MmsBee कोई तो रोक लो
09-11-2020, 12:01 PM,
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मुझे सबका इस तरफ से मुझे देखने का मतलब समझ नही आ रहा था. इसलिए मैं भी सबको हैरानी से देखे जा रहा था. तभी आकाश अंकल ने मेरी तरफ इशारा करते हुए निधि दीदी से कहा.

अंकल बोले “अब तो आप लोगों ने खुद देख लिया ना कि, कैसे पुनीत के आते ही, प्रिया की आँखों से आँसू बहने लगे. क्या अब भी आपको लगता है कि, प्रिया की आँखों से आँसू दवाइयों की वजह से आ रहे है.”

अंकल की इस बात को सुनकर, निधि दीदी ने थोड़ा गंभीर होते हुए कहा.

निधि दीदी बोली “अंकल, हम ये बात पहले से ही जानते है कि, प्रिया के आँसू पुनीत की वजह से ही निकल रहे है और इस बारे मे मेरी डॉक्टर. रॉबर्ट से भी चर्चा हो चुकी है. उन्हो ने भी इस बात पर अपनी सहमति दे दी है.”

“हमने आप लोगों से ये बात सिर्फ़ इसलिए कहना ठीक नही समझा. क्योकि कहीं आपको ये ना लगे कि, जिस लड़की को आपने इतने साल तक पाला है. उसे आप मे से किसी के भी होने का कोई अहसास नही है.”

“मगर वो कोमा की हालत मे भी अपने जुड़वा भाई के आने का अहसास कर लेती है और उसके आते ही, आँसू बहाना सुरू कर देती है. इस बात से आपके दिल को कोई चोट ना पहुचे. बस इसी वजह से हमने ये बात आप लोगों से नही कही थी.”

निधि दीदी की ये बात सुनकर, आकाश अंकल ने उन से कहा.

अंकल बोले “निधि बेटा, तुम ये कैसी बात कर रही हो. मैं जुड़वा बच्चों की ख़ासियत को अच्छी तरह से जानता हूँ. कुछ जुड़वा बच्चे तो ऐसे भी होते है, जिन्हे अपने जुड़वा को लगी चोट का अहसास तक होता है.”

“बस इसी वजह मैं इस बात पर ज़ोर दे रहा था कि, प्रिया भले ही कोमा मे हो. लेकिन उसे पुन्नू के आने का कुछ ना कुछ अहसास ज़रूर होता है और तुम लोगों को इस बात को अनदेखा नही करना चाहिए.”

अंकल की बात सुनकर, अजय ने उनको समझाते हुए कहा.

अजय बोला “अंकल, आपकी बात बहुत हद तक सही है. लेकिन आप जुड़वा बच्चों की जिस ख़ासियत की बात कर रहे है. वो सिर्फ़ एक-समान जुड़वा (आइडेंटिकल ट्विन्स) मे ही देखने को मिलती है.”

“जब माँ के पेट मे भ्रूण (एंब्रीयो) बनने वाला अंडा किसी ख़ास परिस्तिथि, मे भ्रूण (एंब्रीयो) बनने के पहले ही, दो हिस्सो मे विभाजित हो जाता है तो, एक ही अंडे से दो भ्रूण का विकास होना सुरू हो जाता है.”

“इस तरह एक ही अंडे से बने जुड़वा बच्चों को एक-समान जुड़वा (आइडेंटिकल ट्विन्स) कहते है. ऐसे बच्चों के चेहरो और उनकी हरकतों मे बहुत ज़्यादा समानता देखने को मिलती है.”

“लेकिन एक-समान जुड़वा (आइडेंटिकल ट्विन्स) हमेशा एक ही लिंग के होते है. वो या तो लड़के लड़के ही हो सकते है या फिर लड़की लड़की हो सकते है. एक लड़का एक लड़की कभी एक-समान जुड़वा (आइडेंटिकल ट्विन्स) नही होते है.”

“प्रिया और पुन्नू आसमान जुड़वा (फ्रेटर्नल ट्विन्स) है. जब माँ के पेट मे एक ही समय मे दो अलग अलग अन्डो से, दो भ्रूण (एंब्रीयो) का विकास होता है तो, उसे आसमान जुड़वा (फ्रेटर्नल ट्विन्स) कहते है.”

“असमान जुड़वा (फ्रेटर्नल ट्विन्स) बच्चे एक समान लिंग के भी हो सकते है और अलग अलग लिंग के भी हो सकते है. आम तौर पर ऐसे बच्चों के चेहरो और उनकी हरकतों मे कोई समानता देखने को नही मिलती है.”

“मगर ये जुड़वा बच्चे ही एक साथ एक ही समय मे अपनी माँ के गर्भ मे रहते है. इसलिए इनकी 50 प्रतिशत आदतें और हरकतें आपस मे मिलती है. लेकिन प्रिया हमे इस बात का अपवाद बनती नज़र आ रही है.”

“उसके दिमाग़ ने पूरी तरह से काम करना बंद कर दिया है. लेकिन उसका दिल धड़क रहा है और अच्छी तरह से काम भी कर रहा है. उसका दिल ही उसे पुन्नू के उसके पास होने का अहसास करता है और उसके आँसू निकलना सुरू हो जाते है.”

“इस तरह की बातें अक्सर एक-समान जुड़वा (आइडेंटिकल ट्विन्स) बच्चों मे ही देखने को मिलती है और आसमान जुड़वा (फ्रेटर्नल ट्विन्स) बच्चो मे ऐसी कोई बात कभी देखने को नही मिलती है.”

“मगर प्रिया के साथ ऐसा होने की वजह शायद उसके दिल का शरीर के बाएँ तरफ (लेफ्ट साइड) होने की जगह दाहिनी तरफ (राइट साइड) होना भी हो सकता है. जिस वजह से उसके दिल को माँ के पेट से ही पुन्नू के दिल को महसूस करने की आदत पड़ गयी है.”

इतना बोल कर, अजय चुप हो गया. लेकिन उसकी बात सुनकर, छोटी माँ, कीर्ति और मैं उसे हैरानी से देखने लगे. छोटी माँ ने अजय के पास आते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “प्रिया के दिल के दाहिनी तरफ (राइट साइड) होने से क्या मतलब है. क्या प्रिया का दिल हम सबकी तरह नही है. क्या उसे इस से कोई ख़तरा है.”

छोटी माँ की इस बात को सुनकर, अजय ने उन्हे दिलासा देते हुए कहा.

अजय बोला “आंटी, प्रिया का दिल हम सबकी तरह शरीर के बाएँ तरफ (लेफ्ट साइड) ना होकर, उसके शरीर के दाहिनी तरफ (राइट साइड) मे है. ऐसा हज़ारों लोगों मे से किसी एक इंसान मे ही देखने को मिलता है.”

“प्रिया का दिल बीमारी की वजह से कमजोर ज़रूर है. लेकिन उसका दिल अच्छी तरह से काम कर रहा है. अपने दिल की वजह से उसे कोई ख़तरा नही है. वो अपने इरादों की बहुत मजबूत लड़की है और उसकी यही बात उसके कमजोर दिल को भी मजबूत बनाती है.”

“हम सबके शरीर से एक मानसिक तरंग निकलती है. लेकिन हम एक दूसरे की तरंगो को महसूस नही कर पाते है. मगर एक-समान जुड़वा (आइडेंटिकल ट्विन्स) बच्चों मे एक दूसरे की मानसिक तरंगो को महसूस करने की ताक़त होती है.”

“बिल्कुल वो ही ताक़त हमे प्रिया मे भी देखने को मिल रही है. उसका दिल पुन्नू के शरीर से निकलने वाली तरंगो को महसूस कर लेता है. अक्सर किसी सदमे का असर हमारे दिल पर पड़ता है और हमे दिल का दौरा पड़ जाता है.”

“लेकिन प्रिया ने जब पुन्नू के साथ हुए हादसे की न्यूज़ देखी तो, इसका असर सिर्फ़ उसके दिमाग़ पर पड़ा और उसके दिमाग़ ने काम करना बंद कर दिया. मगर इस न्यूज़ का कोई असर उसके दिल पर नही पड़ा.”

“क्योकि कहीं ना कहीं प्रिया के दिल को इस बात का पूरा अहसास था कि, पुन्नू को कुछ भी नही हुआ है और इसी वजह से उसका दिल अपना काम करता रहा. अभी भी जब पुन्नू उसके करीब आता है तो, उसके दिल की धड़कने बहुत ज़्यादा बढ़ जाती है.”

“उसका दिल पुन्नू को अपने पास पाना चाहता है. लेकिन उसके दिमाग़ के काम ना करने की वजह से बेबसी मे उसके आँसू निकलने लगते है. इस समय वो खुद से ही एक जंग लड़ने मे लगी हुई है.”

“डॉक्टर. रॉबर्ट को ये सारी बातें हमने विस्तार से बता दी है और आज से उन्हो ने प्रिया का इलाज सुरू भी कर दिया है. उनका कहना है कि, यदि सब कुछ उनके मुताबिक चलता रहा तो, प्रिया जल्दी ही कोमा से बाहर आ जाएगी.”

अजय की बात सुनकर, सबके चेहरे पर उम्मीद की एक किरण जगमगा उठी. लेकिन प्रिया की हालत को जान कर, मेरा दिल रोने को कर रहा था. अपना ध्यान इस बात पर से हटाने के लिए, मैने बात बदलते हुए छोटी माँ से कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, वाणी दीदी यहाँ दिखाई नही दे रही है. वो कहाँ गायब है.”

मेरी बात सुनकर, छोटी माँ ने मुस्कुराते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “वो अभी और उसके पापा को लेने एरपोर्ट गयी है.”

छोटी माँ की बात सुनते ही, मैने चौुक्ते हुए कहा.

मैं बोला “क्या जीजू यहाँ आ गये है. लेकिन वाणी दीदी ने ये बात पहले क्यो नही बताई. मैं भी उनके साथ जीजू को लेने चला जाता. वाणी दीदी की ये बात ज़रा भी अच्छी नही है.”

अभी मैं इतना ही बोल पाया था कि, तभी मुझे वाणी दीदी की आवाज़ सुनाई दी.

वाणी दीदी बोली “किसे मेरी कौन सी आदत अच्छी नही लगती है.”

वाणी दीदी की आवाज़ सुनते ही, सबकी नज़र दरवाजे की तरफ चली गयी. वो अभी जीजू और उनके पिताजी के साथ आ रही थी. मैने उन्हे देखा तो, देखता ही रह गया. वो वाइट कलर के सूट मे बिल्कुल किसी हीरो की तरह दिख रहे थे.

मैने अब तक उन्हे सिर्फ़ फोटो मे ही देखा था और उनका फोटो देख कर ही, मैं उन्हे वाणी दीदी के लिए पसंद भी कर चुका था. मेरी अभी उन से एक दो बार फोन पर बात हो चुकी थी. लेकिन उन्हे अपने सामने देखने का ये मेरा पहला मौका था.

उन्हो ने आते ही, छोटी माँ के पैर छुए और फिर प्रिया को देखने, उसके पास चले गये. वाणी दीदी ने उन्हे प्रिया की तबीयत के बारे मे बताया और फिर उनका सबसे परिचय करवाने लगी. अभी जीजू ने सबसे मिलने के बाद, निधि दीदी से कहा.

अभी जीजू बोले “मुझे वाणी ने बताया था कि, प्रिया का इलाज डॉक्टर. रॉबर्ट करेगे. इसलिए मैने डॉक्टर. रॉबर्ट के यहाँ आने के पहले ही, उन से यहाँ रह कर, प्रिया का इलाज करने के बारे मे बात कर ली थी. अब डॉक्टर. रॉबर्ट यही रह कर प्रिया का इलाज करेगे.”

“इसके बाद भी यदि आप लोगों को प्रिया के इलाज के लिए यूएसए तो क्या, दुनिया के किसी भी कोने से, किसी चीज़ की ज़रूरत हो तो, आप बेहिचक होकर मुझे कह सकते है. मैं पलक झपकते ही, उसे आपके सामने हाजिर कर दूँगा.”

अभी अभी जीजू की बात पूरी भी नही हो पाई थी कि, तभी ना जाने वाणी दीदी को क्या हुआ कि, उनके तेवर अचानक ही बदल गये. उन ने गुस्से मे भड़कते हुए अभी जीजू से कहा.

वाणी दीदी बोली “ये लोग पिछ्ले चार दिन से प्रिया के लिए रात दिन एक कर रहे है और तुम ने आते ही, अपनी बातों से इन्हे नीचा दिखाना सुरू कर दिया. मुझे तुमसे ऐसी बात की ज़रा भी उम्मीद नही थी.”

“ये जो अजय तुम्हारे सामने खड़ा है, इसकी गिनती देश के टॉप 5 उद्योगपतिओं मे होती है. अभी तुम जिस हॉस्पिटल मे खड़े हो. ये हॉस्पिटल भी अजय का ही है. प्रिया के लिए अजय के प्यार का अंदाज़ इसी बात से लगाया जा सकता है कि, उसने प्रिया को भी इस हॉस्पिटल के ट्रस्टीस मे शामिल किया है.”

“ये ही नही, यदि तुम दौलत की बात करो तो, प्रिया की छोटी माँ की दौलत मे इतने ज़ीरो है कि, यदि तुम्हारी और अजय की सारी दौलत को भी मिला दिया जाए तो, वो प्रिया की छोटी माँ की दौलत से एक ज़ीरो को भी कम नही कर सकती.”

“वो प्रिया के इलाज के लिए यूएसए तो क्या, दुनिया के किसी भी कोने से, कुछ भी पलक झपकते ही मॅंगा सकती है. लेकिन उन्हे प्रिया के इलाज मे कहीं कोई कमी नज़र नही आ रही है. इसलिए वो इस मामले मे खामोश है.”

इतना कह कर, वाणी दीदी चुप हो गयी. उनकी इस बात ने वहाँ खड़े सभी लोगों की भी बोलती बंद कर दी थी. वाणी दीदी कि इस बात से अभी जीजू और उनके पिता जी का चेहरा भी छोटा सा हो गया था.

वाणी दीदी के स्वाभाव को सभी अच्छे से जानते थे. उनको किसी बात को समझाने की कोसिस करना, सिर्फ़ उनके गुस्से को बढ़ाना ही था. इसलिए हम मे से कोई भी, उनको समझाने की हिम्मत नही कर पा रहा था.

छोटी माँ, अजय और बाकी लोगों को भी समझ मे नही आ रहा था कि, इस महॉल को कैसे फिर से पहले जैसा बनाया जाए. तभी कीर्ति ने सीरू दीदी को कुछ करने का इशारा किया. जिसके बाद, सीरू दीदी ने हंस कर, ताली पीटते हुए अभी जीजू से कहा.

सीरत बोली “वाह जीजू, आपने भी क्या खूब वाणी दीदी को बेवकूफ़ बनाया है. उनकी तो समझ मे ही नही आया की, हम सब मिले हुए है और उनको गुस्सा दिलाने के लिए ही ये नाटक कर रहे थे.”

सीरू दीदी की ये बात सुनते ही, सब सीरू दीदी की तरफ देखने लगे. लेकिन सीरू दीदी ने उल्टे सबकी तरफ सवाल दागते हुए कहा.

सीरत बोली “अरे आप लोगों को क्या अब भी समझ मे नही आया कि, अभी जीजू सिर्फ़ वाणी दीदी को गुस्सा दिलाने के लिए ये नाटक कर थे. उन्हो ने पहले ही, कॉल करके, ये बात हमको बता दी थी. यदि आपको मेरी बात पर यकीन ना हो तो, कीर्ति से पुछ लो. जीजू ने उसको ही कॉल किया था.”

सीरू दीदी की इस बात को सुनकर, सब कीर्ति की तरफ देखने लगे. कीर्ति ने भी फ़ौरन सीरू दीदी की बात पर हां मे हां मिला दी. जिसके बाद सबके चेहरे पर हँसी वापस आ गयी.

सबको अच्छे मूड मे देख कर, अभी जीजू के चेहरे पर भी राहत आ गयी. वही वाणी दीदी का चेहरा ऐसा हो गया. जैसे कि उन्हे सच मे किसी ने बेवकूफ़ बना दिया हो. कुछ देर सीरू दीदी इसी मामले को सुलझाने मे लगी रही.

जब सब कुछ पहले की तरह हो गया तो, अभी जीजू ने इस बात को संभालने के लिए, कीर्ति और सीरू दीदी को थॅंक्स बोला. कुछ देर बाद वाणी दीदी, अभी जीजू और उनके पिताजी को अपने साथ लेकर चली गयी.

उनके जाने के बाद, निधि दीदी, अजय, शिखा दीदी भी चले गये. फिर 7 बजे के बाद, छोटी माँ, बरखा दीदी और कीर्ति भी अमि निमी के साथ घर चले गये. रात के 10 बजे तक सब घर जा चुके थे.

अब हॉस्पिटल मे मैं, रिया और राज ही थे. आज हम सब घर मे ही खाना खा कर आए थे. इसलिए हमे किसी के आने की उम्मीद नही थी. लेकिन आज भी अजय रात 10:30 बजे आ गया और रात को 12:30 बजे घर वापस चला गया.

अजय के जाने के बाद, हम तीनो प्रिया के पास ही रहे. लेकिन आज मेरे और राज के प्रिया के पास ही रहने की वजह से रिया सो गयी थी. नींद तो मुझे और राज को भी बहुत ज़्यादा सता रही थी.

मगर एक दूसरे से बात करते रहने की वजह हमे जागने मे ज़्यादा परेशानी नही हो रही थी. बस ऐसे ही बात करते करते सुबह के 7 बज गये. सुबह होते ही, आकाश अंकल और निक्की आ गये.

आज सनडे था और आज हेतल दीदी की सर्जरी भी होना थी. इसलिए मुझे आज दिन भर हॉस्पिटल मे ही रुकना था. निक्की लोगों के आते ही, मैं उनको जता कर, फ्रेश होने के लिए घर आ गया.

घर आने के बाद, मैने फ्रेश हुआ और तैयार होने लगा. मेरे तैयार होते ही, कीर्ति चाय नाश्ता लेकर आ गयी. मैने कीर्ति से बात करते हुए, चाय नाश्ता किया और फिर मैं कीर्ति के साथ कमरे से बाहर आ गया.

छोटी माँ, वाणी दीदी, बरखा दीदी और अमि निमी पहले से ही तैयार बैठी थी. मेरे आते ही वो उठ कर खड़ी हो गयी और फिर 8:15 बजे हम सब हॉस्पिटल जाने के लिए निकल पड़े.

हमारे पहुँचने के कुछ ही देर बाद, हेतल दीदी की सर्जरी सुरू हो गयी. उनकी सर्जरी 3 बजे तक चली. सर्जरी हो जाने के बाद, उनको प्रिया के पास वाले रूम मे ही, शिफ्ट कर दिया गया.

उनको रूम मे शिफ्ट करने के बाद, मैं अमि निमी और कीर्ति के साथ 3:30 बजे घर आ गया. आज अभी जीजू को वापस भी जाना था. लेकिन अब मुझे बहुत नींद सता रही थी. इसलिए मैं घर वापस आते ही सो गया.

फिर मेरी नींद 9:30 बजे कीर्ति के जगाने पर खुली. उसने मुझे बताया कि, अभी जीजू और उनके पिताजी शाम की फ्लाइट से जा चुके है. कीर्ति से थोड़ी बहुत बात करने के बाद, मैं फ्रेश होने चला गया.

फ्रेश होने के बाद, मैं तैयार हुआ और फिर सबके साथ, डिन्नर करने बैठ गया. डिन्नर के बाद, मैं 10:30 हॉस्पिटल पहुच गया. हॉस्पिटल पहुचते ही, मैं सबसे पहले हेतल दीदी से मिलने उनके पास गया. उन्हे अभी भी होश नही आया था.

इस समय उनके पास उनकी मम्मी, सीरू दीदी, सेलू दीदी, आरू, और शिखा दीदी थी. उनसे मिलने के बाद, मैं प्रिया के पास आ गया. प्रिया के पास इस समय आकाश अंकल, पद्मि नी आंटी, अजय, निक्की, नितिका, रिया और राज थे.

मेरे पहुचने के कुछ ही देर बाद, आकाश अंकल, पद्मिानी आंटी और नितिका के साथ घर वापस चले गये. उनके जाने के कुछ ही देर बाद, सेलू दीदी, आरू, और शिखा दीदी भी अजय के साथ घर वापस चली गयी.

अब हॉस्पिटल मे हेटल दीदी के पास उनकी मम्मी, सीरू दीदी और निक्की थी. जबकि प्रिया के पास मैं, राज और रिया थे. लेकिन बीच बीच मे सीरू दीदी, निक्की, रिया, राज और मैं इस कमरे से उस कमरे मे होते रहते थे.

रात को 1 बजे के बाद, हेतल दीदी को होश आ गया. उनके होश मे आते ही, मैं उनसे जाकर मिला. मैने उन्हे बताया कि, अजय ने हमारे रुकने के लिए एक कमरा खुलवा दिया है और हम उसी मे रुके हुए है.

मेरी ये बात सुनकर, वो बहुत ज़्यादा खुश हुई. इसके बाद हम सब थोड़ी थोड़ी देर मे यहाँ से वहाँ होते रहते थे. हेतल दीदी दवाइयों के असर की वजह से ज़्यादातर समय सोती ही रही.

ऐसे ही करते करते रात बीत गयी और सुबह के 7 बज चुके थे. आज मंडे था और प्रिया के कोमा मे रहने का 6वाँ दिन था. लेकिन उसने अब तक अपने आँसू बहाने के सिवा, कोई भी हरकत नही की थी.

मैं इसी बारे मे सोच रहा था कि, तभी अंकल और नितिका आ गये. मैने उनको घर जाने की बात जताई और हेतल दीदी से मिलने आ गया. हेतल दीदी से मिलकर, मैने उन्हे शाम को आने की बात जताई और मैं घर आ गया.

मैं जब घर पहुचा तो, कीर्ति ने मुझे चाय लाकर दी. मैं चाय पीने लगा तो, कीर्ति ने मेरे सामने आज का अख़बार रख दिया. अख़बार देखते ही, मैं समझ गया कि, आज मंडे होने की वजह से वो मुझे अख़बार दे रही है.

मैं चाय पीते पीते अख़बार मे तृप्ति की रचना ढूँढने लगा. लेकिन पूरा अख़बार देख लेने के बाद भी, मुझे कहीं भी तृप्ति की रचना नज़र नही आई और मैने मायूस होकर अख़बार को एक किनारे रख दिया.

आज के अख़बार मे तृप्ति की रचना को ना पाकर, अब मुझे भी कीर्ति की ये बात सही लगने लगी थी कि, प्रिया ही तृप्ति है. लेकिन मेरा दिमाग़ अभी भी इस बात को मानने के लिए तैयार नही था.
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09-11-2020, 12:01 PM,
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आज के अख़बार मे तृप्ति की रचना को ना पाकर, मैं भी ये सोचने पर मजबूर हो गया था कि, कहीं प्रिया ही तो तृप्ति नही है. ये बात मेरे दिमाग़ मे आते ही, मेरी नज़रों के सामने तृप्ति की अब तक की सारी रचनाए घूमने लगी.

तृप्ति की हर रचना मे मुझे एक दर्द ही नज़र आया था और अब जब मैं तृप्ति की रचनाओं से प्रिया को जोड़ कर देख रहा था तो, मुझे मेरी बहन के हंसते मुस्कुराते चेहरे के पीछे च्छूपे दर्द का अहसास होने लगा.

मैने अंजाने मे ही उसके दिल पर बहुत गहरा जख्म लगाया था और इस बात के अहसास से ही मेरी आँखों मे नमी छा गयी. मैने अपनी आँखों मे आई नमी को पोन्छ्ते हुए कीर्ति से कहा.

मैं बोला “यदि प्रिया ही तृप्ति है तो, उसके दिल मे बहुत ज़्यादा दर्द छुपा हुआ है और उसके इस दर्द के लिए सिर्फ़ और सिर्फ़ मैं ही ज़िम्मेदार हूँ. मैने अंजाने मे ही सही, मगर उसे बहुत ज़्यादा दर्द दिया है.”

मेरी इस बात के जबाब मे कीर्ति ने, प्रिया के तृप्ति होने की बात का खुलासा करते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मैने निक्की से पता किया था. निक्की ने इस बात को माना है कि, प्रिया ही तृप्ति है. प्रिया की हर रचना, चाहे वो “प्रतीक्षा” हो या फिर चाहे वो “कोई तो रोक लो” हो. वो सिर्फ़ तुम्हारे उपर ही थी.”

“तुमको याद होगा कि, शिखा दीदी की शादी मे, खाने के समय पर, निक्की और प्रिया किसी बात को लेकर आपस मे लड़ गयी थी. लेकिन उनके इस झगड़े को सीरू दीदी ने नाटक कह कर टाल दिया था.”

“लेकिन उनका वो झगड़ा सच मे हुआ था और उनके इस झगड़े की वजह भी तुम ही थे. प्रिया ने तुम्हारे पास से आते ही, निक्की को ये बता दिया था कि, उसने अपने प्यार की सारी सच्चाई तुम्हे बता दी है.”

“उस समय निक्की को तुम्हारी ये बात बुरी लगी थी कि, प्रिया के मूह से उसके प्यार के बारे मे सब कुछ जान लेने के बाद भी, तुम्हारे मूह से उसके लिए, दिलासे के दो शब्द भी नही निकले. इस बात को लेकर निक्की तुम्हारे उपर नाराज़ थी.”

“ऐसे मे जब प्रिया ने खाने के समय पर अपनी नयी रचना “कोई तो रोक लो” निक्की को सुनाई और उसे छपवाने के बारे मे निक्की को बताने लगी तो, निक्की उसके उपर भड़क उठी और दोनो के बीच वो झगड़ा हो गया था.”

“निक्की के मन मे उसी दिन से तुम्हारे लिए नाराज़गी थी. फिर जब तुम प्रिया की तबीयत के बारे मे सुनने के बाद भी यहाँ नही आए तो, निक्की की ये नाराज़गी ऑर भी ज़्यादा बढ़ गयी और खुल कर तुम्हारे सामने आ गयी.”

“निक्की और प्रिया दोनो सग़ी बहनो की तरह एक दूसरे से प्यार करती है. प्रिया की इस हालत से निक्की को बहुत बड़ा झटका लगा है. लेकिन वो बेचारी तो अभी खुल कर रो भी नही पा रही है.”

अपनी बात बोलते बोलते कीर्ति का गला भर आया और वो आगे की बात कहते कहते रुक गयी. लेकिन ये हाल सिर्फ़ कीर्ति का ही नही था. मेरा भी ऐसा ही कुछ हाल था. उसकी बातें सुनते सुनते मेरी आँखों मे भी नमी छा गयी थी.

कीर्ति ने मेरी आँखों की नमी देखी तो, अपनी आखों मे छाइ नमी को पोंच्छ कर, अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुम्हे तृप्ति की रचना मे हमेशा दर्द नज़र आता है. असल मे तृप्ति की रचना मे ये दर्द तभी से आया है. जब प्रिया को ये पता चला कि, तुम किसी और से प्यार करते हो.”

“वरना तृप्ति की पहले की रचनाओं मे ये दर्द नही था. मैने तृप्ति की पुरानी रचनाओं के कुछ अख़बार जमा किए है. तुम उसकी पहले की रचना देखो तो, तुम्हे खुद ही इस बात का अहसास हो जाएगा.”

ये कहते हुए कीर्ति ने कुछ अख़बार निकाल कर मेरे सामने रख दिए और उनमे से एक अख़बार मेरी तरफ बढ़ा दिया. ये मुंबई मे मेरे सुरुआती दिनो का अख़बार था. मैं उसमे छपी तृप्ति की रचना को देखने लगा. उसमे छपि तृप्ति की रचना का शीर्षक “भूल जाती हूँ” था. मैं उसकी ये रचना पढ़ने लगा.
“भूल जाती हूँ”

“ज़रूरी काम है लेकिन रोज़ाना भूल जाती हूँ.
मुझे तुम से मोहब्बत है बताना भूल जाती हूँ.
तेरी गलियों से गुज़रना इतना अच्छा लगता है.
मैं रास्ता याद रखती हूँ ठिकाना भूल जाती हूँ.
बस इतनी बात पर मैं लोगों को अच्छी नही लगती.
जो दिल मे होता है मैं सच सच बोल जाती हूँ.
शरारत ले के आँखों मे वो तेरा देखना मुझ को.
मैं नज़रों पे जमी नज़रें झुकाना भूल जाती हूँ.
मोहबत कब हुई कैसे हुई सब याद है मुझ को.
मैं कर के मोहबत को भूलना भूल जाती हूँ.”

तृप्ति की इस रचना मे कोई दर्द नही, बल्कि उसका अल्हड़-पन नज़र आ रहा था. उसकी इस रचना को पढ़ने के बाद, मैने अख़बार को एक किनारे रखा और ठंडी सी साँस लेते हुए कीर्ति से कहा.

मैं बोला “मैं इस लड़की का क्या करूँ, मुझे कुछ समझ मे नही आ रहा है. मैं उसके दिल मे बहुत गहराई तक बसा हुआ हूँ. मैं उसे कैसे समझाऊ कि, मैं उसका भाई हूँ और मेरे बारे मे ये सब सोचना ग़लत है.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने मुझे टोकते हुए कहा.

कीर्ति बोली “नही, तुम्हे अभी उसे कुछ भी समझाने की ज़रूरत नही है. जैसा चल रहा है, बस वैसा ही चलने दो. क्योकि उसका दिमाग़ अब कोई दूसरा झटका सहने के लायक नही है. वक्त के साथ सब कुछ खुद ही ठीक हो जाएगा.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैं चुप रहने के सिवा कुछ ना कर सका. क्योकि इस समय मुझे खुद भी इस के अलावा कोई रास्ता नज़र नही आ रहा था. मुझे खामोश देख कर, कीर्ति ने बात बदलते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तृप्ति और प्रिया के बारे मे बहुत बातें हो चुकी है. अब तुम ये बताओ कि, तुम मुझसे क्यो नाराज़ हो.”

कीर्ति को सीधे अपनी बात पर आते देख, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी. मगर मैने अपनी मुस्कुराहट को दबाते हुए कीर्ति से कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, अमि निमी, वाणी दीदी और बरखा दीदी दिखाई नही दे रहे है. ये सब के सब इतनी सुबह सुबह कहाँ गये है.”

मुझे अपनी बात का जबाब ना देते देख, कीर्ति ने तपाक से कहा.

कीर्ति बोली “आज सोमवार होने की वजह से मौसी शिव जी की पूजा करने मंदिर गयी है. बाकी सब भी उन्ही के साथ गये है. अब तुम बताओ कि तुम मुझसे नाराज़ क्यो हो.”

कीर्ति को मेरी नाराज़गी की वजह जानने के लिए इतना बेचैन होते देख, मुझे भी उसे परेशान करना ठीक नही लगा और मैं उसे अपने साथ अपने कमरे मे लेकर आ गया. कमरे मे आकर मैने अपने बॅग से शीन बाजी का दिया हुआ गिफ्ट बॉक्स निकाला और उसे कीर्ति के हाथ मे थमा दिया.

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09-11-2020, 12:01 PM,
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कीर्ति ने जैसे ही उस गिफ्ट बॉक्स को खोला. उसे उस गिफ्ट बॉक्स मे अपना गोल्ड ब्रेस्लेट नज़र आया. अपना गोल्ड ब्रेस्लेट देखते ही, कीर्ति को मेरी नाराज़गी की वजह भी समझ मे आ गयी और उसने मुझे बहलाने की कोसिस करते हुए कहा.

कीर्ति बोली “अच्छा तो तुम्हारी नाराज़गी की वजह मेरा ये ब्रेस्लेट है. लेकिन तुम्हे मेरा ये कैसे मिला.”

कीर्ति की ये बात सुनते ही, मैने उसे थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा.

मैं बोला “यही तो मैं तुझसे जानना चाहता हूँ कि, तेरा ये ब्रेस्लेट मेरे पास क्या कर रहा है. इसे तो तेरे पास होना चाहिए था.”

मुझे गुस्से मे देख कर, कीर्ति का सर शर्मिंदगी से झुक गया. उस से मेरी बात के जबाब मे कुछ भी कहते नही बन रहा था. लेकिन मैं जानता था कि, उसने ऐसा क्यो किया है. इसलिए मैने उसे, उसका दिया हुआ मोबाइल दिखाते हुए कहा.

मैं बोला “तूने इसी मोबाइल के लिए अपना ब्रेस्लेट बेचा था ना. ले अब मैं तेरे सामने ही इस मोबाइल के टुकड़े टुकड़े कर देता हूँ.”

ये कहते हुए जैसे ही मैने मोबाइल को ज़मीन पर पटकने के लिए अपना हाथ उठाया. कीर्ति ने आगे बढ़ कर मेरा हाथ पकड़ लिया और ऐसा करने से मुझे रोकते हुए कहा.

कीर्ति बोली “सॉरी जान, मुझसे ग़लती हो गयी. मैं दोबारा ऐसा नही करूगी. प्ल्ज़ तुम अपना गुस्सा ख़तम करो.”

अभी कीर्ति की बात पूरी भी नही हो पाई थी कि, तभी डोरबेल बज उठी. डोरबेल की आवाज़ सुनते ही, कीर्ति ने मुझे अपनी कसम देते हुए कहा.

कीर्ति बोली “जान तुम्हे मेरी कसम है. यदि तुमने इस मोबाइल को कुछ किया तो, मेरा मरा हुआ मूह देखोगे.”

ये कहते हुए वो मेरे कमरे से बाहर निकल गयी. मैं उस से सच मे नाराज़ था. लेकिन उसकी इस हरकत पर मुस्कुराए बिना ना रह सका. मैं मुस्कुराते हुए फ्रेश होने के लिए बाथरूम मे चला गया.

फ्रेश होने के बाद, मैने कपड़े पहने और ड्रॉयिंग रूम मे आ गया. वहाँ पर छोटी माँ, वाणी दीदी, बरखा दीदी, और कीर्ति बैठी आपस मे बात कर रही थी. अमि निमी उनके पास ही बैठी थी.

मैं भी सबके साथ बैठ कर बातें करने लगा. बातों बातों मे पता चला कि, आज छोटी माँ ने प्रिया की तबीयत ठीक होने के लिए उपवास रखा है. मेरी इसी बारे मे छोटी माँ से बातें होती रही.

कुछ देर सबसे बात करने के बाद, मैं अपने कमरे मे आ गया और बेड पर लेट कर, प्रिया के तृप्ति होने के बारे मे सोचने लगा. प्रिया के बारे मे यही सब सोचते सोचते मेरी नींद लग गयी.

फिर मेरी नींद दोपहर को 3:30 बजे कीर्ति के जगाने पर खुली. उसे इतनी समय घर मे देख कर मुझे कुछ हैरानी हुई. उसने अपने घर मे रहने की वजह बताते हुए कहा कि, वो दोपेहर को खाना खाने घर आई थी और तब से वो यही है.

कीर्ति से थोड़ी बहुत बात करने के बाद, मैं नहाने चला गया. नहाने और तैयार होने के बाद, मैने खाना खाया. फिर मैं कीर्ति के साथ हॉस्पिटल आ गया. हॉस्पिटल आकर पहले मैं हेतल दीदी से मिला, उसके बाद प्रिया के पास आ गया.

रात को 8:30 बजे तक हॉस्पिटल मे ही रुकने के बाद, मैं डिन्नर के लिए घर आ गया. घर आकर मैने सबके साथ डिन्नर किया और जब वापस हॉस्पिटल जाने को हुआ तो, कीर्ति भी मेरे साथ हॉस्पिटल जाने की ज़िद करने लगी.

छोटी माँ ने उसे हॉस्पिटल जाने से मना किया. लेकिन वाणी दीदी के भी हॉस्पिटल जाने की वजह से उसे हॉस्पिटल जाने की इजाज़त मिल गयी. लेकिन कीर्ति को हॉस्पिटल जाते देख कर, अमि निमी भी हॉस्पिटल जाने की ज़िद करने लगी.

छोटी माँ ने उन्हे भी हॉस्पिटल जाने से मना किया. लेकिन वाणी दीदी की वजह से उन्हे भी हॉस्पिटल जाने की इजाज़त मिल गयी. अब घर मे छोटी माँ अकेली ही थी. इसलिए वो भी हमारे साथ ही हॉस्पिटल के लिए निकल पड़ी.

हम सब 10 बजे हॉस्पिटल पहुच गये. सबसे पहले हम हेतल दीदी से मिले. उनके पास इस समय उनकी मम्मी, सीरू दीदी, सेलू दीदी, आरू और शिखा दीदी थी. उनके पास कुछ देर रुक कर हम प्रिया के पास आ गये.

प्रिया के पास इस समय अजय, निक्की, नितिका, रिया और राज मौजूद थे. लेकिन इतने लोगों के होने के बाद भी, वहाँ बहुत शांति थी. जिस फ्लोर पर अभी हम लोग थे. वहाँ हमारे सिवा कोई और नही था.

इसलिए अजय ने हम सबको ही वहाँ रुकने की इजाज़त दे दी थी और कुछ रूम भी हम लोगों के रुकने के लिए खुलवा दिए गये थे. जिस वजह से आज रात को 10 बज जाने के बाद भी इतने लोग वहाँ रुके हुए थे.

कुछ देर बाद, अजय उठ कर हेतल दीदी के रूम मे चला गया. अजय के वहाँ जाते ही, सीरू दीदी लोग हमारे रूम मे आ गये. सीरू दीदी ने इतने लोगों के होते हुए भी इतनी शांति देखी तो, हम सबसे कहा.

सीरत बोली “अरे यहाँ इतना सन्नाटा क्यो है. क्या डॉक्टर ने यहाँ शांति बनाए रखने को कहा है.”

सीरू दीदी की बात सुनकर, हम सब मुस्कुरा कर रह गये. लेकिन किसी ने भी उनकी बात का कोई जबाब नही दिया. तभी अमन और निशा भाभी भी हमारे पास आ गये. अमन ने प्रिया के पास इतनी शांति देखी तो, हम से कहा.

अमन बोला “अरे यहाँ इतनी शांति क्यो है. हमने यहाँ सबको रुकने की इजाज़त सिर्फ़ इस वजह से दी है, ताकि प्रिया के पास हँसी खुशी का महॉल बना रहे. प्रिया के आस पास कितना खुशी का महॉल बना रहे, उतना ही अच्छा है. इस से प्रिया की तबीयत पर कोई बुरा नही पड़ेगा.”

अमन की बात सुनकर, सीरू दीदी ने कहा.

सीरत बोली “भैया, मैं भी इन सब से यही कह रही थी. लेकिन मेरी बात कोई सुनने को ही तैयार नही है.”

सीरू दीदी की बात सुनकर, अमन ने कहा.

अमन बोला “मैने हँसी खुशी का महॉल बनाने को कहा. लेकिन तू तो यहाँ शोर शराबा करने की बात कह रही होगी. तेरी किसी बात मे मैं तेरे साथ नही हूँ.”

अमन की इस बात पर, सीरू दीदी ने अपनी बात रखते हुए कहा.

सीरत बोली “भैया, मैं कोई शोर शराबे की बात नही कह रही हूँ. मैं भी वो ही बात कह रही हूँ, जो आप कह रहे है.”

अमन बोला “तो फिर तू बता कि, इस महॉल को कैसे हँसी खुशी के महॉल मे बदला जाए.”

सीरत बोली “हम ऐसा करते है कि, हम सब मिल कर “अंताक्षरी” खेलते है.”

सीरू दीदी की बात सुनकर, अमन ने मुस्कुराते हुए कहा.

अमन बोला “तब ठीक है, तुम लोग “अंताक्षरी” खेलो, मैं तो हेतल के पास जाता हूँ. लेकिन एक बात का ध्यान रखना कि यहा ज़्यादा शोर शराबा नही होना चाहिए.”

ये कह कर, अमन हमारे पास से उठ कर, हेतल दीदी के कमरे मे चला गया. अमन के वहाँ जाते ही, शिखा दीदी हमारे पास आ गयी. सीरू दीदी ने उन्हे भी “अंताक्षरी” खेलने को तैयार कर लिया.

इसके बाद सीरू दीदी छोटी माँ को भी इस खेल मे शामिल होने के लिए मनाने लगी. लेकिन छोटी माँ के साथ साथ मैने इस खेल को खेलने से मना कर दिया और मैं आकर प्रिया के पास बैठ गया.

मुझे खेल मे शामिल ना होते देख कर कीर्ति मेरे पास आई और मुझे खेलने के लिए मनाने लगी. मगर मैने मुझे कोई गाना ना आने की बात कह कर, ये खेल खेलने से मना कर दिया.

मगर बाद मे अमि निमी के कहने पर, मैं भी खेलने के लिए तैयार हो गया. मेरे हां कहने के बाद, सीरू दीदी खेल के लिए दो टीम बनाने लगी. पहली टीम मे राज, रिया, नितिका, निक्की, कीर्ति, सीरू दीदी, सेलू दीदी और आरू हो गये.

दूसरी टीम मे शिखा दीदी, बरखा दीदी, निशा भाभी, वाणी दीदी, मुझे और अमि निमी को कर दिया गया. लेकिन हमारी टीम मे एक सदस्य कम था. इसलिए सीरू दीदी ने अपनी शैतानी दिखाते हुए, हमारी तरफ प्रिया को कर दिया.

प्रिया के कोमा मे होने की वजह से उसका होना ना होना हमारे लिए एक बराबर था. इसके बाद भी किसी ने सीरू दीदी की इस बात का कोई विरोध नही किया. दोनो टीम बन जाने के बाद, सीरू दीदी ने हमे खेल के नियम समझाते हुए कहा.

सीरत बोली “हमे अंताक्षरी मे गाने के अंत के अक्षर को पकड़ कर गाना गाना है. यदि कोई टीम 10 तक की गिनती पूरी होने तक गाना नही गा पाई तो, वो हार जाएगी और फिर हारी हुई टीम के किसी सदस्य को एक गाना गाना पड़ेगा.”

सीरू दीदी की बात सुनकर, सबने इस बात पर अपनी सहमति दे दी. जिसके बाद सीरू दीदी ने खेल की सुरुआत करते हुए कहा.

सीरत बोली
“समय बिताने के लिए करना है कुछ काम.
सुरू करो अंताक्षरी लेकर प्रभु का नाम.”

“अब आपकी टीम ‘म’ से गाना गाएगी.”

सीरू दीदी की बात सुनते ही, हमारी टीम के सभी लोग एक दूसरे का मूह देखने लगे और अंताक्षरी के सुरू मे ही सबकी ये हालत देख कर, मुझे लगने लगा कि, हमारी टीम ज़्यादा देर तक सीरू दीदी लोगों के सामने नही टिक पाएगी.
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09-11-2020, 12:09 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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मेरी टीम को कोई गाना गाते ना देख, सीरू दीदी लोगों ने गिनती गिनना सुरू कर दिया. जिस से मेरी टीम मे उथल पुथल मच गयी. कुछ ऐसी ही उथल पुथल इस समय मेरे अंदर भी मची हुई थी.

मैने अमि निमी के कहने पर अंताक्षरी खेलने के लिए हां कह दिया था. लेकिन अंदर से मुझे एक गहरी उदासी ने घेरा हुआ था और मैं प्रिया का हाथ अपने हाथ मे थामे बैठा हुआ था.

मुझे ‘म’ से गाना याद होने के बाद भी, मैं खामोशी से अपनी टीम को परेशान होते देखता रहा. अभी सीरू दीदी लोगों की गिनती पाँच (5) तक ही पहुच पाई थी कि, तभी वाणी दीदी ने ‘म’ से गाना गाना सुरू कर दिया.

वाणी दीदी का गाना
“मेरे देश की धरती...
मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती,
मेरे देश की धरती…

मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती,
मेरे देश की धरती…

बेलो के गले मे जब घुघरू, जीवन का राग सुनाते है,
जीवन का राग सुनाते है…
गम कोसों दूर हो जाता है, खुशियो के कंवल मुस्काते है,
खुशियो के कंवल मुस्काते है…

सुनके राहत की आवाज़े..
सुनके राहत की आवाज़े, यूँ लगे कही शहनाई बजे,
यूँ लगे कही शहनाई बजे..
आते ही मस्त बहारो के दुल्हन की तरह हर खेत सजे,
दुल्हन की तरह हर खेत सजे,

मेरे देश की धरती....
मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती,
मेरे देश की धरती.”

वाणी दीदी ने गाने का मुखड़ा गाया और फिर सीरू दीदी की टीम को “टी” अक्षर से गाना गाने के लिए कहा. जिसके जबाब मे सीरू दीदी ने बिना कोई देर लगाए ‘टी’ से गाना गाना सुरू कर दिया.

लेकिन सीरू दीदी के गाना गाना सुरू करते ही, अमि ने गिनती गिनना सुरू कर दिया. अमि की इस हरकत ने सीरू दीदी के साथ साथ हम सबको भी चौका दिया. किसी को समझ मे नही आ रहा था कि, अमि गिनती क्यो गिन रही है.

सबका ध्यान सीरू दीदी के गाने के साथ साथ अमि की गिनती की तरफ भी जा रहा था. सीरू दीदी भी गाना गाते गाते, अमि को गिनती गिनते देख रही थी. लेकिन ना तो सीरू दीदी ने गाना गाना बंद किया और ना ही अमि ने गिनती गिनना बंद किया.

सीरू दीदी का गाना
“तुम्ही दिन चड़े, तुम्ही दिन ढले.
तुम्ही हो बंधु, सखा तुम्ही.
तुम्ही हो बंधु, सखा तुम्ही.

दिल की तख़्ती पर हूँ लिखती,
इश्क़ा, इश्क़ान..
जाग क्या जाने, दिल को मेरे
इश्क़ा, किसका

लग यार गले ले, सार मेरी,
मुझे क्या परवाह इस दुनिया की,
तू जीत मेरी, जाग हार मेरी
मैं हूँ ही नही इस दुनिया की.

तुम्ही दिन चढ़े, तुम्ही दिन ढले.
तुम्ही हो बंधु, सखा तुम्ही.
तुम्ही हो बंधु, सखा तुम्ही.”

जैसे ही सीरू दीदी ने अपना गाना ख़तम किया, वैसे ही अमि की 10 तक की गिनती गिनना भी पूरा हो गया. अमि की गिनती पूरे होते ही, उसने शोर मचाते हुए कहा.

अमि बोली “दीदी लोग हार गयी. इन ने ग़लत गाना गया है.”

अमि की ये बात सुनते ही, हम सब हैरानी से अमि को देखते रह गये. वही सीरू दीदी ने अमि को आँख दिखाते हुए कहा.

सीरत बोली “मैने क्या ग़लत गया है. वाणी दीदी ने ‘टी’ से गाना दिया था और मैने ‘टी’ से ही गाना गया है.”

सीरू दीदी की इस बात के जबाब मे अमि ने कहा.

अमि बोली “लेकिन दीदी, आपने जो गाना गया है, वो ‘टी’ से है ही नही. असली गाना ऐसे है.”

ये कहते हुए अमि ने गाना गाते हुए कहा.

अमि का गाना
“यारा तेरे सदके, इश्क़ सीखा,
मैं तो आई जाग ताज के, इश्क़ सीखा,
मैं तो यारा तेरे सदके, इश्क़ सीखा,
मैं तो आई जाग ताज के, इश्क़ सीखा,

जब यार करे परवाह मेरी,
मुझे क्या परवाह इस दुनिया की,
जाग मुझ पे लगाए पाबंदी,
मैं हूँ ही नही इस दुनिया की.

तुम्ही दिन चढ़े, तुम्ही दिन ढले.
तुम्ही हो बंधु, सखा तुम्ही.
तुम्ही हो बंधु, सखा तुम्ही.”

अमि का गाना सुनते ही, मेरी सारी उदासी भाग गयी और मुझे इतनी ज़ोर से हँसी आई कि, मुझे अपनी हँसी रोकने के लिए अपने मूह पर हाथ रखना पड़ गया. ऐसा ही कुछ हाल मेरी बाकी की टीम का भी था.

मेरी टीम के सभी लोगों के चेहरो पर मुस्कुराहट आ गयी थी. मगर इस बात की सबसे ज़्यादा खुशी निमी के चेहरे पर दिख रही थी. अमि का ये गाना पूरा होते ही, निमी ने खुशी से उछल्ना और शोर मचाना सुरू कर दिया.

निमी को शोर मचाते और उच्छल कूद करते देख, छोटी माँ ने उसे डाँट कर, चुप कराया और हम लोगों को भी ज़्यादा शोर करने से मना किया. जिसके बाद शोर शराबा बंद हो गया और सब धीमे से बात करने लगे.

हमारी 8 किलो की बॉल ने सामने वाली 8 लोगों की टीम को पहली ही बॉल पर क्लीन बोल्ड कर दिया था. अमि का गाना सुनकर, सीरू दीदी की बोलती बंद हो गयी थी और खा जाने वाली नज़रों से अमि को घूर रही थी.

अमि ने जब सीरू दीदी को घूरते देखा तो, वो धीरे से बरखा दीदी के पास आकर खड़ी हो गयी. अमि निमी जबसे मुंबई आई थी, तब से बरखा दीदी ही अमि निमी का ख़याल रख रही थी.

अभी भी अमि के बरखा दीदी के पास आते ही, बरखा दीदी ने फ़ौरन अमि के गले मे अपनी दोनो बाहें डाल दी और सीरू दीदी को उल्टा आँख दिखाते हुए कहा.

बरखा दीदी बोली “हे, अमि को आँख दिखाना बंद करो. तुम लोगों की टीम हार गयी है. अब तुम्हारी टीम के किसी सदस्य को गाना गाना पड़ेगा.”

बरखा दीदी की बात सुनकर, सीरू दीदी ने अमि को घूर्ना बंद किया और अपनी टीम के साथ ख़ुसर फुसर करने लगी. कुछ देर अपनी टीम से बात करने के बाद, सीरू दीदी ने कहा कि, कीर्ति और निक्की एक गाना गाएगी.

सीरू दीदी की ये बात सुनकर, मेरी उत्सुकता बढ़ गयी और मैं गौर से कीर्ति की तरफ देखने लगा. कीर्ति ने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और अपना गाना सुरू कर दिया.

कीर्ति का गाना
“ओ मेरे सोना रे सोना रे सोना रे
दे दूँगी जान जुदा मत होना रे
मैने तुझे ज़रा देर में जाना
हुआ कूसूुर खफा मत होना रे
मैने तुझे ज़रा देर में जाना
हुआ कूसूुर खफा मत होना रे
ओ मेरे सोना रे सोना रे सोना.

(कीर्ति के गाने के बोल सुनते ही मैं समझ गया कि, वो गाने के ज़रिए मुझे मनाने की कोसिस कर रही है.)

ओ मेरी बाँहों से निकलके
तू अगर मेरे रास्ते से हट जाएगा
तो लहराके, हो बलखाके
मेरा साया तेरे तन से लिपट जाएगा
तुम छुडाओ लाख दामन
छोड़ते हैं कब ये अरमान
कि मैं भी साथ रहूंगी रहोगे जहाँ.

ओ मेरे सोना रे सोना रे सोना रे
दे दूँगी जान जुदा मत होना रे
मैने तुझे ज़रा देर में जाना
हुआ कूसूुर खफा मत होना रे
ओ मेरे सोना रे सोना रे सोना

ओ मियाँ हमसे ना छिपाओ
वो बनावट की सारी अदाएं लिए
कि तुम इसपे हो इतराते
कि मैं पीछे हूँ सौ इल्तिज़ाएं लिए
जी मैं खुश हूँ मेरे सोना
झूठ है क्या, सच कहो ना
कि मैं भी साथ रहूंगी रहोगे जहाँ

(कीर्ति के गाने के ये बोल सुनकर,
मेरा सारा गुस्सा गायब हो गया और
मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी.)

ओ मेरे सोना रे सोना रे सोना रे
दे दूँगी जान जुदा मत होना रे
मैने तुझे ज़रा देर में जाना
हुआ कूसूुर खफा मत होना रे
ओ मेरे सोना रे सोना रे सोना.”

निक्की के बोल
“ओ फिर हमसे ना उलझाना
नहीं लत और उलझन में पड़ जाएगी
ओ पछताओगी कुच्छ ऐसे
कि ये सुरखी लबों की उतर जाएगी
ये सज़ा तुम भूल ना जाना
प्यार को ठोकर मत लगाना
कि चला ज़ाउन्गा फिर मैं ना जाने कहाँ.”

कीर्ति के बोल
“ओ मेरे सोना रे सोना रे सोना रे
दे दूँगी जान जुदा मत होना रे
मैने तुझे ज़रा देर में जाना
हुआ कूसूुर खफा मत होना रे
मैने तुझे ज़रा देर में जाना
हुआ कूसूुर खफा मत होना रे
ओ मेरे सोना रे सोना रे सोना.”

कीर्ति का गाना ख़तम हुआ और मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट देख कर, उसकी मुस्कुराहट और भी ज़्यादा गहरी हो गयी. अपना गाना ख़तम करते ही कीर्ति ने हमारी टीम को “न” अक्षर गाने के लिए दे दिया.

जिसे सुनकर एक बार फिर हमारी टीम एक दूसरे का मूह तकने लगी. लेकिन तभी निमी ने शोर मचाते हुए कहा.

निमी बोली “मैं गाउन्गी, मैं गाउन्गी. मुझे “न” से गाना आता है.”

निमी की बात सुनकर, वाणी दीदी उसे चुप करने की कोसिस करने लगी. मगर वाणी दीदी इस बात को नही जानती थी कि, यदि अमि कोई काम करती है तो, फिर निमी उस से एक कदम आगे बढ़ कर, उस काम को ज़रूर करेगी.

ऐसा ही कुछ अभी भी हुआ. वाणी दीदी के मना करने के बाद भी, निमी ने उनकी बात को अनसुना करते हुए, गाना गाना सुरू कर दिया. वाणी दीदी ने जब निमी को सही गाना गाते देखा तो, वो खुद ही चुप होकर, उसका गाना सुनने लगी.

निमी का गाना
“नानी तेरी मोरनी को मोर ले गये,
बाकी जो बचा था काले चोर ले गये.
नानी तेरी मोरनी को मोर ले गये,
बाकी जो बचा था काले चोर ले गये.

ख़ाके पीके मोटे होके,
चोर बैठे रेल में.
चोरो वाला डिब्बा कट कर,
पहुँचा सीधे जेल में.
ख़ाके पीके मोटे होके,
चोर बैठे रेल में.
चोरो वाला डिब्बा कट कर,
पहुँचा सीधे जेल में.

नानी तेरी मोरनी को मोर ले गये,
बाकी जो बचा था काले चोर ले गये.”

(निमी के गाने का मुखड़ा पूरा होते ही,
वाणी दीदी ने निमी को रुकने को कहा.
लेकिन निमी ने अपना गाना गाना चालू ही रखा.)

“उन चोरो की खूब खबर ली,
मोटे थानेदार ने.
मोरो को भी खूब नचाया,
जंगल की सरकार ने.

उन चोरो की खूब खबर ली,
मोटे थानेदार ने.
मोरो को भी खूब नचाया,
जंगल की सरकार ने.

नानी तेरी मोरनी को मोर ले गये,
बाकी जो बचा था काले चोर ले गये.

अच्छी नानी प्यारी नानी,
रुसा रूसी छोड़ दे.
जल्दी से एक पैसा दे दे,
तू कंजूसी छोड़ दे.

अच्छी नानी प्यारी नानी,
रुसा रूसी छोड़ दे.
जल्दी से एक पैसा दे दे,
तू कंजूसी छोड़ दे.

नानी तेरी मोरनी को मोर ले गये,
बाकी जो बचा था काले चोर ले गये.
नानी तेरी मोरनी को मोर ले गये,
बाकी जो बचा था काले चोर ले गये.”

जब तक निमी का गाना पूरा नही हो गया. उसने साँस नही ली और गाना पूरे होते ही उसने ठंडी सी साँस ली. उसके चुप होते ही बरखा दीदी ने उसकी पीठ थपथपाई और सीरू दीदी लोगों को “य” अक्षर से गाना गाने के लिए दे दिया.

इस बार सीरू दीदी लोगों ने गाना गाने मे कोई जल्दबाज़ी नही दिखाई.उनकी टीम से रिया ने “य” अक्षर से गाना गाया.

रिया का गाना
“ये समा, समा है ये प्यार का,
किसी के इंतज़ार का,
दिल ना चुराले कही मेरा,
मौसम बहार का.
ये समा, समा है ये प्यार का,
किसी के इंतज़ार का,
दिल ना चुराले कही मेरा,
मौसम बहार का.”

रिया ने अपने गाने का मुखड़ा गा कर हमारी टीम को “क” अक्षर से गाने के लिए दे दिया. जब हमारी टीम से गाने के लिए कोई आगे नही आया तो एक बार फिर से वाणी दीदी ने ही गाना गाया.

वाणी दीदी का गाना
“कर चले हम फिदा जान ओ तन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

कर चले हम फिदा जान ओ तन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

साँस थमती गयी नब्ज़ जमती गयी
फिर भी बढ़ते कदम को ना रुकने दिया
कट गये सर हमारे तो कुच्छ गम नहीं
सर हिमालय का हमने ना झुकने दिया
मरते मरते रहा बान्क्पन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो

कर चले हम फिदा जान ओ तन साथियो
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियो”

वाणी दीदी ने गाने का मुखड़ा पूरा करके एक बार फिर से सीरू दीदी लोगों को “य” से गाना गाने के लिए दे दिया.सीरू दीदी की टीम से इस बार सेलू दीदी ने गाना गाया.

सेलिना का गाना
“यह तो सच है कि भगवान है,
है मगर फिर भी अंजान है.
यह तो सच है कि भगवान है,
है मगर फिर भी अंजान है.
धरती पे रूप माँ बाप का,
उस विधाता की पहचान है.
यह तो सच है कि भगवान है.”

सेलू दीदी ने गाने का मुखड़ा पूरा करके, हमे “ह” से गाना गाने के लिए दे दिया. लेकिन इस बार भी हमारी टीम मे से किसी ने गाना गाने की पहल नही की और आख़िरी मे वाणी दीदी ने ही “ह” से गाना गया.

वाणी दीदी का गाना
“होंठों पे सच्चाई रहती है.
जहाँ दिल मे सफाई रहती है.
हम उस देश के वासी है.
जिस देश मे गंगा बहती है.

मेहमान जो हमारा होता है.
वो जान से प्यारा होता है.
ज़्यादा का नही लालच हम को.
थोड़े मे गुज़रा होता है.

बच्चो के लिए जो धरती माँ.
सदियों से सभी कुछ सहती है.
हम उस देश के वासी है.
जिस देश मे गंगा बहती है.”

वाणी दीदी ने गाने का मुखड़ा पूरा करके, सीरू दीदी लोगों को “ह” से गाना गाने के लिए दे दिया. मगर वाणी दीदी का गाना सुनकर, मेरे चेहरे पर ये सोच कर मुस्कुराहट आ गयी कि, उनको देश भक्ति के अलावा कोई गाना नही आता है.

वो इन गानो के सहारे आख़िर कब तक हमारी टीम की डूबती नैया को बचा पाएगी. मगर अगले ही पल मुझे उनके गाए गानो मे उनके अंदर छुपा देश भक्ति का जज़्बा नज़र आया और उनके नौकरी छोड़ देने वाली बात याद आ गयी.

अपनी जिस नौकरी को वो अपना पेशा नही, बल्कि देश की सेवा करने का एक ज़रिया माना करती थी. उसी नौकरी को उन ने मेरे और प्रिया के लिए एक पल मे हंसते हंसते छोड़ दिया था और अपने चेहरे पर एक शिकन तक नही आने दी थी.

ये बात दिमाग़ मे आते ही मेरे चेहरे की हँसी गायब हो गयी और मैं इसी बात मे खो कर रह गया. मुझे होश ही नही रहा कि, अंताक्षरी मे कौन क्या गा रहा है. मैं बहुत देर तक बस इसी बात मे उलझा रहा.

मुझे अंताक्षरी का होश तब आया. जब निमी ने मेरा हाथ पकड़ कर हिलाते हुए कहा.

निमी बोली “भैया जल्दी से “त” से कोई गाना गाइए, वरना हमारी टीम हार जाएगी.”

निमी की बात सुनकर, मैने यहाँ वहाँ देखा तो, मेरी टीम के सभी लोग मेरी तरफ ही देख रहे थे और सीरू दीदी गिनती गिनने मे लगी थी. सीरू दीदी की गिनती सात (7) तक पहुच चुकी थी.

मगर इस वक्त मेरा दिमाग़ प्रिया और वाणी दीदी मे उलझा हुआ था. मुझे कुछ भी सूझ नही रहा था. इसलिए मैने निमी से गाना गाने से इनकार करते हुए कहा.

मैं बोला “छोटी, मुझे कोई गाना याद नही है. मैं गाना नही गा सकता.”

लेकिन मेरे इनकार करने के बाद भी, निमी गाना गाने के लिए मेरे पिछे पड़ी रही. निमी को ज़िद करते देख कर, अमि भी मेरे पास आ गयी और गाना गाने के लिए कहने लगी. वही दूसरी तरफ सीरू दीदी की गिनती भी सात (7) पर ही अटक कर रह गयी थी.

मैने सीरू दीदी को देखा तो, कीर्ति उनका हाथ पकड़ी थी और उन दोनो की नज़र प्रिया के चेहरे पर ही टिकी थी. मैने भी उनकी नज़रों का पिछा करते हुए प्रिया की तरफ देखा तो, मेरे दिल की धड़कने बढ़ गयी.
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09-11-2020, 12:09 PM,
RE: MmsBee कोई तो रोक लो
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सीरू दीदी बार-बार सात-सात बोली जा रही थी और प्रिया की पलकों मे हल्का सा कंपन हो रहा था. ये देखते ही, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट और आँखों मे खुशी के आँसू आ गये.

सीरू दीदी की गिनती अब आठ (8) पर आकर अटक गयी और प्रिया की पलकों का कंपन तेज हो गया. मैने प्रिया का हाथ अपने हाथ मे थामा था. मेरे आँसू टॅप-टॅप करके प्रिया के हाथों पर गिरने लगे.

तभी प्रिया के हाथ मे भी कंपन हुआ. उसके हाथ की उंगलियाँ फड़कने लगी और उसने मेरे हथेली को अपने पंजो मे जकड़ते हुए अपनी आँखें खोल दी. प्रिया के आँख खोलते ही, सबकी आँखे खुशी से छलक उठी.

वही निमी ने जब प्रिया को होश मे आते देखा तो, वो ताली बजाते हुए उच्छलते हुए कहने लगी.

निमी बोली “प्रिया दीदी को होश आ गया. प्रिया दीदी को होश आ गया.”

इस बार किसी ने भी निमी को शोर करने से नही रोका. सभी ने आकर प्रिया को घेर लिया. सबकी आँखों मे खुशी के आँसू झिलमिला रहे थे. छोटी मां ने प्यार से प्रिया के सर पर हाथ फेरा और उसके माथे को चूम लिया.

वही रिया और निक्की उसके अगल बगल बैठ कर उस से लिपट गयी. नितिका और राज भी उसके पास आ गये. राज ने अपने आँसू पोंछते हुए, प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा.

राज बोला “तूने तो हम सबकी जान ही निकाल कर रख दी थी.”

प्रिया ने राज को गौर से देखा और फिर सबको हैरानी से देखते हुए कहा.

प्रिया बोली “ये मैं कहाँ हूँ और आप सब लोग रो क्यो रहे है.”

प्रिया की इस बात के जबाब मे निशा भाभी ने प्यार से उसके सर पर हाथ फेरते हुए कहा.

निशा भाभी बोली “तुम बेहोश हो गयी थी, इसलिए हम सब घबरा गये थे.”

निशा भाभी अभी प्रिया की बात का जबाब दे ही रही थी कि, तभी अमन और अजय भी आ गये. उनकी आँखे भी खुशी से भर आई थी. अमन ने निशा भाभी की बात को पूरा करते हुए कहा.

अमन बोला “तुम अभी अपने ही हॉस्पिटल मे हो और तुम्हे अभी अपने दिमाग़ पर ज़्यादा ज़ोर देने की ज़रूरत नही है.”

ये कहते हुए अमन ने अपना मोबाइल निकाला और निधि दीदी को कॉल करके प्रिया के होश मे आने की बात बता दी. राज ने भी अपने घर मे कॉल करके प्रिया के होश मे आने की बात बताई.

इसके बाद सब प्रिया को घेर कर खड़े रहे और उस से कुछ ना कुछ कहते जा रहे थे. वो भी सबकी बातें सुनकर मुस्कुरा रही थी और बीच बीच मे किसी से कुछ सवाल भी पुच्छ ले रही थी.

मैं अभी भी प्रिया के पास ही बैठा था और प्रिया का हाथ अभी भी मेरे हाथ मे ही था. लेकिन प्रिया का ध्यान मेरी तरफ ज़रा भी नही था. वो सबकी बातों को सुनने और उन से सवाल करने मे लगी थी.

मगर उसने मेरा हाथ मजबूती से पकड़ा हुआ था और मेरे हाथ को अपने हाथ के नीचे इस तरह से दबा कर रखी थी कि, यदि मैं उसके पास से उठना भी चाहू तो, आसानी से उठ ना सकूँ.

मैने भी उसके पास से उठने की या उस से अपना हाथ छुड़ाने की कोई कोसिस नही की थी. थोड़ी देर बाद छोटी माँ ने प्रिया का वाणी दीदी, कीर्ति और अमि निमी से परिचय करवाया. प्रिया इन सबसे मिल कर बहुत खुश हुई.

लेकिन अमि के चेहरे पर कोई खुशी नही थी. उसकी नज़र बार बार प्रिया के हाथ मे थामे मेरे हाथ पर जाकर रुक जाती थी. जब मेरा ध्यान इस बात पर गया तो, मैने प्रिया से अपना हाथ छुड़ाना चाहा.

मगर मुझे अपना हाथ छुड़ाते देख, प्रिया ने और भी मजबूती से मेरा हाथ पकड़ लिया. मैं अजीब मुसीबत मे फस गया था. ना तो मैं प्रिया से अपना हाथ छुड़ा सकता था और ना ही उसका हाथ पकड़े रह कर अमि को नाराज़ कर सकता था.

मुझे किसी उलझन मे फसे देख कर, कीर्ति ने इशारे से मुझसे पुछा कि, मुझे क्या हुआ है. तब मैने इशारे से उसे अमि की हरकत के बारे मे बताया. जिसे देख कर, उसे हँसी आ गयी.

लेकिन उसने फ़ौरन ही मेरी इस परेशानी का हल निकाला. उसने निक्की के कान मे कुछ कहा. जिसके बाद निक्की मेरे पास आई और उसने मुझे उलाहना देते हुए कहा.

निक्की बोली “आए, तुम कब से प्रिया के पास जमे बैठे हो. कोई तुम ही अकेले प्रिया के दोस्त नही हो. मैं भी उसकी दोस्त हूँ. मुझे भी थोड़ी देर उसके पास बैठने दो.”

निक्की की बात सुनकर, प्रिया ने निक्की को गुस्से मे घूर कर देखा. लेकिन इसी के साथ उसकी मेरे हाथ पर पकड़ ढीली हो गयी और मैं उस से अपना हाथ छुड़ा कर एक तरफ आकर खड़ा हो गया.

मेरे प्रिया के पास से उठते ही, निक्की मेरी जगह पर जाकर बैठ गयी और प्रिया को परेशान करने लगी. प्रिया अभी भी मेरी ही तरफ देख रही थी. तभी अमि मेरे पास आई और मेरा हाथ पकड़ कर खड़ी हो गयी.

मैने उसे पकड़ कर अपने सामने खड़ा किया और अपनी दोनो बाहें उसके गले मे डाल कर, मुस्कुराते हुए प्रिया को देखने लगा. मेरे ऐसा करने से अमि भी खुश हो गयी और प्रिया के चेहरे पर भी मुस्कुराहट वापस आ गयी.

कुछ देर बाद, निधि दीदी आ गयी. वो प्रिया की जाँच कर ही रही थी कि, तभी दादा जी, आकाश अंकल, पद्मिगनी आंटी और मोहिनी आंटी आ गयी. निधि दीदी ने प्रिया की जाँच की और फिर उसे आराम करने सलाह दी.

निधि दीदी ने ज़्यादा लोगों के अभी प्रिया के पास रुकने पर भी रोक लगा दी. जिस वजह से हम सब दूसरे कमरे मे आ गये. अब प्रिया के पास छोटी माँ, पद्मिदनी आंटी आकाश अंकल, दादा जी और मोहिनी आंटी थे.

जब तक प्रिया जागती रही, छोटी माँ लोग उसी के पास रहे. प्रिया की नींद लगते ही, आकाश अंकल ने हम लोगों से प्रिया के पास रहने को कहा और फिर वो दादा जी लोगों के साथ घर के लिए निकल गये.

कुछ देर बाद छोटी माँ भी वाणी दीदी, बरखा दीदी और अमि निमी के साथ घर के लिए निकल गयी. कीर्ति ज़िद करके हॉस्पिटल मे ही रुक गयी थी. निशा भाभी के कहने पर छोटी माँ ने उसे हॉस्पिटल मे ही रुकने की इजाज़त दे दी थी.

छोटी माँ लोगों के जाने के बाद, निधि दीदी, निशा भाभी, शिखा दीदी, अजय, अमन, सेलू दीदी, आरू भी घर के लिए निकल गये. अब हॉस्पिटल मे मेरे अलावा सीरू दीदी, निक्की, कीर्ति, नितिका, रिया और राज थे.

अब रात के 1:30 बज रहे थे. हम सब प्रिया के कमरे मे ही थे. लेकिन प्रिया के आराम करने की वजह से अब कमरे मे शांति थी. हम बीच बीच मे हेतल दीदी के पास भी जाते थे. मगर वो भी सो रही थी. उनके पास उनकी मम्मी थी.

रात को 3 बजे के बाद, बाकी लोगों को भी नींद आने लगी और एक एक करके राज, रिया, नितिका और सीरू दीदी भी सो गये. अब मैं कीर्ति और निक्की बस जाग रहे थे. निक्की ने कॉफी पीने का बोला तो, मैं कॉफी लेने नीचे जाने लगा.

मुझे नीचे जाते देख, कीर्ति भी मेरे पिछे पिछे आने लगी. मैने उसे साथ आने से मना किया. मगर उसने मेरी बात नही मानी और मेरे साथ कॉफी लेने नीचे आ गयी.
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09-11-2020, 12:09 PM,
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हम ने कॅंटीन मे उपर कॉफी ले जाने का जताया और फिर अपनी अपनी कॉफी लेकर हम बाहर समुंदर के किनारे आकर बैठ गये. मैने कॉफी का एक घूट ही पिया था कि, कीर्ति ने मेरी कॉफी ले ली और अपनी कॉफी मुझे पकड़ा दी.

मैं हैरानी से उसकी इस हरकत को देखने लगा. लेकिन उसने मेरी तरफ ध्यान नही दिया और मेरी झूठी कॉफी की चुस्की लेते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुम पहले भी ऐसे ही रात को समुंदर के किनारे बैठ कर कॉफी पिया करते थे ना.”

उसकी इस बात को सुनकर, मेरे चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “हां, तू ठीक कह रही है. लेकिन मैं समुंदर किनारे बैठ कर सिर्फ़ कॉफी नही पिया करता था, बल्कि कॉफी पीते पीते तुझे याद भी किया करता था.”

मेरी बात सुनते ही कीर्ति ने तुनक्ते हुए कहा.

कीर्ति बोली “बड़े आए मुझे याद करने वाले, ज़रा ज़रा सी बात पर मूह फूला लेते हो और कहते हो कि मुझे याद करते थे. जब से आए हो, तब से मुझे कितना सता रहे हो. क्या याद करने वालो के साथ कोई ऐसा करता है.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैने एक नज़र उसकी तरफ देखा और फिर कॉफी की चुस्की लेते हुए कहा.

मैं बोला “तू हर बात मे मुझे ही दोषी बना देती है. तू अपनी ग़लती क्यो नही देखती. क्या तूने जो किया वो सही था.”

अपनी बात बोल कर मैं फिर से कीर्ति की तरफ देखने लगा. मगर वो अपनी ग़लती कब मानती थी. जो अभी अपनी ग़लती मान लेती. उसने फ़ौरन ही मेरी बात को काटते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मैने कुछ ग़लत नही किया. मैं तुम्हारे साथ यहाँ आ नही सकती थी और तुम्हारे बिना वहाँ रह भी नही सकती थी. ऐसे मे मुझे तुम्हारे साथ रहने का बस एक ही रास्ता समझ मे आया और वो रास्ता मोबाइल था.”

“बस इसी वजह से मैने अपना ब्रेस्लेट बेच कर वो दोनो मोबाइल खरीदे थे. उन मोबाइल की बदौलत, हम हमेशा एक दूसरे के साथ बने रहे. इसके बाद भी यदि तुम्हे मेरा ऐसा करना ग़लत लग रहा है तो, मैं क्या कर सकती हूँ.”

कीर्ति की ये बात सुनकर, मैने इसका विरोध करते हुए कहा.

मैं बोला “मुझे तेरा मोबाइल लेना नही, बल्कि ब्रेस्लेट बेचना बुरा लगा है. तुझे यदि मोबाइल के लिए पैसे ही चाहिए थे तो, तू मुझसे भी बोल सकती थी. उसके लिए तुझे ब्रेस्लेट बेचने की ज़रूरत नही थी.”

कीर्ति बोली “अरे तुम ये कैसी बात कर रहे हो. क्या किसी के जनमदिन का गिफ्ट उसी से पैसे लेकर दिया जाता है. वो तुम्हारे जनमदिन का गिफ्ट था. उसके लिए मैं तुमसे पैसे कैसे ले सकती थी.”

मैं बोला “मैं नही, तू आज बहकी बहकी बातें कर रही है. तू तो हमेशा मेरी हर चीज़ पर अपना हक़ जताती आई है और अब जब मैं तुझे अपनी हर चीज़ पर हक़ दे चुका हूँ तो, तू मेरा तुम्हारा कर रही है.”

“तू नही जानती, तेरी इस हरकत से मुझे कितनी तकलीफ़ पहुचि है. मेरे लिए तो तेरे हाथ का एक धागा भी बहुत कीमती है, फिर ये तो तेरा ब्रेस्लेट था. मई भला इसका बेचका जाना कैसे सह सकता था.”

मेरी इस बात ने कीर्ति के उपर असर किया और उसने फ़ौरन ही अपनी ग़लती मानते हुए कहा.

कीर्ति बोली “सॉरी बाबा, मुझसे बहुत बड़ी ग़लती हुई, मैं ऐसा दोबारा फिर कभी नही करूगी. मैं ये तो जानती थी कि, तुम मुझे बहुत प्यार करते हो. लेकिन ये नही जानती थी कि, तुम्हे मेरी हर छोटी बड़ी चीज़ से प्यार है.”

“मैने अनजाने मे तुमको बहुत तकलीफ़ पहुचाई है. इसके लिए मैं अपने दोनो कान पकड़ कर तुमसे सॉरी कहती हूँ.”

ये कहते हुए कीर्ति ने अपने दोनो कान पकड़ लिए और सॉरी सॉरी की रट लगा ली. उसकी इस हरकत पर मुझे हँसी आ गयी और मैने उसे डाँटते हुए कहा.

मैं बोला “चल अपना ये सॉरी का नाटक बंद कर, मैं अब तुझसे नाराज़ नही हूँ.”

कीर्ति ने मुझे अच्छे मूड मे देखा तो, उसने इसी बात को कुरेदते हुए कहा.

कीर्ति बोली “अछा तुम मुझसे नाराज़ नही हो तो, फिर ये बताओ कि, तुमको ये ब्रेस्लेट कहाँ से मिला. मैने तो इसके बारे मे किसी को कुछ बताया ही नही था.”

कीर्ति की ये बात सुनकर, मैं थोड़ा सोच मे पड़ गया. क्योकि उसका मूड अच्छा था और बाजी का नाम लेने से उसका मूड खराब हो सकता था. इसलिए मैने बात को टालते हुए कहा.

मैं बोला “मुझे ब्रेस्लेट कहाँ से और कैसे मिला है. तू ये सब जान कर क्या करेगी. तू आम खा, गुठली क्यो गिनती है.”

मैं कीर्ति को टालने की कोसिस करता रहा. लेकिन वो भी इस बात को जानने की ज़िद पकड़ कर बैठी रही. आख़िर मे मुझे उसकी ज़िद के सामने हार मानना पड़ी और मैने उसे ब्रेस्लेट के बारे मे बताते हुए कहा.

मैं बोला “देख, तू ज़िद कर रही है तो, मैं तुझे ब्रेस्लेट के बारे मे बता देता हूँ. लेकिन तू वादा कर कि, तू इस बात को जानने के बाद अपना मूड खराब नही करेगी.”

कीर्ति बोली “मैं वादा करती हूँ कि, इस बात को जानने के बाद, मैं अपना मूड खराब नही करूगी.”

मैं बोला “तो सुन, ये ब्रेस्लेट मुझे शीन बाजी ने दिया. जिस दुकान मे तू ये ब्रेस्लेट बेचने गयी थी. उस दुकान मे बाजी भी थी. उन्हो ने तुझे ब्रेस्लेट बेचते देख लिया था और तेरे जाने के बाद, उन्हो ने उस सुनार से ये ब्रेस्लेट खरीद लिया.”

मेरी बात अभी पूरी भी नही हो पाई थी कि, कीर्ति ने मेरी बात को बीच मे ही काटते हुए कहा.

कीर्ति बोली “अच्छा तो ये आग शीन बाजी की लगाई हुई है. आख़िर उन्हे तुम्हारे सामने मुझको नीचा दिखाने का मौका मिल ही गया.”

कीर्ति की ये बात सुनते ही, मैने अपना सर पीटते हुए कहा.

मैं बोला “हे भगवान, मैं इस लड़की का क्या करूँ. इसे तो हर बात मे बाजी की बुराई ही नज़र आती है.”

लेकिन अब कीर्ति का मूड खराब हो चुका था. उसने मेरे उपर भड़कते हुए कहा.

कीर्ति बोली “पता नही बाजी ने तुम्हारे उपर कौन सा काला जादू किया है कि, तुम्हे किसी बात मे उनकी कोई बुराई नज़र नही आती है. लेकिन सच यही है कि, उन्हो ने ये सब जान बुझ कर और सिर्फ़ मुझे नीचा दिखाने के लिए किया है.”

“यदि ऐसा नही होता तो, जब मैं उनके घर गयी थी, तब ही वो ये ब्रेस्लेट मुझे वापस कर सकती थी. मगर ऐसा करने से उनके हाथ से मुझे नीचा दिखाने का मौका निकल जाता.”

“इसलिए वो तुम्हारे मुंबई से वापस आने का इंतेजर करती रही और तुम्हारे आते ही मेरे खिलाफ सारा जहर तुम्हारे सामने उगल दिया. वो तुमको बेवकूफ़ बना सकती है, मुझे नही. मैं उनकी इस चाल को अच्छी तरह से समझती हूँ.”

कीर्ति को इस समय जो भी समझ मे आ रहा था, वो बाजी के खिलाफ बोलती जा रही थी. उसका गुस्सा बढ़ते देख मैने फ़ौरन उसको उसका वादा याद दिलाते हुए कहा.

मैं बोला “देख, तू अपने किए वादे से मुकर रही है. तूने अभी अभी मुझसे वादा किया था कि, तू इस बात को जानने के बाद अपना मूड खराब नही करेगी.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति शांत पड़ गयी. मगर उसके तेवर अभी भी नही बदले थे. उसने अभी भी मुझसे बाजी की शिकायत करते हुए कहा.

कीर्ति बोली “आख़िर तुम्हारी बाजी को मुझसे क्या परेशानी है, जो वो मेरे खिलाफ हमेशा जहर ही उगलती रहती है.”

कीर्ति को शांत पड़ते देख, मैने इस बात को सॉफ करते हुए कहा.

मैं बोला “तूने मेरी बात को पूरा सुना ही नही, वरना तुझे ऐसा नही लगता. उन्हो ने तेरे खिलाफ कोई जहर नही उगला. यदि उन्हे ऐसा करना ही होता तो, जब वो हमारे घर आई थी, तभी छोटी माँ के सामने तुझे ये ब्रेस्लेट वापस कर सकती थी.”

“लेकिन वो समझ गयी थी कि, तूने घर वालों की चोरी से ये ब्रेस्लेट बेचा है. इसलिए उन्हो ने ऐसा नही किया. उन्हो ने ये ब्रेस्लेट मुझे इसलिए दिया, ताकि तू ऐसी ग़लती दोबारा ना करे.”

इतना कह कर मैं चुप हो गया. मगर कीर्ति समझदार होने के साथ साथ बहुत जिद्दी भी थी. वो किसी बात को आसानी से नही मानती थी. यहाँ पर भी उसने वही किया और मेरी बात को काटते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुम्हारी अकल पर तो बाजी नाम का परदा पड़ा हुआ है. किसी भी बात मे तुम्हे उनकी बुराई नज़र आ ही नही सकती. लेकिन मैं जानती हूँ कि, उन्हो ने ये सब मेरे खिलाफ आग लगाने के लिए ही किया है.”

कीर्ति को मेरी बात ना मानते देख, मैने एक आख़िरी कोसिस करते हुए कहा.

मैं बोला “आग लगाने वाले, उस आग मे खुद अपने हाथ नही जलाते. तू नही जानती कि, तेरा ये ब्रेस्लेट बचाने के लिए बाजी को अपने कान के झुमके तक गिरवी रखना पड़े है. अब यदि इसके बाद भी तुझे बाजी ही ग़लत लगती है तो, मैं कुछ नही कर सकता.”

मेरी इस बात ने कीर्ति पर असर किया और उसने अपनी आवाज़ को थोड़ा नरम करते हुए कहा.

कीर्ति बोली “उनको अपने झुमके गिरवी रखने की क्या ज़रूरत थी. मैने तो उनको ऐसा करने को नही कहा था.”

मैं बोला “हां मेरी माँ, तूने कुछ नही बोला था. मैने ही बाजी को बोला था कि, कीर्ति को ब्रेस्लेट का बहुत शौक है और उसके पास एक सोने का ब्रेस्लेट भी है. इसी वजह से उन्हो ने तेरा वो ब्रेस्लेट नही जाने दिया.”

“इस सब मे जो भी ग़लती है, सिर्फ़ मेरी और बाजी की ही है. तेरी कहीं कोई ग़लती नही है. अब यदि तेरे दिल को सुकून पड़ गया हो तो, अब हम लोग उपर चले.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गयी और फिर हम दोनो उठ कर उपर प्रिया के पास आ गये. निक्की अभी भी बैठी हुई थी और बाकी सब सो रहे थे. कीर्ति जाकर निक्की के पास बैठ गयी.

मैने निक्की से एक दो बातें की और प्रिया की तरफ देखते हुए निक्की से कहा.

मैं बोला “मैं दूसरे कमरे मे जा रहा हूँ. यदि प्रिया की नींद खुल जाए तो मुझे बुला लेना.”

मेरी इस बात के जबाब मे निक्की ने हां मे सर हिलाया और फिर मैं बाहर जाने के लिए मूड गया. लेकिन अभी मैने एक दो कदम ही आगे बढ़ाए थे कि तभी मुझे प्रिया की आवाज़ सुनाई दी.

प्रिया की आवाज़
“आना मेरी कब्र पर, रहना परे परे.
आहट से जाग जाते है, दिलबर मरे मरे.”
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09-11-2020, 12:10 PM,
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मैने पलट कर पिछे देखा तो, प्रिया मुझे देख कर मुस्कुरा रही थी. आज ना जाने कितने दिन बाद मैं उसका मुस्कुराता हुआ चेहरा देख रहा था. उसे मुस्कुराते देख कर, मेरे दिल को बहुत सुकून मिला और मेरे चेहरे पर भी रौनक आ गयी.

मैं मुस्कुराते हुए उसके पास आ गया और उसके हाथ को अपने हाथ मे थाम कर उसके पास ही बैठ गया. उसने मेरे हाथ को मजबूती से पकड़ते हुए कहा.

प्रिया बोली “तुम हमेशा मेरे पास से भागने का बहाना ही ढूँढते रहते हो.”

उसकी इस बात के जबाब मे मैने उसका हाथ अपने हाथ से दबाते हुए कहा.

मैं बोला “मैं कहा तुम्हारे पास से भाग रहा था. तुम सो रही थी तो, मैं दूसरे कमरे मे जा रहा था. मुझे क्या पता था कि, तुम बस सोने का नाटक कर रही हो.”

मेरी बात सुनकर, प्रिया खिलखिलाने लगी. उसे खिलखिलाते देख कर, कीर्ति ने उसका साथ देते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुमने बिल्कुल सही पकड़ा, ये तुम्हारे पास से भाग ही रहा था.”

कीर्ति की बात सुनकर, पहली बार प्रिया का ध्यान कीर्ति की तरफ गया. उसने कीर्ति को गौर से देखते हुए कहा.

प्रिया बोली “तुम पुनीत की कज़िन कीर्ति हो ना.”

प्रिया की इस बात पर कीर्ति ने मुस्कुराते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुमने बिल्कुल ठीक पहचाना. मैं कीर्ति ही हूँ. लेकिन तुमने मुझे पहचान ने मे बहुत देर लगा दी.”

कीर्ति की बात पर प्रिया ने अपनी सफाई देते हुए कहा.

प्रिया बोली “नही, नही, मैं तो तुमको पहले ही पहचान गयी थी. लेकिन उस समय सभी मुझे घेर कर खड़े थे. इसलिए मैं कुछ बोल नही पाई थी. तुम्हारे साथ अमि निमी भी थी, मैं उनसे भी कोई बात नही कर पाई.”

ये कहते हुए प्रिया ने अपना चेहरा उतार लिया. उसका उतरा हुआ चेहरा देखते ही, कीर्ति ने फ़ौरन बात को संभालते हुए कहा.

कीर्ति बोली “अरे मैं तो मज़ाक कर रही हूँ. तुम किसी के बारे मे कुछ मत सोचो, अमि निमी कल फिर तुमसे मिलने आएगी. तुमने शायद देखा नही, तुम्हारे होश मे आने पर सबसे ज़्यादा शोर निमी ने ही मचाया था.”

कीर्ति की ये बात सुनते ही, प्रिया के चेहरे पर फिर से मुस्कुराहट आ गयी और उसने कीर्ति से कहा.

प्रिया बोली “हां, हां, मैने निमी को शोर मचाते देखा था. कल तुम उनको ज़रूर लाना, मुझे उनसे बात करना है.”

कीर्ति बोली “हां, मैं कल उनको ज़रूर लाउन्गी, फिर तुम उनसे जी भर के बात कर लेना.”

इसके बाद कीर्ति की प्रिया से थोड़ी बहुत अमि निमी के बारे मे बातें हुई. फिर प्रिया को थकान महसूस होने लगी तो, कीर्ति ने उसे आराम करने का बोला. मगर वो आराम करने की बात को टलने लगी.

लेकिन फिर मेरे और निक्की के समझाने पर वो आँख बंद करके लेट गयी. मगर उसने मेरा हाथ अपने हाथों मे पकड़े रखा. कुछ देर बाद जब उसकी नींद लग गयी तो, उसकी पकड़ मेरे हाथ पर ढीली पड़ गयी.

मगर इस समय वो बिल्कुल निमी की तरह मुझे पकड़ कर सो रही थी. जिस वजह से मैने उस से अपना हाथ छुड़ाने की कोई कोसिस नही की और उसके मासूम से चेहरे को बैठे देखता रहा.

अब सुबह का 5 बज रहा था. मैने कीर्ति और निक्की से आराम करने को बोला तो, दोनो उठ कर दूसरे कमरे मे चली गयी. इसके बाद मैं अकेला ही प्रिया के पास बैठा रहा और वो गहरी नींद मे सोती रही.

सुबह 7 बजे आकाश अंकल आ गये. मेरी उनसे थोड़ी बहुत बातें हुई. आकाश अंकल की आवाज़ सुनकर, प्रिया की नींद खुल गयी. फिर वो आकाश अंकल से बातें करती रही. इसी बीच निक्की और कीर्ति भी आ गयी.

आकाश अंकल ने निक्की से राज लोगों को जगा देने को कहा. उनकी बात सुनकर, निक्की सबको जगाने लगी. राज लोगों के जागने के बाद, आकाश अंकल ने हम लोगों से घर जाने को कहा. जिसके बाद हम लोग अपने अपने घर के लिए निकल पड़े.

मैं और कीर्ति 8 बजे घर पहुच गये. हम जब घर पहुचे तो छोटी माँ हॉस्पिटल जाने की तैयारी कर रही थी. उन्हो ने हम से प्रिया की तबीयत का पुछा और फिर कुछ देर बाद वो हॉस्पिटल के लिए निकल गयी.

छोटी माँ के जाने के बाद मैं अपने कमरे मे आ गया. मेरे आने के थोड़ी ही देर बाद, कीर्ति भी मेरे कमरे मे आ गयी. मैने उस से बाकी सब का पुछा तो, उसने बताया की, अभी सब सोए हुए है.

फिर मेरी कीर्ति से प्रिया और अमि निमी के बारे मे बातें होती रही. बातों बातों मे मैने कीर्ति से नेहा के बारे मे पुछा तो, उसने कहा.

कीर्ति बोली “नेहा हमारे साथ कोलकाता गयी थी और वहाँ से वापस नही लौटी है.”

कीर्ति की ये बात सुनकर, मैने हैरानी से कहा.

मैं बोला “क्या वो वहाँ पर दुर्जन मामा के साथ है.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने मुस्कुराते हुए कहा.

कीर्ति बोली “हां, वो उन्ही के साथ है. लेकिन उनका असली नाम दुर्जन नही, दुष्यंत है. मम्मी ने तुमको उन्ही को ढूँढने का काम सौपा था. लेकिन उन्हो ने मुंबई आने के बाद अपना नाम बदल लिया था. जिस वजह से यहाँ उनका असली नाम कोई नही जानता था.”

कीर्ति की ये बात सुनकर, मुझे कोई हैरानी नही हुई. क्योकि नेहा के पद्‍मिनी आंटी की बेटी होने से ही मुझे समझ मे आ चुका था कि, मौसी ने मुझे जिस आदमी को ढूँढने का काम दिया था, वो दुर्जन है.

लेकिन कीर्ति के मूह से दुर्जन को ढूँढने वाली बात सुनकर, मुझे इतना ज़रूर समझ मे आ रहा था कि, कीर्ति इस बारे मे और भी बहुत कुछ जानती है. इसलिए मैने इस बात को आगे बढ़ाते हुए कहा.

मैं बोला “ये बात तो मैं पहले ही समझ गया था. लेकिन मेरी समझ मे अभी तक ये बात नही आ रही है कि, दुर्जन मामा को हम से क्या दुश्मनी थी और उन्हो ने ये सब क्यो किया.”

कीर्ति अभी मेरी इस बात जबाब देने ही वाली थी कि, तभी वाणी दीदी आ गयी. उन्हो ने हम दोनो को देखते ही सबसे पहले प्रिया की तबीयत पुछि और उसके बाद, हम लोगों से आराम करने को कह कर चली गयी.

मैं कीर्ति से दुर्जन के बारे मे जानना चाहता था. लेकिन कीर्ति बाद मे बात करने की बात बोल कर अपने कमरे मे चली गयी. उसके जाने के बाद मैने मूह हाथ धोया और आकर लेट गया.

मेरे मन मे इस समय हज़ारों सवाल थे. लेकिन उन सवालों से ज़्यादा मुझे प्रिया के होश मे आने की खुशी थी. इसी खुशी मे खोया हुआ मैं पता ही नही चला कि, कब गहरी नींद की आगोश मे चला गया.

फिर मेरी नींद किसी के मेरी पीठ पर बैठे होने के अहसास से खुली. मैं पेट के बल बहुत गहरी नींद मे सोया हुआ था. तभी मुझे नींद मे अहसास हुआ कि कोई मेरी पीठ पर बैठा हुआ है.

मैने नींद की हालत मे अपनी आँख खोल कर पिछे देखा तो, निमी मेरी पीठ पर बैठी थी और मेरा कंधा पकड़ कर मुझे उठा रही थी. मैने उनिंदी सी हालत मे उस से कहा.

मैं बोला “छोटी मुझे परेशान मत कर और मुझे सोने दे.”

लेकिन उसने मेरी बात को अनसुना कर, मुझे हिलाते हुए कहा.

निमी बोली “भैया 3:30 बज गये है. जल्दी से उठ कर खाना खा लो.”

मगर उस समय मैं नींद के नशे मे था. इसलिए मैने उसे टालते हुए कहा.

मैं बोला “मुझे नही खाना खाना. तू जा और मुझे सोने दे.”

मगर उसने फिर मुझे हिलाते हुए कहा.

निमी बोली “भैया, उठ जाओ. आपको घर जाने की तैयारी भी करना है. मम्मी घर जाने की तैयारी कर रही है.”

निमी की ये बात सुनते ही, एक पल मे मेरी सारी नींद गायब हो गयी. मैने एक बार फिर पिछे पलट कर देखा तो, निमी के पिछे कीर्ति भी खड़ी थी. मैने निमी को अपने उपर से उतारा और उठ कर बैठते हुए कीर्ति से कहा.

मैं बोला “ये निम्मो क्या बोल रही है. छोटी माँ अचानक घर क्यो जा रही है.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने मुझे समझाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “प्रिया को होश आ गया है और डॉक्टर ने उसे पूरी तरह ख़तरे से बाहर बताया है. प्रिया की वजह से मौसी एक दिन भी चंदा मौसी के पास नही रह पाई थी. इसलिए अब मौसी वहाँ जाकर चंदा मौसी के पास रहना चाहती है.”

कीर्ति की बात सुनकर, मैने थोड़ा परेशान होते हुए कहा.

मैं बोला “लेकिन मुझे क्यो ले जा रही है.”

मेरी बात सुनकर कीर्ति ने हंसते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मौसी ने तुमको ले जाने की बात नही कही थी. ये बात तो तुम्हारी प्यारी आमो ने कही है कि, भैया हमारे साथ आए थे और हमारे साथ ही घर जाएगे.”

कीर्ति की बात सुनकर, मुझे सारा माजरा समझ मे आ गया और मैं उठ कर बाहर आ गया. बाहर छोटी माँ अपने जाने की तैयारी मे लगी थी. मैने उनके पास आते ही, उन से कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, आप जा रही है, ठीक है. लेकिन अमि निमी को क्यो ले जा रही है. इन्हो ने तो अभी मुंबई देखा भी नही है. इनको यहाँ मेरे साथ ही रहने दीजिए ना.”

मेरी इस बात के जबाब मे छोटी माँ ने कहा.

छोटी माँ बोली “नही, ये दोनो यहाँ तुमको परेशान करेगी. इनका मेरे साथ जाना ही सही है.”

मैं बोला “नही छोटी माँ, ये मुझे ज़रा भी परेशान नही करेगी. आप इन्हे दो चार दिन और यहाँ रह लेने दीजिए ना.”

आख़िरकार मैने किसी तरह छोटी माँ को अमि निमी को यही रहने देने के लिए तैयार कर लिया. उनके हां कहते ही, मैं अपने कमरे मे आ गया और फ्रेश होने चला गया.

फ्रेश होने के बाद, मैं तैयार हुआ और जब कमरे से बाहर आया तो, छोटी माँ के जाने की तैयारी हो चुकी थी. वाणी दीदी भी उनके साथ जा रही थी. यहाँ पर मैं, अमि निमी और कीर्ति रुक रहे थे.

छोटी माँ की फ्लाइट 7:30 बजे की थी और अभी सिर्फ़ 4:30 बजा था. मेरे कमरे से बाहर आते ही, कीर्ति ने मुझे खाना लगा दिया और मैं खाना खाने लगा. खाना खाते खाते मेरी छोटी माँ से बातें होती रही.

मेरा खाना होने के बाद, हम सब हॉस्पिटल के लिए निकल पड़े. हॉस्पिटल मे छोटी माँ सब से मिली और फिर 6 बजे हम एरपोर्ट के लिए निकल गये. रास्ते भर छोटी माँ मुझे ढेर सारी बातें समझाती रही.

उन्हो ने मुझे समझाया कि वो एक दो दिन बाद वापस आ जाएगी. तब तक अमि निमी और बाकी सब लोगों का ख़याल मुझे ही रखना है. बस इन्ही सब बातों के चलते हम लोग एरपोर्ट पहुच गये.

छोटी माँ सिर्फ़ एक दो दिन के लिए मुझसे दूर हो रही थी. इसके बाद भी उनके जाने से मेरा दिल छोटा सा हुआ जा रहा था और मुझे सूनापन घेरने लगा था. मेरा दिल नही चाह रहा था कि, वो घर वापस जाएँ.
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09-11-2020, 01:53 PM,
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लेकिन इस समय छोटी माँ को एरपोर्ट तक छोड़ने के लिए रिया, राज, नितिका, निक्की, बरखा दीदी भी आई थी. उन सबके सामने मैं चाहते हुए भी छोटी माँ से कुछ कह नही पा रहा था.

मगर एक माँ का दिल अपने बच्चों के मन की बात समझता है. यही छोटी माँ के साथ भी हुआ. उन्हो ने मेरा चेहरा देख कर ही, मेरी हालत का अंदाज़ लगा लिया और मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “अरे मैं एक दो दिन के लिए ही तो तुझसे दूर हो रही हूँ. इसमे इतना उदास होने वाली क्या बात है.”

छोटी माँ का इतना कहना था कि, मेरी आँखों मे नमी आ गयी और मैने उन्हे जाने से रोकते हुए कहा.

मैं बोला “आप अभी मत जाइए ना छोटी माँ. दो तीन दिन बाद हम सब साथ ही घर चलेगे.”

मुझे बच्चों की तरह ज़िद करते देख कर, छोटी माँ ने मुझसे लाड करते हुए कहा.

छोटी माँ बोली “मेरा पागल बेटा, तू तो अमि निमी से भी छोटा बन रहा है. अब ज़िद मत कर और खुशी खुशी मुझे जाने दे. वरना तेरा ये उदास चेहरा देख कर, मैं जा नही पाउन्गी.”

छोटी माँ की बात सुनकर, बरखा दीदी ने आगे आते हुए कहा.

बरखा दीदी बोली “मेरे भाई, आंटी सही कह रही है. उनका अभी चंदा मौसी के पास रहना ज़रूरी है. वो एक दो दिन मे वापस आने की बोल तो रही है. तुम उन्हे खुशी खुशी जाने दो.”

बरखा दीदी की बात सुनकर, मैं चुप करके रह गया. तभी फ्लाइट की घोषणा हो गयी. मगर मेरे चेहरे पर अभी भी 12 बजे हुए थे. जिस वजह से फ्लाइट की घोषणा सुनने के बाद भी, छोटी माँ मेरे पास ही खड़ी रही.

वाणी दीदी खामोशी से सब कुछ देख रही थी. लेकिन फ्लाइट की घोषणा सुनने के बाद भी जब उन्हो ने छोटी माँ को वहाँ से हिलते नही देखा तो, उन्हो ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर मुझे समझाते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “तुम बेकार मे परेशान हो रहे हो. मौसी के साथ मैं हूँ और मैं उनका वहाँ पूरा ख़याल रखुगी. तुम्हारी वजह से अब मौसी का मन भी जाने से डोल रहा है. इसलिए तुम परेशान होना बंद करो और हम लोगों को जाने दो.”

वाणी दीदी की बात सुनकर, मैने अपने आपको संभाला और मुस्कुराने की नाकाम कोसिस करते हुए कहा.

मैं बोला “नही दीदी, मैं परेशान नही हूँ. मैने तो वो बात ऐसे ही कह दी थी. आप लोग खुशी खुशी जाइए. मैं यहाँ अमि निमी का ख़याल रखुगा.”

मेरी बात सुनते ही, वाणी दीदी ने मेरी पीठ थपथपाते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “गुड, अब ठीक है. हम वहाँ पहुँचते ही तुम्हे कॉल करेगे. अब हम लोग चलते है.”

इतना कह कर, वाणी दीदी ने छोटी माँ की तरफ देखा. छोटी माँ ने मेरा माथा चूमा और फिर वो फ्लाइट की तरफ बढ़ गयी. मैं उन लोगों को तब तक देखता रहा. जब तक वो मेरी आँखों से ओझल नही हो गयी.

उनकी फ्लाइट के उड़ान भरते ही, हम लोग वापस हॉस्पिटल आ गये. छोटी माँ और वाणी दीदी के चले जाने की वजह से अब कीर्ति और बरखा दीदी, अजय वाले बंगलो मे अकेली पड़ गयी थी.

जिस वजह से शिखा दीदी, कीर्ति लोगों से अपने साथ अमन के घर चलने की बात कहने लगी. लेकिन मैने कीर्ति लोगों के साथ रहने की बात कह कर, वहाँ जाने से मना कर दिया.

मैने प्रिया को भी बता दिया कि, आज अमि निमी अकेली है. इसलिए मैं रात को हॉस्पिटल मे नही रह पाउन्गा. प्रिया ने भी इस बात मे कोई परेशानी नही जताई. प्रिया के 9 बजे तक रुकने के बाद, हम लोग घर आ गये.

घर आकर हम लोगों ने खाना खाया और फिर10:30 बजे सब अपने अपने कमरे मे सोने चले गये. कीर्ति की तबीयत सही ना होने की वजह से अमि निमी के पास बरखा दीदी सोया करती थी.

मुझे उम्मीद थी कि, रात को कीर्ति ज़रूर मेरे पास आएगी. लेकिन जब 12 बजे तक वो मेरे पास नही आई तो, मैं खुद उठ कर उसके पास चला गया. मैं उसके कमरे मे पहुचा तो, वो गहरी नींद मे सोई हुई थी.

उसे गहरी नींद मे देख कर, मेरा मन उसे उठाने का नही किया और मैं वापस अपने कमरे मे आ गया. अपने कमरे मे आकर मैं सुबह कीर्ति से हुई बातों के बारे मे सोचने लगा.

सुबह की कीर्ति की बातों से मुझे ऐसा लग रहा था. जैसे कि वो दुर्जन के बारे मे सब कुछ जानती है. लेकिन सुबह से मुझे उस से बात करने का मौका ही नही मिल सका और अब जब मेरी उस से बात हो सकती थी तो, वो खुद सो चुकी थी.

मैं अभी इसी बारे मे सोच रहा था कि, तभी मेरे कमरे का दरवाजा खुला और कीर्ति अंदर आ गयी. उसे देख कर मैं थोड़ा सा हैरान ज़रूर हुआ. मगर साथ ही इस बात की खुशी भी हुई कि, अब मेरी उस से बात हो सकेगी.

कीर्ति ने कमरे के अंदर आकर दरवाजा बंद किया और मेरे पास आकर बैठ गयी. लेकिन उसके मेरे पास बैठते ही, मैने उसे अपने गले से लगा लिया. कीर्ति ने भी मुझे अपनी बाहों मे ज़ोर से जाकड़ लिया.

कुछ देर तक हम एक दूसरे को अपनी बाहों मे जकड़े बैठे रहे. ना तो कीर्ति ने मुझसे कुछ कहा और ना ही मैने कीर्ति से कुछ कहा. फिर कुछ देर बाद मैने ही बात सुरू करते हुए कहा.

मैं बोला “तू तो बहुत गहरी नींद मे थी. फिर इतनी जल्दी तेरी नींद कैसे खुल गयी.”

कीर्ति बोली “मैं नींद मे नही थी. मैं यही आने वाली थी. लेकिन तभी मुझे किसी के आने की आहट हुई तो, मुझे लगा बरखा दीदी मुझे देखने आई है. इसलिए मैं गहरी नींद मे होने का नाटक कर रही थी.”

“लेकिन फिर मैने उठ कर देखा तो, तुम्हारे कमरे की लाइट जल रही थी और बरखा दीदी के कमरे मे अंधेरा था. तब मुझे समझ मे आया कि, वो बरखा दीदी नही, तुम आए थे.”

मैं बोला “अच्छा हुआ कि, तू आ गयी. वरना मुझे रात भर नींद ही नही आती.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने हंसते हुए कहा.

कीर्ति बोली “नींद तो तुम्हे अभी भी नही आएगी. क्योकि मैं आज तुम्हे रात भर सोने नही दूँगी.”

ये कहते हुए उसने मेरे कंधे पर अपने दाँत गढ़ा दिए. लेकिन मैं ज़रा भी नही हिला. मैं समझ गया कि, अब इसका शरारत करना सुरू हो गया है. इसलिए मैने उस से धीरे से कहा.

मैं बोला “तूने बहुत ज़ोर से मुझे काटा है. ये बात बात पर काटना तुझे किसने सीखा दिया है.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने खिलखिलाते हुए कहा.

कीर्ति बोली “ये काटना मैने निमी से सीखा है. तुमने देखा नही, उसने वाणी दीदी को कैसे काटा था. एक दिन उसने मुझे भी ऐसे ही काटा था. उसी दिन मैने सोच लिया था कि, उसकी इस हरकत का बदला मैं तुमसे लुगी.”

कीर्ति की इस बात को सुनकर, हैरान होते हुए मैने कहा.

मैं बोला “निमी ने तुझे कब और क्यो काटा था.”

मेरी इस बात पर कीर्ति ने हंसते हुए कहा.

कीर्ति बोली “तुम्हे याद होगा कि, जिस दिन तुम शिखा दीदी की ससुराल खाना खाने के लिए गये थे. उस दिन अमि तुमको कॉल कर रही थी. लेकिन तुमने कॉल नही उठाया था. तब मैने उसकी बात नितिका से करवाई थी.”

“उस समय निमी भी नितिका से बात करने की बात बोल रही थी. मगर नितिका को तैयार होना था इसलिए उसने कॉल रख दिया था. इसी बात से गुस्सा होकर, निमी ने मुझे काट लिया था.”

कीर्ति की बात सुनकर, मेरे दिमाग़ मे उस दिन का नज़ारा घूमने लगा और इसी के साथ मुझे दुर्जन वाली बात भी याद आ गयी. इस बात के याद आते ही, मैने कीर्ति को अपने से अलग करते हुए कहा.

मैं बोला “सुबह तू दुर्जन मामा के बारे मे मुझे क्या बता रही थी. क्या तू जानती है कि, उनकी हमारे परिवार के साथ क्या दुश्मनी है.”

मेरी ये बात सुनकर, कीर्ति बेड से टेक लगा कर बैठ गयी और फिर उसने ठंडी सी साँस भरते हुए कहा.

कीर्ति बोली “हां, मैं जानती हूँ. मुझे इसके बारे मे सब कुछ पता चल गया.”

कीर्ति की बात सुनते ही, मैने बेचैन होते हुए कहा.

मैं बोला “तू क्या जानती है और तुझे ये सब कैसे पता चला.”

कीर्ति बोली “मैं सब कुछ जानती हूँ और ये सब बातें मुझे वाणी दीदी से पता चली है.”

कीर्ति की इस बात पर मैने हैरान होते हुए कहा.

मैं बोला “क्या वाणी दीदी ने तुझे ये सब बातें बताई है.”

कीर्ति बोली “नही, उन्हो ने मुझे कुछ नही बताया. लेकिन मैं जब मौसी और वाणी दीदी के साथ घर वापस गयी थी. तब मैने ये सब बातें वाणी दीदी के मूह से सुनी थी. मैं तुम्हे अपने यहा आने से लेकर, वहाँ जाने तक की सारी बातें बताती हूँ.”

इतना कह कर कीर्ति अपने मुंबई आने से लेकर, कोलकाता वापस जाने तक की बातें बताने लगी.

आगे की कहानी कीर्ति की ज़ुबानी….

निशा भाभी के कहने पर मौसी मुझे अपने साथ मुंबई ले जाने के लिए तैयार हो गयी थी. हम जब फ्लाइट मे थे, तब मोहिनी आंटी ने बताया कि, जो आदमी प्रिया को लेकर भागा था. उसे उन्हो ने शिखा दीदी की शादी मे देखा था.

वो उसे पकड़ने के लिए उसके पिछे भागी थी. लेकिन वो उनके सर पर चोट करके भाग निकला था. मोहिनी आंटी की ये बात सुनते ही, वाणी दीदी ने उन्हे वो तस्वीर दिखाई, जो उन्हो ने गौरंगा के बयान पर बनाई थी.

मोहिनी आंटी उस तस्वीर को देखते ही फ़ौरन पहचान गयी और उन्हो ने इस बात को सॉफ कर दिया कि वाणी दीदी सही आदमी के पिछे है. मोहिनी आंटी के बाद, निशा भाभी ने वो तस्वीर देखने को माँगी.

वाणी दीदी ने जैसे ही वो तस्वीर निशा भाभी को दिखाई, उन्हे एक ज़ोर का झटका सा लगा और उन्हो ने वो तस्वीर बरखा दीदी को दिखाई. बरखा दीदी ने तस्वीर देखते ही, वाणी दीदी से कहा.

बरखा दीदी बोली “दीदी ये तस्वीर तो दुर्जन मामा की है और वो हमारे ही पड़ोस मे रहते है.”

बरखा दीदी के ये बात बोलते ही, वाणी दीदी को समझ मे गया कि, तुम्हारे साथ अचानक ये सब हादसे क्यो हुए. उन्हो ने फ्लाइट से उतरते ही, हम लोगों को हॉस्पिटल भेज दिया और खुद बरखा दीदी और सी.आइ.डी. के कुछ ऑफीसर के साथ दुर्जन के घर के लिए निकल गयी.

लेकिन दुर्जन के घर मे ताला लगा हुआ था और मोहल्ले पड़ोस मे पुच्छने पर पता चला की दुर्जन अपनी लड़की को लेकर कहीं गया है. वाणी दीदी ने इस बात के पता चलते ही, अपने कुछ ऑफीसर को बस स्टॅंड और रेलवे स्टेशन की तरफ दौड़ा दिया और खुद हॉस्पिटल मे हमारे पास आ गयी.

क्योकि दुर्जन को घर से निकले ज़्यादा देर नही हुई थी. इसलिए सी.आइ.डी. ने उन्हे रेलवे स्टेशन पर गिरफ्तार करके अपनी हिरासत मे ले लिया. उनके साथ नेहा भी थी. जिसे हमारे पास हॉस्पिटल मे पहुचा दिया गया.

हॉस्पिटल मे नेहा को उसके माँ बाप से बिछड़ने की सारी बातें बता दी गयी. लेकिन वो इन सब बातों को मानने को तैयार नही थी और दुर्जन के लिए रोती रही. तब वाणी दीदी ने दुर्जन से ही इस बात का खुलासा नेहा के सामने करवाया.

तब जाकर नेहा को इस बात पर यकीन आया. जबकि राज के घर मे राज और रिया के अलावा बाकी सब पहले से जानते थे कि, प्रिया पद्‍मिनी आंटी की बेटी नही है. फिर भी इस बात के खुलने से सबको बहुत गहरा झटका लगा था.

राज के परिवार को नेहा के मिलने की खुशी तो थी, लेकिन वो प्रिया के उनके घर से जाने की बात को लेकर बहुत दुखी और चिंतित थे. इसके बाद जो कुछ भी हुआ सब तुमहरे सामने हुआ.

फिर जिस दिन हम लोग दुर्जन और नेहा को लेकर कोलकाता गये. उस दिन मुझे ये पता चला कि, दुर्जन असल मे चंदा मौसी का पति है और उसने ये सब तुम्हारे परिवार से अपनी दुश्मनी निकालने के लिए किया है.
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09-11-2020, 01:54 PM,
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हम लोगों के कोलकाता पहुचने की खबर मम्मी और रिचा आंटी को पहले ही दे दी गयी थी. मम्मी ने ये बात चंदा मौसी को भी बता दी थी. हम जब कोलकाता पहुचे तो, सबसे पहले चंदा मौसी को देखने हॉस्पिटल गये.

लेकिन चंदा मौसी ने दुर्जन को देखते ही उनकी तरफ से अपना मूह फेर लिया. तब वाणी दीदी ने उनको समझाते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “मौसी, दुष्यंत मौसा जी की ग़लती माफ़ करने लायक नही है. फिर भी हम सब ने इन्हे माफ़ कर दिया है. अब आप भी अपना गुस्सा ख़तम कीजिए और इनको माफ़ कर दीजिए.”

वाणी दीदी की ये बातें सुनकर, भी चंदा मौसी की नाराज़गी दूर नही हुई और उन ने दुष्यंत मौसा जी को खरी खोटी सुनाते हुए, वाणी दीदी से कहा.

चंदा मौसी बोली “वाणी बेटा, मैने इन के होते हुए भी अपनी जिंदगी के 15 साल किसी विधवा की तरह ही बिताए है. मैं इस बात के लिए तो, इन्हे माफ़ कर सकती हूँ. लेकिन इन्हो ने जो पुन्नू बाबा की जान लेने की कोसिस की है. उसके लिए मैं इन्हे कभी माफ़ नही कर सकती.”

चंदा मौसी उस समय सच मे बहुत गुस्से मे लग रही थी. इतने सालों मे पहली बार मैं उन्हे किसी पर गुस्सा होते देख रही थी. मम्मी, वाणी दीदी, रिचा आंटी, मौसी सब उन्हे समझा के हार गये.

लेकिन चंदा मौसी ने अपनी ज़िद नही छोड़ी. आख़िर मे मम्मी ने उन्हे तुम्हारी कसम देकर दुष्यन मौसा जी को माफ़ करने को कहा. तब जाकर चंदा मौसी ने दुष्यंत मौसा जी को इस शर्त पर माफ़ किया कि, वो उनके सामने तुमसे माफी माँगेगे.

इसके बाद, वाणी दीदी ने मुझे अमि निमी के साथ घर भेज दिया. घर मे बुआ जी (वाणी की माँ) अकेली थी. हम घर पहुचे तो, वो हॉस्पिटल का हाल चाल पूछने लगी. मैने उन्हे हॉस्पिटल की सारी कहानी सुना दी.

इसके बाद मैं वही हाल मे आराम करने लगी और लेटे लेटे मेरी नींद लग गयी. फिर मेरी नींद डोरबेल की आवाज़ सुनकर खुली. लेकिन मैं आँख बंद करके लेटी रही. बुआ जी ने जाकर दरवाजा खोला तो, मुझे वाणी दीदी की आवाज़ सुनाई दी.

बुआ जी उनसे भी हॉस्पिटल का हाल चाल लेने लगी. वाणी दीदी ने भी उन्हे वही सब बताया, जो मैने बुआ जी को बताया था. वाणी दीदी ने मुझे सोते देखा तो, वो बुआ जी से मेरी तबीयत का पुच्छने लगी.

तब बुआ जी ने उनको बताया कि, मुझे थकान हो रही थी. इसलिए यहाँ लेटे लेटे मेरी नींद लग गयी. मुझे सोया हुआ जानकार, बुआ जी ने वाणी दीदी से कहा.

बुआ जी बोली “वाणी बेटा, पुन्नू के साथ इतना सब कुछ हो रहा है. उस लड़के के मन मे इस सबको लेकर हज़ारों सवाल होंगे. क्या तुम लोगों को नही लगता कि, उसे अब सारी सच्चाई बता देनी चाहिए.”

बुआ जी की बात सुनकर, थोड़ी देर के लिए खामोशी च्छा गयी. शायद वाणी दीदी ये पक्का कर रही थी कि, मैं कहीं जाग तो नही रही हूँ. फिर शायद उनको लगा कि, मैं सो रही हूँ तो, उन्हो ने बुआ जी की इस बात का जबाब देते हुए कहा.

वाणी दीदी बोली “मोम, पुन्नू को सच्चाई बताना इतना आसान नही है. वो बहुत भोला और भावुक है. वो किसी भी बात मे अपने दिमाग़ से नही, दिल से काम लेता है. यही वजह है कि, उसे किसी भी ग़लत बात पर बहुत जल्दी गुस्सा आ जाता है.”

“उसके मन मे किसी के लिए छल कपट नही है और वो किसी की भी ग़लती को माफ़ कर सकता है. लेकिन उसकी सबसे बड़ी कमज़ोरी ये है कि, वो अपनी माँ और बहनो के खिलाफ कोई भी ग़लत बात नही सुन सकता.”

“ऐसे मे यदि उसे पता चले कि, मौसी (छोटी माँ) और चंदा मौसी की जिंदगी बर्बाद करने मे उसके बाप का हाथ है तो, वो अपने बाप के खिलाफ ही खड़ा हो जाएगा. बस इसी वजह से सब उसे सचाई बताने से हिचकिचा रहे है.”

“अनु मामी (कीर्ति की माँ) ने उसे उसकी माँ के बारे मे थोड़ा बहुत बताया है. लेकिन पूरी सच्चाई बताने की उनकी हिम्मत भी नही हुई. हम उसे ये कैसे बताए की, उसकी जिंदगी मे जो भी तूफान उठ रहे है, उसकी वजह उसका बाप है.”

इतना बोल कर वाणी दीदी चुप हो गयी. शायद वो इसी बारे मे कुछ सोच रही थी. तभी उनका मोबाइल बजा और मोबाइल पर बात करने के बाद, वो बुआ जी को जता कर फिर से वापस चली गयी.

इसके बाद इस सब के बारे मे कोई खास बात नही हुई. हम ने दुष्यंत मौसा जी और नेहा को वही चंदा मौसी के पास छोड़ा और शाम की फ्लाइट से हम लोग वापस मुंबई आ गये.

अब आगे की कहानी पुन्नू की ज़ुबानी….

अपनी इतनी बात बोल कर कीर्ति चुप हो गयी. कीर्ति की बातों से मुझे इतना तो समझ मे आ चुका था कि, मेरे बाप ने कोई ऐसा ग़लत काम किया है. जिसकी वजह से दुर्जन हमारे परिवार का दुश्मन बन गया.

लेकिन मेरी समझ मे ये नही आ रही थी कि, वाणी दीदी ने ये क्यो कहा कि, छोटी माँ और चंदा मौसी की जिंदगी बर्बाद करने मे मेरे बाप का हाथ है. मैं अभी इसी सोच मे गुम था कि, तभी कीर्ति ने मुझे टोकते हुए कहा.

कीर्ति बोली “क्या हुआ, अब क्या सोच रहे हो.”

मैं बोला “ये तो तूने अधूरी बात बताई है. इस बात से ना तो ये समझ मे कहा आ रहा है कि, मेरे बाप की किस हरकत की वजह से दुर्जन हमारे परिवार का दुश्मन बना है और ना ही ये समझ मे आ रहा है कि, वाणी दीदी ने ये क्यो कहा कि, छोटी माँ और चंदा मौसी की जिंदगी बर्बाद करने मे मेरे बाप का हाथ है.”

मेरी बात सुनकर, कीर्ति ने इस बात से अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा.

कीर्ति बोली “मेरे सामने जितनी बातें हुई थी, उतनी बातें मैने तुम्हे बता दी. बाकी की बातें तो मैं खुद भी नही जानती. ये सारी सच्चाई तो मम्मी, मौसी, रिचा आंटी या वाणी दीदी ही तुमको बता सकती है.”

“मैं तो सिर्फ़ इतना कह सकती हूँ कि, जब भी तुम्हे उन सब बातों के बारे मे पता चले, तुम अपने दिल से नही दिमाग़ से काम लेना. वाणी दीदी और बाकी सब के डर को सही साबित मत होने देना.”

मैं बोला “तू ठीक कहती है, मुझे अपने आपको बदलना होगा. मुझे अपनी भावनाओं पर काबू करना सीखना ही होगा.”

मेरी ये बात सुनकर, कीर्ति ने मेरा मज़ाक उड़ाने लगी. मैं उसे ऐसा करने से रोकने को कोसिस करता रहा. लेकिन उसकी शरारत सुरू हो चुकी थी. उसकी इन्ही शरारतों के चलते रात के 3 बज गये.

इसके बाद वो सुबह देर से नींद खुलने की बात कह कर, अपने कमरे मे सोने चली गयी. उसके जाने के बाद, मैं उसकी कही बातों को सोचता रहा और उन्ही सब बातों को सोचते सोचते मुझे पता ही नही चला कब मेरी नींद लग गयी.

फिर मेरी नींद सुबह 9 बजे अमि के जगाने पर खुली. वो पिंक कलर की फ्रॉक पहने मेरे सामने खड़ी. सुबह सुबह उसका खिला हुआ चेहरा देख कर, मेरा दिल खुश हो गया और मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “तू सुबह सुबह तैयार होकर कहाँ जा रही है.”

मेरी बात सुनकर, अमि ने तुनक्ते हुए कहा.

अमि बोली “भैया आप फिर भूल गये. आज हमे घूमने जाना है.”

उसकी इस बात के जबाब मे मैने अपने कान पकड़ते हुए कहा.

मैं बोला “सॉरी, मुझे तो याद ही नही था. लेकिन क्या तू अकेली ही घूमने जाएगी. ये निमी कहाँ है.”

मेरी इस बात के जबाब मे अमि ने कहा.

अमि बोली “निमी तैयार हो रही है. मैं आपको उठाने आई हूँ. आप जल्दी से तैयार हो जाइए.”

उसकी इस बात के जबाब मे मैं उठ कर बैठ गया और वो मुझसे एक दो बातें करने के बाद कमरे से बाहर चली गयी. उसके जाते ही, मैं फ्रेश होने चला गया. फ्रेश होने के बाद मैं तैयार हुआ और कमरे से बाहर आ गया.

बाहर कीर्ति, अमि निमी और बरखा दीदी सब तैयार बैठे थे. मुझे देखते ही, कीर्ति चाय लेने चली गयी. उसने मुझे चाय नाश्ता लाकर दिया और चाय नाश्ता करने के बाद, 10:30 बजे हम सब घूमने के लिए निकल गये.

बरखा दीदी हुमारे साथ थी इसलिए हमे मुंबई घूमने मे कोई परेशानी नही होना थी. इसके बाद भी मैं प्रिया के पास ना जा पाने की वजह से कुछ परेशान सा था. लेकिन मैने अपनी ये परेशानी किसी पर जाहिर नही होने दी.

हम मुंबई घूम रहे थे, तभी 12 बजे शिखा दीदी का खाने के लिए फोन आया. लेकिन हम ने उनसे बाहर ही खाना खा लेने की बात कही और हम एक रेस्टोरेंट मे खाना खाने के लिए चले गये.

रेस्टोरेंट मे खाना खाने के बाद, हम फिर से मुंबई घूमने मे लग गये. हम 3 बजे तक मुंबई घूमते रहे और फिर उसके बाद हम सब प्रिया के पास हॉस्पिटल जाने के लिए निकल पड़े.

हम हॉस्पिटल पहुचे तो प्रिया के पास रिया, निक्की, नितिका और मोहिनी आंटी थी. प्रिया की तबीयत अब सही नज़र आ रही थी. लेकिन उसने मुझे देखते ही, अपना मूह फूला लिया और आँख बंद करके लेट गयी.

अमि निमी मेरे साथ थी, इसलिए मैने प्रिया को इस बात मे अपनी सफाई देना ठीक नही समझा और निक्की से बात करने लगा. लेकिन जो हाल प्रिया का था, वो ही हाल निक्की का भी था. वो भी मुझसे सही से बात नही कर रही थी.

प्रिया और अमि निमी के चक्कर मे, मैं ये बात बिल्कुल ही भूल गया था कि, अभी निक्की भी मुझसे नाराज़ चल रही है और मुझसे सिर्फ़ काम की बातें ही कर रही है. मेरे लिए उसको मनाना भी बहुत ज़रूरी था.

मगर निक्की को मनाने से कहीं ज़्यादा ज़रूरी काम, प्रिया और अमि निमी के बीच मेल कराना था. लेकिन मेरी समझ मे ये नही आ रहा था कि, प्रिया और अमि निमी के बीच मेल किस तरह से कराया जाए.

मैं इसी उलझन मे उलझा कभी प्रिया, कभी निक्की तो, कभी अमि निमी को देख रहा था. जबकि कीर्ति मज़े से मोहिनी आंटी से बात करने मे लगी थी. रात को मेरी कीर्ति से अमि निमी से बात हो चुकी थी.

मगर अभी कीर्ति का ध्यान इस बात पर नही था. थोड़ी देर बाद जब कीर्ति का मोहिनी आंटी से बात करना बंद हुआ तो, उसका ध्यान मेरी तरफ गया. मुझे देखते ही, उसे समझ मे आ गया कि, मैं किस बात से परेशान हूँ.
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09-11-2020, 01:54 PM,
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उसने प्रिया की तरफ देखा तो, प्रिया आँख बंद करके लेटी हुई थी. वही दूसरी तरफ अमि मेरा हाथ पकड़ कर खड़ी हुई थी. उन दोनो की हरकत को देख कर, कीर्ति मुस्कुराए बिना ना रह सकी.

उसने मुझे शांत रहने का इशारा किया और खुद निक्की को अमि निमी को घुमाने ले जाने की बात बताने लगी. जिसे सुनकर प्रिया ने अपनी आँखें खोल ली और मन लगा कर कीर्ति की बातें सुनने लगी.

कीर्ति ने प्रिया को बातें सुनते देखा तो, उसने अपनी बातों का रुख़ निक्की से हटा कर प्रिया की तरफ कर दिया. कीर्ति की बातें सुनकर, प्रिया की मुझसे नाराज़गी दूर हो गयी और उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा.

प्रिया बोली “सॉरी, मेरी तबीयत की वजह से तुम अमि निमी को ठीक से मुंबई नही घुमा पाए.”

प्रिया की ये बात सुनकर, मेरे कुछ बोलने के पहले ही निमी बोल पड़ी.

निमी बोली “दीदी, आपकी तबीयत खराब होने की वजह से ही हम लोगों को मुंबई घूमने मिला है. अब आप जब तक बीमार है, हम लोग रोज मुंबई घूमने जाएगे.”

निमी की ये बात सुनते ही, वहण खड़े सभी लोग हँसने लगे. वही अमि उसे घूर कर देखने लगी. शायद अमि को निमी का प्रिया से बात करना पसंद नही आया था. वही प्रिया ने निमी की बात का समर्थन करते हुए कहा.

प्रिया बोली “ये ठीक है, अब जब तक तुम लोगों का मुंबई घूमना पूरा नही हो जाता, तब तक मैं बीमार ही पड़ी रहूगी.”

ये कह कर प्रिया खुद भी हँसने लगी. थोड़ी देर सब मे इसी बात को लेकर बातें होती रही. फिर पद्‍मिनी आंटी आ गयी तो, मैं अमि निमी के साथ प्रिया के कमरे से दूसरे कमरे मे आ गया.

मैं अमि निमी को प्रिया के बारे मे समझाने की सोच ही रहा था कि, तभी कीर्ति और निक्की भी वही आ गयी. उनको देख कर, मैं अपनी बात कहते कहते रुक गया और उनसे यहाँ वहाँ की बातें करने लगा.

मेरी उनसे बात चल ही रही थी कि, तभी मेरी नज़र सामने पड़े अख़बार पर पड़ी. आज बुधवार (वेडनेसडे) था, इसलिए मैं अख़बार उठा कर उसमे तृप्ति की रचना देखने लगा. तभी निक्की ने मुझे टोकते हुए कहा.

निक्की बोली “जो तुम उसमे ढूँढ रहे हो, वो नही है.”

निक्की की बात सुनकर, मैं चौक गया और मैने अपनी बात पर परदा डालते हुए कहा.

मैं बोला “मैं कुछ नही ढूँढ रहा. मैं तो बस ऐसे ही पन्ने पलट रहा था.”

मेरी बात के जबाब मे निक्की ने कहा.

निक्की बोली “मुझे लगा कि, तुम उसमे तृप्ति की रचना ढूँढ रहे हो. तृप्ति की रचना अब सोमवार (मंडे) को ही आएगी.”

निक्की की बात सुनकर, मैने अख़बार एक किनारे रखते हुए कहा.

मैं बोला “मुझे उसकी रचना पढ़ने की लत लग गयी है. लेकिन उसे मत बताना कि मैं उसकी सच्चाई को जान गया हूँ.”

निक्की बोली “मैं उसे नही बताउन्गी. क्योकि वो भी यही चाहती है कि, तुमको उसकी सच्चाई का पता ना चले.”

निक्की से ऐसे ही मेरी तृप्ति के बारे मे बातें होती रही. अमि निमी गौर से मेरी बात सुन रही थी. लेकिन उन्हे मेरी बातें समझ मे नही आ रही थी. इसलिए अमि ने मुझे टोकते हुए कहा.

अमि बोली “भैया ये आप क्या बातें कर रहे है. मेरी तो कुछ समझ मे नही आ रही है.”

अमि की बात सुनकर मैने मुस्कुराते हुए कहा.

मैं बोला “तू मेरी बातों मे क्यो अपना दिमाग़ लगा रही है. तू मेरी बातों मे दिमाग़ मत लगा और जाकर हेतल दीदी से मिल ले.”

मेरी बात सुनकर, अमि निमी को लेकर हेतल दीदी के पास चली गयी. अमि निमी के ना होने से मुझे निक्की को अपनी सफाई देने का मौका मिल गया और मैने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए निक्की से कहा.

मैं बोला “सॉरी, उस दिन मैं तुम्हारे कहने पर भी यहाँ नही आ पाया था. लेकिन उस दिन मैं मजबूर था. वरना निशा भाभी के साथ ही यहाँ आ गया होता.”

मेरी बात सुनकर, निक्की ने मुस्कुराते हुए कहा.

निक्की बोली “तुमको इस बात मे अपनी सफाई देने की कोई ज़रूरत नही है. कीर्ति पहले ही मुझे तुम्हारी परेशानी बता चुकी है. सॉरी तो मुझे बोलना चाहिए कि, मैने तुम्हे बेकार मे ही ग़लत समझा.”

निक्की की बात सुनकर, मुझे इस बात का सुकून हुआ कि, उसकी मेरे से नाराज़गी दूर हो गयी है. लेकिन अभी भी मेरे सामने अमि एक परेशानी का सबब बनी हुई थी. मैने अपनी ये ही बात निक्की के सामने रख दी.

मेरी ये बात सुनकर, निक्की ने मुझे यकीन दिलाया कि, वो अमि निमी के मन मे प्रिया के लिए प्यार जगाने की पूरी कोसिस करेगी. इसके बाद, मेरी कीर्ति और निक्की से इसी बारे मे बातें होती रही.

इसके बाद का मेरा सारा समय ऐसे ही बीत गया और रात के 8:30 बजे मैं, अमि निमी, कीर्ति और बरखा दीदी घर वापस आ गये. घर आकर हम लोगों ने खाना खाया और फिर आपस मे बातें करने लगे.

इसी बीच छोटी माँ का कॉल आ गया. उनसे हम सबने बातें की और फिर उसके बाद 10 बजे सब अपने अपने कमरो मे आ गये. मैने अपने कमरे मे आकर कपड़े बदले और फिर लेट कर आज दिन भर की बातें याद करने लगा.

मैं इन्ही सब बातों मे उलझा हुआ था कि, तभी 10:45 बजे कीर्ति मेरे कमरे मे आ गयी. मैने उस से अमि निमी के बारे मे बात की तो, उसने कहा कि सबर रखो, प्रिया अमि निमी को बहुत पसंद करती है. उसकी यही बात धीरे धीरे अमि निमी को उसके पास ले आएगी.

मेरे पास भी अभी इसके सिवा कोई रास्ता नही था. इसलिए मैने अभी इस बात पर चुप रहना ही थी समझा. इसके बाद मेरी कीर्ति से देर रात तक बातें होती रही. फिर 1बजे रात को कीर्ति सोने चली गयी. उसके जाने के बाद, मैं फिर अपनी सोच मे गुम हो गया और ना जाने कब मुझे नींद आ गयी.

अगले दिन सुबह फिर हम लोग मुंबई घूमने चले गये और दोपहर के खाने के बाद हॉस्पिटल पहुचे. हॉस्पिटल पहुचने पर हमें पता चला कि, कल प्रिया की हॉस्पिटल से छुट्टी हो जाएगी.

मैने ये बात कॉल करके छोटी माँ को बताई तो, उन ने कहा कि, वो कल सुबह वाहा पहुच जाएगी. इसके बाद वहाँ कोई खास बात नही हुई. रात को हम सबने घर आकर खाना खाया और फिर सब अपने अपने कमरे मे सोने चले गये.

मेरी देर रात तक कीर्ति से बातें होती रही. अब उसकी तबीयत मे बहुत ज़्यादा सुधार हो चुका था. लेकिन उसकी दवा अभी भी चल रही थी. जिस वजह से वो मेरे पास सोने से परहेज कर रही थी.

देर रात तक मुझसे बात करने के बाद, कीर्ति अपने कमरे मे सोने चली गयी. उसके जाने के बाद मैं भी सोने की कोसिस करने लगा. लेकिन आज रात को मेरी आँखों से नींद ना जाने कहाँ गायब हो गयी थी.

मेरी नींद गायब होने की वजह ये थी कि, प्रिया की हॉस्पिटल से छुट्टी होने के बाद, एक दो दिन के अंदर मेरी भी अपने घर को वापसी होना तय थी. जबकि मैं अभी प्रिया को छोड़ कर वापस जाना नही चाहता था.

मैं छोटी माँ को तो इसके लिए आराम से मना सकता था. लेकिन अमि ने पिच्छले कुछ दिनो मे प्रिया को लेकर अपना जो रूप मुझे दिखाया था, उसने मुझे अंदर तक डरा कर रख दिया था.

मैं पहली बार किसी बात को लेकर अपनी लड़ली अमि से इतना डरा हुआ था कि, उस से खुल कर बात करने तक की हिम्मत नही कर पा रहा था. मुझे डर सता रहा था कि, कहीं मेरी किसी बात का उसके नन्हे मन पर बुरा असर ना पड़े.

मैं चाह कर भी इन बातों को अपने दिमाग़ से निकल नही पा रहा था और मेरी इसी सोच ने मेरी नींद उड़ा कर रख दी थी. मैं देर रात तक इसी उलझन मे उलझा रहा और इसी उलझन मे उलझे उलझे मुझे नींद आ गयी.

सुबह मेरी 9 बजे मेरी नींद मेरी नटखट निमी के जगाने पर खुली. वो मेरी पीठ पर बैठ कर, मुझे हिला हिला कर जगाने की कोसिस कर रही थी. मेरी नींद खुली तो, मैने उस से कहा.

मैं बोला “निम्मो अब बस कर, मैं जाग गया हूँ.”

मेरी बात सुनकर, उसने मुझ पर गुस्सा करते हुए कहा.

निमी बोली “भैया, जल्दी उठो, मम्मी आने वाली है.”

मैं बोला “मैं तब उठुगा ना, जब तू मेरे उपर से उठेगी. चल अब मेरे उपर से अलग हो और मुझे उठने दे.”

मेरी बात सुनकर, निमी मेरे उपर से उठ गयी और मैने उठ कर बैठते हुए कहा.

मैं बोला “बाकी सब कहाँ है.”

निमी बोली “बरखा दीदी, कीर्ति दीदी और अमि दीदी नाश्ता कर रही है. उन्हो ने मुझे आपको उठाने भेजा है.”

मैं बोला “चल ठीक है, अब मैं उठ गया हूँ. तू भी जाकर नाश्ता कर ले.”

इतना कह कर, मैं फ्रेश होने चला गया. फ्रेश होने के बाद मैं तैयार हुआ और कमरे से बाहर निकला तो, छोटी माँ और वाणी दीदी आ चुकी थी. छोटी माँ ने बताया कि, आज चंदा मौसी की भी हॉस्पिटल से छुट्टी होना है और वो अभी मौसी के साथ उनके घर मे रहेगी.

छोटी माँ की ये बात सुनकर, मुझे नेहा और दुर्जन की याद आ गयी. मैने फ़ौरन ही छोटी माँ से कहा.

मैं बोला “छोटी माँ, अभी तो दुर्जन मामा और नेहा भी वही पर है. वो दोनो अभी किसके पास रह रहे है.”

मेरी बात के जबाब मे छोटी माँ ने कहा.

छोटी माँ बोली “वो दोनो अभी दीदी (अनु मौसी) के साथ ही है. इसलिए चंदा मौसी को भी अभी दीदी के पास ही रखा गया है.”

छोटी माँ की ये बात सुनकर, मैं उनसे और भी बातें पुछ्ना चाहता था. लेकिन वो उठ कर मूह हाथ धोने चली गयी. उनके जाने के बाद, वाणी दीदी भी मूह हाथ धोने चली गयी और मैं नाश्ता करने लगा.

जब तक मेरा नाश्ता करना हुआ, तब तक छोटी माँ और वाणी दीदी भी वापस आ गयी. इसके बाद हम सब हॉस्पिटल के लिए निकल गये. हॉस्पिटल मे सभी लोग थे. कुछ ही देर मे प्रिया की हॉस्पिटल से छुट्टी हो गयी और हम सब प्रिया के साथ उसके घर आ गये.
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