RE: Maa Sex Kahani चुदासी माँ और गान्डू भाई
विजय- “हाय मेरी राधा रानी उसे डंडा नहीं लण्ड बोलो। पूरा 11 इंच लंबा और 4 इंच मोटा है। एकदम सिंगापुरी केले जैसा। एक बार देखोगी तो मस्त हो जाओगी..” यह कहकर मैंने माँ के होंठों को वापस मुँह में ले लिया और माँ के मुँह में अपनी लंबी जुबान डाल दी। यह चुंबन काफी लंबा चला।
राधा- “जिसका 4-5 इंच का होता है उसे नूनी बोलते हैं, जिसका 6-7 इंच का होता है उसे लण्ड बोलते हैं पर तुम्हारा तो 11 इंच लम्बा है तो उसे लण्ड नहीं हलब्बी लौड़ा बोलते हैं। मैं अब उसे झेल पाऊँगी भी या नहीं? 15 साल से अधिक हो गये मेरी चूत में एक तिनका भी नहीं गया है। मेरी चूत एकदम संकरी हो गई है। मेरे राजा मुझे चोदोगे तो कुंवारी लड़की जैसा मजा मिलेगा." माँ पूरी बेशर्मी के साथ हँसकर बोली।
अब मैंने माँ के दोनों पुष्ट चूचे ब्लाउज़ के ऊपर से ही अपने दोनों हाथों में समा लिए और उनका कस के मर्दन करने लगा। मुझे माँ के साथ पूरा बेशर्म होकर इस प्रकार खुली बातें करने में बहुत मजा आ रहा था और उससे भी बढ़कर इस बेतकल्लुफी और बेशर्मी में माँ मुझसे भी बढ़कर साबित हो रही थी। मुझे पूरा भरोसा हो गया की मैं माँ के साथ नये वासनात्मक खेल खुलकर खेल सर्केगा।
विजय- "जैसा मेरा लंबा तगड़ा शरीर है और लौड़ा है, उसे झेलना हल्की फुल्की लड़की के बस की बात नहीं है। इसलिए मेरी लड़कियों में ज्यादा दिलचस्पी भी नहीं है। मुझे तो मेरे जैसी ही लंबी, तगड़ी, मस्त और बेबाक खेली खाई हुई औरत चाहिए। माँ तुम ठीक मेरा ही प्रतिबिंब हो। बिल्कुल मेरे जैसी गठीली, मजे लेने की शौकीन, खुलकर बात करने वाली हो। किसी नई लड़की को चोद दें तो लेने के देने पड़ जाएंगे। साली की एक बार में ही । फट के भोसड़ा बन जाएगी। मुझे तो ठीक तुम जैसी ही औरत चाहिए थी...” मैंने भी मजे लेते हुए कहा।
राधा- “तू तो मेरी 15 साल से बचा के रखी चूत का भोसड़ा बना देगा। ना बाबा ना.. मुझे तुमसे नहीं चुदवाना..” माँ ने इठलाते हुए कहा।
विजय- “अरे मम्मी जैसा तुम्हारा लंबा चौड़ा शरीर है उसी अनुपात में तुम्हारी चूत भी तो बड़ी होगी? बल्कि चूत नहीं मालपुवे सा फुद्दा है फुद्दा। फिर तुम तो मेरी जान हो। तुम्हारी चूत को मैं बहुत प्यार से लँगा। चिंता मत करो मेरी राधा डार्लिंग, खूब प्यार से तुम्हें मजे ले-लेकर धीरे-धीरे चोदूंगा...” मैंने माँ की जवानी के चटकारे लेते हुए कहा।
राधा- “हाय... ऐसी खुली-खुली बातें मैंने आज से पहले ना तो कभी सुनी और ना ही कभी कही। तुम्हारी सुहागन बनकर मुझे तो मेरे मन की मुराद मिल गई। ऐसी बातें करने में तो काम से भी ज्यादा मजा आता है। ऐसी ही खुली-खुली बातें करते हुए मेरी इस तड़पती जवानी को खुलकर भोगो मेरे राजा..” माँ ने कहा।
विजय- “मैं जानता था की तुम्हें असली खुशी में तुम्हारा सुहाग यानी की तुम्हारा पति, सैंया, साजन, बालम बनकर ही दे सकता था। अब लोगों के सामने तो हम माँ बेटे रहेंगे, और रात में खुलकर रंगरेलियां मनाएंगे। जवानी के नये-नये खेल खेलेंगे। क्यों मेरी रानी तैयार हो ना मेरे से खुलकर मजे लेने के लिए? कहीं कोई डर तो मन में नहीं है ना?” मैंने खुला आमंत्रण दिया।
राधा- “नहीं मेरे राजा मुझे ना तो कोई डर है और ना ही कोई शंका। मैं तुझसे मस्त होकर चुदने के लिए पूरी तैयार हूँ। मेरी चूत गीली होती जा रही है। वो तुम्हारे लण्ड को तरस रही है...”
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