कोई सवाल नहीं हुआ और अभी यह सब जानने के लिए तुम्हारी उम्र छोटी है वैसे भी मुझे देर हो रही है मुझे ऑफिस जाना है,,,,।

पापा यह कोई बात नहीं हुई और मेरी उम्र अब छोटी नहीं है अगर मेरी उम्र छोटी होती तो मैंने जो ऑफिस में देखा सबकुछ मम्मी को बता दिया होता तो आप की खातिर मैं यह राज को राज ही रखा हूं,,,, अगर आप मेरे सवालों का ठीक ठीक जवाब नहीं देंगे तो शायद यह राज,,, राज नहीं रह जाएगा,,,

तो तुम मुझे धमकी दे रहे हो,,,,,( अशोक के चेहरे पर चिंता के भाव साफ नजर आ रहे थे।)

धमकी नहीं दे रहा हूं पापा बस में सच्चाई जानना चाहता हूं क्योंकि जो आप कर रहे हैं यह बिल्कुल भी ठीक नहीं है,, इसलिए मैं जानना चाहता हूं कि मम्मी जितनी खूबसूरत औरत होने के बावजूद भी आप दूसरी औरतों के पास क्यों जाते हैं,,,,,।
( अशोक हैरान था शुभम के सवाल और इस उम्र में उनकी इस तरह की बातें सुनकर अशोक को भी अब ऐसा लगने लगा था कि वास्तव में तो बहुत छोटा नहीं रह गया था क्योंकि जिस तरह कि वह बातें करता था एक बच्चा नहीं कर सकता था। अशोक किसी भी तरह से बात को टालने में लगा हुआ था इसलिए वह फिर से बोला,,,,।)

बेटा मैं तुझ से बता नहीं सकता,,, क्योंकि मुझे नहीं लगता कि तू अपनी मम्मी के बारे में आप उससे जुड़ी किसी भी प्रकार की बातों को सुनने के लिए तेरी उम्र ठीक है।

पापा मैं कह रहा हूं ना कि मैं अब बच्चा नहीं रहा जब मैं आपके राज को राज रख सकता हूं तो उस राज्य से जुड़ी हर बात को सुनने के लिए पूरी तरह से तैयार हूं और वैसे भी अपने राजदार से कोई भी बात राज नहीं रखनी चाहिए।


तेरी बातें सुनकर ऐसा लगने लगा है कि तू सच मे बड़ा हो गया है,,,,। लेकिन क्या तू अपनी मम्मी के बारे में उस तरह की बातें सुन लेगा,,,,

नहीं मैं अपनी मम्मी के बारे में इस तरह की बातें कभी नहीं सुन पाऊंगा लेकिन हां अगर यह बात आप कहेंगे तो जरूर मुझे सुनना पड़ेगा,,,, बाहर हाल अगर यह सारी बातें कोई और करता तो शायद में एक ही मुक्के में उसका मुंह तोड़ दिया होता,,, इसलिए आप निश्चिंत होकर बताइए और एक दोस्त की तरह ना की बाप की तरह क्योंकि जब बच्चे बड़े हो जाएं तो बाप को चाहिए कि वह अपने बेटे के साथ दोस्त जैसा व्यवहार करें,,,,,


( शुभम की बातें और उसकी दिमाग में चल रही कोलाहल को देखते हुए अशोक को बड़ी हैरानी हो रही थी उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह मासूम सा दिखने वाला शुभम इतनी सारी बड़ी-बड़ी बातें कैसे कर ले रहा है उसे समझ में आ रहा था कि शुभम जैसा दिखता है वैसा बिलकुल भी नहीं है यह बहुत ही चालाक और बड़ा हो गया है,,, इसके सवाल को टाल देना अब उसके बस में नहीं था वह जानता था कि शुभम अपने सवाल का जवाब उससे पाकर ही रहेगा और कोई समय होता तो शायद वह उसे थप्पड़ मारकर उसे चुप करा सकता था लेकिन इस समय शुभम उसका बहुत ही गहरा जानता था जो कि उसकी जिंदगी में तबाही ला सकता था इसलिए उसे जैसा वह कहता था वैसा ही उसे करना था क्योंकि यही उसकी मजबूरी थी इसलिए वह बोला,,,।)

बेटा मैं नहीं चाहता कि तुम इस तरह की बातें सुनो लेकिन जब तुम जिद कर रहे हो तो मैं तुम्हें सब बता देता हूं लेकिन ध्यान रहे कि मेरे और तुम्हारे बीच में यह सारी बातों का पता किसी और को ना चले वरना गजब हो जाएगा,,

आप फिकर मत करो पापा मैं तुम्हारा हर राज अपने सीने में दफन रखूंगा,,,,,

बेटा जिस तरह से तू कह रहा है कि तेरी मम्मी बहुत ही खूबसूरत है यह बात मैं भी अच्छी तरह से जानता हूं लेकिन सिर्फ खूबसूरती से ही मर्दों का पेट नहीं भरता,,, तेरी मम्मी हर तरह से बिल्कुल परफेक्ट है लेकिन तू शायद नहीं जानता कि तेरे मम्मी बिस्तर पर एकदम ठंडी है जो कि औरत को नहीं होना चाहिए खास करके अपने ही पति के साथ,,,,
( शुभम अपने पापा की बात को बड़े गौर से सुन रहा था वह अपने बात की कही गई बात का मतलब अच्छी तरह से समझ रहा था लेकिन कुछ ना समझ पाने का नाटक करते हुए वह अपने पापा से बोला,,,।)

बिस्तर में ठंडी,,,,,,, मैं कुछ समझा नहीं पाता जरा आप खुलकर समझाएंगे,,,,

बेटा मैं तुझे कैसे समझाऊं खुलकर बोलने जैसा मुझे नहीं लगता कि कुछ भी है तू बस समझ जा,,,,

पर पापा मुझे आपकी कही गई बात बिल्कुल समझ में नहीं आ रही है तो मैं कैसे समझा जांऊ,, क्या बात कुछ गंदी तरह की है,,,,।

हां,,,,, ( अशोक तपाक से बोला)

तो क्या हुआ पापा वैसे भी तो अब हम दोनों दोस्त हैं और दोस्त में इस तरह की बातें तो होती रहती हैं आप बिना किसी बात का संकोच किए बिना सब कुछ बताइए वह भी खुलकर जैसे कि एक दोस्त अपने दोस्त को बताता है।

शुभम तू पागल हो गया है भला एक बाप अपनी बेटी से इस तरह की गंदी बातें और वह भी तेरी मां के बारे में कैसे कर सकता है,,,।


ऑफिस में किसी गैर औरत के साथ जिस्मानी ताल्लुकात रख सकते हैं और वह भी चालू समय में लेकिन वही बात जो कि अपने ही राजदार को बताने में आपको शर्म महसूस हो रही है,,,

लेकिन पापा यह बात भी आप अच्छी तरह से समझ लो कि ऑफिस वाली बात को मुझे मम्मी से बताने में किसी भी प्रकार की शर्म महसूस नहीं होगी मैं सब कुछ बता दूंगा जो मैंने देखा,,,,।

शुभम तुम मेरी मजबूरी का फायदा उठा रहे हो,,

फायदा तो आप उठा रहे हैं मेरी मम्मी के भोलेपन का उसके संस्कार का उसके विश्वास का और उसके समर्पण का,,,,
( अशोक समझ गया कि शुभम बिल्कुल भी मानने वाला नहीं है इसलिए वह तंग आकर बोला।)

तुम नहीं मानोगे तो सुनो,,,, तुम्हारी मम्मी को कुछ भी नहीं आता मर्दों को कैसे खुश रखा जाता है ईस कला को,,, औरत होने के बावजूद भी उसे नहीं मालूम,,, जब भी मैं उसे चोदने के लिए उसके कपड़े उतारता हूं तो वह अपनी तरफ से कोई भी प्रतिक्रिया नहीं देती बस एक निर्जीव शरीर की तरह पड़ी रहती है मुझे ही सब कुछ करना पड़ता है,,,( शुभम की जीद के आगे आज वह पहली बार अपने पापा के मुंह से इस तरह की गंदी बातें सुन रहा था शुभम के कहे अनुसार अशोक बेहद अश्लील शब्दों में वर्णन कर रहा था,।) उसके ब्लाउज से लेकर के उसकी पैंटी तक मुझे ही उतारनी पड़ती हैं,,,, वह बस शर्मा कर दूसरी तरफ मुंह फेर लेती है तो शायद यह सब बातों के लिए अभी बच्चा है जब बड़ा हो गया तो तुझे खुद समझ में आ जाएगा कि एक आदमी औरत के साथ क्या चाहता है वह बिस्तर पर जब औरत के साथ संबंध बनाने को होता है तो वह औरत की तरफ से किसकी प्रतिक्रिया की आशा रखता है,,,,,( अशोक शुभम के सामने सिर झुका कर सब कुछ बोले जा रहा था और यह सब सुनने में शुभम को मजा भी आ रहा था।) तेरी मम्मी कुछ भी नहीं करती ना तो वह मुझे अपनी बांहों में करती है ना ही मुझे चुम़ती है,,,,, और तो और वहां अपने मुंह से संबंध बनाते समय एक भी शब्द मुझे प्रोत्साहित करने के लिए नहीं बोलती,,,,।
( अशोक अपने मन की भड़ास निकाली जा रहा था लेकिन जिस तरह की बातें हो आप उसकी मां के बारे में बता रहा था यह सब से बम को बड़ा अजीब लग रहा था क्योंकि बिस्तर पर शुभम के साथ उसकी मां बिल्कुल भी ठंडी औरत की तरह प्रतिक्रिया नहीं करती बल्कि वह तो इस तरह की प्रतिक्रिया करती है कि ऐसा लगता है कि जन्मों की प्यासी हो,,, ) तुझे शायद नहीं पता शुभम मर्दों को तब और ज्यादा आनंद आता है जब औरत उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूसती है,,,( अपने पापा के मुंह से इस तरह की बातें सुनकर सुभम की भौंवे तन जा रही थी,,,। ) लेकिन शुभम शादी के इतने साल गुजर गए लेकिन आज तक तेरी मम्मी ने मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर नहीं चूसी,,, जब कभी भी मैं उसे जोर जबरदस्ती करके उसके मुंह में अपना लंड डालकर उसे चुसवाने की कोशिश करता भी हूं तो वह उल्टी कर देती है,,
तू सोच भी नहीं सकता कि मैं किस तरह से अपने दिन गुजार रहा हूं एक खूबसूरत औरत का पति होने के बावजूद भी औरत का शौक मुझे नहीं मिल पाता,,,, तेरी मां सामने से कभी भी मुझे चोदने के लिए नहीं बोलती जब भी कुछ भी करना होता है तो मुझे ही करना पड़ता है,,,।
( शुभम अपने पापा की बात सुनकर सोच रहा था कि उसके साथ तो बिल्कुल उल्टा होता है उसकी मां तो खुद ही पहले से ही उससे चुदने के लिए तैयार रहती है। )
जिस औरत को तु ओेफीस मे देखा,,, उसे मुझे कुछ भी नहीं बताना पड़ता और ना ही कुछ सिखाना पड़ता है,,, उसे सब पता चल जाता है कि कब मुझे क्या करवाना है तू शायद नहीं जानता कि ऑफिस में भी मैंने उसे नहीं बुलाया था वह खुद ही आकर के मुझ से चुदवाने लगी,,,, मर्दों को कैसे खुश किया जाता है या वह औरत अच्छी तरह से जानती है और वह मुझे पूरी तरह से संतुष्ट कर देती है यही कारण है कि मुझे इस तरह से दूसरी औरत के साथ बाहर संबंध रखना पड़ता है।
( अशोक की बात सुनो बड़े गौर से सुन रहा था उसे अपने पापा की बात सुनकर मजा भी आ रहा था लेकिन जिस तरह से वहां उसकी मां को ठंडी औरत बता रहे थे उसके जी में तो आ रहा था कि वह साफ-साफ कह दे कि तुम्हारे छोटे लंड से चुदने मैं उसे बिल्कुल भी मजा नहीं आता,,,,। वह अब मेरे मोटे और लंबे लंड से चुदकर एक दम मस्त हो गई है,,,। लेकिन ऐसा कहना बिल्कुल भी ठीक नहीं था इसलिए वह बोला,,,)

पापा अगर ऐसी बात है तो आपको मम्मी के साथ मिलकर खुलकर यह सब बातों पर चर्चा कर लेनी चाहिए थी ताकि मम्मी भी दूसरी औरतों की तरह तुम्हें पूरी तरह से संतुष्ट कर सके,,,


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