XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
03-08-2021, 10:32 AM,
#61
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
अगले बारह घंटों तक, सतनाम अपने मां-बाप और बहन को मार देगा।” जगमोहन ने कहा—“अखबार छ: और सात के बीच तक बांट दिया जाता है। मैंने उस मकान के गेट के भीतर रबड़ लगा अखबार पड़ा देखा था।

“हम कुछ कर सकें, ये इस बात पर निर्भर है कि तुम्हें उस घर के बारे में पूर्वाभास हो जाए।”

“जब हादसे का पूर्वाभास हुआ है तो जगह का भी पूर्वाभास होगा।” जगमोहन ने दृढ़ स्वर में कहा-“पोतेबाबा बोलता है कि मुझे दो घंटे का वक्त मिलेगा और दो घंटों में मैं वहां तक नहीं पहुंच सकता ।” ।

“वो तुम्हारा मनोबल तोड़ना चाहता होगा। तभी ऐसी बातें उसने तुमसे कीं ।”

। “ये हो सकता है।” जगमोहन ने सिर हिलाया-“तुम क्या मेरे साथ चलोगे?” । ।

“हां, पक्का चलूंगा। मैं पूर्वाभास को सच होते, अपनी आंखों से देखना चाहता हूं।”

“ठीक है। मैं यहीं रहूंगा रात में।” जगमोहन बोला—“यहां से हम साथ ही...।”

“ऐसा तो नहीं कि पूर्वाभास तुम्हें सिर्फ अपने बंगले पर ही आए यहां...।”

पहली बार पूर्वाभास मुझे रमजान भाई के यहां हुआ था।

इसलिए ऐसा कुछ नहीं है। यहां भी सब ठीक रहेगा।” जगमोहन ने कहा और आंखें बंद कर लीं। उसके बाद काफी देर तक कमरे में खामोशी रहीं।

“मैं सोच रहा हूं कि पोतेबाबा को हमने बंदी बना लिया तो बहुत अच्छा होगा।” सोहनलाल कह उठा।

“इस बात की कोशिश अवश्य करेंगे। परंतु सफल होने में शक है। पोतेबाबा ताकतवर है।”

इतना ताकतवर कि चार लोगों की पकड़ से बच निकले।
” “कह नहीं सकता।”

रात के दस बज रहे थे। देवराज चौहान होटल के कमरे में था कि उसका फोन बजने लगा।

"हैलो ।” देवराज चौहान ने कॉलिंग स्विच दबाकर फोन कान से लगाया।

मैं लक्ष्मण दास, देवराज चौहान ।” लक्ष्मण दास की आवाज कानों में पड़ी।

कहो ।

” मोना चौधरी का कुछ पता चला?

” नहीं ।

” “वो तुम तक जल्दी ही पहुंचेगी। अभी सपन चड्ढा के मैनेजर से बात हुई। वो कह रहा था कि कल शायद वो मोना चौधरी के बारे में कुछ बताए। मैं उससे इस बारे में ज्यादा नहीं पूछ पाया।”

कोई खबर मिले तो बताना।” कहकर देवराज चौहान ने फोन बंद किया।

तभी दरवाजे पर थपथपाहट पड़ी। देवराज चौहान उठा और दरवाजे के पास आ पहुंचा।

कौन?”

पल-भर की खामोशी के बाद महाजन की आवाज कानों में पड़ी।
नीलू महाजन ।”
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03-08-2021, 10:32 AM,
#62
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
देवराज चौहान की आंखें सिकुड़ीं। मोना चौधरी का खास आदमी और यहां?
देवराज चौहान ने रिवॉल्वर निकालकर हाथ में ली और सावधानी से जरा-सा दरवाजा खोला।
महाजन को अकेले खड़ा पाया। दोनों की नजरें मिलीं।

“अकेले हो?” देवराज चौहान ने पूछा।
=

हां ।” महाजन मुस्करा पड़ा।

“कहो।

” वहीं खड़े देवराज चौहान ने कहा।

“भीतर आने को नहीं कहोगे?”

“मैं जानबूझ कर खतरे को बगल में नहीं बिठाता। मोना चौधरी ने तीन करोड़ में मेरे को मारने का काम हाथ में...।”

“पारसनाथ से पता चली ये बात। मैं तुमसे बात करने आया हूं। तुम्हें मारने नहीं आया।” महाजन बोला।

कोई भरोसा नहीं। तुम्हारे पास कोई हथियार है तो निकाल दो।”

महाजन ने जेब से रिवॉल्वर निकाली ।

इसे कमरे के भीतर फेंक दो।” महाजन ने ऐसा ही किया।

“भीतर आओ।” देवराज चौहान ने थोड़ा-सा और दरवाजा खोला। महाजन भीतर प्रवेश कर आया।

महाजन पर निगाह रखे देवराज चौहान ने दरवाजा बंद किया और बोला।
हाथ ऊपर करो। मैं तुम्हारी तलाशी लूंगा।”

महाजन ने दोनों हाथ ऊपर किए। देवराज चौहान ने सतर्कता से उसकी तलाशी ली। कोई हथियार नहीं मिला।

“ठीक है।” देवराज चौहान ने कहते हुए नीचे पड़ी उसकी रिवॉल्वर को ठोकर मारकर दूर किया और अपनी रिवॉल्वर जेब में रख ली। |

महाजन ने हाथ नीचे किए और बोला।
मैं तो सोच रहा था कि तुम नींद लेने के लिए बेड पर चल | गए हो ।”

“मुझ तक कैसे पहुंचे?"

दोपहर से हीं तुम्हें ढूंढ़ रहा था, जब तुम पारसनाथ से मिलकर गए थे तो पारसनाथ ने सारे हालात मुझे बताए। घंटा-भर पहले पारसनाथ के खास आदमी डिसूजा ने बताया कि तुम इस होटल में हो।” महाजन ने गम्भीर स्वर में कहा।

“तुम्हें ये खबर मोना चौधरी को देनी चाहिए थी।” देवराज चौहान मुस्कराकर बोला।

“मजे मत लो।” महाजन ने गहरी सांस ली।

क्यों—मैंने क्या गलत कह दिया। तीन करोड़ में मोना चौधरी ने मुझे मारने का ठेका...”

“गलत कर रही है बेबी।”

“तो ये बात तुम्हें मोना चौधरी को समझाने की कोशिश करनी चाहिए।”

“समझाया। मैंने और पारसनाथ ने, दोनों ने समझाया, परंतु तुम्हें लेकर वो गुस्से में है। जाने क्यों तुम्हारे नाम पर वो उछलती है।” कहते हुए महाजन ने देवराज चौहान को देखा–“वो पीछे हटने को तैयार नहीं।” ।

मुझसे क्या चाहते हो?” देवराज चौहान ने कहते हुए सिगरेट सुलगाई।।

मैं चाहता हूं तुम ही समझदारी दिखा दो।”
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03-08-2021, 10:32 AM,
#63
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
देवराज चौहान की निगाह महाजन पर जा टिकी ।

“तुम बेबी को चुनौती के तौर पर मत लो। उसे ढूंढना छोड़ दो। मुम्बई चले जाओ।”

“उससे क्या होगा?”

मुझे और पारसनाथ को वक्त मिल जाएगा कि हम बेबी को शांत कर सकें।”

। “ऐसी कोई वजह नहीं कि मैं तुम्हारी बात मानू ।” देवराज चौहान ने कहा।

“वजह बहुत खतरनाक है, तभी मैं तुम्हारे पास आया देवराज चौहान ।” महाजन ने गम्भीर स्वर में कहा_“जब-जब भी तुम और बेबी आमने-सामने पड़े हो, हमें पूर्वजन्म की दुनिया में प्रवेश करना पड़ा और मैं पूर्वजन्म का सफर अब नहीं करना चाहता, वहां कंपा देने वाले अंजाने खतरे भरे होते हैं, जो कि मेरी समझ से बाहर होते हैं। वो खतरनाक दुनिया है। तुम कुछ दिन के लिए बेबी के सामने मत आओ। तब तक मैं बेबी को समझा लूंगा कि...।”

“तुमने कैसे सोच लिया कि मैं तुम्हारी बात मानूंगा।”

तुम समझदार हो, मेरी बात को समझ...”

क्या मोना चौधरी समझदार नहीं है?” देवराज चौहान मुस्करा पड़ा।

महाजन देवराज चौहान को देखने लगा। देवराज चौहान ने कश लिया।

मैं इस आशा के साथ तुम्हारे पास आया था कि तुम मेरी बात को मान जाओगे।”

“तीन करोड़ में मोना चौधरी मेरी हत्या करने वाली है। ये बात जानकर मैं छिप नहीं सकता।” देवराज चौहान बोला।

ये जिद है तुम्हारी।।

और मोना चौधरी–उसके बारे में तुम क्या कहोगे?”

वो गुस्से में है, मैं उसे समझा लूंगा।”

तो यहां पर तुम वक्त बर्बाद कर रहे हो, जाकर उसे समझाओ। तुम्हें मेरे पास नहीं आना चाहिए था।”

“समझो मुझे देवराज चौहान, तुम्हारा और बेबी का टकराव, हमेशा पूर्वजन्म की यात्रा का बहाना साबित हुआ है।” महाजन ने अपने शब्दों पर जोर देकर कहा-

“क्या तुम्हें पूर्वजन्म की यात्रा करके खुशी होती है?” ।

डर भी नहीं लगता।” महाजन कसमसा उठा।

देवराज चौहान उठा और टहलने लगा। महाजन की तरफ से वो पूरी तरह सतर्क था।

तुम भी बेबी की तरह बेवकूफ हो।” देवराज चौहान मुस्कराया।

“तुम्हें मेरी बात मानकर पीछे हट जाना चाहिए।”

ये सलाह मोना चौधरी को दो ।”

“तुम मेरी बात की गम्भीरता नहीं समझ रहे तभी...।”

“मैं तो इतना जानता हूं कि तुम्हें मोना चौधरी को समझाना चाहिए। मुझे नहीं। शुरुआत उसने की है। उसे चाहिए था कि वो पार्टी को इंकार कर देती कि मुझे मारने का काम हाथ में नहीं लेगी।”

तुम्हारा जिक्र आते ही बेबी का गुस्सा जाने क्यों सातवें आसमान पर पहुंच जाता है। किसी की सुनती नहीं वो।”

देवराज चौहान मुस्कराया।

तभी महाजन उठा और नीचे पड़ी अपनी रिवॉल्वर की तरफ बढ़ गया।

देवराज चौहान ने अपनी रिवॉल्वर निकालकर हाथ में ले ली। | महाजन रिवॉल्वर उठा के पलटा तो देवराज चौहान के हाथ में रिवॉल्वर देखकर कह उठा।

निश्चिंत रहो। मैं तुम्हें इस तरह मारने की सोच भी नहीं सकता।”

देवराज चौहान उसे देखता रहा।

महाजन ने रिवॉल्वर जेब में रखी और दरवाजे की तरफ बढ़ गया। दरवाजा खोला। देवराज चौहान को देखा।

मान जाओ।” महाजन कह उठा।

मोना चौधरी को समझाओ। ये तुम्हारे लिए आसान रास्ता है।”

महाजन बाहर निकल गया। देवराज चौहान ने आगे बढ़कर दरवाजा बंद कर दिया।
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03-08-2021, 10:32 AM,
#64
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जगमोहन गहरी नींद में था। एकाएक उसकी नींद खुल गई। उसने आंखें खोलकर हर तरफ देखा। कमरे में नाइट ब्लब जल रहा था। मध्यम-सी रोशनी फैली थी। उसने दीवार पर टंगी घड़ी में वक्त देखा, साढ़े तीन बज रहे थे। वो समझ नहीं पाया कि उसकी नींद क्यों खुली। क्या कोई आहट या शोर हुआ था? । पास में सोए सोहनलाल को देखा। सब ठीक पाकर जगमोहन ने आंखें बंद कर लीं। ठीक इसी पल उसके मस्तिष्क में ‘झमाका सा हुआ। बिजली की तीव्र चमक कौंधी। फिर बंद आंखों के पीछे मस्तिष्क में ‘लोअर परेल' का बोर्ड चमका। पास ही में लाल बत्ती थी। इस वक्त सड़क पर इक्का-दुक्का ही ट्रेफिक था। जगमोहन को लगा जैसे कोई उसे अपने साथ ले जा रहा हो। वो सड़क पर कुछ आगे गया तो पास की इमारत से एक गली सीधी जाती दिखी। जिसका ज्यादातर हिस्सा अंधेरे में डूबा था। उसे लगा कि कोई उसे खींचता हुआ गली के भीतर ले गया। गली से बाहर निकला तो पास ही उसने ‘डॉ. मोसेस रोड' का बोर्ड लगा देखा।

वो सड़क पार कर गया। सामने मकानों की कतार बनी नजर आ रही थी। वो कुछ मकान आगे बढ़ा कि एकाएक ठिठक गया। सामने उसी मकान का गेट था जहां सतनाम ने सुबह होते ही अपने मां-बाप और बहन को काली मां के नाम पर मार देना था। वो ही मकान। जगमोहन ने स्पष्ट पहचान लिया था। एकाएक जगमोहन की आंखें खुल गईं। वो उठ बैठा। उसकी सांसें अनियंत्रित-सी थीं। “सोहनलाल ।” जगमोहन ने सोहनलाल को जोरों से हिलाया। सोहनलाल ने तुरंत आंखें खोलीं। जगमोहन को देखा।

क्या बात है?” सोहनलाल नींद में था।

हमें चलना है अभी–फौरन ।” जगमोहन बेड से उतरता हुआ कह उठा।

कहां?”

लोअर परेल, डॉ. मोसेस रोड पर वो घर है, जहां सतनाम अपने मां-बाप और बहन को मारने वाला है।”

ओह, तो तो तुम्हारे दिमाग में कुछ हुआ?” सोहनलाल पूरी तरह नींद से बाहर निकल आया। ।

“हां, मुझे उस घर का रास्ता दिखाया गया है। लोअर परेल हम कब तक पहुंच सकते हैं?” जगमोहन ने पूछा।

एक घंटे में।” फिर तो हमारे पास वक्त है। फौरन चलने की तैयारी करो।”

लाल बत्ती के पास लोअर परेल' का वो ही बोर्ड देखा जगमोहन

ठीक है, यहां से थोड़ा आगे चलो।” जगमोहन बोला–“बाईं तरफ गली है। कार वहां ले लेना।”

सोहनलाल ने ऐसा ही किया। कार गली में प्रवेश कर गई।

“अब हमें गली से बाहर निकलना है।” जगमोहन बोला।

रात के इस वक्त हर तरफ सुनसानी छाई हुई थी। कभी-कभार ही कोई वाहन सड़क से निकल जाता था।
सोहनलाल कार को गली से बाहर ले आया।

बस, यहीं रोक दो।” जगमोहन सड़क पार सामने मकानों की कतार देखता कह उठा–“पास ही वो मकान है।” ।

दोनों कार से बाहर निकले और सड़क पार करने लगे।

तुम्हें मकान पता है कौन-सा है?” सोहनलाल ने पूछा।

हां, मुझे लगा जैसे किसी ने मेरे साथ चलकर मुझे वो मकान दिखाया हो ।”

कितनी अजीब बात है।” सोहनलाल ने गहरी सांस लेकर कहा।

सड़क पार करने के बाद वे मकानों के सामने से आगे बढ़ने लगे।

जगमोहन एक कदम आगे था। वो कुछ उत्साह-आवेश में था।

जल्दी ही जगमोहन एक मकान के आगे ठिठका और उसके होंठों से निकला।

ये ही है वो मकान ।

” सोच लो ।

” “ये ही है, पक्का।” जगमोहन ने दृढ़ स्वर में कहते हुए सोहनलाल को देखा–“भीतर वो पाखंडी, पागल-सा होकर, अपनी धूनी रमाए बैठा, बलि देने की तैयारी कर रहा है।”

सोहनलाल के चेहरे पर अजीब-से भाव थे। वक्त क्या हुआ है?” *4.45।” सोहनलाल ने घड़ी पर निगाह मारकर कहा।

वक्त कम है हमारे पास ।” जगमोहन बेचैनी से कह उठा–

“हमें भीतर जाना है।”
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03-08-2021, 10:32 AM,
#65
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सोहनलाल की निगाह सड़क के दोनों तरफ घूमी। परंतु वहां कोई चौकीदार, कोई व्यक्ति न दिखा।

वो मकान अंधेरे में डूबा था, जैसे घर वाले गहरी नींद में हों।

चल ।” सोहनलाल ने कहा। दोनों तेजी से आगे बढ़े और गेट फलांग कर भीतर कूद गए।
हर तरफ शांति थी।

दोनों ने उसी पल घर के भीतर प्रवेश करने वाले दरवाजे चैक किए।
सब बंद थे।

कोई दरवाजा खोल सोहनलाल । हमें भीतर जाना है।” जगमोहन ने धीमे स्वर में कहा।

तेरे को पक्का यकीन है कि यही वो घर है, जहां...।

” हां हां, तु बार-बार क्यों पूछता है?”

यहां शांति हैं। कोई आवाज नहीं आ रही। इसलिए मुझे लगता है कि हम गलत घर में...” ।

तू दरवाजा खोल बेवकूफ ।” सोहनलाल के पास इस वक्त कोई औजार नहीं था। ताला खोलने का। उसने आसपास देखा, तभी उसे कपड़े सूखने डालने वाली एल्यूमीनियम की तार लगीं दिखाई दी।

सोहनलाल ने पांच मिनट लगाकर तीन इंच का तार का टुकड़ा तोड़ा और फिर पास आकर दरवाजे के ‘की होल' में डालकर, खास अंदाज से झटका दिया और साथ-ही-साथ हैंडिल दबाया।
दरवाजा खुलता चला गया। दोनों दबे पांव भीतर प्रवेश कर गए।

“धुनाई न हो जाए।” सोहनलाल फुसफुसाया–“छोटे चोरों की तरह दुम दबा के भागना न पड़ जाए।”

जगमोहन ने कुछ नहीं कहा और आगे बढ़ गया। उनके कदमों की आवाजें न के बराबर उठ रही थीं।

कुछ पलों में ही वो ड्राइंग रूम में खड़े थे। वहां अंधेरा था। परंतु सामने लॉबी में कम रोशनी का एक बल्ब जल रहा था। जगमोहन उस तरफ बढ़ गया। उलझन में फंसा सोहनलाल उसके पीछे था।

लॉबी में पहुंचते ही वे ठिठके। बेहद मध्यम-सी आवाजें उनके कानों में पड़ीं। दोनों की नजरें मिलीं। सोहनलाल ने एक तरफ इशारा किया। वे उस तरफ बढ़े। एक बंद दरवाजे के पास पहुंचकर ठिठके। उनकी सांसों में हवन सामग्री की स्मैल पड़ी । सोहनलाल की आंखें सिकुड़ गईं। उसने जगमोहन का हाथ दबाया। जगमोहन ने दरवाजे पर कान लगाया।

“अब मेरी सिद्धि पूर्ण होने जा रही है। सिर्फ नरबलि की जरूरत है।” सतनाम की धीमी-गुती आवाज जगमोहन ने सुनी–“कौन देगा अपनी बलि?” ।

दो पलों बाद पुनः उसकी आवाज सुनाई दी। ये बुढ़िया अपनी बलि देगी। बहुत उम्र भोग ली है इसने ।”

ये क्या कह रहा है सतनाम। मैं तेरी मां हूं।” औरत का तेज स्वर जगमोहन ने सुना।

वक्त कम् था।

जगमोहन समझ गया कि सतनाम मौत का तांडव शुरू करने जा रहा है।

जगमोहन ने दरवाजे को धक्का दिया तो वो खुलता चला गया। जगमोहन ने तेजी से भीतर प्रवेश किया।

परंतु भीतर का रहस्यमय माहौल देखते ही पल-भर के लिए ठिठका। कमरे में मध्यम-सा प्रकाश था। हर तरफ लाल-लाल सिंदूर बिखरा नजर आ रहा था, जैसे सिंदूर की होली खेली गई हो। दीवारों पर भी सिंदूर के छींटे थे। पूरे कमरे में धूप सामग्री का धुआं और स्मैल फैली थी। सतनाम लम्बा-सा चाकू थामे खड़ा था। नीचे ईंटों के हवनकुंड में, चंदन की लकड़ी पड़ी सुलग रही थी। एक तरफ पचास-साठ की उम्र के बीच के आदमी-औरत बैठे थे और पास ही 24 बस की युवती बैठी थी। | इस तरह दरवाजा खुलता पाकर, किसी को भीतर आते पाकर वे सब चौंके। नजरें घूम। | सतनाम ने लाल-लाल आंखों से जगमोहन और पीछे खड़े सोहनलाल को देखा।
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03-08-2021, 10:32 AM,
#66
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कौन है तू?" सतनाम गुर्राया—“तु भीतर कैसे आ गया?” ।

“मुझे मां काली ने भेजा है।” जगमोहन ने उसके हाथ में थमें छुरे को देखा।

क्या-मां काली ने भेजा है तुझे?” सतनाम बुरी तरह चौंका।

“हां, मां काली का कहना है कि वो सतनाम की भक्ति से बहुत प्रसन्न है और उसे जाकर कह दें कि उसे सिद्धि दे दी गई हैं। बिना दिए ही उसकी बलि स्वीकार कर ली गई है।” जगमोहन पूर्ववतः स्वर में बोला।

“सच?” सतनाम खुश हो उठा–“काली मां की शक्तियों की सिद्धि मुझे मिल गई है।”

“अब तुम छुरा हवनकुंड में रख दो ।” जगमोहन पुनः बोला। सतनाम ने शंकित निगाहों से जगमोहन को देखा।

“तुम मां काली पर शक कर रहे हो।”

“नहीं मैं तो पूछ....”

छुरा हवनकुंड में रख ।”

*मां काली कहां है?”

बड़े मंदिर में, छुरा रख और मेरे साथ चल, मां काली आशीर्वाद देने के लिए तुझे बुला रही हैं।”

सतनाम ने फौरन छुरा रख दिया हवनकुंड में।।

चलो, मां काली के पास।”

बूढ़ा-बूढ़ी और युवती हैरानी से ये सब देख-सुन रहे थे।

“आ” ।

सतनाम् जगमोहन और सोहनलाल के साथ कमरे से बाहर निकला।

लॉबी में आते ही जगमोहन ने जोरदार घूसा सतनाम के पेट में मारा। वो कराहकर दोहरा हो गया तो जगमोहन ने उसके सिर के बाल पकड़े और जोरों का चूंसा उसके गालों पर लगाया। वो चीख उठा।

“मेरे लाल को क्यों मार रहे...।” सतनाम की मां ने तड़पकर आगे आना चाहा। उसकी बहन भी आगे आने को हुई।

परंतु सोहनलाल ने उन्हें रोक दिया। “आगे मत बढ़ना।” जबकि सोहनलाल भी हैरान-परेशान था। उधर जगमोहन सतनाम को पीटे जा रहा था।

“उसे मत मारो।” सतनाम का पिता कह उठा–“आखिर उसने क्या किया है?”

“वो आप तीनों की बलि देने वाला था। मार देता आप तीनों को।” सोहनलाल बोला।

क्या कहते हो वो हमारा बेटा है। हमें क्यों मारता?"

“चुप रहो। वो बलि के नाम पर तुम तीनों को मारने जा रहा था। मेरे दोस्त को इस बात का सपना आया और हम दौड़े चले आए। आप तीनों ही किस्मत वाले हैं, जो आप बच गए।” सोहनलाल ने गम्भीर स्वर में कहा।

तीनों की समझ में कुछ नहीं आया। परंतु वो कुछ नहीं बोले ।।

“मुझे तो हैरानी है कि आप तीनों उसके इस काम में शामिल क्यों हो गए?”

सतनाम् ।” बूढ़ा बोला–“सतनाम तो घर की शांति के लिए हवन कर रहा था। वो...।”

“चुप रहो बेवकूफ ।” सोहनलाल ने गुस्से से कहा।

उधर जगमोहन सतनाम की ठुकाई करता गुस्से से कहे जा रहा था।
“बता, कौन-सी काली मां ने तेरे को कहा कि मुझे नरबलि या पशुबलि चाहिए। साले-कमीने, तुम जैसे पागल लोग ही उलटे काम करके भगवानों को बदनाम करते हैं। दुनिया भर का कोई भी भगवान किसी की जान लेकर खुश नहीं होता। और तू काली मां की शक्तियों की सिद्धि पा लेना चाहता है अपने मां-बाप और बहन की हत्या करके। ऐसे शक्तियां मिलने लगतीं तो दुनिया में कोई कमजोर न रहता और तुम जैसे घटिया लोग, एक दिन मां काली की भी बलि दे देते। ये तो अच्छा है कि भगवानों ने ताकतों को अपने हाथों में रखा है, अगर ये ताकतें इस जमीन पर आ जाएं तो एक दिन में ही तुझ जैसे इंसान पूरी दुनिया को बर्बाद करके रख दें।”

सोहनलाल ने आगे बढ़कर जगमोहन को रोका।
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03-08-2021, 10:33 AM,
#67
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जगमोहन का चेहरा तप रहा था। पागल सा हो रहा था वो क्रोध में। हांफ रहा था वो।

“बस कर, वो मर जाएगा।” सोहनलाल ने जगमोहन को पीछे किया।

सतनाम बुरे हाल फर्श पर पड़ा कराह रहा था।

बेटा।” उसकी मां तड़पकर उसके पास पहुंची और उसे संभालने लगी।

“आपका बेटा पागल है।” जगमोहन गहरी सांसें लेता कह उटा–“ये बीमारी है, भगवान की शक्तियों को पा लेने की। कई बेवकूफ लोगों को ये बीमारी हो जाती है, इसका इलाज कराओ। वरना ये किसी दिन खुद को मार लेगा या तुम सबको मार देगा।” ।

“सतनाम मेरे बेटे—उठ।” उसकी मां की आंखों से आंसू बह रहे थे।

जगमोहन ने सतनाम के पिता से कहा।

अगर हम न आते तो ये अब तक तुम तीनों की हत्या कर चुका होता ।”

“तुम्हें कैसे पता कि सतनाम ऐसा करता ।”

जगमोहन ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला फिर होंठ बंद कर लिए।

“तू जो करना चाहता था, वो हो गया?” सोहनलाल ने गम्भीर स्वर में पूछा।

जगमोहन ने हां में सिर हिलाया। फिर चल यहां से ।” । जगमोहन ने सतनाम को देखा।

उसकी मां ने, अपने बेटे का सिर अपनी गोद में रख लिया था। उसे पुकार रही थी। तगड़ी ठुकाई हुई थी सतनाम की। होंठ-गाल फट गए थे। खून बह चुका था। पीड़ा से उसका शरीर भरा था। अब वो होश में था। काली मां की शक्तियां प्राप्त करने का बे-सिर-पैर का भूत उसके दिमाग से उतर चुका था।

“आपने भैया को बहुत ज्यादा मारा है।” वो युवती भीगे स्वर में कह उठी।

“इसे होश में लाने के लिए, ऐसा करना जरूरी था।” जगमोहन ने कहा और बाहर की तरफ बढ़ गया।

सोहनलाल उसके साथ चल पड़ा। बाहर दिन का उजाला फैल चुका था।

बंद गेट के भीतर की तरफ रबड़ लगा आज का अखबार पड़ा था।

जगमोहन की निगाह उस अखबार पर पड़ी तो अजीब-से अंदाज में कह उठा।

“सोहनलाल, इसी अखबार ने मुझे बताया था, ये सब आज सुबह-सुबह होगा।”

जगमोहन कार ड्राइव कर रहा था। सोहनलाल बगल में बैठा था।

मेरा तो अभी भी दिमाग खराब हुआ पड़ा है।” सोहनलाल बोला।

क्या मतलब?” जगमोहन बोला।

तुम्हारे पूर्वाभास की बात कर रहा हूं। तुम्हारा पूर्वाभास तुम्हें हादसे के बारे में ही नहीं बताता, बल्कि जगह और वक्त तक का एहसास करा देता है। ये सब कितना आश्चर्यजनक है।” सोहनलाल ने गहरी सांस ली।

“सच में।” जगमोहन मुस्कराया।

“मैंने तुम्हारी बात सुनी तो अविश्वास नहीं किया परंतु सच मानने का भी मन नहीं कर रहा था। लेकिन अब ये सब देखा तो मेरे पास कहने को कुछ नहीं है। तुम सच हो और सही हो ।”

मैं परेशान हूं कि ये पूर्वाभास मुझे क्यों हो रहा है?”

“सच में परेशान होना चाहिए।” सोहनलाल की आवाज में गम्भीरता आ गई–“तुम्हें पोतेबाबा की इस बात को हल्के से नहीं लेना चाहिए कि अगर इसी प्रकार तुम जथूरा के हादसों को बेकार करते रहे तो, ये बस पूर्वजन्म के सफर की शुरुआत हो सकती है।”

“खबर होने के पश्चात मैं किसी को इस तरह मरने नहीं दे सकता। चुप बैठा रहूं, इस बात के लिए मेरा मन नहीं मानता।”
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03-08-2021, 10:33 AM,
#68
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
तभी पोतेबाबा की आवाज कानों में गूंजी। “अभी भी वक्त है। मन को समझा ले, वरना बहुत पछताएगा।” जगमोहन के होंठ भिंच गए।

जबकि सोहनलाल तो जैसे उछल ही पड़ा। उसने कार के पीछे वाली सीट पर नजरें घुमाईं।

परंतु वहां कोई न दिखा।

“ये पोतेबाबा है?” सोहनलाल ने अचकचाकर जगमोहन को देखा।

हां। ये ही पोते बाबा है। उसकी आकृति को देखना चाहता है तो सिगरेट सुलगा। धुएं में तू पोतेबाबा की आकृति देखेगा।”
सोहनलाल उसी पल सिगरेट निकालकर सुलगाने लगा।

तेरे क्या हाल हैं गुलचंद?” सोहनलाल पल भर के लिए हड़बड़ाया। गुलचंद सोहनलाल के पूर्वजन्म का नाम था।

तू मेरा नाम कैसे जानता है पूर्वजन्म का?” सोहनलाल के होंठों से निकला।

मैं तो तुझे बहुत अच्छी तरह से जानता हूं।”

“कैसे?” सोहनलाल ने धुआं उगला और गर्दन पीछे घुमा ली। कार में धुआं भरने लगा था। जगमोहन का ध्यान कार चलाने पर था।

“मैं तेरे पूर्वजन्म से ही तो आया हूं, पहचाना नहीं मुझे, पोतेबाबा हूँ मैं।” ।

नहीं पहचाना ।” । तभी सोहनलाल को धुएं में पोतेबाबा की आकृति दिखाई देने लगी। वो आकृति पीछे वाली सीट पर बैठी हुई थी। लम्बी दाढ़ी। पीछे को जाते सिर के बाल । गले में मालाएं। एक कान में कुंडल फंसा लटक रहा था।

“पोतेबाबा मुझे नजर आ रहा है जगमोहन ।” सोहनलाल कह उठा।

“धुएं में उसकी आकृति ।” जगमोहन बोला।

“वो ही, वो ही।” फिर सोहनलाल पोतेबाबा से बोला–“मैंने तुझे पहले कभी नहीं देखा। तेरा नाम भी नहीं सुना।” *

“तो इस वक्त याद नहीं तेरे को पूर्वजन्म की।” पोतेबाबा की आकृति के होंठ हिलते दिखे सोहनलाल को।

“तू देख इसे।” सोहनलाल ने जगमोहन से कहा।

कई बार देख चुका हूं।” जगमोहन कार चलाते बोला। पीछे न देखा।

सोहनलाल की निगाह पोतेबाबा की आकृति पर टिकी थी। वो कुछ हैरान सा था। *

“क्यों जग्गू।” पोतेबाबा की आवाज उभरी–“तू मानता नहीं मेरी बात। जथूरा के कामों को खराब क्यों करता है?”

जगमोहन ने कुछ नहीं कहा।

“मेरी बात को समझ जग्गू। पीछे हट जा । तू भी खुश, जथूरा भी खुश। वरना बुरा होगा। तेरे कदम पूर्वजन्म की यात्रा की ओर बढ़ रहे हैं और वहां पर जथूरा की ताकत देखकर तू कांप उठेगा। वहां जथूरा तुझे बख्शेगा भी नहीं। जथूरा अभी भी इसी चेष्टा में है कि तू मान जाए। वो झगड़ा नहीं करना चाहता।”

“मैं भी झगड़ा नहीं चाहता।” जगमोहन ने शांत स्वर में कहा।

“तू उसके रास्ते में मत आ। कसम ले ले।”

“जथूरा को चाहिए कि वो इस दुनिया में हादसे की कोशिश बंद कर दे। मेरा रास्ता खुद-ब-खुद ही बदल जाएगा।” ।

“हादसों का देवता, हादसे कराने से कैसे पीछे हट सकता है?” पोतेबाबा की आकृति के होंठ हिलते दिखे।

“तो मैं भी अपने कर्म से पीछे कैसे हट सकता हूं?”

तो तू जथूरा से झगड़ा करके ही रहेगा।”

“मैं जथूरा को नहीं जानता। उसे कभी देखा नहीं, तो मैं उससे झगड़ा क्यों करूंगा।”

सोहनलाल की निगाह एकटक धुएं में दिखाई दे रही, पोतेबाबा की आकृति पर टिकी थी। उसने आकृति को अपनी तरफ देखते पाया तो सतर्क हुआ। तभी पोतेबाबा के होंठ हिले।
गुलचंद । जग्गू तेरी बात अवश्य मानेगा।”

हुक्म कर।”

इसे समझा कि ये जथूरा के कामों के बीच दखल मत दे। उसके हादसों को खराब न करे ।”
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03-08-2021, 10:33 AM,
#69
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
“ये ऐसा कुछ नहीं कर रहा।” सोहनलाल ने सामान्य स्वर में कहा।

“तू मुझसे मजाक मत कर।”

सच कह रहा हूँ मैं।”

“जथुरा की दुश्मन शक्ति, पहले ही इसे जथुरा के द्वारा किए जाने वाले हादसों की झलक दिखला देती है और ये उन हादसों को रोक देता है।”

बुरी बात है ये तो।”

समझा इसे ।” ।

“समझाऊंगा।” सोहनलाल के चेहरे पर संजीदगी के भाव दिखे–“इसे मैं ऐसा नहीं करने दूंगा।”

सच कह रहा है।”

“हां ।” सोहनलाल ने सिर हिलाया—“तू मुझे दोपहर तक का वक्त दे।” ।

तब तक तू क्या कर देगा?”

इसे समझा दूंगा। तू इसके बंगले पर ही आना। मैं वहीं मिलेगा। तब तू खुद ही जगमोहन से बात करके देख लेना।” ।

मुझे विश्वास नहीं आ रहा।” पोतेबाबा के स्वर में संदेह के भाव थे।

“किस बात का?”

कि तेरे जैसा मक्कार सच बात कह रहा है।”

“मक्कार, तूने ये कैसे सोच लिया कि मैं मक्कार हूं।” सोहनलाल की आंखें सिकुड़ीं। ।

“पूर्वजन्म में तू यही सब तो करता था। तुझे याद नहीं मेरी, वरना ये बात तू न पूछता।”

हममें क्या रिश्ता था पूर्वजन्म में?" सोहनलाल ने पूछा।

“हम दोस्त थे। एक साथ कहीं छिपकर नशा किया करते थे। तूने ही मुझे नशे की आदत लगवाई थी। उसके बाद तू देवा के रंग में रंगता चला गया और मैं जथूरा की सेवा में चला गया था।” पोतेबाबा की आवाज कानों में पड़ी।

तो हम दोस्त थे।” सोहनलाल ने सिर हिलाया।

तो तेरे को उसी दोस्ती का वास्ता।”

सोहनलाल गम्भीर था-"दोपहर बाद आना और जगमोहन को बदले हुए देख लेना। मैं इसे ठोक-पीटकर समझा दूंगा। देखता हूँ कैसे नहीं मानता मेरी बात। मैं इसे हर बार सीधा कर देता हूं।”

“तू जरूर धोखा देगा गुलचंद। तेरी कमीनगी मैं कई बार भुगत चुका.... ।”

“वो पूर्वजन्म की बातें थीं।”

तेरे लिए।” पोतेबाबा के होंठ हिले–“मेरे लिए तो वो ही जन्म है। सब कुछ वो ही है।”

“तू तो बूढ़ा हो गया दिखता है।” सोहनलाल मुस्कराया।

उम्र भी तो बहुत हो गई। लेकिन अभी मेरी उम्र खत्म नहीं होने वाली। बहुत जीना है मैंने।”

तभी जगमोहन ने सड़क के किनारे कार रोक दी फिर गर्दन घुमाकर पोतेबाबा से बोला।।
“एक बात तो बता ।”

पूछ जग्गू-

जथूरा के दो-चार हादसे तो होते न होंगे, फिर मुझे सिर्फ दो-चार हादसों के बारे में ही क्यों पता चलता है।”
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03-08-2021, 10:33 AM,
#70
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
पोतेबाबा ने फौरन कुछ नहीं कहा। कुछ खामोशी के बाद बोला।

“तू ठीक कहता है, तुम्हारे हिसाब से 24 घंटों में जथूरा के सेवक हजारों हादसे तैयार करके इस दुनिया में भेजते हैं और वे सब सफल रहते हैं। लेकिन तेरे को चंद खास हादसों का ही पता चलता है।”

“ऐसा क्यों?” ।

“क्योंकि।” पोतेबाबा गम्भीर स्वर में कह उठा–“जो शक्ति तुझे हादसों का एहसास करा रही है, वो जानती है कि कौन-कौन से हादसे पूर्वजन्म में प्रवेश करने के लिए, चाबी की तरह इस्तेमाल किए जा सकते हैं। सीधी तरह यूं कह ले कि कुछ चुनिंदा हादसों को होने से तू रोकेगा तो तेरा पूर्वजन्म में जाने का रास्ता खुल जाएगा।”

“समझा।” ।

“वो शक्ति चाहती है कि तू पूर्वजन्म में प्रवेश करे और जथूरा से झगड़ा करे। इसी वजह से ये सब हो रहा है। जथूरा ने मुझे भेजा है तुझे समझाने के लिए। अगर एक बार भी तू हादसे को रोकने की कोशिश नहीं करता तो जथूरा की दुश्मन शक्ति का घेरा बेकार होता चला जाएगा। फिर तू पूर्वजन्म में प्रवेश नहीं कर सकेगा। इसी कारण तेरे से कहा था कि तू सिर्फ एक बार पीछे हट जा। उसके बाद सब ठीक हो जाएगा। जथूरा की दुश्मन शक्ति तेरा बुरा कर रही है जग्गू।”

अच्छा—वो कैसे?”

“तू जथूरा के सामने, धूल भी नहीं और वो तेरे को जथूरा से टक्कर लेने के लिए उकसा रही है। जथूरा तेरे को मार देगा जग्गू।”

“ये बात है तो जथूरा को क्यों चिंता हो रही है, मेरे पूर्वजन्म में आ जाने की। वो तो मेरे से ताकतवर है।” ।

“जथूरा को तेरी चिंता है।”

मेरी चिंता?” ।

हां, तेरा एहसान है उस पर। इसलिए वो नहीं चाहता कि तू उसके रास्ते में आए और मर जाए।”

“फिर तो जथूरा मेरा भला चाहता है।” जगमोहन व्यंग भरे स्वर में कह उठा।

“दिल से वो तुम्हारा भला चाहता है। तभी तो वो चाहता है कि तू रास्ता बदल ले और तेरा उसका टकराव न हो।” । ।

“धन्यवाद देना जथूरा को मेरी तरफ से कि वो मेरा खैरखाह है।” जगमोहन तीखे स्वर में बोला। उसी पल सोहनलाल कह उठा।

बातें मत कर पोतेबाबा। तू दोपहर को आना। तब तक मैं जगमोहन को समझा चुका होऊंगा।”

“ठीक है, दोपहर को आऊंगा।”

कार से निकल ।” जगमोहन बोला-“अब तेरी यहां जरूरत नहीं ।”

“जग्गू तू बेइज्जती करने वाले अंदाज में मेरे से बात करता है।” पोतेबाबा की आवाज उभरी और पिछला दरवाजा खुलता दिखा।

सच मान। अभी मैं बहुत इज्जत से तेरे से बात कर रहा हूं।”

पोतेबाबा की आवाज नहीं आई और दरवाजा बंद होता दिखा।

जगमोहन ने पुनः कार आगे बढ़ा दी। सोहनलाल ने कश लेकर पीछे वाली सीट की तरफ धुआं फेंका। परंतु पोतेबाबा की आकृति नहीं दिखी। वो कार से उतर चुका था।

“वो अदृश्य था। कितनी अजीब बात है।” सोहनलाल बोला—“उसका अदृश्य होना खतरनाक है। वो कुछ भी कर सकता

जगमोहन चुप रहा।

सब कुछ देखने-सुनने के बाद भी मुझे तेरे हालातों पर यकीन नहीं आ रहा।” सोहनलाल ने गहरी सांस ली।

मेरे हालात अब तेरे बनने जा रहे हैं।” जगमोहन मुस्करा पड़ा।

वो कैसे?”

“तूने पोतेबाबा को दोपहर को बुलाया है कि...।”

उस पर काबू जो पाना है।” सोहनलाल गम्भीर हो गया।
ओह, ये बात तो मैं भूल ही गया था।”

रुस्तम राव और बांके से बात करता हूं।” सोहनलाल ने कहा और फोन निकालकर नम्बर मिलाने लगा।
सोहनलाल ने फोन कान से लगा लिया। दूसरी तरफ बेल जा रही थी।

“हैलो ।” सोहनलाल के कानों में बांकेलाल राठौर की आवाज पड़ी—“कोनों बोल्ले है?”

सोहनलाल ।” सोहनलाल के होठों पर मुस्कान उभरी।

तम । नशाखोर ।”

हां-मैं ही।”

“थारी सिगरेटों में नशों वाली गोली का का हाल हौवे?”

बढिया है। रुस्तम कहां है?"

छोरो इधर-उधर हौवे। बोत शैतान हो गयो वो ईब। थारा चाल-चलन कैसो हौवे?”

वैसा ही है।”

“म्हारो देवराज चौहानो ठीको हौवे का?”

हां ।”

“सब ठीको हौवो, कोई मरो ना।”

“नहीं ।” ।

फिरो फोनो बंद कर दयो। का जरूरत हौवे बातों करके पैसों खराब करने की ।”

जगमोहन मेरे साथ है।” ।

म्हारा आशीर्वाद उसो के सिर पर मारियो ।” ।

हमें तुम्हारी और रुस्तम राव की जरूरत है।”

*म्हारो से ब्याह करने का प्रोग्राम हौवे का?"

तुम रुस्तम राव को लेकर देवराज चौहान के बंगले पर आ जाओ।”
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