RE: Antarvasna चुदने को बेताब पड़ोसन
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एक ही घर की सब औरतों की चुदाई
अब मैं अपनी नई कहानियां लेकर हाजिर हूँ। ये सभी कहानियां एक ही परिवार से हैं। इसलिए परिवार के बारे में जानना जरूरी है।
मैंने अपना पहला कमरा छोड़ने के बाद दूसरी जगह कमरा ले लिया। मेरे मकान मालिक की बीवी की सरकारी बैंक में नौकरी होने के कारण वे लोग दिल्ली से बाहर रहते थे। इस घर में उनके बड़े भाई अपनी फेमिली के साथ रहते थे।
उसी में एक कमरा, किचन और बाथरूम मुझे किराए पर मिला था।
उन्हीं के छोटे भाई अपनी फैमिली के साथ पास में ही अलग मकान में रहते थे।
मेरे मकान-मालिक की उम्र 45 साल और उनकी बीबी की उम्र 40 साल थी। उनके दो बच्चे थे। एक लड़की और एक लड़का।
उनके बड़े भाई की तीन लड़कियां और एक लड़का था। दो लड़कियों की शादी हो गई थी। बड़ी लड़की 26 साल
की थी, जिसकी एक लड़की भी थी। और छोटी 23 साल की थी। जिसकी शादी को तीन साल हो गए थे, पर अब तक कोई बच्चा नहीं हुआ था। उसके बाद 19 साल का भाई था। और सबसे छोटी लड़की की उम्र 18 साल थी।
कहानी तीसरे भाई की बीवी से शुरू होती है। उसका नाम गीता था। उसकी उम्र 30 साल, रंग गोरा था और वो कुछ छोटे कद की थी। उसकी अपने पति से कम ही बनती थी। क्योंकी उसका पति उम्र में उससे 10 साल बड़ा था। उनका एक बीमार बेटा भी था।
गीता ने अपने जिश्म को बहुत संवार कर रखा था, वो देखने में 25 साल की ही लगती थी, उसके बदन में। जबरदस्त कसाव था। जब पहली बार मैंने उसे देखा। तभी सोच लिया था कि इसे जरूर चोदूंगा। वैसे भी पति से ना बनने के कारण उसे भी एक तगड़े लण्ड की सख्त जरूरत थी।
मैंने किसी ना किसी बहाने उसके घर जाना शुरू कर दिया। जल्दी ही हमारी अच्छी बनने लगी। उसे देखते ही मेरा लण्ड खड़ा हो जाता था। एक बार तो उसने मेरे लण्ड को पैन्ट में तंबू बनाए हुए देख भी लिया था। जिसे मैंने जल्दी ही छुपा लिया था। वो हल्के से मुश्कुरा दी थी और अपने होंठ काटने लगी थी।
उसकी इस अदा से मैं समझ गया कि ये माल पकने में अधिक समय नहीं लेगा। धीरे-धीरे मैंने उससे मजाक करना शुरू किया, जिसका वह बुरा नहीं मानती थी। मैं कभी मजाक में उसके नाजुक अंगों को छू लेता, तो वो मुश्कुरा देती।
मैं उससे उसकी पर्सनल बातें पूछता तो वो उदास होकर उसे टाल जाती। मैं उसे चोदना चाहता हूँ। यह बात शायद वो समझ चुकी थी। पर खुल नहीं रही थी। एक बार मुझे उसके बिस्तर के तकिए के नीचे उसकी काले रंग की ब्रा-पैन्टी रखी मिली। जिसे मैंने उससे नजर बचाकर अपने जेब में रख ली और घर जाकर रात को उसे
याद करके पैन्टी से ही मुठ मारी और सारा माल उसी में गिराया।
अगले दिन जब मैं उनके घर गया तो वो कुछ परेशान दिखी।
मैंने कहा- क्या हुआ भाभी? कुछ परेशान दिख रही हो, कुछ गुम हो गया है क्या?
भाभी- हाँ मेरे तकिए के नीचे से कुछ सामान गायब है। जो मुझे अभी बहुत जरूरी चाहिए था।
मैंने कहा- सामान का नाम बताओ। मैं अभी ढूँढ़कर दे सकता हूँ।
भाभी ने मेरी तरफ मुश्कुराते हुए कहा- मेरी ब्रा-पैन्टी नहीं मिल रही है। मेरे पास दो ही जोड़े थे। अब मुझे नहाने जाना है। क्या करूँ? समझ में ही नहीं आ रहा है।
मैंने शरारत से कहा- तो क्या हुआ? बिना पहने ही बाकी के कपड़े पहन लेना। वैसे आपकी वो चीज मेरे पास है।
भाभी गुस्सा होकर बोलीं- तुम्हारे पास? तुम क्या करोगे उनका? तुम्हारे काम की चीज नहीं है वो।
मैंने कहा- भाभी, आप बुरा ना मानो तो एक बात कहूँ... जब से आपको देखा है मैं अपने पर कन्ट्रोल नहीं कर पा रहा हूँ। उसपर कल रात मैंने आपके नाम की मुठ मारी थी। आप मुझे बहुत अच्छी लगती हो।
भाभी ने हँसते हुए कहा- अरे ऐसा क्यों करते हो? तुम्हारी गर्ल-फ्रेन्ड नहीं है क्या? उससे अपना काम चलाओ। मेरी पैन्टी क्यों खराब करते हो?
मैंने कहा- नहीं है भाभी, मैं आपको ही अपनी गर्ल-फ्रेन्ड बनाना चाहता हूँ। बनोगी क्या?
भाभी- ठीक है, पहले मेरी ब्रा और पैन्टी वापस करो।
मैंने उन्हें दो जोड़ी नई ब्रा और पैन्टी खरीद कर दे दी। जिसे देखकर वो बहुत खुश हुई। मैं हमेशा उसी समय जाता था। जब उसका पति घर पर नहीं होता था। एक दिन मैं आफिस से घर आया तो देखा कि उनका बेटा हमारे मकान में आया था, इसका मतलब आज भाभी घर पर अकेली थीं, मेरा काम बन सकता था, मैं चुपचाप उनके घर चला गया।
भाभी- अरे तुम इस वक्त यहाँ कैसे?
मैंने कहा- भाभी तुम्हारी याद आ रही थी। इसलिए आफिस से तुम्हें मिलने आ गया।
भाभी- ठीक है तुम बैठो। मैं नहाकर आती हूँ।
वो नहाने चली गई। मैंने फटाफट घर के सारे खिड़कियां और दरवाजे बंद किए और बाथरूम के दरवाजे की दरार से उन्हें नहाते हुए देखने लगा। वो पूरी नंगी होकर नहा रही थी और साबुन को बार-बार अपनी चूत पर और चूचियों पर रगड़ रही थी। इसके साथ ही कभी वो अपनी उंगली चूत में डाल रही थी। वह नहाते वक्त लगभग गरम हो चुकी थी।
मैंने बाहर से ही कहा- भाभी आपकी पीठ पर साबुन लगा दें क्या? आप कहो तो पूरा नहला ही देता हूँ।
भाभी- “ठीक है, एक मिनट रूको..." उन्होंने फटाफट ब्रा और पैन्टी पहनी और दरवाजा खोलकर मेरी तरफ पीठ करके खड़ी हो गईं।
मैं फटाफट अपने सारे कपड़े खोलकर बाथरूम में घुस गया। जिसका उन्हें पता नहीं था कि मैं उनके पीछे नंगा खड़ा हूँ। मैं साबुन लेकर उनकी गर्दन और पीठ पर लगाने के बहाने सहलाने लगा, उन्हें मजा आ रहा था। मैंने जैसे ही हाथ नीचे लगाना चाहा तो वो मना करने लगी।
मैंने झटके से उन्हें अपनी तरफ घुमाया और उन्हें किस करने लगा। पहले तो वो मुझे नंगा देखकर घबरा गई। फिर मेरा खड़ा लण्ड देखा तो देखती ही रह गई।
बस मेरा काम हो गया था।
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