04-09-2020, 02:45 PM,
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hotaks
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Antarvasna Sex चमत्कारी
नागपुर के पास उम्रेड तालुका मे बाइ पास के नज़दीक मकान नंबर 4 मे रहने वाले मिस्टर. और मिसेज़. राजवंश गर्व से कहते थे ' हम तो सामान्य लोग हैं..
कोई सोच भी नही सकता था कि यह लोग किसी रहस्यमयी या अजीब चीज़ मे उलझ सकते थे.....क्यों कि वे इन बेतुकी बातों से दूर रहते थे.....
मिस्टर. आनंद राजवंश आदित्या इंडस्ट्रीस नाम की कंपनी के डाइरेक्टर थे.....जो ड्रिल बनाती थी..
आनंद राजवंश मोटे तगड़े आदमी थे और उनकी गर्दन तो जैसे थी ही नही, हालाँकि उनकी मुच्छे बहुत बड़ी थी....
उर्मिला राजवंश बेहद खूबसूरत, पढ़ी लिखी हाउस वाइफ थी...उनकी गर्दन सामान्य से दुगुनी लंबी थी...ये गर्दन उनके बहुत काम आती थी....
क्यों कि वो बगीचे की मुंडेर के पार ताक झाँक करने मे और पड़ोसियो की जासूसी करने मे अपना बहुत सा समय बिताती थी....
उनका एक छोटा सा बेटा भी था .... जिसका नाम आदित्या राजवंश था...
आनंद और उर्मिला का मानना था कि दुनिया मे आदित्या से सुंदर बच्चा हो ही नही सकता.....
उनके पास सब कुछ था, जो भी वो चाहते थे......
पर उनकी जिंदगी मे एक रहस्य भी था और उन्हे सबसे ज़्यादा डर इसी बात से लगता था कि कही वो रहस्य किसी को पता ना चल जाए....
वो ये सोच भी नही सकते थे कि अगर किसी को राजवंश परिवार के बारे मे पता चल गया, तो उनका क्या होगा...?
मेघा, उर्मिला की बहन थी लेकिन कयि सालो से दोनो एक दूसरे से नही मिली थी
सच तो ये था कि उर्मिला सबको यही बताती थी कि उनकी कोई बहन ही नही थी...
क्यों कि उसकी बहन और उसका निकम्मा पति उन लोगो से उतने ही अलग थे..जितना होना संभव था...
ये सोच कर ही आनंद और उर्मिला के होश उड़ जाते थे कि अगर मेघा और उसका पति उनकी गली मे आ गये तो उनके पड़ोसी क्या कहेंगे....
वो जानते थे कि उनका एक छोटा सा बेटा भी था पर उन्होने उसे कभी नही देखा था
यह बच्चा भी एक बड़ा कारण था, जिस वजह से वो मेघा के परिवार से दूर रहते थे....वो नही चाहते थे कि आदित्य इस तरह के बच्चे से मिले जुले....
जब आनंद और उर्मिला उस बोझिल मंगलवार को सुबह सो कर उठे, जहाँ से हमारी कहानी शुरू होती है...
उस दिन बादलो से भरे आसमान को देख कर कोई भी ये नही सोच सकता था कि पूरे देश मे अजीबो ग़रीब और रहस्यमयी घटनाए जल्दी ही होने वाली हैं........
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04-09-2020, 02:46 PM,
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RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अपडेट*2
आनंद सुबह अपने ऑफीस जाने के लिए रेडी होने लगे ...उर्मिला अपना घरेलू काम करते हुए इधर उधर शरारत कर रहे आदित्य को भी बीच बीच मे खिलाती जा रही थी.......
उनमे से किसी को यह नही दिखा कि एक बड़ा सा भूरा उल्लू उनकी खिड़की के पास से पंख फडफडाते हुए गुजर गया....
कुछ देर बाद ही आनंद ने अपना ब्रीफकेस उठाया, उर्मिला के गाल सहलाए और आदित्या को चूमने की कोशिश की लेकिन वो ऐसा नही कर पाए क्यों कि वो उस समय गुस्से मे अपना नाश्ता छोटे छोटे हाथो से दीवार पर फेक रहा था तो आनंद अपने ऑफीस के लिए निकल गये.....
ऑफीस का दिन ठीक ठाक ही गुजर रहा था. लंच के लिए आनंद ने बेकरी मे जाके कुछ ब्रेड्स खाए....
वाहा से वापिस लौटने टाइम उन्हे कुछ लोगो की काना फूसी करने की आवाज़े सुनाई देने लगी...
उन्होने कुछ देर रुक कर वही अपने कान उनकी बात सुनने मे लगा दिए....
वो लोग किसी ऋषि की बात कर रहे थे.....ऋषि का नाम सुनकर आनंद कुछ बेचैन से हो गये....और अपने ऑफीस के कॅबिन मे आके बैठ गये....
उन्हे आज से दो साल पहले की घटना याद आने लगी थी...
आनंद की चिंता का कारण वो बात करने वाले नही बल्कि जिसका नाम लेकर वो बात कर रहे थे वो नाम था..
ऋषि, मेघा और अजीत का बेटा था...जो दरअसल आज से दो साल पहले खो गया था मेघा और अजीत ने बहुत कोशिश की उसको ढुड़ने की लेकिन उसका कोई पता नही चला
वैसे मेघा और अजीत के ऋषि के अलावा भी एक लड़का संजय और लड़की का नाम श्री है ...ये दोनो ही ऋषि से बड़े हैं....
इन्ही यादो मे आनंद खोए हुए थे की अचानक उनको अपने बेटे आदित्य का ख्याल आया और उन्होने तुरंत घर कॉल लगा दिया
उर्मिला--हेलो...हाँ..जी..आज इतना जल्दी कैसे याद आ गयी...
आनंद--क्यो मैं दिन मे कॉल नही कर सकता क्या...
उर्मिला--मैने इसलिए पुछा क्यों कि आप दिन मे बिज़ी रहते हो...कभी कॉल नही करते बस
आनंद--कुछ नही आज सुबह उस शैतान आदित्य की किस नही ले पाया ना तो उसकी याद आ रही थी...अच्च्छा क्या कर रहा है मेरा बेटा...
उर्मिला--और क्या करेगा...पूरा डिंडहम करता फिरता है....और मुझे परेशान करता है...
आनंद--हाहहाहा...मेरे बेटे जैसा दूसरा कोई नही है....
उर्मिला--हाँ वो तो है...मेरा मन तो उसमे ही लगा रहता है दिन भर...
आनंद--चलो ठीक है..मैं जल्दी आता हू.. और फिर शाम को घूमने चलते हैं..
उर्मिला--सच....
आनंद--मूच...ओके बाइ
उर्मिला--जल्दी आना...बाइ
आनंद के मन को अब शांति मिली की आदित्य घर मे सही सलामत है...
शाम को वो जल्दी घर लौट आया..उर्मिला तो सज धजकर पहले ही तैयार बैठी थी..
आनंद को देखते ही उसका चेहरा खिल उठा
उर्मिला--आप आ गये...लाइए बॅग मैं रख देती हू...आप कार बाहर ही रहने दो...
आनंद--बाहर ही क्यो रहने दूं..
उर्मिला--घूमने जाना है ना...तो जल्दी चलिए...मैं आदि को लेकर आती हूँ...
आनंद--अरे भाग्यवान...थोड़ी देर आराम तो कर लेने दो....कपड़े चेंज कर लूँ..फ्रेश हो जाने दो...एक कप चाय पिला दो..फिर चलते हैं...
उर्मिला--नही नही कपड़े तो ठीक ही पहने हैं...चाय हम बाहर ही पी लेंगे...और फ्रेश वापिस लौटने के बाद होना...हाँ
आनंद--अजीब पागल बीवी है..यार
उर्मिला--क्या कहा...
आनंद--नही..नही..तुम्हे कुछ नही कहा. चलो फिर ...
दोनो आदित्या को लेकर कार से घूमने निकल गये....
उर्मिला ने ढेर सारी शॉपिंग कर डाली.....
आनंद (मन मे)--इसके साथ अगर महीने मे एक दो बार और शॉपिंग करने आ गया तो मुझे कटोरा लेके भीख माँगना पड़ेगा...
किसी तरह उर्मिला की शॉपिंग होने के बाद वो एक पार्क मे कुछ देर जाके बैठ गये..
वो बैठे ही थे की आदित्या शरारत करते हुए पार्क मे बैठे एक शक्स की गोद मे जाके चढ़ गया...
उसका शक्स का चेहरा देख कर आनंद के माथे पर चिंता की लकीरे उभर आई...
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04-09-2020, 02:47 PM,
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RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अपडेट*4
घर पहुच कर फ्रेश होने के बाद दोनो आदि को सुला कर खुद भी सोने लगे…लेकिन आनंद की आँखो से नीद कोसो दूर थी….वो अपने अतीत मे खोता चला गया……
अब आगे……………
आनंद और उर्मिला की शादी को 8 साल से उपर हो चुका था……आनंद की ड्रिल बनाने की छोटी सी फॅक्टरी थी.. कुल मिला के अगर कहा जाए तो धन दौलत की कोई कमी नही थी……
मगर फिर भी दोनो के जीवन मे एक दुख हमेशा रहता था…..और वो दुख था औलाद ना होने का… शादी के इतने साल के बाद भी उनकी कोई औलाद नही थी……
ऐसा नही था कि उर्मिला माँ नही बन सकती थी या आनंद मे कोई खास कमी थी……उर्मिला तीन बार प्रेग्नेंट भी हुई लेकिन हर बार उसका गर्भपात हो जाता था……
बड़े से बड़े डॉक्टर्स को दिखाने के बाद भी कंडीशन वही की वही थी…..उर्मिला की दवाइयाँ चालू थी…
डॉक्टर्स के मुताबिक उर्मिला की बच्चेदानी कुछ कमजोर थी जिसकी वजह से वो बच्चे का वजन संभाल ना सकने के कारण उसका गर्भपात हो रहा है….
इसी दौरान उर्मिला की एक साल छोटी बहन मेघा की उसी शहर मे उसकी भी शादी हुई थी उनके दो बच्चे एक लड़का और एक लड़की हो चुके थे……
आनंद और अजीत दोनो चचेरे भाई थे…लेकिन दोनो के स्वाभाव मे बहुत अंतर था….अजीत एक नंबर. का शराबी था वही आनंद इसके विपरीत पान गुटखा तक नही ख़ाता था….
अजीत की भी कपड़े की दुकान थी…जिससे उनका खर्चा चलता था……खैर जब मेघा को दो बच्चे हो गये और जब भी वो उर्मिला से मिलने आती तो उन बच्चो को देख कर उर्मिला का मन भी माँ बनने के लिए मचल उठता…….
और फिर अपनी किस्मत पर वो रोने लगती….ऐसे ही दिन गुजरने लगे उनके….इस बीच दोनो मंदिर मस्जिद जाकर भी औलाद के लिए अपना दामन फैलाते रहे….उर्मिला का इलाज़ भी चलता रहा……
आख़िर एक दिन उन दोनो की फरियाद एक बार फिर उपर वाले ने सुन ली…..उर्मिला फिर माँ बनने वाली थी….कहीं इस बार फिर गर्भ ना गिर जाए इस डर से उर्मिला अपना अधिकांश समय बिस्तर पर ही लेटी रहती…..
घर के काम काज के लिए आनंद ने नौकरानी रख ली थी जो घर और उर्मिला दोनो का ध्यान रखती…वही मेघा भी तीसरी बार माँ बनने वाली थी……
इतने परहेज के बाद आख़िर उर्मिला का गर्भ इस बार बच गया और वो घड़ी भी करीब आ गयी थी….मेघा ने उर्मिला से एक महीने पहले ही बेटे को जनम दिया……
लड़के का नाम ऋषि रखा गया…..मेघा की डेलिवरी के एक महीने बाद उर्मिला की डेलिवरी हुई…लेकिन इस बार रिज़ल्ट मे बच्चा मरा हुआ पैदा हुआ……
डॉक्टर ने आनंद को बुला कर सारी बात बताई…..आनंद बेहद दुखी हो गया….उसे अपने से ज़्यादा उर्मिला के दुख की चिंता थी जो फिलहाल इस समय बेहोश थी…….
आनंद डॉक्टर से कुछ बात करके निकल गया हॉस्पिटल से……उसने खिड़की से मेघा के घर मे घुस कर एक महीने के नन्हे से ऋषि को जो बेचारा सो रहा था को उठाकर चुपचाप वहाँ से निकल गया…..
और ऋषि को अपने मरे हुए बेटे की जगह लिटा कर उस बच्चे का अंतिम संस्कार करने चला गया….
उर्मिला को जब होश आया तब तो वो अपने बच्चे (ऋषि) को देख कर बहुत खुश हुई…….कुछ देर मे आनंद भी हॉस्पिटल लौट आया……
उर्मिला प्रेग्नेंट की वजह से घर मे ही रहती थी और मेघा भी डेलिवरी के बाद मिलने नही आई थी जिससे उर्मिला उस बच्चे को नही पहचान पाई…..
आनंद ने पूरे हॉस्पिटल मे मिठाई बाटी खुशी जाहिर करने के लिए….दूसरे दिन डिसचार्ज करवा के आनंद ने वो जगह छोड़ कर उम्रेड आ गया…..जहाँ एक घर खरीद लिया था आनन फानन मे उसने…
इधर मेघा को जब अपना बच्चा नही मिला तो उसने रो रो कर पूरा घर सर पे उठा लिया…..
आसपास पता करने पर भी जब कुछ नही मालूम हुआ था तो उन्होने पोलीस फिर की गुमशुदगी की……मगर कुछ मालूम नही हुआ…..
इधर आनंद के घर उस बच्चे के कदम पड़ते ही उसको खुश खबरी मिली की एक बड़ी कंपनी ने ड्रिल बनाने का करोड़ो का ऑर्डर दिया है……
आनंद के मंन मे भी उसी पल से उस बच्चे के लिए अपनापन आ गया…..दो दिन बाद बच्चे का नामकरण करने के लिए मंदिर के पुजारी को बुलाया गया…..
बच्चे की जनम कुंडली बनाते समय वो बहुत हैरान हुए….उनके चेहरे पर आते जाते भाव को देख कर उर्मिला चिंता करते हुए बोली…..
उर्मिला—पंडित जी सब ठीक तो है ना…..कोई चिंता की बात तो नही है….
पुजारी—नही बेटी….ये बालक बड़ा ही भाग्यशाली और चमत्कारी है…..इसके अंदर अलौकिक तेज़ है जो इसके चेहरे से झलक रहा है….इसमे बहुत सी अद्भुत शक्तियाँ हैं जो अपने समय पर उसे प्राप्त होगी और हर संकट मे उसकी रक्षा भी करेगी…..
पुजारी की बात सुनकर उर्मिला और आनंद दोनो खुश हो गये…..
आनंद—पंडित जी हमारे बेटे का नाम क्या होगा….?
पुजारी (कुछ देर सोच कर)—वैसे तो इसका नाम कुछ और ही है मगर इसमे जो सूरज के समान तेज़ है तो इसका नाम आदित्य रखना ठीक होगा……
आनंद ने पुजारी को ढेर सारी दक्षिणा देकर खुश कर दिया और वो भी खुशी खुशी आशीर्वाद देते हुए चला गया…..
उस दिन से आदित्य उर्मिला और आनंद दोनो की जान बन गया…..इन दो सालो मे आनंद की कंपनी को जमकर मुनाफ़ा हुआ…..एक छोटी सी कंपनी अब बड़ी होकर आदित्य इंडस्ट्रीस बन गयी थी….
लेकिन आनंद को हमेशा ये डर सताते रहता कि कही आदि की सच्चाई किसी को मालूम ना हो जाए….इस डर से वो हमेशा आदित्य के प्रति चौकन्ना रहता था….मेघा और उसके पति से अपना रिश्ता तोड़ लिया कि कही वो आदित्य को पहचान ना ले……
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04-09-2020, 02:47 PM,
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RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अपडेट*5
ऐसे ही ख्यालो मे खोए हुए आनंद की नीद कब लग गयी पता ही नही चला……सुबह उठने के बाद फिर वोही भाग दौड़……
समय यो ही बीतने लगा आनंद का बिज़्नेस भी दिन दूनी और रात चौगुनी रफ़्तार मे बढ़ने लगा था….. अपने देश के अलावा भी उसने अब इंग्लेंड मे अपनी कंपनी खोल ली थी……
इस दौरान अजीत और मेघा भी आदित्य को देखने उनके घर आने जाने लगे थे..जिससे आनंद के मंन का चोर घबराने लगा था……
अपने डर की वजह से आनंद ने इंडिया से इंग्लेंड शिफ्ट कर लिया.....और एक बार फिर उनका संबंध मेघा के परिवार से टूट गया....
मगर इससे आनंद बेहद खुश था…उसके मन का डर भी इंग्लेंड आकर ख़तम सा हो गया….उर्मिला अपना अधिकतर समय आदि की देख भाल मे ही बिताती थी……..
आदित्य भी अब स्कूल जाने लगा था….लेकिन उसका स्वाभाव अपने साथ के बाकी बच्चो से काफ़ी अलग था… वो स्टडी के साथ ही साथ स्पोर्ट्स मे भी अव्वल था…..
दिन महीनो मे और महीने सालो मे कब तब्दील हो गये कुछ पता ही नही चला….इस बीच आदित्य के साथ छोटी छोटी घटनाए यदा कदा होती रही..मगर कोई बड़ी घटना नही हुई जिसका उल्लेख करना इतना आवश्यक हो….
आनंद अब इंडिया के साथ ही साथ इंग्लेंड का भी एक नामचीन उद्योगपति बन चुका था….बड़े बड़े लोगो के साथ उसका उठना बैठना था….
लेकिन इन सबके बावजूद वो आदित्य और उर्मिला को पूरा वक़्त देता था…आदि तो आनंद और उर्मिला की आँखो का कोहिनूर था जैसे…..उन दोनो के लाद प्यार ने आदित्य को ज़िद्दी ज़रूर बना दिया था….
आज आदित्य के हाइयर सेकेंडरी बोर्ड के रिज़ल्ट के साथ साथ उसका 18थ बर्तडे भी है……….जिसकी तैयारिया जोरो से हो रही हैं….
बंग्लॉ को किसी दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है एक दिन पहले से ही……..
सुबह के 9 बज चुके हैं आनंद डाइनिंग टेबल पर नाश्ता करने बैठा है……मगर नाश्ता करे तो करे कैसे नाश्ता अभी तक बना ही नही था
ये केवल आज की बात नही है ये तो बरसो से चला आ रहा सिलसिला है…..जब तक आदित्य ये नही बता देता कि उसे आज नाश्ते मे खाना क्या है तब तक उर्मिला ना तो खुद नाश्ता बनाती और ना ही नौकरानी को बनाने देती
बेचारे आनंद को घंटो नाश्ते के लिए डाइनिंग टेबल पर बैठ कर इंतज़ार करना पड़ता कि कब ये साहेबज़ादे नीद से उठे और उसे नाश्ता मिले……..
अगर कभी वो ग़लती से भी नाश्ता बनाने को उर्मिला को बोल देता तो उसको उल्टा खरी खोटी सुनने को मिल जाती
उर्मिला साफ शब्दो मे जवाब दे देती कि “जब तक मेरा बेटा उठ के नाश्ता नही कर लेता तब तक कुछ नही मिलेगा, आप को ज़्यादा जल्दी है तो बाहर कही कर लेना…मगर घर मे सबसे पहले मेरा बेटा ही खाएगा”
आनंद भीगी बिल्ली की तरह चुप हो जाता…..वो जानता था कि बहस मे बीवी से कोई नही जीता तो वो क्या जीतेगा और यदि किसी तरह अपनी बीवी से जीत भी गया तो माँ से हरगिज़ नही….वो अपनी औलाद के आगे पति को कुछ नही गिनती…….
आज भी वो वही कर रहा था…इंतज़ार…अपने लखते जिगर के उठने का…….मगर आदित्य है की मस्त सोया हुआ है….उसे कोई फिकर ही नही है……
हर रोज की तरह आज भी उर्मिला ही उसको उठाने आई…..
उर्मिला—आदि बेटा उठ जाओ…देख कितना टाइम हो गया है….उठ जा मेरे नंद गोपाल…..
आदित्य—अभी थोड़ा और सोने दो ना मम्मी…..
उर्मिला—हॅपी बर्तडे मेरे लाल….
आदित्या—वो तो आपने रात मे ही आकर मुझे विश कर दिया था…
उर्मिला—देख आज तेरा रिज़ल्ट भी ओपन होना है ना…..
रिज़ल्ट का नाम सुनते ही उसकी नीद फुर्र हो गयी….मगर फिर भी वो आँखे बंद किए लेटा ही रहा…
उर्मिला मुश्कूराते हुए उसके दोनो गालो पर…फिर माथे पर…दोनो आँखो पर…ठुड्डी पर किस की तब जाके उसने अपनी आँखे खोली…..
आदित्या—गुड मॉर्निंग माइ स्वीट मम्मी….
उर्मिला—गुड मॉर्निंग माइ स्वीट लविंग सन…
आदित्य को उठाने के लिए उर्मिला को रोज ऐसा ही करना पड़ता है….इसमे दोनो की अंतर आत्मा तक खुशनुमा हो जाती है….
उर्मिला—इतना नाटक क्यो करता है उठने मे…
आदित्या—आप को पता है ना मम्मी जब तक आप मुझे ऐसे हग नही कर लेती मेरी नीद ही नही खुलती तो मैं क्या करूँ...
उर्मिला—चल बदमाश...जल्दी जा और फ्रेश हो जा.....और हाँ आज क्या खाएगा मेरा राजा बेटा.....
आदित्या—आज मेरी प्यारी मम्मी की पसंद का खाउन्गा.....
उर्मिला—चल ठीक है....जा फ्रेश हो जा जल्दी....तब तक मैं नाश्ता रेडी करती हूँ....तेरे दादी नीचे तेरे इंतज़ार मे भूखे बैठे हैं......
आदित्या—ओके मोम…बस 10 मिनट….
आदित्य बाथरूम मे घुस गया और उर्मिला किचन मे.....उर्मिला के किचन मे जाते देख कर आनंद समझ गया कुंवर साहब उठ गये हैं.....अब जाके नाश्ता मिलेगा....
नाश्ता तो वो बाहर भी कर सकता था लेकिन इस इंतज़ार के बाद जो प्यार मिलता है वो बाहर कहाँ मिलेगा.... आनंद भी आदित्य को देखे बिना ऑफीस नही जाता था….आदित्य उसकी भी कमज़ोरी था…
करीब 30 मिनट मे आदित्य भी रेडी होकर नीचे आ गया…..नीचे आते ही उसके साथ जो हुआ उससे वो हैरान हो गया…..
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04-09-2020, 02:47 PM,
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RE: Antarvasna Sex चमत्कारी
अपडेट*6
करीब 30 मिनट मे आदित्य भी रेडी होकर नीचे आ गया…..नीचे आते ही उसके साथ जो हुआ उससे वो हैरान हो गया…..
अब आगे………….
आदित्य जैसे ही नीचे आया तो देखा पूरी की पूरी उसकी मित्र मंडली आके वही डेरा जमाए हुई हैं सब एक साथ मे ‘हॅपी बर्तडे आदि’ बोल कर उसे विश करने लगे….
आनंद—हॅपी बर्तडे माइ सन………
आदि—(पैर च्छुकर) थॅंक्स डॅड…..
आनंद ने उसे उठकर अपने गले से लगा लिया…
आनंद—ये लो बेटा आज का तुम्हारा गिफ्ट.....
आदि—ये क्या है डॅड…?
आनंद—तुम्हारा गिफ्ट है तुम खुद ही देख लो……
मैने वो पॅकेट खोल कर देखा तो उसमे न्यू कार की चावी थी….मैने बाहर जाकर देखा तो रोल्स राय्स स्वेपटाल कार खड़ी थी ….मेरे फ्रेंड भी इस कार को देख अवाक रह गये…
मैं भी खुश हो गया न्यू कार देख कर वैसे मेरे पास लॅमबर्गीनी पहले से ही है….लास्ट बर्तडे पर मुझे डॅड ने ही दी थी…..
मगर मम्मी मुझे चलाने ही नही देती थी….जब कभी मम्मी या डॅड के साथ कही घूमने जाना होता तब ही चला पाता था…..
मैं—डॅड ये कार तो मार्केट मे है ही नही…फिर कैसे मिली…?
आनंद—अपने बेटे के लिए स्पेशल ऑर्डर देकर 13 मिलियन डॉलर मे बनवाया है….जब पहले किसी एक कस्टमर ने अपने ऑर्डर पर बनवाया था तब ये केवल टू सीटर थी…पर मैने 6 सीटर बनवाई है…
मैं—ओह्ह…थॅंक्स डॅड…..मैं ट्राइयल कर के देखता हूँ…अपने फ्रेंड्स को भी घुमा लाउन्गा…
पर उससे पहले मैं आपको अपने फ्रेंड्स से इंट्रोड्यूस तो करा दूं.......
फ्रॅंक्लिन—लड़ाई मे हीरो....पढ़ाई मे ज़ीरो
डॅनियल—एक नंबर का रंडीबाज...दिल का साफ
मारग्रेट—खूबसूरत अँग्रेज़ी बिल्ली….आदित्य को मंन ही मंन प्यार करती है
जूलीया—अमीर बाप की नाकचॅढी औलाद…गुस्सा नाक पर रहता है
कैत—डॅनियल की गर्ल/फ्रेंड
मैं—कम ऑन फ्रेंड्स…लेट’स गो फॉर टेस्ट ड्राइव…..
उर्मिला—पहले नाश्ता बाद मे कोई ड्राइव..समझा…
मैं—ओह्ह मोम..बस अभी आया…ज़्यादा दूर तक नही जाउन्गा
उर्मिला—नो..नेवेर...पहले नाश्ता उसके बाद पहली टेस्ट ड्राइव मेरे साथ…
मैं भी क्या करता…..मोम की बात भी नही टाल सकता तो चुप छाप मूह लटका के नाश्ता करने बैठ गया…..
उर्मिला—ज़्यादा उदास होने की कोई ज़रूरत नही है….चले जाना….और वैसे भी तुम सब का रिज़ल्ट भी तो आने वाला है आज…..
मैं—ओके मोम…
आनंद—और हाँ..बेटा आज शाम को घर मे पार्टी रखी है तो रेडी रहना टाइम से…..अपने बेटे को सबसे इंट्रोड्यूस कराउन्गा…..और तुम सब भी इन्वाइटेड हो….
मैं—ओके डॅड…जैसा आप कहे…
फिर हम सबने मिल कर नाश्ता ख़तम किया….और मैं टेस्ट ड्राइव पर जाने के लिए जाने लगा तभी मम्मी आ गयी…और मेरे गालो पर हग कर लिया….
उर्मिला—नाराज़ है मुझसे….
मैं—नो मोम…मैं आपसे कभी नाराज़ नही हो सकता…..आप तो मेरी बेस्ट मम्मी हो….
उर्मिला—अच्छा सुन थोड़ा जल्दी आना….मुझे तेरे साथ शॉपिंग पर जाना है…
मैं—ओके मोम…मैं अभी गया और अभी आया....
उर्मिला—और सुन्न...गाड़ी ज़्यादा स्पीड मे मत चलाना....
मैं—ओफफ़फो....मोम...आप इतना क्यो डरती हो...
उर्मिला—क्यों कि तू मेरी जान है....समझा..बड़ी मिन्नतों के बाद तुझे पाया है...इसीलिए हमेशा तेरी ही फिकर लगी रहती है...
मैं—इतना उदास मत हो मम्मी.....आप नही चाहती तो मैं कही नही जाउन्गा....
उर्मिला—चल जा घूम आ और अपने इन आवारा दोस्तो को भी घुमा ला...
मैं अपने दोस्तो के साथ ड्राइव का आनंद लेने निकल गया….मारग्रेट और जूलीया दोनो मेरे बाज़ू की सीट पर मुझसे सट कर बैठ गयी…..
ये दोनो का नियम बन गया था या यू कहूँ कि दोनो मे होड़ लगी रहती थी मेरे बगल मे बैठने की….इसके लिए अक्सर दोनो मे नोकझोक होती रहती थी रोज़ाना ही…..
(अब ये तो हिन्दी जानते नही हैं दोस्तो फिर भी मैं यहाँ जो भी बातचीत हमारे बीच होगी उसे मैं हिन्दी मे लिखूंगा मगर आप लोग इंग्लीश मे ही लिखा है ऐसा समझ के पढ़ लेना)
मारग्रेट (मन मे)—कुतिया मेरे आदि पर डोरे डाल रही है...आदि सिर्फ़ मेरा है...
जूलीया (मंन मे)—पता नही अपने आप को क्या समझती है...मेरे आगे इसकी हैसियत ही क्या है..पता नही आदि भी इस बिल्ली को क्यों फ्रेंड बना लिया... ..
फ्रॅंक्लिन—क्या किस्मत पाई है आदि ने....यहा कोई पूछता भी नही और तेरे दोनो हाथो मे लड्डू है...दो दो सुंदर कन्या तेरे आगे पीछे घूमती हैं....
डॅनियल—तू ना मुझसे गुरु मन्त्र लेले लड़की पटाने का...काम बन जाएगा तेरा..
फ्रॅंक्लिन—वैसे मुझे करना क्या होगा इस गुरु मन्त्र के बदले मे....
डॅनियल—ज़्यादा कुछ नही...तेरे पड़ोस मे जो आंटी हैं ना किसी तरह तू उनकी नहाने की वीडियो बनके मुझे दे दे बस....
फ्रॅंक्लिन—क्याअ.....साले तेरी तो......धिसूं..धिसुम
डॅनियल—अबे मार क्यो रहा है...अफ...तेरा हाथ है की हथोडा...
वो दोनो हसी मज़ाक मे लगे हुए थे जबकि कैत एअर फोन पर म्यूज़िक सुन्न रही थी…
तभी अचानक गाड़ी मे ज़ोर का ब्रेक लगा…..
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