RE: Maa Bete ki Sex Kahani मिस्टर & मिसेस पटेल
मैगी बन गई थी बेड रूम में लेकर टेबल पर रखा और बिस्तर पे बैठके वाल पे पीठ टीका के एक एक चम्मच उठा उठा के खाने लगा. पर मन में एक तूफ़ान चलने लगा. अब मुझे माँ का स्पर्श पाने के लिये, उनके दिल की धड़कने महसुस करनेके लिए और उनकी मिठी आवाज़ सुनने के लिए मन बेताब हो रहा था मैं मोबाइल लिया.इस वक्त पौने दस बज रहे थे मैं मोबाइल को एक हाथ से घुमा फिरा रहा था और सोच रहा था की अब इतनी रात को क्या जागी होगी!! अहमदाबाद का घर पर साधारणता हम सब ८.३० में डिनर और ९.३० में सब अपने अपने रूम मे. मैं फिर भी आज मेरा लक ट्राय करने लगा. मैं मोबाइल का मेसेज ऑप्शन में जाके एक एसएमएस टाइप किया " मुझे अभी तुमसे बात करने के लिए मन चाह रहा है". जब वापस पडा, मुझे खुद को बेवकूफ लगा. फिर में कुछ टाइम सोचा और डिलीट करके केवल 'हाय' लिखा. पिछले एक हप्ते से उनसे मेरा कोई डायरेक्ट कन्वर्सेशन हुआ नही. और अब तो सिचुएशन एकदम अलग है. तो में एहि सही सोचा और माँ को भेज दिया. कल माँ खुद को मेरे पास सरेंडर करके, मेरे लिए उनका प्यार जता दि, फिर भी मेरे मन की सब भावनएं और संकोच अभी तक पूरी तरह दूर नहीं हुआ. कुछ कुछ चीज़ें शर्म बन के मेरे अंदर बैठी हुई है. और में जानता हु वह रहेगा. एक रिश्ते को भूल के दूसरे एक नए रिश्ते में जुड़ने जा रहे है हम दोनो. समय के साथ साथ वह नए रिश्ते हमारे बीच स्ट्रांग होते रहेंगे. मुझे मालूम है की खुद को मेरे पास सरेंडर करने के बाद भी माँ को भी टाइम लगेगा सब कुछ एडजस्ट करने के लिये. इन्ही सब भावनाओं के बीच मेरा खाना हो गया था पर मेरा मन बार बार मोबाइल पे जा रहा है. अब तक कोई रिप्लाई नहीं आया. शायद वह सो गई. मैं सोचा उनको रिंग करु. फिर लगा की अगर उनको उठने में टाइम लगेगा तोह नाना नानी को भी वह आवाज़ सुनाइ देगा. नानी जी अनिद्रा पेशंट है रात में जगा रह्ते है कभी कभी. अगर वह सुन लिया तोह समझ जायेंगे इतनी रात किसका फ़ोन है. क्यूँ की माँ को ज़ादा कोई फ़ोन करता नहीं है, में ही जो करता हुँ. पहले होता तो इतनी रात ठीक था लेकिन अब मुझे एक शर्म आने लगा. मैं निराश हो गया. मैं बाउल और स्पून लेके किचन जाने के लिए जैसे ही उठा एक एसएमएस आया. मेरे मन में एक अजीब अनुभुति फ़ुट ने लगी. मैं तुरंत एसएमएस देखा. माँ ने भेजा है. उन्होंने भी केवल 'हम्म' भेजा. मेरे होठो पे मुस्कराहट खेल गई. मैं समझ गया वह जागी हुई है और वह भी मेरे जैसी हर पल भावनाएं और ख़ुशी की एक अद्भुत मिश्रण अनुभुति से घिरा हुआ है. मैं फिर से बेड पे उठके बैठा और गोद में एक तकिया लेके वाल से टेक लगाके रिप्लाई करने लगा. अब जब वह मेरे से बात सुरु कर दिया है, तभी मेरी सब बातें अंदर ही अंदर दौड़ने लगी. सही शब्द ढूँढने लगा में. कुछ न पाके लिख दिया 'मा तुम अभी भी जागी हो?'. मैं सेंड बटन दबाने ही वाला था की में रुक गया. और एक बार नज़र फिराके टेक्स्ट को करेक्शन किया. क्या तुम अभी भी जागी हो?' भेज ने के बाद में मोबाइल स्क्रीन पे नज़र लगा के बैठा हु पर दिमाग में और कुछ चल रहा है. मैं इस बार अहमदाबाद जाके भी उनको माँ कह के बुला रहा था पर कल के बाद मुझे लगा की मुझे अब जल्दी पूरी तरह से नये रिश्ते को अपनाना पडेगा. बिप बिप. माँ रिप्लाई भेजीं है 'हममम' बोलके. शायद उनको इस सवाल का जवाब देणे में शर्म आया होगा. क्यूँ की उतना लिखने में बहुत टाइम लगा दि. मेरा मन ख़ुशी से भर रहा है. अभी भी जागी है !! शायद वह भी उनके अंदर की जो उनकंफर्टबले चीज़ें है, वह सब को सोच के, उसको तोड़मोड़ करके कुछ उपाय निकाल ने की कोशिश कर रही होंगी. मेरे दोनों हाथो के थंब अब मेरे मोबाइल की पैड के उप्पर नाच रहैं है. मन में तूफ़ान और दिमाग में संकोच. समझ नहीं आया क्या करूँ--कैसे करूँ या डायरेक्ट फ़ोन लगाउ. मैं ने टाइप किया “क्या में तुम को फ़ोन कर सकता हु?'. पहली बार अपनी माँ से इस तरह बात कर रहा हुँ. आज तक जब चाहे, जहाँ से चाहे , उनको फ़ोन किया. न मेरे मन में कोई संकोच , न वह कभी कुछ कहती. आज हम दोनों ज़िन्दगी की राहों में ऐसा एक मोड़ पे खड़े है, की कुछ भी करने से पहल, बोलनेसे पहले मन में दुविधा आ रही है. जैसे हम अन्जान दो इंसान है. इतने सालों का सब कुछ अचानक बदल गया और हम अब नाप तोल के सब कुछ करने में लगे है. लेकिन हा...मैं यह भी जनता हु की में उनके बारे में और वह मेरे बारे में अब तक जितना भी कुछ जाणू ना क्यूं, अब से हम को दूसरे तरिकेसे एक दूसरे को जानना शुरू करना पडेगा. अब एक दूसरे के दिल का दरवाजा, जो दरवाजा केवल ज़िन्दगी में अपने जीवनसाथी केलिए ही खोलते है, उसको खोलना पडेगा. टाइम निकल गया, पर रिप्लाई आया नही. शायद अब माँ फ़ोन पे डायरेक्ट बात करने में शर्मा रही है.
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