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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
देवराज चौहान लक्ष्मण दास की तरफ आ गया। मोना चौधरी महाजन की तरफ बढ़ गई थी।
हैरत की बात थी कि कोई भी बस्ती वाला लक्ष्मण दास या सपन चड्ढा की तरफ नहीं आया था। वो सब चीखते हुए इधर-उधर दौड़कर बता रहे थे कि कमला रानी को मार दिया गया
और वो अपनी झोंपड़ियों की तरफ भाग रहे थे।
तभी जमीन कांपी।।
लगा जैसे समुद्र में टिकी टापू की जमीन ने अपना नियंत्रण खो दिया हो। वो पानी में आजाद होकर, जहाज की तरह इधर-उधर डोलने लगी हो। मध्यम गति से टापू की जमीन डोल रही थी। हिल रही थीं। वो कभी दाएं होती तो कभी बाएं, तो कभी सामान्य-सी होकर स्थिर हो जाती। बेहद अजीब सन्न कर देने वाला नजारा था।
लोग भाग रहे थे। चीख-पुकार, शोर मचा हुआ था।
देवराज चौहान लक्ष्मण दास के पास आकर, शोर में ऊंचे स्वर में कह उठा।
“तुमने तो कमाल कर दिया लक्ष्मण दास । कमला रानी और मखानी को मार दिया।”
सोचा, तुम कई बार मेरे काम आए हो, एक बार मैं भी तुम्हारे काम आ जाऊं।” लक्ष्मण दास ने उत्साह-भरे स्वर में कहा।
मैंने तो तुम्हारे काम आने की कीमत ली...।”
कोई बात नहीं तुम भी मुझे कीमत दे देना।” लक्ष्मण दास हंसा।
देवराज चौहान मुस्कराया।
वैसे, मैंने कुछ नहीं किया, ये सब मोमो जिन्न का किया-धरा
*
“वो कैसे?"
मोमो जिन्न ने मुझमें और सपन में हिम्मत डाल दी, जिसकी वजह से हम ये सब कर सके। अब हमें किसी भी बात का डर नहीं लग रहा। पहले मेरे में इतनी हिम्मत नहीं थी।” लक्ष्मण दास के हाथ में अभी भी खून सना खंजर था।
देवराज चौहान की नजरें हर तरफ जा रहीं थीं।
चूंकि मशालें थामे लोग वहां से भागते जा रहे थे, इसलिए अंधेरा-सा होने लगा था। सिर्फ उन्हीं मशालों की रोशनी वहां फैल रही थी, जो पेड़ों पर या अन्य जगहों पर लगी थीं।
देवराज चौहान् ।” लक्ष्मण दास बोला।।
“हो ।”
ये टापू अचानक बेकाबू-सा हो गया है। लगता है जैसे समुद्र में जमीन का बड़ा-सा टुकड़ा डोल रहा हो।”
“हां, ऐसा ही हो रहा है।”
हम कैसे बचेंगे। हम नहीं जानते कि हम कहां पर हैं।”
तभी नगीना पास आ पहुंची।
ये अचानक ही टापू को क्या हो गया है?” नगीना ने हड़बड़ाए स्वर में कहा।
“मैं नहीं जानता कि ये क्या हो रहा है।” देवराज चौहान ने कहा।
“आज रात में कालचक्र सिमट जाएगा। पोतेबाबा ने यही कहा था। कहीं ये सिमटने की वजह से ही तो नहीं हो रहा।”
। । “कुछ भी हो सकता है। मैं स्वयं इन बातों से अंजान हूं नगीना ।” देवराज चौहान के स्वर में चिंता थीं।
तभी मोना चौधरी, पारसनाथ, महाजन, बांके और रुस्तम और सपन चड्ढा पास आ पहुंचे।
“क्यों लक्ष्मण मजा आया न?” सपन चड्ढा हंसकर कह उठा।
बहुत, आखिर हमने मार दिया उन्हें ।” मोमो जिन्न् कहां है?”
पता नहीं। अभी आ जाएगा। वो हमें अकेला छोड़कर कहीं नहीं जाएगा।”
मोना चौधरी देवराज चौहान से कह उठी।
ये टापू समुद्र में समा जाएगा। तभी ये डोल रहा है।”
“मुझे भी ऐसा ही लगता है।” देवराज चौहान ने गम्भीर स्वर में कहा-“ये जगह कालचक्र का ही हिस्सा है और कालचक्र ने सुबह होने तक सिमट जाना है। तब इस टापू का भी नामोनिशान नहीं रहेगा।” ।
ये बात तुम्हें किसने बताई?”
“पोतेबाबा ने ।”
“ओह। लेकिन अब हमारा क्या होगा?” मोना चौधरी बोली-“मेरे खयाल में हम गहरे समुद्र में हैं।”
इस बारे में तो पोतेबाबा या पेशीराम ही बताएंगे।”
उसी पल सब जोरों से लड़खड़ाए। टापू की जमीन टेढ़ी हुई थी।
अगले ही पल जमीन सामान्य हालत में आ गई। सबने खुद को संभाला।
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
बोल बाप ।”
तंम म्हारी बांहों को थामो लो। म्हारे को डर लागे कि तुम कहीं लुढ़ककर समंदरो में ना जा गिरो।” ।
बाप समुद्र यहां से दूर होईला ।” ।
“सतर्क रईयो छोरे । वक्त का कोई भरोसा नहीं।” बांकेलाल राठौर ने कहा-“म्हारा प्लानो फेल हो गयो हो ।”
कैसा प्लान बाप?”
“अंम सोच के रखो कि बंधनो से आजादो होते ही, अंम कमला रानी और मखानी को ‘वड' दयो। पर वो पैले ही ‘वडे’ गयो हो।”
“तेरे को मेहनत नहीं करने पड़ेला बाप ।”
म्हारे को किसी को वडनो का मौको ना मिल्लो हो। अमं जथूरो को ‘वडो' हो।”
पता नहीं बाप, ईब क्या होने को लिखा है किस्मत में ।”
तभी टापू की जमीन जोरों से हिली।
छोरे। बोत मजो आयो हो। झूला मिल्लो हो म्हारे को। कम्भी इधरो, कम्भी उधरो।”
।
बाप झूले का रस्सा टूटेला तो सीधों समंदरों में गिरेला ।”
तम म्हारी बांह पकड़ो रयो ।”
“तेरे को डर लगेला...।”
म्हारे को थारी चिंतो हौवे कि तंम लुढ़क न जायो।”
तभी मोमो जिन्न् वहां आ पहुंचा। सबने पहली बार मोमों जिन्न को देखा था।
कौन हो तुम?” देवराज चौहान के माथे पर बल पड़े।
“मोमो जिन्न।” ।
ओह, तो तुमने हमें बचाया।” महाजन बोला।
ऐसा ही समझ लो ।”
तुम तो जथूरा के सेवक हो।” मोना चौधरी बोली “फिर हमें क्यों बचाया?”
इसका जवाब नहीं दे सकता।”
छोरे।” बांकेलाल राठौर मोमो जिन्न को देखता कह उठा–“यो मर्द जिन्न हौवे या महिला जिन्न हौवे?”
क्यों बाप?”
नाकों में नथ डाले हो ये। चूड़ियों तो म्हारे को नजर न आयो ।” ।
“ऊपर मर्द होईला, नीचे औरत होईला बाप।”
“यों तो बोत गम्भीरो बातो हौवे कि...।”
तभी मोमो जिन्न् ने बांकेलाल राठौर को गर्दन से पकड़ लिया।
तुम मेरा मजाक उड़ाते हो।”
*अंम थारा मजाक न उड़ावे, अंम तो आपस में बातो करें हो, क्यों छोरा।”
बातें तो तुम करेला आपुन के साथ।”
हां बोल छोरे।” छोरा चुप। मोमो जिन्न ने बांकेलाल राठौर की गर्दन छोड़ते हुए कहा।
अबकी बार सीधे रहना। मुझे पसंद नहीं कि कोई मेरे बारे में उल्टा-सीधा बोले ।”
समझ गयो अंम। तंम गम्भीरो जिन्न हौवे।” बांकेलाल राठौर सकपकाकर बोला।
तभी टापू की जमीन जोरों से कांपी और एक तरफ टेढ़ी हुई। सब लड़खड़ाकर रह गए। जमीन पुनः सीधी होने लगी।
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
तभी टापू की जमीन जोरों से कांपी और एक तरफ टेढ़ी हुई। सब लड़खड़ाकर रह गए। जमीन पुनः सीधी होने लगी।
मेरे को भूख लगी है।” मोमो जिन्न सपन चड्ढा से बोला।
तेरे को खाने की पड़ी है। इधर तो जान पर बनी पड़ी है।” सपन चड्ढा गुस्से से बोला।।
मैं तो पूर्वजन्म में जा रहा हूं।” मोमो जिन्न ने कहा।
पूर्वजन्म में?” पारसनाथ कह उठा“कैसे जा सकते हो तुम
पूर्वजन्म में?”
* “ये टापू कालचक्र का हिस्सा है। कालचक्र अब सिमटना शुरू हो चुका है। दिन निकलने तक टापू पानी में जा चुका होगा। यहां कोई नहीं बचेगा।” मोमो जिन्न ने गम्भीर स्वर में कहा—“परंतु कालचक्र से निकलकर पूर्वजन्म में जाने के लिए एक रास्ता बन चुका है। जो जान बचाना चाहता है, उसे पूर्वजन्म में जाना होगा।”
“जरूरी है ऐसा?”
कोई जरूरी नहीं। जो जान बचाने के लिए पूर्वजन्म में नहीं जाना चाहता, मत जाए।” मोमो जिन्न ने कहा।
यहीं रहेगा तो वो मर जाएगा?”
अवश्य मरेगा।” मोमो जिन्न ने कहा और सपन चड्ढा, लक्ष्मण दास से बोला–“तुम दोनों मेरे साथ चलो।”
कहां?” ।
पूर्वजन्म में प्रवेश करना होगा हमें।”
हमारा जाना जरूरी है क्या?” लक्ष्मण दास के होंठों से निकला।
जान बचाना चाहते हो?”
ह, हां।”
तो मेरे साथ चलो। वरना सुबह तक समुद्र में डूबकर मर जाओगे।”
व...वहां, पूर्वजन्म में हम क्या करेंगे?”
“हम ऐसी जमीन पर पहुंचेंगे, जहां जथूरा का राज्य है। परंतु हम चुपके-से सोबरा की जमीन की तरफ चले जाएंगे। सोबरा के पास पहुंचकर ही मेरी जान बच सकती है—वहां पर्...।”
“तुम्हारी जान तो बच जाएगी, लेकिन हमारा क्या होगा?” सपन चड्ढा बोला। ।
“सोबरा से कहकर मैं तुम दोनों को तुम्हारी दुनिया में पहुंचा दूंगा।”
“सोबरा हमें हमारी दुनिया में भेजने के लिए तैयार न हुआ तो?”
वो खुशी से तैयार होगा क्योंकि उसे सेवा के लिए एक जिन्न मुफ्त में मिल रहा है। मतलब कि मैं...” ।
लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा की नजरें मिलीं ।
“हमारा क्या होगा?” मोना चौधरी बोली।
“चाहो तो मेरे साथ पूर्वजन्म में चल सकते हो।” मोमो जिन्न ने कहा-“सबको सोबरा के पास ले जाऊंगा।”
*अगर हम पूर्वजन्म में न जाना चाहें तो?"
मत जाओ। सुबह तक ये टापू समुद्र में चला जाएगा। यहां से किनारा बहुत दूर है तैरकर नहीं पहुंचा जा सकता। तुम सब मर जाओगे।” मोमो जिन्न ने सरल स्वर में कहा। |
“हमें कोई ऐसा रास्ता बताओ कि हम अपनी दुनिया में पहुंच सकें।”
“मैं सिर्फ एक ही रास्ते के बारे में जानता हूं, जो कि पूर्वजन्म में जाता है।” मोमो जिन्न ने गर्दन हिलाकर कहा-“बातों में मेरा वक्त खराब मत करो। तुम दोनों मेरे साथ चलो।”
लक्ष्मण-सपन ने एक-दूसरे को देखा।
क्या कहता है सपन?”
तू बता।”
“जान बचानी है तो इसकी बात माननी पड़ेगी।”
“बाकी सब भी तो हैं, जो...।”
दूसरों की बात छोड़, अपनी चिंता कर।” ।
ये हरामी जिन्न कहीं हमें, नई मुसीबत में तो नहीं डालने जा रहा।”
क्या पता। हमारी हालत तो कटी पतंग की तरह हो रही है। समझ में नहीं आता कि क्या करें ।”
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
“ये बुरी बात है।” ।
“यार मुझे भूख लग...।” ।
“चुप कर।” सपन चड्ढा ने कुढ़कर कहा-“हम इंसानों से ज्यादा भूख तुझे कैसे लग सकती है?”
लगती है, कसम से।”
“जिन्न जाति को बदनाम मत कर जो दो रोटी खाने के लिए गिड़गिड़ा रहा है। जिन्न बन्। छाती तान के रह ।”
“कितना दुख होता है मुझे कि न तो मैं जिन्न रहा, न हीं इंसान। लेकिन सोबरा सब ठीक कर देगा। एक बार उसके पास पहुंच जाऊ तो सब ठीक हो जाएगा। वो मुझमें से इंसानी इच्छाएं निकाल देगा। मैं फिर से जिन्न बन जाऊंगा।”
“हम पूर्वजन्म में प्रवेश नहीं करना चाहते हैं।” महाजन बोला-“लेकिन अब लगता है कि हमें पूर्वजन्म में जाना ही पड़ेगा।”
जथूरा जितनी चेष्टा कर रहा था कि हम पूर्वजन्म में न जाएं, अब उतना ही आसान हो गया है पूर्वजन्म में जाना।”
देवराज चौहान ने कहा—“हैरत की बात तो ये महसूस होती है कि पूर्वजन्म में हमारे प्रवेश करने को लेकर, जथूरा के दो खास लोग ही हमारी
सहायता करते लगते हैं।”
“कौन दो लोग?” मोना चौधरी बोली।।
“पोतेबाबा और मोमो जिन्न ।” देवराज चौहान ने कहा—“जबकि पोतेबाबा का कहना है कि वो जथूरा का सबसे खास सेवक है और हमें पूर्वजन्म में प्रवेश करने से रोकने के लिए वो आया है, परंतु वो तो अप्रत्यक्ष रूप से हमें पूर्वजन्म में प्रवेश कराने के लिए हमारी सहायता कर रहा है। यही हाल मोमो जिन्न का है। मोमो जिन्न ने लक्ष्मण दास और सपन चडूढा पर काबू पाकर, उनसे मुझे और मोना चौधरी को लड़वाने का काम लिया। ये तो अच्छा रहा कि हम संभल गए। झगड़ा होते-होते रह गया। परंतु उसके बाद मोमो जिन्न् ने ऐसी कोई चेष्टा नहीं की हमें लड़वाने की।”
उसमें इंसानी इच्छाएं जो जाग गई हैं।” नगीना बोली।
ये तो वो कहता है।” देवराज चौहान ने कहा“लेकिन हमें क्या पता कि असल बात क्या है।”
“तुम कहना क्या चाहते हो?” मोना चौधरी की निगाह देवराज चौहान के चेहरे पर थी।
“पहले तो ये बात स्पष्ट थी कि जथूरा के दो सेवक मोमो जिन्न और पोतेबाबा, हमें पूर्वजन्म में प्रवेश करने से रोकना चाहते हैं, परंतु अब ये बात स्पष्ट हो रही है कि ये दोनों हमें पूर्वजन्म में ले जाने को व्याकुल हो रहे हैं।”
यो बातों न हौवे।”
“तो?”
“कमला रानी और मखानी के मरते ही, पूर्वजन्म में जाणों का रास्ता खुल गयो । मोमो जिन्न, लक्ष्मणो-सपनो को लेके उधरो जाने को तैयारो हौवो हो औरो म्हारे को शराफत के नातो बोल्लों हो कि चलनों हो तो चल्लो, नई तो इधरो ही मरो। वो म्हारे पे तोप ना तान्नो हो कि म्हारा अपहरणो करो के म्हारे को ले जायो हो।”
तू परफैक्ट बोल्ला बाप ।” बांकेलाल राठौर कहता जा रहा था।
और थारे को पोतोबाबा कब कहो हो कि तम पूर्वजन्मो में चल्लो हो ।”
“वो हमारी सहायता कर रहा है।”
अंम बोल्लो कि थारे को कब बोल्लो हो कि अंम सब पूर्वजन्मों में चल्लो हो ।”
“बांके, वो हमें रोकने की कोशिश भी तो नहीं कर रहा। वो हमसे नर्मी से...।”
वो बोत बड़ो हरामी हौवे जो नर्मी से बोल्लो हो। मौका मिल्लो तो म्हारी गर्दनो तोड़ो हो ।”
“मेरे खयाल में तो पोतेबाबा हमारे हक में बात कर रहा है।” देवराज चौहान बोला।।
वक्त बता दयो कि कोणो ठीक हौवे ।”
सवाल ये होता है कि अब हम क्या करें?” महाजन ने कहा।
हमारे पास इस वक्त बचने का कोई रास्ता नहीं है।” पारसनाथ ने कहा-“कालचक्र का टापू समुद्र में जाना शुरू हो चुका है। दिन का उजाला फैलने तक ये पूरी तरह समुद्र में डूब जाएगा। यहां से किनारा दूर है। शायद हम बच न सकें।”
| सबके चेहरों पर गम्भीरता थी।
हमें फैसला जल्दी लेना चाहिए।” मोना चौधरी बोली-“मोमो जिन्न हमारे जवाब का इंतजार कर रहा है। अभी तो अपनी जान बचाने के लिए मोमो जिन्न का सहारा है। वो चला गया तो, उस स्थिति में हमारे सामने समस्या खड़ी हो जाएगी।”
वे एक-दूसरे को देखने लगे।
“जाना है तो नखरे क्यों लगाईला बाप ।” रुस्तम राव सबको देखकर कह उठा।
*अंम भी ये ई सोच्चो हो छोरे।” ।
“जो जाना चाहता है, वो सिर हिलाए।”
सबने सिर हिलाया, देवराज चौहान और नगीना को छोड़कर। नगीना की उलझन भरी निगाह देवराज चौहान पर थी।
क्या तुम पूर्वजन्म में नहीं जाना चाहते?" मोना चौधरी ने देवराज चौहान से पूछा।
“मैं उलझन में हूं। तय नहीं कर पा रहा।” देवराज चौहान गम्भीर स्वर में बोला।
“और तुम नगीना?”
जो इनका जवाब होगा, वो ही मेरा जवाब होगा।” नगीना ने शांत स्वर में कहा।।
मोना चौधरी की निगाह देवराज चौहान पर जा ठहरी। सब देवराज चौहान को ही देख रहे थे।
क्या फैसला किया तुम लोगों ने?” कुछ दूर खड़े मोमो जिन्न् ने कहा-“मुझे जल्दी है।”
कुछ ठहरो भैया।” नगीना कह उठी।। इसी पल देवराज चौहान के कानों में पोतेबाबा की फुसफुसाहट पड़ी।
“देवा ।”
तुम!” देवराज चौहान के होंठों से निकला।
मैं चाहूं तो पूर्वजन्म में जाने के लिए अभी तेरा मन बना दें।”
तू आखिर चाहता क्या है पोतेबाबा ।” देवराज चौहान ने ठोस स्वर में कहा-“पहले तू हमें पूर्वजन्म के सफर पर जाने से रोकना चाहता था, अब तू चाहता है कि हम पूर्वजन्म में जाएं। तेरी असलियत क्या है?”
सबकी नजरें पूरी तरह देवराज चौहान पर टिक चुकी थीं।
क्या करेगा तू मेरी असलियत जानकर।” पोतेबाबा की आवाज कानों में पड़ी।
“तू बता।”
मैं अपने बारे में तुझे बता चुका...।” ।
“तू जथूरा का सेवक है तो उसकी बात क्यों नहीं मान रहा। जथूरा तो नहीं चाहता कि हम पूर्वजन्म में जाएं। तेरे को चाहिए कि तू हमें रोके, न कि हमें पूर्वजन्म में धकेले। तेरे इरादे क्या हैं?” ।
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
“मैं चाहता हूं कि तू पूर्वजन्म में जाए।” पोतेवाबा की आवाज में
गम्भीरता थी।
मैं नहीं जाऊंगा।”
“जाएगा। तेरे को जाना पड़ेगा। क्योंकि अब तेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा। कालचक्र का भ्रम से भरा ये टापू सुबह तक पानी में डूब जाएगा। उसके बाद जो यहां रहेगा, उसकी मौत हो जाएगी।”
“मेरी मौत की तू क्यों चिंता करता है।” देवराज चौहान ने तेज स्वर में कहा।
“पूर्वजन्म में जाने का तेरा मन मैं अभी बना देता हूं।”
वो कैसे?” ।
“जग्गू और गुलचंद को भूल गया।”
देवराज चौहान की आंखें सिकुड़ीं। ---क्या मतलब?”
“जग्गू और गुलचंद कालचक्र में फंसे पड़े हैं, अब वो बाहर नहीं निकल सकते। बाहर जाने के सारे रास्ते बंद हो चुके हैं। उन्हें भी हर हाल में पूर्वजन्म में प्रवेश करना ही पड़ेगा। तुम जग्गू और गुलचंद को पूर्वजन्म के भयानक खतरों में अकेला छोड़ देना चाहते हो। अगर वो वहां के हादसे में फंसकर जान गंवा बैठे तो जिंदगी जी पाओगे?" ।
देवराज चौहान के होंठ भिंच गए।
जाता हूँ मैं। सोच ले। फैसला कर ले। हो सकता है जग्गू या गुलचंद को पूर्वजन्म के चक्करों में फंसे तेरी सख्त जरूरत पड़े।”
उसके बाद पोतेबाबा की आवाज नहीं आई। देवराज चौहान के कानों में कुछ खामोशी रहीं।
देवराज चौहान के चेहरे पर कठोरता के भाव देखकर, नगीना कह उठी।
“क्या हुआ आपको?”
मैं” देवराज चौहान ने गहरी सांस ली “पूर्वजन्म मैं जाऊंगा।”
मैं हर जगह आपके साथ हूं। आपका ये फैसला है तो, मेरा भी यही कहना है।” नगीना बोली।
“फैसला हो गयो ।” बांकेलाल राठौर बोला–“छोरों अंम वां ये जथूरा की गर्दन को ‘वड' दयौं।”
चलो मोमो जिन्न के पास चलें ।” मोना चौधरी बोली।
फिर सब मोमों जिन्न के पास जा पहुंचे।
चल बाप।” रुस्तम राव मोमो जिन्न से कह उठा–“पूर्वजन्म का रास्ता किधर होईला?”
मैं किसी का बाप नहीं हूं।” मोमो जिन्न ने नाराजगी से कहा-“जिन्न किसी का बाप हो ही नहीं सकता।”
क्यों?” ।
तुम्हें सारी बात क्यों बताऊं, अपने काम से मतलव रखो।”
छोरे। चुप्पो रहो। मोमो जिन्नो का मूड उखड़ गयो तो, गड़बड़ो हौवे ।”
आओ मेरे पीछे।” मोमो जिन्न ने कहा और एक तरफ बढ़ गया। सब उसके पीछे चल पड़े।
टापू पर अब कुछ मशालें ही जलती नजर आ रही थीं। शांति छा चुकी थी टापू पर। अब कहीं से, कोई आवाज नहीं आ रही थी। रह-रहकर टापू की जमीन इधर-उधर डोल रही थी।
उनके कदमों की आवाजें गूंज रही थीं।
ये टापू वाले लोग कहां चले गए?” पारसनाथ ने पूछा-“कोई नजर नहीं आ रहा।”
पूर्वजन्म में प्रवेश करने के रास्ते पर जा चुके हैं।” मोमो जिन्न कह उठा।
सब?” ।
“हां, सब। उन्हें भी तो जान प्यारी है। जो पूर्वजन्म में पहुंच जाएगा, उसे कालचक्र की कैद से मुक्ति मिल जाएगी।”
परंतु इस जमीन के नीचे तो समुद्र है।” नगीना बोली-“हमारा सफर कैसे होगा?”
देखते रहो। सब पता चल जाएगा।”
यों जिन्न बोत चालू लागे हो म्हारे को।” बांकेलाल राठौर का हाथ मूंछ पर जा पहुंचा।
“तुम जथूरा के सेवक हो?” मोना चौधरी ने चलते-चलते पूछा।
“पक्का सेवक हूँ ।” आगे बढ़ता मोमो जिन्न बोला।
“जथूरा रहता है कि हम पूर्वजन्म में न जाएं तो तुम हमें क्यों वहां ले जा रहे हो?”
मर्जी तुम लोगों की। बेशक मत चलो।”
मेरा सवाल ये नहीं था, मोमो जिन्न। मैं पूछ...।”
तुम्हारे सवाल का मैं जवाब नहीं देना चाहता। क्योंकि...।” तभी उनके कानों में एक युवती की तेज आवाज पड़ी।
रुको-रुको, कहां जा रहे हो, तुम मेरी बात सुनो।” इन आवाजों को सुनकर वो सब ठिठके।।
उसी पल युवक और युवती पास आकर ठिठके और गहरी-गहरी सांसें लेने लगे।
सबकी निगाह उन दोनों पर जा टिकी थी।
सांवले रंग की उन्नीस-बीस बरस की वो युवती थी। कमीज-सलवार पहन रखा था। तीखे नैन-नक्श और आंखें कुछ बड़ी थी।
बालों की चुटिया बना रखी थी।
उसका छोटा-सा सीना उठ बैठ करता लग रहा था। युवक उसका हमउम्र ही था।
वो कमीज और पायजामे में था। कद उसका अवश्य लम्बा था।
“तुम इन्हें कहां ले जा रहे हो?” युवती एकाएक अधिकार-भरे स्वर में कह उठी।
| मोमो जिन्न के चेहरे पर ना-पसंदगी के भाव उभरे।
“मेरे से इस तरह से सवाल करने वाली तुम कौन होती हो?” मोमो जिंन्न ने तीखे स्वर में कहा।
“तुमने मुझे पहचाना नहीं। मैं कमला रानी हूं।” युवती कह उठी।
लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा घबराकर मोमो जिन्न के पीछे हो गए।
और मैं मखानी हूं मोमो जिन्न ।”
समझा। तो तुम लोगों ने दूसरे शरीरों में प्रवेश पा लिया।” मोमो जिन्न हौले-से सिर हिलाकर कह उठा।
“हमें तो दूसरा शरीर मिलना ही था।” मखानी बोला—“तुम इन सबको लेकर कहां जा रहे हो?”
“कालचक्र की ये जमीन समुद्र में वापस धंसने जा रही है। मैं पूर्वजन्म में प्रवेश करने...।”
इन्हें लेकर?”
तो क्या हो गया?”
भूल गया कि जथूरा नहीं चाहता कि इन लोगों का पूर्वजन्म के हिस्से में प्रवेश हो।”
मैं तुम दोनों को जवाबदेही के लिए मजबूर नहीं हूं।”
सुना मखानी।” मोमो जिन्न पागल हो गया है।” कमला रानी ने लक्ष्मण दास और सपन चडूढा को देखा। वो दोनों अभी तक मोमो जिन्न् के पीछे थे।
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
“तुम दोनों ।” कमला रानी क्रोध से कह उठी–“तुम दोनों ने हमें मारा। हमारा काम बिगाड़ दिया।”
हम तुम्हें नहीं छोड़ेंगे।” मखानी गुर्राया।
मोमो जिन्न।” लक्ष्मण दास हड़बड़ाकर बोला—“देख तो ये क्या कह रहे हैं।”
“चिंता मत करो। ये तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।” मोमो जिन्न् कह उठा।
तू गद्दार है मोमो जिन्न । जथूरा तुझे सजा देगा।”
मेरे पास वक्त नहीं है तुम लोगों से बात करने का ।” फिर मोमो जिन्न ने सबसे कहा-“चलो।”
वों सब पुनः चल पड़े। कमला रानी और मखानी वहीं खड़े रह गए।
ये क्या हो रहा है कमला रानी।”
“जथूरा से मोमो जिन्न को सख्त सजा...।”
“कमला रानी।” तभी भौरी की फुसफुसाहट कमला रानी के कानों में पड़ी।
“ओह भौरी, कह।” कमला रानी के होंठों से निकला।
“इस वक्त अपनी जान बचाओ। तुम दोनों भी उन सबके साथ पूर्वजन्म में प्रवेश कर जाओ।” ।
लेकिन मोमो जिन्न उन सबको क्यों...।”
ये वक्त बातों का नहीं है। पूर्वजन्म में जाने का रास्ता जल्दी ही बंद होने वाला है।”
“ओह ।” कमला रानी ने मखानी को देखा“चल मखानीं ।”
“कहां?"
हमें उनके साथ पूर्वजन्म में जाना है। भौरी ने कहा है ऐसा।”
“लेकिन मुझे तो शौहरी ने ऐसा कुछ नहीं...।”
कमला रानी जैसा कहती है मखानी, वैसा ही कर्।” शौहरी की फुसफुसाहट मख़ानी के कानों में पड़ी।
“ठीक है।” मखानी बोला फिर कमला रानी से कहा-“चल।”
मखानी और कमला रानी आगे जा रहे उन सबके पीछे चल पड़े।
इधर अंधेरा था। परंतु उन सबको देखने में इन्हें कोई परेशानी नहीं हो रही थी।
कमला रानी।” मखानी प्यार से कह उठा।
“बोल ।”
“अब तो तू जवान हो गई है। उन्नीस-बीस की कड़क ।”
त?”
एक चुम्मा दे दे। बाकी सब काम के लिए तो अभी बक्त नहीं।”
तेरा ध्यान सिर्फ इसी बात पर जाता है।” कमला रानी ने झल्लाकर कहा।
“दे दे ना।”
नहीं देंगी।” कमला रानी ने जिद-भरे स्वर में कहा।
एक छोटा-सा।” ।
नहीं ।” कमला रानी ने पुनः इंकार में सिर हिलाया। मखानी ने चलते-चलते झपट्टा मारा और कमला रानी को बांहों में कैद करके चुम्मा ले लिया।
बंदा बन जा मखानी।” कमला रानी झल्लाकर बोली।
“क्या करूं, तू देती नहीं तो फिर जबर्दस्ती ही सही।”
अपना ध्यान मोमो जिन्न पर लगा। वो गड़बड़ करने लगा है। उसके इशारे पर ही हमें मारा गया।”
“आखिर जा तो वो भी पूर्वजन्म में ही रहा है। वहां जथूरा उसे छोड़ने वाला नहीं ।” मखानी ने विश्वास-भरे स्वर में कहा।
दोनों तेजी से आगे बढ़ते जा रहे थे।
“हमारी किस्मत में चैन से बैठना नहीं है।” कमला रानी बोली-“मुसीबत-पर-मुसीबत हमारे सामने आ रही है।”
अंधेरे में आगे बढ़ता मोमो जिन्नु ठिठका। पीछे से आते सब उसके करीब पहुंचकर रुक गए।
सामने ही दस फुट ऊंची कोहरे से भरी दीवार जैसी कोई चीज थी।
ये सामने क्या है?” मोना चौधरी कह उठी।
“हम आ पहुंचे हैं वहां, जहां से पूर्वजन्म को रास्ता जाता है।” मोमो जिन्न ने कहा।
लेकिन सामने तो रास्ता बंद लग रहा है।” पारसनाथ ने कहा।
अगले ही पल मोमो जिन्न ने अपना दायां हाथ आसमान की तरफ उठाया और कुछ बड़बड़ाया।
| उसी पल मोमो जिन्न की तर्जनी उंगली से तीव्र पीली लाइट की लकीर निकलकर, वहां की जगह को रोशन करने लगी। मोमो जिन्न ने हाथ नीचे किया तो रोशन कोहरे की दीवार पर पड़ी। ।
“सब मेरे पीछे चले आओ।” कहकर मोमो जिन्न कोहरे की दीवार में प्रवेश करता चला गया। | सब एक-एक करके उसके पीछे, कोहरे की दीवार में प्रवेश करते चले गए। | फिर उन्होंने खुद को कोहरे की दीवार में बने एक ऐसे कमरे जैसी जगह में पाया जहां से सिर उठाने पर, ऊपर आसमान तारों भरा नजर आ रहा था। | उसी पल टापू की जमीन जोरों से डोली।
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desiaks
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RE: XXX Sex महाकाली--देवराज चौहान और मोना चौधरी सीरिज़
घुप्प अंधेरा था वहां। हाथ को हाथ न सुझाई दे रहा था।
एक-एक करके वे सब, एक अंधेरे से भरी जगह पर आ पहुंचे थे। दस मिनट हर एक को लगे थे वहां तक पहुंचने में। सफर आरामदेह रहा था। परंतु परेशानी तो अब थी कि अंधेरे की वजह से वो कुछ भी देख-समझ न पा रहे थे कि इस वक्त वे सब किस स्थिति में हैं। ये जगह भी कमरे जैसी खुली जगह थी।
पानी के टकराने की आवाजें । समुद्र के पानी की नमीं भरी हवा उनकी सांसों से टकरा रही थी।
“म्हारे को तो लागो हो कि मोमो जिन्नो खिसक लयो हो म्हारे को इधर भेजो के।” ।
“वो कहीं नहीं जाएगा।” ।
“यो तो कमला रानी की आवाज हौवे हो। तुम भी इधरो आ मरों हो।”
“मैं भी हूं।” मखानी कह उठा।
सभी बीमारी इधर आ मरेला है बाप ।”
छोरे। ईब तो भूचाल आयो हो। कमलो रानो और मखानो को तो अंम अम्भी ‘वड' दयो हो।”
कोई कुछ नहीं करेगा।” देवराज चौहान का गम्भीर स्वर उन्हें सुनाई दिया–“एक वार करे तो तभी दूसरा वार करे।”
तंम म्हारे हाथ बांध दुयो हो। वरनो अंम तो ईब्बी...।”
तभी दूर कहीं रोशनी चमकी।
सबकी निगाह उधर उठी। वो कुछ समझ नहीं पाए कि रोशनी का गोला भीतर आ लुढका। वो मोमो जिन्न था।
उसकी तर्जनी उंगली से तीव्र रोशनीं निकल रही थीं। वहां भरपूर प्रकाश हो गया। अब सब कुछ नजर आने लगा। उस रोशनी में सबके चेहरे चमकते से महसूस हो रहे थे। उन्होंने खुद को एक मिट्टी के कमरे में मौजूद पाया। एक तरफ खोह जैसा रास्ता, जिसके बाहर कुछ नजर नहीं आ रहा था, परंतु उस खोह में कांच का बड़ा-सा हिस्सा फंसा हुआ था। वो हिस्सा ऊपर-नीचे की ओर खुला था और बीच में, भीतर जाने का रास्ता बना हुआ था।
म्हारे को तो यो किसी राक्षस का खुला मुंह लागे हो।”
मोमो जिन्न वहां पहुंचते ही तुरंत उठा और रोशनी उस खुले मुंह पर डालते कह उठा।
सब एक-एक करके भीतर प्रवेश कर जाओ।”
ये क्या होईला बाप?”
पूर्वजन्म में प्रवेश करने का ये वाहन है।” मोमों जिन्न ने कहा-“हमने अब इसी में सफर करना है।”
“भीतर कहीं भी रोशनी नहीं है।” महाजन ने कहा-“आखिर ये है क्या चीज?”
“रोशनी भी हो जाएगी। सब जल्दी से भीतर जाओ। हमारे पास वक्त कम रह गया है।” मोमो जिन्न की आवाज सुनाई दी। | फिर सब एक-एक करके उस खुले मुंह में भीतर प्रवेश करने लगे।
जब सब चले गए तो मोमो जिन्न ने तर्जनी उंगली से रोशनी उस तरफ भीतर की, जहां वे सब गए थे।
भीतर का नजारा रोशन हो उठा। | वे सब भीतर भीड़ की तरह खड़े थे। रोशनी के भीतर आते ही उन्हें साफ स्पष्ट दिखा। उन्होंने खुद को कांच की पनडुब्बी जैसी चीज़ में पाया। जिसके बाहर समुद्र का पानी मचलता दिखाई दे रहा था। पानी में छोटी-बड़ी मछलियां भी दिखीं। अंधेरे की वजह से वे समुद्र के पानी को ज्यादा दूर तक न देख पा रहे थे।
पीछे लम्बी बैंच जैसी जगह बनी हुई थी। वे सब उस पर बैठते चले गए।
फर्श का हिस्सा भी कांच का था। जैसे वो नीचे पानी की सतह पर खड़े हो। नीचे भी दौड़ती मछलियां नजर आ रही थीं। ठीक बीचोबीच, नीचे की तरफ बड़े से बक्शे जैसे चीज सटी थी।
मोमो जिन्न भीतर आकर बोला।।
कैसी जगह लगी ये?” चेहरे पर मुस्कान थी।
“ये क्या है?” देवराज चौहान बोला।।
ये कांच की आकृति, जथूरा की पनडुब्बी है।” मोमो जिन्न बोला।
कांच की पनडुब्बी?” महाजन ने अजीब-से स्वर में कहा।
चिंता मत करो। लोहे से भी मजबूत है। हम लोग आसानी से मंजिल पर पहुंच जाएंगे।” मोमो जिन्न ने कहा।
“इसका इंजन कहां है?” मोना चौधरी ने पूछा।
नीचे जो बक्सा लगा देख रहे हो, वो ही इंजन हैं।”
इसे चलाने वाला उस बक्से में बैठा है क्या?”
नहीं-नहीं।” मोमो जिन्न गर्दन हिलाकर बोला—“तुम लोग गलत मत समझो। वो सिर्फ इंजन है। पनडुब्बी में चालक नहीं होता। ये आटोमेटिक सिस्टम से चलती है और रिमोट द्वारा इसे जथूरा के सेवक कंट्रोल करते हैं।”
जथूरा के सेवक? वो कहां हैं?”
पूर्वजन्म की दुनिया में। जहां हम जा रहे हैं।”
वों क्या?” लक्ष्मण दास कह उठा। सबकी निगाह उस तरफ उठी।
जिस रास्ते से वे भीतर आए थे। वो रास्ता बंद हो रहा था। नीचे और ऊपर का हिस्सा आपस में मिल रहा था। कांच की पनडुब्बी का वो पूंछ वाला हिस्सा था जो देखते-ही-देखते बंद हो गया था।
तभी देवराज चौहान बोला। “वो हमें देख रहे हैं?” ।
“कैसे जाना देवा?” मोमो जिन्न ने उसे देखा।
“उस रास्ते का बंद होना। वो तभी बंद हो सकता है, जब जथूरा के सेवकों को यकीन हो जाए कि हम भीतर आ चुके हैं।”
वो हमें देख ही नहीं रहे। सुन भी रहे हैं।” मोमो जिन्न मुस्कराकर बोला फिर सपन चड्ढा-लक्ष्मण दास से कहा-“बोलो।”
“जथूरा महान है।” दोनों बेहद शराफत से बोले।
मख़ानी और कमला रानी ने खा जाने वाली निगाहों से लक्ष्मण दास और सपन चड्ढा को देखा।
दोनों ने हड़बड़ाकर मुंह फेर लिया।
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“अब तुम दोनों नहीं बचोगे।” कमला रानी कड़वे स्वर में कह उठी–“तुमने हमें मारा, हमारा काम बिगाड़ा।”
मोमो जिन्न।” लक्ष्मण दास घबराकर बोला–“ये...।”
“इनकी फिक्र मत करो।” मोमो जिन्न ने मुंह बनाकर कहा-“मैं इनसे नहीं डरता।”
“ले...लेकिन हम तो डरते हैं।” सपन चड्ढा ने सूखे होंठों पर जीभ फेरी।
“तुम भी मत डरो। जब तक मैं हूं पास में, तब तक ये दोनों तुम्हें छू भी नहीं सकते।” ।
तुम हमारे पास ही रहना ।” सपन चड्ढा घबराया हुआ था।
फिक्र क्यों करते हो। तुम तो हमारे यार हो।”
“हां, हम तो तुम्हारे यार हैं।” दोनों शराफत से सिर हिलाने लगे।
इस मोमो जिन्न की भी खैर नहीं। एक बार हम जथूरा की जमीन पर पहुंच जाएं—फिर...।” ।
“मुंह बंद रखो।” मोमो जिन्न तीखे स्वर में बोला–“वरना तुम दोनों पछताओगे, अगर मुझे गुस्सा आ गया तो ।”
“चुप रह मखानी ।” कमला रानी ने कहा-“मोमो जिन्न को तो बाद में सीधा करेंगे।”
| तभी कांच की पनडुब्बी में कम्पन-सा हुआ। सब संभल गए। नजरें पानी की तरफ उठ गईं।
| वो पनडुब्बी धीरे-धीरे पानी में सरकने लगी।
मार दयो जथूरो ने तो।” बांकेलाल राठौर कह उठा–“जथूरो क्या बढ़ियो चीजो पेश करो हो।” ।
“दिन के उजाले में पनडुब्बी के बाहर, समुद्र के भीतरी हिस्से के और भी शानदार दृश्य नजर आएंगे।” मोमो जिन्न बोला। |
“तुम पहले भी ऐसी पनडुब्बी में सफर कर चुके हो?” मोना चौधरी ने पूछा।। ।
“कई बार। मेरा तो तुम लोगों की दुनिया में आना-जाना लगा ही रहता है।” मोमो जिन्न ने कहा।
“तो क्या जथूरा के पूर्वजन्म को, समुद्र से ही रास्ता जाता है?” नगीना ने पूछा। ।
“हर तरफ का रास्ता है जथूरा के पास। मैंने हर तरफ का रास्ता तय किया हुआ है।”
“कितनी देर का रास्ता है, कितना वक्त लगेगा हमें?”
रात पूरी। फिर दिन आएगा तो, आधे दिन के बाद हम पूर्वजन्म की जथूरा की धरती पर पहुंच जाएंगे।”
लम्बा रास्ता है।”
“तुम बैठ क्यों नहीं जाते?” पारसनाथ बोला।
जिन्न को कभी भी थकावट नहीं होती।” मोमो जिन्न ने कहा।
खड़े रहो। म्हारे को चौकीदारों की भी जरूरतो हौवे ।”
पनडुब्बी की रफ्तार अब धीरे-धीरे तेज होने लगी थी। सबकी नजरें पानी के बाहर लगी थीं। मोमो जिन्न के हाथ की उंगली से निकलने वाली रोशनी ही, अंधेरे में उनका सहारा बनी हुई थी।
तभी वहां बेहद शांत और भारी आवाज गूंजी। “मुझे खुशी है कि आप लोग हमारी दुनिया की तरफ बढ़ रहे
“ये कौन है?” देवराज चौहान के माथे पर बल पड़े। उसने मोमो जिन्न को देखा।
जथूरा महान है।” मोमो जिन्न फौरन कह उठा“उससे महान कोई दूसरा नहीं है।”
ये जथूरा का आवाज होईला बाप?”
अंम थारे को ‘वड' दयो जथूरो।” बांकेलाल राठौर गुर्रा उठा।
लगता है भंवर सिंह जथूरा से मिलने को बहुत बेताब है।” उस आवाज में खुशनुमा भाव थे।
“स्वागत है भंवर सिंह अगर मैं तुम्हारे किसी काम आ सका परंतु मैं जथूरा नहीं, उसका सेवक हूं।”
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