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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
तुम ये सोचो कि मुझे कैसे पता चला कि राजीव चौक के मैट्रो स्टेशन पर ये सब होने वाला है।” ।
सपन चड्ढा से बात बाहर गई होगी कि...” ।
बेबी।” महाजन बोला–“तुम्हें किसने बताया कि देवराज चौहान 11.30 पर यहां आएगा?”
सपन चड्ढा ने बताया ।” महाजन ने देवराज चौहान को देखकर पूछा।
*और तुम्हें किसने बताया कि मोना चौधरी यहां मिलेगी?”
लक्ष्मण दास ने। उसी ने मुझे बताया था कि मोना चौधरी मेरी जान लेना चाहती है।”
क्या ये दोनों एक-दूसरे को जानते हैं?” महाजन ने पूछा।
दोनों दोस्त थे।” देवराज चौहान बोला—“परंतु अब इनमें दुश्मनी है।”
“तुम्हें ये बात किसने कही?”
लक्ष्मण दास ने ।”
लेकिन ।” सोहनलाल कह उटा–“इन दोनों की बातों से तो ये जाहिर है कि इन दोनों ने ही देवराज चौहान और मोना चौधरी को यहां भेजा। ताकि ये एक-दूसरे को मार सकें। खून-खराबा हो।”
सब एक-दूसरे को देखने लगे।
कुछ पल खामोशी रही।
इसका मतलब सपन चड्ढा और लक्ष्मण दास मिलकर कोई खेल खेल रहे हैं।” मोना चौधरी के दांत भिंच गए।
“लक्ष्मण दास मेरा पुराना जानकार है।” देवराज चौहान ने कहा-“वो ऐसा क्यों करेगा?” ।
इस बात का जवाब तो वो ही देगा ।”
“मैं अभी सपन चड्ढा से...।” मोना चौधरी ने कहना चाहा।
मोना चौधरी ।” पारसनाथ बोला—“हम लोग जहां भी जाएंगे, इकट्ठे जाएंगे। ताकि सबको पता चले कि असल बात क्या है।”
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
उसके पास भी आऊंगा, जब उसकी जरूरत पड़ी। पहले तुम देवा-मिन्नो से खुद को तो बचा लो।”
“खुद को बचा लो। क्या कहना चाहता है तू?”
उसी पल मोमो जिन्न सपन चड्ढा की आंखों के सामने से गायब हो गया।
सपन चड्ढा ठगा सा उस खाली जगह को देखता रहा। मोमो जिन्न की बातों का मतलब समझने की चेष्टा करने लगा, परंतु समझ नहीं पाया। उसने जल्दी से पास रखा फोन उठाया और नम्बर मिलाया।
"हैलो ।” लक्ष्मण दास की आवाज कानों में पड़ी।
वो चला गया।” सपन चड्ढा तेज स्वर में कह उठा। मोमो जिन्न?”
हां, वो ही, कहता है कि जरूरत पड़ी तो फिर आएगा। और भी अजीब बातें कह रहा था।”
“क्या?”
कहता था, सब गड़बड़ हो गया, हम देवा-मिन्नों से पहले खुद को बचा लें—ऐसी ही बातें ।” ।
इन बातों का क्या मतलब हुआ?”
मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा। तू मेरे पास आ जा।”
तेरे पास?"
जाने क्यों घबराहट हो रही है। मोमो जिन्न ने मेरा बुरा हाल कर रखा है।”
“मेरा भी तो बुरा हाल है।”
“आ रहा है मेरे पास?
" पता नहीं, देखता हूं।”
सपन चड्ढा ने फोन बंद किया फिर दीवार पर लगी घड़ी में वक्त देखा, 12 बज रहे थे। उसे अभी तक इस बात पर विश्वास नहीं आ रहा था कि मोमो जिन्न उसके पास से चला गया है। फिर भी उसने खुद को आजाद सा महसूस किया जैसे कि किसी ने उसे बंदी बना रखा हो और अब बंदी ना हो। | सपन चड्ढा उठा। नहा-धोकर कपड़े बदले। एक बजने को हो गया था। नौकर को लंच लगा देने को कहकर ड्राइंग रूम में पहुंचा कि कदमों की आहटें उसके कानों में पड़ीं।
फिर सपन चड्ढा कांपता सा गया। | देवराज चौहान, मोना चौधरी, जगमोहन, सोहनलाल, पारसनाथ
और महाजन उसके सामने थे। | सपन चड्ढा का चेहरा फक्क पड़ गया। जबकि वो मोना चौधरी
के अलावा किसी को जानता नहीं था। |
मोना चौधरी ने उसे कड़वी नजरों से देखा फिर आगे बढ़ी और उसके पास पहुंच गई।
क्या हाल है तेरा?” मोना चौधरी ने शब्दों को चबाकर पूछा।
ठ...ठीक है।”
घबरा क्यों गया मुझे देखकर?”
न...नहीं तो।” सपन चड्ढा ने होंठों पर जीभ फेरी।
ये तो तूने मुझे बताया ही नहीं कि तेरे को कैसे पता चला कि देवराज चौहान 11.30 बजे, राजीव चौक मैट्रो स्टेशन पहुंचेगा।”
म...मोमो जिन्न ने कहा ऐसा कहने को ।”
“मोमो जिन्न?” मोना चौधरी के दांत भिंच गए–“ये कौन है?"
मोमो जिन्न...है।”
सीधी तरह जवाब दे।” मोना चौधरी गुर्राई।
म...मोमो जिन्न ही तो है वो। ठीक कह रहा हूँ मैं।” सपन चड्ढा घबराया-सा कह उठा–“वो दैवीय ताकतों का मालिक लगता था। कभी चार फीट का हो जाता था तो कभी तीन इंच का। मुझसे कहता था कि मैं कहूं जथूरा महान है।”
जथूरा!” सब चौंके। एक-दूसरे को देखा।
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
“कौन जथूरा?”
“पता नहीं, उसे वो अपना मालिक कहता था। मैंने वो ही किया, जो उसने कहा। न करता तो जाने मेरे साथ क्या सलूक करता।”
तभी जगमोहन कह उठा।
“अब ये तो साबित हो गया कि मैंने जो कहा, वो सच है। इन सबके पीछे पूर्वजन्म का जथूरा रहा है।”
*और क्या कहता था मोमो जिन्न?” मोना चौधरी ने पूछा।
वो कहता था कि देवा और मिन्नो में झगड़ा करवाकर, एक को खत्म करवाना है।” |
मोना चौधरी ने गहरी सांस ली।
“तुममें और लक्ष्मण दास में कोई झगड़ा नहीं?” देवराज चौहान ने पूछा। ।
“नहीं। मुझे और लक्ष्मण को मोमो जिन्न ने मजबूर किया, ये सब करने को। हमारी कोई गलती नहीं ।” सपन चड्ढा ने परेशान स्वर में कहा—“उसकी बात को इंकार करो तो वो नंगा करके सड़क पर घुमाने की धमकी देता था।”
वो तुम्हें कहां मिला?” महाजन ने पूछा।
सपन चड्ढा ने गहरी सांस लेकर कहा।
बहुत खतरनाक ढंग से वो हमें मिला। हमारे नाम जानता था, ये जानता था कि लक्ष्मण दास देवराज चौहान को जानता है। हमारे बारे में सब कुछ जानता था। उसने हमें जैसे अदृश्य बंधन में जकड़ लिया था।”
मिला कहां?” सपन चड्ढा ने बताया।
उसकी और बातें बताओ ।”
क्या बताऊं, घंटा-भर पहले यहां था वो, कह रहा था सब गड़बड़ हो गया। फिर खड़े-खड़े ऐसे बोलने लगा जैसे किसी से बात कर रहा हो। उन बातों में दो बार उसने जग्गू का नाम लिया, फिर जैसे किसी से कह रहा हो कि जथूरा अब इन पर कालचक्र फेंकेगा कि ये आपस में लड़ मरें। मेरे को तो समझ नहीं आ रहा कि ये सब क्या हो रहा...”
तभी वहां लक्ष्मण दास ने प्रवेश किया। देवराज चौहान को वहां पाकर घबरा उठा।
आ लक्ष्मण, तू इन सबको मोमो जिन्न के बारे में बता, ये मोना चौधरी है।”
“य...ये देवराज चौहान।” लक्ष्मण दास घबराए स्वर में कह उठा–“मेरी कोई गलती नहीं देवराज चौहान । मोमो जिन्न बहुत ही खतरनाक है। उसने हमें ये सब करने को मजबूर कर दिया था।”
देवराज चौहान ने सपन चड्ढा से पूछा।
कालचक्र क्या है?"
मैं नहीं जानता। मोमो जिन्न के मुंह से ही सुना था ये, तो मैंने बता दिया ।” ।
देवराज चौहान गम्भीरता से उसे देखता रहा।
“हम नई मुसीबत में फंसने जा रहे हैं।” पारसनाथ कह उठा।
जथूरा जो झगड़ा करवाना चाहता था देवराज चौहान और मोना चौधरी में उसमें असफल रहा। अब वो कालचक्र नाम का कोई नया रास्ता इस्तेमाल करने जा रहा है कि हममें झगड़ा हो ।” महाजन ने कहा।
“अगर हम आपस में तय कर लें कि किसी भी हालत में हमें झगड़ा नहीं करना है तो जथूरा को मात दे सकते हैं।” पारसनाथ बोला।
“ये कहने की बात है, जब हालात बनेंगे तो कोई भी पीछे नहीं हटेगा।” सोहनलाल ने कहा।
“ये तो कोशिश कर सकते हैं कि झगड़ा ज्यादा न बढ़े।” जगमोहन ने मोना चौधरी को देखा।
मोना चौधरी, बेहतर होगा कि तुम आने वाले हालातों में होश कायम रखो और देवराज चौहान को अपना दुश्मन न समझो ।”
मैं नहीं जानती क्यों—देवराज चौहान का नाम सुनते ही मैं पागल हो जाती...।”
उस हालत में तुम्हें महाजन और पारसनाथ की बात माननी चाहिए।"
अबकी बार मैं सतर्क रहूंगी।”
सोचने की बात तो ये है कि जथूरा क्यों हममें झगड़ा कराना चाहता है।” देवराज चौहान ने कहा।
“वो चाहता है कि हम पूर्वजन्म का सफर न करें।” जगमोहन बोला—“पोतेबाबा के द्वारा जथूरा कब से मेरे पीछे पड़ा है, परंतु मैं उसकी बात नहीं मान रहा। इसलिए नहीं कि मेरी कोई जिद है, सिर्फ इसलिए कि मैं होने वाले हादसों को टालना चाहता हूं। इस तरह उसकी नहीं चली तो अब वो हममें झगड़ा कराने के लिए कुछ करने जा रहा है।”
“तो हमें क्या करना चाहिए?” महाजन ने सबको देखा।
“हम सतर्क रहने के अलावा कर ही क्या सकते हैं। ध्यान रखेंगे कि आपस में झगड़ा न करें।
कोई कुछ न बोला।
हमें चलना चाहिए। जगमोहन बोला—“रुस्तम राव और बांके पूसा रोड के बंगले में मेरा इंतजार कर रहे होंगे।”
वो भी साथ हैं?” मोना चौधरी के होंठों से निकला।
हां ।”
“उन्होंने भी हर बार पूर्वजन्म का सफर किया है। सबका एक साथ इकट्ठे होना खतरनाक है।” मोना चौधरी कह उठी।
फिर वो सब चले गए।
सपन चड्ढा और लक्ष्मण दास की सांस में सांस आ गई। “बच गए चड्ढा ।”
सस्ते में बचे । देवराज चौहान और मोना चौधरी से बचे और मोमो जिन्न से भी पीछा छूट गया।”
मुझे तो अब भी यकीन नहीं आ रहा।”
ऐसा मत कह, मुझे यकीन आ रहा है।” सपने चड्ढा ने जैसे खुद को तसल्ली दी।
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03-08-2021, 10:37 AM,
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
मोमो जिन्न ने तेरे से कहा कि वो फिर नहीं आएगा?” लक्ष्मण दास ने पूछा।।
“हां, ऐसा ही बोला, लेकिन ये भी कहा कि जरूरत पड़ी तो वो फिर भी आ सकता है।”
“ओह।”
लेकिन वो सब पूर्वजन्म की बातें क्यों कर रहे थे?”
क्या पता?" ।
“पागल तो नहीं थे वे सब ।”
ऐसा मत कह। सब खतरनाक थे वे। अवश्य कोई बात है। जो हमारी समझ से बाहर है।” ।
“हां, ये भी हो सकता है।”
“मोमो जिन्न उनमें झगड़ा क्यों करवाना चाहता है, वो क्यों चाहता है कि सब मरें।”
कोई तो बात होगी।”
मोमो जिन्न सीधे-सीधे उन पर हाथ क्यों नहीं डाल देता।”
पागल हो जाऊंगा, इन बातों के बारे में सोचकर। हम बच गए यही बहुत है। साला वो ठिगना जिन्न मेरे से कहता था कि मैं कहूं जथूरा महान है।” सपन चड्ढा ने बुरा सा मुंह बनाकर कहा।
“मेरे से भी कहता था। उल्लू का पट्ठा। लेकिन ये जथूरा है कौन?”
किसी इलाके का बदमाश होगा।”
बदमाशों के पास मोमो जिन्न जैसे जिन्न थोड़े ही होते हैं।”
छोड़ इन बातों को। सब कुछ भूल जा। पूर्वजन्म का सफर, मेरी तो समझ से बाहर है। खाना लग गया होगा।” ।
“मुझे भी भूख लगी...सपन—वो देख–मोमो जिन्न ” लक्ष्मण दास चीखते जैसे स्वर में बोला।
सपन चड्ढा की निगाह उस तरफ गई।
सोफे के पास ही तीन इंच का मोमो जिन्न खड़ा नजर आ रहा था। दोनों को अपनी सांसें रुकती-सी लगीं।
उनके देखते ही देखते मोमो जिन्न बड़ा होकर चार फीट का हो गया।
तो मैं उल्लू का पट्ठा हूं।”
लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा सकपकाए।
तुम दोनों को शिक्षा की जरूरत है। वैसे हो तुम दोनों ही काम के ।”
त...तुम फिर आ गए।” सपन चड्ढा घबराए स्वर में बोला।
क्यों नहीं आऊंगा। अपने गुलामों के पास आने के लिए मुझे | किसी की इजाजत नहीं ।”
तुमने तो कहा था कि तुम हमें आजाद कर रहे...
” ये भी तो कहा था कि जरूरत पड़ी तो फिर आऊंगा।”
त...तो जरूरत पड़ गई?” लक्ष्मण दास हड़बड़ा कर बोला।
हां। जरूरत खत्म कहां हुई है। अभी तो मामला शुरू हुआ है। तुमने सब कुछ उन्हें बता दिया।”
“म...मैंने कुछ नहीं बताया–लक्ष्मण से पूछ लो ।”
मैं यहीं था, सब सुन रहा था।”
“तुम हमारा पीछा क्यों नहीं छोड़ते?”
“अभी तो तुम दोनों ने मेरे बहुत काम करने हैं। पीछा कैसे छोड़ दें। बोलो, जथूरा महान है।”
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03-08-2021, 10:37 AM,
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
सपन चड्ढा और लक्ष्मण दास की नजरें मिलीं।
“बोलो।” मोमो जिन्न का स्वर कठोर हो गया।
जथूरा महान है।” दोनों एक साथ बोले।
खूब, इसी तरह धीरे-धीरे मैं तुम दोनों को जथूरा का खास सेवक बना दूंगा। जथूरा सच में महान हैं। उसकी ताकतों की कोई सीमा नहीं। उसका कोई मुकाबला नहीं कर सकता। वो हमेशा हीं जीतता आया है—बोलो।”
जथूरा महान है।”
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वापस मुम्बई । बंगले पर। सोहनलाल, बांकेलाल राठौर और रुस्तम राव जा चुके थे। मोना चौधरी, महाजन और पारसनाथ दिल्ली रह गए थे।
“यहां के हालातों के बारे में तुम मुझे बता देते तो मैं मोना चौधरी के रास्ते से हट जाता।” देवराज चौहान बोला।
“मैंने सोचा तुम्हें डिस्टर्ब क्यों करूं, इसलिए नहीं बताया।” जगमोहन ने कहा।
देवराज चौहान ने सिगरेट सुलगाकर कश लिया।
जथूरा तुम्हें और मोंना चौधरी को लड़वाकर, किसी एक को ख़त्म कराने पर आमादा है।”
“मेरे विचार में हमें पूर्वजन्म के सफर की तैयारी कर लेनी चाहिए।” देवराज चौहान ने जगमोहन को देखा।
क्यों?”
जथूरा खामोश नहीं बैठने वाला, अबकी बार वो कोई खास पैंतरा इस्तेमाल करेगा।”
“कालचक्र ।” जगमोहन कह उठा–“ये कालचक्र जाने क्या बला है जो...।”
“इतना सब कुछ होने के बाद जथूरा कालचक्र का इस्तेमाल कर रहा है तो यकीनन वो कुछ ख़ास ही होगा।” देवराज चौहान ने कश लेते हुए गम्भीर स्वर में कहा—“हमें जथूरा की चालों से सतर्क रहना चाहिए।”
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03-08-2021, 10:37 AM,
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
“नहीं रह सकते। क्योंकि उसके पास ताकतें हैं, वो...” “अब हम सब अलग-अलग हो चुके हैं, जो कि अच्छी बात है।”
जथूरा की याद है तुम्हें?
” नहीं।” ।
पोतेबाबा की भी याद नहीं?
” नहीं ।” तभी जगमोहन की आंखें सिकुड़ीं।
सिगरेट के धुएं में उसे हाथ की उंगलियां पल भर के लिए दिखाई दी थीं।
उधर धुआं फेंको ।” जगमोहन के होंठों से निकला।
क्या?” देवराज चौहान ने जगमोहन को देखा।
उधर धुआं फेंको। उधर, वहां शायद पोतेबाबा है। वो आ चुका है।” जगमोहन व्याकुल स्वर में बोला।
देवराज चौहान ने ऐसा ही किया।
अगले ही पल धुएं में पोतेबाबा की आकृति चमकती चली गई। देवराज चौहान के चेहरे पर अजीब से भाव उभरे, उस आकृति को देखकर।
य...ये पोतेबाबा है।”
पोतेबाबा का दाढ़ी वाला चेहरा मुस्करा पड़ा।
मैं धूप लाता हूं। उसके धुएं में इसकी आकृति आधी-अधूरी नजर आती रहेगी।” कहकर जगमोहन चला गया।
“कैसा है तू देवा?” पोतेबाबा की आवाज सुनाई दी। आकृति सोफे की तरफ बढ़ गई। | अगले ही पल आकृति धुएं से बाहर थी। नजर आनी बंद हो गई। | देवराज चौहान ने पुनः कश लेकर सोफा चेयर पर धुआं फेंका तो वहां बैठा पोतेबाबा दिखा।
देवा को पोतेबाबा का सलाम।” देवराज चौहान उसे देखता रहा।
पहचाना मुझे?” पोतेबाबा की आकृति के होंठ हिले ।।
“नहीं।"
तीसरा जन्म है तुम्हारा। जन्मों की यादों के पीछे खो चुकी हैं तुम्हारी यादें । लेकिन तुम्हें कभी भी सब कुछ याद आ सकता है
क्यों याद आ सकता है?”
क्योंकि अब पूर्वजन्म से तुम्हारे तार जुड़ते जा रहे हैं, तभी तो तुम मेरे से बात कर रहे हो ।”
तुम हकीकत में कौन हो?"
जथूरा का सबसे खास सेवक ।”
मैं जथूरा को भी नहीं जानता।”
मैं अपने मुंह से तेरे को जथूरा की याद नहीं दिलाऊंगा। अपने बारे में मैं इतना ही कहूंगा कि मैं गुलचंद का यार हुआ करता था।”
सोहनलाल का?” ।
“हां, उसके बाद जथूरा की सेवा में चला गया और आज जथूरा का खास हूं।”
देवराज चौहान पोतेबाबा की आधी-अधूरी नजर आ रही आकृति को देखे जा रहा था।
तभी जगमोहन मोटी-सी धूप जलाकर वहां ले आया था। उसमें उठता धुआं वहां फैलने लगा। धूप को उसने पास टेबल पर रख दिया। अब धुएं में पोतेबाबा की आकृति बहुत हद तक स्पष्ट नजर आने लगी थीं।
“क्या बात हुई?” जगमोहन ने देवराज चौहान को देखा।
*अभी तो कुछ खास बात नहीं हुई।”
देवराज चौहान ने कहा फिर पोतेबाबा से बोला “तुम चाहते क्या हो?”
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03-08-2021, 10:40 AM,
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
“वो कालचक्र जथूरा का अपना नहीं है। सोबरा का कालचक्र है वो। सोबरा ने कभी वो कालचक्र जथूरा पर काबू पाने के लिए फेंका था, परंतु जथूरा ने उस कालचक्र को अपनी ताकतों के सहारे कैद कर लिया। अब उसी कालचक्र पर जथूरा नई कहानी रचकर, तुम सबके नाम पर छोड़ने जा रहा है। बचेगा कोई भी नहीं ।”
“कालचक्र छोड़ने पर क्या होगा?”
“ये नहीं बताऊंगा।” पोतेबाबा हंसा–“तुम लोग भुगतोगे तो समझ जाओगे।”
बताने में क्या हर्ज है?”
मेरा बहुत-सा वक्त खराब होगा। अभी भी वक्त है, कालचक्र से बच सकते हो।” पोतेबाबा बोला।
कि जगमोहन जथूरा के रचे हादसों में दखल न दें।”
ठीक समझे ।”
“हम तुम्हारी या जथूरा की कोई बात नहीं मानेंगे।” देवराज चौहान ने दृढ़ स्वर में कहा।
तभी जगमोहन कह उठा। “सोबरा कौन है?”
नहीं जानते, ओह तुम लोगों को तो अभी कुछ भी याद नहीं आया। सोबरा जथूरा का भाई है। परंतु दोनों में कभी नहीं बनी। दोनों एक-दूसरे पर वार करते रहते हैं। दोनों के पिता जगन्नाथ के पास शक्तियों वाली कुछ चाबियां थीं, जिन्हें जगन्नाथ के मरते ही जथूरा ने हासिल कर लिया और अब सोबरा उन शक्तियों वाली चाबियों को पाना चाहता है।”
“तो हमेशा की तरह वहां पर अपने ही झंझट पहले से चालू हैं।” जगमोहन ने कहा।
ये तो हर दुनिया में चलते रहते हैं। तो मैं जाऊं?"
“तुम आए ही क्यों थे?"
“एक बार बात करने। ये सोचकर कि शायद देवा कोई ठीक फैसला ले ले। परंतु कोई फायदा नहीं हुआ।” ।
देवराज चौहान कठोर निगाहों से पोतेबाबा की आकृति को देखे जा रहा था।
जथूरा गलत कदम उठा रहा है।” देवराज चौहान कह उठा।
“वो तुम लोगों को पूर्वजन्म में नहीं आने देना चाहता और तुम लोगों के कर्म, तुम्हारे कदम पूर्वजन्म की तरफ बढ़ा रहे हैं।”
दो पल खामोशी रही। | फिर पोतेबाबा की आकृति को सोफे से उठते देखा। उसके बाद वो धुएं के दायरे से दूर होते हुए गायब हो गया।
देवराज चौहान और जगमोहन की नजरें मिलीं।
“मेरे खयाल में खतरनाक मामला शुरू होने वाला है, जाने कैसा है कालचक्र?" जगमोहन बोला।
देवराज चौहान कुछ कहने लगा कि तभी जेब में मौजूद मोबाइल बज उठा।
"हैलो ।” देवराज चौहान ने मोबाइल निकालकर बात की।
कहां हैं आप?” नगीना की मीठी आवाज कानों में पड़ी।
जगमोहन के पास बंगले पर ।” देवराज चौहान ने गहरी सांस लेकर कहा।
“आ रहे हैं, मैंने खाना तैयार कर रखा है। जगमोहन को भी साथ ले आइए।” ।
कुछ देर में आता हूँ न ।” कहकर देवराज चौहान ने मोबाइल बंद कर दिया।
“नगीना भाभी का फोन था?" जगमोहन ने पूछा। ।
“हां, उसने खाना तैयार कर रखा है। तुम्हें भी बुला रही है।” देवराज चौहान ने कहा।
फिर तो मैं जरूर जाऊंगा।” जगमोहन मुस्कराया।
“जथूरा के कालचक्र के बारे में हमें गम्भीर हो जाना चाहिए।” देवराज चौहान बोला-“वो हमें मुसीबत में डाल...।”
।
कभी-कभी सोचता हूं कि जथूरा के रास्ते से हट जाऊं, परंतु जब होने वाले हादसे का पूर्वाभास होता है तो उस तरफ भाग जाता हूं
देवराज चौहान मुस्करा पड़ा।
क्या हुआ?” जगमोहन ने पूछा।
ये पूर्वजन्म का मामला है। तुम इससे बचे नहीं रह सकते। ये जब-जब शुरू हुआ, हमें पूर्वजन्म में प्रवेश करना पड़ा।”
जगमोहन ने कुछ कहने के लिए मुंह खोला कि उसी पल उसके मस्तिष्क में बिजलियां कौंधीं। उसने दोनों हाथों से सिर थाम लिया। आंखें बंद होती चली गईं। मस्तिष्क में बिजलियां चमक रही थीं।
क्या हुआ?” देवराज चौहान उसकी बदलती हालत पर चौंका।
चुप रहो।” जगमोहन के होंठों से कठिनता से ये शब्द निकले।
परंतु उस आवाज को सुनकर देवराज चौंक पड़ा। वो आवाज जगमोहन की नहीं थी। देवराज चौहान वहीं खड़ा हैरानी से, जगमोहन को देखता रहा।
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