Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
11-28-2020, 02:33 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
पिछले भाग में आपलोगों ने पढ़ा कि रामलाल अपनी कहानी हमलोगों के सामने बता रहा था कि किस तरह उसने अपने छोटे भाई की पत्नी सरोज के साथ शारीरिक संबंध स्थापित किया। वह तो नासमझ था किंतु सरोज ने उसकी नासमझी का पूरा पूरा फायदा उठाया। उसने न सिर्फ रामलाल से शारीरिक संबंध स्थापित करके मां बनने का सौभाग्य प्राप्त किया बल्कि इस चक्कर में रामलाल को स्त्रियों से संभोग सुख का चस्का भी लगा दिया। जब वह गर्भवती हुई तो योनि मैथुन का आदी रामलाल की कामक्षुधा कैसे शांंत हो? तो उसका भी आनंददायक विकल्प मिल गया, गुदा मैथुन का। सरोज की गुदा मैथुन में उसे एक अलग ही आनंद प्राप्त हुआ। संकीर्ण गुदामार्ग में उसके विशाल लिंग को एक अलग तरह की तृप्ति का सुख प्राप्त हुआ। सरोज के मां बनने के बाद तो रामलाल की निकल पड़ी। कभी योनि मैथुन तो कभी गुदा मैथुन। बहुत प्रसन्न था वह। किंतु एक दिन उनके निर्बाध चलते इस अनैतिक रिश्ते का भंडाफोड़ हो गया। पकड़े गये दोनों रंगे हाथ, संभोग में लिप्त। उनकी जरा सी असावधानी, दरवाजा खुला छोड़ कर अपनी हवस मिटाने की जल्दबाजी नें रबिया के सामने उनके अनैतिक रिश्ते पर से बेपर्दा कर दिया। इस तरह अकस्मात रबिया के आगमन से स्तब्ध सरोज, लज्जा से गड़ी, भयभीत मुंह छिपा कर भागी दूसरे कमरे में। यूं तो भांडा फूटा भी तो सिर्फ रबिया के सामने, जो उनकी पड़ोसन थी, लेकिन सरोज पानी पानी हो उठी। सिर्फ लज्जित ही नहीं, भयभीत भी, कि कहीं यह बात जगजाहिर न हो जाय।

रश्मि अब भी रामलाल से चिपकी तन्मयता से उसकी कथा में खोई हुई थी। रामलाल उसके चिकने नितंब पर पर हाथ फेरता हुआ अपनी कहानी बता रहा था। अब आगे:-

“रबिया चालीस साल की भरे भरे बदन वाली सांवली विधवा औरत हमारी पड़ोसन थी, जो लोगों के घरों में चौका बर्तन का काम करती थी। दूसरों के घर चौका बर्तन का काम करके अपना और अपनी बेटी, जो सत्रह बरस की हो चुकी थी और कॉलेज में पढ़ रही थी, का पेट पाल रही थी और बेटी को पढ़ा रही थी। शायद किसी काम से आई थी। अचानक इस हालत में पकड़े जाने से मुझे तो कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन सरोज, वह तो घबरा ही गयी। हड़बड़ा कर अलग हो गयी और झेंपती हुई वहां से भागी। मैं वहीं अपने तनतनाए लंड के साथ खड़ा रह गया। मैं परेशान, अपने खड़े लंड की अनबुझी प्यास के साथ खड़ा रबिया को देखता रह गया। गुस्सा भी आ रहा था उसपर। औरत और वह भी रबिया जैसी भरे बदन वाली औरत, अच्छी खासी सेहत वाली, मेरे भूखे लंड के लिए बिल्कुल सही औरत, ऊपर से चुदाई के बीच में कूद पड़ने वाली औरत, मेरी समझ से, जिसे शायद भगवान ने इसी वास्ते भेजा था कि बाकी की चुदाई उसी से पूरी कर लूं, देख कर मेरा भेजा ही फिर गया था। उधर मेरे लंड को देख कर रबिया बीबी की आंखें फटी की फटी रह गयी। अपनी जगह खड़ी की खड़ी रह गयी। उसके मुंह से निकला, “हा्आ्आ्आ्आ्आ्आय अल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ला्आ्आ्आ्आ्आह्ह्ह्ह्ह।”
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11-28-2020, 02:33 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“क्या हुआ?” पूछ बैठा मैं, उसी तरह खड़े, अनबुझी आग में तपते हुए, खड़े तनतनाए लंड के साथ। मैं घूरता रह गया उसे, उसकी गोल मटोल, भरे पूरे गदराए बदन को भूखी नजरों से।

“क क क क कुछ नहीं, कुछ नहीं।” हड़बड़ा गयी वह। जैसे किसी नींद से जागी वह। वह पीछे मुड़ कर वापस जाने लगी। मैं ने लपक कर पीछे से उसे पकड़ लिया।

“जाती कहां हो रबिया बीबी?” मैं चुदास में पागल हुआ जा रहा था।

“छोड़िए मुझे भईया, ओह्ह्ह्ह्ह जंगली, छोड़िए मुझे, यह क्या कर रहे हैं?।” मेरी बांहों में छटपटाती हुई बोली वह।

“क्या कर रहा हूं? वही जो सरोज के साथ कर रहा था।”

“ओह्ह्ह्ह्ह भईया, बेशरम, छोड़िए ना।” वह साड़ी पहनी हुई थी। साड़ी के ऊपर से ही मेरा लंड उसकी बड़ी बड़ी गांड़ में घुसा चला जा रहा था। वह मेरी बाहों में कसमसा रही थी। मैं पूरी तरह नंगा था और वह पूरे कपड़े में। मैं एक हाथ से उसकी कमर को सख्ती से जकड़ा हुआ था और दूसरे हाथ से उसकी ब्लाऊज से बाहर छलक पड़ते, तरबूजों जैसी बड़ी बड़ी चूचियों को दबाना शुरू कर चुका था। उफ्फ्फ्फ्फ्फ, काफी बड़ी बड़ी और मुलायम चूचियां थीं उसकी। बड़ा मजा आ रहा था दबाने में, नरम बैलून की तरह। “ऐसे कैसे छोड़ दूं रबिया तुझे।”

“हाय अल्ल्ल्ल्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह, चिल्ला दूंगी मैं, आह्ह।”

“मत चिल्ला रबिया बहन। चोदने दे। मुझे अच्छा लगेगा, तुम्हें भी अच्छा लगेगा।” मैं मना रहा था उसे। उसका विरोध थोड़ा थोड़ा कम हो रहा था।

“बहन बोलते हैं और ऐसा करते हैं?” मुंंह से ही अब विरोध कर रही थी।

“बहन क्या औरत नहीं होती है?”

“मां बहनों के साथ यह सब नहीं किया जाता भाई साहब।” वह विरोध नहीं कर रही थी, उसकी सांसें तेज हो गयी थी, थोड़ी बहुत कसमसा जरूर रही थी। मुंह से ही मुझे समझाने की कोशिश कर रही थी। इधर मैं उसकी चूचियां दबाए जा रहा था। उसने ब्लाऊज के चूचकसना भी नहीं पहना था। मेरा तनतनाया हुआ लंड उसकी गांड़ में साड़ी समेत घुसा चला जा रहा था, जितना कसमसा रही थी उतना ही। मुझे ऐसा लग रहा था कि शायद उसे अब यह सब अच्छा लग रहा था।

“मां बहनें? मुझे क्या पता। सरोज को चोदने के बाद मुझे तो लगता है, हर औरत चुदने के लिए ही पैदा हुई है। चूत बनाया है भगवान ने तो चुदवाने के लिए ही ना। मुझे तो औरत से मतलब है। इस समय तो पता नहीं क्यों तुम्हें देखते ही सरोज भाग गयी, लेकिन तुम तो हो, वैसे भी तुम मेरी बहन थोड़ी न हो।” मुझे लग रहा था कि अब उसकी ओर से कोई मना नहीं था। मैं ने भी उसे ढीला छोड़ दिया था, लेकिन अब वह भागने की कोई कोशिश नहीं कर रही थी। मैंने उसकी चूचियां दबाना बंद नहीं किया, अब एक हाथ से उसकी साड़ी उठाने लगा। तुरंत ही उसकी साड़ी कमर से ऊपर उठा दिया। साड़ी साया के अंदर उसने कुछ नहीं पहना था। बाप रे बाप, इतनी मोटी मोटी गोल गोल गांड़, देखकर तो मेरे मुंह में पानी आ गया।

“हाय दैया, यह यह क्या कर रहे हैं? मानिएगा नहीं?” वह अब ढीली पड़ गयी थी। सिर्फ उसकी आवाज में थोड़ी शरम और डर थी।

“नहीं। चोदे बिना तो मानूंगा नहीं। तुम्हारी डर से सरोज चुदाई के बीच में ही भाग गयी। अब तुम ही बताओ, इस खड़े लंड का क्या करूं?” मैं अब उसकी गांड़ सहलाने दबाने लगा।

“उफ्फ्फ्फ्फ्फ आ्आ्आ्आ्ह, ओ्ओ्ओह्ह्ह, यह ककककक्या्आ्आ्आ्आ्आ कर रहे हैं आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह?” उसकी आंखें बंद हो गयी थीं और उसका सिर मेरी छाती पर टिक गया था। मैं समझ गया कि अब मैं उसे चोद सकूंगा। मैंने उसे अपनी ओर घुमा दिया। अब उसका चेहरा लाल हो चुका था। मैं उसके चेहरे को चूमने लगा। उसके ब्लाऊज को खोल दिया। बाप रे बाप, थलथला कर उसकी चूचियां सामने छलक उठी थी। मैं तो पागल ही हो गया। मैं अपने को रोक धहीं पाया और उसकी चूचियों को बारी बारी से चूसने लगा।
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11-28-2020, 02:33 PM,
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“आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, ओ्ओ्ओह्ह्ह,” उसके मुंह से सिसकारियां निकलने लगी। मैं और देर करना नहीं चाहता था। उसकी साड़ी को उठाए उठाए ही वहीं जमीन पर लिटा कर चोदने के लिए तैयार हो गया। ओह भगवान, उसकी चूत देख कर तो मैं अकचका गया। इतनी बड़ी, भैंस जैसी फूली हुई काली काली चूत और उसके ऊपर घुंघराले बाल भरे हुए थे। मस्त, बिल्कुल मेरे लंड के लिए ही बनी थी उसकी चूत। तभी उसने अपनी आंखें खोली और इतने सामने से मेरा लंड देख कर घबरा ही गयी।

“नहींईंईंईंईंईंईंई, बाप रे बाप, इतना बड़ा लौड़ा्आ्आ्आ्आ।” घबराहट म़े उसके मुंह से निकला।

“नहीं क्या? क्या नहीं? अब और काहे नहीं?”

“हाय, इतना बड़ा्आ्आ्आ्आ लौड़ा्आ्आ्आ्आ। मर जाऊंगी मैं। फाड़ दीजिएगा आप तो या खुदा, रहम।” अब वह सचमुच में घबराई हुई थी। इस अंतिम क्षण में, जब मैं उसकी रसीली चूत पर हमला बोलने के बिल्कुल नजदीक था, यह सुनकर झल्ला उठा।

“चुप हरामजादी, चुपचाप चोदने दे। तब से नखरे किए जा रही है। एक तो सरोज की चुदाई के बीच में बाधा बन कर आई और अब मेरे लंड को तरसाए जा रही है।” मैं कड़क कर बोला और उसकी मोटी मोटी जांघों को फैला कर अपना लंड उसकी चूत में सटाने लगा।

“ओह्ह्ह्ह्ह भैय्या, रहम कीजिए।”

“रहम ही तो कर रहा हूं, नहीं तो अबतक जबर्दस्ती चोद चुका होता।”

“उफ्फ्फ्फ्फ्फ अम्मी, ओह्ह्ह्ह्ह।” वह मरी सी आवाज में बोली, लेकिन उसकी चूत चुगली कर रही थी, चुदने को तैयार, पानी पानी हो चुकी थी।

“चल तैयार, ले्ए्ए्ए्ए्ए्ए आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह हुम्म्म्म्म्म्म।” भच्च से मैंने अपना लंड उसकी चूत में एक ही बार में सरसरा कर उतार दिया।

“आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, ओह्ह्ह्ह्ह, मा्आ्आ्आ्आ्आर डा्आ्आ्आ्आला्आ्आ् अब्ब्ब्बू्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ।” दर्द से तड़प उठी वह। लेकिन अब मैं कहाँ रुकने वाला था। गरमागरम चूत का स्वाद जो मिल गया था मेरे लंड को। बड़ी आराम से घुसा था मेरा लंड, लेकिन पता नहीं क्यों वह चीख उठी थी। उसकी चीख सुनकर सरोज भी दौड़ी चली आई। उसे देख कर रबिया रोते हुए बोली, “सरोज, बचा मुझे इस जानवर से ओह्ह्ह्ह्ह, मुझे मार डालेगा।”

सरोज क्या बोलती, उल्टे खुश हो कर बोली, “वाह जेठ जी, ठीक पकड़े हैं। चोद डालिए इसे भी, वरना यह हमारी पोल खोल कर रख देगी। रबिया दीदी, अब चुद भी जाईए, पूरा लंड तो घुस ही गया। वाह, कमाल कर बैठी आप तो। इतने बड़े लंड को अपनी चूत में खा लेने के बाद अब मजा लीजिए ना। रोने से क्या फायदा।”

“अरी कुतिया, इनका घोड़े जैसा लौड़ा मेरी कोख तक घुस गय्य्य्य्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह है। उफ्फ्फ्फ्फ्फ। दर्द से मरी जा रही हूं मैं और तू मजा लेने की बात कर रही है।” तड़प कर रबिया बोली। उनकी बातों की परवाह किए बगैर मैं अब उसकी चूतड़ के नीचे हाथ लगा कर गचागच चोदने लगा। थोड़ी ढीली हो गयी चूत उसकी और चीखना चिल्लाना उसका कम होने लगा। फच फच फच फच की आवाज निकलने लगी उसकी चूत से।

“ओह्ह्ह्ह्ह, ओह्ह्ह्ह्ह, आह्ह, आह हाय हाय,” बोलती बोलती चुदते चुदते कुछ ही मिनटों में उसकी बोली में परिवर्तन होने लगा। अब वह, “आह आह आह आह ओह ओह ओह इस्स्स्स्स्स्स्स इस्स्स्स्स्स्स्स,” की आवाज निकालने लगी और उसकी कमर अपने आप ऊपर की ओर उछल रही थी और गपागप मेरे उसी लंड को अपनी चूत में ले रही थी जिसे देखकर उसकी हवा गुम हो गयी थी और पहली बार चूत में घुसते समय चीख चिल्ला रही थी।

“अब आ रहा है न मजा, ओह्ह्ह्ह्ह, ओह्ह्ह्ह्ह, ले ले ले और ले आह्ह ओह,” मैं जोश में आ कर चोदे जा रहा था और वह मोटी भैंस रबिया, अपनी टांग मेरी कमर पर चढ़ा कर बड़ी मस्ती से चुदवा रही थी।

“आह्ह भैया, ओह्ह्ह्ह्ह रज्ज्ज्ज्जा्आ्आ्आ्आ, उफ्फ्फ्फ्फ्फ अम्म्ई्ई्ई्ई्ई, ओह्ह्ह्ह्ह अब्ब्ब्बू्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ, चोदिए भैय्या चोदिए, बड़ा्आ्आ्आ्आ मजा्आ्आ्आ्आ आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह आ्आ्आ्आ रहा है्ऐ्ऐ्ऐ्ऐ।”
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11-28-2020, 02:33 PM,
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“अहा, अब आया मजा न दीदी, जेठजी का लंड लेने का मजा आ रहा है न। जेठ जी, अच्छी तरह से चोदिएगा इसे, ताकि आपके लंड की दीवानी बन जाए, हमारी पोल नहीं खोलेगी कभी जिंदगी में।” सरोज हमें आनंद से चुदाई करते हुए देख कर उत्साहित हो कर बोली। कुछ देर पहले जो पोल खुलने के डर से मुंह छिपा रही थी, खुशी के मारे खिल उठी थी।

“डरपोक कहीं की, मेरे लंड को प्यासा छोड़कर भागी थी, अब बड़ी हिम्मत दिखा रही है लंडखोर। आ, तू भी आ जा। रबिया बहना को चोदने के बाद तुझे भी चोदता हूं।” कहकर दनादन चोदने में जुट गया।

उसी समय रबिया मुझसे चिपक कर, “इस्स्स्स्स्स्स्स अम्म्म्म्आ्आ्आ्आह्ह्ह्ह रज्ज्ज्ज्जा्आ्आ्आ्आ,” कहते हुए ढीली पड़ने लगी। मिनट भर बाद ही वह सचमुच पूरी तरह ढीली पड़ गयी और लंबी लंबी सांसें लेने लगी। मैंने उसे वहीं जमीन पर छोड़ा और कूदकर सरोज को पकड़ लिया जो वहां खड़ी हमारी चुदाई देखने में खोई हुई थी। बिना कोई समय गंवाए, इससे पहले कि सरोज संभल पाती, मैंने उसकी साड़ी उठाई और वहीं बावर्ची खाने के स्लैब पर झुका कर पीछे से उसकी चूत में एक ही बार में लंड घुसेड़ दिया।

“आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह,” बस यही बोल पायी वह, इसके बाद मैंने उसकी चूत की जो चुदाई की कि वह हाय हाय कर उठी। करीब पंद्रह मिनट बाद मैंने उसे कस के दबोच कर अपने लंड का पानी छोड़ने लगा और तभी, ओह्ह्ह्ह्ह मैं झड़ी्ई्ई्ई्ई्ई झड़ गयी्ई्ई्ई्ई्ई रे अम्म्म्म्आ्आ्आ्आह्ह्ह्ह,” कहते हुए वह भी निढाल हो गयी।

“उफ्फ्फ्फ्फ्फ राजा, आप तो बड़े जबरदस्त चुदक्कड़ हैं भैया। पांच साल पहले शहला के अब्बू के इंतकाल के बाद से चुदने को बेकरार रहती थी, और कहती भी तो किससे, आज वह मौका मिला भी तो इतने जबरदस्त मर्द से। शहला के अब्बू का लौड़ा तो सिर्फ पांच इंच लंबा था। आपका तो बाप रे बाप, एक फुट का गधे जैसा। रुला ही दिया था पहली बार घुसा तो।” बड़ी खुशी झलक रही थी उसकी बोली में।

“हट, झूठी। रुला ही दिया था? तुझ मोटी को? तू तो घोड़े का लंड भी ले सकती है।” सरोज बोली।

“मोटी हुई तो क्या हुआ, पहली बार इतने बड़े लौड़े से चुदवाना मजाक है क्या?” रबिया बोली। मैं बड़ा खुश था। पहले सिर्फ सरोज थी जिसे चोदकर मैं संतुष्ट था। अब मुझे दो दो औरतों की चूत चोदने का मौका मिला तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। खासकर रबिया को चोदने का मजा तो कुछ और ही था। उसकी गांड़ इतनी बड़ी थी कि पीछे से उसे देखकर ही मेरा लंड दन से खड़ा हो जाता था। गांड़ चोदना तो सरोज से सीख ही चुका था। रबिया की गांड़ चोदने का मजा ही कुछ और था। पहली बार जब मैं उसकी गांड़ चोदना चाहा तो साफ मना कर दी। लेकिन मैंने जबरदस्ती उसे पटक कर उसकी गांड़ चोद ही ली। बड़ी टाईट थी। बड़ी मुश्किल से घुसा था मेरा लंड। खूब रोने चिल्लाने लगी थी, लेकिन फिर उसे जब मजा मिलने लगा तो मजे से गांड़ चुदवाने लगी। उफ्फ्फ्फ्फ्फ, बता नहीं सकता कितना मजा आया। उतनी बड़ी गांड़ आज तक मैंने नहीं देखी। दो गोल गोल, बड़े बड़े तरबूजों के बीच की फांक हो जैसे, उन्हें दबोच दबोच कर चोदने का मजा ही कुछ और मिला मुझे। जब मैं उसकी गांड़ चोद कर लंड बाहर निकाला तो देखा, मेरे लंड पर पीला पीला मल लिथड़ा हुआ था। रबिया तो बड़ी मुश्किल से किसी प्रकार उठकर सीधे पैखाने में घुस गयी और भर्र भर्र करके हगने लगी।
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11-28-2020, 02:33 PM,
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कुछ देर बाद पैखाने से निकली और बोली, “बा्आ्आ्आ्आप रे्ए्ए्ए्ए्ए बा्आ्आ्आ्आप, मेरी गांड़ खोल कर रख दी आपने तो। पूरा पेट खाली हो गया।” फिर मेरे लंड को देख कर मुझे खींचते हुए नल के पास ले गयी और बड़े प्यार से लंड धोने लगी। उस दिन के बाद अब तो इनकार नहीं करती है गांड़ चुदवाने के लिए। प्रायः मैं उसके घर चला जाता हूं जब चोदने की इच्छा होती है और कभी कभी वह खुद चली आती है किसी न किसी बहाने चुदवाने के लिए। सब कुछ बड़े मजे से चल रहा था लेकिन एक दिन एक गड़बड़ हो गयी।”

“क्या गड़बड़?” मैं तुरंत बोली। बड़ी उत्तेजक कहानी के बीच में यह विराम खल गया मुझे।

“हां हां, जल्दी बोलिए ना।” रश्मि भी रामलाल के नंगे जिस्म से चिपकी उतावली से बोल उठी। रामलाल का हाथ अब भी रश्मि के नितंबों पर अठखेलियाँ कर रहा था।

“एक दिन जब मैं रबिया बीबी को उसके घर में चोद रहा था तो अचानक न जाने कैसे उसकी बेटी शहला आ पहुंची। शायद उसकी छुट्टी जल्दी हो गयी थी। रबिया तो घबरा गयी। गनीमत थी कि मैं सिर्फ उसकी साड़ी उठा कर चोद रहा था। जल्दी से उठ गयी, साड़ी ठीक की और मुझे अलमारी के पीछे छिपा कर दरवाजा खोलने चली गयी, यह कहते हुए कि वहीं छिपा रहूं, जबतक कि वह मुझे भागने का इशारा न करे। हड़बड़ी में हमने ध्यान नहीं दिया कि मेरे कपड़े वहीं बिस्तर पर पड़े थे। मैं अलमारी के पीछे नंगा ही छिपा हुआ था।” इतना कहकर वह फिर रुक गया।

“आगे?” उतावली से रश्मि बोली।

“अब आगे तेरी गांड़ चोदने के बाद।” रामलाल रश्मि को चूमकर पलटते हुए बोला।

“नहीं, गांड़ नहीं।” रश्मि घबरा गयी।

“तो जाओ, नहीं बताता। कहानी बताते बताते मेरा लंड आपकी गांड़ चोदने को तड़प उठा है। देखिए।” उसने अपने मूसल लंड पर रश्मि का हाथ रखते हुए बोला।

“हाय नहीं, प्लीज नहीं। फाड़ दीजिएगा आप।” रश्मि उसके बंधन से आजाद होने की कोशिश करने लगी। लेकिन रामलाल जैसे शक्तिशाली पुरुष के आगे वह कर भी क्या सकती थी। फड़फड़ा कर रह गयी।

“इतनी मस्त गांड़ पर तब से हाथ फेर रहा हूं, तब तक खुश थी। अब चोदने की बात पर नहीं? ऐसा कैसे होगा?” रामलाल गांड़ चोदने पर उतारू था और रश्मि राजी ही नहीं हो रही थी। इधर हम भी उत्तेजित, या तो रामलाल की आगे की कहानी, या एक दौर और चुदाई का।

“चोदिए रामलाल जी चोदिए। जल्दी चोदिए साली की गांड़ और इधर हम भी एक दौर चुदाई का चला लेते हैं। फिर कहानी बताते रहिएगा।” मैं उत्तेजना के आवेग में बोली, इस बात से बेखबर कि हरिया और करीम के मन में क्या चल रहा था।

आगे की कथा अगले भाग में
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11-28-2020, 02:34 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
अबतक रामलाल नें हमें बताया कि किस तरह रबिया की चुदाई के चक्कर में वह उस दिन फंस गया था जब चुदाई के बीच में ही उसकी बेटी शहला कॉलेज से जल्दी आ गयी थी। रामलाल को रबिया नें शहला के सामने पोल खुल जाने के भय से उसी के घर के अंदर अलमारी के पीछे नंग धड़ंग छिपने को कहकर दरवाजा खोलने चली गयी। हड़बड़ी में रामलाल के कपड़े बिस्तर पर ही छूट गये थे। इतना बता कर रामलाल रुक गया। उसकी कहानी सुनते सुनते हम सभी काफी उत्तेजित हो चुके थे। उसकी कहानी थी ही इतनी कामोत्तेजक। उसके एकदम से रुकने से एक अप्रिय विराम सा लग गया। हम सबकी उत्कंठा चरम पर थी और साथ ही हमारे अंदर की उत्तेजना भी।

“आगे?” उतावली से रश्मि बोली।

“अब आगे तेरी गांड़ चोदने के बाद।” रामलाल रश्मि को चूमकर पलटते हुए बोला।

“नहीं, गांड़ नहीं।” रश्मि घबरा गयी।

“तो जाओ, नहीं बताता। कहानी बताते बताते मेरा लंड आपकी गांड़ चोदने को तड़प उठा है। देखिए।” उसने अपने मूसल लंड पर रश्मि का हाथ रखते हुए बोला।

“हाय नहीं, प्लीज नहीं। फाड़ दीजिएगा आप।” रश्मि उसके बंधन से आजाद होने की कोशिश करने लगी। लेकिन रामलाल जैसे शक्तिशाली पुरुष के आगे वह कर भी क्या सकती थी। फड़फड़ा कर रह गयी।

“इतनी मस्त गांड़ पर तब से हाथ फेर रहा हूं, तब तक खुश थी। अब चोदने की बात पर नहीं? ऐसा कैसे होगा?” रामलाल गांड़ चोदने पर उतारू था और रश्मि राजी ही नहीं हो रही थी। इधर हम भी उत्तेजित, या तो रामलाल की आगे की कहानी, या एक दौर और चुदाई का।

“ठीक है, ठीक है, चोदिए रामलाल जी चोदिए। जल्दी चोदिए साली की गांड़ और इधर हम भी एक दौर चुदाई का चला लेते हैं। फिर कहानी बताते रहिएगा।” मैं उत्तेजना के आवेग में बोली, इस बात से बेखबर कि हरिया और करीम के मन में क्या चल रहा था। मेरे कहने की देर थी कि उधर रामलाल टूट पड़ा रश्मि पर और इधर हरिया और करीम टूट पड़े मुझ पर।

“नहीं प्लीज, मर जाऊंगी मैं।” रश्मि गिड़गिड़ाने लगी। लेकिन रामलाल को रोक पाना उसके वश की बात तो थी नहीं, बलशाली, औरतखोर पशु की तरह कहर बन कर टूटा वह। उसे पलट कर जबर्दस्ती उस पर चढ़ गया। उसकी मदमस्त चिकनी गुदा की फांक पर अपना खूंखार लिंग टिकाकर पीछे से उसकी सख्त चूचियों को बेरहमी से दबोच कर दबाव देने लगा। उसके लिंग का अग्रभाग रश्मि के मलद्वार को फैलाता हुआ करीब करीब फाड़ता हुआ फच्च से प्रविष्ट हो गया। किले के द्वार को मानो ध्वस्त कर दिया उसके मूसल नें।

“आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह,” एक दर्दनाक चीख से गूंज उठा पूरा कमरा।

“चीखो मत, लो, घुस्स्स्स्स्स्स गया आ्आ्आ्आ्हुम्म्म्म।” रामलाल की विजयी आवाज गूंजी। एक बार उसके लिंग को रास्ता क्या मिला, घुसता ही चला गया सरसरा कर, उसकी गुदा को चीरता हुआ।

“ओ्ओ्ओह्ह्ह मां्आं्आं्आं, मर गयी रे्ए्ए्ए्ए्ए।” जिबह होती बकरी की तरह रो पड़ी बेचारी। लेकिन अब रामलाल कहां रुकने वाला था।

“आह ओह्ह्ह्ह्ह, मस्त, उफ्फ्फ्फ्फ्फ, इतनी टाईट, अहा, मजा आ गया, लो पूरा घुस गया, अब रोने से क्या फायदा। चुपचाप चोदने दीजिए रश्मि मैडम। देखिए अब कितना मजा आएगा।” कहकर शुरू हो गया, गचागच चोदने लगा। कुछ देर तो रश्मि रोती कलपती रही, लेकिन कुछ लम्हों बाद उसके तेवर ही बदल गये। वचन और तन की भाषा ही बदल गयी।

“ओह्ह्ह्ह्ह, ओह्ह्ह्ह्ह, आह्ह आह्ह, उम्म्म्म्मा्आ्आ उम्म्म्म्मा्आ्आ, इस्स्स्स्स्स्स्स इस्स्स्स्स्स्स्स, उफ्फ्फ्फ्फ्फ चोद आमार रज्ज्ज्ज्जा्आ्आ्आ्आ, आमार गां्आं्आं्आं्आं्आं्ड़ के खूब मोजा निये चोद आमार चोदू स्वामी, आह की खूब आनोंदो दीच्छो गो, ओह रे ओह्ह्ह्ह्ह, भीषोण बांड़ा, ओह्ह्ह्ह्ह भोगोबान, भालो, भीषोण भालो लागछे गो्ओ्ओ्ओ्ओ, (मेरी गांड़ को खूब मजा ले कर चोदिए चोदू स्वामी, विशाल लंड, ओह भगवान, बहुत अच्छा लग रहा है)।

उधर रश्मि की गांड़ में रामलाल के भयावह लंड की मस्ती चढ़ी थी और इधर ये दोनों बूढ़े चुदक्कड़ इस बार मेरी गांड़ का बाजा बजाने पर उतर आए थे। हरिया ने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मैं भी भरभरा कर उस पर गिर ही पड़ी। इधर मैं उसपर गिरी कि आनन फानन में अपने लंड को मेरी गुदा पर टिका दिया।
“यह क्या?” चौंक उठी मैं।

“गांड़ रे पगली, गांड़ में ठोकूंगा लोड़ा्आ्आ्आ्आ।” कहते न कहते, सूखे सूखे ही जबर्दस्ती लंड घुसाने का प्रयास करने लगा। मुश्किल था, सूखे सूखे मुश्किल था, पीड़ादायक था, लेकिन उस हरामी बूढ़े को मेरी पीड़ा की क्या परवाह थी। पीड़ा देने के इरादे से ही शायद वह ऐसा कर रहा था। मैं भी ठहरी एक नंबर की रांड। दर्द के बावजूद उसके लंड को अपने में समाहित करने हेतु अपने शरीर को ढीला छोड़ दी।

“ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ्ऊ मां्आं्आं्आं,” पीड़ा को यथाशक्ति पीती हुई हरिया के लंड को अपनी गांड़ में ग्रहण करने में सफल हो गयी। इतने पर ही बस थोड़ी हुई। करीम को तो भूल ही गयी थी। वह कमीना कहाँ पीछे रहने वाला था। पीछे से मुझ पर सवार हो गया और मेरी चूचियों का मलीदा बनाने पर तुल गया।

“चीख रही है कुतिया? अभी तो मैं बाकी हूं।” तभी मुझे अहसास हुआ कि करीम का तनतनाया लंड हरिया के लंड से बिंधे गुदाद्वार पर दस्तक देने लगा। चिहुंक उठी मैं।
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11-28-2020, 02:34 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“तू भी मादरचोद? तुझे भी मेरी गांड़ ही मिली है? आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, नननननहींईंईंईंईं, उफ्फ्फ्फ्फ्फ, फट्ट्ट्ट्ट्ट जाएगी मां के लौड़े।”

“फटने दे साली रंडी। आज तेरी गांड़ का गूदा निकाले बिना हम छोड़ने वाले नहीं हैं।” दबाव बढ़ाने लगा अपने लंड का मेरी गांड़ पर। उफ्फ्फ्फ्फ्फ, दो दो लंड, मेरी गांड़ में? सिहर उठी मैं। छूटने की कोई गुंजाइश नहीं थी। छूटना चाहता भी कौन था। बस भयभीत थी उस पीड़ा की जो अब मुझे झेलना था। चूत में दो लंड एक साथ सफलता पूर्वक ले ही चुकी थी तो अब गांड़ की बारी थी। चलो असंभव तो नहीं ही था, ले ही लेती हूं। इस सोच नें मेरे अंदर हिम्मत का संचार किया और लो, तभी कचकचा कर करीम नें मेरी गुदा की संकरी गुफा को चीरते हुए अपना लंड उतार ही दिया। उफ्फ्फ्फ्फ्फ, आ्आ्आ्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह, अकथनीय पीड़ा। उफ्फ्फ्फ्फ्फ, पल भर को मेरे जैसी रांड की भी सांसे रुक गयीं थीं। मेरी गुदा की हालत अब फटी तब फटी वाली थी। आखिर एक छिद्र, वह भी गुदामार्ग के संकरे छिद्र में, एक नहीं, दो दो मोटे मोटे लिंग को एक साथ ग्रहण करना किसी महिला के लिए कोई आसान बात तो थी नहीं, चाहे वह मुझ जैसी रांड की गुदा ही क्यों न हो। कितनी बार गुदा मैथुन से गुजर चुकी थी, किंतु इस तरह? बाप रे बाप। खैर, येन केन प्रकारेण, मैं दांत भींच कर सफलतापूर्वक इस आक्रमण को झेलने में सक्षम हो ही गयी। अब आरंभ हुई मेरी गुदा की कुटाई। दोनों बूढ़ों में मानो होड़ लग गयी मेरी तंग गुफा को कूटने की। उफ्फ्फ्फ्फ्फ भगवान, जालिमों ने मेरे जिस्म को निचोड़ते हुए मेरी गुदा पर कहर ही ढा दिया। भकाभक, भचाभच लगे चोदने मेरी गुदा को। प्रारंभिक पीड़ा का दौर गुजरने के पश्चात, ओह्ह्ह्ह्ह मां्आं्आं्आं, उफ्फ्फ्फ्फ्फ, आनंद, सुखद आनंद में मुदित, चुदने लगी।

“ओह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह, चोद बेटीचोओ्ओ्ओ्ओ्ओदों, चोद बेटी की गां्आं्आं्आं्आं्आं्ड़, उफ्फ्फ्फ्फ्फ मजा आ रहा है साले कुत्तों, उफ्फ्फ्फ्फ्फ।” मैं जहाँ अनाप शनाप बड़बड़ाती कुतिया की तरह चुदने में मशगूल थी वहीं दोनो बूढ़े भी मुझे गंदी गंदी गालियों से नवाजते हुए चोदे जा रहे थे।

“हरामजादी कुतिया, रंडी की चूत, मां की लौड़ी, ले ले ले ले और ले आह्ह, ओह्ह्ह्ह्ह, लंडखोर बुरचोदी……” और न जाने क्या क्या। रामलाल की उत्तेजक कहानी का असर था यह। हम सभी कामुकता के सागर में डूब उतरा रहे थे। सभी अपने अपने ढंग से अपनी वासना की तृप्ति हेतु जी जान से प्रयासरत थे। एक दूसरे के तन से ऐसे लिपट चिपट रहे थे, बदहवासी, बेकरारी के आलम में डूबे ऐसे धकमपेल कर रहे थे मानो सारी कसर आज ही पूरी करने पर आमादा हों। करीब पच्चीस तीस मिनट के वासना की उस आंधी में हम सभी बेलगाम, पूरी बेशरमी से बहे जा रहे थे बहे जा रहे थे। उस आंधी के थमते ही मैं और मेरी गांड़ का कचूमर बनाने वाले दरिंदे बूढ़े इधर उधर लुढ़के अपनी सांसों पर नियंत्रण करने की कोशिश करने लगे। मुझे अहसास हो रहा था कि मेरा मलद्वार फैल कर गुफा में तब्दील हो चुका था जिसमें से इन बूढ़ों का वीर्य रिस कर बाहर आ रहा था। मैं बड़ी मुश्किल से उठी और बाथरूम की ओर चली, धुलाई करने, रोक पाने में अक्षम, अपनी गुदा से निकलते मल मिश्रित वीर्य की धुलाई करने। मेरे वापस आते आते रामलाल भी रश्मि की गांड़ का भुर्ता बना कर एक ओर लुढ़का भैंसे की तरह डकार रहा था। रश्मि की हालत तो देखने लायक थी। पेट के बल निढाल पड़ी, अपने गांड़ की बरबादी का दर्शन करा रही थी। थक कर चूर, पीले पीले मल लिथड़े नितंबों से बेखबर, आंखें बंद किए पता नहीं किस दुनिया की सैर कर रही थी।

“अरी रश्मि, उठ, जा कर अपनी गांड़ धो कर आ।” मैं बोली।

“ऊं्ऊं्ऊं्ऊं्ऊं्ह्ह्ह्ह्ह्ह,”

“उठ”

“क्यों ््ओओंं््ओओंं््ओओंं?”

“तेरी गांड़ गू से सनी है।”

“ओह्ह्ह्ह्ह भगवान, क्या हाल हो गया।” अपने हाथ के स्पर्श से यह महसूस करके कि मैं सच कह रही हूँ, बड़ी मुश्किल से अलसाई सी लड़खड़ाते हुए उठी और बाथरुम की ओर चली। उसका गुदाद्वार फैल कर संकुचन की क्रिया द्वारा पेट के अंदर मल के दबाव को रोक पाने में असफल सिद्ध हो रहा था, नतीजतन, बाथरूम जाते जाते उसकी गांड़ से टप टप मल और वीर्य का मिश्रित द्रव्य फर्श पर चूता चला गया, जिसे मुझे ही साफ करना पड़ा। रश्मि जब वापस कमरे में आई, तबतक हम सब सामान्य है चुके थे। शरीर लेकिन हम सबके अब भी नग्न ही थे।

“आया मजा?” मैं रश्मि से पूछी।

“आया, बड़ा मजा आया, लेकिन शुरु में रुला ही दिया था हरामी नें तो मुझे।” पूर्ण संतुष्टि का भाव था उसके चेहरे पर। लेकिन उसकी चाल बदली बदली सी थी। होगी भी क्यों नहीं, इतने मोटे और लंबे लंड से जो गांड़ मरवा बैठी थी।

“हां, सच बोल रही हो, इन खड़ूस बूढ़ों को देखो, इनके लंड कैसे अभी चूहे की तरह दुबके हुए हैं, कुछ देर पहले मेरी गांड़ के अंदर गरज बरस कर मेरी गांड़ का फालूदा बना रहे थे साले चुदक्कड़।” मैं बोली, और वे दोनों बूढ़े हमें देख कर खींसे निपोर रहे थे।

“तो अब?” मैं पूछी।

“अब क्या?” रश्मि बोली।

“अरी, शहला वाली कहानी।”

“ओह हां। तो मेरे प्यारे चुदक्कड़ जी, चलिए, शुरू हो जाईए।” रामलाल की ओर देखते हुए नंग धड़ंग सोफे पर बेशर्मी के साथ बैठती हुई बोली।

रामलाल अलसाई मुद्रा में उठते हुए बोला, “बताता हूं, बताता हूं।” फिर रश्मि को अपनी बांहों में दबोच कर बोलने लगा:… …..

शहला वाली कहानी अगले भाग में। तबतक के लिए मुझे आज्ञा दीजिए।
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11-28-2020, 02:34 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
शहला घर में घुस कर सीधे सोने के कमरे में चली आई और धम्म से बिस्तर पर बैठ गयी। बिस्तर पर बैठते ही उसकी नजर मेरे कपड़ों पर पड़ी, जिसपर हड़बड़ी में न मैंने ध्यान दिया न ही रबिया नें।

“अम्मी, ये किसके कपड़े हैं?” शहला का सवाल था।

“यह यह यह ……” रबिया के मुंह से आगे बोल नहीं फूटा। शशंकित शहला इधर उधर देखने लगी।

“बताओ अम्मी।”

उसे चुप देख कर मैं खुद बाहर निकल आया, “मेरे कपड़े हैं।” मेरी आवाज सुनकर मेरी ओर मुड़ी और मुझे नंग धड़ंग अवस्था में देखकर उसकी आंखें फटी की फटी रह गयी। इतनी देर में मेरा लंड आधा मुरझा चुका था। कभी ऊपर देखती, कभी नीचे।

“अ अ अ अंकल आ्आ्आ्आप?” उसके मुंह से निकला।

“हां मैं।” मैं अब उसके सामने आ चुका था। शहला अठारह साल की गदराए बदन की लड़की थी। अच्छी सेहतमंद, खूबसूरत, लड़की, चूचियां संतरे जैसी। मेरे लिए तो बस चोदने के लिए एक औरत थी, वह भी इतनी खूबसूरत जवान औरत। मेरा मुरझाया लंड फिर से टाईट होने लगा।

“अअअअअआप इस तरह हमारे घर में?” शहला की घबराई आवाज आई। वह सबकुछ समझ गयी थी। उसकी मां के चुप रहने से उसका शक पक्का हो गया था कि यहां क्या चल रहा था।

“हां, तो?” चोदने की तीव्र इच्छा हो रही थी। शहला नें बीच चुदाई में बाधा जो डाल दी थी। अधूरी चुदाई पूरी करने के लिए पागल हुआ जा रहा था। रबिया चाहे शहला, चूत तो चूत होती है। मुझे कहाँ कुछ पता था कि एक कुवांरी लड़की और एक चुदी चुदाई औरत को चोदने में फर्क क्या है। मैं सोच ही रहा था कि शहला चीख उठी, “गंदे, जंगली, सूअर के बच्चे, बेशरम।”

“चुप रह शहला।” अब भयभीत रबिया बोली।

“क्यों रहूं चुप?”

“अगल बगल के लोगों को पता चल जाएगा।”

“लगने दो पता।”

“बदनाम हो जाएंगे हम।”

“तुमने काम ही ऐसा किया है।”

“माफ कर दे हमें बेटी।” गिड़गिड़ाने लगी रबिया।

“क्यों करूं माफ, गंदी।” शहला का गुस्सा शांत ही नहीं हो रहा था। खड़ी हो गयी वह, और बाहर जाने लगी। तभी रबिया उसका रास्ता रोक कर खड़ी हो गयी।

“मान भी जाओ ना।”

“नहीं, सबको बता कर रहूंगी, क्या चल रहा है यहां।”

“तो तू नहीं मानेगी?” अब रबिया तनिक गुस्से में बोली।

“नहीं।”

“रामलाल भईया, पकड़िए इस लड़की को।” अब वह तैश में आ गयी थी। मैं ने तुरंत शहला को पीछे से अपनी बांहों में जकड़ लिया।

“छोड़िए मुझे, वरना मैं चिल्लाऊंगी।” शहला छटपटाती हुई बोली। उसके छटपटाने से मेरा लंड, जो अब खड़ा हो चुका था, शहला के सलवार समेत उसकी गांड़ में घुसा चला जा रहा था। बड़ी मस्त, सुंदर, जवान, भरी पूरी, गदराए शरीर की मालकिन शहला की चूचियों का स्पर्ष जब मेरे हाथों से हुआ, उफ्फ्फ्फ्फ्फ, संतरे जैसी चूचियां, वह भी सख्त, मेरा लंड तो फनफना कर उसकी सलवार को फाड़ डालने के कागार पर पहुंच गया।

“मुंह बंद कीजिए इसकी।” रबिया फुंफकार उठी। मैंने एक हाथ से उसका मुंह बंद कर दिया।

“अब?” मैं सवालिया निगाहों से रबिया को देखा।

“अब क्या? चोद डालिए इसे भी। न किसी को मुंह दिखाने के काबिल रहेगी, न ही किसी को बताएगी।” रबिया ने बिना आगा पीछा सोचे कहा।

मुझे और क्या चाहिए था। इतनी देर से चोदने को मरा जा रहा था। उसका मुंह दबाए हुए खींच कर बिस्तर पर लाया और उसके सलवार का नाड़ा खोलने लगा। नहीं खुल रहा था तो एक झटके से तोड़ दिया नाड़ा और खींच लिया नीचे। शहला बड़ी जोर लगा रही थी मुझसे छूटने के लिए लेकिन मुझसे छूटना इतना आसान थोड़ी था। रबिया अबतक एक कपड़े का टुकड़ा ले आई थी और उससे शहला के मुंह को बांध दिया, ताकि वह चीख चिल्ला नहीं सके। रबिया यहीं नहीं रुकी, उसने शहला के कमीज को भी खींच कर उतार दिया और उसके चूचकसना को भी। इधर मैं उसके सलवार और चड्ढी को खोल चुका था। उफ्फ्फ्फ्फ्फ, इतनी मस्त जवान लड़की के नंगे बदन को मैं पहली बार देख रहा था। संतरे जैसी चूचियां। संगमरमर जैसा चिकना बदन। केले के थंभों जैसे उसकी जांघें। मक्खन जैसी उसकी चूत इतनी चिकनी कि मुंह में पानी भर आया। चूत के ठीक ऊपर हल्के रोयेंंदार बाल उगे हुए थे। मैं उसपर चढ़ गया और उसके पैरों को फैला कर उसकी जांघों के बीच घुस कर उसे बेबस कर दिया। उधर रबिया उसके दोनों हाथों को पकड़ कर विरोध करने से लाचार कर चुकी थी। शहला की आंखों से आंसू बह रहे थे। मुंह से गों गों की आवाज निकल रही थी। सर इधर उधर पटक रही थी लेकिन कुछ भी करने से लाचार थी। मैं बिना और कुछ सोचे अपने लंड का सुपाड़ा उसकी चिकनी चूत के फांक पर रखा और अपने शरीर का भार देने लगा। शहला की आंखें फटी जा रही थीं और इधर साथ ही उसकी चूत भी। घुस ही नहीं रहा था मेरा लंड, इतनी टाईट थी उसकी चूत।

“तेल लगा अपने लंड पर साले चुदक्कड़ मियां, चूत देखी नहीं कि सीधे लंड ससेटने को पागल हुए जा रहे हैं।” रबिया मेरी परेशानी, शहला की पीड़ा से विकृत होते चेहरे और छटपटाहट को भांप कर बोली।
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11-28-2020, 02:34 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
“तो ला ना तेल की शीशी साली बुरचोदी, खड़ी खड़ी काहे मां चुदा रही है मां की चूत।” झल्लाहट में मेरे मुंह से निकला। यह सब गालियां मैंने उन्हीं लोगों से सीखी थी।

“मैं इसके हाथ पकड़ी हूं, छोड़ कैसे दूं मादरचोद?”

“हाथ ही न पकड़ी है लंड की ढक्कन, छोड़ इसे, मैं संभालता हूं इस कुतिया को।” उसने भागकर तेल की शीशी मेरे हाथ में थमाई और मैं अपने लंड पर तेल चुपड़ा, उसकी चूत पर तेल चुपड़ा और आ गया फिर से मैदान में। अहा, अब घुस रहा था, धीरे धीरे, उसकी चूत को फाड़ता हुआ, उफ्फ्फ्फ्फ्फ, फिर भी टाईट थी, मगर घुस रहा था धीरे धीरे। शहला की हालत खराब थी, पैर पटक रही थी, सिर पटक रही थी, रो रही थी, गों गों की आवाज उसके नाक से निकल रही थी। आंखें फटी जा रही थी, मगर अब मैं कहां रुकने वाला था, मेरे लौड़े का अगला भाग घुस चुका था उसकी चूत में और घुसता ही चला जा रहा था। मैं रुका नहीं, ठूंसता गया, ठूंसता गया। शहला तड़प रही थी और अचानक उसका तड़पना रुक गया। शांत हो गयी वह। उसका शरीर ढीला पड़ गया। आंखें बंद हो गयीं। अबतक आधा से ज्यादा लंड घुस चुका था उसकी चूत में। उसकी हालत देखकर मुझे तो कोई फर्क नहीं पड़ा लेकिन रबिया डर गयी।

“रुकिए भाई साहब, लगता है यह बेहोश हो गयी है।”

“साली हरामजादी को अभी ही बेहोश होना था।” मैं भन्ना कर रुका। रबिया तुरंत पानी ले कर आई और शहला के चेहरे पर पानी के छींटे मारने लगी। कुछ ही पलों में शहला को होश आ गया, इससे पहले कि उसे पूरी तरह होश आता, मैंने लंड घुसाना जारी रखा। उसके पूरी तरह होश आते आते मैं पूरा लंड घुसा चुका था। किला फतह कर चुका था लेकिन शहला अब फिर दर्द के मारे हाथ पैर पटकने लगी। मैंने शहला के चूतड़ के नीचे हाथ लगाया कि अब चोदना शुरु करूँ लेकिन मेरा हाथ गीला हो गया। क्या पेशाब था शहला का? हाथ देखा तो खून से लतपत। खून देखकर मेरे होश उड़ गये।

“यह क्या? खून?”

“हो गया, काम हो गया, शहला के चूत की झिल्ली फट गयी। खून निकलता है, पहली बार खून ऐसे ही निकलता है। शाबाश रामलाल जी, आपने किला फतह कर लिया। शहला को भी होश आ गया। अब चोदिए जी चुदक्कड़ बादशाह। जहांपनाह, अब सब ठीक है।” रबिया चहक उठी। अब तो मेरी खुशी का ठिकाना न रहा। शुरू हो गया। चूतड़ के नीचे हाथ डालकर गचागच चोदने लगा। उसकी सख्त चूचियों को दबाने लगा, चूसने लगा, जोश में उसकी चूचियों पर दांत भी गड़ा बैठा। करीब दस मिनट बाद तो चकित हो गया। शहला की कमर भी चल रही थी। पता नहीं, जानबूझकर या अनजाने में उसकी कमर अपने आप ऊपर की ओर उछल रही थी। अब उसकी आंखों से आंसू नहीं निकल रहे थे। उसकी आंखें बंद थीं। उसके चेहरे पर अब पीड़ा नहीं दिख रही थी। रबिया नें शहला के दोनों हाथों को कब का छोड़ दिया था। शहला के दोनों हाथ अब मेरी कमर पर आ कर कस गये थे। रबिया नें जब शहला की यह हालत देखी तो उसके मुंह पर बंधा कपड़ा खोल बैठी। कपड़ा खुलते ही, “आ्आ्आ्आ्आह, ओ्ओ्ओह्ह्ह, इस्स्स्स्स्स्स्स इस्स्स्स्स्स्स्स” की आवाजें निकलने लगीं शहला के मुंह से। मैं समझ गया कि अब शहला को चुदने में मजा आ रहा है। मैं बड़ा खुश हुआ और दुगुने जोश से उसके नंगे बदन को मसलते हुए भच्च भच्च चोदने में लग गया।

“ओह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह, अब आ रहा है न मजा?”

“आह्ह आह हां ओह ओह्ह्ह्ह्ह हां उफ्फ्फ्फ्फ्फ।” सर हिलाते हुए बोली शहला। उसने अपने पैरों को मेरी कमर पर चढ़ा कर जकड़ रखा था।

“ले, ओह ले मेरा लंड, ओह खा मेरा लौड़ा अपनी चूत में, अहा, इतनी मस्तानी चूत है तेरी, उफ्फ्फ्फ्फ्फ मेरी रानी बिटिया, आज से पहले ऐसी चूत नसीब नहीं हुई थी। आह्ह।” मैं बोले जा रहा था और चोदे जा रहा था।

“साली रंडी, अब बताएगी किसीको?” रबिया वहीं खड़ी हमारी चुदाई देखते हुए बोली।

“हांआंआंआंआंआं, आह्ह आह्ह हांआंआंआंआंआं।” शहला बोली।

“हरामजादी कुतिया, अब भी बोलेगी?”

“हां हांआंआंआंआंआं, बोलूंगी, अगर अंकल मुझे नहींईंईंईंईंईंईंई चोदेंगे तो बोलूंगी्ई्ई्ई्ई्ई।” शहला आनंदमुदित चुदते हुए बोली।

“हा हा हा हा तो ये बात है।” रबिया खुश हो गयी। करीब पंद्रह मिनट बाद शहला चिपक गयी मुझ से और, “ओह्ह्ह्ह्ह रज्ज्ज्ज्जा्आ्आ्आ्आ, आ्आ्आ्आ्आह,” कहते हुए खल्लास हो कर निपट गयी लेकिन मैं ने छोड़ा नहीं उसे और उसके ढीले पड़ते शरीर को रौंदता रहा, चोदता रहा। जीवन में ऐसा आनंद पहली बार मुझे मिल रहा था। करीब चालीस मिनट तक हमारे बीच यह चोदा चोदी का खेल चलता रहा। पता नहीं क्यों मेरे लंड से पानी निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था। इस बीच वह दो बार झड़ चुकी थी। खैर आखिर में मेरे लंड ने पानी छोड़ना शुरू किया, बाप रे बाप, करीब दो मिनट तक मेरे लंड से पानी निकलता रहा निकलता रहा। ऐसा लग रहा था जैसे शहला की चूत मेरे लंड का एक एक बूंद रस चूस कर रहेगी।
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11-28-2020, 02:34 PM,
RE: Desi Sex Kahani कामिनी की कामुक गाथा
उफ्फ्फ्फ्फ्फ ओ्ओफ्फ्फ्फ्फ्फ। बड़ा मजा आया उस दिन, पहली ही बार में एक कुवांरी लड़की की सील भी तोड़ी और दीवानी भी बना लिया। खुन्नम खून चूत और लंड। लेकिन चिंता कुछ नहीं। थक कर चूर, आनंद से आंखें बंद किए हुए मुझसे चिपटी ही रही काफी देर तक।

“आ्आ्आ्आह, मजा आ गया तुम्हें चोदकर। कैसा लगा तुम्हें?” मैं उसे अपनी बांहों में कसे हुए ही पूछा।

“हाय्य्य्य्य अल्ल्ल्ल्आ्आ्आ्आ्ह्ह्ह, अंकल, उफ्फ्फ्फ्फ्फ, मा्आ्आ्आ्आर ही डा्आ्आ्आ्आला्आ्आ् था मुझे तो। एक बार तो लगा था कि मर ही जा रही हूं मैं।”

“मरी तो नहीं ना।” शरारत से बोला मैं।

“हाय दैया, जुल्मी कहीं के।” मेरे सीने पर सर रख कर बोली।

“बस बस, हो गया। चल उठ अब। बड़ी प्यार दिखा रही है चुदने के बाद अब।” रबिया बोली।

“नहीं, नहीं उठुंगी।” शहला मुझसे चिपकती हुई बोली।

“हरामजादी, उठती है कि नहीं। खून से लिथड़ कर भी मन नहीं भरा?”

“नहीं भरा, मन नहीं भरा।”

“साली कुतिया, अपनी अम्मी के सामने ऐसा बोलती है रांड।”

“अम्मी? काहे की अम्मी? खुद आपने ही तो चुदवाया मुझे ना? अब बड़ी आयी अम्मी बनकर।” उनकी बातें सुनकर मुझे बड़ा मजा आ रहा था। उस दिन पता नहीं मेरे लंड को क्या हो गया था, इतनी देर में ही फिर टनटना कर खड़ा हो गया। फिर वही चुदास जाग गयी मेरे अंदर। चूंकि मेरा लंड शहला की चूत से बाहर निकल चुका था, जैसे ही रबिया की नजर मेरे लंड पर पड़ी, उतावली हो गयी चुदवाने के लिए। हमारी चुदाई के दौरान ही वह पूरी नंगी हो चुकी थी। अपनी भरी पूरी मांसल मां को ऐसी बेहयाई से नंगी देखने की शायद उसने कल्पना भी नहीं की थी।

“रंडी, बेहया कुतिया।” उसके मुंह से निकला।

“चल हट, बेहया तू, बेहया तेरी चूत, बेहया तेरा भोंसड़ा।” उसने शहला को खींच कर मुझसे अलग कर दिया। शहला की नजर अब मेरे टनटनाए लंड पर पड़ी तो एकाएक विश्वास ही नहीं हुआ उसे कि यही लंड उसकी चूत में घुसा था।

“बा्आ्आ्आ्आप रे्ए्ए्ए्ए्ए बा्आ्आ्आ्आप, एक फुट का बेलन मेरी बुर में घुसा था! उफ्फ्फ्फ्फ्फ।” किसी प्रकार उठी लड़खड़ाते हुए और आंखें फाड़े खून से सने मेरे लंड को देखती रह गयी।

“तू देखती रह मां की लौड़ी, अब मेरी बारी है, ख्वामख्वाह हमारे बीच में कूदी थी।” कहते कहते मुझ पर चढ़ गयी और मेरे लंड को गप्प से अपनी चूत में ले कर अपनी बेटी के सामने ही गपागप चुदवाने लगी। उस दिन उन दोनों मां बेटी को जी भर के चोदा। उस दिन के बाद मुझे तो जैसे शहला को चोदने का लाईसेंस मिल गया। जब मर्जी शहला को चोदता, जब मर्जी रबिया को चोदता और जब मर्जी सरोज को चोदता। इतना कहकर वह चुप हुआ।

“वाह जी वाह, चांदी हो गयी आपकी तो। उधर तीन, इधर दो, कुल पांच चूत का स्वाद चख लिया आपने तो।” मैं बोली।

“सिर्फ चूत का नहीं, गांड़ का भी।”

“ओके बाबा चूत और गांड़, पांच पांच चूत और गांड़।” मैं बोली। उसकी कहानी खत्म होते ही हम फिर एक दूसरे पर पिल पड़े। फर्क सिर्फ इतना था कि जो हालत रामलाल नें रश्मि की की थी, वही हालत अब वह मेरी कर रहा था ओर हरिया और करीम रश्मि के जिस्म को नोचने खसोटने लगे थे। यह सब करते करते कब शाम हो गयी हमें पता ही नहीं चला। थक कर चूर यहां वहां बेहद गंदे तरीके पड़े लंबी लंबी सांसें ले रहे थे।

आगे की कथा अगली कड़ी में।
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