अन्तर्वासना कहानी - मेरा गुप्त जीवन 1
03-02-2021, 03:39 PM,
#1
अन्तर्वासना कहानी - मेरा गुप्त जीवन 1
मेरा गुप्त जीवन - सोमू की कहानी है जो मैंने एक अन्य साइट पर पढ़ी थी  और आपके लिए उसी के आधार पर ये कहानी इस साइट पर डाल रहा हूँ   आशा है ये आपको पसंद आएगी


मेरी उम्र काफी हो गई है लेकिन फिर भी वे पुरानी यादें अभी भी वैसे ही ताज़ा हैं और मेरे ज़हन में वैसे ही हैं जैसे कि कल की बात हो।

मैं उत्तर प्रदेश के एक गाँव में एक बड़े जमींदार के घर में अपने माता-पिता की एकलौती औलाद हूँ और बड़े ही नाज़ों से पाला गया हूँ।

एक बहुत बड़ी हवेली में हमारे घर में 3-4 जवान नौकरानियाँ सिर्फ मेरे काम के लिए हुआ करती थी। मैं जीवन की शुरुआत से ही औरतों की प्रति बहुत आकर्षित था। मेरा सारा जीवन केवल औरतों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने में बीत गया।

आप मेरी जीवन कथा में देखेंगे कि मैं अल्पायु में ही काम वासना में लीन हो गया था!


मेरा गुप्त जीवन 01

एक बहुत बड़ी हवेली में हमारा घर होता था। मुझ आज भी याद है कि हमारे घर में दर्जनों नौकर नौकरानियाँ हुआ करते थे जिनमें से 3-4 जवान नौकरानियाँ सिर्फ मेरे काम के लिए हुआ करती थी। यह सब हमारे खेतों पर काम करने वालों मज़दूरों की बेटियाँ होती थी। इनको भर पेट भोजन और अच्छे कपड़े मिल जाते थे तो वे उसी में खुश रहती थीं।

यहाँ यह बता देना ज़रूरी है कि मैं जीवन की शुरुआत से ही औरतों की प्रति बहुत आकर्षित था। मेरी आया बताया करती थी कि मैं हमेशा ही औरतों के स्तनों के साथ खेलने का शौक़ीन था। जो भी औरत मुझको गोद में उठाती थी उसका यही कहना होता था कि मैं उनके स्तनों के साथ बहुत खेलता था।
और यही कारण रहा होगा जो आगे चल कर मैं सिर्फ औरतों का दास बन गया, मेरा सारा जीवन केवल औरतों के साथ यौन सम्बन्ध बनाने में बीत गया।
मेरा जीवन का मुख्य ध्येय शायद स्त्रियों के साथ काम-क्रीड़ा करना ही था, यह मुझको अब बिल्कुल साफ़ दिख रहा है क्योंकि मैंने जीवन में और कुछ किया ही नहीं… सिर्फ स्त्रियों के साथ काम क्रीड़ा के सिवाये!

जैसा कि आप आगे मेरी जीवन कथा में देखेंगे कि मैं अल्पायु में ही काम वासना में लीन हो गया था और उसका प्रमुख कारण मेरे पास धन की कोई कमी न होना था और मेरे माँ बाप अतुल धन और सम्पत्ति छोड़ गए थे कि मुझ को जीवन-यापन के लिए कुछ भी करने की कोई ज़रुरत नहीं थी।
ऐसा लगता है कि विधि के विधान के अनुसार मेरा जीवन लक्ष्य केवल स्त्रियाँ ही थी और इस दिशा में मेरी समय समय पर देखभाल करने वाली नौकरानियों को बहुत बड़ा हाथ रहा था। जवान होने तक मेरे सारे काम मेरी नौकरानियाँ ही किया करती थी, यहाँ तक कि मुझे नहलाना आदि भी…

मुझे आज भी याद है कि जब मुझको मेरी आया नहलाती थी तो मेरे लंड के साथ ज़रूर खेलती थी। वह कभी उसको हाथों में लेकर खड़ा करने की कोशिश करती थीं।
उस खेल में मुझ को बड़ा ही मज़ा आता था। वह सिर्फ पेटीकोट और ब्लाउज पहन कर ही मुझको नहलाती थीं और नहाते हुई छेड़छाड़ में कई बार मेरे हाथ उनके पेटीकोट के अंदर भी चले जाते थे और उनकी चूत पर उगे हुए घने बाल मेरे हाथों में आ जाते थे।
एकभी कभार मेरा हाथ उनकी चूत के होटों को भी छू लेता था जो कई बार पानी से भरी हुई होती थी, एक अजीब चिपचापा रस मेरी उँगलियों पर लग जाता था जो कई बार मैंने सूंघा था। बड़ी ही अजीब मादक गंध मुझ को अपने उन हाथों से आती थी जो उन लड़कियों की चूत को छू कर आते थे। उनकी गीली चूतों का रहस्य मुझे आज समझ आता है।



उन्हीं दिनों एक बहुत ही शौख और तेज़ तरार लड़की मेरे काम के लिए रखी गई थी, वह होगी 18-19 साल की और उसका जिस्म भरा हुआ था, रंग भी काफी साफ़ और खिलता हुआ था।

वैसे रात को मेरी मम्मी मेरे साथ नहीं सोती थी और कोई भी बड़ी उम्र की काम वाली को मेरे साथ सोना होता था। वह मेरे कमरे में नीचे ज़मीन पर चटाई बिछा कर सोती थीं।

जब से वह नई लड़की मेरा काम देखने लगी तो मेरा मन उस के साथ सोने को करता था। उस लड़की का नाम सुंदरी था और वह अपने नाम के अनूरूप ही थी।
इस लिए मैं नहाते हुए उससे काफी छेड़ छाड़ करने लगा। अब मैं उसकी चूत को कभी कभी चोरी से छू लेता था और उसकी चूत के बालों में उँगलियाँ फेर देता लेकिन वह भी काफी चतुर थी। वह अब अपना पेटीकोट कस कर चूत के ऊपर रख लेती थी ताकि मेरी उंगली या हाथ उसके पेटीकोट के अंदर न जा सके लेकिन मैं भी छीना झपटी में उसके उरोजों के साथ खेल लिया करता था।

अक्सर उस के निप्पल उसके पतले से ब्लाउज में खड़े हो जाते थे और मैं उनको उंगली से छूने की भरसक कोशिश करता था।

यह सब कैसे हो रहा था, यह आज तक मैं समझ नहीं पाया। जबकि मेरे दोस्त खूब खेल कूद में मस्त रहते थे, मैं चुपके से नौकरानियों की बातें सुनता रहता या फिर उनसे छेड़ छाड़ में लगा रहता।

यह बात मेरी माँ और पिता से छुपी न रह सकी और वे मुझको हॉस्टल में डालने के चक्कर में पड़ गये क्योंकि उनको लगा कि मैं नौकरानियों के बीच रह कर उनकी तरह की बुद्धि वाला बन जाऊँगा।

लेकिन मैं भी झूठ मूठ की बेहोशी आने का बहाना करने लगा। मैं अक्सर रात को डर कर चिल्लाने लगता और यह देख कर मेरे माँ बाप ने मुझको हॉस्टल में डालने का विचार रद्द कर दिया।

जो सुन्दर लड़की मेरे काम के लिए रखी गयी थी वह काफी होशियार थी और वह मेरी उच्छशृंख्ल प्रकृति को समझ गई थी।

एक दिन वो कहने लगी- कितना अच्छा होता अगर मैं आपके कमरे में ही सो पाती।

मैंने उससे पूछा कि यह कैसे हो सकता है तो वह बोली- तुमको रात में बड़ा डर लगता है ना?

मैंने कहा- हाँ!

तो वह बोली- मम्मी से कहो कि सुंदरी ही तुम्हारे कमरे में सोयेगी।

बस उस रात मैंने काफी डर कर शोर मचाया और मम्मी को मेरे साथ सोना पड़ा लेकिन अगले दिन ही उन्होंने एक बहुत बुड्ढी सी नौकरानी को मेरे कमरे में सुला दिया।

हमारी योजना फ़ेल हो गई लेकिन सुंदरी काफी चतुर थी, उसने बुड्ढी को तंग करने का उपाय मुझ को सुझाया और उसी ही रात बुड्ढी काम छोड़ कर चली गई।

हुआ यूं कि रात को एक मेंढक को लेकर मैंने बुड्ढी के घागरे में डाल दिया जब वह गहरी नींद में सोयी थी। जब मेंढक उसके घगरे में हलचल मचाने लगा तो वह चीखती चिल्लाती बाहर भाग गई और उस दिन के बाद वापस नहीं आई।

तब मैंने मम्मी को कहा कि सुंदरी को मेरे कमरे में सुला दिया करो और मम्मी थोड़ी न नकुर के बाद मान गई।

दिन भर मैं स्कूल में रहता था और दोपहर को लौटता था। मेरे साथ के लड़के बड़े भद्दे मज़ाक करते थे जिनमें चूत और लंड का नाम बार बार आता था लेकिन मैं उन सबसे अलग रहता था।

मेरे मन में औरतों को देखने की पूरी जिज्ञासा थी लेकिन कभी मौका ही नहीं मिलता था।

जब से सुंदरी आई थी, मेरी औरतों के बारे में जानकारी लेने की इच्छा बड़ी प्रबल हो उठी थी। यहाँ तक कि मैं मौके ढूंढता रहता था ताकि में औरतों को नग्न देख सकूँ।

इसीलिए साइकिल लिए मैं कई बार गाँव के तालाब और पोखरे जाता रहता था लेकिन कभी कुछ दिखाई नहीं दिया।

एक दिन मैं साइकिल पर यों ही घूम रहा था कि मुझको कुछ आवाज़ें सुनाई दी जो एक झाड़ी के पीछे से आ रही थी।

मैंने सोचा कि देखना चाहिये कि क्या हो रहा है।

थोड़ी दूर जाकर मैंने साइकिल को एक किनारे छुपा दिया और खुद धीरे से उसी झड़ी की तरफ बढ़ गया।

झाड़ी के एक किनारे से कुछ दिख रहा था। ऐसा लगा कि कोई आदमी और औरत है उसके पीछे, झाड़ी को ज़रा हटा कर देखा तो ऐसा लगा एक आदमी एक औरत के ऊपर लेटा हुआ है और ऊपर से वो धक्के मार रहा है और औरत की नंगी टांगें हवा में ऊपर लहरा रही थीं।

मुझको कुछ समझ नहीं आया कि क्या हो रहा है। फिर भी लगा कि कोई काम छिपा कर करने वाला हो रहा है यहाँ।

मैं अपनी जगह पर चुपचाप खड़ा रहा और देखता रहा।

थोड़ी देर बाद वो आदमी अपनी धोती को ठीक करते हुए उठा और औरत की नंगी टांगों और जांघों पर हाथ फेरता रहा था।

तभी वो औरत भी उठी और अपनी धोती ठीक करती हुई खड़ी हो गई। मैं भी वहाँ से खिसक गया, साइकिल उठा कर घर आ गया।

कहानी जारी रहेगी

अगला भाग में पढ़िए - मेरे सारे निजी काम एक युवा नौकरानी सुन्दरी करती थी… उसने मेरी मासूमियत का पूरा फायदा उठाया। अपने शरीर को मोहरा बना कर उसने सारे वह काम करने की कोशिश की जो वह कभी सोच भी नहीं सकती थी।


सोमू
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03-03-2021, 10:24 PM,
#2
RE: अन्तर्वासना कहानी - मेरा गुप्त जीवन 02
मेरा गुप्त जीवन -01  से

- एक दिन एक झाड़ी के पीछे मैंने सोचा देखा कि एक आदमी एक औरत के ऊपर लेटा हुआ है और ऊपर से वो धक्के मार रहा है और औरत की नंगी टांगें हवा में ऊपर लहरा रही थीं।
थोड़ी देर बाद वो आदमी अपनी धोती को ठीक करते हुए उठा और औरत की नंगी टांगों और जांघों पर हाथ फेरता रहा था।

तभी वो औरत भी उठी और अपनी धोती ठीक करती हुई खड़ी हो गई। मैं भी वहाँ से खिसक गया, साइकिल उठा कर घर आ गया।

Update 01

मेरा गुप्त जीवन 2. सुन्दरी के साथ


और यहाँ से शुरू होती है मेरी और सुन्दरी की कहानी।

इस भाग में पढ़िए - मेरे सारे निजी काम एक युवा नौकरानी सुन्दरी करती थी… उसने मेरी मासूमियत का पूरा फायदा उठाया। अपने शरीर को मोहरा बना कर उसने सारे वह काम करने की कोशिश की जो वह कभी सोच भी नहीं सकती थी।

सुन्दरी न सिर्फ सुन्दर थी बल्कि काफी चालाक भी थी। यह मैं आज महसूस कर रहा हूँ कि कैसे उसने मेरी मासूमियत का पूरा फायदा उठाया। अपने शरीर को मोहरा बना कर उसने सारे वह काम करने की कोशिश की जो वह कभी सोच भी नहीं सकती थी।


उसने रोज़ मेरे साथ सोने का पूरा फायदा उठाया, वह रोज़ रात को मुझ से ऐसे काम करवाती थी जो उस समय मैं कभी सोच भी नहीं सकता था.

शुरू में तो मुझको वह रोज़ रात को मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसती थी जिससे मुझको बहुत मज़ा आता था। उसने तभी मुझको उसकी चूत में ऊँगली डालना सिखाया और जब वह मेरा लंड चूसती तभी मैं उसकी चूत में ऊँगली डाल कर अंदर बाहर करता।

यह काम मुझ को बहुत अछा लगता था।

लेकिन सबसे पहले उसने अपने स्तन को चूसना सिखाया था मुझे कि कैसे निप्पल को होंटों के बीच रख कर चूसना चाहिए जिसके करने से उसको मज़ा तो बहुत आता था लेकिन मुझ को भी कुछ कम नहीं आता था। उसके छोटे लेकिन ठोस उरोजों को चूसने का एक अपना ही आनन्द था।

यह काम कुछ दिन तो खूब चला लेकिन एक दिन मम्मी को शक हो गया और उन्होंने मेरी एक भी न सुनी और सुन्दरी को मुझसे दूर कर दिया। वह अब सिर्फ घर की गाय भैंस से दूध निकालने का काम करने लगी।

उसकी जगह जो आई, वह ज्यादा मस्त नहीं थी लेकिन शारीरिक तौर से काफी भरी हुई थी, उसके चूतड़ काफी मोटे थे।

अब उसके साथ नहाने का मज़ा ही नहीं था क्यूंकि वह मुझ को अंडरवियर पहने हुए ही नहलाती थी। एक दो बार उसके मम्मों को छूने की कोशिश की लेकिन उसने हाथ झटक दिया।

रात को वह चटाई पर सोती थी और बड़ी गहरी नींद सोती थी।

एक रात वह जब सो रही थी तो मैंने उसकी धोती उठा कर उसकी चूत को देखा ही नहीं, उसके काले घने बालों के बीच में ऊँगली डाल कर देखा।

उसकी चूत तो सूखी थी और बहुत ही बदबूदार थी लेकिन कोई रुकावट नहीं मिली जिसका मतलब तब तो नहीं मालूम था लेकिन अब मैं अच्छी तरह समझता हूँ, यानि वह कुंवारी नहीं थी।

फिर एक रात मेरी नींद खुली तो मैंने महसूस किया कि मोटी नौकरानी की धोती ऊपर उठी हुई थी और उसकी ऊँगली काफी तेज़ी से हिल रही थी चूत पर।

तब तो मैं नहीं समझ पाया लेकिन अब जानता हूँ कि वह अपना पानी ऊँगली से छुठा रही थी। जैसे ही उसकी उंगली और तेज़ी से चली तो उसके मुख से अजीब अजीब सी आवाज़ें आने लगी। ऊँगली की तेज़ी बढ़ने के साथ ही उसके चूतड़ भी ऊपर उठने लगे और आखिर में एक जोर से ‘आआहा’ की आवाज़ के बाद उसका शरीर ढीला पड़ गया।

मैं भी अपन आधे खड़े लंड के साथ खेलता रहा।

लेकिन मैं भी सुन्दरी को नहीं भूला था, एक दिन जब वह दूध लेकर रसोई में जा रही थी तो मैंने उसको रोक लिया और इधर उधर देख कर जब कोई नहीं था तो मैंने उसको अपनी बाहों में भींच लिया और झट से उसके गाल पर चुम्मा कर दिया।

वह गुस्सा हो गई लेकिन मैंने भी हाथ उसकी धोती के अंदर डाल दिया और उसकी चूत के काले बालों के बीच चूत के होठों पर रख दिया। उसके एक हाथ में दूध की बाल्टी थी और दूसरे में लोटा, वह बस हिल कर मेरा हाथ हटाने की कोशिश करती रही।

यह ज़रूर बोलती रही- सोमू न करो, कोई देख लेगा।

मैंने भी झट उसकी चूत के अंदर ऊँगली दे डाली और उसके चूत के बालों को हल्का सा झटका दे कर हाथ निकाल लिया और बोला- अभी मेरे कमरे में आओ, ज़रूरी काम है।

उसने हाँ में सर हिला दिया और रसोई में चली गई।

जब वो आई तो मैंने उसे बताया कि मैं उसको कितना मिस कर रहा हूँ।

तो वह बोली- सोमू, तुम कुछ देते तो हो नहीं और मुफ्त में छेड़ छाड़ करते रहते हो?
मैं बोला- अच्छा, क्या चाहिए तुमको?

तो उसने कहा- पैसे नहीं हैं मेरी माँ के पास।

मैंने झट जेब से एक रूपया निकाल कर उसको दे दिया और कहा कि अगर वह रोज़ दोपहर को मेरे पास आयेगी तो मैं उसको रोज़ एक रूपया दूंगा।

यह उन दिनों की बात है जब एक रूपए की बड़ी कीमत होती थी।

यहाँ यह बता दूँ मैं कि हमारी हवेली का कैसा नक्शा था।

हवेली सही मायनों में बहुत बड़ी थी और उसमें कम से कम 10 कमरे थे। एक बड़ा हाल कमरा और 7 कमरे नीचे थे, जिसमें मम्मी और पापा के पास तीन कमरे थे और बाकी गेस्ट रूम थे।

क्यूंकि मैं अकेला ही बच्चा घर में था तो मेरा कमरा दूसरी मंजिल पर था, किसी भी नौकर को मेरी मर्ज़ी के बिना अंदर आने की इजाज़त नहीं थी। लड़कियाँ जो नौकरानियाँ थी, वे सब ऊपर तीसरी मंज़िल पर रहती थीं।

गर्मियों में हम सब दोपहर को थोड़ा सो जाते थे। घर में सिर्फ 5-6 पंखे लगे थे। मेरे कमरे का पंखा बहुत बड़ा था और बहुत ठंडी हवा देता था और सब काम वाली लड़कियाँ कोशिश करके मेरे कमरे में सोने को उत्सुक रहती थी।

सुन्दरी दोपहर में मेरे पास आ गई और गर्मी से परेशान हो कर उसने अपने ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके उन्नत उरोज खुल गए। गरीबी के कारण गाँव की लड़कियाँ ब्रा नहीं पहनती थी।

आज मेरा मन था कि सुन्दरी को पूरी नग्न देखूँ, मेरे कहने पर पहले तो वह नहीं मानी फिर एक रूपये के लालच से मान गई।

दरवाज़ा पक्का बंद करवाने के बाद उसने पहले धोती उतार दी और फिर उसने ब्लाउज भी उतार दिया। सफ़ेद पेटीकोट में वह काफी सेक्सी लग रही थी लेकिन उस वक्त मुझको सेक्सी के मतलब नहीं मालूम थे, मैं उसके उरोजों के साथ खेलने लगा, दिल भर कर उनको चूमा और चूसा और उसकी चूत में भी खूब ऊँगली डाली।

फ़िर न जाने सुन्दरी ने या फिर मैंने खुद ही उसकी चूत पर स्थित भगनासा ढून्ढ लिया।
जब मैंने उसको रगड़ा उँगलियों के बीच तो सुन्दरी धीरे धीरे चूतड़ हिलाने लगी।

मैंने पूछा भी कि मज़ा आ रहा है क्या?

तो वह बोली तो कुछ नहीं लेकिन मेरे हाथ को ज़ोर से अपनी जाँघों में दबाने-खोलने लगी और मैंने फिर महसूस किया उसका सारा जिस्म कांप रहा है और मेरे हाथ को उसकी गोल जांघों ने जकड़ रखा है।

थोड़ी देर यही स्थिति रही फिर धीरे से मेरा हाथ जांघों से निकल आया लेकिन हाथ में एकदम सफ़ेद चिपचापा सा कुछ लगा था।

मैंने पूछा भी यह क्या है तो वह कुछ बोली नहीं, आँखें बंद किये लेटी रही।

मैंने भी अपने हाथ के चिपचिपे पदार्थ को सूंघा तो बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी।

वह था पहला अवसर जब मैंने किसी औरत को छूटते हुए देखा और महसूस भी किया। मुझे नहीं मालूम था कि जीवन में ऐसे कई मौके आने वाले हैं जब मैं ऐसे दृश्य देखूँगा।

मैंने सुन्दरी से पूछा- यह पानी कैसा है?

तो वह बोली- यह हर औरत की चूत से निकलता है जब वह खूब मस्त होती है।

तब उसने मुझको खूब चूमा और मेरे लबों को चूसा।

मैंने उससे पूछा- क्या यह ही औरतों में बच्चे पैदा करता है?

वह ज़ोर से हंसी और बोली- नहीं रे सोमू… जब तक आदमी का लंड हमारे इस छेद में नहीं जाता, कोई बच्चा नहीं पैदा हो सकता।

उस रात जब मोटी नौकरानी मेरे कमरे में सोई तो मैंने फैसला किया कि मैं भी उसको नंगी देखूंगा लेकिन यह कब और कैसे संभव होगा यह मैं तय नहीं कर पा रहा था।

जब वह खूब गहरी नींद में थी तो मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके उसके ब्रा लेस स्तनों को देखने लगा, फिर धीरे से मैंने उसके निप्पल को ऊँगली से गोल गोल दबाना शुरू किया और धीरे धीरे वो खड़े होने लगे और फिर मैंने एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी।

हल्के हल्के सिसकारी भरते हुए उसकी चूत ने गीला होना शुरू कर दिया और उसके चूतड़ ऊपर उठने लगे। मैंने उसका चूत वाला बटन मसलना शुरू कर दिया और वह भी तेज़ी से अपनी चूत मेरे हाथ पर रगड़ने लगी और फिर एकदम उसका सारा शरीर अकड़ गया और उसकी चूत में से पानी छूट पड़ा।

मैंने जल्दी से हाथ चूत से निकाला और अपने बिस्तर में लेट गया और तब देखा कि उसने आँख खोली और इधर उधर देखा, खासतौर पर मेरे बेड को और जल्दी से अपना पेटीकोट नीचे कर दिया और फिर खर्राटे भरने लगी।

मेरा एक और तजुर्बा सफल हुआ।

सोमू

कहानी जारी रहेगी।



आगे पढ़िए मेरा गुप्त जीवन -3 में नौकर-नौकरानी  नंगा बदन, लंड चुसाई


- सुन्दरी के साथ बड़े ही गर्मी भरे दिन बीत रहे थे, भरी दोपहर में वह छुपते हुए मेरे कमरे में आ जाती थी और हम दोनों एक दूसरे में खो जाते थे। आते ही वह मुझ को लबों पर एक चुम्मी करती और मेरे होटों को चूसती। एक दिन उसने पूरी नंगी होकर लंड को अपने अंदर डालने की कोशिश की, सबसे पहले उसने मेरे लंड को चूत के मुंह पर रगड़ा, तभी उसने नीचे से एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा लंड पूरा अंदर चूत में चला गया।
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03-04-2021, 04:20 PM,
#3
RE: अन्तर्वासना कहानी - मेरा गुप्त जीवन 02
मेरा गुप्त जीवन -02  से

- उस रात जब मोटी नौकरानी मेरे कमरे में सोई तो मैंने फैसला किया कि मैं भी उसको नंगी देखूंगा लेकिन यह कब और कैसे संभव होगा यह मैं तय नहीं कर पा रहा था।

जब वह खूब गहरी नींद में थी तो मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके उसके ब्रा लेस स्तनों को देखने लगा, फिर धीरे से मैंने उसके निप्पल को ऊँगली से गोल गोल दबाना शुरू किया और धीरे धीरे वो खड़े होने लगे और फिर मैंने एक ऊँगली उसकी चूत में डाल दी।

हल्के हल्के सिसकारी भरते हुए उसकी चूत ने गीला होना शुरू कर दिया और उसके चूतड़ ऊपर उठने लगे। मैंने उसका चूत वाला बटन मसलना शुरू कर दिया और वह भी तेज़ी से अपनी चूत मेरे हाथ पर रगड़ने लगी और फिर एकदम उसका सारा शरीर अकड़ गया और उसकी चूत में से पानी छूट पड़ा।

मैंने जल्दी से हाथ चूत से निकाला और अपने बिस्तर में लेट गया और तब देखा कि उसने आँख खोली और इधर उधर देखा, खासतौर पर मेरे बेड को और जल्दी से अपना पेटीकोट नीचे कर दिया और फिर खर्राटे भरने लगी।




Update 02



मेरा गुप्त जीवन 3

सुन्दरी के साथ सम्भोग- इस भाग 3 में पढ़िए सुन्दरी के साथ बड़े ही गर्मी भरे दिन बीत रहे थे, भरी दोपहर में वह छुपते हुए मेरे कमरे में आ जाती थी और हम दोनों एक दूसरे में खो जाते थे। आते ही वह मुझ को लबों पर एक चुम्मी करती और मेरे होटों को चूसती। एक दिन उसने पूरी नंगी होकर लंड को अपने अंदर डालने की कोशिश की, सबसे पहले उसने मेरे लंड को चूत के मुंह पर रगड़ा, तभी उसने नीचे से एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा लंड पूरा अंदर चूत में चला गया।

सुन्दरी के साथ बड़े ही गर्मी भरे दिन बीत रहे थे, भरी दोपहर में वह छुपते हुए मेरे कमरे में आ जाती थी और हम दोनों एक दूसरे में खो जाते थे।

आते ही वह मुझ को लबों पर एक चुम्मी करती और मेरे होटों को चूसती। मैं भी उसकी नक़ल में वैसा ही करता। दोनों के मुंह का रस एक दूसरे के अंदर जाता और खूब आनन्द आता। फिर वह अपना ब्लाउज खोल देती और मुझ से अपने निप्पल चुसवाती और साथ ही मेरा हाथ अपनी धोती के अंदर पतले पेटीकोट में अपनी चूत पर रख देती।

फिर उसने चूत में ऊँगली से कामवासना जगाना सिखाया मुझे।

अब जब वह मेरे लंड पर हाथ रखती तो लंड खड़ा होना शुरू हो जाता और मेरे सख्त लंड को सुन्दरी मुंह में लेकर चूसने लगती और फिर एक दिन उस ने पूरी नंगी होकर लंड को अपने अंदर डालने की कोशिश की, सबसे पहले उसने मेरे लंड को चूत के मुंह पर रगड़ा एक मिनट तक और जब लंड का सर चूत के अंदर 1 इंच चला गया तो वह रुक गई और उसने मेरे होटों को ज़ोर से चूमा और अपनी जीभ भी मुंह में डाल दी, उसको गोल गोल घुमाने लगी।

मैं भी ऊपर से हल्का धक्का मारने लगा जिसके कारण मेरा आधा लंड उसकी चूत में चला गया। मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरा लंड आग की भट्टी में चला गया है। तभी सुन्दरी ने नीचे से एक ज़ोर का धक्का मारा और मेरा लंड पूरा अंदर चूत में चला गया।

कामवासना की यह पहली अनुभूति बड़ी ही इत्तेजक और आनन्द दायक लगी। फिर सुन्दरी के कहने पर मैंने ऊपर से धक्के मारने शुरु कर दिए और सुन्दरी भी नीचे से खूब ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगी।

फिर मुझको लगा कि सुन्दरी की चूत मेरे लंड को पकड़ रही है और जैसे ‘बन्द और खुल’ रही है। फिर सुन्दरी ने मुझको कस कर भींच लिया और उसका जिस्म कांपने लगा और फिर थोड़ी देर में वह एकदम ढीली पढ़ गई और मेरा लंड सफ़ेद झाग जैसे पदार्थ से लिप्त हुआ बाहर निकल आया।
लंड अभी भी खड़ा था लेकिन उसमें से कोई पदार्थ नहीं निकला।

इस तरह हमने कई दफा सेक्स का खेल खेला और हम दोनों को काफी आनन्द भी आया। मैं अब काफी कुछ सेक्स के बारे में समझने लगा था।

अब सुन्दरी के बाद मैंने रात वाली मोटी के साथ भी यही खेल खेलने की सोची। उसी रात को जब वह आई तो मैंने उसको पकड़ लिया, एक चुम्मी उसके गालों पर जड़ दी, वह एकदम छिटक कर परे हो गई और मुझ को घूरने लगी।

मैंने कहा- घबराओ नहीं, मैं तुमको कुछ नहीं कहूँगा।

और फिर मैंने उसको पास बुलाया और कहा कि तुम सोती हो, बिस्तर पर सोया करो ना!

‘नहीं न… मालकिन देखेंगी तो घर से निकाल देंगी।’

मैंने कहा- तुम ऐसे ही घबराती हो और फिर मैं तुमको पैसे दूंगा।

वह बोली- कितने पैसे दोगे छोटे मालिक?

मैंने कहा- कितने चाहिये तुमको?

वह बोली- तुम बताओ कितने पैसे दोगे?मैंने कहा- 2 रुपये दूंगा चूमक़ चाटी का!

और वह राज़ी हो गई। उस ज़माने में 1-2 रुपये बड़ी रकम होती थी गाँव वालों के लिये।

और सबसे बड़ा आकर्षण था मखमली बेड पर सोने का मज़ा!

उस रात मैं ने उसको नहीं छेड़ा और खूब सोया।

अगली रात वह फिर आ गई और नीचे सोने लगी, मैंने इशारे से उसको पास बुलाया और बिस्तर पर सोने को कहा।

वह हिचकिचाती हुई मेरे साथ लेट गई, मैंने उसके मोटे होटों पर एक हल्की किस की और अपना एक हाथ उसके स्तनों पर रख दिया। उसने झट से मेरा हाथ हटा दिया।

मैंने फिर उसको चूमा और अब हाथ उसके पेट पर रख दिया और वह चुप रही। फिर वही हाथ मैंने उसकी धोती में लिपटी उसकी जाँघों पर रख दिया और धीरे धीरे उसको ऊपर नीचे करने लगा और साथ ही उसको चूमता रहा, फिर धीरे से दूसरे हाथ को उसके स्तनों पर फेरने लगा।

मैंने उसको कहा- तुम्हारे स्तन तो एकदम मोटे और सॉलिड हैं।

शायद वह समझी नहीं, मैंने फिर कहा- ये बड़े मोटे और सख्त हैं, क्या करती हो इनके साथ?
वह बोली- सारा दिन फर्श पर कपड़ा मारना पड़ता है हवेली में तो काफी मेहनत हो जाती है।

फिर धीरे से मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके मोटे स्तन एकदम बाहर आ गए जैसे जेल से छूटे हों।

मैंने तो पहले उनको देख रखा था तो मैं उसका जिस्म जानता था।

फिर मेरा एक हाथ उसकी धोती के अंदर डालने लगा तो उसने हाथ पकड़ लिया और बोली- किसी को बताओगे तो नहीं छोटे मालिक?

मैंने कहा- नहीं रे, यह कोई बताने की चीज़ थोड़ी है।

और उसने धोती ऊपर उठाने दी।

पहले मैंने उसकी चूत को ग़ौर से देखा और समझने की कोशिश करने लगा कि उसकी चूत और सुन्दरी की चूत में क्या फर्क है।

कहानी जारी रहेगी।

मेरा गुप्त जीवन -4 में पढ़िए

नौकर-नौकरानी - चुदास, जवान विधवा, हस्तमैथुन

- सुन्दरी के जाने के बाद मैंने अपनी नई नौकरानी को पटाया और उसका नंगा बदन देखा, अपने सामने उससे चूत में ऊँगली करवा के देखा... फिर सुन्दरी का ब्याह हो गया और मोटी नौकरानी किसी के साथ भाग गई... अब मुझे मिली कम्मो.. मेरी नई नौकरानी... वो एक जवान विधवा थी... मैंने आहिस्ता से उसको पटाना शुरू कर दिया। उसके चूतड़ पर हाथ फेरा तो वह मुस्करा कर बोली- छोटे मालिक ज़रा संभल के… कोई देख न ले। कहानी पढ़ कर मज़ा लें...
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03-05-2021, 12:55 PM,
#4
RE: अन्तर्वासना कहानी - मेरा गुप्त जीवन 04
Update 03


मेरा गुप्त जीवन -4 में पढ़िए- नौकर-नौकरानी - चुदास, जवान विधवा, हस्तमैथुन


- सुन्दरी के जाने के बाद मैंने अपनी नई नौकरानी को पटाया और उसका नंगा बदन देखा, अपने सामने उससे चूत में ऊँगली करवा के देखा... फिर सुन्दरी का ब्याह हो गया और मोटी नौकरानी किसी के साथ भाग गई... अब मुझे मिली कम्मो.. मेरी नई नौकरानी... वो एक जवान विधवा थी... मैंने आहिस्ता से उसको पटाना शुरू कर दिया। उसके चूतड़ पर हाथ फेरा तो वह मुस्करा कर बोली- छोटे मालिक ज़रा संभल के… कोई देख न ले। कहानी पढ़ कर मज़ा लें...



मेरा गुप्त जीवन -03  में आपने पढ़ा

- शायद वह समझी नहीं, मैंने फिर कहा- ये बड़े मोटे और सख्त हैं, क्या करती हो इनके साथ?  वह बोली- सारा दिन फर्श पर कपड़ा मारना पड़ता है हवेली में तो काफी मेहनत हो जाती है।

फिर धीरे से मैंने उसके ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके मोटे स्तन एकदम बाहर आ गए जैसे जेल से छूटे हों।

मैंने तो पहले उनको देख रखा था तो मैं उसका जिस्म जानता था।

फिर मेरा एक हाथ उसकी धोती के अंदर डालने लगा तो उसने हाथ पकड़ लिया और बोली- किसी को बताओगे तो नहीं छोटे मालिक?

मैंने कहा- नहीं रे, यह कोई बताने की चीज़ थोड़ी है।

और उसने धोती ऊपर उठाने दी।

पहले मैंने उसकी चूत को ग़ौर से देखा और समझने की कोशिश करने लगा कि उसकी चूत और सुन्दरी की चूत में क्या फर्क है।




मेरा गुप्त जीवन -4 - मोटी का हस्तमैथुन



मैंने मोटी के ब्लाउज के बटन खोल दिए और उसके मोटे स्तन एकदम बाहर आ गए जैसे जेल से छूटे हों।


मैंने तो पहले उनको देख रखा था तो मैं उसका जिस्म जानता था।


फिर मेरा एक हाथ उसकी धोती के अंदर डालने लगा तो उसने हाथ पकड़ लिया और बोली- किसी को बताओगे तो नहीं छोटे मालिक?


मैंने कहा- नहीं रे, यह कोई बताने की चीज़ थोड़ी है।

और उसने धोती ऊपर उठाने दी।



पहले मैंने उसकी चूत को ग़ौर से देखा और समझने की कोशिश करने लगा कि उसकी चूत और सुन्दरी की चूत में क्या फर्क है।


मोटी की चूत बड़ी उभरी हुई थी और काफी बड़ी लग रही थी जबकि सुन्दरी की चूत काफ़ी डेलिकेट लगती थी। मैंने मोटी की चूत में ऊँगली डाली तो बहुत तंग थी जबकि सुन्दरी की थोड़ी खुली थी।



मैंने मोटी से पूछा कि उसने कितने आदमियों से करवाया है, तो पहले तो वह बहुत शरमाई लेकिन फिर जब मैंने पैसे का लालच दिया तो बोल पड़ी, उसने बताया कि हवेली में काम करने वाला एक माली उसका दोस्त है और वह अक्सर दिन में उसके पास जाती है और वह उसको चोदता है लेकिन बड़ी जल्दी झड़ जाता है, तसल्ली नहीं होती उससे तो आकर कुछ करना पड़ता है।



मैंने पूछा- क्या करती हो वहाँ से आकर?


तो उसने मुंह फेर लिया।



मैं बोला- मैं जानता हूँ, क्या करती हो तुम!


वह बोली- छोटे मालिक आप कैसे जानते हो?



तब मैंने उसको बताया कि जब उसने ऊँगली डाली थी चूत में तो मैं जाग रहा था और उसकी ऊँगली का कमाल देखा था।


मोटी उदास होकर बोली- क्या करूँ छोटे मालिक… और कोई मिलता ही नहीं?


मैंने कहा- एक रूपया दूंगा अगर तू मेरे सामने ऊँगली डाल कर अपना छुटायेगी।



और वह तैयार हो गई। उस दिन उसकी ऊँगली का कमाल छुप कर देखा था लेकिन आज तो सब सामने होने वाला था, मैं बड़ा प्रसन्न हुआ और ध्यान से देखने लगा कि मोटी क्या करती है और उसने सब वही किया जो उसने उस रात में किया। लेकिन आज उसका जब छूटा तो वह काफी ज़ोर से चूतड़ हिलाने लगी, जब उसका छूट गया तो मैंने उसकी चूत से में ऊँगली डाल कर उसके छूटते पानी को सूंघा तो वह काफी महक भरा था।



दोस्तो, यह सब जो मैं आज लिख रहा हूँ वह मेरे साथ वाकिया हुआ और मैंने भी जम कर उन औरतों का मज़ा लूटा। यह सब मेरे परिवार से छुपा रहा क्यूंकि मैं सब औरतों या लड़कियों को काफी धन से मदद करता था और मैं समझता हूँ यही कारण रहा होगा कि किसी ने मेरी शिकायत मेरे परिवार वालों से नहीं की।


मैं स्कूल में भी लड़कों को काफी कुछ सेक्स के बारे में बताया करता था लेकिन मेरा ज्ञान यौन के विषय में अभी काफी अधूरा था जैसे जैसे मैं यौन में आगे बढ़ता गया, मेरा ज्ञान और गहरा होता गया।


मैं धीरे धीरे यह महसूस करने लगा कि मेरा सारा जीवन शायद यौन ज्ञान हासिल करने में लग जायेगा। यही कारण था कि मेरा सारा वक्त औरतों के बारे में सोचने में ही गुज़र जाता।



थोड़ा समय बीतने के बाद मेरे यौन जीवन में फिर बदलाव आया जिसका मुख्य कारण था

सुन्दरी का विवाह और मोटी का माली के बेटे के साथ भाग जाना।


दोनों ने मेरे यौन जीवन में काफी बड़ा रोल अदा किया था, उन दोनों के कारण ही मैं औरतों के बारे में काफी कुछ जान सका।



उनके जाने के बाद मम्मी को लगा कि मेरे कमरे में किसी और को सोने की ज़रूरत नहीं थी क्यूंकि मेरी लम्बाई अब बड़ी तेज़ी से बढ़ने लगी और साथ ही मैंने महसूस किया कि मेरा लंड भी अब तेज़ी से बड़ा होने लगा। क्यूंकि मैंने किसी पुरुष का लंड नहीं देखा था लेकिन लड़के अक्सर बताते कि पुरुष का लंड 4-5 इंच का होता है लेकिन मेरा लंड खड़ा होता तो मैं उसको नापता था और वह भी 4-5 इंच का होता था। मुझ को विश्वास नहीं होता था कि मेरा लंड भी पुरुष की तरह बड़ा हो गया है।


कम्मो का आगमन



खैर यह दुविधा तो चलती रही लेकिन तभी मेरा सम्पर्क एक लम्बी औरत से हो गया। वह हमारी नई नौकरानी बन कर आई थी और मेरा भी सारा काम देखना उसकी ड्यूटी थी।



उसका नाम कम्मो था और वह 5 फ़ीट 6 इंच लम्बी थी, उसका रंग सांवला था लेकिन स्तन काफी बड़े थे और उसके चूतड़ भी काफी मोटे थे, वह कोई 22-23 की थी लेकिन विधवा थी इसीलिए शायद वह बहुत सादे कपड़े पहनती थी लेकिन जब वह काम करते हुए झुकती तो मोटे स्तन एकदम सामने आ जाते थे जैसे उसके तंग ब्लाउज से अभी उछलने वाले हों।



मैं ने भी आहिस्ता से उसको पटाना शुरू कर दिया। जब वह मेरे कमरे में आती थी न तो मैं उसको छूने की पूरी कोशिश करता, कभी जान बूझ कर जाते हुए उसके चूतड़ पर हाथ फेर देता।


वह भी बुरा मनाने की बजाये हल्के से मुस्कुरा देती और धीरे धीरे मेरी हिम्मत बढ़ती गई और उसके आने के ठीक तीन दिन बाद मैंने उसको चूम लिया।


और वह मुस्करा कर बोली- छोटे मालिक ज़रा संभल के… कोई देख न ले।


मैंने भी उसके हाथ में दो रूपए रख दिए और वह खुश हो गई।


मैंने उसको दोपहर में मेरे कमरे में आने के लिया राज़ी कर लिया। और इस तरह से मेरा खेल कम्मो के साथ शुरू हो गया।


वह सांवली ज़रूर थी पर उसके नयन नक्श काफी तीखे थे।



सबसे पहले मैंने अपना लंड खड़ा करके उससे पूछा- यह कैसा है?


वह बोली- अभी थोड़ा छोटा है और पतला भी है।


तब मैंने पूछा कि उसके पति का लंड कैसा था? तो उसका सर शर्म से झुक गया।


मैंने जोर देकर कहा- बता ना कैसा था?


तो वह रोते हुए बोली- उसका काफी बड़ा और मोटा था और काफी देर तक चोदता था। वह 2-3 बार छूट जाती थी।



जब वह यह बता रही तो मेरी उँगलियाँ उसकी चूचियों के साथ खेल रही थीं जो मेरा हाथ लगते ही एकदम सख्त हो गई थी। मैं उनको मुंह में लेकर चूसने लगा और कम्मो के मुंह से अपने
आप ही ‘आह आह ओह्ह हो…’ निकलने लगा।


यह सुन कर मेरा लंड और भी सख्त हो गया और मैंने अपना हाथ उसकी धोती के अंदर डाल दिया।



सबसे पहले मेरा हाथ उसकी बालों से भरी हुईं चूत पर जा लगा। मैंने महसूस किया कि उसकी चूत बेहद गीली हो गई थी। मैंने उसको बिस्तर पर लिटा दिया और अपना पायजामा उतार कर उसके ऊपर चढ़ने की कोशिश करने लगा। मेरा 5 इंच का लंड शायद उसकी चूत पर उगे घने बालों के जंगल में खो जाता लेकिन उसने अपने हाथ से उसको चूत के अंदर डाल दिया और मैंने गरम और गीली चूत को पूरी तरह से महसूस किया। इससे पहले सुन्दरी की चूत ज्यादा गीली नहीं होती थी।



कम्मो इतनी गरम हो चुकी थी कि मुश्किल से 7-8 धक्के लगने पर ही उसने अपनी टांगों से मुझको ज़ोर से दबा दिया और उसका शरीर ज़ोर से कांपने लगा लेकिन मेरा लंड अभी भी धक्के मार रहा था।


यह देख कर कम्मो भी नीचे से थाप देने लगी और फिर 5 मिनट में उसकी चूत फिर से पानी पानी हो गई लेकिन मैं अभी काफी तेज़ धक्के मार रहा था क्यूंकि कम्मो की चूत पूरी तरह से पनिया गई थी इस कारण उसमें से फिच फिच की आवाज़ आ रही थी।



कम्मो 5-6 बार छूट चुकी थी और उसका जिस्म भी ढीला पढ़ गया था और वह कहने लगी- बस करो छोटे मालिक, अब मैं थक गई हूँ।


मैं उसके ऊपर से हट कर नीचे बिस्तर पर लेट गया। लेकिन मेरा लंड अभी भी पूरा खड़ा था और उसमें से अभी तक कुछ भी नहीं निकला था।


यह देख कर कम्मो हैरान थी।


फिर वह मेरे लंड के साथ खेलने लगी।


दस मिन्ट ऐसे लेट रहने के बाद भी मेरा लंड वैसा ही सख्त खड़ा था। अब कम्मो मेरे ऊपर बैठ गई और अपनी चूत में मेरा लंड डाल लिया और ऊपर से धक्के मारने लगी।


चूत की गर्मी और उस में भरे रस से मेरा लंड खूब मस्ती में आया हुआ था और मैं भी नीचे से धक्के मारने लगा और करीब दस मिनट बाद कम्मो फिर झड़ गई और अपना लम्बा शरीर मेरे ऊपर डाल कर थक कर लेट गई।



फिर वह उठी और बड़ी हैरानी से मेरे लंड को देखने लगी जो अभी भी वैसे ही खड़ा था और हँसते हुए बोली- छोटे मालिक, आपका लंड तो कमाल का है, अभी भी नहीं थका और क्या मस्त खड़ा है। जिससे आप की शादी होगी वह लड़की तो खूब ऐश करेगी।


यह कह कर कम्मो बाहर जाने लगी तो मैंने उसको कहा- रात को फिर आ जाना।


तो वह बोली- मालकिन को पता चल गया न, तो मुझ को नौकरी से निकाल देगी।

और यह कह कर वह चली गई और फिर मैं भी सो गया।


शाम को घूमने के लिए निकला तो गाँव की तरफ चला गया और वहाँ तालाब के किनारे बैठ गया। मैंने देखा कि गाँव की औरतें जिनमें जवान और अधेड़ शामिल थी, तालाब से पानी भरने के लिए आई और पानी भरने के बाद वह अपनी धोती ऊंची करके टांगों और पैरों को धोने लगी।


यह देख कर मुझको बड़ा मज़ा आ रहा था… कुछ जवान औरतों के स्तन ब्लाउज में से झाँक रहे थे जब वे पानी भरती थी। तभी मैंने फैसला किया कि तालाब सुबह या शाम को आया करूंगा और ये गरम नज़ारे देखा करूंगा।


कहानी जारी रहेगी।


सोमू


अगले भाग  मेरा गुप्त जीवन -5 अगले भाग   में पढ़े - नौकर-नौकरानी - नंगा बदन, मालिश, लंड चुसाई.


मेरी नई नौकरानी कम्मो जवान विधवा थी. मैंने उसको पटाया, उसके चूतड़ पर हाथ फेरा तो वह मुस्करा कर बोली- छोटे मालिक ज़रा संभल के, कोई देख न ले। कहानी पढ़ कर मज़ा लें.
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03-07-2021, 10:11 AM,
#5
RE: अन्तर्वासना कहानी - मेरा गुप्त जीवन 1
Update 04

मेरा गुप्त जीवन -5  में पढ़े - नौकर-नौकरानी - नंगा बदन, मालिश, लंड चुसाई.- नई नौकरानी कम्मो जवान विधवा थी. उसको पटाया, उसके चूतड़ पर हाथ फेरा तो वह मुस्करा कर बोली- छोटे मालिक ज़रा संभल के, कोई देख न ले।

मेरा गुप्त जीवन -04  में आपने पढ़ा


- चूत की गर्मी और उस में भरे रस से मेरा लंड खूब मस्ती में आया हुआ था और मैं भी नीचे से धक्के मारने लगा और करीब दस मिनट बाद कम्मो फिर झड़ गई और अपना लम्बा शरीर मेरे ऊपर डाल कर थक कर लेट गई।

फिर वह उठी और बड़ी हैरानी से मेरे लंड को देखने लगी जो अभी भी वैसे ही खड़ा था और हँसते हुए बोली- छोटे मालिक, आपका लंड तो कमाल का है, अभी भी नहीं थका और क्या मस्त खड़ा है। जिससे आप की शादी होगी वह लड़की तो खूब ऐश करेगी।

शाम को घूमने के लिए निकला तो गाँव की तरफ चला गया और वहाँ तालाब के किनारे बैठ गया। मैंने देखा कि गाँव की औरतें जिनमें जवान और अधेड़ शामिल थी, तालाब से पानी भरने के लिए आई और पानी भरने के बाद वह अपनी धोती ऊंची करके टांगों और पैरों को धोने लगी।

यह देख कर मुझको बड़ा मज़ा आ रहा था… कुछ जवान औरतों के स्तन ब्लाउज में से झाँक रहे थे जब वे पानी भरती थी। तभी मैंने फैसला किया कि तालाब सुबह या शाम को आया करूंगा और ये गरम नज़ारे देखा करूंगा।


मेरा गुप्त जीवन 5 -कम्मो ही कम्मो

कम्मो के साथ मेरा जीवन कुछ महीने ठीक चला, वो बहुत ही कामातुर थी और अक्सर ही चुदाई के बारे में सोचती रहती थी. क्यूंकि वो सेक्स की भूखी थी और चूत चुदाई के बारे में उसका ज्ञान बहुत अधिक था तो उससे मैंने बहुत कुछ सीखना था, वो एक किस्म से मेरी इंस्ट्रक्टर बन गई थी।

मैं अक्सर सोचता था कि कैसे मैं कम्मो को रात भर अपने कमरे में सुलाऊँ? कोई तरीका समझ नहीं आ रहा था!

उन्हीं दिनों दूर के रिश्ते में मेरे चाचे की लड़की की शादी का न्योता आया, मम्मी और पापा को तो जाना ही था लेकिन मुझको भी साथ जाने के लिए कहने लगे। मैंने स्कूल में परीक्षा का बहाना बनाया और कहा कि मैं नहीं जा सकूँगा। पापा मेरी पढ़ने की लगन देख कर बहुत खुश हुए।


यह फैसला हुआ कि एक हफ्ते के लिये वो दोनों जायेंगे और मैं यहाँ ही रहूँगा। मेरे साथ मेरे कमरे में कौन रहेगा, इसका फैसला नहीं हो रहा था।

बहुत सोचने के बाद मम्मी ने ही यह फैसला किया कि कम्मो को ही मेरे कमरे में सोना पड़ेगा क्यूंकि वही ही सब नौकरानियों में सुलझी हुई और शांत स्वभाव की थी।

यह जान कर मेरा दिल खुश तो हुआ लेकिन मैंने यह जताया कि यह मुझ पर ज़बरदस्ती है क्यूंकि मैं अब काफी बड़ा हो गया था और अपनी देखभाल खुद कर सकता था।

मम्मी के सामने मेरी एक भी नहीं चली और आखिर हार कर मैंने भी हाँ कर दी।

मम्मी और पापा दिन को चले गए थे और कम्मो सबकी हैड बन कर काम खत्म करवा रही थी। वह कुछ समय के लिए मेरे पास आई थी और रात को मज़ा करने की बात करके चली गई थी।
रात को काम खत्म करवा कर कम्मो ने सब नौकरों को हवेली के बाहर कर दिया सिर्फ खाना बनाने वाली एक बूढ़ी हवेली में रह गई। चौकीदार सब नीचे गेट के बाहर रहते थे तो कोई रुकावट नहीं थी।

रात कोई 10 बजे कम्मो आई, हम दोनों ने खूब जोरदार चूमा चाटी और आलिंगन किया। फिर मैंने कम्मो को सारे कपड़े उतारने के लिए कहा।


उसने पहली धोती उतारी और फिर ब्लाउज को उतारा और सबसे आखिर में उसने पतला सफ़ेद पेटीकोट उतार दिया।

मैंने भी सब कपड़े उतार दिए, कम्मो ने देखा कि मेरा लंड तो एकदम खड़ा है, उसने उसको हाथ में लिया और आगे की चमड़ी को आगे पीछे करने लगी।

मेरा लंड अब पूरी तरह से तैयार था, कम्मो ने मुझको रोका और बोली- ज़रा मज़ा तो ले लेने दो ना!


और फिर उसने मेरा लंड मुंह में लेकर चूसना शुरू किया।

मुझको लगा कि लंड और भी बड़ा हो गया है, मुझको बेहद मज़ा आने लगा, तब उसने मेरा हाथ चूत पर रख दिया जो अब तक कॅाफ़ी गीली हो चुकी थी और मेरी उंगली को चूत पर के छोटे से दाने को हल्के से रगड़ने के लिए कहा।

मैंने वैसे ही किया और तभी कम्मो के चूतड़ आगे पीछे होने लगे, कम्मो बोली- लड़कियों को इस दाने पर हाथ से रगड़ने पर बहुत मज़ा आता है।

थोड़ी देर ऐसा करने के बाद हम दोनों बिस्तर पर लेट गए और मैं झट से उसके ऊपर चढ़ गया और कम्मो की फैली हुई टांगों के बीच में लंड का निशाना बनाने लगा लेकिन मेरी बार बार कोशिश करने पर लंड अंदर नहीं जा रहा था, वो बाहर ही इधर उधर फिसल रहा था।
कम्मो ने तब हँसते हुए अपने हाथ से लंड को चूत के मुंह पर रखा और मैं जोर से एक धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड अंदर चला गया।


मैं जल्दी जल्दी धक्के मारने लगा लेकिन कम्मो ने रोक दिया और कहा कि धीरे धीरे धक्के लगाऊं।

मैंने अब धीरे से लंड को अंदर पूरा का पूरा डाल दिया फिर धीरे से पूरा निकाल कर फिर पूरा धीरे से अंदर डाल दिया। धीरे धीरे मैंने लंड की स्पीड पर कंट्रोल करना सीख लिया और मैं बड़े ध्यान से कम्मो को देख रहा था, जैसे ही वह कमर से ठुमका लगाती, मेरी स्पीड तेज़ हो जाती या धीरे हो जाती।

इस तरह हम रात भर यौन क्रीड़ा में व्यस्त रहे। कम्मो कम से कम 10 बार झड़ी होगी और मेरा एक बार भी वीर्य नहीं निकला और सुबह होने के समय आखरी जंग तक मेरा लंड खड़ा रहा।

यह देख कर कम्मो बड़ी हैरान थी कि ऐसा हो नहीं सकता लेकिन फिर वह कहने लगी कि शायद मैं अभी पूरी तरह जवान नहीं हुआ, इसी कारण मेरा वीर्य पतन नहीं हुआ।
यह सोच कर वह बहुत खुश हुई कि चलो चुदाई के बाद कोई बच्चे होने का खतरा नहीं होगा।कम्मो ने कहा कि वह गाँव से एक ख़ास तेल लाएगी जिसको लगाने के बाद मेरा लंड बड़ा होना शुरू हो जाएगा।


मैंने भी उससे पक्का वायदा लिया और उसको दस रूपए इनाम दिया।

अगले दिन वायदे के मुताबिक़ वह एक बहुत ही बदबूदार तेल लेकर आई और बोली कि आज नहाते हुए मुझ को लगाना पड़ेगा।


मैंने कहा- मुझको लगाना नहीं आता तुम ही आ कर लगा देना।

उसने कहा कि वह काम खत्म करके आएगी और तेल लगा देगी।


और वह 12 बजे के करीब आई और मुझको गुसलखाने में ले गई, वहाँ मैंने सारे कपड़े उतार दिये और कम्मो को देख कर फिर मेरा लंड खड़ा हो गया।

वह खड़े लंड पर तेल लगाती रही और मैं उसके मम्मों के साथ खेलता रहा।

तेल लगा बैठी तो बोली- अब आप नहा लीजिए!


लेकिन मैं अड़ा रहा कि वो खुद मुझ को नहलाये।

और फिर उस ने मुझ को नहलाना शुरू किया पर मैंने भी उसके सारे कपड़े उतार दिए और वह मुझको नंगी होकर नहलाने लगी। बाथरूम में हम दोनों नंगे थे, वो मुझ को नहला रही थी और मैं उसको… बड़ा आनन्द आ रहा था।

मैंने उसको कहा कि वो मुझको रोज़ तेल मलेगी और इसी तरह नहलाएगी और बदले में मैं उसको दस रूपया इनाम दिया करूंगा। वह मान गई।

यह सिलसिला चलता रहा और उस रात मैंने कम्मो को जम कर चोदा।


कम्मो कहने लगी- छोटे मालिक, आपका लंड तो थोड़ा और मोटा और लम्बा हो गया लगता है, अगर यह तेल 7 दिन लगाऊं तो यह ज़रूर 5-6 इंच का हो जायेगा।

वह बोली कि उसका पति भी यह तेल लगाता था और उसका लंड भी काफी मोटा और लम्बा हो गया था।

फिर मैंने उससे पूछा- गाँव की औरतें कहाँ नहाती हैं?वह मुस्करा के बोली- क्या नंगी औरतों को देखने का दिल कर रहा है? मेरे से दिल भर गया है क्या?


मैं बोला- नहीं रे, यों ही पूछा था।

कहानी जारी रहेगी।



सोमू



अगले भाग  मेरा गुप्त जीवन -6 में पढ़े - नौकर-नौकरानी  : कुँवारी चूत, नंगा बदन

सबसे पहले उस ने धोती खोल दी और फिर धीरे धीरे ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी लेकिन ऐसा करते हुए वो चौकन्नी हो कर चारों तरफ देख भी लेती थी कि कोई देख तो नहीं रहा और जब उसका ब्लाउज उतरा तो...कहानी पढ़ कर मज़ा लें.
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03-09-2021, 12:41 PM,
#6
RE: अन्तर्वासना कहानी - मेरा गुप्त जीवन 1
मेरा गुप्त जीवन -5  में  पढ़ा  - कम्मो ही कम्मो

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नौकर-नौकरानी - नंगा बदन, मालिश, लंड चुसाई.- नई नौकरानी कम्मो जवान विधवा थी. उसको पटाया, उसके चूतड़ पर हाथ फेरा तो वह मुस्करा कर बोली- छोटे मालिक ज़रा संभल के, कोई देख न ले।- कम्मो ने ख़ास देसी तेल से मेरे लंड की मालिश कर लंड को बड़ा और मजबूत किया


मेरा गुप्त जीवन -6 में पढ़े - नौकर-नौकरानी  : कुँवारी चूत, नंगा बदन

सबसे पहले उस ने धोती खोल दी और फिर धीरे धीरे ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी लेकिन ऐसा करते हुए वो चौकन्नी हो कर चारों तरफ देख भी लेती थी कि कोई देख तो नहीं रहा और जब उसका ब्लाउज उतरा तो...कहानी पढ़ कर मज़ा लें.



मेरा गुप्त जीवन 6- कम्मो की कहानी

फिर मैंने उससे पूछा- गाँव की औरतें कहाँ नहाती हैं?

वह मुस्करा के बोली- क्या नंगी औरतों को देखने का दिल कर रहा है? मेरे से दिल भर गया है क्या?

मैं बोला- नहीं रे, यों ही पूछा था।

वो बोली- यहाँ से दो फर्लांग दूर एक छोटी नदी बहती है, वहीं सारी जवान औरतें और लड़कियाँ जाती हैं और बाकी की सारी तालाब में नहाती हैं।

मैं यह सुन कर चुप रहा।

कम्मो बोली- आपकी इच्छा है तो बताओ, मैं ज़रा बुरा नहीं मनाऊँगी। वैसे गाँव की औरतें 11-12 बजे दोपहर में नहाने जाती हैं लेकिन उस समय आपका तो स्कूल होगा ना?

मैंने कहा- कल छुट्टी ले लूंगा और तुम्हारे साथ नदी चलते हैं, अगर तुम राज़ी हो तो?

मैं बोला- मेरे मन में औरतों के शरीर को देखने की बहुत इच्छा है लेकिन मुझ को नदी के किनारे देख का कुछ गलत समझ लेंगी जो ठीक नहीं होगा।

कम्मो बोली कि उसको कुछ खास जगह मालूम हैं जहाँ से औरतें नहीं देख पाएँगी और मैं बड़े आराम से औरतों को नहाते हुए देख सकूंगा।

मैंने भी हामी भर दी।

उस रात मैंने कम्मो को जी भर के चोदा और कई बार तो मेरा लंड चूत के अंदर ही रहा और हम शांत हो कर लेट गए।

और फिर जब कम्मो की काम इच्छा जागती तो वह मेरे ऊपर चढ़ जाती और 10-15 मिनट में फिर छूट जाती पर मेरा लंड वैसे ही खड़ा रहता।

थोड़ी देर बाद मेरी नींद लग गई और मैं गहरी नींद सो गया और जब उठा तो सुबह के 7 बजे थे और कम्मो जा चुकी थी। बिस्तर को ध्यान से देखा तो कम्मो की चूत से निकले पानी के निशान नज़र आ रहे थे, जब कम्मो आई तो मैंने उसको निशान दिखाये तो वह शर्मा गई और झट चादर बदल दी और खुद ही धोने बैठ गई।

दोपहर को नदी किनारे जाने का वायदा कर के वह अपने कामों में लग गई।

11 बजे के करीब कम्मो आई, बोली- मैं चलती हूँ, तुम पीछे आओ।

वो अपना तौलिए और कपड़े ले कर चलने लगी और मैं थोड़ी दूरी पर पीछे चलने लगा।
जल्दी ही छोटी सी नदी के किनारे पहुँच गए, वह बहुत ही कम गहरी दिख रही थी। कम्मो मुझको एक झाड़ी के बीच ले गई और आहिस्ता से कान में बोली कि मैं वहीं इंतज़ार करूँ और जैसे ही औरतें आएँगी वह मुझ को इशारा कर देगी।

मैं अपना तौलिए पर बैठ गया और अपने छुपने वाली जगह को ध्यान से देखा।

बड़ी ही सही जगह थी पीछे से भी काफी ढकी हुई थी और आगे से भी सारा नज़ारा देख सकते थे।

5-10 मिन्ट इंतज़ार के बाद औरतें कपड़े उठाये हुए आने लगी और जहाँ मैं छुपा था वहाँ से सिर्फ 10-15 फ़ीट दूर नहाने का घाट था।

कुछ तो कपड़े धोने लगी और कुछ नहाने लगी। उनमें से एक बहुत ही सुडौल वाली नई शादीशुदा औरत भी थी, मेरी नज़र तो उस पर ही थी।

गंदमी रंग और गोल मुंह वाली बहुत सेक्सी दिख रही थी।

सबसे पहले उस ने धोती खोल दी और फिर धीरे धीरे ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी लेकिन ऐसा करते हुए वो चौकन्नी हो कर चारों तरफ देख भी लेती थी कि कोई देख तो नहीं रहा और जब उसका ब्लाउज उतरा तो उसके मोटे और शानदार स्तन उछल कर बाहर आ गए। तब वो पानी में चली गई और खूब मल मल कर नहाने लगी।

उसने पेटीकोट का नाड़ा भी ढीला कर दिया था और अंदर हाथ डाल कर चूत की भी सफाई करने लगी।

5-6 मिन्ट इस तरह नहाने के बाद वो गीले पेटीकोट के साथ नदी के बाहर निकली और सीधी मेरी वाली झाड़ी की तरफ आने लगी और यह देख कर मैं डर के मारे कांपने लगा।

मुझ को पक्का यकीन था कि मैं पकड़ा जाऊँगा लेकिन कम्मो बड़ी होशियार थी, वो झट वहाँ आ गई और दोनों बातों में लग गई।

जब उस लड़की ने जिस्म पौंछ लिया तो कम्मो बोली- मैं देख रही हूँ, तू झाड़ी की तरफ मुंह करके पेटीकोट बदल ले।

और तब उसने झट से अपने पेटीकोट उतार दिया। मैंने उसकी चूत देखी जिस पर काले घने बाल छाए हुए थे और उसकी मोटी जांघों के बीच उसकी चूत काफी सेक्सी लग रही थी।
झट से उसने धुला पेटीकोट पहन लिया और फिर ब्लाउज भी पहन कर वो फिर नदी के किनारे आ गई। तब मैंने दूसरी औरतों को देखा तो सब ही ब्लाउज उतार चुकी थी और खूब मल मल कर नहा रही थी।

यह नज़ारा देख कर मेरा लंड तो खड़ा हो गया और बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था। तब मैंने देखा कि कई औरतें अपना पेटीकोट उतार कर धो रही थी, सभी की चूत दिख रही थी सब ही बालों से भरी हुई थी।

यह नज़ारा मेरे जीवन में अद्भुत था… इतनी सारी औरतों को नंगी देखना फिर शायद सम्भव नहीं होगा, ऐसा सोच कर मैं बार बार बड़ा खुश हो रहा था।

तभी कम्मो आ गई और मुझको इशारे से बाहर बुलाया और बोली- छोटे मालिक, अब हम वापस घर चलते हैं क्यूंकि आपने सब कुछ तो देख ही लिया है और कहीं हम को कोई देख न ले जिससे बहुत बदनामी होगी।

मैं भी वापस चल पड़ा कम्मो के साथ!

रास्ते में वो बोली- कोई पसंद आई इन में से?

मैं शरमा गया और कुछ नहीं बोला।

तब कम्मो कहने लगी- छोटे मालिक, आप हुकुम करो, अगर कोई पसंद आ गई है तो उसको आपसे मिलवा दूंगी।

मैं फिर चुप रहा।

कम्मो हल्के से मुस्कराई और बोली- आप बता दो ना, क्या आपको वो मोटे चूचों वाली पसंद है क्या?

मैं अंजान बनते हुए बोला- कौन सी?

‘छोटे मालिक, मुझसे क्यों छिपा रहे हो? मैं जानती हूँ तुम को वो बहुत भा गई है!’

‘नहीं री, तुम से भला क्या छिपाऊँगा। तुम से ज्यादा सुन्दर औरत कहाँ मिलेगी। तुम तो मेरी गुरु हो और मेरी टीचर हो!’

‘तो जल्दी बताओ कौन सी बहुत पसंद आई उन में से?’

मेरा मुख शर्म से एकदम लाल हो गया और मैं झिझकते हुए बोला- वही जो मेरे सामने पेटीकोट बदल रही थी और जिसको कपड़े पहनने में तुम मदद कर रही थी और जो सब औरतों में से सुन्दर है।

‘क्या उसको पसंद कर लिया है?’

‘नहीं री, जो तुमने पूछा, वही मैंने बताया। पसंद तो मैंने सिर्फ तुमको किया है और तुम्ही हो मेरी।’

मैंने महसूस किया की कम्मो बेहद खुश हुई, यह सुन कर बोली- कभी मौका लगा तो उसको पेश कर दूंगी। उसका नाम चंपा है और वो शादीशुदा है लेकिन उसका पति विदेश गया है बेचारी लंड की बहुत भूखी है। कई लड़के उसको पाने के लिए उसके चारों तरफ घूमते हैं। ‘देखेंगे जब समय आयेगा! अब तो जल्दी चलो, घर मैंने तुम को चोदना है सारी दोपहर!’ मैं बोला।

और घर पहुँच कर मैंने उसके कपड़े उतार दिए और खुद भी पूरा नंगा हो गया और खूब मस्त चुदाई शुरू हो गई। मेरा लंड अब पहले से थोड़ा बड़ा हो गया था और मेरे ज़ोर ज़ोर के धक्कों से कम्मो 3-4 मिन्ट में झड़ गई और आज वो छूटते हुए कुछ ज्यादा ही काम्पने लगी और मुझको जो उसने कस के अपनी बाहों में जकड़ा कि मेरी हड्डियाँ ही दुखने लगी थी।

अब वह एकदम निढाल हो कर पड़ गई लेकिन मैं अभी भी हल्के धक्के मार रहा था और उसकी चूत से निकल रहे पानी में बड़ी ही सेक्सी फिच फिच की आवाज़ आ रही थी और चूत से बहे पानी का जैसे तालाब चादर पर बन गया था।

कम्मो की नज़र पड़ते ही झट उसने वो चादर बदल दी।

अगले दिन ही मम्मी पापा भी वापस आ गये और मेरा चुदाई का प्रोग्राम रात वाला बंद करना पड़ा लेकिन दोपहर का प्रोग्राम चालू रहा। अक्सर हम चुदाई खत्म करने के बाद बातें करते थे।
मैंने कम्मो से उसके पति के बारे में पूछना शुरू किया, जैसे कि उसका पति उसको कैसे चोदता था और रात में कितनी बार वह झड़ती थी।

कम्मो ने बताना शुरू किया कि उसके पति ने सुहागरात को ही उसको बता दिया था कि शादी से पहले एक स्त्री के साथ उसके सम्बन्ध थे और वो उससे उम्र में 10 साल बड़ी थी लेकिन बहुत ही कामातुर औरत थी। उसका पति खस्सी बकरा था और किसी भी औरत से वो यौन सम्बन्ध के लायक नहीं थ, उस औरत ने मेरे पति को पूरी तरह से चुदाई में माहिर कर दिया था, लेकिन उनके सम्बन्ध के कारण वो गर्भवती हो गई थी और उसने बड़ी होशियारी से इस बच्चे का पिता अपने पति को बना दिया था। उस औरत का पति बड़ा ही खुश था कि इतने सालों बाद उसके संतान हो रही थी।

इधर कम्मो का जीवन अपने पति के साथ बड़ा ही अच्छा चल रहा था, उसका पति शुरू शुरू में उसको हर रात 5-6 बार ज़रूर चोदता था। फिर शादी को कुछ समय हो जाने बाद वह हर रात 1-2 बार की चुदाई पर आ गए थे, हर बार कम्मो का ज़रूर छूटता था।

कुछ साल उसके बड़े ही अच्छे बीते लेकिन फिर एक दिन उसका खेत में गया और वापस ही नहीं आया, उसको एक सांप ने खेत में डस लिया था और जब तक अस्पताल जाते वह समाप्त हो गया था।

कम्मो का जीवन एकदम वीरान हो गया क्यूंकि उसका पति अभी बच्चे नहीं चाहता था तो उसने बच्चा भी नहीं होने दिया।

कम्मो की जीवन कहानी बड़ी ही दर्दभरी थी लेकिन वो यही कहती थी कि विधि के विधान के आगे हम सब मजबूर हैं।

उसने यह भी बताया कि उसके पति के जाने के बाद मैं ही उसका पहला मर्द था जो उसकी चूत में लंड डाल सका था।

मेरे पूछने पर कि ‘वो क्या करती थी जब उसको काम वेग सताता था?’ उसने हंस कर बात टाल दी और कहा फिर कभी बताऊँगी।

कहानी जारी रहेगी।



अगले भाग मेरा गुप्त जीवन -7 में पढ़े - नौकर-नौकरानी, चुदास, हस्तमैथुन


कम्मो, एक जवान विधवा, मेरी नौकरानी थी, उसने ही मुझे चुदाई करना सिखाया... कम्मो की सिखाई के बाद अब मुझको चोदना काफी हद तक आ चुका था और मेरा मुझ पर कंट्रोल भी अब पूरा हो चुका था। मेरा लंड भी 6-7 इंच का हो गया था और उसकी मोटाई भी काफी बढ़ गई थी। ...कहानी पढ़ कर मज़ा लें.


सोमू
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03-11-2021, 10:27 PM,
#7
RE: अन्तर्वासना कहानी - मेरा गुप्त जीवन 007
मेरा गुप्त जीवन -6 में आपने पढ़ा - नौकर-नौकरानी - कम्मो की कहानी- कुँवारी चूत, नंगा बदन


मेरा गुप्त जीवन -7 में पढ़े - नौकर-नौकरानी, चुदास, हस्तमैथुन


कम्मो, एक जवान विधवा, मेरी नौकरानी थी, उसने ही मुझे चुदाई करना सिखाया... कम्मो की सिखाई के बाद अब मुझको चोदना काफी हद तक आ चुका था और मेरा मुझ पर कंट्रोल भी अब पूरा हो चुका था। मेरा लंड भी 6-7 इंच का हो गया था और उसकी मोटाई भी काफी बढ़ गई थी। एक दिन मैं घोड़ों के अस्तबल गया तो वहाँ के रखवाले ने मुझे घोड़ी हरी करने का नजारा देखने बुलाया तो कम्मो के कहने पर मैं घोड़े घोड़ी की चुदाई देखने गया...कहानी पढ़ कर मज़ा लें.



कम्मो के सबक

एक दिन ऐसे ही घूमते हुए मैं अपने घोड़ों के अस्तबल की ओर निकल गया जहाँ का मुखिया राम सिंह था। तब वो घोड़ों को घुमा रहा था, मुझ देखते ही बोला- आओ छोटे मालिक, आज इधर कैसे आना हुआ?

मैं बोला- बहुत दिनों से घोड़ों को देखने नहीं आया था तो सोचा कि देखूं क्या हाल है सबका, कैसे चल रहे सब हैं? अब कितने घोड़े और कितनी घोड़ियाँ हैं?

रामू बोला- छोटे मालिक, अभी 6 घोड़े हैं और 10 घोड़ियाँ हैं, हर रोज़ लगभग 6-7 घोड़ियाँ दूसरी ज़मीनदारों से आती हैं हमारे यहाँ क्यूंकि हमारे 6 घोड़े बहुत बढ़िया नसल के हैं और उनके द्वारा पैदा किये हुए बच्चे बड़े ही उम्दा घोड़े या घोड़ियाँ बनते हैं। इससे काफी अच्छी आमदनी हो जाती है।

यह कह कर उसने मुझ को पूरा अस्तबल दिखाया और कहा- कल अगर दोपहर को आएँ तो घोड़ी को कैसे हरा किया जाता है, देख सकते हैं आप!
मैंने कहा- देखो कल आ सकता हूँ या नहीं!

फिर मैं वहाँ से चला आया। मैंने बात कम्मो को बताई तो वह बोली- ज़रूर जाना छोटे मालिक, वहाँ बड़ा गरम नज़ारा देखने को मिलेगा। कैसे घोड़ा घोड़ी को चोदता है देखने को मिलेगा। बाप रे बाप… घोड़े का कितना लम्बा और मोटा लंड होता है, तौबा रे… हम औरतें वहाँ नहीं जा सकती क्यूंकि औरतों का वहाँ जाना मना है, लेकिन छोटे मालिक आप ज़रूर जाना कल… बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा आप को!

यह कह कर उसने मुझको आँख मारी और मैंने फैसला कर लिया कि कल ज़रूर जाऊँगा अस्तबल।

जैसा कि मैंने सोचा था, स्कूल से वापस आने के बाद मैं अस्तबल की तरफ चल दिया। वहाँ पहुँचा तो राम सिंह एक घोड़े को एक घोड़ी के चारों और घुमा रहा था।

घोड़ा रुक रुक कर घोड़ी की चूत को सूंघता था और फिर घूमने लगता था। ऐसा कुछ 4-5 मिनट हुआ और फिर वो घोड़ी के पीछे खड़ा हो गया और उसकी चूत को सूंघने लगा।

देखते देखते ही उसका लंड एकदम बाहर निकल आया और बहुत लम्बा होता गया, वो काफी मोटा भी था और फिर घोड़ा एकदम ज़ोर से हिनहिनाया और झट घोड़ी के ऊपर चढ़ गया और उसका 2 फ़ीट का लंड एकदम घोड़ी की चूत में घुस गया और घोड़ा ज़ोर ज़ोर से अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा और फिर 2-3 मिनट में घोड़े का पानी छूट गया और वो नीचे उतर आया।

यह देखते हुए मेरा भी लंड तन गया और मैं भी जल्दी से घर की ओर चल पड़ा। मेरा दिल यह चाह रहा था कि मैं भी किसी लड़की के ऊपर चढ़ जाऊँ।

मैं थोड़ी दूर ही गया था कि मुझ को शी शी की आवाज़ सुनाई दी।

जिधर से आवाज़ आई थी, उधर देखा तो कम्मो हाथ से इशारा कर रही थी और अपने पीछे आने को कह रही थी।

मैं काम के वश में था तो बिना कुछ सोचे समझे उसके पीछे चल पड़ा। वो जल्दी चलती हुए एक छोटी सी कुटिया में घुस गई और मैं भी उसके पीछे घुस गया, देखा कि एक साफ़ सुथरी कुटिया थी जिसमें एक चारपाई बिछी थी और साफ़ सुथरी सफ़ेद चादर उस पर पड़ी थी।


मैंने घुसते ही कम्मो को दबोच लिया, ताबड़ तोड़ उसको चूमने लगा और झट से अपनी पैंट को उतार फ़ेंक दिया और उसकी साड़ी को ऊपर कर के अपना तना हुआ लंड चूत में डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा।

कम्मो की चूत भी पूरी गीली हो रही थी तो ‘फिच फिच’ की आवाज़ आने लगी और थोड़े ही समय में ही उसके मुंह से ‘आह आह ओह ओह…’ की आवाज़ें निकल रही थी और उसने मुझको कस कर भींच लिया और अपनी गोल बाहों में जकड़ लिया और फिर ज़ोर से उस के चूतड़ ऊपर को उठे और मेरे लंड को पूरा अंदर लेकर अपनी जांघों में बाँध लिया और फिर मैं कोशिश करने के बावजूद भी झड़ गया।

मैंने जल्दी से उसको सॉरी बोला लेकिन वो आँखें बंद करके पड़ी रही, कुछ न बोली और न उसने मुझको अपनी बाहों से आज़ाद किया। कोई 5 मिनट हम ऐसे ही लेटे रहे और फिर मैंने महसूस किया कि मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया है और मैंने धीरे से धक्के मारने शुरु कर दिए और तब उसने आँखें खोली, हैरानी से मुझको देखने लगी, हँसते हुए बोली- फिर खड़ा हो गया क्या?

मैंने भी हाँ में सर हिला दिया और फिर हम दोनों की चूत और लंड की लड़ाई चालू हो गई। कोई 10 मिनट बाद कम्मो फिर से झड़ गई लेकिन मेरा लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था और हमारी जंग जारी रही। अब जब कम्मो ने पानी छोड़ा तो उसने मुझको अपने ऊपर से हटा दिया और एकदम थक कर लेट गई, थोड़ी देर बाद बोली- छोटे मालिक, आज आपने फिर अंदर छूटा दिया?

‘सॉरी कम्मो, मैं इतनी मस्ती में था कि अपने को रोक नहीं सका! अब क्या होगा?’

वह हंस कर बोली- कोई बात नहीं। आजकल में मेरी मासिक शुरू होने वाली है तो कोई डर वाली बात नहीं है। पर आज तुमने तो कमाल कर दिया छूटने के बाद भी तुम्हारा नहीं बैठा?

और यह कह कर वो मेरे लंड के साथ खेलने लगी और मेरा लंड झट से फिर खड़ा हो गया, फिर से उसके ऊपर चढ़ने की मैंने कोशिश की लेकिन कम्मो ने मना कर दिया और बोली- आज घोड़े का तमाशा देखा क्या?

मैं बोला- हाँ, बड़ी ही मस्त है उनकी चुदाई भी… देख कर जिस्म में आग लग गई थी जो तुमने वक्त पर आकर बुझा दी।

कम्मो बोली- मैंने भी देखा सारा तमाशा!

‘कैसे? कहाँ से देखा?’

‘है एक गुप्त जगह जो हम गाँव वाली लड़कियों को मालूम है सिर्फ। कभी कभी मन करता है तो आ जाती हैं दो या तीन और बाद में बहुत मस्ती करती हैं हम यहाँ इसी झोंपड़ी में…’

‘क्या मस्ती करती हो तुम लड़कियाँ?’

‘कभी किसी दिन बता दूंगी और दिखा भी दूंगी।’

फिर हम वहाँ से चल दिए पहले कम्मो निकली और बोल गई- आप कुछ देर बाद आना!

मैं भी 10 मिनट बाद वहाँ से चल दिया।

कहानी जारी रहेगी।

अगले भाग मेरा गुप्त जीवन -8 में पढ़े- नौकर-नौकरानी - खुले में चुदाई

कम्मो, एक जवान विधवा, मेरी नौकरानी थी, उसने मुझे चुदाई करना सिखाया... मुझको चोदना काफी हद तक आ चुका था और मेरा मुझ पर कंट्रोल भी अब पूरा हो चुका था। मेरा लंड भी 6-7 इंच का हो गया था और उसकी मोटाई भी काफी बढ़ गई थी। एक दिन मैं घोड़ों के अस्तबल गया तो वहाँ के रखवाले ने मुझे घोड़ी हरी करने का नजारा देखने बुलाया तो कम्मो के कहने पर मैं घोड़े घोड़ी की चुदाई देखने गया… उसके बाद क्या हुआ… कहानी पढ़ कर मज़ा लें...
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03-16-2021, 06:09 AM,
#8
RE: अन्तर्वासना कहानी - मेरा गुप्त जीवन 1
मेरा गुप्त जीवन -7 में आपने पढ़ा - नौकर-नौकरानी -चुदास, हस्तमैथुन

अगले भाग मेरा गुप्त जीवन -8 में पढ़े- नौकर-नौकरानी - खुले में चुदाई

कम्मो, एक जवान विधवा, मेरी नौकरानी थी, उसने मुझे चुदाई करना सिखाया... मुझको चोदना काफी हद तक आ चुका था और मेरा मुझ पर कंट्रोल भी अब पूरा हो चुका था। मेरा लंड भी 6-7 इंच का हो गया था और उसकी मोटाई भी काफी बढ़ गई थी। एक दिन मैं घोड़ों के अस्तबल गया तो वहाँ के रखवाले ने मुझे घोड़ी हरी करने का नजारा देखने बुलाया तो कम्मो के कहने पर मैं घोड़े घोड़ी की चुदाई देखने गया...कहानी पढ़ कर मज़ा लें.

घोड़ी हरी करने का नजारा

एक दिन ऐसे ही घूमते हुए मैं अपने घोड़ों के अस्तबल की ओर निकल गया जहाँ का मुखिया राम सिंह था। तब वो घोड़ों को घुमा रहा था, मुझ देखते ही बोला- आओ छोटे मालिक, आज इधर कैसे आना हुआ?



मैं बोला- बहुत दिनों से घोड़ों को देखने नहीं आया था तो सोचा कि देखूं क्या हाल है सबका, कैसे चल रहे सब हैं? अब कितने घोड़े और कितनी घोड़ियाँ हैं?



रामू बोला- छोटे मालिक, अभी 6 घोड़े हैं और 10 घोड़ियाँ हैं, हर रोज़ लगभग 6-7 घोड़ियाँ दूसरी ज़मीनदारों से आती हैं हमारे यहाँ क्यूंकि हमारे 6 घोड़े बहुत बढ़िया नसल के हैं और उनके द्वारा पैदा किये हुए बच्चे बड़े ही उम्दा घोड़े या घोड़ियाँ बनते हैं। इससे काफी अच्छी आमदनी हो जाती है।



यह कह कर उसने मुझ को पूरा अस्तबल दिखाया और कहा- कल अगर दोपहर को आएँ तो घोड़ी को कैसे हरा किया जाता है, देख सकते हैं आप!



मैंने कहा- देखो कल आ सकता हूँ या नहीं!



फिर मैं वहाँ से चला आया। मैंने बात कम्मो को बताई तो वह बोली- ज़रूर जाना छोटे मालिक, वहाँ बड़ा गरम नज़ारा देखने को मिलेगा। कैसे घोड़ा घोड़ी को चोदता है देखने को मिलेगा। बाप रे बाप… घोड़े का कितना लम्बा और मोटा लंड होता है, तौबा रे… हम औरतें वहाँ नहीं जा सकती क्यूंकि औरतों का वहाँ जाना मना है, लेकिन छोटे मालिक आप ज़रूर जाना कल… बहुत कुछ सीखने को भी मिलेगा आप को!



यह कह कर उसने मुझको आँख मारी और मैंने फैसला कर लिया कि कल ज़रूर जाऊँगा अस्तबल।



जैसा कि मैंने सोचा था, स्कूल से वापस आने के बाद मैं अस्तबल की तरफ चल दिया। वहाँ पहुँचा तो राम सिंह एक घोड़े को एक घोड़ी के चारों और घुमा रहा था।



घोड़ा रुक रुक कर घोड़ी की चूत को सूंघता था और फिर घूमने लगता था। ऐसा कुछ 4-5 मिनट हुआ और फिर वो घोड़ी के पीछे खड़ा हो गया और उसकी चूत को सूंघने लगा।



देखते देखते ही उसका लंड एकदम बाहर निकल आया और बहुत लम्बा होता गया, वो काफी मोटा भी था और फिर घोड़ा एकदम ज़ोर से हिनहिनाया और झट घोड़ी के ऊपर चढ़ गया और उसका 2 फ़ीट का लंड एकदम घोड़ी की चूत में घुस गया और घोड़ा ज़ोर ज़ोर से अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा और फिर 2-3 मिनट में घोड़े का पानी छूट गया और वो नीचे उतर आया।



यह देखते हुए मेरा भी लंड तन गया और मैं भी जल्दी से घर की ओर चल पड़ा। मेरा दिल यह चाह रहा था कि मैं भी किसी लड़की के ऊपर चढ़ जाऊँ।



मैं थोड़ी दूर ही गया था कि मुझ को शी शी की आवाज़ सुनाई दी।

जिधर से आवाज़ आई थी, उधर देखा तो कम्मो हाथ से इशारा कर रही थी और अपने पीछे आने को कह रही थी।



मैं काम के वश में था तो बिना कुछ सोचे समझे उसके पीछे चल पड़ा। वो जल्दी चलती हुए एक छोटी सी कुटिया में घुस गई और मैं भी उसके पीछे घुस गया, देखा कि एक साफ़ सुथरी कुटिया थी जिसमें एक चारपाई बिछी थी और साफ़ सुथरी सफ़ेद चादर उस पर पड़ी थी।



मैंने घुसते ही कम्मो को दबोच लिया, ताबड़ तोड़ उसको चूमने लगा और झट से अपनी पैंट को उतार फ़ेंक दिया और उसकी साड़ी को ऊपर कर के अपना तना हुआ लंड चूत में डाल दिया और ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा।



कम्मो की चूत भी पूरी गीली हो रही थी तो ‘फिच फिच’ की आवाज़ आने लगी और थोड़े ही समय में ही उसके मुंह से ‘आह आह ओह ओह…’ की आवाज़ें निकल रही थी और उसने मुझको कस कर भींच लिया और अपनी गोल बाहों में जकड़ लिया और फिर ज़ोर से उस के चूतड़ ऊपर को उठे और मेरे लंड को पूरा अंदर लेकर अपनी जांघों में बाँध लिया और फिर मैं कोशिश करने के बावजूद भी झड़ गया।



मैंने जल्दी से उसको सॉरी बोला लेकिन वो आँखें बंद करके पड़ी रही, कुछ न बोली और न उसने मुझको अपनी बाहों से आज़ाद किया। कोई 5 मिनट हम ऐसे ही लेटे रहे और फिर मैंने महसूस किया कि मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया है और मैंने धीरे से धक्के मारने शुरु कर दिए और तब उसने आँखें खोली, हैरानी से मुझको देखने लगी, हँसते हुए बोली- फिर खड़ा हो गया क्या?



मैंने भी हाँ में सर हिला दिया और फिर हम दोनों की चूत और लंड की लड़ाई चालू हो गई। कोई 10 मिनट बाद कम्मो फिर से झड़ गई लेकिन मेरा लंड बैठने का नाम ही नहीं ले रहा था और हमारी जंग जारी रही। अब जब कम्मो ने पानी छोड़ा तो उसने मुझको अपने ऊपर से हटा दिया और एकदम थक कर लेट गई, थोड़ी देर बाद बोली- छोटे मालिक, आज आपने फिर अंदर छूटा दिया?



‘सॉरी कम्मो, मैं इतनी मस्ती में था कि अपने को रोक नहीं सका! अब क्या होगा?’



वह हंस कर बोली- कोई बात नहीं। आजकल में मेरी मासिक शुरू होने वाली है तो कोई डर वाली बात नहीं है। पर आज तुमने तो कमाल कर दिया छूटने के बाद भी तुम्हारा नहीं बैठा?



और यह कह कर वो मेरे लंड के साथ खेलने लगी और मेरा लंड झट से फिर खड़ा हो गया, फिर से उसके ऊपर चढ़ने की मैंने कोशिश की लेकिन कम्मो ने मना कर दिया और बोली- आज घोड़े का तमाशा देखा क्या?



मैं बोला- हाँ, बड़ी ही मस्त है उनकी चुदाई भी… देख कर जिस्म में आग लग गई थी जो तुमने वक्त पर आकर बुझा दी।



कम्मो बोली- मैंने भी देखा सारा तमाशा!



‘कैसे? कहाँ से देखा?’



‘है एक गुप्त जगह जो हम गाँव वाली लड़कियों को मालूम है सिर्फ। कभी कभी मन करता है तो आ जाती हैं दो या तीन और बाद में बहुत मस्ती करती हैं हम यहाँ इसी झोंपड़ी में…’



‘क्या मस्ती करती हो तुम लड़कियाँ?’



‘कभी किसी दिन बता दूंगी और दिखा भी दूंगी।’



फिर हम वहाँ से चल दिए पहले कम्मो निकली और बोल गई- आप कुछ देर बाद आना!



मैं भी 10 मिनट बाद वहाँ से चल दिया।



कहानी जारी रहेगी।



अगले भाग मेरा गुप्त जीवन -9 में पढ़े- नौकर-नौकरानी - चुदास, नंगा बदन, बड़ा लंड


कम्मो, एक जवान विधवा, मेरी नौकरानी थी, उसने मुझे चुदाई करना सिखाया... लेकिन एक दिन वो गायब ही हो गई… मम्मी ने मेरे लिये एक नई नौकरानी का इन्तजाम कर दिया…

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04-25-2021, 05:05 AM,
#9
RE: अन्तर्वासना कहानी - मेरा गुप्त जीवन 1
Update 09

मेरा गुप्त जीवन -9 में पढ़े- नौकर-नौकरानी - चुदास, नंगा बदन, बड़ा लंड



कम्मो, एक जवान विधवा, मेरी नौकरानी थी, उसने मुझे चुदाई करना सिखाया... लेकिन एक दिन वो गायब ही हो गई… मम्मी ने मेरे लिये एक नई नौकरानी का इन्तजाम कर दिया…


मेरा गुप्त जीवन 9

 
कम्मो गई और चम्पा आई
 
मेरा जीवन कम्मो के साथ बड़े आनन्द के साथ चल रहा था, वह रोज़ मुझको काम क्रीड़ा के बारे में कुछ न कुछ नई बात बताती थी जिसको मैं पूरे ध्यान से सुनता था और भरसक कोशिश करता था कि उसके सिखाये हुए तरीके इस्तमाल करूँ और जिस तरह वह मेरे साथ चुदाई के बाद मुझको चूमती चाटती थी, यह साबित करता था कि मैं उसके बताये हुए तरीकों का सही इस्तेमाल कर रहा हूँ।
 
और धीरे धीरे मुझको लगा कि कम्मो को मुझसे चुदवाने की आदत सी बनती जा रही थी और मैं भी उसे चोदे बिना नहीं रह पाता था। हर महीने वो चार दिन मेरे पास नहीं आती थी और बहुत पूछने पर भी कारण नहीं बताती थी।
बहुत पूछने की कोशिश की लेकिन वो इस बारे में कोई बात कर के राज़ी ही न थी। हाँ इतना ज़रूर कहती जब मैं शादी करूंगा तो समझ जाऊंगा।
वो महीने के चार दिन मेरे बड़ी मुश्कल से गुज़रते थे, 5-6 दिन बाद वो खुद ही मेरे कमरे में दोपहर में आ जाती थी और हमारा चुदाई का दौर फिर ज़ोरों से शुरू हो जाता था।
 
उसने कई बार मेरे छूटने के बाद मुझ को लंड चूत के बाहर नहीं निकालने दिया था और कुछ मिन्ट में मेरा लंड फिर चूत में ही खड़ा हो जाता था और मैं फिर से चुदाई शुरू कर देता था। कई बार उसने आज़मा के देख लिया था कि मेरा लंड चूत के अंदर ही दुबारा खड़ा हो जाता था और मैं छूटने के बाद भी चुदाई जारी रख सकता था।
 
वो कहती थी कि मुझमें चोदने की अपार शक्ति है और शायद भगवान ने मुझको इसी काम के लिए ही बनाया है। उसने यह भी बताया कि मेरे अंदर से बहुत ज़यादा वीर्य निकलता है जो 3-4 औरतों को एक साथ गर्भवती कर सकने की ताकत रखता है।
 
अब मेरे लंड की लम्बाई तकरीबन 7 इंच की हो गई थी और खासा मोटा भी हो गया था। कम्मो हर हफ्ते उसका नाप लेती थी और कॉपी में लिखती जाती थी। उसका कहना था कि वो जो तेल की मालिश करती थी शायद उससे यह लम्बा और अच्छा मोटा हो गया है।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
 
लेकिन वो अभी भी हैरान हो जाती थी जब उसके हाथ लगाते ही मेरा लंड लोहे की माफिक सख्त हो जाता था। अब वो चुदाई के दौरान 2-3 बार छूट जाती थी क्योंकि मैंने महसूस किया था कि जब वो छूटने वाली होती थी वो कस के मुझको अपनी बाहों में जकड़ लेती थी और अपनी दोनों टांगों से मेरी कमर को कस के दबा लेती थी और ज़ोर से कांपती थी और फिर एकदम ढीली पड़ जाती थी।
 
हालाँकि वो बताती नहीं थी लेकिन मैं अब उसकी आदतों से पूरा वाकिफ़ हो गया था और बड़ा आनन्द लेता था जब उसका छूटना शुरू होता था।
फिर उसने मुझको सिखाया कि कैसे औरतों के छूटने के बाद लंड को बिना हिलाये अंदर ही पड़ा रहने दो तो उनको बहुत आनन्द आता है और जल्दी दुबारा चुदाई के लिए तैयार हो जाती हैं।
उसके सिखाये हुए सबक मेरे जीवन में मुझको बहुत काम आये और शायद यही कारण है कि जो भी स्त्री मेरे संपर्क में आती वह जल्दी मेरा साथ नहीं छोड़ती थी और मेरे साथ ही सम्भोग करने की सदा इच्छुक रहती थी।
 
और एक दिन कम्मो नहीं आई और पता किया गया तो पता चला कि वो गाँव छोड़ कर किसी के संग भाग गई थी। किसी ने देखा तो नहीं लेकिन ऐसा अंदाजा है कि वो अपने गाँव से बाहर वाले आदमी के साथ ही भागी है।
पर कैसे यकीन किया जाए कि कम्मो के साथ कोई दुर्घटना तो नहीं हो गई?
 
मैंने मम्मी और पापा पर ज़ोर डाला कि पता करना चाहिये आखिर क्या हुआ उसको?
लेकिन बहुत दौड़ धूप के बाद भी कुछ पता नहीं चला।
मैं बेहद निराश था क्योंकि मेरा मौज मस्ती भरा जीवन एकदम बिखर गया। मम्मी ने कोशिश करके एक और औरत को मेरे लिए काम पर रख लिया।
उसका नाम था चम्पा।
 
कम्मो के जाने के कुछ दिनों बाद ही वो काम पर आ गई थी, उसको देखते ही मुझको लगा कि इस लड़की को मैंने पहले कहीं देखा है। बहुत ज़ोर डाला तो याद आया कि इसको तो नदी के किनारे नहाते हुए देखा था और इसने मेरी छुपने वाली जगह के सामने ही कपड़े बदले थे।
 
वो नज़ारा याद आते ही मेरा लंड पूरे ज़ोर से खड़ा हो गया क्यूंकि इसके स्तन बड़े ही गोल और गठे हुए दिखे थे और चुचूक भी काफी मोटे थे बाहर निकले हुए ! चूत पर काली झांटों का राज्य था, कमर और पेट एकदम उर्वशी की तरह एकदम गोल और गठा हुआ था, उसके नितम्ब एकदम गोल और काफी उभरे हुए थे।
 
थोड़ी देर बाद मम्मी चम्पा को लेकर मेरे कमरे में आई और उसको मुझ से मिलवाया।
वह मुझ को देख कर धीरे से मुस्करा दी और बोली- नमस्ते छोटे मालिक!
मैंने भी अपना सर हिला दिया।
मम्मी के सामने मैंने उसकी तरफ देखा भी नहीं और ऐसा बैठा रहा जैसे कि मुझको चम्पा से कुछ लेना देना नहीं।
 
मम्मी उसको समझाने लगी- सुनो चम्पा, सोमू भैया को सुबह बिस्तर में चाय पीने की आदत है, तुम रोज़ सुबह सोमू के लिए चाय लाओगी और चाय पिला कर उसका कप वापस रसोई में ले जाओगी और फिर आकर सोमू की स्कूल ड्रेस जो अलमारी में हैंगर पर लटकी है, वह बाहर लाकर उसके बेड पर रख दोगी और फिर उसके स्कूल वाले बूट पोलिश करके, उसका रुमाल वगैरा मेज पर रख देना। इसी तरह जब सोमू स्कूल से आये तो तुम इस कमरे में आ जाना और उसका खाना इत्यादि उसको परोस देना। और उसके कपड़े भी धो देना। समझ गई न?
 
यह कह कर मम्मी चली गई।
अब मैंने चम्पा को गौर से दखना शुरू किया।
वो मुझको घूरते देख पहले तो शरमाई और फिर सर झुका कर खड़ी रही।
मैंने देखा कि वो एक सादी सी धोती और लाल ब्लाउज पहने थी, उसने अपने वक्ष अच्छी तरह से ढके हुए थे। उस सादी पोशाक में भी उसकी जवानी छलक रही थी।
 
उसने झिझकते हुए पूछा- सोमु भैया, मैं रुकूँ या जाऊँ बाहर?
मैं बोला- चम्पा, तुम मेरे लिए एक गरमागरम चाय ले आओ।
 
‘जी अच्छा… लाई!’ कह कर वो चली गई और थोड़ी देर में चाय ले कर आगई।
तब मैंने उससे पूछा- क्या तुम कम्मो को जानती हो?
वो बोली- हाँ सोमू भैया। वो मेरे साथ वाली झोंपड़ी में ही तो रहती थी।
‘तो फिर तुम ज़रूर जानती होगी कि वो कहाँ गई?’
‘नहीं भैया जी, गाँव में कोई नहीं जानता वो कहाँ गई और क्यों गई? बेचारी की बूढ़ी माँ है, पीछे उसको अब खाने के लाले पड़ गए हैं। कहाँ से खाएगी वो बेचारी? अभी तक तो गाँव वाले उसको थोड़ा बहुत खाना दे आते हैं लेकिन कब तक?
 
मैं कुछ देर सोचता रहा फिर बोला- क्या तुम उसकी माँ को यहाँ से खाना भिजवा दिया करोगी? मैं मम्मी से बात कर लूंगा।
वो बोली- ठीक है भैया जी!
और मम्मी से बात की तो वो मान गई और उसी वक्त चम्पा को हुक्म दिया कि दोनों वक्त का खाना कम्मो की माँ को चम्पा पहुँचा दिया करेगी।
 
अब मैं चम्पा को पटाने की तरकीब सोचने लगा, कुछ सूझ नहीं रहा था और इसी बारे में सोचते हुए मैं सो गया।
सुबह जब आँख खुली तो चम्पा चाय का कप लिए खड़ी थी। मैंने जल्दी से चादर उतारी और कप लेने के लिए हाथ आगे किया तो देखा की चम्पा मेरे पायजामे को देख रही थी।
जब मैंने उस तरफ देखा तो मेरा लंड एकदम अकड़ा खड़ा था, एक तम्बू सा बन गया था खड़े लंड के कारण और चम्पा की नज़रें उसी पर टिकी थी।
 
मैंने भी चुपचाप चाय ले ली और धीरे से गर्म चाय पीने लगा। मेरा लंड अब और भी तन गया था और थोड़ा थोड़ा ऊपर नीचे हो रहा था। चम्पा इस नाटक को बड़े ही ध्यान से देख रही थी। जब तक चम्पा खड़ी रही लंड भी अकड़ा रहा।
जब वो कप लेकर वापस गई तो तब ही वो बैठा अब मुझको चम्पा को पटाने का तरीका दिखने लगा।
 
अगले दिन मैं चम्पा के आने से पहले ही जाग गया, हाथ से लंड खड़ा कर लिया, उसको पायजामे से बाहर कर दिया और ऊपर फिर से चादर डाल दी और आँखें बंद करके सोने का नाटक करने लगा।
 
जब चम्पा ने आकर बोला- चाय ले लीजये।
मैंने झट से आँखें खोली और अपने ऊपर से चादर हटा दी और मेरा अकड़ा लंड एकदम बाहर आ गया।
मैंने ऐसा व्यवहार किया जैसे मुझ को कुछ मालूम ही नहीं और उधर चम्पा की नज़र एकदम लंड पर टिक गई थी।
 
मैं चाय लेकर चुस्की लेने लगा और चम्पा को भी देखता रहा। उसका हाथ अपने आप अब धोती के ऊपर ठीक अपनी चूत पर रखा था और उसकी आँखें फटी रह गई थी।
चाय का खाली कप ले जाते हुए भी वो मुड़ कर मेरे लंड को ही देख रही थी।
अब मैं समझ गया कि वो लंड की प्यासी है।
 
उसके जाने के बाद मैंने कॉल बैल दबा दी, और जैसे ही चम्पा आई, मैंने पायजामा ठीक करते हुए उससे कहा- मेरे स्कूल के कपड़े निकाल दो।
 
और वो जल्दी से अलमारी से मेरी स्कूल ड्रेस निकालने लगी।
मैं चुपके से उसके पीछे गया और उस मोटे नितम्बों को हाथ से दबा दिया।

कहानी जारी रहेगी।

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05-02-2021, 07:36 PM,
#10
RE: अन्तर्वासना कहानी - मेरा गुप्त जीवन 1
मेरा गुप्त जीवन 10

चम्पा की पहली चूत चुदाई

चाय का खाली कप ले जाते हुए भी वो मुड़ कर मेरे लंड को ही देख रही थी।

अब मैं समझ गया कि वो लंड की प्यासी है।

उसके जाने के बाद मैंने कॉल बैल दबा दी, और जैसे ही चम्पा आई, मैंने पायजामा ठीक करते हुए उससे कहा- मेरे स्कूल के कपड़े निकाल दो।

और वो जल्दी से अलमारी से मेरी स्कूल ड्रेस निकालने लगी।

मैं चुपके से उसके पीछे गया और उस मोटे नितम्बों को हाथ से दबा दिया।

उसने मुड़ के देखा और मुझ को देख कर हल्के से मुस्करा दी।

मैंने झट उसको बाँहों में भर लिया, वो थोड़ा कसमसाई और धीरे से बोली- कोई आ जाएगा, मत करो अभी!

मैंने उसको सीधा करके उसके होंटों को चूम लिया और पीछे हट गया।

यह अच्छा ही हुआ क्यूंकि मैंने मम्मी के आने की आवाज़ सुनी जो मेरे ही कमरे की तरफ ही आ रही थी।

मैं झट से बेड पर लेट गया।

मम्मी ने आते ही कहा- गुड मॉर्निंग सोमू बेटा, उठ गए क्या?

‘गुड मॉर्निंग मम्मी, मैं अभी ही उठा था… चाय पी ली है और चम्पा आंटी मेरे स्कूल के कपड़े निकाल रही है!’

मम्मी बोली- मैं यह बताने आई थी, मैं आज दिन और रात के लिए पड़ोस वाले गाँव जा रही हूँ। तुम अकेले घबराओगे तो नहीं? वैसे चम्पा तुम्हारे कमरे में ही सोयेगी, जैसे कम्मो सोती थी… ठीक है बेटा? और चम्पा, तुम अम्मा से बिस्तर ले लेना और अब दिन और रात को सोमू के कमरे में ही सोया करना! ठीक है?

चम्पा ने हाँ में सर हिलाया।

यह कह कर मम्मी तेज़ी से बाहर निकल गई।

और इससे पहले की चम्पा बाहर जाती, मैंने फिर उसको बाँहों में भर लिया और जल्दी से उसके होटों को चूम लिया। चम्पा अपने को छुड़ा कर जल्दी से बाहर भाग गई।

मैं बड़ा ही खुश हुआ कि काम इतनी जल्दी सेट हो जायेगा मुझको उम्मीद नहीं थी। मुझको मालूम था कि खड़े लंड का अपना अलग जादू होता है।

मैंने आगे चल कर जीवन में खड़े लौड़े की करामात कई बार देखी। जहाँ भी कोई स्त्री मेरे प्यार के जाल में नहीं फंसती थी, वहीं मैं हमेशा खड़े लौड़े वाली ट्रिक इस्तेमाल करता था और वो स्त्री या लड़की तुरंत मेरी ओर आकर्षित हो जाती थी।

स्कूल से आया तो कमरे में आकर सिर्फ बनियान और कच्छे में बिस्तर पर लेट गया।

चम्पा आई और मेरा खाना परोसने लगी।

मैंने पूछा- मम्मी चली गई क्या?

चम्पा मुस्कराई और बोली- हाँ सोमू भैया!

‘देखो चम्पा। तुम मुझको भैया न बुलाया करो, सिर्फ सोमू कहो ना… अच्छा यह बताओ आज मैंने सुबह तुमको चूमा, कुछ बुरा तो नहीं लगा?’

चम्पा बोली- नहीं सोमू भइया लेकिन वक्त देख कर यह करो तो ठीक रहेगा क्यूंकि किसी ने देख लिया तो मैं बदनाम हो जाऊँगी।

‘ठीक है, जाओ ये खाने के बर्तन रख आओ और खाना खाकर वापस आ जाओ, मैं तुम्हारी राह देख रहा हूँ!’

वो आधे घंटे में खाना खाकर वापस आ गई, जैसे ही वो कमरे में आई, मैंने झपट कर उसको बाँहों में दबोच लिया, कस कर प्यार की झप्पी दी जिसमें उसके उन्नत उरोज मेरी छाती में धंस गए। मेरा कद अब लगभग 5’7″ फ़ीट हो गया था और वो सिर्फ 5’3″ की थी।

उसको चूमते हुए मैंने उसके स्तनों को दबाना शुरू कर दिया और देखा कि उसके पतले ब्लाउज में उसकी चूचियों में एकदम अकड़न आ गई थी।

मैं उसको जल्दी से अपने बिस्तर पर ले गया और लिटा दिया और झट अपना कच्छा उतार दिया और उसका हाथ अपने खड़े लौड़े पर धर दिया।

वो भी मेरे लौड़े से खेलने लगी।

मैंने उसकी धोती उतारे बगैर उसको ऊपर कर दिया और काले बालों से घिरी उसकी चूत पर हाथ फेरा तो वो एकदम गीली हो चुकी थी और उसका पानी बाहर बहने वाला हो रहा था। मैंने झट उसकी टांगों में बैठा और अपना लंड उसकी चूत के मुंह पर रख दिया और चम्पा की तरफ देखा।

उसने आँखें बंद कर रखी थी और उसके होंट खुले थे!

एक धक्के में ही पूरा का पूरा लौड़ा उसकी कसी चूत में घप्प करके घुस गया और उसके मुख से हल्की सिसकारी निकल गई। मैं कुछ क्षण बिना हिले उसके ऊपर लेटा रहा और तभी मैंने महसूस किया कि चम्पा के चूतड़ हल्के से नीचे से थाप दे रहे हैं।

और मेरे लौड़े को पहली बार इतनी रसीली चूत मिली, वो तो चिकने पानी से लबालब भरी हुई थी।

मैं धीरे धीरे धक्के मारने लगा, पूरा का पूरा लंड चूत के मुंह तक बाहर लाकर फिर ज़ोर से अंदर डाल देता था। कोई 10-15 धक्कों के बाद मैंने महसूस किया चम्पा कि चूत अंदर से खुल रही और बंद हो रही थी और जल्दी ही चम्पा ने मुझको ज़ोर से अपने बदन से चिपका लिया और अपनी जाँघों से मेरी कमर को कस कर पकड़ लिया।

इससे पहले कि उसके मुख से कोई आवाज़ निकले, मैंने अपने होंट उसके होंटों पर रख दिए और कुछ देर तक उसका शरीर ज़ोर ज़ोर से कांपता रहा और फिर वो झड़ जाने के बाद एकदम ढीली पड़ गई।

लेकिन मैंने अब उसको फिर धीरे से चोदना शुरू किया। धीरे धीरे उसको फिर स्खलन की ओर ले गया और उसका दूसरी बार भी बहुत तीव्र स्खलन हो गया।

अब मैंने अपना लंड उसकी चूत में पड़ा रहने दिया और मैं उसके ऊपर लेट गया।

कुछ समय बाद मैंने उसको चूमना शुरू कर दिया, उसके उन्नत उरोजों और चुचूक चूसने लगा, एक ऊँगली उसकी चूत में डाल उसकी भगनासा को हल्के से मसलने लगा।

ऐसा करते ही चम्पा फिर से तैयार हो गई और अब उसने मुझ को बेतहाशा चूमना शुरू कर दिया और नीचे से चूत को लंड के साथ चिपकाने की कोशिश करने लगी।

मैंने फिर ऊपर से लंड से धक्के मारने शुरू कर दिए और इस बार मैं इतनी ज़ोर से धक्के मारने लगा कि चम्पा हांफ़ने लगी और करीब 10 मिन्ट के ज़ोरदार धक्कों से चम्पा फिर छूट गई और वह निढाल होकर टांगों को सीधा करने लगी लेकिन मैंने अपनी जांघों से उसको रोक दिया और धक्कों की स्पीड इतनी तेज़ कर दी कि कुछ ही मिनटों में ही मेरा फव्वारा लंड से छूट गया और चम्पा की चूत की गहराइयों में पहुँच गया।

अब मैं चम्पा के ऊपर से उतर कर बिस्तर पर आ गया, मैंने चम्पा का हाथ अपने लंड पर रख दिया और वो एकदम चौंक गई और हैरानी से बोली- सोमू, तुम्हारा लंड अभी भी खड़ा है? अरे यह कभी बैठता नहीं?

मैं बोला- चम्पा रानी, जब तक तुम यहाँ हो, यह ऐसे ही खड़ा रहेगा और तुम्हारी चूत को सलामी देता रहेगा।

‘ऐसा है क्या?’ वो बोली।

‘हाँ ऐसा ही है!’ मैंने कहा।

‘अच्छा रात को देखेंगे… अब तुम सो जाओ, मैं चलती हूँ, रात को आऊँगी।’

यह कह कर चम्पा चली गई।

उसके जाने के बाद लंड धीरे धीरे अपने आप बैठ गया और फिर मैं भी गहरी नींद सो गया।

कहानी जारी रहेगी।
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