MmsBee कोई तो रोक लो
09-10-2020, 01:46 PM,
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ये सब इतनी अचानक हुआ था कि, मुझे कुछ समझने का मौका ही नही मिला था और जब तक मैं कुछ समझ पाता उस से पहले ही मैं ज़मीन की धूल चाट रहा था. मेरा मोबाइल सड़क पर पड़ा था और उसके उपर से एक कार गुजर गयी थी.

शायद ये ही हाल मेरा भी हुआ होता, यदि किसी ने मुझे पिछे से धक्का देकर सड़क के किनारे ना धकेला होता. मुझे सही सलामत देख कर प्रिया ने मेरी तरफ दौड़ लगा दी. तब तक मेहुल और राज भी भाग कर मेरे पास आ चुके थे.

दोनो ने मुझे सहारा देकर खड़ा किया और मेरे हाथ पैर देखने लगे. मुझे ज़्यादा चोट तो नही आई थी. बस हाथ थोड़े से छिल गये थे और गिरने की वजह से घुटने मे कुछ दर्द सा महसूस हो रहा था.

मैने उनसे सब ठीक होने की बात बोली, फिर इसके बाद मेरी नज़र उस लड़के की तरफ पड़ी, जिसने मुझे धक्का दिया था. वो लड़का कोई ओर नही हितेश था. वो खड़ा खड़ा अपने कपड़े झाड़ रहा था. शायद मुझे धक्का देने के चक्कर मे वो खुद भी ज़मीन पर गिर गया था. अपने कपड़े सॉफ करने के बाद, उसने मेरे पास आकर कहा.

लड़का बोला “तुम ठीक तो हो, तुमको ज़्यादा चोट तो नही आई.”

मैने उसकी इस बात का मुस्कुराते हुए जबाब दिया.

मैं बोला “थॅंक्स यार, मुझे कोई चोट नही आई. यदि आज तुम नही होते तो शायद मेरा भी वो ही हाल होता, जो मेरे मोबाइल का हुआ है.”

मेरी बात सुनकर, सबकी नज़र सड़क पर पड़े मेरे मोबाइल पर पड़ी. मेहुल दौड़ कर मेरा मोबाइल उठाने चला गया. तब तक प्रिया भी मेरे पास आ गयी. पता नही इस थोड़ी सी देर मे उसके दिल ने कितना कुछ सहा था. जो उसके चेहरे से झलक रहा था.

उसकी आँखों मे आँसू थे और वो बहुत डरी हुई लग रही थी. वो मेरे पास आते ही मेरे हाथों को देखने लगी और उसके बाद, मुझसे मेरा पॅंट उपर करके, पैर दिखाने के लिए कहने लगी.

प्रिया का ये बर्ताव मुझे बहुत बचकाना लग रहा था और राज के सामने उसका ये सब करना मुझे ज़रा भी अच्छा नही लग रहा था. लेकिन इस समय प्रिया को किसी के भी होने, ना होने की कोई परवाह नही थी. वो बस अपने दिल की तसल्ली कर लेना चाह रही थी.

तब तक मेहुल भी मेरा मोबाइल लेकर वापस आ चुका था. उसने प्रिया को इस तरह मुझसे ज़िद करते देखा तो, हंसते हुए प्रिया से कहा.

मेहुल बोला “अरे प्रिया, इसे कुछ नही हुआ. इतनी सी चोट से इसको कोई फरक नही पड़ेगा. जब इसका सच मे आक्सिडेंट हुआ था, तब तो ये चलने फिरने से बाज नही आया था. फिर अभी तो इसे कुछ हुआ ही नही है.”

मगर मेहुल की ये बात सुनकर, प्रिया भड़क गयी. उसने मेरा हाथ पकड़ कर मेहुल के सामने करते हुए कहा.

प्रिया बोली “क्या तुम्हे ये बहता हुआ खून दिखाई नही दे रहा है. क्या तुमने ये देखा था कि, हीतू ने इसको कितनी ज़ोर का धक्का मारा था. यदि तुमने ये सब देखा होता तो, ये कभी ना कहते कि, इसे कुछ हुआ ही नही है.”

प्रिया की ये बात सुनकर, मेहुल झेप गया और कभी मुझे तो, कभी राज को देखने लगा. वही हितेश भी कुछ घबरा सा गया था. उसे देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे कि उसने मुझे धक्का मार कर बहुत बड़ी ग़लती कर दी हो.

मेहुल और हीतू के चेहरे के उड़े हुए रंग को देख कर, राज ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुस्कुराते हुए कहा.

राज बोला “अरे तुम लोग प्रिया की बात को लेकर इतना परेशान मत हो. इस से किसी का खून देखा नही जाता है. इसलिए ये घबरा गयी है. अब बेहतर यही होगा कि, इसे पैर देख कर अपने दिल की तसल्ली कर लेने दो.”

राज की बात सुनकर, मैने बारी बारी से अपने दोनो पैर प्रिया को दिखा दिए. मुझे पैर मे कोई खास चोट नही लगी थी. बस गिरने की वजह से घुटने मे हल्की सी सूजन आ गयी थी. जिस वजह से थोड़ा बहुत दर्द हो रहा था.

लेकिन मेरे हाथ मे लगी चोट और पैर की सूजन देखने के बाद, प्रिया ने डॉक्टर को दिखाने की ज़िद पकड़ ली. मैने उसे समझाने की कोसिस करता रहा. लेकिन वो मेरी कोई भी बात सुनने को तैयार नही थी.

हमे इस तरह बहस करते देख, राज ने मुझे समझाते हुए कहा कि, प्रिया से बहस करना बेकार है. तुम उसकी बात मान लो और उसके साथ जाकर डॉक्टर को दिखा लो. तब तक मैं और मेहुल जाकर कार का पूजन कर लेते है.

आख़िर मे राज की बात मान कर, मैं प्रिया और हीतू के साथ पास ही एक डॉक्टर को दिखाने चला गया. डॉक्टर ने भी यही कहा कि, मामूली सी चोट है, घबराने की कोई बात नही है.

जब हम डॉक्टर के यहाँ से वापस लौटे तो, मेहुल लोग कार के साथ बाहर ही खड़े हमारा इंतजार कर रहे थे. हमारे उनके पास पहुचते ही मेहुल ने अपना मोबाइल मुझे पकड़ा दिया. उसका मोबाइल देखते ही मैने उस से कहा.

मैं बोला “अबे अपना मोबाइल क्यो दे रहा है. मेरा मोबाइल कहाँ है.”

मेहुल बोला “मैं तेरा मोबाइल खा कर नही भाग जाउन्गा. तेरे जाते ही आंटी का कॉल आया था. उनसे बात करते करते तेरा कॉल अचानक कट गया था और फिर जब उन्हो ने तुझे दोबारा कॉल लगाया तो, तेरा कॉल बंद बता रहा था. इसलिए वो तुझे लेकर बहुत परेशान हो गयी थी और उन्हो ने मुझे कॉल लगाया था.”

मेहुल की ये बात सुनते ही मुझे याद आया कि, जब वो हादसा हुआ, तब मैं छोटी माँ से बात कर रहा था और उस हादसे की वजह से मुझे इस बात का ध्यान ही नही रहा था कि, मेरा कॉल अचानक कट जाने से वो परेशान हो रही होगी.

लेकिन मेरी इस लापरवाही ने अब मेरी परेशानी बढ़ा थी. मैने फ़ौरन मेहुल का मोबाइल लेते हुए उस से पुछा.

मैं बोला “तूने छोटी माँ को मेरे बारे मे क्या बताया है.”

मेहुल बोला “मैने यही कहा कि, वो आपसे सड़क किनारे टहलते हुए बात कर रहा था. तभी एक बेकाबू कार वहाँ से गुज़री और तेरी टक्कर उस कार से हो पाती उस पहले ही एक दोस्त ने तुझे धक्का देकर किनारे धकेल दिया. धक्का लगने की वजह से तू तो किनारे आ गिरा. मगर तेरा मोबाइल छूट कर सड़क पर जा गिरा और कार उसके उपर से निकल गयी. जिस वजह से तेरा मोबाइल बंद हो गया था.”

मेहुल की ये बात सुनकर, मुझे उस पर बहुत गुस्सा आया और मैने उस पर झल्लाते हुए कहा.

मैं बोला “साले, शरीर इतना बड़ा है. लेकिन भेजा रत्ती भर का भी नही है. तुझे ये सब बातें छोटी माँ को बताने की क्या ज़रूरत थी. क्या कोई बहाना नही बना सकता था.”

मेहुल बोला “अबे जब तू सही सलामत है. तुझे कुछ हुआ ही नही है तो, फिर कोई बहाना बनाने की क्या ज़रूरत थी. मैने उन्हे समझा दिया है कि, तू बिल्कुल ठीक है और तुझे कुछ भी नही हुआ है.”

मेहुल की इस बात पर मुझे ओर भी ज़्यादा गुस्सा आ गया और मैने उसे घूरते हुए कहा.

मैं बोला “तू भाग जा मेरे सामने से, वरना मुझे तो कुछ नही हुआ है, पर तुझे ज़रूर कुछ हो जाएगा.”

मेरी बात सुनकर, मेहुल मुझे ऐसे देखने लगा, जैसे मैने कोई बचकनी बात कर दी हो. लेकिन अभी वो कुछ बोल पाता कि, तभी उसका मोबाइल बजने लगा. मैने मोबाइल देखा तो, छोटी माँ का ही कॉल आ रहा था. मैने फ़ौरन कॉल उठा लिया. मेरे कॉल उठाते ही छोटी माँ ने कहा.

छोटी माँ बोली “हां, क्या हुआ, पुन्नू वापस आया या नही.”

वो बहुत घबराई हुई लग रही थी. उनको ऐसे घबराया हुआ देख कर, मैने मेहुल को गुस्से मे घूरा और छोटी माँ से कहा.

मैं बोला “जी छोटी माँ, मैं ही बोल रहा हूँ. लेकिन आप इतना घबरा क्यो रही है.”

मेरी आवाज़ सुनते ही छोटी माँ की आँखों मे शायद आँसू आ गये थे. उनकी आवाज़ कुछ नरम सी पड़ गयी और उन्हो ने मुझसे कहा.

छोटी माँ बोली “तू ठीक तो है ना. तुझे कहीं चोट तो नही आई.”

मैं बोला “जी छोटी माँ, मैं बिल्कुल ठीक हूँ. मुझे कही कोई चोट नही आई. आप इस मेहुल की बातों मे ज़रा भी मत आइए. ये तो पागल है, पता नही आपको क्या क्या बोल कर डरा दिया है.”

छोटी माँ बोली “देख, मुझसे कुछ मत छुपा. जो भी बात है सच सच बता दे.”

मैं बोला “छोटी माँ, मैं सच मे बिल्कुल ठीक हूँ. अब मैं आपको इस बात का कैसे यकीन दिलाऊ, आप खुद ही बता दीजिए.”

छोटी माँ बोली “यदि तू बिल्कुल ठीक है तो फिर डॉक्टर के यहाँ क्यो गया था.”

छोटी माँ की इस बात पर मैने हंसते हुए कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, यहा एक पागल लड़की प्रिया है. वो ही मुझे जबबर्दस्ती डॉक्टर के यहाँ पकड़ कर ले गयी थी. डॉक्टर ने भी ये ही कहा है कि, मैं बिल्कुल ठीक हूँ, मुझे कुछ नही हुआ.”

मेरी ये बात सुनकर, छोटी माँ ने मुझसे मोबाइल प्रिया को देने के लिए कहा तो, मैने मोबाइल प्रिया को दे दिया. प्रिया ने मोबाइल लेकर छोटी माँ से कहा.

प्रिया बोली “नमस्ते आंटी”

छोटी माँ बोली “…………” (“नमस्ते बेटा, मेरा पुन्नू ठीक तो है ना.”)

प्रिया बोली “जी आंटी, पुन्नू बिल्कुल ठीक है.”

छोटी माँ बोली “………..” (“बेटा जब उसको कुछ हुआ ही नही था तो, तुम उसको डॉक्टर के पास क्यो लेकर गयी थी.”)

प्रिया बोली “आंटी, ऐसी कोई बात नही है. वो क्या है कि, उसके हाथ छिल गये थे और घुटने मे सूजन आ गयी थी. जिसे देख कर मैं डर गयी थी और ज़बरदस्ती डॉक्टर के यहाँ ले गयी थी. लेकिन डॉक्टर ने कहा कि वो बिल्कुल ठीक है. आप भी उसकी फिकर मत कीजिए. उसका ख़याल रखने के लिए हम सब तो यहा है ना.”

छोटी माँ बोली “………..” (“थॅंक्स बेटा, मेरे बेटे का इस तरह ख़याल रखने के लिए मैं तुम्हारी अहसानमंद हूँ. मैं तुम्हारा ये अहसान जिंदगी भर नही भूलूगी.)

प्रिया बोली “अरे आंटी, आप ये कैसी बात कर रही है. इसमे अहसान मानने वाली क्या बात हो गयी. यदि मैं आपके घर आई होती तो, क्या आप मेरा ख़याल नही रखती.”

छोटी माँ बोली “……….” (“ज़रूर रखती बेटा, अब तुम जब कभी भी यहाँ आना, मेरे घर मे ही रुकना. मुझे तुम्हारे आने से बहुत खुशी होगी.”)

प्रिया बोली “मैं ज़रूर आउगि आंटी. मैने सुना है कि, आप बहुत अच्छे पराठे बनाती है. मुझे भी आपके हाथ के आलू के पराठे खाना है. क्या आप मुझे अपने हाथ के आलू के पराठे बना कर खिलाएगी.”

छोटी माँ बोली “………” (“हां, ज़रूर खिलाउन्गी बेटा.)

प्रिया छोटी माँ से बात करने मे इस तरह से खो गयी थी कि, उसे इस बात तक का अहसास नही था कि, हम सब उसकी बात ख़तम होने का इंतजार कर रहे है. जब मैने देखा कि प्रिया की छोटी माँ से बात ख़तम होने का नाम ही नही ले रही है तो, मैने उसके हाथ से मोबाइल ले लिया.

वो मुझे हैरानी से देखने लगी. लेकिन मैने उसे चुप रहने का इशारा किया और फिर छोटी माँ से बताया कि, मैं यहाँ सबके साथ खड़ा हूँ. घर पहुचने के बाद, आप से बात करता हूँ. छोटी माँ ने मुझसे आज ही एक नया मोबाइल ले लेने को कहा और फिर उन्हो ने कॉल रख दिया.

उनके कॉल रखने के बाद, हमने हीतू को घर आने का बताया और फिर उसे बाइ कह कर घर के लिए निकल पड़े. नयी कार राज ड्राइव कर रहा था. उसके साथ रिया नितिका और मेहुल थे. दूसरी कार मे मैं, प्रिया, बरखा और निक्की हो गये. कुछ ही देर मे हम शिखा दीदी के घर पहुच गये

हमारे घर पहुचते ही शिखा दीदी पुछ्ने लगी की, तुम सब बिना बताए कहाँ चले गये थे. उनकी बात सुनकर, निक्की ने उनसे कहा

निक्की बोली “भाभी, आपके भाई को आपके लिए गिफ्ट लेना था. उसे अकेले गिफ्ट लेने जाने मे डर लग रहा था. इसलिए वो हम सबको अपने साथ ले गया था.”

निक्की की बात सुनकर, सब हँसने लगे. इसके बाद निक्की शिखा दीदी को पकड़ कर बाहर ले आई और उन्हे कार दिखाने लगी. जिसे देखने के बाद, शिखा दीदी मुझे इतना महगा गिफ्ट लेने के लिए गुस्सा करने लगी. लेकिन मैने उनको भी वो ही जबाब दिया, जो बरखा को दिया था.

जिसे सुनने के बाद, शिखा दीदी से कुछ बोलते नही बना. इसके बाद उनको हल्दी चढ़ाने की तैयारी होने लगी. नीचे बहुत भीड़ हो गयी थी, इसलिए मैं, राज और मेहुल के साथ उपर आ गया.

उपर आने पर मेहुल ने मुझे मेरा मोबाइल वापस लौटाया तो, मैं अपना मोबाइल देखने लगा. मेरा मोबाइल बहुत बुरी तरह से टूटा फूटा था और उसका सुधर पाना मुश्किल सा लग रहा था.

ये देख कर मेरा मूड खराब हो गया. मुझे मोबाइल की टूट फुट का कोई अफ़सोस नही था. मुझे दुख सिर्फ़ इस बात का हो रहा था कि, उस मे कीर्ति के ढेर सारे एसएमएस थे और वो मेरे लिए मोबाइल से कहीं ज़्यादा कीमती थे.

इस समय मुझे ऐसा लग रहा था कि, मेरी अनमोल चीज़ किसी ने मुझसे छीन ली हो. अब मुझसे कीर्ति से बात किए बिना नही रहा जा रहा था. इसलिए मैने राज और मेहुल से कहा की, मैं ज़रा नीचे होकर आता हूँ और फिर मैं नीचे आ गया.

मगर नीचे आने पर भी मुझे कोई ऐसी जगह समझ मे नही आई, जहाँ मैं कीर्ति से बात कर सकूँ. इसलिए मैं घर से बाहर निकल कर आ गया. लेकिन अब मैं सड़क पर बात करने वाली पहले जैसी ग़लती को दोहराना नही चाहता था.

इसलिए मैं कीर्ति से बात करने के लिए सही जगह की तलाश करने लगा. लेकिन इस से पहले कि मैं कीर्ति से बात करने के लिए कोई सही जगह तलाश कर पाता, उसका कॉल आने लगा. कीर्ति का कॉल आते देख, मैं एक घर के सामने रुक गया और उसी घर की बॉंडरी वॉल पर बैठ कर कीर्ति का कॉल उठा कर, उस से कहा.

मैं बोला “तुझे अब 3 बजे मुझे कॉल करने का अब समय मिल रहा है. मैं कब से तुझसे बात करने के लिए मरा जा रहा था.”

लेकिन कीर्ति ने मेरी बात को बीच मे ही काटते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुम ठीक तो हो. तुमको कही चोट तो नही लगी.”

मैं बोला “तू परेशान मत हो, मैं बिल्कुल ठीक हूँ. मुझे कुछ भी नही हुआ. छोटी माँ ने बेकार मे ही तुझे परेशान कर दिया.”

कीर्ति बोली “मुझे मौसी ने कुछ नही बताया. मैं घर वापस आई तो, आंटी मेहुल से तेरे बारे मे पुछ रही थी. मुझसे उनसे ही पता चला की, तेरे साथ क्या हुआ.”

मैं बोला “अब छोड़ ना, मैं बिल्कुल ठीक हूँ. तू ये बता कि, तू सुबह से कहाँ गायब थी. मैं तुझे कितना मिस कर रहा था.”

कीर्ति बोली “तुम्हारी प्यारी बाजी को आफ्तरी देने गयी थी. वही से वापस आने मे देर हो गयी.”

कीर्ति की बात सुनकर मैं चौक गया और मैने उस से पुछा.

मैं बोला “वहाँ क्या हुआ. क्या बाजी ने आफ्तरी ले ली.”

कीर्ति बोली “ऐसा कोई काम नही, जो मैं करूँ और वो ना हो.”

मैं बोला “ज़्यादा पहेलियाँ मत बुझा, सीधे सीधे बता ना कि, बाजी इस सब के लिए कैसे तैयार हो गयी.”

कीर्ति बोली “ये इतना भी मुश्किल काम नही था, जितना तुम बता रहे थे. यहाँ तुम से भी बढ़ कर कोई था, जिसको देखते ही तुम्हारी बाजी से कुछ कहते ना बना.”

मैं बोला “मैं समझा नही, तू किसकी बात कर रही है.”

कीर्ति बोली “मैं अमि निमी को अपने साथ ले गयी थी और तुम्हारी बाजी से कहा कि, इनको ये समान लेकर तुमने भेजा है. बस फिर क्या था, उन दोनो को देखते ही तुम्हारी बाजी से कुछ कहते नही बना और वो पूरे समय बस उनकी खातिर दारी करने मे ही लगी रही.”

ये कह कर कीर्ति खिलखिलाने लगी. उसे बाजी की इस बात पर हँसी आ रही थी. इसके बाद मेरी उस से इसी बारे मे थोड़ी देर बात चलती रही. फिर उसने कुछ देर बाद कॉल करने की बात कह कर फोन रख दिया.

उसके फोन रखने के बाद, मैं वापस घर आ गया. शिखा दीदी को हल्दी लग चुकी थी और अब लड़कियाँ आपस मे एक दूसरे को हल्दी लगा रही थी. प्रिया ने मुझे बताया कि, निक्की शाम को आने का बोल कर वापस चली गयी है.

तब तक राज और मेहुल भी मेरे पास आ चुके थे. अभी प्रिया मुझसे बात कर ही रही थी कि, तभी नेहा अपनी कुछ सहेलियों के साथ वहाँ हल्दी से भरा थाल लेकर आ गयी और ये कहने लगी कि, दुल्हन के भाई को आज के दिन ऐसे सॉफ सॉफ नही रहना चाहिए.

ये कहते हुए वो मेरे चेहरे पर हल्दी लगाने लगी और बाकी लड़कियाँ ज़ोर से क़हक़हे लगाने लगी. जब उसने मेरे चेहरे पर हल्दी लगा दी तो, प्रिया ने उसको अब बस करने को कहा.

लेकिन नेहा ने प्रिया की बात को अनसुना कर मेरे कपड़ो मे भी हल्दी लगाना सुरू कर दिया. जिसे देख कर प्रिया को गुस्सा आ गया और उसने उन लड़कियों से हल्दी का थाल छीन कर, पूरा थाल ही नेहा के उपर पलट दिया.

जिसे देख कर लड़कियों की हँसी तो थम गयी. मगर मेरी, मेहुल और राज की हँसी छूट गयी. नेहा ने गुस्से मे प्रिया को घूरा और पैर पटकती हुई शिखा दीदी के पास चली गयी.

नेहा के जाते ही पंडाल लगाने वाला आ गया और हम लोग बाहर आकर पंडाल लगवाने लगे. कुछ देर बाद, मैने मेहुल को मोबाइल खरीदने जाने की बात जताई तो प्रिया भी साथ चलने की ज़िद करने लगी. इसलिए मैं प्रिया को साथ लेकर नया मोबाइल खरीदने चला गया.

फिर मैं नया मोबाइल खरीद कर 5 बजे वापस आया. तब तक पंडाल लगने का काम हो चुका था और अब लाइट लगने का काम चल रहा था. मेहुल और राज वहाँ खड़े होकर ये काम करवा रहे थे और बरखा भी उनके साथ ही खड़ी थी.

मैं और प्रिया भी उनके पास ही जाकर खड़े हो गये और मैं उन लोगों अपना नया मोबाइल दिखाने लगा. तभी प्रिया ने कहा कि, अपनी मोम को तो बता दो कि, तुमने नया मोबाइल खरीद लिया है.

प्रिया की बात सुनकर मैने छोटी माँ को कॉल किया और उनको नया मोबाइल लेने की बात बताने लगा. अभी मेरी छोटी माँ से बात चल ही रही थी कि, अचानक ही प्रिया ने मेरा हाथ पकड़ कर, झटके से मुझे अपनी तरफ खीच लिया.

प्रिया की इस हरकत से मैं हड़बड़ा गया और मोबाइल मेरे हाथ से गिरते गिरते बचा. वही बाकी सब लोग भी चौक गये. लेकिन अगले ही पल जहाँ मैं खड़ा था, वहाँ एक बड़ी सी लाइट धडाम की आवाज़ के साथ गिर कर चकना चूर हो गयी.

सब हक्के बक्के से उस लाइट की तरफ ही देखने लगे. उस लाइट का वजन इतना ज़्यादा था कि, यदि मुझे वहाँ से हटने मे एक पल की भी देर हुई होती तो, वो मेरे सर पर गिर गयी होती और फिर मेरे सर का भी वो ही हाल हुआ होता, जो कि अभी उस लाइट का हुआ था.
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09-10-2020, 01:46 PM,
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मेरे सामने मेहुल, नितिका और हीतू खड़े थे और तीनो के हाथ मे एक एक बॅग था. लेकिन जिसकी ये आवाज़ थी, उस पर नज़र पड़ते ही मैं अपनी पलकें झपकाना तक भूल गया था और इस रहस्य मे खो सा गया था.

तभी किसी ने मेरे बगल से मुझे कोहिनी मारी और मैं पलट कर उसकी तरफ देखने लगा. ये मेरी बगल से मुझे कोहिनी मारने वाली सीरू दीदी थी. उनके पास ही सेलू और आरू भी खड़ी थी. लेकिन उनका ध्यान हम पर ना होकर सामने की तरफ था. सीरू दीदी ने मुझे अपनी तरफ देखते पाया तो, मुझसे कहा.

सीरत बोली “ये लड़की कौन है और ये तुम्हारे बारे मे इतना कैसे जानती है.”

सीरू दीदी की इस बात पर मैने बुरा सा मूह बना कर, उसकी तरफ देखते हुए कहा.

मैं बोला “लड़की और वो.?”

वो मेरे इस जबाब को सुनकर, अचंभित सी मुझे देखती रह गयी. लेकिन तब तक मैं उनके पास से आगे की तरफ बढ़ चुका था. ये आवाज़ जिसने एक पल मे ही सबको हिला कर रख दिया था, वो किसी ओर की नही बल्कि छोटी माँ की थी.

छोटी माँ का इस समय मेरे सामने होना, मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नही था. मैने उनके पास पहुचते ही, उनके पैर छुये तो, उन ने मेरे माथे को चमा और मुझे अपने गले से लगा लिया.

उनके गले लगते ही, मुझे ऐसा लगा, जैसे बरसो से प्यासी मेरे दिल की ज़मीन पर कोई सावन बरस गया हो और फिर वो सावन मेरी आँखों से भी बहने लगा. छोटी माँ ने मेरी आँखों को सॉफ किया और फिर मुस्कुराते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “चल अब लाड करना बहुत हो गया. क्या मुझे अपनी बहन से नही मिलाएगा.”

छोटी माँ की बात सुनते ही, मैं उन्हे शिखा दीदी के पास ले आया और उन्हे शिखा दीदी से मिलाते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, आपको मेरी मोम से मिलना था ना. तो ये लीजिए, मेरी मोम खुद आपसे मिलने यहाँ आ गयी.”

मेरी ये बात सुनते ही वहाँ सबके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. शिखा दीदी और छोटी माँ की उमर मे मुश्किल से 4-5 साल का फरक था. लेकिन जैसे ही शिखा दीदी ने मेरे मूह से ये बात सुनी, वो फ़ौरन ही झुक कर छोटी माँ के पैर छुने की कोसिस करने लगी. मगर छोटी माँ ने उन्हे रोकते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “अरे तुम ये क्या कर रही हो. मैं पुन्नू की माँ ज़रूर हूँ. लेकिन तुमसे उमर मे इतनी बड़ी तो नही हूँ कि, तुम्हे मेरे पैर छुना पड़े.”

लेकिन शिखा दीदी ने उनकी बात नही सुनी और उनके पैर छुते हुए कहा.

शिखा दीदी बोली “आप भले ही मुझसे उमर मे ज़्यादा बड़ी नही है. लेकिन पुनीत भैया के रिश्ते से तो मैं भी आपकी बेटी ही लगी ना, इसलिए आप रिश्ते मे मुझसे बहुत बड़ी है और आपके पैर छुना, मेरा फ़र्ज़ बनता है.”

शिखा दीदी की ये बात सुनते ही छोटी माँ ने उन्हे अपने गले से लगा लिया. फिर शिखा दीदी सबसे छोटी माँ का परिचय करवाने लगी. छोटी माँ सब से हंस कर मिलती रही.

लेकिन जैसे ही शिखा दीदी ने छोटी माँ को प्रिया से मिलवाया. छोटी माँ उसे देखती ही रह गयी और फिर प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “तो तुम हो वो प्रिया, जिसने मुझसे फोन पर बात की थी.”

प्रिया बोली “जी आंटी, मैं ही वो प्रिया हूँ. लेकिन आंटी, आप तो यहाँ आने वाली नही थी. आपने यहाँ इस तरह अचानक आकर हम सबको हैरान कर दिया.”

प्रिया की इस बात पर छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “जो मज़ा अचानक आने मे है. वो मज़ा बताकर आने मे कहाँ है. मेरी तरफ से मेरे बेटे के लिए ये भी शादी का एक गिफ्ट ही है.”

छोटी माँ की इस बात ने सबके चेहरे की रौनक को बढ़ा दिया था. शिखा दीदी ने उनसे घर के अंदर चलने को कहा तो, उन्हो ने कहा.

छोटी माँ बोली “जब यहाँ तक आई हूँ तो, घर के अंदर भी चलूगी. लेकिन पहले तुम अपने चाचा जी से तो बात कर लो.”

चाचा का नाम सुनते ही शिखा दीदी के तेवर फिर से बदल गये. उन्हो ने अपने चाचा की तरफ गुस्से से देखते हुए कहा.

शिखा दीदी बोली “ये कौन है, मैं जानती ही नही हूँ तो, फिर ये मेरे चाचा कैसे हो गये.”

बलदेव जो अभी भी वहाँ खड़ा सब कुछ खामोशी से देख रहा था. उसने जब अपना जिकर होते ही, फिर से शिखा दीदी को गुस्सा होते देखा तो, उसने आंटी से कहा.

बलदेव बोला “भाभी, शिखा बेटी तो, मेरी कोई बात सुनने को तैयार ही नही है. आप ही इसे कुछ समझाइये. आख़िर इस से मेरा खून का रिश्ता है.”

बलदेव की इस बात को सुनकर, ना जाने आंटी ने क्या महसूस किया कि, उनकी आँखों मे आँसू आ गये और उन्हो ने बलदेव से कहा.

आंटी बोली “आप किस खून के रिश्ते की बात कर रहे है. कहाँ था ये खून का रिश्ता, जब मेरे बेटे ने ज़रा से खून के लिए तड़प्ते हुए हॉस्पिटल मे दम तोड़ दिया था. कहा था ये खून का रिश्ता, जब मेरे बच्चों के सर से उनके पिता का साया उठा था. मेरे पति के साथ धोखा करके, पुरखों की सारी जयदाद और कारोबार हड़प करती समय आपको ये खून का रिश्ता याद नही आया था.”

“मेरे लिए खून के रिश्ते से बढ़ कर, दिल के रिश्ते है. यदि मेरे पति के बाद, मेरे मूह बोले भाई ने मुझे सहारा ना दिया होता तो पता नही मैं और मेरे बच्चे आज किस हाल मे होते.”

ये कह कर आंटी यहाँ वहाँ देखने लगी. शायद वो दुर्जन को देख रही थी. लेकिन दुर्जन पता नही अचानक कहाँ गायब हो गया था. उसे वहाँ ना पाकर आंटी ने नेहा से कहा.

आंटी बोली “नेहा बेटी, जा और जाकर अपने पापा को बुला कर ला. अब वो ही इनसे बात करेगे और इनको खून के रिश्ते के बारे मे समझाएगे. मुझे इनसे अब कोई बात नही करनी.”

आंटी की बात सुनकर नेहा वहाँ से जाने को हुई. लेकिन छोटी माँ ने नेहा का हाथ पकड़ कर उसे रोकते हुए, आंटी से कहा.

छोटी माँ बोली “घर मे खुशी का मौका है. ऐसे मे गुस्से से काम नही लेते. फिर मेहमान तो भगवान का रूप होते है और ये तो आपके रिश्तेदार भी है. इन्हे अपनी बात रखने का एक मौका तो मिलना ही चाहिए.”

छोटी माँ की ये बात सुनकर, आंटी शांत पड़ गयी. ये देख कर बलदेव के चेहरे पर चमक आ गयी. छोटी माँ ने बलदेव के पास आते हुए उस से कहा.

छोटी माँ बोली “जी भाई साहब, कहिए, आप क्या कहना चाहते है.”

बलदेव बोला “देखिए बहन जी, ये माना कि शिखा की शादी बहुत बड़े घर मे हो रही है. मगर ये कहाँ की शराफ़त है कि, बेटी को विदा किया जाए और उसकी शादी मे एक धेला भी खर्च ना किया जाए. लड़के वालो का थूक, उनको ही चुपड दिया जाए. ये शादी करना नही, बल्कि एक तरह से अपनी लड़की को बेचना हुआ.”

बलदेव की ये बात सुनकर, मेरे लिए अपना गुस्सा रोक पाना मुश्किल हो गया था. ऐसा ही कुछ बरखा और आरू के साथ भी हुआ था. इसलिए हम तीनो ही बलदेव की बात सुनकर, उसकी तरफ बढ़ने को हुए. मगर तभी सीरू दीदी ने हम तीनो को रोकते हुए कहा.

सीरत बोली “तुम लोगों को उसकी बात पर बहुत गुस्सा आ रहा है ना. मुझे भी तुम लोगों की तरह उसकी बात पर गुस्सा आ रहा है. लेकिन तुम लोग ज़रा आंटी को समझने की कोसिस करो. वो शादी के माहौल को खराब होने से बचाना चाहती है. इसलिए इस मामले को प्यार से निपटा रही है. अब तुम लोग चुप चाप यही खड़े रहो और उनको उनका काम करने दो.”

सीरू दीदी की ये बात हम ही नही, आंटी और शिखा दीदी ने भी सुनी थी. इसलिए अब सब का ध्यान सिर्फ़ छोटी माँ की ही तरफ था. उधर छोटी माँ ने बलदेव की बात को सुना तो, उसकी हां मे हां मिलाते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “भाई साहब, बात तो आपकी सही है. लेकिन ये बात तो आप भी अच्छी तरह से जानते है कि, इस घर मे कमाने वाली सिर्फ़ शिखा ही है. अब यदि वो सारी जमा पूंजी अपनी शादी मे ही खर्च कर देगी तो, उसकी माँ और बहन का क्या होगा.”

बलदेव बोला “बहन जी, हमारे पास भगवान का दिया हुआ, सब कुछ है. बस एक बेटी की कमी ही है. हम शिखा को अपनी बेटी बना कर विदा करना चाहते है. शिखा बेटी की शादी का सारा खर्च मैं उठाने के लिए तैयार हूँ.”

छोटी माँ बोली “ये तो बहुत अच्छी बात है. यहाँ दूल्हे की बहनें भी आई है. हम उनसे भी कुछ बात कर लेते है.”

ये कहते हुए छोटी माँ ने हम लोगों की तरफ देखा तो, आरू उनके पास जाने को हुई. लेकिन सीरू दीदी ने उसे पकड़ कर पिछे किया और खुद आगे बढ़ गयी. ये देख कर आरू कुछ गुस्सा सी हो गयी. उसे गुस्से मे देख, निक्की ने कहा.

निक्की बोली “नाराज़ मत हो. हम लोगों को आंटी की बात समझ मे नही आ रही है. लेकिन शायद सीरू दीदी समझ रही है कि, आंटी क्या करना चाहती है. इसलिए वो तुमको रोक कर खुद उनके पास गयी है.”

नीक्की की बात सुनकर, आरू का गुस्सा सांत हो गया. उधर सीरू दीदी ने छोटी माँ के पास पहुच कर कहा.

सीरत बोली “जी आंटी.”

छोटी माँ बोली “इनकी बात तो तुमने सुन ही ली है. अब तुम ये बताओ कि, तुम्हारे भैया की शादी मे कितना खर्च हो रहा है.”

सीरत बोली “आंटी, दोनो शादी बहुत ही जल्दी मे हो रही है. इसलिए शादी मे ज़्यादा नही, सिर्फ़ 4-5 करोड़ ही खर्च हो रहा है.”

सीरू दीदी ने 4-5 करोड़ तो ऐसे बोल दिया था, जैसे कि 4-5 लाख बोल रही हो. उनकी इस बात को सुनकर, बलदेव कुछ सोच मे पड़ गया. मगर छोटी माँ ने उसकी इस बात की परवाह किए बिना कहा.

छोटी माँ बोली “दो शादी मे 4-5 करोड़, मतलब कि एक शादी मे कम से कम 2 करोड़ तो खर्च हो ही रहा होगा. अब आप बताइए भाई साहब कि, आप शिखा की शादी मे कितना खर्च करने वाले है.”

छोटी माँ की बात सुनकर, बलदेव ने थोड़ी हिम्मत दिखाते हुए कहा.

बलदेव बोला “देखिए बहन जी, हम इतने बड़े आदमी तो नही है कि, शिखा बेटी की शादी मे करोडो रुपया खर्च कर सके. फिर भी मैं कम से कम 25-30 लाख खर्च करने को तैयार हूँ.”

छोटी माँ बोली “भाई साहब, आप ये कैसा मज़ाक कर रहे है. आप जानते है कि, जिस कार मे मेरा बेटा शिखा को विदा करने वाला है, वो कार ही सिर्फ़ 25 लाख की है. ये ही नही, मेरा बेटा शिखा को जो गहने (ज्यूयेल्री) दे रहा है, वो भी कम से कम 20-25 लाख के होगे. इसके अलावा वो हर बराती को विदाई मे गोल्ड रिंग दे रहा है. अब जहाँ करोड़ो की बात चल रही हो. वहाँ आप लाखो की बात करके शिखा के सम्मान को ठेस क्यो पहुचाना चाहते है. यदि आपसे ये सब नही हो सकता है तो, इस बात को यही ख़तम कीजिए और शिखा को उसके हाल पर छोड़ दीजिए.”

छोटी माँ की ये बात सुनकर, बलदेव का सर शरम से झुक गया. उसने एक नज़र आंटी और शिखा की तरफ देखा. फिर अपने बेटे का हाथ पकड़ कर वहाँ से चला गया. उसके वहाँ से जाते ही छोटी माँ ने हम लोगों की तरफ मुस्कुरा कर देखते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “तुम लोगो को मेरी आक्टिंग कैसी लगी.”

छोटी माँ की ये बात सुनकर, सीरू दीदी खुशी से चहकने लगी और उनको अपने गले लगते हुए कहा.

सीरत बोली “वाह आंटी, आपने क्या आक्टिंग की है, आप तो सूपर स्टार है. आपको तो यहाँ नही फ़िल्मो मे होना चाहिए था.”

सीरू दीदी की बात सुनकर, छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “ऐसी बात नही है. लेकिन ज़रूरत पड़ने पर थोड़ी बहुत आक्टिंग कर लेती हूँ.”

छोटी माँ की बात सुनकर, सब हँसने लगे और मुझे भी इस बात की राहत महसूस हुई कि, छोटी माँ अभी जो बड़ी बड़ी बातें कर रही थी, वो सब उनकी आक्टिंग थी. सब छोटी माँ को घेर कर खड़े थे और उनको बातों मे लगाए हुए थे.

प्रिया तो जैसे इस थोड़ी सी देर मे ही छोटी माँ की लाडली बन सी गयी थी. छोटी माँ प्रिया के कंधे पर हाथ रख कर खड़ी थी और बात बात पर उस से अपनी बात की हामी भरवा रही थी. जैसे कि प्रिया उनको बरसो से जानती हो.

सब छोटी माँ से बातें करने मे व्यस्त थे. तभी शिखा दीदी ने सबको टोकते हुए कहा.

शिखा दीदी बोली “आप लोग आंटी को ऐसे कब तक बातों मे ही लगाए रखेगे. वो इतनी दूर से सफ़र करके आ रही है. उन्हे कम से कम फ्रेश तो हो लेने दो.”

शिखा दीदी की बात सुनकर, सीरू दीदी ने कहा.

सीरत बोली “ठीक है भाभी, आप आंटी को फ्रेश होने ले जाइए. लेकिन उसके बाद हम इनको अपने साथ अपने घर ले जाएगे. क्योकि आंटी अब हमारे साथ ही रहेगी.”

ये कहते हुए सीरू ने मेहुल के हाथ से बॅग ले लिया. लेकिन बरखा ने सीरू दीदी के हाथ से बॅग छीन लिया और उसे उंगली दिखाते हुए कहा.

बरखा बोली “सब कान खोल कर सुन लो. आंटी हमारे घर आई है और वो यहाँ से कहीं भी नही जा रही है. वो अब यही हमारे घर मे ही रहेगी.”

बरखा की इस हरकत पर सीरू दीदी ने गुस्सा करते हुए शिखा दीदी से कहा.

सीरत बोली “भाभी, आप इस बरखा की बच्ची को बोल दो कि, ये हर समय बॉक्सिंग लड़ने के मूड मे ना रहा करे और इसको ये भी समझा दो कि, हम लोग आपके कौन है.”

सीरू दीदी को इतना गुस्से मे देख कर शिखा दीदी का चेहरा उतर गया. लेकिन मैं समझ गया था कि, ये सब उनका नाटक ही है. इसलिए मैने उनकी बात के जबाब मे शिखा दीदी से कहा.

मैं बोला “दीदी, आप सीरू दीदी की बातों मे मत आया कीजिए. इनके बारे मे इतना सब सुन ने के बाद भी आपको समझ मे नही आता कि, ये शैतानो की नानी है और कोई ना कोई खुरापात इनके दिमाग़ मे चलती ही रहती है.”

मेरी इस बात मे आरू ने भी मेरा साथ देते हुए कहा.

अर्चना बोली “हां भाभी, पुन्नू ठीक कहता है. उस दिन भी इन लोगों ले न्यू कार चलाने के लिए वो रोने धोने का नाटक किया था. भैया इनके नाटक को समझ गये थे, इसलिए वो इनकी बातों मे नही आ रहे थे. लेकिन आप इनके रोने को सच समझ बैठी थी. अब आप घर आने वाली हो तो, आपको इनके नाटक को समझने की आदत डालना पड़ेगी. वरना ये आपके सीधेपन का ऐसे ही फ़ायदा उठाती रहेगी.”

मेरी और आरू की बात सुनकर, सीरू दीदी ने गुस्से मे भड़कते हुए कहा.

सीरत बोली “अच्छा तो अब दोनो मेरे खिलाफ आग उगल रहे हो. देखो अब मैं तुम दोनो के साथ क्या करती हूँ.”

ये कहते हुए सीरू दीदी ने अपना मोबाइल निकाला और किसी को फोन लगाने लगी. कुछ देर बाद दूसरी तरफ से कॉल उठते ही उन्हो ने कहा.

सीरत बोली “भैया, आपने पुन्नू को शादी मे पहनने के लिए जो शेरवानी दी थी, वो उसने आज ही पहन ली. वो कहता है कि, ये शेरवानी कोई खास नही है और पुन्नू की मोम यहाँ आई है. मैं उन्हे अपने साथ लेकर घर आना चाहती थी. लेकिन आपकी प्यारी आरू ने मुझे ऐसा नही करने दिया. वो कहती है कि, उन्हे भाभी के साथ ही रहने दो.”

सीरू दीदी के इस कॉल से ये तो पता चल गया था कि, उन्हो ने अजय को कॉल लगाया है. लेकिन ये समझ मे नही आया था कि, अजय ने क्या कहा. अजय से बात होने के बाद, उन ने मुस्कुराते हुए हमारी तरफ देखते हुए कहा.

सीरत बोली “कहो, कैसी रही.”

मैने भी उनकी इस बात पर मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “आप सच मे शैतानो की नानी है. पता नही कितने शैतान मरे होगे, तब जाकर आप पैदा हुई होगी.”

मेरी बात सुनकर सब हँसने लगे और शिखा दीदी को भी समझ मे आ गया कि, ये सब प्यार भरी नोक झोक चल रही है. इसलिए उन ने इस पर ध्यान देना ठीक नही समझा और छोटी माँ से अंदर चलने को कहने लगी.

छोटी माँ अंदर जाने लगी तो, उनके साथ साथ हम लोग भी अंदर आ गये. शिखा दीदी उनको उपर ले जाने लगी तो, छोटी माँ ने उन से कहा.

छोटी माँ बोली “मुझे तुम्हारी मम्मी से कुछ ज़रूरी बातें करना है. तुम मेरा ये समान उपर रखवाओ. तब तक मैं तुम्हारी मम्मी से बात करके आती हूँ.”

छोटी माँ की बात सुनकर, मेहुल, हीतू और नितिका उनका समान उपर लेकर जाने लगे. लेकिन छोटी माँ ने नितिका को अपने पास बुला लिया और फिर वो आंटी के साथ अंदर के कमरे मे चली गयी.

कुछ देर बाद, नितिका बाहर आ गयी और उसने बताया कि, आंटी ने उसे बॅग वही रख कर बाहर जाने को कहा तो, वो बाहर आ गयी. मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, छोटी माँ आंटी से क्या बात करना चाहती है.

उनका इस तरह आंटी से अकेले मे बात करना मुझे कुछ अजीब सा लग रहा था. ऐसा ही कुछ हाल शिखा दीदी का भी था. मैने तो अपने मन की बात, अपने मन मे ही दबाए रखी थी. लेकिन शिखा दीदी इस बात का बोझ ज़्यादा देर तक अपने मन पर ना रख सकी और उन ने मुझसे कहा.

शिखा दीदी बोली “भैया, हम लोगों से कोई ग़लती तो नही हो गयी. जो आंटी इस तरह से मम्मी से अकेले मे बात करने गयी है.”

मैं उनके दिल की हालत समझ सकता था. इसलिए मैने उनको समझाते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी ऐसी कोई बात नही है. उनको बाहर तो आने दीजिए, वो खुद ही सारी बात हमे बता देगी.”

मेरी बात सुनकर, शिखा दीदी शांत हो गयी. लेकिन उनके चेहरे से पता चल रहा था कि, वो अभी भी इस बात को लेकर बहुत बेचैन है. खैर थोड़ी देर बाद छोटी माँ और आंटी बाहर आ गयी.

उन दोनो के ही चेहरे पर मुस्कुराहट थी. आंटी ने हम सब को इस तरह बाहर खामोश खड़ा देखा तो, हम लोगों से कहा.

आंटी बोली “अरे तुम सब यहाँ इस तरह गुम सूम से क्यो खड़े हो. क्या तुम्हारा ये भोपु (डीजे) शिखा की शादी के बाद बजने के लिए आया है.”

आंटी की बात सुनकर सबके चेहरे पर मुश्कुराहट आ गयी. मैने मेहुल को डीजे चालू करवाने को कहा और फिर मैं छोटी माँ के साथ उपर आ गया. हमारे साथ साथ शिखा दीदी भी उपर आ गयी थी. लेकिन उनके चेहरे पर अभी भी बेचैनी बनी हुई थी. जिसे देख कर छोटी माँ ने मुझसे कहा.

छोटी माँ बोली “ये तुम्हारी दीदी को क्या हुआ है. इसका चेहरा इतना उतरा हुआ क्यो है.”

मैं बोला “ये आपकी वजह से परेशान है. इनको लगता है कि, इन से कोई ग़लती हो गयी है. इसलिए आप अकेले मे आंटी से बात करने गयी थी.”

मेरी बात सुनकर, छोटी माँ ने प्यार से शिखा दीदी के चेहरे को थामते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “जैसा तुम सोच रही हो, वैसी कोई बात नही है. मैने अभी बाहर तुम्हारे चाचा से जो बातें कही थी और फिर उनको अपनी आक्टिंग बताकर झूठा साबित कर दिया था. असल मे वो मेरी आक्टिंग नही, बल्कि सच बातें थी. लेकिन वैसा कुछ करने से पहले तुम्हारी मम्मी से इजाज़त लेना ज़रूरी था. इसलिए मैं तुम्हारी मम्मी से अकेले मे बात करने गयी थी और उन्हो ने मुझे ऐसा करने की इजाज़त दे दी है.”

छोटी माँ की ये बात सुनकर, मैं किसी छोटे बच्चे की तरह उन से लिपट गया और उनके गाल को चूमते हुए कहा.

मैं बोला “आप सच मे दुनिया की सबसे अच्छी माँ हो.”

एक तरफ जहा छोटी माँ की ये बात सुनकर, मेरी खुशी का ठिकाना नही था, वही दूसरी तरफ छोटी माँ की ये बात सुनकर, शिखा दीदी की आँखों मे आँसू आ गये. छोटी माँ ने उनके आँसू पोंछे और उनको समझाने लगी.

तभी मुझे किसी के गाने की आवाज़ सुनाई दी और मैं चौके बिना ना रह सका. क्योकि आरकेस्ट्रा (ऑर्केस्ट्रा) का तो हम मना कर चुके थे. ऐसे मे ये गाना कौन गा रहा है. यही बात जानने के लिए मैं छोटी माँ को बता कर नीचे आ गया.

मैने नीचे आकर देखा तो, वाइट सूट मे एक लड़का गाना गा रहा था. लड़का सिर्फ़ देखने मे ही अच्छा नही था. बल्कि उसकी आवाज़ भी बहुत प्यारी थी. मैं वही खड़े होकर उसका गाना सुनने लगा. तभी निक्की ने मेरे पास आकर कहा.

निक्की बोली “इसको यहाँ से फ़ौरन भागाओ.”

निक्की की ये बात सुनकर, मैं चौक गया और ये सोचने पर मजबूर हो गया कि, ये लड़का कौन है. मुझे इस तरह सोच मे पड़ा देख, निक्की ने कहा.

निक्की बोली “तुमने सुना नही, मैं तुमसे क्या कह रही हूँ.”

निक्की आप से सीधे तुम पर आ गयी थी. उसकी इस बात से मुझे समझ मे आ रहा था कि, वो बहुत गुस्से मे है. ऐसे मे मुझे उस से कुछ पुछ्ते नही बना और मैने उस से कहा.

मैं बोला “ओके, मैं देखता हूँ कि, मैं क्या कर सकता हूँ.”

मगर मेरी बात को सुनते ही निक्की ने बौखलाते हुए कहा.

निक्की बोली “कुछ देखना वेखना नही है. मैं कह रही हूँ कि, इसे फ़ौरन यहाँ से भागाओ तो, मतलब इसे फ़ौरन यहाँ से भगाओ.”

निक्की का गुस्सा देख कर, मैने उस लड़के को वहाँ से चलता करना ही ठीक समझा और मैं निक्की के पास से सीधा मेहुल के पास आ गया. मेहुल के पास आकर, मैने उस से कहा.

मैं बोला “ये लड़का कौन है और इसे यहाँ किसने गाने के लिए कहा है.”

मेहुल बोला “ये हीतू का दोस्त है. हीतू ने इसे यहाँ बुलाया था. ये अच्छा गाता है, इसलिए हमने ही इस से गाने के लिए कहा है.”

मैने हीतू को देखा तो, वो उसी लड़के पास ही खड़ा था. मैं हीतू के पास गया और उसे एक किनारे ले जाकर कहा.

मैं बोला “यार तुम बुरा ना मानो तो, मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ.”

हितेश बोला “हां हां, बेफिकर होकर बोलो, मैं तुम्हारी किसी भी बात का बुरा नही मानूँगा.”

मैं बोला “यार कुछ परेशानी आ गयी है. इसलिए हो सके तो अपने इस दोस्त को यहाँ से फ़ौरन चलता कर दो.”

मेरी बात सुनकर, हीतू कुछ सोच मे पड़ गया. लेकिन फिर मुस्कुराते हुए कहा.

हितेश बोला “यार, यदि मैं इस से सीधे यहाँ से चले जाने की बात कहुगा तो इसे बुरा लग जाएगा. इसलिए मैं इसे बहाने से अपने साथ ले जाता हूँ और इसको छोड़ कर थोड़ी देर बाद वापस आता हूँ.”

मैं बोला “थॅंक्स.”

हितेश बोला “थॅंक्स की बात नही है. ये परेशानी भी तो मेरी वजह से आई है. अब इसे दूर करना भी मेरा फ़र्ज़ है.”

ये कहते हुए हीतू मेरे पास से चला गया. वो उस लड़के के पास गया और फिर उसके कान मे कहा. जिसके बाद दोनो वहाँ से बाहर चले गये. उनके जाने के बाद, मैं वापस निक्की के पास आया और उस से कहा.

मैं बोला “ये लड़का कौन था और आप इसको देख कर इतना गुस्सा क्यो हो रही थी.”

निक्की बोली “वो एक बदतमीज़ लड़का था, इसलिए मुझे उस पर इतना गुस्सा आ रहा था. मैं अंदर से सीरू दीदी और प्रिया लोगों को बुला कर लाती हूँ. वरना वो सारी रात तैयार ही होती रहेगी.”

ये कह कर निक्की मुस्कुराते हुए अंदर चली गयी. लेकिन निक्की की इस हरकत ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया था. पहले तो वो उस लड़के को लेकर मुझ पर इतना भड़की थी कि, आप से सीधे तुम पर आ गयी थी और फिर उस लड़के के जाते ही, वो फिर से इस तरह पहले जैसी हो गयी थी, जैसे कि अभी कुछ हुआ ही ना हो. निक्की की दोनो ही बात मेरे गले से नही उतर रही थी.
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09-10-2020, 01:47 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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अभी मैं निक्की के बारे मे सोच ही रहा था कि, तभी हीतू वापस आते दिखा. मैने उसे आते देखा तो, उसके पास चला गया. उसने मुझे देखते ही कहा.

हितेश बोला “सॉरी यार, मैने इसे यहाँ नही बुलाया था. इसने मुझसे कॉल करके पुछा कि, मैं कहाँ हूँ और फिर यहाँ ही आ गया. मेरे दिमाग़ मे ज़रा भी ये बात नही आई थी कि, प्रिया भी यहाँ पर ही है. वरना मैं इसे यहाँ हरगिज़ नही आने देता.”

हीतू की इस बात ने मेरे मन मे बहुत से सवाल पैदा कर दिए थे. लेकिन मैं अपने मन की बात हीतू के सामने जाहिर करना नही चाहता था. इसलिए मैने इस बात को बदलते हुए हीतू से डीजे चालू करवाने को कहा और मैं उपर छोटी माँ के पास चला गया.

मैं उपर पहुचा तो शिखा दीदी अकेली बैठी थी. छोटी माँ फ्रेश होने गयी थी. मैने शिखा दीदी से नीचे चलने को कहा तो, उन्हों ने कहा कि, वो छोटी माँ के साथ ही नीचे आएगी. इसलिए मैं भी उनके साथ वही बैठ कर बातें करने लगा.

कुछ ही देर मे छोटी माँ आ गयी. उन्हो ने मुझे बाहर जाने को कहा तो, मैं बाहर आकर खड़ा हो गया. कुछ ही देर मे डीजे चालू हो गया और प्रिया मुझसे बुलाने आ गयी. मैने उसे कहा कि छोटी माँ तैयार हो रही है. मैं उनके साथ नीचे आता हूँ.

मेरी बात सुनकर, वो भी मेरे पास ही खड़ी हो गयी. मेरा मन प्रिया से उस लड़के के बारे मे पुच्छने का हो रहा था. लेकिन अभी मेरे पास इतना समय नही था कि, इस बारे मे प्रिया से खुल कर बात की जा सके. इसलिए मैने ये बात करने का इरादा बदल दिया.

थोड़ी ही देर मे छोटी माँ ने मुझे अंदर आ जाने को कहा तो, मैं और प्रिया अंदर आ गये. छोटी माँ तैयार हो चुकी थी. उन्हो ने इस समय येल्लो कलर की साड़ी पहने हुई थी. जिसमे वो बहुत प्यारी लग रही थी.

प्रिया ने भी येल्लो ड्रेस पहनी हुई थी और जब उसने छोटी माँ को येल्लो साड़ी मे देखा तो खुश होते हुए उनकी साड़ी की तारीफ करने लगी. ऐसे ही बातों बातों मे प्रिया ने छोटी माँ से कहा.

प्रिया बोली “आंटी आप अमि निमी को अपने साथ लेकर क्यो नही आई. मेरा उनको देखने का बहुत मन करता है.”

प्रिया की ये बात सुनते ही मुझे एक झटका सा लगा. मैं छोटी माँ के आने की खुशी मे इतना खो गया था कि, मुझे इस बात को पुच्छने का ध्यान ही नही रहा कि, उनके साथ अमि निमी क्यो नही आई है.

लेकिन प्रिया के याद दिलाते ही, मुझे अमि निमी की याद ने घेर लिया. अब मुझे इस बात की फिकर सताने लगी थी कि, वो दोनो मेरे और छोटी माँ के बिना कैसे रह रही होगी. ये बात सोचते ही मेरा दिल उदास हो गया.

छोटी माँ शायद मेरे दिल का हाल समझ गयी थी. उन्हों ने मेरे कंधे पर हाथ रखा और मुझे समझाते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “तू अमि निमी की फिकर क्यो करता है. वो दोनो वहाँ मज़े मे है. हमारे पड़ोस मे साक्शेणा परिवार रहने आया है. वो दिन भर उन्ही की छोटी बेटी के साथ खेलती रहती है. मैने उनका ख़याल रखने के लिए अनु दीदी को भी घर मे बुला लिया है और फिर रिचा दीदी भी तो घर मे है.”

लेकिन छोटी माँ की ये बात सुनकर भी मेरे दिल को सुकून नही मिल रहा था. मैने परेशान होते हुए छोटी माँ से कहा.

मैं बोला “क्या आपको पता नही है कि, वो दोनो कभी मेरे और आपके बिना नही रही है. यदि आपको यहाँ आना ही था तो, उनको भी अपने साथ लेकर आना था. आपको उनको ऐसे अकेला छ्चोड़ कर आने की ज़रूरत क्या थी.”

मेरी बात सुनकर, छोटी माँ मुझे समझाने की कोसिस करती रही. लेकिन जब मैं उनकी कोई भी बात समझने को तैयार नही हुआ तो, उन ने मुझ पर गुस्सा करते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “तू मेरी माँ नही, मैं तेरी माँ हूँ. इसलिए मुझे क्या करना चाहिए था और क्या नही करना चाहिए था. ये मुझे तुझसे सीखने की ज़रूरत नही है. मैं इस बारे मे अब कोई बात सुनना नही चाहती हूँ. अब तू अपना मूड सही कर और चुप चाप नीचे चल.”

छोटी माँ को गुस्सा करते देख, मैं शांत पड़ गया. लेकिन मेरा मूड अभी भी वैसा का वैसा ही था. मेरा खराब मूड देख कर, शिखा दीदी कुछ बोलने को हुई, लेकिन छोटी माँ ने उनको टोकते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “इसकी फिकर मत करो, ये अभी नीचे आ जाएगा. हम लोग नीचे चलते है.”

शिखा दीदी और प्रिया को छोटी माँ का इस तरह मेरे उपर गुस्सा करना अच्छा नही लग रहा था. लेकिन जब छोटी माँ ने उनसे नीचे चलने को कहा तो, वो चुप चाप छोटी माँ के पिछे पिछे नीचे चली गयी.

मुझे छोटी माँ का गुस्सा करने का ज़रा भी बुरा नही लगा था. क्योकि मैं उनकी इस आदत को अच्छी तरह से जानता था कि, जब वो मेरी किसी बात से अपना पिच्छा छुड़ाना चाहती थी तो, इसी तरह से मुझ पर गुस्सा करके मुझे चुप करा देती थी.

मुझे तो इस समय सिर्फ़ अमि निमी की फिकर सता रही थी. अभी सिर्फ़ 9:45 बजे थे, इसलिए अभी कीर्ति का कॉल आने का सवाल ही पैदा नही होता था. इसलिए मैने अमि निमी का हाल जानने के लिए खुद ही कीर्ति को कॉल लगा दिया. कीर्ति ने मेरा कॉल उठाते ही मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “सॉरी, मैने कुछ भी नही किया और यहाँ अमि निमी की वजह से मुझे तुमसे ये बताने का समय भी नही मिल पाया कि, मौसी वहाँ आ रही है.”

अमि निमी का नाम सुनते ही मेरा गुस्सा कुछ कम हुआ और मैने उस से कहा.

मैं बोला “अमि निमी कैसी है. वो ज़्यादा परेशान तो नही कर रही है.”

कीर्ति बोली “वो दोनो अच्छी है और ज़रा भी परेशान नही कर रही है. अभी अभी खाना खाकर, अपने कमरे मे गयी है.”

मैं बोला “ये सब क्या चल रहा है. छोटी माँ तो यहाँ आने से मना कर रही थी. फिर वो इस तरह अचानक यहाँ क्यो आई है.”

कीर्ति बोली “मैं तुम्हे सब कुछ बताती हूँ. लेकिन एक बात याद रखो कि, मौसी के वहाँ तुम्हारे पास होने की बात भूल से भी अमि निमी के सामने मत करना, वरना यहाँ भूचाल आ जाएगा.”

मैं बोला “भूचाल आने से तेरा क्या मतलब, क्या छोटी माँ अमि निमी से कही ऑर जाने का बोल कर आई है.”

कीर्ति बोली “हां, मौसी ने अमि निमी से कहा है कि, वो वाणी दीदी को लेने जा रही है.”

मैं बोला “लेकिन छोटी माँ को ऐसा करने की क्या ज़रूरत थी. उन्हे यदि यहाँ आना ही था तो, वो अमि निमी को लेकर भी तो यहाँ आ सकती थी.”

कीर्ति बोली “वो तुम्हारे साथ हो रहे हादसो की वजह से अमि निमी को अपने साथ वहाँ लेकर जाना नही चाहती थी. इसलिए उन्हे अमि निमी से ये झूठ बोलना पड़ा.”

मुझे कीर्ति की ये हादसो वाली बात समझ मे नही आई. क्योकि दिन की बात तो मैं सबके सामने सॉफ कर चुका था और शाम को हुए हादसे की मैने किसी को खबर ही नही होने दी थी. इसलिए मैने कीर्ति से कहा.

मैं बोला “हादसो से तेरा क्या मतलब है. दिन मे जो हुआ था, वो तो मैं तुम लोगों को सॉफ सॉफ बता चुका था.”

कीर्ति बोली “ज़्यादा बनने की कोसिस मत करो. मैं दिन और शाम को हुए हादसे की बात कर रही हू. मौसी ने वहाँ शाम को हुए हादसे के बाद, मेहुल और प्रिया की कही हुई सारी बातें सुनी थी. इसलिए वो तुमको लेकर बहुत परेशान थी और फिर उन्हो ने आनन फानन मे वहाँ जाने का फ़ैसला कर लिया.”

कीर्ति की इस बात ने मुझे सोच मे डाल दिया. क्योकि मेहुल की बात सुनते ही मैने फ़ौरन काट दिया था. यही बात जानने के लिए मैने कीर्ति से कहा.

मैं बोला “लेकिन मैने तो मेहुल की बात सुनते ही कॉल काट दिया. फिर छोटी माँ ने प्रिया की बात कैसे सुन ली.”

कीर्ति बोली “तुमसे बात करते समय पहले उन्हो ने वहाँ बहुत ज़ोर की कोई आवाज़ सुनी, फिर मेहुल की बात सुनकर उन्हे समझ मे आ गया कि, वहाँ कुछ हुआ है. इसलिए उन्हो ने तुम्हारे कॉल काटने के बाद, वापस तुम्हे कॉल ना लगा कर, मुझसे नितिका को कॉल लगा कर वहाँ का हाल पता करने को कहा था.”

“लेकिन नितिका वहाँ का हाल पता करके बताने की जगह, चालू मोबाइल ही तुम्हारे पास लेकर चली गयी. जिस वजह से वहाँ प्रिया की कही गयी बातें हमने भी सुन ली. जिसके बाद मौसी ने तुम्हारे पास जाने का फ़ैसला ले लिया और अमि निमी से कहा कि, मैं वाणी को लेने जा रही हूँ. लेकिन पुन्नू के घर वापस आने का समय भी हो गया है. इसलिए तुम लोग घर मे रह कर पुन्नू के आने का इंतजार करो और वो आ जाए तो, मेरे ना रहने पर उसका ख़याल रखना.”

“बस इसी वजह से अमि निमी ने उनके साथ जाने की ज़िद नही की थी. क्योकि वो दोनो तुमको देखने के लिए तरस गयी है. खास कर अमि तुमको बहुत याद करती है. आज कल तो वो खाना भी ढंग से नही खाती है और ना ही किसी बात पर मुझसे या निमी से झगड़ा करती है.”

कीर्ति की ये बात सुनकर, मैं सोचने पर मजबूर हो गया कि, मैने पिच्छले जनम मे ऐसे क्या अच्छे क्या काम किए थे कि, इस जनम मे मुझे इतना ज़्यादा प्यार करने वाली माँ और बहने मिली है.

एक मेरी बहने थी, जो मुझे इतना प्यार करती थी कि, उनसे मेरा नाम लेकर कुछ भी करवाया जा सकता था और एक मेरी माँ थी, जो मेरे साथ हुए हादसे की खबर सुनकर फ़ौरन ही इतनी दूर से भागी चली आई थी.

ये बातें सोच कर मेरी आँखें छलक गयी. लेकिन मैने फ़ौरन ही अपनी आँखों को सॉफ किया और कीर्ति से कहा.

मैं बोला “चल ठीक है. अभी मैं रखता हूँ, यदि तू जागती रही तो, हम बाद मे बात करेगे. अब मैं रखता हूँ.”

कीर्ति बोली “अरे ऐसे कैसे कॉल रख दोगे. पहले मेरी किसी तो दो.”

मैं बोला “क्या मैं तुझे जितनी बार कॉल करूगा, मुझे उतनी ही बार किसी देना पड़ेगी.”

कीर्ति बोली “हां, तुम जितनी भी बार कॉल करोगे, तुम्हे उतनी ही बार कॉल रखने के पहले किसी देना पड़ेगी.”

मैं बोला “तुझे तो मैं आकर देखता हूँ. अभी तो तू अपनी किसी ले ले. मुऊऊऊहह.”

कीर्ति बोली “मैं भी तुम्हे देख लूँगी. अभी मैं रखती हूँ. मुऊऊुउऊहह.”

इतना कह कर कीर्ति ने कॉल रख दिया. इसके बाद मैने अपना मूह धोया और नीचे आ गया. नीचे डीजे की धुनो पर डॅन्स चल रहा था. मुझे आता देख कर प्रिया और शिखा दीदी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. लेकिन छोटी माँ ने मुझे आते देख, अपना चेहरा डॅन्स करने वाली लड़कियों की तरफ घुमा लिया.

उनको ऐसा करते देख, प्रिया और शिखा दीदी फिर से असमंजस मे पड़ गयी. लेकिन मैं जानता था कि, उन्हे इस समय अमि निमी से ज़्यादा मेरी फिकर थी. जिसकी वजह से ना चाहते हुए भी, उन्हे यहाँ आना पड़ गया था.

लेकिन वो ये सब बातें मुझ पर जाहिर करना नही चाहती थी और मैं था कि, अमि निमी को लेकर उनसे सवाल पर सवाल किए जा रहा था. जिस वजह से वो ये गुस्सा होने का नाटक कर रही थी. ताकि मैं उन से अमि निमी को लेकर कोई सवाल ना कर सकूँ.

मैं भी अब उनकी इस परेशानी को और बढ़ाना नही चाहता था. इसलिए मैने उनके पास आकर, उन से कहा.

मैं बोला “सॉरी, छोटी माँ.”

लेकिन छोटी माँ ने मेरी बात को सुनकर, भी अनसुना कर दिया और वो डॅन्स ही देखती रही. तब मैने उनके सामने आकर खड़ा होते हुए उनसे कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, अब ये झूठा गुस्सा दिखाने का नाटक बहुत हो गया. मैं अब आपसे अमि निमी को लेकर कोई सवाल नही करूगा. अब आप भी अपना ये गुस्सा दिखने का नाटक करना बंद कर दीजिए.”

मेरी बात सुनकर छोटी माँ ने पहले मुझे घूर कर देखा और फिर अचानक ही उनके चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. उन्हो ने प्यार से मेरे गाल पर एक चपत लगाई और शिखा दीदी की तरफ देखते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “मेरा बेटा तुम्हारे यहाँ आकर बहुत ज़्यादा समझदार हो गया है. अब तो ये मेरे झूठे गुस्से को भी समझने लगा है.”

छोटी मांं की बात सुनकर, जहा शिखा दीदी के चेहरे पर मुस्कुराहट वापस आ गयी. वही प्रिया ने हैरानी से छोटी माँ से कहा.

प्रिया बोली “तो क्या आंटी आप सच मे इतनी देर से इसको झूठा गुस्सा कर रही थी.”

छोटी माँ बोली “ऑर नही तो क्या, मैं इस पर कभी गुस्सा कर ही नही सकती. ये तो मेरा राजा बेटा है.”

प्रिया बोली “आपने तो मुझे डरा ही दिया था. मुझे तो लग रहा था कि, आप सच मे पुन्नू से नाराज़ हो गयी है.”

छोटी माँ बोली “अरे तुम लोगों ने देखा नही कि, ये अपनी बहनो को लेकर मुझसे किस तरह झगड़ा कर रहा था. इसे मेरे आने की खुशी नही, बल्कि अपनी बहनो के अकेले रहने का दुख हो रहा था. अब इसके सवालों से बचने के लिए मैं गुस्सा होने का नाटक नही करती तो, ऑर क्या करती.”

छोटी माँ की बात सुनकर, सब हँसने लगे. तभी निक्की आई और प्रिया को डॅन्स के लिए पकड़ कर ले जाने लगी. लेकिन प्रिया ने पहले नेहा से डॅन्स करवाने की बात कह कर बात को टाल दिया.

प्रिया की बात सुनकर, निक्की नेहा के पास चली गयी. लेकिन नेहा ने भी शायद अभी डॅन्स करने से मना कर दिया था. तभी हीतू उनके पास आया और निक्की उस से कुछ कहने लगी.

जिसके बाद, हीतू ने डीजे वाले के पास जाकर कोई गाना बजाने को बोला और फिर नेहा को अपने पास बुलाया. डीजे पर हीतू का बोला हुआ गाना बजते ही हीतू और नेहा उस गाने पर डॅन्स करने लगे.

हीतू और नेहा का डॅन्स
“सपने में मिलती है, ओ कुड़ी मेरी सपने में मिलती है.
सारा दिन घुन्घटे मे बंद कुडिया सी, ओए ओए ओए ओए ओए.
सारा दिन घुन्घटे मे बंद कुडिया सी, अखियों में खुलती है

सपने में मिलता है, ओ मुंडा मेरा सपने में मिलता है
सारा दिन सड़को पे खाली रिक्शी सा, है..
सारा दिन सड़को पें खाली रिक्शी सा पीछे पीछे चलता है

होई होई.. कोरी है, करारी है, भून के उतारी है.
कबी कबी मिलती है.. ओ कुड़ी मेरी ओ कुड़ी मेरी
वेऊ चलो पकड़ है, चौड़ा बीटो हद है.
दूउर से दिखता है, ओ मुंडा मेरा हा हा हा हा...ओ मुंडा मेरा

अरे, देखने मे तगड़ा है, जंगल से पगड़ा है, सींग दिखाता है...
सपने में मिलता है, ओ मुंडा मेरसपने में मिलता है
सपने में मिलती है, ओ कुड़ी मेरा सपने में मिलता है
पाजी है, शरीर है, गुमटी लकीर है, चक्रख चलती है
ओए... सपने में मिलती है, ओ कुड़ी मेरा
सपने में मिलता है सपने में मिलता है
होई होई होई होई.....

हीतू और नेहा ने इतना मस्त डॅन्स किया था कि, वहाँ खड़े सबके कदम थिरकने पर मजबूर हो गये थे. उनके डॅन्स ख़तम होने के बाद हीतू ने राज की तरफ इशारा किया तो राज सेलू दीदी के पास आ गया. उसने शायद उनसे अपने साथ डॅन्स करने को कहा तो, सेलू दीदी उसके साथ चली गयी. फिर डीजे वाले ने उसकी पसंद का गाना बजा दिया.

राज और सेलू दीदी का डॅन्स
“ओ.. ओ..
मेहन्दी लगा रखना
डॉली सज़ा के रखना
मेहन्दी लगा रखना
डॉली सज़ा के रखना
लेने तुझे ओ गोरी
आएँगे तेरे सजना

मेहन्दी लगा रखना
डॉली सज़ा के रखना
ओह.. हो.. ओह.. हो..

ओ.. आ..
सहरा सजाके रखना
चेहरा छुपा कर रखना
सहरा सजाके रखना
चेहरा छुपाके रखना
यह दिल की बात अपने
दिल में दबा के रखना

सहरा सजाके रखना
चेहरा छुपाके रखना

मेहन्दी लगा रखना
डॉली सज़ा के रखना
ओह.. हो.. ओह.. हो..”

अभी राज और सेलू दीदी का डॅन्स ख़तम ही हुआ था कि, निक्की ने नितिका को डॅन्स के लिए पकड़ लिया और फिर नितिका की पसंद का गाना बजने लगा.

नितिका का डॅन्स
“बोले चूड़िया बोले कंगना, हाए मैं हो गयी तेरी सजना
तेरे बिन जिया नायो लग दा, मैं ते मरगाया
ले जा ले जा सोणिये ले जा ले जा, दिल ले जा ले जा हो.......

हाए हाए मैं मारजावां मारजावां तेरे बिन
अब तो मेरी राते कटती तारे गिन गिन
बस तुझको पुकारा करे, मेरी बिंदिया इशारा करे
होये लश्कारा लश्कारा, तेरी बिंदिया का लश्कारा
ऐसे चमके जैसे चमके चाँद के पास सितारा”

नितिका अपना डॅन्स ख़तम करके वापस आने लगी. तभी मेहुल ने उसका हाथ पकड़ लिया और तभी उसका गाना बजने लगा.

मेहुल और नितिका का डॅन्स
“उठा ले जाउन्गा तुझे मैं डॉली मे,
देखती रह जाएँगी सखिया तुम्हारी.
तुमको मुझसे प्यार है प्यार है प्यार.

तेरे घर आउन्गि, दुल्हन बन जाउन्गि,
अकेली रह जाएँगी सखिया बेचारी
तुमको मुझसे प्यार है प्यार है प्यार.
उठा ले जाउन्गा तुझे मैं डॉली मे
देखती रह जाएँगी सखिया तुम्हारी
ओह ओह ओह ओह ओह, आ आ आ आ आ.”

मेहुल और नितिका ने भी बहुत अच्छा डॅन्स किया था. उनका डॅन्स ख़तम होते ही निक्की ने आरू को डॅन्स के लिए पकड़ लिया और फिर आरू का गाना बजने लगा.

आरू का डॅन्स
“मैने पायल है छन्कायि
अब तो आजा तू हरजाई,
मेरी साँसों में तू है बसा
ओ सजना, आजा ना अब तरसा.
मैने पायल है छन्कायि
अब तो आजा तू हरजाई,
मेरी साँसों में तू है बसा
ओ सजना, आजा ना अब तरसा.”

आरू ने भी बहुत प्यारा डॅन्स किया था. उसका डॅन्स ख़तम होते ही निक्की ने सीरू दीदी, बरखा और सेलू को पकड़ लिया और अपने साथ ले आरू के पास ले आई और फिर डीजे पर गाना बजने लगा.

सीरू दीदी, सेलू, आरू, बरखा और निक्की का डॅन्स
“वाह वाह रामजी
जोड़ी क्या बनाई
भैया और भाभी को
बधाई हो बधाई
सब रस्मों से बड़ी है जग में
दिल से दिल की सगाई
आपकी कृपा से यह
शुभ घड़ी आई
जीजी और जीजा को
बधाई हो बधाई
सब रस्मों से बड़ी है जग में
दिल से दिल की सगाई
वाह वाह रामजी
वाह वाह रामजी
वाह वाह रामजी.”

सबका डॅन्स करना हो चुका था. अब सिर्फ़ मैं, रिया और प्रिया ही डॅन्स करने के लिए बाकी रह गये थे. निक्की ने आकर मुझसे डॅन्स करने को कहा तो, मैने उस से बाद मे डॅन्स करने की बात कह कर उसे टाल दिया. जिसके बाद वो प्रिया को डॅन्स के लिए ले गयी और फिर प्रिया की पसंद का गाना बजने लगा.

प्रिया का डॅन्स
“मैंय्या यशोदा ये तेरा कन्हैय्या,
पनघट पे मेरी पकड़े है बैय्या,
तंग मुझे करता है संग मेरे लड़ता है,
रामजी की कृपा से मैं बची,
रामजी की कृपा से मैं बची,
रामजी की कृपा से.”

प्रिया बहुत प्यारा डॅन्स कर रही थी. मैं उसका डॅन्स देखने मे खो सा गया था. जैसे ही उसका डॅन्स ख़तम हुआ. रिया मेरे पास आई और जबबर्दस्ती मेरा हाथ पकड़ कर ले गयी. डीजे पर उसकी पसंद का गाना बजने लगा और चाहते हुए भी मुझे उसका साथ देना पड़ा.

मेरा और रिया का डॅन्स
“आज है सगाई, सुन लड़की के भाई,
ज़रा नाच के हमको दिखा.
आज है सगाई, सुन लड़की के भाई,
ज़रा नाच के हमको दिखा.
कुड़ी की तरह ना शरमा
हे तू मेरी गाल मान जा,
तू मेरी गाल मान जा.
ओये..

सबको नचओ, नाच नाचके दिखाओ
आ मुझको गले से लगा.
मुंडे से ज़रा आँख लड़ा,
ओये तू मेरी गल मान जा,
हे तू मेरी गल मान जा.
ओये सोणिये..”

जैसे तैसे करके मैने डॅन्स पूरा किया और डॅन्स ख़तम होते ही मैं वहाँ से भागने को हुआ कि, तभी मेहुल, राज और हीतू ने आकर मुझे पकड़ लिया और उनकी पसंद का गाना बजना सुरू हो गया. जिसे सुनते ही मुझे समझ मे आ गया कि, वो पल आ गया है, जिसके लिए इतना ताम झाम किया गया था और मैं सबके साथ डॅन्स करने लगा.

मेरा, मेहुल, राज और हीतू का डॅन्स
“मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुल्हनिया,
सजके आएँगे दूल्हे राजा.
भैया राजा बजाएगा बाजा,
भैया राजा बजाएगा बजा.

अपने पसीने को मोती कर दूँगा,
मोतियों से बहना की माँग भर दूँगा.
आएगी बारात देखेगी सारी दुनिया,
होंगे लाखों मे एक दूल्हे राजा.
भैया राजा बजाएगा बजा,
भैया राजा बजाएगा बजा.

सोलह सिंगर मेरी बहिना करेगी,
टीका चढ़ेगा और हल्दी लगेगी.
बहना के होंठों पे झूलेगी नाथनिया,
और झमेंगे दूल्हे राजा.
भैया राजा बजाएगा बजा,
भैया राजा बजाएगा बजा.

सेज पे बैठेगी वो डॉली पे चलेगी,
धरती पे बहना रानी पाँव ना धरेगी.
पलकों की पालकी मे बहना को बिठा के,
ले जाएँगे दूल्हे राजा.
भैया राजा बजाएगा बजा,
भैया राजा बजाएगा बजा.

सजना के घर चली जाएगी जो बहना,
होंठ हँसेंगे मेरे रोएंगे ये नैना,
ऱखिया के रोज रानी बहाना को बुलाउन्गा ,
ले के आएँगे दूल्हे राजा.
भैया राजा बजाएगा बजा,
भैया राजा बजाएगा बजा.

लेकिन मैं इस गाने पर अपना डॅन्स पूरा नही कर पाया. क्योकि गाने की आख़िरी की कुछ पंक्तियों को महसूस करते ही मेरी आँखों मे आँसू आ गये और मैं डॅन्स को अधूरा छोड़ कर ही आ गया.

मैने छोटी माँ के पास आकर, उनके कंधे पर अपना सर रखा और उनके कंधे से अपना चेहरा छुपाते हुए कहा.

मैं बोला “मुझसे नही हो पाया छोटी माँ.”

ये कहते हुए मेरी आँखों से आँसुओं का झरना बहने लगा. लेकिन तभी बरखा ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.

बरखा बोली “नही भाई, तुमने करके दिखा दिया. बात डॅन्स पूरा होने या ना होने की नही थी. बात तो सिर्फ़ भैया के जज्बातों को पूरा करने की थी और वो तुमने करके दिखा दिया. वो देखो, तुम्हारा डॅन्स देख कर दीदी की आँखों मे भी आँसू आ गये.

बरखा की बात सुनकर, मैने शिखा दीदी की तरफ देखा तो, वो रो रही थी और निक्की लोग उनको चुप करा रही थी. ये देखते ही मैने अपने आँसू पोंछे और उनके पास आते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, मैने तो इन लोगों से पहले ही कहा था कि, मुझे डॅन्स नही आता है. लेकिन क्या मैने सच मे इतना बुरा डॅन्स किया है की, आपको रोना आ गया.”

मुझे अपने सामने देखते ही शिखा दीदी मुझसे लिपट कर रोने लगी. उस पल मेरे लिए ये समझ पाना मुश्किल हो गया था कि, मैं उनको रोने से रोकू या खुद के आँसुओं को बाहर आने से रोकू. फिर भी मैने बहुत हिम्मत जुटाते हुए शिखा दीदी से कहा.

मैं बोला “दीदी, मैने आपसे कहा था कि, अपने ये आँसू विदाई के लिए बचा कर रखिए और आपने इन्हे अभी से बहाना सुरू कर दिया है. देखिए, 11 बज गये और सीरू दीदी लोगों ने अभी खाना तक नही खाया है. कुछ ही देर मे ये लोग जाने की बात करने लगेगी.”

मेरी बात सुनते ही सीरू दीदी ने कहा.

सीरत बोली “अरे मैं तो भूल ही गयी थी कि, 11 बजे के पहले हमे वापस जाना है. भाभी सच मे हमे बहुत देर हो गयी है. अब हमे जाना चाहिए, वरना घर मे सब बहुत गुस्सा करेगे.”

सीरू दीदी की ये बात सुनते ही शिखा दीदी के आँसू रुक गये. उन्हो ने अपना चेहरा सॉफ किया और फिर सीरू दीदी लोगों से कहा.

शिखा दीदी बोली “नही, आप मे से कोई भी बिना खाना खाए नही जाएगा. मैं अभी खाना लगवाती हूँ.”

ये कहते हुए उन्हो ने सीरू दीदी का हाथ पकड़ा और सब को अंदर चलने को कहने लगी. शिखा दीदी की बात सुनकर, सब उनके साथ जाने लगे. सीरू दीदी ने जाते हुए मुझे पलट कर देखा और मुस्कुराते हुए आँख मार दी. उनकी इस हरकत को देख कर, मैने अपने मन मे बुदबुदाया शैतानो की नानी और फिर मैं भी मुस्कुरा दिया.
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09-10-2020, 01:47 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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शिखा दीदी के साथ सीरू दीदी, सेलू, आरू और नेहा अंदर जा रही थी. लेकिन निक्की हमारे पास ही खड़ी थी. उसे यहीं पर खड़े देख कर बरखा ने कहा.

बरखा बोली “क्या हुआ, क्या तुम्हे इनके साथ वापस घर नही जाना है.”

निक्की बोली “मुझे भी जाना है दीदी. लेकिन मैं ज़रा रिया से बात करने के लिए रुक गयी हूँ.”

ये कहते हुए वो रिया को यहाँ वहाँ देखने लगी. बरखा ने छोटी माँ से खाने के बारे मे पुछा तो, उन्हो ने थोड़ी देर बाद खाना खाने की बात कह दी. फिर बरखा ने बाकी लोगों से खाना खाने को कहा, मगर सबने छोटी माँ के साथ खाना खाने की बात कही. तब तक रिया और राज भी हमारे पास आ गये. रिया के आते ही निक्की ने कहा.

निक्की बोली “ये क्या था, आपको पता था ना कि, पुन्नू को डॅन्स नही आता और आपको गोरी है कलाइयाँ पर अकेले डॅन्स करना था. फिर आपने अचानक अपना गाना क्यों बदल दिया था.”

निक्की की ये बात सुनकर, रिया ने मुस्कुराते हुए कहा.

रिया बोली “अरे तो इसमे क्या हो गया. मेरा मन इसके साथ डॅन्स करने का था, इसलिए मैने अपना गाना बदल दिया और तुम सब ने देखा नही कि, इसने कितना अच्छा डॅन्स किया है. ये हम सब से झूठ कहता है कि, इसे डॅन्स करना नही आता.”

लेकिन रिया की इस बात पर निक्की ने गुस्सा करते हुए कहा.

निक्की बोली “क्या आपको ये नही लगा कि, आपकी इस हरकत से हमारा सारा बना बनाया खेल भी बिगाड़ सकता है.”

मुझे लग रहा था कि, निक्की को इस तरह से गुस्सा करते देख कहीं रिया का दिमाग़ खराब हो ना हो जाए. मगर ऐसा कुछ नही हुआ. रिया ने निक्की को गुस्सा करते देखा तो, उसने अपने दोनो कान पकड़ कर कहा.

रिया बोली “सॉरी मेरी बहना, मुझसे ग़लती हो गयी. अब जैसा तुम बोलोगि, मैं बिल्कुल वैसा ही करूगी. अब तुम अपना गुस्सा थूक दो, वरना मेरे आँसू निकालने लगेगे.”

रिया की बात सुनकर, सब हँसने लगे और निक्की के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. वही छोटी माँ ने जब ये सब बातें सुनी तो कहा.

छोटी माँ बोली “तो क्या ये सब तुम लोगों ने पहले से ही तय करके रखा था कि, कौन, कब और किस गाने पर डॅन्स करेगा.”

निक्की बोली “जी आंटी, रिया के डॅन्स को छोड़ कर बाकी सबको किस डॅन्स पर किसके बाद डॅन्स करना है, हम ने सब तय करके रखा था.”

निक्की की इस बात पर छोटी माँ ने हैरान होते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “जब ये सब पहले से ही तय था तो, फिर तुम सबके पास जा जाकर उसको डॅन्स के लिए क्यो मना रही थी.”

निक्की बोली “आंटी, सीधे सीधे सब डॅन्स करने लग जाते तो डॅन्स का मज़ा कम होता. लेकिन इस तरह मना मना कर डॅन्स करवाने से ये मज़ा दुगना हो गया.”

निक्की की ये बात सुनकर, छोटी माँ ने कहा.

छोटी माँ बोली “वैसे ये मना मना कर डॅन्स करवाने का आइडिया किसका था.”

छोटी माँ की इस बात का जबाब रिया ने देते हुए कहा.

रिया बोली “आंटी, इस सब के पीछे सीरू दीदी का दिमाग़ था और मुझे अपना गाना बदलने के लिए भी उन्हो ने ही कहा था. अब वो तो अपना कमाल दिखा कर भाग निकली और मुझे निक्की की दाँत सुनने के लिए छोड़ गयी.”

रिया की बात सुनकर, सब हँसने लगे और मैं सीरू दीदी के बारे मे सोचने लगा. तभी नेहा आ गयी और निक्की को बुला कर ले गयी. उसके जाने के बाद, छोटी माँ ने रिया से कहा.

छोटी माँ बोली “तुम्हारी ये बहन देखने मे ही नही, बल्कि समझदारी और गुस्से मे भी मेरी कीर्ति की ही तरह है.”

छोटी माँ की बात पर रिया ने कहा.

रिया बोली “आंटी, आपको कीर्ति को भी अपने साथ ले आना था. सब इन दोनो को एक साथ देखते तो, इनको जुड़वा बहने ही समझते.”

छोटी माँ बोली “बात तो तुम्हारी सही है. मैं भी यहाँ सबके साथ आना चाहती थी. लेकिन एक घरेलू वजह से मेरे अलावा किसी का आना नही हो सका. लेकिन अगली बार मैं ज़रूर सबको साथ लेकर आउगि.”

इसके बाद, छोटी माँ की ऐसे ही रिया और बाकी लोगों से बात चलती रही. साथ ही साथ डॅन्स भी चल रहा था. फिर 11:30 बजे सीरू दीदी लोग खाना खा कर वापस आ गयी. सीरू दीदी ने हमारे पास आकर छोटी माँ से कहा.

सीरत बोली “आंटी हमारे भैया आपसे मिलने आए है. वो अभी यहा अंदर नही आ सकते, इसलिए वो आपका बाहर ही इंतजार कर रहे है.”

सीरू दीदी की बात सुनकर, हम सब लोग छोटी माँ के साथ बाहर आ गये. घर से कुछ दूर डॉक्टर. अमन की कार खड़ी दिखाई दी. हमारे कार के पास पहुचते ही अजय और अमन दोनो कार से नीचे उतर कर आ गये.

दोनो ने छोटी माँ को देखा तो, हैरानी से बस देखते ही रह गये. क्योकि छोटी माँ उमर मे उन दोनो से ही छोटी थी और ये किसी भी तरह से नही लगता था कि, वो मेरी माँ है.

मैने दोनो का छोटी माँ से परिचय कराया तो, अमन ने छोटी माँ से नमस्ते किया, लेकिन अजय आगे बढ़ कर उनके पैर छुने लगा. छोटी माँ ने उसे ऐसा करने से रोकने की कोसिस की, मगर उसने छोटी माँ की बात नही सुनी और उनके पैर पड़ने के बाद कहा.

अजय बोला “पुनीत से आपकी तारीफ सुन सुन कर मेरे कान पक गये थे. ये हमेशा कहता था कि, मेरी माँ देवी है. लेकिन आज जब आपको देखा तो, पाया की पुनीत सच ही कहता था. फिर भला मैं आप जैसी देवी के पैर छुने से खुद को कैसे रोक सकता था.”

ये कहते हुए अजय ने अमन की तरफ देख और उनका छोटी माँ से परिचय कराया. जिसके बाद अमन ने छोटी माँ से कहा.

अमन बोला “आपको देख कर मैं समझ नही पा रहा हूँ कि, मैं आपको क्या कह कर बुलाऊ. आप मेरे दोस्त की माँ है तो, मुझे आपको आंटी कहना चाहिए, लेकिन आप तो उमर मे मुझसे हम दोनो से ही छोटी है. ऐसे मे आपको आंटी कह कर बुलाना, कुछ अटपटा सा लग रहा है.”

अमन की बात सुनकर, छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “आप को जिस नाम से बुलाने मे अटपटा ना लगे. आप मुझे उस नाम से बुला सकते है. आप चाहे तो, मेरा नाम लेकर भी मुझे बुला सकते है. मुझे किसी भी नाम से पुकारे, मुझे कोई परेशानी नही है.

अमन बोला “आप मेरी बात का बुरा मत मानिए, मेरा कहने का सिर्फ़ ये मतलब था कि, आप उमर मे हमसे छोटी है. यदि हम आपको आंटी कहेगे तो शायद आपको ये बात अच्छी ना लगे.”

अमन की इस बात पर भी छोटी माँ ने मुस्कुरा दिया और फिर मुझे खीच कर अपने पास किया और मुझे खुद से सटाते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “आप नाम पर मत जाइए. नाम तो सिर्फ़ पहचान के लिए होते है और मेरे लिए मेरी ये ही पहचान काफ़ी है कि, ये मैं इसकी माँ हूँ. मैं दुनिया की वो खुशनशिब माँ हूँ, जिसने अपनी संतान को जनम बाद मे दिया. लेकिन उसे माँ कहलाने का सुख उसके पहले ही मिल गया. मेरे बेटे के दोस्त भी मेरे लिए मेरे बेटे जैसे है. मुझे इस से कोई फरक नही पड़ता कि, वो मुझसे उमर मे छोटे है या बड़े है.”

छोटी माँ की बात सुनकर, अमन सोच मे पड़ गया. लेकिन अजय ने दोनो की बात के बीच मे आते हुए कहा.

अजय बोला “आप लोग ये सब बातें फुरसत मे करते रहना. अभी रात ज़्यादा हो रही है और हमे घर भी जल्दी वापस जाना है. इसलिए अभी आप सिर्फ़ इतना बताइए कि, आपने कहाँ पर रुकने का सोचा है. आप यहीं पर रुकेगी या फिर हमारे साथ हमारे घर चलना पसंद करेगी.”

अजय की ये बात सुनते ही बरखा ने बात को बीच मे काटते हुए कहा.

बरखा बोली “आपको आंटी के रुकने की चिंता करने की ज़रूरत नही है. दीदी ने आंटी का रुकने का इंतज़ाम आपके कमरे मे कर दिया है. इसलिए अब आंटी हमारे साथ ही रहेगी.”

बरखा का ये जबाब सुनकर, अजय और अमन दोनो हँसने लगे. फिर अजय ने बरखा को अपनी सफाई देते हुए कहा.

अजय बोला “मैं तुम्हारी आंटी को कही नही ले जा रहा हूँ. मैने तो ये बात सिर्फ़ इसलिए कही कि, उनको यदि यहाँ रुकने मे कोई तकलीफ़ हो रही हो तो, वो हमारे साथ रुक सकती है. अब क्या अपने घर आए मेहमान का ख़याल रखना भी बुरा है.”

बरखा ने भी अजय की इस बात का जबाब उसी के अंदाज़ मे देते हुए कहा.

बरखा बोली “पहली बात तो आंटी मेहमान नही है और दूसरी बात आंटी हमारे साथ ही रहेगी. उन्हे हमारे साथ रहने मे कोई परेशानी नही है.ये बात खुद आंटी ने हमसे कही है.”

बरखा की बात सुनकर, अजय ने उसके सामने हार मान ली और फिर छोटी माँ से कहा.

अजय बोला “मेरी शिखा से बात हुई थी. उसने आपके आने का बताया और ये भी बताया कि, आप शादी मे कितना कुछ खर्च कर रही है. मुझे लगता है कि, सिर्फ़ थोड़े दिनो की जान पहचान मे इतना सब कुछ करना सही नही है. यदि आपको बुरा ना लगे तो, आप इतना सब खर्च मत कीजिए.”

अजय की इस बात के जबाब मे छोटी माँ ने उसे समझाते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “देखिए, मैं आपकी इस परेशानी का मतलब समझ सकती हूँ. लेकिन ये आपकी ग़लतफहमी है कि, मैं शिखा की शादी मे कुछ खर्च कर रही हूँ. मैं शिखा के लिए सिर्फ़ एक जोड़ी ल़हेंगा चोली लेकर आई हूँ. इसके अलावा मैं कुछ भी खर्च कर नही कर रही हूँ.”

छोटी माँ की ये बात सुनकर, अजय कुछ परेशान सा हो गया. उसने अपनी इस परेशानी को छोटी माँ के सामने रखते हुए कहा.

अजय बोला “ये आप क्या बोल रही है, मेरी तो कुछ समझ मे नही आ रहा है. निक्की ने दिन मे मुझे बताया था कि, आपने शिखा को देने के लिए एक कार ली है. फिर अभी जब मेरी शिखा से बात हुई तो, उसने मुझे बताया कि आप उसे 20-25 लाख के गहने (ज्यूयेल्री) और हर बराती को विदाई मे गोल्ड रिंग दे रही है. क्या निक्की और शिखा ने जो कहा, वो सब झूठ है.”

अजय की इस बात के जबाब मे छोटी माँ ने एक छोटा सा जबाब देते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “हां वो झूठ है.”

छोटी माँ के ये जबाब सुनकर, तो बाकी सब के साथ साथ मैं खुद भी हैरान रह गया. वही निक्की ने छोटी माँ के सामने आते हुए कहा.

निक्की बोली “लेकिन आंटी, कार लेने तो मैं खुद गयी थी और आपकी ली हुई कार वो सामने खड़ी है.”

ये कहते हुए निक्की ने कार की तरफ इशारा कर दिया. जिसे देखने के बाद, अजय फिर से सोच मे पड़ गया. लेकिन शैतानो की नानी सीरू दीदी के दिमाग़ मे ना जाने क्या आया कि, उन्हो ने मुस्कुराते हुए छोटी माँ से कहा.

सीरत बोली “आंटी यदि मैं ग़लत नही हूँ तो, वो जो कार खड़ी है, पुन्नू शिखा भाभी को दे रहा है ना.”

छोटी माँ बोली “हां, दे रहा है.”

सीरत बोली “ऑर वो जो गहने (ज्यूयेल्री) और गोल्ड रिंग देने की बात थी. वो भी पुन्नू ही दे रहा है.”

छोटी माँ बोली “हां, ये सब पुन्नू ही दे रहा है. मैने कभी भी नही कहा कि, ये सब मैं दे रही हूँ.”

छोटी माँ की इस बात से सबकी जान मे जान आ गयी. थोड़ी देर के लिए तो छोटी माँ की बात ने सबकी जान ही निकाल कर रख दी. मैं भी उनके इस गोल मोल जबाब देने का मतलब नही समझ पा रहा था. अजय थोड़ी देर तक कुछ सोचता रहा और फिर उसने छोटी माँ से कहा.

अजय बोला “आंटी, यदि आप बुरा ना माने तो, मैं आपसे अकेले मे कुछ बात करना चाहता हूँ.”

अजय की बात सुनकर, छोटी माँ ने उसे अकेले मे बात करने की सहमति दे दी. जिसके बाद, अजय, अमन और छोटी माँ हम लोगों से थोड़ी दूर जाकर कुछ बात करने लगे. हम सब उनको दूर से ही बात करते देख रहे थे.

पहले अजय ने छोटी माँ से कुछ कहा, जिसके जबाब मे छोटी माँ ने बोलना सुरू किया तो वो बहुत देर तक बोलती ही रही. हम लोगों को ये तो समझ मे नही आ रहा था कि, उनके बीच क्या बात चल रही है. लेकिन इतना ज़रूर समझ मे आ रहा था कि, उनके बीच कोई बहुत ही गंभीर बात चल रही है.

उन लोगों मे लगभग आधे घंटे तक बातें होती रही. फिर उसके बाद, वो लोग हमे वापस आते दिखे. हम सब इस बात को जानने के लिए बेचैन थे कि, इनकी इस बात चीत का नतीजा क्या निकला है.

वो जब हमारे पास आए तो तीनो के चेहरे पर मुस्कुराहट थी. जिसे देख कर हम लोगों के इतना समझ मे तो आ गया था कि, वो जिस बात पर इतनी देर तक आपस मे बात कर रहे थे, उस पर उनकी आपसी सहमति बन गयी है.

लेकिन हम अब भी इस बात से अंजान थे कि, उनके बीच इतनी देर तक क्या बात चल रही थी. मगर हमको उनके बीच चल रही बात चीत से ज़्यादा उसका नतीजा जानने की बेचैनी थी और हमारी इस बेचैनी को अजय ने आते ही दूर करते हुए कहा.

अजय बोला “तुम सब ये जानने के लिए बेचैन होगे कि, हम लोग इतनी देर अकेले मे क्या बात कर रहे है. असल मे मैं और अमन आंटी को समझाने की कोसिस कर रहे थे कि, वो इस शादी मे इतना खर्च ना करे. लेकिन आंटी की बात सुनने के बाद हमे इस बात को मानना पड़ा कि, पुन्नू को अपनी बहन की शादी मे कुछ भी करने का पूरा हक़ है. इसलिए वो जो कुछ भी करना चाहता है, कर सकता है. अब हम उसे कुछ भी करने से नही रोकेगे.”

अजय की बात सुनकर, सब खुश हो गये. लेकिन अजय की बात ख़तम होते ही अमन ने उस से भी बड़ी बात सुनते हुए कहा.

अमन बोला “मेरी शादी तो दिन की है और अज्जि की शादी रात की है. इसलिए मैने सोचा है कि, यदि पुन्नू इतने कम समय मे बारातियों का स्वागत करने की तैयारी कर सकता है तो, हम बारात यही ले आएगे.”

अमन की ये बात सुनते ही, मैं, बरखा और निक्की हैरानी से एक दूसरे को देखने लगे. हमे समझ मे नही आ रहा था कि, ये अचानक क्या और कैसे हो गया. हम मे से किसी ने भी नही सोचा था कि, शिखा दीदी की बारात उनके दरवाजे पर आने का, शेखर भैया का ये सपना भी पूरा हो सकता है.

मगर अब हमारे पास इतना समय नही था कि, हम बारातियों के स्वागत करने का इंतज़ाम कर सकें. क्योकि अब बारात लगने मे 20 घंटे से भी कम का समय बाकी था. ऐसे मे इतने सारे बारातियों का इंतेजाम करना नमुकिन ही था. इसलिए अमन की बात सुनकर भी, हमारे चेहरे पर रौनक नही आई. वही अमन ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

अमन बोला “पुन्नू चाहे तो, इंतज़ाम करने मे मैं पुन्नू की मदद कर सकता हूँ. लेकिन इसमे होने वाला सारा खर्च उसे खुद उठाना पड़ेगा.”

अमन की ये बात सुनकर, मैने छोटी माँ की तरफ देखा तो, उन्हो ने हां मे सर हिलाया. उनकी सहमति मिलने से खर्च उठाने की परेशानी तो दूर हो गयी थी. लेकिन फिर भी ये इतना आसान काम नही था. तभी राज ने मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.

राज बोला “यदि ऐसा करना चाहते हो तो, इंतज़ाम की फिकर मत करो. हम सारा इंतज़ाम कर लेगे.”

राज की बात सुनकर, हीतू ने भी मेरे पास आते हुए कहा.

हितेश बोला “राज ठीक कहता है. ये काम मुश्किल ज़रूर है. मगर मुझे यकीन है कि, हम ऐसा कर लेगे.”

राज और हीतू दोनो ने मेरा हौसला बढ़ा रहे थे. लेकिन ये जोश मे नही, होश मे फ़ैसला लेने का समय था. क्योकि यहा बात सिर्फ़ बारातियों के स्वागत की नही, बल्कि दो परिवार के मान सम्मान की थी और मैं इसलिए कोई जोखिम उठाना नही चाहता था.

सब मेरे जबाब का इंतजार कर रहे थे और मैं अपनी इसी उलझन मे उलझा हुआ था. तभी छोटी माँ ने मेरे पास आकर मेरे कंधे पर हाथ रखते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “क्या तुम जानते हो, बाज़ीगर किसे कहते है.”

मैं समझ गया था कि, छोटी माँ मेरा हौसला बढ़ाना चाहती है. इसलिए मुझसे ये सवाल कर रही है. मगर उनकी इस बात से भी मुझे हौसला नही मिल रहा था. मैने उनकी बात का जबाब देते हुए कहा.

मैं बोला “हां, मैं जानता हूँ. जो हार को भी जीत मे बदलना जानता हो, वो बाज़ीगर कहलाता है. मगर यहाँ पर हार का मतलब सिर्फ़ और सिर्फ़ दो परिवारों के मान सम्मान को ठेस पहुचाना है. इसलिए मैं कोई बाज़ीगर बनना नही चाहता.”

मेरी इस बात पर छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “गुड, मैं भी तुम्हे बाज़ीगर बनते नही देखना चाहती. क्योकि बाज़ीगर कभी वो बाज़ी नही खेलता, जिसमे उसे उसकी जीत नज़र ना आ रही हो. मगर क्या तुम ये जानते हो कि सिकंदर किसे कहते है.”

छोटी माँ के इस सवाल का जबाब सच मे मेरे पास नही था. मैने उनकी तरफ देखते हुए, ना मे सर हिला दिया. तब उन्हो ने मुस्कुराते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “जो सिर्फ़ जीतना जानता हो, वो सिकंदर कहलाता है. उसे कभी हार का डर नही होता, क्योकि वो कभी हार के बारे मे सोचता ही नही है. उसका मकसद सिर्फ़ जीत हासिल करना रहता है और वो हर हाल मे जीत हासिल करके ही रहता है.”

“तुम्हारे पापा की सोच हमेशा एक बाज़ीगर की तरह की रही. उन्हो ने वो बाज़ी कभी नही खेली, जिसमे उन्हे उनकी जीत दिखाई ना देती हो और आज वो ही सोच मुझे तुम्हारी भी नज़र आ रही है.”

“लेकिन मैं तुम्हे कोई बाज़ीगर नही, बल्कि एक सिकदर बनते देखना चाहती हूँ. अब ये फ़ैसला तुम्हारे उपर है कि, तुम एक बाज़ीगर की तरह, इस बाज़ी मे तुम्हे अपनी जीत नज़र ना आने के डर से इस से पिछे हट जाते हो या फिर एक सिकंदर की तरह सिर्फ़ जीत के लिए आगे बढ़ कर जीत हासिल करते हो.”

इतना कह कर छोटी माँ चुप हो गयी. लेकिन उनकी कही पापा वाली बात ने मेरे दिल पर तीर की तरह असर किया. मैं दुनिया का ऐसा एकलौता बेटा था, जो अपने बाप की तरह बनना नही चाहता था.

मैं हर हाल मे अपने बाप को नीचा दिखाना चाहता था और मेरे दिल मे मेरे बाप के लिए जो नफ़रत थी, उसने मेरे अंदर एक नया जोश भर दिया था. इसलिए मैने अमन से उसकी बात की हामी भरते हुए कहा.

मैं बोला “हम बारातियों के स्वागत का सारा इंतज़ाम करने को तैयार है. लेकिन यदि यहाँ पर शादी हुई तो, फिर निशा भाभी इस शादी मे कैसे शामिल हो पाएगी.”

मेरी बात सुनकर, अमन ने मुस्कुराते हुए कहा.

अमन बोला “इसकी फिकर तुम बिल्कुल मत करो. शादी मे जो सब बदलाव हुआ है, उससे होने वाली परेशनियों से निपटना मेरा काम है. लेकिन अब तुम्हारे पास समय कम है. तुमको अभी से अपनी तैयारियों मे लग जाना चाहिए. जहाँ भी तुम्हे मेरी, अजय या निशा की ज़रूरत महसूस हो हमे कॉल कर देना. अब हम चलते हैं, घर मे सब हमारा इंतजार कर रहे होगे.”

अमन की बात सुनकर, अजय ने भी सबसे इजाज़त ली और फिर सीरू दीदी लोगों से भी घर चलने का कहा. जिसे सुनकर सीरू दीदी लोग अपनी कार मे बैठ गयी. सब अपनी अपनी कार मे बैठे, जाने को तैयार थे और हमे बाइ कर रहे थे.

लेकिन अचानक ही अमन ने अपनी कार बंद की और कार से उतार कर वापस हमारे पास आने लगा. हमे लगा कि, शायद वो हमसे कोई बात कहना भूल गया है. इसलिए वो हमारे पास वापस आ रहा है.

लेकिन अमन हमसे नही, बल्कि छोटी माँ से मिलने वापस आया था. अमन छोटी माँ के पास आया और अचानक ही नीचे झुक कर, उनके पैर छु लिए. छोटी माँ ने उसको पकड़ कर उपर उठाया तो, उसने छोटी माँ से कहा.

अमन बोला “पुनीत और मेरा भाई सच कहते है कि, आप सच मे देवी है. फिर भला मैं एक देवी के पैर छुने का मौका अपने हाथ से कैसे जाने दूं. मेरी कोई बात यदि आपको बुरी लगी हो तो, उसके लिए मैं दिल से माफी चाहता हूँ.”

ये कहते कहते उसकी आँखों मे आँसू आ गये. उसने जल्दी से अपने आँसू सॉफ किए और फिर छोटी माँ का कोई जबाब सुने बिना ही वापस चला गया. हम सब हैरानी से उसकी इस हरकत को देखते रह गये.

अजय भी उसकी इस हरकत से कुछ अचंभित सा होकर उसे देख रहा था. मगर उसने कार मे बैठते ही कार आगे बढ़ा दी और उनके पिछे पिछे सीरू दीदी लोगों की कार भी हमारी नज़रों से ओझल हो गयी.

आज तक मैं जिस अमन को पत्थर दिल समझता था. आज उस पत्थर दिल को मैने पहली बार आँसू बहाते देखा था और ये सब देख कर, मुझे खुद पर नाज़ सा हो रहा था कि, मैं एक ऐसी माँ का बेटा हूँ, जिसके आगे हर कोई श्रद्धा से अपना सर झुका देता है.
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09-10-2020, 01:47 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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अमन लोगों के जाते ही बरखा का मोबाइल बजने लगा. उसने देखा तो, शिखा दीदी का कॉल आ रहा था. उसने फ़ौरन कॉल उठाया और उनसे बताया कि, हम सब वापस ही आ रहे है और इतना कह कर उसने कॉल रख दिया.

बरखा के कॉल रखते ही हम सब घर वापस आने लगे. लेकिन कोई किसी से कुछ नही बोल रहा था. सब अपने अपने ख़यालों मे खोए, ये ही सोच रहे थे कि, अब आगे क्या करना है. बस ये ही सब सोचते हुए हम लोग घर पहुच गये.

हम लोगों के इतनी देर से वापस आने से शिखा दीदी कुछ परेशान सी लग रही थी और हमारे पहुचते ही जब उन्हो ने हम सब को किसी सोच मे खोया सा देखा तो, उनकी ये चिंता ओर भी ज़्यादा बढ़ गयी. उन्हो ने हमारे पास आते हुए कहा.

शिखा दीदी बोली “क्या हुआ, आप लोगों को वापस आने मे इतनी देर क्यो लग गयी और आप सब किस सोच मे खोए हुए हो.”

शिखा दीदी की इस बात पर छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “ये सब जमाई राजा और उनके भाई की बातों की वजह से परेशान है. बारात अब कल यही पर आना है और बारातियों के स्वागत के इंतज़ाम की सारी ज़िम्मेदारी इन लोगों की है.”

छोटी माँ की बात सुनकर, शिखा दीदी कुछ देर तक सोचती रही और फिर अचानक उन्हो ने गुस्से मे भड़कते हुए कहा.

शिखा दीदी बोली “ये उन लोगों ने क्या मज़ाक लगा रहा है. यदि उन्हे ऐसा ही करना था तो, पहले बताना चाहिए था. क्या खड़े पर भी कोई इस तरह की हरकत करता है क्या. ठहरो मैं अभी उनसे बात करती हूँ. यदि उनकी ये ही शर्त है तो, मुझे ये शादी हरगिज़ नही करनी.”

ये कहते हुए शिखा दीदी, अपने मोबाइल से कॉल लगाने को हुई. मगर छोटी माँ ने उनका हाथ पकड़ कर उनको रोकते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “उन लोगों ने इनके साथ ऐसा करने की कोई ज़बरदस्ती नही की है. उन्हो ने इनके सामने सिर्फ़ अपनी एक बात रखी थी और इन सब ने खुशी खुशी उस बात को मान लिया.”

लेकिन इस बात को सुनने के बाद भी, शिखा दीदी का गुस्सा कम नही हुआ. उन्हो ने फिर अपनी बात को रखते हुए कहा.

शिखा दीदी बोली “लेकिन उनको ऐसी कोई बात रखने की क्या ज़रूरत थी. क्या उन्हो ने ये भी नही सोचा कि, इतना सब इतनी जल्दी कैसे हो पाएगा. यदि उनके मन मे ऐसी कोई बात थी तो, उन्हे अपनी ये बात पहले रखनी चाहिए थी.”

छोटी माँ बोली “उनके मन मे ऐसी कोई बात नही थी. मैने ही उनसे कहा था कि, मैं चाहती हूँ कि, शिखा की बारात उसके दरवाजे पर आए. उनकी तो बारात की सारी तैयारी हो चुकी थी. लेकिन फिर भी उन्हो ने मेरी बात को मान लिया.”

छोटी माँ की इस बात ने शिखा दीदी ही नही, बल्कि हम सबको भी हैरान करके रख दिया था. क्योकि हम सब इस बात को नही समझ सके थे कि, अमन ने अचानक से ये बात हमारे सामने कैसे रख दी. लेकिन अब छोटी माँ की बात सुनकर, हमे सारी कहानी समझ मे आ चुकी थी.

मेरी समझ मे अब ये बात भी आ चुकी थी कि, ये सब कुछ जो छोटी माँ कर रही है. इसमे कही ना कही कीर्ति का हाथ भी है. क्योकि शेखर भैया के इस सपने के बारे मे मैने सिर्फ़ निक्की और कीर्ति को ही बताया था.

मेरा मन तो हो रहा था की, अभी कीर्ति से कॉल लगा कर बात कर लूँ. लेकिन ऐसा कर पाना संभव नही था. इधर छोटी माँ की इस बात को सुनकर, शिखा दीदी ने अपनी परेशानी जाहिर करते हुए कहा.

शिखा दीदी बोली “लेकिन आंटी, इतनी जल्दी ये सब कैसे हो पाएगा और फिर आपको ये सब परेशानी मोल लेने की ज़रूरत ही क्या थी. इस से आपके लिए भी तो कोई परेशानी खड़ी हो सकती है.”

शिखा दीदी की इस बात पर छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “इस बात को लेकर तुम्हारा इस तरह से परेशान होना ग़लत नही है. लेकिन मैने ऐसा करके किसी के लिए कोई परेशानी खड़ी नही की है. क्योकि मैं जानती हूँ कि ये सब हो जाएगी. अब रही बात इस सब से मेरे लिए कोई परेशानी खड़ी होने की बात तो, मुझे लगता है कि, मेरे बेटे को मेरा ऐसा करना ज़रा भी बुरा नही लगा होगा.”

“इसके बाद रह गये मेरे पति तो, वो कभी मेरे किसी भी मामले मे अपनी टाँग अड़ाना पसंद नही करते और मेरी बेटियाँ इतनी छोटी है कि, वो इन सब बातों की ज़्यादा समझ नही रखती है. इसके अलावा मुझे किसी की कोई फिकर नही है. लेकिन यदि तुम्हे मेरा ये सब करना ठीक नही लगता है तो, अभी भी कुछ नही बिगड़ा है. तुम अभी कॉल करके उन लोगों को इस बात के लिए मना कर सकती हो.”

इतनी बात कह कर छोटी माँ चुप हो गयी. छोटी माँ की इस बात के जबाब मे शिखा दीदी ने कहा.

शिखा दीदी बोली “आंटी मेरा ये मतलब बिल्कुल नही था. मैं बस आपको किसी परेशानी मे फँसते देखना नही चाहती थी. आपको जो ठीक लगे, आप वो ही कीजिए. मुझे आपके कुछ भी करने से कोई परेशानी नही है.”

शिखा दीदी की ये बात सुनते ही, छोटी माँ ने हम सब से कहा.

छोटी माँ बोली “अब तुम सब यहा ऐसे ही खड़े रहोगे या फिर अपनी तैयारियाँ भी सुरू करोगे.”

लेकिन छोटी माँ की ये बात सुनते ही शिखा दीदी ने कहा.

शिखा दीदी बोली “अरे तैयारियाँ तो होती रहेगी. पहले आप सब खाना तो खा लो.”

मैं बोला “दीदी आप खाना लगवाए, तब तक हम थोड़ा काम निपटा लेते है.”

मेरी बात सुनकर, शिखा दीदी छोटी माँ के साथ अंदर चली गयी और हम लोग आपस मे चर्चा करने लगे कि, अब हमे क्या क्या काम निपटाना है. सब से पहले राज ने पंडाल वाले को कॉल करके, उस से अभी रात को ही एक बड़ा भारी पंडाल तैयार करने की बात करने लगा.

लेकिन रमज़ान के चलते पंडाल वाला ऐसा करने को तैयार नही था. फिर भी किसी तरह राज ने उसको तैयार कर ही लिया. इसके बाद उसने लाइट वाले को कॉल किया और सुबह जल्दी आकर लाइट लगाने की बात कर ली.

हमारे ये दो काम बहुत जल्दी ही निपट गये थे. ऐसा इसलिए भी हुआ था क्योकि, राज ने ये काम जिनसे करवाया था, वो दोनो ही शहर के जाने माने पंडाल और लाइट वाले थे. इसलिए उनके पास समान की कोई कमी नही थी और वो हमारा इतना बड़ा काम खड़े खड़े ही करने को तैयार हो गये थे.

इन दोनो को हमे अपने काम के लिए तैयार करने मे इसलिए भी परेशानी नही आई थी, क्योकि वो पहले से ही हमारे साथ काम कर रहे थे. लेकिन हमारी असली परेशानी अब सुरू होने वाली थी. क्योकि अब हमे खाने वाले और बाकी चीज़ों का इंतज़ाम करना था.

हम सब अब इसी सोच मे खोए हुए थे कि, इतनी बड़ी शादी का खाना बनाने के लिए किसको तैयार किया जाए कि, तभी हमे कुछ लोग आते हुए दिखाई दिए और हम बात करना बंद करके उनको देखने लगे.

उन्हो ने जब आकर अपना परिचय दिया तो, हम सबके चेहरे खिल उठे. उन्हे अजय ने भेजा था. वो उसकी पार्टी की तैयारी मे लगे थे. लेकिन अजय ने अब उन्हे वहाँ पार्टी ना होने की बात बोल कर, यहाँ भेज दिया था.

हमने उनसे कहा कि, वो जो कुछ वहाँ पर पार्टी के लिए बना रहे थे. वो ही अब उन्हे यहाँ पर बनाना है. हमारी बात सुनकर, उन ने समान की एक लिस्ट निकाल कर दे दी और वो सब समान की माँग अभी ही करने लगे.

उनके समान की लिस्ट देख कर तो, मेरे पसीने छूट गये. ऐसा लग रहा था कि, जैसे उन्हो ने सारी की सारी दुकान ही लाने की लिस्ट पकड़ा दी हो. उपर से वो सब समान उनको अभी के अभी ही चाहिए था और इतनी रात को कोई भी दुकान खुली होने की कोई उम्मीद नही थी.

मुझे परेशान देख कर वो लिस्ट राज ने ले ली. लेकिन लिस्ट देख कर वो भी सोच मे पड़ गया. ये ही हाल लिस्ट देख कर हीतू का भी हुआ. मगर जब वो लिस्ट हीतू से नेहा ने ली तो, उसे हमारी परेशानी की वजह समझ मे आ गयी. उसने लिस्ट देखते हुए उन लोगों से कहा.

नेहा बोली “ये सारा समान आपको एक घंटे के अंदर मिल जाएगा.”

इसके बाद, उसने बर्तन वाली लिस्ट राज को पकड़ा कर उस से वो सब मंगवाने को कहा और फिर उसने मुझसे और हीतू से अपने साथ चलने को कहा. हम दोनो नेहा की बात सुनकर, उसके साथ चलने लगे.

कुछ ही देर मे हम उसके घर पहुच गये. घर मे दुर्जन सोया हुआ था. पहले तो उसने दुर्जन को इस तरह सोने के उपर से बहुत गुस्सा किया और फिर वो लिस्ट दुर्जन को देते हुए सारा समान एक घंटे के अंदर लाने को कहा.

दुर्जन ने बिना कुछ कहे लिस्ट ले ली और फिर कपड़े पहनने लगा. हम लोग दुर्जन को वो लिस्ट देकर वापस आ गये. दुर्जन के दबदबे की कहानी मैं अजय से सुन चुका था. इसलिए मुझे पूरा यकीन हो गया था कि, हमारा ये काम भी हो जाएगा.

हम वहाँ से वापस लौटे तो, राज डीजे वाले से कल के लिए डीजे और अर्केस्त्र (ऑर्केस्ट्रा) की बात कर रहा था. उसने डीजे वाले को भी कल के लिए तैयार कर लिया था. इस तरह से हमारे सारी ज़रूरी काम की तैयारी हो चुकी थी.

अब सिर्फ़ उपरी तामझाम फैलाना बाकी रह गया था और अब इसी सब के बारे मे योजना बना रहे थे. इस बीच शिखा दीदी कयि बार हमे खाने के लिए बोलने आई. लेकिन हम उन्हे बस थोड़ी देर मे आने की बोलकर टालते रहे.

कुछ ही देर मे पंडाल वाला बड़े पंडाल का समान लेकर आ चुका था. उसने पुराना पंडाल खोलना सुरू कर दिया था. अब 1:30 बज चुका था और इस बार शिखा दीदी ने आते ही खाने के उपर से हम सब पर गुस्सा करना सुरू कर दिया था.

इसलिए अब हमने खाना खा लेने मे ही अपनी भलाई समझी और हम उनके साथ खाना खाने आ गये. छोटी माँ आंटी के पास बैठी बातें कर रही थी. मुझे लगा कि वो खाना खा चुकी है. लेकिन जब शिखा दीदी ने उनसे खाना खाने लिए कहा तो, मैने उन से कहा.

मैं बोला “आप तो कब से खाना खाने अंदर आई थी. फिर आपने अभी तक खाना क्यो नही खाया.”

छोटी माँ बोली “मुझे भूख नही थी. इसलिए सोचा की, थोड़ी देर बाद तुम लोगों के साथ ही खाना खा लुगी.”

ये कहते हुए छोटी माँ भी हमारे साथ खाना खाने बैठ गयी. लेकिन मुझे उनकी इस बात पर बहुत गुस्सा आ रहा था. इसलिए अब मैं किसी से कोई बात नही कर रहा था और चुप चाप खाना खा रहा था.

असल मे मेरे इस तरह उन से गुस्सा होने की वजह ये थी कि, छोटी माँ समय की बहुत पाबंद थी. समय पर सोना, समय पर उठना, समय पर खाना खाना ये सब उनकी आदत मे शामिल था.

लेकिन आज मेरी वजह से आज उनकी हर बात का समय बदल गया था. ना तो वो समय पर खाना खा पाई थी और ना ही समय पर सो पाई थी. ये ही नही सुबह भी उनके खाने के समय पर, उनसे बात करते समय मेरे साथ वो हादसा हो गया था.

जिसके बाद से वो मुझे लेकर परेशान थी. अब तो मुझे ये बात भी परेशान कर रही थी कि, उन्हो ने सुबह भी कुछ खाया है या नही खाया. इसलिए भले ही मैं उनसे बात नही कर रहा था. लेकिन बार बार मेरी नज़र उनकी तरफ ही जा रही थी.

उनको खाना खाते देख कर, मेरे दिल को कुछ कुछ तसल्ली मिल रही थी. सब आपस मे बातें कर रहे थे. मगर मैं चुप चाप खाना खा रहा और बार बार छोटी माँ को देख रहा था.

मेरी इन सब हरकतों से शायद छोटी माँ को मेरे मन के अंदर चल रही बातों का अहसास हो गया था. इसलिए उन्हो ने बिना किसी बात के ही, बात बनाते हुए शिखा दीदी से कहा.

छोटी मा बोली “आज तो लगता है, खा खा कर मेरा पेट ही फट जाएगा.”

छोटी माँ की ये बात सुनकर, मैं गौर से उनकी तरफ देखने लगा. क्योकि जब से वो आई थी, मैने उन्हे एक ग्लास पानी तक पीते नही देखा था. वही उनकी इस बात पर शिखा दीदी ने हैरान होते हुए कहा.

शिखा दीदी बोली “आंटी आप जब से यहाँ आई है. तब से मैं आपको खाने और चाय नाश्ते का बोल बोल कर थक गयी हूँ. लेकिन आपने हमारे यहाँ एक कप चाय तक नही पी है. फिर आप ऐसा क्यो कह रही है कि, खा खा कर आपका पेट फट जाएगा.”

छोटी माँ बोली “अरे मैं घर से खाना खा कर निकली थी. मेरी भतीजी ने मुझे बिना खाना खाए घर से बाहर निकलने ही नही दिया. अब इसके बाद भी तुम लोग मुझे ज़बरदस्ती खाना खिलाओगे तो, मैं ये ही तो कहुगी ना.”

छोटी माँ की इस बात को सुनकर, सब हँसने लगे और मुझे भी इस बात का सुकून महसूस हुआ कि, कीर्ति ने छोटी माँ बिना कुछ खाए पिए घर से नही निकलने दिया.

हम खाना खा कर बाहर आए तब तक पुराना पंडाल खुल चुका था और नये पंडाल के लगने का काम सुरू हो गया था. अब 2 बज चुके थे और खाना बनाने वाले बार बार समान का पुच्छ रहे थे.

उनकी बात सुनकर नेहा ने राज को कॉल लगाया तो, उसने कहा कि, 10 मिनट मे सारा समान पहुच जाएगा. इसके बाद मुश्किल से 10 मिनट ही लगा होगा कि, वो समान आ गया जिसकी लिस्ट हमने दुर्जन को दी थी.

समान के आते ही, खाना बनाने वालों ने अपना काम सुरू कर दिया. हम सब भी छोटे मोटे काम करने मे लगे गये. बरखा हमारे लिए चाय लेकर आई तो, वो रिया लोगों से उपर चल कर सोने को कहने लगी. वो लोग अभी सोने जाना नही चाहती थी. लेकिन बाद मे हमारे समझाने पर सभी सोने चली गयी.

अब सिर्फ़ बरखा और नेहा ही हमारे साथ जाग रही थी. मैने उन्हे भी सोने को कहा, लेकिन वो दोनो हमारे साथ जागती रही. हम सब इन सब कामो मे इतने व्यस्त थे कि, हमे पता ही नही चला कब सुबह हो गयी.

सुबह शिखा दीदी आकर हमे चाय दी. नेहा और मेहुल तो चेयर पर बैठे बैठे ही सो गये थे. शिखा दीदी ने उनको चाय के लिए जगाने को कहा तो, मैने मना कर दिया. जिसके बाद वो छोटी माँ को चाय देने की बात बोल कर जाने लगी.

उनकी इस बात पर मैने उन से कहा कि छोटी माँ अभी सो रही होगी. इस पर उन्हो ने मुस्कुराते हुए मुझे उपर की तरफ इशारा किया. मैने सर उठा कर उपर देखा तो, छत पर छोटी माँ और प्रिया खड़ी हमको ही देख रही थी.

प्रिया को इतनी सुबह सुबह देख कर मुझे कुछ हैरत ज़रूर हुई और मैने नीचे खड़े खड़े ही उस से कहा.

मैं बोला “आज सूरज पश्चिम से कैसे निकल आया.”

मेरी बात सुनकर, उसने मुस्कुराते हुए कहा.

प्रिया बोली “कभी कभी सूरज पश्चिम से भी निकल आता है. आज देख लो, फिर दोबारा देखने को नही मिलेगा.”

प्रिया की बात सुनकर सब हँसने लगे. तभी कीर्ति का कॉल आने लगा. उसका कॉल उठाते ही सबसे पहले मैने उसे कल रात को बात ना कर पाने के लिए सॉरी कहा, फिर उसे बताया कि, शायद आज भी मैं उस से ज़्यादा बात नही कर पाउन्गा. उसने इस मुझसे इस सब की ज़रा भी फिकर ना करने की बात कही और फिर शादी के बारे मे बातें पूछती रही.

कीर्ति से थोड़ी बहुत बात करने के बाद मैने कॉल रख दिया. तब तक मेहुल और नेहा की भी नींद खुल गयी थी. लेकिन नेहा तो उठते ही अंदर सोने चली गयी और मेहुल राज से फ्रेश होने के लिए घर चलने की बात कर रहा था.

मैने राज को रिया लोगों को भी अपने साथ ले जाने को कहा. इसके बाद राज, मेहुल और रिया लोगों को अपने साथ लेकर घर चला गया. मैने मेहुल से अपने कपड़े यही लाने के लिए बता दिया था.

हीतू को मैने बार बार घर जाने को कहा, लेकिन वो राज लोगों के आने के पहले जाने को तैयार नही था. ऐसे ही काम काज मे वक्त बीत गया और 10 बजे राज लोग वापस आ गये.

उनको अभी से तैयार देख कर, मुझे याद आया कि, ये सब अमन की शादी मे शामिल होने की तैयारी कर के आए है. मेरे लिए भी इस वक्त जितना यहाँ होना ज़रूरी था. उतना ही अमन और निशा की शादी मे शामिल होना ज़रूरी था.

मेरी समझ मे ये नही आ रहा था कि, मैं यहाँ का काम छोड़ कर निशा भाभी की शादी मे कैसे जाउ. मुझे यू परेशान देख कर, बरखा ने मुझसे कहा.

बरखा बोली “क्या हुआ, तुम किस सोच मे खोए हुए हो.”

मैं बोला “दीदी, हमे निशा भाभी की शादी मे भी तो शामिल होना है. मुझे समझ मे नही आ रहा है कि, अब हम यहाँ पर ये काम चलता हुआ छोड़ कर वहाँ कैसे जाए.”

मेरी इस बात ने बरखा को भी सोच मे डाल दिया था. आंटी हमारे पास ही खड़ी हमारी ये बातें सुन रही थी. उन्हो ने हमे इस बात को लेकर परेशान होते देखा तो, हम से कहा.

आंटी बोली “तुम लोगों को को निशा की शादी मे ज़रूर शामिल होना चाहिए. तुम यहाँ की फिकर बिल्कुल मत करो. सिर्फ़ 2-4 घंटे की ही तो बात है. इतनी देर मैं यहाँ संभाल लुगी. तुम लोग बेफिकर होकर वहाँ जाओ.”

मैं बोला “लेकिन आंटी, आप अकेले सब कुछ कैसे संभाल पाएगी. यदि यहाँ किसी चीज़ की ज़रूरत पड़ी तो, आप अकेली परेशान हो जाएगी.”

आंटी बोली “ऐसा कुछ नही होगा और फिर मैं अकेली भी नही हूँ. दुर्जन भैया तो घर पर ही है. उनके रहते मुझे किसी बात की कोई परेशानी नही होने वाली है.”

मैं बोला “लेकिन आंटी, दुर्जन अंकल तो यहाँ एक बार भी देखने नही आते कि, यहाँ क्या चल रहा है.”

आंटी बोली “हां, तुम्हारी ये बात सही है. कल मैने भी दुर्जन भैया से ये ही बात बोली थी. लेकिन उनका कहना था कि, बच्चे लोग सब काम अच्छे से कर रहे है. इसलिए मैं बीच मे नही आ रहा हूँ. मगर उन्हे जहाँ कही भी मेरी ज़रूरत महसूस होगी, मैं आ जाउन्गा. इसी वजह से अभी मैं कही आ जा भी नही रहा हूँ. ताकि ज़रूरत पड़ने पर किसी को मुझे ढूँढना ना पड़े.”

आंटी की इस बात को सुनकर, मैं दुर्जन के बारे मे सोचने लगा. एक तरफ तो वो एक बार भी ये देखने नही आया था कि, यहाँ पर क्या चल रहा है और दूसरी तरफ आधी रात को हमारे कहने पर, हमसे बिना कोई सवाल किए ही सारा समान लाकर हमे दे दिया था.

उसका ये बर्ताव मुझे बहुत ज़्यादा अजीब लग रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे की दुर्जन को इस शादी के होने से ज़्यादा खुशी नही हो रही थी. मैं अभी इस सोच मे खोया हुआ था कि, तभी मेहुल ने मुझसे कहा.

मेहुल बोला “आंटी ठीक कह रही है और तूने ये कैसे सोच लिया कि, तेरे यहाँ पर ना होने से यहाँ के काम मे कोई परेशानी आ सकती है. यहाँ का काम देखने के लिए मैं यही रहुगा और इसके लिए मैं तेरी कोई बात नही सुनुगा.”

मेहुल की बात सुनकर, हीतू ने भी मुझे भरोसा दिलाया की, वो मेहुल के साथ पूरे समय रहेगा और काम मे कोई भी रुकावट नही आने देगा. उनकी बात सुनकर मुझे कुछ तसल्ली हुई.

मुझे मेहुल का अपने साथ ना जा पाना अखर रहा था. लेकिन उसका मेरी गैर मौजूदगी मे यहाँ पर रहना एक तरह से मेरे रहने के समान ही था. इसलिए मैने भी उस से कोई बहस नही की और फिर हीतू को फ्रेश होने घर भेज कर, मैं भी फ्रेश होने चला गया.

फ्रेश होने के बाद, मैने शिखा भाभी के लाए हुए कपड़े पहने और तैयार होकर नीचे आ गया. छोटी माँ तो पहले से ही तैयार थी. बस बरखा की तैयारी चल रही थी और नेहा भी अपने घर तैयार होने चली गयी थी.

कुछ ही देर मे बरखा भी तैयार होकर आ गयी. उसने आते ही नेहा को कॉल लगा कर जल्दी आने को कहा. जिसके बाद नेहा भी तैयार होकर भागते हुए हमारे पास आ गयी. नेहा के आते आते 11 बज चुके थे. इसलिए अब हमने यहाँ से निकलने मे ज़्यादा देर करना ठीक नही समझा और दो गाड़ियों मे बैठ कर, हम निशा भाभी के घर के लिए निकल पड़े.
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09-10-2020, 01:48 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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प्रिया छोटी माँ का साथ छोड़ने को तैयार नही थी. इसलिए नेहा को बरखा की जगह रिया लोगों के साथ बैठना पड़ गया था. एक कार मे राज, रिया, नितिका और नेहा थे. जबकि दूसरी कार मे मैं, बरखा, प्रिया और छोटी माँ थे.

अभी हम कुछ ही दूर पहुचे थे कि, निक्की का कॉल आ गया. उसने बताया कि, बारात वहाँ से निकल चुकी है. मैने भी उसे बताया कि, हम लोग सीधे निशा भाभी के घर ही पहुच रहे है. निक्की से थोड़ी बहुत बातें करने के बाद, मैने कॉल रख दिया.

मेरे कॉल रखते ही, छोटी माँ ने मुझे निशा भाभी को देने के लिए एक नेकलेस बॉक्स थमा दिया. मैने उसे खोल कर देखा तो, उसमे एक डाइमंड नेकलेस था. उस नेकलेस की कीमत लाखों मे थी. जिसे देख कर मैं एक बार फिर सोच मे पड़ गया.

मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, छोटी माँ के पास इतना पैसा कहाँ से आ गया. ऐसा नही कि हमारे पास पैसो की कोई कमी थी या छोटी माँ पहली बार इस तरह का कोई काम कर रही थी.

ये सब तो छोटी माँ के काम करने का अंदाज़ था. वो किसी क्वीन की तरह ही थी. जिनके होने से ही उनके आस पास एक राजसी जगमगाहट सी हो जाती थी. वो हर किसी की मदद दिल खोल कर किया करती थी और उनके लिए इंसानी ज़ज्बात के सामने पैसो का कोई मोल नही था.

मेरा बाप लाख बुरा सही, लेकिन छोटी माँ का ये कहना सही था कि, उसने छोटी माँ को कभी कुछ करने से नही रोका था. वो एक बिज़्नेसमॅन था और उसे इस सब मे उनका ही फ़ायदा नज़र आता था.

मैं अपने बाप को भी अच्छे से जानता था. वो अपना रुतबा और कद दूसरो के सामने उँचा करने के लिए 10-20 लाख आसानी से खर्च कर सकता था. लेकिन बात यहाँ लाखों से आगे बढ़ कर, करोरों पर आ गयी थी.

छोटी माँ का हाथ यहाँ आकर कुछ ज़्यादा ही खुल गया था. वो हर काम मे पैसा पानी की तरह बहा रही थी. उनकी इस हरकत ने मुझे ये सोचने पर मजबूर कर दिया था कि, उन्हो ने इस सब के लिए मेरे बाप को कैसे तैयार कर लिया है.

मैं चाहते हुए भी ना तो ये बात छोटी माँ से पुच्छ पा रहा था और ना ही इस बारे मे कीर्ति से बात करने का कोई मौका निकल पा रहा था. इन्ही सब बातों मे उलझा हुआ मैं, निशा भाभी के घर पहुच गया.

उनके आलीशान घर मे महमानो की बहुत ज़्यादा भीड़ भाड़ थी. मैं पहली बार निशा भाभी के घर आ रहा था, इसलिए मैं यहाँ किसी को जानता नही था. लेकिन बरखा शायद यहा सबको जानती थी. इसलिए वो यहाँ आते ही सबसे मिलने जुलने लगी.

बरखा को देख कर, एक लड़की महमानो के बीच से बाहर आई. वो बहुत सजी धजी थी और देखने से ही उस घर की कोई खास सदस्य लग रही थी. बरखा के पास आते ही उसने बरखा को गले से लगा लिया और देर से आने की बात को लेकर उसे बातें सुनाने लगी.

बरखा ने उसे अपने देर से आने की वजह बताई. इसके बाद बरखा ने उस से हमारा परिचय कराया और फिर हमे बताया कि, ये निशा दीदी की छोटी बहन निधि है. हमारा परिचय पाते ही निधि हम सबको लेकर निशा भाभी के पास आ गयी.

बरखा ने निशा भाभी का परिचय छोटी माँ से करवाया तो, वो छोटी माँ से मिलकर बहुत खुश दिखाई दे रही थी. छोटी माँ ने उन्हे शादी के गिफ्ट के रूप मे एक डाइमंड दी.

इसके बाद सब उनसे मिलने लगे. जब उनसे मिलने की मेरी बारी आई तो मैने उन्हे वो डाइमंड नेकलेस सेट दे दिया. लेकिन निशा भाभी मुझसे वो सेट लेने मे आनाकानी करने लगी. उन्हे मुझसे इतना महगा गिफ्ट लेना सही नही लग रहा था. जिसे देख कर प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा.

प्रिया बोली “भाभी, आपको ये सेट बहुत महगा लग रहा है. इसलिए आपको इस से ये लेना अच्छा नही लग रहा है. लेकिन आपको पता नही की, इसने शिखा दीदी को बहुत सारे गहने और एक कार गिफ्ट मे दी है.”

प्रिया की ये बात सुनकर, निशा भाभी ने ऐसे चौकने का नाटक किया, जैसे उन्हे इस बात का पता ही नही था. जबकि मैं ये बात अच्छे से जानता था कि, निक्की ने उन्हे ये सब बता दिया है. निशा भाभी ने प्रिया की बात के जबाब मे आखें मटकाते हुए मुझसे कहा.

निशा भाभी बोली “क्यो हीरो, मैं ये क्या सुन रही हूँ. मुझे शादी मे सिर्फ़ एक नेकलेस सेट देख कर टाला जा रहा है और उधर शिखा को ढेर सारे गहने और कार गिफ्ट जा रही है.”

निशा भाभी की बात सुनकर, मैने भी मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “भाभी आपको शादी मे अज्जि BMW कार दे रहा है. फिर भला आपकी BMW कार के सामने मेरी ऑडी कार की क्या औकात है.”

मेरी बात सुनकर, निशा भाभी ने प्यार से मेरे गाल पर एक थपकी मारते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “पागल, किसी के गिफ्ट की कीमत नही बल्कि, उसके गिफ्ट मे छुपा उसका प्यार देखा जाता है. मेरे लिए तो तुम्हारा दिया हुआ, ये ही गिफ्ट बहुत बड़ा है. तुम इस मे सच मे हीरो लग रहे हो.”

ये कहते हुए निशा भाभी ने मेरे पहने हुए कपड़ो की तरफ इशारा किया. जो उन्हो ने मुझे शादी मे पहनने के लिए दिए थे. उनके इस इशारे को समझते ही मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी.

तभी कुछ लड़कियाँ भागती हुई आई और बताने लगी कि, बारात आ गयी है. बारात का सुनते ही हम सब बाहर आ गये. बाहर आकर हम लोग सबसे मिले और बारात मे शामिल हो गये.

बारात के आते ही शादी की रसमें सुरू हो गयी और हम सब उसमे व्यस्त हो गये. बीच बीच मे मैं मेहुल को कॉल करके वहाँ का हाल भी पूछता रहा. ऐसे ही शादी की रसमें चलते चलते 2 बज गये.

अब मुझे वापस लौटने की जल्दी थी. इसलिए मैने निक्की को बुला कर ये बात बताई. उसने जाकर अमन से ये बात कही तो, अमन ने मुझे अपने पास बुलाया और मुझे जाकर अपना काम देखने की इजाज़त दे दी.

अमन की बात सुनकर, मुझे राहत महसूस हुई. मैं बरखा और छोटी माँ को जाता कर वापस आने लगा तो, राज भी मेरे साथ वापस चलने की बात करने लगा. मैने उसे भी अपने साथ लिया और फिर मैं शादी से वापस आ गया.

लेकिन वापस आकर चल रही तैयारियों को देख कर मेरा दिमाग़ ही घूम गया. अब बारात आने मे 6 घंटे से कम का समय बचा था और अभी कोई भी काम पूरा नही हुआ था. मैने आते ही मेहुल पर भड़कना सुरू कर दिया.

मेहुल और हीतू दोनो मुझे समझाने की कोसिस करने लगे. लेकिन मेरे अंदर की घबराहट इतनी ज़्यादा थी कि, वो मुझे कुछ समझने ही नही दे रही थी. मुझे इस तरह परेशान होते देख, राज मुझे पकड़ कर घर के अंदर ले आया और समझाते हुए कहा.

राज बोला “वो लोग सही काम कर रहे. ये कोई तीन चार सौ लोगों के स्वागत की तैयारी नही चल रही है कि, पलक झपकी और तैयारी पूरी हो गयी. ये तीन चार हज़ार लोगों के स्वागत की तैयारी चल रही है. ऐसे मे इस मे समय तो लगेगा ही, लेकिन विस्वास रखो, सब काम समय पर पूरा हो जाएगा.”

राज की बातों से आंटी और शिखा दीदी भी सारा माजरा समझ गयी थी. शिखा दीदी मेरा ध्यान इस तरफ से हटाने के लिए, मुझसे निशा भाभी की शादी के बारे मे सवाल करने लगी और मैं उनको वहाँ की शादी का हाल चाल बताने लगा.

मुझे शिखा दीदी के साथ बातों मे लगा देख कर, राज बाहर चला गया. शिखा दीदी ने मुझसे खाने का पुछा तो, मैने बताया कि, खाना हम लोग वहाँ से खा कर आए है.

मेरी ये बात सुनकर, शिखा दीदी ने आंटी को चाय बना देने को कहा और मेरे मना करने के बाद भी आंटी चाय बनाने चली गयी. फिर शिखा दीदी ने मुझे समझाते हुए कहा.

शिखा दीदी बोली “भैया, इस तरह ज़रा ज़रा सी बात पर गुस्सा होना अच्छी बात नही है. मेहुल भैया सुबह से ही काम मे लगे हुए है और उन्हो ने एक पल के लिए भी आराम नही किया है. ऐसे मे उनको आपके इस तरह गुस्सा करने से बुरा भी लग सकता है.”

शिखा दीदी की इस बात पर मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, लगता है कि, आपने अभी तक मेरी और मेहुल की दोस्ती को ठीक से परखा ही नही है. यदि परखा होता तो, आपको ऐसा बिल्कुल भी नही लगता. आइए मैं आपको दिखाता हूँ कि, मेहुल को मेरी बात का बुरा लगा है या नही.”

ये कहते हुए मैं शिखा दीदी को पकड़ कर, वहाँ ले आया, जहा पर मेहुल काम कर रहा था. मेहुल ने मुझे आते देख लिया था. लेकिन फिर भी ऐसा जाहिर कर रहा था. जैसे की उसने मुझे देखा ही ना हो. मैं शिखा दीदी के साथ उसके पास पहुचा और फिर उस से कहा.

मैं बोला “सॉरी, मैने बेवजह तुझ पर गुस्सा किया. मुझे ऐसा नही करना चाहिए था.”

मेरे इतना कहते ही मेहुल हैरानी से मुझे देखने लगा और फिर मेरा मूह सूंघते हुए शिखा दीदी से कहा.

मेहुल बोला “दीदी, ये सुबह सुबह पीकर आया हुआ तो लग नही रहा है. फिर इसे किसी बात के लिए मुझे सॉरी बोलने की ज़रूरत कब से पड़ने लगी. लगता है कि बारातियों के स्वागत की चिंता ने इसकी तबीयत खराब कर दी है या खाना खाने के बाद इसे चाय नही मिली, जिसकी वजह से इसका दिमाग़ काम करना बंद कर दिया है. आप इसे लेकर चाय पिलाइए, तभी इसका दिमाग़ ठिकाने आएगा.”

मेहुल की ये बात सुनकर, मैं उस पर भड़कते हुए शिखा दीदी के साथ घर के अंदर आ गया. अंदर आकर बैठते हुए मैने शिखा दीदी से कहा.

मैं बोला “देख लिया ना दीदी, उसने मेरी किसी बात का बुरा नही माना था. हम दोनो मे ऐसा ही है. जब मैं किसी बात पर उस पर गुस्सा होता हूँ तो, वो इस बात को दिल से नही लगाता और जब वो किसी बात पर मुझ पर गुस्सा होता है तो, मैं उसे दिल से नही लगाता हूँ. इसलिए हमे कभी किसी बात के लिए एक दूसरे से सॉरी कहने की ज़रूरत ही नही पड़ती है.”

मेरी बात सुनकर शिखा दीदी के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. तभी आंटी चाय लेकर आ गयी और हम लोग चाय पीने लगे. चाय पीने के बाद, मैं बाहर आकर बाकी की तैयारियों मे लग गया.

ऐसे ही काम मे लगे लगे, 5 बज गये और छोटी माँ लोग भी वापस आ गयी. उनके आने तक बारातियों के स्वागत की तैयारियाँ अंतिम दौर मे चल रही थी. ये देख कर सब के चेहरे पर रौनक आ गयी.

बरखा ने बताया कि निशा दीदी की शादी की सभी रस्मे पूरी हो गयी है और अब वो लोग दूसरी शादी की तैयारीओं मे लग गये है. हमारे यहाँ बारात 8 बजे तक पहुच जाएगी. इसलिए अब बची हुई तैयारियों को हमे जल्दी ही पूरा कर लेना चाहिए.

बरखा की इस बात के जबाब मे, मेहुल उसे सारी तैयारियाँ दिखाने लगा. जिसे देख कर बरखा ने भी राहत की साँस ली और फिर सब अंदर चले गये. उनके जाने के बाद, हम सब फिर से अपने काम मे लग गये.

शाम को 6 बजे तक रही सही सारी तैयारियाँ भी पूरी हो गयी. जिसे देख कर, मैने सुकून की साँस ली. लेकिन तभी राज ने छोटी माँ की सभी बारातियों को गोल्ड रिंग देने वाली बात याद दिला कर, मुझे सोच मे डाल दिया था. लेकिन उस समय रिया हमारे पास ही थी. उसने राज की बात सुनी तो कहा.

रिया बोली “तुम लोगों को इसकी चिंता करने की ज़रूरत नही है. आंटी ने उसके बारे मे कल रात को ही अजय भैया से बात कर ली थी और उन्हो ने अपने ज्यूयेलर्स से उसका इंतज़ाम करवाने की बात कह दी थी. अभी आते समय आंटी ने उसका पेमेंट कर दिया है और कुछ देर मे वो ज्यूयेलर्स खुद ही वो सारी रिंग इधर देने आ जाएगा.”

रिया अभी अपनी बात बता ही रही थी कि, तभी बरखा आ गयी. उसने आते ही सब से कहा.

बरखा बोली “तुम सब को बारात के स्वागत के लिए तैयार होना है या फिर ऐसे ही बारात का स्वागत करोगे.”

बरखा की बात सुनकर, रिया तैयार होने के लिए घर जाने की बात करने लगी. मैने मेहुल, राज और हीतू से भी तैयार होकर आने को कहा. जिसके बाद, रिया ने प्रिया लोगों को बुलाया और फिर सब लोग तैयार होने घर चले गये.

उनके जाने के बाद, बरखा मुझे भी तैयार होने का कह कर शिखा दीदी को तैयार करने चली गयी. लेकिन बरखा के जाने के बाद, मैं छोटे मोटे कामों मे ऐसा फसा की मुझे तैयार होने का समय ही नही मिल पाया.

देखते ही देखते 7:30 बज गये और मेहुल लोग तैयार होकर वापस भी आ गये. उन के साथ प्रिया नही थी. उनके साथ प्रिया को ना पाकर, मैने उन से कहा.

मैं बोला “क्या हुआ, प्रिया तुम लोगों के साथ दिखाई नही दे रही है.”

मेरी बात के जबाब मे रिया ने कहा.

रिया बोली “मोम और दादा जी भी यहाँ आ रहे है. इसलिए प्रिया उनको यहाँ लाने के लिए रुक गयी है. वो उनके साथ ही आएगी. लेकिन तुम अभी तक यहीं के यही क्यो खड़े हो. क्या तुम्हे तैयार नही होना है. जाओ और जाकर जल्दी से तैयार होकर आओ.”

रिया की बात सुनकर, मैने भी ज़्यादा समय बर्बाद करना ठीक नही समझा और उपर आकर फ्रेश होने लगा. फ्रेश होने के बाद, मैं तैयार होने लगा. अब मैं शिखा दीदी की दी हुई शेरवानी पहन रहा था.

अभी मैं तैयार हो ही रहा था कि, तभी नितिका ने आकर बताया कि, बारात आ गयी है. मैने उसे चलने को कहा और मैं जल्दी जल्दी तैयार होने लगा. मैं तैयार होकर नीचे पहुचा तो बारात के स्वागत की तैयारी चल रही थी.

बरखा ने मुझे देखा तो, जल्दी बाहर जाने को कहा और मैं फ़ौरन ही बाहर आ गया. बाहर द्वार पर बारात खड़ी थी. दूल्हा बना अजय किसी शहज़ादे कम नही लग रहा था. अमन जो अभी कुछ देर पहले खुद दूल्हा बना था. अभी अपनी माँ और चाचा चाची के साथ बराती बना खड़ा था.

लेकिन इन सबसे ज़्यादा नूर अजय की बहनो के चेहरे से टपक रहा था. उनकी खुशी उनके चेहरे से ही झलक रही थी. सीरू दीदी, सेलू, आरू, हेतल और निक्की सब एक से बढ़ कर एक दिख रही थी. अमन की शादी से ज़्यादा उत्साह उन सब मे अजय की शादी को लेकर दिखाई दे रहा था.

मैने स्वागत द्वार पर पहुचते ही बारातियों का स्वागत करना सुरू कर दिया और सबको फूल मालाएँ पहनाने लगा.तब तक बरखा लोग भी वहाँ आ गयी और बारात की आगवानी की दूसरी रस्मे पूरी करने लगी.

उन रस्मो के पूरा होते ही सभी बराती अंदर आना सुरू हो गये. लेकिन इस सब के बीच भी सीरू दीदी अपनी शैतानी दिखाने से बाज नही आई. मैं जब उनके पास पहुचा तो, उन्हो ने अमन को मेरी शेरवानी दिखाते हुए कहा.

सीरत बोली “देख लो भैया, कल इसने अज्जि भैया की दी हुई शेरवानी पहन ली. आज दिन मे निशा भाभी का दिया हुआ सूट भी पहन लिया और अब शिखा भाभी की दी हुई शेरवानी भी पहन ली. लेकिन आपके दिए हुए सूट का तो कुछ अता पता ही नही है. लगता है इसके दिल मे आपके लिए कोई प्यार ही नही है.”

उनकी बात सुनकर, मैं बुरा सा मूह बना कर उनको देखने लगा. लेकिन उन्हो ने मुझे आँख मारी और फिर मुस्कुराती हुई आरू लोगों का हाथ पकड़ कर, उनको अंदर ले गयी. उनके जाने के बाद, मैने अमन की तरफ देखा तो, वो बड़े गौर से मुझे ही देख रहा था.

अमन के इस तरह से मुझे देखने से, मैं समझ नही पा रहा था कि, अब मैं उसे इस बात को लेकर, अपनी क्या सफाई दूं. लेकिन तभी अमन ने मुस्कुराते हुए, मेरे कंधे पर हाथ रख कर कहा.

अमन बोला “तुम सीरू की बात का बुरा मत मानना. वो सबसे बड़ी ज़रूर है, लेकिन शैतानी करने मे वो आरू से भी छोटी बन जाती है.”

अमन की बात सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “सीरू दीदी की आदत तो मैं अच्छे से जानता हूँ. मुझे तो बस इस बात का डर था कि, कही आपको इस बात का बुरा ना लगा हो.”

मेरी बात सुनकर, अमन ने मुस्कुराते हुए ना मे सर हिला दिया. इसके बाद मैं अजय से मिला और उसे अंदर लेकर आ गया. अजय को बैठाने के बाद, मैं वरमाला की तैयारी मे लग गया.

सभी बराती बेचैनी से, वरमाला के लिए दुल्हन के आने का इंतजार कर रहे थे. तभी अचानक पूरे पंडाल मे फूलों की बारिश होना सुरू हो गयी और दुल्हन आ रही है, दुल्हन आ रही है, का शोर होने लगा.

ये शोर सुनकर, सभी बारातियों की नज़रे उस तरफ जाने लगी, जहाँ से दुल्हन को आना था. मगर जिसकी भी नज़र एक बार उस तरफ गयी, वो फिर वहाँ का नज़ारा देख कर, वहाँ से अपनी नज़रे हटाना ही भूल गया. सब बिना पलके झपकाए, बस उस नज़ारे को देखे जा रहे थे. ये शिखा दीदी को लेकर, शेखर भैया का एक और सपना था, जो अब पूरा होने जा रहा था.
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09-10-2020, 01:48 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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पंडाल मे हो रही, फूलों की बारिश के बीच दो छोटी छोटी लड़कियाँ परियों की ड्रेस पहनी चली आ रही थी. उन्हे देख कर ऐसा लग रहा था, जैसे की दो नन्ही पारियाँ अपना जादू बिखेरते हुए चली आ रही हो और ये फूलों की बारिश भी उन्ही की देन हो.

उनके पिछे नेहा और उसकी सहेलियाँ एक हाथ मे गुलाब के फूलो की पंखुड़ियों से भरी टोकरी लिए, दूसरे हाथ से अपने पिछे आ रही दुल्हन की डॉली (पालकी) पर उड़ती चली आ रही थी.

दुल्हन की इस डॉली को कंधा देकर लाने वाले कोई ओर नही, बल्कि मैं, मेहुल, राज और हीतू थे. आगे आगे डॉली चल रही थी और पीछे पीछे बरखा और घर के बाकी लोग थे. सब अपलक इस नज़ारे को देख रहे थे.

कुछ ही देर मे हम डॉली लेकर मंच के सामने आ गये और वहाँ डॉली रख कर शिखा दीदी को डॉली से उतारे जाने का इंतजार करने लगे. मैने बरखा को दीदी को डॉली से उतरने का इशारा किया.

लेकिन तभी कहीं से निशा भाभी और प्रिया आ गये. निशा भाभी को यहाँ देख कर मैं हैरान हो गया और अमन की तरफ देखने लगा. उसने मुस्कुरकर हां मे सर हिलाया. जिसका मतलब था कि, उसने अपना वादा पूरा कर दिया.

निशा भाभी अभी भी दुल्हन से कम नही लग रही थी. लेकिन प्रिया को देख कर तो मैं उसे देखता ही रह गया. उसने इस समय ब्लू लहंगा चोली पहना था और उसके उपर से नेट वाला एक गाउन पहना हुआ था. जिसने उसे ओर भी ज़्यादा सुंदर बना था.

निशा भाभी ने डॉली के पास आकर, मुझे किनारे होने का इशारा किया तो, मैं किनारे हो गया. फिर उन्हो ने डॉली के पर्दों को खोला और अपना हाथ देकर, शिखा दीदी को नीचे उतरने का इशारा किया.

शिखा दीदी उनका हाथ पकड़ कर, डॉली से बाहर आ गयी. दुल्हन के रूप मे शिखा दीदी को देख कर, देखने वालों की निगाहे उन्ही पर थम सी गयी. वो सर से लेकर पाँव तक सोने चाँदी से सजी हुई थी. छोटी माँ ने उन्हे सर से लेकर पैर तक सोने से लाद दिया था.

ये ही नही, उनके पहने हुए ल़हेंगा चोली मे भी सोने चाँदी की कारीगरी थी. ये ल़हेंगा चोली अजय ने खास कर शिखा दीदी के लिए, तब तैयार करवाया था, जब उसने आरू से शिखा दीदी को उसकी भाभी बनाने का वादा किया था. इसी बात से पता चल जाता है कि, अजय को शिखा दीदी से किस हद तक प्यार था और वो उनसे शादी को लेकर कितना गंभीर था.

अजय ने जब शिखा दीदी को दुल्हन के रूप मे देखा तो, वो उन्हे देखता ही रह गया. तब तक निशा भाभी, शिखा दीदी को लेकर उस भव्य मंच (स्टेज) पर आ गयी थी. जिस पर इस समय अजय बैठा हुआ शिखा दीदी को निहार रहा था. निशा भाभी ने अजय की आँखों के सामने चुटकी बजाते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “बस कीजिए देवर जी. क्या मेरी बहन को नज़र लगाने का इरादा है.”

निशा भाभी की बात सुनकर, सब हँसने लगे और अजय भी मुस्कुरा दिया. तभी सेलू ने आकर दूल्हा और दुल्हन को वरमाला के लिए एक एक माला पकड़ा दी. निशा भाभी ने शिखा दीदी से माला अजय को पहनाने को कहा. जिसे सुनते ही शिखा दीदी ने अपना हाथ अजय को माला पहनाने के लिए आगे बढ़ा दिया था.

अजय की लंबाई ज़्यादा थी और शिखा दीदी का हाथ उस तक पहुच नही पा रहा था. इसलिए अजय माला पहनने के लिए अपना सर झुकाने लगा. लेकिन सीरू दीदी ने उसको ऐसा करने से रोकते हुए कहा.

सीरत बोली “ये क्या कर रहे हो भैया, यदि आज आपने भाभी के सामने अपना सर झुका दिया तो, फिर जिंदगी भर ऐसे ही अपना सर झुकाते रहोगे.”

सीरू दीदी की बात सुनकर, अजय अपना सर झुकाने से रुक गया. शिखा दीदी ने फिर उसे माला पहनाने के लिए हाथ उठाया. मगर अजय के सर पर सेहरा होने की वजह से अजय की लंबाई कुछ ज़्यादा ही हो गयी थी. जिस वजह से वो उसे माला नही पहना पा रही थी.

अजय ने शिखा दीदी की तरफ देखा तो, उनका मासूम चेहरा देख कर, उस से अब उन्हे और तंग करते ना बना और उसने फिर से उनके सामने अपने सर को झुकाने की कोसिस की, लेकिन सीरू और हेतल ने उसे फ़ौरन पकड़ कर सीधा करते हुए कहा.

सीरत बोली “आपको भाभी पर इतना ही प्यार आ रहा है तो, ये प्यार उनको घर चल कर दिखाना. यहाँ कोई चीटिंग नही चलेगी. भाभी को यदि आपको माला पहनाना है तो, वो अपनी लंबाई बढ़ा ले. लेकिन हम आपको नही झुकने देगे.”

सीरू दीदी की बात सुनकर, शिखा दीदी ने फिर माला पहनाने की कोसिस की, लेकिन इस बार भी वो नाकाम रही. तभी मेहुल ने पास आते हुए सीरू दीदी से कहा.

मेहुल बोला “हमारी दीदी की लंबाई, तो हम बढ़ा देंगे. लेकिन अब आप अपने भैया की लंबाई का कुछ करो. क्योकि अब वो हमारी दीदी को माला नही पहना पाएगे.”

ये कहते हुए मेहुल ने एक झटके मे शिखा दीदी को अपनी गोद मे उठा लिया. शिखा दीदी ने भी मौका पाकर जल्दी से माला अजय के गले मे डाल दी. लेकिन मेहुल इसके बाद भी शिखा दीदी को ऐसे ही लेकर खड़ा रहा और सीरू दीदी से कहा.

मेहुल बोला “हमारी दीदी ने तो माला पहना दी. अब आपके भैया की बारी है.”

सीरत बोली “हां, हां, हमारे भैया के लिए ये कौन सा मुश्किल काम है. भैया जल्दी से माला भाभी के गले मे माला डालिए.”

सीरू की बात सुनकर, अजय ने शिखा दीदी के गले मे माला डालने के लिए हाथ आगे बढ़ाए. लेकिन अजय के हाथ उन तक पहुच ही नही पाए. इस पर सीरू दीदी ने मेहुल से कहा.

सीरत बोली “हमे माला डालने की कोई जल्दी नही है. तुम अपनी दीदी को ऐसे ही लेकर खड़े रहो. हम भी देखते है, कि तुम ऐसे उन्हे कितनी देर तक लेकर खड़े रहते हो.”

सीरू दीदी की बात सुनकर, मेहुल ने मुस्कुराते हुए कहा.

मेहुल बोला “दीदी, आप कुछ भी कह लो. लेकिन मैं तब तक अपनी दीदी को नीचे नही उतारूँगा, जब तक आपके भैया उनके गले मे माला नही डाल देते है. मुझे समझाने से अच्छा है कि, अब आप अपने भैया को समझाओ कि, वो अब मेरी दीदी के गले मे माला डाल कर दिखाए.”

मेहुल की बात सुनकर, अज्जि फिर माला डालने आगे बढ़ा, इस बार शिखा दीदी ने उसे आगे बढ़ते देख खुद ही अपने सर को झुका दिया और अज्जि ने फ़ौरन उनके गले मे माला डाल दी.

शिखा दीदी के गले मे माला पड़ने के बाद, मेहुल ने उनको नीचे उतार दिया. लेकिन शिखा दीदी के गले मे माला पड़ते ही सीरू दीदी लोग शोर मचाने लगी और मेहुल को चिडाने लगी. सीरू दीदी ने मेहुल को चिड़ाते हुए कहा.

सीरत बोली “देखा, तुम्हारी दीदी को ही हमारे भैया के सामने सर झुकाना पड़ा. तुम्हारी दीदी ने ही तुम लोगों को हरा दिया.”

सीरू दीदी की ये बात सुनकर, शिखा दीदी ने मेहुल की तरफ देखा और फिर अपने सर को शर्मिंदगी से झुका लिया. लेकिन मेहुल ने मुस्कुराते हुए सीरू दीदी से कहा.

मेहुल बोला “हां, मैने ही नही, यहा सबने देखा है कि, हमारी दीदी को मज़ाक मे भी जीजू का हारना पसंद नही आया और उन्हो ने खुद ही उनके सामने अपने सर को झुका लिया. अब जिनकी जीत मे हमारी दीदी की जीत छुपि है. फिर भला उनके जीतने से हमारी हार कैसे हो सकती है.”

मेहुल की ये बात सुनकर, सबके साथ साथ शिखा दीदी के चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी. इसके बाद सीरू दीदी लोग अपने सब परिचितों को मंच पर लाकर अजय और शिखा से मिलाने लगे.

सभी मेहमान वरमाला के बाद, खाने पीने की तरफ बढ़ गये. जिसका सारा इंतज़ाम हीतू देख रहा था. मेहुल और राज सभी महमानों की देख भाल मे लगे थे. महमानो को रिंग गिफ्ट करने का काम भी उन्ही के ज़िम्मे था.

मैं मंच से नीचे आया तो, प्रिया भी मेरे साथ नीचे आ गयी. मैने उसे अपने पास देखा तो, उस से कहा.

मैं बोला “तो ये तुम्हारा वो सूट है, जिसे उस दिन तुम मुझे दिखाने से मना कर रही थी.”

प्रिया बोली “वो तो मैं रिया दीदी के साथ जाकर बदल आई थी. ये तो उसके बदले मे लेकर आई थी.”

मैं बोला “कुछ भी कहो, लेकिन तुम्हारा ये सूट सच मे तुम पर बहुत खिल रहा है.”

मेरी बात सुनकर, प्रिया ने मुस्कुराने लगी. तभी निशा भाभी भी हमारे पास आ गयी. उन्हो ने एक नज़र सारे पंडाल पर डाली और फिर मुझसे कहा.

निशा भाभी बोली “तुमने तो सच मे इस शादी मे चार चाँद लगा दिए है. मुझे तो अब भी यकीन नही हो पा रहा है कि, तुमने ये सारा इंतज़ाम एक रात मे किया है.”

मैं बोला “भाभी ये सब मैने अकेले नही किया है. इसमे मुझसे ज़्यादा मेरे दोस्तों की मेहनत लगी है. मेहुल, राज और हीतू की वजह से मेरे लिए ये सब कर पाना संभव हो पाया है. ये सब उनकी ही मेहनत का नतीजा है. मगर उस से भी बढ़कर, इस सब के पीछे अमन भैया का हाथ है. यदि वो हमे ये सब करने का मौका ना देते तो, हम ये सब करने का कभी सोच भी ना पाते.”

मेरी बात सुनकर, निशा भाभी ने मुस्कुराते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “नही, इस सब मे अमन का हाथ ज़रा भी नही है. ये सब तो तुम्हारी मोम की वजह से हुआ है. उन्हो ने ही अमन के सामने ये बात रखी थी कि, तुम लोग बारात को अपने घर आते देखना चाहते हो और यदि तुमको इस सब के लिए मौका दिया जाए तो, तुम लोग बखूबी इन ज़िम्मेदारियों को निभा सकते हो.”

“उनकी इस बात पर अमन ने उनसे ये तक कहा था कि, ये सब इतना आसान नही है. ऐसा करने मे आपको एक करोड़ तक का खर्चा आ सकता है और हमारा इतना ही नुकसान हो सकता है. इस पर तुम्हारी मोम ने ये कह कर अमन का मूह बंद कर दिया कि, यदि आप लोग इस सब के लिए तैयार हो जाते है तो, मैं इस शादी मे तीन करोड़ तक खर्च करने को तैयार हूँ और इस सब की वजह से आपको जो भी नुकसान होगा, वो नुकसान भी मैं अलग से भरने को तैयार हूँ.”

“तुम्हारी मोम की इस बात ने अजय और अमन को उनकी बात मानने के लिए मजबूर कर दिया. जिसकी वजह उन लोगों ने, तुम लोगों के सामने ये बात रखी थी. उन्हो ने जैसा कहा था, वैसा करके दिखा दिया. लेकिन अब मुझे लग रहा है कि, इस शादी मे 3 करोड़ से भी ज़्यादा का खर्च आने वाला है. क्योकि उन्हो ने डेढ़ करोड़ पेमेंट तो सिर्फ़ ज्यूयेलर्स को किया है.”

“मगर बुरा मत मानना, मेरी समझ मे ये बात नही आ रही है कि, तुम्हारी मोम तो शिखा से पहली बार मिल रही है. इसके पहले वो शिखा को जानती भी नही थी. फिर भला वो शिखा की शादी मे इतना खर्च क्यो कर रही है.”

निशा भाभी की इस बात मे दम था और उनका ऐसा सोचना ग़लत भी नही था. मगर मेरे मन मे इस सब को लेकर कोई सवाल नही था. क्योकि मैं इस बात को अच्छी तरह से जानता था कि, छोटी माँ ये सब सिर्फ़ मेरी वजह से ही कर रही है. इसलिए मैने निशा भाभी की इस बात पर मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “भाभी, आपका ऐसा सोचना बिल्कुल सही है. आज के समय मे बिना मतलब के कोई भी, किसी के लिए कुछ नही करता है. ऐसे ही मेरी मोम के भी ये सब करने के पिछे एक मतलब है और वो मतलब मेरी खुशी, मेरी ख्वाहिश पूरी करना है.”

“आपको शायद पता नही कि, मैने जब उनको शिखा दीदी के शादी के बारे मे बताया और उनसे शादी मे देने के लिए गिफ्ट का पुछा तो, उन्होने मेरी कज़िन कहने पर मुझे कार गिफ्ट करने दे दी और मेरे बिना कुछ कहे ही मेरे खाते मे शादी मे खर्च करने के लिए पैसे डाल दिए थे. अब आप खुद ही सोचिए कि, जब उन्हे यहाँ के बारे मे कुछ पता नही था तो, उन्हो ने इतना सब कुछ किसके लिए कर दिया. सिर्फ़ मेरी खुशी के लिए ही किया ना.”

“ये सब शेखर भैया के सपने थे, जो उन्हो ने दीदी की शादी को लेकर देखे थे. हम शेखर भैया के सिर्फ़ उन्ही सपनो को पूरा करने की कोसिस कर रहे थे, जिन्हे पूरा करना हमारे बस मे था. ये बात मैं, बरखा दीदी और निक्की के अलावा सिर्फ़ मेरी कज़िन ही जानती थी.”

“अब आप ज़रा ये बात सोच कर देखिए कि, जब उनको मेरी कज़िन से ये पता चला होगा कि, मैं क्या करना चाहता हूँ और किस वजह से नही कर पा रहा हूँ तो, ऐसी हालत मे उन्हे मेरे लिए, ये सब नही तो, ऑर क्या करना चाहिए था.”

इतनी बात कह कर, मैं निशा भाभी के जबाब का इंतजार करने लगा. लेकिन उन्हो ने मेरी बात का जबाब देने की जगह उल्टे मुझसे फिर से सवाल करते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “तो क्या वो अचानक यहाँ पर ये ही सब करने के लिए आई है.”

उनकी इस बात को सुनकर, मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “इस सब को लेकर, उनके दिल मे क्या था, ये बात तो सिर्फ़ वो ही जानती है. लेकिन मैं इतना ज़रूर जानता हूँ कि, उनका अचानक इस तरह से आना सिर्फ़ प्रिया की वजह से हुआ है.”

मेरी बात सुनकर, निशा भाभी के साथ साथ प्रिया भी मेरी तरफ हैरानी से देखने लगी. उनकी हैरानी को देखते हुए, मैने उन्हे छोटी माँ के यहाँ आने की वो पूरी कहानी सुना दी, जो मुझे कीर्ति ने बताई थी. जिसे सुनने के बाद, प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा.

प्रिया बोली “अब मुझे समझ मे आया कि, आंटी जब से यहाँ आई है, तब से मुझे इतना प्यार क्यो कर रही है. शायद उन्हे ये लगता है कि, यहाँ पर मैं ही तुम्हारा सबसे ज़्यादा ख़याल रख रही हूँ. अच्छा हुआ कि, उन्हे ये पता नही चला कि, तुम्हारा ख़याल रखने वाली मैं नही, बल्कि निक्की है. वरना निक्की को तो इसके साथ साथ, तुम्हारी कज़िन की हमशकल होने का फ़ायदा भी मिल जाता.”

अभी प्रिया अपनी बात पूरी भी नही कर पाई थी कि, तभी पता नही कहाँ से निक्की आ गयी और उसने प्रिया की बात को काटते हुए कहा.

निक्की बोली “मैं भी यही सोच सोच कर पागल हो रही थी कि, इनके यहाँ से जिसने भी मुझे देखा, हैरान सा रह गया. मगर आंटी ने तो मुझे देख कर, बस इतना ही कहा कि, तुम मेरी भतीजी की जुड़वा बहन लगती हो. इसके बाद उनका पूरा ध्यान तेरे उपर ही रहा. अब मुझे समझ मे आ गया कि, ऐसा क्यो हुआ. अब मैं अपने हक़ पर तुझे डाका नही डालने दुगी और आंटी को ये सच्चाई बता कर रहूगी कि, आपके बेटे का ख़याल रखने वाली प्रिया नही, बल्कि मैं हूँ.”

निक्की के ये बात सुनकर, प्रिया उस से लिपट गयी और उसने निक्की को छिड़ाते हुए कहा.

प्रिया बोली “अब इस सब का कोई फ़ायदा नही मेरी लाडो, मुझे आंटी से तेरे हिस्से का जितना प्यार मिलना था, वो मिल चुका. अब तू सच्चाई बता भी दे, तब भी तुझे कुछ नही मिलेगा. क्योकि आंटी तो सुबह ही वापस चली जाएगी.”

प्रिया की ये बात सुनकर, मैं चौके बिना ना रह सका. क्योकि छोटी माँ ने मुझसे ऐसा कुछ भी नही कहा था. इसलिए मैने प्रिया से पुछा.

मैं बोला “क्या छोटी माँ ने खुद तुमसे ये बात कही है.”

प्रिया बोली “हां, वरमाला के पहले जब मैं आई तो, मैने अपनी मोम से उनको मिलवाया था. मेरी मोम ने उनसे हमारे घर आने की बात कही तो, उन्हो ने कहा कि, कल सुबह ही वो वापस जा रही है. लेकिन अगली बार वो ज़रूर मेरे घर आएगी. इसके बाद, उन्हो ने मुझसे कहा था कि, तुमको कही भी अकेले ना जाने दूं. उनकी ये बात तब तो मेरी समझ मे नही आई थी. लेकिन अब मेरी समझ मे आ गया कि, उन्हो ने ऐसा क्यो कहा था.”

अभी मैं प्रिया से इस बारे मे कोई ओर सवाल कर पाता कि, तभी होम मिनिस्टर आ गये. निशा भाभी ने उनका स्वागत करने की बात कही और खुद उनकी तरफ बढ़ गयी. हम लोग भी उनके पिछे पिछे हो गये.

निशा भाभी ने उनसे हमारा परिचय करवाया और फिर उन्हे मंच पर अजय ऑर अमन के पास ले जाने लगी. मंच पर इस समय अजय का पूरा परिवार मौजूद था. मैने छोटी माँ को यहाँ वहाँ देखा तो, वो मुझे पद्मि नी आंटी और मोहिनी आंटी से बात करते दिखाई दे गयी. मोहिनी आंटी को यहाँ देख कर मुझे कुछ हैरानी हुई और मैने प्रिया से कहा.

मैं बोला “ये मोहिनी आंटी यहाँ आने के लिए तैयार कैसे हो गयी. मुझे तो लग रहा था कि, ये किसी भी हालत मे यहाँ नही आएगी.”

प्रिया बोली “तुमने बिल्कुल सही सोचा था. लेकिन कल नीति दीदी ने जो धमाल मचाया था. उसके बाद ये कुछ शांत पड़ गयी. मगर नीति दीदी उसके बाद से इनसे कोई बात नही कर रही है. इसलिए मोम के समझाने पर ये यहाँ आने के लिए तैयार हो गयी.”

हम मोहिनी आंटी की बात कर रहे थे और वो यहाँ वहाँ किसी को ढूँढ रही थी. तभी अचानक उनकी नज़र प्रिया पर पड़ी और उन्हो ने प्रिया को अपने पास बुलाया. प्रिया उनके पास पहुचि तो, उन्हो ने प्रिया से कुछ कहा, जिसके बाद, प्रिया के कुछ जबाब देने के बाद, वो प्रिया के साथ जाने लगी.

प्रिया के जाने के बाद, मैं खाने की जगह पर हीतू के पास आ गया. मैने हीतू से वहाँ का सारा हाल चाल लिया और वहाँ सब कुछ ठीक चलता पाकर, मैं उस से थोड़ी बहुत बात कर मैं वापस मंच वाली जगह पर आ गया.

लेकिन अभी मैं वहाँ पहुचा ही था कि, तभी मेरी नज़र प्रिया पर पड़ी. वो घबराई हुई सी राज को अपने साथ ले जा रही थी. मुझे कुछ गड़बड़ सी लगी और मैं भी जल्दी से उनके पास पहुच गया.

प्रिया हमे पंडाल के पिछे ले गयी. वहाँ पर मोहिनी आंटी बेहोश पड़ी हुई थी. उन्हे ऐसी हालत मे देख कर, हमे कुछ समझ मे नही आया. लेकिन मैने और राज ने उन्हे उठाया और घर के अंदर ले आए.

उनके सर से खून बह रहा था. शायद किसी ने उनके सर पर किसी कठोर चीज़ से वार किया था. घर मे लाकर उन्हे लिटाने के बाद, राज ने प्रिया से कहा.

राज बोला “चाची, वहाँ कैसे पहुच गयी और उनके सर पर ये चोट कैसी है.”

प्रिया बोली “चाची को टाय्लेट जाना था तो, मैं इन्हे लेकर यहाँ आई थी. इनके टाय्लेट से आने के बाद, इन्हे थोड़ी देर रुकने का बोल कर मैं भी टाय्लेट चली गयी. लेकिन जब मैं टाय्लेट से बाहर आई तो, ये वहाँ नही थी. मुझे लगा कि ये वापस चली गयी है. इसलिए मैं भी वहाँ वापस जाने लगी.”

“तभी मुझे पंडाल के पिछे से किसी के चीखने की आवाज़ आई और मैं वहाँ देखने लगी. वहाँ इनकी किसी के साथ छिना झपटी चल रही थी. लेकिन अंधेरे की वजह से मैं किसी को पहचान नही पा रही थी. इसलिए मेरी आगे बढ़ने की हिम्मत नही हो रही थी.”

“मगर शायद चाची ने मुझे पहचान लिया था, इसलिए इन्हो ने ज़ोर से मेरा नाम लेकर आवाज़ लगाई. इनकी आवाज़ सुनते ही मुझे समझ मे आ गयी कि, ये चाची ही है और मैं इनकी तरफ भागी. लेकिन वो जो कोई भी था, उसने मुझे अपनी तरफ आते देखा तो, किसी चीज़ से इनके सर पर वार किया, जिस से ये लहराती हुई नीचे गिर गयी. इन्हे गिरते देख, मेरी आगे बढ़ने की हिम्मत नही हुई और मैं भाग कर आपको बुलाने चली आई. उसके बाद जो हुआ, आपके सामने ही है.”

प्रिया की बात सुनने के बाद, मैने प्रिया से कहा.

मैं बोला “ये सब बातें करने का अभी वक्त नही है. तुम फ़ौरन जाकर, निशा भाभी को बुला लाओ और ज़्यादा हड़बड़ी मत मचाना, वरना सब घबरा जाएगे.”

प्रिया बोली “लेकिन वो तो अभी होम मिनिस्टर के साथ है. मैं ऐसा करती हूँ कि, निधि दीदी को बुला लाती हूँ.”

मैं बोला “तो क्या वो…..”

अभी मैं इतना ही कह पाया था कि, प्रिया ने मेरी बात काटते हुए कहा.

प्रिया बोली “हां, वो भी डॉक्टर है.”

इतना कह कर प्रिया फ़ौरन वहाँ से चली गयी. राज मोहिनी आंटी के सर के जख्म को दबा कर उनके पास ही बैठ गया. थोड़ी ही देर मे प्रिया, निधि और बरखा के साथ आ गयी.

निधि ने उनके सर का जख्म देखने के बाद बरखा से फर्स्ट-एड बॉक्स और पानी लाने को कहा. बरखा दौड़ कर प्रिया के साथ ये सब लेने चली गयी. तब तक राज उसे मोहिनी आंटी के साथ हुई घटना के बारे मे बताने लगा.

कुछ ही देर मे प्रिया और बरखा दोनो आ गयी. सब से पहले निधि ने उनके चेहरे पर पानी मारा, जिस से मोहिनी आंटी होश मे आने लगी. उसके बाद, वो उनकी ड्रेसिंग (मरहम-पट्टी) करने लगी.

ड्रेसिंग होते होते मोहिनी आंटी भी पूरी तरह होश मे आ चुकी थी. निधि ने उन्हे दर्द की गोली खाने को दी और फिर हम लोगों से कहा.

निधि बोली “घबराने की कोई बात नही है. ये एक मामूली सी चोट है और ये शायद घबराहट की वजह से बेहोश हुई थी. इसके बाद भी यदि इन्हे कोई परेशानी होती है तो, इन्हे मेरे पास ले आना, मैं इनकी पूरी जाँच कर लुगी.”

निधि की ये बात सुनकर, सबने राहत की साँस ली और मोहिनी आंटी भी उठ कर बैठ गयी. लेकिन अब तक जो प्रिया बहादुरी से इस पूरे हादसे का सामना कर रही थी. मोहिनी आंटी के ठीक होने की बात सुनकर, खुद को सभाल ना पाई और उनसे लिपट कर रोने लगी.

अभी कोई प्रिया से कुछ कह पाता कि, तभी नितिका, रिया, और हेतल दीदी वहाँ आ गयी. हेतल दीदी को उनके साथ देख कर, मुझे अंदाज़ हो चुका था कि, वहाँ क्या हुआ होगा. क्योकि उन्हो ने मुझे राज और प्रिया के पिछे भागते देखा था और फिर उन्हो ने प्रिया को भी निधि और बरखा के साथ यहाँ आते देखा होगा. जिसके बाद, नितिका या रिया के पुच्छने पर उन ने ये बात उनको बताई होगी.

नितिका ने आते ही अपनी मम्मी के सर पर पट्टियाँ बँधी देखी तो, वो भी अपना सारा गुस्सा भूल कर, प्रिया की तरह उन से लिपट कर पुच्छने लगी.

नितिका बोली “मेरी मम्मी को क्या हुआ. इन्हे ये चोट कैसे लग गयी.”

प्रिया और नितिका को इस तरह खुद से लिपट कर रोते देख कर, मोहिनी आंटी की आँखे भीग गयी. लेकिन उन्हो ने दोनो को अपने सीने से चिपकाते हुए, अपनी उसी कड़कदार आवाज़ मे कहा.

मोहिनी आंटी बोली “पागल लड़कियों, मुझे कुछ भी नही हुआ है. वो मरदूत चोर घर से कुछ चुरा कर भाग रहा था तो, मैं उसके पिछे भागी. मगर वो कमीना मुझसे भी हॅटा कट्ता था. वरना मैं उसे ऐसी पटकनी लगाती कि, उसकी सात पुश्ते भी चोरी के नाम से घबराती.”

मोहिनी आंटी की ये बात सुनकर, सब हँसने लगे. लेकिन नितिका ने उन पर गुस्सा करते हुए कहा.

नितिका बोली “क्या ज़रूरत थी, आपको उस चोर का पिच्छा करने की, यदि आपको कुछ हो जाता तो, मेरा क्या होता.”

मोहिनी आंटी बोली “क्या हो जाता, तेरा तेरी इस जाहिल माँ से पिछा छूट जाता.”

मोहिनी आंटी की ये बात सुनकर, नितिका ने ओर भी ज़्यादा बिलख कर रोते हुए कहा.

नितिका बोली “खबरदार जो आपने दोबारा ऐसा कहा. आप जैसी भी हो, मेरी माँ हो. कोई आपके बारे मे कुछ भी सोचता रहे. लेकिन मैं आपके बिना जीने की कभी सोच भी नही सकती. यदि आपको कुछ हो गया तो, आपकी कसम, मैं भी अपने आपको कुछ कर लुगी.”

नितिका की ये बातें सुनकर, पहली बार मोहिनी आंटी की आवाज़ नरम पड़ते दिखाई दी और उन्हो ने नितिका से कहा.

मोहिनी आंटी बोली “मुझे नही पता था कि, मेरी इतनी बदसलुकियों के बाद भी, मेरी बेटियाँ मुझसे इतना प्यार करती है. मैं तुम दोनो से वादा करती हूँ कि, आज से मैं एक अच्छी माँ बनकर दिखाउन्गी और तुम दोनो को बेवजह किसी बात पर नही रोकूगी.”

ये कहते हुए मोहिनी आंटी ने नितिका और प्रिया को अपने सीने से चिपका लिया. शिखा दीदी की शादी मे नितिका को उसकी सुधरी हुई माँ और प्रिया को उसकी चाची के रूप मे एक नया तोहफा मिला था. आज एक बुरी औरत से फिर एक माँ जीत हुई थी. ये देख कर हम सब की आँखों मे भी नमी छा गयी.
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09-10-2020, 01:48 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मोहिनी आंटी के अंदर का ये बदलाव सच मे मेरे दिल को छु रहा था. उस समय मेरी आँखों मे नमी और होंठों पर मुस्कुराहट थी. वो मोहिनी आंटी जिसके साए से भी मैं दूर भागता था, इस समय वो मुझे दुनिया की सबसे अच्छी औरत नज़र आ रही थी.

ऐसा शायद इसलिए था, क्योकि इस समय वो सिर्फ़ एक औरत नही, बल्कि एक ममतामयी माँ के रूप मे मेरे सामने थी और अपने बच्चों को दुलार कर रही थी. आज मुझे यकीन हो गया था कि, औरत चाहे कैसी भी हो, मगर जब वो एक माँ के रूप मे होती है तो, उस से सुंदर कोई नही होता है.

हम मोहिनी आंटी के इस रूप मे खोए हुए थे कि, तभी सीरू दीदी की आवाज़ ने हम सबको चौका दिया. हमारे पास ही सीरू दीदी, सेलू, आरू और निक्की की चौकड़ी खड़ी हुई थी. वो पता नही कब हमारे पास आई थी. सीरू दीदी ने बड़ी ही विनम्रता के साथ मोहिनी आंटी से कहा.

सीरत बोली “आंटी, हम सब आपसे अपनी उस दिन की बदतमीज़ी के लिए माफी चाहते है. उस दिन हम लोगों ने जो भी किया, वो किसी भी तरह माफी के लायक नही है. फिर भी हो सके तो, हम लोगों को भी अपनी बेटियाँ समझ कर, हमारी उस ग़लती के लिए माफ़ कर दीजिए.”

इस समय सीरू दीदी की आँखों मे भी नमी थी. जिस से पता चल रहा था कि, वो भी नितिका और आंटी की सारी बातें सुन चुकी है. उस समय सीरू दीदी के मूह से ये सब बातें सुनकर, मुझे उतनी ही खुशी हुई, जितनी खुशी मुझे तब हुई, जब वो मोहिनी आंटी की बेइज़्ज़ती कर रही थी.

शायद इस हादसे ने मोहिनी आंटी के उपर बहुत गहरा असर किया था और उनके अंदर की बुरी औरत को पूरी तरह से ख़तम कर दिया था. इसलिए सीरू दीदी की ये बात सुनकर उन ने मुस्कुराते हुए कहा.

मोहिनी आंटी बोली “नही बेटी, तुम लोगों ने उस दिन कुछ ग़लत नही किया था. मैं ही अपनी मर्यादा भूल कर जो दिल मे आया बकती जा रही थी. उस सब मे तुम लोगों का कोई भी दोष नही है. वो कहते है ना कि,”
“बंदे क्यों करनी करे, क्यों करे पछिताए.
बोए पेड़ बबूल के, आम कहाँ से खाए.”

सभी बड़े गौर से मोहिनी आंटी की बातें सुन रहे थे कि, अचानक प्रिया ने बीच मे कूदते हुए कहा.

प्रिया बोली “नही चाची, आपने जो दोहा कहा है, वो कुछ ऐसा है.”
“बंदे क्यों करनी करे, क्यों करे पछिताए.
बोए पेड़ बबूल के, कोल्गेट कहाँ से आए.”

प्रिया की बात सुनते ही सब हँसने लगे. तभी हम लोगों को ढूँढती हुई नेहा वहाँ आ गयी और हम सब को एक ही जगह पर जमा देख कर उसने कहा.

नेहा बोली “अरे तुम सब लोग यहाँ बैठ कर गप्पे लड़ा रहे हो और वहाँ पर तुम सब के ऐसे अचानक गायब हो जाने से शिखा दीदी कितना परेशान हो रही है.”

तभी नेहा की नज़र मोहिनी आंटी पर पड़ी और उसने कहा.

नेहा बोली “आंटी को ये क्या हुआ. इनको ये चोट कैसे लग गयी.”

नेहा की बात सुनकर, बरखा ने सबसे पार्टी मे चलने को कहा और फिर हमारे साथ खुद भी नेहा को सारी बातें समझाते हुए पार्टी मे आ गयी. हम सब को एक साथ वापस पार्टी मे देख कर शिखा दीदी के चेहरे की रौनक वापस आ गयी.

लेकिन अब शायद वो हमारे इस तरह से गायब हो जाने की वजह जानना चाहती थी. इसलिए उन ने बरखा को इशारे से अपने पास बुलाया और उस से कुछ सवाल करने लगी. जिसके बाद, बरखा उन को सारी बातें बताने लगी.

यहाँ मोहिनी आंटी के सर मे लगी चोट देख कर, पद्मि नी आंटी भी घबरा गयी. लेकिन जब उन्हे सारी सच्चाई का पता चला और उन्हो ने मोहिनी आंटी का बदला हुआ रूप देखा तो, उनके चेहरे पर भी खुशी की चमक आ गयी.

अब रात के 12:30 बाज चुके थे. महमानों का आना बहुत कम हो गया था और जाने वाले महमानों की संख्या बहुत बढ़ गयी थी. अब बहुत कम मेहमान नज़र आ रहे थे और वो भी जाने की तैयारी मे लग रहे थे.

मुझे कुछ थकान सी महसूस हो रही थी और इस खुशी के माहौल मे कीर्ति की कमी भी महसूस हो रही थी. इसलिए मैं एक किनारे आकर बैठ गया और सबको देखने लगा. छोटी माँ, पद्मि नी आंटी और मोहिनी आंटी इस समय अमन की मोम और चाची के साथ बैठी बातों मे लगी थी.

वही राज, मेहुल और हीतू अपने अपने काम मे लगे थे. बरखा, रिया, प्रिया, नितिका और नेहा मंच के नीचे अमन को घेर कर खड़ी थी और किसी बात पर उस से बहस कर रही थी.

उन मे से सरिफ नितिका का ध्यान मेरी तरफ था. लेकिन ये शायद मेरा वहम ही था. क्योकि उस समय वो मोबाइल पर किसी से बात कर रही थी. इसलिए मुझे ऐसा लग रहा था कि, वो मेरी ही तरफ देख रही थी.

इसलिए मैने इस बात को अनदेखा किया और सीरू दीदी लोगों को देखने लगा. सीरू दीदी, सेलू, आरू और हेतल मंच पर अजय, शिखा दीदी और निशा भाभी के साथ थी. मंच पर इस समय उनके अलावा कोई दूसरा नही था. इसलिए मुझे ये समझते देर नही लगी कि, हो ना हो सीरू दीदी की शैतानी यहाँ पर भी चालू है.

मैं अभी ये सब देखने मे लगा था कि, तभी मेरे मोबाइल की एसएमएस टोन बजने लगी. मैने मोबाइल निकल कर देखा तो, ये कीर्ति का एसएमएस था.

कीर्ति का मेसेज
“वक़्त मिले तो याद करते हो.
दिल करता है तो बात करते हो.
एक ज़माना था जब हमारे बिना,
एक पल भी नही रह सकते थे.
पर अब तो एक ज़माने के बाद,
सिर्फ़ पल भर के लिए याद करते हो.”

कीर्ति का मेसेज देखते ही मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. उसकी ये सीकायत सही भी थी. क्योकि पिच्छले दो दिन से मैं उस से बात करने का समय नही निकाल पा रहा था और समय ना होने की वजह से मेरी उस से सही से बात ही नही हो पा रही थी.

लेकिन इस समय मैं बिल्कुल फ्री था और मेरा मन भी कीर्ति से बात करने का कर रहा था. मगर यहाँ इतने शोर गुल के बीच मोबाइल पर बात कर पाना मुमकिन नही था. इसलिए मैने कीर्ति से बात करने की बात सोच कर, बाहर आने लगा.

लेकिन बाहर निकलने से पहले, मैने एक बार छोटी माँ को देख लेना ठीक समझा और बाहर ना जाकर पास ही खड़े मेहुल के पास चला गया. मेहुल से बात करते हुए, मैने छोटी माँ की तरफ देखा तो, छोटी माँ आंटी लोगों से बात ज़रूर कर रही थी. लेकिन उनकी नज़र मुझ पर ही थी.

छोटी माँ की इस बात से समझ मे आ रहा था कि, उनके मन से अभी ये बात नही निकली थी कि, मेरे साथ हुए वो हादसे सिर्फ़ एक इतेफ़ाक थे. ऐसी हालत मे मेरे बाहर जाते ही, मेरे पिछे छोटी माँ का आना भी पूरी तरह से तय था.

इसलिए मैने अब मैने बाहर जाने का फ़ैसला बदल दिया और मैने छोटी माँ के पास जाकर उनसे जताया कि, मैं उपर टाय्लेट के लिए जा रहा हूँ. मुझे कुछ थकान सी हो रही है, इसलिए मैं कुछ देर उपर ही आराम करूगा. यहाँ कोई काम हो तो मुझे बुला लीजिएगा.

छोटी माँ को ये बात जताने के बाद, मैं उपर आ गया. उपर आने के बाद, मैने एक चेयर पर बैठते हुए, अपना मोबाइल निकाला और कीर्ति को कॉल लगा दिया. मेरे कॉल लगते ही कीर्ति का कॉल आने लगा. मैने उसका कॉल उठाते हुए कहा.

मैं बोला “क्या हुआ, तू अभी तक जाग क्यो रही है. मैने तुझसे कहा तो था कि, मैं आज तुझसे बात नही कर पाउन्गा.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने खिलखिलाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “झूठे, ये तुम बात नही कर रहे हो तो, क्या कर रहे हो.”

उसकी इस बात पर मैने उस पर झूठा गुस्सा करते हुए कहा.

मैं बोला “अपनी बेकार की बक बक बंद कर, मेरे पास अभी इतना समय नही कि, मैं तेरी ये बक बक सुनने के लिए यहा बैठा रहूं.”

लेकिन कीर्ति मेरी इस बात को गंभीरता से ले गयी और उसने गुस्से मे मुझ पर भड़कते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुम अपने आपको समझते क्या हो. मैं यहाँ तुमसे बात करने के लिए मरी जा रही हूँ और तुम्हारे पास मुझसे बात करने के लिए समय ही नही है. उपर से अब कॉल किया भी है तो, प्यार से दो मीठे बोल बोलने की जगह, मुझ पर उल्टा गुस्सा दिखा रहे हो. मुझे तुमसे कोई बात नही करनी और अब तुम भी मुझे कोई कॉल मत करना. बाइ.”

इतना कह कर, कीर्ति ने बिना मेरी कोई बात सुने ही कॉल काट दिया. मैं तो उसको मज़ाक मे गुस्सा कर रहा था. लेकिन वो मेरी बात को सच समझ कर, मुझसे सच मे गुस्सा हो गयी थी.

मैने उसे मनाने के लिए वापस कॉल किया. मेरे कॉल के जबाब मे कीर्ति ने मेरा कॉल काट कर मुझे वापस कॉल लगाया और मेरे कॉल उठाते ही, उसने मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “हां बको, तुम्हे क्या बकना है.”

कीर्ति की ये बात सुनकर, मुझे कुछ बुरा तो लगा. लेकिन मैने इस बात को अनदेखा करते हुए उस से कहा.

मैं बोला “सॉरी, मैं तो तुझसे मज़ाक मे वो सब बोला था. मुझे नही पता था कि, तू मेरी उस बात को इतनी गंभीरता से ले जाएगी.”

मेरी बात सुनते ही एक बार फिर कीर्ति की खिलखिलाहट गूँज गयी और उसने हंसते हुए मुझसे कहा.

कीर्ति बोली “तो मैं कौन सा सच बोल रही थी. मैं भी तो मज़ाक कर रही थी. मैं समझ गयी थी कि, तुम मुझ पर झूठा गुस्सा दिखा रहे हो.”

कीर्ति की इस बात को सुनकर, मुझे ज़रा भी विस्वास नही हुआ कि, वो मुझ पर अभी झूठ गुस्सा दिखा रही थी. इसलिए मैने उस से कहा.

मैं बोला “झूठ तो तू अब बोल रही है. तू मेरी बात सुनकर, सच मे मेरे उपर गुस्सा हो गयी थी और तूने जो कुछ भी कहा था, वो मज़ाक नही था.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने अपनी बात की सफाई देते हुए कहा.

कीर्ति बोली “कसम से, मैं सच मे मज़ाक कर रही थी. मैं जानती थी कि, तुम मज़ाक मे मुझे परेशान कर रहे हो. इसलिए मैने उल्टा तुमको ही परेशान कर दिया.”

मैं बोला “तुझे ये क्यो लगा कि, मैं मज़ाक कर रहा हूँ.”

कीर्ति बोली “वो इसलिए, क्योकि अभी जब तुम अंदर थे तो, मैं नितिका से बात कर रही थी. उस ने मुझे बताया कि, तुम अकेले बैठे सब को देख रहे हो. उसकी बात सुनकर, मैं समझ गयी कि, तुमको मेरी याद परेशान कर रही है. इसलिए मैने तुमको एसएमएस किया था. जिसके बाद नितिका ने मुझे बताया कि तुम बाहर जा रहे हो. उसकी बात सुनते ही मैं समझ गयी कि, तुम मुझे कॉल लगाने वाले हो. इसलिए मैं उसका कॉल रख कर तुम्हारा कॉल आने का इंतजार कर रही थी.”

कीर्ति की बात सुनकर, मुझे भी हँसी आ गयी और मैने ठंडी साँस लेते हुए उस से कहा.

मैं बोला “तो तूने मेरे पिछे अपना जासूस लगा कर रखा है. जो तुझे मेरी खबर देता रहता है.”

कीर्ति बोली “ओर नही तो क्या. तुम क्या सोचते हो कि, तुम मुझे अपने साथ नही रखोगे तो, मुझे तुम्हारी कोई खबर नही रहेगी. यदि तुम ऐसा सोचते हो तो, ये तुम्हारी भूल है.”

कीर्ति की बात सुनकर, मुझे हँसी आ गयी और फिर मैं उस से अमि निमी का हाल पुच्छने लगा. अमि निमी का हाल जानने के बाद, मैने उस से कल बात करने की बात कही और फिर उसने कॉल रख दिया.

कीर्ति के कॉल रखने के बाद, मैने सुकून की साँस ली और बैठे बैठे अंगड़ाई लेने लगा. तभी मेरी नज़र सीडियों तरफ पड़ी तो, मुझे वहाँ पर प्रिया खड़ी दिखाई दी. वो खड़े खड़े मुझे ही देख रही थी.

उसने मुझे अपनी तरफ देखते पाया तो, वो मुस्कुराते हुए मेरे पास आकर बैठ गयी. मैने भी मुस्कुराते हुए उस से कहा.

मैं बोला “तुम यहाँ सीडियों पर खड़ी क्या कर रही थी.”

मेरी बात के जबाब मे प्रिया ने सीधा सा जबाब देते हुए कहा.

प्रिया बोली “तुम पर नज़र रख रही हूँ.”

उसकी बात सुनकर, मैने हंसते हुए कहा.

मैं बोला “लेकिन तुम मुझ पर नज़र क्यो रख रही हो. मैं कही भागा तो नही जा रहा हूँ.”

प्रिया बोली “तुम्हारी मोम ने मुझे ज़िम्मेदारी दी थी कि, मैं तुम्हे कहीं भी अकेले ना जाने दूं. इसलिए जब मैने तुम्हे अकेले यहाँ आते देखा तो, मैं भी तुम्हारे पिछे आ गयी.”

प्रिया की ये बात सुनकर मैं मुस्कुरा दिया. उस की इस बात से, ये भी समझ मे आ रहा था कि, वो बहुत देर से यहाँ पर खड़ी है. लेकिन इसके बाद भी उसने मुझसे ये नही पुछा कि, मैं इतनी देर किस से बात कर रहा था.

शायद वो समझ गयी थी कि, मैं किस से बात कर रहा हूँ. इसलिए उसने मुझसे ये सवाल करना ज़रूरी नही समझा था. लेकिन प्रिया के इस बर्ताव ने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया था.

जहाँ हर कोई, जिस लड़की से मैं प्यार करता हूँ, उसके बारे मे जानना चाहता था. वही प्रिया साए की तरह मेरे साथ रहते हुए भी, कभी मुझसे उस लड़की के बारे मे कोई सवाल नही करती थी. प्रिया के इस बर्ताव को देख कर, मुझे तृप्ति की कविता की दो लाइन याद आ गयी.
“नही जानती वो चाहते है किसे, इतना दिल ओ जान से.
फिर भी उस “अजनबी से नफ़रत” सी क्यों होती है.”

तृप्ति की कविता की ये लाइन याद आते ही, मुझे लगा कि, शायद इस कविता मे कही गयी बात की तरह प्रिया भी उस लड़की से, जिसे मैं प्यार करता हूँ, मन ही मन नफ़रत करती है. इसलिए वो कभी इस बारे मे मुझसे कुछ पुच्छना पसंद नही करती है. ये बात दिमाग़ मे आते ही मैने प्रिया से कहा.

मैं बोला “तुम सीडियों पर खड़ी, इतनी देर से मुझे किसी से बात करती देख रही हो. लेकिन तुमने मुझसे ये तक नही पुछा की, मैं इतनी देर किस से बात कर रहा था. ऐसा क्यो, क्या मैं जान सकता हूँ.”

मेरी बात सुनकर, प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा.

प्रिया बोली “चलो आज इतने दिनो के बाद ही सही, लेकिन तुम्हे मुझसे पुच्छने के लिए कोई बात तो मिल ही गयी. मैं बताती हूँ की ऐसा क्यो है. क्योकि मैं ये अच्छी तरह से जानती हूँ कि, तुम अभी किस से बात कर रहे थे.”

मैं ये बात तो पहले ही जानता था कि, प्रिया ये बात जानती है कि, मैं किस से बात कर रहा हूँ. लेकिन उसके मूह से ये बात सुनने के लिए मैने ये बात कही थी. मगर अब मैने अपनी असली बात पर आते हुए उस से कहा.

मैं बोला “जब तुमको ये बात पता थी तो, तुमने मुझसे इस बारे मे कुछ पुछा क्यो नही. क्या उसके बारे मे जानने का तुम्हारा मन नही करता.”

मेरी इस बात के जबाब मे प्रिया ने फिर से मुस्कुरा कर, सीधा सा जबाब देते हुए कहा.

प्रिया बोली “मेरे तुमसे कभी इस बारे मे कोई सवाल ना करने की वजह ये है कि, मैं कभी अपने आपको तुम्हारे दिल मे उस जगह पर नही पाती हूँ, जिस जगह पर निक्की या मेहुल है.”

प्रिया की इस बात मे बहुत हद तक सच्चाई छुपि हुई थी. फिर भी मैने उसकी बात को झुठलाते हुए कहा.

मैं बोला “ऐसी कोई बात नही है. तुम्हे कोई ग़लतफहमी हुई है, वरना मेरे दिल मे तुम्हारी भी वो ही जगह है, जो मेहुल या निक्की की है. फिर तुम ऐसा कैसे कह सकती हो.”

मेरी इस बात को सुनकर, प्रिया ने इसके जबाब मे मुस्कुराते हुए एक शायरी कही.

प्रिया की शायरी
“हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन,
दिल को खुश रखने को ग़ालिब यह ख़याल.”

मैं प्रिया की शायरी का मतलब समझ गया था. लेकिन फिर भी मैने इस से अंजान बनते हुए कहा.

मैं बोला “देखो, मैं तुमसे पहले ही कह चुका हूँ कि, मुझे ये शेर शायरी की भाषा साँझ मे नही आती है. तुम्हे जो भी कहना हो सॉफ सॉफ कहो.”

मेरी इस बात पर प्रिया ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा.

प्रिया बोली “तुम मानो या ना मानो. लेकिन सच वो ही है, जो मैने तुमसे कहा है और इसकी एक ताज़ा मिसाल शेखर भैया के सपनो से जुड़ी उन बातों को ही ले लो. जिनके बारे मे, तुम्हारे साथ रहते हुए भी, हम मे से कोई नही जानता था. मगर निक्की तुमसे दूर होते हुए भी, इस बारे मे सब कुछ जानती थी.”

“ये ही नही, ऐसी बहुत सी बातें है. जिनसे मैं ये साबित कर सकती हूँ की, तुम्हारे दिल मे जो जगह निक्की की है, वो मेरी नही है. लेकिन कुछ भी साबित करने का कोई फ़ायदा नही है. बस इतना समझ लो कि, तुम्हारी जो दोस्ती निक्की के साथ है, वो ही असली दोस्ती है. बाकी सब तो एक छलावा है.”

प्रिया की इन बातों को सुनकर, मैं सन्न रह गया था. मैं तो प्रिया से मुझे और कीर्ति को लेकर सवाल जबाब करना चाह रहा था. लेकिन उसने तो मेरे सामने निक्की को लेकर एक नया सवाल खड़ा कर दिया था.

मैं सोच भी नही सकता था कि, प्रिया के दिल मे मेरी और निक्की की दोस्ती को लेकर इतना सब कुछ चल रहा है. उसने निक्की को लेकर जो कुछ भी कहा था, वो ज़रा भी ग़लत नही था. मुझे निक्की से अपने दिल की बात कहने मे ज़रा भी हिचक नही होती थी.

लेकिन इस सबका मतलब ये हरगिज़ नही था की, प्रिया के लिए मेरे दिल मे कोई जगह नही है या प्रिया मेरे लिए निक्की से कुछ कम थी. इसलिए मैने प्रिया की इस बात को सुनकर, उस पर झल्लाते हुए कहा.

मैं बोला “तुम्हारी ये बात ग़लत नही है कि, मैं अपने दिल की हर बात बेहिचक निक्की से कर लेता हूँ. लेकिन इसका ये मतलब नही कि, मेरे दिल मे तुम्हारे लिए कोई जगह नही या फिर तुम मेरे लिए निक्की से कुछ कम हो.”

मेरी इस बात के जबाब मे प्रिया ने कहा.

प्रिया बोली “तुम्हारे दिल मे क्या है, ये तो तुम से बेहतर कोई नही जान सकता. मैने तो सिर्फ़ वो बोला, जो मैं महसूस करती हूँ और मुझे क्या महसूस होता है, वो मैने तुम्हे बता दिया.”

प्रिया अब भी अपनी ही बात की तरफ़दारी कर रही थी. इसलिए मुझे उस पर थोड़ा गुस्सा आ गया और मैने उस से कहा.

मैं बोला “मैं तो तुम्हे एक समझदार लड़की समझा था. लेकिन तुम भी बाकी लड़कियों की तरह ही बेवजह का शक़ करने वाली और ग़लतफहमी पालने वाली लड़की हो. दुनिया की हर बीमारी का इलाज है, मगर ग़लतफहमी का कोई इलाज नही है. ग़लतफहमी पालने वाला अपनी ग़लतफहमी की वजह से अंदर ही अंदर खुद भी जलता रहता है और दूसरो को भी जलाता रहता है. इसलिए ये जो ग़लतफहमी तुमने अपने दिमाग़ मे पाल रखी है, उसे अपने दिमाग़ से बाहर निकाल दो.”

मेरे इस तरह गुस्सा करने और बातें सुनने के बाद भी प्रिया पर इसका कोई असर नही पड़ा. उसने मेरी इस बात के जबाब मे मुस्कुराते हुए फिर से एक शायरी कही.

प्रिया की शायरी
“अभी सूरज नही डूबा, ज़रा सी शाम होने दो.
मैं खुद लौट जाउन्गी, मुझे नाकाम होने दो.
मुझे बदनाम करने का, बहाना ढूँढते हो क्यों,
मैं खुद हो जाउन्गी बदनाम, पहले ज़रा नाम होने दो.”

प्रिया की ये शायरी समझ मे आते ही, मुझे लगा कि, वो अभी भी मेरी बात को समझना नही चाहती है. जिस वजह से मैने उस पर भड़कते हुए कहा.

मैं बोला “ये पागलों की तरह हरकत करना बंद करो. मेरे सामने तुम अपने चेहरे पर इस झूठी हँसी का मुखौटा लगा कर मुझे बेवकूफ़ नही बना सकती. मुझे तुम्हारे आँसुओं से उतनी तकलीफ़ नही होती, जितनी तकलीफ़ तुम्हारी इस झूठी हँसी को देख कर होती है. इसलिए कम से कम मेरे सामने तुम अपना ये पागलपन मत दिखाओ.”

मेरी ये बात सुनकर, प्रिया अचानक ही बहुत ज़्यादा गंभीर हो गयी और उसने मुझसे कहा.

प्रिया बोली “तुम क्या सोचते हो कि, ये पागलों की तरह हर बात पर हँसने वाली लड़की कुछ समझती नही है. तुम शायद ये बात भूल गये कि, छेद सिर्फ़ मेरे दिल मे है, मेरे दिमाग़ मे कोई छेद नही है. मैं तुम्हारी इस हमदर्दी को अच्छी तरह से समझ सकती हूँ.”

“तुम्हारे लिए मैं सिर्फ़ एक ऐसी पागल लड़की हूँ, जिसने तुम्हे अपने घर मे देखा और फिर इस सच्चाई को जानते हुए भी कि, तुम किसी ओर से प्यार करते हो, फिर भी तुमसे प्यार करती है. मुझे प्यार ना करते हुए भी तुम मुझे क्यो झेल रहे हो. क्या मैं इसका मतलब नही समझती.”

“तुम मुझे सिर्फ़ इसलिए झेल रहे हो, क्योकि मैं दिल की मरीज हूँ और कोई भी सदमा मेरे लिए जान लेवा साबित हो सकता है. मुझे इस तरह झेल लेने के पिछे तुम्हारी एक सोच ये भी हो सकती है कि, तुम यहाँ सिर्फ़ कुछ दिन के लिए ही आए हो और हो सकता है कि, तुम्हारे जाने के बाद, मेरी जिंदगी मे कोई ओर लड़का आ जाए और मेरे दिमाग़ से तुम्हारे प्यार का ये भूत उतर जाए.”

“अब यदि तुम्हारे मुझे इस तरह झेलने के पिछे तुम्हारी सोच पहली वाली है तो, मैं ये ही कहुगी कि, तुम्हारी सोच ग़लत नही है. लेकिन यदि मुझे झेलने के पिछे तुम्हारी सोच दूसरी वाली है तो, मैं कहुगी कि, तुम्हारी सोच ग़लत है.”

“क्योकि अभी तुम इस पागल लड़की को अच्छी तरह से जानते नही हो. ये पागल लड़की जो तुम्हारे सामने खड़ी है. कुछ समय पहले ये स्विम्मिंग चॅंपियन थी और देश के कयि हिस्सो मे स्विम्मिंग टूर पर जा चुकी है. इन स्विम्मिंग टूर पर ना जाने कितने लड़को ने इस पागल लड़की को अपने प्यार के लिए प्रपोज़ किया और ना जाने कितने लड़के अभी भी प्रपोज़ करते आ रहे है.”

“लेकिन इस पागल लड़की ने कभी किसी की तरफ आँख उठा कर नही देखा. जानते हो क्यो नही देखा. क्योकि ये पागल लड़की ऐसे ही एक स्विम्मिंग टूर पर अपना दिल किसी अजनबी लड़के को दे चुकी थी और सोचती थी कि, क्या ये उस लड़के से जिंदगी मे कभी दोबारा मिल पाएगी या नही मिल पाएगी.”

प्रिया अपनी ये बात कहते कहते बहुत भावुक हो गयी थी और उसकी आँखों से आँसू छलकने लगे थे. आज पहली बार वो मेरे सामने अपने दिल की बात खोल कर रख रही थी. फिर भी उसकी ये हालत देख कर, मुझसे आगे कुछ पुछ्ते नही बन रहा था.

कुछ देर तक वो अपने आपको संभालने की कोसिस करती रही. लेकिन आज उसके सबर का पैमाना छलक चुका था और उसके आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे. फिर भी उसने किसी तरह अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

प्रिया बोली “क्या तुम जानना चाहोगे, वो अजनबी लड़का कौन है. क्या इस पागल लड़की के प्यार को समझने की हिम्मत तुम्हारे अंदर है. यदि तुम्हारे अंदर हिम्मत है तो, लो देखो, उस अजनबी लड़के को देख लो.”

ये कहते हुए प्रिया ने अपने मोबाइल मे कोई पिक खोला और फिर मोबाइल मेरी तरफ बढ़ा दिया. मोबाइल का पिक देखते ही मुझे एक ज़ोर का झटका लगा और मैं उस पिक की जगह को पहचानने की कोसिस करने लगा.

मगर चाहते हुए भी मैं उसे पहचान नही पा रहा था. मेरी आँखों के सामने का इस समय का मंज़र, दुनिया के आठवें अजूबे से कम नही था. जिसे देख कर मैं बहुत ज़्यादा हैरान और परेशान हो गया.

वही प्रिया अपनी आँखों को मसल कर अपने आँसू रोकने की नाकाम कोसिस कर रही थी. मगर प्रिया के आँसू भी उसकी मुस्कुराहट की तरह, उसके साथ पूरी वफ़ादारी निभा रहे थे और किसी भी हाल मे उसका साथ छोड़ने को तैयार नही हो रहे थे.
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09-10-2020, 01:49 PM,
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एक तरफ प्रिया के आँसू थे और एक तरफ मेरी हैरानी थी. ना प्रिया अपने आँसुओं से पिच्छा छुड़ा पा रही थी और ना मैं अपनी हैरानी से पिच्छा छुड़ा पा रहा था. मैं प्रिया के मोबाइल मे जो पिक देख रहा था, वो मेरी ही पिक थी.

मेरी वो पिक जहाँ पर ली गयी थी, वो कोई जानी पहचानी सी जगह लग रही थी. लेकिन बहुत कोसिस करने के बाद भी, मुझे समझ मे नही आ रहा था कि, ये पिक किस जगह की है और कब ली गयी है.

मैं अभी इसी सोच मे खोया हुआ था कि, तभी प्रिया ने अपनी खामोशी को तोड़ कर, मेरी हैरानी को दूर करते हुए कहा.

प्रिया बोली “ये पिक ईद के दिन की ही है. पिच्छले साल रमज़ान के महीने मे चलने वाले रोज़े के समय मैं वही थी और मैने ईद के दिन तुम्हारी ये पिक ली थी.”

प्रिया के ईद का नाम लेते ही, मुझे याद आ गया कि, ये पिक बाजी के घर के सामने वाले रेस्टोरेंट की है. क्योकि मैं रमज़ान के महीने मे बाजी के घर आफ्तरी करने के बाद, अक्सर असलम के साथ चाय कॉफी के लिए वहाँ जाया करता था.

ये बात समझ मे आते ही, मुझे इस पिक की कहानी भी कुछ कुछ समझ मे आ चुकी थी और ये बात भी पूरी तरह से सॉफ हो चुकी थी, प्रिया मुझे मुंबई मे आने के पहले से ही जानती थी.

मेरे मन मे प्रिया से करने के लिए हज़ारों सवाल थे. लेकिन उसका रोता हुआ चेहरा देख कर, मुझे अभी उस से कोई सवाल करना ठीक नही लगा. इसलिए मैने अपने उन सवालों को एक किनारे रख कर बात को बदलते हुए, उस से कहा.

मैं बोला “तो तुम मुझे मेरे यहाँ आने के पहले से जानती थी. लेकिन तुमने ये कैसे सोच लिया कि, मैं ये बात नही जानता कि, ये पागल लड़की एक स्विम्मिंग चॅंपियन है और मेरे शहर मे भी स्विम्मिंग टूर पर आ चुकी है.”

मेरी इस बात ने प्रिया के जख़्मो पर मरहम लगाने का काम किया था. उसके आँसू थमने लगे थे और अब वो मेरी तरफ ऐसे देख रही थी, जैसे जानना चाहती हो कि, मुझे ये बात किसने बताई. मैने भी अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उस से कहा.

मैं बोला “बरखा दीदी ने जिस दिन तुमको यहाँ देखा था, उन्हो ने उसी दिन मुझे ये बात बता दी थी कि, पिच्छले साल वो तुम्हारे साथ हमारे शहर मे नॅशनल गेम्स के लिए आई थी. जिसमे तुम्हारा टॉप 10 मेडल विन्नर्स मे 1स्ट रॅंक था और तुमने 9 गोल्ड मेडल्स और 1 सिल्वर मेडल्स जीता था.”

“उस दिन मुझे ये सब सुनकर, जितनी खुशी हुई थी. उतना ही इस बात का दुख भी हुआ कि, तुम्हारी बीमारी की वजह से तुम वो मुकाम हासिल नही कर सकी, जो तुम हासिल कर सकती थी. साथ ही मुझे तुम पर और निक्की पर गुस्सा भी आया था कि, तुम दोनो ने कभी मुझे ये बात क्यो नही बताई.”

प्रिया अब कुछ हद तक खुद को संभाल चुकी और उसके आँसू बहना बंद हो गये थे. उसने नम (टियरफुल) लहजे मे अपनी खामोशी तोड़ते हुए कहा.

प्रिया बोली “इसमे निक्की का कोई कसूर नही है. स्विम्मिंग मे ये मुकाम हासिल करने मे मेरी कयि सालों की मेहनत लगी थी. लेकिन बीमारी की वजह से स्विम्मिंग छोड़ने देने के बाद, मैं स्विम्मिंग का नाम सुनते ही बेहद तनाव मे आ जाती थी. जिस वजह से घर मे सबने स्विम्मिंग का जिकर तक करना छोड़ दिया था.”

प्रिया का मन इस बात मे लगते देख कर, मैने भी इस विषय पर बात करना ठीक समझा और उस से कहा.

मैं बोला “लेकिन तुम्हारे जीते हुए सारे मेडल्स और ट्रोफीस कहाँ है. मुझे वो ना तो तुम्हारे कमरे मे नज़र आए और ना ही नीचे कहीं नज़र आए.”

प्रिया बोली “मुझे स्विम्मिंग चॅंपियन बनाने मे राज भैया ने बहुत मेहनत की थी. लेकिन जब मुझे स्विम्मिंग के नाम से ही परेशानी होने लगी तो, पापा वो सारे मेडल्स और ट्रोफीस भी हटाने लगे. तब राज भैया वो सारे मेडल्स और ट्रोफीस अपने कमरे मे ले गये और आज भी वो उनके कमरे मे किसी सुनहरे सपने की तरह सजे हुए है.”

प्रिया अब बहुत हद तक पहले की हालत मे वापस आ चुकी थी. इसलिए मैने फिर से पहले वाली बात पर वापस आते हुए कहा.

मैं बोला “तो तुमने मुझे पहली बार इस रेस्टोरेंट मे देखा और मैं तुम्हे इतना पसंद आया कि, तुमने मेरी फोटो ले ली.”

मेरी बात सुनकर, प्रिया ने एक पल के लिए मेरी तरफ देखा और फिर अपनी नज़रें झुका कर, मेरी बात का जबाब देते हुए कहा.

प्रिया बोली “नही, मैने पहली बार तुम्हे इस रेस्टोरेंट मे नही, बल्कि एक मार्केट मे देखा था. तब तुम अपनी बहनो के साथ कुछ खरीदी कर रहे थे. मुझे उनका चुलबुलापन बहुत अच्छा लग रहा था और मैं उनको देख रही थी. तभी मेरी नज़र तुम पर पड़ी थी. उस समय मुझे तुम्हारा भोलापन भी बहुत पसंद आया था.”

“उसके बाद मैने एक दिन तुम्हे अपनी होटेल के सामने वाले घर से निकलते देखा. तुम वहाँ से निकल कर हमारे होटल के नीचे बने रेस्टोरेंट मे आ गये. उस दिन के बाद से मैने ऐसा होते रोज देखा. पता नही, उस समय मुझ पर तुमको देखने का कैसा भूत सवार हो गया था कि, मैं रोज तुम्हारा उस घर मे आने का इंतजार करती रहती थी.”

“एक दिन तुमको रेस्टोरेंट मे आते देख कर मैं भी वहाँ गयी. फिर ऐसा रोज ही होने लगा. मैं चाहती थी कि, तुम्हारी नज़र भी मुझ पर पड़े. लेकिन ऐसा कभी हुआ ही नही. फिर ईद के दिन अपनी सहेली से बात करते करते, मैने उसकी पिक लेने के बहाने से, तुम्हारी ये पिक ले ली थी.”

“कुछ दिन बाद हम सब की घर वापसी हो गयी. मगर तब तक तुम मेरे सीने मे एक मीठी याद बन कर बस चुके थे. मेरी तुमसे कभी बात भी नही हुई थी. फिर भी मुझे ऐसा लगता था कि, जैसे मैं तुमको बरसो से जानती हूँ.”

“दिन ऐसे ही गुजर रहे थे कि, दीदी ने एक दिन हम सबको तुम्हारी कज़िन के निक्की के हमशकल होने की बात बताते हुए, हमे उसकी फोटो दिखाने लगी. तभी तुम्हारी कज़िन के साथ, मैने तुम्हारी फोटो भी देखी थी.”

“मुझे अपनी आँखों पर यकीन नही हो रहा था कि, जो मैं देख रही हूँ, वो सब एक सपना नही सच है. सबको लग रहा था कि, मैं तुम्हारी कज़िन को देख कर हैरान हूँ. लेकिन मेरी हैरानी की वजह तो तुम थे और तब मैने फ़ैसला कर लिया था कि, अब चाहे जो हो जाए, मैं अपनी चाची के घर ज़रूर जाउन्गी.”

“मगर मेरे वहाँ जाने के पहले ही तुम यहाँ हमारे ही घर मे आ गये. उस दिन तुम्हे अपने घर मे देख कर मैं खुशी से फूली नही समा रही थी और मुझे लग रहा था कि, अब तुम्हे मेरे होने से कोई नही रोक सकता. लेकिन ये खुशी सिर्फ़ कुछ दिनो की थी. क्योकि उसके बाद जो कुछ भी हुआ, वो सब तुम जानते ही हो.”

इतना कह कर, प्रिया चुप हो गयी. अब वो किसी पत्थर के बुत की तरह नज़रे झुका कर, बिल्कुल शांत बैठी थी. लेकिन उसकी इस कहानी को सुनकर, उसके दर्द के अहसास ने मेरी आँखों मे नमी पैदा कर दी थी.

अब मैं ना तो प्रिया से अब कुछ कह पा रहा था और ना ही कुछ पुच्छ पा रहा था. प्रिया ने जब मुझे खामोश देखा तो, नज़र उठा कर मेरी तरफ देखने लगी और मुझ पर नज़र पड़ते ही, उसे मेरी हालत का अहसास भी हो चुका था.

लेकिन शायद वो अपनी वजह से मुझे इस तरह परेशान होते देखना नही चाहती थी. इसलिए वो अपने चेहरे पर एक फीकी सी मुस्कान सजाते हुए एक शायरी कहने लगी.

प्रिया की शायरी
“एक दर्द है जो मुझे जीने नही देता.
दिल सबर का आदि है मुझे रोने नही देता.
मैं उनकी हूँ ये राज़ तो वो जान गये है.
वो किसके है ये सवाल मुझे सोने नही देता.”

प्रिया की ये शायरी सुनकर, मुझे उसके दर्द का अहसास हो रहा था. लेकिन जब मैने उसकी तरफ देखा तो, उसके चेहरे पर एक फीकी सी हँसी थी और वो अपनी आँखे मटका इशारे से मुझसे पुच्छ रही थी कि, वो लड़की कौन है.

उसकी इस हरकत को देख कर कोई भी ये ही कहता कि, वो मेरे साथ मज़ाक कर रही है. लेकिन उसकी इस हरकत से मैं आज सही मायने मे उसकी झूठी हँसी का मतलब समझ पाया था. उसकी इस झूठी हँसी हमेशा एक ही मतलब होता था कि, ना खुद उदास रहो और ना ही दूसरो को उदास रहने दो.

आज मुझे सच मे उसकी इस हँसी को झूठा कहने पर अफ़सोस हो रहा था. इसलिए मैने भी उसकी हँसी मे उसका साथ निभाते हुए उस से कहा.

मैं बोला “हम लोगों को यहाँ आए काफ़ी देर हो चुकी है. मुझे लगता है कि, अब हमे यहाँ से चलना चाहिए. वरना अभी कोई हमे यहाँ बुलाने आ जाएगा.”

मेरी बात के जबाब मे प्रिया ने खड़े होते हुए कहा.

प्रिया बोली “हां ठीक है, मैं थोड़ा मूह धो लू, फिर हम चलते है.”

इतना कह कर वो बाथरूम की तरफ चली गयी. तब तक मैं भी अपना चेहरा सही सा करने लगा. थोड़ी देर बाद प्रिया मूह धो कर वापस आ गयी और फिर हम नीचे आ गये. लेकिन नीचे आने के बाद, उसने मुझे कुछ देर रुकने को कहा और घर के अंदर चली गयी.

कुछ देर बाद, जब वो वापस आई तो, मैं उसे देख कर समझ गया कि, उसने अभी मूह धोया था, इसलिए वो फिर से मेक-अप करने अंदर गयी थी. अब वो फिर से पहले वाली प्रिया ही नज़र आ रही थी.

हम दोनो पार्टी मे वापस आ गये. पार्टी मे आते ही प्रिया निक्की के पास चली गयी. अब 1:30 बज गये थे और पार्टी मे महमानो के नाम पर एक दो लोग ही नज़र आ रहे थे. इसलिए अब मेहुल लोग सब घर वालों के लिए खाना लगाने मे लगे थे और सबको बुला बुला कर ले जा रहे थे.

मैं खड़े खड़े चारो तरफ का मुआयना कर रहा था कि, तभी मेरी नज़र हेतल दीदी पर पड़ी. वो मेरी ही तरफ देख रही थी और मुझसे नज़र मिलते ही उन्हो ने मुझे अपने पास आने का इशारा किया.

उनका इशारा समझते ही मैं उनकी तरफ बढ़ गया. वो इस समय किसी अंजान दंपत्ति के साथ खड़ी थी. वो पति पत्नी किसी बहुत बड़े घर के नज़र आ रहे थे. मैने हेतल दीदी के पास पहुच कर कहा.

मैं बोला “जी, दीदी.”

मेरी बात सुनकर, हेतल दीदी ने मुस्कुराते हुए मेरा परिचय उन दंपत्ति से कराया और फिर उनका परिचय मुझसे करवाते हुए कहा.

हेटल दीदी बोली “ये मेरे मम्मी पापा है.”

उनका परिचय पाते ही, मैने फ़ौरन उनसे नमस्ते किया और उनका हाल चाल पुच्छने लगा. हेतल दीदी के मम्मी पापा दोनो ही बहुत खुश मिज़ाज लग रहे थे. वो दोनो खुले दिल से, इस सारे इंतेजाम के लिए, मेरी तारीफ करने लगे.

तभी निक्की हमे खाने के लिए, बुलाने आ गयी और हम लोग भी खाने की टेबल के पास पहुच गये. जहाँ पर अजय का पूरा परिवार पहले से ही मौजूद था. उनके साथ आंटी, बरखा, छोटी माँ और पद्मिपनी आंटी लोग भी बैठी थी.

उधर का नज़ारा कुछ ऐसा था कि, एक बड़ी सी डाइनिंग टेबल के एक तरफ बीच मे अमन और दूसरी तरफ अजय बैठा था. अमन के दाहिनी तरफ निशा भाभी और बाईं तरफ उसकी चाची बैठी थी. जबकि अजय के बाईं तरफ शिखा दीदी और दाहिनी तरफ धीरू शाह बैठे थे.

निशा भाभी के बगल मे निधि, उसके बाद सेलू, फिर सीरू दीदी, उसके बाद हेतल दीदी, फिर निक्की और प्रिया बैठी थी. जबकि अमन की चाची जी के बगल मे उसकी मोम, उसके बाद हेतल दीदी की मम्मी, फिर शिखा दीदी की मम्मी, उसके बाद पद्मिूनी आंटी और मोहिनी आंटी बैठी थी.

शिखा दीदी के बगल मे आरू, उसके बाद बरखा, फिर नेहा, फिर रिया और उसके बाद नितिका बैठी थी. जबकि धीरू शाह के बगल मे हीतू, उसके बाद राज, फिर मेहुल और छोटी माँ बैठी थी.

मैं सीधे जाकर छोटी माँ के पास बैठ गया. मेरे सामने मोहिनी आंटी बैठी थी. मेरी नज़र उन पर पड़ी तो, उन ने मुझे एक प्यारी सी मुस्कान देते हुए कहा.

मोहिनी आंटी बोली “इतने बड़े हो गये हो. मगर लगता है कि, अभी तक अपनी मम्मी का पल्लू पकड़े रहने की आदत नही गयी है.”

मैने भी मोहिनी आंटी की इस बात जबाब मुस्कुरा कर देते हुए कहा.

मैं बोला “आंटी, मैं इनका पल्लू नही पकड़ता हूँ. बल्कि इनका पल्लू मुझे पकड़ कर अपनी तरफ खीच लेता है. मैं उस से कहता हूँ कि, अब मैं बड़ा हो गया हूँ. लेकिन वो मेरी ये बात समझता ही नही है. अब आप ही उसको समझाइये कि, मैं बड़ा हो गया हूँ.”

मेरी बात सुनकर, सब हँसने लगे. वही मोहिनी आंटी को मेरे साथ इस तरह हँसी मज़ाक करते देख कर, मेहुल कुछ हैरान सा हो गया था. उसे समझ मे नही आ रहा था कि, मोहिनी आंटी मेरे साथ इतनी अच्छे से बात कैसे कर रही है.

असल मे उसे मोहिनी आंटी के अंदर हुए बदलाव का पता नही था. जिस समय मोहिनी आंटी के साथ हादसा हुआ था, वो काम मे व्यस्त था और उसे किसी ने उनके बारे मे कुछ नही बताया था.

लेकिन जब उसने मोहिनी आंटी को मेरे साथ इतने अच्छे से बात करते देखा तो, उसने अपनी ये हैरानी राज के सामने जाहिर की और राज उसे धीरे धीरे सब कुछ बताने लगा. अभी राज और मेहुल मे ख़ुसर फुसर चल रही थी कि, तभी निक्की और प्रिया किसी बात को लेकर आपस मे बहस करने लगी.

इस से पहले की कोई उनकी इस बहस को समझ पाता कि, वो किस बात पर बहस कर रही है. उस से पहले ही उनकी ये बहस झगड़े मे बदल गयी. उनको इस तरह आपस मे झगड़ते देख कर, हेतल दीदी ने दोनो को शांत होने को कहा और वो दोनो को समझाने लगी.

जिसके बाद प्रिया निक्की के पास से उठ कर, मेरे पास आकर बैठ गयी. किसी को भी समझ मे नही आया कि, दोनो के बीच क्या हुआ है. दोनो ही बहुत गुस्से मे लग रही थी और सब उनके इस झगड़े की वजह से हैरान थे.

इस से पहले की कोई इस बारे मे दोनो से कुछ पुच्छ पाता, उस के पहले ही सेलू ने अपनी जगह पर खड़े होते हुए प्रिया और निक्की से कहा.

सेलिना बोली “आए अब तुम दोनो ये झगड़े का नाटक करना बंद करो. देखो सब कितने परेशान हो रहे है.”

सेलू की बात सुनकर, सब हैरानी से उसकी तरफ देखने लगे और उसने हंसते हुए सबकी इस हैरानी को दूर करते हुए कहा.

सेलू बोली “आप लोग हैरान मत होइए. सीरू दीदी को बिना किसी हंगामे के ये पार्टी अच्छी नही लग रही थी. इसलिए वो कोई हंगामा करने के लिए निक्की और प्रिया के साथ मिलकर ये झगड़े का नाटक कर रही थी. लेकिन मुझे आप सबको इस तरह परेशान करना अच्छा नही लग रहा है. इसलिए मैं इन लोगों को ये नाटक बंद करने को कह रही हूँ.”

सेलू की ये बात सुनते ही अमन सीरू दीदी को इस सब के लिए गुस्सा करने लगा. जिसके बाद वो मुस्कुराते हुए सबको सॉरी कहने लगी. निक्की और प्रिया ने भी इस बात के लिए सॉरी कहा और वो दोनो भी मुस्कुराने लगी.

निक्की और प्रिया की दोस्ती ऐसी थी कि, कभी कोई उनके आपस मे झगड़ने की बात सोच भी नही सकता था. इसलिए सबने इस बात पर विस्वास कर लिया कि, ये सब सीरू दीदी का ही एक नाटक था और सब सब फिर से हँसी मज़ाक करते हुए खाना खाने लगे.

मैने खाना खाते हुए प्रिया से बात करने की कोसिस की तो, मेरी किसी बात का सही से जबाब नही दे रही थी और चुप चाप सर झुका कर खाना खाने मे लगी थी. फिर मेरी नज़र निक्की पर पड़ी तो, वो भी चुप चाप खाना खाने मे लगी थी.

इसके बाद मैने सीरू दीदी की तरफ देखा तो, वो बहुत गंभीर नज़र आ रही थी और बार बार निक्की और प्रिया की देख रही थी. मगर निक्की और प्रिया मे से कोई भी सीरू दीदी से नज़र नही मिला रहा था.

इस सब को देख कर, अब मुझे ऐसा लग रहा था कि, यहाँ अभी जो कुछ हुआ है, वो सीरू दीदी का नाटक नही था. सीरू दीदी ने सिर्फ़ सबको इस झगड़े के तनाव से बाहर निकालने के लिए सारी बात अपने उपर ले ली थी.

लेकिन मेरी समझ मे ये बात नही आ रही थी कि, दोनो के बीच मे अचानक ऐसी क्या बात हो गयी, जिसकी वजह से एक दूसरे की बात पर, आँख बंद करके विस्वास करने वाली निक्की और प्रिया, आज आपस मे ही झगड़ गयी थी.
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09-10-2020, 01:49 PM,
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मैं अभी अपनी इस सोच से उभर भी नही पाया था कि, तभी छोटी माँ का मोबाइल बजने लगा. उन्हो ने कॉल देखा और सबको सॉरी बोल कर जाने लगी. उनको वहाँ से जाते देख, मैं भी उठ कर खड़ा होने लगा.

लेकिन उन्हो ने मुझे बैठे रहने का इशारा किया और फिर हम लोगों से थोड़ी दूर जाकर मोबाइल पर बात करने लगी. मैं इतना तो समझ गया था कि, ये कॉल घर से ही आया है. मगर ये बात मेरी समझ मे नही आ रही थी कि, रात को 2 बजे किसने और क्यो कॉल किया है.

मेरी नज़र छोटी माँ पर ही टिकी हुई थी और वो बात करते करते कुछ परेशान सी नज़र आ रही थी. कुछ देर बात करने के बाद, उन्हो ने कॉल रख दिया और वापस हमारे पास आ गयी.

उनके पास आते ही मैं उनसे कुछ पुच्छने वाला था की, तभी मेरा मोबाइल बजने लगा. मैने मोबाइल देखा तो, कीर्ति का कॉल आ रहा था. मैने फ़ौरन कॉल उठाते हुए कहा.

मैं बोला “क्या हुआ, घर मे सब ठीक तो है.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने मुझे वहाँ का हाल समझाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “यहाँ सब ठीक है. बस निमी नींद से अचानक जाग गयी और रोने लगी. हम सबने इसे समझाने की बहुत कोसिस की, लेकिन ये चुप होने का नाम ही नही ले रही थी. आंटी ने मौसी को कॉल किया था, पर ये उनकी बात भी कोई बात मानने को तैयार नही है. इसलिए मौसी ने इस से तुम्हारी बात करवाने को कहा है. लो अब अपनी लाडली से बात करो.”

ये कहते हुए कीर्ति ने निमी को मोबाइल पकड़ा दिया. निमी के हाथ मे मोबाइल लेते ही मुझे उसके रोने की आवाज़ सुनाई देने लगी और मैने उस से प्यार से कहा.

मैं बोला “क्या हुआ मेरी निम्मो को.? क्या उसने फिर कोई बुरा सपना देखा है.”

मेरी बात सुनकर, निमी ने रोते हुए कहा.

निमी बोली “भैया, वो आदमी फिर आपको मार रहा था और आप ज़ोर ज़ोर से रो रहे थे.”

निमी की ये बात सुनते ही मैं समझ गया कि, उसको हमेशा आने वाले सपने की वजह से ही वो इतना डरी हुई है. ये ही सपना उसे मेरे मुंबई आने के पहले भी आया था. मैने उसे उसी दिन की तरह समझाते हुए कहा.

मैं बोला “छोटी, मैने तुझे कितनी बार समझाया है कि, ऐसे सपने कभी सच नही होते है. इन सपनो का कभी कोई मतलब नही होता और हमेशा ही सपने का उल्टा होता है.”

लेकिन निमी पर मेरी इस बात का कोई असर नही पड़ा. वो अभी भी रोए जा रही थी. शायद वो बहुत ज़्यादा डर गयी थी. इसलिए मैने उसका ध्यान सपने पर से हटाते हुए कहा.

मैं बोला “छोटी, तू डरती क्यो है. मुझे कुछ नही हुआ है. देख मैं अच्छा भला तुझसे बात कर रहा हूँ ना. मैं तो यहाँ मेहुल भैया के साथ बैठा खाना खा रहा था. लेकिन अब तेरा रोना देख कर तो, मेरी सारी भूख ही मर गयी है.”

मेरी इस बात ने मेरी उस नन्ही सी बहन के दिल पर तीर की तरह किया. उसका रोना बंद हो गया और मुझे उसकी सिसकियों की आवाज़ सुनाई देने लगी. उसकी सिसकियाँ बहुत तेज थी, इसलिए मुझे इस समय उसकी हालत का अहसास सॉफ सॉफ हो रहा था. उसने सिसकियाँ लेते हुए मुझसे कहा.

निमी बोली “नही भैया, मैं बिल्कुल नही रो रही हूँ, आप खाना खा लो.”

उसकी सिसकियाँ बहुत तेज थी, जिस से मुझे अहसास हो रहा था कि, वो अपने आपको रोने से रोकने के लिए कितनी कोसिस कर रही है. अभी जो सपने मे मुझे पीटता हुआ देख कर, अपने आँसू रोक नही पा रही थी. वो ही अब मेरे भूखा रहने की बात सुनकर, अपने आँसू को बहने नही दे रही थी.

उसने तो अपने आँसू रोक लिए थे. लेकिन अपनी इस नन्ही परी का, अपने लिए ये प्यार देख कर, मैं अपने आँसू ना रोक सका और मेरी आँखे छलक गयी. मैने अपने आपको संभाला और फिर उसे समझाते हुए कहा.

मैं बोला “तू मेरी बिल्कुल फिकर मत कर, पहले तू सो जा, फिर मैं खाना खा लूँगा.”

निमी बोली “भैया, मुझे बहुत डर लग रहा है.”

मैं बोला “पागल डरती क्यो है. जब तक तू सो नही जाती, मैं तुझसे बात करता रहुगा. तू ज़रा कीर्ति को फोन दे.”

मेरी बात सुनकर, उसने कीर्ति को मोबाइल दे दिया. कीर्ति के मोबाइल लेते ही मैने उस से कहा.

मैं बोला “अमि निमी के पास कौन सो रहा है.”

कीर्ति बोली “उनके पास आंटी सो रही है.”

मैं बोला “ठीक है, तू आंटी को मोबाइल दे.”

कीर्ति ने आंटी को मोबाइल दिया तो, मैने आंटी से निमी को अपने से लिपटा लेने का कहा और फिर उनको मोबाइल निमी को दे देने को कहा. निमी के फोन लेने पर, मैने उसे आँख बंद करने को कहा और फिर मैं उसे बताया कि, अब मैं खाना खाते खाते उसके साथ बात भी करता जाउन्गा.

ये कह कर मैं खाना खाते हुए निमी से बात करने लगा. उधर मेरे कहे अनुसार आंटी ने निमी को अपने सीने से चिपका लिया था और उसे थपकी देती जा रही थी. मेरा खाना खाना तो हो चुका था. लेकिन मैं निमी के सोने के इंतजार मे अभी भी बैठा हुआ था. जिस वजह से बाकी लोग भी खाना खा लेने के बाद भी, अभी भी वही बैठे हुए थे.

कुछ ही देर मे निमी की नींद लग गयी. उसकी नींद लगते ही, आंटी ने उसके हाथ से मोबाइल ले लिया और मुझसे कहा.

आंटी बोली “अमि निमी दोनो सो गयी है. अब तुम मोबाइल रख सकते हो.”

आंटी की बात सुनकर, मैने सुकून की साँस ली और उन से कहा.

मैं बोला “आंटी, अभी उसकी नींद कच्ची ही होगी. इसलिए अभी आप उसे अपने सीने से चिपकाए ही रहना, वरना वो फिर उठ कर, रोना सुरू कर देगी.”

मेरी बात सुनकर, आंटी ने मुझे झूठा गुस्सा दिखाते हुए कहा.

आंटी बोली “क्या अब मुझे अपने बच्चों सीखना पड़ेगा. सोनू ठीक कहती थी कि, तू वहाँ जाकर बहुत बड़ी बड़ी बातें करने लगा है. तू वापस आ फिर मैं तुझे बताती हूँ कि, मुझे क्या करना चाहिए और क्या नही करना चाहिए.”

आंटी की ये बात सुनकर, मैं हँसने लगा और उन ने मोबाइल कीर्ति को थमा दिया. कीर्ति को एक दो बातें समझाने के बाद, मैने जैसे ही कॉल रखा, वैसे ही छोटी माँ ने मुझसे कहा.

छोटी माँ बोली “क्या हुआ, निमी सो गयी.”

मैं बोला “जी छोटी माँ, वो दोनो सो गयी है. सपने की वजह से थोड़ा डर गयी थी, इसलिए परेशान कर रही थी.”

मेरी बात सुनकर, छोटी माँ ने भी सुकून की साँस लेते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “मैं तो उसे समझाते समझाते तक गयी थी. इसलिए मैने कीर्ति से उसकी तुझसे बात करवाने को कहा था.”

थोड़ी देर सब अमि निमी के बारे मे ही बातें करते रहे. लेकिन ये सिलसिला सिर्फ़ कुछ ही देर का था. क्योकि अभी शादी की बहुत सी रस्मे बाकी थी. इसलिए सब वहाँ से फ़ौरन उठ कर शादी की बाकी रस्मो की तैयारी मे लग गये और फिर शादी की बाकी की रस्मे सुरू हो गयी.

अब 3:30 बज गये थे और सब घर के बाहर फेरो के लिए बने पंडाल के नीचे, रस्मो को पूरा करने मे लगे थे. ऐसे ही रस्मे चलते चलते एक रस्म लड़की के मामा की आई और दुर्जन को देखा जाने लगा. लेकिन वो अभी भी कही नज़र नही आ रहा था. इसलिए अलका आंटी ने बरखा और नेहा को दुर्जन को देखने नेहा के घर भेजा.

कुछ देर बाद वो दोनो वहाँ से वापस लौटी तो, बरखा ने बताया कि, घर पर तो ताला लगा है और दुर्जन मामा का मोबाइल भी बंद बता रहा है. ये बात सुनकर, सब परेशान हो गये कि, अब मामा की रस्म कौन पूरी करेगा. लेकिन तभी धीरू शाह ने आगे आते हुए कहा.

धीरू शाह बोला “वैसे तो मैं लड़के की तरफ से हूँ. लेकिन यदि किसी को बुरा ना लगे तो, लड़की के मामा की ये रस्म मैं पूरी करना चाहता हूँ. शायद इस रस्म को पूरा करने से मेरे पाप का बोझ कम हो जाए.”

धीरू शाह की इस बात का किसी ने विरोध नही किया और उसने लड़की के मामा की ये रस्म पूरी कर दी. धीरू शाह की ये बात मेरे दिल को छु गयी थी और अब वो भी मुझे एक अच्छा इंसान समझ मे आ रहा था.

धीरू शाह की पिच्छली जिंदगी के बारे मे सोचते सोचते, मुझे छोटी माँ की कही हुई बात याद आने लगी की, बुराई को बुराई से कभी नही मिटाया जा सकता. बुराई से बुराई सिर्फ़ बढ़ती ही है. बुराई को सिर्फ़ अच्छाई से ही मिटाया जा सकता है. इसलिए बुरे के साथ भी अच्छा ही करो, एक ना एक दिन उसकी बुराई, तुम्हारी अच्छाई के सामने हार जाएगी. अच्छाई को जीतने मे समय ज़रूर लगता है. लेकिन अंत मे जीत हमेशा अच्छाई की ही होती है.

आज मेरे सामने बुराई की दो मिसालें, धीरू शाह और मोहिनी आंटी थी. जिनकी बुराई को, अजय और प्रिया की अच्छाई ने हरा कर, उन्हे एक अच्छा इंसान बनने पर मजबूर कर दिया था. छोटी माँ की ये बात उस समय तो मेरे गले से नही उतर रही थी. लेकिन आज जब मैं उनकी इस बात की सच्चाई अपनी आँखों से देख रहा था तो, मुझे अहसास हो रहा था कि, उन्हो ने मुझे कितनी सच्ची बात बताई थी.

इस बात का अहसास करते ही, मेरी नज़रे यहाँ वहाँ छोटी माँ को तलाश करने लगी.
छोटी माँ जहाँ पर ये रस्मे चल रही थी. वहाँ से थोड़ी ही दूरी पर एक सोफे पर बैठी मेहुल से बात कर रही थी.

उन पर नज़र पड़ते ही मैने अजय से थोड़ी देर बाद आने की बात जताई और सब के पास से उठ कर, सीधे छोटी माँ और मेहुल के पास पहुच गया. उनके बीच मे शायद मुझे लेकर ही कोई बात चल रही थी. इसलिए मुझे देखते ही मेहुल ने छोटी माँ से कहा.

मेहुल बोला “लो नाम लिया शैतान का और शैतान हाजिर हो गया. अब आप ही इसको सम्भालो, मैं तो चला यहाँ से वरना अभी झगड़ा सुरू हो जाएगा.”

ये कहते हुए मेहुल हमारे पास से चला गया. उसके जाने के बाद, छोटी माँ ने मुझसे कहा.

छोटी माँ बोली “क्या हुआ, तू वहाँ से उठ कर यहाँ क्यो आ गया.”

छोटी माँ की इस बात के जबाब मे मैने अपनी पीठ पर हाथ रख कर, उसे कमान की तरह मोडते हुए कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, दिन भर यहाँ वहाँ भटकते हुए थक गया हूँ. इसलिए थोड़ा पीठ सीधा करने यहाँ आ गया हूँ.”

ये कहते हुए, मैं छोटी माँ की गोद मे सर रख कर लेट गया और उन्हे आज की मोहिनी आंटी वाली सारी बातें बताने लगा. छोटी माँ मेरी बातें सुन रही थी और मुस्कुराते हुए मेरे सर पर हाथ फेर रही थी. मोहिनी आंटी की बात ख़तम होने के बाद मैने छोटी माँ से कहा.

मैं बोला “प्रिया बता रही थी कि, आप कल घर वापस जा रही है. क्या आप एक दिन ऑर नही रुक सकती. फिर हम सब लोग साथ ही घर चलेगे.”

मेरी बात सुनकर, छोटी माँ ने प्यार से मेरे गाल पर थपकी मारते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “तू कहेगा तो मैं तेरी ये बात भी मान लुगी. लेकिन अभी कुछ देर पहले खुद ही निमी की हालत देखी है. क्या इसके बाद भी तुझे लगता है कि, मुझे यहा एक दिन ऑर रुकना चाहिए.”

छोटी माँ की ये बात सुनकर, मुझसे उनसे कुछ भी कहते ना बना. मैने उनकी इस बात के जबाब मे अपना सर ना मे हिलाकर, उनके जाने को अपनी सहमति देते हुए अपनी आँख बंद कर ली.

वो मुझे इस बारे मे समझाने लगी और मैं आँख बंद करके लेटा लेटा, उनकी बात सुनता रहा. लेकिन उनकी गोद के असर और मेरे सर पर हाथ फेरने के जादू से, मुझे पता ही नही चला कि, मैं कब गहरी नींद की आगोश मे चला गया.

फिर मेरी नींद सुबह 6 बजे जूते चोरी होने की आवाज़ का शोर सुनकर खुली. मैने आँख खोली तो, मैं अभी भी छोटी माँ की गोद मे सर रख कर लेटा हुआ था और वो अभी भी वैसी की वैसी ही बैठी हुई थी, जैसी की मेरे नींद लगने के पहले बैठी थी. ये देखते ही मैं फ़ौरन उठ कर बैठ गया और उन से कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, यदि मेरी नींद लग गयी थी तो, आपको मुझे जगा देना चाहिए था. आप इतनी देर ऐसी ही बैठी बैठी थक गयी होगी.”

मेरी बात पर छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “मैं बिल्कुल भी नही थकि, बल्कि तुझे इस तरह अपनी गोद मे सुला कर, मुझे तो आराम ही मिला है. फिर तू दो रात से ज़रा भी सोया नही था. ऐसे मे तेरा थोड़ा आराम करना ज़रूरी था. इसलिए मैने तुझे जगाना ठीक नही समझा.”

अभी मेरी और छोटी माँ की बातें चल ही रही थी कि, तभी हमारे पास प्रिया और निक्की आ गयी. उन दोनो को एक बार फिर से साथ देख कर, मुझे बेहद खुशी हुई. उनके पास आते ही मैने उन से कहा.

मैं बोला “ये इतना शोर किस बात का हो रहा है.”

मेरी इस बात का जबाब निक्की ने देते हुए कहा.

निक्की बोली “ये जूते चोरी होने का शोर है.”

मैं बोला “लेकिन जूते चोरी होने मे इतना शोर क्यो हो रहा है.”

निक्की बोली “वो इसलिए क्योकि जब हम सब अजय भैया और अमन भैया के साथ घर के अंदर जाकर रस्मे पूरी कर रहे थे. इसी समय जूते भी चोरी करना था. लेकिन जैसे ही बरखा दीदी जूते चोरी करने गयी तो, पता चला कि जूते पहले ही चोरी हो चुके है.”

“ये देख कर, बरखा दीदी समझ गयी कि, ये काम नेहा के अलावा कोई नही कर सकता. इसलिए वो चुप चाप वापस अंदर चली गयी. लेकिन जब हम सब बाहर वापस आए तो देखा कि, अजय भैया के साथ साथ अमन भैया के जूते भी गायब है.”

“अब बरखा दीदी तो जानती थी कि, ये काम नेहा का है. इसलिए उन्हो ने नेहा से पुछा कि, उसने अजय भैया के साथ साथ अमन भैया के जूते भी चोरी क्यो किए, तो उसने बताया कि, अजय भैया और अमन भैया दोनो के जूते एक जैसे थे. जिस वजह से उसे समझ मे नही आ रहा था कि, कौन से जूते किसके है. इसलिए उसने दोनो के ही जूते चोरी कर लिए थे.”

“यहाँ तक तो सब मामला ठीक था. लेकिन अब जूते वापस करने के समय नेहा अजय भैया के साथ साथ अमन भैया के जूते वापस करने का भी नेंग माँग रही है. जिसके लिए सीरू दीदी लोग तैयार नही है और नेहा अपनी ज़िद पर अडी हुई है. इसलिए इतना हंगामा हो रहा है.”

निक्की की ये बात सुनकर, मुझे भी हँसी आ रही थी और मैं भी ये सब देखने के लिए जाने लगा. लेकिन तभी छोटी माँ ने मुझे रोकते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “अभी वहाँ मत जाओ. पहले जाकर मूह हाथ धो लो. क्योकि अंदर विदा होने की तैयारी चल रही है.”

छोटी माँ की बात सुनकर, मैं उपर जाकर मूह हाथ धोने लगा. मूह हाथ धोने के बाद, मैं नीचे आया तो, मेहुल ने फूलों से सजी धजी कार, शिखा दीदी को विदा करने के लिए घर के सामने खड़ी कर दी. अब विदा की तैयारी चल रही थी.

मैं घर के अंदर आया तो, शिखा दीदी आंटी से गले लग कर रो रही थी. मुझसे ये सब देखा नही गया और मैं उपर आकर छत की दीवार से टिक कर ज़मीन पर ही बैठ गया.

शिखा दीदी को रोते देख कर, मेरे भी आँसू रुकने का नाम नही ले रहे थे. मैं चाहते हुए भी शिखा दीदी का सामना करने की हिम्मत नही जुटा पा रहा था. इसलिए उपर ही बैठा अकेले मे आँसू बहा रहा था.

नीचे शिखा दीदी की विदा हो रही थी और सब मुझे यहाँ वहाँ ढूँढ रहे थे. मुझे कही ना पाकर सभी परेशान हो रहे थे. तभी बरखा मुझे ढूँढती हुई उपर आ गयी और मुझे इस तरह से बैठा देख, वो भी मेरे पास बैठ गयी.

लेकिन बरखा को अपने पास देख कर, मेरे लिए अपने आँसू रोक पाना और भी मुस्किल हो गया. मैने उसके कंधे पर सर रखा और बेहताशा आँसू बहाते हुए कहा.

मैं बोला “दीदी, मुझसे ये नही हो पाएगा. मैं इस समय दीदी का सामना नही कर पाउन्गा. मैं उन्हे रोते हुए नही देख सकता.”

मेरी बात के जबाब मे, बरखा ने मेरे आँसू पोछे और मुझे समझाते हुए कहा.

बरखा बोली “भाई, मैं तुम्हारे इस दर्द को समझ सकती हूँ. लेकिन ये दीदी की नयी जिंदगी की शुरुआत है. वो तुमसे मिले बिना नही जाएगी. इसलिए तुम्हे खुशी खुशी उनको विदा करना होगा.”

इतना कह कर बरखा खड़ी हो गयी. उसने मेरा हाथ पकड़ कर, मुझे भी खड़ा किया और फिर मुझे नीचे ले आई. नीचे शिखा दीदी सबसे गले मिल कर रो रही थी. जैसे ही उनकी नज़र मुझ पर पड़ी, वो मेरे पास आई और मुझसे लिपट कर रोने लगी. उनके मेरे गले लग कर रोते ही, मैं बरखा की दी हुई सारी समझाइश भूल गया और उनके साथ साथ मैं भी रोने लगा.

पद्मिानी आंटी शिखा दीदी को कार तक ले जाने की कोसिस कर रही थी. लेकिन शिखा दीदी थी कि, मुझे छोड़ ही नही रही थी और मुझसे लिपट कर रोए जा रही थी. मैं भी कुछ समझ नही पा रहा था और रोने मे उनका साथ दिए जा रहा था.

तब पद्मिरनी आंटी ने मुझसे कहा कि, शिखा ले जाकर कार मे बैठाओ. आंटी की ये बात सुनकर मैं किसी तरह शिखा दीदी को कार तक ले आया और उन्हे कार मे बैठाने की कोसिस करने लगा.

लेकिन वो अभी भी मुझे नही छोड़ रही थी और मुझसे लिपट कर रोए ही जा रही थी. मैं खुद को तो रोने से नही रोक पा रहा था. लेकिन उनको बार बार रोने से मना कर रहा था.

तभी पद्मिेनी आंटी ने आकर किसी तरह शिखा दीदी को गाड़ी मे बैठा दिया. इसके बाद भी उनका रोना जारी था. बरखा और आंटी आकर शिखा दीदी से मिलने लगी. आंटी और बरखा के शिखा दीदी के पास से दूर हटते ही शिखा दीदी की गाड़ी धीरे धीरे आगे बढ़ने लगी.

हम सब अपनी आँसू भरी आँखों से दूर जाते हुए देखने लगे और शिखा दीदी भी अपनी आँखों मे आँसू भरे पलट पलट कर हम लोगों को देख रही थी. फिर कुछ ही देर मे शिखा दीदी हमारी नज़रों से ओझल हो गयी.

शिखा दीदी के हमारी नज़रों से ओझल होते ही, एक सूनापन सा मेरे दिल मे समाने लगा. मैं अब दिल खोल कर रोना चाहता था. इसलिए मैं भाग कर फिर उसी जगह पर आ गया, जहा से बरखा मुझे उठा कर ले गयी थी.

वहाँ आकर बैठते ही मैने बेहताशा रोना सुरू कर दिया. जिस बहन की विदाई के लिए मैने रात दिन एक कर दिए थे. आज उसी बहन की विदाई के बाद, उसकी जुदाई मैं सहन नही कर पा रहा था और उसे याद करके रोए जा रहा था.

मेरी आँखों के सामने शिखा दीदी के साथ बिताया हर एक लम्हा घूम रहा था. मैं हर एक जगह पर उनकी कमी को महसूस कर रहा था और उनकी कही हर एक बात मुझे उनकी याद दिला कर रुलाए जा रही थी.
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