04-14-2020, 11:29 AM,
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hotaks
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RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
बादल का ये चुन्नी के लिए लिखा प्रेमपत्र पढ़कर ठाकुर का खून ऐसे खौल गया जैसे चूल्हे पर पानी. अगर ये लवलेटर चुन्नी को मिला होता तो शायद इसकी ठीक उलटी प्रतिक्रिया होती. चुन्नी को बुरे बक्त में ये बादल का प्यार भरा पत्र थोडा सुकून दे जाता. बड़े ठाकुर ने तुरंत
अपने छोटे लड़के बिशेष को बुलाया और सारी बात उसे बताई.
उसका भी खून खोल गया. बोला, "पिताजी आज इस बादल को खत्म ही कर डालो. न रहेगा बांस न बजेगी बासुरी." बड़े ठाकुर का भी सोचना यही था. झट से बोले, "ठीक है मेरी दोनाली बंदूक निकाल कर ला और अपनी लोहा लगी लाठी."
बिशेष ने बाप के कहे अनुसार ही किया लेकिन बड़े ठाकुर की पत्नी ठकुरानी उन्हें समझाती रहीं. कहतीं थी कि छोडो बैसे ही मान जाएगा. हम बात करेंगे उसके घर. मारने वारने से क्या फायदा? केस का केस बनेगा और फिर चारो तरफ बदनामी होगी वो अलग से.
बड़े ठाकुर ने गुस्से में ठकुरानी से कहा, "आज तुम हमारे सामने से हट जाओ. आज हम किसी के रोके न रुकेंगे, चल भाई चल बिशेष. ठकुरानी बहुत पैरों में पड़ी लेकिन ठाकुर के सर पर खून सवार था वो बिशेष को ले घर से बादल के घर की तरफ चल दिए.
चुन्नी ने जब सुना कि पिताजी और भैया बादल को मारने गये हैं तो बंद कमरे में रोती चिल्लाती इधर उधर भागने लगी. चुन्नी का वश चलता तो वह भागकर बादल से कह आती कि तुम भाग जाओ पिताजी और भैय्या तुम्हे मारने आ रहे है लेकिन वो तो इस काल कोठरी में बंद थी. बड़े ठाकुर और उनका लड़का पूरी तैयारी के साथ बादल के घर की तरफ पहुंचे लेकिन बादल अपने घर से पहले ही बने एक घर में बैठा था. वहां शायद वो चुन्नी को भगा कर लाने वाली प्लानिंग ही कर रहा होगा. बड़े ठाकुर की नजर उस पर पड़ी. जब तक बादल कुछ जान पाता तब तक उस पर बिशेष की चार पांच लाठियां पड़ चुकी थीं.
__ लाठी के निचले हिस्से पर लोहे की चादर से ढका था और वही हिस्सा बादल के सर पर पड़ता रहा. इतना पड़ा कि उसके सर का हलुआ सा बनने लगा. बड़े ठाकुर के हाथ में दोनाली बंदूक थी जिसके कारण कोई भी आदमी बादल को बचाने नही आया. लेकिन
कोई कब तक किसी इंसान को मारता. बिशेष ने बादल को मरा समझ मारना बंद कर दिया. उसके बाद दोनों अपने घर चले आये.
जैसे ही बादल के घर वालों को ये बात पता चली तो सब आनन फानन में भाग छूटे. तुरंत बादल को बैल गाड़ी में डालकर डॉक्टर के पास ले जाया गया. लोकल के डॉक्टर ने शहर के अस्पताल के लिए रेफर कर दिया. बादल के चोट गम्भीर थी. डॉक्टरों का पहले ही
कहना था कि बादल बचे न बचे कोई पता नही है लेकिन फिर भी इलाज़ किया जाता रहा, जब भी बादल होश में आता तो सिर्फ एक ही शब्द अपने मुंह से बोलता, “चुन्नी, चुन्नी और चुन्नी." न कभी पानी माँगा न कभी रोटी.
इधर बेचारी चुन्नी को जब पता चला कि बादल को इतना मारा गया है कि मर भी जाए तो पता नहीं. तो चुन्नी का दिल हर एक क्षण बादल को अपनी आँखों से देखने को करता था. उसे लगता था कि अगर वो बादल के सामने पहुंच जाय तो बादल अपने आप ठीक हो जाएगा. क्या पता प्यार, इश्क और मोहब्बत में इतनी शक्ति होती हो कि मरता व्यक्ति भी ठीक हो जाए लेकिन ले कौन जाए चुन्नी को बादल के सामने? __
_चुन्नी पल पल बादल के लिए दुआ करती थी.रो रो कर भगवान से बादल की जिन्दगी की भीख मांगती थी. दुपट्टा फैलाकर अपने दिल के जानी की जिन्दगी ऊपर वाले से मांगती थी. सारा दिन रोने में निकल जाता लेकिन भगवान तो जैसे पत्थर के हो गये थे. न चुन्नी की सुनते थे और न बादल की. दोनों के दिलों में मिलने की तड़पन उन्हें हर पल तड़पाती थी. उन्हें हर क्षण ये उम्मीद रहती कि वो मिलेंगे जरुर.
इधर बादल भी घर वालों से चुन्नी को देखने और उससे मिलने की जिद करता था. कहता था मैं विना इलाज के ठीक हो जाऊँगा अगर चुन्नी मेरे सामने आ जाय. घर वालो के लिए चुन्नी को लाना कोई आसान खेल था. कैसे लाते किसी की लडकी को उठाकर? लेकिन उनके घर के लडके की जिन्दगी तो सिर्फ चुन्नी के हाथ में थी जो शायद अब कभी भी बादल के सामने न आनी थी.
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04-14-2020, 11:35 AM,
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hotaks
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RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
भाग -6
आज की रात राज और कोमल के साथ देवी के लिए भी बहुत मुश्किल भरी थी. उसे अपनी बहन कोमल को दिया वादा भी पूरा करना था क्योंकि कोमल ने आज राज से बात न कर अपना वादा पूरा कर दिया था. उसने आज अपना दिल मसोस लिया था. उसने ऐसा कर देवी को उसका वादा पूरा करने के लिए बाध्य कर दिया था,
शाम हुई फिर रात हुई. कोमल ने आज पेट भर खाना भी न खाया. दोनों बहनें सोने चल गयी. घर में अभी सब कुछ सामान्य सा था लेकिन घर की इन दो लडकियों के दिलों में आज भूकम्प आया हुआ था. ऐसा भूकम्प जो आज इन्हें ठीक से सोने भी नहीं दे रहा था. कोमल दाए करवट से लेटी थी और देवी बाए से. दोनों की दशा सिक्के के दो पहलुओजैसी थी. दोनों को नींद नहीं आई इसलिए अभी तक जाग रहीं थी. दोनों ही जानती थी कि बगल में पड़ी उसकी बहन जाग रही है लेकिन दोनों में से कोई एकदूसरे से बोलती नही थी. दोनों की दिमागी सोच किसी समस्या के हल वाले समन्दरों की गहराई नाप रही थी. लेकिन दोनों की स्थिति उस मछुआरे जैसी थी जो बीच समुंदर से भी बार बार खाली हाथ लौटता आता हो.
सांसो की आवाजे दोनों की स्थिति का हाल एकदूसरे को बयां कर रही थी. जब भी दोनों तेज तेज साँसे लेने लगती तो पता चलता था कि अब कोई हल सोचा जा रहा है लेकिन जैसे ही वो एक लम्बी सास ले छोडती तभी दूसरे को पता चलता कि हल नहीं मिल पा रहा है और बगल में पड़ी बहन निराश हुई है. दोनों बेशक एक दूसरे के बिपरीत मुंह करे पड़ी थी लेकिन सोच सिर्फ एक ही बात रही थी.
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इधर राज की नींद भी इन दोनों बहनों की तरह ही उडी हुई थी. वह पड़ा पड़ा कोमल के आज किये वर्ताव पर सोच के घोड़े दौडाए जा रहा था. उसे सुबह तक की तस्सली नही थी. ये प्यार में अँधा आशिक अभी के अभी यह जाना चाहता था कि उसकी महबूबा ने आज उससे ऐसा व्यवहार क्यों किया? क्यों बिना देखे चली गयी? क्यों न कुछ बताया? क्या में कोई नही लगता उसका? क्यों वो मुझे बताना नही चाहती?
देवी ने जब देखा कि उसके साथ साथ कोमल की नींद भी उडी हुई है तो देवी के दिल में बहन के लिए प्यार उमड़ आया. वो बगल में लेटी पड़ी कोमल की तरफ पलटी. फिर कोमल को अपने आगोश में लेती हुई उससे बोली, “कोमल क्या तुम्हें नींद नही आ रही. सो जाओ मेरी बहन सब ठीक हो जाएगा. भगवान जरुर कुछ न कुछ......
देवी आगे कुछ बोल पाती उससे पहले ही कोमल देवी की तरफ पलट बोल पड़ी, “अगर तुम मुझे भगवान के भरोसे ही रखना चाहती थी तो आज यह शर्त क्यों रख दी कि में राज से तब तक बात नहीं करू जब तक कि तुम इस परेशानी का हल नहीं निकाल लेती? तुमने तो खुद इस समस्या को सुझाने का वादा मुझसे किया है और अब मुझे भगवान भरोसे छोड़ रही हो."
देवी एक दम से निरुत्तर हो गयी. देवी के मुंह से भगवान के कुछ न कुछ करने वाली बात ने कोमल को यह सन्देश दिया कि देवी ने अभी कुछ भी हल नही निकाल पाया है. और ना ही वो निकालने में सक्षम है. यह सोच देवी अपनी बात को घुमाते हुए बोली, “कैसी बातें करती हो मेरी बहन? क्या तुम नही जानती कि तुम्हारे साथ में भी अभी तक नही सोयी? आधी रात तक आज से पहले तुमने मुझे कभी जगते देखा है. मुझे लगता है कि तुम्हे अपनी इस बहन पर भरोसा ही नहीं है."
कोमल देवी के भरोसे वाली बात से हडवडा गयी. वो तुरंत देवी से बोली, "देवी तुम ये कहने से पहले मेरे आज के रवैये पर नजर डाल सोचती तो शायद ये बात नही कहती. अगर मुझे तुम्हारे ऊपर भरोसा न होता तो आज में राज से बिना कुछ कहे और बिना उसकी तरफ देखे न चली आती.” इतना कह कोमल का गला भर आया. आँखे आसुओं के अम्बार लगाने लगी. ____
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04-14-2020, 11:35 AM,
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RE: Sexbaba Hindi Kahani अमरबेल एक प्रेमकहानी
यह सब देख देवी का दिल भी भर आया. उसने कोमल को अपने कलेजे से लगा लिया और धीरे से बोली, “मेरी बात का गलत मतलब न निकालो मेरी बहन. में सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे लिए सोचती हूँ. मुझे नहीं पता कि मेरे मुंह से क्या का क्या निकल रहा है? आज का सब कहा सुना माफ़ करो." यह कह देवी ने कोमल का मुखड़ा अपने हाथों में लिया और उसका माथा चूम उससे बोली, “अब सो जाओ मेरी राजकुमारी. कल की सुबह तुम्हारे लिए भी कुछ न कुछ उजाला जरुर ले कर आएगी."
कोमल को देवी के प्यार से समझाने पर थोडा अच्छा महसूस हुआ. वो फिर से विना कुछ बोले दूसरी तरफ करवट ले सो गयी. राज ने भी यही सोचा कि कल सुबह वो जब दूध लेने कोमल के घर जाएगा तब उससे जरुर पूंछेगा कि पूरी बात क्या है? तीनों दो अलग अलग जगह पर पड़े सोने की कोशिश किये जा रहे थे और फिर तीनो को ही नींद ने आ दबोचा.
सुबह हुई. राज की माँ ने राज को झकझोर कर उठाते हुए कहा, “क्यों रे राज आज दूध कढाने नहीं जायेगा क्या?"
राज रात भर ठीक से सो नहीं पाया था. ऊपर से दिल का भारी भरकम दर्द, माँ से बोला, “आज नहीं जाना पापा को भेज दो."
माँ इतना सुन मुड़ने को हुई लेकिन राज को तब तक ध्यान आ गया कि उसे कोमल के पास भी तो जाना है. वह झट से चारपाई से उठा और माँ से बोला, “रहने दो माँ में ही जा रहा हूँ."
माँ ने देखा कि अभी राज बीमारों की तरह पड़ा था लेकिन न जाने फिर क्या दिमाग में आया कि इतनी फुर्ती से उठ बैठा. राज झट पट से तैयार हो. टंकी को साईकिल पर बाँध कर भाग चला. माँ ने राज की हाल की गतिविधियों को देख सोचा कि वो राज के बाप से इसकी शादी जल्दी करने को कहेगी. गाँव में अक्सर माँ बाप बच्चों की ऊंटपटांग हरकतों को उनकी शादी से जोड़कर देखते हैं..
यही नहीं, अगर बच्चे चारपाई पर बैठ कर पैर हिलाने लगे तो समझ लो वो किसी लड़की के बारे में सोचता होगा. जल्दी ही उस लडके या लडकी की शादी की बात होनी शुरू हो जाती है. किसी लडकी पर अगर भूत आना शुरू हो जाय तो समझ लो उसकी शादी पक्की हो ही जाएगी. और एक लड़का या लडकी ज्यादा हंस हस कर बात कर लें तो दोनों के बीच कोई न कोई चक्कर है.
जल्दी ही उन लोगों के घरवाले उनकी शादी करा डालते हैं. यही नहीं, अगर कोई लड़का या लडकी अकेले रहने लगे या किसी से बात न करें तो भी उनकी शादी करवा दी जाती है. क्योंकि ये लक्षण तो सिर्फ प्यार के रोग में ही पाए जाते हैं जिनका इलाज सिर्फ शादी ही
होता है.
राज एक सांस में कोमल के गाँव पहुंचा. फिर कोमल के घेर(भैसों के रहने की जगह) में. राज का दिल आज कुछ ज्यादा ही धडक रहा था. सोचता था अभी कोमल आएगी तो क्या कहूँगा या वो क्या कहेगी? क्या वो अभी भी कल जैसा ही वर्ताव करेगी या पहले जैसा?
राज अभी यह सोच ही रहा था कि देवी दूध निकालने वाली वाल्टी लिए आ पहुंची. राज का दिमाग बिजली के मारे करंट की तरह झनझना गया. उसे अपनी आँखों पर यकीन न आया. जहां आज तक दूध दूहने कोमल ही आती थी वहां आज देवी आई थी. अब राज को पक्का शक हो गया कि कोई न कोई बात जरुर है.
देवी दूध दुहने भैस के पास बैठ गयी. राज का दिल करता था कि देवी से ही पूँछ ले कि आखिर बात क्या है आज कोमल दूध दुहने क्यों नही आई? फिर सोचा पहले देवी दूध दूह ले फिर पूँछ लेगा. थोड़ी देर बाद देवी भैंस का दूध निकाल राज को देने आई. राज ने लीटर से दूध नाप अपनी बाल्टी में डाल लिया. उसके बाद देवी जाने को हुई लेकिन राज के गम्भीर स्वर ने उसे रोक लिया. राज बोला, "देवी बहन जी आज...वो..कोमल दूध दुहने क्यों नही आई? क्या कोई परेशानी है उन्हें?"
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