Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
12-13-2020, 02:35 PM,
#1
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लंड के कारनामे - फॅमिली सागा

मेरा नाम अशोक है, और मेरी उम्र २१ साल की है, मेरे घर में मेरे अलावा मेरी मम्मी पापा और मेरी छोटी बहन ऋतू रहते हैं, मेरे पापा का अपना बिज़नस है और हम अपर मिडल क्लास में आते हैं.
मैं आज कॉलेज से घर पहुँच कर जल्दी से अपनी अलमारी का दरवाजा खोला और उसमे बनाये हुए छेद के जरिये अपनी छोटी बहन के कमरे में झाँकने लगा, ये छेद मैंने काफी म्हणत से बनाया था और इसका मेरे अलावा किसी और को पता नहीं था, ऋतू अपने स्कूल से अभी -२ आई थी और अपनी उनिफ़ोर्म चंगे कर रही थी,उसने अपनी शर्ट उतार दी और गोर से अपने फिगर को आईने में देखने लगी , फिर अपने दोनों हाथ पीछे लेजाकर अपनी ब्रा खोल दी, वो बेजान पत्ते के सामान जमीन की और लहरा गयी , और उसके दूध जैसे 32 साइज़ के अमृत कलश उजागर हो गए, बिलकुल तने हुए और उनके ऊपर गुलाबी रंग के दो छोटे छोटे निप्पल तन कर खड़े हो गए..
मैं ऋतू से २ साल बड़ा था पर मेरे अन्दर सेक्स के प्रति काफी जिज्ञासा थी और मैं घर पर अपनी जवान होती बहन को देख कर उत्तेजित हो जाता था इसलिए तक़रीबन २ महीने पहले मैंने ये छेद अपनी अलमारी में करा था जो की उसके रूम की दूसरी अलमारी में खुलता था जिसपर कोई दरवाजा नहीं था और कपडे और किताबे राखी रहती थी, मैंने ये नोट करा की ऋतू रोज़ अपने कपडे चंगे करते हुए अपने शारीर से खेलती है, अपने स्तनों को दबाती है अपने निप्पल को उमेथ्ती है और फिर अपनी चूत मैं ऊँगली डाल कर सिसकारी भरते हुए मुत्थ मारती है, ये सब देखते हुए मैं भी अपना लंड अपनी पैंट से निकाल कर हिलाने लगता हूँ और ये ध्यान रखता हूँ के मैं तभी झडू जब ऋतू झडती है, ..
आज फिर ऋतू अपने जिस्म को बड़े गौर से देख रही थी, अपने चुचे अपने हाथ में लेकर उनका वजन तय करने की कोशिश कर रही थी, और धीरे-२ अपनी लम्बी उंगलियों से निप्पल्स को उमेठ रही थी, और वो फूलकर ऐसे हो रहे थे जैसे अन्दर से कोई उनमे हवा भर रहा हो, किसी बड़े मोती के आकार में आने में उनको कोई समय नहीं लगा!
फिर उसने अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर अपने दाये निप्पल को अपने मुंह में लेने की असफल कोशिश की पर बात बनी नहीं, और उन्हें फिर से मसलने लगी और फिर से अपनी जीभ निकाली, और इस बार वो सफल हो ही गयी, शायद का असर हो गया था, मुझे भी अब उसके बड़े होते चूचो का सीक्रेट पता चल गया था.
फिर उसने अपनी स्कूल पैंट को अपने सांचे में ढले हुए कुलहो से आज़ाद किया और उसको उतार कर साइड में रख दिया , उसने अन्दर कोई पेंटी नहीं पहनी हुई थी, ये मैं पिछले २ हफ्ते से नोटिस कर रहा था, वो हमेशा बिना पेंटी के घुमती रहती थी, ये सोच कर मेरा पप्पू तन कर खड़ा हो जाता था, खैर, पैंट उतारने के बार वो बेद के किनारे पर अलमारी की तरफ मुंह करके बैठ गयी और अपनी टाँगे चोडी करके फैला दी, और अपनी चूत को मसलने लगी, फिर उसने जो किया उसे देख कर मेरा कलेजा मुंह को आ गया, उसने अपनी चूत में से एक ब्लैक डिल्डो निकाला, मैं उसे देख कर हैरान रह गया, ऋतू सारा दिन उसे अपनी चूत में रख कर घूम रही थी , स्कूल में, घर पर सभी के साथ खाना खाते हुए भी ये डिल्डो उसमी चूत में था, मुझे इस बात की भी हैरानी हो रही थी की ये उसके पास आया कहाँ से, लेकिन हैरानी से ज्यादा मुझे उत्तेजना हो रही थी, और उस डिल्डो से इष्र्या भी जो उस गुलाबी चूत में सारा दिन रहने के बाद , चूत के रस में नहाने के बाद चमकीला और तरोताजा लग रहा था,
फिर ऋतू ने उस डिल्डो को चाटना शुरू कर दिया और दुसरे हाथ से अपनी क्लिट को मसलना जारी रखा, कभी वो डिल्डो चूत में डालती और अन्दर बाहर करती , फिर अपने ही रस को चाट कर साफ़ करती, मेरे लिए अब सहन करना मुच्किल हो रहा था, और मैं जोर जोर से अपनी पप्पू को आगे पीछे करने लगा, और मैंने वही अलमारी में जोर से पिचकारी मारी और झड़ने लगा..
वहां ऋतू की स्पीड भी बाद गयी और एक आखिरी बार उसने अपनी पूरी ताकत से वो काला लंड अपनी चूत में अन्दर तक डाल दिया, वो भी अपने चरमो स्तर पर पहुँच गयी और निढाल हो कर वही पसर गयी , अब उसकी चूत में वो साला काला लंड अन्दर तक घुसा हुआ था और साइड में से चूत का रस बह कर बाहर रिस रहा था ..
फिर वो उठी और लाइट बंद करके नंगी ही अपने बिस्टर में घुस गयी और इस तरह मेरा शो भी ख़त्म हो गया, मैं भी अनमने मन से अपने बिस्टर पर लौट आया और ऋतू के बारे में सोचते हुए सोने की कोशिश करने लगा..मेरे मन में विचार आ रहे थे की क्या ऋतू का किसी लड़के के साथ चक्कर चल रहा है या फिर वो चुद चुकी है ? लेकिन अगर ऐसा होता तो वो डिल्डो का सहारा क्यों लेती..ये सब सोचते-सोचते कब मुझे नींद आ गयी, मुझे पता ही नहीं चला..
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12-13-2020, 02:35 PM,
#2
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
अगली सुबह मैं जल्दी से उठ कर छेद में देखने लगा , ऋतू ने एक अंगड़ाई ली और सफ़ेद चादर उसके उरोजो से सरकती हुई निप्पल्स के सहारे अटक गयी , पर उसने एक झटके से चादर साइड करके अपने चमकते जिस्म के दीदार मुझे करा दिए, फिर अपनी टाँगे चोडी करके १ के बाद १ तीन उंगलिया अपनी चूत में डाल दी और अपना दाना मसलने लगी, मेरा लंद ये मोर्निंग शो देखकर अपने विकराल रूप में आ गया और मैं उसे जोर से हिलाने लगा, फिर ऋतू के मुंह से एक आनंदमयी सीत्कारी निकली और उसने पानी छोड़ दिया, मैंने भी अपने लंद को हिलाकर अपना वीर्य अपने हाथ में लेकर अपने लंद पर वापिस रगड़ दिया और लुब्रिकैत करके उसे नेहला दिया, ऋतू उठी और टॉवेल लेकर बाथरूम में चली गयी, मैं भी जल्दी से तैयार होने लगा.
वो नीचे मुझे डाइनिंग टेबल पर मिली और हमेशा की तरह मुस्कुराते हुए गुड मोर्निंग कहा और इधर उधर की बातें करने लगी, उसे देखकर ये अंदाजा लगाना मुश्किल था के ये मासूम सी दिखने वाली, अपने फ्रेंड्स से घिरी रहने वाली, टीचर्स की चहेती और क्लास में अव्वल आने वाली इतनी कामुक और उत्तेजक भी हो सकती है जो रात दिन अपनी मुठ मारती है और काला डिल्डो चूत में लेकर घुमती है.
मेरी माँ, पूर्णिमा किचन में कुक के साथ खड़े होकर नाश्ता बनवा रही थी, वो एक आकर्षक शरीर की स्वामी है, ४१ की उम्र में भी उनके बाल बिलकुल काले और घने है, जो उनके कमर से नीचे तक आते हैं , मेरे पिता भी जो डाइनिंग टेबल पर बैठे थे सभी को हंसा - २ कर लोट पोत करने में लगे हुए थे, कुल मिला कर उनकी चेमिस्ट्री मेरी मम्मी के साथ देखते ही बनती थी, वो लोग साल में एक बार अपने फ्रेंड्स के साथ पहाड़ी इलाके में जाते थे और कैंप लगाकर खूब एन्जॉय करते थे.
मैंने कॉलेज जाते हुए ऋतू को अपनी बाईक पर स्कूल छोड़ा और आगे निकल गया, रास्ते में मेरे दिमाग में एक नयी तरकीब आने लगी, मुझे और मेरी बहन को हमेशा एक लिमिटेड जेब खर्ची मिलती थी, हमें मेरे दोस्तों की तरह ऐश करने के लिए कोई एक्स्ट्रा पैसे नहीं मिलते थे , जबकि मेरे दोस्त हमेशा ग्रुप पार्टी करते, मूवी जाते पर कम पैसो की वजह से मैं इन सबसे वंचित रह जाता था, मैंने अपनी बहन के बारे में कभी भी अपने फ्रेंड्स को नहीं बताया था , वो कभी भी ये यकीं नहीं करते की ऋतू इतनी कामुक और वासना की आग में जलने वाली एक लड़की हो सकती है, उनकी नजर में तो वो एक चुलबुल औए स्वीट सी लड़की थी.
मैं कॉलेज पहुंचा और अपने दो सबसे करीबी फ्रेंड्स विशाल और सन्नी को एक कोने में लेकर उनसे पूछा के क्या उन्होंने कभी नंगी लड़की देखी है, उनके चेहरे के आश्चर्य वाले भाव देखकर ही मैं उनका उत्तर समझ गया.

मैंने आगे कहा, "तुम मुझे क्या दोगे अगर मैं तुम्हे १० फीट की दुरी से एक नंगी लड़की दिखा दूं "
विशाल "मैं तुम्हे सारी उम्र अपनी कमाई देता रहूँगा "..."पर ये मुमकिन नहीं है, तो इस टोपिक को यही छोड़ दो"
मैंने कहा "लेकिन अगर मैं कहूँ की जो मैं कह रहा हूँ, वो कर के भी दिखा सकता हूँ,...."तब तुम मुझे कितने पैसे दे सकते हो"
सन्नी बोला "अगर तुम मुझे नंगी लड़की दिखा सकते हो तो मैं तुम्हे १००० रूपए दे सकता हूँ,"
"मैं भी एक हज़ार दे सकता हूँ" विशाल बोला. "पर हमें ये कितनी देर देखने को मिलेगा"
मैंने कहा "दस से पंद्रह मिनट "
"अबे चुतिया तो नहीं बना रहा, कंही कोई बच्ची तो नहीं दिखा देगा, गली में नंगी घुमती हुई " हा. हा. हा ...दोनों हंसने लगे.
मैं बोला "अरे नहीं, वो उन्नीस साल की है, गोरी, मोटे चुचे, और तुम्हारी किस्मत अच्छी रही तो शायद वो तुम्हे मुठ भी मरते हुए दिख जाए"
सन्नी ने कहा "अगर ऐसा है तो ये ले " और अपनी पॉकेट से एक हज़ार रूपए निकाल कर मुझे दिए और कहा "अगर तू ये ना कर पाया तो तुझे डबल वापिस देने होंगे, मंजूर है"
"हाँ मंजूर है" मैंने कहा.
सन्नी को देखकर विशाल ने भी पैसे देते हुए कहा "कब दिखा सकता है"
"कल, तुम दोनों अपने घर पर बोल देना की मेरे घर पर रात को ग्रुप स्टडी करनी है, और रात को वही रहोगे"
"ठीक है !" दोनों एक साथ बोले.
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12-13-2020, 02:35 PM,
#3
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अगले दिन दोनों मेरे साथ ही कॉलेज से घर आ गए, हमने खाना खाया और वही पड़ने बैठ गए, शाम होते होते, पड़ते और बाते करते हुए, हमने टाइम पास किया, फिर रात को जल्दी खाना खा कर मेरे रूम में चले गए.
वहां पहुँचते ही सन्नी बोला, "अबे कब तक इन्तजार करवाएगा, कब देखने को मिलेगी हमें नंगी लड़की, सुबह से मेरा लंड नंगी लड़की के बारे मैं सोच सोचकर खड़ा हुआ है.."
विशाल भी साथ हो लिया, "हाँ यार, अब सब्र नहीं होता, जल्दी चल कहाँ है नंगी लड़की"
"यंही है !, मैंने कहा
वो दोनों मेरा मुंह ताकने लगे. मैंने अपनी अलमारी खोली और छेद में से देखा, ऋतू अभी अभी अपने रूम में आई थी और अपने कपडे उतार रही थी, ये देखकर मैं मंद मंद मुस्कुराया और सुन्नी से बोला "ले देख ले यहाँ आकर"
सन्नी थोडा आश्चर्य चकित हुआ पर जब उसने अपनी आँख छेद पर लगे तो वो हैरान ही रह गया और बोला "अबे तेरी ऐसी की तैसी , ये तो तेरी बहिन ऋतू है "
ऋतू का नाम सुनते ही विशाल सन्नी को धक्का देते हुए छेद से देखने लगा और बोला, "हाँ यार, ये तो इसकी बहन ऋतू है "और ये क्या ये तो अपने कपडे उतार रही है...."
दोनों के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कान आ रही थी और मेरे चेहरे पर विजयी.
विशाल, "तो तू अपनी बहन के बारे में बाते कर रहा था, तो तो बड़ा ही हरामी है."
वाउ ,विशाल बोला, अबे सन्नी देख तो साली की चुचिया कैसी तनी हुई है,"
सन्नी बोला, मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा की तू अपनी बहन को छेद के जरिये रोज़ नंगा देखता है और पैसे लेकर हमें भी दिखा रहा है..तू सही मैं भेन चोद टाइप का इंसान है,कमीना कही का.." हा हा ..
मैंने कहा "तो क्या हुआ, मैं सिर्फ देख और दिखा ही तो रहा हूँ, और मुझे इसके लिए पैसे भी तो मिल रहे हैं, और ऋतू को तो इसके बारे में कुछ पता ही नहीं है, और अगर हम उसको नंगा देखते है तो उसे कोई नुक्सान नहीं है, तो मुझे नहीं लगता की इसमें कोई बुराई है.."
"अरे वो तो अपने निप्पल्स चूस रही है" विशाल बोला और अपना लंड मसलने लगा.
"मुझे भी देखने दे" सन्नी ने कहा.
फिर तो वो दोनों बारी बारी छेद पर आँख लगाकर देखने लगे.
विशाल बोला "यार क्या माल छुपा रखा था तुने अपने घर पर अभी तक, क्या बॉडी है"
"वो अपनी पैंट उतार रही है....अरे ये क्या, उसने पेंटी भी नहीं पहनी हुई.ओह माय माय ...और उसने एक लम्बी सिसकारी भरते हुए अपना लंड हाहर निकाल लिया और हिलाने लगा.
"क्या चूत है...हलके -२ बाल और पिंक कलर की चूत ...वाउ
अब वो अपनी चूत में उंगलिया घुसा - २ कर सिस्कारिया ले रही थी. और अपना सर इधर उधर पटक रही थी.. विशाल और सन्नी के लिए ये सब नया था, वो दोनों ये देखकर पागल हो रहे थे और ऋतू के बारे मैं गन्दी-२ बातें बोल कर अपनी मुठ मारते हुए झड़ने लगे.
तभी ऋतू झड गयी और थोड़ी देर बाद वो उठी और लाइट बंद करके सो गयी.
विशाल और सन्नी शॉक की स्टेट में थे , और मेरी तरफ देखकर बोले "यार मज़ा आ गया, सारे पैसे वसूल हो गए"
"मुझे तो अभी भी विश्वास नहीं हो रहा है की तुने अपनी मुठ मारती हुई बहन हमें दिखाई" सन्नी बोला.
"चलो अब सो जाते है" मैने कहा.
विशाल "यार, वो साथ वाले कमरे में नंगी सो रही है, ये सोचकर तो मुझे नींद ही नहीं आएगी"
मैं बोला" अगर तुम्हे ये सब दोबारा देखना है तो जल्दी सो जाओ और सुबह देखना, वो रोज़ सुबह उठकर सबसे पहले अपनी मुठ मारती है फिर नहाने जाती है." लेकिन उसके लिए तुम्हे पांच सो रूपए और देने होंगे."
"हमें मंजूर है " दोनों एक साथ बोले.
मैं अपनी अक्ल और किस्मत पर होले होले मुस्करा रहा था.
सुबह उठते ही हम तीनो फिर से छेद पर अपनी नज़र लगा कर बैठ गए, हमें ज्यादा इंतजार नहीं करना पड़ा, १० मिनट बाद ही ऋतू उठी, रोज़ की तरह पूरी नंगी पुंगी, अपने सीने के उभारो को प्यार किया, दुलार किया, चाटा, चूसा और अपनी उंगलियों से अपनी चूत तो गुड मोर्निंग बोला.
विशाल "यार क्या सीन है, सुबह सुबह कितनी हसीन लग रही है तेरी बहन.
फिर सुन्नी बोला "अरे ये क्या, इसके पास तो नकली लंड भी है....अमेज़िग . और वो अब उसको चूस भी रही है, अपनी ही चूत का रस चाट रही है..बड़ी गर्मी है तेरी बहन में यार” और फिर ऋतू डिल्डो को अपनी चूत में डाल कर जोर जोर से हिलाने लगी.
हम तीनो ने अपने लंड बाहर निकाल कर मुठ मारनी शुरू कर दी, हम सभी लगभग एक साथ झड़ने लगे...दुसरे कमरे में ऋतू का भी वो ही हाल था, फिर वो उठी और नहाने के लिए अपने बाथरूम में चली गयी.
फिर तो ये हफ्ते में २-३ बार का नियम हो गया, वो मुझे हर बार १५०० रूपए देते, और इस तरह से धीरे धीरे मेरे पास लगभग पंद्रह हज़ार रूपए हो गए..
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12-13-2020, 02:36 PM,
#4
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
अब मेरा दिमाग इस बिज़्नेस को नेक्स्ट लेवल पर ले जाने के लिए सोचने लगा.
एक दिन मैंने सब सोच समझ कर रात को करीब आठ बजे ऋतू का दरवाजा खटकाया.
मैं अन्दर जाने से पहले काफी नर्वस था, पर फिर भी मैंने हिम्मत करी और जाने से पहले छेद मैं से देख लिया की वो स्कूल होमेवोर्क कर रही है और बात करने के लिए यह समय उपयुक्त है, मैंने दरवाज़ा खड्काया, अन्दर से आवाज आई "कोंन है ?"
"मैं हूँ ऋतू" मैंने बोला.
"अरे आशु (घर मैं मुझे सब प्यार से आशु कहते है), तुम, आ जाओ.."
"आज अपनी बहन की कैसे याद आ गयी, काफी दिनों से तुम बिज़ी लग रहे हो, जब देखो अपने रूम मैं पड़ते रहते हो, अपने दोस्तों के साथ ग्रुप study करते हो, आई ऍम रेअल्ली इम्प्रेस .." ऋतू ने कहा.
"बस ऐसे ही..तुम बताओ लाइफ कैसी चल रही है."
"ठीक है"
" ऋतू आज मैं तुमसे कुछ ख़ास बात करने आया हूँ" मैंने झिझकते हुए कहा ..
"हाँ हाँ बोलो, किस बारे में"
"पैसो के बारे में" मैं बोला.
ऋतू बोली "देखो आशु , इस बारे मैं तो मैं तुम्हारी कोई हेल्प नहीं कर पाउंगी, मेरी जेब खर्ची तो तुमसे भी कम है "
"एक रास्ता है, जिससे हमें पैसो की कोई कमी नहीं होगी" मेरे कहते ही ऋतू मेरा मुंह देखने लगी और बोली "ये तुम किस बारे में बात कर रहे हो, ये कैसे मुमकिन है"
"मैं इस बारे में बात कर रहा हूँ" और मैंने उसके टेबल के अन्दर हाथ डाल के उसका ब्लैक डिल्डो निकाल दिया और बेड पर रख दिया.
"ओह माई गॉड "वो चिल्लाई और उसका चेहरा शर्म और गुस्से के मारे लाल सुर्क हो गया और उसने अपने हाथो से अपना चेहरा छुपा लिया, उसकी आँखों से आंसू बहने लगे.
"ये तुम्हे कैसे पता चला, तुम्हे इसके बारे में कैसे पता चल सकता है...इट्स नोट पोस्सीबल " वो रोती जा रही थी.
"प्लीज़ डोंट क्राई ऋतू " मैं उसको अपसेट देखकर घबरा गया.
"तुम मेरे साथ ये कैसे कर सकते हो, तुम मम्मी पापा को तो नहीं बताओगे न ? वो कभी ये सब समझ नहीं पांएगे .."ऋतू रोते रोते बोल रही थी, उसकी आवाज में एक याचना थी.
"अरे नहीं बाबा , मैं मम्मी पापा को कुछ नहीं बताऊंगा, मैं तुम्हे किसी परेशानी में नहीं डालना चाहता, बल्कि मैं तो तुम्हारी मदद करने आया हूँ, जिससे हम दोनों को कभी भी पैसो की कोई कमी नहीं होगी." मैं बोला.
ऋतू ने पूछा "लेकिन पैसो का इन सबसे क्या मतलब है" उसने डिल्डो की तरफ इशारा करके कहा.
मैंने डिल्डो को उठाया और हवा में उछालते हुए कहा "मैं जानता हूँ, तुम इससे क्या करती हो, मैंने तुम्हे देखा है"
"तुमने देखा है ???" वो लगभग चिल्ला उठी "ये कैसे मुमकिन है"
"यहाँ से.."मैंने उसकी अलमारी के पास गया और उसे वो छेद दिखाया और बोला, "मैं तुम्हे यहाँ से देखता हूँ."
"हे भगवान् ...ये क्या हो रहा है, ये सब मेरे साथ नहीं हो सकता.."और उसकी आँखों से फिर से अश्रु की धारा बह निकली.
"देखो ऋतू, मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है, मैं सिर्फ तुम्हे देखता हूँ, मेरे हिसाब से इसमें कोई बुराई नहीं है, और सच कहूं तो ये मुझे अच्छा भी लगता है:"
ऋतू थोड़ी देर के लिए रोना भूल गयी और बोली "अच्छा ! तो तुम अब क्या चाहते हो"
"तुम मेरे फ्रेंड्स को तो जानती ही हो, विशाल और सन्नी, मैं उनसे तुमको ये सब करते हुए देखने के १५०० रूपए चार्ज करता हूँ "
"ओह नो.."वो फिर से रोने लगी, "ये तुमने क्या किया, वो मेरे स्कूल में सब को बता देंगे, मेरी कितनी बदनामी होगी, तुमने ऐसा क्यों किया, अपनी बहन के साथ कोई ऐसा करता है क्या...मैं तो किसी को अपना मुंह दिखाने के काबिल नहीं रही "ऋतू रोती जा रही थी और बोलती जा रही थी.
"नहीं वो ऐसा हरगिज़ नहीं करेंगे, अगर करें तो उनका कोई विश्वास नहीं करेगा, मेरा मतलब है तुम्हारे बारे में कोई ऐसा सोच भी नहीं सकता,"मैंने जोर देते हुए कहा, "और उन्हें मालुम है की अगर वो ऐसा करेंगे तो मैं उन्हें कभी भी तुमको ये सब करते हुए नहीं देखने दूंगा."
"और तुमने उनका विश्वास कर लिया" ऋतू रोती जा रही थी..."तुमने मुझे बर्बाद कर दिया"
"हाँ मैंने उनपर विश्वास कर लिया और नहीं मैंने तुम्हे बर्बाद नहीं किया, ये देखो "और मैंने पांच पांच सो के नोटों का बण्डल उसको दिखाया, "ये साठ हजार रूपए हैं, जो मैंने विशाल और सन्नी से चार्ज करें हैं तुम्हे छेद मैं से देखने के !.."
"और मैं उन दोनों से इससे भी ज्यादा चार्ज कर सकता हूँ अगर तुम मेरी मदद करो तो .." मैं अब लाइन पर आ रहा था.
"तुम्हे मेरी हेल्प चाहिए " वो गुर्राई .."तुम पागल हो गए हो क्या."
"नहीं मैं पागल नहीं हुआ हूँ, तुम मेरी बात ध्यान से सुनो और फिर ठन्डे दिमाग से सोचना., देखो मैं तुमसे सब पैसे बांटने के लिए तैयार हूँ, और इनमे से भी आधे तुम ले सकती हो, " ये कहते हुए मैंने बण्डल में से लगभग ३० हजार रूपए अलग करके उसके सामने रख दिए.
"लेकिन मेरे पास एक ऐसा आइडिया है जिससे हम दोनों काफी पैसे बना सकते हैं.,,"मैं दबे स्वर में बोला.
"अच्छा , मैं भी तो सुनु की सो क्या आइडिया है.."वो कटु स्वर में बोली.
फिर मैं बोला, "क्या तुम्हारी कोई फ्रेंड है जो ये सब जानती है, की तुम क्या करती हो..? तुम्हे मुझे उसका नाम बताने की कोई जरुरत नहीं है, सिर्फ हाँ या ना बोलो "
"हाँ , है., मेरी एक फ्रेंड जो ये सब जानती है, इन्फक्ट ये डिल्डो भी उसी ने दिया है मुझे."
"अगर तुम अपनी फ्रेंड को यहाँ पर बुला के, उससे ये सब करवा सकती हो, तो मैं अपने फ्रेंडस से ज्यादा पैसे चार्ज कर सकता हूँ, और तुम्हारी फ्रेंड को कुछ भी पता नहीं चलेगा..."मैंने उसे अपनी योजना बताई.
"लेकिन मुझे तो मालुम रहेगा ना..और वोही सिर्फ मेरी एक फ्रेंड है जिसके साथ मैं सब कुछ शेयर करती हं, अपने दिल की बात, अपनी अन्तरंग बांते सभी कुछ, मैं उसके साथ ऐसा नहीं कर सकती" ऋतू ने जवाब दिया.
"तुम्हे तो अब मालुम चल ही गया है, और हम दोनों इसके बारे में बातें भी कर रहे हैं..है ना.." मैं तो तुम्हे सिर्फ पैसे बनाने का तरीका बता रहा हूँ, जरा सोचो, छुट्टियाँ आने वाली है, मम्मी पापा तो चाचा - चाची के साथ हर साल की तरह पहाड़ों में कैंप लगाने चले जायेंगे,और पीछे हम दोनों घर पर बिना पैसो के रहेंगे, अगर ये पैसे होंगे तो हम भी मौज कर सकते हैं, लेट नाईट पार्टी, और अगर चाहो तो कही बाहर भी जा सकते हैं...छुट्टियों के बाद अपने दोस्तों से ये तो सुनना नहीं पड़ेगा की वो कहाँ कहाँ गए और मजे किये, हम भी ये सब कर सकते हैं ..हम भी अपनी छुट्टियों को यादगार बना सकते हैं , जरा सोचो.."
"अगर मैं मना कर दूं तो" ऋतू बोली "तो तुम क्या करोगे"
"नहीं तुम ऐसा नहीं करोगी," मैंने कहा "ये एक अच्छा आईडिया है, और इससे किसी का कोई नुक्सान भी नहीं हो रहा है, विशाल और सन्नी तो तुम्हे देख देखकर पागल हो जाते हैं, वो ये सब बाहर बताकर अपना मजा खराब नहीं करेंगे, मेरे और उनके लिए ये सब देखने का ये पहला और नया अनुभव है."
"और अगर मैंने मना कर दिया तो मैं ये सब नहीं करूंगी, और ये छेद भी बंद कर दूँगी, और आगे से कभी भी अपने रूम में ये सब नहीं करूंगी, फिर देखते रहना मेरे सपने..."ऋतू बोली.
"प्लीज़ ऋतू.." मैं गिढ़गिराया "ये तो साबित हो ही गया है के तुम काफी उत्तेजना फील करती हो और अपनी उत्तेजना को शांत करने के लिए अपनी मुठ मारती हो और इस डिल्डो से मजे भी लेती हो, अगर तुम्हे और कोई ये सब करते देखकर उत्तेजना में अपनी मुठ मारता है तो इसमें बुरे ही क्या है, तुम भी तो ये सब करती हो और तुम्हे देखकर कोई और भी मुठ मारे तो इसमें तुम्हे क्या परेशानी है."
"मेरे कारण वो मुठ मारते हैं, मतलब विशाल और सन्नी ? वो आश्चर्य से बोली.
"मेरे सामने तो नहीं, पर मुझे विश्वास है घर पहुँचते ही वो सबसे पहले अपनी मुठ ही मारते होंगे " मैंने कुछ बात छिपा ली.
"और तुम ?..क्या तुम भी मुझे देखकर मुठ मारते हो.??"
"हाँ !! मैं भी मारता हूँ , मैंने धीरे से कहा, "मुझे लगता है की तुम इस दुनिया की सबसे खुबसूरत और आकर्षक जिस्म की मालिक हो."
"तुम क्या करते हो ?" उसकी उत्सुकता बदती जा रही थी.
"मैं तुम्हे नंगा मुठ मारते हुए देखता हूँ और अपने वाले..से खेलता हूँ." मैं बुदबुदाया ..
"और क्या तुम....मेरा मतलब है ..~!!
"क्या ?" मैंने पूछा.
"क्या तुम्हारा निकलता भी है जब तुम मुठ मारते हो..?:
"हाँ , हमेशा..मैं कोशिश करता हूँ की मेरा तब तक ना निकले जब तक तुम अपनी चरम सीमा तक नहीं पहुँच जाओ, पर ज्यादातर मैं तुम्हारी उत्तेजना देखकर पहले ही झड जाता हूँ"
"मुझे ये सब पर विश्वास नहीं हो रहा है" ऋतू ने अपना डिल्डो उठाया और उसको वापिस बेद के नीचे ड्राअर में रख दिया.
"देखो ऋतू, मैं तुम्हे इसमें से आधे पैसे दे सकता हूँ, बस जरा सोच कर देखो, वैसे भी मेरे हिसाब से ये रूपए तुमने ही कमाए है."
"हाँ ये काफी ज्यादा पैसे है, मैंने तो इतने कभी सपने में भी नहीं सोचे थे"
"तुम ये आधे रूपए रख लो और बस मुझे ये बोल दो की तुम इस बारे में सोचोगी" मैंने कहा.
"लेकिन सिर्फ एक शर्त पर"...ऋतू बोली.
"तुम कुछ भी बोलो...मैं ख़ुशी से उछल पड़ा "मैं तुम्हारी कोई भी शर्त मानने को तैयार हूँ"
"तुम मुझे देखते रहे हो, ठीक "
"हाँ तो ?"
"मैं भी तुम्हे हस्तमैथुन करते देखना चाहती हूँ." ऋतू बोली..
"क्या ..........!!!!???"
"तुम अभी हस्तमैथुन करो...मेरे सामने, .
"नहीं ये मैं नहीं कर सकता,,,मुझे शर्म आएगी .."मैंने कहा.
"तो फिर भूल जाओ, मैं इस बारे में सोचूंगी भी नहीं..
"अगर मैंने करा तो क्या तुम सोचोगी"
"हाँ ! बिलकुल".. ऋतू ने अपनी गर्दन हाँ में हिलाई.
"और कभी कुछ भी हो जाए, तुम ये अलमारी का छेद कभी बंद नहीं करोगी." मैंने एक और शर्त रखी.
"अगर तुम मुझे बिना बताये अपने दोस्तों को यहाँ लाये तो कभी नहीं.."
" वाउ , क्या सच में " मुझे तो अपने कानो पर विश्वास ही नहीं हुआ.
"तो क्या तुम अभी मेरे सामने हस्तमैथुन करोगे.." उसने फिर से पूछा.
"हाँ"
"तो ठीक है "स्टार्ट नाउ ....."
मैंने शर्माते हुए अपनी जींस उतारी और अपना बाक्सर भी उतार कर साइड में रख दिया, और अपने लंड को अपने हाथ में लेकर मन ही मन में बोला , चल बेटा तेरे कारनामे दिखाने का टाइम हो गया..धीरे धीरे उसने विकराल रूप ले लिया और मैं उसे आगे पीछे करने लगा.
मैंने ऋतू की तरफ देखा तो वो आश्चर्य से मुझे मुठ मारते हुए देख रही थी, उसकी आँखों में एक ख़ास चमक आ रही थी.
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12-13-2020, 02:36 PM,
#5
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैं अपने हाथ तेजी से अपने लंड पर चलने लगा, ऋतू भी धीरे-२ मेरे सामने आ कर बैठ गयी, उसका चेहरा मेरे लंड से सिर्फ एक फूट की दुरी पर रह गया, उसके गाल बिलकुल लाल हो चुके थे, उसके गुलाबी लरजते होंठ देखकर मेरा बुरा हाल हो गया, वो उनपर जीभ फेरा रही थी और उसकी लाल जीभ अपने गीलेपन से उसके लबों को गीला कर रही थी. मेरा लंड ये सब देखकर १ मिनट के अन्दर ही अपनी चरम सीमा तक पहुँच गया और उसमे से मेरे वीर्य की पिचकारी निकल कर ऋतू के माथे से टकराई, वो हडबडा कर पीछे हुई तो दूसरी धार सीधे उसके खुले हुए मुंह में जा गिरी और पीछे होते होते तीसरी और चोथी उसकी ठोड़ी और गले पर जा लगी.
"वाउ ...मुझे इसका बिलकुल भी अंदाज़ा नहीं था.." ऋतू ने चुप्पी तोड़ी.
"मतलब तुमने आज तक ये....मेरा मतलब असली लंड नहीं देखा.." मैंने पूछा,
उसने ना में गर्दन हिलाई.
"और मुझे इस बात का भी अंदाज़ा नहीं था की ये पिचकारी मारकर अपना रस निकलता है. लेकिन ये रस है बड़ा ही टेस्टी." ऋतू ने अपने मुंह में आये वीर्य को निगलते हुए चटखारा लिया..
"क्या इसका स्वाद तुम्हारे रस से अलग है.." मैंने पूछा. "मैंने भी तुम्हे डिल्डो को अपनी योनी में डालने के बाद चाटते हुए देखा है"
"हाँ..थोडा बहुत,,तुम्हारा थोडा नमकीन है..पर मुझे अच्छा लगा."
"मेरा इतना गाड़ा नहीं है पर थोडा खट्टा-मीठा स्वाद आता है.....क्या तुम टेस्ट करना चाहोगे." ऋतू ने मुझसे पूछा.
"हाँ....बिलकुल...क्यों नहीं..पर कैसे."
वो मुस्कुराती हुई धीरे धीरे अपने बेड तक गयी और अपना डिल्डो निकला, उसको मुंह में डाला और मेरी तरफ हिला कर फिर से पूछा..."क्या तुम मेरा रस चखना चाहोगे.."
मैंने हाँ में अपनी गर्दन हिलाई..
उसको डिल्डो चूसते देखकर मेरे मुरझाये हुए लंड ने एक चटका मारा..जो ऋतू की नजरों से नहीं बच सका..
फिर उसने अहिस्ता से अपनी जींस के बटन खोले और उसको उतार दिया, हमेशा की तरह उसने अंडर वेअर नहीं पहना हुआ था, उसकी चूत मेरी आँखों के सामने थी, मैंने पहली बार इतनी पास से उसकी चूत देखी, उसमें से रस की एक धार बह कर उसकी जींस को गीला कर चुकी थी, वो काफी उत्तेजित थी.
फिर वो अपनी टाँगे चोडी करके बेड के किनारे पर बैठ गयी, और वो डिल्डो अपनी चूत में डाल कर अंदर बाहर करने लगी..मैं ये सब देखकर हैरान रह गया, वो आँखे बंद किये, मेरे सामने, २ फीट की दुरी से अपनी चूत में डिल्डो डाल रही थी.जब वो डिल्डो उसके अन्दर जाता तो उसकी चूत के गुलाबी होंठ अन्दर की तरफ मुद जाते और बाहर निकालते ही उसकी चूत के अन्दर की बनावट मुझे साफ़ दिखा जाते. मैं तो उसके अंदर के गुलाबीपन को देखकर और रस से भीगे डिल्डो को अन्दर बाहर जाते देखकर पागल ही हो गया. मैं मुंह फाड़े उसके सामने बैठा था. उसने अपनी स्पीड बड़ा दी और आखिर में वो भी जल्दी ही झड़ने लगी, फिर उसने अपनी आँखे खोली, मेरी तरफ मुस्कुराते हुए देखा और अपनी चूत में से भीगा हुआ डिल्डो मेरे सामने करके बोली..."लो चाटो इसे ...घबराओ मत..तुम्हे अच्छा लगेगा...चाटो.."
मैंने कांपते हाथों से उससे डिल्डो लिया और उसके सिरे को अपनी जीभ से छुआ, मुझे उसका स्वाद थोडा अजीब लगा, पर फिर एक दो बार चाटने के बाद वोही स्वाद काफी मादक लगने लगा और मैं उसे चाट चाटकर साफ़ करने लगा..ये देखकर ऋतू मुस्कुराई और बोली.."कैसा लगा." ?
"इट्स रीयल्ली टेस्टी " मैंने कहा.
ऋतू ने डिल्डो मेरे हाथ से लेकर वापिस अपनी चूत में डाला और खुद ही चूसने लगी..और बोली "मज़ा आया".
"हाँ"
"मुझे भी मज़ा आता है अपने रस को चाटने मैं, कई बार तो मैं सोचती हूँ की काश मैं अपनी चूत को खुद ही चाट सकती.."
"क्या तुमने कभी अपना रस चखा है.."उसने मुझसे पूछा..
"नहीं ...क्यों.."
"ऐसे ही...एक बार ट्राई करना"
"आज रात सब के सोने के बाद तुम मेरे लिए एक बार फिर से मुठ मारोगे और अपना रस भी चाट कर देखोगे.." ऋतू बोली.
"मैं अपना वीर्य चाटूं ??? पर क्यों." मैंने पूछा.
"क्योंकि मैं चाहती हूँ, और अगर तुमने ये किया तभी मैं तुम्हे अपना जवाब दूंगी." ऋतू ने अपना फैसला सुनाया.
ठीक है... मैंने कहा.
ऋतू : "अब तुम जल्दी से यहाँ से जाओ, मुझे अपना होमेवोर्क भी पूरा करना है."
मैंने जल्दी से अपना अंडर्वीयर और जींस पहनी, लेकिन मेरे खड़े हुए लंड को अन्दर डालने में जब मुझे परेशानी हो रही थी तो वो खिलखिलाकर हंस रही थी, और उसके हाथ में वो काला डिल्डो लहरा रहा था. मैं जल्दी से वहां से निकल कर अपने रूम में आ गया.
अपने रूम में आने के बाद मैंने छेद से देखा तो ऋतू भी अपनी जींस पहन कर पढाई कर रही थी.
रात को सबके सोने के बाद मैंने देखा की उसके रूम की लाइट बंद हो चुकी है, थोड़ी ही देर मैं मैंने अपने दरवाजे पर हलकी दस्तक सुनी, मैंने वो पहले से ही खुला छोड़ दिया था, ऋतू दरवाजा खोलकर अन्दर आ गयी.उसने नाईटगाउन पहन रखा था.
"चलो शुरू हो जाओ " वो अन्दर आते ही बिना किसी भूमिका के बोली.
मैं चुपचाप उठा और अपना पायजामा उतार कर खड़ा हो गया, अपने लंड के ऊपर हाथ रखकर आगे पीछे करने लगा, वो मंत्रमुग्ध सी मुझे मुठ मारते हुए देख रही थी, इस बार वो और ज्यादा करीब से देख रही थी, उसके होठों से निकलती हुई गर्म हवा मेरे लंड तक आ रही थी..मैं जल्दी ही झड़ने के करीब पहुँच गया,
तभी ऋतू बोली "अपना वीर्य अपने हाथ में इक्कठा करो."
मैंने ऐसा ही किया, मेरे लंड के पिचकारी मारते ही मैंने अपनी मुठ से अपने लंड का मुंह बंद कर दिया और सारा माल मेरी हथेली में जमा हो गया.
"वाह ...मजा आ गया, तुम्हे मुठ मरते देखकर सच में मुझे अच्छा लगा...अब तुम इस रस को चख कर देखो" ऋतू बोली.
मैंने झिझकते हुए अपने हाथ में लगे वीर्य को अपनी जीभ से चखा.
ऋतू ने पुचा "कैसा लगा" ?
"तुम्हारे रस से थोडा अलग है" मैंने जवाब दिया.
ऋतू : "कैसे "?
मैं : "शायद इसमें मादकता कम है".
वो मुस्कुराई.
ऋतू : "चलो मुझे भी चखाओ "
मैं : "ये लो"
और मैंने अपना हाथ ऋतू की तरफ बड़ा दिया, वो अपनी गरम जीभ से धीरे धीरे उसे चाटने लगी फिर अचानक सड़प-२ कर वो मेरा पूरा हाथ साफ़ करने के बाद बोली...यम्मी ..मुझे तुम्हारा रस बहुत स्वाद लगा. और काफी मीठा भी. क्या तुम मेरे रस के साथ अपने रस को कंमपेयर करना चाहोगे.
मैं : "हाँ हाँ ...क्यों नहीं"
फिर वो थोडा पीछे हठी और अपना गाउन आगे से खोल दिया..मैं देख कर हैरान रह गया, वो अन्दर से पूरी तरह नंगी थी.
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12-13-2020, 02:36 PM,
#6
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उसकी ३४ब साइज़ की सफ़ेद रंग की चूचियां तन कर खड़ी थी, और उन स्तनों की शोभा बढ़ाते दो छोटे-२ निप्पल्स किसी हीरे की तरह चमक रहे थे.
फिर उसने अपने हाथ अपनी जांघो के बीच में डाला और अपनी चूत में से वो काला डिल्डो निकाला , वो पूरी तरह से गीला था, उसका रस डिल्डो से बहता हुआ ऋतू की उँगलियों तक जा रहा था, मैंने उसके हाथ से डिल्डो लिया और उसको चाटने लगा, गर्म और ताज़ा, मैं जल्द ही उसे पूरी तरह से चाट गया, वो ये देखकर खुश हो गई.
मैं : " मुझे भी तुम्हारा रस अच्छा लगा"
ऋतू बोली "अब मुझे भी तुम्हारा थोडा रस और चखना है...अपना लंड अपने हाथ में पकड़ो..."
मेरे लंड के हाथ में पकड़ते ही वो झुकी और मेरे लंड के चारो तरफ अपने होंठो का फंदा बना कर उसमे बची हुई आखिरी बूँद को झट से चूस गई.. मैं तो सीधा स्वर्ग में ही पहुँच गया.
"वाउ ..." मैंने कहा "ये तो और भी अच्छा है"
ऋतू बोली " तुम्हारा लंड भी इस नकली से लाख गुना अच्छा है"
"क्या मैं भी तुम्हे टेस्ट कर सकता हूँ"...मैंने शर्माते हुए ऋतू से पुचा.
"तुम्हारा मतलब है जैसे मैंने किया....क्यों नहीं....ये लो."
इतना कहकर वो मेरे बेड पर अपनी कोहनी के बल लेट गयी और चोडी करके अपनी टाँगे मोड़ ली, उसकी गीली चूत मेरे बिलकुल सामने थी.मैं अपने घुटनों के बल उसके सामने बैठ गया और उसकी जांघो को पकड़ कर अपनी जीभ उसकी चूत में डाल दी...वो सिसक पड़ी और अपना सर पीछे की तरफ गिरा दिया..
उसकी मादक खुशबु मेरे नथुनों में भर गयी ...फिर तो जैसे मुझे कोई नशा सा चढ़ गया, मैं अपनी पूरी जीभ से उसकी चूत किसी आइसक्रीम की तरह चाटने लगा, ऋतू का तो बुरा हाल था, उसने अपने दोनों हांथो से मेरे बाल पकड़ लिए और खुद ही मेरे मुंह को ऊपर नीचे करके उसे कण्ट्रोल करने लगी, मेरी जीभ और होंठ उसकी चूत में रगड़कर एक घर्षण पैदा कर रहे थे और मुझे ऐसा लग रहा था की मैं किसी गरम मखमल के गीले कपडे पर अपना मुंह रगड़ रहा हूँ....उसकी सिस्कारियां पुरे कमरे में गूंज रही थी..और फिर वो एक झटके के साथ झड़ने लगी और उसकी चूत में से एक लावा सा बहकर बाहर आने लगा.
मैं जल्दी से उसे चाटने और पीने लगा, और जब पूरा चाटकर साफ़ कर दिया तो पीछे हटकर देखा, ऋतू का शारीर बेजान सा पड़ा था और उसकी अद्खुली ऑंखें और मुस्कुराता हुआ चेहरा हलकी रौशनी में गजब का लग रहा था.
मेरा पूरा चेहरा उसके रस से भीगा हुआ था.
वो हंसी और बोली "मुझे विश्वास नहीं होता की आज मुझमें से इतना रस निकला....ऐसा लग रहा था की आज तो मैं मर ही गई"
मैंने पूछा "तो तुम्हारा जवाब क्या है"?
"हाँ बाबा हाँ, मैं तैयार हूँ" वो हँसते हुए बोली.
वो आगे बोली "लेकिन वो भी पहली बार सिर्फ तुम्हारे लिए, तब तुम अपने दोस्तों को नहीं बुलाओगे....फिर बाद में हम डिसाईड करेंगे की आगे क्या करना है"
"ठीक है...मुझे मंजूर है" मैंने कहा.
मैंने उसे खड़ा किया और उसे नंगे ही गले से लगा लिया "तुम्हे ये सब करना काफी अच्छा लगेगा "
वो कसमसाई और बोली "देखेंगे..."
और अपना गाउन पहन कर अपने डिल्डो को अंडर छुपा लिया और बोली "मुझे भी अपनी चूत पर तुम्हारे होंठो का स्पर्श काफी अच्छा लगा..ये एहसास बिलकुल अलग है...और मुझे इस बात की भी ख़ुशी है की मेरा अब कोई सिक्रेट भी नहीं है"
"हम दोनों मिलकर बहुत सारे पैसे कमाएंगे..." मैंने कहा..." और बहुत मज़ा भी करेंगे...."
"गुड नाईट " मैंने बोला.
"गुड नाईट " ये कहकर वो अपने रूम में चली गयी.
मैं भी ऋतू के बारे में और आने वाले समय के बारे में सोचता हुआ अपनी आगे की योजनायें बनाने लगा..
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12-13-2020, 02:36 PM,
#7
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
अगले दिन जब मैं उठा तो कल रात की बातें सोचकर मुस्कुराने लगा, फिर कुछ सोचकर झटके से उठा और छेद में देखने लगा, पहले तो मुझे कुछ दिखाई ही नहीं दिया पर जब गौर से देखा तो हैरान रह गया, ऋतू की चूत मेरी आँखों के बिलकुल सामने थी, वो छेद के पास खड़ी हुई अपनी चूत में डिल्डो अन्दर बाहर कर रही थी....बिलकुल नंगी.
मैं तो ये देखकर पागल ही हो गया., मैंने झट से अपना तना हुआ लंड बाहर निकाला और उसे तेजी से आगे पीछे करने लगा, मेरा मन कर रहा था की मैं अपनी जीभ छेद में डाल कर अपनी बहन की चूत में डाल दू और उसे पूरा चाट डालूं. मैं ये सोचते-२ जल्दी ही झड़ने लगा....तभी छेद में से ऋतू को अपनी तरफ देखते देखकर मैं पास गया तो उसने पुछा "क्या तुम्हारा हो गया...?"
"हाँ..."मैंने जवाब दिया "और तुम्हारा ...?"
"हाँ मेरा भी..." वो मुस्कुराई.
"मुझे तो बड़ा ही मजा आया" मैंने कहा.
"मुझे भी....चलो अब नीचे नाश्ते की टेबल पर मिलते है.." ये कहकर वो बाथरूम में चली गयी, अपनी गांड मटकाती हुई.
आज मेरे दिल में एक अजीब सी ख़ुशी मचल रही थी, जिंदगी के ये नए रंग मुझे सचमुच अच्छे लग रहे थे, हांलांकि भाई बहिन के बीच ये सब पाप की नजर से देखा जाता है पर ना जाने क्यों ये पाप करना मुझे अच्छा लग रहा था.
मैं नाश्ता करके अपनी बाईक पर ऋतू को स्कूल छोड़ने चल दिया, रास्ते भर हम अपने इस नए "बिज़नेस" के बारे में बातें करते रहे, की कैसे ज्यादा से ज्यादा पैसे कमाए जाएँ, अगर १ हफ्ते में २ बार हम २ लोगो को या फिर ४ लोगो को, या फिर ३ से ४ बार "स्पेशल शो" दिखाएँ तो कितने पैसे मिलेंगे...और हिसाब से पैसे हमेशा बड़ते जा रहे थे, ये देखकर ऋतू काफी खुश हो रही थी.
उसी रात डिन्नर के टाइम ऋतू ने मम्मी पापा से कहा की उसकी सहेली पूजा कल रात यहीं पर रहेगी क्योंकि उनके एक्साम्स आ रहे हैं और वो उसकी तय्यारी करना चाहतें हैं. पूजा का नाम सुनते ही मैं चौंक गया, मैंने कई बार पूजा को अपने घर पर ऋतू के साथ देखा है, वो एक पंजाबी लड़की है, काफी सांवली जैसे पुराने जमाने की एक्ट्रेस रेखा हुआ करती थी, पर उसके मुम्मे और हांड ग़जब की है, एकदम टाईट और फेली हुई गांड और तने हुए छोटे खरबूजे जैसे मुम्मे.मैंने उनके बारे में सोच सोचकर कई बार मुठ भी मारी थी.
तो वो ही वो लड़की है जिसने ऋतू को वो डिल्डो दिया था, तब तो वो काफी अडवांस होगी और मुझे भी काफी मौज करने को मिलेगी,, मैं यह सोचकर हलके हलके मुस्कुराने लगा. मुझे मुस्कुराते देखकर ऋतू भी रहस्यमयी हंसी हंस दी.
अपने कमरे में आने के बाद मैंने छेद में से झाँकने की कोशिश की पर वहां तो बिलकुल अँधेरा था, ऋतू ने लाइट बंद कर दी थी और वो अपने बिस्टर पर सो रही थी, मैं भी अपने बिस्तर पर जा कर सोने की कोशिश करने लगा.
तक़रीबन १ घंटे के बाद मुझे अपने दरवाजे पर हलचल महसूस हुई और मैंने देखा की ऋतू चुपके से मेरे कमरे मैं दाखिल हो रही है. उसने वोही नाईट गाउन पहन रखा था.
"क्या हुआ ..इतनी रात को तुम्हे क्या चाहिए ?" मैंने पुछा.
"क्या तुम फिर से मेरी चूत चाट सकते हो, जैसे कल चाटी थी, मुझे सच में बड़ा मजा आया था.." ऋतू ने कहा.
"क्या सच मैं..." मुझे तो अपनी किस्मत पर विश्वास ही नहीं हुआ..
"हाँ ...और अगर तुम चाहो तो बदले में मैं तुम्हारा लंड चूस दूंगी क्योंकि मेरे डिल्डो में से रस नहीं निकलता...हे हे ." वो खिलखिलाई.
"वाउ , ठीक है मैं तैयार हूँ " मैंने कहा.
"ओके..देन " ..फिर ऋतू ने एक झटके से अपना गाउन उतार फेंका उसने कल की तरह अन्दर कुछ भी नहीं पहन रखा था,...एकदम नंगी..मैंने अपने बेड के साइड का बल्ब जला दिया, दुधिया रौशनी में उसका गोरा बदन चमक उठा. वो आकर मेरे बेद पर अपनी टाँगे फैला कर लेट गयी, मैंने भी अपना मुंह उसकी चूत पर टिका दिया, और उसके निचले अधरों का रस पान करने लगा, आज वो कुछ ज्यादा ही उत्तेजित लग रही थी, उसकी गीली चूत में मुंह मारने में काफी मजा आ रहा था, वो लम्बी-२ सिस्कारियां ले रही थी और आशु...आशु...बडबडा रही थी.
आआआआआआआआह .......आआअशु ....म्म्म्मम्म्म्मम्म . मैंने उसकी क्लिट अपने दांत में लेकर चुब्लाना शुरू कर दिया...वो तो पागल ही हो गयी. मैंने सांस लेने के लिए जैसे ही अपना सर उठाया,उसने एक झटके से मेरे सर को दोबारा अपनी चूत पर टिका दिया और बोली.....बस्स्सस्स्स्सस्स्स थोडा आआआआआआऔर .......म्म्मम्म्म्मम्म ...चुसो मेरी चूत को....पी जाओ मेरा रस.......माआआआआआ ......
फिर तो जैसे एक सैलाब आया, मैं दीवानों की तरह उसकी चूत में अपनी जीभ और दांत से हमले करता चला गया....अंत में जब वो धराशायी हुई तो उसका पूरा बदन कांपने लगा और शरीर ढीला हो गया. मैंने जल्दी से उसका रस पीना शुरू कर दिया...अंत में वोह बोली...बस करो आशु...मैं मर जाउंगी...बस करो.. प्लीज़ ..
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12-13-2020, 02:36 PM,
#8
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैं हटा तो उसकी आँखों में मेरे लिए एक अलग ही भाव था. मैंने कहा "मुझे तो तुम्हारी चूत का रस काफी अच्छा लगता है, काफी मीठा है, मुझे तो अब इसकी आदत ही हो गयी है..."
वो उठी और बोली "लाओ अब मैं तुम्हारा लंड चूस देती हूँ..."
"नेकी और पूछ पूछ.." मैं तेजी से उठा और अपना पायजामा जॉकी समेत उतार दिया और बेड के किनारे पर लेट गया.
वो मेरे सामने बैठी और बोली "मेरे पास डिल्डो सिर्फ एक वजह से है क्योंकि मेरे पास ये चीज असली में नहीं हैं.." उसने मेरे लंड को अपने हाथों में लिया और मसलने लगी.. नरम हाथों में आते ही मेरा पप्पू अपनी औकात पर आ गया और फूल कर कुप्पा हो गया.
"ये कितना नरम और गरम है" ऋतू बोली.
फिर उसने मेरे लंड को ऊपर नीचे करना शुरू कर दिया..जल्दी ही मेरे लंड के सिरे पर प्रिकम की बूँद चमकने लगी, वो थोडा झुकी और अपनी गुलाबी जीभ निकाल कर उसे चाट गयी और फिर धीरे धीरे अपनी जीभ मेरे लंड के सुपदे पर फिरने लगी, मैं कोहनियों के बल बैठा आँखे फाड़े ये सब देख रहा था, फिर ऋतू ने अपने होंठ खोले और मेरे लंड को अपने मुंह में डाल लिया...वो तब तक नहीं रुकी जब तक मेरा सात इंच का लंड उसके गले से नहीं टकरा गया. फिर उसने अपने लब बंद कर लिए और अन्दर ही अन्दर अपनी जीभ मेरे लंड के चारो तरफ फिराने लगी.
मेरा तो बुरा हाल हो गया, उसके मुंह के अन्दर जाते ही वो कुछ ज्यादा ही मोटा और बड़ा हो गया था, मैं अपने लंड की नसें चमकते हुए देख सकता था. फिर उसने धीरे-२ लंड को बाहर निकला और बोली...ये तो टेस्टी भी है,,,और ये कहकर दुगने जोश के साथ उसको फिर मुंह में लेकर चूसने लगी. वो अपने एक हाथ से मेरी बाल्स को भी मसल रही थी, मैं जल्दी ही झड़ने के कगार पर पहुँच गया और जोर -२ से साँसे लेने लगा, वो समझ गयी और जोर से चूसने लगी, तभी मेरे लंड ने पिचकारी मार दी जो सीधे उसके गले के अन्दर टकराई, वो रुकी नहीं और हर पिचकारी को अपने पेट में समाती चली गयी, और अंत में जब कुछ नहीं बचा तभी उसने मेरा लंड छोड़ा.."वओ ...मजा आ गया...लंड चूसने में तो मजा है ही...रस पीने का मजा भी अलग ही है."
"ईट फीलस अनबिलेविल " मैंने उखड़ी सांसो से कहा.
"वेल... गुड नाईट " वो बोली और उठते हुए मेरे लंड पर एक किस करदी.
"गुड नाईट "
फिर वो अपना गाउन पहन कर चुपके से अपने रूम मैं चली गयी और मैं कल के बारे में सोचकर रंगीन सपने बुनने लगा.
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12-13-2020, 02:36 PM,
#9
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
अगले दिन ऋतू को स्कूल छोड़कर जब मैं collage गया तो मेरा मन पढाई में नहीं लगा, सारा दिन मैं होने वाली रात के बारे में सोचता रहा, जब सन्नी और विकास ने भी मुझसे बात करने की कोशिश की तो उन्हें भी मैंने कहा बाद में बात करेंगे, वो दरअसल अगले "शो" के बारे मैं जानना चाहते थे. शाम को जब मैं घर पहुंचा तो मुझे ऋतू का इन्तजार था, थोड़ी देर में ही दरवाजे की बेल बजी और मैं भागकर गया, दरवाजा खोला तो ऋतू अपनी सहेली पूजा के साथ खड़ी थी, मुझे देखते ही ऋतू ने मुझे आँख मारी और बोली "भाई दरवाजे पे ही खड़े रहोगे या हमें अन्दर भी आने दोगे." और ये कहकर वो पूजा की तरफ देखकर जोर से खिखिअकर हंस दी. मैं साइड हो गया, पूजा ने अन्दर जाते हुए मुझे मुस्कुराके धीरे से हाई बोला, मैं तो उसकी सफेद शर्ट में फंसी हुई चूचियां ही देखता रह गया, जो शर्ट फाड़कर बाहर आने को तैयार थी, मैंने मन में सोचा ये लडकियां इतना भार अपने सीने पर संभालती कैसे हैं?.
अन्दर जाकर दोनों ने चेंज किया ,डिन्नर के टाइम में दोनों स्कूल, बोयस, मूवीज़ और आने वाली छुट्टियों के बारे में ही बातें करते रहे, फिर दोनों अपने रूम में चले गए, मैंने जल्दी से जाकर छेद से देखा तो दोनों बेड पर बैठकर पढाई कर रहे थे, मैं वापिस आकर लेट गया...उसके बाद कई बार चेक किया पर हर बार उन्हें पड़ते हुए ही पाया.
१ घंटे बाद मम्मी पापा ने सबको गुड नाईट बोला और अपने कमरे में सोने चले गए, मैंने फिर से छेद में देखा तो पाया की दोनों अपनी किताबें समेट रही हैं, फिर थोड़ी देर बैठकर बातें करने के बाद ऋतू ने धीरे से अपना गाउन खोल दिया ...लेकिन आज उसने अन्दर ब्रा और पेंटी पहन रखी थी, फिर पूजा ने भी अपनी टी शर्ट और केप्री उतार दी, उसने अन्दर ब्लैक कलर का सेट पहन रखा था. फिर दोनों ने बारी बारी से बाकी बचे कपडे भी उतार दिए, मेरी नजर अब सिर्फ पूजा पर ही थी, क्या ग़जब के चुचे थे यार..एकदम गोल-२ और तने हुए ऐसा लग रहा था जैसे कोई ताकत उन्हें ऊपर खींच रही है, और वो तन कर खड़े हुए हैं, उसके निप्पलस डार्क ब्लैक कलर के थे और एरोहोले काफी बड़े और फैले हुए थे, पेट एकदम सपाट, नाभि अन्दर की और घुसी हुई, चूत पर हलके - २ काले रंग के बाल थे, मोटी टाँगे और कासी हुई पिंडलियाँ, वो पलटी तो उसकी गांड देखकर ऐसा लगा की कोई गद्दा फिट किया हुआ हाई साली ने अपनी गांड में....मैंने एक मिनट में ही उसकी बॉडी का एक्सरे कर डाला, मेरा पप्पू अपने फुल मूड में आ चूका था.
ऋतू ने बेड के नीचे से अपना काला डिल्डो निकाला और मुंह में चूस कर पूजा को दिखाया, फिर दोनों हंसने लगी, ऋतू बेड पर लेट गयी और अपनी उँगलियों से अपनी चूत मसलने लगी, फिर पूजा लेटी और वो भी अपनी उंगलियाँ अपनी चूत में डालकर आँखें बंद करके मजे लेने लगी, उसकी चूत के अन्दर की बनावट मुझे साफ़ नजर आ रही थी, वो भी एकदम गुलाबी रंग की थी, थोड़ी फूली हुई, लेटने से उसकी गांड का छेद भी दिखाई दे रहा था, भूरा और एकदम टाईट
दोनों सिस्कारियां ले लेकर अपनी उंगलियाँ अपनी चूत में डाल रही थी.
फिर ऋतू ने डिल्डो उठाया और अपनी चूत में डालकर तेजी से अन्दर बाहर करने लगी, पूजा अभी भी अपनी उँगलियों से मजे ले रही थी, थोड़ी देर बाद ऋतू ने अपने रस से भीगा हुआ डिल्डो पूजा की चूत में लगाया, उसने आँखे खोली और साँसे रोककर ऋतू की तरफ देखा, ऋतू आगे बड़ी और अपने होंठ पूजा के खुले हुए लबों पर रख दिए, दोनों एकदम गीले थे, फिर ऋतू ने एक ही झटके में पूरा डिल्डो पूजा की नाजुक चूत में उतार दिया, उसकी आँखें बाहर की और निकल आई और वो छत्पटाने लगी, पर ऋतू ने उसके होंठ जकड़े हुए थे तो उसकी सिर्फ गूऊऊओ.गूऊऊऊऊ की आवाज ही सुनाई दी.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और जोर जोर से मुठ मारने लगा.
फिर ऋतू ने उसके होंठ छोड़ दिए, वो एकदम लाल हो चुके थे, उसके खुले मुंह से एक लार निकल कर उसके चुचे पर गिर गयी, ऋतू थोडा झुकी और पूजा की लार के साथ साथ उसके चुचे भी चाटने लगी, बड़ा ही कामुक द्रश्य था, पूजा अपने निप्पलस पर हुए इस हमले से मचलने लगी, उसके निप्पलस एकदम सख्त हो चुके थे, और लगभग एक इंच बाहर नजर आ रहे थे.
फिर ऋतू ने अपना पूरा ध्यान पूजा की चूत में लगा दिया, वो तेजी से डिल्डो अन्दर बाहर करने लगी, थोड़ी ही देर में एक आनंदमयी सीत्कार के साथ पूजा झड़ने लगी, उसका शरीर कांपते हुए चूत के जरिये अपना अनमोल रस छोड़ने लगा.
पूजा ने ऋतू का हाथ पकड़कर उसे रोक दिया, डिल्डो अभी भी पूजा की चूत में धंसा हुआ था, और पूजा का रस चूत में से रिस रहा था, ऋतू ने उसे निकाला और उसपर लिपटा हुआ जूस लपलपाकर चाटने लगी, फिर वोही डिल्डो अपनी चूत में डालकर पूजा के मुंह के आगे कर दिया, वो भी उसे चाटने लगी, तब तक ऋतू बेड पर उसी पोज़ में लेट गयी, अब पूजा ने धीरे -२ पूरा डिल्डो ऋतू की चूत में उतार दिया, वो भी उसके मजे लेने लगी, वो पहले से ही उत्तेजित थी तो झड़ने में ज्यादा वक़्त नहीं लगा, झड़ते ही उसने झटके से पूजा की गर्दन पकड़ी और एक गहरा चुम्बन उसके होंठो पर जड़ दिया. पूजा ने डिल्डो निकाल कर उसे चाटना शुरू कर दिया, रस ख़तम होने के बाद फिर से उसने चूत में डिल्डो डुबाया और चाटने लगी, जैसे चटनी के साथ समोसा खा रही हो.
थोड़ी देर बातें करने के बाद दोनों बेड पर लेट गयी और एक दुसरे की चूत पर हाथ रखकर उसे मसलने लगी, दोनों की आँखें बंद थी, फिर ऋतू धीरे से उठी और सीधे पूजा की चूत पर अपना मुंह लगा दिया.
उसने पूजा की दोनों जांघे पकड़ रखी थी पूजा ने ऋतू के बालों में अपनी उंगलियाँ फंसा दी और बेड पर जल बिन मछली की तरह तड़पने लगी, ऋतू उसकी चूत नीचे से ऊपर तक चाट रही थी, और फिर अपनी जीभ से उसकी चूत कुरेदने लगी, पूजा अपने कुल्हे हवा में उठा कर सिसकारी ले रही थी,
आआआआआअ.रीईईईइतूऊऊऊउ मैं माआआआआआर गैईईईईईईईई ..... आआआआआआआआआआह्ह्ह ......जूऊऊऊऊऊऊर्र्र्र सीईईईईईईईईई ......अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह !!!!!!!!!!!!!!!!हाआआआआन हाआआआआआन चाआआतो मेरीईईईइ चूऊऊऊऊओत ... आआआआआह.
और फिर वो झड़ने लगी.
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12-13-2020, 02:36 PM,
#10
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
ऋतू ने सारा रस ऐसे पिया जैसे कोक पी रही हो, और फिर वो खड़ी हो गयी, उसका पूरा चेहरा भीगा हुआ था.
पूजा का चेहरा एकदम लाल सुर्ख हो गया था, आँखें नशे में डूबी हुई लग रही थी, और वो होले से मुस्कुरा रही थी.
फिर उसने ऋतू को धक्का देकर बेड पर लिटाया,
पूजा अब ऋतू के सामने आकर लेट जाती है, उसकी पाव रोटी जैसी फूली हुई चूत देखकर उसके मुंह में पानी आ जाता है, वो थोडा झुकती है और चूत के चारो तरफ अपनी जीभ फिराने लगती है, पर ऋतू की वासना की आग इतनी भड़की हुई थी की वो उसका मुंह पकड़ कर सीधे अपनी चूत पर लगा देती है, पूजा भी समझ जाती है और अपनी जीभ ऋतू की चूत में डाल कर उसे चूसने लगती है, ऋतू के मुंह से आआआआअह आआआआआह की आवाजें निकलने लगती है, उसका एक हाथ पूजा के सर के ऊपर और दूसरा अपनी चुचियों को मसलने में लग जाता है, वो अपने निप्पलस को बुरी तरह से मसल रही थी जिसकी वजह से वो पिंक कलर से रेड कलर में बदल गए थे...वो तेजी से अपने चर्मोकर्ष पर पहुँचने वाली थी......आआआआआआआआह .....mmmmmmmmmmmm.. माआआआर दाआआआआआआआ .......... और तेज...... और तेज......हाँ चाआआआअत मेरीईईई चूऊऊऊऊऊउत ...... हाआआआआआआआअ.
और वो तेजी से झड़ने लगती है. पूजा को काफी रस पीने को मिला. मेरे मुंह में भी पानी आने लगा...और लंड में भी....मैं जल्दी से अपने लंड को झटके देने लगा और आखिर मैंने भी ४-५ लम्बी धार अपनी अलमारी के अन्दर मार दी.
फिर थोड़ी देर माद दोनों नंगी ही चादर के अन्दर घुस गयी और अपनी लाइट बंद कर दी.
मैं थोड़ी देर वहीँ खड़ा रहा पर जब लगा की अब कुछ और नहीं होगा तो अपने बेड पर आकर लेट गया.
अगले दिन सुबह दोनों को नाश्ते की मेज़ पर देखकर ऐसा नहीं लगा की दोनों इस तरह की है, दोनों ने नाश्ता किया और स्कूल चली गयी मैं भी कालेज गया और सारा दिन दोनों के बारे में सोचता रहा, शाम को घर पहुंचकर ऋतू का इंतज़ार करने लगा,
वो स्कूल से आते ही सीधे मेरे रूम में घुसी और मुझसे लिपट गयी... और मुझसे पुछा..."तुमने देखा...कैसा लगा...मजा आया के नहीं...बोलो न."
"अरे हाँ, मैंने देखा, और बहुत मजा आया"
"हाइ... मैं तुम्हे क्या बताऊँ, पूजा की चूत का रस इतना मीठा था के मजा आ गया.." और मेरे लंड पर हाथ रखकर बोली "पर इसका कोई मुकाबला नहीं हा हा .."
"क्या तुम्हे देखने में अच्छा लगा" उसने आगे पूछा.
"हाँ, मेरा मन तो कर रहा था की काश मैं तुम्हारे रूम में होता, तुम्हारे साथ."
"कोन जाने , शायद एक दिन तुम भी वहां पर हो, हम दोनों के साथ" उसने एक रहस्यमयी मुस्कान के साथ कहा.
"तो क्या मैं सन्नी और विकास को बुला लूं तुम दोनों का शो देखने के लिए, तुम्हे कोई आपत्ति तो नहीं है न ?"
ऋतू : "तुम कितना चार्ज करोगे उनसे"
मैं : "१००० एक बन्दे से, यानी टोटल दो हजार रूपए पर शो"
ऋतू : " पर अब हम दो लोग हैं, क्या तुम्हे नहीं लगता की तुम्हे ज्यादा चार्ज करना चाहिए"
मैं : "हाँ, बात तो सही है, कितने बोलू उनको...पंद्रह सो ठीक है क्या..?"
ऋतू :"हाँ १५०० ठीक हैं.."
मैं : "तो ठीक है, अगला शो कब का रखे, पूजा कब आ सकती है दुबारा तुम्हारे साथ रात को रुकने के लिए ?"
ऋतू :"उसको जो मजे कल रात मिले है, मैं शर्त लगा कर कह सकती हूँ, वो रोज रात मेरे साथ बिताने के लिए तैयार होगी.." और वो हंसने लगी.
ऋतू :"मुझे भी एक आईडिया आया है, जिससे हम और ज्यादा पैसे कम सकते हैं"
मैं :" कैसे"
ऋतू :"अगर मैं भी अपनी फ्रेंड्स को अपने रूम में बुलाकर तुम्हे मुठ मारते हुए दिखाऊं तो..... "
मैं :"मुझे मुठ मारते हुए...इसमें कौन रूचि लेगा.."
ऋतू :"जैसे तुम लड़के, लड़कियों को नंगा देखने के लिए मचलते रहते हो, वैसे ही हम लड़कियां भी लडको के लंड के बारे में सोचती हैं और उत्तेजित होती हैं , अगर कोई लड़की तुम्हे मुठ मारते हुए देखे तो इसमें तुम्हे क्या आपत्ति है ?"
मैं :" लेकिन ये तुम करोगी कैसे"
ऋतू :" मैं कल पूजा को अपने साथ लेकर ४ बजे घर आउंगी, तुम ३:३० पर ही आ जाते हो, तुम ठीक ४:०० बजे मुठ मारनी चालू कर देना, मैं उसको बोलूंगी की मेरा भाई रोज ४:०० बजे अपने रूम में मुठ मारता है, और मैं इस छेद से रोज उसको देखती हूँ, मुझे विश्वास है की वो भी तुम्हे देखने की जिद करेगी तब मैं उससे पैसो के बारे में बात करके तुम्हे मुठ मारते हुए दिखा दूँगी....क्यों कैसी रही??"
मैं :" वाह मैं तो तुम्हारी अक्ल का कायल हो गया...तुम तो मुझसे भी दो कदम आगे हो"
ऋतू : "आखिर बहन किसकी हूँ हा हा ..."
मैं : "और तुम उससे कितना चार्ज करोगी?"
ऋतू : "वोही...एक हजार रूपए, ठीक है ना .."
मैं : "ठीक है..."
ऋतू : "और फिर रात को सन्नी और विकास भी आ सकते हैं और वो दोनों, हम दोनों को देखने के ३००० हजार रूपए अलग से तुम्हे देंगे...तो हम एक दिन में चार हजार रूपए कमा सकते हैं"
मैं तो अपने दिमाग में हिसाब लगाना शुरू किया की ४००० एक दिन के, हफ्ते में 2 बार, अगर लड़के या लडकियां बढती हैं तो ज्यादा भी हो सकते है, और इस तरह से १ महीने में कितना हुआ....शायद कैलकुलेटर की मदद लेनी होगी.."
ऋतू : "अरे क्या सोचने लगे"
मैं :"कुछ नहीं...कुछ नहीं"
ऋतू :"वैसे एक बात बताऊँ, मुझे काफी एक्साईटमेंट हो रही थी की तुम मुझे छेद से वो सब करते हुए देख रहे हो, काफी मजा आ रहा था "
मैं : "मुझे भी काफी मजा आ रहा था, मेरा लंड तो अभी भी कल की बातें सोचकर खड़ा हुआ है"
ऋतू : "अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारा लंड चूस सकती हूँ"
मैं : "अभी....मम्मी पापा आने वाले हैं, तुम मरवाओगी "
ऋतू : "अरे इसमें ज्यादा वक्त नहीं लगेगा...प्लीज़ ...अपना लंड निकालो न..जल्दी"
मैंने जल्दी से अपनी पैंट नीचे उतारी और ऋतू झट से मेरे सामने घुटनों के बल बैठ गयी, मेरा अंडरवीयर एक झटके में नीचे करके मेरे फड़कते हुए लंड को अपने नरम हाथों में लेकर ऊपर नीचे किया और फिर उसे चूसने लग गई, उसकी बेकरारी और मेरी उत्तेजना लायी और सिर्फ एक मिनट में ही मैंने एक के बाद एक कई पिचकारी उसके मुंह में उतार डाली.
वो उठी और अपना मुंह साफ़ करी हुई बोली "मुझे तो तुम्हारा वीर्य ने अपना दीवाना ही बना दिया है..और फिर मेरे लंड को पकड़ कर मेरे चेहरे पर अपनी गरम साँसे छोडती हुई बोली "आगे से तुम इसे कभी व्यर्थ नहीं करोगी...समझे न."
मैंने हाँ में गर्दन हिलाई.
मैं : "अगर तुम चाहो तो बाद मैं मैं भी तुम्हारी चूत चूस सकता हूँ " मैंने धीरे से कहा.
ऋतू : "तुमने तो मेरे दिल की बात छीन ली...मैं रात होने का इन्तजार करुँगी."
मैं : "मैं भी रात होने का इन्तजार करूँगा ...बाय"
ऋतू : "बाई"
रात को खाना खाने के बाद सब अपने-अपने रूम में चले गए, मैं अपने बेड पर लेटा हुआ सोच रहा था की पिछले कुछ दिनों में, मैं और ऋतू एक दुसरे से कितना खुल गए हैं, लंड-चूत की बातें करते हैं,मुठ मारना एक दुसरे को नंगा देखना और छूना कितना आसान हो गया है. मैं अपनी इस लाइफ से बड़ा खुश था.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसे मसलना शुरू कर दिया, मुझे ऋतू का इन्तजार था, मुझे ज्यादा इन्तजार नहीं करना पड़ा, करीब पंद्रह मिनट में ही वो धीरे से मेरे कमरे का दरवाजा खोल कर अन्दर आ गयी और मुझे अपना लंड हिलाते हुए देखकर चहक कर बोली.
"वाह, तुम तो पहले से ही तैयार हो, लाओ मैं तुम्हारी मदद कर देती हूँ"
मैं : "पर मैंने कहा था की मैं तुम्हारी चूत चुसना चाहता हूँ..!"
ऋतू :"कोई बात नहीं, तुम मेरी चूत चुसो और मैं तुम्हारा लंड, हम 69 की पोज़ीशन ले लेते हैं."
मुझे ये आईडिया पसंद आया.
ऋतू ने जल्दी से अपना गाउन खोला, हमेशा की तरह आज भी वो अन्दर से पूरी तरह से नंगी थी, उसके भरे हुए मुम्मे और तने हुए निप्पल्स देखकर मेरे लंड ने एक-दो झटके मारे, और मैंने नोट किया की आज उसकी चूत एकदम साफ़ थी, चिकनी.
शायद उसने आज अपनी चूत के बाल साफ़ किये थे... मेरे तो मुंह में पानी आ गया.
वो झुकी और अपने गीले मुंह में मेरा लंड ले लिया और अपनी टाँगे उठा कर घुमाते हुए, जैसे कोई घोड़े पर चढ़ रहा हो, बेड पर फैलाई और उसकी चूत सीधे मेरे खुले हुए मुंह पर फिक्स हो गयी, उसके मुंह में मेरा लंड था पर फिर भी उसके मुंह से एक लम्बी सिसकारी निकल गयी, उसकी चूत जल रही थी, एकदम गरम, लाल, गीली, रस छोडती हुई...मैं तो अपने काम में लग गया, उसकी चूत के लिप्स को अपनी उँगलियों से पकड़ के मैंने अन्दर की बनावट देखी, उबड़ खाबड़ पहाड़ियां नजर आई, और उन पहाड़ियों से बहता हुआ उसका जल...मैंने अपनी लम्बी जीभ निकाली और पहाड़ियां साफ़ करने में लग गया, पर जैसे ही साफ़ करता और पानी आ जाता...मैं लगा रहा...लगा रहा..साथ ही साथ मैं अपनी एक ऊँगली से उसकी क्लिट भी रगड़ रहा था.
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