RE: Hawas ki Kahani हवस की रंगीन दुनियाँ
में अपनी बहन की कपकपाती बुर का मजा लेते हुए उसकी आम्सू भरी आम्खों में झाम्कता उसके मुंह को दबोचा हुआ कुछ देर वैसे ही बैठा रहा. रचना के बम्द मुंह से निकलती यातना की दबी चीख सुनकर भी मुझे बहुत मजा आ रहा था. मुझे लग रहा था कि जैसे में एक शेर है जो हिरन के बच्चे का शिकार कर रहा है.
कुछ देर बाद जब लंड बहुत मस्ती से उछलनए लगा तो एक धक्का मेने और लगाया. आधा लंड उस किशोरी की चूत में समा गया और रचना दर्द के मारे ऐसे उछली जैसे किसी ने लात मारी हो. चूत में होते असहनीय दर्द को वह बेचारी सह न सकी और बेहोश हो गयी. में ने उसकी कोई परवाह नहीं की और धक्के मार मार कर अपना मूसल जैसा लंड उस नाज.उक चूत में घुसेड़ना चालू रखा. अन्त में जड़ तक लवड़ा उस कुम्वारी बुर में उतारकर एक गहरी साम्स लेकर में अपनी बहन के ऊपर लेट गया. रचना के कमसिन उरोज उसकी छाती से दबकर रह गये और छोटे छोटे कड़े चूचुक उसे गड़ कर मस्त करने लगे.
में एक स्वर्गिक आनन्द में डूबा हुआ था क्योंकि मेरी छोटी बहन की सकरी कोमल मखमल जैसी मुलायम बुर ने मेरे लंड को ऐसे जकड़ा हुआ था जैसे कि किसीने अपने हाथों में उसे भीम्च कर पकड़ा हो. रचना के मुंह से अपना हाथ हटाकर उसके गुलाबी होंठों को चूमता हुआ में धीरे धीरे उसे बेहोशी में ही चोदने लगा. बुर में चलते उस सूजे हुए लंड के दर्द से रचना होश में आई. उसने दर्द से कराहते हुए अपनी आम्खें खोलीं और सिसक सिसक कर रोने लगी. "भैया, मै मर जाऊम्गी, उई माम, बहुत दर्द हो रहा है, मेरी चूत फटी जा रही है, मुझपर दया करो, आपके पैर पड़ती हूम."
में ने झुक कर देखा तो मेरा मोटा ताजा लंड रचना की फैली हुई चूत से पिस्टन की तरह अन्दर बाहर हो रहा था. बुर का लाल छेद बुरी तरह खिम्चा हुआ था पर खून बिल्कुल नहीं निकला था. में ने चैन की साम्स ली कि बच्ची को कुछ नहीं हुआ है, सिर्फ़ दर्द से बिलबिला रही है. में मस्त होकर अपनी बहन को और जोर से चोदने लगा. साथ ही मेने रचना के गालों पर बहते आम्सू अपने होंठों से समेटन शुरू कर दिया. रचना के चीखने की परवाह न करके में जोर जोर से उस कोरी मस्त बुर में लंड पेलने लगा. "हाय क्या मस्त चिकनी और मखमल जैसी चूत है तेरी रचना , बहुत पहले चोद डालना था तुझे. चल अब भी कुछ नहीं बिगड़ा है, रोज तुझे देख कैसे तड़पा तड़पा कर चोदता हूं."
टाइट बुर में लंड चलने से 'फच फच फच' ऐसी मस्त आवाज होने लगी. जब रचना और जोर से रोने लगी तो में ने रचना के कोमल गुलाबी होंठ अपने मुंह मे दबा लिये और उन्हें चूसते हुए धक्के मारने लगा. जब आनन्द सहन न होने से वह झड़ने के करीब आ गया तो रचना को लगा कि शायद में झड़ने वाला है इसलिये बेचारी बड़ी आशा से अपनी बुर को फ़ाड़ते लंड के सिकुड़ने का इम्तजार करने लगी. पर में अभी और मजा लेना चाहता था; पूरी इच्छाशक्ति लगा कर में रुक गया जब तक मेरा उछलता लंड थोड़ा शान्त न हो गया.
सम्हलने के बाद मेने रचना से कहा "मेरी प्यारी बहन, इतनी जल्दी थोड़े ही छोड़ूम्गा तुझे. मेहनत से लंड घुसाया है तेरी कुम्वारी चूत में तो माम-कसम, कम से कम घन्टे भर तो जरूर चोदूम्गा." और फ़िर चोदने के काम में लग गया.
दस मिनिट बाद रचना की चुदती बुर का दर्द भी थोड़ा कम हो गया था. वह भी आखिर एक मस्त यौन-प्यासी लड़की थी और अब चुदते चुदते उसे दर्द के साथ साथ थोड़ा मजा भी आने लगा था. मेरे जैसे खूबसूरत जवान से चुदने में उसे मन ही मन एक अजीब खुशी हो रही थी, और ऊपर से अपने बड़े भाई से चुदना उसे ज्यादा उत्तेजित कर रहा था.
जब उसने चित्र में देखी हुई चुदती औरत को याद किया तो एक सनसनाहट उसके शरीर में दौड़ गयी. चूत में से पानी बहने लगा और मस्त हुई चूत चिकने चिपचिपे रस से गीली हो गयी. इससे लंड और आसानी से अन्दर बाहर होने लगा और चोदने की आवाज भी तेज होकर 'पकाक पकाक पकाक' निकलने लगी.
रोना बन्द कर के रचना ने अपनी बाम्हें मेरे गले में डाल दीं और अपनी छरहरी नाजुक टांगें खोलकर मेरे शरीर को उनमें जकड़ लिया. वह मेरे को बेतहाशा चूंअने लगी और खुद भी अपने चूतड़ उछाल उछाल के चुदवाने लगी. "चोदिये मुझे भैया, जोर जोर से चोदिये. ःआय, बहुत मजा आ रहा है. मैने आपको रो रो कर बहुत तकलीफ़ दी, अब चोद चोद कर मेरी बुर फाड़ दीजिये, मैम इसी लायक हूम."
में हंस पड़ा. "है आखिर मेरी ही बहन, मेरे जैसी चोदू. पर यह तो बता रचना , तेरी चूत में से खून नहीं निकला, लगता है बहुत मुठ्ठ मारती है, सच बोल, क्या डालती है? मोमबत्ती या ककड़ी?" रचना ने शरमाते हुए बताया कि गाजर से मुठ्ठ मारनी की उसे आदत है. इसलिये शायद बुर की झिल्ली कब की फ़ट चुकी थी.
भाई बहन अब हचक हचक कर एक दूसरे को चोदने लगे. मेने तो अपनी नन्ही नाजुक किशोरी बहन पर ऐसा चढ़ गया जैसे कि किसी चुदैल रन्डी पर चढ़ कर चोदा जाता है. रचना को मजा तो आ रहा था पर मेरे लंड के बार अम्दर बाहर होने से उसकी चूत में भयानक दर्द भी हो रहा था. अपने आनन्द के लिये वह किसी तरह दर्द सहन करती रही और मजा लेती हुई चुदती भी रही पर मेरे लंड के हर वार से उसकी सिसकी निकल आती.
|