RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
प्रेम के लिए एक नया रास्ता खुल गया था इधर विनीता भी मन ही मन बहुत खुश थी कि वो प्रेम से संबंध बना के अपने जिस्म की हसरतों को पूरा कर पाएगी , इधर सौरभ जब सहर से मछली बेच कर वापिस आ रहा था तो उसे याद आया कि कुछ समान खरीदना है तो वो बाजार मे गया तो फूटपाथ पर कुछ पत्रिकाए बिक रही थी उसे फिल्मी हीरो-हेरोयिन्स की फोटो देखने का बहुत ही शौक था तो वो भी कुछ पत्रिकाओं को देखने लगा
तभी उसके हाथ कुछ ऐसी किताबें लगी जो किसी के भी होश उड़ा सकती थी, जी हां, ये वही सेक्स कहानियो वाली किताबें थी, सौरभ ने भी ऐसे ही दो किताबें खरीद ली और शाम होते होते घर आ गया ,मोसम आज भी बड़ा गुलजार था आज बारिश तो नही हुई थी पर थोड़ी ठंडक सी थी, प्रेम जब रात का खाना खाने सौरभ के घर गया तो विनीता की तीखी नज़रें बार बार उस से ही लड़ रही थी, जब किसी बहाने से विनीता उसे अपनी भारी भरकम चूचियो का नज़ारा दिखाती तो प्रेम के गले से रोटी का टुकड़ा निगलना मुश्किल हो जाता था
सौरभ का पिता अपनी ड्यूटी पर जा चुका था, विनीता जल्दी जल्दी रसोई का बचा हुआ काम समेट रही थी घाघरे के अंदर उसकी गुलाबी चूत इतनी बुरी तरह से पानी छोड़ रही थी कि उसकी जांघे तक गीली हो गयी थी, प्रेम अपने चौबारे मे लेटा हुआ अपने लंड को सहलाते हुए विनीता के बारे मे ही सोच रहा था जबकि सौरभ अपने कमरे मे आकर पढ़ाई कर रहा था, करीब घंटे भर बाद विनीता ने जब अच्छी तरह से चेक कर लिया कि सौरभ सो चुका है
तो वो दीवार कूद कर प्रेम के चॉबारे मे पहुच गयी, दरवाजा खुला पड़ा था,और सामने चारपाई पर प्रेम नंगा पड़ा हुआ था विनीता ने एक कातिल अदा के साथ उसकी तरफ देखा और बोली बड़े बेशरम हो गये हो कम से कम दरवाजा तो बंद कर लेते तो प्रेम बोला- चाची मुझे पता था आप आने वाली हो इसीलिए खुला रखा था, विनीता प्रेम के पास बैठते हुए बोली अब तुम मुझे चाची ना कहा करो मैं तो तन मन से अब तुम्हारी लुगाई बन चुकी हूँ
प्रेम – उसकी पीठ को सहलाते हुवे बोला तो आप ही बता दो अब मैं क्या कहूँ आपको
विनीता अपने बोबो को उसके सीने से टच करते हुए बोली मैं तो तेरी रांड़ बन गयी हूँ जो चाहे बुला ले और प्रेम के होंठो को चूम ने लगी अगले कुछ मिनिट तक बस वो दोनो एक दूसरे के होंठो से ही खेलते रहे विनीता पूरी तरह से प्रेम के उपर आ गयी थी प्रेम उसके मस्ताने कुल्हो को अपने हाथों से दबा रहा था
उसने धीरे से घाघरे को उपर किया तो पता चला कि विनीता ने कच्छि तो डाली ही नही है प्रेम उसके नरम नरम कुल्हो को भीचने लगा तो विनीता उसके स्पर्श से जैसे पिघलने लगी थी,विनीता ने फटाफट अपने ब्लाउज के बटन खोले और अपने बोबे को प्रेम के मुँह मे दे दिया और गरम गरम आहे भरने लगी नीचे की तरफ उसने प्रेम के लोड्े को अपनी रस से भरी कटोरी पर रगड़ना शुरू कर दिया तो चूत की गर्मी से लंड का सुपाडा और भी फूलने लगा
कुछ देर तक उसको गरम करने के बाद विनीता प्रेम के लंड पर बैठ ती चली गयी और उसको अपनी मस्ती मे समा लिया अब वो पूरी तरह प्रेम पर छा गयी थी उसने धीरे धीरे अपनी गान्ड हिलानी शुरू की जबकि प्रेम उसकी जीभ को अपने मुँह मे लेकर चूस रहा था, विनीता अपने कुल्हो को इतना उपर कर लेती कि बस सुपाडा ही चूत मे फसा रहता और फिर जब वो झटके से वापिस नीचे आती तो दोनो को बहुत मज़ा आता था करीब दस बारह मिनिट तक विनीता ऐसी ही कूदती रही
अब प्रेम ने उसको घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी ठुकाई करने लगा विनीता के चूचे बुरी तरह से हिल रहे थे प्रेम मस्ती के स्वर मे बोला चाची आप बहुत ही गरम हो आप की चूत बहुत ही गरम और टाइट है अपनी तारीफ सुनकर विनीता और भी खुश हो गयी और आहे भरते हुए बोली बेटा तेरे चाचा भी मस्त चोदते है पर जो मज़ा तू दे रहा है वैसा मज़ा उन्होने कभी नही दिया शाबाश मेरे शेर लगा रह ऐसे ही अपनी चाची को सुख देता रह वाह मेरे शेर हिला डाल अपनी इस रंडी की चूत को फाड़ डाल
चाची की गरमा गरम बातें सुनकर प्रेम की नसों मे बहता खून और भी उबाल मारने लगा और वो ताबड तोड़ विनीता की चुदाई करने लगा विनीता के लिए तो ये पल जैसे ठहर ही गये थे अब अगर यमराज भी आकर उस से कहते तो वो यूँ ही कहती कि चुदते चुदते ही मेरे प्राण निकल जाए, उसकी टाइट चूत को जब प्रेम का लंड अपनी गोलाई की अनुपात मे फैलाता तो जो दर्द भरा मज़ा उसे मिलता था उसके आगे वो बड़ा से बड़ा सुख भी त्याग सकती थी
करीब आधे घंटे की जोरदार चुदाई के बाद अब दोनो ही झड़ने को आ गये थे और कुछ और तेज तेज धक्को के बाद विनीता ने अपनी चूत को भीच लिया और उधर प्रेम ने अभी अपना लावा उसकी चूत मे छोड़ दिया दोनो हान्फते हुए बिस्तर पर गिर गये कुछ देर तक विनीता उसके सीने से ही लगी रही फिर उसने अपने कपड़ो को सही किया और प्रेम को एक जोरदार चुंबन देकर अपने कमरे मे जाकर सो गयी
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