RE: Indian Porn Kahani एक और घरेलू चुदाई
उषा की चूत किसी गरम भट्टी की तरह दहक रही थी जिस से प्रेम के लंड की खाल थोड़ी सी छिल गयी थी पर अभी अगर कुछ था तो वो जोश वो भूख जिसे जितना भी मिटाओ उतनी ही वो भड़कती जाती है पर हर एक शुरुआत की तरह इस खेल का अंत भी होना था उषा को ऐसा एहसास पहले कभी नही हुआ था अचानक से लगा कि उसका बदन जैसे बहुत हल्का हो गया था उसकी टाँगो मे एक कसाव सा आ गया था और उसकी साँसे जैसे रुक ही गयी थी दो चार पलों के लिए उसका जिस्म अकडा और फिर चूत से रस बहकर बाहर को गिरने लगा उषा को फिर कुछ याद नही रहा बस हो इस सुखद पल को जी भर कर जीना चाहती थी और तभी उसे अपनी चूत मे कुछ गरम गरम सा पानी गिरता महसूस हुआ
प्रेम भी झड गया था एक के बाद एक कई पिचकारिया उषा की चूत मे गिरने लगी हांफता हुआ प्रेम उसके उपर गिर गया उषा ने उसको अपनी बाहों मे भर लिया दोनो भाई बहन अपनी अपनी उखड़ी हुई सांसो को संभालने लगे………
सुबह हुई, तो उषा की आँखे खुली उसने देखा प्रेम वहाँ नही था उसने उठने की कोशिश की पर उठ नही पाई,उसके बदन का हर एक हिस्सा दर्द से दुख रहा था पूरा शरीर जैसे तप रहा था उसने पास मे पड़े अपने कपड़ो की तरफ हाथ बढ़ाया और किसी तरह से उन्हे पहनकर जल्दी से बाथ रूम मे घुस गयी वहाँ पर जाकर उसने अपनी चूत को देखा तो बुरी तरह से सूजी हुई थी वो और खून के निशान उसकी जाँघो पर और योनि के बालो मे भी थे
कल रात की चुदाई ने उसके बदन को बुरी तरह से निचोड़ डाला था उसने कल की बात को याद करते हुए नहाना शुरू किया तो उसको अच्छा लगने लगा एक ही रात मे बस एक बार की चुदाई से ही जैसे वो खिल ही गयी थी पर चूत अभी भी दर्द से कराह रही थी, जब वो नहा कर आई तो सुधा घर आ चुकी थी तो उषा थोड़ी सावधान हो गयी पर उसे क्या पता था कि उसकी माँ तो खुद अपने ख़यालो मे खोई हुई थी
खाना खाकर उषा अपने कमरे मे आकर सो गयी पर प्रेम अभी तक घर नही आया था तो सुधा ने सोचा कि चल खेत पर ही उसको खाना दे आती हूँ, और चल पड़ी खेतो की ओर इधर घर पर विनीता अकेली थी सौरभ स्कूल मे गया हुआ था विनीता सोच रही थी कि कहाँ फँस गयी मैं अच्छा ख़ासा प्रेम के साथ मज़े पे मज़े ले रही थी ना ये चोट लगती ना इधर पड़े रहना पड़ता पर तकदीर का क्या कर सकते हैं
सुधा जब खेत पर पहुचि तो उसने देखा कि प्रेम कुँए पर नहा रहा हैं उसका कसरती बदन धूप मे चमक रहा था सुधा की नज़र उसके गीले कच्छे से ढके लंड पर पड़ी जो कि सोई हुई हालत मे भी काफ़ी मोटा लग रहा था सुधा के बदन मे लहर सी दौड़ गयी प्रेम ने भी अपनी माँ को आते हुए देख लिया था तो जल्दी से उसने तौलिया लपेटा और सुधा के पास आ गया
सुधा- कितना काम करता है मेरा बेटा खाना खाने का भी होश नही रहता
प्रेम- माँ मैं बस थोड़ी देर मे घर ही आ रहा था
सुधा- कोई बात नही बेटे वैसे भी काफ़ी दिन हो गये इधर आना हो ही नही पाया तो इसी बहाने से इधर भी आ गयी जल्दी से आजा और खाना खा ले ठंडा हो रहा हैं
प्रेम खाना खाने लगा सुधा नीम के पेड़ के नीचे पड़ी खाट पर लेट गयी और हवा के झोंको से उसकी नींद सी लग गयी , रोटी खाने के बाद प्रेम पानी पी रहा था तो उसकी निगाह सोती हुई माँ पर गयी उफफफफफफफफफफ्फ़ कितनी खूबसूरत लग रही थी प्रेम ने सोचा कि माँ बिना किसी शृंगार के ही इतनी सुंदर हैं तो अगर वो सजी सँवरी रहे तो ना जाने कितने लोगो पर बिजलिया ही गिरा देगी वो अपनी माँ के पास आया और उसको देखने लगा
सुधा के पतले पतले गुलाबी होठ और उनपर बना हुआ तिल किसी पर भी अपना जादू एक पल मे ही चला सकते थे, उसकी मोटी मोटी छातिया जो ब्लाउज से बाहर आने को हमेशा ही तैयार रहती थी सुधा की साड़ी उसके घुटनो तक सरक आई थी माँ की सुंदर सुडोल पिंडलियो को देख कर प्रेम का लंड बुरी तरह से उछलने लगा प्रेम का बस चलता तो सुधा को भी चोद चुका होता वो पर उसकी अभी इतनी हिम्मत नही थी पर खड़े लंड का भी कुछ तो करना ही था
तो वो भाग कर अपने कमरे मे गया और लंड को हिलने लगा तभी पास चर रहे पशुओ ने शोर मचाना शुरू कर दिया जिस से सुधा की आँख खुल गयी उसे प्रेम नही दिखा तो वो अंदर कमरे की तरफ चल पड़ी दरवाजा खुला पड़ा था जैसे ही वो थोड़ा सा आगे को बड़ी उसके कानों को कुछ ऐसा सुनाई दिया जिसे सुन कर उसकी झान्टे सुलग ही गयी
ऊऊऊहह माआआआआआआआआआआआआआ तुम कितनी सुंदर हो कितनी मस्त गान्ड हैं तुम्हारी कब चोद पाउन्गा तुम्हे ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह माआआआआआआआआआआआआआआआआआअ प्रेम ऐसे बड़बड़ाते हुए अपने लंड को हिला रहा था सुधा के पाँव जैसे जम ही गये थे, उसका अपना बेटा उसको चोदने का सोच कर लंड हिला रहा था, सुधा जो पिछले कुछ दिनो से अपनी चूत की बढ़ती खुजली से परेशान थी पर सीधे सीधे जाके बेटे के लंड को अपनी चूत मे भी तो नही ले सकती थी ना तो दबे पाँव वो वापिस आकर बैठ गयी
थोड़ी देर बाद प्रेम भी अपना काम पूरा करके बाहर आ गया और सुधा को जागे हुए देख कर चौंक गया और बोला- माँ, तुम कब जागी
सुधा- बस अभी अभी , खाना खा लिया तो चल घर चलते हैं
और दोनो घर को चल दिए
सौरभ स्कूल से आ चुका था और विनीता के पास बैठा था,
सौरभ- मम्मी, आप कुछ परेशान सी लग रही हैं,
विनीता- हाँ बेटा वो दरअसल आज तेरी ताई जी सुबह से नही आई हैं और मैं आज नहाई नही हूँ तो पूरे बदन मे खुजली सी मची पड़ी हैं, चैन नही मिल रहा हैं
सोरभ- तो क्या हुआ, मैं आपकी मदद कर देता हूँ, वैसे भी ताई नही थी तो भी तो आप नहाती थी ना चलो फिर नहा लो आपको आराम मिलेगा
विनीता- अरे नही बेटा, कोई बात नही तुम परेशान ना होओ
सौरभ- नही आप एक मिनिट रूको मैं सब कर देता हूँ उसने अलमारी खोली और विनीता के लिए एक अच्छी सी साड़ी बाहर निकाल दी , और जब वो उसके ब्रा-पैंटी उठा रहा था तो विनीता शरम से लाल हो गयी पर उसकी भी मजबूरी थी सौरभ उसको सहारा देकर बाथरूम तक ले गया पर पिछली बार विनीता अकेले मे गिर गयी थी और सुधा होती तो अलग बात थी पर अब क्या करे
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