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RE: Incest Kahani मेराअतृप्त कामुक यौवन
अब वो बेहिचक मेरे पूरे बदन के साथ खेल रहा था। कभी मेरे मम्मों को चूसता.. कभी मेरी नाभि को अपनी जीभ से कुरेदता.. कभी मेरे पेट को अपनी आरी जैसी जीभ से चाटता।
फिर उसने अपने कपड़े उतार दिए, अब वो मेरे सामने केवल अपनी फ्रेन्ची में था.. जिसमें से उसका लंड किसी मिसाइल की तरह दिखाई दे रहा था।
वो मेरे मुँह के पास आकर खड़ा हो गया और बोला- चाची जी, मेरा मुन्ना आपको देखना चाहता है।
उसके इतना बोलते ही मैंने उसके लण्ड को उसकी चड्डी से बाहर निकाल दिया और उसे अपने हाथों से सहलाने लगी।
आलोक- चाची अब मुझसे सब्र नहीं हो रहा.. आप इसे अब इसकी मंजिल तक पहुँचा दो।
मैंने उसके लंड को अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसने लगी।
थोड़ी देर चूसने के बाद उसने अपने लंड को बाहर निकाला और बोला- चाची ये तो अब बस आपकी चूत में जाना चाहता है।
मैंने उससे बोला- अभी नहीं, अभी बच्चों के आने का टाइम हो गया है और फिर तेरे चाचा भी आने वाले हैं।
आलोक- तो ठीक है.. अभी तो इसे शांत कर दो।
वो नीचे आया और मेरी पैंटी उतार दी। उत्तेजना के कारण मेरी चूत से पानी आने लगा था और पैंटी पूरी गीली हो गई थी।
हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए, वो मेरे नीचे था और मैं उसके ऊपर थी।
अब वो मेरी चूत चाट रहा था और अपनी जीभ से उसे कुरेद रहा था। मैं किसी आइसक्रीम की तरह उसके लंड को चूस रही थी।
थोड़ी देर बाद जैसे ही उसे लगा कि मैं झड़ने वाली हूँ.. तो वो और जोर-जोर से मेरी चूत को चाटने लगा और तुरंत मैं झड़ गई।
इतनी उत्तेजना मैंने जिंदगी में पहली बार महसूस की थी।
आलोक मेरे पानी को चाटने लगा और पी गया।
अब आलोक खड़ा हुआ और मुझे घुटनों के बल बिठा दिया। फिर उसने अपना लंड मेरे मुँह में दे दिया और मेरे बालों को पकड़कर मेरे सर को आगे-पीछे करने लगा।
कुछ ही देर बाद वीर्य की तेज धार उसके लण्ड से निकलने लगी और वो पूरा पानी मेरे मुँह में भर गया और मैं उसे निगल गई।
उसके वीर्य का बहुत ही मस्त स्वाद था, काश ऐसा पानी रोज मेरी प्यास बुझाता।
फिर हम दोनों उठे और एक-दूसरे को फिर से एक प्यार भरी चुम्मी दी। फिर हमने अपने कपड़े पहने और खुद को साफ किया।
इसके बाद आलोक पीछे से आकर मुझसे लिपट गया और अपना लंड मेरी गाण्ड में सटा दिया.. जिसका साफ अनुभव में कर सकती थी।
फिर वो मुझसे बोला- चाची आप बहुत क़यामत हो.. मेरा लंड आपकी मोटी गाण्ड में घुसने के लिए बेक़रार हो रहा है।
मैंने बोला- सब्र कर.. तू भी यहीं है.. और मैं भी।
उसके बाद उसने मेरी गाण्ड पर एक चपत मारी तो मेरे मुँह से ‘उई माँ..’ निकल गया और फिर वो मेरे होंठों पर किस करने लगा।
इतने में ही डोरबेल बजी और हम अलग हो गए।
मैंने कहा- बच्चे आ गए हैं।
मैंने बाहर जाकर गेट खोला तो बच्चे अन्दर आए।
रोहन मुझसे बोला- माँ आज आप बहुत खुश लग रही हो और सुन्दर भी।
मैंने अपने बेटे को अपनी बाँहों में भर लिया और फिर हम लोग अन्दर आ गए। थोड़ी देर बाद मेरे पति रवि भी आ गए.. फिर हम सब लोगों ने मिलकर खाना खाया और फिर सब सोने चले गए।
रात को मैं और मेरे पति बेडरूम में थे तब रवि बोला- आज तुम इस गाउन में बहुत सेक्सी लग रही हो।
वो मुझे किस करने लगे और फिर उन्होंने मुझे नंगी कर दिया और मुझे चोदने लगे.. कुछ देर बाद मैं झड़ गई और फिर वो भी झड़ गए और हम दोनों वैसे ही एक-दूसरे के ऊपर सो गए।
मुझे ऐसा लग रहा था कि सेक्स करते वक्त खिड़की से हमें कोई देख रहा था। अँधेरा होने के कारण मुझे दिख नहीं रहा था… पर मुझे पता था कि आलोक ही होगा.. तो मैंने कुछ नहीं किया।
इससे आगे क्या हुआ वो सब बाद में।
एक बार मैं अपनी सहेली मनीषा के साथ शॉपिंग करने मार्किट गई थी। उस वक्त अन्नू स्कूल गई हुई थी और रोहन भी अपने कोलेज गया था, दोनों को वहाँ से आने में पांच बज जाते हैं और मेरे पति रवि को भी ऑफिस से आने में आठ बज जाते हैं।
अब रोहन के साथ भी मुझे मुश्किल से टाइम मिल पाता था क्योंकि वो सुबह कॉलेज चला जाता था और शाम को ही आता था।
तो दोपहर का समय मुझे अकेले ही काटना पड़ता है इसलिए मैं टाइम पास करने के लिए मनीषा के साथ मार्किट चली गई।
मनीषा मेरे घर के नजदीक ही रहती थी तो हमारी आपस में बहुत अच्छी बनती थी।
मनीषा दिखने में सुन्दर है, उसकी उम्र कुछ 35 साल है और एक अच्छे फिगर की मालकिन है।
हम लोग आपस में बहुत खुले हुए है और हम दोनों के बीच हर तरह की बातें होती हैं।
शॉपिंग करने के लिए हम लोग एक अच्छी साड़ी की शॉप पर गये थे। वो शॉप मनीषा के किसी दोस्त की ही थी। मैंने काली साड़ी पहनी हुई थी जो कमर से बहुत नीचे बंधी हुई थी और स्लीवलेस ब्लाउज पहना था जो लो कट था।
दुकान पर सब मुझे ही घूर रहे थे। मेरे मम्मों और नंगी कमर पर सबकी निगाहें अटकी हुई थी जिसे मैं बार बार नोटिस कर रही थी।कुछ लोग तो मेरे पास से गुजरने के बहाने मेरी कमर और गांड को छू लेते थे।
मैं भी मूड में आ गई थी और जान बूझकर और उन्हें उकसा रही थी।
देवेश जो दुकान का मालिक और मनीषा का दोस्त था हमें साड़ी दिखा रहा था और सबसे ज्यादा वही मुझे घूर रहा था।
मैं भी उसे अपनी और कुछ ज्यादा ही आकर्षित कर रही थी, साड़ी दिखाते टाइम मैं अपना पल्लू उठाकर ठीक करने लगी जिससे देवेश को मेरे अधनंगे मम्मों के दर्शन हो गए।
मैंने देखा की उसका लंड उसके पैंट में तना जा रहा है और वो उसे अपने हाथों से मसल कर बार बार अंदर दबा रहा था।
मैं उसे बार बार ऐसा करते हुए देख रही थी।
एक बार तो हम दोनों की नज़रे भी आपस में टकरा गई तो हम दोनों एक दूसरे को देखकर मुस्कुरा दिए और फिर से वही सिलसिला शुरू हो गया।
मनीषा ने अपने लिए साड़ियाँ खरीद ली थी पर मुझे अपने लिए कोई पसंद नहीं आई। तो देवेश मुझसे बोला अगर आपको और साड़ियाँ देखनी हो तो आप एक बार गोदाम में चल कर देख लीजिये, शायद आपको पसंद आ जाये।
मैंने मनीषा को भी साथ चलने का बोला पर वो और सामान खरीदने लगी तो मुझे देवेश के साथ अकेले ही गोदाम में जाना पड़ा जो दुकान के तीसरे माले पर था।
गोदाम में जाते ही उसने मुझे बैठने का बोला और फिर साड़ियाँ दिखाने लगा।
वो मेरे बगल में ही खड़ा था जिससे मुझे उसका खड़ा लंड मेरे मुंह के पास ही महसूस हो रहा था। जब मैंने नज़र उठा कर उसकी तरफ देखा तो वो मेरे मम्मों को घूर रहा था।
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RE: Incest Kahani मेराअतृप्त कामुक यौवन
मैं उससे बोली- क्या हुआ जनाब? ऐसा क्या देख रहे हो आप मुझको?
वो मुस्कुरा कर बोला- आप इस साड़ी में बहुत सुन्दर दिख रही हैं।
मैं भी उसको छेड़ते हुए बोली- हाँ, वो तो आपकी पैंट देख कर ही पता लग रहा है।
मेरी इस बात से वो पहले तो चुप रहा और फिर बोला- भाभी जी, आप का ब्लाउज तो बहुत ही लो कट का है। आप बहुत सेक्सी लग रही हो इसमें!
मैंने हंसते हुए उसे धन्यवाद बोला।
मुझे एक साड़ी पसंद आ गई थी और मैंने उसे पैक करवा ली थी तभी देवेश बोला- अगर आपको स्टाइलिश मैचिंग अंडर गारमेंट्स भी लेने है तो वो भी मिल जाएंगे।
तो मैं अपने लिए अंडर गारमेंट्स देखने लगी।
उनमें से कुछ मुझे पसंद आये तो मैं देवेश से बोली- मैं इन्हें ट्राय करना चाहती हूँ।
तो देवेश बोला- ट्रायल रूम तो नहीं है, अगर आपको ट्राय करना है तो यहीं कर सकती हैं।
मैं उससे बोली- मैं क्या तुम्हारे सामने चेंज करुँगी?
तो देवेश बोला- आप फ़िक्र न करें, यह तो मेरे रोज का काम है।
मैं देवेश के मन की भड़ास को समझ चुकी थी और अब मैं भी इसका मजा लेना चाहती थी तो मैं भी उसके सामने ट्राय करने के लिए तैयार थी।
मैंने देवेश की तरफ पीठ की और फिर अपने पल्लू को नीचे गिराकर अपने ब्लाउज के हुक को खोल दिया और ब्लाउज उतार कर साइड में रख दिया।
फिर मैंने अपनी ब्रा को भी उतार दिया।
अब मैं ऊपर से बिल्कुल नंगी और कमर से साड़ी में थी।
मैंने अब नई ब्रा को उठाया और पहनने लगी, मैंने उसे ठीक से अपने मम्मो पर सेट किया और फिर हुक लगाने लगी।
ब्रा का हुक मुझसे नहीं लग रहा था तो मैंने देवेश की तरफ सर घुमा कर उसे इशारा किया।
वो समझ गया और आकार ब्रा का हुक लगाने लगा।
वो मुझसे सटकर खड़ा था जिससे उसका लंड मेरी गांड में झटके दे रहा था।
मैं भी अपनी गांड को पीछे की ओर उसके लंड पर दबा रही थी और शायद इसका एहसास उसको हो गया था तो उसने ब्रा के ऊपर से ही अपने हाथों को मेरे मम्मों पर रख दिया।
और फिर धीरे धीरे उन्हें सहलाने लगा।
अब उसने मुझे अपनी और घुमाया और मेरे होंठों को चूमने लगा। उसने ब्रा भी उतार कर फेंक दी और अब वो मेरे नंगे मम्मों को मसल रहा था।
उसने ज्यादा देर ना करते हुए मेरी साड़ी, पेटिकोट को उतार दिया।
अब मैं केवल पैंटी में उससे लिपटी हुई खड़ी थी।
देवेश ने मुझे उठाकर काउंटर पर बैठा दिया और मेरी टाँगें उठाकर पैंटी उतार दी। अब वो मेरी चूत पर थूक कर उसे अपनी उंगलियों से मलने लगा।
उसने मेरी चूत के दाने को सहलाना शुरू कर दिया और फिर एक उंगली मेरी चूत में डालकर अंदर बाहर करने लगा।
मेरी चूत गीली होने लगी थी तो उसने उंगली निकाल कर अपने पैंट को उतार दिया और लंड बाहर निकाल कर मेरे हाथों में थमा दिया।
मैंने थोड़ी देर तक लंड को सहलाने के बाद लंड पर ढेर सारा थूक लगा लिया और फिर उसने अपने लंड को मेरी चूत पर लगा कर धीरे धीरे धक्के लगाने लगा।
दो तीन धक्कों में उसका पूरा लंड मेरी चूत में समा चुका था और मैं मस्ती में सिसकारियाँ ले रही थी।
मैं वही काउंटर पर टाँगें फैलाये बैठी थी और देवेश अपने लंड को चूत में अंदर बाहर किये जा रहा था।
अब देवेश ने जोरों के धक्के देना शुरू कर दिए उसका लंड मेरी चूत में अंदर तक जा रहा था जो मुझे मीठा सा दर्द दे रहा था।
मैंने अपने दोनों हाथों से देवेश की कमर को पकड़ लिया था जिससे मेरे नाखून उसकी कमर पर चुभ रहे थे।
मेरे मुंह से आआहह हहहहह आआआ ओऊऊहहह ऊऊऊऊहह हहहह की आवाज़ें निकल रही थी जिसे बंद करने के लिए देवेश ने मेरे मुंह में अपनी तीन उंगलियाँ डाल दी।
उसके धक्कों की रफ़्तार लगातार बढ़ती जा रही थी।
थोड़ी देर उसी तरह चोदने के बाद उसने मुझे काउंटर से नीचे उतारा और मुझे काउंटर की तरफ झुकने को बोला।
मैंने अपने दोनों हाथों को काउंटर पर रखा और देवेश की तरफ पीठ करते हुए झुक गई।
मेरे इस आसन में खड़े होने के कारण मेरी बड़ी गोल गांड देवेश के सामने थी।
देवेश ने अब अपने लंड को पीछे से मेरी चूत पर लगाया और एक ही धक्के के साथ पूरे लंड को मेरी चूत में उतार दिया।
मैं दर्द से कराह उठी इस आसान में मेरी चूत कुछ ज्यादा ही कसी हुई लग रही थी।
देवेश के लगातार धक्कों की वजह से मेरी गीली चूत से पानी निकलने लगा और मैं झड़ने लगी।
झड़ते वक्त मैं अपने एक हाथ से दाने को रगड़ने लगी जिससे मैं और जोर जोर से झड़ने लगी।
देवेश भी अपने चरम पर था और मेरी चूत से निकले हुए पानी के कारण उसका लंड पूरा गीला हो चुका था।
तभी देवेश ने पीछे से ही अपने हाथों से मेरे मम्मों को जकड़ लिया और फिर जोरदार धक्कों के ही साथ मेरी चूत में झड़ने लगा।
उसके वीर्य की लगातार धार मेरी चूत को अंदर तक गीला कर रही थी।
मैं इतनी मदहोश थी कि मुझे इस बात की भी याद नहीं थी कि मनीषा मेरा इंतजार कर रही होगी।
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RE: Incest Kahani मेराअतृप्त कामुक यौवन
मैं उठी और अपनी पैंटी उठाकर अपनी चूत को साफ करने लगी जिसमें से अभी भी मेरा और देवेश का वीर्य निकल रहा था।
मैंने वो पेंटी उठाकर अपने पर्स में रख ली।
देवेश ने अपने कपड़े पहन लिए थे और मैं उसके सामने अभी तक नंगी थी।
मैंने नई पैंटी पहन कर साड़ी पहनी और फिर जल्दी से खुद को तैयार किया और सीढ़ियों की तरफ जाने लगी।
जाते वक्त देवेश ने मुझे एक अच्छे और स्टाइलिश ब्रा पैंटी गिफ्ट किया और बोला की आप पर ये बहुत अच्छे लगगे।
नीचे दुकान में मनीषा मेरा बहुत देर से इंतजार कर रही थी।
फिर हम लोग वहाँ से कार में बैठकर घर की तरफ आने लगे।
रास्ते में मनीषा मुझसे बोली- तुझे शॉपिंग करने में इतनी देर क्यों लग गई थी?
मैंने कहा- तेरे दोस्त की नज़र मुझसे हटती, तभी तो कुछ शॉपिंग हो पाती।
मनीषा बोली- मुझे सब पता है अंदर क्या हुआ था। जब तुम लोग अपनी चुदाई में व्यस्त थे, तब मैं ऊपर देखने आई थी पर फिर तुम्हारी चुदाई देखकर चली गई थी।
मनीषा के मुँह से यह सब सुनकर मैं घबरा गई पर मुझे पता था कि वो ये बात किसी को नहीं बोलेगी।
तभी मनीषा बोली- दी कोई बात नहीं, आपकी लाइफ है आप चाहे जैसे भी एन्जॉय करो! और वैसे भी देवेश मेरा अच्छा दोस्त है वो भी ये बात किसी को नहीं बताएगा।
मनीषा की बात सुनकर मैं थोड़ा सामान्य हुई और उससे बोली- थैंक यू मनीषा!
और उसके गाल पर एक चुम्मी दी तो वो बोली- बस बस, अब क्या मेरे साथ भी एन्जॉय करना है?
तो मैंने हंसते हुए कहा- इसमें बुराई क्या है?
और फिर हम दोनों हंसने लगे।
थोड़ी देर बाद हम दोनों घर आ गए।
मैंने मनीषा को रूम में बिठाया और फिर उसे अपनी नई ब्रा और पैंटी दिखाने लगी।
मनीषा को उनमें से एक जोड़ी बहुत ही अच्छी लगी तो मैंने उससे ट्राय करने का बोला।
पर उसे घर जाना था तो वो बोली दी मैं कल आऊँगी तब ट्राय कर लूँगी।
मैंने कहा- ठीक है।
और फिर वो चली गई।
शाम के पांच बज चुके थे, बच्चों के आने का टाइम भी हो गया था और अन्नू आ भी चुकी थी।
थोड़ी देर बाद रोहन आया और दरवाजे पर पहुँचते ही उसने मुझे गले लगा लिया और बोला- मम्मी, आज मैं बहुत थक गया हूँ!
तो मैंने उसके होठों पर एक चुम्मी दी और बोली- थोड़ी देर आराम कर ले!
फिर वो अपने रूम में चला गया।
शाम को रवि भी आ गए, फिर हम सब लोगों ने खाना खाया और सब अपने रूम में चले गए।
रूम में पहुँचकर मैंने अपने कपड़े उतार कर गाउन पहन लिया।
मैं गाउन के अंदर केवल पैंटी ही पहने हुई थी और फिर जाकर रवि को अपनी बाहों में भर लिया और उन्हें चूमने लगी।
रवि ने मुझे अपने नीचे लेटाया और मेरे गाउन को उतार दिया और फिर मेरे गोल मम्मों को दबाने और चूमने लगे।
मैंने उनके लंड को अपने हाथों में लिया जो बिल्कुल खड़ा हो चुका था, मैं उनके लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी।
थोड़ी देर बाद उन्होंने लंड को मुख से निकाला और फिर मुझे घोड़ी बनाकर लंड को मेरी चूत पर लगाकर एक जोरदार धक्के के साथ पूरा लंड मेरी चूत में उतार दिया।
मेरी हल्की हल्की सिसकारियाँ पूरे रूम में गूंजने लगी- ऊफ्फ्फ आआहह.. ओओहह.. रवि ओऊहहह.. चोददो ममुझझे.. आहहह ओहहह माआ.. और जोरर से चोदद दो फक्क मीईई रवि..
मेरी आवाज़ें रवि को और ज्यादा उत्तेजित कर रही थी, रवि भी जोरदार झटकों के साथ मुझे चोदे जा रहे थे।
मैं अब झड़ने वाली थी तो मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं रवि के लंड पर दबाव बनाते हुए झड़ने लगी।
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RE: Incest Kahani मेराअतृप्त कामुक यौवन
झड़ते वक्त रवि ने अपना लंड बिलकुल अंदर तक डाल कर झटके देना चालू रखा। मेरे पानी से रवि का लंड गीला हो चुका था और बेड पर गिर रहा था।
गीलेपन की वजह से अब लंड आसानी से चूत के अंदर बाहर हो रहा था और फच फच की आवाज़ों के साथ रवि मेरी चुदाई कर रहे थे। अब रवि भी झड़ने वाले थे तो उन्होंने मेरी कमर को पकड़कर अपनी ओर खींचा और जोरो के अपना लंड मेरी चूत में डालने लगे।
कुछ ही धक्कों के बाद वो मेरी चूत में झड़ने लगे और फिर अपना लंड बाहर निकालकर बाथरूम को जाने लगे।
मैं भी उठी और अपने पर्स से सुबह वाली पैंटी निकाली जो अभी तक गीली थी।
मैंने उससे फिर से अपनी चूत को साफ किया और उसे वहीं ड्रेसिंग टेबल पर रख दिया।
फिर हम दोनों सो गए।
अगले दिन सुबह मैं उठी और क्योंकि रात को रवि के साथ हुईं चुदाई के बाद मैं नंगी ही सो गई थी तो मैंने उठकर अपना गाउन पहन लिया पर मैंने अंदर कुछ नहीं पहना था।
रोज की तरह मैंने रवि को उठाया और फिर रोहन को उठाने के लिए उसके रूम में गई।
मैंने उसके माथे पर एक चुम्बन किया।
मेरे चुम्बन से उसकी आंख खुल गई और वो उठ गया।
उठते ही उसने मुझे अपने गले से लगा लिया और मेरे मम्मों को अपने सीने से दबाने लगा और फिर मेरे होंठों को चूमने लगा।
पर मैंने उसको रोक दिया और बोली- अभी नहीं, तेरे पापा हैं घर पर… शाम को आकर कर लेना।
तो रोहन बोला- मम्मी, आज मैं कॉलेज से जल्दी आ जाऊँगा।
तो मैंने कहा- ठीक है, आ जाना!
और वो उठकर तैयार होने लगा।
मैंने रवि और रोहन दोनों के लिए लंच बनाकर रख दिया और दोनों चले गए।
मैं अब अन्नू के रूम में उसको उठाने गई पर वो पहले से ही जाग चुकी थी।
ग्यारह बजे अन्नू भी अपने स्कूल के लिए चली गई, फिर मैं घर के काम-काज में लग गई।
काम ख़त्म करने के बाद मैं नहाने चली गई।
मैंने अपने कपड़े उतारे ही थे कि डोरबेल बजी।
मैं जानती थी कि यह मनीषा ही होगी तो मैंने अपने नंगे बदन को तौलिये से लपेट लिया जिससे मेरा तन ढक गया और मैं गेट खोलने के लिए जाने लगी।
मैंने पीप होल से देखा तो बाहर मनीषा ही खड़ी थी।
मैंने दरवाज़ा खोलकर उसे अंदर बुला लिया।
मुझे इस हाल में देखकर मनीषा बोली- क्या हुआ दी? आज का भी कुछ प्रोग्राम है क्या जो केवल तौलिया लपेटकर खड़ी हो?
मैं मुस्कुरा कर बोली- नहीं यार, मैं नहाने ही गई थी कि तू आ गई।
मैंने उसे बैडरूम में बिठाया और उससे बोली- मैं बस पांच मिनट में नहाकर आती हूं!
फिर नहाने चली गई।
थोड़ी देर बाद मैं बाथरूम से नहा कर निकली, मैंने टॉवल को वैसे ही लपेटा हुआ था, मैं बैडरूम में आ गई।
मनीषा वहीं पर बैठी हुई थी। मैं टॉवल में ही उसके पास जाकर बैठ गई और हम आपस में बात करने लगी।
मनीषा बोली- दी, आप वो नई ब्रा और पैंटी लेकर आओ ना?
तो मैंने अलमारी से दोनों जोड़ी निकाल कर उसे दे दी।
उसने उनमें से मैरून कलर वाली जोड़ी को पसंद किया था और मैंने अपने लिये काली जोड़ी को रख लिया।
मनीषा बोली- दी, मैं इन्हें पहन कर चेक कर लूँ?
मैंने हां बोल दिया तो मनीषा बाथरूम की तरफ जाने लगी।
मैं बोली- यहीं पहन लो… मुझसे भी क्या शर्माना।
तो मनीषा बोली- फिर तो आपको भी मेरे साथ में ब्रा पैंटी पहन कर दिखानी पड़ेंगी।
मैं बोली- हाँ ठीक है।
मनीषा ने सूट पहना हुआ था, तो वो कमीज उतारते हुए बोली- आप भी अपना टॉवल खोल लो।
अब वो केवल अपनी सफ़ेद ब्रा और सलवार में थी, उसके मम्मे भी बड़े और सख्त थे।
मैं मनीषा के सवाल का जवाब देते हुए बोली- मैंने अंदर कुछ नहीं पहना है।
मनीषा अब तक अपनी सलवार भी उतार चुकी थी और अब वो मेरे सामने बस ब्रा और पैंटी में ही थी।
मेरी बात सुनकर मनीषा बोली- कल देवेश के सामने तो ख़ुशी ख़ुशी उतार दी और मेरे सामने नहीं उतार सकती?
मैं उसकी बात सुनकर मुस्कुरा दी और मैंने अपना टॉवल खींच दिया, मैं मनीषा के सामने बिल्कुल नंगी हो गई।
मनीषा की नज़र मेरे नंगे बदन को निहारने लगी।
वो मेरे मोटे चिकने चूतड़, गदराई हुई गांड, मेरे भरे हुए गोल दूधिया मम्मों को एकटक देखे ही जा रही थी।
मैं उसको आवाज़ लगाती हुई बोली- मनीषा? क्या हुआ? कहाँ खो गई और ऐसे क्या देख रही है मुझे?
मनीषा बोली- दी, आपका फिगर तो बहुत ही सेक्सी है शायद इसलिए आप पर हर कोई लाइन मारता है।
मैंने कहा- धत्त पागल… कुछ भी बोल रही है। अगर मैं इतनी सेक्सी हूँ तो तू कौन सी कम है।
और मैंने मनीषा को उसकी ब्रा पैंटी उतारने को कहा।
उसने बिना किसी झिझक के अपनी ब्रा और पेंटी उतार दी।
अब हम दोनों एक दूसरी के सामने बिल्कुल नंगी थे।
मनीषा भी कुछ कम नहीं थी उसके मम्मे भी भरे हुए थे और एक शानदार फिगर की मल्लिका है।
फिर हमने अपनी अपनी नई ब्रा पैंटी उठाई और पहनने लगी।
मैंने सबसे पहले पैंटी पहनी और फिर ब्रा पहनने लगी पर कल की तरह आज भी मुझसे उसका हुक नहीं लगा तो मैंने मनीषा को हुक लगाने का बोला।
मनीषा अभी अपनी पैंटी ही पहन रही थी। वो ब्रा पहने बिना ही मेरे पास आई और ब्रा का हुक लगाने लगी।
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RE: Incest Kahani मेराअतृप्त कामुक यौवन
वो मुझसे चिपक कर अपने बूब्स को मेरी पीठ पर रगड़ रही थी और अपनी कमर और चूत को मेरी गांड से रगड़ने लगी।
हुक लगाकर वो हट गई और फिर वो अपनी ब्रा पहनने लगी।
मनीषा की इस हरकत से मैं गर्म हो चुकी थी।
मैरून ब्रा पैंटी में वो किसी मॉडल से कम नहीं लग रही थी। मनीषा को वो जोड़ी एकदम फिट आई और अब हम ये नई ब्रा पैंटी उतारने लगी।
मैं फिर से बिल्कुल नंगी हो गई थी और मनीषा ने अपनी पैंटी उतार दी थी।
मैंने जाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और अपने बूब्स और चूत को उसकी पीठ और गांड पर रगड़ने लगी।
मनीषा बोली- वाह दी, आप तो बदला लेने आ गई मुझसे?
मैंने कहा- तूने हरकत ही ऐसी की थी कि बिना बदला लिए रहा नहीं गया।
अब मनीषा पीछे मुड़ी और मेरे गालों पर चुम्मियाँ देने लगी।
मैंने उसे अपनी ओर खींच लिया जिससे हमारे जिस्म आपस में मिल गए।
हमारे चूचे आपस में रगड़ खा रहे थे तो मैंने उन्हें मनीषा के वक्ष में दबा दिया।
मनीषा की चुम्मियों के बदले में मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू कर दिया और वो भी मेरे होंठों को चूम रही थी।
अब मनीषा के हाथ मेरे मम्मों पर पहुँच गये और उन्हें दबाने लगी, कभी वह उन्हें मसलती तो कभी निप्पल खींच देती और उन्हें चूसने लगती।
बदले में मैं भी अपने हाथ उसके चूतड़ों पर रखकर उसकी गांड को दबाने लगी।
फिर मैंने एक हाथ को आगे की तरफ किया और मनीषा की चूत पर रखकर उसे सहलाने लगी।
मेरा एक हाथ मनीषा की चूत पर था और दूसरे से मैं मनीषा की गांड को सहला और दबा रही थी।
मनीषा भी अब मेरे बूब्स को छोड़कर मेरी गांड पर पहुच गईं और थोड़ी देर दबाने के बाद वो मेरी गांड पर चिमटी और चमाट मारने लगी।
मैं उसकी हर चिमटी पर ‘आआ आहहह हहह… ऊऊहह…’ करने लगी।
थोड़ी देर मनीषा की चूत सहलाने के बाद मैंने उसकी चूत को दो उंगलियां डाल कर चोदना शुरू कर दिया।
मेरी इस हरकत से मनीषा सिहर उठी और चिल्लाने लगी- आआहह हहह… ओहह… दीदी… उहाहम.. हहुहोहम्म.. महुह.. उउईई माँ… आहहह दी..
अब मैंने मनीषा को बेड पर लेटा दिया और हम 69 की पोजीशन में आ गए।
मैं मनीषा की चूत को अपनी जीभ से चाटने लगी, मनीषा भी मेरी चूत को चाट रही थी।
मनीषा ने अपनी एक उंगली को थूक से गीला किया और मेरी गांड में डाल दिया।
एक उंगली जाने से मुझे कुछ ज्यादा असर नहीं हुआ तभी मनीषा ने अपनी दूसरी उंगली भी मेरी गांड के छेद में डाल दी।
मेरे मुंह से सिसकारियाँ निकलने लगी।
अब वो लगातार अपनी उंगलियों से मेरी गांड और जीभ से मेरी चूत को चोद रही थी। मैं भी अब मजे से अपनी गांड और चूत को मनीषा के मुँह पर दबा रही थी।
मैं भी मस्ती में ‘ओह.. हाआ.. और चाटो.. बहुत मज़ा आ रहा है.. ऊहह.. और ज़ोर से चाटो.. अपनी जीभ मेरी चूत में घुसेड़ दो.. बहुत मज़ा आ रहा है..ऑहह…. आ.. एयेए.. आहुउ..’ की सीत्कारें करने लगी।
मैं भी लगातार मनीषा की चूत को कभी उंगलियों तो कभी जीभ से चोद रही थी।
थोड़ी देर बाद वो अकड़ने लगी और उसकी चूत से उसका रस बाहर आने लगा जिसे पर मैंने अपना मुँह रख दिया।
मनीषा मेरे मुंह पर ही झटके देने लगी और झड़ने लगी।
मैंने उसका सारा पानी पी लिया।
झड़ने के बाद मनीषा ने अपनी उंगलियों को मेरी गांड से निकाल कर मेरी चूत में डाल दिया।
अब वो अपनी दो उंगलियों से तेजी के साथ मेरी चूत को चोदने लगी।
मैं भी अपने चरम पर आ चुकी थी तो मेरी सिसकारियाँ और बढ़ गई, एकाएक मेरा बदन अकड़ने लगा।
मैं अपने हाथों को मनीषा की कमर पर रखकर अपने ऊपरी शरीर को उठाते हुए झड़ने लगी।
मेरा योनि रस मेरी चूत से निकलता हुआ सीधे मनीषा के चेहरे पर गिरने लगा।
पूरी तरह से झड़ने के बाद जब मैंने मुड़कर मनीषा को देखा तो उसका चेहरा पूरा गीला था।
मैंने उसके होंठों पर चुम्बन किया, फिर मनीषा उठकर बाथरूम चली गई और खुद को साफ करके वापिस आई और फिर हम दोनों नंगी ही बेड पर लेट गई।
थोड़ी देर बाद डोरबेल बजी तो हम दोनों जल्दी बेड से उठे और अपने कपड़े पहन लिए।
मैंने अंदर नई वाली ब्रा पैंटी पहन ली और ऊपर से सूट पहन लिया।
मैंने दरवाजे पर जाकर देखा तो रोहन खड़ा था।
तभी मुझे याद आया कि आज वो जल्दी आने का बोलकर गया था पर मुझे याद नहीं रहा था।
दरवाज़ा खोलते ही वो मुझसे लिपट गया।
मैंने देरी न करते हुए उसे बताया कि मनीषा आंटी आई हुईं हैं।
रोहन मेरा इशारा समझ गया और मुझे छोड़ दिया।
थोड़ी देर बाद मनीषा अपने घर जाने लगी, मैं उसे दरवाज़े तक छोड़ने गई, मैंने उससे कहा- अब तो आती रहना।
मनीषा मुस्कुरा कर बोली- हाँ बिल्कुल!
और वो चली गई।
जब मैं अंदर आई तो मैंने देखा कि रोहन ड्रेसिंग टेबल पर रखी मेरी पैंटी जिससे मैंने कल अपनी चूत साफ की थी, उसको सूंघ रहा था।
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09-17-2020, 12:26 PM,
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desiaks
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RE: Incest Kahani मेराअतृप्त कामुक यौवन
फिर रोहन आगे बढ़ा और उसने अपनी जीभ मेरी चूत में घुसेड़ दी।
उसकी नुकीली जीभ मेरी चूत में हलचल मचा रही थी।
बीच बीच में वो मेरी चूत के दाने को भी जीभ से सहला रहा था।
मैं उसकी हर हरकत पर सिसकारियों से उसका हौंसला बढ़ा रही थी- ओह.. हाआ.. रोहन… और चाटो.. बहुत मज़ा आ रहा है.. ऊहह.. और ज़ोर से चाटो.. अपनी जीभ मेरी चूत में घुसेड़ दो.. बहुत मज़ा आ रहा है.. ऑहह… रोहन…
मेरी चूत अब पूरी तरह से गीली हो चुकी थी।
फिर रोहन उठा और बोला- मम्मी, आपकी चूत तो गीली हो गई, अब आपकी बारी है मेरा लण्ड चूसने की।
रोहन के इतना बोलते ही मैं उठी और उसको लेटा कर उसके ऊपर आ गई।
मैंने रोहन की चड्डी उतार दी। अब हम दोनों बिल्कुल नंगे एक दूसरे के ऊपर थे।
रोहन का लण्ड पूरी तरह से खड़ा था पर आज उसका लण्ड और दिनों की अपेक्षा बड़ा लग रहा था और उसके लण्ड से पानी भी निकल रहा था।
मैं रोहन के लण्ड को हाथ में लेकर सहलाने लगी और फिर उसे मुँह में लेकर चूसने लगी।
रोहन भी मेरे बालों को पकड़ कर मेरे मुँह को अपने लण्ड पर दबा रहा था जिससे रोहन का लण्ड मेरे गले तक जाने लगा।
थोड़ी देर बाद मेरी साँस फूलने लगी तो मैंने लण्ड को मुँह से बाहर निकाल दिया।
रोहन का लण्ड गीला हो चुका था और अब वो मेरी चूत में जाने के लिए बिल्कुल तैयार था।
रोहन उठा और उसने अपनी पॉकेट से कोई गोली निकाली और उसे खाकर वापस बेड पर आ गया, मेरी टांगों के बीच आकर बैठ गया।
मैंने उससे पूछा- रोहन यह किस चीज की टेबलेट खाई है तूने? तेरी तबियत तो ठीक है ना?
मेरी बात सुनकर रोहन बोला- नहीं मम्मी, मुझे कुछ नहीं हुआ… यह टेबलेट तो चुदाई का समय बढ़ाने के लिए है।
मैंने रोहन को कुछ नहीं बोला।
फिर रोहन ने मेरी टांगों को फैलाया और अपने लण्ड को मेरी चूत पर लगा दिया, पहले धक्के में ही उसने अपना आधा लण्ड मेरी चूत में घुसेड़ दिया और फिर लगातार दूसरे धक्के में रोहन का पूरा लण्ड मेरी चूत के अंदर था।
फिर उसने लगातार झटकों से मुझे चोदना शुरू कर दिया और मैं भी मस्त होकर सिसकारियों के साथ चुदाई का मजा लेने लगी।
मैं मस्ती में रोहन को और उत्तेजित करने लगी- हाँ… हाँ… बस ऐसे ही! ऐसे ही… मेरे लाल… शाबाश… चोद मुझे! चोद दे मेरी चूत को अपने इस मोटे लंड से! और ज़ोर से… और ज़ोर से! हाँ बेटा..ऐसे ही… बस ऐसे ही चोद मुझे! आहहहह… रोहन.. मेरे लाल… चोद डाल अपनी मम्मी को… आहह…
अब रोहन और तेजी के साथ मुझे चोदने लगा।
रोहन ने अपने हाथों से मेरे मम्मों को फिर से दबाना शुरू कर दिया, उसके दोनों हाथ मेरे मम्मों को जकड़े हुए थे।
उसके धक्के लगातार मेरी चूत को अंदर तक निचोड़ रहे थे।
मैं काफी उत्तेजित हो चुकी थी इसलिए मेरा बदन जल्दी ही अकड़ने लगा, मैंने रोहन को बोला- मैं झड़ने वाली हूँ!
तो उसने और तेज धक्के लगाना शुरू कर दिए और मैं चिल्लाते हुए झड़ने लगी- हाए मेरी चूत… उफफ्फ़… ओह्ह… माय्य… गॉडड… फ़क्क… मीईई… रोहन… आज तो लगता है मैं मज़े से मर ही जाऊँगी… मेरे लाल, तू मुझे चोद कर कितना मज़ा दे रहा है… उफ्फ़… अहह…
‘हाँ और चोद अपनी माँ की चूत… अंदर तक घुसेड़ दे रोहन.. अपने लण्ड को… उफफ फफफ्फ़… अहह… आह चोद डाल मादरचोद… चोद डाल अपनी माँ को… हे भगवान मेरा निकलने वाला है… मैं झड़ रही हूँ…’
और मैं झड़ गईम मेरा सारा पानी मेरी चूत से निकल कर बेड पर गिरने लगा।
मैं निढाल होकर बेड पर लेटी रही और रोहन लगातार अपने लण्ड को मेरी चूत में अंदर बाहर किये जा रहा था।
अब रोहन ने मुझे घोड़ी बना दिया और फिर मेरे पीछे आकर एक ही झटके के साथ अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में उतार दिया।
मेरे मुख से ‘आआहहह’ की हल्की सी चीख निकल गई।
रोहन ने फिर अपने धक्कों से मेरी चुदाई शुरू कर दी उसका लण्ड मेरी चूत में अब हल्का हल्का सा दर्द पैदा कर रहा था पर मैं इस सब से बेफिक्र अपने बेटे की खुशी के लिए उससे चुद रही थी।
रोहन के हाथ मेरी गांड पर थे और वो अब मेरी गांड को सहला और दबा रहा था।
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