मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-10-2021, 11:59 AM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
विनय – कोई बात नहीं, मिसेस प्रिया शुक्ला.. !! मैं तुम्हें फोर्स नहीं करना चाहता.. !! बस तुम खूबसूरत ही इतनी हो के मेरा दिल तुम्हें बार बार छूने को करता है.. !! चलो, अब छोड़ो ये सब.. !! भूल जाओ, सब कुछ.. !!
बात बिगड़ी देख, मैंने आजू बाजू में देखा..
कोई भी आस पास नहीं था..
हम लोग, काफ़ी ऊपर आ चुके थे..
अब तो वो दोनों भी नहीं दिख रहे थे..
मैंने मौका देख कर, अपने हाथ में उनका हाथ ले लिया और कहा – अब हाथ तो पकड़ ही सकते हो.. !! कहीं मैं, फिर से गिर ना जाऊं..
वो काफ़ी खुश हो गया..
अब हम हाथ में हाथ लिए, पति पत्नी की तरह ऊपर जा रहे थे..
कुछ अच्छे सीन दिख रहे तो हम प्रकृति की तारीफ़ भी कर रहे थे..
वैसे सबको यहीं कहना चाहूँगी के इंडिया में वाकई में आमेर का फ़ोर्ट, सबसे प्यारा और अच्छा फ़ोर्ट है..
(यक़ीनन, खजुराहो के बाद..)
उनकी ठंडी ठंडी उंगलियाँ और मेरी गरम गरम उंगलियाँ, एक दूसरे से चिपक गई थीं..
मेरी धड़कन भी काफ़ी बढ़ गई थी..
काफ़ी दिनों से अपने पति का “सूखा और उजाड़ लण्ड” लेते लेते, मैं भी बोर हो गई थी..
धीरे धीरे, मैं सामान्य हो गई..
वैसे, विनय बहुत ही डीसेंट आदमी है..
वो काफ़ी प्यार से बात कर रहे थे..
मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था..
बात करते करते, हम लोग अब सबसे ऊपर पहुँच गये थे..
वहाँ का नज़ारा, वाकई में काफ़ी खूबसूरत था..

काफ़ी लोग थे पर सब अंजान थे, सिवाए विनय के..
हमने वहाँ रुक कर स्लाइस पिया और कुछ देर बैठने के बाद.. ..
विनय – प्रिया वो देखो, वहाँ पर जो कमान है वहाँ चलते हैं.. !! वहाँ से नज़ारा और अच्छा दिखेगा.. !!
वहाँ पर सब तरफ सीडियां थीं और दूर पर एक कमान थी पर वहाँ कोई नहीं था..
मैं – सच में.. !! मस्त आइडिया है पर वहाँ तो कोई नज़र नहीं आ रहा.. !! वैसे भी रश्मि और निर्मल भी ऊपर आ रहे होंगे.. !! हमें यहीं रुकना चाहिए.. !!
विनय – अरे, अब चलो भी.. !! उन्हें भी वहीं बुला लेंगे.. !!
मैं – ठीक है.. !! फिर, चलो जल्दी.. !!
हम वहाँ के लिए, निकल गये..
रास्ते में विनय ने अपना हाथ अब मेरे हाथ की जगह, मेरे कंधे पर रख दिया..
मैंने भी कुछ नहीं कहा..
फिर थोड़ी देर बाद, उसने मेरे कमर पर अपना हाथ रख दिया..
अब भी मैंने, कुछ नहीं कहा..
कुछ ही देर में, हम वहाँ पहुँच गये..
कमान के ऊपर से नज़ारा, काफ़ी अच्छा लग रहा था..
वो ऐसी जगह थी, जहाँ से हम सबको देख सकते थे पर कोई भी हमें देख नहीं सकता था..
मैं इतने उँचाई से बाहर का नज़ारा देखने में बिज़ी थी..
इतने में विनय कमर से धीरे धीरे अपना हाथ, अब मेरी गाण्ड पर ले गया..
उसका हाथ, मुझे अपनी नरम गाण्ड पर महसूस होने लगा..
मुझे बहुत अच्छा लग रहा था..
चूत में मीठी सी चुभन चालू हो चुकी थी और चूत के होंठ खुलने चालू हो गये थे..
मैंने उसकी तरफ देखा..
मैंने भी बड़ी बेशर्मी से उसे मादक स्माइल दी और उसने भी..
लगभग, 1-2 मिनट वैसे ही अपना हाथ मेरी गाण्ड पर रखने के बाद उसने मेरी स्माइल मिलते ही, अब मेरी गाण्ड सहलाना शुरू कर दिया..
वो स्कर्ट के ऊपर से ही, मेरी गाण्ड को सहला रहा था..
उसे मेरी पैंटी भी महसूस हो रही थी..
इधर, हम अभी भी बड़ी सामान्य बातें कर रहे थे..
जैसे की कितना अच्छा व्यू है.. !! कितनी खूबसूरत जगह है.. !!
दोनों ऐसे व्यवहार कर रहे थे, जैसे कुछ अनोखा या अलग हो ही ना रहा हो..
कुछ देर मेरी गाण्ड सहलाने के बाद, वो मेरे पीछे आ गया और मुझे पीछे से पकड़ लिया..
उनका लण्ड, अब ठीक मेरी गाण्ड पर मुझे महसूस हो रहा था और वो मेरी गर्दन पर मुझे किस करने लगा..
मैं – प्लीज़ विनयजी.. !! मुझे छोड़ दीजिए.. !! कोई देख लेगा.. !!
विनय – डरो मत, प्रिया.. !! कोई नहीं है.. !!
फिर हम लोग, एक साइड में दीवार के पीछे गये और मैंने कहा – विनय, यहाँ करते हैं.. !! वहाँ कोई भी देख लेता, यार.. !!
विनय काफ़ी खुश हो गया और बोला – मुझे ऐसी औरतें बहुत पसंद है जो ज़्यादा नखरे ना करें.. !! पर आप तो ऐसे मान गईं, जैसे कोई रांड़ अपने ग्राहक के इंतेज़ार में बैठी हो.. !!
मुझे महसूस हुआ की मैंने बहुत जल्दी कर दी पर नखरे नौटंकी का वक़्त भी तो नहीं था..
निर्मल और रश्मि, कभी भी आ सकते थे..
खैर, अब विनय ने भी मेरी असलियत को समझ लिया और उसने अपने होंठ मेरे होंठ पर लगा दिए और बड़ी बेदर्दी से किस करने लगा..
अबकी बार वो सामने था इसलिए उसका लण्ड, मेरी चूत पर टकरा रहा था और उसके हाथ, मेरी गाण्ड को सहला रहे थे..
मैं उसके बालों को पकड़ कर, उसे किस कर रही थी..
किस करने के बाद, उसने मेरी टी शर्ट के अंदर हाथ डालकर मेरे मम्मों को सहलाना शुरू किया..
उसके एक हाथ में, मेरा एक संतरा आ गया..
अब मैं भी उसका साथ अच्छे से देने लगी और अपने हाथ उसके हाथ पर रख कर, अपने बूब्स उससे ज़ोर ज़ोर से दबवाने लगी..
धीरे धीरे उसका एक हाथ, अब मेरा स्कर्ट उठाने लगा लेकिन मैंने तुरंत उसे रोक दिया..

मैं – नहीं.. !! प्लीज़ नहीं.. !! ये सही जगह नहीं है.. !!
विनय – प्लीज़ प्रिया.. !! अब और इंतेज़ार नहीं होता.. !! कितने नरम दूध और गाण्ड है, तुम्हारे.. !! जी तो चाह रहा है, अभी तुम्हारे कपड़े फाड़ दूँ और तुम्हें पटक पटक कर चोद डालूं.. !! माँ चुदाए, निर्मल और रश्मि.. !!
मैं – अगर ऐसा है तो हट जाओ.. !! मुझे नहीं करना, तुम्हारे साथ अब कुछ.. !!
विनय, थोडा होश में आ गया..
विनय – ठीक है.. !! माफ़ करना, मैं बहुत ज़्यादा उतेज्ज़ित हो गया था.. !! पर फिर, कब करेंगे हम.. !!
मैं – ये टूर ख़तम होने के बाद.. !! देहरादून में.. !!
विनय – ठीक है.. !!
फिर कुछ देर तक हम हाथ में हाथ लिए, वहाँ पर बैठ गये..
बातें करते करते, वो मुझे सहला भी रहा था..
कुछ देर बाद, वो बोला..
विनय – मिसेस शुक्ला.. !! प्लीज़ कुछ प्लान बनाओ, यार.. !! इसी टूर पे मुझे तुम्हें चोदना है.. !!
मैं – मैं भी तुमसे चुदने के लिए बेताब हूँ पर बात को समझो.. !! मैं नहीं चाहती की कोई प्राब्लम हो.. !!
मैं तो शुरू से ही, विनय पर मेहरबान हो गई थी..
रांड़ तो मैं थी ही, अब तक समझ चुकी थी की विनय का बैंक बैलेंस काफ़ी अच्छा था..
उसके पिता एक होटेल के मलिक थे और मैं ताड़ चुकी थी के उससे मुझे काफ़ी फायदा होगा..
वैसे भी वो काफ़ी स्मार्ट था..
मैंने काफ़ी देर तक उसको सहलाने दिया.. फिर, हम लोग उठ गये और वापस सेंटर फ़ोर्ट पर आ गये..

अभी तक रश्मि और निर्मल, ऊपर नहीं आए थे..
फिर हम नीचे गये, उन्हें देखने पर वो वहाँ पर भी नहीं थे..
विनय और मैं, फिर उन दोनों को ढूंढने लगे..
उस वक़्त, निर्मल और रश्मि के मोबाइल्स भी नहीं लग रहे थे..
काफ़ी ढूंढने के बाद, विनय वापस वहीं पर आकर सोफे टाइप पठार पर बैठ गये..
फिर, मैं उन्हें ढूंढने के लिए दूसरे साइड में गई..
भूल भुलिया में एक जगह कॉर्नर पर, मुझे वो दोनों दिखाई दिए..
मैं दीवार के पीछे छुपकर, उन दोनों को देखने लगी..
निर्मल ने रश्मि की गाण्ड पर हाथ रखा हुआ था और रश्मि भी स्माइल दे देकर, उससे बात कर रही थी..
मुझे समझने में देर नहीं लगी के मामला क्या है..

मुझे बड़ा हल्का महसूस हुआ क्यूंकी मैं सोचती थी कि इतने शरीफ आदमी की शादी, मुझ जैसी “छमिया” से हो गई..
रश्मि की गाण्ड पे निर्मल के हाथ ने सच में, मेरे दिल का बोझ हल्का कर दिया था..
मैंने उन्हें डिस्टर्ब नहीं किया और वापस आकर, विनय के साथ बैठ गई..
थोड़ी देर में, वो दोनों आए..
विनय – कहाँ गये थे, आप लोग.. !! ?? हम ऊपर जाकर, वापस आ गये पर आप लोग ऊपर नहीं आए.. !! ??
रश्मि – मेरे पैरों में काफ़ी दर्द हो रहा है इसलिए मैंने ही निर्मल को कहा के ऊपर नहीं जाते हैं.. !! मुझे प्यास भी लगी थी इसलिए हम लोग स्प्राइट पीने, यहीं पर बाजू के स्टॉल पर गये थे.. !!
विनय – चलो, ठीक है.. !! अब काफ़ी देर हो गई है.. !! वापस चलते हैं क्यों के अभी एक और फ़ोर्ट पर भी जाना है.. !!
फिर हम दूसरे फ़ोर्ट से, सीधे होटल में आ गये..
मैं अपने पति निर्मल को काफ़ी अब्ज़र्व कर रही थी, उस दूसरे फ़ोर्ट पर..
वो और रश्मि, काफ़ी आँख मिचोली खेल रहे थे..
जैसा मैंने बताया की मैं भी खुश थी..
ऐसे भी, निर्मल अगर रश्मि में बिज़ी रहेगा तो मुझे विनय के साथ मौका मिल जाए..
अगले दिन, पुष्कर जाने का प्लान था..
पुष्कर, जोधपुर से लगभग 200-220 किलोमीटर पर होगा..
सुबह के 6 बजे, मैं उठ गई और निर्मल को उठाने लगी..
मैं – निर्मल, उठो अब.. !! मैं तो तैयार भी हो चुकी हूँ.. !! पुष्कर मंदिर के दर्शन के लिए जाना है.. !! उठो ना.. !!
निर्मल – मेरी तबीयत ठीक नहीं है.. !! पैर काफ़ी दर्द दे रहे हैं.. !! मैं नहीं जा पाउँगा.. !! प्लीज़, तुम उनके साथ चली जाना.. !!
मैं – नहीं, उठो जल्दी.. !! तुम्हें भी आना होगा.. !!
इतने में, डोर बेल बजी..
विनय आए थे..
वो अंदर आ गये..
मैं – देखो ना.. विनयजी.. !! ये उठ नहीं रहे.. !! काफ़ी देर हो चुकी है.. !! कहते हैं के पैरों में दर्द है.. !!
विनय ज़ोर से, हँसने लगे..
विनय – यही हाल, रश्मि का भी है.. !! उसकी भी तबीयत खराब हो गई है.. !! वो भी नहीं आना चाहती.. !!
विनय काफ़ी खुश लग रहा था, ये सब सुनकर क्यों के वो भी मेरे साथ अकेले वक़्त गुज़रना चाहता था..

मैं समझ चुकी थी के निर्मल और रश्मि ने कल ही मिलकर, ये प्लान बनाया होगा के तबीयत खराब होने का नाटक करके, इन दोनों को पुष्कर भेजेंगे और यहाँ होटल में दिन भर चुदाई करेंगे.. ..
मुझे शरारत सूझी और मैंने निर्मल की शराफ़त का एक बार और इम्तहान लेने का सोचा..
मैं – तो ठीक है.. !! आज का प्रोग्राम कैंसिल कर देते हैं.. !! हम सब कल, पुष्कर जाएँगे.. !! ठीक है, निर्मल.. !!
निर्मल के अंदर, एकदम होश आ गया..
उसका तो चेहरा ही लटक गया..
निर्मल – नहीं नहीं.. !! तुम हमारे वजह से, प्रोग्राम कैंसिल मत करो.. !! तुम दोनों पुष्कर, जाकर आओ.. !! वैसे भी मंदिर जाने का प्रोग्राम कैंसिल करोगे तो मुझे अच्छा नहीं लगेगा.. !!
इस बात पर, विनय काफ़ी खुश हुआ..
मैंने मन ही मन सोचा – चूतिए साले.. !! जितनी तेरी उम्र है, उससे ज़्यादा लंड में अपनी चूत में निचोड़ चुकी हूँ.. !!

खैर,
विनय – हाँ.. !! ये ठीक है.. !! मैं और प्रिया मंदिर जाकर आते हैं.. !! आप दोनों यहीं आराम करो.. !! वैसे भी हमारे टूर में पुष्कर के लिए, एक दिन ही है.. !! कल का तो रिज़र्वेशन है, आगरा के लिए.. !! अगर आज नहीं गये तो पुष्कर मिस हो जाएगा.. !!
मैं – फिर भी मैं एक बार, रश्मि को पूछ कर आती हूँ.. !!
मैं रश्मि के रूम में गई..
उसने भी यही कहा के आप दोनों हो आओ.. उसका आना नहीं होगा..
मैं भी मन ही मन में, हंस पड़ी..

यहाँ मैं रात भर सोच रही थी के विनय के साथ चुदाई करने का प्लान कैसे बन पाएगा और यहाँ तो रश्मि और निर्मल ने ही हमारा चुदाई का प्रोग्राम सेट कर दिया था..
जितना मैं निर्मल को सीधा और शरीफ सा बंदा समझ कर खुद को शादी के बाद से कोस रही थी, वो तो हरामी, विनय से भी आगे निकला..
कुत्ते के मूत, मेरे पति निर्मल को ज़रा भी आइडिया नहीं था के उसकी छमिया पत्नी पुष्कर में विनय से चुदने वाली है..
असल में तो विनय को भी अंदाज़ा नहीं था के यहाँ जोधपुर में उसकी पत्नी निर्मल से चुदवाने वाली है..
और तो और, रश्मि भी नहीं जानती थी के पुष्कर में उसके पति विनय मेरी चूत पर सवार होने वाले हैं..
मैं ही ऐसी एकलौती “रांड़ बुद्धि” थी, जो ये ताड़ चुकी थी के यहाँ हर कोई एक दूसरे के पार्ट्नर के साथ स्वैप कर रहा था..
बिचारे, रश्मि और निर्मल ये सोच रहे थे के वो विनय और मुझे बेवकूफ़ बना कर, दिनभर जोधपुर के इस आलीशान होटल में चुदाई करने वाले हैं..
जबकि हक़ीक़त ये थी के उनसे ज़्यादा मज़ा, अब विनय और मैं पुष्कर में करने वाले थे..
आख़िरकार, सेट हो गया के विनय और मैं पुष्कर मंदिर में दर्शन के लिए जाएँगे..
सुबह लगभग 8 बजे, हम दोनों बस से निकल गये.
मैंने नारंगी रंग की साड़ी और उसी रंग का ब्लाउज पहना था..
विनय, काफ़ी खुश था..
वो मेरा हाथ, हाथ में लेकर बस मे मेरे से चिपक कर ऐसे बैठा था जैसे के मैं उसकी पत्नी हूँ..
आस पास के लोग भी यहीं सोच रहे होंगे के हम पति पत्नी ही हैं..

असल बात तो यह थी की मैं भी विनय जैसे ही स्मार्ट, हैंडसम, अमीर और मेरे हमउम्र लड़के से प्रेम विवाह करना चाहती थी पर मेरी माँ ने निर्मल जैसे चूतिए, मिडिल क्लास और बेकार से बोरिंग आदमी से मेरी शादी करा दी थी..
निर्मल मुझे तो फूटी आँख नहीं सुहाता था पता नहीं रश्मि को उसमें ऐसा क्या दिखा..
वैसे तो रश्मि का मुझे बहुत बहुत धन्यवाद करना चाहिए क्यूंकी उसने मेरे मन से “पछाताप की भावना” को ख़तम कर दिया था, जो मेरे मन में निर्मल को शरीफ और सीधा समझ कर आती थी..
रास्ते में मैंने मेरे पति, निर्मल को कॉल किया..
मैं – हेलो!! मैं प्रिया बोल रही हूँ.. !! हम लोग, अब 5-10 मिनट में पुष्कर पहुँचने ही वाले हैं.. !!
निर्मल – हाँ ठीक है!! आते आते, हम दोनों के लिए प्रसाद भी ले आना.. !!
मैं – ठीक है, बाइ.. !! अब मैं फोन रखती हूँ.. !! बाद में, बात करते हैं.. !!
ये कहकर, मैं चुप हो गई पर फोन डिसकनेक्ट नहीं किया..
निर्मल ने भी फोन डिसकनेक्ट नहीं किया.. शायद, ये सोचकर के मैंने कर दिया है..
फोन चालू था..
मैं उस कमरे में जो कुछ बातें हो रही है सॉफ तो नहीं पर कुछ कुछ सुन पा रही थी..
फोन पर –
निर्मल – उफ़ रश्मि.. !! तुम कितना अच्छा लण्ड चूसती हो.. !! उन्ह आअहह.. !! कितना मज़ा आ रहा है.. !! माँ की लौड़ी, प्रिया तो हाथ में लेने से भी शरमाती है.. !! कितना मज़ा आ रहा है.. !! नाटक तो ऐसा करती है, जैसे कभी लंड देखा भी ना हो और चूत इतनी बड़ी हो रखी थी पहली ही रात को की मेरा लंड क्या, मैं पूरा का पूरा घुस जाता उसकी चूत में.. !! साली, कुतिया ने ढोंग करने में तो डिग्री ले रखी है.. !!
रश्मि – उउम्म्म्ममम.. !! तुमने जो पागल कुत्ते की तरह मुझे चोदा है, ऐसी चुदाई तो वो विनय करता ही नहीं.. !! उसे तो अपने बिज़नेस से ही फ़ुर्सत नहीं है.. !! बस हमेंशा पैसा कमाने में लगा रहता है.. !! ना जाने क्या करेगा, इतने पैसे का.. !! अब तो निर्मल मैं तुम्हारी रंडी बनकर रहूंगी.. !! तुम्हें मैं पैसे दूँगी और तुम मुझे इसी तरफ चुदाई का मज़ा देना.. !! जितने पैसे कहोगे, उतने दूँगी.. !! बस, मुझे ऐसे ही चोदना.. !!
अब मैंने फोन बंद कर दिया..
मेरा पति भडुआ बन चुका था और इधर, विनय मेरे तरफ देख स्माइल दे रहा था..
मैं उसकी तरफ देख कर हंस रही थी पर उसे लगा के मैं स्माइल दे रही हूँ.. !!.
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06-10-2021, 11:59 AM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
दिल कर रहा था के विनय को बता दूं के तुम मेरे साथ हो और निर्मल, रश्मि को पागल कुत्ते की तरह चोद रहा है और तो और, रश्मि उसका लण्ड भी चूस रही है..
लेकिन जाहिर है, मैंने ऐसा कुछ नहीं किया..

पुष्कर पहुँच कर, हम दोनों सीधे एक होटल में गये..
अंदर जाते ही, विनय ने मुझे पीछे से पकड़ लिया और मेरे बूब्स को ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा..
विनय – आज तो पूरा दिन, तुम्हारी चूत में लण्ड डालकर ही रखूँगा.. !! पूरी नंगी करके, चोदूंगा तुम्हें.. !!
मैं – नहीं विनय, पहले हम वो काम करेंगे जिसके लिए पुष्कर आए हैं.. !! उसके बाद, ये सब.. !!
वो भी अच्छे बालक की तरह मान गया..
वैसे भी हम जैसे लोग, भगवान से बहुत डरते हैं..

खैर, हम दोनों फ्रेश होकर मंदिर के लिए निकले..
मंदिर दर्शन के बाद प्रसाद लिया और फिर मैंने मंदिर में नीचे पूरा झुक कर विनय के पैर छुए..
विनय, काफ़ी भावुक हो गया..
उसने मुझे प्यार से कंधे पर हाथ रख कर उठाया और गले से लगा लिया..
आस पास के लोगों को लग रहा था के ये दोनों “पति पत्नी” हैं.. !!

काश, ये सच होता..
मेरे पैर छूने से, विनय काफ़ी भावुक हो चुका था..
उसने भी सिंदूर लिया और मेरी माँग में भर दिया..
अब अंजाने में ही सही, मैं उसकी पत्नी बन चुकी थी..
हम दोनों वापस, होटल में लौट आए..
रूम में आते ही, मैंने प्रसाद वगेरह अपने बैग में रख दिया..
विनय के फिर से पैर छुए और एक आदर्श पत्नी की तरह, उसका आशीर्वाद लिया..
उसने मुझे उठाकर, अपनी बाहों में ले लिया..
अब वो होने वाला था, जिसका इंतेज़ार हम दोनों ही पिछले 4 दिन से कर रहे थे..
विनय ने मेरी गाण्ड को, साड़ी के ऊपर से ही दबाना शुरू कर दिया..

वो मुझे प्यार से हर जगह किस करते जा रहा था..
2-5 मिनट किस करने के बाद, उसने मेरी साड़ी का पल्लू गिरा दिया..
बड़े ही अच्छे से, उसने मेरी पूरी साड़ी उतार दी और अब मेरी साड़ी फर्श पर थी..
फिर उसने मुझे अपनी बाहों में उठाकर बिस्तर पर लेटा दिया और मेरे ऊपर आ गया..
उसने फिर, अपने कपड़े भी उतार दिए..
शर्ट, जीन्स और फिर बनियान भी..
अब वो सिर्फ़, जौकी में था..
दुबले पतले निर्मल के उलट, उसका गठीला बदन मुझे बहुत पसंद आ रहा था..
मैं उसकी पीठ सहला रही थी और वो मेरे जिस्म पर कभी इधर, कभी उधर किस किए जा रहा था..
धीरे धीरे नीचे आकर, उसने अपना हाथ मेरे पेटिकोट के अंदर डाल दिया और अंदर मेरी जांघों को किस करने लगा..
कुछ देर बाद, बाहर आकर उसने मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए..
पेटिकोट का नाडा भी खोल दिया और उसे फ्लोर पर फेंक दिया..
अब मैं सिर्फ़, ब्रा और पैंटी में थी..
ब्रा और पैंटी, काले रंग की ही थी..
उसने मेरी दूध से सफेद रंग का जिस्म देखा और देख कर उसके मुँह में पानी आ गया..
अब उसने मेरी ब्रा निकाल दी और मेरे “नारंगी जैसे दूध” अब उसके सामने थे..

कुछ देर मेरे गोल चुचे निहारने के बाद, वो एक मम्मे को मुंह मे लेकर चूसने लगा और दूसरे को हाथ में लेकर दबाने लगा..
बीच बीच में वो मेरे भूरे, छोटे से निप्पल को काट भी रहा था..
मेरे मुंह से – अन्म आह इस्स.. !! आह आह अहहहाहा आह अह आ आ अहहा.. !! इयै याया आ आ या अय हेया.. !! आह आह अहहाहा हहाहा आइ इह इयाः आह.. !! s s s s s.. !! आ आ आ आ स स स स स स स स स.. !! इनहया याः इया या या या या या ह ह ह ह ह ह ह ह ह ह.. !! उई माआअ.. !! की आवाज़ें आ रही थीं..
मुझे “मोनिंग” करने में, काफ़ी मज़ा आ रहा था..
मैं तो चिल्ला चिल्ला कर, चुदवाना चाहती थी पर यहाँ मेरी सिसकारियों से विनय में भी कामुकता बढ़ रही थी..

मेरे बूब्स दिल भर के पूरे मज़े से चूसने के बाद, विनय नीचे आया और मेरी पैंटी उतार दी..
पैंटी उतार कर वो फ़ौरन बिस्तर से थोड़ा दूर खड़ा गया और उसने कहा – प्रिया, प्लीज़ अपनी टाँगें खोल दो.. !! मैं देखना चाहता हूँ, तुम्हारी चूत कैसी है.. !!
मैं भी बेशर्म हो चुकी थी.. असल में, मैं तो थी ही बेशर्म..
मैंने फ़ौरन एक “बाज़ारु छीनाल” की तरह, अपनी दोनों टांगें खोल दी..
अब मेरी “नंगी चिकनी चूत” बिल्कुल उसके सामने थी..
मैं पूरी तरह से “नंगी” थी..
टाँगें खोलने के बाद तो वो पागल सा हो गया..
ऐसा छरहरा बदन और गुलाबी रंग की सफ़ाचट चूत, शायद ही उसने पहले देखी हो..
उसने, अपना अंडरवेअर निकाल दिया..
उसका “लंबा, मोटा और तगड़ा लण्ड” सनसानता हुआ बाहर आया..
उसका लण्ड, मेरे पति के लण्ड से लंबा था और बेहद मोटा..
वो मेरे करीब आ गया और 69 के पोज़िशन में आ कर लेट गया..
अब उसका लण्ड मेरे हाथ में था और मेरी चूत उसके..
वो मेरी चूत में उंगली डालकर, अंदर बाहर कर रहा था और मैं उसके लण्ड और उसके छोटे छोटे टट्टो को सहला रही थी..
वो काफ़ी डीसेंट था, अगर कोई और होता तो अब तक लण्ड मेरे मुंह मे दे देता और शायद मैं ले भी लेती पर वो चूत मे उंगली करने मे ही तलीन था..
कुछ पल के बाद, वो फिर से सीधा हो गया..
मुझे उल्टा कर दिया और मेरी गाण्ड को सूंघने और किस करने लगा..
मुझे बहुत मज़ा आ रहा था..

विनय – वाह!! प्रिया तुम्हारी गाण्ड बहुत ही खूबसूरत है.. इतनी गोल और आकर्षक गाण्ड, मैंने आज तक नहीं देखी.. एकदम चिकनी और सुंदर.. !! मज़ा आ गया.. !!
मैं – विनय, अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा.. !! जल्दी से डालो, मेरी चूत में.. !!
विनय ने अब, मेरी गाण्ड पर 2-3 थप्पड़ मार दिए..
उसके मर्द के कड़क हाथ, गाण्ड पर पड़ने से मेरी सफेद गोरी चमड़ी, लाल हो गई..
दर्द हुआ पर ये “जंगलीपना” मुझे बहुत पसंद था, जो विनय ने किया था..
मुझे बहुत अच्छा लगा..
फिर उसने मुझे सीधा करके, अपना लण्ड मेरी चूत पर रख दिया..
उसने एक ज़ोर का धक्का दिया..
मैं तो पूरी गीली हो चुकी थी पर फिर भी लण्ड जाने में थोड़ी तकलीफ़ मुझे हुई..
मेरी मुंह से – s s s s s s s s s.. !! आह आँह.. !! फूह यान्ह.. !! आ आ आ आ आ आ आ आ उंह.. !! इयान्ह ह ह ह ह ह आह आ आ आ आह ह हा.. !! उफ्फ मा ह उंह आह.. !! आराम से.. !! निकल गया..
फिर 2-3 धक्कों में, उसका पूरा लण्ड मेरी चूत में अंदर तक चला गया..
धीरे धीरे, वो मुझे चोदने लगा..

मैं भी अपनी गाण्ड उठा उठा कर उससे चुदवाने लगी..
वो मेरे बूब्स को चूस रहा था और मुझे “भकाभक” चोद रहा था..
मैंने अपने नाख़ून, उसके पीठ में घुसा दिए..
उसे खरोंचने लगी..
शायद, उसे दर्द हो रहा होगा पर वो तो मुझे चोदने में ही मस्त था..
उसका घोड़े के साइज़ का लण्ड, अंदर लेने में मुझे बहुत ज़्यादा ही मज़ा आ रहा था..
पहली बार, ऐसा हुआ था के मैं सिर्फ़ चुद नहीं रही थी बल्कि मैं प्यार से चुदवा रही थी..
अपनी चूत उसके लंड के लिए, निसार कर चुकी थी..
अपनी जवानी का मालिक उसे बना चुकी थी और दिल ही दिल में, उसे अपना “असली पति” मान चुकी थी..

कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद, उसने पोज़िशन चेंज की..
उसने मुझे उल्टा किया और पीछे से मेरी चूत में अपना मूसल सा लंड ठूंस दिया..
इस स्टाइल को “डॉगी स्टाइल” कहते हैं..
चूत में लण्ड डालने के पहले, उसने मेरी गाण्ड पर 2-3 थप्पड़ और मारे जो मुझे पहले की तरह काफ़ी पसंद आए..
उसका रफ हाथ जब भी मेरी गाण्ड पर पड़ता, मैं सिहर उठती..
पीछे से चोदने में शायद उसे महारत हासिल थी क्यों के उसके स्ट्रोक्स अब तेज हो गये थे..
काफ़ी ज़ोर ज़ोर से चोद रहा था, वो मुझे..
कुछ देर चोदने के बाद, उसका निकल गया..
मेरी चूत के अंदर ही, उसने अपनी बेहद गाढ़ी क्रीम निकाल दी..
फिर कुछ देर, लण्ड अंदर ही रखा..
मुझे वैसी ही पोज़िशन में रहना अच्छा लगा क्यों के धीरे धीरे, उसके लण्ड का पानी रिस रिस के मेरे अंदर आ रहा था..
लण्ड बाहर निकाल कर, वो मेरे बगल में सो गया..
मैं भी उसके चौड़े सीने पर अपना सिर रख कर सो गई..
उसी तरह 1 या 2 घंटे सोने के बाद, मैं उठी..
वो कमरे में नहीं था..
रूम में, मैं अकेले ही थी.. वो बाहर गया था..
मैंने बाथरूम में जाकर नहा लिया और रूम में आकर, कपड़े पहन लिए..
वो आया और उसके साथ एक वेटर भी था..

स्पेशल लंच का बंदोबस्त किया था, उसने..
वेटर ने लंच डेकोरेट किया और विनय ने उसे टिप दी..
फिर हमने, साथ में लंच किया..
लंच करते समय –
विनय – धन्यवाद, प्रिया.. !! तुम बहुत खूबसूरत हो.. !! तुम्हारे दूध और गाण्ड का तो मैं दीवाना हो गया हूँ.. !! अब मैं हमेंशा तुम्हारे साथ रहूँगा.. !!
मैं – तुमने भी आज मुझे, मेरे लोडू पति से ज़्यादा मज़ा दिया है.. !! लेकिन अब हमें हर कदम, बड़े संभाल कर रखना होगा.. !!
विनय – तुम जैसा कहोगी, मैं वैसा करूँगा…
मैं – तुम मुझे कभी भी मैसेज नहीं करोगे और ना ही कॉल करोगे… जब मैं मिस कॉल दूँगी तभी कॉल करोगे… देहरादून में मेरे काफ़ी रिश्तेदार आते जाते हैं घर पर, इसलिए घर पर मिलना मुश्किल है… हम बाहर ही मिला करेंगे…

विनय मेरी बातें सुनकर काफ़ी खुश हो गया क्यों के उसे इतनी होशियार लड़की जो मिल गई थी, एक्सटर्नल अफेयर करने के लिए..
वैसे भी रश्मि इतनी खूबसूरत नहीं थी और शायद, उसे मैं कुछ ज़्यादा ही पसंद आ गई थी..
मैंने भी अपनी बातों, अदा, जलवों और नखरों से उसे दीवाना बनाने की पूरी कोशिश की थी और काफ़ी हद तक उसमे सफल भी रही थी..
लंच करने के बाद, उसने कहा के अब निकलते हैं…
4 बज चुके थे और हमें जोधपुर वापस लौटना था..
पर इधर, मेरे दिमाग़ में कुछ और ही चल रहा था..
मैं – विनय, मैं आपके लिए कुछ करना चाहती हूँ क्यों के इतना अच्छा सेफ टाइम और प्लेस शायद ही, हमें दुबारा मिले…
विनय – हाँ हाँ कहो… क्या करना चाहती हो…
मैं – विनय, हमेशा से मेरी तमन्ना थी के मैं किसी मर्द के सामने खुद नंगी होऊं पर हमेशा से ही निर्मल मेरे कपड़े उतारते हैं जबकि मुझे अपने कपड़े उतारने का मौका नहीं मिला… मैं तुम्हें बहुत चाहती हूँ इसलिए तुम्हारे सामने मैं तुम्हारे लिए, खुद नंगी होना चाहती हूँ…
विनय मेरी बात सुन कर, काफ़ी खुश हो गया..
वो बेड पर बैठ गये और मैं उनके सामने थी.
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06-10-2021, 11:59 AM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
विनय ने मुझे मीठी सी स्माइल दी और मैंने “नंगी होने का खेल” शुरू कर दिया..
मैंने साड़ी खोलना शुरू कर दिया और उसका लण्ड फिर से जीन्स में खड़ा होने लगा..
साड़ी के बाद, मैंने अपने ब्लाउज के हुक खोले और धीरे धीरे ब्लाउज उतार दिया..
फिर, पेटिकोट खोल दिया..
इसके बाद, ब्रा पीछे से खोलकर मैंने अपने 32 साइज़ के बूब्स के जलवे दिखाए..
वो मेरे दूध को, प्यार और लालच से देख रहा था..
अब मैंने बेहद अदा से, पैंटी को उतार दिया..
अब तक, मैं पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी..
मैंने उसे एक टाँग उठा कर, अपनी चूत दिखाई और फिर पलटकर अपनी गाण्ड आगे कर दी और विनय को थप्पड़ मारने को कहा..
उसने 3-4 फटके, मेरी गाण्ड पर मार के मेरी लाल कर दी..
मैं – आ ह आ ह आ ह आ ह ऊ ऊ ऊ ऊ… आ ह आ ह आ आ आअशह इश् इस्स इयाः म्म ह ह ह ह ह स स स स स… करके चिल्ला रही थी..
नंगी होने में जो मज़ा मुझे आया वो तो विनय के साथ, सेक्स करने में भी नहीं आया..
अब मैं वो करने वाली थी जो अब तक मैंने, गिने चुने मर्दों के साथ ही किया था..
मेरे पति भी इससे अछूते थे..
शादी से पहले, अपने ग्राहक से तो मैं इसके लिए अलग से पैसे लिया करती थी..
मैंने उसकी जीन्स खोल कर, चड्डी नीचे कर दी..
उसका लण्ड मेरे सामने आ गया..
मैंने उसे हाथ में लेकर सहलाया और सीधे मुंह में लेकर चूसने लगी..
विनय तो बस पागल हो चुका था..
अब मोनिंग करने की उसकी बारी थी..
उसने कभी सोचा ही नहीं था के मैं ऐसा उसके लिए करूँगी..
विनय – प्रिया ह ह ह ह ह… आज पहली बार कोई औरत मेरा लण्ड चूस रही है… कितना मज़ा आ रहा है…
फिर मैंने उसे बेड पर लेटने को कहा और उसके ऊपर चढ़ गई..
अपने हाथों से मैंने उसका लण्ड पकड़ कर अपनी चूत में डाला और चुदवाने लगी..
इस पोज़िशन को “राइडिंग” कहते हैं..
अब वो नीचे लेटकर मेरे बूब्स मसल रहा था और मैं उसका लण्ड उछाल उछाल कर अंदर बाहर कर रही थी..
जब तक उसका पानी नहीं निकल गया तब तक मैंने उसे उसी पोज़िशन मे रखा और चूत मरवाती रही..
फिर निढाल होकर, उसका लण्ड मेरी चूत में ही रखकर उसके ऊपर ही सो गई..
कुछ देर सोने के बाद, उसने कहा – प्रिया ये चुदाई मेरी जिंदगी की अब तक की सबसे मस्त चुदाई थी… आज से तुम, मेरी “असल पत्नी” हो…
मैंने कहा – मुझे पत्नी नहीं, बल्कि तुम्हारी “रखैल” बना कर रखो… जब भी तुम्हारा दिल करे, बस चोदने के लिए ही याद करो… तुम मेरी ज़रूरत पूरी करो और मैं तुम्हारी…
इतने सुनते ही, उसने भी हाँ कहा और अपनी जीन्स उठाकर पर्स निकाला और अपना एक कार्ड मुझे दिया और कहा – ये एक्सट्रा कार्ड है, मेरे पास… ये तुम रखो… जब भी तुम्हें किसी भी चीज़ की ज़रूरत पड़े, पैसे निकाल लेना और इसके लिए मुझसे पूछने की भी ज़रूरत नहीं है… ठीक है…
उसने कार्ड और पिन नंबर, मुझे दे दिया..
फिर, हम दोनों एक साथ बाथरूम में नहाने गये..
पूरा वक़्त, मैं उसके साथ नंगी ही रही..
आख़िर, हम तैयार होकर वापस बस पकड़कर जोधपुर आ गये..
जोधपुर पहुँचने से पहले, मैंने निर्मल को कॉल करके कहा था के हम लोग पहुँचने वाले हैं इसलिए उसे भी टाइम मिल गया रश्मि से स्पेस लेने मे..
हमारा ट्रिप पूरा करके, हम देहरादून वापस आ गये..
आज भी मैं विनयजी से अपनी चूत और गाण्ड मरवाती हूँ और उसका कार्ड इस्तेमाल करती हूँ..
रश्मि और निर्मल कभी भी जान नहीं पाए के पुष्कर में क्या हुआ था और विनय भी कभी जान नहीं पाया के रश्मि और निर्मल ने जोधपुर के होटल में क्या क्या किया..
ट्रिप से लौटने के 2-3 दिन के बाद, मैंने कार्ड इस्तेमाल करके देखा..
बैलेंस चेक किया तो मैं हैरान रह गई..
उसमे बैलेंस था – 8, 55, 516 रुपए..
मेरी खुशी का अंदाज़ा, आप खुद ही लगा सकते हैं..
शादी से पहले, इतना पैसा तो ना जाने कितनों से कितनी बार चुदवा के भी, मैं नहीं कमा पाई थी..

समाप्त… …
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06-10-2021, 11:59 AM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मेरी प्यारी कुँवारी बहनों, मेरा नाम जुबैदा है। आप लोगों ने यौवन के दहलीज पर कदम रखते ही ज़िंदगी के हसीन अनुभवों के बारे में रंगीन सपने देखना शुरू कर दिए होंगे। ऐसे सपने मैंने भी देखे थे.. जब मैं 18 साल की हो गई थी।
मेरा जन्म एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ है.. मेरे पिताजी किसी सरकारी कंपनी के दफ़्तर में छोटी सी पोस्ट पर काम करते थे। मेरी माँ एक अच्छे घर से थीं.. लेकिन संप्रदाय और परंपरा के अनुसार पति के घर को अपना संसार और पति की सेवा अपना धरम मानते हुए जीवन जी रही थीं।
पिताजी के तीन और भाई थे.. सब अच्छी पढ़ाई और तरक्की की वजह से अच्छे दिन देख रहे थे। पिताजी पढ़ाई में उतने होशियार और तेज नहीं थे.. ऊपर से बचपन से ही उनमें आत्मविश्वास और खुद्दारी की कमी थी.. धीरज और कर्मठता कम थी।
उनकी एक ही खूबी यदि कोई थी.. तो वो कि उनके पिताजी का समाज में बड़ा आदर था। बस खानदान के नाम पर मेरी माँ की शादी उनसें कर दी गई थी।
माँ कभी कुछ माँगने वालों में से नहीं थीं.. जो मिला उसी से संतुष्ट थीं, वो बहुत खूबसूरत भी थीं, उनकी खूबसूरती की वजह से पिताजी का आत्म-सम्मान और भी कम हो गया था।
पिताजी ने कभी भी ज़िंदगी में प्रयास नहीं किया.. उल्टा अपने जैसों की संगत में अपनी बदक़िस्मती की खुलकर चर्चा करते रहते थे। ऐसी संगत में उनकी मुलाकात एक नौजवान से हुई.. जो उनके जैसे ही था।
आप तो जानते ही हैं कि जब अपने जैसे मिल जाते हैं.. तो दोस्ती बढ़ जाती है।
पिताजी उस नौजवान को अपना खास दोस्त मानने लगे और दिन-रात दोनों अपनी छोटी ज़िंदगी की तकलीफें एक-दूसरे के साथ बाँटते रहते। वो नौजवान भी पिताजी के दफ़्तर में काम कर रहा था। उनकी दोस्ती एक दिन ऐसे मोड़ पर आ गई कि पिताजी ने उसे अपना दामाद बनाने का निश्चय कर लिया।
मेरी दो बड़ी बहनें थीं.. दोनों की शादी हो गई थी। हम तीनों एक-दूसरे के काफ़ी करीब थीं.. दोनों बहनें अपनी सुहागरात और गृहस्थ जीवन के रंगीन अनुभवों के रहस्य मेरे साथ बाँटती थीं।
मैं उस लड़के के बारे में नहीं जानती थी। शादी तुरत-फुरत पक्की हो गई। माँ भी थोड़े ही मना करने वाली थीं.. ऊपर से उसकी सरकारी नौकरी थी.. उस लड़के के अन्दर की बातें किसको पता.. कि वो अन्दर से कैसा है। लड़का भी तैयार था.. मैं भोली-भाली सी थी… मगर माँ पर गई थी.. इसलिए मैं भी काफ़ी खूबसूरत थी।
मैं मैट्रिक तक ही पढ़ी थी.. लेकिन सजने-संवरने में पूरी पक्की थी.. ज़ाहिर है.. यही सब देख कर साहब तुरंत राज़ी हो गए..
अपनी बहनों के क़िस्सों से प्रेरित होकर मैं भी उसी तरह के सुनहरे सपने देखा करती थी.. जो आप लोग शायद अभी देख रहे हैं।
लड़कों के बारे में तो मैं 15वें साल से ही सोचने लगी थी.. 18 साल की उम्र में मेरी ख्याल चुदाई के बारे में होने लगे थे.. कि मेरी सुहागरात कैसे कटेगी.. पति की बाँहों में कैसे सुख प्राप्त होगा.. संभोग और काम कला के आसान किस तरह के होंगे.. रति सुख कैसा होगा.. मर्द का कामांग कैसा होगा.. आदि इत्यादि।
ऐसे रंगीन ख़याल मेरी जवानी की गर्मी को और हवा देने लगे।
सहेलियों की संगत में कुछ ऐसी शारीरिक हरकतों के बारे में ज्ञान प्राप्त हुआ.. जिससे रति सुख स्वयं अनुभव करने का मौका मिला। हस्तमैथुन प्रयोग में मज़ा तब आने लगा.. जब तन की गर्मी बढ़ने लगी।
उन हसीन रसीली काम-शास्त्र की किताबों और पत्रिकाओं से.. जिनमें आदमी-औरत के बीच की रसभरी चुदाई कथा का खुलकर वर्णन हुआ था.. इन किताबों की बदौलत मुझे पूरा सेक्स ज्ञान प्राप्त हुआ और मैं अच्छी तरह से समझ गई कि एकांत में एक मनचाहा मर्द के साथ क्या करना चाहिए।
शादी के कई वर्ष बीत गए और मुझे अपने पति से वो सुख नहीं मिल सका जिसका मुझे कुछ ज्यादा ही इन्तजार था।
इस नीरस जीवन को भोगते हुए पूरे 12 साल गुजर चुके थे।
अब मैं एक 32 साल की उम्र औरत हो गई थी.. जिसके लिए एक नया जन्म हुआ.. शादीशुदा औरतें जब बच्चे पैदा करती हैं तो उनकी परवारिश में 10 साल काट लेती हैं। जब बच्चे कुछ बड़े हो जाते और माँ की ममता और सहारे से मुक्ति पाकर पढ़ाई और खेल कूद की ओर ध्यान बढ़ाते तो औरत का मन निश्चिन्त हो जाता और पति के प्यार के लिए दोबारा तरसने लगता। शादी के तुरंत बाद लड़कियाँ शरम और लाज के साथ पति से मिलन करती और सेक्स की दुनिया में पहला कदम रखती। तब उनकी आलोचना और अनुभव बहुत नादान सा होता है।
अब तक 12 साल गुज़र गए थे। एक पूरा वनवास समझ लीजिए.. पति सिर्फ़ रोटी कपड़ा और मकान की गारंटी बन गया था।
टीवी.. वीडियो.. मैगज़ीन.. सिनेमा.. बुनाई.. सिलाई.. इत्यादि के सहारे मैंने इतने साल सुखी जीवन बिताया.. बच्चे ना होने का मेरे पति पर कोई असर नहीं डाला। वो जानता था कि दोष उसी में है। बाहर लोग क्या सोच रहे थे क्या मालूम? कुछ सहेलियों को मैंने यूँ ही बताया कि हम दोनों में किसी को भी कोई कमज़ोरी नहीं थी और हर कोशिश के बावजूद बच्चा नहीं हुआ।
मैंने अपनी इच्छाओं को दबा कर रखा। मुझे जब भी जिस्म की भूख ने परेशान किया तो मैं हाथों से ही इस भूख का निवारण कर लेती थी।
हस्तमैथुन प्रयोग मेरे लिए क्रिया कम.. दवाई ज़्यादा बन गई थी। मैं अभी भी जवान 32 साल की एक मस्त औरत हूँ.. लेकिन मेरी जीवन गाथा एक 50 साल की औरत सी हो गई थी।
एक दिन पति ने बताया कि उनकी बहन का बेटा हमारे यहाँ आ रहा है।
उसने मैट्रिक खत्म कर लिया है और इंजीनियरिंग की पढ़ाई के लिए हमारे शहर के एक कॉलेज में दाखिला ले लिया है।
पति चाहते थे कि उसे अपने घर में ही रख कर उसे पढ़ाई में मदद दें। उनका मानना था कि वो तो बदकिस्मत हैं लेकिन इस लड़के की कामयाबी में कोई कसर ना छोड़ी जाए और इसकी तरक्की में अपनी सफलता को साकार कर लिया जाए।
मैं क्या बोलती.. ऐसी हज़ार बातें सुन चुकी थी। इस लड़के के आने से मेरी घरेलू जिम्मेदारी थोड़ा और बढ़ जाती.. पर उससे ज़्यादा और कुछ नहीं होगा।
फिर इस लड़के का क्या दोष? बेचारा वो हमारे हालत से कैसा जुड़ा.. उसे तो पढ़ाई करनी है। मैंने मंज़ूरी दे दी और घर का एक बेडरूम उसे दे दिया.. ताकि वो वहाँ पढ़ाई कर सके।
करीब 30 साल के उम्र के बाद.. औरत अनुभवी और पक्के इरादे वाली हो जाती। सेक्स में दोबारा जब दिलचस्पी जागती तो शरम के बजाए कार्यशीलता से संभोग में भाग लेती और लाज को छोड़कर नए नई तरीकों से पति के साथ बिस्तर का खेल आज़माने की कोशिश करती है। पति भी अनुभवी हो जाता है और पत्नी को खूब मदद करता है। इस तरह 30 साल के उम्र के बाद पति-पत्नी सेक्स की ज़िंदगी में एक नई उमंग लेकर कूद पड़ते और सेक्स का भरपूर आनन्द लेते हैं।
मुझे बच्चे तो नहीं हुए थे और मैं 10 साल से ज़्यादा तड़फी थी। लगभग 32 साल की उम्र में मेरा मन भी इसी उम्र की बाकी औरतों की तरह सेक्सी हो गया.. और मुरादें पूरा ना होने के कारण कुछ ज़्यादा ही तड़प रहा था.. इसीलिए जो लाज और शर्म मुझे 12 साल पहले पाप करने से रोक चुकी थी.. आज उसी लाज और शर्म को मेरे मन ने बाहर फेंक दिया और इच्छाओं का दरवाज़ा खोल दिया।

पति की नाकामयाबी मेरे साथ एक धोखा सा था.. पति को धोखा देना कोई पाप नहीं लग रहा था।
अगर मेरे पति बिस्तर में कामयाब और नॉर्मल होते.. तो आज उनके साथ खुश रहती.. लेकिन उनकी बारह साल की नपुंसकता के सामने पराए मर्द के साथ सेक्स करने की सोचना पाप नहीं लग रहा था।
और तो और.. भान्जे के साथ सेक्स करने से इस पाप को घर के अन्दर तक सीमित रख सकती हूँ। किसी को कुछ पता नहीं लगेगा। वैसे भी मैं सिर्फ़ सेक्स चाहती हूँ.. रिश्ता नहीं..
इन सब बातों से मन और भी निश्चिंत हो गया और मैंने मन ही मन चंदर से संभोग करने का इरादा बना लिया।
अपने इस नई रूप से मैं खुद चंचल हो उठी। बिस्तर से उठकर मैं आईने के सामने खड़ी हुई और नाईटी निकाल कर अपने ही जिस्म की जाँच करने लग गई। मैं काफ़ी सेक्सी लग रही थी.. मेरी ही चाह मुझे होने लगी थी।
आप लोगों को बता दूँ कि अब मेरे मम्मे बहुत ही बड़े थे, ब्रा 36 सी की साइज़ की पहनती हूँ। उनको जितना भी ब्लाउज.. ब्रा और साड़ी के पल्लू के सहारे ढक दूँ। उनकी गोलाई और उभार को छिपा नहीं सकती। जो भी मुझे देखता, मेरी वक्ष-संपदा से तुरंत परिचित हो जाता।
उम्र के लिहाज़ से मेरे नितंब भी काफ़ी उभर आए थे और कमर चौड़ी और जाँघ भारी और मांसल लग रही थी।
जिस्म का रंग काफ़ी गोरा था.. माँ की देन थी.. मैं सच में बड़ी सेक्सी लगती हूँ।
उन दिनों मायके में मोहल्ले के बहुत सारे लड़के मेरे दीवाने थे। आख़िर चंदर से मेरे जिस्म का करारापन कैसे छिपता.. उसने जरूर मेरे मदमस्त यौवन पर गौर किया होगा.. शायद मेरी नग्नावस्था को भी अपने कामुक मन में बसा कर हस्तप्रयोग भी करता होगा।
चंदर को पटाने के लिए यह सेक्सी जिस्म ही काफ़ी है।
अगले दिन.. पति ऑफिस जा चुके थे और भांजा कॉलेज निकल गया था। सब काम से निपट कर में सोफे पर बैठी टीवी देख रही थी कि अचानक मुझे रात के किस्से का खयाल आया। मैं उठकर भान्जे के कमरे में गई और छानबीन की.. पर उसकी अलमारी से कुछ नहीं मिला.. बिस्तर के नीचे कुछ नहीं था।
लेकिन गद्दे के नीचे कुछ किताबें मिलीं.. साथ में कन्डोम के कुछ पैकेट भी मिले।
मेरा सर चकराने लगा.. कई ख्याल एक साथ आने लगे.. मेरा दिल धड़क रहा था और ऐसा लग रहा था कि मैं कोई जासूस की तरह किसी दुश्मन के घर में छानबीन कर रही हूँ और कभी भी पकड़ी जा सकती हूँ।
लेकिन मैं भी घर में अकेली थी.. मेरे हाथ में सेक्स की किताबें थीं और मर्दों वाले कन्डोम भी थे।
मेरा मन चंचल हो उठा.. उसी बिस्तर पर लेट कर मैंने कन्डोम के एक पैकेट को खोलकर अन्दर का माल बाहर निकाला।
पहली बार मैं एक कन्डोम को हाथ में ले रही थी.. इससे पहले कभी करीब से देखा ही नहीं था। यह बड़ा अजीब सा लग रहा था.. एक छोटी सी टोपी की तरह.. पैकेट पर लिखे निर्देशों को पढ़ा और तुरंत ही मेरे चंचल मन में एक ख़याल आया।
मैं अपने कमरे में जाकर उसी मोमबत्ती को ले आई.. जिससे रात में मैंने अपने आपको शांत किया था।
मोमबत्ती मर्द के कामांग की तरह ही थी, कन्डोम के पैकेट के निर्देशों को दोबारा पढ़कर कन्डोम को मोमबत्ती पर चढ़ा दिया और देखने लगी।
मोमबत्ती के ऊपर की तरफ कन्डोम में एक छोटा सा गुब्बारा की तरह कुछ था, शायद यहीं वीर्य जमा होता है।
इस सबको करने और देखने से मुझे काफ़ी उत्तेजना हुई। कैंडल को बगल में रखा और किताबों के पन्ने पलटने लगी।
तीनों पतली किताबें थीं.. एक में सेक्स करने के आसनों में लिए गए विदेशी प्रेमियों के सेक्सी नंगे चित्र थे और उनकी हरकतों का संक्षिप्त वर्णन भी लिखा था। ऐसा लग रहा था.. जैसे बहुत सारे फोटो के सहारे कहानी दर्शाई जा रही हो।
शुरू से अंत तक एक दफ़्तर के बड़े बाबू और उसकी सेक्रेटरी के बीच की शर्मनाक संभोग कला का गहरा और ख़ास वर्णन हो रहा था। सेक्रेटरी अपने बॉस की गर्मी बढ़ाने के लिए कैसे-कैसे कामुक प्रसंग कर रही थी और बॉस भी उत्तेजित अवस्था में आकर सेक्रेटरी से अपनी दिल की बात और मिल रहे सुख का खुलासे का वर्णन कैसे कर रहा था.. यही सब लिखा था।
पूरा वर्णन हिन्दी में था और ऐसे-ऐसे शब्दों का प्रयोग हुआ.. जो काफ़ी अश्लील और लैंगिक थे।
लड़की बॉस के मोटे तगड़े लण्ड की प्रशंसा काफ़ी अश्लील और रंगीन शब्दों में कर रही थी और उसके साथ क्या कराना चाहती है.. इसका भी खुल्लम-खुल्ला वर्णन कर रही थी।

बॉस लड़की की मादक मम्मों को दबा-दबा कर उनका गुण गा रहा था। कुछ पन्नों के बाद ऐसे गंदी हरकत पढ़ी और देखी कि मेरा मन वासना से झूमने लगा।
सभी चित्र सच में होते हुए निकाले गए थे.. यानि लड़का-लड़की सचमुच में सेक्स कर रहे थे.. जब उनकी फोटो खींची गई थी।
सेक्रेटरी अपनी बॉस के करारे लण्ड को चूस रही थी। इस दृश्य को देख कर मेरे पेट में अजीब सी हरकत होने लगी। पहले काफ़ी घिनौना और गंदा लगा और उल्टी होने वाली थी.. लेकिन अपने आपको संभाला और गौर से उस चित्र को देखा। इस तरह के साहित्य के बारे में पहले सुना तो था.. लेकिन पहली बार सचित्र देख रही थी।
मेरे दिमाग़ में वासना की ऐसी लहर दौड़ी.. कि मैं ‘आहें’ भरने लगी और मादक सीत्कारें भरने लगी।
मैं अपने आपको संभाल नहीं पा रही थी। मैंने किताब के और पन्ने खोले तो और भी अश्लील फोटो थे। अब आदमी औरत की योनि चूस रहा था। अंत में वीर्य स्खलन का भी चित्र था।
बॉस ने अपनी सेक्रेटरी के उन्नत उरोजों पर अपना वीर्य छोड़ा.. जो किसी क्रीम की तरह साफ़ नज़र आ रहा था।
थोड़ी देर के लिए मैं लेट गई और आँखें मूंद कर भारी साँसें लेने लगी। कुछ पलों के बाद मैंने अपने आप पर काबू पाया और उन गंदे किताबों से दूर उठकर चली गई।
लेकिन इसका जो चस्का एक बार लगा सो लगा।
मैं रह नहीं पाई.. और एक घंटे के बाद वापस आ गई फिर से गद्दे के नीचे से किताब निकाली।
दूसरी दो किताबें काफ़ी सस्ते किस्म के प्रिंट में थीं। एक में चित्र बिल्कुल नहीं थे.. दूसरी किताब में दो-चार काले-सफ़ेद रंग के फोटो थे उनमें नंगी लड़कियों की और एक संभोग रत लड़का-लड़की के रेखा चित्र बने थे।
मैं लेट कर दोनों किताबों में छपी कहानियाँ पढ़ने लगी। दोनों का लेखक कोई मस्तराम था.. नाम से ही लग रहा था कि कोई अय्याश किस्म का लेखक होगा। पहली कहानी बिल्कुल वैसी ही थी.. जैसी मैं शादी के पहले पत्रिकाओं में पढ़ा करती थी।
मेरे अन्दर काम-वासना बढ़ने लगी.. मेरी योनि से रस निकलने लगा था और मेरे जिस्म में गर्मी बढ़ती ही जा रही थी।
मैं अपने पैरों को एक-दूसरे से रगड़-रगड़ कर अपने आपको काबू में लाने की बेकार सी कोशिश कर रही थी।
जैसे ही मैं दूसरी कहानी पढ़ने लगी.. मेरे मस्तिष्क में दुबारा बिजली चलने लगी। सेक्स की कहानी तो रसदार थी.. लेकिन औरत और मर्द के कामांगों का ज़िक्र एकदम गंदी और अश्लील भाषा के शब्दों से भरा पड़ा था.. लंड.. चूत इत्यादि।
इस सब को पढ़ कर मुझ में घिनौनेपन के बजाए एक अजीब सी मस्ती छा गई।
ऐसे शब्दों को पढ़-पढ़ कर काफ़ी अच्छा लग रहा था। ऊपर से ये कहानी एक देवर और भाभी के अवैध सेक्स संबंध के शर्मनाक कारनामों के बारे में थी। कहानी के अंत में अपने पापपूर्ण जिस्मानी रिश्तों के बनने से दोनों काफ़ी खुश होते हैं।
तीसरी कहानी ने तो मेरे दिमाग़ की बत्ती लगभग बुझा ही डाली थी।

एक भोले-भाले लड़के के साथ जबरदस्ती उसी की सेक्सी और वासना भरी कुँवारी मौसी ने सेक्स किया। इसका वर्णन पूरे डिटेल के साथ हुआ है। मौसी और दीदी के बेटे के बीच के सेक्स का किस्सा कितनी चाव से लिखा मस्तराम साब ने.. जैसे-जैसे कहानियाँ पढ़ती गई.. ऐसे ही अवैध और अप्राकृतिक शारीरिक संबंधों का खुला वर्णन होता गया।
यहाँ तक कि सौतेली माँ और बेटे के गंदे सेक्स की हरकतों का भी वर्णन था।
सब कहानियाँ पढ़ने पर ऐसा लग रहा था कि मस्तराम जी अप्राकृतिक संबंधों को ज़ोर दे रहे थे और उनका समर्थन कर रहे थे।
सेक्स कला का खुला वर्णन गंदे शब्दों के साथ काफ़ी दिलचस्पी से किया गया था। औरत की गुप्त बातें जैसे माहवारी.. योनि में लगाने वाली नैपकिन.. इत्यादि के बारे में उस मस्तराम ने खुलकर लिखा था।
औरत और मर्द के बीच का पहला संपर्क और उसके बाद उस परिचय का धीरे-धीरे सेक्स संबंध में बदलने की किस्से बड़े हुनर से लिखे गए थे।
इस साहित्य को पढ़ने के बाद अब तो मैं पूरी तरह सेक्स की दासी हो गई थी।
मन में अनेक ख़याल आ रहे थे। अवैध संबंध के बारे में कई किस्से एक साथ सामने आ रहे थे।
इस मस्ती में सब अच्छा लग रहा था। उन किताबों की एक कहानी में वर्णित एक महिला की हस्त-मैथुन की कहानी से मुझमें प्रेरणा जाग उठी.. कन्डोम में भरी हुई कैंडल को लण्ड बनाकर अपनी योनि में लगाई और हाथ हिला-हिला कर उसी तरह के सेक्स का अनुभव पाया.. जो सचमुच किसी मर्द के कामाँग से मिलता है।
कुछ दिन बीत गए.. भांजा हमारे घर में पूरी तरह से व्यवस्थित हो गया था। वो ज़्यादा बात नहीं करता था। मैंने भी कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई.. बस पति के संबंधी होने के नाते उसके रहन-सहन.. खाने-पीने इत्यादि का प्रबंध करने लगी।
वो काफ़ी पढ़ाकू किस्म का था.. हर वक्त मोटी किताबों में खोया रहता। वक़्त का पाबंद था और वक़्त पर कॉलेज जाता। शाम को जल्दी वापस आता.. पढ़ाई करता.. थोड़ी टीवी देख लेता और सो जाता।
हमारे बीच.. मात्र अवसरों पर ही बातें हुआ करती थीं। ज़रूरत पड़ती तो मुझे ‘मामी’ पुकारता और अपनी बात कर लेता।
मेरी जिन्दगी में उसके आने से तुरंत कोई बदलाव नहीं हुआ। एक रात पति देव जल्दी सो गए। मैं कुछ देर तक टीवी देखती रही.. वैसे भी बेडरूम में और क्या काम था।
फिर टीवी बन्द करके मैगजीन पढ़ने लगी.. टीवी बन्द करने पर छाए हुए अचानक के सन्नाटे में मुझे कुछ सुनाई देने लगा। ऐसा लग रहा था कि घर के किसी कोने में कोई भारी लकड़ी के बॉक्स के हिलने की आवाज़ आ रही हो। घर में एक-दो छछूंदर घूम रहे थे.. शायद रसोई की अलमारी में छछूंदर कोई हरकत कर रहे थे। मैंने जाकर रसोई की छानबीन की लेकिन आवाज़ वहाँ से नहीं आ रही थी। जैसे ही मैं मेहमान वाले बेडरूम के पास से गुज़री.. तो वो आवाज़ और स्पष्ट हुई।
लगता है बेडरूम की अलमारी से आ रही है। दरवाज़ा बन्द था.. भांजा सो चुका था इसलिए दरवाज़े पर दस्तक देकर उसे जगाना मुनासिब नहीं समझा। लेकिन ऐसा लगा कि दरवाज़ा पूरी तरह से बन्द नहीं था.. मैंने धीरे से खोलने लगी कि दरवाजा ढलक गया और अन्दर का दृश्य तुरंत सामने आ गया।
मैंने दरवाज़े को वहीं का वहीं पकड़ी खड़ी रही.. कमरे में ज़्यादातर अंधेरा था और सिर्फ़ एक रीडिंग लैंप की रोशनी थी।
भांजा बिस्तर के एक छोर पर पेट के बल लेटा हुआ था। ऊपर उसने कम्बल ओढ़ लिया था। बिस्तर के नीचे बगल में फर्श पर एक किताब थी और ऐसा लग रहा था कि वो जगा था और लेटे-लेटे नीचे उस किताब को पढ़ रहा था। बिस्तर के बगल में टेबल थी। जिस पर रखे रीडिंग लैंप की रोशनी सीधी उस किताब पर पढ़ रही थी।
मैंने सोचा ये पढ़ाकू अभी भी कुछ पढ़ रहा है.. लेकिन इस अजीब अवस्था में क्यूँ पढ़ रहा है..? आराम से बैठ कर पढ़ सकता है।
तभी मुझे इस अजीब आसन का उद्देश्य दिखाई दिया.. भांजा आगे-पीछे हिल रहा था और उसके चूतड़ कंबल के अन्दर ऊपर-नीचे हिल रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे वो आगे-पीछे ऊपर-नीचे बड़ी तेज़ी से हिल रहा था। शायद तेज़ी से बिस्तर से कुछ रगड़ रहा था।
शादी से पहले की सेक्स शिक्षा और सुहागरात के अनुभवों की बदौलत मुझे साफ़-साफ़ ये बात समझ में आई कि वो हस्तमैथुन का प्रयोग कर रहा है।
लेकिन बिना हाथ लगाए.. वो तो अपनी मर्दानगी को बिस्तर के गद्दे से ज़ोरों से रगड़ कर रति सुख पा रहा था।
इसी से बिस्तर हिल रहा था और आवाज़ आ रही थी। शायद वो औरत के साथ सेक्स करने पर होने वाले अनुभव को महसूस कर रहा था।
किताब में क्या लिखा है.. मुझे देखने की ज़रूरत नहीं थी.. दूर से थोड़ी रोशनी में साफ़ नज़र तो नहीं आ रहा था.. लेकिन देख सकती थी कि एक पन्ने पर कुछ औरतों के नंगी तस्वीरें थीं।
शायद काम कला में लिप्त औरत मर्द के जुड़े नंगे जिस्म भी उन चित्रों में होंगे। दूसरे पन्ने पर कुछ लिखा हुआ था.. शायद उनके कारनामों का.. उनके नंगे जिस्मों और गुप्त अंगों का खुला वर्णन लिखा हो सकता था।
मुझे इस ’घिनौनी’ हरकत से उस पर काफ़ी गुस्सा आया और जी चाहा ही अन्दर जाकर रंगे हाथों पकड़ लूँ उसे और डांट फटकार दे दूँ। लेकिन ऐसी किताबें मैंने भी जवानी में पढ़ी थीं और हाथों से सेक्स का अनुभव पाया था।
जो वासना मुझे उन दिनों में हुई थी.. इस लड़के को भी हुई है। यह उम्र ही ऐसा है.. सेक्स के प्रति आकर्षण इस उम्र में हर एक को होता है, हस्तप्रयोग एक गुप्त चीज़ है.. लेकिन सभी करते हैं।
सेक्स ज्ञान पाने में इसका बढ़ा महत्व भी है। मैंने चुपचाप दरवाज़ा बंद कर दिया और लौट आई। उसे अपनी प्राइवेसी चाहिए थी और मैंने उसे दी।
कुछ गुस्सा तो था.. यह काम अपने घर में भी कर सकता था.. मेरे घर में क्यूँ..? फिर सोचा.. अपने घर तो छुट्टियों में ही जाएगा.. तब तक इस आग को कैसे जलने दे? कोई बात नहीं.. यहीं करो।
फिर मैंने सोचा.. मेरे गद्दे और चादर पर अपना रस छोड़ेगा… ईएश.. कितना गंदा काम.. ऐसा कितने बार उसने रस छोड़ा होगा? मुँह में लार और पेशाब की तरह वीर्य भी काफ़ी पर्सनल चीज़ है। दूसरों के लिए अछूत सी होती है।
बेचारा और कर भी क्या सकता है.. मुझे सुबह चादर धोने के लिए डालनी ही होगी.. गद्दे को बाद में देखूँगी।

इन्हीं ख़यालों में मग्न होकर अपने बेडरूम के बिस्तर पर लेट गई।
मुझे नींद नहीं आ रही थी.. भान्जे की हरकत दिमाग़ में छाई रही।
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06-10-2021, 12:00 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
काम वासना और रति की इच्छा-2

मुझे अपने कुँवारे दिन याद आ गए.. मैं सोचने लगी कि कब से कर रहा था यह हरकत? इस पढ़ाकू बुद्धू में इतनी सेक्स की प्रेरणा कैसे आ गई? किताब कहाँ से लाया? क्या जानता है सेक्स के बारे में? वीर्य स्खलन के वक़्त सीत्कारी भरता है क्या?
मर्दों को चरम सुख पर कैसा अनुभव होता होगा?
धीरे-धीरे मेरे ख़याल और भी रंगीन होने लगे कि उसका लण्ड कैसा होगा.. कितना बड़ा होगा.. वीर्य कैसा होगा? क्या उसने किसी लड़की के साथ सेक्स किया है? उसकी कोई गर्लफ्रेंड तो नहीं है.. जिसके साथ वो सब कुछ कर चुका हो.. इसे ‘स्वयं सुख’ के बारे में किसने बताया होगा? लड़कें ‘स्वयं सुख’ पाने के लिए के कितने तरीकों से अपने अंग को उत्तेजित करते हैं.. एकांत में हस्तमैथुन करने के बाद जब वीर्य छोड़ते हैं.. तो उसका क्या करते हैं? भान्जे के वीर्य की गंध कैसी होगी?
मेरा पूरा जिस्म पसीने से भीग गया था। मैं काफ़ी गरम हो चुकी थी.. तुरंत हाथों से अपनी ‘छोटी’ को प्रेरित करने लगी। दिमाग़ में विकृत कल्पनाएँ अभी भी कुछ शेष बची थीं.. मेरा जी करने लगा कि भान्जे की तरह अपने कामांग को किसी चीज़ के साथ रगड़ कर सुख पा जाऊँ..। तभी मेरी नज़र एक मोटी मोमबत्ती पर पड़ी.. जो अक्सर बिजली जाने पर जला लेती थी.. वो बिस्तर के बगल के टेबल पर रखी थी।
उसे मैंने हाथ में लेकर अपनी योनि के लिए परखा.. काफ़ी बड़ी और मोटी सी थी.. लंबे समय तक ‘जलने’ वाली।
मोमबत्ती को बिस्तर से लंबाई के हिसाब सटा कर रख दिया.. जब मैं लेटती तो ठीक उस जगह लगा दी.. जहाँ मेरी योनि आ रही थी.. फिर मैं ठीक उसके ऊपर लेट गई और अपने हाथों से उसको ठीक किया ताकि मोमबत्ती की लंबाई मेरी योनि के ठीक नीचे हो।
मोमबत्ती को योनि छिद्र पर दबाया तो एक मधुर अनुभव हुआ.. योनि और बत्ती के बीच मेरी नाईटी और पेटीकोट के कपड़े थे.. इस वजह से दर्द या चुभन नहीं था.. लेट कर मैंने जवानी की उन किताबों की कहानियाँ याद किया और धीरे से योनि को मोमबत्ती से रगड़ने लगी।
करीब 15 मिनट के बाद बिजली की तेजी जैसा एक तेज़ झटका सा अनुभव मेरे मस्तिष्क में भर गया और मुझे समुंदर की उठती गिरती उँची ल़हरों की तरह एक अत्यंत ही रोमांचक चरम-सुख का अनुभव हुआ। ज़ोर की सीत्कारियाँ भरती हुई.. मैंने उस चरम सुख का आनन्द लिया।

पति देव को अच्छी तरह मालूम था कि मैं कभी-कभी हस्तमैथुन मैथुन कर लेती हूँ.. कई बार मेरी सिसकियाँ सुनकर उठ जाते और गौर से मुझे देखते रहते। उनकी आँखों के सामने ही मैं अपनी योनि को ज़ोरों से घिसती और रगड़ती रहती और मादक स्वरों में मिल रही सुख का आनन्द लेती रहती।
अब की ज़ोरदार सीत्कारियों से पति जागे और बोले- चुपचाप करो ना.. या दूसरे कमरे में जाकर रगड़ लो..
मुझ पर उनकी बातों का कोई असर नहीं हुआ.. मेरे कपड़े योनि के रस से गीले हो चुके थे।
कुछ ही पलों के बाद मेरा शरीर हल्का हुआ और एक मीठी नींद आने लगी.. मैंने बत्तियाँ बुझा दीं।
सब लोगों के दिमाग़ में सेक्स की प्रेरणा और दबाव एक जैसे नहीं होती।
कुछ लोगों में सेक्स की इच्छा बहुत होती है.. तो कुछ लोगों में सेक्स की इच्छा मामूली सी होती है।
मैं उन लड़कियों में से हूँ जिनमें काम वासना और रति की इच्छा 19 साल के उम्र से ही कुछ ज़्यादा ही उभर उठी थी।
शादी मेरे लिए उस द्वार का टाला गया था.. जिसको खोलना मेरे जैसी कुँवारी लड़कियों के लिए पाबंदित था। जबकि उस दौर में मेरी कुछ सहेलियों के ब्वॉय-फ्रेण्ड थे.. जिनके साथ उन्होंनें इस द्वार को तोड़ डाले थे.. पर मैं ऐसे परिवार से थी.. जहाँ इच्छाओं को लाज और इज़्ज़त के बल पर दबा देना चाहिए जैसी मान्यताएं थीं।
इस सबके लिए शादी के बाद कोई पाबंदी नहीं होती है।
मेरी कम उम्र में शादी हो गई थी.. लेकिन तब भी मेरा शरीर शादी के बाद सेक्स के लिए पूरी तरह से तैयार था।
कम उम्र में ही मेरी माहवारी शुरू हो गई थी और मैं इस सब के लिए परिपक्व हो गई थी।
एक मर्द को सुख देकर उसके बच्चे की माँ बनने के लिए मैं समर्थ थी। केवल 19 साल की उम्र में मेरा जिस्म एक 25 साल की औरत की जवानी से भारी था।
सुहागरात को मैंने सिर्फ़ थोड़े ही देर तक लाज शर्म का ढोंग किया और पहली ही रात में मैं लड़की से औरत बन गई थी। जब मेरे पति ने मेरे कौमार्य को भंग करते हुए अपनी जवानी को मेरे यौवन में समा दिया और अपना बीज मेरी कोख में बो दिया।
पूरी तरह से विवस्त्र.. मैंने हर उल्लंघन को तोड़ दिया और पति को अपनी अनछुई जवानी के मर्मांग को खुलकर परोस दिया।
पतिदेव ने मेरे उन हर अंग को दबा-दबा कर खूब टटोले और चूमने लगे.. जिन्हें आज तक मेरे सिवा और कोई नहीं देख सका था। पति की उस मदभरी सख़्त ‘मर्दानगी’ को जब मैंने अपने हाथ में लिया.. तो मेरा मन उस मधुर अनुभव को पूरी तरह से संभाल नहीं पाया और मैंने कामुक सीतकारियाँ भरते हुए.. उसे दबा-दबा कर.. अपने मदभरे यौन अंग के छिद्र से मिला दिया।
सुहागरात वैसे ही कटी.. जैसे मैंने सपना देखा.. पर मेरी ज़िंदगी सिर्फ़ एक दिन की ख़ुशी थी.. पति की छोटी सोच.. छोटी सोच से ग्रसित सड़ा सा आत्मसम्मान.. निकम्मापन इत्यादि.. बहुत जल्दी ही बाहर आ गए।
खुशी के कुछ पल जल्दी ही ख़तम हो गए और हमारे बीच एक बर्फ की दीवार बनने लगी.. जो सीधे बिस्तर पर ख़त्म हो रही थी। पति अपनी कमज़ोरियों को पत्नी पर ज़ाहिर करने लग जाए.. तो शादी की गर्मी लगभग ख़्त्म ही समझो।
बिल्कुल मेरे माता-पिता की तरह पति भी मेरी खूबसूरती से परेशान थे। उनकी नाकामयाबी.. मेरे खूबसूरती से हर पल हार रही थी।
उनके ज़हन में बस एक ही ख़याल था कि लोग यही बात कर रहे होंगे कि ऐसी हसीन बीवी के साथ ऐसा नाकामयाब इंसान कैसा? इस छोटे ख्याल की वजह से उन्होंने मेरे साथ आँखें मिलाना भी छोड़ दिया।
बिस्तर पर बर्फ की दीवार जम चुकी थी और हमारे दोनों के बीच मीलों का फासला बन चुका था.. जिसके कारण हमारा मिलन पूरी तरह से बन्द हो गया था।
केवल 20 साल की उम्र में ही मेरे विवाहित जीवन का आखिरी पत्ता गिर चुका था.. कभी-कभी उनके मन में थोड़ी सी आत्मविश्वास भरी हिम्मत उभरती.. और वो रात को मेरे ऊपर मुझे आज़माने के लिए चढ़ जाते थे.. ऐसे मौकों पर मैं भी खुलकर उनका साथ देती.. यही सोचकर कि बुझते दिए में तेल डाल कर ज्योति को और तेज करूँ.. लेकिन ज्योति थोड़ी देर में ही बुझ जाती और वो बिना कुछ हासिल किए ही ढेर हो जाते।
अपने पति के साथ वो अधबुझी आग एक सुलगती लौ की तरह मेरे अन्दर ऐसी आग लगाकर रह जाती.. जो मुझे रात भर जलाती रहती।
आख़िर मायके जाकर की सहेलियों से मिली.. और हस्तमैथुन प्रयोग सीख कर उसके उपचार से खुद को शांत करने लगी।
पिताजी ने इस बेरंग शादी को अपनी नाकामयाबी के क़िस्सों में एक और किस्सा बनाकर अपना मुँह मोड़ लिया।
दोनों बहनें बच्चों की परवरिश में मग्न मुझसे दूर हो गईं। माँ भी क्या करती.. खुद हालत से मजबूर मुझे भी वही नसीयत देती.. जो उन्होंने अपनी जीवन में इस्तेमाल किया।
हालत से सुलह कर लो और पूजा-पाठ में लगे रहो..
केवल 20 साल की उम्र में पूजा-पाठ कैसे होगा? जब मन और तन की माँगें ज़ोर पकड़ रही हैं। मन को कैसे काबू करूँ? जवानी की आग को कैसे बुझा दूँ?
यही सब सोचते हुए मैं अपने भांजे से रिश्ता बनाने के लिए सोचने लगी।
फिर मैंने किसी विद्वान की उस उक्ति को ध्यान में लिया.. जिसमें कहा गया था कि आवश्यकता ही अविष्कार की जननी है.. मैंने इसी युक्ति को ध्यान में लेते हुए अपने भांजे से अपने जिस्मानी रिश्ते बनाने के लिए प्रयास शुरू कर दिए।
शाम को जब चंदर कॉलेज से लौट आया.. चाय देने के बहाने उसके कमरे में गई और उससे बातचीत छेड़ने का प्रयास किया।
चंदर बड़ा ही शर्मीला था.. मेरी तरफ देख भी नहीं रहा था और नज़र बचाते हुए बात कर रहा था।
मैं एक पीले रंग की पारदर्शी साड़ी और सफेद रंग का पारदर्शी ब्लाउज पहने हुई थी, मेरा ब्लाउज काफ़ी सेक्सी किस्म का था।
ब्लाउज का गला काफी खुला था जिसमें से मेरी चूचियों की गोलाई बीचों-बीच से बाहर निकली पड़ रही थीं।

ब्लाउज के अन्दर की ब्रा भी काफ़ी सेक्सी किस्म की थी.. और जिस तरह से उनमें मेरी गोलाइयाँ फंसी हुई थीं.. उससे सब कुछ साफ़-साफ़ नज़र आ रहा था।
लेकिन जिसको दिखाना चाहती थी.. वो तो नज़र भी नहीं मिला रहा था।
मैं यूँ ही कॉलेज के बारे में कुछ बातें करने लगी। शरमाते हुए वो कुछ जवाब भी दे रहा था।
इसी तरह बातों-बातों मैं उससे पूछ पड़ी- क्या तुम्हारे कॉलेज में लड़कियाँ नहीं पढ़तीं?
उसने कहा- पढ़ती हैं.. लेकिन बहुत कम.. इंजीनियरिंग में आर्ट्स और कॉमर्स के मुक़ाबले कम लड़कियाँ हैं।
फिर मैंने पूछा- इन लड़कियों में कोई स्पेशल फ्रेंड?
चंदर शर्मा गया और अपने मुँह और भी नीचे कर दिया, शरमाते हुए कहा- नहीं.. ऐसा कोई नहीं है..
मैंने और पूछा- क्या कोई भी गर्ल-फ्रेंड नहीं? तुम्हारी उम्र के लड़कों के लिए ये तो मामूली बात है..
चंदर और भी शरमाता रहा और मैं धीरे-धीरे हमारे बीच की दूरी मिटाती गई।
‘चंदर, शरमाते क्यों हो? गर्ल फ्रेंड होना कोई बुरी बात नहीं.. बल्कि आजकल तो ये ही जायज़ है कि लड़का-लड़की अपने जीवन-साथी को खुद ही चुन लें.. बताओ.. कभी लड़कियों के बारे में सोचते ही नहीं क्या..? उनकी ओर आकर्षित नहीं होते क्या?’
अब चंदर शर्म से पानी-पानी हो गया.. बड़ी मुश्किल से जवाब दिया- जी मामी.. ऐसी कोई बात नहीं.. मेरा ध्यान तो पढ़ाई में है.. आजकल कम्पटीशन ज़्यादा है.. इन सब बातों के लिए वक़्त ही कहाँ है.. मैं ऐसे मामलों में बहुत पीछे हूँ।
मैंने एक और तीर छोड़ा- तो क्या ये सब बेकार की बातें हैं?
‘अरे हमारे ज़माने में इस उम्र के लड़के-लड़कियों की शादी हो जाती थी और वो तो सुहागरात भी मना डालते और बच्चे भी पैदा कर लेते थे। तुम्हारा जेनरेशन तो फास्ट है.. और तुम कहते हो कि लड़कियों के बारे में सोचते ही नहीं हो.. क्या किसी लड़की को देखकर आकर्षण सा नहीं होता? कुछ नहीं लगता तुम्हें? और आजकल की लड़कियाँ ऐसे-ऐसे ड्रेस पहनती हैं.. उस सब को देख कर कुछ तो महसूस होता होगा.. उनके करीब जाने की इच्छा.. उनसे बात करने की इच्छा.. उन्हें छूने की इच्छा.. किस करने की इच्छा.. कुछ और करने की इच्छा?’
चंदर की आँखें एकदम बड़ी हो गई, उसे शरम तो आ रही थी.. लेकिन मेरी बात सुनकर उसे अचरज भी हुआ- मामी.. प्लीज़..!
उसने ज़ोर से कहा और शर्म से मुस्कुराते हुए मुँह मोड़ लिया- मैं ऐसा कुछ नहीं सोचता हूँ.. मैं सीधा सादा लड़का हूँ..
मैं मुस्कुरा उठी.. मुझे मालूम था कि चंदर कितना सीधा-सादा था।
उस रात की हरकत ने खूब दिखाया मुझे.. ऐसी सेक्सी किताबें पढ़ता है और देखो कैसा नाटक कर रहा है। मैंने भी हार नहीं मानी.. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था.. मेरे अन्दर भी बहुत कुछ हो रहा था.. मुझमें बेशर्मी बढ़ रही थी।
‘इतने भी सीधे-साधे मत बनो कि सुहागरात के दिन पत्नी को छूना तो दूर मुँह भी देखने से शरमाओ.. अरे इस उम्र में तो सबको सेक्स की जिज्ञासा होती है.. यह तो एक सहज बात है। झिझक छोड़ो और खुलकर बात करो.. अब तुम बड़े हो गए हो.. शरमाने से स्मार्ट नहीं बन सकते..’
चंदर फिर भी मुँह मोड़े हुए शर्म से मुस्कुरा रहा था।
‘ठीक है भाई.. अब और नहीं पूछती.. लेकिन गर्ल-फ्रेंड होना.. लड़कियों की ओर आकर्षित होना या सेक्स के बारे में सोचना.. ये सब बुरी बात नहीं है। अरे आजकल तुम्हारी उम्र के लड़के-लड़कियां एक दूसरे के साथ सेक्स भी कर लेते हैं.. अब सब चलता है..’
यह कहते हुए मैं कमरे से निकल गई।
कल शनिवार है.. पति देर से घर आते हैं और वो भी शराब के नशे में धुत्त होकर आते हैं।
हर शनिवार अपने निकम्मे दोस्तों के साथ दारू पीते और घर लौट कर चुपचाप सो जाते।
चंदर का कॉलेज सिर्फ़ आधे दिन के लिए खुलता और वो दोपहर को लौट आता था। मेरी योजना के मुताबिक उसके लौटने के बाद हम दोनों के पास 10 घंटों का एकांत समय होता था.. इसी दौरान मैं उसके साथ कुछ और सनसनीखेज बातें छेड़कर गद्दे के नीचे रखी अश्लील किताबें और कन्डोम उसके सामने निकालती और उसे प्रलोभित करके अपने वश में ले लेती और कामातुर होने पर मजबूर करने लगी थी। शर्म और लाज से वो पूरी तरह मेरे वश में हो गया था। मेरी जवान जिस्म को देख उसकी नीयत तो बदलेगी ही.. उसके बाद.. आप समझ सकते हो..
जब तन की प्यास बुझी.. तो सब कुछ बदल सा गया। पहले जब भी रात के अंधेरे में उसकी हरकत करती और चरम सुख के सनसनाते हुए पल जब बीत जाते.. तो ऐसा लगता कि अचानक मेरा मन पूरा शांत हो गया है।
कुछ ही पल पहले की करतूतें बुरी और अश्लील लगने लगता था.. अपने कुकर्म पर पछतावा होता था.. लेकिन अब मुझे कोई पछतावा नहीं था।
बल्कि एक ऐसी चंचल मस्ती चाह थी कि दोबारा करने को जी चाह रहा था। सेक्स की प्यासी तो थी.. लेकिन मैंने इस तरह अश्लील साहित्य के सहारे जलती हुई वासना की आग में और भी घी डाल दिया था।
भारी साँसें भरती हुई मैंने दोबारा उन किताबों के अन्दर झाँका.. गंदे अश्लील चित्रों को देखते ही एक नई उमंग मेरे अन्दर दौड़ी.. बहुत सारे सनसनीखेज विचार मन में जन्म ले रहे थे। उन विचारों में एक विचार था कि मेरा भांजा चंदर जब इन किताबों को पढ़ता तो उसके दिमाग़ में कैसे ख़याल आते? क्या वो भी किसी लड़की के साथ ये सब कुछ करता हुआ सपना देखता था क्या?
दिमाग़ की ट्रेन का ब्रेक फेल हो गया और मेरे मन में ऐसे-ऐसे विचार आने लगे कि मानो कोई बड़ा सा बाँध टूट पड़ा हो और बाँध में क़ैद पानी उछल-उछल कर बहता जा रहा हो।
चंदर के नंगे जिस्म का दृश्य मेरे मन में आने लगा। थोड़ी ही देर में ख़यालों में अपने आपको भान्जे के साथ संभोग करते हुए देखने लगी।
बस.. फिर क्या था.. ट्रेन पटरी से उतर गई और ख़यालों की दुनिया से असल जगत में आ पहुँची.. लाज और शर्म भी डूब गई.. छी: .. कितना गंदा ख़याल है।
मैंने तुरन्त उठकर सब कुछ ठीक कर दिया और ठंडे पानी से नहा लिया ताकि जिस्म की गर्मी मिटा सकूँ। नहाने के बाद नाइटी पहन ली और खाना खाकर बेडरूम में लेट गई।
इसके बाद एक बार चस्का जो लगा.. सो लगा.. यह तो पहले ही बता चुकी हूँ.. मन जब काबू में ना हो तो दौड़ पड़ता है.. और मेरा मन फिर से ट्रेन की तरह दौड़ने लगा। वही अश्लील विचार मुझे फिर से तंग करने लगे।
अवैध संबंध वाली कहानियों में मामी-भान्जे की एक सनसनाती हुई सेक्स की कहानी थी। जिसमें मामी सब हद पर करते हुए भान्जे के साथ ऐसी हरकतें कर बैठती.. जो एक पति-पत्नी भी एकांत में करने से शरमाते हैं।
मैं मामी की जगह अपने आपको देखने लगी और भान्जे की जगह चंदर को।
मेरे शरीर में करेंट सा दौड़ रहा था और मैं बेहताशा गीली हो रही थी.. अपनी आँखें बन्द करती तो यही दृश्य सामने आ जाता.. आँखें खोलती तो फिर से बन्द करके वही सपना देखने की इच्छा होती।
मन में शर्म और लाज ने मस्ती और वासना से जंग छेड़ रहे थे। आख़िर बहकता हुए मन ने शर्म और लाज को अपने आपसे मिटा डाला। आख़िर कब तक मैं अपने जिस्म को ऐसी दंड देती रहूंगी।
पहली बार जो मेरे और चंदर के अवैध सम्बन्ध बने तो मन ग्लानि से भर उठा था और उसी समय सोच लिया था कि अब आगे से इसके साथ ऐसा नहीं करूँगी.. पर आप सब तो जानते ही हैं कि ये आग ऐसी आग है जो कभी भी नहीं बुझती है सो चंदर से शारीरिक रिश्ते बनते रहे।
मुझे नहीं मालूम कि मैं सही किया या गलत किया पर तब भी यदि सामाजिक वर्जनाओं को एक बार के लिए भूल भी जाएं तो कायनात की शुरुआत में आदम और हव्वा की कहानी याद आती है जब न रिश्ते थे और न कोई सामाजिक बंधन था.. बस जिस प्रकार उस बनाने वाले की रचनाओं ने सृजन करते हुए खुद की ‘संख्या वृद्धि’ का प्रयास किया.. मैं उसी को अपनाती रही.. लेकिन सृजन करके सन्तान का कोई प्रयास नहीं किया.. उधर लोकाचार और पति से कुछ भय बना रहा।
ये मेरी जीवन डायरी के कुछ अंश हैं जो मैंने आप सभी के सामने प्रस्तुत करने का प्रयास किया है।

end
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06-10-2021, 12:00 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
माँ का दूध

मेरी उम्र करीब 45 साल है. मेरी शादी हो चुकी है और दो बच्चे भी हैं. मैं वैसे तो भोपाल का रहने वाला हूँ। मैं एक प्राइवेट कंपनी में ऊँचे पद पर हूँ. बात उन दिनों की है जब मेरी कंपनी ने मुझे पुणे ऑफीस सेट अप करने के लिए भेजा था। यह करीब दो साल पहले हुआ. दिसम्बर का महीना था और बच्चो के स्कूल शुरू थे. इसलिये

मैं अपनी फैमिली साथ नहीं ले जा सका। पुणे में मुझे कंपनी से एक बड़ा सा मकान मिला था जिसमे मैं पूरी तरह अकेला रहता था. तभी एक दोस्त के रेफरेन्स से एक यंग कपल मुझसे मिलने आये. वो दोनों करीब 25-27 साल के थे. उनका एक तीन महीने का बेबी था. लड़का कहीं नौकरी करता था. उन्हे कुछ महीनों के लिये एक रहने की जगह चाहिये थी. मेरे दोस्त का ख्याल था की मैं अपने मकान का एक हिस्सा उन्हे किराये से दे दूँ. इससे मकान का मेंटेनेन्स होता रहेगा, मुझे कंपनी भी मिल जायेगी और इस कपल की मदद भी हो जायेगी. मुझे वो दोनों भले लगे और मैं तैयार हो गया। पहले ही दिन मैने नोटीस किया की उसकी पत्नी ने बड़ी टाइट जीन्स और टी-शर्ट पहन रखी हैं. वो दिखने में कोई ख़ास सुंदर नहीं थी पर उसका दुबला पतला बदन था और जिस पर काफ़ी उभार वाले बड़े स्तन थे. पहले ही दिन से मैं उन पर से नज़रें हटा नहीं पा रहा था। मैने सोचा शायद अब भी अपने बच्चे को दूध पीला रही है. मेरा ख्याल सही निकला. वो जब भी मुझसे मिलती मेरी नज़र उसके भरपुर स्तन पर जाये बगैर नहीं मानती थी। यह शायद उसने भी नोटीस किया था. कुछ ही दिनों मे हम लोग काफ़ी घुल मिल गये. मैं घर के अपने हिस्से की भी चाबी उस लड़की के पास छोड़ जाता था ताकि जब कांमवाली आये तो वो उससे घर साफ करवा ले. वे अभी खुद का घर लेने ही वाले थे इसलिये उनके पास कुछ फर्निचर नहीं था।

मैने लड़की से कहा वो दिन भर अकेली रहती है, चाहे तो वो मेरा टीवी देख सकती है ओर अपना सामान मेरे फ्रिज में भी रख सकती है. उसने तुरंत ही मान लिया. इस तरह उसका घर में आना जाना बना रहता और मैं उसके स्तनों को भी देख पाता. कभी कभी जब वो ब्रा नहीं पहनी होती तो मुझे उसके बड़े बड़े निपल्स का भी एहसास हो जाता। एक दिन की बात है, दफ़्तर में कोई ख़ास काम नहीं होने से मैं दोपहर को अचानक ही घर पहुँच गया. घर का दरवाज़ा खुला था और अंदर से टीवी की आवाज़ आ रही थी. मैं जैसे ही अंदर दाखिल हुआ मैने देखा आरती (जो उस लड़की का नाम था), सोफे पर बैठी थी और अपने बेबी को दूध पीला रही थी. उस दिन भी उसने सिर्फ़ एक शर्ट ही पहना था. सामने के आधे बटन खुले थे. अंदर ब्रा भी नहीं थी. उसका एक स्तन तो करीब पूरा ही दिखाई दे रहा था।

वो मुझे देखकर थोड़ा हड़बड़ा गयी पर बेचारी के पास तन ढकने को कोई कपड़ा नहीं था. वो बेबी को डिस्टर्ब भी नहीं करना चाहती थी इसलिये कुछ ना कर सकी. मैने भी उसे इशारे से कहा कोई बात नहीं और में दूसरे सोफे पर बैठ टीवी देखने लगा. हम लोग इधर उधर की बात करते रहे पर हर कुछ पलों के बाद मेरी नज़र उसके स्तनों पर ज़रूर जाती. वो यह जानती थी पर कुछ देर बाद वो इस बात से खुली हुई होती दिखी। तभी मैने देखा की उसके ढके हुए स्तन से भी दूध टपक रहा है और उसका शर्ट धीरे धीरे गीला हो रहा है. इस वजह से उसके शर्ट का कपड़ा भी गीला हो चला था और अंदर से दूसरे स्तन के भी दर्शन हो रहे थे. मैं जानता था की ऐसा होता है पर मैने नादान बनते हुये उससे पूछा, “अरे आपका शर्ट तो पूरा भीगा जा रहा है, क्या हुआ?” वो थोड़ा शरमाई और बोली, ” भाई साहब, क्या करूँ मुझे दूध इतना होता है की टपकता रहता है.” उसने कहा की यह एक समस्या है. इससे उसे बड़ा दर्द भी होता है और यदि हाथ से पंप करके निकाले तो भी बहुत तकलीफ़ होती है।

मैने थोड़ा शरारत भरे अंदाज़ में कहा, “इसमें क्या समस्या है, राजेश (उसका पति) से कहो तुम्हारी मदद करे.” वो बोली वो ऐसा नहीं करते. उन्हे मेरा दूध ज़रा भी पसंद नहीं और स्तनों से दूध निकलना भी पसंद नहीं. मैने फिर कहा की ये आश्चर्य की बात है. ऐसा कौनसा मर्द है जो यह करना नहीं चाहेगा। अब हम दोनों में बड़ी फ्री बातें हो रही थी. वो बोली राजेश तो ऐसे ही हैं. अब मेरे अंदर का शैतान जाग गया था. मैने सोचा थोड़ी पहल कर के देखते हैं, शायद कुछ बात आगे बढ़े. मैं थोड़ा चुटकी लेते हुये और थोड़ा ठंडी आह भरते हुये बोला, “है, काश मैं आपकी मदद कर पाता.”मुझे लगा शायद ज़्यादा बोल गया और वो कहीं नाराज़ ना हो जाये पर आरती मुस्कुराई और बोली, “आप करेंगे मेरी मदद?” मैने कहा क्यों नहीं।

वो बोली, “तो ठीक है.” अब तक उसका बेबी सो चुका था. उसने धीरे से बेबी को स्तन से अलग किया जिससे वो पूरा मुझे दिखाई देने लगा पर उसने छिपाने का कोई प्रयत्न नहीं किया. बेबी को अंदर एक पलंग पर सुला कर वो वापस आई और मेरे सामने खड़ी हो गयी. अपने खुले स्तन को पकड़ कर कहा की इसे तो बेबी ने खाली कर दिया, और दुसरे को पकड़ती हुई बोली की देखो यह तो पत्थर हुआ जा रहा है. इसके लिये आप क्या करेंगे। मैने कहा, मैं तो सिर्फ़ इसे चुस कर ही खाली कर सकता हूँ. वो बोली, “मेरा भी यही इरादा है.” वो थोड़ा सा झुकी और अपना शर्ट दुसरे स्तन से हल्का सा सरका लिया. उसका भरपूर स्तन और उठा हुआ निप्पल मेरे चेहरे के सामने लटक रहा था। मैंने जैसे ही होंठ खोले वो आगे बढ़ी और अपना निप्पल मेरे मुहँ में दे दिया।

मैं हल्के हल्के उसे चुसने लगा. उसमे से पतला और हल्का सा मीठा दूध निकल रहा था जो मैं गुटक जा रहा था. मैने सपने में भी नहीं सोचा था की बात यहा तक बढ़ेगी और वो भी इतनी जल्दी और आसानी से. अब मैने थोड़ा ज़ोर से चूसना शुरू किया. उसके स्तन में वाकई बहुत दूध था।

हर सास के साथ एक बड़ा सा घुट मेरे मुहँ में आता और मैं उसे पी जाता. इस बीच मेरा लंड मेरे कपड़ों के अंदर तन कर खड़ा हो गया. मैने देखा की उसकी भी साँसे तेज़ हो गयी हैं. अब वो सोफे पर मेरे बाजू बैठी थी और मैं उसका स्तन चूसे जा रहा था. मुझे पता भी नहीं चला की कब मेरा हाथ उसके दूसरे स्तन पर चला गया। मैं एक स्तन को चूस रहा था और दूसरे को हल्के हल्के मसल रहा था. उसने मुझे रोका नहीं. इसके पहले में अपनी पत्नी को छोड़ किसी औरत के इतना करीब नहीं आया था. और एक जवान जिस्म को छुये तो बीस साल गुज़र चुके थे. उसके स्तन बड़े होने के बावजुद काफ़ी उभरे हुये थे. और बदन पर तो क़यामत ही करते थे। धीरे से मैने उसका शर्ट उतार फेंका. नीचे वो पजामा पहने हुई थी. मेरे हाथ अब उसके पूरे बदन पर चल रहे थे और वो भी सिसकियाँ ले रही थी. अब बात सिर्फ़ ज़्यादा दूध खाली करने की नहीं रही थी. ये वो भी समझ रही थी पर अपने आप को और मुझे रोक नहीं पा रही थी। मैने आहिस्ता से उसका पजामा और पेंटी दोनो उतार दिये. अब वो पूरी तरह से नग्न थी. उसके हाथ मेरे कधों पर थे. और मैं बारी बारी से उसके दोनों स्तनों को चूसता और मसलता जा रहा था।

मेरे हाथ अब उसकी चूत की ओर चले. बालों के बीच से जब मेरी उंगलियाँ उसकी चूत की फांकों तक पहुँची तो मुझे पता चला वो पूरी तरह गीली हो चुकी थी. उसने तीन महीने पहले ही बच्चे को जन्म दिया था. अभी तक उसकी चूत काफ़ी ढीली और बड़ी थी। मेरी उंगलियाँ आसानी से अंदर चली गयी. मैं जान गया की वो चुदने के लिये पूरी तरह से तैयार है. मैं भी आपे से बाहर ही था।

पता नहीं कैसे और कब मैं भी अपने कपड़ों से आज़ाद हो गया. अब आरती का हाथ मेरे लंड को ढूंढता हुआ आया और उसे पकड़ लिया. मेरे बदन में तो जैसे आग लग गयी. किसी दुसरी महिला को चोदने का ख्याल मेरे मन में तो बहुत बार आया पर यह पहला ही मौका था जब वो सच हो रहा था। अब उसके स्तन तो क्या मैं सारे बदन को चूम रहा था और वो भी मुझसे लिपटी जा रही थी. शायद बड़े दिनो से प्यासी थी. क्या पता बच्चे के जन्म के बाद शायद पति से चुदी ही नहीं. वो अपनी चूत उठा उठा कर मुझसे आने को कह रही थी। मेरे लंड को पकड़ कर चूत की तरफ खींच रही थी. हम दोनो अपने होश खो चुके थे. मैने आरती को सोफे पर लिटाया और उसके पैरों के बीच आ गया. वो अब अभी मेरा लंड पकड़े हुये थी. उसने ही लंड को चूत के उपर पर रख दिया और उपर नीचे करने लगी।

इससे लंड उसकी चूत के रस में हो गया. हमारे होठ आपस मे मिल चुके थे. मैं उसकी जीभ को चूस रहा था. हम दोनो पसीने से तर थे. एक हल्के से झटके से मेरा पूरा लंड उसकी चूत के अंदर समा गया. इतनी गर्म ओर गीली चूत का मेरा पहला अनुभव था. मेरे बदन में जैसे आग लग गयी. अब मैने उसे चोदना शुरू किया. पहले हल्के हल्के फिर ज़रा ज़ोर से. आरती के मुहँ से सिवाय ऊ और आ के कोई शब्द नहीं निकल रहा था. उसकी आँखें बंद थी. मैं जानता था वो लंड का पूरा आनंद ले रही है।

इस बीच वो दो बार झड़ी पर चुदवाना बंद नहीं किया. चूत उठा उठा कर मेरे धक्कों का जवाब दे रही थी. उसके दोनों स्तनों से फिर दूध की बूँदें टपक रही थी. मैं भी उसके जवान बदन को बेतहाशा चोदे जा रहा था. शायद मेरा लंड इतना मोटा ओर टाइट कभी नहीं हुआ था। एक तो दूसरे की पत्नी उपर से जवान, मेरी उम्र के आदमी को और क्या चाहिए? मैं जानता था की अब मैं झड़ने के करीब हूँ. मैने ज़ोरों से उसकी चूत मारनी शुरू कर दी. जैसे ही वो तीसरी बार झड़ी मैने भी अपने वीर्य से उसकी गर्म चूत भर दी. गर्म गर्म वीर्य के न जाने कितने फव्वारे उसकी चूत में खाली हो गये। मुझे लगा जैसे मैं मर जाऊँगा. हम दोनो एक दूसरे की बाहों में गिर गये. थोड़ी देर बाद जब होश आया तो दोनो डरे हुये थे।

आरती तो रोने लगी पर मैने उसे समझाया जो हुआ वो हुआ अब इसे किसी से कहना नहीं. हमने कपड़े पहने और वो बेबी को लेकर अपने कमरे में चली गयी. वो ठीक से चल भी नहीं पा रही थी. इसके बाद तो मैं कई बार उसके स्तन खाली करने में उसकी मदद की. और जब मौका मिलता हम चोद भी लेते. कुछ महीने बाद उसके स्तन तो सुख गये पर हमारी चुदाई बंद नहीं हुई। राजेश और आरती अपने घर चले गये और मेरी भी फैमिली ने मुझे जॉइन कर लिया पर हम हमेशा कॉंटेक्ट मे रहे. हर कुछ हफ्तों में, हम पुणे के बाहर कोई रिसोर्ट में एक कमरा बुक करके मिलते हैं और चोदने का आनंद उठाते हैं।
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06-10-2021, 12:00 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मेरी पहली चुदाई मेरे कुत्ते से

मेरा नाम शबनम है. मेरे परिवार मे सिर्फ़ मम्मी, पापा, मेरे बड़े भैया और मैं हैं. हां, और हमारा अल्सेशन कुत्ता भालू. जब मैं 11 साल की थी हम एक छ्होटे से घर में रहते थे. एक किचन, बाथरूम और दो कमरे. भैया एक कमरे में सोते थे और मैं मम्मी पापा के साथ एक कमरे में.

घर छ्होटा होने के कारण मैने कई बार पापा और मम्मी को प्यार करते देखा था. पापा मेरी मम्मी के उपर चढ़ जाते थे और मम्मी अपनी लातें फैला देती थीं और फिर पापा अपना लंड उनके अंदर डाल देते थे. फिर पापा उपना लंड मम्मी की चूत में अंडर बाहर करते थे और कुछ देर बाद मम्मी सिसकारियाँ लेने लगती थी. मुझे लगता था के उन दोनो को खूब मज़ा आ रहा है.

उन दिनो में मुझे यह बातें अजीब नहीं लगी. मैं नादान थी और मुझ पे अभी जवानी का जोश नही पड़ा था. जब मैं 12 साल की हुई तो मेरा बदन बदलने लगा. मेरी छाती पे मेरे बूब्स आने लगे, मेरी चूत पर हल्के हल्के बॉल उगने लगे.

मैं जवान होने लगी. मैने आजमाया कि अपने बूब्स को सहलाने से मुझे अजीब सा मज़ा आता है. जब मैं अपनी चूत पर हाथ फेरती तो बहुत ही अछा लगता.
जब मैं मम्मी पापा को चुदाई करते देखती तो जी करता के मैं भी उनके साथ यह प्यार का खेल खेलूँ: पापा मेरे भी बूब्स को दबाएँ और अपना लंड मेरे अंडर डालें और में उनका लंड मुँह में लूँ और चूसू, जैसे मम्मी करती थी. फिर स्कूल में मेरी सहेलियों ने मुझे बताया के यह चुदाई का क्या मतलब है. मेरी सहेली लता ने तो अपने पड़ोसी लड़के के साथ ट्राइ भी किया था.

उसने बताया के लड़के के लंड को हाथ मे लेके सहलाने से वो बढ़ हो जाता है और वो लोहे जैसे सख़्त अकड़ जाता है और उसको फिर मुँह में लेके चूसने में बहुत मज़ा आता है. उसने अपने फ्रेंड का लंड अपनी चूत पे भी उपर नीचे रगड़ता था.

उसको बहुत अछा लगा था. उसने बताया के लंड चूसने के बाद वो झार जाता है और उसमे से खूब सारा मलाई जैसा पानी निकलता है जिसको पीने में बहुत मज़ा है.
उसने बताया के वो अब अपने फ्रेंड का लंड अंदर भी लेना चाहती है. सिर्फ़ मौका मिलने की बात है. यह बातें सुनते मेरे अंदर अक्सर एक अजीब सी गरमाइश उठती थी और मेरा दिल करता था के मैं भी यह बातें आज़माऊ. तब तक मैं 13 साल की हो गयी थी.

एक दिन मैं स्कूल से आकर होमवर्क करने को बैठी. मम्मी, पापा दोनो ऑफीस गये हुए थे और मैं घर में अकेली थी. गर्मी थी इस लिए मैने सिर्फ़ टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहने थे.
हमारा कुत्ता भालू कमरे में आकर मेरे पास बैठा था. मेरा मन होमवर्क पर नहीं था. मेरे सर में तो सेक्स के ख्याल आ रहे थे जैसे लता ने सुनाए थे. मैं बेड पे पीछे लेट गयी और अपने बूब्स को, जो अब साइज़ 34 के हो गये थे, अपने हाथों के साथ मसल्ने लगी.
फिर मैने अपनी टी-शर्ट उतार दी ताके मेरे हाथ अच्छी तरह सब जगह पहुँच सकें. फिर मैने एक हाथ शॉर्ट्स के अंदर डाला और में अपनी चूत को सहलाने लगी. मेरी चूत हल्की सी गीली होने लगी और मेरी उंगलियाँ आसानी से मेरी चूत पे घूमने लगी.

मेरा एक हाथ मेरे बूब्स पे और दूसरा हाथ चूत पे घूम रहा था. फिर अचानक मुझे महसूस हुआ के भालू की गरम गरम गीली ज़बान मेरी जाँघो को चाट रही है. मैने भालू को पीछे धकेला और गुस्से से बोली “ नो भालू, बॅड बॉय”. मगर सच बताउ तो वो भालू का चाटना मुझे बहुत अछा लगा था. कुछ देर बाद भालू फिर आकर मेरी जाँघो को चाटने लगा.

मैं कुछ नहीं बोली और उसको चाटने दिया. आहिस्ता आहिस्ता वो उपर की तरफ, मेरी चूत के पास चाटने लगा.
उसकी ज़बान बहुत गरम थी और उसका मुलायम फर मेरी चॅम्डी पर रगड़ रहा था. मुझे बहुत अछा लग रहा था. मेरी चूत भी खूब गीली हो चुकी थी और मेरे अंदर खूब गरमाइश चढ़ चुकी थी. मैने अपनी शॉर्ट्स नीचे खिस्काई और उतार दी. अब मैं बेड पर नंगी पड़ी थी.

मैने भालू का सर अपने हाथ में लिया और उसको उपर अपनी चूत की तरफ खींचा. वो चाटने लगा. में तो बहाल होने लगी.
मैने अपनी टाँगें फैलाईं और भालू को अपनी चूत का पूरा प्रवेश दिया. अब उसकी ज़बान मेरे दाने पर भी घिस रही थी और कभी कभी मेरी कुँवारी चूत में भी प्रवेश करती थी. मैं बेड के किनारे तक खिसक गयी ताके भालू की ज़बान सब जगह तक पहुँच सके. उसकी लंबी, गरम और खर खरी ज़बान मेरी गांद से उपर मेरे दाने तक चाट रही थी. मेरी टांगे काँपने लगी. मैं अपने चूतर उपेर करके भालू से और जोश से चटवाने लगी.

उसकी ज़बान मेरी चूत में घुस गई और मेरी गरमाइश बढ़ गई. मेरे अंदर में से यह गरमाइश मेरे पूरे बदन में फैल गई. मेरी चूत अचानक झटके देने लगी और में मज़े में खो गई. मैं तब पहली बार झाड़ गई. मेरी चूत से और पानी बहने लगा जिसको भालू ज़ोर ज़ोर से चाटने लगा. मेरा बदन पूरा थर थारा उठा. जब मुझे थोड़ा होश आया तो मैने भालू को उपर बेड पर खींच लिया.

वो दो पैर के साथ मेरे उपर खड़ा था और मेरे बूब्स को चाटने लगा. मैने फिर अपना हाथ नीचे उसके पैट को खिसकाया और मैं उसके लंड को सहलाने लगी, जोकि अभी उसके कवर में था. आहिस्ता आहिस्ता उसका लंड बाहर आने लगा. वो बहुत गरम और गीला चिकना था. थोड़ी ही देर में वो लंबा मोटा और सख़्त हो गया और भालू हांफता हुआ हवा में, मेरे उपर धक्के लगाने लगा. मैने नीचे देखा तो उसका लंड अब कम से कम 9 इंच लंबा हो चुक्का था.
मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसके लंड को अपनी चूत पर फेरने लगी. जन्नत का मज़ा मिल रहा था. मेरी साँस फूल गयी और मैं फिर से कामपति, झटके खाती हुई झार गई. अब मेरा कुत्ता पूरे जोश में था. उसका लंबा सख़्त लंड मेरी चूत के फांको के बीच था.

कभी कभी वो मेरी चूत के च्छेद पर भी आता था और थोड़ा अंदर भी जाता था. वो झटके मारने लगा और अचानक उसका लंड मेरे अंदर कोई 3-4 इंच तक समा गया.
मेरी चूत तो पूरी तरह से गीली थी और उसका लंड आगे से तीखा और चिकना था. पहले तो मुझे डर सा लगा. मेरे दिमाग़ मे आया कि अभी तो आधे से ज़्यादा लंड बाहर है, बाकी कैसे अंदर लूँगी? मगर भालू को इन सब बातों का क्या पता था. वो तो चोद्ने में मगन था. वो अपनी कुत्ते की रफ़्तार से मेरे अंदर बाहर जा रहा था. हर झटके के बाद उसका लंड थोड़ा और मेरे अंदर समा जाता. उसके लंड में से थोड़ा थोड़ा गरम गरम पानी सा मेरी चूत को और भी गीला और चिकना कर रहा था.
मेरी चूत भरी जा रही थी और में मज़े से अपने कुत्ते से चुद रही थी. मैने जोश में आ कर भालू को पीछे से पकड़ा और ज़ोर से अपनी तरफ खींचा. मुझे नही पता था कि क्या होगा. उसका मोटा लंड मेरी चूत के अंदर पूरा समा गया.

मुझे महसूस हुआ कि मेरे अंदर कुछ फटा है और में दर्द से चीख पड़ी. भालू ने मेरी सील तोड़ दी थी. मैने उसे धकेल कर उसको मेरे अंदर से निकालने की कोशिश करी मगर मैं उसको पीछे नही हटा पाई. उसने अपने अगले पैर मेरे बदन के पीछे अटकाए हुए थे और वो मेरे उपर चिप्टा हुआ था. उसका फर मेरे बूब्स और पेट पर सरक रहा था. उसकी ज़बान मेरी गर्दन और मुँह को चाट रही थी. मैं अपना दर्द बिल्कुल भूल गयी और उसकी चुदाई का मज़ा लेने लगी. अब भालू का पूरा 10 इंच लंबा गरम गरम मोटा लंड मेरे अंदर बाहर जाने लगा. में भी अपनी लातें फैला कर अपने चूतर उठा उठा उसके धक्कों का मुक़ाबिला कर रही थी.
जन्नत का मज़ा आ रहा था मुझे. उसका लंड हर धक्के के साथ मेरी पूरी गहराई तक पहुँच रहा था. मैं तब बहुत ही ज़ोर से झार गयी. मेरा पूरा बदन फिर से काँप उठा और मेरी चूत झटके खाने लगी. भालू नही रुका और मुझे चोद्ता रहा. उसकी रफ़्तार बढ़ती गयी और मुझे ऐसे लगा जैसे उसका लंड और भी मोटा होता जा रहा है. मैने अपने हाथ से उसका लंड पकड़ा तो मैने महसूस किया कि उसका लंड जड़ के पास बहुत ज़्यादा मोटा था.

मोटा ही नहीं वो तो एक टेन्निस बॉल जैसे गोल था. हर धक्के से यह गोला मेरी चूत के अंदर जाने की कोशिश कर रहा था. फिर वही हुआ. वो गोला मेरी चूत के अंदर चला गया. मुझे लगा जैसे मेरी चूत फॅट जाएगी. भालू फिर मेरी चूत में झड़ने लगा और उसने अपना गरम गरम वीर्य मेरे अंदर एक पिचकारी जैसे छोड़ दिया. अब वो अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर नहीं कर पा रहा था. हम दोनो चूत और लंड से जुड़े हुए थे.
फँसे हुए थे जैसे कुत्ता और कुतिया जुड़े हुए दिखते हैं. मेरा कुत्ता और में पूरे 15 मिनिट ऐसे ही पड़े रहे. उतने में मैं एक बार फिर झाड़ गयी. फिर उसका लंड ढीला हुआ और वो मेरी चूत में से निकला. साथ ही उसका ढेर सारा पानी निकला.
भालू मेरे उपर से उठा और कमरे के एक कोने में बैठके अपना लंड चाटने लगा. में बेड पर लेटी रही और अपनी पहली चुदाई का मज़ा लेती रही.तो दोस्तो आपको ये बकवास कहानी कैसी लगी ज़रूर बताना आपका दोस्त राज शर्मा
समाप्त
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06-10-2021, 12:00 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मेरी बहन दीपा --1

मेरा नाम मनीष है मेरी बहन का नाम दीपा है वो 29 साल की है दीपा देखने मैं बहुत मस्त लगती है उसे देख के हर किसी के मन मैं उसे बस चोदने का ख्यल ही आता होगा.दीपा की ब्रा का साईज़ 32 है उसकी नेवल बहुत सुन्दर है उसके बूबस उसकी चुत सब बहुत मस्त है उसके नंगे जिस्म देख के ऐसा लगता है जैसे कोई गदराई बरसों की प्यासी जवानी है जो मचल रही है, और ये सब मैं कैसे जानता हु ये ही बतना चाहता हु.मै और दीपा दोनों अकेले दिल्ली मैं रेहते हैं मैं जॉब करता हु वो कोलेज मैं पढती है और वही होस्टेल मैं रेहती है, वीकेंडस पे आती रेहती है मेरे पास.ये पिछले महीने दिवाली से 2 हफ़्ते पहले की बात है दीपा वीकेंडस पे आई हुई थी, रात के 9:30 हो रहे होंगे मैं और दीपा दोनों सब टीवी पे लेफ्ट राइट लेफ्ट देख रहे दी. तभी दरवाजे पे दस्तक हुई और मे मैने जैसे ही दरवाजा खोला मैं देखा कुछ लोग बाहर खड़े थे सारे ६ फीट के आस पास के थे शक्ल से क्रिमिनल्स लग रहे थे उन्होने मुझे घर के अंदर धक्का दे दिया और अंदर घुस गए और दरवाजा लॉक कर लिया और कहा शोर मचाया तो गोली मार देंगे और अपनी पिस्टोल मेरे सर पे लगा दी तभी दीपा अंदर के रूम से बहर आ गयी उनकी आवजों को सुन के.

उन्होने दीपा को उपर से नीचे तक घूर के देखा फिर उन मैं से एक ने कहा साला रंडी चोद रहा था, फिर एक ने कहा साले आज कल के लौंडे यहाँ पढने आते हैं पर करते हैं रंडी बाज़ी फिर उन्होने मुझे कहा क्या बे मादरचोद रंडी बुलाता है घर मैं हैं और वो मुझे लेके अंदर आ गये और पहले वाले रूम मैं बैठ गए असल मे दीपा ने उस वक्त व्हाइट कलर की स्कर्ट और पिंक टॉप पहनी थी इस वजह से उसकी गंड बहुत बड़ी लग रही थी और दीपा के लिप्स देखने मैं नॉर्मली ऐसे लगते हैं जैसे की पता नहीं कितना लंड चूस्ती हो पर मे जानता हु की वो अभी तक वर्जिन है और बहुत ही शरीफ और सीधी है. अब मुझे पता चला के वो कुल 6 लोग थे, दीपा उन्हें देख के बहुत डरी हुई लग रही थी तभी उनमे से एक आगे बढ़ा और दीपा के पास ख़ड़ा होके दीपा को छूने लगा और कहने लगा साली कितने मे चुद रही थी तू? नाम क्या है तेरा? दीपा ने डर से धीरे से कहा- दीपा.फिर उनमे से एक ने मुझसे पूछा- कौन है रंडी? कहाँ से लाया? मैने कहा मेरी छोटी बहन है.

इस पे सारे हँसेने लगे कहा वाह क्या मस्त माल है तेरी बहन साली की गांड देख के तो लगता है बहुत मराती है. फिर सब हंसने लगे. दीपा के डर के मारे आंसू निकलने लगे.तभी एक ने कहा साली जा खड़ी क्या है हमारे खाने के लिये कुछ ला, और दीपा किचन मैं चली गयी कुछ लाने, थोड़ी देर मे कुछ खाने को लेके वो वापिस आ गयी और जैसे ही झुक के प्लेट

टेबल पर रखने लगी उसके पीछे खड़े एक आदमी ने उसकी स्कर्ट को पूरा उपर उठा के कहा साली की गांड तो देखो क्या गदराई हुई है, दीपा इस हरक़त पे चिल्ला पड़ी बोली-ये क्या बातमीजी है? तभी उनमे से एक ने दीपा के बाल को पकड़ के खींचा दीपा दर्द से कराहने लगी, तब उनमैं से एक बोला साली तुझे तो अब हम बतायेंगे की बातमीजी क्या होती है.

मैने चिल्ला के कहा-मेरी बहन को छोड़ दो, तब उन्होने कहा- साले बेहन के लोड़े तेरी तो, और वहीं पड़े चादर को उठा के मेरे हाथ पैर बांध दिये. और कहा देख आज तेरे सामने तेरी बहने की ब्लू फिल्म बनायेगे इसे अपनी रंडी बनायेंगे. और उन्होने दीपा को पकड़ लिया और कहा साली चल अपने सारे कपड़े उतर नहीं तो तेरे और तेरे भाई दोनो को गोली मार देंगे, दीपा डर गयी उसने उनसे बहुत कहा हमे छोड़ दो

पर वो नहीं माने अंत मैं दीपा ने रोते हुये अपने कपड़े उतारने शुरू किये और उनमे से एक ने अपने पॉकेट से फोन निकाल लिया और दीपा की फिल्म बनाने लगा, पहले दीपा ने अपना टॉप उतारा. दीपा की छूचियाँ उसके ब्रा से झलकने लगी उसकी नेवेल पूरी मस्त सी देखने लगी, फिर उन्होने कहा चल अब स्कर्ट उतार. दीपा बोली- प्लीज़ ये नहीं. तब उनमे से एक ने जबरदस्ती दीपा की स्कर्ट उतर दी.मैने पहली बार दीपा को पॅंटी और ब्रा मैं इस तरह देखा था. उसको इस तरह देख के पता नहीं क्यूं मुझे अच्छा भी लगने लगा, अब बारी थी पॅंटी उतारने की दीपा ने धीरे से पॅंटी उतार दी, हे भगवान मैं आज अपनी सगी बहन की झाटों भरी चूत देख रहा था और वो अपनी चूत को अपनी मोटे मोटे जाँघों के बीच छुपा रही थी, अब बारी थी ब्रा की, लेकिन इसके पहले ही उन लोगों ने उसकी ब्रा खींच के फाड़ दी और दीपा के दोनो चूचियाँ आजाद होके उनके सामने झूल गयी, फिर क्या था सारे दीपा के जिस्म के साथ खेलने लगे और एक फिल्म बनाता रहा. दीपा बार बार उन्हे कह रही थी प्लीज़ भगवान के लिये मुझे जाने दो कुछ मत करो ऐसा मत करो मैं बर्बाद हो जौउँगी, पर वो कहाँ सुनने वाले थे. वो तो दीपा की जिस्म से खेलने मैं लगे थे. फिर उनमे से एक ने कहा भाई साली की चूत चाटते पर साली की झांटे इतनी बड़ी हैं की मज़ा नहीं आयेगा तभी दूसरे ने कहा तो क्या हो गया रंडी की चूत शेव कर देते हैं, और उसने अपने एक साथी से कहा-जा और जाके रूम से रेज़र दूंढ़ के ला. फिर 10 मिनट मे वो आदमी रेज़र, मग मैं पानी और साबुन लेके आ गया. उन लोगों ने जबरदस्ती दीपा को बेड पे लिटा दिया और उसकी टांगे पकड़ के खोल दी. अब तो दीपा चिल्लाने लगी थी और रोने लगी थी. तभी उनमे से दो ने दीपा के हाथ पकड़ लिये और दो ने टांगे. पेहले वाले ने दीपा को जाँघों से पकड़ लिया. दीपा चिल्ला रही थी इस वजह से जो फिल्म बना रहा था उसने फटाक से अपना पॅंट खोला और अपना मोटा लम्बा लंड निकाल के दीपा के मुह मे डाल दिया और फिल्म बनाने लगा. बाकी जो एक था उसने दीपा की चूत 5 मिनट मे शेव कर दी. अब दीपा की पूरी चूत चिकनी दिख रही थी. वो उनके सामने बिलकुल नंगी थी. उसकी चूत ऐसी लग रही थी जैसे किसी ************ साल की लड़की की होती है, दीपा चिल्ला तो नहीं पा रही थी मुह मे लंड होने की वजह से पर उसके मुह से गुऊंन गू गॅप गॅप की आवाज आ रही थी, अब तो बारी बारी से सारे दीपा की चूत को चाटने लगे. अब दीपा को भी मस्ती आने लगी थी क्यूंकि उसके मुह से अब आवाजें आने लगी थी आआआहहह्ह उऊऊन्न आआःह्ह सीईइइस इस तरह काफी देर तक कोई दीपा से लंड चुसवाता कभी कोई उसकी चूचियाँ दबाता कभी उन्हें चूसता और दीपा ऊ ओई मा मज़ा आगया ऊई ऊई कर रही थी. कह रह थी आअह राजा और चाटो आहह. अभी तक मैने ये सिर्फ सुना था की हर औरत मे एक रंडी छुपी होती है और आज ये मैने दीपा मे देख लिया की कैसे वो 6 अंजान लोगो के आगे नंगी होके अपनी चूत चटवा रही थी उनके लंड को लॉलीपोप की तरह चूस चूस के मज़े ले रही थी.

दीपा को ऐसे मस्ती मे बोलते देख मैं समझ नहीं पा रहा था की क्या ये वही मेरी छोटी बहन दीपा है, पर दीपा को कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था. वो ये भी नहीं सोच रही थी की वो अपने बड़े भाइ के सामने उन 6 अजनबियों से अपनी चुत चटवा रही थी और बारी बारी से उनके लंड अपने मुह मे ले रही थी.ये सब काफी देर तक चलता रहा, तभी उनमे से एक उठा और बोला- रानी क्या अपनी चुत मैं हम सबके लंड को लेना पसंद करोगी, दीपा ने कहा- आह ओह नहीं …मुझे छोड दो मेरी ज़िंदगी बर्बाद हो जाएगी. वो चिल्ला रही थी पर वो कमीने उसे चोदना चाहते थे. मैं सच बोलता हूँ वो मेरी बहन थी लेकिन मेरा लंड भी मेरे कच्छे मे पूरा खडा हो गया था समझ नहीं आ रहा था क्या करूं. ये गुंडे अभी मेरी कुँवारी बहन को चोद जायेंगे और मैं कुछ नहीं कर पाऊंगा. तभी एक गुंडा जो उनका बॉस था बोला- देखो साले को, अपनी बहन की चूत देख कर इसका भी लंड खडा हो गया. साले बहुत मजा आ रहा है अपनी बहन की चूत देख कर, बेटे चिन्ता मत कर तुझे भी दिलवाएंगे इसकी चूत. ये देख कर दीपा की आखें फटी की फटी रह गयी की उसे इस हलत मैं देख कर मैं उत्तेजित हो रहा हूँ. मुझे उन पर बहुत गुस्सा आ रहा था, तभी मैने देखा मस्ती मैं एक गुंडे ने अपना पिस्टल बेड पर रख दिया, मैने उसे उठा लिया और उनके बॉस की कनपटी से सटा दिया वो एक दम से डर गया. मैने कहा- छोड दो उसे नहीं तो सालो अभी गोली मार दुंगा..सब कुछ इतनी जल्दी मैं हुआ वो एकदम से घबरा गए. दीपा मेरे पीछे आ गयी. मैने उसे कहा पुलिस को फोन लगाये. वो सब डर के मारे वहाँ से भाग गए. उनके जाने के काफी देर बाद भी दीपा मुझसे चिपकी हुई थी पूरी नंगी और गरम.. मेरी समझ नहीं आ रह था क्या करूं.. वो रोने लगी तो मैं उसे दिलासा देने लगा. मैने उसे गले से लगा लिया और उसकी पीठ थपथापने लगा.. उसकी कठोर चूचियां मेरे सीने मैं लग रही थी.. मेरा लंड नेकर से बाहर जा रहा था दिमाग काम नहीं कर रहा था. मेरा लंड उसकी जांघों के इर्दगिर्द घूम रहा था. वो उस देख कर और अस्मंजस मैं हो रही थी… मैने दिलासा देने के बहाने उस अपने सीने से जकड लिया और बोला- डियर इसमे तुम्हारी कोई गलती नहीं है, ये सिर्फ एक हादसा था.. ये सब भूल जाओ. उन गुंडों ने उस की चूत चाट-2 कर उसे बहुत गरम कर दिया था और मैं इसे मौके का फायदा लेना चाह रहा था….वो अब मुझसे शर्मा रही थी और उसने कपड़े पेहनने के लिये हाथ बढाया.. मैने उस रोका और बोला अब भी कुछ बचा है हमरे बीच…. वो आँखें फ़ाड-2 कर मुझे देख रही थी.

मैं उसे बाहों मैं लेकर बेड पर ले गया… वो कुछ बोल नहीं पा रही थी… मैने सीधे उसे बेड पर लिटा कर उसे कम्बल ओढा दिया और उस के बगल मैं लेट गया.. हमारे बदन टकरा रहे थे.. वो भी मेरे मन को समझ रही थी.. लेकिन बोल दोनों के बंद थे… मैने धीरे से अपना हाथ उस की उठी हुई चूचियों पर रख दिया… साला 440 वॉल्ट का करेंट सा लगा….. लौंडिया भी सिहर उठी और बोली- भैया… प्लीस ऐसे मत करो. हाय ज़ालीम.. क्या लग रही थी मेरी जान दीपा..

अब मैं फैसला कर चुक था कि इसे आज चोदना है….मैने अपना कच्छा उतार के फेंक दिया.. मेरा लंड उसकी चूत के आस पास घूम रहा था… लौंडिया तो पेहले से ही गरम थी लेकिन शायद अपने सगे भाई से चुदवाने मैं डर रही थी.. अब थोड़ी समझदारी की ज़रूरत थी. दीपा बोली- भैया ये सही नहीं है, आप मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते. मैं- क्या तू मुझे प्यार नहीं करती? दीपा- हाँ, अपनी जान से भी ज्यादा. मैं- और मैं भी तेरा कितना ख्याल रखता हूँ (साथ-2 मैं उसकी चूचियों पर भी हाथ फेर रहा था और बीच-2 मैं मुह से चूस भी रहा था) दीपा- लेकिन भाई क्या ये सही है? मैं- अब कुछ बचा है? मैं तेरी चूचियाँ चूस रहा हूँ.. मेरा लंड तेरी चूत के दरवाज़े पर खड़ा है.. जानेमन अब ज्यादा सोच विचार मत कर.. मौके का फ़ायदा उठा और मज़ा ले.. तू भी गरम है और मैं भी. इतना कह कर मैं उसकी चूचियों को बेतहाशा चूसने लगा… हाय मैं स्वर्ग मैं था.. दीपा का भी बुरा हाल था… और गुंडे सही कह रहे थे मेरी बहन टॉप माल थी…. और ऐसी चूत को कोई और चोदे और मैं खड़ा देखता रहूं? बहुत ना इंसाफी होती…. उसका गोरा बदन मेरी बाहों मैं मचल रहा था…. मैने धीरे से अपना लौडा दीपा की चूत के मुह पे टिकाया और हल्का सा धक्का दिया.. हाय मर र्रर्र गयी ईईईईई…… भैया प्लीज़ इसे निकाल लो… वो मेरे से विनती करने लगी. लेकिन मुझे तो पूरा मज़ा आ रहा था… उसकी चूत खून से लथपथ हो गयी… 24 केरट सोने जैसी चूत थी दीपा क़ी.. जो गुंडों से तो बच गयी लेकिन अपने भैया से नहीं.. उस रात मैने दीपा को कोई दस बार चोदा और अब वाकई हम बहुत मजे करते हैं.

दोस्तों उस रात के बाद से हम अक्सर चुदाई किया करते थे. अब आपको वो बात बताता हूँ जिसे सोच के मैं आज भी अजीब सा फील करता हूँ.. हुआ ये की हम राजस्थान घुमने गए टूर एण्ड ट्रेवेल की बस से. जाते हुए बस एक जगह रास्ते मैं रुकी.. रात के 8 बाज रहे थे.. एरिया कफी सुनसान सा था और एक ही ढाबा था... सब उतरे तो हम भी उतर गए. हमने सोचा कुछ खा पी लें और फिर हमने खाना ऑर्डर कर दिया.. खाना खत्म करने के बाद जैसे ही बस की तराफ बढे की दीपा ने कहा- भइया मुझे सू सू आई है. मैने कहा- अब जयपुर पहुंच के करना यहाँ कुछ ऐसा दिख नहीं रहा जहाँ तुम जाओ. पर उसने कहा- मैं नहीं रोक सकती मुझे जाना ही है. मैने वहीं पूछा की भाइ वाशरूम है क्या तो

उन्होने बताया नहीं बाबु जी यहाँ तो आगे जाके किसी खेत मैं ही जाना पड़ेगा और जल्दी करो नहीं तो बस कहीं ना चली जाये. फिर मैं दीपा को लेके अंदर खेत की तरफ गया. दीपा ने कहा- थोडा और अंदर जाऊंगी क्योंकी सब इधर ही देख रहे हैं और यहाँ रोशनी भी है. मैने कहा- ओ के चलो. जैसे ही दीपा सुसु करने बैठी तभी मुझे लगा की शायद हमारी बस खुल गयी है. मैने दीपा को कहा- तुम पेशाब करो मैं बस को रोकता हूँ. मैं भगा भगा बाहर आया पर तब तक तो हमारी बस जा चुकी थी.

मैं परेशान हो गया की यार अब इस रात मैं पता नहीं कब तक दूसरी बस का इंतज़ार करना होगा. यही सोच विचार करते मैने सिग्रेट जला ली और वहीं खड़े एक आदमी से बात करने लगा. अचानक 10 मिनट के बाद मुझे ध्यान आया की दीपा कहाँ है वो तो अभी तक आई ही नहीं... पहले मैने ढाबे के चारो तरफ देखा... कहीं नहीं थी... फिर मैं भाग के वहीं गया जहाँ वो पेशाब करने गयी थी... खेतों मैं बहुत अंधेरा था मैने काफी अवाज़ दी और बहुत ढूंढा मगर वो कहीं नहीं मिली..

मैं भाग के ढाबे के पास आया और लोगो से दीपा का हुलिया बता के पूछने लगा की कहीं किसी ने देखा है.... लेकिन किसी को नहीं मालूम था... तभी एक लम्बा चौड़ा सा आदमी आया उसने कहा की कहीं ये पीछे के खेत की तरफ पेशाब करने तो नहीं चली गयी थी... मैने कहा- हाँ वो वहीं गयी थी... फिर मैने उससे पूरी बात बताई.... उसने कहा- भाई तेरी बहन अब दो तीन दिनो से पेहले नहीं मिलने वाली.. और किस हाल मैं मिलेगी उसकी भी गारंटी नहीं... मैं- ये क्या कह रहे हो आप? मैं परेशान हो गया फिर मैने कहा- ऐसा क्या हुआ? उसने कहा- तेरी बहन की उमर कितनी थी? मैने कहा- 30 की थी... उसने कहा- शादी सुदा थी? मैने कहा- नहीं कुंवारी... फिर उसने कहा- ह्म्म्म लेकिन 30 की उमर मे तो लड़कियां मां बन जाती हैं, वो कुंवारी क्यूं है? मैने कहा- इससे आपको क्या मतलब? उसने कहा- 30 की है शायद संभाल भी ले मामला, देखो बुरा मत मानना इस उमर मैं तो लड़कियों को लंड ही चाहिये होता है. मैने कहा- ये क्या बकवास है. उसने कहा- भाई बकवास नहीं सच है, पीछे का जो गांव है वो रंडवो का गांव है कोई औरत नहीं है वहा... सिर्फ मर्द हैं और वो लोग अक्सर ऐसा करते हैं. यहैं तक की पुलिस वाल़े भी मिले हुये हैं उनसे.... और मुझे पूरा यकीन है की वो लोग ही उठा के ले गये हैं तेरी बहन को. तू यहीं इंतज़ार कर दो तीन दिनो मे यहीं छोड़ जायेंगे तेरी बहन को.

मैने कहा- नहीं ऐसा मत कहो मेरी मदद करो. उसने कहा- ना बाबा ना. मैने बहुत रिक्वेस्ट की तब उसने कहा- फिर मुझे क्या फ़ायदा होगा तेरी मदद करके? मैने कहा- जो बोलोगे दूंगा. उसने कहा- ओके ठीक है फिर.

उसने बताया की हमे उस गाँव मे चल के पता करना होगा की तेरी बहन वहीं है या नहीं. फिर क्या था मैं खेतों के रास्ते गाँव की तरफ जाने लगा. लगभाग 45 मिन हो गए थे और हम लगभाग गाँव पहुंच चुके थे. गाँव मे बहुत सन्नाटा था सभी सो रहे थे. गाँव काफी छोटा सा था लगभग 10-15 घर होंगे. मैने सोचा हर घर को पूछते हैं शायद किसी को पता हो पर मेरे साथ जो था उसने कहा नहीं रात को किसी घर पे जाना खतरनाक है और साथ ही हम उनसे ये नहीं पूछ सकते की तेरी बहन खो गयी है तू उसे ढूंढता हुआ यहाँ आया है. अगर सच मैं तेरी बहन यहीं होगी तो ये लोग तेरी बहन के साथ साथ तेरे को भी मार देंगे, इसलिये हमे बड़ी चालकी से पता करना होगा.

अभी रात के करीब 11 बजे थे तभी 4-5 लोग उधर से गुजरे उन्होने पूछा- बेटा यहाँ रात को कैसे? हमने कहा- हमारी गाड़ी खराब है कल तक बनेगी सो हम रात गुजरने आ गए. उन्होने कहा- ओ अच्छा ठीक है चलो आओ, हम तुम्हे ठीकाना देते हैं रात गुजारने के लिये. फिर हम उनके साथ वहीं से करीब 1 km और आगे गए. वहाँ एक पुरानी सी हवेली थी. उन्होने कहा- देखो ये हमारे भाइ साहब की हवेली है तुम लोग हवेली के पीछे एक छोटा सा कमरा है वहीं रूक जाओ. और ये कह के वो लोग जल्दी से अंदर चले गए. हम उस कमरे मे जाके बैठ गए और मैं ये सोचने लगा की पता नहीं दीपा कहाँ होगी किस हाल मे होगी. मेरे साथ जो आदमी था वो सो गया. रात के करीब 2 बज रहे होंगे और मुझे नीद बड़ी मुश्किल से आई थी. तभी मुझे किसी के चिल्लाने की आवाज़ आई. मैं जल्दी से उठा और बाहर देखने लगा की ये अवाज़ कहाँ से आ रही है. ये आवाज़ हवेली के अंदर से आ रही थी और वो भी किसी लड़की की. मैं डर गया की भगवान ये दीपा ना ह प्लीज़. तभी मेरे साथ वाला भी जाग गया. वो भी बाहर आया देखने को. उसने कहा- ये आवाज़ तो हवेली के अंदर से आ रही है लगता है तेरी बहन इनके पास तो नहीं? मैने कहा- नहीं ऐसा मत बोलो. उसने कहा- देख कुछ हो जाये उन लोगों को ये पता नहीं चलना चाहिये की वो तेरी बहन है नहीं तो सबूत मिटाने के लिये ये हम दोनों को मार देंगे.

चल ज़रा छुप के देखने की कोशिश करते हैं बात क्या है. और हम हवेली के पीछे वाले रास्ते से गए. वहाँ एक टुटा दरवाज़ा था. उस से हम एक कमरे मैं पहुंच गए. पर वहाँ अंधेरा था और कहीं और जाने का रास्ता नहीं था. अवाज़ अब काफी साफ हो गयी थी और मेरा दिल बैठने लगा था की कहीं दीपा ही तो नहीं है. मेरे साथ वाले ने कहा- भाइ यहाँ एक खिड़की है खोल के देखें? मैं बोला- कहीं पकडे गए तो? उसने कहा- रुक जा धीरे से खोलता हु. वो खिड़की दूसरी साइड से लगी थी पर इतनी खुल गयी थी की उसमे से दिखाई दे रहा था. एक हॉल सा कमरा दिख रहा था जहाँ करीब 8-10 लोग बैठे दारू पी रहे थे और आवाज़ भी उस लड़की की वहीं कहीं से आ रही थी पर वहाँ कोई लड़की दिख नहीं रही थी. तभी पास की सीढियों से कुछ और लोग उतरे और किसी लड़की को खींच के ले आये. पर उस लड़की का फेस नहीं दिखा. तभी वो मेरे साथ वाला आदमी आ गया और मुझे हटा के खुद देखने लगा बोला- मुझे देखने दे क्या माज़रा है? मैने कहा- मुझे देखने दो कहीं मेरी बहन तो नहीं? उसने कहा- नहीं पहले मैं देखूँगा देखने दे नहीं तो शोर मचा दूंगा. मैने कहा- ओके. पर उस लड़की की आवाज़ मुझे कहीं ना कहीं दीपा की याद दिला रही थी. मैं उसे हटा के अंदर देखने की कोशिश की और जो मैने देखा उसे देख के तो मेरी हालत खराब हो गयी क्यूंकी जिस लड़की की आवाज़ आ रही थी वो कोई और नहीं दीपा थी.

वो लोग करीब 15 आदमी थे. 3 -4 दीपा के कपड़े फाड़ने मैं लगे थे बोल रहे थे खुद उतार दे नहीं तो 1 इंच भी कपड़ा नहीं बचेगा और तुझे अपने घर नंगे ही जाना होगा. मैने अपने साथ वाले आदमी से कहा- ये तो दीपा है मेरी बहन. उसने कहा- भाई अब तो पता नहीं वो तेरी बहन के साथ क्या करेंगे. पर तू भूल से भी कोई गलती मत करियो नहीं तो ये मार देंगे हम दोनो को. मैने कहा- मैं क्या करूं. उसने कहा- यहीं से देखते हैं इसके अलावा कोई उपाय नहीं है अभी. उसने जैसे ही अंदर देखा तो दीपा को देख के कहा- भाई बुरा मत मानना तेरी बहन है सही चीज़. मैने कहा- चुप रहो तुम. तभी मैने देखा वो लोग दीपा को पूरी तरह नंगा कर चुके थे और उसे वहीं एक बड़े से टेबल पे बैठने को बोल रहे थे. दीपा रोते हुए टेबल पे बैठ गयी. उसने अपने दोनो हाथों से अपनी जवान मस्त चूचियों को छिपा रही थी. वो लोग उसकी चूत और गांड पे हाथ लगा रहे थे. जब वो वहां हाथ रखती तो उसकी चूचियों को दबा देते. किसी तरह वो टेबल पे चढ़ के बैठ गयी. फिर उनमे से एक ने कहा- चल अपनी टांगे खोल के अपनी चूत दिखा साली. एक बोला- इसकी इतनी बड़ी गांड़ है चूत तो बहुत मस्त होगी. पर दीपा नहीं मान रही थी, रो रही थी और उनको मना कर रही थी. तभी एक ने कहा- साली ऐसे नहीं मानेगी लगता है आज इसको भी जड़ी-बूटी देनी पड़ेगी. ये सुन के सब हंसे लगे. एक बोला- हाँ वो तो हैं वर्ना साली इतने लोगों को सम्हालेगी कैसे? फिर एक अंदर कुछ लाने चला गया. उनमे से एक दीपा के नज़दीक आया और उसने पूछा- क्यूं बे रंडी हमारे खेतों मैं क्यूं घुम रही थी? और दीपा की चूचियों को ज़ोर से दबा दिया. दीपा की तो चीख निकल गयी. दीपा ने बोला- प्प प्सेसाब करने आई थी. तभी एक ने कहा- साली रंडी हमारे खेत मैं पेशाब करेगी आज देख हम तेरे उपर पेशाब करेंगे. फिर उसने पूछा- क्या नाम है तेरा? दीपा ने धीरे से कहा- दीपा... तभी उसने कहा- ह्म्म्म उमर क्या है तेरी? दीपा ने कहा-30. फिर उस आदमी ने कहा- साली शादी हुई है या नहीं? दीपा ने कहा- नहीं. उसने कहा- साला बच्चा पैदा करने की उमर निकल गयी है और शादी तक नहीं हुई तेरी... साली... चल चूत दिखा कुंवारी है या चुदी हुई है. दीपा अपनी टांगे खोल ही नहीं रही थी. वो लगातार रो रही थी और चिल्ला रही थी की छोड़ दो मुझे प्लीज़. तभी दो लोग और आये और ज़बरदस्ती दीपा की दोनो टांगे खोल दी. दीपा की चूत पे एक भी बाल नहीं था. सब ये देख के पागल से हो गये. और तभी एक ने दीपा की चूत पे थूक लगा के सहलाया और एक बार मैं ही अपनी दोनो उंगलियाँ अंदर डाल दी. दीपा दर्द से कराह उठी. और तब उसने कहा- भाई लोग आज तो मज़े हैं खेली खाई रांड है ये तो मज़े देगी बहुत. तभी वो आदमी अंदर से बाहर आ गया एक इंजेक्शन लेके. ३-4 लोगों ने दीपा को पकड़ लिया और उसने वो इंजेक्शन दीपा को दे दिया. और सबने 5 मिनट तक दीपा को पकड़े रखा उसके बाद सब दीपा को छोड़ के अलग बैठ के दारू पीने लगे.

उसके कुछ देर बाद ही जब मेरी नज़र दीपा पे गयी तो मैं हैरान था की दीपा अपने हाथों से खुद आपनी चूचियों को मसल रही थी, अपने शरीर को सेहला रही थी पर आँखें बंद थी उसकी. तभी उनमे से एक बोला- ज्यादा टाइम ले रही है साली. तो दूसरे ने कहा- जितना टाइम लेगी उतने मज़े देगी. मेरे साथ जो आदमी था उसने कहा- भाई तेरी बहन तो सच मे कमाल है जी करता है साली को अभी जा के चोद दूं. और वो अपना लंड सेहला रहा था दीपा को देख के. तभी दीपा अजीब अजीब सी आवाजें निकालने लगी. वो सिसकारियां लेते हुए कराहने लगी. लगभग 2 मिनट मैं ही पूरे कमरे मैं सिर्फ दीपा के कराहने की आवाज़ थी. आआआआहहहह्ह... एयाया... प्ल्ज़... प्*लज़्ज़ कुछ करो... आआ प्लीज़ कुछ करो मैं मर जाउंगी उई मा. तभी एक आदमी ने आवाज़ दी- क्या हुआ साली लंड चाहिये क्या? और जो दीपा ने कहा वो सुन के तो मैं हैरान रह गया. दीपा ने कहा- हाँ लंड चाहिये मुझे.

चोदो मुझे... मेरी चूत चाटो मुझे चोदो प्लीज़... नहीं तो मैं मर जाऊँगी. मैं अब बर्दाश्त नहीं कर पा रही हूँ. प्लीज़ कोई तो चोदो. तभी एक ने कहा- चूदना है तो आजा बहुत से लंड हैं, आके खुद ही ले ले. और दीपा फौरन टेबल से कूद कर उन लोगों के बीच चली गयी और उनके लंडो को उनके पैजामे के उपर से ही पकड़ के सक करने की कोशिश करने लगी. और फिर क्या था सब नंगे हो गये और दीपा ने दो लंड को एक साथ अपने मुह मैं ले लिया और बारी बारी से सबके साथ ये करने लगी. कुछ लोग दीपा की चूचियों पे लगे थे कुछ चूत चाट रहे थे. और दीपा तेज़ तेज़ कराह रही थी- मुझे चोदो, लंड चाहिये मेरी चूत को, फाड़ दो. ये सब लगभग 45 मिनट तक चलता रहा.

उसके बाद उन लोगों ने दीपा को टेबल पे लिटा दिया और उसकी दोनो टांगे खोल दी. दीपा लंड के लिये जल बिन मछली की तरह तड़प रही थी. तभी जो सबसे बड़ा आदमी था, वो आया और उसने दीपा की चूत पे अपना लंड लगा के एक ही थाप मैं पूरा अंदर डाल दिया. दीपा आआई आई करके चिल्लाने लगी. तभी एक ने आगे बढ़ के उसकी चूचियों को मसलना शुरू किया और एक ने अपना मोटा लंड दीपा के मुह मैं डाल दिया. अब बारी बारी से 5 लोग चोद चुके थे और 3-4 लोगो ने दीपा के मुह मैं अपना पानी छोड दिया था. तभी पुलिस के सायरन की आव़ाज़ आई और सबने फटा फट दीपा को एक कपड़े से साफ कर उसे एक कुर्ता पहना के पीछे वाले सोफे पे बिठा दिया. पर दीपा होश मे नहीं थी. वो बार बार चोदने को ही बोल रही थी. तभी उन लोगों ने दरवाज़ा खोला और कहा- आइये थानेदार साहब आइये. मेरी सांस मे सांस आई की चलो अब दीपा बची.

लेकिन अगले ही पल मेरे होश फिर उड़ गये जब थानेदार ने ये कहा की आज ढाबे पे पता चला की कोई 30 साल की लड़की गायब हो गयी है. कहाँ है वो अकेले ही मज़े लेने का इरादा है क्या. उन्होने कहा- नहीं साहब, और एक ने आवाज़ दी- अरे जा जरा लेके आ साहब के माल को. दो लोग दीपा को पकड़ के लाये. दीपा की आँखें चढ़ी हुईं थी जैसे बहुत दारू पी रखी हो. थानेदार ने दीपा को उपर से नीचे तक देखा. दीपा सिर्फ कुर्ते मैं थी. उसकी नंगी चौड़ी जाँघें बिल्कुल साफ दिख रही थी जिस पे एक भी बाल नहीं था और कुर्ते से उसके दोनो निपल साफ दिख रहे थे. थानेदार ने कहा- चल साली को जीप मैं डाल. उन लोगों ने कहा की साहब यहीं कर लो जो करना है थाने क्यूं ले जा रहे हो. थानेदार ने कहा- बहनचॉद जो कह रहा हूँ सुन डाल साली को जीप मैं. तभी एक ने कहा- भाई इसके कपड़े उपर हैं लेके आउँ? थानेदार ने कहा- मादरचोद तेरी बहन लगती है जो कपड़े पहना रहा है. डाल साली को गाड़ी मैं पता नहीं कौन है साली. थाने लेजा के ही पूछूंगा. और उन लोगों ने दीपा को सिर्फ कुर्ते मैं और उस नशे की हालत मैं ही ले जाके जीप मैं डाल दिया और थानेदार फौरन वहां से चला गया. मैं तो कुछ समझ नहीं पा रहा था की क्या हो रहा है ये सब. कहीं ये सपना तो नहीं. मैं बार बार यही सोच रहा था अच्छा होता की ट्रिप पे ही नहीं आता. तभी अंदर वो लोग बोले- साला थानेदार ले गया हमारी माल को, पूरा मज़ा ख्राब कर दिया. तभी एक ने कहा- साला कहता है पूछताछ करेगा. साला थाने ले जाके चूदाई करेगा... और क्या. ये सुन मैने अपने साथ वाले आदमी से कहा- भाई मेरी हेल्प करो दीपा को इन लोगों से छुडाओ. उसने कहा तो फिर चल थाने चल के देखते हैं. और मैं फटाफट वहां से उसके साथ थाने की तरफ निकल गया. जैसे तैसे भागे भागे हम थाने पहुंचे... हमे एक हवलदार ने बाहर ही रोक लिया की साहब बिज़ी हैं वेट करो. हमने उससे बहुत बोला पर वो जाने नहीं दे रहा था. लगभग 40 मिनट हो गये तो हम जबरदस्ती अंदर गये और जैसे ही मेरी नज़र लॉक अप की तरफ गयी मैने देखा दीपा वहीं बिल्कुल नंगी थी और तीन पुलिस वाले भी थे. मैने देखा उन लोगों ने दीपा के दोनो हाथ बाँध रखे थे और एक डंडे के एक किनारे पे एक टांग और दूसरे किनारे पे दूसरी टांग को इस तरह बाँध रखा था की उसकी दोनो टांगे पूरी खोली थी चुदवाने की पोज़िशन मैं. वो लोग दीपा को बार बार कह रहे थे-साली रांड बता कौन है तू? कहां से आई है... कौन कौन है तेरे साथ जो धंधा करता है? तभी एक ने दीपा की चूत मैं उंगली डाल दी और कहा- साली ने दारू पी रखी है और देखो तो सही सिर्फ लंड मांगती है... पक्की रांड है... पर है किसके ग्रूप की पता भी तो नहीं चल रहा है. तभी दो पुलिस वाले आये और उन्होने हमे दूसरे कमरे मैं जबरदस्ती बंद कर दिया की साहब केस मैं बिज़ी हैं यहीं रहो. और थोड़े ही देर मैं दीपा की फिर से आवाज़ आने लगी- चोदो मुझे और ज़ोर से.. उई मा मर गयी.. ओ मेरे राज़ा चोदो.. हमने ज़ोर से धक्का दिया तो दरवाज़ा खुल गया. बाहर देखा दो पुलिस वाले मिलके दीपा को चोद रहे थे. जैसे ही उन्होने हमे देखा वो थोड़े दर गये की हमने उन्हें ये सब करते देख लिया है और फौरन उन्होने दीपा की चुदाई छोड़ पिस्टल लेके हमारे उपर तान दिया. और बोला- कौन हो तुम लोग और यहाँ क्या कर रहे हो. मैने सोचा बस सब कुछ बता के दीपा को छुड़ा लूँ यहाँ से. पर जैसे ही कुछ बोलता मेरे साथ वाले ने मुझे चुप करा के कहा- साहब हमारा बैग चोरी हो गया है.
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06-10-2021, 12:00 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
मेरी बहन दीपा --2

मैने सोचा बस सब कुछ बता के दीपा को छुड़ा लूँ यहाँ से. पर जैसे ही कुछ बोलता मेरे साथ वाले ने मुझे चुप करा के कहा- साहब हमारा बैग चोरी हो गया है. उसी के लिये आये थे. पुलिस वाले ने कहा- कल आना जा भाग जा अभी. तभी मेरे साथ वाले आदमी ने कहा- साहब अगर बुरा ना माने तो क्या मैं भी थोड़ा. पुलिस वाले उसका इशारा समझ गये और हंसने लगे. उन्होने कहा- ठीक है, ठीक है, जब कद्दू कट ही रहा है तो सबमे बटेगा. फिरपुलिस वाले ने मुझे घूर के देखा और कहा- क्यूं बे तेरे को भी कद्दू चाहिये. मैं तो बिल्कुल सकपका गया. कुछ समझ नहीं आ रहा था. कहाँ फंस गया हू. ये क्या हो रहा है. तभी दूसरे पुलिस वाले ने कहा- ये क्या बोलेगा, लेना तो इसको भी पड़ेगा नहीं तो बाहर जाके हमारे खिलाफ कुछ उगल देगा. और जब तक मैं कुछ सोच पाता मैने देखा मेरे साथ वाला आदमी नंगा होके अपना लंड दीपा के मुह मे डाल रहा था और एक पुलिस वाला चूत मार रहा था और दूसरा चूचियों को चूस रहा था. और दीपा पागलों की तरह चुदाई करवा रही थी. अ आ आई मा चोदो और तेज़ और तेज़.. फाड़ डालो मेरी चूत. तभी पुलिस वाले ने मुझे कहा- मादरचोद नामर्द है क्या, चल आजा मज़े ले इससे नहीं तो गोली मार दूंगा. मैं क्या करता कुछ समझ नहीं आ रहा था. दीपा ड्रग्स के असर से मुझे पहचान तक नहीं पा रही थी वैसे भी वो आँखें बंद किये हुए थी. जब दुबारा वो पुलिस वाला चिल्लाया तो मैं फटाफट दीपा के पास पहुंच गया और उसकी चूचियों को सहलाने लगा. मुझे ऐसा करता देख मेरे साथ वाला आदमी मुस्कुरा रहा था... और फिर क्या बारी बारी से हम सब ने दीपा को चोदा. दीपा लगभग बेहोश हो चुकी थी. सुबह के 5 बज रहे थे. पुलिस वालों ने कहा- जा मेडिकल स्टोर पास मैं ही है वहीं एक डाक्टर रहता है. उससे बोलना थानेदार साहब ने टॉनिक लेके बुलाया है. दूसरा पुलिस वाला गया और 1 घंटे मैं डाक्टर को लेके आया. उस डाक्टर ने दीपा को और दो इंजेक्शन दिये और बोला की 4 - 5 घंटे मैं एक दम सही हो जायेगी कुछ याद नहीं रहेगा इसे. और वो चला गया. मैने कहा की मैं जरा टायलेट होके आता हूँ और जब मैं वापिस आया तो दोनो पुलिस वाले और वो मेरे साथ वाला आदमी मुझे देख के हंस रहे थे. तभी पुलिस वाले ने कहा- बहनचोद रंडी के, खुद की बहन को चोदा तूने कल हमारे साथ साले दलाल. पर सच कहूँ तो तेरी बहन है बड़ी मस्त. हम सबको मस्त कर दिया. मज़ा आ गया साली की चूत मार के. वैसे कहाँ से आया है तू? मैने कहा- दिल्ली से और राजस्थान घूमने जा रहा था. फिर मैने उसे पूरी कहानी सुनाई. उन्होने कहा- साले इतनी मस्त माल को कौन छोड़ता है, वैसे भी तेरी बहन कमाल की है सबको अच्छे से सम्हाल लिया. फिर उसने कहा- चल मज़े बहुत दिये हैं तेरी रांड बहन ने इसी लिये दोनो को छोड़ रहा हूँ जैसे ही होश आयेगा लेके चला जा.

पुलिस वालों ने वहीं हवेली से दीपा के कपड़े लाके मुझे दे दिये पेहनाने को. मैने दीपा को कपड़े पेहना दिया उसी बेहोशी की हालत मे. 4 - 5 घंटे बाद दीपा को होश आया. वो बोली- भैया मैं कहाँ हू? और मुझे क्या हुआ है? मेरा शरीर दर्द हो रहा है. मैने कहा- कुछ नहीं हुआ है. दीपा ने कहा- मुझे तो कल कुछ लोग उठा के ले गये थे और एक घर मैं ले जाके मेरे साथ गलत काम करने की कोशिश कर रहे थे. उसके बाद का कुछ याद नहीं. मैने कहा- कुछ नहीं हुआ. इन पुलिस वालों ने तुम्हे बचा लिया है चलो अब घर चलो. और हम घर जाने लगे. मैं बस यही सोच रहा था बस किसी तरह इन सब से पीछा छूटे तो कभी लौट के नहीं आउंगा इस तरफ. जैसे ही थाने से बाहर निकल रह था तभी उस पुलिस वाले ने मुझे अंदर बुलाया और बोला- सुन तेरी बहन हमे बहुत पसंद आई है. अपना मोबाइल नंबर और पता दे दे. साली ने हमे एकदम मस्त कर दिया है. मैने कहा- नंबर और पता क्यूं? उसने कहा- साले तेरी रांड की चूत मारेंगे और किसलिये. तुम लोगों को जाने दे रहा हूँ ये समझो. मैने कहा- नहीं नहीं सर नंबर और पता नहीं दूंगा. उसने कहा- साले ये देख और उसने कंप्यूटर ऑन किया. जो मैने देखा मेरे तो होश उड़ गये. उसमे उस हवेली से लेके थाने तक की दीपा की एक एक चुदाई की फिल्म बनी हुई थी. फिर पुलिस वाले ने कहा- अगर किसी और को इस बारे मे कहा तो ये सीडी मार्केट मे होगी. और सुन, जब भी फोन करूं रांड को लेके आ जइयो नहीं तो वहीं आके तेरे घर पे चोदेंगे सबके सामने समझा. और फिर मुझे भगा दिया. मैं बस किसी तरह दीपा को लेके वापिस आ गया.

दिल्ली पहुंच के मैने चैन की सांस ली. दीपा ने कहा- भइया बताओ ना क्या हुआ था? मुझे कुछ याद तो नहीं पर मेरी बॉडी मैं बहुत दर्द है. मैने कहा- कुछ नहीं बस भूल जा जो भी हुआ. इस बात को 2 महीन हो गए थे, मैं भी लगभग सब भूल चुका था. अचानक एक दिन एक अंजाने नंबर से मेरे सेल पे फोन आया. मैने जैसे ही फोन उठाया, तभी उधर से अवाज़ आई- रंडी के, बहनचोद हमे भूल गया क्या? मैं हडबडा गया और बोला- क्क कौन..जबान सम्भाल के बात करो. तभी उसने कहा- मादरचोद, हमे जबान सम्भालने को कह रहा है, साले हम वही पुलिस वाले बोल रहे हैं जिसने तेरी बहन के साथ सुहागरात मनाई थी. मैं डर गया और बोला- जी बोलिये सर. उसने कहा- साले बहुत दिन हो गए, चल आजा कल यहीं, दीपा रांड को लेके. मैने कहा- नहीं नहीं सर ऐसा मत बोलो और प्लीज़ हमे छोड़ दो ये ठीक नहीं. उसने कहा- रंडी के, लेके आता है या वहीं आके चोद दू या सीडी मार्केट मैं बेच दू. मैने कहा- सर सर. तब तक उसने फोन काट दिया. अब मेरे दिमाग ने काम करना बंद कर दिया था. दीपा को इस बारे मैं कुछ पता तक नहीं था. क्या करू कुछ समझ नहीं आ रहा था. फिर मैने सोचा दीपा को सब कुछ बता देना चाहिये और जल्द ही हम अपना फ्लैट बदल लेंगे. उसी रात मैने दीपा को वो सारी कहानी सुनाई की क्या क्या हुआ था उसके साथ. दीपा परेशान हो गई और वो हैरान भी थी के ये सब उसके साथ हो चुका है और उसे पता तक नहीं. फिर हम दोनों ने फैसला किया की हम फ्लैट बदल लेंगे और नंबर भी जल्द से जल्द बदल लेंगे. बाकी सीडी का कोई उपाय नहीं सो उसे जाने देंगे. और अगले दिन जब उस पुलिस वाले का फोन आया तो मैने नहीं उठाया. उसने उस दिन 50 कॉल किए पर मैने नहीं उठाया. हम बस जल्दी से जल्दी शिफ्ट करने की तैयारी मे थे.

इस बात को कुछ दिन और हो गये और कल हम शिफ्ट होने वाले थे नये फ्लॅट मे. मैं शाम को जब आफिस से घर आया तो देखा कि मेरे फ्लॅट के बाहर कुछ भीड़ सी लगी थी. जैसे ही मैं आया सब इधर उधर फुसफुसाते हुये निकल गये. उनमे से एक कह रहा था क्या ज़माना आ गया है लोग दुनिया को कहते हैं की हम भाई बहन हैं और यहाँ हम शरीफ लोगों के बीच रह के ये सब करते हैं. तभी मैं वहां खड़े गार्ड से पूछा क्या हुआ. उसने कहा साहब आपकी बहन को पुलिस लेके गयी. मैं तो ये सुन पागल सा ही हो गया. मैने पूछा कब, क्यूं और कहाँ लेके गये? उसने कहा मालूम नहीं कहाँ लेकिन 1 घंटे पहले लेके गये. कह रहे थे की ये लड़की कॉल गर्ल है और बहुत दिनो से पुलिस को इसकी तलाश थी. मेरे तो समझ ही नहीं आ रहा था क्या करूं. उसने कहा साहब जल्दी जाओ मामला कुछ ठीक नहीं लग रहा था. वैसे बुरा मत मानना साहब आपकी बहन के कपड़े वैसे ही थे जैसे उन लड़कियों के होते हैं. मैने कहा- क्या बकवास कर रहा है. उसने कहा- बकवास क्या साहब इतनी छोटी सी स्कर्ट और लगभग ब्रा जैसे टी-शर्ट पहनी हुई थी उसने और स्कर्ट ऐसा था की जब पुलिस वाले उससे जीप मे बैठा रहे थे तो सब दिख रहा था. साहब जी जाओ जाके देखो. मैं तुरंत भागा लेकिन बाहर आके ये सोचा की अब जाऊँ कहाँ और ढूँढूँ कहां?

तभी मैने सोचा की क्यूँ ना उस पुलिस स्टेशन मैं वापिस जाउं जॉ राजस्थान से 100 km पहले है. मैने फट से एक टेक्सी बुक करवायी और निकल पडा उस पुलिस स्टेशन की तरफ. लगभाग 4 घंटे बाद रात के करीब 11 बजे मैं पहुंचा. पर मुझे वहाँ वो पुलिस वाले नहीं मिले. वहीन पे खडे पुलिस वालों ने कहा की वो लोग तो 1 हफ़्ते की छुट्टी मैं कहीं घूमने गए हैं. मैं सोचा अब क्या होगा. तभी बाहर से मुझे वही हवलदार आता दिखा जॉ उस रात मिला था जॉ मुझे बाहर रोक रहा था. वो मुझे देखते ही पहचान गया और मुस्कुराने लगा. बोला- तू तो वही ना जिसकी बहन को यहीं थाने मैं लेके आये थे, अब क्या हुआ, अब क्यूँ आया है. मैने उसे सरी कहानी बताई. उसने कहा- हम्म्म...देख तेरी बहन भी तो वैसी सी है ना. देखा नहीं था कैसे चुद रही थी उस दिन. मुझे तो लगता है की उसे वो लोग उसे वहीं ए गए होंगे. मैने पूछा-कहां? वो बोला- यहाँ से 5 km आगे एक जगह है जहाँ पे एक बीयर बार है आमतौर पे वो लोग वहीं पार्टी करते हैं. जाके देख शायद मिल जाये तेरी बहन.

मैं जल्दी से भागा उस बार की तरफ लगभाग 20 मिनट मैं पहुंच गया और मैने टेक्सी वहीं रोक के रखी. अंदर गया तो देखा लगभग 50 लोग बैठे बीयर पी रहे थे.

वहां जॉ भी मुझे देखता मुस्कुराने लगता. बड़ा अजीब लगा की ये लोग मुझे देख कर क्यूँ मुस्कुरा रहे हैं. जैसे वो मुझे जानते हों. कुछ लोग गौर से मुझे देख रहे थे. और जैसे ही मैं आगे बढा मेरी नज़र वहाँ लगी एक बड़ी LCD टीवी पे गई. मैने देखा उसपे दीपा की वही विडियो चल रही थी जिसमैं मैं भी था और वो एक रंडी की तरह चुद रही थी. विडियो देख के ऐसा लग रहा था की कोई रियल ब्ल्यू फिल्म चल रही है. मेरे तो समझ नहीं आ रहा था की ये क्या हो रहा है. तभी एक आदमी आया और उसने कहा की तुम्ही दीपा के भाइ हो ना? मैने कहा- हाँ. बस ये सुन सब मेरी तरफ देखने लगे और कहा की बेटा क्या बहन है तेरी कितने लेगा एक रात के. मुझे तो समझ नहीं आ रहा था क्या की क्या जबाब दू तभी वो विडियो बंद हो गया. मैने देखा सब अपना लंड सहला रहे थे दीपा की विडियो देख के.

तभी उस टीवी पे कुछ आने लगा. उसमे एक लड़की अपनी पीठ की तरफ किए खडी थी और धीरे धीरे डांस कर रही थी. मैने उस लड़की की फिगर जैसे ही देखी मैं समझ गया ये तो दीपा है. फिर दीपा विडियो की तरफ घूम गई और डांस करन लगी. यहाँ ये सब देख के बाकी लोग पागल से हो गए और चिल्लाने लगे- साली रांड जल्दी चूत दिखा अपनी..वाह मज़ा आ गया. दीपा धीरे धीरे अपनी चूचियों को कपडों के उपर से दबा रही थी और कभी हाथ ले जाके चूत सहला रही थी.

तभी दीपा ने अपना टॉप उतर दिया. अब दीपा सिर्फ ब्रा और पैन्टी मैं थी. उसने अब अपनी एक उंगली मुह मे ले जाके गीली की और धीरे से अपने पैन्टी के अंदर ले गयी और चूत पे मलने लगी. और जैसे ही दुबारा हाथ लेके उपर गयी उसने अपने ब्रा का हूक खोल दिया और उसके दोनो रसीले आम जैसे दूध आज़ाद हो गये. मेरे तो समझ नहीं आ रहा था की ये क्या हो रहा है. तभी दीपा ने अपनी पैन्टी को भी निकाल दिया और पूरी नंगी हो गयी और अपने जवान शरीर से खेलने लगी. इस टाइम दीपा किसी को मिल जाती तो कोई बिना चोदे नहीं छोडता उसे. वो लग भी एक रंडी की तरह ही रही थी. और ये सब स्क्रीन पे चल रहा था. सब दारू पी रहे थे और लंड सेहला रहे थे. सब आपस मैं केह रहे थे- भाई ये रंडी बहुत मज़ा देगी देख ना क्या गदराई जवानी है इसकी और नाम भी मस्त है दीपा. मैं समझ गया की ये लोग दीपा के लिये भूखे भेड़िये की तरह बैठे हैं. मैं सोच रहा था क्या करूं तभी एक आदमी आया और मुझे केहने लगा- चल अंदर आजा साहब ने बुलाया है. मैं जैसे ही अंदर गया दीपा को देख के चैन की सांस ली. पर हालत देख समझ नहीं आ रहा था. दीपा पूरी नंगी थी और उसके दोनो हाथ उपर लगे एक रॉड से बंधे थे और उसके दोनो बूब्स ऐसे लग रहे थे की जैसे जाके बस पी लो. और वहीं 3 लोग बैठे थे एक उस बार का मालिक और बाकी वो दोनो पुलिस वाले. उन्होने कहा- आ जा देख तेरी बहन कैसी लग रही है नंगी. इसे कपड़े मत पेहनाया कर ऐसे ही मस्त लगती है. और शायद वीडियो भी तूने देखा होगा ना जो नीचे लोग देख रहे हैं भूखे भेड़िये की तरह. मैने उनसे कहा- सर हम लोगों से क्या गलती हुई है. प्लीज़ हमे छोड़ दो. तभी वो तीसरा आदमी जो शायद उस बार का मालिक था बोल पड़ा- देख तेरी बहन मस्त चुदास माल है. इसे मेरे बार मैं रेहने दे और लोगो को मज़े लेने दे. जब लोग बोर हो जायेंगे इसको देख देख के तो ले जइयो अपनी बहन को और हाँ इस साली की रोज़ 2-3 ब्लू फिल्म बनायेंगे. तेरी बहन की डिमाँड बढ़ रही है लोगो मैं. तू टेंशन मत ले. 2 हफ़्ते रखेंगे तेरी रांड बहन को बस. मैने कहा- नहीं नहीं अगले साल शादी होने वाली है इसकी माफ कर दो और हमे जाने दो. तब उसने कहा- देख अपनी बहन की तरफ और ज़रा नीचे भी देख लोग कैसे पागल हुये जा रहे हैं तेरी बहन की गदराई जवानी से खेलने के लिये. अगर सच मे अभी जाना चाहता है और ये सब नहीं करवाने देना चाहता तो बस लेके जा अभी ऐसी ही नंगी इसको पूरे हाल के बीच से हो के क्यूंकि रास्ता वही है. क्या बोलता है 50 - 60 लोग जो नशे मे तेरी बहन को देख के पागल हुये हैं नीचे देख के क्या करेंगे. अगर केह्ता है तो लेजा अभी तेरी मर्ज़ी नहीं तो हमारी मर्ज़ी चलने दे दो हफ़्ते तक. सही सलामत छोड देंगे दोनो को अगर मन भर गया तो समझा ना. बस तो यहीं पड़ा रह और अपनी रंडी बहन की चुदाई देख रोज़. मेरे पास कोई रास्ता नहीं था उसकी बात मानने के सिवा. फिर ये सब लगातार चलता रहा. दीपा रोज़ अपनी चूत कभी वाइब्रेटर से सेहलाती कभी डिल्डो डालती कभी उन तीनो के साथ गैंग-बैंग करती. और इन सबका वीडियो बनता. लगभग दो हफ़्तो तक ये सब चलता रहा. कभी कोई चोदता वीडियो मे कभी कोई. एक दिन शाम को बार करीब 20 -25 लोगों से भरा था और दीपा का वीडियो चल रहा था नया वाला. तभी वो बार का मालिक दीपा के पास गया जहां वीडियो शूट हो रही थी और जाके दीपा के दोनो निप्पल को पकड़ के ऐसा खींचा की दीपा कराह उठी. दर्द के मारे उसने उसको एक थप्पड़ मार दिया. वो गुस्से से पागल हो गया और उसने दीपा को ज़ोर से धक्का देके गिरा दिया और उसने अपने चार आदमियों को बुलाया और बोला- ले जाओ इसे साली मे बहुत गर्मी है. नीचे ले जाके नंगी ही बीच बार मे खड़ा कर दो और लोगों को बोलना सब अपना अपना लंड चुसवायें. लेकिन किसी का एक बूंद पानी ये रांड नीचे ना गिरने दे सब पीना पड़ेगा इसे. साली मुझपे हाथ उठती है. मैने बहुत रिक्वेस्ट की पर वो नहीं माना.

मैं उपर के रूम मे बंद था और खिड़की के शीशे से नीच देखा रहा था. तभी वो लोग दीपा को नंगा करके उसे बार के हॉल मे ले गये और एक टेबल पर खड़ा करवा दिया. सब दीपा को देख मानो पागल से हो गये. कहा गया- भाइयों आज ये रांड तुम सबका लंड सेहलायेगी और तुम्हारे लंड का एक एक बूंद पानी तक पिएगी. अगर साली ने किसी के भी लंड का एक भी बूंद पानी गिराया तो (एक बड़ा सा बेसबॉल का बल्ला देते हुए) जितने बूंद गिरे उतने मिनट ये 8 इंच तक का मोटा बल्ले का हिस्सा इसके गांड मे डाल के हिलाना और फिर से लंड चुसवाना. और ज्यादा नाटक करे तो सब मिल के इसकी सिर्फ गांड मारना पूरी रात.

मैने देखा सब के सब नंगे हो गये अपने अपने लंड को हाथ मे लेके बढ़े तभी उन लोगो ने कहा- भाई एक बार मे केवल तीन लोग उसके बाद फिर बाकी तीन. पेहले तीन दीपा के सामने अपने बड़े काले मोटे लंड लेके खड़े थे. दीपा क्या करती उसने एक लंड मुह मे लिया दो हाथ मे और चूसने और सेहलाने लगी. और उन लोगों को ये बोल कर की जिसका भी लंड पानी छोडने वाला हो इस रांड को पिलाएं एक एक बूंद और ना पिये तो पता है की क्या करना है. इस तरह दीपा लगभग 19 लंड चूस चुकी थी और उनका रस पी चुकी थी. चूंकि दीपा को वो लोग रोज़ सेक्स बढ़ाने का इंजेक्शन देते थे तो वो ये सब कर पा रही थी वरना पता नहीं उसका क्या होता.
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06-10-2021, 12:01 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
नौकरानी के साथ मस्ती--1

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और नई कहानी लेकर हाजिर हूँ

मैं एक सरकारी दफ़्तर मे काम करता हूँ और राँची मे अकेला रह ता हूँ. मैने मेरे घर पर सॉफ सफाई और खाना बनाने के लिए एक 25 वर्सिय पुष्पा नाम की नौकरानी को रखा था वो बहुत ही सेक्सी लगती थी., रंग सांवला था पर फेस काफ़ी सेक्सी लगता था, उसका बदन बहुत ही सुडोल है. वो सुबह 8 बजे आती थी और रात 9 बजे चली जाती थी. वो हमेशा घगरा और चोली पहन ती थी उसने घगरा और चोली पहनी हुई थी तो उसकी मोटी मोटी चुचियाँ एक दम सॉफ पता चल रही थी पीछे से उसके चूतदों का साइज़ भी समझ मे आ रहा था देखने से लगता था कि बहुत मोटे मोटे होंगे पर साइज़ का आइडिया नहीं लग पा रहा था. जब उसकी तबीयत खराब होती तो उसकी जगह उसकी मौसी चंदा घर पर काम करती थी चंदा 32 साल की उसकी तरह साँवली और सुडोल महिला थी. उसके भी बड़े बड़े चूतड़ और चुचियाँ थी. कभी कभी दोनो एक साथ काम करने मेरे घर आते थे. यह घटना सनिवार की है उस दिन मेरे दफ़्तर की च्छुटी रहती है पुष्पा सुबह करीब 8 बजे घर आई और मेरे लिए चाइ बनाकर लाई आज वो काफ़ी सेक्सी दिख रही थी मैं फ्रेश होकर नास्टा करके टीवी देखने लगा वो खाना बना रही थी करीब 12:30 मैने विश्की का पेग बना कर पीनी लगा इतने मे पुष्पा कमरे मे आकर मुझे खाना खाने के लिए बुलाया. हम दोनो खाना खा लिया और मैं टीवी देखने लगा वो बर्तन सॉफ करने लगी फिर वो कमरे मे आकर बैठ गयी और टीवी देखने लगी. जब टीवी पर आड़ आरहा था तब मैने उसके परिवार के बारे मे पुछा तो उसने बताया कि उसका घर गाओं मे है उसके पिता गाओं के मुखिया के यहाँ घरलू नौकर है 7 साल पहले ही उसका पति मर गया था. उसके सिर्फ़ एक ही लड़का है और वो उसके पिता के पास गाओं मे है और वो यहाँ काम करती है. फिर उसने पूछा साहब आप ने शादी नही की ? मैने कहा नहीं तो वो हल्के से मुस्करा कर बोली मंन नहीं करता शादी करने का मेने कहा करता तो है पर अभी तो मुझे घर को अच्छी तरह से बसाना है उसके बाद सोचूँगा तो उसने पूछा कि कोई लड़की है क्या जिस से शादी करना चाहते हो मेने कहा नहीं अभी तो कोई नहीं है. तो वो हैरान हो कर बोली कि तुम्हारी उमर मे तो यहाँ शहर मे सब लड़के लड़कियों के साथ घूमते हैं और तुम्हारी कोई दोस्त नहीं है. मेने कहा हां सच मे कोई नहीं है. मैं बात करते हुए उसके बदन को भी देख लेता था स्पेशली उसकी चुचियों को ध्यान से देख रहा था. एक बार उसने मुझे उसकी चुचियों को देखते हुए देख लिया पर वो कुछ नहीं बोली. फिर वो वहीं ज़मीन पर बैठे बैठे टीवी देख रही थी टीवी देखते देखते मुझे कब नींद लगी पता नहीं चला जब नींद खुली तो 4 बज रहे थे मैने देखा कि वो भी पेट के बल लेट कर सो रही थी और गहरी नींद मे थी उसका घगरा उसके चूतदों से उपर सरक गया था मैने ध्यान से उसके चूतड़ को देखा तो हाई क्या गजब के मोटे थे उसने पॅंटी नहीं पहनी थी बहुत ही मस्त चुदास लग रहे थे उसके चूतड़ देखते ही मेरे लंड ने कस कर झटका मारा और तन गया. खेर हिम्मत करके मैने उसके चूतड़ पर हाथ रखा वो कोई भी हरकत किए बिने पड़ी रही मेरी और हिम्मत बढ़ी मैने उसके चूतदों को मसल्ने लगा और उसकी गंद की दरार मे बीच की उंगली से सहलाने लगा तो उसने अपनी गांद सिकोड ली मैं समझ गया कि वो जाग चुकी है और सोने का नाटक कर रही है उसकी साँसे लंबी चल ने लगी अब मे समझ गया था आज यह अच्छे से मुझसे चुद्वायेगि मे भी अब खूब ज़ोर ज़ोर से मसल्ने और सहलाने लगा वो ज़ोर ज़ोर से सिसकने लगी उसके सिसकने की आवाज़ सुन कर मुझे और भी जोश आ रहा था मैने उसके बाए हाथ की हथेली को लूंघी के उपर से लंड पर महसूस किया मैने झट से अपना लंड निकाल कर उसकी मुति मे पकड़ा दिया और उसके कान के पास धीमी आवाज़ से बोलो पुष्पा कितनी अच्छी गंद है तुम्हारी वो भी धीमी आवाज़ मे बोली साहब आप का भी बहुत बड़ा और लंबा है मैं बोला तो मज़ा ले इस मोटे और लंबे लॅंड से वो बोली हां साहब बस ऐसे ही बातें करते हुए मुझे चोद दो कब से तरस रही हूँ मेरा मर्द भी जल्दी मर गया और में ठीक से मज़े भी नहीं ले पाई अब तुम ही मेरी प्यास मिटा दो बना दो मुझे रंडी और ले लो इस चूत और गांद का मज़ा हीईीईईई काश मे सच मे रंडी होती तो रोज जम के चुदति नये लंडो से खूब मज़े ले ले कर सीईईईईईई उईईईईईई माआआआअ और कस के मस्लो मेरे चूतद्द्द्द्द्द्द्दद्ड को ही ले लो मज़ा मेरे बदन का मैने कहा साली अगर सच मे तुझको काफ़ी लंड चाहिए तो बता मेरे दोस्त हैं काफ़ी उन सबके दिला दूँगा तो वो बोली सच मेरे साहब मे तुम्हारा अहसान कभी नहीं भूलॉंगी अगर तुम मुझको सच मे रंडी बना कर चुद्वा दो मैने उसके चूतदों को और कस कर मसल्ते हुवे कहा करा दूँगा मेरी रानी पूरे मज़े करा दूँगा और कस के उसके चूतड़ पर काट लिया वो और तेज़ी से सिसक पड़ी हीईीईईईईईईईई सीईईईईईईईईईईईईईईईई मरररर गयी ए हीईीई माआआअररर डाआाआला क्या मज़ा ले रहा है मेरे चूतद्ड्डों का हीईीईईई और क़ास्स्स्स्सस्स के मसल ना, फाड़ डाल इन साले हरमियों कोदेख बहुत मचलते हैं ये साले उईईईईईईइमाआआआआ मजाआाआ आ गय्ाआआआअ काट डाल साले मदेर्चोद हीईीईई सीईईईईई चूस ले पेल दे हीईीईईई रीईई और क़ास्स्स्स्स्स्सस्स क्ीईईई आआआआआआअ.

अब मैं धीरे धीरे उसके चूतदों से उपर की ओर होने लगा और उसके उपर लेट गया फिर मैने कहा कि साली रांड़ अब ज़रा पलट जा देखू तो सही कि तेरी ये चुचियाँ कितनी मोटी हैं मैं ज़रा इनका असली साइज़ तो देख लूँ तो वो पलट गयी अब मेने उसकी चोली के उपर से उसकी मोटी मोटी चुचियों को सहलाना शुरू कर दिया वाक़ई मे काफ़ी गजब की चुचियाँ थी उसकी बहुत ही मोटी थी मेने उसका साइज़ पूछा तो वो बोली दबाने के लिए साइज़ की क्या ज़रूरत तो मेने कहा नहीं मेरी जान तेरे लिए कल बाज़ार से ब्रा और पॅंटी ले कर आऊंगा फिर वो बोली ठीक है तो गुलाबी रंग की लाना तो मेने कहा की ठीक है फिर उसने साइज़ बताया चुचियों का साइज़ 38 और गांद का साइज़ 40 था सुन कर मुझे मज़ा आ गया मेने कहा तभी साली इतना मज़ा आ रहा था तेरे चूतड़ दबाने मे फिर मेने उसकी चुचियों को और कस कर मसलना और सहलाना शुरू कर दिया वो अभी भी सिसक रही थी मेने उसकी चोली के हुक खोल दिए और उसकी चोली को उतार कर चुचियों को आज़ाद कर दिया उसने ब्रा भी नहीं पहनी थी उसकी चुचियाँ फुदाक कर बाहर आ गयी वाहह क्या मस्त माल थी साली पूरी चुड़क्कड़ लग रही थी मदेर्चोद में जोश मे आ गया और कस कस कर उसकी एक चुचि को मसल्ने लगा और दूसरी को चूसने लगा वो और ज़ोर से सिसकने लगी हीईीईईईईईई मेरे राजा क्या मज़ा ले रहे हो तुम सच मे तुम मुझको रंडी बना दोगे हीईीईईई और क़ास्स्स्स्सस्स के दब्ाओ नाआआआअ हां ऐसे ही और जोर्र्र्र्र्र्ररर से सीईईईईईईईईईई हीईीईईईईईई उईईईईईईईई माआआआआअ मजाआाआआआ आ गय्ाआआआअ मसल डालो फाड़ डालो बहुत दर्द होता है इन सालियों मे रागडो इनको अच्छे सीईईईई सीईईईईईईईईईई उईईईईईईईईई मररर्र्र्र्र्र्र्र्ररर गयी रीईईई हीईीईईईईई ले लो मज़ा मेरी जवानी कााआअ हीईीईई रीईईई काट लो इनको हां ऐसे ही में इन सब बातों को सुन कर और भी जोश मे आ रहा था और इसी जोश मे मेने उसके निपल पर काट लिया तो वो ज़ोर से सिसक पड़ी हीईीईईईईई रीईई जालिम साले मदेर्चोद काट लिया पर कोई बात नहीं ऐसे ही करते रहो हीईीईईईई में सुर कस कर रगड़ने लगा बोला साली कुतिया मदेर्चोद बहुत बड़ी रंडी है तू और तेरी मा को चोदू साली रांड़ फाड़ डालूँगा तेरी चूत और गांद बहुत मोटी कर रखी है भोसड़ी वाली तूने कुतिया हरम्जदि साली तो वो बोली बाबू हां ऐसे ही मज़े दे दो मुझको फाड़ डालो मेरी चूत और गांद कस के फिर में नीचे होता हुआ उसकी चूत पर आ गया और उसको चाटने लगा अब तो वो बिल्कुल ही पागल हो गयी मस्त हो कर पता नहीं क्या क्या कहने लगी. साले मदेर्चोद ये क्या कर दिया बहुत मज़े ले रहा है तू तो मेरी जवानी के इतने तो मेरा पति भी 6 साल मे नहीं ले पाया हां साले बहन्चोद चूस और कस के हीईीईईईई मे मररर्र्र्र्ररर गाइिईईईईईई उईईईईईईईईईई माआआआआआआ खा जा साले मदेर्चोद सीईईईईईई उईईईईईईईईईई मीईईईई मारीईईईईईईईईईईईई हीईीईईईईईईईईईई बहुत मज़ा आ रहा है साले कुत्ते की तरह चाट रहा है तू तो बहुत मज़ा आ रहा हाईईईई हीईीईईई रीईईईई उईईईईईईईईईईई माआआअ बसस्स्स्स्स्स्स्सस्स अब नहीं सहा जाता साले चोद्द्द्द्द्द्द्द्द्द मुझको. मेने जोश मे आ कर एक कस कर चाँटा उसके चूतदों पर मारा और बोला साली मद्दरचोड़ कुतिया बहन की लोदी चुप चाप पड़ी रह और मुझे जो मन मे आए करने दे नहीं तो गांद फाड़ दूँगा तेरी वो बोली मेरे राजा मैने कब मना किया है ये चूत तुम्हारी है गांद और चुचियाँ भी तुम्हारी हैं जैसे चाहे मज़े ले लो अब मे और कस कस कर चूसने लगा और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकने लगी फिर मे उठा और अपने कपड़े उतार दिए तो मेरा मोटा लंबा लंड बाहर आ कर उच्छलने लगा. वो देख कर खुस हो गयी और बोली आज तो मेरी चूत के भाग खुल गये जो ये मस्त लंड मिल रहा है मुझको फिर मेने कहा कुतिया साली ज़्यादा बातें ना बना अब लंड चूस मेरा तो उसने मेरे लंड को चूसना शुरू कर दिया अब मुझे बड़ा ही अच्छा लग रहा था हीईीईईईईईई सलिइीईईई कुतियाआआ क्या मस्त चुउउउउउउउउस रही है तू मज़ा आ गया सलिइीई हीईीई सीईईईईईई और मस्त हो कर चूस साली रांड़ पूरी रंडी की तरह मज़े दे साली अब तो तुझे पक्का रंडी बनवा दूँगा अपने सारे दोस्तों के लंड से तेरी चूत पूरी तरह से फाट्वा दूँगा समझी हरम्जदि बहन की लोदी मादर चोद वो और ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी अब मे और भी मस्त हो गया था मेने कहा चल साली अब तू लेट जा अब मे तेरी चूत फाड़ूँगा तो वो बोली साहब पहला धक्का खूब ज़ोर से मारना ताकि मुझे बहुत कस के दर्द हो में बहुत सालों से नहीं चुदी हूँ तो चूत भी टाइट हो गयी है जम कर चोद्ना मेने कहा ठीक है और लंड का सूपड़ा उसकी चूत पर लगा दिया और फिर अचानक कस के ईक जोरदार धक्का उसकी चूत मे लगा दिया वो ज़ोर से उच्छल पड़ी और बोली हीईीईईई मईए मररर्र्र्र्र्र्ररर गाइिईईईईई फदद्ड़ डाला मेरिइईईई चुतत्त्टटटटतत्त को उईईईईईईई माआआआआ बचा ले हीईीईईईईईई मररर्र्र्ररर जाऊनगीइिईई सीईईईईईईईईईई फद्द्द्द्दद्ड दिया रीईईईई में थोड़ी देर फिर वैसे ही लेटा रहा फिर जब वो थोड़ा शांत हुई तो एक और जोरदार धक्का लगा दिया इस बार वो और भी उपर को तन गयी हीईीईईईई मे मारीईईईईई सीईईईईईईईईईईईईई फट गयी रीईईई रनडिीईईई बना दिया रीईईई मुझको चोद दलाआअ रे हरम्जदे फाड़ दी मेरी चूत पेल दिया ये मोटा तगड़ा लंड मेरी चूत मे.

फिर मेने एक और धक्का लगा कर पूरा लंड उसकी चूत मे घुसा दिया अब उसने थोड़ी राहत की साँस ली फिर मेने धीरे धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए और अब उसको भी मज़ा आने लगा था वो सिसकने लगी हीईीईईई सीईईईईईईई साले मज़ा आ गय्ाआअ उईईईईईईईई माआआआआ बहुत मज़ा आ रहा है हाई काश तुम पहले मिल गये होते तो मे इतना नहीं तड़पति लंड के लिए हीईीईईई मेरे हहाआआआअ फ़ाआआआआद मेरी चुउउउउउत को ले ले मज़ा उईईईईईईईईई डाइईईईईईईया पेल साले कूटे कमिने चोद जम के मुझको फाड़ दे मेरी चूत और ज़ोर से और ज़ोर से हां ऐसे ही कस कस के ही रीईईईईई सीईईईईईईईईईई उईईईईईईईईईईई माआआआअ मजाआा गय्ाआआआआआअ रीईई पेलूऊऊऊओ और जूऊओर से पेल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लूऊऊऊ मेरे राजा मे तेरी रखेल हूँ जैसे चाहे मज़े ले ले मेरे साथ ही रीईई पेल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्लूओ और क़ास्स्स्सस्स के उईईईईईईयाअ हीईीईईईईईईईईईई ससिईईईईईईईईईईईईईईईईई कास्क्ीईईई जूऊऊर सीईईई मदरचूऊऊऊद चुउउउउउउउउउत फ़ाआआआआद मेरिइईईईईईईई कुतिया बना दीईईई मुझको, रनडिीईईईईईईईईई हूँ मे तेरीईईईइ सीईईईईईईई फ़ाआआआआद डीईईईईई रीईईई ज़ोर से चोद साले मदेर्चोद और कस के हरम्जदे पेल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल मुझको बना ले रंडी तेरे सारे दोस्तों का लंड लूँगी खूब मज़े दूँगी सबको हीईीईईई सीईईईईईईईईईईईई उईईईईईईईईईई माआआआआ साँसे चुद्वाने मे तो और भी मज़ा आएगाआआआ हीईीईई फत्त्तटटतत्त गाइिईईईईईईईईईईईई हीईीई रीईईई फ़ाआआाद्द्द्द्दद्ड डीईईई मेरिइईईईईईईईईई चुउउउउउउउउउत सीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई ले लो मज़े और ले लो अब में भी बहुत कस कस के उसको पेल रहा था मुझे भी बहुत मज़ा आ रहा था मेरे लंड मे बहुत तेज गुदगुदी हो रही थी मेरा लंड अब पूरा अंदर जा कर बाहर आ रहा था और मे ज़ोर ज़ोर से धक्के लगा रहा था उसकी चूत मे अब बहुत ज़ोर की गुदगुदी होने लगी और वो पागल सी होने लगी ही दिनो मे झाड़ रही हूँ और क़ास्स्स्स्स्स्स्सस्स क्ीईए ईईईईईईईईईईईईई य्ाआआ उईईईई माआआआअ मज़ा आआ गय्ाआआआअ. अब उसकी चूत से मेरी चुदाई के कारण मस्त आवाज़ कर रही थी फॅक फॅक की आवाज़ बहुत ही अच्छी लग रही थी तभी वो कस के मुझसे चिपक गयी उसकी चूत का पानी निकल रहा था पेर मेरा लंड अभी भी तना हुआ था और मे कस के धक्के लगा रहा था फिर मेने अपना लंड उसकी चूत से निकाल लिया और उसको कहा साली छीनाल चल अब कुतिया की तरह खड़ी हो जा तो वो हाथ और घुटनो के बल खड़ी हो गयी अब मुझे उसकी गांद का छेद एक दम सॉफ दिख रहा था तो मेने उससे कहा रानी अब में तेरी गांद मारने जा रहा हूँ दर्द होगा ज़्यादा ज़ोर से मत चिल्लाना वो बोली ठीक है चोद लो मेरी गांद ले लो मज़े इन हरामी चूतदों के बहुत साले दुखते हैं मिटा दो आज इन की खुजली को में इन बातों से जोश मे आ गया और अपने लॅंड को उसकी गांद से सटा कर और उसकी चुचियों को दोनो हाथो से कस कर पकड़ कर एक जोरदार धक्का मारा मेरा लॅंड उसकी गांद फाड़ता हुआ उसकी अंदर घुस गया वो दर्द से बहाल हो गयी उईईईईई हीईीईईईईईई में मर जाऊनगीइिईईई मेरिइईईइमाआआआअ में मरीईईइ सीईईईईई फत्त्तटटटटतत्ट गयी मेरी गांद्द्द्द्द्दद्ड हीईीईईईई रीईईईई बहुत दर्द हो रहा है प्ल्ज़ निकाल लो मेने कहा साली कुतिया बहन की लोदी चुप चाप चुद्वाती रह नहीं तो और कस के पेल दूँगा भोसड़ी वाली तुझको तो वो बोली मेरे राजा क्या करूँ बहुत दर्द हो रहा है मेने कहा चुप साली मदर चोद और इसके साथ ही एक और जबरदस्त धक्का उसकी गांद मे लगा दिया वो उच्छल पड़ी वो तो में उसके उपर था और मेरे दोनो हाथ मे उसकी चुचियाँ फसि हुई थी तो मेरा लंड उसकी गांद मे ही फसा रहा अब मेने एक और ज़ोर का धक्का लगा दिया वो अब रोने लगी बाबू मेरी गांद फट गयी है रहने दो में मर जाऊंगी तो मेने उसकी गांद पे एक हाथ कस के मारा और बोला साली रंडी कुतिया कहा ना एक बार चुदवाती रह बस समझ मे नहीं आता है तेरे को और मे कस कस के उसके चूतदों की पिटाई करने लगा में बहुत कस के मार रहा था उसके चूतदों पर तो वो और भी ज़ोर से सिसकने लगी हीईीईई रीईईईईई मेरी माआआआआ मररर्र्र्ररर गाइिईईई सीईईईईईईईईई फ़ाआअद्द्द्द्दद्ड दलाआाअ रीईईईई उईईईईईईईई फटीईईईईई सीईईईईईईईईईईई धीरे सीईईई में मररर्ररर जाऊनगीइिईई उफफफफफफफ्फ़ उईईईईईईईई सीईईईईईईईईई हरम्जदे ऐसे अपनी बीवी की फाडियो तू साले मेने कहा साली तू मेरी रखेल है समझी हरम्जदि तेरी तो गांद और चूत. अब ऐसे ही फटा करेंगे अभी तो तुझको अपने सारे यारों से चुद्वाउँगा सब तेरी गांद मारेंगे तब क्या करेगी तू हीईीईई क्या कसी हुईईइ गांद्द्द्द्द्दद्ड है तेरी बहुत मज़ा आआआ रहा हाईईईईईईईईईईई सीईईईईईईईई हीईीईईईईईईई उईईईईईईईईईईईईई मज़ा आ गया थोड़ी देर मे उसका दर्द भी कम हो गया था और अब उसको भी मज़ा आ रहा था वो खूब सिसकने लगी अब सीईईईईई पेलो मेरे राजा ले लो मज़ा इस गांद के हीईीईईईईईईईईई सीईईईईईईईईईईईई मस्त कर दिया मेरे दिया तुमने मुझको क्या चोद रहे हो मुझे अब लग रहा है कि में सच मे एक चुड़क्कड़ औरत हूँ पेलूऊऊऊऊऊ उईईईईईईईईईईईई मरीईईईइ मे हीईीईईईईईई रीईईईईई माआआ फद्ददडू मेरी गांद्द्द्द्द्द्द्द्दद्ड कस कस के हीईीईई रीईईई में अब जोश मे आ गया और उसको कस कस के पेलने लगा उसकी चुचियाँ मेरे हाथ मे थी और उसकी गांद मारते हुए मे उनको भी कस के दबा रहा था और उसके निपल्स को रगड़ रहा थॉ ओ मस्त हो कर मज़े ले रही थी अब मेरा लंड झड़ने वाला था मेने स्पीड बढ़ा दी थी और मुझे फुल मज़ा मिल रहा था हीईीई सीईईईई साली कुतियाआआआ मेरा निकलने वाला है बहन की लोदी भोसड़ी वाली मादर चोद रंडी मे झड़ने वाला हूँ हीईीईईई सीईईईईई निकल रहा हाईईईईईई निकल गय्ाआआअ हीईीईई सीईईईईईईईईईईई मज़ा आआआअ गया राणिीईईईईई निकल रहा है बहुत अच्छे से मज़ा आ गया तुझको चोद कर मेरी रंडी कुतिया साली हीईीईईईईईई ईईईईईईईईईईईईईईई सीईईईईईईईईईईईईईईई और फिर में उसके उपेर गिर गया और सुसताने लगा वो भी अपनी चूत मे उंगली करके झाड़ गयी थी फिर मे उसके साथ रूम मे चला गया और बिस्तर पर उसको अपने साथ लिटा लिया और धीरे धीरे उसकी चुचियों से मज़े लेता रहा जिसके कारण मेरा लंड फिर तन गया थोड़ी ही देर मे तो वो बोली क्या आज ही पूरी मा चोद दोगे मेरी मेने कहा नहीं तेरी मा की नहीं तेरी फाड़ दूँगा और उसकी चूत मसलते हुए उसको अपने उपर चढ़ा लिया और फिर से अपने लंड का सूपड़ा उसकी चूत पर लगा दिया और कस के धक्के लगाने लगा पूरा मज़ा आ रहा था और इस तरह मेने उसको बहुत अच्छे से उस रात तीन बार चोदा और 2 बार उसकी गांद भी मारी वो पूरी मस्त हो गयी फिर थक कर हम दोनो चिपक कर सो गये. जब मैं शाम को उठा तो वो नंगी मुझसे चिपकी हुई थी फिर मेने उसको उठाया इस समय 7:30 बज रहे थे उसने उठ कर अपने कपड़े पहने और बोली बाबू अब जब चाहे मेरी चूत और गांद फाड़ कर मेरे मज़े ले लेना और जब चाहे किसी से भी मुझको चुद्वा देना अब में तुम्हारी रखेल हूँ और पूरी चुड़क्कड़ बन कर तुमको रंडी की तरह मज़ा दूँगी अब मैं तुम्हारे सारे दोस्तों का लंड ले लूँगी अपनी चुदास चूत मे और इस रांड़ की गांद मे फिर वो खाना बनाने चली गयी.

क्रमशः.................................
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