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RE: Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
जो हुआ , उम्मीदों में एकदम उलटा था । लविन्द्र सर उनसे आदर्श भरी बातें करने लगे । हिमानी मैंडम भी वो नहीं निकली जो अपने हाव - भाव और पहनावे में नजर आती थी। कैमरा बगल में दबाये मैं दबे पांव वहां से निकल जाने पर मजबूर हो गया । "
" और बस ! " जैकी ने कहा ---- " मेरे होठों पर कामयावी से लबरेज़ मुस्कान दौड़ पड़ी । जो जानना चाहता था , जान चुका था ।
अल्लारखा को वापस जीप में बैठाया और सीधा यहां आ रहा हूं । "
" अब मुझे यकीन हो गया जैकी ! तुम बाकई पैंतरे सीख रहे हो । असल में तुम कोई एनकाउंटर करने वाले नहीं थे । सब - इंस्पैक्टर और तुम मिले हुए थे । वे बाते अल्लारखा को उस मानसिक अवस्था तक पहुंचाने के लिए की गई जिसमे अततः वो पहुंचा । अंदाज ऐसा था जैसे बातें इससे छुपाकर की जा रही हो जबकि मकसद वे बातें इसे सुनाना था ।
यकीनन जबरदस्त टैक्निक इस्तेमाल की तुमने । इस टेकनिक से चाहे जब , चाहे जिस मुजरिम को तोड़ा जा सकता है । "
गदगद होते जैकी ने कहा ---- " तारीफ के लिए शुक्रिया बिभा जी । " मन ही मन मैं भी जैकी की तारीफ किये बगैर न रह सका ।
हकलाते हुए अल्लारखा ने कहा ---- " म - मैं आप लोगों से एक रिक्वेस्ट करना चाहता हूं । " सबने सवालिया नजरों से उसकी तरफ देखा । " प - प्लीज कालेज में किसी को न बतायें मैंने हिमानी मैडम को ... "
" और क्या कहेंगे ? " मैं गुर्राया ---- " क्यों छोड़ दिया गया तुम्हें ? "
जैकी ने राय दी ---- " हत्यारा दूसरों की राइटिंग की नकल मारने माहिर है । लेटर अल्लारखा नहीं , उसी ने लिखा है । '
" इस प्रकार से तो हत्यारा समझ जायेगा हम झूठ बोल रहे हैं ? वह कृत्य भी उसी पर थोप रहे हैं जो उसने नहीं किया । "
" समझ जायेगा तो समझे । फायदा क्या मिलेगा उसे ? "
" उल्टा हमें ही फायदा मिलने की उम्मीद है । " विभा ने कहा ---- " वह समझेगा ---- हम इतने मूर्ख और कमजोर है कि अल्लारखा तक से सच्चाई उगलवाने की काबलियत नहीं रखते । उसके दिमाग में हमारी ऐसी छवि , फायदा पहुंचायेगी । इन्वेस्टिगेटर को झूठी और काबलियतहीन समझने वाला मुजरिम यकीनन वैसी गलतियां करता है जैसी गलतियों की मुझे तलाश है । "
तय वही हुआ जो विभा चाहती थी । उसने कहा ---- " अल्लारक्खा को होस्टल छोड़ आओ । " जैकी उसे लेकर चला गया । मैं विभा से पहेली के सम्बन्ध में बात करना चाहता था परन्तु उसने सोने की इच्छा जाहिर की । मधु ने उसे गेस्टरूम में पहुंचा दिपा । काश मैं जान सकता ---- सोने की बात उसके जहन में दूर - दूर तक नहीं थी । जैकी कालिज पहुंचा । टोलियां बनाये स्टूडेन्ट्स परिसर में पहरा दे रहे थे । तेज रोशनी बाले बल्ब लगाकर उन्होंने पूरा फैम्पस प्रकाश - मान कर रखा था । जैकी ने जब लेटर के बारे में वह कहा जो तय हुआ था तो स्टूडेन्ट्स में खुशी की लहर दौड़ गयी ।
राजेश ने अल्लारक्खा को गले लगा लिया । कहा -- " मैं जानता था यार , वैसा लेटर तू नहीं लिख सकता । ऐसा गंदा मजाक तूने पहले भी कभी नहीं किया । " अल्लारखा की आंखें भर आई ।
एकता बोली ---- " मेरे ख्याल से हत्यारा स्टूडेन्ट्स में से कोई नहीं हो सकता । "
" तो हत्यायें क्या अध्यापक कर रहे हैं ? " ऐरिक घुड़का।
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RE: Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
" एकता का मतलब यह नहीं था सर " संजय बोला ।
" और क्या अभिप्राय था ? "
जैकी ने मध्यस्तता की ---- " आप व्यर्थ रुष्ट हो रहे हैं अध्यापक महोदय ! एकता ने वह वाक्य भावुकतावश कहा है । "
जैकी के शुद्ध हिन्दी बोलने पर सभी स्टूडेन्ट्स ठहाका लगाकर हंस पड़े । माहोल थोड़ा सामान्य हुआ ।
जैकी ने पूछा ---- " कैम्पस में इतनी रोशनी क्यों कर रखी है तुम लोगों ने ? "
" क्योंकि रोशनी काले दिलवालों की दुश्मन होती है । " जवाब रणवीर ने दिया । उसके कहने का स्टाइल ही ऐसा था कि जैकी सहित सभी हंस पड़े ।
हंसी थमने पर जैकी ने कहा ---- " तुम लोग कहो तो मैं पुलिस पहरे का इन्तजाम कर सकता हूं । "
" उसकी जरूरत नहीं है इस्पैक्टर साहब । " राजेश ने कहा ---- " हत्यारे से खुद निपटने का फैसला कर लिया है हमने । विभा जी ने ठीक कहा ---- दिल से डर निकालकर एक हो जाये तो कैम्पस में पत्ता तक नहीं फ़ड़क सकता । "
" गुड ! " जैकी कह उठा- " अब मैं चलता हूं । होशियार रहना । और हां , शिफ्ट बनाकर पहरा दोगे तो बेहतर होगा । सबको आराम भी मिलना चाहिए । "
" वही प्रोग्राम बनाया है । " राजेश ने बताया ---- " जो लोग इस वक्त कैम्पस में हैं , वे दो बजे हॉस्टल में जाकर सो जायेंगे । जो सो रहे है , दो बजे से उनकी ड्यूटी शुरू होगी । "
संतुष्ट होने के बाद जैकी चला गया । संजय ने अल्लारखा से कहा ---- " अब तू जाकर आराम कर । "
" नहीं । मैं तुम्हारे साथ पहरे पर रहूंगा । "
" तू पहले ही बहुत थका हुआ होगा यार । " राजेश बोला ---- " इस्पैक्टर ने टार्चर न किया सही , हवालात में तो रखा है । फिक्र मत कर । यहां हम हैं ! तू जाकर सो जा । "
यह बात अल्लारक्खा से सभी ने कहीं मगर वह नहीं माना । कहने लगा ---- " कमरे में जाकर लेट भी गया तो नींद नहीं आयेगी । "
लबिन्द्र बोला ---- " इसकी इच्छा पहरे पर रहने की है तो क्यों जिद करते हो ? यही सही , लेकिन अल्लारक्खा , कम से कम फ्रेश तो हो सो तुम ! "
“ हा ! ये ठीक है । मैं अभी आता हूं । " कहने के बाद वह हॉस्टल की तरफ बढ़ गया । तेज कदमो के साथ , गैलरी पार करके अपने कमरे के बंद दरवाजे पर पहुंचा । जेब से चाबी निकालकर ताला खोला।
अंदर दाखिल होते ही दरवाजे की बैक में लगा स्विच ऑन किया । कमरा ट्यूब की दूधिया रोशनी से भर गया । कपड़े उतारकर बेड पर डाले और बाथरूम में घुस गया । दस मिनट बाद वापस कमरे में आया । नाइट सूट पहना और उसके ऊपर वह नाइट गाऊन डाल लिया। जिसका पीठ पर हेलमेट वाले ने कुछ लिखा था । पूर्व की भांति उस पर लिखा कोई अक्षर चमक नहीं रहा था । नाइट गाऊन पहने कमरे से बाहर निकला । ताला लगाया और गैलरी में बढ़ गया । पांच मिनट बाद बह राजेश , दीपा , रवीना , रणवीर और लविन्द्र सर की टुकड़ी में शामिल था ।
मेरी बातें सुनकर मधु के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी । उसकी ऐसी हालत देखकर ठहाका लगा उठा मैं ! फिर बोला ....
" क्या हुआ ? "
" ये सब आपने ठीक नहीं किया । "
" न करता तो मेरा उल्लू कैसे सीघा होता ? "
" लेकिन अब तो उन्हें हकीकत बता देनी चाहिए । "
“ पहली बार विभा से मजा लेने का मौका मिला है । जमकर छकाऊंगा । तुम्हें याद है ---- जिन्दलपुरम में उसने कितना छकाया था ?
सारी इन्वेस्टिगेशन हमारी आंखों के सामने करती रही लेकिन भेद की कोई बात वक्त से पहले नहीं बताई । "
" वक्त से पहले किसी को कुछ न बताना उनकी कार्य प्रणाली है । "
" उसी कार्य प्रणाली को देखना है इस बार । देखता हूं कब तक क्या - क्या छुपाती है मुझसे ? "
" मेरे ख्याल से आप ठीक नहीं कर रहे । "
" अब दूसरे एंगिल से सोचो । हत्यारे के दिमाग का फ्यूज उड़ा हुआ नहीं होगा क्या ? "
" वो सब तो ठीक है मगर .... मधु का वाक्य पूरा होने से पहले टेलीफोन की घंटी घनधना उठी । डेढ़ वजा रही घड़ी पर नजर डालते हुए मैंने रिसीवर उठाकर हैलो कहा । दूसरी तरफ से हड़बड़ाहटयुक्त स्वर में कहा गया --- " लविन्द्र भूषण बोल रहा हूँ वेद जी । "
" क्या हुआ ? " आहट की आशंका का मारा मैं बोला ।
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RE: Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
" विभा जी कहां है ?
" बात बोलो ! हुआ क्या है ? "
" अल्लारक्खा का मर्डर ! "
" उफ्फ ! " मैं बुदबुदा उठा । " जल्दी से उन्हें सूचना दीजिए । " कहने के साथ फोन काट दिया गया ।
मैने रिसीवर क्रेडिल पर पटका । '
मधु ने पूछा ---- " क्या हुआ ?
" मैंने बताया तो आश्चर्य से मुंह फाड़े मेरी तरफ देखती रह गयी वह । मैंने वेड से सीधी जम्प दरबाजे पर लगाई । फर्स्ट फ्लोर की बॉल्कनी में पहुंचा ।
बगल वाला दरवाजा गेस्टरूम का था । उसे मैने खटखटाया नहीं बल्कि आवेशित अंदाज में बुरी तरह भड़भड़ा दिया । चीखा --- " विभा ! विभा ! जल्दी से दरवाजा खोलो । " मगर । अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं उभरी ।
मैं चकित हैरान ......
जानता था ---- विभा को जगाने के लिए हल्का सा खुटका काफी है । और इस वक्त तो मैंने इतना शोर मचा दिया था कि ग्राउन्ड फ्लोर पर अपने - अपने कमरों में सोये करिश्मा , गरिमा , खुश्बू , शगुन , विनोद , बहादुर और छोटू ही नहीं , माता पिता भी हड़बड़ाकर उठ गये ।
इसके बावजूद गेस्टरूम से कोई आवाज नहीं उभरी । मेरे लिए यह हैरानी की बात थी । हड़बड़ाया हुआ मैं दरवाजा खोलकर फर्स्ट फ्लोर के टैरेस पर पहुंचा । गेस्टरूम की एक खिड़की टैरेस की तरफ थी । बह खुली पड़ी थी । कमरे में नाइट बल्ब का प्रकाश विखरा हुआ था ।
डबल बेड पर कोई नहीं था । मैंने आवाज लगाई ---- " विभा ! विभा ! " जबाब नदारद । मैंने झांका । मगर छोटी गैलरी में खुलने वाले दरवाने पर पड़ी । वह खुला हुआ था ।
" क्या हुआ ? " तेजी से दौड़कर नजदीक आती मधु ने कहा ---- " विभा बहन बोल क्यों नहीं रही ?
" उछल पड़ी मधु ---- " कहाँ गयीं ? " " जरूर कॉलिज की तरफ गई होगी । " कहने के साथ मैं अपने कमरे की तरफ लपका ।
विभा कालेज कैम्पस में मौजूद एक ऐसे पेड़ पर बैठी थी जहां से काफी दूर - दूर तक निगाह रख सकती थी । हमेशा विधवा के लिबास में रहने वाली विभा के जिस्म पर इस बक्त टाइट जींस , टाइट शर्ट और उसके ऊपर काले चमड़े की जैकेट थी । पैरों में काले पीटी शूज और सिर पर लम्बे छजजे वाला कैप लगाये हुए थी । जगह - जगह स्टूडेन्ट्स के दल पहरा देते नजर आ रहे थे । उनमें प्रोफेसर्स भी थे । विभा ने खुद को घने पत्तों के बीच एक चौड़ी डाल पर स्थापित कर रखा था । कुछ देर बाद उसे एक अधेड़ शख्स अंधेरे में छुपता - छुपाता इसी पेड़ की तरफ बढ़ता नजर आया । विभा की आंखें स्वतः उस पर जम गइ । हालांकि वह खुद को अंधेरे में रखने की भरपूर चेष्टा कर रहा था परन्तु रोशनी इतनी थी कि बार - बार उसके दायरे में गुजरना पड़ता । ऐसे ही एक क्षण विभा ने उसे पहचान लिया । वह नगेन्द्र था । कॉलिज का चपरासी । वह चोरों की तरह छुपता - छुपाता इस तरफ़ क्यों आ रहा है ? यह सवाल विभा के दिमाग में अटक कर रह गया । कुछ देर बाद वह पेड़ की जड़ में छिपे अंधेरे में आकर खड़ा हो गया । उसने जेब से बीड़ी का बंण्डल और माचिस निकालकर एक बीडी सुलगाई । वहीं खड़ा - खड़ा कश लगाने लगा । विभा अभी कुछ समझ भी नहीं पाई थी कि एक अन्य दिशा से एक और साया उसी तरह चोरी - चोरी पेड़ की तरफ बढ़ता नजर आया।
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" विभा जी कहां है ?
" बात बोलो ! हुआ क्या है ? "
" अल्लारक्खा का मर्डर ! "
" उफ्फ ! " मैं बुदबुदा उठा । " जल्दी से उन्हें सूचना दीजिए । " कहने के साथ फोन काट दिया गया ।
मैने रिसीवर क्रेडिल पर पटका । '
मधु ने पूछा ---- " क्या हुआ ?
" मैंने बताया तो आश्चर्य से मुंह फाड़े मेरी तरफ देखती रह गयी वह । मैंने वेड से सीधी जम्प दरबाजे पर लगाई । फर्स्ट फ्लोर की बॉल्कनी में पहुंचा ।
बगल वाला दरवाजा गेस्टरूम का था । उसे मैने खटखटाया नहीं बल्कि आवेशित अंदाज में बुरी तरह भड़भड़ा दिया । चीखा --- " विभा ! विभा ! जल्दी से दरवाजा खोलो । " मगर । अंदर से कोई प्रतिक्रिया नहीं उभरी ।
मैं चकित हैरान ......
जानता था ---- विभा को जगाने के लिए हल्का सा खुटका काफी है । और इस वक्त तो मैंने इतना शोर मचा दिया था कि ग्राउन्ड फ्लोर पर अपने - अपने कमरों में सोये करिश्मा , गरिमा , खुश्बू , शगुन , विनोद , बहादुर और छोटू ही नहीं , माता पिता भी हड़बड़ाकर उठ गये ।
इसके बावजूद गेस्टरूम से कोई आवाज नहीं उभरी । मेरे लिए यह हैरानी की बात थी । हड़बड़ाया हुआ मैं दरवाजा खोलकर फर्स्ट फ्लोर के टैरेस पर पहुंचा । गेस्टरूम की एक खिड़की टैरेस की तरफ थी । बह खुली पड़ी थी । कमरे में नाइट बल्ब का प्रकाश विखरा हुआ था ।
डबल बेड पर कोई नहीं था । मैंने आवाज लगाई ---- " विभा ! विभा ! " जबाब नदारद । मैंने झांका । मगर छोटी गैलरी में खुलने वाले दरवाने पर पड़ी । वह खुला हुआ था ।
" क्या हुआ ? " तेजी से दौड़कर नजदीक आती मधु ने कहा ---- " विभा बहन बोल क्यों नहीं रही ?
" उछल पड़ी मधु ---- " कहाँ गयीं ? " " जरूर कॉलिज की तरफ गई होगी । " कहने के साथ मैं अपने कमरे की तरफ लपका ।
विभा कालेज कैम्पस में मौजूद एक ऐसे पेड़ पर बैठी थी जहां से काफी दूर - दूर तक निगाह रख सकती थी । हमेशा विधवा के लिबास में रहने वाली विभा के जिस्म पर इस बक्त टाइट जींस , टाइट शर्ट और उसके ऊपर काले चमड़े की जैकेट थी । पैरों में काले पीटी शूज और सिर पर लम्बे छजजे वाला कैप लगाये हुए थी । जगह - जगह स्टूडेन्ट्स के दल पहरा देते नजर आ रहे थे । उनमें प्रोफेसर्स भी थे । विभा ने खुद को घने पत्तों के बीच एक चौड़ी डाल पर स्थापित कर रखा था । कुछ देर बाद उसे एक अधेड़ शख्स अंधेरे में छुपता - छुपाता इसी पेड़ की तरफ बढ़ता नजर आया । विभा की आंखें स्वतः उस पर जम गइ । हालांकि वह खुद को अंधेरे में रखने की भरपूर चेष्टा कर रहा था परन्तु रोशनी इतनी थी कि बार - बार उसके दायरे में गुजरना पड़ता । ऐसे ही एक क्षण विभा ने उसे पहचान लिया । वह नगेन्द्र था । कॉलिज का चपरासी । वह चोरों की तरह छुपता - छुपाता इस तरफ़ क्यों आ रहा है ? यह सवाल विभा के दिमाग में अटक कर रह गया । कुछ देर बाद वह पेड़ की जड़ में छिपे अंधेरे में आकर खड़ा हो गया । उसने जेब से बीड़ी का बंण्डल और माचिस निकालकर एक बीडी सुलगाई । वहीं खड़ा - खड़ा कश लगाने लगा । विभा अभी कुछ समझ भी नहीं पाई थी कि एक अन्य दिशा से एक और साया उसी तरह चोरी - चोरी पेड़ की तरफ बढ़ता नजर आया।
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RE: Thriller Sex Kahani - मिस्टर चैलेंज
दोनों एक साथ खड़े हो गये ।
वे सचमुच आंसुओं से रो रहे थे ।
" इसका मतलब तुम जान गये हो कि मैं क्या जान गई हूँ ? " इन शब्दों के साथ जो कुछ विभा ने कहना शुरू किया , कम से कम मेरे और जैकी के लिए वह पहेली जैसा ही था -- " जानोगे भी क्यों नहीं ? कैम्पस में बता चुकी हूँ कि हेलमेट वाले से हुई मुठभेड़ से पहले में कहा थी ।
समझ सकते हो , तुम्हारी सारी वकवास मैंने सुनी है । "
" हम दोनों तबाह जायेंगे विभा जी । " नगेन्द्र ने कहा --- " नौकरी चली जायेगी हमारी । "
" नर्क में गिरने से पहले नहीं सोचा था ? " दोनों चुप । " ये तो मर्द है । मैं तुमसे पूछती हूं ललिता । क्या सोचकर कीचड़ में गिरी तुम ? क्या दुनिया में जिस्मानी भूख ही सबकुछ है ? तुम्हारे पति को पता लगेगा तो क्या होगा ? "
अब जाकर मेरी और जैकी के बुद्धि के कपाट खुले ।
ललिता कह रही थी --- " इसने मुझे बहका लिया था मैडम । "
" शटअप ! " बिभा गुर्राई -.-- " तुम बच्ची नहीं हो ! जिसे वहका लिया । "
पुनः खामोशी । " कब से चल रहा है ये सब ? " दोनों गर्दन झुकाये खड़े रहे । विभा गुराई- " जबाव दो ! "
" छह महीने से । दोनों एक साथ बोले । "
सत्या मैडम जानती थी ? "
" अपनी बातों के दरम्यान तुमने कहा था पहले चन्द्रमोहन मरा । फिर हिमानी ! कहा था न ? " " क्यों कहा ऐसा ? "
ललिता ने पहली बार चेहरा ऊपर उठाकर पूछा --- " क - क्यों इसमें भी कुछ गलत था ? "
" हां ! गलत था । " " इ - इसमें क्या गलत था मैडम ?
" तुम सोचो ! सोचकर जवाब दो क्या गलत था इसमें ? "
कुछ देर चुप रही ललिता , फिर बोली --- " म - मुझे तो कुछ गलत नहीं लग रहा । "
" तुम जबाब दो नगेन्द्र । जो कहा उसमें क्या गलत था ? "
" पहले चन्द्रमोहन नहीं , सत्या मैडम मरी थीं । "
" आई बात समझ में । अब बोलो ---सत्या मैडम को कैसे भूल गयी तुम ? ये क्यों नहीं कहा कि पहले सत्या , फिर चन्द्रमोहन और उसके बाद हिमानी का मर्डर हुआ । "
" म - भूली नही थी । भूलने का तो सवाल ही नहीं उठता । बस जो मुंह में आया वह कहती चली गयी । बात को इतनी गहराई तक मैं सोच भी कैसे सकती थी ? "
" और कोई कारण तो नहीं है ? "
" अ - और क्या कारण हो सकता है ? "
इस बार विभा उन्हें केवल घुरती रहीं । बोली कुछ नहीं । थोड़े अंतराल के बाद कहा ---- " अब तुम जा सकते हो । मगर सुनो । यदी चाहते हो ये करतूत इस कमरे में बंद रहे तो जो कर रहे थे , उसे फौरन बंद कर दो । "
बार - बार बादा करने के बाद दोनों बाहर गये ।
विभा ने फिर मुझसे दरवाजा बंद करने के लिए कहा । मैं समझ गया । अभी उसके पास कोई और गोट भी है । अतः लपककर दरवाजा बंद किया । पलटकर उसकी तरफ बढ़ते हुए कहा- ' कभी - कभी तुम महत्वहीन बात को ज्यादा लम्बी नहीं कर देती हो विभा ? "
" कौन सी बात की तरफ इशारा है तुम्हारा ? " “ यही कि ' तुमने अपने सैन्टेन्स में सत्या का नाम नहीं लिया । "
" काश तुम समझ सकते . यह महत्वहीन नहीं बल्कि अत्यन्त महत्वपूर्ण बात है । यह ऐसी बात है जो स्वप्न में भी किसी के मुंह से नहीं निकलनी चाहिए ।
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