मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-08-2021, 12:54 PM,
#91
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
वासना की प्यासी भूतनी

दोस्तों इस दुनिया में हमारे आलावा और भी रहस्यमयी ताकतें मोजूद है। ये भूत प्रेत भी चुदाई के दीवाने होते है। इस बात पर आप विस्वास करे या ना करें मेरे को कोई फर्क नही पड़ता। क्युकि जब तक ये घटनाएँ आप के साथ नही घटेंगी आप को विस्वास नही होगा।

मेरा नाम गौरव है और मैं 23 साल का हू। और राजस्थान का रहने वाला हु। मैने अपना कॉलेज ख़तम कर लिया था और अब मैं राजस्थान के एक गाव अजबगढ़ में नोकरी कर रहा था। यहाँ पर एक कहानी बहुत फेमस है।वो भी एक भूतनी के बारे में उसे यहा के लोग सुसीला का भूत कहते है। लोगो के अनुसार सुसीला एक नंबर की रंडी थी और सेक्स के बहाने लोगो के बाल काट के ले जाती और उन बालो से जादू - टोना करती थी।जब ये बात गाव वालो को पता लगी तो उन्होंने उसे नंगी कर के पुरे गाव में घुमाया और बाद में उसे बड़ी भयानक मौत दी। लोगो ने सुसीला के बोबे काट दीये और उसकी चूत में पेट्रोल भर दिया और खम्बे से बांध कर उसे जिन्दा जला दिया ।लोगो को सुसीला को जलते समय उसके शरीर में से कई रूहे निकलती हुई नजर आई थी।

नोट - कमजोर दिल वाले या 18 साल से कम उम्र वाले ये कहानी ना पढ़ें ।

लोगो का कहना है कि वो अब लोगो को नज़र आती है और पहले सेक्स करती है फिर वो उनकी गांड को चीर के आदमी के दो टुकड़े कर के मार देती है। चलो अब मेरी तो फट गयी थी । मेरे को नोकरी करते हुए 23 दिन हो गये थे। एक बार मैं ऑफिस से लेट हो गया और रात को ऑफिस से छुटा। अब मं घर की ओर आ रहा था। तो मेरे पीछे से किसी ने मेरे को आवाज दी मैने पीछे मूड के देखा तो कोई नही जैसे ही मैं आगे मुड़ा तो मेरे ठीक सामने सुसीला का भूत खड़ा था। मैं उस को देखते ही निचे गिर गया। उस का चेहरा सड़ चूका था और बोबे कटे हुए थे।उस के पैर उलटे थे और उस की चूत से पैट्रोल की बदबू आ रही थी।

मेने हाथ जोड़ कर सुशीला से विनती की मैं यहा नया हु और किसी को भी नहीं जानता । प्लीज़ मेरे को मत मारना भूतनी बोली चल ठीक है नही मारती लेकिन पहेले मेरी चुदाई कर।मैं बोला आप को देख के मेरा खड़ा ही नही हो रहां तो मैं आप को कैसे चोदू। वो भूतनी थोड़ी देर में एक जवान लड़की के रूप में बदल गयी। उस के मोटे मोटे और तने हुए बोबे और चिकनी चूत को देख कर आखिर मेरा लंड खड़ा हो ही गया। और उस भूतनी ने मेरे को जमीन पर लेटा दिया और मेरे कपडे गायब कर दिए । अब वो मेरे उपर उछल उछल कर खुद को चोदने लग गयी। अब मेरे को भी मज़ा आने लग गया और मैने उसे घोड़ी बनाकर उसे चोदना शुरू कर दिया । वो आह्ह्ह आह्ह्ह की आवाजे कर रही थी। करीब 30 - 40 मिनट तक मेने भूतनी की चुदाई की। अब मेरा वीर्य आ गया तो सुशीला मेरा सारा वीर्य पी गयी। अब सुसीला मेरे को किस्स करने लग गयी । मैने बोला प्लीज अब मेरे को जाने दो। सुसीला बोली जाऒ। अब जैसे ही मैने आस पास देखा तो पाया अरे सुसीला और मैं हवा में क्यों उड़ रहे है। सुसीला अपने असली रूप मे आ गयी और जोर जोर से हसने लग गयी। वहा उस के साथ और भी भूत आ गये और जोर जोर से हसने लग गये। मेने बोला तुम हँस क्यों रहे हो और हम सब हवा में क्यों उड़ रहे है। सुसीला ने नीचे इशारा किया। नीचे मेरा शरीर दो टुकडो मे पड़ा हुआ था । पता नहीं मैं तो कब का मर चूका था।

समाप्त
Reply
06-08-2021, 12:54 PM,
#92
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
चाची ने अपने पति से मेरा कौमौर्य तुड़वाया

आज से १५ साल पहले की बात है, मैं अपने पिता जी और माँ के साथ कानपूर से दूर एक कस्बे नरवाल में रहती थी. मेरा माता पिता दोनों ही तहसील में काम करते थे, में उनकी अकेली बेटी थी

हम लोग कुछ समय पहले ही नरवाल आये थे और वहीँ के एक स्कुल के मैनेजर साहब के घर में रहते थे. मै उसी स्कुल में ही पढ़ती थी. मैनेजर साहब ३७/३८ साल के थे और उनकी पत्नी ३५ साल की थी और उसी स्कुल की प्रिन्सिपल थी. क्यों की हम उन्ही के घर में किरायदार थे इसलिए काफी घुल मिल गए थे . मै उनको चाचा और चाची कहती थी उनके कोई बच्चा नही था इस लिए वो मुझे अपनी बच्ची की तरह ही प्यार करते थे और मेरा ख्याल रखते थे. मै जब स्कुल से लौटती थी तब माँ और पिता जी दफ्तर में ही होते थे इस लिए मेरी ज्यादा वक्त उनके साथ ही गुजरता था.

मेरे इम्तहान चल रहे थे तभी पिता जी के पास खबर आई की शासन से लखनऊ में एक वर्कशॉप लगी है जिसमे मेरे माँ और पिता जी का जाना जरुरी है. मेरे पिता जी परेशान हो गए की कैसे मुझे यहाँ छोड़े, अभी इम्तिहान चल ही रहे थे. पिता जी ने मैनेजर चाचा और उनकी पत्नी को अपनी समस्या बताई तो उन्होंने प्रिंसिपल चाची ने कहा," भाई साहब चिंता की कोई बात नहीं, आप जाये कनिका बिटिया को हम सम्भाल लेंगे, उसका साल खराब नही होने देंगे."

यह बात सुन कर मेरे पिता जी को सकून हुआ और फिर ५ दिन की वर्कशॉप के लिए माँ के साथ लखनऊ चले गये.

मेरा आखरी पेपर था, प्रिंसिपल चाची ने कहा-," आज आखरी पेपर है , भगवान का नाम लेकर पर्चा लिख आओ सब ठीक रहेगा. घर आने के बाद हम बाहर खाने जायेंगे."

मेरा पेपर अच्छा हो गया , बीच बीच में प्रिंसिपल चाची आकर मुझे देख भी जाती थी. स्कुल से लौट के मैंने कपड़े बदले और सो गयी. चाची भी थोड़ी देर बाद स्कुल से लौट आई और मुझे आवाज दी,"कनिका मेरे कमरे में आजाओ मै आगयी हूँ."
मैं चाची के पास लेटी तो चाची ने पूछा." पेपर कैसा रहा?"
मैंने कहा," बहुत बढ़िया!"
तभी चाची ने कहा-,"यह तो सिर्फ कागजी इम्तिहान था , तुम्हें जिंदगी के इम्तिहान के बारे में पता है?"
मैंने कहा," नहीं!"
चाची ने कहा,"माँ ने तुम्हें कुछ नहीं बताया?"
मैंने कहा-,"नही!"
"माहवारी के बारे में माँ ने कुछ बताया?"
"हर महीने में मुझे बहुत तकलीफ होती है, लेकिन माँ ने इसके लिये कुछ भी नहीं बताया।"
"तुम्हारी माँ बहुत व्यस्त रहती हैं, उन्हें पता ही नहीं कि बेटी कब जवान हो गई! लड़की को जीवन में बहुत सारी कठिन परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है जो अगर पता न हो तो पूरे जीवन में बहुत तकलीफ उठानी पड़ती है. अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हें इसके बारे में आने वाले दो चार दिन में सब कुछ सिखा दूंगी और कोई फ़ीस भी नही लूँगी."

कुछ नया सिखने को मिलेगा, सोच कर मैं झट से मान गई। फिर हम सो गये।

शाम को मैनेजर चाचा घर आये, प्रिंसिपल चाची ने मेरे सामने चाचा से कहा," कनिका सब कुछ सीखना चाहती है, क्यों जी सीखा दे इसको?"
मैनेजर चाचा ने आँखों आँखों में प्रिंसिपल चाची से कुछ कहा तब वो बोली," अरे! तुम कनिका बिटिया से ही पूछ लो! क्यों कनिका, बता अपने चाचा को?"
मुझे चाचा में कुछ हिचकिचाहट दिख रही थी तो मैंने कहा ," चाचा हाँ ! आप दोनों मुझे सिखा दो."
उन्होंने कहा," तुम अपने माँ बाप को इसके बारे में कुछ नहीं बताओगी?"

मैं मान गई। शाम को पाँच बजे चाची मुझे बाज़ार ले गई, वहाँ उन्होंने मेरे लिये शॉपिंग की पर ऐसी शॉपिंग माँ ने कभी नहीं की थी !चाची ने मेरे लिये लाल रंग की सुंदर ब्रा और पैंटी खरीदी, वीट क्रीम और कुछ सौंदर्य प्रसाधन खरीदे। मुझे मेरी पसंद की ढेर सारी चोकलेट भी खरीद कर दी। मैं खुश थी।

छः बजे हम घर पहुँचे। बाहर धूप के कारण घर आकर चाची ने मुझे नहलाया और शरीर की सफाई के बारे में बहुत कुछ सिखाया। शाम सात बजे उन्होंने मुझे कहा,"आगे जाकर मुझे लड़की के सारे काम सीखने पड़ेंगे."

नई ब्रा और पेंटी पहन कर मुझे थोड़ा अटपटा लग रहा था क्योंकि मैंने पहले कभी ब्रा पहनी ही नहीं थी और चूत के बाल साफ करने से थोड़ी खुजली भी हो रही थी। चाची ने एक क्रीम लेकर दी रही और मुझे वहां के बाल साफ़ करने को कहा था.

तब लगभग साढ़े सात बजे चाची ने कहा-,"आज मैं तुम्हें जीवन का सबसे बड़ा पाठ सिखाऊँगी."

बाद में उन्होंने मेरी सुंदर तैयारी की, उनके शादी के खूबसूरत फोटो दिखाये और कहा-,"आज मैं तुम्हें दुल्हन बनाऊँगी."
मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ लेकिन मन में गुदगुदी भी हुयी. कौन ऎसी १५ साल की लड़की होगी जिसे दुलहन का श्रंगार करना अच्छा न लगता हो? मैं भी मान गई.

बाद में उन्होंने मुझे उनका शादी का जोड़ा पहनाया, मेरी फोटो भी खींची, मुझे नजर ना लगे इसलिये काला तिल गाल पर लगाया।

मुझे मजा आ रहा था। बाद में चाची ने मुझे कहा," शादी पहली रात यानि ‘सुहागरात’ सबसे प्यारी होती है. हर लड़की इस रात के लिये तड़पती है. जिंदगी का सबसे बड़ा सुख इस दिन मिलता है."

मुझे चाची की पूरी बात तो नही समझ में आई लेकिन अंदर एक खलबली जरूर मची हुयी थी.

उन्होंने फिर कहा," क्या तुम वो मजा लेना चाहोगी? इसमें थोड़ा दर्द होता है पर मजा भी बहुत आता है. मैंने तो यह मजा तुम्हारी उम्र में ही कई बार चखा था और आज भी हर रात चख रही हूँ."

मैंने तुरंत हाँ कर दी।

सुहागरात में दुल्हन किस तरह बैठती है, कैसे अपने पति को बादाम का दूध पिलाती है, फिर कैसे शर्माती है, ये सब बताया और यह भी कहा," आज इसका प्रैक्टीकल भी तुम से करवाऊँगी."

मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था.

फ़िर उन्होंने कमरा सजाया, कमरे में इत्तर छिड़का. शादी के जोड़े में मुझे बड़ी गर्मी लग रही थी लेकिन मैं चुप रही क्योंकि मुझे कुछ नया सीखना था.

बाद में उन्होंने मुझे बेडरूम में पलंग पर घूंघट लेकर बिठाया.

थोडी देर में वहाँ मैनेजर चाचा आ गये, उन्होंने भी नया कुरता पैजामा पहन था. आज वो बहुत ही अलग लग रहे थे. तभी सुंदर नाइटी में उनके साथ कैमरा लेकर चाची भी पहुँची और मुझे बोली," यह तुम्हारी पहली सुहागरात है अपने पति (चाचा) और गुरु (चाची) के पैर छुओ."

मैं कपड़े सम्भाल कर पलंग से नीचे उतरी और चाचा के पैर छुए।

उन्होंने मुझे मुँह दिखाई के तौर पर 100 रुपये दिये. मैं खुश हो गई, फ़िर मैंने चाची के पैर छुए. उन्होंने आशीर्वाद दिया," ऐसी रात तुम्हारी जिंदगी में हर रोज आये!"

फिर आगे बढ़ कर उन्होंने मुझे चुम लिया और मेरे हाथ में तीन गोलियाँ देकर कहा," यह छोटी गोली तुम्हें बड़ी सहायता करेगी, इसे दूध के साथ ले लो और दूसरी गोली तुम्हें गरमाएगी करेगी, तीसरी गोली तुम्हें दर्द नहीं होने देगी."

चाची की दी हुई गोलियाँ मैंने बिना कुछ कहे दूध के साथ ले ली और पलंग पर घूंघट लेकर बैठ गई.

चाचा जी ने फिर मुझे प्यार से सहलाया मेरे बदन में मानो बिजली दौड़ गई. घूंघट के कारण कुछ दिख नहीं रहा था. चाचा चाची बात कर रहे थे, हंस रहे थे," फ़ूल सी गुड़िया है धीरे करना, वैसे मैंने गर्भ निरोधक गोली और पेन किलर भी दे दी है."

चाचा ने अपने कपड़े उतार दिये और वो अंडर वियर में आ गये. धीरे से उन्होंने मेरा घूँघट खोला और उनके मुँह से शब्द निकल पड़े-,"बहुत सुंदर, बिलकुल पारी!"

मैं सहम गई और आंखें बंद कर ली. उन्होंने मुझे बड़े प्यार से चूमा. पहले मेरे गालों को बाद में माथे को. मेरी बिंदी हटा दी, कान के बूंदे और गले का मंगल सूत्र भी निकाल कर रख दिया.

उसके बाद उन्होंने चाची को मेरी नथ निकालने को कहा. वे हंसी और बड़े प्यार से नथ निकाल दी.

धीरे धीरे वो मेरे पूरे बदन को छू रहे थे, मुझे गुदगुदी हो रही थी.

फ़िर उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरा घागरा खोल दिया. घागरा भारी होने से नीचे चला गया। मैंने पकड़ने की कोशिश की पर चाची ने मेरे हाथ पकड़ लिये.

फ़िर उन्होंने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया और मैं थोड़ी चिल्लाई,"चाची ये क्या!"

पर चाची ने कहा," चुप रहो, सुहागरात में ऐसा ही होता है."

अब मैं केवल ब्रा और पेंटी में खड़ी थी और मैने मेरा मुँह हाथ से ढक लिया. मुझे शर्म आ रही थी पर गोली की वजह से उत्तेजना भी हो रही थी.

चाचा ने मुझे बाहों में भर लिया और जोर से दबाया. उससे मेरे चुचूक उनके सीने से रगड़ गये. चाची रसोई से बाऊल में रसगुल्ला ले आई और मेरे मुँह में दे दिया. चाचा ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और एक झटके में मेरी पेंटी निकाल फेंकी.

मैं डर गई.

तभी चाची ने और एक रसगुल्ला मुँह में खिलाते हुए मेरी ब्रा निकाल फेंकी.
मै नंगी होगयी थी .मेरा शरीर काँप रहा था. तभी मुझे महसूस हुआ की मेरी चूत पर कुछ रेंग रहा है. मैंने आँखे खोली तो देखा चाचा मेरी चूत पर अपनी जीभ रखे हुए है . मेरी चूत पर पहली बार ऐसा कुछ हुआ था और ऐसा लगा जैसे सैकड़ो कीड़े मेरी चूत पर रेंग रहे है. मै बेहद घबड़ाई, लेकिन न जाने क्यों मुझे वो एहसास अच्छा लग रहा था. तभी चाची मेरे चुचूक को अपने मुह में लेकर चूसने लगी.

मै दोनों इस तरह के अनजान एहसास को एक साथ पाकर कुनमुनाने लगी.

चाची मेरी चुन्ची को चूमते हुए बोली,"-,"ऐसा ही होता है सुहागरात में! चुप रहो और मजे लो."

चाचा की जीभ मेरी चूत में जाती तो मैं मजे से तड़प उठती. अब चाचा ने मेरे दोनों पैर ऊपर उठाये और चाची ने रसगुल्ले का रस मेरी चूत में डाल दिया.

बहुत गुदगुदी हुई. फिर चाचा ने अपनी जीभ से वो रस चाट चाट कर चूस लिया. बाद में चाची ने दो रसगुल्ले मेरी कड़क चूचियों में फंसा दिये और चाचा ने वो पूरी उत्तेजना से चूस कर खाये. इसमें मेरे चुचूक पर उनके दांत भी गड़ गये.

चाची ने कहा," गोली खाई है तो दर्द कम होगा."

अब चाची ने मुझे नीचे उतार कर बैठने को कहा और चाचा पलंग पर बैठ गये।

अब उन्होंने कहा,"आज मैं तुम्हे लंड चूसना सिखाती हूँ."

मैंने चौक कर चाची की तरफ देखा लेकिन चाची ने मेरी तरफ ध्यान न कर चाचा का अंडरवियर नीचे खीच दिया. जैसे ही उन्होंने ऐसा किया, चाचा का बड़ा सा लंड फ़ुफ़कारता हुआ निकल आया. मै तो उसको देख कर ही हड़बड़ा गयी. मैंने लड़को के लंड इधर उधर सड़क पर पेशाब करते हुए देखा था लेकिन ये तो बिलकुल ही उनसे अलग था. मै लंड देख बुरी तरह घबड़ा गयी थी. अजीब से दहशत दिल में होगयी थी लेकिन उसके साथ मेरी सांस भी भारी चलने लगी.

फिर उन्होंने चाचा जी का लंड अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगी.वो उसको ऐसा चूस रही थी जैसे वो आइसक्रीम की बार खा रही हों.फिर उन्होंने मुझसे वैसे ही करने को कहा, लेकिन मैंने मना कर दिया.

तब उन्होंने चाचा के लंड पर ढेर सारा चॉकलेट लगा दिया और कहा," इसे चॉकलेट समझकर चूसो! बड़ा मजा आयेगा."

मैं मान गई क्योंकि मुझे चॉकलेट पसंद थी.

चाची ने चाचा का लंड पाने हाथ से पकड़ के मेरे ओठो पर लगा दिया और चाचा ने जोर लगा कर उसको मेरे मुँह ने डाल दिया. मुझे उनके लंड पर लगे चॉकलेट का स्वाद आरहा था और चाचा लंड को धीरे धीरे मेरे मुँह के अंदर बाहर करने लगे. चूसते-चूसते चोकलेट का स्वाद बदल रहा था. अब वो लंड बहुत बड़ा हो गया था और चाचा मेरे बाल पकड़ कर उसे अंदर तक मेरे गले तक डाल रहे थे. मुझे सांस लेना मुश्किल हो रहा था.

चाची मेरे चूचियाँ और चुचूक चूस रही थी.

तभी चाचा ने कहा," मैं झड़ने वाला हूँ!"

चाची ऊंघती हुयी आवाज में कहा,"अंदर ही झड़ जाओ."

और जोर से कुछ मलाई जैसी चीज मेरे मुँह में भर गई, वो मेरे गले तक पहुँची.मुझे ऐसा लगा कि मैं उलटी कर दूंगी पर चाची जी ने मुझे वो उगलने नहीं दिया और कहा,"यह अमृत है पगली! गिरा मत! पी ले!"

और मेरा मुँह ऊँचा करके ढेर सारा रसगुल्ले का रस मुँह में डाल दिया, मैंने वो रस पूरा निगल लिया.
अब चाची ने मुझे कहा," अब तुम्हारा आखिरी इम्तिहान परीक्षा है. इसमें तुम्हे पास होना ही है, नहीं तो जिंदगी बरबाद है."

तब चाचा फिर से खड़े हुये. वो हंस रहे थे.

चाची ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे दोनों पैर दूर-दूर कर दिये. अब उन्होंने भी अपने कपड़े उतार दिये।

अब दोनों पैरों में काफी अंतर था. अब वे मेरे सर की तरफ से आई और कहा," यह आखिरी इम्तिहान है ! इसे जरूर पास करना कनिका!"

और उन्होंने उनके और मेरी चूचियों पर ढेर सारी आईसक्रीम लगा दी और कहा,"- बिटिया., तुम मेरे चुचूक चूसना और मैं तुम्हारे!"

अब यह सिलसिला शुरू होते ही चाचाजी ने अपना लंड मेरी चूत में धकेला, मै दर्द से धर्रा गयी और मैंने चाची के चुचूक को काट लिया।

चाची ने चाचा से कहा," धीरे से बच्ची है!"

और चाची ने भी प्यार से मेरे चुचूक को काट लिया और हंसी, अब चाचा को इशारा किया और उन्होंने मेरे होंठों को अपने होंठों से चिपका दिया.

अब चाचा ने एक जोर का धक्का दिया तो उनका बड़ा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया.
चाचा ने ४/५ धक्के मार कर मेरी छोटी सी चूत में अपना लंड पूरा डाल दिया और मुझे पुचकारने लगे.

मैं जोर से चिल्लाई पर चाची ने अपने मुँह में मेरी आवाज दबा दी. मैं दर्द से तड़प रही थी.

तभी चाची ने थोड़ी बरफ मेरे शरीर पर रखी और मेरे उरोजों को सहलाने लगी और कहा,' कनिका बिटिया , तुम्हें माहवारी में हर महीने जिस काँटे से तकलीफ होती थी वो काँटा चाचा ने निकाल दिया है. अब तुम्हें कभी तकलीफ नहीं होगी."

और उन्होंने मुझे चादर पर गिरा खून भी दिखाया और कहा," यही वो गंदा खून है जो हर महीने तुम्हें तकलीफ देता था. अब थोड़ा और सह लो, सब ठीक हो जायेगा."

बाद में उन्होंने चाचा के लंड पर ढेर सारी क्रीम लगाई और कहा," इस क्रीम को तुम्हारे अन्दर लगा कर ये तुम्हारा इलाज कर देंगे, चिंता मत करो."।

अब उन्होंने मुझे घोड़ी जैसा बैठने को कहा ताकि मलहम ठीक से लगे.

अब चाचा ने लंड के सुपाड़े से मेरी चूत की आहिस्ता आहिस्ता रगड़ा और फिर धीरे धीरे अपना लंड अंदर डालना शुरू किया. मेरे नीचे लटकी चूचियों को चाची ने भी सहलाना शुरू कर दिया. अब मुझे दर्द तो हो रहा था लेकिन लंड का चूत के अंदर आहिस्ते आना जाना मजा देने लग रहा था. चाचा ने ऐसे ही धीरे धीरे मेरी चूत में ३/४ मिनट तक लंड अंदर बाहर किया और मेरी पीठ सहलाते रहे. मेरे मुह से सिसकी निकलना बंद ही नही हो रही थी. मजा तो आने लगा था लेकिन चाचा का लंड मुझे अभी भी दर्द दे रहा था.

फिर चाचा ने अपना लंड मेरी चूत से निकाल दिया और बिस्तर पर लेट गए और चाची से बोला ," सुनो कनिका धक गयी होगी उसकी टंगे भी मेरा वजन बर्दाश्त नही कर पा रही होगी. इसको ऊपर ही आने दो."

चाची ने मेरी चूंचियां छोड़ दी और मुझे चाचा के ऊपर आने को कहा. मुझे कुछ समझ में नही आया तो चाचा ने मेरी कमर पकड़ के अपने ऊपर लिटा दिया और मुझे चूमने लगे. फिर चाची ने चाचा का लंड पकड़ लिया और मुझे उनके लंड पर बैठाकर ऊपर नीचे होने को कहा. मेरी चूत से चाचा का लंड रगड़ रहा था और मुझे अच्छा भी लग रहा था . चाची अपने हाथ से ही चाचा का लंड मेरी चूत के ऊपर रगड़ा रही थी.

फिर चाचा ने मुझे एक बार लंड चूसने को कहा. इस बार मैं खुद मान गई और लोलीपोप जैसे उनका लंड चूसने लगी. चाची प्यार से मेरे बाल सहला रही थी और अपने पैर से मेरी चूत को भी सहलाने लगी.

चाचा अपनी कमर उठा उठा के मेरे मुह में लंड अंदर बाहर कर रहे थे और बोलते भी जा रहे थे,"कनिका तू बड़ी मस्त है!"
"इतनी जल्दी लंड चूसना सीख गयी."
"तुझे तो दिन रात चोदूंगा."

चाची के पैर का अगूंठा मेरी चूत अंदर खलबली कर रहा था और अनजाने में मै भी कमर हिलाने लगी.
चाची ने जब यह देखा तो बोला,"सुनो कनिका मस्त हो गयी है अब चोद दो इसको."

जैसे ही चाची ने ऐसा कहा , चाचा ने अपना लंड मेरे मुँह से निकल दिया और एक करवट लेकर मुझे बिस्तर पर गिरा दिया. वो खुद तेजी से मेरी टैंगो की तरफ चले गये. उन्होंने मेरी टांगो को फैला दिया. चाची ने तभीकहा,"अरे रुको! कनिका के चूतरो के नीचे पहले तकिया लगा दो, तभी तो कनिका बिटिया की चूत उभर के सामने आएगी और तुम्हारा लंड से मजा लेगी."

खुद चाची ने मेरे चूतरो के नीचे तकिया लगादी और चाचा का लंड पकड़ के मेरी चूत के द्वार पर रख दिया.

इस बार चाचा ने थोड़ा और क्रीम अपने लंड पर लगाया और एक धक्के में पूरा लंड मेरी चूत में समा दिया. मेरे मुँह से "मम्मी मर गयी!' निकल पड़ा. लेकिन चाचा रुके नही वो मेरी चूत में धक्के मारने लगे. उनका लंड कहि अंदर तक मुझे हिला दे रहा था. चाची नंगी मुझसे चिपटी रही और मेरे बदन को चूमते और सहलाते हुए बड़बड़ाने लगी,
" चोद कसके इसको!"
"बहुत दिनों से परेशान था चोदने को करले इच्छा पूरी!"
"क्या कोरी निकली!"

चाचा केवल "हाँ हाँ" बोलते जारहे थे और मुझे चोदते जा रहे थे. मुझे वाकई मजा आने लगा था और मै भी चाचा के लंड का साथ देने लगी.

मेरी चूंचियां फ़ूल गये थे, चूचक नुकीले हो गये थे , मेरे मुँह से "आह!! आह!! आई!!आई!!" की आवाजे निकल रही थी. तभी मुझे लगा जैसे मुझे पेशाब हो जायेगी और न चाहते हुए भी मुझे हो गयी. लगा जैसे मेरी चूत से कुछ निकला और एक नशा सा मुझ पर चढ़ गया. मै पस्त हो गयी , एक धकान सी मेरे शरीर छा गयी. पर चाचा रुकने वाले नहीं थे, उन्होंने अपनी स्पीड बढ़ा कर, कस कस के मुझे चोदने लगे. और चाची से कहा," मेरा निकलने वाला है ! क्या करूँ?"

चाची ने कहा," अंदर छोड़ दो, मैंने गोली दे दी है।"

चाचा का तभी चेहरा तन गया और "आआआआआआह!" कहते हुए मुझसे चिपट कर मेरे ही ऊपर गिर गए. उनके लंड ने गरम गरम वीर्य जोर से मेरे अंदर छोड़ दिया. उनके वीर्य की गर्मी जैसे मेरी चूत के अंदर महसूस हुयी मैं एकदम से अकड़ गई और मुझे अंजाना सा सुख मिला.

हम तीनो ऐसी ही हालत में उसी बिस्तर पर सो गए.

मैं रात भर सोती रही और सवेरे ९ बजे मेरी आँख खुली.देखा चाची मेरे बगल में दूध का ग्लास लेकर बैठी हैं, वो ही मेरा चेहरा सहला रही थी जिससे मेरी आँख खुल गयी थी. उन्होंने मुझे पुचकारते हुए उठाया और दूध का गिलास देते हुए बोली,"कनिका बिटिया कैसी हो? अच्छा लगा?" मै चाची की तरफ देख के शर्मा गयी. लेकिन मुझे अपनी टांगो के बीच अभी दर्द सा महसूस हो रहा था. मैंने चाची से कहा," चाची वहां दर्द है."

उन्होंने मेरा सर सहलाते हुए कहाँ,"पगली पहले ऐसा ही होता है, आज रात तेरे सामने तेरे चाचा मेरे साथ करेंगे और फिर तुम्हरी चूत मारेंगे, तब तुमको ज्यादा मजा आएगा."

मै उनकी बात सुन कर अंदर ही अंदर बहुत रोमांचित हो गयी और रात का बेसब्री से इंतज़ार करने लगी. उस पूरी रात हमलोग नही सोये. कितनी बार मै झड़ी मुझे याद भी नही.

5 दिनों तक मैनेजर चाचा प्रिंसिपल चाची मुझे चोदते रहे और चुदाई सुख देते रहे . फिर मेरे पिता जी और माँ, लखनऊ से वापस आगये. उनके आने के बाद तो इतनी खुली छूट मुझे नही मिली लेकिन जब भी मौका मिलता था चाची किसी बहाने से मुझे अकेले में बुलवा लेती और चाचा मुझे चोद देते थे. एक साल बाद ही मेरे माँ बाप का तबादला हो गया और फिर मै मैनेजर चाचा और प्रिंसिपल चाची से कभी भी नही मिली. लेकिन मुझे आज भी उनकी याद आती है.
Reply
06-08-2021, 12:54 PM,
#93
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
तीन भतीजियो की चुदाइ का मज़ा

हाय दोस्तो मै सन्जय आपको अपनी निजी
ज़िन्दगी की कुछ झलक दिखाना चाहता हू. मै उन दिनो हाइस्कूल मे पड रहा था.
हम एक जोइन्ट फ़ैमिली मे रहते थे, घर मे मा पापा ताउ जी उनके दो लड्के
यानि मेरे दो बडे भाई ऒर उनकी तीन बेटिया यानि मेरी भतीजिया. सबसे बडी १४
साल की उसका नाम सीमा, दूसरी १२ साल की नाम रिचा, तीसरी १० साल की नाम
तनु. घर मे सब मेलजोल से रहते थे. मुझे नया नया सेक्स का परिचय हुआ था मन
मे चोदने कि बहुत इच्छा रहती थी लेकिन कोइ रास्ता नही था. हम सारे लोग
गर्मियो मे ऊपर खुली छत पर सोते थे. एक रात जब सब छत पर सो रहे थे रात को
मुझे पेशाब के लिये उठना पडा. मै पेशाब कर के आया लेकिन लन्ड खडा ही रहा
बैठने का नाम ही नही ले रहा था कि मेरी नजर अपनी भतीजी सीमा पर पडी, वो
पास बाले बिस्तर पर सो रही थी मैने देख कि गर्मी की वजह से उसने कुछ ओड
नही रखा था. उसकी गोल गोल चूचिया सान्सो के साथ ऊपर नीचे हो रही थी. मेरे
मन मे तुरन्त वासना जाग गयी और मै धीरे धीरे खिसक कर उसके करीब आ कर लेट
गया. वो गहरी नीन्द मे थी उसकी चूचिया छोटी छोटी थी जैसे सन्तरे रखे हो.
मेने हिम्मत कर अपना एक हाथ उसके पेट पर रखा उसने कोइ रिएक्शन नही किया.
फ़िर मेने धीरे से अपना हाथ उसकी एक चूची पर रख दिया ऐसा महसूस हुआ कि
मक्खन के पहाड पर हाथ रखा हो. मै हल्के हल्के चूचियो को सहलाता रहा मुझे
बहुत अच्छा लग रहा था. फ़िर मैने उसके कुर्ते के गले मे से अन्दर हाथ
डाला. उसकी नर्म नर्म चूचिया मेरे हाथो के नीचे थी, मैने उन्हे धीरे धीरे
दबाना शुरू किया, वो हल्के से कसमसाइ और फ़िर शान्त हो गयी. मेरी हिम्मत
और बड गयी मैने चूचियो को और तेजी से मसलना चालु कर दिया मुझे बहुत मजा आ
रहा था. फ़िर मै अपना हाथ नीचे की तरफ़ ले गया और सलबार के ऊपर से ही उसकी
चूत पर रख दिया और धीरे धीरे सहलाने लगा उसकी चूत बाला हिस्सा फ़ूला हुआ
था. मेरा मन कर रहा था कि अभी उसके सारे कपडे उतार कर उसे चोद दू खैर अब
मैने धीरे से उसकी सलबार का नाडा खोल दिया और अपना हाथ अन्दर कर उसकी
पैन्टी मै डाल दिया उसकी चूत पर बाल नही थे शायद उगे ही नही थे. अब मैने
उसकी चूत और उसके चारो तरफ़ अपना हाथ फ़िराना शुरु किया, फ़िर धीरे से मैने
अपनी एक उन्गली उसकी चूत मे घुसा दी मुझे मालुम हुआ कि उसकी चूत पूरी
गीली थी, मै समझ गया बहन की लोडी जग रही थी. मेरा सारा डर खतम हो गया
मैने अपनी उन्गली उसकी चूत मे तेजी से अन्दर बाहर करनी शुरु कर दी उसके
मुह से हल्की हल्की आवाजे आ रही थी मैने अपना मुह उसके कान के पास किया
और बोला सीमा मजा आ रहा है ना ? उसने अपनी आन्खे खोली और बन्द कर ली मै
समझ गया कि इसकी चूत को भी लन्ड की ज़रूरत है. अब मैने उसका कुर्ता ऊपर
किया और उसकी ब्रा के ऊपर से उसके मम्मो को दबाने लगा. फ़िर मेरे दिमाग मे
बिचार आया मैने उसके कपडे नीचे किये और उसके कान के पास मुह ला कर कहा कि
मै नीचे जा रहा हु तुम थोडी देर बाद नीचे आ जाना यह कह कर मै छत से उतर
कर नीचे चला गया. चुकि सारे लोग ऊपर सो रहे थे इसलिये नीचे कोइ नही था.
करीब १५ मिनट बाद सीमा नीचे आ गयी वो ऐसे बहाना कर रही थी जैसे अभी अभी
जागी हो. उसने आते ही पूछा चाचा जी क्या बात है क्यो बुलाया है ? मैने
उसे अपने से लिपटाते हुए कहा तुझ से ज़रूरी काम है. फ़िर मै उसे अपने कमरे
मे ले गया और दरबाज़ा बन्द कर लिया वो मेरे बेड पर बैठी थी. मैने कमरे की
लाइट जला दी मै उसकी नन्गी जवानी को निहारना चाहता था. मैने देखा कि वो
कुछ शर्मा रही थी. मैने उसके चेहरे को पकड कर अपने होठ उसके होठो पर रख
दिये और उन्हे चूसने लगा और एक हाथ उसके शरीर के उभारो पर फ़िराने लगा. वो
चुपचाप थी और कोइ विरोध नही कर रही थी. मैने उससे कहा सीम तुम बहुत
सेक्सी हो और मुझे बहुत अच्छी लगती हो. उसने कहा चाचा जी आप क्या कर रहे
है मैने कहा जो शादी के बाद एक लड्का और एक लड्की करते है. वो कुछ नही
बोली. फ़िर मैने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसके कपडे उतारने शुरु किये मैने
पहले उसका कुर्ता उतारा उसकी चूचिया ब्रा मे से झाक रही थी. फ़िर मैने
सलबार उतारी वो साली अब ब्रा और पेन्टी मे एक सेक्स का बोम्ब लग रही थी.
मैने जल्दी से उसकी ब्रा और पेन्टी भी उतार डाली. अब वो मेरे सामने
बिल्कुल नन्गी लेटी हुइ थी उसका गोरा बदन बहुत हसीन लग रहा था, सुन्दर
चेहरा छोटी छोटी उठी हुइ चूचिया गोरा पेट चिकना बिना बालो बाला प्युबिक
मस्त चूत. मै यह देख कर पागल हो गया मैने उसकी चूचियो को बुरी तरह मसलना
और चूसना शुरु किया वो मुह से आवाजे निकालने लगी, मै अपना एक हाथ उसके
पेट पर सहलाते हुए उसके प्युबिक पर ले गया और उसे मसलने लगा. फ़िर मै अपना
मुह उसकी चूत पर ले गया और उसकी चूत को अपने मुह मे भर कर जोर जोर से
चूसने लगा उसकी चूत पूरी तरह गीली थी और पानी छोड रही थी मुझे उसके चूत
के नमकीन पानी को पीने मे बहुत आनन्द आ रहा था. बहुत प्यारी खुश्बू उसकी
कुवारी बुर से आ रही थी. अब मै अपने लन्ड को उसके मुह के पास ले गया और
उससे कहा सीमा डारलिन्ग इसे चूसो उसने मना किया मैने उसका मुह थोडा सा
ज़ोर लगा कर खोला और अपना लन्ड उसके मुह मे घुसेड दिया लेकिन उसने कोइ
रेसपोन्स नही मिला मैने कहा मेरी प्यारी भतीजी अपने चाचा के लिये उनका
लन्ड भी नही चूस सकती? उसे भी शायद पहली बार इस तरह का मज़ा आया था उसने
अपने मुह से लन्ड निकाल कर कहा चाचा जी आइ लव यु और फ़िर मेरा लन्ड मुह मे
ले कर बडे मज़े से चूसने लगी. मेरी तो ऐश कट गयी मै जन्नत मे पहुच गया.
फ़िर मैने उसकी टान्गे फ़ैलाइ और उसकी गुलाबी और कुवारी चूत की फ़ाको को
अपनी उन्गलियो से फ़ैलाया और अपना लन्ड उसके अन्दर करने की कोशिश करने
लगा, जैसे ही लन्ड उसकी चूत मे आधा इन्च घुसा उसे तो जैसे करन्ट लग गया
वो एक दम उछल पडी वोली चाचा जी मुझे छोड दो और छूटने की कोशिश करने लगी.
मैने उसको कसके दबोच लिया और कहा बहन की लोडी आज तो तेरी चूत फ़ाडनी है
चाहे कुछ भी हो जाये. अब मैने उसके मुह पर अपना मुह लगा कर चीखने की
गुन्जाइश खत्म कर दी और उसकी टान्गो को जबरदस्ती अपने घुटनो से दबा कर एक
ज़ोरदार झटका लगाया लन्ड उसकी चूत को फ़ाडता हुआ पूरा अन्दर घुस गया उसकी
चीख मेरे मुह मे घुट कर रह गयी उसकी आन्खो से आसु निकल रहे थे. मैने थोडी
देर तक लन्ड को ऐसे ही अन्दर पडा रहने दिया, और १० मिनट बाद लन्ड को उसकी
चूत मे धीरे धीरे अन्दर बाहर करना चालु कर दिया. अब शायद वो भी कुछ
रिलेक्स फ़ील कर रही थी मैने अपना मुह उसके मुह से हटा कर उससे पुछा अब
दर्द कम हो रहा है ना ? वो बोली कम है मैने धीरे धीरे चुदाइ की स्पीड बडा
दी, उसे भी मज़ा आने लगा बोली चाचा जी बहुत अच्छा लग रहा है. मैने कहा
सीमा चुदाइ मे जो मज़ा हे वो किसी चीज़ मे नही. अब वो मेरे चुदाइ के झटको
के साथ अपनी गान्ड भी उठा रही थी. करीब २० मिनट बाद मैने अपना सारा वीर्य
उसकी चूत मे छोड दिया. बास्तव मे इस से पहले ना तो मैने किसी जवान लडकी
को नन्गा देखा था और चुदाइ की तो केवल कल्पना ही करता था इसलिये मुझे जो
आनन्द की प्राप्ती हुइ उसको मै शब्दो मे नही कह सकता. खैर मै उसकी चूत मे
अपना लन्ड डाले १५ मिनट तक उसके ऊपर लेटा रहा फ़िर मैने सीमा को कपडे
पहनाये और खुद पहने फ़िर उससे पूछा कि सीमा तुम्हे बुरा तो नही लगा वो
मुस्कुरा दी और बोली चाचा जी आप बहुत अच्छे है और मुझे एक किस कर के
दरबाजा खोल कर भाग गयी. तो दोस्तो कैसी लगी मेरी दास्तान ?
Reply
06-08-2021, 12:54 PM,
#94
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
गॅजी चाची की चुदाई

हाई दोस्तो मेरा नाम राज है, में 19 साल का हूँ, ये कहानी मेरी चाची के बारे मे है. चाची की उमर 35 साल का. फिग-35-28-34, उनकी रंग तोड़ा सावला सा है,उनकी बाल काफ़ी घने,लंबे है, दिखने मे काफ़ी सुंदर ओर सेक्सी है.
मेरे चाचा यानी चाची के पति को दिहांत हुए 2 साल हो गये है. अब घर मे सिर्फ़ में,पापा,मम्मी,दादा,दादी,चाची रहते है. मम्मी ऑर पापा कुछ दिन के लिए मेरे नाना नानी के घर गये थे, घर मे अब सिर्फ़ दादा,दादी ओर चाची थे, मेरी दादी एक स्ट्रिक्ट किसम की औरत है. वो चाची को ज़्यादा पसंद नही करती थी.

एक दिन चाची नहा के आ रही थी, बाल सुखाने के लिए चाची ने खुले रखे थे. जब चाची बाल सुखाने के लिए बालो को झाड़ रही थी तब पानी के कुछ छींटे दादी के उपर पड़ गये, दादी एकदम भड़क गयी ओर चाची को खूब सारी गलियाँ दी ऑर कहा-तुम विधवा हो विधवा की तरह रहो, आज तुम्हे इसकी सज़ा मिलेगी, आज तुम अपना सिर मुंडवाओगी. ये कहकर दादी ने मुझे एक नाई को घर लाने को कहा. तो में नाई को बुलाने चला गया. जब में नाई को लेकर घर आया तो देखा कि चाची एक कुर्सी पर बैठी थी ऑर रो रही थी वो दादी को मना कर रही थी पर दादी ने चाची की एक भी बात ना सुनी.

दादी ने नाई को कहा-इसका सिर अच्छी तराहा से मुंडवा दो पूरी गन्जि कर दो. फिर नाई ने अपने बक्से से केँची निकाली ओर केँची चला कर चाची के बालो को छोटे छोटे कर दिया, उनके लंबे लंबे बाल चाची के गोदी पर गिर रहे थे. फिर नाई ने कटोरे मे पानी लेकर चाची के सिर पर पानी से अच्छी तरहा से मालिश की फिर बक्से से उस्तरा निकाला ऑर एक न्यू ब्लेड डाली ओर चाची के सिर पे उस्तरा रखके रगड़ ना सुरू किया, अब चाची सामने से गन्जि हो रही थी. फिर नाई ने पीछे के बाल काटे. अब सिर्फ़ दोनो साइड के बाल बचे थे. उस समय चाची एकदम सेक्सी दिख रही थी.नाई ने अब दोनो साइड के बाल काट दिए. चाची अब पूरी तरह गन्जि हो चुकी थी. दादी ने सिर पर हाथ फेरा ऑर कहा- ये अच्छी तरह से नही हुआ है फिरसे उस्तरा फेरो एकदम चिकना करदो. तो नाई ने शेविंग क्रीम लगाके फिरसे उस्तरा चलाया. अब चाची का सिर एकदम चिकना ओर चाँद जैसा चमक रहा था. तब मेरा मन चाची को चोदने को कर रहा था. मुंडन होने के बाद चाची रोते हुए अपने कमरे मे चली गयी. और मे भी अपने कमरे मे चला गया.
अपने कमरे मे चाची का चहेरा याद करके मूठ मारने लगा. रात को डिन्नर करते वक़्त चाची खाना खाने को नही आई. 1 घंटे बाद दादा दादी सोने को चले गये. तो में चाची के लिए खाना उनके कमरे में ले गया. कमरे का दरवाजा खुला था. अंदर देखा तो चाची बेड पर बैठी रो रही थी. तो मेने कहा
-चाची आप खाना खा लीजिए.
चाची-मुझे भूक नही है.
में-आप मेरी खातिर तो खा लीजिए, बर्ना में आपसे बात नही करूँगा.
चाही मुझे बहुत पसंद करती है. तो वो मना नही कर पाई. ऑर कहा- तू ही तो है इस घर में जो मेरा दुख ओर तकलीफ़ समझता है.
फिर चाची ने खाना खाया ओर कहा-राज क्या तुम मेरे साथ यहाँ बैठ के कुछ बाते कर सकते हो.
मेरे लिए ये अच्छा मौका था अपने दिल की बात कहने को तो में वहाँ बैठ गया.
चाची खाना खा चुकी थी. तो मेने बात सुरू की.
में-चाची आप बहुत सुंदर लग रही हो.
चाची-राज तुम मेरा मज़ाक क्यूँ उड़ा रहे हो.
में- आप बिना बालो के काफ़ी सुंदर दिखती हो.
चाची-क्या तुम्हे गन्जि औरते अच्छी लगती है.
में-हाँ.
अब चाची काफ़ी रिलॅक्स थी ऑर हस भी रही थी. तो मेने अपनी ज़रूरी बात सुरू करदी.
में-चाची मुझे आपसे कुछ कहना है, आप बुरा तो नही मनोगी.
चाची-नही मनुगी, तू बोल.
में- में आपसे बहुत प्यार करता हूँ. जबसे आपको देखा है मेरा मन मे आपके साथ सेक्स करने की इच्छा होती है.
चाची(गुस्से से)- राज ये सब ग़लत है, तुम्हे मुझसे ये सब नही कहना चाहिए.
में- मुझे पता है आप अभी भी सेक्स के लिए तड़प रही है. मेने आपको कयि बार मैथुन करते हुए देखा है.
ये सुनके चाची थोड़ी शांत हो गयी ओर कहा- राज ये सच है में सेक्स के लिए 2 सालो से तड़प रही हूँ, जबसे तेरे चाचा जी का दिहांत हुआ है तबसे मेरा सरीर सेक्स लिए तड़प रहा है, पर में एक विधवा हूँ ऑर तुझसे काफ़ी साल बड़ी हूँ.
मेने कहा- प्यार में कोई उमर नही होती, ऑर रही बात आपके विधवा होने की तो में आपको अपनी पत्नी बनाउन्गा.
फिर मेने चाची की अलमारी से सिंदूर की डिब्बी ऑर एक पुराना मन्गल्सुत्र निकाला, ओर चाची के गंजे सिर पर सिंदूर लगाया ओर गले में मंगलसूत्र पहना के अपनी पत्नी बनाया.
में- आज से तुम मेरी पत्नी हो ऑर में तुम्हारा पति.
चाची-हाँ राज अब में तुम्हारी पत्नी अबसे मेरा सरीर तुम्हारा है तुम जो चाहे कर सकते हो.
ये सुनते ही में चाची के होंठो को चूमने लगा, चूमते चूमते चाची की सारी ऑर पेटिकोट उतार दिया अब चाची सिर्फ़ पैंटी ओर ब्रा में थी, क्या गजब की लग रही थी.
मेने अपना सारे कपड़े उतार दिए, मेरा 7 इंच का लंड खड़ा होके चाची को सलाम दे रहा था. चाची मेरे लंड को अपने मूँह मे लेकर चूसने लगी. 2 मीं चूसने के बाद. मेने चाची की ब्रा उतार दी. उनके बड़े बड़े बूब्स को देखकर में पागल सा होगया ओर उनके बूब्स मसल्ने ओर चूसने लगा. अब मेरा धैर्य खो रहा था, मेने चाची की पैंटी भी उतार दी, चाची मेरे सामने पूरी तरह नंगी थी, क्या सेक्सी लग रही थी. उनकी चूत काफ़ी बड़ी थी ऑर घने बाल भी थे.
मेने चाची को बिस्तर पर लिटाया ऑर उनके जाँघो को चौड़ा कर अपना लंड चूत मे टिका कर रगड़ने लगा. रगड़ते रगड़ते लंड को थोड़ा अंदर डाल दिया, चाची की चूत काफ़ी टाइट थी, उन्होने 2 सालो से सेक्स नही किया था तो थोड़ा दर्द हो रहा था. फिर मेने अपना पूरा लंड झट से अंदर डाल दिया. चाची दर्द से चिल्ला उठी ऑर कहा- अयैआइयियीयियी माआ मर गयी थोड़ा धीरे कर. पर में नही माना ओर ज़ोर ज़ोर चुदाई चालू की. मुझे बड़ा आनंद मिल रहा. अब चाची भी मज़े ले रही थी उनके मूँह से अब आह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आअह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह्ह जैसी आवाज़ आ रही थी. फिर मेने चाची को घोड़ी बनाकर घोड़े की तरह चोदने लगा .चाची ने कहा- चोद साले अपनी रंडी बीवी को, मेरी 2 साल की हवस को पूरी कर्दे आज. मेने चाची को लगभग 2 घंटे तक अलग अलग पोज़िशन मे चोदा. अंत में चाची को पीठ के बल लिटाया ऑर उनके पैरो को एक साथ जोड़ कर चूत को थोड़ा उपर उठाया फिर मेने अपना लंड अंदर डाल कर ज़ोर ज़ोर से अंदर बाहर करने लगा 2 मिनट तक करते ही में झाड़ गया ओर अपना सारा वीर्य चाची की चूत में डाल दिया. चाची भी तब तक शांत हो चुकी थी. उस रात मेने ओर चाची ने कई बार सेक्स का आनंद लिया.
अब चाची खूष रहती है ओर अपने विधवा होने का अफ़सोस नही करती. मेरेलिए चाची अपना सिर भी हर महीने मुंडवा देती है. जिससे दादी भी हैरान हो जाती हैं. चाची ऑर में जब भी मौका मिलता हम जमकर चुदाई कर लिया करते है.

दोस्तो ये कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना
Reply
06-08-2021, 12:55 PM,
#95
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मेरी प्यारी माँ



हेल्लो दोस्तों, इस वेबसाईट पर आप सभी की स्टोरी कई सालो से पढ़ने के बाद आज मैं भी अपनी एक सच्ची कहानी लिखने की हिम्मत कर पाया हूँ, मैने अपने घर की कहानी को आप लोगो तक पहुँचाने के बारे कभी नही सोचा था. इस वेबसाईट से मेरी कई लोगो से दोस्ती भी हो गयी है

उन्होने ही मुझे कहा की मैं भी अपनी जिंदगी की सच्चाई लिखू। मेरे घर मे में, मेरी माँ, मेरी पत्नी और मेरी बहन है, मेरी बहन की शादी हो चुकी है और वो अपने ससुराल मे रहती है।

में अपनी माँ और पत्नी के साथ यहाँ कोलकाता मे रहता हूँ, हम लोग बनारस (उ.प.) से यहाँ बचपन मे ही आ गये थे और यही बस गये. मेरी उम्र 28 साल की है और मेरी पत्नी 24 की है. मेरी सास और मेरी साली अभी भी बनारस के पास एक गांव मे रहते है. और साल मे 2-3 महीने हमारे यहाँ आते है. सच पूछो तो मेरा घर एक स्वर्ग है, जहाँ किसी भी तरह की कोई मना नही, में आपको शुरू से ही ये सारी बातें बताता हूँ।

यह बात मेरे बचपन की है, घर पर मेरी माँ, मेरी दीदी और में सब साथ रहते थे, मेरी उम्र करीब 18-19 के आस पास थी. मेरी लंबाई 5’7” की है. मेरी दीदी की उम्र 18 साल हे, उसकी स्पोर्ट्स मे रूचि थी और वो स्टेडियम जाती थी. मेरी माँ टीचर है, उसकी उम्र 37-38 की होगी, मगर देखने मे किसी भी हालत मे 31-32 से ज्यादा की नही लगती थी. माँ और दीदी एकदम गोरे है. माँ मोटी तो नही लेकिन भरे शरीर वाली थी और कुल्हे उनके चलने पर हिलते थे. उनकी शादी बहुत जल्दी हो गयी थी, मेरी माँ बहुत सुंदर और हँसमुख है।

वो जिंदगी का हर मज़ा लेने मे विश्वास रखती है, हालाकि वो सबसे ओपन नहीं होती है पर मैने उसे कभी किसी बात पर गुस्सा होते हुए नही देखा. ये बात उस समय की जब मैं 9th मे था और हर चीज के बारे मे मेरी इच्छा बढ़ रही थी स्पेशली सेक्स के बारे मे. मेरे स्कूल के दोस्त अक्सर लड़की पटा कर मस्त रहते थे उन्ही मे से दो तीन दोस्तो ने अपने परिवार के साथ सेक्स की बाते भी बताई तो मुझे बड़ा अज़ीब लगा. मैने माँ को कभी उस नज़र से नही देखा था पर इन सब की बातों को सुन-सुन कर मेरे मन मे भी इच्छा बढ़ने लगी और मै अपनी माँ को ध्यान से देखने लगा, चूँकि गर्मियों की छुट्टियाँ चल रही थी और में हमेशा घर पर ही रहता था।

घर मे, में माँ के साथ ही सोता था और दीदी अपने कमरे मे सोती थी, माँ मुझे बहुत प्यार करती थी, माँ, दीदी और में आपस मे थोड़ा खुले हुए थे, हालाकि सेक्स करने की कोई बात तो नही हुई थी पर माँ कभी किसी चीज का बुरा नही मानती थी और बड़े प्यार से मुझे और दीदी को कोई भी बात समझाती थी, कई बार अक्सर उत्तेजना की वजह से जब मेरा लंड खड़ा हो जाता था और माँ की नज़र उस पर पड़ती तो मुझे देख कर धीरे से मुस्कुरा देती और मेरे लंड की तरफ इशारा करके पूछती कोई परेशानी तो नही है, में कहता “नही” तो वो कहती कोई बात नही… तो में भी मुस्कुरा देता, वो खुद कभी-कभी हम दोनो के सामने बिना शर्माये एक पैर बेड पर रख कर साड़ी थोड़ा उठा देती और अन्दर हाथ डालकर अपनी चूत खुजलाने लगती, नहाते समय या हमारे सामने कपड़े बदलते वक़्त अगर उसका नंगा बदन दिखाई दे रहा हो तो भी कभी भी शरीर को ढकने या छुपाने की ज़्यादा कोशिश नही की, ऐसा नही था की वो जान बुझ कर दिखाने की कोशिश करती हो, क्यों की इन सब के बाद भी मैने उसकी या दीदी की नंगी चूत नही देखी थी, बस वो हमेशा हमे नॉर्मल रहने को कहती और खुद भी वैसे ही रहती थी।

धीरे धीरे में माँ के और करीब आने की कोशिश करने लगा, और हिम्मत कर के माँ से उस वक़्त पास आने की कोशिश करता जब मेरा लंड खड़ा होता, मेरा खड़ा लंड कई बार माँ के बदन से टच होता पर माँ कुछ नही बोलती थी. इसी तरह एक बार माँ किचन मे काम कर रही थी और माँ की हिलते हुए कुल्ले देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. मैने अपनी किस्मत आज़माने की सोची और भूख लगने का बहाना करते हुए किचन मे पहुँच गया, और माँ से बोला “माँ भूख लगी है कुछ खाने को दो.. ” और ये कहते हुए माँ से पीछे से चिपक गया, मेरा लंड उस समय पूरा खड़ा था और मैने अपनी कमर पूरी तरह माँ के कुल्हे से सटा रखी थी जिसके कारण मेरा लंड माँ के कुल्हो के बीच तोडा सा घुस गया था. माँ हंसते हुए बोली “क्या बात है आज तो मेरे बच्चे को बहुत भूख लगी है..” “हां माँ, बहुत ज्यादा, जल्दी से मुझे कुछ दो..” और मैने माँ को और ज़ोर से पीछे से पकड़ लिया और उनके पेट पर अपने हाथो को कस कर दबा दिया, कस कर दबाने की वज़ह से माँ ने अपने कुल्ले थोड़े पीछे किये जिससे मेरा लंड थोडा और माँ के कुल्हे के बीच मे घुस गया, उत्तेजना की वज़ह से मेरा लंड झटके लेने लगा पर में वैसे ही चिपका रहा और माँ ने हंसते हुए मेरी तरफ देखा पर बोली कुछ नही।

फिर माँ ने जल्दी से मेरा खाना लगाया और थाली हाथ मे लेकर बरामदे मे आ गई, में भी उसके पीछे पीछे आ गया, खाना खाते हुए मैने देखा तो माँ मुझे और मेरे लंड को देख कर धीरे धीरे हंस रही थी, जब मैने खाना खा लिया तो माँ बोली की अब तू जाकर आराम कर में काम कर के आती हूँ… पर मुझे आराम कहा था में तो कमरे मे आकर आगे का प्लान बनाने लगा की कैसे माँ को चोदा जाए. क्योंकि आज की घटना के बाद मुझे पूरा विश्वास था की अगर में कुछ करता भी हूँ तो माँ अगर मेरा साथ नही देगी तो भी कम से कम नाराज़ नही होगी, फिर ये ही हरकत मैने 5-6 बार की और माँ कुछ नही बोली तो मेरी हिम्मत बढ़ी।

एक रात खाना खाने के बाद में कमरे मे आकर लाइट ऑफ कर के सोने का नाटक करने लगा, थोड़ी देर बाद माँ आई और मुझे सोता हुआ देख कर थोड़ी देर कमरे मे कपड़े और समान ठीक किया और फिर मेरे बगल मे आकर सो गई, करीब एक घंटे के बाद जब मुझे विश्वाश हो गया की माँ अब सो गयी होगी तो मै धीरे से माँ के ऊपर सरक गया और धीमे धीमे अपना हाथ माँ के कुल्हो पर रख कर माँ को देखा जब माँ ने कोई हरकत नही की तो में उनके कुल्हो को सहलाने लगा और उनकी साड़ी के ऊपर से ही दोनो कुल्हो और गांड को हाथ से धीमे धीमे दबाने लगा।

जब उसके बाद भी माँ ने कोई हरकत नही की तो मेरी हिम्मत थोड़ी और बढ़ी और मैने माँ की साड़ी को हल्के हल्के ऊपर खिचना शुरु किया, ऊपर करते करते जब साड़ी कुल्हो तक पहुँच गई तो मैने अपना हाथ माँ की कुल्हो और गांड के ऊपर रख कर थोड़ी देर माँ को देखने लगा, पर माँ ने कोई हरकत नही की, फिर में अपना हाथ उनकी गांड के छेड़ से धीरे धीरे आगे की और करने लगा, पर माँ की दोनो जांगे आपस मे सटी हुई थी जिससे में उन्हे खोल नही पा रहा था. फिर मैने अपनी दो उंगलिया आगे की और बड़ाई तो मेरी सास ही रुक गई. मेरी उंगलिया माँ की चूत के ऊपर पहुँच गई थी।

फिर मैने धीरे धीरे अपनी उंगलियो से माँ की चूत सहलाने लगा, माँ की चूत पर बाल महसूस हो रहे थे, चूँकि मेरे लंड पर भी झांटे थी तो में समझ गया की ये माँ की झांटे है, इतनी हरकत के बाद भी माँ कुछ नही कर रही थी तो मैने धीरे से अपनी पूरी हथेली माँ के चूत पर रख दी और चूत के दोनो होंठो को एक एक कर के छूने लगा, तभी मुझे महसूस हुआ की माँ की चूत से कुछ मुलायम सा चमड़े का टुकड़ा लटक रहा है।

जब मैने उसे हल्के से खींचा तो पता चला की वो माँ की चूत की पूरी लंबाई के बराबर चूत यानी ऊपर से नीचे तक की लंबाई मे बाहर की तरफ निकला हुआ था और जबरदस्त मुलायम था।

उस समय मेरा लंड इतना टाइट हो गया था की लगा जैसे फट जाएगा, में धीरे से उठ कर बैठ गया और अपनी शर्ट उतार कर लंड को माँ के कुल्हे से सटाने की कोशिश करने लगा पर कर नही पाया तो में एक हाथ से माँ की चूत मे उंगली डाल कर बाहर निकले चमड़े को सहलाता रहा और दूसरे हाथ से मुठ मारने लगा. 2-3 मिनट मे ही मैं झर गया पर जब तक में अपना जूस रोक पाता वो माँ के कुल्हो पर पूरा गिर चूका था, ये देख कर में बहुत डर गया और चुपचाप शर्ट पहन कर माँ को वैसा ही छोड़ कर सो गया. सुबह जब में उठा तो देखा की माँ रोज की तरह अपना काम कर रही थी और दीदी हाकी की प्रेक्टीस जो सुबह 6 बजे ही शुरू हो जाती थी, जा चुकी थी में डरते डरते बाथरूम की तरफ जाने लगा तो माँ ने कहा आज चाय नही मांगी तूने…

तो मैने बात पलटते हुए कहा की “हा पी रहा हूँ, पेशाब कर के आता हूँ..”, जब में बाथरूम से वापस आया तो देखा माँ बरामदे मे बैठी सब्जी काट रही थी और वही पर मेरी चाय रखी हुई थी. में चुपचाप बैठ कर चाय पीने लगा तो माँ मेरी तरफ देख कर हंसते हुए बोली की “आज बड़ी देर तक सोता रहा हां माँ नींद नही खुली..” तो माँ बोली “एक काम किया कर आज से रात को और जल्दी सो जाया कर..” ये कह कर वो हंसते हुए किचन मे चली गयी. जब मैने देखा की माँ कल रात के बारे मे कुछ भी नही बोली तो में खुश हो गया. उस दिन पूरे दिन मैने कुछ भी नही किया, मेने सोच रखा था की अब में रात को ही सब कुछ करूँगा जब तक या तो माँ मुझसे चुदाई के लिए तैयार ना हो या मुझे डाट नही देती. रात को में खाना खा कर जल्दी से रूम मे आकर सोने का नाटक करने लगा, थोरी देर मे माँ भी दीदी के साथ आ गई।

उस दिन माँ बहुत जल्दी काम ख़त्म करके आ गई थी, खैर में माँ के सोने का इंतजार करने लगा. थोरी ही देर मे दीदी के जाने के बाद माँ धीरे से बेड पर आकर लेट गई करीब एक घंटे तक लेटे रहने के बाद मैने धीरे से आँखे खोली और माँ की तरफ सरक गया, थोड़ी देर मे जब मैंने बरामदे की हल्की रोशनी मे माँ को देखा तो चौंक गया. माँ ने आज साड़ी की जगह नाईटी पहन रखी थी और उन्होने अपना एक पैर थोडा आगे की तरफ कर रखा था।

फिर मैने सोचा की अगर ये किस्मत से हुआ तो अच्छा है और अगर माँ जानबूझ कर यह कर रही है तो माँ जल्दी ही चुद जाएगी. उस रात मेरी हिम्मत थोड़ी बढ़ी हुई थी, थोड़ी देर नाईटी के ऊपर से माँ का कुल्ले सहलाने के बाद मैने धीरे से माँ की नाईटी के सामने का बटन खोल दिया और उसे कमर तक पूरा हटा दिया और धीरे से माँ के कुल्हो को सहलाने लगा. मैं जांघो को भी सहला रहा था, माँ की कुल्ले और जांघे इतने मुलायम थे की में विश्वास नही कर पा रहा था।

फिर मैने अपना हाथ उनकी जांगो के बीच डाला तो मैं हैरान रह गया, माँ की चूत एकदम चिकनी थी, उनके चूत पर बाल का नामोनिशान नही था. उनकी चूत बहुत फूली हुई थी और चूत के दोनो होंठ फैले हुए थे शायद एक जांग आगे करने के कारणउनकी चूत से निकला हुआ चंदा लटक रहा था (मेरे कई दोस्तों ने उसके बारे मे बताया था की उनके घर की ओंरतो की चूत से भी ये निकलता है और उन्हे इस पर बड़ा नाज़ होता है). में तो उत्तेजना की वज़ह से पागल हो रहा था. मैने लेटे-लेटे ही अपना शर्ट निकाल दिया और माँ की तरफ थोडा और सरक गया जिससे मेरा लंड माँ के कुल्ले से टच करने लगा, थोड़ी देर तक चुप रहने के बाद जब मैने देखा की माँ कोई हरकत नही कर रही है तो मेरी हिम्मत और बढ़ी।

में लेटे लेटे ही माँ की चूत को सहलाने का पूरा मज़ा लेने लगा. थोड़ी ही देर मे मुझे लगा की माँ की चूत से कुछ चिकना चिकना पानी निकल रहा है. क्या खुशबु थी उसकी, मेरा लंड फूल कर फटने की इस्थिति मे हो गया. में अपना लंड माँ के कुल्ले, गांड के छेद, उनकी जांघो पर धीमे धीमे रगड़ने लगा. तभी मुझे एक आईडिया आया की क्यों ना आज थोडा और बढ़ कर माँ की चूत से अपना लंड टच करूं, जब मैने अपनी कमर को आगे खिसका कर माँ की जांघो से सटाया तो लगा जैसे करंट फैल गया हो, मुझे झड़ने का जबरदस्त मन कर रहा था पर मैने सोचा की एक बार माँ की चूत मे लंड डाल कर उनकी चूत के पानी से चिकना कर लूँगा और फिर बाहर निकाल कर मुठ मार लूँगा।

ये सोच कर मैने अपनी कमर थोडा ऊपर उठाया और अपना लंड माँ की चूत से लटके चमड़े को उंगलियों से फैलाते हुए उनके छेद पर रखा तो माँ की चूत से निकलते हुए चिकना पानी मेरे सूपडे पर लिपट गया और थोडा कोशिश करने पर मेरा सूपड़ा माँ की चूत के छेड़ मे घुस गया।

जैसे ही सूपड़ा अंदर गया उफ़ माँ की चूत की गर्मी मुझे महसूस हुई और जब तक में अपना लंड बाहर निकालता मेरे लंड से वीर्य का फव्वारा माँ की चूत मे पिचकारी की तरह निकलने लगा में घबरा तो गया पर ज्यादा हिलने से डर रहा था की कहीं माँ जग ना जाए. जब तक मैं धीमे से अपना लंड माँ की चूत से निकालता तब तक मेरे लंड का पानी माँ की चूत मे पूरा खाली हो चूका था और लंड निकलते वक़्त वीर्य की धारा माँ के गांड के छेद पर बहने लगी. मुझे लगा अब तो में पक्का पीटूँगा और डर के मारे जल्दी से शर्ट पहन कर सो गया. मुझे नींद नही आ रही थी पर मैं कब सो गया पता ही नही चला।

अगले दिन उठा तो देखा की हमेशा की तरह माँ सफाई कर रही थी पर दीदी स्टेडियम नही गई थी. मुझे देखते ही माँ ने दीदी से कहा “वीना, जा चाय गर्म करके भाई को देदे… और मुझे प्यार से वहीं बैठने के लिए कहा. मैने चोरी से माँ की तरफ देखा तो माँ मुझे देख कर पूछी आज नींद कैसी आई… मैने कहा की “अच्छी”, तो माँ हसने लगी और मेरी पैंट की ऊपर देखकर बोली की “अब तू रात मे सोते समय थोड़े ढीले कपड़े पहना कर… अब तू बड़ा हो रहा है.. देख में और वीनू भी ढीले कपड़े पहन कर सोते है… में यह सुन कर बड़ा खुश हुआ की माँ ने मुझे डाटा नही।

उस दिन मुझे पूरा विश्वास हो गया था की अब माँ मुझे रात मे पूरे मज़े लेने से मना नही करेगी भले ही दिन मे चुदाई के बारे मे खुल कर कोई बात ना करे. अब तो में बस रात का ही इंतजार करता था, खैर उस रात फिर जब में सोने के लिए कमरे मे गया तो मुझे माँ की ढीले कपड़े पहनने वाली बात याद आई पर मेरे पास कोई बड़ी शर्ट नही थी. फिर मैने आलमरी मे से एक पुरानी लुंगी निकाली और अंडरवेयर उतार कर पहन लिया और सोने का नाटक करने लगा।

तभी मेरे मन मे माँ की सुबह वाली बात चेक करने का विचार आया और मैने अपनी लुंगी का सामने वाला हिस्सा थोडा खोल दिया जिस से मेरा लंड खड़ा होकर बाहर निकल गया और अपने हाथो को अपनी आँखो पर इस तरह रखा की मुझे माँ दिखाई दे. थोरी ही देर मे माँ कमरे मे आई और नाईटी पहन कर बेड पर आने और लाइट ऑफ करने के लिए मूडी और मेरे लंड को देखते ही रुक गई।

थोड़ी देर वैसे ही मेरे लंड को जो की पूरे 6” लंबा और 1.5” मोटा था, देखती रही, फिर पता नही क्यों उसने लाईट बंद करके नाईट बल्ब जला दिया और बेड पर लेट गई वो मेरे लंड को बड़े प्यार से देख रही थी पर मेरे लंड को उसने छुआ नही. फिर दूसरी तरफ करवट बदल कर एक पैर को कल की तरह आगे फैला कर लेट गई. मुझे पक्का विस्वाश था की आज माँ जानबूझ कर नाईट बल्ब ऑन किया है ताकि में कुछ और हरकत करू।

आधे एक घंटे के बाद जब में माँ के ऊपर सरका तो लूँगी की गाँठ रगड से अपने आप ही खुल गई और में नंगे ही अपने खड़े लंड को लेकर माँ की तरफ सरक गया और नाईटी खोल कर कमर तक हटा दिया. उस रात मैने पहली बार माँ के कुल्हे, गांड और चूत को देख रहा था. मेरी खुशी का ठिखाना नही था, में झुक कर माँ की जांगो और कुल्हे के पास अपना चेहरा ले जाकर चूत को देखने की कोशिश करने लगा. मुझे अपनी आँखो पर विश्वास नही हो रहा था की कोई चीज इतनी मुलायम, चिकनी और सुन्दर हो सकती है, माँ की चूत से बहुत अच्छी भीनी भीनी खुशबु आ रही थी. में एकदम मदहोश होता जा रहा था. पता नही कैसे में अपने आप ही माँ की चूत को नाक से सटा कर सूंघने लगा। चूत से निकले हुए चंदे के दोनो पत्ते किसी गुलाब की पंखुड़ी से लग रहे थे. माँ की चूत का छेद थोडा लाल था और गांड का छेद काफ़ी टाइट दिख रहा था, पर सब मिला कर उनकी पुरे कुल्हे और जांघे बहुत मुलायम थी।

में उसी तरह कुछ देर सूंघने के बाद माँ के चूत के दोनो पत्तो को मुहँ मे भर लिया और चूसने लगा उनकी चूत से बेहद चिकना लेकिन नमकीन पानी निकलने लगा, में भी आज चुदाई के मज़े लेना चाहता था. फिर मैने माँ की चूत से निकलते हुए पानी को अपने सूपडे पर लपेटा और धीरे से माँ की चूत मे डालने की कोशिश करने लगा. पर पता नही कैसे आज मेरा लंड बड़ी आसानी से माँ की चूत के छेद मे घुस गया।

में वैसे ही थोड़ी देर रुका रहा फिर मैने लंड को अंदर डालना शुरू किया, दो तीन प्रयासो मे मेरा लंड माँ के चूत मे घुस गया ओह क्या मज़ा आ रहा था, माँ की चूत काफ़ी गर्म थी और मेरे लंड को चारो और से जकड़े हुए थी. थोड़ी देर उसी तरह रहने के बाद मैने लंड को अंदर बाहर करना शुरू किया ओह जन्नत का मज़ा मिल रहा था।

4-5 मिनट अंदर बाहर करते ही मुझे लगा की मैं झड़ने वाला हूँ तो मैने अपनी स्पीड और तेज़ कर दी और अपना वीर्य माँ की चूत मे डाल दिया…

अच्छा दोस्तों फिर मिलता हूँ….
Reply
06-10-2021, 11:58 AM,
#96
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मैं और मेरी कमीनी फैमिली



दोस्तो, ये बात तब की है जब मैं लगभग 16-17 साल का था..
घर में मेरे इलावा मम्मी-पापा, और एक बड़ी बहन भी थी।
पापा को, अपने काम से फ़ुर्सत ही नहीं मिलती थी.. इस कारण, हम दोनों भाई बहन मम्मी के साथ ही घूमते फिरते थे..
वैसे, मेरी बड़ी बहन अधिकतर घर से बाहर ही रहा करती थी।
मौका मिलते ही, वह कभी नाना-नानी, कभी दादा-दादी या कभी और किसी करीबी रिश्तेदार के पास, रहने चली जाती थी।
उसकी पढ़ाई भी इस कारण अच्छी नहीं रह पाई।
हमारी मम्मी जो की खुद अच्छी पढ़ी लिखी महिला थीं, काफ़ी मॉडर्न विचारों वाली थीं।
वह कभी भी दकियानूसी विचारों को नहीं पालती थीं.. उन्होंने, कभी भी हम भाई बहन में अंतर नहीं रखा..
इस कारण, हम लोग आपस में काफ़ी खुले हुए थे।
यहाँ तक की कभी भी किसी भी बात पर, अपने विचार व्यक्त कर सकते थे।
एक तरह से, हम में किसी प्रकार का कोई परदा नहीं था।
मम्मी और मेरी बहन जो की मुझसे करीब एक साल बड़ी थी ने कभी मुझसे शरम या परदा नहीं किया..
वह दोनों घर में, मेरे सामने ही अपने ऊपरी कपड़े बदल लेती थीं.. जैसे तोलिये की आड़ में, या पीठ कर के..
जिस कारण, मैं बड़ी सफाई से निगाहें चुरा कर उन दोनों के मांसल बदन का भरपूर रसस्वादन करता था…
इसका एक कारण, यह हो सकता है की मैं बचपन से ही काफ़ी सीधा साधा, भोला भंडारी सा दिखता था.. लेकिन, कोई नहीं जानता था की मैं जितना ज़मीन के ऊपर हूँ, उससे कहीं ज़्यादा ज़मीन के नीचे हूँ..

तो अब, मैं सीधे सीधे अपनी कहानी पर आता हूँ… …
मेरी मम्मी जो की काफ़ी बिंदास स्वाभाव की थीं की उम्र 37-38 होगी.. क्यूंकि, मम्मी की शादी 17-18 साल की उम्र में ही हो गई थी और 19-20 साल में मेरी बड़ी बहन जन्मी थी..
अपने कॉलेज की पढ़ाई, मेरी मम्मी ने हम दोनों बच्चों के जन्म के बाद की थी।
उनका बदन, अब तक गठीला था.. लंबाई, लगभग 5.5 फीट और बदन पूरा मांसल… (यानी केवल वहीं पर, जहाँ ज़रूरी होता है।) कहीं कोई, ज़्यादा चर्बी नहीं थी.. इस कारण, वह अब भी 30-32 से ज़्यादा की नहीं लगती थीं..
ऐसी ही मेरी बहन भी थी.. जोकि, उस समय कोई 18-19 साल की थी..
उसका रूप सौंदर्य भी देखते ही बनता था.. ग़ज़ब का नशीला जिस्म था, उसका..
मेरे दोस्त भी उसे चोरी छुपे देखा करते थे और मेरे पीठ पीछे उसके बारे में गंदी और अश्लील बातें करते थे.. जिन्हें, मैं थोड़ा बहुत सुन कर खुश होता था की चलो, मेरे घर में मुझे क्या मस्त चीज़ें देखने को मिलती हैं.. जिसके लिए, ये सभी बिचारे तरसते हैं..
खैर, तो उन दिनों मेरी बहन कुछ ज़्यादा ही मोटी लगने लगी थी।
असल में, वो कुछ दिनों पहले ही दादा-दादी के यहाँ से आई थी और वहां लाड प्यार में खूब खाया पिया था।
यहाँ आने के बाद, मम्मी ने उसे कहा की रोज़ाना एक्सर्साइज़ करा कर… नहीं तो, फुलती ही चली जाएगी…
उसने भी डर कर, हामी भर दी।
इसके बाद, वह रोज़ाना हमारे रूम में सुबह और शाम के समय कसरत करती।
हम दोनों बचपन से, एक ही रूम में रहते और सोते थे.. जिसमें, एक डबल बेड रखा था..
अब वह रोज़ाना सुबह 6 बजे का अलार्म लगाकर उठती थी और फ्रेश होकर, केवल स्पोर्ट्स ब्रा और नेकर पहन कर एक्सर्साइज़ करती.. मैं धीरे से आधी आँख खोल कर, उसका भूगोल देखता रहता था..
कभी कभी, मम्मी भी वहां कई बार कोई एक्सरसाइज सीखने के लिए हम दोनों के सामने ही, अपनी साड़ी खोल कर केवल ब्लाउज पेटीकोट में एक्सर्साइज़ सिखातीं।
तब तो, मेरा दिमाग़ ही खराब हो जाता और मैं अपना तना हुआ लौड़ा दबाया करता।
ऐसा कई महीनों तक चलता रहा और मैं बुद्धू बन कर मज़े मारता रहा।
इस बीच, हम लोग पापा के पीछे पड़ गये की हम सभी को कहीं घूमने ले जाएँ… तो वो बोले की मैं समय निकालने की कोशिश करता हूँ…
लेकिन, समय यूँही बीतता गया और मेरी बहन ने चाचा चाची के साथ, बाहर घूमने का प्रोग्राम बनाया और वो उन लोगो के साथ 15-20 दिनों के लिए, घूमने चली गई।
इससे हम (मम्मी और मैं) पापा से नाराज़ हो गये तो कुछ ही दिन बाद, पापा ने कहा की उनके एक दोस्त का गोआ शहर के बाहर एक गेस्ट हाउस है और अभी वो खाली है… इसलिए, हम लोग वहां चले जाएँ और मज़े करें… बाद में, वो भी समय निकाल कर वहां आ जाएँगें…
लेकिन, हम उनके बिना वहां जाना नहीं चाहते थे.. पर, उनके समझाने पर मैं और मम्मी गोआ चले गये और मेरी बहन का पापा के साथ, वहां आना तय हुआ..
और तय प्लान के अनुसार, मैं और मम्मी ठीक समय गोआ पहुँच गये।
उस समय वहां ऑफ सीज़न चल रहा था और बारिश की वजह से टूरिस्ट्स भी नाम के ही थे.. लेकिन, वहां जाते ही रास्ते में वहां के सेक्सी नज़ारे देख कर, मुझे लगा की यहाँ आकर कोई ग़लती नहीं की है..
हमें लेने के लिए, गेस्ट हाउस से एक आदमी आया था और उसने बताया की यहाँ अंदर ही ज़रूरत की सभी चीज़ें हैं और यदि कुछ चाहिए तो उसकी दुकान कम हाउस पास ही है.. अपना फोन नंबर देकर, वो बोला की बस हम उसे फोन कर दें और वो आकर समान या जो भी हमें चाहिए हो दे जाया करेगा.. रोज़ सुबह शाम, सफाई वाली आएगी और आपके बाकी सभी काम भी कर देगी..
मम्मी इस बात से खुश थीं की गेस्ट हाउस में रुकने से हमें होटल का भारी रूम चार्ज नहीं लगेगा और यहाँ हम, कम पैसों में कई दिन मज़े कर सकते हैं।
खैर, गेस्ट हाउस में आकर पता चला की यहाँ पर घूमने के लिए एक गाड़ी भी खड़ी है.. किचन और फ्रिज, पूरा खाने की चीज़ों से भरा हुआ है..
सड़क से अंदर, गेस्ट हाउस एक बड़े कॉंपाउंड में फैला हुआ था.. जिसके, चारों और बड़ी-बड़ी कटेदार दीवारें थीं.. पीछे की तरफ, उफनता हुआ समुंदर था और यह पूरा इलाक़ा सुनसान में था.. जहा, चारों तरफ केवल समुंदर और बड़े-बड़े पत्थर रखे थे..
अंदर अलमारी में शानदार कपड़े थे.. जिनमें, स्विमिंग कॉस्ट्यूम्स ऐसे थे की जिनको हाथ में लेने में ही, शरम महसूस हो..
खैर, एक बात थी की यहाँ कोई भी अपना परिचित नहीं था.. इस कारण, शरम और संकोच का, यहाँ कोई काम नहीं था..
मैंने मम्मी को खुशी से, अपनी बहन से फोन पर बात करते सुना की यहाँ इतनी आज़ादी है की चाहे तो पूरे नंगे होकर, सी बीच पर दौड़ लगाओ… कोई, देखने वाला नहीं है…
गेस्ट हाउस के पीछे, जो स्विमिंग पूल है उसमे नीला आसमान ऐसा दिख रहा था मानो ज़मीन पर उतर आया हो।
कुल मिलाकर, हमारा “जैक पॉट” ही लग गया था…
अगली सुबह, जब मैं सोकर उठा तो मम्मी नहीं दिखीं।
मैं उन्हें ढूंढने के लिए, दूसरे कमरे में गया। जहाँ पर, वह अलमारी खोल कर उसमें अपने साइज़ के स्विमिंग कॉस्ट्यूम्स देख रही थीं और मुझे देखकर कहने लगीं की चलो, तुम भी चेंज कर लो और हम दोनों स्विमिंग करेगे…
मैं तो कब से, मौका ही देख रहा था।
जल्दी से, फ्रेश होकर फटाफट पूल साइड पर पहुँचा तो देखा की मम्मी ने पहले ही ब्रेकफ़स्ट का सारा समान पूल साइड पर रखवा कर, काम वाली बाई से सभी काम करवा कर, उसे चलता कर दिया था।
अब वहां पर, मेरे और मम्मी के अलावा कोई नहीं था।
थोड़ी देर बाद, वहां मम्मी आईं तो मेरा तो दिमाग़ ही खराब हो गया।
उस समय, उन्होंने जो स्विमिंग कॉस्ट्यूम पहना था वो शायद उनके साइज़ से एक साइज़ कम था.. इसीलिए, उनका पूरा बदन कॉस्ट्यूम फाड़ कर, बाहर आने के लिए मचल रहा था..
मेरे तो बस होश ही उड़ गये और मैं फटी फटी आँखों से, उन्हें देखने लग गया।
तभी, मम्मी ने मुझे आवाज़ देकर जगा दिया और एक कॉस्ट्यूम देते हुए कहा की मैं भी यही पहन लूँ।
खैर, मैंने वहीं पर तौलिये में अपना कॉस्ट्यूम चेंज किया। लेकिन, उसका कट कुछ ऐसा था की मेरा पूरा तना हुआ लिंग बाहर से दिख रहा था।
जिस कारण, मैं शरमा रहा था।
मम्मी ताड़ गईं और कहने लगीं की क्या तू तो, लड़कियाँ से भी बदतर है… तेरी जगह मैं या तेरी बहन होती, तो अब तक तो सी बीच पर टू पीस में दौड़ लगा आती…
ऐसा कह कर, उन्होंने मेरा तोलिया खींच लिया।
अब मैं केवल, जरा सी कॉस्ट्यूम में था और शरमाते हुए पानी में पैर डाल कर बैठ गया, क्यूंकि मुझे तैरना नहीं आता था।
मम्मी को भी तैरना, इतने अच्छे से नहीं आता था। इसलिए, उन्होंने मेरा हाथ पकड़ कर धीरे-धीरे पानी में उतरना शुरू किया और जल्दी ही हम दोनों सीने तक पानी में समा गये।
मम्मी को मैंने पहली बार, इतने बिंदास अंदाज़ में देखा था। उन्हें शरम नाम की कोई चीज़ ही नहीं थी और वो अपने जवान लड़के के साथ, पानी में मस्ती कर रही थीं।
उनकी कॉस्ट्यूम, जो की उन्हें थोड़ी टाइट थी, पानी में भीगने की वजह से और ज़्यादा बदन से चिपक गई और उनकी निप्पल भी थोड़ी थोड़ी दिखने लगी थी। जिसे देखकर, मेरा लंड चड्डी फाड़ कर बाहर आने को मचलने के लिए बेताब हो गया।
बड़ी मुश्किल से, मैंने दबाए रखा।

लगभग 2 घंटे के बाद, जब हमें भूख सताने लगी तो हम दोनों माँ बेटे पूल से बाहर आए और मम्मी ने मेरे सामने ही ज़रा से तौलिये की आड़ कर के अपनी बिकनी चेंज कर के, एक बड़े से गले की पारदर्शी सी नाईटी पहन ली.. जोकि, उनके घुटने से भी छोटी थी और अंदर उन्होंने कुछ नहीं पहना.. जिस वजह से, उनकी नाईटी उनकी गांद के अंदर घुस रही थी और उनकी खड़ी निपल्स भी साफ दिख रही थी..
मुझे लगता है की उन्होंने ऐसा शायद जान मुझकर किया। वो अपने मन में दबी इच्छा पूरी करना चाहती थीं।
इसके बाद, हम दोनों ने पूरे समय टीवी देखा। जिसमें, यहाँ चलने वाला कोई लोकल चैनल था। जिसमें, यहाँ पर आने वाले विदेशी टूरिस्ट्स जो की नंग धड़ंग बीच पर मज़े मारते हैं, उनकी शूटिंग दिखाते हैं।
ऐसे ऐसे सीन दिखाए की मैं शरमाता रहा। लेकिन, मम्मी ने चैनल चेंज करना ज़रूरी नहीं समझा।
शाम को, जब मम्मी मेन गाते पर नाईटी में खड़ी थीं तो मैं पीछे से चुपचाप जा कर खड़ा हो गया।
सामने सुनसान बीच पर, एक विदेशी जोड़ा लगभग संभोग की मुद्रा में बड़े पत्थरों के बीच मस्ती कर रहा था और मम्मी जो की सूर्यास्त के कारण डूबते सूरज की रोशनी में खड़ी थीं की नाईटी में से सूरज की लाइट, इस तरह पास हो कर दिख रही थी की उनका पूरा भूगोल आर पार दिखाई दे रहा था।
जब मैं, उनके ठीक पीछे पहुँचा तो मैंने देखा की वो अपना एक हाथ नाईटी के अंदर डाल कर, अपनी चूत को रगड़ रही थीं और हल्के हल्के, कराह रही थीं।
जब उन्होंने, मुझे पीछे खड़ा देखा तो बेशरम की तरह हंसकर कहने लगी – देख, कैसे मज़े मार रहे हैं वो दोनों, बीच पर और एक तू है की अंदर भी शरमा रहा है… लगता है, मैंने तेरे साथ आकर ग़लती की… मुझे तू पूरा चंपू लगता है…
तो, मैंने कहा की नहीं मम्मी यह बात नहीं है… मैं तो शुरू में, थोड़ा झिझक रहा था… लेकिन, यदि आप साथ हो तो काहे की शरम…
इस पर मम्मी बोलीं – देख, आदमी को बार बार ऐसा मौका नहीं मिलता… जब हम, खुलकर अपनी दबी इच्छा पूरी कर सकें और मज़े मार सकें… इस मज़े के लिए, अगर हम लाखों रुपये भी खर्च करेंगें तो भी हमें इतनी आज़ादी और प्राइवेसी नहीं मिलेगी… और फिर तू तो जवान है… मुझे तो ये मौका अब जाकर बुडापे में मिला… इसलिए, शरमाना छोड़ और यह भूल जा की हम यहाँ माँ बेटे हैं और समय का और अपनी जवानी का लुफ्त उठा… जितना हो सके, मज़ा लूट ले… फिर, ऐसा वक्त नहीं आएगा…
अगले दिन, सुबह से ही ज़बरदस्त बारिश हो रही थी और सामने बीच पर समुंदर मचल मचल कर, बाहर आने को बेताब नज़र आ रहा था तभी यहाँ के कीपर का फोन आया की आज सफाई वाली नहीं आएगी और हम भी बाहर ना निकलें.. क्यूंकि, पानी कभी भी बढ़ भी सकता है.. इसलिए, हम अपने गेस्ट हाउस में अंदर ही रहें और यदि कोई चीज़ की ज़रूरत हो तो उसे फोन कर दें.. वह अरेंज कर देगा।
मम्मी ने कहा – ठीक है… हम आराम करेंगें… आप भी ज़्यादा परेशान ना हो…
फिर, मम्मी बोलीं की आज हम दिन भर टीवी देखेगें… खूब खाएँगें और सोना स्टिम बाथ लेंगें… जो की, गेस्ट हाउस के बेसमेंट में है… जिसका की मुझे अब तक पता ही नहीं था।
आज के पहले मैंने सोना स्टिम बाथ का केवल नाम सुना था.. लेकिन, देखा या अनुभव नहीं किया था..
मम्मी तो एक दो बार पापा के साथ, टूर्स पर गई थीं और बड़ी होटेल्स में इन सबका मज़ा लूट चुकी थीं।
सुबह के हेवी ब्रेक फास्ट के बाद, मैं और मम्मी दोनों नीचे बेसमेंट में गये और वहां जाकर मम्मी ने सोना बाथ का एलेक्ट्रिक स्विच चालू किया। जिस से की सेमी ट्रांसपेरेंट ग्लास के केबिन में हॉट स्टीम बनाने लगी, तब मम्मी बोली की आओ चलो… अपनी बॉडी पर भी मेरे साथ स्टीम बाथ के पहले लगाने वाला, स्किन क्रीम लगा लो…
तब, मम्मी ने अपनी नाईटी खोल दी।
मैंने देखा तो मम्मी ने अंदर केवल ब्रा पैंटी पहन रखी थी। जब मम्मी ने अपनी गोरी गोरी, मोटी मोटी टाँगें चौड़ी करी तो मैंने देखा की उनकी पैंटी में से उनकी चूत की झाँटे, बाहर आने को मचल रही थीं।
जिन्हें देख कर, वो हल्की सी मुस्काई और बोलीं – बेटा, देख तो यहाँ ड्रॉर में कोई हेयर रिमूवर रखा है क्या… ??
मैंने देखा तो वहां पर अनफ्रेंच का हेयर रिमूवर था, जिसे मैंने उन्हें दे दिया।
अब मम्मी बोलीं – चल जल्दी से, अंदर जा कर तापमान देख ले… मैं भी आती हूँ…
मैंने केबिन में जाते समय, अपनी तिरछी निगाहें मम्मी पर डालीं तो वे अपनी पैंटी को थोड़ा नीचे करती दिखीं।
अब मेरा दिमाग़ खराब हो रहा था.. यह समझ नहीं आ रहा था की मम्मी मुझ पर इतनी मेहरबान क्यों है और वह मुझे इस तरह उत्तेजित कर के क्या चाहती हैं… ?? क्या मैं खुद आगे बढ़ कर, हिम्मत कर के कुछ करूँ… ??
उनका मज़ा मारने का शब्द, मुझे अंदर तक कन्फ्यूज़ कर गया..
मैंने बाहर देखने की कोशिश की पर अंदर स्टीम की भाप के कारण, बाहर का कुछ दिखाई नहीं दे रहा था..
अचानक, मम्मी अंदर आईं और कहने लगीं की ऐसी ही मत बैठो… अपने बदन पर, हाथ फिरा फिरा कर पसीना और भाप की मालिश करो… स्टीम बाथ से, अपनी खराब स्किन साफ होकर, नई स्किन बनती है…
तब मम्मी ने मेरी तरफ पीठ की और कहा की चल, मेरी ब्रा का हुक खोल दे और मेरी पीठ पर अपने हाथों से अच्छी तरह से मालिश कर दे…
अब मैं भी बेशरम होकर, मम्मी की मांसल पीठ पर हाथ फेरता जा रहा था.. लेकिन, मैं अभी तक मम्मी की निपल्स और बड़े-बड़े बोबो के खुल कर दर्शन नहीं कर पाया था.. क्यूंकि, मम्मी ने अपने दूध पर हाथ रख रखा था..
लगभग, आधा घंटा स्टीम बाथ लेने के बाद, हम दोनों बाहर आ गये..
मम्मी ने अपने कंधों पर तोलिया रखा था। जिस वजह से, मुझे उनके रसीले आमों को देखने का मौका नहीं मिल रहा था।
खैर, उसी शाम पापा का फोन आया की वह और मेरी बड़ी बहन दोनों, अगले दो दिनों में यहाँ पहुँचने वाले हैं।
यह सुन कर, मैं थोड़ा उदास हो गया। क्यूंकि, तब मुझे शायद पापा के सामने मम्मी का ऐसा सेक्सी रूप, देखने को नहीं मिलेगा।
रात में, मम्मी ने हल्का फूलका डिन्नर बनाया। जिसे हम खाकर, टीवी के सामने जम गये।
बाहर, बारिश में भी कुछ कमी महसूस होने लगी थी।
तभी मम्मी बोलीं की चलो, टीवी देखते हुए मेरी पीठ पर हल्की मालिश भी कर दो… शायद, बेड चेंज होने से कुछ दर्द महसूस हो रहा है…
मम्मी ने सुबह से ही, टी-शर्ट और नेकर पहन रखा था।
मम्मी ने अपनी टी शर्ट ऊपर उठाई तो अंदर उनकी ब्रा थी। जिसका हुक खोल कर, मैंने उनकी पीठ पर आयिल मसाज करना शुरू कर दिया।
तब मम्मी बोलीं – ऐसा कर, मैं अपनी नेकर थोड़ा नीचे करती हूँ… मेरे हिप्स की भी, थोड़ी मालिश कर दे…
मैं सेक्सी सपने देखते हुए, मम्मी की मालिश करता जा रहा था।
कुछ देर में, मम्मी मस्त सो गईं.. उनकी पीठ और हिप्स भी खुले ही थे..
मैं बहुत देर तक गौर से देखता रहा और नींद आने पर उनके पास ही डबल बेड पर सो गया..
रात में, लगभग 2-3 बजे। मम्मी के हल्के से करवट लेने पर, मेरी आँख खुल गई और मैंने देखा की मम्मी अब चित सो रही थीं।
उनकी गहरी नींद में होने का पक्का कर, मैंने उनका टी शर्ट थोड़ा ऊपर किया और उनकी ब्रा भी ऊपर कर के, उनके मस्त रस भरे स्तनों के दर्शन करने लग गया..
उनकी निपल्स भूरे रंग की थीं और मैं उनको देख कर पागल सा हो गया और मैंने तत्काल बिना देर किए, आहिस्ता से उनको अपने मुँह में ले लिया और धीरे – धीरे उनको चूसने लगा.. ..
मैंने अपना एक हाथ उनकी नेकर में भी डाल दिया। नेकर के हुक खुला होने से वह भी उनकी योनि के पास तक सरक गई थी।
मैंने अपनी दो उंगलियों को धीरे से, अंदर डाला तो मुझे अंदर सफ़ाचट चिकना स्पर्श सा लगा। तभी ध्यान आया की आज सुबह ही तो मम्मी ने स्टीम बाथ के समय, अपने बाल साफ किए थे।
मम्मी की चूत का हिस्सा गर्म भट्टी सा तप रहा था और मैंने महसूस किया की मम्मी की निपल्स भी अब पहले से ज़्यादा कड़ी होकर, बड़ी बड़ी महसूस हो रही थीं.. लेकिन, मैं रुका नहीं और चूसते चूसते ही थक कर सो गया..
अगले दिन सुबह, जब मैं सो कर उठा तब आसमान बिल्कुल साफ़ था और बाहर धूप खिल उठी थी।
रेतीली मिट्टी होने से, कहीं भी पानी का नामो निशान नहीं था।
मल्लिका बाई ने, पूरा गेस्ट हाउस साफ़ कर दिया था।
मैंने देखा की मम्मी साड़ी पहन कर, उससे पास के किसी मंदिर का पता पूछ रही थीं।
मैंने सोचा शायद पापा के आने का सुनकर, नाटक कर रही हैं।
बाई के जाने के बाद, मम्मी ने मुझसे कहा की चलो, नाश्ते के बाद हम बीच पर चलेंगें…
मैं सोचने लगा की मम्मी साड़ी पहन कर, बीच पर क्या करेंगी.. लेकिन, जाने के समय मैं देखता ही रह गया.. मम्मी ने एक काली कलर की बिकनी ढूँढ निकली.. जिसकी साइज़ पहले की तरह छोटी थी और उनका मांसल बदन, बिकनी फाड़ने को बिल्कुल तैयार लग रहा था..
रास्ते में, मम्मी बोलीं की रात में ऐसी ही सो गई… सुबह जाकर, समझ आया की रात में क्या हुआ… ??
मैं चुप ही रहा और अंदर ही अंदर समझ गया की मम्मी सब जान गई हैं।
सी बीच पर जाने के बाद, हमने देखा की वहां कोई भी नहीं है और चारों तरफ सुनसान है।
इतना अकेलापन भी डर लगने का कारण हो सकता है, ऐसा पहली बार महसूस हुआ।
कल की ज़ोर दार बारिश की वजह से, समंदर का पानी काफ़ी ज़ोर मार रहा था और उसमे रेत भी ज़्यादा थी.. जिससे की पानी में, गंदगी सी महसूस हो रही थी..
तब मम्मी बोलीं – चलो, पत्थरों की और चलो… अंदर जाने में तो डूबने का डर रहेगा…
फिर, मैं और मम्मी उथले पानी में ही सीने तक डूब कर पत्थरों पर बैठ गये.. लेकिन, समंदर की तेज़ लहरें हमें बार-बार डुबाने की कोशिश करती थीं और हम दोनों चिपक कर, फिर से चट्टान पर बैठ जाते..

मम्मी से इतना ज़्यादा चिपकने का मौका, मैं खोना नहीं चाहता था.. इसलिए, मैं मौका मिलते ही, मम्मी को पकड़कर सीने से लगा लेता..
तभी, वहां एक बाइक आकर रुकी। जिस पर, एक अधेड़ आदमी जिसकी उम्र करीब 50 के आस पास होगी और एक 25 साल की लड़की को लेकर आया।
दोनों के हाथों में शराब की बॉटल्स थीं और वे बिकनी और बरमूडा में थे। गाड़ी खड़ी करके, वहां पत्थरों के बीच आड़ में चूमा चाट करने लग गये।
यह देख कर, मम्मी बोलीं की हम यहाँ चुपचाप पत्थरों के पीछे से उनको वॉच करते हैं, यह लड़की, उसकी बेटी की उम्र की लग रही है, और एस बुड्ढे को जवानी चड़ी है… मज़ा आने वाला है, आज तो…
वह दोनों कुछ देर तक तो दारू पीते हुए, बात करते रहे… लेकिन, बाद में उस बुड्ढे ने लड़की के होंठो को चूसना शुरू कर दिया और धीरे से उसकी ब्रा निकाल दी और उससे मस्ती करने लगा…
तभी लड़की ज़ोर से हंसते हुए, भाग खड़ी हुई और हमारी तरफ ही आने लगी।
तब मम्मी बोलीं की देख, ऐसा दिखना की हमने उनको अभी तक देखा ही ना हो… और हम भी पानी में मस्ती करने लगे।
वह लोग भी हमारी तरफ ही आ गये।
हमें देख कर लड़की ने अपने दोनों दूध पर हाथ रख कर, ब्रा पहनने की कोशिश की..
वह आदमी हल्के से मुस्कुराया और विश करने के अंदाज़ में झुकते हुए बोला – क्या आप भी ज़िंदगी का मज़ा उठा रहे हो… ??
तो मम्मी बोलीं – जी हाँ, बिल्कुल…
तभी वहां पानी में एक बड़ी सी बॉल ना जाने कहाँ से तैरकर आ गई.. जिसे उस लड़की ने पकड़ लिया, और कहने लगी की आओ ना, हमारे साथ खेलो…
मम्मी के आँखों से इशारा करने पर, हम भी उनके साथ इंजोय करने लगे।
एक तरफ वो दोनों थे तो दूसरी तरफ, हम दोनों माँ बेटे।
जब मम्मी बॉल लेने के लिए झुकतीं, तब वह आदमी मम्मी के बूब्स को गौर से देखने लगता और पीठ करती तो मम्मी की गांद को घूरता।
खैर, लगभग एक घंटा मस्ती करने के बाद, वह जाने लगे तो उसने कहा की आप लोग किस होटल में रुके हुए हैं… तो मम्मी बीच में ही बोल पड़ीं की हम यहाँ ताज रिज़ॉर्ट्स में है और कल ही वापस चले जाएँगे…
जब वह अपनी बाइक के पास गया तो मुझसे धीरे से बोला की मैंने तो पैसे देकर लड़की को किया है… इसलिए, साली ज़्यादा नाटक कर रही है.. लेकिन, तू तो बच्चा होकर मस्त माल बटोर लाया है… तेरी बड़ी बहन लगती है, क्या… ?? ऐसी चीज़ तो पूरे गोआ बीच पर नहीं देखी, यार…
मैंने सोचा क्या वास्तव में मम्मी इतनी सेक्सी हैं या वह फालतू ही बोल रहा था।
कुछ देर बाद, हम भी वापस लौट आए। तब मम्मी बोलीं की चलो, गेस्ट हाउस के पीछे चलते हैं… वहां स्विमिंग पूल में तैरकर, बदन पर लगी मिट्टी और रेत साफ़ कर लें…
मैं बोला की आप पूल में उतरो… मैं अभी, तौलिये और कपड़े लेकर आता हूँ..
जब मैं तौलिये लेकर आया तो देखा की मम्मी ने अपनी बिकनी उतार कर पूल साइड पर रख दी है और वह नंगी होकर, मेरी और पीठ करके पानी में खड़ी थीं।
यह देख कर, मैं चौंक सा गया.. लेकिन, तभी फोन की बेल बाजी और मैं अंदर चला गया..
फोन बहन का था और वह कह रही थी की वह पापा के साथ, कल सुबह गोआ पहुँच जाएगी और आज पापा उसे दिन मे स्विमिंग कॉस्ट्यूम्स वगेरह दिलाएँगें…
तो मैंने कहा की पैसे मत बिगाड़ो… यहाँ सभी ज़रूरत की चीज़ो से वॉर्डरोब्स भरे पड़े हैं… बस, जल्दी से, जल्दी आ जाओ…
तो वो कहने लगी की हाँ… पापा भी कह रहे थे की जल्दी से गोआ चलते हैं…
अगले दिन, लंच के समय तक पापा और बहन भी पहुँच गये।
मम्मी ने घुटनों के ऊपर तक का पतला सा स्कर्ट और टॉप पहन रखा था और बहन भी टाइट वाइट टॉप और जीन्स पहन कर आई थी।
जिसमें से उसके बड़े बड़े बूब्स साफ़ दिखाई दे रहे थे.. गांद पर से भी उसकी फिगर, कयामत ढा रही थी..
फिर, उसने बताया की पापा ने उसे ऐसे कपड़े दिलाए हैं की अपने यहाँ तो उनको पहनने की कोई हिम्मत भी नहीं कर सकता।
लंच के बाद, हम चारों पूरा गेस्ट हाउस घूम कर पूल साइड पर बैठकर गपशप कर रहे थे.. तब, पापा ने बताया की यह गेस्ट हाउस उनके बॉस का है और वह इसे केवल अपने खास लोगों को ही एंजाय करने के लिए देते हैं और यदि ऐसा कॉटेज किराए पर लिया जाए तो वह यहाँ की किसी फाइव स्टार होटल के बराबर पड़ेगा। फिर भी हमें, उसमें इतनी प्राइवेसी नहीं मिलेगी।
इधर, तेज़ हवाओं के कारण मम्मी का पतले कपड़े का स्कर्ट बार बार उड़कर उनकी थाइस पर चढ़ रहा था…
लेकिन मेरी मम्मी, उसे बड़े बेफ़िक्र अंदाज़ में आराम से उसे सीधा करतीं.. !!
वैसे, पापा भी कुछ खास प्रतिक्रिया नहीं कर रहे थे।
खैर, शाम को हम सभी ने होटल में जाकर डिन्नर करने का प्लान बनाया।
मम्मी ने काले रंग का बेक लेस ब्लाउज पहना.. !! जिसमें, से उनकी गोरी पीठ देखने वालों पर बिजली गिर रही थी और मेरी बहन ने लंबे कट वाला लोंग स्कर्ट पहना था.. !! जिसमें, से उसकी सफेद जांघें बाहर आ रही थीं.. !! जो की, कुर्सी पर बैठने पर पूरी साफ़ नज़र आ रही थीं.. !!
यह दोनों ड्रेसस, इन्हें वॉर्डरोब में से ही मिली थीं और काफ़ी कीमती थीं.. !!
शानदार लंच के बाद, हम गोआ के नाइट स्पॉट्स पर भी घूमे.. !! जहाँ, गोआ जवान नज़र आता है.. !!
रात में मम्मी ने गेस्ट हाउस में आकर अपनी वही छोटी सी नाईटी पहन ली और बहन ने बदन पर एक सिल्क का कुर्ता डाल लिया। जिसमें से, उसके बोबे आकर्षक दिखाई दे रहे थे।
टीवी देखते हुए, मैंने देखा की मेरी बहन जोकि सिर्फ़ सिल्क का कुर्ता डाले हुए थी अपने पैरों को कुछ ज़्यादा ही फैला कर बैठी थी। जिससे, उसकी जांघें और पैंटी का साइड का भाग भी दिख रहा था और पापा भी मम्मी की जाँघो को हाथों से दबाते हुआ बहन को देख रहे थे…
अगली सुबह, कुछ नज़ारा ही अलग था.. !! .. !!
पापा, जिन्हें मैंने पहली बार स्विम कॉस्ट्यूम में देखा। उनका तना हुआ लिंग, बड़ा अजीब सा लग रहा था।
बहन और मम्मी, दोनों ने भी छोटी छोटी सी बिकनी पहन रखी थी।
पापा बोले की सब लोग खूब मज़े करो.. … जितना हो सके.. … पता नहीं, ये मौका दुबारा मिले नहीं मिले.. …
और हम चारों ने खूब मज़े करे.. !! .. !!
फिर, हम सभी बीच पर गये और वहां पर समंदर में काफ़ी डीप तक घुस कर तैरते रहे।
पापा, मम्मी और बहन की बिकनी खींच खींच कर, उन्हें रेत पर घसीट रहे थे.. !! जिससे की उन दोनों के बूब्स, बाहर निकलने को होते.. !!
काफ़ी देर बाद, हम वापस पूल साइड में आए और मम्मी ने ठीक कल की तरह ही रेत में भरी बिकनी उतार फेंकी और पूल में कूद गईं.. !!
यह सब देख, मैं वहां से हट अंदर आ गया.. !!
पीछे – पीछे, बहन भी अपने अधनंगे चुत्तड हिलाती हुई आ गई और कहने लगी – तुम पागल हो, जो शरमाते हो.. … मज़े लूटो.. … ऐसे खुले विचारों वाले, मां बाप नहीं मिलेंगें… जो, तुम्हें इस तरह आज़ादी दे रहे हैं.. … तुम्हारी जगह, मैं होती तो कपड़े खोल कर एकदम नंगी कूद जाती.. …
कुछ देर बाद, जब मैंने रूम से बाहर झाँका तो देखा की मम्मी पापा, दोनों नंगे होकर पूल में मस्ती कर रहे हैं और मेरी बड़ी बहन जिसने केवल बिकनी पहन रखी थी, वह एक खंबे की आड़ में यह सब तमाशा गोर से देख कर, अपनी चूत को मसल रही थी…
शाम को, हम सभी लगभग अधनंगे होकर एक नाइट क्लब में जा घुसे.. !!
वहां पर, शराब और शबाब का जो नंगा नाच हो रहा था.. !! उसे देख कर, तो मेरा लंड बस फटने ही वाला था.. !!
पापा मम्मी बोले – जिसे, जिसके साथ जोड़ी बनाना हो बना लो.. … कोई किसी की शरम मत पालना.. … दारू पियो या लड़कियाँ नचाओ, कोई बात नहीं.. …
इसके बाद, मैं और मेरी बहन जिसने बड़े गले वाली छोटी सी स्पोर्ट्स ब्रा और जीन्स की जैकेट पहन रखी थी और नीचे केवल दिखाने का छोटा सा मिनी स्कर्ट पहना था, हम खूब नाचे…
बहन बोली की क्यों ना हम भी, बियर या वाइन टेस्ट करें।
तब मैंने उसे कहा की ठीक है… तू केवल, बियर ही पीना.. … मैं थोड़ी सी वाइन लेकर आता हूँ.. …
नशा करने के बाद, कान फोड़ू डिस्को साउंड के बीच… हम अब केवल औरत और मर्द महसूस कर रहे थे…
हमारे बीच, खून का रिश्ता नहीं बचा था,.. !!
अब मैंने अपनी हदें तोड़ते हुए, उसकी शरीर के सभी उभारों को जी भरकर छुआ ही नहीं बल्कि खूब दबाया भी और वह भी कहती रही की भाई, अब मत रूको… तोड़ दो सारी हदें और एक हो जाओ.. …
मैंने देखा की हमारी माँ जो की जीन्स और शर्ट पहनकर उत्तेजक डांस कर रही थीं, उसके शर्ट के आधे से ज़्यादा बटन खुले हुए थे और ब्रा और स्तन बाहर को आने को बेताब हो रहे थे.. !!
मम्मी के चारों और कामुक नशे में धुत्त लोगों का घेरा था.. !! जो बार बार मम्मी के शरीर को छूने और दबाने की कोशिश कर रहे थे.. !!
मैंने देखा उनमें वह आदमी भी था.. !! जो की, दो दिन पहले हमें बीच पर मिला था.. !! वह तो पागलों की तरह, मम्मी के ब्रा में बंद दोनों कबूतरों को पकड़ने की कोशिश में था.. !!

इस बीच, पापा मुझे कहीं नहीं दिखे।
मैंने उन्हें जब खोजा तो वह एक 20-22 साल की लड़की.. !! जो की, शायद मेरी बहन की उम्र की होगी के चक्कर में थे और उसके साथ शराब पी रहे थे और उसके छोटे से स्कर्ट में हाथ डाल डाल कर, उसके चुत्तडों पर चिकोटी काट रहे थे.. !!
थोड़ी देर बाद, पापा उसी लड़की के साथ रंग रेलिया मना रहे थे.. !! जो की, हमें उस बुड्ढे के साथ समंदर किनारे मिली थी.. !!
आधी रात के बाद, जब रात अपने पूरे शबाब पर थी।
तेज़ म्यूज़िक के बीच में मम्मी ने अपना शर्ट हाथ में लेकर हिला हिला कर डांस की भद्दी स्टेप्स करना शुरू कर दी.. !! जो शायद ज़्यादा नशे के कारण थी।
मेरी बहन भी नशे में धुत्त हो, कोने के सोफे पर पैर चौड़े कर अपनी पैंटी दिखा रही थी.. !! उसे ज़रा भी होश नहीं था की दो लड़के जो की शायद ड्रग्स लिए हुए थे.. !!
उसके पैरों में बैठ कर, उसकी पैंटी को टच कर रहे थे।
हम लोग, करीब रात के 4-5 बजे गेस्ट हाउस पहुँचे और सीधे मास्टर बेडरूम में घुस गये।
किसी को अपने कपड़ों का ख्याल नहीं था।
मम्मी तो हाथ में शर्ट लेकर ही घूम रही थीं और बहन ने भी अपना स्कर्ट और जैकेट उतार फेका.. !! .. !!
मेरा नशा, अब कुछ कम होता सा लग रहा था.. !! लेकिन, पापा तो अब भी अपनी बची हुई दारू की बोटल को मुँह से लगाए हुए थे.. !!
नाच और नशे के कारण, गर्मी बहुत लग रही थी.. !! इसलिए, हमने ए सी चालू होने के बावजूद अपने सारे कपड़े खोल दिए.. !!
इधर, पापा तो बहन को ब्रा पैंटी में देख कर उस पर टूट ही पड़े और मम्मी ने मुझे अपने ऊपर लगभग खींचते हुए लपेट लिया,
मैं कहाँ मौका छोड़ने वाला था.. !! मैं भी पापा की तरह कपड़े खोल कर मम्मी के ऊपर चढ़ गया और फ़ौरन मम्मी की जीन्स उतारकर उनकी चिकनी चूत को मुँह में लेकर ज़ोर – ज़ोर से चूसने लगा.. !!
यह देख कर, मेरी बहन ने भी अपनी पैंटी उतार फेंकी और पापा के मुंह के ऊपर बैठ गई।
जैसे ही, पापा ने उसकी चूत को चाटा, वह आनंद से भरकर मूतने लगी और पापा अपनी जवान बेटी की चूत का सारा पानी यानी रस भारी मूत पी गये.. !!
मम्मी भी, अपने दोनों हाथों से अपने स्तानो को दबाते जा रही थीं और कहने लगी की बेटा, यह हिम्मत तू दो दिन पहले क्यो नहीं कर गया… मैं कब से, तड़प रही थी… अब तक तो हम ना जाने, कितने दौर पर दौर मार कर मज़े ले चुके होते…
अगली सुबह 10 बजे, जब मल्लिका बाई आई तो मम्मी ने उससे बेड रूम छोड़ कर बाकी पूरा गेस्ट हाउस साफ़ करवा लिया क्योंकि, बेड रूम में हम तीनों अभी तक नंगे पड़े हुए थे.. !!
पापा का लौड़ा तो बहन की चूत में खाली होकर लटक रहा था और बहन के दूध पर मेरा हाथ रखा हुआ था।
दोपहर के भोजन के बाद, हम सभी वापस बड़े बिस्तर पर एकत्रित हुए और इस बार बिना नशा किए मैंने अपनी बहन को चोदा, मम्मी भी पापा से चुदवाने के बाद वापस मेरे लंड को खड़ा करने के लिए, चूसने लगी.. !! .. !!
उधर पापा भी बहन की छोटी सी चूत की फांको का स्वाद ले रहे थे…
इस तरह, हम अगले कुछ दिन और गोआ में रहे.. !!
इस बीच, हम दिन में कई बार आपस में सेक्स का नंगा नाच करते और इस बीच पूरे घर में नंगे नाचते रहते।
घर वापस आने के बाद तो हम आज तक कभी भी अलग-अलग नहीं सोए।
सभी कामन रूम में डबल किंग साइज़ के बेड पर सोते हैं और मज़े मारते हैं और हाँ अब हमारे घर में कपड़ों का खर्च कुछ कम हो गया है क्यूंकि कपड़े हम केवल बाहर जाने के लिए ही पहनते हैं।
घर में तो हमेशा नंगे ही रहते हैं।
मम्मी भी पापा से एक बात ही कहती है की जल्दी से वापस ऐसी ही कोई और ट्रिप का इंतज़ाम करो।

Reply
06-10-2021, 11:58 AM,
#97
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
बहन को बिंदास बनाया

[color=#4000FF]

मित्रो, यह बात कुछ साल पहले की है.. मैं अपने गाँव में अपने परिवार के साथ रहता था.. !! लेकिन, वहां स्कूल के आगे पढाई के लिए कॉलेज नहीं था.. !! इसलिए, पिताजी ने मुझे शहर में पढ़ने के लिए भेज दिया.. !!
शहर में आने के बाद, मुझे यहाँ का असली नज़ारा देखने को मिला।
असल में, अभी तक तो हम यूँ ही केवल घूमने-फिरने आते थे.. !! वह भी, साल दो साल में कोई एक आधी बार.. !! लेकिन, शहर का असली रंग तो मुझे यहाँ आकर ही पता चला.. !!
शहर में रहने के अपने खर्चे भी बहुत हैं.. !! इस कारण, मैं कुछ कमाने के बारे में सोचता रहता था.. !! क्यों की, मैं अपने घर की आर्थिक स्थिति, अच्छी तरह से जानता था.. !! जिस कारण, मैंने सोचा क्यूँ ना मैं भी अपने कुछ दोस्तो की तरह, पार्ट टाइम नौकरी ढूँढ लूँ.. !!

लेकिन, यहाँ बिना जान पहचान के, कोई अच्छी जगह नौकरी नहीं मिल पा रही थी.. !! इस कारण, मैंने पिताजी के एक पुराने दोस्त जिनका की फोटो स्टूडियो था, उनसे मदद माँगी.. !!
तो, वो बोले – यदि, तुम चाहो तो मेरे साथ मेरे फोटो स्टूडियो में हाथ बँटा सकते हो… काम सीखने के साथ-साथ, तुम्हें कुछ पैसों की मदद भी हो जाएगी…
मैं तुरंत ही तैयार हो गया और अगले ही दिन से, उनके यहाँ रोज़ शाम के समय काम के लिए जाने लगा.. !!
यह काम मेरे लिए नया तो था, किंतु इंट्रेस्टिंग होने के साथ-साथ एक नया हुनर भी सीखने को मिलने लगा।
जल्दी ही, मैंने फोटो प्रिंटिंग और डेवेलपमेंट सीख लिया और अंकल ने मुझे अब फोटो खींचने की बारिकयाँ भी सीखना शुरू कर दिया।
अंकल ने अपने स्टूडियो के ऊपर के जो तीन कमरे खाली थे, उनमें मेरे रहने की व्यवस्था कर दी।
हमारा स्टूडियो, शहर के सबसे अच्छे रहवासी एरिया में था.. !! जहाँ पर, अच्छे अच्छे रहिसजादे रहा करते थे और अक्सर, वो हमारे यहाँ फोटो सेशन या पोर्टफोलीयो भी बनवाने आते थे.. !! क्योंकि, अंकल एक समय में शहर के बड़े नामी फोटोग्राफर रह चुके थे और उन्होंने अपने समय में कई बड़ी-बड़ी फोटोग्राफी की प्रतियोगता जीती थीं.. !!
लेकिन, उनका एक ही बेटा था जो की विदेश चला गया था.. !! इस वजह से, अंकल अब कुछ खास नहीं करना चाहते थे.. !!
परंतु ना जाने क्यूँ, मेरे साथ रह कर उनमें कुछ बदलाव आने लगा और वो फिर से नये, लेटेस्ट, आधुनिक, डिजिटल, हाइ-टेक और महँगे कैमरे ले कर आए और साथ ही साथ, आधुनिक कंप्यूटर सिस्टम भी लाए।
उन्होंने, इतना सब पैसा अपने पुराने फोटो के संग्रह को, डिजिटल में बदल कर के ऑनलाइन साइट्स पर बेच-बेच कर इकट्ठा किया।
इसके साथ ही, मेरी रूचि देख कर उन्होंने मुझे एक सेंटर में आधुनिक ट्रैनिंग के लिए भी भेजा.. !! जहाँ पर, मैंने लेटेस्ट टेक्नोलॉजी की मशीन्स के साथ काम करना सीखा.. !!
इधर, मेरे कॉलेज में जीतने भी दोस्त, जान पहचान वाले थे अब वह सभी हमारे यहीं पर अपने फोटो और एल्बम आदि बनवाते थे।
इस कारण, अब हमारा स्टूडियो पहले की तुलना में काफ़ी अच्छा चलने लगा था।

अंकल का एक छोटा सा बंगला भी स्टूडियो के ठीक पीछे था, जो की पीछे से इंटर कनेक्ट भी था।
बंगले में, एक स्विमिंग पूल और छोटा सा जिम भी बना था.. !! जिसमें, मैं रोज़ एक्सर्साइज़ करता था.. !!
घर और स्टूडियो एक होने से, मुझे पढाई का समय भी अच्छा-ख़ासा समय मिल जाता था और इसी कारण, मैंने कॉलेज में अपना पहला साल अच्छे नंबर्स से पास किया।
अब मैंने सोचा, परीक्षा का परिणाम आने के बाद, मैं अपने घर का एक चक्कर ज़रूर लगा आऊंगा.. !! क्योंकि, मुझे घर से आए लगभग एक साल होने आया था और इस बीच मैं केवल फोन से ही अपने घर वालों से जुड़ा हुआ था.. !! लेकिन, पढाई और काम की अधिकता के चलते, मैं नहीं जा पा रहा था.. !!
इधर, पिताजी की तबीयत भी खराब रहने लगी थी.. !! इस कारण, वह अपनी दुकान भी नहीं खोल पा रहे थे.. !!
तब अंकल बोले – जा थोड़े दिन, घर घूम आ…
जब मैं लगभग एक साल के बाद, घर पहुँचा तो मुझे देख कर सभी हैरान हो गये थे.. !! क्योंकि, एक्सर्साइज़ से मेरा बदन काफ़ी गठीला हो गया था और शहर में रहने के कारण, मेरा रहन सहन भी काफ़ी आधुनिक हो गया था.. !!
इधर, मैं भी अपनी बहन को देख कर अचरज में पड़ गया.. !! क्योंकि, उसे मैं बच्ची छोड़ गया था और इस एक साल में, वो पूरी जवान हो गई थी.. !!
उसका मांसल, भरा पूरा बदन देख कर मेरी निगाहें उसके शरीर के नाप तोल में लग गईं.. !! क्योंकि, अब तो मैं एक फोटोग्राफर भी बन गया था.. !! इस कारण, मैं अब उसमें सुंदरता के साथ-साथ, उसका फिगर भी माप रहा था.. !!
जबकि मेरी बहन, इसके उल्टे मुझ पर ही लट्टू हो रही थी और मौका मिलते ही कहने लगी – भैया, शहर में सभी लड़के आपकी तरह ही स्मार्ट होते हैं, क्या… ?? मेरी सारी सहेलियाँ, आपको एक नज़र देखने के लिए मचल रही हैं और मैं खुद आपके साथ-साथ ही, सारा गाँव घूमना चाहती हूँ…
इधर, मेरी बहन का यहाँ स्कूलिंग का आख़िरी साल था और परीक्षा का परिणाम आने को ही था.. !!
इसी कारण, उसे भी अपनी दूसरी सहेलियों की तरह आगे पढाई के लिए शहर में आना पड़ेगा।
जिन सहेलियों के शहर में रिश्तेदार थे, वह तो उनके घरों में रह लेगीं.. !! लेकिन, जिनका कोई नहीं था, वे सभी महँगे हॉस्टल में रह कर पढाई करने वाली थीं.. !!
हमारे घर में माताजी और पिताजी, दोनों ही पढ़े लिखे थे.. !! इस कारण, वह दकियानूसी विचारो के तो नहीं थे.. !!
वैसे तो, उन्हें मेरी बहन के हॉस्टल में रहने में कोई आपत्ति नहीं थी.. !! लेकिन, वह हॉस्टल या कमरे के खर्च को लेकर, ज़्यादा चिंतित थे.. !!
तब मैंने, अंकल से बात की तो वो बोले – पागला है, क्या… ?? अपना इतना बड़ा घर होते हुए, तू अपनी जवान बहन को हॉस्टल में रखना चाहता है… जल्दी से, बहन के साथ घर आजा… यहाँ उसका किसी अच्छे कॉलेज में दाखिला करवाने में भी समय लग जाएगा…
अंकल से बात करने के कुछ ही दिन बाद, मेरी बहन का परीक्षा का परिणाम आ गया और मैं अपनी बहन को साथ लेकर, शहर आ गया।
उसे देखते ही, अंकल बोले – क्या पगले… तूने इस जन्नत की हूर को, अभी तक घर में बैठा रखा था… अरे, यह तो बड़ी हो कर टॉप मॉडल भी बन सकती है… वाह क्या लंबाई है, इसकी… और ऐसा कह कर, उन्होंने उसके रहन सहन आदि में काफ़ी बदलाव लाने की सलाह दे डाली और मुझे कहा – देख, हमें इसको बिल्कुल अपने शहर की लड़की बनाना पड़ेगा… क्योंकि, यदि यह नहीं बदली तो कॉलेज में सभी लोग गँवार, देहाती और ना जाने क्या-क्या कह कर, इसका मज़ाक उड़ायेंगे…
कुछ एक दो दिन बाद ही, अंकल ने सब से पहले तो मुझे और मेरी बहन को उनकी एक स्थाई लेडी ग्राहक की ड्रेस स्टोर पर भेजा, जो की शहर के सबसे बड़े माल में था।
वहाँ सभी जवान लड़के लड़कियों के ड्रेस को देख, मेरी बहन शरमा रही थी और कहने लगी – भैया, यदि यहाँ यही पहनना पड़ा तो मैं वापस भाग कर घर चली जाउंगी…

तो, मैंने कहा – गुड़िया, तू थोड़े दिनों में ही यहाँ के रंग में रंग जाएगी… मुझे देख, मैं क्या भाग कर घर आ गया था…
फिर, कपड़ो की दुकान में उस लेडी ने मेरी बहन को इतने गहरे गले के कपड़े ट्राइयल के लिए दिए की वह शरम के कारण, उन्हें पहन कर ट्राइयल रूम से भी बाहर नहीं आ पा रही थी।
इसके अलावा, उसे कुछ टाइट टी-शर्ट्स, जीन्स, मिनी स्कर्ट्स और घर में पहनने के लिए बड़े गले के लूज़र, स्पोर्ट्स निकर, बनियान और अच्छी किस्म के ब्रा और पैंटी भी दिए।
इन सबका बिल तो हज़ारो में था.. !! लेकिन, उसने हमसे केवल बिल पर साइन करवाए और कहा – जल्दी से, इन सबको पहन डालो… क्योंकि नया कलेक्शन, जल्दी ही आने वाला है…
घर आने पर, अंकल ने मेरी बहन को बोला की अगर वह चाहे तो उनके साथ पीछे बंगले में भी रह सकती है… वैसे भी, वहां उनके अलावा और कोई नहीं रहता… लेकिन, मेरी बहन ने उनको बड़ी सहजता से कहा की थोड़े दिन भैया के साथ रहूंगी और यदि कुछ परेशानी आई तो आप तो हैं ही…
अंकल भी उसके सिर पर हाथ रखे बिना, ना रह सके।

उस रात, हम दोनों भाई बहन नये लाए कपड़े देख रहे थे तो वह उनको दिखाने में भी शरमा रही थी।
उसकी एक टी-शर्ट पर भी बड़े स्टाइल में “मिल्क” लिखा था।
जबकि, वास्तव में मैं खुद भी उसके इतने टाइट टी-शर्ट को देख कर अपनी निगाहें उसके सीने से नहीं हटा पा रहा था। क्योंकि, वह ग़ज़ब की, मांसल देह की लड़की थी।
जब उसने मिनी स्कर्ट पहना तो वह पर्दे से बाहर ही नहीं आना चाह रही थी क्योंकि उसकी सफेद भरी पूरी केले के तने की तरह टांगें, घुटनों के ऊपर तक दिख रही थीं.. !!
जबकि, टाइट जीन्स में उसके कूहलों का आकर देख कर मेरा धेर्य जवाब दे गया और मैं तत्काल बाथरूम का बहाना बना कर, टाय्लेट में जाकर हस्तमैथुन कर बैठा।
ऐसा मैंने पिछले एक बरस में, शायद दो या तीन बार ही करा होगा.. !! जब मैं, अपने ऊपर काबू नहीं रख पाया.. !!
हस्तमैथुन के समय, मैं ना चाहते हुए भी अपनी बहन को ही विचारो में ला रहा था।
मेरा बस अपने पर ही नहीं चल रहा था…
खैर, रात में मेरी बहन तो पलंग पर सो गई और मैं वहीं सामने पुराने सोफे पर पड़ा रहा.. !!
अगले दिन, सुबह रोज़ की तरह जब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा की मेरी बहन घर से लाया हुआ पुराना गाउन पहने सोई थी.. !! जो की, उसके घुटनों तक चड़ा हुआ था.. !!
उसकी गोरी-गोरी पिंडलियाँ देख, मेरा मन फिर खराब होने लगा।
लेकिन, मैं अपना मन कड़ा कर उठा और दैनिक काम निपटा कर अंकल के बंगले के पीछे, जिम में चला गया।
लगभग आधे घंटे बाद, जब मैं जिम से बाहर आया तो मेरी निगाह हमारे कमरों की खुली खिड़की पर पड़ी।
मतलब, मेरी बहन जाग चुकी थी।
मैंने अपना स्विम सूट पहना और पूल में कूढ़ पड़ा।
मुझे बार-बार ऐसा लग रहा था मानो कोई, मतलब मेरी बहन चोरी छुपे मुझे खिड़की से चुपचाप देख रही है.. !! लेकिन, मैं उसे देख नहीं पाया.. !!

जब मैं ऊपर पहुँचा तो देखा की मेरी बहन नहा कर तैयार हो चुकी थी और नाश्ता बना रही थी।
मैंने उसे कहा की तेरे आने से अब मुझे खाने पीने की चिंता नहीं करना पड़ेगी… लेकिन, तेरी परेशानी बड जाएगी…
तो वह हंस पड़ी और बोली – भैया, आप मेरे लिए इतना सब कर रहे हैं और क्या मैं अपने भाई को खाना खिला कर, घिस जाउंगी…
दोपहर में, जब मेरी बहन नीचे स्टूडियो में आई तो वहां डिसप्ले में मेरे और अंकल के पीछे लगी, मॉडल लड़कियों के फोटो देख चक्कर में पड़ गई।

तब अंकल बोले की शाम चार बजे वही कल वाली उनकी कस्टमर आएगी जोकि मेरी बहन को ब्यूटी पार्लर ले जाएगी, जहाँ इसका हुलिया बदल दिया जाएगा।
रात लगभग आठ बजे, जब मेरी बहन वापस पार्लर से आई तो मैं उसे पहचान भी नहीं पाया.. !! क्योंकि, उसके बाल बड़ी स्टाइल में कट चुके थे उनपर सुनहरी हेड लाइट हो चुकी थी.. !!
पूरे बदन की वैक्सिंग होने से, वह और अधिक गोरी और चिकनी लगने लगी थी।
वह इतनी ज़्यादा खूबसूरात लग रही थी की मैं सगा भाई होकर, उस पर से निगाह नहीं हटा पा रहा था…
इधर, अंकल की कस्टमर इस बात पर मेरी बहन पर चिढ़ रही थी की मेरी बहन वही घर से लाए हुए कपड़े पहन कर, घूम रही थी.. !! वैसे तो, वह कपड़े भी कोई बुरे नहीं थे.. !!
हमारे गाँव में, शायद वह बेहतरीन हो सकते थे.. !! लेकिन, उनमें मेरी बहन पूरी तरह ढकी हुई थी।
तब उन्होंने कमरे में जाकर, मेरी बहन के सारे पुराने कपड़ों का बेग उठाया और उसे अंकल की स्टोर रूम में पटकवा दिया और कहा की जल्दी से शहरी बन जाओ क्योंकि जब थोड़े दिन बाद कॉलेज जाना पड़ेगा तो वहां तुम्हें सभी गाँव वाली बहन जी, कह कर बुलायेंगें…
अगले दिन से ही, मेरी बहन नये लाए कपड़े पहनने लगी.. !! जिनमें, वह काफ़ी मॉडर्न नज़र आती थी.. !!
टाइट टी-शर्ट पहन कर, मुझसे निगाह मिलने में भी वह शरमा रही थी।
मैंने कहा की यह सब तेरी भलाई के लिए ही है और यहाँ सब घर वाले ही तो है…
तब जाकर, वह कुछ शांत हुई।
अंकल ने अपनी जान पहचान के चलते, शहर के सबसे अच्छे कॉलेज में उसके दाखिले की जोड़ तोड़ शुरू कर दी थी।
इधर, मेरी बहन दोपहर में फ़ुर्सत के समय स्टूडियो में आकर बैठ जाती.. !!
तब कई नई लड़कियाँ जो हमारे यहाँ पोर्टफोलीयो बनवाने आतीं, वह यही पूछतीं की क्या यह भी, कोई मॉडल है… ?? या कोई कहता की इनसे, मॉडेलिंग क्यों नहीं करवाते… ??
नई मॉडल लड़कियों को “बिंदास अंदाज़” में देख, मेरी बहन शरमा जाती.. !! क्योंकि, आउटडोर पर मॉडेल्स हमारे सामने, बंद कमरे में अकेले में, बड़े छोटे आउटफिट्स में रहतीं और कई तो बहुत ही छोटे छोटे कपड़ो में फोटो सेशन करवातीं।
जब उसने हमारे कुछ बड़े ही बोल्ड फोटो सेशन देखे तो उसके मुंह से निकल गया की इन लड़कियों को जब नंगे ही रहना है तो यह कमर के सामने, यह ज़रा सा कपड़ा भी क्यों पहनती हैं… ??
जब अंकल नहीं थे और मैं भी अपने काम में लगा था.. !! तब ना जाने कब, उसने कंप्यूटर सिस्टम में पड़ी कुछ हिडन फाइल्स खोल लीं और उनमें हमारे कुछ कस्टमर्स के पर्सनल फोटोस, जो कि उन्होंने खुद अपने डिजिटल कैमरे से शूट किए थे, उन्हें देख लिए.. !!
यह फोटो, हमारे पास प्रिंटिंग के लिए आते हैं और इन्हें अंकल या मैं खुद पर्सनली डेवेलप करते हैं जो की बड़े विश्वास का काम है और यह काम, शहर के कुछ चुनिंदा लोग ही करते हैं क्योंकि इन पर्सनल फोटोस का यदि कोई मिसयूज़ करे, तो ग़ज़ब हो जाए.. !!
यह सब देख, वह कहने लगी की भैया, कुछ भी कहो… लेकिन, अंकल और तुम्हारे दोनों के शूट किए फोटोस ऐसे लगता है, जैसे किसी विदेशी स्टूडियो का काम है… हाथ में क्या सफाई है… जैसे, यह फोटो अभी बोल पड़ेंगें…
अगले दो तीन दिनों में, मैंने मेरी बहन में काफ़ी बदलाव महसूस किया।
अब वह काफ़ी खुल गई थी और वह अपने नये कपड़ो में ही रहती थी।
एक बात मैंने और यह महसूस की वह अब मेरे सामने गहरे गले की लूज़र या टी-शर्ट मे कंफर्टबल रहती थी.. !! नहीं तो, शुरू-शुरू में उसका एक हाथ अपने गले और सीने पर ही रहता था.. !!
रात में, वह एक नाइट सूट पहनती थी.. !! जिसमें, एक घुटनों के ऊपर तक की निकर और एक बिल्कुल पतले कॉटन के कपड़े का बड़ा ही मुलायम पिंक कलर का छोड़े गले का टी-शर्ट था.. !! जिसके सीने पर “दो दूध की बॉटल्स का स्केच” प्रिंट था.. !!
देखने में, बड़ा अजीब लगता था.. !! लेकिन, यह ड्रेस वह केवल घर में ही पहनती थी.. !!
आज रात में, बड़ी गरमी थी इस कारण मैं तो केवल बनियान और नेकार में सो गया.. !!
बहन को सामने से आता देख, उसके झूलते हुए बड़े-बड़े बूब्स पर निगाह पड़ते ही मैं समझ गया की उसने भी गरमी के कारण, अपनी ब्रा नहीं पहनी है.. !!
थोड़ी देर बाद, जब मैं बाथरूम में गया तो वहां उसकी ब्रा खूंटी पर टंगी देख.. !! मेरा अंदाज़, पक्का हो गया.. !!
मैंने उसकी ब्रा को हाथ में लिया और उसे सूंघने लगा.. !! जिसमें से, उसके बदन की बड़ी ही मादक खुश्बू महसूस हो रही थी.. !!
ब्रा का साइज़ देख, मुझे लगा की इसमें उसके इतने बड़े-बड़े बूब्स कैसे समाते होंगें क्यूंकी वह ब्रा, मुझे छोटे साइज़ की लग रही थी.. !!
जब मैं बाहर आया तो वह आँख बंद किए, पलंग पर चित लेटी थी और मैं टीवी देखने लगा।

लगभग एक घंटे बाद, जब मैं सोने के लिए टीवी बंद कर रहा तो मेरी आँखे मेरी बहन के बदन पर टिक सी गईं.. !! क्योंकि, बिना ब्रा के उसका टी-शर्ट उसके स्तनों पर पसीने के कारण चिपक सा गया था और उसकी निपल्स के उभार, साफ़ दिखाई दे रहे थे.. !!
उसने अपना एक हाथ, अपने टी-शर्ट में डाल रखा था.. !! जिससे, उसका मक्खन सा गोरा पेट नज़र आ रहा था.. !!
यह देख, मैं पागल सा हो गया और मैं लाइट बंद कर अपने लिंग को हाथ से सहलाते हुए सो गया।
लेकिन, मेरे मन में अजीब सी बेचैनी बनी रही और मेरी बहन के बारे में ना जाने कैसे कैसे विचार, मेरे मन में आते रहे।
रोज़ की तरह, सुबह जब मैं उठा तो मैंने पाया की मेरी बहन का टी-शर्ट पूरा उठा हुआ है और उसका गोरा पेट, लगभग सीने तक दिखाई पड़ रहा था।
झुक कर देखने पर, उसके मांसल स्तनों के उभार भी दिखाई पड़ रहे थे।
उसने अपनी दोनों टाँगों को इतना फैला रखा था की चाहे तो निकर में से, उसकी जांगों के जोड़ दिखाई पड़ जाएँ।
जब मैं, टाय्लेट से बाहर आया तो उसने मेरे लिए चाय तैयार कर रखी थी और जब वह मुझे चाय देने के लिए झुकी तो मुझे उसकी “छोड़े गले वाले टी-शर्ट” में से उसके गोरे-गोरे मादक स्तनों का बड़ा ही मज़ेदार नज़ारा देखने को मिला।
जब मैं जिम से बाहर आया तो मैंने देखा की मेरी बहन भी स्विमिंग पूल के पास खड़ी है।
उसको सामने पाकर, मैं थोड़ा हिचकिचा सा गया.. !! क्योंकि, आज तक मैं कभी उसके सामने केवल स्विमिंग कॉस्ट्यूम में नहीं आया था और जब मैं पसीना सूखने का इंतज़ार कर रहा तो वह बोली की भैया तुम्हारी पीठ पर बहुत सा तेल लगा है… यदि, तुम चाहो तो मैं इसे साफ़ कर देती हूँ… और ऐसा कह, वह मेरी पीठ को तोलिये से पोछने लगी और बोली – भैया, आपके जैसे मर्द को पाने के लिए, लड़कियाँ अपना सब कुछ दाँव पर लगा दें…
वह बड़े बिंदास अंदाज़ में, मेरी पीठ पर हाथ फेरती हुए मेरे सीने पर भी अपना हाथ चलाने लगी।
जिम से आने के कारण, मेरे चेस्ट बहुत ही साफ़ उभार लिए हुए थे.. !! जिनको, वह घुरे जा रही थी.. !!
जब वह आगे आकर, मेरे सीने का पसीना पोंछ रही थी तब मुझे फिर से उसके सीने के उभारों का दीदार हो रहा था।
मुझे लगा की शायद वह जानमुझ कर, अपना फिगर मुझे दिखा रही थी और जब मैं स्विमिंग करने पानी में कूदा तो उसने भी अपने पैरों को पूल में लटका लिया और कहने लगी की भैया, मुझे भी तैरना सीखना है…
मैंने कहा – क्यूँ नहीं… चाहे तो, अभी से आजा…
तो, वह बोली – आपके सामने मुझे शर्म आएगी और ना ही, मेरे पास कोई स्विम सूट है…
इस पर, मैं बोला – लेडीज प्रशिक्षक तो बहुत महँगा पड़ेगा और बिकनी तो ढेर सारी स्टूडियो में पड़ीं हैं… (क्योंकि, मॉडेल्स के फोटो सेशन के लिए रखना पड़ती हैं।)
वह बोली की उन बिकनियों को तो मैं सात जन्म में भी ना पहनूं… वो केवल कपड़े की चिंदी भर है… कोई भला, अपने भाई के सामने भी इतना बेशर्म हो सकता है…
तो मैं हंस पड़ा और मैंने उसका एक हाथ खींच कर, उसको पानी में खींच लिया।
वह चिल्लाती रह गई और मैंने उसे पूरा भीगा दिया।

भीगने से उसका टी-शर्ट उसके बदन पर चिपक सा गया और उसके स्तनों का आकर, साफ़ झलकने लगा।
वह खुद भी, इस बात को महसूस करने लगी।
लेकिन, पूल में खड़े रहने के लिए उसने अपने दोनों हाथो से पाइप पकड़ रखा था।
खैर, वह मेरे ऊपर चिल्लाती हुई बाहर आ गई।
लेकिन, बाद में बोली की चलो, एस बहाने मेरा थोड़ा डर तो कम हुआ…

दिन में, अंकल और उनकी कस्टमर ने कहा की कॉलेज शुरू होने से पहले क्यों ना हम मेरी बहन का एक नॉर्मल फोटो सेशन करें… जिससे, की बहन का आत्म विश्वास डेवेलप हो सके…
मुझे भी यह बात कुछ जँची और हमने, मेरी बहन को तैयार होने के लिए कहा।
पहला टेस्ट फोटो सेशन देख कर, हम सभी का हौसला बड़ा.. !! क्योंकि, उसका चेहरा बड़ा ही “फोटुजेनिक” था और एक मीठी सी मुस्कान, उसके चेहरे पर बड़ी खिल रही थी.. !!
हमने उसके और कई फोटो शूट किए, जिनमें वह अलग अलग ऑउटफिट्स में थी।
इन में से कुछ में, उसके बदन के भूगोल की थोड़ी सी झलक भी दिखाई पड़ रही थी.. !! जिसके लिए, मेरे कहने पर वह बड़ी मुश्किल से राज़ी हुए थी.. !!
हमारे प्रोफेशन में, इसे “आउटर शूट” कहते हैं।
अंकल ने सभी फोटो का मुआयना करने के बाद, कहा की एक बात तो है, लड़की में बहुत संभावना है… थोड़ी मेहनत करे, तो बस मज़ा आ जाएगा…
जिन फोटोस में उसका बदन दिखाई पड़ रहा था, उन्हें बारीकी से अपनी अनुभवी आँखों से देख, उन्होंने मुझे बताया की उसके बदन में कहाँ कहाँ एक्सट्रा चर्बी है और कहाँ कहाँ, उसका फिगर सही नहीं है। यदि, अभी से वह यह सब सुधरे तो वास्तव में लड़की कमाल कर सकती है… भगवान ने, उसे रंग रूप और हुस्न से नवाज़ा है और अब बस उसे केवल थोड़ी मेहनत कर अपनी बॉडी को सही लाइन लेंथ में लाना होगा… टोन उप, करना होगा… और कहा की इस सबके लिए उसे कोई खर्चा भी नहीं करना होगा… तुम उसके सगे भाई हो, तुम से बढ़कर उसे और कौन गाइड करेगा… उसे अपने बंगले के पीछे जिम में ले जाकर, वर्कआउट कराओ… स्विमिंग भी, उसके किए बड़ी मददगार रहेगी…
यह सब बात, जब मैंने अपनी बहन को बतलाई तो वह अपनी सुंदरता की तारीफ सुन, एक आम लड़की की तरह बड़ी खुश हुई और जब उसने, अपने थोड़े ओपन फोटो देखे तो कहने लगी की मैंने तो इतने ओपन फोटो नहीं खिंचवाए…
तो मैंने, उसे समझाया की किस तरह कैमरे के लेनस को हम एडजस्ट कर, केवल उसी चीज़ को दिखाते हैं जो की ज़रूरी है और इस तरह बाकी शरीर बैक ग्राउंड की तरह प्रतीत होता है।
मैंने पाया की फोटो देखने के बाद, उसका आत्म विश्वास कैसे बड़ा महसूस हो रहा था.. !!
जब अगले दिन, हम दोनों भाई बहन जिम में पहुंचे तो उसने मेरे कहे अनुसार वर्कआउट शुरू किया और मैंने उसे पहली बार, अपने इतनी पास महसूस किया।
लेकिन, उसके टी-शर्ट पहनने के कारण मुझे उसके शरीर के मसल्स में होने वाले बदलाव पता नहीं पड़ रहे थे.. !! इसलिए, हम दोनों उसी दिन माल जाकर अंकल की कस्टमर के शोरुम से, कुछ बढ़िया किस्म की स्पोर्ट्स ड्रेसस ले आए.. !!
तब उन्होंने मेरी बहन को स्विमिंग कॉस्ट्यूम्स भी दे दी.. !! जिन्हें, देखकर मेरी बहन ने उन्हें पहनने से, साफ़ मना कर दिया.. !!
मैंने उससे कहा की ले तो लो… बाद में, काम आएँगीं…
अगले दिन, जिम में मेरी बहन बड़ी शरमा रही थी तो मैं बोला की देख, यदि जीवन में कुछ बनाना है तो यह शर्म तो तुझे छोड़नी पड़ेगी… क्योंकि, अभी तो यहाँ मैं तुझे गाइड करने वाला, तेरा भाई हूँ… जिसके, आगे तू छोटी से बड़ी हुए है… नहीं तो, आम मॉडेल्स को अजनबियों के बीच जाकर, यह सब ट्रैनिंग लेनी होती है… और वहां, यह सब नहीं चलता… यह शरम संकोच छोड़ और बोल्ड बन… क्योंकि, जिसने की शरम उसके फूटे करम… यहाँ, तेरे मेरे सिवा कोई नहीं आने वाला… क्योंकि, अंकल तो सुबह जल्दी ही अपने दोस्तों के साथ क्लब चले जाते हैं और वापस टेनिस खेलकर, लगभग दस बजे वापस आते हैं… उन्हें तो, यहाँ पर आए, महीनों बीत जाते हैं और यहाँ कोई अड़ोसी पड़ोस भी नहीं है… क्योंकि, केवल अपने रूम ही दो मंज़िला बने हुए हैं बाकी आस पास, सभी बंगले सिंगल फ्लोर के है…
आज, मेरी बहन जिम में एक स्पोर्ट्स ब्रा पहने हुए थी.. !! जिसका, गला बड़ा ही छोटा था और उसमें से उसके मांसल उभार बड़ी खूबसूरती के साथ, बाहर झलक रहे थे.. !!
बाहों के नीचे से, उसका आधे से ज़्यादा स्तन बाहर आने को मालूम पड़ रहा था.. !!
उसका गोरा पेट भी पूरा दिखाई पड़ रहा था और नीचे निकर उसकी नाभि से लगभग चार इंच नीचे बँधी थी.. !! जिस कारण, उसका पेट का काफ़ी बड़ा हिस्सा, साफ़ झलक रहा था.. !!
निकर भी बड़ी टाइट थी.. !! उसके कूल्हों के उभारों से, मेरी निगाहें हटने का नाम ही नहीं ले रही थीं.. !!
नीचे लंबी मांसल गोरी टाँगें, बस कयामत ही लग रही थीं.. !!
मैं भी स्पोर्ट्स निकर में था.. !! जिसमें से, मेरा तना हुआ लिंग साफ़ झलक रहा था और शायद वह यह समझ चुकी थी.. !! क्योंकि, उसकी निगाहें भी चोरी छुपे मेरे लिंग की तरफ चली ही जाती थीं.. !!
जब वह झुककर, वर्क आउट करती तो उसके उभार आधे से ज़्यादा बाहर आने को बेताब होते और कई बार मुझे उसे सही एंगल समझाने के लिए, उसके पीछे से चिपक कर उसे बताना पड़ता।
इस पोज़िशन में, मेरा उत्तेजित लिंग अपनी सग़ी बहन की गांद की दरार में घुसने को मचलता।
बाहर आकर, जब हम पूल पर आए तो मेरी बहन बहुत शरमाने लगी।
स्विमिंग कॉस्ट्यूम, कोई इतनी भी छोटी नहीं थी जितनी की, हमारे स्टूडियो में थी.. !! लेकिन, एक घरेलू लड़की के लिए बिकनी पहनना, बहुत बड़ी बात थी.. !!
खैर, हिम्मत कर वह बिकनी पहन आई.. !! लेकिन, उसने अपने ऊपर से तोलिया नहीं हटाया।
तब बड़ी मुश्किल से, उसे समझा कर मैं उसे पूल में लाया और धीरे-धीरे उसे तैरना सिखाया।
इस समय, मैंने किस तरह अपनी भावनाओं को काबू में रखा यह सिर्फ़ मैं ही समझ सकता हूँ।
इस तरह, यह अब हमारा डेली का शेड्यूल बन गया था…

इस बीच, मैंने मेरी बहन के कई सारे फोटो शूट किए और अब तो वह खुद खुलकर, अपने मांसल शरीर का नज़ारा पेश करती थी।
साथ ही साथ, अब उसके कॉलेज की पढाई भी चल रही थी।
अंकल ने जब उसके यह सब पोज़ देखे तो उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं.. !!
कुछ फोटो तो हमने, उसकी बड़ी ही बोल्ड शूट कीं.. !! जो की, शायद अश्लील की श्रेणी में आतीं.. !! लेकिन, अब मेरी बहन मुझसे काफ़ी खुल चुकी थी.. !! एसलिए, उसने ऐसा प्रोफेशनलिज्म दिया और बड़े ही बिंदास, फोटोशूट करवाए.. !!
अंकल बोले की ऐसी ही प्रैक्टिस चालू रखो और अच्छा समय आने दो… जब हम इसको, बाक़ायदा मॉडलिंग की दुनिया में उतारेंगें… तब तक, इसकी कॉलेज एजुकेशन चलने दो…
उसकी कई सारी सहेलियाँ भी अब मेरे पास आकर, अपना पोर्टफोलीयो बनवा चुकी थीं।
उसकी दो तीन सहेलियाँ, जो की हॉस्टल में थी वो तो मेरे ऊपर लट्टू थीं।
जब भी वो आतीं, बस मुझसे चिपकने की बहाना ढूंढ़ती.. !! वह मेरे सामने, कई बार बहुत ज़्यादा खुलकर एक्सपोज़ वाले फोटो शूट का कह चुकी थीं.. !! लेकिन, मैं खुद उनसे दूरी बनाए रखना चाहता था.. !!
तभी पता चला की वे लड़कियाँ किसी ग़लत संगत में पड़ गई हैं और यह बात मेरी बहन भी जानती थी की उन लड़कियों का मिलना जुलना, ग़लत लड़कों के साथ था।
दो लड़कियों ने तो बाक़ायदा मुझसे अपने बहुत ही गंदे गंदे फोटो डेवेलप करवाए.. !! जिनके बारे में, मैंने अपनी बहन को नहीं बताया.. !! लेकिन, उन्होंने खुद मेरी बहन को झूठ कह कर फोटो दिखाए और कहा की यह फोटो मैंने शूट करे.. !!
परंतु, बाद में मैं ने अपनी बहन को सारा मामला समझाया।
इस बीच, पापा की तबीयत खराब रहने लगी और हमें अपने घर भी पैसे भेजने पड़ते थे.. !!

इधर, अंकल का जो लड़का विदेश में था.. !! उसने, कोई लफड़ा कर दिया और अंकल को भाग कर वहां जाना पड़ा और वहां पर उनका पैसा पानी की तरह बहाना पड़ा… जो की, हमें यहाँ से भेजना पड़ा.. !! जिस कारण, हमें यहाँ पर बड़ी परेशानी होने लगी.. !!
थोड़े दिनों की बात होती तो ठीक था। लेकिन, ऐसा होते-होते महीनो बीत गये।
तब एक दिन, मेरी परेशानी को देख मेरी बहन बोली की भैया, मैं इस मुसीबत के समय आपकी क्या मदद कर सकती हूँ…
तो मैंने उसे कहा की तू अभी पढाई कर रही है और ऐसे समय में तेरा कुछ काम करना, तेरी पूरी एजुकेशन को डिस्टर्ब कर सकता है… अंकल के ना होने से, मैं भी अकेला पड़ गया हूँ… ऊपर से यहाँ शहर में रहने, स्टूडियो, बंगले का रख रखाव आदि सब के खर्चे के बाद, हमें अपने घर और माताजी पिताजी के खर्चे के लिए भी पैसा भेजना पड़ रहा है… जो, अब हमारे लिए बहुत मुश्किल होता जा रहा है…
उस रात में, मेरी बहन बोली की भैया, क्यों ना मैं अब मॉडेलिंग करना शुरू कर दूं… अंकल भी यही चाहते थे… चाहे, फिर कुछ समय पहले ही क्यों नहीं…
इस बात पर, मैंने काफ़ी विचार करके उसे कहा की देख, यह सब करने के लिए हमें किसी ढंग की एड एजेन्सी से संपर्क करना पड़ेगा… फिर, भी शुरूवात में हमें तो नाम मात्र का ही पैसा मिलेगा और सारा क्रेडिट साले एड एजेन्सी वाले, ले जाएँगें…
कुछ ही दिन बाद, अचानक एक दिन मेरे एक दोस्त ने बताया की यू एस ए की एक पॉर्न साइट वालों को कुछ असली इंडियन लड़कियों के फोटो चाहिए.. !! जिनका की वह बहुत बढ़िया पेमेंट दे रहे हैं.. !! लेकिन, फोटो असली, नयी और देसी होना चाहिए.. !!
मैंने उनको ई मेल के ज़रिए, संपर्क किया और मुझे उनका ऑफर पसंद आया।
मैंने भी एक शर्त रखी की फोटो तो मैं आपको ढेर सारे दे दूँगा… लेकिन, एक शर्त है की उनमें चेहरा नहीं दिखेगा… क्योंकि, हमारे इंडिया में ऐसा करना संभव ही नहीं है और यदि जो करती है तो यह पक्का है की वह एक कॉल गर्ल होगी…
मेरी इस बात से सहमत हो कर, उन्होंने मुझे बिना पहचान वाले फोटो भेजने को काम सौपा और बिना माँगे ही मुझे एडवांस में एक बड़ी अमाउंट, ऑनलाइन भेज दी।
अब मुझे जल्द से जल्द, कुछ फोटो भेजना थे.. !! एसलिए, मैंने हमारे संग्रह में से बहुत से फोटो ढूँढे.. !! लेकिन, मुझे कुछ मज़ा नहीं आ रहा था…
एक बड़ी समस्या, यह थी की ऐसा करना मतलब अपने क्लाइंट्स के पर्सनल फोटो को बिना उनकी अनुमति के ऑनलाइन बेचना। उनका मिस यूज़, करना।
ऐसा करना, हमारे प्रोफेशन में अपराध है.. !! लेकिन, कहते है ना की मजबूरी सब कुछ करवा देती है.. !!
मैंने कुछ ज़्यादा एक्सपोज़ वाले फोटोस के चेहरों में एडिटिंग कर दी और पहचान मिटा दी और उन्हें ऑनलाइन भेज दिया और आप मनोगे नहीं की अगले सात दिनों में, उस साइट पर उन फोटो की इतनी ज़्यादा माँग रही की उन्होंने मुझे फिर से एक अच्छी अमाउंट ऑफर करी.. !!
इस बार, मैंने अपनी बहन का फोटो जो की हमने ट्राइयल के लिए शूट किया था, वह पहचान छुपा कर भेजा और उन लोगों ने इसी मॉडल के और ज़्यादा फोटो भेजने का प्रेशर बना दिया।
अब मेरे पास इसका कोई हल नहीं था.. !! तभी, मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आया और मैंने सबसे छोटे साइज़ के कैमरे को कमरे में लाकर छुपा दिया।

रात में, जब मेरी बहन रोज़ की तरह अपना नाइट सूट पहन कर सोई तो मैंने आधी रात में, उस कैमरे से उसकी कुछ फोटो सोते में ही शूट कर लिए।
इसके अलावा, अगले दिन सुबह मैं तबीयत खराब होने का बहाना बना कर जिम और स्विमिंग के लिए नहीं गया और कमरे में से ही अपनी बहन के स्विमिंग ड्रेस में कुछ अश्लील वाले फोटो, शूट किए.. !! लेकिन, सही एंगल और इफ़ेक्ट आदि नहीं होने से, मुझे कुछ मज़ा नहीं आया.. !!
तब मैंने हिम्मत कर के, अपनी बहन को सचाई बता दी और उसे कहा की यह सब मैंने केवल मजबूरी वश किया।
थोड़ी नाराज़गी के बाद, वह भी मेरी बात से राज़ी हो गई और जब मैंने उसे मिलने वाले अमाउंट का हिसाब बताया तो वह ना चाहते हुए भी, इसके लिए तैयार हो गई।
फिर उसने कहा की एक काम करते हैं, भैया… तुम मेरे कुछ अश्लील फोटो शूट करो.. !! जिनमें, मेरा चेहरा नहीं आना चाहिए और यह बात केवल आपके और मेरे बीच रहेगी… क्योंकि, मेरी जिन दो सहेलियों ने आपसे अपने गंदे गंदे फोटो डेवेलप करवाए थे, उन दोनों को उनके बॉयफ्रेंड्स ने वो फोटो सार्वजनिक कर दिए और आज वही, सब फोटो सभी लड़को के मोबाइल्स में आम हैं… इसलिए, आप थोड़ी सावधानी रखना…
इसके बाद, उसी दिन से हमने शूटिंग शुरू कर दी।
वैसे, यह सब करना.. !! वह भी, अपनी बहन के साथ.. !! मुझे अपराध बोध, करवाता था.. !! लेकिन, मजबूरी ही ऐसी थी, जिसका इससे बेहतर और कोई हल हो ही नहीं सकता था.. !!
मेरी बहन का कहना था की यदि मन में ग़लत भावना नहीं हो तो कोई ग़लत कम भी, ग़लत नहीं होता.. !!
मेरी बहन ने बड़ी मुश्किल से मेरे आगे खुद को इतना ज़्यादा एक्सपोज़ करने की कोशिश की.. !! लेकिन, हमारे संस्कार आड़े आ जाते.. !!
तब वह खुद ही बोली की भैया, यह मुझसे नहीं होगा…
तो मैंने कहा की तू हमारे बीच का यह भाई बहन का रिश्ता भूल जा और केवल प्रोफेशनल सोच रख या एक काम तू यह कर, की हमें नेचुरल फोटो चाहिए एसलिए तू अपने जीतने भी निजी काम होते हैं जैसे नहाना, कपड़े बदलना, और सारे काम, वह सभी बिना दरवाजा बंद किए करा कर… जिससे, मैं हाथों हाथ तेरे नेचुरल पिक्चर, शूट कर सकूँ…
इसके बाद, उसने मन कड़ा कर कैमरे के सामने ही अपने जीन्स और टी-शर्ट को चेंज करके, नाइट सूट पहना।
इस बीच, वह मेरे सामने केवल ब्रा पैंटी में भले ही कुछ समय रही, पर उसने अपने बदन के उभारो को मुझसे छुपाए रखा।
तब मैंने परेशान होकर कहा की तू रोज़ की तरह, अपनी ब्रा क्यूँ नहीं खोलती…
अब वह शरमा कर, आश्चर्य में पड़ गई और बोली की आपको कैसे मालूम, भैया… ??
मैंने थोड़ा झेंपते हुए कहा की तेरी ब्रा, रोज़ाना रात में बाथरूम में जो टंगी रहती है…
Reply
06-10-2021, 11:59 AM,
#98
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
अब, वह हंस पड़ी… … …
जब, मुझे अब माहौल थोड़ा हल्का और खुशनुमा लगा तब मैंने उसे कहा की एक काम कर, आज मेरी यह सफेद बनियान पहन ले…
उस बनियान के गहरे गले में से, उसके चेस्ट पूरे बाहर आने को मचल रहे थे और उसके चेस्ट की भूरी भूरी चुचियाँ जो की उत्तेजित होकर बड़ी फूली हुई थीं.. !! वह भी साफ़ दिखाई पड़ने लगीं.. !!
वह हंसते हुए, बोली – भैया, एक बात तो है की जेंट्स को बनियान में बड़ा खुला खुला महसूस होता होगा… हम लड़कियों के कपड़े तो सब और से बंद रहते है, खास कर के अपने घर वाले पुराने कपड़े…
मैंने कहा की यहाँ पर फिलहाल कोई देखने वाला तो है, नहीं… तू चाहे तो घर में अपनी पसंद के कपड़े पहना कर… और फिर आँख मारते हुए, मैंने कहा – अगर तेरा दिल ना चाहे या गरमी बहुत लगे तो कुछ भी मत पहना कर… अब तेरे मेरे बीच में शर्म वाली, कोई बात तो नहीं रहना चाहिए… तभी तो, मजेदार फोटो शूट होगे…
वह खिलखाकर हंस पड़ी और हंसते हुए, मेरी और अपना टॉप फेंक के मार दिया…
अगली सुबह, जब वह उठी और जिम पहुँची तो मैंने वहां उसके कुछ फोटो ऐसे लिए, जिसमें उसके चेस्ट बनियान में से बाहर आते लग रहे थे।
उसके बाद, उसने सफेद बनियान में स्विमिंग पूल के कुछ इतने सेक्सी शॉट दिए की उन में मेरी बहन का मादक बदन देख, मुझे तुरंत बाथरूम में जाकर हस्तमैथुन का सहारा लेना पड़ा.. !! तब जाकर, मेरे बदन को कुछ ठंडक महसूस हुई.. !!
इसके अलावा, घरेलू काम करते हुए झुके हुए भी उसके बहुत से फोटो शूट किए.. !! जिनमें, मैंने बड़ी सफाई से ऐसा एंगल सेलेक्ट किया की किसी भी फोटो में उसका चेहरा दिख ही नहीं रहा था और दिख रहा तो पहचान में नहीं आता था.. !!
इन फोटोस के बदले में, हमें लगभग बीस हज़ार रुपए मिले.. !! जिन्हें, तत्काल हमें अपने पिताजी के बेहतर ट्रीटमेंट के लिए भेजना पड़े.. !!
अगले दो दिनों, में उस साइट से मेल आया की यदि मैं इसी इंडियन लड़की की कुछ और ओपन मतलब “न्यूड फोटो” भेजू तो वह हमें इसके लिए, बहुत ज़्यादा अमाउंट भेज सकते हैं.. !!
इधर धीरे धीरे, मेरी बहन भी मेरे साथ अब कुछ ज़्यादा ही बिंदास रहने लगी थी।
अब वह कई बार, मेरे सामने ही अपने कपड़े बदल लेती।
कभी कभी, तो कहती की भैया क्या मुझे ऐसे हाल में (ब्रा और पेंटी में।) देख कर आपको कुछ महसूस नहीं होता… तो मैं कहता की मैं तुझमें अपनी कस्टमर महसूस करता हूँ.. !! लेकिन, फिर भी मैं भी इंसान हूँ और मेरी भी भावनाएँ हैं… जिनको की मुझे वश में करना पड़ता है…
यह सब सुन, वह मंद-मंद मुस्कुराने लगी।
अगले दिन, सनडे था और बहुत जोरों से बारिश होने लगी। तब उसकी एक सहेली का हॉस्टल से फोन आया की वह हॉस्टल में बोर हो रही है और उससे मिलने आने वाली है।
तब मेरी बहन ने एक प्लान बनाया और कहने लगी की भैया, तुम अपना कैमरा तैयार रखो… मेरी जो सहेली यहाँ आने वाली है, उसका फिगर भी मेरी तरह बड़ा ही लाजवाब है… मैं उसे कहूँगी की घर पर कोई नहीं है और मस्ती मस्ती में, उसके कपड़े खुलवा लूँगी… तुम छुपकर तैयार रहना और मेरे और उसके, कुछ “अश्लील फोटो” शूट कर लेना…
मैं अपनी बहन के “शैतानी दिमाग़” की दाद दे गया.. !!
जब, मेरी बहन की सहेली आई तो वह बारिश में बहुत भीग चुकी थी.. !! इसलिए आते ही, मेरी बहन ने उसे मेरी बनियान और लूँगी दे दी.. !!
जिन्हें पहनने में, पहले तो वह आनाकानी करने लगी… लेकिन, जब उसे पता चला की पूरे घर और पीछे बंगले में कोई नहीं है तो वह चेंज करने के लिए, तैयार हो गई और बाथरूम में जाने लगी…
तो मेरी बहन ने उसे छेड़ते हुए रोका और कहा की क्यों शरमाती है… अपनी जवानी का, थोड़ा सा नज़ारा हमें भी दिख ला दे… आप दोनों के पास, एक ही चीज़ तो है…
फिर, उसने हंसते हुए वहीं रूम में अपने कपड़े खोलकर मेरी संडो बनियान और लूँगी, पहन ली.. !! जोकि, आगे से खुली हुई थी.. !!
मेरी नटखट बहन ने उसकी ब्रा भी खुलवा दी थी। जिस कारण, उसकी मोटी मोटी सफेद चुचियों बार बार दिख जाती थी।
बनियान में से, उसके चेस्ट ऐसे दिख रहे थे मानो, ठूस ठूस कर भरे हों।
उसके साथ ही, मेरी बहन ने भी एक छोटी सी कमर तक की सफेद इनर वेअर (समीज़) पहन रखी थी, जिसमें से उसकी काली ब्रा की स्ट्रेप बाहर आ रही थी और नीचे सफेद वाइट कॉटन की पैंटी थी, जिसमें से झुकने पर उसके मांसल कूल्हे बाहर आ रहे थे…
उसने मेरी बहन को कहा की क्या तू घर में ऐसे ही घूमती है… ?? तेरे साथ तो तेरा वह सेक्सी और हैंडसम भाई भी तो रहता है, जिस पर अपनी सभी सहेलियाँ मरती हैं… तो, मेरी बहन बोली की मेरा भाई बहुत ओपन है और उसे लड़कियों का खुलापन बहुत पसंद है… वह तो कहता है की जैसे चाहे, वैसे रहो… यह लूंगी और बनियान उसी की है और मैं पूरी रात, यही पहन कर सोती हूँ…

वह बड़ी खुश हुई और बोली की वाह यार, तेरे तो ऐश हैं… इतनी आज़ादी तो हमें हॉस्टल में भी नहीं है… तू किस्मत वाली है, जो तुझे ऐसा सेक्सी भाई मिला…
इधर, यह सोच कर की वह अकेली है, बड़े ही बेफ़िक्र अंदाज़ में बैठी थी।
और मैं चुप कर अपने इंपोर्टेड कैमरे से, उसकी और मेरी बहन की बड़ी ही बेहतरीन फोटो शूट कर रहा था।
वह दोनों बड़ी बेशर्मी से एक दूसरे के अंगों और उभारों पर हाथ रख, मस्ती करती जा रही थीं और बड़े ही बेशरम अंदाज़ में, भद्दे जोक्स और अश्लील बातें कर रही थीं।
मेरी बहन भी ऐसा नाटक कर रही थी, मानो मैं वहां हूँ ही नहीं।
या वो सच में भूल गई थी.. !!
या वो सच में भूल गई थी.. !! क्यूंकी, उसने एक बार भी मेरी तरफ नहीं देखा और ना ही किसी अश्लील हरकत से कोई पेरहेज़ ही की.. !!
नाश्ते पानी के दौर के बीच, मेरी बहन ने बड़ी सफाई से एक नाश्ते की प्लेट मेरी तरफ सरका दी.. !! जिसका, उसकी फ्रेंड को पता ही नहीं चला.. !!
मेरे इशारा करने पर उसने रूम की सभी लाइट्स चालू कर दी.. !! क्योंकि, बाहर तेज़ बारिश और बादलों के कारण रूम में शूटिंग के लिए लाइट कम पड़ रही थी.. !!
तभी, मेरी बहन की सहेली बोली की चल बाहर बारिश में भिगते हैं… और मेरी बहन और उसकी सहेली, तुरंत बारिश में दौड़ पड़ीं।
पानी में भीगते ही, उन दोनों को मस्ती ऐसी चड़ी की एक दूसरे के कपड़े उतारने लगीं।
मेरी बहन ने उसकी लूँगी उतार फेंकी और वह पैंटी और बनियान में, अपना पूरा मादक जिस्म दिखाती, मस्ती करती रही।
मेरी बहन की भी इनरवेअर भीगने से, उसकी काली ब्रा ग़ज़ब ढा रही थी।
दोनों लड़कियों को इस तरह अधनंगी हालत में देख, मैं ऊपर रूम की खिड़की मे एक हाथ से फोटो शूट कर रहा था और दूसरे से अपने मस्त लण्ड को मसल रहा था।
लगभग आधे घंटे बाद, वे दोनों वापस रूम में आई तो मेरी बहन की सहेली कपड़े खोलकर, पूरी नंगी हो गई.. !! .. !!
मैंने जीवन में पहली बार, किसी लड़की को इस तरह पूरी नंगी देखा तो मेरे होश उड़ गये… …
इसके बाद, तो वे दोनों आपस में ही गुत्थम गुत्था होकर, एक दूसरे के अंगो को चूसती और सहलाती रहीं।
मेरी बहन मेरे सामने, उसकी फूली हुई चूत को अपने होंठों से चाट चाट कर उसका रस पी गई.. !! लेकिन, हाँ उसने खुद ने अपनी पैंटी और ब्रा नहीं खोली.. !!
जब, उसकी सहेली थक कर नंगी ही सो गई तो मेरी बहन ने मुझे पास बुलाकर उसकी चूत को फैला फैला कर के, उसके नंगे फोटो शूट करवाए।
जब शाम, वह अपने हॉस्टल चली गई तो मेरी बहन आँख मारते हुए बोली – भैया, कहो, कैसी रही… ??
तो मैंने कहा की लाजवाब… मैं सपने में भी तेरे बारे में, ऐसी कल्पना नहीं कर सकता था…
वह हंसते हुए बोली की क्या भैया, आप भी… चलो, आज पार्टी हो जाए…
और हम दोनों बाइक पर बैठ कर होटल में खाना खाने गये।
मैंने गौर किया की वहाँ मेरी बहन मुझसे एस तरह व्यवहार कर रही थी, मानो मैं उसका भाई ना होकर, उसका कोई बॉयफ्रेंड हूँ…
मिनी स्कर्ट और स्पोर्ट्स बनियान पहन कर, वह मुझसे ऐसी चिपक कर बैठी थी की उसके पपीते के समान उरेज की रगड़ से, मैं बहुत ज़्यादा उत्तेजित हो गया।
सभी जगह, लोग सिर्फ़ हम दोनों को ही देख रहे थे।
वापिस लोटे तो रास्ते में फिर तेज़ बारिश होने लगी।
घर आते आते, हम दोनों पूरी तरह भीग चुके थे।
घर में आते ही, मैं कपड़े चेंज करने के लिए हमेशा की तरह रूम में जाने लगा तो मेरी बहन बोली – अरे भैया, अब आप भी थोड़ा बोल्ड बानिए… और उसने मेरे सामने ही, अपने कपड़े खोल दिए और केवल पैंटी पहनी, तुरंत बिस्तर में घुस गई।
सिर्फ़ एक पल को ही उसके नंगे वक्ष देख, मेरे होश फकता हो गये।
फिर मैंने भी अपने कपड़े उतारे और वी शेप अंडरवेअर में, उसी पलंग पर लेट गया।
हम आज दिन भर के बीते घटना क्रम पर चर्चा कर रहे थे.. !! तभी, मेरी बहन ने मेरा हाथ अपने हाथों में लेकर सहलाना शुरू कर दिया और फिर धीरे से मेरा हाथ अपने दोनों स्तनों के बीच रख कर, सामान्य रूप से बातें करने लगी.. !!
उसके बड़े बड़े वक्ष की नरमी और गर्माहट को महसूस कर, मैंने धीरे से हिम्मत कर अपनी हथेली को उसके स्तनों पर फेर दिया तो उसके मुंह से एक हल्की सी सिसकारी निकल पड़ी – उनमह…
मैंने उसके निपल्स में कठोरता महसूस की और अपने एक हाथ को उसके मांसल बदन के सभी उभारों पर फिरना चालू कर दिया।
अभी दो पल भी ना हुए होंगे की तभी उसने मेरा दूसरा हाथ पकड़ कर, अपनी पैंटी में घुसा दिया जहाँ गीलापन तथा गर्माहट इतनी अधिक थी की मैं सकपका गया और उसने मेरे होंठों को अपने होठों से मुंह में भर कर लगभग चबा लिया.. !!
इसके बाद तो हम दोनों, कब एक दूसरे में समा गये पता ही नहीं चला।
अब हम दोनों का रिश्ता और मजबूत होता चला गया।
मेरी बहन अब ना सिर्फ़ मेरी मॉडल थी.. !! बल्कि, उसने अपनी कई सहेलियों को जो की खुद भी अपना खर्चा चलाने के लिए पैसा कामना चाहती थीं, उन सभी को हमारे इस प्लान में शामिल करवाया.. !!
उसकी सहेलियो को एक तो, हम पर विश्वास था.. !! दूसरा, यह कोई जिस्म फ़रोशी का धंधा तो था नहीं.. !!
इन लड़कियों को केवल सामान्य काम जैसे नहाना, कपड़े बदलना वगेरह की फोटो शूट हम करते और उनकी खुद की पर्मिशन पर उसे साइट पर भेजते। मिलने वाले पैसे का, आधा आधा हम बांटते।
इसमें उन लड़कियों की कोई पहचान भी नहीं रहती थी।
लेकिन, एस सब में मैं काफ़ी फायदे में था.. !! क्योंकि, मेरी बहन की कई सहेलियों ने मेरे सामने पूरी तरह न्यूड फोटोशूट करवाने के अलावा मुझसे अपने शारीरिक संबंध भी रखे, जिनका पता मेरी बहन को भी था.. !!
कई बार तो वह, हमारे साथ शामिल भी हो जाती थी।
यह मेरी सच्ची कहानी है और मुझे पूरी आशा है की आप सभी को, पसंद आई होगी।

[/color]
Reply
06-10-2021, 11:59 AM,
#99
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
पति का दोस्त

ये बात उन दिनों की है, जब मेरी शादी हुई थी..
उस वक़्त मेरी उम्र, लगभग 20 और मेरे पति की उम्र 25 थी..
मेरे पति निर्मल ने, हमारे हनिमून जाने का प्लान स्थगित कर दिया था क्यों के शादी के खर्चे काफ़ी होने की वजह से संभव नहीं था..
हम मिडिल क्लास परिवार से हैं सो ये सब होता रहता है..
उनके, एक दोस्त हैं – विनय..
एक दिन, वो घर पर आए..

उन्हें, जब ये बात पता चला के हनिमून स्थगित कर दिया है तो उन्होंने मेरे पति को प्यार से फटकारा और कहा – ऐसा मत करो, यार.. !! यही टाइम है, मस्ती करने का.. !!
विनय – निर्मल क्या कर रहे हो, यार.. !! अगर पैसों की चकलस है तो मुझसे कहो, मैं कुछ मदद करता हूँ.. !!
निर्मल – हाँ यार.. !! इतना खर्चा हो गया है के अब और खर्चा नहीं करना चाहता.. !! वैसे भी मैं और लोन नहीं ले सकता क्यों के ऑलरेडी काफ़ी लोगों का क़र्ज़ हो गया है.. !! तू तो जानता है, सब मुझे ही करना है क्यूंकी कहीं से कोई सहारा नहीं है.. !!
विनय – ठीक है भाई, मैं समझ गया लेकिन मैं तुझसे तुरंत थोड़े ही मागुंगा.. !! फिर कभी जब भी होंगे, तब लौटा देना.. !!
निर्मल – नहीं यार.. !! पर हाँ धन्यवाद, पूछने के लिए.. !!
मैं किचन में चाय बनाते बनाते, उनकी बातें सुन रही थी..
जी तो कर रहा था के बाहर आकर कह दूँ के ले लो ना पैसे, बाद में हम लौटा देंगे.. !! पर, मैंने ऐसा नहीं किया..
थोड़ी देर में, मैं चाय लेकर बाहर आई..
उस दिन मैंने, नीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी..
(यहाँ पर मैं अपने जिस्म का विवरण दे देती हूँ.. दूध सा गोरा रंग, 32-28-34 का मेरा फिगर है.. गोल और सुडोल दूध और गाण्ड और भूरे रंग के छोटे से निप्पल हैं.. मुझे यकीन है पढ़ कर, आपके मुँह में पानी ज़रूर आ गया होगा..)
चाय लेकर, मैं हॉल में आई..
विनय और मेरे पति को चाय दी और मैं भी सोफे पर, पति के साथ बैठ गई..
विनय, बहुत ही डीसेंट आदमी है..
उम्र होगी, लगभग 24 – 25 के आस पास..
उसकी शादी को 2 साल हो गये थे पर उसका कोई बच्चा नहीं था, अब तक..
विनय – देखिए ना भाभीजी.. !! आप ही कुछ कहिए, निर्मल को.. !! ऐसा थोड़े ही होता है.. !! अपने आपको मेरा अच्छा दोस्त कहता है और खुशी के मौके पर, मुझसे मदद नहीं लेता.. !!
मैं – माफ़ कीजिएगा, विनयजी.. !! मैं निर्मल के हर फ़ैसले की इज़्ज़त करती हूँ और उनके खिलाफ, कुछ बोल नहीं सकती.. !!
निर्मल – ऐसी बात नहीं है, विनय.. !! तू ही बता, पैसे लेकर करूँ भी क्या.. !! मेरे पास कोई प्लान भी तो नहीं है.. !!
विनय – अरे भाई, ये भी कोई बात हुई.. !! वैसे मेरी पत्नी रश्मि भी काफ़ी दिनों से घूमने जाने की बात कर रही है तो क्यों ने हम दोनों जोड़े ही साथ मे जाएँ, घूमने के लिए.. !! तुम्हारा पहला हनिमून होगा और मेरा दूसरा.. !!
निर्मल और विनय, हँसने लगे और मैंने भी स्माइल दे दी..
निर्मल – अगर ऐसा है, तो ठीक है.. !!
विनय – ये हुई ना बात.. !! तो ठीक है, निर्मल.. !! और हाँ भाभी जी, आपको शादी की बहुत बहुत मुबारकबाद..
मैं – भैया, मुझे भाभी मत कहिए.. !! मैं आपसे छोटी हूँ इसलिए बस आपके लिए मैं हूँ – प्रिया शुक्ला.. !!
विनय – तो ठीक है, मिसेस प्रिया शुक्ला.. !! निर्मल, आज मैं रश्मि से बात करता हूँ और हम चारों की जाने की बुकिंग कर देता हूँ.. !!

तभी, निर्मल का मोबाइल रिंग हुआ..
दफ़्तर से फोन था और घर में सिग्नल नहीं आ रहा था तो वो गैलरी में जाकर, बात करने लगे..
अब पहली बार, विनय और मैं आमने सामने बैठे थे..
मैंने विनय की तरफ देखा और विनय ने मेरी तरफ..
विनय को अब मौका मिल चुका था मेरे जिस्म को निहारने का, जो के निर्मल के रहते संभव नहीं था..
मैंने अपने होंठ हिलाकर बहुत धीरे से, विनय को धन्यवाद कहा..
उसने स्माइल दी और कोई बात नहीं कहा..
मैं उठकर उनके पास गई और चाय का कप लेने के लिए झुक गई..
मैंने देखा उसकी सीधे नज़र, मेरे बूब्स पर थी..
दोनों मम्मो के बीच की दरार, उसने साफ देख ली..
बिना किसी भाव के, मैं मुड़कर किचन की तरफ जाने लगी..
मुझे पूरा यकीन है जब मैं किचन में गई, उसने पीछे से मेरी गाण्ड ज़रूर देखी थी..
फिर निर्मल से मिलकर, वो भी घर चला गया..
शाम को उसका कॉल आया के जोधपुर जाने का डिसाइड किया है, रश्मि ने..
हमने भी जोधपुर के लिए, हाँ कर दी..
मेरे पास कुछ पैसे थे सो मैंने, अपने पति से कह दिया के खरीददारी के लिए और छोटी मोटी चीज़ो के लिए हम तैयार हैं..
उस दिन रात को 10 बजे, निर्मल मेरे ऊपर आ गये और 2-5 मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद, वो ठंडे हो गये..
सब कुछ होने के बाद वो सो गये, करवट बदल कर पर मैं जाग रही थी..

विनय की कामुक नज़रें और मेरी गीली रांड़ चूत मुझे सोने नहीं दे रही थी..
वैसे भी मैं, कोई शरीफ पति व्रता पत्नी तो थी नहीं शादी के पहले ना जाने मैंने कितने लण्ड खाए थे और तो और कई बार पैसे और छोटे मोटे खर्चो के लिए रंडीबाजी भी की थी..
सच बात तो ये है की शादी का आधे से ज़्यादा खर्चा, मेरी चुदाई के पैसों से ही हुआ था..
खैर, अगले दिन विनय की पत्नी रश्मि हमारे घर आई..
मैंने उसको चाय नाश्ता करवाया..
निर्मल भी, घर पर ही थे..
ऑफीस से, 15 दिन की छुट्टी पर जो थे..
रश्मि ने कहा – प्रिया, ट्रेन का रिज़र्वेशन हो गया है.. !! वैसे अभी, टिकेट्स वेटिंग लिस्ट में हैं.. !! और हाँ इंटरनेट से होटल भी बुक कर दिया था, विनय ने.. !!.
Reply
06-10-2021, 11:59 AM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
हमारा टूर, पूरे 8 दिन का था..
जोधपुर, पुष्कर और आगरा जाकर, हम लोग वापस देहरादून आने वाले थे..
रश्मि दिखने में, मीडियम बिल्ड की थी..
सांवला रंग था पर हाँ, दूध मुझसे काफ़ी बड़े थे शायद 36 के होगें..
जिस दिन हमें जाना था, हम लोग बैग पैक करके देहरादून स्टेशन पहुँच गये..
शाम की ट्रेन थी..
हमारे टिकेट्स वैट लिस्ट से अब कन्फर्म हो गये थे..
मेरी सीट 3 नंबर कोच में कन्फर्म थी, जब के बाकी तीनों की सीट्स 10 नंबर बोगी में थीं..
रश्मि 3 नंबर की बोगी में जाने को तैयार हो गई पर मैंने ज़िद की के आप लोग साथ रहें और मैं 3 नंबर की बोगी में चली जाउंगी.. पर मेरे पति ज़ोर देकर, खुद ही 3 नंबर बोगी में चले गये और फिर 10 नंबर बोगी में विनय, रश्मि और मैं थे..
हमने कुछ देर बातें करके, फिर डिनर कर लिया..
मैंने उस वक़्त, काले रंग की साड़ी और काला ब्लाउज पहना था..
बातें करते वक़्त, विनय मेरे जिस्म को चुपके से घूर भी रहे थे..
मैंने कई बार नोटीस किया पर इग्नोर कर दिया..
मुझे उसकी नज़रें, अपने जिस्म पर बहुत अच्छी लग रहीं थीं और भागती ट्रेन में मेरी चूत गीली हो चुकी थी..
रात के 10 बजे होंगे..
बोगी के सब लोग सोने की तैयारी करने लगे और हमने भी अपनी बर्थ को खोल दिया..
रश्मि, मिडिल बर्थ पर सो गई..

मैं ऊपर बर्थ पर चढ़ने की कोशिश करने लगी, तब ऊपर चढ़ने मे विनय ने मेरी मदद की..
मदद क्या की बस मौका मार लिया, मुझे छूने का..
अब अप्पर बर्थ पर मैं थी और ठीक सामने वाली अप्पर बर्थ पर, विनय भी आ गये..
मैं लेटी हुई थी और वो भी..
वो मुझे देखकर, स्माइल दे रहे थे और मैं भी..
मेरी स्माइल से उसकी हिम्मत बढ़ गई थी सो उसने अब मुझे आँख मारना शुरू किया..
उसने 3 बार, मुझे आँख मारी..
छीनाल तो मैं भी खानदानी थी, सो मैंने भी स्माइल करके उसको एक आँख मार दी..
फिर तो उसकी हिम्मत और बढ़ गई और वो मुझे फ्लाइयिंग किस भेजने लगा..
मैंने शरमाने का नाटक किया और आँखें नीचे कर लीं..
जब भी मैं उसे देखती, वो मुझे आँख मारता या किस भेजता..
काफ़ी देर तक, ऐसे ही चलता रहा..
फिर उसने मुझे अपने साड़ी का पल्लू हटाने के लिए, इशारे से कहा..
पर मैंने, मना कर दिया और सो गई..
वो काफ़ी देर मेरा इंतेज़ार कर रहा था पर मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दिखाई..

रांड़ का मतलब ये तो नहीं है ना की पहली बार में ही चलती ट्रेन में, इतने लोगों के सामने अपना पल्लू गिरा दूँ..
अब हज़ारों के दूध, फ्री में थोड़ी ना इतने लोगों को दिखा देती..
अगले दिन सुबह सुबह, हम लोग जोधपुर पहुँच गये..
होटल पहले से बुक थे, सो हम होटल गये और फ्रेश हो गये..
रूम में जाते ही, मेरे पति ने मुझे पकड़ लिया और किस करने लगे..
मुझे गुस्सा तो बहुत आया पर मैंने संयम रखते हुए कहा – थोडा तो इंतेज़ार कीजिए.. !!
फिर मैं नहाने के लिए, बाथरूम में गई..
वो भी कुत्ते की तरह, पीछे पीछे आ गये..
मज़बूरी में हम दोनों ने साथ में स्नान किया और एक चुदाई का दौर भी चला..
दिन भर आराम करके, शाम के वक़्त जोधपुर घूमने के लिए हम सब बाहर गये और खूब मस्ती की और डिनर भी बाहर ही लिया..
रश्मि ने प्लान बनाया के कल सुबह आमेर फ़ोर्ट जाएँगे और उसके अगले दिन, पुष्कर जाएँगे..
इस सब के दौरान, विनय की नज़र अक्सर मुझ पर ही रहती थी पर अफ़सोस निर्मल के होने की वजह से उसे कोई मौका ही नहीं मिला.
इस पूरे ट्रिप पर विनय ने ही खर्च किया था, ये बात रश्मि को नहीं मालूम थी..
निर्मल भी इसी वजह से हर बात में, हाँ में हाँ मिला रहे थे..
फिर अगले दिन, हम लोग आमेर फ़ोर्ट के लिए निकल गये.
आमेर फ़ोर्ट, जोधपुर से 11 किलो मीटर दूर है.
हम वहाँ की सिटी बस से गये..
11 नंबर की बस, हमने सिटी पैलेस से ली..
फ़ोर्ट काफ़ी बड़ा, खूबसूरत और रोनाकदार था..
हम लोग अपने अपने साथी का हाथ, हाथ में लेकर ऊपर चढ़ रहे थे..
विनय और निर्मल, बीच बीच में हँसी मज़ाक कर रहे थे और मैं और रश्मि काफ़ी हंस रहे थे..
रश्मि भी अब तक, निर्मल से काफ़ी घुल मिल गई थी..
वो दोनों बातें कर रहे थे और मैं और विनय एक दूसरे को मौका देख कर, ताड़ रहे थे..

उस दिन मैंने, गुलाबी रंग का टी शर्ट और काले रंग का लंबा स्कर्ट पहना हुआ था..
आधा फ़ोर्ट चढ़ने के बाद, बीच में आमेर फ़ोर्ट में काफ़ी अच्छी दुकानें थीं और नज़ारा भी काफ़ी अच्छा था इसलिए रश्मि ने कहा के और ऊपर नहीं जाना है यहीं रुक जाते हैं..
रश्मि – हेलो!! अब यहीं रुक जाते हैं.. !! काफ़ी थक गई हूँ, मैं.. !!
निर्मल – हाँ यार, मैं भी काफ़ी थक गया हूँ.. !!
मैं – नहीं ना, चलते हैं ना.. !! सबसे ऊपर जाएँगे.. !!
विनय – हाँ, मुझे भी अच्छा लग रहा है.. !! चलो, चलते हैं.. !!
रश्मि – तो फिर एक काम करो, प्रिया और तुम चले जाओ.. !! निर्मल और मैं, यहीं रुकते हैं.. !! थोड़ी देर आराम करने के बाद, हम भी आ जाएँगें.. !!
निर्मल – हाँ, तुम दोनों चले जाओ.. !!
विनय – ठीक है.. !! प्रिया, चलो चलते हैं.. !! मज़ा आएगा.. !!
मैं – ठीक है तो रश्मि, हम जाते हैं.. !! पर आप लोग, जल्दी आ जाना.. !!
रश्मि और निर्मल, वहीं पर नज़ारा देखते बैठ गये..
विनय और मैं, ऊपर की तरफ जाने लगे..
विनय का चेहरा तो ऐसे खिल गया था, मानो उसे जन्नत मिल गई हो..
हो भी क्यों ना, क्यों के वो इसी बात का इंतेज़ार कर रहा था..
असल में, इसलिए तो उसने इतने पैसे खर्च किए थे..
मेरा “छरहरा बदन” ताड़ने के लिए..
थोड़ी दूर ऊपर जाने के बाद, हमने नीचे देखा तो रश्मि और निर्मल वहीं पर बैठे बातें करते नज़र आ रहे थे..
हम भी निश्चिंत हो गये, और ऊपर जाने लगे..

विनय – प्रिया, मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूँ.. !!
मैं – हाँ विनयजी.. !! बोलिए ना.. !!
विनय – तुम्हें बुरा तो नहीं लगेगा ना.. !!
मैं समझ चुकी थी के वो क्या कहना चाहता है पर मैंने उसे सताने का फ़ैसला कर लिया..
मैं – अगर बात बुरी है तो बुरा लगेगा और उसकी सज़ा भी मिलेगी.. !! ही ही ही.. !!
विनय – तो ठीक है, रहने दो.. !! मैं नहीं बताता.. !!
मैं – चलो भी, बताओ भी.. !! चलो अब, बुरा नहीं मानूँगी.. !! कहो ना.. !!
विनय – तुम बहुत ज़्यादा खूबसूरत हो.. !!
मैंने स्माइल दे दी और धन्यवाद कहा..
मैं – सच में.. !! बहुत बहुत, धन्यवाद.. !! पर बस, इतना ही.. !!
विनय – वैसे कहने को तो बहुत कुछ है, पर.. !!
मैं – पर, क्या.. !!
विनय – कुछ नहीं.. !!
इतने में सीडियों से मेरा पैर फिसलने लगा.. उतने में उसने, मुझे गिरने से बचा लिया..

मैंने उसे फिर से धन्यवाद कहा..
मैं – शुक्रिया, विनय.. !!
विनय – शुक्रिया नहीं, भाभी जी.. !! कुछ इनाम चाहिए.. !!
मैं – ठीक है.. !! अच्छा बोलो, क्या चाहिए.. !!
विनय – तुम नहीं दे सकती.. !!
मैं – अब कहो भी, क्या चाहिए.. !!
विनय – क्या मैं तुम्हें, छू सकता हूँ.. !!
मैं 2 मिनट के लिए, खामोश हो गई..
मैंने जवाब ही नहीं दिया..
वो भी थोडा चिंतित हो गया की कहीं उसने ज़्यादा जल्दी तो नहीं कर दी..

अब उसे क्या पता था की मुझ जैसे रांड़ तो तभी स्कर्ट उठा कर और पैंटी सरका कर, इतने लोगों के बीच ही उसके लण्ड पर कूद सकती थी..
पर आप लोग तो जानते ही हैं की शरीफ हो या रांड़, इतनी आसानी से अपनी नहीं देती..
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,479,322 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 542,046 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,223,410 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 924,969 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,641,555 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,070,475 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,933,651 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 13,998,979 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,010,221 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 282,827 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 5 Guest(s)