Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
12-27-2020, 01:08 PM,
#31
RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
Update 24

अपनी बेटी के मुंह से इतनी गंदी जुबान से यह शब्द सुनकर सोमनाथ को कानों पर विश्वास नहीं हुआ और उसके जोश की सीमा ना रही ।

फिर अपना चेहरा उपासना के कान के पास ले जाकर बोला - उपासना बेटी मैंने भी रंडियां तो बहुत देखी पर तेरे से नीचे नीचे ।

सोमनाथ ने जब यह कहा तो उसने सोचा था कि उपासना मेरे इन शब्दों से और ज्यादा गरम हो जाएगी, लेकिन दोस्तों हुआ उसका उल्टा ही ।

जैसे ही सोमनाथ ने उसके कान में ऐसा कहा तो उपासना ने फिर से उसकी छाती में तुरंत एक जोरदार लात मारी। सोमनाथ बेड से नीचे जा गिरा।
उस भारी-भरकम घोड़ी की लात खा कर सोमनाथ की आज फिर से सदमे जैसी हालत हो गई थी।
उसे समझ नहीं आ रहा था की उपासना ने आज क्यों लात मारी। आज तो वह खुद भी गरम हो रही थी। और शाम से ही चुदने के लिए तड़प रही थी।
लेकिन उसने आज फिर से मुझ में लात मारी जरूर उसे मैंने गुस्सा दिला दिया या कोई और बात है ।
सोमनाथ ऐसा सोच ही रहा था कि तभी उसकी नजर सामने बेड पर बैठी उपासना पर पड़ी। जो बेड पर अपने पैर नीचे लटका कर बैठी थी, और धीरे-धीरे कुटिल मुस्कान के साथ मुस्कुरा रही थी ।

मुस्कुराते हुए बोली - मुझे तू रंडी बोलता है जबकि सच तो यह है कि तु मुझे देखता ही रंडियों की तरह है, इन रंडियों वाली वाली नजर से किसी भी शरीफ औरत को देखेगा तो वह तुझे रंडी ही नजर आएगी , और इन्हीं रंडियों वाली नजर से तूने अपनी बेटी को देखा था और आज तूने अपनी जबान से उगल भी दिया मुझे रंडी कहकर । मुझे अफसोस है तुझे अपना बाप कहते हुए ।आखिर तू राजी ही कैसे हो गया अपनी बेटी के बारे में ऐसा सोचने के लिए ।

दोस्तों धर्मवीर का दिमाग एकदम सुन पड़ गया था उसे इन बातों का जवाब तो दूर उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि गलती मेरी है या उपासना की या हम दोनों की। आखिर माजरा क्या है इतना ज्यादा परेशान और शर्म से अपने बारे में सोचते हुए मुंह छुपा कर सोमनाथ बैठा हुआ था।
उसे आने वाले पलों का अहसास नहीं था कि आगे क्या होने वाला है तभी उसके कानों में फिर से उपासना की आवाज पड़ी ।

उपासना - अपनी गर्दन नीचे झुकाकर क्यों बैठा है कुत्ते । तुझे अपनी बेटी को चोदना था ना ,
यही ख्वाहिश थी ना तेरी कि तेरी बेटी तुझ से चुदवाये,
यही चाहता था ना कि तेरी बेटी तेरी टांगों के नीचे आ जाये,
सिसकारियां लेकर बोली उपासना
बोल जो मैं पूछ रही हूं यही चाहता ना तू कि तेरी बेटी नंगी तेरे लोड़े के नीचे आ जाए और तू अपनी बेटी की चूत में अपना लंड भर सके ।

यह सुनकर सोमनाथ थोड़ा गर्म होने लगा । अपनी बेटी से खुलेआम इस तरीके से पेश आने की उसकी उम्मीद थी। लेकिन फिर भी उपासना सब कुछ खुलेआम उसके सामने कह रही है तो इसे मैं एक न्योता समझूं या गुस्सा।
अभी तक यह फैसला नहीं कर पा रहा था सोमनाथ ।

उपासना ने फिर से बोलना शुरू किया- अभी शाम को इतनी बातें बना रहा था अब तेरी मुंह में जबान नहीं रही क्या ,
तू यही तो चाहता था कि मैं थोड़ा खुल सकूं मैं थोड़ा खुल कर तुझ से बात कर सकूं, तो कर तो रही हूं अब देखना बिल्कुल खुल कर बात कर रही हूँ।
तेरे मुंह पर टेप किसने लगा दी जो तू बोलता नहीं , मैं तो तेरी उम्मीदों से दो कदम आगे निकली हूं अब तू क्यों चुप है। तुझे क्यों सांप सूंघ गया है मैंने तो कोई कसर नहीं छोड़ी तेरी उम्मीदों पर खरी उतरने में।
देख ले तू चाहता था कि मैं तेरे सामने नंगी हो जाऊं तो तूने आज मुझे कर दिया नंगी, मैं इस बेड पर मादरजात नंगी बैठी हूं
तू चाहता था कि मैं तुझे प्यार करूं सॉरी मैं गलत बोल गई तू तो यह चाहता ही नहीं था कि मैं तुझे प्यार करूं बल्कि तू यह चाहता था कि मैं तुझ से अपनी चूत का भोसड़ा बनवा लूं , तो ले बैठी तो हूं बेड पर अपनी चूत खोले।
तू चाहता था कि मैं तेरा लोड़ा अपने मुंह में लूं तो देख बैठी तो है तेरी बेटी तेरा लंड मुंह में लेने के लिए ।
तू चाहता था कि मैं तेरे नीचे आकर चुदूं अपनी गांड उठा उठा कर तो चल मैं उसके लिए भी तैयार हूं ।अपनी गांड उठा उठा कर ही चुदूंगी तुझसे ।
तू चाहता था कि मैं तेरे लंड से निकला वीर्य अपनी चूत में भर लूं तो चल वो भी भर लूंगी।
तू चाहता था कि तू अपना मुंह मेरी गांड में घुसा कर मेरी गांड से खेले चल मैं उसके लिए भी तैयार हूं।
और सबसे लास्ट में यह कहूंगी कि तू चाहता था कि तू मुझे रंडी की तरह रगड़ दे ,तू मुझे अपनी कुतिया बनाकर चोदे तो मैं इसके लिए बिल्कुल तैयार नहीं हूँ............................................. क्योंकि तुझे भी तेरे किए की सजा मिलनी चाहिए । तुझे भी पता चलना चाहिए कि जब एक औरत अपनी पर आती है तो मर्द को कुत्ता बना देती है , और आज मैं तुझे अपना कुत्ता बनाऊंगी और तू किसी कुत्ते की तरह अपनी मालकिन की सेवा करेगा ।
तुझे आज मैं दिखाऊंगी कि जब औरत अपनी पर आती है तो वह किसी की रंडी और रखैल नहीं बनती बल्कि अपने बाप को भी गुलाम बनाकर उसकी मालकिन बन जाती है ।

चल बहन के लोड़े खड़ा हो और इधर आ मेरे पैरों में यह सुनकर सोमनाथ के पैरों के नीचे से जमीन ही निकल गई ।

उसे उम्मीद ही नहीं थी ऐसा भी कुछ हो सकता है।
उसे उम्मीद नहीं थी उसकी बेटी ही उसकी आंखें खोल देगी ।
लेकिन जहां अब वह खड़ा था वहां से लौटना मुश्किल था।
उसने उपासना के इस रूप की उम्मीद तो दूर सोच तक भी नहीं की थी ।
अब तो सोमनाथ चुपचाप खड़ा हुआ और गर्दन झुका कर उपासना के सामने जाकर खड़ा हो गया ।

उपासना की आवाज कमरे में गूंजी - नीचे बैठ भोसड़ी के ।

सोमनाथ चुपचाप नीचे बैठ गया उपासना ने अपना पैर उसके मुंह के सामने कर दिया । सोमनाथ ने देखा की पैरों पर मेहंदी लगी हुई थी और बिल्कुल चिकने गोरे पैरों पर लाल मेहंदी ऐसे शोभा दे रही थी जैसे वृक्षों पर फल।
उपासना के पैरों में से निकलती हुई भीनी भीनी परफ्यूम की खुशबू सोमनाथ के नथुनों में भर रही थी ।

(( दोस्तों अब आप यह सोच रहे होगे कि यह राइटर तो भाई पैरों में भी परफ्यूम की खुशबू लिख देता है । तो दोस्तों यह सब मैं बस लिखता ही जा रहा हूं उसी तरह आप बिना सोचे पढ़ते जाओ ))

सोमनाथ उपासना के पैरों को देख ही रहा था अपने ख्यालों में डूबा हुआ कि तभी उसके कानों में उपासना की आवाज पड़ी जिसमें रौब और गुरूर दोनों थे ।

उपासना- तेरे जैसा गांडू मैंने भी आज तक नहीं देखा अगर मैं यह बोलूं तो तुझे कैसा लगेगा जलील लगेगा ना तुझे ।जलालत फील करेगा ना तू तो अपनी बेटी के कानों में जब तूने यह बोला कि सारी रंडियां तेरे से नीचे नीचे है तो सोच मुझे कैसा फील हुआ होगा । जलालत फील हुई होगी ना मुझे। लगा होगा ना बुरा। अब मैं तुझे बताती हूं की जलालत कैसे फील होती है।
असली जलालत मैं तुझे फील कराउंगी। तुझे पता चलेगा एक औरत का बदला ।

सोमनाथ को फिर से झटका लगा आज तो उसे झटके ही झटके लगते जा रहे थे और अपने मन में सोमनाथ सोचने लगा - उधर धर्मवीर साला मस्ती से पूजा की चूत को कूट रहा होगा और मेरी यहां मा चुदी पड़ी है, यहां मेरी गांड फाड़ के रख दी उपासना ने । यह सोमनाथ सोच रहा था की उपासना की आवाज से वह ख्यालों से बाहर आया।

उपासना - ओ गंडवे क्या सोच रहा है दिखता नहीं है मालकिन सामने बैठी है। चल मेरे पैरों को साफ कर आज गंदे गंदे से लग रहे हैं ।

सोमनाथ ने अपनी जीभ उपासना के पैरों पर फेरी और उसके पैरों को चाट कर साफ कर दिया।

फिर उपासना बेड से उतरी और गेट के पास जाकर खड़ी हो गई ।
उपासना जब खड़ी थी तब उसकी पीठ सोमनाथ की तरफ थी
जिससे कि उसके मोटे मोटे कूल्हे बिल्कुल नंगे सोमनाथ की तरफ थे ।
ऊपर से उसका शरीर बिल्कुल ऐसा लगता था जैसे लोड़े की भूखी कोई प्यासी औरत खड़ी हो ।।

उपासना ने कहा - भोंसड़ी के आंखें फाड़ फाड़ के क्या देख रहा है आकर मेरी गांड चाट दे थोड़ी सी ।

यह सुनकर सोमनाथ खड़ा होकर उपासना के पास आने लगा कि तभी एक रौबदार आवाज मैं उपासना ने गरज कर कहा - तू कुत्ता है गांडू है और तेरे जैसे कुत्ते और गांडू मेरे जैसी संस्कारी बेटी के पास खड़े होकर आएंगे क्या।
इतनी हिम्मत कैसे आ गई तुझ में , अपनी औकात में आ नीचे फर्श पर कुत्ता बनकर ।

अब तो दोस्तों सोमनाथ के लोड़े लग गए थे अपने मन में यही सोच रहा था कि कहां मैं चूत का इंतजाम समझ कर चूत बजाने के लिए आया था लेकिन यहां तो मेरी ही गांड उल्टी फट रही है । मैंने सोचा था कि जब उसकी चूत में लौड़ा भरूंगा तो यह कुत्तिया ओह आह की तरह सिसकारियां भरेगी । लेकिन यहां तो मेरी सिसकारियां निकलने को तैयार हैं । भोसड़ी का इतना इंसल्ट अपना कभी नहीं हुआ । इससे तो अच्छा था मैं इस के चक्कर में आता ही नहीं पर मेरी भी क्या गलती मुझे तो धर्मवीर ने गुमराह किया था।
और जिसमें की यह साली मेरी बेटी उसकी बहू होकर उसके लोड़े पर नाची थी तो मैं क्या कोई भी गुमराह हो सकता है। मुझे क्या पता थी कि मेरे साथ ऐसा होगा। मैंने तो यही सोचा था कि मेरे भी लोड़े पर नाच लेगी पर यहां तो उल्टा हो रहा है ।

दोस्तों अब तक उपासना उसके पास आ चुकी थी और उसके गाल पर एक जोरदार तमाचा मार कर बोली - रंडी के क्या सोच रहा है मैंने बोला था ना आकर मेरी गांड चाट दे। इतनी देर हो गई मुझे कहे हुए और तेरे कान पर अब तक जो जूं भी नहीं रेंगी । और ऐसा कहकर उपासना उसकी तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी।

सोमनाथ की आंखों के सामने उसके भारी-भारी चूतड़ ऐसे थे जैसे कह रहे हो कि हमें लोड़े की जरूरत है । हमारे चौड़े होने का राज सिर्फ और सिर्फ लंड है ।

सोमनाथ में अपना मुंह उपासना के कूल्हों की तरफ ले जाना शुरू कर दिया। उसकी मोटी मोटी जांघों के बीच में सोमनाथ को अपना मुंह छोटा महसूस हो रहा था ।उपासना के फैले हुए चूतड़ उसके चेहरे को छुपाने के लिए बेताब थे।

सोमनाथ ने अपनी जीभ निकालकर उपासना की गांड की दरार में रखी तो उधर उपासना की भी हालत खराब हो गई क्योंकि चुदने का तो मन आज वह बना चुकी थी ।
अपने बाप की जबान पहली बार अपनी चूत और गांड के इतना करीब महसूस करके उसकी हालत अब खराब होने लगी थी।

उधर सोमनाथ ने भी महसूस किया की उपासना की चूत से उसके मूत की मादक खुशबू उसके नथुनी में आ रही है ।
उसे नशा सा होने लगा उपासना के कौमार्य का।
उसे नशा सा होने लगा होने लगा अपनी जवान बेटी के भरे हुए जिस्म का।
उसे नशा सा होने लगा उपासना की लंड मांगती चूत का और इसी नशे में सोमनाथ ने उपासना के दोनों साइड में हाथ रखकर उपासना की गांड में अपना मुंह घुसा दिया और उसकी नाक उपासना की पानी छोड़ती हुई चूत से जा टकराई। तभी उपासना ने अपनी गांड से ही सोमनाथ की मुंह पर धक्का मारा जिस से सोमनाथ फिर पीछे की तरफ गिर गया क्योंकि धक्का जोरदार था।

तभी उपासना की तेज आवाज कमरे में फिर से गूंजी अपनी औकात भूल गया क्या मेरे कुत्ते। मैंने तुझे गांड चाटने को बोला था अपने जिस्म से खेलने को नहीं । तूने कैसे हिम्मत कि अपने हाथों से मुझे छूने की।
सालों को गांड चाटनी भी नहीं आती चल दोबारा से आकर चाट ऐसा कहकर उपासना बेड पर चढ़ी और कुत्तिया बन गई और अपनी गांड उपासना ने सोमनाथ की तरफ की हुई थी ।

सोमनाथ के जोश की सीमा नहीं थी लेकिन सोमनाथ की गांड बराबर फट रही थी उसे पता नहीं होता था कि उसके साथ क्या होने वाला है।
उसे आज इतने झटके लगे थे कि अब उसने उसके दिमाग ने काम ही करना बंद कर दिया था ।

अपने आप को कठपुतली सा महसूस करने लगा था सोमनाथ क्योंकि उसे समझ में नहीं आता था की उपासना कब और किस बात पर गुस्सा हो जाती है । उसने फिर से उपासना की तरफ देखा तो उपासना बेड पर कोहनी के बल झुकी हुई थी और उसके गांड पीछे को उभरकर बिल्कुल साफ दिख रही थी । उसकी भारी भारी जांघों के बीच हल्का सा अंधेरा सा दिख रहा था सोमनाथ को। जो कि दूर से देखने पर उसकी बेटी उपासना की चूत पर झांटें थी ।

सोमनाथ धीरे-धीरे कुत्ते की तरह बैठ के पास आया और फिर बेड पर उपासना के पीछे बैठ गया ।

वह अपने आप को एक तरह से धन्य भी महसूस कर रहा था उसे यकीन नहीं था कि उसकी बेटी अपनी गांड को इस तरह खोलकर दिखाएगी ।

सोमनाथ ने उपासना को बिना छुए ही उसकी गांड से अपना मुंह लगा दिया और उपासना की पानी छोड़ती हुई चूत ने उसकी नाक और होठों को गिला कर दिया ।
उपासना की चूत की खुशबू सोमनाथ को इतनी मादक लगी कि उसने जीभ की जगह अपनी नाक ही उपासना की चूत के छेद से रगड़ दी ।

उधर उपासना भी सिसकारी ले उठी अपने बाप की हरकत से । इतनी गरम तो वह धर्मवीर से चुदवाते वक्त भी नहीं हुई थी जितनी गर्म आज गई थी।
उसकी आंखों में उसे बस लंड ही दिख रहा था इतनी चुदासी हो गई थी उपासना ।

सोमनाथ ने इस तरह चूत को चाटने के बाद उसके चूतड़ों को चाटने लगा उपासना के नितंबों को अपने थूक से अब गीला करके जांघो की तरफ आया और उन मोटी मोटी जांघों को चाटने लगा ।

तभी उपासना बेड पर सीधी बैठी तो उसकी चूचियां भी उछल रही थी ।
बैठकर उपासना बोली - चल रंडी की औलाद अपनी पैंट उतार

सोमनाथ ने बिना देर किए हुए अपनी पेंट निकाल दी नीचे उसने अंडरवियर नहीं पहना हुआ था । उसका खड़ा लोड़ा उछल कर बाहर आ गया।

उपासना ने जब उसका लंड देखा तो उपासना की आंखों में चमक आ गई क्योंकि उसने यह तो देखा था कि उसके बाप का लोड़ा धर्मवीर के लंड से लंबा है लेकिन इतना अंतर होगा और पास से देखने पर इतना प्यारा लगेगा यह उसने नहीं सोचा था ।

सोमनाथ लोड़े की चमक उपासना की आंखों में साफ देख सकता था लेकिन कुछ बोलने की हिम्मत उसमें नहीं थी क्योंकि उपासना ने उसकी गांड फाड़ कर रखी थी आज।

उपासना ने पास आकर लंड पर एक हल्का सा थप्पड़ लगाया और बोली अपनी बेटी को देख कर भी तेरा यह लंड खड़ा हो रहा है।
चल इसे अपने हाथों से मुट्ठ मार कर दिखा।

सोमनाथ ने अपना लंड हाथ में पकड़ा और आगे पीछे करने लगा।

इस नजारे ने उपासना को इतना उत्तेजित कर दिया कि उसने जोश से अपनी आंखें कुछ सेकंड के लिए बंद कर ली और सोचने लगी - कि क्या लंड उसके बाप का और धन्यवाद कर रही थी भगवान का कि राकेश के बाद उसने इतने लंबे और मोटे लौड़ों का इंतजाम किया है मेरे लिए ।
आज तो मुझे महसूस हो रहा है कि मैं विधवा ही अच्छी हूं कम से कम मेरी जवानी को कूटने वाले लंड तो मिलेंगे ।
मुझे महसूस हो रहा है मेरे पति राकेश तुम्हारा तो लंड नहीं लुल्ली था मुझे तो विधवा होकर देखने को मिल रहे हैं लंड । हां मेरे पति राकेश आज तुम्हारी विधवा पत्नी असली लंड के सामने नंगी बैठी है क्योंकि तुम तो उसे लंड दे नहीं पाते थे तुम तो लुल्ली देते थे । लंड तो मैं आज लूंगी । लंड लंड लंड आज लूंगी मैं लंड । लंड अपने मुंह में , अपनी चूत में अपनी गांड में अपने सारे छेदों में मैं आज लंड लूंगी ।
अपने मन ही मन में लंड के लिए इतनी पागल होकर उपासना ने आंखें खोली तो उसके बाप का लोड़ा उसकी आंखों के सामने लहरा रहा था, जिसमें से पानी की कुछ बूंदें उसके सुपाड़े को गीला कर रही थी ।
उपासना कल्पना कर रही थी कि यह लंड बिल्कुल सही है एक औरत को चोदने के लिए । ऐसे लंड से हर वह घोड़ी संतुष्ट हो सकती है जिसे लंड ही लंड दिखता हो । ऐसा लोड़ा तो अगर कोई रंडी भी ले ले तो उसकी भी चाल में फर्क डाल सकता है । शायद इसे ही हल्लबी लंड कहते हैं ।

अब उपासना सोमनाथ को उंगली का इशारा करते हुए अपने पास आने को बोली ।

उपासना की तरफ सोमनाथ आया और घुटने के बल खड़ा हो गया ।

उपासना ने अपना चेहरा नीचे की तरफ किया सोमनाथ के लंड का टमाटर के जैसा सुपाड़ा उपासना के चेहरे के पास आ गया ।

उपासना ने अपनी नाक और सुपाड़े के नजदीक कर दी जिससे कि सोमनाथ को अपने लंड पर उपासना की गर्म सांसे महसूस होने लगी ।

उपासना ने पूरे लंड को पहले अपनी नाक से सूंघा लंबी लंबी सांसे लेकर और फिर लंड से अपना चेहरा दूर खींच लिया ।

सोमनाथ के लंड की बिल्कुल सीध में अपना मुंह करके उपासना ने हल्का सा मुंह खोल दिया और अपनी उंगली से सोमनाथ को आगे की तरफ बढ़ने का इशारा किया।

सोमनाथ के लिए यह बिल्कुल नया था उसकी बेटी जो आज उसे चुदाई की मालकिन नजर आ रही थी, चुदाई की देवी नजर आ रही थी ।।

सोमनाथ उपासना के मुंह की तरफ बेड पर बढ़ने लगा और आगे की तरफ बढ़ कर उसने होठों के पास लंड ले जाकर रोक दिया क्योंकि सोमनाथ को अब हर बात पर डर लगने लगा था।
सोमनाथ ने सोचा कि ऐसा ना हो मुंह में लंड डाला और कहीं उपासना फिर से नाराज हो गई तो।
इस वजह से उसकी फट भी रही थी जिस वजह से उसने लंड को मुंह के बिल्कुल पास लाकर रोक दिया ।

अब उपासना ने अपनी उंगली से फिर और पास आने का इशारा किया सोमनाथ का लंड अब उपासना के होंठो से छू गया था जिस वजह से सोमनाथ के जेहन में एक लहर सी दौड़ गई ।

उपासना ने अपनी नाक से सोमनाथ के लंड के गीले कपड़े को सुंधा और फिर सोमनाथ से इसी पोजीशन में बोली- मेरे गांडू पापा , मेरे गुलाम , भड़वे, रंडी की औलाद तेरे लंड की खुशबू तेरी मालकिन को भा गई है। तेरी मालकिन तुझसे बहुत खुश है चल मैं तुझे खुश होकर एक वरदान देती हूं।
मांग ले जो तुझे मांगना है ।

सोमनाथ को अभी भी डर ही लग रहा था उसने सोचा यह तो बिल्कुल देवी की तरह मेरे साथ व्यवहार कर रही है । मैं क्या मांगू इससे--- मैं इससे बोलता हूं कि तुम मुझे लात नहीं मारोगी । फिर उसने सोचा अरे नहीं नहीं मैं इस से वरदान मांगता हूं कि तुम मुझे किसी भी तरह का धक्का नहीं दोगी और मेरी बेइज्जती नहीं करोगी । लेकिन तभी अचानक सोमनाथ के सर ने एक झटका खाया और उसकी आंखों में चमक आ गई । उसने सोचा हां मैं यही मांगता हूं लेकिन पहले कंफर्म कर लूं कि पक्का मिलेगा या नहीं ।

यह सोचते हुए सोमनाथ बोला - मालकिन ऐसा तो नहीं कि जो मन में आए मैं मांगू और आप मना कर दो।

तभी उपासना बोली - मुझे तुझसे यही उम्मीद थी क्योंकि तो गांडू है, तू दल्ला है , तू भड़वा है, तू एक नंबर का मादरचोद है क्योंकि तुझे मैंने अभी असली औरत की ताकत का एहसास कराया था और तू फिर भूल गया कि औरत क्या चीज होती है । जब औरत कहती है तो पीछे नहीं हटती इसलिए ज्यादा सोच मत और मांग तू क्या चाहता है कोई भी एक वरदान मांग ले।
अगर वह वरदान मेरी जान भी हुआ तो भी मैं आज तुझे अपनी जान देकर वह वरदान पूरा करूंगी । मांग ले जो तुझे मांगना है ।

सोमनाथ- बोला तो ठीक है मालकिन अगर बुरा लगे तो माफ कर देना क्योंकि मैं आपका गुलाम हूं, अपने इस गुलाम को माफ कर देना अगर मैं कुछ गलत मांग बैठूं तो । या ऐसा वरदान मांग बैठूं जिसे आप पूरा ना कर सको तो इस गुलाम को माफ कर देना।
मैं मांगता हूं मेरा वरदान है कि - मैं कुछ भी करूं तुम उसमें मेरा साथ दोगी मैं जैसे चाहूं वैसे तुम्हें चोद सकूं
अगर मैं रंडी या अपनी कुतिया भी बनाना चाहूं तो बना सकूं ।

यह सुनकर उपासना ने अपनी नाक से सोमनाथ के लंड के गीले सुपाड़े को रगड़ते हुए शायराना अंदाज में कहा- ठीक है दीया यह भी वरदान। तथास्तु मेरे गुलाम ।
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12-27-2020, 01:08 PM,
#32
RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
ऐसा कहकर उपासना अपना मुंह खोले हुए उसी झुकी हुई पोजीशन में उसके लंड के सामने ऐसे ही रही ।

सोमनाथ ने कहा ठीक है मतलब तूने मुझे यह वरदान दिया है । तुमने की जगह तू का यूज़ किया सोमनाथ ने और ऐसा कहकर सोमनाथ ने उपासना की सर को पकड़कर उसकी खुले मुंह में अपना लंड घुसेड़ दिया ।

आधा लंड मुंह में जाते ही उपासना की आंखें बाहर आ गई ।
कमरे का माहौल बिल्कुल बदल गया सब कुछ सोमनाथ के लिए एक पल में बदल गया और उपासना के लिए भी ।

अब सोमनाथ ने उसके मुंह में आधा लंड चूस कर उसके गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारते हुए बोला - ले ले इसे अपने हलक में ।
जिस तरह तू अपनी चूत और गांड की मालकिन है । मैं भी लोड़े का मालिक हूं । अभी नीचे आकर छूट जाएगी तेरी मस्ती । तेरी सारी मस्ती झड़ जाएगी। जितनी मस्ती तेरी गांड में चढ़ी है सारी उतर जाएगी । वैसे भी तेरे जैसी घोड़ी को लंड ना मिले तो क्या जवाब देगी तू अपनी इस गदरायी जवानी को।
ऐसा कहकर सोमनाथ ने पूरा लंड उपासना के मुंह में घुस आने के लिए उसके सर को पकड़कर झटका मारा ।

उपासना की आंखें अब सोमनाथ की झांटों पर आ गई ।सोमनाथ के लंड की जड़ में उगे हुए बाल उपासना की बिल्कुल आंखों पर थे, मतलब लौड़ा उसके हलक तक पहुंच गया था और उसे सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी थी इसी तकलीफ के कारण उपासना के मुंह से केवल घोंघोंघोंघों की आवाज आ रही थी ।
सोमनाथ समझ गया कि मुंह में पूरा लंड ले गई मतलब प्यासी तो है कुतिया।
और गर्म भी है सही से ठोकने लायक माल है बिल्कुल मेरी बेटी ।

ऐसा सोचकर सोमनाथ ने एक झटके से बाहर खींच लिया पूरा लंड
सेकंड के कुछ हिस्से में ही उपासना के मुंह से गोली की तरह बाहर हो गया उसके बाप का लौड़ा। उपासना का मुंह खुला का खुला रह गया जिसमें से उसकी थूक की लार नीचे लटक रही थी।
अब सोमनाथ ने उसके बालों को खींच कर बेड पर घुटने के बल खड़े करते हुए खुद उसके सामने खड़ा हो गया और और उसके खुले चेहरे को अपने हाथों से पकड़कर ऊपर की तरफ मोड़ा और झुक कर उसके मुंह में थूक दिया ।

यह सब उपासना के लिए इतना जल्दी हुआ कि उसे सोचने और समझने का भी वक्त नहीं मिला । जब उसके मुंह में उसके बाप ने थूका तो उसे एहसास हुआ कि ऐसा प्यार तो धर्मवीर ने भी नहीं किया था जितना मजा मुझे प्यार में आ रहा है और अपने बाप का थूक अपने मुंह में उसने अपने थूक से मिला दिया ।

सोमनाथ ने उसके गाल पर हल्का सा थप्पड़ मारते हुए उसके मुंह में दोबारा से थूका और फिर खड़ा होकर अपना लंड उसके मुंह में घुसेड़ दिया ।

उपासना का सर पकड़ कर उसके मुंह में लंड के घस्से मारता हुआ बोला - बेटी ऐसे लंड भगवान तेरे जैसी गरम रंडियों के लिए ही बनाता है मैं तो अपने लंड को देखकर सोचता था कि मेरा लंड सबसे इतना अलग अलग क्यों है लेकिन मुझे आज पता चला ऐसे लंड तो तेरे जैसी गदरआई हुई घोड़ियों के लिए बने होते हैं जो तुम्हारा सही से बाजा बजा सकें ।

उपासना भी गर्म होते हुए उसके लंड के झटकों से अपने मुंह की ताल से ताल मिला रही थी। फिर कुछ झटके मारने के बाद सोमनाथ उसके मुंह से अपना लौड़ा निकाल कर बेड पर बैठ गया।

उपासना के मुंह से सोमनाथ के लंड की लार से मिली हुई लार उसके मुंह से टपक रही थी । अपनी बेटी के मोटे मोटे चूचे और उसका चेहरा इस तरह से सना हुआ देखकर सोमनाथ का सर भनभना गया।

सोमनाथ ने उपासना का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ खींचते हुए बेड पर उसे अपनी गोद में उल्टी लिटा लिया ।
अब उपासना की गांड बैठे हुए सोमनाथ की गोद में थी और उस चौड़ी और भारी सी गांड को देखकर सोमनाथ के मुंह में भी पानी आ गया ।
उसने जोश में आते हुए एक जोरदार थप्पड़ उसकी गांड पर लगाया ।

अपने बाप के भारी हाथों से अपनी भारी गांड पर पड़ा थप्पड़ महसूस करके उपासना के मुंह से आउच निकला।

अब सोमनाथ ने उसके दोनों चूतड़ों को फैलाया और देखा तो उसकी चूत के छेद से पानी रिस रहा था। सोमनाथ में उपासना की चूत जिसे अभी अभी कुत्तों की तरह चाटा था उसमें अपनी एक उंगली डाल दी ।

उपासना ने जब अपनी पानी छोड़ती चूत में अपने बाप की उंगली महसूस की तो उसकी सिसकारी निकल पड़ी ।

बेटी को सिसियाती हुई देख सोमनाथ ने अपनी पूरी जान लगा कर तेजी से उंगली चूत के अंदर बाहर करने शुरू कर दी । उंगली से हो रही इस चूत चुदाई के सामने उपासना 1 मिनट भी नहीं टिक सकी और उसने पानी छोड़ दिया। यह देखकर तो सोमनाथ बिल्कुल हैरान ही रह गया क्योंकि वह भी अपना हाथ गीला होने की वजह से समझ गया था कि उपासना झड़ गई और हैरान होते हुए सोचने लगा कि उसकी बेटी कितनी गरम है । उसकी उंगली पर ही इतनी जल्दी झड़ गई इसे तो ठोकने के लिए सच में ही एक दमदार लंड की जरूरत है जो इसकी चूत के पानी को सुखा सके ।
सच में बहुत गर्म और चुदक्कड़ है मेरी बेटी ।

यह सोचते हुए सोमनाथ बोला - क्या हुआ उपासना बेटी इतनी गरम है तू तो कि मेरी उंगली पर ही पानी छोड़ गई। अभी तो लौड़ा चूत में गया भी नहीं अब तू ही बता मैंने सच ही तो कहा था कि रंडियां तो देखी पर तेरे जैसी रंडी से सब नीचे हैं जो इतनी गरम है । ऐसे ही तेरी गांड बखान नहीं करती तेरे गर्म होने का। ऐसे ही तेरे मटकते चूतड़ बखान नहीं करते तेरी लंड की प्यास का कुछ तो बात होती है जब ये बखान करते हैं । वह सच ही कहते हैं उनकी क्या गलती ।

अब उपासना भी गरम होकर झड़ चुकी थी और बुरी तरह से सिसिया रही थी लंड के लिए और लंड की उसी भूख की में बोली बड़ी ही कामुक आवाज में - क्या कहते हैं आपकी बेटी के मटकते चूतड़ और गांड ।

सोमनाथ बोला - ये कहते हैं कि हमें अच्छे से रगड़ कर चोदो। हमें दौड़ा-दौड़ा कर चोदो । तेरी भारी भरकम गांड जब हिलती है बेटी तो ऐसा लगता है कि तुझे मुता मुताकर चोदू ।

उपासना भी कामुक आवाज में साथ देती हुई बोली- हां पापा यह बात तो माननी पड़ेगी। मेरी चूत अब लोड़े मांगने लगी है । आपकी बेटी अब पूरी तरह से जवान हो गई है तो इसमें मेरी क्या गलती है पापा ।
मेरी उम्र भी तो हो गई है अब लौड़ों से खेलने की , लौड़ों के नीचे रहने की।

सोमनाथ के जोश में इतनी बढ़ोतरी हुई कि उसने उपासना को बेड पर सीधी लिटा कर और जल्दी से उसके घुटने उसकी छाती से मिला दिए ।
यह सीन कुछ ऐसा था की पहली बार उपासना के चेहरे पर शर्म की लाली छा गई और उसके चेहरे पर शर्म और शरारत से मिली जुली मुस्कान फैल गई।

सीन कुछ ऐसा था दोस्तों की उपासना तकिए पर सर रखकर लेटी थी और सोमनाथ ने उसके घुटने मोड़कर बिल्कुल इसकी छातियों से लगा दिए थे जिससे की उपासना की चूत के सामने बिल्कुल सोमनाथ का चेहरा दिख रहा था ।

उपासना अपनी बालों से ढकी हुई चूत से होते हुए सीधा अपने बाप की आंखों में झांक रही थी।
जो उपासना अभी कुछ सेकंड पहले ही झड़ी थी उसकी चूत से उसकी गांड की दरार में जाता हुआ पानी देख रहा था अब सोमनाथ ।

सोमनाथ ने एक तकिया उठाकर उसकी गांड के नीचे रख दिया और उपासना की आंखों में झांकते हुए उसकी चूत की तरफ अपने होंठ कर दिए।

दृश्य कुछ ऐसा था की उपासना और सोमनाथ दोनों बाप बेटी एक दूसरे की आंखों में झांक रहे थे बिना कुछ बोले । जैसे कुछ पढ़ रहे हो ।

उपासना की आंखों में झांकते हुए सोमनाथ ने अपना मुंह उपासना की गीली चूत पर रख दिया।

गीली चूत पर मुंह जाते ही उपासना ने सिसकारी भरनी चाही लेकिन वह रुक गई क्योंकि उसकी आंखों में झांकता हुआ सोमनाथ उसकी चूत पर मुह लगाए उसे बड़ा अच्छा लग रहा था । और वह नहीं चाहती थी कि उसकी आंखों का यह कनेक्शन टूटे । जिसकी वजह से उपासना ने अपनी सिसकारी को रोककर सोमनाथ की आंखों में आंखें ही डाले रखीं ।

अब सोमनाथ ने अपनी बेटी की आंखों में झांकते हुए अपनी जीभ निकालकर कुटिल मुस्कान के साथ उसकी चूत के छेद पर रख दिया।

उपासना के लिए यह बर्दाश्त से बाहर हो गया था अपनी सिसकारी को रोकना लेकिन फिर भी उपासना सोमनाथ की आंखों में घूरती रही ।

अब सोमनाथ भी उपासना को उसकी चूत चाटते हुए घूरने लगा था।
यह आंखें प्यार वाली नहीं थी दोस्तों यह आंखें तो एक दूसरे को खोल रही थी । सोमनाथ को उपासना की आंखों में प्यार नहीं बल्कि लंड की भूखी एक औरत की प्यास दिख रही थी ।
उपासना की आंखों में प्यार नहीं गुस्सा सा महसूस हो रहा था सोमनाथ को।

और इसी तरह कुछ सोमनाथ भी उपासना को घूर रहा था ।

उपासना को सोमनाथ की आंखों में प्यार नहीं बल्कि उसकी गदरायी चूत और गांड की बखिया उधेड़ कर रखने वाला लंड दिख रहा था ।

इसी तरह 1 मिनट तक उपासना की आंखों को घूरते हुए चूत चाटकर सोमनाथ बेड पर खड़ा होकर अपने लोड़े को हिलाने लगा , लेकिन आंखों का कनेक्शन नही टूटने दिया।

अभी भी दोनों एक दूसरे को घूर रहे थे ।

उपासना को घूरते हुए सोमनाथ ने थोड़ा सा झुकते हुए अपना लौड़ा उपासना की चूत पर रगड़ना शुरु कर दिया ।

अब यह सोमनाथ के लिए भी बर्दाश्त से बाहर था कि चेहरे पर कोई बदलाव ना आए , उसकी आह ना निकले क्योंकि वह उपासना की घूरती नजरों में उतनी ही गहराई से झांक रहा था ।

उधर उपासना भी सोमनाथ का लंड अपनी चूत पर रगड़ता महसूस करके बड़ी मुश्किल से अपनी सिसकारी रोकने की कोशिश करते हुए सोमनाथ को घूरती रही ।

दोस्तों नजारा ही कुछ ऐसा था कमरे का की एक जवान कुतिया लोड़े की चाह में बेड पर उस लंड के नीचे अपने बाप को नहीं बल्कि अपने यार को घूर रही थी। उपासना उसके लंड की रगड़ से मूतने को तैयार थी उसका उत्तेजना के मारे मूत निकलने को तैयार था ।

सोमनाथ ने उपासना की आंखों में लंड कितनी भूख देखकर लंड उसके छेद पर रख कर दबाव देना शुरू किया ।

दोस्तों उपासना ने अपनी मुट्ठी से बेडशीट को कस कर पकड़ लिया ताकि उसके मुंह से कोई चीख या कोई आह ना निकले, और अपने चेहरे पर बिना कोई एक्सप्रेशन लाए सोमनाथ की आंखों में घूरती रही ।

अपनी चूत में अपने बाप के लंड का सुपाड़ा फंसाकर कर (जिस सुपाड़े को अभी कुछ देर पहले अपनी नाक से रगड़ रगड़कर सूंघ रही थी) उपासना जरा भी नहीं सिसकी।

बस वह अपने बाप की आंखों में घूरती रही ।

सोमनाथ ने उपासना की आंखों में घूरते हुए अपने लंड पर और दबाव बनाया तो सोमनाथ को महसूस हुआ कि इसके आगे उपासना अपनी चीख नहीं रोक पाएगी या उसके मुंह से सिसकारी निकल जाएगी तो सोमनाथ रुक गया और उसकी आंखों में घूरता ही रहा जैसे कि पूछ रहा हो कि डाल दूं तेरी चूत में यह लंड, कर दूं तेरी चुदाई, भर दूं तेरी चूत को अपने लोड़े से।

सोमनाथ को उपासना की तरफ से कोई इशारा आने की उम्मीद थी लेकिन यह उम्मीद टूट गई जब 2 मिनट तक चूत में लंड का सुपाड़ा फसाकर उपासना उसकी आंखों में ऐसे ही घूरती रही बिना कोई इशारा किये।

अब सोमनाथ भी उसकी आंखों में घूरते हुए सोचने लगा की चीख तो दबाव देने से निकलेगी और वैसे भी निकलेगी और ऐसा सोच कर उपासना की आंखों में खा जाने वाली नजरों से घूरते हुए , उपासना की चूत पर अपना हाथ ले गया और उपासना की चूत के पानी में अपना हाथ गीला करके अपने बाकी बचे लंड पर लगाने लगा।

सुपाड़ा उपासना की चूत में फंसा हुआ था पूरा लंड भी गीला कर लिया था सोमनाथ ने ।

उपासना की आंखों में बिल्कुल ऐसे ही घूरते हुए कुछ सेकंड तक देखा जैसे अभी भी उसके आखिरी इशारे की प्रतीक्षा कर रहा हो लेकिन उपासना की तरफ से कोई इशारा नहीं बस उपासना की भूखी आंखें उसे घूरे जा रही थी।

सोमनाथ अपने दोनों हाथों से उपासना के घुटने उसकी छाती से मिला दिए।

अपने हाथों से उपासना की जांघों पर वजन रखते हुए उसके ऊपर झुक कर उपासना की आंखों में घूरते हुए अपनी पूरी जान से सोमनाथ में झटका मारा।
झटका इतनी जान से मारा गया था एक बार में ही आधे से ज्यादा लंड उपासना की चूत में जा फंसा और अपनी चूत में फंसा हुआ आधे से ज्यादा लोड़ा महसूस करते ही उपासना की चीख उस कमरे में गूंज गई ।

दोस्तों ठीक ऐसा लगा था जैसे कोई गरम कुतिया गला फाड़ कर चीखी हो aaaaaaahhhhhhhh......margayiiiiiiiiiiiaaaaaahhhhhhssshh.....
और यहां पर इस तरह से उपासना और सोमनाथ की आंखों का कनेक्शन टूट गया ।
और उस लज्जत भरी चीख के बाद उपासना ने दर्द को सहन करते हुए कहा - अपनी बेटी की चूत फाड़ कर रखने की कसम खाकर आए हो क्या पापा ।
*******
इतनी देर लिखने के बाद भी इनका उपासना और सोमनाथ का प्रोग्राम पूरा नहीं हो सका । माफी चाहता हूं चिंता मुझे इस बात की है कि मैं इस कहानी को पूरा कैसे करूंगा क्योंकि अभी तो इसकी शुरुआत ही हुई है । कहीं हद से ज्यादा लंबी ना हो जाये यह कहानी । चलो देखते हैं क्या होता है वैसे अपनी राय और सुझाव जरूर दीजिएगा यार बहुत ज्यादा समय खर्च करता हूँ एक update लिखने में ।
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12-27-2020, 01:09 PM,
#33
RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
Update 25.

रक्षाबंधन का दिन है आज ।
शालिनी घूमने आयी हुई थी । जैसे ही शालिनी सुबह hotel रूम में सोकर उठी तो उसने सोचा कोई न्यूज़ ही देख ली जाए क्या चल रहा है दुनिया मे ।

शालिनी ने रिमोट उठाया और TV चला दिया ।
TV की स्क्रीन चलते ही उसपर दिखाया जा रहा था कि दुनिया मे किस तरह लोग रक्षाबंधन का उत्सव मना रहे है ।

शालिनी की आंखे नम हो गयी क्योंकि वो मन ही मन सोचने लगी - मेरा भी एक भाई था जिसे मैंने खुद ही मौत के घाट उतार दिया ।
मैंने ये नही किया होता तो मैं भी आज किसी की कलाई पर राखी बाँधती ।
तभी शालिनी अपने पिछले साल वाले राखी वाले दिन की यादों में खोती चली गयी । जब उसने राकेश को राखी बांधी थी ।
शालिनी अपने यादों में डूबती चली गयी ।

आगे कहानी यादों में चलेगी _____________________________
आज रक्षाबंधन है और शालिनी बड़ी चहकती हुई सी नजर आरही है ।
उसने तुरंत बैड से उठकर राकेश के कमरे की तरफ दौड़ लगाई लेकिन वो अचानक पता नही क्या सोचकर रुक गयी ।

शालिनी ने सोचा कि आज रक्षाबंधन के दिन मैं बिना नहाए बिना नहाए भैया के सामने नहीं जाऊंगी ।
ऐसा सोच कर कर शालिनी वापस कमरे की तरफ मुड़ी और कमरे में आकर सोचने लगी - भईया के सामने थाली सजाकर ही जाऊंगी ।

उधर राकेश भी आज उत्साहित था । वह सोच रहा था अपनी प्यार सी बहन को क्या गिफ्ट देना चाहिए ।
उसने सोचा कि अपनी बहन को एक सोने की रिंग, कपड़े और उसे एक नई कार गिफ्ट करेगा ।
ऐसा सोचकर राकेश ने हाथ मुँह धोये और पार्किंग की तरफ चल दिया ।
पार्किंग से गाड़ी निकालकर सीधा मार्किट पहुंचा । राकेश ने एक सोने की रिंग पैक कराई । फिर एक मॉल में घुसा । वह शालिनि के लिए कपड़े देखने लगा ।

अब राकेश के सामने सबसे बड़ी परेशानी यह थी कि उसे साइज नही पता था शालिनि का ।
उसने एक जीन्स टॉप सेलेक्ट किये क्योंकि शालिनि ज्यादातर जीन्स टॉप ही पहनती थी ।
राकेश ने 30 साइज का टॉप और 32 साइज की जीन्स पैक करा ली क्योंकि राकेश ने सोचा कि शालिनि का साइज ज्यादा से ज्यादा 30* होगा । लेकिन उस बेचारे को क्या पता था कि शालिनि का साइज इतना है ।

कपड़े लेकर राकेश घर आया । आकर नहाया धोया । और इंतजार करने लगा शालिनि का।

तभी उपासना अंदर आते हुए राकेश से बोली - जी आपकी बहन नीचे आपका इंतजार कर रही राखी बांधने के लिए ।

राकेश - हां बस चलता हूँ।

शालिनि ने आज एक लाल रंग का कुर्ता पहना हुआ था जिसकी लालिमा उड़के चेहरे पर भी फैली हुई थी । कुर्ता उसको घुटनों से थोड़ा ऊपर तक था और उस कुर्ते में साइड कट ज्यादा लंबे थे जो साइड में पेट पर से ही कटे हुए थे ।
उसके नीचे शालिनि ने सफेद रंग की लैगिंग पहनी हुई थी जो बेहद ही तंग थी ।

उसने एक सफेद रंग का पतला सा दुपट्टा भी लिया हुआ था ।
दुपट्टा तो नाम के लिए ही था क्योंकि ये दुपट्टा उसने बस एके कंधे पर लटकाया हुआ था ।

बेहद ही प्यारी लग रही थी शालिनि red and white वाले कपड़ो में ।
बाल आज उसने बिल्कुल खुले छोड़े हुए थे जो उसकी कमर तक ही थे ।

राकेश नीचे आया तो शालिनि उसकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए बोली - आइये भईया।

राकेश ने आकर शालिनि को गले से लगाया । लेकिन राकेश को अपनी छाती में कुछ चुभता सा महसूस हुआ ।
राकेश को महसूस हुआ कि उसकी बहन अब छोटी नही रही वह बड़ी हो गयी है ।

राकेश की कलाई पर शालिनि ने रखी बांधी , उसके माथे पर हल्दी चंदन का टीका किया ।
फिर दोनों बहन भइया ने एक दूसरे का मुंह मीठा कराया ।
जब राकेश ने शालिनि को घेवर खिलाने के लिए उसके मुह की तरफ अपना हाथ बढ़ाया तो कुछ पलों के लिए राकेश ठिठक सा गया ।
उसकी वजह ये थी क्योंकि उपासना के होंठ इतने प्यारे लग रहे थे जैसे शर्बत के दो प्याले हों । वाकई में शालिनि ने होंठों पर ऐसी लिपस्टिक लगाई थी जिससे होंठ गीले गीले दिखें ।
राकेश ने लड्डू खिलाया शालिनि मुंह खोलकर पूरा लड्डू एक साथ मुह के अंदर ले गयी । यह नजारा देखकर राकेश के संस्कारों की धज्जियां उड़ गयीं ।
हां दोस्तों शालिनि का वो प्यारा सा चुदासा सा चेहरा देखकर राकेश के मन में गंदे विचार आने लगे ।
राकेश ने सोचा काश इन खूबसूरत होठों पर मेरा लंड होता तो जीते जी मैं स्वर्ग में होता ।
मेरा वीर्य इन होठो की मादकता और सुंदरता में चार चांद लगा देता ।
फिर उपासना को एक साथ खाँसी उठी लड्डू खाकर तो राकेश ने उसे पानी पिलाया ।
अब तो राकेश के मन मे भूकंप आगया था । अपने दिमाग मे चल रहे इस भूचाल की वजह से राकेश की आंखों में वासना अपना नाच करने लगी । उसकी आंखें लाल होने लगी ।
उपासना के होठों से पानी की बूंदे ऐसी सजी हुई थी जैसे कह रही हो कि इन जूसी होंठो पर से हमे भी चूस लो ।

फिर दोनों भाई बहन गपशप करने लगे ।

शालिनि - अच्छा भइया मैने आपको राखी बांधी अपने अपनी बहन को एक भी रुपया अब तक नही दिया ।

राकेश- तुम्हे पैसे चाहिए तो ये लो ।
ऐसा कहकर राकेश ने ने शालिनी की तरफ अपना पर्स पड़ा है शालिनी ने राकेश कब पर पर अपने हाथ में लेकर उसमें से 20000 रुपए निकाल लिए


राकेश बोला- मेरी प्यारी बहन मैं तुम्हारे लिए और भी कुछ गिफ्ट लाया हूं।

शालिनी एक साथ खुश होते हुए बोली - हां जल्दी दीजिए मुझे मैं भी तो देखूं अपनी प्यारी बहन के लिए क्या गिफ्ट लेकर आए हैं भइया।

राकेश- वो तो मेरे कमरे में रखे हुए हैं , मेरे कमरे से मैं लेकर आता हूं ।

राकेश अपने कमरे में आया । शालिनी के लिए राकेश ने अपने कमरे में आकर कपड़े और रिंग उठाएं लेकिन वह नई कार के पेपर कहीं पर रखकर भूल गया था जिस वजह से उसे ढूंढने में समय लगा।

कार के पेपर ढूंढने में राकेश को 20 मिनट लग गए लगभग 20 मिनट बाद राकेश रिंग , कपड़े और गाड़ी के पेपर लेकर शालिनि के पास आया ।

राकेश ने देखा शालिनी किसी से फोन पर बात कर रही है , लेकिन उसे आता देखकर शालिनी ने फोन रख दिया और उछलकर राकेश की तरफ भागी ।

शालिनि- दीजिये भैया दीजिए । मैं भी तो देखूं क्या गिफ्ट लिया है आपने मेरे लिए।

शालिनी ने देखा एक गिफ्ट में उसे रिंग मिली है ।
दूसरा पैकिंग उसने खोली जिसमें नई लंबोर्गिनी गाड़ी के पेपर थे ।

शालिनी बड़ी ही खुशी और जोश से बोली - भैया हो तो आपके जैसा लेकिन तभी उसने तीसरी पैकिंग खोली जिसमें नए जींस टॉप देखकर शालिनी थोड़ी सी झिझक गई क्योंकि उसे पता था कि भैया को तो मेरा साइज ही नहीं पता है।
कपड़े या तो छोटे होंगे या बड़े होंगे । फिटिंग करानी होगी ।

शालिनी शर्मा कर तीनों गिफ्ट अपनी गोद में उठाए हुए अपने कमरे की तरफ चलने लगी ।
तभी राकेश बोला- यह तो सरासर बेईमानी है, मेरी प्यारी बहन ।

शालिनी- अब क्या बेईमानी कर दी भैया ।

राकेश बोला- तुमने गिफ्ट तो ले लिए लेकिन इन्हें यूज़ करके भी तो दिखाओ।
मुझे गाड़ी भी चला कर दिखाना । मुझे रिंग भी पहन कर दिखाना , मुझे कपड़े भी पहन कर दिखाना । जिससे मुझे भी खुशी हो सके ।

शालिनी बोली - इसमें तो कोई बड़ी बात नहीं है भैया । यह मैं अभी पहन कर आती हूं।

शालिनी अपने कमरे में चली गई तभी राकेश की नजर मेज पर पड़ी जहां शालिनी का मोबाइल रखा हुआ था ।
मोबाइल की स्क्रीन अभी तक ऑफ नहीं हुई थी , बंद नहीं हुई थी जिससे कि मोबाइल का लॉक भी नहीं लगा था ।

शालिनी लॉक करना भूल गई थी राकेश के दिमाग में पता नहीं क्या आया उसने एक साथ झट से वह मोबाइल उठा लिया , क्योंकि कुछ ही पलों में मोबाइल ऑटोमेटिक लॉक हो जाता । लेकिन राकेश ने ऐसा नहीं होने दिया ।

राकेश ने कॉल डिटेल्स में देखा शालिनी को किसी नए नंबर से फोन आया था । जब राकेश अपने कमरे में था । फिर राकेश ने शालिनी के मोबाइल में फाइल मैनेजर खोला, जिसमें उसे कॉल रिकॉर्डिंग का फोल्डर दिखा। उसने ओपन किया तो देखा कि इसमें सबसे ऊपर जो फाइल थी वह अभी 20 मिनट पहले की थी । जिसका मतलब साफ था कि जिससे शालिनी ने बात की है यह उसी की कॉल रिकॉर्डिंग है ।
राकेश ने वह रिकॉर्डिंग प्ले कर दिया।

हेलो
शालिनी- हेलो

सहेली - आज तो रक्षाबंधन है ।अपने प्यारे भाई को राखी बांध दी तूने।

शालिनी- हां मैंने तो बांध दी। भैया मेरे लिए गिफ्ट लेने गए हैं ।

सहेली- तूने अभी जो अपना एक फोटो पोस्ट किया है वह आज ही का है क्या ।

शालिनि- हां मैंने अभी-अभी एक फोटो क्लिक करके पोस्ट किया था । तुमने देख लिया क्या ।

सहेली - भाई को राखी बांधने जा रही हो या अपने आशिक से मिलने जा रही हो , जो ऐसे कपड़े पहने हैं ।

शालिनी हैरानी से - तू सुधरेगी नहीं । इसमें कपड़ों वाली क्या बात है। सही तो पहने हैं ।

सहेली- क्या सही पहने हैं ।अपना कुर्ता तो देख तेरी चूतड़ों के नीचे ही खत्म हो जाता है । और उस पर तूने वह लेगिंग पहनी हुई है जो तेरी मोटी मोटी जांघों को छुपाने की जगह और ज्यादा दिखा रही है और तू बोल रही है कि सही कपड़े तो पहने हैं । मुझे तो नहीं लगता कि तूने सही पहने हैं ।

शालिनी - अच्छा कमीनी चल मुझसे गलती हो गई अब तो तू खुश है ।

सहेली - मैं तो खुश ही हूं , लेकिन मैं यह सोच रही हूं कि अगर यही गलती तेरे भाई से हो गई ।

शालिनी- क्या मतलब है तेरा ।

सहेली - मेरा मतलब है कि जब तू ऐसे कपड़े पहन कर भाई के सामने जाएगी तो तुझे लगता है क्या कि तेरे जैसी 30 साल की घोड़ी में उसे अपनी बहन नजर आएगी ।

शालिनि- शर्माते हुए- अब तू ज्यादा दिमाग ना खराब कर । कम से कम आज रक्षाबंधन के दिन तो ऐसी बातें ना कर। मैं जैसी भी हूं अपने भाई को बहन ही नजर आऊंगी। घोड़ी तो तू नजर आती होगी तेरे भाई को । तू लगती भी घोड़ी जैसी ही है ।

सहेली- लेकिन इतना नहीं लगती जितना तू लगती है। तुझे बड़ा विश्वास है अपने भाई पर यह विश्वास तेरा बिल्कुल गलत है। तेरा ही नहीं पूरी दुनिया में जितनी भी बहने हैं सबको यह गलतफहमी है कि उनका भाई उन्हें बहन की नजर से देखता है । असलियत तो यह है कि जो भी भाई अपनी बहन की मटकती हुई गांड को देखेगा तो जाहिर सी बात है की है तो आखिर वह भी इंसान ही । बहन की गांड में ही ऐसा क्या अलग होगा आखिर बहन की गांड भी तो ऐसी ही होगी ना जैसी सब लड़कियों की होती है। और आजकल लड़कियों की मटकती हुई गांड देखकर मर्दों के लंड खड़े हो जाते हैं तो तेरे भाई का क्यों नहीं होगा । उसका भी खड़ा हो जाएगा ।

शालिनी- तेरे उपदेश सुन सुन कर तो मेरा दिमाग खराब हो जाता है । मुझे बस इतना पता है कि मैं अपने भाई की प्यारी बहन हूं ।

सहेली - !मैं भी तो यही कह रही हूं कि सब लड़कियां यही समझती है कि मैं तो अपने भाई की प्यारी बहन हूं लेकिन असलियत में ऐसा नहीं होता। जब तेरे जैसी प्यारी बहन इतनी सज संवर कर अपने जिस्म को इस तरह तंग पजामी में फसाकर भाई के सामने चहल कदमी करेगी तो पता है आजकल के भाई क्या सोचते हैं ? आजकल के भाई सोचते हैं की गांड तो मेरी बहन की भी जबरदस्त है इसका भी कोई बॉयफ्रेंड होगा जो मेरी बहन की चूत लेता होगा । कौन और कैसा होगा वह आदमी जो मेरी बहन के ऊपर चढ़ता होगा और मेरी बहन भी कम नहीं लग रही नीचे से गांड उठा उठा कर लंड लेती होगी।

शालिनी - अच्छा तो तुझे बड़ा ज्ञान है तो अपना ज्ञान अपने पास रख। मुझे बता कि तेरी जिंदगी कैसी चल रही है अपने बॉयफ्रेंड के साथ ।

सहेली- मेरा तो ब्रेकअप हो गया यार वह लड़का सही नहीं था। मतलब गुंडा टाइप का था। अब मेरी तो किस्मत तेरी तरह नहीं है ना यार ।

शालिनी - क्यों इसमें किस्मत की क्या बात हुई । मुझे तो कोई बुराई नजर नहीं आती तुम्हारी किस्मत में ।

सहेली - तुझे नजर आएगी क्यों जब तेरा दिल करता है अपने बॉयफ्रेंड को चढ़ा लेती है अपने ऊपर । मेरे से पूछ कैसे गुजरता है एक-एक दिन बिना लंड जाए पर तेरे तो मजे हैं शालिनी इतनी बार चुद चुद कर तुझ में निखार भी आ गया है ।

शालिनी - ऐसा नहीं है यार मैं भी रोज नहीं ले पाती लंड। 2 दिन हो गए मुझे भी बिना चुदे और आज रक्षा बंधन है तो कल ही जाऊंगी ऑफिस ।

सहेली- तुझे तो 2 दिन बहुत लंबे लग रहे हैं मेरी लाडो रानी लगता है तुझे लंड का ज्यादा ही चस्का लग गया है । और गलती तेरी भी नहीं है तेरे बॉयफ्रेंड ने अच्छी खासी मेहनत की है तेरे ऊपर चढ़ कर तभी तो तू आज इतना गदरा गई है कि जब तू गुजरती है तो तेरी गांड के दीवाने हो जाते हैं लोग । अच्छा एक बात बताओ तेरी गांड मटकती ही ज्यादा है या तू जानबूझकर मटका कर चलती है ।

शालिनी - तू पूरी एक नंबर की बदमाश है पर क्या करूं तू मेरी सबसे प्यारी सहेली है । तुझसे मैंने अपनी जिंदगी की हर बात शेयर की है तो यह भी करूंगी । मैं अपनी गांड बिल्कुल भी मटका कर नहीं चलती लेकिन मैं क्या करूं मेरी गांड थोड़ा पीछे की तरफ ज्यादा निकल गई है जिस वजह से लोगों को लगता है कि मैं गांड मटका कर चल रही हूं । उन्हें क्या पता की चूत चोद चोद कर भारी हो गई है यह गांड । एक पैर भी आगे रखो तो पूरी गांड एक तरफ झुक जाती है ।

सहेली - गांड तो झुकेगी ही लाडो रानी जब खीरे जैसा लंड रोज अपनी चूत में लोगी ।

शालिनी - बस करना यार क्यों गर्म करने में लगी हुई है ।

सहेली - अब तो गरम होगी ही क्योंकि तेरी जवानी लंडों से पीटने लायकहो गयी है ।

शालिनि - अब इतनी गिर गई हूं क्या मैं कि मेरी पिटाई लंड से करवाएगी।

सहेली- इस में गिरने वाली बात नहीं है मेरी लाडो रानी क्योंकि तेरे जैसी गदरायी हुई लौंडिया अगर लंडों से ना पिटे तो वह अपनी जुबानी काबू में नहीं कर सकती । तेरी जवानी को काबू में करने के लिए एक साथ 3, 4 लंडों को मेहनत करनी पड़ेगी तब जाकर तेरी जैसी लौंडिया ठंडी होती है ।

शालिनि- अब मुझे तू ज्यादा गर्म ना कर वरना मैं अभी अपने बॉयफ्रेंड को बुलाकर अपने ऊपर चढ़ा लूंगी ।

सहेली - चढ़ा लेना तो रोका किसने है । वैसे भी तेरे जैसी लौंडिया के ऊपर चढ़ते हुए लोग ही अच्छे लगते हैं । वैसे मैंने सुना है तेरा भाई जो है राकेश यह भी रंडियां चोदने जाता है ।

शालिनी हैरान होते हुए- अब तू बिल्कुल हद पार कर रही है कमीनी । मेरे भाई को तो बदनाम मत कर।

सहेली - अरे नहीं मेरी एक फ्रेंड है जो तेरे भाई की कंपनी में काम करती है। वह बता रही थी कि उसे डेट पर ले गया था तेरा भाई और पूरी रात चोद कर सुबह वापस लाया था ।

शालिनी हैरान होते हुए - मेरा भाई ऐसा नहीं हो सकता मुझे तो यकीन ही नहीं हो रहा कि भैया ऐसे भी हो सकते हैं । और क्या बताया तेरी फ्रेंड ने।

सहेली- वह तो यही कह रही थी कि उसे लेकर गया था रात भर इतनी बुरी तरह रगड़ा कि बेचारी सुबह को चल भी नहीं पा रही थी। कह रही थी राकेश का लोड़ा ज्यादा बड़ा तो नहीं है लेकिन चूत की कुटाई बड़े अच्छे तरीके से करता है । तो इस हिसाब से तो शालिनी तुम दोनों भाई बहन ही बड़े चुदक्कड़ हो। तेरी चूत को लंड की प्यास रहती है और तेरे भाई के लंड को चूत की प्यास रहती है ।

शालिनी- तुझसे तो कोई जीत ही नहीं सकता। अब मैं क्या बोलूं मैं तुम्हें, हां हैं दोनों भाई बहन चुदक्कड़।

सहेली- तुझे और तेरे भाई के बीच में यदि कंपटीशन कराया जाए तो कौन पहले हारेगा कहना मुश्किल है ।

शालिनी - अब यह भी तू ही बता दे क्योंकि मेरी बात तो तू कभी मानती नहीं है ।

सहेली - मुझे तो लगता है तू ही जीतेगी क्योंकि तेरी जवानी जब तक पूरे दिन ना चुदे तब तक तुझे चैन नहीं मिलता। उसके लोड़े को तो तू निचोड़ लेगी शेरनी । वैसे तेरा मन भी तो कर रहा होगा कि अपने भाई को निचोड़ ले , अपने ऊपर चढ़ा ले ।

शालिनी - मेरा मन तो नहीं कर रहा लेकिन यदि तुझे मेरे ऊपर चढ़वाना ही है तो बेशक चढ़ा दे । तुझे शर्मिंदा नहीं करूंगी तेरी बात रखूंगी । मैं अपनी गांड और चूत को भींच भींचकर कर अपने भाई के लंड को निचोड़ लुंगी ।

सहेली - तेरा मन करता है क्या अपने भाई के लंड को देखने का ।

शालिनी - अब तो देखने का ही नहीं मुंह में लेने का भी मन कर रहा है । पता नहीं कैसा होगा मेरे भाई का लोड़ा । अपनी बहन की प्यास बुझा भी पाएगा या नहीं । मैं भी तो नहीं कह सकती कि भाई तेरी बहन प्यासी है आकर प्यास बुझा दे मेरी। तेरी बहन अपनी आंखों में तेरा लंड लिए घूम रही है दे दे उसे यह लंड । और चोद दे अपने ही घर में अपनी इस बहन को ।

सहेली - तो चुदवाने का मन है अपने भाई से मेरी लाडो रानी का ।

शालिनी - अगर भाई कहे तो मैं तो खुला न्योता दे दूंगी कि आजा अपनी बहन की फटी हुई चूत में अपने लंड का झंडा गाड़ दे क्योंकि मेरी सील तोड़ना तो तेरे नसीब में नहीं था भाई लेकिन इस चुदी चुदाई चूत को चोद कर ही अपना मन बहला ले। पूरी जान से चोद अपनी बहन को ----------------------- अच्छा चल ठीक है मैं बाद में बात करती हूं भैया आ रहे है।

सहेली - bye ।
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12-27-2020, 01:09 PM,
#34
RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
रिकॉर्डिंग खत्म हो चुकी थी और राकेश की आंखें वासना में जलने लगी।
लेकिन उसे आत्मग्लानि और अपने ऊपर जलालत महसूस होने लगी कि मैं कैसा भाई हूं अपनी ही बहन की चूत और गांड के सपने देख रहा हूं ।
मेरे जैसे भाई को मर जाना चाहिए । मैं भाई होने के नाम पर कलंक हुं।
अगर हर घर में ऐसा भाई हो तो बहनों की इज्जत एक रंडी से ज्यादा नहीं रह जाएगी । मुझे ऐसा नहीं होना चाहिए। मुझे पूरी दुनिया में कम से कम अपनी बहन को तो बहन समझ लेना चाहिए ।
मैं इतना भी बुरा कैसे हो सकता हूं कि पूरी दुनिया भर में सिर्फ अपनी बहन को एक अच्छी नजर से ना देख सकूं । मैं इतना भी बुरा कैसे हो सकता हूं।
कम से कम इंसानियत नाम की कोई तो चीज होगी मेरे अंदर और यह सब विचार राकेश के दिमाग में कौंधने लगे । राकेश को बेहद गुस्से का अनुभव हो रहा था क्योंकि वह नहीं चाहता था कि जिस धर्मवीर सिंह ने उन दोनों भाई बहन को इतने प्यार से पाला है, अच्छी शिक्षा दी है, अच्छे संस्कार दिए हैं और इतनी मेहनत करने के बाद अपने बच्चों को एक सज्जन इंसान बनाया है ।
लेकिन मेरी बहन तो इस कलयुग की एक हिस्सा बन चुकी है वह तो अपने भाई के लिए इतने गंदे विचारों को अपनी सहेली से साझा कर रही है ।
इसका मतलब मुझसे हजारों गुना ज्यादा मेरी बहन गलत है और मेरी बहन को मुझे सही रास्ते पर लाना चाहिए। लेकिन मेरी बहन ने इतनी बड़ी गलती की है तो उसे उसकी सजा भी मिलनी चाहिए ।

राकेश अपने हाथ में शालिनी का मोबाइल लेकर बैठे हुए यह सब सोच ही रहा था कि तभी उसे मोबाइल में शालिनी का चेहरा दिखाई दिया ।

राकेश के आश्चर्य की सीमा न रही उसे समझते देर न लगी कि शालिनि बिल्कुल उसके पीछे खड़ी है और शालिनी ने उसे रिकॉर्डिंग सुनते हुए देख लिया है ।

हां दोस्तों बिल्कुल ऐसा ही हुआ था जब राकेश रिकॉर्डिंग सुन रहा था तो तब तक शालिनि कपड़े पहन कर आ चुकी थी ।
शालिनी ने कपड़े पहन तो लिए थे लेकिन उसे काफी मशक्कत करनी पड़ी थी उन्हें पहनने के लिए । क्योंकि उसके भाई ने उपहार जो दिया था शालिनी को । शालिनि समझ गई कि भाई को मेरा साइज पता नहीं है इसलिए छोटे कपड़े ले आया लेकिन भाई को कैसे बताऊं इन कपड़ों में मेरी गांड और मेरे चूचे नहीं आएंगे । लेकिन अब क्या करूं पहनने तो पड़ेंगे ही और शालिनी उन्हीं कपड़ो को पहनकर आ चुकी थी ।

टॉप में से उसकी चूची इतने फंसे हुए दिख रहे थे कि उसके चुचों की निप्पल टॉप में से साफ पता की जा सकती थी। और जींस तो उसकी गांड पर और उसकी जांघों पर ऐसी चिपक चिपक गई थी जैसे अभी कुछ समय पहले लैगिंग चिपकी हुई थी। और इस बेहद टाइट जींस को शालिनी के नितंब फाड़ने को बेताब थे।

शालिनी ने आकर जब अपने भाई को कुछ सुनते हुए देखा उसके मोबाइल में तो वह चुपचाप पीछे से उसके पास आ गई। और जब उसने सुना कि उसकी सहेली से जो अभी उसकी बात हुई थी वह रिकॉर्डिंग चल रही है और भाई सुन रहा है तो उसके पैरों के नीचे से मानों जमीन ही निकल गई ।

शालिनी को समझ नहीं आया कि वह क्या करें क्या ना करें ।
शालिनी को इतनी शर्म लग रही थी कि उसे लग रहा था की जमीन फट जाए जाए और मैं उस में समा जाऊं लेकिन तभी उसका चेहरा राकेश को मोबाइल की स्क्रीन पर दिखता है, जिस वजह से राकेश ने झटके से अपना सर पीछे पलट कर देखा ।

जब उसने देखा कि उसकी बहन कपड़े पहन कर आ चुकी है और मैंने इतना बड़ा साइज लिया था कपड़ों का लेकिन वह कपड़े भी इसके बदन पर चिपके हुए हैं। फूल तो गई है मेरी बहन वह सोचने लगा ।

शालिनी की हालत आप समझ सकते हैं दोस्तों बिल्कुल भीगी बिल्ली की तरह अपने आपको जींस टॉप में फंसाये हुए खड़ी हुई थी ।
शालिनी के पास बोलने के लिए कुछ नहीं था क्योंकि उसकी बेशर्मी राकेश सुन चुका था , राकेश सुन चुका था कि मेरी बहन लंडों के लिए कितनी पागल है ।

राकेश ने शालिनि के पास आकर उसके बालों को अपने हाथ से पकड़ कर खींचा जिस वजह से शालिनी का चेहरा ऊपर की तरफ उठ गया और उसका मुंह थोड़ा सा खुल गया ।

राकेश गुस्से में बोला- यह गुल खिलाती है मेरी बहन । अगर मेरी बहन को लंड की इतनी इतनी ही जरूरत थी तो घर में बताया क्यों नहीं। अब तक तेरी शादी करवा देते । लेकिन तू इतनी गिरी हुई निकली जितनी मैं सोच भी नहीं सकता ।

शालिनी पर इन बातों से पहाड़ से टूट चुका था उसे कुछ भी समझ नहीं आ रहा था क्या बोले या ना बोले । ऊपर से राकेश की इतनी खुल्लम खुल्ला भाषा से शालिनी पानी पानी हो गई।

राकेश फिर बोला मैं तुझे छोटी बहन समझकर अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता रहा और तूने क्या किया तूने लोड़े खाए ।
अपनी चूत को अपनी शादी से पहले ही फड़वा लिया और ऊपर से अब तो इतनी गिर गई कि तुझे अपने भाई में भी लंड नजर आने लगा ।
गलती तेरी नहीं है शालिनी गलती तो इस गांड की है।

ऐसा कह कर राकेश ने पूरी जान से शालिनी की गांड पर थप्पड़ मारा जिससे जींस में फंसे हुए चूतड़ भी हिल गए ।

राकेश बोला- हां गलती इस गांड की है जो तूने इतनी चौड़ी कर ली है कि इसे अपने ऊपर हर वक्त एक मर्द चाहिए । जो तेरी गांड पर चढ़कर तेरी मस्ती झाड़ सके । तेरे चूतड़ों में अपना लंड फसा कर तुझे ठंडी कर सके ।

शालिनी यह सब सुनकर गरम भी हो गई थी और शर्मिंदा भी लेकिन हद तब हो गई जब राकेश ने शालिनी के बालों को और नीचे की तरफ खींचते हुए उसे खड़े-खड़े झुका दिया ।

राकेश उसके आगे खड़ा होकर अपनी बेल्ट खोलने लगा ।

शालिनी को समझते देर न लगी कि अब क्या होने वाला है इसलिए शालिनी अपना सर उठाने लगी लेकिन राकेश ने अपना हाथ उसके सर पर रख कर कर उसे झुकी हुई रहने पर मजबूर कर दिया ।

राकेश - तुझे लंड देखना था ना अपने भाई का ना देखना था ना अपने भाई का ना अपने भाई का । अब दिखा तू मुझे अपनी चूत की भूख। तू अपने भाई के लंड को निचोड़ने की बात कर रही थी ना, तो ले अब निचोड़ । तेरे जैसी गरम कुतियाओं को ही ठंडा किया है मैंने । तेरे जैसी रंडियों की गर्मी उतारी है मैंने। मुझे तो पता ही नहीं था की एक हराम रंडी मेरे घर में भी पल रही है।
मैं तो तुझे बच्ची समझता था लेकिन तू तो दो बच्चों की मां को भी मात देने वाली लंडखोर औरत निकली ।
समझ नहीं आता तुझे लड़की कहूं या औरत क्योंकि लड़की कुंवारी होती है और लड़की तो तू रही नहीं और औरत शादीशुदा होती है तो शादी भी तूने नहीं की । अब समझ नहीं आ रहा तुझे नाम क्या दूं तुझे नाम क्या दूं ।
तेरी जवानी को आज मैंने ढीला ना कर दिया कर दिया दिया ना कर दिया कर दिया दिया तो मैं तेरा भाई नहीं ।
तेरी जांघो के बीच की गर्मी अपने लोड़े से ना निकाली तो मैं तेरा भाई नहीं।
जो राखी तूने अपने तूने अपने भाई को बांधी है उसकी कसम तेरी हालत आज ऐसी कर दूंगा की इतने सेक्सी कपड़े पहन कर कर अपनी गांड मटकाती हुई तू कभी मेरे पास नहीं आएगी । मेरे लोड़े से तू दूर भागेगी वह दर्द आज मैं तुझे दूंगा दूंगा।

राकेश ने अपने लंड लंड बाहर निकाला और सीधा शालिनी के मुंह की तरफ कर दिया ।

शालिनी मैं अपने होंठ नहीं खोलें ।
राकेश अपने लंड का दबाव शालिनी के होठों पर बनाए हुए था लेकिन शालिनी अपने होठों को बिल्कुल भी नहीं खोल रही थी ।

ऐसा लग रहा था जैसे राकेश के लंड के सुपाड़े और शालिनी के रचे हुए जूसी होठों के बीच कोई युद्ध चल रहा हो ।

राकेश समझ गया था कि शालिनी बेशक चुदक्कड़ रांड हो लेकिन यहां पर सती सावित्री ही बनेगी । क्योंकि घर मे लड़कियां जितनी सती सावित्री और संस्कारी बनकर दिखाती है अंदर से उनमें लंड की उतनी ही ज्यादा भूख होती है , उतनी ही ज्यादा चुदासी और चुदक्कड़ होती हैं । ये बात मेरे घर मे ही नही बल्कि हर किसी के घर मे यही होता है जिन्हें हम सीधी साधी संस्कारी लड़की समझते है उनके अंदर एक बेशर्म रंडी छुपी होती है जिन्हें बस एक मौका चाहिए अपनी चूतों में लंड लेने का । यही कुछ सोचते हुए राकेश के मन मे विचार आया । यह अपने होंठ नहीं खोलेगी और मेरा लंड अंदर नहीं जाएगा ।

यह सोचते हुए राकेश ने एक हाथ से अपने लंड को शालिनी के होठों पर रगड़ते हुए दूसरे हाथ को झुकी हुई शालिनी के कूल्हों पर मारा।

राकेश के हाथ की धाप इतनी तेज थी कि शालिनी अपनी गांड पर पड़े हुए थप्पड़ की वजह से आगे की तरफ गिरने को हुई जिससे लंड पर उसके होंठो का दबाव बढ़ गया । जैसे ही गांड पर थप्पड़ पड़ा शालिनि का मुंह खुला aaaahhhh और राकेश का लोड़ा उसके मुंह में चला गया ।

लंड मुंह में जाते ही राकेश ने शालिनी का सर पकड़ा और अपने चूतड़ों में पूरी जान इकट्ठी करके एक जोरदार झटका मारा ।
राकेश ने देखा कि शालिनि के लिपस्टिक लगे हुए होंठ उसके लोड़े के बिल्कुल जड़ में उसके लंड पर किसी रबड़ की तरह चढ़े हुए हैं ।

कुछ सेकंड तक ऐसे ही दबाए रखने के बाद राकेश ने आधा लौड़ा बाहर किया और फिर जोरदार झटका मारा । इतनी जोरदार मुंह चुदाई से शालिनि का मुँह सन गया था । शालिनी का ही थूक उसके होठों के चारों तरफ फैल गया ।

राकेश किसी पिस्टन की भांति अपना लोड़ा स्पीड से उसके मुंह में अंदर बाहर करते हुए शालिनी की गांड को हाथो से पीटने लगा ।

शालिनी को भी अजीब एहसास हो रहा था अपनी गांड पर थप्पड़ खाते हुए लोड़े को मुंह में लेने का ।

राकेश ने लंड को बाहर निकाला और उसके गालों पर मारने लगा ।
शालिनी के थूक में सना हुआ लंड जब शालिनी के गालों पर पड़ता तो थूक के दाग उसके गालों पर रह जाते । धीरे धीरे पूरा मुह शालिनी का अपने ही थूक से सन गया। शालिनी की आंखों का काजल उसके गालों पर लगकर गालों को काला कर रहा था ।
दूसरी तरफ शालिनी के मुंह से उसके थूक की लार नीचे टपक रही थी जो उसके टॉप में फंसे चुचों पर गिर रही थी ।

अपनी बहन का मुंह किसी रंडी की तरह चोदने लगा था राकेश।
मुंह में लंड डालकर राकेश शालिनी के गालों पर थप्पड़ भी लगा रहा था और लौड़ा भी अंदर बाहर कर रहा था ।
मस्त मुँह चुदाई चल रही थी लेकिन तभी गेट पर बैल बजी ।

दोनों फुर्ती से अलग हुए ।
राकेश हिदायत देते हुए अलग हुआ कि या तो सुधर जाना अगर दोबारा मुझे लगा कि तुम नहीं सुधरी हो तो तुम्हारी वह हालत करूंगा कि तुम्हें अपने आप पर शर्म आएगी और राकेश ने खड़ी हुई शालिनी की गांड पर लात मारी और उसे उसके कमरे में जाने को कहा ।

शालिनी अपनी गांड पर राकेश की लात खाकर अपने कमरे में आ गई ।

जब राकेश ने गेट खोला तो सामने धर्मवीर था जो से रक्षाबंधन की बधाई दे रहा था ।

राकेश ने अपने चेहरे पर खुशी के भाव लाते हुए अपने पापा से गपशप करनी शुरू की । लगा जैसे कुछ हुआ ही ना हो ।

शालिनी अपने कमरे में आकर सोचने लगी यह क्या हो गया?? क्या भाई अब आगे कुछ करेगा या नहीं । भाई ने मुझे वार्निंग दी है। आज के बाद मुझे सुधारना होगा ।
यह सब सोचते हुए शालिनी अपनी लाइफ जीने लगी लेकिन उसके बाद कभी भी राकेश ने उसे गंदी नजर से नहीं देखा और ना ही शालिनि से कभी कुछ कहा। आज 1 साल हो गया है और मैंने अपने ही भाई को मार दिया।

मुझे अपने भाई को मारना नहीं चाहिए था लेकिन मेरे भाई का मरना जरूरी था वरना मैं अपने मकसद में कामयाब नहीं हो पाती ।
भाई मरना तो तुम्हें था मेरे लिए ना सही उपासना के लिए , अगर उपासना आपकी बीवी ना होती तो आपकी जान नहीं जाती मेरे प्यारे भाई । लेकिन उपासना भाभी के लिए आपको मारना जरूरी था।
इसलिए मैंने आपको मार दिया मुझे माफ करना आपकी प्यारी बहन हूँ मैं और हमेशा रहूंगी ।

ऐसा सोचते हुए शालिनी अपनी यादों से बाहर आ गई _______________

**********
दोस्तों आज की सारी अपडेट शालिनि की यादों में ही निकल गयी ।
कहानी जारी रहेगी ।
अपने सुझाव जरूर दीजिएगा साथ मे ये भी बताना की इस कहानी को पढ़ने वाले लोग कहाँ कहाँ से हैं ।
साथ बने रहने के लिए आपका दिल से धन्यवाद ।
आपका प्यारा भाई- रचित
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Reply
12-27-2020, 01:10 PM,
#35
RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
पूजा के मुँह मे धर्मवीर का थूक जाते ही उसके शरीर मे अश्लीलता और वासना का एक नया तेज नशा होना सुरू हो गया ।

मानो धर्मवीर ने पूजा के मुँह मे थूक नही बल्कि कोई नशीला चीज़ डाल दिया हो।
पूजा मदहोशी की हालत मे अपने सलवार के उपर से ही चूत को भींच लिया।

धर्मवीर पूजा की यह हरकत देखते समझ गये कि अब चूत की फाँकें फड़फड़ा रही हैं।
दूसरे पल धर्मवीर के हाथ पूजा के सलवार के नाड़े पर पहुँच कर नाड़े की गाँठ खोलने लगा ।

लेकिन धर्मवीर की गोद मे बैठी पूजा के सलवार की गाँठ कुछ कसा बँधे होने से खुल नही पा रहा था।
ऐसा देखते ही पूजा धर्मवीर की गोद मे बैठे ही बैठे अपने दोनो हाथ नाड़े पर लेजाकर धर्मवीर के हाथ की उंगलिओ को हटा कर खुद ही नाड़े की गाँठ खोलने लगीं।

ऐसा देख कर धर्मवीर ने अपने हाथ को नाड़े की गाँठ के थोड़ा दूर कर के पूजा के द्वारा नाड़े को खुल जाने का इंतजार करने लगे।

अगले पल नाड़े की गाँठ पूजा के दोनो हाथों ने खोल दी और फिर पूजा के दोनो हाथ अलग अलग हो गये।

यह देख कर धर्मवीर समझ गये की आगे का काम उनका है क्योंकि पूजा सलवार के नाड़े के गाँठ खुलते ही हाथ हटा लेने का मतलब था कि वह खुद सलवार नही निकलना चाहती थी ।शायद लाज़ के कारण, फिर पूजा का हाथ हटते ही धर्मवीर अपने हाथ को सलवार के नाड़े को उसके कमर मे से ढीला करने लगे ।

धर्मवीर के गोद मे बैठी पूजा के कमर मे सलवार के ढीले होते ही सलवार कमर के कुछ नीचे हुआ तो गोद मे बैठी पूजा की चड्डी का उपरी हिस्सा दिखने लगा ।

फिर धर्मवीर अगले पल ज्योन्हि पूजा की सलवार को निकालने की कोशिस करना सुरू किए की पूजा ने अपने चौड़े चूतड़ों को गोद मे से कुछ उपर की ओर हवा मे उठा दी और मौका देखते ही धर्मवीर सलवार को पूजा के चूतड़ों के नीचे से सरकाकर उसके पैरों से होते हुए निकाल कर फर्श पर फेंक दिया ।

अब केवल पैंटी मे पूजा अपने बड़े बड़े और काले चूतड़ों को लेकर धर्मवीर के गोद मे बैठ गयी।

पूजा के दोनो चूतड़ चौड़े होने के नाते काफ़ी बड़े बड़े लग रहे थे और फैल से गये थे । जिस अंदाज़ मे पूजा बैठी थी उससे उसकी लंड की भूख एकदम सॉफ दिख रही थी।
चेहरे पर जो भाव थे वह उसके बेशर्मी को बता रहे थे।
अब पूजा की साँसे और तेज चल रही थी ।सलवार हटते ही पूजा की मोटी मोटी जांघ भी नंगी हो गयी जिसपर धर्मवीर की नज़र और हाथ फिसलने लगे।

पूजा की जांघे काफ़ी मांसल और गोल गोल साँवले रंग की थी। लेकिन चूत के पास के जाँघ का हिस्सा कुछ ज़्यादा ही सांवला था।

धर्मवीर पूजा की नंगी और मांसल साँवले रंग की जांघों को अब काफ़ी ध्यान से देख रहे थे ।

पूजा जो की धर्मवीर के गोद मे ऐसे बैठी थी मानो अब धर्मवीर के गोद से उठना नही चाहती हो।
धर्मवीर का लंड भी चड्डी के अंदर खड़ा हो चुका था।
जिसका कडापन और चुभन केवल पैंटी मे बैठी पूजा अपने काले चूतड़ों मे आराम से महसूस कर रही थी ।

फिर भी बहुत ही आराम से एक चुदैल औरत की तरह अपने दोनो चूतड़ों को उनके गोद मे पसार कर बैठी थी।

धर्मवीर ने पुजा को गोद मे बैठाए हुए उसकी नंगी गोल गोल चुचिओ पर हाथ फेरते हुए काफ़ी धीरे से पूछा - मज़ा आ रहा है ना।

इस पर पूजा धीरे से बोली - जी ।
और अगले पल अपनी सिर कुछ नीचे झुका ली । साँसे कुछ तेज ले रही थी।

धर्मवीर - तेरे जैसे भरे शरीर की लौंडिया को ऐसे ही चोदना चाहिए पूरी जवानी ठंडी कर देनी चाहिए । वरना तेरे जैसी संस्कारी लड़की आवारा लड़को के लौड़ों के नीचे सोने लगती है । और उनके लंड का पानी यदि एकबार पी लिया तेरी इस भैंस जैसी चूत ने तो तुझे चुदक्कड़ कुतिया बनने से कोई नही रोक सकता ।

धर्मवीर पूजा के पैंटी के उपर से ही चूत को मीज़ते हुए यह सब बातें धीरे धीरे बोल रहे थे और पूजा सब चुप चाप सुन रही थी ।
वह गहरी गहरी साँसें ले रही थी और नज़रें झुकाए हुए थी।

धर्मवीर की बातें सुन रही पूजा खूब अच्छी तरह समझ रही थी कि धर्मवीर किन आवारों की बात कर रहें हैं । लेकिन वह नही समझ पा रही थी कि अवारों के लंड का पानी मे कौन सा नशा होता है जो औरत को छिनाल या चुदैल बना देता है।

पूजा को धर्मवीर की यह सब बातें केवल एक सलाह लग रही थी जबकि वास्तव मे धर्मवीर के मन मे यह डर था कि अब पूजा को लंड का स्वाद मिल चुका है और वह काफ़ी गर्म भी है।

ऐसे मे यदि शहर के आवारा लड़के मौका पा के पूजा की रगड़दार चुदाई कर देंगे तो पूजा केवल मुझसे चुद्ते रहना उतना पसंद नही करेगी और अपने शहर के आवारे लौड़ों के चक्कर मे इधर उधर घूमती फिरती रहेगी। जिससे हो सकता है कि धर्मवीर के यहां पर आना जाना भी बंद कर दे ।

चूत को पैंटी के उपर से सहलाते हुए जब भी चूत के छेद वाले हिस्से पर उंगली जाती तो पैंटी को छेद वाला हिस्सा चूत के रस से भीगे होने से धर्मवीर जी की उंगली भी भीग जा रही थी।

धर्मवीर जब यह देखे कि पूजा की चूत अब बह रही है तो उसकी पैंटी निकालने के लिए अपने हाथ को पूजा के कमर के पास पैंटी के अंदर उंगली डाल कर निकालने के लिए सरकाना सुरू करने वाले थे कि पूजा समझ गयी कि अब पैंटी निकालना है तो पैंटी काफ़ी कसी होने के नाते वह खुद ही निकालने के लिए उनकी गोद से ज्योन्हि उठना चाही धर्मवीर ने उसका कमर पकड़ कर वापस गोद मे बैठा लिए और गुर्राकर तेज आवाज में बोले ।

धरमवीर - रूक आज मैं तुम्हारी पैंटी निकालूँगा । थोड़ा मेरे से अपनी कसी हुई पैंटी निकलवाने का तो मज़ा लेले रंडी की बहन ।

पूजा धर्मवीर के गोद मे बैठने के बाद यह सोचने लगी कि कहीं आज पैंटी फट ना जाए।

फिर पूजा की पैंटी के किनारे मे अपनी उंगली फँसा कर धीरे धीरे कमर के नीचे सरकाने लगे । पैंटी काफ़ी कसी होने के वजह से थोड़ी थोड़ी सरक रही थी।

पूजा काफ़ी मदद कर रही थी कि उसकी पैंटी आराम से निकल जाए। फिर पूजा ने अपने चूतड़ों को हल्के सा गोद से उपर कर हवा मे उठाई लेकिन धर्मवीर जी चूतड़ की चौड़ाई और पैंटी का कसाव देख कर समझ गये कि ऐसे पैंटी निकल नही पाएगी, क्योंकि कमर का हिस्सा तो कुछ पतला था लेकिन नीचे चूतड़ काफ़ी चौड़े थे फिर उन्होने पूजा को अपने गोद मे से उठकर खड़ा होने के लिए कहा - चल खड़ी हो जा बहनकी लौड़ी तब निकालूँगा तेरी पैंटी , तेरे कूल्हे इतने चौड़े हैं कि लगता है किसी कम उम्र की भैंस के चूतड़ हों ।

इतना सुनते ही पूजा उठकर खड़ी हो गयी और फिर धर्मवीर उसकी पैंटी निकालने की कोशिस करने लगे। पैंटी इतनी कोशिस के बावजूद बस थोड़ी थोड़ी किसी तरह सरक रही थी ।

पूजा के गोल मटोल चूतड़ धर्मवीर के मुँह के ठीक सामने ही थे जिस पर पैंटी आ कर फँस गयी थी ।

जब धर्मवीर चड्डी को नीचे की ओर सरकाते तब आगे यानी पूजा के झांट और चूत के तरफ की पैंटी तो सरक जाती थी लेकिन जब पिछला यानी पूजा के चूतड़ों वाले हिस्से की पैंटी नीचे सरकाते तब चूतड़ों का निचला हिस्सा काफ़ी गोल और मांसल होकर बाहर निकले होने से चड्डी जैसे जैसे नीचे आती वैसे वैसे चूतड़ के उभार पर कस कर टाइट होती जा रही थी ।

आख़िर किसी तरह पैंटी नीचे की ओर आती गयी और ज्योन्हि चूतड़ों के मसल उभार के थोड़ा सा नीचे की ओर हुई कि तुरंत "फटत्त" की आवाज़ के साथ चड्डी दोनो बड़े उभारों से नीचे उतर कर जाँघ मे फँस गयी ।

पैंटी के नीचे होते ही पूजा के सांवले और काफ़ी बड़े दोनो चूतड़ों के गोलाइयाँ अपने पूरे आकार मे आज़ाद हो कर हिलने लगे।
मानो पैंटी ने इन दोनो चूतड़ों के गोलाईओं को कस कर बाँध रखा था।
चूतड़ों के दोनो गोल गोल और मांसल हिस्से को धर्मवीर काफ़ी ध्यान से देख रहे थे ।

पूजा तो साँवले रंग की थी लेकिन उसके दोनो चूतड़ भी सांवले रंग के थे।
चूतड़ काफ़ी कसे हुए थे । पैंटी के नीचे सरकते ही पूजा को राहत हुई कि अब पैंटी फटने के डर ख़त्म हो गया था ।

फिर धर्मवीर सावित्री के जांघों से पैंटी नीचे की ओर सरकाते हुए आख़िर दोनो पैरों से निकाल लिए । निकालने के बाद पैंटी के चूत के सामने वाले हिस्से को जो की कुछ भीग गया था उसे अपनी नाक के पास ले जा कर उसका गंध नाक से खींचे और उसकी मस्तानी चूत की गंध का आनंद लेने लगे ।

पैंटी को एक दो बार कस कर सूंघने के बाद उसे फर्श पर पड़े पूजा के कपड़ों के उपर फेंक दिया ।

अब पूजा एकदम नंगी होकर धर्मवीर के सामने अपना चूतड़ कर के खड़ी थी ।
फिर अगले पल धर्मवीर चटाई पर उठकर खड़े हुए और अपनी चड्डी निकाल कर चटाई पर रख दिए।
उनका लंड अब एकदम से खड़ा हो चुका था. धर्मवीर फिर चटाई पर बैठ गये और पूजा जो सामने अपने चूतड़ को धर्मवीर की ओर खड़ी थी , फिर से गोद मे बैठने के बारे मे सोच रही थी कि धर्मवीर ने उसे गोद के बजाय अपने बगल मे बैठा लिए ।

पूजा चटाई पर धर्मवीर के बगल मे बैठ कर अपनी नज़रों को झुकाए हुए थी।
फिर धर्मवीर ने पूजा के एक हाथ को अपने हाथ से पकड़ कर खड़े तननाए लंड से सटाते हुए पकड़ने के लिए कहा।

पूजा ने धर्मवीर के लंड को काफ़ी हल्के हाथ से पकड़ी क्योंकि उसे लाज़ लग रही थी। धर्मवीर का लंड एकदम गरम और कड़ा था। सुपाड़े पर चमड़ी चढ़ी हुई थी । लंड का रंग गोरा था और लंड के अगाल बगल काफ़ी झांटें उगी हुई थी ।

धर्मवीर ने देखा की पूजा लंड को काफ़ी हल्के तरीके से पकड़ी है और कुछ लज़ा रही है तब पूजा से बोले - अरे चूत की रानी कस के पकड़ , ये कोई साँप थोड़ी है कि तुझे काट लेगा, थोड़ा सुपाड़े की चमड़ी को आगे पीछे कर ।अब तो तेरो उमर हो गयी है ये सब करने की, लंड से खेलने की, लौड़ों के बीच रहने की । थोड़ा मन लगा के लंड का मज़ा लूट । पहले इस सुपाड़े के उपर वाली चमड़ी को पीछे की ओर सरका और थोड़ा सुपाड़े पर नाक लगा के लौड़े की गंध सूंघ ।

पूजा ये सब सुन कर भी चुपचाप वैसे ही बगल मे बैठी हुई लंड को एक हाथ से पकड़ी हुई थी और कुछ पल बाद कुछ सोचने के बाद सुपाड़े के उपर वाली चमड़ी को अपने हाथ से हल्का सा पीछे की ओर खींच कर सरकाना चाही और अपनी नज़रे उस लंड और सुपाड़े के उपर वाली चमड़ी पर गढ़ा दी थी । बहुत ध्यान से देख रही थी कि लंड एक दम साँप की तरह चमक रहा था और सुपाड़े के उपर वाली चमड़ी पूजा के हाथ की उंगलिओ से पीछे की ओर खींचाव पा कर कुछ पीछे की ओर सर्की और सुपाड़े के पिछले हिस्से पर से ज्योन्हि पीछे हुई की सुपाड़े के इस काफ़ी चौड़े हिस्से से तुरंत नीचे उतर कर सुपाड़े की चमड़ी लंड वाले हिस्से मे आ गयी और धर्मवीर के लंड का पूरा सुपाड़ा बाहर आ गया जैसे कोई फूल खिल गया हो और चमकने लगा ।

जैसे ही सुपाड़ा बाहर आया धर्मवीर पूजा से बोले - देख इसे सूपड़ा कहते हैं और औरत की चूत मे सबसे आगे यही घुसता है, अब अपनी नाक लगा कर सूँघो और देखा कैसी महक है इसकी । इसकी गंध सूँघोगी तो तुम्हारी मस्ती और बढ़ेगी चल सूंघ इसे ।

पूजा ने काफ़ी ध्यान से सुपादे को देखा लेकिन उसके पास इतनी हिम्मत नही थी कि वह सुपाड़े के पास अपनी नाक ले जाय। तब धर्मवीर ने पूजा के सिर के पीछे अपना हाथ लगा कर उसके नाक को अपने लंड के सुपाड़े के काफ़ी पास ला दिया लेकिन पूजा उसे सूंघ नही रही थी।

धर्मवीर ने कुछ देर तक उसके नाक को सुपाड़े से लगभग सटाये रखा तब पूजा ने जब साँस ली तब एक मस्तानी गंध जो की लौड़े की थी, उसके नाक मे घुसने लगी और पूजा कुछ मस्त हो गयी।

फिर वह खुद ही सुपादे की गंध सूंघने लगी। ऐसा देख कर धर्मवीर ने अपना हाथ पूजा के सिर से हटा लिया और उसे खुद ही सुपाड़ा सूंघने दिया और वह कुछ देर तक सूंघ कर मस्त हो गयी।

फिर धर्मवीर ने उससे कहा - अब सुपाड़े की चमड़ी को फिर आगे की ओर लेजा कर सुपाड़े पर चढ़ा दे ।

यह सुन कर पूजा ने अपने हाथ से लंड की चमड़ी को सुपाड़े के उपर चढ़ाने के लिए आगे की ओर खींची और कुछ ज़ोर लगाने पर चमड़ी सुपाड़े के उपर चढ़ गयी और सुपाड़े को पूरी तरीके से ढक दी मानो कोई नाप का कपड़ा हो जो लंड के सुपाड़े ने पहन लिया हो ।

Reply
12-27-2020, 01:11 PM,
#36
RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
Update 26
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दोस्तों अब कहानी को ले चलते हैं राकेश की ओर।
राकेश जो कि अभी जापान में था । वह दिन-रात यही सोचने लगा कि शालिनी ने उसे मारने की कोशिश क्यों की। वह अपनी बहन को अपनी जान से भी ज्यादा प्यार करता था ।
फिर उसी की बहन ने उसे क्यों मारना चाहा तभी राकेश के दिमाग में एक विचार आया कि कहीं ऐसा तो नहीं है कि मैंने शालिनी को चोदने की कोशिश की और इसी वजह से गुस्से में आकर उसने मारा हो , लेकिन अगले ही पल यह भ्रम उसका दूर हो गया जब उसे याद आया कि किस तरह शालिनी अपनी गांड मटका मटका कर चोदने का आमंत्रण दे रही थी।

शालिनी तो लोड़े के आगे फैल गई गई थी लेकिन फिर चुदी क्यों नहीं ,चुदने के बदले उसने मुझे मार क्यों दिया । कुछ ऐसे ही विचारों में गुमसुम रहता था।

राकेश उसे पता लगाना था कि यह सब चल क्या रहा है आखिर यह सब हो क्या रहा है।
तभी उसे दिमाग में एक आईडिया आया आया और उसने अपने सबसे वफादार दोस्त को फोन किया ।
यह दोस्त राकेश की कंपनी में ही काम करता था लेकिन दोनों का व्यवहार और स्वभाव एक तरह से दोस्ताना ही था ।

इसका नाम दीपक था ।
दोस्तों दीपक के बारे में थोड़ा सा आपको बता दूं कि दीपक एक 6 फुट लंबा और तंदुरुस्त शरीर का मालिक था। तगड़ा और तंदुरुस्त शरीर होने के साथ-साथ इसका दिमाग किसी चालाक लोमड़ी से कम नहीं था ।
अगर दिमाग के बारे में बात करूं तो दीपक का दिमाग रावण की टक्कर का था । इसमें हंसने वाली बात नहीं है दोस्तों बहुत ही दिमाग और शातिर इंसान था दीपक।
जो कि राकेश का पक्का दोस्त था।

कुछ देर रिंग बचने के बाद दीपक ने फोन उठाया ।

राकेश की आवाज आई - कैसा है दीपक ?

दीपक- कौन अबे भूल गया क्या अपने बाप को। तेरा भाई राकेश बोल रहा हूं मैं । जिसे मैंने अपना भाई समझा वह दोस्त आज मुझे भूल गया ।

दीपक ने जैसे ही यह सुना उसका मुंह खुला का खुला रह गया हकलाते हुए उसके मुंह से इतना ही निकल सका- कक-क कौन दीपक।तुम जी-जिंदा हो। अभी कहां हो तुम और क्या कर रहे हो ।

राकेश - इतना जोर से बोलने की जरूरत नहीं है बस मेरी बात ध्यान से सुनो। मेरे साथ धोखा हुआ है और यह बात मैं तुम्हें अभी फोन पर नहीं बता सकता । किसी को कानों कान खबर नहीं होना चाहिए कि मैंने तुम्हें फोन किया है या मैं जिंदा हूं बस । मेरा काम है जो तुम्हें करना है मेरे लिए एक फ्लैट खरीदो जो मेरे घर से 10 किलोमीटर के दायरे में ही हो, एक गाड़ी खरीदो । मैं 1 हफ्ते में इंडिया आ जाऊंगा तब तक यह सारा काम करके रखना और दोस्त बहुत विश्वास के साथ मैंने तुम्हें फोन किया है । मेरे और तुम्हारे अलावा किसी तीसरे को यह बातें कानों कान खबर नहीं होनी चाहिए कि मैं जिंदा हूं । बाकी सारी कहानी में आकर बताऊंगा। अभी वक्त नहीं है चलो ठीक है रखता हूं फोन । बाय मेरी जान ।

ऐसा कहकर राकेश ने फोन रख दिया दूसरी तरफ दीपक अभी भी अपना फोन कान पर लगाए हुए बैठा था उसे समझ ही नहीं आ रहा था कि यह कोई सपना है या सच में उसे राकेश का फोन आया है । कुछ देर सोचने के बाद जब उसे विश्वास नहीं हुआ तो उसने अपने फोन में जल्दी से कॉल रिकॉर्डिंग वाला फोल्डर खोला और दोबारा से उसी कॉल को सुनने लगा तब जाकर फिर विश्वास हुआ कि सच में राकेष उसे कॉल किया है।
झनझना गया था दीपक का दिमाग सोचने लगा कि यह क्या है कि राकेश ने मुझे कुछ बताया भी नहीं । क्या राकेश को किसी ने मारने की कोशिश की थी । क्या राकेश की हत्या के पीछे जापान मैं किसी का हाथ था। यह सोच ही रहा था लेकिन तभी उससे हिम्मत मिली कि राकेश ने कहा है आकर सब कुछ बताएगा और जो काम राकेश ने दिया है उसे पूरा कर ले

दीपक तुरंत ऑफिस से निकला और चल दिया राकेश का काम करने ।

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अब चलते हैं दोस्तों उपासना , धर्मवीर ,सोमनाथ और पूजा की तरफ ।

जैसा कि आप जानते हैं सोमनाथ और उपासना एक दूसरे के सामने अपने लंड और चूत को खुल चुके थे।

लेकिन दूसरी तरफ पूजा को धर्मवीर के कमरे में दूध लेकर जाना था। दूध लेकर क्या जाना था दोस्तों अपनी आग को ठंडी करवाने जाना था । अपनी गर्मी निकलवाने जाना था ।

पूजा ने जाते हुए सोचा की पेटिकोट और ब्लाउज में मैं कैसे अकेली अपनी बहन के ससुर के सामने जाऊंगी ।

हां दोस्तों यह सोचना भी सही था पूजा का क्योंकि पूजा उपासना के मुकाबले ज्यादा शर्मीली थी । उपासना को देखकर वह थोड़ी बेशर्म हो जाती थी लेकिन अकेले में उसके लिए यह मुमकिन नहीं था कि वह अपने चूतड़ों पर अपना पेटिकोट कसकर अपनी बहन के ससुर के सामने जाए ।

इसलिए उसने सूट सलवार पहनने का निर्णय लिया उसने कसी हुई ब्रा पेंटी पहनी , उसके ऊपर समीज पहनी और फिर उसने सूट सलवार पहने ।
सलवार को अगर तंग पजामी कहूं तो ज्यादा बेहतर होगा क्योंकि यह चूड़ीदार पजामी थी जोकि उसकी जांघों से चिपकी हुई थी और उसकी गांड उस तंग पजामी ने इस तरह बाहर को निकली हुई थी जब वह चलती तो उसके चूतड़ों पर से सूट जो उसने पहना हुआ था वह हवा में लहरा जाता और उसकी मोटी मोटी जांघे चलते हुए साफ देखी जा सकती थी ।

पूजा का बदन बिल्कुल ऐसा था कि ना तो वह ज्यादा लंबी लगती थी और ना ही ज्यादा छोटी लगती थी मतलब मीडियम साइज की हाइट थी उसकी ऊपर से भरा हुआ बदन मतलब चलते हुए बिल्कुल चुदाई की मूरत लगती थी ।
ऐसा लगता था इस जैसी लौंडिया को तो सड़क पर पटक कर भी चोदो तो भी चुदाई में पीछे नहीं हटेगी।

दूसरी तरफ धर्मवीर अपने कमरे में बैठा हुआ पूजा का इंतजार कर रहा था


पूजा के मन में डर , शर्म और लाज के भाव थे ।
वह जाते हुए डर रही थी । वह धर्मवीर के कमरे में जाते हुए सोच रही थी की चूत की गर्मी भी क्या चीज होती है आज मैं खुद ही चुदने जा रही हूं वह भी अपनी बहन के ससुर से , आज अपनी चूत खुलवाने जा रही हूं पता नहीं आज मेरी क्या हालत होगी । मेरी इस हिलती हुई और मटकती हुई गांड में लंड जाएगा लेकिन कैसे । कैसे मैं अपनी बहन के ससुर के सामने अपनी चूत खोल कर लेटूंगी मैं तो शर्म से मर ही जाऊंगी ।
कैसे में नंगी होकर अपनी बहन के ससुर के लोड़े का स्वागत करूंगी हाय मैं तो मर ही जाऊंगी शर्म से ।

इन्हीं बातों को सोचते हुए और गर्म होते हुए पूजा धर्मवीर के कमरे में पहुंची।

धर्मवीर ने जैसे ही पूजा को गेट पर देखा तो सूट और सलवार पहने हुए देखकर धर्मवीर का माथा ठनक गया ।
सोचने लगा कि अभी तो दोनों घोड़ियां पेटीकोट और चोली में अपनी जवानी को दिखा रही थी, और अब यह बहन की लोड़ी सती सावित्री बन कर मेरे पास आई है। जबकि यह भी जानती है कि धर्मवीर के पास जाना मतलब लोड़ा खाना है ।

पूजा ने गले में दुपट्टा लिया हुआ था जो उसकी चूचे नहीं देख पा रहे थे, लेकिन चूतड़ों पर कोई दुपट्टा नहीं था गांड तो बिल्कुल बाहर ही दिख रही थी।

लंड मांगती हुई गांड को आखिर कैसे छुपा पाती पूजा ।
धीरे धीरे चलते हुए वह धर्मवीर के पास आकर बोली।

पूजा- लीजिए दूध पी लीजिए ।

धर्मवीर ने उसके हाथ से से दूध ले लिया और एक ही सांस में सारा दूध खत्म कर दिया और दूध पीने के बाद धर्मवीर ने गिलास वापस पूजा को दे दिया।

अब तो पूजा के लिए बहुत परेशानी वाली बात हो गई क्योंकि जो दूध लेकर वह धर्मवीर के पास आई थी उसे तो पी चुका था धर्मवीर ।
अब उसके पास रुकने का कोई बहाना नहीं था ।
अब वह कैसे कहती कि मुझे तुम्हारे साथ ही सोना है आज ।
एक तो शर्मीली थी पूजा ऊपर से उसे कोई बहाना भी नजर नहीं आ रहा था कि वह धर्मवीर के पास रुके क्योंकि धर्मवीर गिलास खाली करके उसके हाथ में पकड़ा चुका था ।

अब तो पूजा को वापस उपासना के पास ही जाना था यही सोच कर पूजा की शक्ल पर परेशानियों के भाव उभर आए , जिन्हें धर्मवीर ने पढ़ लिया ।

धर्मवीर के बारे में जैसा आप जानते हैं दोस्तों एक मंझा हुआ खिलाड़ी था धर्मवीर वह सोमनाथ की तरह चोदने के लिए तड़पता नहीं था वह तो चुदने के लिए तड़पाता था और इसी तरह खड़ी हुई चुदने के लिए तड़पती हुई पूजा को देख रहा था धर्मवीर।

अब जब पूजा को लगा कि अब तो कोई बहाना ही नहीं बचा है कि मैं यहां रुकूं और यह मैं कह नहीं सकती कि आप मुझे चोदो , नंगी करो , लंड दो मुझे तो मैं क्या करूं ।

फिर पूजा वापस जाने के लिए गेट की तरफ मुड़ी लेकिन मुड़कर वह धर्मवीर की तरफ अपनी गांड करके और अपने हाथ से गिलास फर्श पर छोड़ दिया। लेकिन गिलास को इस तरह से छोड़ा गया की धर्मवीर को लगे कि पूजा के हाथ से गिलास छूट गया है ।
जबकि पूजा ने गिलास को जान पूछ कर फर्श पर गिराया था।

अब गिरे हुए गिलास को फर्श पर से उठाने के लिए झुकना था पूजा को और झुकने के लिए ही उसने गिलास को गिराया था ।
एक बार उसने अपनी गर्दन पीछे की तरफ मोड़ कर कर धर्मवीर को देखा जोकि उसे ही देख रहा था ।
पूजा ने अपनी प्यासी नजरों से धर्मवीर को देखते हुए हल्की सी मुस्कुराहट दी और फिर गर्दन आगे करके गिलास उठाने लगी ।
झुक कर अपने पूरे पिछवाड़े को बाहर निकाल कर गिलास उठाने लगी पूजा।

पूजा की उफान मारती इस गांड को देखकर धर्मवीर का लोड़ा टाइट हो गया, लेकिन अपने ऊपर कंट्रोल किए हुआ था ।

पूजा ने गिलास हाथ में पकड़ा लेकिन उठी नहीं झुकी ही रही कुछ पलों तक और झुके झुके ही अपनी गांड को थोड़ा सा हिला दिया और फिर सीधी खड़ी हो गई ।

पूजा समझ गई थी कि उसके चौड़े चौड़े चूतड़ों ने क्या कहर बरपाया होगा धर्मवीर के लंड पर और कुछ पल ठहर कर गेट की तरफ बढ़ने लगी पूजा।

लेकिन तभी उसके कानों में आवाज गूंजी ।

धर्मवीर - पूजा नीचे जाकर क्या करोगी ।

पूजा मानो इसी का इंतजार कर रही थी कि धर्मवीर उसे रोके । कोई एक बात धर्मवीर के मुंह से निकले और पूजा रुक जाए धर्मवीर के कमरे में ।
यही तो चाह रही थी पूजा और ऐसा सुनते ही पूजा में कहा ।

पूजा - नीचे पापा जी और दीदी टीवी देख रहे हैं वहीं पर जाकर बैठूंगी। वैसे टीवी देखना तो मुझे पसंद नहीं है लेकिन क्या करूं बैठना तो पड़ेगा ही उनके पास ।

अभी तक पूजा धर्मवीर की तरफ नहीं मुड़ी थी अपनी गांड धर्मवीर की तरफ करके गेट की तरह अपना मुंह करके ही जवाब दे रही थी पूजा ।

धर्मवीर- जब तुम्हें टीवी देखना पसंद नहीं है तो फिर क्यों जा रही हो वैसे भी मेरा टीवी नहीं चल रहा है । मैं भी अकेला बोर हो रहा हूं चलो दोनों कुछ देर छत पर टहल कर आते हैं ।

ऐसा सुनकर पूजा मुस्कुराते हुए धर्मवीर की तरफ आने लगी ।

धर्मवीर समझ गया कि उसने उसका उसका निमंत्रण स्वीकार कर लिया है

पूजा ने गिलास को बेड के सिरहाने पर रखा और खड़ी हो गई धर्मवीर के सामने ।

अब बारी थी धर्मवीर की कि वह कुछ करे।
धर्मवीर भी खड़ा हुआ और बोला चलो ऊपर चलते हैं और दोनों घर की छत पर पहुंच गए ।

ठंडी ठंडी हवा चल हवा चल रही थी बड़ा ही रोमांचित मौसम था ।
बादल गरज रहे थे और बारिश शुरू ही होने वाली थी । बारिश की कोई कोई बूंद गिर भी रही थी जमीन रही थी जमीन भी रही थी जमीन भी रही थी जमीन । बादल ज्यादा घने थे जिन्हें देखकर लग रहा था कि आज रात मूसलाधार बारिश होने वाली है ।और धीरे-धीरे टपकती हुई कोई कोई बूंद दोनों के जिस्म पर गिर रही थी। लेकिन बारिश शुरू नहीं हुई थी जिससे वह दोनों भीग जाए कोई-कोई बूंद ही गिर रही थी।

दोनों छत पर टहलने लगे लेकिन एक दूसरे से कोई बातचीत नहीं हो रही थी।

धर्मवीर जब छत पर टहल रहा था तो पूजा जानपूछकर उसके सामने चलती और अपनी गांड को इस तरह से मटकाती कि मानो धर्मवीर के लंड पर चाकू चल रहे हो ।
इस तरह चल रही थी पूजा जैसे फैशन शो में कैटवॉक कर रही हो ।
अपने चूतड़ों की थिरकन में मादकता लाते हुए बड़ी ही मस्तानी चाल से उसके सामने चूतड़ों को मटका मटका कर चल रही थी पूजा ।

धर्मवीर समझ तो सब रहा था यह सब लंड की भूख है लेकिन पहल कैसे करें यही सोच रहा था ।

उधर पूजा कहर बरपाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी ।
उस चांदनी रात में किसी चूत की देवी या चूत की रानी की तरह मादकता बिखेरते हुए अपने भरे हुए और गदरआए हुए बदन को हिलाते हुए हिचकोले खाते हुए धर्मवीर की आंखों के सामने एक तरह से वासना से भरा नृत्य कर रही थी पूजा।

दोस्तों छत पर दोनों इस तरह से टहल रहे थे की पूजा आगे आगे चलती और धर्मवीर उसके पीछे पीछे पीछे चलती और धर्मवीर उसके पीछे पीछे पीछे उसके पीछे पीछे ।
वह दूसरी तरफ मुड़ती धर्मवीर भी उसकी गांड को निहारते हुए पूजा के पीछे पीछे मुड़ जाता।
मतलब देखकर कहा जा सकता था जैसे किसी चुदासी कुत्तिया के पीछे उसे भभोड़ने लिए कोई कुत्ता घूम रहा हो ।

तभी पूजा के पीछे चलते हुए धर्मवीर ने गाना गुनगुनाना शुरू किया धर्मवीर यह गाना कुछ तेज आवाज में जा रहा था जा रहा था जिसे पूजा साफ-साफ सुन सकती थी ।

धर्मवीर गाना गाने लगा -
एक भीगी हसीना क्या कहना,
यौवन का नगीना क्या कहना ।
सावन का महीना क्या कहना ,
बारिश में पसीना क्या कहना।।

इतना गाना गाकर धर्मवीर चुप हो गया दूसरी तरफ पूजा ने इस गाने को एक इशारा समझा और उसने देर ना करते हुए करते हुए यह गाना आगे शुरू किया ।
पूजा भी इतनी तेजी से गा रही थी कि धर्मवीर साफ सुन सके ।

बहुत ही तेज आवाज में गाना गाने लगी पूजा --
मेरे होठों पे यह अंगूर का जो पानी है,
मेरे महबूब तेरे प्यास की कहानी है ।
जब घटाओं से बूंद जोर से बरसती से,
तुझसे मिलने को तेरी जानेमन तरसती है ।

इतना गाना गाकर पूजा भी चुप हो गई ।
फिर कोई एक दो मिनट पूजा धर्मवीर के आगे आगे आगे आगे आगे चलती रही और धर्मवीर उसकी गांड को देख कर मजा लेता रहा रहा मजा लेता रहा रहा ।
जब कुछ देर तक दोनों के बीच फिर कोई बातचीत नहीं हुई तो धर्मवीर ने फिर से गाना स्टार्ट किया ।
इस बार धर्मवीर की आवाज पहले से भी ज्यादा तेज थी ।
Reply
12-27-2020, 01:11 PM,
#37
RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस


धर्मवीर गाने लगा --
नजरों में छुपा ले देर न कर,
ये दूरी मिटा ले देर न कर ।
अब दिल में बसा ले देर ना कर ,
सीने से लगा ले देर ना कर ।

इतना गाना गाकर धर्मवीर फिर चुप हो गया अब तो पूजा को भी मजा आने लगा आने लगा आने लगा था ।
वह और तड़पाना चाहती थी धर्मवीर चाहती थी धर्मवीर को और ज्यादा अपनी गांड को मटका मटका कर उसके आगे चल रही थी ।
कभी-कभी दुपट्टा ठीक करने के बहाने से वह अपनी गांड के पीछे से दुपट्टा हाथ में पकड़ती और साथ में सूट को भी पकड़ कर कर एक तरफ खींच लेती जिससे उसकी तंग पजामी में मोटे मोटे गद्देदार गोलमोल चूतड़ों के दर्शन हो जाते थे धर्मवीर को ।

इस तरह सताना अच्छा लग रहा था पूजा को ।
आग लगाना चाहती थी धर्मवीर के लंड में तभी तो एक मस्त घोड़ी की तरह हथिनी की तरह मस्ती से चलती हुई अपनी गांड हिला रही थी धर्मवीर के आगे आगे चलते हुए ।

जब धर्मवीर ने इतना गाना गाकर बंद किया तो पूजा ने इस गाने को आगे बढ़ाते हुए गाना स्टार्ट किया। पूजा को इतना मजा आने लगा आने लगा आने लगा था इस खेल में कि उसने अब धर्मवीर से भी तेज आवाज में गाने का निर्णय लिया और लगभग बहुत ही तेज आवाज में पूजा ने गाना शुरू किया ।
उसकी आवाज इतनी तेज थी कि उसके घर से तीसरे या चौथे घर में भी आराम से सुनी जा सकती थी लेकिन धर्मवीर के घर के आस-पास कोई घर नहीं था पास में । जिस वजह से पूजा को कोई डर भी नहीं था ।
अपनी पूरी आवाज खोल कर कर तेज आवाज में गाने लगी पूजा।

पूजा गाने लगी --
बड़ी बेचैन हूं मैं मेरी जान मैं कल परसों से ,
था मुझे इंतजार इस दिन का बरसों से ।
अब जो रोकेगा तो मैं हद से गुजर जाऊंगी,
और तड़पाएगा दिलदार तो मैं मर जाऊंगी ।।

इस गाने के बहाने से दोनों ने बड़ी ही आसानी से अपनी अपनी बात एकदूसरे के सामने रखदी। लेकिन अब भी कुछ बाकी था । पहल करने ही हिम्मत बाकी थी ।

उसके पीछे चलता हुआ धर्मवीर फिर गाना गाने लगा।

गाना कुछ इस तरह था -
जी करता है तेरी जुल्फों से खेलूं ,
जी करता है तेरी तुझे बाहों में ले लूं ।
जी करता है तेरे होठों को चूमूँ,
जी करता है तेरे इश्क में झूमुं ।

पूजा भी कुछ सोचने लगी और धर्मवीर के सामने चलते हुए कुछ सेकंड के लिए रुकी ।
धरमवीर भी उसके पीछे रुक गया पूजा ने वह किया जिसकी उम्मीद धर्मवीर को नहीं थी ।
पूजा ने रुक कर अपने दोनों हाथ अपने घुटनों पर रखें और अपने पिछवाड़े को पीछे की तरफ निकालकर अपनी गांड को कुछ इस तरह हिलाया जैसे जैसे पॉर्न मूवी में कोई पॉर्नस्टार अपनी गांड हिलाती है ।

पूजा के गद्देदार और भारी कूल्हों वाली गांड को इस तरह हिलता देखकर आसमान टूट पड़ा धर्मवीर के ऊपर ।

कुछ सेकंड के लिए इस तरह अपनी गांड हिला कर पूजा फिर धर्मवीर के आगे आगे चलने लगी । अब गाना गाने की बारी पूजा की थी ।
पूजा ने अपने दुपट्टे को अपने सर पर किया अपने चेहरे पर हल्का सा पर्दा किया और इस बार जो पूजा ने गाना गाया पूजा की आवाज कुछ तेज नहीं थी । बड़ी ही मादक आवाज में पूजा ने गाना गाया और उसने बस इतनी ही आवाज में गाना गाया कि धर्मवीर सुन सके ।
बड़े ही सेक्सी अंदाज में पूजा ने धर्मवीर के ही गाने को अलग अंदाज में गाने लगी ।

गाना कुछ इस तरह था ।
जी करता है तेरे लंड से खेलूं ,
जी करता है उसे अपनी चूत में ले लूं ।
जी करता है तेरे लंड को चूमूँ,
जी करता है तेरे लंड पर झुलूं ।
Hayee हाय की इस मादक आवाज के साथ गाना खत्म हुआ ।

यह पूजा का बेहद ही बेशर्मी भड़क कदम था जो बड़ी हिम्मत करके उठाया था पूजा ने ।

अब कुछ बचा था तो वह थी शुरुआत । एक पहल जो दोनों में से कोई भी कर सकता था ।
लेकिन पूजा को तो सती सावित्री बनना था ।
तड़पाना अच्छा लग रहा धर्मवीर को और अपना गाना खत्म करके वह सीधा छत की ग्रिल पर खड़ी हो गई ।
अपने दोनों हाथ उसने ग्रिल पर रख लिए ।

अब धर्मवीर क्या करता ऐसे ही टहलता रहता या कोई पहल करता ।
ऐसी ही कंडीशन थी छत पर ।

धर्मवीर ने टहलने का इरादा बदल दिया और पूजा के बिल्कुल पीछे जाकर खड़ा हो गया ।

पूजा को एहसास हो गया था कि धर्मवीर बिल्कुल इसके बिल्कुल इसके पीछे खड़ा है लेकिन उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा ।

तभी धरमवीर की सांसो उसे अपने कान पर महसूस हुई ।
पूजा का दिल धक-धक करने लगा शर्म और लज्जा की वजह से उसने अपनी आंखें बंद कर ली ।

धर्मवीर बोला - गाओ ना पूजा गाना क्यों बंद कर दिया ।

पूजा - मुझसे नहीं आता गाना वाना । वह तो बस ऐसे ही मुंह से निकल गया।

धर्मवीर अब आगे का क्या इरादा है ।

इस सवाल से तो पूजा की सांसे ही थम गई ही थम गई लेकिन अपने आप पर कंट्रोल करते हुए अपनी मुट्ठियों को भींचते हुए पूजा ने जवाब दिया - आगे का इरादा ? मैं कुछ समझी नहीं ।

धर्मवीर उसके कान के पास अपने होंठ ले जाकर जाकर बड़े धीरे से मादक आवाज में बोला - तो तुम मेरे कमरे में क्या करने आई थी ।

पूजा अब कैसे कहती है कि वह चुदने आई थी । उसके नीचे नंगी लेटने आई थी ।

पूजा बोली - मैं तो आपको दूध देने आई थी ।

उसके कान में धर्मवीर फिर धीरे से बोला- मुझे तो नहीं लगता तुम दूध देने आई थी थी ।

पूजा भी अपनी आंखें बंद किए हुए मादक आवाज में में बोली - तो फिर मैं क्या करने आई थी । दूध ही तो देने आई थी थी तो देने आई थी थी आपको ।

धर्मवीर - मैं बताऊं तुमको क्या करने आई थी ।

पूजा समझ गई कि अब कुछ होने वाला है । अपनी सांसो पर कंट्रोल करते हुए धीरे-धीरे उसने अपनी आंखें खोली ।
उसकी आंखों के सामने शहर का नजारा था । लाइट से जगमग हो रहा था पूरा शहर और बारिश शुरू होने से पहले चलने वाली तेज ठंडी हवा पूजा के बालों को उड़ा रही थी जो उसके बाल कभी उसके चेहरे पर आ जाते तो कभी हवा की वजह से अपने आप ही हट जाते और इस ठंडी ठंडी ठंडी हवा में ठंडी ठंडी ठंडी हवा में कोई कोई बूंद बूंद उनके बदन पर गिर रही थी और ऐसी स्थिति में जब धर्मवीर की सांसें उसकी कानों से टकराती उसकी सांसे उसे बहुत ही गर्म लगती।

माहौल उत्तेजक हो चला था धर्मवीर अपने होठों को उपासना के कान के पास रखकर धीरे धीरे सांस ले रहा था और पूजा के जवाब का इंतजार कर रहा था । इस तरह बिल्कुल पीछे खड़े होने की वजह से दोस्तों धर्मवीर का लंड पूजा की गांड से छू रहा था और आप पूजा की हालत समझ सकते हैं मुश्किल से नियंत्रण में रखी हुई थी वह अपने जज्बातों को , अपने हालातों को , अपनी सांसो को ।

पूजा में धीरे से - कहा धत्त बड़े आए । मैं दूध लेकर नहीं आई थी तो क्या करने आई थी चलिए बताइए । आपको जब आपको इतना पता है कि मैं दूध लेकर नहीं आई थी तो बताइए मैं भी तो सुनूं ।

धर्मवीर धीरे से उसके कान में बोला- पूजा सच कड़वा होता है कहीं ऐसा ना हो कि तुम बुरा मान जाओ ।

अब पूजा के सामने उसकी शर्म चुनौती बन के खड़ी हो गई खड़ी हो गई के खड़ी हो गई खड़ी चुनौती बन के खड़ी हो गई ।

पूजा धीरे से बोली - देखिए मैं सिर्फ आपको दूध देने आई थी यदि आपको लगता है कि मैं कुछ और करने आई थी तो बताइए मैं क्या करने आई थी।

धर्मवीर ने उसके कान में कहा कान में कहा - लो तो बता देते हैं क्या करने आए थे आप पूजा जी मेरे कमरे में ।

ऐसा कह कर धर्मवीर एक साथ पूजा के पीछे से साथ पूजा के पीछे से पूजा के पीछे से हट गया।
पूजा को एहसास हुआ कि जो जो हुआ कि जो धर्मवीर अभी उसकी गांड से चिपका हुआ था वह बिल्कुल उससे अलग हट गया है । आखिर वह क्या कर रहा है या उसका क्या करने का इरादा है । पूजा यह सब सोच ही रही थी लेकिन उसने पीछे गर्दन मोड़कर नहीं देखा ।वह शहर की तरफ अपना चेहरा सीधा करके बस जगमगाते शहर को देख रही थी और सोच रही थी कि अब क्या होने वाला है। धर्मवीर तो कह रहा था कि बता देते हैं लेकिन धर्मवीर ने तो कुछ नहीं बताया और पीछे से भी हट गया और दोस्तों अगले ही पल वह हुआ जिसकी उम्मीद या कल्पना भी पूजा ने नहीं की थी ।

हां दोस्तों धर्मवीर जैसे ही पूजा के पीछे से हटा। वह बिल्कुल पूजा के पीछे बैठ गया उसके पीछे बैठकर उसकी चौड़ी गांड गांड धर्मवीर के सामने थी ।
धर्मवीर ने आहिस्ते से धीरे से पूजा के सूट को को हाथ से पकड़ कर उठाया और उस तंग पजामी में फंसी हुई पूजा की गांड को दो पल के लिए निहारा और फिर उसकी गांड की दरार में अपने दोनों हाथों से उसकी पजामी को पकड़कर विपरीत दिशाओं में अपनी पूरी जान से फाड़ दिया और यह सब इतना जल्दी हुआ की पूजा जब तक समझती समझती तब तक उसकी गांड पर से पजामी पजामी फट चुकी थी और उसकी पेंटी में फंसे हुए चूतड़ धर्मवीर के सामने थे

उसकी पैंटी की जो उसके चूतड़ों के बीचो बीच फंसी हुई थी दिख भी नहीं रही थी । गोल गोल सांवले भारी चूतड़ों को देखकर धर्मवीर ने अपना नियंत्रण खो दिया और एक हाथ से नहीं बल्कि अपने दोनों हाथों से दोनों चूतड़ों पर एक साथ थप्पड़ मारा ।

थप्पड़ भी जोरदार था पूरी गांड हिल हिल गई और पूजा के मुह से चीख निकली - आउच ।

धर्मवीर एक साथ थप्पड़ मारकर खड़ा हो गया उपासना की आंखें बंद हो चुकी थी उसे समझ नहीं आ रहा था कि इसका विरोध करूं इसका विरोध करूं या समर्थन ।

तभी धर्मवीर की आवाज उसके कानों में गूंजी जो पहले की तरह धीरे नहीं थी। इस आवाज में तो गुर्राहट और जंगलीपना था।

धर्मवीर - पता चला या अब बोलकर बताऊं कि तुम मेरे पास चुदने आई थी।

धरमवीर की बेशर्मी से हिल गई थी पूजा ।

पूजा ने हिम्मत करते हुए कहा- यह क्या बदतमीजी है ।आपको शर्म नहीं आती ।

धर्मवीर हंसते हुए- हाहाहा शर्म- शर्म की उम्मीद वह भी मुझसे ।
वैसे तुझे तो बहुत शर्म आती है अपनी गांड को फैलाकर झुक गई थी मेरे सामने। आधे घंटे से अपने चूतड़ों को मटका मटका कर मेरे आगे चल रही थी । तुझे तो बहुत शर्म आती है । मुझे तो हैरानी है कि लंड की भूकी लड़की को भी शर्म आती है ।

अब पूजा के पास इसका कोई जवाब नहीं था धर्मवीर ने उसकी गर्दन पकड़ी पकड़ी और उसका चेहरा अपनी तरफ किया पूजा की आंखों में आंखें डाल कर बोला 2 मिनट में नीचे आ जाना जाना तेरी चुदाई करनी है । सुन लिया ना चोदना है तुझे घोड़ी । यही करनी तो आई थी आई थी चुदाई ।
मैं तेरे बाप सोमनाथ की तरह नहीं हूं जो साला कभी लात खाता है, तो कभी धक्का खाता है । तुम दोनों बेटियों ने अभी धर्मवीर को सही से नहीं पहचाना है । अपना यह सावित्रीपना जाकर किसी और मादरचोद को दिखाना समझी। मैं बस तेरे जैसी चूतों में लंड उतारना जानता जानता हूं अब तुझे तय करना है की जबरदस्ती तेरे जैसी घोड़ी के ऊपर मैं चढूं या अपनी मर्जी से मेरे लंड के आगे अपनी चूत खोलेगी । तेरे जैसी लौंडिया मैंने बहुत नचाई है अपने लोड़े पर। तेरे जैसी घोड़ियों की नाक में नकेल डाली है मैंने । तेरी जैसी गदरआई हुई कुतिया के गले में पट्टा डालना सीखा है मैंने और तू धर्मवीर के सामने नखरे कर रही है ।
सीधी बात है प्यार से चुदना है तो प्यार से चोदूंगा वरना हलक में लौड़ा उतार के के तेरी गांड को गोदाम बना दूंगा। तू मुझे पागल समझती है जब पहले दिन तू अपनी गांड को मटका मटका कर सीढ़ियों पर पर चल रही थी मैं तभी समझ गया था कि तेरे जैसी घोड़ी जल्दबाजी में ठंडी नहीं होती । तुझे तो पूरी रात तेरे ऊपर चढ़कर चोदना पड़ेगा, तेरी चूत पर अपने लंड से हल चलाना । तब जाकर ठंडी होगी तू ।

अब समझ गई ना रंडी अगर प्यार से चुदना है तो चुपचाप नीचे आ जाना जाना जाना जाना। अगर 2 मिनट में नीचे नहीं आई नीचे नहीं आई तो तुझे अपने लोड़े पर बैठा कर कर तेरी गांड पर लात बजाता हुआ नीचे जाऊंगा। फैसला तेरे हाथ में ।
ऐसा कहकर धर्मवीर ने पूजा के मुंह पर थूक दिया तू कितना ज्यादा था कि उसके गाल से टपकता हुआ उसके होठों तक आ गया ।

ऐसा कहकर धर्मवीर पूजा की गांड पर एक और थप्पड़ लगाकर नीचे की तरफ चला गया ।

पूजा कुछ पलों के लिए खड़ी खड़ी सन्न रह गई ।
समझ नहीं आया कि धर्मवीर किस मिट्टी का बना है। किस तरह सोचता है धर्मवीर ।अपने चेहरे को साफ करती हुई और यही सब सोचो में गुम पूजा के पैर छत से नीचे की तरफ बढ़ गए।

नीचे आकर उसने धर्मवीर के कमरे में देखा तो कोई नहीं था लेकिन कमरे से बराबर में जो कमरा था उसका दरवाजा खुला हुआ था ।

पूजा ने देखा कि दरवाजा बिल्कुल खुला हुआ है उसने अंदर झांक कर देखा तो धर्मवीर बस चड्डी पहने हुए था और चटाई बिछाकर कमरे में बैठा हुआ था। और दरवाजे की तरफ धर्मवीर ने पीठ की हुई थी जिस वजह से उसका चेहरा उसे नहीं दिख रहा था लेकिन उससे हैरानी तब हुई जब उसके कानों में धर्मवीर की आवाज पड़ी ।

धर्मवीर- खड़ी खड़ी क्या देख रही है इसी कमरे में है तेरी चुदाई का प्रोग्राम। इसी कमरे में चुदेगी तू आज । मेरे लोड़े पर तेरी चूत का पानी लगेगा ।

पूजा को हैरानी हुई कि धर्मवीर ने उसकी तरफ चेहरा भी नहीं किया हुआ है फिर धर्मवीर को कैसे पता चला कि वह गेट पर खड़ी है वास्तव में बहुत शातिर है मेरी बहन का ससुर ।

पूजा यह आवाज़ सुनकर लगभग हिल सी गई।
सोफे पर बैठे बैठे अपने दुपट्टे को भी ठीक ठाक कर लिया ,अब अगले पल मे होने वाली घटना का सामना करने के लिए हिम्मत जुटा रही थी ।

तभी पूजा के कान मे एक आवाज़ आई और वह कांप सी गई।

धर्मवीर - आओ इधर ।

पूजा को लगा कि वह यह आवाज़ सुनकर बेहोश हो जाएगी ।

अगले पल पूजा सोफे पर से उठी और अंदर के हिस्से मे आ गयी ।
पूजा ने देखा कि धर्मवीर जी नीचे चटाई पर बैठे हैं और उसी की ओर देख रहे हैं ।

अगले पल धर्मवीर जी ने कहा - चटाई ला कर बिछा यहाँ और तैयार हो जा ।

पूजा समझ गयी कि धर्मवीर जी क्या करना चाहते हैं।

उसने चटाई ला कर धर्मवीर वाली जगह यानी चटाई के बगल मे बिछा दी।

अब धर्मवीर जी के कहे गये शब्द यानी तैयारी के बारे मे सोचने लगी । उसका मतलब पेशाब करने से था. उसे मालूम था कि धर्मवीर जी ने उसे तैयार यानी पेशाब कर के चटाई पर आने के लिए कहा है ।
लेकिन उनके सामने ही बाथरूम मे जाना काफ़ी शर्म वाला काम लग रहा था और यही सोच कर वह एक मूर्ति की तरह खड़ी थी ।

तभी धर्मवीर जी ने बोला - पेशाब तो कर ले, नही तो तेरी जैसी लौंडिया पर मेरे जैसा कोई चढ़ेगा तो मूत देगी तुरंत । वैसे भी तुझे आज मुता मुता कर चोदना है ।

यह सुनकर पूजा की आंखे जमीन में गढ़ गयीं ।
दूसरे पल पूजा बाथरूम की तरफ चल दी। बाथरूम मे अंदर आ कर जैसे अपनी सलवार के नाड़े पर हाथ लगाई कि मन मस्ती मे झूम उठा।

उसके कानो मे धर्मवीर जी की चढ़ने वाली बात गूँज उठी । पूजा का मन लहराने लगा ।
वह समझ गयी कि अगले पल मे उसे धर्मवीर जी अपने लंड से चोदेंगे।
नाड़े के खुलते ही फटी हुई सलवार को नीचे सरकई और फिर पैंटी को भी सरकाकर मूतने के लिए बैठ गयी।

पूजा का मन काफ़ी मस्त हो चुका था। उसकी साँसे तेज चल रही थी ।
वह अंदर ही अंदर बहुत खुश थी । फिर मूतने के लिए जोर लगाई तो मूत निकालने लगा। मूतने के बाद खड़ी हुई और पैंटी उपर सरकाने से पहले एक हाथ से अपनी चूत को सहलाया ।
फिर जब सलवार का नाड़ा बाँधने लगी तो पूजा को लगा कि उसके हाथ कांप से रहे थे ।

फिर गेट खोलकर बाहर आई तो देखी कि धर्मवीर जी अपना कोट निकाल कर केवल चड्डी मे ही चटाई पर बैठे उसी की ओर देख रहे थे।

अब पूजा का कलेजा तेज़ी से धक धक कर रहा था। वह काफ़ी हिम्मत करके धर्मवीर जी के तरफ बढ़ी लेकिन चटाई से कुछ दूर पर ही खड़ी हो गयी और अपनी आँखें लगभग बंद कर ली।

वह धर्मवीर जी को देख पाने की हिम्मत नही जुटा जा पा रही थी ।

तभी धर्मवीर जी चटाई पर से खड़े हुए और पूजा का एक हाथ पकड़ कर चटाई पर खींच कर ले गये ।
फिर चटाई के बीच मे बैठ कर पूजा का हाथ पकड़ कर अपनी गोद मे खींच कर बैठाने लगे ।

धर्मवीर जी के मजबूत हाथों के खिचाव से पूजा उनके गोद मे अपने बड़े बड़े चूतड़ों के साथ बैठ गयी।

अगले पल मानो एक बिजली सी उसके शरीर मे दौड़ उठी ।
अब पूजा की बड़ी बड़ी चुचियाँ समीज़ मे एक दम बाहर की ओर निकली हुई दीख रहीं थी ।

पूजा अपनी आँखें लगभग बंद कर रखी थी। लेकिन पूजा ने अपने हाथों से अपने चुचिओ को ढकने की कोई कोशिस नही की और दोनो चुचियाँ समीज़ मे एक दम से खड़ी खड़ी थी ।
मानो पूजा खुद ही दोनो गोल गोल कसे हुए चुचिओ को दिखाना चाहती हो। पूजा अब धर्मवीर की गोद मे बैठे ही बैठे मस्त होती जा रही थी ।

धर्मवीर जी ने पूजा के दोनो चुचिओ को गौर से देखते हुए उनपर हल्के से हाथ फेरा मानो चुचिओ की साइज़ और कसाव नाप रहे हों ।

पूजा को पंडित जी का हाथ फेरना और हल्का सा चुचिओ का नाप तौल करना बहुत ही अच्छा लग रहा था। इसी वजह से वह अपनी चुचिओ को छुपाने के बजाय कुछ उचका कर और बाहर की ओर निकाल दी जिससे धर्मवीर जी उसकी चुचिओ को अपने हाथों मे पूरी तरह से पकड़ ले.।

पूजा अब धर्मवीर जी की गोद मे एकदम मूर्ति की तरह बैठ कर मज़ा ले रही थी।
अगले पल वह खुद ही धर्मवीर के गोद मे आगे की ओर थोड़ी सी उचकी और अपने समीज़ को दोनो हाथों से खुद ही निकालने लगी। अब वह खुद ही आगे आगे चल रही थी।

पूजा को अब देर करना ठीक नही लग रहा था ।
आख़िर समीज़ को निकाल कर फर्श पर रख दी ।
धर्मवीर की गोद मे खुद ही काफ़ी ठीक से बैठ कर अपने सिर को कुछ झुका लिया पूजा ने लेकिन दोनो छातियो को ब्रा मे और उपर करके निकाल दी।

धर्मवीर पूजा के उतावलेपन को देख कर मस्त हो गये।
वह सोचने लगे कि पूजा लंड के लिए पगलाने लगी है। फिर भी धर्मवीर एक पुराने चोदु थे और अपने जीवन मे बहुत सी लड़कियो और औरतों को चोद चुके थे । इस वजह से वे कई किस्म की लड़कियो और औरतों के स्वाभाव से भली भाँति परिचित थे।
इस वजह से समझ गये की पूजा काफ़ी गर्म किस्म की लड़की है और अपने जीवन मे एक बड़ी छिनाल भी बन सकती है। बस ज़रूरत है उसको छिनाल बनाने वालों की।

धर्मवीर यही सब सोच रहे थे और ब्रा के उपर से दोनो चुचिओ को अपने हाथों से हल्के हल्के दबा रहे था।
पूजा अपने शरीर को काफ़ी अकड़ कर धर्मवीर के गोद मे बैठी थी जैसे लग रहा था कि वह खुद ही दबवाना चाहती हो।

धर्मवीर ने ब्रा के उपर से ही दोनो चुचिओ को मसलना सुरू कर दिया और थोड़ी देर बाद ब्रा की हुक को पीछे से खोल कर दोनो चुचिओ से जैसे ही हटाया की दोनो चुचियाँ एक झटके के साथ बाहर आ गयीं।

चुचियाँ जैसे ही बाहर आईं की पूजा की मस्ती और बढ़ गयी और वह सोचने लगी की जल्दी से धर्मवीर दोनो चुचिओ को कस कस कर मसले ।
धर्मवीर ने चुचिओ पर हाथ फिराना सुरू कर दिया। नंगी चुचिओ पर धर्मवीर जी हाथ फिरा कर चुचिओ के आकार और कसाव को देख रहे थे जबकि पूजा के इच्छा थी की धर्मवीर उसकी चुचिओ को अब ज़ोर ज़ोर से मीसे ।

आख़िर पूजा लाज़ के मारे कुछ कह नही सकती तो अपनी इस इच्छा को धर्मवीर के सामने रखने के लिए अपने छाति को बाहर की ओर उचकाते हुए एक मदहोशी भरे अंदाज़ मे धर्मवीर के गोद मे कसमासाई तो धर्मवीर समझ गये और बोले ।

धर्मवीर - थोड़ा धीरज रख रे छिनाल, अभी तुझे कस कस के चोदुन्गा ।
धीरे धीरे मज़ा ले अपनी जवानी का समझी, तू तो इस उम्र मे लंड के लिए इतना पगला गयी है आगे क्या करेगी कुतिया ।

धर्मवीर भी पूजा की गर्मी देख कर दंग रह गये। उन्हे भी ऐसी किसी औरत से कभी पाला ही नही पड़ा था जो उसके सामने ही रंडी की तरह व्यवहार करने लगे।

पूजा के कान मे धरमवीर की आवाज़ जाते ही डर के बजाय एक नई मस्ती फिर दौड़ गयी । तब धर्मवीर ने उसके दोनो चुचिओ को कस कस कर मीज़ना सुरू कर दिया ।

ऐसा देख कर पूजा अपनी छातियो को धर्मवीर के हाथ मे उचकाने लगी ।
रह रह कर धर्मवीर अब पूजा के चुचों की घुंडीओ को भी ऐंठने लगे फिर दोनो चुचिओ को मुँह मे लेकर खूब चुसाइ सुरू कर दी।

अब क्या था पूजा की आँखें ढपने लगी और उसकी जांघों के बीच अब सनसनाहट फैलने लगी ।
थोड़ी देर की चुसाइ के बाद चूत मे चुनचुनी उठने लगी मानो चींटियाँ रेंग रहीं हो ।

अब पूजा कुछ और मस्त हो गयी और लाज़ और शर्म मानो शरीर से गायब होता जा रहा था ।
धर्मवीर जो की काफ़ी गोरे रंग के थे और बस चड्डी मे चटाई के बीच मे बैठे और उनकी गोद मे पूजा साँवली रंग की थी और चुचियाँ भी साँवली थी और उसकी घुंडिया तो एकदम से काले अंगूर की तरह थी जो धर्मवीर के गोरे मुँह मे काले अंगूर की तरह खड़े थे जिसे वे चूस रहे थे।

धर्मवीर की गोद मे बैठी पूजा पंडित जी के काफ़ी गोरे होने के वजह से मानो पूजा एकदम काली नज़र आ रही थी. दोनो के रंग एक दूसरे के बिपरीत ही थे ।

जहाँ धर्मवीर का लंड भी गोरा था वहीं पूजा की चूत तो एकदम से काली थी। पूजा की चुचिओ की चुसाइ के बीच मे ही धर्मवीर ने पूजा के मुँह को अपने हाथ से ज़ोर से पकड़ कर अपने मुँह से सटाया फिर पूजा के निचले और उपरी होंठो को चूसने और चाटने लगे।

पूजा एकदम से पागल सी हो गयी। अब उसे लगा कि उसकी चूत में कुछ गीला पन हो रहा है।

पूजा अब धर्मवीर के गोद मे बैठे ही बैठे अपने होंठो को चूसा रही थी तभी धर्मवीर बोले।

धरमवीर - जीभ निकाल चुद्दो ।

पूजा को समझ नही आया की जीभ का क्या करेंगे । फिर भी मस्त होने की स्थिति मे उसने अपने जीभ को अपने मुँह से बाहर निकाली और धर्मवीर लपाक से अपने दोनो होंठो मे कस कर चूसने लगे ।

जीभ पर लगे पूजा के मुँह का थूक चाट गये ।
पूजा को जीभ का चटाना बहुत अच्छा लगा । फिर धर्मवीर अपने मुँह के होंठो को पूजा के मुँह के होंठो पर कुछ ऐसा कर के जमा दिए की दोनो लोंगो के मुँह एक दूसरे से एकदम सॅट गया और अगले ही पल धर्मवीर ने ढेर सारा थूक अपने मुँह मे से पूजा के मुँह मे धकेलना सुरू कर किया।

पूजा अपने मुँह मे धर्मवीर का थूक के आने से कुछ घबरा सी गयी और अपने मुँह हटाना चाही लेकिन पूजा के मुँह के जबड़े को धर्मवीर ने अपने हाथों से कस कर पकड़ लिए था। तभी धर्मवीर के मुँह मे से ढेर सारा थूक पूजा के मुँह मे आया ही था की पूजा को लगा की उसे उल्टी हो जाएगी और लगभग तड़फ़ड़ाते हुए अपने मुँह को धर्मवीर के मुँह से हटाने की जोर मारी ।

तब धर्मवीर ने उसके जबड़े पर से अपना हाथ हटा लिए और पूजा के मुँह मे जो भी धर्मवीर का थूक था वह उसे निगल गयी । लेकिन फिर धर्मवीर ने पूजा के जबड़े को पकड़ के ज़ोर से दबा कर मुँह को चौड़ा किए और मुँह के चौड़ा होते ही अपने मुँह मे बचे हुए थूक को पूजा के मुँह के अंदर बीचोबीच थूक दिया जो की सीधे पूजा के गले के कंठ मे गिरी और पूजा उसे भी निगल गयी ।[/color]
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12-27-2020, 01:11 PM,
#38
RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
[color=#0000FF]धर्मवीर ने देखा की पूजा लंड को काफ़ी ध्यान से अपने हाथ मे लिए हुए देख रही थी । और उन्होने ने उसे दिखाने के लिए थोड़ी देर तक वैसे ही पड़े रहे और उसके साँवले हाथ मे पकड़ा गया गोरा लंड अब झटके भी ले रहा था।

धर्मवीर बोले - पूजा रानी चमड़ी को फिर पीछे और आगे कर के मेरे लंड की मस्ती बढ़ा कि बस ऐसे ही बैठी रहेगी । अब तू सयानी हो गयी है और तेरा बाप तेरी शादी भी जल्दी करेगा । तो लंड से कैसे खेला जाता है कब सीखेगी। और मायके से जब ये सब सिख कर ससुराल जाएगी तब समझ ले कि अपने ससुराल मे बढ़े मज़े लूटेगी और तुम्हे तो भगवान ने इतनी गदराई जवानी और शरीर दिया है कि तेरे ससुराल मे तेरे देवर और ससुर का तो भाग्य ही खूल जाएगा । बस तू ये सब सीख ले की किसी मर्द से ये गंदा काम कैसे करवाया जाता है और शेष तो भगवान तेरे पर बहुत मेरहबान है ।

धर्मवीर जी बोले और मुस्कुरा उठे । पूजा ये सब सुन कर कुछ लज़ा गयी लेकिन धर्मवीर के मुँह से शादी और अपने ससुराल की बात सुनकर काफ़ी गर्व महसूस की और थोड़ी देर के लिए अपनी नज़रें लंड पर से हटा कर लाज़ के मारे नीचे झुका ली लेकिन अपने एक हाथ से लंड को वैसे ही पकड़े रही।

धर्मवीर ने देखा की पूजा भी अन्य लड़कियो की तरह शादी के नाम पर काफ़ी खुश हो गयी और कुछ लज़ा भी रही थी ।
तभी पूजा के नंगे चौड़े मासल चूतड़ों पर हाथ फेरते वो आगे धीरे से बोले- अपनी शादी मे मुझे बुलाओगी की नही ।

पूजा ने जब धर्मवीर के मुँह से ऐसी बात सुनी तो उसे खुशी का ठिकाना ही नही रहा और नज़ारे झुकाए ही हल्की सी मुस्कुरा उठी लेकिन लाज़ के मारे कुछ बोल नही पाई और शादी के सपने मन मे आने लगे तभी धर्मवीर ने फिर बोला ।

धर्मवीर -बोलो बुलाओगी की नही ।

इस पर पूजा काफ़ी धीरे से बोली - जी बुलाऊंगी ।
एकदम से सनसना गयी. क्योंकि धर्मवीर का लंड उसके हाथ मे भी था और वह एकदम से नंगी धर्मवीर के बगल मे बैठी थी और उसके चूतड़ों पर धर्मवीर जी का हाथ मज़ा लूट रहा था।

ऐसे मे शादी की बात उठने पर उसके मन मे उसके होने वाले पति, देवर, ससुर, ननद, सास और ससुराल यानी ये सब बातों के सपने उभर गये इस वजह से पूजा लज़ा और सनसना गयी थी। धर्मवीर जी की इन बातों से सावित्री बहुत खुश हो गयी थी । किसी अन्य लड़की की तरह उसके मन मे शादी और ससुराल के सपने तो पहले से ही थे।

तभी धर्मवीर ने कहा - तेरा बाप बुलाए या नही तू मुझे ज़रूर बुलाना मैं ज़रूर आउन्गा । चलो लंड के चमड़ी को अब आगे पीछे करो और लंड से खेलना सीख लो ।

कुछ पल के लिए शादी के ख्वाबों मे डूबी पूजा वापस लंड पर अपनी नज़रे दौड़ाई और सुपाड़े की चमड़ी को फिर पीछे की ओर खींची और पहले की तरह सुपाड़ा से चमड़ी हटते ही खड़े लंड का चौड़ा सुपाड़ा एक दम बाहर आ गया।

पूजा की नज़रे लाल सुपाड़े पर पड़ी तो मस्त होने लगी। लंड पर पूजा का हाथ वैसे ही धीरे धीरे चल रहा था और खड़े लंड की चमड़ी सुपादे पर कभी चढ़ती तो कभी उतरती थी।

धर्मवीर के दोनो हाथों से चूतड़ और चुचि को कस कर मीज़ना सुरू किए और आगे बोले - मैं तेरे मर्द से भी मिल कर कह दूँगा कि तुम्हे ससुराल मे कोई तकलीफ़ नही होनी चाहिए । हमारी पूजा हर वक्त लंड के नीचे रहनी चाहिए । पूरी कसकर चुदनी चाहिए ।

पूजा के चुचिओ और चूतड़ों पर धर्मवीर के हाथ कहर बरपा रहे थे इस वजह से उसके हाथ मे लंड तो ज़रूर था लेकिन वह तेज़ी से सुपाड़े की चमड़ी को आगे पीछे नही कर पा रही थी।

वह यह सब सुन रही थी लेकिन अब उसकी आँखे कुछ दबदबाने जैसी लग रही थी।

धर्मवीर के सॉफ आश्वासन से कि वह खुश हो गयी। अब चूतड़ों और चुचिओ के मीसाव से मस्त होती जा रही थी पूजा ।

धर्मवीर बोले - और मेरे ही लंड से तुम खूब चुदोगी आज तो मेरे ही सामने शादी के मंडप तुम किसी की पत्नी बनोगी तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा क्योंकि मैं ये तो देख लूँगा के मैने जिसकी चूत का भोसड़ा बनाया है उसकी सुहागरात किसके साथ मनेगी , सही बात है कि नही ।

इतना कह कर धर्मवीर मुस्कुरा उठे और आगे बोले - लंड तो देख लिया, सूंघ लिया और अब इसे चाटना और चूसना रह गया है इसे भी सीख लो चलो। इस सुपादे को थोड़ा अपने जीभ से चाटो । आज तुम्हे इतमीनान से सब कुछ सीखा दूँगा ताकि ससुराल मे तुम एक गुणवती की तरह जाओ और अपने गुनो से सबको संतुष्ट कर दो ।
फिर आगे बोले - चलो जीभ निकाल कर इस सुपाड़े पर फिराओ ।

पूजा अगले पल अपने जीभ को सुपादे पर फिराने लगी। सुपाड़े के स्पर्श से ही पूजा की जीभ और मन दोनो मस्त हो उठे ।
पूजा की जीभ का थूक सुपाड़े पर लगने लगा और सुपाड़ा गीला होने लगा।

पूजा के नज़रें सुपाड़े की बनावट और लालपन पर टिकी थी।
पूजा अपने साँवले हाथों मे धर्मवीर के खड़े और गोरे लंड को कस के पकड़ कर अपने जीभ से धीरे धीरे चाट रही थी।

धर्मवीर जी सावित्री के चेहरे को देख रहे थे और लंड चूसने के तरीके से काफ़ी खुश थे।
पूजा के चेहरे पर एक रज़ामंदी और खुशी का भाव सॉफ दीख रहा था।

धर्मवीर की नज़रें चेहरे पर से हट कर पूजा के साँवले और नंगे शरीर पर फिसलने लगी ।

पंडित जी अपना एक हाथ आगे बढ़ाकर उसके भैंस की तरह बड़े बड़े दोनो चूतड़ों पर फिराने लगे और चूतड़ों पर के मांसल गोलाईओं के उठान को पकड़ कर भींचना सुरू कर दिए।
ऐसा लग रहा था कि धर्मवीर के हाथ पूजा के चूतड़ों पर के माँस के ज़यादा होने का जयजा ले रहे हों । जिसका कसाव भी बहुत था और उनके गोरे हाथ के आगे पूजा के चूतड़ काफ़ी सांवले लग रहे थे ।

पूजा बगल मे बैठी हुई धर्मवीर के लंड और सुपादे पर जीभ फिरा रही थी। धर्मवीर से अपने चूतड़ों को मसलवाना बहुत अछा लग रहा था।

तभी धर्मवीर बोले - कब तक बस चाटती रहेगी । अब अपना मुँह खोल कर ऐसे चौड़ा करो जैसे औरतें मेला या बेज़ार मे ठेले के पास खड़ी होकर गोलगापा को मुँह चौड़ा कर के खाती हैं समझी ।

पूजा यह सुन कर सोच मे पड़ गयी और अपने जीवन मे कभी भी लंड को मुँह मे नही ली थी इस लिए उसे काफ़ी अजीब लग रहा था । वैसे तो अब गरम हो चुकी थी लेकिन मर्द के पेशाब करने के चीज़ यानी लंड को अपने मुँह के अंदर कैसे डाले यही सोच रही थी ।
वह जीभ फिराना बंद कर के लंड को देख रही थी फिर लंड को एक हाथ से थामे ही धर्मवीर की ओर कुछ बेचैन से होते हुए देखी ।

धर्मवीर ने पूछा - कभी गोलगापा खाई हो की नही?

इस पर पूजा कुछ डरे और बेचैन भाव से हाँ मे सिर हल्का सा हिलाया।

धर्मवीर बोले - गोलगप्पा जब खाती हो तो कैसे मुँह को चौड़ा करती हो । वैसे चौड़ा करो ज़रा मैं देखूं ।

धर्मवीर के मुँह से ऐसी बात पर पूजा एक दम लज़ा गयी क्योंकि गोलगप्पा खाते समय मुँह को बहुत ज़्यादा ही चौड़ा करना पड़ता हैं और तभी गोलगापा मुँह के अंदर जाता है । वह अपने मुँह को वैसे चौड़ा नही करना चाहती थी लेकिन धर्मवीर उसके मुँह के तरफ ही देख रहे थे।

पूजा समझ गयी की अब चौड़ा करना ही पड़ेगा। और अपनी नज़रें धर्मवीर जी के आँख से दूसरी ओर करते हुए अपने मुँह को धीरे धीरे चौड़ा करने लगी और धर्मवीर जी उसके मुँह को चौड़ा होते हुए देख रहे थे ।

जब पूजा अपने मुँह को कुछ चौड़ा करके रुक गयी और मुँह के अंदर सब कुछ सॉफ दिखने लगा तभी पंडित जी बोले - थोड़ा और चौड़ा करो और अपने जीभ को बाहर निकाल कर लटका कर आँखें बंद कर लो ।

इतना सुन कर पूजा जिसे ऐसा करने मे काफ़ी लाज़ लग रही थी उसने सबसे पहले अपनी आँखें ही बंद कर ली फिर मुँह को और चौड़ा किया और जीभ को बाहर कर ली जिससे उसके मुँह मे एक बड़ा सा रास्ता तैयार हो गया.

धर्मवीर ने एक नज़र से उसके मुँह के अंदर देखा तो पूजा के गले की कंठ एक दम सॉफ दीख रही थी। मुँह के अंदर जीभ, दाँत और मंसुड़ों मे थूक फैला भी सॉफ दीख रहा था ।

धरवीर- मुँह ऐसे ही चौड़ा रखना समझी ,बंद मत करना । अब तुम्हारे मुँह के अंदर की लाज़ मैं अपने लंड से ख़त्म कर दूँगा और तुम भी एक बेशर्म औरत की तरह गंदी बात अपने मुँह से निकाल सकती हो । यानी एक मुँहफट बन जाओगी । और बिना मुँह मे लंड लिए कोई औरत यदि गंदी बात बोलती है तो उसे पाप पड़ता है । गंदी बात बोलने या मुँहफट होने के लिए कम से कम एक बार लंड को मुँह मे लेना ज़रूरी होता है ।

अगले पल धर्मवीर ने बगल मे बैठी हुई पूजा के सर पर एक हाथ रखा और दूसरे हाथ से अपने लंड को पूजा के हाथ से ले कर लंड के उपर पूजा का चौड़ा किया हुआ मुँह लाया और खड़े और तननाए लंड को पूजा के चौड़े किए हुए मुँह के ठीक बीचोबीच निशाना लगाते हुए मुँह के अंदर तेज़ी से ठेल दिया और पूजा के सिर को भी दूसरे हाथ से ज़ोर से दबा कर पकड़े रहे।

लंड चौड़े मुँह मे एकदम अंदर घुस गया और लंड का सुपाड़ा पूजा के गले के कंठ से टकरा गया और पूजा घबरा गयी और लंड निकालने की कोशिस करने लगी लेकिन धर्मवीर उसके सिर को ज़ोर से पकड़े थे जिस वजह से वह कुछ कर नही पा रही थी।

धर्मवीर अगले पल अपने कमर को उछाल कर पूजा के गले मे लंड चाँप दिए और पूजा को ऐसा लगा कि उसकी साँस रुक गयी हो और मर जाएगी ।
इस तड़फ़ड़ाहट मे उसके आँखों मे आँसू आ गये और लगभग रोने लगी और लंड निकालने के लिए अपने एक हाथ से लंड को पकड़ना चाही लेकिन लंड का काफ़ी हिस्सा मुँह के अंदर घुस कर फँस गया था और उसके हाथ मे लंड की जड़ और झांटें और दोनो गोल गोल अंडे ही आए और पूजा के नाक तो मानो धर्मवीर के झांट मे दब गयी थी ।

पूजा की कोसिस बेकार हो जा रही थी क्योंकि धर्मवीर ने पूजा के सर के बॉल पकड़ कर उसे अपने लंड पर दबाए थे और अपनी कमर को उछाल कर लंड मुँह मे ठेल दे रहे थे ।

दूसरे पल पंडित जी पूजा के सिर पर के हाथ को हटा लिए और पूजा तुरंत अपने मुँह के अंदर से लंड को निकाल कर खांसने लगी और अपने दोनो हाथों से आँखों मे आए आँसुओं को पोंछने लगी ।

इधर लंड मुँह के अंदर से निकलते ही लहराने लगा। लंड पूजा के थूक और लार से पूरी तरह नहा चुका था ।

धर्मवीर खाँसते हुए सावित्री से बोले - चलो तुम्हारे गले के कंठ को अपने लौड़े से चोद दिया है अब तुम किसी भी असलील और गंदे शब्दों का उच्चारण कर सकती हो और एक बढ़िया मुहफट बन सकती हो ।
मुहफट औरतें बहुत मज़ा लेती हैं । आगे बोले - औरतों को जीवन मे कम से कम एक बार मर्द के लंड से अपने गले की कंठ को ज़रूर चुदवाना चाहिए . इसमे थोडा ज़ोर लगाना पड़ता है .ताकि लंड का सुपाड़ा गले के कंठ को छू सके और कंठ मे असलीलता और बेशर्मी का समावेश हो जाए।

पूजा अभी भी खांस रही थी और धर्मवीर की बातें चुपचाप सुन रही थी। धर्मवीर के गले मे लंड के ठोकर से कुछ दर्द हो रहा था ।फिर पूजा की नज़रें धर्मवीर के टंटनाये लंड पर पड़ी जो की थूक और लार से पूरा भीग चुका था।

धर्मवीर बोला - मैने जो अभी तेरे साथ किया है इसे कंठ चोदना कहते हैं । और जिस औरत की एक बार कंठ चोद दी जाती है वह एक काफ़ी रंगीन और बेशरम बात करने वाली हो जाती है। ऐसी औरतों को मर्द बहुत चाहतें हैं । ऐसी औरतें गंदी और अश्लील कहानियाँ भी खूब कहती हैं जिसे मर्द काफ़ी चाव से सुनते हैं । वैसे कंठ की चुदाई जवानी मे ही हो जानी चाहिए। आजकल कंठ की चुदाई बहुत कम औरतों की हो पाती है क्योंकि बहुत लोग तो यह जानते ही नही हैं समझी । अब तू मज़ा कर पूरी जिंदगी ।

पूजा के मन मे डर था कि फिर से कहीं लंड को गले मे ठूंस ना दें इस वजह से वह लौड़े के तरफ तो देख रही थी लेकिन चुपचाप बैठी थी ।

तभी धर्मवीर बोले - चलो मुँह फिर चौड़ा कर , घबरा मत इस बार केवल आधा ही लंड मुँह मे पेलुँगा । अब दर्द नही होगा । मुँह मे लंड को आगे पीछे कर के तुम्हारा मुँह चोदुन्गा जिसे मुँह मारना कहतें हैं । यह भी ज़रूरी है तुम्हारे लिए इससे तुम्हारी आवाज़ काफ़ी सुरीली होगी ।चलो मुँह खोलो ।
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12-27-2020, 01:11 PM,
#39
RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस


पूजा ने फिर अपना मुँह खोला लेकिन इस बार सजग थी की लंड कहीं फिर काफ़ी अंदर तक ना घूस जाए।

धर्मवीर ने पूजा के ख़ूले मुँह मे लंड बड़ी आसानी से घुसाया और लंड कुछ अंदर घुसने के बाद उसे आगे पीछे करने के लिए कमर को बैठे ही बैठे हिलाने लगे और पूजा के सिर को एक हाथ से पकड़ कर उपर नीचे करने लगे। उनका गोरे रंग का मोटा और तनतनाया हुआ लंड पूजा के मुँह मे घूस कर आगे पीछे होने लगा ।

पूजा के जीभ और मुँह के अंदर तालू से लंड का सुपाड़ा रगड़ाने लगा वहीं पूजा के मुँह के दोनो होंठ लंड की चमड़ी पर कस उठी थी मानो मुँह के होंठ नही बल्कि चूत की होंठ हों।

धर्मवीर एक संतुलन बनाते हुए एक लय मे मुँह को चोदने लगे।

धर्मवीर बोले - ऐसे ही रहना इधर उधर मत होना । बहुत अच्छे तरीके से तेरा मुँह मार रहा हूँ । साबाश ।
इसके साथ ही उनके कमर का हिलना और पूजा के मुँह मे लंड का आना जाना काफ़ी तेज होने लगा।
पूजा को भी ऐसा करवाना बहुत अच्छा लग रहा था. ।
उसकी चूत मे लिसलिसा सा पानी आने लगा ।
पूजा अपने मुँह के होंठो को धर्मवीर के पिस्टन की तरह आगे पीछे चल रहे लंड पर कस ली और मज़ा लेने लगी ।
अब पूरा का पूरा लंड और सुपाड़ा मुँह के अंदर आ जा रहा था ।
कुछ देर तक धर्मवीर ने पूजा के मुँह को ऐसे ही चोदते रहे और पूजा की चूत मे चुनचुनी उठने लगी ।

वह लाज के मारे कैसे कहे की चूत अब तेज़ी से चुनचुना रही है मानो चीटिया रेंग रही हों । अभी भी लंड किसी पिस्टन की तरह पूजा के मुँह मे घूस कर आगे पीछे हो रहा था, लेकिन चूत की चुनचुनाहट ज़्यादे हो गयी और पूजा के समझ मे नही आ रहा था कि धर्मवीर के सामने ही कैसे अपनी चुनचुना रही चूत को खुज़लाए ।
इधर मुँह मे लंड वैसे ही आ जा रहा था और चूत की चुनचुनाहट बढ़ती जा रही थी ।

आख़िर पूजा का धीरज टूटने लगा उसे लगा की अब चूत की चुनचुनाहट मिटाने के लिए हाथ लगाना ही पड़ेगा ।
और अगले पल ज्योन्हि अपने एक हाथ को चूत के तरफ ले जाने लगी और धर्मवीर की नज़र उस हाथ पर पड़ी और कमरे मे एक आवाज़ गूँजी।

धर्मवीर - रूक चूत पर हाथ मत लगाना । लंड मुँह से निकाल और चटाई पर लेट जा । तैयार हो गई है तू अब लंड है तू अब लंड खाने के लिए। हाथ से इस चूत की बेईजती मत कर इस चूत की रगड़ाई तो मैं अपने लंड से करूंगा । अपनी चूत के पानी को अपने हाथ पर खराब मत कर इससे तो मैं अपना लौड़ा नहलाऊंगा आज । तू क्या सोच रही है कि मैं बस तुझे ही ठंडा करूं कुतिया। मुझे ठंडा कौन करेगा मैं तेरी चूत के पानी से ही तो ठंडा होना चाहता हूं ।
इसे बेकार मत कर मुझे नहला अपनी चूत के पानी में । देखूं तो कि बहन की बहन भी रंडी ही है या कोई सती सावित्री है । सती सावित्री तो तू नहीं हो सकती क्योंकि तेरे लंड की भूख भूख तेरी आंखों में दिख रही है । तू तो वह गरम कुतिया है जिसकी गांड के नीचे तकिया लगा कर चूत में लंड भकाभक पेला जाए।

पूजा का हाथ तो वहीं रुक गया लेकिन चूत की चुनचुनाहट नही रुकी और बढ़ती गयी ।

धर्मवीर जी का आदेश पा कर पूजा ने मुँह से लंड निकाल कर तुरंत चटाई पर लेट गयी। और बर की चुनचुनाहट कैसे ख़त्म होगी यही सोचने लगी और एक तरह से तड़पने लगी।

धर्मवीर लपक कर पूजा के दोनो जांघों के बीच ज्योहीं आए की पूजा ने अपने दोनो मोटी और लगभग गदरायी जांघों को चौड़ा कर दी और दूसरे पल धर्मवीर ने अपने हाथ के बीच वाली उंगली को चूत के ठीक बीचोबीच लिसलिशसाई चूत मे गच्च.. की आवाज़ के साथ पेल दिया और धर्मवीर की गोरे रंग की बीच वाली लंबी उंगली जो मोटी भी थी पूजा के एकदम से काले और भैंस की तरह झांटों से भरी चूत मे आधा से अधिक घूस कर फँस सा गयी ।

पूजा लगभग चीख पड़ी और अपने बदन को मरोड़ने लगी ।
धर्मवीर अपनी उंगली को थोड़ा सा बाहर करके फिर चूत में घुसेड़ दिए और अब गोरे रंग की उंगली काली रंग की चूत मे पूरी की पूरी घूस गयी ।

धर्मवीर ने पूजा की काली चूत मे फँसी हुई उंगली को देखा और महसूस किया कि फूली हुई चूत जो काफ़ी लिसलिसा चुकी थी , अंदर काफ़ी गर्म थी और चूत के दोनो काले काले होंठ भी फड़फड़ा रहे थे ।

चटाई मे लेटी पूजा की साँसे काफ़ी तेज थी और वह हाँफ रही थी साथ साथ शरीर को मरोड़ रही थी ।

धर्मवीर चटाई मे सावित्री के दोनो जांघों के बीच मे बैठे बैठे अपनी उंगली को चूत में फँसा कर उसकी काली रंग की फूली हुई चूत की सुंदरता को निहार रहे थे कि चटाई मे लेटी और हाँफ रही पूजा ने एक हाथ से धर्मवीर की चूत मे फँसे हुए उंगली वाले हाथ को पकड़ ली ।

धर्मवीर की नज़र पूजा के चेहरे की ओर गयी तो देखे कि वह अपनी आँखें बंद करके मुँह दूसरे ओर की है एर हाँफ और कांप सी रही थी।
तभी पूजा के इस हाथ ने धर्मवीर के हाथ को चूत मे उंगली आगे पीछे करने के लिए इशारा किया ।

पूजा का यह कदम एक बेशर्मी से भरा था । वह अब लाज़ और शर्म से बाहर आ गयी थी।

धर्मवीर समझ गये की चूत काफ़ी चुनचुना रही है इसी लिए वह एकदम बेशर्म हो गयी है ।

और इतना देखते ही धर्मवीर ने अपनी उंगली को काली चूत मे कस कस कर आगे पीछे करना शुरू किया ।
पूजा ने कुछ पल के लिए अपने हाथ धर्मवीर के हाथ से हटा लिया ।
धर्मवीर पूजा की चूत अब अपने हाथ के बीच वाली उंगली से कस कस कर चोद रहे थे ।
अब पूजा ने अपने जाँघो को काफ़ी चौड़ा कर दीया ।पूजा की जांघे तो साँवली थी लेकिन जाँघ के चूत के पास वाला हिस्सा काला होता गया था और जाँघ के कटाव जहाँ से चूत की झांटें शुरू हुई थी, वह काला था और चूत की दोनो फांके तो एकदम से ही काली थी जिसमे धर्मवीर का गोरे रंग की उंगली गच्च गच्च जा रही थी ।
जब उंगली चूत मे घूस जाती तब केवल हाथ ही दिखाई पड़ता और जब उंगली बाहर आती तब चूत के काले होंठो के बीच मे कुछ गुलाबी रंग भी दीख जाती थी ।
धर्मवीर काली और फूली हुई झांटों से भरी चूत पर नज़रें गढ़ाए अपनी उंगली को चोद रहे थे कि पूजा ने फिर अपने एक हाथ से धर्मवीर के हाथ को पकड़ी और चूत मे तेज़ी से खूद ही चोदने के लिए जोरे लगाने लगी ।[/color]
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12-27-2020, 01:12 PM,
#40
RE: Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस
पूजा की यह हरकत काफ़ी गंदी और अश्लील थी लेकिन धर्मवीर समझ गये कि अब पूजा झड़ने वाली है और उसका हाथ धर्मवीर के हाथ को पकड़ कर तेज़ी से चूत मे चोदने की कोशिस करने लगी जिसको देखते धर्मवीर अपने उंगली को पूजा की काली चूत मे बहुत ही तेज़ी से चोदना शुरू कर दिया।

पूजा धर्मवीर के हाथ को बड़ी ताक़त से चूत के अंदर थेल रही थी लेकिन केवल बीच वाली उंगली ही चूत मे घूस रही थी ।

अचानक पूजा तेज़ी से सिसकाते हुए अपने पीठ को चटाई मे एक धनुष की तरह तान दी और कमर का हिस्सा झटके लेने लगा ही था की पूजा चीख पड़ी - आररीए माई री माईए सी उउउ री माएई रे बाप रे ...आअहह ।
और धर्मवीर के उंगली को चूत ने मानो कस लिया । और गर्म गर्म रज चूत मे अंदर से निकलने लगा और धर्मवीर की उंगली भींग गयी ।
फिर धर्मवीर के हाथ पर से पूजा ने अपने हाथ हटा लिए और चटाई मे सीधी लेट कर आँखे बंद कर के हाँफने लगी।

धर्मवीर ने देखा की पूजा अब झाड़ कर शांत हो रही है ।
फिर चूत मे से अपने उंगली को बाहर निकाले जिसपर सफेद रंग का कमरस यानी रज लगा था और बीच वाली उंगली के साथ साथ बगल वाली उंगलियाँ भी चूत के लिसलिसा पानी से भीग गये थे।

धर्मवीर की नज़र जब पूजा की चूत पर पड़ी तो देखा की चूत की दोनो होंठ कुछ कांप से रहे थे , और चूत का मुँह, अगल बगल के झांट भी लिसलिस्से पानी से भीग गये थे ।

तभी बीच वाली उंगली के उपर लगे कमरस को धर्मवीर अपने मुँह मे ले कर चाटने लगे और पूजा की आँखें बंद थी लेकिन उसके कान मे जब उंगली चाटने की आआवाज़ आई तो समझ गयी की धर्मवीर फिर चूत वाली उंगली को चाट रहे होंगे ।
और यही सोच कर काफ़ी ताक़त लगाकर अपनी आँखे खोली तो देखी की धर्मवीर अपनी बीच वाली उंगली के साथ साथ अगल बगल की उंगलिओ को भी बड़े चाव से चाट रहे थे ।
उंगलिओ को चाटने के बाद पूजा ने देखा की धर्मवीर बीच वाली उंगली को सूंघ भी रहे थे ।
फिर पूजा की चूत की तरफ देखे और उंगली चुदाई का रस और चूत के अंदर से निकला रज कुछ चूत के मुँह पर भी लगा था।

पूजा अपने दोनो मोटी मोटी साँवले रंग के जांघों को जो को फैली हुई थी , आपस मे सटना चाहती थी लेकिन धर्मवीर उसकी चूत को काफ़ी ध्यान से देख रहे थे और दोनो जांघों के बीच मे ही बैठे थे और इन दोनो बातों को सोच कर पूजा वैसे ही जांघे फैलाए ही लेटी रही।

पूजा अब धर्मवीर के चेहरे की ओर देख रही थी ।झड़ जाने के वजह से हाँफ रही थी । तभी उसकी नज़र उसकी जांघों के बीच मे बैठे धर्मवीर के लंड पर पड़ी जो अभी भी एक दम तनतनाया हुआ था और उसकी छेद मे से एक पानी का लार टपाक रही थी ।

अचानक धर्मवीर एक हाथ से पूजा की चूत के झांटों को जो बहुत ही घनी थी उसपर हाथ फिराया और चूत पर लटकी झांटें कुछ उपर की ओर हो गयीं और चूत का मुँह अब सॉफ दिखाई देने लगा। फिर भी चूत के काले होंठो के बाहरी हिस्से पर भी कुछ झांट के बॉल उगे थे जिसे धर्मवीर ने अपनी उंगलिओ से दोनो तरफ फैलाया और अब चूत के मुँह पर से झांटें लगभग हट गयीं थी।

धर्मवीर ऐसा करते हुए पूजा की काली काली चूत के दोनो होंठो को बहुत ध्यान से देख रहे थे और पुजा चटाई मे लेटी हुई धर्मवीर के मुँह को देख रही थी और सोच रही थी की धर्मवीर कितने ध्यान से उसकी चूत के हर हिस्से को देख रहे हैं और झांट के बालों को भी काफ़ी तरीके से इधर उधर कर रहे है।

धर्मवीर का काफ़ी ध्यान से चूत को देखना पूजा को यह महसूस करा रहा था की उसकी जांघों के बीच के चूत की कितनी कीमत है और धर्मवीर जैसे लोंगों के लिए कितना महत्व रखती है ।
यह सोच कर उसे बहुत खुशी और संतुष्टि हो रही थी।
पूजा को अपने शरीर के इस हिस्से यानी चूत की कीमत समझ आते ही मन आत्मविश्वास से भर उठा।

धर्मवीर अभी भी उसकी चूत को वैसे ही निहार रहे थे और अपने हाथ की उंगलिओ से उसकी चूत के दोनो फांकों को थोड़ा सा फैलाया और अंदर की गुलाबी हिस्से को देखने लगे।

पूजा भी धर्मवीर की लालची नज़रों को देख कर मन ही मन बहुत खुश हो रही थी की उसकी चूत की कीमत कितनी ज़्यादा है और धर्मवीर ऐसे देख रहे हैं मानो किसी भगवान का दर्शन कर रहे हों ।

तभी अचानक धर्मवीर को चूत के अंदर गुलाबी दीवारों के बीच सफेद पानी यानी रज दिखाई दे गया जो की पूजा के झड़ने के वजह से था।

धर्मवीर ने अब अगले कदम जो उठाया की पूजा को मानो कोई सपना दिख रहा हो ।
पूजा तो उछल सी गयी और उसे विश्वास ही नही हो रहा था। क्योंकि धर्मवीर अपने मुँह पूजा के चूत के पास लाए और नाक को चूत के ठीक बेचोबीच लगाकर तेज़ी से सांस अंदर की ओर खींचे और अपनी आँखे बंद कर के मस्त हो गये ।

चूत की गंध नाक मे घुसते ही धर्मवीर के शरीर मे एक नयी जवानी की जोश दौड़ गया।
फिर अगला कदम तो मानो पूजा के उपर बिजली ही गिरा दी।
धर्मवीर पूजा की चूत के मुँह को चूम लिए और पूजा फिर से उछल गयी।

पूजा को यकीन नही हो रहा था की धर्मवीर जैसे लोग जो की जात पात और उँछ नीच मे विश्वास रखते हों और उसकी पेशाब वाले रास्ते यानी चूतों को सूंघ और चूम सकते हैं ।
वह एक दम से आश्चर्या चकित हो गयी थी. उसे धर्मवीर की ऐसी हरकत पर विश्वास नही हो रहा था ।लेकिन यह सच्चाई थी।

पूजा अपने सहेलिओं से यह सुनी थी की आदमी लोग औरतों की चूत को चूमते और चाटते भी हैं लेकिन वह यह नही सोचती थी की धर्मवीर जैसे लोग भी उसकी चूत पर अपनी मुँह को लगा सकता हैं ।

पूजा चटाई पर लेटी हुई धर्मवीर के इस हरकत को देख रही थी और एकदम से सनसना उठी थी ।
उसके मन मे यही सब बाते गूँज ही रही थी कि धर्मवीर ने अगला काम शुरू कर ही दिया पूजा जो केवल धर्मवीर के सिर को की देख पा रही थी क्योंकि चटाई मे लेटे लेटे केवल सिर ही दिखाई पड़ रहा था ।

उसे महसूस हुआ की धर्मवीर क़ी जीभ अब चूत के फांकों पर फिर रही है और जीभ मे लगा थूक चूत की फांको पर भी लग रहा था ।

धर्मवीर के इस कदम ने पूजा को हिला कर रख दिया ।पूजा कभी सोची नही थी की धर्मवीर उसकी चूत को इतना इज़्ज़त देंगे ।
उसका मन बहुत खुश हो गया । उसे लगा की आज उसे जीवन का सबसे ज़्यादा सम्मान या इज़्ज़त मिल रहा है। वह आज अपने को काफ़ी उँचा महसूस करने लगी थी। उसके रोवे रोवे मे खुशी, आत्मविश्वास और आत्मसम्मान भरने लगा । उसने अपने साँवले और मोटे मोटे जांघों को और फैला दी जिससे उसके पावरोटी जैसी फूली हुई चूत के काले काले दोनो होंठ और खूल गये और पंडित जी का जीभ दोनो फांकों के साथ साथ चूत की छेद मे भी घुसने लगा।

पूजा जो थोड़ी देर पहले ही झड़ गयी थी फिर से गर्म होने लगी और उसे बहुत मज़ा आने लगा ।
चुत पर जीभ का फिरना तेज होने लगा तो पूजा की गर्मी भी बढ़ने लगी।
उसे जहाँ बहुत मज़ा आ रहा था वहीं उसे अपने चूत और शरीर की कीमत भी समझ मे आने लगी जिस वजह से आज उसे धर्मवीर इतने इज़्ज़त दे रहे थे ।

जब धर्मवीर चूत पर जीभ फेरते हुए सांस छोड़ते । तब सांस उनकी नाक से निकल कर सीधे झांट के बालों मे जा कर टकराती और जब सांस खींचते तब झांटों के साथ चूत की गंध भी नाक मे घूस जाती और धर्मवीर मस्त हो जाते ।

फिर धर्मवीर ने अपने दोनो हाथों से काली चूत के दोनो फांकों को फैला कर अपने जीभ को बुर छेद मे घुसाना शुरू किया तो पूजा का पूरा बदन झंझणा उठा । वह एक बार कहर उठी । उसे बहुत मज़ा मिल रहा था।
आख़िर धर्मवीर की जीभ चूत की सांकारी छेद मे घुसने की कोशिस करने लगी और चूत के फांकों के बीच के गुलाबी हिस्से मे जीभ घुसते ही पूजा की चूत एक नये लहर से सनसनाने लगी। और अब जीभ चूत के गुलाबी हिस्से मे घुसने के लिए जगह बनाने लगी ।
जीभ का अगला हिस्सा हो काफ़ी नुकीला जैसा था वह चूत के अंदर के गुलाबी भाग को अब फैलाने और भी अंदर घुसने लगा था ।यह पूजा को बहुत सॉफ महसूस हो रहा था की धर्मवीर की जीभ अब उसकी चूत मे घूस रही है ।

पूजा बहुत खुस हो रही थी ।उसने अपने चूत को कुछ और उचकाने के कोशिस ज्योन्हि की धर्मवीर ने काफ़ी ज़ोर लगाकर जीभ को बुर के बहुत अंदर घुसेड दिया जी की चूत की गुलाबी दीवारों के बीच दब सा गया था । लेकिन जब जीभ आगे पीछे करते तब पूजा एकदम से मस्त हो जाती थी।

पूजा की मस्ती इतना बढ़ने लगी की वह सिसकारने लगी और चूत को धर्मवीर के मुँह की ओर ठेलने लगी थी। मानो अब कोई लाज़ शर्म पूजा के अंदर नही रह गई थी।

धर्मवीर समझ रहे थे की पूजा को बहुत मज़ा आ रहा है चूत को चटवाने मे. फिर पंडित जी ने अपने दोनो होंठो से चूत के दोनो फांकों को बारी बारी से चूसने लगे तो पूजा को लगा की तुरंत झड़ जाएगी ।

फिर धर्मवीर चूत की दोनो फांको को खूब चूसा जिसमे कभी कभी अगल बगल की झांटें भी धर्मवीर के मुँह मे आ जाती थी ।
दोनो फांकों को खूब चूसने के बाद जब पूजा की चूत के दरार के उपरी भाग मे दाना जो की किसी छोटे मटर के दाने की तरह था , मुँह मे लेकर चूसे तो पूजा एकदम से उछल पड़ी और धर्मवीर के सर को पकड़ कर हटाने लगी।

उसके शरीर मे मानो बिजली दौड़ गयी । पर धर्मवीर ने उसके दाने को तो अपने दोनो होंठो के बीच ले कर चूसते हुए चूत की दरार मे फिर से बीच वाली उंगली पेल दी और पूजा चिहूंक सी गयी और उंगली को पेलना जारी रखा।

दाने की चुसाई और उंगली की पेलाई से पूजा फिर से ऐंठने लगी और यह काम धर्मवीर तेज़ी से करते जा रहे थे नतीजा की पूजा ऐसे हमले को बर्दाश्त ना कर सकी और एक काफ़ी गंदी चीख के साथ झड़ने लगी । और धर्मवीर जी ने तुरंत उंगली को निकाल कर जीभ को फिर से चूत के गहराई मे थेल दिए और दाने को अपने एक हाथ की चुटकी से मसल दिया.

चूत से पानी निकल कर पंडित जी के जीभ पर आ गया और काँपति हुई पूजा के काली चूत मे घूसी धर्मवीर की जीभ चूत से निकल रहे रज को चाटने लगे और एक लंबी सांस लेकर मस्त हो गये ।

पूजा झाड़ कर फिर से हाँफ रही थी। आँखे बंद हो चुकी थी। मन संतुष्ट हो चुका था।

धर्मवीर अपना मुँह चूत के पास से हटाया और एक बार फिर चूत को देखा। वह भी आज बहुत खुस थे क्योंकि जवान और इस उम्र की काली चूत चाटना और रज पीना बहुत ही भाग्य वाली बात थी ।

पूजा भले ही सांवली थी लेकिन चूत काफ़ी मांसल और फूली हुई थी और ऐसी बुर बहुत कम मिलती है चाटने के लिए। ऐसी लड़कियो की चूत चाटने से मर्द की यौन ताक़त काफ़ी बढ़ती है । यही सब सोच कर फिर से चूत के फूलाव और काली फांकों को देख रहे थे ।

पूजा दो बार झाड़ चुकी थी इस लिए अब कुछ ज़्यादे ही हाँफ रही थी। लेकिन धर्मवीर जानते थे की पूजा का भरा हुआ गदराया शरीर इतना जल्दी थकने वाला नही है और इस तरह की गदराई और तन्दरूश्त लड़कियाँ तो एक साथ कई मर्दों को समहाल सकती हैं। फिर पूजा की जांघों के बीचोबीच आ गये और अपने खड़े और तननाए लंड को चूत की मुँह पर रख दिए।

लंड के सुपाड़े की गर्मी पाते ही पूजा की आँखे खूल गयी और कुछ घबरा सी गयी और धर्मवीर की ओर देखने लगी ।

दो बार झड़ने के बाद ही तुरंत लंड को चूत के मुँह पर भिड़ाकर धर्मवीर ने पूजा के मन को टटोलते हुए पूछा - चुदने का मन है ..या रहने दें...बोलो ?

पूजा जो की काफ़ी हाँफ सी रही थी और दो बार झाड़ जाने के वजह से बहुत संतुष्ट से हो गयी थी फिर भी चूत के मुँह पर दहकता हुआ लंड का सुपाड़ा पा कर बहुत ही धर्म संकट मे पड़ गयी ।
इस खेल मे उसे इतना मज़ा आ रहा था की उसे नही करने की हिम्मत नही हो रही थी। लेकिन कुछ पल पहले ही झड़ जाने की वजह से उसे लंड की ज़रूरत तुरंत तो नही थी लेकिन चुदाई का मज़ा इतना ज़्यादे होने के वजह से उसने धर्मवीर को मना करना यानी लंड का स्वाद ना मिलने के बराबर ही था ।
इस कारण वह ना करने के बजाय हा कहना चाहती थी यानी चुदना चाहती थी । लेकिन कुच्छ पल पहले ही झड़ने की वजह से शरीर की गर्मी निकल गयी थी और उसे हाँ कहने मे लाज़ लग रही थी । और वह चुदना भी चाहती थी।

पूजा ने देखा की धर्मवीर उसी की ओर देख रहे थे शायद जबाव के इंतजार मे।
पूजा के आँखें ज्योन्हि धर्मवीर की आँखों से टकराई की वह लज़ा गयी और अपने दोनो हाथों से अपनी आँखें मूंद ली और सिर को एक तरफ करके हल्का सा कुछ रज़ामंदी मे मुस्कुरई ही थी की धर्मवीर ने अपने लंड को अपने पूरे शरीर के वजन के साथ उसकी काली और कुच्छ गीली चूत मे ठेला ही था की पूजा का मुँह खुला - आरे बाअप रे माईए । और अपने एक हाथ से धर्मवीर का लंड और दूसरी हाथ से उनका कमर पकड़ने के लिए झपटी लेकिन तब तक धर्मवीर के भारी शरीर का वजन जो की अपने गोरे मोटे लंड पर रख कर काली रंग की फूली हुई चूत में घुसेड़ चुके थे और नतीज़ा की भारी वजन के वजह से आधा लंड पूजा की काली चूत मे घूस चुका था।

अब पूजा के बस की बात नही थी की घूसे हुए लंड को निकाले या आगे घूसने से रोक सके । लेकिन पूजा का जो हाथ धर्मवीर के लंड को पकड़ने की कोशिस की वह उनका आधा ही लंड पकड़ सकी और पूजा को लगा मानो लंड नही बल्कि कोई गरम लोहे की छड़ हो।

अगले पल धर्मवीर अपने शरीर के वजन जो की अपने लंड के उपर ही रख सा दिया था , कुछ कम करते हुए लंड को थोड़ा सा बाहर खींचा तो चूत से जितना हिस्सा बाहर आया उसपर बुर का लिसलिसा पानी लगा था।

अगले पल अपने शरीर का वजन फिर से लंड पर डालते हुए हुमच दिए और इसबार लंड और गहराई तक घूस तो गया लेकिन पुजा चटाई मे दर्द के मारे ऐंठने लगी.

धर्मवीर ने देखा की अब उनका गोरा और मोटा लंड झांटो से भरी चूत मे काफ़ी अंदर तक घूस कर फँस गया है तब अपने दोनो हाथों को चटाई मे दर्द से ऐंठ रही पूजा की दोनो गोल गोल साँवले रंग की चुचिओ पर रख कर कस के पकड़ लिया और मीज़ना शुरू कर दिया।

पूजा अपनी चुचिओ पर धर्मवीर के हाथ का मीसाव पा कर मस्त होने लगी और उसकी चूत मे का दर्द कम होने लेगा।
पूजा को बहुत ही मज़ा मिलने लगा। वैसे उसकी मांसल और बड़ी बड़ी गोल गोल चुचियाँ किसी बड़े अमरूद से भी बड़ी थी और किसी तरह धर्मवीर के पूरे हाथ मे समा नही पा रही थी।

धर्मवीर ने चुचिओ को ऐसे मीज़ना शुरू कर दिया जैसे आटा गूथ रहे हों। चटाई मे लेटी पूजा ऐसी चुचि मिसाई से बहुत ही मस्त हो गयी और उसे बहुत अच्छा लगने लगा था ।

उसका मन अब चूत मे धन्से हुए मोटे लंड को और अंदर लेने का करने लगा। लेकिन चटाई मे लेटी हुई आँख बंद करके मज़ा ले रही थी। कुछ देर तक ऐसे ही चुचिओ के मीसावट से मस्त हुई पूजा का मन अब लंड और अंदर लेने का करने लगा लेकिन धर्मवीर केवल लंड को फँसाए हुए बस चुचिओ को ही मीज़ रहे थे। चुचिओ की काली घुंडिया एक दम खड़ी और चुचियाँ लाल हो गयी थी।

पूजा की साँसे अब तेज चल रही थी। सावित्री को अब बर्दाश्त नही हो पा रहा था और उसे लंड को और अंदर लेने की इच्छा काफ़ी तेज हो गयी। और धीरज टूटते ही धर्मवीर के नीचे दबी हुई पूजा ने नीचे से ही अपने चूतड़ को उचकाया ।

धर्मवीर इस हरकत को समझ गये और अगले पल पूजा के इस बेशर्मी का जबाव देने के लिए अपने शरीर की पूरी ताक़त इकठ्ठा करके अपने पूरे शरीर को थोड़ा सा उपर की ओर उठाया तो लंड आधा से अधिक बाहर आ गया। और चुचिओ को वैसे ही पकड़े हुए एक हुंकार मारते हुए अपने लंड को चूत मे काफ़ी ताक़त से घुसेड़ दिया और नतीज़ा हुआ कि चूत जो चुचिओ की मीसावट से काफ़ी गीली हो गयी थी, लंड के इस जबर्दाश्त दबाव को रोक नही पाई और धर्मवीर के कसरती बदन की ताक़त से चांपा गया लंड चूत मे जड़ तक धँस कर काली चूत मे गोरा लंड एकदम से कस गया ।

चूत मे लंड की इस जबर्दाश्त घूसाव से पूजा मस्ती मे उछल पड़ी और चीख सी पड़ी "सी रे ....माई ... बहुत मज़ाअ एयेए राहाआ हाइईइ आअहह..."

फिर धर्मवीर ने अपने लंड की ओर देखा तो पाया कि लंड का कोई आता पता नही था और पूरा का पूरा पूजा की काली और झांटों से भरी हुई चूत जो अब बहुत गीली हो चुकी थी, उसमे समा गया था।

धर्मवीर यह देख कर हंस पड़े और एक लंबी साँस छोड़ते हुए बोले - तू बड़ी ही गदराई हुई घोड़ी है । तेरी चूत अपनी बहन की तरह बड़ी ही रसीली और गरम है..तुझे चोद्कर तो मेरा मन यही सोच रहा कि तेरी बहन की गांड का भी स्वाद किसी दिन दोबारा पेल कर ले लू.....क्यों ....कुच्छ बोल ...।

पूजा जो चटाई मे लेटी थी और पूरे लंड के घूस जाने से बहुत ही मस्ती मे थी कुच्छ नही बोली क्योंकि धर्मवीर का मोटा लंड उसकी चूत के दीवारों के रेशे रेशे को खींच कर चौड़ा कर चुका था , और उसे दर्द के बजाय बहुत मज़ा मिल रहा था ।

धर्मवीर के मुँह से अपनी बहन उपासना के बारे मे ऐसी बात सुनकर उसे अच्च्छा नही लगा लेकिन मस्ती मे वह कुछ भी बोलना नही पसंद कर रही थी ।

बस उसका यही मन कर रहा था की धर्मवीर उस घूसे हुए मोटे लंड को आगे पीछे करें।

जब धर्मवीर ने देखा की पूजा ने कोई जबाव नही दिया तब फिर बोले - खूद तो चूत मे मोटा लौड़ा लील कर मस्त हो गयी है, और तेरी बहन के बारे मे कुछ बोला तो तेरे को बुरा लग रहा है साली हराम्जादि कहीं की । वो बेचारी विधवा का भी तो मन करता होगा कि किसी मर्द के साथ अपना मन शांत कर ले । लेकिन लोक लाज़ से और शरीफ है इसलिए बेचारी अपना जीवन घूट घूट कर जी रही है । क्यों ...बोलो सही कहा की नहीं ।

इतना कहते ही अगले पल धर्मवीर ने पूजा की दोनो चोचिओ को दोनो हाथों से थाम कर ताच.. ताच्छ... पेलना शुरू कर दिया।

धर्मवीर का गोरा और मोटा लंड जो चूत के लिसलिस्से पानी से अब पूरी तरीके से भीग चुका था, पूजा के झांटों से भरी काली चूत के मुँह मे किसी मोटे पिस्टन की तरह आगे पीछे होने लगा।

चूत का कसाव लंड पर इतना ज़्यादा था कि जब भी लंड को बाहर की ओर खींचते तब लंड की उपरी हिस्से के साथ साथ चूत की मांसपेशियाँ भी बाहर की ओर खींच कर आ जाती थी । और जब वापस लंड को चूत मे चाम्पते तब चूत के मुँह का बाहरी हिस्सा भी लंड के साथ साथ कुच्छ अंदर की ओर चला जाता था । लंड मोटा होने की वजह से चूत के मुँह को एकदम से चौड़ा कर के मानो लंड अपने पूरे मोटाई के आकार का बना लिया था ।

पूजा ने धर्मवीर के दूसरी बात को भी सुनी लेकिन कुछ भी नही बोली। वह अब केवल चुदना चाह रही थी । लेकिन धर्मवीर कुच्छ धक्के मारते हुए फिर बोल पड़े - मेरी बात तुम्हे ज़रूर खराब लगी होगी , क्योंकि मैने गंदे काम के लिए बोला । लेकिन तेरी दोनो जांघों को चौड़ा करके आज तेरी चूत चोद रहा हूँ । ये तुम्हें खराब नही लग रहा है....तुम्हे मज़ा मिल रहा है..शायद ये मज़ा तेरी बहन को भी मिले यह तुम्हे पसंद नही । दुनिया बहुत मतलबी है ।और तू भी तो इसी दुनिया की है ।

और इतना बोलते ही धर्मवीर हुमच हुमच कर चोदने लगे और पूजा ने उनकी ये बात सुनी लेकिन उसे अपने चूत को चुदवाना बहुत ज़रूरी था इसलिए बहन के बारे मे धर्मवीर के कहे बात पर ध्यान नही देना ही सही समझी ।

और अगले पल चूत मे लगी आग को बुझाने के लिए हर धक्के पर अपने चौड़े और सांवले रंग के दोनो चूतड़ों को चटाई से उपर उठा देती थी क्योंकि धर्मवीर के मोटे लंड को पूरी गहराई मे घूस्वा कर चुदवाना चाह रही थी पूजा।
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