Antarvasna कामूकता की इंतेहा
08-25-2020, 01:12 PM,
#41
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
मेरे मुख से अनायास ही ‘हाय ढिल्लों, हाय मेरी माँ, धुन्नी तक जाता है, मेरी माँ, हाये!’ की अलग अलग तरह की आवाज़ें निकल रही थीं। इन तीक्ष्ण तेज़ घस्से मारने के बाद ढिल्लों रुका और बोला- काले, डाल इसकी गांड में भी लौड़ा, बड़ी करारी औरत है साली।

यह सुनकर काला मेरे पीछे आया और उसने अपना काला भुजंग लौड़ा मेरी गांड में जड़ तक पेल दिया।
इसके बाद वो खड़े खड़े ही मुझ शराबी को हब्शियों की तरह चोदने लगे। मेरे मुंह से तरह तरह की बकवास निकलने लगी- मर गयी, फट गई, हूँ हूँ हूँ … एक साथ दो मां … हाये मेरी मां हो हो हो।

दोस्तो, मैं इसी तरह की पता नहीं क्या क्या बकवास लगातार ऊंची आवाज में करती चली गई। दोनों छेदों में चुदने के दौरान मुझे अपना निचला हिस्सा पूरी तरह भरा भरा लग रहा था और मुझे अब कोई कमी महसूस नहीं हो रही थी।
दरसअल इतनी घनघोर चुदाई कोई भी औरत सिर्फ मेरी तरह डबल डबल नशे करके ही करवा सकती है, नहीं तो कोई भी औरत बेहोश हो सकती है। चुदने के दौरान मेरी चूत और गांड से ‘पुच्च … पुच्च …’ की बहुत ही तेज़ आवाज़ें निकल रहीं थीं।

कुछ देर बाद मुझे इतना मज़ा आने लगा कि मैं हवा में उड़ने लगी और मैंने ढिल्लों के मुंह को अपने मुंह में भर लिया और उसे पीने लगी।

दोस्तो, इसी तरह मैं पता नहीं कितनी देर ताड़ ताड़ करके चुदती रही। आखिर मेरे मज़े का बांध एक बार फिर टूट गया और मेरा फिर काम हो गया, लेकिन इस बार बहुत ही मामूली सा काम रस फुद्दी से निकला था। उन दोनों ने शाम से मुझे पूरी तरह निचोड़ दिया था। मेरे काम होने के वो दोनों हांफते हुए मुझे अपनी पूरी ताकत इकठ्ठी करके चोदने लगे।

ढिल्लों के सांस में सांस ही नहीं आ रही थी क्योंकि मेरा लगभग सारा भार उसकी बांहों में था। उसने काले को रुकने के लिए कहा। काला गांड में जड़ तक लौड़ा पेल कर रुक गया और ढिल्लों मुझे अंधाधुंध चोदने लगा जब तक उसका काम नहीं हो गया।
जब ढिल्लों ने उसे पूरी तरह हांफते हुए देखा तो उसने कहा- रुक जा अब, निकालना मत।
यह कहकर काले ने मेरे दोनों चूतड़ों का भार अपने हाथों में ले लिया और बुरी तरह जोश में आकर मेरी गांड की ऐसी तैसी करने लग गया।

कुछ देर बाद ही उसका सारा मेरी गांड में था। उन दोनों के झड़ने के बाद मेरी जान में जान आयी। जब उन्होंने मुझे नीचे उतारा तो काले का ढेर सारा गाढ़ा वीर्य मेरी गांड से बाहर रिस कर, मेरी टाँगों तक गया।
पीछे हाथ लगा कर देखा तो गांड का मुंह बुरी तरह से खुला था। मैंने ज़ोर लगा कर उसे बंद करने की कोशिश भी की ताकि वीर्य बाहर निकलना बंद हो जाये, लेकिन गांड थी कि पूरी तरह बंद नहीं हुई।

मैं बाथरूम में जाने लगी तो मुझे चक्कर से आ गया, टाँगें बुरी तरह कांप गयीं और उन्होंने मेरे जिस्म का भार उठाने से मना कर दिया, मैं धड़ाम करके फर्श पर गिर गयी। मेरा सारा जिस्म नशे और हैवानी पंजाबी चुदाई से कांप रहा था।

यह देख कर काला आया और उसने नैपकिन से मेरी चूत और गांड पोंछते हुए कहा- तुझे चलने के लिए किसने कहा था, बेड पर लेट जाती, पता भी है किस तरह से चुदी है।
यह कहकर उसने मुझे अपनी बाँहों में उठाया और बेड पर जाकर लेटा दिया।
दोनों ने मेरे जिस्म को चेक किया कि कोई चोट तो नहीं आयी लेकिन घुटनों पर कुछ खरोंचों के बिना मुझे कुछ नहीं हुआ था और मैं ठीक थी।
इसके बाद दोनों मेरे गिर्द मेरी तरह नंगे ही लेट गए।

पंजाबी गांड चूत चुदाई कहानी जारी रहेगी.

Reply
08-25-2020, 01:12 PM,
#42
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
मैं बाथरूम में जाने लगी तो मुझे चक्कर से आ गया, मैं धड़ाम से फर्श पर गिर गयी। मेरा पूरा जिस्म नशे और हैवानी पंजाबी चुदाई से कांप रहा था। यह देखकर काला आया और उसने करते हुए कहा- तुझे चलने के लिए किसने कहा था, बेड पर लेट जाती, पता भी है किस तरह से चुदी है।
उसने मुझे अपनी बाँहों में उठाया और बेड पर लेटा दिया।
दोनों ने मेरे जिस्म को चेक किया कि कोई चोट तो नहीं आयी लेकिन घुटनों पर कुछ खरोंचों के बिना मुझे कुछ नहीं हुआ था और मैं ठीक थी।
इसके बाद दोनों मेरे गिर्द मेरी तरह नंगे ही लेट गए।
अब आगे:

अगले 15-20 मिनट काला और ढिल्लों दोनों नंगे दोनों तरफ से मुझे बांहों में लेकर लेटे रहे। दरसअल उन दोनों का मेरी ताबड़तोड़ चुदाई में काफी ज़ोर खर्च हो गया था। इस बार तो उन दोनों में से किसी ने भी न तो मेरी गांड और न ही फुद्दी को पौंछा था।

सांस लेकर दोनों उठे और बाथरूम में जाकर दोनों ने अपने मुरझाए हुए काले भुजंग लौड़ों को धोया और साफ किया। लेकिन मुझमें अब भी उठने की हिम्मत नहीं थी और मुझे अपनी गीली फुद्दी और गांड से खीज चढ़ रही थी। इस पर मैंने काले से कहा- यार, मुझे भी बाथरूम तक ले चलो।
यह सुनकर काला हंसा और फिर मेरे पास आकर मुझ अल्फ नंगी को एक झटके से उठा लिया और बाथरूम में ले गया। वहाँ उसने मुझे नीचे उतार दिया और खड़ी कर दिया। तभी उसने शावर वाकई पाइप उठाई और बड़ी तसल्ली से अंदर तक पानी मार मार के मेरी फुद्दी और गांड को धोया।

अचानक मैंने देखा कि पानी में थोड़ा सा खून भी आ रहा था। मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर तीन उंगलियां अपनी फुद्दी में डाल कर चेक किया लेकिन खून वहां से नहीं, मेरी गांड से आ रहा था। फिर मैंने अपना हाथ पीछे से नीचे लेजाकर गांड को 2 उंगलियों से चेक करना चाहा तो मेरी हैरानी की कोई हद न रही। सीधी 2 उंगलियां अनायास ही गांड के अंदर घुस गई बगैर कोई ज़ोर लगाए। फिर जब उँगलयों को देखा तो दोनों खून से सनी हुईं थी। मेरी गांड पूरी तरह से कट फट गई थी। ये तो मुझे नशे का सरूर था कि मैं से गयी, वरना नार्मल हालात में मैं ये चुदाई बर्दाश्त न कर पाती।

खैर काले ने पाइप तब तक मेरी गांड के मुहाने पर लगाए रखी जब टक खून आना पूरी तरह से बंद नहीं हो गया। इसके बाद उसने मुझे फिर उठाया और लेजाकर बेड पर पटक दिया।

इसके बाद वो कहकहा लगाकर हंसा और ढिल्लों से बोला- तेरी जानेमन हाथ लगा लगा कर देखती है।
इस पर ढिल्लों भी हंसा और मुझसे बोला- क्यों जट्टीये, घुसती हैं गांड में अब 3-3 उंगलियां एक साथ?
इस पर मुझे थोड़ा गुस्सा आया और मैं बोली- क्या यार, धीरे नहीं पेल सकते थे, फाड़ के रख दी। पता है कितनी जलन हो रही है?
ढिल्लों बोला- कोई बात नहीं, पहली बार तो फटनी ही थी, अब कुछ नहीं होगा जानेमन। बोल मज़ा आया कि नहीं?

मैंने जवाब दिया- नहीं यार, जलन बहुत हो रही थी, मुझे तो एक और टेंशन में डाल दिया तुमने, पति ने गांड देख ली तो?
इस बात पर ढिल्लों ज़ोर ज़ोर से हंसा- उसको उलटी हो कर मत देना, टाँगें उठा कर ही देना। गांड नहीं दिखेगी।
मैंने कहा- सालो, उसके काम की छोड़ा है मुझे, तुम दोनों से आधा लौड़ा है उसका, अब 10-12 दिन टालमटोल करूँगी, जब तक कुछ कसावट न आ जाये फुद्दी में, वैसे यार अब मेरा दिल नहीं लगेगा तेरे बिन, काश तू घर आ सकता मेरे।

इस पर ढिल्लों फिर हंसा और बोला- इसका भी प्रबंध हो गया है, सुन ध्यान से।
ये कहकर उसने अपना फोन उठाया और किसी को काल की।

दोस्तो, अगली बात सुनकर आपकी रुपिंदर के होश उड़ गए। ढिल्लों के पास मेरे पति का नंबर था और वो दोनों पक्के दोस्तों की तरह बातें करने लगे। फोन हैंड फ्री था। तभी मेरे पति ने ढिल्लों से पूछा- क्यों चल है मौज मस्ती, और जिस शादीशुदा औरत की तुम्हारे साथ है, वो कैसी है? साली को चलने के लायक मत छोड़ना।
ढिल्लों ने मेरे पति को कहा- दो दो चढ़ कर हटे हैं अभी, नंगी बेड पर पड़ी है, सोच ले कैसा हाल होगा। गांड फाड़ दी है। हाथ लगा लगा कर देखती है।

इस पर मेरा पति ठहाका लगाकर और बोला- अच्छी तरह से सर्विस करना साली की, मुझे कब दिला रहे हो इसकी?
मेरे पति को क्या पता था कि ये कोई और नहीं उसकी अपनी धर्म पत्नी है।
इसके बाद ढिल्लों ने कहा- यार तेरे घर आना है, भाभी के हाथ का खाना खाना है, बोल कब आऊं?
इस पर मेरा पति बोला- आना तो पड़ेगा ही, लेकिन मेरी एक शर्त है, कम से कम 2 दिन रह कर जाना होगा।
ढिल्लों बोला- 2 नहीं यार, 4 दिन रह कर जाऊंगा, बोल कब आऊं?

Reply
08-25-2020, 01:12 PM,
#43
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
मेरा पति बोला- अभी तो तुम्हारी भाबी पेपर देने गयी है चंडीगढ़! परसों पेपर के बाद लेकर आ जाऊंगा, तुम ऐसा करना उसी दिन शाम को आ जाना, एन्जॉय करेंगे।
इसके बाद ढिल्लों ने हंसते हुए फोन काट दिया।

मैं हैरानी के समुंदर में ये सोचते हुए गोते खा रही थी ढिल्लों तो घर तक पहुंच गया। मैं उससे इस बारे में पूछने ही वाली थी कि उसने मुझसे पूछा- क्यों, लगा 440 वोल्ट का झटका?
मैंने जवाब दिया- कमाल है, इतनी जल्दी गहरी दोस्ती कैसे कर ली, वो तो तुम्हें घर बुलाने के लिए जल्दी कर रहा है।
यह सुन ढिल्लों हब्शी हंसा- जब से तू मुझे मेसेज करने लगी थी, इसी काम पर लगा हूँ तब से, तेरे पति को भी दिला चुका हूँ बाहर, फोटोस भी हैं मेरे पास, देखती जा अब तू, घर आके इतनी टिका टिका के मारूंगा तेरी कि सुध-बुध भूल जाएगी।

मेरे मुंह से निकला- हाये मेरे रब्बा, अब तो मेरी खैर नहीं लगती, लेकिन यार घरवाले भी हैं घर में, कैसे एडजस्ट करोगे?
ढिल्लों बोला- वो सब तू मुझ पर छोड़ दे, तू बस अब और 5 दिन लगातार चुदने के लिए तैयार हो जा।
मैं हक्की-बक्की सी रह गयी।

दरअसल उसकी बात सुनकर मेरे मन में टनों लडडू फूट रहे थे। मैं ढिल्लों के भीमकाय काले लौड़े से चुद चुद कर निहाल होना चाहती थी। चाहती थी कि उसके लौड़े पर ही चढ़ी रहूं, और अब ये बात सुनकर अगले 5 दिन तो मेरे नई नवेली दुल्हन की तरह कटने वाले थे।

यह सोचकर मैं इतनी खुश हुई कि चादर में से अल्फ नंगी उठ खड़ी हुई और नीचे उतर कर खड़े हुए ढिल्लों के होठों में होंठ डाल लिए और उसके ऊपर चढ़ गई। मुझे ऊपर चढ़ती हुई देख ढिल्लों ने मेरे ढूध की तरह गोरे बड़े बड़े चूतड़ों को अपने दोनों हाथों में पकड़ कर मुझे नीचे से सहारा दिया और मैं उसे चुपड़ चुपड़ बुरी तरह से स्मूच करने लगी।
अचानक मेरे इस वार से ढिल्लों हैरान ही गया और उसने बड़ी मुश्किल से मेरे होंठ अपने होंठों से अलग किये और पूछा- क्यों, बड़ी खुशी चढ़ गयी अचानक से?

दरअसल बात ढिल्लों को भी पता थी लेकिन वो मेरे मुंह से सुनना चाहता था इसलिए मैंने उसे कहा- ये बात बताकर तो धन्य कर दिया मुझे, नशा पत्ता साथ लेकर आना, अब तेरे बिन नहीं रह सकती, साले पता नहीं क्या जगा दिया तूने मेरे अंदर, सिर में काम ही चढ़ा रहता है हर वक़्त, एक तेरा लौड़ा इतना बड़ा है कि अब और किसी से तसल्ली नहीं होगी मेरी। हाये ढिल्लों, जान ही बड़ी है तुझ में, इतनी टिका टिका के ठोकता है कि खुद की होश भूल जाती है, सच में यार मैं शुरू से ही इस तरह चुदना चाहती थी। आई लव यू मेरे घोड़े, तुझ पर तो मेरी जान हाज़िर है, सारी उम्र तेरी रखैल बन कर रह सकती हूं। चल भगा के लेजा मुझे। यही सुनना चाहता था ना?

मेरी बात सुनकर ढिल्लों हंसा- ओह, नहीं नहीं, भगाने की ज़रूरत ही नहीं है मुझे अब, लगातार आता रहा रहूंगा तेरे घर, टेंशन मत ले। जितना पसंद तू मुझे करती है उतना मैं भी तेरा दीवाना हो गया हूँ।
मैंने कहा- अच्छा जी, क्या पसंद है मुझ में? मुझे भी तो पता चले।
उसने मुझे बेड पर लिटाते हुए कहा- सच बताऊं, तेरी ये जो सफेद और इतनी बड़े चूतड़ हैं ना, ये सब से ज़्यादा पसंद हैं मुझे। मैंने बहुत औरतें उड़ाईं हैं, यहां तक कि कई ऑर्केस्ट्रा वालियों की भी बहुत ली है, लेकिन तेरे जितने सफ़ेद और बड़े चूतड़ आज तक नहीं देखे। मैंने आज तक किसी की फुद्दी और गांड नहीं चाटी लेकिन तेरा पिछवाड़ा और फुद्दी देख कर रहा नहीं गया। मुझे तेरी नीचे की सफाई बहुत पसंद आई, हमेशा ही इतनी सफाई रखती हो क्या? या सिर्फ मेरे लिए मैदान सफाचट रखा था।

मैंने कहा- जानु, ये तो मेरा शौक़ है शुरू से ही, मैं जब से चुदने लगी हूं, कभी रुयीं भर बाल भी नहीं आने दिए, पता नहीं कितने सालों से एक दिन छोड़ कर शेव और वीट लगाती हूँ।
मेरी बात सुनकर ढिल्लों खुश होकर कहने लगा- और हां, तेरा भरा भरा गोरा जिस्म देखकर तो आग लग जाती है। मुझे हड्डियों की मुठ के साथ सेक्स करना अच्छा नहीं लगता, और वैसे भी वो मेरा मुकाबला नहीं कर पाती, रोने लगे जाती हैं। साली भार बहुत है तुझ में, इसीलिए इतनी दोहरी तिहरी होकर झड़ती हो। मम्मों को देखा है कभी अपने। इतने बड़े बड़े है। बाल देख और अपना चेहरा देख, किसी भी एंगल से कोई कमी नहीं है। और सबसे बड़ी बात, भूख बड़ी है तेरे अंदर, फुद्दी बड़ी गहरी है तेरी, बहुत कम औरतें झेल पाती हैं मेरा। इसीलिए तेरा फैन हो गया हूँ।

Reply
08-25-2020, 01:13 PM,
#44
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
हम दोनों बिल्कुल अल्फ नंगे होकर बेड पर लेटे हुए बातें कर रहे थे और काला दारू की चुस्कियां लेते हुए हमारी बातें सुन रहा था। दरसअल मेरे जैसी पटाखा बम्ब औरत इतनी बेपरवाही से उसके सामने नंगी लेटी हुई ऐसी बातें कर रही थी कि किसी के जेहन में भी आग लग जाये।

हम कुछ और बातें करते करते बहुत ही ज़ोर से जफ्फी डाल कर एक दूसरे को स्मूच करते हुए एक दूसरे के जिस्म की मुट्ठियाँ भरने लगे। माहौल फिर गर्म हो रहा था और मेरी फुद्दी फिर तर हो चुकी थी। दरअसल हम दोनों काले के बारे बिल्कुल बेखबर हो चुके थे।

ढिल्लों अपनी मोटी जांघ मेरी टांगों के बीच ले आया और बड़ा दबाव बना कर मेरी फुद्दी और गांड को ऊपर से घिसने लगा। मेरा ये हाल हो चुका था कि मैं उसे इतना ज़ोर लगा कर जफ्फियाँ डाल रही थी जैसे उसे अपने अंदर डालने की कोशिश कर रही होऊं।
ढिल्लों भी इतना जोश में आ गया कि उसने अपना हाथ मेरी गांड पर फेरते फेरते एक उंगली मेरी गांड में जड़ तक पिरो दी और धीरे धीरे अंदर बाहर करने लगा।

मैं आपको एक बात बताना भूल गयी कि उसे मेरा पिछवाड़ा इतना पसंद था कि उसके दोनों हाथ हर वक़्त मेरे पिछवाड़े पर ही घूमते रहते थे। गांड में उंगली जाते ही मैं मदमस्त हो गई और नागिन की तरह मचलने लगी.
मुझे काबू से बाहर होता देख ढिल्लों ने अपनी एक और उंगली गांड में भर दी तो मेरे मुंह से बहुत ऊंची आवाज़ निकली- हाय मेरी माँ …
तभी अचानक काले की आवाज़ आयी- दो उंगलियों से काम नहीं चलेगा इसका! चप्पा चढ़ा चप्पा!

काले की बात सुनकर मुझे यों लगा जैसे हमें नींद से जगाया हो किसी ने, उसके बारे में तो हम भूल ही चुके थे।
हम दोनों रुक गए। ढिल्लों की दोनों बीच वाली उंगलियां गांड में जड़ तक धंसी हुईं थी। हूँ तो औरत ही, मुझे थोड़ी शर्म आयी और मैंने जैसे तैसे चादर को दोनों के ऊपर खींच लिया।

यह देख कर काला बोला- हा हा हा … साली अभी अभी तो दोनों से एक साथ चुदी है, अभी शर्म भी आने लगी, रुक जा आता हूँ, मुझसे भी रहा नहीं जा रहा।

कहानी जारी रहेगी.

Reply
08-25-2020, 01:13 PM,
#45
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
दोस्तो, मेरी सेक्स कहानी के अगले भाग भेजने में हुई देरी के लिए माफी.
अभी तक आपने पढ़ा कि मैं अपने यार ढिल्लों और उसके दोस्त काला से जम कर चुद रही थी. दोनों ने मेरी चूत के साथ साथ मेरी गांड भी चोद चोद कर खुली कर दी थी. मेरी गांड में 2-3 उंगलियाँ एक साथ जा रही थी.

तभी अचानक काले की आवाज़ आयी- दो उंगलियों से काम नहीं चलेगा इसका! चप्पा चढ़ा चप्पा!

काले की बात सुनकर मुझे यों लगा जैसे हमें नींद से जगाया हो किसी ने, उसके बारे में तो हम भूल ही चुके थे।
हम दोनों रुक गए। ढिल्लों की दोनों बीच वाली उंगलियां गांड में जड़ तक धंसी हुईं थी। हूँ तो औरत ही, मुझे थोड़ी शर्म आयी और मैंने जैसे तैसे चादर को दोनों के ऊपर खींच लिया।

यह देख कर काला बोला- हा हा हा … साली अभी अभी तो दोनों से एक साथ चुदी है, अभी शर्म भी आने लगी, रुक जा आता हूँ, मुझसे भी रहा नहीं जा रहा।
यह कहकर काला उठा और हम दोनों के ऊपर ओढ़ी हुई चादर को उतार फेंका। इसके बाद उसने अपनी निक्कर उतारी। निक्कर उतारते ही उसका काला मोटा भुजंग तना हुआ खूबसूरत लौड़ा देख कर मैं एक बार फिर मस्त हो गयी। मेरा मुंह ढिल्लों की तरफ था इसीलिए वो मेरे पीछे आकर लेट गया और मुझे पीछे से जफ्फी डाल ली। अब एक बार फिर मैं दो मज़बूत सांडों के बीच थी।

तो दोस्तो, एक बार फिर पप्पियों और जफ्फियों का शानदार दौर शुरू हो गया। न कोई कुछ बोल रहा था न सुन रहा था। कमरे में चारों ओर कामवासना की महक बिखर चुकी थी। मेरा मुँह और ढिल्लों का मुंह एक था। उन दोनों की चार बांहें और चार टाँगें मेरे गोरे सुडौल जिस्म के हर एक हिस्से पर चल रहे थे। ढिल्लों का एक हाथ तो मेरी गांड पर ही रहता था।

5-7 मिनटों के अंदर ही मैं भट्टी की तरह तपने लगी। ऊपर से काला पीछे से अपनी एक जांघ मेरी जांघों के बीच में से लाकर मेरी फुद्दी के ऊपर घिसने लगा। पहले तो मुझे लौड़ों का इंतज़ार था लेकिन उसकी इस हरकत से में खुद को रोक न पाई और अपनी फुद्दी बेदर्दी से उसकी जांघ पर रगड़ने लगी।
यह देख कर काला भी अपनी जांघ और ज़ोर से मेरी फुद्दी के साथ बेहरमी से रगड़ने लगा।

मैं पागल हो गयी। मेरे मुंह से इतनी ज़ोरों से हाय … हाय … निकलने लगा कि शायद उसे कमरे के बाहर भी सुना जा सकता था। मैं झड़ने के बिल्कुल करीब थी।

अचानक ढिल्लों ने मेरी फुद्दी से अपनी जांघ एकदम हटा ली और उतनी ही तेज़ी से अपनी तीन उंगलियाँ मेरी फुद्दी में पिरो दीं। फिर उसने बिजली की तेज़ी से उंगलियां यूं अंदर बाहर की कि जैसे मेरी फुद्दी के अंदर से कुछ निकालना चाहता है।

उसका यह वार बहुत ज़बरदस्त था जिससे मैं कमान की तरह अकड़ गयी और बुलंद आवाज़ में ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ करते हुए झड़ने लगी। मेरा खुद के जिस्म और आवाज़ पर कोई काबू नहीं था। एक बार फिर जन्नत की सैर करने के बाद मैं निढाल हो कर ढिल्लों और काले की बाँहों में समा गई।

जब मेरी सांसें कुछ धीमी हुईं तो ढिल्लों ने मुझसे कहा- तुझे पता भी है कितने ज़ोर से चीख रही थी तू? बाहर भी लोगों को अच्छी तरह पता चल गया होगा कि अंदर क्या चल रहा है। आवाज़ थोड़ी धीमी रखा कर।

इस पर मैं थोड़ी शर्मा गयी और अपना मुंह ढिल्लों की छाती में छुपा लिया लेकिन काले ने मेरे मम्मों को सहलाते हुए मुझसे कहा- जवाब तो दो मेरी जान, इतनी ऊंची अवाज़?
मैंने शर्माते हुए धीमी सी आवाज़ में जवाब दिया- यारो, जब मैं झड़ती हूं तो मुझे कुछ पता नहीं चलता। अपने कंट्रोल से बाहर हो जाती हूँ मैं। आवाज़ धीमी करनी हो तो मेरे मुंह पर हाथ रख दिया करो। मैं कुछ नहीं कर सकती इसमें।

मेरी बात सुनकर दोनों ज़ोरों से हंसे।

कुछ देर बाद यूं ही कुछ हल्की फुल्की बातें और मेरे जिस्म के साथ छेड़छाड़ चलती रही। इसके बाद ढिल्लों ने काले को उठाया और उसके कान में कुछ कहा.
जिस पर काले ने कहा- भाई हमारा क्या, लौड़ा कंट्रोल से बाहर हो रहा है।
इस पर ढिल्लों ने जवाब दिया- कोई ना … वो भी मार लेना, लेकिन इसे इतना खुश करना है कि हमारे एक इशारे पर भागी भागी हमारे पास आये। ठीक है ना?
उनकी इन बातों की मुझे कोई समझ न आई।

इसके बाद काला आया, उसने मुझे अपनी मज़बूत बाँहों में उठा लिया और मुझे बाथरूम में ले गया। वहाँ लेजाकर उसने मुझे नीचे नहीं उतारा।
उसके पीछे ही ढिल्लों आया और उसने मुझसे कहा- ज़रा टाँगें चौड़ी कर, नीचे से धो देता हूँ.

मैंने उसका कहा माना और अपनी टाँगें चौड़ी कर लीं। इसके बाद उसने शावर पाइप उठाई और मेरी फुद्दी में हल्के से घुसा दी और पानी छोड़ दिया। पानी का प्रेशर इतना तेज था कि वो मेरी धुन्नी तक पहुंच रहा था और पाइप बाहर निकलने की कोशिश कर रही थी। लेकिन ढिल्लों की मज़बूत पकड़ ने ऐसा न होने दिया।

Reply
08-25-2020, 01:13 PM,
#46
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
अभी मैं 10 मिनट पहले ही झड़ी थी लेकिन पानी के प्रेशर जो के मेरे दाने पर भी टकरा था, ने मेरे जिस्म में सनसनी पैदा कर दी और मैं बिल्कुल भी नहीं हिली। मेरी आँखें बंद हो गईं।
2-3 मिनट ढिल्लों ने इसी तरह पाइप फुद्दी में घुसेड़ कर रखी और जब उसे पूरा यकीन हो गया कि फुद्दी अंदर से पूरी तरह साफ हो गयी है तो उसने पाइप बाहर निकाल ली।

जब उसने पाइप बाहर निकाली तो मेरे मुंह से अनायास ही ‘ओह …’ निकल गया।
यह सुनकर दोनों हंसे और काले ने कहा- साली को इसमें भी मज़ा आने लग गया था, इसीलिए तो बिल्कुल भी नहीं हिली।

अब ढिल्लों ने मुझे नीचे उतरवा लिया और मेरे दोनों हाथ दीवार के लगा कर मुझसे गांड पीछे बाहर निकालने को कहा।
मैंने वैसा ही किया।
इस बार उसने पाइप उठायी और मेरी गांड में घुसेड़ दी। लेकिन मेरी गांड अभी तक इतनी नहीं खुली थी कि पाइप अंदर जा सके और ऊपर से पानी का प्रेशर भी बहुत था।

यह देख कर ढिल्लों ने अपनी दो उंगलियां पानी के साथ मेरी गांड में घुसा दीं और अंदर बाहर करने लगा। मैं पूरी तरह हिल गयी लेकिन मोर्चे पर डटी रही।

इस तरह जैसे तैसे ढिल्लों ने 5-7 मिनट लगा कर मेरी गांड को पानी और अपनी उंगलियों के साथ अंदर तक धो डाला. और जब उसकी पूरी तसल्ली हो गयी कि अब मेरी गांड बिल्कुल साफ है तो उसने तौलिये के मेरी फुद्दी और गांड अच्छी तरह साफ कर दी।

इसके बाद उसने मुझे मेरी जांघों से उठा लिया और लाकर बेड पर लेटा दिया। अब वो मुझे खींच कर बेड के किनारे तक ले आया जिससे मेरी दोनों टाँगें बेड से नीचे लटकने लगीं। इसके बाद उसने दो तकिए उठाए और मेरी पीठ के नीचे लगा दिए और मेरी टाँगें ऊपर करके तह लगा दी और खुद टांगों के बीच आकर कुर्सी पर बैठ गया।

अब मेरी लाल उभरी हुई क्लीन शेव फुद्दी का मुँह ऊपर की तरफ हो गया।
उसकी इन हरकतों को देख कर काला बोला- क्या हो गया ढिल्लों, लगता अब तू इसकी फुद्दी खायेगा।
इस पर ढिल्लों हंसा बोला- यार बड़ी देर बाद ऐसी शानदार लाल फुद्दी मिली है, आज सारी हसरतें पूरी करूँगा, तू देखता जा।

इसके बाद उसने अपने फोन में मेरी फुद्दी का एक क्लोज शॉट लिया और मुझे दिखाया।
दोस्तो, अपनी गोरी क्लीन शेव फुद्दी जिसका मुंह बीच में से हल्का सा खुल गया था, देख कर मन बाग बाग हो गया।

मैं यही सोच रही थी कि मेरे जिस्म में एक तेज़ लहर दौड़ गई। ढिल्लों ने अपने हाथों से मेरी फुद्दी को अच्छी तरह खोल कर नीचे से ऊपर तक अपनी जीभ फेर दी। मेरे मुंह से ‘ओहह …’ की एक बुलंद आवाज़ निकली।
ढिल्लों ने ये देख कर पांच सात बार और नीचे से ऊपर तक अपनी पूरी रूह से जीभ फेरी। मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कोई मर्द इतनी शिद्दत से फुद्दी को चाट सकता है। मैं धन्य हो गयी।

मेरे मुंह से ‘हाय मेरी माँ, उन्ह मेरी माँ … माँ…’ की ऊंची आवाज़ें अपने आप निकलने लगीं। फुद्दी चटवाने में जो आनन्द है, वो सिर्फ उन्हीं औरतों को पता है जिनकी फुद्दी चाटी गयी हो। वैसे पतिव्रता औरतों को यह आनन्द कम ही मिलता है।

खैर अब ढिल्लों ने अपना पैंतरा बदला। अब उसने मेरी फुद्दी को बुरी तरह खींच कर जितनी चौड़ी ही सकती थी की, अपना पूरा मुंह खोला और फुद्दी को अपने मुंह में भर लिया और अपनी जीभ अंदर डाल कर पूरा जोर लगा कर स्मूच करने लगा।

मैं पागल हो गयी और अब मेरे मुंह से बुरी तरह हुँकारें निकलने लगी। मैं जोश में आकर ऊपर उठी और ढिल्लों का सर पकड़ कर अपनी फुद्दी पर जकड़ लिया.
हालांकि मुझे पता था वो अपना मुंह अलग नहीं करेगा।

उस कमरे में जो कुछ चल रहा था वो कोई सोच भी नहीं सकता। काला कमरे में एक तरफ बैठा सब कुछ होता देख रहा था और हैरान परेशान हो रहा था।

5-7 मिनट की ढिल्लों की कारवाई ने मुझे अंदर तक हिला कर रख दिया और मेरा ज्वालामुखी फट गया। मैं बुरी तरह से हिल हिल कर झड़ने लगी लेकिन ढिल्लों ने अपना मुंह फुद्दी पर ज़ोर से कसे रखा और मेरे पानी की एक बूंद तक बाहर नहीं आने दी।
ढिल्लों ने मेरा पानी पी तो लिया था लेकिन उसके मुंह का ज़ायका बुरी तरह बिगड़ गया था और उसे उल्टी आने ही वाली थी कि उसने पीछे टेबल पर पड़ी दारू की बोतल को उठाया और नीट ही 5-7 घूंटें भर लीं।

दोस्तो मैं अभी अभी बहुत ज़ोरों से झड़ी थी लेकिन मुझे अपनी फुद्दी में ज़रा सी भी चिकनाई महसूस नहीं हो रही थी क्योंकि ढिल्लों इतने ज़ोरों से फुद्दी के घूंट भर रहा था कि उसने फुद्दी पर बिल्कुल पानी नहीं आने दिया। हां, उसका थूक मुझे अपनी फुद्दी पर अच्छी तरह महसूस हो रहा था।

मेरे झड़ने के बाद भी ढिल्लों नहीं रुका और उसी तरीके से मेरी फुद्दी को चाटना जारी रखा। कुछ देर के लिए मैं टाँगें चौड़ी करके निढाल पड़ी रही।

Reply
08-25-2020, 01:13 PM,
#47
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा


लेकिन 5-7 मिनटों के बाद भी जब ढिल्लों नहीं रुका तो मैं फिर गर्म ही गयी। अब मुझे अच्छी तरह पता चल गया था कि इस कमरे में मैं अपनी फुद्दी के बूंद बूंद पानी तक नुचड़ कर जाऊंगी क्योंकि पिछले दो घण्टों में मैं 8-10 बार झड़ चुकी थी। वैसे कोई आम औरत शायद इतना न झेल पाए लेकिन नशे और मेरी फुद्दी की जबरदस्त दहकती आग मुझे मेरे काबू से ऊपर से ले गयी थी।

खैर मैं एक बार फिर गर्म हो गयी और मेरा जिस्म भट्टी की तरह तपने लगा। मैं फिर हूंकारने लगी और अब मुझे महसूस हुआ कि सिर्फ जीभ से काम नहीं चलने वाला क्योंकि अब मैं जीभ से नहीं झड़ना चाहती थी।

मैंने जैसे तैसे अपनी अपनी सांसों को इकट्ठा करके ढिल्लों से उखड़ उखड़ कर कहा- जानू … अंदर डालो जल्दी!
अब मुझे धुन्नी तक लौड़ा चाहिए था.

लेकिन ढिल्लों ने मेरी बात को अनसुना कर दिया और मेरी फुद्दी के ऊपरी हिस्से को खींचा और मेरा दाना बाहर निकाल कर 4-5 बार जीभ फेर दी। मैं लौड़े के लिए बुरी तरह तरसती हुई फिर आ गयी और बिन पानी मछली की तरह छटपटाती हुई झड़ी।

लेकिन इस बार कुछ बूंदें ही पानी की निकलीं जिन्हें ढिल्लों ने चाट कर फुद्दी एक बार फिर सफाचट कर दी।

मुझे दो बार झड़ा कर ढिल्लों उठा खड़ा हुआ और उसने काले से कहा- भेनचो, मज़ा आ गया, बड़ी करारी फुद्दी है, चाट ले साले!

उसकी बात सुनकर काला उठा और मेरी तरफ बढ़ने लगा.
लेकिन मैंने ढिल्लों से फरियाद की- जानू बस करो, मैं पागल हो जाऊंगी, कुछ देर रुक जाओ प्लीज़, मेरी धड़कन बढ़ रही है, बहुत जोर लग जाता है मेरा।

लेकिन हैवानों के सामने फरियाद करने से क्या फायदा। काले को अपनी तरफ बढ़ते हुए देख मैंने उठने की कोशिश की लेकिन उसने आते साथ ही मुझे दबोच लिया और नीचे से टाँगें पूरी तरह खोल कर मेरी दहकती फुद्दी पर अपनी ज़बान रख दी।

दोस्तो, उस समय मैं किसी भी तरह का सेक्स करने के लिए तैयार नहीं थी लेकिन मेरी बहुत छटपटाहट के चलते भी काले ने ज़बान फुद्दी से अलग नहीं की और मेरी टांगों को ज़ोर से पकड़े रखा। हालांकि मुझे नीचे गुदगुदी सी हो रही थी।

खैर मैं कोई और रास्ता न देख कर टाँगें खोल कर लेटी रही और काला चुपड़ चुपड़ मेरी फुद्दी चाटता रहा।

लेकिन किसी औरत की फुद्दी इतनी तसल्ली से चाटी जा रही हो और वो गर्म न हो? यह तो मैं 8-10 बार झड़ चुकी थी कि मेरा मन नहीं था वरना किस लड़की या औरत को फुद्दी चटवाने में आनन्द नहीं मिलता। दरअसल उन दोनों की इन्हीं हरकतों के कारण मैं लंबे समय तक उनकी रखैल बन कर रही और उन दोनों ने मुझे पता नहीं किस किस से चुदवाया। और ढिल्लों की भी यही मंशा थी कि आज रात मुझे अपने पूरे बस में करना है, इसीलिए उसने खुद और अब काले को मेरी फुद्दी अच्छी तरह चूसने को कहा था।

खैर 8-10 मिनट तो मुझे बस गुदगुदी ही होती रही लेकिन अब एक बार फिर मुझे आनन्द आने लगा।

मेरी सिसकारियों को सुन कर काले ने मेरी टाँगें पूरी तरह चौड़ी कर दीं और मेरी पूरी तरह से तह लगाकर फुद्दी का मुंह पूरी तरह हवा में लहरा दिया। फिर उसने दोनों हाथों से मेरी फुद्दी को इतनी बेदर्दी से चौड़ा कर दिया कि मेरा अंदर का सामान और दाना उसे साफ साफ दिखने लगा।

फिर उसने अपनी पूरी जीभ बाहर निकाली, सीधी की और फुद्दी के अंदर घुसेड़ दी। दरसअल ढिल्लों से जीभ अंदर नहीं घुसी थी लेकिन काले ने कमाल ही कर दिया। पूरी जीभ अंदर डाल कर जब बाहर से वो अपने होठों से चुपड़ चुपड़ करने लगा तो मैं सब कुछ भूल कर चिल्लाने लगी- हाय मेरी माँ … मेरी माँ … ये क्या है … मेरी माँ.. मैं मर जाऊंगी … हाय।

मेरी आवाज़ इतनी ऊंची थी कि ढिल्लों को एकदम उठना पड़ा और आकर उसने अपने हाथ से मेरा मुंह पूरी तरह ढक दिया। लेकिन फिर भी मेरे मुंह से “गूँ.. गूँ.. गूँ..” निकल ही रहा था।

मैं पागल हो गई थी। अब मुझे एकदम अपनी फुद्दी के अंदर खलबली के साथ एक बहुत बड़ा खालीपन महसूस हुआ। मुझे अपनी फुद्दी की गहराई के आखरी छोर तक कुछ चाहिए था। लेकिन काला तो लगा ही रहा।

उस वक़्त पता नहीं मुझमें इतनी ताकत कैसे आयी कि मैंने ढिल्लों के हाथ ओ एक झटके से अलग कर दिया और बुरी तरह हुंकारती हुई ने काले के सिर को पकड़ा और बड़ी बुरी तरह से अपनी फुद्दी पर कसने लगी और नीचे से खुद फुद्दी उसकी ज़बान पर बुरी तरह से रगड़ने लगी।

लेकिन काले ने हैरानी में अपना मुंह हटा लिया और मैं झड़ी नहीं तो मैं चीखने लगी- अंदर डालो सालो, बहन चोदो अंदर डालो, मर गयी मैं!
लेकिन वो दोनों मेरी ऐसी हालत देख कर एक दूसरे की तरफ हैरानी से देखते हुए हंसने लगे।

मेरे मुंह से झाग निकल रही थी। ऐसा हाल मेरा उनके लगाए इंजेक्शन ने कर दिया था। मैंने अपने होशोहवास खोकर आस पास कोई चीज़ देखी लेकिन कोई भी अच्छी नहीं लगी तो मैंने अपनी 3-4 उंगलियां एक साथ फुद्दी में घुसेड़ लीं और तेज़ तेज़ हिलाने लगी।

ढिल्लों के रोकने के बावजूद भी काले को मुझ पर तरस आ गया और दोनों हाथों से मेरे हाथ फुद्दी से हटा कर अच्छे मेरी तह लगाई और ‘फड़ाच’ की आवाज़ के साथ अपना 9 इंच का मोटा काला लौड़ा एक ही बार में पूरी शक्ति के साथ अंदर पिरो दिया।

मेरी फुद्दी की अंदरूनी गर्माइश से हैरान होकर उसके मुंह से अनायास ही निकल गया- ओ मेरे रब्बा, इतनी गर्मी है साली के अंदर?
यह कहकर वो अपना पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर अंदर जड़ तक पेलने लगा।

मेरी फुद्दी के एकबार फिर परखच्चे उड़ने लगे। मैंने उसको ज़ोर से जफ्फी डाल ली और टाँगें पूरी तरह चौड़ी कर ली ताकि उसका लौड़ा टट्टे तक अंदर जाए। मैं उसके होठों को अपने होठों में लेकर उसे हूँ हूँ करती हुई चाटने लगी।

इस बार 30-35 तीक्ष्ण घस्सों का काम था कि मेरी चूत ने एक बार फिर हल्का सा पानी छोड़ दिया और मेरे अंदर की गर्मी और जफ्फियों पप्पियों की वजह से काले जैसा हैवान भी 5-7 मिनट में मेरे अंदर झड़ गया।

यह कुश्ती इतनी जबरदस्त थी कि हम दोनों अल्फ नंगे सर्दियों के मौसम में भी पसीने से तरबतर हो गए और बुरी तरह हांफने लगे। न तो काले में और न ही मुझमें उठने की हिम्मत बची थी। इसलिए काला अपना 100 किलो का वजन लेकर मेरे ऊपर ही निढाल हो गया।

2-4 मिनट के बाद मैंने उससे मिन्नत करके नीचे उतारा और खुद उसको कस कर जफ्फी डाल कर हांफती हुई उसकी मज़बूत बाँहों में समा गई।

कहानी जारी रहेगी।
देरी के लिए माफी।

Reply
08-25-2020, 01:13 PM,
#48
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
वो अपना पूरा लौड़ा बाहर निकाल कर अंदर जड़ तक पेलने लगा.

मेरी फुद्दी के एक बार फिर परखच्चे उड़ने लगे. मैंने उसको ज़ोर से जफ्फी डाल ली और टाँगें पूरी तरह चौड़ी कर ली ताकि उसका लौड़ा टट्टे तक अंदर जाए. मैं उसके होठों को अपने होठों में लेकर उसे हूँ हूँ करती हुई चाटने लगी.

इस बार 30-35 तीक्ष्ण घस्सों का काम था कि मेरी चूत ने एक बार फिर हल्का सा पानी छोड़ दिया और मेरे अंदर की गर्मी और जफ्फियों पप्पियों की वजह से काले जैसा हैवान भी 5-7 मिनट में मेरे अंदर झड़ गया.

यह कुश्ती इतनी जबरदस्त थी कि हम दोनों अल्फ नंगे सर्दियों के मौसम में भी पसीने से तरबतर हो गए और बुरी तरह हांफने लगे. न तो काले में और न ही मुझमें उठने की हिम्मत बची थी. इसलिए काला अपना 100 किलो का वजन लेकर मेरे ऊपर ही निढाल हो गया.
उस रात जो जो कुछ हो रहा था, मैंने कभी ख्वाबों ख्यालों में भी नहीं सोचा था. मेरे जैसी औरत की ललक उसे कहाँ तक ले जा सकती है, वो तो आप देख ही रहे हैं.

ढिल्लों ने पहली बार देख कर ही अन्दाज़ा लगा लिया था कि मेरी तसल्ली करवानी और मुझे एक लंड के खूंटे से बांधना आसान काम नहीं है. इसीलिए वो अपने दोस्त के साथ मेरी इतनी सर्विस करना चाहता था कि मेरे मन में उनसे बाहर जाने का सवाल ही न पैदा हो, और वो ये काम बड़े ज़बरदस्त तरीके से कर रहे थे.

अगर उसने मुझे नशे का डोज़ न दिया होता तो शायद इतनी देर और इतनी बार मैं उन काले सांडों के आगे न टिक पाती.
खैर कहानी पर आते हैं.

रात बहुत गहरी हो चली थी, शायद सुबह 4 बजे का वक़्त था. फ़रवरी का महीना था शायद … लेकिन हम तीनों पसीने से तरबतर थे.
मैं कितनी बार झड़ चुकी थी, मुझे अब कोई होश नहीं था. ढिल्लों से जफ्फी डाल कर मैं कितनी देर सोई रही, इसका भी मेरे पास कोई जवाब नहीं है.

इतने वहशियाना ढंग से चुदी होने के कारण सोई हुई का गला हलक सूख गया. न चाहते हुए भी मैंने उठने की कोशिश की, लेकिन सिर इतना भारी था कि आधी ही उठ सकी और धड़ाम करके फिर गिर गयी.
और फिर 2-4 मिनट के बाद मेरे मुंह से निकला- पानी!

तभी मुझे उन दोनों के ज़ोर के हंसने की आवाज़ आयी. उन्होंने कुछ कहा भी, लेकिन मुझे कुछ समझ नहीं आयी.
मैं थोड़ी दी लेटी रही. और इसके बाद एक बार फिर सूखे गले से तंग आकर आवाज़ देने की कोशिश की लेकिन इस बार मुँह से कुछ नहीं निकला.

तभी मैंने कोई चारा न देख कर अपनी पूरी ताकत इकठ्ठी की और सिरहाने से ढो लगा कर आधी लेट गई और अपनी आंखें खोलीं.

मेरे सामने दोनों कुर्सियों पर बिल्कुल नंगे बैठे वो कुछ कर रहे थे.
कुछ देर बाद जब मुझे समझ लगी कि वो क्या कर रहे थे तो मेरा दिल धक करके रह गया औऱ मैं बुरी तरह कांप गई. वो दोनों एक दूसरे के बांह पर वैसे ही इंजेक्शन लगा रहे थे, जैसा उन्होंने मुझे दिया था.

डर के मारे मैंने आंखें बंद कर लीं फिर लेट गयी.
लेकिन इतने में उन्होंने मुझे देख लिया था.

तभी काला मेरे पास आया और मुझे उठाने की कोशिश की. मुझे पता भी चल गया था कि वो मुझे उठा रहा है, लेकिन पिछले नज़ारे से डर कर मैंने आंखें नहीं खोलीं और नीम बेहोशी का नाटक करने लगी.

लेकिन वो कोई बच्चे नहीं थे, मेरे जैसी पता नहीं कितनी औरतों के परखच्चे वो उड़ा चुके थे.
काले ने बहुत कोशिश की लेकिन मैं टस से मस न हुई, हालांकि प्यास से मेरा बुरा हाल था.
काफी देर कोशिश करके काले ने ये कहा- बहनचोद ऐसे नहीं मानेगी.

5-7 मिनट के बाद एकदम ढिल्लों की बहुत ऊंची आवाज आयी- ओए, ओए, रुक जा ओये, क्या कर रहा है, रुक साले!
ढिल्लों ये चीख ही रहा था कि मेरे जिस्म में ऊपर से नीचे तक ठंड का एक करंट दौड़ गया.

दरअसल काला, बाथरूम से एक बर्फ जैसे पानी का एक कप भर लाया और आकर एकदम मेरे मुँह पर मार दिया.
इस 440 वोल्ट के झटके के ताब न लाते हुए मैं बिजली के तरह उठी और बेड से नीचे उतर कर काले से दूर होती हुई दीवार से चिपक गयी और ठुर ठुर करके कांपने लगी.

सामने काले के तेवर देख कर मेरे पैरों तले जमीन निकल गई थी. दरसअल इंजेक्शन के वजह से उसकी आंखें बुरी तरह लाल हो गईं थी और वो मुझे बहुत गुस्से में लग रहा था और हुँकारें मार रहा था. उसका 10 इंच लंबा और 4 इंच मोटा हलब्बी लौड़ा बुरी तरह खड़ा था और उसका मुंह ऊपर था.

हालांकि इतने मोटे लौड़े अपने वज़न के कारण ऊपर नहीं जा पाते. मैंने हैरान होकर एकदम ढिल्लों के तरफ देखा, उसको देख कर तो मेरे बचे खुचे हवास भी जवाब दे गए.

ढिल्लों भी अपने 10 इंच के काले लौड़े को हाथ से ऊपर से नीचे तक पकड़ कर ऊपर नीचे कर रहा था.

उनके तेवर देख कर मुझे अंदाज़ा हो गया था कि आज ये मुझे तार तार कर देंगे. अगर मैं पहले इतनी न चुदी होती तो शायद मेरी फुद्दी के मुँह में कुछ हद तक पानी आ जाता. लेकिन मेरी पहले से ही बहुत अच्छे से सर्विस हो चुकी हो चुकी थी और मैं अब 7-8 दिन तक बिल्कुल सेक्स नहीं चाहती थी.
मेरे बस में कुछ नहीं था सिवाय इसके कि उनसे रहम की अपील करूँ.

अब मैं आधी धमकी और आधी मिन्नत करके ढिल्लों से कहने लगी- देख ढिल्लों, जाने दे प्लीज़, मैं नहीं सह पाऊँगी अब! बहुत बजा चुके हो … सोंह रब्ब दी … फुद्दी की नींव तो पहले ही हिला चुके हो. मैं शादीशुदा हूँ, घरवालों को जाते ही पता चल जाएगा. यकीन करके आयी थी, जाने दे यार. ये तो पता अब भी चलेगा कि चुद कर आई हूँ. लेकिन इसके बाद कुछ भी हो सकता है मेरा, देखो अगर मुझे न जाने दिया तो सारी उम्र शक्ल नहीं दिखाऊँगी तुम को! प्लीज़ यार हाथ जोड़ती हूँ, प्लीज़!
और यह कहते हुए मैं बुरी तरह रोने लगी.

लेकिन उन दोनों के कानों में जूं न सरकी.
ढिल्लों दहकता हुआ मेरे पास आया और कहा- साली चलने लायक ही छोड़ दिया तो दुर फिट्टे मुँह जवानी के, तेरी मर्ज़ी आना न आना तो, लेकिन अब तसल्ली तेरी और कोई न कर पायेगा.

यह कहकर उसने मुझसे हाथ पायी होते हुए अपने एक हाथ से मेरा गला दबा कर अपनी दो उंगलियाँ फच्च से मेरी फुद्दी में उतार दीं. लेकिन एक ही झटके में निकाल भी लीं. दरसअल मेरी फुद्दी मैं अभी तक माल भरा हुआ था और खड़ी होनेके कारण अब वो फुद्दी के होंठों तक आ गया था लेकिन उनके लौड़े इतने लंबे थे कि बाहर नहीं निकल रहा था.

उंगलियाँ बाहर निकाल कर उसने काले को एक मोटी गाली दी और कहा- साले, इसे साफ किसने करना था, हर बार मुझे ही करना पड़ता है.
यह कहकर उसने आस पास देखा.

जब उसे और कोई कपड़ा दिखाई न दिया, तो उसने खड़े ख़ड़े ही बेड की चादर ज़ोर से खींची और उसका एक हिस्सा इकठ्ठा करके मेरी फुद्दी को बुरी तरह पौंछ दिया.

ठंड के कारण मैं एकदम ढिल्लों के गर्म गर्म जिस्म से लिपट गयी. ढिल्लों ने मुझे खड़े खड़े ही एक लंबा स्मूच किया. मेरा किसी को स्मूच करने का कोई इरादा नहीं था लेकिन मैं अब कोई धक्का बर्दाश्त भी नहीं कर सकती थी, इसीलिए मैंने अनचाहे ही ढिल्लों का साथ दिया.

स्मूच करते करते ढिल्लों अपनी आदत के अनुसार अपने दोनों हाथ मेरे नंगे गोरे गोल और भारी पिछवाड़े पर फेरने लगा. पहले मुझे लगा था कि ढिल्लों जल्दी करेगा लेकिन वो मुझे भी गर्म करना चाहता था इसीलिए वो बार अपनी उंगलियों को मेरी गांड के अंदर घुसाना चाहता था लेकिन मैं बार बार गांड पर पहुंचते ही उसका हाथ हटा देती.

5-10 मिनट ढिल्लों मुझे खड़े खड़े ही अलग अलग हरकतों के साथ गर्म करने की कोशिश करता रहा लेकिन सब बेकार!
दरअसल इतना चुदने के बाद मेरी पूरी से ज़्यादा तसल्ली हो चुकी थी और अब जिस्म में जान बाकी नहीं थी.

अब मेरी टांगे काँपी और मैं खड़ी खड़ी ढिल्लों के ऊपर निढाल हो गयी. ढिल्लों समझ चुका था कि उसकी कोशिशें बेकार हैं. इसलिए वो अपनी एक बांह मेरे बीच में लाया और मुझे उठा कर बेड पर पटक दिया औऱ काले से बोला- काले दारू भर के दे बड़े गिलास में!

और फिर मुझसे बोला- देख रूप, चुदना तो तुझे है ही, मुझे नहीं पता कैसे, तेरी मर्ज़ी है, धक्का करेंगे तो ज़्यादा तंग होगी, ये दारू पी ले और मेरा साथ दे, पी ले, फिर तेरी नीचे से चाटता हूँ.

बात तो ढिल्लों की सही थी. बचने का मेरे पास कोई रास्ता नहीं था, इसलिए मैंने मौके की नज़ाकत समझ कर काले से दारू का ग्लास लिए औऱ एक बार में ही गटक गयी और कहा- और दो.

काले ने एक और ग्लास भर के थोड़ा सा पानी डाला और मुझे दिया- मैंने अपना नाक बंद किया और फिर बॉटम अप करके लेट गई.

अब ढिल्लों ने मेरी पीठ के नीचे 2 सिरहाने रख दिए और टांगें खोल कर मोड़ दीं. मेरी फुद्दी से लेकर गांड तक ऐन ऊपर को हो उठीं, ढिल्लों के मुंह के सामने, फुद्दी तो पूरी की पूरी खुल गयी थी. उसने अपनी पूरी जीभ बाहर निकाली और गांड से लेकर सारी फुद्दी को ऊपर से नीचे तक जीभ फेरने लगा.

पहले 2-3 मिनट तक तो मुझे कुछ महसूस न हुआ लेकिन इसके बाद मेरे जिस्म में गुदगुदी सी होने लगी और मुझे हल्का हल्का मज़ा आने लगा.
दरअसल जिस शिद्दत से ढिल्लों नीचे से ऊपर तक चाट रहा था, ऐसी मेहनत रंग लाए बिना नहीं रह सकती. ऊपर से मुझे 2 लार्ज पैग का भी नशा हो गया था.

खैर अगले कुछ मिनटों में मेरे हाथ बेडशीट पर फंसने लगे और टांगें ऊपर को उठने लगीं. ढिल्लों ने यह महसूस करके एक पल के लिए अपना मुँह फुद्दी से हटाया और बोला- हो, हो, हो, काले हो जा तैयार, घोड़ी उठान पर है, साली बड़ी मुश्किल से तैयार की है.

ये कह कर ढिल्लों से अपनी ज़बान फिर मेरी फुद्दी पर रख दी और चुपड़ चपड़ चाटने लगा.

अगले कुछ मिनटों बाद तो मैं बिल्कुल तैयार हो गयी और मेरा जिस्म अकड़ने लगा. लेकिन इससे पहले कई बार झड़ने के कारण अब जिस्म में वो ताक़त नहीं बची थी.
बस मेरे मुंह से हूंकारें निकल रही थीं- हूँ, हूँ, हूँ

मुझे पूरी तरह से तैयार देख कर ढिल्लों ने अपनी ज़बान से आखरी बार फुद्दी अछी तरह से साफ की और फिर मेरी टांगें मोड़ कर और पूरी तरह से चौड़ी करके फुद्दी का मुंह ऊपर करके पूरी तरह खोल दिया.
दरअसल मुझे ढिल्लों का ये अंदाज बहुत पसंद था कि वो फुद्दी और गांड को मारने से पहले अच्छी तरह से मोर्चे के लिए तैयार करता था ताकि लौड़ा जड़ तक अंदर जाए. पता नहीं उसे इसका क्या शौक था कि लौड़ा आधा इंच भी बाहर न हो.

खैर मेरी पोजीशन सेट करके ढिल्लों आधा खड़ा हुआ, और मुझे कहा- चौड़ी कर हाथ से अपने!

मैंने हैरान परेशान हो कर अपने हाथ फुद्दी के आस पास धरे और अपनी पहले से खुल चुकी फुद्दी को और चौड़ा कर दिया. ढिल्लों से मेरी फुद्दी के अंदर थूका और अपना हथियार बीचोंबीच सेट कर दिया और एक धक्का मारा.
Reply
08-25-2020, 01:14 PM,
#49
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
मैंने हैरान परेशान होकर अपने हाथ फुद्दी के आस पास धरे और अपनी पहले से खुल चुकी फुद्दी को और चौड़ा कर दिया. ढिल्लों से मेरी फुद्दी के अंदर थूका और अपना हथियार बीचोंबीच सेट कर दिया और एक धक्का मारा.
10 इंच में से 7-8 इंच लौड़ा पहली बार में ही मेरी फुद्दी में धंस गया और मेरी हल्की सी चीख निकल गयी और मैंने अपने हाथ हटा लिए.
लेकिन ढिल्लों ने फिर कहा- चौड़ी करके रख साली!

मैंने फिर उसका हुक्म माना और हाथ नीचे लेजाकर फिर उसी तरह से फुद्दी चौड़ी कर ली. लेकिन इस बार मैंने हाथ से ढिल्लों का लौड़ा और अपनी फुद्दी उस पर चढ़ी हुई भी महसूस की.
हालांकि मेरी फुद्दी का बाहरी छल्ला अब भी उसके लौड़े को जकड़े हुए था लेकिन मैंने महसूस किया कि मेरी फुद्दी उसके लौड़े के हिसाब से खुल चुकी है.

खैर जब मैंने उसके हलब्बी लौड़े को अपनी उंगलियों से महसूस किया तो मैं हैरान भी थी कि इतना बड़ा लौड़ा कैसे मेरी फुद्दी में अब आसानी से जा रहा था. इसका मतलब यही था कि अब मैं एक रात में ही पहले जैसी औरत ने रह गयी थी.

2-4 पलों की चेकिंग के बाद मैंने फुद्दी अच्छी तरह से चौड़ी करने की कोशिश की मगर वो तो पहले से ही बहुत खुली थी. खैर ढिल्लों ने सिर्फ एक वार और किया और लौड़ा 10 का 10 इंच फुद्दी में पेवस्त हो गया.

इस गहरे वार के बाद ढिल्लों रुक गया और उसने मुझे अपनी जांघों के दम पर ही पूरी तरह से कस लिया ताकि लौड़ा रत्ती भर भी बाहर न आ सके. मैं हैरान थी कि ये वो कर क्या रहा था. लेकिन मेरी हैरानी कुछ पलों की ही थी क्योंकि आधा एक मिनट इसी दाव में रह कर ढिल्लों से अपनी पूरी ताकत इकठ्ठी करके मेरी फुद्दी में झोंक दी, जैसे उससे कोई बदला लेना चाहता हो.

अब वो मुझे इतनी तेजी से पेलने लगा के मेरे छक्के छूट गए. उसका हर एक धक्का इतना मजबूत था कि बेड भी चीखने लगा था. मुझे अपनी पूरी हस्ती में सिर्फ मेरी फुद्दी महसूस हो रही थी.
ढिल्लों ने मेरे जिस्म का पोर पोर हिला दिया था. मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था और उसकी इस वहशत से मैं डर गई थी और मेरे जिस्म में मज़े के साथ एक तरह का डर भी शामिल हो गया.
खैर मैं इस राउंड में मैं पहली बार इसी हालत में झड़ी, लेकिन इस रात पूरी तरह नुचडी हुई होने के कारण पानी नहीं निकला.

हां … झड़ने का एक फायदा तो हुआ कि फुद्दी में गीलापन सा आ गया जिसके कारण ढिल्लों का हलब्बी लौड़ा आराम से अंदर बाहर होने लगा. इससे पहले मुझे अपनी फुद्दी ज़रा सूखी सूखी सी लग रही थी और लग रहा था जैसे फुद्दी छिल गई हो.

ढिल्लों लगातार 3-4 मिनट तक मुझे ताड़ ताड़ करके चोद रहा था और मेरा जिस्म बेड पर पूरी तरह से हिल रहा था, बूब्स का तो कोई हाल ही नहीं था.

ऐसी चुदाई आपका वजूद हिला देती है और ऐसा मेरे साथ भी हो रहा था. मुझे पहले इस बात की कोई खबर नहीं थी कि इतनी वहशत से भी कोई चोद सकता है.

ख़ैर इस वहशत से डर कर मैंने कुछ बोलने की कोशिश की, लेकिन अगर आप की फुद्दी में कोई पौने फुट का मोटा लौड़ा पिस्टन की तरह चल रहा हो और उस मोटे लौड़े का मालिक भी जिस्म में आपसे दुगना तगड़ा हो तो सिर्फ चीखें ही निकल सकती हैं, जो मेरी भी निकलने लगीं.

मैंने अपनी इज़्ज़त की बिल्कुल परवाह न करते हुए ज़ोर ज़ोर से चीखना शुरू कर दिया- ओह … आह … ओअह!
मेरी चीखें इतनी तेज थी कि शायद उन्हें अब आधा होटल सुन सकता था.

लेकिन हैरानी की बात ये थी कि ढिल्लों और काले ने मुझे रोका नहीं. आखिर ढिल्लों एकदम रुका और मुझे पकड़ कर बिजली की रफ्तार से पलटी मारी मुझे अपने ऊपर ले लिया. लौड़ा उसी तरह फुद्दी में पेवस्त था.

और अगले ही पल मेरी पीठ को दोनों हाथों से कस के पकड़ के नीचे से पूरा लौड़ा बाहर निकाल निकाल कर 4-5 तूफ़ानी घस्से मारे और फिर एकदम मुझे अपने साथ चिपका लिया जिसके कारण मेरी गान्ड का छेद कोई भी आसानी से देख सकता था.

इसके बाद वो अपने दोनों हाथ मेरे दूध से गोरे पिछवाड़े पर ले गया और मेरी गांड के पास करके उसको बहुत जोर से फैला दिया और काले को आवाज़ दी- आजा ओये, जोड़ तांगा, इसकी मां की …

काला ऊपर चढ़ आया और अपना तना हुआ मोटा काला हथ्यार गांड पर रख दिया और एक घस्सा मारा लेकिन डर के कारण मेरी गांड पूरी तरह भिंच गयी और लौड़ा सरक गया.
ऐसा 2-3 बार हुआ.

फिर एकदम से ढिल्लों ने काले को इशारा किया कि तेल लगा ले.
काले ने उसका कहा माना और लौड़ा सरसों के तेल से तरबतर कर लिया.

इसके बाद वो फिर आया लेकिन नतीजा कुछ नहीं, मगर हां इस बार जब सब दबाव बनाया था तो गांड का छल्ला खुला ज़रूर था जिससे मेरे निढाल शरीर में दर्द की एक टीस दौड़ी थी.

दरअसल हो यह रहा था कि ढिल्लों का मूसल जड़ तक अंदर घुसा हुआ था जिसके कारण गांड बिल्कुल बन्द हो गयी थी.
ढिल्लों ने इस बात को समझा तो उसने एकदम से मेरी फुद्दी को खाली कर दिया और काले से कहा- अब आ, जब पूरा घुस जाए तो बताना!
फिर मुझसे कहा- ओये बहनचोद, ढीली छोड़ इसको, नहीं तो सूखी मरवाऊंगा.

और फिर अपने हाथों से गांड चौड़ी करने की कोशिश की. लेकिन डर के कारण मैं फिर ढीली न छोड़ सकी तो उसने अपनी उंगलियों से मेरी गांड पर ऐसी चिकोटी काटी कि मैं बुरी तरह हिल गयी और मैंने बिन बोले के गांड ज़ोर लगा कर गांड ढीली छोड़ दी.

ढिल्लों ने अब थूक लगा कर दो उंगलियां अंदर घुसेड़ी तो उसको यकीन आ गया और फिर उसने काले को इशारा किया.

काले ने अपना सरसों के तेल से सना हुआ लौड़ा मेरी गांड के छेद पर रखा, इस बार अपना लौड़ा उसने कस के पकड़ा हुआ था कि हिल न सके, छेद पर रखके उसने एक ऐसा धक्का मारा कि मैं चिर गयी. मेरे मुंह से एक वहशियाना चीख निकल कर फिर हलक में ही दब गई.
मैंने इतना दर्द कभी ज़िन्दगी में बर्दाश्त नही किया था.
Reply
08-25-2020, 01:14 PM,
#50
RE: Antarvasna कामूकता की इंतेहा
अब मुझे यों लग रहा था कि ये मुझे मार देंगे आज!
लेकिन आपको भी पता है कि ऐसे चुदाई से कोई लड़की नहीं मरती.

खैर उसके इतने तेज़ और शक्तिशाली वार के बावजूद भी लौड़ा 4-5 इंच ही अंदर गया था. इस शॉट से दर्द काले को भी हुआ था, जिसके कारण उसके मुंह से निकला- साले, छिल गया मुझे लगता है, इसकी तो हालत खराब हो गयी है, क्या करूँ.

लेकिन ढिल्लों ने मुझपर कोई रहम न दिखाया और उससे कहा- पूरा जाने दे अंदर, कुछ नही होगा, बस 2-3 मिनट चीखेगी.

दरसअल ढिल्लों मेरी गांड मार चुका था लेकिन अब मुझे अच्छी तरह से पता चल चुका था काले का लौड़े उससे मेरी उम्मीद से ज़्यादा मोटा है.

खैर काले ने उसकी बात मान कर दांत भींच लिए और 5-6 घस्सों की जबरदस्त मेहनत के बाद एक आखरी घस्सा मारा और जब उसके टट्टे मेरे पिछवाड़े से टकराये तो मैं आधी बेहोशी की हालत में चली गयी और मैं चाहते हुए भी न चीख सकी.

जब काले का लौड़ा पूरी तरह मेरी गान्ड में पेवस्त हो गया तो वो वैसे ही रुक गया और उसने ढिल्लों से कहा- जड़ तक पेल दिया है, आने दे तू भी!

यह सुनकर ढिल्लों के जिस्म में हरकत हुई और उसने मुझे हल्का सा ऊपर उठा कर अपना लौड़ा मेरी फुद्दी पर सैट किया और मुझे आराम से अपने ऊपर बैठा लिया ताकि लौड़ा बाहर ना निकले.

तो दोस्तो अब एक बार फिर मेरी धुआंधार डबल चुदाई का सिलसिला शुरू हो गया.

दोनों दोस्त बड़े माहिर खिलाड़ी थे. पहले दो चार मिनट तो वे मुझे आराम से धीरे धीरे चोदते रहे क्योंकि उनको पता था कि डबल चुदाई में औरत की मां भी चुद जाती है.

2-4 मिनट इसी तरह धीरे धीरे चोदते हुए एकदम काले ने अपना पूरा लौड़ा झटके से बाहर निकाल लिया और कहा- रुक यार ढिल्लो, छिल गया है भेंचो.

ये कहकर वो जल्दी जल्दी उठा और सरसों के तेल की उठा लाया और सीधे मेरी गांड खोल कर अन्दर उड़ेल दी. जितना तेल मेरी गांड की गहराई में जा सकता था गया, और जब तेल बाहर रिसने लगा तो उसने शीशी का मुंह गांड से बाहर निकाल लिया.

दरअसल दर्द से तो मेरा भी बुरा हाल था और जैसे ही मैंने काले के इरादे को समझा तो मैंने गांड पूरी तरह ढीली छोड़ दी ताकि ज़्यादा से ज़्यादा तेल अंदर जा सके और दर्द कम हो.
मेरी इस हरकत के कारण शीशी का काफी तेल अंदर चला गया और लगभग 10-15 सेकेंड के बाद तेल बाहर शुरू हुआ.

खैर अब मुझे भी अब तसल्ली हो गई थी कि मेरी गांड को अच्छी तरह ग्रीस कर दिया गया था और अब पौने फुट का मोटा काला पिस्टन अच्छी तरह मेरी सर्विस करेगा.

तो चलो उन दोनों ने अच्छी तरह से घोड़ी को तांगे पर जोड़ लिया और मुझे आराम से पेलने लगे.
एक बार फिर उन्होंने पहले लगभग 5-7 मिनट मुझे बड़े प्यार से पेला.

इसके बाद ढिल्लों ने काले से कहा- एक एक करके!

मुझे पहले तो बात समझ नहीं आई लेकिन अगले ही पल मेरी चुदाई इस तरह होने लगी कि जब काला अपना लौड़ा लगभग टोपे तक बाहर निकाल लेता तो ढिलों अपना मूसल जड़ तक फुद्दी में पेल देता और जब धिलों का लौड़ा बाहर निकलता तो काला गांड की गहराई तक अपना पिस्टन ठोक देता.

इसी तरह दो तीन मिनटों के बाद उनकी स्पीड पूरी तेज ही गई और मैं कामुकता के समंदर में एक बार फिर गोते लगाने लगी.

अगले पांच सात मिनट में उन दोनों की ताल बिल्कुल सैट हो गई और वो मुझे पूरा ज़ोर लगाकर ठोकने लगे.

दरअसल दोस्तो, पहले तो मैं उन दोनों से एकसाथ इस हालत में चुदाई करवाने से डर रही थी लेकिन अब तो मैं हवा में उड़ने लगी थी. मेरी सारा वजूद फुद्दी और गांड में आके सिमट गया था.
अब मेरी ठुकाई इतनी तेज़ी से हो रही थी कि मुझे पता ही नहीं कब फुद्दी में लौड़ा जा रहा है और कब गांड में. बस नीचे से सब कुछ भरा भरा सा लग रहा था. मेरी आंखें अब पूरी तरह बंद हो चुकी थीं और मैं उन दोनों सांडों के बीच पिसी हुई बिना किसी की परवाह करते हुए ज़ोर ज़ोर से ‘आअह … आऊह … हाँआह’ करने लगी.

अगले दस पंद्रह मिनटों की चुदाई के बाद मेरा जिस्म कमान की तरह अकड़ गया और मेरे मम्मे ढिल्लों की छाती में बुरी तरह धंस गए.
और मैं एक बार फिर लगभग चीखती हुई लंबी ‘आह …’ के साथ झड़ी.

जब ढिल्लों ने मुझे झड़ते हुए महसूस किया तो उसने भी पैंतरा बदला और काले से कहा- अब एक साथ जाने देते हैं!
अगले ही पल ढिल्लों और काला दोनों एकसाथ अपने लौड़े बाहर निकालते और एक साथ ही अंदर ठूंस देते.

दोस्तो, ये नज़ारा तो भी खूब साबित हुआ. जब दोनों के बाहर निकलते तो मेरी फुद्दी और गांड में एक बहुत बड़ा खालीपन महसूस होता. लेकिन जब दोनों अन्दर जाते तो वहीं खालीपन ठूंस के भर दिया जाता.

दरअसल इस तरह कसावट भारी चुदाई होने के कारण मेरी क्लिट यानि कि दाना ढिल्लों के लौड़े पर बहुत बुरी तरह घिसने लगा और अगली बार तो मैं उनके दस पन्द्रह घस्सों के साथ ही झड़ गई.
जब मैं दूसरी बार चीख के झड़ी तो दोनों नशई सांड मुझे इतनी तेज़ी से चोदने लगे कि मेरी सुधबुध ही गुम हो गई और मैं बावरी हो गई और पता नहीं क्या क्या बकने और चीखने लगी.

इस बार वो मुझे इतनी वहशत से चोदने लगे कि दोनों सांडों के मुंह से हाफनें की आवाज़ें आने लगीं. अगले लगभग पच्चीस तीस घस्सों में दो बार फिर झड़ी लेकिन दोनों बार फुद्दी तर नहीं हुई क्योंकि मेरा इंजन ऑयल तो खत्म हो गया था.

खैर जब मैं दूसरी बार झड़ी तो मेरी बस ही गई और मैंने चीखते हुए ढिल्लों से इल्तज़ा की- कर दो अब यार, बहुत बजा चुके हो!

मेरे ये कहते कहते ही काला मेरी गान्ड में ऊंची ऊंची हांफता हुआ झड़ गया और उसका गर्म गर्म लावा मुझे अपनी गांड में महसूस हुआ. मुझे कुछ राहत की सांस महसूस हुई.
काले की ‘हूं … हूं …’ से ढिल्लों समझ गया कि वो झड़ चुका है जिसके कारण उसने काले से कहा- अंदर ही रखना!
और खुद नीचे से फौलादी तीक्ष्ण घस्से मारने लगा.

अगले 4-5 मिनट में मेरी फुद्दी भी वीर्य से तरबतर हो चुकी थी.

तो दोस्तो, अब मेरी जान में जान आयी और मैं निढाल होकर उसी तरह ढिल्लों के ऊपर पड़ी रही.

कुछ देर बाद ढिल्लों ने मुझे नीचे उतारा और साइड पर लेटा दिया और नीचे पड़ी चादर से मेरी फुद्दी और गांड को अच्छी तरह से साफ कर दिया और मुझ पर एक और चादर से दी और खुद पता नहीं पैग लगाते हुए क्या क्या बातें करते रहे.

मुझे भी एकदम से नींद आ गई.

और जब मेरी सुबह जाग खुली तो मैंने पाया के मैं उसी तरह अलफ़ नंगी उन दोनों सांडो के बीच घी खिचड़ी हुई पड़ी थी.

जब मेरी घड़ी पर निगाह पड़ी तो दोपहर के 2 बज चुके थे. मैं जैसे तैसे लंगड़ाती फिसलती हुई बाथरूम तक गई और गर्म पानी का शावर आन करके लगभग आधा घंटा नीचे बैठी रही और तब जाकर मुझे होश आया

जब मुझे अपनी गांड में कुछ मिर्ची महसूस हुई तो मैंने हाथ लगाकर देखा कि गांड इतना तेल लगाने के बाद तो बुरी तरह छिल गई थी.
और फुद्दी का तो कोई हाल ही नहीं था.

जब मैंने अपनी दो उंगलियों से फुद्दी चेक करने की कोशिश की तो मुझे अचानक पता चला कि पिछले पंद्रह बीस घंटों में उन दोनों ने फुद्दी का दाना यानी क्लाइटोरिस आधा इंच बाहर निकाल दिया था जो बुरी तरह सूजा हुआ था. मैं थोड़ा डर गई लेकिन अब मैं कर भी क्या सकती थी.

खैर मैं अच्छी तरह नहाई धोई और फिर मैंने दोनों सांडों को भी उठाया और उनसे विनती की कि मुझे जल्द जल्द मेरे घर के पास छोड़ दें.

परन्तु ढिल्लों का मन एक और राउंड खेलने का था. लेकिन मैंने एक ना सुनी और बवाल मचा दिया.

इसके बाद उन दोनों ने मुझे गाड़ी में बिठाया और उन्होंने मुझे बिल्कुल मेरे घर के पास जाकर ड्रॉप कर दिया.

तीन घंटों के सफर में ढिल्लों ने मुझसे वादा किया कि अगले हफ्ते वो मुझे मेरे घर आकर चोदेगा.
मैंने उससे विनती की कि पंद्रह दिनों से पहले वो मेरे घर ना आए क्योंकि फुद्दी और गांड को सैट होने में मुझे पता था कि इतने दिन तो लगेंगे ही.

अगले दस दिनों में ही ढिल्लों ने मेरे पति के बारे में अच्छी तरह से पता करके उसे अपना दोस्त बना लिया और उसने मुझे आने से 4 दिन पहले फोन करके बता दिया था कि मैंने तेरे पति को कांफिडेंस में ले लिया है उसने मुझे इस तारीख को लंच पर बुलाया है.

मेरी बांछें खिल गईं … मुझे यूं महसूस हुआ कि मैं ढिल्लों की नई नवेली दुल्हन हूं.


समाप्त
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,301,458 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 522,448 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,151,714 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 872,354 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,543,109 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 1,987,553 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,797,999 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,520,428 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 3,827,243 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 266,322 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 2 Guest(s)