Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 03:01 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
नहीं निर्मला मैं नहीं जा पाऊंगा मुझे ऑफिस में बहुत काम है और कुछ दिनों तक तो मुझे बिल्कुल भी आराम नहीं मिल पाएगा तुम और शुभम चली जाओ। और तुम्हें किसी भी चीज की जरूरत हो ले लेना,,,,। ( इतना कहकर अशोक मुस्कुराते हुए घर से बाहर चला गया और उसे जाते हुए देखकर निर्मला भी मन-ही-मन खुश होते हुए बोली कि मैं भी तो यही चाहती थी कि तुम हमारे साथ ना जाओ,,, अब आएगा गांव में शादी का असली मजा जब सिर्फ मैं और शुभम होंगे,, इस बात को सोचकर ही निर्मला के चेहरे पर प्रसन्नता के भाव साफ नजर आने लगे,,,,,,,

निर्मला ने जब शीतल को यह बात बताई कि वह कुछ दिनों के लिए गांव जा रही है उसके छोटे भाई की शादी है तो यह खबर सुनकर शीतल पूरी तरह से परेशान हो गई,,,, उसकी परेशानी का सबसे बड़ा कारण था शुभम वह नहीं चाहती थी कि शुभम उसकी आंखों से दूर जाए। क्योंकि अब हालिया हो चुका था कि निर्मला का भी मन शुभम के बिना कहीं नहीं लगता था जब तक वह सुबह का दीदार ना कर ले तब तक उसके मन को चैन नहीं मिलता था। यह खबर बताते समय शुभम भी पास में ही खड़ा था जो कि कल की ओर से शीतल की तरफ देख ले रहा था और शीतल भी शुभम को नजर भर कर देख ले रही थी। निर्मला यह खबर शीतल को बता कर अपनी क्लास की तरफ जाने को हुई थी कि तभी शीतल मौका देख कर शुभम को रिसेस में मिलने के लिए बोली ।

शुभम खुद शीतल से मिलने के लिए मचल रहा था क्योंकि पिछले दिन जिस तरह का जलवा दिखाकर उसने उसके बदन में कामाग्नि की चिंगारी भड़काई थी ऐसे में भला कौन होगा जो दुबारा ऐसी मस्त और कामातुर औरत से मिलने की ख्वाहिश ना रखता हो।
निर्मला ने जब यह खबर अपने क्लास के विद्यार्थियों को सुनाई तो क्लास में उपस्थित लड़कों की हालत खराब हो गई वह लोग निर्मला को हमेशा गर्म आंखों से ही देखते थे। अपनी कामाग्नि के घोड़े को कल्पना की दुनिया में ले जा कर अपने ही हाथ से लंड हिला कर संतुष्ट होने का संपूर्ण साधन उनके लिए निर्मला ही थी। अधिकतर लड़के सुबह स्कूल में आने से पहले बाथरूम में निर्मला के नाम की मुठ मारकर अपनी कामाग्नि को शांत करते थे और फिर जाकर स्कूल आते थे। यही क्रिया वह रात में भी किया करते थे। लेकिन जब उन्हें इस बात का पता चला कि कुछ दिनों तक उनकी नजरें निर्मला के मदमस्त बदन का दीदार नहीं कर पाएंगी तो उनका मन उदास हो गया,,, और जो लड़के इस राज से वाकिफ थे और , बाथरूम के बीच बने छेद में से निर्मला की गांड के दर्शन करते आ रहे थे, वह लोग आज एक बार फिर से अपनी टीचर को जाते-जाते रिसेस में बाथरूम में बने उसी छेंद से अपनी सबसे प्यारी टीचर की भरावदार मदमस्त गांड को देखते हुए अपना अपना लंड हिला कर अपना पानी निकालने का मन बना लिए। सबको रीशेष होने का इंतजार था,, शीतल को बड़ी बेसब्री से इंतजार तारीख में सोने का उपयोग विशेष में वह शुभम से मिलने के लिए तड़प रहे थे और जाते-जाते वह अपने दिल का हाल उससे बयां करना चाहती थी,, शुभम बेरी से सोने का इंतजार कर रहा था क्योंकि उसे उम्मीद थी की रीशेष में क्लास के अंदर आज फिर से शीतल के मदमस्त बदन का रसपान नजरों से करने को मिल जाएगा और अगर अच्छा मौका मिला तो उसके खूबसूरत मांसल बदन को हाथों से छूने और दबाने का भी मौका मिल जाएगा,,, और ऐसा ही मौका क्लास के विद्यार्थी भी कर रहे थे क्योंकि रीशेष में ही बाथरूम में बने छेद में से निर्मला की मदमस्त नंगी बड़ी-बड़ी गांड को देखने का उन्हें सौभाग्य मिल जाता था और जब निर्मला कुछ दिनों के लिए अपने गांव जा रहे थे तो ऐसे में उन लोगों की आंखें प्यासी ही रह जाने वाली थी और इसलिए वह लोग निर्मला को जाते-जाते आज एक बार फिर से उसी छेद में से उसकी बड़ी बड़ी गांड के दर्शन करते हुए अपना पानी निकालने का मन बना लिए थे।,,, उन सभी की इच्छा पूर्ति करने कि जैसे स्कूल में टंगी वह घंटी ही जिम्मा उठा ली थी,,,, इसलिए वह अपने नियत समय पर बज उठी और घंटी के बज़ते ही,, शुभम शीतल और क्लास के विद्यार्थियों की सांसें भी तीव्र गति से चलने लगी।
04-01-2020, 03:01 PM,
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स्कूल में रिशेश की घंटी बज चुकी थी, और किसका इंतजार कर रहे हो लोगों में हलचल सी मची हुई थी। शुभम शीतल और विद्यार्थियों के मन की हालत कुछ असहज थी।
लेकिन इन सब में निर्मला ही बिल्कुल सहज थी क्योंकि उसे कुछ भी नहीं मालूम था कि उसकी पीठ पीछे उसकी क्लास के ही विद्यार्थी उसके बारे में बाथरूम में गंदी बातें सोच कर उसे बाथरूम में शौच करते हुए देखकर हस्तमैथुन करते हैं।

उसे यह सब बिल्कुल भी नहीं पता था इसलिए कुछ देर; अपनी क्लास में बैठी रही लेकिन बाहर दीवार के पीछे से खड़े होकर क्लास के आवारा लड़के क्लास में से निर्मला के बाहर आने का इंतजार कर रहे थे ।उन्ही में से एक लड़का बोला,,,

यार मैडम चली जाएंगी तो हम लोगों का क्या होगा।

तू सच कह रहा है यार मैडम जा रही है लेकिन मुझे तो ऐसा लग रहा है कि मेरे जिस्म से मेरी जान चली जा रही है।( दूसरा लड़का उसका साथ देते हुए बोला।)

यार सच कहूं तो मैं मुस्कुराता ही इसलिए हूं कि रिषेेश में मैडम की मदमस्त गोरी गोरी गांड के दर्शन कर सकूं। वरना स्कूल आने का कोई बहाना मेरे पास नहीं है क्योंकि पढ़ाई लिखाई तो अपने पल्ले पड़ती ही नहीं। ( वह दीवार की ओट से निर्मला की क्लास की तरफ देखते हुए बोला।)

तुझे क्या लगता है कि एक तू ही है जो यह सोचकर स्कुल आते है, हम सभी यही सोच कर स्कूल आते हैं वरना हमारे पास भी ऐसा कोई बहाना नहीं है कि रोज स्कूल आए,,, क्यों दोस्तों सही कहा ना मैंने,,,

हां यार तू बिल्कुल सच कह रहा है (आठ 10 लड़कों का झुंड जोकि निर्मला के इंतजार में वहां खड़ा था वह एक साथ बोल पड़ा)

सच कहूं तो सुबह सुबह मैडम की नंगी गोरी और बड़ी बड़ी गांड देख लेता हूं तो ऐसा लगता है कि पूरी दुनिया मैंने बाथरूम के छेद से देख लिया हूं। मेरा तो सारा दिन बड़े अच्छे से गुजरता है। दिन भर बस मेरी आंखो के सामने अपनी प्यारी मैडम की मदमस्त गांड ही घूमती रहती है।,,( वह पैंट के ऊपर से ही अपने खड़े लंड को मसलते हुए बोला।)

यार कसम से मेरी आंख सुबह सुबह जब बिस्तर में खुलती है तो मैं तो यही प्रार्थना करता हूं कि आज मैडम की गांड देखने को मिल जाए। और तो और मैं जब भी मैडम की बड़ी बड़ी गांड के बारे में कल्पना करते हुए मुठ मारता हूं तो उस दिन मेरे माल की पिचकारी बहुत दूर तक जाती है। जबकि ऐसा किसी दूसरे की कल्पना करते हुए करता हूं तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं होता।( दूसरा लड़का आगे वाले लड़के की पीठ थपथपाते हुए बोला,, और आगे वाला लड़का बोला।)

यार हम लोग तो सिर्फ दूर से देख कर ही संतुष्ट हो जाते हैं लेकिन सोचो शुभम तो मैडम का ही लड़का है सारा दिन घर पर ही मैडम जी के साथ ही रहता हैं,,,,,
( तभी दूसरा लड़का उसकी बात को बीच में काटते हुए बोला)

तू कहना क्या चाहता है,,,,


सर मेरा कहना बिल्कुल साफ है देख इतना तो सभी जानते हैं कि घर पर हम मे से सभी ने घर की औरतों को कभी ना कभी तो पूरी तरह से नंगी देखा ही है।( तभी वह अपने साथ वाले लड़के की तरफ इशारा करते हुए बोला।) और इसमें तो अपनी मां को पूरी तरह से नंगी हो कर चुदवाते देखा है।
( उसकी बात सुनते ही जिसके बारे में बोल रहा था वह लड़का बोला।)
देख यह गलत है इसीलिए मैं तुझे कोई भी बात नहीं बताता,,

इसमें गलत क्या है तेरी मां तेरे पापा से तो चुदवा रही थी तो इसमें गलत क्या है ऐसा तो था नहीं कि तेरी मां तुझसे चुदवा रही थी।,,,, मैं तो सिर्फ यह बता रहा था कि हम में से सभी में घर की औरतों में से किसी न किसी को संपूर्ण रुप से नंगी दिखाई है या तो कपड़े बदलते हुए या नहाते हुए या तो फिर किस्मत अच्छी हो तो ऊन्हें चुदवाते हुए,,, क्यों भाई लोग मैंने सच कहा ना,,,।( वह अपने दोस्तों से अपनी बात मनवाते हुए बोला। उसके दोस्त भी सभी हां में सुर मिलाते हुए बोले।)

हां देखे हैं तो फिर,,,


तो फिर क्या तुम ही सोचो जब हम जैसे सभी ने अपने घर की औरतों में से किसी न किसी औरत को पूरी तरह से नंगी देखें हीे हैं तो क्या शुभम,,, अपनी मां को पूरी तरह से नंगी नहीं देखा होगा,,,,।
( उसकी बात सुनते ही उसके दोस्तों के दिमाग में जैसी घंटी बजी हो वह लोंग एक साथ बोलें,,,।)

हां यार कहं तो तू ठीक ही रहा है,,,

यही तो मैं कह रहा हूं,,, जब हम लोगों ने अपने घर की औरतों को नंगी देखा होता तो वह भी अपनी मां को नंगी देखा होगा तो सोचो और कितना खुश किस्मत वाला है किसी के बारे में हम दिन रात सोते रहते हैं जिसकी एक झलक पाने के लिए घंटों इंतजार करते हैं और तो और बाथरूम में जाकर दीवार की छेंद से किसकी मदमस्त नंगी गांड को देखने के लिए जिसके भराव दार नितंबों के साथ-साथ उसकी मानसून चिकनी जांघों के दर्शन के लिए मात्र इसी कारण से स्कूल आते हैं तो सोचो शुभम तो उसके साथ ही रहता है वह अपनी मां का क्या क्या देखा होगा वह भी अपनी मां को पूरी तरह से नंगी देखा होगा हम लोग तो अभी तक सिर्फ उसकी चिकनी मोटी मोटी जाएंगे और उसकी बड़ी-बड़ी गोरी गांड को देखकर हम इतने दिनों से मुठ मारते आ रहे हैं,,, वह तो अपनी मां का सब कुछ देख चुका होगा उसकी नंगी मस्त गांड उसकी चिकनी मोटी जांघे,, जिस्म की मिट्टी पर छातियों के नाजुक डाल़ी पर उगे हुए दोनों बड़े-बड़े खरबूजे,,, जिसको आज तक हम में से किसी ने भी संपूर्ण रूप से अपने संभावित आकार में नग्न अवस्था में नहीं देख पाए हैं। वह उसके दोनों पके हुए खरबूजों को पूरी तरह से नंगी देख कर मस्त हो गया होगा,,, और तो और उसने तो हो सकता है अपनी मां की नंगी बुर को भी देख लिया होगा जिसके बारे में सोचकर हम तो बस उसकी गहराई में उतरने की कल्पना करके पानी निकाल देते हैं।,,, मुझे तो पक्का यकीन है कि उसने अपनी मां को चुदवाते हुए भी देखा होगा सोचो क्या नजारा उसकी आंखों के सामने होगा जब उसके पापा अपने लंड को खूबसूरती की मल्लिका निर्मला की चिकनी बुर में लंड डालकर उसको चोदता होगा शुभम का तो खड़े-खड़े ही पानी निकल जाता होगा,,,,


अबे बस कर यार इससे ज्यादा मत बोल वरना हम लोग का यही खड़े खड़े खाली सोचकर ही पानी निकल जाएगा,,,
( उनमें से उनका एक साथ ही बीच में ही बोल पड़ा उसके सभी दोस्त उसकी बात से पूरी तरह से सहमत थे और शुभम की किस्मत से जल भी रहै थै।,,, वह लोग आगे कुछ और बोल पाते कि तभी उन लोगों की नजर क्लास में से निकलती हुई उनकी सपनों की रानी,,, हुस्न की मल्लिका निर्मला बाहर आती हुई नजर आई उसको देखते ही उन लोगों की सांसे अटक गई साथ ही उन लोगों की पेंट में उनका लंड जोर मारने लगा,,,, उन लोगों की सांसे अटक गई और उनमें से ही एक ने बोला,,।

चचचचच,,, चुप,, हो जाओ कोई कुछ मत बोलना पहले मैडम को बाथरूम में जाने दो,,, उनके बाथरूम में घुसते ही हम लोग घुस जाएंगे,,,
( इतना सुनते ही उन लोगों में खामोशी छा गई और उन लोगों की नजरें जो कि बेहद प्यासी थी, वह निर्मला की नितंब नुमा कुएं पर टीक गई,, । वास्तव में निर्मला के नितंब मधुर जल से भरी हुई एक गगरी ही थी क्योंकि जब निर्मला चलती थी तो उसके नितंबों के दोनों फांक आपस में सटे हुए ही, चलने की वजह से इस तरह से ऊपर नीचे होते हुए हिलते हुए नजर आते थे कि,,मानो नितंब नुमा गगरी में से मधुर जल छलक रहा हो,, और यही निर्मला की छलकती हुई जवानी को देखकर यह लड़के मन ही मन प्रार्थना कर रहे थे कीे निर्मला की छलकती हुई जवानी के कुछ छींटे उनके ऊपर भी पड़ जाए जिससे कि वह पूरी तरह से तृप्त हो सके।,, निर्मला इन लड़कों से और उनकी प्यासी नज़रों से अनजान अपनी प्राकृतिक रूप से अपने कदम आगे बढ़ा रही थी जिसकी वजह से उसके नितंबों के दोनों गोले, आपस में टकरा रहे थे और उन दोनों गोलो के टकराने की वजह से,, आकर्षण रूपी गुरुत्वाकर्षण ऊर्जा उन्हें लड़कों को अपनी तरफ खींच रही थी। निर्मला अपनी साड़ी को भी नितंबों के इर्द-गिर्द इतनी कसी हुई बांध देती थी की नितंबों का संपूर्ण आकार बड़ी आसानी से साड़ी के ऊपर ऊपस आता था। निर्मला बड़े आराम से बाथरूम की ओर चली जा रही थी,,, जैसे की निर्मला बाथरूम के दरवाजे के करीब पहुंची वैसे ही उसे देख रहे सारे विद्यार्थी चौकन्ने हो गए,,, और उसके बाथरूम में घुसते ही वह लोग बाथरूम में जाने के लिए चल पड़े,,,
04-01-2020, 03:01 PM,
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दूसरी तरफ शुभम शीतल की क्लास के अगल-बगल चक्कर लगा रहा था। वह बार-बार आते जाते क्लास के अंदर झांक ले रहा था क्योंकि क्लास के अंदर शीतल मैडम के साथ कोई औरत बैठी हुई थी,,,, शीतल भी बार-बार क्लास के बाहर चक्कर काट रहे हैं शुभम को देख ले रही थी। क्लास में उससे बातें कर रही उस औरत के बारे में सोच-सोच कर शीतल का मन कसमसा जा रहा था वह उसे भगा देना चाह रही थी,,,

लेकिन वह एक टीचर थी इसलिए ऐसा करना उसे शोभा नहीं दे रहा था फिर भी वह किसी तरह से उसे समझा-बुझाकर बाद में आने के लिए बोल दी और वह औरत चली गई, जैसे ही क्लास के बाहर वह औरत निकली का रास्ता देख रहा सुभम झट से क्लास के अंदर दाखिल हो गया,,,, क्लास में आया देखकर शीतल बहुत खुश हो गई लेकिन अगले ही पल उसे याद आ गया कि वह कुछ दिनों के लिए गांव जा रहा है इसलिए उसके चेहरे पर फिर से उदासी के बादल छाने लगे,,,

जब से शुभम के लिए उसके मन में आकर्षण पैदा हुआ था तब से शीतल और भी ज्यादा बन ठनकर स्कुल आने लगी थी। लेडीज परफ्यूम की खुशबू से पूरी क्लास महक रही थी,,
और शीतल के बदन से आ रही भीनी भीनी मादक खुशबू की वजह से शुभम के तन बदन में,,, उन्मादकता का एहसास भर जा रहा था। इस बार शुभम ने ही हल्के से दरवाजे को थोड़ा सा बंद कर दिया था और शीतल शुभम की इस हरकत को देखकर अंदर तक उत्तेजना का अनुभव करने लगे,,,, एक अजीब सी उत्तेजना का एहसास उसके तन बदन अपनी आगोश में भर लिया था उसे ऐसा महसूस होने लगा कि जैसे उसके बेटे की उम्र का लड़का उसके कमरे में आकर के दरवाजे की कुंडी लगा रहा है और वह भी सिर्फ इसलिए ताकि वह उसे आराम से चोद सकें और शीतल भी अपने बेटे संमान उस लड़के को अपना तनबदन संपूर्ण रूप से उसे सौंपने के


सब कुछ जानते हुए भी शुभम अनजान बनते हुए बोला,,,

मैडम आपने मुझे बुलाई थी,,

फिर मैडम शुभम मैंने तुम्हें कितनी बार कहीं होगी तुम मुझे अकेले में शीतल ही बुलाया करो लेकिन ऐसा लगता है कि तुम मुझे अपना नहीं समझते,,,,


नहीं मैम,,,

देखो फिर मैम अब तो ऐसा ही लगने लगा है कि तुम मेरी बातों को और मुझे कुछ नहीं समझते,,,,

सॉरी सॉरी,,,,,,,शीतल,,,,,,


हां,,,,, ऐसी बुलाया करो मुझे,,,, नाम लेकर, जब तुम मुझे नाम लेकर बुलाते हो तो ऐसा लगता है कि कोई अपना मुझे बुला रहा है,,,। नाम लेने से अपनापन महसूस होता है लेकिन तुम तो मुझे शायद अपना समझते ही नहीं हो,,,,,। ( इतना कहते हुए शीतल दूसरी तरफ मुंह करके खड़ी हो गई वह यह जताना चाहती थी कि वह शुभम से नाराज है,,,। जैसे ही क्लास में शुभम प्रवेश किया था वैसे ही उसकी नजर सीधे सीकर के खूबसूरत भरावदार बदन पर ही घूम रही थी, इस समय पीतल की पीतल की तरफ होने की वजह से शुभम की नजरें उसकी मखमली चिकनी पीठ से होते हुए उसके कमर के नीचे भरावंदार ऊठे हुए नितंबों पर टिकी हुई थी,,, और शुभम उसके नितंबों को प्यासी नज़रों से घूर रहा था शुभम उसकी बातों का जवाब देते हुए बोला,,।)

नहीं शीतल ऐसी कोई भी बात नहीं है मैं आपकी इज्जत करता हूं तभी तो आपके कहने से मैं चला आता हूं।

चले तो आते हो लेकिन मुझे हमेशा प्यासी छोड़ कर चले जाते हो,,,


मैं कुछ समझा नहीं,,,,

इसमें समझने वाली कौन सी बात है उस दिन तुम्हें तुम्हें साफ-साफ बता चुकी हूं,। की जिस दिन से अनजाने में मैंने तुम्हारे लंड को पेंट के ऊपर से इस पर की थी तब से मेरे तन बदन में ना जाने कैसी हलचल सी मची हुई है।
04-01-2020, 03:01 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
लेकिन वह तो अनजाने में हुआ था उस बात को लेकर के आप अभी तक परेशान क्यों है,,,।

अरे बुद्धू यही तो बात है तुम औरतों के मन को अभी कहां पहचानता है। औरत के लिए तो उसकी सारी खुशियां बस और बस मर्दों के पेंट मैं छिपे हुए हथियार में ही होती है। और तू यह नहीं जानता कि औरत की खुशियों का विस्तार भी मर्दों के लंड के विस्तार से ही होती है जितना लंबा लंड होगा औरत की खुशियों का विस्तार भी उतना ही ज्यादा होगा,,,, औरत क्या चाहती है मर्द की बस यही खुशी तो चाहती है कि मर्द उसे संपूर्ण रूप से संतुष्टि का एहसास करा सके,,,, उसे अपनी बाहों में भर कर इतनी गरम जोशी से पेश आएं कि उसकी हड्डीया तक चटक जाए,,,, जब वह अपने लंड को औरत की जांघों के बीच के नाजुक अंग में प्रवेश कराएं तो औरत पसीने से तरबतर होकर मर्द को अपनी बाहों में भींच लें।,,,, ( शीतल इस तरह की कामुकता भरी बातें करते हुए शुभम की तरफ मुंह करके खड़ी हो गई थी,, शुभम शीतल की ऐसी गर्म बातें सुनकर एकदम मदहोश हुआ जा रहा था।
उसकी मदहोशी को 4 गुना और ज्यादा बढ़ा रहे थे शीतल के बड़े-बड़े खरबूजे सामान उसकी नुकीली चूचियां,,, जो कि शीतल जानबूझकर गहरी सांसे लेते हुए इस तरह से अपनी चुचियों को ऊपर नीचे कर रहे थे कि शुभम की नजरें बस उसी पर टिकी रहे। और ऐसा हो भी रहा था शुभम पूरी तरह से शीतल की चूचियों से निकल रही आकर्षण रूपी ऊर्जा मैं खिंचा चला जा रहा था। शुभम शीतल की चूचियों को देखता हुआ बोला,,।)

मैडम आप कैसी बातें कर रही है मुझे ना जाने क्या हो रहा है।

मुझे मालूम है तुम्हें क्या हो रहा है तुम उत्तेजित हो रहे हो और यह तो स्वाभाविक है शुभम,,, यह स्वाभाविक पन तो जन्मो जन्म से चलता चला आ रहा है। खूबसूरत स्त्री की उपस्थिति में मर्दों को अक्सर उत्तेजना का अनुभव होने लगता है और वह पूरी तरह से उत्तेजित हो जाता है भले ही वह स्त्री किसी भी रुप में हो,,, चाहे वह उसकी भाभी हो उसकी बहन हो उसकी शादी हो या फिर उसकी मां ही क्यों ना हो,,, उसके खूबसूरत बदन उसके भरावदार नितंब और उसकी बड़ी बड़ी चूची को देखकर अक्सर मर्द उत्तेजना का अनुभव करते हैं। और इस समय बिल्कुल वही तुम्हारे साथ भी हो रहा है,,, । ऊस दीन तो तुम मेरी इच्छा पूरी नहीं किए और वैसे ही चले गए,,,,

कहां मैडम तुम्हारे कहने पर मैंने तुम्हें दिखाया तो था,,,,

लेकिन उसे छुने कहा दीए थे उसे पकड़ने कहां दिए थे उसे सहलाने कहां दिए थे,,,,( शीतल एकदम कामुकता भरे स्वर में बोल रही थी, जिसकी वजह से शुभम की हालत पल-पल खराब हुए जा रही थी।)

घघघघ,,,, घंटी बज गई थी । (शुभम घबराते हुए बोला)

किसकी तुम्हारी या स्कूल की ( शीतल लगभग हंसते हुए बोली)

स्कूल की,,,,


इसका मतलब तुम्हारी घंटी नहीं बजी थी,,,, तो तुम बहुत बहादुर हो,,, मर्दाना ताकत से भरे हुए मर्द हो,,,, तुम मुझे फिर से अपनी मर्दाना ताकत के दर्शन करा दो, मैं उसके दर्शन के लिए कब से तड़प रही हूं,,,,,
( शीतल की मादक गरम बातें सुनकर शुभम कुछ भी बोलने लायक नहीं था उसे इस तरह से खामोश देखकर शीतल बोली,,,।)

लगता है तुम मेरी प्यास नहीं बुझा ना चाहते लेकिन तुमसे तो अच्छा तुम्हारा यह लंड है देखो वह मेरी प्यास बुझाने के लिए कैसे देख रहा है। देखो कैसे पूरी तरह से खड़ा हो गया है।( शीतल शुभम के पेंट में बने तंबू को हाथ से सहलाते हुए बॉली,,,)

मममममम,, मैडम,,, ( शीतल के द्वारा लंड को पैंट के ऊपर से सहलाने की वजह से शुभम उत्तेजना भरे स्वर में बोला।)

क्या हुआ शुभम ( वह उसी तरह से पेंट के ऊपर से ही लंड को सहलाते हुए बोली,,,)

पता नहीं मैडम मुझे क्या हो रहा है,,,,

मुझे मालूम है तुम्हें क्या हो रहा है जिस तरह से मैं तुम्हारे बिना मिले को अपने हाथों में पकड़ने के लिए तड़प रही हो उसी तरह से तुम्हारा लंड दिया संतुष्ट होने के लिए मचल रहा है। ( इतना कहने के साथ ही वह शुभम की पेंट की बटन पर हाथ रखकर उसे खोलने को हुई कि तभी शुभम बोला,,,।)

ककककक, कोई आ जाएगा मैडम,,,,

कोई नहीं आएगा सुबह मैं तुमसे पहले भी बता चुकी हूं कि रिशेश पूरी होने तक इस क्लास में परिंदा भी पर नहीं मार सकता,,,, तुम कुछ दिनों के लिए गांव जा रहे हो अगर आज तुमने अपने लंड को संतुष्ट नहीं किए तो तुम तड़पते रहोगे और मुझे भी प्यासी छोड़ जाओगे तो जो मैं कर रही हूं उसे करने दो इससे तुम्हें भी आराम मिल जाएगा और मुझे भी सुकून मिल जाएगा,,,,( इतना कहते हुए शीतल शुभम की पेंट की बटन पूरी तरह से खोल दी शुभम की हालत पल-पल खराब हुए जा रहे थे उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ रही थी उसकी सांसें तीव्र गति से चल रही थी,, बेहद कामातुर हो चुका था इच्छा तो ऊसकी ऐसी हो रही थी की क्लाश में हम ही शीतल मैडम को पटक कर ऊसकी बुर मे लंड डालकर संतुष्ट हो जाए,,,, लेकिन ऐसा करना आदि उचित नहीं था क्योंकि यह क्लास थी अगर कमरा होता तो वह जरूर ऐसा कर देता क्योंकि वह जानता है कि शीतल मैडम उससे क्या चाहती हैं,,,। शुभम ब्लैक बोर्ड से सटकर खड़ा था और शीतल नीचे घुटनों के बल बैठीे हुए थी,, जहां से शुभम को उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और उसके बीच की गहरी लकीर साफ साफ नजर आ रही थी और जिसकी वजह से उसकी उत्तेजना में पल-पल बढ़ोतरी ही होती जा रही थी। कुछ ही सेकंड में शीतल ने शुभम की पेंट को अंडरवियर सहित उनके घुटनों तक सरकादी,,, हवा में सुभम का लहराता हुआ मोटा तगड़ा और लंबा लंड देखकर,,, शीतल की आंखों में चमक आ गई और इस बार वह कोई भी मौका गंवाना नहीं चाहती थी इसलिए तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर,,, शुभम के लंड को अपनी मुट्ठी में भरते हुए सिसकते हुए बोली,,,,

सससससस,,,, शुभम,,, तुम्हारा लंड एकदम घोड़े के लंड की तरह हो,, मैंने इतना मजबूत और तगड़े लंड की कभी कल्पना भी नहीं की थी। सच में तुम एकदम संपूर्ण रूप से असली मर्द हो हर औरत तुम्हारे लंड से चुदना चाहेगी,,,।
ओहहहहह शुभम,,, ( शीतल तो एक दम मस्त हो गई थी ऐसा लग रहा था कि उसका सपना पूरा हो रहा है वास्तव में उसने इस तरह के लंड की कभी कल्पना भी नहीं की थी,,, वह तों मदहोशी के आलम में शुभम के लंड को आगे पीछे करते हुए मुठिया रही थी,,,, शुभम एकदम कामातुर हो चुका था उसके बदन में हलचल सी मची हुई थी उत्तेजना के मारे वह कसमसा रहा था। वह कुछ भी बोल पाने की स्थिति में नहीं था। उसकी आंखों के सामने उसके खजाने को एक मदमस्त औरत अपने हाथों से लूट रही थी,,, पर वह कुछ कर पाने की स्थिति में भी नहीं था लेकिन वह खुद चाह रहा था कि ऊसके खजाने को यह औरत पूरी तरह से लूट ले।


औह शुभम,,, तुम तो मुझे अपनी पूरी तरह से दीवानी बना रहे हो,,,, ऐसा लंड अगर किसी औरत को मिल जाए तो वह तो पूरी दुनिया को पा ले,,,,,( शीतल शुभम के लंड को जोर-जोर से हिलाते हुए बोले क्या रही थी धीरे-धीरे उसके मन की लालच बढ़ती जा रही है।वह अब शुभम के लंड की पिचकारी देखना चाहती थी,,, वह यह देखना चाहती थी कि शुभम क्या कर रहे उसका गरम माल कितना निकलता है और उसकी पिचकारी कितनी तेज निकलती है,,,। क्योंकि उसने अब तक पिचकारी के नाम पर सिर्फ चंद बूंदे ही टपकते हुए देखीे थी,,,, इसलिए उसकी यह जिज्ञासा बढ़ती जा रही थी। वह जोर जोर से शुभम के लंड को हिलाते हुए शुभम की तरफ देख रहेी थी, और शुभम भी एकदम मस्त होता हुआ प्यासी नजरों से शीतल को ही देखे जा रहा था।
शुभम भी यही चाह रहा था कि,,, उसकी लंड से पिचकारी निकल जाए वैसे को इस बात की उसे कोई भी दिक्कत नहीं थी क्योंकि वह घर जाकर भी अपनी मां की बुर में अपना लंड डालकर अपना पानी निकाल सकता था लेकिन वह शीतल के हाथों से आज अपना पानी निकलते हुए देखना चाहता था। उत्तेजना के मारे शीतल का चेहरा लाल टमाटर की तरह हो गया था वह बहुत ही जोर जोर से शुभम के लंड को हिला रही थी,,, लेकिन वह अच्छी तरह से जानती थी की,,,, रिसेस पूरी होने में बहुत कम समय रह गया है अब जिस तरह से जोर जोर से हिलाने सें भी शुभम का पानी नहीं निकल रहा है ऐसे मे तो रीशेश पूरी हो जाएगी और उसका पानी नहीं निकल पाएगा और एक बार फिर से उसकी इच्छा अधूरी रह जाएगी,,, इसलिए वह तुरंत अपना विचार बदल दी वह शुभम की तरफ देखीे तो वहां आंखें बंद किए हुएथाशुभम केलंड को मोटा सुपाड़ा देखकर शीतल की जीभ लपलपारही

शुभम के रसीले और ताजे लंड को देखकर पीतल के मुंह में पानी आ रहा था और वह अपना इरादा बदलते हुए अपनी लालच को रोक नहीं पाई और अगले ही पल शुभम के लंड के सुपाड़े को अपने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दी,,,, शुभम के तो तन बदन में चिंगारी भड़कने लगी, शीतल की तरफ से इस तरह की हरकत के बारे में शुभम सोचा ही नहीं था। उसकी आंखें झट़ से खुल गई,,, वह शीतल की तरफ देखा तो वह उसके लंड को लॉलीपॉप की तरह,, लॉलीपॉप की तरह नहीं क्योंकि लॉलीपॉप पर छोटी होती है आइसक्रीम कौन की तरह मुंह में लेकर चूस रही थी। अगले ही पल शुभम की कमर अपने आप ही आगे पीछे हिलने लगी,,, एक तरह से शुभम शीतल के मुंह को चोद रहा था और शुभम की यह हरकत देखकर शीतल पूरी तरह से आनंदित हो गई और वह दुगना गति से शुभम के लंड को मुंह की गहराई तक उतार कर चूसना शुरू कर दि,,, उत्तेजना से दोनों परिपूर्ण हो चुके थे शीतल की बुर पानी पानी होकर कुलबुला रही थी। शीतल के मुंह की गति के साथ-साथ शुभम की कमर की गति भी बढ़ती जा रही थी और नतीजन शुभम ने एक जोरदार तीव्र गति से अपने लंड की पिचकारी शीतल के मुंह में मारना शुरू कर दिया,,,, एक पल के लिए तो शीतल इस तरह से मुंह में पड़ रही तेज पिचकारी की वजह से घबरा गई,,, क्योंकि उसने लंड से इतनी तेज पिचकारी की उम्मीद ही नहीं की थी लेकिन जो हो रहा था वह हकीकत था उसे स्वीकार करते हुए पीपल शुभम के लंड से गर्म पानी के पिचकारी को गटकने शुरू कर दी,,,, वह तब तक गटकती रही जब तक कि शुभम के लंड से एक-एक बूंद उसके मुंह में ना उतर आया हो,,,,, इस उत्तेजना भरी पिचकारी के साथ-साथ शीतल की बुर में भी पानी छोड़ दिया था उसे भी चरम सुख का एहसास होने लगा था दोनों एक साथ झड़ चुके थे, लेकिन शीतल इस बात से बेहद हैरान थी कि गुरु को बिना हाथ लगाए ही ऊसकी बुर पानी छोड़ दी थी,,,, जैसे ही दोनों संतुष्टि प्रदान किए वैसे ही विशेष पूरी होने की घंटी बज गई शुभम जल्दी-जल्दी अपना पैंट पहनकर क्लास से बाहर चला गया और घंटी बजने से पहले यही हाल बाथरूम में उन लड़कों का हो रहा था जो कि बाथरूम के छेद से निर्मला की जवानी को अपनी नजरों से पी रहे थे।
04-01-2020, 03:01 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला के बाथरूम में घुसते ही वह लड़के भी बगल वाले बाथरूम में बेधड़क घुस गए और अंदर जाते ही सभी ने अपना अपना लंड बाहर निकालकर अपने हाथ में लेकर हिलाना शुरू कर दिया,,,, लेकिन तब तक निर्मला कोई भी हरकत में नहीं आई थी वह कुछ देर तक आईने में अपनी शक्ल को देखती रही आईना भी उसकी खूबसूरती जैसे जल भुन जा रहा हो,, इस तरह से वह अपने धुंधलापन की वजह से उसके चेहरे को संपूर्ण रुप से नहीं दिखा रहा था,,, लेकिन निर्मला भी अपना रुमाल निकालकर आईने को साफ करके अपनी खूबसूरती को आईने में देखकर मुस्कुराती हुई दो कदम आगे बढ़ गई उसकी लचकती हुई नितंबों को देखकर बगल वाले बाथरूम में लड़कों की हालत ख़राब हुए जा रही थी। उन लोग का लंड पूरी तरह से खराब हो चुका था और वह लोग अपनी मुट्ठी में भरकर उसे हिला रहे थे तभी निर्मला अपनी साडी को धीरे-धीरे ऊपर की तरफ उठाने लगी, यह नजारा यह क्रिया औरतों के लिए पूरी तरह से औपचारिक था लेकिन यही किया मर्दों के लिए बेहद कामुकता से भरा हुआ था। क्योंकि उन्हें मालूम था कि सारी उठते ही उनके सामने बेहद आकर्षक और कामातुर कर देने वाला नजारा पेश आने वाला है। धीरे-धीरे निर्मला अपनी साड़ी को ऊपर की तरफ उठा रही थी और उसे देखते हुए उन लड़कों की हालत कटे मुर्गे की तरह होती जा रही थी। वह लड़के ऊस छेंद में बारी-बारी से अपनी आंख सटाकर निर्मला की नंगी जवानी का रसपान कर रहे थे। जैसे-जैसे निर्मला की नंगी टागे दूधिया उजाले में और भी ज्यादा चमकती जा रही थी वैसे वैसे उन लड़कों की आंखों में चमक और उनके लंड में कड़ापन बढ़ता जा रहा था। अगले ही पल निर्मला ने अपनी साड़ी को पूरी तरह से कमर तक उठा दि,,, यह नजारा देखकर लड़कों के मुंह से गर्म सिसकारी निकल गई और निकलती भी कैसे नहीं लाल रंग की पैंटी में निर्मला की बड़ी-बड़ी और गौरी गांड पूरी तरह से कसी हुई थी। ऐसा कामातुर कर देने वाला नजारा था कि अगर निर्मला के समीप कोई लड़का होता तो उसकी पैंटी उतारे बिना ही अपने मोटे लंड को उसकी बुर में उतार देता,,, उसके पीछे लगी प्यासी नजरों से अनजान निर्मला धीरे धीरे अपनी पैंटी के दोनों छोर को ऊंगलियो में फसा दी,,,, औरतों का इस तरह से पेंटी उतारने का यह बेहद नायाब तरीका है,,, इस तरह की नाजुक तरीके से ही पता चलता है कि औरत कितने उच्च स्तर की है।,,,
सभी लड़की आंख मारे इस नजारे को धड़कते दिल से और फुंफकारते लंड को हाथ में पकड़ कर देख रहे थे। उन लड़कों के तन बदन पर निर्मला की इस हरकत का क्या असर हो रहा था इसका वर्णन करना बेहद मुश्किल था। बस इतना ही बयां हो सकता था कि उन लोगों की हालत कटे मुर्गे की तरह थी कि जिसकी जान गले में अटकी हुई थी और गला कट चुका था।,,, निर्मला बेहद होले होले अपनी पैंटी को नीचे की तरफ सरका रही थी मानो कि वह जानबूझकर किसी को अपनी हरकत द्वारा अपने नितंबों का प्रदर्शन कर रही हो,,, बेहद उत्तेजक ओर उन्मादक नजारा बनता जा रहा था,,, इस बेहद कामोत्तेजना से भरपूर नजारे का गवाह सिर्फ बाथरूम की दीवारें थी जिसकी चमकती टाइल्स में निर्मला का अक्स नजर आता था,,, एक दूसरे का बात है बाथरूम मैं बने छेद से झांक रहे वह लड़के,,,, लड़कों का हाथ बड़ी तेजी से चल रहा था निर्मला धीरे-धीरे अपनी पैंटी को सरकाते हुए नितंबों के बीचो-बीच ले आई,,, जहां से निर्मला के नितंबों के बीच की वह गहरी लकीर नजर आने लगी जिसकी वजह से नितंबों के दोनों गोले अलग हो जाते थे।,,,, अभी घोड़ों की रेस शुरू हुई हुई थी कि कुछ घोड़े पहले चरण में ही लड़खड़ा कर गिर गए,, उनमे से कुछ लड़कों के लिए यह बेहद शर्मिंदगी भरा एहसास था,,, क्योंकि अभी तो सिर्फ निर्मला की मदमस्त गांड की मात्र वह गहरी खाई ही नजर आई थी,, जिसमें कि दुनिया का हर मर्द डूबने के लिए तैयार भी रहता है और तड़पता भी रहता है,। और इनमें से कुछ लड़कों ने तो बस इस गरम गहरी खाई को देखते हीैं पानी छोड़ दिया,,, यह उनके साथियों के लिए हास्यपद भी था। लेकिन कुछ लड़के निर्मला की जवानी के तूफान में भी टिके हुए थे। निर्मला आहिस्ता आहिस्ता अपनी पैंटी को नीचे जांगो तक सरकादी,, संपूर्ण रूप से नग्न नितंबों के दर्शन मात्र से ही उन लड़कों की सिसकारी छूट गई,,,, गजब का गोल आाकार लिए हुए निर्मला का नितंब था। तभी धीरे से निर्मला मूतने के लिए नीचे बैठने लगी,,, इसी पल का उन लड़कों को बड़ी बेसब्री से इंतजार था। यह नजारा देखने के लिए उन लोगों की सांसें तक थम गई थी। निर्मला नीचे बैठ चुकी थी,,,, उसकी बुर की पेशाब की तेज धार बड़ी तेजी से फूट पड़ी थी,,, और उसमें से बज रही सीटी की आवाज उन लड़कों को बेहद गर्माहट प्रदान कर रही थी,,,,। उन लड़को के हाथ उनके लंड पर बड़ी तेजी से चल रहे थे।,,, निर्मला भी बड़ी तेजी से पेशाब की धार छोड़ते हुए अपने आप को हल्का करने में लगी हुई थी। वह पेशाब पूरी तरह से कर पाती ईससे पहले ही उन लड़कों ने एक साथ पानी छोड़ दिया,,, निर्मला के गांव जाने से पहले का यह ं उन लड़कों के लिए बेहद उत्तेजनात्मक चरम सुख था।

पानी निकल जाने के बावजूद भी उन लड़को ने अभी भी उसे छेंद से बाथरूम के अंदर का गर्म नजारा देखना बंद नहीं किया था क्योंकि वह लोग आखरी पल तक निर्मला की खूबसूरती के रस को अपनी नजरों से पी लेना चाहते थे कुछ ही देर में निर्मला भी पूरी तरह से पेशाब कर चुकी थी,,, वह उठने से पहले एक बार अपने नितंबों को जोर से झटके देकर बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच फसे पेशाब की बुंदो को निकाल दी,,, उसका इस तरह से नितंबों को झटका दे ना भी बेहद परेशान कर देने वाला था,,, क्योंकि जब वह अपने नितंबों को झटका दे रही थी तो उसकी मांसल गांड किसी पानी में लहर की तरह लहरा रही थी,,,,। जो कि उन लड़कों के होश उड़ा रही थी,,,, निर्मला जल्दी से खड़ी हुई और अपनी पेंटिं को ऊपर की तरफ चढ़ााकर,, वापस नितंबों को उस पैंटी में कस ली,,,, और अपनी साड़ी को नीचे की तरफ छोड़ दी इसके साथ ही एक बेहद हसीन और कामोत्तेजना से भरपूर नजारे पर पर्दा पड़ गया।
04-01-2020, 03:02 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शीतल शुभम के मजबूत और तगड़े लंड को अपने मुंह में लेकर उसका पानी निकाल देने की वजह से कुछ हद तक संतुष्ट हो चुकी थी। उसके गाढ़े नमकीन पानी को अपने गले के नीचे उतार कर उसे ऐसा लग रहा था कि आज पहली बार उसने किसी मर्द के लंड को अपने मुंह में लेकर चूसी है। लेकिन इस प्रकार की संतुष्टि उसे अधूरी लग रही थी बल्कि इस तरह से तो उसकी प्यास और ज्यादा भढक़ चुकी थी। वह शुभम के मोटे तगड़े लंड को अपनी बूर के अंदर लेकर उसकी मोटे पन और उसकी गर्माहट को महसूस करना चाहती थी,,,,वह यह देखना और महसूस करना चाहती थी कि चल एक मोटा लंड बुर के अंदर धीरे-धीरे बुर की दीवारों को रगड़ता हुआ उसकी गहराई तक जाता है तो औरत को कैसा महसूस होता है।,,, उसके तन-बदन में किस तरह की चिंगारियां सुलगती है। बुर की गुलाबी पत्तियों को मोटा लंड किस तरह से रोेंदता हुआ,, बुर के कसेपन को फैलाता हुआ,, किस तरह से उसके आकार को बढ़ा देता है और जब बुर अपने आकार से विस्तृत होकर फेलता है तो औरत को किस तरह का दर्द होता है और उसे दर्द के पीछे छिपा हुआ आनंद की अनुभूति औरत को किस प्रकार से होती है यह देखने के लिए उसका मन मचल रहा था।,,, शीतल मन ही मन में अपने आप को कोस रही थी क्योंकि उसे इतना सुनहरा मौका मिला था लेकिन उसका पूरी तरह से फायदा नहीं उठा पाई थी,, यह ख्याल उसके मन में आते ही वह पैर. पटकने लगी थी। वह मन ही मन में यह सोच रही थी कि जितनी देर में उसने शुभम के मोटे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसकर ऊसका पानी निकाल दी, इतनी देर में तो वह उसकी बुर में लंड डालकर मस्ती से ऊसकी चुदाई कर सकता था।,,, आज ही वह ं शुभम के मोटे लंड का मज़ा ले लेती।,, लेकिन इस तरह का सुनहरा मौका हाथ से निकल जाने की वजह से उसके पास हाथ मलने के सिवा और कुछ नहीं था,,, फिर भी वह अपने मन को इस बात से संतुष्टि दिला कर खुश थी कि शुभम पूरी तरह से उसके कब्जे में हो चुका था,,,। स्कूल में वह उसके कहने पर में अपने लंड को निकालकर उसके मुंह में चुसा सकता है तो उसके कहने पर वह कहीं भी आकर उसकी चुदाई भी कर सकता है।,, उसे यकीन था कि बहुत ही जल्द उसकी बुर एक मर्द के लंड से चुदने वाली है। उसे उस पल का बेसब्री से इंतजार था जब उसके बेटे की उम्र का लड़का उसको अपने हाथों से नंगी करता हुआ उसके खूबसूरत बदन को अपनी आगोश में भरेगा,,, उसके खूबसूरत गोरे बदन को चूम लेगा और उसके बड़े-बड़े चुचियों को अपने मुंह में भरकर किसी बच्चे की भांति पिएगा,,, और तब वह पल कितना सुहावना होगा जब वह उसकी जांघों के बीच बैठकर,, अपनी जीभ लगाकर उसकी बुर की गुलाब की पत्तियों के बीच किसी भंवरे के भांती,, उसके मदन रस को चूस कर अपनी प्यास बुझाएगा और उसे एक बेहद अतुल्य ऊन्मादक आनंद की अनुभूति कराएगा।,, उस पल के बारे में सोच कर ही उसका तन बदन गंनगाना जा रहा था।,,,,,

दूसरी तरफ लड़कों ने भी आज निर्मला की मदमस्त गांड का नजारा देखते हुए अपने चरम सुख को प्राप्त कर लिया था,,, उन लोगों की आंखें ऐसे नजारे को देखकर खुमारी से भर जाती थी जिस नजारे को देखने के लिए दुनिया को हर मर्द तड़पता रहता था,,,,। सुबह लोग अपनी आंखों को और खुद को बहुत खुशकिस्मत समझते थे,,,, जो उन्हें बेहद खूबसूरत औरत क्या खूबसूरत बदन उसकी भराावदार गांड और उस औरत को पेशाब करते हुए देख पाते थे। निर्मला की गोरी गोरी गांड को देखकर लड़कों ने ना जाने कितनी बार अपने लंड को हिलाकर उसका पानी निकाल दिया था जिसके बारे में निर्मला को भनक तक नहीं लगी थी।,,, निर्मला उन लड़कों की हरकत से अनजान थी हालांकि शुरु-शुरु में एक बार ऐसा लगा था कि दूसरी ओर से कोई उसे देख रहा है लेकिन इस बात को वह भूल चुकी थी और एक दम बिंदास होकर औपचारिक तरीके से वह बाथरूम में जाकर एकदम प्राकृतिक रूप से अपनी शाडी उठाती थी और पेशाब करने बैठ जातेी थी,,,, उसे क्या पता था कि दर्जनों जोड़े आंखें उसकी बड़ी-बड़ी गांड को देख कर मस्त हो रहे हैं,,। गांव जाने से पहले उन लड़कों के साथ-साथ शीतल अपने मन को कुछ हद तक मनाने में कामयाब हो चुकी थी,,,,, सुभम भी बेहद खुश था,,, और वैसे भी मर्द तो हमेशा खुश ही रहते हैं जब तक ऊन्हें औरत का प्यार और उसके खूबसूरत बदन को भोगने को मिलता रहता है तब तक होंगे दुनिया की किसी दूसरी चीज की आवश्यकता नहीं पड़ती। भले ही शुभम का लंड ऊसने अपने मुंह में लेकर उसका पानी निकाली थी,, लेकिन वह जिस तरह से अपनी कमर को हिला रहा था शीतल के गुलाबी होठों उसे बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच की फांक के बराबर ही लग रही थी। जो सुख उसे बूर चोदने में मिलता था,, वही सुख उसे आज क्लास के अंदर शीतल के गुलाबी होंठ के बीच लंड पेल कर मिला था। उसे अब पक्का यकीन हो चुका था कि बहुत ही जल्द उसे दूसरी औरत की रशीली बुर चोदने को मिलने वाली है,,, क्योंकि वह इतना तो समझ ही गया था की शीतल बेहद प्यासी औरत है,, और जिसे मुंह में लेने के लिए हॉठ खोलने में समय नहीं लगा तो उसके लंड को बुर में लेने के लिए अपनी टांगों को खोलने में बिल्कुल भी समय नहीं लगेगा,,,। वह भी बहुत खुश था और आने वाले पल के लिए बेसब्री से इंतजार करने लगा था।

घर पर गांव जाने के लिए,,, निर्मला कहीं खरीदी करने गई हुई थी,,, घर पर अशोक अकेला ही था पर वह भी जल्द से जल्द मधु के आने का इंतजार कर रहा था इसलिए तो वह निर्मला के साथ गांव जाने से इनकार कर दिया था क्योंकि वह गांव पहुंचती और मधु इधर उसके पास पहुंचती,,,, बहुत दिन हो गए थे उसे भी मधु के रसीली बुर का स्वाद चखें,,,,, वह घर में बड़े आराम से बैठकर मधु के साथ वह क्या-क्या करेगा इस बारे में सोच रहा था,,, लेकिन वहां अपनी जिंदगी में आने वाले तूफान से बिल्कुल अनजान था वह तो बड़ी बेसब्री से शुभम और निर्मला के जाने का इंतजार कर रहा था क्योंकि मधु के आने का समय निश्चित हो गया था कुछ दिन तक वह घर में ही रहकर अपनी बहन के साथ चुदाई का भरपूर आनंद ले लेना चाहता था। उसे इस बात का पक्का यकीन था कि मधु को इससे कोई भी एतराज नहीं होगा क्योंकि वह अच्छी तरह से जानती थी कि जब वह अपने भाई से मदद की उम्मीद कर रही है तो उसका भाई बदले में उससे कौन सी इच्छा रखता है इसलिए मधु अपने आप को पूरी तरह से तैयार करके रखी थी,,, शादी से पहले वैसे भी वह अपने बड़े भाई के साथ चुदाई का भरपूर आनंद ले चुकी थी। तब तो उसकी कोई मजबूरी नहीं थी वह पूरी तरह से खुले विचार से परिपूर्ण थी लेकिन अब तो उसके पास मजबूरी है अगर वह चाहे भी तो अपनी खूबसूरत बदन को अपने बड़े भाई के हाथों में सौंपने से अपने आप को रोक नहीं सकती थी क्योंकि उसके लिए वैसे भी सारे दरवाजे बंद हो चुके थे उसके परिवार वाले उसे अपनाने से इंकार कर चुके थे और वह अपने पति का घर छोड़ कर आई थी,,,। और वह जिस तरह से अकेले रहकर नौकरी करके अपना खर्चा उठा रही थी दुनिया की प्यासी नजरों का अनुभव उसे अच्छी तरह से हो गया था,,,। इसलिए उसे फिर से अपने बड़े भाई से चुदने में कोई भी एतराज नहीं था बदले में उसे किसी बात की दिक्कत तो नहीं होती,,, ना तो खाने की दिक्कत और ना ही रहने की दिक्कत और ना ही जेब खर्च की दिक्कत वरना जहां वहां अकेले रहकर अपनी जिंदगी जी रही थी वहां तो दूध वाला,,, राशन वाला मकान मालिक सभी लोग उसके खूबसूरत बदन को अपनी प्यासी नजरों से चाटते रहते थे कभी कभार समय पर पैसा ना चुका पाने की स्थिति में,,, उसे अपने बिस्तर में आने का लुभावना प्रस्ताव भी रखते थे,,,,। लेकिन उन लोगों के आधीन होने के लिए मधु का मन नहीं मानता था। वह अपनी जिंदगी को कोसने लगी थी कि कैसा दिन उसका आ गया है कि उसके शरीर को भोगने के लिए एक दूधवाला राशन वाला और मकान मालिक ललचाई नजरों से उसे देखते रहते हैं। कुछ एक बार तो उसे अपने आप से समझौता करके मकान मालिक के अधीन होना पड़ा था। लेकिन एक बार मकान मालिक का बिस्तर गर्म करने की वजह से मकान मालिक कहां खुल चुका था और वह बार-बार उसे धमकाते हुए उसे चुदवाने के लिए मजबूर करता रहता है यह सब से तंग आकर वह अपने भाई का सहारा लेकर उसके पास आने के लिए तैयार हो चुकी थी हालांकि इधर भी उसे अपने भाई के साथ वही सब करना पड़ता जो वह मकान मालिक के साथ कर रही थी,,,,। लेकिन वहां उसे बदनाम होने का पूरा डर था। बल्कि वहा तो वह. मोहल्ले में धीरे-धीरे बदनाम होने लगी थी। लेकिन उसे यकीन था कि वह अशोक के पास निश्चित तौर पर सुरक्षित रहेगी।,,,

अशोक मन ही मन बहुत प्रसन्न हो रहा था। उसके घर के गेट के बाहर तभी एक कार बड़ी तेजी से आकर रुकी 15 20 कदम के फासले पर और हां शुभम उस कार को अपने घर के दरवाजे के सामने खड़ा होता देखकर सोच में पड़ गया कि आखिर यह है कौन तभी कार में से रीता बाहर निकली और शुभम की नजर उस पर पड़ते ही वह,,, समझ गया कि यह तो ऑफिस वाली औरत है,,,,। ऊसका इस तरह से घर पर आना शुभम को बड़ा अजीब लग रहा था और जिस तरह से उसका चेहरा गुस्से में लाल लाल दिख रहा था इससे ऊसे समझते देर नहीं लगी कि आज कुछ तो गड़बड़ होने वाली है,,,,, शुभम को यह लग रहा था कि उसकी मम्मी घर पर ही होगी और आज यह औरत जरूर कुछ ना कुछ बखेड़ा खड़ा करेगी,,,, लेकिन फिर उसके मन में आया कि कहीं ऐसा तो नहीं मम्मी घर पर जाओ और पापा ने उस औरत को घर पर बुलाकर उसके साथ रंगरेलियां मनाने का मन बना लिया,, हो। वैसे भी मर्द जात का कोई भरोसा नहीं होता और वह अक्सर औरतों के प्रति उनका मन चंचल ही होता है,,। लेकिन रीता के चेहरे को देखकर शुभम को कुछ विरोधाभास होने का अंदेशा लग रहा था। वह भी यह देखने के लिए उत्सुक था कि क्या होने वाला है। इसलिए वह वही रुका रहा और उसके घर में जाने का इंतजार करने लगा जैसे ही वह गेट खोल कर अंदर गई शुभम धीरे-धीरे अपने घर की तरफ जाने लगा।
04-01-2020, 03:02 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
रीता घर के मुख्य द्वार पर पहुंच चुकी थी ।उसके चेहरे से साफ पता चल रहा था कि वह गुस्से में है,,,, उसने डोर बेल के बटन को दबाकर घंटी बजाई घर के अंदर आराम से कुर्सी पर बैठकर मधु के बारे में सोचते हुए अशोक अपना वक्त गुजारना था इस तरह से अचानक घंटी बजने की वजह से उसे लगा कि शायद निर्मला या तो शुभम घर आ चुका है इसलिए बेमन से वह दरवाजे को खोलने के लिए उठा।, उधर दूसरी तरफ शुभम प्लीज धीरे धीरे आगे बढ़ते हुए अपने घर के गेट तक पहुंच गया था और चुपके से मुख्य दरवाजे की तरफ देख रहा था जहां पर रीता खड़ी थी,,। रीता बार-बार डोर बेल बजाया जा रहे थे ऐसा लग रहा था कि आज वह फैसला करके ही आई थी कि,, अशोक को पूरी तरह से बदनाम कर देगी शुभम वहीं छुप़ कर उसके अंदर जाना का इंतजार करने लगा,,। जो बार-बार घंटी बजाने की वजह से अशोक चीढ़ता हुआ जोर से बोला,,,,।

अरे आ रहा हुं,,, क्या घंटी तोड़ दोगी,,,,,( वह समझ रहा था कि निर्मला दरवाजे पर खड़ी है,,, इतना कहने के साथ ही वह दरवाजे तक पहुंच कर उसे खोलते हुए बोला,,,,।)

क्या करती हो पागल हो, ग,,,,,, ( रीता को सामने खड़ा देखते ही उसके शब्द गले में ही अटक गए उसे यकीन नहीं हो रहा था कि रिता उसके घर अाई है,,,, वह लगभग हकलाते हुए बोला)
ततततत,,, तुम,,, यहां,,,,

हां मैं सोचा कि तुम मेरी खबर नहीं ले रहे हो तो मैं ही तुम्हारी खबर ले लूं,,,,( इतना कहने के साथ ही वह घर में प्रवेश करी,, उस पर किसी और की नजर ना पड़ जाए इसलिए अशोक ने जल्दी से दरवाजा बंद कर दिया,,,,)

तुम यहां क्या लेने आई हो मुझे ऑफिस में भी तो बात कर सकती थी,,,।

तुम्हारे व्यवहार से लगता है कि अब बातचीत करने का समय खत्म हो चुका है,,,,।

हां सब कुछ ख़त्म हो चुका है,,,,। मैं अब तुमसे किसी भी प्रकार का संबंध रखना नहीं चाहता,,,,,
( दरवाजा बंद होते ही शुभम जल्दी से गेट खोल कर अंदर की तरफ आ गया और दरवाजे से कान लगाकर अंदर की बातों को सुनने लगा,,,,)

यह तो मुझे पता ही था कि तुम्हारा मन मुझसे भर गया है इसलिए तो तुम मेरी जरूरतों को पूरा करने से आनाकानी कर रहे हो,,,,


देखो नीता तुम चाहे जो समझो लेकिन आप मेरा और तुम्हारा कोई रिश्ता नहीं है तुम जा सकती हो,,,,


अशोक तुमने जो मेरे साथ किया है यह मत समझना कि मैं दूसरी औरतों की तरह शांत हो जाऊंगी,,,, और मुझसे इस तरह इतनी आसानी से पीछा नहीं छुड़ा सकते तुम,,, मैं आज तुम्हारी मैडम से मिलकर ही जाऊंगी,,,, कहां है वो देखूं तो,,,
(इतना कहकर वह सीढ़ियों की तरफ बड़ी ही रही थी कि अशोक बोला)

घर पर कोई नहीं है वह बाहर गई है,,,,

तो यह बात है तभी मैं सोचूं कि तुम इतना दहाड़ क्यों रहे हो,,


कोई बात नहीं मैं इंतजार करूंगी मैं भी आज मैडम से मिलकर ही जाऊंगी और तुम्हारी जिंदगी का काला चिट्ठा तुम्हारी मैडम के सामने खोल कर ही दम लूंगी,,, तुम मुझे यूं झूठे बर्तन की तरह उपयोग नहीं कर सकते कि जब मन आया उसे खा लिया और उसे फेंक दिया,,,, मैं वह हस्ती हूं जय बार गले में फंस जाओ तो फिर उसे कोई नहीं बचा सकता,,,,
( अशोक बार-बार दरवाजे की तरफ देख रहा था कि कहीं निर्मला ना जाए उसे डर लग रहा था और जिस तरह से रीता उससे धमकी भरी बातें कर रही थी उससे तो उसके घबराहट और ज्यादा बढ़ रही थी उस के पसीने छूटने लगे थे,,,, उसे लगने लगा कि आज वह निर्मला को सब कुछ बता कर ही दम लेगी अगर ऐसा हुआ तो सब कुछ बर्बाद हो जाएगा अभी तक तो सुबह महाराज जानता था लेकिन उसने यार आज अपनी मां को नहीं बताया था लेकिन आज यह रिश्ता उसके काले करतूतों को उसकी बीवी को बता कर उसकी जिंदगी पूरी तरह से बर्बाद कर देगी,,, समाज में उसकी क्या इज्जत रह जाएगी अड़ोस पड़ोस के लोग क्या कहेंगे यही सब सोचकर उसके पसीने छूटने लगे,,, और वह बोला,,,।

रीता तुम चाहती क्या हो,,,,?

मुझ से पीछा छुड़ाने कि रकम मुझे सौंप दो इसके बाद दूर-दूर तक मेरा और तुम्हारा कोई वास्ता नहीं होगा,,,

नहीं बेटा अब मैं तुम्हें एक फूटी कौड़ी नहीं दूंगा तुम अच्छी तरह से जानती हो कि मैंने अच्छी-खासी संपत्ति तुम पर लुटा चुका हूं तुम्हें फ्लैट दिलाया गाड़ी दीलाया,,, अपने शौक मौज पूरे करने के लिए महीने में लाखों रुपया लेती हो तुम,,, लेकिन अब मैं तुम्हें कुछ नहीं दे सकता,,,,


माेज शौक कीस मोज सौक की बात कर रहै हो,,, मौज शौक तो तुम करते आ रहे हो मेरे साथ,,,, और उसके बदले में तुम मुझ पर आपने कैसे मिटा दिया रहे हो कोई मुफ्त का मेरे पर खर्च नहीं कर रहे हो,,, यह बात अच्छी तरह से अपने दिमाग में बैठा लो,,,, और अगर तुम्हें ऐसा लगता है तो आज मैं तुम्हारी बीबी से कौन किसके साथ मौज सौक करते आ रहा है सब कुछ बता कर ही जाऊंगी,,,,


( शुभम दरवाजे से कान लगाए सब कुछ सुन रहा था,,, उसने जानकर बड़ी हैरानी हो रही थी कि काफी समय से उसके पापा उस औरत के साथ शारीरिक संबंध बना रहे थे और उसके ऊपर लाखों रुपए खर्च कर चुके थे,,,,। शुभम को इस बात से भी डर लग रहा था कि अगर वह औरत उसके और उसके पापा के बीच में शारीरिक संबंध के बारे में उसकी मां को बता दे तो उसकी मां पर क्या बीतेगी क्योंकि उसकी मां से यही सोचती आ रही थी कि अशोक सिर्फ उस पर ध्यान नहीं देता बाकी उसका चरित्र खराब नहीं है लेकिन यह जानकर कि वह दूसरी औरत के साथ शारीरिक संबंध रखता है तभी उसके साथ किसी भी प्रकार का शारीरिक संबंध बनाने से कतराता है,,,, यह सोचकर शुभम का मन थोड़ा घबरा रहा था उसे भी इस बात का डर था कि कहीं उसकी मां ना आ जाए और जिस तरह से वह औरत उसके पापा को धमकी दे रही थी इससे तो ऐसा ही लग रहा था कि वह उसकी मां को सब कुछ बता देगी,,, इस बात से अशोक भी काफी परेशान नजर आ रहा था,,,।)

देखो रीता तुम ऐसा कुछ भी नहीं करोगी तुम भी अब तक मेरा ज्यादा ऊपयोगं कर चुकी हो,,, तुम इधर से चुपचाप चली जाओ इसी में तुम्हारी भलाई है,,, वर्ना मैं अभी पुलिस को फोन लगाऊंगा और एक ईज्जतदार बिजनेसमैन को बदनाम करने के जुर्म मे तुम्हें अंदर करवा दूंगा,,,

( अशोक की यह बात सुनकर रीता जोर-जोर से हंसने लगी अशोक को यही लगा था कि उनकी ऐसी धमकी सुनकर रीता डर जाएगी लेकिन उस के विपरीत रीता जोर-जोर से हंसे जा रही थी,, और उसे हंसता हुआ देखकर अशोक का कलेजा सूखने लगा था,,,,। वह हंसते हंसते एकाएक खामोश हो गई और जोर से दहाड़ते हुए बोली,,,।)


अशोक इस तरह की बेवकूफी भरी गलती करने की कोशिश भी मत करना क्योंकि तुम्हारी यही गलती तुम्हारे लिए ही भारी पड़ जाएगी और जो तुम बहुत इज्जत दार इज्जत दार बिजनेसमैन की डींगे हांक रहे हो,,,, सब कुछ खत्म हो जाएगा तुम्हें भी अच्छी तरह से जानते हो कि इतना की हालत में पुलिस अक्सर औरतों की नहीं सुनती है,,,,,( इतना कहने के साथ ही वह अपने पर्स में से मोबाइल. निकालते हुए) यह मोबाइल देख रहे हो ,,, इस मोबाइल में मेरे और तुम्हारे बीच के शारीरिक संबंध की बहुत सारी क्लीपे है,,, और अगर यह सारी क्लिप मैं पुलिस को दिखाकर मुझे क्या दोगी तो मुझे बहला-फुसलाकर जबरदस्ती मेरे साथ शारीरिक संबंध कई महीनों से बनाते आ रहे हो तो जानते हो,, क्या होगा यह तुम्हें बताने की जरूरत नहीं है क्योंकि तुम भी अच्छी तरह से जानते हो कि क्या होगा और अगर मैं यही तुम्हारी बीवी तो बता दूं तब तो तुम्हारी हंसती खेलती जिंदगी में आग लग जाएगी,,,,,,
( रीता की धमकी सुनकर अशोक का चेहरा उतर गया मैं समझ गया कि वो पूरी तरह से रीता के घेरे में आ चुका था और के चुंगल से बच पाना बेहद मुश्किल था ऐसे में उसकी हर बात मानने में ही उसकी भलाई थी,,,,। इसलिए वह बोला,,)

रीता,,,, तुम इतनी चालाक निकलोगी है मुझे पता नहीं था तुम मेरे और तुम्हारे बीच की शारीरिक संबंध वाली क्लीप को अपने मोबाइल में रख कर अपनी बेशर्मी का पूरी तरह से सबूत दे चुकी हो,,,,।

देखो अशोक अगर मैं बेशर्म ना होती तो तुम्हारे साथ इस तरह के अनैतिक संबंध के लिए कभी भी तैयार नहीं होती,,,, रही बात बेशर्मी की तो यह तो मैं अपनी सेफ्टी के लिए अंतरंग संबंधों के नजारों को अपने मोबाइल में कैद करके रखी हैं क्योंकि मैं जानती थी कि तुम मर्द लोगो की चाहत एक जैसी होती है तुम मर्दों का भरोसा कभी नहीं करना चाहिए क्योंकि जब तक औरतों से तुम लोगों का मन नहीं भर जाता तब तक उसे चुसते रहते हो,,, और जैसे ही मन भर जाता है तो चाय में गिरी मक्खी की तरह निकाल कर फेंक देते हैं इसीलिए मैंने इसी दिन के लिए,,, तुम्हारे खिलाफ सारे सबूत इकट्ठे करके रखी थी और देखो आज वह सबूत मेरे बहुत काम आ रहा है,,,,,। और हां अशोक बेशर्मी पन मैं तो तुम भी किसी से कम नहीं हो,,, घर में खूबसूरत बीवी होने के बावजूद भी घर के बाहर दूसरी औरतों के पीछे लार टपकाते फिरते रहते हो,,,, अपनी बीवी को धोखा देकर बाहर की औरतों से संबंध रखते हो,,,,,, मैं तो मजबुरी मै यहं सब काम करती हूं क्योंकि मैं जानती हूं कि मेरा पति कमाने वाला नहीं,,, इसलिए मुझे इस तरह से कमाना पड़ता है,,,।


बेकार की बहस बाजी छोड़ो और ठीक-ठीक बताओ कि तुम चाहती क्या हो,,,,,,,

कभी आए ना लाइन पर,,,,, अशोक तुम मुझे 20 लाख रुपया दे दो,,,, इसके बाद ना तो तुम मुझे जानते हो ना मैं तुम्हें जानती हूं और यह मोबाइल भी तुम रख लेना,,,,


सरिता तुम पागल तो नहीं हो गई हो 20 लाख रुपया जानती हो कितनी बड़ी रकम है,,,।

मुझ से पीछा छुड़ाने के लिए तो यह रकम तुम्हारे लिए बहुत मामूली है वरना इससे भी कहीं ज्यादा चुकाना पड़ जाता,,,


रीता थोड़ा कम करो इतनी बड़ी रकम मैं नहीं दे सकता,,,


तुम दे सकते हो,,,, ओर ये रकम मुझे आज ही चाहिए उसके बाद तुम आराम से अपनी नई जिंदगी शुरु कर सकते हो,,,

इतनी बड़ी रकम आज के दिन में कैसे एडजस्ट कर सकता हूं देखो रिता तुम कुछ ज्यादा ही मांग रही हो,,,

कुछ ज्यादा नहीं है अशोक,,,,,,,,,
रीता लगभग चिल्लाते हुए बोली और यह सब दरवाजे के पीछे खड़ा होकर शुभम सुन रहा था और जान चुका था कि उसके बाप ने उस औरत के पीछे लाखों रुपए बर्बाद कर चुका था। और अब 20 लाख रुपए और उसे चुकाना था,,


तुम अगर यह चाहते हो कि तुम्हारी हंसती खेलती जिंदगी यूं ही अच्छे से चलती रहे तो मुझे देखना करो के आज के आज चाहिए वरना मैं तुम्हारी काली करतूतें तुम्हारी बीवी को अपने मोबाइल से जरूर दिखा दूंगी,,,,


रीता तुम कितनी बदजात और बेशर्म औरत हो,,,,

हां हो और इसमें तुम्हें कोई भी किसी भी प्रकार का शक नहीं होना चाहिए वरना मैं अपनी बेशर्मी पूरी तरह से दिखा दूंगी तो समाज में उठना बैठना भारी पड़ जाएगा,,,,
( अशोक पूरी तरह से खराब हो चुका था कि उसकी इज्जत पूरी तरह से रीता के हाथों में है,,, रीता से संबंध बनाने से पहले वाणी बारे में कभी नहीं सोचा था उसे यही लग रहा था कि पहले की तरह यह औरत भी बड़े आराम से और आसानी से उसका पीछा छोड़ देगी लेकिन ऐसा नहीं था।,,,, अशोक पूरी तरह से हार चुका था और उसके पास 20 लाख रुपए चुकाने के सिवा और कोई दूसरा रास्ता नहीं था। वह लगभग हताश होते हुए बोला,,,,।

मैं तैयार हूं तुम्हें 2000000 रुपए देने के लिए,,,,

शुभम यह बात सुनकर एकदम से हड़बड़ा गया उसे यकीन नहीं हो रहा था कि उसके पापा उस औरत को 2000000 रुपए देने के लिए तैयार हो चुके हैं,,,। और इसी हड़बड़ाहट में वह अपने आप को संभाल नहीं पाया और दरवाजे पर उसका पूरा वजन आ गया,,, जल्दबाजी में अशोक ने दरवाजा ठीक से बंद नहीं किया था इसलिए दरवाजा खुल गया और शुभम गिरते-गिरते बचा इस तरह से शुभम को आता देखकर अशोक की तो सांसे ही बंद हो गई क्योंकि वह उस दिन ऑफिस में रीता के साथ उसे रंगरेलियां मनाते हुए देखा था और आज तो वहां उस औरत को अपने घर पर ही देख रहा था। शुभम को देखते ही,,,

बबबब,,,, बेटा,,, तुम,,,,,

हां मैं पापा अच्छा हुआ कि मैं ही हूं कहीं मेरी जगह मम्मी होती थी उन पर ना जाने तुम्हारी इस रंगरेलियों का कैसा कहर बरसता,,,, यह सब देखकर तो उनकी हालत खराब हो जाती है उनका विश्वास टूट जाता।
04-01-2020, 03:03 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
( शुभम लगभग बनावटी गुस्सा दिखाते हुए अपने बाप से बोले जा रहा था और इस तरह से दरवाजा खोलकर घर में घुस आने से रहता शुभम को देखती रह गई थी,,, दोनों के बीच की वार्तालाप को देखकर वह समझ गई थी कि दोनों बाप बेटे हैं और उसे यह भी याद आ गया था कि उस दिन ऑफिस का दरवाजा जिस लड़के ने खोला था वह यही है,,, इसलिए वह आश्चर्य के साथ बोली।)

अच्छा तो यह तुम्हारा बेटा है तभी इसे देखकर तुम्हारे धक्के रुक गए थे तभी मैं सोचूं कि ईतनी जल्दी तुम्हारा जॉश कैसे खत्म हो गया,,,,,

बकवास बंद करो रीता तुम्हें क्या कहना चाहिए क्या नहीं कहना चाहिए या तो जरा देख कर बोला करो,,,,

अशोक तुम्हारा बेटा कोई दूध पीता बच्चा नहीं है देख नहीं रहे हो इसके हट्टे-कट्टे शरीर को,,, यह पूरी तरह से जवान हो गया है,,,( रीता शुभम के करीब जाकर उसके चारों तरफ चक्कर काटते हुए बोले जा रहीे थी।)

रीता चुप रहो,,,,


अरे अशोक इसमें क्या शर्माना यह तो तुम्हें रंगे हाथों मुझे चोदते हुए पकड़ भी लीया ं है। क्यों बेटा मैं सच कह रही हूं ना,,, बेटा नहीं क्या नाम है तुम्हारा,,,

शशशश शुभम,,,, व

हां शुभम तो तुम ही थे ना उस दिन ऑफिस का दरवाजा खोल दिए थे,,,,( शुभम हां में सिर हिलाते हुए) ओर यह भी अच्छे तरीके से देख लिए होगे,,, तुम्हारे पापा कैसे मेरी चुदाई कर रहे थे और वाह भी ऑफिस में,,,,
( रीता एकदम बेशर्मी पर उतर आई थी,,, उसकी बातों को सुनकर अशोक को शर्म आ रही थी क्योंकि वह उसके बेटे से यह सब बातें बोल रही थी लेकिन शुभम को उसकी बातें सुनकर मजा आ रहा था और उसके लंड में हरकत होना शुरू हो गया था रीता कि खुली बातें उसके लंड पर हथौडे चला रही थी।)

देखें देना तुम कि कैसे तुम्हारे पापा जोर-जोर से मेरी बुर में अपना लंड पेल रहे थे,,,,।
( रीता की गर्म बातें सुनकर शुभम की सांसे ऊपर नीचे होने लगी थी वह मुंह से कुछ बोल नहीं पाया लेकिन हां मे सिर हीला दिया),,,,

तब तो तुम यह बात अपनी मां से जरूर बताएं होगे,,,,

नहीं मैंने नहीं बताया,,,

क्यों नहीं पता क्योंकि तुम्हारी जगह कोई और लड़का देखा होता तो अपने बाप की करतूतों को जरूर बता देता,,,,

मेरी मां बहुत सेंसिटिव है अगर उन्हे इस बारे में जरा सी भी भनक लगती तो उनका दिल टुट जाता ।

वांह शुभम वाह तुम्हारे जैसा समझदार बेटा अगर जिसका होगा तो उसका बाप तो रंगरेलियां मनाएगा ही,,,,, मुझे तो लगा था कि तुम घर पर सब कुछ बता दिए होंगे और घर में बवाल मच गया होगा तभी तो मैं अशोक से इतने दिन पैसे के बारे में बात तक नहीं की,,,, देख लो अशोक तुम्हारा बेटा कितना समझदार है उसकी मां का दिल ना टूट जाए इसलिए वह तुम्हारी करतूतों के बारे में कुछ भी नहीं बताया और तुम
अपनी सीधी साधी भोली भाली बीबी को धोखा देकर,,, दूसरी औरतों के साथ रंगरेलियां मनाते हो अपनी प्यास बुझाते हो और उन औरतों को धोखा देते हो,,,( रीता की यह बात सुनकर शर्म के मारे अशोक अपना सिर नीचे झुका कर खड़ा था लेकिन शुभम बड़े ध्यान से रीता की बातों को सुन रहा था। )
जानते हो शुभम तुम्हारे पापा तुम्हारी मम्मी के बारे में क्या कहते हैं,,,, यह कहते हैं कि बिस्तर में तुम्हारी मम्मी एकदम ठंडी औरत है। ठंडी औरत का मतलब शायद तुम नहीं जानते हो ओके मैं तुम्हें बताती हु।

शट् अप रीता,,,,, बकवास बंद करो,,,,,( अशोक रीता को चुप कराने के इरादे से बोला लेकिन रीता के ऊपर अशोक की बातों का बिल्कुल भी असर नहीं हुआ।)

बकवास नहीं कर रही हूं हकीकत बता रही हूं और वैसे भी अब तुम्हारा लड़का बड़ा हो चुका है जो अपने बाप की रंगरेलियां अपनी मां से छुपा ले जाए तो वह लड़का समझदार भी होता है। शुभम ठंडी औरत का मतलब होता है बिस्तर में बिल्कुल भी साथ ना देना और यही ख्याल तुम्हारी मम्मी के बारे में तुम्हारे पापा का है। अगर खुल के कहूं तो,,, तुम्हारे पापा जब भी तुम्हारी मम्मी को लंड चूसने के लिए कहते हैं तो तुम्हारी मम्मी ऊनका लंड अपने मुंह में लेकर चूसने के लिए इंकार कर देती है,,,।
( शुभम एक औरत के मुंह से उसकी मां के बारे में यह बात सुनकर एकदम से सन्न रह गया हालांकि उसे बेहद आनंदित महसूस हो रहा था। लेकिन फिर भी वह बनावटी गुस्सा करते हुए बोला,,,।)

पापा यह क्या कह रही है क्या यह सब बातें आप बाहर जा कर के बताते हो।

नहीं बेटा यह झूठ बोल रही है,,,,, रीता यह क्या बकवास कर रही हो तुम,,,

नहीं सुबह मैं झूठ नहीं बोल रही हूं यह बिल्कुल सच है यह कहते हैं कि तुम्हारी मम्मी बिस्तर पर उनका बिल्कुल भी साथ नहीं देती मतलब यह है कि खुलकर नहीं चुदवाती,, इसलिए तू यह मेरे पास आते हैं और जो काम तुम्हारी मम्मी नहीं कर पाती वह मुझसे करवाते हैं।
( रीता के गरम बातें सुनकर शुभम की हालत खराब होने लगी थी क्योंकि वह ईतने से समझ गया था कि रीता एकदम खुली हुई औरत थी। उसका लंड धीरे-धीरे खड़ा होने लगा था जो कि पैंट में तंबू बना रहा था। जिस पर रीता की नजर पड़ चुकी थी। और वह शुभम के बिल्कुल करीब जाकर बिना किसी शर्म लिहाज के सीधे शुभम के पेंट में बने तंबू को अपनी हथेली में दबोच ली,,,, रीता एकदम खेली खाई औरत थी,,, पेंट के ऊपर से ही लंड को पकड़ते ही उसे समझ में आ गया कि पैंट के अंदर छिपा हुआ हथियार बेहद दमदार और मरदाना है। लेकिन रीता के इस व्यवहार से शुभम के साथ साथ अशोक भी चौक गया था,,, लेकिन वह दोनों कुछ बोल पाते इससे पहले ही रीता बोल पड़ी,,,,,

वाहहहहह शुभम तुम्हारा हथियार तो बहुत जानदार है,,,, देख रहे हो अशोक तुम्हारे बेटे का लंड ऊसकी मा की बातें सुनकर ही किस तरह से खड़ा हो गया है। तुम्हारे लंड से तो कई गुना बड़ा तुम्हारे बेटे का लंड है। सच कहूं तो तुम्हारे बेटे के लंड को पेंट के ऊपर से ही पकड़कर मेरी बुर कुलबुलाने लगी है,,,, अगर सच में इसकी मां अगर ईसके लंड को देख ली तो तुम्हारी तो उसे जरूरत ही नहीं पड़ेगी,,,,

बकवास बंद करो रीता कैसी बातें कर रही हो तुम,,,,

अरे सच कह रही हूं जो हकीकत है वही तो कह रही हूं औरत को तो बड़े लंड से मजा आता है छोटा लंड चाहे कितना भी कूद ले बुर की गहराई नहीं नाप पाता,,, बुर की गहराई सिर्फ लंबा लंड ही नाप पाता है,,,, और जिस तरह से अपनी ही मां की बातें सुनकर इसका लंड खड़ा हुआ है मुझे तो लगता है अगर इसकी मां ने इसे जरा सा भी इशारा दिया तो यह अपनी मां की जबरदस्त चुदाई करेगा,,,,,
( एक औरत के मुंह से अपनी मर्दाना ताकत की बखान सुनकर और वह भी उसकी खुद की मां के बारे में उसकी चुदाई के बारे में सुनकर गर्व से शुभम का सीना चौड़ा हो गया लेकिन वहां वह जानबूझ कर शर्मिंदा हुए खड़ा था। क्योंकि अभी भी रीता पेंट के ऊपर से ही उसके लंड को दबा रही थी
शुभम को बहोत. मजा आ रहा था। अगर इस समय उसके पापा वहां नहीं होते तो सीता की हरकत देखते हुए वह उसे वही पटक कर अपने लंड की ताकत को दिखा दिया होता।
अशोक रीता के इस व्यवहार से पूरी तरह से शर्मिंदा हो चुका था और वह बोला।

तुम एकदम बेशर्म हो रीता,,,,


हां मैं एकदम बेशर्म हूं( शुभम के लंड को पेंट के ऊपर से छोड़ते हुए) यही ततबताना चाहती थी यह जो कुछ भी मैं बोली यह सब मैं तुम्हारी बीवी से भी बोल सकती हूं। इसलिए आज शाम को 2000000 रुपए मुझे मिल जाना चाहिए वरना यह सारी बाते में तुम्हारी बीवी से बता दूंगी,,,,


मैं दे दूंगा लेकिन (इतना कहकर अशोक शुभम की तरफ देखने लगा,,, अशोक के इशारे को रीता अच्छी तरह से समझ गई और वह बोली)

मैं जानती हूं तुम्हारा लड़का बहुत समझदार है और तुम्हारी बीबी को यह कुछ भी नहीं बताएगा,,,( इतना कहकर रीता फिर से पैंट के ऊपर से तने हुए शुभम के लंड को पकड़ ली, इस बार शुभम की सिसकारी निकल गई।) नहीं बताओगे ना सुभम,,,,,

नहीं मैं अभी भी कुछ नहीं बताऊंगा।

अपने बेटे की बात सुनकर अशोक को थोड़ी राहत हुई और रीता मुस्कुराने लगे कभी बाहर कार रुकने की आवाज आई और उसकी आवाज सुनकर शुभम और अशोक दोनों हड़बड़ा गए क्योंकि वह जानते थे कि निर्मला घर आ चुकी है।,,, उन दोनों की हालत देखकर रीता बोली,,,

क्या हुआ?

देखो मेरी बीवी निर्मला आ गई है तुम ऊससे कुछ भी मत बताना,,,,

तुम बेफिक्र रहो मैं कुछ नहीं बताऊंगी,,,,, लेकिन शाम को मेरा 2000000 रुपए मिल जाना चाहिए वरना,,,,

तुम चिंता मत करो मिल जाएगा,,,,
( तभी डोर बेल बजी और दोनों के चेहरे फीके पड़ने लगे,,, शुभम अपने बाप को हौसला दिलाते हुए बोला,,,।)

आप निश्चिंत रहो पापा मैं सब कुछ संभाल लूंगा,,,, आप दोनों आराम से कुर्सी पर बैठ जाईए ताकि किसी को कुछ भी शक ना हो,,,, (और शुभम की बात सुनकर दोनों आराम से कुर्सी पर बैठ गए,, शुभम जैसे ही दरवाजा खोला उसकी मां गेट के आगे खड़ी कार के बारे में ही बोलने हीं जा रही थी कि शुभम झट से बोल पड़ा,,,।)

मम्मी पापा के ऑफिस से उनकी कर्मचारी आई हैं कोई जरूरी काम था।

ओहहहहह,,, तो तुमने चाय बगैरा दिया कि नहीं,,,

नहीं मम्मी वह अभी अभी ही आई है,,,,।
( इतना कहकर निर्मला घर में प्रवेश की और शुभम दरवाजा बंद कर दिया,,, निर्मला रीता को देखते ही हाथ जोड़ते हुए नमस्ते की और रीता भी कुर्सी से खड़ी होकर उसे नमस्ते करने लगी लेकिन उसकी नजर निर्मला की खूबसूरती और उसके बदन की बनावट पर ही टिकी थी। उसकी खूबसूरती देखकर रीता आश्चर्य में पड़ गई थी कि इतनी खूबसूरत बीवी होने के बावजूद भी हो उसके पीछे क्यों दीवाना हो गया था।

रूको मैं चाय बना कर लाती हूं (और इतना कहकर निर्मला किचन में चली गई)

यार अशोक तुम लगता है सबसे बड़े बेवकूफ हो तुम्हारे पास तो खूबसूरती का खजाना है फिर भी इधर उधर मुंह मारते फिरते हो,,,
( शुभम रीता की बातें सुनकर मन ही मन प्रसन्न हो रहा था क्योंकि वह जानता था कि उसकी मम्मी की खूबसूरती की तारीफ कर रही थी,,,,।)

तुम पागल हो अशोक यह मैंने आज देख ली,,, देखना कहीं तुम्हारी बीवी अपने ही बेटे से कहीं चुदवाना ना शुरू कर दे,,


चुप रहो रीता,,,


क्यो शुभम तेरी मम्मी सच में बहुत सेक्सी है।
( शुभम कुछ बोला नहीं बस खामोश रहा)
कभी अपनी मम्मी पर ट्राई करना देखना बहुत मजा आएगा,,

( शुभम को रीता की बातें सुनने में मजा आ रहा था लेकिन वह कुछ बोल नहीं रहा था तब तक उसकी मां चाय ले करके आ गई,, अशोक अपने बेटे की चालाकी से बहुत खुश था।)
04-01-2020, 03:03 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
निर्मला चाय बना कर ले आई और अपने हाथों से सबको चाय का कप थम आने लगी रीता की नजर निर्मला की खूबसूरती पर ही टिकी हुई थी। उसे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा था कि रूप और खूबसूरती से भरा हुआ खजाने का पिटारा अशोक के पास था फिर भी वह उसके साथ क्यों शारीरिक संबंध बनाते आ रहा था यह बात उस को बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रही थी हालांकि यह बात जरूर थी कि अशोक के बताए अनुसार निर्मला पूरी तरह से एक ठंडी औरत थी लेकिन जिस तरह से वह निर्मला की खूबसूरती और उसकी बदन के बनावट को उसकी बड़ी बड़ी चूचियां और भरावदार गांड के उभार को देख रही थी,,,, इससे उसे बिल्कुल भी ऐसा प्रतीत नहीं हो रहा था कि, निर्मला कहीं से भी ठंडी औरत है उसके अंदर वैसे ही जवानी की चिंगारी भड़क रही थी। और निर्मला के जवानी किए चिंगारी मर्दों के बदन में आग लगाने के लिए काफी थी।,,, रीता की टकटकी बंधी आंखों को देख कर शुभम समझ गया कि वह भी उसकी मां की खूबसूरती से पूरी तरह से आकर्षित हो चुकी है यह देखकर वह मन ही मन खुश हो रहा था जब एक औरत एक औरत की खूबसूरती देखकर इस कदर आकर्षित हो सकती है तो उस औरत की खूबसूरती के आगे किसी भी मर्द की क्या विषाद थी की निर्मला की खूबसूरती के आगे घुटने टेक कर उसका गुलाम ना बन जाए। और ऐसी खूबसूरत औरत का गुलाम बनने के लिए तो दुनिया का हर मर्द तैयार रहता है। खैर ईस समय रीता की गर्म बातों ने शुभम के बदन में खलबली मचाई हुई थी। जिस तरह से वहां उसके बाप के सामने ही शुभम को उसकी मां के साथ संबंध बनाने के लिए उकसा रही थी यह देखकर शुभम की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई थी क्योंकि यह बात उसके पापा के कानों में जरूर पड़ रही थी लेकिन वह इस समय कुछ भी बोल सकने की हालत में बिल्कुल भी नहीं थे। और इसी हालात का तो शुभम पूरी तरह से फायदा उठाने के लिए ही अपने बाप का साथ दे रहा था ताकि वक्त आने पर वह अपने बाप के सामने खड़ा हो सके क्योंकि उसे इस बात का अंदाजा तो था ही कि एक ना एक दिन उसके और उसकी मां के बीच के संबंध के बारे में उसके पापा को जरूर पता चल जाएगा लेकिन उस दिन के तूफान से पहले वह अपनी कश्ती को मजबूत कर लेना चाहता था। क्योंकि जवानी के समंदर में समुंदर के रुख को जाने बगैर उतरना बेवकूफी होती है। और शुभम ऐसी बेवकूफी नहीं करना चाहता था। वह मन ही मन इस बात से और ज्यादा खुश नजर आ रहा था कि उसका बाप पूरी तरह से उसके कब्जे में आ चुका था क्योंकि उसके बाप की नजर में तो वह ऊसके राज को उसकी मां से छिपाकर,,, एक अच्छा बेटा होने का फर्ज निभा रहा था लेकिन अशोक इस बात से बिल्कुल अनजान था कि शुभम उसकी मदद उसके राज को वह अपने मतलब के लिए छुपा रहा था।,,,
चाय नाश्ता करने के बात अशोक को ऑफिस के काम के लिए शाम को मिलने के लिए बोल कर वह दरवाजे की तरफ जाने लगी तो निर्मला औपचारिक रूप से उसे दरवाजे तक छोड़ने गई,,,, और जाते-जाते निर्मला की खूबसूरती की तारीफ करती गई,,,, एक औरत के मुंह से अपनी खूबसूरती की तारीफ सुनकर निर्मला को भी काफी अच्छा महसूस हो रहा था।
अशोक निराला की गहराई में शुभम को धन्यवाद किया क्योंकि जो काम शुभम ने उसके लिए किया था शायद दूसरा बेटा होता तो ऐसा कभी नहीं करता। अशोक अपने बेटे से काफी खुश था इसलिए गांव जाने के लिए उसे जेब खर्च के तौर पर ₹5000 अपने पास रखने के लिए दे दिया ताकि वह खर्च कर सके इतनी ज्यादा रकम उसने पहली बार जेब खर्च के लिए लिया था लिया क्या था बिना मांगे ही मिल गया था इसलिए वह भी बहुत खुश था।।

गांव जाने के लिए शुभम और निर्मला तैयार हो चुके थे,,। कार से जाना था इसलिए निर्मला ने,,, खाने पीने का सामान पैक कर के गाड़ी में रख ली थी निर्मला फूलों वाली साड़ी पहनी थी जिसमें उसका बदन फूल की तरह महक उठा रहा था।
ब्लाउज में कैद बड़ी बड़ी चूचियां बाहर आने के लिए गदर मचा रही थी वह तों बड़ी मुश्किल से निर्मला ने ब्लाऊज के बटन लगा कर उन्हें ब्लाउज के अंदर ठुंस रखी थी। निर्मला को तैयार हुआ देखकर शुभम का नंबर ठुनकने लगा,,, निर्मला आगे आगे चल रही थी और सुभम पीछे पीछे शुभम की नज़र तों अपनी मां की मदमस्त मटकती हुई गांड पर ही टिकी हुई थी, अपनी मां की मटकती हुई गांड को देख कर शुभम का मन उसे चोदने को कर रहा था। लेकिन वह अपने आप पर कंट्रोल किए हुए था क्योंकि ऊन दोनों को निकलना था। घर के बाहर आकर हमें मिला घर के दरवाजे को लॉक करने लगी तो,, शुभम अपनी मां की गांड पर एक चपत लगाते हुए बोला,,,

मम्मी तुम तुम आज बहुत खूबसूरत लग रही हो एकदम माल लग रही हो,,,,

तो ईससे पहले खूबसूरत नहीं लग रही थी क्या,,( दरवाजे पर ताला लगाते हुए बोली)

नहीं ऐसा नहीं है खूबसूरत तो तुम हमेशा ही लगती हो लेकिन आज कुछ ज्यादा ही सेक्सी लग रही हो,,,,

चल अब बातें मत बनाओ हमें जल्दी निकलना है शाम तक हमें अपने गांव पहुंच जाना है कहीं बातों में उलझ गए तो यही देर हो जाएंगी,, ( अपने बेटे की बात सुन कर मुस्कुराते हुए बोली,, अभी सुबह के 6:00 ही बज रहे थे और निर्मला शुभम के साथ अपने गांव के लिए निकल रही थी क्योंकि उसे मालूम था कि तकरीबन 12 14 घंटे का रास्ता है और अगर वह सुबह जल्दी नहीं निकलेगी तो काफी रात हो जाएगी और गांव का मामला होने से मुश्किल भी लग रहा था इसलिए वह जल्दी निकल रही थी। और वैसे भी निर्मला कम स्पीड में और संभाल कर गाड़ी चलाती थी इसलिए उन लोगों का जल्दी निकलना भी बहुत जरूरी था। अशोक यह जानते हुए भी कि उसके बीवी और बच्चे गांव जा रहे हैं लेकिन फिर भी वह घर पर नहीं आया था। क्योंकि घर की चाबी एक अशोक के पास ही होती थी। गाड़ी में बैठते बैठते शुभम बोला,,

सच मम्मी तुम आज बेहद हॉट लग रही हो मन तो कर रहा है कि कार में ही तुम्हारी चुदाई कर दूं।,,,,,

धत्,,,,, बदमाश,,,,( ऐसा कहते हुए निर्मला भी ड्राइवर सीट पर बैठ गई और गाड़ी स्टार्ट करके गैर बदलकर अपने नाजुक पैरों से एक्सीलेटर दबा दी गाड़ी का पहिया रफ्तार पकड़ने लगा,,, शुभम बार-बार मुस्कुराकर अपनी मां की तरफ ही देखे जा रहा था उसे इस तरह से अपनी तरफ देखकर निर्मला को थोड़ा शर्म सी महसूस होने लगी और वह बोली,,,,।

ऐसी क्या देख रहा है ऐसा लग रहा है कि आज मुझे पहली बार देख रहा है।

मम्मी तुम्हें चाहे जितनी बार देखो ऐसा लगता है कि पहली बार ही देख रहा हुं।,,,

तुझे अब बहुत बातें आने लगी है पहले तो काफी खामोश रहता था लेकिन अब तो बस टपर टपर बस बोलता ही जाता है।

क्या करूं मम्मी तुम्हारी संगत ने मुझे ऐसा कर दिया है।,,,

मेरी संगत तुझे खराब लग रही है क्या,,,( स्टीयरिंग को संभालते हुए)

ऐसी संगत तो मुझे जिंदगी में नहीं मिलने वाली,,,,,

( अपनी बेटे की बात सुनकर निर्मला मुस्कुरा दी,,, कुछ ही देर में निर्मला की कार मुख्य हाईवे पर दौड़ने लगी,,,,, निर्मला की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी क्योंकि वह गांव में खासकर के खेतों में अपने बेटे से चुदवाना चाहती थी,,,, क्योंकि खेतों से उसकी कुछ यादें जुड़ी हुई थी जब वह गांव में रहकर पढ़ाई करती थी तब उसकी सहेलियां जो कि काफी खुली हुई थी निर्मला से वह लोग अपनी अतरंग बातें भी बता दिया करती थी। आने से काफी सहेलियों ने अपने बॉयफ्रेंड के साथ खेतों में चांदनी रात में खुले आसमान के नीचे शौच जाने के बहाने अपने बॉयफ्रेंड से चुदवाने का आनंद ले चुकी थी और यह बात जब वह लड़कियां निर्मला से बताती तो अनजाने में ही उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगती। उसके मन में भी इस बात को लेकर बेहद उत्सुकता मच जाती थी लेकिन वह अपने मन की बात किसी से कह नहीं पाती थी बस कुछ पल के लिए ही उसके मन में खेतों में चुदवाने की उत्सुकता बनी रहती थी इसके बाद वह खुद भूल जाती थी सब कुछ क्योंकि वह ज्यादातर पढ़ाई मे हीं ध्यान देती थी,,,, लेकिन वह मैंने सोचती थी कि जब उसकी शादी होगी तो वह किसी न किसी बहाने अपने पति से खेतों में जरूर जरूर चुदवाएगी लेकिन उसकी शादी शहर में हो गई,,, और अपने संस्कार की वजह से वह अपने पति से अपने मन की बात बता भी नहीं पाई लेकिन आज जाकर उसका सपना ऐसा लगने लगा था कि पूरा होगा,,,, और वह भी इस सपने को वह अपने बेटे के लंड से चुदवा कर पूरा करेंगी। निर्मला मन ही मन में यह सब सोचकर बेहद प्रसन्न हो रही थी,,,, उसको इस तरह से मुस्कुराते देखकर शुभम बोला,,,

क्या बात है मम्मी तुम बहुत खुश नजर आ रही हो,,,


सारी खुशी की बात तो है यही आज कितने बरसों के बाद में अपने गांव जा रही हुं। क्या तू खुश नहीं हो?

मैं भी बहुत खुश हूं मम्मी लेकिन मैं इसलिए भी खुश हूं कि मैं तुम्हें गांव में खेतों के बीच चोदना चाहता हूं। मैं महसूस करना चाहता हूं कि, खुले आसमान के नीचे खेतों के बीच में चुदाई करने में कैसा मजा आता है।,,
( निर्मला के मन में जो चल रहा था वही बात वह अपने बेटे के मुंह से सुनकर एकदम रोमांचित हो उठी रोमांचित होते हुए बोली)

बहुत मजा आएगा बेटा,,,

क्या मम्मी तुम पहले भी खेतों में चुदवा चुकी हो,,?

सच कहूं तो बिल्कुल नहीं( स्टेरिंग घुमाते हुए) लेकिन मेरे मन में बरसों से यह बात कभी हुई है कि मैं भी खेतों में चुदवाऊं


सच मम्मी,,,,


हां शुभम यह सब तो सोच-सोच कर मेरा तन बदन कसमसा जा रहा है।,,,,,,
( अपनी मां की यह बात सुनकर शुभम की नजर निर्मला की बड़ी बड़ी छातियों पर चली गई जिस परसे से साड़ी धीरे धीरे नीचे सरक रही थी। शुभम तुरंत अपना हाथ आगे बढ़ा कर ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मा की चूची दबाते हुए बोली,,,


हां मम्मी सच में ऐसा लग रहा है कि तुम्हारी दोनों लंड लेने के लिए तड़प रही है।
(। शुभम के द्वारा इस तरह के चूची पकड़ने की वजह से निर्मला के बदन में गुदगुदी होने लगी,,, और वह हंसते हुए बोली।)

शुभम हाथ हटा ले मेरा ध्यान भटक जाएगा,,,,

और जो इस तरह से मेरा ध्यान भटका रही हो ऊसका क्या?

अब मैं क्या कर रही हुं।


अपनी साड़ी का पल्लू क्यों नीचे गिरा रही हो?

अरे तू पागल हो गया है क्या मैं गिरा रही हूं कि अपने आप खुद ही हवा से नीचे सरक रहा है।

नहीं तुम ही गिरा रही हो,,,,


भला मैं क्यों गिराऊंगी अपना पल्लू,,,


अपनी चूची दिखाने के लिए,,,,


हां,,,,, हांंं ऐसा लग रहा है कि तूने जैसी मेरी चूची देखा ही नहीं है।


देखा हूं लेकिन इस समय तुम. मुझे जानबूझकर अपनी चूची दिखा कर ऊकसाना चाहती हो,,,, ( शुभम लगातार ब्लाउज के ऊपर से ही अपनी मां की चूची दबाते हुए बोला,,,)

अरे मैं तुझे क्यों अपनी चूची दिखाऊंगी और वह भी कार में,, और वैसे भी कौन सा ब्लाउज का बटन खुला हुआ है जो तुझे मेरी चूची नजर आ रही है।( स्टीयरिंग संभालते हुए)

अरे बटन खुला हुआ नहीं है तो क्या हुआ ब्लाउज पहनने के बाद भी तो तुम्हारी आधी से ज्यादा चुची बाहर को ही नजर आती है। और देखो तो सही (ब्लाउज के ऊपर से चूची को दबाते हुए) मेरे इस तरह से दबाने से तुम्हारी चूची को साइज भी बढ़ने लगा है। तुम मुझसे उस दिन कि तरह फिर से लगता है कि कार मे चुदवाना चाहती हो,,,


धत्त,,, पागल मुझे ठीक से गाड़ी चलाने दे,,,,( निर्मला शुभम को बार-बार हाथ हटाने के लिए बोल रही थी लेकिन खुद उसका हाथ नहीं हटा रही थी क्योंकि उसे भी बेहद मजा आ रहा था।)

पागल नहीं मैं सच कह रहा हूं और मैं गारंटी के साथ कह सकता हूं कि तुम्हारी बुर ईस समय पानी छोड़ रही है तुम्हारी पैंटी भी गीली हो रही होगी,,,,।

शुभम तु मुझे गाड़ी चलाने दे वरना मेरा ध्यान इधर उधर हो गया तो गाड़ी टकरा जाएगी,,,,,

कुछ नहीं होगा मम्मी तुम आराम से चलाओ,,, कहों तोे मै तुम्हारी साड़ी उठाकर देख लु की तुम्हारी बुर पानी छोड़ रही है या नहीं अभी दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा,,
( अपने बेटे की ऐसी चीज और उसकी बातें सुनकर वह जोर से हंसने लगी कि तभी उसकी नजर हाइवे के किनारे उसी पेड़ के ऊपर गई जिस पेड़ के नीचे उस रात को शुभम के साथ निर्मला ने अपनी सारी मर्यादा को तोड़ दी थी उस पर नजर पड़ते ही उसके बदन में रोमांच की लहर दौडने़ लगी,, और वह झट से बोली,,,

शुभम वह देख वह वही पेड़ है जिसके नीचे कार के अंदर हम दोनों ने रात गुजारी थी,,,
( शुभम अपनी मां की बात सुनते ही उस तरफ देखने लगा)
04-01-2020, 03:04 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
जैसे ही निर्मला ने शुभम को उस जगह को ऊंगली के निर्देश से दिखाने लगी जहां की पहली बार कार के अंदर उन दोनों ने अपने मां बेटे की पवित्र रिश्ते को खत्म करके आपस में शारीरिक संबंध बनाया था। उस जगह पर नजर पड़ते ही निर्मला के साथ-साथ शुभम के बदन में भी उत्तेजना की गुदगुदी होने लगी। शुभम की आंखों के सामने उस रात को भी था एक एक पल किसी फिल्म की तरह आंखों से गुजरने लगा। निर्मला जी उस जगह पर नजर पड़ते ही रोमांचित हो उठी।,,,, निर्मला अपनी कार की रफ्तार को एकदम धीमी कर दी दोनों की नजर बराबर ऊस. घने पेड़ के ऊपर टिकी हुई थी। तभी अचानक निर्मला कार को साइड में लगाकर कार खड़ी कर दी और तुरंत कार से बाहर आ गई अपनी मां को इस तरह से कार के बाहर ज्यादा देखकर शुभम से भी रहा नहीं गया और वह भी कार से उतरकर बाहर खड़ा हो गया,,,,।

हाईवे पर आती-जाती कार अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रही थी इसलिए किसी का भी ध्यान इन लोगों पर नहीं था। वैसे भी अगर किसी का भी ध्यान इन लोगों पर पड़ता इस बात की फ़िक्र इन दोनों को बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि कोई भी इस तरह से हाइवे के किनारे कार खड़ी करके हरियाली का नजारा लेता रहता था। वैसे भी हाइवे के किनारे काफी खली झाड़ियां उगी हुई थी जो कि बेहद आंखों को ठंडक प्रदान करने वाली भी लगती थी। दोनों सड़क के किनारे खड़े होकर उस घने पेड़ की तरफ देख रहे थे जंगली झाड़ियां होने की वजह से हवाएं एकदम ठंडी बह रही थी और वैसे भी सुबह का समय था इसलिए इधर का नजारा काफी खूबसूरत लग रहा था। तेरी चलती हवाओं के साथ साथ निर्मला के रेशमी मखमली बाल भी हवा से उलझ रहे थे। बार-बार निर्मला के बालों की लट है उसके गोरे गालों पर झूम जा रही थी जिसे निर्मला अपनी नाजुक उंगलियों के सहारे कान के पीछे ले जा कर उन्हें शांत करने की कोशिश करती थी लेकिन हवा इतनी बेशर्म थी कि बालों के साथ-साथ उसके कंधे पर से उसका आंचल भी खींच ले रही थी जिसकी वजह से कुछ पल के लिए उसकी भरावदार छातिया ऊजागर होकर अपनी खूबसूरती बिखेरने लगती थी। लेकिन इस खूबसूरती का रसपान केवल शुभम ही कर पा रहा था क्योंकि निर्मला के ऊपर किसी का भी ध्यान नहीं जा रहा था वैसे भी हाईवे पर अभी गाड़ियों की भीड़ नहीें थी इक्का-दुक्का गाड़ियां ही गुजर रहे थी।,,,, बार-बार बेशर्म हवाएं पूरी ताकत लगाकर निर्मला के साड़ी के पल्लू को उसके कंधे से हटा दे रही थी,,,

मानव की ऐसा लग रहा था कि यह हवाएं भी निर्मला की बड़ी बड़ी चूचीयों के दर्शन करना चाह रही हो और जबरदस्ती उसका पल्लू हटाकर अपनी नजरें गड़ाने की कोशिश कर रही हो। हवाओं का कोई आकार नहीं था वरना सचमुच यह कामातुर हो चली हवाएं निर्मला को अपनी बाहों में जकड़ कर अपने अंग को उसके कोमल अंग में ऊतार दीया होता।,,, कभी हवा का एक तेज झोंका इतनी तेजी से निर्मला के बदन से टकराया की,,, झोंके के साथ हवा का पूरा गुबार निर्मला के पैरों पर इतनी जोर से टकराया की सारी की सारी हवा पैरों से टकराकर उपर की तरफ उठी जिसकी वजह से निर्मला की साड़ी हवा के साथ ऊपर की तरफ उठने लगी और एकाएक उसकी गाड़ी उठकर जांघो तक आ गई,,, निर्मला की जागो तक का बदन पूरी तरह से नग्नावस्था में नजर आने लगा कुछ पल के लिए निर्मला टांगो से बिल्कुल नंगी हो गई,,,, किसी दूसरे की नजर पड़ती इससे पहले ही निर्मला झटलसे अपनी साड़ी को नीचे की तरफ दबाकर वापस अपनी टांगों को ढंक ली। हाईवे पर आते-जाते किसी की भी नजर इस बेहद अतुल्य और दुर्लभ नजारे पर नहीं पढ़ी थी लेकिन शुभम हवाओं की इस गुस्ताखी को देख चुका था वह देख चुका था कि हवा के झोंके ने किस तरह से उसकी मां की टांगो और जांघों को एकदम नंगी कर दिया था,,, शुभम के चेहरे पर यह नजारा देखकर मुस्कुराहट फैल गई,,,। इस बेशर्म हरकत में हवा की गुस्ताखी थी इसलिए शुभम नाराज नहीं हुआ अगर हवा की जगह कोई और होता तो शुभम कब का आग बबूला हो गया होता। कुछ सेकंड के लिए साड़ी उठने की वजह से निर्मला भी पूरी तरह से झेंप गई थी और अपने चारों तरफ नजर दौड़ाकर यह तसल्ली कर रही थी कि किसी की नजर तो नहीं पड़ी,,, हालांकि किसी की भी नजर उस पर नहीं पड़ी थी इस बात से उसे राहत महसूस हुई। लेकिन ऐसा लग रहा था कि हवाओं को जो नजारा देखने का अरमान था उसमें यह हवाएं कामयाब हो चुके थे। हवाओं की इस गुस्ताखी को को देख कर तो ऐसा ही लग रहा था कि वह लोग भी निर्मला के नंगे जिस्म का रसपान करना चाहते थे उसके जिस्म को छूकर गुजारना चाहते थे। और निर्मला के खास अंग की गर्माहट को अपनी शीतल लहरों पर महसूस करना चाहते थे और इसमें भी यह गुस्ताख हवाएं कामयाब हो चुकी थी। क्योंकि निर्मला को अपनी जांघों के बीच अपनी तपती हुई रसीली बुर पर हवा का झोंका लगने से ठंडक महसुस हो रही थी। यह हवाएं निर्मला की बुर को ही चूमना चाहती थी। और जैसे ही इन हवाओं का मकसद पूरा हो गया वैसे ही तेज चलने वाली हवाएं एकाएक एकदम शांत हो गई। वैसे भी हर शख्सियत की इच्छा औरत की टांगों के बीच चुंबन लेने की ही होती है। शुभम अपनी मां की हालत पर गौर करते हुए उसे छेड़ते हुए बोला।


मम्मी यह हवाएं भी तुम्हारे नाम के जितने का दर्शन करना चाहती थी तुम्हारी बुर देखना चाहती थी और देखो कैसे तुम्हारी साड़ी उठाकर और बुर देखकर सरपट यहां से भाग गई,
( अपने बेटे की इस तरह की बातें सुनकर निर्मला एकदम से शर्मा गई और शर्मा कर मुस्कुराते हुए बोली)

धत्त पागल कुछ भी बोलता रहता है बातें बनाना तो कोई तुझसे सीखे,,,,

अरे सच कह रहा हूं मम्मी तभी तो देखो हवा केसे शांत हो गई जब तक तुम्हारी बूर नहीं देखी थी, तब तक इतनी तेजी से बह रही थी।


चल अब बस भी कर यह हवा खुद नहीं देखना चाहती थी यह तुझे दिखाना चाहती थी क्योंकि बहुत देर से मेरे बेटे ने मेरी बुर के दर्शन नही किए हैं।,,,( तभी निर्मला उस घर में पेड़ को देखते हुए) जरा देखो तो यह पेड़ कितना घना है और इसके नीचे की जमीन कितनी हरी-भरी है जमीन का छोटा सा टुकड़ा भी नहीं दिख रहा है चारों तरफ बड़ी-बड़ी घांसें ही नजर आ रही है। मुझे तो यकीन नहीं हो रहा है कि हम दोनों ने इस पेड़ के नीचे इतनी घनी झाड़ियों में रात बिताई थी।


हां मम्मी सच कह रही हो तुम देखो तो सही कितना घना है और रात में और तूफानी बारिश में तो यह और भी भयानक लग रहा होगा उस समय तो हम दोनों मे से कीसी ने भी ईस पर गौर ही नही कीया ।

सच कह रहा है तू,,,, ( इतना कहकर निर्मला एकदम शांत होकर उस जगह को देखने लगी जहां पर उन दोनों ने कार के अंदर तूफानी बारिश में रात गुजारी थी और निर्मला ने जिंदगी में पहली बार अपनी मर्यादाओं की चादर को अपने ऊपर से दूर करके अपने ही बेटे के मोटे लंड को अपनी बुर मे लेकर चुदाई के परम आनंद को महसूस की थी।,,, निर्मला के साथ-साथ शुभम के लिए भी वह पल एकदम अविश्वसनीय था। क्योंकि शीतल की पार्टी में जाने से पहले दोनों को बिल्कुल भी ऐसा आभास नहीं था कि रास्ते में उन दोनों के साथ इस तरह की सुखद घटना हो जाएगी। निर्मला तो मन ही मन उस पल को बार-बार धन्यवाद देती है क्योंकि उस पल में ही उसकी जिंदगी को पूरी तरह से बदल दिया था। दोनों एक टक उसी तरफ देखे जा रहे थे। निर्मला और शुभम दोनों मां बेटे के लिए वह घना पेड़ और उसके नीचे फेलीे जंगली झाड़ियां इस समय किसी पर्यटक स्थल से कम नहीं लग रहा था।,, वह दोनों मां बेटे ऊस स्थल को देखने में मशगूल थे कि तभी उनके करीब से एक ट्रक होरन बजाता हुआ गुजरा और उनकी आवाज सुनकर दोनों की तंद्रा भंग हुई,,,,, तो निर्मला बोली,,,, काफी समय हो रहा है चल गाड़ी में बात करते हैं और इतना कहने के साथ दोनों वापस कार में बैठ गए और निर्मला गाड़ी की रफ्तार बढ़ा दी,,,, गाड़ी फिर से हाईवे पर भागने लगी। निर्मला के चेहरे पर संतुष्टि भरा अहसास साफ झलक रही थी। कुछ देर तक दोनों खामोश रहे ऐसा लग रहा था कि मानो वे दोनों उस रात के एहसास को इस समय अपने अंदर महसूस कर रहे हो, और करे भी क्यों नहीं वह पल इन दोनों के लिए बेहद उन्मादक और अद्भुत था। ऐसा कुछ हो जाएगा इन दोनों को बिल्कुल भी आशा ही नहीं थी।


शुभम को क्या मालूम था कि उसका कुंवारापन उसकी मां के ही हाथों से टूटना लिखा था। और निर्मला भी इस बात से कहां वाकिफ थे कि जिंदगी की दोबारा शुरुआत उसके ही बेटे के हाथों से शुरू होगी क्या पता था कि उसकी बुर में उसके खुद के बेटे का मोटा लंड घुसने वाला है और वह अपने ही बेटे के लंड से चुद कर संतुष्टि का अनुभव करेगी। गाड़ी अपनी रफ्तार से हाईवे पर भागे चली जा रही थी सब कुछ पीछे छूटता चला जा रहा था तभी निर्मला बोली,,,,

सच बताऊं तो शुभम मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है कि हम दोनों के बीच मां बेटे का रिश्ता होने के बावजूद भी एक मर्द और औरत का रिश्ता कायम हो चुका है।

पति पत्नी जैसा,,,( शुभम तपाक से बोला)

हां ऐसा ही तू सच कह रहा है । देखना,,,,, जो संतुष्टि जो सुख तेरे पापा मतलब कि मेरे पति नहीं दे सके वह तू दे रहा है। जो सुख जो एहसास एक पति को अपनी पत्नी को देना चाहिए,,

उस तरह का एहसास और सुख मुझे अपने बेटे से मिल रहा है। अब तो लगता ही नहीं है कि तू मेरा बेटा है मुझे तो तुझ में मेरा प्रमीं मेरा पति नजर आता है। जिस तरह से हम दोनों आपस में इतना खुल चुके हैं इस तरह से तो एक प्रेमी प्रेमिका या पति और पत्नी ही खुलते हैं।,,,,( स्टेरिंग पर अपनी हथेली का पकड़ जमाते हुए) सच शुभम मैं बहुत खुश हूं अच्छा ही हुआ कि ऊस रात कार में हम दोनों के बीच जो नहीं होना चाहिए था वह हो गया,,, और इसीलिए मैं आज इस तरह की जिंदगी जी सकने में सक्षम हो गई हो,,।

उस रात कार में जो कुछ भी हुआ वह भला कैसे नहीं होता,,,
( अपनी मां की बात सुनते ही शुभम बोला) जरा तुम ही सोचो मम्मी बरसती बारिश में हाइवे के किनारे घने पेड़ के नीचे जंगली झाड़ियों के बीच कार के अंदर अगर एक खूबसूरत औरत और एक जवान लड़का हो तो क्या कुछ नही हो सकता।

इसका मतलब तुझे मालूम था कि यह सब होने वाला है।
( निर्मला आश्चर्य के साथ बोली)

नहीं ऐसा कुछ तो लगा नहीं था।,, लेकिन मम्मी तुम ही सोचो जब एक खूबसूरत औरत यह कहे कि उसे पेशाब लगी है तब तो उस जवान लड़के का इतना सुनते ही उसके बदन में ना जाने कैसे-कैसे अरमान मचलने लगे होंगे।


उस समय तुझे ऐसा ही लग रहा था क्या?

और क्या जरा तुम ही सोचो यह कैसा लड़का जिसने कभी जिंदगी में औरत की खूबसूरत बदन को नग्नावस्था में ना देखा हो और ऐसे लड़के के सामने एक खूबसूरत औरत पेशाब लगने की बात करें जो कि औरत कभी भी मर्दों के सामने नहीं कहती है,,, खास करके अपने ही बेटे के सामने,,, और तो और जब उसके ही आंखों के सामने साड़ी उठाकर अपने खूबसूरत अंग को दिखाते हुए,,,, अपनी रसीली बुर से पेशाब की धार को बड़ी तेजी से मारने लगे,,, तो उस नजारे को देखने वाले लड़के पर क्या बीत रही होगी,,,,
( शुभम जिस तरह से उस रात को हुई घटना के बारे में उत्तेजित होकर बता रहा था यह देखकर निर्मला के तन-बदन में भी उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी उसे भी अपने बेटे की यह बात बड़ी ही रोमांचकारी लग रही थी। )


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