मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-08-2021, 12:53 PM,
#81
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
अब मेरी मेरी पत्नी उर्मि और प्रशांत सर अकेले मेरे कंप्यूटर सेंटर में थे . मैं फटा फट भाग कर 4th फ़्लू r पे आगया और कॉरिडोर से होता हुआ बिल्डिंग की पीछे वाले इलाके में चला गया . वहां पर लकड़ी का दरवाज़ा सिर्फ चिटकनी के साथ बंद था. दरवाज़ा खोल कर मैं अन्दर घुस गया और अन्दर से चिटकनी लगा ली. ये हमारे कंप्यूटर सेंटर की किचन थी. किचन में घुप अँधेरा था. थोड़ी थोड़ी लाइट बस दरवाज़े के नीचे से आ रही थी. लेकिन सर्विस विंडो के शीशे पर ब्लैक कलर का चार्ट चिपकाया हुआ था. जो की पुराना हो चूका था और थोडा थोडा सा फट रहा था. मैंने थोडा सा उसे और फाड़ा और मेरा कंप्यूटर सेंटर पूरा दिखाई दे रहा था!.

प्रशांत और उर्मि .मेरे ऑफिस केबिन में थे. उसने उर्मि को कुछ कहा और वो उठ कर गयी और मैं दूर को लॉक कर दिया. लॉक ऐसा था जो कि बाहर से भी खुल सकता था और अन्दर से भी. उस लॉक कि एक चाबी मेरी जेब में थी. मैं चाहता तो अपनी पत्नी का भांडा फोड़ सकता था. पर पता नहीं क्यों मैं उसे किसी दूसरे मर्द से चुदने कि चाहत दिल में बिठा चुका था. और वो भी वो आदमी जिसने मेरे सामने ही मेरी पत्नी के बारे में बहुत कुछ बताया था. अब मुझे सिर्फ इस बात का इंतज़ार था कि क्या उर्मि ने ये सब मुझे ये कॉन्ट्रैक्ट दिलवाने कि लिए किया है?

इतने में उर्मि वापिस आई और प्रशांत ने उठ कर उसे अपनी बाहों में भर लिया और लगा उर्मि के होंठ चूसने. वे मुझ से करीब 25 फ़ुट कि दूरी पे थे पर साफ़ पता चल रहा था कि उर्मि भी पूरा साथ दे रही थी. अब प्रशांत ने अपने एक हाथ उर्मि के चूतड पे रखा और उसे दबाने लगा. फिर दूसरा हाथ भी दूसरे चूतड पे रख के दबाने लगा. उर्मि के होंठ प्रशांत के होंठों से चिपके हुए थे ओए वो उन्हें बिलकुल अलग नहीं कर रही थी. तभी प्रशांत ने एक उंगली उर्मि के चूतडों की दरार में घुसा दी और उर्मि थोडा सा उछल पड़ी. अब धीरे धीरे प्रशांत अपने हाथों से उर्मि की साड़ी उठाने लगा.
तभी उर्मि ने प्रशांत को कुछ कहा और वो उस से अलग हो गयी और स्विच बोर्ड के पास जा कर लाइट बंद कर दी और मेरे केबिन में अँधेरा हो गया.

मैंने सोच की शायद वो शरमा रही है इसलिए लाइट बंद कर दी है. अब वो दोनों थोड़े थोड़े ही दिखाई दे रहे थे क्योंकि मेन हॉल में लाइट अभी भी जल रही थी और उसकी रोशनी मेरे केबिन में भी जा रही थी. लेकिन वो दोनों मेरे केबिन से निकल कर हॉल में आ गए और अब मुझे उस दोनों कि बातें सुनाई देने लगी. प्रशांत ने पूछा ''क्या हुआ, वहां क्यों नहीं?"

उर्मि ने कहा," वो जो विंडो है, वहां पे लाइट जलने से नीचे सडक पे पता लगता है कि सेंटर में अभी भी कोई है, और कोई आ न जाये इसलिए इस हॉल में ज्यादा ठीक रहेगा''.

' 'लेकिन यहाँ करेंगे कैसे. सोफा तो अभिनव के केबिन में ही है''.

"अरे बाबा जब करना होगा तो वहां चल पड़ेंगे. लाइट ज्यादा ज़रूरी है क्या?"

और इतना कहते ही प्रशांत ने उर्मि को फिर से अपने बाहों में जकड लिया और लगा चूमा चाटी करने. अब वो भी प्रशांत को बेतहाशा चाट और चूम रही थी. एक दुसरे को चूसते चाटते हुए ही प्रशांत ने उर्मि के ब्लाउज के हुक खोलने शुरू कर दिए. और थोडा सा पीछे हो कर सामने से उसके खुले ब्लाउज को देखने लगा.

"क्या देख रहे हो?"

"देख रहा हूँ कि तुम कितनी सेक्सी हो. ज़रा देखो अपने बूब्स को! कितनी सुंदर तरह से इस सेक्सी ब्रा में पैक्ड हैं."

"तो ये गिफ्ट पैक खोल के अपना गिफ्ट ले लो!"

और प्रशांत अपने दोनों हाथ उर्मि के पीछे ले गया और ब्रा के हुक खोलने लग गया. ब्रा के हुक खुलते ही उर्मि के बूब्स हलके से नीचे की और लहराए. अब प्रशांत उर्मि से अलग हो गया और २-3 कदम पीछे हट कर देखने लगा.

"अब क्या हुआ आपको?"

"देख रहा हूँ तुम्हें के क्या लाजवाब लग रही हो. थोडा सा साड़ी का पल्लू हटाओ."

और पल्लू हटाते ही प्रशांत के साथ साथ मैं भी अपनी पत्नी के सौंदर्य को निहारने लगा. ब्लाउज के खुले हुक और उसमें से झांकती वाइट ब्रा जो की अब हुक खुल जाने के कारण मुश्किल से उर्मि की चूचियों को ढक पा रही थी.उर्मि के निप्पल अभी भी ब्रा के पीछे ही थे लेकिन उसके बूब्स की गोलाइयाँ और शेप साफ़ नज़र आ रही थी.

"कार में तो बड़े उतावले होते हो इनको पकड़ने के लिए?और अब खोल के भी छोड़ दिए?"

"उर्मि ! क्या तुम्हें कभी किसी ने बताया है की तुम कितनी सेक्सी हो?"
"क्या मतलब ?"
"इधर आओ."

उर्मि प्रशांत के पास गयी और प्रशांत ने उर्मि की साड़ी के नीचे फिर से हाथ डाला और कुछ हलचल हुई. और उर्मि ने हलकी से मुस्कराहट के साथ हंसी की फुलझड़ी सी छोड़ी और कहा,"अरे रुको तो!"

और अब प्रशांत ने उर्मि की साड़ी और पेटीकोट ऊपर उठाना शुरू किया. घुटनों से साडी ऊपर उठे ही मैंने देखा की उर्मि की पीले रंग की पेंटी उर्मि के घुटनों में फंसी हुई थी. मैंने सोच की ओह्ह तो वो हलचल उर्मि की पेंटी को नीचे करने की थी. प्रशांत का एक हाथ उर्मि के चूचे को रगड़ रहा था और दूसरा हाथ साडी के अन्दर था.

क्योंकि उर्मि की पेंटी अब उसके घुटनों के आसपास थी इसलिए मुझे यकीं था की अब प्रशांत की उंगलिया मेरी पत्नी की चूत से खेल रही थी.

तभी उर्मि ने एक हलकी सी आह भर कर अपनी आँखे बंद कर ली....
"क्या हुआ? मज़ा आया?"

उर्मि ने हाँ में सर हिलाया और अपना हाथ प्रशांत की गर्दन में लपेट लिया.

उर्मि थोड़ी से जोर से हिली और बोली," प्लीज़ दो उँगलियाँ नहीं,एक से ही कर लो."

प्रशांत मेरी पत्नी की चूत में उंगली डाल रहा था.

तभी प्रशांत ने वहां पड़ी एक रिवॉल्विंग कुर्सी पे उर्मि को बिठाया और कहा,"उर्मि तुम्हारे हस्बैंड कितने लकी हैं, अगर मैं तुम्हारा पति होता तो दिन रात तुम्हारी साड़ी में ही घुसा रहता."

"तुम्हें क्या पता मेरी साड़ी में क्या है?"

"मेरी इन उँगलियों ने देख लिया है की क्या है तुम्हारी साड़ी में और वो ये बता रही हैं कि साड़ी में जो छेद है वो उँगलियों से खेलने कि नहीं है."

"तो फिर किस चीज़ से खेलने कि है?"

प्रशांत ने अपनी जीभ की टिप निकली और कहा,"-इस से."

ये कह कर प्रशांत, उर्मि की पेंटी निकालने लगा.

प्रशांत ने उर्मि को थोडा सा कुर्सी पर और लिटाया ताकि उसके चूतड़ थोड़े से बाहर निकल आयें और उर्मि की साड़ी को ऊपर उठा दिया. अब उर्मि की गोरी गोरी पिंडलियाँ और जांघे प्रशांत को तो क्या मुझे भी साफ़ साफ़ नज़र आने लगी. प्रशांत ने जांघो को थोडा सा खोला और अब उर्मि की चूत , जिस पर छोटे छोटे बाल थे, नज़र आने लगी

प्रशांत ने एक लम्बी सांस भरी और कहा-,"ओह गॉड ! उर्मि तुम्हारी चूत इतनी सुंदर है !"

"प्रशांत !! मुझे शर्म आ रही है. प्लीज़ ऐसे मत बोलो !"

"उर्मि ! सच कह रहा हूँ, इतनी सुंदर चूत मैंने आज तक नहीं देखी."
प्रशांत ने उर्मि की चूत की दरार में अपनी जीभ फिरानी शुरू की. और जैसे ही प्रशांत की जीभ चूत पर नीचे से ऊपर गयी, उर्मि ने एक छोटी सी सिसकी ली. अब प्रशांत ने अपनी जीभ पूरी बाहर निकली और उर्मि की चूत पर सबसे नीचे रखी और पूरी जीभ से उर्मि की चूत को चाटता हुआ धीर धीर ऊपर ले जाने लगा.

"आआ...ह्ह्ह्हह्ह.....प्रा ......शा ........नत .......ओह्ह्ह .....मर जा....उंगी......मैं.....अह्ह्

ह.......उह्ह्ह बस....बस प्रशांत....!!!"

इतना कहते ही उर्मि ने प्रशांत के बाल पकड़ किये और सारा शरीर अकड़ने लगा. और बोली,".प्रआस्स्श ......!!!!....ओह्ह्ह गौड़ड़ड़ !......ऑउच..........अह्ह्ह.... आई म.... कम्मिंग!! ....प्रशांत !!!

और ये उर्मि का पहला ओर्गास्म था. उर्मि ने शायद 1 मिनट तक लम्बी लम्बी साँसे ली.

"अरे उर्मि तुम तो पहले चखने में ही निकल गयी!.इतनी जल्दी !"
और उर्मि प्रशांत को देख कर मुस्करा दी और कहा,".प्लीज़ डू इट अगेन!"
और अब प्रशांत ने उर्मि की चूत को जीभ से चाटने की रेल सी चला दी. लगा मेरी बीवी की चूत को अच्छी तरह से चाटने. अब प्रशांत मेरी पत्नी की चूत के अंदर जीभ घुसाने लगा और उर्मि की आहें तेज़ होती गयी. प्रशांत ने अपना चेहरा थोडा सा पीछे किया और अपने हाथो की दोनों उँगलियों से उर्मि की चूत की फलको को खोलने और फिर अपनी पूरी लम्बी जीभ से अन्दर उनको को चाटने लगा.

तभी उर्मि ने कहा," लिंक माय क्लिट प्लीज़ .".

उसकी तरफ देख कर प्रशांत ने कहा,"अभी चाटता हूँ उर्मि,.तुम देखती जाओ आज तुम्हारी कैसे हर तमन्ना पूरी करूँगा." और ये कह कर प्रशांत ने उर्मि कि चूत की क्लिट अपनी जीभ के टिप से चाटना शुरू किया.

" अह्ह्ह्ह.....हाँ ..........धीरे थोडा धीरे प्रशांत........आउच ........अह्ह्ह...... अहह्म्म्म.....ओह माय गॉड . ये क्या कर रहे हो !!"और प्रशांत ने अब उर्मि की क्लिट अपने लिप्स के बीच में पकड़ लिया और चूसने लगा.

"बस करो प्रशांत !!!! मर जाउंगी मैं ......ऊह्ह्ह्ह .......फिर से होने वाली हूँ मैं .......आःह्ह.....ध्रुवव्वव्व.. .....आ रही हूँ मैं फिर से.......थोडा और......यहीं पे...बस यही पे...और करो .....आआआअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह!!!"

और उर्मि एक बार फिर से झड़ने लगी. १-२ मिनट तक अकड़ती रही और फिर निढाल हो कर कुर्सी पे अधलेटी सी हो गयी. प्रशांत एक विजयी मुस्कान के साथ उठा और कहा,"क्या हुआ उर्मि ? थक गयी हो क्या अभी से?"

उर्मि ने एक थकी हुई मुस्कान के साथ कहा," अगर कहूँ कि थक गयी हूँ तो क्या आप मुझे छोड़ दोगे?"

"अच्छा बाबा थोड़ी देर आराम कर लो."

"जी नहीं अब तो एक बार ही आराम होगा."
और उँगली से प्रशांत को अपने पास आने का इशारा किया.

जैसे ही प्रशांत उर्मि कि लेफ्ट साइड पे आया, उर्मि ऊपर मुंह करके प्रशांत की और देखने लगी लेकिन उसके हाथ प्रशांत के पैंट खोलने लगे. बेल्ट और पैंट के हुक खोलने के बात उर्मि ने प्रशांत कि पैंट नीचे सरका दी और प्रशांत ने सफ़ेद रंग का अंडरवियर पहना हुआ था.
प्रशांत ने पूछा,"क्या देख रही हो."

"अभी तो कुछ नहीं दिखा?"

" क्या देखना चाहती हो."

उर्मि ने कुछ नहीं बोला और उंगली से प्रशांत के अंडरवियर के उभरे हुए हिस्से की तरफ अपनी आँखों से इशारा किया.

"कौन रोक रहा है? देख लो."

उर्मि नीचे मुंह करके बोली, मुझे शर्म आ रही है."
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06-08-2021, 12:53 PM,
#82
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
प्रशांत ने कहा ,"जब ..."फिर से होने वाली हूँ मैं .......आःह्ह......आ रही हूँ मैं फिर से.......थोडा और......यहीं पे...बस यही पे...और करो" कह रही थी तो शर्म नहीं आ रही थी क्या...मेरा लौड़ा देखने में शर्म आ रही है अब !".

"हाय राम कितने गंदे हो आप....!!! कैसे कैसे बोलते हो".

"अरे अगर लौडे को लौडा नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे?"

" अच्छा अब चुप भी करो."

"तो फिर निकालो इसे बाहर नहीं तो फिर से कहता हूँ लौ..".

इतना कहता ही उर्मि ने ध्रुव के अंडरवियर धीरे नीचे करने लगी.

अंडरवीयर नीचे आते ही प्रशांत का कड़ा सा लंड बाहर आ गया.

लौड़े का टोपा मशरूम जैसा चिकना और मोटा.

उर्मि ने हाथ में ले कर लौड़ा थोड़ी देर तक मुठियाया....और फिर बिना कोई नोटिस दिए एक किस लंड के सुपाड़े पे दे दी.

जब से हमारी शादी हुई है उर्मि ने सिर्फ २ बार मेरे लंड पे किस की है. हाथ में ज़रूर पकड़ लेती है.

प्रशांत ने कहा,"निधि एक बात पूछूं"

उर्मि ने लंड पकडे हुए ध्रुव की और देखा और कहा "हाँ पूछिए"

"तुम्हारे पति से बड़ा है क्या"

उर्मि ने कहा ,"नहीं मेरे पति से बहुत बड़ा नहीं है, लेकिन इसका मशरूम शेप और गोरापन ज्यादा है."

उर्मि अभी भी प्रशांत के लुंड को मुठिया रही थी और फिर ऐसा हुआ की एक दम से अपनी जीभ निकली और लंड की लम्बाई को जीभ से चाटने लगी. नीचे से ऊपर-ऊपर से नीचे....और फिर मुह खोल के पूरा सुपाड़ा अंदर ले कर चूसने लगी.

उर्मि बड़ी मुश्किल से मेरे लंड चुस्ती थी और यहाँ मेरी बीवी किसी गैर मर्द के लैंड मुंह में डाल कर चूस रही थी. कितनी तम्मना थी मेरी की मेरी बीवी मेरा लंड चूसे. लेकिन वो आज किसी और की तम्मना पूरी कर रही थी.

उर्मि, प्रशांत के लौड़े को ऐसे चूस रही थी मानो पता नहीं कितने सालों से लंड चूसने की प्रैक्टिस है.
प्रशांत बड़बड़ाने लगा," फ़क यू उर्मि ! ओह्ह माय गॉड ! लगी रहो.....बहुत अच्छा लग रहा है." ५-७ मिनट चूसने के बाद उर्मि ने ध्लौड़ा मुंह से बहार निकाला और प्रशांत के टट्टे चाटने लगी.

तभी प्रशांत बोला," बस यार...अब और नहीं.....!!!"

उर्मि ने ऊपर देख कर पूछा क्या हुआ?

प्रशांत ने उर्मि को उठाया और कुर्सी पे बिठाया और कहा "चौड़ी करो अपनी टाँगे"

उर्मि ने कहा," अरे रुको ....यहाँ नहीं......कंडोम नहीं है....प्लीज़ ...बिना कंडोम के नहीं!"

प्रशांत उर्मि के चेहरे के पास आया और होंठो से होंठ मिला कर बोला, "उर्मि आई वान्ना फ़क यु राइट नाउ! मै तुमको नंगे लंड से यही चोदना चाहता हूँ! तुम्हरी चूत मेरे लंड को पूरा महसूस करे उर्मि रानी!".

उर्मि मिमयाती बोली," लेकिन बिना कंडोम के? ये मेरे सेफ डेज भी नहीं हैं,प्लीज़ प्रशांत मान जाओ !

प्रशांत बोला," सिर्फ एक बार कह दो तुम्हारा मन नहीं है मैं कुछ नहीं करूँगा."

उर्मि ने शर्माते हुए कहा,"मन तो बहुत है प्रशांत लेकिन बिना कंडोम के खतरा है,कहीं कुछ गडबड न हो जाये"

प्रशांत ने कहा ," उर्मि चिंता मत करो,तुम्हारे अंदर नहीं छोडूंगा ,पक्का जेंटलमैन प्रॉमिस."
और ये कह कर उर्मि के होंठ चूसने लगा .
यह कह के प्रशांत, उर्मि से अलग होने लगा.
.तभी उर्मि ने प्रशांत का लौड़ा (जो अब थोडा ढीला पड़ चूका था) पकड़ा और धीरे से कहा "अरे बाबा ! मैं कह रही हूँ आज तो कर लो पर फिर कभी कंडोम के बिना मत करना"

प्रशांत ने मुस्कुराते हुए कहा,"बहुत शरारती हो तुम."

और फिर अपना ठीला होता लौड़ा एक बार फिर से उर्मि के मुंह में दे दिया और उर्मि फिर से उसे चूसने लगी और 1 मिनट के अंदर ही फिर से एक दम कड़क लंड बना दिया.

अब प्रशांत ने अपना लौड़ा उर्मि के मुंह छुडवाया और उर्मि उसकी जांघे चौड़ी कर के उसकी चूत को 7-8 बड़े बड़े चुंबन दिए और उर्मि सिहरने वाली ही थी कि प्रशांत ने उसे छोड़ दिया.

प्रशांत जैसे ही उर्मि कि चूत पे अपना लौड़ा लगाने लगा तो उर्मि ने प्रशांत का लंड पकड़ा और चूत के ऊपर रख दिया. जिस चूत को मेरे लंड ने चोदा था अब वो मेरे ही ऑफिस में किसी गैर मर्द के साथ चुदवाने के लिए तैयार थी. और मैं एक बेचारे की तरह छुप के देख रहा था.

तभी उर्मि ने कहा," प्रशांत! अगर मुझे तुमसे प्यार हो गया तो?"और कह कर हंस दी.

"ओह्ह्ह! आई लव यु उर्मि!"और कह कर अपना लंड धीरे धीरे उर्मि की चूत में घुसेड़ना लगा.

" अह्ह्ह्ह्म्म्म्म ......आह.....धी..रे ...धी....रे....अहह....हाँ करो अब पूरा अंदर.....आउच .....पलीज़ .थोडा धीरे!"

और प्रशांत ने धीरे धीरे अपना पूरा लौड़ा मेरी पतिव्रता पत्नी की चूत में जड़ तक घुसा दिया.

" कैसा लग रहा है?"

"प्लीज़ प्रशांत अभी धक्के शुरू मत करना!" और उर्मि ने प्रशांत की बाहों को कस के पकड़ लिया और आँखे बंद कर ली और थोड़ी तेज़ आवाज़ में फिर से कहा, "प्रशांत अभी बाहर मत निकलना!!! मैं अह्हह्ह.....फिर से......ओह्ह्ह्ह्ह्ह....हे भगवान.......यार क्या हो तुम......आः.. अह्ह्म्म......ओह्ह गॉड ...आई आम कम्मिंग प्रशांत!!.येस्स्स .. !!! आई आम कम्मिंग अगेन!!"

और उर्मि एक बार फिर से झड गयी.

इधर प्रशांत ने उर्मि के झड़ते ही चूत की चुदाई शुरू कर दी...जैसे ही प्रशांत ने अपना लौड़ा उर्मि की चूत से बाहर निकालता तो लौड़ा उर्मि की चूत के गीलेपन से चमकता हुआ दिखाई देता. धीरे धीर प्रशांत ने झटकों की स्पीड बढ़ा दी और लगा चूत का चूरमा बनाने.

उर्मि के मुह से आवाज निकल रही थी," अहह..थो..डा ...धीरे....अह्ह्ह..ध्रुव..... ओह्ह्ह...प्लीज़ थोड़ा रुक के !"

"क्यों ...मज़ा नहीं आ रहा क्या ...धीरे धीर करूँगा तो मैं सुबह तक नहीं निकलूंगा !"

"बहुत मज़ा आ रहा है !कभी ऐसा महसूस नहीं किया!मन करता है चुदते चुदते मर ही जाऊं !"

"हाँ उर्मि अब हुई हो मस्त! निकल गयी न सारी शर्म.! तुम भी बोलने लग गयी ये सब."

इधर मुझे अपने कानो पर विश्वास नहीं हो रहा था ."चुदते चुदते मर जाऊं" ये क्या बोल रही थी मेरी उर्मि!

फिर यका यक प्रशांत ने अपना लौड़ा उर्मि की चूत से बारह निकाला और कहा-"निकलो बाहर कुर्सी से"

उर्मि कुर्सी से बारह निकली और अपने कपडे सँभालते हुए बोली," "क्या हुआ?"

प्रशांत कुर्सी पे बैठा और उर्मि को कहा "बैठो अब अपने यार पे !"

"बेशरम!क्या बोल रहे हो"

प्रशांत अपने लंड हो जड़ से पकड़ कर बोला "क्यों ये तुम्हारा यार नहीं है?अच्छा नहीं लगता ये"

उर्मि अपने चेहरे पे मुस्कान लाती हुई बोली "बहुत गंदे और बेशर्म हो" और प्रशांत के और से मुह फिरा के अपने चूतड़ पीछे की और बहार निकाल के दोनों जांघों के बीच से अपनी कलाई को ले जा कर मदमस्त लौड़ा पकड़ लिया और अपनी चूत के मुहाने पे लगाने लगी . जैसे ही लंड के टोपे ने उर्मि की चूत के होंठों को छुआ, उर्मि ने अपने चूतड़ों को नीचे करना शुरू कियाऔर धीरे धीरे उर्मि की चिकनी चूत एक बार फिर से प्रशांत का पूरा लौड़ा खा गयी.
उर्मि के दोनों चूंचियां अब प्रशांत ने अपने हाथों में पकड़ रखे थे. मुश्किल से पांच मिनट चुदाई चली होगी के उर्मि ने ऊपर नीचे होना बंद कर दिया और एक झटके के साथ प्रशांत के लौड़े पे बैठ कर लंबी लंबी साँसे लेने लगी.

"फिर झड गयी?"

"नहीं. अबकी बार थक गयी हूँ."

"ओके उठो फिर."

उर्मि प्रशांत के लौड़े पे से उठ गयी और फिर प्रशांत भी उठ गया.
प्रशांत ने कहा," उर्मि अपने कपडे उतर कर नंगी हो जाओ."
"हाय राम बेशरम ! और कितनी होऊं ?सब कुछ तो देख लिया मेरा और क्या बाकी है अब?"
"बस उर्मि अब गाडी स्टेशन पे ही आ के रुकेगी"

इसके बाद दोनों ने अपने कपडे निकलने शुरू किये और बिलकुल नंगे हो गए..

प्रशांत ने उर्मि से कहा," तुम इस मेज़ पे दोनों हाथ टिका के कड़ी हो जाओ मैं पीछे से घुसाऊंगा."

और उर्मि टेबल के ऊपर अपने दोनों हाथ टिका के खड़ी हो गयी. उर्मि की कमर और सुन्दर चूतड़ मेरी और थे. अब प्रशांत, उर्मि के पीछे आया और अपना लौड़ा उर्मि के चूत पे लगाया और एक ही झटके में अंदर कर दिया.
जैसे प्रशांत का लंड उसकी चूत में घुसा, उर्मि ने कहा,"आह्ह्ह.......हर बार...जान निकल देते हो !"

और प्रशांत ने टाप लगनी शुरू की....एक दो तीन चार .....धक् धक् धक् धक्.....लौड़ा पूरा बाहर जाता और फिर अंदर. मैं पीछे खड़ा ध्यान से यही देख रहा था....प्रशांत के लंड ने उर्मि की चूत चौड़ी कर रखी थी. अब उसने तेज तेज चुदाई शुरू की

"आआह्ह्ह्ह......प्रशांत ... ..रुकना मत.........ह्ह्ह ह्ह्ह्ह........हाय......उफ़.... .म्म्म..मम..मम्म्म.....लगे रहो...बहुत म...जा ...आह्ह्ह....आ रहा....आआऔऊउच.....है!!!"

और कस के मेज़ पकड़ कर झुक गयी, , उर्मि ने कहा का लंड एक पिस्टन की तरह अंदर बहार होता दिख रहा था .तभी प्रशांत ने उर्मि के चूतड़ पकडे और कहा," उर्मि,तैयार हो जाओ,बस अब आने वाला हूँ!!"

" ओह्ह........ह्ह्ह... ...अंदर नहीं बस....जहाँ मर्ज़ी कर दो.......मै भी झड़ने वाली हूँ!"
यह कह कर शायद उर्मि भी झड़ने लगी.
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06-08-2021, 12:53 PM,
#83
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
तभी प्रशांत ने अपना लौड़ा निकाला और उर्मि की गांड की दरार में रख दिया और मुझे कुछ दिखाई नहीं दिया. बस फिर मैंने देखा के उर्मि की गांड की दरार में से प्रशांत का गाढ़ा वीर्य उर्मि की मांसल जांघों की ओर बहना शुरू हुआ और एक के बाद एक वीर्य की लहर उर्मि की जांघों में से होती हुई उर्मि के टखनो तक पहुँच गयी और प्रशांत की जकड़न को देख कर लग रहा था की वो अभी भी अपने लंड को उर्मि की गांड पे अंतिम बूँद तक उर्मि के चूतडों की दरार में निकल देना चाहता था.

"बस करो प्रशांत,अब और कितना निकलोगे!"

ओर फिर प्रशांत , उर्मि पीछे से हटा तो उर्मि की खूबसूरत गांड, जांघे और टखने प्रशांत के वीर्य से चमक रहे थे और वीर्य अभी भी चूतडों से नीचे की और बह रहा था.

उर्मि ने कहा,"प्लीज़ मेरी अंडरवीयर दे दो."

प्रशांत ने अपने लंड को सहलाते हुए उर्मि की अंडरवीयर तक गया और उठा कर सूंघने लगा और हँसते हुए उर्मि को दे दी.उर्मि ने अपनी पीली पैंटी से अपनी गांड साफ़ करने लगी और फिर धीरे धीरे अपनी जांघें और टाँगे साफ़ की.फिर अपनी पैंटी को मेज़ पे रख के अपने कपडे पहनने लगी.
प्रशांत ने कहा," तुमने तो साफ़ कर लिया ,मेरा क्या होगा?"
उर्मि बोली," तुम भी मेरी ही पैंटी से साफ़ कर लो "और कह कर हँसने लगी

प्रशांत ने उर्मि को कन्धों से पकड़ा और कुर्सी पे बिठा दिया.

" क्या कर रहे हो?"

प्रशांत ने अपना लंड उर्मि की और किया और कहा," चूसो और लंड लो साफ़ करो ."

उर्मि ने सर हिला कर मन किया लेकिन प्रशांत ने ज़बरदस्ती उर्मि के होंठों पे अपना ढीला लंड लगाया और कहा- "उर्मि प्लीज़ डू ईट" और ये कह कर उर्मि के मुंह में ज़बरदस्ती ठूंसने लगा.

उर्मि ने अनमने ढंग से 7-8 चूसे मार कर ध्रुव का लौड़ा छोड़ दिया और सीधी खड़ी हो कर ज़बरदस्ती प्रशांत के होंठो के साथ होंठ मिला कर उसे किस करने कगी और शायद सारा (saliva)जो उसने प्रशांत के लंड से लिया था प्रशांत के ही मुंह में दे दिया और फिर अलग हो कर हँसने लगी.

और कहने लगी "टिट फॉर टाट! "

मै सब देखता रहा और अनजाने में अपने लंड को हिलाते हिलाते वही खड़ा खड़ा झड़ गया.

samaapt
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06-08-2021, 12:53 PM,
#84
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
सुहागरात में ऐसा ही होता है

आज से १५ साल पहले की बात है, मैं अपने पिता जी और माँ के साथ कानपूर से दूर एक कस्बे नरवाल में रहती थी. मेरा माता पिता दोनों ही तहसील में काम करते थे, में उनकी अकेली बेटी थी

हम लोग कुछ समय पहले ही नरवाल आये थे और वहीँ के एक स्कुल के मैनेजर साहब के घर में रहते थे. मै उसी स्कुल में ही पढ़ती थी. मैनेजर साहब ३७/३८ साल के थे और उनकी पत्नी ३५ साल की थी और उसी स्कुल की प्रिन्सिपल थी. क्यों की हम उन्ही के घर में किरायदार थे इसलिए काफी घुल मिल गए थे . मै उनको चाचा और चाची कहती थी उनके कोई बच्चा नही था इस लिए वो मुझे अपनी बच्ची की तरह ही प्यार करते थे और मेरा ख्याल रखते थे. मै जब स्कुल से लौटती थी तब माँ और पिता जी दफ्तर में ही होते थे इस लिए मेरी ज्यादा वक्त उनके साथ ही गुजरता था.

मेरे इम्तहान चल रहे थे तभी पिता जी के पास खबर आई की शासन से लखनऊ में एक वर्कशॉप लगी है जिसमे मेरे माँ और पिता जी का जाना जरुरी है. मेरे पिता जी परेशान हो गए की कैसे मुझे यहाँ छोड़े, अभी इम्तिहान चल ही रहे थे. पिता जी ने मैनेजर चाचा और उनकी पत्नी को अपनी समस्या बताई तो उन्होंने प्रिंसिपल चाची ने कहा," भाई साहब चिंता की कोई बात नहीं, आप जाये कनिका बिटिया को हम सम्भाल लेंगे, उसका साल खराब नही होने देंगे."

यह बात सुन कर मेरे पिता जी को सकून हुआ और फिर ५ दिन की वर्कशॉप के लिए माँ के साथ लखनऊ चले गये.

मेरा आखरी पेपर था, प्रिंसिपल चाची ने कहा-," आज आखरी पेपर है , भगवान का नाम लेकर पर्चा लिख आओ सब ठीक रहेगा. घर आने के बाद हम बाहर खाने जायेंगे."

मेरा पेपर अच्छा हो गया , बीच बीच में प्रिंसिपल चाची आकर मुझे देख भी जाती थी. स्कुल से लौट के मैंने कपड़े बदले और सो गयी. चाची भी थोड़ी देर बाद स्कुल से लौट आई और मुझे आवाज दी,"कनिका मेरे कमरे में आजाओ मै आगयी हूँ."
मैं चाची के पास लेटी तो चाची ने पूछा." पेपर कैसा रहा?"
मैंने कहा," बहुत बढ़िया!"
तभी चाची ने कहा-,"यह तो सिर्फ कागजी इम्तिहान था , तुम्हें जिंदगी के इम्तिहान के बारे में पता है?"
मैंने कहा," नहीं!"
चाची ने कहा,"माँ ने तुम्हें कुछ नहीं बताया?"
मैंने कहा-,"नही!"
"माहवारी के बारे में माँ ने कुछ बताया?"
"हर महीने में मुझे बहुत तकलीफ होती है, लेकिन माँ ने इसके लिये कुछ भी नहीं बताया।"
"तुम्हारी माँ बहुत व्यस्त रहती हैं, उन्हें पता ही नहीं कि बेटी कब जवान हो गई! लड़की को जीवन में बहुत सारी कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है जो अगर पता न हो तो पूरे जीवन में बहुत तकलीफ उठानी पड़ती है. अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें इसके बारे में आने वाले दो चार दिन में सब कुछ सिखा दूंगी और कोई फ़ीस भी नही लूँगी."

कुछ नया सिखने को मिलेगा, सोच कर मैं झट से मान गई। फिर हम सो गये।

शाम को मैनेजर चाचा घर आये, प्रिंसिपल चाची ने मेरे सामने चाचा से कहा," कनिका सब कुछ सीखना चाहती है, क्यों जी सीखा दे इसको?"
मैनेजर चाचा ने आँखों आँखों में प्रिंसिपल चाची से कुछ कहा तब वो बोली," अरे! तुम कनिका बिटिया से ही पूछ लो! क्यों कनिका, बता अपने चाचा को?"
मुझे चाचा में कुछ हिचकिचाहट दिख रही थी तो मैंने कहा ," चाचा हाँ ! आप दोनों मुझे सिखा दो."
उन्होंने कहा," तुम अपने माँ बाप को इसके बारे में कुछ नहीं बताओगी?"

मैं मान गई। शाम को पाँच बजे चाची मुझे बाज़ार ले गई, वहाँ उन्होंने मेरे लिये शॉपिंग की पर ऐसी शॉपिंग माँ ने कभी नहीं की थी !चाची ने मेरे लिये लाल रंग की सुंदर ब्रा और पैंटी खरीदी, वीट क्रीम और कुछ सौंदर्य प्रसाधन खरीदे। मुझे मेरी पसंद की ढेर सारी चोकलेट भी खरीद कर दी। मैं खुश थी।

छः बजे हम घर पहुँचे। बाहर धूप के कारण घर आकर चाची ने मुझे नहलाया और शरीर की सफाई के बारे में बहुत कुछ सिखाया। शाम सात बजे उन्होंने मुझे कहा,"आगे जाकर मुझे लड़की के सारे काम सीखने पड़ेंगे."

नई ब्रा और पेंटी पहन कर मुझे थोड़ा अटपटा लग रहा था क्योंकि मैंने पहले कभी ब्रा पहनी ही नहीं थी और चूत के बाल साफ करने से थोड़ी खुजली भी हो रही थी। चाची ने एक क्रीम लेकर दी रही और मुझे वहां के बाल साफ़ करने को कहा था.

तब लगभग साढ़े सात बजे चाची ने कहा-,"आज मैं तुम्हें जीवन का सबसे बड़ा पाठ सिखाऊँगी."

बाद में उन्होंने मेरी सुंदर तैयारी की, उनके शादी के खूबसूरत फोटो दिखाये और कहा-,"आज मैं तुम्हें दुल्हन बनाऊँगी."
मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन मन में गुदगुदी भी हुयी. कौन ऎसी १५ साल की लड़की होगी जिसे दुलहन का श्रंगार करना अच्छा न लगता हो? मैं भी मान गई.

बाद में उन्होंने मुझे उनका शादी का जोड़ा पहनाया, मेरी फोटो भी खींची, मुझे नजर ना लगे इसलिये काला तिल गाल पर लगाया।

मुझे मजा आ रहा था। बाद में चाची ने मुझे कहा," शादी पहली रात यानि ‘सुहागरात’ सबसे प्यारी होती है. हर लड़की इस रात के लिये तड़पती है. जिंदगी का सबसे बड़ा सुख इस दिन मिलता है."

मुझे चाची की पूरी बात तो नही समझ में आई लेकिन अंदर एक खलबली जरूर मची हुयी थी.

उन्होंने फिर कहा," क्या तुम वो मजा लेना चाहोगी? इसमें थोड़ा दर्द होता है पर मजा भी बहुत आता है. मैंने तो यह मजा तुम्हारी उम्र में ही कई बार चखा था और आज भी हर रात चख रही हूँ."

मैंने तुरंत हाँ कर दी।

सुहागरात में दुल्हन किस तरह बैठती है, कैसे अपने पति को बादाम का दूध पिलाती है, फिर कैसे शर्माती है, ये सब बताया और यह भी कहा," आज इसका प्रैक्टीकल भी तुम से करवाऊँगी."

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.

फ़िर उन्होंने कमरा सजाया, कमरे में इत्तर छिड़का. शादी के जोड़े में मुझे बड़ी गर्मी लग रही थी लेकिन मैं चुप रही क्योंकि मुझे कुछ नया सीखना था.

बाद में उन्होंने मुझे बेडरूम में पलंग पर घूंघट लेकर बिठाया.

थोडी देर में वहाँ मैनेजर चाचा आ गये, उन्होंने भी नया कुरता पैजामा पहन था. आज वो बहुत ही अलग लग रहे थे. तभी सुंदर नाइटी में उनके साथ कैमरा लेकर चाची भी पहुँची और मुझे बोली," यह तुम्हारी पहली सुहागरात है अपने पति (चाचा) और गुरु (चाची) के पैर छुओ."

मैं कपड़े सम्भाल कर पलंग से नीचे उतरी और चाचा के पैर छुए।

उन्होंने मुझे मुँह दिखाई के तौर पर 100 रुपये दिये. मैं खुश हो गई, फ़िर मैंने चाची के पैर छुए. उन्होंने आशीर्वाद दिया," ऐसी रात तुम्हारी जिंदगी में हर रोज आये!"

फिर आगे बढ़ कर उन्होंने मुझे चुम लिया और मेरे हाथ में तीन गोलियाँ देकर कहा," यह छोटी गोली तुम्हें बड़ी सहायता करेगी, इसे दूध के साथ ले लो और दूसरी गोली तुम्हें गरमाएगी करेगी, तीसरी गोली तुम्हें दर्द नहीं होने देगी."

चाची की दी हुई गोलियाँ मैंने बिना कुछ कहे दूध के साथ ले ली और पलंग पर घूंघट लेकर बैठ गई.

चाचा जी ने फिर मुझे प्यार से सहलाया मेरे बदन में मानो बिजली दौड़ गई. घूंघट के कारण कुछ दिख नहीं रहा था. चाचा चाची बात कर रहे थे, हंस रहे थे," फ़ूल सी गुड़िया है धीरे करना, वैसे मैंने गर्भ निरोधक गोली और पेन किलर भी दे दी है."

चाचा ने अपने कपड़े उतार दिये और वो अंडर वियर में आ गये. धीरे से उन्होंने मेरा घूँघट खोला और उनके मुँह से शब्द निकल पड़े-,"बहुत सुंदर, बिलकुल पारी!"

मैं सहम गई और आंखें बंद कर ली. उन्होंने मुझे बड़े प्यार से चूमा. पहले मेरे गालों को बाद में माथे को. मेरी बिंदी हटा दी, कान के बूंदे और गले का मंगल सूत्र भी निकाल कर रख दिया.

उसके बाद उन्होंने चाची को मेरी नथ निकालने को कहा. वे हंसी और बड़े प्यार से नथ निकाल दी.

धीरे धीरे वो मेरे पूरे बदन को छू रहे थे, मुझे गुदगुदी हो रही थी.

फ़िर उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरा घागरा खोल दिया. घागरा भारी होने से नीचे चला गया। मैंने पकड़ने की कोशिश की पर चाची ने मेरे हाथ पकड़ लिये.

फ़िर उन्होंने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और मैं थोड़ी चिल्लाई,"चाची ये क्या!"

पर चाची ने कहा," चुप रहो, सुहागरात में ऐसा ही होता है."

अब मैं केवल ब्रा और पेंटी में खड़ी थी और मैने मेरा मुँह हाथ से ढक लिया. मुझे शर्म आ रही थी पर गोली की वजह से उत्तेजना भी हो रही थी.

चाचा ने मुझे बाहों में भर लिया और जोर से दबाया. उससे मेरे चुचूक उनके सीने से रगड़ गये. चाची रसोई से बाऊल में रसगुल्ला ले आई और मेरे मुँह में दे दिया. चाचा ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और एक झटके में मेरी पेंटी निकाल फेंकी.

मैं डर गई.

तभी चाची ने और एक रसगुल्ला मुँह में खिलाते हुए मेरी ब्रा निकाल फेंकी.
मै नंगी होगयी थी .मेरा शरीर काँप रहा था. तभी मुझे महसूस हुआ की मेरी चूत पर कुछ रेंग रहा है. मैंने आँखे खोली तो देखा चाचा मेरी चूत पर अपनी जीभ रखे हुए है . मेरी चूत पर पहली बार ऐसा कुछ हुआ था और ऐसा लगा जैसे सैकड़ो कीड़े मेरी चूत पर रेंग रहे है. मै बेहद घबड़ाई, लेकिन न जाने क्यों मुझे वो एहसास अच्छा लग रहा था. तभी चाची मेरे चुचूक को अपने मुह में लेकर चूसने लगी.

मै दोनों इस तरह के अनजान एहसास को एक साथ पाकर कुनमुनाने लगी.

चाची मेरी चुन्ची को चूमते हुए बोली,"-,"ऐसा ही होता है सुहागरात में! चुप रहो और मजे लो."

चाचा की जीभ मेरी चूत में जाती तो मैं मजे से तड़प उठती. अब चाचा ने मेरे दोनों पैर ऊपर उठाये और चाची ने रसगुल्ले का रस मेरी चूत में डाल दिया.

बहुत गुदगुदी हुई. फिर चाचा ने अपनी जीभ से वो रस चाट चाट कर चूस लिया. बाद में चाची ने दो रसगुल्ले मेरी कड़क चूचियों में फंसा दिये और चाचा ने वो पूरी उत्तेजना से चूस कर खाये. इसमें मेरे चुचूक पर उनके दांत भी गड़ गये.

चाची ने कहा," गोली खाई है तो दर्द कम होगा."

अब चाची ने मुझे नीचे उतार कर बैठने को कहा और चाचा पलंग पर बैठ गये।

अब उन्होंने कहा,"आज मैं तुम्हे लंड चूसना सिखाती हूँ."

मैंने चौक कर चाची की तरफ देखा लेकिन चाची ने मेरी तरफ ध्यान न कर चाचा का अंडरवियर नीचे खीच दिया. जैसे ही उन्होंने ऐसा किया, चाचा का बड़ा सा लंड फ़ुफ़कारता हुआ निकल आया. मै तो उसको देख कर ही हड़बड़ा गयी. मैंने लड़को के लंड इधर उधर सड़क पर पेशाब करते हुए देखा था लेकिन ये तो बिलकुल ही उनसे अलग था. मै लंड देख बुरी तरह घबड़ा गयी थी. अजीब से दहशत दिल में होगयी थी लेकिन उसके साथ मेरी सांस भी भारी चलने लगी.

फिर उन्होंने चाचा जी का लंड अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी.वो उसको ऐसा चूस रही थी जैसे वो आइसक्रीम की बार खा रही हों.फिर उन्होंने मुझसे वैसे ही करने को कहा, लेकिन मैंने मना कर दिया.

तब उन्होंने चाचा के लंड पर ढेर सारा चॉकलेट लगा दिया और कहा," इसे चॉकलेट समझकर चूसो! बड़ा मजा आयेगा."

मैं मान गई क्योंकि मुझे चॉकलेट पसंद थी.

चाची ने चाचा का लंड पाने हाथ से पकड़ के मेरे ओठो पर लगा दिया और चाचा ने जोर लगा कर उसको मेरे मुँह ने डाल दिया. मुझे उनके लंड पर लगे चॉकलेट का स्वाद आरहा था और चाचा लंड को धीरे धीरे मेरे मुँह के अंदर बाहर करने लगे. चूसते-चूसते चोकलेट का स्वाद बदल रहा था. अब वो लंड बहुत बड़ा हो गया था और चाचा मेरे बाल पकड़ कर उसे अंदर तक मेरे गले तक डाल रहे थे. मुझे सांस लेना मुश्किल हो रहा था.

चाची मेरे चूचियाँ और चुचूक चूस रही थी.

तभी चाचा ने कहा," मैं झड़ने वाला हूँ!"

चाची ऊंघती हुयी आवाज में कहा,"अंदर ही झड़ जाओ."

और जोर से कुछ मलाई जैसी चीज मेरे मुँह में भर गई, वो मेरे गले तक पहुँची.मुझे ऐसा लगा कि मैं उलटी कर दूंगी पर चाची जी ने मुझे वो उगलने नहीं दिया और कहा,"यह अमृत है पगली! गिरा मत! पी ले!"

और मेरा मुँह ऊँचा करके ढेर सारा रसगुल्ले का रस मुँह में डाल दिया, मैंने वो रस पूरा निगल लिया.
अब चाची ने मुझे कहा," अब तुम्हारा आखिरी इम्तिहान परीक्षा है. इसमें तुम्हे पास होना ही है, नहीं तो जिंदगी बरबाद है."

तब चाचा फिर से खड़े हुये. वो हंस रहे थे.

चाची ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे दोनों पैर दूर-दूर कर दिये. अब उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिये।

अब दोनों पैरों में काफी अंतर था. अब वे मेरे सर की तरफ से आई और कहा," यह आखिरी इम्तिहान है ! इसे जरूर पास करना कनिका!"

और उन्होंने उनके और मेरी चूचियों पर ढेर सारी आईसक्रीम लगा दी और कहा,"- बिटिया., तुम मेरे चुचूक चूसना और मैं तुम्हारे!"

अब यह सिलसिला शुरू होते ही चाचाजी ने अपना लंड मेरी चूत में धकेला, मै दर्द से धर्रा गयी और मैंने चाची के चुचूक को काट लिया।

चाची ने चाचा से कहा," धीरे से बच्ची है!"

और चाची ने भी प्यार से मेरे चुचूक को काट लिया और हंसी, अब चाचा को इशारा किया और उन्होंने मेरे होंठों को अपने होंठों से चिपका दिया.

अब चाचा ने एक जोर का धक्का दिया तो उनका बड़ा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया.
चाचा ने ४/५ धक्के मार कर मेरी छोटी सी चूत में अपना लंड पूरा डाल दिया और मुझे पुचकारने लगे.

मैं जोर से चिल्लाई पर चाची ने अपने मुँह में मेरी आवाज दबा दी. मैं दर्द से तड़प रही थी.

तभी चाची ने थोड़ी बरफ मेरे शरीर पर रखी और मेरे उरोजों को सहलाने लगी और कहा,' कनिका बिटिया , तुम्हें माहवारी में हर महीने जिस काँटे से तकलीफ होती थी वो काँटा चाचा ने निकाल दिया है. अब तुम्हें कभी तकलीफ नहीं होगी."

और उन्होंने मुझे चादर पर गिरा खून भी दिखाया और कहा," यही वो गंदा खून है जो हर महीने तुम्हें तकलीफ देता था. अब थोड़ा और सह लो, सब ठीक हो जायेगा."

बाद में उन्होंने चाचा के लंड पर ढेर सारी क्रीम लगाई और कहा," इस क्रीम को तुम्हारे अन्दर लगा कर ये तुम्हारा इलाज कर देंगे, चिंता मत करो."।

अब उन्होंने मुझे घोड़ी जैसा बैठने को कहा ताकि मलहम ठीक से लगे.

अब चाचा ने लंड के सुपाड़े से मेरी चूत की आहिस्ता आहिस्ता रगड़ा और फिर धीरे धीरे अपना लंड अंदर डालना शुरू किया. मेरे नीचे लटकी चूचियों को चाची ने भी सहलाना शुरू कर दिया. अब मुझे दर्द तो हो रहा था लेकिन लंड का चूत के अंदर आहिस्ते आना जाना मजा देने लग रहा था. चाचा ने ऐसे ही धीरे धीरे मेरी चूत में ३/४ मिनट तक लंड अंदर बाहर किया और मेरी पीठ सहलाते रहे. मेरे मुह से सिसकी निकलना बंद ही नही हो रही थी. मजा तो आने लगा था लेकिन चाचा का लंड मुझे अभी भी दर्द दे रहा था.

फिर चाचा ने अपना लंड मेरी चूत से निकाल दिया और बिस्तर पर लेट गए और चाची से बोला ," सुनो कनिका धक गयी होगी उसकी टंगे भी मेरा वजन बर्दाश्त नही कर पा रही होगी. इसको ऊपर ही आने दो."

चाची ने मेरी चूंचियां छोड़ दी और मुझे चाचा के ऊपर आने को कहा. मुझे कुछ समझ में नही आया तो चाचा ने मेरी कमर पकड़ के अपने ऊपर लिटा दिया और मुझे चूमने लगे. फिर चाची ने चाचा का लंड पकड़ लिया और मुझे उनके लंड पर बैठाकर ऊपर नीचे होने को कहा. मेरी चूत से चाचा का लंड रगड़ रहा था और मुझे अच्छा भी लग रहा था . चाची अपने हाथ से ही चाचा का लंड मेरी चूत के ऊपर रगड़ा रही थी.

फिर चाचा ने मुझे एक बार लंड चूसने को कहा. इस बार मैं खुद मान गई और लोलीपोप जैसे उनका लंड चूसने लगी. चाची प्यार से मेरे बाल सहला रही थी और अपने पैर से मेरी चूत को भी सहलाने लगी.

चाचा अपनी कमर उठा उठा के मेरे मुह में लंड अंदर बाहर कर रहे थे और बोलते भी जा रहे थे,"कनिका तू बड़ी मस्त है!"
"इतनी जल्दी लंड चूसना सीख गयी."
"तुझे तो दिन रात चोदूंगा."

चाची के पैर का अगूंठा मेरी चूत अंदर खलबली कर रहा था और अनजाने में मै भी कमर हिलाने लगी.
चाची ने जब यह देखा तो बोला,"सुनो कनिका मस्त हो गयी है अब चोद दो इसको."

जैसे ही चाची ने ऐसा कहा , चाचा ने अपना लंड मेरे मुँह से निकल दिया और एक करवट लेकर मुझे बिस्तर पर गिरा दिया. वो खुद तेजी से मेरी टैंगो की तरफ चले गये. उन्होंने मेरी टांगो को फैला दिया. चाची ने तभीकहा,"अरे रुको! कनिका के चूतरो के नीचे पहले तकिया लगा दो, तभी तो कनिका बिटिया की चूत उभर के सामने आएगी और तुम्हारा लंड से मजा लेगी."

खुद चाची ने मेरे चूतरो के नीचे तकिया लगादी और चाचा का लंड पकड़ के मेरी चूत के द्वार पर रख दिया.

इस बार चाचा ने थोड़ा और क्रीम अपने लंड पर लगाया और एक धक्के में पूरा लंड मेरी चूत में समा दिया. मेरे मुँह से "मम्मी मर गयी!' निकल पड़ा. लेकिन चाचा रुके नही वो मेरी चूत में धक्के मारने लगे. उनका लंड कहि अंदर तक मुझे हिला दे रहा था. चाची नंगी मुझसे चिपटी रही और मेरे बदन को चूमते और सहलाते हुए बड़बड़ाने लगी,
" चोद कसके इसको!"
"बहुत दिनों से परेशान था चोदने को करले इच्छा पूरी!"
"क्या कोरी निकली!"

चाचा केवल "हाँ हाँ" बोलते जारहे थे और मुझे चोदते जा रहे थे. मुझे वाकई मजा आने लगा था और मै भी चाचा के लंड का साथ देने लगी.

मेरी चूंचियां फ़ूल गये थे, चूचक नुकीले हो गये थे , मेरे मुँह से "आह!! आह!! आई!!आई!!" की आवाजे निकल रही थी. तभी मुझे लगा जैसे मुझे पेशाब हो जायेगी और न चाहते हुए भी मुझे हो गयी. लगा जैसे मेरी चूत से कुछ निकला और एक नशा सा मुझ पर चढ़ गया. मै पस्त हो गयी , एक धकान सी मेरे शरीर छा गयी. पर चाचा रुकने वाले नहीं थे, उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ा कर, कस कस के मुझे चोदने लगे. और चाची से कहा," मेरा निकलने वाला है ! क्या करूँ?"

चाची ने कहा," अंदर छोड़ दो, मैंने गोली दे दी है।"

चाचा का तभी चेहरा तन गया और "आआआआआआह!" कहते हुए मुझसे चिपट कर मेरे ही ऊपर गिर गए. उनके लंड ने गरम गरम वीर्य जोर से मेरे अंदर छोड़ दिया. उनके वीर्य की गर्मी जैसे मेरी चूत के अंदर महसूस हुयी मैं एकदम से अकड़ गई और मुझे अंजाना सा सुख मिला.

हम तीनो ऐसी ही हालत में उसी बिस्तर पर सो गए.

मैं रात भर सोती रही और सवेरे ९ बजे मेरी आँख खुली.देखा चाची मेरे बगल में दूध का ग्लास लेकर बैठी हैं, वो ही मेरा चेहरा सहला रही थी जिससे मेरी आँख खुल गयी थी. उन्होंने मुझे पुचकारते हुए उठाया और दूध का गिलास देते हुए बोली,"कनिका बिटिया कैसी हो? अच्छा लगा?" मै चाची की तरफ देख के शर्मा गयी. लेकिन मुझे अपनी टांगो के बीच अभी दर्द सा महसूस हो रहा था. मैंने चाची से कहा," चाची वहां दर्द है."

उन्होंने मेरा सर सहलाते हुए कहाँ,"पगली पहले ऐसा ही होता है, आज रात तेरे सामने तेरे चाचा मेरे साथ करेंगे और फिर तुम्हरी चूत मारेंगे, तब तुमको ज्यादा मजा आएगा."

मै उनकी बात सुन कर अंदर ही अंदर बहुत रोमांचित हो गयी और रात का बेसब्री से इंतज़ार करने लगी. उस पूरी रात हमलोग नही सोये. कितनी बार मै झड़ी मुझे याद भी नही.

5 दिनों तक मैनेजर चाचा प्रिंसिपल चाची मुझे चोदते रहे और चुदाई सुख देते रहे . फिर मेरे पिता जी और माँ, लखनऊ से वापस आगये. उनके आने के बाद तो इतनी खुली छूट मुझे नही मिली लेकिन जब भी मौका मिलता था चाची किसी बहाने से मुझे अकेले में बुलवा लेती और चाचा मुझे चोद देते थे. एक साल बाद ही मेरे माँ बाप का तबादला हो गया और फिर मै मैनेजर चाचा और प्रिंसिपल चाची से कभी भी नही मिली. लेकिन मुझे आज भी उनकी याद आती है.
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06-08-2021, 12:53 PM,
#85
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
लौड़े की हालत खराब कर दी चिकनी चमेली ने

मेरा नाम अमन सिंह है.. मैं लखनऊ का रहने वाला हूँ।
मैं बताना चाहता हूँ कि मैं घर पर अकेला ही रहता हूँ। मॉम-डैड पास ही एक गाँव में रहते हैं।

वैसे तो अभी मैं ग्रॅजुयेट हुआ हूँ, तो जॉब के बारे में कुछ सोचा नहीं… बस घर पर ही रहकर अपनी आगे की पढ़ाई करता हूँ और डिफेन्स की तैयारी कर रहा हूँ।

वैसे भी मुझे डिफेन्स में जाने की बचपन से ही बहुत इच्छा थी और इसीलिए अपनी बॉडी को भी फिट कर रखा है।

मेरा कद 5 फिट 10 इंच है और मैं दिखने में भी काफ़ी आकर्षक हूँ। शायद इसीलिए लड़कियां मुझे देख कर ‘आहें’ भरती हैं।

अब मैं आपको अपनी कहानी पर ले चलता हूँ।

ये बात उन दिनों की है जब मैंने कॉलेज में प्रवेश लिया था।
यहाँ आए तो नया कॉलेज और नए लोग थे, पर जल्द ही अपने मस्त और हँसमुख व्यवहार के कारण बहुत मेरे सारे दोस्त बन गए।
उन्हीं में से एक ख़ास दोस्त नयना भी थी.. जिसे देखकर तो मेरा सुर ही बदल जाता है।
वो भी दिखने में बहुत सुन्दर.. एकदम अप्सरा लगती है।
उसके जिस्म के 36-32-36 कटाव भी क्या खूबसूरत थे..

वैसे तो हम एक-दूसरे को बस देखते थे.. खूब सारी बातें करते थे और एक-दूसरे को देख कर मुस्कुरा देते थे, पर एक दिन कुछ ऐसा हुआ कि हम इतने करीब आ गए कि आज भी हम एक-दूसरे को अलग करने को तैयार नहीं हैं।

उस समय गर्मियों के दिन थे और कॉलेज में भी छुट्टियाँ होने वाली थीं।
इम्तिहान हो चुके थे बस परिणाम आने का इंतजार था।

शाम के वक्त मैं छत पर कुछ दोस्तों के साथ मस्ती कर रहा था कि अचानक नीचे देखा कि नयना आ रही है।

अब उस समय गर्मी थी और हम सब दोस्त तो ऐसे ही सादा हाफ लोवर और टी-शर्ट में थे।

मैं जल्दी अन्दर गया और कपड़े बदल कर वापस आया तो देखा कि खिड़की पर नयना जो कि पहले ही आ गई थी।

मैं कुछ कह पता कि नयना ने खुद ही टोक दिया- आपकी ज़िप खुली है।

अब मेरी हालत पहले तो खराब थी ही बाकी नयना की बात सुनकर मैंने जल्दी से अपनी ज़िप बन्द की।

फिर हम दोनों कमरे में आकर सोफे पर बैठ गए और शायद तब तक सारे दोस्त भी चले गए थे।

मैं उस वक्त घर पर अकेला ही था।
मुझे चाय पीना बहुत अच्छी लगती है, इसीलिए मैं थोड़ी देर बात करने के बाद रसोई में चला गया।

थोड़ी देर बाद जो मैंने देखा तो उस पल मेरा तो बुरा हाल हो गया।

मैं चाय बना ही रहा था कि पीछे से नयना आई और मुझसे लिपट गई।

अब मेरा तो पहले से ही दिमाग़ काम नहीं कर रहा था.. फिर ऊपर से ये नयना की मस्त हरकत।

मैंने पीछे से नयना के हाथ को पकड़ कर आगे किया ही था कि वो मेरे सीने से लिपट गई और अपनी तेज हो रही सांसों से मेरे दिल में आग लगाने लगी।

मैं भी थोड़ा गर्म हो रहा था तो मैंने गैस बन्द की और नयना से कुछ कहने ही वाला था कि उसके होंठों ने मेरे होंठों को खूब कस कर जकड़ लिया।
अब मुझे भी थोड़ा-थोड़ा सुरूर छाने लगा।

मैंने नयना को अपनी बाहों में भर लिया और उसके चुम्बन का जवाब देने लगा।

उफ्फ.. उसके होंठ कितने मस्त थे कि उसे छोड़ने का मन ही नहीं कर रहा था।

करीब 15 मिनट तक चूमा-चाटी के बाद मैंने नयना को अपनी गोद में उठा लिया और अपने कमरे में ले गया।

हमारा घर थोड़ा बड़ा है तो कमरे भी बड़े ही बनवाए गए हैं।

मैंने नयना को अपने बिस्तर पर बड़े प्यार से लिटाया और फिर मैं भी उसके बगल में लेट गया और उसके होंठों को चूमने लगा।
अब अपने हाथों को उसकी ब्रा पर फेरने लगा।
फिर धीरे से उसके कपड़ों को उतारने लगा।

वो भी मेरा साथ दे रही थी।

मैं उसके होंठों को.. गालों को… माथे को.. कान के पास और फिर गले पर और कंधे पर जी भर कर चूमने लगा।

अब नयना मेरे सामने सिर्फ सफ़ेद ब्रा और गुलाबी पैन्टी में थी और मैं उसकी ब्रा को उतारने लगा…

तो नयना मेरे बेल्ट को ढीला करके मेरे बाबूलाल (लौड़े) को निकालने लगी।

ब्रा के खुलते ही नयना मेरे बाबूलाल को अपने हाथों से सहलाने लगी और कहने लगी- यह कितना बड़ा है?

मैंने कहा- मुझे नहीं पता..

तो वो उठी और वहीं से स्केल उठा कर मेरे बाबूलाल को नापने लगी।

वो खुशी से चिल्लाई- हे भगवान… पूरा 9 इंच का है..

मुझे भी यकीन नहीं हुआ.. क्योंकि पहली बार किसी लड़की ने मेरे लौड़े को हाथों से सहलाया था।

फिर नयना ने मेरे बाबूलाल को अपने होंठों में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूमने लगी।

मैं तो जैसे स्वर्ग में था… मैंने उसके बालों को पकड़ कर उससे अपने बाबूलाल को मस्ती से चुसवाने लगा।

थोड़ी देर में ही मेरा निकलने वाला था।

मैंने कहा- मेरा सैलाब निकलने वाला है।

तो वो भी बड़े जोश से बोली- मुझे पिला दो अपना रस.. मैं तो बहुत दिनों से इसी रस की प्यासी थी।

जैसे ही मेरा निकलने वाला था तो नयना ने बाबूलाल को दांतों में दबा लिया..
सच में दोस्तों मुझे इतना अच्छा लगा कि मैं देर तक अपने बाबूलाल को वैसे ही लगाए रहा और नयना मेरे बाबूलाल का रस पीकर बहुत खुश थी।

फिर नयना ने बाबूलाल को साफ़ किया और मेरे गालों पर काट लिया।

तब मेरी आँखें खुलीं और फिर अब प्यार का मेरा नंबर था। मैं भी कोई कसर नहीं छोड़ना चाहता था।

अब मैंने नयना को बड़े ही प्यार से चूमते हुए चित्त लिटा दिया और उसकी गुलाबी पैन्टी को नीचे खींच कर उसके जिस्म से अलग कर दिया।

हय.. उसकी चिकनी चमेली ने मेरे लौड़े की हालत फिर से खराब कर दी और मेरा बाबूलाल फिर से अंगड़ाई लेने लगा।
मैंने उसकी चूत की दरार में अपनी ऊँगली डाली, वो एकदम से चिहुंक गई.. रस से सराबोर उसकी चूत में मेरी ऊँगली घुसती चली गई।

उसने मीठी सी सिसकारी लेकर मेरा हाथ पकड़ लिया।

मैंने भी उसके ऊपर झुकते हुए उसकी नाभि को चूमा और अपने होंठों को उसकी चूत की तरफ लाना आरम्भ कर दिया।

‘अमन.. गुदगुदी होती है.. आह्ह..’

‘होने दो..’

मैं लगातार इस पल का मजा ले रहा था।

फिर मेरी जीभ की नोक उसकी चूत की दरार में घुस गई और वो एकदम से अकड़ी और अगले ही पल वो झड़ गई, उसका नमकीन पानी मेरी जुबान से छुआ मैंने चपर चपर करते हुए उसके रस को चाट लिया।

वो शिथिल होकर मेरे सर को अपने हाथों से पकड़े हुए थी।

अब मैंने बैठ कर उसको अपनी गोद में बिठाया और अपने सीने से लगा लिए।

वो अपने दोनों पैर मेरी कमर में लपेटे हुए मुझसे चिपकी हुई थी।

कुछ देर हम दोनों ऐसे ही लिपटे हुए बैठ रहे.. मेरा लवड़ा खड़ा हो कर उसकी चूत से स्पर्श कर रहा था।

मैंने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ों को उठाया और उसकी चूत के छेद को लौड़े की नोक पर सैट किया।

उसकी चूत अनछिदी थी। मेरा लौड़ा गीली चूत की दरार में घुस गया।

उसके मुँह से एक तेज ‘आहहह..’ निकली पर मैंने उसको अपनी बाँहों में भींचा हुआ था।

मैं कुछ देर तक उसके होंठों को अपने होंठो से दबा कर चूसता रहा और अपने चूतड़ों को उठाकर उसकी चूत में पेवस्त करने का मेरा प्रयास जारी था।

फिर मैंने उससे कहा- थोड़ा दर्द सहने को तैयार रहना अब मैं पूरा अन्दर करने जा रहा हूँ।

उसकी बन्द आखों ने मौन स्वीकृति दी और मैंने अपने पूरी ताकत से लवड़े को उसकी चूत में ठूंस दिया।

वो चिल्लाना चाहती थी पर मैं सजग था।
मेरे होंठ उसकी आवाज पर पहरा दे रहे थे।

कुछ देर तड़फने के बाद वो शिथिल हो गई।

मैंने भी उसको नीचे से ठोकरें लगाना आरम्भ कर दीं।

फिर जब वो कुछ सामान्य हुई तो मैंने कुछ इस तरह उसको लिटाया कि मेरा बाबूलाल उसकी मुनिया में ही रहा और उसी वक्त मुझे हल्के से खून की लालिमा दिखी पर मैं चुप रहा।
और अब पूरी तरह से उसके ऊपर चढ़ कर मैंने उसकी चुदाई आरम्भ कर दी।

कुछेक मिनट बाद वो अकड़ गई और झड़ गई पर मेरी धकापेल चालू थी फिर दस मिनट की चुदाई के बाद उसकी चूत ने फिर से अपना रस छोड़ना चालू किया तो मेरा बाबूलाल भी चूत के दरिया में डूब कर अपनी जान दे बैठा.. उसने उलटी कर दी थी।

हम दोनों ही निढाल हो कर एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे।

कुछ देर बाद उठे और फिर एक-दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे।

यह हमारे मिलन की दास्तान थी।

उम्मीद है आप सभी को अच्छी लगी होगी।
Reply
06-08-2021, 12:53 PM,
#86
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
कुंवारी पड़ोसन

हैल्लो दोस्तों, मेरा नाम जय है और में दिल्ली का रहने वाला हूँ, दोस्तों यह मेरी राज शर्मा स्टॉरीज पर आज पहली कहानी है जिसको में आज आप सभी को सुनाने जा रहा हूँ, यह मेरी एक सच्ची चुदाई की घटना है जिसमें मैंने अपने पड़ोस में रहने वाली अपनी पड़ोसन को चोदा, उसका नाम ललिता है। दोस्तों मुझे सेक्स करना बहुत अच्छा लगता था और जब भी में अपनी पड़ोसन को देखता उसी के बारे में सोचने लगता और कई बार उसके बारे में सोचकर मुठ भी मार चुका था क्योंकि वो थी ही इतनी सेक्सी और उसका वो गदराया हुआ बदन मुझे अपनी तरफ आकर्षित करने लगा था। उसका वो मस्त फिगर, पतली कमर और मस्त गांड मुझे अब बहुत अच्छी लगने लगी थी। मैंने बहुत बार उससे अपने मन की बात को कहना चाहा, लेकिन में ना जाने क्यों उससे कह ना सका और वो भी जब भी मुझे देखती थी तो स्माइल देने लगी थी और अब में अपनी उस घटना पर आता हूँ और आपको वो चुदाई की घटना पूरी विस्तार से सुनाता हूँ।

दोस्तों यह कहानी आज से दो साल पहले की है और दोस्तो में आपको अपने बारे में भी बता देता हूँ कि में बीसीए में एक कॉलेज का स्टूडेंट हूँ और मेरी हाईट 5.7 है और ललिता की हाईट 5.3 है, वो दिखने में एकदम एक सेक्स बॉम्ब है। उसको पहली बार में देखकर हर किसी का लॅंड सालामी देने लगता था, वो जब से 12th क्लास में थी तो में उसको तब से मन ही मन बहुत प्यार करने लगा था और जबसे वो हमारे पड़ोस में रहने के लिए आई थी उसका हमारे घर पर आना जाना लगा रहता था और में भी कभी कभी किसी ना किसी बहाने से उसके घर पर चला जाता था और उसे एक बार देखकर चला आता और वो भी मेरा उसके घर पर आने का मतलब समझने लगी थी कि में क्यों बार बार उसके घर पर आता जाता रहता हूँ। एक दिन उसकी मम्मी हमारे घर पर आई और उन्होंने मुझसे कहा कि वंदना के लेपटॉप में कुछ समस्या आ गई है, तुम घर पर चलकर ज़रा उसे देख लेना।

फिर मैंने उनसे कहा कि ठीक है आंटी जी में आज शाम को आपके घर पर आ जाऊंगा और आपको लेपटॉप की समस्या के बारे में बता दूंगा। आंटी मुझसे बोली कि ठीक है और अब उनके चले जाने के बाद में मन ही मन बहुत खुश हुआ और भगवान को मन ही मन धन्यवाद देने लगा। फिर में शाम को उनके घर पर चला गया और मैंने वहां पर पहुंचकर देखा कि आंटी और वंदना दोनों टीवी देख रहे थे, तब आंटी ने मुझसे बैठने के लिए कहा और में वहीं पर सोफे पर बैठ गया। अब तुरंत ललिता अपनी जगह से उठी और वो मेरे लिए पानी लेकर आ गई, वो जब मुझे पानी देने के लिए मेरे सामने आकर झुकी तो उसके वो बड़े ही सुंदर बूब्स मुझे साफ साफ दिखाई देने लगे। फिर में कुछ देर बूब्स को बिना पलके झपकाए एक टक नजर से देखने लगा और उसकी भी नजरे ठीक मेरी नजर के ऊपर थी तो में कुछ देर उसके बूब्स को देखकर अपनी नजर उस पर से हटाकर उसकी तरफ देखकर बोला कि कहाँ है लेपटॉप? तब आंटी उससे बोली कि तुम इसे अपने रूम में ले जाओ और अपना लेपटॉप अच्छी तरह से दिखा दो और तुम्हे जो भी समस्या हो वो भी बता देना। फिर वो मुझे अब अपने रूम में ले गई और फिर उसने अपना लेपटॉप निकाला और मुझे देते हुए उसने मुझसे मुस्कुराते हुए कहा कि यह अभी कुछ दिनों से बड़ा ही धीरे चल रहा है। फिर मैंने कहा कि ठीक है और में अब उसका लेपटॉप चेक करने लगा, वो रूम से बाहर चली गई। फिर मैंने लेपटॉप की कुछ इंटरनेट फाइल्स को खोलकर देखा और मैंने उसमे पाया कि वो सभी फाइल्स पॉर्न साइट्स से भारी पड़ी है और थोड़ी देर में वो वापस आ गई और मुझसे पूछने लगी कि क्या समस्या है? तो मैंने कहा कि इसमे बहुत सारे वाइरस है तो वो कहने लगी कि अब क्या होगा? मैंने कहा कि कोई बात नहीं इसमे मुझे एक एंटीवायरस डालना पड़ेगा। फिर वो मुझसे बोली कि डाल दो तो मैंने उससे कहा कि मेरे पास इस समय कोई एंटीवायरस सीडी नहीं है और फिर मैंने उससे कहा कि में कल आकर डाल दूँगा। फिर उसने कहा कि ठीक है और तभी में रूम से उठकर बाहर आ गया और आंटी मेरे लिए चाय बनाकर ले आई और में चाय पीने लगा, तभी मैंने आंटी को फोन पर किसी से बात करते हुए सुना कि वो कल कहीं बाहर जा रही है और मुझे उनकी बातों से पता चला कि सिर्फ़ आंटी और अंकल ही चार पांच दिनों के लिए कहीं बाहर जा रहे है।

अब मैंने अपनी चाय ख़त्म की और में अपने घर की और जाने लगा, तभी आंटी ने मुझसे पूछा कि क्यों बेटा लेपटॉप ठीक हो गया? तो मैंने कहा कि जी नहीं आंटी, उन्होंने पूछा कि वो क्यों ठीक नहीं हुआ क्या उसमे कुछ ज्यादा समस्या है? तो मैंने उनको वो सब समस्या जो कुछ देर पहले मैंने उस लेपटॉप के अंदर देखी सब उन्हें बता दी और उनसे कहा कि में कल आ जाऊंगा। फिर उन्होंने मुझसे मुस्कुराते हुए कहा कि ठीक है तुम कल आकर उसे ठीक कर देना और में अब अपने घर पर चला आया और अगले दिन जब में वंदना के घर पर पहुँचा तो मैंने देखा कि वो घर पर बिल्कुल अकेली थी और जब मैंने उससे पूछा तो उसने मुझे बताया कि उसके मम्मी, पापा तीन चार दिन के लिए किसी काम से बाहर गए हुए है। फिर मैंने कहा कि ठीक है और फिर वो मुझे अपने कमरे में ले गयी। मैंने उसके लेपटॉप में एंटीवायरस इनस्टॉल किया और फिर लेपटॉप को स्केन करने लगा, तब मुझे एक अजीब से नाम की फाइल्स दिखी जब मैंने वो फाइल्स को खोलकर देखा तो उसमे सेक्सी फिल्म और कुछ नंगे फोटो थे। में अब उन्हें बहुत देखकर हैरान हो गया क्योंकि मुझे उससे पहले बिल्कुल भी नहीं पता था कि वो भी एसी नंगी फिल्म या फोटो देखती है। तभी अचानक से वो वहां पर आ गई और मुझसे पूछने लगी कि क्यों लेपटॉप ठीक हो गया? तो मैंने तुरंत उन्हें हड़बड़ाहट में बंद कर दिया और कहा कि हाँ यह बिल्कुल ठीक हो गया है, लेकिन शायद वो मेरे चेहरे के उड़े हुए रंग और अचानक आए उस पसीने की वजह को समझ चुकी थी इसलिए वो मुझे अब एक शरारती तरीके से देखने लगी और तब तक मेरे अंदर भी सेक्स की आग अब धीरे धीरे बढ़ने लगी। फिर में वहाँ से उठकर सीधा अपने घर पर चला गया और मैंने तुरंत बाथरूम में जाकर उसके नाम से अपना लंड हिलाकर अपने शरीर की गरमी को बाहर निकालकर अपने लंड को शांत किया और अब में उसकी चुदाई के बारे में सोचने लगा कि में अब कैसे उसे चोद सकता हूँ यह विचार बार बार मेरे मन में आने लगे। फिर उसी शाम को उसकी माँ का मेरे पास फोन आया और उन्होंने मुझसे कहा कि तुम वंदना को रात में अपने घर पर बुला लेना क्योंकि वो आज अकेली है और फिर मैंने इस बात को अपनी माँ को बता दिया और मेरी माँ ने कहा कि ठीक है। फिर उसके कुछ देर बाद में मेरी माँ ने मुझे बुलाया और मुझसे कहा कि तुम वंदना को बुला लाओ, वो आज हमारे घर पर रहगी। फिर में वंदना के घर पर चला गया और जब में वहाँ पर पहुँचा तो मैंने दरवाजा खटखटाया और अंदर से एक आवाज़ आई कौन है दरवाजा खुला है अंदर चले आओ और जब में अंदर गया तो मैंने देखा कि वंदना उस समय टीवी देख रही थी, उसने एक पतला सा गाऊन पहना हुआ था और उसने उसके अंदर ब्रा नहीं पहनी थी जिसकी वजह से गाऊन के अंदर से उसके बूब्स के वो तने हुए निप्पल साफ साफ दिखाई दे रहे थे और अब में उसके बूब्स को लगातार देखता रह गया।

फिर वो उठी और उसने मुझसे बैठने के लिए कहा और फिर वो मेरे लिए पानी लेकर आ गई और जब वो मुझे पानी देने के लिए झुकी तो मुझे उसके बूब्स पूरी तरह दिख रहे थे और अब वो सब देखकर मेरा लंड तुरंत पूरी तरह तनकर खड़ा हो गया और वो मेरे खड़े लंड को लगातार घूर घूरकर देख रही थी। फिर मैंने उसे बताया कि वो आज हमारे घर पर रहगी क्योंकि उसकी मम्मी ने मेरे घर पर फोन करके यह बात कही है और में तुम्हे बुलाने आया हूँ। तो उसने कहा कि ठीक है, में अभी तैयार होकर आती हूँ और में वहीं पर बैठकर टीवी देखने लगा। तभी कुछ देर बाद मुझे उसकी बहुत ज़ोर से चिल्लाने की आवाज़ आई और में भागकर उसके कमरे में चला गया, वो एकदम मेरे पास आकर मुझसे लिपट गई और तब वो बिल्कुल नंगी थी और में उसके सेक्सी जिस्म की उस गरमी को बहुत करीब से महसूस कर रहा था और उसके वो मुलायम बड़े बड़े बूब्स को अपनी छाती से दबते हुए महसूस कर रहा था और में अचानक से हुई इस घटना के लिए भगवान को धन्यवाद देने लगा क्योंकि वो पूरी तरह से मेरी बाहों में लिपटी हुई थी और उसकी वो गरम गरम सांसे में बहुत करीब से महसूस कर रहा था, वो मेरे जीवन का सबसे अच्छा पल था जिसको में आज तक नहीं भुला सका। फिर मैंने ना चाहते हुए भी उससे पूछा कि क्या हुआ? क्योंकि में तो बस उससे ऐसे ही सदा चिपके हुए रहना चाहता था। दोस्तों ये कहानी आप राज शर्मा स्टॉरीज पर पड़ रहे है।

वो कहने लगी कि वो देखो कॉकरोच और इतना कहकर वो मुझसे अलग हो गई और मैंने आगे जाकर कॉकरोच को वहाँ से हटा दिया और मैंने उससे कहा कि ठीक है अब तुम तैयार हो जाओ मैंने उसे भगा दिया है और में अब बाहर जाने लगा, लेकिन अचानक से उसने मुझे रोक दिया और मुझसे कहा कि तुम यहाँ रुको अगर वो कॉकरोच दोबारा आ गया तो। मैंने उससे कहा कि अब वो कॉकरोच कभी नहीं आएगा और वो हंसने लगी तो मैंने उससे पूछा कि तुम मेरे सामने कैसे तैयार होगी? तभी उसने कहा कि तुमने तो पहले ही मुझे पूरा नंगा देख लिया है अब तुमसे क्या शरमाना? तब मैंने उसकी बातों के साथ साथ उसके इरादों को समझते हुए उसे एक लिप किस कर दिया और फिर उसने एक काली कलर की ब्रा निकाली और मेरे सामने पहनने लगी और अब उसने मुझसे कहा कि तुम ही मुझे पहना दो। फिर मैंने आगे बढ़कर उसे ब्रा पहना दी और फिर वो तैयार होकर मेरे साथ घर पर चल दी। फिर हमने चाय पी और उसके कुछ देर बाद माँ ने मुझे बाहर से कुछ सामान लाने को कहा, लेकिन सामान कुछ ज्यादा था इसलिए मैंने बोला कि में इतना सामान कैसे लाऊंगा? तो मम्मी मुझसे बोली कि वंदना को अपने साथ ले जाओ और फिर वो तुरंत मेरे साथ जाने के लिए तैयार हो गई और हम सामान लेने निकल पड़े। वो अब मेरे पीछे बाईक पर बिल्कुल चिपककर बैठ गयी और वो मेरी कमर पर अपने बूब्स रगड़ने लगी और में भी उसके मज़े लेने लगा। हम कुछ देर बाद सामान लेकर वापस आ गये और थोड़ी देर बाद हम खाना खाने लगे और खाना खाने के बाद हम सब टीवी देखने लगे। दोस्तों मेरे पापा तो पहले से ही सो गये थे और थोड़ी देर बाद मम्मी भी उठकर सोने चली गई। अब मेरी बहन प्रिया, ललिता और में ही बचे हुए थे, लेकिन कुछ देर बाद मेरी बहन भी उठकर अपने रूम में सोने चली गई। अब में और ललिता ही वहां पर बचे थे और उस समय टीवी पर चल रही फिल्म में एक हॉट सीन चल रहा था और उसे देखकर वंदना तुरंत बहुत हॉट हो गयी थी और वो अब मेरे पास होने की बात से बिल्कुल बेखबर होकर जोश में आकर अपने एक हाथ से अपने बूब्स दबाने लगी और वो अब धीरे धीरे गरम होने लगी थी। यह सब देखकर मैंने उससे मुस्कुराकर कहा कि क्या में दबा दूँ? और उसने यह बात सुनते ही होश में आकर एकदम अपना हाथ अपनी छाती से हटा लिया और फिर वो भी वहाँ से तुरंत उठकर सोने चली गई।

दोस्तों में और मेरी बहन एक ही कमरे में सोते है और में यह बात भी बहुत अच्छी तरह से जानता था कि मेरी बहन एक बार सोने के बाद थोड़ी ही देर में गहरी नींद में चली जाती है और उसको दोबारा उठाना बहुत मुश्किल ही नहीं नामुमकिन होता है और हमारे घर में सिर्फ़ दो बेडरूम है। फिर मैं भी अब कुछ देर और टीवी देखकर सोने चला गया और जब में अंदर आया तो मैंने देखा कि वंदना सिर्फ़ जालीदार मेक्सी में लेटी हुई है और मेरी बहन अपनी गहरी नींद में जा चुकी थी, फिर भी मैंने उसे एक बार ज़ोर से हिलाकर देखा, लेकिन वो बिल्कुल भी नहीं हिली। अब मैंने फिर से पलटकर उसकी मेक्सी की तरफ देखा जिसमे से उसका गदराया हुआ पूरा बदन साफ साफ नजर आ रहा था और वो बहुत बैचेन सी नजर आ रही थी क्योंकि वो अब अपनी चूत की उस आग को ठंडा करना चाहती थी और इस वजह से वो बार बार करवटे बदल रही थी। फिर में भी अब कुछ देर उसकी बैचेनी को जानकर, समझकर अपने बेड पर आकर लेट गया और अब मुझे भी नींद नहीं आ रही थी क्योंकि आग हम दोनों के जिस्म में बराबर लगी हुई थी इसलिए में भी अपनी आखें बंद करके उसके बारे में सोचता रहा और कुछ देर बाद मुझे ऐसा लगा कि कोई मेरे साथ लेटा हुआ है, लेकिन फिर भी में अपनी आखें बंद करके लेटा रहा और अब मैंने महसूस किया कि उसका एक हाथ मेरे लंड पर है और वो धीरे धीरे आगे बढ़ता जा रहा है, लेकिन में अब भी वैसे ही लेटा रहा और कुछ देर बाद उसने मेरा लंड हिलाना शुरू कर दिया और अब थोड़ी ही देर में मेरा लंड तनकर खड़ा हो गया था। फिर मैंने भी सही मौका देखकर अपना एक हाथ तुरंत उसके बूब्स पर रख दिया और अब में भी उसके बूब्स को दबाने लगा, मसलने लगा। फिर में उठकर उसे किस करने लगा और वो भी मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी। थोड़ी देर बाद मैंने उसके कपड़े उतार दिये और उसके बूब्स को चूसने और दबाने लगा। अब हम दोनों 69 पोज़िशन में आ गए और वो मेरा लंड चूसने लगी और में उसकी गरम, प्यासी, चूत चाटने लगा और अब वो मुझसे कह रही थी कि अब मुझसे रहा नहीं जाता प्लीज इसे अंदर डाल दो। फिर मैंने कुछ देर चूत को चूसने के बाद उसके दोनों पैरों को फैला दिया और अपना लंड उसकी चूत के मुहं पर रख दिया और धीरे धीरे अंदर डालने लगा। मैंने महसूस किया कि उसकी चूत एकदम टाईट थी, लेकिन गीली होने की वजह से मेरा लंड फिसलता हुआ धीरे धीरे अंदर जाने लगा और अब मैंने जोश में आकर थोड़ा ज़ोर लगाया तो लंड थोड़ा सा अंदर चला गया और वो चिल्लाने लगी। फिर में अपने होंठो से उसके होंठो को चूसने लगा और उसके बूब्स को दबाने लगा और जब कुछ देर बाद उसका दर्द थोड़ा कम हुआ तो मैंने एक ही ज़ोर के धक्के से अपना पूरा का पूरा लंड अंदर डाल दिया और अब उस दर्द की वजह से उसकी आँख से आँसू निकलने लगे और वो मुझे अपने उपर से हटाने की कोशिश करने लगी, लेकिन में नहीं हटा। अब में थोड़ी देर अन्दर वैसे ही बिना हिले-डुले अपना लंड उसकी चूत डालकर पड़ा रहा।

फिर जब कुछ देर बाद उसका दर्द मुझे कम होता हुआ महसूस हुआ तो में एक बार फिर से धीरे धीरे धक्के देने लगा और अब वो भी मेरा पूरा पूरा साथ देने लगी और थोड़ी देर बाद उसने मुझे कसकर पकड़ लिया और अब उसने अचानक से अकड़कर अपना पानी छोड़ दिया। मैंने उसका झड़ना महसूस किया, लेकिन में अभी भी उसे लगातार धक्के देकर चोद रहा था और जब मेरा वीर्य निकलने वाला था तभी मैंने अपना लंड उसकी चूत से बाहर निकालकर अपना पूरा वीर्य उसके ऊपर डाल दिया। कुछ देर हम वैसे ही लेटे रहे। फिर हम उठे और बाथरूम जाकर हमने साफ किया और वो मेरा लंड साफ करने लगी। तब मेरा लंड एक बार फिर से उठ गया और मैंने उसे बाथरूम में चोदा, फिर वापस आकर अपने कपड़े पहने और एक स्मूच किया और अपने बेड पर जाकर लेट गये। दोस्तों उसके बाद में उसे तीन दिन तक लगातार जब भी मौका मिलता कभी दिन में उसके घर पर तो कभी रात में मेरे घर पर चोदता रहा। फिर मेरी अच्छी किस्मत से उसके दूसरे दिन मेरे सभी घर वाले भी बाहर शादी में जाने वाले थे, मैंने उनके सामने अपने ना जाने का एक बहुत अच्छा बहाना बना दिया और में वहीं पर रुक गया और उन सभी के जाने के बाद मैंने उसको अपने घर पर बहुत बार चोदा, जब तक उसके घरवाले ना आए। दोस्तों यह थी मेरी अपनी पड़ोसन की एक सच्ची चुदाई की कहानी ।।
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06-08-2021, 12:53 PM,
#87
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
दूध की जिम्मेदारी

लेख़क- bollysingh

‘दिया और बाती’ नाटक की संध्या एक ऐसी बहू है जो कोई भी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभाती है और अब तो वह पुलिस ओफिसर भी है। तब क्या होता है जब भाबो (संध्या की सास) संध्या को दूध देने के बाद पिलाने की जिम्मेदारी देती है।

हम बता दें की संध्या जो की ‘दिया और बाती’ नाटक की एक आज्ञाकारी बहू है। संध्या का फीगर 36-30-34 है। संध्या की सास (भाबो) संध्या को दूध देने की जिम्मेदारी देती है।

***** *****
संध्या शाम को ड्युटी खत्म करके घर आती है। संध्या घर का दरवाजे खटखटाती है तो भाबो दरवाजा खोलती है। भाबो वैसे तो संध्या को रोज ही देखती है, लेकिन आज जब भाबो दरवाजा खोलती है तो संध्या को देखती रह जाती है, संध्या के चहरे में एक अनोखी चमक थी। संध्या अपने कमरे में चली जाती है भाबो समझ जाती है की संध्या ही इस जिम्मेदारी को उठा सकती है।

रात में खाना खाने के बाद संध्या किचेन में काम कर रही होती है तभी भाबो वहां आती है और संध्या से कहती है- “संध्या बींदड़ी मुझे तुझसे कुछ बात करनी है…”

संध्या- “हाँ बोलिये भाबो।

भाबो- “संध्या तू तो जानती है कि हमारे घर में किसी भी जानवर का दूध नहीं पिया जाता है। हमारे घर में केवल औरत का दूध ही पिया जाता है…”

संध्या- “हाँ… मुझे पता है भाबो, पर यह नहीं पता की वो कौन है जिसका इतना बढ़िया दूध निकलता है?

भाबो- “तू बता संध्या बींदड़ी, तुझे किसका दूध लगता है?”

संध्या- “भाबो, शायद मीना देवरानी जी का हो सकता है, क्योंकी वो मेरी शादी से पहले से हैं…”

भाबो- “संध्या, तू भी ना… तुझे लगता है की मीना बींदड़ी इतना अच्छा दूध दे सकती है? मीना बींदड़ी तो एकदम बेकार है। तुझे पता है संध्या बींदड़ी कि मीना बींदड़ी के मुम्मे तो ठीक हैं पर उसके मम्मों से कम दूध निकलता है, करीब आधा किलो…”

संध्या- “पर भाबो, इतना दूध तो एक औरत के हिसाब से बहुत है…”

भाबो- संध्या बींदड़ी, मीना बींदड़ी से ज्यादा दूध तो मैं देती हूँ।

संध्या- भाबो, आप कितना दूध देती हैं?

भाबो- “संध्या बींदड़ी, मीना बींदड़ी तो आधा लीटर दूध ही देती है और मैं एक लीटर दूध देती हूँ… वह भी दिन में दो बार…”

संध्या- इसका मतलब की भाबो आप एक दिन में दो लीटर दूध देती हैं।
भाबो- “हाँ संध्या बींदड़ी, दूध की जिम्मेदारी बहुत बड़ी जिम्मेदारी है। अगर एक बार इस जिम्मेदारी को उठा लिया तो जिन्दगी भर निभानी पड़ती है। मीना बींदड़ी और मैं दोनों मिलकर ढाई लीटर दूध अपने मुम्मोँ से निकालती हैं। पर अब परीवार बड़ा हो चुका है…”

संध्या- तो आप मुझसे क्या चहती हैं भाबो?

भाबो- संध्या बींदड़ी, मैं चहती हूँ की तू भी दूध की जिम्मेदारी उठा।

संध्या- भाबो, क्या मैं इस जिम्मेदारी को अच्छी तरह निभा पाऊँगी?

भाबो- “संध्या बींदड़ी, तू पूरी तरह इस जिम्मेदारी को उठा सकती है। घर में सबसे बड़े मुम्मोँ की रानी है तू। तू तो मुझसे भी अच्छी तरह निभा सकती है इस जिम्मेदारी को…”

संध्या- पर भाबो, मेरे मम्मों से तो एक बूंद दूध भी नहीं निकलता है।

भाबो- “अरे पगली, हम एक जड़ीबूटी से बनी एक गोली रात में खा लेते हैं और सुबह तक मम्मों में दूध भर जाता है…”

संध्या- तो मैं भी खा सकती हूँ भाबो?

भाबो- बिलकुल संध्या बींदड़ी, बल्की आज से ही खा सकती हो।

संध्या- तो मुझे भी दीजिये कुछ गोली भाबो।

भाबो- “संध्या तू ने आज से यह जिम्मेदारी उठाई है, इसलिए पहली बार में गोली नहीं मिलती। बल्की घर में जो-जो दूध की जिम्मेदारी पहले से उठाई होती है वे उस गोली का पेस्ट बनाकर अपने मम्मों की निप्पल पर लगा लेती हैं और जिम्मेदारी उठाने वाली औरत उनके मम्मों को चूसती है…”

संध्या- ठीक है भाबो, मैं मम्मों को चूसने को तैयार हूँ।

भाबो संध्या से बोली- “जा बींदड़ी, मीना बींदड़ी को भी बुला ले…”

संध्या जब मीना के कमरे में पहुँची तो उसे कुछ आवाज आई। संध्या ने दरवाजा खटखटाया।

तो मीना दरवाजा खोलती है और अपना सर दरवाजे से बाहर निकालकर कहती है- “क्या बात है संध्या, इतनी रात को आप क्या कर रहे हो?”

संध्या- “मीना, तुझे भाबो ने बुलाया है…” संध्या मीना का हाथ पकड़ लेती है और मीना को बाहर की तरफ खींचती है।

मीना- संध्या, मैं नंगी हूँ।

संध्या- मीना, तू नंगी क्या कर रही है?

मीना- संध्या, तू इतनी रात को नंगी होकर क्या करती है?

संध्या- मैं तो सूरज जी से चुदती हूँ।

मीना- वही मैं भी कर रही हूँ।

संध्या- पर देवर जी तो बाहर गये हैं, क्या वे आ गए हैं?

मीना- “मेरे वो तो अभी नहीं आए हैं, पर सबसे छोटे देवर जी तो घर पर हैं ना…”

संध्या- “मीना, तू सबसे छोटे देवर जी से चुद रही है? भाबो को पता चल गया तो तेरी खैर नहीं…”

मीना- “अरे संध्या, यह मेरा हक है और जो भी तुम्हें पूछना है भाबो से जाकर पूछो…”

संध्या- “ठीक है। पर मीना तू जल्दी किचेन में आ जाना…”

संध्या किचेन में जाती है और भाबो से इस सब के बारे में पूछती है- “भाबो, मीना छोटे देवर जी से चुदवा रही है, क्या यह ठीक है?”

भाबो- “संध्या बींदड़ी, तू सोच मीना बींदड़ी, मैं और अब तू भी इस घर के लिए कितना कुछ करते हैं? माँ, भाभी, बहन सभी औरतों का दूध हमारे घर के मर्द लोग पीते हैं, तो वे भी बदले में हमारी चुदने की इच्छा पूरी कर देते हैं। मतलब दूध पीना उनका हक है, और चुदना हमारा… और जहां तक चुदने का सवाल है तो मीना बींदड़ी घर के सभी मर्दो से चुदवाती है और मैं भी… बस चुदने की शर्त यह है की आपका पति या पत्नी घर पर नहीं हो, तभी आप दूसरे से चुदवा सकती हो…”

संध्या- “हाँ भाबो, मैं समझ गई हूँ। भाबो मुझे गले से लगा लो ना…”
भाबो- “यह भी कोई पूछने की बात है…” और भाबो ने अपनी और संध्या की साड़ी का पल्लू हटा दिया और अपने और संध्या के ब्लाउस का एक हुक खोल दिया। फिर भाबो ने संध्या को गले से लगा लिया।

कुछ देर बाद वहां मीना बींदड़ी आ गई और बोली- भाबो, आपने मुझे बुलाया था?

भाबो- “हाँ मीना बींदड़ी, आज संध्या बींदड़ी भी दूध की जिम्मेदारी उठाने जा रही है…”

मीना- यह तो आच्छी बात है। भाबो, मैं गोली का पेस्ट बनाकर लाती हूँ।

मीना और भाबो ने उस गोली का पेस्ट अपनी निप्पल पर लगाया और भाबो वोली- “चल संध्या बींदड़ी, मेरे मम्मों को चूस और जितनी देर तक तू चूसना चाहती है चूस सकती है…”

संध्या 30 मिनट तक बारी-बारी से भाबो के मम्मों को चूसती रही।

तभी मीना ने कहा- “संध्या देवरानी जी, आप भाबो के मम्मों को ही चूसोगी की मेरे मम्मों को भी चूसोगी?”

संध्या- “हाँ मीना, मैं तेरे मम्मों को भी चूसूंगी…” फिर संध्या मीना के मम्मों को भी चूसने लगी। 30 मिनट बाद तीनों अपने-अपने कमरे में चली गईं।

संध्या की छाती पर दबाव पड़ रहा था जिसकी वजह से संध्या की नीन्द खुल गई। संध्या ने देखा की उसका ब्लाउस, जो की रात में ढीला था वो अब एकदम कस गया था। संध्या के मम्मों के कटाव दिख रहे थे। संध्या उठी और नहाने चली गई। नहाने के बाद वो औफिस के लिए तैयार हो गई, लेकिन जो ब्रा संध्या ने पहनी थी वो संध्या को बहुत टाईट हो रही थी।

संध्या ने मीना को आवाज लगाई- “मीनाऽऽ…”

मीना- “हाँ जेठानी जी, अभी आई। हाँ बोलिये जेठानी जी। अरे जेठानी जी आपके मम्मों का साइज तो बढ़ गया है…”

संध्या- “हाँ मीना, यही तो परेशानी है। देखो मेरी कोई भी ब्रा मेरे बड़े मम्मों की वजह से छोटी हो गई है…”

मीना- “हाँ… तो इसमें क्या परेशानी है? मैं भाबो से उनकी ब्रा ले आती हूँ…”

और थोड़ी देर बाद मीना संध्या के पास जाती है- “जेठानी जी, आपको भाबो ने किचेन में बुलाया है…”

संध्या- “मैं अभी आती हूँ…” और संध्या किचेन में पहुँचती है।

भाबो- संध्या बींदड़ी, तू आ गई?

संध्या पुलीस की वर्दी पहने हुए थी- हाँ भाबो, क्या काम था?

भाबो ने हँसते हुए दूध का बर्तन संध्या की तरफ खिसका दिया, और कहा- “संध्या बींदड़ी, चल इस वर्तन को दूध से भर दे…”

संध्या ने अपनी वर्दी के 4-5 बटन खोले और अपनी समीज ऊपर करके अपने एक मुम्मे को बाहर निकाल दिया और मम्मों को दबा-दबाकर दूध निकालने लगी। वर्तन आधा भर गया था, संध्या ने भाबो से वोला- “भाबो, मेरे हाँथ में दर्द होने लगा है, मैं और दूध नहीं निकाल पाऊँगी…”

भाबो- मीना बींदड़ी, संध्या बींदड़ी की मदद कर दूध निकालने में।

मीना- “जेठानी जी, आप चिंता मत करो, मैं दूध निकालने में एक्सपर्ट हूँ…” और मीना संध्या के पीछे जाकर अपनी चूत से संध्या के पिछले हिस्से में रुक-रुक कर धक्के मारने लगती है, और मीना संध्या के दोनों मम्मों को खाली कर देती है।

भाबो- “संध्या बींदड़ी, तू ने तो कमाल कर दिया… दो लीटर का वर्तन पूरा भर दिया…”

मीना- भाबो, जेठानी जी को कोई भी ब्रा नहीं आ रही है।

भाबो- “तो क्या हुआ संध्या, तू मेरी ब्रा पहन ले…” और भाबो ने अपना ब्लाउस उतारकर भाबो ने जो ब्रा पहन रखी थी वो संध्या को देते हुए कहा- “ले संध्या बींदड़ी, ये ब्रा तुझे फिट होगी…”

संध्या ने अपनी समीज उतारी और भाबो की ब्रा पहन ली, कहा- “भाबो, आपकी ब्रा तो गर्म है…”

भाबो- “संध्या बींदड़ी, मेरी ब्रा ही नहीं, मैं भी गर्म हूँ। तेरा प्यारा सूरज रोज तेरे जाने के बाद मुझे जम के चोदता है और मेरी गर्मी का फायदा उठाता है…”

संध्या- “भाबो, तभी मुझे फोन पर कुछ आवाज सुनाई देती रहती है…” और संध्या ओफिस चली गई।
***** THE END समाप्त *****
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06-08-2021, 12:53 PM,
#88
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
भैया दीदी पर टूट पड़े

ये स्टोरी 3 महीने पहले की है जब दीदी शादी के बाद पहली बार हमारे घर आई थी, दीदी को आए अभी 3 दिन ही हुए थे कि अचानक मेरे नाना की डेथ हो गयी और मम्मी पापा को नाना के यहाँ जाना पड़ा, माँ पापा के जाने के बाद मैं नहाने के लिए बाथरूम मे गयी और जब मैं नहा कर बाथरूम से अपने रूम मे जा रही थी.
तो मुझे दीदी के रूम से अजीब सी आवाज़ें सुनाई दी और मैं ये देखने के लिए दबे पावं दीदी के पास गयी और दीदी के रूम के अंदर का सीन देख कर मेरे पावं के नीचे से ज़मीन खिसक गयी क्योंकि रूम मे दीदी पूरी नंगी संचित भैया की गोद मे बैठी थी और संचित भैया दीदी के बूब्स को मसल रहे थे और दीदी से पुच्छ रहे थे कि तेरा पति तुझे कैसे चोदता है.
दीदी ने कहा भैया उसका लंड तो बहुत छ्होटा है और मेरी चूत मे कहाँ चला गया पता ही नही चलता क्योंकि आपके लंड ने मेरी चूत का सुराख इतना खोल दिया है कि तेरे जीजा का लंड कब अंदर गया और कब बाहर आया पता ही नही चलता,ये बोल कर दीदी भैया की गोद से उठी और मैं भैया का मस्त लंड देख कर दंग रह गयी.
क्योंकि भैया का लंड लगभग 10 इंच लंबा और 4 इंच मोटा था फिर दीदी ने भैया का लंड पकड़ कर अपने मूह मे ले लिया और चूसने लगी, दीदी भैया का लंड चूस रही थी और संचित भैया दीदी के मूह को चोदने लगे, तभी दीदी ने लंड मूह से निकाला और हान्फते हुए बोली मैं कहीं भागी थोड़े ही जा रही हूँ तू आराम से चोद और फिर भैया ने कहा दीदी मैं तुझे चोद्ने के लिए कितने दिनो से तड़प रहा हूँ और तू साली आराम से चोद्ने को बोल रही है.
तो दीदी ने कहा भैया मैं तेरे लंड के लिए चूत का पक्का इंतज़ाम कर देती हूँ, ये सुन कर भैया ने कहा दीदी तुम किसकी बात कर रही हो तो दीदी ने कहा मैं नेहा को तुमसे चुदवाने के बारे मे कह रही हूँ, ये सुन कर मैं हैरान हो गयी और भैया ने दीदी को चूमते हुए कहा वाह दीदी तुम तो पूरी रंडी निकली.
इस पर दीदी ने कहा मैं तो पूरे गर्व से कह सकती हूँ कि मई अपने सगे भाई की रखैल हूँ और अब मैं अपनी छोटी बेहन को भी अपने भाई की रखैल बनाने जा रही हूँ.
ये सुन कर भैया ने दीदी को कहा कि अब तुम जल्दी से घोड़ी बन जाओ तो दीदी ने कहा भैया आज तुम अपनी बेहन का दूध नही पीओगे ये कह कर दीदी ने अपना एक बूब भैया के मूह मे डाल दिया और भैया छोटे बच्चे की तरह दीदी का दूध पीने लगे.
फिर थोड़ी देर बाद दीदी ने कहा अब तुम बच्चे से कुत्ते बन जाओ और भैया ने दीदी का बूब छोड़ कर अपनी जीब दीदी की चूत मे घुसा दी भैया दीदी की चूत को ऐसे चाट रहे थे जैसे कोई आइस क्रीम चाट रहा हो.
5 मिनिट चूत चाटने के बाद दीदी की चूत ने अपना पानी छोड़ दिया और भैया दीदी की चूत का सारा पानी पी गये.
फिर भैया ने अपना लंड दीदी की चूत के सुराख पर रख कर एक ज़ोर से धक्का मारा और अपना पूरा लंड दीदी की चूत मे घुस्सा दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाते हुए दीदी को चोदने लगे और दीदी भी नीचे से अपनी गान्ड उठा कर चुद्ने लगी और चुदते हुए बोलने लगी.
आआआआअ.. भैया ज़ोर से चोदो आआआआ.. भैया आपके लंड की चोट मेरी बच्चेदानी पर पड़ रही है आआआआअ.. भैया आज चोद कर मुझे अपने बच्चे की माँ बना दो तेरे जीजा तो मुझे माँ नही बना सकते आआआआ…
भैया ज़ोर से òऊऊऊऊ और ज़ोर से चोदो आआआआ.. भैया ज़ोर से चोदो आआआआ.. भैया ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाते हुए दीदी को चोद्ने लगे, फिर थोड़ी देर बाद भैया ने कहा ले मेरी रंडी ले अब अपने भाई का वीर्य अपनी चूत मे लेकर अब तू मेरे बच्चे की माँ बन जा और अपने लंड से वीर्य की पिचकारी दीदी की चूत मे छोड़ दी और दीदी के उपर ही पड़े रहे.
फिर भैया ने दीदी की चूत से खींच कर अपना लंड बाहर निकाल लिया और लंड फच की आवाज़ के साथ दीदी की चूत से निकल आया, फिर दीदी ने भैया का लंड और भैया ने दीदी की चूत को चाट कर साफ किया और अपने कपड़े पहनने लगे.
मैं भी वहाँ से हट गयी और अपने रूम मे आ गयी और सोचने लगी कि जब दीदी मुझसे भैया से चुद्ने के बारे मे पुछेगि तो मैं क्या जवाब दूं,मैं तो सोचती थी कि अपनी चूत का उद्घाटन मैं अपने पति से कर्वाउन्गि और यहाँ तो मेरा अपना सगा भाई ही मुझे चोदने को तैयार है.
काफ़ी देर सोचने के बाद मैने फ़ैसला किया कि मेरे पति का लंड जाने कैसा होगा क्यू ना भैया के मोटे और लंबे लंड से अपनी चूत की सील तुड़वा लूँ और ये सोच कर मैं खुद ही दीदी के पास जाने लगी कि तभी दीदी मेरे पास आई और मुझसे बोली नेहा मैने तुमसे एक बात करनी है अगर तुम बुरा नही मनोगी तो मैं बोलूं मैने कहा दीदी बोलो क्या बात है तो दीदी ने कहा मैं ज़्यादा घुमा फिरा कर बात नही करती.
और मुझसे बोली नेहा क्या तेरा कोई बॉय फ्रेंड है तो मैने जान भुज कर शरमाते हुए बोली दीदी ये आप क्या कह रही हैं मैं क्या आपको ऐसे लड़की लगती हूँ इस पर दीदी ने कहा तो फिर तुम अपने जिस्म की आग को कैसे ठंडा करती हो ये सुन कर मैं कुच्छ नही बोली और अपनी नज़रें नीची कर ली.
दीदी ने फिर कहा नेहा बताओ ना मैं जो तुमसे पुच्छ रही हूँ, मैने फिर धीर्रे से कहा दीदी क्या तुम भी, फिर दीदी ने कहा अच्छा ये बता अगर मैं तेरी चुदाई का इंतज़ाम घर मे ही कर दूं तो.
मैं ये बात सुन कर मन ही मन बहुत खुश हुई पर मैं चोन्क्ते हुए इधर उधर देखने लगी तभी स्नेहा दीदी ने कहा क्यूँ नाटक कर रही हो मुझे पता है तेरा मन भी चुदने को कर रहा है पर तू शरम से बोल नही रही.
मैं शरमाते हुए धीर्रे से बोली दीदी मन तो मेरा भी बहुत करता है कि मुझे भी कोई मर्द अपनी बाहों मे लेकर खूब प्यार करे और मुझे ज़ोर से चोदे पर मैं तो सिर्फ़ अपने पति को ही अपना जिस्म सोपूंगी और मेरा पति ही मेरे साथ सुहाग रात मनाएगा.
ये सुन कर दीदी ने कहा नेहा पागल मत हो क्या पता तेरा पति तुझे अच्छे से चोद ही ना पाए और तू चुद्ने के लिए तड़पति रहे, मैने कहा दीदी तुम मुझे किस से चुदवाना चाहती हो तो दीदी ने कहा पहले तू मुझसे वादा कर कि तू मेरी बात मानेगी मैने कहा दीदी मैं तुम्हारी हर बात मानूँगी प्लीज़ मुझे बताओ कि तुम मुझे किस से चुदवाना चाहती हो तो दीदी ने कहा अगर तुम किसी को कुच्छ नही बोलोगि तो मैं संचित भैया के बारे मे सोच रही हूँ.
ये सुन कर मैने दीदी को कहा दीदी तुम ये कैसी बात कर रही हो संचित हमारा भाई है और तुम छिह, फिर दीदी ने कहा अगर तुम तैयार हो तो संचित भाईया की बात मुझ पर छोड़ दे.
फिर मैने पुछा दीदी तुझे क्या लगता है क्या संचित भाईया मान जाएँगे, तो दीदी ने कहा भैया को मैं खुद मना लूँगी, फिर मैने कहा दीदी मुझे तो डर लग रहा है ,दीदी ने कहा कैसा डर तो मैने कहा दीदी पता नही भैया का लंड कैसा होगा और मैं पहली बार चुदुन्गि और मैने सुना है कि पहली बार चुद्ने मे बहुत दर्द होता है.
फिर दीदी ने कहा हाँ ये ठीक है कि जब चूत की सील टूटती है तो दर्द होता है पर मज़ा भी बहुत आता है और ये कह कर दीदी ने अपनी नाइटी उतार दी और अपनी टाँगो को फैला कर मुझे अपनी चूत दिखाने लगी और बोली नेहा देख तेरी चूत भी चुद्ने के बाद ऐसी हो जाएगी,मैं दीदी की चूत देख कर बोली दीदी तेरी चूत तो काफ़ी खुल्ली हुई है और मेरी चूत तो एकदम बंद है क्या जीजा जी ने चोद कर तेरी चूत इतनी खोल दी है.
तो दीदी ने कहा अरे तेरे जीजा मे इतना दम कहाँ जो मुझे ढंग से चोद भी सके ये तो संचित भैया के गधे जैसे लंड का कमाल है जब भैया का गधे जैसा मस्त लंड मेरी चूत मे जाता है तो मत पुछो कितना मज़ा आता है, मैं दीदी को देखते हुए हँसने लगी तो दीदी ने मुझसे हँसने के बारे मे पुछा.
तो मैने कहा दीदी मैं आज सुबह तुम दोनो की चुदाई देख चुकी हूँ और मैं तो कब से तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूँ कि तुम कब आ कर मुझे भैया से चुदने के लिए कहो और भैया कब मुझे चोदे,ये सुन कर दीदी ने भैया को आवाज़ दी संचित भैया आ जाओ नेहा मान गयी है.
तभी संचित भाईया नंगे ही हमारे पास आ गये और दीदी के बूब्स को पकड़ कर मेरी तरफ देखने लगे और मैं वहाँ से भाग कर दूसरे रूम मे चली गयी तो भैया ने दीदी को इशारे मे पुछा इसे क्या हुआ और दीदी मेरे पास आई और पुछ्ने लगी नेहा क्या हुआ तो मैने कहा दीदी मैं अभी नही चुदुन्गि मई तो आज रात को अपने पति के साथ अपनी सुहाग रात मनाउन्गि.
ये सुन कर दीदी ने कहा नेहा ये तुम क्या कह रही है तो मैने कहा दीदी मैं चाहती हूँ कि आज रात को भैया मुझे अपनी पत्नी मान कर मेरे साथ सुहाग रात मनाएँ और तब तक मैं अपनी चूत के बाल भी सॉफ कर लूँगी.
तो दीदी ने कहा ला मैं तेरी झान्टे सॉफ कर देती हूँ तो मैने कहा नही दीदी मेरी चूत के पहले दीदार मेरे पति यानी संचित भाईया ही करेंगे और शरमा कर अपनी नज़रें नीची कर लीं, तभी भैया भी अंदर आ गये और बोले स्नेहा नेहा ठीक कह रही है.
मैं आज रात को अपनी छोटी बेहन की चूत की सील तोड़ूँगा तब तक मैं तुमसे ही अपना काम चला लेता हूँ और भैया दीदी पर टूट पड़े और दीदी भी भैया का साथ देने लगी और जब भैया दीदी को चोद रहे थे और दीदी भी नीचे से अपनी गान्ड उठा कर चुद रही थी.
तो अचानक भैया ने अपना लंड दीदी की चूत से निकाल लिया और अपने लंड को दीदी के मूह मे डाल दिया और बोले ले साली कुतिया ले अब तू अपने भाई का मूत पी और एक मोटी मूत की धार दीदी के मूह मे छोड़ दी और दीदी भी मस्त हो कर भैया का मूत पीने लगी जब दीदी भैया का सारा मूत पी गयी.
तो दीदी ने भैया को कहा भैया आज तुमने मेरी चूत मे क्यूँ नही मुता तो भैया ने कहा साली कुतिया मेरे मूत से तेरी कोख मे जो मेरा बच्चा है वो खराब हो जाता तो दीदी ने हैरान होते हुए कहा भैया तुम्हे कैसे पता चला कि मैं तेरे बच्चे की मां बनने वाली हूँ.
तो भैया ने कहा सुबह जब मैं तुझे चोद रहा था तब तू ही बोल रही थी कि हाँ भैया तेरे लंड की चोट मेरी बच्चेदानी पर पड़ रही है आज तेरा वीर्य मेरी बच्चेदानी मे ही गिरेगा और मैं तेरे बचे की माँ बनूँगी, ये सुन कर भैया और दीदी दोनो हँसने लगे.
फिर मैने बाथरूम मे जाकर अपनी झान्टे साफ की और नहा कर अपने रूम मे आ कर एक पतली सी नाइटी पहन ली और नीचे से नंगी ही रही और खूब अच्छी तरह से सजी और रात का इंतज़ार करने लगी.
और रात को आठ बजे दीदी मेरे पास आई और मुझसे बोली नेहा तुम तैयार हो तो मैने हाँ मे जवाब दिया और दीदी ने भैया को कहा लो भैया तेरी दुल्हन तैयार है अब तू मेरी भाबी के साथ अपनी सुहाग रात मना ले और खुद नंगी मेरे पास आ गयी और दीदी के पीछे ही भैया भी नंगे ही मेरे पास आ गये.
और आते ही मेरे 30 के बूब्स को मेरी नाइटी के उपर से ही पकड़ लिया और ज़ोर से मसल्ने लगे और मेरी नाइटी को उतार दिया अब मे भैया के सामने बिल्कुल नंगी थी और भैया मेरे गोरे चिट जिस्म को देखते हुए बोले वाह नेहा तेरा जिस्म तो बहुत खूबसूरत है और अपना हाथ नीचे मेरी चूत पर ले गये और मेरी चूत के टिट को अपनी उंगली से छेड़ने लगे और मेरे मूह से एक मादक सिसकारी निकल गयी और भैया मेरी चूत मे अपनी उंगली डालने लगे.
तो मैने भैया का हाथ पकड़ लिया और बोली भैया मेरी चूत मे सबसे पहले आपका लंड घुसेगा और भैया ने अपना हाथ मेरी चूत से हटा लिया और मेरे दोनो बूब्स को बारी बारी से चूसने लगे भैया मेरे बूब्स को चुस्स और मसल रहे थे और दीदी भैया का लंड अपने मूह मे लेकर चूसने लगी और भैया भी मेरे बूब्स को छोड़ कर अपनी जीब को मेरे पेट पर फिराते हुए अपना मूह मेरी चूत की ओर ले गये और अपनी जीब को मेरी चूत की टिट पर फेरने लगे.
फिर अपनी जीब मेरी चूत मे डाल कर मेरी चूत को चाटने लगे मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि मैं अपनी चूत उठा कर भैया के मूह मे देने लगी और आआआआ.. भैया आआआ… भैया ऊऊऊ.. भैया ज़ोर से òऊऊऊ.. चूसो और ज़ोर से òऊऊ.. और फिर मेरी चूत ने अपना पानी भैया के मूह मे छोड़ दिया और भैया ने मेरी चूत का सारा पानी पी लिया.

फिर दीदी ने भैया को कहा भैया अब आप अपने मोटे और लंबे लंड से अपनी छोटी बेहन की चूत की सील तोड़ डालो, ये सुन कर भैया ने अपने लंड का सुपाडा मेरी चिकनी चूत के उपर रख कर एक हल्का सा धक्का मारा और भैया का लंड फिसल कर मेरे पेट पर आ गया.
फिर दीदी ने भैया का लंड अपने हाथ मे पकड़ा और लंड को मेरी चूत के मूह पर रख कर बोली भैया अब लगाओ धक्का और भैया ने फिर एक हल्का सा धक्का मारा और इस बार भैया के लंड का सुपाडा मेरी चूत मे घुस गया और दीदी ने फिर कहा भैया अब मारो एक धक्का और अपना पूरा लंड नेहा की चूत मे घुसा दो.
फिर भैया ने एक ज़ोर का धक्का मारा और भैया का आधा लंड मेरी चूत की सील तोड़ता हुआ मेरी चूत मे घुस गया और मैं ज़ोर से चीखने लगी और कहने लगी छोड़ो मुझे मैने नही चुदना तभी दीदी ने अपनी चूत मेरे मूह पर लगा दी और मैं दीदी की चूत को चाटने लगी.
और भैया ने फिर एक ज़ोर से धक्का मारा और भैया का पूरा लंड मेरी चूत मे घुस गया और मैं फिर ज़ोर से चिल्लाई अब भैया अपना पूरा लंड मेरी चूत मे घुसा कर मेरे उपर आ गये और मेरे दोनो बूब्स को बारी बारी से चूसने लगे.
अब मुझे दर्द से कुच्छ आराम मिल रहा था और मुझे भी अब दर्द के साथ मज़ा आने लगा था अब भैया भी अपने लंड को अंदर बाहर करने लगे और मैं भी नीचे से अपनी गान्ड उठा कर चुदने लगी. ।
भैया ने अपने धक्को की रफ़्तार तेज़ कर दी और मैं भी चुद्ते हुए बोलने लगी आआआअ.. भैया ज़ोर से चोदो आआआअ.. भैया ज़ोर ज़ोर से चोदो आआआ.. भैया आज मुझे चोद कर मेरी चुत को फाड़ डालो ऊहह… आआआ.. हाँ भैया वोòò करने लगी.
भैया भी मुझे चोदते हुए बोले ले मेरी बहना ले आज अपने भाई का लंड अपनी चूत मे ले ले आज मैं अपनी बेहन को चोद कर पका बेहन चोद बन गया और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगे और अब मैं भी चुदते हुए गाली देने लगी.
और बोली एयाया. अब चोद मुझे बड़ा मर्द बना फिरता है आज अपनी बेहन की चूत की अग बुझा कर दिखा एयेए साले हिजररे अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अब दिखा अपनी मर्दानगी अगर आज अपनी बेहन को चोद कर उसकी चूत को ठंडा कर दे तो मैं तुझे असली मर्द मानु.
ये सुन कर भैया को और ज़्यादा जोश आ गया और भैया पूरी ताक़त से मेरी चूत मे धक्के लगाने लगे और बोले ले साली कुतिया ले अब अपने भाई के लंड का कमाल देख साली रंडी आज तेरी चूत का भोसड़ा ना बनाया तो मुझे बेहन चोद ना कहना और ज़ोर ज़ोर से धक्के लगाने लगे.
भैया के लंड की चोट मेरी बच्चेदानी पर पड़ रही थी और मैं अपनी गान्ड को उठाते हुए चुद रही थी और तभी भैया ने कहा ले मेरी रंडी ले अब अपने भाई का वीर्य अपनी चूत मे ले और बन जा अपने भाई के बच्चे की माँ और फिर भैया के लंड से वीर्य की पिचकारी मेरी चूत मे पड़ी.
भैया के वीर्य से मेरी चूत पूरी तरह से भर गयी फिर थोड़ी देर बाद भैया ने अपना लंड खींच कर मेरी चूत से निकाला और भैया का लंड फच की आवाज़ के साथ मेरी चूत से बाहर आ गया जब मेरी नज़र भैया के लंड पर पड़ी तो भैया का लंड मेरी चूत के खून से लाल हो गया था मैं ये देख कर घबरा गयी और दीदी से बोली दीदी क्या मेरी चूत सच मे फट गयी.
तो दीदी ने कहा नही ये तो जब चूत की सील टूटती है तब खून निकलता ही है और मुझे ढाँढस बंधाने लगी,भैया का लंड मेरी चूत से निकलने के बाद भी खड़ा ही था और मेरी चूत से खून और भैया का वीर्य निकल रहा था मैं अपनी चूत से निकलते हुए वीर्य को देख कर बोली भैया आपने मेरी चूत मे वीर्य छोड़ा है या मूत किया है.
तो भैया से पहले दीदी बोली नेहा जितना तेरा जीजा एक बार मे मुतता है उस से ज़्यादा तो भैया के लंड से वीर्य निकलता है इसी लिए तो मैं भैया के बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ क्योंकि जितना गाढ़ा और ज़्यादा वीर्य मेरी बच्चेदानी मे पड़ेगा उतना ही खूबसूरत बच्चा मेरी चूत से निकलेगा.
ये सब बातें अभी चल ही रही थी कि मुझे पेशाब आने लगा और मैं मूतने को जाने के लिए उठने लगी मैं अभी उठने की कोशिश कर ही रही थी और जब मैं उठने लगी तो मेरी चूत मे जबरदस्त दर्द होने लगा और मैं उठ ना सकी मैने दीदी को कहा दीदी मुझसे उठा नही जा रहा है.
तो भैया ने कहा अरे साली रंडी अभी तो मेरी मर्दानगी को चॅलेंज कर रही थी और अब तू बिस्तर से उठ भी नही सकती तो मैने कहा भैया वो तो मैं तुम्हे जोश दिलाने के लिए बोल रही थी मुझे क्या पता था कि तुम मेरा ये हॉल कर दोगे.
तो दीदी ने कहा अरे भोसड़ी के बेहन चोद साले तूने नेहा को चोद दिया और साले बेहन चोद मुझे भूल गया अब तू इस साली कुतिया से बातें ही करेगा या मुझे भी चोदेगा ये बोल कर दीदी ने अपनी दोनो टाँगे खोल दी और भैया ने भी बिना समय नष्ट किए दीदी की चूत मे एक ही धक्के मे अपना पूरा लंड पेल दिया.
उस रात भैया ने मुझे दो बार और दीदी को तीन बार चोदा और हम तीनो ही नंगे एक दूसरे की टाँग मे टाँग फसा कर सो गये,सुबह जब मेरी आँख खुली तो 10 बज चुके थे और भैया और दीदी अभी भी गहरी नींद मे थे मैने भैया को हिलाते हुए कहा भैया उठो तुम्हारा ऑफीस जाने का टाइम हो गया है.
भैया ने मुझे खींच कर अपने साथ लगा लिया और बोले नेहा मैने ऑफीस से 10 दिन की छुट्टी ले ली है अब जब तक मम्मी पापा नही आ जाते तब तक हम तीनो मे से कोई ना तो कपड़े पहनेगा और ना ही कोई घर से बाहर जाएगा और तब तक सिर्फ़ चुदाई ही होगी.
10 दिन लगातार भैया ने मुझे और दीदी को दिन रात चोदा और 10 दिन बाद जब मैं अपने कपड़े पहनने लगी तो मेरी ब्रा का साइज़ जो 30 था वो मेरी बूब्स पर नही आ रही था और मेरी चूत का सुराख भी अब 2 इंच खुल गया था.
मम्मी पापा के आने के बाद हमारी दिन की चुदाई बंद हो गयी पर रात को भैया हम दोनो बहनो को अच्छे से चोदते थे जिसकी वजह से दीदी की कोख मे भैया का बच्चा पल रहा है अब दीदी अपने सुसराल मे है और भैया मुझे रोज रात को अपनी रंडी बना कर चोदते है.
अब मुझे भी लंड का चस्का लग चुका है और जब मैं भैया से चुद नही लेती मेरी चुत को चैन नही आता और अब भैया मेरा इंतज़ार कर रहे हैं और मेरी चूत मे भी खुजली हो रही है अब मैं भैया से चुदने जा रही हूँ और आप भी अपने बेहन या भाई के साथ चुदाई का मज़ा लो मैं तो ले रही हू.

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06-08-2021, 12:54 PM,
#89
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
पापा मेरे पापा कितने प्यारे प्यारे तुम-1

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और मस्त कहानी लेकर हाजिर हूँ दोस्तो ये कहानी एक बेटी की ज़ुबानी है उसने किस तरह अपने बाप को दूसरे की चुदाई करते हुए देखा और फिर कैसे वो अपने बाप की दीवानी हो गई..................
मेरा नाम सुनीता है और मेरी उमर 20 साल है, मेरे शरीर की रचना कुछ इस प्रकार है, मेरी लंबाई 5’6″.. चुचियाँ 36″.. कमर 28″.. और गान्ड.. 34″ है. एक बात मैं आपको कुछ भी शुरू करने से पहले बता दूं कि मुझे नये नये लंड लेना बहोत पसंद है.

दर असल मेरी ये नटखट चूत मुझे नये नये लंड लेने पर मजबूर कर देती है. क्योकि इसमे खुजली बहुत होती है और इसी लिए मेरी इस प्यारी सी चूत ने आज तक करीबन 13 लंड का स्वाद चखा है और मैं दावे के साथ कह सकती हूँ कि 14वा लंड आप सभी मे से किसी का भी हो सकता है. केसे वो कहानी के अंत मे बताउन्गि, तो चलो आब कहानी स्टार्ट करती हूँ.

बात आज से 2 साल पहले की है जब मैं 18 साल की होने वाली थी, मेरा बर्तडे बहोत नज़दीक आ रहा था और मुझे इसकी बड़ी खुशी भी थी. क्योकि मुझे बर्तडे गिफ्ट बहोत पसंद है, क्योकि मेरे मोम डॅड मुझे हर बार एक अलग ही गिफ्ट देते है और वो हमेशा ही अच्छा होता है.

तो बात मेरे बर्तडे से दो दिन पहले मैं रात को बाथरूम जाने के लिए उठी, मैं बाथरूम से जेसे ही बाहर निकली तो मैने एक साया सा देखा, पहले तो मैने अनदेखा कर दिया पर फिर जेसे ही मैं बेड पर बैठ और सोने लगी, तो मुझे डोर खुलने की आवाज़ आई, जिसे सुन कर मैं घबरा गयी. क्योकि उस वक्त रात के 1:38 बज रहे थे, तो मैने सोचा कही कोई चोर तो नही है ना, तो इस लिए मैं धीरे से आगे बढ़ी और रूम से बाहर आई और लॉबी मे आ गयी और चारो ओर देखने लगी कि आख़िर आवाज़ कहाँ से आई है.

मैं बहोत डर रही थी पर मैने होसला सा करके अपने कदम मैन-डोर की ओर बढ़ाए और देखा कि डोर लॉक नही है. मुझे थोड़ा अजीब सा लगा तो मैने हल्के से डोर खोला और बाहर की ओर झाँकने लगी, और मैं क्या देखती हूँ कि एक आदमी हमारे घर के गेट पर एक कोने मे लगा हुआ बैठा और बाहर की ओर देख रहा है. पहले तो मुझे समझ नही आया कि वो कॉन है पर जेसे ही उसने अपना फोन निकाला और फोन ऑन किया, तो उसकी लाइट से पता चला कि वो आदमी कोई और नही बल्कि मेरे डॅड है.

मैं हेरान थी कि डॅड आख़िर वहाँ इस वक्त रात को क्या कर रहे है, मैं उन्हे आवाज़ लगाने ही वाली थी कि वो चोरों की तरह छुपते हुए वहाँ से उठे और बाहर की और जाने लगे. मैने भी सोच लिया कि अब मुझे जानना ही पड़ेगा कि आख़िर माजरा क्या है, तो मैने भी छुपते हुए उनका पिछा शुरू किया और देखा कि वो हमारी पड़ोसन मिस काव्या के घर घुस गये.

मैं जब वहाँ पहुँची तो मैने देखा कि गेट खुला हुआ है तो मैं भी उनके घर मे घुस गयी, पर वहाँ कोई नही था और एक दम अंधेरा था. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था कि आख़िर डॅड गये तो गये कहाँ? फिर अचानक एक रूम की लाइट ऑन हो गयी और उस रूम की खिड़की से रोशनी बाहर आने लगी. मैने तुरंत वहाँ से अंदर झाँका और मैं अंदर का नज़ारा देख कर दंग रह गयी.

मेरे पापा अंदर एक दम नंगे खड़े थे और मिस काव्या उनके लगभग 7″ लंबे और मोटे लंड को मूह मे लाकर मज़े से चूस रही थी. मैं ये सब देख कर हेरान थी पर मुझे गुस्सा भी बहोत आया कि डॅड ऐसा केसे कर सकते है. तभी अंदर से आवाज़ आने लगी.

काव्या – अम्म्म्म.. आमम्म्म.. डार्लिंग मुझे तुम्हारे लंड का स्वाद बहोत पसंद है.

डॅड – आह्ह्ह्ह.. आअहह.. मेरी जान जल्दी कर मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखना है.

काव्या – नही आज तो मैं जी भर के तुम्हारे इस मोटे लंड को चूसने वाली हूँ.

डॅड – अहह.. नही बेबी आज हमें जल्दी करना होगा, मैं बड़ी मुश्किल से आया हूँ.

काव्या – ओह्ह्ह.. फ्फो कभी तो जल्द बाजी छोड़ दिया करो.

डॅड – आह.. तुम मस्त चूस रही हो बेबी चुस्ती रहो.

काव्या – क्यो तुम्हारी वो कुत्ति पत्नी तुम्हारे लंड से नही खेलती क्या.

डॅड – नही वो ऐसे चुसाइ कभी नही करती मेरी जान कम ऑन अह्ह्ह्ह..

मुझे ये सुनकर बहोत गुस्सा आया, पर देखते ही देखते डॅड अपने असली रूप मे आ गये और उन्होने मिस काव्या को बेड पर लिटाया और अपने मोटे तगड़े साँप को उसकी चूत की गहराइयों मे पहुचा दिया, और कब डॅड ने अपनी स्पीड बढ़ा दी और कब रूम से आहह.. आह.. की आवाज़े आने लगी पता ही नही चला.

डॅड पूरी रफ़्तार से मिस काव्या की ठुकाई कर रहे थे, वो लंड को पूरा बाहर निकालते और स्टाककक से पूरा का पूरा लंड अंदर घुसा देते, इससे काव्या की चीख निकल जाती और वो डॅड वो गालिया निकालने लग गई, और डॅड भी उसकी माँ बहेन कर देते. वो चुदाई इतनी मजेदार हो गयी थी कि मेरा हाथ भी कब मेरी नरम से चूत पर चला गया मुझे पता ही नही चला और मैने लोअर मे हाथ घुसाया और अपनी चूत मे उंगली घुसाने लगी.

डॅड धड़ा धड़ काव्या की चुदाई कर रहे थे.

काव्या – चोद साले चोद आहह.. फाड़ दे मेरी चूत बहेन चोद साले अह्ह्ह्ह..

डॅड – तेरी माँ की चूत साली कुतिया बहेन की लौडी, ले ये ले बहेन चोद.

काव्या – ह.. चोद चोद मेर राजा आहह.. फाड़ दे आअज..

डॅड – अहह.. तेरी चूत आज बड़ी टाइट लग रही है, क्या हुआ तेरी वो खस्सि पति तेरी बजाता नही है क्या?

काव्या – नही वो बहेन का लोड्‍ा है साला बस काम करता रहता है सारा दिन रात ऑफीस मे.

काव्या – साले तू उस माँ चोद भोन्सडि के बीज का नाम क्यो ले रहा है, मेरा मज़ा खराब होता है.

डॅड- साली कुतिया ले तेरी चूत का बाजा बजाता हूँ आज.

और इतना बोलते ही डॅड ने पूरी रफ़्तार से मिस काव्या की चुदाई करना शुरू कर दिया. काव्या चिल्लाती रही पर डॅड एक ही पोज़ मे उसे 30 मिंट तक लगातार चोदते रहे, और इस दोरान वो तीन बार झड़ी पर डॅड बिना रुके उसे धड़ा धड़ बस चोदते रहे.

डॅड को देख कर मेरा नज़रिया अब उनके लिए कुछ और ही हो चुका था, उनका वो मोटा लंड मेरी आँखो मे वासना जगा चुका था और ये सोचते सोचते मैं भी झाड़ गयी, और उधर डॅड ने भी लंड चूत से निकाला और पचछररर पचछररर वीर्य की पिचकारियाँ मार मार कर काव्या का सारा शरीर अपने गरम गरम माल से नहला दिया.

मैं तो ये सब देख कर एक दम हेरान थी, मैने ऐसा दृश्य पहले कभी न्ही देखा था. डॅड का लंड अब आधा मुरझा गया था और इस दशा मे वो और भी सेक्सी लग रहा था. मैं तो जेसे उनके लंड की दीवानी सी हो गयी थी, फिर मैने वहाँ देर नही की और वहाँ से घर आ गई और थोड़ी देर बाद डॅड भी चुपके से आए और अपने रूम मे जा कर सो गये. मैने उस दिन रात भर डॅड को सोच कर अपनी चूत मे उंगली की और कई बार झड़ी.

क्रमशः.......................................................
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06-08-2021, 12:54 PM,
#90
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
पापा मेरे पापा कितने प्यारे प्यारे तुम-2

रात को कई बार अपनी चूत मे उंगली करने के बाद मुझे काफ़ी अच्छी नीद आई और सुबह जब मेरी आँख खुली, तो बस मेरी आँखों के सामने डॅड का वो मोटा लंड नज़र आ रहा था. मुझे तो सोच कर ही बहोत खुशी हो रही थी, मैं मन ही मन मचल सी रही थी.

खेर मैं वहाँ से उठी और नहाने के लिए बाथरूम मे घुस गयी और नहाते वक्त तो मैं अपनी चूत मे उंगली किए बिना रह ही नही सकी. नहाने के बाद जब मैं कपड़े पहेन कर अपने रूम से बाहर आई, तो मोम-डॅड सामने टेबल पर बैठे ब्रेक फास्ट कर रहे थे.

मैं – गुड मॉर्निंग मोम-डॅड.

मोम – गुड मॉर्निंग

डॅड – गुड मॉर्निंग बेटा, आओ नाश्ता कर लो.

मैं – हां ठीक है.

मोम – नहा के भी आई हो या ऐसे ही आ गयी हो.

मैं – कम ऑन मोम मैं नहा कर आई हूँ.

डॅड – हां तभी पूरी चमक रही हो.

मैं – हाहाहा डॅड आप भी ना.

मैं (मन मे) – पर मुझसे ज़्यादा तो आपका वो मोटा लंड चमकता है मेरे सेक्सी डॅड.

खेर हम ने ब्रेक फास्ट किया और फिर डॅड अपने ऑफीस के लिए निकल गये और मोम भी घर के काम मे लग गयी, मेरी उस दिन स्कूल से छुट्टी थी, तो मैं तो बस बस ये ही सोच रही थी कि आख़िर डॅड के साथ ऐसा कॉन्सा खेल खेला जाए कि मुझे उनके साथ स्वर्ग मे जाने का मोका मिल सके.

वैसे तो मेरा एक बाय्फ्रेंड है और उसने मेरी कई बार ठुकाई भी की है, पर डॅड के लंड को और रात की वो चुदाई देखने के बाद मेरा मन मान ही नही रहा था. मैं तो बस ये चाहती थी कि आख़िर किसी भी तरह से कुछ ऐसा किया जाए कि मैं डॅड को ब्लॅकमेल या ऐसा ही कुछ कर सकूँ.

तो मैने तय किया कि मैं डॅड पर रात को नज़र रखूँगी और जब भी वो दोबारा हमारी पड़ोसन मिस काव्या के घर जाएगे तो मैने उनकी एक वीडियो बना लूँगी ताकि उससे उनको ब्लॅकमेल किया जा सके. मैं ऐसा ही किया मैं उस रात बिल्कुल नही सोई और बस डॅड के बाहर जाने का इंतेज़ार करने लगी. पर मेरी कराब किस्मत वो वहाँ नही गये और मुझे अपनी उंगली से ही अपनी प्यास बुझानी पड़ी.

मैं ऐसे ही कुछ दिनो तक उनपर रात को नज़र रखती रही, पर वो दोबारा वहाँ जा ही नही रहे थे. मेरा तो जेसे सबर ही टूटा जा रहा था, तो मैने तय किया कि कल सुबह मैं केसे भी करके कुच्छ ना कुच्छ तो ज़रूर करूँगी.

अगले दिन मैने पूरी प्लानिंग की हुई थी कि कोन्सि बात कब और कहाँ कहनी है, मैं रेडी हो कर अपने रूम से बाहर आई और मैने डॅड से कहा प्लीज़ आज मुझे स्कूल तक छोड़ देना मेरी सहेली आज नही जा रही नही तो मुझे अकेले ही जाना पड़ेगा. तो जो कि होना ही था उन्होने हां करदी और मेरा काम बन गया.

डॅड ने कार निकाली और हम दोनो बैठे और घर से निकल गये और इतेफ़ाक से जब हम घर से निकल रहे थे मिस काव्या हमे अपने गेट पर खड़ी मिली. डॅड ने उसे चोर नज़र से देखा और आँख मार दी, मैने सब देख लिया और फिर.

मैं – डॅड काव्या जी भी बहोत अच्छी है.

डॅड – हां बेटा बहोत अच्छी है

मैं – हां पर बेचारी हमेशा अकेली ही रहती है, उनके पति तो बस सारा दिन काम ही करते रहते है.

डॅड – हां बेटा पर इसी लिए वो बहोत अमीर भी तो है ना.

मैं – हां अमीर तो है पर खुश नही है.

डॅड – क्यो खुश क्यो नही है?

मैं – मतलब उनके साथ कोई बात करने वाला नही होता और वो आस पास के लोगो से भी ज़्यादा बात नही करती, हम लोगो से भी कभी कभी ही बात करती है.

डॅड – बेटा शायद वो भी अपने पति की तरह बिज़ी रही होगी, शायद इसी लिए.

मैं – हां, या फिर किसी और के साथ.

डॅड (हेरान होते हुए)- किसी और के साथ मतलब?

मैं – पता नही मैने कई बात उनके घर एक अंजाने से आदमी को आते हुए देखा है.

डॅड – किस तरह का अंजान आदमी?

मैं – पता न्ही, मैने एक दिन रात को उनके घर एक आदमी को चोरों की तरह छुपते हुए जाते देखा था.

मेर मूह से ये बात सुनके डॅड का तो जेसे हलक ही सूख गया.

डॅड (लड़खड़ाती हुई आवाज़ मे)- बेटा क्या पता वो कोई जानवर होगा कोई कुत्ता या और कुछ?

मैं – कम ऑन डॅड अब आप अपने आपको कुत्ता क्यो बुला रहे हो.

ये बात सुनते ही डॅड ने एक दम से कार साइड मे लगाई और हैरानी से मुझे देखने लगे, डर उनके चेहरे पर सॉफ नज़र आ रहा था.

डॅड (घबराते हुए) – सुनीता ये क्या बात है अपने पापा को कुत्ता कह रही है और तेरा मतलब क्या है.

मैं – कम ऑन डॅड अब इतने भी भोले मत बनो मुझे आपके और काव्या के बारे मे सब पता चल गया है.

डॅड (घबराते हुए) – क्या पता चल गया है.

मैं – अब क्या ये भी मुझे बताना पड़ेगा.

डॅड (घबराते हुए)- देख तेरा ये मज़ाक बहोत हो गया.

मैं – आह्ह्ह्ह.. आअहह.. मेरी जान जल्दी कर मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखना है.

मेरे मूह से ये बात सुनते ही मैं आपको लड़को के अंदाज मे बताऊ तो डॅड की तो गान्ड ही फट गयी.

डॅड (गुस्से मे)- बदतमीज़ अपने डॅड के सामने ये सब बाते करती है तुझे शरम नही आती?

मैं – डॅड अब ज़्यादा ओवर मत हो जाओ, सीधे सीधे अपनी ग़लती मान लो.

डॅड – अपनी बकवास बंद कर.

मैं – ठीक है तो फिर मैं आपकी और काव्या जी की वीडियो आज घर जाते ही मोम को दिखा दूँगी.

वीडियो की बात सुनते ही डॅड का तो पुच्छ मत बुरा ही हाल हो गया.

डॅड (गिडगिडाते हुए)- प्लीज़ बटी ऐसा मत करना मुझे माफ़ कर्दे मैं आगे से कभी अभी काव्या से नही मिलूँगा तेरी कसम.

मैं – कम ऑन डॅड मुझे इससे कोई फरक नही पड़ता कि आप किसके साथ सोते हो और किसके साथ नही, मुझे तो बस अपनी बात पूरी करवानी है.

डॅड (हैरानी से)- क्या?

मैं – ह्म्‍म्म्म.

डॅड – कौन सी बात?

मैं – डॅड मुझे भी आपके लंड का स्वाद चखना है.

मेरे ये कहते ही डॅड भड़क उठे और बेकाबू होकर मुझ पर चिल्लाने लगे, और जेसा कि आप सभी जानते ही है कि आख़िर मे जीत तो आख़िर मेरी ही होनी थी.

मैने डॅड से कहा कि कल मेरा 18वा बर्तडे है और मुझे आपका लंड ही गिफ्ट मे चाहिए. डॅड भी अब क्या कर सकते थे उनका एक अनमोल खजाना मेरे पास जो था जोकि उनके सारे राज खोल सकता था.

हम ने तय किया कि रात को आते टाइम डॅड आइस क्रीम लेकर आएगे और उसी मे हम मोम को नींद की गोलियाँ मिला कर दे देंगे. क्योकि उस रात घर मे बहोत हहा कार मचने वाला था.

सब वैसे ही किया जैसा मैने सोचा था और मैने वैसे ही मोम की आइस क्रीम मे नीद की गोलियाँ मिलाई और वो सोने चली गयी, और मैं रात के 1:04 बजने का इंतेज़ार करने लगी. अब आप सोचोगे कि 1:04 क्यों?, तो दोस्तो बात सीधी सी है मेरा जनम रात 1 बजकर 4 मिनट पर ही हुआ था, तो इसी लिए हम ने ये टाइम तय किया था.

मैं तो अपने बेड पर लेटी हुई बस दरवाजे की ओर देखे जा रही थी और साथ साथ अपनी चुचियों को तो कभी कभी अपनी चूत को सहला रही थी. मुझसे तो बिल्कुल भी इंतेज़ार नही हो रहा था, ऐसा लग रहा था जेसे पहली बात चुदने जा रही हूँ.

फिर आख़िर वो टाइम आ ही गया जब डॅड ने अपने दर्शन मेरे रूम मे ठीक 1:04 पर दिए, मैं तो उन्हे देख कर ही फूली नही समा रही थी. डॅड भी मुझे कामुकता भरी नज़रों से देख रहे थे, शायद वो समझ चुके थे कि अब अगर जवान माल मिल ही रहा है तो क्यो ना इस मज़े से चोदा जाए. उस वक्त मेरे सामने खड़ा वो आदमी मेरे लिए सिर्फ़ एक मर्द था और शायद डॅड के लिए मैं एक औरत. दोस्तो पढ़ते रहिए क्योकि कहानी अभी जारी रहेगी,

रात को कई बार अपनी चूत मे उंगली करने के बाद मुझे काफ़ी अच्छी नीद आई और सुबह जब मेरी आँख खुली, तो बस मेरी आँखों के सामने डॅड का वो मोटा लंड नज़र आ रहा था. मुझे तो सोच कर ही बहोत खुशी हो रही थी, मैं मन ही मन मचल सी रही थी.

खेर मैं वहाँ से उठी और नहाने के लिए बाथरूम मे घुस गयी और नहाते वक्त तो मैं अपनी चूत मे उंगली किए बिना रह ही नही सकी. नहाने के बाद जब मैं कपड़े पहेन कर अपने रूम से बाहर आई, तो मोम-डॅड सामने टेबल पर बैठे ब्रेक फास्ट कर रहे थे.

मैं – गुड मॉर्निंग मोम-डॅड.

मोम – गुड मॉर्निंग

डॅड – गुड मॉर्निंग बेटा, आओ नाश्ता कर लो.

मैं – हां ठीक है.

मोम – नहा के भी आई हो या ऐसे ही आ गयी हो.

मैं – कम ऑन मोम मैं नहा कर आई हूँ.

डॅड – हां तभी पूरी चमक रही हो.

मैं – हाहाहा डॅड आप भी ना.

मैं (मन मे) – पर मुझसे ज़्यादा तो आपका वो मोटा लंड चमकता है मेरे सेक्सी डॅड.

खेर हम ने ब्रेक फास्ट किया और फिर डॅड अपने ऑफीस के लिए निकल गये और मोम भी घर के काम मे लग गयी, मेरी उस दिन स्कूल से छुट्टी थी, तो मैं तो बस बस ये ही सोच रही थी कि आख़िर डॅड के साथ ऐसा कॉन्सा खेल खेला जाए कि मुझे उनके साथ स्वर्ग मे जाने का मोका मिल सके.

वैसे तो मेरा एक बाय्फ्रेंड है और उसने मेरी कई बार ठुकाई भी की है, पर डॅड के लंड को और रात की वो चुदाई देखने के बाद मेरा मन मान ही नही रहा था. मैं तो बस ये चाहती थी कि आख़िर किसी भी तरह से कुछ ऐसा किया जाए कि मैं डॅड को ब्लॅकमेल या ऐसा ही कुछ कर सकूँ.

तो मैने तय किया कि मैं डॅड पर रात को नज़र रखूँगी और जब भी वो दोबारा हमारी पड़ोसन मिस काव्या के घर जाएगे तो मैने उनकी एक वीडियो बना लूँगी ताकि उससे उनको ब्लॅकमेल किया जा सके. मैं ऐसा ही किया मैं उस रात बिल्कुल नही सोई और बस डॅड के बाहर जाने का इंतेज़ार करने लगी. पर मेरी कराब किस्मत वो वहाँ नही गये और मुझे अपनी उंगली से ही अपनी प्यास बुझानी पड़ी.

मैं ऐसे ही कुछ दिनो तक उनपर रात को नज़र रखती रही, पर वो दोबारा वहाँ जा ही नही रहे थे. मेरा तो जेसे सबर ही टूटा जा रहा था, तो मैने तय किया कि कल सुबह मैं केसे भी करके कुच्छ ना कुच्छ तो ज़रूर करूँगी.

अगले दिन मैने पूरी प्लानिंग की हुई थी कि कोन्सि बात कब और कहाँ कहनी है, मैं रेडी हो कर अपने रूम से बाहर आई और मैने डॅड से कहा प्लीज़ आज मुझे स्कूल तक छोड़ देना मेरी सहेली आज नही जा रही नही तो मुझे अकेले ही जाना पड़ेगा. तो जो कि होना ही था उन्होने हां करदी और मेरा काम बन गया.

डॅड ने कार निकाली और हम दोनो बैठे और घर से निकल गये और इतेफ़ाक से जब हम घर से निकल रहे थे मिस काव्या हमे अपने गेट पर खड़ी मिली. डॅड ने उसे चोर नज़र से देखा और आँख मार दी, मैने सब देख लिया और फिर.

मैं – डॅड काव्या जी भी बहोत अच्छी है.

डॅड – हां बेटा बहोत अच्छी है

मैं – हां पर बेचारी हमेशा अकेली ही रहती है, उनके पति तो बस सारा दिन काम ही करते रहते है.

डॅड – हां बेटा पर इसी लिए वो बहोत अमीर भी तो है ना.

मैं – हां अमीर तो है पर खुश नही है.

डॅड – क्यो खुश क्यो नही है?

मैं – मतलब उनके साथ कोई बात करने वाला नही होता और वो आस पास के लोगो से भी ज़्यादा बात नही करती, हम लोगो से भी कभी कभी ही बात करती है.

डॅड – बेटा शायद वो भी अपने पति की तरह बिज़ी रही होगी, शायद इसी लिए.

मैं – हां, या फिर किसी और के साथ.

डॅड (हेरान होते हुए)- किसी और के साथ मतलब?

मैं – पता नही मैने कई बात उनके घर एक अंजाने से आदमी को आते हुए देखा है.

डॅड – किस तरह का अंजान आदमी?

मैं – पता न्ही, मैने एक दिन रात को उनके घर एक आदमी को चोरों की तरह छुपते हुए जाते देखा था.

मेर मूह से ये बात सुनके डॅड का तो जेसे हलक ही सूख गया.

डॅड (लड़खड़ाती हुई आवाज़ मे)- बेटा क्या पता वो कोई जानवर होगा कोई कुत्ता या और कुछ?

मैं – कम ऑन डॅड अब आप अपने आपको कुत्ता क्यो बुला रहे हो.

ये बात सुनते ही डॅड ने एक दम से कार साइड मे लगाई और हैरानी से मुझे देखने लगे, डर उनके चेहरे पर सॉफ नज़र आ रहा था.

डॅड (घबराते हुए) – सुनीता ये क्या बात है अपने पापा को कुत्ता कह रही है और तेरा मतलब क्या है.

मैं – कम ऑन डॅड अब इतने भी भोले मत बनो मुझे आपके और काव्या के बारे मे सब पता चल गया है.

डॅड (घबराते हुए) – क्या पता चल गया है.

मैं – अब क्या ये भी मुझे बताना पड़ेगा.

डॅड (घबराते हुए)- देख तेरा ये मज़ाक बहोत हो गया.

मैं – आह्ह्ह्ह.. आअहह.. मेरी जान जल्दी कर मुझे भी तेरी चूत का स्वाद चखना है.

मेरे मूह से ये बात सुनते ही मैं आपको लड़को के अंदाज मे बताऊ तो डॅड की तो गान्ड ही फट गयी.

डॅड (गुस्से मे)- बदतमीज़ अपने डॅड के सामने ये सब बाते करती है तुझे शरम नही आती?

मैं – डॅड अब ज़्यादा ओवर मत हो जाओ, सीधे सीधे अपनी ग़लती मान लो.

डॅड – अपनी बकवास बंद कर.

मैं – ठीक है तो फिर मैं आपकी और काव्या जी की वीडियो आज घर जाते ही मोम को दिखा दूँगी.

वीडियो की बात सुनते ही डॅड का तो पुच्छ मत बुरा ही हाल हो गया.

डॅड (गिडगिडाते हुए)- प्लीज़ बटी ऐसा मत करना मुझे माफ़ कर्दे मैं आगे से कभी अभी काव्या से नही मिलूँगा तेरी कसम.

मैं – कम ऑन डॅड मुझे इससे कोई फरक नही पड़ता कि आप किसके साथ सोते हो और किसके साथ नही, मुझे तो बस अपनी बात पूरी करवानी है.

डॅड (हैरानी से)- क्या?

मैं – ह्म्‍म्म्म.

डॅड – कौन सी बात?

मैं – डॅड मुझे भी आपके लंड का स्वाद चखना है.

मेरे ये कहते ही डॅड भड़क उठे और बेकाबू होकर मुझ पर चिल्लाने लगे, और जेसा कि आप सभी जानते ही है कि आख़िर मे जीत तो आख़िर मेरी ही होनी थी.

मैने डॅड से कहा कि कल मेरा 18वा बर्तडे है और मुझे आपका लंड ही गिफ्ट मे चाहिए. डॅड भी अब क्या कर सकते थे उनका एक अनमोल खजाना मेरे पास जो था जोकि उनके सारे राज खोल सकता था.

हम ने तय किया कि रात को आते टाइम डॅड आइस क्रीम लेकर आएगे और उसी मे हम मोम को नींद की गोलियाँ मिला कर दे देंगे. क्योकि उस रात घर मे बहोत हहा कार मचने वाला था.

सब वैसे ही किया जैसा मैने सोचा था और मैने वैसे ही मोम की आइस क्रीम मे नीद की गोलियाँ मिलाई और वो सोने चली गयी, और मैं रात के 1:04 बजने का इंतेज़ार करने लगी. अब आप सोचोगे कि 1:04 क्यों?, तो दोस्तो बात सीधी सी है मेरा जनम रात 1 बजकर 4 मिनट पर ही हुआ था, तो इसी लिए हम ने ये टाइम तय किया था.

मैं तो अपने बेड पर लेटी हुई बस दरवाजे की ओर देखे जा रही थी और साथ साथ अपनी चुचियों को तो कभी कभी अपनी चूत को सहला रही थी. मुझसे तो बिल्कुल भी इंतेज़ार नही हो रहा था, ऐसा लग रहा था जेसे पहली बात चुदने जा रही हूँ.

फिर आख़िर वो टाइम आ ही गया जब डॅड ने अपने दर्शन मेरे रूम मे ठीक 1:04 पर दिए, मैं तो उन्हे देख कर ही फूली नही समा रही थी. डॅड भी मुझे कामुकता भरी नज़रों से देख रहे थे, शायद वो समझ चुके थे कि अब अगर जवान माल मिल ही रहा है तो क्यो ना इस मज़े से चोदा जाए. उस वक्त मेरे सामने खड़ा वो आदमी मेरे लिए सिर्फ़ एक मर्द था और शायद डॅड के लिए मैं एक औरत. दोस्तो पढ़ते रहिए क्योकि कहानी अभी जारी रहेगी,
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