Sex kahani अधूरी हसरतें
04-01-2020, 03:25 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
दोनों झड़ चुके थे और दोनों संपूर्ण नग्नावस्था में एक दूसरे को अपनी बाहों में भींचेलहुए बिस्तर पर लेटे हुए थे।,, शुभम अभी भी अपनी मामी की चूची को मुंह में भरकर पी रहा था,,, और वह एक हाथ से उसके बालों को सहलाते हुए शुभम के लंड को हल्की हल्की सहला रही थी।,,, दोनों के पास अभी भी अच्छा खासा समय बचा हुआ था,,, शुभम अपनी मामी की चूचीें पीते-पीते उसे फिर से उत्तेजित करने लगा,,, उधर शुभम का लंड फिर से तैयार हो चुका था इतनी जल्दी फिर से लंड को खड़ा होते देख उसकी बुर में गुदगुदी होने लगी,, फिर क्या था शुभम तो हमेशा तैयार ही रहना था और उसकी मामी प्यासी औरत थी जोकी जितनी बार मिले उतनी बार उसकी प्यास और ज्यादा बढ़ जाती । फिर क्या था एक बार फिर से उसकी मम्मी ने अपनी टांगो को फैला दी और शुभम फिर से एक बार उसके अंदर समा गया।
एक बार फिर से दोनों एकाकार हो गए इस बार भी ऊसकी मामी मस्त होकर शुभम के लंड से चुदवाने का मजा लूटने लगी,,, तकरीबन 35 मिनट चुदाई के बाद एक बार फिर से दोनों अपना अपना माल गिरा दिए,,, उसकी मामी एक दम मस्त हो चुकी थी,,,, लेकिन सुभम ने इतना ज्यादा रगड़ा था कि उसकी बुर दर्द कर रही थी,,,,, अभी भी दोनों बिल्कुल नंगे थे उसकी मम्मी का तो पता नहीं लेकिन शुभम की यही तो कमजोरी थी बड़ी बड़ी गांड और नंगी औरत काे देखकर चाहे जितनी बार भी उसका पानी गिरा हो उसका लंड तुरंत खड़ा हो जाता था,,,, और यही हुआ भी क्योंकि उसकी मामी बुर में दर्द के कारण खड़ी होकर इधर उधर टहल रही थी और इसी दौरान वह अपनी मामी की बड़ी बड़ी गांड को मटकते हुए देख रहा था,,, उससे और उसके लंड से रहा नहीं गया और उसका लंड तुरंत खड़ा हो गया यह देखकर उसकी मामी भी हैरान हो गई,,, और वह मुस्कुरा कर के करीब आते हुए बोली,,,

तू इंसान है कि जानवर जब देखो तब तेरा खड़ा हो जाता है,,,।

मेरे सामने इतनी खूबसूरत मस्त औरत है तो मेरा लंड तो खड़ा होगा ही,,, चल मामी अब बिल्कुल भी देर मत कर एक बार फिर से मुझे दे दे,,,

पागल हो गया है क्या कितनी बार मैं तुझे दूं, अब मैं तुझे नहीं दे सकती मेरी बुर दर्द कर रही है,,,।( वह शुभम की ताकत को देखकर हैरान होते हुए बोली)

कोई बात नहीं मेरी जान एक बार गांड मारने दे( उसकी बड़ी बड़ी गांड पर हाथ फेरते हुए बोला)

धत्त,,,, पागल हो गया है क्या तू (उसका हाथ हटाते हुए) बहुत दर्द करती है।

क्या मामी यह दर्द करती है वह दर्द करती है मजा लेना है कि नहीं (सुभम अपने लंड को हीलाता हुआ बोला,, जिसे देख कर उसका मन मचलने लगा)

नहीं सुभम मुझे दर्द करता है और किसी भी वक्त वह लोग आ जाएंगे,,,

अभी बहुत समय है मामी तब तक तो अपना काम हो जाएगा (इतना कहते हुए वह अपनी मामी को बाहों में भर कर उसके होठों को चूसने लगा ताकि वह और ज्यादा उत्तेजित हो जाए उसके होठों को चूसते चूसते ऊसके बड़े-बड़े नितंबों पर भी हाथ फेऱते हुए उसे दबाने लगा,,, जिससे वह भी उत्तेजित होने लगी,, अब तो उसका भी मन करने लगा एक बार फिर से चुदवाने का लेकिन उसकी बुर दर्द कर रही थी,,, और गांड में लेने से उसे डर लग रहा था लेकिन उसे सुगम पर विश्वास था इसलिए वह बोली,,,।)

मुझे डर लग रहा है कहीं बहुत दर्द किया तो,,,
( अपनी मामी की यह बात सुनकर सुभम समझ गया कि उसकी मां मेरी पूरी तरह से तैयार हो चुकी है बस थोड़ा सा झिझक रही है। और वह उसकी झिझक को को खत्म करते हुए बोला,,,।)

अरे मामी तुम चिंता मत करो वह तो अनजाने में ही हो गया था इसलिए दर्द कर रहा था मैं तुम्हें ऐसे प्यार से करूंगा कि तुम खुद हीै बार-बार मुझसे अपनी गांड मरवाने के लिए करोगी,,, ( इतना कहते हुए शुभम अपनी उंगलियों को उसकी बड़ी-बड़ी गांड की फांकों की बीच की गहराई में उतार कर अंगुलियों से टटोलकर ही उसकी गांड की भूरे रंग के छेद का जायजा लेने लगा,,, शुभम की इस हरकत से वह और भी ज्यादा मस्त हो गई और गांड मराने की उत्सुकता बढ़ने लगी।
शुभम कुछ देर तक वैसे ही उसके होठों का रसपान करते हुए उसकी बड़ी बड़ी गांड को मसलते रहा जिससे कि उसकी भी उत्तेजना बढ़ने लगी और शिवम का टेंशन आया हुआ है उसकी जांघों के बीच रगड़ खाने लगा जिससे उसकी मामी के बदन में और ज्यादा शुरुर छाने लगा,,, अब तो आलम यह हो गया था कि उसकी मामी खुद घोड़ी बनकर चुदवाना चाहती थी,,, धीरे धीरे शाम ढलने को हो रही थी इसलिए ज्यादा समय नहीं बचा था,,, और जिस तरह से शुभम अभी भी चाटने सहलाने में लगा हुआ था उससे ओर समय ज्यादा गुजर जाता, इसलिए उसकी मामी को चिंता होने लगी और वह खुद ही बोली,,,।

क्या कर रहा है शुभम ऐसे तो समय और ज्यादा बीत जाएगा वह लोग कभी भी आ सकते हैं तुझे जो करना है वह जल्दी कर,,,
( अपनी मामी की बात सुनकर शुभम समझ गया कि उसकी मामी काफी उतावली हो चुकी है गांड मराने के लिए इसलिए समय बर्बाद करना ठीक नहीं था,,, वह भी जल्दी से अपनी मामी से अलग हुआ और उसकी मामी खुद ही बिस्तर पर घोड़ी बन गई,,, शुभम तू अपनी मामी की इस अवस्था में बड़ी-बड़ी गांड को देखकर और ज्यादा उत्तेजित हो गया था। वह बेहद उत्तेजित नजर आ रहा था क्योंकि उसकी मनोकामना आज पूरी होने वाली थी।,,, वह अपनी नानी के करीब पहुंचकर अपनी उत्तेजना को दबा ना सकने की स्थिति में दो चार चपत उसकी गोरी गोरी गांड पर लगा दिया,,,

आहहहहहहहह,,,, क्या कर रहा है,,,

कुछ नहीं मामी मजा आ रहा है,,,,।

जो करना है जल्दी कर अगर वह सब आ गए तो,,,
( इतना कहकर वह अपनी नजरें पीछे फेरकर शुभम की तरफ देखने लगी जोकि अपना मुंह उसकी जांघों के बीच ले जाकर के उसकी गांड के भुरे रंग के छेद को चाटना शुरू कर दिया था। यह देख कर वह एकदम से चुदवासी हो गई और ऊसके मुंह से सिसकारी निकल गई,,,।
04-01-2020, 03:26 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
ससससहहहह,,,,,,,ओहहहहहहहहह,,,,,, शुभम,,,,, तू तो मुझे पागल कर देगा रे,,,,
( शुभम अपनी हरकतों से अपनी मामी को और ज्यादा तड़पा रहा था और वह खुद से उनकी हरकतों से इतनी ज्यादा उत्तेजित हो गई थी की अपने आप को संभाल नहीं पा रही थी और एक हाथ से खुद ही अपनी चूची को दबाने लगी थी,,, कुछ देर तक सुभम ऐसे ही उसकी गांड को चाट़ता रहा,,, अब वह समय आ गया था जब वह किसी औरत की गांड मारने जा रहा था वह खड़ा हो चुका था वह जानता था कि गांड का छेद कुछ ज्यादा ही टाइट है,, जिसे वह चाट चाट कर गीला कर चुका था,,, लेकिन शुभम उसे और ज्यादा लसीला करना चाहता था ताकि उसका लंड आराम से चला जाए,,,, इसलिए वह बोला,,,

मामी तेल की शीशी कहां है,,,,

( शुभम ने अपनी हरकतों से अपनी मामी को इतनी ज्यादा कामाग्नि से भड़का चुका था की उत्तेजना के मारे उसके मुंह से कोई शब्द नहीं फुट रहे थे और वह इशारे से ही अलमारी की तरफ उसे बता दी,,, शुभम जी जल्दी से जाकर अलमारी से तेल की शीशी ले आया और तेल की शीशी से तेल निकाल कर थोड़ा अपने लंड पर और उसकी गांड के छेद पर लगा दिया,,, यह एक तरह से शुभम के लिए होमवर्क था। क्योंकि शुभम मन में सोच रहा था कि आज उसकी मामी से वह सीख भी जाएगा कि गांड मारने में कितना मजा आता है और कैसे मारा जाता है क्योंकि उसकी दिली ख्वाहिश इच्छा ऐसी थी कि वह अपनी मम्मी की गांड मारने के लिए बेहद उत्सुक था। इसलिए वह अपनी मम्मी की गांड मारने से पहले अपने आप को पूरी तरह से इस अध्याय से पूरी तरह से अवगत करा लेना चाहता था। उसकी मामी बार-बार पीछे की तरफ देख रही थी उसे इस बात का इंतजार था कि कब सुभम अपने लंड को उसके छोटे से छेद में डालकर उसे चोदता है,,,
तभी वह अपने लंड के सुपाड़े को उसके छेद पर रखकर हल्के से धक्का मारना शुरू किया,,, तेल की चिकनाहट पाकर उसका सुपाड़ा धीरे धीरे अंदर की तरफ सरकने लगा लेकिन उसकी मामी को दर्द का एहसास भी होने लगा इसलिए वह अपने आप को पूरी तरह से तैयार करते हुए चादर को अपनी मुट्ठी में भींच ली थी,,, धीरे-धीरे करके शुभम ने अपने पूरे लंड को उसकी गांड में उतार दिया लेकिन उसकी मामी दर्द से बिलबिला रहे थे लेकिन फिर भी अपने दर्द को अपने दांत भींचकर दबाए हुए थी। लेकिन शुभम ने अपनी सूझबूझ से अपनी हरकतों की वजह से धीरे-धीरे उस के दर्द को दूर कर दिया,,, और अपनी कमर को आगे पीछे हिलाते हुएं उसकी गांड मारना शुरू कर दिया,,, उसकी मामी भी आज इस तरह का नया अनुभव लेकर एकदम मदहोश हो चुकी थी वहां भी अपनी जान को पीछे ठेल-ठेल कर उसका साथ दे रही थी। दोनों में जैसे होड़ लगी हो वह अपनी गांड को पीछे की तरफ दो मारती और शुभम आगे से धक्के पर धक्के लगाया जा रहा था,,, शुभम इतनी तीव्र गति से अपनी कमर हिलाते हुए उसकी गांड मार रहा था कि उसकी मामी एकदम से हिल गई थी,,, एक बार फिर से गर्म सिसकारी से उसका कमरा गूंजने लगा था दोनों फिर से पसीने से तरबतर हो चुके थे,,, उसकी मम्मी तो इतनी ज्यादा उत्तेजना का अनुभव कर रही थी कि एक हाथ से अपनी चूची दबा रही थी और दूसरे हाथ से अपनीबुगं की गुलाबी पत्ती को मसल रही थी जिसकी वजह से वह भी झड़ने के कगार पर पहुंच चुकी थी,,, एक बार फिर से दोनों ही एक साथ अपना अपना पानी का फव्वारा फेंक दिए।
जिंदगी में पहली बार उसकी मम्मी ने चुदाई की असली सुख का अनुभव की थी और शुभम के लिए जिंदगी में दूसरी औरत है जिसके साथ वह चुदाई का मज़ा ले रहा था और।वह भी उसकी खुद की मामी थी। दोनों कमरे से बाहर आ गए थे शाम ढल चुकी थी तभी दूर अंधेरे में गाड़ी की हेडलाइट नजर आने लगी और वह लोग समझ गए कि घर के सभी लोग वापस आ रहे हैं दोनों बहुत खुश थे।
04-01-2020, 03:26 PM,
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शुभम की मामी बेहद खुश नजर आ रही थीे और खुश नजर आती भी क्यों नहीं जिंदगी में पहली बार तो उसने एक असली मर्द से चुदाई के सुख की अनुभूति जो की थी।,,, बाजार से सभी लोग वापस आ चुके थे,,। शुभम भी बहुत खुश नजर आ रहा था उसने भी आज किसी दूसरी औरत को चोदने का सुख जो प्राप्त किया था। मजा दोनों को आया था। शाम ढल चुकी थी रात धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी घर की सभी औरतें खाना बनाने में जुट गई थी।,, शुभम इधर उधर टहल कर अपना समय व्यतीत कर रहा था क्योंकि उसकी मां भी घर की औरतों के साथ खाना बनाने में उनकी मदद कर रही थी वैसे भी शुभम को घर के लोगों में सिर्फ औरतो मे ही दिलचस्पी रहती थी बाकी किसी से कोई मतलब नहीं रहता था क्योंकि उसके काम की और सुख की, चीज केवल औरतों के पास ही रहती थी। गांव में आते ही सबसे पहले उसकी नजर उसकी मामी पर ही थी जिसे वह प्राप्त कर चुका था। और उसकी नमकीन रसीली बुर का स्वाद चख कर उसका आत्मविश्वास और ज्यादा बढ़ चुका था।,,, इधर-उधर टहलते हुए अपनी मामी के बारे में ही सोच रहा था और उसे उसकी गांड मारने में जो सुख मिला था उस सुख की अनुभूति करके उसका तन बदन अभी तक उत्तेजना के मारे गनगना जा रहा था।,, उसे यकीन हो चला था कि औरतों की गांड मारने में भी बहुत मजा आता है और उसके मन में यह ख्याल बार-बार आ रहा था कि जब उसकी मामी की गांड मारने मैं उसे इतना मजा आया तब,, जब वह उसकी मां की गांड मारेगा तब उसे कितनी ज्यादा सुख की अनुभूति होगी,,
क्योंकि हर मामले में उसकी मां उसकी मामी से बेहतरीन थी। बहुत दिन हो गए थे शुभम अपनी मां के साथ खुलकर चुदाई का सुख नहीं ले पाया था। इसलिए अपनी मां के बारे में सोच कर उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी,,,।
दिन भर के ख्याल से ही उसके तन-बदन में फिर से मस्ती की लहर जोर मारने लगी वह धीरे-धीरे करके वह छत पर चला गया छत पर इधर-उधर चहल कदमी करते हुए पूरे गांव का नजारा ले रहा था चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था लेकिन,,, दूर दूर घरों में थोड़ी बहुत रोशनी नजर आ रही थी जो कि दूर से देखने पर बहुत ही खूबसूरत नज़ारे के रूप में प्रतीत हो रही थी।

वह इधर उधर देख कर समय व्यतीत करते हुए भोजन का इंतजार कर रहा था क्योंकि उसे भूख भी लग चुकी थी कुछ देर तक यूं ही टहलते हुए वह छत के नीचे की तरफ देखने लगा, तो जहां पर गाय भैंस बात कर रखी जाती है वहां से एक साया निकल कर घर के पीछे की तरफ जाता हुआ नजर आने लगा अधेरा इतना थानकृ ज्यादा कुछ नजर नहीं आ रहा था,, लेकिन उस साये को देखकर शुभम को इतना तों पता चल ही गया कि वह कोई औरत थी, वह कुतूहल वस उस औरत को देखने लगा जो कि उसे ठीक से वह देख नहीं पा रहा था,,, वह साया घर के पीछे की तरफ जाते हुए बार-बार पीछे मुड़कर देख ले रही थी और कभी-कभी जाकर खड़ी हो जाती थी और खड़ी होकर इधर उधर देखने लगती थी उसकी इस हरकत को देखकर शुभम को थोड़ा शक होने लगा,,,, क्योंकि उस साये की हरकत बेहद शंकास्पद थी,,, वह साया घर के पीछे की तरफ थोड़ी दूर तक जा कर रुक गया,,,,, शुभम उत्सुकतावश ऊसे साये पर बराबर नजर रखे हुए था क्योंकि इतना तो तय था कि वह साया उसके ही घर से निकलकर पीछे की तरफ जा रहा था,,, इसलिए वह यह देखना चाहता था कि आखिर वह है कौन और पीछे की तरफ क्यों जा रही है। वह साया कुछ देर तक उस झाड़ी के पास रुक गया एक पल को तो ऊसे लगा कि कहीं सौच के लिए ना गई हो,, लेकिन तभी उसी झाड़ियों के बीच से एक साया और बाहर की तरफ निकला,,,, और उस साए के साथ झाड़ियों के अंदर की तरफ चली गई शुभम को समझते देर नहीं लगी कि मामला कुछ ज्यादा ही गड़बड़ है। शुभम वहीं खड़े रहकर ऊस साऐ के निकलने का इंतजार करने लगा वह देखना चाहता था कि आखिर वह है कौन क्योंकि अंधेरा इतना था कि ठीक से नजर भी नहीं आ रहा था।।,,,, लेकिन तभी खाने के लिए उसका नाम लेकर बुलाने लगे और बुलाने वाली उसकी मामी थी,,। बहुत अपनी मामी की आवाज सुनकर कुछ देर में आता हूं इतना कहकर फिर से वही खड़ा हो गया लेकिन उसकी मामी लगातार उसे आवाज देती रही, इसलिए तंग आकर वह छत से नीचे भोजन करने के लिए आ गया।,,, खाते समय भी वह उस साए के बारे में सोचने लगा,,, शुभम की बड़ी मामी आज और भी ज्यादा प्यार से उसे खाना परोस रही थी जिसका मतलब शुभम अच्छी तरह से जानता था,,,, निर्मला भी घर के सभी लोगों के साथ बैठकर खाना खा रही थी।,, खाते-खाते निर्मला शुभम से बोली,,,,

शुभम तूने मामी को ज्यादा परेशान तो नहीं किया ना।
( शुभम के जवाब देने से पहले ही शुभम की मामी बोली,,,)

अरे नहीं निर्मला शुभम ने मुझे जरा भी परेशान नहीं किया बल्कि यह तो बहुत ही अच्छा लड़का है। आज दिनभर मेरी मदद करता रहा,,,( इतना कहकर वह शुभम की तरफ देख कर मुस्कुराने लगी शुभम भी जवाब में मुस्कुरा दिया,,,,)

चलो अच्छा है कि तुम्हारे किसी काम तो आया वरना वहां तो जरा भी काम नहीं करता था।( निवाला मुंह में डालते हुए बोली,,,, अपनी मां की बात सुनकर शुभम बोला,,,)

क्या मम्मी तुम भी झूठ बोलती हो क्या मैं तुम्हारी मदद नहीं करता जब भी तुम्हें जरूरत पड़ती है,,, चाहे दिन हो या रात हमेशा तुम्हारी मदद के लिए तैयार रहता हूं,,।
( अपने बेटे की बात और उसके कहने का मतलब समझकर निर्मला मुस्कुराने लगी)
और सच बताऊं तो मम्मी मामी भी बहुत प्यारी है आज दिन भर मुझे खिलाती रही जब तक कि मेरा पेट भर नहीं गया,,,, ( शुभम की मामी शुभम की बात सुनकर एक पल के लिए तो झेंर सी गई,,,, लेकिन फिर मुस्कुराने लगी इसी तरह से बातों का दौर चल रहा है,,, घर के सभी लोग भोजन करके अपने अपने कमरे में जा चुके थे।,, लेकिन उसकी बड़ी मामी की नींद उड़ी हुई थी,,,, दिन में जिस तरह की जबरदस्त चुदाई करवाई थी उस चुदाई की वजह से उसकी बुर में खुजली होने लगी थी,, उसे फिर से शुभम के लंड की आवश्यकता जान पड़ रही थी,,, बगल में उसका पति खर्राटे भर रहा था जिसकी तरफ देखकर मन ही मन में भुनभुनाने लगी,,, आज की चुदाई के बाद से वह समझ गई थी कि उसका पति कोई काम का नहीं है। रात काफी हो चुकी थी लेकिन उसकी आंखों में नींद नहीं थी वह कमरे से बाहर जाना चाहती थी शुभम के पास लेकिन वह हम यह भी जानते थे कि शुभम तो कमरे में सोता है अगर कहीं बाहर सोता होता तो वह उसे जरूर जगाकर अपनी प्यास बुझवा ली होती,,, क्या करें उसे कुछ समझ में नहीं आ रहा था उत्तेजना के मारे उसकी बुर फिर से पानी छोड़ रही थी,,,, जिसे वह साड़ी के ऊपर से ही अपनी हथेली से रगड़ कर उसे और ज्यादा गर्म कर रही थी,,,।
04-01-2020, 03:26 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
वह मन ही मन सोच रही थी कि इस समय शुभम उसके पास होता तो कितना मज़ा आता मुझे यहां तड़पता छोड़ कर अपने कमरे में आराम से सो रहा होगा यही सब सोचते हुए वह साड़ी के ऊपर से ही अपनी बुर को जोर-जोर से रगड़ रही थी। उसे लग रहा था कि शुभम अपने कमरे में सो रहा होगा लेकिन शुभम अपनी मां को एकदम नंगी करके और खुद भी नंगा होकर उसे अपनी बाहों में भर कर उसके गुलाबी होठों का रसपान कर रहा था। निर्मला भी काफी दिनों से प्यासी थी इसलिए वह भी उत्तेजना से भर कर अपने बेटे को अपनी बाहों में कस कर ऊसका साथ देते हुए उसके होठों को मुंह में भरकर चूस रही थी। निर्मला नीचे लेटी हुई थी और उसके ऊपर शुभम लेटा हुआ था शुभम के दोनों हाथों में उसकी बड़ी बड़ी चूचियां थी जिसे वह जोर-जोर से दबाते हुए मजे ले रहा था। कुछ ही देर में पूरा कमरा गर्म सिसकारियों से गूंज रही थी शुभम का लंड पूरी तरह से तैयार था जो कि उसकी जांघों के बीच उसकी बुर के इर्द-गिर्द ठोकर मार रहा था। जिससे उसकी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। शुभम बेहद कामी मर्द बनता जा रहा था क्योंकि दोपहर में ही उसने अपनी मामी के साथ कई बार संभोग सुख भोग चुका था अगर शुभम की जगह दूसरा कोई होता तो शायद उसका लंड खड़ा ही नहीं होता वह थक कर अब तक सो गया होता लेकिन शुभम फिर से चोदने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुका था। और ऐसे ही मर्द को तो औरत तलासती रहती है। शुभम पागलों की तरह अपनी मां के गुलाबी होठों को चूस रहा था। निर्मला की उत्तेजना से भाग चुकी थी वह अपने बेटे का पूरा साथ दे रही थी उसकी दोनों हथेलियां शुभम की नंगी पीठ से होती हुई नीचे की तरफ उसकी नितंबों तक जा रही थी जिसे वह पागलों की तरह अपने हथेली में भरकर दबा रही थी जिससे शुभम उत्तेजित होकर अपनी कमर को हल्के हल्के से गोल-गोल घुमाते हुए अपने लंड की रगड़ उस की बुर पर महसूस करा रहा था। और यह रगड़ निर्मला को पूरी तरह से कामोत्तेजीत बनाकर उत्तेजना के सागर में गोते लगवा रही थी। दोनों पागलों की तरह एक-दूसरे के बदन को नोच खसाेट रहे थे।

ओह सुभम तेरी बाहों में ही मुझे सुकून मिलता है। ना जाने मुझे तेरा नशा सा हो गया है कि जब तक तेरे लंड को अपनी बुर में ले कर चुदवाती नहीं हूं तब तक मेरे बदन मै ना जाने कैसा दर्द सा महसूस होता रहता है।,,

तेरा यही दर्द खत्म करने के लिए तो मैं तेरे कपड़े उतार कर तुझे नंगी कीया हुं मेरी रानी,,,,। अब देख मेरा कमाल,,,, (इतना कहने के साथ ही शुभम ने अपने दोनों हाथों को नीचे की तरफ लाकर,,, उसकी मोटी मोटी और चिकनी जांघो को पकड़कर फैला दिया,,, शुभम की इस हरकत की वजह से निर्मला की धड़कनें तेज हो गई क्योंकि वह समझ गई कि अब शुभम क्या करने वाला है अभी भी शुभम के मोटे लंड का सुपाड़ा उसकी बुर की गुलाबी पत्तियों के ईर्द गिर्द रगड़ खा रही थी। जोकी दोनों के उत्तेजना को पल-पल बढ़ा रहा था।,,, निर्मला की बुर पहले से ही एकदम गीली हो चुकी थी इसलिए जैसे ही शुभम ने उसकी जांघों को चौड़ा करके अपने लंड को बिना हाथ लगाए,,, केवल सुपाड़े पर हो रहे जयपुर की गुलाबी पति के स्पर्श मात्र से ही उसने अपनी कमर पर दबाव देकर नीचे की तरफ झुक आया ही था कि उसके लंड को मोटा सुपाड़ा गप्प से रसीली बुर में समा गया,,, और जैसे हैं सुपाड़ा बुर में प्रवेश किया निर्मला के मुख से हल्की सी चीख निकल गई।

आहहहहहहहह,,,,

अपनी मां के मुख से गरम सिसकारी की आवाज सुनते ही शुभम एकदम से जोश में आ गया और दूसरे धक्के में ही वह अपने पूरे लंड को बुर के अंदर उतार दिया,,,
निर्मला भी पूरी तरह से कामोत्तेजित होकर एकदम से जोश में आ गई,,,और कस के शुभम को अपनी बांहो मे भींच ली,, दोनों पूरी तरह से उत्तेजना मैं सराबोर होकर एक दूसरे का शिकार करते हुए चुदाई का आनंद लेने के लिए आतुर हो चुके थे शुभम,,, धीरे-धीरे ना करते हुए शुरू से ही तेज झटकों का सहारा लेकर अपनी मां की जम के चुदाई करना था,,, निर्मला भी शुभम के हर धक्के का स्वागत करते हुए अपनी मुंह से गरम सिसकारियां भरते हुए आहहहह आहहहहहहहह ऊूहहहहहहह,,, की मादक आवाजें निकाल रही थी,,,,
शुभम के जेहन में अभी भी उसकी मामी की गांड मराई की यादें ताजी हुए जा रही थी इसलिए उसका मन निर्मला की गांड मारने को कर रहा था,,,। इसलिए वह अपनी मां की रसीली बुर में तेज तेज धक्के मारते हो उसके गालों को चूमते हुए बोला,,,,,

ओहहहहह,,,,,, मम्मी मैं तुम्हारी गांड मारना चाहता हूं मैं देखना चाहता हूं कि मेरा लंड तुम्हारी कसीली गांड के अंदर कैसे जाता है,,,,,
( निर्मला शुभम की बाते सुनकर एक पल के लिए सीहर सी गई,,, लेकिन शुभम की बातें सुन सुनकर उसके मन मेभी गांड मराने की उत्सुकता बढ़ती जा रही थी।,,, शुभम के मुंह से गांड मारने वाली बातें सुनकर उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी और वह भी शुभम को कस के अपनी बाहों में भरते हुए उसके चेहरे पर चुंबनों की बौछार करते हुए बोली,,,,।

बेटा तेरी बातें सुन-सुनकर मेरा भी मन करने लगा है लेकिन आज मैं थक चुकी हूं और पूरी तरह से तैयार नहीं हो लेकिन तुझसे वादा करती होगी गांव में ही तेरी
गांड मारने की ईच्छा जरुर पुरी करुंगी,,,, ओर अब बस इससे ज्यादा कुछ मत बोलना मुझे मस्त कर दे,,, मुझे मजा दे।,,,, मे तेरे लंड की प्यासी हुं।,,,,

( अपनी मां की बात सुनकर सुभम समझ गया कि इससे ज्यादा और कुछ बोलने जैसा नहीं है लेकिन उसे एक बात की तसल्ली हो गई थी कि गांव में ही उसे बहुत ही जल्द गांड मारने को मिलने वाला है। इसलिए जोर-जोर से अपनी मां की बुर में लंड पेलने लगा,,, शुभम के धक्के और उसकी कमर इतनी ज्यादा तेज चल रही थी की निर्मला अपने दोनों टांगों को ऊपर की तरफ उठा ली थी जिससे शुभम को उसे चोदने में और ज्यादा मज़ा आ रहा था। दोनों पसीने से तरबतर हो चुके थे निर्मला कहां जानती थी की दिन भर वह अपनी मामी की सेवा में लगा हुआ था और उसी से वह गांड मारने का अनुभव और सुख भी भोग चुका था।,,,, तकरीबन 30 35 मिनट की जमकर चुदाई करने के बाद शुभम के साथ-साथ निर्मला भी झड़ गई,,,,। दोनों इसी तरह से नग्न अवस्था में एक दूसरे को बाहों में लिए हुए सो गए।

शुभम के लिए गांव का सफर अच्छे तरीके से गुजर रहा था शादी में अभी भी चार-पांच दिनों की देरी थी घर के सभी लोग शादी की तैयारी में जुटे हुए थे।,,, दोपहर का समय था गर्मी के महीने में गर्मी अपना जोर दिखा रही थी सब के सब लोग घर में ही दुबके रहते थे। शुभम मन ही मन सोच रहा था कि अगर फिर से उसकी बड़ी मामी की गांड मारने को मिल जाए तो मजा आ जाए अब यही सोचकर वह इधर उधर के कमरों में उसे खोज रहा था लेकिन,, लेकीन ऊसकी बड़ी मामी कहीं नजर नहीं आ रही थी।,,, शुभम उसे हर कमरे में खोजता हुआ,,, अपनी छोटी मामी के कमरे की तरफ जाने लगा और जैसे ही वह कमरे के दरवाजे के करीब पहुंचा वह सोचने लगा कि कहीं उसकी छोटी मामी जिसका नाम रूचि था वह सो रही होगी तो,,, खांमखा उसे परेशानी होगी,,,, वह वापस जाने ही वाला था कि तभी उसके मन में ख्याल आया कि अभी तक वह अपनी छोटी मामी से ठीक से बात तक नहीं किया है अगर वह जाग रही होंगी तो ऊनसे बात भी कर लेगा,,, और नजदीक से उनकी खूबसूरती को जी भर कर देख लीजिएगा क्योंकि वह जानता था कि उसकी छोटी मामी गोरी-चिट्टी और खूबसूरत थी क्योंकि वह खिड़की से उन्हें नहाते हुए देख चुका था। इसलिए वह दरवाजा खटखटाने के उद्देश्य से अपना हाथ आगे बढ़ा कर जैसे ही दरवाजे पर टिकाया दरवाजा अंदर से खुले होने की वजह से अपने आप ही हल्का सा खुल गया और उसकी नजर जैसे ही कमरे के अंदर गई तो वह देखता ही रह गया उसकी छोटी मामी बिस्तर ठीक से सही कर रही थी,,, वह बिस्तर पर घुटनों के बल झुकी हुई थी। और उसका मुंह दूसरी तरफ दीवाल की तरफ था जिसकी वजह से उसका ध्यान दरवाजे पर बिल्कुल भी नहीं था शुभम देखा तो देखता ही रह गया,,, क्योंकि उसकी छोटी मामी के बड़े बड़े नितंब उसकी आंखों के सामने ही हीलोरे खा रहे थे। वह घुटनों के बल बिस्तर पर छोड़ कर पलंग पर बिछी चादर को ठीक से फैला रही थी। शुभम की नजर उसकी बड़ी बड़ी गांड के घेराव पर ही टिकी की टिकी रह गई,,, बदन में हो रही हलन चलन की वजह से उसकी बड़ी बड़ी गांड के दोनों फांके साड़ी के ऊपर से लहराते हुए नजर आ रहे थे। शुभम यह नजारा देखकर एकदम से उत्तेजित हो गया मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करें एक तो औरतों की बड़ी बड़ी गांड शुभम की सबसे बड़ी कमजोरी थी। नजारा इतना ज्यादा उत्तेजना से भरा था कि इस नजारे को छोड़ कर उसे जाने की इच्छा भी नहीं कर रही थी।,,, शुभम का लंड पेट में जोर मारने लगा था। दो-तीन मिनट तक उसकी छोटी मामी उसी तरह से अपनी बड़ी बड़ी गांड को हीलाते हुए बिस्तर ठीक करती रही, और शुभम इस नजारे की मादकता को अपनी आंखों से अपने बदन में उतारता रहा। अब ज्यादा देर तक इसी तरह से खड़े रहने में गड़बड़ हो सकती थी इसलिए उसकी मामी की नजर शुभम पर पड़ती इससे पहले ही वह दरवाजे को खटखटाते हुए दस्तक दे दिया।
04-01-2020, 03:27 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
रूचि बिस्तर ठीक करने में कुछ ज्यादा ही ध्यान दे रही थी इसलिए शुभम के द्वारा दरवाजा खटखटाया जाने पर भी उसका ध्यान नहीं गया और वह उसी तरह से बिस्तर को ठीक करती रही,,, रूचि के ज्यादा झुक जाने की वजह से उसकी बड़ी-बड़ी गांड और भी ज्यादा हवा में उठ गई,,, और इस तरह से औरतों की उठी हुई बड़ी-बड़ी गांड तो शुभम की थर्मामीटर के पारे को बढ़ाने के लिए काफी होती थी,,, कुछ ही सेकंड में शुभम के पेंट में तंबू सा बन गया। रूचि इतनी ज्यादा टाइट साड़ी पहनती थीै कि उसकी गांड की दोनों फांकें किसी खरबूजे की भांति,,साड़ी के ऊपर से नजर आने लगी।,,,
इस अद्भुत और मादक दृश्य को देखकर शुभम की धड़कन तेज होने लगी वह अब दोबारा दरवाजे को खटखटाने की जहमत नहीं उठाना चाहता था क्योंकि यह नजारा ही इतना गजब का था कि आंखों से उतर कर पूरे बदन में हलचल सा मचा दे रहा था शुभम आंखें गड़ाए अपनी छोटी मामी की खूबसूरत बदन की हलचल को देखता रहा। उसके जी में तो आ रहा था कि पीछे से जाकर पकड़ ले और उसकी साड़ी उठाकर अपना मोटा लंड ऊसकी बुर में डालकर चोदना शुरू कर दे,,,। और उसके मन में ऐसा ही कुछ करने को हो रहा था क्योंकि वह इस घर की बड़ी बहू मतलब उसकी बड़ी बानी के साथ शारीरिक संबंध बनाकर यही सोच रहा था कि जब घर की बड़ी बहू उस से चुदवाने के लिए तैयार हो गई थी और बेझिझक चुदाई का मजा भी ले चुकी है तो छोटी बहू भी उसी की ही तरह होगी,,, और वैसे भी शुभम को अपनी ताकत पर पूरा विश्वास था,,, शुभम को मन ही मन में अपने लंड पर गर्व होने लगा था,,, क्योंकि अब तक 3 औरतें बेझिझक उसके लंड की प्यासी हो चुकी थी।,,, वह।अब तक इतना तो समझ ही गया था कि,,, औरतें मोटे और लंबे लंड की दीवानी होती है इसलिए उसके मन में ख्याल आ रहा था की यह वाली मामी भी उसके मोटे तगड़े लंड को देखेगी तो वह इंकार नहीं कर पाएगी।,,,, यह सोचकर सुभम की दिल की धड़कन तेज हो गई। शुभम पूरी तरह से दृढ़ निश्चय कर लिया था कि आज का अपनी छोटी मामी की रसीली बुर का भी स्वाद चख लेगा इसलिए उसे पीछे से पकड़ने के लिए अपना कदम आगे बढ़ाया ही था कि रुचि को पीछे हलचल सी महसूस हुई,,, और वहां जाते थे पीछे की तरफ देखी तो,,, शुभम को अपनी तरफ आता देख कर एक पल के लिए तो वह डर ही गई लेकिन जैसे ही उसे आभास हुआ कि वह शुभम हे तो उसे थोड़ी राहत हुई वह शुभम की तरफ देखते हुए बोली,,,,।

शुभम,,, बेटा तु यहां,,,, कोई काम,,,,,,,, ( उसके मुंह से इतना ही निकला था कि उसकी नजर शुभम के पेंट में बने लंबे तंबू पर गई,,, तो शब्द ऊसके मुंह में ही अटक गए,, शुभम के चेहरे के भाव और उसकी शारीरिक भाषा को देख कर रूचि को समझते देर नहीं लगी कि शुभम क्या करने वाला था वह अभी भी उसी अवस्था में ही अपनी बड़ी बड़ी गांड को हवा में उठाए पीछे की तरफ देख रही थी,,, शुभम के पेंट में बने लंबे तंबू और अपनी तबीयत बड़ी गांड की तरफ देखते हुए वह सारा मामला समझ गई एक पल के लिए तो एकदम शर्मिंदा हो गई और अपनी स्थिति को बदलते हुए,,, वह शुभम की तरफ घूमी और गुस्से में बोली,,,।)

शुभम यह क्या हरकत है?
( अपनी छोटी मामी के मुंह से यह सुनकर शुभम चौक सा गया,,, कुछ ही सेकंड में उसके चेहरे पर घबराहट के भाव ऊपंसने लगे,,, वह अपने चेहरे पर आए डर के भाव को बदलते हुए बोला,,,।)

कककक,, क्या हुआ मामी कैसी हरकत आप क्या बोल रही हैं मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।,,,,

लेकिन मुझे सब समझ में आ रहा है,,।( रूचि उस के तने हुए तंबू की तरफ देखते हुए बोली,,,।)
देखने में कितना भोला भाला लगता है लेकिन मन में तेरे कितना चोर है।

मामी आप यह क्या कह रही हैं,,,? ( शुभम अनजान बनता हुआ बोला।)

चल अब बातें मत करना तू चाहे जितना भी छुपाने की कोशिश कर ले लेकिन तेरे मन में क्या चल रहा था तेरा ये( तने हुए तंबू की तरफ इशारा करते हुए) सब कुछ बता दे रहा है।
( अपनी छोटी मामी की उंगली के इशारे की तरफ जब उसका ध्यान दिया तो उसे सब समझ में आ गया वह शर्मिंदा हो गया।)
ना जाने कब से दरवाजे पर खड़े होकर तू मेरे बारे में क्या क्या सोच रहा था।

मामी में कुछ नहीं सोच रहा था (अपने तंबू को हाथों से छुपाने की कोशिश करते हुए)

कुछ नहीं सोच रहा था तो यह तेरा,,,,,, खड़ा कैसे हो गया।( रूचि गुस्से में बोले जा रही थी अपनी छोटी मामी का यह रूप देखकर शुभम घबरा गया,,,। और दूसरा कोई सुन ना ले इसलिए हाथ जोड़ते हुए बोला।।)

मामी मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूं मुझसे गलती हो गई,,,,।

गलती इसे गलती कहते हैं या वासना कहते हैं अपनी ही मामी के बारे में तू ना जाने क्या-क्या सोच रहा था। रुक मैं तेरी मम्मी से बता देती हूं जो तुझे बहुत ही अच्छा लड़का समझती है ना,,,।
( यह बात सुनकर शुभम एकदम से रुुंआसा हो गया और झट से अपनी मामी के पैर पकड़ लिया और बोला)

नहीं मम्मी ऐसा बिल्कुल भी मत करना मैं तुम्हारे हाथ जोड़ता हूं तुम्हारे पैर पकड़ता हूं मैं बदनाम हो जाऊंगा,,,।( इतना कहते हुए शुभम रोने लगा,,, और उसे रोता हुआ देखकर रूचि का दिल थोड़ा सा नाराज हुआ और वह उसे कंधों से पकड़कर उठाते हुए बोली।)

शुभम तेरी उम्र पढ़ने लिखने की है ना की औरतों के पीछे लार टपकाने वाली,,,,


मामी मुझसे गलती हो गई,,,, मैं दुबारा ऐसा कभी भी नहीं करूंगा,,,।
( रुचि को लगने लगा कि शुभम को उसकी गलती का पूरा एहसास हो गया है इसलिए वह बोली,,,।)


अच्छा अब रो मत मैं किसी से नहीं कहूंगी,,,,। अच्छा यह बता तुमने ऐसा क्या देख लिया जो तेरी ऐसी (लंड की तरफ इशारा करते हुए हालत हो गई),,,

नहीं मामी ऐसा कुछ नहीं हुआ( अपने आंसू पोंछते हुए बोला)

देख अब मुझसे कुछ भी मत छुपा मेरा गुस्सा अभी शांत नहीं हुआ है मैं जाकर सब बता दूंगी,,,

नहीं नहीं मामी मैं बताता हूं,,, मैं बड़ी मामी को ढूंढता हुआ यहां आ गया और तुम्हें इस तरह से झुके हुए देखकर तुम्हारी बड़ी-बड़ी गांड को देखकर ना जाने मुझे क्या हो गया और मेरी ऐसी,,,,,( शर्मिंदगी के मारे सुभम इससे ज्यादा कुछ बोल नहीं पाया और नजरें झुका लिया,।)

छी,,,,, कितना गंदा सोचता है रे तू अब भाग जा यहां से बिल्कुल भी मेरी आंखो के सामने खड़े मत रहना वरना मुझ से रहा नहीं जाएगा और मैं सबको बता दूंगी,,,,( रूचि गुस्से में बोली और शुभम इतना सुनते ही कमरे से तुरंत बाहर निकल गया।,,,,,,
04-01-2020, 03:27 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
शुभम कमरे से बाहर आकर सीधे अपने कमरे मे आकर बिस्तर पर बैठ गया वह काफी डरा हुआ था क्योंकि उसने ऐसा कुछ हो जाएगा यह सब के बारे में सोचा ही नहीं था क्योंकि अभी तक जितनी भी औरतें उसे मिली थी वह सभी को आसानी से प्राप्तकर्ता जा रहा था। बड़ी मामी के साथ भी संभोग सुख की प्राप्ति आसानी से कर लेने की वजह से उसे ऐसा ही लग रहा था कि वह छोटी मामी के साथ भी अपनी मनमानी कर लेगा लेकिन उसके सोचने के विरुद्ध उसकी छोटी मामी उसे भला बुरा सुना दी,,, वह मन ही मन में सोचने लगा कि अगर वह सबको बता देती तो ना जाने क्या हो जाता,,,।,, लेकिन इतना तो समझ ही गया था कि छोटी मामी किसी भी तरीके से उसके नीचे आने वाली नहीं है इसलिए उसे उसकी छोटी मामी को पाने का ख्याल छोड़ देना चाहिए।,,, उसे अपने आप पर बेहद शर्मिंदगी महसूस हो रही थी क्योंकि जिस तरह से वह रोते हुए अपनी मामी के पैर पकड़ कर गिड़गिड़ा रहा था,,,, वह तरह की स्थिति में कभी पहुंच जाएगा उसने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।,,,
वह बिस्तर पर लेट कर यही सब सोच रहा था लेकिन उसके जेहन से वह नजारा भी नहीं हट रहा था जब वह दरवाजे पर खड़े होकर अपनी छोटी मामी की गदराई गांड को देखकर उत्तेजित हुए जा रहा था।,,,, वह मन मसोसकर रह गया कि काश उसकी छोटी मामी की मद मस्त गांड का स्वाद भी उसे चखने को मिल जाता,,,, लेकिन अफसोस कि वह चरित्र की एकदम पक्की निकली,,, काश वह भी उसकी बड़ी मामी की तरह फिसल जाती तो एक और खूबसूरत औरत उसकी बाहों में आ जाती।,,,, इतना कुछ हो जाने के बावजूद भी की आंखों के सामने रुचि की बड़ी बड़ी गांड मटक रही थी जिसके बारे में सोचते हुए वह सो गया।,,,

रात अपने पूरे शबाब पर थी भोजन तैयार हो चुका था धीरे-धीरे लोग खाने के लिए इकट्ठे हो रहे थे शुभम भी हाथ मुंह धोकर भोजन करने के लिए जाने ही वाला था कि उसे फिर से वही साया नजर आया और वह सब की नजरें बचाकर घर के पीछे की तरफ आगे बढ़ती चली जा रही थी क्योंकि इतना तो समझ ही गया था कि वह साया किसी औरत का ही था,,,, इसलिए बाकी सब से नजरें बचाकर दुबते हुए ऊस।साए के पीछे जाने लगा,,,
चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था,,, आज उस साएे के हाथ में टॉर्च भी थी जिसे वह रह रह कर सब की नजरें बचाकर जला दे रही थी और उस टॉर्च की रोशनी में रास्ता देखते हुए आगे बढ़ रही थी। शुभम अपने आप को उसके सारे की नजर से बचाते हुए झाड़ियों के पीछे पीछे चला जा रहा था वह मन में फैसला कर चुका था कि आज उस कार्य को देखकर ही रहेगा कि आखिर वह साया है किसका,,,, क्योंकि औरत का इस तरह से छुपते छुपातो रात के समय घर से बाहर निकलने का मतलब बिल्कुल साफ होता है कि वह किसी से मिलने ही जा रही है। गांव का माहौल जिसकी वजह से चारों तरफ अंधेरा छाया हुआ था शुभम को थोड़ा बहुत डर भी लग रहा था लेकिन अपने आगे आगे चल रहे औरत के सारे की वजह से उसे थोड़ी बहुत हिम्मत भी मिल रही थी। कुत्तों के भौंकने की आवाज शुभम थोड़ा बहुत सहम जा रहा था। वह साया धीरे-धीरे खेतों की तरफ आ गया था।,,, वह साया खेतों के करीब घनी झाड़ियों के पास रुक गया और इधर-उधर नजरें घुमा कर देखने लगा,,,, शुभम भी पेड़ के पीछे अपने आप को छिपाकर खड़े हो गया और वहां से ऊस साए की तरफ बराबर नजर गड़ाए हुए देखने लगा,,,। पेड़ से गिरी सूखी पत्तियों की वजह से उसके कदमों की आवाज़ उस साए को ना सुनाई दे इसलिए वह बचा बचा कर बहुत ही धीरे-धीरे कदम रख रहा था। शुभम के दिल की धड़कन उत्सुकतावश बहुत तेज हो चुकी थी क्योंकि वह जानना चाहता था कि वह सहाय के पीछे कौन सा चेहरा छुपा हुआ है और वह किसका इंतजार कर रही है।

खेतों में छाए हुए सन्नाटे में ऊस साए की चूड़ियों की खन खन की आवाज शुभम को मादकता का एहसास दिला रही थी। एक तरह से उस साए की चूड़ियों की आवाज शुभम के तन-बदन में उत्तेजना का अहसास करा रही थी। वह पाया कुछ देर तक इधर उधर देखती रही वह किसी का इंतजार कर रही थी शुभम अपनी धड़कनों को संभाले हुए उस साए की तरफ नजरें गड़ाए हुए था। तभी झाड़ियों के पीछे से एक दूसरा साया बाहर आया और आते ही उसने उसकी आंखों पर हाथ रख कर उसे डरा दिया,,,,

क्या करते हो कितनी देर लगा दी तुमने मैं कब से तुम्हारा इंतजार कर रही हूं,,,( वह नाराजगी दर्शाते हुए बोली)

क्या करूं मेरी जान सब काम जल्दी जल्दी निपटा कर भागता हुआ तुम्हारे पास आया हूं क्या करूं तुमसे मिले बिना मुझे भी चैन नहीं मिलता,,,,

मेरा भी तो यही हाल होता है तुम्हारे बिना तभी तो मैं सब कुछ छोड़ छाड़ कर तुमसे मिलने यहां चली आती हूं,,,।

तो मेरी जान खेतों में चलते हैं और वहां जी भर कर प्यार करते हैं,,,,
( इतना कहने के साथ ही वह साया उसे खेतों के अंदर ले जाने लगा,,, दोनों धीरे-धीरे फुसफुसाकर बातें कर रहे थे इसलिए शुभम को बात तो थोड़ी बहुत समझ में आ रही थी लेकिन आवाज नहीं पहचान पा रहा था लेकिन इतना तो तय था कि खेतों के अंदर दोनों के जाने का मतलब था कि चुदाई का खेल शुरू होने वाला था इसलिए शुभम भी बेहद उत्सुक हो गया खेतों के बीच का नजारा देखने के लिए उसने जाने से ज्यादा उसे इस बात की उत्सुकता थी कि आखिरकार दोनों साए हैं किसके,,,, यह देखने के लिए वह भी धीरे-धीरे खेतों के अंदर जाने लगा,,,,,।)
04-01-2020, 03:27 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
दोनों साए खेतों में प्रवेश कर चुके थे,, यह देख कर शुभम से रहा नहीं गया और वह भी नजरें बचाते हुए कुछ ही देर बाद उन दोनों साए के पीछे पीछे खेतों में प्रवेश करने लगा,,,, चारों तरफ घना अंधेरा छाया हुआ था,,,,, शुभम को कुछ नजर नहीं आ रहा था लेकिन उनके आगे चल रहे हैं दोनों साए,,, जो कि एक के हाथ में टॉर्च होने की वजह से टॉर्च की रोशनी शुभम को नजर आ रही थी और वह उसी रोशनी की तरफ धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था।,,, कुछ कदम जाने के बाद वह दोनों साए एक जगह पर रुक गए,,,,,, चारों तरफ घनी झाड़ियां फैली हुई थी जिसकी वजह से खेतों के बाहर से कोई भी अंदर की तरफ नहीं देख सकता था। शुभम की मन में उत्सुकता बढ़ने लगी उनसे महज 3 कदम की दूरी पर अपने आप को झाड़ियों के पीछे छुपाए हुए खड़ा था। शुभम वहां से उन दोनों को एकदम साफ तौर पर देख पा रहा था चारों तरफ घनी झाड़ियों के होने के बावजूद जिस जगह पर दोनों खड़े थे उस जगह की झाड़ियों को ऐसा लग रहा था कि साफ कर दिया गया हो,,,, शुभम को अभी तक उन दोनों का चेहरा नजर नहीं आया था।,, जिस तरह से खेतों के बीच की उतनी सी जगह साफ की गई थी ऐसा लग रहा था कि यह दोनों रोज रात को यहीं मिलते थे। और यह दोनों मिलकर ही इतनी सी जगह को साफ़ किए हैं।,, तभी उस साए की आवाज आई,,,

जो करना है जल्दी कर लो मुझे जल्दी घर वापस लौटना है क्योंकि सब लोग खाने पर इंतजार कर रहे होंगे,,,
( इतनी आवाज सुनते ही शुभम के कान खड़े हो गए क्योंकि आवाज जानी पहचानी थी और कुछ ही पल में उसे समझते देर नहीं लगी कि वह आवाज उसकी छोटी मामी रुचि की थी,,,,, शुभम पूरी तरह से सकते में आ गया था उसे यकीन नहीं हो रहा था कि,,, दोपहर में उसे संस्कार के पाठ पढ़ाने वाली इस हद तक गुजर सकती है किस्मत की आंखों में धूल झोंककर अपने प्रेमी से चोरी चुपके रात को खेतों में मिलती है और अपनी जवानी की प्यास बुझाती है।,,, शुभम को सब कुछ समझ में आ गया था बस उसका चेहरा ठीक से नजर नहीं आ रहा था।,, तभी दूसरे साए ने उसके हाथों से टॉर्च लेकर उसके चेहरे पर टॉर्च की रोशनी फेंकते हुए बोला,,,।

सब कुछ करुंगा मेरी जान यही करने के लिए तो तुम्हें यहां बुलाता हूं लेकिन उससे पहले मैं अपनी रानी का चांद सा मुखड़ा तो देख लुं।,,,,( और इतना कहते ही टॉर्च की रोशनी में उसे साए का चेहरा बिल्कुल साफ नजर आने लगा,,,, टॉर्च की रोशनी में उसका चेहरा नजर आते ही शुभम चौक गया और उसे पक्का यकीन हो गया कि उसकी छोटी मामी ही है लेकिन कुछ ही देर में उसके चेहरे पर मुस्कान फेलने लगी,,,, क्योंकि अब उसे उसकी छोटी मामी उसके हाथों में आती नजर आने लगी,,, चेहरे पर टॉर्च की रोशनी पड़ते ही रुचि शर्मा गई,,, और अपने हाथों से टॉर्च को दूसरी तरफ करते हुए बोली ।
मेरे पास समय नहीं है,,,, और तुम्हें मुखड़ा देखने से फुर्सत नहीं मिल रही है मुखड़ा को छोड़ो मेरी पेटीकोट में आग लगी हुई है उसे बुझाओ,,,,
( इतना कहने के साथ ही रुचि अपनी साड़ी को एक झटके में कमर तक उठा दी,,,, और उसे समझते देर नहीं लगी वह तुरंत नीचे घुटनों के बल बैठ गया,,,, और एक पल भी गवाए बिना तुरंत अपना मुंह रुची की जांघो के बीच डालकर चाटना शुरु कर दिया,,,, जैसे ही,,, उसके होंठ रूचि की रसीली बुर पर स्पर्श हुआ रुची एकदम से काम वीभोर हो गई,,,, उसने भी टोर्च को नीचे जमीन पर रख दिया हालांकि टॉर्च चालू ही था जिससे साफ तौर पर सब कुछ तो नहीं लेकिन बहुत कुछ नजर आ रहा था। शुभम यकीन नहीं कर पा रहा था कि यह दोपहर वाली मामी है जो उसे गंदे नजरिए से देखने पर डांट फटकार रही थी।,,,, कुछ देर तक बाहर रूचि को उसकी बुर चाट कर उसे मजे देता रहा,,, रुचि भी अपने प्रेमी से मजे लेते हुए दबी दबी आवाज में सिसकारी ले रही थी। इसके बाद खुद ही वह उसके बाल पकड़कर उसे खड़ा करने लगी और वह पूरी तरह से खड़ा हो पाता इससे पहले ही वह उसकी तरफ अपनी बड़ी-बड़ी गांड करके झुक गई,,, रुचिका यह उतावलापन शुभम को एकदम मदहोश कर गया अब तो उसकी अभिलाषा और भी ज्यादा रुचि को पाने के लिए बढ़ने लगी,,,, झुकी हुई रुची की बड़ी-बड़ी गांड को देखकर,, वह तुरंत रूचि के पीछे खड़ा होकर अपने लंड को बुर में डालकर चोदना शुरू कर दिया,,,,। रूचि के प्रेमी का चेहरा तो उसे नजर आ रहा था लेकिन शुभम उसे पहचान नहीं पा रहा था क्योंकि गांव में वहां किसी को जानता नहीं था।
शुभम के लिए इतना काफी है वह दोनो अपनी चुदाई खत्म कर दें इससे पहले ही शुभम खेतों से बाहर निकलकर वहीं खड़ा होकर रुचि के बाहर निकलने का इंतजार करने लगा,,,,,। शुभम का भी लंड पूरी तरह से खड़ा हो गया था।,,, अगर रूचि इजाजत देती तो वह दोपहर को ही उसकी बुर का उद्घाटन कर दिया होता,,,, किसी और के लंड से चुदता हुआ देखकर शुभम थोड़ा परेशान जरूर नजर आ रहा था लेकिन इसी की वजह से तो उसे अपने लंड की भी किस्मत जगती नजर आ रही थी,,,। कुछ देर तक वहीं खड़े रहने पर उससे रहा नहीं जा रहा था वह जल्द से जल्द इस बारे में रुचि से बात कर लेना चाहता था।,,,, चारों तरफ घना अंधेरा छाया हुआ था। समय काफी गुजर गया था उसे इस बात की भी चिंता जताई जा रही थी कि घर पर उसका सब इंतजार कर रहे होंगे क्योंकि उसने अब तक खाना नहीं खाया था तभी झाड़ियों के बीच सुरसुराहट होने लगी शुभम समझ गया कि वह लोग बाहर आ रहे हैं।
शुभम छुपने की बिल्कुल भी कोशिश नहीं कर रहा था क्योंकि वह जानबूझकर अपनी छोटी मामी से आंख से आंख मिलाकर बात करना चाहता था ।क्योंकि उसकी रंगरेलियों को वह अपनी आंखों से देख चुका था। इसलिए शुभम को आत्म विश्वास हो गया था कि इस बार रूचि उसे ना तो रोक ही पाएगी ना तो डांट ही पाएगी और ना ही किसी को बता देने की धमकी देगी क्योंकि पूरी तरह से रुचि अब उसे अपने कब्जे में लगने लगी थी। तभी रूचि अपने ब्लाउज के बटन बंद करते हुए खेतों से बाहर निकली और सामने सुभम को खड़ा देखकर एक दम से चौंक गई।,,, वैसे तो अंधेरा एकदम घना था लेकिन शुभम उसके बिल्कुल करीब ही खड़ा था इसलिए वह उसे पहचान ली।,,, रुचि एकदम से घबरा गई थी लेकिन फिर भी अपनी घबराहट छुपाते हुए वह बोली।
04-01-2020, 03:27 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
तू यहां क्या कर रहा है? ( अपने साड़ी के पल्लू को ठीक करते हुए बोली,,।)

पहले यह बताओ कि तुम यहां क्या करने आई थी,,
( शुभम जिस तरह से, उसी से यह सवाल पूछा था रूचि घबरा सी गई थी। फिर भी अपने आप को संभालते हुए बोली।)

अब तुझे यह बताना होगा कि इतनी रात को मैं खेतों में क्या करने आई थी,,,, सौच करने आई थी और क्या करने आई थी,,,( इस बार रुचि थोड़ा शरमाते हुए बोली लेकिन शुभम उसे जरा सा भी मौका नहीं देना चाहता था इसलिए वह तुरंत बोला।)

ज्यादा बातें बनाने की जरूरत नहीं है दिन में तो बहुत सती सावित्री बन रही थी।

तततत,,,, तु,, क्या कह रहा है मुझे कुछ समझ में नहीं आ रहा है।

सब कुछ समझ में आ जाएगा पहले यह बताओ कि वह कौन था जो तुम्हारे साथ खेतों में अंदर गया था।,,,,,
( शुभम की यह बात सुनकर उसके पसीने छूट मिलेगी उसका जल्दी-जल्दी अपने कदम बढ़ाते हुए घर की तरफ जाने लगी तो शुभम भी उसके पीछे-पीछे हो चला
,, रुचि ऊसके सवालों का जवाब नहीं देना चाहती थी,,, लेकिन शुभम उसके पीछे ही पड़ गया था वो फिर से अपने सवाल को दोहराते हुए बोला।)

बताओ वह कौन था?

देख तू मुझे परेशान मत कर मुझे नहीं मालूम कि तू क्या बोल रहा है मैं इधर अकेले ही आई थी और अकेले ही जा रही हूं,,,,( रूचि तेज कदम बढ़ाते हुए बोली,,)

मैं सब जानता हूं वह पीछे की तरफ से चला गया होगा और अब मुझसे कुछ भी छुपाने की जरूरत नहीं है मैं तुम्हारी चुदाई लीला को अपनी आंखों से देख चुका हूं।
( इस बार शुभम की बात सुनकर रुची के पैर वहीं के वहीं रुक गए। अब उसके पास छुपाने जैसा कुछ भी नहीं था।,,,, अब समझ गई थी कि सुभम सब कुछ देख चुका है,,, अब उसके पास कोई भी बहाना नहीं बचा था इस बार वह बिना जवाब दिए ही आगे बढ़ती चली गई,,,
रुचि को इस तरह से जाते देख,,,, शुभम वहीं खड़ा हो गया क्योंकि घर आ गया था लेकिन फिर भी वह खड़े होकर बोला,, रूचि,,,,,( शुभम के मुंह से इस बार अपना नाम सुनकर रुचि एक पल के लिए वहीं रुक गई और पलटकर शुभम की तरफ देखने लगी,,, जैसे ही रुचि पलटकर शुभम की तरफ देखि वैसे ही शुभम बोला,,,।)

मिलना जरूर इस बारे में मुझे तुमसे बात करनी है,।
( इतना सुनकर रुचि वहां से चली गई रुचि से जाने के बाद सुभम के होठों पर मुस्कुराहट फैल गई,,,, और रात भर रूचि बिस्तर पर करवट बदलते हुए यह सोचने लगी कि आखिर शुभम उसे क्या बात करना चाहता है,, दोपहर वाली हरकत को देखते हुए इतना तो रुचि समझ गई थी कि उसके भी इरादे कुछ नेक नहीं है। और इस बात का डर उसे बराबर बना हुआ था कि कहीं सुभम घर में किसी को बोल ना दे, शुभम अभी जवान हो रहा है और ऐसे में इस उम्र के लड़कों की नजर हमेशा ही औरतों पर और लड़कियों पर बनी रहती है दोपहर में जिस तरह से वह उसके पिछवाड़े को देख रहा था इससे साफ जाहिर था कि वह उसके प्रति आकर्षित था तभी तो,,,, रात को भी वह उसके पीछे पीछे खेतों की तरफ आ गया था,,,,। यही सब सोचते हुए रूचि सो गई,,,, और दिन भर निर्मला शादी की तैयारी में जुटी होने की वजह से थक कर सो गई थी इसलिए शुभम उसकी चुदाई नहीं कर पाया लेकिन रात भर वह उसकी बड़ी बड़ी चूची को मुंह में भरकर पीता रहा।,,,

सुबह से शुभम मौके की ताक में था कि रूची से रात वाली घटना के बारे में बात कर सके,,, लेकिन रुची जान बूझकर उससे कतरा रही थी।,,, शुभम बार-बार उसके पीछे लगा हुआ था लेकिन उसे बिल्कुल भी मौका नहीं मिल पा रहा था इस ताक झांक लुका छुपी में दोपहर हो गई,,,, घर के सभी लोग शादी की तैयारी की बातें करने के लिए बरामदे में बैठे हुए थे। तभी उसके छोटे मामा जो की रुचि के पति थे वह बोले,,,
देखो शादी की तैयारी अभी पूरी तरह से हुई नहीं है और समय बहुत कम है,,,, मैं और भाई साहब शहर जा रहे हैं खरीदी करने के लिए,,,, और घर पर कोई युं ही बैठा भी नही है।


घर के सभी लोग काम में लगे हुए हैं किसी के पास समय नहीं है ऐसे में आम के बगीचे की देखरेख नहीं हो पा रही है तो रुचि तुम ऐसा करो की खाना खाने के बाद
जाकर आम के बगीचे का थोड़ा देखरेख कर लो कहीं ऐसा ना हो कि हम लोग शादी में व्यस्त रहे और बगीचे के सारे आम गायब हो जाए,,,,

ठीक है मैं खाना खा कर चली जाऊंगी,,,,

मैं भी चलूंगा मामी इसी बहाने में आम का बगीचा भी देख लूंगा,,,( शुभम तपाक से बोला)

ठीक है तू भी चले जाना इसी बहाने तु भी घूम घाम लेगा,,,,
( अपने मामा की बात सुनकर शुभम प्रसन्न हो गया वह अंदर ही अंदर खुश होने लगा,,, लेकिन शुभम की बात सुनकर रुचि के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी वह अंदर ही अंदर घबराने लगी,,,, और थोड़ा गुस्से से शुभम की तरफ देखकर कमरे में चले गई,,,, शुभम बस रुचिका आम के बगीचे में जाने का इंतजार करने लगा।,,,
04-01-2020, 03:28 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
कुछ देर बाद है रूचि शुभम से नजरें बचाकर बगीचे की तरफ जाने लगी लेकिन शुभम इसी ताक में था कि कब रूचि घर से बाहर निकलकर बगीचे की तरफ जाए और वह उसके पीछे पीछे लग जाए और जैसे ही रूचि बगीचे की तरफ जाने लगी शुभम झट से उसके पीछे हो चला,,, उसे अपने पीछे आता देखकर रुचि को थोड़ा घबराहट के साथ-साथ क्रोध भी आने लगा मुंह बनाते हुए वह जल्दी-जल्दी बगीचे की तरफ जाने लगी और पीछे से आ रहा शुभम उसे आवाज देता हुआ बोला,,,

ओमानी रुको तो सही इतनी जल्दी-जल्दी अकेले कहां चली जा रही हो मुझे भी तो तुम्हारे साथ ही जाना है,,।
( इतना कहने के साथ ही वह लगभग दौड़ता हुआ रुचि के करीब पहुंच गया रुचि उससे बिना कुछ बोले ही चलती रही,,,, रुचि के मन में अजीब सा असमंजस घर कर गया था उसे समझ में नहीं आ रहा था कि यह शुभम उसके साथ बगीचे में क्यों जाना चाहता है लेकिन इतना तो उसे आभास ही हो गया था कि उसकी नजरें ठीक नहीं है।,,, वह मन में सोचने लगी कि अगर शुभम बगीचे में उसके साथ कुछ करेगा तो वह क्या करेगी क्योंकि कद काठी से वह काफी मजबूत था। उसका दिल जोरो से घबराने लगा लेकिन वह घबराहट को अपने चेहरे पर नहीं आने दे रही थी।,,,,

क्या मामी तुम ऐसे क्यों बर्ताव कर रही हो कि जैसे मुझे जानती ही नहीं अरे कुछ बोलो तो हम दोनों का समय अच्छे से कट जाएगा,,,, और देख रही हो मौसम कितना सुहावना है,,,। ( गर्मी का समय था चिलचिलाती धूप अपना कहर ढा रही थी लेकिन रह रह कर छांव भी हो जा रही थी इसलिए,,, धूप ज्यादा महसूस नहीं हो रही थी चारों तरफ का नजारा हरियाली से भरा हुआ था पगडंडियों के चारों तरफ छोटी बड़ी झाड़ियों का झुरमुट लगा हुआ था। दूर-दूर तक इंसानों का नामोनिशान नहीं था। क्योंकि इस तरह की चीलचिलाती धूप में सभी लोग घर के अंदर ही रहना पसंद करते थे।
दोनों घर से काफी दूर आ चुके थे और यहां पर दूर-दूर तक कोई घर भी नजर नहीं आ रहा था या यूं समझ लो कि पूरे रास्ते भर रूचि और शुभम के सिवा कोई भी नजर नहीं आ रहा था और यह देख कर शुभम के मन में उमंगों का घोड़ा अपनी तेज रफ्तार से दौड़ना शुरू कर दिया। जहां इस तरह के सुहावने मौसम और सुनसान रास्ते को देखकर सुभम मन ही मन प्रसन्न हुए जा रहा था। वही ऐसी स्थिति में रुचि का मन घबरा रहा था।,,,
रूचि कुछ भी बोल पाने की स्थिति में नहीं थी सुबह भी बोले जा रहा था और वह केवल सुन रही थी लेकिन कनखियों से वह अपनी नजरें शुभम पर डालती तो उसे अंदाजा हो जाता कि शुभम उसके कामरुपी बदन को घूर रहा है। यह देख कर वह बार-बार अपने साड़ी के पल्लू को ठीक से कर लेती,,,। शुभम को रुचि की इस हरकत पर बेहद आनंद प्राप्त हो रहा था,,,।

थोड़ी ही देर में वह दोनों आम के बगीचे मैं पहुंच गए चारों तरफ आम के पेड़ से पूरा बगीचा भरा हुआ था साथ ही,,, हर पेड़ पर आम लदे हुए थे जिन्हें देखने का अपना अलग ही मजा था। शुभम आम का पेड़ और आम लदे हुए पहली बार देख रहा था,,। इसलिए यह नजारा देखकर उसकी आंखों में चमक आ गई कुछ पल के लिए वह रूचि को एकदम से भूल गया और चारों तरफ घूम घूम कर आम के पेड़ और उस पर लगे हुए आम को देखने लगा। कुछ देर तो इतनी कम ऊंचाई के थे कि वह हाथ ऊपर करके ही आम को तोड़ सकता था ऐसे ही वह हाथ बढ़ाकर यह काम को पकड़ते हुए बोला,,,

मामी क्या यह आम को मैं तोड़ सकता हूं।,,,

सब अपना ही है इसमें पूछने वाली क्या बात है तोड़ लो,,( शुभम की तरफ देखते हुए वह बोली,,,।)

काश ऐसी ही इजाजत तुम दूसरे अामों के लिए भी दे देती तो कितना मज़ा आता,,,

क्या कहा तुमने,,,,,( रूचि सवालिया नजरों से शुभम की तरफ देखते हुए बोली)

वही जो आप सुन रही हैं । (इतना कहने के साथ ही वह आम तोड़ लिया)

मैं कुछ समझी नहीं तू क्या कह रहा है,,,,?

अब ज्यादा भोली मत बनो मामी समझ नहीं रही हो या समझना नहीं चाहती,,,, खेतों में तुम्हें जिस हालत में मैं देख चुका हूं उससे यह बिल्कुल भी नहीं लगता कि तुम्हें मेरी बात समझ में नहीं आई हो,,,,( इतना कहते हो शुभम तोड़े हुए आम को जो कि पक चुका था उसके ऊपर की डुंठी निकाल कर उसे गोल-गोल दबाते हुए मुंह में भरकर चूसना शुरू कर दिया,,,। शुभम की बात और वह जिस तरह से आम को चूस रहा था यह देख कर रुची अंदर ही अंदर कांप गई।,,)

देखो सुभम मुझे डराने की कोशिश बिल्कुल भी मत करना,,, मैं तुम्हारी बातों में आने वाली नहीं हूं,,,।

मैं तुम्हें डरा नहीं रहा हूं मामी मैं वही बता रहा हूं कि जो हकीकत है,,, तुम रात को ऊस आदमी के साथ चुदवा रही थी,,, जो कि मैं अपनी आंखों से देख रहा था,,,
( शुभम एकदम खुले शब्दों में अपनी मामी से रात वाली हकीकत बता दिया जिसे सुनकर और शुभम की अश्लील भाषा को सुनकर एकदम दंग रह गई,,,। )
04-01-2020, 03:28 PM,
RE: Sex kahani अधूरी हसरतें
और एक बार की बात नहीं है पहले भी मैं तुम्हें खेतों की तरफ छुपते छुपाते जाते हुए देख रहा था,,,,। ( शुभम इतना कहते ही रुचि के बिल्कुल करीब आ गया वह रुचि के बिल्कुल ठीक पीछे खड़ा था,,, रुची पूरी तरह से स्तब्ध हो चुकी थी क्योंकि यह वर्षों से चला आ रहा था लेकिन आज तक किसी को कुछ भी पता नहीं चल पाया था लेकिन शुभम को आए अभी दो-तीन दिन ही हुए थे कि उसमें उसकी रंगरेलीया अपनी आंखों से देख लिया,,, शुभम रुचि के बिल्कुल करीब खड़ा था और आम को चुसने का मजा ले रहा था,,, शुभम रुचि के खूबसूरत बदन की खुशबू को अपने अंदर महसूस कर पा रहा था जिसकी वजह से उसके बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी थी,,। और रूचि भी शुभम को अपने एकदम करीब पीछे खड़ा हुआ महसूस करके एक अजीब सी उत्तेजनात्मक स्थिति को महसूस कर रही थी। शुभम आम का मजा लेते हुए रूचि के खूबसूरत बदन की महक को महसूस करके उत्तेजित हुए जा रहा था। जिसकी वजह से उसके लंड का तनाव बढ़ने लगा था,,,, कुछ ही सेकंड में उसके लंड का थाना ईतना ज्यादा बढ़ गया कि,, उसकी पेंट का तंबू हल्के हल्के रुची के उभार मय नितंबों पर स्पर्श होने लगा,,,, और रूचि शुभम के तंबू का स्पर्श अपने नितंबों पर होते ही उसे समझते देर नहीं लगी कि यह स्पर्श शुभम के कौन से अंग का है,,,, इतना समझते ही उसके तन बदन में उत्तेजना की लहर दौड़ने लगी,,,, रुचि के नितंबों पर अपने लंड से बने तंबू का स्पर्श होते ही शुभम के तन-बदन में कामोत्तेजना जोर मारने लगे और वह जानबूझकर अपनी कमर को हल कैसे आगे की तरफ सरकाया जिसकी वजह से उसके लंड से बना कठोर तंबू,,, साड़ी सहित गांड की गहरी दरार में धंसने लगी, रुचि की सांसे तेज गति से चलने लगी शुभम उसकी हालत को देखकर इतना तो अंदाजा लगा दिया कि यह कबूतर उसके हाथों में पूरी तरह से आ चुका है,,,, फिर भी वह पूरी तरह से रुचि को अपने कब्जे में करने के लिए बोला,,,।

मामी अगर मैं तुम्हारी यही काम लीला घर वालों को बता दूं तो क्या होगा तुम्हें ईसका अंदाजा भी है।
( शुभम की बातें और उसका इरादा भांपकर रूचि समझ गई कि अब उसके लिए कोई रास्ता नहीं बचा है,, इसलिए वह बोली,,,।)

तू चाहता क्या है,,,,?
( रुचि के मुंह से यह सवाल सुनते ही शुभम का मन प्रसन्नता से भर गया क्योंकि वह समझ गया था कि उसका रास्ता खुलने वाला है और वैसे भी औरत जब बेबस हो जाएं और इस तरह का सवाल करने लगे तो समझ जाना चाहिए कि वह पूरी तरह से सहकार करने के लिए तैयार है।,,, यह समझते ही, शुभम के लंड में रक्त का भ्रमण तेज गति से होने लगा,,, रूचि के पूछे जाने पर वह आम को फेंक दिया और रुचि को पीछे से अपनी बांहों में भरते हुए अपने दोनों हाथों को रुची की बड़ी बड़ी चूचियो पर ब्लाउज के ऊपर से ही रखकर दबाते हुए बोला,,,,।

मैं यही चाहता हूं कि जो तुम उस आदमी के साथ कर रही थी मेरे साथ करो और मुझे भी करने दो,,,( इतना कहने के साथ ही वह रुची की बड़ी बड़ी चूचियां को ब्लाउज के ऊपर से ही जोर से मसल दिया जिसकी वजह से रुचि के मुंह से सिसकारी निकल गई,,,,।

सससहहहहहहह,,,,,, नहीं यह नहीं हो सकता,,,,

क्यों नहीं हो सकता( इतना कहने के साथ ही शुभम लगातार उसकी चूचियों को मसलते हुए अपने तंबू को और ज्यादा उसकी गांड की दरार में धंसााने लगा,,, स्तन मर्दन और अपने नितंबों पर हो रहे कठोर लंड का एहसास रुची को कामोतेजना से भरने लगा,,, रुचि को इस बात का डर भी लग रहा था कि कहीं कोई उन दोनों को इस हाल में देख ना ले। उत्तेजना के साथ-साथ उसे घबराहट भी महसूस हो रही थी।,,,,

नहीं सुभम यह बिलकुल भी नहीं हो सकता मुझे छोड़ दे।,, मैं सबको बता दूंगी कि तू मेरे साथ क्या करना चाहता है,,,।( उसकी बांहों में से निकलने की नाकाम कोशिश करते हुए बोली,,,।)

नहीं तुम ऐसा बिल्कुल भी नहीं कर सकती वरना मैं वह सच्चाई घरवालों को बताऊंगा जिससे वह आज तक अनजान है और तुम्हें एकदम पवित्र समझते हैं। शायद तुम अनजान बनने की कोशिश कर रही हो क्योंकि तुम भी अच्छी तरह से जानती हो कि मेरे बस मुंह खोलने भर की देरी है उसके बाद तुम्हारा क्या हाल होगा यह तुम अच्छी तरह से जानती हो,,,।( शुभम ईस बार एक हाथ चूची पर से हटा कर उसकी जांघों के बीच ले जाकर साड़ी के ऊपर से ही ऊसकी बुर को दबाने लगा,,,, जिससे रूचि की उत्तेजना पल-पल बढ़ती जा रही थी,, और तो और उसका लंड साड़ी सहित वह अपनी गांड की दरार के भीतर घुसता हुआ महसूस कर पा रही थी,,, रूचि उसकी इस ताकत की वजह से एकदम से मदहोश होने लगी उसे शुभम के लंड की ताकत का जायजा मिल गया था। इसलिए तो ना-नुकुर करते हुए भी उसके मुंह से गरम सिसकारी छूट पड़ी,,,

ससससहहहहहह,,,, शुभम यह क्या कर रहा है तू कोई देख लिया तो गजब हो जाएगा,,,,

यहां दूर-दूर तक कोई भी नहीं है मामी,,, मेरी बात मान जाओ ऐसा मजा दूंगा कि जिंदगी भर याद रखोगी,,,

नहीं यह नहीं हो सकता मैं तेरी मामी और तू मेरा भांजा है हम दोनों के बीच इस तरह के संबंध नाजायज के साथ-साथ बहुत ही ज्यादा अनैतिक है अगर इस बारे में किसी को भी भनक लग गई तो हम दोनों की जिंदगी बर्बाद हो जाएगी इसलिए मैं तुझे कह रही हूं कि अपने आप को संभाल और इस तरह का अनैतिक कार्य करने से बच जा।,,,,

रूचि शुभम को समझाने की कोशिश भी कर रही थी और शुभम की हरकतों का पूरी तरह से आनंद भी ले रही थी रुचि के मुंह से निकलने वाली सिसकारी शुभम के सामने घुटने टेकने का संकेत था आखिरकार रुचि भी एक प्यासी औरत थी। उसे हमेशा एक मोटे लंड की तलाश रहती थी इसलिए तो उसे शुभम की हरकतों से बेहद आनंद की प्राप्ति हो रही थी। शुभम उसकी चूचियों को जोर-जोर से मसलते हुए बोला।

मामी कुछ देर के लिए भूल जाओ कि तुम मेरी मामी और मैं तुम्हारा भांजा हूं बस इतना याद रखो कि तुम एक औरत और एक मैं मर्द हूं और वैसे भी यहां कोई देखने वाला नहीं है चारों तरफ परिंदा भी नजर नहीं आ रहा है तो फिर ऐसी चिल चिलाती धुप में कोई इंसान केसे नजर आएगा।,,,,( रुचि भी यह बात अच्छी तरह से जानती थी यहां वैसे भी ऐसी कड़कड़ाती धूप में आने वाला नहीं था,,,, लेकिन फिर भी वह शुभम को समझाते हुए बोली।)

फिर भी सुभम मैं तुझे ऐसा पाप नहीं करने दूंगी,,,,,
( ऐसा कहते हुए वह फिर से छुड़ाने की कोशिश करने लगी लेकिन तभी शुभम एक हाथ से अपने पजामे को नीचे कर दिया और रुचिका हाथ पकड़ कर जबरदस्ती उसकी हथेली में अपना लंड थमा दिया,, अपनी हथेली में गरमा गरम मोटा लंड महसूस होते ही उसके तन बदन में कामाग्नि भड़क उठी,,,, उसे ऐसा महसूस हो रहा था कि कोई गरमा गरम रॉड उसके हाथ में थमा दिया हो,,, उसका छटपटाना कम होने लगा,,, लंड की मोटाई उसे उसके लंड की तरफ देखने के लिए मजबूर कर दी,,, उसकी हथेली की पकड़ को देखते हुए शुभम अपना हाथ हटा दिया था और रुचि ही उसके लंड को कस के पकड़े हुए थी,,,लंड की तरफ देखे बिना ही रुचि को हथेली में लेकर के उसके लैंड की ताकत का अंदाजा लग गया,,, क्योंकि अब तक जितने भी लंड उसकी हथेली में आए थे इस तरह की मजबूती का एहसास उसे कभी नहीं हुआ था।,,,, उसका मन एकदम से व्याकुल हो उठा अपनी खुली आंखों से शुभम के लंड का दीदार करने के लिए। इसलिए वह अपना विरोध भूलकर शुभम की तरफ घूम गई और धीरे-धीरे घबराते हुए अपनी नजरों को नीचे करके सुभम के लंड को देखने लगी,,,, जैसे ही रुचि की नजर शुभम के तने हुए और खड़े लंड पर कड़ी एक पल के लिए वह सब कुछ भूल गई क्योंकि जिंदगी में पहली बार बार इतनी ताकतवर मजबूत मोटे और लंबे लंड को देख रही थी जो कि उसकी हथेली में मचल रहा था।,,, रुचि के चेहरे के हाव भाव को देखकर शुभम समझ गया कि उसका काम बन गया है रुचि से रहा नहीं गया और वह कसके उसके लंड को हथेली में पकड़कर आगे पीछे करके देखने लगी,,,, उत्तेजना के मारे रुचि की सांसे उखड़ रही थी अब बिल्कुल भी विरोध करने की हालत में वह नहीं थी वह पूरी तरह से शुभम को समर्पित होने के लिए तैयार थी। वह शुभम के लंड को अपने बुर के अंदर महसूस करने के लिए व्याकुल हो उठी,,,, वह शुभम के लंड को मुठीयाते हुए बोली।


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