Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
12-13-2020, 02:54 PM,
#81
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
"इसे लंड कहते हैं..." ऋतू ने उसके चेहरे के पास अपना मुंह लेजाकर कहा और उसकी चूत पर अपना हाथ रख दिया.
"म्मम्मम्म....मुझे पता है...ये लंड होता है..." और उसने अपनी चूत पर रखा ऋतू का हाथ अपने हाथों के नीचे दबा दिया और बहकती हुई आवाज में बोली "और इसे चूत कहते हैं....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह " और वो सिस्कारियां लेने लगी.
मुझे पता नहीं था की ये चुहिया सी दिखने वाली लड़की इतनी गर्म भी हो सकती है..ये गर्म है तभी तो इतनी आसानी से हमारी बातों में आकर तड़प रही है. मजा आएगा इसकी चूत मारकर...ये सोचते हुए मैं मुस्कुरा उठा.
ऋतू ने उससे पूछा "अच्छा एक बात बताओ...क्या अपने बॉय फ्रेंड के आलावा भी तुमने किसी के साथ सेक्स किया है...या करना चाहती हो.."
सुरभि ने झट से अपनी आँखें खोली और ऋतू की तरफ देखने लगी, वो शायद कुछ सोच रही थी ..
वो धीरे से बोली "दरअसल...ये मेरा दूसरा बॉय फ्रेंड है, पर सेक्स मैंने पहली बार इसके साथ ही किया था, मेरा पहला बॉय फ्रेंड तो सिर्फ बाते करने में, मूवी दिखाने और खिलाने पिलाने में ही लगा रहता था, जबकि मेरी दूसरी सहेलियों के बॉय फ्रेंड उनके साथ सेक्स के पुरे मजे लेते थे, जिसे सुनकर मुझे कुछ होने लगता था, इसलिए मैंने उस चुतिया को छोड़ दिया और अपनी सहेली के एक पुराने बॉय फ्रेंड के साथ, जिसने मेरी सहेली की काफी चुदाई करी थी, दोस्ती कर ली..और तब से मैंने जाना की इतने समय तक मैं किस मजे से महरूम रही थी..हमने लगभग हर जगह चुदाई की है, उसके घर पर, हमारे कॉलेज में, क्लास में, कार में, और कई बार अपने घर में भी जब मम्मी पापा नहीं होते...पर मैंने कई बार अपने भाई को, जिसे मेरे बॉय फ्रेंड के बारे में सब पता है, अपनी तरफ तरसती नजरों से देखते हुए देखा है...और सच कहूँ तो मैं भी कई बार ये सोचती हूँ के उसके साथ भी.....पर वो मेरा भाई है ये सोचकर मैं कुछ कर नहीं पाती...पर तुम लोगो को देखकर लगता है की मुझे भी एक बार उसके साथ ट्राई करना ही चाहिए.." उसने लगभग अपने सारे राज हम दोनों के सामने खोल दिए.
इस पूरी बातचीत के दोरान उसने अपना हाथ मेरे लंड से नहीं हटाया.
ऋतू भी उसकी चूत की मालिश उसके पायजामे के ऊपर से करने में लगी हुई थी.
मैं समझ गया की ये चिड़िया तो अब चुदी ही समझो.
मैंने एक हाथ ऊपर करके उसके निप्पल को पकड़ लिया..उसके निप्पल के नीचे कुछ नहीं था, नाम मात्र के चुचे थे उसके, पर निप्पल बड़े - 2 थे, मैंने उन्हें अपनी उँगलियों से उमेठना शुरू कर दिया, उसने आनंद के मारे अपनी आँखें बंद कर ली और मेरे हाथ को पकड़कर अपनी छाती पर दबाने लगी.
मैंने उसके सर के पीछे हाथ रखकर अपनी तरफ खींचा, वो किसी चुम्बक की तरह मेरी तरफ खींचती चली आई और मेरे मुंह के ऊपर आकर मेरे होंठों को बड़ी ही बेदर्दी से चबाने लगी..मैंने इतने जंगलीपन की कल्पना भी नहीं की थी उससे..
उसका एक हाथ मेरे लंड पर टिका था और दूसरा मेरे सर के ऊपर..
उसके मुंह का स्वाद बड़ा ही मीठा था, उसके होंठों से निकलता रस किसी बंगाली मिठाई की याद दिला रहा था..मैं भी अपनी पूरी ताकत से उसके नर्म और गर्म होंठों को चूसने में लग गया.
पीछे बैठी ऋतू ने सुरभि की टी शर्ट को पकड़ कर ऊपर उठाया और उसके गले से निकाल दिया.
अब वो ऊपर से नंगी थी.
मैंने उसकी छाती की तरफ देखा, वो बिलकुल सपाट थी, पर उसपर उगे काले निप्पल बड़े ही दिलकश लग रहे थे..मुझसे सब्र नहीं हुआ और मैंने उसे अपनी तरफ खींचा और उसके मोटे निप्पल को अपने मुंह में डाल लेकर चूसने लगा.
उसके शरीर में जैसे एक करंट सा दौड़ गया, वो अपनी चूत को मेरी जाँघों से घिसने लगी, जिसकी वजह से मुझे उसकी चूत से निकलते पानी का एहसास हुआ. वो लगभग लेट सी गयी थी.
ऋतू ने उसके पायजामे को नीचे से उतार दिया, उसने नीचे चड्डी भी नहीं पहनी हुई थी, मैंने नीचे देखा तो उसकी चूत की हालत देखकर मुझे उसपर तरस आ गया, वो बिलकुल भीग चुकी थी और चुदने के लिए मानो भीख मांग रही थी. उसकी चूत की बनावट बड़ी ही सुन्दर थी, हलके-२ बाल थे उसपर, बिलकुल नयी नवेली सी चूत थी, उसे देखकर मुझे सोनी की चूत की याद आ गयी, वो भी बिलकुल ऐसी ही थी...
सुरभि के मुंह से लार निकल रही थी, जो मेरे सीने पर आकर गिर रही थी, वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी. वो नीचे झुकी और मेरे लंड को अपने मुंह में डालकर चूसने लगी.
वो बीच-२ में मेरे लंड को काट भी रही थी.
ऋतू आराम से पीछे बैठकर हम दोनों की गुथम गुथा देख रही थी.
मैंने अपना एक हाथ उसकी चूत पर रखा, मुझे लगा की मेरा हाथ झुलस जाएगा, इतनी गर्मी निकल रही थी वहां से. मैंने देर करना उचित नहीं समझा और उसे घुमा कर अपनी तरफ कर लिया, वो समझ गयी की चुदने का टाइम आ गया है, वो मुझ से ज्यादा व्याकुल थी अपनी चूत मरवाने के लिए , उसने बिना कोई वक़्त गंवाए मेरे लंड को पकड़ा और उसे अपनी चूत के दरवाजे पर रखकर एक तेज झटका मारा और मेरा आधे से ज्यादा लंड अपनी चूत में ले गयी..
अह्ह्ह्हह्ह ओह्ह्ह्हह्ह मर्र्र गयी रे....वो इतने जोर से चिल्लाई की मुझे लगा शायद नीचे तक आवाज गयी होगी..
ऋतू ने उसके मुंह पर हाथ रख दिया और बोली..."धीरे बोलो...तुम तो मरवाओगी .."
"मैं क्या करूँ...जब भी लंड मेरी चूत में जाता है तो मेरे मुंह से बड़ी तेज आवाजें निकलती हैं...ये मेरे बस में नहीं है..मैं क्या करों...अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह " वो फिर से उतनी ही जोर से चिल्लाई..सेक्स के पुरे मजे लेने वाली लोंडिया थी वो..
मुझे भी अब डर लगने लगा, मम्मी पापा की तो कोई बात नहीं , अगर मौसी ने उसकी आवाज सुन ली तो क्या होगा.. मैंने उसे अपने तरफ खींचा और उसके होंठों को अपने मुंह में दबाकर चूसने लगा, ताकि उसकी आवाज बाहर ना जाए.मैंने नीचे से एक तेज झटका मारा और अपना पूरा लंड उतार दिया अपनी मौसेरी बहन की चूत में. उसकी आँखें बाहर की तरफ निकल आई, उसकी चूत में शायद इतनी अन्दर आज तक कोई लंड नहीं गया था. मेरे मुंह में फंसकर भी उसकी आवाज काफी तेज निकल रही थी, पर पहले से थोडा कम थी. वो मेरे मुंह को चूसते हुए चिल्ला रही थी.
अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फो फ्फ्फोफ़ फ फ़ो फोफ फ ऑफ़ फ फफफफ फफफफ गग्ग ग गग्ग गम्मम्मम्म ...
मैंने एक हाथ पीछे करके उसकी गांड के छेद में अपनी ऊँगली डाल दी ..
मेरा इतना करते ही जैसे उसकी चूत में रखा गर्म पानी का गुब्बारा फट गया और वो जोर जोर से चिल्लाती हुई मेरे लंड पर झड़ने लगी.. मैंने अपने हाथ से उसका मुंह दबाया और उसकी चीख दबाई.
मेरे लंड पर जैसे किसी ने पानी का डब्बा खली कर दिया हो..इतना झड़ी थी सुरभि आज. जैसे ही मैं झड़ने के करीब आया, वो चिल्लाई.."नहीं मेरे अन्दर नहीं..." मैं समझ गया की वो प्रेग्नेंट होने के डर से ऐसा कह रही है, मैंने झट से उसे अपने लंड से उतारा.
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12-13-2020, 02:54 PM,
#82
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उसने एक्दम मेरे लंड को अपने मुंह में भरकर चुसना शुरू कर दिया..जल्दी ही मैंने एक के बाद एक कई धारे उसके मुंह में छोडनी शुरू कर दी, वो मेरा सारा माल चाट कर गयी..
पीछे बैठी ऋतू ने ताड़ी मारकर उसकी चुदाई की प्रशंसा की.
उसके बाद सुबह 5 बजे तक मैंने दो बार और ऋतू और सुरभि की चूत मारी और अंत में थक हारकर मैं वापिस अपने कमरे में आकर सो गया.
*****

अगली सुबह मैं जल्दी ही उठ गया, मैंने देखा की अयान अभी तक खर्राटे भर रहा है, मैंने टाइम देखा तो 8 बजने वाले थे, मैं उठा और छेद में से दुसरे कमरे का हाल देखा, मुझे विश्वास नहीं हुआ जो मैंने वहां देखा, ऋतू और सुरभि 69 के पोस में लेटी हुई एक दुसरे की चूत चाट रही थी..
एक ही रात में काफी खुल गयी थी सुरभि हमारे साथ..
मैं अचरज में पड़ गया, क्योंकि मैं वहां से सुबह 5 बजे के आस पास ही वापिस आया था और मुझे लगा की वो दोनों अब तक घोड़े बेच कर सो रही होंगी..
मैं झट से दरवाजा खोल कर उनके कमरे में गया.
वहां सेक्स का आखिरी दौर चल रहा था, मेरे पहुँचते ही ऋतू के साथ साथ सुरभि ने भी अपना रस छोड़ दिया.. और इस बार भी सुरभि अपने ओर्गास्म के होते ही बड़े जोर से चिल्लाई..
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फो फूऊफ ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ्फ़ अह्ह्हह्ह्ह्ह यीईईइ उसकी चीख बड़ी ही तेज थी..मैं घबरा गया.. मैं झट से उसके पास पहुंचा और उसका मुंह दबा कर उसे शांत किया.. पर तब तक बहुत देर हो चुकी थी.
उसकी आवाज सुनकर मम्मी भागकर ऊपर आ गयी. उन्हें लगा की किसी को करंट लगा है..
कमरे में पहुँचते ही उन्होंने देखा की ऋतू बेड पर लेती हुई है और सुरभि अपनी चूत उसके मुंह पर रखे उसकी चूत को चूस रही है, और मैंने सुरभि के मुंह को दबा रखा है. मम्मी को देखते ही सुरभि की सिट्टी पिट्टी ग़ुम हो गयी..
मम्मी सारा माजरा समझ गयी.
शुक्र है और किसी और ने सुरभि की आवाज नहीं सुनी. मम्मी अन्दर आ गयी और उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया.
सुरभि की हालत देखने वाली थी. मम्मी ने मुस्कुराते हुए बेड के पास आकर मेरे सर पर हाथ फेरते हुए कहा "तो ये सब चल रहा है...और तुमने इस बेचारी सुरभि को भी अपने खेल में शामिल कर लिया.."
सुरभि अपनी मौसी के इस रवेय्ये को देखकर हैरान थी.
मैंने उसकी परेशानी दूर की..
मैंने कहा "देखो सुरभि, तुम परेशान मत हो, मैंने तुमसे कहा था न की हमारे परिवार में किसी तरह की कोई रोक टोक नहीं है, इसलिए हम सभी एक दुसरे के साथ एन्जॉय करते हैं..और ये कहते हुए मैंने मम्मी को अपनी तरफ खींचा और उनके होंठों को चूसते हुए उनके दांये मुम्मे को सूट के ऊपर से ही दबाने लगा. मम्मी ने मेरा पूरा साथ दिया और अपनी बहन की बेटी की परवाह न करते हुए मेरा लंड पकड़कर उसे दबाने लगी.
सुरभि सब समझ गयी की हमारे घर में क्या क्या चलता है.
मैंने मम्मी के होंठो को चूसते हुए उनके कुर्ते को नीचे से पकड़कर उतारने लगा तो उन्होंने रोक दिया "अरे नहीं आशु...अभी नहीं, नीचे सब उठने ही वाले हैं..बाद में करेंगे..." पर मैंने उनकी एक न सुनी और उनका कुरता उतार दिया.
ऋतू पीछे बैठ गयी और सुरभि ऑंखें फाड़कर हमारा खेल देख रही थी.
मैंने मम्मी की ब्रा के हुक खोल दिए और उनके लोटे लुडक कर बाहर आ गए, मैंने झट से उनके दानो पर कब्ज़ा कर लिया. मैंने नोट किया था की मम्मी को सुबह -२ सेक्स करने में बड़ा मजा आता है, कल भी उन्होंने मेरे कमरे में जो सेक्स किया था, मुझे अभी तक याद था उनका उतावलापन.
इसलिए उन्होंने ज्यादा विरोध नहीं किया आज भी, जबकि उनकी भांजी उनके सामने बैठी थी, पर उन्हें तो सिर्फ अपनी चूत में हो रही खुजली की चिंता थी. मम्मी के बड़े-२ चुचे देखकर सुरभि हैरान रह गयी, उसने इतने बड़े चुचे कभी नहीं देखे थे.
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12-13-2020, 02:54 PM,
#83
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैंने उन्हें दबाना, चुसना, काटना शुरू किया और मम्मी ने मचलना, तड़पना और सिसकना.
मैंने उन्हें बिस्तर पर गिरा दिया और उनकी लास्टिक वाली पायजामी उतार डाली, और उसके बाद उनकी काली पेंटी भी..
मम्मी की महकती हुई चूत मेरे सामने थी, मैंने झट से अपना मुंह उनकी चूत में डाल दिया और सुबह का नाश्ता करने लगा.
मम्मी की आँखें बंद थी और वो धीरे-२ सिस्कारियां लेती हुई मेरे सर के बालों में अपनी उँगलियाँ घुमा रही थी. स्सस्सस्स म्मम्मम्मम अह्ह्ह्हह्ह ओयीईई .......
ऐसे ही बेटा....अह्ह्ह्हह्ह और तेज चुसो...हन्न्न्न वहीँ पर......शाबाश,.,अह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्म
सुरभि बिलकुल मम्मी के सर के पास बैठी हुई थी, उसने इतना कामुक दृश्य नहीं देखा था और ना ही माँ बेटे का ऐसा प्यार.
मेरे चाटने से मम्मी के मोटे मुम्मे बुरी तरह से हिल रहे थे, मेरे मुंह के हर झटके से उनके मोटे गुब्बारे ऊपर होते और फिर नीचे..
उन्हें हिलता हुआ देखकर सुरभि के मुंह में पानी आ गया और वो सम्मोहित सी होकर उनपर झुक गयी और अपनी मौसी के दांये मुम्मे को मुंह में भरकर उसे चूसने लगी..
मम्मी ने जैसे ही सुरभि के होंठों को अपनी छाती पर महसूस किया तो उनके आनंद की सीमा न रही उन्होंने अपनी ऑंखें खोली और सुरभि को अपने सीने पर और तेजी से दबा कर उसे अपना दूध पिलाने लगी.
ऋतू भी उठ खड़ी हुई और दूसरी तरफ से आकर मम्मी के बाएं मुम्मे पर अपना मुंह लगा कर उसे चूसने लगी. अब चीखने की बारी मम्मी की थी.
हय्य्यय्य्यय्य्य्य अह्ह्हह्ह्ह्हह्हssssssssssssssssssssss स्स्स्सस्स्स्स.........म्मम्मम्मम्म
उन्हें इतनी तेज चीखता पाकर मैं फिर से डर गया..पर मम्मी को अपनी गलती का एहसास हुआ और उन्होंने खुद पर काबू पाकर ऋतू और सुरभि के सर अपने मुम्मों पर और तेजी से दबा डाले. मैं नीचे से उनकी चूत का रस पी रहा था और ऊपर से वो दोनों उनका दूध.
मम्मी से और सब्र नहीं हुआ और वो उठी और घोड़ी बन कर अपनी गांड हवा में उठा दी और पीछे देखकर बोली..."आ जा बेटा...अब सहन नहीं होता...डाल दे अपनी माँ की चूत में अपना लंड...प्लीस....." वो तड़प सी रही थी..
मैंने उन्हें तडपना उचित नहीं समझा और अपना लंड उनकी चूत के पास लेजाकर रखा, बाकी काम मम्मी ने कर दिया, पीछे की तरफ धक्का लगाकर और निगल गयी एक ही बार में मेरे पुरे लंड को.. मम्मी के दोनों तरफ बैठी हुई ऋतू और सुरभि हमारी चुदाई को देख रही थी..
मेरे मन में अपनी एक और इच्छा पूरी करने की बात आई. मैंने ऋतू और सुरभि को इशारे से मम्मी की ही तरह गांड उठा कर लेटने को कहा.
वो दोनों भी मम्मी के दोनों तरफ उनकी ही तरह घोड़ी बन कर लेट गयी.
मैंने उन दोनों की चूत के अन्दर अपनी उँगलियाँ डाल दी और तेजी से हिलाने लगा.
मेरी उँगलियाँ ऋतू और सुरभि को चोद रही थी और मेरा लंड मम्मी की चूत को. अचानक मैंने अपना लंड मम्मी की चूत से बाहर निकाल लिया.
मम्मी ने हैरानी से पीछे मूढ़ कर देखा, मैंने उनकी चूत में अपनी उँगलियाँ डाल दी और अपना लंड सुरभि की चूत में सटाया और एक तेज झटका मारा. अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्मम्म और उसने भी मेरा लंड निगल लिया अपनी चूत में. अब मैं सुरभि की चूत को पीछे से मार रहा था.
15 - 20 झटकों के बाद मैंने उसकी चूत से भी लंड बाहर निकला और ऋतू के पास जाकर उसकी अधीर सी चूत में पेल दिया.. मेरे सामने तीन चूतें थी जो हवा में अपनी मोटी गांड उठाये मेरे लंड का इन्तजार कर रही थी. मैं बारी-२ से तीनो की चूत मार रहा था.
सच में इतना मजा तो आज तक नहीं आया था मुझे.
जल्दी ही मम्मी ने आवाजें निकालनी शुरू कर दी, मैं समझ गया की वो झड़ने वाली हैं.
"अह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ऑफ अह्ह्ह बेटा ऐसे ही औउ और तेज बेटा...मार अपनी माँ की चूत हान्न्न ......हन्न्न्नन्न अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्म " और उन्होंने मेरे लंड पर अपना सफ़ेद लिसलिसा पानी छोड दिया...
मैंने अपना लंड बाहर निकला और ऋतू की चूत में तब तक घिसा जब तक उसकी चूत का जिन्न पानी बनकर बाहर नहीं आ गया.. वो भी चिल्लाती हुई मेरे लंड को भिगोने लगी..
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह हह्ह्ह्ह अह्ह्ह म्मम्मम्मम मजा आ गया...भाई .......
मैंने पिछली रात 4 बार चोदा था इन दोनों को, इसलिए मेरा लंड जल्दी झड़ने का नाम नहीं ले रहा था.
मैंने अपना गीला लंड सुरभि की चूत में फंसाया और उसे भी उसके अंजाम तक पहुंचा दिया.
अपने ओर्गास्म के समय वो चिल्ला पड़ी, पर इस बार ऋतू तैयार थी उसके लिए, उसने सुरभि के मुंह पर अपना मुंह लगा दिया और उसकी चीख को वहीँ दबा दिया.
घ्न्नन्न्न्न नं,,,,,, म्मम्मम ग्न्न्नन्न्न्न ......म्मम्मम्म ....घ्ह्ह्हह्ह्ह्ह ..... उसकी गुर्राहट सुनाई दे रही थी ऋतू के मुंह से. तीन चूतें एक साथ मारकर मैंने अपनी एक और फ़ंतासी पूरी कर ली थी आज.
अब मेरा लंड उन तीनो के रस में नहाया हुआ खड़ा था, वो तीनो मेरे सामने बैठ गयी और बारी-२ से मेरे लंड को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी.
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12-13-2020, 02:55 PM,
#84
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मम्मी बीच में बैठी थी और ऋतू और सुरभि उनके दांये बांये.
मैंने अपने लंड के डंडे से उनके होंठों को मारा और उनकी आँखों पर, गालों पर, नाक पर, माथे पर उसे घिस घिसकर मजे लेने लगा. वो तीनो भी मेरे लंड को बारी-२ से चूस रही थी और एक दुसरे से छिनकर ज्यादा से ज्यादा देर तक अपने मुंह में रखकर मुझे स्वर्ग सा एहसास दे रही थी.
जल्दी ही उन तीनो की मेहनत रंग लायी और मैंने अपना रस निकालना शुरू कर दिया.
सबसे पहली धार मैंने मम्मी के मुंह पर मारी दूसरी सुरभि के और तीसरी ऋतू के..उन तीनो ने अपना मुंह खोल रखा था और मेरे लंड से निकलती बारिश की बूंदों को अपने मुंह में इकठ्ठा कर रही थी...मैं आज तक इतना नहीं झड़ा था.
अपनी आखिरी बूँद मैंने सुरभि की थोड़ी पर निचोड़ दी.
उनके चेहरे देखने लायक थे. बर्फ की सफ़ेद चादर सी बिछ गयी थी तीनो के चेहरे पर.
ऋतू ने मम्मी के चेहरे को चाटना शुरू किया, सुरभि समझ गयी और उसने ऋतू के चेहरे को चाटकर चमका दिया, मम्मी ने भी बारी-२ से दोनों के चेहरे से अमृत इकठ्ठा किया और पी गयी और इस तरह से उन तीनो का पेट भर गया.
मम्मी ने अपने कपडे पहने और बोली "चलो अब जल्दी से नहा धो लो और नीचे आ जाओ, हमें आज घूमने जाना है.."
मैंने अपने कपडे पहने और अपने कमरे में आकर बाथरूम में चला गया और नहाकर बाहर आया.
मैंने अयान को उठाया और उसे नहाने भेज दिया.
नीचे आकर देखा तो हरीश अंकल मेरठ जाने के लिए निकल रहे थे, उनके जाने के बाद हम सभी ने इकठ्ठा नाश्ता किया और हम घूमने निकल गए.
पुरे रास्ते सुरभि मुझसे चिपकी रही , वो मेरे लंड की दीवानी हो चुकी थी..कल से आज तक वो करीब 5 बार मेरा लंड अपनी चूत में ले चुकी थी. और अभी भी उसकी चूत कुलबुला रही थी मेरे लंड की गर्मी पाने के लिए.
मैंने नोट किया की पापा का सारा ध्यान दीपा आंटी की तरफ था, दीपा आंटी भी पापा की नजरों को भांप चुकी थी, पर उन्हें मालुम था की उनका जीजा ऐसा ही है, उसपर हमेशा से गन्दी नजर रखता है, पर वो कर भी क्या सकती थी..
उस दिन हम लाल किला घुमे, क़ुतुब मीनार गए और कनाट प्लेस भी गए और वहां से पालिका बाजार, जहाँ से हमने काफी खरीदारी करी.
शाम को खाना खाकर हम सभी वापिस घर आ गए.
*****

दीपा मौसी ने अपने पति को फ़ोन किया तो पता चला की हरीश अंकल रात को वहीँ रहेंगे..
थोड़ी देर बाद हम सभी सोने के लिए ऊपर की तरफ चल दिए..
मैंने किचन में खड़े पापा को मम्मी से कहते हुए सुना "आज तो मैं किसी भी हालत में दीपा की चूत मारकर रहूँगा...अगर मानेगी तो ठीक नहीं तो रेप कर दूंगा साली का..." मम्मी उन्हें समझा रही थी पर पापा कुछ समझने को तैयार नहीं थी.
मैं समझ गया की आज तो दीपा मौसी चुद कर ही रहेगी..
मैंने मम्मी पापा की बातें सुनी, सब कुछ सेट हो चूका था...पापा ने मम्मी को पूरी तरह से बोतल में उतार लिया था..
मैंने भागकर ऋतू के पास गया और उसे सारी बात बताई, मैंने सोचा की ऋतू को गुस्सा आएगा पर वो तो ख़ुशी के मारे उछल ही पड़ी और बोली "अरे वह...दीपा आंटी की चुदाई और वो भी पापा से...मजा आयेगा..."
मैंने कहा "पर दीपा आंटी पापा को घांस नहीं डालती...पापा उनके साथ जबरदस्ती करने की बात कर रहे थे.."
"यानी रेप.....तब तो और भी मजा आएगा...मैं ये सब देखना चाहती हूँ... " उसने ख़ुशी से उछलते हुए कहा.
"और सुरभि और अयान का क्या करेंगे...." मैंने ऋतू से कहा.
"तुम्हारे पास नींद की गोलियां है न...आज उन्हें गोली दे देते हैं..." उसने कहा. "उन्हें आज जल्दी सुला देते हैं...तुम सुरभि के पास जाओ और मैं अयान के पास जा रही हूँ.."
मैंने उसे नींद की गोली दी और वो कोल्ड ड्रिंक में मिला कर हम दोनों चल दिए...
हम दोनों जल्दी से एक दुसरे के कमरे में चल दिए..
ऋतू के कमरे में पहुंचकर मैंने देखा की सुरभि अभी - २ अपने कपडे चेंज करके बिस्तर पर बैठी थी...मुझे देखते ही वो भागकर मेरे पास आई और मुझसे बेल की तरह लिपट गयी और मुझे चूमने लगी...पुरे दिन से वो मेरे लंड को अपनी चूत में लेना चाहती थी..पर अभी मेरे पास समय नहीं था.
मैंने उसे अपने से दूर किया और कहा..."देखो सुरभि...मुझे अभी नीचे जाना है, स्टोर रूम से कुछ सामान निकलवाना है मुझे मम्मी के साथ...मैं तो बस तुम्हे ये कोल्ड ड्रिंक देने आया था, तुम मेरा इन्तजार करो मैं 1 घंटे में आ जाऊंगा.." और मैंने उसे कोल्ड ड्रिंक दे दी जिसमे मैंने नींद की गोलियां डाल रखी थी, उसने बिना कुछ कहे उसे पी लिया और बोली "मैं काफी थक गयी हूँ, पर तुम्हारा लंड लिए बिना मैं सोने वाली नहीं हूँ...तुम जाओ...और जल्दी आना..."ये कहकर वो बेड पर लेट गयी, गोली ने अपना असर दिखाना शुरू किया और उसकी आँखें बंद होने लगी..जल्दी ही वो सो गयी..
मैंने सोचा, ना जाने ऋतू ने अयान को गोली दी होगी या नहीं..मैं छेद के पास पहुंचा और वहां से अपने कमरे में झांककर वहां का नजारा देखने लगा..
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12-13-2020, 02:55 PM,
#85
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
दुसरे कमरे में ऋतू जब कोल्ड ड्रिंक लेकर पहुंची तो अयान अपनी मौसेरी बहन को देखकर खुश हो गया, उसने ऋतू जैसी सेक्सी लड़की आज तक नहीं देखीथि...ऋतू ने टी शर्ट और स्कर्ट पहनी हुई थी..जिसमे से उसकी गोरी टाँगे बड़ी ही दिलकश लग रही थी..वो जब से यहाँ आया था ऋतू को ही घूरे जा रहा था, ऋतू भी ये सब जानती थी, उसने सोचा चलो आज अयान से थोडा पंगा लिया जाये..
उसने अयान से उसके कालेज के बारे में बाते करनी शुरू कर दी, और अंत में बात लड़की पर आकर रुकी, ऋतू ने उससे पूछा "क्या तुम्हारी कोई गर्ल फ्रेंड है ?"
वो घबरा गया और बोला "नही...नहीं तो दीदी..."
ऋतू उसकी हालत देखकर मुस्कुरा उठी.
"यानी तुमने आज तक किसी को किस्स भी नहीं किया है..." ऋतू ने हैरानी से पूछा...
"किस्स...अम्म्म नहीं तो ...मैंने नहीं किया..." वो अब हकला रहा था..
"करना चाहते हो....." उसने आगे होकर कहा और अपनी एक टांग उठा कर अपनी दूसरी टांग के नीचे दबा ली जिसकी वजह से उसकी मोटी जांघे उजागर हो गयी, उसकी मोटी टांग देखकर अयान की साँसे रुक सी गयी...
वो बोला "हान्न्न्न ...पर किसको करूँ...." उसने ऋतू से पूछा.
"मुझे....." ऋतू ने अपना चेहरा आगे किया और अपनी आँखें बंद कर ली..
अयान ओ विश्वास नहीं हुआ की ऋतू ने उसे चूमने की इजाजत दे दी है, वो कल से अपनी इस सेक्सी बहन को देखकर पागल हुए जा रहा था और अब ऋतू खुद ही उसे चूमने का निमंत्रण दे रही है.
उसने बिना किसी देरी के उसके चेहरे को पकड़ा और उसके नर्म मुलायम मलाई जैसे होंठों को चूसने लगा..वो बड़े ही मीठे थे....उसने आज तक किसी को चूमा नहीं था, उसे ऐसा लगा जैसे वो स्वर्ग में हो...वो बावला सा होकर ऋतू के होंठों पर टूट सा पड़ा और उन्हें चूसने और काटने लगा...
ऋतू को भी बड़ा मजा आ रहा था अपने नौसिखिये भाई से किस्स करवाने में...पर वो जानती थी की इसके आगे और किसी बात का समय नहीं है, नीचे वाली फिल्म भी तो देखनी थी उसको...उसने अयान को पीछे धकेला और बोली..."वाह भाई...तुम तो काफी अच्छी तरह से किस्स कर लेते हो..."
अयान ने आगे बढकर उसे अपनी बाँहों में भींच लिया और अपना मुंह नीचे करके उसके उरोजों को काटने लगा..ऋतू ने उसे हटाया और बोली "अरे...रुको...अभी नहीं....मैं जरा देख कर आती हूँ की सब सो गए हैं या नहीं...तब तक तुम ये कोल्ड ड्रिंक पियो.." और अयान ने उसके हाथों से कोल्ड ड्रिंक ले कर एक घूंट में पी ली और बोला..."ठीक है...तुम जल्दी जाओ और जल्दी आओ...मैं तुम्हारा इन्तजार करूँगा.... और ये कहकर वो बेड में घुस गया , ऋतू बाहर निकल कर अपने कमरे में आई और सुरभि को सोता पाकर मेरे पास आई और मेरे कमरे में झांककर देखा, वहां अयान भी नींद के आगोश में पहुँच चूका था.
"बड़े मजे कर रही थी अयान के साथ...." मैंने उसे छेड़ते हुए कहा..
"तुम क्यों जल रहे हो....आज अगर दीपा आंटी को चुदते हुए नहीं देखना होता न तो मैं रेहान का कुंवारापन अपनी चूत में घोल कर पी जाती..." उसने मुस्कुराते हुए कहा.."पर वो फिर कभी...अभी तो जल्दी से नीचे चलो.." और हम दोनों नीचे चल दिए.
वहां गए तो पाया, मम्मी पापा, दीपा आंटी के साथ बैठे उनके कमरे में गप्पे मार रहे हैं..
मैं ऋतू के साथ कूलर के पीछे छिप गया और खिड़की से अन्दर झाँकने लगा.
दीपा : "इनको भी मेरठ जाना जरुरी था क्या...और वहां रहने की ना जाने इनको क्या सूझी...."
पापा : "अरे साली साहिबा...आप क्यों घबरा रही हैं...मैं हूँ न...आप घबराइए नहीं.."
दीपा : "आप हैं तभी तो घबराहट हो रही है..." और वो हंसने लगी..
मम्मी : "भाई आप दोनों जीजा साली बाते करो...मैं तो चली, मुझे तो बड़ी नींद आ रही है..."
और वो उठ कर अपने कमरे में चली गयी और दरवाजा बंद कर लिया.
दीपा आंटी को थोडा अजीब सा लगा अपनी बहन का बर्ताव की वो अपने पति को रात के समय अपनी बहन के कमरे में क्यों छोड़ गयी...पर वो कर भी क्या सकती थी, वो मेहमान जो थी..
वो दोनों फिर से एक दुसरे से बाते करने लगे..
दीपा : "मैं तो आज बहुत थक गयी हूँ जीजू...मेरा पूरा बदन दुःख रहा है "
पापा : "कहो तो दबा दूं...." और उन्होंने दीपा आंटी की जांघ पर अपना हाथ रख दिया और उसे दबाने लगे..
दीपा : "ये क्या कर रहे हैं आप..." वो गुस्से से चिल्लायी...."आपकी इन्ही हरकतों की वजह से मैं आपके घर आने से कतराती हूँ...अब रात काफी हो चुकी है..मुझे सोना है..आप प्लीस अपने कमरे में जाओ"
पापा :"जानेमन...क्यों नाराज होती हो...मैं तो सिर्फ तुम्हारा बदन दबा कर तुम्हारा दर्द दूर कर रहा हूँ...." और ये कहते हुए पापा ने उन्हें अपने सीने से लगाया और उनकी कमर पर हाथ फेरते हुए उनकी गर्दन को चूमने लगे..
दीपा आंटी के गुस्से की सीमा न रही...वो चिल्ला पड़ी...."दिदीई दीदी ....कहाँ हो आप...दीदी....."
मैं और ऋतू मम्मी के कमरे से बाहर आने का इन्तजार करने लगे...पर वो बाहर ना आई..मैं समझ गया की पापा ने उन्हें सब कुछ पहले से समझा दिया है...
पापा ने गहरी हंसी हँसते हुए कहा "तुम्हारी दीदी तो सो गयी...मान जाओ दीपा...आराम से मेरे साथ मजे लो...नहीं तो मुझे तुम्हारे साथ जबरदस्ती करनी पड़ेगी..." और उन्होंने दीपा आंटी के कंधे से उनका गाउन पकड़कर फाड़ दिया जिसकी वजह से उनकी काली ब्रा के स्ट्रेप दिखने लगे..
दीपा आंटी को विश्वास नहीं हुआ की पापा उनके साथ ऐसा भी कर सकते हैं...वो सकते में आ गयी..तब तक पापा ने उनके गले से लटकता हुआ कपडा खींचा और उसे भी फाड़ दिया..दीपा आंटी के गोरे चुचे काली ब्रा में कैद हुए उजागर हो गए, इतने कसे हुए और मोटे, गोरे चुचे मैंने आज तक नहीं देखेते...तभी तो पापा दीवाने थे अपनी इस साली के..
मैंने ऋतू की तरफ देखा , वो बड़े ही मजे से पापा के इस रूप को एन्जॉय कर रही थी.
दीपा आंटी के आंसू निकल आये , उन्होंने अपने हाथ जोड़कर पापा से कहा "प्लीस...जीजू...मुझे छोड़ दो...मैं आपसे अपनी इज्जत की भीख मांगती हूँ....प्लीस मुझे छोड़ दो..."
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12-13-2020, 02:55 PM,
#86
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
पापा ने एक न सुनी और दीपा आंटी को बेड पर गिरा कर उनके ऊपर सवार हो गए और उनके दोनों हाथ दबाकर उन्हें जकड़ लिया.
दीपा आंटी बेबस सी होकर उनके नीचे मचलने लगी..
पापा ने नीचे होकर उन्हें चूमना चाह तो दीपा आंटी ने अपना मुंह दूसरी तरफ कर लिया...पापा ने जबरदस्ती उनका चेहरा अपनी तरफ घुमाया और उनके होंठों को अपने मुंह में ले जाकर चूसने लगे..
दीपा आंटी के मुंह से गूऊन्न गोऊँ की आवाजें निकल रही थी...
पापा ने अपने दुसरे हाथ से उनकी ब्रा के स्ट्रेप को खींचा और उसे भी तोड़ डाला...और अपना एक हाथ अन्दर डालकर उनके फुले हुए गुब्बारे जैसे मुम्मे को बाहर निकाल लिया...
मैं तो अपनी मौसी के उस गुब्बारे को देखकर दंग रह गया...बड़ा ही दिलकश था उनका मुम्मा..पापा ने अपना मुंह नीचे किया और उनके निप्पल को अपने मुंह में डालकर चूसने लगे..और जोर से काट लिया उनके निप्पल पर...दीपा आंटी तड़प उठी...मेरे मुंह में भी पानी आ गया , मेरा भी मन कर रहा था की भाग कर जाऊं और शामिल हो जाऊं पापा के साथ, और जम कर चुदाई करूँ दीपा आंटी की...
दीपा आंटी जोर-२ से चिल्लाने लगी...मुझे लगा की हमारे पडोसी न सुन ले उनकी आवाजें,.....
आंटी का एक हाथ पापा की गिरफ्त से छुटा तो उन्होंने एक झन्नाटेदार थप्पड़ मार दिया पापा के मुंह पर...पापा बिलबिला उठे...वो बोले..."साली...कुतिया...मैं तुझे प्यार से समझा रहा था...पर लगता है तेरे साथ जबरदस्ती करनी ही पड़ेगी..."
और फिर पापा ने दीपा आंटी की ब्रा पूरी तरह से खींच ली और उसे निकाल कर उनके मुंह में ठूस दिया...ताकि वो ज्यादा न चिल्ला सके...दीपा आंटी छटपटा रही थी....पापा ने उन्हें उल्टा किया और उनके हाथ पीछे करके बाँध दिए...
उन्हें सीधा किया और उनका गाउन एक ही झटके में फाड़कर उतार दिया...
नीचे उन्होंने चड्डी नहीं पहनी हुई थी...लम्बे-२ बाल थे उनकी चूत पर...मैंने इतना घना जंगल आज तक नहीं देखा था चूत का...आज तक सभी को बिना बालों के या थोड़े बहुत बालों के ही देखा था...
पापा ने उन्हें पीठ के बल लिटाया और खड़े होकर अपने कपडे उतारने लगे....और जल्दी ही वो नंगे खड़े थे अपनी साली के सामने..
उनका काला नाग अपने पुरे शबाब पर था...जिसे देखकर दीपा आंटी की आँखें चोडी हो गयी और उनके चेहरे पर भय साफ़ दिखाई देने लगा... लगता था उन्होंने इतना लम्बा लंड आज तक नहीं देखा था.
पापा ने फिर से नीचे झुककर दीपा आंटी के मुम्मो को चूसा और धीरे-२ नीचे आकर उनकी चूत के सामने अपना मुंह लेजाकर उसे बड़े प्यार से देखा और अपने हाथो से उनकी चूत के कपाट खोले और अपनी जीभ डाल दी उनकी चूत में...
बड़ा ही घना जंगल था वहां....पर दीपा आंटी की चूत से निकलता पानी मुझे साफ़ दिखाई दे रहा था...यानी उनकी चूत पानी छोड़ रही थी....कभी-२ शरीर अपने दिमाग की बात नहीं मानता..उनके साथ जबरदस्ती हो रही थी, पर ये बात उनकी चूत को कौन समझाए..
पापा बड़ी देर तक उनकी चूत को चूसते रहे...
आंटी के मुंह से चीखना चिल्लाना बंद हो गया था...पर वो अभी भी बीच-२ में अपना विरोध जताने के लिए उन्हें धकेल रही थी..
अंत में पापा से रहा नहीं गया और उन्होंने खड़े होकर अपने लंड को दीपा आंटी की चूत से सटा दिया...
आंटी सर हिला -२ कर उन्हें ऐसा करने से मना कर रही थी...पर पापा ने एक ना मानी और रोती हुई दीपा आंटी की चूत में अपने लंड का एक तेज झटका मारा....
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ...आंटी चिल्लाई और उनके मुंह से उनकी काली ब्रा निकल कर बाहर आ गयी...
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह छोड़ दो मुझे प्लीस.......बड़ा दर्द हो रहा है....जीजू......अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह .......
उनका चेहरा पूरा लाल हो चूका था...सच में उन्हें काफी दर्द हो रहा था....
पर पापा नहीं रुके और उन्होंने एक और झटका मारा और अपना पूरा लंड उतार दिया दीपा की चूत में..... आंटी की आँखें बाहर की तरफ निकल आई....उनका मुंह खुला का खुला रह गया...
हाआआआआआआ...........अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओफ्फफ्फ्फ़ .....मर्र्र गयीईईइ .......अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह
उन्हें बड़ी तकलीफ हो रही थी, एक तो पापा ने उनके हाथ पीछे बाँध रखे थे और ऊपर से उनके लंड का साइज़ भी काफी बड़ा था उनकी चूत के लिए..इसलिए उन्हें काफी तकलीफ हो रही थी...वो तड़प रही थी.....नीचे पड़ी हुई...पर वो कुछ ना कर पा रही थी...
पापा ने होंठों को अपने मुंह में रखा और चूसने लगे....और साथ ही साथ नीचे से अपने धक्को की स्पीड भी बड़ा दी....
बड़ा ही कामुक दृश्य था....पापा बड़ी ही तेजी से उनकी चूत में अपना लंड पेल रहे थे....और उनके होंठों को चूम भी रहे थे....
अह्ह्हह्ह अह्ह्हह्ह म्मम्मम्मम अह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फो फफो ओफ्फ्फ्फ़ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ म्मम्म .......
मैंने नोट किया की दीपा आंटी की सिस्कारियां निकल रही है....
मैं समझ गया की पापा के लंड के आगे उनका स्वाभिमान हार गया.... पापा ने भी जब उनकी सिस्कारियां सुनी तो अपना मुंह हटा लिया उनके मुंह से... अब सिस्कारियां और तेज आने लगी...
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह म्म्मम्म्म्मम्म ओग्ग्ग्ग.....ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्हो ह ओह ओह ह हो ..... अह्ह्ह म्मम्म दीपा आंटी अपनी नजरें नहीं मिला पा रही थी पापा से...पर अपने अन्दर से आती उत्तेजना की तरंगों पर उनका काबू नहीं था...
पापा ने मुस्कुराते हुए उनकी तरफ देखा और अपना लंड निकाल लिया उनकी चूत से..
मेरे साथ-२ दीपा आंटी भी चोंक गयी...पर कुछ ना बोली....
पापा ने अब उनके हाथ भी खोल दिए थे. ..
पापा ने झुक कर उनके दाए चुचे को अपने मुंह में भरा और चूसने लगे....
अह्ह्ह्हह्ह अह्ह्हह्ह .....हंन्न्न्न ...... म्मम्म उन्होंने पापा के सर को पकड़ा और उनके बालों में उँगलियाँ फेरने लगी...
दीपा आंटी पूरी तरह से उत्तेजित हो चुकी थी..पर शर्म के मारे कुछ बोल नहीं रही थी...
वो अपनी चूत वाले हिस्से को उठा उठा कर पापा के लंड से घिस रही थी.....पर पापा उसे अनदेखा करते हुए उनका दूध पीने में बिज़ी थे....अंत में दीपा आंटी से रहा नहीं गया और वो लगभग चिल्ला पड़ी...
"अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह जीजू.......क्या कर रहे हो.....डालो न उसे अन्दर......म्मम्मम्मम " उसने मचलते हुए कहा.. "क्यों अब क्या हुआ....पहले तो बड़े नखरे दिखा रही थी...अब क्या चाहिए तुझे...बोल......" पापा ने भी मजे लेते हुए कहा..
"जीजू प्लीस....सताओ मत...मैं माफ़ी मांगती हूँ....प्लेअसे डालो न अपना लंड....मेरी चूत में....अह्ह्हह्ह " दीपा आंटी ने आखिर बोल ही दिया जो पापा सुनना चाहते थे...आंटी के मुंह से लंड निकलने की देर थी, पापा ने ठोंक दिया अपना मुसल फिर से उनकी चूत में...
आंटी चिल्ला पड़ी, पर इस बार आनंद के मारे
"अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्म वह्ह्ह.....क्या लंड है आपका.....दीदी हमेशा आपके लम्बे लंड की तारीफ़ करती थी...इसलिए मुझे डर लगता था....अह्ह्ह्हह्ह ....मैंने सिर्फ अपने पति का लंड लिया है....जो पांच इंच का है...अह्ह्ह्ह ...इसलिए डरती थी....आपसे....हमेशा से....हाआअ..........पर सही में...आज जितना मजा मुझे आज तक नहीं आया....अह्ह्हह्ह.....चोदो मुझे जीजू....चोदो अपनी साली....को...अह्ह्ह्ह और सजा दो मुझे इतने सालो से जो सलूक मैंने आपके साथ किया है.....उसके लिए सजा दो मुझे.....मेरी चूत...को...अह्ह्ह्ह.....फाड़ डालो आज मेरी चूत...ये तुम्हारी है......डाल...और तेज....और अन्दर तक....अह्ह्ह्ह...ऐईइफ़..फ फ फुक फुक फुक फु .......उनके मुंह से थूकें निकल कर उछल रही थी उत्तेजना के मारे...
मेरा लंड स्टील जैसा हो चूका था...
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12-13-2020, 02:55 PM,
#87
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मैंने ऋतू के पायजामे को नीचे सरकाया और डाल दिया उसकी बहती हुई चूत में अपना लंड पीछे से...
अब दीपा आंटी पुरे मजे लेकर चुद रही थी...अह्ह्ह अह्ह्ह.....और तेज्ज......अह्ह्ह्ह जीजू....मारो अपनी दीपा की चूत आज....अह्ह्ह....चोद दो मुझे.....मैं तुम्हारी हूँ......हांन्न .......और तेज....और तेज....ओग ओग ओग ओह ...."
और अपनी प्यारी और सेक्सी साली की चुदाई देखकर पापा के लंड ने जल्दी ही जवाब दे दिया और वो झड़ने लगे अपनी साली की चूत के अन्दर ही....अपने अन्दर लावा महसूस करते ही दीपा आंटी ने अपनी टाँगे पापा की कमर में लपेट ली और अपना भी रस छोड़ दिया पापा के लंड के ऊपर....
अह्ह्हह्ह्ह्ह ओफ्फ्फ्फ़...मर्र्र गयी रे....अह्ह्ह्ह मजा आ गया......... और दोनों एक दुसरे को चूमने लगे..
मैंने भी इतना उत्तेजक नजारा देखकर अपना वीर्य अपनी बहन की चूत के अन्दर छोड़ दिया....बड़ी मुश्किल से ऋतू ने भी झड़ते हुए अपनी चीख दबाई... तभी मम्मी के कमरे का दरवाजा खुला और वो वापिस उनके कमरे में आ गयी..
मैं चोंक गया मम्मी को वापिस पापा और मौसी के पास जाता देखकर..
कमरे का दरवाजा खुलता देखकर जैसे ही दीपा मौसी ने मम्मी को देखा वो सकपका गयी...उन्हें उम्मीद नहीं थी की मम्मी वापिस आएगी..
दीपा मन ही मन सोचने लगी, जब बुलाया था तब तो आई नहीं अब क्या करने आई है..
मम्मी ने पेटीकोट और ब्लाउस पहना हुआ था, वो शायद अपने कमरे में गयी थी और साडी उतारने के बाद दुसरे कमरे में चल रही अपनी बहन की चुदाई को कान लगा कर सुन रही थी..और उसके ख़त्म होते ही वो वापिस आ गयी.
मम्मी ने उससे पूछा : "क्यों दीपा...कैसी रही...मैं कहती थी न की इनका लंड बहुत ही लम्बा है...तेरी चूत के परखच्चे उढ़ा देगा..मजा आया के नहीं" और ये कहते हुए वो पापा की तरफ देखते हुए हंसने लगी.
दीपा मौसी समझ गयी की उनके रेप में मम्मी की रजामंदी भी शामिल है...
पर अब इस जबरदस्ती की वजह से ही दीपा जान पायी थी की पापा का लंड सही में कितना मजा देता है..जिससे वो कितने समय से वंचित थी..
दीपा : "अच्छा दीदी...तो आप भी इस साजिश में शामिल थी...पर कुछ भी हो, जीजू की जबरदस्ती की वजह से मैं आज जान पायी की आप इतने सालों से कितना मजा लेती आ रही हैं...और आज ये मजा जब मुझे मिला तब मैंने जाना की लम्बे लंड की क्या वेल्यु होती है, मैंने आज तक सिर्फ अपने पति हरीश के लंड से चुदाई करवाई है जो लगभग पांच इंच का है, मैंने पहली बार इतना बड़ा लंड देखा और चुदी भी....."
मम्मी : "अभी तुने देखा ही क्या है...अगर तुने आशु का लंड देख लिया तो पागल ही हो जायेगी..."
ये मम्मी ने क्या बोल दिया...मैं सोचने लगा.
दीपा : "आशु का....इसका मतलब तुम आशु का लंड देख चुकी हो..."
मम्मी : (हँसते हुए) "देख ही नहीं चुकी...ले भी चुकी हूँ अपनी इस चूत में" उन्होंने अपनी चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा.
दीपा आंटी की हैरानी की सीमा न रही...

मम्मी ने आगे कहा :"तुम इतना हैरान मत हो...तुम तो जानती हो की सेक्स के बारे में मैं हमेशा से कितनी अडवांस रही हूँ...तुम्हे जानकार ताज्जुब होगा की मैं और तेरे जीजू कई सालों से दुसरे विवाहित जोड़ो के साथ अदला बदली का खेल खेलते हैं...जिसमे हम दोनों को बहुत मजा आता है..और अब हमने अपने बच्चो को भी इसमें शामिल कर लिया है...जिसकी वजह से हमें और भी मजा आने लगा है .."
दीपा आंटी हैरानी से खड़ी हुई मम्मी की बाते सुन रही थी, उन्हें विशवास ही नहीं हो रहा था जो मम्मी उनसे कह रही थी.
दीपा : "तुम्हारे बच्चे....यानी आशु के साथ साथ तुम लोगो ने ऋतू को भी...." और उन्होंने हैरानी से पापा की तरफ देखा..
पापा : "हाँ साली साहिबा...ऋतू को भी चोद चूका हूँ मैं...और तुम्हारी दीदी आशु का लंड ले चुकी है अपनी चूत में कई बार..."
दीपा : "मुझे तो विशवास ही नहीं हो रहा है जो तुम कह रहे हो..." उन्होंने अपना सर हिलाते हुए कहा..
मम्मी :"अगर विशवास नहीं हो रहा है तो रुको मैं अभी बताती हूँ ..." और उन्होंने खिड़की की तरफ देखकर आवाज लगायी "आशु...ऋतू...अन्दर आ जाओ...मैं जानती हूँ तुम वहां खड़े हो..."
मैं और ऋतू ये सुनकर चोंक गए, मम्मी को कैसे पता चला की हम दोनों वहां खड़े है...ये सोचते हुए हम दोनों बाहर निकले और अन्दर आ गए..
दीपा आंटी हमें इतनी रात को इस हालत में देखकर चोंक गयी...वो और पापा बिलकुल नंगे थे, दीपा आंटी ने जैसे ही मुझे देखा उन्होंने चादर उठा कर अपने सीने के आगे लगा ली और अपना नंगापण छुपाने की असफल कोशिश करने लगी..
मम्मी ने उन्हें ऐसा करते देखकर कहा :"छुपाने की कोई जरुरत नहीं है दीपा...ये दोनों पिछले आधे घंटे से तुम्हारी चुदाई देख रहे हैं और इन दोनों ने तुम्हे नंगा देख ही लिया है तो अब इस चादर से अपने शरीर को ढकने का कोई फायदा नहीं है..." मम्मी ने दीपा से कहा. पर दीपा आंटी ने चादर नहीं छोड़ी..
मैंने और ऋतू ने दीपा आंटी को देखा और धीरे से कहा "हाय...आंटी..." और नीचे की तरफ देखने लगे..
मम्मी :"तुम्हे क्या लगा....तुम दोनों छुपे हुए हो...खिड़की से बाहर निकलती रौशनी की वजह से तुम्हारी परछाई पीछे की तरफ काफी दूर तक जा रही थी, और बाहर निकलते हुए मैंने उसे देख लिया था...पर तुम दोनों भी अपनी मौसी की चुदाई देख लो...इसलिए मैंने तुम्हे परेशान नहीं किया..."
ऋतू : "ओह्ह..मम्मी....आप कितनी अच्छी हैं...." और वो जाकर अपनी मम्मी से लिपट गयी और मम्मी के होंठो को चूम लिया.
मम्मी काफी देर से दीपा और अपने पति की चुदाई को दुसरे कमरे से कान लगा कर सुन रही थी, जिसकी वजह से वो काफी गर्म हो चुकी थी...ऋतू ने जैसे ही उनके नर्म और मुलायम होंठों को चूमा, मम्मी ने उसको कस कर अपनी बाँहों में लपेटा और उसके होंठों को बुरी तरह से चूसने लगी..
साथ ही साथ उन्होंने ऋतू के चुचे भी उसकी टी शर्ट के ऊपर से ही दबाने शुरू कर दिए...
ऋतू ने भी नीचे झुककर मम्मी के ब्लाउस को खोला और उनका दांया लोटा पकड़कर बाहर निकला और उसमे से जलपान करने लगी.. पापा बड़े मजे से अपनी गुंडी बेटी की हरकतें देख रहे थे और खुश हो रहे थे..
दीपा आंटी तो हैरानी से अपना मुंह फाड़े ऋतू और अपनी बहन की कामुक हरकत देख रही थी...
पापा ने उनको कहा :"देखा दीपा...हमारे परिवार में हम सभी एक दुसरे से कितने खुले हुए हैं...सेक्स के मामले में..."
मम्मी ने दीपा की तरफ देखा और हाँफते हुए बोली..." अहह मम्म .... और मैं तुम्हे कह रही थी ना आशु के लंड के बारे में..ओफ्फ्फ .देख लो तुम भी अह्ह्ह्ह उसके लंड को....अह्ह्ह और अपनी आँखों से यकीं कर लो...म्मम्मम्म " ऋतू उनके तरबूजों का रस पी रही थी और उन्हें बड़ा ही मजा आ रहा था...
मम्मी के लटकते हुए रसीले फल देखकर और उनकी बातें सुनकर मेरा लंड मेरे पायजामे में तम्बू बना कर खड़ा हुआ था...दीपा आंटी की नजर मेरी ही तरफ थी...बल्कि मेरे लंड पर थी..टेंट को देखकर ही वो समझ गयी थी की अन्दर क्या माल भरा हुआ है...
वो किसी रोबोट की तरह चलती हुई मेरे पास आई और मेरी आँखों में देखने लगी...मैंने उनकी आँखों में वासना के बादल उमड़ते हुए देखे...बड़ी ही सुन्दर आँखें थी उनकी...बिल्ली जैसी...हरे रंग की...उनके होंठ लरज रहे थे, कुछ कहने के लिए...उनका एक हाथ चादर को थामे उनकी छाती के सामने था...दुसरे हाथ को उन्होंने अचानक मेरे लंड पर रख दिया...और उसे खींचने लगी अपनी तरफ... स्स्स्सस्स्स्स....अह्ह्ह्हह्ह मेरे मुंह से सिसकारी सी निकल गयी...
बड़ी ही तेज पकड़ थी उनकी...जैसे ट्रेन रोकने के लिए जंजीर खींच रही हो...
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12-13-2020, 02:55 PM,
#88
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मम्मी ने ऋतू के मुंह को अपने दुसरे चुचे पर रखते हुए कहा :"दीपा...ऐसे तुम्हे क्या मालुम चलेगा...बाहर तो निकालो इसके नाग को....म्मम्मम हाँ ऋतू ऐसे ही...." और फिर से ऋतू की तरफ ध्यान लगाकर उससे अपने मुम्मे चुस्वाने लगी...
दीपा आंटी ने मम्मी की बात सुनी और उन्होंने अपने दुसरे हाथ से मेरे पायजामे को पकड़ा और उसे नीचे कर दिया...
उनके ऐसा करते ही मेरा लंड उछल कर बाहर आ गया...पर इसके साथ ही उनके उस हाथ से वो चादर भी नीचे हो गयी और जमीं पर गिर गयी....जिसका शायद उनको कोई एहसास ही नहीं हुआ..वो अपनी फटी आँखों से मेरे लम्बे और मोटे लंड को घूर रही थी और मैं अपनी फैली हुई आँखों से उनके नर्म मुलायम मांस से भरे हुए मुम्मे देख रहा था...ये वोही मुम्मे थे जिनको देखकर मेरे मुंह में अक्सर पानी आ जाया करता था...आज वो मेरे सामने झूल रहे थे...
दीपा आंटी ने अपना दूसरा हाथ भी मेरे लंड पर रखा और उसे बड़े ही गौर से देखने लगी...
उन्होंने मम्मी की तरफ देखा और बोली. : "तुम सही कह रही थी दीदी...इसका लंड तो अपने पापा से भी थोडा बड़ा और मोटा है...और साथ ही साथ ये कितना गोरा भी है..." और ये कहते हुए वो मेरे सामने नीचे बैठ गयी और उसको अपने हाथो से दबा कर, मसल कर...घुमा कर अच्छी तरह से देखने लगी...
उनका मुंह सूखने सा लगा था मेरे लंड को देखकर...उनकी व्याकुलता बता रही थी की वो मेरे लंड को चुसना चाहती हैं...वो बार बार अपनी नजरें ऊपर करके मेरी तरफ देख रही थी...और फिर मम्मी की तरफ...और पलंग पर लेते हुए पापा की तरफ ...वो कुछ डीसाइड करने की कोशिश कर रही थी...उनके हाथ कांप रहे थे मेरे लंड को पकडे हुए...
मैंने उनकी व्याकुलता को शांत करने के लिए खुद ही पहल करी और थोडा आगे आकर अपना लंड उनके लाल होंठों के पास ले गया...वो किसी भूखी शेरनी की तरह से झपटी मेरे लंड पर और उसे पूरा निगल गयी अपने मुंह में....
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ओग्ग्फफ्फ़.. धीरे आंटी.... मुझे उनके दांत चुभ रहे थे...
पर उन्होंने एक न सुनी और अपनी स्पीड को और तेज करते हुए मेरे मुसल से तेल निकालने की तेयारी करने लगी...
मैंने पीछे हुआ और सोफे पर बैठ गया...दीपा आंटी ने मेरा लंड नहीं छोड़ा...और पीछे होते हुए सोफे के सामने घुटनों के बल बैठकर मेरे लंड को चूसने लगी...
मैंने अपनी टाँगे चोडी कर ली थी...जिसकी वजह से उनके दोनों मुम्मे मेरी अंदरूनी जाँघों से टकरा रहे थे और मुझे बड़ी ही गुदगुदी का एहसास करा रहे थे... उन्होंने मेरा लंड चूसते हुए मेरी आँखों में देखा ...बड़ी ही कामुक लग रही थी वो उस समय...
तभी मैंने मम्मी की चीख सुनी...अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह म्मम्मम्म हां......ऐसी ही ......म्मम्मम.......
मैंने देखा की ऋतू ने अपने और मम्मी के सारे कपडे उतार दिए हैं और उन्हें बेड पर लिटा कर उनकी चूत को चूस रही है...पापा ये सब बड़े गोर से देख रहे थे और अपना लंड मसल कर उसे फिर से खड़ा करने की कोशिश कर रहे थे.. अचानक दीपा आंटी उठी और मेरी गोद में चढ़ गयी...उन्होंने अपनी दोनों टाँगे मोड़ कर मेरी जाँघों पर चड़ा दी और मेरे मुंह को चूसने लगी...मैंने उनके लाल होंठों को अपने दांतों से काटा, चूसा, और साथ ही साथ उनके दोनों जग्स को भी अपने दोनों हाथों से खूब रोंदा...
बड़ा मजा आ रहा था...मेरे मुंह में अपने होंठ डाले हुए ही उन्होंने अपना एक हाथ पीछे किया और मेरे लंड को अपनी चूत के मुहाने पर टिकाया ...उनकी चूत से रस की नदी बह रही थी...पापा का वीर्य भी निकल रहा था अभी तक...इसलिए काफी गीली चूत थी...मेरे लंड को जैसे ही उन्होंने अपनी चूत से सटाया...मैंने नीचे से एक झटका ऊपर की तरफ दिया और उनके कंधे पकड़कर उन्हें नीचे की तरफ धकेला...
अह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ग्न्नन्न्न्नन्न म्मम्मम्मम ओह्ह्हह्ह्ह्ह गोड...... म्मम्मम ....
घप्प की आवाज के साथ मेरा पूरा लंड उनकी कसी हुई चूत के अन्दर तक चला गया...उन्होंने अपने बाहें मेरी गर्दन में लपेटी, मैंने नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए..अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अहह अह्ह्ह ऑफ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ्फो फुक्क मी फुक्क फु....अह्ह्हह्ह वो मेरे कान में सिस्कारियां लेकर बोल रही थी..फिर उन्होंने अपना सर पीछे की तरफ कर दिया, मैंने उनकी कमर पर अपनी बाहें लपेटी हुई थी, वो हवा में झूल सी गयी और उनके लम्बे बाल नीचे मेरे पैरों को छूने लगे...पीछे झुकने की वजह से उनकी छाती उभर कर मेरे मुंह के सामने पूरी तरह से उजागर हो गयी...मैंने अपना मुंह लगा दिया उनके चुचे पर और पीने लगा सोमरस वहां से...
मैंने देखा की पापा भी अब उठ खड़े हुए हैं और बेड के किनारे पर खड़े होकर उन्होंने ऋतू की गांड को हवा में उठाया और पीछे से ही उसकी रस टपकाती हुई चूत में अपना लंड पेल दिया...
कितना अजीब इत्तेफाक था...मेरा लंड दीपा मौसी की चूत में था जिसमे से अभी तक पापा का रस निकल रहा था...और पापा का लंड ऋतू की चूत में जहाँ से भी अब तक मेरा रस निकल रहा था..
ऋतू अपनी गांड हवा में उठाये पापा से चुद रही थी और पलंग पर लेटी हुई मम्मी की चूत को चाटकर उनका रस भी पी रही थी...
दीपा आंटी मेरे लंड पर बैठे हुए उछलने लगी...जिसकी वजह से उनके दोनों बुब्बे मेरी आँखों के सामने ऊपर नीचे होने लगे...मैं आराम से अपने हाथ अपने सर के ऊपर रखकर बैठ गया और दीपा आंटी को बिना हिले चोदने का आनंद लेने लगा...
जल्दी ही दीपा आंटी की चीखे पुरे कमरे में गूंजने लगी...
"अह्ह्हह्ह्ह्ह हाण....ओफ्फफ्फ्फ़ ......आशु.....बड़ा मोटा लंड है तेरा....अह्ह्हह्ह ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ.....मार ले अपनी मासी की चूत....तेरे बाप ने भी मारी है...तू भी मार ले....अह्ह्ह्हह्ह ....तेरी माँ सही कह रही थी....बड़ा लम्बा लंड है तेरा......अह्ह्ह्हह्ह.....म्मम्मम्मम्म ....म्म्मम्म्म्मम्म अह्ह्ह्ह इ आई एम् कमिंग ..... अह्ह्हह्ह्ह्ह "
और इतना कहकर उन्होंने मेरे सर को पकड़ा और अपनी छाती में छुपा लिया मुझे किसी छोटे बच्चे की तरह और मैंने महसूस किया की मेरे लंड पर जैसे उनकी चूत ने अन्दर से गर्म पानी फैंका हो.....उनका गरमा गर्म रस मेरे लंड से होता हुआ नीचे सोफे पर गिरने लगा.....
उनका ओर्गास्म ख़त्म होने के बाद उन्होंने बड़े प्यार से मुझे देखा और मेरे माथे को चूम लिया...मैं अभी तक झडा नहीं था... मैंने उनकी गांड पर हाथ रखा और उन्हें उठा लिया...मेरा लंड अभी तक उनकी चूत में धंसा हुआ था...वो भी मेरी ताकत देखकर हैरान रह गयी की कैसे मैंने उन्हें किसी कागज़ की तरह अपनी गोद में उठा लिया..मैं उनको लेकर बेड तक गया और उन्हें धीरे से वहां लिटा दिया..उनकी बहन के साथ....
मम्मी ने जब देखा की दीपा उनके साथ लेटी है...तो उन्होंने अपना एक हाथ उसके मुम्मे पर रख दिया और उसे दबाने लगी...दीपा आंटी ने भी अपना एक हाथ मम्मी के चुचे पर रखा और उसे दबाने लगी..मैंने अपना लंड सही तरह से सेट किया दीपा आंटी की चूत में और उनकी टाँगे उठा कर धक्के लगाने लगा...
अह्ह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह अह्ह्ह ऑफ ऑफ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ... ग्गग्ग्ग म्मम्मम .....
पापा भी मेरे साथ खड़े हुए ऋतू की चूत का बेंड बजा रहे थे...
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12-13-2020, 02:55 PM,
#89
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
ऋतू अपने मुंह से बड़ी ही तेजी से मम्मी की चूत को चाटने में लगी हुई थी... सबसे पहले मम्मी की चूत ने जवाब दिया..
अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ऋतू.......मैं तो गयी.....अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह ......ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ ओफ्फ्फ अह्ह्ह्हह्ह स्स्स्सस्स्स्स
उनकी चूत से उनका रस काफी ऊपर तक उछला....वो जब भी काफी उत्तेजित होती थी तो उनका रस फुव्वारे जैसे बाहर निकलता था....मैं ये सब पहले भी देख चूका था...ऋतू के लिए पहला अवसर था अपनी माँ की चूत से निकलते फुव्वारे में नहाने का...उसका पूरा चेहरा भीग गया...पर जल्दी ही उसने अपनी लम्बी जीभ से सारा माल इकठा किया और चट कर गयी...
पापा ने भी ऋतू की गांड पर अपने हाथ टिकाये और दौड़ पड़े खड़े खड़े....
जल्दी ही उन्होंने अपनी मेराथन दौड़ में प्रथम आते हुए अपना लंड का झंडा लहरा दिया ऋतू की चूत में और झड़ने लगे...
अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ऋतू.......मैं भी आया....अह्ह्हह्ह्ह्ह........ऊऊऊऊ ऊऊऊऊओ ऊऊऊओ फुक्क........... और वो ऋतू की चिकनी कमर पर झुक गए और उसे चूमने लगे...
ऋतू ना जाने कितनी बार झड चुकी थी ...अपनी माँ की चूत चाटते हुए और अपने बाप का लंड लेते हुए...
मैंने भी दीपा आंटी के दोनों चुचे पकडे और दे दना दन शोट मारने लगा उनकी चूत में.मेरे रस के निकलते ही उन्होंने मुझे अपनी बाँहों में समेट लिया..
अह्ह्हह्ह्ह्ह अह्ह्हह्ह दीपा आंटी.....म्मम्मम अह्ह्हह्ह .... ओफ्फफ्फ्फ़..
वो मेरे सर पर हाथ फेर रही थी....बस बेटा...हो गया....हो गया.....शांत हो जा.....हो गया....म्मम्मम....
मैं उनके मोटे चुचे पर अपना सर रखे हांफ रहा था...मेरा लंड उनकी चूत में पड़ा हुआ वहां के हसीं नजारों की फोटो ले रहा था.
"ये...ये क्या हो रहा है....." पीछे से आवाज आई...
हम सभी ने दरवाजे की तरफ देखा...अयान खड़ा हुआ था और हैरानी भरी नजरों से सभी को देख रहा था...खासकर अपनी माँ को.
*****

दीपा आंटी ने जैसे ही अपने बेटे को देखा कमरे में उनकी तो सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी, उन्होंने अपने बच्चो के बारे में सोचा भी नहीं था और चुदाई में लगी हुई थी.. और अयान उन्हें ऐसे घूर कर देख रहा था जैसे उसने कोई अजूबा देख लिया हो..
सच में अजूबे जैसी ही थी दीपा आंटी की नंगी जवानी, कोई एक बार देख ले तो बार बार देखे..और ये तो उनका जवान लड़का था, जिसने घर पर भी ना जाने कितनी बार अपनी लचकती हुई माँ की जवानी को देखा होगा..
पर जब आज वो ही चीज एकदम नंगी पड़ी थी तो उसके तो होश ही उड गए , पर इसके साथ ही जब उसने देखा की उसकी माँ तो मजे से हम सभी के साथ चुदने में व्यस्त है तो उसके सारे शरीर में झुरझुरी सी दौड़ गयी..
दीपा आंटी ने अपना नंगापन फिर से उसी चादर से छुपाया और अपने बेटे से बोली "अरे ...अयान तू तू....क्या कर रहा है....यहाँ..."
अयान ने हकलाते हुए कहा "वो...वो तो मैं ऋतू...ऋतू को ढूँढ़ते हुए...आया था..."
मैं समझ गया की उसपर दवाई का असर जल्दी ख़त्म हो गया और जब उसने देखा की कमरे में कोई नहीं है, और सोने से पहले ऋतू ने उसके साथ और भी कुछ करने की बात कही थी तो वो ऋतू को ढूँढ़ते हुए उसके कमरे में गया और फिर नीचे आया, जहाँ से कमरे में हम सभी की चुदाई देखकर वो अब अपना लंड पायजामे में उठाये खड़ा था ...
ऋतू ने उसकी हालत देखी और अपने पापा और मम्मी की तरफ देखकर उन्हें अपनी आँखों से समझाते हुए कहा..
"हाँ अयान ...मैं तो तुम्हे भूल ही गयी थी...चलो मैं चलती हूँ तुम्हारे साथ...." और वो नंगी ही आगे आई और अयान को पकड़कर ऊपर की तरफ ले गयी.
दीपा आंटी ने चादर छोड़ दी और धम्म से बैठ गयी बेड पर और बोली "अब क्या होगा...अयान ने मुझे आप लोगो के साथ नंगा देख लिया है...वो क्या सोच रहा होगा..मेरे बारे में..."
पापा ने उससे कहा "अरे दीपा, तू क्यों चिंता करती है...जब उसने देख ही लिया है तो अब कर भी क्या सकती हो तुम....पर शायद तुमने देखा नहीं वो तुम्हे नंगा देखकर उत्तेजित हो रहा था..."
दीपा : "मतलब...?"
मम्मी : "मतलब ये मेरी प्यारी बहना...तुम्हारा बेटा तुम्हारे नंगे जिस्म को देखकर अपने आप पर काबू नहीं रख पाया...और उसका लंड खड़ा हो गया था..." मम्मी ने मुस्कुराते हुए अपनी नंगी बहन के गले में बाहें डालकर कहा.
दीपा आंटी कुछ देर तक अपनी बड़ी-२ आँखों से मम्मी और पापा को घूरती रही...और बोली "ऐसे कैसे....वो मेरा बेटा है...वो मुझे देखकर क्यों उत्तेजित होगा...भला.."
मम्मी :"क्यों नहीं होगा...हर बेटा अपनी माँ को देखकर उत्तेजित होता है...खासकर जब माँ तुम्हारे जैसी हो...या फिर मेरी जैसी...इसका उदाहरण तुम्हारे सामने है..." और मम्मी ने मेरी तरफ इशारा करके मुझे बुलाया..
"ये देखो ...मेरा बेटा आशु जब भी मुझे देखता था तो उसका भी यही हाल हो जाता था...पर वो डर के मारे और मैं शर्म के मारे कुछ कह नहीं सकती थी... पर जब से हमारे विचार मिले हैं और हम सभी आपस में एक दुसरे से खुले हैं, तब से मैं रोज चुदी हूँ अपने प्यारे बेटे के इस शानदार लंड से..." और उन्होंने मेरे लटके हुए लंड को अपने कोमल हाथों में लिया और दबाना शुरू कर दिया...ना जाने क्या जादू था उनके हाथों में, मैं अभी-२ झड़ा था दूसरी बार, पर उनके जादुई हाथों में आते ही मेरे लंड ने हवा में उठना शुरू कर दिया और जल्दी ही मेरे पेट से टक्कर मारने लगा...
"तुमने शायद नोट नहीं किया, उसके पायजामे में लंड खड़ा होकर टेंट बना रहा था..शायद आशु जितना तो होगा ही उसका लंड..." मम्मी ने दीपा आंटी के सामने लम्बे लंड का चारा डाला..
दीपा : "क्या सच में...तुमने देखा क्या...क्या वो वाकई में काफी बड़ा था..."
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12-13-2020, 02:55 PM,
#90
RE: Free Sex Kahani लंड के कारनामे - फॅमिली सागा
मम्मी मेरे सामने बैठ गयी और मेरे लंड को चुमते हुए अपने मुंह में लेकर उसे चूसने लगी और बीच-२ में बोली "मैं सही कह रही हूँ दीपा...उसका लंड सही में काफी लम्बा था...
तुम्हारे पति जैसा छोटा नहीं है उसका लंड..." और फिर से मेरे लंड को मुंह में डाला और चूसने लगी..
"मैं देखना चाहती हूँ...उसका लंड..." उन्होंने जैसे किसी सम्मोहन में बंध कर कहा... अपने बेटे के लंड की लम्बाई की कहानी सुनकर उनकी चूत के मुंह में फिर से पानी आ गया था...
मैंने उनसे कहा "अगर आप देखना चाहती हैं तो चलो ऊपर...ऋतू उसे मेरे कमरे में लेकर गयी है...आपको मैं उसका लंड दिखता हूँ...जिसका मजा ऋतू ले रही है इस वक़्त...."
दीपा : "पर कैसे...वो मेरे सामने ऋतू के साथ कैसे करेगा...."
मैं : "आप चलो तो सही उन्हें हमारे बारे में कुछ नहीं पता चलेगा..." और मैंने मम्मी के मुंह से बड़ी मुश्किल से अपना लंड छुड़ाया...वो तो मेरे लंड को छोड़ ही नहीं रही थी...उनका पेट अभी तक नहीं भरा था... पर मेरे और पापा के कहने पर उन्होंने अनमने मन से मेरे लंड को बाहर निकाला और हम सभी नंगे ही ऊपर की तरफ चल दिए..
मैंने ऊपर जाकर अपने कमरे में झाँका तो पाया वो दोनों वहां नहीं थे...मैं समझ गया की ऋतू उसे अपने कमरे में ले गयी है..पर वहां तो सुरभि सो रही है.. मैंने सभी को अपने कमरे में ले जाकर चुप रहने को कहा और दीवार वाले छेद से ऋतू के कमरे में झाँका..मेरा अंदाजा सही था..वो दोनों वहीँ पर थे..
मैंने दीपा आंटी को इशारा करके छेद से देखने को कहा और खुद कान लगा कर उनकी बाते सुनने लगा..
अयान : "ऋतू दीदी...आप मुझे यहाँ क्यों ले आई..यहाँ तो सुरभि सो रही है...अगर वो उठ गयी तो ग़जब हो जाएगा..."
ऋतू : "अरे...फ़िक्र मत करो भाई...ये नहीं उठेगी...और अगर कमरे में कोई और भी हो जिसके उठने का डर लगे तो इसी में तो असली अड्वेंचर है..."
अयान :"वो तो ठीक है..पर नीचे क्या हो रहा था...मैंने तुम सभी को नीचे नंगा देखा था..एक साथ...मम्मी को भी..."
ऋतू :"तुम कब बड़े होगे अयान....इतना सब कुछ देख लिया फिर भी पूछ रहे हो...तुम्हे क्या लगा...हम सभी नंगे खड़े होकर कव्वाली गा रहे थे... अरे भाई चुदाई चल रही थी उस कमरे में...और एक बात सुनो...हमारे घर में, सेक्स के बारे में सभी एक दुसरे से काफी खुले हुए हैं...
मैं पापा के साथ और आशु भाई के साथ सेक्स कर लेती हूँ, भाई भी मम्मी के साथ और मेरे साथ सेक्स करते हैं..इसमें काफी मजा आता है... और पापा तुम्हारी मम्मी के साथ सेक्स कर रहे थे, जिसे देखने के लिए मैंने तुम्हे नींद की गोली दी थी..और नीचे जाकर हम भी उस सामूहिक चुदाई में शामिल हो गए, पर तुम्हारी नींद जल्दी खुल गयी और तुम वहां आ गए..और तुमने वो सब कुछ देख लिया...और अभी तक चुतिया की तरह पूछ रहे हो की वहां हम सभी नंगे क्या कर रहे थे..." और ये कहकर वो हंसने लगी..
अयान ने भी अपने सर को खुजलाते हुए कहा "हाँ मैं समझ तो गया था, पर मैंने इस बात की कभी कल्पना भी नहीं की थी की आप सभी लोग सेक्स कर रहे होंगे...खासकर मम्मी के बारे में तो मैंने कभी नहीं सोचा था ऐसा.."
दीपा आंटी और मैं बारी बारी से ऋतू और अयान को देख रहे थे छेद से......
ऋतू :"पर तुम्हारी नजर हट ही नहीं रही थी अपनी मम्मी के नंगे जिस्म से...और तुम्हारा लंड भी खड़ा हो गया था..उन्हें देखकर..
मुझे तो तुमने देखा भी नहीं..मैं भी तो नंगी खड़ी थी वहां पर..." ऋतू ने अयान का लंड उसके पायजामे से पकड़ लिया..
अयान के मुंह से एक लम्बी और ठंडी सी सिसकारी निकली...स्स्स्सस्स्स्स ऋतू.....सच कहूँ तो....मैं अपनी मम्मी के नंगे जिस्म को कई बार सोचकर मुठ मार चूका हूँ....
और अक्सर घर में जब भी वो ब्लाउस और पेटीकोट में घुमती है तो मेरा बुरा हाल हो जाता है...और आज तो मैंने जब उन्हें अपने सामने नंगा देखा तो मेरी आँखें हटी ही नहीं उनपर से..."
मैंने दीपा आंटी की तरफ देखा...वो अपने बेटे के दिल की बातें सुन रही थी बड़े गौर से...
मैंने देखा उनकी एक ऊँगली अपनी चूत के अन्दर थी...मतलब अपने बेटे का इकबालिया बयां सुनकर गर्म हो रही थी वो साली दीपा आंटी...
ऋतू : "यानी तुम अपनी माँ की चूत मारना चाहते हो....है न..."
अयान : "काश ऐसा हो जाए...पर अभी तो तुम मेरे इस लंड का हाल चाल ठीक करो...और इतना कहकर उसने अपने लंड से पायजामे को नीचे सरका दिया और अपना लंड दिखाया ऋतू को...
उसका लंड देखकर ऋतू के साथ साथ दीपा आंटी के मुंह से भी आह सी निकल गयी....
मैंने दीपा आंटी को हटाया और देखा अयान का लंड...वो काफी लम्बा था, मेरे और पापा के लंड से भी लम्बा, पर बिलकुल पतला..उसके लंड पर नसें चमक रही थी... और उसके टट्टे काफी लटके हुए से थे...और काफी बड़े भी..काफी गोरा रंग था उसके लंड़ का..उस ऋतू चुद्दकड़ के मुंह में तो पानी आ गया अयान के लम्बे लंड को देखकर..और वो झट से नीचे बैठी और निगल गयी उसे पूरा एक ही बार में..
अह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह अयान ने एक लम्बी सिसकारी ली और ऋतू के बालों को पकड़कर उसके सर को दबा लिया और अपना लंड आगे पीछे करने लगा उसके मुंह में...
दीपा आंटी और मैं बारी बारी से ऋतू और अयान को देख रहे थे...
मम्मी और पापा बड़े आराम से बेड पर लेटे हुए एक दुसरे के नंगे शरीर को अपने हाथों से सहला रहे थे..वो लोग चुदाई से काफी थक चुके थे.. मेरा नंगा जिस्म दीपा आंटी के शरीर से घिसाई कर रहा था..कभी वो मेरे सामने होती छेद में अपनी आँखें लगाये और उनकी मोटी गांड मेरे लंड से टच करती और कभी मेरे पीछे होती जब उनके झूलते हुए मुम्मे मेरी कमर की घिसाई करते...
अचानक ऋतू उठी और अयान को फ्रेंच किस करने लगी....उन दोनों में जैसे एक दुसरे के होंठों को काटने की होड़ सी लगी हुई थी...बड़े बैचेन हो रहे थे दोनों एक दुसरे की जीभ को पकड़ने के लिए...
अयान के दोनों हाथों में ऋतू के शानदार ब्रेस्ट थे...जिन्हें वो बड़े मजे से दबा रहा था..वो नीचे झुका और उन दोनों को बारी बारी से अपने मुंह में लेकर चूसने लगा...
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