Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
11-17-2020, 12:17 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
शाम का वक़्त, एस.पी ऑफीस.....

अखिल, इन्वेस्टिगेटिंग ऑफीसर से पूछते..... "केस सॉल्व हो गया"

ऑफीसर.... मामूली सा केस था सर, जैसा आप ने कहा था वैसा हमने करवा दिया है. ये रहा फोरेन्सिक रिपोर्ट.... वीडियो फेक थी, और हां ये वीडियो किसी वंश के कहने पर लीक हुई थी, जिसके बदले किसी बॉडीगार्ड को बहुत पैसे मिले थे.

अखिल.... थॅंक्स तुम जा सकते हो....

अभी इनकी बातें ख़तम हे हुई थी कि काया भागती हुई एस.पी ऑफीस मे पहुँची.....

अखिल, पहले अपने जूनियर्स को बाहर भेजा...... "व्हाट हॅपन्स, तुम इतनी परेशान क्यों हो"

काया.... अखिल वो... वूऊ...

अखिल.... कम डाउन काया... इतना परेशान क्यों हो...

काया... परेशान ना होऊँ तो क्या करूँ.... कल से मनु भैया नही लौटे हैं....

अखिल.... हां वो कानपुर गया था... मानस के पास ...

काया.... मेरा दिमाग़ मत खराब करो. कल 4 बजे हे उन्होने बताया वो कानपुर से निकल रहे हैं.... अब तक नही पहुँचे.... फोन भी नही लग रहा है....

अखिल.... कम डाउन काया, आ जाएँगे, कोई बच्चा थोड़े ना है... तुम टेन्षन ना लो....

काया.... मन मे कैसे-कैसे सवाल आ रहा हैं, और तुम मुझे बस शांत रहने के लिए कहो... हुहह ! गुड बाइ, मैं खुद ढूँढ लूँगी अपने भाई को....

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11-17-2020, 12:17 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
एक दिन पहले....

मनु और मानस दोनो भाई अपना-अपना गम मिटाने मयखाने मे घुसे. दोनो ने इतना पिया कि होश ही नही था. लेकिन इन सब बातों मे मानस कहीं भूल चुका था कि किसी लड़की का दिल उसके लिए धड़कने लगा है. हालाँकि ड्रस्टी के दिमाग़ ने कभी इस बात को नही कबूला, पर
दिल मे बस मानस का ही ख्याल रहता था....

पोलीस स्टेशन से जब दोनो भाई निकल रहे थे तभी से ड्रस्टी उन दोनो के पिछे थी. उसे खुद भी पता नही था क्यों, पर वो मानस के पिछे
उस बियर बार मे गयी. लेकिन मानस ने उसे रिक्वेस्ट करते वहाँ से जाने के लिए कह दिया. ड्रस्टी फिर भी उस का इंतज़ार करती रही.

1 घंटा, 2 घंटा, 3 घंटा.... समय बीत'ता रहा, ड्रस्टी के घर से भी कॉल आने लगे, लेकिन ड्रस्टी पास के रेस्तरा मे बैठी दोनो भाई के बाहर
निकलने का इंतज़ार करती रही. रात के तकरीबन 8.30पीयेम बजे, जब ड्रस्टी से बर्दास्त नही हुआ, वो फिर से उस बियर बार मे चली गयी.

वहाँ जब पहुँची तो देखी दोनो भाई पी कर बेहोश थे.... ड्रस्टी ने पहले तो उस बियर बार का पेमेंट की फिर वहाँ कुछ लोगों की मदद से दोनो भाई को टॅक्सी मे बिठाई, और अपने घर तक ले कर आई. नवाब साहब और उनकी बेगम ने जब दोनो भाई को देखा तो चकित रह गये,
लेकिन इस बार अपनी बेटी से कोई सवाल नही किया और दोनो को घर मे आने की पर्मिशन दे दिया....

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11-17-2020, 12:17 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
सुबह-सुबह.....

नवाब, मनु को घूरते हुए...... "तुम्हारे बारे मे कल टीवी पर दिखा रहे थे"....

मनु.... हम यहाँ पर कैसे पहुँचे...

नवाब.... दोनो भाई पी कर बेहोश थे तो मेरी बेटी तुम्हे यहाँ ले कर आई...

मनु हैरान होने लगा, तब मानस ने जबाव दिया..... "मनु ये नवाब साहब हैं, दीवान साहब के दोस्त हैं"

मनु.... ओह्ह्ह्ह ! शुक्रिया आप लोगों का जो भी आप सब ने किया. एहसान है आप लोगों का. कल जो कुछ भी यहाँ हुआ या वहाँ, सब किसी
की साज़िश थी, एक बहुत बुरी साज़िश....

मानस.... मनु कल वहाँ क्या हुआ था, मुझे कुछ बताया क्यों नही...

मनु.... क्या बताता, जाने भी दो ना....

मानस.... नही तू मुझे बता क्यों नही रहा, क्या हुआ था...

नवाब उसे कल वाली न्यूज़ दिखाने लगा... मनु के साथ किए को देख कर मानस का दिल भी रोने-रोने जैसा करने लगा..... "मनु, तू दिल
छोटा क्यों करता है, स्नेहा से तुम्हारी शादी की बात मैं करने जाउन्गा. किसी के कुछ भी दिखा देने से थोड़े ना कुछ हो जाता है".

मनु.... कुछ नही होता, बल्कि बहुत कुछ हो जाता है.... खैर जाने दो भाई, स्नेहा और उनकी फॅमिली को मैं समझा लूँगा...

नवाब..... बहुत अफ़सोस हो रहा है तुम दोनो के साथ ऐसा होता देख कर. यदि कल की वारदात मैं नही देखता तो मुझे भी शायद ये न्यूज़ सच लगता, लेकिन कल जो देखा उस से मैं हैरान हूँ. ऐसा फिल्मों मे देखा था लेकिन रियल मे भी ऐसा होता है पता चल गया. हुआ क्या था
तुम्हारे साथ, और दीवान ने सब को झूठी कहानी क्यों बताई. क्या हुआ था उस दिन...

मानस.... "वो ऐसी रात थी, जिसने हम दोनो भाई को अनाथ होने पर मजबूर कर दिया. मैं बोरडिंग से लौटा था, और शिमला अपनी माँ के पास गया था.... एक रात रुका और अगली सुबह हमारी ज़िंदगी बदल गयी थी".

"अगली सुबह मुझ पर पूर्वी को रेप करने का आरोप लग गया, और मेरी माँ ने उस गम मे सुसाइड कर लिया... ये थी कहानी उस रात से सुबह के बीच की... जब कि सब से बड़ा झटका ये था कि मैं सुबह 9 बजे उठा और रात को हे मेरी माँ ने सुसाइड कर लिया था. और उस
जगह पर कितने लोग थे उस रात ... सिर्फ़ 3. मैं, दीवान और मेरी माँ... पूर्वी को ना तो मैने रात मे देखा और ना ही सुबह"....

"हमे भिखारियों की तरह जीने पर मजबूर कर दिया. करोड़ो के मालिक के पास एक रुपया नही होता था. कभी-कभी तो हमे घर का समान बेच कर अपना गुज़ारा करना पड़ता था.... मेरे पिता और मेरी सौतेली माँ ने ऐसा मुँह मोड़ा कि जैसे वो हमे जानते नही..... माँ तो सौतेली थी,
लेकिन बाप तो अपना था, किसी को रहम नही आया... बस एक दादा था जो हम से हमदर्दी रखता था".

नवाब.... तो क्या तुम्हारे दादा ने तुम्हे तुम्हारा हक़ नही दिलवाया....

मानस.... "हां दिया ना लेकिन तब जब मैं लीगली उसका मालिक हो गया. उस से पहले बस हमारे बाल पर प्यार से हाथ फेरा करते थे".

"फिर मनु ने जब से कंपनी संभाला, मैं तब से इस दीवान को ढूँढ रहा हूँ. ढूंड रहा था उसे पागलों की तरह. लेकिन इतनी लंबी तलाश के बाद........ जिसने भी कल का कांड किया है उसने सही नही किया. अब सच जान'ने का कोई ज़रिया नही, लेकिन हम जानते हैं किसने सारा
कांड करवाया है.... जैसे खून के आँसू हम दोनो भाई रोए हैं उन्हे भी रुलाएँगे"....

नवाब.... तुम दोनो के साथ इतना बुरा हुआ, सुन कर मेरी रूह कांप गयी. तुम दोनो ने तो फिर भी उसे झेला है. एक बात अपने अनुभव से कहना चाहूँगा..... बदले की भावना अपने दिल से निकाल दो. ये बदले की भावना तुम्हे अँधा कर देगी. तुम दोनो बस अपना काम करते जाओ, पुराने दिन कभी मत भूलना. उपरवाला सब को मौका देता है, वो तुम्हे भी देगा.....

मनु.... शुक्रिया आप की सलाह के लिए अंकल. लेकिन एक बात मैं अपने अनुभव से कहता हूँ.... यहाँ आप जितना भूलने की कॉसिश करेंगे, लोग आप के ज़ख़्मों को और कुरेदेंगे.... आप को वो किसी नपुंसक की तरह देखेंगे. हम तो शांत ही थे, बताओ ना क्या बिगाड़ा किसी का...
मेरा भाई भटकता रहा सिर्फ़ अपने साथ हुए उस भयानक हादसे का पता लगाने... मैं उनकी कंपनी को भी आगे लेजा रहा था, जो इन सब के ज़िम्मेदार हैं... लेकिन हमे मौका देने के बदले देखो किसे मौका दे दिया....

नवाब... ह्म ! छोड़ो ये, जाने अंजाने मे मैं भी तुम्हारा गुनहगार हूँ. बिना कुछ जाने मैने भी तुम्हे अपने दरवाजे से भगा दिया.

मानस.... कोई बात नही अंकल. आप भी किसका विस्वास करते, किसी अपने का या मुझ जैसे गैर का....

नवाब.... नही, तुम गैर नही अब, मेरे बेटे जैसे हो. और हां खाना खा कर जाना...... और कोई आर्ग्युमेंट नही...

मनु.... क्यों केवल लंच ही कारवाओगे डॅडी जी.... डिन्नर नही...

नवाब.... हा हा हा.... अच्छा है ये अटिट्यूड मनु, बस मैं इसी की बात कर रहा था.....

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11-17-2020, 12:17 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
एसपी ऑफीस.....

काया, सिर पर अखिल का पूरा ऑफीस उठाए. मान'ने को तैयार नही. बिल्कुल भी नही. अखिल बेचारा वो अपनी टररेटॉरी छोड़ कर जाए भी
तो कैसे जाए. बड़ी दुविधा मे फसा था....

मिश्रा जी.... सर जी इतना सोचो मत मेडिकल लगा देना, जाओ मेडम के साथ देखो कितनी परेशान हैं....

ना चाहते हुए भी अखिल, काया के साथ कानपुर निकला. दोनो कानपुर एरपोर्ट से बाहर निकल ही रहे थे, तभी मनु का कॉल काया के पास आया....

काया.... हेलो कौन...

मनु.... काया मैं मनु, कल वो मोबाइल चोरी हो गया था इसलिए कॉंटॅक्ट नही कर पाया, आज रात तक पहुँच जाउन्गा.

काया.... भाई, हो कहाँ पहले ये बताओ....

मनु ने उसे पता बताया और वो अखिल को ले कर तुरंत नवाब के घर पहुँच गयी....... जैसे ही वो मनु को देखी, रोती उसके गले लग गयी.....
"पागल हो क्या जान निकाल दिया, सोचते भी नही एक बार भी. हद होती है किसी भी चीज़ की"....

मनु.... चुप हो जा प्लीज़.....

काया.... नही चुप होती. रुला देते हो फिर कहते हो चुप हो जाओ.... थे कहाँ कल से पहले ये बताओ...

मानस.... मुझे ना मिलेगी बिट्टी... नाराज़ है क्या मुझ से...

काया.... आप से कोई बात ही नही करनी मुझे... मैं आप की कौन हूँ...

मनु.... पगली, कोई ऐसा कहते है क्या....

काया.... हुहह ! एक बार भी इनको तो कभी मेरा ख्याल नही आया. चुप चाप चले गये. क्यों गये कहाँ गये कोई खबर नही. एक बार भी इनको हुआ कि मुझ से बात कर ले. मैं नही बात करने वाली आप से मानस भैया. आप अभी दूर रहो... आप से हिसाब किताब तो घर पर होगा... पहले आप सच-सच बताओ कल से कहाँ थे और मोबाइल कहाँ गुम गया....

तभी तीनो भाई-बहन के बीच मे ड्रस्टी बोलने लगी...... "तुम्हारे दोनो भाई साहब कल पी कर बेहोश पड़े हुए थे"

काया जैसे ही सुनी फिर तो उसने ऐसा तांडव वहाँ मचाया कि दोनो भाई को उसे मनाने के लिए अंत मे उठक बैठक करना पड़ा.... काया मतलब दोनो की ज़िंदगी. ना जगह देखा ना महॉल बस अपनी बहन को खुश करने के लिए करने लग गये उठक बैठक....

इस छोटे से एमोशनल सेशन के बाद काया की ज़िद शुरू हो गयी, और वो अभी के अभी दोनो भाइयों को ले कर स्नेहा के घर जाने की ज़िद करने लगी....
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11-17-2020, 12:17 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
पार्थ & नताली

पार्थ.... तुम्हारे मालिक तो मुजरिम निकले...

नताली.... हुहह ! कुछ नही कहना मनु के बारे मे. ये सब कोई चीप पॉप्युलॅरिटी पाने के लिए कर रहा है.

पार्थ.... और उसका भाई मानस....

नताली.... हम यहाँ ये सब बात करने आए हैं....

पार्थ.... इतना भड़कती क्यों हो. अच्छा सुनो तुम्हे डर तो नही लग रहा ना...

नताली.... हां डर लग रहा है. डर इस बात का है कि, कहीं तुम्हारे चक्कर मे वो टेंडर ना हाथ से चला जाए.

पार्थ.... वो नही जाने वाला... अच्छा तुम रेडी हो जाओ.... माइक्रोफोन चेक कर लो...

सब कुछ चेक कर के दोनो वहाँ से निकल गये. नताली, मंत्री के बताए ठिकाने तक पहुँची जहाँ पर उसका दलाल, वो ब्रोकर और मंत्री तीनो थे.....

मंत्री..... वादे की पक्की लगती हो.

नताली.... मैं उम्मीद करूँगी आप भी अपना वादा निभाए....

मंत्री..... अब तो हमारे इस नये रिश्ते की शुरुआत हो रही है... तुम जाम लेना पसंद करोगी...

नताली..... हां जाम भी उठा लूँगी, लेकिन वो मस्ती की शुरुआत मे, फिलहाल पहले काम ख़तम कर ले.

मंत्री.... ह्म्‍म्म ! डेडैकेशन. हां ज़रूर-ज़रूर....

नताली..... अग्रॉ वालों के टेंडर के क़ुटेशन प्लीज़...

पीए टेंडर एनवलप उसे देते हुए..... "ये लो, हमने अपना वादा पूरा किया, अब तुम पैसे ट्रान्स्फर करो"

नताली.... जी हां ज़रूर. लॅपटॉप तो दो और अकाउंट नंबर....

ब्रोकर ने अपने पास से लॅपटॉप दिया, नताली दिए हुए अकाउंट पर पैसे ट्रान्स्फर करती कहने लगी.... "डन, चेक कर लो"

मंत्री ने फिर वहीं से अपना अकाउंट आक्सेस कर के पैसे चेक करने लगा..... "तुम कमाल की हो. मिल गये पैसे"

तभी वहाँ फोर्स दौड़ते हुई घुसी, साथ मे पार्थ भी था. अब मंत्री के होश गुम... लेकिन फिर भी अपनी पोस्ट की अकड़ दिखाने लगा.... लेकिन गिरफ्तार करने आई फोर्स ने उसकी एक ना सुनते हुए उसे अरेस्ट कर के ले गये..... मंत्री के साथ उसका ब्रोकर भी गया अंदर.... वहाँ सिर्फ़
तीन लोग ही बचे थे....

नताली.... इस बूढ़े को क्यों नही अरेस्ट किया, ये पीए भी तो उनके साथ मिला था...

पार्थ.... हा हा हा... ये पीए उसके साथ नही अपने साथ मिला था. हम पिच्छले 6 मंत से इस कमिने को ट्रॅप करने की कोसिस कर रहे थे. पर
कभी भी ये हाथ नही लगा, तुम्हारी वजह से आज देखो मंत्री तो हाथ लगा ही साथ मे वो हवाला ट्रेडर भी.... अब तो इनकी बॅंड बजेगी....

नताली.... ये जब छूट कर आएगा तो सब से पहले मुझे ही गोली मारेगा पार्थ.

पार्थ.... पागल, अब ये छूट कर ही नही आएगा. ये हमारा सब से हाइ टारगेट था. आने वाले 2 दिन मे तुम सुनोगी अग्रॉ शिप्पिंग बंद. क्योंकि एक्सपोर्ट-इम्पोर्ट की आड़ मे ये लोग शिप से कई इल्लीगल चीज़ें इधर से उधर कर रहे थे. ड्रग्स, इल्लीगल वेपन, ह्यूमन ट्राफ़्फीकिंग.... बहुत
कुछ ... यूँ समझ लो एक बहुत बड़ा खिलाड़ी आज गिरफ़्त मे है...

नताली.... ओये तुम वकील हो या जासूस...

पार्थ.... मैं एक देशभक्त हूँ.... चलें मेम...

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11-17-2020, 12:18 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
कानपुर.....

काया को मनु ने लाख समझाया कि अभी वक़्त नही है वहाँ जाने का, लेकिन फिर भी वो नही मानी. अपनी ज़िद पर अड़ी ही रही और अंत मे
उसे ले ही गयी. काया अपने भाइयों और अखिल के साथ रात तक स्नेहा के दरवाजे पर थी.

दरवाजे पर उन सब को देखते ही स्नेहा के पिता ने गेट झट से बंद कर लिया. काफ़ी कहने और सुन'ने के बाद अंत मे स्नेहा की माँ ने दरवाजा खोल दिया और सब को बैठ कर अपनी बातें बात करने की सलाह दी.

सब बैठ कर बात करने मे लगे थे और मनु की नज़रें बस स्नेहा को ढूँढ रही थी. लोग क्या बातें कर रहे थे उसके कानो मे भी नही पड़ रहा था. सब लोग बातों मे लगे थे और मनु वहाँ से उठ गया. उस के कदम स्नेहा के कमरे तक जाने लगे.

मनु जैसे ही उसके कमरे मे पहुँचा, उसकी आँखें डब-डबा सी गयी थी. दिल जैसे रो पड़ा हो, उसकी स्नेहा की हालत देख कर और मनु वहीं ज़मीन पर बैठ कर रोने लगा.
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मीटिंग अट राजीव हाउस.....

मूलचंदानी हाउस मे हो रहे ड्रामा को देख कर तनु ने भी एक मीटिंग बुला ही ली. हालाँकि अंदर से अब सब अपने-अपने ही इरादों से थे. जहाँ एक ओर तनु अब सब से स्ट्रॉंग कड़ी यानी मनु का सहारा ले कर आगे बढ़ना चाहती थी वहीं वंश को अब इन सब मे कोई इंटरेस्ट नही रह गया था.

रौनक जो सब के धोको का शिकार था, उसने भी अपनी बेटी की बात मानते हुए सब से अलग हो कर अपनी ही रन-नीति तय करने की सोच रहा था.

राजीव.... तुम सब को तो पता ही है कि मनु और उसके भाई पर क्या इल्ज़ाम लगा है. तो यदि तुम सब साथ हो तो हम उसे एमडी की पोस्ट
से हटाने की डिमॅंड रखते हैं और आपस मे यूनिट हो कर कोई एमडी चुन लेते हैं.

रौनक.... और वो एमडी कौन होगा...

वंश.... एमडी अब कोई भी हो मैं जा रहा हूँ. मुझे इन झमेलों से कोई लेना देना नही, मेरे पास जितना है मैं उसी को खुद आगे बढ़ा लूँगा. मैं इन सब चक्करों से दूर हो रहा हूँ. जिसे जो करना है करो, मुझे अब कोई लेना देना नही.

इतना कह कर वंश वहाँ से उठा और चला गया..... "इसे अचानक क्या हो गया जो ये यहाँ से चला गया"

रौनक.... लगता है सारे कांड इसी ने करवाए हैं, और इसका राज खुल चुका होगा. तभी तो छिप रहा है अब सब से.

राजीव.... तभी मैं कहूँ ये अचानक से इसका हृदय परिवर्तन कैसे हो गया. लगता है इसका तो विकेट जाने वाला है.

तनु.... खैर छोड़ो उसे, ये बताओ की अब क्या करे. वंश तो छोड़ कर चला गया. अब हमे क्या करना चाहिए.

रौनक.... टारगेट मनु है या मूलचंदानी. क्योंकि टारगेट मनु है तो उसे कल ही एमडी के पोस्ट से रिज़ाइन करवा देते हैं. और यदि कहीं टारगेट मूलचंदानी है, तो उसे कंटिन्यू करने दो.... क्योंकि अभी तो उसकी फॅमिली मे ही लड़ाई होगी. उन्हे आपस मे लड़ने दो और हम अब चुप-चाप उनके आक्षन का इंतज़ार करते हैं...

तनु.... हां ये भी ठीक रहेगा....

सभा समाप्त हो गयी. मीटिंग जैसे ही ओवर हुई तनु ने मनु को कॉल लगा दिया... मनु इस वक़्त स्नेहा के दरवाजे पर बैठ कर रो रहा था. मनु
ने कॉल पिक अप नही किया.... कई बार तनु ने कोशिस की पर मनु ने कोई रेस्पॉंड नही किया.

मनु का कोई रेस्पॉंड ना देख कर तनु ने उसे मेसेज की..... "वंश से मिली थी. उसकी हरकतें अजीब थी. मुझे लगता है कल वाले कांड के पिछे वंश का हाथ है"

मनु ने टेक्स्ट का नोटिफिकेशन देखा. फिर पूरा मेसेज पढ़ा.... नम आँखों से उसने एक बार स्नेहा को देखा... और घायल शेर की तरह बदला
लेने के लिए तड़पने लगा.

मनु दरवाजे पर बैठ कर बस रोता हुआ स्नेहा को ही देख रहा था...... "सारी ग़लती मेरी है, ये मेरा किया है जो तुम भुगत रही हो. कुछ तो कहो, देखो तो इधर भी स्नेहा"

स्नेहा को ऐसा लगा जैसे कोई आवाज़ दे रहा हो. बिस्तर पर पड़ी वो अपनी अचेत अवस्था से जागी, नज़रें घुमा कर मनु को देखी, एक फीकी
मुस्कान उसके चेहरे पर थी.... मानो जैसा कहने की कोसिस कर रही हो "देखो ये क्या हो गया"

कुछ भी प्यार जैसा नही हुआ था दोनो के साथ. ना तो कभी प्रपोज़ल और ना ही प्यार के किसी अहसास मे साथ घूमना..... बस साथ रहते
-रहते इतने मजबूत बंधन मे ऐसे जुड़े थे कि दोनो एक दूसरे का दर्द महसूस कर सकते थे.

मनु का कलेजा जैसे फट गया हो. किसी तरह वो खड़ा हुआ, स्नेहा के पास तक पहुँचा और उसकी गोद मे सिर रख कर रोने लगा.... स्नेहा
उसके बाल पर हाथ फेरती..... "कोई नही बेबी जो होना था हो गया, तुम दिल छोटा नही करो. प्लीज़ मेरी खातिर रोना बंद कर दो".

मनु... स्नेहा मैने कभी ऐसा नही चाहा था... सूऊ सॉरी....

स्नेहा... मुझे भी रुला रहे हो मनु, जो हो गया अब वापस नही हो सकता. इसमे तुम्हारी कोई ग़लती नही....

मनु.... स्नेहा, जब इतना सोचती हो तो अपना ये हाल क्यों बनाया....

स्नेहा.... मैं तो सब समझती हूँ पर ये दिल नही मानता ना मनु. दिल के हाथों मजबूर हो कर मनु.....

मनु.... तुम्हारे पापा या मम्मा ने कुछ कहा भी......

स्नेहा.... उन से तो सामना करने की हिम्मत नही हुई... पर तुम आ गये ना तो अब थोड़ी हिम्मत आ गयी है... चलो...

बाहर सब डिसीजन मे इतना लगे हुए थे कि किसी को पता भी नही चला मनु कब स्नेहा के कमरे मे गया. स्नेहा, मनु का हाथ थाम कर बाहर निकली और ठीक अपने पापा के सामने खड़ी हो गयी. उन दोनो को ऐसे देख सब अपनी बात कहना भूल कर उन्ही दोनो को देखने मे लग गया...

स्नेहा... माँ-पापा, मुझे नज़रें मिलाने की हिम्मत नही. लेकिन एक ही बात कहूँगी जो हुआ उसमे हमारी कोई ग़लती नही है. यदि आप को लगता है कि मेरी वजह से आप की इज़्ज़त गयी है, तो इज़्ज़त जान से बढ़ कर नही. आप इशारा कीजिए मैं खुद अपनी जान ले लूँगी, लेकिन प्लीज़ आप हमे अलग नही कीजिए... प्लीज़ अलग नही कीजिए..

सब लोगों ने स्नेहा की दर्द भरी आवाज़ को महसूस किया. वो मनु का हाथ थामे बस रोती रही. उसका रोना देख कर उसकी माँ और काया दोनो की आँखों मे आँसू थे. उपर से कितना भी सख़्त क्यों ना हो लेकिन एक पिता के पास दिल नही होता क्या ? उसे क्या अपने बच्चो की तड़प नही दिखती ?

जो रिश्ता कल के गुस्से के साथ टूटा था, वो आज स्नेहा की तड़प के साथ जुड़ गया. स्नेहा के पिता श्रीमान नवीन ऱाठोड जी ने हामी भर दिया
इस शादी के लिए. मनु और स्नेहा दोनो के दिल को कितना सुकून मिला था ये वो दोनो हे महसूस कर सकते थे.

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11-17-2020, 12:18 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
अगले दिन सुबह....

मनु ऑफीस पहुँचते ही मीटिंग का कॉल किया. सभी सीईओ'स और बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स से मनु कहने लगा....

"कुछ दिन पहले मैने एक प्रपोज़ल दिया था, कंपनी को पब्लिक एंटरप्राइज़स करने की. सभी लोगों को ये प्रपोज़ल मंजूर था एक्सेप्ट बोर्ड ऑफ
डाइरेक्टर्स के. आज डेडलाइन टाइम ओवर होता है. सो नाउ से युवर फाइनल डिसीजन्स"

किसी को कोई परेशानी नही थी. सारे बोर्ड ऑफ डाइरेक्टर्स ने सिग्नेचर कर दिए. सारे लीगल फॉरमॅलिटीस पूरी होने के बाद 60% शेर मार्केट मे पहुँच गया था.

मीटिंग ख़तम कर के मनु अपने चेंबेर मे गया जहाँ नताली उसका पहले से इंतज़ार कर रही थी.

मनु.... तुम्हारे चेहरे की खुशी बता रही है कि तुम्हे लगभग कामयाबी मिल चुकी है.

नताली...... हां ! पर तुम्हे कैसे पता...

मनु.... अर्रे अभी तो कहा मैने तुम्हारे चेहरे की खुशी देख कर.

नताली..... हहे, तो जनाब को फेस रीडिंग भी आती है. खैर छोड़ो वो सब, बहुत बुरा लगा उस दिन जब टीवी देखा. जिसने भी ये मॅटर न्यूज़ मे

उछाला है, बहुत ग़लत किया. उसे छोड़ना मत मनु, मैं तुम्हारे साथ हूँ.

मनु.... जिसने किसने, सब तो तुम्हारे पापा का नाम ले रहे हैं.

नताली...... व्हाट ???? मनु मेरे पापा पर इल्ज़ाम लगाया तो अच्छा नही होगा...

मनु.... "वेट" ... और फोन अखिल को लगाते हुए.... "ये सुनो एस.पी के वर्ड्स"

अखिल.... हां मनु बता ना....

मनु.... अखिल उस टेप के पिछे कौन था...

अखिल.... और कौन वो तुम्हारे बिज़्नेस पार्ट्नर वंश थे.....

नताली ने जैसे ही अपने पापा का नाम सुना पता नही उसे अंदर से क्या होने लगा.... मनु के फोन रखते ही उसने तुरंत वंश को कॉल किया और उसे मनु के कॅबिन मे आने के लिए कही. वंश आते ही पूछने लगा "क्या हुआ" . और जब नताली ने उसे पूरी बात बताई तो उसके पैरों
तक से ज़मीन खिसक गया था...

वंश, अपनी बेटी के सिर पर हाथ रखते..... "मैं अपनी बच्ची का कसम ख़ाता हूँ, मैने ये नही किया".

नताली.... मनु अखिल तुम्हारा दोस्त है और तुम जान बुझ कर मेरे पापा को फसा रहे हो.

मनु.... "वेट आ मोमेंट"... फिर उसने तुरंत कॉल तनु को लगा दिया...

तनु... हेलो मेरे छोटे बाय्फ्रेंड कैसे हो....

मनु... तनु मेरे सिर पर खून सवार है, मुझे कुछ भी समझ नही आ रहा. तुम शुवर कैसे हो कि उस टेप को रिले करने के पिच्चे वंश अंकल का हाथ था....

तनु.... आइ आम डॅम शुवर मनु. कल कुछ बात को ले कर वो हमारे पास आए थे. कंपनी और तुम्हारे बारे मे जब बात चली तो वो ऐसे भागे जैसे उसने कोई चोरी किया हो. तभी मैने कड़ियाँ जोड़ी. मनु यही है कल्प्रिट. इसी ने दीवान को भी मरवाया होगा और मानस को फसाया होगा. इसकी नियत तो शुरू से ठीक नही थी....

वंश, तनु को चार गालियाँ देते हुए अपनी सफाई देने लगा.... मनु उसे बीच मे रोकते हुए कहने लगा..... "अंकल, यदि मैं सब सच मान लेता तो यहाँ पर नताली से कहता क्या ? मैं जानता हूँ आप इन सब के पिछे नही. मैं तो बस दिखा रहा था कि यहाँ मेरे साथ और आप के साथ क्या हो रहा है. मुझे आप पर इतना भरोसा है कि मेरी कंपनी को जान बुझ कर डुबॉया गया था, फिर भी मैने केवल आप से ही राय लिया".

वंश.... एक बात सच है कि यदि किसी के लिए तुम गड्ढा खोद रहे हो तो तुम्हारे लिए भी गड्ढा खोदा जाएगा. हां एक सच ये भी है कि तुम्हारी कंपनी को डुबाने मे मैं भी शामिल था. ताकि कंपनी के 25% शेर्स हमारे पास वापस आ जाए. इस के लिए चाहो तो जो तुम सज़ा तुम दो, मंजूर है...

अपने पिता का कन्फ्स्षन सुन कर नताली के आँसू छ्लक आए...... "क्यों पापा क्यों, बचपन से मुझे सिखाया कि जितना है उसी को आगे
बढ़ाओ, अपना देखो उसी मे खुश रहो... फिर ये लालच क्यों पापा... क्यों पापा .. क्यों... जानते हो आप मेरे हीरो थे... मेरे हीरो थे पापा....

मनु.... नताली, वो अब भी हीरो हैं. सिर्फ़ तुम्हारे ही नही मेरे भी. एक बात तो जान गयी ना कि कितना अकेला हूँ मैं. और मुझे इन पर अब भी उतना ही भरोसा है जितना पहले था. तुम्हे भी पॅनिक होने की ज़रूरत नही. नताली तुम्हारा काम इस बात का प्रूफ है कि वंश अंकल एक ईमानदार आदमी है. तुम ऐसा बोल कर उन्हे और मुझे दोनो को हर्ट कर रही हो.

वंश.... मैं आज अपने नज़रों मे गिर गया हूँ. बुरे के साथ बुरा करो तो अफ़सोस नही होता लेकिन लोगों ने ऐसा परदा मेरी आँखों पर डाला की.....

मनु..... ह्म ! वंश अंकल आप को ये गिल्टी है ना कि आप बहकावे मे आ गये, तो ठीक है आज से मैं अपनी कंपनी का पूरा भार नताली को
देता हूँ और आप इसे हेल्प करेंगे मेरा नुकसान कंपानसॅट करने मे, और मैं ज़रा ही इंटरफेर नही करूँगा.

वंश.... तुम महान हो मनु.... मैने तुम्हे पहचान'ने मे बहुत बड़ी भूल कर दी.

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11-17-2020, 12:18 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
शाम का वक़्त.... नताली और पार्थ....

पार्थ.... हे नताली थॅंक्स कहने की ज़रूरत नही. उल्टा मुझे तुम्हे थॅंक्स कहना चाहिए तुम्हारे वजह से उस मंत्री को ट्रॅप कर सके.

नताली.... हां सो तो है. लेकिन फिर भी थॅंक्स. तुम नही मिलते तो मुझे वो सब शायद करना पड़ता जिसके लिए मेरा दिल मुझे अलोड कभी नही करता. वैसे एक बात समझ मे नही आई, वो तो मंत्री है इतनी आसानी से फँस कैसे गया.

पार्थ... उसका दो कारण है. पहला ये कि उसके पीए ने सारा मामला सेट कर रखा था. उसी ने तुम्हारी पॉज़िटिव बातें मंत्री के दिमाग़ मे डाली, जिस से तुम पर शक़ ना किया जाए. दूसरी बात ये की तुम कॉर्पोरेट से बिलॉंग करती हो, तो तुम्हारा मोटो केवल अपना टेंडर पाना होगा, मंत्री को तुम क्यों फसाने लगी.

नताली... ह्म ! अच्छा फसाया उसे... चलो चलती हूँ मैं....

पार्थ... नताली तुम कुछ टेन्षन मे हो क्या...

नताली.... कुछ खास नही बस कुछ पर्सनल प्रॉब्लम्स हैं....

पार्थ.... मैं भी तो तुम्हारा पर्सनल ही हूँ. तो जो तुम्हे परेशान करेगा वो मुझे भी, बताओ तो क्या हुआ....

नटाल.... रहने दो पार्थ. तुम्हारी ईव्निंग क्यों खराब करूँ मैं.

पार्थ.... नताली, तुम्हारे लिए मेरे दिल मे खास जगह है. तुम ने जो किया उसके लिए स्लॉट. यहाँ सब अपना सोचते हैं, देश और देशभक्ति अब तो ऐसा लगता है जैसे बस कुछ लोगों की जागीर बची है और सिर्फ़ वही सोच सकते हैं दूसरा कोई नही. ऐसे मे तुम मिली, जिसके पास कोई
वजह नही थी ख़तरा मोल लेने की लेकिन तुमने अपना ना सोच कर देश का सोचा.... सल्यूट युवर डेडैकेशन ... नाउ टेल युवर प्राब्लम ... मेरा
वादा है की वक़्त आने पर मैं पूरे इंडिया को तुम्हारे कदमों मे झुका सकता हूँ.....

पार्थ की बात मे जैसे भरोसा था, वो पार्थ के कंधे पर अपना सिर टिका कर ऑफीस मे हुई सारी बातों को बता दी. पार्थ बारे गौर से सुन रहा था....

पार्थ.... काफ़ी इंटरेस्टिंग करेक्टर है ये मनु भी. मेरे ख्याल से तुम्हे मनु की मदद करनी चाहिए.

नताली.... ह्म ! मैं भी वही सोच रही थी. लेकिन उसकी मदद करूँ तो कैसे करूँ ...

पार्थ.... सिंपल है जो डूबी कंपनी है उसे आगे तक ले जाओ. मुझे विस्वास है तुम ज़रूर सफल हो जाओगी.

नताली.... मेरा हौसला बढ़ाने का सुक्रिया. लेकिन दिल मे अब भी कुछ टीज़िंग जैसा है पार्थ, पता नही क्यों.

पार्थ... हां जानता हूँ. किसी अपने के साथ बुरा हो तो दिल मे चोट लगती है. और यहाँ तो तुम्हारे दोनो फॅवुरेट को टारगेट किया गया है, तुम्हारे
डॅड आंड मनु....

नताली.... हां, अब सही कहा है. मेरा तो खून खौल रहा है उन सब पर, मन करता है उनको गोली मार दूं.

पार्थ..... हा हा हा... गोली मारने से मुक्ति मिलती है, मज़ा तो सज़ा देने मे आएगा....

नताली.... मतलब...

पार्थ..... मतलब ये की जिस खुशी को पाने के लिए उन लोगों ने तुम्हारे साथ बुरा किया, उन लोगों से उनकी वही प्यारी चीज़ छीन लो.

नताली.... एसस्स पार्थ सुकून मिल रहा है तुम्हारी बात सुन कर. कहते रहो और क्या-क्या करना है...

पार्थ.... ओये बस... हो गया ख़तम ... एक ही चीज़ करना है, जिस शेयर को वो हासिल करने के लिए गेम खेल रहे हैं, तुम उन से उन्ही शेर्स
को छीन लो....

नताली.... हां यही करूँगी. मैं मनु से बात करूँगी, और उसे कहूँगी प्लान करो तब भी और पिच्छवाड़े पर लात मार कर भागाओ उन सब को जो तुम्हे भागना चाहते हैं....

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11-17-2020, 12:18 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
अर्जुन (शम्शेर का पुराना पीए, अब मनु के ग्रूप का सेयो है) और सुकन्या

सूकन्या को कुछ भी समझ मे नही आ रहा था चल क्या रहा है. बस सामने से खेल होते देख रहे थे. खैर अपने भाई से तो हाथ मिला चुकी थी
सूकन्या, लेकिन उसे अपने भाई के पिछे थोड़े ना रहना था, उसे तो पूरा ग्रूप चाहिए था.

उसने अपने पर्मनेंट बाय्फ्रेंड और मुख्य सलाहकार से पहुँची मिलने..... अर्जुन, सुकन्या को देखते ही उसे गले से लगा लिया और उसके होंठो को चूमने लगा...

सूकन्या.... छोड़ो भी, अभी मैं बहुत ही कन्फ्यूषन मे हूँ...

अर्जुन, सूकन्या के गले को चूमते.... "कैसा कन्फ्यूषन"......

सूकन्या...... अमृता ने तो टेप रिले करवाया, पर ये दीवान को किसने मरवाया.

अर्जुन, गर्दन चूमते हुए साड़ी का पल्लू हटा दिया, और सुकन्या के स्तन पर हाथ फेरते...... "जहाँ तक मुझे अंदाज़ा है ये काम किसी का नही हो सकता"

सुकन्या.... आह्ह्ह्ह, थोड़ा प्यार से दबाओ ना. तुम कहना क्या चाहते हो.....

अर्जुन उपर आ कर सुकन्या के होंठ को अपने होंठो मे दबाया.... और एक एक कर के ब्लाउज का बटन खोलते कहने लगा..... "कहने का
मतलब है की अभी जीतने लोग हैं उन मे से किसी ने नही करवाया. तुम सब एक खिलाड़ी को क्यों भूल जाते हो"....

सूकन्या ठंडी सिसकारी लेती..... "इष्ह, कौन खिलाड़ी अर्जुन"

अर्जुन, ब्लाउज और ब्रा को बाहर निकालते उसके स्तन को बारी-बारी चूसने लगा..... "अहह, अब तुम घुस जाओ मेरे बूब्स मे, मैं क्या भागी जा रही हूँ... पहले बता तो दो"

अर्जुन.... और कौन खिलाड़ी... तुम्हारे पापा शमशेर मूलचंदानी....

सूकन्या.... क्या ???????

अर्जुन.... वॉववव बिना ब्लाउज के तुम कितनी सेक्सी लग रही सूकन्या. तुम तो दिन-व-दिन और जवान होते जा रही हो...

अर्जुन, सुकन्या का कंधा पर दबाव बनाते उसे बिठाने लगा..... सुकन्या नीचे बैठ'ती..... "पर उस बूढ़े को गेम खेलने से क्या फ़ायदा".... सुकन्या
पैंट का ज़िप खोलती लिंग को अपने हाथ मे ले कर बाहर निकाल चुकी थी और अपनी बात कह कर उस पर अपनी जीभ फेरने लगी....

अर्जुन..... ऊऊऊऊऊ, तुम रोज क्यों नही आती, कितना सूखा रहता हूँ मैं.... आआआअहह.... मैं नही जानता तुम्हारे पापा कौन से मोह मे
फसे हैं पर ये सब उसी ने करवाया है. एक वही है जो काव्या के मॅटर पर सब से ज़्यादा हाइपर हो जाता था.....

सूकन्या पूरा लिंग को मुँह मे भर कर ज़ोर-ज़ोर चूस रही थी... अपना मुँह बाहर निकालती..... "लेकिन उन्हे कैसे पता कि मानस और दीवान
वहाँ मिलने वाले हैं"

अर्जुन, सुकन्या को उपर उठाया, और हाथ दीवाल से टीकाने को कहा. सुकन्या हाथ दीवाल से टीका अपनी कमर पिछे निकाल ली. अर्जुन ने साड़ी का गाँठ खोल कर उसे नीचे गिरा दिया, और पेटिकोट का नाडा खोल दिया..... "सुकन्या, मुझे कैसे पता होगा कि तुम्हारे डॅड को कैसे पता चला".

उभरे हुए हिप से अर्जुन ने पैंटी को नीचे खिसकाया और उसके नितंबों को फैलाते हुए अपना मुँह बीच मे डाल दिया और सुकन्या की योनि को मुँह मे भर कर उसके क्लिट चूसने लगा.... मस्ती से सुकन्या अपने पाँव हिलाती...... "आआहह, तुम बिन अधूरी सी होती हूँ. इष्ह ... अर्जुन... पर डॅड ने करवाया क्यों".....

अर्जुन अपना मुँह निकाल कर, योनि से अपना लिंग घिसने लगा..... "ओह्ह्ह माइ बेबी, अब डाल भी दो, नयी लड़की नही हूँ कि इतना फोरप्ले कर रहे... अभी तो लगातार धक्के मारते रहो".... अर्जुन एक बार मे ही पूरा लिंग योनि मे डालते.... धक्का मारने लगा....

"सुकन्या, यूँ तो अपने पोते से प्यार कभी नही रहा शम्शेर को, लेकिन मानस जब दीवान की तलाश मे निकला था तो तुम्हारे डॅड सब से ज़्यादा
परेशान थे. अब तुम ही सोचो, वो अपने पोते के जाने से परेशान थे या मानस दीवान के पिछे गया इस\ बात को ले कर"

"आहह... बेबी और ज़ोर से.... उम्म्म्मममम ... फक मी हार्डर.... उफफफफ्फ़.. अर्जुन... अच्छा ही किया डॅड ने, कुत्ता था वो दीवान. वैसे इन
बातों से मुझे कुछ फ़ायदा होगा कि नही..... आहह बेबी.... हिम्मत नही बची क्या... और ज़ोर से धक्के मारो ना.... उफफफफफफफ्फ़"

अर्जुन और तेज-तेज धक्के मारता..... "सारी कहानी बता दिया साथ मे ये भी कि तुम्हारे पापा को एक नाम की तलाश है, जिसने मानस को दीवान के पीछे लगाया.... बस इशारों को समझो"

"आहह.... समझ गयी इशारों को... अब सब समझना समझाना बाद मे... पहले ज़रा तेज-तेज धक्के लगाओ.... उफफफफफ्फ़ मज़ा आ रहा..... तुम मेरे साथ ही क्यों नही रह जाते अर्जुन.... आहह... और ज़ोर से मारो धक्के, प्यास बुझा दो"......

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11-17-2020, 12:18 PM,
RE: Gandi Kahani (इंसान या भूखे भेड़िए )
रात के वक़्त.... अखिल....

अखिल.... यार मिश्रा जी, भाई के लिए डर-डर भटकी, भाई मिल गया भाभी मिल भी गयी, पर इन सब बातों मे मे मेडम मुझे ही भूल गयी.

मिश्रा जी.... तो आज भारतीय प्यार इज़हार हो ही जाए सर...

अखिल.... मतलब....

मिश्रा जी.... मतलब चढ़ जाओ आज पाइप, चले जाओ मेडम के पास और बता दो हाल-ए-दिल एक बार. वैसे मेरे ख्याल से रहने दो आप.

अखिल.... मिश्रा जी पहले जोश भर कर फिर टाँगे क्यों खींच रहे हो....

मिश्रा जी.... वो कुछ ख्याल आ गया इसलिए...

अखिल.... अब पहेलियाँ बुझाना बंद कर के सीधा पॉइंट पर आओगे....

मिश्रा जी.... प्यार का इज़हार होते ही इतनी पनौती लगी कि देल्ही, मथुरा और कानपुर ही करते रह गये, पता ना हाल-ए-दिल बता दिया तो क्या हालत हो जाए....

अखिल.... लगता है आप के प्यार पर पनौती लगानी पड़ेगी. मिश्रानी जी से आप के एक्सट्रा मॅरिटल अफेर के बारे मे बताना होगा.

मिश्रा जी.... झूठा आग ना लगाओ, चलो चलते हैं पाइप चढ़ने..... मेडम ना मिली तो मेरे घर मे आग लगाओगे क्या...

अखिल चल दिया अपनी महबूबा की गली. मिश्रा जी को समझा कर अखिल चढ़ गया पाइप और चोरी से काया के कमरे मे घुस गया.... काया
इस वक़्त अपनी नाइट ड्रेस मे थी, और बिस्तर से टिक कर किताब पढ़ रही थी. अचानक किसी को सामने देख काया चिल्ला दी......

अखिल तेज़ी से आगे बढ़ा और मुँह पर हाथ रखते हुए..... "सीईईई, सीईईईईईईई, मैं हूँ"

दोनो शांत हो गये... नज़रों से नज़रें मिल गयी, नज़रें मिलते ही काया ने नज़ाकत से अपनी पलकें नीचे झुका ली. तभी बाहर से आवाज़ें आने लगी.... "क्या हुआ, क्या हुआ"

काया... "कुछ नही एक डरावना नॉवेल पढ़ रही थी जाओ सब सो जाओ".... फिर दबी सी आवाज़ मे.... "मिस्टर. इस वक़्त मेरे कमरे मे वो भी
चोरी छिपे आने का मतलब. तुम पोलीस हो या चोर".

अखिल.... हम तो तेरे आशिक हैं सदियों पुराने, चाहे तू माने चाहे ना माने.

काया... आशिक़ जी अपनी आशिक़ी कहीं और दिखाइए मैं ब्रेक अप कर रही हूँ...

अखिल.... क्या ???? ब्रेक अप ??? पर क्यों....

काया.... क्योंकि तुम्हारा प्यार पनौती है. इज़हार होते ही मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा. इसलिए ब्रेक अप...

अखिल.... पर सुनो तो. तुम भी कहाँ इन दकियानूसी बातों को मान'ने लगी....

काया..... ब्रेक अप मतलब ब्रेक अप मिस्टर. जा रहे हो या मैं चिल्लाना शुरू करूँ...

अखिल.... कुछ तो सोचो, इतनी मेहनत से उपर आया हूँ... बेबी आइ लव यू...

काया, आखें दिखाती.... जाते हो या ......

अखिल गुस्से मे बाहर निकलते.... "तेरी तो मिश्रा, तुम्हारी मैं खबर लेता हूँ. साला सारी बातें इसी ने काया के दिमाग़ मे भरी है".....
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