09-19-2020, 12:58 PM,
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desiaks
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RE: Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
एम्बेसडर बैगमपुल जाने वाले मार्ग पर मुड़ी । मैंने थोड़ा फासला बनाये रखकर फालो किया । अब रफ्तार की न मुझे जरूरत थी , न ही उस गति से गाड़ी चला सकता था । रिक्शों . तांगों , साइकिलों , टैम्पू और भैसा बुग्गी आदि का बेतरतीय ट्रैफिक किसी को भी रफ्तार से ड्राइविंग नहीं करने दे सकता था । अब मेरी एक ही ड्यूटी धी ---- प्रिंसिपल को पता न लग पाये मैं उसके पीछे हूं । भरपूर सावधानी बरतता गुलमर्ग सिनेमा और बच्चा पार्फ के सामने से गुजरा । बेगमपुल के चौराहे से एम्बेसडर आबूलेन की तरफ मुड़ गयी । मैं पीछे लगा रहा । और फिर , एम्बेसडर एक बहुमंजिला इमारत के सामने रूकी ।
प्रिंसिपल बाहर निकला । गाड़ी लॉक की और इमारत में दाखिल हो गया । वह तनाव में नजर आ रहा था । उस इमारत की हर मंजिल पर ढेर सारे ऑफिस थे । जानता था . अगर एक वक्त के लिए भी वह आंखों से ओझल हो गया तो नहीं जान सकूँगा कि इमारत में किससे मिला ? क्या वात की ? अतः कार जहा थी , वहीं छोड़कर इमारत में दाखिल हो गया । वह लिफ्ट में दाखिल होता नजर आया । लिफ्ट का दरवाजा बंद हुआ । मैं दौड़कर उसके नजदीक पहुंचा । लिफ्ट एक ही थी । एक विचार आया ---- सीड़ियों के जरिए पीछा करने की कोशिश करूं । अगले पल मैंने यह मूर्खतापूर्ण विचार दिमाग से छिटका । नजरें लिफ्ट के दरवाजे के ऊपर गड़ाये रखीं । ऊपर की तरफ सफर करती लिफ्ट चौथी मंजिल पर रुकी । मैंने उसे ग्राउण्ड फ्लोर पर लाने के लिये बदन पुश किया । लिफ्ट ने नीचे आना शुरू कर दिया । कुछ देर बाद उसका दरवाजा खुला । अंदर दाखिल होते ही फोर्थ फ्तोर के लिए यात्रा शुरू कर दी । चौथी मंजिल पर लिफ्ट रुकी । दरवाजा खुला । मैं बाहर निकला ।
अगले दिन के अखवारों में हैडिंग था ---- कॉलिज की घटनाओं में नया मोड़ ! . वेद प्रकाश शर्मा का अपहरण ! इस हैडिंग ने मेरठ के लोगों और मेरे परिचितों में जो हंगामा मचाया सो तो मचा ही , मेरे परिवार की हालत सबसे ज्यादा खराब थी । मधु बार - बार कह रही थी ये सब मेरी वजह से हुआ है । मैंने ही उन्हें रियल स्टोरी लिखने के लिए उकसाया था । मै सोच भी नहीं सकती थी कि ऐसा होगा । जरूर हत्यारे के चंगुल में फंस गये हैं । फोन की घंटी बार - बार बज रही थी।
दृर - दूर से परिचितों और पाठकों के फोन आ रहे थे । उस गहन अंधकार में मधु को एक आशा की किरण नजर आई । विभा।
विभा जिन्दल और फिर फोन की घण्टी बजी । रिसीवर मेरी बड़ी बेटी करिश्मा ने उटाया । दूसरी तरफ से कहा गया ---- " मधु बहन हैं ? " " आप कौन ? " करिश्मा ने पूछा । “ जिन्दलपुरम से विभा जिन्दल । " मारे उत्साह के उछल पड़ी करिश्मा । वगैर माऊथीस पर हाथ रखे मधु को आवाज लगाकर बुलाया । मधु भागती दौड़ती फोन के नजदीक आई । करिश्मा के हाथ से रिसीयर छीना और बोली ---- " मधु बोल रही हूं विभा बहन , गजब हो गया । " "
हाँ , मैंने पेपर में पड़ा । " विभा की उत्तेजित आवाज उभरी ----
" कैसे हुआ ? "
" विभा बहन ! मैंने तो इनसे पहले ही कहा था आपको बुला लें मगर ये नहीं माने । " मधु बड़ी मुश्किल से खुद को फफकने से रोक रही थी ---- " मुसीबत की इस घड़ी में आप ही मेरी मदद कर सकती हैं । मेरठ आ जाइए । "
" मैं निकलने ही वाली थी । सोचा फोन करना मुनासिब होगा । क्या तुम कोई ऐसी बात बता सकती हो जो अखबार में न छपी हो ? " " अखबार पढ़ने का होश ही कहां है मुझे ! " " घबराने से काम नहीं चलेगा मधु बहन । होसला रखो । भगवान ने चाहा तो सब ठीक हो जायेगा । वेद अपना नया उपन्यास उन घटनाओं पर लिख रहा था । एक इन्वेस्टिगेटर की तरह पुछताछ करता फिर रहा था वह और इस्पैक्टर जैकी के हवाले से छपा है , मेरी इन्फ़ारमैशन के मुताबिक अंत में वेद जी ने प्रिंसिपल से पूछताछ की ।
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09-19-2020, 12:59 PM,
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RE: Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
बेडरूम कॉफी बड़ा था । बेड के अलावा एक सोफा सेट और ड्रेसिंग टेबल अति सलीके से रखी थी ।
" अरे ! " बेड के पीछे वाली दीवार पर नजर पड़ते ही जैकी उछल पड़ा -.-- " विभा जी , वैसे ही बल्लम ! "
उससे भी बुरी तरह चौंके बंसल दम्पत्ति ।
विभा के होठो पर चित्ताकर्षक मुस्कान थी । वेड के ठीक पीछे वाली दीवार पर दो बल्लम एक दूसरे को क्रास करते हुये लगाये गये थे । उनके बीच सजी थी एक चौड़ी ढाल। चेहरे पर हैरत के असीमित भाव लिये निर्मला ने बंसल से कहा ---- " ये क्या जादू हो रहा है ? दूसरा वल्लम कहां से आया ?
" बंसल ने विभा की तरफ देखते हुए कहा --- " इन्हीं की कारस्तानी लगती है । "
" क्या बताने की जरूरत रह गया कि मिसेज बंसल ने आपके कान में क्या कहा था ? "
" नहीं " बंसल पस्त हो चुका था ।
जैकी कह उठा ---- " आखिर मामला क्या है ? मुझे भी तो कुछ समझाइए विभा जी । " " मिसेज बंसल ने प्रिंसिपल साहब के कान में कहा था वेडरूम से एक बल्लम गायब है । सुनते ही प्रिंसिपल साहब की हवा शंट होनी थी ! हुई । क्योंकि ये जानते थे कि चन्द्रमोहन की हत्या बल्लम से की गयी है । करेला नीम चढ़ा इसलिए बन गया क्योंकि ठीक उसी समय ड्राइंगरूम में वैठा वेद इन्हें कातिल बता रहा था । यह सोचफर इनकी हालत खस्ता हो गयी कि यदि वेद को वल्लम के बारे में पता चल गया तो वह तुमसे कहकर इन्हें हथकड़ी लगवा देगा । उस अवस्था में वेद को ये बल्लम के बारे में न बता सकते थे , न बताया । "
" लेकिन ये बातें आपको कब और कैसे पता लग गयी ? "
विभा ने शोफर को इशारा किया ।
शोफर कमरे में पड़े सोफे के पीछे पहुंचा और किसी भारी वस्तु को खींचकर निकालने का प्रयास करने लगा । वस्तु बाहर आई तो जैकी ने देखा ---- यह एक बड़ा शख्म था । बंसल के मुंह से निकला -.- " अरे ! रामदीन ?
ये तो सब्जी लेने गया था । "
" वहां हमने पकड़ लिया । " विभा ने बताया ---- " जो कुछ हुआ था , इसके मुंह से वह उगलवाने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी । "
" लेकिन ये आपने किया कब ? " जैकी ने पूछा । " अखवार में साफ - साफ लिखा था और मधु बहन को फोन करके मैंने पुष्टि भी कर ली थी । वेद अंतिम बार प्रिंसिपल साहब के साथ देखा गया तथा उसके बाद इनका पीछा करता आबूलेन पहुंचा । इतना सुनना यह समझने के लिए काफी था कि यकीनन वेद और प्रिंसिपल साहब के बीच और भी बात हुई थी जिसके कारण वेद को पीछा करना पड़ा । पीछा करता हुआ ही यह गायब हो गया ।
अतः जिन्दलपुरम से सीधी यहां आई । उस वक्त रामदीन सब्जी लेने निकला था । मैंने सीधे प्रिंसिपल से बात करने से बेहतर रामदीन से बात करना समझा । पुराना नौकर घर का भेदिया होता है । वही हुआ । मौका देखकर मेरे इशारे पर शोफर ने इसे सड़क से गाड़ी में खींच लिया ।
इसे बताना पड़ा इनका वेद से क्या बातें हुइ और वेद के जाने के बाद पति - पत्नी के बीच क्या बात हुई ? वे बातें बल्लम के बारे में थीं । प्रिंसिपल साहब मिसेज बंसल से वार - बार कह रहे थे ---- बल्लम गायब होने की बात हमारे कान में कहकर तुमने समझदारी दिखाई । इस लेखक के बच्चे को तो पहले से ही हम पर शक है । बल्लम के बारे में भनक लग जाती तो तत्काल फांसी पर चढ़ा देता । "
" लेकिन इस मुसीबत से निकलेंगे कैसे ? " मिसेज बंसल ने पूछा ।
" यही सोच रहे है । दिमाग पर जोर डालते हुए प्रिंसिपल साहब ने कहा ---- इसके बाद इन्होंने क्या फैसला किया - यह रामदीन न सुन सका । रामदीन से जहां मुझे इतनी बातें पता लगी वहां यह भी पता लग गया कि वास्तव में चन्द्रमोहन की हत्या इन्होंने नहीं की । ये बेचारे तो खुद बल्लम के गायब होने से परेशान थे । " विभा की बातें सुनकर बंसल दम्पति ने राहत की सांस ली । वंसल ने पुछा---- " लेकिन बल्लम पुनः यहां कैसे आ गया ? " " रामदीन और बल्लम को हमारे शोफर ने ठीक उस वक्त किचन लॉन में खुलने वाली खिड़की के जरिए यहां पहुंचाया जिस वक्त मिसेज बंसल भी ड्राइंगरूम में पहुंच चुकी थीं । आपको मैंने उत्तेजित ही इसलिए किया था कि आप चीखने चिल्लाने लगे और मिसेज बंसल वहां पहुंच जायें । बहरहाल , अपने शोफर को रास्ता तो क्लियर देना ही था । उसके बाद मैं बातों को थोड़ा लम्बा खिंचकर समय गुजारती रही ताकि शोफर काम पूरा करके वापस गाड़ी पर पहुंच जाये ।
यहां आने की बात हमने तभी कही जब सब - इंस्पैक्टर से शोफर के बाहर होने की पुष्टि कर ली । "
" हद है । " जैकी बोला --- " आपने सारा काम इतने योजनाबद्ध तरीके से किया , हमारे सामने किया और हमें इल्म तक नहीं हो पाया ? "
" तुम दिमाग के खिड़की - दरवाजे बंद रखते हो जैकी , इसलिए नहीं जान पाये । वरना सोचते , हम बल्लम साथ क्यों लाये और फिर उसे गाड़ी में छोड़ने की क्या तुक हुई ? "
" रामदीन कहाँ था हमारे पास ? "
" गाड़ी की डिक्की में।
"ओह"
" आओ , आबूलेन चलते हैं । " विभा ने कहा
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