XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
03-09-2021, 03:21 PM,
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
दो पल बीते कि कमला रानी का रूप परिवर्तित होने लगा। देखते ही देखते वहां बुढ़िया के बदले नगीना खड़ी थी।

सच में तू खूबसूरत है।”

“मैं या नगीना?”

नगीना के बारे में ही कह रही हूं।” । कमला रानी कुएं के पास पहुंची और नीचे झांका ।

नीचे कमर-भर पानी में जगमोहन और सोहनलाल दिखे। वो ऊपर ही देख रहे थे।

“भाभी।” तभी कुएं के भीतर फंसा जगमोहन कह उठा–“तुम यहां...।” ।

। “हां मेरे प्यारे देवर, मैं यहां ।” कमला रानी हंसी-“कुएं में तू कितना अच्छा लग रहा है और गुलचंद भी।” ।

ये भाभी का बहरूप है।” सोहनलाल ने कहा। कमला रानी वहां से हटी और भौरी से बोली। चलें अब।” कहकर वे कार की तरफ बढ़ीं।

कार की क्या जरूरत है। मैं तेरे को वैसे ही, पलों में मुम्बई पहुंचा देती हूं।” भौरी बोली।

ओह, मैं तो भूल ही गई थी।” कमला रानी ठिठकी। अगले ही पल देखते ही देखते कमला रानी का शरीर छोटा हुआ और नजरों से ओझल हो गया।

अब वहां कोई भी नहीं था। जगमोहन और सोहनलाल कुएं के भीतर फंसे पड़े थे।

देवराज चौहान ड्राइंग रूम में टहल रहा था। चेहरे पर गम्भीरता थी।

जगमोहन बना मखानी सोफा चेयर पर खामोशी से बैठा था।

काफी देर से उनके बीच खामोशी थी। शाम के छः बजने जा रहे थे।

“सोहनलाल अभी तक नहीं लौटा।” जगमोहन कह उठा–“अब मुझे पूरा विश्वास है कि वो मुसीबत में फंस चुका है।”

देवराज चौहान ने जगमोहन को देखा, कहा कुछ नहीं। टहलता रहा।

तुम चुप क्यों हो, कुछ तो बोलो।” जगमोहन ने झल्लाकर कहा।

क्या कहूं, मेरे पास कहने को कुछ भी नहीं है। जथूरा एक-एक करके सबको गायब करता जा रहा है।” देवराज चौहान ने ठिठककर होंठ भींचते हुए कहा-“हैरानी की बात है कि बांके और रुस्तम को बंगले से ही गायब कर दिया। ये बात स्पष्ट है कि जथूरा की पहुंच बंगले के भीतर तक है और हम सुरक्षित नहीं हैं।”

“बचाव में भी कुछ नहीं कर सकते।” जगमोहन ने गहरी सांस ली।

“पहले पता तो चले कि किस चीज से बचाव करना है।” देवराज चौहान ने कड़वे स्वर में कहा-“अंजानी ताकतों से हम मुकाबला नहीं कर सकते। हम सब साधारण इंसान हैं और जथूरा पूर्वजन्म में ताकत रखता है। उसके पास विद्या है। तुम भूले नहीं होंगे कि पूर्वजन्म में क्या-क्या होता है। हम वहां पर बेबस से हो जाते हैं।”

“इतने भी बेबस नहीं होते, जितना कि तुम कह रहे हो। हम वहां के हालातों का मुकाबला करते हैं।”

फिर भी, पूर्वजन्म में हमारे लिए कठिनाइयां हैं।”

क्या हम पूर्वजन्म में जाएंगे?” पूछा जगमोहन ने।
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03-09-2021, 03:21 PM,
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पक्का जाएंगे।” देवराज चौहान ने दृढ़ता से कहा-“जिस तरह जथूरा हमें रोकने के लिए अपनी ताकतें लगा रहा है, उसी तरह, पवित्र शक्तियां भी हरकत में आ चुकी होंगी कि हमें पूर्वजन्म में भेजा जा सके। जब-जब भी हालात बने हैं हम पूर्वजन्म में अवश्य गए हैं। एक बार भी ऐसा नहीं हुआ कि हमें रुके हो।”

तभी मखानी के कानों में शौहरी की फुसफुसाहट पड़ी।

मखानी। कमला रानी आ गई है।” मखानी का दिल जोरों से उछला परंतु चेहरा शांत ही बनाए रखा।
तभी बेल बज उठी।।

जगमोहन रूपी मखानी अपने पर काबू रखे, शांत भाव से उठा।

देवराज चौहान ठिठका।

कौन हो सकता है?” जगमोहन बोला।

“शायद, सोहनलाल आया हो।” ।

“देखता हूं।”

कहकर जगमोहन दरवाजे की तरफ बढ़ गया। जगमोहन ने दरवाजा खोला। सामने नगीना खड़ी थी।

“भाभी।” जगमोहन खुशी भरे स्वर में कह उठा।

“तेरे भैया कहां हैं?” नगीना व्याकुल स्वर में कह उठी।

नगीना की आवाज सुनकर देवराज चौहान चौंका। नजरें दरवाजे की तरफ गईं।

उसने नगीना को भीतर आते देखा।

देवराज चौहान के चेहरे पर खुशी की हल्की-सी चमक आ गई ।। | “कैसे हैं आप?” भीतर आने पर नगीना ने देवराज चौहान को देखा तो उसकी तरफ दौड़ी।

“नगीना।” देवराज चौहान के स्वर में खुशी थी। पास आकर नगीना देवराज चौहान से लिपट गई।

भाभी।” पास आता जगमोहन बोला–“मुझे पूर्वाभास हुआ था कि तुम बंगले पर आओगी?”

नगीना और देवराज चौहान अलग हुए।

“तुम कहां थी नगीना?” पूछा देवराज चौहान ने।

वो जगह मैं नहीं जानती। होश आने पर बहुत घबराई हुई थी। मोना चौधरी मुझे बेहोश करके, उठा ले गई थी। वो कोई जंगल जैसी जगह थी। पास में कहीं समुद्र भी था। मैं वहां से भाग आई। टैक्सी पर यहां पहुंची।” ।

“वहां।” देवराज चौहान बोला-“मोना चौधरी, महाजन, रुस्तम, बांके, सोहनलाल भी बेहोश दिखे होंगे।”

“नहीं, वहां मुझे कोई और नहीं दिखा।” ।

देवराज चौहान ने जगमोहन को देखकर कहा।

“तुमने तो पूर्वजन्म में सबको एक ही जगह पर, पास-पास बेहोश पड़े देखा था।”

“हां, देखा था।”

“नगीना कहती है कि वहां पर इसे कोई दूसरा नहीं दिखा।” देवराज चौहान बोला।

तो इसमें मैं क्या कर सकता हूं। जो मुझे महसूस हुआ, वो बताया था मैंने ।” जगमोहन का स्वर सरल था—“भाभी, मैं तुम्हारे लिए चाय बनाता हूं। तुम आ गईं हो तो, हौसला मिला कि शायद बाकी भी लौट आएंगे।”

जगमोहन किचन में चला गया। देवराज चौहान और नगीना सोफों पर आमने-सामने जा बैठे।

ये सब क्या हो रहा है। मोना चौधरी ने मेरा अपहरण क्यों किया?” नगीना ने पूछा।

“मोना चौधरी नहीं थी वो।” देवराज चौहान गम्भीर स्वर में बोला—“तुम शायद कुछ नहीं जानती ।”

“हां, मैं कुछ नहीं जानती, मुझे बताओ कि...।”

पूर्वजन्म का साया फिर हम पर पड़ रहा है।

” क्या?" नगीना चौंकी।

“हां। पूर्वजन्म की कोई शक्ति है जथूरा। जिसके बारे में किसी को याद नहीं आया कि वो कौन है। वो जथूरा चाहता है कि हम पूर्वजन्म का सफर न करें, परंतु कोई शक्ति जगमोहन को पूर्वाभास कराकर, पूर्वजन्म के सफर की तैयारी करवा रही है।”

“क्या मतलब–मुझे सारी बात बताइए कि हालातों को समझ सहूं।”

देवराज चौहान नगीना को सब कुछ बताने लगा।

इस दौरान जगमोहन कॉफी बनाकर ले आया। वो भी पास बैठ गया।

नगीना ने सब कुछ सुना। देवराज चौहान खामोश हुआ तो वो चिंतित स्वर में कह उठी।

ये तो बहुत खतरनाक बातें बताईं आपने।”
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03-09-2021, 03:21 PM,
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हम सब इन्हीं हालातों में फंसे पड़े हैं।”

मुझे तो आप दोनों की चिंता होने लगी है कि कहीं...।”
मेरे खयाल में अब सब कुछ ठीक होने लगा है।” देवराज चौहान बोला।
वो कैसे?” नगींना के होंठों से निकला।
“तुम जो वापस आ गईं। हो सकता है इसी तरह बाकी सब भी वापस आ जाएं।” ।
आपका मतलब कि जथूरा अपनी कोशिशों से पीछे हट गया है।” नगीना बोली।
कह नहीं सकता।”
जथूरा पीछे हटने वालों में से नहीं है।” जगमोहन कह उठा–“हमें किसी भ्रम में नहीं रहना चाहिए।
तुम्हारा मतलब कि बात अभी और आगे चलेगी।” नगीना ने जगमोहन को देखा।
हां। मुझे तो लगता है कि ये भी जथूरा की कोई चाल है, तुम्हारा वापस आ जाना।” जगमोहन बोला।
ओह, जाने क्यों मेरा मन घबरा रहा है।” नगीना ने कहा।
“हमारे पास इस बात की जानकारी है कि जथूरा ने हम सब के लिए कालचक्र छोड़ा हुआ है। वो हम सबको बुरी तरह फंसा देना चाहता है।” जगमोहन ने गम्भीर स्वर में कहा-“बांके और रुस्तम तो बंगले से ही गायब हो गए।” ।
देवराज चौहान को चुप देखकर नगीना बेचैनी से बोली। “आप कुछ करते क्यों नहीं?”
“मैं नहीं समझ पा रहा हूं कि क्या करूं, क्योंकि हालातों को मैं ठीक से समझ नहीं पा रहा कि आखिर जथूरा करना क्या चाहता है। इतना जरूर है कि उसने हमें बेहद परेशान कर रखा है। वो बहुत कुछ कर रहा है और हमारे करने को कुछ नहीं।”
अब हम क्या करें?” नगीना ने उलझन भरे स्वर में कहा।
“मैंने पहले ही कहा है कि हम कुछ नहीं कर सकते। ये हाथ-पांवों का खेल नहीं, जथूरा की ताकतों की चाल है। परंतु मैं इतना जानता हूं कि जथूरा कुछ भी कर ले, हमारी पूर्वजन्म की यात्रा को नहीं रोक सकता। जब-जब भी पूर्वजन्म के सफर का संयोग बना है, तब-तब हमने पूर्वजन्म में प्रवेश किया है। अब भी कुछ ऐसा होगा कि हम पूर्वजन्म में प्रवेश कर जाएंगे।”
तीनों एक-दूसरे को देख रहे थे।
कॉफी ठंडी हो रही है।” जगमोहन बोला।

सबने कॉफी का प्याला उठा लिया।
“ऐसे मौके पर अक्सर पेशीराम (फकीर बाबा) आकर हमें सलाह देता है। उलझनें दूर करता है, परंतु इस बार पेशीराम हमसे बात करने नहीं आया।” देवराज चौहान ने गम्भीर स्वर में कहा-“उसका न आना भी हमारे सामने सवाल खड़ा करता है कि...।”
“कोई तो बात होगी ही जो, इन हालातों में भी वो नहीं आया।” जगमोहन सोच-भरे स्वर में बोला।
“पेशीराम को सिर्फ एक ही काम है, वो है कि मेरी और मोना चौधरी की दुश्मनी खत्म कराकर, श्राप से मुक्ति पा लें। वो तीन जन्मों से मुक्ति पाने के लिए ही भटक रहा है। इस वक्त मैं और मोना चौधरी को हालातों ने करीब-करीब कर रखा है। इस मौके को पेशीराम कभी भी गंवाना नहीं चाहेगा। मुझे हैरानी है कि वो अभी तक आया क्यों नहीं?” देवराज चौहान ने जगमोहन को देखा।
“इस बारे में तो पेशीराम ही जवाब दे सकता है।” जगमोहन ने गम्भीर स्वर में कहा।
इसी तरह की बातें उनमें होती रही। कॉफी समाप्त करके नगीना देवराज चौहान से बोली।
मैं इसी बंगले पर रहना चाहती हूं अभी, आपको एतराज तो नहीं?" ।
मैं स्वयं, तुम्हें अपने पास ही देखना चाहता हूं।” देवराज चौहान गम्भीर स्वर में बोला—“जो हालात हैं उन्हें देखते हुए कुछ नहीं कहा जा सकता कि कब क्या हो जाए। हम कभी भी किसी नई मुसीबत में घिर सकते हैं।”
* “मैं कुछ देर आराम करना चाहूंगी।” कहकर नगीना उठी और भीतर के कमरे की तरफ बढ़ गई।
देवराज चौहान के चेहरे का तनाव अब कुछ कम था।
कितनी अच्छी बात है कि भाभी लौट आई।” जगमोहन मुस्कराकर बोला।।
“हां, बात तो तब बने, जब बाकी भी इसी तरह लौट आएं ।” देवराज चौहान गम्भीर था।
शायद वो भी लौट...।” ।

“मुझे नहीं लगता।” देवराज चौहान ने जगमोहन को देखा।
क्या मतलब?”
जथूरा जो भी है, कम-से-कम वो कच्ची गोलियां नहीं खेलता। ये बात तो तुझे महसूस हो चुकी है। वो ताकत रखता है और पक्का खेल खेलता है। नगीना के इस तरह लौट आने में, अवश्य कोई रहस्य छिपा है जथूरा का।” ।
“तुम अब बेकार की बातें कर रहे हो।” जगमोहन ने मुंह बनाया।
“मैं सही कह रहा हूं, जथूरा ने अपने किसी मतलब की ही खातिर, नगीना को अपनी कैद से आजाद किया है।” देवराज चौहान के शब्दों में सोचों के गहरे भाव मौजूद थे—“वरना वो नगीना को छोड़ने वाला नहीं ।” |

जगमोहन उठते हुए बोला।
“मैं तुम्हारी बातों से सहमत नहीं हूं। भाभी पर नजर डालने जा रहा हूं। बांके और रुस्तम की तरह भाभी भी गायब न हो जाए।” कहने के साथ जगमोहन भीतर की तरफ बढ़ गया।
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03-09-2021, 03:21 PM,
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कुछ ही पलों में वो नगीना के सामने था।
कमला रानी।”
ओह–मखानी।” दोनों कसके गले जा लगे।
“कितनी शांति मिली है तेरे सीने से लगकर ।” कमला रानी ने आह भरकर कहा।।
“मुझे भी चैन मिला है।” मखानी ने प्यार से डूबे स्वर में कहा। “तू मेरे साथ पूर्वजन्म में चलेगा न?”
तेरे साथ तो मैं हर जगह जाने को तैयार हूं।” ।
भौरी से मैंने बात कर ली है। वो हम दोनों को पूर्वजन्म में ले जाएगी। वहां हम सप्ताह में एक बार मिला करेंगे।”
सिर्फ एक बार।” मखानी ने नाराजगी से कहा।
धीरे-धीरे मैं भौरी को मना लूंगी कि वो हमें दो बार मिलने दे। अब छोड़ मुझे।” ।
नहीं ।”
“समझा कर।” कमला रानी जबरन उससे अलग हुई–“मैं इस वक्त नगीना के रूप में और तू जगमोहन के बहरूप में है।”
“ठीक है, ठीक है।” मखानी ने बुरा सा मुंह बनाकर कहा।
“काम की तरफ ध्यान दे। देवराज चौहान को पिशाच के फंदे में पहुंचाना है।” कमला रानी ने धीमे स्वर में कहा।
मैं कोई रास्ता निकालता हूं।”
“उसके सिर में कुछ मारकर, बेहोश कर दे।” कमला रानी ने कहा।
“मखानी।” शौहरी की आवाज कानों में पड़ी_“देवा आसानी से कब्जे में नहीं आएगा।”

“तुम दोनों मिलकर देवा पर काबू करो।”
मैं उसे काबू में कर लेता।”
अगर ये तेरे अकेले के बस का काम होता तो मैं क्यों कहता, कमला रानी के आने का इंतजार कर। अगर तुम लोग चूक गए तो देवा तुम्हें खत्म कर देगा। वो पहले से ही गुस्से में है।”
क्या करूँ मैं?”
“उसकी कॉफी में बेहोशी की दवा मिला देना। कमला रानी उसे बातों में लगाए रखेगी जिससे स्वाद का पता नहीं चलेगा। दो घंट कॉफी भी उसने पी ली तो वो बेहोश होने से बच नहीं सकेगा। इस बीच अगर उसे शक हो जाए तो तुम लोग ही सब कुछ संभालोगे।”
“बेहोशी की दवा मैं कहां से लाऊंगा?”
“वो तेरे को किचन में, चीनी के डिब्बे के ऊपर रखी पुड़िया में मिलेगी।”
“तो सब इंतजाम पहले ही कर रखा है तूने।” मखानी ने कहा-“अभी तो देवराज चौहान ने कॉफी पी है।”
“कुछ वक्त ठहर कर उसे कॉफी पिलाना। जल्दबाजी मत करना, वरना देवा शक खा जाएगा।”
। “ठीक है।”
“ये काम निबटा, फिर अगला काम करना है।”
“अभी मैं और काम नहीं करूंगा।” मखानी ने बच्चों जैसी जिद-भरे स्वर में कहा।
क्यों?” पहले मैं कमला रानी के साथ...।”
“वो बाद में, पहले काम। हमारी दुनिया में कामों को महत्त्व दिया जाता है। कार्य पूरे हो तो तभी आराम की सोची जाती है।”
“मैं जो कमला रानी के साथ करूंगा, वो भी तो कार्य है, महत्त्वपूर्ण कार्य ।” मखानी चिढ़कर बोला।
“तू मेरी बात नहीं मानेगा तो मैं तुझे छोड़कर चला जाऊंगा।”
जाना मत।” मखानी डरकर बोला “नहीं तो मैं मर जाऊंगा। अगला काम क्या है?”
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03-09-2021, 03:21 PM,
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परसू को भूल गया तू?” “ओह पारसनाथ–समझ गया।”
उसे भी बेहोश करना है कि पिशाच उसे ले जा सके।” “उसके बाद तो मुझे छुट्टी मिलेगी।”

थोड़ी-सी, ज्यादा नहीं।”
ज्यादा क्यों नहीं?”
क्योंकि अब तूने जग्गू की जगह लेनी है। जग्गू बनकर देवा के साथ रहेगा और उनकी मुसीबतें बढ़ाएगा। मिन्नो के प्रति उसे भड़काएगा कि देवा मिन्नो को खत्म कर देना चाहे। इस दौरान सब लोग वहां पर होंगे। झगड़ा कराना है सबमें।”
ये काम तो मेरे लिए आसान है।”
“तू ये काम करना, फिर बताना कि आसान है या कठिन।” शौहरी की फुसफुसाहट कानों में पड़ रही थी।
“तो कमला रानी कोई काम नहीं करेगी तब?” मखानी ने पूछा। “वो भी तेरे पास ही रहेगी।”
किस रूप में?”
नया रूप देखेगा तू वहां कमला रानी का। ये तेरे को वहीं पे पता चलेगा।”
तो मैं कमला रानी को पहचानूगा कैसे?”
“कमला रानी ही तेरे से बात कर लेगी तब। अब तू ज्यादा मत पूछ और देवा का काम खत्म कर। कालचक्र को अपना काम समय-सीमा के भीतर पूरा करना है। कालचक्र को जब काम सौंपा जाता है तो उसे समय-सीमा से बांध दिया जाता है।”
“ओह, मगर काम समय-सीमा के भीतर पूरा न हो तो?”
“तो कालचक्र से बंधा हर कोई जान गंवा बैठेगा। मत भूल, अब तू भी कालचक्र से बंध चुका है।” |
“ये तो मुसीबत वाली बात बताई। फिर तो मुझे सारे काम जल्दी करने पड़ेंगे।” मखानी ने फंसे स्वर में कहा।
नगीना घंटा-भर आराम करके ड्राइंग हॉल में आ पहुंची। देवराज चौहान लम्बे सोफे पर अधलेटा सा था। शाम के सात बज रहे थे। अंधेरा होना शुरू हो चुका था। जगमोहन ने बंगले की लाइटें रोशन कर दीं।
“जगमोहन ।” नगीना बोली-“अपने भैया को कॉफी पिला। थोड़ी-सी मुझे भी दे देना।”
“अभी बनाता हूँ भाभी।” कहकर जगमोहन किचन की तरफ बढ़ गया।
नगीना बैठती हुई देवराज चौहान से बोली।
आप चिंतित क्यों होते हैं।”
“चिंता में नहीं, परेशान हूं।” देवराज चौहान बोला—“जथूरा की हरकतों का मतलब नहीं समझ पा रहा।”

जो भी होगा, सामने आ जाएगा। क्या पता मेरी तरह सब सामने आ जाएं। बच आएं।”
“वो जगह याद करके बताओ कि कौन-सी थी, जहां तुमने खुद को होश में आने के बाद पाया।”
“मैं जानती तो आपको पहले ही बता देती। जब मैं होश में आई तो अपने को वहां पाकर मैं घबरा गई। कुछ पल तो मुझे कुछ भी समझ में नहीं आया कि मैं कहां हूं, फिर मैं उठी जिधर रास्ता मिला, भाग निकली। मुझे डर था कि मोना चौधरी पास में न हो
और मुझे फिर उससे झगड़ा करना पड़े। इसी घबराहट में मैं सड़क पर आ पहुंची। वहीं टैक्सी मिल गई तो बैठकर मैं आ गई। मैंने तो टैक्सी वाले से भी नहीं पूछा, वो जगह कौन-सी है।”
देवराज चौहान ने आंखें बंद कर लीं।
“पता तो कीजिए, कहीं दूसरे लोग भी वापस आ गए हो।” नगीना बोली।
सोहनलाल, बांके-रुस्तम आते तो, यहीं आते या फोन पर बात अवश्य करते ।”
मोना चौधरी या महाजन लौट आए हो?"
“जगमोहन से कहकर, पारसनाथ को फोन करवाता हूं।”
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03-09-2021, 03:21 PM,
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तभी जगमोहन ट्रे में कॉफी के तीन प्याले रखे वहां आ पहुंचा। एक प्याला उसने देवराज चौहान की तरफ टेबल पर रखा। दूसरा नगीना की तरफ, तीसरा खुद थामे एक तरफ बैठ गया। | देवराज चौहान उठ बैठा और कॉफी का प्याला थामे, जगमोहन से बोला।
“पारसनाथ को फोन करके पूछो कि क्या कुछ नया हुआ
बैठ गया जगमोहन
“कॉफी के बाद फोन करता हूं।” जगमोहन बोला।
तीनों कॉफी पीने लगे। साथ-साथ थोड़ी-बहुत बात भी चल रही थी।
दो मिनट ही बीते होंगे कि नगीना की आंखें बंद होने लगीं।
कमला रानी।” भौरी की फुसफुसाहट उसके कानों में पड़ी—“होश में आ, क्या हो रहा है तुझे ।”
“नींद आ रही है।” नगीना के होंठ से मध्यम-सा स्वर निकला। । “ओह, तो मखानी ने दवा वाली कॉफी तेरे को दे दी।”
परंतु कमला रानी कोई जवाब न दे सकी। कॉफी का प्याला उसके हाथ से छूट गया और उसकी गर्दन लुढ़क गई।
देवराज चौहान चौंका।

मखानी समझ गया कि उसने दवा वाली कॉफी गलती से, कमला रानी को दे दी है।
भाभी।” जगमोहन के होंठों से निकला। देवराज चौहान की आंखें सिकुड़ गईं। उसने उठकर नगीना को चैक किया।
नगीना गहरी बेहोशी में थी।

“क्या हुआ भाभी को?” जगमोहन घबराया-सा कह उठा।
कॉफी के कुछ घंट लेते ही बेहोश हो गई है।” देवराज चौहान ने तीखी नजरों से जगमोहन को देखा।
“कॉफी के घंट?” जगमोहन बोला–“वो ही कॉफी तो हम पी रहे हैं। मैंने बनाई है कॉफी ।” ।
इस बात पर देवराज चौहान उलझन में पड़ गया कि वो ही कॉफी उन्होंने पी है।
देवराज चौहान की तीखी नजर अभी तक जगमोहन पर थी।
“मुझे क्यों देखे जा रहे हो?” जगमोहन कह उठा।
“मुझे तुम पर शक होने लगा है।” देवराज चौहान ने स्पष्ट कहा।
शक? कैसा शक?”
“कि तूने ही कॉफी में कुछ मिलाया। परंतु गलती से तूने, मेरी अपेक्षा वो कॉफी नगीना को दे दी।”
“पागलों वाली बात मत करो, मैं ऐसा सोच भी नहीं सकता। तुम बेवकूफों की तरह मुझ पर शक कर रहे हो।” *
“कुछ तो गड़बड़ है ही।” देवराज चौहान ने पुनः नगीना को चैक किया।
। “कैसी है भाभी?”
बेहोश है, ऐसी बेहोशी नशीली दवा से ही आती है और मुझे पूरा विश्वास है कि कॉफी में बेहोशी की दवा थी।”
“कमाल है। ऐसा कैसे हो सकता है?” जगमोहन कह उठा।
“कॉफी बनाते वक्त तुम हर वक्त पास में ही रहे?”
नहीं, लॉबी में आ गया था, ओह तो बंगले पर कोई और भी है, उसी ने कॉफी में...।”
“अगर पूरी कॉफी में कुछ मिलाया होता तो हम भी बेहोश हो गए होते। सिर्फ एक कप में ही नशे की दवा थी।” देवराज चौहान का चुभता स्वर जगमोहन के कानों में पड़ा।
“तुम मुझ पर शक करना छोड़ो, ये ही तो चाहता है जथूरा।”

है, उसी ने काफी में ही नशे के
जगमोहन पलटते हुए बोला-“मैं बंगले में नजर मारकर आता हूं कि कोई भीतर है तो नहीं। ये सब शरारत उसी ने की हो।”
जगमोहन बंगले की लॉबी में आ पहुंचा।
“तूने बहुत बड़ी गलती कर दी।” शौहरी की मध्यम-सी आवाज कानों में पड़ी—“जो कप देवा को देना था, वो नगीना को दे दिया।”
“हो गई गलती ।” मखानी झल्लाया–“अब क्या करूं?”
अब तेरे को अकेले ही देवा पर काबू पाना है। तूने गलती की तो तू भुगत। अगर असफल रहा तो तुझे सजा मिलेगी।”
मखानी के दांत भिंच गए।
“कमला रानी तेरे साथ होती तो देवा पर हाथ डालने में आसानी हो जाती। अब तो खतरा और भी बढ़ गया है।”
वो कैसे?”
देवा को तुझ पर शक हो गया है कि काफी के कप में दवा तुमने ही मिलाई है।”
मखानी के दांत भिंचे रहे। “तू अपना काम पूरा कर।”
मैं देवा का मुकाबला कर पाऊंगा?”
तेरे में जग्गू जितनी ताकत है।” शौहरी की आवाज कानों में पड़ी थी—“मुकाबला नहीं कर पाएगा। तू मुकाबले की सोचता ही क्यों है। चालाकी से काम करेगा तो, शायद काम हो जाए।”
“काम न हुआ तो?”
तो मैं तुझे छोड़कर चला जाऊंगा। तब तू मर जाएगा। तेरा जीवन खत्म जो जाएगा। कमला रानी तुझे कभी नहीं मिलेगी। कालचक्र कभी भी किसी को, एक गलती के बाद दोबारा मौका नहीं देता।” ।
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03-09-2021, 03:21 PM,
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“मैं सफल होकर रहूंगा। देवा को बेहोश कर दूंगा।” मखानी के होंठों से गुर्राहट निकली।
“कर। मैं भी देखता हूं कि ये काम कैसे पूरा करता है। अपना जीवन बचा पाता है कि नहीं?”
मखानी वापस हाल में पहुंचा।
देवराज चौहान बेहोश कमला रानी को सोफा चेयर से उठाकर, लम्बे सोफे पर लिटा चुका था। | देवराज चौहान ने जगमोहन को आते देखा। उसकी आंखें सिकुड़ीं।।
जगमोहन के चेहरे के भाव उसे बदले-बदले लगे। एक हाथ पीठ पीछे कर रखा था।

देवराज चौहान कुछ सतर्क हुआ।
पास पहुंचते हुए जगमोहन ने पीछे कर रखा हाथ सामने किया। हाथ में डंडा थाम रखा था, पांच फीट का।
देवराज चौहान सतर्क-सा उसे देखे जा रहा था।
“भीतर एक आदमी मिला।” जगमोहन गुस्से से बोला—“मैंने उसे बेहोश कर दिया है डंडा मारकर ।”
कौन आदमी?” ।
मैंने उसे पहले कभी नहीं देखा। तुम देखो उसे कि, क्या तुमने उसे पहले कभी देखा है।”
देवराज चौहान कमला रानी के पास से उठ खड़ा हुआ। । “कहां है वो?” ।
*भीतर लॉबी में। मुझे पूरा विश्वास है कि उसी ने कॉफी के प्याले में बेहोशी की दवा डाली होगी। उसे मौका नहीं मिल पाया कि तीनों प्यालों में वो दवा डाल सके।” जगमोहन के स्वर में गुस्सा था।
देवराज चौहान उसके साथ चल पड़ा।
जगमोहन की बातें सुनकर देवराज चौहान उसके प्रति लापरवाह हो गया था। उसने सोचा कि वो यूं ही जगमोहन पर शक कर रहा था। और इसी लापरवाही का फायदा उठाया मखानी ने।
देवराज चौहान दो कदम आगे निकल गया, या यूं कह ले कि मखानी ही धीमा होकर दो कदम पीछे हट गया था और पीछे से मखानी ने डंडे का भरपूर वार, देवराज चौहान के सिर पर किया।
देवराज चौहान के होंठों से पीड़ा भरी कराह निकली। वो बिजली की तरह घूमा। और एक हाथ से डंडा पकड़ लिया। चेहरा क्रोध और पीड़ा से धधक उठा था। | मखानी के भी दांत भिंचे हुए थे।
तो तुम जगमोहन नहीं हो। मेरा शक ठीक निकला।”
तभी मखानी ने जूते की ठोकर देवराज चौहान की टांगों के बीच मारी।। | देवराज चौहान चीख पड़ा। डंडा उसके हाथ से छूट गया। दोनों हाथ टांगों के बीच रख लिए।
| पागल हो चुके मखानी ने दोनों हाथों से डंडा थामकर पूरी ताकत से देवराज चौहान के सिर पर मारा।
ये वार घातक सिद्ध हुआ।
नीचे जा गिरा देवराज चौहान । सिर से बहता खून चेहरे और फर्श पर बिखरने लगा।

“तू ठीक समझा कि मैं जगमोहन नहीं हूं, मैं मखानी हूं-मखानी।”
देवराज चौहान बेहोश हो चुका था।
शौहरी ।” मखानी ने डंडा फेंकते हुए, ऊंचे स्वर में पुकारा। तूने तो कमाल कर दिया मखानी।”
“मैंने अपनी जिंदगी बचाई है। मैं मर जाता तो कमला रानी का क्या होता।”
उसकी फिक्र क्यों करता है। कमला रानी को कोई दूसरा मिल जाता।”
ऐसा मत कह । कमला रानी सिर्फ मेरे से ही प्यार करेगी।” जथूरा के हंसने की आवाज कानों में पड़ी। पिशाचों को बुला कि...।” ।
वो रास्ते में हैं, आ रहे हैं।”
कमला रानी को होश कब आएगा?”
अभी आ जाएगा। भौरी उसके भीतर गई बेहोशी की दवा का असर खत्म कर रही है। कुछ ही देर में कमला तेरे सामने खड़ी होगी।” ।
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03-09-2021, 03:22 PM,
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
“अगला काम पारसनाथ को बेहोश करना है?" पूछा मखानी ने।
उसके बाद ।” ।
“बाद की तेरे को बता ही चुका हूं। परसू को भी बेहोश कर। कमला रानी के साथ ही उसके पास जाना। तू जगमोहन के रूप में ही उसके पास जाएगा और कमला रानी, नगीना के चेहरे में ही...।”
“कुछ देर मैं यहीं पर कमला रानी के साथ रहूंगा ।” मखानी एकाएक मुस्कराकर बोला।
“सिर्फ कुछ देर। उसके बाद मैं और भौरी तुम दोनों को परसू के पास दिल्ली पहुंचा देंगे।”
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रात के बारह बज रहे थे।
पारसनाथ रेस्टोरेंट के ऊपर अपने घर में था। रेस्टोरेंट बंद किया जा रहा था। सितारा राधा के पास थी । न तो महाजन का कुछ पता था और न मोना चौधरी का। इन हालातों में वो खुद को अकेला महसूस कर रहा था। मन-ही-मन ये भी सोचता कि जथूरा ने सबको बुरी तरह चक्कर में डाल रखा है। उसने सब कुछ तहस-नहस कर दिया है। साथ ही ये भी उसे महसूस होता कि ये सब तो शुरुआत भर है। अगर पूर्वजन्म में प्रवेश करना पड़ गया तो पता नहीं वहां के खतरनाक हालातों का सामना कर पाएगा कि नहीं?
तभी इंटरकॉम बजा।
नीचे से उसके नौकर ने बताया कि जगमोहन किसी युवती के साथ आया है और उससे मिलना चाहता है।
। जगमोहन को इस प्रकार अचानक आया पाकर, पारसनाथ को हैरानी हुई।
वो तुरंत नीचे जा पहुंचा। जगमोहन के करीब पहुंचा। “तुम यहां कैसे?” ।
देवराज चौहान भी अन्य लोगों की तरह गायब हो गया है।” जगमोहन ने कहा।
“ओह, ये तो...।” तभी उसकी निगाह दो कदम दूर खड़ी नगीना पर पड़ी—“ये...ये तो नगीना है, जिसे मोना चौधरी ने गायब किया था।”
“हां, ये वापस आ गई है।”
कैसे?” पारसनाथ उलझन से बोला।
होश आया इसे तो वहां से भाग निकली।”
ओह, तो क्या बाकी लोग भी वहां थे?”
“नहीं” कमला रानी पास आकर बोली-“मैं अकेली थी वहां और वो जगह भी नहीं जानती–मैं तो...।”
“ये बातें बाद में।” जगमोहन पारसनाथ से कह उठा–“जरा बाहर चलो, तुम्हें कुछ दिखा दें।”
क्या?”
कार में रखा है कुछ। मेरे खयाल में हमने जथूरा का रहस्य पा लिया है।”
ओह, दिखाना मुझे, क्या दिखाना चाहते हो?”
तीनों बाहर पहुंचे। बाहर अंधेरा था। रेस्टोरेंट के साइन बोर्ड की रोशनी अवश्य फैली थी। जगमोहन पारसनाथ के साथ था। तीन कदम पीछे कमला रानी थी। कमला रानी ने पहले से ही एक तरफ रखी ईंट उठाई और दबे पांव पारसनाथ के पीछे पहुंचकर वेग के साथ जोरों से तीन-चार बार, सिर पर चोट कर दी।
पारसनाथ को संभलने का मौका नहीं मिला और वो बेहोश होकर नीचे गिरता चला गया।

“ले शौहरी।” मखानी बोला–“तेरा काम खत्म कर दिया।”
काम तो अब शुरू होगा ।” शौहरी के हंसने की आवाज आई।
*अब तो मैं कुछ देर कमला रानी के साथ बिता सकता हूं।” मखानी कह उठा।
“अभी तो मुम्बई में देवा के बंगले पर तुम दोनों ने...”

“वो तो जल्दी-जल्दी...।” ।

“तू तो पागल है मखानी, ज्यादा अच्छा नहीं...।”
“मखानी।” कमला रानी पास आकर प्यार से कह उठी–“चल, हम कार में चलते हैं।”
“कार में?" ।
समझा कर ।”
हां-हां, चल । मैं तो कंट्रोल से बाहर होता जा रहा हूं।” मखानी ने कमला रानी की कमर में हाथ डाल दिया।
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03-09-2021, 03:22 PM,
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा का हाल देखने वाला था।
मोमो जिन्न एक के बाद एक अपनी फरमाइश किए जा रहा था। | इस वक्त मोमो जिन्न के शरीर पर उसके साइज का सिल्क का कुर्ता था। नौकर एक घंटे में हाथोहाथ बनवा के लाया था। ये बात अलग थी कि उसे पहनकर वो कार्टून जैसा दिखने लगा था।
“अब बस भी कर।” लक्ष्मण दास बोला-“तू भी कुछ आराम कर ले और हमें भी करने दे।”
“जिन्न को ज्यादा आराम की जरूरत नहीं होती।” मोमो जिन्न ने कहा-“मैं तो बहुत खुश हूं कि मेरी इच्छाएं जाग उठी हैं, वरना मैं व्यर्थ की जिदंगी जी रहा था और जथूरा की गुलामी कर रहा था। अब मैं अपने लिए जी रहा हूं।”
“तू तो जी रहा है, लेकिन हमारी जिंदगी क्यों खराब कर रहा है, हमें इस तरह दौड़ा-दौड़ाकर?”
मैं तो अब तुम लोगों को तंग नहीं कर रहा।”
“तेरी इच्छाएं तो तंग कर रही हैं।”
उन पर मेरा बस नहीं। मैं भी कभी इंसान था। जिसने भी चालाकी से मेरे भीतर इच्छाएं जगाई हैं, उसने इंसानी इच्छाओं वाला हिस्सा मेरे मन में डाला है, इसलिए मेरी इच्छाएं इंसानों जैसी हैं।”
“खून पीने की इच्छा तो इंसानों में नहीं होती।” सपन चड्ढा जल्दी से कह उठा।

। “हां, वो तो इंसानों में नहीं होती।” मोमो जिन्न ने सिर हिलाया-“तभी तो अभी तक मेरे मन में खून पीने की इच्छा नहीं उठी।” ।
“इसका मतलब तू हमारा खून नहीं पिएगा।” सपन चड्ढा ने चैन भरे स्वर में कहा।
“भविष्य में क्या होगा, मैं कैसे बता सकता हूं।” लक्ष्मण दास ने सपन चड्ढा से कहा।
इसका कोई भरोसा नहीं, कब क्या कर दे। ये न तो इंसानों में है और न ही प्रेत योनि में।”
“ये ठीक कहता है।” मोमो जिन्न मुस्कराया—“मेरा शरीर जिन्न का है। दिमाग जिन्न का है और इच्छाएं इंसानों वाली।”
एक बात तो बता ।”
लक्ष्मण दास एकाएक कह उठा।
बोल–पूछ?”
तेरे में औरत को पाने की इच्छा नहीं होती। इंसान में, मर्दो को तो बहुत जरूरत पड़ती है।”
जिन्न ये काम नहीं करते।” मोमो जिन्न बोला।
“क्यों?”
“क्योंकि औरत पाने की इच्छा के लिए, जिस चीज का होना आवश्यक है, वो चीज हमारे पास नहीं होती।”
लक्ष्मण दास ने हड़बड़ाकर सपन चड्ढा से कहा।
सुना।”
शुक्र है कि हम जिन्न नहीं हैं।” सपन चड्ढा ने लम्बी सांस ली।
“मेरे में अभी-अभी तरबूज खाने की इच्छा जागी है।” मोमो जिन्न कह उठा।।
तरबूज?” सपन चड्ढा के होंठों से निकला।
मिल जाएगा।” लक्ष्मण दास हाथ हिलाकर बोला–“आजकल बाजार में तरबूज आया हुआ है।”
“मैं नौकर को भेजता हूं।” सपन चड्ढा कहकर उठने लगा। तभी मोमो जिन्न के होंठों से निकला।
रुक जा।” सपन चड्ढा ठिठका।।
मोमो जिन्न सिर को जरा-सा टेढ़ा करके, इस तरह सिर हिलाने लगा, जैसे कोई कुछ कर रहा हो और वो सुन रहा हो। इस दौरान मोमो जिन्न की आंखें बंद हो गई थीं।

लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा की नजरें मिलीं।
दोनों का हाल ऐसा था कि मौका मिले तो भाग लें और पीछे पलटकर भी न देखें।
“ठीक है।” मोमो जिन्न सिर हिलाकर बोला-“मैं इन दोनों के साथ अभी वहां जाता हूं।” |
फिर मोमो जिन्न ने आंखें खोलीं और गर्दन सीधी करके खड़ा होकर, पहना कुर्ता-पायजामा उतारने लगा। देखते ही देखते सारे कपड़े उतार दिए और जल्दी से एक कोने में पहुंचकर, वहां पड़ा अपना पुराना कपड़ा उठाकर कमर के बीच की जगह में लपेटने लगा। ये करते हुए जल्दी में लग रहा था वो।
“क्या हुआ?” सपन चड्ढा ने पूछा-“नए कपड़े उतारकर तुमने पुराने क्यों पहन लिए?" ।
“जाना है।”
“ओह, जा रहे हो।” सपन चड्ढा मुस्कराकर बोला-“जाते-जाते तरबूज तो खा जाते ।”
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03-09-2021, 03:22 PM,
RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
“तुम दोनों को भी मेरे साथ चलना है।” मोमो जिन्न ने कमर में कपड़ा लपेट लिया।
“हमें?”
“हां, जथूरा के सेवकों की तरफ से मुझे आदेश मिला है कि तुम लोगों के साथ वहां पहुंचे जहां, देवा, मिन्नो, नील सिंह, परसू, नगीना बेहोश पड़े हैं।” मोमो जिन्न ने कहा।
लेकिन हमारे उधर जाने की क्या जरूरत है?” सपन चड्ढा घबराकर बोला।
वहां तुम लोगों ने काम करने हैं।”
काम?” ।
हां। क्या काम करने हैं, वहीं पहुंचकर बताऊंगा। मेरा क्या होगा, समझ में नहीं आ रहा।” ।
तेरे को क्या होना है। मुसीबत तो हम दोनों पर...।” । “
तुम दोनों समझते नहीं। मेरे में इच्छाएं जाग उठी हैं। मैं कैसे अपनी इच्छाओं पर काबू पाऊंगा। अगर ये भेद खुल गया कि मेरे में इच्छाएं आ गई हैं तो जथूरा के सेवक मुझे भस्म कर देंगे।” मोमो जिन्न परेशान नजर आ रहा था—“तुम दोनों ये बात किसी को न बताना।”
इच्छाओं वाली?”
हो ।”

तुम हमें साथ मत ले जाओ, तो हम ये बात किसी से नहीं कहेंगे।” लक्ष्मण दास ने कहा।
“मैं तुम दोनों को छोड़ नहीं सकता। तुम लोगों को साथ ले जाने का हुक्म मिला है।” मोमो जिन्न बोला।
“तो हम वहां पहुंचकर सबको बता देंगे कि तुममें इच्छाएं आ गई हैं।” लक्ष्मण दास ने कहा। ।
“हां-हां, हम बता देंगे।” सपन चड्ढा ने फौरन सिर हिला दिया।
मोमो जिन्न घबराकर दोनों के पास आ पहुंचा।
ये क्या कह रहे हो।” मोमो जिन्न जल्दी से बोला—“मेरा भेद खुल गया तो, तुम दोनों को कोई दूसरा जिन्न आकर गुलाम बना लेगा।” ।
“हम अब भी तुम्हारी गुलामी कर रहे हैं।”
“गलत मत समझो। इस वक्त हम दोस्त हैं। तुम अपने ढंग से फंसे हो और मैं अपने ढंग से। लेकिन तुमसे वादा करता हूं कि मौका मिलते ही तुम दोनों को आजाद कर दूंगा। परंतु इस वक्त मेरी बात मान लो और मेरे साथ ऐसे चलो, जैसे मैंने तुम दोनों पर काबू पा रखा है। बेशक दो-चार गालियां भी मुझे देते रहना। किसी को ये मत बताना कि मेरे में इच्छाएं आ गई हैं। मेरा विश्वास करो, वक्त आने पर तुम लोगों के लिए मैं अपनी जान भी दे दूंगा, लेकिन इस वक्त मेरी मजबूरी समझो।”
सच कह रहे हो? जाने दोगे?” सपन चड्ढा बोला।
मुझ पर अविश्वास मत करो। दिल को दुख होता है।” मोमो जिन्न कह उठा।
सपन चड्ढा ने लक्ष्मण दास को देखा। “क्या कहता है?”
जाना ही है इसके साथ तो नखरे क्या दिखाने । भाव क्यों बढ़ाने।” लक्ष्मण दास बाहरी सांस लेकर बोला—“अभी तो ये हमें इज्जत देकर कह रहा है, न माने तो साला हमें उलटा लटकाकर भी राजी कर लेगा।”
मोमो जिन्न उन्हें देखता, सहमति से सिर हिला उठा।
देख तो हरामी कैसे सिर हिला रहा है।”
मोमो जिन्न दांत फाड़कर मुस्करा पड़ा।
ये हमारा पीछा छोड़ने वाला नहीं ।” सपन चड्ढा ने कहा।
देखते हैं। जब तक निभती है, तब तक निभाते हैं, बाद की बाद में देखेंगे।” लक्ष्मण दास ने मन मारकर कहा।

“ये हुई बात, बोलो, जथूरा महान है।” दोनों ने मोमो जिन्न को घूरा।।
नहीं बोलेंगे।”
“समझा करो। जरूरी है बोलना, ये बोलने से तुम लोगों के शब्द जथूरा के सेवकों तक पहुंचेंगे और उन्हें लगेगा कि सब ठीक-ठाक चल रहा है। ये शब्द उन्हें न सुनाई दें तो, वो शक करने लगते हैं।” मोमो जिन्न ने कहा।
“ये शब्द भला उन तक कैसे पहुंच जाएंगे?” सपन चड्ढा उलझन से कह उठा।
“मेरे में सैंसर लगा हुआ है, जो ‘जथूरा महान है' शब्दों को कैच करके आगे भेज देता है और जथूरा के सेवकों के सैंसर, उन शब्दों को कैच करके वहां खुले मेरे खाते में डाल देते हैं कि मोमो जिन्न का काम ठीक चल रहा है।”
कितनी अजीब बातें करता है ये।” सपन चड्ढा ने कहा।
अजीब नहीं है, साधारण बात है ये। मैं देवा और मिन्नो के पूर्वजन्म के, इस हिस्से से वास्ता रखता हूं, जहां के लोगों ने बहुत तरक्की कर ली है विज्ञान में। जथूरा सबसे बड़ा वैज्ञानिक
“वैज्ञानिक?”
हां ।”
कैसी दुनिया है वो, जहां वैज्ञानिकों के सेवक जिन्न हैं। वो जादू नगरी है या वैज्ञानिक नगरी?”
“वहां सब कुछ मिलता है। जथूरा की दुनिया तुम्हारी इस दुनिया से बहुत आगे है।” मोमो जिन्न बोला–“वहां पर जिन्न, प्रेतों और पिशाचों को भी मशीनों से कंट्रोल किया जाता है। वहां जीते-जागते लोग भी काम करते हैं और रोबोट भी।”
“रोबोट?” लक्ष्मण दास ने हडबड़ाकर कहा-“पूर्वजन्म के वक्त में ।” ।
मोमो जिन्न मुस्कराया।
तो तुम लोग क्या सोचते हो कि जथूरा की दुनिया आदमयुग की है। जथूरा सच में महान है। लेकिन मैं उसका गुलाम बनकर नहीं जीना चाहता। अब मेरे में इच्छाएं जाग गईं। अब सिर्फ उसके हाथों से आजाद होना बाकी है। एक बार पूर्वजन्म में, सोबरा की शरण में चला गया तो वो मुझे जथूरा की गुलामी से आजाद करा देगा। वो मेरे दर्द को समझेगा ।”

तुम्हारी बातें हमारी समझ से बाहर हैं।”
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