MmsBee कोई तो रोक लो
09-09-2020, 02:41 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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अब आगे की कहानी पुन्नू की ज़ुबानी….

मैं अजय की बातों को सुनने मे और अजय अपनी बात को बताने मे खोया हुआ था. इस से पहले की अजय ये बता पाता कि, उसे कातिल ना मानने वाली आवाज़ किसकी थी. हम दोनो के ही कानो मे एक आवाज़ गूँज गयी. “तुम एक कातिल हो.”
आवाज़ सुनते ही हम दोनो अपनी अपनी जगह पर खड़े हो गये और पीछे पलट कर देखा तो, पीछे शिखा और निक्की खड़ी थी. वो दोनो शायद हमारे लिए कॉफी लेकर आई थी. निक्की के हाथ मे 2 कॉफी थी और शिखा के हाथों की 2 कॉफी ज़मीन पर बिखरी पड़ी थी.

ये सब इतना अचानक हुआ था कि, मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा था कि, ये सब क्या हो रहा है. लेकिन शायद अजजी की समझ मे सब कुछ आ चुका था. इसलिए शिखा पर नज़र पड़ते ही उसने, किसी गुनहगार की तरह अपना सर झुका लिया.

वही शिखा की आँखों से आँसू बहे जा रहे थे और वो अजजी को ऐसी नज़रों से देख रही थी, जैसे अजजी ने उसका सब कुछ लूट लिया हो. वो रोते हुए कुछ बोलने की कोशिस कर रही थी. लेकिन उसके मूह से बोल ही नही निकल रहे थे. उसके चेहरे पर दर्द सॉफ नज़र आ रहा था.

जब उस से कुछ बोलते नही बना तो, वो बेबस सी होकर, वापस जाने के लिए पलट गयी. निक्की आवाक और शर्मिंदा सी दिख रही थी. जैसे इस सब के लिए वो खुद को दोषी मान रही हो. लेकिन जब उसने शिखा को ऐसे जाते देखा तो, उसने शिखा को रोकते हुए कहा.

निक्की बोली “दीदी प्लीज़, रुक जाइए. अजय भैया की पूरी बात तो सुन लीजिए.”

निक्की की बात से शिखा के सबर का बाँध टूट गया और उसने बिना पीछे देखे, रोते हुए कहा.

शिखा बोली “क्या सुनूँ, किसकी बात सुनूँ. जिस इंसान से मैं दुनिया मे सबसे ज़्यादा नफ़रत करती हूँ, उसकी बात सुनूँ या जिस इंसान से मैं दुनिया मे सबसे ज़्यादा…..”

मगर शायद अपनी पूरी बात कहने की ताक़त शिखा मे नही थी. वो अपनी बात को अधूरा ही छोड़ कर, रोते हुए अंदर भाग गयी. सब उसे जाते हुए देखने के सिवा कुछ ना कर सके. थोड़ी देर के लिए वहाँ सन्नाटा छा गया. फिर इस सन्नाटे को तोड़ते हुए निक्की ने अजय से कहा.

निक्की बोली “सॉरी भैया, ये सब मेरी वजह से हुआ. ना मैं आप लोगों को कॉफी देने की बात करती और ना ही हम लोग यहाँ आए होते.”

निक्की की बात सुनकर, अजय ने एक ठंडी सी साँस ली और फिर एक फीकी सी मुस्कान अपने चेहरे पर लाते हुए निक्की से कहा.

अजय बोला “तुझे किसी बात के लिए सॉरी बोलने की ज़रूरत नही है. शायद मैं शिखा से ये बात कहने की कभी हिम्मत नही कर पाता. मगर आज इसी बहाने कम से कम शिखा को ये सचाई तो पता चल गयी कि, वो जिस इंसान से दुनिया मे सबसे ज़्यादा नफ़रत करती है, वो इंसान मैं ही हूँ.”

अजय की इस बात मे एक कड़वी सच्चाई थी और उसकी मुस्कान मे एक दर्द छुपा था. लेकिन उस से भी ज़्यादा दर्द इस समय मुझे शिखा की बेबसी मे नज़र आ रहा था. जिसे महसूस करते ही मेरी आँखों मे नमी छा गयी.

अब ये बात तो पूरी तरह से साफ हो चुकी थी कि, अजय जिस लड़की से प्यार करता है, वो कोई और नही शिखा ही है. लेकिन शिखा की अधूरी रह गयी बात से ये भी समझ मे आ रहा था कि, वो भी अजय को प्यार करती है. मैने अपनी आँखों मे आई नमी को पोछ्ते हुए अजय से कहा.

मैं बोला “कौन सही है और कौन ग़लत है. इसका फ़ैसला कर पाना बहुत मुस्किल है. ये भी सच है कि शिखा दीदी जिस से नफ़रत करती हैं, वो तुम हो. लेकिन उनकी अधूरी बात यक़ीनन ये ही थी कि, वो दुनिया मे सबसे ज़्यादा प्यार भी तुमसे ही करती हैं. शायद यही वजह थी कि, आज तुम्हारी सच्चाई जानने के बाद, वो प्यार और नफ़रत के बीच फसि, बेबसी के आँसू बहाने के सिवा कुछ ना कर सकी.”

मेरी बात सुनकर, अजय ने मेरी तरफ देखा और मुस्कुराने लगा. ऐसे हालत मे उसका इस तरह से मुस्कुराना मुझे कुछ अजीब लगा और मैं उसको हैरानी से देखने लगा. मुझे हैरानी मे पड़ा देख अजय ने कहा.

अजय बोला “तुम ठीक कह रहे हो. उसके मुझ पर कोई गुस्सा ना कर पाने की वजह ये ही थी. लेकिन मुझे एक बात बताओ. तुमने उसको दीदी क्यों कहा. वो तो तुम्हारी भाभी लगी ना.”

अजय की इस बात से मुझे उसके मुस्कुराने की वजह समझ मे आ गयी और मैने उसकी इस बात का जबाब देते हुए कहा.

मैं बोला “तुम जानते हो, मैं उनको कितना पसंद करता हूँ और अब जब उनके बारे मे इतना कुछ जाना तो, खुद ही उनके लिए मेरे मूह से दीदी निकल गया.”

अजय बोला “तुम दोनो ही एक से हो. उसको भी जब मैने तुम्हारे और राज के बीच हुई बातों का बताया तो, वो भी ये ही बोल रही थी कि, तुम उसके लिए छोटे भाई जैसे हो. यही वजह थी कि आज जब उसने तुम्हारे घर आकर खाना खाने की बात सुनी तो, बड़े प्यार से तुम्हारे लिए खाना बनाया था और रात को भी तुम्हे खाने पर बुलाने के लिए बोल रही थी.”

अजय की बात को सुनकर मुझे हैरानी हुई. लेकिन उसकी इस बात से ये बात भी साफ हो चुकी थी कि अजय, शिखा के घर मे ही रहता है. अजय के बारे मे इतना सब कुछ जानने के बाद भी, मुझे ये ही लग रहा था कि, अभी उसके बारे मे जानने के लिए बहुत कुछ बाकी है. लेकिन अभी ये सब सोचने का समय नही था. इसलिए मैने अजय से कहा.

मैं बोला “वो बहुत ज़्यादा नाराज़ है. ये सब जान कर उन्हे बहुत दुख हुआ है. हमें उनको मनाने की कोशिस करनी चाहिए.”

मेरी बात सुनकर, अजय ने सोचते हुए कहा.

अजय बोला “तुम्हारा कहना सही है. मगर मुझे नही लगता कि, अब वो मेरी कोई बात सुनेगी. अभी बेहतर ये ही होगा कि तुम दोनो के उसके पास जाकर उसका दर्द कुछ कम करो. बाद मे देखते है कि, उस से कैसे बात की जाए.”

मुझे और निक्की को अजय की ये बात सही लगी. निक्की ने मुझे अंदर चलने का इशारा किया और मैं उसके साथ हॉस्पिटल के अंदर आ गया. हम अंदर आकर शिखा के कॅबिन मे पहुचे तो, वो अपना चेहरा छुपा कर अभी भी रो रही थी.

हमारे आने की आहट पाते ही उसने अपना सर उठा कर देखा और हमें देखते ही अपने आँसू पोछने लगी. निक्की ने उस से अजय के बारे मे बात करने की कोशिश की तो, उसने निक्की की बात को बीच मे ही काटते हुए निक्की से कहा.

शिखा बोली “देखो निक्की, मैं उस इंसान के बारे मे किसी से कोई बात करना नही चाहती. जिस इंसान से मैं दुनिया मे सबसे ज़्यादा नफ़रत करती हूँ.”

शिखा की ये बात सुनकर, मुझे उस से कुछ कहने मे डर भी लग रहा था और कभी कोई बात ना करने की वजह से कुछ अटपटा भी लग रहा था. लेकिन उसको लेकर मेरे दिल मे जो अपनेपन की भावना थी. उस भावना की वजह से मैने हिम्मत करते हुए उस से कहा.

मैं बोला “दीदी, मेरा नाम पुनीत है. मैं प्रिया का फ्रेंड हूँ.”

मेरी इस बात का शिखा पर कोई असर नही हुआ और उसने बिना मेरी तरफ देखे ही, चिढ़ते हुए कहा.

शिखा बोली “तो मैं क्या करूँ. प्रिया के फ्रेंड हो तो, प्रिया के पास जाओ. मुझे क्यो बता रहे हो.”

मुझे ऐसी बात की शिखा से उम्मीद नही थी और ना ही ये बात शिखा के स्वाभाव से मेल खाती थी. इसलिए एक पल के लिए उसकी इस बात ने जहाँ मेरी बोलती बंद कर दी. वही निक्की का चेहरा भी उतर गया.

वो शिखा से कुछ बोलने ही वाली थी कि, मैने उसे चुप रहने का इशारा किया. मैं शिखा के दिल का हाल जानता था. इसलिए उसकी बात का बुरा माने बिना, फिर उस से बात करने की कोसिस करते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, मैने क्या किया. मुझसे आपका रोना नही देखा गया था. बस इसलिए आपके पास आ गया था. लेकिन यदि आपको मेरा आना बुरा लगा है तो, मैं अभी यहाँ से चला जाता हूँ.”

इतना कह कर, मैं वापस जाने के लिए मूड गया. लेकिन शायद शिखा को मेरे इस तरह उसके पास से, उदास जाना अच्छा नही लगा. उसने रोते रोते अपना सर उठा कर मुझे देखते हुए कहा.

शिखा बोली “तुमको मेरी इतनी फिकर इसलिए हो रही है ना. क्योकि तुम उनके फ्रेंड हो.”

शिखा की इस बात को सुनकर, मुझे अहसास हुआ कि, इतना सब कुछ होने के बाद भी, शिखा अब भी अजय को इज़्ज़त देकर ही बात कर रही है. जिसका मतलब साफ था कि, उसके दिल मे अजय के लिए नफ़रत से ज़्यादा प्यार है.

शिखा ने मुझसे ये सवाल करके, मुझे बात करने का एक मौका दे दिया था. अब ये मेरे उपर था कि, मैं उस से कितनी देर बात कर सकता हूँ. मैने उसको उसकी इस बात का जबाब देते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, आपका ऐसा सोचना सही नही है. मुझे अभी आपको रोते देख कर ये बात पता चली कि, अजजी जिस लड़की को प्यार करता है, वो लड़की आप हो. जबकि आपके लिए मेरे दिल मे इज़्ज़त तो सुरू से ही है और इसी वजह से मुझे आपकी फिकर है.”

शिखा को शायद मेरी इस बात का विस्वास हो गया था या फिर इस समय वो मुझसे कोई बहस नही करना चाहती थी. इसलिए इसके बाद उसने मुझसे इस बात के लिए कोई सफाई नही माँगी और रोते हुए ही कहा.

शिखा बोली “मेरी फिकर मत करो और मुझे मेरे हाल पर छोड़ दो. तुम लोग यहाँ से जाओ और अपने दोस्त से भी कह दो कि, अब मेरे घर, मेरी जिंदगी से हमेशा हमेशा के लिए चला जाए.”

इतना बोल कर वो, सर झुका कर फिर रोने लगी. शिखा की आख़िरी बात सुनकर, मैं भी डर गया. लेकिन अभी सबसे ज़रूरी शिखा को संभालना था. मैं उसे शांत करने के लिए कुछ सोचने लगा.

तभी मुझे शिखा का रोना रोकने का एक तरीका समझ मे आया. मैने निक्की से कान मे अपनी बात कही और वो प्रिया के पास जाने की बोल कर चली गयी. निक्की के जाने के बाद मैने शिखा से कहा.

मैं बोला “दीदी, प्लीज़ रोना बंद कीजिए.”

शिखा बोली “मैने कहा ना, तुम जाओ यहाँ से, मुझे अकेला छोड़ दो.”

अभी शिखा इतना ही बोल पाई थी कि, तभी निक्की भागती हुई आई और शिखा से कहा.

निक्की बोली “दीदी, प्रिया की तबीयत सही नही लग रही. उसे घबराहट सी हो रही है.”

निक्की की बात सुनते ही शिखा ने जल्दी से अपने चेहरे पर हाथ फेरा और उठ कर प्रिया के कमरे की तरफ बढ़ गयी. उसके पीछे पीछे हम दोनो भी चलने लगे. हम प्रिया के कमरे मे पहुचे और शिखा उसका रक्त का दबाव (ब्लड प्रेशर) देखने लगी.

उधर प्रिया ने मुझे देख कर आँख मारी और फिर अपना ब्लड प्रेशर देख रही शिखा से कहा.

प्रिया बोली “दीदी, मुझे बहुत घबराहट हो रही है.”

प्रिया को घबराते देख, शिखा ने उसे समझाते हुए कहा.

शिखा बोली “घबराओ मत प्रिया. तुम्हे कुछ नही हुआ है. तुम्हारा ब्लड प्रेशर भी सही है.”

प्रिया बोली “दीदी मुझे बहुत डर लग रहा है. आप कही मत जाइए, मेरे पास ही रहिए.”

शिखा बोली “डरो मत, मैं कहीं नही जा रही. मैं तुम्हारे पास ही हूँ.”

ये कह कर शिखा प्रिया के पास ही बैठ गयी और प्रिया का दिल बहलाने की कोसिस करने लगी. मेरी शिखा का ध्यान बटाने की चाल तो कामयाब हो गयी थी. मैने निक्की को उनके साथ ही रहने को कहा और फिर मैं बाहर अजय के पास आ गया.

अजय बाहर अब भी परेसानी की हालत मे यहाँ वहाँ टहल रहा था. मैने उसे अंदर की सारी बातें बताई तो, उसने राहत की साँस ली. लेकिन शिखा की घर छोड़ने वाली बात सुनकर वो कुछ सोच मे पड़ गया.

मुझे भी समझ मे नही आ रहा था कि, अब ऐसी हालत मे उसे क्या करना चाहिए. जब मेरी कुछ समझ मे नही आया तो, मैने उस से ही पूछा.

मैं बोला “अब तुमने आगे क्या करने का सोचा है.”

मेरी बात का अजय ने सीधा सा जबाब देते हुए कहा.

अजय बोला “इसमे सोचना क्या है. घर उसका है, जिंदगी उसकी है. वो यदि चाहती है कि, मैं उसके घर से चला जाउ तो, मैं चला जाउन्गा.”

अजय का ये फ़ैसला किसी भी तरह से ग़लत नही था. लेकिन अजय के इस फ़ैसले से मुझे बहुत दुख हो रहा था. शायद अजय को भी मेरी इस हालत का अहसास हो गया था और उसने मुझसे कहा.

अजय बोला “तुम इस बात को लेकर दुखी क्यो होते हो. मैने उसके घर से चले जाने का फ़ैसला किया है. लेकिन अभी हार नही मानी है. उसको मनाने का कोई ना कोई रास्ता मिल ही जाएगा.”

अजय की इस बात से मुझे कुछ तसल्ली हुई. मैने उस से अंकल के पास से होकर आने की बात की और फिर मैं उपर चला गया. अंकल के पास से आने के बाद मैने कीर्ति से सो जाने को कहा तो, उसने कल अजय के घर जाने पर कॉल करने को कह कर कॉल रख दिया.

इसके बाद मैं अजय के साथ ही रहा. बीच बीच मे मैं अंकल के पास जाकर उन्हे देख आता था. इस बीच मैं दो तीन बार प्रिया के पास भी गया. वो शिखा को अपनी बातों मे तब तक उलझाए रखी, जब तक कि सुबह के 6 नही बज गये और शिखा का मरीजों को देखने का समय नही हो गया.

सुबह 6 बजे के पहले ही मैने मेहुल को कॉल लगा कर उठा दिया था और उसे 7 बजे के पहले हॉस्पिटल आने का कह दिया था. ऐसा मैने इसलिए किया था, ताकि अजय के साथ मैं भी शिखा के घर जा सकूँ.

मैं अजय के साथ बैठा मेहुल के आने का इंतजार कर रहा था और फिर 6:45 पर मेहुल आ गया. मुझसे थोड़ी बहुत बात करके, वो उपर अंकल के पास चला गया. उसके जाने के बाद मैने अजय से कहा.

मैं बोला “मुझे लगता है कि, आज शिखा दीदी तुम्हारे साथ घर नही जाएगी.”

अजय बोला “मुझे भी यही लग रहा है. लेकिन मुझे उसका इंतजार तो करना ही पड़ेगा.”

अजय की बात सुनकर, हम शिखा के आने का इंतजार करने लगे. थोड़ी ही देर मे शिखा निक्की के साथ बाहर आती दिखाई दी. लेकिन बाहर आने के बाद, वो यहाँ वहाँ टॅक्सी देखने लगी. मैं टॅक्सी से उतर कर, उसके पास गया और उस से अजय की टॅक्सी मे चलने को कहा तो उसने सॉफ मना कर दिया.

मैने उसे बहुत मानने की कोशिस की, लेकिन वो नही मानी और दूसरी टॅक्सी लेकर चली गयी. उसके जाने के बाद निक्की ने अजय से बताया कि, शिखा उसका घर आज के आज ही खाली करने की बात बोल कर गयी है.

ये बात बोलते बोलते निक्की की आँखे भर आई. अजय ने उसे दिलासा दिया कि, वो सब ठीक कर लेगा. इसके बाद अजय ने अमन को कॉल करके, उसका समान ले जाने के लिए गाड़ी भेजने को कहा और फिर हम शिखा के घर के लिए निकल गये.

करीब 8 बजे हम शिखा के घर पहुचे और फिर अजय अपना समान पॅक करने लगा. उसने मुझसे कहा कि, अमन समान के लिए गाड़ी भेजने वाला है, इसलिए मैं बाहर खड़ा होकर गाड़ी देखता रहूं.

मैं बाहर छत पर खड़ा होकर गाड़ी आने का वेट करने लगा. इसी बीच मैने कीर्ति को कॉल किया और उसे बताया कि, अजय शिखा का घर छोड़ कर जा रहा है. अभी मैं कीर्ति को इतना ही बोल पाया था कि, तभी मुझे शिखा के घर के बाहर एक कार रुकती दिखी.

मुझे लगा कि, अमन ने समान के लिए कार भेजी है और इतने सारे समान के लिए कार भेजना मुझे कुछ अजीब सा लगा. इसलिए मैने अजय को आवाज़ देते हुए कहा.

मैं बोला “घर के सामने एक कार आकर रुकी है.”

अजय बोला “मैने कार का नही बोला था. तुम जाकर देखो कि, कार मे कौन है.”

अभी अजय ने इतनी ही बात बोली थी कि, मुझे कार से एक लड़की उतरती दिखी. लड़की ने नीचे उतरते ही एक बार मेरी तरफ देखा. उस पर नज़र पड़ते ही मुझे एक जोरदार झटका सा लगा.

क्योकि लड़की की शकल इतनी भयानक लग रही थी कि, यदि कोई कमजोर दिल वाला उसे रात मे देख ले तो, उसको दिल का दौरा पड़ जाए. कुछ देर के लिए तो मैं भी उसकी शकल देख कर दहशत मे आ गया था.

अजय ने मुझे अब भी अपनी ही जगह पर खड़ा देखा तो, मुझे टोकते हुए कहा.

अजय बोला “क्या हुआ, तुम पता करने नही गये.”

मैं बोला “कार मे कोई लड़की है.”

ये बात सुनते ही अजय मेरे पास आया और नीचे देखने लगा. लड़की नीचे दरवाजे पर खड़ी सड़क की तरफ ऐसे देख रही थी. जैसे किसी के आने का इंतजार कर रही हो. उस लड़की पर अजय की नज़र पड़ते ही उस ने कहा.

अजय बोला “ये यहाँ कैसे आ गयी. लगता आज का दिन ही खराब है. चलो जल्दी नीचे चलो. इसे अंदर आने से रोकना होगा.”

ये कहते हुए अजय नीचे जाने के लिए बढ़ गया. उस लड़की की शकल देख कर, मैं पहले से ही एक गहरे से सदमे मे था. उस पर अजय का इस तरह से उस लड़की से डरने की बात ने मुझे और भी उलझन मे डाल दिया था. मैं किसी बुत की तरह अजय के पीछे पीछे नीचे आने लगा.
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हम नीचे पहुचे तो, नीचे घर के दरवाजे पर एक 45-50 साल की महिला और 19-20 साल की लड़की खड़ी, घर के मेन-गेट पर खड़ी कार और लड़की को देख रहे थे. तभी शिखा ने आकर उनसे कहा.

शिखा बोली “मम्मी, आप अंदर जाओ और बरखा तुम बाहर जाकर देखो, ये कौन है.”

शिखा की बात सुनकर, लड़की जिसका नाम शिखा ने बरखा पुकारा था, उसने कहा.

बरखा बोली “जी दीदी, अभी जाकर देखती हूँ.”

बरखा के दीदी कहने से मुझे समझ मे आ गया था कि, वो शायद शिखा की बहन है और वो आंटी शिखा की मम्मी थी. बरखा बाहर मेन-गेट तक आई, लेकिन तब तक हम गेट पर आ चुके थे. बरखा हमारे पास आई तो, अजय ने उस से कहा.

अजय बोला “बरखा, तुम अंदर जाओ. इस से मैं बात करता हूँ.”

अजय की बात सुनकर, बरखा वापस शिखा के पास चली गयी. शिखा अब भी दरवाजे पर ही खड़ी थी. हम गेट के पास आए तो, वहाँ खड़ी लड़की के चेहरे पर अजय को देख कर मुस्कुराहट आ गयी.

उस लड़की उमर निक्की के बराबर की थी. इसलिए उसे लेकर मेरे मन मे बहुत से सवाल उठ रहे थे. इधर अजय ने एक नज़र लड़की की तरफ देखा और फिर कार के अंदर देखने लगा. लड़की ने इस तरह अजय को कार के अंदर देखते देखा तो, अजय से कहा.

लड़की बोली “भैया आप किसे देख रहे है. अंदर कोई नही है. मैं अकेली ही आई हूँ.”

लड़की की बात सुनकर अजय ने हैरान होते हुए लड़की से कहा.

अजय बोला “फिर तुम यहाँ कैसे.?”

लड़की बोली “भैया मेरे पास सीरू दीदी का कॉल आया और उन्होने कहा कि, वो कार भेज रही है. मैं उस कार मे यहाँ आ जाउ. वो भी यहाँ पहुच रही है. लेकिन वो लोग अभी तक नही आई. मैं उनका ही इंतजार कर रही हूँ.”

मेरी अभी तक समझ मे नही आया था कि, ये लड़की कौन है. लेकिन इतना ज़रूर समझ मे आ गया था कि, अब यहाँ कुछ होने वाला है. शायद अजय भी ये बात समझ रहा था. इसलिए उसने कार का दरवाजा खोलते हुए लड़की से कहा.

अजय बोला “देखो, अभी तुम्हारा यहाँ रुकना सही नही है. तुम यहाँ से जाओ और सीरू लोगों की फिकर बिल्कुल मत करो. यदि वो लोग यहाँ आई तो, मैं उनको बोल दूँगा कि, मैने ही तुमको यहाँ से जाने का बोला था.”

अजय की बात सुनकर, लड़की बेमन से सड़क की तरफ देखते हुए गाड़ी की तरफ बढ़ने लगी. अभी वो गाड़ी मे बैठने ही वाली थी कि, गाड़ी मे बैठते बैठते रुक गयी. क्योकि तभी वहाँ एक कार आकर रुकी. कार को देखते ही लड़की के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. अजय भी कार की तरफ देखने लगा.

कार के रुकते ही कार से दो लड़कियाँ बाहर निकली. उनमे से एक लड़की ने ब्लॅक जीन्स और वाइट टी-शर्ट पहनी हुई थी. जो 18-19 साल की लग रही थी. दूसरी लड़की जो उस से छोटी दिख रही थी. उसने ब्लॅक कलर के शॉर्ट स्कर्ट के साथ पिंक कलर का स्लीवेलेस्स टॉप पहना हुआ था.

दोनो लड़कियाँ बहुत सुंदर लग रही थी और अजय को देख कर उनके चेहरे पर मुस्कान आ गयी थी. वो कार से उतरते ही तेज़ी से बढ़ती हुई अजय के पास आई. उनके अजय के पास पहुँचते ही अजय ने उनसे कहा.

अजय बोला “ये सब क्या हो रहा है. तुम दोनो यहाँ क्या कर रही हो.”

अजय की बात सुनकर भी दोनो ने अनसुना कर दिया और गेट से अंदर जाने लगी. लेकिन अजय ने गेट पर हाथ रख कर, दोनो को अंदर जाने से रोकते हुए कहा.

अजय बोला “मैं कुछ पूछ रहा हूँ. तुम दोनो यहाँ क्या कर रही हो.”

अजय की इस बात के जबाब मे, दोनो लड़कियों मे से बड़ी लड़की ने कहा.

बड़ी लड़की बोली “भैया, आप भूल गये क्या. आज ट्यूसडे है और हम लोगों को शॉपिंग पर जाना है.”

उसकी बात सुनकर, अजय ने राहत की साँस लेते हुए कहा.

अजय बोला “नही, मैं कुछ नही भूला. लेकिन तुम लोगों को शॉपिंग पर निशा के साथ जाना है. फिर तुम लोग यहाँ क्यो आई.”

अजय की बात की इस बात पर छोटी लड़की ने चहकते हुए कहा.

छोटी लड़की बोली “निशा भाभी तो जा ही रही है भैया. लेकिन हम ने सोचा कि शिखा को भी अपने साथ शॉपिंग पर लेते जाए.”

ये बोल कर वो शिखा की तरफ देखने लगी. शिखा को भी शायद उनकी बात सुनाई दे रही थी. इसलिए उसकी बात सुनते ही उसने बुरा सा मूह बनाया और अंदर जाने के लिए मुड़ने लगी. लेकिन तभी छोटी लड़की के गाल पर पड़े तमाचे की आवाज़ ने उसे वापस उसकी तरफ देखने को मजबूर कर दिया.

अजय ने लड़की की बात सुनते ही उसके गाल पर एक जोरदार तमाचा जड़ दिया. जिसकी वजह से दोनो लड़की की मुस्कुराहट गायब हो गयी थी और वो अजय को देखने लगी. अजय ने गुस्से से घूरते हुए कहा.

अजय बोला “बदतमीज़, वो तुमसे उमर मे बड़ी है. उसका नाम लेते हुए तुमको शरम नही आती.”

मगर ना जाने वो दोनो लड़की किस मिट्टी की बनी थी. इतनी बेज़्जती के बाद भी अजय की बात सुनकर वापस मुस्कुराने लगी और फिर बड़ी लड़की ने मुस्कुराते हुए छोटी से कहा.

बड़ी लड़की बोली “ले आज तेरी भैया से मार खाने की इच्छा भी पूरी हो गयी. अब तो तू खुश है ना.”

उसकी बात के जबाब मे छोटी लड़की ने मुस्कुराते हुए कहा.

छोटी लड़की बोली “सही कहा दीदी. भैया से मार खा कर तो, मज़ा आ गया. लेकिन एक कमी रह गयी. भैया ने मारने के बाद मुझे प्यार नही किया.”

मुझे उनके इस बर्ताव से हैरानी हो रही थी. लेकिन मैं कुछ कुछ समझ रहा था कि, ये तीनो लड़कियाँ कौन हो सकती है. मुझे उनका घर के बाहर इस तरह से बात करना अच्छा नही लग रहा था. इसलिए मैं शिखा के पास गया और उस से कहा.

मैं बोला “दीदी, ये लड़कियाँ कौन है. क्या आप इनको जानती है.”

मेरी बात सुनकर शिखा ने मुझे देखा और फिर ना जाने क्या सोच कर मेरी बात का जबाब देते हुए कहा.

शिखा बोली “ये दोनो डॉक्टर. अमन की बहन है. उस बड़ी लड़की का नाम सीरत है और छोटी का नाम सेलिना है.”

अब सारी बात मेरी समझ मे आ चुकी थी. लेकिन अब भी आरू को लेकर मेरे मन मे जो सवाल था. उसे शिखा के सामने रखते हुए कहा.

मैं बोला “डॉक्टर. अमन की तो तीन बहने है. क्या वो तीसरी लड़की अर्चना है.”

मेरी बात सुनकर शिखा ने मुझे गौर से देखा और फिर मेरी बात का जबाब देते हुए कहा.

शिखा बोली “नही, मैं अर्चना को भी अच्छी तरह जानती हूँ. ये अर्चना नही है. मैं अर्चना को इनकी बहन समझती थी. इसलिए वो हमेशा निक्की के साथ ही मेरे पास आती थी.”

अभी तक मुझे ये ही लग रहा था कि, शायद वो भयानक सी शकल वाली लड़की ही आरू है. जिसका चेहरा उस हादसे मे खराब हो गया होगा. लेकिन शिखा से जब मुझे पता चला कि वो आरू नही है तो, ना जाने क्यो मुझे बहुत खुशी हुई.

लेकिन अब उनको किसी तरह अंदर आने देना ज़रूरी था. इसलिए मैने शिखा को समझाते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, उनको अंदर बुला लीजिए. कुछ भी हो, अभी वो इस घर की मेहमान है और उनका इस तरह से घर के बाहर बात करना भी अच्छा नही है. सब आस पड़ोस वाले ये देखेगे तो, अच्छा नही लगेगा.”

शिखा मेरी बात सुनकर कुछ सोच मे पड़ गयी. लेकिन अगले ही पल उसने मुझसे कहा.

शिखा बोली “तुम ठीक कहते हो. उनको अंदर ले आओ.”

शिखा की बात सुनकर, मैं बिना देर किए, गेट की तरफ बढ़ गया. अजय लोगों के पास पहुचते ही मैने अजय से कहा.

मैं बोला “शिखा दीदी ने कहा है कि, इन लोगों को अंदर आने दो.”

मेरी बात सुनकर, अजय ने एक बार शिखा की तरफ देखा. जो अभी बाहर ही देख रही थी. उसकी तरफ देखने के बाद, अजय ने मुझसे कहा.

अजय बोला “अभी तुम इन शैतानो को नही जानते. यदि ये एक बार घर के अंदर आ गयी तो, सबको परेशान करके रख देगी.”

अजय की बात के जबाब मे मैने उस से कहा.

मैं बोला “मैं इनको अच्छी तरह से जानता हूँ. ये सीरू और सेलू दीदी है. इसलिए शिखा दीदी चाहती है कि, जो भी बात की जाए, वो घर के अंदर बैठ कर की जाए.”

मेरी बात सुनकर, सीरू और सेलू के चेहरे पर मुस्कान आ गयी. वही अजय परेशान सा हो गया. अभी कोई कुछ बोल पाता कि, उस से पहले ही एक चमचमाती रेड कलर की न्यू BMW कार आकर हॉर्न बजाने लगी.

हॉर्न सुनकर सबका ध्यान उस कार की तरफ चला गया. घर के सामने खड़ी कार के ड्राइवर ने जब हॉर्न सुनकर पीछे देखा तो, BMW के ड्राइवर ने उसे कार आगे खड़ी करने का इशारा किया. जिसके बाद ड्राइवर ने कार आगे ले जाकर खड़ी कर दी.

उस कार के अलग होते ही BMW कार के ड्राइवर ने अपनी कार लाकर उस जगह पर खड़ी कर दी. कार को देख कर ऐसा लग रहा था. जैसे शायद शोरुम से निकल कर यहाँ आ रही हो. सभी का ध्यान उस नयी कार पर ही था.

शिखा भी बड़े गौर से उस कार की तरफ देख रही थी. सबकी नज़रें कार से उतरने वालों के लिए, कार के दरवाजे पर टिकी हुई थी. तभी एक साथ कार के पिछे के दोनो दरवाजे खुल जाते है.

शिखा के घर की तरफ वाले दरवाजे से निक्की बाहर आती है. उसने इस समय हाफ स्लीव्स वाली ग्रीन टी-शर्ट और ब्लू जीन्स पहनी हुई थी और उसके बाल खुले हुए थे. जो किसी के भी दिल पर बिजलियाँ गिराने के लिए काफ़ी थे.

एक पल के लिए निक्की को ऐसे देख कर, मुझे कीर्ति की याद आ गयी और मैं निक्की के इस रूप मे खो सा गया. निक्की ने इस तरह से मुझे अपनी तरफ देखते पाया तो, मुस्कुराते हुए मुझे आँख मार दी.निक्की की इस हरकत से मैं सकपका गया और इधर उधर देखने लगा.

तभी कार के दूसरे दरवाजे से एक लड़की बाहर निकली. उसने ऑरेंज कलर का टॉप और ब्लॅक कलर की लोंग स्कर्ट पहना हुआ था. उस लड़की के चेहरे मे जो मासूमियत झलक रही थी. वो उसे इस वक्त सीरू, सेलू और निक्की से कही ज़्यादा खूबसूरत बना रही थी.

लेकिन उसके चेहरे पर बाकी सब की तरह मुस्कान नही थिरक रही थी. वो बहुत परेशान और तनाव मे दिख रही थी. अपनी उसी परेशानी की हालत मे वो कार से उतरी और सीधे अजय की तरफ बढ़ती चली आई.

अजय भी बड़े गौर से उसे देख रहा था और जैसे ही वो अजय के पास पहुचि, किसी बेल की तरह अजय से लिपट गयी और उसकी आँखें आँसुओं से भर गयी. एक पल के लिए उस लड़की के आँसुओं को देख कर मेरा दिल भी भर आया.

लेकिन दूसरे ही पल, मेरे दिल ने कहा, हो ना हो ये लड़की ही वो लड़की है. जिसे देखने के लिए अब तक मेरी आँखे तरस रही थी. ना जाने क्या सोच कर मैने पलट कर शिखा की तरफ देखा तो, उसने धीरे से हां मे अपना सर हिलाते हुए, अपने होठों को हिलाकर कहा. “आरू…”
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शिखा के हिलते होठों का मतलब समझ मे आते ही मैं पलट कर अजय की तरफ देखने लगा. आरू अब भी अजय के सीने से लगी रो रही थी और अजय उसे समझाने की कोशिस कर रहा था.

उन दोनो को देख कर ही समझ मे आ रहा था कि, उनका ये रिश्ता, किसी खून के रिश्ते से भी कही ज़्यादा गहरा है. अजय ने आरू को बहलाने के लिए उसका ध्यान बटाते हुए कहा.

अजय बोला “ये कार लेकर तू कहाँ घूम रही है. ये तो अमन और निशा की शादी मे देने का गिफ्ट है.”

अजय की बात सुनकर, आरू ने कहा.

अर्चना बोली “शादी का गिफ्ट है तो क्या हुआ. गिफ्ट शादी के बाद तो घर मे ही आना है ना.”

अजय बोला “लेकिन मैने सोचा था कि, हम इस न्यू कार मे निशा को विदा करा कर लाएगे. मगर तूने इसे इस्तेमाल करके पुराना कर दिया.”

अब आरू थी तो अजय की ही बहन, उसने भी अजय की तरह से ही, अजय की बात का जबाब देते हुए कहा.

अर्चना बोली “ये कार पुरानी हो गयी तो क्या हुआ. आप एक न्यू कार ले लो. फिर हम न्यू कार मे ही उनको इदा विदा करा कर ले आएगे.”

उसकी इस बात को सुनकर, अजय ने हंसते हुए कहा.

अजय बोला “न्यू कार ले तो लेगे. लेकिन फिर इस पुरानी कार का क्या करेगे.”

अजय की इस बात का अर्चना ने बड़े ही भोलेपन से जबाब देते हुए कहा.

अर्चना बोली “करना क्या है. इस कार को मैं अपने आने वाले जनम दिन वनम दिन का गिफ्ट समझ कर, अपने पास रख लेती हूँ.”

अजय बोला “चल ठीक है. इसे तू ही रख ले. लेकिन अब तू घर जा. निशा तेरा शॉपिंग के लिए इंतजार कर रही होगी.”

अजय की इस बात को सुनने के बाद अर्चना ने पहली बार शिखा के घर की तरफ देखा. उसे सामने शिखा खड़ी दिखाई दी तो, उसने बड़े ही धीमे से कहा.

अर्चना बोली “इसी लिए तो यहाँ आई हूँ. आज अपनी दोनो भाभी के साथ हम लोग शॉपिंग वोपपिंग करेगे.”

इतना कह कर अर्चना अंदर जाने के लिए हुई तो, अजय ने उसका हाथ पकड़ कर रोकते हुए कहा.

अजय बोला “देख, जैसा तू सोच रही है. ऐसा अब नही हो सकता. तुझे नही पता कि, कल क्या हुआ है.”

अजय की इस बात के जबाब मे अर्चना ने मुस्कुराते हुए कहा.

अर्चना बोली “मुझे निक्की से सब कुछ पता चल गया है और आज मैं इसी बात का फ़ैसला करने के इरादे से यहाँ आई हूँ.”

आरू की इस बात पर अजय ने झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.

अजय बोला “देख तू अब यहाँ कुछ गड़बड़ नही करेगी. यदि तूने कुछ किया तो, मुझसे बुरा कोई नही होगा.”

लेकिन अजय की बात सुनकर, अर्चना ने बहुत ही भावुक होते हुए कहा.

अर्चना बोली “आपसे अच्छा भी तो कोई नही है भैया. लेकिन आज आपको मेरी कसम है. आज आप हमें कुछ भी करने वरने से नही रोकेगे.”

ये कहते हुए आरू ने अजय से अपना हाथ छुड़ाया और अंदर जाने के लिए आगे बढ़ गयी. उसे अंदर जाते देख, सीरत ने चुटकी लेते हुए अजय से कहा.

सीरत बोली “वाह री किस्मत, किसी को ज़रा सी ग़लती पर तमाचा खाने को मिला और किसी को ग़लती करने पर गिफ्ट मे BMW कार मिल गयी.”

सीरत की बात सुनकर, अजय ने उसे घूरते हुए देख कर कहा.

अजय बोला “मेरे सामने ज़्यादा सीधी बनने की कोसिस मत कर. मैं जानता हूँ कि, इस सबके पिछे तेरा शैतानी दिमाग़ ही काम कर रहा होगा और ये आग भी तेरी लगाई हुई ही है.”

अजय की इस बात पर सीरत ने हंसते हुए आरू की नकल करते हुए कहा.

सीरत बोली “अब फ़ैसला वैस्ला तो होना ही था. इस से क्या फरक पड़ता है कि, इसके पीछे किसका दिमाग़ काम किया है. अब आग लगी है तो धुआँ उुआं भी निकलेगा.”

सीरत की बात सुनकर, अजय ने उसको मारने को हाथ उठाया. लेकिन तब तक वो सेलिना का हाथ पकड़ कर खिचते हुए गेट के अंदर भाग गयी. उस के पीछे पीछे निक्की और वो पहली लड़की भी अंदर चली गयी.

उधर आरू यहाँ से तो बड़े जोश मे अंदर गयी थी. लेकिन जब शिखा के सामने पहुचि तो शिखा का उखड़ा हुआ मूड देख कर, उसका सारा जोश ठंडा पड़ गया. शिखा ने ना तो उस से कोई बात की और ना ही उसे अंदर आने को कहा.

आरू को जब कुछ समझ मे ना आया कि वो क्या करे, तब वो पिछे पलट कर सीरू लोगों को देखने लगी. उसने सीरू लोगों को अजय से बात करते देखा तो, उन्हे अंदर आने का इशारा किया.

आरू का इशारा पाते ही सीरू ने अंदर दौड़ लगा दी. अंदर पहुच कर, वो भी बाकी सब के साथ शिखा के सामने खड़ी हो गयी. लेकिन शिखा पर उन सब के आने से भी कोई फरक नही पड़ा.

लेकिन वो आरू नही सीरू थी और वो इन सब बातों के लिए पहले से ही तैयार होकर आई थी. उसने शिखा की बेरूख़ी को देख कर भी मुस्कुराते हुए कहा.

सीरत बोली “आपसे हमें ऐसे ही किसी बर्ताव की उम्मीद थी. लेकिन हम यहाँ मेहमान नवाज़ी के लिए नही बल्कि आंटी से कुछ ज़रूरी बातें करने आए है. अब ये आपकी मर्ज़ी कि या तो हमें अंदर आने दें या फिर आंटी को ही यहाँ बुला दें.”

मैं अजय के साथ खड़ा ये सब देख रहा था. जब मैने देखा कि, शिखा उनकी किसी बात का कोई जबाब नही दे रही है तो, मैं उसके पास गया और उस से कहा.

मैं बोला “दीदी, ये हमारे मेहमान है. इनको अंदर आने दीजिए.”

मेरी बात सुनकर शिखा ने मेरी तरफ देखा और फिर अंदर चली गयी. इसे मैने शिखा की सहमति मानते हुए सब से अंदर आने को कहा. अंदर एक सोफा सेट और एक दीवान था.

एक सोफे पर आंटी बैठी टीवी देख रही थी और और दूसरे पर अभी शिखा आकर बैठ गयी थी. बरखा आंटी के पास ही खड़ी थी. हम सब आंटी के सामने जाकर खड़े हो गये. सबने आंटी से नमस्ते किया और फिर मैने सबका परिचय देते हुए आंटी से कहा.

मैं बोला “आंटी ये तीनो डॉक्टर. अमन की बहनें है और ये दो इनकी सहेली है.”

मगर आंटी ने मेरी बात काट कर, आरू की तरफ इशारा करते हुए कहा.

आंटी बोली “लेकिन ये तो अजजी की बहन है ना.”

आंटी की बात के जबाब मे आरू ने कहा.

अर्चना बोली “जी आंटी, आपने ठीक कहा.”

लेकिन आरू की बात सुनकर, शिखा ने चिढ़ते हुए कहा.

शिखा बोली “मम्मी ये सब झूठे है. इनकी किसी बात पर विस्वास मत कीजिए.”

शिखा की बात सुनकर, जहाँ आंटी की चौके बिना ना रह सकी. वही आरू का चेहरा उतर गया. लेकिन सीरत ने शिखा की बात के जबाब मे आंटी से कहा.

सीरत बोली “आंटी कल तक जो आरू इनको बरखा की तरह प्यारी थी. आज अचानक ऐसा क्या हुआ कि, वो इन्हे झूठी लगने लगी है.”

सीरत की बात सुनकर शिखा गुस्से मे सीरत को देखने लगी. मगर सीरत ने इसकी कोई परवाह ना कर, अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

सीरत बोली “आंटी इसकी वजह भी मैं ही बता देती हूँ. लेकिन पहले मैं हम सब का पूरा परिचय दे देती हूँ. मैं सीरत खन्ना, ये सेलिना खन्ना और ये अर्चना खन्ना है. ये अर्चना की सहेली निकिता और ये हेतल है.”

“इन्हो ने अभी सही कहा कि हम झूठे है. हम ने क्या झूठ बोला है. इसका फ़ैसला अब आप खुद कीजिएगा. हम तीनो डॉक्टर. अमन खन्ना की चचेरी बहन और डॉक्टर. अजय सिंग ठाकुर की मूह बोली बहन है.”

सीरत की बात सुनकर, आंटी और बरखा दोनो ही हैरानी से उसे देखने लगी. सीरत ने उनकी हैरानी को और भी ज़्यादा बढ़ाते हुए कहा.

सीरत बोली “आंटी आप ठीक सोच रही है. जिन्हे आप एक मामूली सा टॅक्सी ड्राइवर समझती है. वो एक साइकिट्रिस्ट है. लेकिन ये उनका पूरा परिचय नही है. क्योकि ये उनका पेशा नही है. पेशे से वो एक बिज़्नेसमॅन है और उनकी सूरत मे 5 टेक्सटाइल मिल्स है. इसके अलावा मुंबई सहित कयि बड़े शहरों मे उनके टेक्सटाइल शोरूम्स है और आज की तारीख मे वो सूरत के सबसे बड़े बिज़्नेसमॅन है.”

सीरत की इन बातों ने सबको हैरान करके रख दिया था. लेकिन हेतल ने सीरत की बात को बीच मे काटते हुए कहा.

हेतल बोली “ये भी अजय भैया का पूरा परिचय नही है. वो जितने बड़े बिज़्नेसमॅन है उस से भी कहीं ज़्यादा बड़े इंसान है.”

ये कहते कहते वो भावुक हो गयी और उसके आँसू बहने लगे. सीरत ने उसे दिलासा देते हुए कहा.

सीरत बोली “ये सच कहती है. मेरे भैया ने जिंदगी मे सिर्फ़ एक लड़की का दिल दुखाने के सिवा कभी किसी का दिल नही दुखाया.”

ये कहते हुए सीरत ने शिखा की तरफ देखा. शायद शिखा भी उसकी बात का मतलब समझ गयी थी. इसलिए उसने सीरत की तरफ से मूह फेर कर दूसरी तरफ कर लिया. लेकिन बरखा ने सीरत की बात का समर्थन करते हुए कहा.

बरखा बोली “ये तो हम भी जानते है कि, अजय भैया एक बहुत अच्छे इंसान है. वो मेरी भी बहुत फिकर करते है. बिल्कुल आरू की तरह मेरा भी ख़याल रखते है. लेकिन मेरी ये समझ मे नही आ रहा है कि, वो इतने बड़े आदमी होने के बाद भी मामूली से टॅक्सी ड्राइवर क्यो बने हुए है.”

बरखा की बात सुनकर, पहली बार सीरत उदास होती नज़र आई. उसने उदासी भरी आवाज़ मे इस बात का जबाब देते हुए कहा.

सीरत बोली “भैया के ड्राइवर बनने की वजह मैं ही हूँ. भैया एक टॅक्सी ड्राइवर क्यो और कैसे बने, मैं सब आपको बताती हूँ.”

अभी सीरत इतना ही बोल पाई थी कि, तभी हम सबके पिछे से एक आवाज़ आई.

पीछे से आई आवाज़ “लेकिन इस सब को समझने के लिए पहले आपको अजय की बीती हुई जिंदगी के बारे मे भी समझना होगा. जो मैं आपको बताती हूँ.”

आवाज़ सुनते ही हम सब ने पिछे पलट कर देखा तो, पिछे डॉक्टर. निशा खड़ी थी. उन्हे देखते ही सीरत, सेलू और आरू भाभी कह कर उस से लिपट गयी. वही शिखा ने अपनी जगह पर खड़े होते हुए कहा.

शिखा बोली “दीदी, आप यहाँ कैसे. कोई काम था तो, मुझे बुला लिया होता.”

शिखा की बात सुनकर, निशा ने मुस्कुराते हुए कहा.

निशा बोली “एक कहावत है कि, कुआँ (वेल) कभी प्यासे के पास नही आता. हमेशा प्यासे को ही कुएँ के पास जाना पड़ता है. बस ऐसे ही मेरे परिवार की ज़रूरत, मुझे तुम तक ले आई है.”

निशा की बातों से शिखा कुछ हड़बड़ा सी गयी थी. लेकिन फिर उसने खुद को संभालते हुए कहा.

शिखा बोली “आप खड़ी क्यो है, बैठिए ना. मेरा घर ज़्यादा बड़ा तो नही है. लेकिन आपके आने से मुझे बहुत खुशी हुई है.”

शिखा की बात सुनकर, निशा ने प्यार से अपना हाथ उसके गाल पर फेरते हुए कहा.

निशा बोली “पागल हो तुम. जिस घर मे तुम रहती हो, वो घर हमारे लिए कभी छोटा नही हो सकता. लेकिन जब मेरी चारों ननद खड़ी है तो, मैं कैसे बैठ सकती हूँ.”

निशा की इस बात ने शिखा को शर्मिंदा कर दिया था. मगर सीरत को शिखा की शर्मिंदगी का अहसास होते ही, उसने बात को सभालते हुए कहा.

सीरत बोली “अरे भाभी, आप हमारा खड़ा होना मत देखिए. इन्हो ने तो हम से बैठने को कहा था. मगर हम ने भी कह दिया कि, जब तक हम अपनी बात पूरी नही कर लेते. तब तक हम मे से कोई नही बैठेगा.”

ये कहते हुए सीरत ने निशा को पकड़ कर आंटी के पास बैठा दिया. मगर शिखा अपनी शर्मिंदगी की वजह से खड़ी ही रही तो, सीरत ने उसे भी पकड़ कर वापस उसकी जगह पर बैठाते हुए निशा से कहा.

सीरत बोली “भाभी, आप सही समय पर आई. अजय भैया के बारे मे हम से ज़्यादा आप जानती है. अब आप ही कुछ कहिए.”

सीरत की बात का जबाब देते हुए निशा ने कहा.

निशा बोली “हां, तुम शायद ठीक कहती हो. अजय की जिंदगी के बारे मे मैं सब कुछ जानती हूँ. कुछ मुझे अमन ने बताया और कुछ खुद अजय ने बताया है.”

ये कहते हुए निशा ने अजय के बचपन की कहानी को कहना सुरू किया. जो अजय मुझे रात को सुना रहा था. सब निशा की बातों को बड़े ध्यान से सुनने लगे. अजय के बचपन की कहानी सुनकर, कोई भी अपनी आँखों को नम होने से नही रोक सका. फिर कहानी वहाँ पहुच गयी, जहाँ शिखा के आ जाने की वजह से अजय ने अधूरा छोड़ दिया था.

अब आगे की कहानी निशा की ज़ुबानी….

इतना कह कर अमन चुप हो गया. लेकिन अमन की ये बातें मेरे दिल पर असर कर गयी. मैने अमन से माफी माँगते हुए कहा.

मैं बोली “सॉरी, मैं सच मे अजजी को बहुत ग़लत समझ बैठी थी. मैं अब तक हर बात को अपने नज़रिए से देखती आ रही थी. मैने कभी अजजी के नज़रिए से ये सब सोचने की और अजजी को समझने की कोसिस ही नही की थी. मगर अब ये भी एक सच है कि, अब अजजी को उस लड़की को भूलना होगा. ये ही अजजी और उस लड़की दोनो के लिए सही होगा.”

मेरी ये बात सुनकर, अमन को खुशी और दुख दोनो हुए. अमन ने मुझसे कहा.

अमन बोला “लेकिन उस लड़की को ये सब बातें कैसे पता चल गयी.”

मैं बोली “वो लड़की जब ब्लड लेने वहाँ पहुचि तो, उसे ब्लड नही मिलने पर उसने वहाँ हंगामा खड़ा कर दिया था. बाद मे उसे वहाँ काम करने वाले लड़के ने बता दिया कि, उसके भाई को दिया जाने वाला ब्लड किसी अमीर आदमी ने अपने पैसो के बल पर खरीद लिया.”

अमन बोला “लेकिन इस से ये कहाँ साबित होता है कि, ये सब करने वाला अजजी ही है.”

मैं बोली “साबित तो कुछ नही होता. लेकिन इस हादसे के बाद उस लड़की के मन मे अमीर लोगों के लिए सिर्फ़ नफ़रत है और जिस अमीर आदमी ने अपनी दौलत के बल पर उसके भाई की जान बचाने वाला ब्लड खरीदा था. वो उसे अपने भाई का कातिल मानती है.”

अभी मैं अपनी बात पूरी कर पाती कि, उस से पहले ही हमे कप्कपाती हुई आवाज़ मे सुनाई दिया. “मेरे भैया कातिल नही है.”

आवाज़ को सुनते ही मैं भाग कर आरू के पास आ गयी. वही अमन की आँखे खुशी से छलक उठी. उसने प्यार से आरू के सर पर हाथ फेरते हुए कहा.

अमन बोला “हां, तेरा भाई कातिल नही है. कौन कहता है कि तेरा भाई कातिल है.”

आरू को होश आ चुका था. लेकिन वो हमारी बात सुनकर परेशान थी. उसने अपनी परेशानी बताते हुए कहा.

अर्चना बोली “वो अक्तिवा वाली लड़की भैया को कातिल समझती है ना. उसे समझाओ कि, मेरे भैया कातिल नही है. वो बहुत अच्छे है. उनसे ये ग़लती मेरी जान बचाने के लिए हुई है.”

आरू को इस तरह देख कर मेरी भी खुशी का कोई ठिकाना नही था. लेकिन उस समय इसका अपने दिमाग़ पर ज़्यादा ज़ोर देना, इसकी सेहत के लिए सही नही था. इसलिए मैने प्यार से इसके सर पर हाथ फेरा और इसको समझाते हुए कहा.

मैं बोली “तुम इस बारे मे कुछ मत सोचो. तुम्हे किसी बात की फिकर करने की ज़रूरत नही है. हम है ना, हम उस लड़की को समझा कर सब ठीक कर देगे. अब तुम होश मे आ गयी हो ना. देखना अब सब ठीक हो जाएगा और वो ही तुम्हारी भाभी बनेगी. ये मेरा तुमसे वादा है.”

मेरी बात सुनकर आरू के दिल को कुछ तसल्ली हुई. इसने सर घुमा कर अमन की तरफ देखा तो, अमन की आँखों मे आँसू थे. इसने अपने हाथ को उठाने की कोशिस की तो, ये चोट की वजह से दर्द से कराह उठी. अमन ने तुरंत इसके हाथ को पकड़ कर, उसे उठने से रोकते हुए कहा.

अमन बोला “तेरे हाथ मे बहुत चोट आई है. तू हाथ मत उठा, मुझे बता, क्या करना है.”

अर्चना बोली “आपकी आँखों मे आँसू अच्छे नही लगते. मुझे ये पोछना है.”

आरू की बात सुनकर, अमन की आँखे और भी ज़्यादा छलक गयी. उसने अपने आँसू पोछ्ते हुए आरू से कहा.

अमन बोला “पागल ये आँसू नही है. ये तो वो खुशी है, जो अपनी प्यारी बहन के होश मे आने से मुझे हुई है. तू रुक, मैं अभी सबको बुलाता हूँ. देखना सबको तुझे होश मे देख कर, कितनी खुशी होती है.”

इतना कह कर, अमन सबको बुलाने जाने लगा. लेकिन आरू ने अमन को रोकते हुए कहा.

अर्चना बोली “भैया, अभी किसी को मत बोलो कि, मुझे होश आ गया है. आप सबको बुला लो. फिर मैं सबके सामने होश मे आकर, सबको सर्प्राइज़ दुगी.”

आरू की बात सुनकर, अमन ने मुस्कुराते हुए कहा.

अमन बोला “तू नही सुधरेगी. ऐसी बीमारी की हालत मे भी तुझे सर्प्राइज़ देने की पड़ी है. चल ठीक है, मैं किसी को कुछ नही बताउन्गा. अब तू आँख बंद करके लेट जा. मैं सबको बुलाकर लाता हूँ.”

अमन की बात सुनते ही आरू ने मुझे आँख मारी और फिर आँख बंद करके लेट गयी. लेकिन फिर ना जाने इसे क्या सूझा, तुरंत अपनी आँख खोली और मुझसे कहा.

अर्चना बोली “भाभी, लेकिन मेरे पास आने के बाद तो, सब चुप चुप ही रहेगे. फिर मुझे पता कैसे चलेगा कि, कब मुझे अपनी आँख खोलना है.”

आरू की ये हरकत देख कर, मैं भी मुस्कुराए बिना ना रह सकी. मैने कुछ सोचते हुए कहा.

मैं बोली “तू फिकर मत कर, जिस किसी की भी बात पर, मैं तेरे हाथ पर अपना हाथ रखू. तू आँख खोल कर उसकी बात का जबाब दे देना.”

मेरी बात सुनकर, आरू फिर से आँख बंद करके लेट गयी. थोड़ी ही देर मे अमन सबको लेकर आ गया. लेकिन हुआ वो ही, जो आरू बोल रही थी. आरू की तबीयत की वजह से सब खामोश से खड़े बस इसे देख रहे थे.

अमन ने मुझे इशारा करके पूछा कि, ये आँख क्यो नही खोल रही है. तब मैने उसे चुप रहने का इशारा किया और फिर सब से कहा.

मैं बोली “आप लोग ऐसे चुप रहेगे तो, कैसे चलेगा. अभी अमन आरू से बात कर रहा था तो, आरू के चेहरे पर कुछ भाव आ रहे थे. इसलिए आप सबको यहाँ बुलाया गया है. आप सब भी उस से कोई बात कीजिए. हो सकता है कि, आप मे से किसी की बात से आरू को होश आ जाए.”

मेरी बात सुनकर, सब आरू के पास आकर कुछ कुछ बातें करने लगे. मैने सोचा था कि, अजजी की बात सुनकर, आरू को होश आया है. इसलिए जब अजजी इस से कुछ कहेगा तो, मैं इस के हाथ पर हाथ रख दुगी.

लेकिन अजजी के पहले सीरत इसके पास आई और सीरत ने इसके कान मे आकर ऐसी कोई बात कह दी कि, ये अपने नाटक को भूल कर बीच मे ही बोल पड़ी.
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सीरत की बात सुनकर, आरू ने कहा.

अर्चना बोली “क्या सच मे दीदी.”

आरू की आवाज़ सुनते ही सीरत की काटो तो खून नही वाली हालत हो गयी थी. और ने अचानक होश मे आकर उसे ऐसा झटका दिया था कि, वो बस अवाक सी उसे देखे जा रही थी. यही हाल वहाँ खड़े बाकी सब लोगों का भी था. किसी को भी अपनी आँखों पर यकीन नही हो रहा था.

अमन ने सबको हैरान होते देखा तो, उसने सबकी हैरानी को दूर करते हुए उन्हे बताया कि, आरू को पहले ही होश आ चुका था. वो बस सबको सर्प्राइज़ देने के लिए अभी नाटक कर रही थी.

अमन की बात सुनकर और आरू को होश मे देख कर सबकी आँखें खुशी से भीग गयी थी. सब आरू को होश मे देख खुशी मना रहे थे और जब ये खुशी मनाने का दौर थमा तो, सेलिना ने सीरत से कहा.

सेलिना बोली “दीदी, आपने ऐसी क्या बात बोल दी थी कि, ये अपना नाटक भूल कर बोल पड़ी.”

सीरत अब तक अपने आपको आरू के दिए झटके से सम्भल चुकी थी. उसने मुस्कुराते हुए कहा.

सीरत बोली “मैने कुछ खास नही कहा था. मैं तो बस ये बोली थी कि, भैया तेरे ठीक होते ही, हमे अक्तिवा दिलाने की बात कर रहे थे और ये इतना सुनते ही खुशी से फूल कर बोल पड़ी.”

वहाँ खड़े सभी लोग सीरत की बात को सुनकर हंस पड़े. लेकिन इस बात के पीछे छुपे भेद को इन तीनो के अलावा यदि कोई समझ रहा था तो, वो मैं थी. मगर मेरी समझ मे ये बात नही आ रही थी कि, एक मुलाकात मे ही उस लड़की ने ऐसा क्या जादू कर दिया कि, बिना उसके बारे मे जाने ही, ये तीनो लड़की उसे अपनी भाभी बनाने के लिए मरी जा रही है.

मैं इस बात को इनके मन से निकाल देना चाहती थी. क्योकि ये मैं अच्छे से जानती थी कि, अब ऐसा हो पाना मुमकिन नही है. मैने अमन से इस बारे मे बात की तो, उसने मुझे समझाते हुए कहा.

अमन बोला “मैं जानता हूँ कि, वो ऐसा क्यो कर रही है.तुम शायद उस दिन निक्की की एस्सेल वर्ल्ड मे कही बात को भूल गयी हो. निक्की ने हम सबके सामने ये बात कही थी कि, अजय को वो लड़की बहुत पसंद और वो लड़की जब भी अजय के सामने आती है, अजय कहीं खो सा जाता है. उस समय ये बात मैने मज़ाक मे उड़ा दी थी.”

“लेकिन बड़े दादू की मौत के बाद, जब मैने अजय से कहा कि बड़े दादू उसकी शादी को लेकर चिंतित थे और उसे बड़े दादू की आख़िरी इच्छा पूरी करने के लिए शादी कर लेना चाहिए. तब उसने मुझसे कहा था कि, उसे अपनी बहनो की पसंद पर नाज़ है. यदि बड़े दादू जिंदा होते तो उनकी ये इच्छा भी ज़रूर पूरी हो गयी होती.”

“उस दिन मुझे अहसास हुआ कि, मेरी तीनो बहने ही नही, बल्कि मेरा भाई भी इस बात को लेकर गंभीर है. लेकिन मैं उसके लिए कुछ कर पाता, उसके पहले ही ये हादसा हो गया और ऐसी स्थिति बन गयी कि, जिस लड़की से अजजी को प्यार था. वो ही लड़की अब अंजाने मे ही सही मगर अजजी से नफ़रत करती है.”

अमन की ये बात सुनकर मैं सोचने पर मजबूर हो गयी कि, ये अजजी की जिंदगी मे कैसा मोड़ आ गया. जिस इंसान ने जिंदगी भर हज़ारों दर्द सह कर भी, सिर्फ़ सबको खुशियाँ बाटी है. क्या उसे खुशी की एक बूँद भी नसीब नही होगी. ये सब सोच सोच कर मेरी आँखें भर आई.

मेरी आँखों मे आँसू देख कर, अमन ने मेरे आँसुओं को पोछा और मुझे समझाते हुए कहा.

अमन बोला “तुम उस लड़की से दो बार मिल चुकी हो. वो तुम्हे अच्छे से जानती होगी. तुमको भले ही उसमे कोई ख़ासियत नज़र ना आई हो. मगर कुछ तो उसमे ऐसा होगा. जिस वजह से अजजी पहली ही नज़र मे उसे अपना दिल दे बैठा है. मेरा मानना है कि, तुम एक बार और उस से जाकर मिल लो.”

अमन की ये बात मेरी समझ मे नही आई. मैने अपनी हैरानी उस पर जाहिर करते हुए कहा.

मैं बोली “लेकिन ये सब करने का क्या फ़ायदा. क्या तुमको सब कुछ जानने के बाद भी ऐसा लगता है कि, हमे उसके सामने जाना चाहिए.”

मेरी बात सुनकर, अमन ने मुझे समझाते हुए कहा.

अमन बोला “हर बात मे फ़ायदा नुकसान देखना सही नही है. दुनिया मे इंसानियत नाम की भी कोई चीज़ होती है. एक पल के लिए तुम ये भूल जाओ कि, तुम अजजी को जानती हो. बस ये सोच कर उस से मिलो कि, वो लड़की एक हादसे की शिकार है और हो सकता है कि, ऐसे वक्त मे हम उसके किसी काम आ सके.”

अमन का ये रूप मैं पहली बार देख रही थी. मेरे सामने बोल तो अमन रहा था. लेकिन उसके मूह से जो बोल निकल रहे थे, वो अजजी के थे. मैं उसकी इस बात से इनकार ना कर सकी और मैने उस लड़की से मिलने का फ़ैसला कर लिया.

अगले दिन मैने जहाँ शिखा का भाई भरती था, उस हॉस्पिटल से शिखा का पता निकाला और फिर उसके घर पहुच गयी. शिखा से मैं दो बार मिल चुकी थी, इसलिए मुझे देखते ही, वो मुझे पहचान गयी.

मुझे देखते ही शिखा मुझसे यू लिपट कर रोने लगी. जैसे वो मुझे बरसों से जानती हो. मैने शिखा को दिलासा दिया और उसे शांत करते हुए कहा.

मैं बोली “तुम्हारे साथ जो कुछ भी हुआ है, बहुत बुरा हुआ है. बस यही बात मुझे तुम तक खीच कर ले आई है.”

मेरी बात सुनकर, शिखा ने अपनी सारी जिंदगी का हाल मेरे सामने खोल कर रखते हुए कहा.

शिखा बोली “मैं बहुत बदनसीब हूँ. पिताजी का साया तो पहले ही हमारे सर से उठ चुका था. अब जो हमारा भाई था, वो भी किसी अमीर आदमी की दौलत की वजह से हमसे छिन गया.”

शिखा रो रो कर अपना हाल बता रही थी. शिखा से मुझे मालूम पड़ा था कि, उसका घर उसके भाई की कमाई से ही चलता था और अब उनका आख़िरी सहारा भी छिन गया है. शिखा का हाल सुनकर मैं भी अपनी आँखों को छलकने से ना रोक सकी.

मैने उसे कुछ आर्थिक मदद करना चाहा तो, उसने मेरी मदद लेने से मना करते हुए कहा.

शिखा बोली “भगवान जब एक रास्ता बंद करता है तो, दूसरा कोई ना कोई रास्ता खोल भी देता है. मैने लाइफ केर नर्सिंग कॉलेज से नर्सिंग कोर्स किया है. भगवान ने चाहा तो, जल्दी ही मुझे किसी हॉस्पिटल मे नर्स की जॉब मिल जाएगी.”

शिखा की ये बात सुनकर, मैं मन ही मन उसके स्वाभिमान की तारीफ किए बिना ना रह सकी. मैने उस से कहा.

मैं बोली “तुम मुझे अपनी बड़ी बहन समझो और जॉब की फिकर बिल्कुल मत करो. तुम जिस भी हॉस्पिटल मे जॉब करना चाहोगी, मुझे बता देना. तुम्हे बिना किसी परेशानी के जॉब मिल जाएगा. तुम अपने आपको अकेला मत समझना, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ. तुम्हे यदि आधी रात को भी मेरी ज़रूरत पड़े तो, तुम बेजीझक मुझे फोन कर सकती हो.”

ये कहते हुए मैने शिखा को अपना मोबाइल नंबर दे दिया और उस से विदा लेकर वापस आ गयी. ये बात जब मैने अमन को बताई तो, उसे शिखा और उसके परिवार के साथ बहुत हमदर्दी हुई. वो शिखा की मदद करना चाहता था. लेकिन ये भी समझ चुका था कि, शिखा किसी की मदद नही लेगी.

मैं और अमन शिखा की मदद करने का कोई तरीका ढूँढ रहे थे. तभी अजजी वहाँ आ गया. उसने मुझे और अमन को यू गहरी सोच मे पड़ा देखा तो कहा.

अजय बोला “तुम दोनो किस सोच मे पड़े हो. क्या कोई परेशानी है.”

अमन ने अजजी को अपने सामने देखा तो, उसे अपनी परेशानी बताते हुए कहा.

अमन बोला “मुंबई मे हुए इन हादसो मे मेरे एक परिचित की भी मौत हो गयी. वो अपने परिवार मे अकेला कमाने वाला था. मैं उसके परिवार की कुछ आर्थिक मदद करना चाहता था. लेकिन वो किसी की भी कोई मदद लेने को तैयार नही है. समझ मे नही आ रहा कि, ऐसे हालत मे उनका गुज़ारा कैसे होगा.”

अमन की बात सुनकर, अजजी ने कुछ सोचते हुए कहा.

अजय बोला “सुनने मे आया है कि, सरकार हादसो मे घायल हुए लोगों को पचास हज़ार और हादसो मे मरे हुए लोगों को एक लाख रुपये मुआवज़ा दे रही है.”

अजय की बात के जबाब मे अमन ने उसे समझाते हुए कहा.

अमन बोला “क्या तू इस सरकारी फरमान को नही जानता. आदमी आज मरा है और मुआवज़ा पता नही कब मिल पाता है. फिर एक लाख रुपये से आज के समय मे होता क्या है. वो भी तब जबकि उस परिवार मे कोई कमाने वाला ही ना हो.”

अमन की इस बात ने अजय को भी सोचने पर मजबूर कर दिया था. लेकिन वो एक बिज़्नेसमॅन था और उसे इसके सारे दाव पेंच आते थे. उसने इसका भी रास्ता तुरंत निकालते हुए कहा.

अजय बोला “ये भी कोई मुस्किल काम नही है. किसी जीवन बीमा कंपनी ( लाइफ इन्षुरेन्स कंपनी) वाले को पटा लो. उसकी मदद से ये साबित कर दो कि, जो इंसान मरा था, उसका जीवन बीमा था. इस तरह तुम अपने उस परिचित के परिवार की जितने की मदद करना चाहते हो, उतने की मदद आसानी से कर सकते हो.”

अजय की बात सुनकर, मैं और अमन हैरानी से उसको देखते रह गये. उसने हमारी इतनी बड़ी समस्या का हल बड़ी ही आसानी से निकाल दिया था. लेकिन अभी हमे और भी चौकना बाकी था. उसने अपने जेब से एक चेक बुक निकाली और फिर 5 लाख का एक चेक भर कर अमन की तरफ बढ़ाते हुए कहा.

अजय बोला “मेरी तरफ ये छोटी सी मदद भी अपने उस परिचित के परिवार तक पहुचा देना.”

इतना कह कर, अजय हमारे पास से उठ कर आरू के पास चला गया. हम दोनो उसे जाते देखते रहे. उसने अंजाने मे ही उस परिवार की मदद कर दी थी. जो मदद उसे सब कुछ पता चलने पर करनी थी. अजय के जाने के बाद, अमन ने मुझसे कहा.

अमन बोला “तुमने अजजी का दिल देख लिया. बिना कुछ भी जाने उसने एक मजबूर परिवार की मदद कर दी. वो ऐसा ही है, जो एक बार उस से मिल लेता है. उसी का हो कर रह जाता है. फिर भी ना जाने क्यो, उसकी किस्मत हमेशा उसको छल्ति रही है.”

अमन की बात ने मुझे एक बार फिर सोचने पर मजबूर कर दिया था. लेकिन इस बार की मेरी सोच हमेशा से उल्टी थी. मैं वो सोच रही थी, जिसकी उम्मीद अमन को भी नही थी. अमन ने मुझे अपनी बात का कोई जबाब ना देते देखा तो, उसने मुझसे कहा.

अमन बोला “कुछ बोलती क्यो नही. क्या मैने कुछ ग़लत कहा है.”

मैं बोली “नही, तुमने कुछ ग़लत नही कहा. लेकिन मुझे लगता है कि, अजजी और शिखा दोनो एक दूसरे के लिए ही बने है. किस्मत ने उन्हे मिलाया ही इसलिए था कि, वो एक दूसरे का अधूरापन दूर कर सके.”

मेरी बात सुनकर अमन ने हैरान होते हुए कहा.

अमन बोला “ये आज अचानक तुम्हारी सोच मे ये बदलाव कैसे आ गया. क्या तुमको लगता है कि, हमारे कुछ करने से वो लोग एक हो सकते है.”

अमन की बात के जबाब मे मैने कहा.

मैं बोली “हमारे कुछ लगने ना लगने से कुछ नही होता. हम उनके लिए कुछ करे या ना करे. लेकिन यदि किस्मत ने उनको एक दूसरे के लिए चुना है तो, देखना वो उनको फिर से एक दूसरे मिलवाएगी और तब तक मिलाती रहेगी, जब तक वो दोनो एक ना हो जाए.”

मेरी इस बात से अमन का हौसला भी बढ़ गया और उसने अजय के बताए रास्ते पर अमल करना सुरू कर दिया. उसने एक बीमा एजेंट की मदद से शिखा के परिवार की 10 लाख की मदद कर दी. जिसकी खबर बाद मे शिखा ने मुझे फोन करके दी.

शिखा ने बताया कि, उसके भाई ने 10 लाख का बीमा किया था, जिसकी रकम उनके परिवार को मिल जाने से, उसकी परिवार की आर्थिक स्तिथि कुछ हद तक ठीक हो गयी है. अब वो बेफिकर होकर अपनी बहन को आगे पढ़ा सकेगी और जॉब करके अपने परिवार की देख भाल कर सकेगी.

उस दिन शिखा को खुश देख कर, मुझे भी बहुत खुशी हुई थी. लेकिन साथ ही इस बात का अफ़सोस भी हो रहा था कि, उसे ये खुशी मेरे और अमन के झूठ की वजह से मिली है. जिस वजह से मेरे दिल पर एक बोझ सा था.

मगर अमन ने मुझे समझाया कि, हमने जो किया है. वो किसी तरह से भी ग़लत नही है. शिखा को मैं अपने परिवार की एक सदस्या समझता हूँ और इस पर उसका पूरा हक़ था. ये मेरी मजबूरी है कि, मैं अभी उस पर ये बात जाहिर नही कर सकता.

अमन की बातों से साफ हो गया था कि, अमन के लिए शिखा उसके परिवार का एक हिस्सा है और मैं तो उसे पहले ही अपनी छोटी बहन बना चुकी थी. इसलिए अब मेरे दिल से इस बात का बोझ उतर चुका था कि, हमने शिखा से झूठ बोल कर कुछ ग़लत किया है.

ऐसे ही दिन गुज़रते गये और फिर 15 दिन हॉस्पिटल मे रहने के बाद आरू की छुट्टी हो गयी. लेकिन अभी उसके हाथ और पैर की हड्डी टूटने की वजह से उसके एक हाथ और एक पैर मे प्लास्टर चढ़ा हुआ था. जिसे उतारने के लिए उसे अभी एक दो बार हॉस्पिटल मे आना था.

लेकिन अब आरू की हालत पहले से बहुत बेहतर थी. इसलिए चाचा जी चाहते थे कि, अजजी अब वापस जाकर अपना कारोबार संभाले, जिसकी तरफ अजजी ने पिच्छले 15 दिन से पलट कर भी नही देखा था. मगर अजजी आरू के पूरी तरह से ठीक हो जाने तक, उसे छोड़ कर जाने को तैयार ही नही था.

बाद मे आरू के मनाने पर वो जाने को तैयार हुआ और फिर अगले दिन अजजी सूरत वापस चला गया. इस तरह एक बार फिर से सबकी जिंदगी वापस अपनी पटरी पर आ गयी थी. लेकिन आरू ने घर पहुचते ही शिखा वाली बात सीरत और सेलिना को भी बता दी थी और दोनो ये बात सुनते ही, इसकी हक़ीकत जानने मेरे पास आ पहुचि.

मैने दोनो को समझाया कि, शिखा से मैं मिल चुकी हूँ और वो बहुत अच्छी है. लेकिन उसके मन मे अजजी को लेकर जो सोच है, उसे बदलने मे कुछ समय लगेगा. तब तक हमे कुछ सबर से काम लेना होगा और ये बात हम मे से किसी को भी अजजी को नही बताएगा.

शिखा को अमीर लोगों से नफ़रत है. इसलिए अजजी के अमीर होने की बात को भी अभी शिखा से कोई नही करेगा. इतनी बात समझा कर मैने सीरत और सेलिना को वापस घर भेज दिया था. मुझे लग रहा था कि, ऐसा करके मैने स्तिथि पर काबू पा लिया है.

लेकिन मैं शायद ग़लत थी या फिर किस्मत अभी कुछ और ही करना चाह रही थी. सीरत एक दिन आरू को प्लास्टर उतरवाने हॉस्पिटल लेकर आ रही थी. तभी रास्ते मे उसे शिखा अपनी अक्तिवा के पास खड़ी नज़र आई.

शिखा को देख कर, उसने अपनी गाड़ी रुकवाई और उस से इस तरह खड़े रहने की वजह पुछि तो, उसने बताया कि, उसकी अक्तिवा खराब हो गयी है और वो एक नर्स के इंटरव्यू के लिए एक हॉस्पिटल मे जा रही है.

सीरत ने उसकी बात सुनकर, उस से कहा कि, वो उसके साथ आ जाए. वो उसे हॉस्पिटल तक छोड़ देती है. शिखा को इंटरव्यू के लिए जल्दी थी. इसलिए उसने अपनी अक्तिवा वही पार्क कर दी और आकर गाड़ी मे बैठ गयी. लेकिन गाड़ी मे बैठते ही उसकी नज़र ड्राइवर पर पड़ी तो, उसने सीरत से कहा.

शिखा बोली “आपने अपना ड्राइवर बदल लिया है क्या.”

शिखा की बात सुनते ही सीरत समझ गयी कि, शिखा का इशारा अजजी की तरफ है. उसने मुस्कुराते हुए कहा.

सीरत बोली “वो हमारे ड्राइवर नही है.”

सीरत की बात सुनते ही शिखा ने हैरान होते हुए कहा.

शिखा बोली “ड्राइवर नही है से क्या मतलब. क्या आपने उन्हे नौकरी से निकाल दिया है.”

शिखा की बात के जबाब मे सीरत कुछ बोलने वाली थी कि, उसे मेरी बात याद आ गयी और वो सच बात बोलते बोलते रुक गयी. लेकिन उसे समझ मे नही आ रहा था कि, वो अब शिखा से क्या बोले और फिर जब उसे कुछ समझ नही आया तो उसने शिखा से कहा.

सीरत बोली “वो अब हमारे ड्राइवर नही है. क्योकि अब वो टॅक्सी चलाते है.”

सीरत की इस बात से हैरान होकर, शिखा ने आरू की तरफ देखते हुए कहा.

शिखा बोली “लेकिन ये तो उनकी बहन है. जब वो आपके ड्राइवर नही है तो, फिर ये आपके साथ कैसे है.”

सीरत अपने ही बनाए झूठ के जाल मे फस्ति जा रही थी. उसे इस बात का अंदाज़ा नही था कि, आरू को अपने ड्राइवर की बहन बताने की बात, शिखा को अब भी याद होगी. उस से शिखा की इस बात का कोई जबाब देते नही बन रहा था. ऐसे मे आरू ने बात को सभालते हुए कहा.

अर्चना बोली “आप शायद भूल रही है कि, इनके भैया एक डॉक्टर है और उन्हो ने मेरे इलाज के लिए मुझे अपने पास रखा है. अभी भी हम हॉस्पिटल ही जा रहे है. आज मेरे हाथ का प्लास्टर उतारना है.”

इतना कहकर आरू, गुस्से मे सीरत को देखने लगी. सीरत उसके गुस्से का मतलब समझ रही थी. लेकिन उसके पास भी अभी ये सब बोलने के सिवा कोई रास्ता नही था. उसने आरू का गुस्सा कम करने के लिए शिखा से बात करते हुए कहा.

सीरत बोली “आप किसी और हॉस्पिटल मे नर्स के जॉब के लिए क्यो कोसिस कर रही है. मैं अभी अपने भैया से बात करके आपको उनके हॉस्पिटल मे जॉब दिलवा देती हूँ.”

सीरत की बात सुनकर, आरू का गुस्सा सच मे कम हो गया. उसने भी चहकते हुए शिखा से कहा.

अर्चना बोली “दीदी सही बोल रही है. इनके भैया बहुत अच्छे है. जब वो एक अपने ड्राइवर की बहन का इतना ख़याल रखते है तो, आपको भी वहाँ कोई तकलीफ़ नही होने देगे और फिर इनकी होने वाली भाभी भी उसी हॉस्पिटल मे ही है.”

आरू की बात सुनकर, शिखा कुछ सोच मे पड़ गयी और फिर उसने कहा.

शिखा बोली “निशा दीदी ने मुझसे कहा था क़ि, वो मुझे किसी भी हॉस्पिटल मे जॉब दिला देगी. लेकिन मैं जॉब अपनी क़ाबलियत के बल पर हासिल करना चाहती थी, किसी सिफारिश के बाल पर नही. इसलिए मैने उनसे जॉब दिलाने के लिए नही कहा था.”

शिखा की बात सुनकर सीरत ने उसे समझाते हुए कहा.

सीरत बोली “आज के समय मे एक लड़की के लिए जॉब हासिल करने से ज़्यादा मुस्किल काम कहीं भी इज़्ज़त के साथ जॉब कर पाना है. क्योकि आज के समय मे एक अकेली लड़की पर बुरी नज़र रखने वाले लोग बहुत ज़्यादा मिल जाएगे. ऐसे मे नर्स के जॉब मे आपको दिन के साथ साथ रात की भी ड्यूटी करना पड़ेगी. क्या आपको लगता है कि, आप ये सब बड़ी आसानी से कर लेगी.”

सीरत की इस बात ने शिखा को सोच मे डाल दिया था. वो एक सीधी सादी लड़की थी और उसका सामना अभी इन सब बातों से नही हुआ था. उसे सीरत की बातों मे सच्चाई नज़र आ रही थी. लेकिन वो कुछ बोल नही पा रही थी. सीरत ने शिखा को दुविधा मे देखा तो, उसने कहा.

सीरत बोली “मैं अभी भैया से बात करती हूँ. यदि आपको सही लगे तो, आप वहाँ जॉब कर लेना.”

सीरत की बात सुनकर, शिखा ने हां मे सर हिला दिया. हॉस्पिटल मे पहुचने के बाद, सीरत ने शिखा को अमन से मिला कर, उसके बारे मे बता दिया. जिसे सुनने के बाद अमन ने शिखा से कहा.

अमन बोला “मेरे हिसाब से सीरत ठीक कह रही है. लेकिन निशा आपको छोटी बहन मानती है. इस तरह आप मेरे परिवार का एक हिस्सा ही हुई. यदि आप यहाँ जॉब करेगी तो, आपको कोई परेशानी नही होगी और हम दोनो की आँखों के सामने भी बनी रहगेगी. लेकिन आपको जहाँ भी ठीक लगे, आप वहाँ जॉब कर सकती है. हमारे रहते आपको किसी भी हॉस्पिटल मे जॉब करने मे कोई परेशानी नही होगी.”

अमन दिल से चाहता था कि, शिखा उसी हॉस्पिटल मे काम करे. लेकिन वो शिखा के साथ ना तो कोई ज़बरदस्ती करना चाहता था और ना ही ये चाहता था कि, उसे कहीं भी जॉब करने से डर महसूस हो. इसलिए सीरत ने शिखा के मन मे किसी दूरी जगह पर जॉब करने का जो डर बैठाया था, उसे अमन ने ये कह कर मिटा दिया था कि, हमारे रहते आपको किसी भी हॉस्पिटल मे जॉब करने मे कोई परेशानी नही होगी.

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लेकिन अमन की बातें और उसका अपनापन शिखा के दिल को छु गया था. उसने अमन से वही जॉब करने की हामी भर दी. अमन ने उसकी हां सुनकर, उस से कहा कि, उसे एक दो दिन मे उसका अपायंटमेंट लेटर मिल जाएगा. वो जॉब पर आने की तैयारी सुरू कर दे.

अमन की बात सुनकर, शिखा खुशी खुशी वहाँ से जाने लगी तो, अमन ने उस से मुझ (निशा) से मिल कर जाने को कहा और फिर मुझको कॉल करके अपने रूम मे आने का बोल कर, वो आरू को लेकर उसका प्लास्टर उतारने चला गया.

अमन के जाने के कुछ ही देर बाद मैं शिखा के पास आ गयी. शिखा मुझसे मिल कर फूली नही समाई और आकर मेरे गले से लग गयी. उसने खुशी खुशी सारी बातें मुझे बताई. शिखा को खुश देख कर, मुझे भी इतनी खुशी हो रही थी, जितनी खुशी शायद अपनी सग़ी बहन को भी खुश देख कर नही हुई थी.

मैं शिखा के साथ बात करने लगी और कुछ ही देर मे अमन भी आरू को लेकर वापस आ गया. अमन ने मुझे देख कर मुस्कुराते हुए कहा.

अमन बोला “अब आरू बिल्कुल ठीक है. बस एक छोटी सी प्लास्टिक सर्जरी से इसके ये चोट के निशान भी बिल्कुल गायब हो जाएगे और आरू फिर से पहले की तरह दिखने लगेगी.”

अमन की बात से सबके चेहरे पर मुस्कान आ गयी. लेकिन शिखा ने अमन की बात सुनने के बाद उस से कहा.

शिखा बोली “आप दोनो सच मे ही बहुत अच्छे है. दीदी ने मुझ अंजान लड़की के लिए इतना सब कुछ किया और आप अपने ड्राइवर की बहन के लिए इतना सब कर रहे है.”

शिखा की बात सुनकर, अमन को एक झटका सा लगा. वो हैरानी से मेरी तरफ देखने लगा. लेकिन मैं शिखा की बात का मतलब समझ गयी थी. मैने अमन को धीरज रखने का इशारा किया और मुस्कुराते हुए शिखा से कहा.

मैं बोली “वो क्या है कि, अमन अज्जि को अपना ड्राइवर नही दोस्त ही मानता है और आरू को भी अपनी बहन ही समझता है. इसलिए आरू के लिए वो जितना भी करे, उसके लिए कम ही होगा.”

मेरी बात सुनकर, शिखा के चेहरे पर एक पल के लिए मुस्कुराहट आ गयी. लेकिन अगले ही पल उसने मुझसे कहा.

शिखा बोली “यदि ऐसी बात है तो, फिर वो अपनी ड्राइवर की नौकरी छोड़ कर, टॅक्सी क्यो चला रहे है.”

शिखा की इस बात ने अमन के साथ साथ अब मुझे भी झटका दे दिया था. मुझे ये समझ मे नही आ रहा था कि, अब ये नयी कहानी कहाँ से सुरू हो गयी. लेकिन मैं इतना तो समझ चुकी थी कि, हो ना हो, इसके पीछे भी सीरत का ही हाथ है. मैने सीरत की तरफ देखा तो, वो अपने कान पकड़ने लगी.

मगर मेरे पास शिखा की इस बात का कोई जबाब नही था. जबाब देती भी तो क्या जबाब देती, जबकि मुझे इसके बारे मे कुछ पता ही नही था. शिखा की इस बात से सबको साँप सूंघ गया था. ऐसे मे आरू ने इस बात का जबाब देते हुए कहा.

अर्चना बोली “मेरे भैया मुझे बहुत प्यार करते है. मेरी तबीयत की वजह से उन्हे अपने काम से बहुत दिन तक दूर रहना पड़ रहा था. अब यदि वो ड्राइवर का काम ही करते रहते तो, मेरे लिए समय नही निकाल पाते. इसलिए उन्हो ने टॅक्सी चलाने का काम चुन लिया. अब वो रात मे टॅक्सी चलाते है और दिन मे मेरी देख भाल करते है.”

आरू के इस जबाब से शिखा को तो तसल्ली हो गयी थी. मगर अमन सबको गुस्से मे घूर कर देख रहा था. उसे शिखा से इस तरह सबका झूठ बोलना पसंद नही आ रहा था. अमन को इस तरह गुस्से मे देख कर, सीरत डर कर मेरे पिछे आ कर छुप गयी और मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए धीरे से मेरे कान मे कहा.

सीरत बोली “भाभी, भैया बहुत गुस्से मे लग रहे है. प्लीज़ इस बार बचा लो. फिर दोबारा ऐसा नही करूगी.”

उसको डरता हुआ देख, मैने उसके हाथ पर हाथ रख कर उसको तसल्ली दी. लेकिन ये तसल्ली उसके लिए सिर्फ़ एक ही पल की थी. क्योकि अगले ही पल उसे सेलिना अंदर आती नज़र आई और उसने फिर से मेरे कान मे कहा.

सीरत बोली “अब गयी भैस पानी मे.”

मुझे उसकी इस बात का मतलब समझ मे नही आया तो, मैने सवालिया नज़रों मे उसकी तरफ देखा. उसने मेरी नज़रों का मतलब समझते ही, मुझसे कहा.

सीरत बोली “लगता है अजजी भैया आ गये. इसे उन्ही को लाने के लिए घर मे छोड़ा था. अब क्या होगा भाभी.”

सीरत की बात सुनकर, मैं भी सोच मे पड़ गयी कि अब क्या किया जाए. तभी सेलू ने अंदर आते हुए कहा.

सेलिना बोली “आप लोगों की वजह से मुझे डाँट पड़ गयी. भैया गुस्सा कर रहे थे कि, हॉस्पिटल जाने के लिए उनका इंतजार क्यो नही किया. वो तो आ ही रहे थे. वो अभी बहुत गुस्से मे है और कार पार्क करके यही आ रहे है.”

सेलू की बात सुनकर, अमन ने मेरी तरफ गुस्से मे देखा. वो समझ गया था कि, अब अजजी के अंदर आते ही इन लोगों का सारा झूठ पकड़ा जाएगा. मुझे भी इस बात का अहसास हो चुका था, इसलिए मैने अज्जि को बाहर ही रोकने की बात सोची और बाहर जाने के लिए उठ कर खड़ी हो गयी.

लेकिन मेरे बाहर जाने से पहले ही अज्जि आ गया. आज्जि को अपने सामने खड़ा देख, आरू के सिवाय सबके चेहरे का रंग उड़ गया. आज्जि इस समय टू बटन वाइट सूट मे किसी सहज़ादे की तरह लग रहा था. उसकी पहनी हुई हर चीज़ ब्रॅंडेड कंपनी की थी और उसके हाथों मे चमक रही, उसकी मन पसंद डाइमंड रिंग्स, उसकी असली हैसियत का बखान कर रही थी.

यहाँ आरू हम सब की परेशानी से बेपरवाह अज्जि को देख कर मुस्कुरा रही थी. आज्जि ने उसके हाथ पैरों का प्लास्टर उतरा हुआ देखा तो, वो अपना सारा गुस्सा भूल कर उसके पास ही घुटनो के बल बैठ गया.

सब की नज़र अज्जि और आरू पर थी. लेकिन उनकी नज़र सिर्फ़ एक दूसरे पर थी. आज्जि ने आरू के हाथ और पैर को छूकर देखा और उस से कहा.

अजय बोला “तू ठीक तो है ना.”

अजय की बात सुनकर, आरू ने चहकते हुए कहा.

अर्चना बोली “बिल्कुल ठीक हूँ भैया. आप कहो तो अभी आपको दौड़ वॉड कर दिखा दूं.”

आरू की बात सुनकर, खुशी से अज्जि की आँखें छलक गयी. उसने आरू के हाथ और घुटने को चूमते हुए कहा.

अजय बोला “चल पगली, तुझे कुछ करके दिखाने की ज़रूरत नही है. ना ही अभी तू सीरू और सेलू के साथ मिलकर कोई शरारत करेगी. अब तू ये बता कि तूने मेरे आने का इंतजार क्यो नही किया. मैने तुझसे कहा था ना कि, मैं थोड़ी देर मे घर पहुच जाउन्गा.”

अजय की बात पर आरू ने अपनी सफाई देते हुए कहा.

अर्चना बोली “भैया, मैं तो आपके साथ ही आना चाहती थी. लेकिन अमन भैया ने कॉल करके कहा कि, जल्दी आओ तो, सीरू दीदी मुझे लेकर आ गयी.”

आरू की बात सुनकर, अज्जि ने खड़े होते हुए अमन की तरफ देखा. अभी तक उसकी पीठ शिखा की तरफ थी. इसलिए शिखा उसका चेहरा नही देख सकी थी. लेकिन जैसे ही अज्जि ने खड़े होकर अमन की तरफ देखा तो, शिखा को भी अज्जि का चेहरा दिखाई दे गया.

आज्जी को देखते ही शिखा चौके बिना ना रह सकी. वो फटी फटी आँखों से अज्जि को देखने लगी. इधर जैसे ही अज्जि ने अमन की तरफ देखा, वैसे ही उसकी नज़र भी अमन के पास बैठी शिखा पर पड़ गयी.

शिखा को देखते ही अज्जि का भी वो ही हाल हुआ. जो अज्जि को देख कर शिखा का हुआ था. उसने शिखा को अपने सामने देखा तो, बस देखता ही रह गया. दोनो एक दूसरे को देख कर हैरान थे. मगर उन दोनो की हैरानी की वजह अलग अलग थी.

आज्जि अभी तक उसके बारे मे शिखा से कहे गये, हर झूठ से अंजान था और इस बात से हैरान था कि, शिखा यहाँ सबके साथ क्या कर रही है. वही शिखा अज्जि को उसके असली रूप मे देख कर हैरान थी और अज्जि के इस नये रूप को देख कर, इस मे उलझ कर रह गयी थी.
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अब आगे की कहानी पुन्नू की ज़ुबानी...

अभी निशा कहानी सुना ही रही थी कि, अचानक किसी के आने की आहट सुनकर. वो आगे की कहानी कहते कहते रुक गयी. सब की नज़र दरवाजे की तरफ गयी तो, दरवाजे से एक आदमी अंदर आते नज़र आया.

उसकी उमर 45-50 साल के आस पास होगी. देखने मे वो पुरानी हिन्दी फिल्मों के खलनायक प्राण की तरह था और इस समय वो कुछ बीमार सा नज़र आ रहा था. लेकिन इस बीमारी की हालत मे भी उसके चेहरे की मुस्कान और उसकी आँखों की कमीनी चमक यही बता रही थी कि, वो कोई अच्छा इंसान नही है.

उसके आते ही वहाँ एक खामोशी सी छा गयी. उसने एक नज़र वहाँ सब पर डाली और फिर आंटी से कहा.

आदमी बोला “अलका बहन, इस तरह बिना इजाज़त अंदर आने के लिए माफी चाहता हूँ.”

आदमी की बात सुनते ही, आंटी ने मुस्कुराते हुए कहा.

आंटी बोली “कैसी बात करते है दुर्जन भैया. भला एक बहन के घर आने के लिए भी, क्या एक भाई को इजाज़त लेने की ज़रूरत पड़ती है. आप बैठिए ना खड़े क्यो है.”

आंटी की बात सुनकर, वो दुर्जन नाम का आदमी शिखा के पास आकर बैठ गया और फिर आंटी से कहा.

दुर्जन बोला “वो क्या है अलका बहन, मैं अभी घर आया तो, आपके दरवाजे पर इतनी सारी गाड़ियाँ खड़ी देख कर, अपने आपको अंदर आने से रोक नही सका और ये जानने चला आया कि, सब कुछ ठीक तो है ना.”

दुर्जन की बात सुनकर, आंटी ने दुर्जन की हैरानी को दूर करते हुए कहा.

आंटी बोली “सब ठीक है भैया. ये डॉक्टर. निशा है और शिखा को अपनी हॉस्पिटल मे इन्ही ने जॉब दिलाया था. बाहर खड़ी गाड़ियों मे ये लोग ही शिखा से मिलने आए है.”

ये कह कर, आंटी सब से दुर्जन का परिचय कराने लगी. मुझे बहुत देर से टाय्लेट जाना था मगर डॉक्टर निशा की चल रही कहानी की वजह से मैं जा नही पा रहा था. दुर्जन के आते ही मुझे बाहर जाने का मौका मिल गया.

मैने धीरे से निक्की से कहा कि, मैं अभी अजजी के पास से आता हूँ. इसके बाद मैं बाहर आया और अजजी से टाय्लेट जाने की बात कही तो, उसने उपर चले जाने को कहा. फिर कुछ सोच कर, मैने अजजी से शिखा का मोबाइल नंबर लिया और उपर आ गया.

उपर आकर मैने शिखा को कॉल किया और उसके कॉल उठाते ही उस से कहा.

मैं बोला “दीदी, आप अपने गुस्से मे इतना भी भूल गयी है कि, ड्र निशा आपको अपनी छोटी बहन मानती है. उन सबको घर मे आए एक घंटे से भी ज़्यादा हो गया है और किसी ने उनको चाय पानी के लिए भी नही पूछा. क्या घर आए महमानो के साथ ऐसा करना ठीक है.”

मेरी बात सुनकर, शिखा ने कुछ सोचते हुए कहा.

शिखा बोली “ठीक है, मैं देखती हूँ.”

इतना कहकर शिखा ने कॉल रख दिया. उसके कॉल रखते ही मैने कीर्ति का मोबाइल निकाल कर देखा, अभी कॉल आए 50 मिनट हुए थे. मैने मोबाइल कान मे लगा कर देखा तो, कोई आवाज़ सुनाई नही दे रही थी.

मुझे अभी टाय्लेट जाना था और कीर्ति के कॉल कटने मे अभी 10 मिनट बाकी थे. मेरे लिए खुद को टाय्लेट जाने के लिए इतनी देर रोक पाना मुस्किल था. इसलिए मैने कॉल काटा और टाय्लेट के लिए जाने लगा.

मगर मेरे कॉल काटते ही वापस कीर्ति का कॉल आने लगा. मैने कॉल उठाते ही कीर्ति से कहा.

मैं बोला “मैं अभी 2 मिनट मे तुम्हे कॉल करता हूँ.”

ये कह कर मैने कॉल काट दिया. लेकिन फिर से कीर्ति का कॉल आने लगा. मैने गुस्से मे उसका कॉल उठाए हुए, उस से कहा.

मैं बोला “ये क्या लगा रख है तूने. मैने कहा ना कि मई 2 मिनट बाद तुझे कॉल करता हूँ.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने उल्टे मुझे पर भड़कते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुम अपने आपको समझते क्या हो. तुम्हारे कॉल की वजह से आज मैं स्कूल नही गयी और तुम बार बार मेरा कॉल काट रहे हो.”

कीर्ति को भड़कते देख, मेरा गुस्सा खुद ब खुद शांत हो गया. मैने उसको अपनी सफाई देते हुए कहा.

मैं बोला “मुझे टाय्लेट जाना है. इसलिए मैं तुझसे 2 मिनट बाद कॉल करने को कह रहा हूँ.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति भी शांत पड़ गयी. उसने मेरी बात का जबाब देते हुए कहा.

कीर्ति बोली “ये बात तुम सीधे भी तो बोल सकते थे. इसके लिए बार बार मेरा कॉल काटने की क्या ज़रूरत थी.”

मैं बोला “सॉरी, मुझसे ग़लती हो गयी. अब तू जल्दी कॉल रख, मुझे टाय्लेट जाना है.”

कीर्ति बोली “ओके, तुम टाय्लेट जा सकते हो. मगर मैं कॉल नही रखुगी.”

मैं बोला “ये क्या पागलपन है. अपनी बकवास बंद कर और कॉल रख. मुझे बहुत ज़ोर से लगी है.”

लेकिन कीर्ति ने मेरी बात को अनसुना करते हुए कहा.

कीर्ति बोली “जो मैने कह दिया सो कह दिया. तुमको टाय्लेट जाना है जाओ, मगर ये कॉल नही कटेगा.”

मैं बोला “तूने सारी शरम बेच खाई है क्या. मैं इतनी देर से बोल रहा हूँ कि, मुझे टाय्लेट जाना है. लेकिन तुझे कुछ समझ मे ही नही आ रहा है.”

मगर मेरी इस बात का कीर्ति पर कोई असर नही पड़ा. उसने मेरी बात का जबाब देते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मैने तुमसे पहले ही कहा था कि, अब दोबारा कभी यदि मुझसे बात करते समय तुम्हे टाय्लेट जाना पड़ा तो, मैं तुम्हारे साथ जाए बिना नही मानूँगी.”

कीर्ति की ये बात बोलते ही मुझे उसकी कही उस दिन की बात याद आ गयी, जब उस से बात करते समय मुझे टाय्लेट जाना था और वो मेरे साथ जाने की ज़िद कर रही थी. उस दिन उसने मुझे इस शर्त पर टाय्लेट जाने दिया था कि, अगली बार वो मेरे साथ जाए बिना नही मानेगी.

कीर्ति की ये बात याद आते ही मैं समझ गया की, वो अभी मुझसे नाराज़ नही है. दो दिन बाद वो मुझसे बात करने की पहल कर रही थी. ऐसे मे उसको नाराज़ करना मुझे ठीक नही लग रहा था. मैने उसे प्यार से समझाते हुए कहा.

मैं बोला “तू समझती क्यो नही. देख ज़िद मत कर और कॉल रखने दे.”

कीर्ति बोली “ज़िद तुम कर रहे हो. आज मुझे साथ चलना है और मैं साथ जाकर ही रहूगी.”

आख़िर मे जब मेरे लिए थोड़ी देर भी रुक पाना मुस्किल हो गया तो मैने उस से कहा.

मैं बोला “तू नही मानती तो, साथ चल. लेकिन याद रखना कि, तू इस बार मे कोई बात नही करूगी.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने तुनक कर जबाब देते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मुझे तुमसे बात करने का कोई शौक नही है. अब तुम जाते हो या फिर यही खड़े खड़े अपना पॅंट खराब करने का इरादा है.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैने बुरा सा मूह बनाते हुए मोबाइल जेब मे रखा और बाथरूम के अंदर चला गया. बाथरूम से आने के बाद मैने मोबाइल निकाल कर कीर्ति से कहा.

मैं बोला “हेलो, अब मैं नीचे जा रहा हूँ.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने अपनी शरारत भरे अंदाज मे मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “मैने सब सुन लिया. सुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर….. तुम्हे तो सच मे बड़ी ज़ोर से लगी थी.”

ये कहते हुए वो खिलखिला कर हँसने लगी. उसकी बात सुनकर, पहले तो मुझे बहुत गुस्सा आया. लेकिन उसका खिलखिलाना देख कर, मैं अपना सारा गुस्सा भूल गया. आज 2 दिन बाद मैं उसे हँसते हुए देख रहा था और उसे इस तरह हँसते हुए देख कर मुझे भी बहुत सुकून मिल रहा था.

लेकिन कीर्ति अब अपने पुराने मूड मे वापस आ चुकी थी और जब वो मूड मे हो तो उसे रोक पाना मुस्किल ही नही नामुमकिन रहता है. उसने अपनी शरारत चालू रखते हुए मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “हे मेरी बात सुन रहे हो ना.”

मैने उसकी इस बात पर उसे झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.

मैं बोला “मुझे तेरी फालतू की बात नही सुनना. मैं नीचे जाता हूँ.”

कीर्ति ने मुझसे रोकते हुए कहा.

कीर्ति बोली “अरे मैं एक काम की बात करना चाहती हूँ.”

मैं बोला “जो बोलना है जल्दी बोल. मुझे नीचे जाना है.”

कीर्ति बोली “मुझे भी जाना है.”

मुझे समझ मे नही आया कि वो कहाँ जाने की बोल रही है. इसलिए मैने उस से कहा.

मैं बोला “कहाँ जाना.”

मेरी बात सुनकर कीर्ति ने कहा.

कीर्ति बोली “वही जहाँ से तुम आ रहे हो. सुर्र्र्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर……… करने.”

ये कहकर वो फिर खिलखिला कर हँसने लगी. उसे हंसता देख कर मेरा नीचे जाने का मन नही कर रहा था और मुझे उस पर बहुत प्यार आ रहा था. मैने अपना प्यार जताते हुए कहा.

मैं बोला “आइ मिस यू जान. सॉरी मैने तुझे बहुत दुख दिया. मुझे ऐसा नही करना चाहिए था.”

मेरी बात सुनकर, शायद कीर्ति को भी मेरी हालत का अहसास हो गया था. उसने गंभीर होते हुए कहा.

कीर्ति बोली “नही जान, तुमने कुछ नही किया. मैं तुम पर गुस्सा थी. इसलिए मैं ही तुमको जान बुझ कर परेशान कर रही थी.”

मैं बोला “नही, ग़लती मेरी ही थी. मुझे जितेन को लेकर, तुझ पर गुस्सा नही करना चाहिए था. यदि तूने उस से बात कर भी ली थी तो, इसमे मेरा क्या जा रहा था.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने संजीदा होते हुए कहा.

कीर्ति बोली “उस दिन मैने झूठ कहा था. मैं जितेन से नही वाणी दीदी से बात कर रही थी.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैं चौंके बिना ना रह सका. मैने उस से इसकी वजह जानने के लिए कहा.

मैं बोला “लेकिन जब तुम वाणी से बात कर रही थी तो, फिर तुमने मुझसे झूठ क्यो कहा और फिर उस बात के लिए मुझसे इतना झगड़ा क्यो किया.”

मेरी कीर्ति ने मेरी बात का जबाब देते हुए कहा.

कीर्ति बोली “वो वाणी दीदी ने मुझे बताया कि, जितेन और तुम्हारे बीच ज़रा भी नही बनती. वो हमेशा तुम्हे नीचा दिखाने की कोसिस करता रहता है. मुझे उनकी इस बात को सुनकर, जितेन पर बहुत गुस्सा आ रहा था. लेकिन उस से भी ज़्यादा गुस्सा मुझे तुम्हारे उपर आ रहा था कि, तुमने आज तक मुझे कुछ बताया क्यो नही.”

“बस इसी गुस्से मे मैने उस दिन तुमसे झूठ कह दिया कि, मैं जितेन से बात कर रही हूँ और जब तुम मुझसे इस बात को लेकर बहस करने लगे तो, मैं भी गुस्से मे तुमको उल्टा सीधा जबाब देने लगी.”

कीर्ति की बात सुनकर, मुझे बहुत हैरानी हुई. लेकिन अब भी मेरे मन मे कीर्ति के गुस्से को लेकर बहुत सवाल आ रहे थे. मैने उस से आगे भी बात पूछते हुए कहा.

मैं बोला “लेकिन तेरा गुस्सा तो शांत होने का नाम ही नही ले रहा था. तू तो बाद मे भी मुझसे बात करने को तैयार नही थी. ”

मेरी बात के जबाब मे कीर्ति ने मुझ पर गुस्सा करते हुए कहा.

कीर्ति बोली “क्या तुम अपने आपको बहुत ज़्यादा होशियार समझते हो. क्या ये झूठ है कि, तुमने उस दिन शराब पी रखी थी. तुम क्या सोचते हो कि, तुम शराब पीते रहोगे और मैं तुम्हे कुछ भी नही कहुगी.”

कीर्ति की बात सुनकर, मुझे अपनी सफाई देने का कोई रास्ता समझ मे नही आ रहा था. मैने उसके सामने अपनी ग़लती मानते हुए कहा.

मैं बोला “सॉरी, मुझे माफ़ कर दे. मैं दोबारा ऐसा नही करूगा.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने कहा.

कीर्ति बोली “सॉरी बोलने से कुछ नही होगा. तुम्हे मेरी कसम खाकर कहना होगा कि, आज के बाद तुम शराब को हाथ नही लगाओगे.”

मेरे पास कीर्ति की बात मानने के अलावा कोई रास्ता नही था. मैने उसकी कसम खाते हुए कहा.

मैं बोला “मैं तेरी कसम खाकर कहता हूँ कि, आज के बाद मैं शराब को हाथ नही लगाउन्गा.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने खुश होते हुए कहा.

कीर्ति बोली “आइ लव यू जान.”

मैं बोला “आइ लव यू टू. अब बहुत टाइम हो गया है. अब हमे नीचे जाना चाहिए.”

कीर्ति बोली “ओके चलो, लेकिन पहले मेरी किसी दो.”

कीर्ति की बात सुनकर मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. मैने उसे किसी देते हुए कहा.

मैं बोला “मुऊऊऊहह”

कीर्ति बोली “मुऊऊुुुुुुउऊहह.”

इसके बाद मैने मोबाइल जेब मे रखा और फिर नीचे आ गया. नीचे आने के बाद, मैने अजजी से कहा.

मैं बोला “क्या हुआ. वो दुर्जन नाम का आदमी गया या अभी भी अंदर ही है.”

अजय बोला “दुर्जन नेहा का बाप है. वो अभी अंदर ही है.”

अजय की बात सुनकर, मैं अजय की तरफ देखने लगा. अजय ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

अजय बोला “किसी समय दुर्जन मंबई का माना हुआ गुंडा हुआ करता था. यही वजह है कि यहाँ के सभी लोग उस से डरते है. नेहा की माँ नही है और शिखा की माँ ने, बिना माँ की नेहा को एक माँ का दुलार दिया है. इसलिए दुर्जन शिखा की माँ की बहुत इज़्ज़त करता है और उन्हे अपनी बहन मानता है.”

अजय दुर्जन के बारे मे बता रहा था और मैं गौर से उसकी बातें सुन रहा था. मुझे ये जान कर, हैरत हो रही थी कि, नेहा जैसी सुंदर लड़की का बाप एक दुर्जन जैसा आदमी है. जो किसी भी तरह से नेहा का बाप नही लगता.
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हम अभी दुर्जन की बात कर रहे थे कि, तभी दुर्जन बाहर आते दिखा. उसने बाहर हमारे पास आकर कहा.

दुर्जन बोला “तुम लोगों को अंदर बरखा बिटिया चाय के लिए बुला रही है.”

इतना कह कर दुर्जन चला गया. लेकिन मुझे ये जान कर खुशी हुई कि, मेरे कहने पर ही सही, शिखा ने सबका मान रख ही लिया. मैने अजजी से अंदर चलने को कहा तो, उसने कहा.

अजय बोला “तुम चलो, मैं कुछ देर बाद आता हूँ.”

अजजी की बात सुनकर, मैं अंदर आ गया. मेरे अंदर पहुचते ही बरखा ने मुझे भी चाय दी. वहाँ आरू के अलावा सबके हाथों मे चाय थी. सबको चाय देने के बाद बरखा अजजी को चाय देने बाहर चली गयी.

लेकिन थोड़ी देर बाद वो चाय वापस लेकर आ गयी. शायद अजजी ने चाय लेने से मना कर दिया था. मगर मेरे लिए हैरत वाली बात ये थी कि, अजजी की चाय बाहर से वापस आते ही, शिखा ने भी अपने हाथ के चाय के कप को बिना चाय पिए ही टेबल पर वापस रख दिया था.

उस समय शिखा के मन के अंदर क्या चल रहा था. ये तो बस वो ही जान सकती थी. मैं तो बस इतना जानता था कि, उसके दिल मे अजजी के लिए जो नफ़रत थी, वो नफ़रत उसके दिल मे अजजी के लिए छुपे प्यार से बार बार हार जा रही थी.

वो ना जाने किन ख़यालों मे खोई हुई थी और यहाँ डॉक्टर. निशा ने अपनी अधूरी बात को आगे हुए बढ़ाते हुए सब से कहा.


अब आगे की कहानी निशा की ज़ुबानी.........................

उस समय आरू की बात सुनकर, अजजी ने खड़े होते हुए अमन की तरफ देखा. अभी तक उसकी पीठ शिखा की तरफ थी. इसलिए शिखा उसका चेहरा नही देख सकी थी. लेकिन जैसे ही अजजी ने खड़े होकर अमन की तरफ देखा तो, शिखा को भी अजजी का चेहरा दिखाई दे गया.

अजजी को देखते ही शिखा चौके बिना ना रह सकी. वो फटी फटी आँखों से अजजी को देखने लगी. इधर जैसे ही अज्जि ने अमन की तरफ देखा, वैसे ही उसकी नज़र भी अमन के पास बैठी शिखा पर पड़ गयी.

शिखा को देखते ही अज्जि का भी वो ही हाल हुआ. जो अजजी को देख कर शिखा का हुआ था. उसने शिखा को अपने सामने देखा तो, बस देखता ही रह गया. दोनो एक दूसरे को देख कर हैरान थे. मगर उन दोनो की हैरानी की वजह अलग अलग थी.

आज्जि अभी तक उसके बारे मे शिखा से कहे गये, हर झूठ से अंजान था और इस बात से हैरान था कि, शिखा यहाँ सबके साथ क्या कर रही है. वही शिखा अज्जि को उसके असली रूप मे देख कर हैरान थी और अज्जि के इस नये रूप को देख कर, इस मे उलझ कर रह गयी थी.

एक उलझन सबके मन मे भी थी कि, अब क्या होगा. सब एक दूसरे को देख रहे थे और थोड़ी देर के लिए बिल्कुल खामोशी छा गयी. आज्जि तो हमेशा की तरह शिखा को देख कर, उसमे ही खो गया था.

तभी आरू ने उसका हाथ पकड़ कर हिलाया और फिर आँखों के इशारे से उसे अपने पास आने को कहा. आज्जि उसके पास आया तो, वो अज्जि के कान मे कुछ कहने लगी. सब उन दोनो को देख रहे थे. लेकिन उसकी बातें किसी को सुनाई नही दे रही थी. आरू की बातें सुनने के बाद, अज्जि ने मुस्कुराते हुए सीरत की तरफ देखा और कहा.

अजय बोला “तेरा शैतानी दिमाग़ पता नही मुझे क्या क्या बना देगा.”

आज्जि की इस बात को सुनकर, हम इतना तो समझ गये थे कि, आरू ने उसको सीरू की बातों के बारे मे बता दिया था. लेकिन अब भी हमारी ये परेशानी ख़तम नही हुई थी कि, अब अज्जि के बारे मे शिखा को क्या सफाई दे.

आज्जि ने जब सबको परेशान और खामोश देखा तो, सबकी परेशानी को अपने सर पर लेते हुए कहा.

अजय बोला “तुम सब मुझे देख कर इतना हैरान क्यो हो. ये सब सीरू का किया हुआ है. ये मुझे सूट बूट मे देखना चाहती थी कि, मैं इसमे कैसा दिखता हूँ. इसलिए मुझे ये हुलिया बनाना पड़ गया. जिसकी वजह से मुझे यहाँ आने मे थोड़ी देर भी हो गयी.”

अजय की बात सुनकर, हम सब ने सुकून की साँस ली. लेकिन अमन को उसकी बात से खुशी नही हुई. उसने अजय से इसकी शिकायत करते हुए कहा.

अमन बोला “अब तू भी इसकी फालतू की बातों मे इसका साथ दे रहा है. ये तू अच्छा नही कर रहा है.”

अमन की बात सुनकर, अज्जि ने मुस्कुराते हुए उस से कहा.

अजय बोला “तू इतना क्यो भड़क रहा है. यदि मेरी बहन को किसी बात से खुशी होती है तो, मुझे उसकी खुशी के लिए कोई भी हुलिया बनाने मे कोई परेशानी नही है.”

लेकिन अमन अब भी इस सब से खुश नही था. उसने इस सब का दोष अज्जि को ही देते हुए कहा.

अमन बोला “तूने इनको सर पर चढ़ा रखा है. तेरी इन्ही बातों की वजह से ये इतना बिगड़ती जा रही है.”

अमन का गुस्सा शांत ना होते देख, अज्जि ने बात को बदलते हुए उस से कहा.

अजय बोला “छोड़ ना इन सब बातों को और ये बता कि, आरू की सर्जरी कब कर रहा है.”

अजय की बात सुनकर, अमन का मूड बदल गया और उसने अजय की बात का जबाब देते हुए उस से कहा.

अमन बोला “सर्जरी तो हम कभी भी कर सकते है. लेकिन मैं सोच रहा था कि, आरू को अभी सर्जरी की कोई खास ज़रूरत तो है नही. इसलिए आरू के पूरी तरह ठीक होने के बाद ही सर्जरी की जाए.”

अमन की बात सुनकर, अजय ने प्यार से आरू के सर पर हाथ फेरते हुए कहा.

अजय बोला “तुझे जब ठीक लगे, तू तब आरू की सर्जरी कर सकता है. बस इसके शरीर से चोट के सारे निशान मिटाकर, इसे फिर से पहले जैसा कर दे.”

आज्जि की बात सुनकर, अमन उसको सब ठीक हो जाएगा का दिलासा देते हुए समझने लगा. शिखा ये सब नज़ारा खामोशी से देख रही थी. वो शायद अमन और अज्जि के बीच के इस गहरे रिश्ते को समझने की कोसिस कर रही थी.

जब अज्जि और अमन के बीच की बात ख़तम हुई. तब शिखा ने मुझसे कहा.

शिखा बोली “दीदी अब मैं जाती हूँ. मुझे यहाँ आए बहुत देर हो चुकी है.”

निशा बोली “ओके, मेरा ड्राइवर तुमको घर छोड़ देगा.”

शिखा बोली “दीदी इसकी कोई ज़रूरत नही है. मेरी अक्तिवा खराब हो गयी थी तो, जल्दी मे उसे रास्ते मे पार्क करके आई हूँ. अब जाते समय उसे सुधरवाते हुए घर जाउन्गी.”

निशा बोली “तुम अपनी अक्तिवा की फिकर मत करो. मैं एक लड़के को भी साथ भेज देती हूँ. तुम उसे अपनी अक्तिवा दे देना. वो उसे सुधरवा कर तुम्हारे घर छोड़ देगा.”

शिखा बोली “लेकिन दीदी इस सब की क्या ज़रूरत है. मैं टॅक्सी लेकर चली जाउन्गी ना.”

मगर मैने शिखा की कोई बात नही सुनी और उसे मेरी बात माननी ही पड़ी. लेकिन वहाँ से जाते समय शिखा ने अज्जि से सवाल करते हुए कहा.

शिखा बोली “आपके पास खुद की टॅक्सी है या आप किराए की टॅक्सी चलाते है.”

शिखा का ये सवाल सुनकर, सब हैरान हो गये. आज्जि भी ये अजीब सा सवाल सुनकर, कुछ सोच मे पड़ गया. लेकिन फिर उसने उसके सवाल का जबाब देते हुए कहा.

अजय बोला “जी, अभी तो मैं किराए की ही टॅक्सी चलता हूँ. लेकिन आपने ये क्यो पुछा.”

आज्जि का जबाब सुनकर, शिखा ने उदासी भरे शब्दों मे कहा.

शिखा बोली “वो क्या है कि, मेरे पास एक टॅक्सी है. जो मेरे भैया चलाते थे. लेकिन अब वो इस दुनिया मे नही है. वो टॅक्सी उनकी आखरी निशानी है. इसलिए हम ना तो वो टॅक्सी बेच सकते है और ना ही किसी अंजान आदमी के हाथ मे दे सकते. मगर आप चाहे तो वो टॅक्सी चला सकते है.”

शिखा की बात सुनकर, अज्जि ने हैरान होते हुए कहा.

अजय बोला “लेकिन जब आप अपनी टॅक्सी किसी अंजान आदमी के हाथ मे नही देना चाहती तो, फिर मुझे क्यो दे रही है. आख़िर मैं भी तो एक अंजान ही हूँ.”

शिखा बोली “आप सब इतने अच्छे है कि, आप मे से कोई भी मुझे अंजान नही लगता. आप यदि मेरी टॅक्सी चलाएगे तो, मुझे खुशी होगी और मेरी टॅक्सी की देख भाल भी होती रहेगी. आपको यदि ठीक लगे तो, आप मेरे घर आकर टॅक्सी ले लीजिएगा.”

इतना बोलने के बाद, शिखा ने सबको बाइ किया और वहाँ से चली गयी. शिखा की इस बात ने सबको लाजबाब कर दिया था. लेकिन अमन ने सीरत पर गुस्सा करते हुए कहा.

अमन बोला “ले देख ले तेरे एक झूठ के पीछे क्या क्या हो रहा है. तेरे एक झूठ ने अज्जि को टॅक्सी ड्राइवर और आरू को टॅक्सी ड्राइवर की बहन बना कर रख दिया है.”

अमन को यू गुस्सा होते देख, सीरत ने डर कर नज़रे नीची कर ली. मगर आरू ने अमन के गुस्से की परवाह किए बिना कहा.

अर्चना बोली “जब भैया को एक टॅक्सी ड्राइवर कहलाने मे कोई शरम नही आई तो, मुझे टॅक्सी ड्राइवर की बहन कहलाने मे कैसी शरम है. दीदी ने कुछ भी ग़लत नही किया.”

आरू की इस बात पर अमन ने चिढ़ते हुए उस से कहा.

अमन बोला “तुझे एक टॅक्सी ड्राइवर की बहन कहलाने मे शरम नही है. मगर मुझे एक भोली भाली लड़की के साथ ऐसा धोका करने मे शरम आ रही है.”

अमन को इस बात को लेकर इतना ज़्यादा चिड़चिड़ाते देख, अज्जि ने उसे समझाने की कोसिस करते हुए कहा.

अजय बोला “तू हर बात पर इतना चिड क्यो रहा है. इन्हो ने एक छोटा सा मज़ाक ही तो किया है. यदि तुझे इनका ये मज़ाक पसंद नही आया तो, ये उसको सारी सच्चाई बता कर उस से सॉरी बोल देगी.”

अजजी की बात सुनकर, अमन ने उसको समझाते हुए कहा.

अमन बोला “जिसे तू एक सिर्फ़ एक छोटा सा मज़ाक समझ रहा है. आगे जाकर ये ही एक गहरी साजिश का रूप ले लेगा. अभी तू इस मज़ाक के पीछे छुपे राज को नही जानता है. इसलिए तुझे ये सिर्फ़ एक छोटा सा मज़ाक लग रहा है. लेकिन सच्चाई जानने के बाद तुझे भी इनका मज़ाक उतना ही बुरा लगेगा, जितना बुरा मुझे लग रहा है.”

अमन की बात सुनकर, अजजी हैरत मे पड़ गया और अमन की तरफ सवालिया नज़रों से देखने लगा. अमन को सबने रोकने की कोसिस की लेकिन फिर उसने सारी सच्चाई अज्जि के सामने खोल कर रख दी.

शिखा के बारे मे सारी सच्चाई सुनकर अज्जि को एक गहरा झटका लगा. वही सीरत का चेहरा शर्मिंदगी से झुक गया. थोड़ी देर तक वहाँ खामोशी छाई रही. फिर अज्जि ने इस खामोशी को तोड़ते हुए सीरू से कहा.

अजय बोला “तू क्यो इतना उदास होती है. तूने कुछ ग़लत नही किया. तुझे अपने भाई की खुशी के लिए जो ठीक लगा, तूने वो किया. मगर मुझे लगता है कि, अमन सही कह रहा है. हमे उसको भूलना होगा. ये ही हमारी और उसकी भलाई के लिए ठीक होगा.”

अजजी की बात सुनते ही सीरू उस से लिपट कर रोने लगी. सीरू के ये आँसू उसके खुद के लिए नही, बल्कि अपने भाई के उस दर्द को महसूस करके बह रहे थे. जो उसका भाई अपनी ज़ुबान से कह नही पा रहा था.

जिस चेहरे को देख कर अभी कुछ देर पहले उसके भाई के चेहरे पर जमाने भर की रौनक नज़र आ रही थी. अब उसका भाई, उस से उसी चेहरे को भूल जाने की बात कर रहा था. जिसे भूलना खुद उसके लिए भी आसान नही था.

यही सब सोच सोच कर सीरू के आँसू थम नही रहे थे और वो अज्जि से लिपट कर रोए जा रही थी. आज्जि ने उसे इस तरह रोते देखा तो, वो शायद उसके आँसुओं का मतलब समझ चुका था. उसने सीरू के आँसू पोछते हुए कहा.

अजय बोला “रोती क्यो है पगली. तेरा भाई देखने मे इतना बुरा तो नही कि, कोई लड़की उस से शादी ही ना करे. तू देखना, मैं तेरे लिए इस से भी अच्छी भाभी ढूँढ कर लाउन्गा.”

लेकिन ये बात कहते कहते अज्जि अपनी खुद की आँखे भी छलकने से ना रोक सका. मगर उसने अपनी आँखों को फ़ौरन सॉफ करके, सेलू की तरफ देखा. वो भी चुप चाप खड़ी आँसू बहा रही थी. आज्जि ने अपनी बाहें फैलाते हुए उस से कहा.

अजय बोला “तू वहाँ अकेली क्यो खड़ी है. बाद मे मत बोलना कि, मैं तुझे प्यार नही करता.”

आज्जि की बात सुनते ही सेलू भाग कर उसके पास आई और आकर उसके गले से लग गयी. भाई बहन का ये प्यार देख, मैं भी अपनी आँखें भीगने से ना रोक सकी. मैं नही जानती थी कि, अब आगे क्या होने वाला है. लेकिन दिल से चाहती थी कि,
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अमन हमेशा से ही कहा करता था कि, अज्जि उसका दोस्त नही, उसका भाई है. उसके घर वाले भी अज्जि को अपना बेटा ही मानते है और उसकी बहनें तो उस से ज़्यादा अज्जि से प्यार करती है. अमन के मन मे इस बात को लेकर कभी कोई मलाल नही था.

मगर मुझे अक्सर इस बात को लेकर अज्जि से जलन हुआ करती थी कि, अमन की तीनो बहने अमन से ज़्यादा अज्जि को इतना प्यार क्यो करती है. लेकिन जैसे जैसे मैने अज्जि और उसकी बहनों के करीब आती गयी. वैसे वैसे ही मुझे उनके इस प्यार का अहसास भी होने लगा था.

मैं अच्छे से समझ गयी थी कि, भले ही अज्जि और अमन मे खून का रिश्ता ना हो. मगर उनके बीच दिल का एक ऐसा रिश्ता है. जो खून के रिश्ते से भी ज़्यादा गहरा है. आज्जि के दादा जी की मौत और आरू के साथ हुए हादसे ने भी, मेरे मन से अज्जि के लिए हर एक पराएपन को मिटा कर, उसे मेरे परिवार का एक हिस्सा बना दिया था.

जिसकी वजह से आज मेरी आँखों के सामने जो कुछ होने जा रहा था. उसे मैं रोकना चाहती थी और अपने परिवार की खुशियाँ उन्हे वापस देना चाहती थी. मगर कैसे, ये बात मेरी समझ मे नही आ रही थी.

तभी मुझे अमन से कही अपनी बात याद आई कि, यदि किस्मत इन्हे मिलाना चाहती है तो, इन्हे तब तक मिलाती रहेगी, जब तक कि ये एक ना हो जाए. बस इसी बात की खुद को तसल्ली देते हुए मैने सब से कहा.

मैं बोली “किसी को कुछ भूलने की ज़रूरत नही है. सीरू ने जैसा कहा है, अभी सब कुछ वैसा ही चलने दो.”

मेरी बात को सुनकर, सीरू के चेहरे पर मुस्कान आ गयी. लेकिन अमन ने अपनी नाखुशी जाहिर करते हुए कहा.

अमन बोला “ये तुम क्या कर रही हो. अभी अभी मैने इन सबको समझाया और अब तुम इन लोगों को फिर से वो सब करने के लिए भड़का रही हो.”

अमन को मैं अच्छे से जानती थी. वो इस समय ये सब बातें शिखा के भोलेपन को देख कर कह रहा था और मैने भी अमन की उसी दुखती रग पर हाथ रखते हुए कहा.

मैं बोली “तुम क्या चाहते हो.? क्या एक मजबूर लड़की को सिर्फ़ इसलिए उसके हाल पर छोड़ दिया जाए. क्योकि तुम्हे लगता है कि, हमारी सच्चाई पता चलने पर वो हम सब से नफ़रत करने लगेगी. लेकिन क्या तुम मुझे ये बताओगे कि, इस सब मे उस लड़की का क्या कसूर है. उसे उस सच्चाई से दूर क्यो रखा जाए, जिसे जानने का उसे पूरा हक़ है.”

मेरी इस बात ने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया था. लेकिन कोई ये समझ नही पा रहा था कि मैं कहना क्या चाहती हूँ. आज्जि को मेरी ये बात सही लगी और उसने मुझसे कहा.

अजय बोला “तुम शायद ठीक कहती हो. वो तुम्हे अपनी बड़ी बहन मानती है. मेरी तरफ से तुम्हे पूरी छूट है कि, तुम जब चाहो उसे ये सच्चाई बता सकती हो.”

आज्जि की बात सुनकर, मुझे खुशी हुई कि, वो मेरी बात समझने को तैयार है. मैने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

मैं बोली “हान्ं, हम उसे सारी सच्चाई बता देगे. लेकिन अभी उसे कुछ भी बताना, उसके लिए सही नही है. अभी वो अपने भाई की मौत से उबरने की कोसिस कर रही है. ऐसे मे उसे ये सच्चाई पता चली तो, वो टूट कर रह जाएगी. मैं चाहती हूँ कि पहले वो अच्छी तरह से संभाल जाए. उसके बाद कोई सही मौका देख कर, हम उसे ये सच्चाई बता देगे. लेकिन तब तक हमे सब कुछ वैसा ही चलने देना है, जैसा अभी चल रहा है.”

मेरी इस बात को किसी ने भी काटने की कोई कोसिस नही की और सभी इसे मानने के लिए तैयार हो गये. एक तरह से मैने सीरत के सुरू किए गये नाटक पर सबकी सहमति की मुहर लगा दी थी.

अगले दिन अज्जि वापस सूरत लौट गया और फिर उसके 2 दिन बाद शिखा ने भी अपना जॉब जाय्न कर लिया. मैने हॉस्पिटल मे सबको बता रखा था कि, शिखा मेरी छोटी बहन लगती है. मैं हॉस्पिटल मे एक पीडिट्रिक आंड अडल्ट हार्ट सर्जन थी, इसलिए मेरे होते शिखा को हॉस्पिटल मे कोई परेशानी होने की बात ही नही थी.

लेकिन शिखा को किसी भी बात के लिए मेरी कोई ज़रूरत नही पड़ी. धीरे धीरे उसका काम ही उसकी पहचान बन गया. उसकी काम के लिए लगन और मरीजों के लिए सेवा भाव ने सबका दिल जीत लिया. वो जल्दी ही सबकी चहेती नर्स बन गयी.

इधर अज्जि हफ्ते मे एक दो बार आरू से मिलने आता रहता था. लेकिन जब से उसे शिखा के जॉब पर आने की खबर लगी थी. तब से उसने हॉस्पिटल आना बंद कर दिया था. शायद अब वो शिखा का सामना करना नही चाहता था.

लेकिन जल्दी ही अमन ने आरू की सर्जरी की डेट फिक्स कर दी और आरू की सर्जरी के दिन हॉस्पिटल मे अज्जि का सामना शिखा से हो ही गया. शायद अज्जि को भी इस बात का पहले से अंदेशा था. इसलिए इस बार वो हॉस्पिटल बड़े ही साधारण से पहनावे मे आया था.

आरू की सर्जरी का शिखा को पहले से पता था. मगर उसकी ड्यूटी दूसरे वॉर्ड मे लगी थी. इसके बाद भी वो सर्जरी के समय बार बार सबसे मिलने आती और आरू का हाल चाल पूछ कर चली जाती.

सर्जरी के बाद आरू को प्राइवेट रूम शिफ्ट कर दिया गया. अपनी ड्यूटी ख़तम होने के बाद शिखा ने, अमन से अपनी ड्यूटी आरू के पास लगवाने की बात की तो, अमन ने उसकी बात मानने से इनकार ना कर सका और उसने शिखा की ड्यूटी आरू के पास लगवा दी.

अगले दिन शिखा को आरू के पास देख कर अज्जि हैरान हो गया. बाद मे शिखा ने ही उसे बता दिया कि, उसने ही अपनी ड्यूटी आरू के पास लगवाई है. शिखा की बात सुनकर अज्जि को खुशी तो हुई. लेकिन अब वो शिखा से दूर ही रहना चाहता था.

आरू को अभी लगभग एक महीना हॉस्पिटल मे रहना था. क्योकि उसकी 3-4 सर्जरी होना थी. ऐसे मे अज्जि के हॉस्पिटल ना आने का सवाल ही नही उठता था. मगर अगले दिन से अज्जि ने दिन की जगह सिर्फ़ रात को हॉस्पिटल मे रहना सुरू कर दिया.

मगर शिखा ये देख कर हैरान थी कि, आरू हॉस्पिटल मे है और उसका भाई उस से मिलने नही आ रहा है. उसे जब एक दो दिन अज्जि हॉस्पिटल मे नज़र नही आया तो, उसने बातों बातों मे आरू से कहा.

शिखा बोली “आरू, तुम हॉस्पिटल मे हो और तुम्हारे भाई, तुमसे मिलने एक बार भी नही आते. क्या वो किसी काम मे बिज़ी है.”

शिखा की बात सुनकर, आरू हँसने लगी और फिर उसने मुस्कुराते शिखा से कहा.

अर्चना बोली “मेरे भैया के लिए मुझसे बढ़ कर कोई काम नही है. वो मुझे ऐसी हालत मे अकेले छोड़ कर रह ही नही सकते. असल मे यहाँ दिन मे सभी लोग रहते है. इसलिए जब रात को कोई मेरे पास नही रहता, तब भैया और सीरू दीदी मेरे पास रहते है.”

आरू की इस बात ने शिखा की हैरानी का तो अंत कर दिया था. मगर शिखा के मन मे अज्जि से मिलने की जो ललक थी उसका अंत नही हो सका था. दो दिन तक सब ठीक तक चलता रहा और शिखा अपनी ड्यूटी आरू के पास ही करती रही.

लेकिन तीसरे दिन मुझे शिखा नज़र नही आई. ये पहली बार हुआ था कि, शिखा बिना मुझे बताए ड्यूटी से गायब थी. मुझे लगा कि कही उसकी तबीयत तो खराब नही हो गयी. उसके बारे मे जानने के लिए मैने उसको कॉल किया तो, उसने मुझसे कहा.

शिखा बोली “दीदी घर मे मम्मी की तबीयत सही नही है. जिसकी वजह से अभी मुझे घर का काम भी करना पड़ रहा है. इसलिए मैने अपनी ड्यूटी नाइट शिफ्ट मे करवा ली है. सॉरी, मैं आपको ये बात बताना भूल गयी थी.”

मुझे उसकी इस बात मे कोई बुराई नज़र नही आई. मैने उसे दिलासा देते हुए कहा.

मैं बोली “पागल इसमे सॉरी बोलने वाली क्या बात है. यदि आंटी की तबीयत सही नही है तो, तुझे कुछ दिन की छुट्टी ही लेना थी. अपनी ड्यूटी नाइट शिफ्ट मे करवाने की क्या ज़रूरत थी.”

शिखा बोली “नही, छुट्टी लेने जैसी कोई बात नही है. बस घर के काम की वजह से ही ड्यूटी बदलवाना पड़ गयी.”

मैं बोली “ओके जैसी तेरी मर्ज़ी. यदि तुझे छुट्टी लेना हो तो बेजीझक छुट्टी ले लेना. बाकी मैं देख लुगी.”

इतना कह कर मैने कॉल रख दिया. मैने ये बात अमन को बताई तो, उसने कहा कि, शिखा ने उस से इस बारे मे कुछ नही बताया. लेकिन तुम शाम को घर जाती समय उसकी मम्मी को देखती हुई जाना.

मुझे अमन की बात ठीक लगी और शाम को घर जाती समय, मैं शिखा के घर चली गयी. लेकिन मुझे अपने घर मे देख कर, शिखा कुछ खास खुश नज़र नही आ रही थी और बहुत बहुत डरी डरी सी लग रही थी.

पहले तो मुझे शिखा का ये व्यवहार अजीब सा लग रहा था. लेकिन बाद मे मैने शिखा की मम्मी को अच्छा भला देखा तो, मुझे शिखा के इस तरह डरने का मतलब समझ मे आ गया था. इसलिए मैने घर मे कोई ऐसी बात नही की, जो शिखा के लिए मुसीबत पैदा कर दे.

लेकिन घर से बाहर निकलते ही, जब शिखा मुझे गाड़ी तक छोड़ने आई तो, मैने उस से कहा.

मैं बोली “आंटी तो अच्छी भली है. फिर तुमने मुझसे उनकी तबीयत का झूठ क्यो बोला.”

मेरी बात सुनकर, शिखा ने शर्मिंदा होते हुए कहा.

शिखा बोली “सॉरी दीदी. असल मे बात ये थी कि, दिन मे तो आरू के पास आप सब लोग रहते है. लेकिन रात मे वो अकेली ही रहती है. आख़िर वो आपके परिवार का एक हिस्सा है और उसके लिए मेरा भी कुछ फ़र्ज़ बनता है. बस इसीलिए मैने अपनी ड्यूटी नाइट मे करवा ली.”

शिखा की ये बात मेरे दिल को छु गयी. मैने उसे समझाते हुए कहा.

मैं बोली “तो इसमे झूठ कहने की क्या ज़रूरत थी. तुम यदि मुझसे या अमन से रात को आरू के पास रुकने की बात बोलती तो, क्या हम तुमको ऐसा करने से रोक देते. हमे तो उल्टे इस बात से खुशी ही होती ना.”

मेरी बात को सुनकर, शिखा ने किसी छोटे बच्चे की तरह अपने कान पकड़ते हुए कहा.

शिखा बोली “सॉरी दीदी, अब कभी आपसे झूठ नही बोलुगी. बस इस बार माफ़ कर दीजिए.”

उसके इस भोलेपन को देख, मैने प्यार से उसके गाल पर एक चपत लगाते हुए कहा.

मैं बोली “तू नही सुधरेगी. तूने तो बात बात पर सॉरी कहना सीख रखा है. ओके, तो अब मैं चलती हूँ, बाइ.”

शिखा ने भी मुझे हाथ हिलाकर बाइ किया और फिर मैं घर के लिए निकल गयी. मैने ये बात फोन पर अमन को बताई तो, उसने मुझे ताना मारते हुए कहा.

अमन बोला “ये तो बहुत अच्छी बात है कि, रत को आरू की देख भाल के लिए शिखा उसके पास रहेगी. लेकिन मुझे लगता है कि, तुमको ये बात मुझे बताने से ज़्यादा, अज्जि और सीरू को बताने की ज़रूरत है. ताकि तुम सब लोग मिलकर, शिखा से कोई नया झूठ बोलने की तैयारी कर सको.”

अमन की बात सुनकर, उस वक्त मुझे उस पर गुस्सा तो बहुत आया. लेकिन अमन की बात बेकार की नही थी. उसने इस बात की तरफ इशारा कर दिया था कि, अब एक बार फिर से अज्जि और शिखा का सामना होने वाला है. जिस सामना होने का मतलब था कि, अजजी और शिखा की कहानी नया मोड़ ले सकती है.

मगर यहाँ परेशानी ये थी कि, अज्जि शिखा का सच जानने के बाद उस से दूरी बना रहा था और शिखा हर सच से अंजान थी. ऐसे मे उन दोनो के लिए मैं क्या कर सकती हूँ, ये बात मेरी समझ के बाहर थी. मैने ये बात अमन से ही जानने के लिए, मैने अमन की बात से अंजान बनते हुए कहा.

मैं बोली “ये तुम कैसी बात कर रहे हो. तुम्हे तो पता है कि अज्जि पहले ही फ़ैसला कर चुका है कि, वो अब शिखा से दूर ही रहेगा. फिर भला हमे उस से कोई झूठ बोलने की ज़रूरत क्या है.”

मेरी बात सुनकर अमन ने मुस्कुराते हुए कहा.

अमन बोला “एक झूठ को छिपाने के लिए हज़ार झूठ बोलना पड़ते है. तुम लोगों ने झूठ का बीज बोया था. अब वो पेड़ बनने लगा है.”

अमन की ये बात सच मे मेरी समझ के बाहर थी. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, अमन का इशारा किस बात की तरफ है. मैने उस से इसकी वजह पूछते हुए कहा.

मैं बोली “तुम कहना क्या चाहते हो, मेरी तो कुछ समझ मे नही आ रहा है. जो भी कहना है, साफ साफ कहो. बेकार की पहेलियाँ मत बुझाओ.”

मेरी इस बात के जबाब मे अमन ने कहा.

अमन बोला “तुमको क्या लगता है कि, शिखा रात को आरू के पास क्यो रुकना चाहती है.”

मैं बोली “इसमे लगना क्या है. शिखा ने खुद बताया है कि, आरू के पास रात को कोई नही रहता है. इसलिए वो रात को आरू के पास रहना चाहती है.”

मेरी बात सुनकर अमन ने कहा.

अमन बोला “लेकिन शिखा को कैसे मालूम कि, रात को आरू के पास कोई नही रहता.”

अमन की ये बात सुनकर, मैने झुंझलाते हुए उस से कहा.

मैं बोली “कैसी बच्चों जैसी बात करते हो. वो दिन भर आरू के पास रहती है. तभी उसने किसी ना किसी से पता कर लिया होगा कि, रात को आरू के पास कौन रहता है.”

मेरी बात सुनकर, अमन ने कहा.

अमन बोला “बच्चों जैसी बात मैं नही तुम कर रही हो. शिखा ये अच्छी तरह से जानती है कि, रात को आरू अकेली नही रहती. रात को आरू के पास सीरू और अज्जि रहते है. इसलिए उसने अपनी नाइट ड्यूटी लगवाने की बात, मुझसे या तुमसे नही की थी. क्योकि उसे लगा होगा कि, मैं या तुम उसे नाइट ड्यूटी करने से रोक देगे.”

अमन की इस बात ने सच मे मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया था. मगर मैं शिखा के ऐसा करने का मतलब समझ नही पा रही थी. मैने अमन पर अपनी हैरानगी जाहिर करते हुए कहा.

मैं बोली “लेकिन तुम ये सब बात इतनी यकीन के साथ कैसे कह रहे हो.”

मेरी बात सुनकर, अमन ने मुझे समझाते हुए कहा.

अमन बोला “क्योकि 2 दिन पहले मुझे आरू ने बताया था कि, शिखा उस से पूछ रही थी कि, उसके भैया उसे देखने क्यो नही आते. तब आरू ने उसे बताया था कि, अज्जि और सीरू दीदी रात को उसके साथ रहते है.”

अमन की बात सुनकर, मैने चौक्ते हुए उस से कहा.
मैं बोली “इसका मतलब तो ये हुआ कि, शिखा ने अज्जि की वजह से अपनी ड्यूटी रत की शिफ्ट मे करवाई है. शिखा से मुझे ऐसी उम्मीद नही थी. मगर अचानक ऐसा क्या हुआ, जो शिखा का झुकाव अज्जि की तरफ हो रहा है.”

अमन बोला “यार तुम एक लड़की होकर भी ऐसी बात कर रही हो. लड़की कितनी भी सीधी क्यो ना हो. मगर अपनी तरफ उठती किसी भी लड़के की नज़र को अच्छी तरह से समझती है. उस पर यदि कोई लड़का अज्जि की तरह का हो तो, किसी भी लड़की के लिए उसे अनदेखा कर पाना नामुमकिन है. फिर चाहे वो लड़की शिखा ही क्यो ना हो.”

“आज्जि शिखा को पहली मुलाकात से ही देखते आ रहा है. जब ये बात हम मे से किसी की नज़र से नही छुप सकी तो, फिर भला शिखा की नज़र से कैसे छुप सकती है. वो इस बात को अच्छी तरह से समझती है कि, अज्जि उसे पसंद करता है और शायद ये ही बात उसे भी अज्जि की तरफ खीच कर ले जा रही है.”

अमन की ये बात सुनकर, मेरी खुशी का कोई ठिकाना नही था. मैने खुश होते हुए अमन से कहा.

मैं बोली “ये तो तुमने बहुत खुशी की बात बताई है. अब अज्जि और शिखा को मिलने से कोई नही रोक सकता.”

मेरी बात के जबाब मे अमन ने बड़ी ही गंभीरता से कहा.

अमन बोला “ये सिर्फ़ तुम्हारी सोच है. ऐसा कुछ नही होगा. जब तक शिखा को सारी सच्चाई का पता नही लग जाता, तब तक अज्जि उसकी तरफ आगे कदम नही बढ़ाएगा और जब शिखा को सच्चाई का पता चलेगा, वो खुद अज्जि की तरफ कदम बढ़ाने से रुक जाएगी. इसलिए ये सपने देखना बंद कर दो.”

अमन की इस बात मे भी कड़वी सच्चाई थी. मेरा दिमाग़ तो अमन की बात को समझ रहा था. मगर मेरा दिल अमन की इस बात को मानने से इनकार कर रहा था. थोड़ी देर अमन से इस बारे मे बात करने के बाद, मैने कॉल रख दिया.

लेकिन अब भी मेरे दिमाग़ मे अमन की कही बातें गूँज रही थी. जिनका कोई भी जबाब मेरे पास नही था. मैं समझ नही पा रही थी कि, अब ऐसी स्थिति मे मुझे क्या करना चाहिए. ये सब सोच सोच कर मेरा दिमाग़ ही काम करना बंद कर दिया था.

लेकिन फिर अचानक ही मुझे अमन की कही एक बात याद आई की, जब अपना दिमाग़ काम ना करे तो, उसके दिमाग़ का इस्तेमाल करो. जिसके दिमाग़ पर आपको सबसे ज़्यादा विस्वास हो. इसके साथ ही मेरी आँखों के सामने एक चेहरा घूमने लगा.

उस चेहरे को देखते ही, मेरा चेहरा भी खुशी से खिल उठा और मैने अपने आप से कहा कि, यदि वो सीता है तो, उसे उसके राम से मिलने से कोई नही रोक सकता. ये बात खुद से कहकर, मैने मुस्कुराते हुए अपना मोबाइल उठाया और कॉल लगाने लगी.
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09-09-2020, 02:49 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मेरा कॉल जाते ही अज्जि ने कॉल उठाते हुए कहा.

अजय बोला “हां, बोलो निशा. आरू कैसी है.”

मैने अज्जि की इस बात का मुस्कुराते हुए जबाब देते हुए कहा.

मैं बोली “मैं भी अच्छी हूँ और आरू भी अच्छी है. लेकिन मैं अभी हॉस्पिटल से नही, घर से कॉल कर रही हूँ.”

अजय बोला “क्यों क्या हुआ. कोई खास काम था क्या.”

मैं बोली “हां, काम तो तुमसे बहुत खास है. मगर पता नही कि, मैं तुम्हारे लिए खास हूँ भी या नही.”

मेरी बात सुनकर, अजजी कुछ असमंजस मे पड़ गया. उसे समझ मे नही आ रहा था कि, मैं आज ये कैसी बात कर रही हूँ. उसने मुझसे कहा.

अजय बोला “ये आज तुमको अचानक क्या हो गया और ये तुम कैसी बहकी बहकी बातें कर रही हो. मेरे लिए तो तुम उतनी ही खास हो, जितना कि अमन है.”

आज्जि की बात सुनकर, मैने हंसते हुए उस से कहा.

मैं बोली “ये सब बोलने की बातें है. ये तो वक्त खुद ही बता देता है कि, कौन किसके लिए कितना खास है.”

मेरी इन बातों से परेशान होकर अज्जि ने मुझसे कहा.

अजय बोला “अब मैं तुम्हे यकीन दिलाऊ कि तुम मेरे लिए सिर्फ़ खास ही नही बल्कि मेरे परिवार का एक ऐसा हिस्सा हो, जिसके बिना मेरा परिवार पूरा ही नही हो सकता.”

आज्जि की इस बात को सुनने के बाद, मुझे उसको और परेशान करना ठीक नही लगा. मैने उसके सामने अपनी बात रखते हुए कहा.

मैं बोली “ओके, मैं तुम्हारी इस बात का यकीन कर लेती हूँ और यदि इस बात मे कुछ झूठ नही है तो फिर तुम्हे मेरी एक बात मानना होगी.”

मेरी बात के जबाब मे, अज्जि ने बिना कुछ सोचे समझे और बिना कोई देर किए मुझसे कहा.

अजय बोला “हां बोलो, मैं तुम्हारी हर बात मानने को तैयार हूँ.”

मैं बोली “ओके, मैं रात को डिन्नर के बाद तुमको आरू के पास मिलती हूँ. वही तुम्हे अपनी बात बता दुगी.”

इतना कह कर, मैने कॉल रख दिया. आज्जि का कॉल रखने के बाद मैने सीरत से बात की और उसको सब कुछ समझा दिया. सीरत भी मेरी बात को सुनकर बहुत खुश हुई और उसने यकीन दिलाया की, वो सब मेरी इस बात मे मेरा पूरा साथ देगी.

रात को डिन्नर के बाद, मैं 10 बजे हॉस्पिटल पहुचि. उसके पहले मैने अमन से कॉल करके बोल दिया था कि, मैं रात को आरू के पास आउगि. इसलिए वो सेलू को उसके पास ही रहने दें. मैं घर लौटते वक्त उसे भी घर छोड़ दुगी.

मेरी बात सुनकर, अमन ने सेलू को हॉस्पिटल मे ही छोड़ दिया था. मैं जब हॉस्पिटल पहुचि तो, आरू के पास अज्जि था. सेलू और सीरू मुझे बाहर ही टहलती मिल गयी. मैने उनसे थोड़ी बहुत बात की और फिर हम आरू के पास आ गये.

मैने और का हाल चाल पूछा और फिर वही सब के साथ बैठ गयी. आज्जि के चेहरे पर अब भी मेरी बात का असर नज़र आ रहा था. उसने मुझे बैठे देख कर, एक फीकी सी मुस्कान दी और फिर सब से बात करने लगा.

सब से बात करते हुए भी अज्जि की नज़र बार बार मुझ पर ही जा रही थी. कुछ देर तक वो मेरे कुछ बोलने का इंतजार करता रहा. लेकिन जब मैने उस से कुछ नही कहा तो, उसने खुद ही मुझसे कहा.

अजय बोला “तुम मुझसे क्या बोलना चाहती थी.”

आज्जि की बात सुनकर मैने मुस्कुराते हुए उस से कहा.

मैं बोली “सिर्फ़ मैं ही नही, हम सब तुमसे कुछ बोलना चाहते है.”

मेरी बात सुनकर, अज्जि हैरानी से एक एक करके हम सब की तरफ देखा और फिर कहा.

अजय बोला “लेकिन तुम सबको बोलना क्या है.”

आज्जि की इस बात का जबाब सीरत ने देते हुए कहा.

सीरत बोली “भैया, हम सब चाहते है कि, अब आप शादी कर लीजिए और हमारे लिए एक प्यारी सी भाभी ले आइए.”

सीरत की बात सुनकर, अज्जि ने राहत की साँस ली और मुझसे कहा.

अजय बोला “क्या सच मे तुम्हे ये ही बात करना थी.”

मैं बोली “हां, मेरी बात ये ही थी. अब ये तय तो तुमको करना है कि, तुम मेरी बात मनोगे या नही.”

आज्जि ने मेरी बात सुनकर, पहली बार मुस्कुराते हुए कहा.

अजय बोला “ये तुमको अचानक क्या हो गया. भला ये भी शादी की बात करने का कोई समय है. अभी तो हमे सिर्फ़ आरू के बारे मे ही सोचना चाहिए. उसके बाद ही इस बारे मे बात करना अच्छा रहेगा.”

आज्जि सीधे सीधे तो नही मगर आरू की तबीयत की आड़ लेकर इस बात को टालना चाहता था. लेकिन सीरू ने अज्जि की इस कोसिस पर पानी फेरते हुए कहा.

सीरत बोली “भैया बात को टालने की कोसिस मत कीजिए. भाभी जो बोल रही है, वो ही हम सब भी चाहते है. अब यदि आप हम लोगों की बात नही मानना चाहते तो, कोई बात नही.”

सीरू की बात सुनकर, अज्जि ने उसे समझाते हुए कहा.

अजय बोला “मैं कब तुम लोगों की बात को मानने से मना कर रहा हूँ. लेकिन शादी के लिए कोई लड़की भी तो होना चाहिए ना. तुम लोग पहले कोई लड़की तो पसंद कर लो. फिर मैं शादी भी कर लूँगा.”

आज्जि अपनी बात बोल कर सबका चेहरा देखने लगा. उसे लगा कि इस बात से शायद सबका शादी की ज़िद करना बंद हो जाएगा. लेकिन उसकी इस बात का जबाब सेलू ने जबाब देते हुए कहा.

सेलिना बोली “भैया हम लोगों को कोई लड़की ढूँढने की ज़रूरत नही है. हमने जो लड़की अपनी भाभी के लिए पसंद की थी. हम चाहते है कि, वो ही हमारी भाभी बने.”

सेलू की इस बात ने अज्जि को परेशानी मे डाल दिया. उसने सेलू को समझाते हुए कहा.

अजय बोला “ये तुम्हारे चाहने या ना चाहने की बात नही है. तुम सबको भी ये बात पता है कि, वो तुम्हारी भाभी नही बन सकती. फिर तुम लोगों का ऐसी ज़िद करना अच्छी बात नही है.”

आज्जि की इस बात का जबाब मैने देते हुए कहा.

मैं बोली “अज्जि वो इनकी भाभी बन सकती. यदि हम सब उस से बात करे और अपनी ग़लती की माफी माँगे तो, मुझे उम्मीद है कि, ऐसा हो सकता है.”

लेकिन अज्जि ने मेरी बात को सुनकर, मेरे सारे मंसूबों पर पानी फेरते हुए कहा.

अजय बोला “ग़लती.? कैसी ग़लती.? मैने कोई ग़लती नही की है. अपनी बहन की जान बचाने की कोसिस करके मैने कोई ग़लत काम नही किया है. अब दुनिया इस बारे मे क्या सोचती है, मुझे इसकी कोई परवाह नही है.”

आज्जि ने दो टुक अपना जबाब सुना दिया था. आज्जि की बात सुनकर, एक पल के लिए मुझे लगा कि अब कुछ नही हो सकता. लेकिन अगले ही पल मुझे आरू का ख़याल आया. उसने भी इस बात मे मेरा साथ देने की बात कही थी. इसलिए मैने आरू की तरफ इशारा करते हुए अज्जि से कहा.

मैं बोली “ये ठीक है कि, तुम्हे इस बात की परवाह नही है कि, दुनिया इस बारे मे क्या सोचती है. लेकिन क्या तुमने ये जानने की कोसिस की है कि, तुम्हारी वो बहन इस बारे मे क्या सोचती है. जिसके लिए तुमने ये सब किया है.”

इतना बोल कर मैं अज्जि की तरफ सवालिया नज़रों से देखने लगी. मेरी बात सुनकर, अज्जि ने मेरी तरफ देखा और फिर आरू के सर पर हाथ रखते हुए कहा.

अजय बोला “यदि आरू मानती है कि, मैं ग़लत हूँ तो, मैं इसके सर की कसम खाकर कहता हूँ कि, मैं सिर्फ़ शिखा से ही नही, बल्कि उसके सारे खानदान से माफी माँगने और उनकी दी हुई हर सज़ा कबुल करने को तैयार हूँ.”

इतना बोल कर, अज्जि आरू के जबाब का इंतजार करने लगा. उस वक्त अज्जि ही नही, हम सबकी भी नज़र आरू की तरफ ही थी. सब आरू का जबाब सुनने को बेचैन थे. लेकिन आरू सबको देख कर मुस्कुरा रही थी.

फिर उसने अज्जि के हाथ को अपने सर से अलग करके अपने हाथों मे थामा और उसके हाथ को चूमते हुए कहा.

अर्चना बोली “मेरे भैया, मेरे लिए भगवान है और भगवान कभी कोई ग़लती नही करते.”

आरू के जबाब को सुनकर जहाँ, अजजी की आँखें भीग गयी थी और वो उसे लाड़ कर रहा था. वही आरू के जबाब को सुनकर, मुझे उस पर बहुत गुस्सा आ रहा था. उसने आख़िरी समय पर मुझे धोका दे दिया था.

मैं कसमसाना कर रह जाने के सिवा कुछ नही कर सकी थी. मेरे मन की बात को शायद सीरू समझ गयी थी. उसने मेरे पास आकर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए धीरे से मेरे कान मे कहा.

सीरत बोली “भाभी, आरू हमारा साथ देने से पीछे नही हटी है. लेकिन आपने उसे भैया के खिलाफ इस्तेमाल करने की कोसिस करके ग़लती कर दी. आपने ये सोच भी कैसे लिया कि, आरू कभी भैया के खिलाफ जा सकती है.”

“आरू भैया की सिर्फ़ कमज़ोरी नही, उनकी ताक़त भी है. आरू के लिए भैया कुछ भी कर सकते है और आरू के नाम से भैया से कुछ भी करवाया जा सकता है. अब आप देखिए आपकी बिगड़ी बात को मैं कैसे सीधा करती हूँ.”

ये कहते हुए, सीरू मेरे पास से अज्जि और आरू के पास जाकर खड़ी हो गयी. आज्जि हमेशा कहता था कि, सीरू का शैतानी दिमाग़ है और कुछ ना कुछ खुरापात उसके दिमाग़ मे पालती रहती है. मगर आज मैं दुआ कर रही थी कि, सीरू का दिमाग़ कुछ कमाल दिखा दे.

मेरी नज़र सीरू पर टिकी हुई थी कि, वो अब क्या करने वाली है. उधर सीरू ने अज्जि के पास जाकर, उस से कहा.

सीरत बोली “भैया, मैं भी यही मानती हूँ कि, आपने कुछ ग़लत नही किया है. लेकिन इस सब के बाद भी, मैं ये ही चाहती हूँ कि, शिखा ही मेरी भाभी बने. मैं तो शिखा के सिवा किसी और को अपनी भाभी के रूप मे देखना ही नही चाहती. अब सेलू और आरू क्या चाहती है, ये तो वो ही जानती है.”

सीरू की बात के जबाब मे सेलू ने भी इस बात मे अपनी सहमति दे दी. वही सीरू और सेलू की बात सुनकर, आरू ने अज्जि से कहा.

अर्चना बोली “भैया, मैं भी यही चाहती हूँ. यदि शिखा मेरी भाभी नही बन पाई तो, मेरे दिल पर जिंदगी भर ये ही बोझ रहेगा कि, वो मेरी वजह से ही मेरी भाभी नही बन पाई है.”

इतना बोल कर, आरू की आँखों से टॅप टॅप करके आँसू गिरने लगे. उसके आँसू देख कर, अज्जि का मन भी बदल गया. उसने आरू के आँसू पोछते हुए उस से कहा.

अजय बोला “तू रोती क्यो है पगली. तू चाहती है कि शिखा तेरी भाभी बने तो, अब चाहे जो भी हो जाए, वो ही तेरी भाभी बनेगी. तेरा ये भाई तेरे दिल पर कोई भी बोझ नही रहने देगा.”

आज्जि की बात सुनकर सबके चेहरे खुशी से खिल उठे. अब शिखा के लिए जो भी करना था, अज्जि को करना था. क्या करना है और कैसे करना है. ये सब सोचना अब मेरा नही अज्जि का काम था और ये सब सोचते हुए मैने एक सुकून भरी साँस ली.

अब रात ज़्यादा हो रही थी. इसलिए मैने सेलू को घर चलने को कहा और फिर हम दोनो घर के लिए निकल गये. घर के लिए निकलते समय मेरी शिखा से भी मुलाकात हुई. उस से थोड़ी बहुत बात करने के बाद मैने सेलू को घर छोड़ा और फिर मैं भी घर आ गयी.

इस घटना के बाद से अज्जि ने शिखा से दूरी बढ़ाने का इरादा छोड़ दिया और फिर दोनो की हॉस्पिटल मे रोज मुलाकात होने लगी. शिखा ने अज्जि से निक्की के बारे मे पूछा तो, अज्जि ने बताया कि, वो आरू की सहेली है और आरू के साथ ही पढ़ती है. निक्की के हॉस्टिल मे होने की वजह से शिखा को लगा था कि, आरू भी उसके साथ हॉस्टिल मे ही रहती है.

लेकिन उसने ये बात अज्जि से कभी पूछी नही. शिखा बार बार उस से अपनी टॅक्सी चलाने के बारे मे पूछती रहती थी और एक दिन अज्जि ने इसके लिए हां कर दिया. लेकिन अज्जि ने कहा कि, वो टॅक्सी आरू के हॉस्पिटल से छुट्टी होने के बाद ही चलाएगा और टॅक्सी को अपने पास ही रखेगा. जिसके लिए शिखा तैयार हो गयी.

आज्जि के ऐसा कहने की वजह ये थी कि, आरू के हॉस्पिटल से घर लौटते ही अज्जि भी वापस सूरत चला जाता. ऐसे मे शिखा से उसका रोज सामना हो पाना मुमकिन नही था. जबकि टॅक्सी उसके पास रहने से वो टॅक्सी अपने घर मे रख देता और शिखा ये ही समझती कि, वो उसकी टॅक्सी चला रहा है.

सब कुछ ठीक चलने लगा था. एक दिन हॉस्पिटल मे आरू के पास बैठ कर शिखा और सीरू आपस मे बातें कर रहे थे. तभी शिखा ने सीरू से अज्जि के घर परिवार के बारे मे पूछ लिया.

सीरू ने शिखा को बताया कि, अजजी का परिवार आरू ही है और वो एक किराए के मकान मे रहता है. तब शिखा ने कहा कि, आरू तो हॉस्टिल चली जाती होगी. ऐसे मे अज्जि का खाने पीने का ख़याल कौन रखता होगा.

शिखा की इस बात से सीरू समझ गयी कि, शिखा ये समझती है कि, आरू हॉस्टिल मे रहती है. उसने भी शिखा की इस सोच को नही झुटलाया और उस से कह दिया कि, अज्जि अपना खाना पीना घर के बाहर ही करता है.

सीरू ने शिखा से हुई ये बातें अज्जि को बता दी थी. ताकि अज्जि को शिखा की किसी बात का जबाब देने मे कोई परेशानी ना हो. मगर शिखा के दिमाग़ मे तो कोई और ही बात चल रही थी. जिसे समझ पाना सीरू तो क्या, किसी के भी बस की बात नही थी.
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09-09-2020, 02:50 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
इस बात के अगले दिन, शिखा रात को मेरे हॉस्पिटल आने का इंतजार करती रही. लेकिन रात को मेरा हॉस्पिटल जाना हमेशा नही होता था. इसलिए शिखा को मुझसे मिलने के लिए 2-3 दिन इंतजार करना पड़ गया.

इस बात के तीसरे दिन जब मैं एक मरीज को देखने हॉस्पिटल पहुचि तो, आरू के पास मेरी मुलाकात शिखा से भी हो गयी. वहाँ से लौटती समय शिखा ने मुझसे कहा.

शिखा बोली “दीदी, आरू के भैया किराए के मकान मे अकेले रहते है और ऐसे मे उनको खाने पीने की परेशानी होती है. यदि वो चाहे तो, मेरे घर मे पेयिंग गेस्ट बनकर रह सकते है.”

शिखा की इस बात ने मुझे चौका कर दिया था और मुझे ये देख कर खुशी भी हो रही थी की, उन दोनो को पास लाने की हमारी कोसिस रंग ला रही थी. लेकिन अज्जि के लिए ऐसा कर पाना मुमकिन नही था. इसलिए मैने समझाते हुए कहा.

मैं बोली “अज्जि अपनी मर्ज़ी से ही किराए के मकान मे रहता है. वरना उसे अमन के घर रुकने मे भी कोई रोक नही है. अमन का एक मकान यहाँ खाली पड़ा हुआ है. अमन ने अज्जि को वहाँ रुकने को भी बोला है. लेकिन अज्जि रहने को तैयार ही नही है. मुझे नही लगता कि वो इस बात के लिए तैयार होगा.”

मेरी ये बात सुनकर शिखा को निराशा हुई. उसने मुझे अपनी परेशानी बताते हुए कहा.

शिखा बोली “मेरे घर मे कोई मर्द नही है. ऐसे मे चाह कर भी किसी अंजान को अपने घर मे किरायेदार नही रख सकते. लेकिन आरू के भैया के आ जाने से, हमारे घर मे एक किरायेदार भी आ जाएगा और घर मे एक मर्द का साया भी हो जाएगा.”

शिखा की इस बात मे मुझे एक सच्चाई नज़र आई. मैने ना चाहते हुए भी उस से कह दिया कि, मैं अज्जि से इस बारे मे बात करूगी. मैं इस बार मे अज्जि का जबाब पहले से ही जानती थी. मगर फिर भी मैने उस से इस बारे मे बात की और उसने ऐसा करने से साफ मना कर दिया.

अभी इस बात को हुए 2 दिन ही बीते थे कि, आरू की दूसरी सर्जरी के अगले ही दिन अज्जि किसी काम से वापस सूरत चला गया. वहाँ से आने के बाद वो कुछ परेशान सा लग रहा था. लेकिन उसने कोई परेशानी होने से साफ मना कर दिया.

मगर फिर उसने मुझे ये कह कर चौका दिया कि, वो शिखा के घर मे पेयिंग गेस्ट बन कर रहने को तैयार है. मुझे अज्जि का अचानक से ये बदलाव समझ मे नही आया. फिर भी मैने इस बात की खबर शिखा को दे दी.

शिखा को मेरी ये बात सुनकर बहुत खुशी हुई. उसने कहा कि वो जब चाहे या आकर रह सकते है. इसके बाद अज्जि ने अपनी तीनो बहनो से कहा कि, अब वो जल्दी से जल्दी उनकी भाभी को लाना चाहता है. इसलिए अब वो शिखा के घर मे पेयिंग गेस्ट बनकर रहेगा.

आज्जि की ये बात सुनकर, सबको बहुत खुशी हुई. उसी दिन से अज्जि ने शिखा के घर मे पेयिंग गेस्ट बन कर रहना सुरू कर दिया. आज्जि रात भर आरू के पास रहता और दिन भर शिखा के घर मे रहता.

मगर अब अज्जि बहुत थका थका सा और परेशान सा लगता था. सीरू अज्जि के साथ हॉस्पिटल मे रहती थी. इसलिए ये बात उस से छुपि ना रह सकी. उसके मन मे इस सब को लेकर बहुत से सवाल उठ रहे थे.

अगले दिन अज्जि ने सीरू को घर छोड़ा और फिर शिखा के घर चला गया. आज्जि के जाने के बाद सीरू तैयार हुई और फिर शिखा के घर चली गयी. वहाँ उसकी शिखा से मुलाकात हुई तो, उसने कहा कि, वो भैया का नया घर देखने आई है.

शिखा ने बताया कि, अज्जि तो टॅक्सी लेकर चला गया. फिर वो सीरू के लिए चाय पानी लेने चली गयी. मगर शिखा की इस बात ने सीरू के दिमाग़ मे एक धमाका सा कर दिया था. उसने अज्जि को कॉल लगाया तो, अज्जि ने उस से कहा कि, वो अपने नये घर मे आराम कर रहा है.

आज्जि की इस बात ने सीरू के मन के शक़ को और पक्का कर दिया. शिखा के घर चाय पानी करने के बाद, सीरू सीधे मेरे पास आई. उसने ये सारी बातें मुझे बताई तो, मैने उस से कहा कि, अज्जि जब से सूरत से आया है, तभी से वो कुछ परेशान परेशान सा नज़र आ रहा है. मेरी इस बात का समर्थन सीरू ने भी किया.

मैने भी अज्जि को कॉल किया तो, उसने मुझे भी वो ही जबाब दिया जो, उसने सीरू को दिया था. अब एक बात तो हमारे समझ मे आ चुकी थी कि, अज्जि हमसे कुछ छुपाना चाहता था. इसलिए वो शिखा के घर पर पेयिंग गेस्ट बन कर रहने को तैयार हुआ था.

ये बात समझ मे आते ही सीरू की आँखे आँसुओं से भीग गयी. उसने नम आँखों से कहा.

सीरत बोली “भाभी, लगता है कि भैया किसी बड़ी परेशानी मे फस गये है. वरना वो हमसे इतना बड़ा झूठ कभी नही कहते. वो हमसे कुछ छुपा रहे है.”

सीरू की इस बात मे मुझे भी सच्चाई नज़र आ रही थी. लेकिन मैने उसे समझाते हुए कहा.

मैं बोली “जिस भाई के पास तेरे जैसी बहन हो. उस भाई का कोई भी परेशानी कुछ नही बिगड़ सकती. तू फिकर मत कर, मैं अभी अमन से इस बारे मे बात करती हूँ.”

ये कह कर, मैने सीरू को अपने साथ लिया और सीधे अमन के पास आ गयी. मैने सारी बातें अमन को बता दी. जिसे सुनने के बाद अमन ने फ़ौरन सूरत अज्जि मॅनेजर को कॉल लगाया और वहाँ के हालत जानने लगा.

जैसे जैसे अमन को वहाँ के हालत पता चल रहे थे. वैसे वैसे उसके चेहरे का रंग बदलता जा रहा था. वहाँ के हालत जान कर अमन भी कुछ परेशान सा हो गया और उसने हमसे कहा.

अमन बोला “मुझे अभी ही सूरत जाना होगा. आज्जि अभी सूरत मे ही है.”

अमन इस समय बहुत परेशान लग रहा था. सीरू ने उसे इतना परेशान देख कर उस से कहा.

सीरत बोली “लेकिन भैया ऐसा क्या हुआ है, जिसकी वजह से अज्जि भैया झूठ बोल कर सूरत गये है और जिसे सुनने के बाद, आप भी सूरत जाने की बात कर रहे है.”

सीरू की बात सुनकर, अमन ने उसको अज्जि के हालत बताते हुए कहा.

अमन बोला “अज्जि इसके पहले जब काम का बोल कर सूरत गया था. उस समय उसकी एक मिल मे आग लग गयी थी. जिस से उसे करोड़ों का नुकसान हुआ है. ऐसे समय मे अज्जि का सूरत मे रहना ज़रूरी था. लेकिन वो आरू को भी अकेला छोड़ना नही चाहता था. वो ये बात बता कर, हमको भी परेशान करना नही चाहता होगा, इसलिए वो शिखा के घर मे पेयिंग गेस्ट बन कर रहने को तैयार हो गया. ताकि हमे इस बात के बारे मे कुछ भी पता ना चल सके.”

अमन की ये बात सुनने के बाद भी सीरू को तसल्ली नही हुई. उसने अपनी चिंता जाहिर करते हुए कहा.

सीरत बोली “लेकिन ये इतनी बड़ी बात तो नही है कि, भैया इतने ज़्यादा परेशान हो जाए. मुझे लगता है कि, बात कुछ और है.”

सीरू की बात सुनकर, पहले मुझे हैरानी हुई कि, वो एक मिल के जल जाने को भी बड़ी बात नही कह रही है. लेकिन फिर मुझे इस बात का अहसास हुआ कि, वो अज्जि के पास पैसों की कोई कमी ना होने की वजह से ऐसी बात कह रही है. वही अमन ने सीरू की बात सुनी तो, उसने सीरू को समझाते हुए कहा.

अमन बोला “अज्जि के परेशान होने की वजह ये भी हो सकती है कि, ये मिल उसने अपनी मेहनत के बल पर खड़ी की थी. अब जो भी बात हो, ये बात वहाँ जाने पर ही पता लगेगी. इसलिए मैं वहाँ फ़ौरन जाना चाहता हूँ.”

इतना कह कर, अमन सूरत जाने की तैयारी करने लगा और कुछ ही देर बाद वो सूरत के लिए निकल गया. अमन के जाने के बाद मैने सीरू को बड़ी मुस्किल से समझा कर और ये बात किसी को भी बताने का मना करके घर भेज दिया.

सूरत पहुच कर, अमन ने मुझे वहाँ के सारे हालत बताए. जिसे सुनकर मुझे अज्जि के इतना ज़्यादा परेशान होने की वजह समझ मे आ गयी थी. मैने अमन को विस्वास दिलाते हुए कहा कि, मैं अज्जि की हर मदद करने के लिए तैयार हूँ. फिर अमन ने कुछ ज़रूरी बातें बता कर कॉल रख दिया.

रात को जब अमन अज्जि के साथ वापस आया तो, उसने ये बात कॉल करके मुझे बता दी. उनके आने की बात सुनते ही मैं अज्जि से मिलने हॉस्पिटल पहुच गयी. अजजी मेरे पहुचने के बाद, सीरू के साथ हॉस्पिटल पहुचा.

सीरू गुस्से मे लग रही थी और आते ही सीधे आरू के पास चली गयी. उसके जाने के बाद, मैं अज्जि के साथ अपने रूम मे आ गयी और उस से सूरत के हालत पूछने लगी. आज्जि ने मुझे सारे हालत बताए और फिर जब हम आरू के पास जाने के लिए उठे तो, सीरू दरवाजे पर खड़ी रो रही थी.

आज्जि ने आकर, उसके सर पर हाथ फेरा और उसके आँसू पोंछ कर, उसे अपने सीने से लगाते हुए कहा.

अजय बोला “तू मुझसे इस बात को लेकर नाराज़ थी ना कि, मैने तुझसे ये बात क्यो छुपाई. अब तू ही देख, जब तुझे ये बात पता चली तो तू क्या कर रही है. ये जो तेरी आँखों के मोती है. ये ही मेरी असली दौलत है और इन्हे मैं एक नकली दौलत के लिए खोना नही चाहता था. तेरा भाई एक बिज़्नेसमॅन और फिर भला वो अपने हाथ से, खुद अपना नुकसान कैसे कर सकता था.”

आज्जि की बात सुनकर, मेरी आँखे भी छलक गयी. वही सीरू उस पर झूठा गुस्सा दिखा कर उसे मुक्का मारने लगी. अभी भाई बहन की ये तकरार चल ही रही थी कि, तभी अज्जि को ढूँढते हुए शिखा वहाँ आ गयी और उसने कहा कि, आरू बहुत देर से आप लोगों के आने का रास्ता देख रही है. उसकी बात सुनकर, सब आरू के पास आ गये.

इसके बाद से अज्जि रात को आरू के पास रहता था और सुबह सूरत जाकर अपनी मिल का काम देखता. शिखा को यही लगता कि अज्जि टॅक्सी चला रहा है. जबकि बाकी लोगों को अमन ने बोल दिया था कि, अज्जि को काम की वजह से, उसका रोज सूरत जाना ज़रूरी है. जिस वजह से अज्जि के घर मे ना रहने से कोई सवाल नही उठा.

आरू को बस ये बताया गया कि, अज्जि शिखा के घर मे पेयिंग गेस्ट बन कर रहने लगा है. जिसे सुनकर वो भी बहुत खुश थी. मेरे, अमन और सीरू के सिवा किसी को भी अज्जि के रात दिन के इस संघर्ष के बारे मे पता नही था.

दिन यू ही बीतते गये और फिर आरू हॉस्पिटल से छुट्टी होकर घर आ गयी. आरू का अमन के घर जाना शिखा को अजीब ना लगे, इसलिए उस से कहा गया कि, आरू के पूरी तरह ठीक होने तक, वो अमन की निगरानी मे सीरू और सेलू के साथ रहेगी.

आरू की हॉस्पिटल से छुट्टी हो चुकी थी. इसलिए मैने शिखा की ड्यूटी वापस दिन मे करवा दी. लेकिन आरू की हॉस्पिटल से छुट्टी होने के बाद भी, अज्जि का रोज सूरत आने जाने का सिलसिला नही थमा. पहले उसे आरू की वजह से रोज सूरत आना जाना पड़ रहा था तो, अब उसे शिखा के घर मे पेयिंग गेस्ट बन कर रहने की वजह से रोज आना जाना पड़ रहा था.

इस बीच आरू का भी शिखा के घर आना जाना सुरू हो गया. पहले वो सीरू के साथ शिखा के घर गयी और उसके बाद अक्सर निक्की के साथ उसका शिखा के घर आना जाना होने लगा था.

कुछ ही समय मे अज्जि की वो मिल फिर से सुरू हो गयी और अज्जि के काम का बोझ कम हो गया. अब वो हफ्ते मे 2-3 दिन ही सूरत जाया करता था. धीरे धीरे अज्जि और शिखा के बीच की नज़दीकियाँ बढ़ती जा रही थी. लेकिन दोनो मे से कोई भी अपने प्यार का इज़हार नही कर पा रहा था.

आज्जि शिखा से अपने प्यार के इज़हार के साथ साथ, उसे अपनी सच्चाई भी बताना चाह रहा था. लेकिन इसके लिए उसे एक खास समय का इंतजार था और वो खास समय अब कुछ दिन बाद आने ही वाला था कि, उसके पहले ही शिखा के सामने ये सच्चाई खुद ही इस तरह आ गयी.



अब आगे की कहानी पुन्नू की ज़ुबानी….


अपनी इतनी बात कह कर निशा चुप हो गयी और सब की तरफ देखने लगी. जहाँ बरखा के चेहरे पर गुस्सा नज़र आ रहा था. वही शिखा के चेहरे पर दुख नज़र आ रहा था. अब ये बात तो शिखा की जानती थी कि, उसका ये दुख अज्जि की कहानी को सुनकर था या अपने भाई की मौत की वजह से था.

लेकिन उनके के चेहरे पर के चेहरे के भाव सबकी समझ के बाहर थे. वो किसी गहरी सोच मे लग रही थी. जब थोड़ी देर तक कोई कुछ नही बोला तो, निशा ने फिर बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

डॉक्टर. निशा बोली “आप लोग शायद अब भी अज्जि को ग़लत मानते है और आपको इस बात का विस्वास नही कि, अज्जि बहुत ही जल्दी आप सबके सामने ये सच्चाई बताने वाला था. वो बस सही समय का इंतजार कर रहा था.”

निशा अपनी बात बोलकर, एक बार फिर सबकी तरफ देखने लगी. शायद उनसे किसी के कुछ बोलने की उम्मीद थी और उनकी ये उम्मीद बेकार नही गयी. निशा की ये बात सुनकर आंटी ने कहा.

आंटी बोली “मैं अज्जि को ग़लत नही मानती और मैं जानती हूँ कि, वो अपनी बात कहने के लिए सही समय का इंतजार कर रहा था.”

आंटी की इस बात ने शिखा और बरखा को ही नही बल्कि हम सबको भी हैरानी मे डाल दिया था. जहा शिखा और बरखा उनको फटी फटी आँखों से देख रही थी. वही हम सब उनको हैरानी से देख रहे थे.

किसी के समझ मे नही आया कि, आंटी ऐसा क्यो कह रही है. लेकिन आंटी ने हमारी हैरानी को और भी बढ़ाते हुए हेतल से कहा.

आंटी बोली “तुम शायद अज्जि के मॅनेजर धीरू शाह की बेटी हो. जिसने एक लड़के के प्यार मे पड़ कर खुद को आग लगा ली थी.”

आंटी की इस बात ने हेतल को भी हैरानी मे डाल दिया था. उसने आंटी की बात की हामी भरते हुए कहा.

हेतल बोली “जी आंटी, मैं उन्ही की बेटी हूँ. लेकिन आप ये सब कैसे जानती है.”

आंटी बोली “मैने तुम्हारे पापा और अज्जि के बीच हुई सारी बातें सुन ली थी. जब उसकी मिल मे आग लगने के बाद वो यहाँ रहने आया तो, उसके रहन सहन से वो कभी भी मुझे एक टॅक्सी ड्राइवर नही लगता था. लेकिन जब शिखा ने अज्जि और डॉक्टर अमन के बीच के परिवारिक रिश्तों के बारे मे मुझे बताया तो, मुझे लगा कि शायद डॉक्टर अमन के साथ रहने की वजह से ही अज्जि का रहन सहन ऐसा है.”

“मगर कुछ समय बाद एक आदमी हमारे यहाँ अज्जि से मिलने आया. उस समय शिखा ड्यूटी पर और बरखा कॉलेज गयी हुई थी. इसलिए मैं उनके लिए चाय लेकर गयी. तब मुझे एक ऐसी सच्चाई का पता चला कि, मेरी नज़रों मे अज्जि की इज़्ज़त और बढ़ गयी. मगर मैने इस बात का अहसास अज्जि को नही होने दिया कि, मैं उनके बीच की बात सुन चुकी हूँ.”

“ये सच है कि, मैं ये बात नही जानती थी कि, मेरे बेटे की मौत की वजह अज्जि है. लेकिन आज जब मुझे इस सच्चाई का पता चला तो, मेरी आँखों मे अज्जि की उस दिन की बातें गूँज गयी और मैने उसी पल अज्जि को इस सब के लिए माफ़ कर दिया.”

आंटी की इस बात को सुनकर, हमे कुछ समझ मे नही आ रहा था कि, वो ऐसी किस बात के बारे मे बात कर रही है. जिसे सोच कर उन्हो ने अज्जि की ग़लती को माफ़ कर दिया. हम सब हैरान थे. तब सीरू ने आंटी से ये बात जानने के लिए कहा.

सीरत बोली “आंटी, आपने अज्जि भैया और उस आदमी के बीच ऐसा क्या सुन लिया था कि, आज सारी सच्चाई सामने आने के बाद भी, आपने एक पल मे ही अज्जि भैया की इतनी ग़लती को माफ़ कर दिया.”

मगर आंटी ने सीरू की इस बात का जबाब देने से इनकार करते हुए कहा.

आंटी बोली “सॉरी बेटा, मेरे अंदर इतनी हिम्मत नही है कि, मैं ये बात हेतल और अज्जि की बहनों के सामने कह सकूँ. लेकिन ये बात तुम अपनी भाभी से भी जान सकती हो. जिन्हो ने मिल मे आग लगने की बात तो सबको बता दी. मगर अज्जि की परेशानी की असली वजह किसी के सामने नही आने दी.”

आंटी की इस बात से वहाँ खड़े हर एक को एक झटका सा लगा. सब एक बार फिर हैरत मे पड़े, निशा की तरफ देखते रहे थे. वही निशा ने सबकी नज़रे अपनी तरफ उठती देख कर, अपना सर झुका लिया. शायद उसे इस तरह से इस सच्चाई के सामने आ जाने की उम्मीद नही थी.
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