Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 03:21 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम का लंड अभी भी उसकी मामी के हाथ में था जो कि वह जोर-जोर से उसे मुठिया रही थी,, शुभम बहुत ही जोश से भरा हुआ था ना जाने कैसे वह अपने आप पर इतना कंट्रोल किया हुआ था नहीं तो अब तक तो उसका मोटा लंड ऊसकी मामी की बुर में होता,,, लेकिन वहां अपने मोटे लंड को उसकी बुर के अंदर बिठाने का प्रयास मैं लगा हुआ था। इसलिए तो वह अपनी मामी से बोला।

क्या सच में औरतों को लंड चूसने में मजा आता है (इतना सुनना था कि उसकी मामी तिरछी नजरों से उसे घूरने लगी,, और वह बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,)

नहीं मैं तो इसलिए पूछ रहा था कि उस औरत ने तो मेरा पूरा लंड अपने मुंह में लेकर किसी लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी और मुझे तो अजीब लग रहा था लेकिन वह खुद बोली थी उसे बहुत मजा आ रहा है,,, तो क्या सच में औरतों को लंड चूसने मे मजा आता है।,,
( शुभम अपनी मामी से पूछ रहा था लेकिन वह तो सुभम की ऐसी बात सुनकर एकदम से सन्ल हो गई थी आखिरकार वह क्या जवाब देती क्योंकि इस बारे में उसे बिल्कुल भी कोई अनुभव नहीं था लेकिन उसके मुंह से लंड चूसने वाली बात सुनकर उसकी भी उत्सुकता बढ़ गई थी लेकिन बोल कुछ नहीं रही थी,,,शुभम को इन मामलों में औरतों के मन में क्या चल रहा है इस बारे में बखूबी अनुभव हो गया था इसलिए वह अपनी मामी के चेहरे के बदलते हाव भाव को देखकर इतना तो समझ ही गया था कि इस बारे में जानने के लिए वह भी बहुत उत्सुक हैं। लेकिन फिर भी वह अपनी मामी के मुंह से सुनना चाहता था इसलिए दुबारा बोला,,,

बोलो ना मामी क्या यह सच है?
( शुभम की बात सुनकर ही उसकी बुर कि दोनों पंखुड़ियां फुदकने लगी थी।,, और रह-रहकर उसमें से मलाई नुमा नमकीन रस बाहर निकल रहा था। जतारा की बातें शुभम उसके साथ कर रहा था इस तरह की बातें वह आज तक अपने पति के मुंह से नहीं सुन पाई थी और ना ही इस तरह अश्लील बातें वह खुद ही की थी लेकिन शुभम के साथ उसे भी इस तरह की अश्लील बातें करने में मजा आ रहा था,,,, इसलिए वह भी कसके शुभम के लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ते हुए बोली,,,,

तू तो मुझसे ऐसे पूछ रहा है कि जैसे उस औरत की तरह मैंने भी ऐसा काम कि हूं,,,,

अरे तुम भी तो एक औरत हो तो जिंदगी में कभी ना कभी तो उस औरत की तरह काम की होगी,,,

धत्त,,,,, मैंने आज तक ऐसा काम कभी नहीं की और ना कभी इस बारे में सोची भी होंगी कितना गंदा लगता है सोच कर ही।

पर मामी जब ये गंदा काम है तो वह औरत क्यों ऐसा कर रही थी,,,

मुझे क्या पता कि वह क्यों कर रही थी तुझे ही पता होगा तेरे साथ ही तो कर रही थी,,,

( शुभम बेहद चालाक हो गया था वह जानता था कि ओरतों को किस तरह से लाइन पर लाया जाता है,,, इसलिए वह बोला,,,।)

मेरे साथ कर रही थी लेकिन क्यों कर रही थी यह तो मुझे नहीं पता ना,,,,
( इतना कहकर शुभम शांत हो गया वह जानता था कि उसकी मां में इस बारे में जानने के लिए बेहद उत्सुक है और वह खुद ही जरूर पूछेगी इसलिए वह आराम से खड़े होकर हल्के हल्के अपनी कमर को हिलाते हुए अपनी मामी के हाथों से मुठ मरवा रहा था। उसे बहुत मजा आ रहा था साथ में उसकी मामी भी मस्त हुए जा रही थी।,, इसलिए तो उसकी हाथों की गति बढ़ती जा रही थी लेकिन वह इस बात से भी बेहद हैरान थी कि काफी समय से वह अपने भांजे के लंड को हिला रही थी लेकिन अभी तक उसमें से पानी नहीं निकला था।
दोनों के बीच कुछ देर तक खामोशी छाई रही कमरे का वातावरण गर्मी के मौसम में और भी ज्यादा तपने लगा था। वैसे कमरे में वातावरण की गर्मी से कहीं ज्यादा उसकी मामीे की खूबसूरत बदन की गर्मी अपना असर दिखा रही थी।,,, जब शुभम कुछ नहीं बोला तो वह खुद ही चुप्पी तोड़ते हुए बोली,,,

क्या शुभम जो तू कह रहा है क्या वह बिल्कुल सच है,,,।

कसम से मामी (अपने गले पर हाथ रखते हुए ),,५मैं जो कह रहा हूं बिल्कुल सच कह रहा हूं,,,,

तो क्या सच में वह औरत तेरे लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी।
( उसकी मामी भी गंदे शब्दों का प्रयोग रह-रहकर एकदम खुलकर कर रही थी,।)

हां मामी मुझे तो अब भी यकीन नहीं हो रहा है कि वह औरत इस तरह की हरकत कर सकती हैं,,,

उसे कैसा लग रहा था?

जिस तरह से वह आवाज निकाल रही थी उस हिसाब से तो उसे अच्छा ही लग रहा था और वह तो बोल भी रही थी कि उसे लंड चूसने में बहुत मजा आता है। और जब मैं उसे बोला कि यह तो गंदा काम है ऐसा क्यों करती हो,,, तो वह क्या बोली तुम्हें मालूम है,,,
( शुभम की बातें सुनकर उसकी मां की उत्तेजना से भर चुकी थी इसलिए उसके मुंह से शब्द नहीं फूट रहे थे वह केवल सिर हिला कर शुभम कोे वह क्या बोली यह इशारे में बताई,,,, अपनी मामी की उत्सुकता देखकर शुभम बोला,,।)

वह बोली की ( हल्के हल्के अपनी कमर हिलाते हुए)
तू अभी बुध्दु है तुझे नहीं पता कि लंड चूसने में औरतों को कितना मजा आता है। और सच तो यही है कि चुदवाने से पहले अगर औरत लंड चूस कर खड़ा कर दे दो आदमी उसे और मस्ती के साथ चोदता है जिससे उसका मजा दोगुना हो जाता है,,,।
( शुभम की रसीली बातें सुनकर वह किसी कल्पना में जैसे खोने लगी हो,, इस तरह से उसके हाव-भाव बदल रहे थे। वह बोल कुछ नहीं रही थी बस केवल जोर-जोर से शुभम के लंड को हिलाए जा रही थी।,,, शुभम अपनी मामी को ख्यालों में खोया हुआ देखकर फिर से बोला,,,।
04-01-2020, 03:22 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
सच में मामी तुमने कभी भी ऐसा नहीं की,,,
( बोली कुछ नहीं केवल ना में सिर हिला कर जवाब दि,,,)

क्या मामी,,,, जिस तरह से वह औरत बता रही थी मुझे तो ऐसा लगता है कि सारी औरतें चुदवाने से पहले आदमी के लंड को जरूर चुस्ती है।,,,

लेकिन मैंने कभी नहीं चुसी (वह तपाक से बोली),,,

मुझे तो लग रहा था कि आप भी उस औरत के कहे अनुसार जरूर लंड चूसती होंगी,,,

अच्छा यह बता तुझे कैसा लग रहा था।( चेहरे पर उत्तेजना के भाव लिए हुए वह बोली,,,।)

मामी सच कहूं तो मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि औरते इस तरह की भी हरकत करती होंगी,,,, लेकिन एक अजीब प्रकार का सुख मुझे मिल रही था। जिसे मैं शब्दों में बयां नहीं कर सकता।,,,
( शुभम की रसीली बातों की चोट उसकी बुर के गुलाबी पत्तियों पर ठोकर मार रही थी,,, उसे तो इस तरह की बातें सुनकर ही परम सुख की अनुभूति हो रही थी तभी तो उसकी बूर से निकल रहे मदन रस की वजह से उसका बिस्तर गीला होने लगा था।,,, वहलशुभम के मुंह से और ज्यादा सुनना चाहती थी इसलिए बोली,,,।)

कैसा सुख तुझे मिल रहा था मुझे भी बताएगा,,,

मामी अब मै तुम्हें कैसे बताऊं कि किस तरह का सुख मुझे मिल रहा था मैं कह तो रहा हूं जिंदगी में पहली बार वैसे सुख का एहसास मुझे हुआ था इसलिए बता पाना बिल्कुल ही मुश्किल है। कुछ इस तरह का सवाल तुम मुझसे पूछ रही हो यही सवाल मैं उस औरत से पूछा तो उसने भी मुझे इसी तरह का जवाब दी थी तो इतना तो तय है कि लंड चूसने में ओर चुसवाने में बेहद आनंद की प्राप्ति होती है।,,,,
( इतना कहकर शुभम एकदम शांत हो गया पूरे कमरे में सन्नाटा पसर गया ना तो उसकी मामी कुछ बोल रही थी और ना ही शुभम,,, शुभम अपने मन में आगे का प्लान बना रहा था वैसे भी कमरे का नजारा उत्तेजना से भरपूर था उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि उसकी सगी मामी बिस्तर पर इस तरह से अर्धनग्न अवस्था में बैठी होगी और ठीक उसके करीब वह अपना लंड उसके हाथ में दिए हुए खड़ा होगा।,,, शुभम अपनी मामी के चेहरे पर के हाव भाव को पढ़ रहा था जिस पर से साफ मालूम पड़ रहा था कि लंड को मुंह में लेकर चूसने की उत्सुकता उसके मन में भी बढ़ रही है,,, इसलिए वह बात को आगे ना बढ़ा कर सीधे सीधे बोल दिया,,।

एक काम क्यों नहीं करती मामी,,, अब देखो मैं तुम्हें बता नहीं पा रहा हूं कि मुझे लंड चुसवाने में कितना मजा मिल रहा था और यह भी बयां नहीं कर पा रहा हूं कि उस औरत को कितना ज्यादा मज़ा आ रहा था,,, तो क्यों ना ऐसा करें कि,,( थोड़ा सोच कर)
अब पता नहीं तुम्हें मेरी बात कैसी लगेगी हो सकता है तुम नाराज भी हो जाओ लेकिन,,,,लेकीन,,, ( इतना कहकर शुभम फिर से खामोश हो गया,,, शुभम जिस तरह से बोल रहा था उसकी मामी को थोड़ा बहुत शंका जरूर हो रहा था कि वह क्या कहना चाहता है।,, और जो वह कहना चाहता है इस बारे में सोच कर ही उसकी बुर से पानी की बूंदे टपकने लगी,,, और वह बोली,,,।)

तू कहना क्या चाहता है जरा खुल कर बोल,,,

मामी मैं यह कहना चाहता हूं कि,,, पहले यह बताओ कि तुम्हें अगर बुरा लगेगा तो तुम मुझे डांटोगी नहीं,,,

अच्छा चल मैं तुझे कुछ भी नहीं बोलूंगी (कुछ सेकंड तक सोचने के बाद बोली।)

देखो मामी तुम वादा की हो इसलिए मुझे कुछ बोलना नहीं यह बात मेरे मन में आई इसलिए बोल रहा हूं,,,
उस औरत को कितना मजा आया अगर यह जानना है तो,,,,,, तो क्यों ना सिर्फ एक बार ज्यादा नहीं बस एक बार,, तुम मेरे लंड को (लंड की तरफ देखते हुए) मुंह में ले कर देख लो,,,
( इतना सुनते ही जैसे कि उसकी फूली हुई बुर जोर जोर से सांस ले रही हो इस तरह से फुदकने लगी,,, उसे खुद के द्वारा लंड चूसने के बाद से ही इतनी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव होने लगा कि वह झड़ गई,,, उसका तनबदन एक दम से कसमसा गया। उसकी मुट्ठी एकाएक शुभम के लंड पर कसती चली गई,,, और इतना ज्यादा करती चली गई थी कुछ देर में ही शुभम के मुंह से हल्की सी चीख निकल गई और अगर वह मुंह से चीख नहीं निकालता तो शायद उसकी मामी और ज्यादा दबाती चली जाती,,, शुभम की चीख सुनकर जैसे उसका ध्यान टूटा हो इस तरह से वह शुभम की तरफ देखने लगी,,, अपनी मामी को अपनी तरफ देखता हुआ पाकर वह बोला,,,

क्या करती हो मामी कितना दर्द करने लगा था,,,
( शुभम की बात सुनकर वह शर्म के मारे कुछ बोल नहीं पाई।,,, वह बातों का मोड़ घुमाते हुए बोली,,,)

लेकिन सुभम मैंने कभी भी जिंदगी में जो तू बोल रहा है वैसा नहीं की हूं।

मैं जानता हूं मामी लेकिन हर काम जिंदगी में पहली बार ही किया जाता है अब देखो ना मुझे क्या मालूम था कि वह औरत मेरे साथ उस तरह का काम करेगी वह भी तो मेरे साथ पहली बार ही कर रही थी,,

शुभम अपनी मामी को अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों से बहला रहा था। और उसकी मामी भी अपनी ऊफान मारती जवानी पर बिल्कुल भी कंट्रोल नहीं कर पा रही थी। वह मन ही मन सोच रही थी कि अगर सुबह जो कह रहा है सच है तो उसे भी एक बार आजमा ही लेना चाहिए हो सकता है औरतों को इसमें कुछ ज्यादा ही सुख मिलता हो,,,, वह अपने आप को शुभम के लंड को अपने मुंह में लेने के लिए पूरी तरह से तैयार कर चुकी थी।,,, वह तो एक झटके में ही शुभम के लंड को पूरी तरह से अपने गले में उतार लेना चाहती थी लेकिन शर्म की दीवार उसे रोक रही थी,,, वह चाह रही थी कि शुभम खुद अपने लंड को उसके मुंह में डालें ताकि उसे खुद पर शर्मिंदा ना होना पड़े,,, इसलिए वह उत्तेजना से भर कर शुभम के लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़कर आगे की तरफ खींच रही थी जिसकी वजह से शुभम को बहुत मजा आ रहा था लेकिन अपनी मम्मी को कुछ भी जवाब देता हुआ ना देख कर एक बार फिर से वह बोला

क्या हुआ मामी,,, तुम खामोश क्यों हो गई आखिरकार तुम्हें भी अनुभव ले लेना चाहिए औरत होकर अगर औरतों वाली हरकत और औरतों के हक़ का सुख ना मिल पाए तो ऐसी जिंदगी किस काम की,,,

लेकिन शुभम मुझे बहुत शर्म आ रही है मैंने कभी भी ऐसा नहीं की और अगर किसी को पता चल गया तो,,,
( उसकी मामी शुभम की बात सुनकर बोली,,, यह उसका पहली बार ही था इसलिए मन में थोड़ा डर बना हुआ था लेकिन औरतों के मुंह से यह कहना कि अगर किसी को पता चल गया कोई देख लिया कुछ हो गया इन सब बातों का एक ही मतलब होता है कि औरत पूरी तरह से तैयार है और एक बात को शुभम भी अच्छी तरह से समझ गया था और यह भी समझ गया था कि उसे खुद ही आगे बढ़ना होगा,,, इसलिए वह बोला।)

क्या मामी बेवजह डर रही हो किसी को कुछ भी पता नहीं चलेगा,,, बस तुम एक बार हां कर दो बाकी सब मैं संभाल लूंगा,,,

( शुभम की बात सुनकर उसे थोड़ी हिम्मत आई लेकिन जवाब मे वह कुछ भी नहीं बोली,,, बस हल्का सा इशारा रुपी हामी भरते हुए वह अपने बंद होठों को शुभम की नजरों में झांकते हुए हल्के से खोल दी,, शुभम अपनी मामी का इशारा समझ गया,, वह समझ गया था कि उसकी मामी को शर्म महसूस हो रही है लेकिन वह भी अपने मुंह में लेना ही चाहती है,,, अब उसे समझाने में अपना वक्त जाया नहीं करना चाहता था इसलिए बिना कुछ बोले,,, एक हाथ से अपनी मामी का हाथ पकड़कर अपने लंड के ऊपर से हटाया और धीरे धीरे अपनी कमर वाला भाग आगे की तरफ बढ़ाने लगा उसकी मामी शुभम की इस हरकत का मतलब समझ गई थी,,,
उत्तेजना और उत्सुकता के मारे उसका दिल जोरों से धड़क रहा था,,, अब हालत यह हो गई थी कि वह चाहती तो भी शुभम को आगे बढने से रोक नहीं पाती धीरे धीरे शुभम का मूसल जैसा लंड उसके मुंह के बिल्कुल करीब आ गया था। इतना करीब कि सुपाड़े की गर्मी उसे अपने होठों पर महसुस हो रही थी कामोत्तेजना से भरी हुई उसकी मामी की बुर फुदकने लगी थी।,,, शुभम का दिल भी जोरों से धड़क रहा था।
04-01-2020, 03:22 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम की जिंदगी में अब तक यह तीसरी औरत थी जो उसके लंड को चूसने जा रही थी। इससे पहले शुभम ने अपने लंड को दो औरतों को चुसवा चुका था। एक उसकी खुद की सगी मां थी और दूसरी थी उसकी अध्यापिका शीतल औरत दूसरी औरत उसकी खुद की सगी मामी,,, जिसके तपते गुलाबी होठों के बिल्कुल करीब अपने मोटे तगड़े लंड को ला चुका था जिसकी तपीश उसकी मामी अपने रसीले होठों पर महसूस कर रही थी,, जिंदगी में पहली बार आज वह लंड को अपने फोटो के इतने करीब तक महसूस की थी वरना उसने तो लंड को अगर पकड़ी भी थी तो अंधेरे में ही,,,और वह भी अपनी जांघो के बीच तक ही,,, इसलिए तो अजीब सी हलचल उसके बदन में मच रही थी देखते ही देखते शुभम ने अपने लंड के मोटे सुपाड़े को अपनी मामी के गुलाबी होठों से सटा दिया।,,,, जैसे ही लंड को मोटा सुपाड़ा उसके होठों से स्पर्श हुआ एकाएक उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर पूरी तरह से अपने वश में करते हुए जकड़ ली,,, उसे तो जैसे कुछ पता ही नहीं चला वह तों वैसे ही जड़वंत होकर अपने होठों को हल्के से खोले हुए शुभम की आंखों में ही देखती रह गई,,,
शुभम उत्तेजना की लहर में बहने लगा था अपनी मामी के गुलाबी नरम नरम होठों पर अपने मोटे लंड के गर्म सुपाड़े को स्पर्श करा कर ऐसा महसूस कर रहा था कि जैसे बोले कोई बेशकीमती खजाना हाथ लग गया हो अपनी खुशी को वह जाहिर नहीं कर सकता था,,, केवल उसे महसूस कर पा रहा था वह पहले तो अपने लंड के सुपाड़ेे को हल्के हल्के से उसके गुलाबी होठों पर रगड़ना शुरू कर दिया,,, जिसकी वजह से उत्तेजना के मारे ऊसके मोटे लंड में रक्त का संचार बड़ी तीव्र गति से होने लगा और उसकी नशे लंड की ऊपरी सतह पर ऊभरना शुरू हो गई। शुभम इतने दिनों से इतना ज्यादा पड़ चुका था कि उसे लगने लगा कि कहीं उसकी नसें फट ना जाए वह कुछ देर तक वैसे ही होठों से लंड का सुपाड़ा रगड़कर खेलता रहा,,, उसकी मां भी थी इस अद्भुत एहसास को अपने अंदर उतारते हुए मदहोशी का अनुभव करते हुए आनंदित होकर अपनी आंखों को मूंद ली और इस एहसास को अपने तन बदन मैं हल्के हल्के उतारने लगे उसे इतना ज्यादा मजा आ रहा था कि वह कुछ बोल नहीं पा रही थी बस उसकी सांसों की गति तीव्र होने लगी थी। होठो पर जेसेे उसका बिल्कुल भी नियंत्रण नहीं रह गया था,,, शुभम अपने मोटे से पानी के जरिए जिधर चाहे उधर उसके नरम नरम होठों के रुख को मोड़ दे रहा था,,, मदहोशी के आलम के बीच हल्के से खुले होठों पर अपने कठोर लंड को रगड़ते रगड़ते इतना ज्यादा मदहोश हो गया कि वह धीरे से मोटे कपड़े को गुलाबी होठों के बीच प्रवेश कराने लगा,,, उसकी मामी के होंठ बस इतने ही खुले थे कि उसमें सिर्फ एक उंगली भर जा सकती थी लेकिन जैसे ही शुभम ने सुपाड़े को अंदर डालने का प्रयास किया वैसे ही खुद-ब-खुद उसके गुलाबी होंठ खुलते चले गए,,, क्योंकि उसकी मामी भी यही चाहती थी जो कि शुभम चाहता था। उत्तेजना और उत्सुकता इतनी ज्यादा बढ़ गई थी कि जल्द से जल्द उसकी मम्मी लंड के अद्भुत स्वाद को चख लेना चाहती थी इसलिए तो शुभम जैसे-जैसे अपने लंड को सुपाड़े को अंदर की तरफ ठेलता गया वैसे ही वैसे उसके गुलाबी होठों का रास्ता अपने आप चौड़ा होता चला गया,,,, जो कि इस बात को जाहिर कर रही थी कि उसकी मामी भी उसके लंड को मुंह में लेने के लिए आतुर है। शुभम का पूरा सुपााड़ा उसके गुलाबी होठों के बीच फंसा हुआ था। अब क्या करना है उसकी मम्मी को इस बारे में बिल्कुल भी ज्ञान नहीं था लेकिन शुभम जानता था कि अपनी मामी से कैसे काम निकलवाना है उसकी मामी तो शर्म के मारे अभी भी अपनी आंखों को मूंदे हुए बस वैसे ही लंड को अपने होंठों के बीच फसाए हुए बैठी थी। शुभम की सांसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी,,, वह तो सुबह में था कि इतनी देर तक टिका हुआ था वरना उसकी जगह कोई और होता तो ना जाने कब से पानी फेंक दिया होता। अपनी उत्तेजना को अपने वश में कर कर औरत को किस तरह से मुक्त किया जाता है शुभम पूरी तरह से सीख चुका था और यही हुनर तो औरतों को उसका दीवाना बना देती थी। कुछ देर तक यूही नरम-नरम होठों के एहसास को अपने मोटे सुपाड़े पर महसूस करके शुभम मदहोश होने लगा,,,। और दूसरी तरफ उसकी मामी पूरी तरह से उसके लंड को अपने मुंह में लेकर चूस ना चाहती थी लेकिन उसे शर्म महसूस हो रही थी इसलिए वह खुद आगे बढ़ना नहीं चाहती थी।,,, शुभम समझ गया कि उसकी मां में शर्म आ रही है और वह खुद आगे बढ़ने से कतरा रही हैं,,, इसलिए वह खुद ही बोला,,,

क्या हुआ मामा अब चुसो ना,,,,, देखो पहले अपनी जीभ को सुपाड़े पर गोल गोल इधर-उधर घूमाओ,,,,
( शुभम की यह बात सुनते ही जैसे उसे दिशा निर्देश मिला हो और वह सब कुछ समझ गई और धीरे-धीरे अपने जीभ को लंड के सुपाड़े के इर्द-गिर्द घुमाना शुरू कर दी।,,,,

बस ऐसे ही मामी,, ऐसे ही अपनी जीभ को फिराती रहो, जैसे कि आइसक्रीम पर घुमाती हो,,,,,आहहहहहहहह,,,,, मामी,,,, तुम तो बहुत अच्छा कर रही हो बस ऐसे ही करती रहो,,,

( शुभम मदहोश है क्या हुआ उसकी तारीफ कर रहा था ताकि वह और मस्ती के साथ उसके लंड को चुसे,,, और जैसा वह चाह रहा था वैसा हो भी रहा था। देखते ही देखते वह इतनी मस्ती के साथ उसके लंड के सुपाड़े को चूसना शुरू कर दी कि लग ही नहीं रहा था कि यह पहली बार चूस रही है। शुभम तो एकदम मदहोशी के झूले में झूलने लगा था उसे तो यकीन ही नहीं हो रहा था कि यह उसकी मामी है। अब तक उसकी मामी केवल सुपाड़े को ही चुस रही थी। शुभम अब अपनी मामी के मुंह में अपना पूरा लंड डालकर चुशवाना चाहता था।,,,
लेकिन पहले यह जानना जरूरी था कि उसे मजा आ रहा है कि नहीं लेकिन अनुभवी शुभम को इतना तो ज्ञात हो चुका था कि लंड चूसने में उसकी मामी को भी मजा आ रहा है। फिर भी यह बात वहां उसके मुंह से यही सुनना चाहता था इसलिए वह बोला,,,।

ओहहहहहह,,, मामी अब बताओ तुम्हें कैसा लग रहा है,,,?
( इतना सुनते ही उसकी मामी सक पका गई,, अब अच्छा तो उसे भी लग रहा था लेकिन ऐसे कैसे बोल दे कि उसे मजा आ रहा है वैसे भी मर्दों को अक्सर शर्मीली औरतों के कुछ ज्यादा ही नखरे उठाने पड़ते हैं। इसलिए वह बोली कुछ नहीं बस उसी तरह से अपनी जीभ को लंड की गोलाई पर गोल गोल घुमाती रही।,, जो बात शुभम अपने मन में सोच रहा था वही हुआ इसलिए वह बोला,,,,।

मामी अगर बोलने में शर्म आ रही हो तो कुछ इशारा ही कर दो ताकि मुझे भी तो लगे कि तुम्हें मजा आ रहा है,,।

( इस बार शुभम नहीं उसका काम आसान कर दिया इसलिए वह मुंह में सुपाड़े को भरे हुए अपने सिर को हां में हिला दी बस फिर क्या था उसकी तरफ से शुभम के लिए यह एक खुली छूट थी,, इसलिए वह बिना समय गवाएं ही अपनी कमर को आगे की तरफ करते हुए धीरे-धीरे अपने समुचे लंड को,,, उसके मुंह में उतारने लगा,, वह भी समझ गई थी शुभम क्या करना चाहता है इसलिए वह उत्तेजनात्मक रूप से सांसे भरते हुए धीरे-धीरे अपने मुंह में अपने भांजे के लंड का स्वागत करते हुए अंदर लेने लगी। कुछ ही सेकंड में शुभम ने अपना समुचा लंड अपनी मामी के मुंह में डाल दिया,,,, उसकी मामी को बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी उसने कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि लंड चूसने में इतना ज्यादा मजा आता है।,,, मन में यह बात भी उसे परेशान कर रही थी कि उसके पति ने इस तरह का सुख उसे कभी भी नहीं दिया।,,, इसलिए तो वह मजे ले लेकर शुभम के लंड को चुसना शुरू कर दी,, शुभम की तो हालत पल पल खराब होने लगी,, उसे इस बात की उम्मीद बिल्कुल भी नहीं थी कि उसकी मामी इतने अच्छे तरीके से लंड को चूसेगी,, जब-जब उसकी जीभ ऊपर से नीचे की तरफ गोलाई में घूमती थी तो शुभम को ऐसा महसूस हो रहा था कि वह हवा में झूल रहा हो।,,, शुभम से रहा नहीं गया और वह अपने दोनों हाथ को आगे बढ़ाकर अपनी उंगलियां उसके रेशमी बालों में उलझाकर हल्के हल्के सहलाते हुए अपनी कमर को आगे पीछे करके उसके मुंह को ही चोदना शुरू कर दिया,,, शुभम की इस तरह की हरकत से उसकी मामी एकदम से मस्त होने लगी,,,, उत्तेजना से भरपूर शुभम कभी-कभी तो अपने समुचे लंड को उसके गले तक उतार देता जिसकी वजह से उसकी सांसे रुँधने लगती,,, लेकिन फिर भी वह लंड को बाहर निकालने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रही थी,,, कमरे का माहौल पूरी तरह से गर्म हो चुका था। गर्मी के मौसम में बदन की तपिश दोनों से बिल्कुल भी सहन नहीं हो रही थी जिसकी वजह से दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे।
जिस तरह का माहौल बन चुका था उसे देखते हो एकदम पूरी तरह से छूट ले रहा था तभी तो वह अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ बढ़ाकर ब्लाउज के ऊपर से उसकी बड़ी बड़ी चूचियो को दबाना शुरु कर दिया था,,, उसकी मम्मी भी उत्तेजना से परिपूर्ण हो चुकी थी इसलिए तो उसे बिल्कुल भी नहीं रोकी और देखते ही देखते शुभम ने ब्लाउज के सारे बटन खोल कर उसकी चूचियों को आजाद कर दिया वैसे भी उसकी मामी ब्लाउज के अंदर ब्रा नहीं पहनती थी इसलिए ब्लाउज के बटन खोलते ही उसके दोनों चूचियां पके हुए पपीते की तरह लटकने लगे,,,, चुचियों का आकार पपीते की ही तरह था जिसे देखते ही शुभम के मुंह में पानी आने लगा,,, शुभम उन चूचियों को अपने मुंह में भर कर पीना चाहता था लेकिन इस समय वह लंड चुसाई में उलझा हुआ था जिसकी वजह से उसकी मामी की चुचियों तक सिर्फ उसके हाथ ही पहुंच पा रहे थे। फिर भी अपनी प्यास बुझाते हुए वहां अपनी मामी की बड़ी बड़ी चूचियां को जोर-जोर से दबाता हुआ हल्के-हल्के अपनी कमर भी हीला रहा था। शुभम के साथ साथ उसकी मामी का भी मजा दोगुना होता जा रहा था,,,, कुछ देर तक ऐसे ही सुभम अपनी मामी को अपना लंड दिखाकर और उसकी चूचियों को दबा दबा कर मजा लेता रहा और उसे मजा भी देता रहा,,, जितनी मस्ती के साथ शुभम चुचीयों को दबा रहा था, शायद ही उसके पति ने दबाया हो,,,, शुभम को ऐसा लगने लगा था कि कुछ देर तक अगर उसका लंड उसकी मामी ने चुसा तो उसका पानी निकल जाएगा और शुभम ऐसा बिल्कुल भी नहीं चाहता था।

इसलिए शुभम ने अपने लंड को मुंह में से बाहर खींच लिया जो कि जिसकी उम्मीद उसकी मामी को बिल्कुल भी नहीं थी क्योंकि ऊसे बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी और वह चाहती थी कि ऐसे ही उसका लंड चूसती रहे।,,,, जैसे ही उसके मुंह से मोटा तगड़ा लेने बाहर निकला वह जोर जोर से सांसे लेते हुए हांफने लगी। मुंह से रंग बाहर निकल जाने के बावजूद भी वह ललचाई नजरों से शुभम के लंड की तरफ ही देख रही थी जोकि उस के थुक ओर लार से पूरी तरह से सना हुआ था । शुभम की मामी का मुंह खुला का खुला रह गया था। उत्तेजना के मारे उसका चेहरा लाल सुर्ख हो गया था। शुभम अपनी मामी की तरफ देख कर मुस्कुरा रहा था और हांफते हुए बोला,,,

अब बोलो मामी कैसा लगा,,,,

( जवाब में उसकी मामी मुस्कुराने लगी लेकिन बोली कुछ नहीं तभी उसका ध्यान उसके खुले हुए ब्लाउज पर गया तो वह आश्चर्य भरी नजरों से शुभम की तरफ देखने लगे शुभम भी अपनी मामी के चेहरे पर आए भाव को समझ रहा था,,, इस बार वह थोड़ी गुस्से में देख रही थी क्योंकि मन ही मन सोच रही थी कि ईसकी इतनी हिम्मत हो गई कि अपने आप ही ब्लाउज के बटन खोलकर अपनी मनमानी करने लगा,,, शुभम को भी ऐसा लगने लगा कि वह उसे गुस्से मे हीं देख रही है इसलिए थोड़ा सा भयभीत हो गया,,, लेकिन तभी हालात और माहौल को देखते हुए उसकी मांमी भी हंसने लगे अपनी मामी को हंसते हुए देखकर शुभम को राहत हुई,,, हंसते हुए हैं अपने ब्लाउज के बटन को वापस बंद करते हुए बोली,,,।

यह तूने कब खोल दिया,,,,
( उसका इतना कहना ही था कि शुभम ने अपना हाथ आगे बढ़ा कर उसका हाथ पकड़ते हुए बोला,,।)

रहने दो ना मामी ये वैसे ही बहुत खूबसूरत लगते हैं।

( शुभम का इतना कहना था कि उसके हाथ खुद-ब-खुद रुक गए और वहां एक बटन को बंद कर चुकी थी लेकिन शुभम की बात सुनकर वह तुरंत उस बटन को भी खोल दी,, शुभम की आंखों में छाई खुमारी को वह साफ साफ पढ़ पा रही थी,,, उसकी आंखों में छाई मस्ती को देखकर वह मन ही मन सोचने लगी थी इस तरह का प्यार उसका पति क्यों नहीं दे पाता,,, वह सब सोच ही रही थी कि तभी सुभम अपना हाथ आगे बढ़ा कर पपाया सामान चूची को पकड़कर दबाने लगा,,, उसकी हरकत से ईस बार उसके मुंह से सिसकारी छूट गई,।

ससससहहहहह,,,, शुभम यह क्या कर रहा है । (मस्ती भरी आवाज में बोली।,, जो कि उसे रोकने के लिए नहीं बल्कि आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर रहे थे शुभम भी उसकी आवाज में छुपी हुई मदहोशी को भांप गया था,,, और रुके बिना ही दोनों हाथ से जोर जोर से चुचियों को दबाते हुए बोला,,,।

दबा रहा हूं मामी,,, ना जाने मुझे क्यों इन्हें दबाने में बहुत मजा आता है। मैं उस आंटी के चुचीयों को भी जोर-जोर से घंटो दबाता रहता था।

दबाता ही रहता था या और कुछ भी करता था,,,,
( शुभम अपनी मामी की बात सुनकर इतना तो समझ ही गया था कि उनका इरादा कुछ और भी है क्योंकि यह सवाल में सवाल कम हिदायत ज्यादा नजर आ रही थी जो कि शुभम अच्छी तरह से समझ गया था,,। इसलिए
वह भी बोला,,,।)

सच कहूं तो मामी दबाने में तो मजा आता ही है लेकिन मुंह लगाकर पीने में और भी ज्यादा मजा आता है।
( शुभम का जवाब सुनकर ऊसकी मम्मी की बांछे खिल गई,,, क्योंकि उसे अपनी शादी वाली रात याद है जब उसके पति ने पहली बार और आखरी बार ही उसकी चूची को मुंह में लेकर खूब पिया था,,, शुभम की बातों में उसकी यादों को ताजा कर दी और वह भी चाहने लगी कि शुभम भी उसकी चूची को मुंह में लेकर खुब पीए,,, इसलिए तो शुभम की बात सुनकर बिना कुछ सोचे समझे ज्यादा विचार ना करके वह सीधे बोली,,,।)

तो तो मेरे साथ भी अपनी इच्छा पूरी कर ले दबाने के साथ-साथ इसे मुंह में लेकर जोर-जोर से पी,,,,
( फिर क्या था उसी पल का तो वह भी इंतजार कर रहा था और इसकी इजाजत मिलते ही शुभम तो जैसे चुचीयो पर टूट ही पड़ा,,, वह जोर-जोर से दबाते हुए जितना हो सकता था उतना चुची के निप्पल वाला हिस्सा अपने मुंह में भर कर पीना शुरु कर दिया,,,। उसकी मामी तो एकदम मदहोश हो गई,, पागलों की तरह एकदम कामोत्तेजित होकर शुभम को अपनी बाहों में भर कर उसे अपनी चूची पीने के लिए और ज्यादा उत्साहित करने लगी,,, शुभम भी जोर-जोर से चूची को दबाते हुए स्तन मर्दन करते हुए चुची के रस को पीना शुरू कर दिया।,, शुभम इतनी जोर जोर से दबा रहा था कि थोड़ी ही देर में उसकी बड़ी-बड़ी पपीते समान चुचीया एकदम लाल लाल हो गई है ऐसा लग रहा था कि पापैया पक गया हो।,,, शुभम जिस तरह से मुंह में भरकर उसके निप्पल को,, चूस रहा था उसकी मामी को बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था। वैसै भी चुची को दबाने और उसे चुसने पर औरतों की उत्तेजना में निरंतर बढ़ोतरी होती रहती है। शुभम की मामी भी उसी तरह से मजे लेते हुए एकदम चुदवासी होती जा रही थी,,,। तभी वह स्तन चूसाई का मजा लेते हुए बोली,,,

अच्छा मुझे यह बता कि तूने उस औरत के साथ और क्या-क्या करके मजा लिया,,,,
04-01-2020, 03:22 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
( इतना सुनते ही शुभम अपने मुंह में से अपनी मामी की चूची को बाहर निकालते हुए और उसकी आंखों में झांकते हुए धीरे से अपने एक हाथ को उसकी बुर पर रखते हुए बोला,,,, ।

मामी अगर मैं कहूंगा तो तुम्हें यकीन नहीं होगा (उस की रसीली बुर पर हल्के हल्के ऊंगलियों से कुरेदते हुए बोला जिसकी वजह से उसकी मामी के मुंह से सिसकारी निकल रही थी,,, और सिसकारी लेते हुए ही बोली,,,,

तू बोल मैं जरूर यकीन करूंगी,,,,,

शुभम की मनोकामना धीरे-धीरे पूर्ण होती नजर आ रही थी और हर ख्वाहिश के पूरी होने के बाद एक नई ख्वाहिश जन्म ले रही थी उसकी ख्वाहिश को पूरी करने के कगार पर शुभम धीरे-धीरे अपने कदम बढ़ा रहा था ऐसा नहीं था कि यह ख्वाहिश सिर्फ शुभम की हुई थी बरसों से दबी हुई ख्वाहिश को पूर्ण रूप देने के लिए उसकी मामी भी पूर्णत: तैयार थी,, वह कहावत है ना कि ताली एक हाथ से कभी नहीं बजती ताली बजाने के लिए दोनों हाथों को आपस में दिलाना जरूरी होता है उसी तरह से सिर्फ शुभम सोच भर लेने से अपनी मामी को भोग नहीं सकता था। उसे भोगने के लिए उसकी मामी की संपूर्ण स्वीकृति बेहद जरूरी थी,, और शुभम का साथ उसकी मामी बराबर दे रही थी तभी तो,,, वह बिस्तर पर अधनंगी अवस्था में बैठकर शुभम के हाथों से अपनी बड़ी बड़ी चूचियां को मसलवा रही थी।,,, यह पूछे जाने पर कि उस औरत के साथ तूने और क्या-क्या किया इस बात का जवाब देते हुए शुभम ने चूची पर से एक हाथ हटाकर सीधे उसकी जांघों के बीच झांटों के झुरमुटों के ऊपर से उसकी रेसीली बुर को सहलाने लगा,, जिसके कारण उसकी मामी के बदन में उत्तेजना जोर करने लगी,,, हल्की-हल्की उंगलियों का सहारा लेकर शुभम बुर की गुलाबी पत्तियों को कुरेदने लगा,,, जिसकी वजह से आनंदित होते हुए उसकी मामी के मुख से सिसकारी निकलने लगी,,,। और शुभम बोला,,,

मामी मैं अगर तुम्हें सच बताऊंगा तो तुम यकीन नहीं करोगी,,,
( शुभम अपना दांव फेकते हुए बोला,,, और उसकी मां भी तो पहले से ही एकदम मदहोश हो चुकी थी शुभम की बातों के साथ साथ उसकी हरकतों ने उसके बदन में कामज्वर को और भी ज्यादा बढ़ा दिया था। ऐसे हालात हो गया था कि शुभम की हर बात पर यकीन करना उसकी मामी के लिए मुनासिब हो चुका था इसलिए वह बोली,,।)

शुभम मुझे तेरी कोई बात से ईनंकार नहीं है इसलिए तू बेझिझक बोल दे।,,,
( शुभम को क्या था धीरे-धीरे वह बातों के पुल बनाने में माहिर हो चुका था इसलिए अपनी मनगढ़ंत बातों को नमक मिर्च लगाते हुए बोला,,,।)

मैंने आंटी की बुर को जीभ लगा कर चाटा था।,,,( इतना कहते हुए वह उसकी उत्तेजना को और बढ़ाने के उद्देश्य से अपने बीच वाली उंगली को हल्कै से गुलाबी पत्तियों के बीच में प्रवेश करा दिया,, जिससे वह एकदम से मदहोश हो गई और सिसकारी भरने लगी,,,,।

ससससहहहहहह,,,, ( आंखों को मुंदते हुए) यह क्या कह रहा है तू कहीं तू मुझे बना तो नहीं रहा,,,

मामी मैं कहा था ना,,की तुम यकीन नही करोगी,,,,
( ईसलिए बार वह अपनी बीच वाली ऊंगली को पूरी की पूरी बुर में घुसेड़ दिया जिसकी वजह से इस बार उसकी चीख निकल गई,,,,।)

आहहहहहहहहह,,,,, मैं कैसे तेरी बात पर यकीन कर लूं तू बोल ही कुछ ऐसा रहा है कि जिसमें यकीन करने जैसा कुछ भी नहीं है,,,।( वह बात को आगे बढ़ाते हुए बोली लेकिन पूरी उंगली डालने की वजह से वह दर्द के बारे में जरा सा भी जिक्र नहीं की क्योंकि संपूर्ण उंगली प्रवेश कराने पर उसे भी दर्द के साथ साथ मजा आ रहा था। और वैसे भी शुभम जो बात कह रहा था उस पर उसकी मामी को रत्ती भर भी यकीन नहीं हो रहा था क्योंकि उसने ना तो कभी बुर चाटने वाली बात सुनी ही थी और ना ही कभी चटवाई थी,,, क्योंकि वैसे भी वह गांव में रहने वाली सीधी साधारण औरत के सेक्स का ज्ञान बस दो टांगो को खोलकर बुर में लंड लेने जितना ही था,,, इससे ज्यादा ज्ञान ना तो उसे और ना ही उसके पति ने कभी इससे ज्यादा ज्ञान उसे दिया था,,, इसलिए तो वहां शुभम की बात सुनकर एकदम अचंभित हो चुकी थी।,, फिर भी शुभम अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।

मामी मैं जो बोल रहा हूं वह एकदम शत प्रतिशत सच है। ( वह हल्के हल्के अपनी उंगली को बुर के अंदर बाहर करते हुए बोला)

लेकिन यह कैसे मुमकिन है तु अच्छी तरह से जानता है कि जिस चीज को तू चाटने की बात कर रहा है वहां से पेशाब किया जाता है तो उस गंदे स्थान को कोई किस तरह से अपनी जीभ लगाकर चाटेगा,,,,

मामी तुम बिल्कुल भी यकीन नहीं कर रही हो लेकिन मैं जो बोल रहा हूं कसम से वह झूठ नहीं है हां किसी और के मुंह से मैं सुना होता तो शायद मुझे भी ऐसा ही लगता जैसे कि तुम्हें लग रहा है, लेकिन यह तो मैं खुद कर चुका हूं इसलिए इसमें रत्ती भर भी झूठ नहीं है ।(इस बार बहुत तेजी से अपनी उंगली को भूल के अंदर बाहर चलाते हुए बोला जिसकी वजह से उत्तेजना के मारे उसकी मामी की सांसे ऊपर नीचे होने लगी)

आहहहहहहहह,,,,, जो तू बोल रहा है सच में मुझे बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है मैं कैसे तेरी बात पर यकीन करु,,,( आंखों को मूंदे हुए वह शुभम की कंपनी का मजा लेते हुए बोल रही थी उसे शुभम की बात पर यकीन नहीं हो रहा था लेकिन उत्सुकता भी बढ़ती जा रही थी क्योंकि वह जानती थी कि शुभम जो बोल रहा है वह सच ही होगा क्योंकि उसे पहले लंड चूसने वाली बात भी झूठ ही लग रही थी,,,, शुभम अपनी मामी की फूली हुई बुर में उंगली को बड़ी तेजी से अंदर बाहर करते हुए उसे चोद़ रहा था। अब जल्दी से जल्दी भाभी अपनी मामी की बुर के नमकीन स्वाद को चखना चाहता था इसलिए वह कोई रास्ता ना देख कर अपनी बात मनवाते हुए बोला,,,,।


अच्छा मामी सुनो अपनी आंखों को खोलो और देखो,,
( शुभम की बातों को सुनकर वह धीरे से अपनी आंखों को खोलकर शुभम की तरफ देखने लगी,, शुभम भी उसकी तरफ देखते हुए अपनी नजरों को उसके घर की तरफ नीचे झुका लिया जिसकी वजह से उसे भी अपनी नजरों को नीचे बुर की तरफ झुकाना पड़ा,,, अपनी बालों से भरी बुर के अंदर शुभम की उंगली को बड़ी तेजी से अंदर बाहर होता हुआ देखकर वह उत्तेजना से भर गई। पहली बार वह अपनी आंखों से यह सब देख रही थी और पहली बार ही कोई असली मर्द था जो कि अपनी ऊंगलि से ऊसकी बुर के अंदर बाहर करते हुए उसे उंगली से चुदाई का असली सुख दे रहा था। एकदम मंत्रमुग्ध से शुभम की उंगली को अपनी बुर के अंदर बाहर होता हुआ देख रही थी और एकदम से मदहोश होती जा रही थी,,, शुभम उसकी आंखों में बढ़ती प्यास को अच्छी तरह से देख रहा था और मौका देख कर बोला,,,,
04-01-2020, 03:23 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
तुम्हें यकीन नहीं हो रहा है ना मामी,,,
( जवाब में वह मुंह से कुछ बोले बिना ही सिर्फ ना में सिर हिलाते हुए अपनी बुर की तरफ ही देखे जा रही थी।)

तो तुम कहो तो मैंने जो उस आंटी के साथ किया वह तुम्हारे साथ भी करके दिखा सकता हूं।
( वह एक बहाने से अपनी मम्मी के सामने अपने मन की बात को प्रस्तावित कर रहा था,,, प्रस्तावित क्या कर रहा था एक तरह से वह अपनी मामी को उकसा रहा था क्योंकि वह अच्छी तरह से जानता था कि जिस काम को एक और जिंदगी भर नहीं रहती ना तो उस बारे में कुछ ज्ञान ही रहता है ऐसी बात को अगर उसके सामने नमक मिर्च लगाकर बताई जाए तो वह उस काम को करने के लिए मन ही मन बेहद उत्सुक हो जाती हैं और वही हाल उसकी मामी का भी हो रहा था।,,, भले ही बुर चाटने वाली बात उसके लिए समझ के परे थी,, लेकिन मन ही मन वह बेहद उत्साहित भी होती जा रही थी तभी तो वह शुभम की बात को सुनकर थोड़ा सा हैरान होते हुए बोली,,,।)

क्या,,,,,, क्या कहा तूने कहीं तू पागल तो नहीं हो गया है तुझे क्या लगता है कि मैं तेरे इस पागलपन में तेरा साथ दूंगी,,,,

कैसा पागलपन मामी मैं तो हकीकत बयां कर रहा हूं।
( जोर-जोर से अपनी उंगली को अंदर बाहर करते हुए बोला)

तू जो कह रहा है वह सच है या झूठ यह तो मैं नहीं जानती लेकिन जो तू करने के लिए कह रहा है वह पागलपन हीं है,,, तो कैसे सोच भी सकता है कि मैं तुझे उस गंदे स्थान पर मुंह लगाने दूंगी वहां से पेशाब किया जाता है।( वह जानबूझकर उसे मना करने का नाटक कर रही थी लेकिन मन ही मन वह चाह रही थी कि वह ऊसकी बुर को चाटे,,, अपनी मामी की बात सुनकर शुभम उसे समझाते हुए बोला।)

मामी इसमें क्या हुआ जरूरी तो नहीं कि जहां से पेशाब किया जाता है वह स्थान गंदा ही हो मुझे भी शुरू शुरू में ऐसा ही लग रहा था अगर वह आंटी मुझ पर जोर नहीं देती तो शायद मैं भी उस सुख से वंचित रह जाता जिस सुख से आप वंचित रह जाना चाह रही हैं।,,,
( शुभम का इस तरह से मनाना और जिद करना उसकी बुर को चाटने के लिए यह बात उसकी मामी को बेहद आनंदित कर दे रही थी।,,, शुभम को उसकी बुर चाटने के लिए लालायित देखकर वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी। फिर भी अपने चेहरे पर नाराजगी के भाव दर्शाते हुए बोली,,,।)

नहीं शुभम तू समझता क्यों नहीं कितना गंदा लगता है सोच मुझे तो सुनकर ही बड़ा अजीब लग रहा है सबको उसे चाटेगा तो शायद,,, नहीं जाने दे मुझे ऐसा शौक नहीं लेना किसी को कुछ पता चल गया तो आफत अा पड़ेगी,,,,

मामी यहां कहां किसी को कुछ पता चलने वाला है घर में कोई है भी तो नहीं और वैसे भी मुझे तो ऐसा लगता है कि सच में तुम्हें मेरी बात पर बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है और तुम्हें यकीन दिलाने के लिए मुझे वह करके दिखाना पड़ेगा,,,( एक बार शुभम अपनी मामी को और ज्यादा उत्तेजित करने के तरीके उसकी बुर में से अपनी उंगली को बाहर खींच लिया और उसे अपनी मामी को दिखाते हुए उस पर लगे नमकीन रस को अपनी जीभ बाहर निकालकर चाटते हुए बोला।) अब बोलो मामी क्या कहती हो मैं जो कह रहा हूं बिल्कुल सच कह रहा हूं बस एक बार मुझे अपनी बात रखने का मौका दो आप जिंदगी भर याद रखोगी,,,,

( शुभम को इस तरह से अपनी बूर के रस को चाटते हुए देखकर वह एकदम से दंग रह गई,,, उसे तो अपनी आंखों पर बिल्कुल भी भरोसा नहीं हो रहा था कि जो हुआ देख रही है वह सच है या कोई सपना,,, लेकिन जो वह देख रही थी वह बिल्कुल सच था। वह तुमसे मंत्रमुग्ध हो चुकी थी उसका मुंह खुला का खुला था और वह शुभम को देख रही थी जो कि बार-बार उस उंगली को जिस पर उस का मदनरस लगा हुआ था,, उसे चाटे जा रहा था,,, अब तो उसकी और भी ज्यादा उत्सुकता बढ़ गई हो जल्द से जल्द शुभम की जीभ को अपनी बुर की गहराई में महसूस करना चाहती थी।,,, सुभम उसी तरह से उंगली को चाटते हुए बोला,,,

बोलो मामी अब क्या ख्याल है चाट कर दिखाऊं क्या?
( शुभम की हरकत देख कर तो वह एकदम स वह कुछ बोल नहींपा रही थ

शुभम की बात का क्या जवाब देना है इस बात का उसे बिल्कुल भी ख्याल नहीं रहा वह बस आश्चर्यचकित होकर सिर्फ सुभम को ही देखे जा रही थी।, शुभम समझ गया कि उसकी हरकत को देखकर उसकी मामी उन्माद से भर चुकी है,,, अब उसके लिए अपनी मंजिल पाना कोई मुश्किल काम नहीं था इसलिए सुबह अब बिना कुछ बोले अपनी मामी के दोनों कंधों पर हाथ रखकर उसे बिस्तर पर लिटाने की कोशिश करने लगा जिसमे उसे कुछ ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी क्योंकि जैसे जैसे वह कंधों पर दबाव देता जा रहा था वैसे वैसे उसकी मामी नीचे की तरफ लेटती चली जा रही थी।,,, जो कि उसकी तरफ से पूरी मंजूरी दर्शा रहा था अगले ही पल वह बिस्तर पर लेटी हुई थी,,, शुभम की नजर उसकी जांघों के बीच झाटों के झुरमुटो पर ही टीकी हुई थी। जिसे वह ललचाई नजरों से देख रहा था उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि बालों से भरी बु्र का भी स्वाद उसे चखने को मिलेगा। वह मदहोशी के आलम में लेती हुई थी उसकी आंखें हल्की-हल्की खुली थी जिससे वह शुभम की हरकत को देख रही थी शुभम तो ललचाई नजरों से उसकी कोई देखे जा रहा था और उसके हल्के हल्के अपनी उंगलियों से सहला भी रहा था जिससे उसका उन्माद निरंतर बढ़ता जा रहा था। उसकी सांसो की गति तेज होने लगी थी जिसकी वजह से उसकी बड़ी बड़ी चूचियां पके हुए पपीते की तरह ऊपर नीचे होकर झूल रही थी। वह अब संपूर्ण रूप से नंगी नजर आ रही थी उसके बदन को ढकने के लिए वस्त्र तो थे लेकिन वह खुले हुए थे ब्लाउज के सारे बटन खुले हुए थे और उसकी पेटीकोट कमर तक चढ़ी हुई थी,, इसलिए जिस अंग को छुपाने के लिए वस्त्र उसके बदन पर थे वह अब किसी काम के नहीं थे। शुभम की मामी का बदन उत्तेजना के मारे कसमसा रहा था और शुभम उसकी कसमसाहट को और ज्यादा बढ़ाने के लिए अपनी उंगली से उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों को कुरेद रहा था । शुभम की मम्मी के बदन में पूरी रूप से उत्तेजना का काम ज्वर अपना असर दिखा रहा था। शुभम से आप अपने आप को रोक पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन हुए जा रहा था इसलिए वह धीरे-धीरे अपने होठों को ऊसकी जांघो के बीच बढ़ाने लगा। और अगले ही पल उसके होंठ उसकी रसीली फुली हुई कचोरी समान बुर पर थी। शुभम के होठों पर उसकी झांट के बाद इस पर सो रहे थे जिसकी वजह से उसकी भी उत्तेजना बढ़ रही थी। उसकी मामी इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि उसकीबुर किसी पावरोटी की तरह फुल चुकी थी। अभी शुभम अपनी जीभ का स्पर्श उस पर नहीं कराया था खाली अपने होठों को उस पर रखकर उसकी तपिश को महसूस कर रहा था। इतने में ही तो उसकी सांसो की गति एकदम तीव्र हो गई अपनी उत्तेजना को वह दबा नहीं पा रही थी इसलिए बिस्तर पर लंबी लंबी सांसे लेते हुए अपनी कमर को हल्के उसके ऊपर नीचे कर रही थी। उत्तेजना के मारे सुभम कभी बुरा हाल था। उससे भी रहा नहीं जा रहा था और वह धीरे से अपनी जीभ को बाहर निकालकर बुर की पतली लकीर पर फिराने लगा,, इतने में तो उसकी मामी की सिसकारी छूट गई।

सससससहहहहहहहह,,,, आहहहहहहहहहह,,,,,, शुभम,,, ।
( उसके मुंह से मात्र शुभम का नाम फुटा भर था कि शुभम ने धीरे-धीरे अपनी जीभ को गुलाबी पत्तियों के बीच घुसेड़ना शुरू कर दिया,,, अब तो उसकी और भी ज्यादा हालत खराब होने लगी।)
04-01-2020, 03:24 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम की मामी कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि वह इस हालत तक पहुंच जाएगी,,, उम्र के दूसरे पड़ाव तक पहुंच चुकी थी लेकिन अभी तक उसने गैर मर्द के बारे में कभी कल्पना भी नहीं की थी लेकिन आज उसकी कल्पना के परे बिस्तर पर अपने ही भांजे के सामने नग्नावस्था में लेट कर उसकी हरकतों का मजा ले रही थी। बुर चाटने वाली बात से वह बिल्कुल भी अनजान थी कभी सोची भी नहीं थी कि इस तरह से भी कोई मजा लेता है जब उसे इस बात का एहसास हो गया कि उस का भांजा भी उसकी बुर चाटने के लिए उत्सुक हैं तो इस बारे में सोच कर ही उसके तन बदन में कामाग्नि भड़क उठी, उसके मन में भी उस एहसास को महसूस करने की उत्सुकता बढ़ने लगी। उस का भांजा शुभम भाई आज पहली बार किसी दूसरी औरत की बुर का स्वाद चखने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका था इसलिए तो वहां अपनी जीभ को हल्के हल्के बुर की गुलाबी पत्तियों के बीच रगड़ते हुए अंदर की तरफ ले जाने लगा। और उसकी जीभ को अपनी बुर के अंदर घुसता हुआ महसुस करके उसकी मांमी एकदम से मदहोशी के समंदर में डूबने लगी,,, उसे अजीब प्रकार के सुख की अनुभूति हो रही थी और वह इस दुख को बिल्कुल भी समझ नहीं पा रही थी क्योंकि पहली बार उसे इस तरह के सुख का अनुभव हो रहा था उसका बदन पूरी तरह से कसमसा रहा होगा उत्तेजना को वह सहन नहीं कर पा रही थी, इसलिए बिस्तर पर छटपटा रही थी और शुभम उसकी दोनों जांघों को अपनी हथेली से भींच कर पकड़े हुए था और देखते ही देखते उसने उसकी गुलाबी बुर के अंदर अपनी पूरी जीभ जहां तक हो सकती थी वहां तक डालकर चाटना शुरू कर दिया, सुबह इतनी ज्यादा उत्तेजित हो चुकी थी कि उसके शरीर में कंपन शुरू हो गया,,, उसका खूबसूरत बदन कामोत्तेजना का अनुभव करते हुए थरथरा कर कांपने लगा। शुभम उसकी जांघों को कस के पकड़े हुए पागलों की तरह उसकी बुर को चाटना शुरू कर दिया। उसकी बुर से भलभलाकर मदन रस बह रहा था। जिसे लपालप शुभम अपनी जीभ लगा कर चाटे चला जा रहा था। हल्का नमकीन और कसैला स्वाद भी गुलाब जामुन की चाशनी की तरह लग रहा था। जैसे जैसे शुभम की जीभ चल रही थी वैसे वैसे उसका बदन कसमसा रहा था और उत्तेजनावस वह अपनी कमर को हल्के हल्के ऊपर की तरफ उचका दे रही थी, जिससे सूभम की उत्तेजना और ज्यादा बढ़ जा रही थी और वह अपने दोनों हाथ को उसकी जांघो पर से हटाकर उसके नीचे ले जा कर उस की बड़ी-बड़ी गांड को थाम लिया और जोर-जोर से चाटना शुरू कर दिया।,,, अपनी मामी की बड़ी बड़ी गांड को हांथो से दबाते हुए बुर को चाटने मे ऊसे बहुत मजा आ रहा था। और शुभम की ऐसी हरकत की वजह से उसकी मामी के बदन में हलचल मची हुई थी, हालांकि शुभम के हाथों में उसकी बड़ी-बड़ी गांड पूरी तरह से नहीं आ पा रही थी, लेकिन जितनी भी आ रही थी उसे पूरे जोश के साथ दबा दबा कर मज़े ले रहा था। शुभम बुर को ऐसे चाट रहा था जैसे कि कटोरी में रसगुल्ले की चाशनी को चाट रहा हो,,,, अभी तो मुश्किल से 2 मिनट ही गुजरे थे कि उसकी मामी के मुंह से गरम-गरम सिसकारियों की आवाज आने लगी।,,और ऊसकी सिसकारीया ईतनी मादक थी की ऊसकी मस्ती भरी शिकारियों की आवाज सुनकर शुभम को इस बात का डर था कि कहीं उसका लंड पहले ही पानी ना फेंक दे।

ससससहहहहह,,,,,,शुभम,,,,, आहहहहहहहह,,,,, ये क्या कर रहा है तुम,,,, मुझे ना जाने क्या हो रहा है,,,,,,, मुझ से रहा नहीं जा रहा है,,,,,ऐसा लग रहा है जैसे कि मेरी सांसे अटक जाएंगी,,,,, आहहहहहहहह शुभम,,,,
( शुभम उसकी बातों पर ध्यान दिए बिना ही केवल उसकी सिसकारियों की आवाज सुनकर एक दम मस्त होकर उसकी बुर का पानी पिए जा रहा था। उसे मालूम था कि उसकी मामी को मजा आ रहा है और वह,,, उनके मजे को और ज्यादा बढ़ाने के लिए अपने बीच वाली उंगली को उसकी बुर के अंदर फिर से डाल दिया और इस वजह से उसके मुख से हल्की सी चीख निकल गई,,,। दोनों एकदम से एक दूसरे में समाने की कोशिश कर रहे थे शुभम की मम्मी तो उत्तेजना ग्रस्त होकर इधर-उधर अपना सिर पटक रही थी।,,, इतनी ज्यादा काम उत्तेजना का अनुभव कर रही थी कि बार-बार ना चाहते हुए भी वह अपनी कमर को ऊपर की तरफ उछाल दै रही थी और जब जब वह अपनी कमर को ऊपर की तरफ उछालती तो ऐसा प्रतीत होता कि वह अपनी बुर को और ज्यादा चटवाने के लिए एकदम बेचैन हुए जा रही है। और शुभम भी उसकी बेचैनी को समझते हुए जोर-जोर से अपनी जीभ का वार उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों पे करते हुए अंदर तक डाल दे रहा था,,।
शुभम की मामी से अब अपने आप पर सब्र कर पाना बेहद मुश्किल हुए जा रहा था ।और उत्तेजना के परम शिखर तक पहुंच कर सिसकारीयो के साथ-साथ पूरे माहौल को उसकी गर्म बातों ने और भी ज्यादा उत्तेजना से भर दिया।

आहहहहहहहहह,,, शुभम,, तूने तो मुझे पागल कर दिया है रे जिस तरह का सुख तू दे रहा है शायद मैं सपने में भी ऐसा सुख प्राप्त नहीं कर पाती।सससहहहह,,,, आहहहहहहहहह,,,, बस ऐसे ही,,,,, ऐसे ही मेरी बुर को चाट,,,, जीभ को अंदर डाल डाल कर चाट,,, चाट जा सारी मलाई को,,,आहहहहहहहहहहहह। ऊहहहहहहहह,,,,, मुझ से रहा नहीं जा रहा है मुझे ना जाने क्या हो रहा है ऐसा लग रहा है कि मेरा पूरा बदन हवा में झूला झूल रहा है।,,,( इतना कहते हुए उत्तेजना के मारे उसने अपने दोनों हाथ को आगे लाकर शुभम के बाल को कसकर अपनी मुट्ठी में भींच ली और उसके मुंह को जोर से अपनी बुर पर दबाते हुए,,,।)

ओोहहहहहहहह,,,, मेरे सुभम बस ऐसे ही चाट,, ववववववबहुत मजा दे रहा है तू,,,,,आहहहहहहहह,,,

मामी मैं ना कहता था कि उस औरत को भी बहुत मजा आ रहा था तभी तो मे तुम्हें यह कराने के लिए बोल रहा था,,( शुभम कुछ सेकंड के लिए अपना मुंह उसकी बुर पर से हटाया और इतना कहने के बाद फिर से अपना मुंह बुर नुमा कटोरी में जमा दिया,,,।)


हारे तू बिल्कुल सच कह रहा था वरना मैं कभी यकीन नहीं कर पाती तू सच कह रहा था कितना मजा आता है मैंने आज तक इस तरह के मजा लेने की कल्पना भी नहीं की थी,,,,। बस बेटा ऐसे ही चाटते रहे,,,,,आहहहहहहहह,,, आहहहहहहहह,,,
( अपनी मामी की बात सुनकर शुभम बुर की अंदरूनी दीवारों के अंदर अपने लंड के लिए जगह बनाने हेतु अपनी दूसरी उंगली भी बुर के अंदर डालकर जोर-जोर से अंदर बाहर करते हुए चाटने लगा। और जैसे ही शुभम की दूसरी उंगली उसकी बुर में प्रवेश हुई वह चीखने चिल्लाने लगी,,, क्योंकि महीनों गुजर गए थे उसे अपनी बुर में लंड लिए और उसके पति का लंड पतला ही था जो कि शायद शुभम की उंगलियों से कम ही मजा देता था।)
04-01-2020, 03:25 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
ओहहह,,, शुभम बहुत दर्द कर रहा है रे,,,,( इतना सुनते ही शुभम समझ गया कि उसकी मामी ने अब तक शायद उसके मोटे लंड जोसा कुछ भी अंदर नहीं ली है और उसके मामा का लंड शायद पतला ही है तभी तो दो उंगली जाने में ही दर्द करने लगा।,, इसलिए वह बुर पर से अपना मुंह हटाकर बोला,,।)

क्या मामी बस दो उंगली जाते ही इतना छटपटाने लगी,,,।

तू समझ नहीं रहा है शुभम,,, मुझे तो तेरी एक उंगली से भी दर्द हो रहा था लेकिन तू इतनी अच्छी तरीके से मेरी बुर को चाट रहा था कि, मैं अपना सारा दर्द भूल गई लेकिन तेरी दूसरी उंगली मुझे कुछ ज्यादा ही दर्द दे रही है।

कुछ नहीं मामी अभी बस थोड़ी ही देर में तुम्हें मजा आने लगेगा (शुभम अपनी दोनों उंगली को अंदर बाहर करते हुए बोला,,,।)

लेकिन अभी तो मुझे दर्द कर रहा है।

बस थोड़ी देर और मामी उसके बाद मजा ही मजा है।
( इतना कहते हुए शुभम अपना एक हाथ आगे बढ़ा कर मस्ती से लहरा रही एक चूची को थाम कर दबाना शुरु कर दिया,,, शुभम को इतना ज्ञान तो हो चुका था कि औरत के साथ अगर मजा लेना है तो सबसे पहले उन्हें मजा देना बेहद जरूरी होता है और उस के दर्द को मज़े में बदलने के लिए उसका स्तन मर्दन करना बेहद जरूरी था,,, और इस कार्य में तो शुभम माहिर था वह अपनी मामी की बड़ी बड़ी चूची को दबाते हुए बोला।)

मामी तुम्हें बस दों उंगली में इतना दर्द करने लगा अगर पूरा लंड तुम्हारी बुर में घुसेगा तब क्या होगा (शुभम जानबूझकर इस तरह की भाषा का प्रयोग कर रहा था,,, जिसे सुनकर उसकी मामी के बदन में मस्ती की लहर दौड़ रही थी और वह शुभम की बात का जवाब देते हुए बोली,,,,।)

इससे मोटा कभी जा ही नहीं सकता क्योंकि तेरे मामा का,, पतला है,,,,।

क्या बात कर रही हो मामी क्या सच में पतला है,,( बुर मे लपालप उंगली डालते हुए बोला)

सससहहहहह,,,,, अब तुझसे कुछ भी छुपाने जैसा बचा ही नहीं है।

इसका मतलब है कि मामा ने तुम्हारी जवानी को पूरी तरह से मैं नीचोड़ ही नहीं पाए,,, तभी तो तुम्हारा बदन अभी भी खिला-खिला सा है ।( शुभम अपनी चिकनी-चुपड़ी बातों का सहारा लेकर,,, अपने मंसूबे पार करने में लग गया,,, शुभम की बातें सुनकर उसकी मामी को भी अच्छा ही लगा क्योंकि एक तरह से वह उसकी तारीफ ही कर रहा था,,, फिर भी वह जानबूझकर एतराज जताते हुए बोली,,,।)

तू ऐसा क्यों कह रहा है तेरे मामा ने भी तो मुझे बहुत प्यार दिया है।

हां,,,, तभी देख रहा हूं कि सिर्फ दो उंगली डालने में ही चिल्लाने लगी,,,, (शुभम बातों ही बातों में उसे ताने कसते हुए बोला)

तू कहना क्या चाहता है, (तभी सुभम अपनी दोनों उंगलियों को जोर से अंदर की तरफ घुमा दिया,,जिसकी वजह।से ऊसकी चीख निकल गई।) आहहहहहहहह,,,,, ऊंगली जाने ना जाने से प्यार की क्या संबंध,,,,, ?

संबंध है मामी तभी तो मैं कह रहा हूं,,,,।

कैसा संबंध,,,?

मामी,,, अगर मामा तुमसे जी भर कर प्यार करते हो तुम्हारी जवानी का रस निचौड़े होते तो आज उंगली जाने से ना चिल्लाती बल्की अगर गधे का लंड भी जाता तो उसे भी मस्त होकर अंदर ले लेती,,,( शुभम मस्ती के साथ अपनी दोनों उंगली को बुर के अंदर गोल-गोल घुमाते हुए अंदर-बाहर कर रहा था,,, एैसा भी कह सकते हैं कि वह अपनी उंगलियों का सहारा लेकर अपनी मामी की बुर में अपने लंड जाने के लिए जगह बना रहा था।,,
शुभम की बात सुनकर उसकी मामी आश्चर्य में पड़ गई,, वह क्या कहना चाह रहा था उसे ठीक से समझ में नहीं आ रहा था इसलिए वह बोली।

तू कहना क्या चाह रहा है यह मुझे बिल्कुल भी समझ में नहीं आ रहा है।

देखो मामी बात बिल्कुल सीधी है (इस बार वह बुर की गुलाबी पत्तियों को उंगलियों के बीच ज़ोर से दबाते हुए जिसकी वजह से उसकी मामी की उत्तेजना और बढ़ने लगी) तुम्हारे जैसी औरत और वह भी जवानी से भरपूर जिसके अंग अंग से मदन रस टपक रहा हो ऐसी औरत के लिए मोटा और तगड़ा लंड चाहिए जो कि तुम्हारी बुर में जाकर उसकी पूरा रस निचोड़ सकें,,,, और जैसा कि तुम बता रही हो अभी तक तुम्हारी बुर में ऐसा मोटा तगड़ा लंड गया ही नहीं जो तुम्हें जवानी और चुदाई के मजे से वाकिफ करा सकें,,,,
( शुभम की बातें सुनकर और उसकी उंगलियों की हरकत की वजह से हल्की सी सिसकारी लेते हुए मन ही मन में वह शुभम की बातों पर गौर करने लगी जो कि उसे सच ही लग रहा था।)
बताओ मामी क्या तुम्हारी बुर में मोटा तगड़ा लंबा लंड गया है।,,,,

नहीं (थोड़ी देर सोचने के बाद बोली)

तभी तो चुदवाते समय तुम उस आंटी की तरह चीखती चिल्लाती नहीं हो जो कि मजे से चीखते चिल्लाते हैं।
( शुभम की बातें सुनकर वह सोच में पड़ गई क्योंकि जो वह कह रहा था वह बिलकुल सच था यह बात उसी ने शुभम को बताई थी कि उसने कभी भी उस औरत की तरह चीखी चिल्लाई नहीं इसका मतलब साफ था कि उसे चुदाई में उतना मजा नहीं मिल पाया है जितना कि मिलना चाहिए था।,,, वह कुछ देर मन ही मन में सोचते हुए शुभम की तरफ आशा भरी नजरों से देखी जो कि अभी भी उसकी बुर में उंगली अंदर-बाहर कर रहा था। और शुभम उसकी खामोशी को देखकर समझ गया कि वह क्या सोच रही है इसलिए बात को आगे बढ़ाते हुए बोला,,,।)

अगर तुम्हारी बुर में मेरा मोटा लंड( अपने लंड की तरफ देखते हुए जिसकी वजह से उसकी मम्मी की नजर भी उस पर चली गई जोंकि पूरी तरह से टनटनाया हुआ था,, जिसे देखते ही उसकी बुर में हलचल होने लगी,,) जाएगा तभी तुम उस औरत की तरह चीखती-चिल्लाती हुए मजा ले पाओगी। वरना ऐसे ही प्यासी की प्यासी रह जाओगी।,,,
( बातों ही बातों में शुभम उसे चोदना चाहता है यह बता दिया था और उसे अपनी प्यास बुझाने का रास्ता भी दिखा दिया था अब उसकी मामी को ही तय करना था कि वह क्या चाहती है लेकिन इतना तो तय था कि शुभम ने अपनी बातों से और अपनी हरकतों से उसके तन-बदन की कामाग्नि को इतनी ज्यादा प्रज्वलित कर दिया था कि उसे बुझा ना बेहद जरूरी था और उसे बुझाने के लिए उसकी मम्मी को शुभम का साथ देना ही था इसलिए कुछ देर खामोश रहने के बाद वहं हल्की सी सिसकारी लेते हुए बोली,,,।

क्या तेरा चला जाएगा,,,,
( इतना सुनते ही शुभम मन ही मन टशन होने लगा क्योंकि उसकी मम्मी का यह सवाल उसके तरफ से पूरी तरह से रजामंदी का इशारा था और शुभम ने जो बातों के पुल को बुना था,, उस पर तो उसकी मामी को चलना ही था क्योंकि उस पर चले बिना उसकी प्यास बुझने वाली नही थी।,,, शुभम उत्तेजना के मारे उसकी बुर में
जोर-जोर से उंगली पेलते हुए बोला।)

मामी यह सब तुम मुझ पर छोड़ दो मैं सब कुछ ठीक कर दूंगा,,,। तुम्हारी छोटी सी रसीली बुर के गुलाबी छेद मे मुझे मेरा मोटा लंड कैसे डालकर तुम्हारी प्यास बुझाना है यह मैं अच्छी तरह से जानता हूं।,,,( इतना कहने के साथ ही शुभम अपनी ऊंगली को बुर के अंदर से बाहर निकाल दिया क्योंकि अब उस के मंसूबे पुरे होने वाले थे,,, इस खुशी में वहा एक बार फिर से अपने प्यासे होठों को अपनी मामी की तरसती बुर पर रख दिया और उसे चाटना शुरु कर दिया,,, एक बार फिर से ऊसकी मामी के मुंह से गर्म सिसकारी छूट पड़ी,,, शुभम जोर-जोर से अपनी जीभ उसकी बुर के अंदर घुमाना शुरू कर दिया क्योंकि अब इसी बुर ने उसे अपना मोटा लंड डालकर उसे चोदना था।
04-01-2020, 03:25 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम की मामी शुभम को अपनी बुर के अंदर उसके लंड को डालने की इजाजत दे दी थी। इस रजामंदी के लिए वह तैयार तो हो गई थी लेकिन इसकी इजाजत देने के बाद उसके बदन में अजीब सी हलचल होने लगी क्योंकि,, रजामंदी देने का मतलब था कि अपना सर्वस्व शुभम को सौंप देना अपनी इज्जत अपना तन मन सब कुछ। अपने पति के अलावा किसी गैर मर्द की कल्पना जिसने अभी तक नहीं की थी आज वह अपने ही भांजे को चोदने की इजाजत दे दी थी यह अपने आप में ही उसके लिए बेहद अद्भुत और अहम फैसला था पर इस फैसले को लेकर उसके तन-बदन में उत्तेजना की लहर जोरों पर उछाल मार रही थी। जिस तरह से उसने शुभम को चोदने की इजाजत दे दी थी उसने उसका कोई भी दष नहीं था,,, क्योंकि उसके सामने हालात ही कुछ इस तरह से प्रकट हो गए थे कि वह ना भी नहीं कर सकती थी और इंकार भी नहीं कर सकती थी। महीनों से प्यासी औरत के लिए उसके हालात और वक्त को देखते हुए शुभम जेसे जवान लट्ठ ही काम रूपी आंधी में तिनके का सहारा नजर आते हैं और जिस तरह से सुभम ने उसे चुदाई के सुख की कल्पना उसे अपने शब्दों में कह कर बताया था। उसे सुनने के बाद वह तो क्या कोई भी औरत चुदने की रजामंदी से ईंकार नहीं कर सकती थी। और शुभम की मामी तो गदराई जवानी की मालकिन की जो कि इस समय एकदम से बेलगाम हो गई थी।

शुभम अपनी मामी की बुर में लंड डालने से पहले उसकी तरह के स्वाद को चख कर अपनी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ा देने के उद्देश्य से अपनी जीभ को उसकी बुर की कटोरी में डालकर लपालप मदन रस को गटक रहा था। शुभम अब अपने आप को बिल्कुल भी रोक नहीं सकता था क्योंकि माहोल ही ईस तरह का बन चुका था। इसलिए वह बुर पर से अपना मुंह हटाया तो वह उत्तेजना के मारे हांफ रहा था। उसकी मामी शुभम को हांफते हुए और अपनी बुर के मदन रस को उसके होंठों से टपकते हुए देखकर एक दम से चुदवासी हो गई,, एक अजीब सी हलचल उसके तन-बदन में फैल गई,, शर्म के मारे वह अपनी नजरों को नीचे झुकाई तो सीधे उसकी नजर शुभम क मोटैं तगड़े खड़े लंड पर. गई,, लंट को पूरी तरह से तैयार देखकर उसकी बुर का दाना फुदकने लगा,,, वाह लंड की मोटाई को देखकर एकदम हैरान थी वह जानती थी कि कुछ ही देर में अब वह उसकी बोर के अंदर फोन आने वाला है लेकिन कैसे घुसेगा इस बारे में सोचकर उसके पसीने छूट रहे थे क्योंकि हल्की सी एक उंगली डालने पर भी उसे दर्द का अनुभव होता था उसके मुकाबले तो यह गधे के लंड के बराबर ही था,,, यह सब सोचकर उसके चेहरे पर हैरानी के भाव नजर आ रहे थे शुभम भी पूरी तरह से तैयार हो चुका था संपूर्ण रूप से नंगी होने के बावजूद भी उसके बदन पर ब्लाउज और पेटीकोट था जिस की डोरी को हाथ बढ़ाकर एक झटके में खोलकर उसे ढीला कर दिया,,, और उसे उसकी कमर से नीचे उतारने के लिए अपने दोनों हाथों में पेटीकोट के छोर को पकड़ कर नीचे की तरफ सरकाने लगा,,, भारी भरकम गोलाई लिए हुए उसकी बड़ी बड़ी गांड के वजन के नीचे पेटीकोट तभी होने की वजह से वह ठीक से उतार नहीं पा रहा था,,, इसलिए वह उसका सहकार देते हुए अपने भारी भरकम गांड को ऊपर की तरफ हल्के से उचका दी और,,, शुभम भी मौके का फायदा उठाते हुए ऊसकी पेटीकोटशको खींचकर ऊसके चिकनी पेर से बाहर कर दिया,,,।,,, मदहोशी का उन्माद इतना ज्यादा बढ़ गया था कि उसकी मामी भी खुद ही अपने ब्लाउज को निकाल कर बाहर फेंक दि, उसके उतावलेपन को देखकर शुभम की लंड ठुनकी मारने लगा शुभम की आंखों के सामने उसकी मांमी पूरी तरह से नंगी निकली हुई थी। उत्तेजना के मारे शुभम की मामी की सांसे बड़ी तीव्र गति से चल रही थी और सांसों के साथ साथ उसकी बड़ी बड़ी चूचियां भी ऊपर नीचे होते हुए माहौल को और ज्यादा गर्म कर रही थी।,, शुभम अपनी मामी की खूबसूरती को ऊपर से नीचे तक निहारते हुए बोला,,,।

वाह मामी तुम तो कितनी खूबसूरत लगती हो इस उम्र में भी तुम जवान लड़की को फेल कर सकती हो,,( इतना कहते हुए वह अपना टी शर्ट उतारने लगा,, औरत की कहानी कामुकता भरी नजरों से शुभम को अपना टीशर्ट उतारते हुए देखने लगी,,, टी-शर्ट के उतरते ही शुभम का चौड़ा गठीला सीना नजर आने लगा और शुभम का गठीला जवान बदन देख कर उसकी मामी की बुर की गुलाबी पत्तियों में थिरकन होने लगी,,, वह शुभम को अपने सीने से लगा लेना चाहती थी और अपनी बड़ी बड़ी छातियों को उसकी छातियों पर रगड़ने का आनंद अपने तन बदन को महसूस कराना चाहती थी लेकिन वह सामने से ऐसा करने में असमर्थ थी।,,,वह एकटक बस शुभम को देखे जा रही थी,,, शुभम जानता था कि उसकी गठीले बदन को देखकर प्यासी औरतों का क्या हाल होता है इसलिए वह अपनी मामी की प्यास को और ज्यादा बढ़ाने के उद्देश्य से अपने लंड को अपने हाथ से पकड़ कर हिलाना शुरू कर दिया,,, और हिलाते हुए बोला,,,।


ओहहहह,,, मामी देखना जब यह मेरा मोटा लंबा लंड तुम्हारी छोटी सी बूर मे जाएगा तो कैसा रगड़ता हुआ जाएगा तुम्हारी बुर की गुलाबी पत्तियों को कैसे फैलाता हुआ अंदर घुस जाएगा,,,( ऐसा कहते हुए शुभम जानबूझकर अपने लंड को हिला रहा था और शुभम की बातें और उसकी हरकत को देखकर उसकी मामी शर्म से पानी पानी हुए जा रही थी,,, उसे खुद समझ में नहीं आ रहा था कि इस तरह के दृश्य को वह कैसे खुली आंखों से देख पा रही है क्योंकि उसके अंदर शर्म की भावना बेहद जोर मार रही थी लेकिन उत्तेजना का बवंडर उसे अपने अंदर खींचे लीएे जा रहा था। इसलिए बात ना कर दी अपनी नजरों को हटाने में असमर्थ हुए जा रही थी शुभम धीरे से बिस्तर पर घुटनों के बल बैठ गया,, और अपनी मामी की टांगों के बीच जगह बनाते हुए, शुभम अपनी मामी की कमर को दोनों हाथों से थाम कर उसे अपनी तरफ खींचा ऐसा करने पर उसकी मामी की गुदाज जांघे शुभम की जांघों पर चढ़ गई,,, सुभम अब पूरी तरह से तैयार था अपनी मामी की बुर में लंड डालने के लिए,,, उत्तेजना के मारे उसकी मामी लंबी लंबी सांसे ले रही थी। उसका बदन रह रह कर इस इंतजार में कसमसा रहा था कि किसी भी पल शुभम का लंड ऊसकी बुर में प्रवेश करने वाला था। शुभम की नजर उसकी रसीली बुर पर ही टिकी हुई थी जो कि बालाे से लगभग ढकी हुई थी। शुभम से अपनी उत्तेजना बर्दाश्त नहीं हो रही थी और वह अपनी उत्तेजना को और ज्यादा बढ़ाते हुए उसकी जांघो को अपनी हथेली में भर भर को दबा रहा था।,,,

ससससहहहहहहह,,,,, शुभम क्या कर रहा है मुझे दर्द हो रहा है।( सिसकारी लेते हुए बोली)
04-01-2020, 03:25 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
मामी चिंता मत करो बहुत ही जल्द ही यहशदर्द तुम्हें मस्त कर देगा,,,( इतना कहते हुए शुभम अपने लंड को हाथ में पकड़कर उसकी बुर के मुहाने के करीब ले जाने लगा,,, और अगले ही पल सुभम अपनेे लंबे मोटे सुपाड़े को उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों के बीचो बीच रख दिया,,, लंड के मोटे से पानी का स्तर अपनी प्यासी बुर पर होते ही एक दम से मचल उठी और मस्ती के सागर में गोते लगाते हुए खुद-ब-खुद उसकी आंखें मूंद गई,,,,
और उसके मुख से गर्म सिसकारी फूट पड़ी,,,,

सससससहहहहहह,,,,,,

( अपनी मामी की सिसकारी की आवाज सुनकर सुभम समझ गया कि इस खेल में बहुत मजा आने वाला है। वह धीरे से लंड के सुपाड़े को एडजस्ट करते हुए बुर की गुलाबी पत्तियों के बीचो-बीच हल्के-हल्के सरकाने लगा,,, बुर नमकीन पानी की चिकनाहट की वजह से एकदम तरोतर हो चुकी थी। इसलिए सुपाड़े को बुर के अंदर सरकाने में ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं थी लेकिन,,, बुर गीली और चिकनी होने के बावजूद भी जैसे-जैसे शुभम सुपाड़े को अंदर की तरफ सरका रहा था वैसे वैसे उसकी मामी के चेहरे का हाव भाव बदलते जा रहा था,,, उसके चेहरे पर दर्द के भाव साफ नजर आ रहे थे लेकिन फिर भी वह अपने आप को संभाले हुए थी, शुभम के मोटे लंड के साथ-साथ उसका सुपाड़ा भी कुछ ज्यादा ही मोटा था। इसलिए उसे अंदर सरकाने मे दिक्कत पेश आ रही थी और वह भी दिक्कत उसकी मामी को पेश अा रही थी शुभम के लिए तो कुछ भी नहीं था वह तो एक झटके में ही अपना लंड का सुपाड़ा बुर के अंदर उतार देता लेकिन ऐसा करने से उसका काम बिगड़ जाता है इसलिए वह धीरे-धीरे अपने काम मेे आगे बढ़ रहा था,,, धीरे-धीरे उसकी मेहनत रंग ला रही थी। शिवम ने आहिस्ता आहिस्ता अपने लंड के सुपाड़े को उसकी बुर के अंदर प्रवेश करा दिया था। उसकी मामी की हिम्मत की दाद देनी पड़ रही थी क्योंकि वह अपने दर्द को अपने अंदर ही अंदर छुपाए हुए थी।,, बस घुटी घुटी किसके साथ उसके मुंह से केवल आह आह ही निकल रही थी,,, और वैसे भी शुभम के लिए एक रास्ता आसान हो चुका था क्योंकि किसी भी बिल में अगर मुंह घुस जाए तो पूरे शरीर को जाने में ज्यादा वक्त नहीं लगता,,, शुभम अपनी मामी का हौसला बढ़ाते हुए बोला,,,।

वाह मामी बहुत मजा आ रहा है, मै तो कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि तुम्हारे जैसी औरत की बुर इतनी ज्यादा टाइट होगी पता ही नहीं चल रहा है कि किसी लड़की की बुर है या औरत की,,,,आहहहहहहहह,,,, तुम तो मेरी भी सिसकारी निकाल दे रही हो (शुभम उसी तरह से अपने सुपारी को बुर में लटकाए हुए उसकी चिकनी जांघों पर हाथ फेरते हुए बोल रहा था,,,)

तुझे तो मजा आ रहा है लेकिन मुझे बहुत दर्द कर रहा है वह तो ना जाने मैं कैसे इस दर्द को बर्दाश्त कर ले रही हूं।,,,,

मामी बस थोड़ा सा और पहन कर लो उसके बाद तो मस्ती के सागर में गोते लगाओगी,,,, ( इतना कहते हुए शुभम इस बार हम कैसे अपनी कमर को आगे की तरफ धक्का लगा और धक्के के साथ ही उसकी मामी की चीख निकल गई और लगभग 1 इंच तक,,,उसका लंड बुर मे घुस गया।,,, दर्द के मारे उसकी मांमीें झटपटाने लगी,,,

ओहहहहहहह,,,,, मां,,,,, यह क्या डाल दिया तूने मुझे बहुत दर्द कर रहा है मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा (इतना कहते हुए वह अपने सिर को दाएं-बाएं पटक रही थी,,, शुभम जानता था कि अब क्या करना है वह दोनों हाथ अपने आगे बढ़ाकर उसकी मस्ताई चूचियों को थाम लिया,,, और उन्हें दबाते हुए बोला।

बस मामी कुछ देर और कुछ देर और दर्द सहन कर लो मेरी खातिर अपनी जवानी की खातीर थोड़ा सा और दर्द सहन कर लोगी तो उसके बाद ही,

कुछ देर और दर्द सहन कर लोगी तभी तुम्हें जचुदाई के असली सुख के बारे में पता चलेगा,, अभी तो दर्द से छटपटा रही हो उसके बाद उस औरत की तरह मस्त होकर चीखेगी चिल्लाएगी की ओर डाल ओर डाल,,,,,
( शुभम पूरी चुचियों को हथेली में भर-भरकर दबाते हुए बोल रहा था,,,,)

लेकिन सुभम यह दर्द तो मेरी जान ले लेगा मुझसे नहीं लग रहा है कि मैं यह दर्द सहन कर पाऊंगी,,,,( दर्द के भाव अपने चेहरे पर लाते हुए बोली)

चुदाई का मजा लेना चाहती हो तो इतना तो दर्द सहन करना पड़ेगा तुमको मामी,, वरना तुम समझ नहीं पाओगी कि असली चुदाई का सुख क्या होता है,,,।
( इतना कहते हुए शुभम दोनो चुचियों को हाथ में भरकर जोर-जोर से दबाते हुए एक और जबरदस्त धक्का मारा बुर पहले से ही पानी कि चिकनाहट की वजह से गीली हो चुकी थी,,, इसलिए इसके साथ ही शुभम का मोटा और मजबूत लंड बुर की गुलाबी पत्तियों को लगभग चीरता हुआ जैसे कि किसी ककड़ी को चीरते हैं वैसे ही गुलाबी पत्तियों को फैलाता हुआ बुर की जड़ में जाकर समा गया।,,, इस बार शुभम के इस जबरदस्त धक्के को उसकी मामी सहन नहीं कर पाई और बहुत रोकने के बावजूद भी उसके मुख से चीख निकल गई,,,,।

आहहहहहहहहह,,,,,, मर गई रे,,,,,, निकाल हरामी साले हरामजादे ऐसे भी कोई करता है क्या,,,,,,,ओहहहहहहहह,,,, मां,,,, बहुत दर्द कर रहा है,,,,,,।
( शुभम जानता था कि इस तरह की कसीली बुर मे धीरे-धीरे लंड प्रवेश कराना बहुत मुश्किल होता है और ऐसे में मौका देखकर अगर एक साथ ही धक्का मार कर पूरा लंड बुर में उतार दिया जाए तो भले ही दर्द होता है लेकिन उसके बाद मजा भी उतना आता है और वही काम शुभम ने किया था,,, लेकिन जिस तरह से उसके मुंह से चीख निकली थी उसे डर था कि कहीं कोई सुन ना ले और जल्दी से उसने अपने होंठ को उसके होठों पर रख कर चुसना शुरु कर दिया,,,, वह जानता था कि अगर वह उसके होठों को अपने मुंह में भर कर चूसना शुरू नहीं करेगा तो वह इसी तरह से चीखती चिल्लाती रहेगी और कहीं ऐसा ना हो जाए कि उसकी चीज़ों को कोई सुन ले और सारा काम बिगड़ जाए,,,, इसलिए शुभम उसके होठों को चूसते हुए उसकी चूचियों को भी दबाना शुरु कर दिया और अपने मोटे लंड कों ज्यो का त्यो उसकी बुर की गहराई में ठहराया रहा। हालांकि उसकी मामी छटपटाते हुए अपने होंठ को उसके मुंह से छुड़ाना चाह रही थी लेकिन शुभम ने इतने कस के उसे अपने मुंह में लेकर चूस रहा था कि,,, वह छुड़ा नहीं पाई। और वहां लगातार उसकी बड़ी बड़ी चूचीयो को दबाते हुए मसलते हुए उसके होठों का रसपान करते जा रहा था। नतीजन यह हुआ कि थोड़ी ही देर में उसकी छटपटाहट बंद हो गई,, और वह भी शुभम का साथ देते हुए शुभम के होठों को अपने मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दी ऐसा कैसे हो गया यह उसे भी पता नहीं चला बस मस्ती के सागर में अपने आपको डुबोए ले चली जा रही थी। शुभम एकदम पागलों की तरह उसके बड़े-बड़े पपीते सामान सूचियों को दबा दबा कर मजा ले रहा था और साथ ही उसके होठों के रस को पीकर एकदम नशे में हो गया था,,,, अपनी मामी को जोश में आता देख कर वह एक बार फिर से अपनी कमर को हलके के ऊपर उठाते हुए अपने लंड को बाहर की तरफ खींचा,,, और फिर से जोरदार धक्का मारा लेकिन इस बार उसकी मामी के मुख से पहले की तरह चीखशना निकल कर हल्की सी सिसकारी की आवाज आई,,,

सससससहहहहहह,,,,,,,,

शुभम समझ गया कि अब यह पूरी तरह से तैयार है,,, इसलिए धीरे-धीरे अपनी कमर को ऊपर नीचे करते हुए उसे चोदना शुरू कर दिया। थोड़ी ही देर में शुभम की कमर लय आ गई वह अपनी मामी को बराबर चोदे जा रहा था। उसकी मम्मी मस्ती के सागर में डूबते हुए मजे लेते हुए अपने भांजे की हॉठ को अपने होटो से अलग ही नहीं कर रही थी,,,, वह शुभम को अपनी बांहों में भीगे हुए थे और अपनी हथेली को उसकी नंगी पीठ पर इधर-उधर घूमाते हुए रह-रहकर उसकी नितंबों को दबोचने रही थी। शुभम की तो जैसे लॉटरी लग गई थी उसे अपनी मामी की बालों वाली बूर को चोदने में बहुत मजा आ रहा था। उसकी कमर एक पल का भी थकान महसूस नहीं कर रही थी बल्कि रह-रहकर उसकी गति और ज्यादा बढ़ती जा रही थी पुरे कमरे में चप्प चप्प की आवाज गूंज रही थी।,,,,, शुभम अपने होठों को अपनी मामी के होठों से अलग करता हुआ उसकी बुर में लंड अंदर बाहर करके चोदते हुए बोला,,,।

अब बोलो मामी कैसा लग रहा है?

कुछ मत पूछ कैसा लग रहा है मैं बता नहीं सकती,,,, जिंदगी में पहली बार चुदवाने का मजा आ रहा है।
04-01-2020, 03:25 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
मैं बोला था ना मामीे मेरा मोटा लंड जिसकी बुर में जाता है वह मस्त हो जाती है। सच कहूं तो मैं भी मुझे भी तुम्हें चोदने में बहुत मजा आ रहा है, ऊस आंटी से ज्यादा मजा तो तुम्हारी बुर मुझे दे रही है।

( शुभम अपनी नानी से बातें करते हुए उसे बराबर चोद रहा था उसका लंड बड़ी तीव्र गति से उसकी बुर के अंदर बाहर हो रहा था। शुभम के मुंह से अपनी बुर की तारीफ सुनकर उसकी मामी मन ही मन प्रसन्न होने लगी और वहां उत्तेजना वस नीचे से अपनी कमर उछालने लगी। अपनी मामी की उत्तेजना को देख कर शुभम से रहा नहीं गया और वह जोर-जोर से अपनी कमर को ऊपर नीचे करने लगा।,,,,, दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे उसकी मांमीें तो एकदम मदमस्त हो गई थी,,, बदन की प्यास ने उसे रिश्ते की मर्यादा तोड़ने पर मजबूर कर दी जिस्म की प्यास उसके तन बदन उसके मन पर भारी पड़ गया था लेकिन जिस तरह से उसे अपने भांजे से चुदवाने का मजा मिल रहा था उस मज़े के आगे मर्यादा की दीवार गिर जाना ही बेहतर उसे लग रहा था। शुभम का क्या था वह तो खुद अपनी मां की चुदाई कर करके रोज मस्त होता जा रहा था इसलिए उसे अब रिश्तो के बीच मर्यादा का कोई मतलब नजर नहीं आता था बस उसे चोदने को मिलना चाहिए था। इसलिए तो आज वहां अपनी मामी के साथ भी वही कर रहा था जो अपनी मम्मी के साथ करता आ रहा था,,, लेकिन दोनों ही सूरते हालात में ना तो उसकी मामी को इस बात से ऐतराज था और ना ही उसकी मम्मी को क्योंकि दोनों अपनी अपनी जगह पर हत्या की हो चुकी थी और अपनी प्यास बुझाने के लिए शुभम से बेहतर जुगाड़ उन्हें कहीं नहीं नजर आया।

शुभम आज अपनी मामी को हर तरह से चोद लेना चाहता था क्योंकि क्या पता दुबारा यह मौका मिले ना मिले,,, इसलिए वहं अपनी मामी की बुर में से अपने लंड को बाहर निकाल दिया इस तरह से जबरदस्त चुदाई के दौरान लंड को ऐसे बाहर निकलता देखकर उसकी मामी बोली,,,

क्या हुआ शुभम अपना लंड क्योे बाहर निकाल लिया?

मामी अब घोड़ी बन जाओ,,,,

( इतना सुनते ही शुभम की मामी जाग गई क्योंकि उसे कुछ पता नहीं चल रहा था कि शुभम क्या बोल रहा है इसलिए वह आश्चर्य से बोली,,,)

क्या?

मामी अब तुम घोड़ी बन जाओ मैं तुम्हारी पीछे से लूंगा,,,


तो यह क्या कह रहा है शुभम मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा है (वह वैसे ही अपनी टांगें फैलाए हुए बोली)

मामी मैं तुम्हें पीछे से चोदना चाहता हूं तुम्हारी बड़ी बड़ी गांड को अपने हाथों में पकड़ कर तुम्हें चोदना चाहता हूं तब तुम्हें भी और मुझे भी बहुत मजा आएगा,,,

लेकिन मैं समझ नहीं पा रही हूं कि मुझे करना क्या है?

तुम्हें बस अपने घुटनों और हाथ के बल बैठकर अपनी गांड को ऊपर की तरफ उठा लेना है जैसे कि कुत्तिया चुदवाती है बस वैसे ही,,, और मैं तुम्हें पीछे से चोदूंगा,,,

( शुभम की बात सुनते ही उसके तन-बदन में हलचल सी मच गई क्योंकि जिस तरह से वह चुदवाने के लिए बोल रहा था उस तरह से उसके पति ने कभी भी जिक्र तक नहीं किया था,,, इसलिए शुभम की बात सुनकर उसके मन में उत्सुकता बढ़ने लगी लेकिन वह खुद से उस पोजीशन में नहीं आ पा रही थी इसलिए शुभम ने ही उसकी मदद करते हुए,,, उसे घोड़ी बना दिया और इस अवस्था में उसे चोदना शुरू कर दिया इस अवस्था में चुदवाते हुए उसकी मामी तो एकदम पागलों की तरह मस्त होने लगी। शुभम तो बार-बार उसकी बड़ी बड़ी गांड पर चपत लगाते हुए उसे चोदने का मजा ले रहा था,,, शुभम इतना ज्यादा जोश में आ गया था कि अपने लंड को पूरा का पूरा बाहर की तरफ खींच कर केवल अपने लंड के सुपाड़े को ही बुर में हल्का सा अटकाया रहता था और इतना जोरदार धक्का मारता कि उसकी मांमी आगे की तरफ लुढ़क जाती थी लेकिन उसे वह कमर से कस के पकड़े हुए था इस तरह की चुदाई करने में बहुत मजा आ रहा था साथ ही उसकी मामी मभी एक दम मस्त हुए जा रही थी,,,, शुभम के हर धक्के का जवाब देते हुए उसकी ममीं भी अपनी बड़ी-बड़ी गांड को पीछे की तरफ ठेल दे रही थी जिससे दोनों का मजा दुगना होता जा रहा था।। ऐसे ही एक बार एक लंड को बाहर की तरफ खींच कर धक्का मारने में उसका लंड से चलकर उसकी बुर के नीचे वाले छेद में घुस गया उसका धक्का ईतना करारा था की,,, शुभम का पूरा सुपाड़ा जो कि बुर के मदन रस में भिगकर एकदम गीला हो चुका था,,, वह पूरा सुपाड़ा उसकी गांड की भूरे रंग के छेद में समा गया,, उसकी मामी तो दर्द से बिलबिला उठी उसे समझ में ही नहीं आया कि यह क्या हुआ,,, एक बार फिर से उसके मुंह से चीख निकल गई लेकिन इस बार की चीख पहले वाली चीख से कई गुना ज्यादा थी,,। लेकिन जिस क्षेंद में शुभम का लंड घुसा था,,, उस छेंद में
शुभम अपने लंड को डालने के लिए ना जाने कब से तड़प रहा था और इसके लिए वह अपनी मम्मी से भी कई बार बोल चुका था। लेकिन उसकी मम्मी अनजाने डर और दर्द से भयभीत होकर उसकी यह बात नहीं मान रही थी, और आज अनजाने में ही उसका लंड ऊसकी मामी की गांड के छेद में घुस गया था।,,, छोटे से छेंद मे ऊसके लंड का मोटा सुपाड़ा घुस गया था, और इस अनजाने में हुए हमले की वजह से उसकी मामी दर्द से बिलबिला उठी थी,, उसकी चीख बहुत तेज थी वह तो अच्छा था कि घर में कोई भी मौजूद नहीं था वरना आज दोनों रंगे हाथ पकड़े जाते,, वह दर्द से तड़पते हुए शुभम को गांड के छेद में से अपना लंड बाहर निकाल लेने के लिए कह रही थी,,,,

ओहहहह मां,,,,,, आहहहहहहहहह,,, हाय रे मार दीया जालीम,,,, शुभम क्या किया रे तूने कहां डालने की जगह कहां डाल दिया मुझे बहुत दर्द हो रहा है।

मुझे अंदर बहुत जलन हो रही है तू जल्दी से निकाल ले नहीं तो मेरी जान चली जाएगी तु नह़ जानता कि कितना दर्द हो रहा है।,,,,
( उसकी मामी दर्द से तड़प रही थी लेकिन शुभम को एक अद्भुत एहसास का अनुभव हो रहा था,, उसकी मनोकामना आज थोड़ी बहुत पूरी हुई थी आज ऊसका लंड गांड के छेद में घुस गया था। और इस अद्भुत एहसास नहीं उसे कुछ पल मे ही बेहद आनंद की अनुभूति करा दीया। उसके जी में तो आ रहा था कि अंदर बाहर करते हुए वह मामी की गांड मारने लगे लेकिन ऐसा करने में बना काम बिगड़ सकता था क्योंकि उसकी मामी को बहुत ज्यादा दर्द हो रहा था।,,, लेकिन फिर भी वह अपनी मामी को मनाने के उद्देश्य से उसकी बड़ी बड़ी गांड को अपने दोनों हथेली से सहलाते हुए बोला,,,।

मामी बस थोड़ी देर और रुको तो इसमें भी बहुत मजा आएगा,,,

हरामजादे क्या उसने मजा आएगा कितना दर्द हो रहा है तुझे क्या मालूम,,,,

मुझे मालूम है मामी की बहुत दर्द करता है।

तुझे कैसे मालूम क्या तू भी गांड मराता है क्या,,,,
( दर्द से सिसकते हुए बोली)

अरे मामी (गांड को अपनी दोनों हथेलियों में भरकर मसलते हुए) मैं जानता हूं कि उसने भी मुझसे यह काम भी करवाई थी शुरु-शुरु में वह भी तुम्हारी तरह ही चीख रही थी चिल्ला रही थी,,, लेकिन उसके बाद तो वह अपने गांड को उछाल उछाल के पीछे की तरफ मेरे लंड पर पटक पटक कर गांड मरवाने का मजा लूट रही थी,,,
( ऐसा कहते हुए वह जितना घुसाया था उतना ही हलके से बाहर निकाल कर धीरे से एक बार फिर से अंदर की तरफ सरका दिया लेकिन इस बार भी उसकी मामी के मुंह से चीख निकल गई। शुभम समझ गया कि इतनी जल्दी वह अपनी गांड देने वाली नहीं है लेकिन इतने से ही बहुत तेज ना के परम शिखर पर पहुंच गया था,,, शुभम को समझाने के बावजूद भी उसके दूसरे प्रयास की वजह से वह थोड़ा गुस्सा हो गई और वह चिल्लाते हुए बोली,,,।)

शुभम तू पागल हो गया है क्या तुझे इतना समझा नहीं कि मुझे दर्द हो रहा है फिर भी नहीं मान रहा है निकाल ले वर्ना में कुछ भी नहीं करने दुंगी।,,,

( अपनी मामी के गुस्से को देखते हुए वह ईतना ताै समझ ही गया की अगर वह नहीं माना तो शायद सारा मजा धरा का धरा रह जाएगा वह मन ही मन सोच कर उदास होने लगा कि लगता है कि उसकी गांड मारने वाली इच्छा कभी भी पूरी नहीं हो पाएगी इसलिए वह अपने लंड को उसकी गांड से बाहर निकालते हुए बोला,,,।

ठीक है मामी निकाल रहा हूं इतना नाराज क्यों हो रही हो वह तो तुम्हारी बड़ी-बड़ी गांड मुझे बेहद पसंद आ रही थी इसलिए ऐसा हो गया,,,।

ऐसा हो गया ( मुंह बनाते हुए) तेरे ऐसा हो गया मै तो मेरा न जाने क्या क्या हो गया था।,,,,,

ठीक है मामी अब चिंता मत करो देखना तुम्हें और ज्यादा मज़ा आएगा,,( इतना कहते हुए शुभम एक बार फिर से अपने लंड को उसकी गीली बुर के अंदर डाल दिया और दोनों हाथों से उसकी बड़ी बड़ी गांड को थाम कर चोदना शुरू कर दिया,,, और थोड़ी ही देर में उसकी मामी को भी मजा आने लगा,,,, जांघ से जांघ टकरा रही थी जिससे एक मादक आनंदित कर देने वाला शोर पूरे कमरे में गूंज रहा था कमरे के अंदर का वातावरण एक बार फिर से गर्म हो चुका था। शुभम की मामी अपने भांजे से चुदवाने का भरपूर मजा ले रही थी,,, वह कभी सपने में भी नहीं सोची थी कि ऐसा कुछ होगा और इतनी जल्दी होगा आज सुबह ही तो वह शुभम के नाम के दर्शन करके मस्त हो गई थी,और दोपहर में ही उसके मस्त लंड को अपनी बुरं में लेकर मदहोश होते हुए चुदाई का आनंद लूट रही थी। शुभम अब जोर जोर से धक्के लगा रहा था और उसके हर धक्के के साथ उसकी मांमी आगे की तरफ लुढ़क जा रहीे थी।,,, शुभम उसे चोदते हुए उसके पूरे बदन पर अपनी हथेली या फिरा रहा था।


ओहहहहहह,,,,, मामी मेरी जान तुम कितनी मस्त हो,, तुम्हें चोदते हुए मुझे इतना मजा आ रहा है कि मैं बता नहीं सकता,,,
( शुभम जानबूझकर उसे जान कह कर संबोधित कर रहा था ताकि चुदवाते समय और वह भी ज्यादा खुल जाए,,, शुभम की यह बात उसकी मामी को भी बेहद अच्छी लगी थी इसलिए तो वह मन ही मन प्रसन्न हो रही थी। फिर भी जानबूझकर एतराज जताते हुए बोली)

सससहहहहहह,,,,,, आहहहहहहहह,,,,, तू ऐसा कैसे कह रहा है जानता है ना कि मैं तेरी मामी हूं फिर भी तुझे बिल्कुल भी समझ नहीं है और मुझे जान कह कर बुला रहा है।,,,

तो क्या कहूं मेरी रानी मैं तो यही कहूंगा और सच कहूं तो अगर समाज का डर नहीं रहता तो मैं तुम्हें अपनी प्रेमिका बना लेता,,,,

धत्त कितनी गंदी बातें करता है तु,,,,, ( वह जानबूझकर इस तरह का बोल रही थी जबकि उसे शुभम की बातें सुनकर बहुत मजा आ रहा था और वह मस्त होकर बार-बार पीछे की तरफ अपनी बड़ी बड़ी गांड को ठेल दे रही थी।)

यह गंदी बातें नहीं है मामी यह तो प्यार की बाते है,,,,

लेकिन तू ऐसी बातें मत कर मुझे शर्म आती है।

एकदम नंगी होकर मुझसे चुदवा रही हो तब शर्म नहीं आ रही है और मेरी बातें सुनकर तुम्हें शर्म आती है।,,,
( शुभम की यह बात सुनकर वह शर्मिंदा हो गई और शर्मिंदगी जताते हुए बोली,,,।)

तु यह कह रहा है तो मैं चली जाती हूं (इतना कहने के साथ ही वह आगे की तरफ बढ़ी हुई थी कि शुभम ने उसकी कमर को अपने दोनों हाथों से कसके पकड़ते हुए बोला)

अरे कहां जा रही हो मेरी जान तुम्हें तो मै अब कहीं नहीं जाने दूंगा जब तक आज मैं तुम्हारी जवानी के रस को चख ना लूं तब तक तुम्हें इस कमरे से बाहर भी जाने ीत नहीं दूंगा (और इतना कहने के साथ ही शुभम धकाधक तीन चार धक्के दे मारा इतने में तो एकदम से मस्त हो गई और सब कुछ भूल कर फिर से अपनी गांड को पीछे की तरफ ऊछालने लगी,, और गरम सिसकारी लेते हुए बोली,,,।)

ससससहहहहहह,,,,,, तू बहुत हारामी है रे,,,, मैं कभी सपने में भी नहीं सोच सकती थी कि तू इस तरह का लड़का होगा देखने में कितना भोला लगता है लेकिन है बहुत शैतान,,,,( शुभम की जबरदस्त धक्कों का मजा लेते हुए बोली)

तुम भी तो मामीे एकदम छिनाल है मैं भी तो कभी नहीं सोचा था कि तुम इस कदर प्यासी हो कि अपने ही भांजे का लंड अपनीे बुर में लेकर चुदवाओगी,,,,,( शुभम आगे की तरफ झुक कर दोनों हाथ को नीचे की तरफ ले जाकर उसकी बड़ी बड़ी छातियों को दबाते हुए बोला)

आहहहहहहहह,,,,, अरे हरामजादे कितना गंदा बोलता है के तु,,, बहुत हरामी है।

मामी तभी तो तेरी जैसी औरत को चोदने में मजा आता है।,,,सच सच बताना,,,, तुम्हे मजा आ रहा है की नही,,,
( जोर जोर धक्के लगाते हुए बोला)

ऊूूूहहहहहहहह,,,,,, सससससहहहहहहहह,,,, मजा तो इतना आ रहा है कि पूछ,,,,मत ऐसा लग रहा है कि मैं हवा में उड़ रही हूं,,,

तो बस चुदाई का मजा ले मेरी जान ले संभाल अपने आपको मेरा मोटा लंड तेरी बुर की गहराई नाप रहा है,,,
( इतना कहते हुए शुभम जोर-जोर से चोदना शुरू कर दिया और उसकी मां ने भी उसके लंड का स्वागत करते हुए जोर-जोर से अपनी गांड को पीछे की तरफ ठेलना शुरु कर दी,,, शुभम के धक्कों की गति तेज हो गई,,, उसकी मांमी जोर-जोर से सांसे लेते हुए चुदाई का मजा ले रही थी। दोनों की मेहनत रंग ला रही थी दोनों को अद्भुत सुख का एहसास हो रहा था दोनों का बदन पसीने से तरबतर हो चुका था। दोनों धीरे-धीरे चरमोत्कर्ष की तरफ बढ़ रहे थे। तभी उसकी मामी कि सांसे एकदम से तेज हो गई और वह सिसकारी लेते हुए बोली,,,,

ससससहहहहहह,,,,, आहहहहहहहह,,,, सुभम मुझे कुछ हो रहा है ऐसा लग रहा है मैं कहीं बही जा रही हूं। मै समझ नहीं पा रही हूं लेकिन जो भी हो रहा है मुझे बहुत सुख दे रहा है।

तेरा पानी निकलने वाला है मामी चिंता मत कर मेरा भी निकलने वाला है,,,,
( और इसी के साथ ही सुभम जोर जोर से धक्के लगाने लगा,, उसकी मामी की उत्तेजना बढ़ती जा रही थी सांसे फूल रही थी बिस्तर पर भी छाई हुई चादर अस्त-व्यस्त हो गई थी जिसे वह अपनी मुट्ठी से भींचे हुए थी,,,, और थोड़ी सी देर में दोनों सुखद सीख के साथ अपना अपना पानी फेंक दिए। शुभम को अपनी मामी को चोदने में बेहद आनंद की अनुभूति हुई थी और उसकी मामी जिंदगी में पहली बार चुदाई की असली सुख से वाकिफ हो रही थी। कुछ देर तक सुभम उसकी पीठ पर हीं लेटा रहा।


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